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पाठ ६ अब कहााँ दस

ू रों के दुःु ख में दख


ु ी होने वाले

मौखखक-
ननम्नललखखत प्रश्नो के उत्तर एक-दो पंक्ततयों में दीक्िए-

प्रश्न १ बडे-बडे बबल्डर समद्र


ु को पीछे तयों धकेल रहे थे ?

उत्तर बड़े-बड़े बबल्डर समद्र


ु ी ज़मीन को हथियाकर उस पर ननरं तर नई-नई इमारतें बनाकर समद्र
ु को पीछ़े धक़ेल
रह़े हैं ।

प्रश्न २ लेखक का घर ककस शहर में था ?

उत्तर ल़ेखक का पहल़े घर ग्वाललयर में िा और वततमान में मब


ुं ई क़े वसोवा में है ।

प्रश्न ३ िीवन कैसे घरों में लसमटने लगा है ?

उत्तर जीवन छोट़े -छोट़े डडब्बों जैस़े घरों में लसमटऩे लगा है ।

प्रश्न ४ कबत
ू र परे शानी में इधर-उधर तयों फडफडा रहे थे ?

उत्तर कबत
ू र पऱे शानी में इधर-उधर इसललए फडफडा रह़े ि़े क्योंकक उनक़े घोंसलों में स़े एक अंडा बबल्ली ऩे
उचककर तोड दिया िा और िस
ू रा अंडा ल़ेखक की मााँ द्वारा बचाऩे की कोलशश में उसक़े हाि स़े छूटकर
टूट गया िा ।

ललखखत-

(क) ननम्नललखखत प्रश्नों के उत्तर २५ से ३० शब्दों में ललखखए-

प्रश्न १ अरब में लश्कर को नह


ू के नाम से तयों याद करते हैं ?

उत्तर नह
ू का असली नाम लश्कर िा, ल़ेककन अरब में उनको नह
ू क़े पिसच
ू क क़े नाम स़े याि ककया जाता है ।
लश्कर को ‘नह
ू ' क़े रूप में इसललए याि ककया जाता है कक वह सारी उम्र रोत़े रह़े । रोऩे का कारण संसार
का िुःु ख िा ।

प्रश्न २ लेखक की मााँ ककस समय पेडों के पत्ते तोडने को मना करती और तयों ?

उत्तर ल़ेखक की मााँ सय


ू ातस्त क़े बाि प़ेडों क़े पत्त़े तोडऩे को मना करती िी । वह कहती िी इस समय पत्त़े
तोडऩे स़े प़ेड रोत़े हैं और दिया-बत्ती क़े समय फूल तोडऩे स़े फूल बद्िआ
ु ि़े त़े हैं ।
प्रश्न ३ प्रकृनत में आए असंतल
ु न का तया पररणाम हुआ ?

उत्तर प्रकृनत में आए असंतल ु न का पररणाम यह हुआ कक अब गमी में ज़्यािा गमी पडऩे लगी , ब़ेवक्त बरसातें
होऩे लगीं, ज़लज़ल़े, सैलाब और तफू ान उठऩे लग़े हैं । साि ही ननत नए-नए रोग उत्पन्न होऩे लग़े हैं ।

प्रश्न ४ लेखक की मााँ ने परू े ददन का रोजा तयों रखा ?

उत्तर ल़ेखक की मााँ बहुत ियालु और धमतभीरु स्री िीं । उनक़े हािों स़े गलती स़े कबत ू र का अंडा टूट
गया । इस पछताव़े क़े कारण उसऩे दिन-भर का रोज़ा रखा तिा खि ु ा स़े अपना गनु ाह माफ करऩे की
प्राितना की ।

प्रश्न ५ लेखक ने ग्वाललयर से बंबई तक ककन बदलावों को महसस


ू ककया ?

उत्तर ल़ेखक ऩे ग्वाललयर स़े बंबई तक अऩेक बिलाव ि़े ख़े । जहााँ पहल़े िरू -िरू तक जंगल ि़े, प़ेड, पश-ु पक्षियों
का वास िा, वहााँ बस्स्तयााँ बनऩे लगी हैं । इन बस्स्तयों ऩे प्राणणयों स़े उनक़े घर छीन ललए हैं । पश-ु पिी
शहर छोडकर कहीं भाग गय़े । जो भाग न सक़े, व़े िग
ु नत त व उप़ेिा सहकर जी रह़े ि़े ।

प्रश्न ६ ‘डेरा डालने' से आप तया समझते हैं ?

उत्तर ‘ड़ेरा डालऩे' का आशय है - अपऩे रहऩे का स्िान बनाना । उसक़े ललए आवश्यक साजो-सामान जुटाना ।
कबत
ू रों क़े ड़ेरा डालऩे का आशय है - अपऩे तिा बच्चों क़े ललए घोंसला बनाना । बच्चों क़े खाऩे-पीऩे क़े
ललए सामग्री जट
ु ाना ।

प्रश्न ७ शेख़ अयाज के पपता अपनी बािू पर काला च्योंटा रें गता दे ख भोिन छोडकर तयों उठ खडे हुए ?

उत्तर श़ेख अयाज़ क़े पपता बहुत ियालु तिा जीव-प्ऱेमी मनष्ु य ि़े । उन्होंऩे भोजन करत़े समय ि़े खा कक एक
काला च्योंटा उनकी बाजू पर रें ग रहा है । उन्हें लगा कक यह च्योंटा कुएाँ क़े पानी क़े साि उन तक आ
गया है । यह ब़ेघर हो गया है । इस़े वापस कुएाँ क़े पास छोड ि़े ना चादहए । इसी इच्छा स़े व़े भोजन
छोडकर उठ खड़े हुए । उनक़े इस कायत स़े उनकी जीव-जंतओ
ु ं क़े प्रनत ियालत
ु ा की भावना का पता चलता
है ।

(ख) ननम्नललखखत प्रश्नों के उत्तर ५० से ६० शब्दों में ललखखए-


प्रश्न १ बढ़ती हुई आबादी का पयाावरण पर तया प्रभाव पडा ?

उत्तर बढ़ती हुई आबािी का पयातवरण पर बहुत बरु ा प्रभाव पडा , जो आज हमाऱे सामऩे पयातवरण प्रिष ू ण की
समस्या क़े रूप में दिखाई ि़े रहा है । आबािी बढ़ऩे पर मनष्ु यों क़े आवास क़े ललए जंगलों का पवनाश
करक़े आवास बनाए गय़े, स्जसस़े प्रकृनत में असंतल ु न पैिा हो गया । बढ़ती हुई आबादियों ऩे समद्र ु को
पीछ़े सरकाना शरू
ु कर दिया, प़ेडों को रास्त़े स़े हटाना शरू
ु कर दिया, फैलत़े हुए प्रिष
ू ण ऩे पक्षियों को
बस्स्तयों स़े भागना शरू
ु कर दिया । बारूिों की पवनाशलीलाओं ऩे वातावरण को सताना शरू
ु कर दिया ।
अब गमी में ज़्यािा गमी, ब़ेवक्त की बरसातें , तफ
ू ान, बाढ़, भक
ू म्प जैसी प्राकृनतक आपिाएाँ नए-नए रोग
महामारी क़े रूप में मनष्ु यों को प्राप्त हो रह़े हैं । बढ़ती आबािी क़े कारण प्रकृनत का िोहन होऩे स़े
वस्तओ
ु ,ं पिािों की गण
ु वत्ता समाप्त हो चक
ु ी है और माँहगाई समस्या क़े रूप में खडी हुई है ।

प्रश्न २ लेखक की पत्नी को खखडकी में िाली तयों लगवानी पडी ?

उत्तर ल़ेखक की पत्नी को णखडकी में जाली इसललए लगवानी पडी , क्योंकक उसक़े फ़्लैट क़े एक मचान में िो
कबत
ू रों ऩे घोंसला बना ललया िा, व़े दिन में कई बार आत़े-जात़े और चीजों को थगराकर तोड ि़े त़े । कभी
ल़ेखक की लाइब्ऱेरी में घस
ु कर कबीर या लमज़ात गाललब की पस्
ु तकों को सताऩे लगत़े । इस रोज़-रोज़ की
पऱे शानी स़े तंग आकर ल़ेखक की पत्नी ऩे जहााँ कबत
ू रों का आलशयाना िा, उस जगह एक जाली लगा िी
िी ।

प्रश्न ३ समद्र
ु के गस्
ु से की तया विह थी ? उसने अपना गस्
ु सा कैसे ननकाला ?

उत्तर समद्र
ु क़े क्रोध का मख्
ु य कारण िा- उसकी सहनशस्क्त का जवाब ि़े ि़े ना | कई वषों स़े बड़े-बड़े बबल्डर
स्वाितवश समद्र
ु को पीछ़े धक़ेल कर उसकी ज़मीन को हथिया रह़े ि़े | समद्र
ु पहल़े तो लसमटता रहा, सहन
करता रहा | पर जब उसस़े सहन न हुआ तो उसम़े तफ
ू ान आया | समद्र
ु की लहरों ऩे बड़े-बड़े जहाजों को
उठाकर पटक दिया और समद्रु तट पर भयानक दृश्य उपस्स्ित हो गया | लोग सागर की पवकरालता और
प्रचंडता ि़े खकर भयभीत हो गए |

प्रश्न ४ “लमट्टी से लमट्टी लमले, खो के सभी ननशान |


ककसमें ककतना कौन है , कैसे हो पहचान ||”

उत्तर इस पद्यांश का आशय है - सभी प्राणणयों का ननमातण एक ही लमट्टी स़े हुआ है | उस लमट्टी में जाऩे कौन
कौन-सी लमट्टी लमली हुई है | इसका बोध ककसी को नहीं है | मत्ृ यु क़े बाि सभी इसी लमट्टी में लमल
जात़े हैं | अतुः मनष्ु य में ककतनी मनष्ु यता है और ककतनी पशत
ु ा, यह ककसी को नहीं पता | इसी प्रकार
पशु में ककतनी पशत
ु ा है और ककतनी मनष्ु यता, यह भी ककसी को ज्ञात नहीं | आशय यह है कक वह स्वयं
को ककसी पशु स़े ब़ेहतर न माऩे अिातत स्वयं को िस
ू रों स़े श्ऱेष्ठ न समझ़े |

(ग) ननम्नललखखत के आशय स्पष्ट कीक्िए-

प्रश्न १ “प्रकृनत की सहनशक्तत की एक सीमा होती है | प्रकृनत के गस्


ु से का एक नमन
ू ा कुछ साल पहले बम्बई में
दे खने को लमला था |”

उत्तर मनष्ु य ऩे प्रकृनत क़े साि बहुत णखलवाड ककया है | ककं तु प्रकृनत की सहन शस्क्त की भी एक सीमा होती
है | प्रकृनत क़े कोप का उिाहरण कुछ साल पहल़े मब ंु ई में ि़े खऩे को लमला िा | तब प्रकृनत का प्रकोप
इतना डरावना िा कक मब
ुं ई क़े ननवासी पज
ू ा-स्िलों में जाकर अपऩे आराध्य ि़े व स़े प्राितना करऩे लग़े ि़े |
उस समय समद्र
ु ऩे क्रोथधत होकर तीन जहाजों को तीन पवलभन्न दिशाओं में अपनी लहरों स़े उठाकर फेंक
दिया िा |

प्रश्न २ ‘िो क्ितना बडा होता है , उसे उतना ही कम गस्


ु सा आता है |”

उत्तर प्रतत
ु पंस्क्तयों क़े माध्यम स़े ल़ेखक समद्र
ु क़े पवषय में बतात़े हुए रह़े हैं कक भवन ननमातताओं ऩे समद्र
ु क़े
साि णखलवाड ककया, व़े उस़े पीछ़े ढक़ेलत़े गए | समद्रु का हृिय बहुत बडा िा अिातत अपनी पवशालता क़े
कारण वह अपऩे साि हो अन्याय को सहता रहा, ककं तु आणखरकार जब उसक़े सब्र का बााँध टूट गया, तब
उसऩे अपना कहर बरपाया, जहाज़ों को गें ि की तरह उठाकर ज़मीन पर पटक दिया | यह वाक्य समद्र
ु क़े
संिभत में कहा गया है |

प्रश्न ३ इस बस्ती में न िाने ककतने पररंदों-चररंदों से उनका घर छीन ललया है | इनमें से कुछ शहर छोडकर चले
गए हैं | िो नहीं िा सके हैं उन्होंने यहााँ-वहााँ डेरा डाल ददया है |

उत्तर ल़ेखक बम्बई क़े पवकास की किा का वणतन करत़े हुए कह रह़े हैं – मब ंु ई का जब पवकास ककया गया, तब
वहााँ बसोवा में घऩे जंगल, प़ेड-पौध़े और पश-ु पिी ि़े | बाि में उन्हें उजाडकर भवन बनाए गए | इस
बस्ती में रहऩे वाल़े पक्षियों क़े घर छीन ललए गए | कुछ यहााँ स़े िरू चल़े गए | जो श़ेष बच़े उन्होंऩे फ्लैटों
में अपना आलशयाना बनाकर ड़ेरा डाल दिया |

प्रश्न ४ शेख अयाज के पपता बोले, ‘नहीं, यह बात नाहीं है | मैंने एक घरवाले को बेघर कर ददया है | उस बेघर
को कुएाँ पर उसके घर छोडने िा रहा हूाँ |’ इन पंक्ततयों में नछपी हुई उनकी भावनाओं को स्पष्ट कीक्िए |

उत्तर प्रस्तत
ु पंस्क्तयों में ल़ेखक लसन्धी भाषा क़े महाकपव श़ेख अयाज़ की आत्मकिा क़े प्रसंग का उल्ल़ेख करत़े
हुए कह रह़े हैं कक श़ेख अयाज़ क़े पपता बहुत ियालु ककस्म क़े व्यस्क्त ि़े | वह जीव-जंतओ
ु ं पर रहम
करऩे वाल़े ियालु व्यस्क्त ि़े | एक बार व़े कुएाँ स़े स्नान कर घर आए | उनकी बााँह पर एक च्योंटा रें ग
रहा िा | व़े खाना छोडकर उस़े कुएाँ पर छोडऩे चल़े गए | इसस़े उनकी जीव-जंतओ
ु ं पर ियालत
ु ा की
भावना का पता चलता है |

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