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प्री–बोर्ड परीक्षा
ह द
िं ी ‘ब’
सामान्य निदे श: निम्िलिखित निदे शों को ब ु त सावधािी से पहिए और उिका पािि कीजिए:-
इस प्रश्िपत्र में दो खंड हैं –खंड ‘अ’ औि ‘ब’
खंड ‘अ’ में कुल 9 वस्तुपिक प्रश्ि पूछे गए हैंI सभी प्रश्िों में उपप्रश्ि ददए गए हैंI ददए
गए निदे शों कध पधलि किते हुए प्रश्िों के उत्ति दीजिएI
खंड ‘ब’ में कुल 8 वर्ािधत्मक प्रश्ि पछ
ू े गए हैंI प्रश्िों में आंतरिक ववकल्प ददए गए हैंI
ददए गए निदे शों कध पधलि किते हुए प्रश्िों के उत्ति दीजिएI
गदयािंश- 1
यहद आप इस गदयािंश का चयि करते ैं तो कृपया उत्तर-पुजस्तका में लििें कक आप प्रश्ि सिंख्या
1 में हदए गए गदयािंश-1 पर आधाररत प्रश्िों के उत्तर लिि र े ैं :-
िज़ि उठधकि िहधाँ भी दे खें आपको हि इंसधि दुःु ख, अवसधद, तष्ृ र्ध, घर्
ृ ध, िफ़ित, ईष्यधा आदद
िैसे दग
ु र्
ुा ों से त्रस्त ददखधई दे गध। प्रत्येक इंसधि तिधव्रसस्त है। िीवि शैली इतिी िीिस हो चक
ु ी
है कक उमंग-उल्लधस तो िदधिद हो गए हैं िीवि से। भौनतक सुखों को तलधशते हुए व्यजतत अपिी
आंतरिक शजततयों को ववस्मतृ कि चक ु ध है । अिंत सुखों कध स्वधमी होकि भी व्यजतत दरिद्र बिध
हुआ है, वह नििं ति दुःु ख औि तिधव से पीड़ित है। वह ककतिे ही भौनतक संसधर्िों कध अंबधि लगध
लें, कभी भी सुखी िहीं हो सकतध, िब तक वह अपिे भीति सुख िहीं ढूाँढ़ेगध तब तक दख ु ों से
कैसे मुजतत पधएगध ? हमें सुख की प्रधजतत के ललए पीछे मुिकि अपिी समद्
ृ र् पिं पिध को दे खिध
होगध, अपिधिध होगध अपिी प्रधचीि पद्र्नतयों को, जििसे हमें एक सशतत मधगा लमलेगध जिसे हम
योग कहते हैं। हमधिे भीति अिंत शजततयधाँ नछपी हैं, आवश्यकतध है उन्हें िगधिे की। योग ही एक
ऐसध उत्तम एवं सिल मधगा है जिसके द्वधिध हम अपिी शजततयों को िगधकि अिंत आिंद, शजततयों
एवं शधंनत को प्रधतत कि सकते हैं।
महवषा पतंिलल िे योगशधस्त्र में ललखध है , मि की ववृ त्तयों को िोकिध ही योग है । यदद हम अपिे
अंतुःकिर् को पववत्र कि मि को नियंत्रत्रत कि सद्कमा किते हुए िीवियधपि किें तो स्वयं तो
अिंत आिंद को प्रधतत किें गे ही, सधथ ही सभी को सुख प्रदधि किें गे। तभी सवे भवंतु सुखखिुः की
उजतत चरितधथा होगी तथध वसुर्व
ै कुटुंबकम ् की भधविध बलवती होगी। ि कोई मधि-कधट होगी, ि
ककसी से कोई आतंककत होगध। वसंर्
ु िध भी शस्यश्यधमलध होगी, वधयु एवं िल भी सग
ु ंधर्त होंगे।
बस आवश्यकतध है तो लसफ़ा इस बधत की, कक हम अपिे मि में उठते बिु े ववचधिों को नियंत्रत्रत
किें औि िि-कल्यधर् को महत्त्व दें । इि सबकी प्रधजतत हमें योग द्वधिध हो सकती है । तो तयों ि
हम आि से बजल्क अभी से योग अपिधएाँ औि िीवि को सख
ु ी बिधएाँ।
निम्िलिखित में से निदे शािुसार सवाडधधक उपयुक्त ववकल्पों का चयि कीजिए :-
(क) वतामधि समय में मिष्ु य कौि-से दग
ु र्
ुा ों से त्रस्त है ? 1
(i) अवसधद, िफ़ित, दख
ु , कपट
(ii) दख
ु , अवसधद, स्िेह, िफ़ित
(iii) दख
ु , अवसधद, तष्ृ र्ध, िफ़ित, ईष्यधा
(iv) दख
ु , तष्ृ र्ध, िफ़ित, छल
(ख) भौनतक सुखों को तलधशते हुए व्यजतत अपिी ककि शजततयों को ववस्मत
ृ कि चक
ु ध है ?1
(i) आंतरिक
(ii) बधहिी
(iii) दै ववक
(iv) मधिलसक
(ग) ‘मि की ववृ त्तयों को िोकिध ही योग है । ’ प्रस्तत
ु उजतत योगशधस्त्र में ककस महवषा
द्वधिध दी गई है ? 1
(i) महवषा गौतम
(ii) महवषा पतंिलल
(iii) महवषा कश्यप
(iv) महवषा दव
ु धासध
(घ) ककि प्रयधसों द्वधिध िीवि मूल्यों की प्रधजतत योग द्वधिध संभव है ? 1
(i) अिंत शजतत द्वधिध
(ii) भौनतक सुखों द्वधिध
(iii) सवे भवंतु सुखखिुः की उजतत को चरितधथा ि किके
(iv) मि में उठते ववचधिों पि नियंत्रर् व िि कल्यधर् के महत्त्व कध प्रनतपधदि किके
(ङ) निम्िललखखत में से सवधाधर्क उपयुतत शीषाक कध चयि कीजिए :- 1
(i) भौनतक संसधर्िों की तलधश
(ii) शस्य श्यधमलध
(iii) सशतत मधगा वसुंर्िध
(iv) योग अपिधएाँ औि िीवि को सुखी बिधएाँ
अथवा गदयािंश-2
यहद आप इस गदयािंश का चयि करते ैं तो कृपया उत्तर-पुजस्तका में लििें कक आप प्रश्ि सिंख्या
1 में हदए गए गदयािंश-2 पर आधाररत प्रश्िों के उत्तर लिि र े ैं :-
दस
ू िों के अदहत में ही इन्हें अपिध लधभ ददखधई दे तध है । दस
ू िों के उिििे में इन्हें हषा एवं उिकी
उन्िनत में ये बेहद कष्ट कध अिुभव होतध है । ये दस
ू िों की बुिधई किते हैं। दस
ू िों के दोषों को
असंख्य िेत्रों से दे खते हैं। दस
ू िों कध कधम त्रबगधििे के ललए दर्
ू में मतखी की भधाँनत धगि िधते हैं।
ये दस
ू िों कध कधम त्रबगधििे के ललए अपिे प्रधर् तक गाँवध दे ते हैं। अहं कधि के कधिर् ये ईश्वि पि
ववश्वधस ि कि अपिे ही निर्ायों को सवाश्रेष्ठ मधि दस
ू िों पि थोपिे कध प्रयधस किते हैं। िधक्षसी
प्रववृ त्त के लोग िैनतक को अिैनतक मधिते हैं , इस कधिर् आस-पधस कध वधतधविर् िकधिधत्मक हो
िधतध है । ऐसी बिु ी प्रववृ त्त की बढ़त के कधिर् पथ्
ृ वी िे प्रभु के समक्ष निवेदि ककयध “हे भगवधि!
मुझे पवात, वक्ष
ृ ों आदद कध भधि इतिध महसूस िहीं होतध जितिध िकधिधत्मक एवं दष्ु प्रववृ त्त के लोगों
के कधिर् होतध है ।” ऐसे लोगों को अपिे दष्ु कमों कध प्रनतफल आिे वधले िन्मों में भोगिध ही पितध
है । अतुः मिुष्य को स्वधध्यधय के मधध्यम से अपिे भीति झधाँकिध चधदहए एवं उस द्वधि को पूर्त
ा ुः
कसकि बंद कि दे िध चधदहए, िहधाँ से दष्ु प्रववृ त्तयों के आिे की संभधविध हो। इस प्रयधस से ही
मधिवतध िीववत िह पधएगी तथध र्िती मधाँ भी सही अथों में वसुंर्िध बि पधएगी।
निम्िलिखित में से निदे शािुसार सवाडधधक उपयुक्त ववकल्पों का चयि कीजिए :
(क) अहं कधि ककस-ककस कध िधश कि डधलतध है ? 1
(i) असुिों, िधक्षसों, र्त
ू ों कध
(ii) दे वों, ऋवषयों कध
(iii) मिुष्य, परिवधि, समधि, दे श औि मधिव िधनत कध
(iv) मिुष्य, परिवधि, ववश्व औि पशु िधनत कध
(ख) ‘दर्
ू में मतखी की भधाँनत धगि िधिध’ कहधवत कध तयध अथा है ? 1
(i) दस
ू िों की सहधयतध कििध
(ii) दस
ू िों से स्िेह कििध
(iii) दस
ू िों कध कधम बिध दे िध
(iv) दस
ू िों कध कधम त्रबगधि दे िध
(ग) पथ्
ृ वी िे भगवधि से तयध-तयध निवेदि ककयध थध ? 1
(i) प्रत्येक इंसधि तिधव ्रसस्त है
(ii) पवात, वक्ष
ृ ों आदद कध भधि महसूस िहीं होतध जितिध िकधिधत्मक व दष्ु प्रववृ त्त लोगों
कध
(iii) पवात, वक्ष
ृ ों कध भधि सबसे अधर्क अिुभव होतध है
(iv) दस
ू िों के अदहत में ही अपिध लधभ ददखधई दे तध है
(घ) िधक्षसी प्रववृ त्त के लोगों द्वधिध वधतधविर् में िकधिधत्मकतध कध प्रसधि कैसे ककयध िधतध
है ? 1
(i) दस
ू िों कध अदहत किके
(ii) िैनतक को अिैनतक मधिकि
(iii) पधपकमा द्वधिध
(iv) द्वेष की भधविध द्वधिध
(ङ) ‘िधक्षस मौकध लमलिे पि अपिे दहतैवषयों कध भी अदहत कििे से िहीं चक
ू ते।’ यह
कथि ककस ्रसंथ में ललखखत है ? 1
(i) सधकेत
(ii) गीतध
(iii) महधभधित
(iv) िधमचरितमधिस
प्रश्ि 2. िीचे दो गदयािंश हदए गए ैं । ककसी गदयािंश को ध्यािपूवक
ड पहिए और उस पर
आधाररत प्रश्िों के उत्तर दीजिए :- (5x1=5)
गदयािंश- 1
यहद आप इस गदयािंश का चयि करते ैं तो कृपया उत्तर-पुजस्तका में लििें कक आप प्रश्ि सिंख्या
2 में हदए गए गदयािंश-1 पर आधाररत प्रश्िों के उत्तर लिि र े ैं :-
यहद आप इस गदयािंश का चयि करते ैं तो कृपया उत्तर-पजु स्तका में लििें कक आप प्रश्ि सिंख्या
2 में हदए गए गदयािंश-2 पर आधाररत प्रश्िों के उत्तर लिि र े ैं :-
कहते हैं ि कक यदद लगि लग िधए तो कोई भी कधया पूर्ा होते दे ि िहीं लगती औि यदद लगि
िचिधत्मक एवं सकधिधत्मक हो तो वह प्रनतष्ठध एवं ख्यधनत अजिात कि लेती है । लगि को हम र्ि
ु
भी कह सकते हैं , िैसे तुलसीदधस िी को िधमर्ि
ु लगी तो िधमचरितमधिस िैसी कधलियी कृनत
की िचिध हुई। मीिधबधई, चैतन्य आदद िे तो धगिर्ि गोपधल की र्ि
ु में ही िीवि व्यतीत ककयध।
वतामधि समय में भी कुछ पिोपकधिी समधि सेववयों द्वधिध समधि के उत्थधि एवं कल्यधर् की
लगि कुछ इस प्रकधि सधमिे आ िही है कक लोग अपिे आस-पधस के निर्ाि तथध वपछिे वगा के
बच्चों को लशक्षक्षत कििे कध कधया कि समधि को िई दशध एवं ददशध प्रदधि कि िहे हैं। ककसी को
सददा यों के मौसम में दठठुिते लोगों को कंबल ओढ़धिे की लगि है तो ककसी को गिम चधय की दो
चजु स्कयों से िधहत पहुाँचधिे की लगि है । इतिध ही िहीं, हमधिी प्रधचीि पिं पिधओं तथध संस्कृनत को
आगे बढ़धिे की लगि भी प्रधयुः दे खिे को लमलती है – पक्षक्षयों को दधिध डधलिे की, पधिी वपलधिे
की तथध घधयल पश-ु पक्षक्षयों कध उपचधि आदद कधया के रूप में । कुछ समय पहले एक ककस्सध सधमिे
आयध थध कक कोई एक व्यजतत ककसी लधवधरिस लधश कध दधह संस्कधि कि दे तध थध। ककतिी बिी
एवं सकधिधत्मक सोच है । अतुः लगि कध मुद्दध कोई भी हो-िचिधत्मकतध एवं सकधिधत्मकतध अवश्य
होिी चधदहए, जिससे समधि को सही दशध, ददशध एवं वसर्
ु वै कुटुंबकम ् कध संदेश लमल सके।
प्रश्ि 3. निम्िलिखित पााँच भागों में से ककन् ीिं चार भागों के उत्तर दीजिए :-
(ङ) होली में सबसे पहलध गुलधल ठधकुििी को ही चढ़धयध िधतध है ।’ वधतय में कक्रयध-पदबंर्
है :- 1
(i) िधतध है
(ii) होली में सबसे पहलध
(iii) ठधकुििी को ही चढ़धयध
(iv) चढ़धयध िधतध है
प्रश्ि 4. निम्िलिखित पााँच भागों में से ककन् ीिं चार भागों के उत्तर दीजिए :-
(ग) ‘उगतध हुआ सूिि बहुत मिमोहक लगतध है ।’ वधतय िचिध की दृजष्ट से है :- 1
(i) संयतु त वधतय
(ii) सिल वधतय
(iii) लमश्र वधतय
(iv) सधमधन्य वधतय
(घ) ‘सच बोलिे वधलध कभी िहीं डितध।’ कध उधचत लमश्र-वधतय बिेगध :- 1
(i) िब कोई सच बोलतध है तब वह िहीं डितध।
(ii) िो सच बोलेगध, वह कभी िहीं डिे गध।
(iii) वह सच बोलतध है इसललए िहीं डितध।
(iv) िो सच बोलतध है , वह कभी िहीं डितध।
प्रश्ि 5. निम्िलिखित पााँच भागों में से ककन् ीिं चार भागों के उत्तर दीजिए :-
(ग) सिकधिी िौकिी लमलिध आसधि िहीं है , उसे पधिे के ललए बहुत ________। 1
उपयत
ु त महु धविे से रितत स्थधि की पनू ता कीजिए :-
(i) मेहित कििी पिती है ।
(ii) पधपि बेलिे पिते हैं।
(iii) आिे हधथों लेिध पितध है ।
(iv) गधगि में सधगि भििध पितध है ।
(ख) अंतरिक्ष में खिे दे व अपिी बधहु तयों बढ़ध िहे हैं ? 1
(i) मदद के ललए
(ii) स्वस्थतध के ललए
(iii) समद्
ृ धर् के ललए
(iv) मधगादशाि के ललए
सददयों पूव,ा िब ललदटल अंदमधि औि कधि-निकोबधि आपस में िुिे हुए थे तब वहधाँ एक सुंदि
सध गधाँव थध। पधस में एक सुंदि औि शजततशधली यव
ु क िहध कितध थध। उसकध िधम थध ततधाँिध।
निकोबधिी उसे बेहद प्रेम किते थे। ततधाँिध एक िेक औि मददगधि व्यजतत थध। सदै व दस
ू िों
की सहधयतध के ललए तत्पि िहतध। अपिे गधाँववधलों को ही िहीं, अवपतु समूचे द्वीपवधलसयों
की सेवध कििध अपिध पिम कताव्य समझतध थध। उसके इस त्यधग की विह से वह चधचात
थध। सभी उसकध आदि किते। वतत मुसीबत में उसे स्मिर् किते औि वह भधगध-भधगध वहधाँ
पहुाँच िधतध। दस
ू िे गधाँवों में भी पवा-त्योहधिों के समय उसे ववशेष रूप से आमंत्रत्रत ककयध िधतध।
उसकध व्यजततत्व तो आकषाक थध ही, सधथ ही आत्मीय स्वभधव की विह से लोग उसके किीब
िहिध चधहते। पधिं परिक पोशधक के सधथ वह अपिी कमि में सदै व एक लकिी की तलवधि
बधाँर्े िहतध। लोगों कध मत थध, बधविूद लकिी की होिे पि, उस तलवधि में अद्भुत दै वीय
शजतत थी। ततधाँिध अपिी तलवधि को कभी अलग ि होिे दे तध। उसकध दस
ू िों के सधमिे
उपयोग भी ि कितध ककंतु उसके चधचात सधहलसक कधििधमों के कधिर् लोग-बधग तलवधि में
अद्भत
ु शजतत कध होिध मधिते थे। ततधाँिध की तलवधि एक ववलक्षर् िहस्य थी।
(क) सददयों पव
ू ा कौि-से द्वीप आपस में िि
ु े थे ? 1
(i) लक्षद्वीप औि ललदटल अंदमधि
(ii) ललदटल अंदमधि औि कधि-निकोबधि
(iii) पोटा ब्लेयि औि श्री-लंकध
(iv) दमि औि दीव
(ख) ततधाँिध कैसध व्यजतत थध ? 1
(i) िेक औि मददगधि
(ii) कपटी औि स्वधथी
(iii) शधंत औि सिल
(iv) क्रूि औि निदा यी
(ग) दस
ू िे गधाँवों में ककि अवसिों पि लोग ततधाँिध को आमंत्रत्रत किते थे ? 1
(i) दीवधली मेले पि
(ii) वववधह के अवसिों पि
(iii) पवा-त्योहधिों पि
(iv) लशकधि के ववलभन्ि अवसिों पि
(घ) ततधाँिध की पोशधक कैसी थी ? 1
(i) पधश्चधत्य
(ii) पधिं परिक
(iii) आर्नु िक
(iv) िधिसी
(ङ) ततधाँिध की लकिी की तलवधि ककस अद्भुत शजतत से युतत थी ? 1
(i) िधक्षसी
(ii) िधदईु
(iii) िधिसी
(iv) दै वीय
ग्वधललयि से बंबई की दिू ी िे संसधि को कधफ़ी कुछ बदल ददयध है । वसोवध में आि िहधाँ मेिध
घि है , पहले यहधाँ दिू तक िंगल थध। पेि थे, परिंदे थे औि दस
ू िे िधिवि थे। अब यहधाँ समंदि
के ककिधिे लंबी-चौिी बस्ती बि गई है । इस बस्ती िे ि िधिे ककतिे परिंदों-चरिंदों से उिकध
घि छीि ललयध है । इिमें से कुछ शहि छोिकि चले गए हैं। िो िहीं िध सके हैं उन्होंिे यहधाँ-
वहधाँ डेिध डधल ललयध है । इिमे से दो कबूतिों िे मेिे फ़्लैट के एक मचधि में घोंसलध बिध ललयध
है । बच्चे अभी छोटे हैं। उिके खखलधिे-वपलधिे की जज़म्मेदधिी अभी बिे कबत
ू िों की है । वे ददि
में कई-कई बधि आते-िधते हैं। औि तयों ि आएाँ-िधएाँ आखखि उिकध भी घि है । लेककि उिके
आिे-िधिे से हमें पिे शधिी भी होती है । वे कभी ककसी चीज़ को धगिधकि तोि दे ते हैं । कभी
मेिी लधइब्रेिी में घुसकि कबीि यध लमज़धा गधललब को सतधिे लगते हैं। इस िोज़ -िोज़ की
पिे शधिी से तंग आकि मेिी पत्िी िे उस िगह िहधाँ उिकध आलशयधिध थध, वहधाँ एक िधली
लगध दी है , उिके बच्चों को दस
ू िी िगह कि ददयध है ।
प्रश्ि10.निम्िलिखित प्रश्िों में से ककन् ीिं दो प्रश्िों के उत्तर िगभग 25-30 शब्दों में लिखिए :-
2x2=4
प्रश्ि12. निम्िलिखित प्रश्िों में से ककन् ीिं दो प्रश्िों के उत्तर िगभग 40-50 शब्दों में लिखिए :-
2x3=6
(i) ‘सपिों के से ददि’ पधठ में मधस्टि प्रीतमचंद कध ववद्यधधथायों को अिुशधलसत िखिे
के ललए िो तिीकध थध, वह आि की लशक्षध-व्यवस्थध के िीवि-मल्
ू यों के अिस
ु धि
उधचत है यध अिुधचत? स्पष्ट कीजिए I 3
(ii) ‘टोपी-शुतलध’ पधठ के आर्धि पि इफ़्फ़ि की दधदी के स्वभधव की उि ववशेषतधओं
कध उल्लेख कीजिए जििके कधिर् टोपी िे दधदी बदलिे की बधत कहीI 3
(iii) हरिहि कधकध िे सबसे बधत कििध बंद तयों कि ददयध थध? ‘हरिहि कधकध’ कहधिी
के आर्धि पि स्पष्ट कीजिए I 3
िेिि (26)
प्रश्ि17. ‘िैसी कििी, वैसी भििी’ मुहधविे के आर्धि पि 100-120 शब्दों में एक लघुकथध
ललखखएI
अथवा
‘सच्ची लमत्रतध, अमूल्य र्िोहि’ ववषय पि लगभग 100-120 शब्दों में एक लघुकथध
ललखखएI 1x5=5