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NCERT Solutions for Class 10

Hindi Kritika
Chapter 3 - साना साना हाथ जोड़ि

1. ड़िलड़िलाते ड़सतारोों की रोशनी िें नहाया गों तोक ले खिका को ड़कस तरह सम्मोड़हत
कर रहा था?
उत्तर: झिलझिलाते तार ों की प्रकाश िें सिाझित गोंत क शिर ले खिका के िन िें एक सम्म िन
जगा रिा था। इस शिर का सभी कुछ अत्योंत सुोंदर था। इस सुोंदरता ने ले खिका पर ऐसा जादू
कर झदया था झक उसे सब कुछ स्थझगत और अथथ िीन लग रिा था। ले खिका क अपने भीतर-
बािर एक शून्य-सा व्याप्त ि ता झदि रिा था।

2. गोंतोक को ‘िेहनकश बादशाहोों का शहर’ क्ोों कहा गया?


उत्तर: गोंत क क 'िेिनतकश बादशाि ों का शिर' इसझलए किा क् झों क यि पर रिने वाला िर
व्यखि चािें वि बच्चा ि या बूढ़ा ि िर क ई कड़ी िेिनत करके किाता िैं । गोंत क एक ऐसा
पवथतीय स्थल िै झजसे विााँ के िेिनतकश ल ग ों ने अपनी िेिनत से सु रम्य बना झदया िै । यिााँ
पत्थर ों क काटकर ल ग रास्ते बनाते िैं , बच्चे सुबि-सुबि पिाड़ ों क पार करके स्कूल जाते िैं
झिर घर आने के बाद घर के काि ों िें िाथ बटाते िैं । यिाों के ल ग ों का जीवन इतना कझिन ि ने
के बाबजू द भी शिर क िूबसूरत बना रिा िैं ।

3. कभी श्वेत तो कभी रों गीन पताकाओों का फहराना ड़कन अलग-अलग अवसरोों की ओर
सोंकेत करता है ?
उत्तर: श्वेत पताकाएों झकसी बुखिस्ट के झनधन पर ििरायी जाती िैं । ये िोंत्र झलिी 108 पताकाएों
ििरायी जाती िैं और इन्हें उतारा निीों जाता। ये अपने आप नष्ट ि जाती िैं ।
रों गीन पताकाएों झकसी झवशे ष अवसर या शुभ कायथ पर ििरायी जाती िैं ।

4. ड़जते न नागे ने ले खिका को ड़सखिि की प्रकृड़त, वहााँ की भौगोड़लक खथथड़त एवों


जनजीवन के बारे िें क्ा िहत्त्वपू र्ण जानकाररयााँ दी ों, ड़लखिए।
उत्तर: जीतेन नागे ने ले खिका क झसखिि के झवषय िें झनम्नझलखित जानकाररयाों दी -
1) गोंत क एक पिाड़ी इलाका िैं ।
2) यिााँ के ल ग बहुत िेिनती िैं ।
3) गोंत क से यूिथाों ग तक तरि-तरि के िूल खिले िैं तथा िूल ों से भरी हुई वाझदयााँ भी िैं ।

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4) श्वेत पताकाएाँ जब यिााँ झकसी बुि के अनुयायी की िृत्यु ि ती िै त ििरायी जाती िैं । ये 108
ि ती िैं ।
5) रों गीन पताकाएाँ नए कायथ के आरों भ ि ने पर ििरायी जाती िैं ।
6) यिााँ के एक स्थान पर ‘गाइड’ झिल्म की शू झटों ग भी हुई थी झजसका नाि िै "कवी-ल ग ों -
स्टॉक"।
7) यिााँ एक धिथचक्र भी िै । इसक घुिाने से सारे पाप दू र ि जाते िैं ।
8) यि जगि पिाड़ी इलाका िै । यिााँ झचकने-चबीले ल ग निीों झिलते िै।
9) ‘कटाओ' क्षेत्र क भारत का खिट् जरलैंड भी किते िै ।
10) यूिथाों ग की घाझटयाों पोंद्रि झदन ों िें िी िूल ों से एकदि भर जाती िै ।

5. लोोंग स्टॉक िें घूिते हुए चक्र को दे िकर ले खिका को पू रे भारत की आत्मा एक-सी
क्ोों ड़दिाई दी?
उत्तर: ल गों स्टॉक िें घूिते हुए चक्र क दे िकर ले खिका ने उसके बारे िें पूछा त झजते न नागे
ने बताया झक यि 'धिथ-चक्र' िै । इसे घुिाने पर सारे पाप धुल जाते िैं । झजतेन की यि बात सुनकर
ले खिका ने िन िें स चा झक पूरे भारत की आत्मा एक िी िै क् झों क िैदानी क्षेत्र ों िें गोंगा के झवषय
िें भी ऐसी िी धारणा ल ग ों के िन िें रिती िै । इतनी ज्यादा तकनीकी आधुझनकता आ जाने के
बावजू द भी सिाज के ल ग ों की आस्थाएाँ , झवश्वास, िान्यताएों और पाप-पुण्य की अवधारणाएाँ
एक सिान िैं ।

6. ड़जतने नागे की गाइड की भूड़िका के बारे िें ड़वचार करते हुए ड़लखिए ड़क एक कुशल
गाइड िें क्ा गुर् होते हैं ?
उत्तर: झजते न नागे ले खिका का डराइवर कि गाइड था। वि नेपाल से कुछ झदन पिले आया था
झजसे नेपाल और झसखिि की अच्छी जानकारी थी। वि क्षेत्र-से सुपररझचत था। उसिें प्रायः
गाइड ि ने के वे सभी गुण थे ज एक कुशल गाइड िें ि ते िैं ।
एक कुशल गाइड के झनम्नझलखित गुण ि ते िैं -
1) एक कुशल गाईड क अपने स्थान की पूणथ जानकारी ि नी चाझिए जै से विााँ की भौग झलक,
आझथथ क, िौसि तथा विााँ के ल ग ों के जीवन की भी वि नागे िें सम्यक रूप से थी।
2) वि गाइड ि ने के साथ-साथ वि डराइवर भी था। उसे कब किााँ जाना िै इसके झलए उसे
कुछ सलाि ले ने की आवश्यकता निीों ि ती िै ।
3) गाइड िें सैलाझनय ों क प्रभाझवत करने की र चक शै ली ि नी चाझिए ज उसिें थी। वि अपनी
िज़े दार बात ों से ले खिका क प्रभाझवत करता था; जै से-“िैडि, यि धिथ चक्र िै -प्रेअर व्हील,
इसक ग ल-ग ल घुिाने से व्यखि के जीवन के सिस्त पाप नष्ट ि जाते िैं ।”

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4) एक कुशल गाइड क उस क्षेत्र के जन-जीवन की गझतझवझधय ों की भी जानकारी ि नी चाझिए
और उसे सोंवेदनशील भी ि ना चाझिए।
5) वि पयथटक ों के साथ घूिते हुए इतना घुल-झिल जाता िै झक वि ियों िी पयथटक ों का िन रों जन
करने लगता िै तथा पयथटक भी उसका साथ दे ते िैं । इस तरि वि आपस िें अच्छे सोंबोंध बना
ले ता िै ।
6) कुशल गाईड बातू नी ि ता िै । वि अपनी बात ों से पयथटन स्थल ों के प्रझत झजज्ञासा बनाए रिता
िै । पताकाओों के बारे िें िित्त्वपूणथ जानकारी दे कर नागे उस स्थान के िित्व क बढ़ा दे ता िै ।

7. इस यात्रा-वृत्ताोंत िें ले खिका ने ड़हिालय के ड़जन-ड़जन रूपोों का ड़चत्र िी ोंचा है , उन्हें


अपने शब्ोों िें ड़लखिए।
उत्तर: इस यात्रा िें ले खिका ने झििालय के पल-पल पररवझतथ त ि ते रूप ों क दे िा िैं । जै से िी
ऊाँचाई पर चढ़ते जाते िैं झििालय झवशाल से झवशालतर ि ता चला जाता िै । छ टी-छ टी
पिाझड़यााँ बड़े -बड़े पवथत ों िें बदलने लगती िैं । घाझटयााँ गिरी ि ते हुए पाताल नापने लगती िैं ।
वाझदयााँ चौड़ी ि ने लगती िैं , झजनके बीच रों ग-झबरों गे िूल िुसकराते हुए नज़र आते िैं । चार ों
झदशाओों िें प्राकृझतक सुषिा िैली नज़र आती िै । जल-प्रपात जलधारा बनकर पत्थर ों के बीच
बलिाती-सी झनकलती िै त िन क ि ि लेती िै । झििालय किीों िररयाली के कारण चटक िरे
रों ग जै सा झदिता िै , किीों पीला नज़र आता िै । किीों पर िरदू री दीवार की तरि पथरीला नजर
आता िै । कभी-कभी त बादल ों िें सिाझित,सब कुछ बादलिय झदिाई दे ता िै त कभी कुछ
और। कटाओ से आगे बढ़ने पर पूरी तरि बिथ से लबा-लब पिाड़ झदि रिे थे। चार ों तरि दू ध
की धार की तरि झदिने वाले िरने थे तथा विीों िरने के नीचे चााँ दी की तरि चिक िारती
झतस्ता नदी भी बि रिी थी। झजसने ले खिका के िन क प्रिुखित कर झदया।

8. प्रकृड़त के उस अनोंत और ड़वराट स्वरूप को दे िकर ले खिका को कैसी अनुभूड़त होती


है ?
उत्तर: ले खिका ने जब प्रकृझत के िन रि सौोंदयथ क दे िा त वि एकदि शाों त ि गयी जै से
झकसी ऋझष की तरि ि गयी ि । वि सारे सुोंदर दृश्य ों क अपने भीतर सिाझित करना चािती
थी। वि र िाों झचत थी, पुलझकत थी। ले खिका क आझदि युग की अझभशप्त राजकुिारी-सी नीचे
झबिरे भारी-भरकि पत्थर ों पर िरने के सोंगीत के साथ आत्मा का सों गीत सुनने जै सा आभास
ि रिा था। ले खिका क ऐसा लग रिा था िान उसके भीतर की सारी तािझसकताएाँ और दु ष्ट
वासनाएाँ इस झनिथल धारा िें बि गई ि ।ों उसका िन हुआ झक वि अनोंत सिय बिती रिे तथा
ले खिका विााँ बैि कर उस िरने की िृदुल आवाज़ सुनती रिे ।
प्रकृझत के इस िन रि सौोंदयथपूणथ दृश्य क दे िकर ले खिका क यि अिसास हुआ झक यिी
सौोंदयथ दृश्य जीवन का परि आनोंद िै ।

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9. प्राकृड़तक सौ ोंदयण के अलौड़कक आनोंद िें डूबी ले खिका को कौन-कौन से दृश्य िकिोर
गए?
उत्तर: प्राकृझतक सौोंदयथ के अलौझकक आनोंद िें डूबी ले खिका क सड़क बनाने के झलए पत्थर
त ड़ती, सुोंदर क िल पिाड़ी िझिलाएों का दृश्य िकि र गया। ले खिका ने दे िा झक उस
अझितीय सौोंदयथ से अलग कुछ पिाडी िझिलाएों पत्थर ों पर बैिी पत्थर त ड़ रिी थीों। उनके िाथ ों
िें कुदाल व िथौड़े थे और कइय ों की पीि पर बोंधे ड क (बड़ी ट करी) िें उनके बच्चे भी साथ
थे । यि झवचार ले खिका के िन क बार-बार िकि र करता रिा झक नदी, िूल ,ों वाझदय ों और
िरन ों के ऐसे िझगथक िन रि सौोंदयथ के बीच भूि, िौत और जीने की चाि के बीच जोंग भी जारी
िै ।

10. सैलाड़नयोों को प्रकृड़त की अलौड़कक छटा का अनुभव करवाने िें ड़कन-ड़कन लोगोों
का योगदान होता है , उल्लेि करें ।
उत्तर: सैलाझनय ों क प्रकृझत की अलौझकक छटा का अनुभव कराने िें झनम्न ल ग ों का य गदान,
सरािनीय ि ता िै -
1) वे ल ग ज व्यवस्था िें सोंलग्न ि ते िैं ।
2) विााँ के स्थानीय गाइड ज उस क्षेत्र की सवथ था जानकारी रिते िैं और सैलान य ों क सभी
जगि का दौरा कराने ले जाते िैं ।
3) विााँ के स्थानीय ल ग ज विााँ पर भ्रिण करने आये ल ग ों से बात करते िैं , िदद करते िै तथा
उन्हें छ टी-छ टी चीज ों की जानकारी भी दे ते िैं ।
4) वे सिय गी यात्री ज यात्रा िें िस्ती भरा िािौल बनाए रिते िैं और कभी झनराश निीों ि ते
िैं । उत्साि से भरपूर ि ते िैं ।

11. “ड़कतना कि ले कर ये सिाज को ड़कतना अड़िक वापस लौटा दे ती हैं ।” इस कथन


के आिार पर स्पष्ट करें ड़क आि जनता की दे श की आड़थणक प्रगड़त िें क्ा भूड़िका है?
उत्तर: झकसी दे श की आि जनता दे श की आझथथ क प्रगझत िें बहुत अझधक ले झकन अप्रत्यक्ष
य गदान दे ती िै । आि जनता के इस वगथ िें िज़दू र, डराइवर, ब ि उिाने वाले , िेरीवाले , कृझष
कायों से जु ड़े ल ग आते िैं । अपनी यूिथाों ग की यात्रा िें ले खिका ने दे िा झक पिाड़ी िजदू र
िझिलाएों पत्थर त ड़कर पयथटक ों के आवागिन के झलए रास्ते बना रिी िैं । इससे यिााँ पयथटक ों
की सोंख्या िें वृखि ि गी झजसका सीधा-सा असर दे श की आझथकथ खस्थझत पर ओर दे श की प्रगझत
पर पड़े गा। इसी प्रकार कृझष कायों िें शाझिल िजदू र, झकसान फ़सल उगाकर राष्टर की प्रगझत
िें अपना बहुिूल्य य गदान दे ते िैं ।

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12. आज की पीढी द्वारा प्रकृड़त के साथ ड़कस तरह का खिलवाि ड़कया जा रहा है । इसे
रोकने िें आपकी क्ा भूड़िका होनी चाड़हए।
उत्तर: आज की पीढ़ी िारा प्रकृझत के साथ बहुत खिलवाड़ झकया जा रिा िै । िि ल ग आज वन ों
क काट लर ित्म कर रिे िैं । रास्ता बनाने के झलए पिाड ों क काट रिे िैं , विााँ के पेड़-पौध ों
क नष्ट कर रिे िैं । िैक्टररय ों के गोंदे पानी क नझदय ों िें बिा रिे िैं झजससे पीने का जल भी
दू झषत ि रिा िै ।
इसे र कने के झलए िि ल ग झनम्न उपाय कर सकते िैं -
1) वृक्ष ों क न िी काटे न िी काटने दे ।
2) सब ल ग अपने आस-पास वृक्षार पण करें ।
3) पॉझलथीन का प्रय ग कि से कि करें ।
4) वािन ों का प्रय ग कि से कि करें ।
5) घर के कचरे क यथास्थान डाले ।

13. प्रदू षर् के कारर् स्नोफॉल िें किी का ड़जक्र ड़कया गया है ? प्रदू षर् के और कौन-
कौन से दु ष्पररर्ाि सािने आए हैं , ड़लिें।
उत्तर: ले खिका क उम्मीद थी झक उसे लायुोंग िें बिथ दे िने क झिल जाएगी, ले झकन एक
झसििी व्यखि ने बताया झक प्रदू षण की वजि से स्न िॉल कि ि गया िै ; अतः उन्हें 500
िीटर ऊपर 'कटाओ' िें िी बिथ दे िने क झिल सकेगी। प्रदू षण के कारण पयाथ वरण िें अनेक
पररवतथ न आ रिे िैं । स्न िॉल की किी के कारण नझदय ों िें जल की िात्रा कि ि ती जा रिी िै ।
पररणाििरूप पीने य ग्य जल की किी सािने आ रिी िै । प्रदू षण के कारण वायु भी प्रदू झषत
ि रिी िै । बड़े नगर ों िें त सााँ स ले ने के झलए ताजा िवा का झिलना भी िुखिल ि रिा िै । सााँ स
सोंबोंधी र ग ों के साथ-साथ कैंसर तथा उच्च रिचाप की बीिाररयााँ बढ़ रिी िैं । ध्वझन प्रदू षण
िानझसक बीिाररयाों , बिरे पन जै से कई र ग ों का कारण बन रिा िै ।

14. 'कटाओ' पर ड़कसी भी दु कान का न होना उसके ड़लए वरदान है । इस कथन के पक्ष
िें अपनी राय व्यक्त कीड़जए?
उत्तर: 'कटाओ' क अपनी िच्छता और सुोंदरता के झलए िी भारत का "खिट् जरलैंड" किा
जाता िै । यि सुोंदरता आज तक इसीझलए बरकरार िै क् झों क यिााँ क ई दु कानव िकान आझद
निीों िै । यझद यिााँ पर भी दु कानें िुल जायेंगी, व्यवसायीकरण ि जाए त इस स्थान की सुोंदरता
नष्ट ि ती रिे गी, इसझलए कटाओों िें दु कान का न ि ना उसके झलए वरदान िै ।
िनुष्य सुोंदरता, िच्छ्ता क दे िकर प्रसन्न ि ता िै त िनुष्य िी सुोंदरता क झबगाड़ता िै । अपनी
झजम्मेदारी और कतथ व्य का पालन न कर प्रयुि चीज ों के अवझशष्ट क जिााँ -तिााँ िेंक कर
प्रकृझत क गोंदा करता िै । ‘कटाओ’ िें दु कान व िकान न ि ने के कारण विााँ पर

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व्यवसायीकरण निीों हुआ िै झजससे विााँ पर ल ग ों की सोंख्या बहुत िी कि रिती िै , झजससे
यिााँ की सुोंदरता अभी तक बरकरार िै ।

15. प्रकृड़त ने जल सोंचय की व्यवथथा ड़कस प्रकार की है ?


उत्तर: प्रकृझत ने जल-सोंचय की बड़ी अद् भुत व्यवस्था की िै । प्रकृझत सझदथ य ों िें पवथत झशिर ों
पर बिथ के रूप िें झगरकर जल क इकठ्ठा करती िै । झिि-िोंझडत पवथत-झशिर एक प्रकार के
जल-स्तोंभ िैं , ज गझिथय ों िें जलधारा बनकर कर ड़ ों कोंि ों की प्यास बु िाते िैं । नझदय ों के रूप
िें बिती यि जलधारा अपने झकनारे बसे नगर-गााँ व ों िें जल-सोंसाधन के रूप िें तथा निर ों के
िारा एक झवस्तृत क्षेत्र िें झसोंचाई करती िैं और अोंततः सागर िें जाकर झिल जाती िैं । सागर से
जलवाष्प बादल के रूप िें उड़ते िैं , ज िैदानी क्षेत्र ों िें वषाथ तथा पवथतीय क्षेत्र ों िें बिथ के रूप
िें बरसते िैं । इसी प्रकार ‘जल-चक्र’ के िारा प्रकृझत ने जल-सोंचय तथा झवतरण की अन िी
व्यवस्था की िै ।

16. दे श की सीिा पर बैठे फौजी ड़कस तरह की कड़ठनाइयोों से जूिते हैं ? उनके प्रड़त
हिारा क्ा उत्तरदाड़यत्व होना चाड़हए?
उत्तर: दे श की सीिा पर,जिााँ का तापिान गझिथय ों िें भी -15 झडग्री सेलझसयस ि ता िै , उस
कड़कड़ाती िों ड िें ििारे दे श के फ़ौजी पिरा दे ते िैं जब झक िि ल ग विााँ पर एक सेकोंड भी
निीों रूक सकते त ििारे फ़ौजी सदी तथा गिी िें विीों रिकर दे श की रक्षा करते रिते िैं ताझक
िि चैन की नीोंद स सकें। ये जवान िर पल कझिनाइय ों का सािना करते िैं और अपनी जान
की परवाि झकये बगैर पर विााँ पर रिते िैं ।
ििें सदा उनकी सलािती की दु आ करनी चाझिए। उनके पररवारवाल ों के साथ ििेशा
सिानुभूझत, प्यार व सम्मान के साथ पेश आना चाझिए तथा जब भी जरूरत पड़े त उनकी िदद
करनी चाझिए।

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