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लिखित

(क) निम्िलिखित प्रश्िों के उत्तर (25-30 शब्दों में ) लिखिए-

प्रश्न 1.
नज़दीक से एवरे स्ट को दे खकर लेखखका को कैसा लगा?
उत्तर-
नजदीक से एवरे स्ट को दे खने पर लेखखका भौंचक्की रह गई। उसे टे ढी-मेढी चोटटयााँ ऐसी लग रही थीीं मानो कोई बरफीली नदी बह रही हो।

प्रश्न 2.
डॉ. मीनू मेहता ने क्या जानकाररयााँ दीीं?
उत्तर-
डॉ. मीनू मेहता ने लेखखका को अल्यमु मननयम की सीटढयों से अस्थायी पल
ु ों का ननमााण करने, लट्टों और रस्स्सयों का उपयोग करने, बफा की
आडी-नतरछी दीवारों पर रस्स्सयों को बााँधने तथा अग्रिम दल के अमभयाींत्रिकीकायों की ववस्तत
ृ जानकारी दी।

प्रश्न 3.
तेनस्जींग ने लेखखका की तारीफ में क्या कहा?
उत्तर-
तेनस्जींग ने लेखखका की तारीफ में कहा, “तुम पक्की पवातीय लडकी लगती हो। तुम्हें तो पहले ही प्रयास में मिखर पर पहुाँच जाना चाटहए।

प्रश्न 4.
लेखखका को ककनके साथ चढाई करनी थी?
उत्तर-
लेखखका के अमभयान-दल में यों तो लोपसाींग, तिाररींग, एन.डी. िेरपा आटद अनेक सदस्य थे। ककीं तु उन्हें स्जन साग्रथयों के सींग यािा करनी थी, वे
थे-की, जय और मीन।ू

प्रश्न 5.
लोपसींगा ने तींबू का रास्ता कैसे साफ ककया?
उत्तर-
लोपसाींग ने तींबू का रास्ता साफ करने के मलए अपनी स्स्वस छुरी ननकाली। उन्होंने लेखखका के आसपास जमे बडे-बडे टहमवपींडों को हटाया और
लेखखका के चारों ओर जमी कडी बरफ की खुदाई ककया। उन्होंने बडी मेहनत से लेखखका को बरफ की कब्र से खीींच ननकाला।

प्रश्न 6.
साउथ कोल कैं प पहुाँचकर लेखखका ने अगले टदन की महत्त्वपण
ू ा चढाई की तैयारी कैसे िूरू की?
उत्तर-
‘साउथ कोल’ कैं प पहुाँचकर लेखखका ने अगले टदन की चढाई की तैयारी िुरू की। उसने खाना, कुककीं ग गैस तथा ऑक्सीजन मसलेंडर इकट्टे ककए।
उसके बाद वह चाय बनाने की तैयारी करने लगी।

(ि) निम्िलिखित प्रश्िों के उत्तर (50-60 शब्दों में ) लिखिए-

प्रश्न 1.
उपनेता प्रेमचींद ने ककन स्स्थनतयों से अवगत कराया?
उत्तर-
उपनेता प्रेमचींद ने अमभयान दल को खींभु टहमपात की स्स्थनत की जानकारी दे ते हुए कहा कक उनके दल ने कैं प-एक जो टहमपात के ठीक ऊपर
है, वहााँ तक का रास्ता साफ कर टदया है और फल बनाकर, रस्स्सयााँ बााँधकर तथा इींडडयों से रास्ता ग्रचस्न्हत कर, सभी बडी कटठनाइयों का जायजा
ले मलया गया है। उन्होंने इस पर भी ध्यान टदलाया कक ग्लेमियर बरफ की नदी है और बरफ का ग्रगरना अभी जारी है। टहमपात में अननयममत
और अननस्श्चत बदलाव के कारण अभी तक के ककए गए सभी काम व्यथा हो सकते हैं और हमें रास्ता खोलने का काम दोबारा करना पड सकता
है।

प्रश्न 2.
टहमपात ककस तरह होता है और उससे क्या-क्या पररवतान आते हैं?
उत्तर-
बफा के खींडों का अव्यवस्स्थत ढीं ग से ग्रगरना ही टहमपात कहलाता है। ग्लेमियर के बहने से बफा में हलचल मच जाती है । इस कारण बफा की
बडी-बडी चट्टानें तत्काल ग्रगर जाती हैं। इस अवसर पर स्स्थनत ऐसी खतरनाक हो जाती है कक धरातल पर दरार पडने की सींभावना बढ जाती है।
अकसर बफा में गहरी-चौडी दरारें बन जाती हैं। टहमपात से पवातारोटहयों की कटठनाइयााँ बहुत अग्रधक बढ जाती हैं।

प्रश्न 3.
लेखखका ने तींबू में ग्रगरे बरफ वपींड का वणान ककस तरह ककया है ?
उत्तर-
लेखखका ने तींबू में ग्रगरे बरफ के वपींड का वणान करते हुए कहा है कक वह ल्होत्से की बरफीली सीधी ढलान पर लगाए गए नाइलान के तींबू के
कैं प-तीन में थी। उसके तींबू में लोपसाींग और तिाररींग उसके तींबू में थे। अचानक रात साढे बारह बजे उसके मसर में कोई सख्त चीज़ टकराई और
उसकी नीींद खुल गई। तभी एक जोरदार धमाका हुआ और उसे लगा कक एक ठीं डी बहुत भारी चीज़ इसके िरीर को कुचलती चल रही थी। इससे
उसे सााँस लेने में कटठनाई होने लगी।

प्रश्न 4.
लेखखका को दे खकर ‘की’ हक्का-बक्का क्यों रह गया?
उत्तर-
जय बचें द्री पाल का पवातारोही साथी था। उसे भी बचें द्री के साथ पवात-मिखर पर जाना था। मिखर कैं प पर पहुाँचने में उसे दे र हो गई थी। वह
सामान ढोने के कारण पीछे रह गया था। अतः बचें द्री उसके मलए चाय-जस
ू आटद लेकर उसे रास्ते में मलवाने के मलए पहुाँची। जय को यह
कल्पना नहीीं थी कक बचें द्री उसकी ग्रचींता करें गी और उसे मलवी लाने के मलए आएाँगी। इसमलए जब उसने बचें द्री पाल को चाय-जस
ू मलए आया
दे खा तो वह हक्का-बक्का रह गया।

प्रश्न 5.
एवरे स्ट पर चढने के मलए कुल ककतने कैं प बनाए गए? उनका वणान कीस्जए।
उत्तर-
पाठ से ज्ञात होता है कक एवरे स्ट पर चढाई के मलए कुल पााँच कैं प बनाए गए। उनके दल का पहला कैं प 6000 मीटर की ऊाँचाई पर था जो
टहमपात से ठीक ऊपर था। दस
ू रा कैं प-चार 7900 मीटर की ऊाँचाई पर बनाया गया था। कैं प-तीन ल्होत्से की बरफीली सीधी ढलान पर बनाया
गया था। यहााँ नाइलोन के तींबू लगाए गए थे। एक कैं प साउथकोल पर बनाया गया था। यहीीं से अमभयान दल को एवरे स्ट पर चढाई करनी थी।
इसके अलावा एक बेस कैं प भी बनाया गया था।

प्रश्न 6.
चढाई के समय एवरे स्ट की चोटी की स्स्थनत कैसी थी?
उतर-
जब बचें द्री पाल एवरे स्ट की चोटी पर पहुाँची तो वहााँ चारों ओर तेज़ हवा के कारण बफा उड रही थी। बफा इतनी अग्रधक थी कक सामने कुछ नहीीं
टदखाई दे रहा था। पवात की िींकु चोटी इतनी तींग थी कक दो आदमी वहााँ एक साथ खडे नहीीं हो सकते थे। नीचे हजारों मीटर तक ढलान ही
ढलान थी। अतः वहााँ अपने आपको स्स्थर खडा करना बहुत कटठन था। उन्होंने बफा के फावडे से बफा तोडकर अपने टटकने योग्य स्थान बनाया।

प्रश्न 7.
सस्म्ममलत अमभयान में सहयोग एवीं सहायता की भावना का पररचय बचें द्री के ककस काया से ममलता है ?
उतर-
एवरे स्ट पर ववजय पाने के अमभयान के दौरान लेखखको बचें द्री पाल अपने साग्रथयो ‘जय’, की ‘मीन’ू के साथ चढाई कर रही थी, परीं तु वह इनसे
पहले साउथ कोल कैं प पर जा पहुाँची क्योंकक वे त्रबना ऑक्सीजन के भारी बोझ लादे चढाई कर रहे थे। लेखखका ने दोपहर बाद इन सदस्यों की
मदद करने के मलए एक थरमस को जस
ू से और दस
ू रे को गरम चाय से भर मलया और बरफीली हवा में कैं प से बाहर ननकल कर उन सदस्यों
की ओर नीचे उतरने लगी। उसके इस काया से सहयोग एवीं सहायता की भावना का पररचय ममलता है।

(ग) निम्िलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
एवरे स्ट जैसे महान अमभयान में खतरों को और कभी-कभी तो मत्ृ यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाटहए।
उतर-
एवरे स्ट की सवोच्च चोटी पर चढना एक महान अमभयान है। इसमें पग-पग पर जान जाने का खतरा होता है। अतः यटद ऐसा कटठन काया करते
हुए मत्ृ यु भी हो जाए, तो उसे सहज घटना के रूप में लेना चाटहए। बहुत हाय-तौबा नहीीं मचानी चाटहए।

प्रश्न 2.
सीधे धरातल पर दरार पडने का ववचार और इस दरार का गहरे -चौडे टहम-ववदर में बदल जाने का माि खयाल ही बहुत डरावना था। इससे भी
ज्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कक हमारे सींपण
ू ा प्रयास के दौरान टहमपात लगभग एक दजान आरोटहयों और कुमलयों को प्रनतटदन छूता
रहे गा।
उत्तर-
आिय यह है कक ग्लेमियरों के बहने से बरफ में हलचल होने से बरफ की बडी-बडी चट्टानें अचानक ग्रगर जाती हैं। इससे धरातल पर दरार पड
जाती है। यही दरारें टहम-ववदर में बदल जाती हैं जो पवातारोटहयों की मत्ृ यु का कारण बन जाती है। इसका ख्याल ही मन में भय पैदा कर दे ता
है। दभ
ु ााग्य से यह भी जानकारी ममल गई थी कक इस अमभयान दल को अपने अमभयान के दौरान ऐसे टहमपात का सामना करना ही पडेगा।

प्रश्न 3.
त्रबना उठे ही मैंने अपने थैले से दग
ु ाा मााँ का ग्रचि और हनम
ु ान चालीसा ननकाला। मैंने इनको अपने साथ लाए लाल कपडे में लपेटा, छोटी-सी
पज
ू ा-अचाना की और इनको बरफ में दबा टदया। आनींद के इस क्षण में मझ
ु े अपने माता वपता का ध्यान आया।
उत्तर-
जब बचें द्री पाल टहमालय की चोटी पर सफलतापव ू क
ा पहुाँच गई तो उसने घट
ु ने के बल बैठकर बफा को माथे से छुआ। त्रबना मसर नीचे झुकाए हुए
ही अपने थैले से दग ु ाा मााँ का ग्रचि और हनम
ु ान चालीसा ननकाला। उसाँने इन्हें एक लाल कपडे में लपेटा। थोडी सी पज
ू ा की। कफर इस ग्रचि तथा
हनम
ु ान चालीसा को बफा में दबा टदया। उस समय उसे बहुत आनींद ममला। उसने प्रसन्नतापव
ू क
ा अपने माता-वपता को याद ककया।
पाठ्यपस्
ु तक के प्रश्ि-अभ्यास

प्रश्न 1.
ननम्नमलखखत प्रश्नों के उत्तर दीस्जए-
(क) प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भााँनत क्यों नहीीं हो पाता?
(ख) हमें अपना दख
ु दस
ू रों पर क्यों नहीीं प्रकट करना चाटहए? अपने मन की व्यथा दस
ू रों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है ?
(ग) रहीम ने सागर की अपेक्षा पींक जल को धन्य क्यों कहा है ?
(घ) एक को साधने से सब कैसे सध जाता है ?
(ङ) जलहीन कमल की रक्षा सूया भी क्यों नहीीं कर पाता?
(च) अवध नरे ि को ग्रचिकूट क्यों जाना पडा?
(छ) “नट’ ककस कला में मसद्ध होने के कारण ऊपर चढ जाता है ?
(ज) “मोती, मानष
ु , चन
ू ’ के सींदभा में पानी के महत्व को स्पष्ट कीस्जए।
उत्तर-
(क) प्रेम आपसी लगाव, आकषाण और ववश्वास के कारण होता है। यटद एक बार यह लगाव और ववश्वास टूट जाए तो कफर उसमें पहले जैसा भाव
नहीीं रहता। एक दरार मन में आ ही जाती है। ठीक वैसे जैसे कक धागा टूटने पर जड
ु नहीीं पाता। यटद उसे जोडा जाए तो गााँठ पड ही जाती है।

(ि) हमें अपना द:ु ख दस


ू रों पर प्रकट नहीीं करना चाटहए। कारण यह है कक लोग द:ु ख की बात सुनकर प्रसन्न ही होते हैं। वे उसे बााँटने को तैयार
नहीीं होते। उनका व्यवहार ममिों जैसा नहीीं, अवपतु बेगानों जैसा हो जाता है।

(ग) रहीम ने सागर को धन्य इसमलए नहीीं कहा क्योंकक उसका जल खारा होता है। वह ककसी की प्यास नहीीं बझ
ु ा पाता। उसकी तल
ु ना में पींक
का जल धन्य होता है क्योंकक उसे पीकर कीट-पतींगे अपनी प्यास बझ
ु ा लेते हैं।

(घ) एक परमात्मा को साधने से अन्य सारे काम अपने-आप सध जाते हैं। कारण यह है कक परमात्मा ही सबको मल
ू है। जैसे मल
ू अथाात ् जड
को सीींचने से फल-फूल अपने-आप उग आते हैं, उसी प्रकार परमात्मा को साधने से अन्य सब काया कुिलतापव
ू क
ा सींपन्न हो जाते हैं।

(ङ) कमल की मूल सींपवत्त है-जल। उसी के होने से कमल जीववत रहता है। यटद वह न रहे तो सूया भी कमल को जीवन नहीीं दे सकता। सूया
बाहरी िस्क्त है। जल भीतरी िस्क्त है। इसी भीतरी िस्क्त से ही जीवन चलता है।

(च) अवध नरे ि अथाात ् श्रीराम को ग्रचिकूट इसमलए जाना पडा क्योंकक उन्हें माता-वपता की आज्ञा का पालन करने के मलए चौदह वषों तक
वनवास भोगना था। उसी वनवास के दौरान उन्हें ग्रचिकूट जैसे रमणीय वन में रुकने का अवसर ममला।

(छ) नट स्वयीं को समेटकर, मसकोडकर तथा सींतुमलत करने के कारण कींु डली में से ननकल जाता है और तार पर चढ जाता है।

(ि) ‘मोती’ के सींदभा में ‘पानी’ का अथा है -चमक। रहीम का कहना है कक चमक के त्रबना मोती का कोई मल्
ू य नहीीं होता।
‘मानष
ु ’ के सींदभा में ‘पानी’ का अथा है -आत्म-सम्मान। रहीम का कथन है कक आत्म-सम्मान के त्रबना मनष्ु य का कोई मूल्य नहीीं होता।
‘चन
ू ’ के सींदभा में पानी का महत्त्व सवोपरर है। त्रबना पानी के आटे की रोटी नहीीं बनाई जा सकती। इसमलए वहााँ पानी का होना अननवाया है।

प्रश्न 2.
ननम्नमलखखत का भाव स्पष्ट कीस्जए-
(क) टूटे से कफर ना ममले, ममले गााँठ परर जाय।
(ख) सनु न अटठलैहैं लोग सब, बााँटट न लैहैं कोय।
(ग) रटहमन मल
ू टहीं सग्रचबो, फूलै फलै अघाय।
(घ) दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आटहीं।
(ङ) नाद :रीखझ तन दे त मग
ृ , नर धन हेत समेत
(च) जहााँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारर।
(छ) पानी गए न ऊबरै , मोती, मानष
ु , चन
ू ।
उत्तर-
(क) भाव यह है कक प्रेम का बींधन अत्यींत नाजक
ु होता है। इसमें कटुता आने पर मन की ममलनता कहीीं न कहीीं बनी ही रह जाती है। प्रेम का
यह बींधन टूटने पर सरलता से नहीीं जड
ु ता है । यटद जड
ु ता भी है तो इसमें गााँठ पड जाती है।

(ख) भाव यह है कक जब हम सहानभ


ु नू त और मुद्रदै पाने की आिा से अपना दख
ु दस
ू रों को सुनाते हैं तो लोग सहानभ
ु ूनत दिााने और मदद करने
की अपेक्षा हमारा मजाक उडाना िुरू कर दे ते हैं। अतः दस
ू रों को अपना दख
ु बताने से बचना चाटहए।

(ग) भाव यह है कक ककसी पेड से फल-फूल पाने के मलए उसके तने, पवत्तयों और िाखाओीं को पानी दे ने के बजाय उसकी जडों को पानी दे ने से
ही वह खूब हरा-भरा होता है और फलता-फूलता है। इसी तरह एक समय में एक ही काम करने पर उसमें सफलता ममलती है।

(घ) भाव यह है कक ककसी वस्तु का आकार ज्यादा महत्त्वपण


ू ा नहीीं होता है, महत्त्व होता है उसमें ननटहत अथा का। दोहे का महत्त्व इसमलए है कक
वह कम िब्दों में गूढ अथा समेटे रहता है।

(ङ) भाव यह है कक प्रसन्न होने पर मनष्ु य ही नहीीं, पिु भी अपना तने तक दे दे ते हैं परींतु कुछ मनष्ु य पिुओीं से भी बढकर पिु होते हैं। वे
धन के मलए अपना सब कुछ दे दे ते हैं।

(च) भाव यह है कक वस्तु की महत्ता उसके आकार के कारण नहीीं, बस्ल्क उसकी उपयोग्रगता के कारण होती है। छोटी से छोटी वस्तु का भी अपना
महत्त्व होता है, क्योंकक जो काम सई
ु कर सकती है उसे तलवार नहीीं कर सकती है।

(छ) भाव यह है कक मनष्ु य को सदै व पानी बचाकर रखना चाटहए क्योंकक पानी (चमक) जाने पर मोती साधारण पत्थर, सी रह जाती है, पानी
(इज्जत) जाने पर मनष्ु य स्वयीं को अपमाननत-सा महसस
ू करता है और पानी (जल) न रहने पर आटे से रोटटयााँ नहीीं बनाई जा सकती हैं।

प्रश्न 3.
ननम्नमलखखत भाव को पाठ में ककन पींस्क्तयों द्वारा अमभव्यक्त ककया गया है -

1. स्जस पर ववपदा पडती है वही इस दे ि में आता है।


2. कोई लाख कोमिि करे पर त्रबगडी बात कफर बन नहीीं सकती।
3. पानी के त्रबना सब सूना है अतः पानी अवश्य रखना चाटहए।

उत्तर-

1. जा पर ववपदा पडत है, सो आवत यह दे स।


2. त्रबगरी बात बनै नहीीं, लाख करौ ककन कोय।
3. रटहमन पानी राखखए, त्रबनु पानी सब सून।

प्रश्न 4.
उदाहरण के आधार पर पाठ में आए ननम्नमलखखत िब्दों के प्रचमलत रूप मलखखए-
उदाहरण : कोय – कोई, जे – जो
1. ज्यों – ……….
उत्तर
2. कछु – ………
3. नहीीं – ………
1. ज्यों – जैसे
4. कोय – ……..
2. कुछ – कछु
5. धनन – ……….
3. नटहीं – नहीीं
6. आखर – ………
4. कोय – कोई
7. स्जय – ……….
5. धनन – धनी
8. थोरे – ……..
6. आखर – अक्षर
9. होय – ………
7. स्जय – जी
10. माखन – ……….
8. थोरे – थोडे
11. तरवारर – ………..
9. होय – होना
12. सग्रचबो – ………….
10. माखन – मक्खन
13. मूलटहीं – ……….
11. तरवारर – तलवार
14. वपअत – ……….
12. सीींग्रचबो – मसींचाई करना
15. वपयासो – ……….
13. मूलटहीं – मूल
16. त्रबगरी – ……….
14. वपअत – पीना
17. आवे – ………
15. वपयासो – प्यासा
18. सहाय – ……….
16. त्रबगरी – त्रबगडी
19. ऊबरै – ………..
17. आवे – आए
20. त्रबनु – ………
18. सहाय – सहायक
21. त्रबया – ……….
19. ऊबरै – उबरना
22. अटठलैहैं – ………..
20. त्रबनु – त्रबना
23. पररजाय – ………..
21. त्रबथा – व्यथा
22. अटठलैहैं – अठखेमलयााँ
23. पररजाय – पड जाए

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