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Revision Notes

Class – 5 Hindi
Chapter 10 – एक दिन की बािशाहत

लेखक परिचय:

● इस कहानी के लेखिका 'जीलानी बानो' है ।


● इनका जन्म 14 जुलाई 1936 में हुआ था ।
● इनकी पुस्तकों का भाषा अनुवाद भी ककया जाता है ।
● इन्हें पद्मश्री से सम्माननत ककया जा चक
ु ा है ।

कहानी का सािाांशः

● प्रस्तुत कहानी में दो बच्चे आरिफ़ औि सलीम की एक ददन की बादशाहत का ख़ूबस़ूित


चचत्रण ककया गया है ।
● दो बच्चे आरिफ़ औि सलीम अपने माता पपता द्वािा हि बात पि टोके जाने से पिे शान
थे । कभी अम्मी औि कभी दादी द्वािा टोका जाता था । उन्हें हि वक़्त पाबंदी में िहने
को मजब़ूि िहना पड़ता था । बच्चों की अपनी मजी कभी नहीं चलती थी ।
● एक ददन बच्चों को एक तिकीब स़ूझी औि दोनों ने अब्बा के पास जाकि कहा कक एक
ददन के ललए उन्हें बड़ों के सािे अचिकाि दे ददए जाएं औि सब बड़े छोटे बन जाएँ ।
● अब्बा उनकी बात मान लेते है औि एक ददन के ललए सािे अचिकाि दे ने की बात कह
दे ते है ।
● अगले ददन सुबह सबसे पहले आरिफ़ ने अम्मी को जल्दी उठकि िाना बनाने को कहा
। इसके बाद उसने दादी को हिीिा पीने से टोक ददया ।

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● बाद मे िानसामे को आदे श दे कि उसने अपने सामने अंडे औि मक्िन ििवाया औि
घि के बाकी सदस्यों को दललया औि दि
़ू बबस्कुट दे ने को कहा ।
● इसके बाद आरिफ़ औि सलीम ने िाने िाते हुए अम्मी को टोका औि सलीम ने
जबिदस्ती उन्हें गुसलिाने में भेज ददया ।
● इसके बाद सलीम ने अब्बा को कपड़ें मैले होने पि टोका औि जल्दी ऑकिस जाने को
कहा।
● बाद मे िानसामा िज़िया को उन्होंने आदे श ददया कक आज आल़ू, गोश्त, कबाब, लमचों
का सालन बनेगा । सलीम तुिंत आगे बढ़ा औि अम्मी को कहा कक आज गुलाब जामुन,
गाजि का हलवा औि मीठे चावल बनाओ ।
● जब दादी बात कि िही थी तो आरिि ने दादी को भी टोक ददया ।
● भाईजान ने शाम को दोस्तों के साथ किल्म दे िकि दे ि से आने की बात कही तो आरिि
ने आँिें ननकालकि उन्हें िमकाया औि जाने से मना कि ददया ।
● इसके बाद सलीम ने आपा को भी टोका औि सिेद वॉयल की साड़ी पहनने को कहा
औि उनकी नकल भी किने लगा ।
● इस तिह आदे श दे ते-दे ते एक ददन की बादशाहत खत्म हो गई थी । अगली सुबह
सलीम की आँि िुली तो उसने दे िा कक आपा नाश्ते की मेज सजाए उन दोनों के उठने
का इंत़िाि कि िही थी । अम्मी िानसामे को हि िाने के साथ एक मीठी ची़ि बनाने
का आदे श दे िही थी औि सभी का बतााव बदल सा गया था । सभी को समझ आ गया
था कक हुक्म दे ना आसान होता है मगि उसका माि कि पालन किना उतना ही
मुजश्कल होता है ।

शब्ि - अर्थ:

शब्ि अर्थ वाक्य में प्रयोग

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तकिाि झगड़ा आज सोऩू का मोऩू से तकिाि हो गया है ।

तिकीब उपाय मुझे एक तिकीब स़ूझी है ।

खिदमत सेवा सन
ु ील मैं अपनी खिदमत में िोटी मंगाई ।

दिख्वास्त पवनती सभी ने सलीम से दिख्वास्त की ।

इकिाि मान लेना सीता ने इकिाि कि ललया है ।

बेबस लाचाि वह बच्चा भी बस पड़ा है ।

गुसलिाना नहाने का स्थान सलीम ने मां को गुसलिाना भेजा ।

िौिन तुिंत िमेश तुम िॉिे न अंदि जाओ ।

तुनककि गुस्सा किते हुए अम्मी ने तुनककि उत्ति ददया ।

ननहायत बबल्कुल अमन ननहायती शैतान है ।

हजा घाटा इसमें हमें कोई हजा नहीं है ।

प्रश्न - उत्ति:

प्रश्न 1. आरिफ औि सलीम पिे शान क्यों र्ी ?


(क) सभी के टोके जाने से
(ख) सभी के बात किने से
(ग) सभी के खाने से
उत्ति: सभी के टोके जाने से

प्रश्न 2. िोनों को ककतने दिन की बािशाहत ममली ?


(क) िो

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(ख) एक
(ग) तीन
उत्ति: दो

प्रश्न 3. भाई जान शाम को िे ि से क्यों आने वाले र्े ?


उत्ति: भाई जान अपने दोस्तों के साथ लमलकि किल्म दे िने जाने वाले थे इस कािण वह
शाम को दे ि से आने वाले थे ।

अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. ममलान किो ।

तकिाि उपाय

तिकीब झगडा

हजथ लाचाि

बेबस घाटा

उत्ति: उचचत लमलान-

तकिाि झगड़ा

तिकीब उपाय

हजा घाटा

बेबस लाचाि

प्रश्न 2. आरिफ औि सलीम के घि में कौन-कौन िहता र्ा ?

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उत्ति: आरिि औि सलीम की घि में उसकी अम्मी, अब्बा, आपा, भाईजान औि दादी िहते थे

प्रश्न 3. ननम्ललखखत शब्िो का शब्िार्थ मलखो ?


(क) वक़्त
उत्ति: वक़्त - समय
(ख) तिकीब
उत्ति:तिकीब - उपाए
(ग) तकिाि
उत्ति: तकिाि - झगड़ा
(घ) गुसलखाना
उत्ति: गुसलिाना - स्नानघि
(ड) हिीिा
उत्ति:हिीिा - शबात
(च) िालान
उत्ति:दालान - बिामदा
(छ) गाित
उत्ति: गाित - ििाब

प्रश्न4 . कहानी में ककन-ककन चीजों को ति माल कहा गया है ?


उत्ति:कहानी में अंडे औि मक्िन जैसी चीजों को ति माल कहा गया है ।

प्रश्न5 . इन चीजों के अलावा औि ककन-ककन चीजों को 'ति माल' कहा जा सकता है ?

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उत्ति: इन ची़िों के अलावा हलवा-पि़ू ी, िीि, लमठाइयाँ, पकवान आदद ची़िों को ति माल कहा
जा सकता है ।

प्रश्न6 . कुछ ऐसी चीजों के नाम भी बताओ, जो तुलहें 'ति माल' नहीां लगतीां।
उत्ति: चावल, दाल कुछ सजब्जयाँ, दललया , दि
़ू , िोटी हमें ति माल नहीं लगता।

प्रश्न7 . इन चीजों को तुम क्या नाम िे ना चाहोगी? सुझाओ।


उत्ति: इन चीजों को हम 'िाद्य पदाथा' नाम दे ना चाहुंगे।

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