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कैल यूपोट
अनुवादक : अ भषेक शु ला
ISBN : 978-93-90132-03-4
Deep Work
by Cal Newport
वषय सूची
तावना
वचार
2) गहन काय लभ है
नयम
उपसंहार
तावना
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आगे चलकर काल युंग बीसव शता द के सबसे भावशाली वचारक म से एक के तौर
पर स ए। बेशक उनक इस सफलता के पीछे कई कारण ह, पर इस कताब म
तुत करने के लए मेरी दलच ी उनके न न ल खत कौशल म सबसे यादा है, जसने
न त ही उनक उपल य म एक मह वपूण भू मका नभाई थी -
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भावशाली लोग के बीच गहन काय क इस सव ापकता (हर जगह पर होना) पर जोर
दे ना इस लए मह वपूण है य क यह अ धकांश आधु नक नॉलेज वकस के वहार से
बलकुल वपरीत है - यह एक ऐसा समूह है, जो गहनता म जाने का मह व तेजी से
भुलाता जा रहा है।
इस दाश नक बहस को लेकर मेरा अपना कोई ख नह है। मेरी दलच ी तो इससे जुड़ी
एक थी सस म है, जो कह अ धक ावहा रक और वैय क रवैया रखती है: सतहीपन
क ओर बढ़ रही हमारी कायसं कृ त (भले ही आप इसे दाश नक प से अ ा मानते ह
या बुरा) ऐसे कुछे क लोग के लए बड़े पैमाने पर एक आ थक और गत अवसर है,
जो इस चलन से बचने और गहनता को ाथ मता दे ने क मता को पहचानते ह - कुछ
साल पहले एक युवा सलाहकार जेसन बेन ने इसी अवसर का पूरा लाभ उठाया था।
बेन याद करते ए बताते ह, ‘ व ीय मामल के बारे म मने जो कुछ भी सीखा था, उसके
हसाब से मुझे यह या बेहद भ और थका दे नेवाली लगी।’ उ ह पता था क
माइ ोसॉ ट ए सेल म मै ोज़ नाम का एक फ चर होता है, जो यूजस को सामा य काय
को वचा लत ढं ग से पूरा करने क सु वधा दे ता है। बेन ने इस वषय पर कुछ लेख पढ़े
और ज द ही एक नई वकशीट तैयार कर ली, जो इन मै ोज़ क एक पूरी ृंखला के साथ
जुड़ी ई थी। यह डाटा म हेरफेर करने क छह घंटे लंबी या को सफ एक लक म
पूरा कर सकती थी। पहले एक रपोट तैयार करने म बेन को पूरा दन लग जाता था,
जब क अब वे यह काम सफ आधे घंटे म पूरा कर सकते थे।
बेन एक बु मान ह। उ ह ने एक त त कॉलेज (वज नया यू नव सट ) से
अथशा क ड ी हा सल क है। अपने जैसे कई युवा छा क तरह ही वे भी अपने
कॅ रयर के मामले म काफ मह वाकां ी थे। पर ज द ही उ ह एहसास हो गया क उनक
ये मह वाकां ाएँ कभी कुंठा म त द ल हो सकती ह य क सफ एक ए सेल मै ो उनके
मु य ावसा यक कौशल क जगह ले सकता है। इसी लए उ ह ने तय कया क उ ह खुद
को और अ धक मू यवान बनाना होगा। इस बारे म कुछ समय तक जानका रयाँ इक ा
करने के बाद आ खरकार बेन एक न कष तक प ँच: उ ह ने अपने प रवार से कह दया
क ‘वे ए सेल ेडशीट का इंसानी प बनने क अपनी यह नौकरी छोड़कर एक कं यूटर
ो ामर बनगे।’ हालाँ क हर बड़ी योजना क तरह ही, बेन क इस योजना के रा ते म भी
एक अड़चन थी: जेसन बेन को कं यूटर ो ा मग के कोड् स लखने के बारे म कुछ पता
नह था।
दो महीने तक खुद को कमरे म बंद रखकर अ ययन करने के बाद बेन ने डेव बूटकै म
भाग लया। यह वेब ए लकेशन ो ा मग पर स ताह म सौ घंटे चलनेवाला एक ै श कोस
है और अपनी क ठनता के लए बड़ा स है। ( ो ाम पर शोध करते समय बेन को एक
छा मला, जो टन यू नव सट से पीएचडी कर चुका था। उसने डेव बूटकै क
ा या कुछ इस कार क , ‘मने अपने जीवन म कभी इतनी मु कल चीज़ पर काम नह
कया था।’) चूँ क बेन ने पहले ही इसक अ खासी तैयारी कर ली थी, साथ ही उ ह ने
हाल ही म गहन काय करने क अपनी मता को भी बेहतर बना लया था, इसी लए इस
बूटकै म भी उ ह ने उ कृ दशन कया। इस बारे म उनका कहना था, ‘कुछ लोग यहाँ
बना कसी तैयारी के ही चले आते ह। फर वे यान क त नह कर पाते और न ही उनक
सीखने क ग त ती होती है।’ बेन के साथ इस कोस म जतने छा ने भाग लया था,
उनम से सफ आधे ही इसे तयशुदा अव ध म पूरा कर सके। बेन ने न सफ इसे पूरा कया
ब क अपनी क ा म वे सव म छा भी रह।
पछली बार जब मेरी बेन से बात ई, तो वे अपनी नई नौकरी म तेजी से उ त कर रहे थे।
गहन काय के नए-नए उपासक बने बेन ने अपने ऑ फस के पास ही एक अपाटमट कराए
पर ले लया था। जससे उनके लए हर रोज सुबह-सुबह अपने सहक मय से पहले
ऑ फस प ँचना और बना यान भटके काम करना संभव हो गया। उ ह ने मुझे बताया,
‘जब मेरा दन अ ा गुजर रहा होता है, तो मुझे दन क पहली मी टग शु होने से पहले
ही एका होकर काम करने के लए करीब चार घंटे का समय मल जाता है। इसके बाद
अ सर दोपहर म भी एका होकर काम करने के लए करीब तीन से चार घंटे मल जाते
ह। और यहाँ एका होने का मतलब सचमुच एका होना है: कोई ई-मेल नह , कोई हैकर
यूज (3 ) नह , सफ और सफ ो ा मग, बस।’ जो खुद यह वीकार कर चुका हो
क वह अपनी पछली नौकरी म दन का 98 फ सद समय सफ इंटरनेट स फग करते ए
बता दया करता था, ऐसे म यह बदलाव आना अपने आपम वाकई अचरज क
बात है।
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जेसन बेन क कहानी हम एक मह वपूण सबक सखाती है: गहन काय लेखक और
बीसव सद के शु आती दौर के दाश नक का अतीत के त ेम नह है ब क यह एक
ऐसा कौशल है, जो वतमान म ब त मू यवान है।
सरे श द म कह, तो गहन काय कोई पुराने जमाने का अनु चत होता जा रहा कौशल नह
है। ब क यह हर उस के लए एक मह वपूण मता बनती जा रही है, जो वै क
तर पर त ध बन चुक और उ चत दशन करने म असफल को हराकर सूचना
आधा रत अथ व ा म आगे बढ़ना चाहता हो। वा तव म असली ग त उन लोग के
लए आर त नह है, जो आसानी से फेसबुक चला सकते ह (यह एक सतही काय है,
जसक नकल करना बड़ा आसान है)। ब क यह ग त तो उनके लए आर त होगी, जो
कसी सेवा का संचालन करने म स म वतरण- व ा को आसानी से तैयार कर सकते
ह (ये न त प से एक गहन काय है, जसक नकल करना कतई आसान नह है)।
गहन काय इतना मह वपूण होता है क वसाय लेखक ए रक बाकर के श द म कह तो -
हम इसे 21व सद क महाश के प म भी दे ख सकते ह।
गहन काय क अवधारणा : गहन काय करने क मता तेजी से लभ होती जा रही है।
साथ ही हमारी वतमान अथ व ा म गहन काय का मू य भी तेजी से बढ़ रहा है।
प रणाम व प जो लोग अपने अंदर यह कौशल वक सत करगे और उसे अपने
कामकाजी जीवन का क बना लगे, वे न त ही ग त करगे।
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2 ऐसे कमचारी जनक मु य पूँजी उनका ान होता है, जैसे ो ामर, डॉ टर, इंजी नयर,
अकाउं टट, आ कटे ट, वै ा नक और वक ल वगैरह
सन 2012 के चुनाव का दन जैस-े जैसे करीब आ रहा था, यूयॉक टाइ स क वेबसाइट
पर ै फक बढ़ता जा रहा था। रा ीय मह व के मौक पर यह एक सामा य बात है।
हालाँ क इस बार मामला ज़रा अलग था। इस ै फक का एक बड़ा ह सा - कुछ रपोट् स
के अनुसार करीब 70 फ सद से भी यादा - वेबसाइट के एक वशेष पेज को व जट कर
रहा था, जो अपने आपम हैरानी क बात थी। ऐसा नह था क इस पेज पर दे श क सबसे
बड़ी खबर छपी हो या कसी पु ल ज़र पुर कार वजेता लेखक क ट पणी का शत ई
हो। ब क यह तो बस एक लॉग पेज था, जसे चलानेवाले का नाम था नेट स वर। वे
बेसबॉल के आँकड़ क गहन जानकारी रखनेवाले थे, पर अब उ ह ने चुनाव के
नतीज का पूव अनुमान लगाना शु कर दया था। इसके बाद एक साल से भी कम समय
के भीतर ई.एस.पी.एन. और ए.बी.सी. यूज ने नेट स वर को एक बड़ा ताव दे कर
यूयॉक टाइ स से छ न लया (हालाँ क यूयॉक टाइ स ने स वर को अपने सं ान म
रोकने के लए दस लेखक का टाफ उपल कराने क पेशकश भी क , जो लॉग चलाने
म उनक सहायता करता पर फर भी बात नह बनी)। ई.एस.पी.एन. और ए.बी.सी. यूज
ने स वर को जो ताव दया था, उसम उ ह खेलकूद से लेकर मौसम तक और नेटवक
यूज सेगमट से लेकर एकेडमी अवॉड् स के टे लीका ट तक, हर मामले म मह वपूण भू मका
नभाने का मौका मल रहा था। हालाँ क नेट स वर ारा गत तौर पर तैयार कए
गए, हाथ से चलनेवाले मॉड स के काय णाली क कठोरता बहस का वषय है। ले कन
कुछ लोग ऐसे भी ह, जो इस बात से इनकार करते ह क यह 35 वष य डाटा- वशेष सन
2012 म हमारी अथ व ा म एक वजेता बनकर उभरा था।
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नई अथ व ा म वजेता कैसे बन
मने ऐसे दो समूह क पहचान क है, जो उ त के लए तैयार ह और जनके बारे म मेरा
यह दावा है क उन तक प ँचा जा सकता है: पहला समूह उन लोग का है, जो ज टल
मशीन के साथ रचना मक ढं ग से काम कर सकते ह और सरा समूह उन लोग का है, जो
अपने काय े म कसी सतारे क है सयत रखते ह। आजकल के बढ़ते ड जटल डवाइड
के बीच मौजूद इन आकषक े म प ँचने का रह य या है? मेरा मानना है क इसके
लए वे दो मु य यो यताएँ ब त मह वपूण ह, जनका उ लेख आगे कया गया है।
नई अथ व ा म ग त करने के लए ज़ री दो मु य यो यताएँ
FROM non_capitals;
हालाँ क ांट क उ पादकता कई कारक पर नभर करती है, पर एक वशेष वचार उनक
प त म मु य प से क य भू मका म नज़र आता है: क ठन ले कन मह वपूण बौ क
काय का वग करण कर, उ ह पूरा करने के लए, अबा धत प से लंबी समय अव ध तक
जुटे रहना। ांट यह वग करण व भ तर पर करते ह। एक साल क अव ध के दौरान
अपने पूरे श ण-स म उ ह ने अपना यान शरद ॠतुवाले सेमे टर पर क त कर लया,
ता क इस दौरान वे अपने छा को अ तरह पढ़ा सक और उनके लए हमेशा उपल
रह (उनक यह प त कारगर होती नज़र आ रही है य क ांट इस समय हाटन
बजनेस कूल म सबसे ऊँची रे टग हा सल करनेवाले श क ह और साथ ही वे श ण से
जुड़े व भ पुर कार भी जीत चुके ह)। शरद ॠतु म श ण पर यान क त करने के बाद
ांट ग मय और वसंत ॠतु म अपना पूरा यान शोध काय पर क त कर सकते ह। तब
उनके पास ऐसी कोई ज मेदारी नह बचती, जसके चलते उनका यान भटके।
ांट समय के लहाज से छोटे पैमाने पर भी अपना यान क त करना अ तरह जानते
ह। शोध के लए सम पत सेमे टर म भी वे बारी-बारी से अपने छा व सहक मय से
मलने का समय नकाल लेते ह। इसके बाद वे खुद को हर कसी से अलग-थलग रखकर
अपने शोध काय म इस कार जुट जाते ह क कोई चीज़ उनका यान न भटका सके। वे
आमतौर पर शोध-प लखने के काय को भी तीन अलग-अलग ह स म बाँट लेते ह:
डाटा का व ेषण, शोध-प का पूरा मसौदा लखना और फर उस मसौदे का संपादन
करके उसे काशन के लए तैयार करना। इनम से हर काय को पूरा करने के लए उ ह कम
से कम तीन से चार दन का समय लग जाता है। इस दौरान वे अपने ई-मेल म एक ऑटो-
र ॉ र स य कर दे ते ह, ता क उ ह मेल भेजनेवाल को पता चल जाए क उ ह ांट के
जवाब क ती ा नह करनी चा हए। ांट बताते ह, ‘कभी-कभी इससे मेरे सहकम
वधा म पड़ जाते ह और कहते ह क तुम तो अपने ऑ फस म ही हो, तो फर हम तुमसे
मलने वह आ जाते ह!’ पर ांट के लए काय पूरा होने तक खुद को सबसे अलग-थलग
रखना ब त मह वपूण होता है।
मेरा अनुमान है क एडम ांट कसी बड़े शोध सं ान के कसी औसत ोफेसर के
मुकाबले हर रोज यादा दे र तक काय नह करते ह (आमतौर पर ऐसे लोग को काय करने
क लत होती है)। पर इसके बावजूद वे अपने काय े के कसी भी अ य क तुलना
म अ धक उ पादक ह। मेरा तक है क काय का वग करण करने के उनके कोण से इस
वरोधाभास को समझा जा सकता है। सरे श द म कह तो वे अपने काय को अलग-
अलग ह स म बाँटकर, हर ह से को एक न त समय अव ध म अबा धत प से पूरा
करते ह, इस कार वे उ पादकता के न न ल खत नयम का पूरा लाभ उठाने म सफल हो
जाते ह।
इस पर चचा करते समय सबसे पहले तो हम इस बात पर गौर करना होगा क जैक
डॉस दो बड़ी कंप नय म ऊँचे पद पर बैठे ह। ऐसी ऊँची है सयत रखनेवाले
अ धकारी बना गहनतावाले लोग क ेणी म मुख भू मका नभाते ह। य क इन
अ धका रय क जीवनशैली अनपे त प से ऐसी होती है, जहाँ यान क त करना
संभव नह होता। जैसे व मयो नामक वी डयो लेटफॉम वेबसाइट के सी.ई.ओ. केरी े नर
से जब पूछा गया क वे बना ई-मेल के कतने दन तक रह सकते ह? तो उनका जवाब
था, ‘म श नवार का पूरा दन बना ई-मेल के बता सकता .ँ .. मतलब म दन के व तो
ऐसा कर ही सकता .ँ .. मेरे कहने का मतलब है क म ई-मेल चेक तो क ँ गा पर कसी ई-
मेल का जवाब नह ँ गा।’
3 यह एक कै र बयाई रा है।
हा लया वष म ‘इं टट मैसे जग’ यह सरा सबसे बड़ा ावसा यक चलन बन चुका है।
टाइ स म का शत एक लेख के अनुसार यह टे नोलॉजी सफ बातूनी कशोर के बीच ही
च लत नह है ब क अब यह उ पादकता संबंधी लाभ और ाहक के जवाब दे ने के समय
(क टमर र ॉ स टाइम) को बेहतर बनाकर कंप नय का मुनाफा बढ़ाने म भी उपयोगी
सा बत हो रही है। आई.बी.एम. के एक सी नयर ोड ट मैनेजर बड़े गव से बताते ह, ‘ सफ
आई.बी.एम. के कमचा रय के बीच ही हर रोज 2.5 म लयन इं टट मैसेज भेजे जाते ह।’
यह उदाहरण हमारे उन तमाम वहार पर लागू होता है, जो संभा वत प से गहन काय
म बाधा डालते ह या उसे बेहतर बनाते ह। भले ही हम अमूत (abstractly) ढं ग से यह
वीकार करते ह क हम यान भटकने क क मत चुकानी पड़ती है और गहनता का
अपना मू य होता है, पर जैसा क टॉम कोषन ने पता लगाया, इन सभी भाव को मापना
मु कल है। यह कोई ऐसा ल ण नह है, जो सफ यान भटकने और गहनता संबंधी
आदत म ही पाया जाता हो। सामा य तौर पर कहा जाए, तो जैस-े जैसे नॉलेज वक (3 ) के
े म और अ धक ज टल मक वग क ज़ रत बढ़ती है, वैस-े वैसे इन े म
गत यास का मू य तय करना और अ धक मु कल होता जाता है। इस बात को
ांसीसी अथशा ी थॉमस पकेट ने अपने एक अ ययन म कया था, जो
ए जी यू टव तर के अ धका रय के वेतन म होनेवाली बेतहाशा वृ से संबं धत था।
उनके इस तक को बल दे ने के पीछे मु य धारणा यह थी क ‘तट प से यह तय करना
ब त मु कल है क कसी कंपनी के दशन म कसी एक कमचारी का गत योगदान
कतना है।’ चूँ क कसी कमचारी के गत योगदान को मापने का कोई मापदं ड मौजूद
नह है, इसी लए ए जी यू टव तर के अ धका रय क उ पादकता के अनुपात म उनके
वेतन म बेतहाशा वृ जैसे अता कक और अ नय मत प रणाम सामने आते रहते ह।
हालाँ क पकेट के स ांत के कुछ पहलू ववादा द ह, पर उनके एक आलोचक के
श द म कह, तो इस स ांत क यह बु नयाद धारणा न संदेह सच है क ‘ गत
योगदान को मापना लगातार मु कल होता जा रहा है।’
नरंतर एक- सरे के संपक म रहने क सं कृ त से जीवन के आसान बनने का सरा कारण
यह है क इससे एक ऐसा वातावरण तैयार होता है, जहाँ अपना पूरा दन अपने इनबॉ स
के साथ बताना वीकार हो जाता है। फर पुराने संदेश का ढे र लगातार बढ़ते जाता है
और नए संदेश का जवाब पूरी त परता से दया जाता है, ऐसा करके वयं को संतोषजनक
प से उ पादक महसूस करना होता है (इस बारे म ज द ही व तार से चचा होगी)। अगर
ई-मेल का अथ अपने काय दवस के आ खरी पल तक प ँचना होता, तो यह तय करने के
लए यादा वचारशील कोण अपनाना पड़ता क आपको कस चीज़ पर काम करना
है और कब तक करना है। ऐसी योजना बनाना मु कल काम है। उदाहरण के तौर पर
डे वड एलन ारा तैयार क कई ‘गे टग थ स डन’ नामक काय- बंधन प त पर वचार
कर, जो काय ल के त धा मक दा य य के बंधन क एक उ लेखनीय णाली है।
हमारा अगला कदम या होना चा हए, यह तय करने के लए यह णाली पं ह
मूलत व वाला एक लोचाट सामने रखती है! पर कसी नए ई-मेल का जवाब दे कर ई-
मे स् के सल सले को जारी रखना इससे कह यादा आसान है।
म इस चचा म नरंतर एक- सरे के संपक म रहने क सं कृ त को कसी केस- टडी क
तरह सामने रख रहा ,ँ ले कन यह वसाय संबंधी उन वहार म से मा एक वहार
है, जो गहनता के वपरीत है और कंपनी ारा उ पा दत मूल आधार-मू य को कम कर
सकता है। इसके बावजूद यह बढ़ता रहता है य क मे स (मा क ) क अनुप तम
यादातर लोग के कदम हर बार उसी चीज़ क ओर बढ़ जाते ह, जो आसान होती है।
उ पादकता क त न ध के पम तता
इंटरनेट का सं दाय
2 ऐसे कमचारी जनक मु य पूँजी उनका ान होता है, जैसे ो ामर, डॉ टर, इंजी नयर,
अकाउं टट, आ कटे ट, वै ा नक और वक ल वगैरह
यूरर बताते ह, ‘सैकड़ साल पुरानी तकनीक से धातु क चीज़ बनाना ऐसा सबसे मु कल
काम है, जो मुझे अ तरह आता है। यह ऐसी चुनौती है, जो मुझे आगे बढ़ने क ेरणा
दे ती है। वा तव म, मुझे तलवार क कोई ज़ रत नह है, ले कन उसे बनाना मेरी ज़ रत
है।’
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भले ही आपके सारे सहकम मलनसार ह और उनके साथ होनेवाली आपक बातचीत
हमेशा सकारा मक और उ साहवधक हो, फर भी जब आप इन सतही चीज़ के मोहक
प र य म अपना यान भटकने दे ते ह, तो दरअसल आप गैलगर ारा पता लगाए गए एक
और मनोवै ा नक जाल म फँसने का जो खम उठा रहे होते ह : ‘पाँच साल तक कए गए
यान के अ ययन ने कुछ अ य स ाइय क पु क है।’ गैलेगर कहती ह, ‘खाली
दमाग शैतान का घर होता है... जब आपक एका ता खो जाती है, तो आपका मन अ सर
जीवन के सकारा मक पहलु के बजाय नकारा मक पहलु पर जाकर अटक जाता
है।’ यूरोलॉ जकल कोण से कह, तो सतहीपन से संचा लत होनेवाला कामकाजी दन
आमतौर पर थका दे नेवाला और परेशान करनेवाला होता है, भले ही आपका यान
ख चनेवाली उन सतही चीज़ म से यादातर चीज़ आपको हा नर हत और मजेदार लगती
ह।
गहनता से अथपूणता य आती है, इसके बारे म हमारा सरा तक नया के सबसे
स मनोवै ा नक म से एक ( जनका नाम लखने म सबसे यादा गल तयाँ होती ह)
महाले चकशे ट महा यी ारा मनो व ान के े म दए योगदान से नकला है। 1980 के
दशक क शु आत म चकशे ट महा यी ने यू नव सट ऑफ शकागो म अपने एक युवा
सहकम रीड लासन के साथ मलकर, रोज़मरा के सामा य वहार का मनोवै ा नक
भाव समझने के लए एक नई तकनीक का आ व कार कया। उस दौर म व भ
ग त व धय का सट क मनोवै ा नक भाव मापना मु कल था। उस समय अगर आप
कसी को योगशाला म लाकर उससे यह पूछते क कई घंटे पहले कसी एक
न त ब पर उसे कैसा महसूस आ था, तो इस बात क संभावना कम ही थी क उसे
यह याद होता। और अगर इसके बजाय आप उसे एक डायरी दे कर कहते क वह अपने
दनभर के अनुभव को उसम दज करे, तो इस बात क कोई संभावना नह थी क वह पूरी
गंभीरता के साथ ऐसा करता। य क यह काफ झंझटभरा काम है।
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गहनता का दाश नक तक
गहनता और अथ के बीच के संबंध पर हमारे पछले तक के लए ज़ री है क यूरोसाइंस
(तं का व ान) और मनो व ान क अपे ाकृत वा त वक नया से एक कदम पीछे
जाकर एक दाश नक कोण अपनाया जाए। इस चचा के लए म उन दो व ान क
मदद लूँगा, जो इस वषय को अ तरह समझते ह। पहले व ान ह बट ेफस,
ज ह ने बकले यू नव सट म चार दशक तक दशन शा पढ़ाया है और सरे व ान ह
सीन डॉरस केली, जो इस अ याय के लखे जाने के दौरान हावड यू नव सट म दशन शा
वभाग के अ य थे। सन 2011 म ेफस और केली ने ‘ऑल थ स् शाइ नग’ शीषक से
एक कताब का शत क , जसम इस बात क पड़ताल क गई थी क इंसानी सं कृ त के
पूरे इ तहास म प व ता और अथ संबंधी धारणाएँ कैसे वक सत । उ ह ने इस इ तहास
का पुन नमाण करने का ल य रखा य क वे इस बात से च तत थे क हमारे दौर म
इसका अंत हो रहा है। ेफस और केली अपनी इस कताब के शु आती ह से म ही कहते
ह, ‘यह संसार अपने व भ प म उजली चीज़ का एक प व ान आ करता था पर
अब ऐसा लगता है, मान वे उजली चीज़ ब त र चली गई ह।’
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च लए एक बार फर पेशेवर संतु के वषय क ओर वापस चलते ह। ेफस और केली ने
श पकारी या श प कौशल क ा या अथ तक प ँचनेवाले एक माग के प म क ।
जससे हम यह समझ मलती है क रक यूरर जैसी ह तय ने जो स ांत व ा याएँ
तुत क , उ ह हमम से यादातर लोग ने वीकार य कर लया। इन दोन दाश नक
का तक यही होगा क क ी धातु को कला मक कृ त का प दे ते समय यूरर के चेहरे
पर जो संतु का भाव आता है, वह दरअसल तमाम आधु नकता के बीच, कसी मायावी
और मू यवान चीज़ के लए उठनेवाली शंसा क अ भ है। वा तव म यह प व ता
क एक झलक है।
इस कताब के खंड 1 के पहले दोन अ याय ावहा रक थे। जनम ये बताया गया था क
गहन काय हमारी अथ व ा म तेजी से मह वपूण बनता जा रहा है। साथ ही कुछ हद
तक अ नयं त कारण के चलते यह उतनी ही तेजी से लभ भी होता जा रहा है। बाजार
के संदभ म यह एक वशेष बेमेलपन को तुत करता है : अगर आप अपने अंदर यह
कौशल वक सत कर लेते ह, तो आप पेशेवर प से कामयाब ह गे। जब क इसके वपरीत
पेशेवर उ त क हमारी इस चचा म खंड 1 के इस आ खरी अ याय का कोई वशेष
योगदान नह है। इसके बावजूद पछले अ याय म तुत वचार को वीकायता दलाने
के लए यह अ याय ब त ज़ री है। आगे के प म अपने पेशेवर जीवन म संपूण बदलाव
लाकर उसे गहनता क ओर क त करने के लए एक कठोर काय म का वणन कया गया
है। यह एक क ठन बदलाव है और ऐसे कई यास व तकसंगत और ावहा रक बात
आपको सफ एक हद तक ही े रत कर सकती ह।
आ खरकार, आप जस उ े य को पूरा करने म लगे ए ह, उसके साथ मानवीय तर पर
आपका तालमेल होना ज़ री है। यह अ याय बताता है क जब गहनता को खुले मन से
वीकारने क बात आती है, तो ऐसा तालमेल अ नवाय हो जाता है। जब आप गहनता म
जाने को यूरोसाइंस (तं का व ान) मनो व ान और लंबी-चौड़ी दाश नकता के कोण
से दे खते ह, तो ये सब आपको वापस गहनता और अथ के बीच के संबंध क ओर ले जाते
ह। यह कुछ ऐसा है, मान हम (यानी होमो से पयंस/मानव जा त) कसी ऐसी जा त के
प म वक सत ए ह , जो सफ गहनता म ही उ त कर सकती है और सतहीपन म
जानवर क तरह क चड़ म लोटती रहती है। इस जा त को हम ‘होमो से पयंस डीप सस’
का नाम दे सकते ह।
3 ऐसा काम जसे करने वाले क मु य पूँजी उसका ान होता है, जैसे ो ा मग,
इंजी नय रग, अकाउं टे सी, आ कटे चर और वकालत वगैरह।
मेरे सामने इस मशीन का वणन करते समय डेवेन ने एक पेन लेकर इसका एक केच
बनाया। यह एक मं जलवाली संक ण आयताकार रचना थी, जसम एक ही पं म एक
के बाद एक पाँच कमरे थे पर कोई अ त र दालान या ग लयारा नह था: यानी आप एक
कमरे को पार करके ही सरे कमरे म प ँच सकते थे। जैसा क डेवेन ने बताया, ‘इसम
सकुलेशल यानी संचलन क कमी मह वपूण है य क जब आप मशीन क गहराई म जाते
ह, तो यह आपको कसी भी ान को पार करने क अनुम त नह दे ती।’
इस इमारत के अंदर आते ही आप जस पहले कमरे म वेश करते ह, उसे गैलरी कहा
जाएगा। डेवेन क योजना के अनुसार, इस इमारत म होनेवाले गहन काय के सारे उदाहरण
इसी कमरे म मौजूद ह गे। यह कमरा ‘ व तनाव और सहक मय ारा डाले जानेवाले
दबाव क सं कृ त’ का नमाण करके, मशीन के उपयोगकता को े रत करने के लए
है।
इस गैलरी से नकलते ही आप सैलून म वेश करते ह। डेवेन क क पना के अनुसार यहाँ
आपको उ तरीय कॉफ एक बार ही मलेगी। यहाँ बैठने के लए सोफे ह गे और साथ
ही वाई-फाई क सु वधा भी होगी। सैलून को ऐसा मूड बनाने के हसाब से डजाइन कया
गया है, जो ‘गहन ज ासा और तक- वतक के बीच झूलता रहता है।’ बहस और सोच-
वचार करने का यह ान सामा यत: उन वचार पर काम करने के लए है, जो आप
मशीन क गहनता म वक सत करगे। सैलून के बाद आप लाइबे्ररी म वेश करगे, जसम
इस मशीन म होनेवाले सारे काम का एक ाई रकॉड मौजूद होगा। इसके साथ ही यहाँ
कताब और पछले काय म इ तेमाल ए सभी ोत का भंडार भी होगा। यहाँ फोटोकॉपी
मशीन और कैनस भी ह गे ता क आपको अपने ोजे ट के लए जस जानकारी क
ज़ रत है, उसे यहाँ इक ा कर सक। डेवेन इस लाइ ेरी क ा या ‘मशीन क हाड
ाइव’ के प म करते ह।
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अब हम इससे जुड़ी रणनी तय के पीछे मौजूद ेरक वचार क बात करगे: अ े इराद के
भरोसे बैठने के बजाय अपने कामकाजी जीवन म समझदारीभरी कुछ व ाएँ और
दनचया बनाना, गहन काय करने क आदत को वक सत करने क कुंजी है। ये व ाएँ
और दनचया ऐसी होनी चा हए, जो न सफ आपक एका ता बनाकर रखने म सहायक
ह ब क इनके उपयोग से आपको इस अव ा म प ँचने के लए अपनी इ ाश का
कम से कम उपयोग करना पड़े। उदाहरण के लए एक दन आपने अपनी पूरी दोपहर वेब
ाउ जग जैसी यान भटकानेवाली ग त व ध म बता द । तभी अचानक आप अपना यान
कसी ऐसे काम म क त करने क ठान लेते ह, जो मान सक प से मु कल हो। ऐसे म
आपको इंटरनेट क चमकती नया से यान हटाने के लए अपनी सी मत इ ाश पर
ब त यादा नभर होना पड़ता है। जसके चलते आपक सारी को शश आमतौर पर बेकार
चली जाती ह। इसके लए अगर आपने पहले से ही कुछ व ाएँ और अपनी समय
सा रणी बनाई होती तो आपको मु कल काम शु करने और उसे पूरा करने के लए कम
इ ाश क ज़ रत पड़ती। समय सा रणी बनाना यानी गहन काय करने के लए हर
रोज दोपहर म एक न त समय और एक शांत ान तय करना। अंतत: अपने इन गहन
यास के चलते आपको कई बार सफलता का वाद चखने को मल जाता।
नुथ मानते ह क उनका उ े य खुद को नया से पूरी तरह काट लेना नह है। वे जानते ह
क अपनी कताब लखने के लए उ ह हज़ार लोग से संवाद करना पड़ता है और वे खुद
भी लोग के सवाल और ट प णय को लेकर अ धक त याशील होना चाहते ह।
इसी लए उ ह ने अपना एक पो टल ए ेस (डाक वहार का पता) दे रखा है। वे कहते ह
क उनक सहयोगी इस पते पर आनेवाली हर डाक को छाँटती है और जो डाक उसे वाकई
उ चत लगती है, उसे वह अलग रख दे ती है। अगर कोई डाक ऐसी है, जसका जवाब ज द
से ज द दे ना ज़ री है, तो वह उसे फौरन नुथ के पास लेकर आ जाती है। बाक सभी
डाक का जो ढे र बनता है, उसे नुथ हर तीन महीने म एक बार बैठकर नपटा दे ते ह।
नुथ गहन काय क समय सा रणी बनाने के मामले म जो कोण रखते ह, उसे म ‘वैरागी
दशन’ कहता ँ। यह दशन कम मह वपूण या ओछे काय को जड़ से ख म करके या
बलकुल कम करके गहन काय के यास को बढ़ाने क को शश करता है। जो लोग अपने
जीवन पर यह वैरागी दशन लागू करते ह, उनका अ सर एक और बेहद मह वपूण
ावसा यक ल य होता है, जसे वे हा सल करने म लगे होते ह। उ ह अपनी यादातर
ावसा यक सफलता तभी मलती है, जब वे अपने उस एक काम को असाधारण प से
अ तरह से पूरा करते ह। यह ता ही उनक छोट -छोट चता क मोट परत को
ख म करने म मदद करती है। कामकाजी नया म जन लोग का मह व घटता-बढ़ता
रहता है, वे अ सर इन छोट -छोट चता म उलझकर रह जाते ह।
जो लोग मेरी एका ता भंग करने क इ ा रखते ह, उनसे मेरा वन अनुरोध है क ऐसा
न कर। म साफ-साफ बता ँ क म उन लोग म से नह ँ, जो अपने ई-मेल का जवाब दे ते
ह... और इस पूरी बातचीत म मेरा मु य संदेश (यानी मेरी संवाद नी त) अ न रह जाए,
इस लए म साफ श द म कह दे ता :ँ म कई बार बता चुका ँ क म अपना समय और
यान कहाँ क त करना चाहता ँ। इस लए बेहतर होगा क अब आप मेरा समय या यान
पाने क कोई अपे ा न रख।
इन सवाल से आपको अपनी गहन काय संबंधी प तयाँ बनाने म मदद मलेगी। बस यह
याद रख क एक कारगर प त बनाने के लए शायद आपको योग करने क ज़ रत
पड़ेगी इस लए अपनी ओर से इसके लए तैयार रह। म आपको व ास दलाता ँ क
आपक मेहनत थ नह जाएगी: एक बार जब आप कुछ ऐसा तैयार कर लेते ह, जो
आपको सही और उपयु लगता है, तो उसका भाव ब त मह वपूण हो सकता है।
गहनता के साथ काम करना बड़ी बात है, जसे ह के तौर पर नह लेना चा हए। एक
ज टल (और शायद सर के लए काफ अजीब) प त के अनुसार यास करने से यह
वा त वकता वीकार हो जाती है - जससे आपके मन को एक संरचना और वचनब ता
मलती है, जो एका ता क अव ा म जाने के लए ज़ री है। एका ता क इस अव ा
म आप उन चीज़ क रचना कर सकते ह, जो वाकई मायने रखती ह।
भ मु ाएँ अपनाएँ
इसम कोई हैरानी क बात नह है क एक बार होटल के कमरे म बैठकर लखने के बाद
जे.के. रो लग बार-बार उसी कमरे म जाकर लखती रह । वह उनके काम के लए उपयु
जगह थी। कॉटलड के सबसे शानदार होटल म से एक माने जानेवाले बा मोरल क
व टो रयन वा तुकला पर आधा रत इमारत न काशीदार चकने प र से अलंकृत है।
साथ ही इसम एक ऊँचा लॉक टावर भी है। यह ए डनबग के कले से कुछ ही री पर
त है - हैरी पॉटर के उप यास म उ ले खत कूल हॉ वाट् स क ेरणा जे.के. रो लग को
इसी कले से मली थी।
ए डनबग कले के पास त एक शानदार होटल म कमरा लेने का रो लग का नणय,
गहन काय क नया म एक अनोखी ले कन भावी रणनी त - भ मु ा - का एक
उदाहरण है। इसक संक पना ब त ही साधारण है: गहन काय पूरा करने के लए, अपनी
को शश और धन का नवेश करते ए अपने सामा य माहौल म आमूला बदलाव लाना,
उस काय के क थत मह व को बढ़ा दे ता है। उसके मह व म ई इस वृ से आपके मन
क टाल-मटोल करने क वृ श थल पड़ जाती है और आपके अंदर पे्ररणा और ऊजा
का संचार होने लगता है।
हैरी पॉटर सीरीज का उप यास लखना कोई आसान काम नह है। ऐसे काम के लए
अ -खासी मान सक ऊजा क ज़ रत पड़ती है, भले ही आप इसे कसी भी ान पर
बैठकर कर। पर अगर आप यान भटकानेवाले कसी घरेलू ऑ फस के बजाय हॉ वाट् स
शैलीवाले कले के पास त होटल म एक हजार डॉलर त दन के हसाब एक सुईट
कराए पर लेते ह, तो काम शु करने के लए ज़ री ऊजा इक करना और उसे बनाकर
रखना आसान हो जाता है।
हालाँ क सभी के पास जीवन म इतनी आज़ाद नह होती क वे हर साल ढाई महीने का
समय मेने के कसी प पर जाकर बताएँ। पर एलन लाइटमैन के अलावा डैन पक और
माइकल पोलेन समेत ऐसे कई लेखक ह, ज ह ने लेखन काय करने के लए अ -खासी
मेहनत और धन खच करके अपनी जमीन पर वशेष के ब स का नमाण करवाया।
माइकल पोलेन ने तो कने टकट के अपने पुराने घर के पीछे त जंगली इलाके म
के बन नमाण के अपने अनुभव पर कताब भी लखी है। हालाँ क इन लेखक के लए ये
के बन कोई अ नवाय ान नह है य क उ ह तो अपना काम करने के लए सफ एक
लैपटाप और एक मेज-कुस क ही ज़ रत होती है। पर इस तरह के के ब स अपनी
सु वधा के कारण मह वपूण नह होते ब क बेहतर लेखन के उ े य से उनका नमाण
कराना, जस भ मु ा का त न ध व करता है, उसके चलते मह वपूण होते ह।
अकेले काम न कर
गहन काय और एक- सरे के साथ मलकर काय करने के बीच जो संबंध है, वह ज़रा
पेचीदा है। हालाँ क इसम अपने समय का नवेश करना एक सही नणय है य क मलकर
काम करने का लाभ उठाने से ावसा यक जीवन म आपके गहन काय क गुणव ा बढ़
सकती है।
केली ारा आ ामक अंदाज म नया के कुछ सबसे व ान लोग क नयु के साथ-
साथ इस रणनी त ने आधु नक स यता के नए प रवतन को सामने आने का मौका दया।
सरे व यु के बाद के दशक म बेल लै स नामक इस योगशाला म नया का पहला
सोलर सेल, लेजर, संचार उप ह (क यू नकेशन सैटेलाइट), कोशमय संचार णाली
(से युलर क यु नकेशन स टम) और फाइबर ऑ टक नेटव कग का नमाण आ। इसी
दौरान उनके स ांतकार ने सूचना स ांत (इ फॉरमेशन योरी) और संके तकरण
स ांत (को डग योरी) को सू ब कया। उनके खगोलशा य ने महा व ोट स ांत
( बग बग योरी) को अनुभव के तौर पर मा णत करने के लए नोबेल पुर कार जीता और
शायद सबसे यादा मह वपूण यह क उनके भौ तकशा य ने ां ज टर का आ व कार
कया।
अब हम एक कदम पीछे जाकर गहन काय म मलकर काम करने क भू मका के बारे म
कुछ ावहा रक न कष नकाल सकते ह। ब ग-20 और बेल लै स क सफलता इस
बात का संकेत है क उ पादन संबंधी गहन काय के लए एकांत ज़ री नह है। न त ही
उनका उदाहरण इस बात का संकेत है क नवाचार या उ तशीलता से संबं धत कई क म
के काय के लए आपसी सहयोग के साथ मलकर काम करने से बेहतर प रणाम हा सल
कए जा सकते ह। इसी लए यह रणनी त आपको इस वक प पर वचार करने के लए
कहती है क ावसा यक जीवन म गहनता को कैसे एक कृत कया जाए। जब आप इस
वषय पर चतन कर, तो आगे दए गए दशा नदश को यान म रख।
सरे श द म कह, तो गहन काय क बात आने पर आपको जब भी उपयु लगे, एक-
सरे के साथ मलकर आपसी सहयोग से काम करने पर वचार कर य क इससे आपको
यादा बेहतर प रणाम मल सकते ह। पर याद रख क आपसी संवाद और सकारा मकता
को इतना भी मह व न द क ये आपक अखंड एका ता पर भारी पड़ने लग। य क
अपने आसपास मौजूद नए-नए वचार के झुंड से उपयु प रणाम हा सल करने के लए
एका ता ही सबसे मह वपूण चीज़ है।
अनुशासन 1:
अनुशासन 2:
सरी ओर लीड मेजस ऐसे नए वहार का मू यांकन करते ह, जो लैग मेजस म सुधार
कर सकते ह। बेकरी के उदाहरण म आपक ओर से सै ल पानेवाले ाहक क
सं या एक अ ा लीड मेजर है। इस सं या को आप कुछ और सै ल दे कर फौरन
बढ़ा सकते ह। जब आप इस सं या को बढ़ाएँगे, तो इस बात क पूरी संभावना है क
आपके लैग मेजस म भी सुधार होगा। सरे श द म कहं, तो लीड मेजस आपका यान
आपके उन वहार म सुधार लाने क ओर क त कर दे ते ह, जन पर आपका सीधा
नयं ण है। इससे आपके द घका लक ल य पर नकट भ व य म सकारा मक भाव
पड़ता है।
अनुशासन 3:
एक बल कोरबोड रख।
4 डीए स के लेखक कहते ह, ‘जब लोग कोर रखते ह, तो ज़रा अलग ढं ग से खेलते ह।’
वे आगे कहते ह, जब आप अपनी ट म को अपने संगठन का सबसे मह वपूण ल य पूरा
करने क दशा म ले जाने का यास कर रहे होते ह, तो उस समय उनके लीड मेजस पर
नज़र रखने और उसे रकॉड करने के लए आपके पास एक सावज नक ान होना ज़ री
है। इस कोरबोड से आपक ट म के सद य के बीच त धा क भावना पैदा होती है,
जो उ ह इन मेजस पर यान क त करने क दशा म ले जाती है, भले ही अ य कई चीज़
उनका यान आक षत करने क को शश म ह । इससे ेरणा का एक मज़बूत ोत भी
मलता है। एक बार जब ट म के सद य ये दे ख लेते ह क उ ह लीड मेजस के साथ
सफलता मल रही है, तो फर वे अपने इस दशन को जारी रखने के त वचनब हो
जाते ह।
4 डीए स के साथ अपने शु आती योग म मने इस कोरबोड अनुशासन को लागू करने
का एक आसान मगर भावी समाधान ढूँ ढ़ा। मने एक काड- टॉक (अलग-अलग रंग के
पेपर का बंच) लया और इसे पं य म वभा जत कर लया। वतमान सेमे टर के हर
स ताह के लए एक पं । फर मने हर पं म स ताह क तारीख लखकर उस काड-
टॉक को अपने कं यूटर मॉ नटर के बगलवाली द वार पर चपका दया (जहाँ इसे
नज़रअंदाज करना असंभव था)। जैसे-जैसे समय बीता, म हर स ताह क पं पर त
घंटे के हसाब से टक माक लगाकर उस स ताह गहन काय क अव ा म बताए गए
समय पर नज़र रखता रहा। इस कोरबोड से मलनेवाली ेरणा को अ धकतम सीमा तक
बढ़ाने के लए, जब भी म अपने कसी शोधप म कसी मह वपूण ब तक प ँचता, तो
उस घंटे के माक पर एक गोला बना दे ता। (12 ) इससे दो उ े य पूरे हो रहे थे। पहला,
इससे मुझे गहन काय अव ा म बताए गए घंट और उससे मले प रणाम के बीच संबंध
ा पत करने का मौका मला। सरा, इससे मेरे सामने यह हो गया क प रणाम के
अनुसार मुझे कतने घंटे गहन काय करने क ज़ रत है। इस वा त वकता (जो मेरे पहले
अनुमान से कह बड़ी थी) से प र चत होने के चलते मुझे हर स ताह गहन काय क अव ा
म थोड़ा और समय बताने क ेरणा मली।
अनुशासन 4:
जवाबदे ही लेने का भाव पैदा कर
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आलसी बन
इसके वपरीत कृ त के बीच टहलने से आपका सामना उस चीज़ से होता है, जसे माक
बमन सूया त के उदाहरण का उपयोग करते ए ‘ वाभा वक प से आकषक उ ेजना’
कहते ह। यह उ ेजना ‘ यान को सामा य प से आक षत करती है, जससे नद शत
यान व ध को पुन: पू त का मौका मलता रहता है।’ इसी बात को सरे ढं ग से कह तो
जब आप कृ त के बीच चहलकदमी कर रहे होते ह, तो अपने यान को कसी न त
दशा म नद शत करने से मु होते ह य क वहाँ आपको चुनौ तय का सामना कम ही
करना पड़ता है। जैसे भीड़-भाड़वाले रा ते को पार करना। साथ ही वहाँ अनुभव हो रह
कई दलच उ ेजनाएँ आपके मन को इतना त तो रखती ही ह क वह स य प
से यान क त करने क ज़ रत को अनदे खा कर सके। इस अव ा म आपके नद शत
यान के संसाधन को पुन: पू त का समय मलता रहता है। इस कार 50 मनट तक पुन:
पू त करने के बाद योग म शा मल तभा गय क एका ता बढ़ ई पाई गई।
सरी ओर अगर आप बार-बार ई-मेल चेक करके और जवाबी ई-मेल भेजकर अपनी
आनंददायी शाम म खलल डालते ह या डनर के बाद कसी डेडलाइन के च कर म घंट
बैठकर काम करते ह, तो इसका अथ है क आप अपने नद शत यान क को नरंतर
होनेवाले आराम से वं चत कर रहे ह, जब क यह आराम यान क पूवाव ा क ा ती के
लए ज़ री है। भले ही आराम के ण म भी काम का यह खलल कुछ ही दे र के लए
पड़े, पर इससे आप आराम के उस गहनतम तर पर प ँचने से वं चत रह जाते ह, जहाँ
यान क पुनः वापसी संभव हो सकती है। जब आप इस बात को लेकर न त होते ह क
अब आपको अगला दन शु होने से पहले काम करने क ज़ रत नह है, सफ तभी
आप अपने दमाग को उस गहन तर पर आराम के लए राजी कर सकते ह, जहाँ वह
अगले दन के लए खुद को रीचाज करता है। सरे श द म कह, तो शाम को आराम करने
के बजाय थोड़ा-ब त काम नपटाने क को शश से अगले दन आपक भावशीलता इस
हद तक कम हो सकती है क आप सामा य से भी कम काम करते ह।
दनभर काम करने के बाद शाम को काम करने के पीछे जो आ खरी तक है, उसके लए
हम एक बार फर सु वचा रत अ यास का स ांत (डे लबरेट ै टस योरी) के
आ व कारक एंडस ए र सन क ओर लौटना होगा। शायद आपको याद होगा, इस कताब
के खंड 1 म हमने इस वषय पर चचा क थी क डे लबरेट ै टस योरी का अथ है, कोई
कौशल वक सत करने के लए अपनी मता को व त प से उनक आ खरी
सीमा तक बढ़ाना। कसी भी काय म महारत हा सल करने के लए यह ग त व ध ज़ री
होती है। जैसा क मने पहले भी कहा था, गहन काय और सु वचा रत अ यास, ये दोन
एक- सरे को अ सर ओवरलैप करते रहते ह। अपने उ े य के संदभ म हम यहाँ
सु वचा रत अ यास को, ान के लहाज से मु कल काय के लए सामा य उ े य के
वक प के प म इ तेमाल कर सकते ह।
सन 1993 म ए र सन ने इसी वषय पर ‘द रोल ऑफ डे लबरेट ै टस इन द ए व जशन
ऑफ ए सपट परफॉमस’ शीषक से एक मौ लक शोधप का शत कया। जसका एक
भाग इस बात क समी ा के लए सम पत था क ‘वै ा नक सा ह य के अनुसार मान सक
प से मु कल काय करने क क मता या है।’ ए र सन ने कया क कोई
नौ स खया एक दन क अव ध म सफ एक घंटे तक ही गहनता से एका रह सकता है।
जब क एक वशेष करीब चार घंटे तक गहन प से एका रह सकता है। इससे यादा
समय तक एका रहना लभ मामल म ही संभव हो पाता है।
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यहाँ जन तीन कारण का वणन कया गया है, वे एक न त ब पर अपना काय दवस
समा त करने क सहज रणनी त का सहयोग करते ह। आइए, अब काय पर अमल करने
संबंधी कुछ बात पर व तार से चचा करके अपने न कष तक प ँचना शु करते ह।
इस रणनी त के साथ सफल होने के लए सबसे पहले आपको इस वचनब ता को
वीकार करना पड़ेगा क अपना काय दवस समा त होने के बाद आप अपने काम से जुड़ी
कसी भी छोट सी चीज़ को अपने यान े म आने नह दगे। इसम खासतौर पर ई-मेल
चेक करना और काम से जुड़ी वेबसाइट् स व जट करना भी शा मल है। दोन ही मामल म
काम से जुड़ी चीज़ ारा आपके यान े म क गई छोट सी भी घुसपैठ से आपका
यान भटकने का एक सल सला शु हो सकता है। जो दन के अंत म कामकाज बंद कर
दे ने के उन फायद को बा धत कर सकता है, जनके बारे म आपको पहले बताया गया था
(उदाहरण के लए यादातर लोग इस अनुभव से प र चत ह गे, जसम हम र ववार को
छु के बावजूद कामकाजी जीवन से जुड़ा कोई चेतावनी भरा ई-मेल दे ख लेते ह और फर
पूरे स ताह उसके संभा वत प रणाम के बारे म सोच-सोचकर घबराते रहते ह)।
दन के अंत म कामकाज बंद करने का नयम बनाना चा हए, यह धारणा पहली नज़र म
चरमपंथी क म क लग सकती है, पर इसके पीछे एक ठोस कारण है: जगा नक भाव।
इस भाव को यह नाम बीसव शता द के शु आती दौर के मनोवै ा नक लूमा
जगा नक के ायो गक काय के लए दया गया था। यह भाव इस बात का वणन करता
है क अधूरे काय हमारा सारा यान ख च लेते ह और हम पर हावी हो जाते ह। यह भाव
बताता है क भले ही आप कोई भी काम कर रहे ह , अगर शाम के पाँच बजते ही आप
अपना काम बंद करके यह घो षत कर द क ‘अब कल तक के लए म अपने काम से मु
ँ’ तो शायद आपको अपने ावसा यक मसल से पूरी तरह यान हटाने के लए संघष
करना पड़े। य क लूमा जगा नक के योग के अनुसार, आपके जो काम अभी अधूरे
ह, उनसे जुड़े वचार पूरी रात आपका यान पाने के लए संघष करते रहगे (और यह ऐसा
संघष है, जसम अकसर उ ह क जीत होती है)।
दन के अंत म कामकाज बंद करने के जस नयम का पहले उ लेख कया गया था, वह
जगा नक भाव का सामना करने के लए इस रणनी त का लाभ उठाती है। हालाँ क यह
आपको अपनी कायसूची (एक ऐसी चीज़ जसे बनाना बोझ लगता है पर जो ज़ री भी है)
म शा मल हर काय के लए एक योजना बनाने को मज़बूर तो नह करती। पर यह आपको
अगले दन क योजना बनाने से पहले अपनी मौजूदा कायसूची म शा मल हर काय पर गौर
करने और फर उन सभी क समी ा करने के लए मज़बूर ज़ र करती है। यह नयम इस
बात को सु न त करता है क आप गलती से कसी काय को भूल न जाएँ: हर काय क
त दन समी ा होगी और जब सही समय आएगा तो उसे पूरा भी कया जाएगा। सरे
श द म, ऐसा करने से आपका दमाग हर व सारे काय के बारे म सोचने क झंझट से
मु रहता है - य क दन के अंत म कामकाज बंद करने का नयम यह ज मेदारी अपने
कंध पर ले लेता है।
5 ऐसे कमचारी जनक मु य पूँजी उनका ान होता है, जैसे ो ामर, डॉ टर, इंजी नयर,
अकाउं टट, आ कटे ट, वै ा नक और वक ल वगैरह।
9 मेरा कायकाल 300 म लयन डॉलर क लागत से बने टाटा सटर म ही गुज़रा)
10 प हए क धुरी और ती लय जैसी संरचना। टाटा सटर के संदभ म हब यानी प हए क
धुरी साझा ग लयारे का त न ध व करती है और ोक यानी प हए क ती लयाँ उस धुरी
से जुड़े कई एकांत ऑ फसेस
14 ऐसा कमचारी जसक मु य पूँजी उनका ान होता है, जैसे ो ामर, डॉ टर,
इंजी नयर, अकाउं टट, आ कटे ट, वै ा नक और वक ल वगैरह
नयम
गहन काय करने म महारत कैसे हा सल क जाती है, इस बात को बेहतर ढं ग से समझने के
लए म आपको सुझाव ँ गा क आप स ताहांत म सुबह छह बजे यू यॉक क ग वैली
म त केनेस यसरेल सनेगॉग (एक य द पूजाघर) जाएँ। वहाँ बाहर पा कग लॉट म
आपको करीब बीस कार खड़ी दखाई दगी। अंदर जाने पर आपको इस मंडली के दजन
सद य य द धा मक ंथ का अ ययन करते मलगे - जनम से कुछ ाचीन भाषा के श द
बोलते ए ंथ पढ़ने म त ह गे, जब क बाक के लोग जो ड़याँ बनाकर एक- सरे से
बहस करते नज़र आएँगे। वह कमरे के एक छोर पर एक र बी (य द धमगु ) चचा म
त एक बड़े समूह का नेतृ व कर रहा होगा। ग वैली म सुबह-सुबह एक त होनेवाले
ये लोग उन हज़ार ढ़वा दय के एक छोटे से ह से का त न ध व करते ह, जो हर दन
क तरह स ताहांत म भी सुबह ज द उठकर अपने धम क क य री त का अ यास करते
ह। क य री त यानी र बा नय के य द धम क ज टल ल खत परंपरा का त दन
अ ययन करना।
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हमारे पास ऐसे पैमाने ह, जनक मदद से हम लोग को दो े णय म बाँट सकते ह। पहली
ेणी ऐसे लोग क , जो हमेशा म ट टा कग करते ह और सरी ेणी उनक , जो कभी-
कभार ही म ट टा क करते ह। इन दोन े णय के लोग के बीच जो अंतर पाए गए, वे
उ लेखनीय ह। जो लोग हमेशा म ट टा कग करते ह, वे अ ांस गक/अता कक चीज़ को
अलग करके नह दे ख पाते। उनक या ा त अ सर सामा य से कमजोर बनी रहती है।
उनका यान बुरी तरह भटका रहता है। वे अपने दमाग के उन बड़े ह स को भी स य
कर लेते ह, जनका उस काम से कोई संबंध नह होता, जो वे फलहाल कर रहे होते ह...
सरे श द म कह, तो वे मान सक प से काफ हद तक वच लत रहते ह।
हमने जन लोग से बात क , उनका लगातार यही कहना है क ‘दे खो, जब मुझे सचमुच
यान क त करने क ज़ रत पड़ती है, तो म बाक सारी चीज़ छोड़ दे ता ँ और फर पूरी
तरह एका हो जाता ँ।’ जब क भा यवश ये लोग ऐसी मान सक आदत वक सत कर
चुके होते ह, जनके चलते उनके लए पूरी तरह एका होना असंभव हो चुका होता है। वे
अंजाने म ही अ ासं गक/अता कक चीज़ क ओर आक षत होते रहते ह। वे लगातार एक
ही काम करने म असमथ होते ह।
नयम-2 इस सीमा को आगे बढ़ाने म आपक काफ मदद करेगा। इसम बताई ग
रणनी तयाँ इस मु य वचार से े रत ह क गहन काय करने क आदत का अ धकतम
लाभ उठाने के लए श ण क ज़ रत होती है। और जैसा क पहले भी कया जा
चुका है, इस श ण म दो उ े य को सामने रखना चा हए: पहला, ती ता के साथ यान
क त करने या एका होने क अपनी मता म सुधार करना और सरा, यान
भटकानेवाली चीज़ के त अपने आकषण पर काबू पाना। इन रणनी तय को लागू करने
के कई तरीके ह, जैसे यान भटकानेवाली चीज़ से र रहना और यान के एक वशेष प
म महारत हा सल करना, जो क बार-बार यान भटकने से वच लत हो चुके आपके
दमाग ारा न सफ आपक आगे क या ा के लए एक ावहा रक रोडमैप तुत करता
है ब क वा तव म ती एका ता सु न त करने का एक ज रया भी उपल कराता है।
इससे जुड़े ववरण पर चचा करने से पहले उस स सुझाव पर गौर कर, जो यान
भटकने क लत से छु टकाने पाने के लए अ सर दया जाता है, पर जससे यह सम या
हल नह होती, वह है : इंटरनेट सैबथ या इंटरनेट से छु लेना ( जसे कभी-कभी ड जटल
डटॉ स भी कहा जाता है)। मूलत: इसके लए आपको नय मत प से एक ऐसा समय
यानी आमतौर पर स ताह म एक दन नधा रत करना होता है, जसम आप इंटरनेट से र
रहगे। जस तरह ह ु बाइ बल म उ ले खत सैबथ शां त और चतनवाली एक ऐसी अव ध
है, जो ई र क आराधना के लए उपयु होती है, उसी तरह इंटरनेट सैबथ आपको यह
याद दलाने के लए है क जब आप अपनी न से चपके होते ह, तब वा तव म आप
कन चीज़ से चूक रहे होते ह।
मोटे तौर पर ऐसी े णयाँ बनने के बाद यह रणनी त कुछ इस तरह काम करती है: आप
इंटरनेट का इ तेमाल कब-कब करगे, इसका एक श ूल बना ल। फर केवल उसी
तयशुदा समय म ही इसका इ तेमाल कर और बाक समय इससे पूरी तरह र रह। मेरा
सुझाव है क आप अपने कं यूटर के पास एक छोटा सा नोटपैड रख। इस नोटपैड पर यह
दज कर क अब आप अगली बार कब खुद को इंटरनेट के इ तेमाल क अनुम त दगे। जब
तक वह समय न आए, तब तक आप कतई इंटरनेट का इ तेमाल न कर - भले ही आपके
मन म बार-बार इसका इ तेमाल करने का लालच आ रहा हो।
अगर आप पूरा स ताहांत और बाक दन म अपनी पूरी शाम फोन या लैपटॉप से चपके
ए बता दे ते ह, तो संभव है क अपने कामकाजी दन म आप अपने दमाग म नए
बदलाव लाने के लए जो को शश कर रहे ह, वे आपके कामकाजी जीवन से परे आपके
वहार के चलते थ जा रही ह ( य क आपका दमाग इन दो अलग-अलग तय के
बीच यादा अंतर नह कर पाता)। इस लए म आपको यही सुझाव ँ गा क आप शाम को
काम ख म करने के बाद भी इंटरनेट इ तेमाल करने का श ूल बनाने क अपनी रणनी त
पर कायम रह।
इस रणनी त को लागू करने के कुछ ही महीन बाद इस वषय पर आपक समझ पूरी तरह
पांत रत हो जाएगी क एका होने का अथ या होता है। य क आप गहनता के ऐसे
उ तम तर तक प ँच चुके ह गे, जसक आपने आज तक कभी क पना भी नह क
होगी। और अगर आपके और युवा जवे ट के व म थोड़ी सी भी समानता है, तो
आप, इस रणनी त के चलते बचे ए अ त र खाली समय का इ तेमाल, अपने शौक पूरे
करने म कर सकते ह, जैसे - यूटॉल ऑ नथोलॉ जकल लब के वचारशील सद य को
भा वत करने क को शश करना।
उ पादक चतन कर
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आपको मान सक प से घर के कमरे पार करते समय सावधानी बरतनी होगी। साथ ही
ताश के प को उ चत मान सक छ वय के साथ सही म म जोड़कर दे खना होगा।
कसी कमरे को पार करने के बाद हो सकता है क आप उसम से दो-चार बार और गुज़रना
चाह, ता क उससे जुड़ी छ वय को अपनी मृ त म अ तरह सं हीत कर सक। इस
तरह सारे कमर से गुज़रने के बाद आपका काम पूरा हो जाता है। अब आप अपने कसी
दो त को ताश क ग ी थमाकर उसके साथ अपने करतब का अ यास कर सकते ह।
इसके लए भी आपको मान सक प से उन पाँच कमर से गुज़रना होगा और यादगार
लोग या चीज़ को ताश के प के साथ जोड़कर दे खना होगा।
2 आइवी लीग एक ए थले टक स मेलन है, जसम पूव र संयु रा य अमे रका के उ
श ा के आठ नजी सं ान शा मल ह। इस श द का योग अब केवल ए थले ट स तक
ही सी मत नह है और अब दे श के सबसे पुराने कूल म न हत शै क दशन का
त न ध व करता है। आइवी लीग के कूल को नयाभर के सबसे त त
व व ालय के प म भी माना जाता है।
3 य दय के बीच च लत एक धा मक था।
4 ऐसा काम करनेवाले, जनक मु य पूँजी उनका ान होता है, जैसे ो ामस,
इंजी नयस, अकाउं टट, आ कटे ट और वक ल वगैरह।
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नेटवक टू स के चयन से जुड़ा बीच का रा ता खोजने क दशा म हमारा पहला कदम है,
इंटरनेट इ तेमाल करनेवाले अ धकतर लोग ारा लागू क गई वतमान नणय या को
समझना। सन 2013 क शरद ॠतु म मने एक लेख लखा था, जसम मने बताया था क
मने कभी फेसबुक पर अपना अकाउं ट य नह बनाया। इसी के चलते मुझे इस या के
बारे म एक अंत ा त ई। हालाँ क मने अपनी ओर से एक ा या मक लेख लखा
था, न क कोई ऐसा लेख, जो फेसबुक अकाउं टवाल पर कोई दोषारोपण करता हो। पर
इसके बावजूद कई पाठक इसे पढ़ने के बाद र ा मक मु ा म आ गए और जवाबी प म
अपने फेसबुक इ तेमाल करने को तकसंगत ठहराने का यास करने लगे। ये रहे उनके
कुछ उदाहरण:
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चड से मेरी पहली मुलाकात मैरीलड त टै कोमा पाक के ानीय कसान वाले बाजार
म ई थी, जहाँ उनक कान अ ा वसाय कर रही थी। अपने अ धकतर उपनगरीय
ाहक से करीब एक फ ट लंबे चड अ सर फ के रंगवाली ढ ली-ढाली शट म नज़र आते
ह, जसे आमतौर पर कसान क पोशाक के तौर पर दे खा जाता है। चड से मलने का
अथ है, एक ऐसे श पकार से मुलाकात करना, जो अपने वसाय को लेकर पूरी तरह
आ त है। म उनसे मला य क खेती करना एक ऐसा कौशल है, जो टू स के
सावधानीपूण बंधन पर नभर करता है और म यह समझना चाहता था क गैर- ड जटल
े से जुड़ा एक श पकार अपने मह वपूण काय को कस नज़ रये से करता है।
इस वषय पर बातचीत करते ए उ ह ने मुझे बताया, ‘चारा या सूखी घास तैयार करना
इसका एक अ ा उदाहरण है। यह ऐसा वषय है, जसम अंत न हत आ थक पहलू को
छपाए बना, म आपको इससे जुड़ी बु नयाद जानकारी दे सकता ँ।’
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अपनी इंटरनेट संबंधी आदत पर ‘चु नदा मह वपूण चीज़ ’ का नयम लागू कर
करीब एक साल तक ट् वटर का इ तेमाल करने के बाद या अब मेरा दमाग कसी काम
का नह रहा? जी नह ! आज म एक समय म इतनी चीज़ पर सोच- वचार कर रहा होता
ँ, जतना मने पहले कभी सोचा भी नह था। लगातार आधे घंटे तक इंटरनेट सच करते
ए कसी काम क चीज़ क तलाश म जुटे रहने के बजाय अब म टारब स म अपनी
कॉफ का इंतजार करते व ट् वटर खोलकर दे ख सकता ँ, जससे मुझे दनभर क
खबर का अंदाजा हो जाता है और यह भी समझ म आ जाता है क उन खबर पर लोग
कैसी त याएँ दे रहे ह।
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फेसबुक (या ऐसी ही अ य सोशल नेटवक वेबसाइट् स) के इ तेमाल को सही ठहराते समय
अ धकतर लोग यही कहते ह क ये उनके सामा जक जीवन के लए ब त मह वपूण है।
इस बात को यान म रख और हमारी रणनी त को यह समझने के लए लागू कर क या
फेसबुक हमारे गत ल य पर अपने सकारा मक भाव के चलते सहयोगी मु य
ग त व धय क सूची म शा मल हो सकेगा? इसके लए हम एक बार फर एक का प नक
ल य और मु य सहयोगी ग त व धय के साथ काम करगे।
सामान क पै कग पूरी होने के बाद नकोडेमस ने अगला स ताह सामा य दनचया के साथ
बताया। इस दौरान अगर उ ह कसी ऐसी चीज़ क ज़ रत पड़ती, जो पैक करके रखी ई
ह, तो वे उसे बाहर नकालकर वापस उसी जगह पर रख दे ते, जहाँ वह पहले रखी ई थी।
स ताह के अंत म उ ह ने पाया क यादातर सामान पैक ही रखा आ है य क उ ह
उसक कोई ज़ रत महसूस ही नह ई।
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पर अब ऐसा नह है।
इस ब पर आकर शायद आपको यह चता सताने लगे क अपने खाली समय को इतने
योजनाब और व त ढं ग से बताने से आपको आराम महसूस नह होगा, जब क
खाली समय का मु य उ े य आराम ही है। दरअसल अ धकतर लोग को यही लगता है
क खाली समय म आराम करने के लए पूण वतं ता ज़ री है और आपको वह समय
बना कसी योजना के बताना चा हए, वरना खाली समय का या फायदा। जैसे अगर
शाम का व बना कसी योजना के आराम फरमाते ए बताने के बजाय व त और
योजनाब ढं ग से बताया जाए, तो अगले दन भी थकान महसूस होती रहती है। तो फर
भला अपने खाली समय को योजनाब तरीके से य बताया जाए? वा तव म बेनेट ने
ब त पहले ही इस शकायत को पहचान लया था। इस लए उनका कहना था क इस तरह
क चताएँ इस लए पैदा होती ह य क इंसान इस बात को लेकर गलतफहमी म है क
उसक मानवीय भावना को कौन सी चीज़ स य और ऊजावान बनाती है:
या? तु ह लगता है क काम के आठ घंट के बाद तु हारे पास जो सोलह घंटे का समय
बचता है, उस समय को पूणत: ऊजावान बनाने से उन आठ घंट का मू य कम हो जाता
है? नह । ब क इससे तो उन आठ घंट का मू य बढ़ जाएगा। मने जस औसत लंदन
नवासी क क पना क है, उसके लए यह सीखना सबसे मह वपूण होगा क इंसानी
दमाग नरंतर क ठन ग त व धय के लए पूरी तरह स म होता है; वह इंसान के अ य
अंग क तरह थकता नह है। अगर उसक न द क वाभा वक ज़ रत पूरी हो रही हो, तो
उसके बाद उसे कसी आराम क नह ब क सफ बदलाव क ज़ रत होती है।
मेरा अनुभव कहता है क बेनेट का यह व ेषण बलकुल सही है। अगर आप काम के
आठ घंट के दौरान अपने दमाग को कोई साथक काय करने दे ते ह, तो दन के अंत म
आप खुद को अ धक प रपूण महसूस करते ह और अगले दन क शु आत भी अ धक
मान सक शां त के साथ करते ह। जब क अगर आपने दनभर अपना दमाग अथहीन ढं ग
से यूँ ही बेकार क वेबस फग करने म लगाया होगा, तो दन के अंत म और अगली सुबह
आप खुद को प रपूण और शांत महसूस नह करगे।
6 इस वचार को कई नाम से जाना जाता है, जैसे 80/20 का नयम, पारेतो का स ांत
वगैरह और अगर आप खासतौर पर ज़रा धूत महसूस कर रहे ह, तो इसे कारक वरलता
का स ांत भी कह सकते ह।
नयम
हो सकता है क पहली बार म यह बात ामक लगे। इससे पहले ाइड का कहना था क
उनके कमचारी जतना काम पाँच दन म पूरा करते थे, उतना ही काम वे चार दन म भी
कर लेते ह। जब क अब वे यह दावा कर रहे थे क चार दन के कामकाजी स ताह का अथ
है कम घंट तक काम करना। भला ये दोन बात एक साथ सच कैसे हो सकती ह?
आ खरकार आ क यह पूरा मामला सतही यानी कम मह वपूण लगनेवाले काय से
जुड़ा आ है। इसे ाइड ने व तारपूवक समझाया :
-------------
यही वह ब है, जहाँ अ धकांश लोग को सम या हो सकती है। जैस-े जैसे आपका
काय दवस आगे बढ़ता है, आपके श ूल क दो चीज़ ऐसी ह, जो गड़बड़ हो सकती ह
(या यूँ कह क ज़ र गड़बड़ ह गी)। इनम से पहली ये है क आपका अनुमान गलत
सा बत होगा। उदाहरण के लए, हो सकता है क आपने एक ेस रलीज लखने के लए
दो घंटे का समय आर त कर रखा हो, जब क वा तव म जब आप ेस रलीज लखने
बैठ, तो उसे पूरा करने म आपको दो घंटे के बजाय ढाई घंटे का समय लग जाए। वह
सरी गड़बड़ ये है क आपने जस समय जो काम करना नधा रत कया है, उसम कोई
बाधा आ जाए या आपके सामने अचानक ही कोई नया मह वपूण काय आ जाए, जसे
त काल पूरा करना ज़ री हो। इस तरह क चीज़ से आपका श ूल गड़बड़ा सकता है।
अगर आपका श ूल गड़बड़ा गया है, तो जैसे ही मौका मले, थोड़ा सा समय नकालकर
आपको उसम ज़ री बदलाव कर लेना चा हए। आप चाह, तो नोटबुक का एक नया पेज
खोल सकते ह या फर पुराने लॉ स को मटाकर नए लॉ स बना सकते ह। या फर आप
वह कर सकते ह, जो म करता :ँ अपने काय दवस के बाक घंट के लए बने लॉ स पर
ॉस का नशान लगाकर उ ह काट दे ना और उनके दा ओर पेज के खाली ह से म नए
लॉ स बना लेना (म अपने लॉ स ब त पतली-पतली लाइ स के साथ बनाता ँ ता क
ज़ रत पड़ने पर उनम बदलाव करना आसान रहे)। हो सकता है क कभी-कभी आपको
अपने श ूल म कई बार बदलाव करना पड़े। अगर ऐसा हो, तो परेशान न ह । आपका
उ े य कसी भी क मत पर कसी एक श ूल से चपके रहना नह है ब क आपका
उ े य ये है क आप सोच- वचार के साथ अपने समय का सही इ तेमाल कर - भले ही
जैस-े जैसे आपका काय दवस बीते, वैसे-वैसे आपको अपने नणय पर बार-बार फर से
काम करना पड़े।
तीसरी यु है, काय संबंधी लॉ स के इ तेमाल को लेकर उदार रह। अपने पूरे काय दवस
म कई लॉ स लागू कर और सुबह के काय को पूरा करने के लए बनाए गए लॉ स को,
जतनी ज़ रत हो, उससे थोड़ा यादा बड़ा बनाएँ। एक साधारण नॉलेज वकर के
काय दवस के दौरान कई सारी अनपे त चीज़ सामने आती रहती ह: इन अनपे त काय
के लए अगर आप पहले से ही कुछ अ त र लॉ स के प म थोड़ा सा अ त र समय
आर त करके रख, तो सब कुछ सुचा प से चलता रहेगा।
-------------
-------------
कुछ सतही ग त व धयाँ ऐसी ह, जो इस प रभाषा पर पूरी तरह खरी उतरती ह। जैसे ई-
मेल चेक करना या एक का स कॉल का समय नधा रत करना न ववाद प से सतही
काय क ेणी म आता है। पर अ य ग त व धय का वग करण ज़रा अ हो सकता है,
उदाहरण के लए :
-------------
आसानी से उपल न रह
सरा उदाहरण है, एंटो नओ से टे नो का, जो ‘ रयल मैन टाइल’ नामक लॉग चलाते ह।
से टे न के फ टस क या दो चरण वाली है। अगर आप उनसे कोई सवाल पूछना
चाहते ह, तो आपको वह सवाल पो ट करने के लए उनके लॉग के कसी सावज नक पेज
पर भेज दया जाएगा। से टे नो को लगता है क पाठक के साथ गत संवाद म बार-
बार एक ही सवाल का जवाब दे ना थ है। अगर आप यह चरण पार कर लेते ह, तो वे
आपसे कुछ चेक बॉ सेस पर लक करके नीचे दए गए तीन वाद को पूरा करने के लए
कहते ह:
1) म ए टो नओ से टाइल (शैली) संबंधी ऐसा कोई सवाल नह क ँ गा, जसका जवाब
गूगल पर दस मनट सच करके ढूँ ढ़ा जा सकता है।
2) मेरा वसाय, जसका एंटो नयो से कोई लेना दे ना नह है, उसे बढ़ावा दे ने के लए म
एंटो नयो से बार-बार कोई ऐसा अनुरोध नह क ँ गा (इंटरनेट क भाषा म इसे ै मग
कहते ह), जो मने कह से यूँ ही कट-एंड-पे ट कया हो।
3) अगर एंटो नयो ने मेरे सवाल का जवाब 23 घंटे के अंदर दे दया तो बदले म म अपनी
ओर से कुछ अजन बय क मदद क ँ गा।
इसके बाद हम कुछ स ताह तक उन अगले कदम पर काम करगे और फर दोबारा एक-
सरे से चचा करगे। मेरा सुझाव है क इस बारे म फोन पर बात करने के लए हम आज से
एक महीने बाद का कोई दन तय कर लेते ह। म नीचे दनांक और समय के कुछ वक प दे
रहा ँ, जब म फोन कॉल के लए उपल र ँगा। जब आप अपनी त या द, तो इन
वक प म से वह दनांक और समय चुनकर बता सकते ह, जो आपके लए सु वधाजनक
हो। आपका जवाबी ई-मेल ही इस फोन कॉल के लए हमारी आपसी सहम त दशाएगा।
मुझे इस सम या क गहराई म जाने का इंतजार रहेगा।’
ये मामूली परेशा नयाँ अंतत: लाभ द सा बत होती है। इनबॉ स म आनेवाले ई-मेल वा तव
म या ताव लेकर आ रहे ह, इस बारे म पया त सोच- वचार करने से आप मह वपूण
काय करने क अपनी मता पर इस तकनीक के नकारा मक भाव को काफ हद तक
कम कर दे ते ह।
समय के साथ मुझे पता चला क उनके इस वहार के पीछे उनक सोच या थी। उनका
मानना था क ई-मेल भेजनेवाले क यह ज मेदारी है क वह अपने संदेश से आपको यह
महसूस करा दे क जवाबी ई-मेल भेजना साथक होगा। अगर आप इनम से कसी ोफेसर
को ई-मेल भेज रहे ह और आपका संदेश उ ह जवाबी ई-मेल लखने के लए े रत नह
करता और जवाबी ई-मेल लखने म जो मेहनत लगती है, उसे कम नह करता तो इसका
अथ है क आपको अपने ई-मेल का कोई जवाब नह मलेगा।
हेलो ोफेसर,
हेलो ोफेसर,
म अपने सलाहकार ोफेसर के साथ फलाँ वषय से जुड़े एक ोजे ट पर काम कर रहा
ँ। अगर आपक अनुम त हो, तो म गु वार को आपका ऑ फस ख म होने से पं ह मनट
पहले आकर आपसे मलना चा ँगा ता क आपको व तार से बता सकूँ क हम या करने
जा रहे ह और इससे आपके वतमान ोजे ट को या लाभ हो सकता है?
आमतौर पर कई ई-मेल इसका अपवाद होते ह। उदाहरण के लए अगर आपके पास कोई
ऐसा ई-मेल आता है, जो नह है और उसम ता वक ोजे ट म भी आपको कोई
दलच ी नह है, पर वह ई-मेल आपक कंपनी के सीईओ ने भेजा है। ऐसे म है क
आप उसे नज़रअंदाज नह कर सकते और आपको उसका जवाब भेजना होगा। हालाँ क
अगर ऐसे अपवाद को छोड़ दया जाए, तो ोफेसस का यह कोण आपसे यह माँग
करता है क जवाबी ई-मेल भेजने का नणय लेते समय आपको ज़रा बेरहमी से काम लेना
चा हए।
2 ऐसा काम जसे करने वाले, जनक मु य पूँजी उसका ान हो, जैसे ो ा मग,
इंजी नय रग, अकाउं टे सी, आ कटे चर और वकालत वगैरह।
जैसा क मने इस कताब क तावना म जोर दे कर कहा है, मुझे इस बहस म कोई
दलच ी नह है। गहन काय के लए वचनब ता कोई नै तकता नह है और न ही यह
कोई दाश नक वचन है - ब क यह तो बस एक ावहा रक समझ है क एका होने क
मता एक ऐसा कौशल है, जससे मह वपूण काय को पूरा कया जा सकता है। गहन
काय मह वपूण है, सरे श द म कह, तो इस लए नह य क यान भटकने म कोई बुराई
है ब क इस लए क इसी एका ता के चलते बल गेट्स एक सेमे टर से भी कम समय म
अरब डॉलर क एक इंड क न व रखने म कामयाब ए थे।
हालाँ क जैस-े जैसे मेरे ोफेसर बनने के दन करीब आ रहे थे, वैसे-वैसे म च तत होने
लगा। एक छा और डॉ टर क उपा ध हा सल करने के बाद शोध करनेवाले शोधकता के
तौर पर मेरे पास इतना यादा काम नह होता था क म हमेशा त र ँ। आमतौर पर मेरे
पास पूरा दन उपल होता, जसका इ तेमाल म मनचाहे ढं ग से कर सकता था। म
जानता था क अपने कॅ रयर के अगले चरण म मेरे पास यह सु वधा नह रहेगी। मुझे यह
व ास भी नह था क ज द ही शु होनेवाले अपने क ठन श ूल के साथ गहन काय
को एक कृत करने क वह मता मेरे अंदर है, जससे म अपनी उ पादकता बनाए रख
सकूँ। अपनी इस चता म घुलने के बजाय मने तय कया क म इस बारे म कोई नणायक
कदम उठाऊँगा: मने अपनी गहन काय क मता बढ़ाने के लए एक योजना बनाई।
खुद ही लगाई इन बं दश को पार करने के लए मने गहनता के साथ काय करने क अपनी
मता को बढ़ाया। मने बड़ी सावधानी से गहन काय के समय क योजना बनानी शु क
और कोई आक मक काय आने पर भी उस समय को बचाकर रखा, ता क उसका उपयोग
गहन काय म हो सके। म हर स ताह पैदल चलते ए (मेरी उ पादकता के लए एक
वरदान) जो समय बताता था, उस दौरान मने अपने वचार पर सावधानीपूवक काम करने
क मता भी वक सत कर ली। साथ ही म ऐसे ान क खोज करने को लेकर भी
जुनूनी हो गया, जो बाक ान से कटा आ हो और जहाँ एका होना आसान हो।
उदाहरण के लए म ग मय के मौसम म अ सर बाकर इंजी नय रग लाइ ेरी म गुंबद के
नीचे बैठकर काम करता था - जो गुफा जैसा बड़ा ही मनभावन ान था। हालाँ क
श ा स के दौरान यहाँ छा क भीड़ काफ बढ़ जाती थी। जब क स दय के मौसम म
शां त के लए म ऐसे गु त ान क तलाश म रहता था, जो लोग के बीच घूमने-
फरनेवाली जगह के प म स न ह । आ खरकार मने ऐसे ान के तौर पर लुईस
यू जक लाइबे्ररी को ाथ मकता दे ना शु कर दया। यह एक छोटा ले कन ब ढ़या ान
था। एक बार तो मने ग णत संबंधी माण पर काम करने के लए ड जैसी पं य वाली
एक महंगी लैब-नोटबुक तक खरीद ली। इसके लए मने 50 डॉलस क रकम खच क थी।
मेरा व ास था क यह खच सोच- वचार के दौरान मुझे सावधानी बरतने के लए े रत
करेगा।
म इस बात से हैरान था क गहनता के त यूँ दोबारा तब होना मेरे लए कतना
कारगर सा बत हो रहा है। सन 2011 क शरद ॠतु म जॉजटाउन यू नव सट म कं यूटर
साइंस के ोफेसर के पद पर नयु होने के बाद मेरी ज मेदा रयाँ ब त तेजी से बढ़ । पर
म अब तक खुद को इसी के लए श त कर रहा था। मने न सफ अपनी रसच संबंधी
उ पादकता बचाकर रखी थी; ब क यह पहले से कह यादा बेहतर भी हो गई थी।
ावसा यक ज मेदा रय का यह बोझ बढ़ने के बाद, त वष दो अ े रसच पेपस
लखने क मेरी ग त बढ़कर चार अ े रसच पेपस त वष हो गई, जसे मने एक छा
के तौर पर कायम रखा था।
भले ही मेरा यह दशन अ ा रहा हो, ले कन ज द ही मुझे पता चला क अभी भी मेरा
दशन उस तर तक नह प ँचा है, जस तर पर गहन काय के ज रये प ँचना संभव है।
यह एहसास मुझे एक ोफेसर के तौर पर काम शु करने के बाद तीसरे साल म आ।
अपने दशन को बेहतर बनाने के अवसर खोजने के उ े य से मने सन 2013 क शरद
ॠतु से लेकर 2014 क ग मय तक अपने तीसरे साल के दौरान एक बार फर अपनी गहन
काय संबंधी आदत पर यान दे ना शु कया। गहनता के त इस कार दोबारा तब
होने के पीछे का एक बड़ा कारण वह कताब है, जो फलहाल आपके हाथ म है - इस
कताब का अ धकांश ह सा इसी अव ध म लखा गया है। स र हजार श द क इस
कताब को लखने के चलते मेरे त श ूल म कई नई बं दश जुड़ ग । साथ ही म यह
भी सु न त करना चाहता था क इसके चलते अकाद मक े म मेरी उ पादकता पर
कोई भाव न पड़े। गहनता क ओर वापस जाने का एक और कारण था, ोफेसर के तौर
पर मेरे कायकाल से जुड़ी या। अब मेरे पास नए रसच पेपस लखने के लए सफ
एक या दो साल का ही समय बचा था य क उसके बाद मुझे ाई ोफेसर के तौर पर
अपनी नयु के लए संबं धत ा धकरण म आवेदन जमा करना था। सरे श द म कह,
तो यही वह समय था, जसम अपनी मता का भरपूर दशन करना ज़ री था
(खासतौर पर इस लए भी य क म और मेरी प नी मेरा ाई कायकाल शु होने से
पहले आ खरी साल म एक ब ा चाहते थे, जो हमारी सरी संतान होता)। वह गहनता
अपनाने के पीछे जो आ खरी कारण था, वह न सफ अ धक गत था ब क मुझे
काफ परेशान करनेवाला भी था। दरअसल मने एक त त अनुदान के लए आवेदन
दया था, जो मेरे कई सहक मय को मल रही थी, ले कन मेरा आवेदन खा रज हो गया।
यह मेरे लए ब त ही श मदगी क बात थी और इसके चलते म काफ परेशान रहा।
इसी लए मने तय कया क शकायत करने या अपनी मता पर संदेह करने के बजाय
म अपने रसच पेपस क सं या और गुणव ा बढ़ाकर, वह अनुदान हा सल न कर पाने क
तपू त क ँ गा। ता क मेरी जगह उन लोग को खुद ही एक तरह से यह घोषणा करनी
पड़े क भले ही उस एक अनुदान के लए मेरा आवेदन खा रज कर दया गया हो, ले कन
मेरी मता पर संदेह नह कया जा सकता।
जैस-े जैसे यह साल आगे बढ़ा, म गहन काय करनेवाली कसी मशीन जैसा हो गया और
इस बदलाव से मले प रणाम ने मुझे हैरान कर दया। इस अव ध म मने एक कताब
लखी। इसी अव ध के दौरान मेरा बेटा दो साल का हो गया। (वह उ जसम अ धकांश
ब े बड़े उ ं ड हो जाते ह, जससे माता- पता क मु कल अचानक बढ़ जाती ह।) इसी
अव ध म मने अपनी अकाद मक उ पादकता दोगुनी से भी यादा कर ली - इस दौरान मने
नौ ऐसे रसच पेपस लखे, जनक समी ा मेरे सहक मय ने क । जब क इस दौरान भी
शाम के समय काम न करने का मेरा नणय जस का तस ही रहा।
म यह वीकार करना चा ँगा क चरम गहनता का मेरा यह साल शायद कुछ यादा ही
चरमपंथी क म का रहा: इसने मुझे मान सक प से थका दया था। इस लए मने तय
कया क आगे से अपनी इस ती ता को ज़रा कम रखूँगा। पर इस अनुभव से वही बात
सा बत होती है, जससे इस उपसंहार क शु आत ई थी: लोग को जतना लगता है,
गहन काय उससे कह अ धक भावशाली होता है। इस कौशल के त अपनी तब ता
के चलते ही बल गेट्स एक अ या शत अवसर का अ धकतम लाभ उठा सके और उनके
हाथ कं यूटर सॉ टवेयर इंड क शु आत हो सक । इसी कौशल के चलते म भी उसी
साल अपनी अकाद मक उ पादकता को दोगुना करने म कामयाब रहा, जस साल मने
अपनी ावसा यक ज मेदा रयाँ नभाने के साथ-साथ एक कताब लखने का नणय
लया। मेरा मानना है क यान क त रखनेवाले कुछे क लोग क ेणी म शा मल होने के
लए, भटके ए यानवाले अ धकतर लोग को पीछे छोड़ दे ना अपने आपम एक बड़ा ही
प रवतकारी अनुभव है।
यो य कमा ारे यश ा ती - सन ऑफ बु ा
शोध वतःचा - In Search of Peace
पृ वी ल य - मृ यूचं महास य
ःखात खुश राह याची कला - संवाद गीता
वॉव प ल श ज् ा. ल.
*न नवेदन *