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कक्षा 12

प्रश्नकोश (ह न्दी)

अपहित गदयािंश

प्रश्न -1 तनम्नभलणखत अपहित गदयािंश को ध्यान से पहिए –

विज्ञान आज के मानि-जीिन का अविभाज्य एिं घननष्ठ अंग बन गया है I मानि-जीिन का कोई भी


क्षेत्र विज्ञान के अभूतपूिव अविष्कारों से अछूता नह ं रहा I इसी कारण से आधुननक युग विज्ञान का युग
कहलाता है Iआज विज्ञान ने पुरुष और नार ,साहहत्यकार और राजनीनतज्ञ,उद्योगपनत और
कृषक,चिककत्सक और सैननक,पूूँजीपनत और श्रममक,अमभयंता, मिक्षक और धमवज्ञ सभी को और सभी क्षेत्रों
में ककसी-न-ककसी रूप में अपने अप्रनतम प्रदे य से अनुग्रह त ककया है I आज समूिा पररिेि विज्ञानमय
हो गया है I विज्ञान के प्रभाि ककसी गहृ णी के रसोईघर से लेकर बड़ी-बड़ी प्रािीरों िाले भिनों और
अट्टामलकाओं में ह दृष्ष्टगत नह ं होते ,अवपतु िे जल-थल की सीमाओं को लांघकर अंतररक्ष में भी
विद्यमान हैं I िस्तुतः विज्ञान अद्यतन मानि की सबसे बड़ी िष्तत बन गया है I इसके बल से मनुष्य
प्रकृनत और प्राणणजगत का मिरोमणण बन सका है I विज्ञान के अनुग्रह से िह सभी प्रकार की सुविधाओं
एिं संपदाओं का स्िाममत्ि प्राप्त कर िुका है I अब िह मौसम और ऋतुओं के प्रकोप से भयाक्ांत एिं
संत्रस्त नह ं है I विद्युत ् ने उसे आलोककत ककया है ,उष्णता एिं िीतलता द है ,बटन दबाकर ककसी भी
कायव को संपन्न करने की ताकत भी द है I मनोरं जन के विविध साधन उसे सल
ु भ हैं I यातायात एिं
संिार के साधनों के विकमसत एिं उन्नत होने से समय और दरू रयां बहुत कम हो गयी हैं और समूिा
विश्ि एक कुटुंब सा लगने लगा है I कृवष एिं उद्योग के क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ने के कारण आज
दनु नया पहले से अचधक धन-धान्य से संपन्न है I मिक्षा एिं चिककत्सा के क्षेत्र में विज्ञान की दे न
अमभनंदनीय है I विज्ञान के सहयोग से मनुष्य धरती और समुद्र के अनेक रहस्य हस्तामलक करके अब
अन्तररक्ष लोक में प्रिेि कर िुका है I सिोपरर,विज्ञान ने मनुष्य को बौद्चधक विकास प्रदान ककया है
और िैज्ञाननक चिंतन पद्धनत द है I िैज्ञाननक चिंतन पद्धनत से मनुष्य अंधविश्िासों और रूहढ़िाद
परम्पराओं से मुतत होकर स्िस्थ एिं संतुमलत ढं ग सोि-वििार कर सकता है और यथाथव एिं सम्यक
जीिन जी सकता है I इससे मनष्ु य के मन को यग
ु ों के अंधविश्िासों, भ्रमपण
ू व और दककयानस
ू ी वििारों,
भय और अज्ञानता से मष्ु तत ममल है I विज्ञान की यह दे न स्तत्ु य है I मानि को िाहहए की िह विज्ञान
की इस समग्र दे न को रिनात्मक कायों में सनु नयोष्जत करें I

तनम्नभलणखत में से तनदे शानस


ु ार ववकल्प का चयन कररए-

1)आज विज्ञान को मनष्ु य के जीिन का अमभन्न अंग तयों माना जाता है -

i.विज्ञान के आविष्कार अभत


ू पि
ू व हैं

ii.विज्ञान ने सभी क्षेत्रों में मानि को प्रभावित ककया है

iii.विज्ञान ने आचथवक उन्ननत प्रदान की है

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iv.आधनु नक यग
ु विज्ञान का यग
ु है

उत्तर- (i) विज्ञान ने सभी क्षेत्रों में मानि को प्रभावित ककया है

2)ककसके बल पर मनुष्य प्रकृनत और प्राणणजगत का मिरोमणण बन सका है -

i.स्ियं के (ii) साधनों के (iii) विज्ञान के (iv)सत्ता के

उत्तर - (iii) विज्ञान के

3) िैज्ञाननक चिंतन पद्धनत ने मनुष्य को सबसे पहले ककससे मुष्तत हदलाई-

i.संतुमलत अनुचिंतन (ii) प्रािीन सांस्कृनतक परम्पराओं

(iii) औपिाररकताओं (iv) भ्रमपूणव रूहढ़िाद वििार

उत्तर - (iv) भ्रमपूणव रूहढ़िाद वििार

(4) विज्ञान के िरण गनतिील तयों कहे जा सकते हैं-

(i) विज्ञान की तीव्र गनत के कारण

(ii) यातायात के साधन अविष्कृत करने के कारण

(iii) विज्ञान के उत्तरोत्तर विमभन्न हदिाओं में उन्मुख होने के कारण

(iv) प्रगनतिील वििारधारा के कारण

उत्तर- (iii) विज्ञान के उत्तरोत्तर विमभन्न हदिाओं में उन्मुख होने के कारण

(5) समि
ू ा विश्ि एक पररिार के सामान लगने का तया कारण है-

(i) विज्ञान की गनतिील िष्तत

(ii) विज्ञान और जीिन में घननष्ठता

(iii) यातायात और संिार के साधनों का विकास

(iv) विश्िबंधुत्ि की भािना का विकास

उत्तर- iii) यातायात और संिार के साधनों का विकास

(6) विज्ञान के सहयोग से मनष्ु य ने कहाूँ प्रिेि कर मलया है-

(i) मनुष्य के ह्रदय में (ii) अंतररक्ष में (iii) विदे िों में (iv) समुद्र में

उत्तर-(ii) अंतररक्ष में


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(7) िैज्ञाननक चिंतन पद्धनत के प्रभाि से मनष्ु य कैसा जीिन जी सकता है -

(i) यथाथव (ii) सम्यक (iii) (i) और (ii) दोनों (iv) बनािट

उत्तर- (iii) (i) और (ii) दोनों

(8) मानि से विज्ञान की दे न को ककन कायों में ननयोष्जत करने की अपेक्षा है -

(i) लाभप्रद (ii) सहयोगप्रद (iii) रिनात्मक (iv) विध्िंसात्मक

उत्तर-(iii) रिनात्मक

(9) लेखक की दृष्ष्ट में विज्ञान की सबसे बड़ी दें तया है -

(i) संिार सवु िधाएूँ (ii) विद्युत ् का अविष्कार

(iii) िैज्ञाननक चिंतन पद्धनत (iv) चिककत्सा और मिक्षा की सुविधाएूँ

उत्तर- (iv) चिककत्सा और मिक्षा की सवु िधाएूँ

(10) प्रस्तुत गद्यांि ककस विषयिस्तु पर आधाररत है -

(i) विज्ञान का मानि जीिन पर प्रभाि

(ii) िैज्ञाननक चिंतन और मानि

(iii) विज्ञान के गनतिील िरण

(iv) विज्ञान के आविष्कार

उत्तर-(ii) िैज्ञाननक चिंतन और मानि

प्रश्न -2 तनम्नभलणखत अपहित गदयािंश को ध्यान से पहिए –

भारतीय संस्कृनत की सबसे बड़ी वििेषता रह है -‘अनेकता में एकता’I यद्यवप ऊपर तौर पर भारत के
विमभन्न प्रदे िों में पयावप्त मभन्नता हदखाई दे ती है ,तथावप अपने आिार-वििार की एकता के कारण यहाूँ
सामामसक संस्कृनत का रूप दे खने को ममलता है I यह कारण है कक विमभन्नताओं के होते हुए भी भारत
सहदयों से एक भौगोमलक,राजनीनतक एिं सांस्कृनतक इकाई के रूप में विश्ि में अपना स्थान बनाये हुए
है I इसमलए भारत में अनेकता में एकता के सदै ि दिवन होते हैं I भारतीय संस्कृनत में आध्याष्त्मकता
और भौनतकता दोनो का ह ममश्रण रहा है I

अत: इसकी प्रािीनता,इसकी गनतिीलता,इसका लिीलापन,इसकी ग्रहणिीलता,इसका सामाष्जक स्िरुप


और अनेकता में ननहहत एकता ह इसकी प्रमख
ु वििेषता है I इस वििेषता के कारण ह भारतीय
संस्कृनत विश्ि में अपना एक विमिष्ट स्थान रखती है I भारतीय संस्कृनत का इनतहास बहुत ह प्रािीन है
I िास्ति में ,संस्कृनत का ननमावण एक लम्बी परम्परा के बाद होता है I संस्कृनत िस्ततु :वििार और

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आिरण के ननयम और मल्
ू य हैं,ष्जन्हें कोई समाज अपने अतीत से प्राप्त करता है I इसमलए कहा जा
सकता है कक इसे हम अपने अतीत से विरासत के रूप में प्राप्त करते हैं I दस
ू रे िब्दों में कहें तो
संस्कृनत एक विमिष्ट जीिन-िैल का नाम है I यह एक सामाष्जक विरासत, है जो परम्परा से िल
आती रह है I

प्राय: सभ्यता और संस्कृनत को एक ह मान मलया जाता है , परन्तु इसमें भेद है I सभ्यता में मनुष्य के
जीिन का भौनतक पक्ष प्रधान होता है अथावत ् सभ्यता का अनुमान सुख से लगाया जा सकता है I इसके
विपर त संस्कृनत में आिार और वििार पक्ष की प्रधानता होती है I इस प्रकार,’सभ्यता’ को िर र माना
जा सकता है और ‘संस्कृनत’ को आत्मा, इसमलए इन दोनो को अलग-अलग नह ं दे खा जा सकता Iिास्ति
में , दोनों एक दस
ू रे के पूरक हैं I

तनम्नभलणखत में से तनदे शानुसार ववकल्प का चयन कररए-

(1) भारतीय संस्कृनत की सबसे बड़ी वििेषता ककसे माना गया है -

(i) प्रािीन इनतहास को (ii) अनेकता में एकता को

(iii) सामाष्जक इनतहास को (iv) सभ्यता एिं संस्कृनत को

उत्तर-(ii) अनेकता में एकता को

(2) गद्यांि में सामाष्जक विरासत ककसे कहा गया है -

(i) संस्कृनत को (ii) भौनतक पक्ष को (iii) वििार को (iv) आिरण को

उत्तर- (i) संस्कृनत को

(3) भारत में सामामसक संस्कृनत का रूप हदखाई पड़ने का तया कारण है-

(i) विविधता (ii) विमभन्नता (iii) एकता (iv) राजनीनतक संगठन

उत्तर-(iii) एकता

(4) भारतीय संस्कृनत ककसका ममश्रण है -

(i) आध्याष्त्मकता का (ii) भौनतकता का (iii) (i) ि ् (ii) दोनों का (iv) अतीत का

उत्तर-(iii) (i) ि ् (ii) दोनों का

(5) गद्यांि के अनुसार भारतीय संस्कृनत की विमिष्टता नह ं है -

(i) लिीलापन (ii) गनतिीलता (iii) ष्स्थरता (iv) ग्रहणिीलता

उत्तर- (iii) ष्स्थरता

(6) सभ्यता का अनुमान ककससे लगाया जा सकता है -

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(i) भीतर उन्ननत से (ii) सख
ु सवु िधाओं से (iii) परोपकाररता से (iv) व्यािहाररकता से

उत्तर -(ii) सुख सुविधाओं से

(7) आिार और वििार पक्ष की प्रधानता ककस्मे होती है -

(i) सभ्यता में (ii) संस्कृनत में (iii) इनतहास में (iii) भौनतकता में

उत्तर-(ii) संस्कृनत में

(8) प्रस्तुत गद्यांि में एक दस


ू रे का पूरक ककसे बताया गया है -

(i) िर र और आत्मा को (ii) प्रािीनता और आधुननकता को

(iii) अनेकता और एकता को (iv) सभ्यता और संस्कृनत को

उत्तर-(iv) सभ्यता और संस्कृनत को

(9) ककस वििेषता के कारण भारतीय संस्कृनत विश्ि में अपना वििेष स्थान रखती है -

(i) अनेकता में एकता (ii) सामाष्जकता (iii) भौनतकता (iv) आधनु नकता

उत्तर- (i) अनेकता में एकता

(10) अतीत से विरासत के रूप में हम ककसे प्राप्त करते है -

(i) जीिन को (ii) संस्कृनत को (iii) अनेकता को (iv) वििार को

उत्तर- (ii) संस्कृनत को

अपहित पदयािंश

प्रश्न -1 तनम्नभलणखत अपहित पदयािंश को ध्यान से पहिए –

उस हदन

िह मैंने थी दे खी

कॉलेज के ननकट ,कच्िी सड़क के पास

गंद नाल पर पड़ी

जहाूँ से गुज़र नह ं सकता

कोई भी बबना नाक पर डाले कपडा –

गंदे काले चिथड़ो औ “फट -पुरानी गुदड़ी में मलपट ,

दे खकर आती ष्जसको नघन ,


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पौष के तीव्र िीत में करती क्ंदन –

“हाय मार गया ,पकड़ो ,पकड़ो ,

धत्त तेरे की !

तया मलया तुम्हारा मैंने मूज़ी?

तयों मुझ को व्यथव सताता ?

भागो -भागो , हाय मार गया िह मुझको “

सताए कूकर सी कटु ककवि िाणी में चिल्लाती

िह कुबड़ी काल सी पगल नार I

सोिा मैंने ,

पर मै समझ न पाया –

तया िह है दै ि की मार ?

या समाज की ,जो है अत्यािार

दोनो ,दमलतों ,असहायों पर ?

या सम्बष्न्धयों की ननज

छीन लेते हैं जो दमलत बंधुओं से

सूखी रोट का टुकड़ा भी ?

तनम्नभलणखत में से तनदे शानुसार ववकल्प का चयन कररए –

(1) कवि ने ककसे दे खा था –

i)बूढ औरत को
ii)पगल को
iii)बच्िी को
iv)कोई नह ं

उत्तर- ii)पगल को

(2) कवि ने पगल को कहाूँ दे खा –

I) कॉलेज के ननकट

ii)कच्िी सड़क के पास

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iii)गंद नाल पर

Iv) उपरोतत सभी

उत्तर -iv) उपरोतत सभी

(3) कवि ने पगल को ककस मह ने में दे खा

(i) कानतवक मास

ii)पौष

iii) माघ

Iv)कोई नह ं

उत्तर -ii) पौष मास

(4) पगल का िर र ककससे ढका हुअ था –

I)गंदे काले िीथड़ो

Ii)फट परु ानी गद


ु ड़ी

iii)उपरोतत दोनो

iv)इनमे से कोई नह ं

उत्तर -iii) उपरोतत दोनो

(5) पगल की िाणी कैसी थी

I)कोमल

Ii)कटु – ककवि

Iii) सहज

Iv)िांत

उत्तर - Ii)कटु – ककवि

प्रश्न -2 तनम्नभलणखत अपहित पदयािंश को ध्यान से पहिए –

ष्जस-ष्जससे पथ पर स्नेह ममला , उस उस राह को धन्यिाद I

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जीिन अष्स्थर अनजाने ह ,हो जाता पथ पर मेल कह ं ,

सीममत पग-डग,लम्बी मंष्जल तय कर लेना कुछ खेल नह ं I

दाएूँ- बाएूँ सुख-दःु ख िलते , सम्मुख िलता पथ का प्रसाद –

ष्जस-ष्जससे पथ पर स्नेह ममला , उस उस राह को धन्यिाद I

साूँसों पर अिलंबबत काया ,जब िलते – िलते िूर हुई ,

दो स्नेह िब्द ममल गए ,ममल नि स्फूनतव ,थकािट दरू हुई I

पथ के पहिाने छूट गए ,पर साथ – साथ िल रह याद –

ष्जस-ष्जससे पथ पर स्नेह ममला , उस उस राह को धन्यिाद I

जो साथ न मेरा दे पाए उनसे कब सूनी हुई डगर

मै भी न िलूँ ू यहद तो तया, राह मर , लेककन राह अमर I

इस पथ पर िे ह िलते हैं जो िलने का पा गए स्िाद

ष्जस-ष्जससे पथ पर स्नेह ममला उस उस राह को धन्यिाद

कैसे िल पाता यहद न ममला होता मुझको आकुल अंतर ?

कैसे िल पता यहद ममलते ,चिर- तष्ृ प्त अमरता -पूणव प्रहर I

आभार हूूँ मै उन सबका ,दे गए व्यथा का जो प्रसाद –

ष्जस-ष्जससे पथ पर स्नेह ममला , उस उस राह को धन्यिाद I

तनम्नभलणखत में से तनदे शानुसार ववकल्प का चयन कररए –

(1) कवि के अनुसार जीिन कैसा है?

I) दख
ु पूणव है

Ii) अष्स्थर है

Iv) संघषव युतत है

Iv) इनमे से कोई नह ं

उत्तर –(ii) अष्स्थर है

(2)जीिन रूपी यात्रा में कैसे-कैसे अनुभि आते हैं?

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I)सख
ु ह सख
ु है

Ii) दःु ख ह दख
ु है

Iii) सुख - दःु ख दोनो िलते हैं

Iv) सभी

उत्तर - Iii) सुख - दःु ख दोनो िलते हैं

(3) मंष्जल तय करना खेल नह ं है – तयों?

i)) तयोंकक मसममत संसाधन है

ii) मंष्जल बहुत दरू है

iii) जीिन अष्स्थर है

iv) कोई नह ं

उत्तर - ii) मंष्जल बहुत दरू है

(4)जीिन रूपी डगर में कौन िलते है ?

I ) ररश्तेदार

ii) ममत्र

iii) अजनबी

iv) सुख–दःु ख

5)काया का तया अथव है –

i) कपड़ा

Ii) िर र

Iii) ढांिा

Iv) कोई नह ं

उत्तर – ii) िर र

प्रश्न -3 तनम्नभलणखत अपहित पदयािंश को ध्यान से पहिए –

पि
ू व िलने के बटोह ,

बाट की पहिान कर ले
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पस्
ु तकों में है नह ं छापी गयी इसकी कहानी ,

हाल इसका ज्ञात होता है न औरों की ज़बानी

अनचगनत राह गए इस राह से ,

उनका पता तया

पर गए कुछ लोग इस पर छोड़ पैरों की ननिानी ,

यह ननिानी मक
ू होकर भी ,बहुत कुछ बोलती है

खोल इसका अथव पंथी ,पंथ का अनुमान कर ले

पूिव िलने के बटोह बाट की पहिान कर ले I

है अननष्श्ित ककस जगह पर सररत ,चगरर ,गह्िर ममलेंगे ,

है अननष्श्ित ककस जगह पर बाग़ िन सुन्दर ममलेंगे ,

ककस जगह यात्रा ख़त्म हो जाएगी ,यह भी अननष्श्ित

है अननष्श्ित कब सुमन ,कब कंटकों के िर ममलेंगें

कौन सहसा छूट जायेंगे , ममलेंगे कौन सहसा

पूिव िलने के बटोह , बाट की पहिान कर ले I

रास्ते का एक काूँटा ,पाूँि का हदल िीर दे ता

रतत की दो बूूँद चगरती ,एक दनु नया डूब जाती

आूँख में हो स्िगव लेककन ,पाूँि पथ्


ृ िी पर हटके हों

कंटकों की इस अनोखी सीख का सम्मान कर ले

पूिव िलने के बटोह , बाट की पहिान कर ले ii

तनम्नभलणखत में से तनदे शानुसार ववकल्प का चयन कररए –

1. बटोह िब्द का अथव है -


I.राहगीर

ii) बटुआ

iii) धन

iv) उद्दे श्य

उत्तर – i) राहगीर
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2- कवि के अनस
ु ार व्यष्तत को ककस रास्ते पर िलना िाहहए-

I ) वििेकपूणव ननणवय पर आधाररत रास्ता

ii) बस िलना है

Iii) सबके साथ िलना है

vi) उपयुवतत में कोई नह ं

उत्तर - I ) वििेकपूणव ननणवय पर आधाररत रास्ता

3 - पंथी िब्द का तया अथव है -

I.ककसी धमव वििेष को मानने िाला

ii) पचथक से

Iii) ककसी राजनीनतक दल से

iv) कोई नह ं

उत्तर – ii) पचथक

4. मूक िब्द का अथव है -


I.बहरा ii) िािाल iii)मौन iv) कोई नह ं

उत्तर – iii) मौन

5- कविता की भाषा कैसी है-

I.अिधी
II.ब्रज

iii) खड़ीबोल

iv) सरल हहंद

उत्तर- iii) खड़ी बोल

अभिव्यक्तत व माध्यम

जनसिंचार , सिंपादकीय

1.समािार में ककार ककतने होतें है –

(a) 3 (b) 4 (c) 5 (d) 6

उत्तर (d) .6

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2.भारत की पहल मक
ू कफल्म थी?

(a) आलमआरा (b) राजा हररििन्द्र (c) दे ि प्रेम (d) इनमे से कोई नह

उत्तर (b) राजा हररििंद्र

3.आधुननक छापेखाने का अविष्कार ककसने ककया ?

(a) बैंहटग (b) मैकाले (c) गुटेंन बगव (d) िुड

उत्तर (c) गुटेन बगव

4.भारत में पहला छापाखाना कब खुला था ?

(a) 1557 (b) 1561 (c) 1564 (d) 1556

उत्तर (d) 1556

5.भारत में पहला छापाखाना कहाूँ खल


ु ा था ?

(a) हदल्ल (B) कोलकाता (c) गोिा (d) इनमे से कोई नह

उत्तर (c) गोिा

6.भारत में T.V की िुरूआत कब हुई ?

(a) 15 मसतम्बर 1960 (b) 15 मसतम्बर 1961

(c) 15 मसतम्बर 1962 (d) 15 मसतम्बर 1959

उत्तर (d) 15 मसतम्बर 1959

7.रे डडयो ककस प्रकार का माध्यम है –

(a) दृश्य (b) श्रव्य (c) दोनों (d) इनमे से कोई नह

उत्तर (b) श्रव्य

8.उदन्त मातवण्ड पत्र के संपादक है –

(a) महािीर प्रसाद (b) बालकृष्ण

(c) जुगल ककिोर (d) ननराला

उत्तर (c) जुगल ककिोर

9. F.M रे डडयो की िुरूआत कब हुई ?

(a) 1994 (b) 1993 (c) 1990 (d) 1995

उत्तर (b) 1993

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10.टे ल विजन ककस प्रकार का माध्यम है ?

(a) दृश्य/श्रव्य (b) श्रव्य (c) दृश्य (d) इनमे से कोई नह

उत्तर (a) दृश्य/श्रव्य

रचनात्मक लेख

वैचाररक और िावनात्मक रूप से रचना करना एविं अपने मौभलक ववचारों की अभिव्यक्तत करना
रचनात्मक लेखन क लाता ै|

सुझाव: प्रश्न सिंख्या 7 रचनात्मक लेखन ोगा | रचनात्मक लेख समय तनम्न सुझाव आपके भलए कारगर
ोंगे |

• रिनात्मक लेखन में विद्याचथवयों को अपने वििारों की स्ितंत्र अमभव्यष्तत करनी है |


• वििारों में क्मबध्यता आिश्यक है |
• रिनात्मक लेखन में उद्धरण उपयोगी होते है अत: उद्धरनों का प्रयोग करें । उद्धरण मलखते
समय उद्धरण चिन्ह (“----”) जरूर लगाना िाहहए ।
• रिनात्मक लेखन से पूिव अपने वििारों को संक्षक्षप्त बबन्दओ
ु ं या िीषवकों में बांट लें ताकक लेखन
आसान हो सके |
• विषयानुकूलता ि रोिकता का ध्यान रखा जाना िाहहए ।
• रिनात्मक लेखन से पूिव सभी विकल्पों पर वििार कर उपयुतत विकल्प का िुनाि करें ।
• आप रिनात्मक लेखन के हहस्से को तीन भाग में विभाष्जत कर लें | (क) विषय का पररिय (ख)
विषय का विस्तार (ग) ननष्कषव
• रूपरे खा-लेखन के समय पूिावपर संबंध के ननयम का ननिावह ककया जाए, पूिावपर संबंध के ननिावह
का अथव है कक ऊपर की बात उसके ठीक नीिे की बात से जड़
ु ी होनी िाहहए, ष्जससे विषय का
क्म बना रहे |
• भाषा सरल,सहज और बोधगम्य हो
• पुनरािवृ त्त दोष से बिा जाए|
• िब्द सीमा 150 िब्द सी.बी.एस.सी.द्िारा ननधावररत की गई है | अत: िब्द सीमा का ध्यान रखें
एिं अनािश्यक बातें मलखने से बिें |

रिनात्मक लेखन में ननम्न प्रश्नों के उत्तर तलाि करें ----


• समस्या तया है ?
• समस्या तयो है ?
• समस्या का प्रभाि – लाभ / हानन
• उपाय /सुझाब /प्रयास
• उपसंहार

रचनात्मक लेखन के प्रारूप का तनवष न तनम्न प्रकार ोना चाह ए-


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1. आरम्ि (ववषय का पररचय) अिंक-1
2. ववषय का म त्व (म त्व,प्रासिंगगकता ) अिंक-3
3. तनष्कषष अिंक 1

रचनात्मक लेखन के उदा रि

मेरे जीवन का लक्ष्य


जीिन एक अंतह न यात्रा है | ष्जस प्रकार यात्रा प्रारं भ करने से पहले व्यष्तत अपना गंतव्य स्थान
ननधावररत कर लेता है , िैसे ह हमें भी अपनी जीिन-यात्रा प्रारं भ करने से पहले अपना कायव-क्षेत्र
ननधावररत कर लेना िाहहए| हर इंसान को अपने जीिन का उद्दे श्य ि लक्ष्य ननष्श्ित कर लेना
िाहहए। लक्ष्यह न जीि स्िच्छं द रूप से सागर में छोड़ी हुई नाि के समान होता है । ऐसी नौका
या तो लहरों के मध्य डूब जाती है या िट्टान से टकराकर िूर-िरू हो जाती है । मैंने भी अपने
जीिन में प्रिासननक अचधकार बनने का ननश्िय ककया है । मैं उस कमव को श्रेष्ठ समझता हूूँ,
ष्जससे व्यष्तत अपना ि अपने पररिार का तो कल्याण कर ह सके , साथ ह समाज को भी
हदिा-ननदे ि दे सके| प्रिासननक अचधकार का कायव भी कुछ इसी प्रकार का है । िह समाज के
कायों का सुिारू संिालन करता है , लोगों तक सरकार योजनाओं को पहुंिाता है और समाज को
एक विकास की नई हदिा प्रदान करता है | इस समाज में प्रिासन को िलाने के मलए व्यष्तत की
योग्यता को तब तक साथवक नह ं समझता जब तक िह समाज के मलए लाभदायक न हो।
प्रिासननक अचधकार यह कायव करने की सिावचधक क्षमता रखता है । मेरा विश्िास है कक समाज
में समुचित विकास के बबना कोई भी नागररक न अपने अचधकारों को सुरक्षक्षत रख सकता है
और न कभी दस
ू रों के अचधकारों का सम्मान कर सकता है । मैं एक प्रिासननक अचधकार बनकर
समाज के लोगों को मिक्षा, चिककत्सा, विकास को जीिनोपयोगी बनाने का प्रयत्न करूंगा। मैं मेरे
कायव क्षेत्र पररसर के बाहर भी समाज के लोगों के साथ अत्यंत ननकट का संपकव स्थावपत करूंगा
और समाज के प्रत्येक िगव को भविष्य की नई सम्भािनाओं की हदिा एिं दिा प्रदान करने का
प्रयत्न करूंगा। मैं सदै ि अपने सद्व्यिहार द्िारा समाज में श्रेष्ठ भाि उत्पन्न करने का प्रयत्न
करूंगा एिं अपने कतवव्यों का पूणव ईमानदार के साथ ननिवहन करूंगा|

जीवन में खेलों का म त्व :-


खेल-कूद में रुचि बढ़ना दे ि के स्िास्थ्य का प्रतीक है , दे ििामसयों की समद्
ृ चध का सि
ू क है । आजकल
खेलों के प्रनत द िानगी बढ़ती जा रह है । इस द िानगी को दे खते हुए यह प्रश्न उठना लाष्जमी है कक
तया यह भी स्िस्थ परं परा का प्रतीक है ? इसमें कोई दो राय नह ं कक पोषक भोजन के बबना मानि
स्िस्थ नह ं रह सकता। यह भी उतना ह सि है कक अच्छे भोजन के साथ यहद मनुष्य खेलों में भाग
न ले तो िह स्िस्थ नह ं रह सकता। अत: खेलों का ननयममत अभ्यास करना स्िास्थ्य के मलए उतना
ह आिश्यक है ष्जतना कक संतुमलत भोजन। िैसे तो जीिन की सफलता के मलए िार ररक, मानमसक
और आष्त्मक िष्ततयों में से कोई भी एक िष्तत ककसी से कम महत्िपूणव नह ं है । कफर भी आम

20
जनमानस में प्रिमलत उष्तत है कक ‘स्िस्थ िर र में ह स्िस्थ मष्स्तष्क का विकास होता है ’। इसमलए
िर र को पूणव रूप से स्िस्थ ि िुस्त बनाने के मलए कई प्रकार के िार ररक अभ्यास ककए जाते हैं, ककं तु
इनमें खेल-कूद सबसे प्रमुख हैं| बबना खेल-कूद के जीिन अधूरा रह जाता है । कहा गया है -“सारे हदन
काम करना और खेलना नह ं, यह होमियार को मूखव बना दे ता है ।” अत: खेलों से हमारा जीिन
अनुिामसत और आनंहदत होता है । खेल भािना के कारण णखलाड़ी सहयोग, संगठन, अनुिासन एिं
सहनिीलता का पाठ सीखते हैं। खेलने िालों में संघषव करने की िष्तत आ जाती है। खेल में जीतने की
दिा में उत्साह और हारने की ष्स्थनत में सहनिीलता का भाि आता है | खेलते समय णखलाड़ी जीत
हामसल करने के मलए अनुचित तर के नह ं अपनाता और पराजय की दिा में प्रनतिोध की आग में नह ं
जलता। उसमें स्िस्थ प्रनतस्पधाव का भाि होता है । खेल मनोरं जन का माध्यम भी हैं। णखलाडड़यों अथिा
खेल-प्रेममयों-दोनों को खेलों से भरपूर मनोरं जन ममलता है । जो लोग सदै ि काम में लगे रहते हैं खेलों के
मनोरं जन से िंचित रह जाते हैं िे खेलों से मनुष्य अनुिामसत जीिन जीना सीखता है । इससे मनुष्य
ननयमपूिवक कायव करने की मिक्षा लेता है । ननयमपूिवक कायव करने से व्यिस्था बनी रहती है तथा समाज
का विकास होता है । इस प्रकार खेलों का हमारे जीिन में बहुत महत्ि है । ये हमारे जीिन को संपन्न ि
खुिहाल बनाते हैं। इनके महत्ि को दे खते हुए हमें खेलों से अरुचि नह ं रखनी िाहहए।

अभ्यास के भलए अन्य रचनात्मक लेख

1. िक्ष
ृ लगाना मेरा िौक
2. बदलते जीिन मूल्य
3. रास्ते में बस खराब होना
4. कामकाजी महहलाओं की समस्याएूँ/ दे ि की प्रगनत में महहलाओं का योगदान
5. राष्र-ननमावण में युिा पीढ़ का योगदान
6. इंटरनेट का मेरे जीिन में सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाि
7. महानगर य जीिन की िुनौनतयां
8. लोकतंत्र में मीडडया की भूममका
9. महानगर य जीिन की िुनौनतयां
10. सीमा पर बढ़ते तनाि को कम करना
11. आज विश्ि में भारत की प्रनतष्ठा
12. काला धन : एक सामाष्जक कलंक
13. पयाविरण संरक्षण: आज की आिश्यकता
14. आनलाइन िोवपंग का बढ़ता िलन
15. भारत से प्रनतभा पलायन
16. चगरते नैनतक मूल्यों के कारण

पत्र लेखन

21
प्रश्न. (i) आए हदन िोर और झपटमार की समस्या के प्रनत चिंता प्रकट करते हुए नगर के पमु लस-
कममश्नर को पत्र मलणखए।

कनक भिन
गणेिगुर गुिाहाट
हदनांक: 1 हदसम्बर 20XX

सेिा में ,
पुमलस आयत
ु त
गुिाहाट (असम)
ववषय- चोरी-झपटमारी की घटनाओिं के सिंबध
िं में ।
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने िहर में ननरन्तर बढ़ रहें अपराधों की ओर आकवषवत
करना िाहता हूूँ। विगत एक माह से िहर में अपराध बढ़ रहे हैं ष्जससे इस क्षेत्र के ननिासी भय के
साये में रहने को वििि हैं। कुछ िरारती तत्िों द्िारा छीना-झपट तथा गमलयों में िोर की घटनाओं
को अंजाम हदया जा रहा है । सायं सात-आठ बजते ह ये लोग याबत्रयों के सामान एिं रुपये-पैसे छीन
लेते हैं तथा विरोध करने पर िाकू मारने का दस्
ु साहस कर बैठते हैं।बढ़ते अपराधों के कारण लोगों में
डर समाया हुआ है ।
आिा है कक आप इस समस्या पर गंभीरता से वििार करें गे तथा ठोस कदम उठाएूँगे ताकक क्षेत्र में िांनत
स्थावपत हो सके।
सधन्यिाद।
भिद य
कoखoगo

(ii) प्रनतहदन बढ़ती महूँगाई के प्रनत चिंता व्यतत करते हुए ‘पूिाांिल प्रहर ’ के संपादक को पत्र मलणखए।

पर क्षा भिन
गि
ु ाहाट
हदनांक: 22 मािव 20XX

सेिा में
संपादक महोदय
पूिाांिल प्रहर
जी0 एस0 रोड गुिाहाट ।
ववषय- बिती म ाँगाई के सिंदिष में ।
महोदय,
मैं आपके लोकवप्रय समािार-पत्र के माध्यम से प्रिासन ि नेताओं का ध्यान बढ़ती महूँगाई की तरफ
22
हदलाना िाहता हूूँ। आज जीिन के मलए उपयोगी हर िस्तु आम आदमी की पहुूँि से बाहर होती जा रह
है । रोजमराव की िस्तुओं जैस-े सब्जी, दध
ू , फल, दालें आहद-के दाम ननत नई ऊूँिाइयों को छू रहे हैं। कुछ
दक
ु ानदार सामानों को गोदामों में जमाकर कालाबजार कर रहे हैं ष्जससे महूँगाई आसमान छू रह है
और गर ब को दाल-रोट के मलए भी संघषव करना पड़ रहा है ।
आपसे अनुरोध है कक इन खबरों को आप अपने समािार-पत्र में लगातार प्रकामित करे ताकक सरकार ि
प्रिासन इस ओर दें और इन पर कायविाह करें ।
धन्यिाद।
भिद य
अ०बoस०

फ़ीचर लेखन
प्रश्न :- तनम्न में से क्रकसी एक ववषय पर फ़ीचर लेखन कीक्जए—

मेरे ववदयालय का पुस्तकालय

अथवा

मेट्रो रे ल का सफ़र

उत्तर:-

मेरे ववदयालय का पस्


ु तकालय

पुस्तकों का वििाल भण्डार, सुहाना मौन | व्यिष्स्थत मेज़-कुमसवयाूँ | सेिा में तत्पर पस्
ु तकालयाध्यक्ष | यह
है मेरे विद्यालय का पुस्तकालय | मेरे विद्यालय के पुस्तकालय के तीन तल हैं | ननिले तल में
समािारपत्र, पबत्रकाएूँ तथा बैठने के मलए मेज़-कुमसवयाूँ हैं | बीि िाले तल में पुस्तकों की आलमाररयाूँ हैं |
लगभग तीस-िाल स आलमाररयों में हज़ारों मूल्यिान पुस्तकें व्यिस्था से सजी हैं | छात्र और अध्यापक
अपनी इच्छा से इनमें से पुस्तकें खोजते हैं, पढ़ते हैं और पढ़कर िापस मेज़ पर छोड़ दे ते हैं | इस
पुस्तकालय में पाठ्यक्म से सम्बंचधत पुस्तकें तो हैं ह ; असल आकषवण हैं- अन्य पुस्तकें- कथा
कहाननयों की पुस्तकें, महापुरुषों की जीिननयाूँ, विश्ि भर को िौकाने िाले कारनामे, िैज्ञाननक आविष्कार
आहद-आहद | छात्र इन पुस्तकों को पुस्तकालय के तीसरे तल पर रखी मेज़-कुमसवयों पर बैठकर पढ़ सकते
हैं | िाहे तो दो पुस्तकें घर भी ले जा सकते हैं | विद्यालय के तीन हज़ार विद्याचथवयों में से िाल स-
पिास छात्र ह पुस्तकालय में हदखाई दे ते हैं | यहाूँ बोलना बबल्कुल मना है | ज़रा भी बोले तो
पुस्तकालयाध्यक्ष की पैनी नज़रें उन्हें मौन करा दे ती हैं | पुस्तकालय सिमुि ज्ञान की गंगा है | मेरे जैसे
विद्या-व्यसनी के मलए तो यह सैरगाह है | मझ
ु े ख़ाल समय में पस्
ु तकों की आलमार के सामने खड़े
होकर नये-नये िीषवक दे खना और जानकार लेना अच्छा लगता है |

अथवा

मेट्रो रे ल का सफ़र
23
सामान्य भारतीय रे ल और मेरो रे ल के सफ़र में अंतर है | मेरो की यात्रा साफ़-सथ
ु र , िातानक
ु ू मलत और
आरामदायक होती है | इसकी हटकट णखड़की से लेकर सिार डडब्बे तक कह ं भी धूल-धतकड़ या
धींगामुश्ती नह ं होती | हटकट-णखड़की पर या तो भीड़ होती नह ं; होती भी है तो लोग पंष्ततबद्ध होकर
हटकट लेते हैं | हटकट दे ने िाले कमविार भी बड़ी कुिलता से हटकट बाूँटते हैं | टोकन िेक़ करने की
प्रणाल भी इलेतराननक होती है इसमलए यात्री भी समझ लेते हैं कक यहाूँ सबकुछ व्यिस्था के अनुरूप ह
िलेगा, मनमानी से नह ं | मेरो प्लेटफ़ॉमव तक पहुूँिने के मलए या तो स्ििामलत सीहढ़याूँ होती हैं, या
साफ़-सुथरे िौड़े मागव होते हैं | प्लेटफ़ॉमव बबल्कुल स्िच्छ और जगमगाते हुए होते हैं | प्रायः हर तीन से
पाूँि ममनट में एक गाड़ी आ जाती है | उसके दरिाजे स्ििामलत रूप से खुलते और बंद होते हैं | अंदर
साफ़-सुथर सीटें होती हैं | खड़े याबत्रयों के सहारे के मलए बीि में लटकनें लगी होती हैं |

मेरो रे ल में भीड़ न हो तो उसके सख


ु का कहना ह तया ? परन्तु भीड़ होने पर भी ककसी प्रकार की
धतका-मत
ु की, गंदगी या हुल्लड़बाज़ी नह ं होती | महानगर य सभ्यता में ढले हुए लोग बड़े ह अनि
ु ासन
से यात्रा करते हैं | सबसे बड़ी सवु िधा यह होती है कक हर स्टे िन के आने पर बराबर घोषणाएूँ होती
रहती हैं | इससे याबत्रयों को बहुत ह आसानी होती है | यद्यवप मेरो की सवु िधा को दे खते हुए आजकल
उसमें भी भीड़ बढ़ने लगी है , ककन्तु यह भीड़ अराजक नह ं होती | इसमलए इसमें सफ़र करना बहुत
आरामदायक है | इसमें लेट होने और समय पर न पहुूँिने की परे िाननयाूँ भी न के बराबर हैं | िास्ति
में महानगरों के आतंररक यातायात के मलए यह सिोत्तम साधन है |

आलेख
प्रश्न १: आलेख की पररभाषा दे ते हुए स्पष्ट कीष्जए कक समािार पत्र में ककस स्थान पर प्रकामित ककया जाता है
?
उत्तर ककसी एक विषय पर वििार प्रधान ,गद्य प्रधान अमभव्यष्तत को आलेख कहा जाता है । यह एक प्रकार के
लेख होते हैं जो अचधकतर संपादकीय पष्ृ ठ पर ह प्रकामित होते हैं।
प्रश्न २: आलेख के मुख्य अंगो के नाम मलणखए।
उत्तर : आलेख लेखन के मख्
ु य अंग हैं - भमू मका ,विषय का प्रनतपादन, तल
ु नात्मक ििाव और ननष्कषव ।
प्रश्न ३: आलेख लेखन में ककसकी प्रमुखता होती है ?
उत्तर: आलेख लेखन में लेखक के वििारों की प्रमुखता होती है ।इसी कारण इसे वििार प्रधान गद्य भी कहा
जाता है ।

नाटक, कववता और क ानी का प्रारूप /रचना प्रक्रक्रया

(1) नाटक

1) नाटक ककसका रूप है ?

उत्तर - नाटक काव्य और गद्य का एक रूप है ।

2) ककस काव्य में नाटक में अचधक रमणीयता होती है ?

24
उत्तर – नाटक में श्रव्य काव्य से अचधक रमणीयता होती है ।

3) प्रमसद्ध नाट्य िास्त्र ककसने मलखे था ?

उत्तर- आिायव भारत मनु न ने नाट्यिास्त्र मलखा था ।

4) नाटक का प्रारम्भ कैसे होता है ?

उत्तर – नाटक के आरं भ में जो कक्या होती है उसे मंगला िरण या पूिवरंग कहते हैं ।

5) कथािस्तु ककसे कहते हैं ?

उत्तर – कथािस्तु को नाटक ह कहा जाता है । अङ्ग्ग्रेज़ी में इसे प्लाट की संज्ञा द गई है ष्जसका अथव
आधार या भूमम से है ।

2) कववता

1) कविता के बाह्य तत्ि का उल्लेख कीष्जए ?

उत्तर - लय , तुक, छं द ,िब्द योजना, चित्रात्मक भाषा तथा अलंकार कविता के बाह्य तत्ि है ।

2) कविता के आंतररक तत्ि कौन कौन से हैं ?

उत्तर - कविता के आंतररक तत्ि अनुभूनत की व्यापकता, कल्पना की उड़ान ,रसात्मकता और सौंदयव
बोध तथा भािों का उदात्तीकरण कविता के आंतररक भाि हैं ।

3) काव्य के ककतने भेद होते हैं ?

उत्तर - काव्य के दो भेद होते हैं - श्रव्य काव्य दृश्य काव्य ।

4) हहन्द के दो महाकाव्य के नाम मलणखए ?

उत्तर - हहंद के दो महाकाव्य हैं पहला रामिररतमानस ष्जसे तुलसीदास ने मलखा है और कामायनी ष्जसे
जयिंकर प्रसाद ने मलखा है ।

5) हहंद का प्रथम महाकाव्य ककसे माना जाता है उसका रिनाकार कौन है ?

उत्तर - हहंद का प्रथम महाकाव्य रामिररत मानस माना जाता है ष्जस के रिनाकार तल
ु सीदास जी हैं

(3) क ानी

कहानी हहंद में गद्य लेखन की एक विधा है 19िीं सद में गद्य में एक नई विधा का विकास हुआ
ष्जसे कहानी के नाम से जाना गया
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मनष्ु य के जन्म से साथ ह साथ कहानी का भी जन्म हुआ और कहानी कहना तथा सन
ु ना मानि का
आज स्िभाि बन गया

प्रािीन काल में सहदयों तक प्रिमलत िीरों तथा राजाओं के िौयव प्रेम न्याय ज्ञान िैराग्य साहस समुद्र
यात्रा अगम्य पिवतीय प्रदे िों में प्राणणयों का अष्स्तत्ि आहद की कथाएं ष्जनकी कथानक घटना प्रदान
हुआ करती थी कहानी के ह रूप हैं

कहानी के तत्ि कौन कौन से हैं

कथािस्तु पात्र अथिा िररत्र चित्रण कथाकथन अथिा संिाद दे िकाल अथिा िातािरण भाषा िैल तथा
उद्दे श्य कहानी के मख्
ु य तत्ि हैं

कथानक के िार अंग कौन कौन से हैं

कथानक के िार अंग हैं आरं भ आरोह यानी विस्तार िरम ष्स्थनत यानी कहानी का उत्कषव तथा अिरो
या तलाइमैतस दस
ू रे िब्दों में समापन

ककसी अन्य साहहष्त्यक विधा में नह ं दे खी जाती

कहानी का प्रािीन नाम संस्कृत में गलव भैया आख्यानयका ममलता है

हहंद कहानी का जन्म ितवमान युग की आिश्यकताओं के कारण हुआ

हहंद कहानी का उद्भि द्वििेद युग में सरस्िती पबत्रका के प्रकािन से प्रारं भ होता है

राजेंद्र बाला घोष अथावत बंग महहला को हहंद की प्रथम कहानी लेणखका माना जाता है दल
ु ाईिाल उनकी
प्रमुख कहानी है

नाम धनपत राय था निाब राय के रूप में िे उदव ू में कहानी मलखते थे

प्रेमिंद के कहानी संग्रह सोजे ितन 1960 को बब्रहटि सरकार ने जप्त कर मलया था सोजे ितन पांि
कहाननयों का संग्रह था जो उदव ू में मलखा गया था

की प्रथम कहानी पंि परमेश्िर सन 1917 तथा अंनतम कहानी अंनतम उपन्यास कफन 1936 था
मंगलसूत्र उनका अपूणव और अंनतम उपन्यास है जो सन 1936 में मलखा गया

1960 ईस्िी में नई कहाननयां नामक पबत्रका श्री भैरि प्रसाद गप्ु त के संपादक त्त्ि में हदल्ल से
प्रकामित होने लगी थी

कहानी में जहटल यथाथव की व्यापक आधुननक बोध व्यष्तत के प्रनतष्ठा जीिन िेतना मध्यिगीय जीिन
िेतना िल भािन का भाि तथा संख्या ममलती है

हहंद कहानी का स्िरूप अंग्रेजी तथा बंगला कहानी से प्रभावित है

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हहंद कहानी की विकास यात्रा को ननम्नमलणखत बबंदओ
ु ं में समझा जा सकता है प्रेमिंद पि
ू व योग प्रेमिंद
योग प्रेमिंदोत्तर युग तथा स्िातंत्र्योत्तर युग।

आरो िाग-2
पाि-1 एक गीत हदन जल्दी-जल्दी ढलता ै ( ररविंश राय बर्चचन)

पहित पदयािंश- 1
हो जाए न पथ में रात कह ं,
मंष्जल भी तो है दरू नह -ं
यह सोि थका हदन का पंथी भी जल्द -जल्द िलता है !
हदन जल्द -जल्द ढलता है !
प्रश्न-1 पंथी को कहाूँ रात होने की संभािना है ?
(I)पथ में (II)घर में (III)बाज़ार में (IV)गल में
उत्तर- (I)पथ में
प्रश्न-2 तया दरू नह ं है ?
(I)विद्यालय (II)दक
ु ान (III)मंष्जल (IV)िहर
उत्तर- (III)मिंक्जल
प्रश्न-3 कौन जल्द -जल्द िलता है ?
(I)मिक्षक (II)पंथी (III)विद्याथी (IV)अमभभािक
उत्तर- (II)पिंथी
प्रश्न-4 पंथी कैसे िलता है ?
(I)धीरे -धीरे (II)दौड़कर (III)हूँसकर (IV)जल्द -जल्द
उत्तर- (IV)जल्दी-जल्दी
प्रश्न-5 हदन कैसे ढलता है ?
(I)जल्द -जल्द (II)धीरे -धीरे (III)मंद गनत से (IV)आस्य से
उत्तर- (I)जल्दी-जल्दी

पहित पदयािंश-2

बच्िे प्रत्यािा में होंगे,


नीड़ों से झाूँक रहे होंगे-
यह ध्यान परों में चिडड़यों के भरता ककतनी िंिलता है !
हदन जल्द -जल्द ढलता है !

प्रश्न-1 बच्िे कैसे होंगे?

27
(I)सख
ु में (II)प्रत्यािा (III)दख
ु में (IV)घर में
उत्तर- (II) प्रत्याशा
प्रश्न-2 बच्िे कहाूँ से झाूँकते होंगे?
(I)नीड़ों से (II)दरिाजे से (III)आसमान से (IV)िहर से
उत्तर- (I)नीड़ों से
प्रश्न-3 चिडड़यों के परों में तया भरती है ?
(I)उड़ान (II)गनत (III)िंिलता (IV)तेजी
उत्तर- (III)चिंचलता
प्रश्न-4 बच्िे ककसकी प्रत्यािा में होंगे?
(I)दोस्त की (II)वपता की (III)भाई की (IV)चिडड़यों की
उत्तर- (IV)गचडड़यों की
प्रश्न-5 हदन कैसे ढलता है ?
(I)जल्द -जल्द (II)धीरे -धीरे (III)मंद गनत से (IV)आस्य से
उत्तर- (I)जल्दी-जल्दी

लघुत्तरीय प्रश्न
प्रश्न- 1पंथी को कहाूँ रात होने की संभािना है ?
उत्तर-पिंथी को क ााँ रास्ते में ोने की सिंिावना ै तयोंक्रक उसे जल्दी अपनी मिंक्जल तक प ु ाँचना ै|
प्रश्न 2-पंथी के मलए तया दरू नह ं है?
उत्तर-पिंथी के भलए मिंक्जल दरू न ीिं ै तयोंक्रक उसके मन में अपनी मिंक्जल तक प ु ाँचने का उत्सा और
उमिंग ै|
प्रश्न 3-कौन जल्द जल्द िलता है-?
उत्तर-पिंथी जल्दीजल्दी चलता ै तयोंक्रक उसे अपनी मिंक्जल को पाना ै -|
प्रश्न 4-बच्िे ककसकी प्रत्यािा में होंगे?
उत्तर-बर्चचे अपनी मााँ की प्रत्याशा में ोंगे तयोंक्रक मााँ उन् ें दाना दे गी और मााँ से उन् ें प्यार िी भमलेगा|
प्रश्न 5-चिडड़यों के परों में िंिलता तयों आती है ?
उत्तर-जब गचडड़यों को अपने बर्चचों की याद आती ै तब उनके परों में चिंचलता आती ै , वे अपने बर्चचों
से जल्दी ी भमलना चा ती ै और उन् ें ब ु त सारा प्यार दे ना चा ती ै|

28
पाि–3 कववता के ब ाने (कुाँवर नारायि)

पदयािंश – १ (ब ु ववकल्पीय प्रश्न)

कविता एक उड़ान है चिडड़या के बहाने


कविता की उडाना़ भला चिडड़या तया जाने
बाहर - भीतर
इस घर, उस घर
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
चिडड़या तया जाने?
प्रश्न १ – कविता का िीषवक है ?
1. कविता के बहाने
2. खेल के बहाने
3. घर जाने के बहाने
4. इनमे से कोई नह
उत्तर – (क) कविता के बहाने

प्रश्न २- कविता के पंख लगा कर उड़ने के माने कौन नह जानता ?


1. कवि
2. लेखक
3. चिडड़या
4. इनमे से कोई नह
उत्तर - (ग) चिडड़या

प्रश्न ३- कविता की उड़ान कहाूँ कहाूँ होती है


1. बाहर-भीतर
2. इस घर
3. उस घर
4. उपयुवतत सभी
उत्तर – (घ) उपयुवतत सभी

प्रश्न 4- कविता कक तुलना ककससे की गई है ?


1. चिडड़या से
2. कबत
ू र से
3. घर से

29
4. पंख से
उत्तर – (क) चिडड़या से

प्रश्न 5 – चिडड़या तया नह जानती ?


1. कविता की उड़ान
2. कविता का पंख
3. इस घर उस घर को
4. इनमे से कोई नह
उत्तर – (क) कविता की उड़ान

पदयािंश – 2 (ब ु ववकल्पीय प्रश्न)

कविता एक खेल है बच्िों के बहाने


बाहर भीतर
यह घर िह घर
सब घर एक कर दे ने के माने
बच्िा ह जाने।

प्रश्न १ – प्रस्तुत कविता का रिनाकार कौन है ?


1. आलोक धन्िा
2. कंु िर नारायण
3. रघि
ु ीर सहाय
4. िमिेर बहादरु मसंह
5. उत्तर – (ख़) कंु िर नारायण

प्रश्न 2 –बच्िो के बहाने कविता तया है ?


1. घर
2. खेल
3. फूल
4. इनमे से कोई नह
उत्तर – (ख) खेल

प्रश्न-३ कविता के सब घर एक कर दे ने के माने कौन जानता है ?


1. कवि
2. बच्िे
3. फूल
30
4. इनमे से कोई नह
उत्तर – (ख) बच्िे

प्रश्न – 4 बाहर- भीतर यह घर िह घर एक कौन कर दे ता है ?


1. कविता
2. बच्िे
3. उपयुवतत दोनों
4. इनमे से कोई नह
उत्तर – (ग) उपयुवतत दोनों
प्रश्न 5 – प्रस्तुत कविता ककस पाठ से उद्धत
ृ है ?
1. आत्म पररिय
2. कविता के बहाने
3. बात सीधी थी पर
4. इनमे से कोई नह
उत्तर – (ख) कविता के बहाने

लघुत्तरीय प्रश्न -

प्रश्न 1- कविता कहाूँ-कहाूँ उड़ सकती हैं?


उत्तर - कविता पंख लगाकर मानि मन में उड़ान भरती है । िह एक घर से दस
ू रे घर तक उड़ सकती है ।

प्रश्न 2- कविता की उडान ि चिडडया की उडान में तया अंतर हैं?


उत्तर - चिडड़या की उड़ान एक सीमा तक होती है , परं तु कविता की उड़ान व्यापक होती है । चिडड़या
कबब्रता की उड़ान को नह ं जान सकती।

प्रश्न 3 - बबना मरु झाए कौन कहाूँ महकता हैं?


उत्तर - बबना मुरझाए कविता हर जगह महका करती है । यह अनंतकाल तक सुगंध फैलाती है ।

प्रश्न 4 - कविता को तया सज्ञा द गई हैं?


उत्तर - कविता को खेल की संज्ञा द गई है |

प्रश्न 5 - कविता और बच्िों के खेल में तया समानता हैं?

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उत्तर - बच्िे कह ं भी, कभी भी खेल खेलने लगते हैं। इस तरह कविता कह ं भी प्रकट हो सकती है ।

पाि-4 कैमरे मे बिंद अपाह ज (रघुवीर स ाय)


प्रश्न -1 ननम्नमलणखत काव्यांि को ध्यानपि
ू वक पहढ़ए:-
हम दरू दिवन पर बोलेंगे
हम समथव िष्ततमान
हम एक दब
ु वल को लाएंगे
एक बंद कमरे में
उससे पूछेंगे तो आप तया अपाहहज है ?
तो आप तयों अपाहहज है ?
आपका अपाहहजपन तो दख
ु दे ता होगा
दे ता है ?
( कैमरा हदखाओ इसे बड़ा बड़ा)
हां तो बताइए आपका दख
ु तया है
जल्द बताइए िह दःु ख बताइए
बता नह ं पाएगा
सोचिए/ बताइए
आपको अपाहहज होकर कैसा लगता है
कैसा
यानी कैसा लगता है
( हम खुद इिारे से बताएंगे कक तया ऐसा?)
सोचिए/ बताइए
थोड़ी कोमिि कररए
( यह अिसर खो दें गे ?)

तनम्नभलणखत में से तनदे शानुसार ववकल्पों का चयन कीक्जए :-

(i) प्रस्तुत काव्यांि ककस कविता से अितररत है ?


I. सहषव स्िीकारा है
II. आत्म पररिय
III. कैमरे में बंद अपाहहज
IV. बादल राग
उत्तर III
(ii) प्रस्तुत काव्यांि के रचियता कौन है ?
I. रघुिीर सहाय

32
II. धमविीर भारती
III. हररिंि राय बच्िन
IV. सय
ू वकांत बत्रपाठी ‘ ननराला’
उत्तर I
(iii) ‘ दब
ु वल ‘ककसे कहा गया है ?
I. मीडडयाकमी को
II. कायवक्म ननमावता को
III. अपाहहज व्यष्तत को
IV. कैमरामैन को
उत्तर III
(iv) कैमरे में ककसे बड़ा- बड़ा हदखाने के मलए कहा गया है ?
I. स्टूडडयो का कमरा
II. अपाहहज का िेहरा
III. ममडडया कमी
IV. सभी को
उत्तर II
(v) काव्यांि की ककस पंष्तत से ममडडया कमी की संिेदनह नता का पता िलता है ?
I. तो आप तयों अपाहहज है ?
II.आपको अपाहहज होकर कैसा लगता है
III. यानी कैसा लगता है
IV. सभी
उत्तर IV

प्रश्न;-2 ननम्नमलणखत काव्यांि को ध्यानपूिवक पहढ़ए:-

आप जानते हैं कक कायवक्म रोिक बनाने के िास्ते


हम पछ
ू पछ
ू कर उसको रुला दें गे
इंतजार आप उसके रो पडने का/करते हैं ?
(यह प्रश्न पछ
ू ा नह ं जायेगा )दनु नया में जो
कफर हम पदे पर हदखलाएंगे
फूल हुई आंख की एक बड़ी तस्िीर/ बहुत बड़ी तस्िीर
और उसके होठों पर एक कसमसाहट भी
( आिा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे)
एक और कोमिि
दिवक धीरज रणखए / दे णखए
हमें दोनों एक संग रुलाने हैं

33
आप और िह दोनों
( कैमरा / बस करो / नह ं हुआ / रहने दो/ पदे पर ितत की कीमत है)
अब मुस्कुराएंगे हम
आप दे ख रहे थे सामाष्जक उद्दे श्य से यत
ु त कायवक्म
( बस थोड़ी ह कसर रह गई)
धन्यिाद !

तनम्नभलणखत में से तनदे शानुसार ववकल्पों का चयन कीक्जए :-

(i)प्रस्तुत काव्यांि ककस कविता से अितररत है ?


I. सहषव स्िीकारा है
II. आत्म पररिय
III. कैमरे में बंद अपाहहज
IV. बादल राग
उत्तर III
(ii)प्रस्तुत काव्यांि के रचियता कौन है ?
I. रघुिीर सहाय
II. धमविीर भारती
III. हररिंि राय बच्िन
IV. सय
ू वकांत बत्रपाठी ‘ ननराला’
उत्तर I

(iii) ‘हम पूछ पूछ कर उसको रुला दें गे’-इस पंष्तत में कवि ने ककस के विषय में कहां है ?
I. दिवक
II. अपंग व्यष्तत
III. ननमावता-ननदे िक
IV. मीडडया कमी
उत्तर II
(iv) ( कैमरा / बस करो / नह ं हुआ / रहने दो)-पंष्तत में तया नह ं होने के बारे में संकेत ककया गया है :-
I. दिवकों द्िारा नह ं रोया गया
II. अपाहहज व्यष्तत और दिवक नह ं रोए
III. कायवक्म सफल नह ं
IV. अपाहहज व्यष्तत नह ं रोया
उत्तर IV
लघुत्तरीय प्रश्न
प्रश्न-3 ननम्नमलणखत प्रश्नों के उत्तर लगभग 30-40 िब्दों मे मलखे :-

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( i) ‘कैमरे में बंद अपाहहज’ कविता से संिार माध्यमों की कौन सी सच्िाई उजागर होती है ?
उत्तर : कैमरे में बंद अपाहहज’ कविता के माध्यम से कवि ने ट .िी., समािार िैनलों आहद संिार
माध्यमों की इस सच्िाई को उजागर ककया है कक िेअपने कायवक्मों की लोकवप्रयता बढ़ाने के मलए
संिेदनह नता की हर सीमा तक जाने के मलए प्रस्तुत हो जाते हैं | “आपको अपाहहज होकर कैसा लगता
है ” जैसी पंष्ततयां इस तथ्य को प्रमाणणत करती हैं |

(ii) कायवक्म को रोिक बनाने के मलए कायवक्म संिालक तया-तया उपाय करता है ?
उत्तर: कायवक्म को रोिक बनाने के मलए कायवक्म संिालक अपाहहज व्यष्तत को रुलाने की पूर िेष्टा
करता है | िह उससे तरह तरह के प्रश्न पछ
ू ता है और उसकी भाि भंचगमा को कैमरे में फोकस करके
हदखाने के मलए कैमरामैन को कहता है |

(iii) मीडडया कमी अपाहहज व्यष्तत और दिवकों को एक साथ रूलाने का प्रयास तयों करता है ?
उत्तर :अपाहहज व्यष्तत तम
ु को एक साथ रुलाने से कायवक्म का उद्दे श्य- अपाहहज व्यष्तत के प्रनत
समाज में संिेदनिीलता उत्पन्न कर अपने कायवक्म की प्रमसद्चध बढ़ाना- पूणव हो जाता इसमलए मीडडया
कमी इस कोमिि में लगा रहता है कक अपाहहज व्यष्तत और दिवक एक साथरोयें |
(iv) ‘आप दे ख रहे थे सामाष्जक उद्दे श्य से युतत कायवक्म/( बस थोड़ी ह कसर रह गई)”-इस पंष्तत
में कवि ने तया व्यंग्य ककया है ?
उत्तर: कायवक्म प्रस्तुतकताव अपाहहज व्यष्तत को रूलाकर अचधक से अचधक सहानभ
ु ूनत प्राप्त कर
कायवक्म को प्रमसद्ध करना िाहता था | पर आप अपाहहज व्यष्तत के रोने से पूिव ह कायवक्म की
अिचध समाप्त होने के कारण यह उद्दे श्य पूरा होने से रह गया |इस पंष्तत से कवि ने यह व्यंग ककया
है |
(v) ‘कैमरे में बंद अपाहहज’ कविता का तया प्रनतपाद्य है ?
उत्तर : कैमरे में बंद अपाहहज कविता के माध्यम से कवि ने िार ररक िुनौती झेलते लोगों के प्रनत
संिेदनिील नजररया अपनाने के मलए प्रेरणा द है | इसके साथ ह संिार माध्यमों की सच्िाई को
उजागर करना भी कवि का उद्दे श्य रहा है |

पाि-5 स षष स्वीकारा ै (गजानन माधव मुक्ततबोध)


काव्यािंश- 1
ष्जंदगी में जो कुछ हैं, जो भी है
इसमलए कक जो कुछ भी मेरा हैं
िह तम्
ु हें प्यारा हैं।
गरबील गर बी यह, ये गंभीर अनभ
ु ि सब
यह वििारिैभि सब-
दृढ़ता यह, भीतर की सररता यह अमभनि सब
मौमलक है , मौमलक है
इसमलए कक पलपल में-

35
जो कुछ भी जाग्रत हैं अपलक हैं-
संिेदन तुम्हारा हैं!!
जाने तया ररश्ता हैं, जाने तया नाता हैं
ष्जतना भी ऊूँड़ेलता हूूँ भरभर कफर आता हैं-
हदल में तया झरना है ?
मीठे पानी का सोता हैं
भीतर िह, ऊपर तुम
मुसकाता िाूँद ज्यों धरती पर रातभर-
मुझ पर त्यों तुम्हारा ह णखलता िह िेहरा हैं!
1. ‘स षष स्वीकारा ै ’ कववता के रचनाकार कौन ैं ?
क. भिानीप्रसाद ममश्र
ख. गजानन माधि मुष्ततबोध
ग. सष्च्िदानंद ह रानंद िात्स्यायन ‘अज्ञेय’
घ. जयिंकर प्रसाद

उत्तर.ख - गजानन माधव मुक्ततबोध

2. ‘सररता’ शब्द का तया अथष ै ?


क. सूरज
ख. नद
ग. द पक
घ. हिा

उत्तर.ख - नदी

3. ‘गिंिीर अनि
ु व’ में अनि
ु व क्रकस प्रकार का ै ?
क. सरल
ख. हास्यास्पद
ग. सहज
घ. गंभीर

उत्तर - घ गिंिीर

4. ‘स षष’ शब्द का तया अथष ै ?


क. ख़ुिी
ख. दःु ख
ग. गिव
घ. मजाक

उत्तर .क - ख़ुशी
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5. ‘अभिनव’ शब्द का अथष ोगा-
क. पुराना
ख. बबलकुल नया
ग. अत्यंत प्रािीन
घ. उपयुवतत में से कोई भी नह ं

उत्तर - ख . बबलकुल नया

काव्यािंश- 2

सिमुि मुझे दं ड दो कक भूलूँ ू मैं भूलूँ ू मैं


तुम्हें भूल जाने की
दक्षक्षण ध्रुिी अंधकारअमािस्या-
िर र पर, िेहरे पर, अंतर में पा लूँ ू मैं
झेलूँ ू मैं, उसी में नहा लूँ ू मैं
इसमलए कक तम
ु से ह पररिेष्ष्टत आच्छाहदत
रहने का रमणीय यह उजेला अब
सहा नह ं जाता हैं।
नह ं सहा जाता है ।
ममता के बदल की मडराती कोमलता
भीतर वपरती है
कमज़ोर और अक्षम अब हो गई है आत्मा यह
छटपटाती छाती को भवित व्यता डराती है
बहलाती – सहलाती आत्मीयता बरदाश्त नह ं होती है !
सिमुि मुझे दं ड दो कक हो जाऊूँ
पाताल अूँधेरे की गुहाओं में वििरों में
धुएूँ के बादलों में
बबलकुल मैं लापता
लापता कक िहाूँ भी तो तुम्हारा ह सहारा है !!
इसमलए कक जो कुछ भी मेरा है
या मेरा जो होतासा लगता हैं-, होतासा संभि- हैं
सभी िह तुम्हारे ह कारण के कायों का घेरा है , कायों का िैभि है
अब तक तो ष्जंदगी में जो कुछ था, जो कुछ है
सहषव स्िीकार है
इसमलए कक जो कुछ भी मेरा है
िह तुम्हें प्यारा हैं।
37
1. ‘वपराता’ शब्द का तया अथष ै ?
1. प्रसन्नता
2. ददव होना
3. कहठनाई
4. संपन्नता
उत्तर- ख. ददष ोना
2. ‘छटपटाती छाती’ में कौन-सा अलंकार है ?
1. रूपक
2. उपमा
3. विरोधाभास
4. अनप्र
ु ास
उत्तर- घ. अनप्र
ु ास
3. कवव ने जीवन की र दशा को क्रकस प्रकार स्वीकार क्रकया ै?
1. सहषव
2. दःु ख के साथ
3. अफ़सोस के साथ
4. उपयुवतत में से कोई भी नह ं
4. ‘सचमुच दिं ड दो क्रक……………………..’ में कवव तया चा ता ै ?
1. पुरस्कार
2. सम्मान
3. दं ड
4. ख़ुिी
उत्तर- ग. दिं ड
5. कवव क्रकसे िूलना चा ता ै ?
1. व्यष्तत को
2. समाज को
3. कविता को
4. अपनी वप्रया को
उत्तर- घ. अपनी वप्रया को

लघुत्तरीय प्रश्न
1. कवव तया दिं ड चा ता ैं और तयों ?
उत्तर- कवि अपनी वप्रयतमा (सबसे प्यार स्त्री)को भल
ू ने का दं ड िाहता है तयोंकक उसके
अत्यचधक स्नेह के कारण उसकी आत्मा कमजोर हो गई है । उसका अपराध बोध से दबा मन
यह प्रेम सहन नह ं कर पा रहा है । उसका मन आत्मग्लानन से भर उठता है ।

38
2. कवव अपने जीवन में तया चा ता ै?
उत्तर- कवि िाहता है कक उसके जीिन में अमािस्या और दक्षक्षणी ध्रुि के समान गहरा अंधकार
छा जाए। िस्तुत: िह अपने वप्रय को भूलना िाहता है तथा उसके विस्मरण को िर र, मुख और
हृदय में बसाकर उसमें डूब जाना िाहता है।
3. कवव को तया स न न ीिं ोता?
उत्तर-कवि की वप्रयतमा (यानी सबसे वप्रय स्त्री) के स्नेह का उजाला अत्यंत रमणीय है । कवि का
व्यष्ततत्ि िारों ओर से उसके स्नेह से नघर गया है । इस अद्भुत, ननश्छल और उज्ज्िल प्रेम के
प्रकाि को उसका मन सहन नह ं कर पा रहा है ।
4. कवव की आत्मा कैसे ो गई ै तथा तयों ?
उत्तर- कवि की आत्मा अत्यंत कमजोर हो गई है तयोंकक िह अपनी प्यार स्त्री के अत्यचधक
स्नेह के कारण पराचश्रत हो गया है । यह स्नेह उसके मन को अंदर-ह -अंदर पीडड़त कर रहा है ।
दख
ु से छटपटाता ककसी अनहोनी की कल्पना मात्र से ह उसका मन काूँप उठता है।
5. ‘स षष स्वीकारा ै ’ कववता का भशल्प-सौन्दयष स्पष्ट कीक्जए ।
उत्तर- कवि ने खड़ी बोल में सहज अमभव्यष्तत की है ।
० तत्सम िब्दािल का सुंदर प्रयोग है ।
० ‘अमािस्या’, ‘अंधकार’ ननरािा के प्रतीक हैं।
० ‘दक्षक्षण ध्रुिी अंधकार-अमािस्या’ में रूपक अलंकार है ।
० ‘अंधकार-अमािस्था’ में अनुप्रास अलंकार है ।
पाि-6 उषा (शमशेर ब ादरु भसिं )

ब ु ववकल्पीय प्रश्न

1. तनम्नभलणखत पदयािंश को पिकर पू्े गये प्रश्नों का उत्तर भलखें |

प्रात नभ था बहुत नीला िंख जैसे


भोर का नभ
राख से ल पा हुआ िौका
(अभी भी गीला पडा है )
बहुत काल मसल जरा से लाल केसर से
कक जैसे धुल गयी हो
स्लेट पर या लाल खडडया िाक
मल द हो ककसी ने
1. भोर के समय का आकाि है –
(क) काला
(ख) नीला
(ग) लाल
(घ) पीला

39
उत्तर – ख
2. कवि ने लाल केसर कहा है –
(क) केसर की तयार को
(ख) लाल फूलों को
(ग) उषा की लामलमा, को
(घ) मसल के रं ग को
उत्तर- ग
3. ‘उषा’ कविता में कवि ने स्लेट कहा है –
(क) भोर के आकाि को
(ख) धरती को
(ग) बच्िों के मलखने की स्लेट को
(घ) िौके को
उत्तर - ख
4. ‘बहुत नीला, िंख जैसा’ में अलंकार है -
(क) अनुप्रास
(ख) यमक
(ग) उपमा
(घ) श्लेष
उत्तर - ग
5. काल मसल ककसे कहा गया है ?
(क) सय
ू व
(ख) आकाि
(ग) िंद्रमा
(घ) तारे
उत्तर - ख
2. तनम्नभलणखत पदयािंश को पिकर प्
ू े गये प्रश्नों का उत्तर भलखें |
नील जल में या ककसी की
गौर णझलममल दे ह
जैसे हहल रह हो।
और...
जादू टूटता है इस उषा का अब
सूयोदय हो रहा है ।

1. कवि ने ‘नील जल में ……………गौर णझलममल दे ह’ में िणवन ककया है –


(क) हहलते हुए सरसों के फूलों का
(ख) नीले जल में नहाती गोर स्त्री का

40
(ग) नीले आकाि में छाए पीले प्रकाि का
(घ) प्रात: के धुंधले प्रकाि में दरू जलती आग का
उत्तर- ख
2. ‘उषा’ कविता की प्रमुख वििेषताएूँ हैं –
(क) भोर के नभ का िणवन
(ख) अलंकार योजना
(ग) निीन बबम्ब-योजना
(घ) भाषा-िैल
उत्तर - ग
3. उषा के जादू टूटने का तया कारण है ?
(क) ओस
(ख) सूयोदय
(ग) िंद्रास्त
(घ) तारे
उत्तर - ख
4. ‘नील जल में ……………गौर णझलममल दे ह जैसे हहल रह हो’ में कौन-सा भाि है ?
(क) सुगंध का
(ख) ननमवलता का
(ग) उज्ज्िलता क
(घ) तरलता का
उत्तर - ग
5. नीले आकाि में उहदत होता सय
ू व कैसा प्रतीत होता है ?
(क) िंख जैसा
(ख) मसंदरू जैसा
(ग) गौरिणीय संद
ु र जैसा
(घ) झील जैसा
उत्तर – क

लघुत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. प्रातः के नभ को बहुत नीला िंख जैसा बताकर कवि आकािी दृश्य की तया वििेषता बताना
िाहता है ?
उत्तर:
कवि इस कविता में ग्रामीण क्षेत्र के दरू -दरू तक दिवनीय आकाि के प्रात:काल न सौन्दयव का िणवन कर
रहा है । भोर के समय सय
ू ोदय से पहले धध
ंु लके में आकाि गहरा नीला या काला-सा प्रतीत होता है ।

41
इस रं ग में भोर के हल्के उजास का भी ममश्रण रहता है । अत: इसमें एक बहुत हल्की-सी दमक भी होती
है । कवि ने इसी कारण बहुत नीला ‘िंख’ जैसा बताया है । िंख में एक प्राकृनतक दमक दे खी जाती है ।
प्रश्न 2. भोर के आकाि के मलए कवि ने ‘राख से ल पा िौका (अभी गीला पड़ा है )’ उपमान का िुनाि
तयों ककया है ? अपना मत मलणखए।
उत्तर:
ग्रामीण घरों में आग भी रसोईघर को िौका कहा जाता है और उसके फिव को गोबर और ममट्ट से
ल पा जाता है । ताजा पीला हुआ फिव गीला रहता है । कवि ने इस घरे लू और सुपररचित बबम्ब में थोड़ा
सुधार करके उसे राख से ल पा बताया है । नीले आकाि में भोर के हल्के प्रकाि का ममश्रण उसे राख
जैसे रं ग िाला बना रहा है । इसी कारण कवि ने उसे राख से ल पा गया िौका कहा है ।
प्रश्न 3. बहुत काल मसल जरा-से लाल केसर से कक जैसे धुल गई हो।” इस पंष्तत की काव्यगत
वििेषताओं का पररिय कराइए।
उत्तर:
इस पंष्तत में कवि ने एक सिवथा नए घरे लू बबम्ब द्िारा उषाकाल न आकाि का िणवन ककया है ।
सामान्य घरों में आज भी मसाला िटनी आहद पीसने के मलए मसल का प्रयोग होता है । पीसने के
पश्िात ् मसल को धो हदया जाता है । ककन्तु प्रनतः के आकाि के गहरे नीले रं ग में उसकी लामलमा
नछटकी हुई है । कवि ने आकाि को काल मसल और लामलमा को लाल केसर ममचश्रत जल माना है ।
ष्जससे मसल को धोया गया है । इसके अनतररतत भाषा की सरलता और लाक्षणणकता तथा उत्प्रेक्षा
अलंकार का प्रयोग भी इस पंष्तत की वििेषता है ।
प्रश्न 4. “स्लेट पर या लाल खडड़या मल द हो ककसी ने इस पंष्तत द्िारा कवि ने प्रात:काल के ककस
दृश्य को बबम्ब साकार ककया है ? स्पष्ट कीष्जए।
उत्तर:
इस पंष्तत द्िारा कवि ने भोर के नीले-काले आकाि में छाई हुई उषा की लामलमा के दृश्य को एक
बबलकुल नए विम्ब द्िारा हमारे मने पर साकार ककया है ।
आकाि काला है और स्लेट भी काल है । आकाि में उषा की लामलमा छाई हुई है और काल स्लेट पर
लाल खडड़या या िाक मल हदया गया है । इस प्रकार कवि ने भोर के आकाि के मलए इस नए उपमान
की सष्ृ ष्ट की है । उपमेय और उपमान की समानता से हमें कवि द्िारा दे खे गए भोर के दृश्य की
प्रत्यक्ष जैसी अनभ
ु नू त होती है ।
प्रश्न 5. नीले जल में णझलममलाती गौरिणव दे ह’ का प्रयोग ककस दृश्य के मलए ककया है ?
उत्तर:
इस विम्ब में नीला जल नीले आकाि का प्रतीक है । आकाि में सूयोदय से पि
ू व का पीला प्रकाि गौरिणव
दे ह द्िारा व्यतत ककया गया है । नीले जल में स्नान करती गौरिणव सुन्दर का णझलममलाता िर र
बताकर इस विम्ब द्िारा सूयोदय पूिव के आकािीय दृश्य को प्रस्तुत कर रहा है ।

पाि-8 कववतावली (तुलसीदास)


42
तनम्नभलणखत काव्यािंशों को ध्यानपव
ू षक पिकर नीचे हदए प्रश्नों के उत्तर दीक्जए-

1. ककसबी, ककसान-कुल, बननक, मभखार ,भाट,


िाकर, िपल नट, िोर, िार, िेटकी।
पेटको पढ़त, गुन गुढ़त, िढ़त चगर ,
अटत गहन-गन अहन अखेटकी।।
ऊूँिे-नीिे करम, धरम-अधरम करर,
पेट ह की पित, बेित बेटा-बेटकी।।
‘तुलसी ‘ बुझाई एक राम घनस्याम ह तें ,
आग बड़िाचगतें बड़ी हैं आग पेटकी।।
प्रश्न 01 कवितािल की भाषा है –
(अ) अिधी
(ब) ब्रजभाषा
(स) राजस्थानी
(द) उडड़या
* ब्रजभाषा
प्रश्न 02 तुलसीदास ककस काल के कवि थे –
(अ) भष्ततकाल
(ब) र नतकाल
(स) आधुननक काल
(द)आहदकाल
*(अ) भष्ततकाल

प्रश्न 0 3 बननक िब्द का अथव है –


(अ) व्यापार
(ब) ककसान
(स) िोर
(द) हाथी
*(अ) व्यापार
प्रश्न 0 4 घनश्याम ककसे कहा गया है
(अ) श्री राम
(ब) कृष्ण
(स) तुलसीदास
(द) रह म
*(अ) श्री राम
43
प्रश्न 0 5 चगर िब्द का पयावय तया है
(अ) पहाड़
(ब) पौधे
(स) िन
(द) नद
*(अ) पहाड़

पहित पदयािंश 2
खेती न ककसान को, मभखार को न भीख, बमल,
बननक को बननज, न िाकर को िाकर
जीविका बबह न लोग सीद्यमान सोि बस,
कहैं एक एकन सों ‘ कहाूँ जाई, का कर ?’
बेदहूूँ पुरान कह , लोकहूूँ बबलोककअत,
साूँकरे स सबैं पै, राम ! रािरें कृपा कर ।
दाररद-दसानन दबाई दन
ु ी, द नबंधु !
दरु रत-दहन दे णख तुलसी हहा कर ।

प्रश्न 0 1 बमल िब्द का अथव है –


(अ) जीिन
(ब) दान
(स) भोजन
(द) बमलदान
*(ब) दान

प्रश्न 0 2 प्रस्तत
ु पद में ककस ष्स्थनत का चित्रण है
(अ) अन्याय का
(ब) विलामसता का
(स) समाज की बेरोजगार एिं अकाल
(द) भष्तत का
*(स) समाज की बेरोजगार एिं अकाल
प्रश्न 0 3 प्रस्तुत पद में ककस अलंकार की छटा है
(अ) अनुप्रास अलंकार
(ब) यमक अलंकार
(स) रूपक अलंकार
(द) उपमा अलंकार
44
*(अ) अनप्र
ु ास अलंकार
प्रश्न 0 4 सांकरे िब्द का अथव है
(अ) संकरा
(ब) संकट के समय
(स) दब
ु ला
(द) जीिन
*(ब) संकट के समय

प्रश्न 0 5 दाररद दसानन में कौन सा अलंकार है –


(अ) रूपक अलंकार
(ब) उपमा अलंकार
(स) अनुप्रास अलंकार
(द) यमक अलंकार
*(अ) रूपक अलंकार
लघुत्तरीय प्रश्न

1. कववतावली में उदृत ्िं दों के आधार पर स्पष्ट करें क्रक तल


ु सीदास को अपने यग
ु की आगथषक
ववषमता की अर्च्ी समझ ै।
उत्तर:- कवितािल में उद्दृत छं दों से यह ज्ञात होता है कक तल
ु सीदास को अपने यग
ु की आचथवक
विषमता की अच्छी समझ है । उन्होंने समकाल न समाज का यथाथवपरक चित्रण ककया है । उन्होंने
दे खा कक उनके समय में बेरोजगार की समस्या से मजदरू , ककसान, नौकर, मभखार आहद सभी
परे िान थे। गर बी के कारण लोग अपनी संतानों तक को बेि रहे थे। सभी ओर भख
ू मर और
विििता थी।
2. पेट िरने के भलए लोग तया तया अनैततक कायष करते ैं ?
उत्तर:- पेट भरने के मलए लोग धमव-अधमव ि ऊंिे-नीिे सभी प्रकार के कायव करते है | विििता के
कारण िे अपनी संतानों को भी बेि दे ते हैं ।
3. कवव के अनुसार, पेट की आग कौन बुझा सकता ै? य आग कैसे ै?
उत्तर:- कवि के अनुसार, पेट की आग को रामरूपी घनश्याम ह बुझा सकते हैं। यह आग समुद्र की
आग से भी भयंकर है ।
4. तुलसीदास ने दररद्रता की तुलना क्रकससे की ै तथा तयों?
उत्तर:- तुलसीदास ने दररद्रता की तुलना रािण से की है । दररद्रतारूपी रािण ने पूर दनु नया को
दबोि मलया है तथा इसके कारण पाप बढ़ गया है

5. उन कमों का उल्लेख कीक्जए क्जन् ें लोग पेट की आग बझ


ु ाने के भलए करते ैं?

45
उत्तर:- कुछ लोग पेट की आग बझ
ु ाने के मलए पढ़ते हैं तो कुछ अनेक तरह की कलाएूँ सीखते हैं।
कोई पिवत पर िढ़ता है तो कोई घने जंगल में मिकार के पीछे भागता है । इस तरह िे अनेक छोटे -बड़े
काम करते हैं।

लक्ष्मि मूर्च्ाष और राम का ववलाप (तुलसीदास)


तनम्नभलणखत काव्यािंशों को ध्यानपव
ू षक पिकर नीचे हदए प्रश्नों के उत्तर दीक्जए-

सत
ु बबत नारर भिन पररिारा। होहहं जाहहं जग बारह बारा।।
अस बबिारर ष्जय जागहु ताता। ममलइ न जगत सहोदर भ्राता।।
जथा पंख बबनु खग अनत द ना। मनन बबनु फनन कररबर कर ह ना।।
अस मम ष्जिन बंधु बबनु तोह । जों जड़ दै ि ष्जआिे मोह ।।
जैहउूँ अिध किन मुहुूँ लाई। नारर हे तु वप्रय भाड़ गिाई।।
बरु अपजस सहतेउूँ जग माह ं। नारर हानन बुसेष छनत नह ं।।

प्रश्न 1. प्रस्तुत पद्यांि में कौन सी भाषा का प्रयोग हुआ है ?

(1) अिधी

(2) बज्र

(3) बुन्दे ल

(4) मेिाती

उत्तर :- अिधी

प्रश्न 2. सुत बबत नारर भिन पररिारा। होहहं जाहहं जग बारह बारा।। पंष्तत में बबत िब्द का अथव है ?

(1) धन

(2) गाय

(3) पुत्र

(4) पत्नी

उत्तर :- धन

प्रश्न 3. प्रस्तुत पद्यांि के रचियता है -

(1) तुलसीदास

(2) सूरदास

(3) मीरा बाई

46
(4) हररदास

उत्तर :- तुलसीदस

प्रश्न 4. साूँप का जीिन ककसके बबना द नह न है ?

(1) मुूँह

(2) मणण

(3) दांत

(4) पैर

उत्तर :- मणण

प्रश्न 5. लक्षमण के मुष्च्छव त होने पर कौन विलाप करने लगा ?

(1) राम

(2) सीता

(3) हनुमान जी

(4) सुग्रीि

उत्तर :- राम

कथा कह सब तेहहं अमभमानी। कह प्रकार सीता हरर आनी।।


तात कवपन्ह सब ननमसिर मारे । महा महा जोधा संघारे महा।।
दम
ु ुवख सुररुपु मनुज अहार । भट अनतकाय अकंपन भार ।।
अपर महोदर आहदक बीरा। परे समर महह सब रनधीरा।।
दो ा
सुनन दसकंधर बिन तब]कंु भकरन बबलखान।।
जगदबा हरर अनन अब]सठ िाहत कल्यान।।

प्रश्न 1. प्रस्तत
ु पद्यांि में रािण की सेना के कौन-कौनसे िीर मारे गए?

(1) दे िित्रु

(2) नरान्तक

(3) महोदर

(4) उपरोतत सभी

उत्तर - उपरोतत सभी


47
प्रश्न 2. सीता का अपहरण ककसने ककया?

(1) दे िित्रू

(2) रािण

(3) मेघनाथ

(4) विभीषण

उत्तर - रािण

प्रश्न 3. रािण के सभी महान योद्धाओ को ककसने मारा?

(1) हनुमान जी

(2) राम

(3) लक्षमण

(4) कुम्भकरण

उत्तर - हनुमान जी

प्रश्न 4. सुनन दसकंधर बिन तब]कंु भकरन बबलखान।। पंष्तत में दसकंधर िब्द ककसके मलए प्रयुतत
हुआ है ?

(1) रािण

(2) मेघनाथ

(3) कुम्भकरण

(4) सुपणवखा

उत्तर :- रािण

प्रश्न 5. प्रस्तुत पद्यांि में जगदम्बा िब्द ककसके मलए प्रयत


ु त हुआ है?

(1) लक्ष्मी

(2) सीता

(3) मंदोदर

(4) सप
ु णवखा

उत्तर - सीता

लघुत्तरीय प्रश्न

48
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(1) हनुमान जी ने भरत से तया कहा ?

उत्तर हनम
ु ान जी भरत से कहा कक हे नाथ! मैं आपके प्रताप को मन में धारणकर तरु ं त जाऊंगा |

(2) राम को लक्ष्मण के बबना अपना जीिन कैसा लगता है ?

उत्तर - राम को लक्ष्मण के बबना अपना जीिन उतना ह ह न लगता है , ष्जतना पंख के बबना पक्षी,
मणण के साूँप तथा संड
ु के बबना हाथी का जीिन ह न होता है |

(3) लक्ष्मण के ठीक होने का समािार सन


ु कर रािन कहा गया तथा तया ककया ?

उत्तर - रािण कुम्भकरण के पास गया तथा कुम्भकरण को अनेक तर को से नींद से जगाया |

(4) रािण की बातों पर कुम्भकरण ने तया प्रनतकक्या जताई ?

उत्तर - रािण की बात सन


ु कर कुम्भकरण बबलखने लगा | उसने कहा, कक हे मुखव, जगत –जननी का
हरण करके तू कल्याण की बात सोिता है? अब तेरा भला नह हो सकता |

(5) िोकग्रस्त माहौल में हनम


ु ान जी के अितरण को करुणरस के बीि िीररस का आविभावि तयों कहा
गया है ?

उत्तर :- हनुमानजी लक्ष्मण के इलाज के मलए संजीिनी बूट लाने हहमायल पिवत गए थे| उन्हें आने एसा
दे र हो रह थी| इधर राम बहुत व्याकुल हो रहे थे | उनके विलाप से िानर सेना में िोक की लहर थी|
इसी बीि हनुमान जी संजीिनी बट ू लेकर आ गए| िैद्य ने तुरंत संजीिनी बट ू से दिा तैयार करके
लक्ष्मण को वपलाई तथा लक्ष्मण ठीक हो गया| लक्षमण के उठने से राम का िोक समाप्त हो गया |
लक्ष्मण स्ियं उत्साहहत िीर थे | उनके आ जाने से सेना को खोया मनोबल िावपस आ गया | इस तरह
हनुमान जी द्िारा पिवत उठा कर लाने से िोक ग्रस्त माहौल में िीररस का आविभावि हो गया |

पाि-9 रुबाइयााँ, गज़ल (क्रफ़राक गोरखपुरी)


तनम्नभलणखत काव्यािंशों को ध्यानपव
ू षक पिकर नीचे हदए प्रश्नों के उत्तर दीक्जए-

पहठत पद्यांि संख्या -1

द िाल की िाम घर पत
ु े और सजे

िीनी के णखलौने जगमगाते लािे

िो रूपिती मुखड़े पै इक नमव दमक

बच्िे के घरौंदे में जलाती है हदए

आंगन में ठुनक रहा है ष्जदयाया है

49
बालक तो हई िांद पै ललिाया है

दपवण उसे दे के कह रह है मां

दे ख आईने में िांद उतर आया है

तनम्नभलणखत में से तनदे शानुसार ववकल्पों का चयन कीक्जए-

प्रश्न- 1 द िाल के हदन घर की साज-सज्जा कैसी होती है ?

i.अस्त व्यस्त
ii.साफ सुंदर पुते हुए घर
iii.बच्िों के णखलौने घरों में फैले हुए
iv.अस्िच्छ

प्रश्न-2 द िाल के हदन माता बच्िों को तया लाकर दे ती है ?

i.कपड़े
ii.ममठाई
iii.िीनी ममट्ट के णखलौने
iv.िीनी के णखलौने

प्रश्न- 3 हदए जलाते समय बच्िे के मलए माता के िेहरे पर कैसा भाि आता है ?

i.कोमलता का
ii.मिचथलता का
iii.स्तब्धता का
iv.असमंजसता का

प्रश्न- 4 द िाल का उत्सि ककसका प्रतीक माना जाता है ?

i.द पक जलाने का
ii.घर की साज-सज्जा का
iii.घर की साफ सफाई का
iv.उपयवत
ु त सभी

प्रश्न- 5 बच्िे के घरौंदे में द पक कौन जलाता है ?

i.रूपिती सखी
ii.ममत्र
iii.माता
iv.सहयोगी

उत्तर – 1-साफ सुंदर पुते हुए घर, 2- िीनी के णखलौने, 3- कोमलता का ,4- उपयुवतत सभी,

5- माता

पहठत पद्यांि संख्या -2

50
नौरस गुंिे पंखुडड़यों की नाजुक चगरहें खोले हैं

या उड़ जाने को रं गो – बू गुलिन में पर तोले हैं

तारे आंखें झपकािें हैं जराव- जराव सोए हैं

तम
ु भी सन
ु ो हो यारो ! िब में सन्नाटे कुछ बोले हैं

तनम्नभलणखत में से तनदे शानुसार ववकल्पों का चयन कीक्जए-

प्रश्न- 1 प्रथम दो पंष्ततयों में कवि ने ककसके सौंदयव का सुंदर िणवन ककया है ?

i.नानयका का
ii.प्रकृनत का
iii.आकाि का
iv.बगीिे का

प्रश्न- 2 िसंत ऋतु के आगमन से निीन कमलयों में ककस तरह का पररितवन हदखाई पड़ता है ?

i.कमलयां निीन रस से युतत हैं


ii.कमलयां मरु झाई हुई है
iii.कमलयां खुिबू विह न है
iv.कमलयां कठोर है

प्रश्न- 3 कमलयां पल्लवित होकर ककस प्रकार के पररितवन से ओतप्रोत हो जाना िाहतीं हैं?

i.कमलयां िातािरण में उड़ना िाहती हैं


ii.मौसम की मार से डर जाती हैं
iii.खुिबू को िातािरण में फैलाना िाहती हैं
iv.अपनी पंखुडड़यों को समेटना िाहती हैं

प्रश्न- 4 रात में ककसके बोलने की बात की जा रह है ?

i.तारों के बोलने की
ii.लोगों के बोलने की
iii.सन्नाटा के बोलने की
iv.दे िदत
ू ों के बोलने की

प्रश्न- 5 िायर अपनी भािामभव्यष्तत के माध्यम से ककसे संबोचधत कर रहा है ?

i.तारों को
ii.सन्नाटा को
iii.ममत्रों को
iv.रात को

उत्तर-1- प्रकृनत का, 2- कमलयां निीन रस से युतत हैं, 3- खुिबू को िातािरण में फैलाना िाहती हैं,

51
4- सन्नाटा के बोलने की ,5- ममत्रों को

लघुत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बच्िा कब प्रसन्नता का अनुभि महसूस करता है ?
उत्तर:
जब माूँ अपने बच्िे को उछाल-उछाल कर प्यार करती है तो बच्िे की हूँसी सबसे ज्यादा गूूँजती है ।
बच्िा खलु े िातािरण में बहुत खि
ु ी महसस
ू करता है । जब िह ऊपर की ओर बार-बार उछलता है तो
िह रोमांचित हो उठता है ।
प्रश्न-2 कवि ने ‘िाूँद का टुकड़ा’ ककसे कहा है और तयों?
उत्तर- कवि ने िाूँद का टुकड़ा माूँ की गोद में खेल रहे बच्िे को कहा है तयोंकक िह िाूँद के समान ह
संद
ु र है ।
प्रश्न-3 कवि तथा ककस्मत तया कायव करते हैं?
उत्तर- कवि अपनी दयनीय दिा के मलए भाग्य को दोषी ठहराता है तथा ककस्मत उसकी अकमवण्यता को
दे खकर झल्लाती है । दोनों एक-दस
ू रे को ष्जम्मेदार ठहराते हैं।

प्रश्न-4 ननन्दक ककन्हें कहते हैं? िे ककसे बदनाम करना िाहते हैं?
उत्तर- ननंदक िे लोग होते हैं जो अकारण दस
ू रों की कममयों को बबना सोिे-समझे दस
ू रों के समक्ष प्रस्तुत
कर दे ते हैं। ऐसे लोग कवि को बदनाम करना िाहते हैं।
प्रश्न-5 बच्िे को लेकर माूँ के ककन कक्याकलापों का चित्रण ककया गया हैं? उनसे उसके ककस भाि की
अमभव्यष्तत हो रह है ?

उत्तर - बच्िे को लेकर माूँ आूँगन में खड़ी है । िह हूँसाने के मलए बच्िे को हिा में झुला रह है , लोका दे
रह है । इन कक्याओं से प्रेम और िात्सल्य के साथ ह उसकी ममता की अमभव्यष्तत हो रह है ।

गदय िाग
पाि-11 िक्ततन (म ादे वी वमाष)

प्रश्न 1 हदए गए गदयािंश को ध्यानपूवषक पहिए

वपता का उस पर अगाध प्रेम होने के कारण स्िभाित: ईष्यावलु और संपवत्त की रक्षा में सतकव विमाता ने उनके
मरणांतक रोग का समािार तब भेजा जब िह मत्ृ यु की सूिना भी बन िुका था । रोने पीटने के अपिकुन से
बिने के मलए सास ने भी उसे कुछ ना बताया। बहुत हदन से नैहर नह ं गई, सो जा कर दे ख आिे, यह कहकर
और पहना -उढ़ाकर सास ने उसे विदा कर हदया। इस अप्रत्यामित अनुग्रह ने उसके पैरों में जो पंख लगा हदए थे,
िह गांि की सीमा में पहुंिते ह झड़ गए।'हाय लक्षममन अब आई'की अस्पष्ट पुनरािनृ तयां और स्पष्ट सहानुभूनत
पूणव दृष्ष्टयां उसे घर तक ठे ल ले गई। पर िहां न वपता का चिन्ह िेष था, न माता के व्यिहार में मिष्टािार का
52
लेि था। दख
ु से मिचथल और अपमान से जलती हुई िह उस घर में पानी भी बबना वपए उलटें पैरों ससरु ाल लौट
पड़ी। सास को खर -खोट सन
ु ाकर उसने विमाता पर आया हुआ क्ोध िांत ककया और पनत के ऊपर गहने फेंक
फेंक कर उसने वपता के चिर बबछोह की ममव व्यथा व्यतत की।

तनम्नभलणखत में से तनदे शानुसार ववकल्पों का चयन कीक्जए:-


(i) विमाता से तया आिय है ?
क-सौतेल मां
ख-दयालु मां
ग-मौसी
ग-बड़ी मां
उत्तर क-सौतेल मां ।
(ii) भष्ततन की विमाता ने भष्ततन को उसके वपता के बारे में समािार कब भेजा?
क-भष्ततन के वपता के बीमार होने के तरु ं त बाद
ख-जब भष्ततन के वपता की मत्ृ यु कर ब थी
ग- भष्ततन के वपता के बारे में कोई संदेि नह ं भेजा
घ-भष्ततन के वपता की मत्ृ यु के बाद
उत्तर घ- भष्ततन के वपता की मत्ृ यु के बाद।
(iii) भष्ततन की सास ने भी भष्ततन को उसके वपता की मत्ृ यु के बारे में तयों कुछ नह ं बताया?
क-तयोंकक भष्ततन के सास को भी कुछ नह ं पता था।
ख-तयोंकक भष्ततन की सास भष्ततन को कभी दख
ु ी नह ं िाहती थी।
ग-तयोंकक भष्ततन की सास ने रोने -पीटने के अपिकुन से बिने के मलए उसे कुछ नह ं बताया।
घ-तयोंकक भष्ततन की ससरु ाल िालों ने भष्ततन की सास को मना कर हदया था।
उत्तर ग - तयोंकक रोने पीटने के अपिकुन से बिने के मलए भष्ततन की सास ने कुछ नह ं बताया।
(iv) भष्तत इनको दे ख कर 'हाय लछममन अब आई' ककसने कहा?
क-भष्ततन की विमाता ने।
ख-भष्ततन के िािा ने।
ग-गांि के लोगों ने।
घ-भष्ततन की सहे ल ने।
उत्तर ग-गांि के लोगों ने।
(v) भष्तत ने अपने नैहर से पानी भी बबना वपए उलटे पैर ससुराल को तयों लौट पड़ी?
क-भष्ततन को ससुराल में अचधक सुख ममलता था।
ख-भष्ततन अपनी अपनी विमाता ईष्याव करती थी।
ग-वपता की मत्ृ यु से अत्यंत दख
ु ी और विमाता के व्यिहार से अपमाननत होने के कारण।
घ-तयोंकक भष्ततन की सास ने भष्ततन को नैहर में रुकने से मना ककया था।
उत्तर गवपता- की मत्ृ यु से अत्यंत दख
ु ी और विमाता के व्यिहार से अपमाननत होने के कारण।

53
प्रश्न २ तनम्नभलणखत गदयािंश को ध्यान से पिें ।
सेिक धमव में हनुमान जी से स्पधाव करने िाल भष्ततन ककसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या
गोपामलका की कन्या है -नाम है लछममन अथावत लक्ष्मी। पर जैसे मेरे नाम की वििालता मेरे मलए दि
ु वह है िैसे ह
लक्ष्मी की समद्
ृ चध भष्ततन के कपाल की कंु चित रे खाओं में नह ं बंध सकी। िैसे तो जीिन में प्रायः सभी को
अपने अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना पड़ता है ; पर भष्ततन बहुत समझदार है , तयोंकक िह अपना
समद्
ृ चध सि
ू क नाम ककसी को बताती नह ं । केिल जब नौकर की खोज में आई थी, तब ईमानदार का पररिय
दे ने के मलए उसने िेष इनतित
ृ के साथ यह भी बता हदया; पर इस प्राथवना के साथ कक मैं कभी नाम का उपयोग न
करूं ।उपनाम रखने की प्रनतभा होती तो मैं सबसे पहले उसका उपयोगअपने ऊपर करती, इस तथ्य को िह
दे हानतन तया जाने , इसी से जब मैंने कंठी माला दे खकर उसका नया नामकरण ककया तब िह भष्ततन जैसे
कवित्िह न नाम को पाकर भी गदगद होती उठी।

तनम्नभलणखत में से तनदे शानुसार ववकल्पों का चयन कीक्जए:-


i) सेिा धमव में भष्तत ककस की तरह समवपवत भाि से सेिारत थी?
क-गणेि जी
ख-लक्ष्मण जी
ग-भरत जी
ग-हनुमान जी
उत्तर: ग-हनम
ु ान जी
ii) भष्ततन कन्या थीं?
क-एक अज्ञात नाम िाल गोपामलका की
ख-एक बबना नाम िाल गानयका की
ग-एक अज्ञात मिक्षक्षका की
घ-एक पररश्रमी सेविका की
उत्तर : क-एक अज्ञात नाम िाल गोपामलका की

iii) भष्ततन का मूल नाम तया है ?


क-पुरणखन
ख-लछममन
ग-भष्ततन
घ-मामलन
उत्तर ख-लछममन

iv) भष्ततन कैसी है ?


54
क-िांत
ख-हठी ष्जद्द
ग-समझदार
घ-अवििेकी
उत्तर :ग-समझदार

v) जीिन में प्रायः सभी को ककसके साथ जीना पड़ता है ?


क-बबना कोई कायव ककए
ख-बहुत सुख पूिवक
ग-बेपरिाह होकर
घ-अपने अपने नाम के विरोधाभास के साथ
उत्तर: घ-अपने अपने नाम के विरोधाभास के साथ

लघु उत्तरीय प्रश्न

i) भष्ततन का नामकरण ककसने ककया और तयों?

उत्तर : भष्ततन का नामकरण लेणखका ने उसके िेिभूषा ि गले में कंठी माला को दे खते हुए ककया तयोंकक
भष्ततन गर ब थी और लक्ष्मी नाम उसकी ष्स्थनत के अनुरूप नह ं था इसमलए उसने लेणखका से अपने िास्तविक
नाम से न बुलाने की प्राथवना की। इसमलए लेणखका को उसका उपनाम रखना पड़।

ii) भष्ततन का पनत उससे प्रेम तयों करता था?

उत्तर: भष्ततन का पनत भष्तत से इसमलए प्रेम करता था तयोंकक भष्ततन बात की पतकी, पररश्रमी , तेजष्स्िनी ि
कमवठ थी। ष्जसे िह अलग होने के बाद अपने घर गह
ृ स्थी को विचधित संभाल कर साबबत कर हदया था।

iii) भष्ततन की सास भष्तत इनके साथ भेदभाि पूणव बुरा व्यिहार तयों करती थी?

उत्तर: भष्ततन की सास भष्तत के साथ इसमलए भेदभाि पूणव िह बुरा व्यिहार करती थी तयोंकक भष्ततन ने एक
के बाद एक तीन कन्याओं को जन्म हदया। जबकक उसकी सास को तीन कमाऊ बेटे थे। भष्ततन के ससरु ाल में
पररिार में लड़कों का अचधक महत्ि था । जो आज भी समाज में लड़के- लड़ककयों में भेद ककए जाने को दिावता
है ।

iv) भष्ततन के मन में जेल जलने िालों के प्रनत तया भाि थे?

उत्तर: भष्ततन के मन में जेल जाने िालों के प्रनत सहानुभनू त के ि आदर के भाि थे। िह अपनी व्यथा अपने
िब्दों में कक विद्याचथवयों को इतनी कम उम्र में जेल भेजना बहुत ह अत्यािार ि अन्याय पूणव है और इस
अन्याय से प्रलय हो जाएगा कहकर व्यतत करती थी।

v) भष्ततन के आ जाने से लेणखका महादे िी िमाव अचधक दे हाती कैसे हो गई?

55
उत्तर-भष्ततन के आ जाने से महादे िी िमाव का खाना पहनना दे हाती िैल में ढल गया । भष्ततन जो कुछ बनाती
थी लेणखका को िैसा ह खाना पड़ा। रात को उसे मकई के दमलया के साथ मट्ठा पीना पड़ा। बाजरे की नतललिाले
पुए खाने पड़े। ज्िार के भुने भुट्टे से बनी णखिड़ी खानी पड़ी। महुए की लपसी का आनंद लेना पड़ा। इन सब
िीजों को सामान्यता दे हाती लोग खाते हैं ष्जससे साबबत होता है लेणखका महादे िी अचधक दे हाती हो गई।

पाि-12 बाज़ार दशषन (जैनेन्द्र कुमार)

प्रश्न 1.तनम्नभलणखत पहित गदयािंश को पिकर पू्े गए प्रश्नों के उत्तर दीक्जए -:

1. पर उस जादू की जकड़ से बिने का एक सीधासा उपाय है । िह यह कक बाजार जाओ तो मन खाल न हो। -


मन खाल हो, तब बाजार न जाओ। कहते हैं लू में जाना हो तो पानी पीकर जाना िाहहए। पानी भीतर हो,
लक
ू ा लप
ू न व्यथव हो जाता है । मन लक्ष्य में भरा हो तो बाजार भी फैलाफैला ह रह जाएगा। तब िह -का-
घाि बबलकुल नह ं दे सकेगा, बष्ल्क कुछ आनंद ह दे गा। तब बाजार तम
ु से कृताथव होगा, तयोंकक तम

कुछकुछ सच्िा लाभ उसे दोगे। बाजार की असल कृतार्-न-थता है आिश्यकता के समय काम आना।

1.बाजार के जादू की पकड़ से बचने का सीधासा उपाय तया -ैं ?

(क) बाजार जाओ तो मन खाल न हो।


(ख) बाजार प्रनतहदन जाओ।
(ग) बाजार जाना ह नह ं िहहए।
(घ) जब मन हो बाज़ार जाओ।

उत्तर- क

2. मनुष्य को बाजार कब न ीिं जाना चाह ए ?

)क( जब मन भरा हो ।

)ख( जब मन खाल हो।

)ग( जब पैसा हो

)घ( उपरोतत सभी

उत्तर ख -:

3.बाजार की साथषकता क्रकसमें ै ?


56
(क) बाजार की साथवकता लोगों की आिश्यकता परू करने में है ।
(ख)बाजार में अचधक सामान न ममले।
(ग) बाजार घूमने में आनंद आए।
(घ) इनमें से कोई नह ं।

उत्तर- क

4 .बाजार से कब आनिंद भमलता ैं?

)क( जब ग्राहक के मन में अपनी खर द का लक्ष्य ननष्श्ित होता है । िह भटकता नह ं।

)ख( जब उसका मन खाल हो।

)ग( जब उसे घूमने को ममले ।

)घ( जब कोई सामान न खर दना हो।

उत्तर क-

5 .बाज़ार की असली कृताथषता कब ै ?

)क( आिश्यकता के समय काम आना।

)ख( आिश्यकता के समय काम न आना।

)ग( सह सामान न ममले।

)घ( जब बाज़ार खूब सजी हो।

उत्तर क-

प्रश्न .2 तनम्नभलणखत पहित गदयािंश को पिकर पू्े गए प्रश्नों के उत्तर दीक्जए-:


हाूँ मुझे ज्ञात होता है कक बाजार को साथवकता भी िह मनुष्य दे ता है जो जानता है कक िह तया िाहता है । और जो
नह ं जानते कक िे तया िाहते हैं, अपनी ‘पिेष्जंग पािर’ के गिव में अपने पैसे से केिल एक विनािक िष्तत-
िैतानी िष्तत, व्यंग्य की िष्ततह बाजार को दे ते हैं। न तो िे बाजार से लाभ उठा सकते हैं न उस बाजार को -
सच्िा लाभ दे सकते हैं। िे लोग बाजार का बाजारूपन बढ़ाते हैं। ष्जसका मतलब है कक कपट बढ़ाते हैं। कपट की

57
बढ़ती का अथव परस्पर में सद्भाि की घट ।

1 .बाज़ार को साथषकता कौन दे ते ै ?

(क) जो कुछ नह ं जानते उन्हें तया िाहहए।


(ख) जो जानता है कक िह तया िाहता है ।
(ग) ष्जनमें पिेष्जंग पािर होती है ।
(घ) उपरोतत सभी।

उत्तर- ख

2 .‘पचेक्जिंग पावर’ का तया अथष ै ?

)क( बेंिने की िष्तत

)ख( खर दने की िष्तत

)ग( अचधक िष्ततिाल होना ।

)घ( बाज़ार का ज्ञान ।

उत्तर ख -

3 .कौन लोग बाजार का बाजारूपन बिाते ?


ैं

)क( ष्जनको बाज़ार का ज्ञान नह ं होता।

)ख( ष्जनके पास पिेष्जंग पािर होती है ।

)ग( जो िष्ततिान हैं।

) घ( जो अचधक बाज़ार भ्रमण करते हैं।

उत्तर ख -

4 .कपट की बिती का अथष ै- :

)क( साथवकता

58
)ख( बाज़ारूपन।

)ग(परस्पर में सद्भाि की घट ।

)घ( इनमें से कोई नह ं।

उत्तर ग-

5 . "साथषकता" शब्द में प्रत्यय ै- :

)क( कता

)ख( ता

) ग( आ

) घ( सा

उत्तर ख -

लघउ
ु त्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1:बाजार का जादू िढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर तयातया असर पड़ता हैं-?
उत्तर –संकेत -:जब बाज़ार का जादू िढ़ता है तो व्यष्तत कफजल
ू की खर ददार करता है----

प्रश्न 2:बाजार में भगत जी के व्यष्ततत्ि का कौन सा सितत पहल-ू उभरकर आता हैं? तया आपकी
नजर में उनका आिरण समाज में िांनतस्थावपत करने में मददगार हो सकता हैं-?
उत्तर – संकेत -:बाजार में भगत जी के व्यष्ततत्ि का यह सितत पहलू उभरकर आता है कक उनका
अपने मन पर पूणव ननयंत्रण है ।

प्रश्न.3‘ बाजार दिवन’ पाठ के आभार पर बताइए कक पैसे की पािर का रस ष्जन दो रूपेँ में प्राप्त ककया
जाता हैं?
उत्तर –संकेत -:मकान, संपवत्त, कोठी, कार, सामान आहद दे खकर।

प्रश्न 4:‘बाजारूपन’ से तया तात्पयव है ? ककस प्रकार के व्यष्तत बाज़ार को साथवकता प्रदान करते है
अथिा बाज़ार की साथवकता ककसमे है ?
उत्तर – बाज़ारूपन से तात्पयव है कक बाजार की िकािौंध में खो जाना। केिल बाजार पर ह ननभवर
रहना।
59
प्रश्न 5.बाज़ार ककसी का मलंग ,जानत ,धमव या क्षेत्र नह ं हदखाया ? िह दे खता है मसफ़व उसकी क्य -
िष्तत को। इस रूप में िह एक प्रकार से सामाष्जक समता की भी रिना कर रहा है। आप इससे कहाूँ
तक सहमत है ?
उत्तर – यह बात बबलकुल सह है कक बाजार ककसी का मलंग, जानत, धमव या क्षेत्र नह ं दे खता। िह मसफव
ग्राहक की क्य िष्तत को दे खता है ।-

पाि-13 काले मेघा पानी दे (धमषवीर िारती)

गद्यांि :1

"पानी की आिा पर जैसे सारा जीिन आकर हटक गया हो। बस एक बात मेरे समझ में नह ं आती थी
कक जब िारों ओर पानी की इतनी कमी है तो लोग घर में इतनी कहठनाई से इकट्ठा करके रखा हुआ
पानी बाल्ट भर-भरकर इन पर तयों फेंकते हैं। कैसी ननमवम बरबाद है पानी की। दे ि की ककतनी क्षनत
होती है इस तरह के अंधविश्िासों से। कौन कहता है इन्हें इंद्र की सेना? अगर इंद्र महाराज से ये पानी
हदलिा सकते हैं तो खुद अपने मलए पानी तयों नह ं माूँग लेते? तयों मुहल्ले भर का पानी नष्ट करिाते
घूमते हैं? नह ं यह सब पाखंड है । अंधविश्िास है । ऐसे ह अंधविश्िासों के कारण हम अंग्रेजों से वपछड़
गए और गुलाम बन गए।"

1. इस गद्यांि में ककस ऋतु का िणवन ककया गया है ?


(अ) िषाव ऋत,ु
(ब) ग्रीष्म ऋतु,
(स) िीत ऋत,ु
(द) उपयुवतत में से कोई नह ं।
2. लेखक को कौन-सी बात समझ में नह ं आती ?
(अ) लोग पानी की बरबाद तयों करते हैं,
(ब) में ढक मंडल पर पानी तयों फेंकते हैं,
(स) अंधविश्िासी तयों हो रहे हैं,
(द) उपयुवतत सभी।
3. सारा जीिन ककस पर आकर हटक गया है ?
(अ) पानी पर,
(ब) अंधविश्िास पर,
(स) ग्रीष्म ऋतु पर,
(द) लेखक के वििारों पर ।
4. लेखक ने इंद्र सेना अथिा में ढक मंडल पर पानी फेंकने को तया कहा है ?
(अ) अंधविश्िास,
(ब) पाखंड,

60
(स) पानी की बरबाद ,
(द) उपयुवतत सभी।
5. गद्यांि के माध्यम से लेखक तया संदेि दे ना िाहते हैं ?
(अ) पाखंड विखंडन,
(ब) अंधविश्िासों से मुष्तत,
(स) पानी की ननमवम बरबाद को रोकना,
(द) उपयुवतत सभी।
(उत्तर : 1 ब, 2 द, 3 अ, 4 द, 5 द)

गद्यांि : 2
"सिमि
ु ऐसे हदन होते जब गल -मह
ु ल्ला, गाूँि-िहर हर जगह लोग गरमी में भन
ु -भन
ु कर त्राहहमाम कर
रहे होते, जेठ के दसतपा बीतकर आषाढ़ का पहला पखिारा भी बीत िुका होता, पर क्षक्षनतज पर कह ं
बादल की रे ख भी नह ं हदखती होती, कुएूँ सूखने लगते, नलों में एक तो बहुत कम पानी आता और आता
भी तो आधी रात को भी मानो खौलता हुआ पानी हो। िहरों की तुलना में गाूँि में और भी हालत
खराब होती थी। जहाूँ जुताई होनी िाहहए िहाूँ खेतों की ममट्ट सख
ू कर पत्थर हो जाती, कफर उसमें
पपड़ी पड़कर जमीन फटने लगती, लू ऐसी कक िलते-िलते आदमी आधे रास्ते में लू खाकर चगर पड़े।
ढोर-ढं गर प्यास के मारे मरने लगते लेककन बाररि का कह ं नाम ननिान नह ं , ऐसे में पूजा-पाठ कथा-
विधान सब करके लोग जब हार जाते तब अंनतम उपाय के रूप में ननकलती यह इंदर सेना। िषाव के
बादलों के स्िामी हैं इंद्र और इंद्र की सेना टोल बाूँधकर कीिड़ में लथपथ ननकलती, पुकारते हुए मेघों
को, पानी माूँगते हुए प्यासे गलों और सूखे खेतों के मलए।"
1. लोगों की परे िानी का तया कारण था ?
(अ) पानी का अभाि,
(ब) में ढक मंडल का बढ़ता दबदबा,
(स) बढ़ती गमी,
(द) बढ़ते हुए अंधविश्िास।
2. िषाव के स्िामी ककसे माना जाता है ?
(अ) िरुण,
(ब) यम,
(स) इन्द्र,
(द) कुबेर।
3. गाूँि िाले बाररि के मलए तया उपाय करते थे ?
(अ) पज
ू ा-पाठ,
(ब) कथा-विधान,
(स) उपयत
वु त दोनों,
(द) इनमें से कोई नह ं।
4. गद्यांि में प्रयत
ु त "ल"ू िब्द का मतलब है :

61
(अ) गरम हिा,
(ब) ठं डी हिा,
(स) सुगंचधत हिा,
(द) मलयाननल
5. गल -मुहल्ला, गाूँि-िहर हर जगह लोग :
(अ) परे िान थे,
(ब) प्रसन्न थे,
(स) नाराज थे,
(द) िांत थे।
(उत्तर : 1 अ, 2 स, 3 स, 4 अ, 5 अ)

लघुत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1: काले मेघा पानी दे ,संस्मरण के लेखक ने लोक – प्रिमलत विश्िासों को अंधविश्िास कहकर
उनके ननराकरण पर बल हदया है । – इस कथन की वििेिना कीष्जए ?
उत्तर – लेखक ने इस संस्मरण में लोक-प्रिमलत विश्िासों को अंधविश्िास कहा है । पाठ में इंदर सेना के
कायव को िह पाखंड मानता है । आम व्यष्तत इंदर सेना के कायव को अपने-अपने तकों से सह मानता है ,
परं तु लेखक इन्हें गलत बताता है । इंदर सेना पर पानी फेंकना पानी की क्षनत है जबकक गरमी के मौसम
में पानी की भार कमी होती है । ऐसे ह अंधविश्िासों के कारण दे ि का बौद्चधक विकास अिरुद्ध होता
है । हालाूँकक एक बार इन्ह ं अंधविश्िास की िजह से दे ि को एक बार गुलामी का दं ि भी झेलना पड़ा।

प्रश्न 2: ‘काले मेघा पानी दे ’ पाठ की ‘इंदर सेना’ युिाओं को रिनात्मक कायव करने की प्रेरणा दे सकती
हैं-तकव सहहत उत्तर द ष्जए।

उत्तर – इंदर सेना युिाओं को रिनात्मक कायव करने की प्रेरणा दे सकती है । इंदर सेना सामूहहक प्रयास
से इंद्र दे िता को प्रसन्न करके िषाव कराने के मलए कोमिि करती है । यहद युिा िगव के लोग समाज की
बरु ाइयों, कममयों के णखलाफ़ सामहू हक प्रयास करें तो दे ि का स्िरूप अलग ह होगा। िे िोषण को
समाप्त कर सकते हैं। दहे ज का विरोध करना, आरक्षण का विरोध करना, निाखोर के णखलाफ़ आिाज
उठाना-आहद कायव सामहू हक प्रयासों से ह हो सकते हैं।

प्रश्न 3: यहद आप धमविीर भारती के स्थान पर होते तो जीजी के तक सुनकर तया करते और तयों?
‘काले मेघा पानी दे ’-पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर – यहद मैं लेखक के स्थान पर होता तो जीजी का तकव सुनकर िह करता जो लेखक ने ककया,
तयोंकक तकव करने से तो जीजी िायद ह कुछ समझ पातीं, उनका हदल दख
ु ता और हमारे प्रनत उनका
सद्भाि भी घट जाता। लेखक की भाूँनत मैं भी जीजी के प्यार और सद्भाि को खोना नह ं िाहता ।
यह कारण है कक आज भी बहुत-सी बेतुकी परं पराएूँ हमारे दे ि को जकड़े हुए हैं।

62
प्रश्न 4: ‘काले मेघा पानी दे ’ पाठ के आधार पर जल और िषाव के अभाि में गाूँि की दिा का िणवन
कावष्जए।
उत्तर – गल -मोहल्ला, गाूँि-िहर हर जगह लोग गरमी से भुन-भन
ु कर त्राहहमाम-त्राहहमाम कर रहे थे।
जेठ मास भी अपना ताप फैलाकर जा िुका था और अब तो आषाढ़ के भी पंद्रह हदन बीत िुके थे। कुएूँ
सूखने लगे थे, नलों में पानी नह ं आता था। खेत की माट सूख-सूखकर पत्थर हो गई थी। पपड़ी पड़कर
अब खेतों में दरारें पड़ गई थीं। झुलसा दे ने िाल लू िलती थी। ढोर-ढं गर प्यास से मर रहे थे, पर प्यास
बुझाने के मलए पानी नह ं था। ननरुपाय से ग्रामीण पूजा-पाठ में लगे थे। अंत में इंद्र से िषाव के मलए
प्राथवना करने इंदर सेना भी ननकल पड़ी थी।

प्रश्न 5: हदन-हदन गहराते पानी के संकट से ननपटने के मलए तया आज का युिा िगव ‘काले मेघा पानी दे ’
काव इंदर सेना की तजव पर कोई सामहू हक आंदोलन प्रारं भ कर सकता हैं? अपने वििार मलणखए।
उत्तर – आज के समय पानी के गहरे संकट से ननपटने के मलए यि
ु ा िगव सामहू हक आंदोलन कर सकता
है । यि
ु ा िगव िहर ि गाूँिों में पानी की कफजल
ू खिी को रोकने के मलए प्रिार आंदोलन कर सकता है ।
गाूँिों में तालाब खद
ु िा सकता है ताकक िषाव के जल का संरक्षण ककया जा सके। यि
ु ा िक्ष
ृ ारोपण
अमभयान िला सकता है ताकक िषाव अचधक हो तथा पानी भी संरक्षक्षत रह सके। िह घर-घर में पानी के
सह उपयोग की जानकार दे सकता है ।

पाि -14 प लवान की ढोलक (फिीश्वर नाथ रे ि)ु


पहित गदयािंश- 1
तनम्नभलणखत गदयािंश को ध्यानपव
ू षक पिकर प्रश्नों के स ी ववकल्प का चयन कीक्जए|
जाड़े का हदन था| अमािस्या की रात-ठं डी और काल | मलेररया और है ज़े से पीडड़त गाूँि भयात्तव
मििु की तरह थर-थर काूँप रहा था| पुरानी और उजड़ी बाूँस-फूस की झोपडड़यों में अंधकार और सन्नाटे
का सष्म्ममलत साम्राज्य! अूँधेरा और ननस्तब्धता!
अूँधेर रात िुपिाप आूँसू बहा रह थी| ननस्तब्धता करुणा मससककयों और आहों को बलपूिवक
अपने ह्रदय में ह दबाने की िेष्टा कर रह थी| आकाि में तारे िमक रहे थे| पथ्
ृ िी पर कह ं प्रकाि का
नाम नह ं| आकाि से टूटकर यहद कोई भािुक तारा पथ्
ृ िी पर जाना भी िाहता तो उसकी ज्योनत और
िष्तत रास्ते में ह िेष हो जाती थी| अन्य तारे उसकी भािुकता अथिा असफलता पर णखलणखलाकर
हूँस पड़ते थे|
1-उतत गद्यांि में ककस तरह के मौसम की ििाव है -
(I) सदी के हदनों का (II)अमािस्या की रात का (III)ठं डी और काल रात (IV) सभी विकल्प सह है
उत्तर-IV
2-गाूँि के लोग ककस बीमार से पीडड़त थे|
(I)मलेररया और पेचिंस से (II)मलेररया और है जा से (III) है जा और पेचिंस से (IV)इनमें से
उत्तर-II
3-आकाि के तारे दस
ू रे तारों की हूँसी कब उड़ाते थे|
(I)जब कोई तारा धरती पर आना िाहता था| (II)जब कोई तारा अपनी िष्तत खो दे ता था|
63
(III)जब कोई तारा भािक
ु हो जाता था| (IV)कब कोई तारा असफल हो जाता था|
उत्तर- (I)
4-ककस बात से पता िलता है कक गाूँि िालों की आचथवक ष्स्थनत अच्छी नह ं थी|
(I)जाड़े की रात थी| (II)लोग बीमार थे|
(III)गाूँि में घास-फूस की झोपडड़यां थी| (IV)गाूँि में अूँधेरा था|
उत्तर-(III)
5-अूँधेर रात िुपिाप आूँसू तयों बहा रह है |
(I)तारे टूट रहे थे इसमलए (II)गाूँि में झोपडड़यां थी इसमलए
(III)गाूँि में है जे और मलेररया से मौतें हो रह थी| इसमलए (IV)जाड़े की रात थी इसमलए
उत्तर-(iii)
पहित गदयािंश- 2

तनम्नभलणखत गदयािंश को ध्यानपव


ू षक पिकर प्रश्नों के स ी ववकल्प का चयन कीक्जए|
लट्
ु टन के माता-वपता उसे नौ िषव की उम्र में ह अनाथ बनाकर िल बसे थे | सौभाग्यिि िाद
हो िक
ु ी थी, िरना िह भी माूँ-बाप का अनस
ु रण करता| विधिा सास पाल-पोस कर बड़ा ककया| बिपन में
िह गाय िराता, धारोष्ण दध
ू पीता और कसरत ककया करता था| गाूँि के लोग उसकी सास को तरह-
तरह की तकल फ़ हदया करते थे; लुट्टन के मसर पर कसरत की धुन लोगों से बदला लेने के मलए ह
सिार हुई थी| ननयममत कसरत से ककिोरािस्था में ह उसके सीने और बांहों को सुडौल तथा मांसल बना
हदया| जिानी में कदम रखते ह िह गाूँि में सबसे अच्छा पहलिान समझा जाने लगा| लोग उससे डरने
लगे और िह दोनों हाथों को दोनों ओर 45 डडग्री की दरू पर फैलाकर, पहलिानों की भाूँनत िलने लगा|
िह कुश्ती भी लड़ता था|
1-लुट्टन की िाद ककस उम्र में हुई होगी|
(I)नौ िषव से कम उम्र में (II)नौ िषव से अचधक उम्र में
(III)माता-वपता के जाने के बाद (IV)सास के जाने के बाद
उत्तर-I
2-अनाथ लुट्टन का पालन-पोषण ककसने ककया|
(I)माता-वपता ने (II)सास-ससुर ने
(III)विधिा सास ने (IV)राजा साहब ने
उत्तर-III
3-लुट्टन बिपन में तया काम नह ं करता था|
(I)िह गाय िराता था| (II)धारोष्ण दध
ू पीता था|
(III)कसरत ककया करता था| (IV)राजा से ममलने जाता था|
उत्तर-IV
4-लोग लुट्टन से तयों डरने लगे|
(I)िह पहलिान बन िुका था| (II)िह सास का बदला लेना िाहता था|
(III)उसकी बाूँहें सुडौल और मांसल थी| (IV)िह कुश्ती भी लड़ता था|

64
उत्तर-I
5-लुट्टन को कसरत करने की धुन तयों सिार हुई-
(I)उसकी सास को लोग तंग करते थे| (II)िह पहलिान बनाना िाहता था|
(III)िह नौ िषव का था| (IV)उसकी सास ने कहा था|
उत्तर-I
लघत्त
ु रीय प्रश्न

1-‘गाूँि भयात्तव मििु की तरह थर-थर काूँप रहा था|’ गाूँि की ऐसी दिा का कारण स्पष्ट कीष्जए|

उत्तर-गाूँि में महामार का आंतक था| प्रत्येक घर में कोई न कोई मर िुका था| कोई दिा और उपाय
नह ं बिा था| ऐसे में गाूँि का कांपना स्िाभाविक था|

2- अंधेर रात के िुपिाप आूँसू बहाने और तारों के हं सने से ककस पररष्स्थनत का पता िलता है ?

उत्तर-गाूँि की ष्स्थनत बहुत दयनीय थी| महामार और अकाल ने गाूँि को लगभग समाप्त कर हदया था|
तारे आसमान से टूटकर रोिनी दे ने के मलए आने लगते तो दस
ू रे तारे उसके ननरथवक प्रयास पर हं सते
थे|

3- पहलिान की ढोलक संध्या से लेकर प्रातःकाल तक बजकर तया सन्दे ि दे ना िाहती थी?

उत्तर-लोगों को हर नह ं मानना िाहहए| कष्टों से छुटकारा पाया जा सकता है | लोगों के मन में संजीिनी
िष्तत का संिार भी ढोल की आिाज़ करती थी|

4- बाल्यािस्था में ह िाद होना लट्


ु टन का सौभाग्य कैसे बन गयी?

उत्तर-लुट्टन के माता-वपता बिपन में ह मर गए| िाद बिपन में होने से सास ने ह माूँ की भूममका
ननभाई| यह उसका सौभाग्य ह था|

5- लुट्टन पर कसरत की धुन तयों सिार हुई थी और उसका पररणाम तया हुआ?

उत्तर-लुट्टन के सास को लोग तंग करते थे| लोगों से बदला लेने के मलए उसके मन में कसरत की धुन
सिार हुई| लुट्टन का िर र मांसल और गठीला हो गया|

पाि-16 नमक (रक्ज़या सज्जाद ज़ ीर)

1- “जब डडिीजन हुआ तभी आये, मगर हमारा ितन ढाका है , मैं तो कोई बारह-तेरह साल का था। पर
नजरूल और टै गोर साहब को तो हम लोग बिपन से पढ़ते थे। ष्जस हदन हम रात में यहां आ रहे थे ,
उसके ठीक एक िषव पहले मेरे सबसे परु ाने, सबसे प्यारे बिपन के दोस्त ने मझ
ु े यह ककताब द थी।
उस हदन मेर सालचगरह थी-कफर हम कलकत्ता रहे , पढ़े , नौकर भी ममल गयी, पर हम ितन आते-जाते
थे।“

65
प्रश्न-1 यह कथन ककसने-ककससे कहा है ?
क) लाहौर कस्टम अचधकार ने सकफ़या से
ख) सकफ़या ने मसख बीबी से
ग) सकफ़या के भाई ने सकफ़या से
घ) सुनील दास गुप्त (भारतीय कस्टम अचधकार ) ने सकफ़या से
उत्तर-घ) सुनील दास गुप्त (िारतीय कस्टम अगधकारी ) ने सक्रफ़या से

प्रश्न-2 डडिीजन िब्द का तया अथव है ?


क) टुकड़ा
ख )लकीर
ग )विभाजन
घ )ये सभी
उत्तर- ग )वविाजन

प्रश्न-3 बंगला भाषा के दो महान ् कवियों के नाम हैं।


क) प्रेमिंद और ननराला
ख) नजरुलइसलाम और रिींद्रनाथ टै गोर
ग) कबीर और रह मदास
घ) इनमें से कोई नह ं
उत्तर- ख) नजरुलइसलाम और रवीिंद्रनाथ टै गोर

प्रश्न-4 सन
ु ील दासगप्ु त का ितन कौन सा था?
क) ढाका
ख) लाहौर
ग) दे हल
घ) पेिािर
उत्तर क) ढाका

प्रश्न-5 विभाजन के बाद सन


ु ील दास गप्ु त कहाूँ रहे ?
क) आगरा
ख) मुम्बई
ग) कलकत्ता
घ) हदल्ल
उत्तर-ग) कलकत्ता

66
2- प्लेटफ़ॉमव पर उसके बहुत-से दोस्त, भाई, ररश्तेदार थे, हसरत भर नजरों, बहते हुए आूँसओ
ु ं, ठं डी साूँसों
और मभिे हुए होंठों को बीि में से काटती हुई रे ल सरहद की तरफ बढ़ । अटार में पाककस्तानी पमु लस
उतर , हहंदस्
ु तानी पुमलस सिार हुई। कुछ समझ में नह ं आता था कक कहाूँ से लाहौर खत्म हुआ और
ककस जगह से अमत ृ सर िुरू हो गया। एक जमीन थी, एक जबान थी, एक-सी सूरतें और मलबास, एक-सा
लबोलहजा, और अंदाज थे, गामलयाूँ भी एक ह -सी थीं ष्जनसे दोनों बड़े प्यार से एक-दस
ू रे को निाज रहे
थे। बस मुष्श्कल मसफव इतनी थी कक भर हुई बंदक
ू ें दोनों के हाथों में थीं।
प्रश्न-1 प्लेटफ़ॉमव पर कैसा दृश्य था?
क) बहुत भीड़ थी
ख) उसके भाई,दोस्त,ररश्तेदार थे
ग) सन्नाटा था
घ) बहुत िोर था
उत्तर- ख) उसके िाई,दोस्त,ररश्तेदार थे
प्रश्न-2 ककस स्थान पर पाककस्तानी पुमलस उतर और हहंदस्
ु तानी पुमलस सिार हुई।
क) लाहौर
ख) अमत
ृ सर
ग) ढाका
घ) अटार
उत्तर- घ) अटारी
प्रश्न-3 भारत और पाककस्तान के लोगों में तया समानता थी ?
क) मलबास और लबोलहजा
ख) जबान
ग) अंदाज
घ ) ये सभी
उत्तर- घ ) ये सिी
प्रश्न-4 लेणखका ककस मष्ु श्कल के बारे में बता रह हैं?
क) बहुत ठं डी थी
ख) िोर मि रहा था
ग) दोनों तरफ के लोगों की बंदक
ू ें भर हुई थी |
घ) रे न में भीड़ बहुत थी
उत्तर- ग) दोनों तरफ के लोगों की बिंदक
ू ें िरी ु ई थी |
प्रश्न-5 ‘निाज’ िब्द का अथव है –
क) सम्मान
ख) ष्जसमें आिाज न हो
ग) अपमान
घ) इनमें से कोई नह ं
उत्तर- क) सम्मान
67
लघत्त
ु रीय प्रश्न

प्रश्न-1 ‘नमक’ ककस विधा की रिना है ?


-कहानी
प्रश्न-2 नमक कहानी के लेखक/लेणखका हैं |
-रष्ज़या सज्ज़ाद जह र
प्रश्न-3 रष्ज़या सज्ज़ाद जह र का जन्म कब ि कहाूँ हुआ था ?
-15 फरिर सन 1917 , अजमेर राजस्थान
प्रश्न-4 रष्ज़या सज्ज़ाद जह र मल
ू तः ककस भाषा की कथाकार हैं ?
-उदव ू की
प्रश्न-5 नमक कहानी की मूल संिेदना है –
-भारत-पाक विभाजन की त्रासद

पाि-18 जातत प्रथा और श्रम-वविाजन, मेरी कल्पना का आदशष समाज


(बाबा सा ब िीमराव आिंबेडकर)
गदयािंश 1
प्रश्न -1ननम्नमलणखत पहठत गद्यांि को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों का सह विकल्प िुननए -

जानत प्रथा को यहद श्रम विभाजन मान मलया जाए, तो यह स्िाभाविक विभाजन नह ं है , तयोंकक यह
मनुष्य की रूचि पर आधाररत नह ं है | कुिल व्यष्तत या सक्षम श्रममक-समाज का ननमावण करने के मलए
यह आिश्यक है कक हम व्यष्ततयों की क्षमता इस सीमा तक विकमसत करें ,ष्जससे िह अपना पेिा या
कायव का िुनाि स्ियं कर सके। इस मसद्धांत के विपर त जानत प्रथा का दवू षत मसद्धांत यह है कक
इससे मनष्ु य के प्रमिक्षण अथिा उसकी ननजी क्षमता का वििार ककए बबना, दस
ू रे ह दृष्ष्टकोण जैसे
माता,वपता के सामाष्जक स्तर के अनुसार- पहले से ह अथावत गभवधारण के समय से ह मनुष्य का
पेिा ननधावररत कर हदया जाता है |

1- पाठ पाठ और लेखक का नाम है -


क- श्रम विभाजन और जानत प्रथा, डॉ. भीम राि अम्बेडकर
ख- जानत प्रथा और श्रम विभाजन, हजार प्रसाद द्वििेद
ग- श्रम विभाजन और जानत प्रथा, जैनेंद्र कुमार
घ- जानत प्रथा, डॉ. भीम राि अम्बेडकर
उत्तर –श्रम विभाजन और जानत प्रथा,डॉ. भीम राि अम्बेडकर
2- लेखक के अनस
ु ार जानत प्रथा स्िाभाविक विभाजन नह ं है-
क- तयोंकक यह तकव संगत नह ं है ।
ख- तयोंकक यह मनुष्य के मलए घातक है ।
ग- तयोंकक यह मनुष्य की रुचि पर आधाररत नह ं है ।

68
घ- उपयवत
ु त में से कोई नह ं है ।
उत्तर- तयोंकक यह मनुष्य की रुचि पर आधाररत नह ं है |
3- सक्षम श्रममक समाज के ननमावण के मलए तया आिश्यक है ?
क- समानता
ख- व्यिसाय ियन की स्ितंत्रता
ग- समथवन
घ- समान विभाजन
उत्तर- व्यिसाय ियन की स्ितंत्रता
4- जानत प्रथा का दवू षत मसद्धान्त तया है ?
क- जानत आधाररत व्यिसाय का ियन
ख- जानत व्यिस्था सिोपरर
ग- जानत का विभाजन
घ- समान दृष्ष्टकोण
उत्तर- जानत आधाररत व्यिसाय का ियन
5- जानत प्रथा के अनुसार मनुष्य का पेिा कब ननधावररत होता है ?
क- गभव धारण के समय
ख- गभव धारण के बाद
ग- जन्म से पहले
घ- जन्म के बाद
उत्तर- गभव धारण के समय

गदयािंश 2
जानत प्रथा के पोषक, जीिन, िार ररक-सुरक्षा तथा संपवत्त के अचधकार की स्ितंत्रता को स्िीकार तो कर
लेंगे,परं तु मनुष्य के सक्षम एिं प्रभाििाल प्रयोग की स्ितंत्रता दे ने के मलए जल्द तैयार नह ं
होंगे,तयोंकक इस प्रकार की स्ितंत्रता का अथव होगा अपना व्यिसाय िुनने की स्ितंत्रता ककसी को नह ं
है ,तो उसका अथव उसे’दासता‘ में जकड़ कर रखना होगा,तयोंकक ’दासता‘ केिल कानन
ू ी पराधीनता को ह
नह ं कहा जा सकता‘|दासता’ में िह ष्स्थनत भी सष्म्ममलत है , ष्जससे कुछ लोगों को दस
ू रे लोगों के
द्िारा ननधावररत व्यिहार एिं कतवव्यों का पालन करने के मलए वििि होना पड़ता है यह| ष्स्थनत कानन
ू ी
पराधीनता ना होने पर भी पाई जा सकती है | उदाहरणाथव,जानत प्रथा की तरह ऐसे िगव होना संभि
है ,जहां कुछ लोगों की अपनी इच्छा के विरुद्ध पेिे अपनाने पड़ते हैं।
1- जानत प्रथा के पोषक ककसका अचधकार स्िीकार कर लेंगे?
क-संपवत्त के अचधकार की स्ितंत्रता
ख-धाममवक स्ितंत्रता
ग- सामाष्जक स्ितंत्रता
घ- सांस्कृनतक स्ितंत्रता
उत्तर- संपवत्त के अचधकार की स्ितंत्रता
69
2- लेखक के अनस
ु ार दासता है -
क- व्यिसाय ियन की स्ितंत्रता
ख- अन्य द्िारा ननधावररत कतवव्यों का पालन करना
ग- दस
ू रे के कतवव्यों का पालन न करना
घ- राजनीनतक पराधीनता
उत्तर- अन्य द्िारा ननधावररत कतवव्यों का पालन करना
3- कुछ व्यष्ततयों को दस
ू रे लोगों द्िारा ननधावररत ननयमों का पालन करना पड़ता है-
क- तयोंकक िह सक्षम होते हैं|
ख- कयोंकक िे समथव होते हैं|
ग- कयोंकक िे कमज़ोर होते हैं|
घ- तयोंकक िे िष्ततिान होते हैं|
उत्तर- तयोंकक िे कमज़ोर होते हैं|
4- दासता केिल................ नह ं कहा जा सकता|
क- कानूनी पराधीनता को
ख- सामाष्जक स्ितंत्रता को
ग- राजनैनतक स्ितंत्रता को
घ- पूिव ननधावररत ननयम को
उत्तर- कानूनी पराधीनता को
5- ननधावररत िब्द में उपसगव मूल िब्द प्रत्यय होंगे-
क- नी:, धारण, इक
ख- ननर, धारण, इत
ग- नन, धार, इट
घ- ननत धारण, इत
उत्तर- ननर, धारण, इत
लघुत्तरीय प्रश्न

प्रश्न-1 भारत की जानत प्रथा तया काम करती है ?

2- आधुननक युग में भी जानत प्रथा तयों बनी हुई है ?

3-आज की सबसे बड़ी समस्या तया नह ं है और तया है ?

4-जानत प्रथा का दोष तया है ?

5-डॉ. अंबेडकर अपनी कल्पना में समाज का कैसा रूप दे खते हैं ?

उत्तर –

70
1- भारत की जानत प्रथा श्रममकों का अस्िाभाविक विभाजन तो करती ह है , इसके साथ-साथ विभाष्जत
िगों को एक दस
ू रे की अपेक्षा ऊूँि-नीि भी करार दे ती है | ऐसा विश्ि के ककसी भी समाज में नह ं पाया
जाता|

2-आधुननक युग में भी जानत प्रथा इसमलए बनी हुई है , तयोंकक जानत प्रथा के पोषक इसको समाप्त नह ं
होने दे ते | िे हमेिा इसको बढ़ािा दे ते हैं |

3-आज के उद्योगों में गर बी और उत्पीड़न समस्या होते हुए भी इतनी बड़ी समस्या नह ं है , ष्जतनी
बड़ी समस्या यह है कक बहुत से लोग ननधावररत काम को अरुचि के साथ वििितािि करते हैं | यह
प्रिवृ त्त टालू काम कराने ि कम काम कराने को प्रेररत करती है |

4-जानत प्रथा का सबसे बड़ा दोष यह है कक जानत प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य की अपनी इच्छा पर
ननभवर नह ं रहता | इसमें मनुष्य की व्यष्ततगत भािना या रुचि को कोई महत्ि नह ं हदया जाता |

5-डॉ. अम्बेडकर का आदिव समाज स्ितंत्रता, समता और भ्रातत


ृ ा अथावत भाईिारे पर आधाररत है | उनके
अनुसार, ऐसे समाज में सभी के मलए एक जैसा मापदं ड तथा उनकी रुचि के अनस
ु ार कायों की
उपलब्धता होनी िाहहए |

ववतान िाग- 2
पाि-1 भसल्वर वैडडिंग (मनो रश्याम जोशी)

1- सुविधाजनक और आधुननक होते हुए भी अपने घर और विद्यालय के आस-पास हो रहे कुछ बदलाि
बज
ु ग
ु ों को अच्छे नह ं लगते। उनको यह बदलाि अच्छे न लगने के तया कारण हो सकते हैं?

क- िे परं पराओं के अनुसार िलते थे


ख- उन्हें युिा पीढ़ पसंद नह ं है
ग- अमिक्षा के कारण
घ- उन्हें बदलाि पसंद नह ं है

उत्तर- घ- उन्हें बदलाि पसंद नह ं है

2- 'मसल्िर िेडडंग' पाठ में 'जो हुआ होगा' िातय की अथव छवियां ननम्न में जो नह ं है उसे छांहटए।

क- अकेलेपन के कारण
ख- कोई खोज खबर लेने िाला न हो
ग- बबरादर से घोर उपेक्षा ममल
घ- क्षय रोग से

71
उत्तर- घ- क्षय रोग से

3- यिोधर बाबू के बच्िों की कौन सी बातें आपवत्तजनक है ?

क- ररश्तेदारों, धमव और समाज के प्रनत नकारात्मक भाि


ख- महत्िकांक्षी और प्रगनतिील होना
ग- जीिन में उन्ननत करना
घ- समय और सामथ्यव के अनुसार घर में बदलाि लाना

उत्तर- क- ररश्तेदारों, धमव और समाज के प्रनत नकारात्मक भाि

4- 'मसल्िर िेडडंग ‘ का तया अथव है ? सट क विकल्प का ियन कीष्जए: -

क- िाद की रजत जयंती


ख- िाद के 25 िषव पूरा हो जाने का अिसर
ग- उपयुवतत दोनों
घ- इनमें से कोई नह ं

उत्तर- ग- उपयुवतत दोनों

5- ’‘मसल्िर िैडडंग’ पाठ में ऑकफस से घर लौटते समय यिोधर बाबू कहाूँ िले जाते थे?

क- गोल माकेट
ख- पहाड़ी पर
ग- मसनेमाघर
घ- बबरला मंहदर

उत्तर- घ- बबरला मंहदर

6- मसल्िर िेडडंग कहानी के लेखक कौन हैं?

क-प्रेमिंद
ख-मनोहर श्याम जोिी
ग-डॉतटर आनंद यादि
घ-ओम थानिी

उत्तर-ख-मनोहर श्याम जोिी

7- मनोहर श्याम जोिी का जन्म कब हुआ?

72
क-9 जनिर 1932
ख-9 मािव 1932
ग-9 अगस्त 1933
घ-9 अगस्त 1930

उत्तर- ग-9 अगस्त 1933

8- मनोहर श्याम जोिी का जन्म कहां पर हुआ ?

क-अजमेर में
ख-लखनऊ में
ग-भोपाल में
घ-कानपुर में

उत्तर- क-अजमेर में

9- 'नहले पर दहला' का तया अथव है ?

क-ककसी की ओर दे खना
ख-जोरदार जिाब दे ना
ग-ठहाका मारकर हं सना
घ-प्रिंसा करना

उत्तर- ख-जोरदार जिाब दे ना

10- मसल्िर िेडडंग कहानी का मुख्य पात्र आप ककसे मानते हैं?

क-ककिन दा
ख-भूषण
ग-िड्ढा
घ-यिोधर पंत

उत्तर- घ-यिोधर पंत

पाि-2 जूझ (डॉ. आनिंद यादव)


ब ु ववकल्पीय प्रश्न

73
प्रश्न 1. ‘जझ
ू ’ िीषवक का पाठ के संदभव में तया औचित्य है ?

i.पाठ में बालक के जीिन-संघषव का िणवन है l


ii.पाठ में खेत में काम करने का संघषव है
iii.पाठ में ढोर िराने का संघषव है l
iv.पाठ में िरारती बच्िे अन्य बच्िों को परे िान करते हैंl

उत्तर (i)

प्रश्न 2. ‘जूझ’ पाठ के लेखक का नाम बताइयेl

i.आंनद गुप्ता
ii.आनंद रतन यादि
iii.आनंदा मसंह
iv.राजेि जोिी

उत्तर (ii)

प्रश्न 3. ननम्नमलणखत में से ‘जूझ’ पाठ का कथानायक कौन है ?

i.दत्ता जी राि
ii.आनंदा
iii.लेखक का दादा
iv.श्री सौंदलगेकर

उत्तर (ii)

प्रश्न 4. ‘जूझ’ नामक पाठ ककस भाषा का हहन्द अनुिाद है ?

i.ब्रज भाषा का
ii.खड़ी बोल हहन्द का
iii.मराठी भाषा का
iv.अिधी भाषा का

उत्तर (iii)

प्रश्न 5. बालक आनंदा के वपता सबसे पहले कोल्हू िलाना तयों िाहते हैं?

i.ईख की फसल का लाभ सबसे पहले अचधक लेने के मलए


ii.खेती के कायव को सबसे पहले खत्म करने के मलए
iii.अपने बेटे आनंदा को परे िान करने के मलए
iv.दत्ता जी राि के कहने के अनस
ु ार

74
उत्तर (i)

प्रश्न 6. आनंदा ने बसंत पाहटल को अपना ममत्र बनाने की कोमिि तयों की?

i.ननम्नमलणखत सभी उत्तर सह हैं


ii.बसंत पाहटल बुद्चधमान था
iii.िह िांत स्िाभाि का बालक था
iv.कक्षा में मॉननटर भी था

उत्तर (i)

प्रश्न 6. आनंदा के वपता का व्यिहार कैसा था?

i.सहृदय ि दयालु
ii.मेहनती ि जुझारू
iii.कठोर ि अमिक्षक्षत
iv.विनम्र ि ईमानदार

उत्तर (iii)

प्रश्न 7. दे साई के बाड़े का बल


ु ािा दादा के मलए कैसी बात थी?

i.सम्मान की बात थी
ii.भय की बात थी
iii.अपमाजनक
iv.िोभनीय बात थी

उत्तर (i)

प्रश्न 8. ‘श्री सौंदलगेकर’ बालक आनंदा को ककस विषय का ज्ञान दे ते थे?

i.मराठी साहहत्य की रिनाओं का


ii.गणणत विषय का
iii.अंग्रेजी विषय की कविताओं का
iv.सामाष्जक विज्ञान का

उत्तर (i)

प्रश्न 9. लेखक बिपन में ककस प्रकार कविताओं की रिना ककया करता था?

i.भैसों की पीठ पर
ii.ढोर को िराते हुए
iii.पत्थर की मिला पर कंकड़ से
75
iv.उपरोतत सभी प्रकार से

उत्तर (iv)

प्रश्न 10. आनंदा को पढ़ने भेजने में मख्


ु य योगदान ककसका था?

i.लेखक की माूँ का
ii.दत्ता जी राि का
iii.लेखक के दादा का
iv.आनंदा के अध्यापक का

उत्तर (ii)

पाि-3 अतीत में दबे पााँव (ओम थानवी)

ब ु ववकल्पीय प्रश्न

प्रश्न -1- अतीत में दबे पाूँि के लेखक हैं –

(क ) ओम थानिी

(ख ) कुमार गन्धिव

(ग ) राखाल दास बनजी

( घ) मनोहर श्याम जोिी

प्रश्न -2 दनु नया के सबसे पुराने ननयोष्जत िहर माने जाते हैं |

1. ब्राजील
2. िंडीगढ़
3. ममसोपोटाममया
4. मअ
ु नजो –दड़ो और हड़प्पा

प्रश्न -3 हड़प्पा के ज्यादातर साक्ष्य ककसके विकास की भें ट िढ़ गए ?

1. कृवष विकास के दौरान


2. सड़क विस्तार के दौरान
3. रे ल लाइन बबछने के दौरान
4. आिास बनाने के दौरान

प्रश्न -4 मुअनजो –दड़ो ककतने हेतटे यर क्षेत्र में फैला था ?

1. 100
2. 200
3. 300
76
4. 400

प्रश्न -5 मअ
ु नजो –दड़ो की आबाद लगभग थी ?
1. 84000
2. 75000
3. 85000
4. 80 000

प्रश्न -6 मुअनजो –दड़ो का अथव है –

1. काल िूडड़याूँ
2. मोहन का पूरा
3. मुदों का ट ला
4. कृष्ण का गाूँि

प्रश्न -7 मुअनजो –दड़ो का काल कौन –सा था |

1. ताम्रकाल
2. पाषाण काल
3. लौह काल
4. कांस्य काल

प्रश्न -8 ओम थानिी के अनस


ु ार मअ
ु नजो –दड़ो का क्षेत्र ननम्न में से ममलता था ?

1. पंजाब से
2. गज
ु रात
3. राजस्थान से
4. कश्मीर से

प्रश्न -9 –मसन्धु घाट सभ्यता के कुण्ड ककससे बने हैं ?

1. सीमें ट से
2. ममट्ट से
3. पतकी ईंटों से
4. ककसी और से

प्रश्न -10 – मुअनजो की मुहरों में ककस पिु के चित्र पाए जाते हैं ?

1. िेर
2. बकर
3. ऊूँट

77
4. घोडा

उत्तर- 1(क),2 (घ),3 (ग),4 (ख), 5 (ग),6(ग),7(ग),8 (ग) ,9 (ग ), 10 (क)

पाि-4 डायरी के पन्ने (ऐन फ्रैंक)


ब ु ववकल्पीय प्रश्न

ननम्नमलणखत प्रश्नों में ननदे िानुसार विकल्पों का ियन कीष्जए

1. ऐन फ्रेंक कौन थी ?

• यहूद पररिार की पंद्रह िषीय बच्िी (*)


• मम .कुग्लर की तेरह िषीय बच्िी
• हहटलर के दे ि की
• नाज़ी पररिार की पंद्रह िषीय

2. “डायर के पन्ने” ककस उपन्यास का अनि


ु ाद है ?

• द डायर ऑफ़ अ गलव
• द डायर ऑफ़ अ यंग गलव (*)
• ऐन फ्रेंक की डायर
• डायर ऑफ़ एन फ्रेंक

3.ऐन फ्रेंक का पररिार कहाूँ छुपने िाला था ?

• जंगल में
• ऑकफस की बबष्ल्डंग में (*)
• जेल में
• इनमे से कह नह ं

4. ऐन फ्रेंक का जन्म कहाूँ हुआ था ?

• अमेररका
• फ़्ांस
• जमवनी (*)
• रूस

5. ऐन फ्रेंक द्िारा मलणखत डायर की मूल भाषा है

• अंग्रेजी
• पुतवगाल

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• डि (*)
• जमवन

6.घोड़े बेिकर सोना -मह


ु ािरे का अथव तया है

• काम पूरा करके आराम करना


• आराम करने के मलए काम बबगाड़ना
• ननष्श्िन्त होकर गहर नींद में सोना (*)
• मीठे सपने दे खना

7. ऐन ने अपनी डायर ककसे संबोचधत करके मलखी ?

• अपनी बहन को
• अपनी सहे ल को
• अपनी गुडडया को
• अपने वपता को

8.द्वितीय विश्ियुद्ध में सबसे अचधक ककसे कष्ट उठाने पड़े ?

• यहूद समुदाय (*)


• इसाई समदु ाय
• हहन्दू समुदाय
• मसतख समुदाय को

9.ऐन ने ककन्हें दो जड़मनत (मूखव ) कहा है ?

• ममस्टर हहटलर को
• ममस्टर िानदान और ममस्टर दसेल को (*)
• ममस्टर कुगलेर और वपटर को
• मगोत ओर वपटर को

10.ऐन को ककसके संग्रह का िौक था ?

• डाक हटकटों का
• गुडड़यों का
• कफ़ल्मी कलाकारों की तस्िीरों का (*)
• ककसी का भी नह ं

नोट- ष्जन विकल्प पर (*) लगा हुआ है । िह प्रश्न का सह का उत्तर है ।

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