You are on page 1of 13

Downloaded from www.studiestoday.

com

प्रतिदर्श प्रश्न ऩत्र (2018-19)


हिन्दी ऩाठयक्रम- अ
कक्षा - दसव ीं

तनधाशररि समय- 3 घींटे अतधकिम अींक – 80

सामान्य तनदे र्:-


1 इस प्रश्नऩत्र में चार खींड िैं - क,ख,ग और घ |
2 चारों खींडों के प्रश्नों के उत्तर दे ना अतनवायश िै |

om
3 यथासींभव प्रत्येक खींड के प्रश्नों के उत्तर क्रमर्् दीजिए |

.c
ay
खींड-‘क’ अींक-15
(अऩहठि अींर्)
od
1 ननम्ननरखित गद्यॊश को ध्मयनऩूर्क
व ऩढ़िए औय ऩूछे गए प्रश्नों के उत्तय नरखिए- (8)
t
es

सृष्टि ने भयनर् को जो सर्वश्रष्ठ


े र्यदयन ढ़दए हैं उनभें से एक भहत्र्ऩूणव र्यदयन है
di

– स्र्स्थ शयीय | स्र्स्थ शयीय से ही खजॊदगी की सही शुरुआत होती है |


अस्र्स्थ शयीय भें कहयॉ जीर्न होतय है ? र्ह तो जीर्न ऩय फोझ होतय है |
tu

जीर्न के सबी सुि, सबी सौंदमव, सबी आनॊद स्र्स्थ होने ऩय ही नभरते हैं |
.s

स्र्यस््म सबी जीर्धयरयमों के आनॊदभम जीर्न की कुॊजी है ; क्मोंढ़क स्र्यस््म के


w

ष्टफनय जीर्धयरयमों की सभस्त ढ़िमयएॉ-प्रढ़िमयएॉ रुक जयती हैं मय नशनथर हो जयती


w

हैं | जीर्न को जर बी इसीनरए कहय जयतय है | खजस प्रकयय रुकय जर सड़ जयतय


w

है , दग
ु ध
ं मुक्त हो जयतय है , ठीक इसी प्रकयय नशनथर औय कभवहीन जीर्न से
स्र्यस््म िो जयतय है | स्र्यस््म औय िेर-कूद कय ऩयस्ऩय गहयय सॊफॊध है | ऩशु-
ऩऺी हो मय भनुष्म, जो िेरतय-कूदतय नहीॊ, र्ह उत्पुल्र औय प्रसन्न यह नहीॊ
सकतय | जफ हभ िेरते हैं तो हभभें नमय प्रयणयर्ेग, नई स्पूनतव औय नई चेतनय
आ जयती है | हभ दे िते हैं ढ़क हर्य के झोंके एक-दस
ू ये कय ऩीछय कयते हुए दयू -
दयू तक दौड़ते हैं , र्ृऺों की शयियओॊ को ढ़हरय-ढ़हरयकय अठिेनरमयॉ कयते हैं |
आकयश भें उड़ते ऩऺी तयह-तयह की िीड़यएॉ कयते हैं | हभें बी जीर्न-जगत ् से
प्रेयणय रेते हुए िुरे भन से िेर-कूद भें बयग रेनय चयढ़हए |
(क) स्र्यस््म औय िेर-कूद ऩयस्ऩय एक दस
ू ये के ऩूयक हैं - कैसे ? (2)

Downloaded from www.studiestoday.com


Downloaded from www.studiestoday.com

(ि) उदयहयण दे ते हुए नसद्ध कीखजए ढ़क प्रकृ नत बी िेर-कूद ऩसॊद कयती है | (2)
(ग) स्र्यस््म कय कभव से क्मय सॊफॊध है ? (2)
(घ) जीर्न को जर क्मों कहय गमय है ? (1)
(ड) उऩमुक्त
व गद्यॊश के नरए उऩमुक्त शीर्वक नरखिए | (1)

2 ननम्ननरखित कयवमयॊश को ध्मयनऩूर्क


व ऩढ़िए औय ऩूछे गए प्रश्नों के उत्तय नरखिए- (7)
अऩने नहीॊ अबयर् नभटय ऩयमय जीर्न बय
ऩय औयों के सबी अबयर् नभटय सकतय हूॉ |
तूपयनों-बूचयरों की बमप्रद छयमय भें,
भैं ही एक अकेरय हूॉ जो गय सकतय हूॉ |
भेये ‘भैं’ की सॊऻय बी इतनी वमयऩक है ,
इसभें भुझ-से अगखणत प्रयणी आ जयते हैं |

om
भुझको अऩने ऩय अदम्म ष्टर्श्वयस यहय है |
भैं िॊडहय को ढ़पय से भहर फनय सकतय हूॉ |

.c
जफ-जफ बी भैंने िॊडहय आफयद ढ़कए हैं ,
प्ररम-भेघ बूचयर दे ि भुझको शयभयए |
ay
od
भैं भजदयू भुझे दे र्ों की फस्ती से क्मय,
भैंने अगखणत फयय धयय ऩय स्र्गव फनयए |
t
es

उऩमुक्त
व कयवम-ऩॊष्टक्तमों भें ढ़कसकय भहत्र् प्रनतऩयढ़दत ढ़कमय गमय है ? (1)
(1)
di

स्र्गव के प्रनत भजदयू की ष्टर्यष्टक्त कय क्मय कययण है ? (1)


tu

(2)
.s

ढ़कन कढ़ठन ऩरयखस्थनतमों भें बी भजदयू ने अऩनी ननबवमतय प्रकट की है ?


(1)
(3)
w

भेये ‘भैं’ की सॊऻय बी इतनी वमयऩक है इसभें भुझ-से अगखणत प्रयणी आ जयते हैं
w

(2)
(4) |
w

उऩमुक्त
व ऩॊष्टक्त कय बयर् स्ऩि कीखजए |
(2)
(5)
अऩनी शष्टक्त औय ऺभतय के प्रनत भजदयू ने क्मय कहकय अऩनय आत्भ-ष्टर्श्वयस
प्रकट ढ़कमय है ?
अथवा

हॉ सते खिरखिरयते यॊ ग-ष्टफयॊ गे पूर क्मययी भें दे िकय


जी तृप्त हो गमय |
नथुनों से प्रयणों तक खिॊच गई

Downloaded from www.studiestoday.com


Downloaded from www.studiestoday.com

गॊध की रकीय सी
आॉिों भें हो गई यॊ गों की फयसयत
अनयमयस कह उठय
र्यह !
धन्म है र्सॊत ऋतु |
रौटने को ऩैय ज्मों फियमे तो
क्मययी के कोने भें दफ
ु कय एक नन्हय पूर अचयनक फोर ऩड़य :
सुनो
एक छोटय-सय सत्म तुम्हें सौंऩतय हूॉ
धन्म है र्सॊत ऋतु, ठीक है
ऩय उसकी धन्मतय उसकी कभयई नहीॊ

om
र्ह हभने यची है ,
हभने

.c
मयनी भैंने
भुझ जैसे भेये अननगनत सयनथमों ने –
ay
od
खजन्होंने इस क्मययी भें अऩने-अऩने ठयॉर् ऩय
धूऩ औय फयसयत,
t
es

जयड़य, औय ऩयरय झेर


सूयज को तऩय है ऩूयी आमु एक ऩयॉर् ऩय
di

तुभने ऋतु को फियनय,


tu

ऩय क्मय कबी ऩर बय बी
.s

तुभ उस रौ को बी दे ि सके
w

खजसके फर
w

भैंने औय इसने औय उसने


w

मयनी भेये एक-एक सयथी ने


नभट्टी कय अॉधेयय पोड़
सूयज से आॉिें नभरयई हैं ?
उसे मढ़द जयनते तो तुभसे बी
यॊ ग जयती एक ऋतु |

(1) पूर ने कष्टर् को कौन-सय छोटय-सय सत्म सौंऩय ? (1)


(2) र्सॊत की धन्मतय को ढ़कसने यचय है ? (1)
(3) पूर औय उसके सयनथमों ने नभट्टी कय अॉधेयय पोड़कय ढ़कससे आॉिें नभरयई हैं ? (1)

Downloaded from www.studiestoday.com


Downloaded from www.studiestoday.com

(4) पूरों औय उसके जैसे अननगनत सयनथमों ने क्मय ढ़कमय है ? (2)


(5) हॉ सते खिरखिरयते पूरों को दे ि कष्टर् को क्मय अनुबर् हुआ ? (2)

खींड-‘ख’ अॊक-15
(व्याविाररक व्याकरण)

3 ननदे शयनुसयय ढ़कन्हीॊ तीन कय उत्तय नरखिए- (1x3=3)


मुर्य धनुधयव को सेनयऩनत ने मुद्ध भें बेजय |
1
(नभश्र र्यक्म भें फदनरए)
भैं ष्टर्द्यरम ऩहुॉचय ऩयन्तु घॊटी फज चुकी थी |
2 (सयर र्यक्म भें फदनरए)
जो भन रगयकय कयभ कयते हैं , उन्हें सपरतय नभरती है |

om
3
(आनश्रत उऩर्यक्म छयॉटकय बेद बी नरखिए)
भेयी भयॉ चयहती हैं ढ़क भैं अच्छय इॊ सयन फनूॉ |

.c
4
(ये ियॊढ़कत उऩर्यक्म कय बेद नरखिए)

ay
od
4 ननम्ननरखित र्यक्मों भें से ढ़कन्हीॊ चयय र्यक्मों कय ननदे शयनुसयय र्यच्म ऩरयर्तवन (1x4=4)
कीखजए-
t
es

1 भोहन से ऩैदर चरय नहीॊ जयतय | (कतृर्


व यच्म भें फदनरए)
2 आओ, र्हयॉ फैठे | (बयर्र्यच्म भें फदनरए)
di

3 ढ़कसयन िेतों भें फीज फोतय है | (कभवर्यच्म भें फदनरए)


tu

4 छयत्रों द्वययय ऩयठ मयद ढ़कमय जयतय है | (कतृर्


व यच्म भें फदनरए)
.s

5 ऩऺी आकयश भें उड़ें गे | (कभवर्यच्म भें फदनरए)


w

5 5 ननम्ननरखित र्यक्मों भें से ढ़कन्हीॊ चयय र्यक्मों के ये ियॊढ़कत ऩदों कय ऩद-ऩरयचम (1x4=4)
w

नरखिए-
w

1 सूमोदम हुआ औय ऩऺी चहचहयने रगे |


2 र्ीय ऩुरुर्ों कय सर्वत्र आदय ढ़कमय जयतय है |
3 अध्मयष्टऩकय ने फच्चों को एक कहयनी सुनयई |
4 अर्नन कर आएगी |
5 इरयहयफयद भें तीन नढ़दमों कय सॊगभ है |

6 ननम्ननरखित प्रश्नों भें से ढ़कन्हीॊ चयय प्रश्नों के उत्तय दीखजए – (1x4=4)

1 ‘र्ीय’ यस कय एक उदयहयण नरखिए |

2 ननम्ननरखित कयवम ऩॊष्टक्तमों भें यस ऩहचयन कय नरखिए-


एक ओय अजगयढ़ह रखि, एक ओय भृगययम |

Downloaded from www.studiestoday.com


Downloaded from www.studiestoday.com

ष्टर्कर फटोही फीच ही ऩयमो भूयछय ियम ||


‘ननर्ेद’ ढ़कस यस कय स्थयमी बयर् है ?
3
करुण यस’ कय स्थयमी बयर् क्मय है ?
4
घृखणत र्स्तुओॊ को दे िकय अथर्य उनके फयये भें सुनकय भन भें जो बयर् उत्ऩन्न
5
होतय है , उससे ढ़कस यस की वमुत्ऩष्टत्त होती है ?
खींड-‘ग’ अींक-
(ऩाठ्य ऩस्िक एवीं ऩररक ऩाठ्य ऩस्िक) 30

7 ननम्ननरखित गद्यॊश को ध्मयनऩूर्क


व ऩिकय ऩूछे गए प्रश्नों के उत्तय नरखिए- (5)
भैं नहीॊ जयनतय इस सॊन्मयसी ने कबी सोचय थय मय नहीॊ ढ़क उसकी भृत्मु ऩय कोई
योएगय रेढ़कन उस ऺण योने र्यरों की कभी नहीॊ थी | (नयभ आॉिों को नगननय
स्मयही पैरयनय है |) इस तयह हभयये फीच से र्ह चरय गमय जो हभभें से सफसे

om
अनधक छयमयदयय पर-पूर गॊध से बयय औय सफसे अरग, सफकय होकय, सफसे
ऊॉचयई ऩय, भयनर्ीम करुणय की ढ़दवम चभक भें रहरहयतय िड़य थय | खजसकी

.c
स्भृनत हभ सफके भन भें (जो उनके ननकट थे) ढ़कसी मऻ की ऩष्टर्त्र आग की

ay
आॉच की तयह आजीर्न फनी यहे गी | भैं उस ऩष्टर्त्र ज्मोनत की मयद भें श्रद्धयनत हूॉ
od
|
1 नभ आॉिों को नगननय स्मयही पैरयनय है ’ ऐसय रेिक ने क्मों कहय ? (2)
t
es

2 रेिक ने फ़यदय के नरए ढ़कन-ढ़कन ष्टर्शेर्णों कय प्रमोग ढ़कमय है औय क्मों ? (2)


di

3 गद्यॊश भें फ़यदय की स्भृनत को ढ़कसके सभयन फतयमय गमय है ? (1)

8 ननम्ननरखित प्रश्नों भें से ढ़कन्ही चयय प्रश्नों के उत्तय सॊऺेऩ भें नरखिए- (2x4=8)
tu

हयरदयय सयहफ के नरए कौन-सय कौतूहर दद


ु व भनीम हो उठय, खजसे ऩयनर्यरे से ऩूछे
.s

1
ष्टफनय नहीॊ यह सके ?
w

2 फयरगोष्टफन बगत की ढ़दनचमयव रोगों के अचयज कय कययण क्मों थी ?


w

3 रेखिकय भन्नू बॊडययी अऩने ही घय भें हीन बयर्नय कय नशकयय क्मों हो गई ?


w

4 उस्तयद ष्टफखस्भल्रय ियॊ कयशी छोड़कय अन्मत्र क्मों नहीॊ जयनय चयहते थे ?
5 नर्यफ सयहफ िीयय ियने के अऩने ढॊ ग के भयध्मभ से क्मय ढ़दियनय चयहते थे ?

9 ननम्ननरखित कयवमयॊश को ध्मयनऩूर्क


व ऩिकय ऩूछे गए प्रश्नों के उत्तय नरखिए- (5)
ऊधौ, तुभ हौ अनत फड़बयगी |
अऩयस यहत सनेह तगय तैं, नयढ़हन भन अनुययगी |
ऩुयइनन ऩयत यहत जर बीतय, तय यस दे ह न दयगी |
ज्मों जर भयहॉ तेर की गयगरय, फूॉद न तयकौं रयगी |
प्रीती-नदी भैं ऩयऊॉ न फोयमौ, दृष्टि न रूऩ ऩययगी |
‘सूयदयस’ अफरय हभ बोयी, गुय चयॊटी ज्मौं ऩयगी ||

Downloaded from www.studiestoday.com


Downloaded from www.studiestoday.com

गोष्टऩमों ने क्मय कहकय उद्धर् ऩय वमॊग्म ढ़कमय है ?


1 गोष्टऩमों ने क्मय कहकय उद्धर् ऩय वमॊग्म ढ़कमय है ? (1)
2 गोष्टऩमों ने उद्धर् के वमर्हयय की तुरनय ढ़कस-ढ़कस से की है औय क्मों ? (2)
(2)
3 गोष्टऩमों ने अऩनी तुरनय गुड़ से नरऩटी चीढ़टमों से क्मों की है ?

10 ननम्ननरखित प्रश्नों भें से ढ़कन्हीॊ चयय प्रश्नों के उत्तय सॊऺेऩ भें नरखिए- (2x4=8)

1 ‘सॊगतकयय’ कष्टर्तय के आधयय ऩय स्ऩि कीखजए ढ़क सॊगतकयय जैसे वमष्टक्त सर्वगुण


सम्ऩन्न होकय बी सभयज भें आगे न आकय प्रयम् ऩीछे ही क्मों यहते हैं ?
धनुर् बॊग कयने र्यरी सबय भें एकष्टत्रत जन ‘हयम-हयम’ क्मों ऩुकययने रगे थे ?
2 ‘ययभ-रक्ष्भण ऩयशुययभ सॊर्यद’ ऩयठ के आधयय ऩय अऩने ष्टर्चयय नरखिए |
र्तवभयन सॊदबों भें ‘कन्मयदयन’ कष्टर्तय ढ़कतनी उऩमुक्त है ? स्ऩि कीखजए|

om
3 सयभयखजक ियखन्त भें सयढ़हत्म की बूनभकय भहत्र्ऩूणव होती है | ‘उत्सयह’ कष्टर्तय
4 के आधयय ऩय इस कथन की सभीऺय कीखजए |

.c
मह ‘दॊ तुरयत भुस्कयन’ कष्टर्तय भें ‘फयॉस औय फफूर’ ढ़कसके प्रतीक फतयए गए हैं ?

ay
5 इन ऩय नशशु की भुस्कयन कय क्मय असय होतय है ?
od
11 ‘भयतय कय अॊचर’ ऩयठ भें बोरयनयथ द्वययय चूहे के ष्टफर भें ऩयनी डयरनय फच्चों की (4)
t
es

ढ़कस भनोर्ृष्टत्त को प्रकट कयतय है ? क्मय मह उनचत है ? ऩशु-ऩखऺमों के सॊयऺण


के उऩयम बी फतयइए |
di

अथवा
tu

सभयचयय-ऩत्रों की जन-जयगयण भें क्मय बूनभकय होती है ? ‘जॉजव ऩॊचभ की नयक’


.s

ऩयठ के आधयय ऩय स्ऩि कीखजए |


w

खींड-‘घ’ अींक-20
w

( ऱेखन )
w

12 ननम्ननरखित भें से ढ़कसी एक ष्टर्र्म ऩय ढ़दए गए सॊकेत ष्टफन्दओ


ु ॊ के आधयय ऩय (10)
रगबग 200 से 250 शब्दों भें ननफॊध नरखिए-

1 आऩदा प्रबींधन
 प्रस्तयर्नय
 प्रयकृ नतक आऩदयएॉ
 दोर्ी कौन
 सयकयय की खजम्भेदययी
 नयगरयकों के कतववम
 उऩयम

Downloaded from www.studiestoday.com


Downloaded from www.studiestoday.com

2 सौर ऊिाश
 प्रस्तयर्नय
 सौय ऊजयव से तयत्ऩमव
 सौय ऊजयव कय उत्ऩयदन
 रयब
 उऩसॊहयय

3 अऩने तऱए जिए, िो क्या जिए


 प्रस्तयर्नय
 भनुष्म भें फिती स्र्यथवऩयतय
 ऩयोऩकयय की प्रकृ नत औय ऩूर्ज
व ों की सीि

om
 भयनर् जीर्न की सयथवकतय
 उऩसॊहयय

.c
13 दयू दशवन के भहयननदे शक को ऩत्र नरिकय ययष्ट्रीम एकतय तथय सयम्प्रदयनमक (5)

ay
सदबयर् फियने र्यरे कयमविभ प्रसयरयत कयने कय आग्रह कीखजए |
od
अथवा
‘सयभयखजक सेर्य कयमविभ’ के अॊतगवत ढ़कसी गयॉर् भें सफ़यई अनबमयन के अनुबर्ों
t
es

कय उल्रेि कयते हुए अऩने नभत्र को ऩत्र नरखिए |

14 आऩके भोहल्रे के ऩयकव भें रड़ढ़कमों को आत्भ यऺय के गुण नसियने हे तु एक कैंऩ (5)
di

रगयमय जय यहय है , इसके नरए एक ष्टर्ऻयऩन रगबग 20-25 शब्दों भें तैमयय
tu

कीखजए |
.s

अथवा
w

आधुननक सुष्टर्धयओॊ से सुसखज्जत घय ढ़कययए ऩय दे ने के नरए ष्टर्ऻयऩन रगबग


w

20-25 शब्दों भें तैमयय कीखजए |


w

Downloaded from www.studiestoday.com


Downloaded from www.studiestoday.com

प्रतिदर्श प्रश्न ऩत्र (2018-19)


हिन्दी ऩाठयक्रम-अ
कक्षा - दसव ीं
उत्तर सींकेि एवीं अींक योजना

तनधाशररि समय- 3 घींटे अतधकिम अींक – 80

खींड-क अींक-15
(अऩहठि अींर्)
1 अऩहठि गद्ाींर् 8

om
(1) स्वास््म औय खेर-कूद का ऩयस्ऩय गहया सॊफॊध है | खेर-कूद से प्राणों भें नई स्पूर्ति (2)
औय प्रसन्नता ऩैदा होती है | ऩरयणाभस्वरूऩ स्वास््म अच्छा यहता है |

.c
(2) हवा के झोंके एक-दस
ू ये का ऩीछा कयते हुए जान ऩड़ते हैं | आकाश भें उड़ते हुए ऩऺी

ay
बी तयह-तयह की क्रीड़ाएॉ कयते हैं | इससे ऻात होता है कक प्रकृ र्त बी खेर -कूद ऩसॊद
(2)
od
कयती है |

(3) कभि कयने वारा व्मक्ति गर्तशीर औय तयोताजा यहता है | उसकी र्शर्थरता सभाप्त हो
t
es

जाती है | ऩरयणाभस्वरूऩ स्वास््म बी उत्तभ यहता है |


(2)
di

(4) जीवन को जर इसर्रए कहा गमा है क्मोंकक जीवन की प्रकृ र्त जर के सभान है | जर
tu

के सभान ठहया हुआ जीवन बी र्शर्थर औय कभिहीन होकय स्वास््म खो दे ता है |


.s

(1)
w

शीषिक - स्वास््म औय खेरकूद (अन्म उऩमुि शीषिक बी स्वीकामि)


(1)
(5)
w

2 अऩहठि कावयाींर् 7
w

1 उऩमुि
ि काव्म ऩॊक्तिमों भें भजदयू की शक्ति का भहत्त्व प्रर्तऩाकदत ककमा गमा है | (1)

2 भजदयू र्नभािता है | वह अऩनी शक्ति से धयती ऩय स्वगि के सभान सुॊदय फस्स्तमाॉ फना (1)
सकता है | इस कायण उसे स्वगि से क्तवयक्ति है |

3 भजदयू ने तूपानों व बूकॊऩों भें बी हाय नहीॊ भानी | वह हय भुसीफत का साभना कयने (1)
को तैमाय है |

4 उऩमुि
ि ऩॊक्तिमों भें 'भैं' श्रर्भक वगि का प्रर्तर्नर्धत्व कय यहा है | कक्तव कहना चाहता है (2)
कक भजदयू वगि भें सॊसाय के सबी कक्रमाशीर प्राणी आ जाते हैं |
भजदयू भें आत्भक्तवश्वास है कक वह खॊडहय को बी आफाद कय सकता है | उसकी शक्ति के
1

Downloaded from www.studiestoday.com


Downloaded from www.studiestoday.com

साभने बूचार, प्ररम व फादर बी झुक जाते हैं | (2)


5

अथवा
1 पूर ने कक्तव को मह छोटा-सा सत्म सौंऩा कक वसॊत ऋतु की धन्मता उसकी कभाई नहीॊ (1)
है |

वसॊत की धन्मता को अनर्गनत पूरों ने यचा है | (1)


2

3 पूर औय उसके सार्थमों ने र्भट्टी का अॉधेया पोड़कय सूयज से आॉखें र्भराई हैं |
(1)

पूरों औय उसके जैसे अनर्गनत सार्थमों ने धूऩ, फयसात, जाड़ा, औय ऩारा झेरा तथा
4 (2)
सूयज को ऩूयी आमु तऩा है |

om
हॉ सते स्खरस्खराते पूरों को दे खकय कक्तव का ह्रदम तृप्त हो गमा, उसकी आॉखों भें यॊ गों की (2)

.c
5
फयसात हो गई औय खुशफू औय प्रसन्नता से उसका जीवन बय गमा |

ay
खींड-ख
(वयाविाररक वयाकरण)
अींक-15
od
3. र्नदे शानुसाय उत्तय र्रस्खए- (कोई तीन) (1x3=3)
t
es

1 जो धनुधयि मुवा था उसे सेनाऩर्त ने मुद्ध भें बेजा |


2 भेये क्तवद्यारम ऩहुॉचने से ऩहरे घॊटी फज चुकी थी |
di

3 जो भन रगाकय काभ कयते हैं – क्तवशेषण आर्श्रत उऩवाक्म |


tu

4 भेयी भाॉ चाहती हैं – प्रधान उऩवाक्म |


.s

4. र्नम्नर्रस्खत वाक्मों भें र्नदे शानुसाय वाच्म ऩरयवतिन कीस्जए- (कोई चाय) (1x4=4)
w

(1) भोहन ऩैदर चर नहीॊ सकता |


w

(2) आओ, वहाॉ फैठा जाए |


w

(3) ककसान द्वाया खेतों भें फीज फोमा जाता है |


(4) छात्र ऩाठ माद कयते हैं |
(5) ऩस्ऺमों द्वाया आकाश भें उड़ा जाएगा |
5. र्नम्नर्रस्खत वाक्मों भें ये खाॊककत ऩदों का ऩद-ऩरयचम दीस्जए-(कोई चाय) 1x4=4)
(1) औय – सभुच्चमफोधक अव्मम
(2) वीय – गुणवाचक क्तवशेषण, फहुवचन, ऩुस््रॊग, क्तवशेष्म – ‘ऩुरुषों’
(3) सुनाई – सकभिक कक्रमा (कद्वकभिक), एकवचन, स्त्रीर्रॊग, बूतकार, कतृव
ि ाच्म
(4) कर – कारवाचक कक्रमाक्तवशेषण, ‘आएगी’ कक्रमा की क्तवशेषता
(5) इराहाफाद – व्मक्तिवाचक सॊऻा, एकवचन, ऩुस््रॊग, अर्धकयण कायक

Downloaded from www.studiestoday.com


Downloaded from www.studiestoday.com

6 र्नम्नर्रस्खत प्रश्नों के उत्तय र्रस्खए (1x4=4)

(1) तनकय बारा मूॉ फोर उठा


याणा ! भुझको क्तवश्राभ न दें |
भुझको वैयी से ह्रदम-ऺोब
तू तर्नक भुझे आयाभ न दे |
(2) बमानक यस
(3) ‘र्नवेद’ शाॊत यस का स्थामी बाव है |
(4) ‘करुण यस’ का स्थामी बाव ‘शोक’ है |
(5) वीबत्स यस |
खींड-ग अींक-30

om
(ऩाठ्य ऩुस्िक एवीं ऩूरक ऩाठ्य ऩुस्िक)
7. र्नम्नर्रस्खत गद्याॊश को ध्मानऩूवक
ि ऩढ़कय नीचे कदए गए प्रश्नों के उत्तय र्रस्खए- (5)

.c
रेखक ने दे खा कक फ़ादय के अॊर्तभ सॊस्काय के अवसय ऩय अनेक साकहत्मकाय, कहन्दी (2)
(1)
ay
बाषा के क्तवद्वान, साकहत्म प्रेभी, ईसाई सभुदाम के रोग औय ऩादयी गण उऩस्स्थत थे |
od
उस अवसय ऩय सबी की आॉखें नभ थीॊ | रेखक ने इतने रोगों को दे खकय सोचा कक
महाॉ उऩस्स्थत रोगों की गणना कयना स्माही पैराने जैसा है |
t
es

रेखक ने फ़ादय के र्रए सफसे अर्धक छामादाय, पर-पूर गॊध से बया सफसे अरग, (2)
di

(2)
सफसे ऊॉचाई ऩय औय भानवीम करुणा की कदव्म चभक जैसे क्तवशेषणों का प्रमोग ककमा
tu

है , क्मोंकक फ़ादय भें सबी के र्रए आत्भीमता, करुणा, वात्स्मता, सॊवेदना औय


.s

सहानुबूर्त थी | उनसे र्भरकय भन को अदबुत शास्न्त र्भरती थी |


w

(1)
w

गद्याॊश भें फ़ादय की माद को मऻ की ऩक्तवत्र ज्मोर्त के सभान फतामा गमा है , स्जसके
(3)
w

साभने रेखक श्रद्धानत है |


8. र्नम्नर्रस्खत प्रश्नों के उत्तय सॊऺेऩ भें र्रस्खए- (कोई चाय) (2x4=8)
(1) हारदाय साहफ जफ तीसयी फाय गुज़ये तो चौयाहे ऩय रुककय उन्होंने ऩान खामा औय भूर्ति
को ध्मान से दे खा तो इस फाय बी चश्भा फदरा हुआ था | भूर्ति का चश्भा फदरे जाने
के कायण को जानने का कौतूहर अफ दद
ु ि भनीम हो गमा | परस्वरूऩ उन्होंने ऩानवारे
से ऩूछ ही र्रमा कक मह तुम्हाये नेताजी का चश्भा हय फाय फदर कैसे जाता है ?

फारगोक्तफन बगत की कदनचमाि रोगों के र्रए कुतूहर का कायण थी | वे अत्मॊत सादगी,


(2)
सयरता औय र्न्स्वाथि बाव से जीवन जीते थे | उनके ऩास जो कुछ था, उसी भें काभ
चरामा कयते थे | वे ककसी की वस्तु को क्तफना ऩूछे उऩमोग भें न राते थे |

Downloaded from www.studiestoday.com


Downloaded from www.studiestoday.com

रेस्खका फचऩन भें कारी, दफ


ु री-ऩतरी औय भरयमर-सी थी | इसके क्तवऩयीत उनकी दो
(3) सार फड़ी फहन सुशीरा खूफ गोयी, स्वस्थ औय हॉ सभुख थी | रेस्खका के क्तऩता को गोया
यॊ ग ऩसॊद था | वे फात-फात भें रेस्खका की तुरना उसकी फहन से कयते औय उसे हीन
र्सद्ध कयते | इससे रेस्खका के भन भें धीये -धीये हीनता की ग्रॊर्थ ऩनऩने रगी औय वह
हीन बावना का र्शकाय हो गई |

उस्ताद क्तफस्स्भ्रा खाॊ काशी से असीभ रगाव यखते थे | फाफा क्तवश्वनाथ औय फाराजी
(4)
भें उनकी गहन आस्था थी | उनके ऩूवज
ि ों ने काशी भें यहकय शहनाई फजाई |
क्तफस्स्भ्रा खाॊ ने काशी भें ही यहकय शहनाई फजाना सीखा औय सॊस्काय अस्जित ककए |
उनके नाना औय भाभा का जुड़ाव बी काशी से यहा था, इसर्रए वे काशी छोड़कय अन्मत्र

om
नहीॊ जाना चाहते थे |

.c
(5) नवाफ साहफ खीये की सुगॊध का यसास्वादन कयके तृप्त होने के अऩने क्तवर्चत्र ढॊ ग के

ay
भाध्मभ से अऩनी यईसी औय नवाफी का प्रदशिन कयना चाहते थे | वे रेखक को मह बी
फताना चाह यहे थे कक नवाफ जैसे यईस रोग खीया जैसी साधायण-सी खाद्य वस्तु का
od
आनॊद इसी तयह रेते हैं | इसभें उनकी कदखावा कयने की प्रवृक्तत्त कदख यही थी |
t
9. र्नम्नर्रस्खत काव्माॊश को ध्मानऩूवक
ि ऩढ़कय नीचे कदए गए प्रश्नों के उत्तय र्रस्खए- (5)
es

(1) गोक्तऩमों ने मोग साधना का सॊदेश राने वारे उद्धव को ‘फड़बागी’ कहकय व्मॊग्म ककमा है 1
di

|
tu

गोक्तऩमों ने उद्धव के व्मवहाय की तुरना कभर के ऩत्ते औय तेर रगी गागय से की है | 2


.s

(2)
इसका कायण मह है कक ऩानी भें डू फा यहने ऩय कभर का ऩत्ता गीरा नहीॊ होता है |
w

इसी प्रकाय तेर की गागय बी ऩानी भें गीरी नहीॊ हो ऩाती है , उसी प्रकाय श्रीकृ ष्ण का
w

प्रेभ उद्धव ऩय अऩना असय न डार सका औय वह श्रीकृ ष्ण के प्रेभ से वॊर्चत यह गए |
w

गोक्तऩमों ने अऩनी तुरना गुड़ से र्रऩटी चीकटमों से इसर्रए की है क्मोंकक गुड़ से


(3) चीकटमों का क्तवशेष रगाव होता है | मकद इन चीकटमों को अरग कयने का प्रमास कयें तो
2
वे प्राण दे दे ती हैं ऩय अरग नहीॊ होती हैं | मही स्स्थर्त अफ गोक्तऩमों की है | वे ककसी
बी दशा भें कृ ष्ण के प्रेभ को त्मागना नहीॊ चाहती हैं |
10 र्नम्नर्रस्खत प्रश्नों के उत्तय सॊऺेऩ भें र्रस्खए- (कोई चाय) (2x4=8)
(1) ‘सॊगतकाय’ प्रवृक्तत्त के रोग छर-प्रऩॊच से दयू , श्रद्धा के धनी होते हैं | वे भुख्म कराकाय
के सहमोगी होते हैं | अऩने प्रर्त क्तवश्वास को खत्भ नहीॊ कयना चाहते हैं | भुख्म
कराकाय को धोखा दे ना अऩनी प्रवृक्तत्त के अनुसाय ऩाऩ सभझते हैं | अऩने भुख्म

Downloaded from www.studiestoday.com


Downloaded from www.studiestoday.com

कराकाय के साथ छर-प्रऩॊच कयके आगे र्नकरना र्नताॊत अनुर्चत सभझते हैं | वे
अऩनी ऩयोऩकाय औय त्माग की बावना के कायण ऩीछे ही फने यहते हैं |

(2) सबा भें ऩयशुयाभ औय रक्ष्भण के भध्म फहुत तीखी नोक-झोंक हो गई | ऩयशुयाभ तो
स्वबाव से क्रोधी थे ही | रक्ष्भण ने फारक होने ऩय बी अऩने व्मॊग्म-वचनों से उनके
क्रोध को बड़का कदमा | रक्ष्भण द्वाया फहुत तीखे कटाऺ कयने ऩय सबा भें एकक्तत्रत रोग
‘हाम-हाम’ कहने रगे |

‘कन्मादान’ कक्तवता भें भाॉ ने फेटी को जो सीख दी है , वह उसके बरे के र्रए दी है |


(3) उसने दर्ु नमा का व्मवहाय दे खा है | अऩने साथ फीते अनुबव बी स्जए हैं | वह नायी के
शोषण की सायी कहानी जानती है | नई फहू की सयरता का राब उठाकय उस ऩय

om
अनुर्चत दफाव फनामा जाता है | भाॉ नहीॊ चाहती है कक उसकी फेटी की सयरता का
गरत पामदा उठामा जाए | इसर्रए मह सीख मुग के अनुकूर है |

.c
ay
‘उत्साह’ कक्तवता भें कक्तव ने फादर से गयजने का अनुयोध ककमा है तथा साभास्जक
(4) चेतना की नूतन कक्तवता र्रखने वारे कक्तवमों से कहा है कक वे अऩने ह्रदम भें क्तवद्युत -सी
od
छक्तव धायण कय रें | कक्तवता भें ऐसे कक्तवमों को आह्वान कयते हुए कहा गमा है कक वे
t
अऩनी नूतन कक्तवता भें क्तवद्युत-सी तेजी का सॊचाय कयें | इस प्रकाय कक्तवमों को मह
es

सॊदेश कदमा गमा है कक वे अऩनी कक्तवताओॊ भें क्तवध्वॊस, क्तवप्रव औय क्रास्न्त चेतना का
di

स्वय बय दें | स्ऩष्ट है कक कक्तवता भें इस त्म को ये खाॊककत ककमा गमा है कक साकहत्म,
tu

साभास्जक क्रास्न्त मा फदराव की प्रकक्रमा भें भहत्वऩूणि बूर्भका अदा कयता है |


.s

मह दॊ तुरयत भुस्कान कक्तवता भें ‘फाॉस औय फफूर’ कठोय औय र्नष्ठु य ह्रदम वारे रोगों का
w

प्रतीक हैं | ऐसे रोगों ऩय भानवीम सॊवेदनाओॊ का कोई असय नहीॊ होता है | र्शशु की
w

(5) दॊ तुरयत भुस्कान दे खकय ऐसे रोग बी सरृदम फन जाते हैं |


w

11 ऩूयक ऩाठ्मऩुस्तक ऩय आधारयत प्रश्न (कोई एक) अॊक - 4

‘भाता का अॊचर’ ऩाठ भें बोरानाथ एवॊ उसके सार्थमों द्वाया चूहे के क्तफर भें ऩानी
डारना ऩशु-ऩस्ऺमों के प्रर्त फच्चों की शयायती प्रवृक्तत्त को प्रकट कयता है जो प्रकृ र्त के
र्रए कतई उर्चत नहीॊ है | ऩशु-ऩऺी हभाये र्भत्र हैं उनका होना हभाये र्रए अर्त
आवश्मक है | ऩशु-ऩऺी नहीॊ यहें गे तो ऩमािवयण सॊतर
ु न क्तफगड़ जाएगा | प्रकृ र्त ने
सफके र्रए अऩना-अऩना कामि र्नधािरयत ककमा है उसी के अनुरूऩ सभस्त प्राणी वगि
अऩना व्मवहाय र्नस्ित कयते हैं | हभाये प्राणी वगि भें से ककसी बी वगि के न यहने ऩय
5

Downloaded from www.studiestoday.com


Downloaded from www.studiestoday.com

प्रकृ र्त असॊतुर्रत हो जाएगी | अत् हभें अऩने र्भत्र ऩशु-ऩस्ऺमों का सॊयऺण कयना
चाकहए | इसके र्रए फच्चों को क्तवद्यारमी स्तय ऩय ऩशु-ऩऺी सॊयऺण का भहत्त्व फताना
चाकहए | प्राथर्भक स्तय ऩय ऩरयवाय फच्चों को ऩशु-ऩस्ऺमों के प्रर्त जागरूक कयें तबी
फच्चे प्राणी जगत के सबी जीवों का भहत्त्व सभझेंगे तथा उन्हें भायने मा सताने का
प्रमत्न नहीॊ कयें गे |
अथवा
सभाचाय-ऩत्र जान-जागयण भें भहत्वऩूणि बूर्भका र्नबाते हैं | दे श की सभस्माओॊ से
जनता को अवगत कयाना सभाचाय-ऩत्रों का भुख्म कामि है | सभाचाय-ऩत्रों भें आजकर
जानी-भानी हस्स्तमों के ऩहनावे, खान-ऩान की खफयें अर्धक छऩती हैं स्जससे मुवा ऩीढ़ी
भागि से बटक जाती है | याष्ड को सही कदशा भें राने का कामि सभाचाय-ऩत्र ही कय
सकते हैं | सभाचाय-ऩत्रों का कामि है सभाज को जाग्रत कयना, उनके कहतों की यऺा

om
कयना है |

.c
खींड-‘घ’ अींक-20
( ऱेखन )
12 तनबींध-ऱेखन
ay (10)
od
प्रस्तुर्त -1 अॊक
बाषा-शुद्धता -2 अॊक
t
es

वाक्म-क्तवन्मास -1 अॊक
di

क्तवषमवस्तु (सॊकेत क्तफन्दओ


ु ॊ के आधाय ऩय ) -4 अॊक
सभग्र प्रबाव -2 अॊक
tu

13 ऩत्र-ऱेखन (5)
.s

प्रायॊ ब औय अॊत की औऩचारयकता 1+1=2


w

क्तवषमवस्तु अॊक
w

बाषा-शुद्धता 2 अॊक
w

1 अॊक

Downloaded from www.studiestoday.com

You might also like