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डीप वक

एक वच लत संसार म एका सफलता के नयम

कैल यूपोट

काशक : वॉव प ल श ज् ा. ल. पुणे

अनुवादक : अ भषेक शु ला

ISBN : 978-93-90132-03-4

“This edition published by arrangement with Grand Central Publishing,


New York,

New York, USA. All rights reserved."

Hindi Translation Copyright © 2020 by WOW Publishings Pvt. Ltd.

All rights reserved.

सवा धकार सुर त

वॉव प ल श ज् ा. ल. ारा का शत यह पु तक इस शत पर व य क जा रही है क


काशक क ल खत पूवानुम त के बना इसे ावसा यक अथवा अ य कसी भी प म
उपयोग नह कया जा सकता। इसे पुनः का शत कर बेचा या कराए पर नह दया जा
सकता तथा ज दबंद या खुले कसी भी अ य प म पाठक के म य इसका प रचालन
नह कया जा सकता। ये सभी शत पु तक के खरीददार पर भी लागू ह गी। इस संदभ म
सभी काशना धकार सुर त ह। इस पु तक का आं शक प म पुनः काशन या पुनः
काशनाथ अपने रकॉड म सुर त रखने, इसे पुनः तुत करने क त अपनाने, इसका
अनू दत प तैयार करने अथवा इले ॉ नक, मैके नकल, फोटोकॉपी और रकॉ डग आ द
कसी भी प त से इसका उपयोग करने हेतु सम त काशना धकार रखनेवाले अ धकारी
तथा पु तक के काशक क पूवानुम त लेना अ नवाय है।

'Deep Work' इस अं ेजी पु तक का हद अनुवाद

Deep Work

by Cal Newport
वषय सूची

तावना

वचार

1) गहन काय मह वपूण है

2) गहन काय लभ है

3) गहन काय अथपूण है

नयम

1) गहनता के साथ काय कर

2) बोडम को गले लगाएँ

3) सोशल मी डया का इ तेमाल बंद कर द

4) सतही काय से छु टकारा पाएँ

उपसंहार
तावना

यू रख झील के उ री कनारे पर सट गैलन के वस ांत म बो लगेन नाम का एक गाँव


है। सन 1922 म मनो च क सक काल युंग ने एकांत म समय बताने के लए इस गाँव म
एक भवन का नमाण शु कराया। उ ह ने इस नमाण काय क शु आत दो मं जला
प र का घर बनवाकर क । इस घर को उ ह ने ‘टावर’ का नाम दया। इसके बाद जब वे
भारत या ा पर गए, तो उ ह ने एक वशेष चलन पर गौर कया क भारतीय लोग अपने घर
म यान करने के लए एक कमरा अलग से रखते ह। इस या ा से लौटने के बाद उ ह ने
‘टावर’ नामक अपने घर का व तार करते ए, उसम एक नजी कायालय का नमाण
कराया। इस ान के बारे म युंग का कहना था, ‘म यहाँ बलकुल अकेला होता ँ और
इसक चाभी हमेशा अपने साथ रखता ;ँ मुझसे पूछे बना कसी को भी यहाँ आने क
अनुम त नह है।’

प कार मेसन यूरी ने अपनी कताब डेली रचुअ स म व भ ोत क मदद से काल


युंग क मनो च क सा संबंधी काय से जुड़ी आदत का एक खाका ख चा है। यूरी बताते ह
क ‘टावर’ म युंग रोज सुबह सात बजे जागते थे और ना ते के बाद अपने नजी कायालय
म दो घंटे तक पूरी एका ता के साथ लेखन काय करते थे। फर दोपहर के समय वे
आमतौर पर या तो यान करते या फर आसपास के ामीण इलाक म टहलने नकल
जाते। ‘टावर’ म बजली क सु वधा नह थी इस लए दन के आ खर म जैसे-जैसे अंधेरा
बढ़ता, वहाँ रोशनी के लए तेल के लै और घर को गम रखने के लए चमनी जला द
जाती। अंतत: रात दस बजे तक युंग सोने चले जाते। टॉवर म रहने के बारे म उनका कहना
था, ‘इस घर म मुझे शु से ही आराम और शां त का बड़ा बल एहसास होता रहा है।’

बो लगेन के इस भवन को छु याँ बताने के लए बनाए गए घर के प म दे खना


वाभा वक है, ले कन अगर हम इसे युंग के उस दौर के कॅ रयर के संदभ म दे ख, तो यह
हो जाता है क उ ह ने अपने कामकाज से भागने के लए इस घर का नमाण नह
कराया था। सन 1922 म युंग ने जब यह संप खरीद , तब उनके पास छु याँ लेने का
समय ही नह था। इसके सफ एक साल पहले सन 1921 म उ ह ने ‘साइकोलॉ जकल
टाइ स’ शीषक से एक बेहद भावशाली कताब लखी थी। इस कताब ने युंग और उनके
एक जमाने के दो त व मागदशक स मंड ायड ( ज ह आज मनो व ेषण के पतामह
के प म जाना जाता है) के बीच लंबे समय से बढ़ रहे मतभेद को और तीखा बना दया
था। 1920 के जमाने म स मंड ायड के वचार से असहमत होना बड़ा ही साहसी कदम
था। अपनी इस कताब को बौ क समथन दे ने के लए यह ज़ री था क युंग चौकस रह
और आगे भी कई जोरदार लेख व कताब लखते रह। अपने इ ह यास के चलते वे
व ेषणा मक मनो व ान क बु नयाद रख सके, जसे आज मनो व ान के े म युंग
क वचारधारा या दशन के प म जाना जाता है।

यह है क यू रख म युंग अपने मरीज को परामश व छा को ा यान दे ने म


त रहते थे। पर वे इस तता मा से खुश नह थे। अचेतन मन को जस प म जाना
और समझा जाता था, युंग उसे बदलना चाहते थे। अपने इस ल य को पूरा करने के लए
युंग अपनी त शहरी जीवनशैली म जतना सोच- वचार कर पा रहे थे, उ ह उससे कह
यादा गहन और सावधानीपूवक ढं ग से सोच- वचार करने क ज़ रत थी। है क युंग
अपने कामकाज से भागने के लए बो लगेन त उस घर म नह जाते थे ब क वे तो
अपने ावसा यक जीवन के वकास के लए ऐसा करते थे।

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आगे चलकर काल युंग बीसव शता द के सबसे भावशाली वचारक म से एक के तौर
पर स ए। बेशक उनक इस सफलता के पीछे कई कारण ह, पर इस कताब म
तुत करने के लए मेरी दलच ी उनके न न ल खत कौशल म सबसे यादा है, जसने
न त ही उनक उपल य म एक मह वपूण भू मका नभाई थी -

गहन काय: यान भटकानेवाली तय से र, एका ता क अव ा म क गई


ावसा यक ग त व धयाँ, जो आपक मान सक मता को सबसे उ तम तर पर ले
जाती ह। इन यास से नए मू य क रचना होती है, आपके कौशल म सुधार आता है और
इनक नकल करना मु कल होता है।

अपनी वतमान बौ क मता से मू य क आ खरी बूँद को भी नचोड़कर नकालने के


लए गहन काय क ज़ रत होती है। मनो व ान और तं का व ान के े म दशक तक
ए शोध के चलते आज हम यह जानते ह क गहन काय के दौरान जो गहन मान सक
प र म होता है, वह आपक मता को बेहतर बनाने के लए ज़ री है। सरे श द म
कह, तो गहन काय ठ क वैसा ही यास है, जो बीसव सद क शु आत म अकाद मक
मनो च क सा जैसे क ठन े म एक अलग पहचान बनाने के लए आव यक था।
‘गहन काय’ को यह नाम मने ही दया है। काल युंग ने अपने काम के लए इन श द का
उपयोग नह कया होगा पर इस अव ध म उनके काय उसी जैसे थे, जो ‘गहन काय’
म अंत न हत अवधारणा को वाकई समझता हो। युंग ने अपने ावसा यक जीवन म गहन
काय को बढ़ावा दे ने के लए ही उस जंगली इलाके म प र का घर बनवाया था - इस
नमाण काय के लए काफ समय, ऊजा और धन क ज़ रत थी। इसके चलते वे अपने
ता का लक काय से ज़रा र भी हो गए थे। जैसा क मेसन यूरी लखते ह - युंग अपने
च क सा काय म आमतौर पर जतना समय दे ते थे, नय मत प से बो लगेन जाने के
चलते उसम कमी आ गई थी। ‘हालाँ क उनके कई मरीज उन पर नभर थे, ले कन फर भी
युंग बो लगेन क या ा के लए समय नकालने से हचकते नह थे।’ गहन काय को
ाथ मकता दे ना भी एक क म का बोझ ही था, ले कन फर भी युंग के लए नया
बदलने का अपना ल य पूरा करने के लए यह ज़ री था।

अगर आप ाचीन और हा लया इ तहास क भावशाली श सयत के जीवन का


अ ययन करगे, तो पाएँगे क वे सब गहन काय को लेकर वचनब थे। उदाहरण के लए
युंग से कई दशक पहले सोलहव सद के नबंधकार मशेल डी माँटे या, अपने नजी
पु तकालय म बैठकर काम करते थे, जसे उ ह ने अपने ांसीसी कले क द वार के
सामने त द णी टॉवर पर बनवाया था। वह माक ट् वेन ने अपना मश र उप यास ‘द
एडवचस ऑफ टॉम सॉयर’ का अ धकांश ह सा यूयॉक के वारी फॉम के एक छ पर के
नीचे बैठकर लखा था, जहाँ वे ग मय का समय बताने गए थे। ट् वेन का यह अ ययन
क उनके मु य घर से इतना अलग-थलग था क जब उनके प रवार के सद य को ट् वेन
को भोजन के लए पुकारना होता, तो ट् वेन का यान ख चने के लए उ ह हॉन बजाना
पड़ता था।

आइए इ तहास के उस दौर से आगे बढ़कर हा लया समय म आते ह। ज़रा मश र फ म


लेखक और नदशक वुडी एलन पर वचार कर। सन 1969 से 2013 के बीच, चौवालीस
साल क अव ध म वुडी एलन ने चौवालीस फ म बना , ज ह ऑ कर पुर कार म तेईस
नामांकन मले - कला मक उ पादकता क उनक यह सफलता वाकई आ यजनक है।
इस पूरी अव ध म एलन ने कभी भी अपने पास कोई कं यूटर नह रखा। इले ॉ नक
उपकरण से उनका यान भटके, इसके बजाय उ ह ने हमेशा अपनी फ म क पटकथा
लखने के लए एक जमन टाइपराईटर ओल या MP3 का इ तेमाल कया। कं यूटस को
इस तरह खा रज करने के मामले म एलन भी सै ां तक भौ तक व ानी पीटर ह स क
ेणी म आते ह, जो अपना कामकाज नया से पूरी तरह कटकर और इतना अलग-थलग
रहकर करते थे क जब उ ह नोबेल पुर कार मला, तो उनसे बात करने के लए बेचैन
प कार उ ह ढूँ ढ़ नह पा रहे थे। सरी ओर ले खका जे.के. रो लग कं यूटर का इ तेमाल
तो करती ह पर हैरी पॉटर उप यास ृंखला लखते समय वे सोशल मी डया से बलकुल
गायब थ - संयोग क बात ये है क सोशल मी डया का उदय भी इसी अव ध म आ था
और यह तकनीक मी डया श सयत के बीच फौरन लोक य हो गई थी। आ खरकार सन
2009 क शरद ॠतु म जब रो लग अपना अगला उप यास ‘द कैजुअल वेकसी’ लख रही
थ , तो उनके टाफ ने उनके नाम से एक ट् वटर अकाउं ट बना दया। ले कन अगले डेढ़
साल म उनका सफ एक ही ट् वीट आया, जो कुछ इस कार था, ‘यह मेरा असली
अकाउं ट है, ले कन अभी म आप लोग के साथ अ धक संवाद नह कर पाऊँगी य क
फलहाल पेन और कागज ही मेरी ाथ मकता ह।’

न त ही गहन काय सफ ऐ तहा सक या टे नोफो बक(1 ) लोग तक ही सी मत नह है।


माइ ोसॉ ट के सीईओ बल गेट्स के बारे म मश र है क वे साल म दो बार अपना समय
‘ थक वी स’ म बताते थे। आमतौर पर इसके लए वे कसी झील के कनारे बनी कॉटे ज
म जाकर खुद को हर कसी से बलकुल अलग-थलग कर लेते। इस दौरान कुछ और करने
के बजाय वे सफ कताब पढ़ते और बड़े-बड़े वचार पर मनन- चतन करते। सन 1995 म
ऐसे ही एक थक वीक के दौरान बल गेट्स ने ‘इंटरनेट टाइडल वेव’ शीषक से एक मश र
मृ त-प लखा, जसने उनक कंपनी माइ ोसॉ ट का यान नेट ेस क यू नकेशन क
ओर ख चा, जो उस दौर क एक नई और तेजी से बढ़ती ई कंपनी थी। इसी वषय से
जुड़ी एक वडंबना ये है क इंटरनेट युग क हमारी मश र अवधारणा क रचना म सहयोगी
रहे साइबरपंक (साइंस फ न क एक शैली) लेखक नील ट फे सन तक इले ॉ नक
मा यम से प ँचना करीब-करीब असंभव होता है - उनसे संपक करने के लए उनक
वेबसाइट पर कोई ई-मेल ए ेस नह है ब क एक लेख मौजूद है, जसम बताया गया है
क नील ट फे सन य जानबूझकर सोशल मी डया से र रहते ह। अपनी इस
अनुप त क ा या उ ह ने एक बार कुछ इस तरह क थी: ‘अगर म अपने जीवन को
कुछ यूँ व त क ँ क मेरे पास एक साथ ढे र सारा समय हो और कोई चीज़ मेरा यान
न भटकाए तो म इस समय का उपयोग अपने उप यास लखने म क ँ गा। ले कन अगर
मेरा यान लगातार भटकता रहे, तो फर मेरे पास अपने लखे उप यास क जगह सफ
ढे र सारे ई-मेल ही ह गे, जो मने सर को भेजे ह गे।’

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भावशाली लोग के बीच गहन काय क इस सव ापकता (हर जगह पर होना) पर जोर
दे ना इस लए मह वपूण है य क यह अ धकांश आधु नक नॉलेज वकस के वहार से
बलकुल वपरीत है - यह एक ऐसा समूह है, जो गहनता म जाने का मह व तेजी से
भुलाता जा रहा है।

गहन काय से नॉलेज वकस (2 ) के र होने का कारण है, नेटवक टू स। यह एक


ापक ेणी है, जसके अंतगत ई-मेल और एसएमएस जैसी संचार सेवा , ट् वटर और
फेसबुक जैसे सोशल मी डया नेटव स और बज़फ ड व रे डट जैसी आकषक इ फोटे नमट
(एंटरटे नमट और इ फॉरमेशन यानी मनोरंजन व सूचना का मलाजुला सं करण)
वेबसाइट् स आती ह। कुल मलाकर इन टू स का चलन म आना और साथ ही माटफो स
और कं यूटस के ज रये इन टू स तक लोग क आसान प ँच ने अ धकांश नॉलेज वकस
का यान भटका दया है। सन 2012 म मैनेजमट कंस टग कंपनी मै क सी के एक
अ ययन से पता चला क वतमान म एक औसत नॉलेज वकर स ताह म अपने कुल
कामकाजी समय म से इले ॉ नक क यू नकेशन और इंटरनेट स चग म 60 फ सद समय
बताता है। और तो और, वह अपने कुल समय म से 30 फ सद समय तो सफ ई-मे स
पढ़ने और उनका जवाब दे ने म ही बता दे ता है।

भटके ए यान क अव ा म रहकर गहन काय करना संभव नह होता। य क गहन


काय के लए बना कसी कावट के दे र तक सोच- वचार करने क ज़ रत होती है।
हालाँ क ऐसा नह है क आधु नक नॉलेज वकस सफ मौज-म ती ही करते रहते ह।
दरअसल वा त वकता यह है क वे आज भी हमेशा क तरह ही त रहते ह। पर इस
वसंग त का कारण या है? दरअसल एक अ य चीज़ - जो वा तव म गहन काय का ही
समक है - उससे ये सारे कारण हो जाते ह :

सतही काय : मान सक-मेहनत र हत, सहकार-शैली के काय जो अ सर भटके ए यान


क अव ा म कए जाते ह। ये ऐसे काय ह, जो संसार म अ धक नया मू य पैदा नह करते
और इ ह दोहराना या इनक नकल करना आसान होता है।

सरे श द म कह, तो नेटवक टू स के इस युग म नॉलेज वकस के गहन काय का ान,


कुछ सतही वक प लेते जा रहे ह - नरंतर ई-मे स भेजना व ा त करना, मान वे वयं
नेटवक राउटस का इंसानी प ह । इसके साथ ही वे बीच-बीच म यान भटकानेवाले
बे्र स भी लेते रहते ह। जसके चलते ापार के लए नई रणनी त बनाने या एक
मह वपूण अनुदान हा सल करने के लए आवेदन लखने जैसे बड़े काय नरंतर खं डत
होकर, भटके ए यान क उस धूल म खो जाते ह, जो कमतर गुणव ा का उ पादन करती
है। ऐसे काय को गहन सोच के साथ बेहतर ढं ग से कया जा सकता है। ऊपर से ऐसे
माण भी सामने आ रहे ह, जनके अनुसार सतहीपन क ओर इस तरह बढ़ना कोई ऐसी
चीज़ नह है, जसे आसानी से बदला जा सकता हो। उ म सतहीपन क अव ा म
पया त समय बताने से गहन काय करने क आपक मता ाई प से घट जाती है।
सन 2008 म अमे रक प का ‘द एटलां टक’ म का शत एक मश र लेख म प कार
नकोलस कार ने वीकार कया क ‘ऐसा लगता है, जैसे इंटरनेट धीरे-धीरे मेरी एका होने
और चतन करने क मता को ख म कर रहा है और म ऐसा इकलौता नह ,ँ
जसे ऐसा महसूस हो रहा है।’ बाद म कार ने अपनी कताब ‘द शैलोज’ म इस वचार पर
व तार से काश डाला। उनक यह कताब त त पु ल जर पुर कार के नणायक दौर
म प ँची। वाभा वक है क द शैलोज लखने के लए कार को जबरन ही र जंगल म बने
एक के बन म जाकर रहना पड़ा ता क शहरी जीवन से खुद को काटकर शां त से अपनी
कताब पर काम कर सक।

यह कोई नया वचार नह है क नेटवक टू स हमारे काय को गहनता से सतहीपन क ओर


ले जा रहे ह। नकोलस कार क कताब द शैलोज तो बस हा लया दौर म आई उन कताब
क ृंखला का शु आती उदाहरण भर है, जो हमारे म त क और कामकाज संबंधी
आदत पर इंटरनेट के भाव का आंकलन करती है। इस ृंखला क अ य कताब ह,
व लयम पॉवस क हैमलेट्स लैकबेरी, जॉन मैन क द टाइरनी ऑफ ई-मेल और
एले स सूजुंग- कन पग क द ड ै न ए ड न। ये सभी कताब लगभग इस बात से
सहमत नज़र आती ह क नेटवक टू स न सफ उस काय से हमारा यान भटका रहे ह,
जसके लए नबाध एका ता क ज़ रत पड़ती है, ब क साथ ही वे हमारी यान क त
करके रखने क मता को भी कमजोर कर रहे ह।

इन माण को दे खते ए, अब म इस कताब म अपनी इस दलील को सही सा बत करने


का और यास नह क ँ गा। मुझे उ मीद है क आप इस बात से सहमत ह क नेटवक
टू स गहन काय पर नकारा मक भाव डालते ह। साथ ही म इस बदलाव के रगामी
सामा जक प रणाम को बतानेवाली कोई वशेष दलील भी नह ँ गा य क ऐसे तक-
वतक से अ सर आपस म मनमुटाव होने क आशंका रहती है। इस बहस के दो प ह।
पहला प जेरोन लै नयर और जॉन मैन जैसे लोग का है, जो तकनीक के त
संदेहवाद नज़ रया रखते ह। उनक आशंका ये है क इनम से अ धकतर टू स - कम से
कम अपने वतमान व प म - समाज को नुकसान प ँचाते ह। जब क इस बहस का सरा
प लाइव थॉ सन जैसे लोग ह, जो तकनीक को लेकर आशावाद नज़ रया रखते ह।
उनका तक है क नेटवक टू स बेशक समाज म बदलाव ला रहे ह पर ये बदलाव ऐसे ह,
जो हम बेहतर बनाते ह। उदाहरण के लए हो सकता है क गूगल का उपयोग हमारी
या ा त को कमजोर बना रहा हो, ले कन एक वा त वकता ये भी है क अब हम तेज
या ा त क कोई ज़ रत भी नह है य क आज हम जो कुछ भी जानना चाह, गूगल क
मदद से उसे पलभर म खोज सकते ह।

इस दाश नक बहस को लेकर मेरा अपना कोई ख नह है। मेरी दलच ी तो इससे जुड़ी
एक थी सस म है, जो कह अ धक ावहा रक और वैय क रवैया रखती है: सतहीपन
क ओर बढ़ रही हमारी कायसं कृ त (भले ही आप इसे दाश नक प से अ ा मानते ह
या बुरा) ऐसे कुछे क लोग के लए बड़े पैमाने पर एक आ थक और गत अवसर है,
जो इस चलन से बचने और गहनता को ाथ मता दे ने क मता को पहचानते ह - कुछ
साल पहले एक युवा सलाहकार जेसन बेन ने इसी अवसर का पूरा लाभ उठाया था।

यह पता लगाने के कई तरीके ह क वतमान अथ व ा म आप कतने मू यवान


ह। जेसन बेन को इस बात का पता तब लगा, जब व ीय सलाहकार के प म नौकरी
शु करने के कुछ ही समय बाद उ ह एहसास आ क उनक अ धकांश ावसा यक
ज मेदा रय को ‘फूहड़ ढं ग से तैयार क गई’ एक माइ ोसॉ ट ए सेल ट के ज रये
वचा लत प से पूरा कया जा सकता है।

जस कंपनी ने बेन को काम पर रखा था, वह ज टल सौदे करनेवाले बैक के लए रपोट् स


बनाती थी (मुझे दए एक इंटर ू म बेन ने अपने काम के बारे म मज़ा कया लहजे म कहा
था क ‘यह बड़ा ही उकताहटभरा काम था’)। इन रपोटस को तैयार करने के लए खुद
बैठकर ढे र सारी ए सेल ेडशीट् स पर डाटा के साथ हेरफेर करना पड़ता था। शु -शु
म बेन को सफ एक रपोट से जुड़े डेटा के साथ हेर-फेर करने म छह घंटे का समय लग
जाता था। (कंपनी के सबसे कुशल द गज यह काम इससे आधे समय म पूरा कर लेते थे।)
बेन इस चीज़ से कतई संतु नह थे।

बेन याद करते ए बताते ह, ‘ व ीय मामल के बारे म मने जो कुछ भी सीखा था, उसके
हसाब से मुझे यह या बेहद भ और थका दे नेवाली लगी।’ उ ह पता था क
माइ ोसॉ ट ए सेल म मै ोज़ नाम का एक फ चर होता है, जो यूजस को सामा य काय
को वचा लत ढं ग से पूरा करने क सु वधा दे ता है। बेन ने इस वषय पर कुछ लेख पढ़े
और ज द ही एक नई वकशीट तैयार कर ली, जो इन मै ोज़ क एक पूरी ृंखला के साथ
जुड़ी ई थी। यह डाटा म हेरफेर करने क छह घंटे लंबी या को सफ एक लक म
पूरा कर सकती थी। पहले एक रपोट तैयार करने म बेन को पूरा दन लग जाता था,
जब क अब वे यह काम सफ आधे घंटे म पूरा कर सकते थे।
बेन एक बु मान ह। उ ह ने एक त त कॉलेज (वज नया यू नव सट ) से
अथशा क ड ी हा सल क है। अपने जैसे कई युवा छा क तरह ही वे भी अपने
कॅ रयर के मामले म काफ मह वाकां ी थे। पर ज द ही उ ह एहसास हो गया क उनक
ये मह वाकां ाएँ कभी कुंठा म त द ल हो सकती ह य क सफ एक ए सेल मै ो उनके
मु य ावसा यक कौशल क जगह ले सकता है। इसी लए उ ह ने तय कया क उ ह खुद
को और अ धक मू यवान बनाना होगा। इस बारे म कुछ समय तक जानका रयाँ इक ा
करने के बाद आ खरकार बेन एक न कष तक प ँच: उ ह ने अपने प रवार से कह दया
क ‘वे ए सेल ेडशीट का इंसानी प बनने क अपनी यह नौकरी छोड़कर एक कं यूटर
ो ामर बनगे।’ हालाँ क हर बड़ी योजना क तरह ही, बेन क इस योजना के रा ते म भी
एक अड़चन थी: जेसन बेन को कं यूटर ो ा मग के कोड् स लखने के बारे म कुछ पता
नह था।

एक कं यूटर वै ा नक होने के नाते म इस बात क पु कर सकता ँ क कं यूटर को


ो ाम करना एक मु कल काम है। अ धकांश डेवलपस इस े म अपनी पहली नौकरी
हा सल करने से पहले चार साल तक कॉलेज म इस व ा के गुर सीखते ह - और इसके
बाद उ ह ावसा यक प से अ त म प ँचने के लए खासी त धा का
सामना करना पड़ता है। जेसन बेन के पास इतना समय नह था। व ीय े के अपने पेशे
क वा त वकता का एहसास होने के बाद वे नौकरी छोड़कर अपने अगले कदम क तैयारी
के लए वापस अपने घर आ गए। उनके माता- पता इस बात से खुश थे क बेटे के पास
भ व य क एक योजना है, ले कन वे इस बात से कतई खुश नह थे क अब शायद बेन को
लंबे समय तक घर पर खाली बैठना होगा। बेन को एक मु कल कौशल सीखना था और
वह भी ज द से ज द।

इस ब पर आने के बाद बेन के सामने भी वही सम या आ खड़ी ई, जसके चलते


अ धकांश नॉलेज वकस अपने वतमान कॅ रयर म फँसे रहते ह और अपे ाकृत अ धक
लाभदायी कॅ रयस क ओर कदम नह बढ़ा पाते। कं यूटर ो ा मग जैसी ज टल चीज़
सीखने के लए मु कल अवधारणा पर गहन और नरंतरता से एका होकर काम
करना ज़ री होता है - यह उसी क म क एका ता है, जसके लए मनो च क सक काल
युंग यू रख झील के जंगली इलाके म बने अपने घर टावर म एकांत म समय बताने जाते
थे। सरे श द म इसे गहन काय कहते ह। हालाँ क अ धकांश नॉलेज वकस - जैसा क
मने इस तावना के शु आती ह से म बताया था - गहन काय करने क अपनी मता
खो चुके ह। बेन भी इस मामले म कोई अपवाद नह थे।
व ीय सलाहकार क अपनी नौकरी छोड़ने से कुछ समय पहले ही बेन ने अपने बारे म
बताते ए कहा था, ‘म हर समय इंटरनेट से चपका रहता था और अपने ई-मे स चेक
करता रहता था; म खुद को ऐसा करने से रोक ही नह पाता था; यह मेरे लए एक क म
क मज़बूरी बन गई थी।’ गहनता को लेकर अपनी क ठनाई पर जोर दे ते ए बेन ने मुझे
एक ऐसे ोजे ट के बारे म बताया, जो उस व ीय कंपनी का सुपरवाइजर उनके पास
लेकर आया था। बेन के अनुसार, ‘कंपनी के अ धकारी चाहते थे क म एक ावसा यक
योजना तैयार क ँ ।’ जब क बेन को ावसा यक योजना तैयार करना आता ही नह था।
इस लए उ ह ने तय कया क वे पाँच वतमान ावसा यक योजना का अ ययन करगे,
फर उनक आपस म तुलना करगे और उनके बीच के फक को समझने क को शश करगे।
यह एक अ ा वचार था, ले कन बेन क एक सम या थी क वे खुद को एका नह रख
पा रहे थे। आज बेन वीकार करते ह क इस अव ध के दौरान कई दन तो ऐसे थे, जब वे
अपना हर पल (अपने कुल समय का 98 फ सद ) इंटरनेट स फग करते ए बता दे ते थे।
ावसा यक योजना तैयार करने का वह ोजे ट कभी पूरा नह हो सका, जो कॅ रयर के
शु आती दौर म अपनी एक पहचान बनाने का अ ा अवसर था।

जब बेन ने अपनी नौकरी छोड़ी, तब तक वे गहन काय को लेकर अपनी क ठनाइय से


अ तरह प र चत हो चुके थे। इस लए जब उ ह ने कं यूटर कोड् स लखने सीखना शु
कया, तो उ ह पता था क इसके साथ-साथ उ ह अपने मन को गहनता म जाना भी
सखाना होगा। उनका तरीका कठोर ले कन भावी था। ‘मने खुद को एक कमरे म बंद
कर लया। उस कमरे म कोई कं यूटर नह था। वहाँ सफ कताब, नोटकाड् स और एक
हाईलाइटर था।’ वहाँ वे कं यूटर ो ा मग क उन कताब क ज़ री बात को हाइलाइट
करते, उनम तुत वचार को नोटकाड् स पर नोट करते और फर जोर-जोर से उनका
अ यास करते। इले ॉ नक उपकरण से र यह समय शु -शु म बेन को काफ क ठन
लगा, ले कन उ ह ने खुद को इसके अलावा कोई और वक प ही नह दया। कं यूटर
ो ा मग क उन कताब म बताई गई चीज़ को सीखना उनके लए ज़ री था और
उ ह ने यह सु न त कया क उस कमरे म ऐसी कोई चीज़ न हो, जो उनका यान भटका
सके। धीरे-धीरे उनक एका ता बेहतर होने लगी और आ खरकार एक समय ऐसा आया,
जब वे हर रोज लगातार पाँच घंटे तक, बना यान भटके, पूरी एका ता के साथ इस नए
कौशल को सीखने म जुटे रहते। वे याद करते ए बताते ह क ‘इस अव ध म मने खुद को
कमरे म बंद रखकर कुल अठारह कताब का अ ययन कया।’

दो महीने तक खुद को कमरे म बंद रखकर अ ययन करने के बाद बेन ने डेव बूटकै म
भाग लया। यह वेब ए लकेशन ो ा मग पर स ताह म सौ घंटे चलनेवाला एक ै श कोस
है और अपनी क ठनता के लए बड़ा स है। ( ो ाम पर शोध करते समय बेन को एक
छा मला, जो टन यू नव सट से पीएचडी कर चुका था। उसने डेव बूटकै क
ा या कुछ इस कार क , ‘मने अपने जीवन म कभी इतनी मु कल चीज़ पर काम नह
कया था।’) चूँ क बेन ने पहले ही इसक अ खासी तैयारी कर ली थी, साथ ही उ ह ने
हाल ही म गहन काय करने क अपनी मता को भी बेहतर बना लया था, इसी लए इस
बूटकै म भी उ ह ने उ कृ दशन कया। इस बारे म उनका कहना था, ‘कुछ लोग यहाँ
बना कसी तैयारी के ही चले आते ह। फर वे यान क त नह कर पाते और न ही उनक
सीखने क ग त ती होती है।’ बेन के साथ इस कोस म जतने छा ने भाग लया था,
उनम से सफ आधे ही इसे तयशुदा अव ध म पूरा कर सके। बेन ने न सफ इसे पूरा कया
ब क अपनी क ा म वे सव म छा भी रह।

बेन ने जो गहन काय कया, वह उनके लए लाभदायक सा बत आ। ज द ही उ ह सैन


ां स को के एक टे क टाट-अप म डेवलपर क नौकरी मल गई, जसक वचर फं डग 25
म लयन डॉलस थी। छह महीने पहले जब बेन ने व ीय सलाहकार क अपनी नौकरी
छोड़ी थी, उस समय उनक सालाना कमाई मा 40 हजार डॉलस थी पर अब इस नई
नौकरी म कं यूटर डेवलपर के प म उ ह सालाना एक लाख डॉलस मल रहे थे - यह ऐसी
रकम थी, जसका बेन के कौशल के साथ-साथ बढ़ते जाना लगभग तय था और
स लकॉन वैली के बाजार म इस बढ़ो री क कोई आ खरी सीमा नह होती।

पछली बार जब मेरी बेन से बात ई, तो वे अपनी नई नौकरी म तेजी से उ त कर रहे थे।
गहन काय के नए-नए उपासक बने बेन ने अपने ऑ फस के पास ही एक अपाटमट कराए
पर ले लया था। जससे उनके लए हर रोज सुबह-सुबह अपने सहक मय से पहले
ऑ फस प ँचना और बना यान भटके काम करना संभव हो गया। उ ह ने मुझे बताया,
‘जब मेरा दन अ ा गुजर रहा होता है, तो मुझे दन क पहली मी टग शु होने से पहले
ही एका होकर काम करने के लए करीब चार घंटे का समय मल जाता है। इसके बाद
अ सर दोपहर म भी एका होकर काम करने के लए करीब तीन से चार घंटे मल जाते
ह। और यहाँ एका होने का मतलब सचमुच एका होना है: कोई ई-मेल नह , कोई हैकर
यूज (3 ) नह , सफ और सफ ो ा मग, बस।’ जो खुद यह वीकार कर चुका हो
क वह अपनी पछली नौकरी म दन का 98 फ सद समय सफ इंटरनेट स फग करते ए
बता दया करता था, ऐसे म यह बदलाव आना अपने आपम वाकई अचरज क
बात है।

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जेसन बेन क कहानी हम एक मह वपूण सबक सखाती है: गहन काय लेखक और
बीसव सद के शु आती दौर के दाश नक का अतीत के त ेम नह है ब क यह एक
ऐसा कौशल है, जो वतमान म ब त मू यवान है।

इस मू य या मह व के दो कारण ह। इनम से पहला सीखने से जुड़ा आ है। आज हम एक


ऐसी अथ व ा म जी रहे ह, जो तेजी से बदलती कुछ ज टल व ा पर नभर है।
उदाहरण के लए बेन ने जो व भ कं यूटर ल वेज सीख , उनम से कुछ का तो दस साल
पहले तक कोई अ त व ही नह था। और इस बात क पूरी संभावना है क आज से दस
साल बाद वे इतनी पुरानी हो जा गी क कसी काम क नह रहगी। ठ क इसी तरह जस
ने 1990 के दौर म माक टग के े म काम शु कया था, उसे संभवत: उस समय
कोई अंदाजा नह रहा होगा क आज के दौर म उसे ड जटल एना ल ट स ( ड जटल
व ेषण) म भी महारथ हा सल करनी पड़ेगी। इसी लए हमारी अथ व ा म मू यवान
बने रहने के लए आपको ज टल चीज़ तेजी से सीखने क कला पर महारथ हा सल करनी
होगी। इसके लए गहन काय क ज़ रत होती है। अगर आप यह मता वक सत नह
करगे, तो संभव है क आप लगातार हो रही इस तकनीक उ त के मामले म पीछे रह
जाएँ।

गहन काय के मू यवान होने का सरा कारण ये है क ड जटल नेटवक ां त के भाव


सकारा मक भी होते ह और नकारा मक भी। अगर आप कुछ ऐसा नमाण करते ह, जो
वाकई उपयोगी है, तो उसे अपनानेवाल (उदाहरण के लए नयो ा या ाहक) क सं या
म कोई सीमा नह होती - जससे आपका लाभ ब त यादा बढ़ जाता है। वह अगर आप
दोयम दज क चीज़ का उप पादन कर रहे ह, तो इसका अथ है क आप मु कल म ह
य क तब आपके ाहक के लए ऑनलाइन जाकर उसका बेहतर वक प ढूँ ढ़ना ब त
आसान होगा। आप भले ही एक कं यूटर ो ामर ह , लेखक ह , माकटर ह , सलाहकार
ह या उ ोजक, आपक त भी काल युंग जैसी है, जो स मंड ायड को मात दे ना
चाहते थे। आपक त जेसन बेन जैसी भी है, जो एक नए टाट-अप म अपनी जगह
बनाने क को शश म लगे थे। सफलता हा सल करने के लए आपको अपनी मता के
हसाब से सव े चीज़ का उ पादन करना होगा - यह ऐसा काय है, जो गहनता क माँग
करता है।

गहन काय क बढ़ती ज़ रत एक नई चीज़ है। औ ो गक अथ व ा म कुशल मक


और ावसा यक लोग का एक छोटा सा वग आ करता था, जसके लए गहन काय
मह वपूण था। पर एका होने क मता वक सत कए बना ही अ धकांश मक का
काम चल जाता था। उ ह मशीन का संचालन करने के बदले भुगतान दया जाता था - जब
तक उ ह ने यह काम कया, तब तक इसम कोई खास बदलाव भी नह आया। यह दशक
तक चलता रहा। पर जैसे-जैसे हम सूचना युग क अथ व ा क ओर बढ़ रहे ह, वैस-े
वैसे हमारी आबाद म नॉलेज वकस क सं या बढ़ रही है और गहन काय एक मु य
करसी बनता जा रहा है - भले ही अ धकांश लोग इस वा त वकता को समझ न पा रहे ह ।

सरे श द म कह, तो गहन काय कोई पुराने जमाने का अनु चत होता जा रहा कौशल नह
है। ब क यह हर उस के लए एक मह वपूण मता बनती जा रही है, जो वै क
तर पर त ध बन चुक और उ चत दशन करने म असफल को हराकर सूचना
आधा रत अथ व ा म आगे बढ़ना चाहता हो। वा तव म असली ग त उन लोग के
लए आर त नह है, जो आसानी से फेसबुक चला सकते ह (यह एक सतही काय है,
जसक नकल करना बड़ा आसान है)। ब क यह ग त तो उनके लए आर त होगी, जो
कसी सेवा का संचालन करने म स म वतरण- व ा को आसानी से तैयार कर सकते
ह (ये न त प से एक गहन काय है, जसक नकल करना कतई आसान नह है)।
गहन काय इतना मह वपूण होता है क वसाय लेखक ए रक बाकर के श द म कह तो -
हम इसे 21व सद क महाश के प म भी दे ख सकते ह।

अब तक हम इस वचार के दो पहलू दे ख चुके ह - पहला है, गहन काय क बढ़ती कमी


और सरा है, इसका बढ़ता मू य - ज ह हम संयु प से एक ऐसे वचार के तौर पर
दे ख सकते ह, जो इस कताब म बताई हर चीज़ को आधार दान करता है।

गहन काय क अवधारणा : गहन काय करने क मता तेजी से लभ होती जा रही है।
साथ ही हमारी वतमान अथ व ा म गहन काय का मू य भी तेजी से बढ़ रहा है।
प रणाम व प जो लोग अपने अंदर यह कौशल वक सत करगे और उसे अपने
कामकाजी जीवन का क बना लगे, वे न त ही ग त करगे।

इस कताब के दो ल य ह और कताब म तुत दो भाग म इन ल य को ा त करने क


को शश क गई है। पहला ल य - जसका संबंध इस कताब के भाग-1 से है - आपको इस
बात का व ास दलाना है क गहन काय क अवधारणा स य है। जब क सरा ल य -
जसका संबंध कताब के भाग-2 से है - आपको यह सखाना है क अपने म त क को
श ण दे कर और गहन काय को अपने ावसा यक जीवन के क म रखने के लए
अपनी कामकाज संबंधी आदत को बदलकर, आप इस वा त वकता का लाभ कैसे उठा
सकते ह। हालाँ क इन भाग क गहराई म जाने से पहले म आपको यह बताना चा ँगा क
म खुद गहनता का उपासक कैसे बना।
पछले एक दशक म मने अपने अंदर मु कल चीज़ पर यान क त करने क मता
वक सत करने के लए गहन यास कए ह। मेरी इस दलच ी के मूल को समझने के
लए आपका यह जानना ज़ री है क म एक सै ां तक कं यूटर वै ा नक ँ और मने
अपने डॉ टरेट श ण म एम.आई.ट . के मश र योरी ऑफ कं यूटेशन ुप म अपनी
मता का दशन कया है। यह ुप ऐसे ावसा यक वातावरण क तरह है, जहाँ
एका होने क मता को एक मह वपूण ावसा यक कौशल माना जाता है।

इस अव ध के दौरान म एक मैक्आथर ‘जी नयस ांट’ वजेता के साथ अपना ेजुएट


टू डट ऑ फस साझा कर रहा था। वे एक ोफेसर थे और उ ह इतनी कम उ म
एम.आई.ट . म नयु मल गई थी क तब वे कानूनी प से ए कोहल का सेवन करने
क अ धकृत उ के भी नह थे। इस स ांतकार को व ान के समूह के क म चुपचाप
बैठकर कसी हाइटबोड पर क गई मा कग को घूरते ए दे खना मेरे लए एक आम बात
थी। ऐसा घंट तक चलता रहता। म दोपहर म अपना लंच करने जाता और खा-पीकर जब
वापस आता, तब भी वे सब हाइटबोड को घूर रहे होते। इस ोफेसर तक प ँचना मु कल
काम है। वे ट् वटर पर भी नह ह और अगर वे आपसे प र चत नह ह, तो आपके ई-मेल
का जवाब दगे, इस बात क संभावना भी कम ही है। पछले साल उ ह ने सोलह रसच
पेपर (शोध प ) का शत कए थे।

मेरे पढ़ाई के दन के वातावरण म इसी कार क बल एका ता ा त रहती थी।


इसी लए इस बात पर कसी को हैरानी नह होनी चा हए क म भी गहनता को लेकर ज द
ही वचनब हो गया था। मने कभी कोई फेसबुक या ट् वटर अकाउं ट नह बनाया। अगर
मेरे लॉग को छोड़ द, तो म कभी कसी सोशल मी डया वेबसाइट पर नह रहा। सोशल
मी डया से मेरी यह री मेरे दो त और उन व भ चारक को कतई पसंद नह आती है,
जनके साथ मने अब तक काम कया है। म वेब स फग नह करता और दे श- नया क
अ धकांश खबर मुझे या तो एन.पी.आर. (नेशनल प लक रे डयो) से मलती ह या फर
वॉ श टन पो ट अखबार से, जो रोज सुबह मेरे घर आता है। आमतौर पर मुझसे संपक
करना भी मु कल होता है: मेरी वेबसाइट म मेरा कोई नजी ई-मेल ए ेस नह दया गया है
और सन 2012 तक तो म माटफोन भी नह रखता था (दरअसल मुझे माटफोन इस लए
लेना पड़ा य क मेरी गभवती प नी ने मुझसे श द म कह दया था क ब ा पैदा
होने से पहले मेरे हाथ म एक फोन आ जाना चा हए)।

सरी ओर गहनता के त मेरी वचनब ता से मुझे काफ लाभ आ। कॉलेज के बाद


अगले एक दशक क अव ध म मने चार कताब लख , पीएचडी क , ढे र सारे अकाद मक
रसच पेपर लखे और जॉजटाउन यू नव सट म ोफेसर के तौर पर नयु हा सल क ।
फर भी इस दौरान ऐसा ब त कम ही आ है, जब मने शाम को पाँच या छह बजे के बाद
भी काम कया हो। इसके बावजूद मेरी उ पादकता अ -खासी रही।

ऐसे श ूल के हसाब से जीना इस लए संभव हो सका य क मने अपने जीवन म


सतहीपन को कम करने के लए खासे य न कए। साथ ही मने सु न त कया क ऐसा
करने से मेरे पास जो अ त र समय बचे, उसका सव े इ तेमाल क ँ । म अपने दनभर
क योजना सावधानी से चुने गए गहन काय के इद- गद ही बनाता ँ और जन सतही
काय को नज़रअंदाज करना संभव नह होता, उ ह पूरा करने के लए भी अपने श ूल म
जगह बनाकर रखता ँ। स ताह म पाँच दन, हर रोज तीन से चार घंटे तक बना यान
भटके, सावधानीपूवक एका होकर अ े -खासे प रणाम हा सल कए जा सकते ह।

गहनता के त मेरी वचनब ता के चलते मुझे गैर- ावसा यक लाभ भी मले ह।


कामकाज के बाद शाम को घर लौटने से लेकर अगली सुबह काम शु होने तक आमतौर
पर म कं यूटर को हाथ भी नह लगाता (अगर म कं यूटर का इ तेमाल करता भी ,ँ तो
सफ अपनी लॉग पो ट् स लखने के लए, जो म आमतौर पर रात को अपने ब के
सोने के बाद ही लखना पसंद करता ँ)। कामकाज के बाद भी बीच-बीच म ई-मेल चेक
करने या फर सोशल मी डया पर समय बताने के बजाय इस कार पूरी तरह संपक से
कट जाना मेरे लए वाकई कारगर सा बत आ है। य क इसके चलते मुझे शाम को
अपनी प नी और दो ब के साथ समय बताने का मौका मला। इसके अलावा मुझे इस
दौरान इतनी सारी कताब पढ़ने का समय मला क उनक सं या जानकर आप हैरान रह
जाएँगे। सरे श द म क ,ँ तो जीवन म यान भटकानेवाली चीज़ क कमी होने के कारण
मुझे बेचैनीभरी उस मान सक ऊजार् का बोझ नह उठाना पड़ता, जो लोग के दै नक
जीवन म तेजी से ा त होती जा रही है। मुझे बोर होने म कोई सम या नह है। यह वाकई
आ यजनक प से लाभकारी कौशल सा बत हो सकता है - खासकर वॉ श टन डी.सी म
ग मय क अलसाई ई रात म रे डयो पर कसी नेशनल गेम क कमे सुनते ए।

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इस कताब को सव े ढं ग से कुछ इस कार प रभा षत कया जा सकता है : यह


गहनता के त मेरे आकषण को और उन रणनी तय को औपचा रक प दे कर उनका
वणन करने का एक यास है, जनसे मुझे अपने इस आकषण पर काम करने म मदद
मली है। इस सोच को मने कुछ हद तक अपने श द म उतारा है ता क आपको गहन काय
के इद- गद अपने जीवन को एक नई श ल दे ने म मदद मले - पर यह बात सफ यह तक
सी मत नह है। अपने इन वचार को करने म मेरी दलच ी इस लए भी है ता क म
आगे भी इसका वकास कर सकूँ। गहन काय क अवधारणा को पहचानने से मुझे अपने
जीवन म उ त करने म मदद मली है। हालाँ क मुझे लगता है क म अब तक मू य-
उ पादन क अपनी संपूण मता तक नह प ँच पाया ँ। जब आप इस कताब के
अ याय म तुत वचार और नयम को जानने-समझने और अपनाने का यास कर रहे
ह गे, उस समय आप इस बात को लेकर न त हो सकते ह क म खुद भी इ ह का
अनुसरण करता ँ यानी सतहीपन को बेरहमी से कम करते जाना और कड़ी मेहनत करते
ए अपनी गहनता क ती ता को बढ़ाना। ( कताब के उपसंहार म आप जानगे क म इसम
कतना सफल रहा ँ।)

जब काल युंग मनो च क सा के े म ां त लाना चाहते थे, तो उ ह ने जंगली इलाके म


एक भवन का नमाण कराया। बो लगेन टावर नामक युंग का यह घर एक ऐसा ान था,
जहाँ वे गहन सोच- वचार करने क अपनी मता को बनाकर रख सकते थे और फर इसी
कौशल का उपयोग कर तेज वी मौ लकता से समृ ऐसा काय कर सकते थे, जसने
अंतत: नया को बदलकर रख दया। आगे के प म म आपको इस बात के लए मनाने
क को शश क ँ गा क हम भी अपने गत बो लगेन टावस न मत कर, भटके ए
यानवाले इस संसार म स े मू य-उ पादन क मता वक सत कर और पछली पी ढ़य
क सबसे उ पादक और मह वपूण श सयत ारा वीकाय इस स य को पहचान सक
क गहन जीवन ही एक अ ा जीवन है।
1 तकनीक से घबराने या उसके त संदेहवाद नज़ रया रखनेवाले

2 ऐसे कमचारी जनक मु य पूँजी उनका ान होता है, जैसे ो ामर, डॉ टर, इंजी नयर,
अकाउं टट, आ कटे ट, वै ा नक और वक ल वगैरह

3 तकनीक े म काम करनेवाल के बीच मश र एक खब रया वेबसाइट


1. गहन काय मह वपूण है

नेट स वर, डे वड हैनसन और जॉन डॉएर क सफलता

सन 2012 के चुनाव का दन जैस-े जैसे करीब आ रहा था, यूयॉक टाइ स क वेबसाइट
पर ै फक बढ़ता जा रहा था। रा ीय मह व के मौक पर यह एक सामा य बात है।
हालाँ क इस बार मामला ज़रा अलग था। इस ै फक का एक बड़ा ह सा - कुछ रपोट् स
के अनुसार करीब 70 फ सद से भी यादा - वेबसाइट के एक वशेष पेज को व जट कर
रहा था, जो अपने आपम हैरानी क बात थी। ऐसा नह था क इस पेज पर दे श क सबसे
बड़ी खबर छपी हो या कसी पु ल ज़र पुर कार वजेता लेखक क ट पणी का शत ई
हो। ब क यह तो बस एक लॉग पेज था, जसे चलानेवाले का नाम था नेट स वर। वे
बेसबॉल के आँकड़ क गहन जानकारी रखनेवाले थे, पर अब उ ह ने चुनाव के
नतीज का पूव अनुमान लगाना शु कर दया था। इसके बाद एक साल से भी कम समय
के भीतर ई.एस.पी.एन. और ए.बी.सी. यूज ने नेट स वर को एक बड़ा ताव दे कर
यूयॉक टाइ स से छ न लया (हालाँ क यूयॉक टाइ स ने स वर को अपने सं ान म
रोकने के लए दस लेखक का टाफ उपल कराने क पेशकश भी क , जो लॉग चलाने
म उनक सहायता करता पर फर भी बात नह बनी)। ई.एस.पी.एन. और ए.बी.सी. यूज
ने स वर को जो ताव दया था, उसम उ ह खेलकूद से लेकर मौसम तक और नेटवक
यूज सेगमट से लेकर एकेडमी अवॉड् स के टे लीका ट तक, हर मामले म मह वपूण भू मका
नभाने का मौका मल रहा था। हालाँ क नेट स वर ारा गत तौर पर तैयार कए
गए, हाथ से चलनेवाले मॉड स के काय णाली क कठोरता बहस का वषय है। ले कन
कुछ लोग ऐसे भी ह, जो इस बात से इनकार करते ह क यह 35 वष य डाटा- वशेष सन
2012 म हमारी अथ व ा म एक वजेता बनकर उभरा था।

ऐसे ही एक अ य वजेता ह, डे वड हे न मयर हैनसन। वे कं यूटर ो ा मग क नया म


एक सतारे क है सयत रखते ह। उ ह ने ‘ बी ऑन रे स’ नामक वेबसाइट का डेवलपमट
फे्रमवक तैयार कया था। यह फे्रमवक ही आज ट् वटर और लू जैसी नया क सबसे
मश र वेबसाइट् स के लए आधार का काम करता है। फलहाल डे वड हैनसन एक
भावशाली डेवलपमट फम बेसकै म साझेदार ह, जसे 2014 तक 37 स न स के नाम
से जाना जाता था। हालाँ क हैनसन कभी बेसकै या अ य ोत से होनेवाली अपनी
कमाई या लाभ के बारे म बात नह करते, पर उनक जीवनशैली दे खकर यह अंदाजा
लगाना मु कल नह है क उनके लए ये सब आ थक प से काफ फायदे मंद सा बत हो
रहा है। तभी तो वे अपना यादातर समय शकागो, मेलीबू और ेन के माबला म कार रेस
ाइ वग का आनंद लेते ए बताते ह।

हमारी अथ व ा म एक वजेता का तीसरा और आ खरी उदाहरण ह जॉन डॉएर,


जो एक अमे रक पूँजी नवेशक ह और स लकॉन वैली के एक मश र वचर कै पटल फंड
लनर पा कस एंड बायस म साझेदार ह। डॉएर ने वतमान तकनीक ां त को बल
बनानेवाली कंप नय , जैसे ट् वटर, गूगल, अमेजॉन, नेट केप और सन माइ ो स ट स को
फंड उपल कराया है। अपने इस नवेश से उ ह ब त फायदा आ है। इन श द को
लखे जाने तक जॉन डॉएर क कुल संप 3 ब लयन डॉलर से भी यादा हो चुक थी।

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नेट स वर, डे वड हैनसन और जॉन डॉएर अपने जीवन म इतने सफल य ए? इस


सवाल के दो जवाब ह। पहले जवाब को माइ ो (सू म) जवाब क ेणी म रखा जा
सकता है, जो इन तीन के उन व संबंधी ल ण और रणनी तय पर क त है,
ज ह ने इस तकड़ी को सफल बनाया। जब क सरा जवाब मै ो ( ूल) जवाब क
ेणी म आता है, जो इन तीन के व से यादा, इनके काय क कृ त पर क त है।
यूँ तो ये दोन ही कोण, इन ह तय क सफलता के कारण को समझने के लए
मह वपूण ह, पर मै ो ( ूल) जवाब हमारी इस चचा के लए अ धक उ चत सा बत ह गे।
य क वे हमारी वतमान अथ व ा से होनेवाले फायद पर बेहतर काश डालते ह।

अथशा ी ए रक जो फसन और ए यू मैकफ

मै ो ( ूल) कोण को समझने के लए हम दो एम.आई.ट . अथशा य ए रक


जो फसन और ए यू मैकफ क बात करगे, ज ह ने 2011 म का शत ई अपनी
भावशाली कताब ‘रेस अग ट द मशीन’ म इसका एक मह वपूण पहलू तुत कया क
तमाम भावशाली घटक के बीच यह ड जटल तकनीक का उदय ही है, जसके चलते
म बाजार म अनपे त बदलाव आ रहे ह। इस कताब के शु आती ह से म ही
जो फसन और मैकफ कर दे ते ह क ‘हम एक महान नवीनीकरण के शु आती
दौर से गुज़र रहे ह। हमारी ौ ो गक ब त तेजी से बेहतर हो रही है, ले कन हमारे कई
नर और संगठन पीछे छू टते जा रहे ह।’ इस तरह पीछे छू टना कई कमचा रय के लए बुरी
खबर है। जैस-े जैसे मशीन बेहतर हो रही ह, वैसे-वैसे मशीन और इंसानी मता के बीच का
फक कम होता जाता है। आज हर े क कंप नय ारा ‘नए लोग ’ को नयु करने से
यादा उनक जगह ‘नई मशीनरी’ ा पत करने क संभावना बढ़ती जा रही है। संचार
और सहकाय संबंधी ौ ो गक म आ रही नरंतर बेहतरी से सु र ान पर बैठकर काम
करना पहले से कह यादा आसान हो गया है। इसी लए अब कंप नयाँ सु र ान पर
बैठे तभाशाली लोग को मुख ज मेदा रयाँ आउटसोस कर रही ह - जससे ानीय
तभा को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है।

हालाँ क वै क प से दे खा जाए, तो त इतनी गंभीर भी नह है। जैसा क


जो फसन और मैकफ जोर दे कर कहते ह, नवीनीकरण का यह महान युग हर े क
नौक रयाँ कम नह कर रहा ब क उ ह वभा जत कर रहा है। पर इस नई अथ व ा म
जैस-े जैसे मशीन नरमंद लोग क जगह ले रही ह या उस नर वशेष से जुड़ा काम
आउटसो सग से पूरा करना आसान होता जा रहा है, वैसे-वैसे लोग को नुकसान का
सामना भी करना पड़ रहा है। हालाँ क इस नई व ा म ऐसे भी कई लोग ह गे, जो न
सफ बचे रहगे ब क तेजी से ग त भी करगे - य क वे अ धक मू यवान हो जाएँगे
(और इसी लए उ ह पहले क तुलना म अब कह यादा फायदा होगा)। अथ व ा क
यह नई त सामने रखनेवाल म जो फसन और मैकफ अकेले नह ह। उदाहरण के
लए, सन 2013 म अमे रका के वज नया ांत म त जॉज मैसन यू नव सट के
अथशा ी टायलर कोवेन ने ‘एवरेज इज ओवर’ शीषक से एक कताब का शत क , जो
ड जटल डवाइड (1 ) क इसी मा यता को दोहरा रही थी। पर जो चीज़ जो फसन और
मैकफ के व ेषण को वशेष प से उपयोगी बनाती है, वह ये है क उ ह ने तीन ऐसे
व श समूह क पहचान क है, जो इस ड जटल डवाइड के उजले प का ह सा बनगे
और इस ज टल मशीनी युग म भारी लाभ कमाएँगे। कोई आ य नह क स वर, हैनसन
और डॉएर इ ह तीन व श समूह से संबंध रखते ह। तो च लए, इन तीन व श समूह
पर चचा करके यह समझने क को शश करते ह क ये अचानक इतने मू यवान कैसे हो
गए।

हाई- क वकस (उ तरीय कौशलवाले कमचारी)

जो फसन और मैकफ इस समूह को हाई- क वकस (उ तरीय कौशलवाले


कमचारी) कहते ह। नेट स वर इसी समूह का सा ात प ह। रोबो ट स (रोबोट संबंधी
व ान) और वॉइस रक नशन ( व न पहचान) जैसी तकनीक ग त के चलते लो-
क वकस ( न न तरीय कौशलवाले कमचा रय ) का काम वचा लत होता जा रहा है।
पर जैसा क ये अथशा ी जोर दे कर कहते ह, ‘डाटा वजुअलाइजेशन, एना ल ट स,
हाई- ीड क यु नकेशन और रै पड ोटोटाइ पग जैसी अ य ौ ो ग कय ने अपे ाकृत
अ धक अमूत व डाटा-चा लत ता ककता के योगदान को बढ़ा दया है, जससे इन े क
नौक रय का मह व बढ़ गया है। सरे श द म कह, तो जन लोग के अंदर तेजी से ज टल
होती जा रही मशीन के साथ काम करने और उनसे मह वपूण प रणाम हा सल करने क
यो यता होगी, उनक उ त तय है। टायलर कोवेन ने इस वा त वकता का सार और
अ धक श द म तुत कया है, ‘बड़ा सवाल यह होगा क आप ज टल मशीन के
साथ काम करने यो य ह या नह ?’

नेट स वर के लए वशाल डाटाबेस म डाटा फ ड करना और फर उसक मदद से कं यूटर


ए गो र पर आधा रत अपनी रह यमयी पूव अनुमान णाली ( जसे तकनीक भाषा म
म टे काल समुलेशन कहा जाता है) ारा प रणाम हा सल करना स लयतभरा काम है।
इस लहाज से वे वयं भी एक उ तरीय कौशलवाले कमचारी ह। ज टल मशीन स वर
क कामयाबी के रा ते क बाधा नह ह ब क उनक कामयाबी का एक साधन ह।

द सुपर टास ( शखर पर बैठे सतारे)

डे वड हे न मयर हैनसन - जो वयं एक शानदार कं यूटर ो ामर ह - सरे समूह का


उदाहरण तुत करते ह, जसे द सुपर टास ( शखर पर बैठे सतारे) का नाम दया गया
है। जो फसन और मैकफ का अनुमान है क हमारी नई अथ व ा म इस समूह के
लोग खूब उ त करगे। हाई- ीड डाटा नेटवक और ई-मेल व ऑनलाइन वी डयो चै टग
सॉ टवेयस ने ान के कई े म े ीयता को पूरी तरह न कर दया है। उदाहरण के
लए आजकल एक ो ामर को ाई प से नौकरी पर रखने, उसे सारे कमचारी-लाभ
दे ने और ऑ फस खोलने के लए जगह का इंतजाम करने का कोई मतलब नह बनता
य क यह सब करने के बजाय आप हैनसन जैसे नया के सबसे अ े ो ामस म से
कसी एक को भुगतान करके उसक सेवाएँ सफ तब तक के लए ले सकते ह, जब तक
क आपका ोजे ट पूरा नह हो जाता। ऐसी त म शायद आपको कम खच म बेहतर
प रणाम मल सकते ह। वह हैनसन को हर साल आपके जैसे कई ाहक के लए काम
करने का मौका मल सकता है, जो उनके लए भी काफ फायदे मंद है।

भले ही आपका ऑ फस अमे रका के डे मोएन शहर म त हो और हैनसन आपसे कोस


र ेन के मारबेला शहर म बैठकर काम कर रहे ह । ले कन अब इससे आपक कंपनी
को कोई फक नह पड़ता य क संचार और सहकाय संबंधी ौ ो गक म ई ग त ने
इस तरह काम करना सहज बना दया है। (हालाँ क इससे न न तरीय-कौशलवाले उस
ानीय ो ामर को ज़ र फक पड़ता है, जो डे मोएन म रहता है और एक र
वेतनवाली नौकरी क तलाश म है।) ठ क यही चलन उन े म भी दे खने को मल रहा है,
जहाँ ौ ो गक के चलते सु र ान पर बैठकर उ पादक काम करना संभव है, जैसे
कंस टग, माक टग, डजाइन और लेखन वगैरह। जब तभा का बाजार वै क तर पर
सभी के लए उपल होता है, तो उस बाजार क चोट पर मौजूद लोग ग त करते ह,
जब क बाक सबको नुकसान उठाना पड़ता है।

अथशा ी शेर वन रोसेन ने सन 1981 म अपने भावशाली रसच पेपर म इस कार के


बाजार के पीछे स य ग णत क पहचान क । ऐसे बाजार को तकनीक प से ‘ वनर-
टे क-ऑल’ माकट कहा जाता है, जहाँ चोट पर बैठे वजेता सारा लाभ खुद ले जाते ह।
उनक रसच से सामने आई सबसे मुख बात यह थी क तभा को ‘अपूण त ापन’
(imperfect substitution) के एक कारक के प म दे खा जा सकता है। इसे उ ह ने
अपने फामूले म ‘ यू’ (अं ेजी भाषा के अ र) रा श माना था। रोसेन ने इसका वणन कुछ
इस कार कया है : ‘औसत दज के कई गायक का दशन, कसी एक उ कृ गायक के
अकेले दशन के बराबर नह होता।’ सरे श द म कह, तो तभा कोई ऐसी चीज़ नह
है, जसे आप थोक म खरीदकर आपस म मलाएँ और अपने मनचाहे तभा- तर पर
प ँच जाएँ : उ कृ या सव े होने के अपने लाभ होते ह। इसी लए अगर आप कसी ऐसे
बाजार म ह, जहाँ उपभो ा क प ँच हर कलाकार तक है और उन सभी क यू रा श का
मू य है, तो उपभो ा सव े का ही चयन करेगा। भले ही सव े तभा का
कौशल, सरे नंबर पर मौजूद तभा के कौशल से थोड़ा सा ही यादा हो, तब भी बाजार
का सबसे बड़ा ह सा सुपर टार (चोट पर बैठे सतारे) को ही हा सल होगा।

1980 के दशक म इस ‘सुपर टार भाव’ का अ ययन करने के लए रोसेन ने फ मी


सतार और संगीतकार को उदाहरण के तौर पर दे खा। य क उनका बाजार था,
जैसे सनेमाहॉल और यू जक टोअस, जहाँ व भ कलाकार तक दशक और ोता
क प ँच बराबर होती है। ये ऐसे बाजार ह, जहाँ दशक और ोता उनक कला को अ
तरह परखकर यह नणय ले सकते ह क उ ह उन कलाकार क कला का आनंद लेने के
लए पैसे खच करने ह या नह ।

संचार और सहकाय संबंधी ौ ो गक के उदय ने कई ानीय बाजार को समान प से


वै क बाजार म त द ल कर दया है। आज अगर एक छोट कंपनी एक कं यूटर ो ाम
खरीदना चाहती है या प लक रलेशन कंस टट ढूँ ढ़ रही है, तो इसके लए उसके पास
तभा का एक पूरा अंतरा ीय बाजार मौजूद है। ठ क वैसे ही जैसे यू जक टोअस क
बढ़ती सं या ने एक छोटे से क बे म रहनेवाले संगीत शंसक को यह मौका दया क वह
ानीय संगीतकार के बजाय नया के सव े यू जक बड् स के एलबम खरीद सके।
सरे श द म कह, तो रोसेस ने आज से 30 साल पहले जो पूवानुमान लगाया था, आज
‘सुपर टार भाव’ उससे कह यादा ापक तर पर लागू होता दख रहा है। आज
हमारी अथ व ा म ऐसे लोग क सं या बढ़ती जा रही है, ज ह अपने काय े म
रॉक टार क है सयत रखनेवाल से सीधी त धा करनी पड़ रही है।

द ओनस (मा लकाना हक रखनेवाले)

हमारी अथ व ा म तेजी से वक सत होनेवाला तीसरा समूह उन लोग का है, जनके


पास इस महान नवीनीकरण का संचालन करनेवाली नई ौ ो गक म नवेश करने के लए
पूँजी है। अमे रक पूँजी नवेशक जॉन डॉएर इस समूह का जीता-जागता उदाहरण ह।
काल मा स के उदय के बाद हम यह समझ गए क पूँजी तक आपक प ँच होने से
आपको एक बड़ी बढ़त मल जाती है। हालाँ क यह भी सच है क कोई-कोई समय-अव ध
ऐसी होती है, जो अ य समय-अव धय से यादा बढ़त दलवा दे ती है। जैसा क
जो फसन और मैकफ बताते ह, ‘यु के बाद यूरोप एक ऐसे बुरे दौर का उदाहरण बन
गया था, जो धन के ढे र पर बैठा है पर जहाँ तेजी से होनेवाला मु ा सार और आ ामक
कर के चलते पुरानी संप याँ आ यजनक ग त से वलीन हो रही ह ( जसे हम ‘डॉ टन
ऐबी भाव’ कह सकते ह)।’

यु के बाद के दौर से वपरीत, महान नवीनीकरण का मौजूदा दौर पूँजी तक अपनी प ँच


बनाने के लए वशेष प से अ ा समय है। ऐसा य है, इसे समझने के लए सबसे
पहले उस सौदे बाजी के स ांत (बाग नग योरी) को याद करना होगा, जो नधा रत
आ थक सोच का मु य घटक है। यह स ांत तक दे ता है क जब पूँजी नवेश और म के
संयोजन के ज रए पैसा कमाया जाता है, तो मोटे तौर पर जतना नवेश कया गया होता
है, उतना ही लाभ मोटे तौर पर लौटाया भी जाता है। जैस-े जैसे ड जटल ौ ो गक ने कई
उ ोग म म क ज़ रत को कम कर दया है, वैस-े वैसे ज टल मशीन के मा लक तक
वापस जानेवाले लाभ का माण बढ़ रहा है। वतमान अथ व ा म एक ापार
पूंजीवाद (वचर कै पट ल ट) इं टा ाम जैसी कंपनी क फं डग भी कर सकता है, जो
आ खरकार 1 ब लयन डॉलस म बक , जब क उसम सफ 13 कमचारी काम करते थे।
भला इ तहास म ऐसा कब आ है, जब इतने कम म का मू य इतना यादा लगाया गया
हो? म के इतने छोटे से योगदान पर ज टल मशीन के मा लक के पास या इं टा ाम के
मामले म वचर इ वे टर के पास - जस ग त से धन वापस जाता है, अतीत म उसक कोई
और मसाल नह मलती। कोई आ य क बात नह क अपनी पछली कताब के लए
मने जस वचर कै पट ल ट का इंटर ू लया था, उसने ज़रा चता जताते ए वीकार
कया था क ‘आज हर कोई मेरी जगह लेना चाहता है।’

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च लए अब ज़रा इन सभी त य को समेटकर एक कोण से दे खते ह: मेरे सव ण


के अनुसार, वतमान आ थक सोच का तक यह है क अभूतपूव ग त और ौ ो गक से
पड़नेवाला भाव, बड़े पैमाने पर हमारी अथ व ा का पुनगठन या नवीनीकरण कर रहा
है। इस नई अथ व ा म तीन समूह ऐसे ह गे, ज ह वशेष लाभ होगा: एक तो वे लोग
ज ह कुशलता व रचना मकता के साथ ज टल मशीन पर काम करना आता होगा; सरे
वे, जो अपने काम म उ कृ ह गे और तीसरे वे, जनके पास पूँजी होगी।

साफ-साफ कह, तो इस महान नवीनीकरण क पहचान जो फसन, मैकफ और कोवेन


जैसे अथशा य ने क थी। यह कोई इकलौता मह वपूण आ थक चलन नह है और न ही
इससे पहले उ ले खत कए गए वे तीन समूह, इकलौते ऐसे समूह ह, ज ह इस नए दौर म
लाभ होगा। पर इस कताब म जस मसले पर चचा क जा रही है, उसके लहाज से काम
क बात ये है क ये चलन भले ही इकलौता चलन न हो, पर फर भी यह ब त मह वपूण है
और इसी तरह ये समूह भले ही इकलौते समूह न ह , पर इनक उ त तय है। इसी लए
अगर आप इनम से कसी भी समूह का ह सा बन सकते ह, तो इसम कोई दोराय नह है
क आप उ त करगे। हालाँ क अगर आप इन समूह का ह सा नह ह, तब भी आपक
उ त संभव है, पर आपक तयाँ इन समूह के सद य से कह यादा अ न त और
जो खमभरी ह गी।

अब हम जस का जवाब दे ने क ज़ रत है, वह है: वजेता के इस समूह म


शा मल कैसे आ जाए? म आपके बढ़ते उ साह को कम नह करना चाहता। ले कन फर
भी मुझे सबसे पहले यह वीकार करना होगा क मेरे पास ऐसा कोई रह य नह है, जसे
जानकर आप फटाफट पूँजी जुटाने म कामयाब हो जाएँगे और अगले जॉन डॉएर बन
जाएँगे ( य क अगर वाकई मुझे ऐसा कोई रह य पता होता, तो इस बात क उ मीद ब त
कम है क म उसे कसी कताब म लखकर पूरी नया से साझा करता)। हालाँ क अगर
इस एक समूह को छोड़ दया जाए, तो वजेता के दो अ य समूह आपक प ँच म ह।
आगे हम इसी वषय पर चचा करगे क उन दो समूह तक कैसे प ँचा जाए।

नई अथ व ा म वजेता कैसे बन
मने ऐसे दो समूह क पहचान क है, जो उ त के लए तैयार ह और जनके बारे म मेरा
यह दावा है क उन तक प ँचा जा सकता है: पहला समूह उन लोग का है, जो ज टल
मशीन के साथ रचना मक ढं ग से काम कर सकते ह और सरा समूह उन लोग का है, जो
अपने काय े म कसी सतारे क है सयत रखते ह। आजकल के बढ़ते ड जटल डवाइड
के बीच मौजूद इन आकषक े म प ँचने का रह य या है? मेरा मानना है क इसके
लए वे दो मु य यो यताएँ ब त मह वपूण ह, जनका उ लेख आगे कया गया है।

नई अथ व ा म ग त करने के लए ज़ री दो मु य यो यताएँ

1. मु कल चीज़ पर फौरन महारथ हा सल करने क यो यता

2. शानदार गुणव ा और तेज ग त के साथ उ पादन करने क यो यता

च लए, अपनी चचा क शु आत पहली यो यता से करते ह। सबसे पहले तो हम यह याद


रखना होगा क ट् वटर व आईफोन जैसी सीधे उपभो ा का सामना करनेवाली
ौ ो ग कय ारा उपल कराए गए बेहद सरल और सहज ान संबंधी उपभो ा के
अनुभव (यूजर ए सपी रयंस) ने हम काफ बगाड़ दया है। हालाँ क ये उपभो ा उ पाद
ह, न क कोई गंभीर उपकरण: आज के महान नवीनीकरण का संचालन करनेवाली
यादातर ज टल मशीन को समझना और उन पर महारथ हा सल करना ब त मु कल
काम है।

अब ज़रा नेट स वर पर वचार कर, ज ह हमने पछले प पर एक ऐसे के


उदाहरण के प म दे खा था, जो ज टल ौ ो गक के साथ अ तरह काम करने के
चलते उ त कर रहा है। अगर हम उनक काय णाली क गहराई म जाएँ, तो हम पता
चलेगा क चुनाव प रणाम का डाटा-आधा रत पूव अनुमान लगाना, वा तव म इंटरनेट सच
बॉ स म ‘ कस याशी को यादा वोट मलगे’ जैसे श द लखने जतना आसान नह
होता। ब क उ ह तो चुनाव प रणाम का एक बड़ा डाटाबेस (250 मतदान सव ण से
ा त हज़ार चुनाव का डाटाबेस) बनाकर रखना पड़ता है। इस डाटाबेस को टै टाकॉप
नामक कंपनी ारा न मत एक मश र सां यक य व ेषण णाली म डालते ह, जसे
टै टा के नाम से जाना जाता है। ऐसे उपकरण के संचालन म महारत हा सल करना
आसान नह होता। उदाहरण के लए नेट स वर जस क म का आधु नक डाटाबेस
इ तेमाल करते ह, अगर आप खुद उस पर काम करना चाहते ह, तो इसके लए आपको
सबसे पहले आगे दए गए कमांड्स सीखने और समझने ह गे:
CREATE VIEW cities AS SELECT name, population, altitude

FROM capitals UNION SELECT name, population, altitude

FROM non_capitals;

इस कार के डाटाबेस से मनचाही जानकारी ा त करने के लए ‘एस. यू.एल.’ नामक


कं यूटर ो ा मग ल वेज का इ तेमाल कया जाता है। डाटाबेस म जमा ई सूचना का
इ तेमाल करने के लए इस ल वेज क मदद से ऐसा ही कोई कमांड भेजना पड़ता है। ऐसे
डाटाबेस म कोई हेरफेर या बदलाव कैसे कया जाए, यह समझना काफ बारीक काम है।
उदाहरण के लए यहाँ तुत कमांड असल म एक ‘ य’ तैयार करता है: एक वचुअल
डाटाबेस टे बल, जो डाटाबेस म मौजूद व भ टे ब स से डाटा नकालकर एक जगह रखती
है और फर उसे एस. यू.एल. के कमांड्स क मदद से कसी साधारण टे बल क तरह
संबो धत कया जा सकता है। ऐसे य कब और कैसे न मत करने ह, यह तय करना
काफ मु कल काम है। यह उन कई चीज़ म से एक है, जस पर महारत हा सल करने के
बाद ही आप कसी असली डाटाबेस से कोई उ चत प रणाम नकाल सकते ह।

अब ज़रा नेट स वर ारा इ तेमाल क जानेवाली सरी ौ ो गक - टै टा - पर वचार


कर। यह एक श शाली सॉ टवेयर है। न त ही यह कोई ऐसी चीज़ नह है, जसे आप
अपने सहज ान ारा ह के-फु के ढं ग से सीख सक। उदाहरण के लए आगे ऐसे फ चस
का वणन कया जा रहा है, ज ह इस सॉ टवेयर के सबसे ताजा सं करण म जोड़ा गया है:
‘ टै टा 13 म कई नए फ चस जोड़े गए ह, जैसे टमट इफे ट ( नवाह भाव), म ट लेवल
जी.एल.एम. (ब तरीय जी.एल.एम.), पॉवर एंड सपल साइज (श और नमूने का
आकार), जनरलाइ एस.ई.एम. (सामा यीकृत एस.ई.एम.), फोरका टग (पूवानुमान),
इफे ट साइज ( भाव का आकार) ोजे ट मैनेजर (प रयोजना बंधक) लाँग स एंड
बी.एल.ओ.बी. (लंबे तार और बी.एल.ओ.बी.) और भी ब त कुछ।’ स वर इस ज टल
सॉ टवेयर को - सामा यीकृत एस.ई.एम. और बी.एल.ओ.बी. के साथ अंतब
(इंटरलॉ कग) ह स वाले ज टल नमूने बनाने के लए इ तेमाल करते ह: क टम मापदं ड
पर आयो जत व भ परावतन, ज ह फर ऐसे क टम भार के प म संद भत कया
जाता है, जो संभा वत अ भ व इसी कार क अ य या म इ तेमाल होते ह।

आपके सामने यह तकनीक ववरण तुत करने का उ े य है, इस बात पर जोर दे ना क


ज टल मशीन के साथ काम करना या उन पर महारत हा सल करना ब त मु कल काम
है। (2 ) इसी लए जो लोग इन मशीन के साथ अ तरह काम करना जानते ह, उनके
समूह म शा मल होने के लए यह ज़ री है क आप क ठन चीज़ पर महारत हा सल करने
क अपनी मता को और बढ़ाएँ। और चूँ क इन ौ ो ग कय म ब त तेजी से बदलाव
आते ह, इसी लए क ठन चीज़ पर महारत हा सल करने क या कभी ख म नह
होती। आपको इसे ज द से ज द और बार-बार करने म स म होना चा हए।

जा हर है क ज टल चीज़ को फौरन सीखने क यह मता सफ ज टल मशीन के साथ


अ तरह काम करने भर के लए ज़ री नह है; ब क यह कसी भी े का सुपर टार
( शखर पर बैठा सतारा) बनने म भी एक मह वपूण भू मका नभाती है। फर चाहे वे े
ौ ो गक से संबं धत ह या नह । उदाहरण के लए एक व तरीय योग श क बनने
के लए ज़ री है क आप ज टल शारी रक कौशल म महारत हा सल कर। इसी तरह
च क सा के े म ग त करने के लए ज़ री है क आप संबं धत च क सा या
पर ए ताजा शोध के अनुसार नई चुनौ तय के लए खुद को फौरन तैयार कर। सं ेप म
कह, तो अगर आप सीख नह सकते, तो उ त भी नह कर सकते।

नई अथ व ा म उ त करने के लए आपको जो दो मु य यो यताएँ बताई गई थ , अब


उनम से सरी यो यता पर वचार करते ह यानी शानदार गुणव ा और तेज ग त के साथ
उ पादन करने क यो यता। अगर आप एक सुपर टार ( शखर पर बैठा सतारा) बनना
चाहते ह, तो संबं धत कौशल म महारत हा सल करना ज़ री तो है, ले कन सफ यही
पया त नह है। इसके बाद आपको अपनी उस अ यो यता को ऐसे वा त वक
प रणाम म बदलना होगा, ज ह लोग मह व दे ते ह। उदाहरण के लए यूँ तो ऐसे डेवलपस
क कोई कमी नह है, जो कं यूटस को अ तरह ो ाम करना जानते ह, ले कन डे वड
हैनसन ने अपनी इस यो यता का लाभ बी ऑन रे स का नमाण करके उठाया। यही वह
ोजे ट था, जसने उ ह उनके काय े म बड़ी त ा दलाई। बी ऑन रे स के लए
यह ज़ री था क हैनसन अपने कौशल को इस हद तक इ तेमाल कर क उससे प
से मू यवान और ठोस प रणाम नकाले जा सक।

उ पादन करने क यह यो यता उन लोग पर भी लागू होती है, जो ज टल मशीन पर


महारत हा सल करना चाहते ह। नेट स वर के लए सफ यही सीखना काफ नह था क
बड़े डाटाबेस म हेरफेर या बदलाव करके सां यक य व ेषण से संबं धत प रणाम कैसे
नकाले जाएँ। इसके बाद यह जा हर करना भी ज़ री था क वे अपने इस कौशल का
इ तेमाल करके इन मशीन से ऐसी जानकारी भी नकाल सक, जसक परवाह दशक का
एक बड़ा वग करता है। स वर ने अपने बेसबॉल ॉ े ट् स के दन म सां यक के कई
वशेष के साथ काम कया था, पर उनम से सफ स वर ही इकलौते ऐसे थे,
ज ह ने अपने इस कौशल को चुनावी पूवानुमान जैसे नए और तुलना म अ धक फायदे मंद
काय े म इ तेमाल करने के लए ज़ री यास कए। इससे हमारी अथ व ा के
वजेता क ेणी म शा मल होने से जुड़ा एक और सामा य अवलोकन सामने आता है
क अगर आप उ पादन नह करते ह, तो आप उ त भी नह कर सकगे - भले ही आप
कतने भी कुशल या तभाशाली ह ।

ौ ो गक ारा संचा लत हमारे इस नए संसार म उ त करने के लए, ज़ री दो मु य


यो यता का मह व ा पत करने के बाद अब हम इस मसले से जुड़े वाभा वक सवाल
पूछ सकते ह। इन मूल यो यता के वकास के लए कसी को या करना चा हए?
इस ब पर अब हम इस कताब के क य वचार पर प ँच चुके ह: आपके सामने जन दो
मूल यो यता का वणन कया गया है, वे दरअसल आपक गहन काय करने क मता
पर नभर होती ह। अगर आप इस मूलभूत कौशल म महारत हा सल नह करगे, तो आप
ज टल चीज़ को सीखने और उ तर पर उ पादन करने के लए संघष करते रहगे।

गहन काय पर इन यो यता क नभरता तुरंत नह होती। इसके लए एका ता,


उ पादकता और सीखने के व ान पर गौर करने क ज़ रत होती है। आगे तुत साम ी
इन पर गौर करने म सहायक सा बत होगी। इससे गहन काय और आ थक सफलता के
बीच का संबंध भी आपके सामने पूरी तरह हो जाएगा।

गहन काय से ज टल चीज़ फौरन सीखने म मदद मलती है

‘अपने मन को एक शीशा बनने द, जससे यान क महीन करण प रव तत होकर आपके


करीब आ रही ह, उ ह ध यवाद द। अपनी आ मा को उस बल वचार पर क त होने द,
जसने आपके मन म पूणत: ा पत होकर आपको अपने वश म कर रखा है।’

यह सलाह है एंटो नन-डा मेस स टयांज क , जो एक डोमे नकन (3 ) सं यासी और नै तक


दशन के ोफेसर थे। उ ह ने बीसव शता द के शु आती दौर म एक पलती सी पर बेहद
भावशाली कताब लखी थी, जसका शीषक था ‘द इंटेले चुअल लाइफ’ (बौ क
जीवन)। उ ह ने इस कताब को ‘ वकास और मन क गहराई’ के मागदशक के प म उन
लोग के लए लखा था, ज ह वचार क नया म काम करने के लए बुलाया जाता है।
इस कताब म स टयांज ने ज टल साम ी पर महारत हा सल करने क ज़ रत को
पहचाना और अपने पाठक को इस चुनौती का सामना करने के लए तैयार कया। इस
कारण से उनक यह कताब हमारे लए यह समझने म सहायक सा बत होती है क लोग
ज टल ( ाना मक) कौशल पर फौरन महारत कैसे हा सल कर लेते ह।
स टयांज क सलाह को समझने के लए उनके उ रण (Quote) क ओर वापस लौटते ह।
अपने इन श द म, - जनक त व न उनक कताब ‘द इंटेले चुअल लाइफ’ म कई
प म गूँजती है - स टयांज क दलील है क अपने काय े के बारे म अपनी समझ
बढ़ाने के लए आपको संबं धत वषय को व त ढं ग से या उनके म अनुसार
समझना होगा ता क आपके यान क हर करण म अंत न हत स य का खुलासा हो सके।
सरे श द म कह, तो उनक श ा यह है क सीखने के लए गहन एका ता क ज़ रत
होती है। यह वचार अपने समय से आगे था। 1920 के दशक म मन के जीवन पर चतन
करते ए स टयांज ने ान संबंधी मु कल काय म महारत हा सल करने के बारे म एक
मह वपूण त य उजागर कया। इस त य को औपचा रक प दे ने म अकाद मक नया
को सात दशक और लगे।

औपचा रक प दे ने का यह काय 1970 के दशक म उस व शु आ, जब मनो व ान


क एक शाखा ‘ दशन-मनो व ान’ ने व त ढं ग से यह पता लगाना शु कया क
वह कौन सी चीज़ है, जो ( व भ े के) वशेष को आम लोग से अलग करती है।
1990 के दशक क शु आत म लो रडा टे ट यू नव सट के ोफेसर के. एंडस ए र सन ने
इसके व भ पहलु को जोड़कर उस जमाने म च लत शोध संबंधी सा ह य के
अनु प, इसे एक प म तुत कया। उ ह ने इसे एक भावशाली नाम दया,
‘डे ल ेट ै टस ( वचारपूवक अ यास)’।

ए र सन ने इस वषय पर अपने मौ लक शोध पच क शु आत एक श शाली दावे के


साथ क , ‘हम इस बात से इनकार करते ह क वशेष दशनकता और सामा य
वय क के बीच मौजूद अंतर को बदला नह जा सकता... इसके बदले म हमारी यह दलील
है क वशेष दशनकता और सामा य वय क के बीच ये अंतर, कसी े वशेष म
अपने दशन म सुधार लाने के लए आजीवन वचापूवक कए गए यास को दशाते ह।’

अमे रक सं कृ त म ॉ डजी ( वल ण तभा संप ) क कहानी को वशेष प


से पसंद कया जाता है (‘आप लोग को अंदाजा भी है क ये मेरे लए कतना आसान है?’
यह मश र संवाद हॉलीवुड फ म गुड वल हं टग म अ भनेता मैट डेमन उस समय बोलते
ह, जब फ म के एक य म उनके करदार क वल ण तभा दे खकर नया के शीष
ग णत ह के-ब के रह जाते ह)। ए र सन ने अनुसंधान के जस कोण को बढ़ावा
दया, उसे अब एक चेतावनी (केवीएट (4 ) के साथ ापक तर पर वीकार कया जाता
है। इस कोण म मथक को अ र करने क मता है। ान के लहाज से क ठन
कसी भी काय को पूरा करने के लए अ यास का यह व श प ज़ री होता है -
नैस गक तभा के कुछ अपवाद भी ह (इस ब पर भी स टयांज अपने समय से आगे
तीत होते ह, जब वे अपनी कताब ‘द इंटेले चुअल लाइफ’ म दलील दे ते ह क जी नयस
लोग भी सफ इसी लए महान थे य क वे जस मामले म सव े दशन करने का नणय
ले लेते थे, उस पर अपनी पूरी मता को क त करने म स म थे)। ए र सन ने इस बात
को सव े ढं ग से सामने रखा। इसे कहने के लए और बेहतर श द मलना मु कल है।

इससे हमारे सामने यह खड़ा हो जाता है क असल म वचारपूवक अ यास करने के


लए या ज़ री है? आमतौर पर इसके दो घटक माने जाते ह (1) आपका पूरा यान
वशेष प से उस कौशल पर क त हो, जसे आप बेहतर बनाने क को शश कर रहे ह या
उस वचार पर क त हो, जसम आप महारत हा सल करने के यास म ह; (2) आपको
त या मलती है ता क आप सबसे उ पादक जगह पर अपना यान क त करने के
लए अपने कोण को बेहतर बना सक। हमारी इस चचा म पहला घटक खासतौर पर
मह वपूण है य क यह इस बात पर जोर दे ता है क वचारपूवक अ यास करना और
अपना यान वच लत होने दे ना, ये दोन एक साथ संभव नह है ब क इसके लए तो
नरंतर एका ता क ज़ रत होती है। जैसा क ए र सन ने जोर दे ते ए कहा है,
‘ वचारपूवक अ यास करने के लए जस क त यान क आव यकता होती है, वच लत
यान उसका करीब-करीब वपरीत है।’

एक मनो व ानी के तौर पर ए र सन को और उनके े के अ य शोधकता को इस


बात म कोई दलच ी नह है क वचारपूवक अ यास करने क तकनीक कारगर सा बत
य होती है; वे तो बस इसक पहचान एक भावी वहार के प म कर रहे ह। हालाँ क
इस वषय पर ए र सन के पहले मुख पच सामने आने के बाद के दशक म
यूरोसाइं ट ट (तं का व ानी) उस भौ तक णा लय क खोज म लगे ए ह, जो
मु कल काय को पूरा करने के चलते इंसान म आनेवाले सुधार का संचालन करते ह।
जैसा क प कार डे नयल कोएल ने 2009 म अपनी कताब ‘द टै लट कोड’ म बताया- ये
वै ा नक मानने लगे ह क इसके जवाब म यूरॉ स के चार ओर वक सत होनेवाली
चब दार ऊतक क पत ‘माय लन’ भी शा मल है, जो एक इंसुलेटर का काम करती है और
को शका को तेज और साफ-सुथरे ढं ग से दहकने का मौका दे ती है। सुधार म माय लन
क भू मका को समझने के लए एक बात हमेशा यान म रख क कौशल (गुण) बौ क
हो या शारी रक, आ खरकार म त क के स कट के ही अधीन होता है। दशन के इस नए
व ान क दलील है क जैस-े जैसे कसी काय वशेष को पूरा करने क या म संबं धत
यूरॉ स के आसपास माय लन वक सत होता जाता है, वैसे-वैसे उस काय से जुड़े आपके
कौशल म सुधार आता जाता है। य क वक सत आ माय लन संबं धत स कट के
अ धक आसान व भावी ढं ग से दहकने म सहायक होता है यानी उ तरीय
कौशलवाला होने का अथ है, यूरॉ स पर अ धक माय लन वक सत होना।

यह समझ मह वपूण है य क यह वचारपूवक अ यास करने के लए एक यूरोलॉ जकल


(तं का संबंधी) न व दान करती है। कसी एक कौशल पर गहनता से यान क त करने
का अथ है क आप उससे संबं धत व श स कट को बार-बार अलग-थलग होकर दहकने
के लए मज़बूर कर रहे ह। इस तरह कसी एक स कट का बार-बार इ तेमाल होने से
ऑ लगोड ोसाइट् स (Oligodendrocytes) नामक एक को शका, स कट के यूरॉ स के
चार ओर माय लन क पत जमाने के लए स य हो जाती है - जससे उस कौशल क
ढ़ता भावी प से बढ़ने लगती है। यही कारण है क यान भटकानेवाली सभी चीज़
को नज़रअंदाज करके, अपने सामने मौजूद काय पर गहनता से यान क त करना ज़ री
है। य क यह संबं धत स कट को इस कार अलग-थलग करने का इकलौता तरीका है,
जससे उसके चार ओर माय लन क पत जमने लग। इसके वपरीत अगर आपका यान
क त नह है और आप अपे ाकृत कम एका मन: त म (शायद उस समय आपने
फेसबुक खोल रखा हो) एस. यू.एल. डाटाबेस मैनेजमट जैसा कोई ज टल कौशल सीखने
क को शश कर रहे ह, तो इसका अथ है क आप यूरॉ स के जस समूह को ढ़ बनाना
चाहते ह, उसे अलग-थलग करने के लए कई सारे स कट को लापरवाही से एक साथ
दहका रहे ह।

इस सद म एंटो नन डा मेस स टयांज ने पहली बार मन को कसी लस क तरह इ तेमाल


करके, यान क महीन करण को क त करने के बारे म लखा था। इसके बाद आज हम
इस उ त ल ण से कह आगे नकलकर ऑ लगोड ोसाइट् स को शका क तुलना म
अपे ाकृत कम का ा मक ीकरण तक प ँच चुके ह। ले कन सोच- वचार के इस म
के बारे म वचार करना एक अ नवाय न कष क ओर इशारा करता है: ज टल चीज़ को
फौरन सीखने के लए आपको बना यान भटकाए उन चीज़ पर क त होना होगा। सरे
श द म कह, तो सीखने का अथ है- गहन काय करना। अगर आप सहजता से चीज़ क
गहराई म जा सकते ह, तो आप वतमान अथ व ा म उ त करने के लए ज़ री
कौशल म और ज टल णा लय म महारत हा सल करने म भी सहज महसूस करगे।
ले कन य द आप भी कई अ य लोग क तरह एक ऐसे बने रहते ह, जो गहराई म
जाने पर असहज महसूस करता है और जसका यान कसी भी चीज़ से भटक जाता है,
तो फर आपको यह उ मीद नह करनी चा हए क आप इन ज टल णा लय और कौशल
को आसानी से सीख सकगे।
गहन काय से उ तरीय उ पादकता म मदद मलती है

एडम ांट एक उ तर पर उ पादन करनेवाले ह। सन 2013 म जब म ांट से


मला था, तब वे पे सलवे नया के ‘ हाटन बजनेस कूल’ के सबसे युवा ोफेसर थे। इस
मुलाकात के एक साल बाद जब मने यह अ याय लखना शु कया (और जब म खुद
अपने कायकाल संबंधी या के बारे म वचार करना शु कर रहा था) तब उ ह
पदो त मली और वे हाटन बजनेस कूल के सबसे युवा फुल ोफेसर (5 ) बन गए।

ांट को अपने अकाद मक काय े म इतनी ज द पदो त मलने के पीछे एक सरल सा


कारण है: वे एक उ पादक ह। सन 2012 म ांट ने सात लेख लखे और वे सब
त त प का म का शत ए। उनके काय े म लेख काशन क यह दर सामा य
से कह यादा है (आमतौर पर ोफेसस या तो अकेले काय करते ह या फर छोटे -मोटे
पेशेवर के सहयोग के साथ। इसके अलावा उनके पास अपने शोध काय म मदद के लए न
तो छा क कोई ट म होती है और ही कोई अ य सहयोगी)। अगले साल 2013 म ांट के
लेख क सं या कम हो गई और उ ह ने कुल पाँच लेख लखे। हालाँ क उनके काय े के
हसाब से यह सं या भी कम नह थी, पर उनके नजी मानक के लहाज कम ज़ र थी।
हालाँ क लेख क सं या कम होने के लए उ ह माफ कया जा सकता है य क उसी
साल ‘ गव एंड टे क’ शीषक से उनक एक कताब भी का शत ई थी। इस कताब के
चलते ापा रक े म संबंध पर आधा रत उनके कुछ शोध लोक य हो गए। उनक इस
कताब को सफ ‘सफल’ कह दे ना ही पया त नह होगा। य क कताब को यूयॉक
टाइ स मै जीन के मु य पृ पर जगह मली और आ खरकार यह बड़ी बे ट सेलर बन गई।
सन 2014 म जब ांट को फुल ोफेसर (पूणका लक ोफेसर) का पद मला, तब तक इस
बे ट सेलर कताब के अलावा उनक लखी साठ से यादा ऐसी चीज़ यानी शोध, लेख,
फ चस और ट प णयाँ वगैरह का शत हो चुक थ , जनक समी ा उनके काय े के
साथी कर चुके थे।

अपने अकाद मक कॅ रयर पर वचार करते ए जब म ांट से मला, तो उनसे उनक


उ पादकता के बारे म पूछे बना नह रह सका। यह मेरा सौभा य ही था, जो वे इस वषय
पर अपने वचार करने के लए खुशी-खुशी तैयार हो गए। उ ह ने जो बताया, उससे
मुझे पता चला क वे उ तरीय उ पादकता के तरीक के बारे म काफ सोच- वचार
करते ह। उदाहरण के लए उ ह ने मुझे उस वकशॉप क कुछ पावर वाइंट लाइड् स भेज ,
जसम उ ह ने अपने कुछ साथी ोफेसर के साथ भाग लया था। यह काय म ‘उ दर
के साथ यादा से यादा अकाद मक काय कैसे कया जाए’ इस वषय के डाटा-आधा रत
अवलोकन पर क त था। इन पावर वाइंट लाइड् स म हर स के लए तय क गई समय
अव ध का एक व तृत पाई-चाट, सह-लेखक के साथ संबंध वक सत करने का एक
लोचाट और ऐसी बीस कताब क सूची शा मल थी, ज ह पढ़ने क सफा रश क गई
थी। ये बजनेस ोफेसस उन अनुप त अकाद मक ोफेसर जैसा घसा- पटा रवैया
नह रखते थे, जो हमेशा कताब म खोए रहते ह और कभी-कभार ही कसी बड़े वचार
तक प ँच पाते ह। ये उ पादकता को एक ऐसी वै ा नक सम या क तरह दे खते ह, जसे
व त ढं ग से हल कया जा सकता है। यह एक ऐसा उ े य है, जसे एडम ांट पहले
ही हा सल कर चुके ह।

हालाँ क ांट क उ पादकता कई कारक पर नभर करती है, पर एक वशेष वचार उनक
प त म मु य प से क य भू मका म नज़र आता है: क ठन ले कन मह वपूण बौ क
काय का वग करण कर, उ ह पूरा करने के लए, अबा धत प से लंबी समय अव ध तक
जुटे रहना। ांट यह वग करण व भ तर पर करते ह। एक साल क अव ध के दौरान
अपने पूरे श ण-स म उ ह ने अपना यान शरद ॠतुवाले सेमे टर पर क त कर लया,
ता क इस दौरान वे अपने छा को अ तरह पढ़ा सक और उनके लए हमेशा उपल
रह (उनक यह प त कारगर होती नज़र आ रही है य क ांट इस समय हाटन
बजनेस कूल म सबसे ऊँची रे टग हा सल करनेवाले श क ह और साथ ही वे श ण से
जुड़े व भ पुर कार भी जीत चुके ह)। शरद ॠतु म श ण पर यान क त करने के बाद
ांट ग मय और वसंत ॠतु म अपना पूरा यान शोध काय पर क त कर सकते ह। तब
उनके पास ऐसी कोई ज मेदारी नह बचती, जसके चलते उनका यान भटके।

ांट समय के लहाज से छोटे पैमाने पर भी अपना यान क त करना अ तरह जानते
ह। शोध के लए सम पत सेमे टर म भी वे बारी-बारी से अपने छा व सहक मय से
मलने का समय नकाल लेते ह। इसके बाद वे खुद को हर कसी से अलग-थलग रखकर
अपने शोध काय म इस कार जुट जाते ह क कोई चीज़ उनका यान न भटका सके। वे
आमतौर पर शोध-प लखने के काय को भी तीन अलग-अलग ह स म बाँट लेते ह:
डाटा का व ेषण, शोध-प का पूरा मसौदा लखना और फर उस मसौदे का संपादन
करके उसे काशन के लए तैयार करना। इनम से हर काय को पूरा करने के लए उ ह कम
से कम तीन से चार दन का समय लग जाता है। इस दौरान वे अपने ई-मेल म एक ऑटो-
र ॉ र स य कर दे ते ह, ता क उ ह मेल भेजनेवाल को पता चल जाए क उ ह ांट के
जवाब क ती ा नह करनी चा हए। ांट बताते ह, ‘कभी-कभी इससे मेरे सहकम
वधा म पड़ जाते ह और कहते ह क तुम तो अपने ऑ फस म ही हो, तो फर हम तुमसे
मलने वह आ जाते ह!’ पर ांट के लए काय पूरा होने तक खुद को सबसे अलग-थलग
रखना ब त मह वपूण होता है।

मेरा अनुमान है क एडम ांट कसी बड़े शोध सं ान के कसी औसत ोफेसर के
मुकाबले हर रोज यादा दे र तक काय नह करते ह (आमतौर पर ऐसे लोग को काय करने
क लत होती है)। पर इसके बावजूद वे अपने काय े के कसी भी अ य क तुलना
म अ धक उ पादक ह। मेरा तक है क काय का वग करण करने के उनके कोण से इस
वरोधाभास को समझा जा सकता है। सरे श द म कह तो वे अपने काय को अलग-
अलग ह स म बाँटकर, हर ह से को एक न त समय अव ध म अबा धत प से पूरा
करते ह, इस कार वे उ पादकता के न न ल खत नयम का पूरा लाभ उठाने म सफल हो
जाते ह।

उ गुणव ावाले काय पूरे करना =

(खच कया गया समय) द ( यान क त करने क ती ता)

अगर आप इस सू पर भरोसा कर, तो ांट क आदत समझ म आने लगती ह : काय के


दौरान यान क त करने क अपनी ती ता बढ़ाकर, वे एक न त कायअव ध म
अ धकतम उ पादन करने म स म हो जाते ह।

यह पहला मौका नह है, जब उ पादकता के इस सू से मेरा सामना आ हो। यह पहली


बार मेरी नज़र म तब आया था, जब कई साल पहले म अपनी सरी कताब ‘हाउ टू
बकम ए े ट-ए टू डे ट’ के लए शोध कर रहा था। उस शोध या के दौरान मने दे श के
सबसे त ध सं ान म पढ़ रहे करीब पचास ऐसे अंडर ेजुएट छा का इंटर ू लया
था, जो परी ा म सबसे यादा अंक हा सल करते थे। इन सभी के इंटर ू म जो बात
मु य प से मेरे सामने आई, वह ये थी क सबसे यादा अंक लाकर पहला ान हा सल
करनेवाले छा आमतौर पर सरे या तीसरे ान पर आनेवाले छा क तुलना म पढ़ाई
करने म कम समय खच करते ह। इसका एक मुख कारण था वह सू , जसका उ लेख
मने पहले कया था: सव े छा यह बात अ तरह समझते थे क उ पादकता क
या म ती ता क भू मका कतनी मह वपूण होती है और इसी लए वे अपनी एका ता
को अ धकतम बनाकर रखने के लए खासा यास करते थे - जससे परी ा प रणाम पर
कोई नकारा मक भाव पड़े बना परी ा क तैयारी म या पचा लखने म खच होनेवाला
समय ब त कम हो जाता था।
एडम ांट के उदाहरण से है क ती ता का सू सफ अंडर ेजुएट छा के परी ा
प रणाम पर ही नह लागू होता ब क ान के लहाज से यह मु कल काय के मामले म
भी लागू होता है। पर ऐसा य है? यू नव सट ऑफ मनेसोटा क बजनेस ोफेसर सोफ
लेरॉय ने इसका एक दलच जवाब सामने रखा। सन 2009 म ‘ हाई इज इट सो हाड टू
डू माई वक’ नामक अपने एक शोध प म लेरॉय ने अटशन रेज़डू ( यान-अवशेष) नामक
एक वशेष भाव को तुत कया। अपने शोध प के तावना म उ ह ने कहा, ‘अ य
शोधकता ने दशन पर म ट टा कग (एक साथ कई काय को पूरा करना) के भाव
का अ ययन कया है। पर आज के जमाने म, जब आप कसी सं ान म उ पद पर
प ँच जाते ह, तो एक साथ कई ोजे ट् स पर मानुसार काय करना ब त आम होता है।’
इस बारे म लेरॉय कहती ह, ‘एक मी टग से सरी मी टग म जाना, कसी एक ोजे ट पर
काय शु करना और फर ज द ही कसी सरे ोजे ट म जुट जाना, आधु नक सं ान
म कायरत लोग के लए रोज़मरा क बात है।’

इस रणनी त ारा यह शोध जस सम या क पहचान करता है, वह ये है क जब आप


कसी एक काय को छोड़कर, सरा काय करने म जुट जाते ह, तो आपका यान पहले
काय से हटकर सरे काय पर पूरी तरह क त नह हो पाता - आपके यान का कुछ
अवशेष पहले काय म अटका रह जाता है। यह अवशेष खासतौर पर तब और बड़ा होता
है, जब पहले काय के दौरान आपक ती ता कम होती है। हालाँ क भले ही आप सरा
काय शु करने से पहले, अपना पहला काय पूरा कर ल, फर भी आपका यान कुछ दे र
तक भटका रहता है।

दशन पर यान-अवशेष के भाव का अ ययन करने के लए लेरॉय ने लैब म योग


कया। इसके लए उ ह ने योग म ह सा लेनेवाले लोग को एक काय छोड़कर सरा
काय शु करने के लए मज़बूर कया और फर उनके दशन को परखा। ऐसे ही एक
अ य योग के दौरान उ ह ने कुछ लोग को पहे लयाँ सुलझाने के लए कहा। इन योग
के दौरान वे सभी को बीच म रोककर कोई ऐसा सरा काय करने को कहती थ , जो पहले
काय से यादा मु कल होता। पहे लयाँ सुलझा रहे लोग के साथ भी उ ह ने यही कया।
लेरॉय ने उ ह पहे लयाँ छोड़कर कुछ बायोडाटा पढ़ने को दए और कहा क इनके आधार
पर उ ह यह नणय लेना है क कौन सा याशी अपने बायोडाटा के आधार पर का प नक
प से चुनने लायक है। यह काय पहे लयाँ सुलझाने से कह यादा मु कल था। यही
योग दोबारा करने पर उ ह ने उन लोग को सरा काय करने के लए तब कहा, जब
उ ह ने पहे लयाँ सुलझाने का पहला काय पूरा कर लया। पहले काय म छू टे यान-अवशेष
क मा ा नधा रत करने के लए वे पहे लयाँ सुलझाने और बायोडाटा पढ़कर या शय
का चयन करने के बीच कोई ऐसा गेम (6 ) खेलने को कहत , जो श द से संबं धत हो। इन
योग का प रणाम था: ‘पहला काय छोड़कर सरे काय म जुट जाने पर जन लोग
को यान-अवशेष का अनुभव होता है, सरे काय म उनके बुरे दशन क संभावना बढ़
जाती है।’ यान के अवशेष जतने ती होते ह, का दशन भी उतना ही बुरा होता
है।

यान-अवशेष क अवधारणा यह समझने म सहायक है क ती ता-सू सच य है। इस


तरह ांट क उ पादकता को समझना भी आसान हो जाता है। लंबे समय तक कोई एक
मु कल काय करके ांट अपने अ य दा य व के कारण पैदा होनेवाले यान-अवशेष का
नकारा मक भाव कम कर दे ते ह। इससे उ ह अपने काय म अ धकतम दशन करने का
मौका मलता है। ांट सबसे अलग-थलग होकर कई दन तक अपने कसी शोध-प पर
काय करते रहते ह। दरअसल उस समय म वे कसी औसत ोफेसर से कह अ धक
भावशाली ढं ग से काय कर रहे होते ह, जसका यान बार-बार भटकता रहता है और
जसके काय म यान-अवशेष के चलते कई बार कावट आती है।

भले ही आप ांट क तरह सर से पूरी तरह अलग-थलग होने क प त न अपना सक।


पर फर भी यान-अवशेष क प रभाषा ब त अथपूण है य क इससे होता है क
आं शक प से यान भटकने क अव ा म काय करने क आम आदत वा तव म आपके
दशन के लए संभा वत प म वनाशकारी सा बत होती है। शायद आपको लगता हो क
काय के दौरान हर दस-पं ह मनट के अंतर पर अपना इनबॉ स चेक करने म कोई
नुकसान नह है। कुछ लोग तो इसे यह कहकर उ चत ठहरा दे ते ह क यह कुछ साल पहले
तक च लत उस आदत से तो बेहतर ही है, जसम लोग अपनी कं यूटर न पर
इनबॉ स टै ब को हमेशा खोलकर रखते थे (आज ब त कम लोग ही ऐसे बचे ह, जनम यह
गैर- ज मेदार आदत होती है)। पर लेरॉय हम बताती ह क इन दोन आदत म यादा फक
नह है। आज जब हम काय के बीच म पलभर के लए अपना इनबॉ स चेक करते ह, तो
दरअसल अपने यान को भटकाकर उसे एक नए ल य क ओर क त कर लेते ह। इससे
भी बदतर, जन मैसेजेस के मामले म आप कुछ कर नह सकते, उ ह पढ़कर (जो क
लगभग हमेशा ही होता है), आप वापस पहला काय करने के लए मज़बूर हो जाते ह। इस
तरह आप मैसेज म लखे सरे काय को अधूरा छोड़ दे ते ह। जब आप कई बार ऐसा करते
ह, तो पहले काय म आपका दशन कमज़ोर हो जाता है।

जब हम इन गत अवलोकन से अलग हटकर दे खते ह, तो एक तक बनता नज़र


आता है: अपने चरम तर पर उ पादक बनने के लए आपको एक ही काय को बना यान
भटके पूरी एका ता के साथ लंबी अव ध तक करना होता है। सरे श द म कह तो गहन
काय करके ही आप अपने दशन को उ तम तर तक लेकर जा सकते ह। अगर आप
लंबे समय तक गहनता से काय करने म सहज नह ह, तो आपके लए अपने दशन को
गुणव ा और मा ा के चरम तक ले जाना मु कल होगा, जो वा तव म आपक
ावसा यक उ त के लए लगातार ज़ री होता जा रहा है। इस त म जब तक
आपके पास ऐसी वल ण तभा और कौशल नह है, जसके सामने आपके सारे
त ध बौने नज़र आते ह , तब तक उन त धय म से वे लोग आपसे भी यादा
उ पादक सा बत होते रहगे, जो गहन काय करते ह।

जैक डॉस का या?

म इस बारे म अपना तक आपके सामने रख चुका ँ क गहन काय, वतमान अथ व ा


म लगातार मह वपूण होती जा रही मता को सहयोग य करता है। हम इस न कष
को वीकार कर, इससे पहले हम एक ऐसे सवाल का सामना करना होगा, जो इस वषय
पर चचा करने पर अ सर सामने आता है क जैक डॉस का या?

जैक डॉस ट् वटर के सह- ापक ह। ट् वटर के सी.ई.ओ. का पद छोड़ने के बाद उ ह ने


पेमट- ॉसे सग कंपनी ‘ वायर’ लॉ च क । मश र प का फो स म उन पर क त एक
वशेष लेख का शत आ था, जसके अनुसार, ‘वे बड़े पैमाने पर बाधाएँ खड़े करनेवाले
ह और लगातार कई गल तयाँ कर चुके ह।’ साथ ही वे एक ऐसे भी ह, जो
गहन काय क अव ा म यादा समय नह बताते। दरअसल डॉस इतने त रहते ह क
उ ह लंबी अव ध तक बना कसी बाधा के सोच- वचार करने का समय ही नह मल
पाता। जब फो स प का म उन पर क त लेख का शत आ था उस समय वे ट् वटर
(जहाँ वे सी.ई.ओ. का पद छोड़ने के बाद चेयरमैन बन गए थे) और वायर, दोन
कंप नय म मैनेजमट क ज मेदारी नभा रहे थे। जसके चलते उनका रोजाना का
काय म ब त त रहता था ता क दोन कंप नय का काय अबा धत प से चलता रहे
(इसी लए उनके पास न तो सोच- वचार के लए खाली समय बचता था और न ही उ ह
कसी एक चीज़ पर लंबी अव ध तक यान क त करने का मौका मलता था)।

उदाहरण के लए डॉस के अनुसार वे हर रोज अपना काय ख म करने के बाद, दनभर म


तीस से चालीस अलग-अलग मी ट स् के नोट् स क समी ा करते ह और उसके बाद ही
सोने जाते ह। इन मी ट स् के बीच म उ ह जो थोड़ा-ब त समय मलता है, उस समय भी वे
हर कसी को उपल रहते ह। उनका मानना है क कभी-कभी आनेवाले आक मक
मौक पर भी उ ह अपने कमचा रय के लए उपल होना चा हए। डॉस कहते ह, ‘म
अपना यादातर काय ऑ फस म मौजूद बना कुस वाली मेज पर करता ,ँ जहाँ कंपनी
का कोई भी आकर खड़ा हो सकता है। इस बहाने मुझे कंपनी के कमचा रय के
बीच हो रही हर तरह क बातचीत सुनने को मलती रहती है, जससे म उनके त
जाग क बना रहता ँ।’

यह कोई गहन कायशैली नह है। पछले वा यांश म हमने जस श द का उ लेख कया


था, अगर उसका इ तेमाल करते ए कहा जाए, तो जब डॉस एक से सरी मी टग क
ओर दौड़-भाग कर रहे होते ह और दो मी ट स् के बीच म मलनेवाले थोड़े से समय म भी
कंपनी के कमचा रय को अपना यान भटकाने दे ते ह, तो उनके यान-अवशेष बढ़ते जाते
ह। इसके बावजूद हम यह नह कह सकते क डॉस कोई ओछा काय कर रहे ह। इस
कताब क तावना म तुत प रभाषा के अनुसार, ओछे काय का मू य कम होता है
और इसे आसानी से दोहराया जा सकता है। पर जैक डॉस जो काय करते ह, वह न सफ
बेहद मू यवान है ब क हमारी अथ व ा म ब त ही लाभ द भी है (ये श द लखे जाने
तक जैक डॉस 1.1 ब लयन डॉलस क संप के साथ नया के एक हज़ार सबसे अमीर
लोग म से एक बन चुके थे)।

हमारी इस चचा म जैक डॉस इस लए मह वपूण ह य क वे उस समूह का त न ध व


करते ह, जसे नज़रअंदाज नह कया जा सकता: ऐसे लोग का समूह जो गहनता के बना
ही सफल हो जाते ह। जब मने कताब के इस ह से को े रत करनेवाले सवाल को ‘जैक
डॉस का या?’ का शीषक दया, तो दरअसल म एक अपे ाकृत अ धक सामा य का
उदाहरण तुत कर रहा था। अगर गहन काय इतना ही मह वपूण है, तो फर जन
लोग का यान भटकता रहता है, जनक एका ता टू टती रहती है, वे अपने जीवन म
सफल य हो जाते ह? इस अ याय को समा त करने से पहले म इस का समाधान
करना चाहता ँ ता क आगे के अ याय म गहनता के वषय क गहराइय म उतरते समय
यह सवाल आपको बार-बार वच लत न करे।

इस पर चचा करते समय सबसे पहले तो हम इस बात पर गौर करना होगा क जैक
डॉस दो बड़ी कंप नय म ऊँचे पद पर बैठे ह। ऐसी ऊँची है सयत रखनेवाले
अ धकारी बना गहनतावाले लोग क ेणी म मुख भू मका नभाते ह। य क इन
अ धका रय क जीवनशैली अनपे त प से ऐसी होती है, जहाँ यान क त करना
संभव नह होता। जैसे व मयो नामक वी डयो लेटफॉम वेबसाइट के सी.ई.ओ. केरी े नर
से जब पूछा गया क वे बना ई-मेल के कतने दन तक रह सकते ह? तो उनका जवाब
था, ‘म श नवार का पूरा दन बना ई-मेल के बता सकता .ँ .. मतलब म दन के व तो
ऐसा कर ही सकता .ँ .. मेरे कहने का मतलब है क म ई-मेल चेक तो क ँ गा पर कसी ई-
मेल का जवाब नह ँ गा।’

इसके साथ ही ये अ धकारी न त प से अपे ाकृत यादा कमाते ह और साथ ही वे


वतमान अथ व ा म पहले से कह यादा मह वपूण हो चुके ह। जैक डॉस को गहनता
के बना मली यह कामयाबी, मैनेजमट के ऊँचे पद पर बैठे लोग के बीच एक आम बात
है। एक बार जब हम इस वा त वकता को पहचान लेते ह, तो हम खुद को यह याद दलाने
के लए एक कदम पीछे हट जाना चा हए, इससे गहनता का मू य कम नह हो जाता।
य ? य क इन अ धका रय का यान उ ह चीज़ के कारण भटकता है, जो पूरी तरह
इनके पेशेवर जीवन से जुड़ी होती ह। एक अ ा मुख अ धकारी मूल प से लगातार
एक जैसे कई नणय लेनेवाली मशीन क तरह होता है। यानी वह आई.बी.एम. के वॉटसन
नामक उस कं यूटर स टम से अलग नह होता, जसका काय है, सवाल का जवाब दे ना।
वे मु कल से हा सल होनेवाले अनुभव का एक भंडार बना लेते ह और अपने बाजार के
लए मह वपूण सहज ान वक सत कर उसे खर करते ह। इसके बाद उ ह दनभर ई-
मेल, मी ट स्, वक-साइट व जट जैसे इनपुट दए जाते ह। इन सभी इनपुट्स को समझने
के बाद उ ह उन सभी के लहाज से ज़ री काय करना होता है। कसी सी.ई.ओ. से यह
कहना क वह घंट तक कसी एक सम या पर गहनता से सोच- वचार करे, तो यह उन
मता को बरबाद करने जैसा है, जो उस सी.ई.ओ. को मू यवान बनाती ह। कसी एक
सम या पर गहनता से सोच- वचार करने के लए कंपनी के न न पद पर कायरत तीन
अकलमंद अ धका रय को नयु करना कह बेहतर वक प है। ता क वे सोच- वचार के
बाद सम या का समाधान ढूँ ढ़कर उसे अपने सी.ई.ओ. के पास लेकर आएँ और फर वह
उन पर अं तम नणय ले सक।

यह व श ता इस लए मह वपूण है य क यह बताती है क अगर आप एक बड़ी कंपनी


म ऊँचे पद पर बैठे अ धकारी ह, तो शायद आपको इस कताब के आगे के प पर द गई
सलाह क ज़ रत नह है। सरी ओर यह हम ये भी बताती है क आप इन अ धका रय
के कोण को अ य काय े पर लागू नह कर सकते। डॉस अपना यान भटकानेवाली
चीज़ को ो सा हत करते ह या केरी े नर लगातार अपना ई-मेल चेक करते ह, पर इसका
यह अथ नह है क अगर आप वयं यह सब करने लगगे, तो इन लोग क तरह ही सफल
हो जाएँगे। य क वा त वकता यह है क उनका यह वहार एक कॉरपोरेट अ धकारी के
तौर पर उनक व श भू मका के अनु प ही है।
व श ता के इन नयम को, यह कताब पढ़ते समय यान म आनेवाले उ ह काय े पर
लागू करना चा हए, जो पछले प पर उ ले खत काय े के समान ह । हम यह याद
रखना चा हए क हमारी अथ व ा म कुछ न त ह से ऐसे ह, जहाँ गहनता का कोई
मू य नह है। उदाहरण के लए हम कुछ वशेष क म के से समै स और लॉबी ट् स को भी
कॉरपोरेट अ धका रय क इस ेणी म रख सकते ह। य क उनके काय े म लगातार
संपक म रहने को ही सबसे मू यवान करसी माना जाता है। इसके अलावा कुछ लोग यान
भटकने के बावजूद उन काय े म भी सफलता हा सल कर लेते ह, जहाँ गहनता
सहायक होती है।

ले कन साथ ही आपको अपने काय े को गहनता के अभाववाला काय े मानने म


ज दबाजी भी नह करनी चा हए। अगर अपनी मौजूदा आदत के चलते आपके लए गहन
काय करना मु कल है, तो इसका अथ यह नह है क आपका काय अ तरह करने के
लए गहनता का यह अभाव ज़ री है। उदाहरण के लए अगले अ याय म मने कुछ ऐसे
श शाली मैनेजमट कंसलटट् स क कहानी तुत क है, जो इस बात को लेकर आ त
थे क उ ह अपने ाहक को अ सेवा दे ने के लए ई-मेल के मा यम से नरंतर संपक म
रहना ज़ री है। जब हावड यू नव सट के एक ोफेसर ने उ ह नय मत प से यह संपक
तोड़ने के लए मज़बूर कया (यह सब एक शोध के लए कया गया था)। तब वे ये दे खकर
हैरान रह गए क वा तव म ाहक के साथ नरंतर संपक म रहना उतना ज़ री कतई नह
है, जतना वे समझते थे। ऐसा भी नह था क ाहक को हर व उन कंस टट् स के संपक
म रहने क कोई वशेष इ ा हो। इस बात का एहसास होने के बाद जब ई-मेल के कारण
बार-बार उनका यान भटकना बंद हो गया, तो एक कंस टट् स के तौर पर उनके दशन म
भी सुधार नज़र आने लगा।

इसी तरह मेरे कुछ प र चत मैनेजस ने मुझे यह समझाने क को शश क क जब वे अपनी


ट म क सम या से जुड़े सवाल का जवाब फौरन दे ते ह, तो उनका योगदान सबसे
मू यवान सा बत होता है य क इससे ोजे ट् स बीच म अटकने से बच जाते ह। वे वयं
को एक ऐसे क भू मका म दे खते थे, जो खुद भले ही उ पादक रहे या नह , पर
सर को उ पादक बनाकर रखता है। हालाँ क इस मसले पर ई चचा से ज द ही यह
खुलासा हो गया क उनके इस उ े य को पूरा करने के लए आपस म ऐसा संपक रखने
क कोई ज़ रत नह होती, जसम बार-बार यान भटकता हो। दरअसल अब कई
सॉ टवेयर कंप नयाँ, म ोजे ट मैनेटमट काय णाली को लागू करती ह, जसके तहत
यान भटकानेवाले संपक के बजाय नय मत प से होनेवाली अ य धक संरचनापूण और
बेहद कुशल टे टस मी ट स् (status meetings) पर जोर दया जाता है (इन मी ट स् के
दौरान आमतौर पर हर कोई कु सय पर बैठने के बजाय खड़ा रहता है ता क मी ट स् को
फालतू क बातचीत से बचाया जा सके)। यह तरीका अपनाने से मैनेजमट के कमचा रय
को कंपनी क अलग-अलग ट स क सम या पर गहनता से सोच- वचार करने के लए
पया त समय मल जाता है, जससे अ सर उनक उ पादकता का मू य भी बढ़ जाता है।

इसे सरे श द म कह, तो गहन काय करना हमारी अथ व ा के लए इकलौता


मू यवान कौशल नह है और इस मता के बना भी उ त करना संभव है। पर अब ऐसे
े क सं या घट रही है, जहाँ इस मता के बना भी उ त क जा सकती है। जब तक
आपके पास इस बात का कोई ठोस सबूत न हो क आपके पेशे म यान भटकना
मह वपूण है, तब तक तो ठ क है, पर उसके अलावा हर े म आपके लए यान क त
करना ही मह वपूण होगा। गहनता पर गंभीरता से वचार करके इस अ याय म यह बात
पहले ही क जा चुक है।
1 जन लोग क प ँच कं यूटर व इंटरनेट तक है और जनक प ँच इन चीज़ तक नह है,
उनके बीच का फक।

2 कंप नयाँ ौ ो ग कय क ज टल वा त वकता का फायदा उठाकर आगे बढ़ती ह। ये


वा त वकताएँ अब आम हो चुके इस वचार क वसंग त पर जोर दे ती ह क सरलीकृत
उ पाद तक सीधी प ँच - खासकर कूल म - कसी न कसी तरह लोग को एक
आधु नक तकनीकवाली अथ व ा म सफल होने के लए तैयार कर दे ती ह। छा को
आई-पैड दे ने या यू ूब पर होमवक करने क अनुम त दे ने से वे एक आधु नक
तकनीकवाली अथ व ा के लए उसी तरह तैयार हो जाते ह, जस तरह बचपन म
खलौना कार से खेलकर लोग भ व य म ऑटोमोबाइल े म कॅ रयर बनाने के लए
तैयार होते ह।

3 यह एक कै र बयाई रा है।

4 जब मै कम लैडवेल ने सन 2008 म का शत अपनी कताब ‘आउटलायस: द टोरी


ऑफ स सेस’ से डे ल ेट ै टस ( वचारपूवक अ यास) के वचार को लोक य बना
दया, तो लैडवेल से जुड़ी हर चीज़ को सं द ध प से दे खनेवाले मनोवै ा नक के समूह
म डे ल ेट ै टस क प रक पना म क मयाँ नकालना एक फैशन सा बन गया। हालाँ क
अ धकांश प से ऐसे अ ययन ने डे ल ेट ै टस क ज़ रत को अमा य करार दे ने के
बजाय, ऐसे अ य घटक क पहचान करने का यास कया, जो वशेष दशन म कोई
भू मका नभाते ह। सन 2013 म ‘ वशेष दशन खास है और इसे सामा य जनसं या के
दशन पर ए अ ययन से समझा नह जा सकता : आलोचना पर एक त या’
शीषकवाले एक लेख म और इंटेलीजस 45 (2014) : 81-103 जनल म का शत होने के
बाद ए र सन इनम से कई अ ययन से पीछे हट गए। इस लेख म ए र सन दलील दे ते ह
क इन मह वपूण पच क ायो गक डजाइन अ सर ु टपूण होती ह य क वे यह मान
लेते ह क आप कसी े म औसत व औसत से बेहतर के बीच के फक को और एक
वशेष व गैर- वशेष के बीच के फक को समझ सकते ह।

5 यूनाईटे ड टे ट्स ऑफ अमे रका म ोफेसर के पद तीन क म के होते ह: अ स टट


(सहायक) एसो सएट (संयु ) और फुल (पूणका लक)। आमतौर पर उनक नयु
अ स टट ोफेसर के तौर पर होती है और जब उ ह ाई पद मल जाता है, तो उ ह
पदो त दे कर एसो सएट ोफेसर बना दया जाता है। जब क फुल ोफेसर बनने के लए
ाई पद ा त करने के बाद कई साल के अनुभव क ज़ रत होती है। हालाँ क अनुभव
हा सल करने के बाद भी हर कोई फुल ोफेसर का पद ा त नह कर पाता।

6 श द से जुड़े गेम म न पर अ र क पं याँ दखाई पड़ती ह; इनम से कुछ अ र


को जोड़कर असली श द बनते ह, जब क कुछ के मामले म ऐसा नह होता। गेम
खेलनेवाले को ज द से ज द यह तय करना होता है क इन पं य म कोई असली श द
छपा है या नह । यह तय करने के बाद वह न पर आनेवाली दो बटन ‘असली’ और
‘नकली’ म से मनचाही बटन को दबाकर खेल म आगे बढ़ता रहता है। इस तरह के गे स म
खलाड़ी का दशन दे खकर यह पता लगाया जा सकता है क न पर अ र क
पं याँ दे खकर उसके मन म कतने असली श द ‘स य’ ए य क जस खलाड़ी के
मन म श द संबंधी यह ‘स यता’ जतनी अ धक होगी, वह न पर ‘असली’ बटन को
उतनी ही ज द दबाता है।
2. गहन काय लभ है

सन 2012 म फेसबुक ने अपने नए मु यालय क योजना सावज नक क । क गेहरी ारा


डजाइन क जा रही इस इमारत के म य भाग म एक वशेष ान था, जो कंपनी के
सी.ई.ओ. माक जुकरबग के श द म ‘ नया का सबसे वशाल ओपन लोर लान था।’
दस एकड़ म फैले इस प रसर म तीन हज़ार से भी यादा कमचारी एक वशेष क म के
फन चर पर बैठकर काम कर सकते थे। बेशक, फेसबुक स लकन वैली त ऐसी
इकलौती कंपनी नह थी, जसने ‘ओपन ऑ फस’ क अवधारणा को अपनाया हो। जैक
डॉस ने अपनी कंपनी वायर के लए सैन ां स को क सबसे पुरानी इमारत म से एक
ॉ नकल को खरीदा। उ ह ने इसे कुछ इस कार डजाइन कराया था क उनक कंपनी म
काम करनेवाले डेवलपस इमारत के सामू हक ान पर रखी लंबी-लंबी साझा डे क पर
बैठकर काम कर सक। डॉस बताते ह, ‘हमने कमचा रय को खुले ान पर बैठकर काम
करने के लए े रत कया य क हम आक मक लाभ और यूँ ही चलते- फरते एक- सरे
से नई-नई चीज़ सीखने पर व ास रखते ह।’

हा लया वष म ‘इं टट मैसे जग’ यह सरा सबसे बड़ा ावसा यक चलन बन चुका है।
टाइ स म का शत एक लेख के अनुसार यह टे नोलॉजी सफ बातूनी कशोर के बीच ही
च लत नह है ब क अब यह उ पादकता संबंधी लाभ और ाहक के जवाब दे ने के समय
(क टमर र ॉ स टाइम) को बेहतर बनाकर कंप नय का मुनाफा बढ़ाने म भी उपयोगी
सा बत हो रही है। आई.बी.एम. के एक सी नयर ोड ट मैनेजर बड़े गव से बताते ह, ‘ सफ
आई.बी.एम. के कमचा रय के बीच ही हर रोज 2.5 म लयन इं टट मैसेज भेजे जाते ह।’

इं टट मैसेज के े म पछले कुछ वष म तगड़ी ावसा यक सफलता हा सल करनेवाल


म से एक है, हॉल। स लकॉन वैली त यह एक ऐसा टाटअप है, जो अपने कमचा रय
को चै टग से एक कदम आगे ले जाकर उ चत समय पर आपसी सहयोग ( रयल-टाइम
कोलैबोरेशन) करने म मदद करता है। सैन ां स को म रहनेवाले मेरे एक डेवलपर दो त ने
हॉल का उपयोग करनेवाली एक कंपनी म काम करने का अपना अनुभव बताया। उसके
अनुसार, कंपनी के सबसे ‘कुशल’ कमचा रय ने अपने टे ट ए डटर को इस तरह सेटअप
कर रखा था क जब भी कंपनी के हॉल अकाउं ट म कोई नया सवाल या कमट पो ट कया
जाए, तो उनक न पर एक एलट लैश हो। ता क वे फौरन कुछ तयशुदा क -वड् स क
मदद से हॉल म जाकर अपने वचार टाइप कर और फर वापस अपने को डग के काम म
जुट जाएँ। इस दौरान उ ह सफ कुछ पल के लए ही अपना को डग का काम रोकना
पड़ता था। इस या का वणन करते समय मेरा वह डेवलपर दो त इसक तेज ग त से
काफ भा वत था।

तीसरे ावसा यक चलन म हर कार के कंटट ो ूसर पर सोशल मी डया पर अपनी


उप त बनाकर रखने का दबाव डाला जाता है। ‘द यू यॉक टाइ स’ पुराने दौर के
मी डया-मू य का एक गढ़ (बुज) है, जो अब अपने कमचा रय को ट् वीट करने के लए
ो सा हत करता है। इस अखबार के लए काम करनेवाले आठ सौ से यादा लेखक ,
संपादक और फोटो ाफर को कंपनी का यह संकेत फौरन समझ म आ गया। अब ‘द यू
यॉक टाइ स’ का अपना एक ऑ फ शयल ट् वटर अकाउं ट भी है। यह कोई अजीब बात
नह है ब क आजकल के जमाने म यह एक सामा य बात है। जब उप यासकार जॉनथन
जन ने गा डयन अखबार म एक लेख लखकर ट् वटर को सा ह यक जगत म
‘जबद ती आ वकास’ करार दया, तो ब त से लोग ने उ ह पुरातनपंथी कहकर उनका
मज़ाक उड़ाया। ऑनलाइन मै जीन लेट ने जन क शकायत को ‘इंटरनेट पर अकेले
लड़ा जा रहा यु ’ कहा। जन क साथी उप यासकार जे नफर वीनर ने द यू रप लक
म अपनी त या का शत करते ए यह तक दया क ‘ जन अपनी ही ेणी के
ह। वे एक अकेली आवाज क तरह ह, जो ऐसे फरमान सुना रही है, जो सफ जन
पर ही लागू होते ह।’ इसके बाद ज द ही #JonathanFranzenhates नामक ंगा मक
हैशटै ग कसी सनक क तरह चार ओर फैल गया।

मने इन तीन ावसा यक चलन का उ लेख इस लए कया य क ये एक वरोधाभास


को उजागर करते ह। पछले अ याय म मने तक दया था क हमारी आज क तेजी से
बदलती अथ व ा म गहन काय इतना अ धक मू यवान हो गया है, जतना पहले कभी
नह था। हालाँ क अगर यह वाकई सच है, तो इस नर को न सफ मह वाकां ी य
ारा ब क उन सं ा ारा भी बढ़ावा दया जाना चा हए, जो चाहती ह क उनके
कमचारी हमेशा सव े दशन करते ए सं ा क ग त म अपना संपूण योगदान द। पर
जैसा क यहाँ तुत उदाहरण से है, ऐसा नह हो रहा है। ावसा यक जगत म गहन
काय के बजाय कई अ य वचार को यादा मह वपूण मानकर ाथ मकता द जा रही है
और जैसा क हमने दे खा, इसम आक मक सहयोग, तेज संचार और सोशल मी डया पर
स य उप त भी शा मल है।

यह वाकई ब त ही भा यपूण बात है क गहन काय से यादा ाथ मकता कई अलग-


अलग चलन (Trands) को द जा रही है। इससे भी यादा बुरी बात यह है क इनम से
कई चलन ऐसे ह, जो कसी चीज़ क गहराई म जाने क इंसानी मता को स य प
से कम करते जा रहे ह। उदाहरण के लए खुले प रसरवाले द तर कमचा रय के बीच
आपसी सहयोग के अ धक अवसर पैदा कर सकते ह।(1 ) ले कन ‘द सी े ट लाइफ ऑफ
ऑ फस ब स’ नामक एक टश ट .वी. शो के लए कए गए योग के नतीज के
अनुसार खुले प रसरवाले द तर ‘बड़े पैमाने पर कमचा रय का यान भटकने’ क क मत
पर ही आपसी सहयोग के अवसर पैदा कर पाते ह। इस ट .वी. शो के लए वै ा नक योग
करनेवाले यूरोसाइं ट ट कहते ह क ‘अगर आपने बस अभी-अभी कसी काम पर यान
क त कया है और तभी आपके पीछे मौजूद कसी का फोन बजता है, तो आपका
यान फौरन भटक जाता है। भले ही आपको इसका एहसास न हो, पर जब भी यान
भटकानेवाली कोई घटना घटती है, तो आपका म त क उस पर त या ज़ र करता
है।’

रयल-टाइम मैसे जग के वकास पर भी समान मु े लागू होते ह। स ांत के प से दे ख


तो आपका ई-मेल इनबॉ स आपका यान तभी भटका सकता है, जब आप उसे खोलकर
रख। जब क सरी ओर इं टट मैसजर स टम तो हर समय स य रहने के लए बनाया
गया है - जससे आपका यान भटकने क संभावना ई-मेल क तुलना म ब त यादा बढ़
जाती है। कैलीफो नया यू नव सट , इर वन म इ फॉम ट स क ोफेसर लो रया माक,
यान भटकने संबंधी व ान क वशेष ह। इससे जुड़े एक स अ ययन के दौरान
लो रया माक और उनके सहयो गय ने द तर म कायरत नॉलेज वकस (2 ) का नरी ण
कया। अपने इस नरी ण म उ ह ने पाया क कसी काम म आनेवाली मामूली सी बाधा
भी उस काम को पूरा करने म लगनेवाले कुल समय को ब त हद तक बढ़ा दे ती है।
लो रया माक ने खामोशी भरे अपने व श अकाद मक लहजे म कहा क ‘अ ययन म
ह सा लेनेवाल ने इन बाधा को ब त हा नकारक बताया।’

सोशल मी डया पर स य उप त दज कराने के लए, कंटट ो ूसर को बा य करने


के चलते भी काय क गहराई म जाने क मता पर नकारा मक असर पड़ रहा है।
उदाहरण के लए गहराई से काय करनेवाले प कार को भावशाली प का रता पर यान
क त करने क ज़ रत होती है। यहाँ भावशाली (Serious) प का रता का अथ है,
खबर के ज टल ोत तक प ँचना... सूचना को एक- सरे से जोड़कर कसी नतीजे
पर प ँचना... और रपोट म ऐसे वा य लखना, जो पाठक को खबर जानने के लए े रत
करे... वगैरह। ऐसे म इन प कार को दनभर ऑनलाइन रहकर सोशल मी डया पर
उछलकूद करने के लए कहना अनु चत (और कुछ हद तक अपमानजनक) लगता है।
य क इससे उनके प का रता के गहन काय म नरंतर बाधा पड़ती रहती है और उनका
यान भटकता है।

यू यॉकर अखबार के त त टाफ राइटर जॉज पैकर ने इस डर को अपने एक लेख म


ब त ही बेहतरीन ढं ग से उजागर कया था। उनका यह लेख इस बारे म था क वे ट् वटर
का इ तेमाल य नह करते : ‘मी डया के लती लोग के लए ट् वटर कसी स ते नशे क
तरह है। मुझे इससे डर लगता है पर इसका कारण यह नह है क म कोई नै तक प से
उ कृ ँ। ब क वा त वकता यह है क मुझे नह लगता क म इसे सँभाल सकता
ँ। मुझे डर है क अगर म ट् वटर के च कर म पड़ा, तो इसम इतना मगन हो जाऊँगा क
अपने न ह ब े को समय पर खाना खलाना भी भूल जाऊँगा।’ जब जॉज पैकर ने यह
लेख लखा था, उस समय वे ‘द अनवाइं डग’ शीषक से एक कताब भी लख रहे थे, जो
ज द ही पाठक तक प ँच गई। पैकर ारा सोशल मी डया का इ तेमाल न करने के
बावजूद (या शायद कुछ हद तक इसी वजह से) इस कताब को नेशनल बुक अवॉड से भी
नवाजा गया।

सं ेप म कह, तो ावसा यक े के बड़े चलन- लोग क गहन काय करने क मता


को स य प से कम कर रहे ह। जब क ये चलन आक मक सहयोग म बढ़ो री,
ाहक क शकायत पर तुरंत या और यादा ता जैसे लाभ दे ने का वादा करते ह,
ये सारे लाभ गहन काय से होनेवाले लाभ , जैसे ज टल चीज़ को तेजी से सीखने क
मता और उ तरीय उ पादकता के सामने बलकुल बौने सा बत होते ह। इसी
वरोधाभास को समझना इस अ याय का ल य है। मेरा तक यह है क गहन काय क
लभता का कारण आदत जैसी कोई मूलभूत कमजोरी नह है। जब हम इस बात पर
बारीक से गौर करगे क हम अपने काय ल पर यान भटकानेवाली चीज़ को वीकार
य कर लेते ह, तो हम पता चलेगा क इसके पीछे मौजूद सारे कारण हमारी उ मीद से
कह अ धक अ नयं त क म के ह। ये कारण अ ता और वधा के साथ उस दोषपूण
सोच से ही उपजे होते ह, जो आमतौर पर नॉलेज वक से संबं धत होती है। मेरा उ े य
आपको यह व ास दलाना है क भले ही यान भटकानेवाली बाधा को हमारे ारा
वीकार कया जाना एक वा त वकता हो, पर यह भी सच है क यह वा त वकता एक
अ र न व पर टक है। जब आप अपने अंदर गहन काय संबंधी नै तकता वक सत
करने क ठान लगे, तो इसे बड़ी आसानी से खा रज भी कर सकगे।

मे क (मा क) का लैक होल


सन 2012 क शरद ॠतु के समय अटलां टक मी डया के चीफ टे नोलॉजी ऑ फसर टॉम
कोषन इस बात को लेकर सतक हो गए क वे ई-मेल के उपयोग पर त दन कतना समय
खच करते ह। यह एहसास होते ही एक अ े तकनी शयन क तरह उ ह ने तय कया क
वे अपनी इस बेचैनी का मापन करगे। अपने वहार का बारीक से नरी ण करके उ ह ने
पाया क एक स ताह क समय अव ध म उ ह कुल 511 ई-मेल मले और इसी अव ध म
उ ह ने वयं कुल 284 ई-मेल भेज। यानी स ताह के पाँच काय- दवस के औसत से 160
ई-मेल त दन। कोषन ने इस गणना से भी एक कदम आगे जाकर हसाब लगाया क
अगर वे एक ई-मेल पर सफ 30 सेकड का समय भी खच करते ह गे, तब भी इसका अथ
यह है क वे त दन अपना लगभग डेढ़ घंटा सफ ई-मेल पर खच कर रहे ह। अपने काम
क कृ त के हसाब से उ ह यह अव ध ब त यादा लगी।

अपने इस योग के बारे म कोषन ने हावड बजनेस र ू नामक प का म एक लॉग


पो ट लखी। जसम उ ह ने कहा क इस छोट सी गणना से मालूम पड़े त य ने उ ह ये
सोचने पर मजबूर कर दया क अपनी कंपनी म उ ह ने कमचा रय को जो काम करने के
लए नयु कया है, उस पर यान क त करने के बजाय वे ई-मेल के ज रये सूचना के
आदान- दान म त दन कतना सारा समय खच कर रहे ह गे? इस सवाल का जवाब पाने
के लए उ ह ने कंपनी के सभी कमचा रय ारा त दन भेजे जानेवाले ई-मेल और त
ई-मेल औसत श द क सं या का व तृत डाटा इक ा कया। फर उ ह ने श द क
सं या को अपने कमचा रय क टाइ पग करने और पढ़ने क औसत ग त और उनके
औसत वेतन के साथ जोड़कर दे खा। प रणाम व प उ ह ने पाया क अटलां टक मी डया
अपने कमचा रय को सफ ई-मेल भेजने और पढ़ने के लए ही हर साल एक म लयन से
यादा क रा श का भुगतान कर रहा है और हर ई-मेल कंपनी क लेबर कॉ ट ( म
लागत) म 95 सट् स का इजाफा कर रहा है। कोषन सं ेप म कहते ह, ‘ई-मेल जैसे मु त
संचार मा यम पर भी कंपनी को एक छोटे हवाई जहाज क क मत के बराबर सॉ ट कॉ ट
(अ य लागत) खच करनी पड़ रही है।

टॉम कोषन के इस योग से एक हा नर हत नज़र आनेवाले वहार क वा त वक लागत


के बारे म दलच प रणाम सामने आया। पर इस कहानी का वा त वक मह व वयं यह
योग और इसक ज टलता है। है क ‘हमारी ई-मेल संबंधी वतमान आदत का मूल
भाव या है?’ इस कार के आसान से सवाल का जवाब दे ना भी काफ मु कल है।
कोषन को इसके लए अपनी कंपनी का ापक सव ण करते ए आई.ट . के बु नयाद
ढाँचे से संबं धत आँकड़े इक े करने पड़े। इसके अलावा उ ह कमचा रय के वेतन संबंधी
आँकड़े और उनक टाइ पग व पढ़ने क ग त संबंधी जानकारी भी इक करनी पड़ी।
इसके बाद उ ह इन सारे आँकड़ को एक सां यक य मॉडल के आधार पर परखना पड़ा।
तब जाकर वे अं तम प रणाम पर प ँच सके और यह प रणाम भी काफ नह है य क
यह सब कुछ नह करता। मसाल के तौर पर इससे यह नह होता क ई-मेल के
इस महँगे इ तेमाल से कतना मू य-उ पादन आ, जससे इसक आं शक लागत नकल
सके।

यह उदाहरण हमारे उन तमाम वहार पर लागू होता है, जो संभा वत प से गहन काय
म बाधा डालते ह या उसे बेहतर बनाते ह। भले ही हम अमूत (abstractly) ढं ग से यह
वीकार करते ह क हम यान भटकने क क मत चुकानी पड़ती है और गहनता का
अपना मू य होता है, पर जैसा क टॉम कोषन ने पता लगाया, इन सभी भाव को मापना
मु कल है। यह कोई ऐसा ल ण नह है, जो सफ यान भटकने और गहनता संबंधी
आदत म ही पाया जाता हो। सामा य तौर पर कहा जाए, तो जैस-े जैसे नॉलेज वक (3 ) के
े म और अ धक ज टल मक वग क ज़ रत बढ़ती है, वैस-े वैसे इन े म
गत यास का मू य तय करना और अ धक मु कल होता जाता है। इस बात को
ांसीसी अथशा ी थॉमस पकेट ने अपने एक अ ययन म कया था, जो
ए जी यू टव तर के अ धका रय के वेतन म होनेवाली बेतहाशा वृ से संबं धत था।
उनके इस तक को बल दे ने के पीछे मु य धारणा यह थी क ‘तट प से यह तय करना
ब त मु कल है क कसी कंपनी के दशन म कसी एक कमचारी का गत योगदान
कतना है।’ चूँ क कसी कमचारी के गत योगदान को मापने का कोई मापदं ड मौजूद
नह है, इसी लए ए जी यू टव तर के अ धका रय क उ पादकता के अनुपात म उनके
वेतन म बेतहाशा वृ जैसे अता कक और अ नय मत प रणाम सामने आते रहते ह।
हालाँ क पकेट के स ांत के कुछ पहलू ववादा द ह, पर उनके एक आलोचक के
श द म कह, तो इस स ांत क यह बु नयाद धारणा न संदेह सच है क ‘ गत
योगदान को मापना लगातार मु कल होता जा रहा है।’

इसी लए हम यह उ मीद नह करनी चा हए क गहनता को न करनेवाले वहार के मूल


भाव क पहचान आसानी से क जा सकती है। जैसा क टॉम कोषन ने पाया, ये मे स
(मा क) एक ऐसे अ े के दायरे म आते ह, जो नाप-तौल तरोधी होता है। इस
े को म ‘मा क का लैक होल’ कहता ँ। बेशक, गहन काय संबंधी मा क का मापन
मु कल होता है, सफ इस लए वत: ही इस न कष तक नह प ँचा जा सकता क
वसाय ारा इसे खा रज कर दया जाएगा। हमारे पास ऐसे वहार के कई उदाहरण
ह, जनके मूल भाव को मापना मु कल है, पर इसके बावजूद वे हमारी ावसा यक
सं कृ त म फलते-फूलते रहते ह। उदाहरण के लए, उन तीन ावसा यक चलन पर
वचार क जए, जनका उ लेख इस अ याय क शु आत म कया गया था। या फर
ए जी यू टव तर के अ धका रय के बेतहाशा बढ़ते उस वेतन पर वचार क जए, जसे
लेकर थॉमस पकेट हैरान थे। दरअसल मे स (मा क ) के सहयोग के बना कोई
भी ावसा यक वहार अ र लहर और नरंतर बदलते बल के सामने असुर त है।
इस प रवतनशील भीड़ म खासतौर पर गहन काय का ही नुकसान आ है।

मे क (मा क) लैक होल क यह वा त वकता ही इस अ याय म आगे दए गए तक क


मु य पृ भू म है। आगे आनेवाले खंड म म ऐसी कई मान सकता और पूवा ह का
वणन क ँ गा, ज ह ने वसाय को गहन काय से र करते ए यान भटकानेवाले
वक प क ओर धकेल दया है। अगर यह हो क ये सारे वहार मूल आधार पर
चोट करते ह, तो इनका अ त व लंबे समय तक कायम रहना संभव नह है, पर मे क
(मा क) लैक होल यह ता आने ही नह दे ता और वसाय को यान भटकानेवाले
उन वक प क ओर मुड़ने दे ता है, जनका सामना हम अपनी ावसा यक नया म
लगातार करते रहते ह।

यूनतम तरोध का स ांत

जब यान भटकानेवाले उन वहार (4 ) क बात आती है, ज ह लोग अपने काय ल


पर होते ए दे खते ह, तो आज क उस सव ापी सं कृ त को भु वकारी मानना ज़ री
हो जाता है, जहाँ हर कोई तकनीक उपकरण क मदद से नरंतर एक- सरे के संपक म
रहता है। इस सं कृ त म इंसान से यह उ मीद क जाती है क वह अपने पास आए हर ई-
मेल (और अ य सभी संदेश ) को न सफ पढ़े ब क उसका जवाबी ई-मेल भी फौरन भेज
दे । हावड बजनेस कूल क ोफेसर ले ली पल ने इस वषय पर शोध कया और पाया
क उनके सव ण म शा मल सभी पेशेवर लोग अपने ऑ फस से बाहर, हर स ताह बीस से
प ीस घंटे सफ ई-मेल दे खने म खच कर दे ते ह - य क वे मानते ह क कोई भी ई-मेल
(काम से संबं धत या उससे अलग) मलने के बाद एक घंटे के अंदर उसका जवाब दे ना
ज़ री होता है।

ब त से अ य लोग क तरह ही आप भी यह तक दे सकते ह क ‘तेज कायशैलीवाले


वभ वसाय म ऐसा करना ज़ री होता है।’ दरअसल इस ब पर आकर यह मामला
और दलच हो जाता है। ले ली पल ने इस दावे का भी परी ण कया। उ ह ने बॉ टन
क स टग गु्रप नामक ावसा यक दबाववाली एक भावशाली मैनेजमट क स टग
फम के अ धका रय से बात क । इस कंपनी म भी तकनीक उपकरण क मदद से नरंतर
एक- सरे के संपक म रहने क सं कृ त थी। ले ली पल ने कंपनी के अ धका रय को इस
बात के लए मना लया क वे उ ह कमचा रय क कसी एक ट म के सद य क
ावसा यक आदत म हेर-फेर करने क अनुम त दे द। अपने इस योग के लए वे
कमचा रय से एक साधारण सा पूछना चाहती थ : या नरंतर एक- सरे के संपक म
रहने से आपको वाकई अपने काम म मदद मलती है? अपने इस का जवाब जानने के
लए ले ली पल ने करीब-करीब हद पार कर द । उ ह ने ट म के हर सद य को स ताह म
एक दन कंपनी के अंदर और बाहर कसी भी से कोई संपक न रखने के लए
मज़बूर कर दया।

ले ली पल याद करते ए बताती ह क ‘शु -शु म ट म के सद य ने इस योग का


वरोध कया। कंपनी क एक कमचारी, जो इस योग म मेरी भारी साथी थी, अब तक
योग के मूल वचार को लेकर बड़ा ही सहयोगी रवैया दखा रही थी। पर फर वह
अचानक इस बात को लेकर काफ घबरा गई क अब उसे अपने ाहक से कहना होगा
क उसक ट म का हर सद य स ताह म एक दन के लए पूरी तरह संपक से कट जाएगा।
साथ ही ट म के सद य भी यह सोचकर काफ घबराए ए थे क ऐसा करके वे अपने
कॅ रयर को खतरे म डाल रहे ह।’ पर स ताह म एक दन पूरी तरह संपक से कटने पर न तो
इस ट म ने एक भी ाहक खोया और न ही कसी क नौकरी गई। ब क ट म के सद य
को काम म यादा आनंद आने लगा, उनके बीच आपसी संवाद बेहतर हो गया और उ ह
यादा सीखने का मौका मला ( पछले अ याय म उ ले खत गहनता और कौशल- वकास
के संबंध को दे खते ए यह वाभा वक भी था)। और सबसे मह वपूण ‘ ाहक को पहले
से कह बेहतर स वस मली।’

इससे एक दलच सवाल सामने आता है: पल के अ ययन से है क नरंतर एक-


सरे के संपक म रहने से कमचा रय क उ पादकता, उनके हत व उनक सेहत भा वत
होती है और कंपनी के मूल आधार को इससे कोई मदद भी नह मलती, तो फर बॉ टन
क स टग ुप क तरह हर कोई इस दोषपूण सं कृ त को बढ़ावा य दे ता है? मेरा मानना
है क इसका जवाब काय ल संबंधी वहार क उस वा त वकता म ढूँ ढ़ा जा सकता है,
जसका उ लेख आगे कया गया है।

यूनतम तरोध का स ांत: व भ वहार का मूल आधार पर या भाव पड़ता है,


इस पर त या के बना, एक ावसा यक माहौल म, हम उन वहार को
अपनाने लगते ह, जो उस समय सबसे आसान व सु वधाजनक नज़र आ रहे ह ।
नरंतर एक- सरे के संपक म रहने क सं कृ त को बढ़ावा य मलता है? हमारे स ांत
के अनुसार इस सवाल का जवाब है, ‘ य क यह आसान है।’ इस स ाई के पीछे दो बड़े
कारण ह, जनम से पहला अपनी ज़ रत के लए त याशीलता से जुड़ा है। अगर
आप कसी ऐसे सं ान म काम करते ह, जहाँ आप ज़ रत पड़ने पर अपनी मनचाही
जानकारी और अपने सवाल के जवाब फौरन ा त कर सकते ह, तो इससे आपका जीवन
कम से कम णक तौर पर आसान होता है। जब क अगर आपके सं ान म यह संभव
नह है, तो फर आपको अपने काम के लए पहले से ही योजना बनानी पड़ती है, अ धक
व त होना पड़ता है और जब तक आपक मनचाही जानकारी नह मल जाती या
आपके सवाल का जवाब नह मल जाता, तब तक उससे जुड़ा काम रोककर अपना यान
कसी सरे काम म क त करने के लए तैयार होना पड़ता है। इससे आपका दन- त दन
का कामकाजी जीवन मु कल हो जाता है (भले ही इससे आपको द घका लन तौर पर
अ धक संतु और बेहतर प रणाम मल)। इस अ याय म पहले उ ले खत कए जा चुके
‘ ावसा यक जीवन म इं टट मैसे जग के बढ़ते चलन’ को ऐसी मान सकता के तौर पर
दे खा जा सकता है, जसे चरम ब क ओर धकेला जा रहा है। अगर कसी ई-मेल का
जवाब एक घंटे के अंदर मलने से वाकई आपका जीवन आसान हो रहा होता, तो इं टट
मैसेज के ज रए एक मनट के अंदर जवाब पाकर तो आपका जीवन न जाने कतना
आसान हो जाता।

नरंतर एक- सरे के संपक म रहने क सं कृ त से जीवन के आसान बनने का सरा कारण
यह है क इससे एक ऐसा वातावरण तैयार होता है, जहाँ अपना पूरा दन अपने इनबॉ स
के साथ बताना वीकार हो जाता है। फर पुराने संदेश का ढे र लगातार बढ़ते जाता है
और नए संदेश का जवाब पूरी त परता से दया जाता है, ऐसा करके वयं को संतोषजनक
प से उ पादक महसूस करना होता है (इस बारे म ज द ही व तार से चचा होगी)। अगर
ई-मेल का अथ अपने काय दवस के आ खरी पल तक प ँचना होता, तो यह तय करने के
लए यादा वचारशील कोण अपनाना पड़ता क आपको कस चीज़ पर काम करना
है और कब तक करना है। ऐसी योजना बनाना मु कल काम है। उदाहरण के तौर पर
डे वड एलन ारा तैयार क कई ‘गे टग थ स डन’ नामक काय- बंधन प त पर वचार
कर, जो काय ल के त धा मक दा य य के बंधन क एक उ लेखनीय णाली है।
हमारा अगला कदम या होना चा हए, यह तय करने के लए यह णाली पं ह
मूलत व वाला एक लोचाट सामने रखती है! पर कसी नए ई-मेल का जवाब दे कर ई-
मे स् के सल सले को जारी रखना इससे कह यादा आसान है।
म इस चचा म नरंतर एक- सरे के संपक म रहने क सं कृ त को कसी केस- टडी क
तरह सामने रख रहा ,ँ ले कन यह वसाय संबंधी उन वहार म से मा एक वहार
है, जो गहनता के वपरीत है और कंपनी ारा उ पा दत मूल आधार-मू य को कम कर
सकता है। इसके बावजूद यह बढ़ता रहता है य क मे स (मा क ) क अनुप तम
यादातर लोग के कदम हर बार उसी चीज़ क ओर बढ़ जाते ह, जो आसान होती है।

इसके सरे उदाहरण के तौर पर नय मत प से होनेवाली ोजे ट् स संबंधी मी ट स पर


वचार कर। ऐसी मी ट स क सं या लगातार बढ़ती रहती है और इनसे तयशुदा श ूल
इस हद तक भा वत होता है क कसी चीज़ पर नरंतर यान क त रख पाना असंभव
हो जाता है। इसके बावजूद बार-बार ऐसी मी ट स रखने का चलन य बढ़ रहा है? य क
ऐसा करना आसान होता है। ब त से लोग के लए इस तरह क मी ट स गत
व ा का एक सरल (पर कुं ठत) प बन जाती ह। अपने समय और दा य य का
बंधन खुद करने के बजाय लोग हर स ताह होनेवाली मी ट स को एक ऐसा ज रया बना
लेते ह, जो न सफ उ ह ोजे ट् स पर काम करने के लए मज़बूर करती ह ब क आमतौर
पर काम क ग त का एक सबूत तुत करती नज़र आती ह।

अब ज़रा नराशाजनक प से आम हो चुके उस चलन पर वचार कर, जसम लोग अपने


सहक मय को कोई ई-मेल फॉरवड कर, उस बारे म उनक राय पूछते ह। ऐसे ई-मेल
लखकर भेजने म मा कुछ सेकड् स का ही समय लगता है। जब क इसके जवाबी ई-मेल
म अपनी सुसंगत त या लखकर भेजने म काफ समय खच हो जाता है। अगर ऐसे ई-
मेल लखते समय ेषक (ई-मेल लखनेवाला) ज़रा सावधानी से काम ले, तो इससे बाक
लोग का काफ समय बच सकता है। तो फर इस कार के ई-मेल इतने आम य ह, जो
न सफ आपका अ ा खासा समय बरबाद करते ह ब क फालतू क म के भी होते ह?
अगर ई-मेल लखनेवाले के कोण से दे ख, तो इस क म के ई-मेल लखकर भेजना
ब त आसान होता है। यह सर को फालतू ई-मेल भेजकर अपना इनबॉ स खाली करने
का उनका एक तरीका है, जसके लए उ ह ज़रा भी ऊजा खच नह करनी पड़ती।

मे क (मा क) लैक होल क ओर से होनेवाली छानबीन से सुर त यूनतम तरोध का


स ांत ऐसी काय-सं कृ त म सहयोगी है, जो द घकालीन संतु और स ी मू य
उ पादकता क क मत पर हम यान क त करने व योजना बनाने जैसी अ पका लक
असु वधा से बचाती है। ऐसा करके यह स ांत हम उस अथ व ा म सतही काय क
ओर धकेल दे ता है, जो गहनता को सबसे यादा मह व दे ती है। हालाँ क यह ऐसा
इकलौता चलन नह है, जो गहनता कम करने के लए मे क (मा क) लैक होल का लाभ
उठाता हो। इसके साथ ही हम ‘उ पादकता’ क उस माँग पर भी गौर करना चा हए, जो
हमेशा क जाती है और अ सर खासी चढ़ पैदा कर दे ती है। आगे हम इसी वषय पर चचा
करगे।

उ पादकता क त न ध के पम तता

शोधकाय को बढ़ावा दे नेवाली यू नव सट म एक ोफेसर के तौर पर काय करने म काफ


मु कल होती ह। पर इस काम का एक सबसे बड़ा लाभ भी है और वह है ता। आप
एक अकाद मक शोधकता के तौर पर कतना अ ा या कतना बुरा दशन कर रहे ह, इसे
सफ एक सवाल से तय कया जा सकता है, वह सवाल है- या आप मह वपूण शोधप
( रसच-पेपस) का शत कर रहे ह? इस सवाल के जवाब को एक सं या के तौर पर भी
नधा रत कया जा सकता है, जैसे क एच-इंडे स (5 ) नामक फामूले का नाम इसके
आ व कारक जॉज हश के नाम पर रखा गया है। इसके मा यम से आपके ारा का शत
रसच-पेपस और उ रण ( ांत) क कुल सं या को एक मू य दे कर यह अनुमान लगाया
जा सकता है क उस े म आपका भाव कतना है। जैसे उदाहरण के लए कं यूटर
साइंस के े म 40 से यादा का एच-इंडे स कोर हा सल करना मु कल होता है और
जब कसी का कोर 40 तक प ँच जाता है, तो उसे एक सश द घका लक कॅ रयर का
तीक मान लया जाता है। जब क सरी ओर जब आपके कायकाल क समी ा होती है,
अगर उस समय आपका एच-इंडे स एक अंक तक सी मत है, तो इसका अथ है क आप
मु कल म ह। रसच-पेपस क तलाश के लए अकाद मक लोग के बीच मश र गूगल
कॉलर नामक टू ल आपके एच-इंडे स क गणना वत: ही कर लेता है ता क आपको हर
स ताह कई बार यह याद दलाया जा सके क इस े म आपक या जगह है (और अब
अगर आप मेरे एच-इंडे स कोर के बारे म सोच रहे ह, तो म आपको बता ँ क यह श द
लखते समय मेरा कोर 21 है)।

यह ता इस नणय को आसान बना दे ती है क एक ोफेसर को काम से संबं धत कौन


सी आदत अपनानी चा हए और कौन सी आदत छोड़ दे नी चा हए। उदाहरण के लए अगले
पैरा ाफ म नोबेल पुर कार वजेता भौ तक व ानी रचड फेनमैन के एक इंटर ू का वह
ह सा दया जा रहा है, जसम वे अपनी एक अपे ाकृत कम ढ़वाद उ पादकता
रणनी त क ा या कर रहे थे।

भौ तक के े म वाकई अ ा काम करने के लए आपको लंबे समय क ज़ रत पड़ती


है... यह काम ब त एका ता माँगता है... और अगर आप कोई ऐसी नौकरी कर रहे ह,
जहाँ आपका काम कसी क म के शासन या व ा से संबं धत है, तो यह तय है क
आपको समय ही नह मलेगा। इसी लए मने अपने लए एक नई धारणा बनाई है क ‘म
एक गैर- ज मेदार ँ। म स य प से गैर- ज मेदार ँ। म हर कसी से यही कहता
ँ क म कुछ नह करता। जैसे अगर कोई मुझसे एड मशन से जुड़ी कसी क मट का
ह सा बनने के लए कहता है, तो म उसे बोलता ँ, ‘नह , म ब त गैर- ज मेदार
ँ।’

रचड फेनमैन अपनी शास नक ज मेदा रय से बचने के लए अ डग थे य क वे जानते


थे क इससे उनक ‘भौ तक के े म वाकई अ ा काम’ करने क मता कम हो
जाएगी, जो उनक पेशेवर जदगी के लए सबसे यादा मायने रखता है। हम यह मान
सकते ह क ई-मे स का जवाब दे ने के मामले म फेनमैन कभी स यता नह दखाते और
अगर उ ह ओपन-ऑ फस म बैठने या ट् वीट करने के लए कहा जाता, तो शायद वे उस
यू नव सट क नौकरी छोड़कर कसी और यू नव सट म काम करने लगते। जब हमारे
सामने यह हो जाता है क हमारे लए कौन सी चीज़ मायने रखती ह, तो इससे यह भी
हो जाता है क वे कौन सी चीज़ ह, जो हमारे लए मायने नह रखत ।

म ोफेसर के उदाहरण इस लए दे रहा ँ य क वे नॉलेज वकस के बीच कुछ हद तक


व श होते ह। ऐसा इस लए य क यादातर नॉलेज वकस के मामले म इस बात को
लेकर कोई पारद शता नह होती क वे अपने े म कतना अ ा दशन कर रहे ह।
सामा जक आलोचक मै यू ॉफड इस अ न तता का वणन करते ए कहते ह, ‘मैनेजस
( बंधक) खुद एक भयावह मान सक प र य म जीते ह और उन अ अ नवायता
को लेकर च तत रहते ह, जनके त वे जवाबदे ह होते ह।’ हालाँ क ॉफड खासतौर पर
नॉलेज वक से जुड़े म यम दज के मैनेजस क दशा क बात कर रहे थे, पर उ ह ने जस
‘भयावह मान सक प र य’ का उ लेख कया, वह इस े के कई पद पर लागू होता है।
जैसा क वे कारोबार को सम पत अपनी सन 2009 क कताब ‘शॉप लास एज
सोल ा ट’ म बताते ह क इसी भयावह मान सक प र य से छु टकारा पाने के लए
उ ह ने वॉ श टन डी.सी. के एक थक टक (नी तयाँ बनानेवाले वचारक क सं ा) के
डायरे टर क अपनी नौकरी छोड़कर मोटरसाइ क स क मर मत करनेवाली एक कान
खोल ली। एक खराब हो चुक मशीन को सुधारने के उ े य से उसके साथ जूझना और
आ खरकार सफलता ा त करना (यानी मोटरसाइ कल का चालू होना और फर
सफलतापूवक सड़क पर चलना) उनके लए उपल के उस एहसास जैसा था, जसे पाने
के लए वे अपनी थक टक क नौकरी म लगातार संघष कर रहे थे।
ठ क यही चीज़ कई नॉलेज वकस के लए भी सम याएँ खड़ी करती है। वे यह सा बत
करना चाहते ह क वे अपनी ट म म एक उ पादक सद य के प म स य ह और जो
कुछ भी हा सल कर रहे ह, वह अपनी मेहनत से कमाकर हा सल कर रहे ह। पर वे इस
बात को लेकर पूरी तरह नह होते क उनका ल य वा तव म या है। उनके पास कोई
बढ़ता आ एच-इंडे स या मर मत के बाद सड़क पर चलने के लए तैयार मोटरसाइ क स
का समूह नह होता, जो उनके मह व का माण दे सके। इस अंतर को र करने के लए
कई लोग उस पछले दौर क ओर मुड़ते नज़र आ रहे ह, जब उ पादकता वै क
अवलोकन के यो य थी यानी अब वे औ ो गक युग क ओर मुड़ रहे ह।

इस दावे को समझने के लए ज़रा उस समय को याद कर, जब एसबली लाइन के उदय के


साथ इ फ सएंसी मूवमट (6 ) का उदय आ था। इसके सं ापक े ड रक टे लर अपने
कमचा रय क द ता क नगरानी करने के लए टॉपवॉच लेकर खड़े होने के लए मश र
थे। इस कार वे ऐसे नए-नए तरीके खोजने क फराक म रहते थे, जससे कमचा रय क
काम पूरा करने क ग त बढ़ाई जा सके। े ड रक टे लर के दौर म उ पादकता का अथ
बलकुल था: त मनट न मत पुज क सं या। पर ऐसा लगता है क आज के
ावसा यक माहौल म कई नॉलेज वकस अपनी भयावह पेशेवर जदगी म अपना मह व
ा पत करने के लए उ पादकता क इस पुरानी प रभाषा क ओर मुड़ रहे ह (उदाहरण
के लए डे वड एलन उ पादक काय णाली का वणन करने के लए एक व श वा यांश
‘ कग वगेट्स’ का इ तेमाल करते ह)। मेरा तक है क नॉलेज वकस उस तता क
ओर ब त तेजी से बढ़ रहे ह, जो दखाई दे ती है य क उनके पास अपना मह व
द शत करने के लए इससे बेहतर कोई और रा ता नह होता। च लए, अब इस वृ को
एक नाम दे दे ते ह।

उ पादकता क त न ध के प म तता: अपने काय े म उ पादक और मह वपूण


होने का अथ या है, यह करनेवाले संकेतक के अभाव के बीच कई नॉलेज वकस
उ पादकता के औ ो गक संकेतक क ओर वापस मुड़ रहे ह: नज़र आनेवाला ब त
सारा काम करना।

यह मान सकता, गहनता न करनेवाले कई वहार क लोक यता का एक और


ीकरण दे ती है। अगर आप 24 घंट म कसी भी समय ई-मेल भेजते ह और उनका
जवाब दे ते ह... अगर आप लगातार मी ट स् रखते ह और उनम शा मल होते ह... अगर
आप सब काम छोड़कर हॉल जैसे कसी इं टट मैसे जग स टम म आए कसी संदेश या
का जवाब दे ने के लए फौरन चले आते ह... अगर आप अपने ओपन-ऑ फस म घूमते
रहते ह और अपने सामने नज़र आ रहे हर को नए-नए सुझाव दे ते रहते ह... तो
इसका अथ है क इन सारे वहार के चलते आप सावज नक तौर पर एक त
नज़र आते ह। अगर आप अपनी इस तता को उ पादकता क त न ध के तौर पर
इ तेमाल कर रहे ह, तो ये सारे वहार आपको और सर को इस बात के लए आ त
करने म मह वपूण भू मका नभाते ह क आप अपना काम ब त अ तरह कर रहे ह।

यह ज़ री नह है क यह मान सकता तकहीन हो। कुछ लोग का काम सचमुच ऐसे ही


वहार पर नभर होता है। जैसे उदाहरण के लए सन 2013 म या क नई सी.ई.ओ.
मे रसा माएर ने अपने कमचा रय पर घर से काम करने के लए रोक लगा द । उ ह ने यह
नणय या के कमचा रय ारा कंपनी के सवर पर लॉग-इन करने के लए इ तेमाल
होनेवाले वचुअल ाइवेट नेटवक के सवर-लॉ स क जाँच के बाद लया। माएर नाराज थ
य क घर पर बैठकर काम करनेवाले कमचारी पूरे दन पया त समय तक साइन-इन नह
करते थे। यानी वे एक तरह से अपने कमचा रय को ई-मेल चेक करने (कंपनी के सवर पर
लॉग-इन करने के मु य कारण म से एक) म यादा समय न बताने के लए दं ड दे रही
थ । इस तरह दरअसल उ ह ने कमचा रय को यह संकेत दया क ‘अगर आप त नज़र
नह आ रहे ह, तो म यह मान लूँगी क आप एक उ पादक कमचारी नह ह।’

व तु न ढं ग से दे खा जाए, तो यह अवधारणा बड़ी पुरातनपंथी है। नॉलेज वक कोई


एसबली लाइनवाला काम नह है और सूचना का मू य नकालना एक ऐसी ग त व ध है,
जो अ सर तता के तकूल होती है। उदाहारण के लए ज़रा हमारे पछले अ याय म
उ ले खत अकाद मक श सयत एडम ांट को याद क रए, जो अपने लेखन पर यान
क त करने के लए नरंतर बाहरी नया से कटकर रहने के चलते हाटन यू नव सट के
सबसे युवा पूणका लक ोफेसर बन गए थे। यह वहार सावज नक प से त रहने से
बलकुल वपरीत है। अगर ांट या के कमचारी होते, तो सी.ई.ओ. मे रसा माएर उ ह
नौकरी से बरखा त कर चुक होत । ले कन ांट क यह गहन रणनी त उनके काय े म
उनके लए ब त ही मू यवान सा बत ई।

बेशक हम तता के त अपनी इस पुरातनपंथी वचनब ता को समा त कर सकते ह,


बशत हम मूल आधार पर इसके नकारा मक भाव को दशा सक। पर इसी ब पर
मे क (मा क) लैक होल का वेश हो जाता है, जो इस ता म बाधा बन जाता है।
व भ रणनी तय क भावशीलता को मापने के लए, काम क अ ता और मा क
क कमी का यह बल म ण, ऐसे वहार के लए एक रा ता बना दे ता है, ज ह अगर
हमारे रोज़मरा के काय के नरंतर भयावह होते जा रहे मान सक प र य म उ त करने
के लए तट ढं ग से दे खा जाए, तो वे बे दा नज़र आ सकते ह।

हालाँ क जैसा क हम आगे दे खगे, जन लोग के पास इस बात क समझ है क


नॉलेज वक के े म सफलता हा सल करने का अथ या होता है, उ ह भी गहनता से र
कया जा सकता है। ऐसा करने के लए सफ एक ऐसी लुभावनी वचारधारा ही काफ
होती है, जसके लए आप अपना कॉमन सस यागने के लए तैयार हो जाएँ।

इंटरनेट का सं दाय

ांस के पे रस शहर म यू यॉक टाइ स अखबार क यूरो चीफ एलीसा बन पर वचार


कर। पे रस से पहले वे अफगा न तान के काबुल म अखबार क यूरो चीफ आ करती
थ , जहाँ उ ह ने अफगा न तान यु के बाद दे श के पुन नमाण के दौरान रप टग क थी।
जस समय म यह अ याय लख रहा था, उस समय वे ऐसे तेज-तरार लेख क एक पूरी
ृंखला का शत कर रही थ , जनम रवांडा नरसंहार म ांसीसी सरकार क मलीभगत
के बारे म बताया गया था। सरे श द म कह, तो एलीसा बन एक गंभीर प कार ह, जो
अपने काम म ब त अ ह। वे ट् वटर का इ तेमाल भी करती ह और मेरा मानना है क
उ ह अपने बॉस के नरंतर आ ह के कारण ही ट् वीट करना पड़ता होगा।

बन का ट् वटर ोफाइल दे खने पर औपचा रक संदेश क एक र और कुछ हद तक


अ नय मत ृंखला नज़र आती है। वे हर दो-चार दन के अंतर पर एक ट् वीट करती ह,
मान उ ह यू यॉक टाइ स क सोशल मी डया डे क (जी हाँ, आजकल अखबार म ऐसी
एक ट म भी होती है) क ओर से यह याद दलाया जाता हो क उ ह अपने सोशल मी डया
फॉलोअस को भी खुश रखना है। कुछ अपवाद को छोड़ द, तो बन के अ धकतर
ट् वीट् स म उनके ारा हाल म पढ़े और पसंद कए गए लेख का ज होता है।

बन एक रपोटर ह, न क एक मी डया पसनै लट । अपने अखबार के लए वे इस लए


मू यवान ह य क उनके अंदर खबर के ोत को साधने, त य को इक ा करने और
भावशाली लेख लखने क मता है। वा तव म एलीसा बन जैसे लोग ही यू यॉक
टाइ स क त ा का कारण ह और यह त ा ही आज के सव ापी और सनकारी
लक-बेट (7 ) युग म अखबार क ावसा यक सफलता को आधार दे ती है। तो फर
ऐसा य है क स लकॉन वैली से बाहर त एक मी डया कंपनी (यानी ट् वटर) क
स वस पर मु त और सतही कंटट उपल कराने के लए एलीसा बन को अपने इस
मह वपूण गहन काय म वधान डालना पड़ता है? जब क उस मी डया कंपनी का यू यॉक
टाइ स से कोई लेना-दे ना भी नह है।

और शायद इससे भी यादा मह वपूण बात यह है क यह वहार अ धकतर लोग को


इतना सामा य य लगता है? अगर हम इन सवाल का जवाब दे सक, तो हम उस
नणायक चलन को बेहतर ढं ग से समझ सकगे, जसक म यहाँ चचा करना चाहता ँ और
जो इस सवाल के संदभ म ब त ही ासं गक है क आ खर गहन काय इतने वरोधाभासी
ढं ग से लभ य हो गया है?

हमारे जवाब क न व, यू यॉक यू नव सट के ोफेसर और क यु नकेशन यो र ट (संचार


स ांतकार) वग य नील पो टमैन क एक चेतावनी म पाया जा सकता है। 1990 के
दशक क शु आत म जब पसनल कं यूटर ां त म पहली बार तेजी आई थी, उस समय
नील पो टमैन ने तक दे ते ए लखा था क ‘हमारा समाज ौ ो गक के साथ एक
चताजनक संबंध ा पत करने क ओर बढ़ रहा है।’ उ ह ने पाया क अब हम अपने
सामने आनेवाली नई-नई सम या से नपटने म कारगर नई मता म संतुलन ा पत
करनेवाली नई ौ ो ग कय से जुड़ी वधा पर चचा नह करते ह। ब क उ
तकनीकवाली ौ ो गक का नाम सामने आते ही यह मान लेते ह क यह अ ही होगी।
बस बात ख म!

उ ह ने इस सं कृ त को टे नोपॉली (8 ) का नाम दया था और उ ह ने इसके बारे म


चेतावनी दे ते समय कोई हच कचाहट नह दखाई थी। सन 1993 म उ ह ने इस वषय पर
लखी अपनी कताब म कहा था, ‘टे नोपॉली अपने ही वैक पक प को उसी तरह
ख म कर दे ती है, जैसे अं ेज लेखक और दाश नक ए स ह सली ने अपने ड टो पयन
(9 ) उप यास ‘ ेव यू व ’ म दशाया था। टे नोपॉली अपने वैक पक प को न तो
अवैध बनाती है, न अनै तक और न ही अलोक य। ब क यह उ ह बस अ य कर दे ती है
और इस तरह वे प अ ासं गक या असंगत हो जाते ह।’

नील पो टमैन क मृ यु सन 2003 म ही हो गई थी पर अगर आज वे जी वत होते, तो संभव


है क इस बात पर काफ हैरान होते क 1990 के दशक म उनके अंदर जो आशंकाएँ पैदा
ई थ , वे कतनी ज द वा त वकता म त द ल हो ग । इस वा त वकता को इंटरनेट क
अनपे त और अक मात तर क से पैदा ई संभावना कहा जा सकता है। सौभा य से
नील पो टमैन के तक को आज के इंटरनेट युग म कायम रखने के लए उनके एक बौ क
उ रा धकारी मौजूद ह, जनका नाम है एवगेनी मोरोजोव। वे एक सामा जक आलोचक ह
और ढे र सारे संदभ और उ रण से लैस रहते ह। सन 2013 म अपनी कताब ‘टू सेव
एवरी थग, लक हयर’ म मोरोजोव ने इंटरनेट को लेकर हमारी टे नोपो लकल सनक से
पदा उठाने क को शश क थी। अपनी इस कताब म उ ह ने एक वचारधारा के प म
इंटरनेट क भू मका पर जोर दे ते ए लखा था, ‘इंटरनेट को ान और नी त संबंधी सलाह
के ोत के प म दे खने क वृ ने ही इसे केब स और नेटवक-राउटस के एक
अ चकर सं ह से बदलकर एक मोहक और रोमांचक वचारधारा बना दया है - जसे
आज क ऊबर-आइ डयोलॉजी (ऊँची वचारधारा) भी कहा जा सकता है।’

मोरोजोव क आलोचना के अनुसार, हमने इंटरनेट को ापार और सरकार के ां तकारी


भ व य का पयायवाची बना दया है। अपनी कंपनी को इंटरनेट जैसा बनाने का अथ है,
समय के साथ चलना जब क इस चलन को नज़रअंदाज करना ठ क वैसा ही होगा, जैसे
ऑटोमोबाइल के युग म पुरातनपंथी घोड़ागाड़ी बनाने पर जोर दे ना। अब हम इंटरनेट टू स
को, ावसा यक लाभ अ जत करनेवाली कंप नय ारा बाजार म उतारे गए उ पाद के
तौर पर नह दे खते, जनके नवेशक पैसा नवेश करके लाभ कमाना चाहते ह। साथ ही
ज ह चलानेवाले वे बीस-बाइस साल के युवा ह, जो अ सर आगे बढ़ने क होड़ म झूठ
कहा नयाँ गढ़ लेते ह। ब क हम अंजाने म ड जटल उपकरण को ग त का संकेत और
एक नए संसार का अ त मान बैठते ह।

आज के समय म टे नोपॉली इंटरनेट-से म (10 ) जैसी नज़र आती है। यह ज़ री है


क हम इस वा त वकता को पहचाने य क यह उस सवाल क ा या करता है, जससे
इस कताब का यह खंड शु आ था। यू यॉक टाइ स म एक सोशल मी डया डे क है,
जो एलीसा बन जैसे प कार पर यान भटकानेवाले वहार को अपनाने का दबाव
डालती है। य क एक इंटरनेट-से क (क य) टे नोपॉली म ऐसे वहार पर वचार-
वमश या चचा नह क जाती है। इसका वक प - इंटरनेट से जुड़ी हर चीज़ को फौरन
वीकार करने से बचने के लए - जैसा क नील पो टमैन कहते - ‘अ य है और इसी लए
अनु चत है।’

यह अ यता उस हंगामे को करती है - जसका उ लेख हमने पहले कया था - जब


उप यासकार जॉनथन जन ने यह कहने का साहस दखाया था क ‘उप यासकार को
ट् वीट नह करना चा हए।’ उनक इस बात से लोग इस लए नह चढ़ गए थे य क वे
जन से असहमत थे या उप यास और कताब क माक टग क अ समझ रखते थे।
ब क वे तो सफ इस लए चढ़े ए थे य क वे इस बात से हैरान थे क कोई गंभीर
सोशल मी डया को इतना थ कैसे ठहरा सकता है। एक इंटरनेट-से क
टे नोपॉली म इस तरह का व दे ना ठ क वैसा ही है, जैसा सरकार के त अपना
वरोध दज करने के लए दे श का झंडा जला दे ना - जसे कसी मसले पर अपनी
वरोधपूण राय दज कराना नह ब क एक प व चीज़ का तर कार माना जाता है।

इस मान सकता क सावभौ मक प ँच को शायद सबसे अ तरह उस अनुभव म दे खा


जा सकता है, जो मुझे हाल ही म उस व आ, जब म जॉजटाउन कपस म त अपने
ऑ फस जा रहा था। कने टकट एवे यू त एक ै फक स नल के हरे होने का इंतजार
करने के लए मने अपनी गाड़ी वहाँ खड़े एक क के पीछे लगा द । वह क एक
रे जरेटेड स लाई चेन लॉ ज ट स कंपनी का था। रे जरेटेड श पग एक त ध
और ज टल वसाय है, जसम े ड यू नयंस से नपटने और ट तय करने के लए भी
समान कौशल क ज़ रत होती है। यह सबसे पुराने तौर-तरीक वाला उ ोग है, जो कई
मायन म उन ौ ो गक आधा रत टाटअ स का बलकुल वपरीत है, जो आजकल
सबसे यादा यान आक षत करते ह। हालाँ क उस क के पीछे खड़े होने पर जस चीज़
ने मुझे सबसे यादा भा वत कया, वह उस कंपनी क ज टलता या बड़े पैमाने पर
होनेवाला उसका कारोबार नह था ब क वह ा फक था, जो शायद अ ा-खासा पैसा
खच करके कंपनी के सभी क के पीछे लगाया गया था - उस ा फक पर लखा आ था,
‘हमारा फेसबुक पेज लाइक कर।’

एक टे नोपॉली म गहन काय का नुकसान सबसे यादा होता है य क गहन काय


गुणव ा, श प कौशल और महारत जैसे उन मू य पर आधा रत है, जो न त प से न
सफ पुराने जमाने के तौर-तरीक म गने जाते ह ब क कसी भी प म ौ ो गक से
संबं धत नह होते। इससे भी बदतर ये क गहन काय का समथन करने के लए अ सर उन
चीज़ ारा अ वीकृ त का सामना करना पड़ता है, जो नई और हाई-टे क (अ याधु नक
ौ ो गक संबंधी) ह। गहन काय को सोशल मी डया के पेशेवर इ तेमाल जैसे यान
भटकानेवाले हाई-टे क वहार के च कर म भुला दया गया है। पर ऐसा इस लए नह है
य क गहन काय इन हाई-टे क वहार से कसी तरह कमतर है। बेशक अगर मूल
आधार पर इस कार के वहार का भाव मापने के लए सु ढ़ मे क (मा क) मौजूद
होते, तो संभव है क हमारी मौजूदा टे नोपॉली टू टकर बखर जाती। पर मे क (मा क)
लैक होल इस कार क ता म बाधा बना आ है। और तो और, यह हम इंटरनेट से
जुड़ी हर चीज़ को उस ऊबर-आइ डयोलॉजी (ऊँची वचारधारा) म ऊँचा ान दे ने क
इजाजत भी दे दे ता है, जसके बारे म मोरजोव ने अपनी आशंकाएँ क थ । ऐसी
सं कृ त म हम इस बात पर हैरान नह होना चा हए क गहन काय को ट् वीट् स, लाइ स,
टै ड फोटो, वॉल, पो ट और उन चमक-दमक भरे सभी वहार के सामने संघष करना
पड़ता है, जनके बारे म आज हम यह सखाया जाता है क वे ब त मह वपूण ह।

वसाय के लए बुरा, आपके लए अ ा

आज के कारोबारी माहौल म गहन काय एक ाथ मकता होना चा हए पर ऐसा नह है।


मने इसी वरोधाभास के व भ ीकरण को सं ेप म आपके सामने तुत कया है।
इन ीकरण म से कुछ वा त वकताएँ इस कार ह - गहन काय मु कल होता है और
सतही काय आसान... अपने काम के ल य न ह , तो सतही काम म नज़र आनेवाली
तता अ सर आ म-संर ण का ज़ रया बन जाती है... हमारी सं कृ त म यह मा यता
वक सत हो गई है क अगर कोई वहार इंटरनेट से जुड़ा आ है, तो वह अ ा ही होगा
- भले ही मू यवान चीज़ का उ पादन करने क हमारी मता पर उसका भाव कैसा भी
हो। गहनता का मू य तय करने म आनेवाली क ठनाई और इसे अनदे खा करने से होनेवाला
नुकसान इन सभी वृ य को स म बनाता है।

अगर आप गहनता क मह ा पर व ास करते ह, तो यह वसाय के लए एक बुरी खबर


है य क यह वसाय को उस रा ते पर ले जाता है, जहाँ मू य उ पादन म संभा वत प
से बड़े पैमाने पर वृ करने का अवसर उसके हाथ से नकल जाता है। पर आपके लए
एक के तौर पर गहनता एक अ चीज़ है। आपके सा थय और नयो ा म
र क यह कमी आपके लए एक बड़ा गत लाभ है। अगर हम यह मानकर चल
क यहाँ उ ले खत वृ याँ इसी तरह जारी रह , तो यह तय है क गहनता बेहद लभ हो
जाएगी और जो चीज़ लभ होती है, उसका मू य बढ़ जाता है। गहन काय म कोई मौ लक
दोष नह होता और इसक जगह आ चुके यान भटकानेवाले वहार म कुछ भी ऐसा
नह है, जो आव यक हो। ये दोन बात सा बत हो चुक ह। इस लए अब आप पूरे
आ म व ास के साथ उस दशा म बढ़ सकते ह, जो इस कताब का मु य ल य है यानी
गहनता म जाने क अपनी गत मता को व त प से वक सत करना और
ऐसा करके महान प रणाम हा सल करना।
1 म इस कताब के भाग 2 म आपको व तार से यह बताऊँगा क इस दावे का सच होना
ज़ री य नह है।

2 ऐसे कमचारी जनक मु य पूँजी उनका ान होता है, जैसे ो ामर, डॉ टर, इंजी नयर,
अकाउं टट, आ कटे ट, वै ा नक और वक ल वगैरह

3 ो ा मग, इंजी नय रग, डॉ टरी, और वकालत जैसे े जहाँ कमचारी क मु य पूँजी


उसका अपना ान होता है।

4 जैसे मोबाईल का अ त र इ तेमाल... फेसबुक, ट् वीटर जैसे सोशल मी डया का


इ तेमाल... ऑ फस के बाहर से आनेवाली आवाज, शोर... काय के अ त र परेशा नयाँ
आ द।

5 एच-इंडे स एक लेखक तरीय मे क है, जो वै ा नक या व ान के काशन क


उ पादकता और उ रण भाव दोन को मापने का यास करता है।

6 द ता आंदोलन - 20व शता द क शु आत म अमे रका, टे न और अ य औ ो गक


दे श म शु आ आंदोलन, जसका उ े य था अथ व ा और समाज के थ ह से
क पहचान कर उसे ख म करना और सव े णा लय और वहार को वक सत कर
उ ह लागू करना।

7 इंटरनेट पर मौजूद ऐसा कंटट, जसका मु य उ े य वेबसाइट के व जटस का यान


ख चकर उ ह अपने कसी व श वेब पेज के लक पर लक करने के लए लुभाना होता
है।

8 ऐसी सां कृ तक मनोदशा, जहाँ यह मान लया जाता है क ौ ो गक हमेशा


सकारा मक और मू यवान ही होती है।

9 ऐसा का प नक संसार जहाँ हर चीज़ अपने सबसे बदतर व प म है।


10 मोरोजोव ारा दए गए इस श द को हद म इंटरनेट-म येवाद कहा जा सकता है यानी
इंटरनेट से संबं धत चरमपंथी तय को नज़रअंदाज कर इसके बारे म एक नरम रवैया
अपनाना।
3.गहन काय अथपूण है

रक यूरर पेशे से एक लोहार ह। वे ाचीन और म ययुगीन धातु-कम म मा हर ह और


अपनी कान डोर काउं ट फोजवक म कड़ी मेहनत करते ए उस युग के धातु-नमून का
पुन नमाण करते ह। अपनी कला के बारे म बताते ए वे कहते ह, ‘म अपना सारा काम
मशीन के बजाय अपने हाथ से करता ँ और ऐसे औजार का इ तेमाल करता ँ, जो मेरी
रचना मकता को भा वत कए बना मेरा बल कई गुना बढ़ा दे ते ह, जस काम को पूरा
करने के लए मुझे हथौड़े से सौ वार करने पड़ते ह, वह कसी वशाल वेजन मशीन के एक
वार से भी पूरा हो सकता है। पर ऐसा करना मेरे ल य से बलकुल वपरीत होगा और इस
लहाज से मेरी बनाई ई हर चीज़ उन दो हाथ के सा य तुत करती है, ज ह ने उसे
गढ़ा है।’

@BOOKHOUSE1 सन 2012 म अमे रका क प लक ॉडका ट स वस (पीबीएस)


क एक डॉ यूम रक यूरर के नया क एक झलक दे ती है। इस डॉ यूम से हम पता
चलता है क वे व कॉ सन रा य के ामीण इलाके म त एक बाड़े म काम करते ह, जो
म शगन झील क ाकृ तक सुंदरता से भरपूर टजन खाड़ी से यादा र नह है। यूरर
अ सर अपने ख लहान के दरवाजे खुले छोड़कर तज तक फैले उस ह रयालीवाले
इलाके म काम करते रहते ह। शायद ऐसा वे अपनी लोहे क भ क गम से बचने के लए
करते ह। यूँ तो वहाँ का वातावरण ब त ही शां तपूण और सुखद है पर जब आपका सामना
उनके काम से पहली बार होता है, तब आपको उसक कू्ररता का अंदाजा होता है। इस
डॉ यूम म रक यूरर को वाइ कग युग (1 ) क एक तलवार का पुन नमाण करते ए
दखाया गया है। वे इसक शु आत ू सबल ट ल (2 ) को गलाने क पं ह सौ साल
पुरानी एक तकनीक से करते ह। उस जमाने के लहाज से ू सबल ट ल एक असामा य
प से शु धातु आ करती थी। ू सबल ट ल गलाने के बाद एक धातु- पड क तरह
बनकर तैयार आ, जसका आकार बस उतना ही था, जतना एक के ऊपर एक रखे तीन-
चार माटफो स का होगा। इसके बाद इस सघन धातु- पड को एक लंबी और शानदार
तलवार का आकार दे कर पॉ लश कया जाता है।

डॉ यूम के एक य म यूरर इस धातु- पड को व धपूवक गम करके उस पर बार-बार


हथौड़े चलाते ए कैमरे क ओर दे खकर कहते ह, ‘इस पूरी या का यह शु आती
ह सा वाकई भयावह होता है।’ डॉ यूम के नैरेटर (कहानी बयान करनेवाला) क
आवाज हम बताती है क ‘इस धातु- पड को हथौड़े से पीट-पीट पर तलवार क श ल दे ने
म करीब आठ घंटे का समय लगेगा।’ जैस-े जैसे आप यूरर को काम करते ए दे खते ह,
वैस-े वैसे उनके क ठन म को लेकर आपक सोच बदलने लगती है। ज द ही आपके
सामने यह होने लगता है क वे बस यूँ ही उस धातु- पड को बार-बार पीट नह रहे ह
ब क उनके हथौड़े का हर वार जतना तगड़ा होता है, उतना ही नयं त भी। बौ क से
नज़र आनेवाले पतले े म के च मे से झाँकती उनक आँख बड़े गौर से उस धातु- पड को
दे ख रही होती ह और वे हथौड़े के हर वार से पहले उसे पलट रहे होते ह। जो उनका यह
च मा उनक घनी दाढ़ और चौड़े कंध वाले उनके व से बलकुल वपरीत लगता है।
वे बताते ह, ‘इसके साथ ब त कोमलता से पेश आना पड़ता है, वरना यह फौरन टू ट
सकता है,’ हथौड़े से कुछ और वार करने के बाद वे आगे कहते ह: ‘इस पर लगातार वार
करना पड़ता है। धीरे-धीरे यह तलवार का आकार लेने लगता है और फर इसे बनाने म
आनंद आने लगता है।’

उस धातु- पड को मनचाहा आकार दे ने के बाद यूरर ने उसे जलते चारकोल के एक संकरे


कुंड म डालकर गोल-गोल घुमाना शु कर दया। फर तलवार क ओर दे खते ए उ ह ने
अचानक कहा, ‘तैयार हो गई।’ इसके बाद उ ह ने आग क तरह तपती तलवार को अपने
शरीर से एक सुर त री पर रखते ए उठाया और उसे ठं डा करने के लए तेल से भरे
पाइप म डु बो दया। पलभर के बाद उ ह ने यह सोचकर राहत क साँस ली क तलवार
टू टकर टु कड़े-टु कड़े नह ई य क इस चरण म ऐसा अ सर होता है। फर उ ह ने उसे
तेल के पाइप से बाहर नकाल लया। धातु क अव श गम से तेल जलने लगा और वह
तलवार पीले रंग क लपट से घर गई। यूरर ने जलती ई तलवार को अपने मज़बूत हाथ
से हवा म उठाया, पलभर के लए उस पर एक नज़र डाली और फर आग क लपट को
फूँककर बुझा दया। इस एक पल म तलवार क लपट क रोशनी से उनका चेहरा दमक
उठा, जस पर सराहना का भाव नज़र आ रहा था।

यूरर बताते ह, ‘सैकड़ साल पुरानी तकनीक से धातु क चीज़ बनाना ऐसा सबसे मु कल
काम है, जो मुझे अ तरह आता है। यह ऐसी चुनौती है, जो मुझे आगे बढ़ने क ेरणा
दे ती है। वा तव म, मुझे तलवार क कोई ज़ रत नह है, ले कन उसे बनाना मेरी ज़ रत
है।’

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रक यूरर एक महारथी श पकार ह और उनका काम करीब-करीब दनभर उनसे गहन


मान सक अव ा क माँग करता है - एका ता भंग करनेवाला एक छोटा सा वधान भी
उनक घंट क कड़ी मेहनत पर पलभर म पानी फेर सकता है। इसके साथ ही वे एक ऐसे
भी ह, जसे अपना पेशा अथपूण लगता है। श पकारी क नया म गहन काय
और एक अ े जीवन के बीच का यह संबंध न सफ काफ जाना-पहचाना है ब क
ापक प से वीकाय भी है। जैसा क मै यू ॉफड बताते ह, ‘ नया म वयं को अपनी
शारी रक काय मता ारा कर पाने का संतोष एक ऐसी चीज़ है, जसे पाकर इंसान
शांत और सहज महसूस करने लगता है।’ हम मै यू ॉफड के इस दावे पर पूरा भरोसा है।

पर जब हम अपना यान नॉलेज वक (3 ) क ओर लेकर जाते ह, तो यह संबंध धुँधला हो


जाता है। इस मु े का एक मु य पहलू है ता। रक यूरर जैसे श पकार उन पेशेवर
चुनौ तय का सामना करते ह, ज ह प रभा षत करना तो आसान होता है, पर उनका
सामना करना ब त मु कल है। यह एक ऐसा असंतुलन है, जो अपना उ े य तय करते
समय उपयोगी सा बत होता है। नॉलेज वक इस ता को अ ता म बदल दे ता है। एक
नॉलेज वकर या करता है और उसका काम सर से कैसे अलग है, यह प रभा षत करना
मु कल है: अपने सबसे बुरे दन म हम ऐसा लगता है, मान हर नॉलेज वक ई-मेल और
पॉवर- वाइंट ेजे टे शन के थका दे नेवाले सल सले के ही इद- गद घूमता है। बस फक
सफ इतना है क ऐसे हर पेशे से जुड़ी पॉवर- वाइंट ेजे टे शन म इ तेमाल कए गए चाट् स
अलग-अलग होते ह। यूरर भी इसी फ केपन क बात कर रहे होते ह, जब वे लखते ह क
‘इ फॉरमेशन सुपरहाईवे और साइबर ेस क नया ने मुझे न साही और वर
बनाकर रख दया था।’

नॉलेज वक म गहनता और अथ के संबंध को धुँधला करनेवाला एक और मु ा ह वे लोग,


जो नॉलेज वकस को लगातार सतही ग त व धय म यादा से यादा समय दे ने के लए
मनाने क को शश म लगे रहते ह। जैसा क पछले अ याय म बताया गया है, ‘हम एक
ऐसे दौर म जी रहे ह, जहाँ इंटरनेट से संबं धत हर चीज़ को वत: ही आव यक और
उ तशील मान लया जाता है।’

इन वृ य को नज़रअंदाज कर दया जाता है और ई-मेल का जवाब तुरंत भेजने व


सोशल मी डया पर स य उप त जैसे गहनता न करनेवाले वहार क शंसा क
जाती है। इससे हमारे अंदर संदेह पैदा होता है। रक यूरर जैसे को फेसबुक
इ तेमाल न करने के लए कोई दोषी नह ठहराएगा पर अगर कोई नॉलेज वकर ऐसा करे,
तो उसे सनक बता दया जाएगा (जो क मेरा नजी अनुभव है)।
हालाँ क नॉलेज वक म गहनता और अथ के बीच का संबंध अपे ाकृत कम न होने
का अथ यह नह है क इनके बीच कोई संबंध है ही नह । इस अ याय का उ े य आपको
यह व ास दलाना है क गहन काय एक सूचना आधा रत अथ व ा म भी उतनी ही
संतु दे सकता है, जतनी क एक श प संबंधी अथ व ा म। आगे आनेवाले खंड म
म अपने इस दावे के प म तीन मु य तक तुत क ँ गा। मोटे तौर पर ये तक वैचा रक
प से संक ण माग से होते ए, हम वैचा रक प से ापक माग तक ले जाएँग:े शु आत
यूरोलॉ जक (तं का संबंधी) कोण से होगी, फर हम मनोवै ा नक कोण से होते
ए आ खर म दाश नक कोण तक प ँचगे। म आपको दखाऊँगा क आप गहनता
और नॉलेज वक के मु े को भले ही कसी भी कोण से दे ख, पर यह है क
सतहीपन क जगह जब आप गहनता को अपनाते ह, तो अथ क उ ह वृ य तक प ँच
सकते ह, जो रक यूरर जैसे श पकार को े रत करती ह। इसी लए खंड एक के इस
आ खरी अ याय का संग यही है क एक गहन जीवन न सफ आ थक प से आकषक
होता है ब क यह एक अ ा जीवन भी है।

गहनता के प म एक यूरोलॉ जक (तं का संबंधी) तक

व ान-लेखक वनी े ड गैलेगर को यान और खुशी के बीच मौजूद संबंध का एहसास तब


आ, जब उ ह एक अ या शत और भयावह घटना का सामना करना पड़ा। दरअसल वे
कसर क शकार हो गई थ । वे करती ह, ‘ये कोई सामा य कसर नह था ब क एक
ब त खतरनाक और तेजी से बढ़नेवाला कसर था।’ जैसा क उ ह ने सन 2009 म ‘रै ट’
शीषक से का शत अपनी कताब म बताया है क ‘अपने मे डकल टे ट क रपोट से
कसर का पता चलने के बाद जब म अ ताल से बाहर नकल रही थ , तो मुझे अचानक
एक बल अंत का एहसास आ क यह बीमारी मेरे यान पर अपना एका धकार
करना चाहती है, पर म इसके बजाय जतना संभव हो सकेगा, अपना यान अपने जीवन
पर क त क ँ गी।’ इसके बाद कसर के इलाज क या उनके लए ब त ही भयावह
और थका दे नेवाली सा बत ई। पर नॉन फ न राइ टग (कथेतर लेखन) के कॅ रयर से
खर ए उनके दमाग को इस बात पर गौर करने म ज़रा भी समय नह लगा क अपने
जीवन के अ े पहलु - जैसे फ म दे खना, टहलने जाना और शाम 6:30 बजे मा टनी
(एक कार क कॉकटे ल) पीना - पर यान क त करने क उनक तब ता उनके लए
कतनी कारगर सा बत ई है। इस अव ध म उनके जीवन पर डर और अफसोस का
बोलबाला होना चा हए था, ले कन उ ह ने पाया क इसके बजाय उनका जीवन तो काफ
सुखद था।
गैलेगर क ज ासा बढ़ गई और उ ह ने तय कया क वे इस बात को और बेहतर ढं ग से
समझने क को शश करगी क हमारे जीवन क गुणव ा तय करने म यान कौन सी
भू मका नभाता है। जैसे हम कन चीज़ पर यान क त करने का चुनाव करते ह और
कन चीज़ को नज़रअंदाज करने का चुनाव करते ह? पाँच साल तक व ान के बारे म
रपो टग करने के बाद वे इस बात को लेकर आ त हो ग क वे अपने मन क ‘ ड
यू नफाइड योरी’ (भ एक कृत स ांत) क गवाह थ :

जस तरह चाँद क ओर इशारा करनेवाली उँ ग लयाँ वा तव म उसक रोशनी पर यान दे ने


का संकेत दे रही होती ह, उसी तरह मानव शा (एं ोपोलॉजी) से लेकर श ा
(ए युकेशन) तक और वहार, अथशा ( बहे वयरल इकोनॉ म स) से लेकर प रवार
परामश (फै मली काउं स लग) जैसे व वध वषय भी यही संकेत दे ते ह क अपने यान का
कुशल बंधन न सफ एक अ े जीवन क पहली शत है ब क अपने अनुभव के लगभग
हर पहलू को बेहतर बनाने क कुंजी भी है।

अ धकतर लोग अपने जीवन के परक अनुभव के बारे म जस तरह सोचते ह, यह


अवधारणा उसे उलटकर रख दे ती है। हमारे अंदर अपनी प र तय पर ब त यादा जोर
दे ने क वृ होती है य क हम मान लेते ह क हमारे साथ जो भी होता है (या जो नह
हो पाता है) उसी से तय होता है क हम कैसा महसूस करते ह। इस कोण के अनुसार
जीवन म हर दन होनेवाली छोट -छोट चीज़ का यादा मह व नह होता य क असली
मह व सफ बड़ी चीज़ का होता है, जैसे ‘नौकरी म मोशन मलेगा या नह ,’ या ‘आप
अपने वतमान घर से यादा बड़े और आलीशन घर म रहने जा सकगे या नह ’ वगैरह।
गैलेगर के अनुसार, कई दशक तक ए शोध से आए प रणाम इस समझ से बलकुल
वपरीत ह। हम जन चीज़ पर यान क त करते ह, हमारा दमाग वैसी ही सोच बना लेता
है। अगर आप अपना यान कसर पर क त करते ह, तो आपका जीवन ःखी और याह
हो जाता है, पर अगर आप इसके बजाय शाम को मा टनी पीने के आनंद पर यान क त
करते ह, तो आपका जीवन कह अ धक सुखद हो जाता है - भले ही दोन ही मामले म
पर तयाँ समान ह । तभी तो गैलेगर कहती ह, ‘आप कौन ह, या सोचते ह, या
महसूस करते ह, या करते ह और या पसंद करते ह - यह उसी का सारांश होता है, जस
पर आप यान क त करते ह।’

अपनी कताब रै ट म गैलेगर ने उन शोध क जाँच क , जो दमाग क इस समझ का


समथन करते ह। उदाहरण के लए उ ह ने यू नव सट ऑफ नॉथ कैरो लना क
मनोवै ा नक बारबरा े ड र सन का हवाला दया। वह एक ऐसी शोधकता है, जो
भावना के ान संबंधी मू यांकन (कॉ नी टव अ ेजल) म मा हर ह। े ड र सन के शोध
से पता चलता है क आपके कोण के वकास पर उन चीज़ का ब त मह वपूण भाव
पड़ता है, जन पर आप यान क त करने का चुनाव करते ह। ये साधारण चुनाव आपको
अपनी भावना के लए एक ‘रीसेट बटन’ उपल करा सकते ह। वे एक ऐसे जोड़े का
उदाहरण दे ती ह, जो घरलू काम पूरे करने क ज मेदारी के असमान बँटवारे को लेकर
झगड़ता था। उ ह ने सुझाव दया क ‘अपने जीवनसाथी क सु ती और वाथ पन पर
यान क त करने के बजाय आप इस बात पर गौर कर सकते ह क कम से कम इसके
चलते दोन के बीच पल रहा एक गंभीर टकराव सामने तो आया, जो वा तव म सम या का
समाधान ढूँ ढ़ने और बेहतर मन: त म प ँचने का पहला चरण है।’ भले ही यह ‘हर
त का उजला प दे खने’ का उपदे श लगे, पर े ड र सन ने पाया क इन भावना मक
‘लीवरेज वाइंट्स’ (leverage point श अंक) का कुशल उपयोग करके नकारा मक
घटना के बाद भी काफ सकारा मक प रणाम हा सल कए जा सकते ह।

वै ा नक इस भाव को यूरोलॉ जकल तर तक दे ख सकते ह। उदाहरण के लए


टै नफोड यू नव सट क मनोवै ा नक लॉरा कार टे सेन ने अपने एक शोध म एफ.-
एम.आर.आई. कैनर का उपयोग कया, ता क यह दे ख सक क शोध म ह सा लेनेवाले
लोग को सकारा मक और नकारा मक, दोन क म क त वीर दखाने पर उनका दमाग
या त या दे ता है। उ ह ने पाया क युवा लोग का ए म डला (4 ) दोन क म क
त वीर दे खने के बाद त या से उ े जत हो उठा। पर जब उ ह ने बुजुग के दमाग
का कैन कया गया, तो उनके ए म डला ने सफ सकारा मक त वीर पर ही त या द ।
इस पर कार टे सेन क प रक पना यह है क बुजुग लोग का ी ं टल कॉट स (5 )
नकारा मक उ ेजना के ण म ए म डला को रोकने के लए श त होता है। शोध म
ह सा लेनेवाले बुजुग के खुश होने का कारण यह नह था क उनके जीवन क तयाँ
युवा से बेहतर थ । ब क वे तो इस लए खुश थे य क उ ह ने अपने दमाग को इस
बात के लए तैयार कर लया था क वह नकारा मक चीज़ को अनदे खा कर दे और
सकारा मक चीज़ का आनंद उठाए। अपने यान का कुशल बंधन करके उ ह ने अपनी
नया म बना कोई ठोस बदलाव लाए, उसे बेहतर बना लया।

-------------

अब हम वयं को एक कनारे रखकर, एक अ ा जीवन गढ़ने म गहन काय क भू मका


समझने के लए गैलेगर के वराट स ांत का इ तेमाल कर सकते ह। यह स ांत कहता
है, ‘आपका संसार उन चीज़ का प रणाम है, जस पर आप अपना यान क त करते ह।’
तो अब ज़रा एक पल के लए उस मान सक संसार पर वचार कर, जसका नमाण लंबे
समय तक गहन यास करने के प रणाम व प होता है। गहन काय म गंभीरता और
मह व क भावना न हत होती है - भले ही तलवार बनानेवाले श पकार रक यूरर ह या
फर ए गो र का सव े इ तेमाल कर रहा कोई कं यूटर ो ामर। इसी लए गैलेगर का
स ांत यह कहता है क अगर आप इस अव ा म पया त समय बताते ह, तो आपका
मन आपके संसार को, अथ व मह व से समृ संसार के तौर पर दे खेगा।

अपने काम म गहन एका ता वक सत करने का एक अ य पर मह वपूण लाभ यह है क


यह एका ता आपके जीवन म फैली ऐसी कई छोट -मोट और कम सुखद चीज़ पर यान
दे ने से बचा लेती है, ज ह नज़रअंदाज करना आज के समय म ब त मु कल हो गया है
(जब मनोवै ा नक महाले चकशे ट महा यी ने ऐसी गहन एका ता वक सत करने के
फायद पर जोर दया, जसके बाद कसी थ क चीज़ के बारे म सोचने या सम या
पर च तत होने के लए ज़रा भी एका ता न बचे, तब दरअसल वे इसी लाभ को कर
रहे थे)। यह खतरा सबसे मुखर प म ो ा मग, इंजी नय रग, अकाउं टे सी, आ कटे चर
और वकालत नॉलेज वक के मामले म सामने आता है। य क नॉलेज वक सव ापी प
से नरंतर एक- सरे के संपक म रहने क वृ पर नभर होता है इसी लए इसम भयावह
प से यान भटकानेवाली कई चीज़ शा मल होती ह - जनम से यादातर ऐसी होती ह,
जन पर अगर यान दया जाए, तो वे आपके मन ारा न मत मान सक संसार से अथ
और मह व को ख म कर दे ती ह।

इस दावे को और अ धक ठोस प म तुत करने के लए म आपको खुद का ही उदाहरण


दे ता ँ। इस अ याय का पहला ा ट लखने से पहले मेरे ारा भेजे गए पाँच ई-मेल पर
वचार क जए। आगे इन पाँच ई-मेल क स जे ट लाइन और उनक साम ी का सारांश
तुत कया जा रहा है।

Re: URGENT - CalNewport Brand Registration Congirmation

(त काल - कैल यूपोट ांड पंजीकरण पु )

यह ई-मेल एक आम घोटाले का जवाब था, जसम एक कंपनी वेबसाइट मा लक को


अपना डोमेन चीन म पंजीकृत कराने के लए बरगलाने का यास करती है। म उनके बार-
बार आनेवाले ई-मेल से खीज़ा आ था। इसी लए इस बार म ज़रा भड़क गया और मने
उ ह एक जवाबी ई-मेल लखकर भेज दया क अगर वे अपने ई-मे स म 'website’
(वेबसाइट) क े लग सही-सही लखते, तो उनका यह घोटाला और अ धक व सनीय
नज़र आता। हालाँ क म जानता ँ क इससे उनक हरकत पर कोई लगाम नह
लगनेवाला है।

Re: SR (एस आर)

यह ई-मेल मेरे प रवार के एक सद य के साथ मेरी बातचीत का ह सा था। यह बातचीत


वॉल ट जनरल म का शत एक लेख के बारे म थी, जसे उसने हाल ही म पढ़ा था।

Re: Important Advice (मह वपूण सलाह)

यह ई-मेल सेवा नवृ ( रटायर इ वे टमट) के बाद नवेश क सव कृ रणनी तय के बारे


म हो रही बातचीत का ह सा था।

Re: Fwd Study Hacks (अ ययन यु याँ)

यह ई-मेल उस बातचीत का ह सा थी, जसम म अपने एक ऐसे प र चत से मलने का


समय तय करने क को शश म था, जो फलहाल मेरे शहर आया आ था। हालाँ क उससे
मलने क मेरी यह को शश कसी काम नह आई य क उसका काय म काफ त
था।

Re: Just Curious (बस उ सुक )ँ

यह ई-मेल उस बातचीत का ह सा थी, जसम म और मेरा एक सहकम अपने ऑ फस के


एक मु े पर हो रही राजनी त (अकाद मक वभाग क आम घसी- पट राजनी त) पर
अपनी त या दे रहे थे।

इन सारे ई-मेल से होता है क नॉलेज वक से जुड़े ान पर कस क म क सतही


चताएँ आपका यान आक षत करती ह। इन संदेश म तुत कए गए कुछ मु े बलकुल
मामूली ह, जैसे कसी दलच लेख पर चचा करना वगैरह। वह कुछ अ प से
तनावपूण ह, जैसे सेवा नवृ के बाद बचत और नवेश क रणनी तयाँ तय करना (यह
उस क म क बातचीत है, जो अ सर इस ब पर आकर ख म हो जाती है क आप इस
मामले म जो भी कर रहे ह, वह गलत है)। जब क कुछ मु े नराशाजनक ह, जैसे त
काय म के बीच अपने कसी प र चत से मलने का समय तय करना। सरी ओर कुछ मु े
प से नकारा मक ह, जैसे घोटाला करनेवाल पर गु से से भरी त या दे ना या
ऑ फस क राजनी त पर च तत होकर चचा करना।
कई नॉलेज वकस अपना पूरा कामकाजी दन ऐसी ही सतही चता पर चचा करते ए
बता दे ते ह। यहाँ तक क जब उ ह कोई ऐसा काम करना हो, जसम उ ह मान सक प
से पूरी तरह शा मल होने क ज़ रत हो, तब भी बार-बार इनबॉ स चेक करने क उनक
आदत के चलते ऐसे सतही मु े ही उनके यान का क बने रहते ह। गैलेगर हम सखाती ह
क ‘अपना दन बताने का यह सबसे मूखतापूण तरीका है य क इससे यह सु न त हो
जाता है क आपका मन आपके कामकाजी जीवन क जो त वीर बनाएगा, उस पर तनाव,
जलन, हताशा और तु ता का भु व होगा। सरे श द म कह तो आपका इनबॉ स
आपके सामने जो संसार तुत करता है, वह वा तव म ऐसा संसार नह है, जहाँ रहना
एक सुखद अनुभव हो।’

भले ही आपके सारे सहकम मलनसार ह और उनके साथ होनेवाली आपक बातचीत
हमेशा सकारा मक और उ साहवधक हो, फर भी जब आप इन सतही चीज़ के मोहक
प र य म अपना यान भटकने दे ते ह, तो दरअसल आप गैलगर ारा पता लगाए गए एक
और मनोवै ा नक जाल म फँसने का जो खम उठा रहे होते ह : ‘पाँच साल तक कए गए
यान के अ ययन ने कुछ अ य स ाइय क पु क है।’ गैलेगर कहती ह, ‘खाली
दमाग शैतान का घर होता है... जब आपक एका ता खो जाती है, तो आपका मन अ सर
जीवन के सकारा मक पहलु के बजाय नकारा मक पहलु पर जाकर अटक जाता
है।’ यूरोलॉ जकल कोण से कह, तो सतहीपन से संचा लत होनेवाला कामकाजी दन
आमतौर पर थका दे नेवाला और परेशान करनेवाला होता है, भले ही आपका यान
ख चनेवाली उन सतही चीज़ म से यादातर चीज़ आपको हा नर हत और मजेदार लगती
ह।

इन न कष का न हताथ है। काम के मामले म (और खासकार नॉलेज वक क ेणी


म आनेवाले काम के मामले म) गहनता क अव ा म यादा समय बताने का अथ है,
इंसानी दमाग क ज टल मशीनरी का लाभ इस कार उठाना, जो कई व भ
यूरोलॉ जकल कारण से - अपने कामकाजी जीवन से जुड़े अथ और संतु को चरम
सीमा पर ले जाती है। अपनी कताब का समापन करते ए गैलगर लखती ह, ‘अपनी
बीमारी (कसर) के साथ मु कल भरे योग करने के बाद अब मेरे पास अपनी बाक क
जदगी जीने क एक ठोस योजना है। म अपने ल य का चुनाव सावधानी से क ँ गी...
और फर उन पर अपना पूरा यान क त कर लूँगी। सं त म क ँ, तो म एक
एका तापूण जीवन जीऊँगी य क यही जीवन जीने का सव े तरीका है।’ अगर हम भी
गैलगर के दखाए इस रा ते पर आगे बढ़ते ह, तो यक न मा नए, यह हमारी समझदारी
होगी।
गहनता का मनोवै ा नक तक

गहनता से अथपूणता य आती है, इसके बारे म हमारा सरा तक नया के सबसे
स मनोवै ा नक म से एक ( जनका नाम लखने म सबसे यादा गल तयाँ होती ह)
महाले चकशे ट महा यी ारा मनो व ान के े म दए योगदान से नकला है। 1980 के
दशक क शु आत म चकशे ट महा यी ने यू नव सट ऑफ शकागो म अपने एक युवा
सहकम रीड लासन के साथ मलकर, रोज़मरा के सामा य वहार का मनोवै ा नक
भाव समझने के लए एक नई तकनीक का आ व कार कया। उस दौर म व भ
ग त व धय का सट क मनोवै ा नक भाव मापना मु कल था। उस समय अगर आप
कसी को योगशाला म लाकर उससे यह पूछते क कई घंटे पहले कसी एक
न त ब पर उसे कैसा महसूस आ था, तो इस बात क संभावना कम ही थी क उसे
यह याद होता। और अगर इसके बजाय आप उसे एक डायरी दे कर कहते क वह अपने
दनभर के अनुभव को उसम दज करे, तो इस बात क कोई संभावना नह थी क वह पूरी
गंभीरता के साथ ऐसा करता। य क यह काफ झंझटभरा काम है।

महाले चकशे ट महा यी और लासन क सफलता यह थी क उ ह ने उस जमाने के


हसाब से नई तकनीक का फायदा उठाते ए, इस वषय से जुड़े सवाल के जवाब तब
दए, जब वे वाकई ासं गक (उ चत) थे। उ ह ने जन लोग को अपने योग म शा मल
कया, उ ह एक-एक पेजर पहना दया। ये सभी पेजर अ न त अंतराल पर बीप करते थे
(आज पेजर के आधु नक अवतार के प म माटफोन ए स भी यही करते ह)। बीप के बंद
होते ही, योग म शा मल लोग यह दज कर लेते थे क ठ क उस समय वे या कर रहे थे
और उसे लेकर कैसा महसूस कर रहे थे। योग म शा मल इन लोग म से कुछ को एक-
एक डायरी द जाती थी, जसम उ ह यह सूचना दज करनी होती थी, जब क अ य लोग
को एक फोन नंबर दया जाता था, जस पर कॉल करके उ ह उन सवाल का जवाब दे ना
होता था, जो उनसे फोन पर पूछे जाते थे। इन लोग का पेजर कभी-कभी ही बीप करता
था, पर उसक आवाज को नज़रअंदाज करना मु कल होता था, इसी लए यह संभव था
क योग म शा मल लोग इस या के नदष का अ तरह पालन करगे। चूँ क योग
म शा मल लोग को अपनी ग त व धय पर अपनी त या ठ क उसी समय दज करनी
होती थी, इसी लए उनक त याएँ अ धक सट क भी थ । चकशे ट महा यी और
लासन ने इसे ई.एस.एम. या ए सपी रयंस सै लग मेथड (अनुभव नमूनाकरण व ध) का
नाम दया, जससे हम इस बारे म अभूतपूण जानकारी मली क हम अपने दै नक जीवन
क आवृ य को लेकर कैसा महसूस करते ह।
ई.एस.एम. के ज रए चकशे ट महा यी ने जो कया, उससे एक ऐसे स ांत को मा यता
ा त करने म मदद मली, जसे वे पछले एक दशक से वक सत करने क को शश कर
रहे थे: ‘आमतौर पर सबसे अ े पल तब आते ह, जब कसी क ठन और साथक काय को
पूरा करने के लए, वे ापूवक यास करते ए इंसान अपने शरीर और मन का उपयोग
उनक मता क आ खरी सीमा तक करे।’ चकशे ट महा यी ने इस मान सक अव ा
को लो (6 ) यानी वाह का नाम दया। यह खोज उस जमाने के पारंप रक ान पर भारी
पड़ गई। ब त से लोग को लगा (आज भी कई लोग को यही लगता है) क आराम करने
से उ ह खुशी मलती है। हम कम काम करना चाहते ह और यादा से यादा समय आराम
करना चाहते ह। पर चकशे ट महा यी के ई.एस.एम. अ ययन से आ क आराम
खुशी का ोत नह है :

वडंबना यह है क खाली समय के मुकाबले अपनी नौकरी या काम का आनंद लेना कह


अ धक आसान है। य क लो ए ट वट ज (7 ) क तरह ही नौकरी या काम म भी कुछ
अंत न हत ल य, चुनौ तयाँ और फ डबैक स होते ह। ये सब इंसान को अपना काम
करने, उस पर यान क त करने और मान सक प से उसम खो जाने के लए े रत
करते ह। जब क खाली समय बेढंगा होता है, उसका कोई मूत प नह होता और न ही
उसम कोई तयशुदा योजना होती है, इसी लए उसे आनंददायक बनाने के लए अ धक
यास करना पड़ता है।

जब अनुभव के आधार पर लोग को परखा गया, तो आ क जतना उ ह लगता था,


उससे कह यादा खुश वे तब रहते थे, जब वे नौकरी या काम करते थे। जब क आराम
करते समय वे अपने काम क तुलना म कम खुश रहते थे। और जैसा क ई.एस.एम.
अ ययन ने पु क थी, अ ययन म शा मल लोग को एक न त अव ध म जतना लो
ए सपी रयंस (कोई काय करते समय उसम पूरी तरह खो जाने का अनुभव) आ, उनक
खुशी का तर उतना ही यादा रहा। इससे है क इंसान अपनी सव े मान सक
अव ा म तब होता है, जब वह कसी चुनौतीपूण काय म डू बा आ हो।

बेशक लो ( वाह) के स ांत और पछले प म बताए गए वनी े ड गैलेगर के वचार


कई मायन म एक जैसे लगते ह। ये दोन ही गहनता के मह व क ओर इशारा करते ह पर
इसके लए दोन का ीकरण अलग-अलग है। गैलेगर का लेखन इस बात पर जोर दे ता
है क हम अपना यान कन चीज़ पर क त करते ह। अगर हम सतही और नकारा मक
चीज़ को नज़रअंदाज कर मह वपूण चीज़ म खो जाने क हद तक अपना यान क त
करते ह, तो हमारा कामकाजी जीवन और अ धक सकारा मक व मह वपूण बन जाएगा।
इसके वपरीत चकशे ट महा यी के लो ( वाह) स ांत का आमतौर पर इस बात से
कोई खास लेना-दे ना नह है क आप कन चीज़ पर यान क त करते ह। हालाँ क
संभवत: वे गैलेगर ारा उ त शोध से सहमत ह गे। उनका स ांत कहता है क गहनता म
जाने का एहसास ही अपने आपम ब त संतु जनक होता है और इंसानी दमाग इस
चुनौती को पसंद करता है, भले ही वह इंसान कोई भी हो।

-------------

अब आपके सामने गहन काय और लो ( वाह) के बीच का यह संबंध हो गया होगा


: गहन काय ऐसी ग त व ध है, जो वाह क त उ प करने के लए अ तरह से
अनुकूल है। ( वाहपूण अव ा - चकशे ट महा यी ने इन श द के मा यम से यह बताया
था क लो यानी वाह पैदा करनेवाली चीज़ म, एका ता, अपने मन को उसक मता
क आ खरी सीमा तक इ तेमाल करने का वचार और कसी ग त व ध म खो जाने क हद
तक लीन होना शा मल है - यही वे चीज़ ह, जो गहन काय को भी प रभा षत करती ह।)
जैसा क हमने अभी-अभी जाना, लो से खुशी आती है। इन दोन वचार को आपस म
जोड़ने से हम गहनता के प म एक श शाली मनोवै ा नक तक मल जाता है।

चकशे ट महा यी के मूल ई.एस.एम. योग से उपजे शोध - जो दशक तक चले - इस


बात क पु करते ह क गहनता म जाना हमारी चेतना को कुछ इस तरह भा वत करता
है क जीवन साथक हो जाता है। चकशे ट महा यी तो यहाँ तक कहते ह क आधु नक
कंप नय को यह वा त वकता वीकार कर लेनी चा हए। इस तरह दरअसल वे यह सुझाव
दे ते ह क ‘नौक रय को फर से गढ़ा जाना चा हए ता क वे यादा से यादा लो
ए ट वट ज (ऐसी ग त व धयाँ, ज ह करते समय आप उनम पूरी तरह खो जाएँ) के
समान ह ।’ हालाँ क वे जानते थे क नौक रय को इस कार फर से गढ़ना मु कल हो
और साथ ही वघटनकारी भी (उदाहरण के लए पछले अ याय म तुत मेरे तक पर गौर
कर)। इसी लए चकशे ट महा यी ने इसके आगे अपनी बात करते ए कहा था क
इससे भी यादा मह वपूण यह है क खुद लो के लए अवसर क तलाश करना
सीखे। ायो गक मनो व ान के संसार को समझने क हमारी इस छोट सी को शश से
आ खरकार हम यही सीख मलती है क गहन संतु पाने का सबसे सीधा और सहज
रा ता है, अपना कामकाजी जीवन गहन काय से उपजे लो के साथ वक सत करना।

गहनता का दाश नक तक
गहनता और अथ के बीच के संबंध पर हमारे पछले तक के लए ज़ री है क यूरोसाइंस
(तं का व ान) और मनो व ान क अपे ाकृत वा त वक नया से एक कदम पीछे
जाकर एक दाश नक कोण अपनाया जाए। इस चचा के लए म उन दो व ान क
मदद लूँगा, जो इस वषय को अ तरह समझते ह। पहले व ान ह बट ेफस,
ज ह ने बकले यू नव सट म चार दशक तक दशन शा पढ़ाया है और सरे व ान ह
सीन डॉरस केली, जो इस अ याय के लखे जाने के दौरान हावड यू नव सट म दशन शा
वभाग के अ य थे। सन 2011 म ेफस और केली ने ‘ऑल थ स् शाइ नग’ शीषक से
एक कताब का शत क , जसम इस बात क पड़ताल क गई थी क इंसानी सं कृ त के
पूरे इ तहास म प व ता और अथ संबंधी धारणाएँ कैसे वक सत । उ ह ने इस इ तहास
का पुन नमाण करने का ल य रखा य क वे इस बात से च तत थे क हमारे दौर म
इसका अंत हो रहा है। ेफस और केली अपनी इस कताब के शु आती ह से म ही कहते
ह, ‘यह संसार अपने व भ प म उजली चीज़ का एक प व ान आ करता था पर
अब ऐसा लगता है, मान वे उजली चीज़ ब त र चली गई ह।’

तब से लेकर अब तक ऐसा या आ? दोन लेखक के अनुसार इसका सं त जवाब ह


रेने डेकाट। 16व शता द के ांसीसी दाश नक, ग णत और वै ा नक रेने डेकाट के
संशयवाद (8 ) से यह कं रपंथी धारणा पैदा ई क न तता क खोज म लगे ने
उस ई र या राजा को भी पछाड़ दया, जो स य का ही एक प होता है। इसके
प रणाम व प जो ान कट (ए लाइटे नमट) आ, उसने न त प से संसार को
मानवा धकार क अवधारणा से प र चत कराया और प रणाम व प कई लोग गुलामी
और उ पीड़न से मु हो गए। पर जैसा क ेफस और केली जोर दे कर कहते ह,
‘राजनी तक े म भले ही इसके चलते ब त सी अ चीज़ ई ह पर इस सोच ने
अभौ तक या सै ां तक े म संसार से उस व ा और प व ता को छ न लया, जो
अथ क रचना के लए अ नवाय ह।’ ए लाइटे नमट (9 ) के बाद के संसार म हमने खुद को
यह पहचानने क ज मेदारी दे द क या अथपूण है और या नह । यह ऐसी चीज़ है, जो
न सफ मनमानी नज़र आती है ब क भयावह शू यवाद को भी े रत करती है। ेफस
और केली चता करते ए कहते ह, ‘ ानोदय ने जस कार वतं व को
अभौ तक प से वीकार कया, वह न सफ एक उबाऊ जीवन क ओर ले जाता है
ब क लगभग अ नवाय प से करीब-करीब ऐसे जीवन क ओर ले जाता है, जो जीने
यो य नह है।’

पहली नज़र म ऐसा लग सकता है क गहनता से मलनेवाली संतु को समझने के हमारे


यास से इस सम या का कोई लेना दे ना नह है। ले कन जब हमारा प रचय ेफस और
केली ारा तुत समाधान से होता है, तो हम अपने पेशेवर जीवन म अथ के ोत के बारे
म एक नई और समृ अंत मलती है। इन दोन चीज़ के बीच का यह संबंध तब और
कम आ यजनक लगने लगता है, जब यह पता चलता है क आधु नक शू यवाद पर ेफस
और केली क त या उसी श पकारी या श प कौशल पर आधा रत है, जससे इस
अ याय क शु आत ई थी।

अपनी कताब के उपसंहार म ेफस और केली यह तक दे ते ह क प व ता क भावना को


फर से उजागर करने के लए श प कौशल बड़े ही ज मेदार ढं ग से एक कुंजी दान
करता है। अपने इस दावे को और ढं ग से सामने रखने के लए वे लकड़ी के प हए
बनानेवाले एक कुशल बढ़ई का ववरण सामने रखते ह - घोड़ा गा ड़य के लए लकड़ी के
प हए बनानेवाले बढ़ई का यह पेशा अब बीते जमाने क बात हो चुका है। अपनी कताब म
लकड़ी के प हए बनाने के नर का व तृत वणन करने के बाद ेफस और केली उस बढ़ई
के बारे म लखते ह, ‘चूँ क लकड़ी का हर टु कड़ा अपने आपम अनूठा होता है, इसी लए हर
टु कड़े का अपना एक अलग ही व होता है। बढ़ई जस लकड़ी पर काम कर रहा
होता है, उससे उसका एक अंतरंग संबंध होता है। इस दौरान उस लकड़ी क सू म-
वशेषताएँ वक सत होकर सामने आने के लए तैयार होती ह।’ इन सू म- वशेषता क
शंसा के साथ ेफस और केली बताते ह क ानोदय के बाद के संसार म बढ़ई का काम
करनेवाल को एक मह वपूण चीज़ पता चली। दरअसल उ ह समझ म आ गया क
के दायरे से बाहर भी अथ का एक ोत मौजूद है। लकड़ी के प हए बनानेवाला बढ़ई
मनमाने ढं ग से यह तय नह करता क वह जस लकड़ी पर काम कर रहा है, उसक कौन
सी वशेषताएँ मू यवान ह और कौन सी वशेषताएँ नह । लकड़ी का मू य और उससे जो
काम लया जाना है, वह उसी म अंत न हत होता है।

जैसा क ेफस और केली बताते ह, ‘इस कार क प व ता श पकारी के पेशे म आम


है।’ वे कहते ह क ‘एक श पकार का काय अथ पैदा करना नह है ब क अपने अंदर यह
नर वक सत करना है क पहले से मौजूद अथ को समझ सके।’ इससे श पकार वतं
वाद के शू यवाद से मु हो जाता है और उसे अथ का एक सु नयो जत संसार
उपल हो जाता है। साथ ही यह अथ उन ोत क अपे ा से अ धक सुर त नज़र
आता है, जनका उ लेख पुराने जमाने म कया जा चुका है। इससे ेफस और केली का
ता पय यह है क लकड़ी के प हए बनानेवाला बढ़ई एक नरंकुश राजशाही का औ च य
सा बत करने के लए, चीड़ क लकड़ी क अंत न हत गुणव ा का इ तेमाल आसानी से
नह कर सकता।

-------------
च लए एक बार फर पेशेवर संतु के वषय क ओर वापस चलते ह। ेफस और केली ने
श पकारी या श प कौशल क ा या अथ तक प ँचनेवाले एक माग के प म क ।
जससे हम यह समझ मलती है क रक यूरर जैसी ह तय ने जो स ांत व ा याएँ
तुत क , उ ह हमम से यादातर लोग ने वीकार य कर लया। इन दोन दाश नक
का तक यही होगा क क ी धातु को कला मक कृ त का प दे ते समय यूरर के चेहरे
पर जो संतु का भाव आता है, वह दरअसल तमाम आधु नकता के बीच, कसी मायावी
और मू यवान चीज़ के लए उठनेवाली शंसा क अ भ है। वा तव म यह प व ता
क एक झलक है।

पारंप रक श पकारी म अंत न हत इस प व ता को एक बार समझ लेने के बाद हम इसे


नॉलेज वक क नया से जोड़कर भी दे ख सकते ह। पर इसके लए हम पहले दो
मह वपूण अवलोकन करने ह गे। हो सकता है क इनम से पहला अवलोकन हम य
लगे ले कन फर भी इस पर जोर दे ने क ज़ रत है: अगर अथ के इस वशेष ोत क
उ प क बात कर, तो हाथ से कए जानेवाले काय म ऐसा कुछ नह है, जो ब त
आंत रक या वाभा वक हो। य क ऐसा कोई भी काय - चाहे भौ तक हो या मान सक -
जो उ तरीय कौशल क माँग करता है, वह भी प व ता का यह भाव पैदा कर सकता
है। इस बात को व तार से समझने के लए लकड़ी तराशने या धातु क कलाकृ तयाँ गढ़ने
के पुरातनपंथी उदाहरण से अलग कं यूटर ो ा मग जैसे आधु नक उदाहरण क ओर
चलते ह। कं यूटर को डग के े म वल ण तभा के धनी स टयागो ग जालेज ारा
कही गई इन पं य पर गौर कर, जो उ ह ने एक इंटर ू म अपने काम क ा या करते
ए कही थ :

अ ा कं यूटर कोड सं त और सारग भत होता है। अगर आप इस तरह लखे गए कोड


को कसी अ य कं यूटर ो ामर को दखाएँग,े तो वह यही कहेगा, ‘ओह, यह कोड तो
ब त ब ढ़या ढं ग से लखा गया है।’ यह काफ हद तक ऐसा है, जैसे आप क वता लख
रहे ह ।

ग जालेज कं यूटर ो ा मग पर ठ क उसी तरह चचा करते ह, जस तरह ेफस और केली


ारा उ ले खत उ रण म लकड़ी के प हए बनानेवाले बढ़ई ने अपने श प पर क है। ‘द
ैगमै टक ो ामर’ कं यूटर ो ा मग के े क एक स कताब है। इस कताब क
तावना म कं यूटर कोड और पुराने जमाने के श प कौशल के बीच के संबंध को
म ययुगीन खदान कमचा रय के इस मत के ज रए अ धक ढं ग से तुत कया गया
है : ‘हमारा काम भले ही सफ प र तोड़ना हो पर हम यह काम करते व भी हमेशा
प र से बने भ ग रजाघर क क पना करनी चा हए।’ इसके बाद यह कताब कहती
है क कं यूटर ो ामस को भी अपने पेशे को इसी नज़ रए से दे खना चा हए :

कसी भी ोजे ट म वैय कता और श प कौशल के लए ज़ री जगह हमेशा होती है...


आज से सौ साल बाद के लोग को हमारी वतमान इंजी नय रग उतनी ही पुरातनपंथी
लगेगी, जतनी आज के स वल इंजी नयस को म ययुग म ग रजाघर न मत करनेवाल
क तकनीक लगती है। पर उस त म भी हमारे श प कौशल को स मान क नज़र से
ही दे खा जाएगा।

सरे श द म कह, तो ेफस और केली जस श प कौशल से अथ पैदा होने क बात


करते ह, उस श पकार क ेणी का बनने के लए आपको धूप से तपते कसी खेत
म जाकर प र म करने क ज़ रत नह है। य क आज क सूचना आधा रत
अथ व ा म उन काय े म भी श प कौशल के समान मता दे खी जा सकती है,
जहाँ सबसे कुशलतापूवक ढं ग से काय करना ज़ री होता है। भले ही आप एक लेखक ह ,
वके्रता ह , सलाहकार ह या फर एक वक ल: आपका काम ही एक श प है। अगर
आप अपनी मता को बढ़ाते ह और फर उसका इ तेमाल पूरे स मान व सावधानी से
करते ह, तो लकड़ी के प हए बनानेवाले एक कुशल बढ़ई क तरह ही आप भी अपने
ावसा यक जीवन के रोज़मरा के काम को अथपूण बना सकते ह।

इस ब पर आकर कुछ लोग कह सकते ह क उनका नॉलेज वक अथ का ोत नह बन


सकता य क उनका काय े ब त ही नीरस है। पर यह सोच गलत है क पारंप रक
श प कौशल पर वचार करके हम इसे सुधारने म मदद मलेगी। हमारी वतमान सं कृ त
ऐसी है, जहाँ हम अपने नौकरी के ववरण (जॉब- ड शन) पर ब त जोर दे ते ह।
उदाहरण के लए कॅ रयर के मामले म ‘अपना पैशन फॉलो करो’ यानी अपना मनचाहा
पेशा चुनो (मेरी पछली कताब इसी वषय पर आधा रत थी)। सलाह के त हमारी सनक
इस दोषपूण वचार से े रत है क कॅ रयर संबंधी संतु के लए सफ यही एक बात
मह वपूण होती है क आप कौन सा पेशा चुनते ह। इस सोच के हसाब से तो सफ कुछ
उ कृ नौक रयाँ या पेशे ही ऐसे ह, जो इंसान को कॅ रयर के मामले म संतु दे ते ह - जैसे
कसी नॉन- ॉ फट कंपनी म काम करना या खुद एक सॉ टवेयर कंपनी खोल लेना -
जब क बाक सारे पेशे तो बेजान और नीरस ह। ेफस और केली का दशन हम इस जाल
म फँसने से बचाता है। वे दोन जस श पकार का उदाहरण दे ते ह, उसका पेशा कोई
उ कृ पेशा नह है। पूरे मानव इ तहास म लोहार या लकड़ी के प हए बनानेवाले बढ़ई के
पेशे को कभी कोई आकषक पेशा नह माना गया। पर इससे कोई फक नह पड़ता य क
पेशा कस े से जुड़ा है, यह मह वपूण नह है। इस कार के पेश म उजागर होनेवाला
अथ उनके श प कौशल और उसके त मौजूद शंसा के भाव म न हत है - न क उनके
पेशे से मलनेवाले प रणाम पर। सरे श द म कह, तो लकड़ी का प हया कोई महान
चीज़ नह है पर उसे आकार दे ने क या ज़ र महान हो सकती है। ठ क यही बात
नॉलेज वक पर भी लागू होती है। आपको कसी उ कृ पेशे क ज़ रत नह है; ब क
आपको अपने काम के त एक उ कृ कोण वक सत करने क ज़ रत है।

इस तक से जुड़ा सरा मु य अवलोकन यह है क अपने अंदर कोई श प कौशल


वक सत करना न त प से एक गहन चीज़ है और यह गहन काय के लए वचनब ता
क माँग करती है (याद कर, मने पहले अ याय म भी कहा था क अपना कौशल नखारने
और फर व श तर पर उसका उपयोग करने के लए भी गहन काय ज़ री है - जो
श प काय क मूल ग त व धयाँ ह)। इसी लए ेफस और केली ने जस कार अपने पेशे
म ही अथपूण महसूस करने क बात क है, गहन काय उसी क कुंजी है। अपने कॅ रयर म
गहन काय को खुले मन से वीकारने और इसका उपयोग करके अपना कौशल वक सत
करने से नॉलेज वक से जुड़ा पेशा भी संतु दायक बन जाता है। फर वह पेशा आपक
मज़बूरी नह रह जाता, जो सफ आपका यान भटकाती है और आपको बुरी तरह थका
डालती है। एक संतु दायक पेशा चम का रक और शानदार चीज़ से भरे संसार का
दरवाजा होता है।

होमो से पयंस डीप सस

इस कताब के खंड 1 के पहले दोन अ याय ावहा रक थे। जनम ये बताया गया था क
गहन काय हमारी अथ व ा म तेजी से मह वपूण बनता जा रहा है। साथ ही कुछ हद
तक अ नयं त कारण के चलते यह उतनी ही तेजी से लभ भी होता जा रहा है। बाजार
के संदभ म यह एक वशेष बेमेलपन को तुत करता है : अगर आप अपने अंदर यह
कौशल वक सत कर लेते ह, तो आप पेशेवर प से कामयाब ह गे। जब क इसके वपरीत
पेशेवर उ त क हमारी इस चचा म खंड 1 के इस आ खरी अ याय का कोई वशेष
योगदान नह है। इसके बावजूद पछले अ याय म तुत वचार को वीकायता दलाने
के लए यह अ याय ब त ज़ री है। आगे के प म अपने पेशेवर जीवन म संपूण बदलाव
लाकर उसे गहनता क ओर क त करने के लए एक कठोर काय म का वणन कया गया
है। यह एक क ठन बदलाव है और ऐसे कई यास व तकसंगत और ावहा रक बात
आपको सफ एक हद तक ही े रत कर सकती ह।
आ खरकार, आप जस उ े य को पूरा करने म लगे ए ह, उसके साथ मानवीय तर पर
आपका तालमेल होना ज़ री है। यह अ याय बताता है क जब गहनता को खुले मन से
वीकारने क बात आती है, तो ऐसा तालमेल अ नवाय हो जाता है। जब आप गहनता म
जाने को यूरोसाइंस (तं का व ान) मनो व ान और लंबी-चौड़ी दाश नकता के कोण
से दे खते ह, तो ये सब आपको वापस गहनता और अथ के बीच के संबंध क ओर ले जाते
ह। यह कुछ ऐसा है, मान हम (यानी होमो से पयंस/मानव जा त) कसी ऐसी जा त के
प म वक सत ए ह , जो सफ गहनता म ही उ त कर सकती है और सतहीपन म
जानवर क तरह क चड़ म लोटती रहती है। इस जा त को हम ‘होमो से पयंस डीप सस’
का नाम दे सकते ह।

पछले प म मने गहनता को गु मान चुक व ान-लेखक वनी े ड गैलेगर का यह


उ रण तुत कया था क ‘म एक एका तापूण जीवन जीऊँगी य क यही जीवन जीने
का सव े तरीका है।’ उनका यह उ रण शायद इस अ याय को या और ापक ढं ग से
कह, तो खंड 1 को समा त करने का सव े तरीका होगा : गहन जीवन को आप कसी
भी कार से दे ख, यह हर कार से एक अ ा जीवन है।
1 यूरोप के इ तहास का एक दौर, जो 8व सद ईसवी से 11व सद तक चला और वशेष
प से उ री यूरोप व क डने वया म क त था।

2मूशा इ ात - ढलवाँ लोहे से बना इ ात

3 ऐसा काम जसे करने वाले क मु य पूँजी उसका ान होता है, जैसे ो ा मग,
इंजी नय रग, अकाउं टे सी, आ कटे चर और वकालत वगैरह।

4 म त कखंड दमाग म त बादाम क आकृ तवाला यूरॉ स का एक सेट, जो


भावना का क होता है।

5 दमाग का वह ह सा जो नणय लेने और सामा जक वहार को संतु लत रखने के लए


ज मेदार होता है।

6 एक ऐसा श द जसे उ ह ने सन 1990 म इसी शीषक से का शत अपनी कताब से


लोक य बनाया था।

7 ऐसी ग त व धयाँ, ज ह करते समय आप उनम पूरी तरह खो जाएँ।

8 अपनी धारणा और मा यता के त संशय रखने क सु नयो जत या, जसे रेने


डेकाट क लेखनी और णा लय से जोड़कर दे खा जाता है। इसे अं ेजी म केट जयन
डाउट या केट जयन के टस म कहा जाता है।

9 ानोदय - 1650 से 1780 के दशक तक क अव ध को यूरोपीय ानोदय का युग कहा


जाता है, जब प मी यूरोप के सां कृ तक और बौ क वग ने परंपरा से हटकर तक,
व ेषण और गत वतं ता पर जोर दे ना शु कर दया।
भाग 2: नयम
नयम

1: गहनता के साथ काय कर

एक बार म डु पॉ ट सकल बार म डे वड डेवेन से मलने प ँचा। इस मुलाकात म उ ह ने


यू डमो नया मशीन (एक वा तुकला संबंधी अवधारणा) का ज छे ड़ दया। डेवेन
आ कटे चर (वा तुकला) के ोफेसर ह और इसी लए उ ह कसी भी वषय के उस ब
का पता लगाना ब त पसंद है, जहाँ उससे जुड़ी वैचा रक और अथपूण चीज़ आपस म
मलती ह । यू डमो नया मशीन इसका एक अ ा उदाहरण है। इस मशीन का
‘यू डमो नया’ (1 ) यह नाम एक ाचीन ीक अवधारणा से लया गया है। डेवेन क
यू डमो नया दरअसल एक इमारत है। डेवेन समझाते ह, ‘एक मशीन का उ े य होता है,
ऐसा वातावरण तैयार करना, जहाँ उसका उपयोगकता गहरी मानवीय समृ क अव ा
ा त कर सके - जहाँ वह ऐसी चीज़ क रचना कर सके, जो उसक नजी मता का
संपूण व तार ह ।’ सरे श द म कह, तो ऐसा ान, जसका नमाण सबसे गहनतम
काय को संभव बनाने के उ े य से कया गया हो। और जैसा क आप समझ सकते ह,
उनक ये बात सुनकर इस वषय म मेरी दलच ी बढ़ गई।

मेरे सामने इस मशीन का वणन करते समय डेवेन ने एक पेन लेकर इसका एक केच
बनाया। यह एक मं जलवाली संक ण आयताकार रचना थी, जसम एक ही पं म एक
के बाद एक पाँच कमरे थे पर कोई अ त र दालान या ग लयारा नह था: यानी आप एक
कमरे को पार करके ही सरे कमरे म प ँच सकते थे। जैसा क डेवेन ने बताया, ‘इसम
सकुलेशल यानी संचलन क कमी मह वपूण है य क जब आप मशीन क गहराई म जाते
ह, तो यह आपको कसी भी ान को पार करने क अनुम त नह दे ती।’

इस इमारत के अंदर आते ही आप जस पहले कमरे म वेश करते ह, उसे गैलरी कहा
जाएगा। डेवेन क योजना के अनुसार, इस इमारत म होनेवाले गहन काय के सारे उदाहरण
इसी कमरे म मौजूद ह गे। यह कमरा ‘ व तनाव और सहक मय ारा डाले जानेवाले
दबाव क सं कृ त’ का नमाण करके, मशीन के उपयोगकता को े रत करने के लए
है।
इस गैलरी से नकलते ही आप सैलून म वेश करते ह। डेवेन क क पना के अनुसार यहाँ
आपको उ तरीय कॉफ एक बार ही मलेगी। यहाँ बैठने के लए सोफे ह गे और साथ
ही वाई-फाई क सु वधा भी होगी। सैलून को ऐसा मूड बनाने के हसाब से डजाइन कया
गया है, जो ‘गहन ज ासा और तक- वतक के बीच झूलता रहता है।’ बहस और सोच-
वचार करने का यह ान सामा यत: उन वचार पर काम करने के लए है, जो आप
मशीन क गहनता म वक सत करगे। सैलून के बाद आप लाइबे्ररी म वेश करगे, जसम
इस मशीन म होनेवाले सारे काम का एक ाई रकॉड मौजूद होगा। इसके साथ ही यहाँ
कताब और पछले काय म इ तेमाल ए सभी ोत का भंडार भी होगा। यहाँ फोटोकॉपी
मशीन और कैनस भी ह गे ता क आपको अपने ोजे ट के लए जस जानकारी क
ज़ रत है, उसे यहाँ इक ा कर सक। डेवेन इस लाइ ेरी क ा या ‘मशीन क हाड
ाइव’ के प म करते ह।

अगला कमरा ऑ फस के लए है। इसम एक कॉ स म होगा, जहाँ एक सफेद बोड के


अलावा कुछ यू बक स और डे क वगैरह ह गी। डेवेन कहते ह, यह ‘ऑ फस’ कम
ती तावाली ग त व धय के लए है। अगर हम अपनी श दावली के अनुसार कह, तो यह
ऐसा ान है, जहाँ वे सतही यास कए जाएँग,े जनक आपके ोजे ट को ज़ रत
होगी। डेवेन क क पना के अनुसार, ऑ फस क एक डे क पर एक एड म न े टर
( शासक) मौजूद होगा, जो इसके उपयोगकता क मता बढ़ाने के लए उनक आदत
सुधारने म मदद करेगा।

इसके बाद आता है आ खरी कमरा, जो डेवेन के अनुसार ‘गहन कायवाले क ा ’ का


एक समूह है (उ ह ने ‘गहन काय’ श द इस वषय पर का शत मेरे लेख से ही लया है)।
गहन कायवाला हर क 6/10 फ ट का होगा और मोट -मोट साउं ड ूफ ( व नरोधी)
द वार से घरा होगा, डेवेन क योजना है क इसके लए 18 इंच मोटा इंसुलेशन यानी
रोधन साम ी (2 ) इ तेमाल क जाएगी। डेवेन बताते ह, ‘गहन कायवाले क ा का
उ े य है- संपूण एका ता और बना कसी कावट के काय को संभव बनाना। वे एक
ऐसी या क क पना करते ह, जसम आप 90 मनट तक इसके अंदर रहगे और फर
90 मनट का एक ेक लगे और इसी या को दो से तीन बार दोहराएँगे - इस ब पर
आकर आपका दमाग दनभर म संभव एका ता क अं तम सीमा तक प ँच चुका होगा।

फलहाल तो यह यू डमो नया मशीन केवल आ कटे चर (वा तुकला) के कुछ च का


एक सं ह मा है। पर सफ एक योजना के तौर पर भी भावशाली काय म सहयोग करने
क इसक संभावना से डेवेन खासे उ सा हत ह। उ ह ने मुझसे कहा था, ‘मेरे लए यह
डजाइन मेरे ारा तैयार कए गए आ कटे चर नमून म से सबसे दलच नमूना है।’

-------------

एक आदश संसार म गहन काय का असली मह व वीकार और त त होता है, इस


संसार म यू डमो नया मशीन जैसी चीज़ हम सबक प ँच म होती है। शायद ब डे वड
डेवेन ारा तैयार क गई डजाइनवाली मशीन नह , ले कन सामा य तौर पर कह तो -
कामकाज का ऐसा माहौल (और सं कृ त) जसे इस लए तैयार कया गया हो ता क उसक
मदद से हम अपने दमाग का अ धक संभव मू य हा सल कर सक। भा यवश ऐसी
रद शता हमारी वतमान वा त वकता से कोस र है। इसके बजाय हम खुले प रसरवाले
ऑ फस म बैठकर काम करते ह, जहाँ अपने इनबॉ स को नज़रअंदाज करना संभव नह
हो पाता और जहाँ लगातार मी ट स् होती रहती ह - ऐसा माहौल, जहाँ आपके सहकम
चाहगे क आप सव े प रणाम दे ने के बजाय उनके ई-मेल का जवाब फौरन भेज द।
सरे श द म कह, तो इस कताब के पाठक के तौर पर आप इस सतही संसार म गहनता
के श य बन गए ह।

यह नयम - इस कताब के खंड 2 म दए गए चार नयम म से पहला नयम है, जो संघष


कम करने के लए लखा गया है। भले ही आपके पास अपनी एक नजी यू डमो नया
मशीन न हो, पर इसक रणनी तयाँ आपके यान भटकानेवाले पेशेवर जीवन म इसका
भाव उ प करने म आपक मदद करगी। ये रणनी तयाँ आपको बताएँगी क गहन काय
क आकां ा को अपने दै नक काय म का नय मत और मह वपूण अंग कैसे बनाया
जाए। इसके बाद सरा, तीसरा और चौथा नयम आपके सामने कुछ ऐसी रणनी तयाँ भी
तुत करगे, जनक मदद से आप अपनी एका ता बढ़ाएँगे। इसके साथ ही यान
भटकानेवाली तय का मुकाबला करने के लए खुद को श त करके, गहन काय
क अपनी आदत से आप अ धकतम प रणाम हा सल कर सकगे।

हालाँ क इन रणनी तय पर बात करने से पहले म उस सवाल पर बात करना चा ँगा, जो


शायद आपको परेशान कर रहा होगा: हम गहन काय के लए ऐसी कसी चीज़ क ज़ रत
य है? इसी बात को सरे ढं ग से कह, तो एक बार जब आप यह वीकार कर लेते ह क
गहन काय मू यवान होता है, तो या इसके बाद बस यादा से यादा गहन काय करना
काफ नह है? या इस छोट सी बात को याद रखने के लए वाकई यू डमो नया मशीन
जैसी ज टल चीज़ क ज़ रत है, जस पर हम यादा से यादा यान क त करना
चा हए?
भा यवश जब यान भटकानेवाली चीज़ क जगह एका ता लाने क बात आती है, तो
यह मामला उतना आसान नह रह जाता। ऐसा य है, यह समझने के लए गहनता के
रा ते म आनेवाली मु य बाधा पर गौर करते ह: अपना यान सतही चीज़ क ओर मोड़ने
क ती इ ा। यादातर लोग यह जानते ह क उनक यह इ ा मह वपूण चीज़ पर
यान क त करना मु कल बना दे ती है, पर यादातर लोग इस सम या क नय मतता
और गंभीरता को कम करके आँकते ह।

सन 2012 म मनोवै ा नक व हेम हॉफमैन और रॉय बे म टर के नेतृ व म ए एक


अ ययन पर गौर कर, जसम शा मल होनेवाले 205 वय क को बीपस पहना दए गए थे।
ये बीपस कसी भी समय बज सकते थे (यह वही ए सपी रयंस सै लग मेथड या अनुभव
नमूनाकरण व ध है, जसका ज पहले खंड म कया गया था)। इस अ ययन म शा मल
वय क को यह नदश दया गया था क जब भी उनका बीपर बजे, तो उ ह पलभर के लए
ठहरकर अपनी उन इ ा पर सोच- वचार करना है, जो उ ह अभी महसूस हो रही ह या
पछले तीस मनट के दौरान महसूस ई ह। साथ ही उ ह इसके बाद इन इ ा से जुड़े
कुछ सवाल के जवाब दे ने के लए भी कहा गया था। इस तरीके का उपयोग करके
शोधकता ने एक स ताह क अव ध म 7500 नमूने इक े कर लए। उनक खोज का
सं त वणन यह रहा: लोग दनभर अपनी इ ा से संघष करते रहते ह। जैसा क रॉय
बे म टर ने इस अ ययन के बाद ‘ वलपॉवर’ शीषक से का शत अपनी कताब म कहा
था: ‘हम पता चला क इ ाएँ अपवाद नह ब क एक मापदं ड ह।’ उनक इस कताब के
सहलेखक, व ान-लेखक जॉन टएरनी थे।

कोई आ य नह क इस अ ययन म ह सा लेनेवाले वय क जन पाँच मु य इ ा से


संघष कर रहे थे, उनम से तीन थ खाना, सोना और से स। इनके अलावा बाक इ ाएँ
थ , ‘कड़ी मेहनतवाले काम के बीच एक ेक लेना, ई-मेल व सोशल नेटव कग साइट् स
चेक करना, वेब स फक करना, यू जक सुनना या फर ट .वी. दे खना।’ इंटरनेट और
ट .वी. का लालच खासतौर पर काफ मजबूत था: शोध म शा मल वय क सफ 50
फ सद मौक पर ही यान भटकानेवाली इन चीज़ का सफलतापूवक तरोध कर सके,
जनक लत लगना आम बात है।

इस नयम क मदद से गहन काय क आदत वक सत करने के यास के संदभ म दे ख, तो


शोध के ये प रणाम नराशाजनक ह। ये प रणाम हम बताते ह क आपके मन म गहन काय
के बजाय हर तरह क इ ाएँ पैदा ह गी और ऐसा हर रोज़ होगा। अगर आप हॉफमैन और
बे म टर के इस अ ययन म ह सा लेनेवाले जमन वय क क मान, तो आपक ये सारी
अ य इ ाएँ, अ सर ही गहन काय करने क इ ा पर हावी होती रहगी। हो सकता है क
अब आप कह क इस अ ययन म ह सा लेनेवाले वय क भले ही असफल रहे ह , पर
आप इन इ ा पर काबू पाने म सफल ह गे य क आप गहनता का मह व समझते ह।
इस लए यान क त करने क आपक इ ाश अ धक ती होगी। म आपक इन
भावना का स मान करता ,ँ ले कन इस अ ययन के पहले दशक के शोध इस भावना
क नरथकता को दशाते ह। वतमान म ई एक व तृत जाँच-पड़ताल म रॉय बे म टर के
कुछ शोध ( रसच) पेपस क एक ृंखला ने अ णी भू मका नभाई थी, इससे इ ाश
क न न ल खत मह वपूण और अनपे त स ाईयाँ सा बत हो चुक ह: आपक
इ ाश सी मत होती है और इसका नरंतर उपयोग इसे कम कर दे ता है।

सरे श द म कह, तो आपक इ ाश उस माँसपेशी क तरह है, जो एक सीमा के बाद


थक जाती है। यह आपके च र क अ भ नह है, जसे आप असी मत ढं ग से बढ़ा
सकते ह। यही वजह है क हॉफमैन और बे म टर के अ ययन म शा मल वय क के लए
अपनी इ ा पर काबू करना इतना क ठन रहा। समय के साथ यान भटकानेवाली इन
इ ा ने उनक सी मत इ ाश को कम कर दया और फर एक ब के बाद वे उ ह
काबू करने म असफल होने लगे। दरअसल जब तक आप अपनी आदत के मामले म
समझदार नह बनगे, तब तक आपके साथ भी ठ क यही होगा, भले ही आपक नीयत
और इरादे कुछ भी ह ।

अब हम इससे जुड़ी रणनी तय के पीछे मौजूद ेरक वचार क बात करगे: अ े इराद के
भरोसे बैठने के बजाय अपने कामकाजी जीवन म समझदारीभरी कुछ व ाएँ और
दनचया बनाना, गहन काय करने क आदत को वक सत करने क कुंजी है। ये व ाएँ
और दनचया ऐसी होनी चा हए, जो न सफ आपक एका ता बनाकर रखने म सहायक
ह ब क इनके उपयोग से आपको इस अव ा म प ँचने के लए अपनी इ ाश का
कम से कम उपयोग करना पड़े। उदाहरण के लए एक दन आपने अपनी पूरी दोपहर वेब
ाउ जग जैसी यान भटकानेवाली ग त व ध म बता द । तभी अचानक आप अपना यान
कसी ऐसे काम म क त करने क ठान लेते ह, जो मान सक प से मु कल हो। ऐसे म
आपको इंटरनेट क चमकती नया से यान हटाने के लए अपनी सी मत इ ाश पर
ब त यादा नभर होना पड़ता है। जसके चलते आपक सारी को शश आमतौर पर बेकार
चली जाती ह। इसके लए अगर आपने पहले से ही कुछ व ाएँ और अपनी समय
सा रणी बनाई होती तो आपको मु कल काम शु करने और उसे पूरा करने के लए कम
इ ाश क ज़ रत पड़ती। समय सा रणी बनाना यानी गहन काय करने के लए हर
रोज दोपहर म एक न त समय और एक शांत ान तय करना। अंतत: अपने इन गहन
यास के चलते आपको कई बार सफलता का वाद चखने को मल जाता।

इस बात को यान म रखते ए आगे बताई गई छह रणनी तय को व ा और समय


सा रणी के ऐसे ह थयार के तौर पर दे खा जा सकता है, जसे सी मत इ ाश के व ान
को यान म रखते ए तैयार कया गया है, ता क आप अपने तयशुदा समय म जतना
गहन काय करते ह, उसक मा ा बढ़ाई जा सके। वे आपको अपना स शु करने से
पहले, एक वशेष पैटन के अनुसार अपने काम क समय सा रणी बनाने और एका ता
बढ़ाने के लए कुछ प तयाँ वक सत करने को कहगे। छह म से कुछ रणनी तयाँ आपके
दमाग के ेरणा-क को काबू करने के लए कुछ आसान से अनुमान का उपयोग करगी।
जब क अ य रणनी तयाँ आपक इ ाश के भंडार को, जतना हो सके, उतनी तेज
ग त से बढ़ाने के लए ह गी।

आप गहन काय को ाथ मकता बनाने क को शश कर सकते ह पर यहाँ बताई गई


रणनी तय या इ ह स ांत से े रत अपनी नजी रणनी तय के ज रए इस नणय का
समथन करना, इस संभावना को काफ बढ़ा दे गा क आप गहन काय को अपने
ावसा यक जीवन क एक मह वपूण चीज़ बनाने म सफल हो जाएँ।

अपना गहनता संबंधी दशन नधा रत कर

स कं यूटर वै ा नक डोना नुथ गहन काय को ब त मह वपूण मानते ह। वे अपनी


वेबसाइट म कहते ह, ‘म जो काम करता ँ, उसके लए अबा धत एका ता और कई घंट
के समय क ज़ रत होती है।’ इसी तरह एक ब े के पता और पूणका लक नौकरी
करनेवाले च क सा संबंधी उ मीदवार ायन चैपल भी गहन काय को ब त मह व दे ते ह
य क इसी क मदद से वे सी मत समय म भी अपने शोध पर काय कर पाते ह। चैपल ने
मुझे बताया, जब गहन काय के वचार से पहली बार उनका सामना आ, तो वह उनके
लए एक ‘भावना मक ण’ था।

म इन उदाहरण का उ लेख इस लए कर रहा ँ य क भले ही नुथ और चैपल गहन काय


के मह व पर सहमत ह , पर इस गहनता को अपने कामकाजी जीवन के साथ जोड़ने के
बारे म दोन का नज़ रया अलग-अलग है। जैसा क मने कताब के अगले ह से म व तार
से बताया है, नुथ मोने ट स म यानी वैरा यवाद (3 ) के उस सं करण का उपयोग करते ह,
जो बाक सारे काय को छोड़कर सफ गहन काय को ाथ मकता दे ता है। जब क इसके
वपरीत चैपल एक लयब रणनी त अपनाते ह। वे यान भटकानेवाली तमाम चीज़ से
भरे अपने कामकाजी दन क शु आत रोज सुबह 5:00 से 7:30 बजे तक अपने रोज़मरा
के काम को पूरा करते ए, करते ह। ये दोन ही तरीके कारगर ह ले कन सावभौ मक तौर
पर नह । नुथ का तरीका सफ उसी को समझ म आ सकता है, जसक मु य
ावसा यक ज मेदारी बड़े और मह वाकां ी वचार के बारे म सोचना हो। पर अगर
चैपल भी उ ह क तरह सारी ओछ चीज़ को अ वीकार करने का यह तरीका अपनाएँगे,
तो शायद ज द ही अपनी नौकरी खो बैठगे।

अपने ावसा यक जीवन को गहन काय से जोड़ने के लए आपको अपने एक गत


नज़ रए क ज़ रत है (जैसा क इस नयम क शु आत म बताया गया था क अ नयं त
ढं ग से गहन काय करने क योजना बनाना, अपनी सी मत इ ाश के बंधन का
भावी तरीका नह है)। पर यह उदाहरण इस चयन से जुड़ी एक सामा य चेतावनी पर
काश डालता है: अपनी व श प र तय के अनुकूल एक दशन (Philosophy) का
चयन करते समय आपको सावधानी बरतनी चा हए य क अगर इसम कोई छोट सी
गड़बड़ भी होती है, तो गहन काय करने क आपक आदत पूरी तरह वक सत होने से
पहले ही कमजोर पड़ जाएगी। यह रणनी त आपके सामने गहनता संबंधी चार अलग-
अलग दशन तुत करके, आपको ऐसी कोई भी गड़बड़ करने से बचाएगी। मने इन चार
दशन को असाधारण प से कारगर सा बत होते दे खा है। इस चचा का उ े य आपको
यह समझाना है क अपने गहन काय का नधारण करने के कई अलग-अलग तरीके ह।
इसी लए बेहतर होगा क आप कोई ऐसा तरीका ढूँ ढ़, जो आपक व श प र तय के
हसाब से आपके लए सव े हो।

गहन काय क समय सा रणी बनाने का वैरागी दशन

च लए एक बार फर डोना नुथ क ओर लौटते ह। वे कं यूटर साइंस के े म कई नई


खोज करने के लए स ह, जसम सबसे खास है, एलगो र (4 ) के दशन का
व ेषण करने के लए एक ढ़ कोण वक सत करना। हालाँ क अपने सहक मय के
बीच नुथ इले ॉ नक क यु नकेशन पर अपने कोण के लए बदनाम भी ह। अगर आप
टै नफोड म नुथ का ई-मेल ए ेस जानने के उ े य से उनक वेबसाइट पर व जट कर, तो
उसक जगह आपको यह ट पणी मलेगी:

01 जनवरी 1990 से लेकर आज तक म एक खुशहाल ँ य क यह दन मेरे ई-मेल


ए ेस का आ खरी दन था। इसके बाद मने अपना कोई ई-मेल नह बनाया। हालाँ क म
सन 1975 से ही ई-मेल का इ तेमाल करता रहा ँ और मुझे लगता है क एक जीवनकाल
म 15 साल तक ई-मेल का इ तेमाल करना काफ है। ई-मेल उन लोग के लए एक अ त
चीज़ है, जो अपने जीवन म हर चीज़ से ऊपर रहना चाहते ह। पर मेरे मामले म ऐसा नह है
य क म चीज़ क गहराई म जाना चाहता ँ। म जो काम करता ,ँ उसके लए अबा धत
एका ता और कई घंट तक अ ययन करना ज़ री होता है।

नुथ मानते ह क उनका उ े य खुद को नया से पूरी तरह काट लेना नह है। वे जानते ह
क अपनी कताब लखने के लए उ ह हज़ार लोग से संवाद करना पड़ता है और वे खुद
भी लोग के सवाल और ट प णय को लेकर अ धक त याशील होना चाहते ह।
इसी लए उ ह ने अपना एक पो टल ए ेस (डाक वहार का पता) दे रखा है। वे कहते ह
क उनक सहयोगी इस पते पर आनेवाली हर डाक को छाँटती है और जो डाक उसे वाकई
उ चत लगती है, उसे वह अलग रख दे ती है। अगर कोई डाक ऐसी है, जसका जवाब ज द
से ज द दे ना ज़ री है, तो वह उसे फौरन नुथ के पास लेकर आ जाती है। बाक सभी
डाक का जो ढे र बनता है, उसे नुथ हर तीन महीने म एक बार बैठकर नपटा दे ते ह।

नुथ गहन काय क समय सा रणी बनाने के मामले म जो कोण रखते ह, उसे म ‘वैरागी
दशन’ कहता ँ। यह दशन कम मह वपूण या ओछे काय को जड़ से ख म करके या
बलकुल कम करके गहन काय के यास को बढ़ाने क को शश करता है। जो लोग अपने
जीवन पर यह वैरागी दशन लागू करते ह, उनका अ सर एक और बेहद मह वपूण
ावसा यक ल य होता है, जसे वे हा सल करने म लगे होते ह। उ ह अपनी यादातर
ावसा यक सफलता तभी मलती है, जब वे अपने उस एक काम को असाधारण प से
अ तरह से पूरा करते ह। यह ता ही उनक छोट -छोट चता क मोट परत को
ख म करने म मदद करती है। कामकाजी नया म जन लोग का मह व घटता-बढ़ता
रहता है, वे अ सर इन छोट -छोट चता म उलझकर रह जाते ह।

उदाहरण के लए नुथ अपने ावसा यक ल य का वणन कुछ इस तरह करते ह: ‘मेरी


को शश रहती है क म कं यूटर व ान के कुछ वशेष पहलु को ब त व तृत ढं ग से
समझ लूँ। इसके बाद म उस ान को ऐसा सरल प दे दे ता ,ँ जसे हर कोई समझ सके,
वशेषकर वे लोग, जनके पास इस वषय पर मेरी तरह गहन अ ययन करने का समय नह
है।’ अगर आप नुथ को यह बताने या समझाने क को शश करगे क ट् वटर पर अपने
कंटे ट के लए एक बड़ा दशक वग तैयार करने के कई अ फायदे ह या ई-मेल का
अपे ाकृत अ धक उदार उपयोग आपको कई अनपे त अवसर उपल करवा सकता है,
तो यह तय है क आप अपने इस यास म वफल रहगे। य क उनका सफ एक ही ल य
है, कं यूटर साइंस के कुछ व श पहलु को समझकर उ ह आम लोग के लए सरल
ढं ग से लखकर पेश करना। अपने इस ल य को हा सल करने के लए उ ह ट् वटर या ई-
मेल से कोई मदद नह मलेगी।

अपने गहन काय को लेकर वैरागी दशन अपनानेवाले एक और ह, मश र साइंस


फ न लेखक नील ट फे सन। अगर आप उनक वेबसाइट पर व जट करगे, तो दे खगे
क उसम उनका कोई ई-मेल या पो टल ए ेस नह दया गया है। इसका या कारण है, यह
आप 2000 के दशक क शु आत म अपनी ारं भक वेबसाइट ( जसे द वेल पर हो ट
कया गया था) पर पो ट कए गए उनके नबंध को पढ़कर समझ सकते ह। ये सारे नबंध
आज भी इंटरनेट आकाइव ारा संर त ह। इ ह म से एक नबंध को सन 2003 म
सं हत कया गया था, इसम ट फे सन अपनी संवाद नी त को कुछ इस तरह तुत
करते ह:

जो लोग मेरी एका ता भंग करने क इ ा रखते ह, उनसे मेरा वन अनुरोध है क ऐसा
न कर। म साफ-साफ बता ँ क म उन लोग म से नह ँ, जो अपने ई-मेल का जवाब दे ते
ह... और इस पूरी बातचीत म मेरा मु य संदेश (यानी मेरी संवाद नी त) अ न रह जाए,
इस लए म साफ श द म कह दे ता :ँ म कई बार बता चुका ँ क म अपना समय और
यान कहाँ क त करना चाहता ँ। इस लए बेहतर होगा क अब आप मेरा समय या यान
पाने क कोई अपे ा न रख।

इसके बाद अपनी इस नी त को सही ठहराने के लए ट फे सन ने ‘ हाई आई एम ए बैड


कॉरे ॉ ट’ शीषक से एक नबंध लखा। अपनी अनुपल ता का जो ीकरण उ ह ने
दया, उसके मूल म उनका यह नणय है:

सरे श द म कह, तो उ पादकता समीकरण एक नॉन-ली नयर (गैर-रेखीय) समीकरण


होता है। इससे यह हो जाता है क म ई-मेल या प का जवाब दे ने के मामले म इतना
कमजोर य ँ और ऐसा कोई नमं ण आसानी से वीकार य नह करता, जहाँ मुझे
जाकर कोई भाषण या व वगैरह दे ना हो। अगर म अपने जीवन को कुछ इस तरह
व त कर लूँ क मुझे एक साथ ऐसा ढे र सारा खाली समय मल जाए, जसम कोई
ह त ेप न करे, तो म उप यास लेखन भी कर सकता ँ। पर जब यह खाली समय थोड़ा-
थोड़ा करके मलता है, तो एक उप यासकार के तौर पर मेरी उ पादकता भी तेजी से कम
हो जाती है।

ट फे सन के अनुसार उनके पास सफ दो ही वक प ह: या तो वे नय मत प से अ े


उप यास लख सकते ह या फर वे ढे र सारे ई-मे स का जवाब दे ने और अलग-अलग
स मेलन म ह सा लेने के प रणाम व प धीमी ग त से पहले क तुलना म कम अ े
उप यास लख सकते ह। वे इन दोन वक प म से अपने लए पहला वक प चुनते ह।
अपने इस चुनाव के चलते उनके लए यह ज़ री हो जाता है क वे अपने कामकाजी
जीवन म जतना हो सके, उतना ओछे काम से बचकर रह। ( ट फे सन के लए यह मसला
इतना मह वपूण है क उ ह ने सन 2008 म का शत अपने साइंस फ न उप यास
‘एंथम’ म भी इसके अंदर न हत सकारा मक और नकारा मक दोन अथ को समझने क
को शश क । इस उप यास म एक ऐसी नया का च ण कया गया है, जहाँ अ भजा य
वग का एक बौ क अपना जीवन वैरागी ढं ग से जीता है - वह ौ ो गक और
भटके ए यानवाले आम लोग से अलग-थलग और गहन वचार म डू बा रहता है।)

मेरा अनुभव है क वैरागी दशन कई नॉलेज वकस (5 ) को र ा मक बना दे ता है। नॉलेज


वकस जस ता से अपना मह व बताते ह, वह आज क सूचना आधा रत अथ व ा
म कह ज टल योगदान दे नेवाल को परेशान कर दे ता है। यान द क अ धक ज टल का
अथ ‘कमतर’ नह है। उदाहरण के लए, हो सकता है क ऊँचे पद पर बैठ कोई मैनेजर
भले ही प से यह न बता सके क इस साल उसने कंपनी क ओर से कौन सा
ोड ट न मत कया है (यह ोड ट कुछ भी हो सकता है, कोई उप यास या कुछ और)
पर इसके बावजूद वह उस ब लयन डॉलर कंपनी के कामकाज म मह वपूण भू मका नभा
रही होती है। इसी लए ऐसे लोग क सं या ब त कम है, जन पर यह वैरागी दशन लागू
होता है - और ऐसा होना कोई बुरी बात नह है। अगर आपक गनती इन लोग म नह हो
रही है, तो इसक सादगी से आपको यादा ई या नह होनी चा हए। सरी ओर अगर
आप इन लोग क ेणी म आते ह - यानी ऐसा जसका संसार म योगदान अलग,
और वैय क (6 ) है - तो आपको इस दशन पर गंभीरता से वचार करना चा हए
य क यह इस बात का एक नणायक कारक हो सकता है क आपका कॅ रयर एक
औसत कॅ रयर रहेगा या एक यादगार कॅ रयर।

गहन काय क समय सा रणी बनाने का पी दशन

इस कताब क शु आत ां तकारी मनोवै ा नक और वचारक काल युंग से जुड़े एक


क से से ई थी। 1920 के दशक म जब युंग ने बो लगन नामक एक छोटे से क बे के
बाहर त जंगल म प र से बने अपने घर म नय मत प से आना-जाना शु कया,
उसी दौर म वे अपने गु और मनो व ेषण के सं ापक स मंड ायड ारा क जा रही
कटु आलोचना से र होने क को शश भी कर रहे थे। जब भी युंग अपने इस घर म जाते,
तो वे खुद को एक छोटे से कमरे म बंद कर लेते ता क बना कसी वधान के अपना
लेखन-काय कर सक। इसके बाद वे चतन-मनन के लए जंगल क ओर टहलने नकल
जाते ता क अगले दन के लेखन-काय के लए खुद को मान सक प से तैयार कर सक।
मेरा मानना है क वे ये सारे यास इसी लए कर रहे थे, ता क अपने गहन काय क ती ता
को उस हद तक ले जा सक, जहाँ वे ायड और उनके तमाम समथक के साथ अपनी
बौ क लड़ाई जीत सक।

इस क से को याद करते ए म एक मह वपूण बात पर जोर दे ना चा ँगा: युंग ने अपने


गहन काय के त वैरागी (Monastic) कोण नह अपनाया। हमारे पछले दोन
उदाहरण, डोना नुथ और नील ट फे सन ने अपने ावसा यक जीवन म मूखतापूण
और यान भटकाने या वधान डालनेवाली हर चीज़ को पूरी तरह ख म करने क को शश
क थी। इसके वपरीत युंग ऐसा सफ तभी करते थे, जब वे जंगल म बने अपने इस घर म
कुछ दन के लए जाते थे। युंग का बाक समय यू रख शहर म बीतता था, जहाँ उनके
जीवन म ऐसा कुछ भी नह था, जसे वैरागी कहा जा सके: वे एक त डॉ टर थे और
दे र रात तक अपने मरीज का इलाज करते रहते थे; साथ ही वे कॉफ हाउस म बैठकर
बौ क चचाएँ करनेवाली यू रख क सं कृ त म एक स य भागीदार भी थे। इसके
अलावा वे शहर के कई त त व व ालय म ा यान भी दे ते थे और अ य वशेष
के ा यान सुनने भी जाते थे। (नोबेल पुर कार से स मा नत महान भौ तक वद् अ बट
आइं टाइन को अपनी डॉ टरेट क उपा ध यू रख के एक व व ालय से ही मली थी।
उ ह ने यहाँ के एक व व ालय म अ यापन भी कया था। दलच बात यह है क वे
काल युंग से भी प र चत थे। आइं टाइन क योरी ऑफ रले ट वट यानी सापे ता के
स ांत से जुड़े मुख वचार पर चचा करने के लए दोन ने कई बार साथ म डनर भी
कया था।) सरे श द म कह, तो यू रख म युंग का जीवन काफ हद तक वैसा ही था,
जैसा आज के हाइपरकने टे ड (7 ) ड जटल युग म कसी नॉलेज वकर का होता है: अगर
हम कुछ दे र के लए ‘ यू रख’ क जगह ‘सैन ां स को’ और ‘प ाचार’ क जगह
‘ट् वीट’ को रखकर दे ख, तो ऐसा लगेगा, मान हम कसी ौ ो गक कंपनी के सफल
सीईओ क बात कर रहे ह।

युंग ने जो कोण अपनाया, उसे म गहन काय का पी दशन कहता ँ। यह दशन


कहता है क आप अपने समय को दो ह स म बाँट द। एक ह सा वह, जसम आप एक
तयशुदा समय अपना गहन काय करने म बताएँ और बाक का समय अ य चीज़ के लए
रख। पी कोणवाला इंसान गहन काय के लए तय कए गए समय म वैरागी
कोणवाले इंसान क तरह वहार करता है यानी वह बना कसी बाधा के नरंतर
एका ता हा सल करने क को शश करता है। जब क अ य चीज़ के लए रखे गए समय म
इस क म क एका ता उसक ाथ मकता नह होती। अपने समय का ऐसा बँटवारा
कसी भी अव ध के पैमाने पर कया जा सकता है। उदाहरण के लए एक स ताह क
समय अव ध म आप चार दन का समय गहन काय के लए तय कर सकते ह और बाक
के तीन दन अ य सतही काय के लए। ठ क इसी तरह एक साल क अव ध म आप
कसी एक ॠतु म गहन काय के कई स बता सकते ह (जैसा क कई श ा वद् ग मय
के मौसम म या छु के दन म करते ह)।

पी दशन मानता है क गहन काय से आपक उ पादकता चरम पर प ँच जाती है, पर


सफ तभी, जब आप इसम कम से कम इतना समय बताएँ क अपनी अ धकतम ान
संबंधी ती ता उस त म प ँच जाए, जसम असली सफलता मलती है। इसी लए इस
दशन के अनुसार गहन काय करते ए कम से कम एक पूरा दन बताना चा हए। य क
अगर आप गहन काय के लए सुबह या फर शाम को कुछे क घंटे का समय अलग से
नकालकर रखते ह, तो यह काफ नह होगा। य क इस कोण के अनुसार यह अव ध
कुछ यादा ही छोट है।

जो गहन काय के त पया त वचनब ता के बना सफल नह हो सकते, ऐसे लोग भी


इस पी दशन को अपना लेते ह। उदाहरण के लए युंग का एक डॉ टर के तौर पर
स य रहना ज़ री था, ता क उससे होनेवाली कमाई से वे अपने और अपने प रवार का
खच वहन कर सक। सरी ओर उनके लए यह भी ज़ री था क वे कॉफ हाउस म बैठकर
बौ क चचाएँ करनेवाली यू रख क सं कृ त के एक स य भागीदार भी रह य क
इससे उ ह बौ क ेरणा और ो साहन मलता था। इन दोन चीज़ को समय-समय पर
करते रहने से उनक दोन क म क ज़ रत पूरी होती थ ।

अगर पी दशन के कसी आधु नक उदाहरण क बात करनी हो, तो हम हाटन


बजनेस कूल के ोफेसर एडम ांट पर एक बार फर वचार कर सकते ह। कताब के
पहले खंड म हमने कामकाज संबंधी आदत पर ांट क वचारशीलता का उ लेख कया
था। जैसा क शायद आपको याद होगा, हाटन बजनेस कूल म ोफेसर के तौर पर ांट
का ओहदा तेजी से बढ़ा था और ज द ही वे वहाँ के सबसे युवा पूणका लक ोफेसर बन
गए थे। उनक यह ावसा यक उ त पी कोण को समझने का एक ब ढ़या
उदाहरण तुत करती है। उ ह ने एक शै णक वष म अपने सभी कोसस को एक
सेमे टर म समेट दया था, ता क वे अगले सेमे टर क समय अव ध म अपने गहन काय पर
यान क त कर सक। फर उ ह ने गहन कायवाले सेमे टर म सा ता हक अव ध के पैमाने
पर अपना पी कोण लागू कया। वे शायद महीने म एक या दो बार, पूरी तरह
वैरागी होने के लए दो से चार दन का समय नकालते थे। वे अपना दरवाजा बंद कर लेते
और अपने ई-मेल म ऑटो- र ॉ र ( वत: जवाब दे नेवाला एक स टम) चालू कर लेते
और बना कसी बाधा के अपना शोध-काय करते रहते। गहन कायवाले इस स के
अलावा बाक हर समय वे सभी के लए उपल रहते, जो उनके बारे म एक मश र बात
थी। ऐसा करना एक तरह से यह उनके लए ज़ री भी था। जैसे सन 2013 म का शत
उनक बे टसेलर कताब ‘ गव एंड टे क’ इस आदत को बढ़ावा दे ती है क आपको फल क
इ ा कए बना अपना पूरा समय और यान अपने काम पर लगाना चा हए। य क
ावसा यक उ त क सबसे मुख रणनी त यही है।

जो लोग गहन काय का पी दशन अपनाते ह, वे वैरागी दशन अपनानेवाल क


उ पादकता क सराहना करते ह, पर साथ ही उस लाभ का भी स मान करते ह, जो उ ह
अपने कामकाजी जीवन म छोटे -छोटे काय करने के चलते मलता है। इस दशन को
अपनाने क या म शायद सबसे बड़ी बाधा यही है क गहन काय करने क छोट से
छोट अव ध भी एक लचीलेपन क माँग करती है। जसे लेकर यादातर लोग के मन म
शंका आती है क उनक वतमान त म इस लचीलेपन क कमी है। अगर आप सफ
एक घंटे तक अपने इनबॉ स को न खोल पाने के कारण असु वधा महसूस करने लगते ह,
तो न त ही एक दन या उससे यादा के लए यह सब छोड़कर कह गायब हो जाने का
वचार आपको असंभव नज़र आएगा। पर मुझे लगता है क पी कोण के साथ
काम करना, नौकरी या अ य ावसा यक काम के लए आपक उ मीद से कह यादा
उपयु है। उदाहरण के लए इस कताब म मने हावड बजनेस कूल के ोफेसर ले ली
पल के एक अ ययन का वणन कया था। इस अ ययन म मैनेजमट सलाहकार के एक
समूह को अपने ऑ फस का काम करते ए पूरा दन संचार के सभी मा यम से र रहने
के लए कहा गया था। पर सलाहकार को डर था क अगर उ ह ने ऐसा कया, तो उनके
ाहक इसका वरोध करगे। जब क अ ययन के अंत म यह हो गया क उनके ाहक
को इससे कोई फक नह पड़ा। जैसा क युंग, ांट और पल के अ ययन म शा मल
वय क ने पाया, अगर लोग को प से यह पता हो क आप कस अव ध म उपल
नह रहगे और साथ ही उ ह यह भी मालूम हो क इस अव ध के बाद आप उनके लए
आसानी से उपल रहगे, तो आमतौर पर वे उपल न रहने के आपके अ धकार का पूरा
स मान करते ह।

गहन काय क समय सा रणी बनाने का लयब दशन


90 के दशक का एक मश र अमे रक ट .वी. शो ‘ सनफ ’ के शु आती दन म इसके
नमाता और अ भनेता जेरी सनफ एक टै -अप कॉमे डयन के तौर पर स य थे।
इसी दौरान उ ह ने एक त कॉमेडी टू र भी कया। इसी अव ध म एक अ य कॉमे डयन
और लेखक ैड आईजैक एक रात एक लब म सनफ से टकरा गए। आईजैक उस
समय ओपन माइक कायकम म कॉमे डयन के तौर पर काम करते थे। उस रात वे टे ज पर
जाकर अपना काय म तुत करने ही वाले थे क तभी उ ह वहाँ दशक के बीच जेरी
सनफ बैठे नज़र आए। आईजैक ने लाइफहैकर नामक लॉग के लए लखे गए अपने
एक लेख म इस घटना का वणन कया है, जो काफ मश र भी आ: ‘ सनफ जैसी
द गज ह ती को सामने दे ख मुझे अपने लए एक सुनहरा अवसर नज़र आया। म कसी
भी तरह सनफ से पूछना चाहता था क या वे युवा कॉमे डय स को कोई सलाह दे ना
चाहगे? मेरे इस सवाल पर सनफ ने जो जवाब दया, उसका फायदा मुझे जदगीभर
मला।’

सनफ ने अपनी सलाह क शु आत एक कॉमनसस वाली बात से क । उ ह ने कहा क


‘एक अ ा कॉमे डयन बनने के लए ज़ री है अ े चुटकुले लखना।’ फर उ ह ने
आईजैक को बताया क ‘अ े चुटकुले लखने का तरीका यह है क तुम हर रोज लखो।’
उ ह ने आईजैक को एक खास तकनीक भी बताई, जसे वे वयं हर रोज अपने लेखन का
अ यास करने के लए इ तेमाल करते थे। दरअसल वे अपने सामने द वार पर एक कैलडर
टाँगकर रखते थे। हर रोज जब वे बैठकर नए-नए चुटकुले लखने का अ यास करते थे, तो
कैलडर पर उस तारीख के ऊपर लाल रंग के पेन से एक बड़ा सा ॉस का नशान बना दे ते
थे। सनफ ने कहा, ‘इस तरह कुछ दन बाद तुम दे खोगे क तु हारे कैलडर पर ॉस
के नशान क एक पूरी चैन या ृंखला बन गई है। इस अ यास को जारी रखो और तु हारी
वह ृंखला हर रोज और लंबी होती जाएगी। फर तु ह कैलडर पर उस ृंखला को दे खना
अ ा लगने लगेगा, खासकर तब, जब तु ह ऐसा करते ए कुछ स ताह बीत चुके ह गे।
इसके बाद तु हारा सफ एक ही काम होगा, उस ृंखला को टू टने न दे ना।’

यह ृंखला प त (चैन मेथड) ज द ही लेखक और नरंतर मु कल शारी रक


ग त व धय म ह सा लेनेवाले फटनेस के त उ साही लोग के बीच मश र हो गई।
हमारे उ े य को पूरा करने के लए यह प त जीवन म गहनता लानेवाले सामा य
कोण का एक व श उदाहरण तुत करती है, जो कुछ और नह ब क लयब
दशन है। इस दशन के अनुसार नय मत प से गहन काय स को शु करने का सबसे
आसान तरीका है, उ ह अपनी आदत बना लेना। सरे श द म कह, तो इसका मु य
उ े य है, काम के त एक लय पैदा करना। जसके बाद आपको यह तय करने के लए
अपनी ऊजा खच करने क ज़ रत नह पड़ती क आपको गहनता म जाना है या नह
और अगर जाना है तो कब। यह ृंखला प त गहन काय क समय सा रणी बनाने के
लयब दशन का एक अ ा उदाहरण है। य क यह समय सा रणी हर रोज काम करने
के साथ-साथ, खुद को काम क याद दलाने के लए कैलडर पर लाल रंग के पेन से ॉस
का च ह बनाने का आसान तरीका भी बताती है।

लयब दशन को लागू करने का एक और सामा य तरीका है, ृंखला प त के संकेतक


( ॉस का च ह) को हटाकर उसक जगह वह तयशुदा समय लख दे ना, जस समय आप
त दन अपना गहन काय शु करते ह। जस तरह अपने काम क ग त का एक
संकेतक ( ॉस का च ह) सामने रखने से गहनता के रा ते म आनेवाली बाधाएँ कम हो
जाती ह, उसी तरह ‘अपना काम कस समय शु करना है’ जैसे समय सा रणी
बनानेसंबंधी, साधारण नणय क ज़ रत ख म कर दे ने से भी गहनता के रा ते म
आनेवाली बाधाएँ कम हो जाती ह।

इस रणनी त के वणन क शु आत म मने जस त डॉ टरेट उ मीदवार ायन चैपल का


उ लेख कया, अब ज़रा उनके उदाहरण पर वचार कर। चैपल ने अपनी ज़ रत के चलते
गहन काय क समय सा रणी बनाने क लयब फलॉसॉफ (दशन) अपनाई। जब वे
अपना शोध- बंध पूरा कर रहे थे, तब उ ह अपने ही श ा-प रसर के एक क म
पूणका लक नौकरी का ताव मला। ावसा यक नज़ रए से यह एक अ ा अवसर था
और चैपल इसे वीकार करके खुश थे। यह नौकरी चैपल को तब मली, जब हाल ही म वे
अपने पहले ब े के पता बने थे। इस पूणका लक नौकरी के चलते शै णक प से
उनके लए उस गहनता म जाना मु कल हो गया, जो शोध- बंध लखने के लए ज़ री
थी।

चैपल ने गहन काय के त एक अ न त वचनब ता के साथ इस नौकरी क शु आत


क । उ ह ने यह नयम बनाया क गहन काय के लए उ ह न बे-न बे मनट के खंड म
काम करना होगा (उनका यह सोचना तो सही था क एका ता क अव ा म र होने म
थोड़ा समय लगता है)। उ ह ने तय कया क उ ह जब भी ज़ रत पड़ेगी, वे न बे-न बे
मनट के इन खंड को अनौपचा रक ढं ग से सूचीब करने क को शश करगे। इसम कोई
आ य नह क इस रणनी त से उनक उ पादकता कसी उ तर तक नह प ँच सक ।
एक साल पहले जब उ ह ने एक बूट कै (8 ) म ह सा लया था, तब वे एक स ताह तक
कठोर गहन काय करके अपने शोध- बंध का एक पूरा अ याय लख लेते थे। पर
पूणका लक नौकरी वीकार करने के बाद अगले एक साल क अव ध म वे अपने शोध का
सफ एक अ त र अ याय ही पूरा कर सके। यह चैपल क धीमी लेखन या ही थी,
जसके कारण उ ह ने आ खरकार लयब कोण अपना लया। उ ह ने नयम बना
लया क अब वे हर रोज सुबह ज द उठगे और साढ़े पाँच बजे से साढ़े सात बजे तक
अपने शोध पर काम करगे। फर अपना ना ता तैयार करगे और इसके बाद काम पर
जाएँगे। यानी अपना दन शु करने से पहले ही वे रोज सुबह शोध पर उतना काम कर
चुके ह गे, जतना काम एक दन म पूरा करने का उ ह ने नणय लया था। इस प त से
मली शु आती सफलता से उ सा हत होकर उ ह ने हर रोज थोड़ा और ज द यानी पौने
पाँच बजे जागना शु कर दया ता क सुबह क गहनता म यादा से यादा काम कर
सक।

जब मने अपनी इस कताब के लए चैपल का इंटर ू लया, तो उ ह ने गहन काय क


सा रणी बनाने के अपने लयब कोण को ‘बेहद उ पादक और अपराध-बोध से मु ’
कहकर प रभा षत कया। अपनी इस दनचया के चलते वे हर रोज चार से पाँच पेज
शै णक-साम ी लखकर तैयार कर रहे थे। इसी लए अब वे हर दो से तीन स ताह म
अपने शोध- बंध का एक अ याय लखकर तैयार कर लेते थे: नौ से पाँच क नौकरी
करनेवाले इंसान के लहाज से उनका इतना उ पादक होना वाकई कमाल है। वे कहते ह,
‘कौन कहता है क इतना उ पादक होना संभव नह है?’

दलच बात यह है क लयब दशन (Rhythmic Philosophy) वा तव म पी


दशन (Bimodal Philosophy) का वपरीत कोण है। पी कोणवाले लोग
दनभर चलनेवाले जन एका ता स क वकालत करते ह, लयब कोणवाले गहन
सोच के उस सबसे ती तर को हा सल कर पाने म नाकाम हो जाते ह। ले कन
वा त वकता यह है क इंसानी कृ त के लहाज से लयब कोण ही यादा कारगर
सा बत होता है। लयब कोणवाला गहन काय को अपनी कठोर दनचया क
मदद से नय मत प से थोड़ा-थोड़ा करके पूरा कर लेता है। इस तरह वह आमतौर पर
तवष कुल जतने घंटे गहन काय करता है, वह अ य समय क तुलना म काफ यादा
होता है।

लयब और पी दशन म से कसी एक को चुनने का आपका नणय इस बात पर


नभर होता है क इस तरह के श ूल बनानेवाले मामल को लेकर आपके अंदर कतना
आ म- नयं ण है। वस मनो व ेषक काल युंग जैसे इंसान को अपना बौ क भु व
ा पत करने के लए मनो व ेषण के सं ापक स मंड ायड के ढे र समथक से
संघष करना पड़ा। अगर आप भी काल युंग जैसे ही इंसान ह, तो संभव है क आप वत:
ही समझ जाएँगे क अपने वचार पर पूरी एका ता के साथ सोच- वचार करने के लए
नय मत प से समय नकालना कतना ज़ री है। सरी ओर अगर आप कोई ऐसे
ह, जो अपना शोध- बंध लख रहा है और उसे पूरा करने के लए कोई आप पर दबाव भी
नह डाल रहा है, तो संभव है क आपको लयब दशन क ज़ रत पड़े। य क यह दशन
काफ ावहा रक कृ त का है, जो शोध- बंध पूरा करने क या को आगे बढ़ाने म
आपक मदद कर सकता है।

हालाँ क ब त से लोग के मामले म सफ आ म- नयं ण ही इकलौती ऐसी चीज़ नह है,


जो उ ह लयब दशन क ओर वृ करती हो। ब क इसके पीछे यह वा त वकता भी
होती है क कुछ नौक रयाँ या काय ऐसे होते ह, जनम गहन काय करने के लए एक साथ
कई दन तक छु लेना संभव नह हो पाता। (ब त से बॉस यह मानते ह क आप कसी
एक चीज़ पर जतना चाह, उतना एका होने के लए वतं ह, पर सफ तभी तक, जब
तक आप उनके ई-मेल का जवाब फौरन दे रहे ह ।) संभवत: इसी लए गहन काय से जुड़े
सामा य नौकरीपेशा लोग के बीच लयब दशन सबसे आम होता है।

गहन काय को सूचीब करने का प का रता दशन

1980 के दशक म प कार वॉ टर आईजै सन अपने जीवन के तीसरे दशक म थे और


मश र अमे रक प का ‘टाइम’ म तेजी से सफलता क सी ढ़याँ चढ़ रहे थे। इस समय
तक वे बौ क वग क नज़र म आ चुके थे। यही वह समय था, जब त त अमे रक
लेखक, तंभकार और सामा जक आलोचक टोफर हच स ने लंदन र ू ऑफ बु स
म लखते ए वॉ टर आईजै सन को ‘अमे रका के सव े प कार म से एक’ कहा था।
आईजै सन के लए यह एक बड़ी और मह वपूण कताब लखने का सबसे उपयु समय
था। य क कताब लखना प कारीय उपल य के रा ते म एक मह वपूण कदम होता
है। आईजै सन ने कताब लखने के लए एक ज टल वषय चुना। उ ह ने तय कया क वे
ारं भक शीत यु नी त बनाने म मह वपूण भू मका नभानेवाली छह श सयत क
कथा मक जीवनी लखगे, जसम उन सभी क कहा नयाँ आपस म एक- सरे से गुँथी ई
ह गी। इस ज टल काम को अंजाम दे ने के लए आईजै सन ने टाइम प का के अपने
सहकम संपादक इवान थॉमस क मदद ली। इस तरह उ ह ने जो काम शु कया, वह ‘द
वाइज मेन: स स फे्रंड्स एंड द व दे मेड’ शीषकवाली 864 पेज क एक भारी-भरकम
कताब के प म सामने आया।

सन 1986 म का शत ई उनक इस कताब को हाथ -हाथ लया गया। द यू यॉक


टाइ स ने इसे ‘एक समृ लेखनी’ करार दया। द सैन ां स को ॉ नकल ने इसक
सराहना करते ए लखा क ‘इन दो युवा लेखक ने अपनी कताब के ज रए शीत यु को
उसी वीणता के साथ तुत कया है, जस तरह स दय पहले महान ीक जीवनीकार
लूटाक अपने दौर के वषय को तुत करते थे।’ इसके बाद एक दशक से भी कम समय
म आईजै सन अपने प का रता कॅ रयर के शीष पर प ँच गए। उ ह टाइम प का का
संपादक नयु कर दया गया। इसके बाद वे एक थक टक के सीईओ भी बने और साथ
ही बजा मन क लन, अ बट आइं टाइन और ट व जॉ स जैसी श सयत के जीवनी
लेखक के प म स ए।

आईजै सन म मेरी दलच ी इस लए नह है क अपनी पहली कताब लखकर ही वे


इतने कामयाब हो गए थे। मेरी दलच ी तो उनके कताब लखने के तरीके के बारे म है।
इस कहानी को आपके सामने लाने के लए मुझे उनके साथ अपने गत संबंध क
मदद लेनी होगी। दरअसल मेरे अंकल जॉन पॉल यूपोट भी उसी दौरान यू यॉक म बतौर
प कार स य थे। आईजै सन क कताब ‘द वाइज़ मेन’ के काशन के कुछ साल पहले
एक बार मेरे अंकल ने उनके साथ मलकर एक समर बीच हाउस कराए पर लया था। मेरे
अंकल आज भी आईजै सन क कामकाज संबंधी भावशाली आदत को याद करते ह:

उसके तरीके हमेशा अ त होते थे... जब म और हमारे अ य दो त बाहर बरामदे म आराम


फरमा रहे होते थे, उस समय आईजै सन अपनी कताब पर काम करने के लए अपने
बेड म म चला जाता था... वह कभी बीस मनट तो कभी एक घंटे के लए जाता और इस
दौरान हम उसके टाइपराइटर क आवाज सुनाई दे ती रहती। इसके बाद वह वापस हमारे
बीच आकर बैठ जाता और उस व भी उसके चेहरे पर वही सुकून नज़र आता, जो हम
बाक दो त के चेहर पर आराम करने के कारण दखाई दे रहा होता था... वह कभी भी
अपने काम के दबाव के चलते वच लत नज़र नह आता था। ब क जब भी उसके पास
थोड़ा सा खाली समय होता, वह खुशी-खुशी उठकर काम करने के लए अपने बेड म म
चला जाता।

आईजै सन व धपूण (Methodic) थे: जब भी उ ह खाली समय मलता, वे गहन


काय क अव ा म चले जाते और अपनी कताब पूरी करने म जुट जाते। है क
अगर आप दे श के सबसे अ े प कारीय लेखक म से एक बनने के लए दन का
यादातर समय एक प का के ऑ फस म काम करते ए बताते ह , तो करीब 900 पेज
क कताब लखने के लए अलग से समय नकालना तभी संभव है, जब आप वे तरीके
अपनाएँ, जो आईजै सन ने अपनाए थे।
अपने त श ूल म जब संभव हो, तब गहन काय म जुट जाना - म इस कोण को
‘गहन काय का प कारीय दशन’ कहता ँ। यह नाम इस त य का संकेत है क वॉ टर
आईजै सन जैसे प कार अपने नय मत कामकाज के बीच पलक झपकते ही गहन लेखन
क अव ा म जाने के लए श त ह। य क डेडलाइन (समय सीमा) के हसाब से
चलनेवाले उनके पेशे म इसी कोण क ज़ रत होती है।

यह कोण उन लोग के लए नह है, जो गहन काय के मामले म अभी नौ स खए ह।


जैसा क मने इस नयम क शु आत म बताया था, पलक झपकते ही गहन काय से
साधारण काय क अव ा म बार-बार जाने क मता वाभा वक प से नह आती।
अ यास के बना इस तरह बार-बार एक से सरी मान सक अव ा म जाने से आपका
इ ाश भंडार तेजी से खाली होता चला जाता है। इस आदत के लए अपनी मता
पर व ास होना भी ज़ री है। यह ढ़ व ास क आप जो कर रहे ह, वह मह वपूण है
और आपको उसम सफलता ज़ र मलेगी। आमतौर पर आपक मौजूदा उपल याँ ही
ऐसे ढ़ व ास का आधार बनती ह। अपना पहला उप यास लख रहे कसी अ य
उप यासकार क तुलना म आईजै सन के लए गहन लेखन क अव ा म जाना संभवत:
यादा आसान रहा होगा। य क तब तक वे लगातार प कारीय लेखन करते ए खुद को
एक त त लेखक के तौर पर ा पत कर चुके थे। उ ह पता था क उनके अंदर एक
भारी-भरकम जीवनी लखने क मता है। साथ ही उनम यह समझ भी थी क कताब
लखना उनक ावसा यक ग त के लए काफ मह वपूण सा बत हो सकता है। क ठन
यास को े रत करने म यह आ म व ास ब त काम आता है।

म गहन काय के प का रता दशन के त ज़रा प पाती रवैया रखता ँ। य क अपने


त श ूल म ऐसे गहन यास करने के लए मेरा मु य तरीका भी यही होता है। सरे
श द म कह, तो म अपने गहन काय के मामले म वैरागी कोणवाला नह ँ और
न ही म पी दशनवाल क तरह कई-कई दन के लए गहनता म जाता ँ। (हालाँ क
मेरे साथी कं यूटर वै ा नक डोना नुथ गहन काय क अव ा म जाने के लए जस ढं ग
से खुद को नया से काट लेते ह, उससे मुझे कभी-कभी ई या होती है।) लयब दशन के
त मेरे अंदर कौतूहल का भाव रहता है, पर इसे अपनी दन- त दन क आदत म
शा मल करने म मेरा श ूल आड़े आ जाता है।

इसी लए म भी आईजै सन क ही तरह हर स ताह को वतमान तय के अनुसार ही


इ तेमाल करता ँ और यादा से यादा गहनता के लए अपना सव े करने क को शश
करता ँ। उदाहरण के तौर पर मुझे भी जब कभी थोड़ा सा खाली समय मलता था, तो म
उसका भरपूर उपयोग करता था य क इस कताब को पूरा करने के लए यह ज़ री था।
अगर मेरे ब े थोड़ी दे र के लए झपक ले रहे होते, तो म अपना लैपटॉप लेकर घर पर ही
बने अपने ऑ फस के कमरे म बंद हो जाता। इसी तरह अगर मेरी प नी स ताहांत म कसी
दन अपने माता- पता से मलने के लए पास ही म त एनापो लस शहर जाने क
योजना बनाती, तो म उनके घर के कसी शांत कोने म भी अपना काम करना शु कर दे ता
य क वहाँ मुझे अपने ब को सँभालने क ज़ रत नह पड़ती। मेरी प नी के माता-
पता यह काम बड़ी खुशी-खुशी करते। इसी तरह जब भी ऑ फस म मेरी कोई मी टग
अचानक र हो जाती या कसी दन दोपहर के व यादा काम नह होता, तो म प रसर
म बनी अपनी पसंद दा लाइबे्ररी म जाकर इस कताब के कुछ और प े लख डालता।
बस यह सल सला इसी तरह जारी रहा।

मुझे यह वीकार कर लेना चा हए क म अपने कामकाज पर प का रता दशन अमल करने


के मामले म ब त आदशवाद रवैया नह अपनाता। जैसे म गहन काय संबंधी अपने सारे
नणय तुरंत नह लेता। ब क शु आत म ही म यह तय कर लेता ँ क स ताह के सात
दन कब-कब गहन काय क ँ गा। फर हर दन क ज़ रत के अनुसार इन नणय को
बदल भी लेता ँ (मेरी दनचया के श ूल को व तार से जानने के लए नयम मांक 4
दे ख)। इससे मुझे गहन काय करने के बारे म शी नणय लेने क ज़ रत नह रह जाती,
जससे मेरे पास गहन सोच- वचार के लए मान सक ऊजा बची रहती है।

अंतत: गहन काय का श ूल बनाने का प का रता दशन काफ मु कल होता है। पर


अगर आपको उस चीज़ के मह व पर पूरा व ास है, जसक रचना आप अपने गहन
काय से करनेवाले ह और गहनता म जाने के कौशल का पया त अ यास कर चुके ह, तो
आप अपने त श ूल म भी इतनी गहनता हा सल कर सकगे, जसे दे खकर आपको
न त ही आ य होगा। गहनता म जाने का कौशल वक सत करने के लए ज़ री
रणनी तयाँ कताब म आगे भी बताई गई ह।

व ाएँ बनाएँ (Ritualize)

जो लोग अपने दमाग का इ तेमाल मह वपूण व मू यवान चीज़ रचने के लए करते ह,


उनसे संबं धत एक त य को अ सर अनदे खा कर दया जाता है। वह त य यह है क ऐसे
लोग अपनी कामकाज संबंधी आदत के मामले म शायद ही कभी लापरवाही करते ह ।
जैसे पु ल ज़र पुर कार वजेता जीवनीकार रॉबट कैरो का ही उदाहरण ल। सन 2009 म
उनके बारे म एक प का म का शत लेख के अनुसार, ‘कैरो के यू यॉक ऑ फस म एक-
एक चीज़ तयशुदा नयम-कायद के अनुसार ही होती है।’ वे अपनी कताब ऑ फस म
कस ान पर रखगे, अपनी नोटबु स को एक के ऊपर एक लगाकर कस तरह रखगे,
ऑ फस क द वार पर या टाँगा जाएगा और यहाँ तक क वे अपने ऑ फस म कौन सी
पोशाक पहनगे: हर चीज़ उनक तयशुदा दनचया के अनुसार ही तय होती है। अपने लंबे
कॅ रयर म उनक यह दनचया ब त कम बार ही बदली है। कैरो बताते ह, ‘मने खुद को
व त रखने के लए श त कया है।’

नया को म- वकास का स ांत (evolution theory) दे नेवाले महान जीव व ानी


चा स डा वन जब जा तय क उ प पर काम कर रहे थे, उस दौर म उनका कामकाजी
जीवन भी ऐसा ही था, जो कुछ तयशुदा नयम के हसाब से चलता था। जैसा क उनके
बेटे ां सस ने बाद म याद करते ए बताया था, डा वन रोज सुबह सात बजे उठकर
टहलने नकल जाते थे। फर ना ते के बाद वे सुबह आठ बजे से लेकर साढ़े नौ बजे तक
अपने अ ययन क म बैठकर काम करते थे। इसके बाद उनका अगला एक घंटा पछले
दन के प पढ़ने के लए तय था। इसके बाद साढ़े दस बजे से लेकर दोपहर तक वे काम
करने के लए एक बार फर अपने अ ययन क म चले जाते। दन के इस पहले स के
बाद वे चुनौतीपूण वचार पर सोच- वचार करने के लए एक तयशुदा रा ते पर टहलने
नकल जाते, जो उनके ीनहाउस से शु होकर उनके घर का च कर लगाते ए वापस
वह प ँच जाता था, जहाँ से शु होता था। वे तब तक टहलते रहते, जब तक अपने सोच-
वचार से संतु नह हो जाते। इसके बाद वे अगली सुबह तक के लए अपनी दनचया से
नवृ हो जाते।

पाँच साल तक मश र वचारक और लेखक क आदत को सूचीब करनेवाले प कार


मेसन यूरी ( जनसे मुझे अपने पछले दोन उदाहरण क जानकारी मली) इस वृ को
व ापन क ओर ले जानेवाली वृ के प म कुछ इस तरह करते ह:

कलाकार के बारे म एक लोक य धारणा है क वे तभी काम करते ह, जब कोई चीज़


उ ह े रत करती है - मान कह से अचानक कोई चीज़ आकर उनके अंदर रचना मकता
क आग भड़का दे ती है। पर म उ मीद करता ँ क इस कताब से यह है क कसी
चीज़ क रचना करने के लए ेरणा का इंतजार करना थ है। ब क अगर म रचना मक
काय क को शश कर रहे लोग को अपनी ओर से एक सबसे अ सलाह ँ , तो यही
क ँगा, बेहतर होगा क ेरणा का इंतजार करने के बजाय उसे अनदे खा कर।

यू यॉक टाइ स के तंभकार डे वड ू स इस वा त वकता को और ढं ग से तुत


करते ह: महान रचना मकता के धनी लोग सोच- वचार तो कलाकार क तरह ही करते ह,
पर काम कसी अकाउं टे ट क तरह करते ह।
-------------

यह रणनी त दरअसल ये संकेत दे ती है क अपने गहन काय स का अ धकतम लाभ


उठाने के लए आपको भी उतनी ही व श और कठोर व ा बनानी ह गी, जतनी इस
कताब के पछले प म उ ले खत कुछ मह वपूण वचारक ने बनाई थ । इस तरह
उनक नकल करने के पीछे एक कारण है। रॉबट कैरो या चा स डा वन जैसी महान
श सयत ने अपने लए कुछ व श प त (र म) इस लए नह बनाई थ य क वे
सर के सामने खुद को एक अनोखे इंसान क तरह पेश करना चाहते थे। उ ह ने ऐसा
इस लए कया था य क उनके े म सफलता हा सल करना बार-बार गहनता म जाने
क उनक मता पर नभर करता था - अपने दमाग को उसक मता क आ खरी सीमा
तक उपयोग कए बना पु ल ज़र पुर कार जीतना या एक महान स ांत का तपादन
करना संभव नह है। इन महान श सयत ने अपने लए जो प तयाँ वक सत क थ ,
उनके चलते गहनता म जाने क या उनके लए आसान हो गई। इससे उनके लए
यादा से यादा गहनता म उतरना और फर लंबे समय तक उसी अव ा म रहना संभव
हो गया। अगर उ ह ने भी मह वपूण काय शु करने से पहले े रत होने का इंतजार कया
होता, तो उनक उपल याँ न त प से कम होत ।

गहन काय संबंधी सारी प तय म से कसी एक प त को हर कसी के लए उपयु


नह कहा जा सकता। य क कस के लए कौन सी प त कारगर होगी, यह उस
और उसके काम पर नभर करता है। पर कुछ सामा य ज़ र ह, जनका जवाब
हर कारगर प त म न हत होता है।

* आप कहाँ और कतने समय तक काम करगे? आपक प त ऐसी होनी चा हए, जो


उस ान को करती हो, जहाँ आपको गहन काय करना है। यह ान आपका
ऑ फस भी हो सकता है, जसम आपके के बन का दरवाजा बंद हो और आपक डे क
साफ हो (मेरा एक सहकम अगर अपने ऑ फस म बैठकर कोई मु कल काम पूरा कर
रहा होता है, तो वह अपने के बन के दरवाजे पर होटल क तरह ‘डू नॉट ड टब’ क प
लगा दे ता है)। अगर संभव हो तो इस ान को सफ गहन काय करने के लए ही रख -
जैसे कॉ स म या लाइ ेरी - तो इसका सकारा मक भाव कह यादा ती होगा।
(अगर आप कसी ओपन ऑ फस कपसवाली इमारत म काम करते ह, तब तो गहन काय
के लए ऐसा कोई ान तय करना और मह वपूण हो जाता है।) आप भले ही कसी भी
ान पर काम कर, पर गहन काय स का समय तय करना न भूल ता क आपका यह स
एक न त समय पर शु और ख म हो सके।
* काम शु करने के बाद उसे आगे कैसे बढ़ाएँग?े अपने यास को एक ठोस प दे ने के
लए आपको अपनी प तय से जुड़े कुछ नयम और या क ज़ रत पड़ेगी।
उदाहरण के लए गहन काय करते समय शायद आपको इंटरनेट के इ तेमाल पर तबंध
लगाना पड़े या फर एक मा क तय करना पड़े, जैसे हर बीस मनट म आपने कुल कतने
श द लखे। यह इस लए ज़ री है ता क आप अपनी एका ता बनाए रख सक। ऐसे कसी
ठोस प या संरचना के बना आपको बार-बार खुद को मान सक प से यह समझाना
पड़ेगा क अपने गहन काय स के दौरान आपको या करना चा हए और या नह । साथ
ही आपको लगातार यह आँकलन भी करना पड़ेगा क आप अपने काम म पया त मेहनत
कर रहे ह या नह । इसके चलते आपक इ ाश का भंडार बेवजह कम होता जाएगा।

* काम म अपना सहयोग कैसे करगे? आपक प तय को यह सु न त करना होगा क


आपके दमाग को गहनता के उ तर पर स य रहने के लए पया त सहयोग मल रहा
है। उदाहरण के लए आपक प त म यह हो क आप काम क शु आत एक कप
ब ढ़या कॉफ के साथ करगे या पूरे स के दौरान अपनी ऊजा का तर बनाए रखने के
लए आपके घर म उपयु खा -साम ी मौजूद हो या फर इस दौरान अपने मन को शांत
और उ सा हत रखने के लए टहलने जैसा कोई ह का ायाम कर। (जैसा क महान
जमन दाश नक फे्रड रक नी े ने कहा था, ‘ सफ वही वचार सचमुच मू यवान होते ह,
जो टहलते समय पैदा होते ह।’) इस तरह के सहयोग म पयावरण संबंधी त व भी शा मल
हो सकते ह, जैसे अपने काम से संबं धत क ा माल एक साथ व त करके रख लेना
ता क बार-बार ऐसा करने से आपक ऊजा थ न जाए (जैसा क हमने कैरो के उदाहरण
म दे खा था)। अ धकतम सफलता के लए आपको गहनता म जाने के अपने यास को
और अ धक बल दे ने क आव यकता है। साथ ही यह सहयोग व त भी होना चा हए
ता क आपको यह तय करने म अपनी मान सक ऊजा खच न करनी पड़े क आपको कब
कस चीज़ क ज़ रत है।

इन सवाल से आपको अपनी गहन काय संबंधी प तयाँ बनाने म मदद मलेगी। बस यह
याद रख क एक कारगर प त बनाने के लए शायद आपको योग करने क ज़ रत
पड़ेगी इस लए अपनी ओर से इसके लए तैयार रह। म आपको व ास दलाता ँ क
आपक मेहनत थ नह जाएगी: एक बार जब आप कुछ ऐसा तैयार कर लेते ह, जो
आपको सही और उपयु लगता है, तो उसका भाव ब त मह वपूण हो सकता है।
गहनता के साथ काम करना बड़ी बात है, जसे ह के तौर पर नह लेना चा हए। एक
ज टल (और शायद सर के लए काफ अजीब) प त के अनुसार यास करने से यह
वा त वकता वीकार हो जाती है - जससे आपके मन को एक संरचना और वचनब ता
मलती है, जो एका ता क अव ा म जाने के लए ज़ री है। एका ता क इस अव ा
म आप उन चीज़ क रचना कर सकते ह, जो वाकई मायने रखती ह।

भ मु ाएँ अपनाएँ

सन 2007 क स दय के शु आती दन म ले खका जे.के. रो लग को हैरी पॉटर सीरीज के


अपने सातव और आ खरी उप यास ‘द डेथली हैलोज’ को पूरा करने के लए संघष करना
पड़ रहा था। उन पर ब त दबाव था। य क उन पर इस उप यास के ज रए सीरीज के
पछले छह उप यास के कथानक को एक सू म बाँधने क ज मेदारी थी ता क यह भी
हैरी पॉटर के करोड़ शंसक क उ मीद पर खरा उतरे। शंसक क इस माँग को पूरा
करने के लए रो लग को गहन काय करने क ज़ रत थी। पर कॉटलड के ए डनबग म
त अपने घर म बने ऑ फस म बैठकर उप यास पर दे र तक यान क त करते ए
काम करना उनके लए ब त मु कल हो रहा था। उस दौर को याद करते ए अपने एक
इंटर ू म वे कहती ह, ‘एक दन जब म द डेथली हैलोज को पूरा करने म लगी ई थी,
तभी घर क खड़ कयाँ चमकाने के लए एक सफाईकम आ गया। उस दन मेरे ब े भी
घर पर ही थे और ऊपर से हमारा पालतू कु ा लगातार भ के जा रहा था।’ यान
भटकानेवाली इतनी सारी चीज़ के चलते रो लग का धैय जवाब दे ने लगा। तब उ ह ने
अपने काम पर यान लगाने के उ े य से कुछ ऐसा करने का नणय लया, जो वाकई
आ यजनक था। उ ह ने ए डनबग के क म त एक पाँच सतारा होटल बा मोरल म
अपने लए एक सुईट (कमर का सेट) कराए पर ले लया। वे कहती ह, ‘मने बा मोरल को
इस लए चुना य क यह ब त खूबसूरत होटल है पर मेरा इरादा वहाँ कने का नह था।
ले कन चूँ क पहले दन होटल के कमरे म बैठकर लखने का अनुभव काफ अ ा रहा
इस लए म बार-बार वहाँ जाती रही... और आ खरकार मने अपना वह उप यास उस होटल
के कमरे म बैठकर ही पूरा कया।’

इसम कोई हैरानी क बात नह है क एक बार होटल के कमरे म बैठकर लखने के बाद
जे.के. रो लग बार-बार उसी कमरे म जाकर लखती रह । वह उनके काम के लए उपयु
जगह थी। कॉटलड के सबसे शानदार होटल म से एक माने जानेवाले बा मोरल क
व टो रयन वा तुकला पर आधा रत इमारत न काशीदार चकने प र से अलंकृत है।
साथ ही इसम एक ऊँचा लॉक टावर भी है। यह ए डनबग के कले से कुछ ही री पर
त है - हैरी पॉटर के उप यास म उ ले खत कूल हॉ वाट् स क ेरणा जे.के. रो लग को
इसी कले से मली थी।
ए डनबग कले के पास त एक शानदार होटल म कमरा लेने का रो लग का नणय,
गहन काय क नया म एक अनोखी ले कन भावी रणनी त - भ मु ा - का एक
उदाहरण है। इसक संक पना ब त ही साधारण है: गहन काय पूरा करने के लए, अपनी
को शश और धन का नवेश करते ए अपने सामा य माहौल म आमूला बदलाव लाना,
उस काय के क थत मह व को बढ़ा दे ता है। उसके मह व म ई इस वृ से आपके मन
क टाल-मटोल करने क वृ श थल पड़ जाती है और आपके अंदर पे्ररणा और ऊजा
का संचार होने लगता है।

हैरी पॉटर सीरीज का उप यास लखना कोई आसान काम नह है। ऐसे काम के लए
अ -खासी मान सक ऊजा क ज़ रत पड़ती है, भले ही आप इसे कसी भी ान पर
बैठकर कर। पर अगर आप यान भटकानेवाले कसी घरेलू ऑ फस के बजाय हॉ वाट् स
शैलीवाले कले के पास त होटल म एक हजार डॉलर त दन के हसाब एक सुईट
कराए पर लेते ह, तो काम शु करने के लए ज़ री ऊजा इक करना और उसे बनाकर
रखना आसान हो जाता है।

जब आप गहन काय करनेवाले अ य स लोग क आदत का अ ययन करते ह, तो


भ मु ा अपनाने क यह रणनी त अ सर दे खने को मलती है। उदाहरण के लए जब
बल गेट्स माइ ोसॉ ट के सीईओ थे, तो वे बीच-बीच म कुछ स ताह का अवकाश
(छु याँ) लेने के लए मश र थे। इस अवकाश को ‘ थक वी स’ का नाम दया गया था।
इस अवकाश म वे अपनी ावसा यक और पा रवा रक ज मेदा रय के बारे म नह सोचते
थे ब क अवकाश का समय वे कसी शांत ान पर त एक के बन म ढे र सारी
कताब व अ य कागजात के साथ बताते थे। इसके पीछे उनका उ े य था, अपनी कंपनी
से जुड़े बड़े और मह वपूण मसल पर बना कसी वधान के गहनता के साथ सोच-
वचार करना। कहते ह क साल पहले ऐसे ही एक थक वी स अवकाश के दौरान वे इस
न कष पर प ँचे थे क उनक इंड म इंटरनेट एक बड़ी ताकत बनने जा रहा है।
हालाँ क माइ ोसॉ ट के सएटल त हेडऑ फस म ऐसा कुछ नह था, जो बल गेट्स
को गहन सोच- वचार करने से रोकता हो। ले कन स ताह भर का अवकाश लेकर कसी
नई जगह जाकर सोच- वचार करने म एक ऐसा नयापन था, जससे उ ह एका ता का
मनचाहा तर हा सल करने म मदद मलती थी।

अपने उप यास के लए कई पुर कार जीत चुके मैसाचुसेट्स इं ट ूट ऑफ टे नोलॉजी


(एम.आई.ट .) के भौ तक व ानी एलन लाइटमैन भी भ मु ा का लाभ उठाते ह। वे
गहन सोच- वचार करने और खुद को तरोताजा रखने के लए हर साल अपनी ग मयाँ
अमे रका के उ री कोने म त मेने नामक रा य के एक ‘न ह प’ म बताते ह। सन
2000 म जब उ ह ने एक इंटर ू म अपनी इस भ मु ा का खुलासा कया, तब उस न ह
प म इंटनेट तो छो ड़ए, फोन तक क सु वधा उपल नह थी। इसे उ चत ठहराते ए
उ ह ने कहा था, ‘दरअसल ग मय के ढाई महीने के दौरान म वहाँ सफ इस लए जाता ँ
य क म अपने जीवन म थोड़ा एकांत चाहता ँ... जो आज के दौर म ब त मु कल से
मलनेवाली चीज़ है।’

हालाँ क सभी के पास जीवन म इतनी आज़ाद नह होती क वे हर साल ढाई महीने का
समय मेने के कसी प पर जाकर बताएँ। पर एलन लाइटमैन के अलावा डैन पक और
माइकल पोलेन समेत ऐसे कई लेखक ह, ज ह ने लेखन काय करने के लए अ -खासी
मेहनत और धन खच करके अपनी जमीन पर वशेष के ब स का नमाण करवाया।
माइकल पोलेन ने तो कने टकट के अपने पुराने घर के पीछे त जंगली इलाके म
के बन नमाण के अपने अनुभव पर कताब भी लखी है। हालाँ क इन लेखक के लए ये
के बन कोई अ नवाय ान नह है य क उ ह तो अपना काम करने के लए सफ एक
लैपटाप और एक मेज-कुस क ही ज़ रत होती है। पर इस तरह के के ब स अपनी
सु वधा के कारण मह वपूण नह होते ब क बेहतर लेखन के उ े य से उनका नमाण
कराना, जस भ मु ा का त न ध व करता है, उसके चलते मह वपूण होते ह।

हर भ मु ा का इतना ाई होना ज़ री नह है। जैसा क मने अगली रणनी त म


व तार से बताया है, टे लीफोन के आ व कारक ाहम बेल क शोध और वै ा नक वकास
कंपनी बेल लै स म व लयम शॉ ले नामक एक भौ तक व ानी काम करते थे। वे काफ
त ध वभाव के थे, जो अपनी ट म के साथ मलकर ां ज टर के आ व कार
पर काम कर रहे थे। एक बार वे कसी और ोजे ट से जुड़े स मेलन म भाग लेने के लए
शकागो गए ए थे। उसी दौरान उनक ट म के दो सद य ने ां ज टर के आ व कार क
या म एक बड़ी सफलता हा सल कर ली। इस बात का पता लगते ही व लयम शॉ ले
ने खुद को शकागो के अपने होटल के कमरे म बंद कर लया। इसके बाद वे उस कमरे से
तब तक बाहर नह नकले, जब तक उ ह ने अपनी ट म के उन दो सद य के मुकाबले
ां ज टर के एक बेहतर डजाइन क परेखा तैयार नह कर ली। यह बेहतर डजाइन
उनके दमाग म काफ दन से थी। आ खरकार अपने कमरे से बाहर नकलते ही उ ह ने
फौरन नए डजाइन से संबं धत अपने सारे नोट् स हवाई डाक के ज रये यू जस के मर
हल त बेल लै स के अपने ऑ फस म भेज दए। ता क उनका कोई सहकम उन सभी
नोट् स को उनक लैब-नोटबुक म कॉपी करके उस पर आ व कार क तारीख का ठ पा
लगवा दे । व लयम शॉ ले ने अचानक गहनता क अव ा म जाकर ां ज टर क जो
परेखा तैयार क थी, उसी के चलते बाद म उ ह ां ज टर के आ व कार के लए नोबेल
पुर कार से नवाजा गया।

भ मु ा से प रणाम हा सल करनेवाल म एक और बड़ा उदाहरण है, सोशल मी डया के


े म अ णी योगदान दे नेवाले उ मी पीटर शै कमैन का। एक लोक य व ा होने के
चलते अ सर अलग-अलग शहर क हवाई या ा म उनका काफ समय खच होता है।
अंतत: उ ह महसूस आ क तीस हज़ार फ ट पर उड़ान भरना उनके लए यान क त
करने का सबसे आदश वातावरण है। अपनी एक लॉग पो ट म वे लखते ह, ‘हवाई
जहाज क सीट पर, मेरे आगे या आसपास ऐसा कुछ नह होता, जससे मेरा यान भटके।
ऐसे म मेरे पास सफ यही एक काम बचता है क म अपने वचार के साथ एक समता
ा पत कर लूँ।’ इस बात का एहसास होने के बाद ही उ ह ने एक ऐसी कताब लखने का
कॉ ै ट साइन कर लया, जसे पूरा करने के लए उ ह सफ दो स ताह का समय दया
गया था। इतने कम समय म एक कताब लखने के लए जबरद त एका ता क ज़ रत
थी। गहन एका ता क इस अव ा को हा सल करने के लए शै कमैन ने कुछ ऐसा कया,
जसका कोई और उदाहरण कह नह मलता। उ ह ने जापान क राजधानी टो यो आने-
जाने का एक बजनेस लास टकट बुक कराया। फर वे जापान प ँचने तक लगातार
लखते रहे। जापान प ँचने के बाद बजनेस लास लाउं ज म बैठकर उ ह ने एक ए ेसो
कॉफ का आनंद लया। इसके बाद उ ह ने अपनी वापसी क लाइट पकड़ी और एक बार
फर पूरे रा ते लखते रहे। टो यो आने-जाने क इस पूरी या ा म उ ह तीस घंटे का समय
लगा और इतने समय म उ ह ने उस कताब को लखकर पूरा कर लया। वे कहते ह, ‘इस
या ा म चार हजार डॉलर का खच आया, जो कतई थ नह गया।’

मने आपको जन श सयत के उदाहरण दए, उ ह ने सफ अपना माहौल बदलने या


एकांत हा सल करने के चलते गहन अव ा हा सल नह क । ब क इसका मु य कारण
था, अपने काम को लेकर क गई वचनब ता का मनो व ान। अपने लेखन काय को पूरा
करने के लए कसी आलीशान होटल म चले जाना या सफ सोच- वचार करने के लए
स ताहभर का अवकाश ले लेना या फर खुद को तब तक एक कमरे म बंद रखना, जब
तक कसी मह वपूण आ व कार क परेखा तैयार नह हो जाती। ये सब ऐसी भ
मु ाएँ ह, जो आपके गहन उ े य को मान सक ाथ मकता के तर पर ले आती ह, जसके
चलते आपके सारे मान सक संसाधन के दरवाजे आपके लए खुल जाते ह। कई बार
गहनता म उतरने के लए ज़ री होता है क पहले आप कुछ बड़ा या भ कर।

अकेले काम न कर
गहन काय और एक- सरे के साथ मलकर काय करने के बीच जो संबंध है, वह ज़रा
पेचीदा है। हालाँ क इसम अपने समय का नवेश करना एक सही नणय है य क मलकर
काम करने का लाभ उठाने से ावसा यक जीवन म आपके गहन काय क गुणव ा बढ़
सकती है।

इस वषय पर चचा शु करने के लए हम एक कदम पीछे जाना होगा। ता क एक ऐसे


संघष पर वचार कया जा सके, जो पहली नज़र म कभी न सुलझनेवाला संघष लगता है।
इस कताब के पछले ह से म मने फेसबुक के हेड वाटर के नए डजाइन के लए कंपनी
क आलोचना क थी। मने खासतौर पर इस बारे म बात क थी क नया का सबसे बड़ा
ओपन ऑ फस बनाने का फेसबुक का ल य एका ता पर एक बेतुके हमले जैसा है। यह
ओपन ऑ फस यानी एक वशाल कमरा है, जहाँ क थत तौर पर 2800 कमचारी एक साथ
बैठकर काम करगे। लगातार हो रहे शोध और अलग-अलग सं ा ने कई बार इस त य
को रेखां कत कया है क एक वशाल साझा काय े म अपने ढे र सारे सहक मय के
साथ बैठकर काम करना, इंसान का यान अ व सनीय प से भटका दे ता है। य क
इससे एक ऐसा वातावरण तैयार होता है, जो गंभीरता के साथ सोच- वचार करने के
यास को थ बना दे ता है। सन 2013 म लूमबक बजनेसवीक प का म का शत
एक लेख म इस वषय पर ए एक हा लया शोध के हवाले से तो यहाँ तक कहा गया था
क ओपन ऑ फस के अ याचार को तुरंत बंद कया जाना चा हए।

और हाँ, इस ‘ओपन ऑ फस’ डजाइन को यूँ ही नह अपनाया जा रहा है। द यू यॉकर


अखबार म का शत मा रया को नकोवा क एक रपोट बताती है, ‘शु -शु म जब ये
अवधारणा पहली बार सामने आई थी, तब इसका उ े य ‘ वचार के वाह और संवाद को
सु वधाजनक बनाना’ था। दरअसल यह दावा अमे रक वसाय ारा टाट-अप
वसाय जैसी अपारंप रकता अपनाने क इ ा से मेल खाता था। उदाहरण के लए
लूमबग बजनेसवीक के संपादक जॉश टायरै गल ने अपनी कंपनी के हेड वाटर म
ऑ फसेस क कमी को कुछ इस तरह कया: ‘ओपन ऑ फस क योजना वाकई
शानदार है। यह सु न त करती है क हर कमचारी कंपनी के मु य मशन से जुड़ा आ है
और... इससे व भ वभाग म काम करनेवाल के बीच उ सुकता क भावना को
ो साहन मलता है।’ इसी तरह जैक डॉस ने भी वायस के अपने हेड वाटर के ओपन
ऑ फस को कुछ इस तरह सही ठहराया: ‘हम अपने कमचा रय को खुले ान म काम
करने के लए े रत करते ह य क हम आक मक लाभ और यूँ ही चलते- फरते एक-
सरे से नई-नई चीज़ सीखने पर व ास रखते ह।’
च लए हमारी इस चचा के लए इस स ांत को जानते ह- ‘जब आप लोग को अचानक
ही एक- सरे के साथ मलने का मौका दे ते ह, तो इससे न सफ वे एक- सरे के साथ
मलकर काम करने लगते ह ब क उनके बीच नए-नए वचार भी पनपते ह।’ इस स ांत
को ‘आक मक रचना मकता का स ांत’ का नाम दे दे ते ह। अगर हम सहज ही अनुमान
लगाएँ, तो यह कह सकते ह क माक जुकरबग ने इस स ांत क मदद से ही नया का
सबसे बड़ा ऑ फस न मत कराने का नणय लया था। ठ क वैसे ही जैसे स लकॉन वैली
और अ य ान पर त कंप नय ने इसी स ांत से े रत होकर ओपन ऑ फस क
संक पना को हाथ -हाथ अपना लया। हालाँ क इस नणय के पीछे धन क बचत और
कमचा रय क बढ़ती नगरानी जैसे अ य कारक क भी भू मका है, पर चूँ क ये कारण
ओपन ऑ फस क संक पना के मुकाबले कम मजेदार ह, इसी लए इन पर कम जोर दया
जाता है।

गहन काय एक गत यास और रचना मक अंत कई लोग ारा मलकर कया


गया यास होता है। एका ता और आक मक लाभ म से कसे बढ़ावा दे ना है, इसका
नणय यह संकेत दे ता है क गहन काय का रचना मक अंत पैदा करने के साथ कोई
तालमेल नह है। हालाँ क यह न कष दोषपूण है। मेरा मानना है क यह आक मक
रचना मकता के स ांत के बारे म अधूरी समझ पर आधा रत है। इस दावे का समथन
करने के लए, इस बात क उ प के बारे म वचार कर क इस मह वपूण खोज को इन
दोन म से कौन सी चीज़ े रत करती है।

यूँ तो इस स ांत के कई ोत ह, पर इनम से एक मश र ोत मुझसे गत प से


जुड़ा आ है। मैसाचुसेट्स इं ट ूट ऑफ टे नोलॉजी (एमआईट ) म अपने सात वष के
कायकाल के दौरान म इस सं ान क मश र ब ग-20 म कायरत था। यह इमारत पूव
कै ज म मु य सड़क और वे सर माग के चौराहे पर त थी और आ खरकार सन
1998 म इसे व त कर दया गया था। तीय व यु के समय जब सं ान क
रे डएशन योगशाला म वै ा नक क तादाद बढ़ती जा रही थी, तब उ ह एक अ ाई
आ य दे ने के उ े य से पहली बार आनन-फानन म इसक संरचना को खड़ा कया गया
था। सन 2012 म द यू यॉकर अखबार म का शत एक लेख के अनुसार शु आत म इस
इमारत को एक वफलता के तौर पर दे खा जा रहा था: ‘यहाँ हवा का संचार ब त कम था
और इसके ग लयार म अंधेरा रहा करता था। इसक द वार ब त पतली थ और छत तो
ऐसी थी क बा रश म टपकने लगती थी। ग मय के मौसम म यह इमारत गम से उबलने
लगती थी, जब क सद के मौसम म इसका वातावरण ब त ठं डा रहता था।’
यु समा त होने के बाद भी कै ज म वै ा नक आना-जाना जारी रहा। मैसाचुसेट्स
इं ट ूट ऑफ टे नोलॉजी (एमआईट ) को जगह क ज़ रत थी, पर ानीय
अ धका रय से कए गए वादे के अनुसार इस इमारत को फौरन व त करने के बजाय
सं ान ने अपने वै ा नक क बढ़ती तादाद के चलते इसका इ तेमाल जारी रखा।
प रणाम व प यहाँ ऐसे वभाग ा पत हो गए, जो एक- सरे से बलकुल मेल नह खाते
थे। परमाणु व ान से लेकर भाषा व ान और इले ॉ न स जैसे वभाग इस नीची
छतवाली इमारत का साझा इ तेमाल कर रहे थे। ऊपर से यहाँ कराए पर मशीन और
पयान क मर मत क कान भी खुल गई थ । चूँ क इस इमारत का नमाण काफ स ते
म आ था इस लए हर कसी ने इसे जैसे चाहा, वैसे बदला और इ तेमाल कया। लकड़ी
से बनी यहाँ क द वार और फश का ान बदल दया गया और उपकरण को जहाँ-तहाँ
क ल से गाड़कर टाँग दया गया। नया क पहली परमाणु घड़ी बनानेवाले जेरॉ
जै यास इसी इमारत म अपना यह ायो गक उपकरण तैयार कर रहे थे। द यू यॉकर
अखबार के पूवउ ले खत लेख के अनुसार, उ ह ने इस इमारत म त अपनी योगशाला
क दो मं जल क फश हटवा द थी ता क वे यहाँ अपने योग के लए ज़ री तीन
मं जला सलडर लगवा सक।

मैसाचुसेट्स इं ट ूट ऑफ टे नोलॉजी (एमआईट ) म माना जाता है क इस पुन नमाण


यो य वशाल इमारत म बेमेल वषय के वभाग को एक साथ ठूँ स दे ने से आक मक
मुलाकात और आ व कार क उस भावना का सल सला चल पड़ा, जो तेज ग त से नई
खोज का कारण बनी। इसी लए यहाँ थम व यु के बाद के दशक म चॉ क ामर,
लॉरन ने वगेशनल राडार और वी डयो गे स जैसे व वध वषय एक साथ सामने आए।
आ खरकार जब इस इमारत को अमे रक वा तु वद क गैहरी ारा डजाइन कए गए
टाटा सटर (9 ) के नमाण के लए व त कया गया, तो लोग ने इस पर काफ शोक
कया। इस नव नमाण के लए जस ‘लकड़ी के महल’ को व त कया गया था,
उसक याद म टाटा सटर के अंदर एक वशेष ान तैयार कया गया, जहाँ ब ग-20
क तरह लकड़ी के आधे-अधूरे ल और खुली कं ट को द शत कया गया।

जस समय ब ग-20 को आनन-फानन म न मत कया जा रहा था, उसी समय वहाँ से


200 मील र यू जस के मर हल म आक मक रचना मकता का स ांत पहले क
तुलना म अ धक व त यास कया जा रहा था। यही वह ान था, जहाँ बेल लै स
( योगशाला) के नदशक म वन केली अपनी दे ख-रेख म लैब के नए भवन का नमाण
करवा रहे थे, जससे यहाँ के व भ वै ा नक और इंजी नयस को उ े यपूण ढं ग से
ो साहन मला। केली ने अलग-अलग वभाग के लए अलग-अलग इमारत बनाने का
यू नव सट का पारंप रक तरीका खा रज कर दया। इसक जगह उ ह ने प रसर क
अलग-अलग इमारत के बीच लंबे-लंबे ग लयार का नमाण कर उ ह आपस म जोड़
दया। इनम से कुछ ग लयारे तो इतने लंबे थे क एक छोर पर खड़े होकर दे खने पर सरा
छोर नज़र नह आता था। इ तहासकार जॉन गाटनर बेल लै स क डजाइन के बारे म
कहते ह, ‘यह करीब-करीब असंभव था क आप इन लंबे-लंबे ग लयार को पार कर रहे ह
और रा ते म ढे र प र चत , सम या , व वधता और वचार से आपका सामना न हो।
लंच के समय इन ग लयार को पार करते ए कैफेटे रया जा रहे कसी भौ तक- व ानी क
त वहाँ ठ क वैसी ही होती थी, जैसी लोहे के टु कड़ से भरे रा ते पर लुढ़कते ए कसी
चुंबक क ।’

केली ारा आ ामक अंदाज म नया के कुछ सबसे व ान लोग क नयु के साथ-
साथ इस रणनी त ने आधु नक स यता के नए प रवतन को सामने आने का मौका दया।
सरे व यु के बाद के दशक म बेल लै स नामक इस योगशाला म नया का पहला
सोलर सेल, लेजर, संचार उप ह (क यू नकेशन सैटेलाइट), कोशमय संचार णाली
(से युलर क यु नकेशन स टम) और फाइबर ऑ टक नेटव कग का नमाण आ। इसी
दौरान उनके स ांतकार ने सूचना स ांत (इ फॉरमेशन योरी) और संके तकरण
स ांत (को डग योरी) को सू ब कया। उनके खगोलशा य ने महा व ोट स ांत
( बग बग योरी) को अनुभव के तौर पर मा णत करने के लए नोबेल पुर कार जीता और
शायद सबसे यादा मह वपूण यह क उनके भौ तकशा य ने ां ज टर का आ व कार
कया।

सरे श द म कह, तो ऐ तहा सक अ भलेख के आधार पर दे खने से आक मक


रचना मकता स ांत तकसंगत जान पड़ता है। हम काफ भरोसे के साथ यह कह सकते ह
क शायद ां ज टर के आ व कार के लए यह ज़ री था क बेल लै स म काय करनेवाले
के उ दा भौ तक वद्, वांटम स ांतकार व व तरीय योगकता एक ऐसी इमारत म
बैठकर एक साथ काम कर, जहाँ वे आक मक तौर पर एक- सरे से टकराते रह और
एक- सरे क व वध वशेष ता से वयं कुछ नया सीख सक। ां ज टर कोई ऐसी चीज़
नह थी, जसका आ व कार वस मनो व ेषक काल युंग क तरह प र से न मत
अपने बो लगन टावर म अकेले बैठकर गहन वचार करते ए कया जा सके।

इसी ब पर आकर हम यह समझने के लए और अ धक बारीक बरतनी होगी क


ब ग-20 और बेल लै स जैसे ान पर वह कौन सी चीज़ है, जो नए आ व कार को
पैदा कर रही थी। इसके लए हम एक बार फर इं ट ूट ऑफ टे नोलॉजी (एमआईट ) म
मेरे अपने अनुभव क ओर वापस चलना होगा। सन 2004 क शरद ॠतु म जब म यहाँ
एक नए पीएचडी छा के प म आया, तब हमारी क ा ऐसी पहली नई क ा थी, जसे
नव न मत टाटा सटर म रखा गया। इस बात का उ लेख पहले ही कया जा चुका है क
टाटा सटर को ब ग-20 के ान पर न मत कया गया था। चूँ क टाटा सटर नया था
इस लए इसक वशेषता से प र चत कराने के लए नए छा को इमारत का दौरा
कराया जाता था। हम पता चला क क गैहरी ने इमारत के साझा ान के चार ओर
ऑ फसेस क व ा क है और एक- सरे से लगी ई दो मं जल के बीच खुली सीढ़
का नमाण भी करवाया है। उ ह ने यह सब इसी लए कराया था ता क सं ान के पूव
सद य को जस क म क आक मक मुलाकात का लाभ मला, वह हम भी मले। पर
जस बात ने मेरा यान सबसे यादा आक षत कया, वह उस इमारत म मौजूद एक ऐसी
सु वधा थी, जो गैहरी के दमाग क उपज नह थी ब क वहाँ क फैक ट के आ ह पर
उपल कराई गई थी। यह सु वधा थी, वहाँ के ऑ फस क साउं ड ू फग को बेहतर बनाने
के लए दरवाज पर लगाया गया वशेष व न-अवरोधक। इस सं ान के ोफेसस क
गनती नया के सबसे अ धक उ तशील ौ ो गक वद्◌ म होती है, वे ओपन ऑ फस
शैलीवाले काय ल से कोई संबंध नह रखना चाहते थे। इसके बजाय वे यह भी चाहते थे
क उ ह बंद ान पर बैठकर ही काम करने दया जाए।

वशाल साझा ग लयार से जुड़े ये साउं डपू्रफ ऑ फस कसी हब-एंड- ोक (10 )


संरचना जैसे थे, जहाँ आक मक मुलाकात और एकांत म बैठकर गहन सोच- वचार, दोन
ही चीज़ संभव हो सक। इसका ढाँचा कुछ इस तरह डजाइन कया गया था क एक छोर
पर कोई अकेला अपनी ेरणा के एकांत म, बाधा डालनेवाली हर चीज़ से मु
होकर, गहन सोच- वचार म डू बा आ दखाई पड़ता। साथ ही सरे छोर पर ओपन
ऑ फसेस म एक- सरे के साथ मलकर काम करनेवाले लोग दखाई पड़ते, जो अपनी
ेरणा से उ सा हत होते पर काम करने के लए ज़ री गहन सोच- वचार करने के लए
संघष कर रहे होते। (11 )

अगर हम एक बार फर ब ग-20 और बेल लै स क इमारत पर गौर कर, तो पाएँगे क


इनके लए भी यही वा तुकला अपनाई गई थी। इन दोन म से कोई भी इमारत कसी भी
लहाज से आधु नक ओपन ऑ फस के समान नह थी ब क दोन को ही साझा ग लयारे
से जुड़े ऑ फसवाले सामा य न े का उपयोग करके बनाया गया था। उनक रचना मक
खूबी इस त य से यादा जुड़ी ई थी क इनके ऑ फसेस कुछे क लंबे ग लयार से जुड़े ए
थे, जनके चलते जब भी उ ह इमारत के एक ह से से सरे ह से म जाना होता, तो उनके
शोधकता रा ते म एक- सरे से अ सर टकराते और एक- सरे से संवाद के लए मज़बूर हो
जाते। सरे श द म कह, तो ये लंब-े चौड़े ग लयारे भावी ह स (प हए क धुरी जैसी
संरचना) क तरह काम करते थे।

इसी लए हम वकास लानेवाले आक मक रचना मकता स ांत को खा रज कए बना


भी, गहनता न करनेवाली ओपन ऑ फस क संक पना को खा रज कर सकते ह। इस
हब-एंड- ोक व ा म दोन चीज़ को बनाए रखने के लए: हब (ऑ फसेस से जुड़ा
एक साझा ग लयारा) म जाकर वयं को नय मत प से नए वचार से प र चत कराएँ पर
साथ ही एक ोक (साझा ग लयारे से जुड़े कई एकांत ऑ फसेस म से एक) भी बनाकर
रख ता क आपके सामने जो भी वषय आए, उस पर आप गहनता से काम कर सक।

हालाँ क को शश के इस वभाजन से पूरी कहानी सामने नह आती य क जब कोई


कमचारी वापस ोक (साझा ग लयारे से जुड़े कई एकांत ऑ फसेस म से एक) म जाता
है, तो यह ज़ री नह है क वहाँ अकेले काम करना ही सव े रणनी त होगी। उदाहरण
के लए बेल लै स योगशाला म ां ज टर के आ व कार पर गौर कर। इस खोज म ब त
से शोधकता का योगदान था और उनम से हर कसी क अपनी एक वशेषता थी। उन
सभी ने आपस म मलकर भौ तक वै ा नक का एक समूह तैयार कया था - एक ऐसा
समूह, जो वै यूम ूब के एक छोटे और अ धक व सनीय वक प का आ व कार करने
के लए सम पत था। ां ज टर के आ व कार के लए यह ज़ री था क समूह के सद य
आपसी संवाद करते रह, जो इस बात का उदारहण है क हब यानी ऑ फसेस से जुड़े
एक साझे ग लयारे म आकर संवाद करना कतना उपयोगी है।

शोधकता के समूह ने जब इस आ व कार के घटक से जुड़ा बौ क आधार तैयार कर


लया, तो यह या एकांत म बैठकर गहन काय करने क ओर मुड़ गई। जो बात
आ व कार क इस वशेष या को दलच बनाती है, वह ये है क जब यह या
एकांत म बैठकर गहन काय करने क ओर चली गई, तब भी यह आपसी सहयोगपूण
या ही रही। खासतौर पर इस समूह के दो शोधकता - योगा मक वभाववाले
वॉ टर ेटन और वांटम स ांतकार जॉन बैरडीन - ने सन 1947 म एक महीने क
अव ध म कई सफल खोज क , जनके चलते पहले सॉ लड- टे ट ां ज टर का आ व कार
संभव हो सका।

े न और बैरडीन ने इस अव ध के दौरान एक छोट सी लैब म एक- सरे के साथ कंधे से



कंधा मलाकर काम कया। वे दोन एक- सरे को भावशाली डजाइन तैयार करने और
यादा से यादा बेहतर दशन करने के लए े रत करते रहते थे। उनक इन सारी
को शश म सबसे यादा ह सा गहन काय का ही था - पर वह गहन काय का एक ऐसा
कार था, जसके बारे म हम अब तक नह जानते। ेटन अपना यान एक ऐसा ायो गक
डजाइन तैयार करने म लगाते, जो बैरडीन क नई सै ां तक अंत का फायदा उठा
सके; फर बैरडीन नरी ण से अनुकूल उ े य से अपने सै ां तक ढाँचे का व तार करने
के लए, यह समझने म यान क त करते क बे्रटन के ताजा योग से कौन सी बात
सामने आ रही है। उन दोन क यह साझा या गहन काय के उस आपसी सहयोगपूण
प (जो शै णक दायरे म आम है) का त न ध व करती है, जसे मने ‘ हाइटबोड
भाव’ का नाम दया है। कुछ सम याएँ ऐसी होती ह, जन पर अकेले काम करके आप
उतनी गहनता म नह उतर पाते, जतना एक हाइटबोड पर कसी और के साथ मलकर
काम करके उतरते ह। जब सामनेवाला आपक अगली अंत का इंतजार कर रहा हो -
फर भले ही वह आपके सामने मौजूद हो या आपसे वचुअली (आभासी तौर पर या
इंटरनेट के ज रए) जुड़ा आ हो - तो गहनता से बचने क आपक सहज वृ न भावी
हो जाती है।

अब हम एक कदम पीछे जाकर गहन काय म मलकर काम करने क भू मका के बारे म
कुछ ावहा रक न कष नकाल सकते ह। ब ग-20 और बेल लै स क सफलता इस
बात का संकेत है क उ पादन संबंधी गहन काय के लए एकांत ज़ री नह है। न त ही
उनका उदाहरण इस बात का संकेत है क नवाचार या उ तशीलता से संबं धत कई क म
के काय के लए आपसी सहयोग के साथ मलकर काम करने से बेहतर प रणाम हा सल
कए जा सकते ह। इसी लए यह रणनी त आपको इस वक प पर वचार करने के लए
कहती है क ावसा यक जीवन म गहनता को कैसे एक कृत कया जाए। जब आप इस
वषय पर चतन कर, तो आगे दए गए दशा नदश को यान म रख।

पहला नदश यह है क यान भटकानेवाली हर चीज़ गहनता को मटानेवाली होती है।


इसी लए हब-एंड- ोक मॉडल हमारे सामने एक मह वपूण नमूना पेश करता है।
आक मक मुलाकात और गहन चतन क को शश को एक- सरे से अलग रख, इससे
मली ेरणा के साथ आगे बढ़। आपको अपनी को शश को अपने दोन ल य के रा ते म
बाधा बनाने से बचना होगा। इसके बजाय आपको इ ह एक- सरे से अलग रखते ए
अपने लए उपयोगी बनाने का यास करना चा हए।

सरा नदष यह है क जब आप गहन चतन करने के लए कसी एकांत ऑ फस म लौट,


तब अगर हाइटबोड भाव का लाभ उठाना उपयु हो, तो ऐसा कर ल। कसी मु े पर
कसी अ य इंसान के साथ कंधे से कंधा मलाकर काम करने से, आप एक- सरे को
यादा से यादा गहनता म उतरने के लए े रत कर सकते ह। जससे आप अकेले काम
करने के मुकाबले कह अ धक मह वपूण प रणाम ा त कर सकते ह।

सरे श द म कह, तो गहन काय क बात आने पर आपको जब भी उपयु लगे, एक-
सरे के साथ मलकर आपसी सहयोग से काम करने पर वचार कर य क इससे आपको
यादा बेहतर प रणाम मल सकते ह। पर याद रख क आपसी संवाद और सकारा मकता
को इतना भी मह व न द क ये आपक अखंड एका ता पर भारी पड़ने लग। य क
अपने आसपास मौजूद नए-नए वचार के झुंड से उपयु प रणाम हा सल करने के लए
एका ता ही सबसे मह वपूण चीज़ है।

वसाय क तरह काया वयन कर

अब म आपको जो क सा बताने जा रहा ,ँ वह बजनेस कंस टग ( वसाय परामश)


क नया का एक कारगर मं बन चुका है। 1990 के दशक के म य म हावड बजनेस
कूल के ोफेसर लेटर टसन को ौ ो गक कंपनी इंटेल के सीईओ और चेयरमैन
एंडी ोव का फोन आया। दरअसल ‘हा नकारक नयापन’ पर टसन का एक शोध ोव
के हाथ लग गया था। इसी लए ोव ने टसन को कैलीफो नया आने का योता दया,
ता क वे अपनी कंपनी इंटेल के संदभ म टसन के स ांत के न हताथ पर चचा कर
सक। जब वे दोन मले, तो टसन ने हा न से जुड़ी मूल बात पर चचा क : ा पत
कंप नय क बादशाहत को अ सर वे टाट-अप कंप नयाँ अ या शत ढं ग से ख म कर
दे ती ह, ज ह ने अपनी शु आत, स ते ोड टस् के साथ बाजार के नचले दज से क थी।
पर समय के साथ वे अपने ोड टस् म कम से कम इतना सुधार तो लाती ह क ऊँचे दज
के बाजार के ह से पर भी क जा करना शु कर दे ती ह। ोव को पता था क एएमडी
और साइ र स जैसे नचले दज के कं यूटर ोसेसस का नमाण करनेवाली नई कंप नयाँ
इंटेल के लए खतरा बन चुक ह। वघटन या हा न क अपनी इस नई समझ से े रत
होकर ोव ने एक ऐसी रणनी त तैयार क , जसने सेलेरॉन ेणी के ोसेसस को ज म
दया। ये दरअसल कमतर दशन करनेवाले ऐसे ोसेसस थे, जनके चलते इंटेल को
नचले दज के त धय से सफलतापूवक नपटने म ब त मदद मली।

हालाँ क इस क से का एक पहलू ऐसा भी है, जो तुलना मक प से कम मश र है। जैसा


क टसन याद करते ह, इस मुलाकात के बीच एक ेक के दौरान ोव ने उनसे पूछा,
‘म यह कैसे क ँ ?’ इस सवाल के जवाब म टसन ने वसाय संबंधी रणनी तय पर
चचा करते ए उ ह बताया क ोव एक नई ापार इकाई शु कर सकते ह। इसके
अलावा भी वे कई अ य चीज़ कर सकते ह। ोव ने उ ह बीच म ही टोकते ए कठोरता से
कहा, ‘आप तो बड़े ही भोले नकले। मने आपसे पूछा क म इसे कैसे क ँ और
आप मुझे बता रहे ह क मुझे या करना चा हए? म अ तरह जानता ँ क मुझे या
करने क ज़ रत है। बस यह नह जानता क म कैसे क ँ ।’

जैसा क टसन ने बाद म समझाया, या और कैसे के बीच का यह वभाजन मह वपूण


है, ले कन ावसा यक नया म इसे अ सर अनदे खा कर दया जाता है। कसी ल य को
पूरा करने के लए ज़ री रणनी त क पहचान करना अ सर एक सामा य बात होती है,
पर कंप नयाँ एक कारगर रणनी त तय करने के बाद उस पर अमल करते समय लड़खड़ा
जाती ह। मुझे इस क से के बारे म तब पता चला, जब मने ‘द 4 ड स ल स ऑफ
ए जी यूश स’ शीषक से का शत एक कताब के लए टसन ारा लखी भू मका
पढ़ । यह कताब कंस टग (परामश) से जुड़े मामल पर ए अ ययन के आधार पर ऐसे
चार अनुशासन का वणन करती है, जनसे कंप नय को उ तरीय रणनी तय को
सफलतापूवक लागू करने म मदद मलती है। इन चार अनुशासन को सं ेप म 4 डीए स
कहा गया। इसे पढ़कर जस बात ने मेरा यान आक षत कया, वह ये थी क या और
कैसे के बीच का यह फक, गहन काय करते ए यादा समय बताने क मेरी गत
खोज के लए अनु प था। जस तरह एंडी ोव ने कमतर दशन करनेवाले ोसेसस के
बाजार म त धा करने का मह व पहचाना, ठ क उसी तरह मने भी गहनता को
ाथ मकता दे ने का मह व पहचान लया। अब मुझे बस यह जानने क ज़ रत थी क इस
रणनी त को लागू कैसे कया जाए।

इन समानता से े रत होकर मने 4 डीए स तं को अपनी कामकाज संबंधी आदत पर


लागू करने का नणय लया। आ खरकार मुझे यह दे खकर काफ आ य आ क गहन
काय का मेरा उ े य पूरा करने क दशा म भावशाली कदम उठाने के लए यह कतना
मददगार सा बत हो रहा है। हो सकता है क बड़े वसाय क नया म ये वचार यादा
काम के न ह , पर इनम अंत न हत अवधारणाएँ हर उस जगह पर लागू होती नज़र आती
ह, जहाँ यान भटकानेवाली चीज़ और त ध दा य व के चलते कोई मह वपूण कदम
उठाने क ज़ रत हो। इ ह बात को यान म रखते ए मने 4 डीए स तं के चार
अनुशासन का सार आगे तुत कया है। साथ ही यह वणन भी कया है क गहन काय
क आदत वक सत करने संबंधी व श योजन के अनुसार इन चार अनुशासन को
कैसे उपयोग म लाया जा सकता है।

अनुशासन 1:

उन चीज़ पर यान क त कर, जो सबसे अ धक मह वपूण ह।


जैसा क द 4 ड स ल स ऑफ ए जी यूश स के लेखक बताते ह, ‘आप जतना अ धक
करने क को शश करगे, उतना ही कम हा सल कर सकगे।’ वे करते ह क आपको
उन काय को पूरा करने म यान क त करना चा हए, जो सबसे अ धक मह वपूण है। यह
सरलता ही स े प रणाम हा सल करने क दशा म अपनी ऊजा क त करने म सहायक
होती है।

इसी तरह गहन काय क ओर यान क त करनेवाले को कुछ ऐसे मह वाकां ी ल य तय


कर लेने चा हए, ज ह वह अपने गहन काय से हा सल करना चाहता है। जब कसी को
‘गहन काय करने म यादा से यादा समय दे ने’ के लए कहा जाता है, तो इससे वह
अ धक ो सा हत नह होता। इसी लए जब आपके पास एक ऐसा ल य होता है, जससे
अ ा-खासा ावसा यक लाभ मल सकता है, तो उसे लेकर आपका उ साह बढ़ जाता
है। डे वड ू स ने सन 2014 के अपने तंभ ‘द आट ऑफ फोकस’ म इसी कोण का
समथन कया था, जसम अपने मह वाकां ी ल य के चलते ही यान क त करना आपके
वहार का एक मु य पहलू बन जाता है। इस वषय पर व तार से बात करते ए डे वड
ने लखा, ‘अगर आप यान क त करने के इस यु को जीतना चाहते ह, तो यान
भटकानेवाली मामूली चीज़ को ‘ना’ कहने क को शश म समय बरबाद न कर। ब क उन
चीज़ को ‘हाँ’ कह, जो आपके अंदर ती लालसा पैदा करती ह और फर उस ती
लालसा को बाक हर चीज़ पर हावी हो जाने द।’

उदाहरण के लए जब मने पहली बार 4 डीए स तं के साथ योग शु कया, तो अपने


सामने अगले शै णक वष म पाँच ऐसे उ तरीय शोधप का शत करने का
ल य रखा, जनक समी ा मेरे काय े के साथी कर चुके ह । मेरा यह ल य काफ
मह वाकां ी था। य क म अब तक जस ग त से अपने शोधप का शत करता रहा ँ,
यह ल य उससे अ धक बढ़कर था। मेरे इस मह वाकां ी ल य से एक लाभ भी जुड़ा
था (ज द ही मेरे कायकाल क समी ा होनेवाली थी)। इन दोन चीज़ के संयु भाव के
चलते मुझे अपना ल य हा सल करने के लए नरंतर े रत रहने म मदद मली।

अनुशासन 2:

सबसे मुख यु य पर काम कर।

एक बार जब आप अपने सबसे मह वपूण ल य क पहचान कर लेते ह, तो आपको


अपनी सफलता का मू यांकन करना चा हए। 4 डीए स तं म इसके लए दो क म के
पैमाने होते ह: लैग मेजस ( पछड़े पैमाने) और लीड मेजस (अ णी पैमाने)। लैग मेजस उन
चीज़ का वणन करते ह, ज ह आप अंतत: सुधारने क को शश कर रहे ह। उदाहरण के
लए अगर आपका ल य अपने बेकरी वसाय म ाहक क संतु का तर बढ़ाने का है,
तो इसके लए सबसे उ चत लैग मेजर है- आपके ाहक क संतु का कोर। जैसा क 4
डीए स के लेखक करते ह, लैग मेजस के साथ यह सम या है क जब तक वे आपके
वहार म बदलाव लाने के लए आते ह, तब तक ब त दे र हो चुक होती है : ‘अपने जस
दशन के चलते आपको इन मेजस क ज़ रत पड़ती है, वह तो पहले ही आपका अतीत
बन चुका होता है, जसे अब बदला नह जा सकता।’

सरी ओर लीड मेजस ऐसे नए वहार का मू यांकन करते ह, जो लैग मेजस म सुधार
कर सकते ह। बेकरी के उदाहरण म आपक ओर से सै ल पानेवाले ाहक क
सं या एक अ ा लीड मेजर है। इस सं या को आप कुछ और सै ल दे कर फौरन
बढ़ा सकते ह। जब आप इस सं या को बढ़ाएँगे, तो इस बात क पूरी संभावना है क
आपके लैग मेजस म भी सुधार होगा। सरे श द म कहं, तो लीड मेजस आपका यान
आपके उन वहार म सुधार लाने क ओर क त कर दे ते ह, जन पर आपका सीधा
नयं ण है। इससे आपके द घका लक ल य पर नकट भ व य म सकारा मक भाव
पड़ता है।

गहन काय करने क ओर क त इंसान के लए उ चत लीड मेजर को पहचानना आसान


होता है। यह मेजर है, अपने सबसे मह वपूण ल य क ा त के लए सम पत वह समय,
जो आप गहन काय क अव ा म बताते ह। एक बार फर मेरा उदाहरण ल, तो मेरे
शै णक शोध क दशा तय करने पर इस अंत का गहरा भाव पड़ा। मेरा यान
अ सर लैग मेजस पर क त रहता था, जैसे त वष का शत ए मेरे शोध प क
सं या। फर भी इन मेजस का मेरे दन- त दन के वहार पर पया त भाव नह पड़
रहा था। य क अ पका लक प से म ऐसा कुछ नह कर सकता था, जो इस
द घका लक मे क (मा क) पर फौरन कोई मह वपूण भाव डाल सके। जब मने यह गौर
करना शु कया क म गहन काय क अव ा म कतने घंटे बताता ँ, तो ये मेजस
अचानक मेरे दन- त दन के जीवन म मह वपूण हो गए: फर गहन काय क अव ा म
बताया गया हर अ त र घंटा मेरी गणना म फौरन त ब बत होने लगा।

अनुशासन 3:

एक बल कोरबोड रख।
4 डीए स के लेखक कहते ह, ‘जब लोग कोर रखते ह, तो ज़रा अलग ढं ग से खेलते ह।’
वे आगे कहते ह, जब आप अपनी ट म को अपने संगठन का सबसे मह वपूण ल य पूरा
करने क दशा म ले जाने का यास कर रहे होते ह, तो उस समय उनके लीड मेजस पर
नज़र रखने और उसे रकॉड करने के लए आपके पास एक सावज नक ान होना ज़ री
है। इस कोरबोड से आपक ट म के सद य के बीच त धा क भावना पैदा होती है,
जो उ ह इन मेजस पर यान क त करने क दशा म ले जाती है, भले ही अ य कई चीज़
उनका यान आक षत करने क को शश म ह । इससे ेरणा का एक मज़बूत ोत भी
मलता है। एक बार जब ट म के सद य ये दे ख लेते ह क उ ह लीड मेजस के साथ
सफलता मल रही है, तो फर वे अपने इस दशन को जारी रखने के त वचनब हो
जाते ह।

पछले अनुशासन म मने कहा था क गहन काय करने क ओर क त इंसान के लए लीड


मेजर यह होना चा हए क वह गहन काय क अव ा म कतने घंटे बताता है। इसी कार
कसी इंसान का कोरबोड काय े क कोई ऐसी भौ तक कृ त होनी चा हए, जो उस
इंसान ारा गहन काय क अव ा म बताई गई अव ध को द शत करती हो।

4 डीए स के साथ अपने शु आती योग म मने इस कोरबोड अनुशासन को लागू करने
का एक आसान मगर भावी समाधान ढूँ ढ़ा। मने एक काड- टॉक (अलग-अलग रंग के
पेपर का बंच) लया और इसे पं य म वभा जत कर लया। वतमान सेमे टर के हर
स ताह के लए एक पं । फर मने हर पं म स ताह क तारीख लखकर उस काड-
टॉक को अपने कं यूटर मॉ नटर के बगलवाली द वार पर चपका दया (जहाँ इसे
नज़रअंदाज करना असंभव था)। जैसे-जैसे समय बीता, म हर स ताह क पं पर त
घंटे के हसाब से टक माक लगाकर उस स ताह गहन काय क अव ा म बताए गए
समय पर नज़र रखता रहा। इस कोरबोड से मलनेवाली ेरणा को अ धकतम सीमा तक
बढ़ाने के लए, जब भी म अपने कसी शोधप म कसी मह वपूण ब तक प ँचता, तो
उस घंटे के माक पर एक गोला बना दे ता। (12 ) इससे दो उ े य पूरे हो रहे थे। पहला,
इससे मुझे गहन काय अव ा म बताए गए घंट और उससे मले प रणाम के बीच संबंध
ा पत करने का मौका मला। सरा, इससे मेरे सामने यह हो गया क प रणाम के
अनुसार मुझे कतने घंटे गहन काय करने क ज़ रत है। इस वा त वकता (जो मेरे पहले
अनुमान से कह बड़ी थी) से प र चत होने के चलते मुझे हर स ताह गहन काय क अव ा
म थोड़ा और समय बताने क ेरणा मली।

अनुशासन 4:
जवाबदे ही लेने का भाव पैदा कर

4 डीए स के लेखक बताते ह क ‘लीड मेजस पर यान क त रखने का अं तम चरण है


मह वपूण ल य वाली हर ट म क नय मत मुलाकात का सल सला बनाकर रखना।’ इन
मुलाकात के दौरान ट म के सद य को अपना कोरबोड दे खना होगा, अगली मुलाकात से
पहले अपना कोर सुधारने के लए ज़ री कदम उठाने क त ा लेनी होगी और यह
बताना होगा क पछली मुलाकात म उ ह ने जो त ाएँ ली थ , उनका या आ। यह
समी ा मा कुछ मनट क भी हो सकती है पर इसके असली भाव को महसूस करने के
लए ज़ री है क यह नय मत प से हो। 4 डीए स के लेखक के अनुसार यही वह
अनुशासन है, जहाँ ‘वा तव म काय पर अमल कया जाता है।’

अपने गत गहन काय क ओर यान क त करनेवाले के पास आमतौर पर


ऐसी कोई ट म नह होती, जसके साथ उसे मुलाकात करनी पड़े, पर इससे नय मत प
से जवाबदे ह होने क ज़ रत ख म नह हो जाती। मने इस कताब म कई ान पर यह
चचा क है और साथ ही यह सलाह द है क आपको स ताह म एक बार अपने काम क
समी ा करने क आदत वक सत करनी चा हए। इस समी ा म आप अगले स ताह क
योजना तैयार करगे ( नयम 4 दे ख)। 4 डीए स के साथ अपने योग के दौरान म हर
स ताह समी ा करता था, ता क अपने कोरबोड पर गौर करके अ े गुजरे स ताह का
ज मना सकूँ, बुरे गुजरे स ताह के पीछे का कारण समझ सकूँ और सबसे यादा
मह वपूण यह पता कर सकूँ क आनेवाले दन म एक अ ा कोर कैसे सु न त कया
जाए। इसी के चलते अपने लीड मेजस क ज़ रत को पूरा करने के लए मने अपने
श ूल म बदलाव कए - जससे मुझे अपने गहन काय म उ लेखनीय बढ़ो री करने म
मदद मली। अगर म हर स ताह समी ा नह करता, तो यह संभव नह हो पाता।

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4 डीए स क परेखा इस मूल बात पर आधा रत है क काय पर अमल करना,


रणनी तयाँ बनाने से यादा मु कल होता है। सैकड़ मामल का अ ययन करने के बाद
इसके आ व कारक ऐसे कुछ मूल अनुशासन को पहचानने म कामयाब हो गए, जो इस
मु कल से पार पाने म कारगर नज़र आ रहे थे। इसी लए इसम कोई आ य क बात नह
है क यही सारे अनुशासन गहन काय क आदत वक सत करने के आपके गत ल य
पर भी समान भाव डाल सकते ह।
आ खर म, एक बार फर मेरा उदाहरण लेते ह। जैसा क मने पहले भी कहा था, जब मने
पहली बार 4 डीए स को अपनाया, तो 2013-2014 के शै णक वष म पाँच ऐसे शोधप
का शत करने का ल य रखा, जनक समी ा मेरे काय े के साथी कर चुके ह । पछले
साल मेरे ारा का शत चार शोधप (मेरी एक ऐसी उपल जस पर मुझे गव था) के
मुकाबले यह एक मह वाकां ी ल य था। 4 डीए स योग के दौरान ल य को लेकर मेरी
ता और मेरे लीड मेजर कोरबोड के सरल ले कन अप रहाय फ डबैक के चलते, म
गहनता के उस तर तक प ँच गया, जसे मने पहले कभी हा सल नह कया था। आज
जब म उस पर वचार करता ँ, तो मुझे लगता है क ऐसा नह था क मेरे गहन कायस
क ती ता ब त बढ़ गई थी ब क अगर कुछ बढ़ा था, तो वह थी गहन कायस क
नय मतता। हालाँ क शोधप जमा कराने क अं तम त थ के आसपास मेरा गहन सोच-
वचार ज़ रत से यादा सघन हो जाता था, पर 4 डीए स क आदत ने मुझे पूरे शै णक
वष म एका बनाए रखा। मुझे वीकार करना होगा क यह एक थका दे नेवाला साल रहा
(खासतौर पर इस लए य क म उसी समय अपनी यह कताब भी लख रहा था)। इसके
साथ-साथ इसी साल यह भी हो गया क म 4 डीए स क परेखा का समथक ँ:
सन 2014 क ग मयाँ आते-आते मेरे नौ शोधप काशन के लए चुने गए थे। यह सं या
पछले साल मेरे ारा का शत शोधप से दोगुनी थी।

आलसी बन

सन 2012 म नबंधकार और काटू न ट टम े डर ने यू यॉक टाइ स लॉग के लए एक


लेख लखा, जसम उ ह ने अपना वणन एक यादगार अंदाज म कया: ‘म त
नह ँ। म सबसे आलसी मह वाकां ी ँ।’ हालाँ क इस लेख के बाद अगले कुछ
महीन म उ मादपूण ढं ग से काम करने के त े डर क यह अ च मु कल म आ गई। वे
इस अव ध का वणन कुछ इस कार करते ह: ावसा यक दा य व के चलते म ब त बुरी
तरह त रहने लगा... हर रोज सुबह मेरा इन-बॉ स ऐसे ई-मे स से भरा मलता, जनम
मुझे ऐसे काम करने के लए कहा जाता, ज ह म नह करना चाहता था या फर ई-मे स म
ऐसी सम या का वणन होता, जनका समाधान अब मेरी ज मेदारी होती।

तो अपनी इस परेशानी का उ ह ने या हल नकाला? वे एक ‘अ ात ान’ पर चले गए,


जहाँ न ट वी थी, न इंटरनेट (वहाँ इंटरनेट के लए एक लाइ ेरी म जाना पड़ता था, जो
इतनी र थी क वहाँ पैदल नह जाया जा सकता था)। वहाँ वे अपना जीना मु कल
करनेवाले उन छोटे -छोटे वा हयात क म के दा य व से बच सकते थे, जो यूँ तो हा नर हत
नज़र आते थे, पर आ खरकार उनक गहन काय क आदत के लए ब त नुकसानदे ह
सा बत हो रहे थे। अपने उस अनुभव के बारे म बताते ए वे कहते ह, ‘मुझे वहाँ के
बटरक स (पीले रंग के फूल वाला एक पौधा, जो मूलत: उ री यूरोप म पाया जाता है),
खटमल और आसमान म चमकते सतारे आज भी याद ह। उस दौरान मने खूब पढ़ा और
महीन बाद स े ढं ग से लेखन कया।’

हमारे उ े य के संदभ म यह समझना ज़ री है क काटू न ट टम े डर, अमे रक


नबंधकार और दाश नक हेनरी डे वड थोरो जैसे नह ह। डे वड थोरो कृ त क गोद म
सरल जीवन जीने के उ े य से दो साल के लए जंगल म रहने चले गए थे। अपने इस
अनुभव पर उ ह ने ‘वॉ ेन-लाइफ इन द वुड्स’ शीषक से एक कताब भी लखी। े डर,
थोरो क तरह एक ज टल सामा जक समालोचना को रेखां कत करने के लए अपना त
शहरी जीवन छोड़कर नह गए थे। े डर का एक ‘अ ात ान’ पर जाना वा तव म
उनक एक आ यजनक पर ावहा रक अंत से े रत था, जसक मदद से वे अपने
काम के मामले म बेहतर हो गए। इस बारे म के्रडर का ीकरण कुछ इस कार है :

आलस कोई अवकाश, भोग- वलास या दोष नह है। यह हमारे म त क के लए उतना ही


अ नवाय है, जतना हमारे शरीर के लए वटा मन डी। जब हम इससे वं चत रह जाते ह,
तो हम ऐसी मान सक यातना से गुज़रना पड़ता है, जो रकेट् स (सूखा रोग, जसम ह याँ
कमजोर हो जाती ह) क तरह ही भयावह होती है... भले ही यह बात वरोधाभासी लगे, पर
कसी भी काम को पूरा करने के लए आलस ज़ री है।

जब े डर काम पूरा करने क बात करते ह, तो न त प से वे सतही काम के संदभ म


बात नह कर रहे होते ह। आमतौर पर आप सतही काम को पूरा करने म जतने यादा
समय तक डू बे रहगे, उतना ही यादा काम पूरा कर सकगे। हालाँ क एक लेखक और
कलाकार होने के नाते े डर क चता गहन काय को लेकर है। वे गहन काय यानी गंभीर
यास जनसे उन चीज़ क रचना होती है, ज ह नया मह व दे ती है। वे इस बात को
लेकर आ त ह क इन यास के लए ऐसे दमाग क ज़ रत होती है, जसे नय मत
प से आराम मलता हो।

इस रणनी त के पीछे तक यह है क आपको े डर के दखाए रा ते पर चलते ए, अपने


कामकाजी दा य व से नय मत प से मु होकर वतं ता का अनुभव करते रहना
चा हए। इससे आपको उस आलस का अनुभव मलता है, जो वरोधाभासी ढं ग से गहन
काय पूरा करने के लए ज़ री है। इस उ े य को पूरा करने के कई तरीके ह। उदाहरण के
लए आप े डर के न े कदम पर चलते ए कुछ समय के लए भीड़-भाड़वाली नया
और सतही काय से बलकुल र कसी ‘अ ात ान’ पर जाकर रह सकते ह। पर यह
वक प अ धकतर लोग के लए ावहा रक नह है। इसके बजाय म आपके सामने एक
ावहा रक और काफ श शाली क म का वक प रखना चाहता ँ: हर रोज शाम को
अपना काम ख म करने के बाद अगली सुबह तक कामकाजी जीवन से जुड़ी सारी चीज़
को भूल जाइए। डनर के बाद मेल चेक करना, काम से जुड़ी चचा और संवाद को बार-
बार याद करना और कसी आनेवाली चुनौती से नपटने क योजना पर वचार करना...
दन का अंत होते ही इन सब चीज़ का भी अंत कर द। काम से जुड़े हर मसले पर सोचना
बंद कर द। अगर आपको काम नपटाने के लए और अ धक समय चा हए, तो ले ल, पर
दन ख म होने के बाद आपके मन को कामकाज संबंधी वचार से पूरी तरह मु होना
चा हए, ता क आप भी े डर क तरह बटरक स, खटमल और आसमान म चमकते
सतार का आनंद ले सक।

इस रणनी त क सहयोगी यु य का वणन करने से पहले म यह पता लगाना चाहता ँ


क दन के अंत म कामकाज बंद कर दे ना मह वपूण प रणाम हा सल करने क आपक
मता के लए लाभदायक य होगा। हाँ! यह सही है क हमारे पास टम े डर का
उदाहरण है, पर यह समझना भी मह वपूण है क इस लाभ के पीछे कौन सा व ान काम
करता है। संबं धत सा ह य क पड़ताल से इस लाभ के तीन संभा वत ीकरण सामने
आते ह, जो इस कार ह-

कारण 1: दन के अंत म सुकूनभरा समय बताना अंत वक सत करने म सहायक


होता है।

साइंस नामक प का म का शत सन 2006 के एक शोधप के इस अंश पर गौर कर?

वै ा नक सा ह य नणय लेने से पहले वचार- वमश करने के फायद पर हमेशा से जोर


दे ता आया है... यहाँ इसी सवाल पर चचा हो रही है क या यह उ चत कोण है? हमारा
अनुमान है क यह उ चत कोण नह है।

इस सीधे से कथन के पीछे एक साह सक दावा छपा आ है। डच मनोवै ा नक ए.पी.


डेजके टर इस के नेतृ व म इस अ ययन के लेखक ने यह सा बत करने का उ े य तय
कया क कुछ नणय ऐसे होते ह, ज ह अचेतन मन के भरोसे छोड़ दे ना चा हए। सरे
श द म कह, तो कुछ नणय ऐसे होते ह, जस पर स य वचार- वमश करने से बदतर
प रणाम ही सामने आते ह। इसी लए बेहतर है क ऐसे नणय से संबं धत सारी मह वपूण
जानका रय को अपने मन म बठाकर कसी और काम म त हो जाएँ और बाक सब
अचेतन मन पर छोड़ द।
मनोवै ा नक ए.पी. डेजके टर इस ने इस वषय पर एक योग कया। उ ह ने योग म
ह सा लेनेवाल को कार खरीदने जैसा ज टल नणय लेने के लए सारी ज़ री जानकारी
उपल कराई। उ ह ने योग म ह सा लेनेवाले आधे तभा गय को इस जानकारी पर
सोच- वचार करने के बाद ही नणय लेने को कहा। जब क बाक आधे तभा गय को ये
सारी जानकारी दे ने के बाद कुछ आसान पहे लयाँ दे द ग , ता क उनका यान भटकाया
जा सके और फर उ ह बना दे र कए इस बारे म अपना आ खरी नणय लेने को कहा
गया। तभा गय के दोन समूह म से उस समूह ने बेहतर दशन कया, जसका यान
भटकाया गया था।

इस कार के योग से सामने आए नरी ण क मदद से मनोवै ा नक ए.पी.


डेजके टर इस और उनक ट म ने अचेतन वचार का स ांत (यूट ट - अनकॉ स थॉट
योरी) को सामने रखा। यह स ांत ये समझने का यास करता है क नणय लेने क
या म चेतन व अचेतन वचार- वमश या भू मका नभाता है। एक उ तर पर यह
स ांत कहता है, ‘ जन नणय के मामले म स त नयम लागू करना ज़ री होता है,
उसम चेतन मन को शा मल होना पड़ता है।’ उदाहरण के लए अगर आपको कोई गणना
करनी है, तो सही प रणाम हा सल करने के लए ज़ री ग णतीय नयम का उपयोग सफ
आपका चेतन मन ही कर सकता है। सरी ओर जन नणय म ब त सारी जानकारी और
कई अ व शायद पर र वरोधी नयम-कायद का यान रखना पड़ता है, उनसे
आपका अचेतन मन ही सबसे अ तरह नपट सकता है। अचेतन वचार के स ांत क
प रक पना के अनुसार इसका कारण यह है क आपके दमाग के इन े क यूरोनल
बड वड् थ यादा होती है। इसी लए इन े म सोच- वचार के चेतन े के मुकाबले
अ धक सूचना और जानका रय का ानांतरण संभव हो जाता है। जसके चलते
अपे ाकृत कह अ धक कारगर समाधान मलने क संभावना होती है। इस स ांत के
अनुसार आपका चेतन मन आपके घर म मौजूद उस कं यूटर के समान है, जसम आप
कुछ सी मत सम या के सही जवाब दे नेवाले सॉ टवेयर ो ा स चला सकते ह। जब क
आपका अचेतन मन गूगल के वशाल डाटा क क तरह है, जहाँ साँ यक य ए गो र
आ यजनक ढं ग से कई टे राबाइट क असंग ठत सूचना और जानका रय को
खंगालकर मु कल सवाल के उपयोगी जवाब आपके सामने तुत कर दे ती है।

इस क म के शोध का न हताथ यही है क अपने चेतन मन को व ाम दे ने से आपका


अचेतन मन आपके ावसा यक जीवन क सबसे ज टल चुनौ तय का सामना करने म
स म हो जाता है। इसी लए यह ज़ री नह है क दन के अंत म कामकाज बंद कर दे ने
क आदत से उ पादक काय करने क समयाव ध कम हो रही हो। ब क आप जो भी करते
ह, उसम इसके चलते व वधता आती है।

कारण 2: दन के अंत म सुकूनभरा समय बताने से गहन काय के लए ज़ री ऊजा


दोबारा बढ़ जाती है।

सन 2008 म साइकोलॉ जकल साइंस नामक प का म का शत एक शोधप म एक


आसान योग का वणन है। इस शोधप का हवाला अ सर दया जाता है। इस योग म
शा मल तभा गय को दो समूह म बाँट दया गया। पहले समूह को म शगन के एन
आबर शहर म त एक वन त वा टका के प रसर म बने लकड़ी के रा ते पर
चहलकदमी के लए कहा गया। यह योग भी इसी ान पर कया जा रहा था। जब क
तभा गय के सरे गु्रप को शहर के एक त इलाके के रा ते पर चहलकदमी के लए
कहा गया। दोन समूह को बैकवड ड जट- ैन नामक एक ऐसा काय स पा गया था,
जसम एका ता भंग होती रहती है। इस अ ययन से सामने आया मु य न कष यह था क
कृ त के बीच चहलकदमी करनेवाले समूह का दशन 20 फ सद बेहतर रहा। इसके बाद
अगले स ताह इ ह तभा गय को एक बार फर से बुलाकर यही योग कया गया। बस
फक यह था क जस समूह को पछले स ताह कृ त के बीच चहलकदमी करते ए काम
करने को कहा गया था, उसे इस बार शहर के त इलाके म भेज दया गया और जस
समूह को पछली बार शहर भेजा गया था, उसे इस बार कृ त के बीच रहने को कहा गया।
इस बार भी उसी समूह ने बेहतर दशन कया, जसने कृ त के बीच काम कया।
था क दशन कैसा होगा, इस पर तभा गय का नह ब क इस वा त वकता का
नयं ण था क कस समूह को कृ त के बीच चहलकदमी करते ए काम करने का मौका
मलता है।

यह उन तमाम अ ययन म से एक है, जो अटशन री टोरेशन योरी (एआरट - यान


बहाली का स ांत) को मा यता दे ता है। इस स ांत के अनुसार, कृ त के बीच समय
बताने से आपक यान क त करने क मता म सुधार आता है। यान के कमज़ोर पड़ने
क अवधारणा से जुड़े स ांत का तपादन सबसे पहले 1980 के दशक म म शगन
यू नव सट क मनोवै ा नक रेचेल केपलॉन और ट फेन केपलॉन ने कया था। ट फेन ने
माक बमन और जॉन जॉनाएड् स के साथ मलकर 2008 के उस अ ययन का सह-लेखन
भी कया था, जसका उ लेख यहाँ कया गया है। यान बहाली स ांत के अनुसार
एका ता के लए नद शत यान क ज़ रत होती है। यह एक सी मत संसाधन है: अगर
आप इसे ख म कर दगे, तो फर आपको एका होने के लए संघष करना पड़ेगा। (अपने
उ े य के संदभ म नद शत यान के इस संसाधन को हम इस नयम क शु आत म
उ ले खत मनोवै ा नक रॉय बे म टर ारा बताए गए इ ा श के सी मत भंडार क
तरह दे ख सकते ह। (13 )) सन 2008 के उस अ ययन के अनुसार, शहर के त इलाके
म चहलकदमी करने के लए आपको नद शत यान क ज़ रत होती है य क वहाँ
आपके दमाग को कई ज टल काम करने होते ह, जैसे ै फक से बचते ए सड़क कैसे पार
क जाए या रा ते को घेरकर खड़े लोग के बीच से कैसे नकला जाए वगैरह। सफ 50
मनट तक एका ता के साथ यह काय करने के बाद पाया गया क तभा गय का
नद शत यान कम हो गया था।

इसके वपरीत कृ त के बीच टहलने से आपका सामना उस चीज़ से होता है, जसे माक
बमन सूया त के उदाहरण का उपयोग करते ए ‘ वाभा वक प से आकषक उ ेजना’
कहते ह। यह उ ेजना ‘ यान को सामा य प से आक षत करती है, जससे नद शत
यान व ध को पुन: पू त का मौका मलता रहता है।’ इसी बात को सरे ढं ग से कह तो
जब आप कृ त के बीच चहलकदमी कर रहे होते ह, तो अपने यान को कसी न त
दशा म नद शत करने से मु होते ह य क वहाँ आपको चुनौ तय का सामना कम ही
करना पड़ता है। जैसे भीड़-भाड़वाले रा ते को पार करना। साथ ही वहाँ अनुभव हो रह
कई दलच उ ेजनाएँ आपके मन को इतना त तो रखती ही ह क वह स य प
से यान क त करने क ज़ रत को अनदे खा कर सके। इस अव ा म आपके नद शत
यान के संसाधन को पुन: पू त का समय मलता रहता है। इस कार 50 मनट तक पुन:
पू त करने के बाद योग म शा मल तभा गय क एका ता बढ़ ई पाई गई।

(आप न त प से यह तक दे सकते ह क घर के बाहर रहकर सूया त का आनंद उठाने


से लोग का मूड अ ा हो जाता है और जब मूड अ ा होता है, तो इंसान इस तरह के
काय म अ ा दशन ही करता है। पर योगकता ने परपीड़क अंदाज म एन आबर
शहर क भीषण सद म यह योग दोबारा करके इस अवधारणा को खा रज कर दया।
बफ ली सद म बाहर चहलकदमी करने से तभा गय का मूड अ ा नह आ, पर
इसके बावजूद उ ह ने एका ता संबंधी काय म अ ा दशन कया।)

हमारे उ े य के संदभ म यह नरी ण करना मह वपूण है क अटशन री टोरेशन योरी


(एआरट - यान बहाली का स ांत) म न हत अथ का व तार कृ त के लाभ से परे
होता है। इस स ांत का मु य तं यह वचार है क अगर आप यह ग त व ध बंद कर द,
तो यान को नद शत करने क अपनी मता को दोबारा हा सल कर सकते ह। इसम कोई
दोराय नह क कृ त के बीच चहलकदमी करने से मान सक राहत मलती है पर यह भी
सच है क ऐसी राहत हर उस आरामदे ह ग त व ध म मलती है, जसम आपको
‘ वाभा वक प से आकषक उ ेजना’ और नद शत एका ता से मु मलती है। कसी
दो त के साथ यूँ ही गपशप करना, संगीत सुनते ए अपना डनर तैयार करना, अपने ब
के साथ खेलना, सेहत के लए हर रोज नय मत प से दौड़ने जाना - वे सारी चीज़ जो
आप दन के अंत म कामकाज बंद कर दे ने के बाद करते ह - ऐसी हर ग त व ध क
आपके यान को सुधारने म वही भू मका है, जो कृ त के बीच चहलकदमी करने क है।

सरी ओर अगर आप बार-बार ई-मेल चेक करके और जवाबी ई-मेल भेजकर अपनी
आनंददायी शाम म खलल डालते ह या डनर के बाद कसी डेडलाइन के च कर म घंट
बैठकर काम करते ह, तो इसका अथ है क आप अपने नद शत यान क को नरंतर
होनेवाले आराम से वं चत कर रहे ह, जब क यह आराम यान क पूवाव ा क ा ती के
लए ज़ री है। भले ही आराम के ण म भी काम का यह खलल कुछ ही दे र के लए
पड़े, पर इससे आप आराम के उस गहनतम तर पर प ँचने से वं चत रह जाते ह, जहाँ
यान क पुनः वापसी संभव हो सकती है। जब आप इस बात को लेकर न त होते ह क
अब आपको अगला दन शु होने से पहले काम करने क ज़ रत नह है, सफ तभी
आप अपने दमाग को उस गहन तर पर आराम के लए राजी कर सकते ह, जहाँ वह
अगले दन के लए खुद को रीचाज करता है। सरे श द म कह, तो शाम को आराम करने
के बजाय थोड़ा-ब त काम नपटाने क को शश से अगले दन आपक भावशीलता इस
हद तक कम हो सकती है क आप सामा य से भी कम काम करते ह।

कारण 3 : शाम को आराम के बजाय आप जो काम करते ह वह आमतौर पर ब त


मह वपूण नह होता

दनभर काम करने के बाद शाम को काम करने के पीछे जो आ खरी तक है, उसके लए
हम एक बार फर सु वचा रत अ यास का स ांत (डे लबरेट ै टस योरी) के
आ व कारक एंडस ए र सन क ओर लौटना होगा। शायद आपको याद होगा, इस कताब
के खंड 1 म हमने इस वषय पर चचा क थी क डे लबरेट ै टस योरी का अथ है, कोई
कौशल वक सत करने के लए अपनी मता को व त प से उनक आ खरी
सीमा तक बढ़ाना। कसी भी काय म महारत हा सल करने के लए यह ग त व ध ज़ री
होती है। जैसा क मने पहले भी कहा था, गहन काय और सु वचा रत अ यास, ये दोन
एक- सरे को अ सर ओवरलैप करते रहते ह। अपने उ े य के संदभ म हम यहाँ
सु वचा रत अ यास को, ान के लहाज से मु कल काय के लए सामा य उ े य के
वक प के प म इ तेमाल कर सकते ह।
सन 1993 म ए र सन ने इसी वषय पर ‘द रोल ऑफ डे लबरेट ै टस इन द ए व जशन
ऑफ ए सपट परफॉमस’ शीषक से एक मौ लक शोधप का शत कया। जसका एक
भाग इस बात क समी ा के लए सम पत था क ‘वै ा नक सा ह य के अनुसार मान सक
प से मु कल काय करने क क मता या है।’ ए र सन ने कया क कोई
नौ स खया एक दन क अव ध म सफ एक घंटे तक ही गहनता से एका रह सकता है।
जब क एक वशेष करीब चार घंटे तक गहन प से एका रह सकता है। इससे यादा
समय तक एका रहना लभ मामल म ही संभव हो पाता है।

उदाहरण के लए इस वषय पर ए एक अ ययन म ब लन यू नव सट ऑफ आट म


श ण ले रहे समाज के अ भजात वग के वॉय लन वादक के एक समूह क अ यास
संबंधी आदत को सूचीब कया गया। इस अ ययन से पता चला क ये वॉय लन वादक
त दन औसतन साढ़े तीन घंटे का समय वचारपूवक अ यास करते ए बताते ह और
यह अव ध आमतौर पर दो ह स म बँट होती है। जब क इनके मुकाबले कम नपुण
वादक गहनता क अव ा म अपे ा से कम समय बताते ह।

इन प रणाम का अथ यह है क आपके पास एक दन क अव ध म गहन काय करने क


एक सी मत मता होती है। अगर आप अपने श ूल को लेकर सावधानी बरतते ह
(उदाहरण के लए उस क म क उ पादकता संबंधी रणनी तय का उपयोग करना,
जनका उ लेख नयम 4 म कया गया है) तो अपने काय दवस के दौरान ही गहन काय
करने क अपनी त दन क मता का पूरा उपयोग कर सकगे। जसका अथ यह आ
क शाम होने के बाद आप भावशाली ढं ग से गहन काय जारी रखने क अपनी सीमा पार
कर चुके ह गे। यानी रात के समय आप जो भी काय करगे, वह उस अ त-मू यवान
ग त व ध क ेणी म नह आएगा, जससे आपको अपने कॅ रयर म वाकई लाभ मलता
है। ब क रात के समय काम करने के आपके सारे यास उन सतही काय तक ही सी मत
रह जाएँग,े जो कम मू यवान ह ( ज ह न न-ऊजा तर के साथ पूरा कया जा रहा होगा)।
सरे श द म कह, तो शाम को काम करने क योजना गत करके आप कसी
मह वपूण चीज़ से नह चूक रहे ह।

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यहाँ जन तीन कारण का वणन कया गया है, वे एक न त ब पर अपना काय दवस
समा त करने क सहज रणनी त का सहयोग करते ह। आइए, अब काय पर अमल करने
संबंधी कुछ बात पर व तार से चचा करके अपने न कष तक प ँचना शु करते ह।
इस रणनी त के साथ सफल होने के लए सबसे पहले आपको इस वचनब ता को
वीकार करना पड़ेगा क अपना काय दवस समा त होने के बाद आप अपने काम से जुड़ी
कसी भी छोट सी चीज़ को अपने यान े म आने नह दगे। इसम खासतौर पर ई-मेल
चेक करना और काम से जुड़ी वेबसाइट् स व जट करना भी शा मल है। दोन ही मामल म
काम से जुड़ी चीज़ ारा आपके यान े म क गई छोट सी भी घुसपैठ से आपका
यान भटकने का एक सल सला शु हो सकता है। जो दन के अंत म कामकाज बंद कर
दे ने के उन फायद को बा धत कर सकता है, जनके बारे म आपको पहले बताया गया था
(उदाहरण के लए यादातर लोग इस अनुभव से प र चत ह गे, जसम हम र ववार को
छु के बावजूद कामकाजी जीवन से जुड़ा कोई चेतावनी भरा ई-मेल दे ख लेते ह और फर
पूरे स ताह उसके संभा वत प रणाम के बारे म सोच-सोचकर घबराते रहते ह)।

इस रणनी त के साथ सफल होने क एक और मह वपूण वचनब ता है- अपनी सफलता


क संभावना बढ़ाने के उ े य से, आपने दन के अंत म कामकाज बंद कर दे ने का जो
नयम बना रखा है, उसका सहयोग करने क वचनब ता। व तार से कह, तो इस नयम
से यह सु न त हो जाना चा हए क हर अधूरे काय, ल य या ोजे टस् क समी ा करने
के बाद आपने इस बात क पु क है क या तो (1) आपके पास उसे पूरा करने क एक
ढ़ योजना है या फर (2) सही समय आने पर उस पर एक बार फर से वचार कया
जाएगा। यह या एक ए गो र होनी चा हए यानी एक के बाद एक ऐसे कई चरण क
ृंखला, ज ह आप हमेशा उठाते ह। जब आप यह कर ल, तो इसके पूरा होने का संकेत
दे नेवाला एक वा य कह (जैसे म अपने इस नयम क समा त पर कहता ,ँ ‘आ खरकार
आज का काम ख म आ’)। हालाँ क यह आ खरी चरण ज़रा बनावट क म का लगता
है, ले कन इससे आपके दमाग को यह संकेत मलता है क अब अगला दन शु होने म
जतना समय बचा है, उतने समय के लए कामकाज संबंधी वचार को भुलाया जा सकता
है।

इस सुझाव को और अ धक ठोस बनाने के लए म आपको दन के अंत म कामकाज बंद


कर दे ने के अपने नयम के बारे म बताता ँ ( जसे मने अपनी डॉ टरेट का ववरण लखने
के दौरान वक सत कया था। इसके बाद मने इसे अपने जीवन म कसी न कसी प म
हमेशा ही लागू कया है)। अपने इस नयम म म काम बंद करने से पहले अपने ई-मेल पर
आ खरी बार गौर कर लेता ँ, ता क अगर कोई ऐसा मह वपूण ई-मेल है, जसका जवाब
त काल भेजना ज़ री है, तो भेजा जा सके। इसके बाद म अपने दमाग म चल रहे सभी
काय और दनभर म बताए गए उन सारे काय को अपनी अगले दन क आ धका रक
कायसूची म जोड़ दे ता ँ, ज ह अभी पूरा कया जाना बाक है। (अपने काय क सूची
बनाने के लए म गूगल डॉ स का इ तेमाल करता ँ य क इससे मुझे यह सु वधा रहती
है क इसे म कसी भी कं यूटर पर कभी भी खोलकर दे ख सकता ँ - हालाँ क इस मामले
म टे नॉलॉजी हर बार उ चत नह हो सकती।) ऐसी सभी सू चय को खोलने के बाद म
उनम उ ले खत हर काय को गौर से पढ़ लेता ँ और फर अपने कैलडर म अगले कुछ
दन के काय म पर नज़र डालता ँ। इन दोन चीज़ से यह सु न त हो जाता है क म
कोई ऐसी चीज़ भूल तो नह रहा, जस पर त काल यान दे ने क ज़ रत हो और फर
कोई ऐसी मह वपूण डेडलाइन या अपाँइंटमट तो नह है, जसे अभी नपटाना ज़ री हो।
इस ब तक आते-आते म अपने कामकाजी समय सा रणी क हर चीज़ क समी ा कर
चुका होता ँ। अंत म म इस पूरी जानकारी का इ तेमाल करके अपने अगले दन क
योजना बना लेता ँ। एक बार जब यह योजना बन जाती है, उसके बाद आ खर म म
कहता ँ, ‘आ खरकार आज का काम ख म आ’ और इस तरह म अगला दन शु होने
तक के लए ावसा यक जीवन से जुड़े सारे वचार से मु हो जाता ँ।

दन के अंत म कामकाज बंद करने का नयम बनाना चा हए, यह धारणा पहली नज़र म
चरमपंथी क म क लग सकती है, पर इसके पीछे एक ठोस कारण है: जगा नक भाव।
इस भाव को यह नाम बीसव शता द के शु आती दौर के मनोवै ा नक लूमा
जगा नक के ायो गक काय के लए दया गया था। यह भाव इस बात का वणन करता
है क अधूरे काय हमारा सारा यान ख च लेते ह और हम पर हावी हो जाते ह। यह भाव
बताता है क भले ही आप कोई भी काम कर रहे ह , अगर शाम के पाँच बजते ही आप
अपना काम बंद करके यह घो षत कर द क ‘अब कल तक के लए म अपने काम से मु
ँ’ तो शायद आपको अपने ावसा यक मसल से पूरी तरह यान हटाने के लए संघष
करना पड़े। य क लूमा जगा नक के योग के अनुसार, आपके जो काम अभी अधूरे
ह, उनसे जुड़े वचार पूरी रात आपका यान पाने के लए संघष करते रहगे (और यह ऐसा
संघष है, जसम अकसर उ ह क जीत होती है)।

शु आत म ये चुनौती मु कल लग सकती है। जैसा क हर नॉलेज वकर (14 ) बता सकता


है, कोई न कोई काम हमेशा ही अधूरा रह ही जाता है। यह वचार सफ एक खुशनुमाँ
क पना ही है क एक ब पर आकर आप अपने सारे काम नपटा लगे। सौभा य से,
कसी काय से अपना यान हटाने के लए यह ज़ री नह है क उसे पूरा कया जाए। इस
मामले म हमारा बचाव करने क मता सफ एक ही म है, मनोवै ा नक रॉय
बे म टर, जनका उ लेख पहले भी कया जा चुका है। दरअसल रॉय बे म टर ने ई.जे.
मे सके ो के साथ मलकर एक शोधप लखा था, जसे उ ह ने एक मजेदार शीषक
‘कं सडर इट डन’ दया था। दोन शोधकता ने अपने इस अ ययन क शु आत इसम
ह सा लेनेवाल पर जगा नक भाव डालकर क (दरअसल दोन शोधकता ने उ ह
एक काय स पा और फर बड़ी ही कठोरता से उस काय म बाधाएँ डालते रह)। पर फर
उ ह ने पाया क अगर वे शोध म ह सा लेनेवाल से कसी बाधा का सामना करने के तुरंत
बाद यह कह क ‘एक ऐसी योजना बनाएँ, जससे हो क इस अधूरे काय को बाद म
कैसे पूरा करगे,’ तो इस तरह जगा नक भाव का असर काफ हद तक कम कया जा
सकता है। इस शोधप के अनुसार, ‘ कसी उ े य को पूरा करने के लए एक व श
योजना तय करने से न सफ उस उ े य को पूरा करने म मदद मल सकती है ब क आप
अ य काय पर वचार करने के लए खुद को मान सक प से वतं भी महसूस कर
सकते ह।

दन के अंत म कामकाज बंद करने के जस नयम का पहले उ लेख कया गया था, वह
जगा नक भाव का सामना करने के लए इस रणनी त का लाभ उठाती है। हालाँ क यह
आपको अपनी कायसूची (एक ऐसी चीज़ जसे बनाना बोझ लगता है पर जो ज़ री भी है)
म शा मल हर काय के लए एक योजना बनाने को मज़बूर तो नह करती। पर यह आपको
अगले दन क योजना बनाने से पहले अपनी मौजूदा कायसूची म शा मल हर काय पर गौर
करने और फर उन सभी क समी ा करने के लए मज़बूर ज़ र करती है। यह नयम इस
बात को सु न त करता है क आप गलती से कसी काय को भूल न जाएँ: हर काय क
त दन समी ा होगी और जब सही समय आएगा तो उसे पूरा भी कया जाएगा। सरे
श द म, ऐसा करने से आपका दमाग हर व सारे काय के बारे म सोचने क झंझट से
मु रहता है - य क दन के अंत म कामकाज बंद करने का नयम यह ज मेदारी अपने
कंध पर ले लेता है।

हो सकता है क दन के अंत म कामकाज बंद करने के नयम से आप खीझा आ महसूस


कर य क इसके चलते आपका काय दवस ख म होने के बाद भी 10 से 15 मनट का
(और कभी-कभी तो इससे यादा भी) अ त र समय लग जाता है। पर जस प तब
आलस के बारे म आपको पहले बताया जा चुका है, उसका फायदा उठाने के लए ये नयम
ज़ री है। मेरा अनुभव कहता है क दन के अंत म कामकाज बंद करने का नयम बनाने
क आदत वक सत होने म एक से दो स ताह का समय लगता है - यानी इतनी अव ध म
आपका मन इन नयम पर इतना भरोसा करने लगता है क वह दन ख म होने के बाद
शाम को काम से संबं धत वचार को भुलाना शु कर दे ता है। पर एक बार जब ये आदत
वक सत हो जाती है, तो फर यह आपके जीवन का एक ाई ह सा बन जाती है - और
वह भी इस हद तक क अगर आप कसी दन इस नयम का पालन न कर, तो बेचैनी क
भावना से भर जाएँगे।
मनो व ान के व भ उप े म दशक तक ए सारे शोध और अ ययन इसी न कष क
ओर इशारा करते ह क अपने दमाग को नय मत प से आराम दे ने से आपके गहन काय
क गुणव ा बढ़ जाती है। तो जब भी काम कर, पूरी मेहनत और लगन से कर और जब
काम ख म कर, तो पूरी तरह ख म कर यानी उससे जुड़े सारे वचार को भुला द। हो
सकता है क अब आपको जवाबी ई-मेल भेजने म पहले के मुकाबले औसत से अ धक
समय लगे, पर जब आप अपने थके ए सहक मय क तुलना म अ धक गहनता म जाने
क अपनी तरोताजा मता क मदद से, यादा से यादा मह वपूण काय को पूरा करने
लगगे, तो इस नुकसान क भरपाई भी आसानी से हो जाएगी।
1 एक ऐसी अव ा, जसम आप अपनी संपूण मानव मता हा सल कर लेते ह।

2 यह साम ी वनी को बाहर जाने से रोकने का काय करती है।

3 वैरा यवाद - एक धा मक जीवन-प त जसम इंसान आ या मक काय के त


सम पत होने के लए अपना सांसा रक जीवन याग दे ता है।

4 कं यूटर ारा गणना करने या अ य सम या का समाधान करते समय पालन क


जानेवाली नयम क एक या।

5 ऐसे कमचारी जनक मु य पूँजी उनका ान होता है, जैसे ो ामर, डॉ टर, इंजी नयर,
अकाउं टट, आ कटे ट, वै ा नक और वक ल वगैरह।

6 म यहाँ ‘वैय क’ श द का उपयोग ज़रा श थल ढं ग से कर रहा ँ। वैरागी दशन सफ


उन लोग पर ही लागू नह होता है, जो अपना काम खुद अकेले ही करते ह। गहन यास
के ऐसे उदाहरण भी मौजूद ह, जहाँ लोग के एक छोटे समूह ने मलकर काम को पूरा
कया हो। उदाहरण के लए रॉजस और हैमर ट न क गीतकार जोड़ी (अमे रक यू जकल
थएटर क नया क एक सफल और त त जोड़ी) या राइट दस जैसे आ व कारक
क जोड़ी ( ज ह हवाई जहाज का आ व कारक माना जाता है)। इस श द का उपयोग
करने के पीछे मेरा मतलब यह है क यह दशन उन लोग पर भी लागू होता है, जो एक बड़े
संगठन का सद य होने के नाते अपने अ य दा य य को पूरा कए बना एक ल य
हा सल करने क दशा म आगे बढ़ रहे ह।

7 इंटरनेट कने ट वट वाले इले ॉ नक डवाइसेस के नरंतर इ तेमाल से हर व एक-


सरे के संपक म रहना।

8 शोध छा क मदद के लए लगाया जानेवाला मु त शै णक श वर।

9 मेरा कायकाल 300 म लयन डॉलर क लागत से बने टाटा सटर म ही गुज़रा)
10 प हए क धुरी और ती लय जैसी संरचना। टाटा सटर के संदभ म हब यानी प हए क
धुरी साझा ग लयारे का त न ध व करती है और ोक यानी प हए क ती लयाँ उस धुरी
से जुड़े कई एकांत ऑ फसेस

11 ओपन ऑ फस के समथक इस ब पर आकर यह दावा कर सकते ह क वे मनचाहे


वचार पर गहन सोच- वचार करने के उ े य से कॉ स स तैयार करके वा तव म
गहनता और आपसी संवाद के बीच एक संतुलन साध रहे ह। हालाँ क उनका यह म या
अ भमान नए प रवतन या उ त के मामले म गहन काय करने क भू मका को मह वहीन
बना रहा है। य क मनचाहे वचार पर गहन सोच- वचार क को शश कोई ऐसी चीज़
नही है, जो ेरणादायी आक मक मुलाकात के साथ कभी-कभार ही जुड़ी होती हो।
ब क ऐसी को शश तो मह वपूण खोज के लए सबसे ज़ री चीज़ म से एक ह।

12 म अपने गहन काय के घंट का हसाब जस ढं ग से लखता था, आप उसक त वीर


ऑनलाइन दे ख सकते ह: गहन आदत: आपको घंट का हसाब रखना चा हए या
मह वपूण ब का? माच 23, 2014
http://calnewport.com/blog/2014/03/23/deep-habits-should-you-track-
hours‑or‑milestones/.

13 इससे संबं धत सा ह य म इस बात को लेकर एक बहस भी छड़ी ई है क या इ ा


शं के सी मत भंडार क मा ा उतनी ही है, जतनी बताई गई है। हालाँ क हमारे उ े य
के संदभ म यह बहस मह वपूण नह है। इसका मुख अवलोकन यही है क एका ता के
लए ज़ री यह संसाधन सी मत मा ा म उपल होता है, जसे संर त करने क ज़ रत
होती है।

14 ऐसा कमचारी जसक मु य पूँजी उनका ान होता है, जैसे ो ामर, डॉ टर,
इंजी नयर, अकाउं टट, आ कटे ट, वै ा नक और वक ल वगैरह
नयम

2: बोडम को गले लगाएँ

गहन काय करने म महारत कैसे हा सल क जाती है, इस बात को बेहतर ढं ग से समझने के
लए म आपको सुझाव ँ गा क आप स ताहांत म सुबह छह बजे यू यॉक क ग वैली
म त केनेस यसरेल सनेगॉग (एक य द पूजाघर) जाएँ। वहाँ बाहर पा कग लॉट म
आपको करीब बीस कार खड़ी दखाई दगी। अंदर जाने पर आपको इस मंडली के दजन
सद य य द धा मक ंथ का अ ययन करते मलगे - जनम से कुछ ाचीन भाषा के श द
बोलते ए ंथ पढ़ने म त ह गे, जब क बाक के लोग जो ड़याँ बनाकर एक- सरे से
बहस करते नज़र आएँगे। वह कमरे के एक छोर पर एक र बी (य द धमगु ) चचा म
त एक बड़े समूह का नेतृ व कर रहा होगा। ग वैली म सुबह-सुबह एक त होनेवाले
ये लोग उन हज़ार ढ़वा दय के एक छोटे से ह से का त न ध व करते ह, जो हर दन
क तरह स ताहांत म भी सुबह ज द उठकर अपने धम क क य री त का अ यास करते
ह। क य री त यानी र बा नय के य द धम क ज टल ल खत परंपरा का त दन
अ ययन करना।

इस नया से मेरा प रचय एडम मा लन ने कराया था, जो केनेस यसरेल मंडली के सद य


ह और सुबह-सुबह अ ययन करनेवाले समूह म नय मत प से स य रहते ह। जैसा क
मा लन ने मुझे बताया, “इस अ यास का उ े य है, अपनी समझ को आ खरी सीमा तक
बढ़ाने के लए अ ययन के एक साथी के साथ मलकर हर रोज तालमुद (1 ) के एक प े
का अथ समझना (हालाँ क कभी-कभी वे एक प े को भी पूरा करने म वफल रहते ह)।

मा लन के बारे म जो चीज़ मुझे सबसे यादा दलच लगती है, वह ाचीन ंथ का


उनका ान नह ब क इस अ ययन को हा सल करने के लए उनके ारा क जानेवाली
मेहनत है। जब मने उनका इंटर ू लया, तो उ ह ने सुबह-सुबह नभाई जानेवाली अपनी
इस र म क मान सक ती ता पर काफ जोर दया। इस इंटर ू म उ ह ने मुझसे कहा,
‘यह एक स त और गंभीर अनुशासन है, जसम यादातर गहन काय क ज़ रत पड़ती है
( जसके बारे म आप लखते ह)। म एक फलता-फूलता वसाय चलाता ँ पर आमतौर
मुझे सबसे क ठन मान सक मेहनत इस धा मक अ ययन म ही करनी पड़ती है।’ हालाँ क
ऐसा नह है क ये मेहनत सफ मा लन को ही करनी पड़ती हो। ब क यह तो इस धा मक
अ यास का एक ह सा है - जैसा क उनके र बी ने एक बार कहा था, ‘जब तक तुम
अपनी मान सक मता क आ खरी सीमा तक नह प ँच जाते, तब तक इस दै नक
दा य व को पूरा करने का वचार खुद नह कर सकते।’

कई ढ़वाद य दय के वपरीत मा लन काफ समय बाद एक धा मक बने।


उ ह ने बीस क उ बाद य द धम का मु य धा मक ंथ तालमुद का कठोर श ण
शु कया। हमारे लए यह एक उपयोगी जानकारी है। य क इससे यह तुलना करना
आसान हो जाता है क मा लन पहले कैसे थे और इस मान सक ायाम के बाद कैसे ह -
इस तुलना से सामने आए प रणाम मा लन के लए च कानेवाले थे। हालाँ क यह धा मक
अ यास शु करने से पहले ही मा लन असाधारण प से श त थे - उनके पास
तीन अलग-अलग आइवी लीग (2 ) ड याँ ह। ज द ही उनक मुलाकात ऐसे साथी
अनुया य से ई, जो सफ छोटे -मोटे धा मक कूल म ही पढ़े थे, पर फर भी वे उनके
चार ओर ‘बौ क घेरा बनाकर नृ य’ (3 ) कर सकते थे। वे कहते ह, ‘इनम से कई लोग
ावसा यक प से बड़े सफल ह पर वे कसी शानदार कूल के चलते बु मान नह बने।
है क इसके पीछे उनका धा मक अ ययन था, जो पाँचव क ा से ही शु हो गया
था।’

एक समय के बाद मा लन ने गहनता से सोच- वचार करने क अपनी मता म आ रहे


सकारा मक बदलाव पर गौर कया। उ ह ने मुझे बताया, ‘हाल ही म मुझे अपने
ावसा यक जीवन म कई अंत याँ हा सल और मुझे पूरा भरोसा है क इनका संबंध
मेरे दै नक मान सक अ यास से है। धा मक अ ययन के लए साल से क जा रही नय मत
मेहनत के चलते मेरी मान सक माँसपे शयाँ मज़बूत हो गई ह। हालाँ क जब मने शु आत
क थी, तब मेरा यह उ े य नह था पर अब इसका भाव मेरे सामने है।’

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एडम मा लन का अनुभव गहन काय के बारे म एक मह वपूण वा त वकता को रेखां कत


करता है: ती ता के साथ यान क त करने क मता एक कौशल है, जसे वक सत
करने के लए श ण क ज़ रत होती है। एक बार जब यह वचार हमारे सामने आ
जाता है, तो बड़ा ही वाभा वक लगता है, पर इस वषय को लोग जस ढं ग से दे खते और
समझते ह, यह उससे बलकुल अलग है। मेरा अनुभव कहता है क बना यान भटके
एका रहने क आदत को, सुबह-सुबह दाँत साफ करने जैसी दै नक- या क तरह
दे खना एक सामा य बात है - यानी यह एक ऐसी चीज़ है, जसके बारे म आपको पता है
क इसे कैसे करना है। साथ ही आप यह भी जानते ह क यह आपके लए लाभदायी है पर
अभी तक ेरणा क कमी के चलते आप इसक उपे ा कर रहे थे। यह मान सक आकषक
है य क इसका ता पय यह है क अगर आप अपने अंदर पया त ेरणा जुटा ल, तो यान
भटकने क सम या को र कर अपने ावसा यक जीवन म सकारा मक बदलाव ला
सकते ह। पर यह समझ, एका ता म होनेवाली सम या और उस घंट के अ यास को
नज़रअंदाज कर दे ती है, जो आपक मान सक माँसपे सयाँ मज़बूत बनाने के लए ज़ री
है। सरे श द म कह, तो आज एडम मा लन अपने ावसा यक जीवन म जन
रचना मक अंत य का अनुभव करते ह, वे गहनता से सोच- वचार करने का नणय एक
बार लेने से संबं धत नह ह। ब क उनका संबंध तो हर सुबह ज द उठकर अपनी यह
मता बढ़ाने क वचनब ता से है।

हालाँ क इस वचार का एक वाभा वक प रणाम है: अपनी एका ता को गहन बनाने का


यास करना आपके लए मु कल होगा, अगर आप इसके साथ-साथ अपने दमाग को
यान भटकानेवाली चीज़ से र नह करते। जस तरह एथलीट् स को अपने श ण स
से परे भी अपने शरीर का यान रखना पड़ता है, उसी तरह अगर आप जरा सी बोडम
महसूस होते ही उससे बचने क को शश म अपना समय बरबाद करगे, तो एका ता का
गहनतम तर हा सल करने म आपको मु कल का सामना करना पड़ेगा।

इस दावे को सही सा बत करनेवाले सा य दे खने के लए हम टै नफोड यू नव सट के


क यु नकेशन ोफेसर वग य लफड नैस के शोध पर गौर करना होगा। ोफेसर नैस
आज के ड जटल युग म इंसानी वहार पर अपने अ ययन के लए मश र रहे ह। उनके
इस शोध से कई मह वपूण बात सामने आ । उ ह म से एक ये है क ऑनलाइन रहते ए
जब आपक एका ता का तर नरंतर घटता-बढ़ता रहता है, तो इससे आपके दमाग पर
ाई नकारा मक भाव पड़ता है। सन 2010 म नेशनल प लक रे डयो क ईरा लैटो को
दए अपने एक इंटर ू म उ ह ने इस शोध के न कष का सारांश कुछ इस तरह तुत
कया था:

हमारे पास ऐसे पैमाने ह, जनक मदद से हम लोग को दो े णय म बाँट सकते ह। पहली
ेणी ऐसे लोग क , जो हमेशा म ट टा कग करते ह और सरी ेणी उनक , जो कभी-
कभार ही म ट टा क करते ह। इन दोन े णय के लोग के बीच जो अंतर पाए गए, वे
उ लेखनीय ह। जो लोग हमेशा म ट टा कग करते ह, वे अ ांस गक/अता कक चीज़ को
अलग करके नह दे ख पाते। उनक या ा त अ सर सामा य से कमजोर बनी रहती है।
उनका यान बुरी तरह भटका रहता है। वे अपने दमाग के उन बड़े ह स को भी स य
कर लेते ह, जनका उस काम से कोई संबंध नह होता, जो वे फलहाल कर रहे होते ह...
सरे श द म कह, तो वे मान सक प से काफ हद तक वच लत रहते ह।

इसी ब पर नेशनल प लक रे डयो क ईरा लैटो ने ोफेसर नैस से पूछा क जन लोग


का यान बुरी तरह भटका रहता है, या वे अपने दमाग म ए इस बदलाव को समझ
जाते ह?

हमने जन लोग से बात क , उनका लगातार यही कहना है क ‘दे खो, जब मुझे सचमुच
यान क त करने क ज़ रत पड़ती है, तो म बाक सारी चीज़ छोड़ दे ता ँ और फर पूरी
तरह एका हो जाता ँ।’ जब क भा यवश ये लोग ऐसी मान सक आदत वक सत कर
चुके होते ह, जनके चलते उनके लए पूरी तरह एका होना असंभव हो चुका होता है। वे
अंजाने म ही अ ासं गक/अता कक चीज़ क ओर आक षत होते रहते ह। वे लगातार एक
ही काम करने म असमथ होते ह।

नैस ने पाया क एक बार जब आपके दमाग को सामने मौजूद हर उस चीज़ क आदत पड़


जाती है, जो यान भटका सकती है, तो इस लत से छु टकारा पाना मु कल हो जाता है,
भले ही आप खुद अपनी एका ता बढ़ाना चाहते ह । इसे और ढं ग से समझ - कसी
कतार म पाँच मनट तक इंतजार करना या जब तक आपके दो त नह आ जाते, तब तक
रे ां म अकेले बैठना, इस कार का जदगी का हर वह संभा वत पल जो बोडम से भरा
हो सकता है, उससे छु टकारा पाने के लए आप फौरन अपने मोबाइल फोन म त हो
जाते ह। इसका अथ है क आप नैस के शोध से सामने आए उन लोग क तरह ह, जो
मान सक प से वच लत हो चुके ह - आपके दमाग म इस हद तक बदलाव आ चुका है
क अब वह गहन काय के लए तैयार नह है। भले ही आप एका होने के लए बार-बार
समय नधा रत करते रह।

नयम-1 से आपने सीखा क अपने श ूल म गहन काय को कैसे शा मल कर। साथ ही


इसके लए उन र म व दनचया का सहयोग कैसे ल, जो आपको अपनी एका ता मता
क वतमान सीमा तक नय मत प से ले जाने म सहयोग करने के लए बनाई गई ह।

नयम-2 इस सीमा को आगे बढ़ाने म आपक काफ मदद करेगा। इसम बताई ग
रणनी तयाँ इस मु य वचार से े रत ह क गहन काय करने क आदत का अ धकतम
लाभ उठाने के लए श ण क ज़ रत होती है। और जैसा क पहले भी कया जा
चुका है, इस श ण म दो उ े य को सामने रखना चा हए: पहला, ती ता के साथ यान
क त करने या एका होने क अपनी मता म सुधार करना और सरा, यान
भटकानेवाली चीज़ के त अपने आकषण पर काबू पाना। इन रणनी तय को लागू करने
के कई तरीके ह, जैसे यान भटकानेवाली चीज़ से र रहना और यान के एक वशेष प
म महारत हा सल करना, जो क बार-बार यान भटकने से वच लत हो चुके आपके
दमाग ारा न सफ आपक आगे क या ा के लए एक ावहा रक रोडमैप तुत करता
है ब क वा तव म ती एका ता सु न त करने का एक ज रया भी उपल कराता है।

यान भटकानेवाली चीज़ को वराम न द,

ब क यान क त करने को वराम द

ब त से लोग को ऐसा लगता है क वे ज़ रत पड़ने पर भटके ए यान क अव ा से


एका ता क अव ा म जा सकते ह। पर जैसा क मने आपको बताया, यह धारणा कुछ
यादा ही आशावाद है: एक बार जब आपको यान भटकने क आदत पड़ जाती है, तो
फर आपके अंदर यान भटकने क लालसा पैदा हो जाती है। यह रणनी त इसी
वा त वकता से े रत है। इसे बनाने का उ े य यही है क इसक मदद से आपके दमाग
को उस अव ा म लाया जा सके, जो कसी काय को पूरा करने के लए जुटे रहने म
आपक सहायक हो।

इससे जुड़े ववरण पर चचा करने से पहले उस स सुझाव पर गौर कर, जो यान
भटकने क लत से छु टकाने पाने के लए अ सर दया जाता है, पर जससे यह सम या
हल नह होती, वह है : इंटरनेट सैबथ या इंटरनेट से छु लेना ( जसे कभी-कभी ड जटल
डटॉ स भी कहा जाता है)। मूलत: इसके लए आपको नय मत प से एक ऐसा समय
यानी आमतौर पर स ताह म एक दन नधा रत करना होता है, जसम आप इंटरनेट से र
रहगे। जस तरह ह ु बाइ बल म उ ले खत सैबथ शां त और चतनवाली एक ऐसी अव ध
है, जो ई र क आराधना के लए उपयु होती है, उसी तरह इंटरनेट सैबथ आपको यह
याद दलाने के लए है क जब आप अपनी न से चपके होते ह, तब वा तव म आप
कन चीज़ से चूक रहे होते ह।

यह नह है क इंटरनेट सैबथ या इंटरनेट से छु लेने का वचार सबसे पहले कसने


दया था। हालाँ क इसे स दलाने का ेय प कार व लयम पॉवस को जाता है,
ज ह ने सन 2010 म ौ ो गक और इंसानी खुशी पर चतन करनेवाली अपनी कताब
‘हैमलेट्स लैकबेरी’ ारा इंटरनेट से छु लेने के वचार को बढ़ावा दया। इस कताब के
काशन के बाद दए अपने एक इंटर ू म व लयम पॉवस कहते ह, ‘आप भी वही क रए,
जो थोरो ने कया था यानी सांस रक जीवन से र मत भा गए पर हर व एक- सरे के
संपक म रहनेवाले इस संसार म थोड़ा अलग-थलग रहना भी सी खए।’

यान भटकने क सम या से जुड़े अ धकतर सुझाव आमतौर पर एक ही नज रए पर


आधा रत होते ह क आपको कभी-कभार अपने आसपास क फालतू चीज़ से र जाने
का समय नकालना चा हए। यही कारण है क कुछ लोग साल म एक या दो महीने का
समय ज़ र नकालते ह, जब क कुछ लोग पॉवस क स ताह म एक दन का समय
नकालने वाले सुझाव पर अमल करते ह, वह कुछ लोग इसके लए हर दन एक-दो घंटे
का समय नकालकर रखते ह। ये सुझाव कसी न कसी कार से हर प म लाभदायक ह
पर एक बार जब हम यान भटकने क सम या को दमाग के अंदर होनेवाले बदलाव के
तौर पर दे खने लगते ह, तो हो जाता है क इंटरनेट सैबथ या इंटरनेट से छु लेना
अपने आपम एक भटके ए यानवाले दमाग का इलाज नह है। जैसे अगर आप स ताह
म सफ एक दन ही ऐसा भोजन कर, जो वा य के लए अ ा हो और बाक दन भारी
वसावाला ग र भोजन कर, तो ऐसे म आपका वजन घटना मु कल है य क यादातर
समय आपका पेट गले तक भरा होगा। ठ क इसी तरह अगर आप स ताह का एक दन
अपना यान भटकने से बचाने म लगाते ह, तो इस बात क संभावना कम ही है क आप
अपने दमाग को इस कार क लालसा से पूरी तरह छु टकारा दला पाएँगे। य क
आपका यादातर समय इन लालसा के जाल म फँसे ए ही बीतेगा।

म आपको इंटरनेट सैबथ का एक वक प बताता ँ। यान भटकने को कभी-कभार वराम


दे कर एका होने के बजाय, कभी-कभार एका ता को वराम दे कर अपना यान भटकने
द। च लए अब इस सुझाव को और अ धक ठोस ढं ग से तुत करने के लए एक सहज
अनुमान लगाते ह क इंटरनेट का इ तेमाल करने का अथ है, यान भटकने के मौके
तलाशना। (इसम कोई दोराय नह क आप इंटरनेट का इ तेमाल इस ढं ग से भी कर सकते
ह, जो एका और गहन हो। पर जस को यान भटकने क लत है, उसके लए
एका और गहन ढं ग से इंटरनेट का इ तेमाल करना मु कल है।) इसी तरह, ज़रा इस बात
पर वचार कर क इंटरनेट क गैरमौजूदगी म काम करना, एका ता के साथ काम करने के
बराबर है। (इसम कोई दोराय नह क बना इंटरनेट के भी कई अ य चीज़ के चलते
आपका यान भटक सकता है, पर इन चीज़ से नपटना अ य चीज़ से कह आसान होता
है।)

मोटे तौर पर ऐसी े णयाँ बनने के बाद यह रणनी त कुछ इस तरह काम करती है: आप
इंटरनेट का इ तेमाल कब-कब करगे, इसका एक श ूल बना ल। फर केवल उसी
तयशुदा समय म ही इसका इ तेमाल कर और बाक समय इससे पूरी तरह र रह। मेरा
सुझाव है क आप अपने कं यूटर के पास एक छोटा सा नोटपैड रख। इस नोटपैड पर यह
दज कर क अब आप अगली बार कब खुद को इंटरनेट के इ तेमाल क अनुम त दगे। जब
तक वह समय न आए, तब तक आप कतई इंटरनेट का इ तेमाल न कर - भले ही आपके
मन म बार-बार इसका इ तेमाल करने का लालच आ रहा हो।

इस रणनी त को े रत करने के पीछे यह वचार है क इंटरनेट जैसी यान भटकानेवाली


सु वधा का इ तेमाल अपने आपम कोई ऐसी चीज़ नह है, जो एका होने क आपक
दमागी मता को कम कर दे ती हो। ब क यह मता तो इस लए कम होती है य क
आप बोडम महसूस होते ही या मान सक प से चुनौतीपूण त के सामने आते ही बार-
बार ‘ न न उ ेजना/उ -मू य’वाली ग त व धय और ‘उ उ ेजना/ न न-मू य’ वाली
ग त व धय के बीच झूलने लगते ह। जससे आपका दमाग यह सीख जाता है क उसे
ऐसी कसी भी त को बरदा त नह करना है, जसम नएपन का अभाव हो। इन दो
ग त व धय के बीच लगातार झूलते रहने को तुलना मक प से दमाग क उन
माँसपे शय को कमजोर बनानेवाले कारण के प म दे खा जा सकता है, जो आपका यान
पाने क होड़ म लगे कई ोत को व त करती ह। सफ तयशुदा समय पर ही इंटरनेट
का इ तेमाल करने से यान भटकानेवाले कारण कम हो जाते ह। इससे आप उन तय
क सं या भी घटा दे ते ह, जनम आपका यान भटक सकता है और साथ ही यान क त
करनेवाली दमागी माँसपे शयाँ मज़बूत होने लगती ह।

उदाहरण के लए ऐसा समझ क आपका अगला तयशुदा इंटरनेट स 30 मनट बाद शु


होनेवाला है और अचानक आपको अभी से बोडम महसूस होने लगी है, आपके अंदर उन
चीज़ क लालसा बढ़ती जा रही है, जो आपका यान भटकाती ह। ऐसे म अगले 30 मनट
तक खुद को इंटरनेट के इ तेमाल से रोकना आपके लए एका ता के ायाम जैसा हो
जाएगा। जब आप एक दन म कई बार ऐसा करगे, तो इसका अथ होगा क क आप दन
म कई बार एका ता का ायाम कर रहे ह।

हालाँ क इस रणनी त के पीछे का मूल वचार सीधा सा है पर इसे वहार म लाना


मु कल हो सकता है। आगे तीन ऐसे मह वपूण ब दए जा रहे ह, जो आपको सफलता
हा सल करने म मदद करगे।

ब 1: यह रणनी त तब भी कारगर है जब इंटरनेट का अ धक इ तेमाल और ई-मेल का


जवाब तुरंत दे ना आपके वसाय क ज़ रत हो।
अगर आपका काम ऐसा है क आपको हर रोज घंट ऑनलाइन रहना पड़ता है और हर ई-
मेल का जवाब तुरंत भेजना पड़ता है, तब भी परेशानी क कोई बात नह है: इसका सीधा
सा अथ यह है क आपके इंटरनेट स क सं या उस के इंटरनेट स के मुकाबले
यादा होगी, जसे अपने वसाय म इंटरनेट क यादा ज़ रत नह पड़ती। यह बात
ब त मह व नह रखती क दनभर म आपके कतने इंटरनेट स आते ह या आप दनभर
म इंटरनेट के इ तेमाल पर कतना समय खच करते ह। ब क असली मह व तो यह
सु न त करने का है क आपके ऑफलाइन स क शु ता बनी रहे यानी इस दौरान आप
इंटरनेट से बलकुल र रह।

उदाहरण के लए क पना क जए क आपको अपने ऑ फस क कई मी ट स के बीच दो


घंटे का खाली समय मला है। पर इन दो घंट के दौरान आपको हर पं ह मनट बाद ई-मेल
चेक करने क ज़ रत है, जसम हर बार करीब पाँच मनट का समय लग जाता है। ऐसे म
इस दो घंटे क अव ध के दौरान हर पं ह मनट म एक इंटरनेट स तय करना काफ होगा
और बाक का बचा आ समय ऑफलाइन स होगा। यानी इस तरह दो घंटे क इस
अव ध म आप कुल न बे मनट ऑफलाइन रहगे और स य तौर पर अपना यान भटकने
से बचा सकगे। यह इंटरनेट से ब त लंबे समय तक र रहे बना ही अ े -खासे एका ता
श ण जैसा होगा।

ब 2: आपके इंटरनेट स चाहे जैसे ह , बस यह सु न त कर क इन स से परे आप


इंटरनेट के इ तेमाल से बलकुल र रहगे।

इस उ े य को स ांत प म जा हर करना ब त आसान है पर एक सामा य काय दवस


क अ त- त वा त वकता के सामने आते ही यह मु कल हो जाता है। इस रणनी त को
वहार म लाने पर जो सम या अ नवाय प से सामने आती है, वह है : ऑफलाइन स
म ज द ही कोई ऐसी त बनना, जब अपने वतमान काय को पूरा करने के लए
आपको इंटरनेट पर मौजूद कोई मह वपूण जानकारी ा त करनी हो। ऐसे म अगर अगला
तयशुदा इंटरनेट स शु होने म थोड़ा समय बाक है, तो आपका काम बीच म अटक
सकता है। इस त म सबसे बड़ा लोभन यही होगा क अपने ऑफलाइन स को बीच
म छोड़कर इंटरनेट से आव यक जानकारी हा सल क जाए और इसके बाद अपने
ऑफलाइन स म दोबारा वापस आया जाए। आपको इस लोभन से बचना होगा!
इंटरनेट ब त मोहक होता है: हो सकता है क आपको ऐसा लगे क आप तो बस अपने
इनबॉ स म जाकर ई-मेल से आई एक मह वपूण जानकारी ा त कर रहे ह, पर ऐसे म यह
ब त मु कल हो जाएगा क आप हाल ही म आए अपने अ य ‘अ त आव यक’ ई-मे स
को दे खने से खुद को रोक सक। जब दो-चार बार ऐसी अपवाद तयाँ सामने आती ह,
तो आपके दमाग को लगने लगता है क इंटरनेट स और ऑफलाइन स के बीच क
कावट को कभी भी तोड़ा जा सकता है - जससे इस रणनी त से मलनेवाले लाभ कम हो
जाते ह।

ऐसे म यह मह वपूण है क भले ही आपका काम अटक रहा हो, पर फर भी आप अपने


कसी भी ऑफलाइन स को अचानक यूँ ही न छोड़ द। अगर संभव हो, तो ऑफलाइन
स ख म होने म जतना समय बचा है, उतने समय के लए कसी अ य ऑफलाइन
ग त व ध म जुट जाएँ (या फर उतने समय तक थोड़ा आराम कर ल)। पर अगर यह संभव
न हो तो सबसे बेहतर होगा क आप अपना श ूल बदल ल ता क आपका अगला
इंटरनेट स ज द शु हो सके। हालाँ क इस बदलाव क सबसे मह वपूण बात यह है क
आप अगला इंटरनेट स इस तरह श ूल न कर क वह फौरन शु हो जाए। ब क
वतमान ण और अगली बार इंटरनेट का इ तेमाल शु करने के बीच कम से कम पाँच
मनट का अंतर रख। यह एक मामूली सा अंतर है इस लए यह आपक ग त म बाधा नह
बनेगा पर अगर ावहा रक कोण से दे ख, तो यह आपके लए काफ होगा। य क
यह ऑनलाइन होने क चाहत से जुड़ी उ ेजना को और असल म ऑनलाइन होने से
मलनेवाले लाभ को एक- सरे से अलग कर दे ता है।

ब 3: घर और ऑ फस म इंटरनेट इ तेमाल करने का श ूल बनाने से आपका


एका ता- श ण और अ धक बेहतर हो सकता है।

अगर आप पूरा स ताहांत और बाक दन म अपनी पूरी शाम फोन या लैपटॉप से चपके
ए बता दे ते ह, तो संभव है क अपने कामकाजी दन म आप अपने दमाग म नए
बदलाव लाने के लए जो को शश कर रहे ह, वे आपके कामकाजी जीवन से परे आपके
वहार के चलते थ जा रही ह ( य क आपका दमाग इन दो अलग-अलग तय के
बीच यादा अंतर नह कर पाता)। इस लए म आपको यही सुझाव ँ गा क आप शाम को
काम ख म करने के बाद भी इंटरनेट इ तेमाल करने का श ूल बनाने क अपनी रणनी त
पर कायम रह।

जब आप शाम को काम नपटाने के बाद इंटरनेट के इ तेमाल का श ूल बनाएँ, तो चीज़


को आसान बनाने के लए अपने ऑफलाइन स म सी मत संवाद भी कर सकते ह (जैसे
अपने दो त को टे ट मैसेज भेजकर यह तय करना क आप दोन डनर के लए कहाँ
मलगे)। साथ ही कोई जानकारी भी ा त कर सकते ह (जैसे अपने फोन म उस रे ाँ का
पता दे खना, जहाँ आप डनर पर जानेवाले ह।) हालाँ क इन ावहा रक अपवाद से परे,
जब आप अपने ऑफलाइन स म ह , तो फोन को र रख द, टे ट मैसेजेस को अनदे खा
कर और इंटरनेट का इ तेमाल करने से बच। आपके ऑ फस से अलग इसी रणनी त के
सरे सं करण क बात कर, तो अगर आप हर शाम अपने मनोरंजन के लए इंटरनेट पर
ब त यादा नभर रहते ह, तो इसम कोई बुराई नह है: बस कई लंबे-लंबे इंटरनेट स
श ूल कर ल। यहाँ मह व इस बात का नह है क आप यान भटकानेवाली ग त व धय
को नज़रअंदाज कर या उनम कम समय बताएँ। ब क मह व तो इस बात का है क आप
पूरी शाम के दौरान खुद को ऐसे कई मौके द, जहाँ ज़रा सी बोडम महसूस होने पर यान
भटकानेवाली चीज़ क ओर आक षत होने से खुद को रोक सक।

कामकाजी जीवन से परे सफ एक ही त ऐसी है, जहाँ इस रणनी त के अनुसार


वहार करना मु कल होता है। ऐसा तभी होता है, जब आप इंतजार करने के लए
मजबूर ह (जैसे जब आप कसी टोर क लाइन म खड़े होते ह)। ऐसी त म यह
मह वपूण है क अगर आप ऑफलाइन स म ह, तो अ ाई बोडम का सामना करने के
लए मान सक प से तैयार हो जाएँ मगर इंटरनेट का इ तेमाल शु न कर। आज के
आधु नक जीवन म कसी चीज़ का इंतजार करते ए बोर होना लभ हो गया है पर
एका ता के श ण के कोण से इस कार बोर होना ब त मह वपूण है।

सं ेप म कह, तो गहन काय के साथ सफलता हा सल करने के लए आपको अपने दमाग


म अंद नी बदलाव लाने ह गे ता क आप यान भटकानेवाली उ ेजनापूण चीज़ से बचने
क या म सहज महसूस कर। इसका यह अथ नह है क आपको यान भटकने से
जुड़ी हर चीज़ को पूरी तरह ख म करना है; ब क यान ख चने क इन चीज़ क मता
ख म करना ही काफ होगा। इंटरनेट स का श ूल बनाने क जो सहज रणनी त यहाँ
बताई गई है, वह यान के मामले म आपको वयं अ धकार दे ने म काफ मददगार है।

थयोडोर जवे ट क तरह काम कर

अगर आप सन 1876-77 के शै णक स म हावड कॉलेज के छा होते, तो कभी न


कभी आपने मोटे गाल वाले एक मज़बूत, ढ ठ और हद से यादा ऊजावान छा पर ज़ र
गौर कया होता, जसका नाम था थयोडोर जवे ट। और अगर आपने इस युवक से
दो ती कर ली होती, तो ज द ही आपको एक वरोधाभास भी नज़र आने लगता।

एक कार से उनका यान बुरी तरह भटका आ नज़र आता था - जस पर उनके एक


सहपाठ ने कहा था क उ ह ‘कई चीज़ म दलच ी’ है। उनके जीवनीकार एडमंड
मॉ रस ने इन चीज़ क एक सूची बनाई थी, जसम मु केबाजी, कु ती, सुग ठत शरीर के
लए ायाम, नृ य श ण, क वता पाठ और आजीवन उनका जुनून रहा कृ तवाद भी
शा मल था। (मृत जानवर के शरीर क चीरफाड़ करना - चमपूरण या टे सीडम क वधा
करना, जसम मृत जानवर के शरीर को सुर त रखने और उ ह सजीव दखाने के लए
उनका संर ण कया जाता है - इस कार के जवे ट के शौक से उनक मकान माल कन
कतई खुश नह थ ।) कृ तवाद म उनक दलच ी इस हद तक बढ़ गई थी क कॉलेज म
अपना पहला साल बताने के बाद ग मय का मौसम आते-आते जवे ट ने ‘द समर बड् स
ऑफ ए डरॉ ै स’ शीषक से अपनी पहली कताब भी का शत कर ली। उनक इस
कताब को बुले टन ऑफ यूटॉल ऑ नथोलॉ जकल लब नामक काशन म काफ पसंद
कया गया। इस लब के नाम से ही है क यह च ड़य से जुड़ी कताब को ब त
गंभीरता से लेता था। इसी कताब के चलते बाद म उनके जीवनीकार एडमंड मॉ रस ने
इतनी कम उ म ही जवे ट को ‘यूनाइटे ड टे ट्स के सबसे जानकार युवा कृ तवा दय
म से एक’ करार दया था।

अपनी व भ दलच य के कारण उनके पास हावड म अपनी पढ़ाई- लखाई के लए


यादा समय नह बचता था। जवे ट के दौर क डाय रय और प का अ ययन करने के
बाद जीवनीकार एडमंड मॉ रस का अनुमान था क उस समय दे श के भावी रा प त
जवे ट अपनी पढ़ाई- लखाई पर दन के चौथाई ह से के बराबर ही समय खच करते थे।
जससे ऐसा लग सकता है क शायद जवे ट के गे्रड् स कम रहे ह गे, पर वा तव म
उनके साथ ऐसा कुछ नह आ। हालाँ क वे ेड्स के मामले म अपनी क ा के उभरे ए
व ाथ नह थे, पर ऐसा भी नह था क उ ह अ े ेड्स के लए संघष करना पड़ रहा
हो: अपने पहले साल म सात म से पाँच वषय म उ ह ने ऑनर ेड्स हा सल कए थे।
उनक जीवनशैली और उनके अ े ेड्स के बीच के इस वराधाभास को समझने के लए
हम पढ़ाई- लखाई के उनके अलबेले तरीके पर नज़र डालनी होगी। दरअसल ज़वे ट
सुबह 8:30 बजे से लेकर शाम को 4:30 बजे तक का श ूल बनाते थे। इन आठ घंट म
वे कॉलेज क क ा म, दन म एक बार होनेवाले अपने एथले टक श ण म और लंच
म खच होनेवाले समय को अलग कर लेते थे। इसके बाद जतना भी समय बचता था, उसे
वे पढ़ाई- लखाई पर खच करते थे। हालाँ क यह समय ब त यादा नह होता था पर इस
दौरान वे पूरी गहनता के साथ सफ पढ़ाई पर ही एका रहते थे। इस तरह वे इस छोट सी
अव ध का भी भरपूर फायदा उठाते थे। जीवनीकार एडमंड मॉ रस कहते ह, ‘वे पढ़ाई-
लखाई म अ य सहपा ठय क तुलना म ब त कम समय बताते थे, पर इस दौरान उनक
एका ता ब त ती होती थी। साथ ही उनक पढ़ने क ग त भी ब त तेज थी। जसके
चलते उनके पास अ य ग त व धय के लए बाक लोग क तुलना म अ धक समय रहता
था।’
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इस रणनी त का लाभ उठाने के लए ज़ री है क आप कभी-कभार अपने काम म


जवे ट जैसी गहनता दखाएँ। कोई ऐसा गहन काय चुन ल, जो आपक ाथ मता सूची
म सबसे ऊपर हो। फर यह अनुमान लगाएँ क आप इस काय को पूरा करने के लए
कतना समय नकाल सकते ह। इसके बाद आपके अनुमान से वह काय पूरा करने म
जतना समय लगना हो, उससे कम समयवाली एक डेडलाइन तय कर ल। अगर संभव हो,
तो सावज नक तौर पर यह घोषणा कर द क आप इस डेडलाइन म काम पूरा कर लगे -
उदाहरण के लए जो आपका काम पूरा होने का इंतजार कर रहा है, उसे बता द क
आप यह काम उसे कब पूरा करके दगे (और अगर आप ऐसा न कर सके, तो संभव है क
इससे आपक जी वका खतरे म पड़ जाए)। इसके बाद खुद को े रत रखने के लए अपने
फोन पर उलट गनतीवाला टाइमर सेट कर ल और ऐसी तैयारी कर क फर आप उस
काम को चाहकर भी अनदे खा न कर सक।

अब उस काम को समय रहते पूरा करने का सफ एक ही रा ता बचता है क आप उसे ती


एका ता के साथ पूरा करने म जुट जाएँ - यानी ई-मेल, फेसबुक या इंटरनेट ाउ जग करने
म या यूँ ही बैठे-बैठे खुली आँख से सपने दे खने म या फर बार-बार कॉफ बे्रक लेने म
ज़रा भी समय बरबाद न कर। ठ क वैसे ही जैसे थयोडोर ज़वे ट हावड के दन म जब
भी कोई काय करते थे, तो अपना शत- तशत यान उसी पर क त कर लेते थे। जसके
चलते उ ह वह काम पूरा करने म काफ आसानी होती थी।

पहले यह योग एक स ताह तक करके दे ख - अपने दमाग को गहनता का अ यास


कराएँ, पर साथ ही इसे बीच-बीच म आराम करने का समय भी दे ते रह ता क आपके
तनाव का तर बढ़ने न पाए। फर जब आपके अंदर यह आ म व ास वक सत हो जाए
क आप नरंतर पूरे समय यान क त रख सकते ह, तो इसके बाद अ सर जवे ट जैसी
गहनता दखाना शु कर द। हालाँ क यह याद रख क आपक डेडलाइन ऐसी हो, जो
ावहा रक तो हो पर आसान न हो यानी आप अपना ल य तो हा सल कर सक, पर इसके
लए आपको ती एका ता क ज़ रत हो।

इस रणनी त के पीछे मु य ेरणा सीधी सी है। गहन काय करने के लए जस तर क


एका ता आव यक होती है, उसे हा सल करना यादातर नॉलेज वकस (4 ) के लए
आसान नह होता। जवे ट जैसी गहनता दखाने से आपके लए अपनी कृ म डेडलाइन
का फायदा उठाना आसान हो जाता है, जससे आपको अपनी एका ता का तर इस हद
तक बढ़ाने म सहायता मलती है, जसे आप नय मत प से हा सल कर सकते ह - बस
इसके लए बीच-बीच म अपने दमाग म मौजूद यान-क को श ण दे ने क ज़ रत
होती है। यहाँ आपका एक अ त र लाभ यह है क जवे ट जैसी गहनता दखाने से
यान भटकने क गुंजाइश ब त कम हो जाती है (अगर आपका यान बार-बार भटकता
हो, तो डेडलाइन पर काय पूरा करना असंभव है।) जवे ट जैसी गहनता दखाने पर
संभव है क आप हर बार एक ऐसी मान सक अव ा म प ँच जाएँ, जहाँ आपको बोडम
महसूस हो। इससे बचने के लए आप कोई ऐसी नई चीज़ चाहगे, जो आपको उ ेजना का
एहसास कराए - इसके बावजूद आपको अपनी इस इ ा का वरोध करना है। जैसा क
पछली रणनी त म बताया गया था, आप उ ेजना महसूस करानेवाली चीज़ क इ ा का
जतना वरोध करगे, आपके लए इसे करना उतना ही आसान होता जाएगा।

इस रणनी त को लागू करने के कुछ ही महीन बाद इस वषय पर आपक समझ पूरी तरह
पांत रत हो जाएगी क एका होने का अथ या होता है। य क आप गहनता के ऐसे
उ तम तर तक प ँच चुके ह गे, जसक आपने आज तक कभी क पना भी नह क
होगी। और अगर आपके और युवा जवे ट के व म थोड़ी सी भी समानता है, तो
आप, इस रणनी त के चलते बचे ए अ त र खाली समय का इ तेमाल, अपने शौक पूरे
करने म कर सकते ह, जैसे - यूटॉल ऑ नथोलॉ जकल लब के वचारशील सद य को
भा वत करने क को शश करना।

उ पादक चतन कर

एक पीएचडी धारी एसो सएट के तौर पर मने मैसाचुसेट्स इं ट ूट ऑफ टे नोलॉजी


(एमआईट ) म जो दो साल का समय बताया, उस दौरान म और मेरी प नी ऐ तहा सक
मह ववाली बीकॉन हल म पकनी ट पर त एक छोटे ले कन आकषक घर म रहते
थे। मेरा घर बॉ टन म था और म क ज (मैसाचुसेट्स) म काम करता था। चा स नद के
दो वपरीत कनार पर बसे ये दोन ान एक- सरे के बलकुल पास यानी सफ एक
मील क री पर त थे। इसी लए अपनी सेहत बनाने के उ े य से मने तय कया क म
यू इं लड क लंबी, क ठन स दय म भी अपने घर से ऑ फस के बीच क यह एक मील
क री पैदल ही तय कया क ँ गा।

भले ही मौसम कैसा भी हो, पर म अपने इस तयशुदा ट न के हसाब से हर रोज सुबह


पैदल लॉ गफेलो पुल पार करते ए कपस प ँचता था (इस शहर क सबसे नराशाजनक
बात यह थी क यहाँ बफ ले तूफान के बाद पैदल रा ते पर भरी बफ को हटाने के पु ता
इंतजाम नह थे और रा ता साफ होने म काफ समय लग जाता था)। फर लंच के समय म
दौड़ने के लए उपयु जूते और टोपी वगैरह पहनता और घर जाने के लए एक अ य
रा ता लेता, जो मैसाचुसेट्स एवे यू पुल से होकर जाता था। यह रा ता पहले रा ते क
तुलना म यादा लंबा था, जस पर दौड़ लगाते ए म घर प ँचता था। फर म फटाफट
नान करने और खाना खाने के बाद आमतौर पर सबवे लेकर वापस कपस प ँचता था
(इस तरह मुझे करीब एक तहाई मील कम या ा करनी पड़ती) शाम को काम ख म होने
के बाद भी म पैदल ही घर लौटता था। सरे श द म क ,ँ तो इस दौरान म काफ पैदल
चला। मेरे इस अनुभव ने ही मुझे एक नया अ यास वक सत करने के लए े रत कया। म
आपको सुझाव ँ गा क आप भी अपने गहन काय श ण म इस अ यास को अपनाएँ,
जसे म उ पादक चतन कहता ँ।

उ पादक चतन का ल य है, ऐसी ग त व ध के लए समय नकालना, जहाँ आप शारी रक


प से तो त ह पर मान सक प से नह - जैसे टहलना, दौड़ना, गाड़ी चलाना और
शॉवर के नीचे खड़े होकर नान करना वगैरह। ता क इस अव ध म आप अपना सारा यान
कामकाज संबंधी कसी सम या पर चतन करने म लगा सक। आपके वसाय के
आधार पर यह सम या कुछ भी हो सकती है, जैसे अपने अगले लेख का खाका तैयार
करना, कसी संभा वत चचा पर वचार करना या वसाय संबंधी कसी रणनी त को और
कारगर बनाने के नए तरीके सोचना। इस सचेत चतन के दौरान अगर आपका यान
भटकता है, तो आपको उसे बार-बार उस सम या पर क त करना होगा, जस पर आपको
चतन करना है।

जब म बॉ टन म रहता था, तो पुल के रा ते नद पार करते ए कपस आते-जाते समय


त दन कम से कम एक बार उ पादक चतन का अ यास करता था। जैसे-जैसे मेरा यह
अ यास बेहतर आ, वैसे-वैसे मुझे बेहतर प रणाम भी मलने लगे। उदाहरण के लए
अपनी पछली कताब के यादातर अ याय का खाका मने कपस का रा ता पैदल तय
करते ए ही तैयार कया था। इसके अलावा मुझे अपने अकाद मक शोध से जुड़ी कई
तकनीक क ठनाइय का हल नकालने म भी इससे काफ मदद मली थी।

मेरा सुझाव है क आप भी अपने जीवन म उ पादक यान का यह अ यास अपनाएँ।


हालाँ क आपको हर रोज उ पादक यान के एक गंभीर स क ज़ रत नह है। पर
आपका ल य यह होना चा हए क आप आमतौर पर स ताह म कम से कम दो या तीन
स म ह । सौभा य से इस रणनी त के लए अलग से समय नकालना काफ आसान है।
य क यह ऐसी समय-अव ध का भी लाभ उठाने म स म है, जो आमतौर पर थ चली
जाती है (जैसे अपने पालतू कु े को हर रोज बाहर घुमाने ले जाना या हर रोज ऑ फस
प ँचने के लए कुछ कलोमीटर क या ा करना)। और अगर इसे सही ढं ग से कया जाए,
तो इसके चलते आपका समय थ नह जाता ब क आपक ावसा यक उ पादकता
बढ़ जाती है। असल म हो सकता है क आप अपने काय दवस के बीच म खासतौर पर
इसके लए समय नकालने पर वचार कर और फर उस समय आपके सामने जो सबसे
मु कल सम या हो, उसका हल उ पादक चतन से नकाल सक।

हालाँ क म आपको इस अ यास का सुझाव इस लए नह दे रहा ँ य क यह उ पादकता


के तर पर लाभदायक है (इस लाभ का भी वागत है)। मेरी दलच ी तो इस बात म ह
क यह अ यास आपक गहन सोच- वचार क मता बढ़ाता है। मेरा अनुभव कहता है क
उ पादक चतन इस नयम क शु आत म बताए गए दो मु य वचार पर आधा रत है।
पहला, यान भटकानेवाली चीज़ से बचने के लए आपको मज़बूर करना और सरा,
यान भटकने पर हर बार उसे वापस उसी सम या पर क त करना, जस पर आपने
चतन करने का ल य लया है...। ऐसा करने से न सफ यान भटकने से बचानेवाली
आपक माँसपे शयाँ मज़बूत होती ह ब क एक सम या पर बार-बार यान क त
करने के लए मज़बूर करके, यह आपक एका ता भी बढ़ा दे ता है।

सफलतापूवक उ पादक चतन करने के लए यह समझना मह वपूण है क चतन के हर


प क तरह ही, इसम भी अ ा दशन करने के लए अ यास क ज़ रत होती है।
अपनी पीएचडी के बाद शु आती स ताह म जब मने पहली बार इस रणनी त पर चलने
का यास कया, तो पाया क मेरा यान ब त बुरी तरह भटका आ है - यान के लंब-े लंबे
स के बाद भी मेरे पास ऐसा कुछ भी नया नह होता था, जो मेरी को शश को सही ठहरा
सके। आ खरकार उ पादक चतन के करीब एक दजन स के बाद मुझे इस अ यास के
असली प रणाम मलने शु ए। आपके साथ भी कुछ हद तक ऐसा ही होगा और ऐसे म
आपको धैय क ज़ रत पड़ेगी। हालाँ क इस या म तेजी लाने के लए मेरे पास
आपके लए दो वशेष सुझाव ह।

सुझाव 1: यान भटकानेवाली चीज़ और लूप (फंदे ) से सावधान रह

जब आप एक नौ स खए के तौर पर उ पादक चतन का अपना स शु करगे, तो आपके


दमाग का पहला वरोध होगा, इस वषय से बलकुल अलग ले कन दलच नज़र
आनेवाले वचार लाना। उदाहरण के लए मेरा दमाग अ सर कसी ऐसे ई-मेल का खाका
तैयार करने लगता था, जो मुझे ज द ही कसी को भेजना हो। इस तरह वह मेरा यान
भटकाने म अ सर सफल हो जाता था। न प प से क ,ँ तो ऐसे वचार क ृंखला यूँ
तो बड़ी नीरस लगती है, ले कन मन म वचार आते समय यह बेहद आकषक लगा करती
है। जब भी आपको लगे क आपका यान असली सम या से भटक रहा है, तो धीरे से खुद
को याद दलाएँ क आप यान भटकानेवाले वचार के बारे म बाद म भी सोच- वचार कर
सकते ह। इसके बाद अपने यान को वापस उसी सम या पर क त कर ल, जसे सुलझाने
के लए आप चतन कर रहे ह।

यान भटकानेवाली चीज़ दरअसल कई मायन म उ पादक चतन क आदत वक सत


करने के रा ते म आनेवाली उन वाभा वक बाधा जैसी ह, ज ह आपको पार करना
होता है। ऐसी ही एक अ य बाधा, जो तुलना म अ धक सू म पर उतनी ही भावी है, वह है
लूप (फंदा)। जब भी कोई क ठन सम या आपके सामने आकर खड़ी हो जाती है, तो
आपका दमाग जब भी संभव हो, अ त र ऊजा खच करने से बचने का यास करता है।
य क इंसानी दमाग ऐसा करके ही मक प से वक सत आ है। अ त र ऊजा
खच करने से बचने का इसका एक तरीका यह होता है क ये सम या क गहनता म जाने
के बजाय उससे जुड़ी प र चत चीज़ के इद- गद बार-बार घूमते ए एक फंदा सा बना लेता
है। उदाहरण के लए जब म कसी सा य/ माण पर काम कर रहा होता ँ, तो बार-बार
शु आत म आनेवाले सरल प रणाम को इसम मलाने क वृ मुझ पर हावी हो जाती
है। जससे सम या का हल ढूँ ढ़ने के लए इन प रणाम के आधार पर और अ धक क ठन
काम न करना पड़े। लूप (फंदे ) क इस सम या से बचने के लए आपको हमेशा सचेत
रहना पड़ता है य क यह उ पादक चतन के पूरे स को बरबाद कर सकता है। जब भी
आपको इसका एहसास हो, तो खुद से कह क ‘लगता है क म लूप (फंदे ) म फँस गया ँ।
इस लए अब अपना यान एक बार फर सम या को सुलझानेवाले अगले कदम क ओर
क त करना होगा।’

सुझाव 2: गहन सोच वक सत कर

कसी सम या के बारे म ‘गहनता से सोच- वचार करना’ वाभा वक सा लगता है पर


वा तव म ऐसा नह है। जब कसी क ठन सम या पर सोच- वचार करने के लए पया त
समय हो और फर उस पर बना यान भटकाए सोच- वचार कया जाता है, तो उसे हल
करने क दशा म उठाया गया अगला कदम आ यजनक प से अ वाभा वक सा होता
है। मेरा अनुभव कहता है क अगर आपके पास गहन सोच- वचार करने का एक
तरीका हो, तो इससे काफ मदद मलती है। मेरा सुझाव है क आपको सम या सुलझाने
क शु आत पूरी सावधानी बरतते ए उ चत कारक ( भा वत करनेवाली व तुए)ँ क
समी ा से करनी चा हए। फर आपको इनके मह व को अपने दमाग म बठा लेना चा हए
ता क ये आपको याद रह। उदाहरण के लए अगर आप अपनी कताब के कसी अ याय
का खाका तैयार कर रहे ह, तो इसके मुख कारक वे मु य ब ह गे, जनका उ लेख
आप उस अ याय म करनेवाले ह। वह अगर आप ग णत का कोई सवाल हल कर रहे ह,
तो या तो वा त वक कारक ही उ चत कारक ह गे या फर ग णतीय अनुमान या मेय
उ चत कारक ह गे। एक बार जब उ चत कारक क पहचान हो जाए तो फर अगले चरण
के उस सवाल को कर, जसे आपको इन कारक का उपयोग करके हल करना है।
कताब के अ याय वाले उदाहरण म अगले चरण का यह सवाल कुछ ऐसा हो सकता है -
‘म इस अ याय क भावी शु आत कैसे क ँ गा?’ और सा य के प म यह सवाल होगा,
‘अगर म ये अनुमान न लगाऊँ क यह व श ता कारगर है, तो इससे या गड़बड़ हो
सकती है?’ अगले चरण के सवाल क पहचान करने और उ चत कारक को याद रखने के
बाद अब आपके पास यान क त करने के लए एक ल य मौजूद है।

अगर यह मान लया जाए क आप अगले चरण के सवाल को हल करने म स म ह, तो


गहन सोच- वचार के इस ठोस कोण का आ खरी चरण यह होगा क आपने जस
जवाब क पहचान क है, उसक तापूवक समी ा करके अपने लाभ को संघ टत
कर। इस ब पर आकर आप यह या शु करके गहनता के अगले तर पर जा सकते
ह। कारक क समी ा करके उ ह अपने दमाग म बठाना, अगले चरण के सवाल क
पहचान कर उससे नपटना और फर अपने लाभ को संघ टत करना, वा तव म ये सब
आपक एका ता बढ़ानेवाले ायाम क तरह ह। इससे आपको अपने उ पादक चतन
स का यादा से यादा लाभ उठाने म मदद मलेगी। साथ ही आप जस ग त से गहनता
म जाने क अपनी मता म सुधार कर रहे ह, वह भी बढ़ जाएगी।

ताश क ग ी के सारे प े याद कर ल

ऑ े लयाई मटल एथलीट डे नयल कलोव क मृ त इतनी जबद त है क वे सफ पाँच


मनट क अव ध म आगे बताई गई कोई भी चीज़ याद कर सकते ह: ताश क एक पूरी
ग ी, सौ मर हत अंक या 115 अमूत आकार (उनका यह तीसरा कारनामा ऑ े लया म
रा ीय रकाड के तौर पर दज है)। इसी लए इस बात पर कसी को हैरानी नह होनी चा हए
क कलोव ने हाल ही म ऑ े लया क मेमोरी चै यन शप म लगातार कई स वर मेडल
जीते ह। हालाँ क कलोव के अतीत को दे खकर सबसे यादा हैरानी इसी बात पर होती है
क आ खर वे एक मटल एथलीट कैसे बन गए।

कलोव ने मुझे बताया, ‘मेरी यह असाधारण मृ त कोई ज मजात चीज़ नह है।’ वा तव म


हाई कूल के समय तो वे खुद को एक भुल कड़ और अ व त मानते थे। उ ह
पढ़ाई म भी संघष करना पड़ता था और आ खरकार उ ह पता चला क वे अटशन
डे फ सट डसऑडर (एक क म का मान सक वकार) के शकार ह। पर संयोगवश एक
बार उनक मुलाकात ऑ े लया के सबसे सफल मेमोरी चै यंस म से एक तंसेल अली
से ई। जसके बाद कलोव ने पूरी गंभीरता से अपना मृ त- श ण शु कर दया। जब
उ ह ने कॉलेज क ड ी हा सल क , तब तक वे रा ीय तयो गता म मेडल जीत चुके थे।

वे ब त तेजी के साथ एक भुल कड़ से त द ल होकर व तरीय मटल एथलीट बन


गए। ले कन वे अकेले ही ऐसे अभूतपूव एथलीट नह ह। सन 2006 म अमे रक व ान
लेखक जॉशुआ फोएर सफ एक साल के बल श ण के बाद ही यूएसए मेमोरी
चै यन शप जीतने म सफल ए थे। अपनी इस या ा पर उ ह ने ‘मूनवॉ कग वथ
आइं टाइन’ शीषक से एक बे टसेलर कताब भी लखी है। पर कलोव क कहानी म जो
बात हमारे लए वाकई मह वपूण है, वह है, अपनी मृ त को गहनतापूवक वक सत करने
के दौरान उनके अकाद मक दशन म आया असाधारण सुधार। अपने दमाग को श त
करते-करते वे अटशन डे फ सट डसऑडर से त और अ े अंक पाने के लए हमेशा
संघषरत रहनेवाले छा से त द ल होकर ऑ े लया क एक शानदार यू नव सट म फ ट
लास ऑनस के साथ ेजुएट होनेवाले छा बन गए। इसके बाद ज द ही उ ह दे श क
एक सव यू नव सट म पीएचडी छा के प म दा खला मल गया, जहाँ वे फलहाल
एक स दाश नक के मागदशन म अ ययन कर रहे ह।

उनके इस पांतरण का एक ीकरण हेनरी रोए डगर के नेतृ व म ए एक शोध से पता


चलता है। रोए डगर सट लुईस त वॉ श टन यू नव सट म एक मेमोरी लैब चलाते ह।
सन 2014 म रोए डगर और उनके सहयो गय ने सैन डएगो म आयो जत हो रहे ए म
मेमोरी टू नामट म ह सा लेने के लए एक ट म भेजी, जो ान संबंधी परी ण के लए
आव यक मता से सुस त थी। वे यह जानना चाहते थे क वह या है, जो तेज
मृ त मतावाले इन लोग को आम लोग से अलग करता है। रोए डगर ने यू यॉक टाइ स
क एक लॉग पो ट म इस बारे म बताते ए कहा, ‘इस योग से हम पता चला क मेमोरी
एथलीट् स और बाक लोग के बीच सबसे बड़ा अंतर होता है ान संबंधी (सं ाना मक)
मता का, जो सीधे तौर पर आपक मृ त का नह ब क यान क त करने का पैमाना
होता है।’ इसे असल म ‘ यान क त करने क मता’ कहा जाता है, जो ारा
आव यक जानकारी पर अपना यान क त रखने क मता का पैमाना होता है।

सरे श द म कह, तो मृ त- श ण का एक अ य भाव यह है क इससे आपक यान


क त करने क मता म सुधार आता है। फर इस मता का इ तेमाल कसी भी गहन
काय म कया जा सकता है। इस लए हम यह अनुमान लगा सकते ह क डे नयल कलोव
अपनी इनाम जतानेवाली तेज मृ त के चलते सतारा है सयतवाले छा नह बने। ब क
इसका कारण था, अपनी मृ त को बेहतर बनाने क उनक नरंतर को शश, जसके चलते
(संयोगवश) उनके अंदर गहन काय करने क वह मता वक सत हो गई, जो शै णक
वकास के लए ज़ री होती है।

यहाँ आपको जो रणनी त बताई गई है, वह आपसे डे नयल कलोव के श ण से जुड़े


एक वशेष पहलू को दोहराने क माँग करती है, ता क आपक एका ता म भी कुछ वैसा
ही सुधार हो, जैसा क डे नयल कलोव के मामले म आ था। यह रणनी त आपसे मु यत:
एक साधारण पर काफ भावशाली कौशल वक सत करने को कहती है, जो यादातर
मेमोरी एथलीट् स के पास होता है: जैसे ताश क ग ी के सारे प े याद रखना, वह भी तब,
जब वे एक म म न लगे ह ।

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म आपको ताश के प े याद रखने क जो तकनीक सखाऊँगा, वह मुझे एक ऐसे से


पता चली, जो इस वशेष करतब के बारे म ब त कुछ जानता है। उस का नाम है
रॉन हाइट। वे न सफ अमे रका के पूव मेमोरी चै यन ह ब क ताश के प े याद रखने
का व रकॉड भी उनके नाम है। (5 ) रॉन हाइट जस बात पर सबसे पहले जोर दे ते ह,
वह ये है क ावसा यक मेमोरी एथलीट कभी कसी चीज़ को रटकर याद नह करते।
रटने का अथ है, कसी चीज़ को बार-बार दे खकर उसे अपने मन म दोहराना। चीज़ को
याद करने का यह ढं ग कमजोर छा के बीच काफ लोक य होता है, पर वा तव म यह
दमाग के काम करने के तरीके को लेकर गलतफह मय से उपजा है। हमारे अंदर अमूत
जानकारी को फौरन अपने भीतर समा लेने क मता नह होती। पर य को याद रखने
के मामले म हम काफ तेज होते ह। अब ज़रा अपने जीवन म हाल ही म घट कसी
यादगार घटना पर वचार कर: जैसे कसी स मेलन के उ ाटन स म ह सा लेना या
कसी ऐसे दो त से मुलाकात करना, जससे आप काफ लंबे समय से न मले ह वगैरह।
अब इन घटना के य क जतनी हो सके, उतनी सजीव क पना कर। ऐसा करने पर
अ धकतर लोग उस घटना से जुड़े य को आ यजनक सजीवता के साथ याद करने म
स म होते ह - जब क उ ह ने घटना के समय उसके य को याद रखने के लए कोई
वशेष यास नह कए थे। अगर आप ऐसी कसी घटना क मृ त से जुड़े अलबेले
ववरण को व त ढं ग से गनते ह, तो इन ववरण क कुल सं या दे खकर आप
सचमुच हैरान रह जाएँगे। सरे श द म कह, तो आपका दमाग ब त सी व तृत
जानकारी फौरन याद कर सकता है - बस वह आपक मृ त म सही ढं ग से सं हीत होनी
चा हए। ताश के सारे प े याद रखने क रॉन हाइट क तकनीक भी इसी अंत पर
आधा रत है।

ताश के सारे प े याद करने के इस व तृत काय पर रॉन हाइट क सफा रश है क


आपको इसक शु आत, अपने घर के पाँच कमर को एक के बाद एक पार करने से जुड़ी
मान सक छ व को, दमाग म ा पत करते ए करनी चा हए। जैसे इस मान सक छ व म
आप दरवाजे के रा ते घर के अंदर आते ह और सामनेवाले दालान को पार करके, नीचे
त बाथ म क ओर मुड़ जाते ह। वहाँ से आगे बढ़ते ए आप दरवाजा पार करके गे ट
बेड म म जाते ह और फर वहाँ से सी ढ़य से उतरते ए अपने तहखाने म प ँच जाते ह।
इस या म आपने हर कमरे म जो कुछ भी दे खा, अपने मन म उसक एक छव
बना ल।

इस तरह जब आपको एक जाने-पहचाने ान पर होनेवाली मान सक चहलकदमी अ


तरह याद हो जाए तो इनम से हर कमरे क दस मु य चीज़ को अपनी मृ त म दज कर
ल। रॉन हाइट कहते ह क ये सभी चीज़ बड़े आकार क होनी चा हए ( य क बड़े आकार
क चीज़ को याद रखना आसान होता है)। जैसे कोई मेज या कुस वगैरह, न क कोई
प सल या पेन। इसके बाद हर कमरे म इन चीज़ को दे खने का म याद कर ल। उदाहरण
के लए सामनेवाले दालान पर आपको फश पर पड़ा गलीचा दखाई दया है और फर उस
गलीचे के बगल म रखे जूते नज़र आए ह और इसके बाद जूत के ऊपर रखी एक मेज
दखी है। यह म इसी तरह आगे बढ़ता जाएगा। हर कमरे क दस-दस चीज़ मलकार
कुल सं या पचास हो जाती है। अब हम इसम दो और चीज़ जोड़ दे ते ह, जो शायद आपके
घर के पछवाड़े म रखी ई चीज़ ह गी, ता क इन चीज़ क सं या बावन हो जाए। य क
ताश क एक ग ी म भी कुल बावन प े होते ह। आ खरकार आप इन बावन चीज़ को
ताश के बावन प से जोड़कर दे ख सकते ह।

चहलकदमी करते ए कमर को पार करने और वहाँ रखी चीज़ को एक म म दे खने के


इस मान सक ायाम का अ यास कर। चूँ क यह तरीका जाने-पहचाने ान और चीज़
क य छ वय पर आधा रत है, इस लए आप दे खगे क कसी चीज़ को इस तरह याद
करना, उसे रटकर याद करने के मुकाबले यादा आसान होता है। ताश क ग ी के सारे
प े याद करने क तैयारी का सरा चरण है, सभी बावन प से कसी यादगार या
चीज़ को जोड़कर दे खना। इस या को आसान बनाने के लए ज़ री है क आप ताश
के प और उससे जुड़ी छ व के बीच कोई ता कक संबंध रख। जैसे हाइट के अनुसार,
ताश के प म कग ऑफ डायमंड को डोना ं प के साथ जोड़कर दे खा जा सकता है
य क डायमंड यानी हीरा धन का तीक होता है। ताश के प और उससे छु ड़ी इन
छ वय का अ यास आपको तब तक करना है, जब तक ताश क ग ी म से, कह से भी,
कोई भी प ा नकालकर दे खने पर उससे जुड़ी छ व फौरन याद न आने लगे। यादगार य
छ वय और उनसे जुड़ी चीज़ का इ तेमाल करने से आपके लए उनके बीच का संबंध तय
करना आसान हो जाएगा।

यहाँ जो दो चरण आपको बताए गए ह, वे वा तव म उ त चरण ह - यानी ऐसी चीज़,


ज ह सफ एक बार याद करके आप बार-बार उनका फायदा उठा सकते ह और ताश क
व श ग य को याद कर सकते ह। इन चरण म महारत हा सल करने के बाद आप
मु य चीज़ के लए तैयार हो जाते ह, वह है - हाल ही म फट गई ताश क ग ी म सभी
बावन प के म को ज द से ज द याद करना। यह तरीका सीधा सा है। अपने घर के
कमर को पार करने क मान सक चहलकदमी शु कर। घर के हर कमरे म रखी चीज़
एक-एक करके आपको मान सक प से नज़र आएँगी और आप ताश क ग ी के अगले
काड को दे खकर उससे जुड़े इंसान या चीज़ क छ व क ऐसी क पना करगे, जसम वह
कमरे म रखी चीज़ के पास कोई यादगार काय कर रहा होगा। उदाहरण के लए अगर
पहला ान आपके घर का दालान है और पहली चीज़ दालान के फश पर पड़ा गलीचा है,
जब क ताश क ग ी का पहला प ा कग ऑफ डायमंड है, तो आप क पना करगे क
दालान क फश पर पड़े गलीचे के पास डोना ं प अपने महँगे जूत पर लगी म साफ
कर रहे ह।

आपको मान सक प से घर के कमरे पार करते समय सावधानी बरतनी होगी। साथ ही
ताश के प को उ चत मान सक छ वय के साथ सही म म जोड़कर दे खना होगा।
कसी कमरे को पार करने के बाद हो सकता है क आप उसम से दो-चार बार और गुज़रना
चाह, ता क उससे जुड़ी छ वय को अपनी मृ त म अ तरह सं हीत कर सक। इस
तरह सारे कमर से गुज़रने के बाद आपका काम पूरा हो जाता है। अब आप अपने कसी
दो त को ताश क ग ी थमाकर उसके साथ अपने करतब का अ यास कर सकते ह।
इसके लए भी आपको मान सक प से उन पाँच कमर से गुज़रना होगा और यादगार
लोग या चीज़ को ताश के प के साथ जोड़कर दे खना होगा।

जब आप इस रणनी त के साथ लगातार अ यास करगे, तो अ य एथलीट् स क तरह ही


आप भी दे खगे क आप ताश क ग ी के एक-एक प े को सफ कुछ ही मनट म याद
कर सकते ह। अपने इस नर से दो त को भा वत करने क मता से भी यादा ज़ री
यह है क इन ग त व धय से आपके दमाग का अ ा श ण हो जाता है। यहाँ इस
या के जन चरण का उ लेख कया गया है, उनसे गुज़रने के लए आपको बार-बार
अपना यान एक ल य पर क त करना पड़ता है। जस तरह शरीर क कोई
माँसपेशी वजन उठानेवाले ायाम से मज़बूत बनती है, उसी तरह इससे आपक एका ता
क मता और ढ़ हो जाएगी - जससे आपके लए गहनता म जाना और आसान हो
जाएगा।

हालाँ क इस ब पर जोर दे ना होगा क ताश के प को याद रखना कोई खास बात नह


है। कोई भी ढ़ वचार या, जसके लए अटू ट एका ता क ज़ रत पड़ती है, वह
ऐसा भाव पैदा कर सकती है - फर चाहे यह नयम-2 के प रचय म उ ले खत एडम
मा लन क तरह तालमुद (र बा नय के य द धम का मु य धा मक ंथ और य द
धा मक कानून का मु य ोत) का अ ययन करना हो या उ पादक चतन का अ यास
करना हो या फर कसी गाने को सुनकर उसक गटार क धुन याद करना हो (एक जमाने
म यह मेरा पसंद दा काम था)। सरे श द म कह, तो अगर आपको ताश के प े याद
करना अजीब लगता है, तो इसक जगह कोई ऐसा वक प चुन ल, जसक ान संबंधी
ज़ रत इसी के समान ह । इस रणनी त क कुंजी इससे जुड़ी व श ताएँ नह ह ब क
इस वचार को े रत करना है क यान क त करने क आपक मता उतनी ही
वक सत होती है, जतना आप उसे श त करते ह।
1 र बा नय के य द धम का मु य धा मक ंथ और य द धा मक कानून का मु य ोत

2 आइवी लीग एक ए थले टक स मेलन है, जसम पूव र संयु रा य अमे रका के उ
श ा के आठ नजी सं ान शा मल ह। इस श द का योग अब केवल ए थले ट स तक
ही सी मत नह है और अब दे श के सबसे पुराने कूल म न हत शै क दशन का
त न ध व करता है। आइवी लीग के कूल को नयाभर के सबसे त त
व व ालय के प म भी माना जाता है।

3 य दय के बीच च लत एक धा मक था।

4 ऐसा काम करनेवाले, जनक मु य पूँजी उनका ान होता है, जैसे ो ामस,
इंजी नयस, अकाउं टट, आ कटे ट और वक ल वगैरह।

5 मने यहाँ जन चरण का उ लेख कया है, वे रॉन हाइट के एक लेख से लए गए ह। इस


लेख को इंटरनेट पर भी दे खा जा सकता है : रॉन हाइट, ‘हाउ टू मेमोराइज ए डेक ऑफ
काड् स वथ सुपर मन ीड’ गे ट पो ट, द आट ऑफ मैनलीनेस, जून 1, 2012 -
http://www.artofmanliness.com/2012/06/01/how‑to‑
memorize‑a‑deck‑of‑cards/.
नयम

3: सोशल मी डया का इ तेमाल बंद कर द

सन 2013 म लेखक और ड जटल मी डया सलाहकार बारटड थ टन ने एक योग शु


कया। उ ह ने तय कया क वे अगले प ीस दन तक अपने ऑनलाइन जीवन से र
रहगे: न फेसबुक, न ट् वटर, न ई-मेल और न ही फोर वायर (एक मोबाइल ऐप, जसक
ओर से थ टन को सन 2011 म ‘मेयर ऑफ द ईयर’ पुर कार से स मा नत कया गया
था।) थ टन को इस ेक क ज़ रत भी थी। उनके दो त उ ह ‘ नया का सबसे अ धक
कने टे ड ’ कहते ह। थ टन खुद भी कहते ह क वे अब तक जी-मेल के मा यम से
59 हजार से भी यादा बार बातचीत कर चुके ह और यह योग शु करने से पहले वे एक
साल क अव ध म अपनी फेसबुक वॉल पर करीब पं ह सौ पो ट डाल चुके ह। वे कहते ह,
‘म थककर चूर हो चुका था, मेरी ऊजा ख म हो चुक थी और मेरी ह मत जवाब दे ने लगी
थी।’

हम थ टन के योग के बारे म इस लए पता चला य क उ ह ने फा ट कंपनी नामक एक


प का म इस पर एक लेख लखा था। वडंबना यह थी क उ ह ने इस लेख का शीषक
रखा था, ‘#UnPlug’। अपने इस लेख म थ टन ने खुलासा कया क बना इंटरनेटवाले
जीवन के साथ सामंज य बठाने म उ ह यादा समय नह लगा। वे कहते ह, ‘पहला
स ताह ख म होते-होते मने पाया क अब ऐसा ब त कम ही होता है क मुझे मेरे दन
अजीब से लग। मेरे समय क लय-ताल बदल चुक थी। अब इस बात को लेकर मेरा तनाव
ब त कम हो गया था क मुझे नई चीज़ के बारे म कुछ पता नह चल रहा है। मुझे महसूस
आ क जदगी के हर पहलू को इंटरनेट पर साझा न करने के बावजूद भी मेरा एक अलग
अ त व है। अब थ टन को अजन बय से बातचीत करने म भी आनंद आता था। अब वे
अपने खाने क त वीर इं टा ाम पर साझा कए बना भी उसका आनंद उठा सकते थे।
उ ह ने एक बाइक खरीद ली (‘जब आप बाइक चलाते ए बार-बार ट् वटर चेक नह
करते, तो उसे चलाना आसान हो जाता है’) ‘पर वे प ीस दन ब त ज द बीत गए’
थ टन ज़रा उदास होकर कहते ह। उन पर ब त सी ावसा यक ज मेदा रयाँ ह, जैसे
अपनी टाट-अप कंप नयाँ चलाना और नई कताब को बाजार म जगह दलाना। इस लए
जब प ीस दन गुजर गए, तो वे बड़े बेमन से अपने ऑनलाइन जीवन म दोबारा स य
हो गए।
फेसबुक, ट् वटर व इं टा ाम जैसी सोशल नेटव कग वेबसाइट् स और बजनेस इनसाइडर
व बज़फ ड जैसी खब रया वेबसाइट् स के साथ फलहाल हमारी सं कृ त का या र ता है,
इस बारे म बारटड थ टन का यह योग दो मह वपूण ब को बड़े ही करीने से हमारे
सामने रखता है। ये दोन क म क वेबसाइट् स दरअसल यान भटकानेवाली ऑनलाइन
सु वधा क दो े णयाँ ह, ज ह मने आगे के पृ म संयु प से ‘नेटवक टू स’ का
नाम दया है। थ टन के योग से सामने आनेवाले दो मह वपूण ब म से पहला यह है
क हम अ तरह पता है क ये दोन टू स न सफ हमारा ब मू य समय बरबाद करते ह
ब क यान क त करने क हमारी मता भी घटा दे ते ह। हम सब यह महसूस करते ह
क इस गंभीर स ाई पर यादा वचार- वमश या बहस नह होती। ऐसे ब त से लोग ह,
जनके लए यह वृ एक सम या बन चुक है पर अगर आप गहनता से काय करने क
अपनी मता बढ़ाने क को शश कर रहे ह, तो यह सम या और भी गंभीर हो जाती है।
उदाहरण के लए पछले नयम म मने ऐसी कई रणनी तय का वणन कया था, जससे
आपको अपनी एका ता बेहतर बनाने म मदद मले। अगर आप योग से पहलेवाले
बारटड थ टन क तरह ही वहार करते रहगे और मोबाइल ऐ स व इंटरनेट ाउजर टै स
के जाल म उलझे रहगे, तो ऐसे यास करना आपके लए और क ठन होता जाएगा। चूँ क
इंसान क इ ाश सी मत होती है इस लए अगर आपके पास यान भटकानेवाले टू स
क भरमार रहेगी, तो कसी मह वपूण चीज़ पर यान क त करना आपके लए लगातार
मु कल होता जाएगा। इसी लए गहन काय क कला म महारत हा सल करने के लए
आपको यान भटकानेवाली तमाम चीज़ से बचते ए अपने समय और यान को दोबारा
अपने नयं ण म लेना होगा।

हालाँ क यान भटकानेवाली इन चीज़ के खलाफ यु शु करने से पहले आपको इस


यु के मैदान को और बेहतर ढं ग से समझना होगा। इस तरह अब हम सरे ब तक आ
प ँचे ह: नेटवक टू स और यान क इस सम या पर नॉलेज वकस फलहाल जस
कायरता से चचा करते ह, वही वह सरा ब है, जो बारटड थ टन क कहानी से सामने
आया था। इन टू स के च कर म जतना समय खच हो जाता था, उसे लेकर थ टन
परेशान थे। इसी लए उ ह लगा क अब उनके पास सफ यही एक वक प बचा है क वे
इंटरनेट का इ तेमाल करना (अ ाई प से) बंद कर द।

आज हमारे सां कृ तक संवाद का एक च लत वचार यह है क सोशल मी डया और


इ फोटे नमट (1 ) जैसी यान भटकानेवाली चीज़ से नपटने का सफ एक ही वक प है,
एक कठोर इंटरनेट सबै टकल (2 ) या इंटरनेट से पूण व ाम लेना। इस मु े पर ऐसी
दोहरी त या क भी एक सम या है क ये दोन ही वक प उपयोग के लहाज से अधूरे
ह। आप इंटरनेट का इ तेमाल बंद कर सकगे, यह धारणा न त ही अपने आपम दोषपूण
है और अ धकतर लोग के लए ावहा रक भी नह है (हाँ, अगर आप यान
भटकानेवाली चीज़ पर लखनेवाले प कार ह, तो फर अलग बात है)। वा तव म बारटड
थ टन के न -े कदम पर चलनेवाला कोई नह है - यह एक ऐसी स ाई है, जो हमारे
सामने मौजूद इकलौते वक प यानी यान भटकने क अपनी मौजूद अव ा को
अप रहाय मान लेने का औ च य स कर दे ती है।

उदाहरण के लए अपने इंटरनेट सबै टकल या इंटरनेट से पूण व ाम लेने क अव ध म


थ टन को भले ही जो भी ता या अंत ा त ई पर इस योग के ख म होने के बाद
उ ह अपनी उसी पुरानी खं डत अव ा म जाने म यादा समय नह लगा, जससे नकलने
के लए उ ह ने यह योग शु कया था। जस दन मने यह अ याय लखना शु कया,
तब तक थ टन के लेख को फा ट कंपनी प का म का शत ए छह महीने बीत चुके थे।
मने दे खा क थ टन - जो अपने योग के बाद तथाक थत प से सुधर गए थे - उस दन
सुबह से कुछ ही घंट के भीतर करीब पं ह बार ट् वीट कर चुके थे।

यह नयम हम इस उ माद शकंजे से आज़ाद कराने के लए एक तीसरा वक प भी


सामने रखता है: यह वीकार करना क ये टू स वाभा वक प से बुरे नह ह और इनम
से कुछ आपक खुशी और सफलता के लए काफ मह वपूण भी हो सकते ह। साथ ही
यह भी वीकार करना क कसी वेबसाइट को नय मत प से अपना सारा समय व यान
(और गत डाटा भी) दे ने से बचना चा हए। इसी लए यादातर लोग को ऐसे टू स का
कम से कम उपयोग करना चा हए। सरे श द म कह, तो सन 2013 म थ टन जस तरह
प ीस दन के लए इंटरनेट से र चले गए थे, म आपसे उस तरह इंटरनेट का इ तेमाल
पूरी तरह बंद करने के लए नह कह रहा ँ। ले कन म आपसे यह ज़ र कह रहा ँ क
भटके ए यान के साथ इंटरनेट के ज रए हर समय नया के संपक म रहनेवाली अव ा
को ठु करा द। यही वह अव ा थी, जसके चलते थ टन ने वह कठोर योग कया था। इस
मामले म एक बीच का रा ता भी मौजूद है और आपको उसी पर आगे बढ़ना है। अगर
आप गहन काय क आदत वक सत करने म दलच ी रखते ह, तो इसके लए आपको
संघष ज़ र करना चा हए।

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नेटवक टू स के चयन से जुड़ा बीच का रा ता खोजने क दशा म हमारा पहला कदम है,
इंटरनेट इ तेमाल करनेवाले अ धकतर लोग ारा लागू क गई वतमान नणय या को
समझना। सन 2013 क शरद ॠतु म मने एक लेख लखा था, जसम मने बताया था क
मने कभी फेसबुक पर अपना अकाउं ट य नह बनाया। इसी के चलते मुझे इस या के
बारे म एक अंत ा त ई। हालाँ क मने अपनी ओर से एक ा या मक लेख लखा
था, न क कोई ऐसा लेख, जो फेसबुक अकाउं टवाल पर कोई दोषारोपण करता हो। पर
इसके बावजूद कई पाठक इसे पढ़ने के बाद र ा मक मु ा म आ गए और जवाबी प म
अपने फेसबुक इ तेमाल करने को तकसंगत ठहराने का यास करने लगे। ये रहे उनके
कुछ उदाहरण:

* म तो मनोरंजन के चलते पहली बार फेसबुक क ओर आक षत आ था। वहाँ म


मजेदार त वीर पो ट कर सकता ,ँ फटाफट कमट् स कर सकता ँ और साथ ही दे ख
सकता ँ क मेरे दो त के जीवन म या चल रहा है।

* जब मने पहली बार फेसबुक का इ तेमाल शु कया (पता नह य )... तब मेरी


ज ासा फेसबुक पर मौजूद लघु कहा नय के एक फोरम (मंच) से जुड़ने को लेकर थी।
यहाँ मने अपना लेखन सुधारा ( सफ एक बार) और साथ ही कई अ े दो त भी बनाए।

* म तो फेसबुक का इ तेमाल इस लए करता ँ य क मेरे हाई कूल के जमाने के ब त से


लोग फेसबुक पर ह।

ये त याएँ, इस वषय पर मुझे मली ढे र त या का त न ध व करती ह। इन


त या को दे खकर मेरे मन म आया क ये आ यजनक प से मामूली ह। उदाहरण
के लए मुझे कोई संदेह नह है क इन तीन म से पहली त या दे नेवाले के लए
फेसबुक का उपयोग कुछ हद तक मनोरंजक अनुभव है। पर साथ ही मेरा मानना है क
शायद फेसबुक अकाउं ट बनाने से पहले इस क जदगी म मनोरंजन के अ य ोत
का गंभीर अभाव रहा हो। साथ ही म शत लगाकर कह सकता ँ क अगर कसी
कारणवश फेसबुक अचानक हमेशा के लए बंद हो जाए, तब भी इस को अपने
बोडम से नपटने म कोई सम या नह होगी। दरअसल फेसबुक आपके जीवन म मौजूद
मनोरंजन साधन क सूची म सफ एक और वक प है (और वह भी काफ औसत दज
का)।

सरी त यावाले ने फेसबुक के एक लेखन संबंधी फोरम (मंच) पर दो त बनाने क


बात कही। मुझे इन दो त के अ त व पर कोई संदेह नह है पर हम यह मान सकते ह क
ये म ता सतही ह - य क ये एक कं यूटर नेटवक पर सं त संदेश भेजने और पाने पर
आधा रत ह। हालाँ क ऐसी सतही म ता म कोई बुराई नह है पर यह संभव नह है क ये
म ता फेसबुक का इ तेमाल करनेवाले उस के सामा जक जीवन का क ह ।
लगभग यही बात उस के बारे म भी कही जा सकती है, जो फेसबुक पर एक बार
फर अपने हाई कूल के दो त के संपक म आ गया है: यह एक अ ा बदलाव है पर
उसके सामा जक जुड़ाव या उसक खुशी म फेसबुक के मा यम से जुड़े इन दो त क कोई
क य भू मका नह है।

म कर ँ क म यहाँ इसके उन लाभ को नकारने क को शश नह कर रहा ,ँ


जनक पहचान पहले क गई थी - इनम कुछ भी ामक नह है। दरअसल म तो बस इस
बात पर जोर दे रहा ँ क ये सारे लाभ बड़े ही मामूली और अ नय मत ह (इसके वपरीत
अगर आप कसी से सामा य तौर पर व वाइड वेब के इ तेमाल का औ च य स करने
को कहगे, तो जो भी तक सामने आएँग,े वे कह अ धक ठोस व अका ह गे।) संभव है
क इस अवलोकन पर आपक त या यह हो क मह व तो मह व होता है, चाहे वह
जैसा भी हो: अगर आपको फेसबुक का इ तेमाल करने से कोई अ त र लाभ मल रहा है
- भले ही यह लाभ कतना भी छोटा हो - तो फर इसे इ तेमाल करने म या हज है? म
इस सोच को ‘कोई भी लाभ काफ है’ वाली सोच कहता ँ। य क यह एक नेटवक टू ल
के उपयोग का औ च य स करने के लए हर संभा वत लाभ को पया त मान लेती है।
व तार से कह तो:

नेटवक टू स के चयन का ‘कोई भी लाभ काफ है’ कोण : कसी भी नेटवक टू ल का


इ तेमाल उ चत है, बस आप उसके इ तेमाल के पीछे कोई संभा वत लाभ खोज ल या
फर उसका इ तेमाल न करने से होनेवाले कसी संभा वत नुकसान क पहचान कर ल।

जा हर है क इस कोण के साथ यह सम या है क ये नेटवक टू स से जुड़ी सभी


नकारा मक चीज़ को अनदे खा कर दे ता है। इन सु वधा को कुछ इस कार तैयार कया
गया है क आपको इनक लत लग जाए - जसके चलते आप उन ग त व धय पर अपना
समय व यान क त नह कर पाते, जो आपके गत व ावसा यक ल य को पूरा
करने म सीधे तौर पर सहायक होती ह (जैसे गहन काय करना)। आ खरकार अगर आप
इन टू स का पया त इ तेमाल करते ह, तो एक ऐसी अव ा म प ँच जाएँगे, जहाँ आप न
सफ खुद को बुरी तरह थका आ महसूस करगे ब क इंटरनेट डवाइसेस के ज रए हर
व हर कसी के संपक म रहने के चलते आपका यान भी बुरी तरह भटका आ रहेगा।
बारटड थ टन और उनके जैसे लाख लोग इ ह सम या से त रहे ह। यही वह ब है,
जहाँ हमारा सामना ‘कोई भी लाभ काफ है’ कोण क धूत और कपट वृ से होता
है। नेटवक टू स का इ तेमाल हा नकारक हो सकता है। अगर आप इसके लाभ और
हा नय क तुलना करने के बजाय संभा वत लाभ क एक झलक पाकर, उस बहाने इन
टू स के असंय मत इ तेमाल का औ च य स करने म लगे रहगे, तो इसका अथ यही
होगा क आप नॉलेज वक के इस संसार म सफल होने क अपनी मता को अनजाने म
ही पंगु बना रहे ह।

अगर इस न कष को तट ता से दे खा जाए, तो इसम कोई हैरानी क बात नह है।


नेटवक टू स के संदभ म हम ‘कोई भी लाभ काफ है’ कोण के साथ सहज हो गए ह।
पर अगर इसके बजाय हम ज़रा गौर कर और इस कोण को कुशल म के ापक
संदभ म दे ख, तो अचानक ही टू स के चुनाव का यह कोण इतना व च लगने लगता
है, जसका कोई ऐ तहा सक नज़ रया भी नह है। सरे श द म कह, तो एक बार जब
आप इंटरनेट से संबं धत ां तकारी श द-आडंबर को कनारे रख दे ते ह - खंड 1 म
उ ले खत यह बोध क या तो आप इस ‘ ां त’ के त पूरी तरह तब ह या फर नई
तकनीक का वरोध करनेवाले एक झ क ह - तो ज द ही आपको एहसास हो
जाता है क नेटवक टू स कोई असाधारण चीज़ नह ब क सफ ऐसे टू स ह, जो कसी
लोहार के हथौड़े से या कसी च कार के श से अलग नह ह। इ ह कुशल मक अपने
काम को बेहतर ढं ग से पूरा करने के लए (और कभी-कभार काम को सु वधाजनक बनाने
के लए) इ तेमाल करते ह। इ तहास म ऐसे अन गनत उदाहरण मलते ह, जहाँ कुशल
मक ने नए टू स अपनाने को लेकर संशय का सामना भी कया है और उ ह वशेष ता
के साथ इ तेमाल भी कया है। इसी लए ऐसा कोई कारण नज़र नह आता, जसके चलते
इंटरनेट के मामले म नॉलेज वकस ऐसा नह कर सकते - वह भी सफ इस लए य क
यहाँ कुशल म एक ड जटल भू मका नभा रहा है।

इन टू स का इ तेमाल व रख-रखाव अ धक सावधानी से करना कैसा रहेगा, यह समझने


के लए बेहतर है क कसी ऐसे से बात क जाए, जो (गैर ड जटल) टू स का
इ तेमाल करके अपनी जी वका कमाता हो और जसक सफलता उन टू स के साथ एक
ज टल संबंध पर नभर हो। सौभा य से अपने इस उ े य क पू त के लए मने एक ऐसे
को खोज भी लया है। अं ेजी म ड ी हा सल करने के बाद स टे नेबल
(द घका लक या टकाऊ - जमीन क उवरक मता को नुकसान प ँचाए बना) खेती
करके एक सफल कसान बने इस का नाम है फॉरेटर चड।

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फॉरे ट चड वॉ श टन डी.सी. से प म दशा क ओर एक घंटे क री पर त अपने


पा रवा रक खेत का कामकाज सँभालते ह। इस खेत को मथ मीडोज के नाम से जाना
जाता है, जो लू रज पवत ृंखला क घा टय म त कई खेत म से एक है। अपने
माता- पता से वरासत म मले इस खेत क ज मेदारी सँभालने के बाद
चड ने ज द ही
पारंप रक मोनोक चर (एकल कृ श) फसल को छोड़कर ास फ न ड मीट (3 ) जैसी नई
अवधारणा अपना ली। आपको अमे रक सुपरमाकट म मथ मीडोस म उ पा दत माँस से
बने खा पदाथ कह नह मलगे। चड अपने खेत म तैयार उ पाद क थोक ब से
र ही रहे ता क इन उ पाद को वॉ श टन डी.सी. म त सबसे त बाजार म सीधे
उपभो ा तक प ँचाया जा सके। इसके बावजूद उनका खेत खासी उ त कर रहा है और
वह भी एक ऐसे उ म े म, जहाँ छोटे तर के वसाय ब त कम मौक पर ही
फायदे मंद सा बत होते ह।

चड से मेरी पहली मुलाकात मैरीलड त टै कोमा पाक के ानीय कसान वाले बाजार
म ई थी, जहाँ उनक कान अ ा वसाय कर रही थी। अपने अ धकतर उपनगरीय
ाहक से करीब एक फ ट लंबे चड अ सर फ के रंगवाली ढ ली-ढाली शट म नज़र आते
ह, जसे आमतौर पर कसान क पोशाक के तौर पर दे खा जाता है। चड से मलने का
अथ है, एक ऐसे श पकार से मुलाकात करना, जो अपने वसाय को लेकर पूरी तरह
आ त है। म उनसे मला य क खेती करना एक ऐसा कौशल है, जो टू स के
सावधानीपूण बंधन पर नभर करता है और म यह समझना चाहता था क गैर- ड जटल
े से जुड़ा एक श पकार अपने मह वपूण काय को कस नज़ रये से करता है।

इस वषय पर बातचीत करते ए उ ह ने मुझे बताया, ‘चारा या सूखी घास तैयार करना
इसका एक अ ा उदाहरण है। यह ऐसा वषय है, जसम अंत न हत आ थक पहलू को
छपाए बना, म आपको इससे जुड़ी बु नयाद जानकारी दे सकता ँ।’

वे बताते ह क जब उ ह ने अपने खेत का काम सँभाला, तब स दय के मौसम म उनके


मवे शय को चरने के लए घास मलना असंभव हो जाता था। इस लए मवे शय का चारा
तैयार करने के लए अपने खेत क सूखी घास का ही उपयोग कया जाता था। चारा तैयार
करने के लए बेलर नामक एक मशीन का इ तेमाल कया जाता है। इसे ै टर के पीछे
लगाकर ख चा जाता है और यह जमीन पर मौजूद सूखी घास को दबोचकर उसे घास के
ग र के प म मोड़ते ए बाँधती चली जाती है। अगर आप पूव तट य े म मवेशी यानी
गाय, बैल, भस, बकरी जैसे खेती म इ तेमाल होनेवाले पालतू जानवर पालते ह, तो आपके
पास बेलर नामक -यह मशीन रखने का कारण है क आपके मवे शय को चारे क
ज़ रत है। ऐसे म अगर आपके खेत म ही ब ढ़या घास उगती है, तो फर बाजार से
मवे शय का चारा खरीदने म पैसे बरबाद करने क या ज़ रत है? इस लए अगर नॉलेज
वकस क ही तरह कोई कसान ‘कोई भी लाभ काफ है’ कोण रखता है, तो इसका
अथ है क वह अपने मवे शय का चारा तैयार करने के लए एक बेलर मशीन ज़ र खरीद
लेगा। फर चड ने मुझे बताया क या वाकई एक कसान क मान सकता इतनी
एकतरफा होती है।

म तो बस उस दन के इंतजार म ,ँ जब म ये बेलर मशीन बेच ँ गा। दरअसल इस


वसाय से जुड़े अ धकतर लोग क तरह चड भी जब अपने टू स पर वचार करते ह,
तो उनक मान सकता कह अ धक ापक व ग तशील होती है। आ खरकार अपनी
बेलर मशीन पर इसी मान सकता के साथ वचार करने के बाद चड ने ज द ही उसे बेच
दया: अब उनके खेत के मवे शय के लए सारा चारा बाजार से खरीदा जाता है।

और इसका कारण ये है क...

‘च लए सबसे पहले यह पता करते ह क चारा तैयार करने के लए साधारण कतना खच


आता है’ चड ने कहा। ‘पहले तो इसम ै टर के धन, मशीन क मर मत और उसे
सुर त रखने के लए एक गैरेज का खच आता है। इसके साथ ही आपको इसका टै स
भी दे ना पड़ता है।’ हालाँ क इस खच का य अनुमान लगाया जा सकता है और इसे
वहन करना आसान होता है। पर जस खच पर सबसे यादा यान दे ने क ज़ रत होती
है, वह है, ‘अवसर का मू य।’ चड ने व तार से बताते ए आगे कहा, ‘अगर म ग मय
का पूरा मौसम चारे के ग र तैयार करने म ही लगा ँ गा, तो फर कोई और काय पूरा नह
कर पाऊँगा। उदाहरण के लए अब म इस समय का इ तेमाल मु गयाँ पालने म करता ,ँ
जससे मुझे पैसा कमाने का एक अ ा अवसर मल जाता है। य क म उन मु गय को
कभी भी बेच सकता ँ। इसके साथ ही ये मु गयाँ खाद का उ पादन भी करती ह, जसका
इ तेमाल म अपने खेत म कर सकता ँ।’ इसके बाद आता है, बाजार से खरीदे गए चारे के
ग र के अ य मू य का मू यांकन करना। यह भी पछले मू यांकन जतना ही गूढ़ मु ा
है।

जैसा क चड बताते ह, जब म बाजार से चारा खरीदता ,ँ तो इसका अथ ये है क म न


सफ मवे शय क ोट न क ज़ रत पूरी करने के लए पैसे खच कर रहा ँ ब क (वह
चारा खाने के बाद मवे शय ारा मलनेवाले बेकार पदाथ से) अपने खेत क खाद क
ज़ रत भी पूरी कर रहा ँ। जसका अथ है क उसी पैसे से मुझे अपने खेत क म को
और अ धक उ पादक बनाने के लए ज़ री पोषक त व भी मल रहे ह। साथ ही ग मय
के मौसम म खेत क जमीन पर बड़ी और भारी मशीन न चलने से अब उसक म का
संहनन (4 ) भी नह होता है।’
बेलर मशीन को बेचने का नणय लेकर चड य होनेवाले खच से बच गए, जो क
वा तव म पहले थ ही जा रहा था। इसके बजाय अब वे खेती क जमीन क द घकालीन
उ पादक श जैसे गूढ़ मु े पर यान क त कर रहे थे। चड का न कष था क बाजार
से चारा खरीदने के चलते उनक खेती क जमीन क उ पादक श बेहतर ई है।
जसका कारण पहले ही कया जा चुका है। और जैसा क उ ह ने आ खर म कहा,
‘मेरे वसाय के लए म क उ पादकता ही सब कुछ है।’ इस लहाज से वचार कर, तो
बेलर मशीन को बेचना ज़ री था।

चड के टू स संबंधी नणय क ज टलता पर गौर कर। यह ज टलता एक मह वपूण


वा त वकता को रेखां कत करती है: चड के वसाय म लगे लोग को यह धारणा
हा या द लगती है क कसी टू ल पर अपना यान, समय और पैसा नवेश करने के लए,
उसम लाभ क एक गुंजाइश ढूँ ढ़ लेना ही काफ है। इसम कोई दोराय नह है क चारे
के ग र तैयार करनेवाली मशीन के अपने कुछ लाभ होते ह - खेती- कसानी से जुड़े सारे
टू स कसी न कसी प म उपयोगी तो होते ही ह। पर साथ ही उनके साथ कुछ
नकारा मक पहलू भी जुड़े होते ह। चड ने अपने नणय पर प ँचने के लए मु े क गूढ़ता
और बारी कय पर यान दया। उ ह ने इस वचार के साथ शु आत क क उनके
वसाय म उ त करने के लए खेती के जमीन क उ पादक श सबसे मह वपूण है -
इसके बाद ही वे इस नणय पर प ँचे क बेलर मशीन को बेच दया जाए।

मेरा ताव है क अगर आप एक नॉलेज वकर ह - खासकर एक ऐसे नॉलेज वकर, जो


गहन काय क आदत वक सत करने म दलच ी रखता है - तो आपको भी अपने टू स
का चयन करते समय वही सावधानी बरतनी चा हए, जो कसान जैसे कुशल मक बरतते
ह। इसके पीछे मेरी को शश यह है क इस मू यांकन रणनी त को सामा य कैसे बनाया
जाए। म इसे उपकरण के चयन का श पकार कोण कहता ँ। यह ऐसा नाम है, जो
इस बात पर जोर दे ता है क कसी के श प या कौशल से जुड़े व तृत ल य को
पूरा करने के मामले म टू स ही उसके मु य सहायक होते ह।

टू स के चयन का श पकार कोण: अपनी गत व ावसा यक जदगी म


सफलता और स ता का नधारण करनेवाले मु य कारक क पहचान कर। सफ उसी
टू ल को अपनाएँ, जो इन कारक पर नकारा मक भाव के मुकाबले कह अ धक
सकारा मक भाव डालता हो।

यान द क टू स के चयन का यह श पकार कोण, ‘कोई भी लाभ काफ है’


कोण से बलकुल वपरीत है। एक ओर जहाँ ‘कोई भी लाभ काफ है’ कोण कसी
भी संभा वत सकारा मक भाव क पहचान करके कसी टू ल के इ तेमाल का औ च य
स करता है, वह सरी ओर श पकार कोण म यह ज़ री है क ये सकारा मक
भाव उस बात के मूल कारक को भा वत करते ह , जो आपके लए सबसे यादा
ज़ री है। साथ ही उनका सकारा मक भाव, नकारा मक भाव के मुकाबले यादा होना
चा हए।

श पकार कोण, ‘कोई भी लाभ काफ है’ कोण क सरलता को अ वीकार कर


दे ता है, ले कन यह उन लाभ को अनदे खा नह करता, जो वतमान म लोग को नेटवक
संबंधी टू स क ओर आक षत कर रहे ह या फर ‘अ ’ या ‘बुरी’ ौ ो गक या है
जैसी कोई अ म घोषणा कर रहे ह। श पकार कोण सफ यह माँग करता है क आप
नेटवक संबंधी हर टू ल का मू यांकन भी उसी बारीक और संतुलन के साथ कर, जससे
हमेशा कुशल म संबंधी टू स का मू यांकन कया जाता रहा है।

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इस नयम क तीन रणनी तयाँ इस लए तैयार क गई ह ता क आप सु वधाजनक ढं ग से


‘कोई भी लाभ काफ है’ कोण से छु टकारा पाकर टू स का सं ह करने क या म
श पकार कोण अपना सक। य क उन पर आपको अपना काफ यान और समय
खच करना पड़ता है। यह मागदशन मह वपूण है य क श पकार कोण भी पूणत:
नह होता। अपने जीवन म सबसे यादा मह व रखनेवाली चीज़ क पहचान करने
और फर इन कारक पर व भ टू स के भाव का आँकलन करने का कोई सीधा और
सू नह है। इस काय के लए पया त अ यास और योग क ज़ रत होती है। ये
रणनी तयाँ आपको अपने नेटवक टू स पर फर से वचार करने के लए मज़बूर करके इस
अ यास व योग को एक क म का ढाँचा दान करती ह। संयु प से वे आपको अपने
टू स के साथ ववेकपूण संबंध बनाने म मदद करती ह, जससे आपको अपने समय और
यान पर दोबारा नयं ण हा सल करने का मौका मलता है, ता क खंड - 2 के बाक
वचार को सफल बनाया जा सके।

अपनी इंटरनेट संबंधी आदत पर ‘चु नदा मह वपूण चीज़ ’ का नयम लागू कर

कनाडा के मश र लेखक और प कार मै कम लैडवेल ट् वटर का इ तेमाल नह करते।


सन 2013 म दए गए अपने एक इंटर ू म उ ह ने इसका कारण बताया: ‘कौन कहता है
क मेरे शंसक ट् वटर पर मेरी बात सुनना चाहते ह?’ इसके बाद उ ह ने मज़ाक म कहा,
‘मुझे पता है, कई लोग तो यह चाहते ह क म कम ही नज़र आऊँ।’ इसी तरह बे टसे लग
अमे रक लेखक व प कार माइकल लुईस भी ट् वटर का इ तेमाल नह करते। द वायर से
ई बातचीत म उ ह ने कहा, ‘म ट् वीट नह करता। म ट् वटर पर ँ ही नह । म तो आपको
यह भी नह बता सकता क ट् वटर पर कोई संदेश कैसे ढूँ ढ़ा या पढ़ा जाता है।’ और जैसा
क खंड-1 म बताया गया था, द यूयॉकर के लए लखनेवाले पुर कार वजेता प कार व
उप यासकार जॉज पेकर भी ट् वटर से बचते ह। उ ह ने तो माटफोन भी हाल ही म
खरीदा है य क अब यह एक ऐसी ज़ रत बन गया है, जससे बचना मु कल है।

हालाँ क ये तीन लेखक ट् वटर को अनुपयोगी नह मानते। वे यह वीकार करते ह क


अ य लेखक को यह उपयोगी लगता है। दरअसल जॉज पेकर ने ट् वटर का इ तेमाल न
करने क अपनी आदत का खुलासा एक लेख पर अपनी त या दे ते ए कया था। यह
लेख यू यॉक टाइ स के दवंगत मी डया आलोचक डे वड कार ने लखा था, जसम उ ह ने
खुलकर ट् वटर का समथन कया था। डे वड ने अपने इस लेख म लखा था :

करीब एक साल तक ट् वटर का इ तेमाल करने के बाद या अब मेरा दमाग कसी काम
का नह रहा? जी नह ! आज म एक समय म इतनी चीज़ पर सोच- वचार कर रहा होता
ँ, जतना मने पहले कभी सोचा भी नह था। लगातार आधे घंटे तक इंटरनेट सच करते
ए कसी काम क चीज़ क तलाश म जुटे रहने के बजाय अब म टारब स म अपनी
कॉफ का इंतजार करते व ट् वटर खोलकर दे ख सकता ँ, जससे मुझे दनभर क
खबर का अंदाजा हो जाता है और यह भी समझ म आ जाता है क उन खबर पर लोग
कैसी त याएँ दे रहे ह।

हालाँ क इसके बावजूद लैडवेल, लुईस और पेकर को नह लगता क ट् वटर से उ ह कोई


ऐसा लाभ होता है, जससे उसके नकारा मक पहलु क भरपाई होती हो। उदाहरण के
लए लुईस क चता यह है क अगर उ ह ने ट् वटर पर अपनी उपल ता को और बढ़ाया
तो इससे उनक ऊजा थ ही खच होगी और अ कहा नयाँ लखने व उनके लए शोध
करने क उनक मता कमजोर हो जाएगी। वे कहते ह, ‘यह सचमुच हैरानी क बात है क
आज लोग ज़ रत से यादा ही उपल रहते ह। मेरे जीवन म ऐसा ब त सा संवाद होता
है, जो मुझे समृ नह बनाता ब क और अ धक द र बना दे ता है।’ जब क पेकर क
चता यान भटकने से जुड़ी है। वे कहते ह, ‘मी डया के लती लोग के लए ट् वटर एक
स ते नशे जैसा है।’ ट् वटर के समथन म डे वड कार ारा लए गए लेख के बारे म तो वे
यहाँ तक कहते ह क ‘इस नए दशक म मने भ व य क इससे यादा भयावह त वीर नह
दे खी।’
हम इस बात पर बहस नह करनी चा हए क ट् वटर (और ऐसे ही अ य टू स) का
इ तेमाल न करने का इन लेखक का गत नणय सही है या नह य क उनक
कताब का बे टसेलर होना और उ ह मले ढे र पुर कार खुद ही उनक सफलता क
कहानी बयाँ कर रहे ह। हम तो उनके इन नणय को टू स का चुनाव करने के श पकार
कोण के साहसी च ण के प म दे खना चा हए। आज जहाँ ब त से नॉलेज वकस -
खासकर वे जो रचना मक े से जुड़े ह - अब भी ‘कोई भी लाभ काफ है’ क
मान सकता म फँसे ए ह। ऐसे म इन े म अपे ाकृत अ धक प रप व कोण का
सामने आना एक नए क म का अनुभव है। पर इन उदाहरण क लभता हम यह याद
दलाती है क ऐसा प रप व और आ म व ास से भरपूर आंकलन करना आसान नह है।
ज़रा पछले प म उ ले खत उस वचार या क ज टलता को याद क जए, जसम
फॉरे ट चड को अपनी बेलर मशीन बेचने का नणय लेने से पहले लंबे समय तक सोच-
वचार करना पड़ा। कई नॉलेज वकस के लए और उनके जीवन म मौजूद कई टू स के
लए ये नणय भी उतने ही ज टल ह गे। इसी लए इस रणनी त का ल य है, इस वचार
या को एक ठोस प दे ना। इस बात से जुड़े नणय क ज टलता को कम करने का
एक तरीका है, यह जानना क अपने लए सचमुच मह वपूण टू स कौन से ह।

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इस रणनी त का पहला चरण है, अपने ावसा यक व गत जीवन म मु य उ -


तरीय ल य क पहचान करना। उदाहरण के लए अगर आपका एक प रवार है, तो
शायद आपका गत ल य होगा- अपने ब क ब ढ़या परव रश करना और अपना
घर अ तरह चलाना। वह ावसा यक जीवन के ल य इस बात पर नभर करते ह क
आप कस वसाय म ह या जीवनयापन के लए आप या करते ह। उदाहरण के तौर पर
एक ोफेसर के प म मेरे ावसा यक जीवन के दो मु य ल य ह। मेरा पहला ल य
अपनी क ा म एक भावी श क और अपने गे्रजुएट छा के लए एक व सनीय
सलाहकार बनने पर क त है। जब क सरा ल य एक भावी शोधकता बनने पर क त
है। हालाँ क आपके ल य इससे अलग ह गे पर उ ह भी पूरा करने क मु य कुंजी है,
अपनी इस सूची को सफ मह वपूण ल य तक ही सी मत रखना और उ ह उ - तरीय
बनाए रखना। (अगर आपके ल य का एक व श योजन है, जैसे ‘से स के े म एक
म लयन डॉलस के ब तक प ँचना’ या ‘एक साल क अव ध म आधा दजन रसच
पेपस का शत कराना’ तो इसका अथ है क यह हमारे इन उ े य के लहाज से कुछ
यादा ही व श है)। जब इनसे नपटने के बाद आपको अपने ावसा यक और
गत, दोन े के लए कुछ ल य तय कर लेने चा हए।
इन ल य क पहचान करने के बाद हर ल य के लए ऐसी दो या तीन मु य ग त व धय
क सूची बनाएँ, जो उसे पूरा करने म सहायक ह । ये सभी ग त व धयाँ इतनी होनी
चा हए क आप उनम अपनी भागीदारी क क पना कर सक। साथ ही वे इतनी
सामा य भी होनी चा हए क ‘एकल प रणाम ’ के दायरे म न बँधी ह । उदाहरण के लए
‘बेहतर शोध करो’ कुछ यादा ही साधारण है (भला ‘बेहतर शोध करो’ क क पना
या होगी?) सरी ओर ‘आगामी स मेलन म तुत करने के लए अपने शोध-प को
समय पर पूरा करो’ यह कुछ यादा ही है (यह एकल प रणाम है)। इस संदभ म एक
अ ग त व ध कुछ इस कार होगी, ‘अपने काय े से जुड़े अ याधु नक प रणाम का
नय मत अ ययन करके उ ह समझो।’

इस रणनी त का अगला कदम है, उन नेटवक-टू स पर वचार करना, जनका आप


इ तेमाल करते ह। ऐसे हर एक टू ल के मामले म उस मु य ग त व ध पर गौर कर, जसक
आपने पहचान क थी और यह समझने का यास कर क ग त व ध म आपक नय मत व
सफल भागीदारी पर उस टू ल के इ तेमाल का भाव सकारा मक है, नकारा मक है या
फर नग य है। अब बारी आती है मह वपूण नणय क : इस टू ल का उपयोग केवल तभी
जारी रख, जब आपका न कष यह हो क इसके सकारा मक भाव, इसके नकारा मक
भाव से कह यादा ह।

आइए अब यह समझने का यास करते ह क वहार म लाने पर यह रणनी त कस


कार काम करेगी। मान ली जए क अगर माइकल लुईस से ऐसा करने को कहा जाता, तो
वे बतौर लेखक अपने कॅ रयर के लए आगे दए गए ल य तय करते व संबं धत मह वपूण
ग त व धय म ह सा लेते।

ावसा यक ल य: बेहतरीन ढं ग से लखी गई ऐसी कथा मक कहा नयाँ तैयार करना, जो


लोग का नया को दे खने और समझने का नज़ रया बदल द।

इस ल य को पूरा करने से जुड़ी मु य ग त व धयाँ:

* धैय व गहनता के साथ शोध करना

* उ े य के साथ सावधानीपूवक लखना

अब क पना कर क लुईस अपने इस ल य पर वचार करते ए यह तय करने का यास


कर रहे थे क उ ह ट् वटर का इ तेमाल करना चा हए या नह । हमारी रणनी त के लए
ज़ री है क वे उन मुख ग त व धय पर ट् वटर के भाव क जाँच कर, जो उनके ल य
को पूरा करने म सहयोगी ह। यह तक दे ने का कोई ठोस तरीका नह है क ट् वटर इन दोन
म से कसी भी ग त व ध म लुईस को काफ बेहतर बना दे गा। मेरा मानना है क गहन शोध
करने के लए लुईस को अपने कुछे क ोत को जानने म ही महीन का समय बताना
पड़ता होगा। (वे अपने ोत के साथ कई स बताकर उसक कहानी को च त करने के
प कारीय कौशल के वशेष ह।) सावधानीपूवक कए जानेवाले लेखन के लए न त
ही यान भटकानेवाली चीज़ से मु रहना ज़ री है। इन दोन ही मामल म ट् वटर का
वा तव म कोई भाव नह है पर सबसे बदतर तय म इसका भाव बुरी तरह
नकारा मक भी हो सकता है। दरअसल इसका भाव या होगा, यह इस बात पर नभर
करता है क लुईस ट् वटर क उन वशेषता के त कतने संवेदनशील ह, जो लोग को
इसका लती बना दे ती ह। इस लए इसका न कष यह होगा क लुईस को ट् वटर का
इ तेमाल नह करना चा हए।

इस ब पर आकर आप यह तक दे सकते ह क हमारे उदाहरण को इस एकल ल य तक


सी मत रखना बनावट होगा। य क यह उन े को नज़रअंदाज कर दे ता है, जनम
ट् वटर जैसी सोशल नेटव कग स वस सकारा मक योगदान दे सकती है। वशेष प से
लेखक के लए ट् वटर को अ सर एक ऐसे टू ल के प म तुत कया जाता है, जसका
उपयोग करके वे अपने पाठक के साथ सीधा संपक ा पत कर सकते ह, जो अंतत:
उनक कताब क ब बढ़ा सकता है। हालाँ क जब माइकल लुईस जैसा लेखक इस
बात का आंकलन करता है क उसके ावसा यक जीवन म कौन सी चीज़ सबसे अ धक
मह वपूण ह, तो इसक संभावना कम ही होती है क उन चीज़ म माक टग जैसा कोई
ल य भी शा मल हो। य क एक सफल और स लेखक के प म उनक त ा इस
बात क गारंट होती है क अगर उनक अगली कताब वाकई अ ई, तो मी डया के
सबसे भावशाली मा यम म उ ह बड़े पैमाने पर जगह ज़ र मलेगी। इसी लए अयो य
लेखक वाले हथकंडे अपनाकर अपनी कताब क ब म इजाफा करने के बजाय उनका
सारा यान एक शानदार कताब लखने क ओर क त होता है। सरे श द म कह, तो
सवाल यह नह है क लुईस के लए ट् वटर वाकई उपयोगी है या नह ; ब क सवाल तो ये
है क ट् वटर का इ तेमाल, उनके ावसा यक जीवन क सबसे मह वपूण ग त व धय को
सकारा मक प से भा वत करता है या नह ।

और एक ऐसे लेखक का या, जो अ य लेखक क तुलना म कम स हो? ऐसे लेखक


के ावसा यक ल य को पूरा करने म कताब के अ े माक टग क मु य भू मका हो
सकती है। पर अगर उसे अपने ल य को पूरा करने म सहयोगी दो या तीन मु य
ग त व धय को पहचानने के लए मज़बूर कया जाए, तो इस बात क संभावना कम ही है
क ट् वटर जैसे ह के-फु के संपक मा यम को उसक मु य ग त व धय क सूची म कोई
जगह मलेगी। बात बलकुल सीधी सी है। मान ली जए क हमारा यह का प नक लेखक
स ताह म पाँच दन, हर रोज पूरी मेहनत से दस-दस ट् वीट करता है - अपने हर ट् वीट के
ज रए वह कसी नए संभा वत पाठक के साथ सीधा संपक करता है। अब क पना क जए
क इस कार उसने जतने लोग से संपक कया, उनम से आधे उसके वफादार शंसक
बन जाते ह। ये शंसक लेखक क अगली कताब न त प से खरीदगे। यानी अगले दो
साल म जब वह लेखक अपनी कताब लखकर पूरी करने म लगा हो, उस अव ध म उसने
ट् वटर क मदद से अपनी कताब खरीदनेवाले पाठक क सं या म दो हज़ार पाठक का
इजाफा कर लया। एक ऐसे बाजार म जहाँ कसी कताब को बे टसेलर बनने के लए हर
स ताह इससे दो या तीन गुना यादा क ब करनी होती है, वहाँ दो हज़ार अ त र
कताब क ब होना साधारण सी बात है। एक बार फर सवाल यह नह है क ट् वटर
से कोई लाभ मलता है या नह ब क सवाल तो यह है क ट् वटर पर जतना समय और
यान खच कया जाता है, या उसके मुकाबले इससे मलनेवाले लाभ पया त ह? वैसे
कसी भी लेखक के लए समय और यान ये दोन चीज़ खासतौर पर मह वपूण होती ह।

हमने एक ावसा यक े पर इस कोण को लागू करने का उदाहरण दे ख लया।


आइए अब हम गत ल य तय करने के संभा वत प से अ धक हा नकारक तरीके
पर वचार करते ह। आइए अब इस कोण को वशेष तौर पर अपनी सं कृ त के उस
सव ापी टू ल पर लागू करके दे खते ह, जसका अ सर जमकर बचाव कया जाता है। जी
हाँ, हम बात कर रहे ह फेसबुक क ।

फेसबुक (या ऐसी ही अ य सोशल नेटवक वेबसाइट् स) के इ तेमाल को सही ठहराते समय
अ धकतर लोग यही कहते ह क ये उनके सामा जक जीवन के लए ब त मह वपूण है।
इस बात को यान म रख और हमारी रणनी त को यह समझने के लए लागू कर क या
फेसबुक हमारे गत ल य पर अपने सकारा मक भाव के चलते सहयोगी मु य
ग त व धय क सूची म शा मल हो सकेगा? इसके लए हम एक बार फर एक का प नक
ल य और मु य सहयोगी ग त व धय के साथ काम करगे।

गत ल य: मह वपूण लोग के साथ घ न और लाभ द दो ती बनाए रखना।

इस ल य को सहयोग करनेवाली मुख ग त व धयाँ:


* जो लोग मेरे लए मह वपूण ह, उनके साथ एक साथक संबंध बनाए रखने के लए
नय मत प से समय नकालना (जैसे दे र तक साथ टहलना, एक साथ भोजन करना,
मलकर कोई काम करना वगैरह)।

* खुद से पहले उन लोग के बारे म सोचना, जो मेरे लए मह वपूण ह (उनके जीवन को


बेहतर बनाने के लए ज़ रत पड़ने पर मह वपूण ब लदान दे ने से भी पीछे न हटना)।

इस ल य या इसक सहायक ग त व धय का ह सा हर कोई नह बनेगा, ले कन उ मीद है


क आप इस बात से सहमत ह गे क ये कई लोग पर लागू होते ह। आइए अब अपनी
रणनी त के तक को इस गत ल य के संदभ म फेसबुक के उदाहरण पर लागू करके
दे खते ह। न त ही फेसबुक आपके सामा जक जीवन के लए कई कार से लाभदायी
है। इनम से कुछ लाभ इस कार ह: यह आपको उन लोग के संपक म रहने का मौका दे ता
है, जनसे आप काफ दन से मल नह सके ह... यह उन लोग के साथ ह का-फु का
संपक बनाकर रखने म आपक सहायता करता है, जनसे आप नय मत प से नह
मलते ह... इससे आपको लोग के जीवन म घटनेवाली मह वपूण घटना क जानकारी
मलती रहती है... (जैसे उनक शाद ई या नह और उनका नवजात ब ा कैसा दखता
है वगैरह) साथ ही फेसबुक के ज रए आपको उन ऑनलाइन समुदाय के साथ जुड़ने का
मौका मलता है, जनक पसंद और दलच याँ आपसे मेल खाती ह...।

न त प से ये कुछ ऐसे लाभ ह, जो सफ फेसबुक के ज रए ही मलते ह, पर इनम से


कोई भी लाभ उन दो मह वपूण ग त व धय पर कोई खास सकारा मक भाव नह डालते,
जनका उ लेख पहले कया गया था। ये दोन ही ऑफलाइन ग त व धयाँ ह और इनके
लए गहन यास क ज़ रत होती है। इसी लए हमारी रणनी त शायद इस आ यजनक
ले कन न कष पर प ँचेगी: फेसबुक न त प से हमारे सामा जक जीवन के लए
लाभ द है पर इनम से कोई भी लाभ उन चीज़ के लए इतना मह वपूण नह है, जो इस
े म आपके लए वाकई मायने रखती ह। इनम से कोई भी लाभ इतना मह वपूण नह है,
जो फेसबुक पर समय व यान खच करने का औ च य सा बत कर सके। (5 )

म कर ँ क म हर कसी को फेसबुक का इ तेमाल बंद करने को नह कह रहा ँ।


ब क म तो सफ यह बता रहा ँ क इस केस टडी के लए यहाँ ता वत रणनी त यही
कहेगी क फेसबुक को छोड़ दया जाए। हालाँ क म ऐसे अ य शंसनीय कथानक या
प र य क क पना कर सकता ँ, जनका न कष इसके वपरीत होगा। उदाहरण के
लए ज़रा कसी ऐसे छा पर वचार कर, जसने अभी-अभी कॉलेज म दा खला लया हो।
इस त म वह छा शायद मौजूदा र त के बजाय नए दो त बनाने को अ धक मह व
दे गा। एक संप सामा जक जीवन जीने के अपने उ े य क पू त के लए यह छा जन
ग त व धय क पहचान करेगा, वे कुछ इस तरह क हो सकती ह, ‘ढे र सारे काय म म
शा मल होना और ढे र सारे अलग-अलग लोग के साथ मेलजोल बढ़ाना।’ अगर यह मु य
ग त व ध है और आप एक कॉलेज प रसर म ह, तो फेसबुक जैसा एक टू ल इस तम
आपके मामले म काफ सकारा मक भाव डाल सकता है और इसका इ तेमाल ज़ र
कया जाना चा हए।

आइए अब एक अ य उदाहरण के तौर पर फौज म काम करनेवाले एक ऐसे पर गौर


करते ह, जो वदे श म तैनात हो। यह का प नक फौजी अपने दे श म जन दो त और
प रवार के सद य को छोड़कर वदे श गया है, उनके साथ ह का-फु का संपक बनाकर
रखना उसक ाथ मकता है और इस संपक का सबसे अ ा ज रया सोशल मी डया
साइट् स ही ह।

इन उदाहरण से यह हो जाना चा हए क अगर इस रणनी त को ठ क उसी तरह लागू


कया जाए, जस तरह यहाँ बताया गया है, तो ब त से लोग फेसबुक या ट् वटर जैसी
सोशल मी डया वेबसाइट् स का इ तेमाल बंद कर दगे - हालाँ क हर कोई ऐसा नह करेगा।
अब आप यह शकायत कर सकते ह क इन टू स से जुड़े अपने नणय पर सफ कुछे क
मु य ग त व धय को हावी होने का मौका दे ना अपने आपम ब त ही मनमाना तरीका है।
उदाहरण के लए जैसा क हम पहले ही कर चुके ह क आपके सामा जक जीवन म
फेसबुक के कुछ लाभ भी ह; तो फर भला कोई इसे सफ इस लए य छोड़ेगा य क
यह उन कुछे क ग त व धय म सहायक नह है, ज ह हम मह वपूण मानते ह? दरअसल
इस मामले क ज टलता को समझने क कुंजी ये है क अपनी ाथ मकता क सं या
को तेजी से कम करना मनमाना तरीका नह है ब क यह एक ऐसे वचार से े रत आ
तरीका है, जो सामा जक समानता से लेकर ाहक के लाभ और कं यूटर ो ा स को ै श
होने से रोकने जैसे कई व भ े म बार-बार उभरकर सामने आया है।

चु नदा मह वपूण चीज़ का नयम -: अ धकतर तय म 80 तशत नतीजे केवल 20


तशत के यास से ही ा त होते ह। (6 )

उदाहरण के लए हो सकता है क कसी वसाय का 80 तशत लाभ उसके सफ 20


तशत ाहक से ही आ रहा हो... कसी दे श क 80 फ सद संप उसके 20 फ सद
सबसे अमीर नाग रक के पास हो... या कं यूटर सॉ टवेयर ै श होने के 80 तशत
मामल के लए 20 तशत ब स ज मेदार ह ...। इस त य का एक ग णतीय आधार है
(जब आप कसी भाव पर पॉवर लॉ यानी सां यक के े से संबं धत एक नयम के
ड यूशन का वणन करते ह, तो 80/20 के वभाजन क उ मीद के साथ ही करते ह।
यह एक ऐसा ड यूशन है, जो वा त वक संसार म मापन के दौरान अ सर सामने आता
है)। पर संभवत: यह तब सबसे अ धक उपयोगी होता है, जब इसे यह याद दलाने के
ज रये के प म उपयोग कया जाता है, कई मामल म प रणाम हा सल करने के लए दए
गए योगदान एक- सरे के बराबर नह होते।

मान ली जए क यह नयम आपके जीवन के मह वपूण ल य के लए है। जैसा क हमने


पहले उ लेख कया था, इन ल य को पूरा करने म कई ग त व धयाँ योगदान दे सकती ह।
हालाँ क चु नदा मह वपूण चीज़ का नयम हम यह याद दलाता है क सबसे मह वपूण 20
तशत ग त व धयाँ ही सबसे अ धक लाभदायी होती ह। अगर यह मान ल क आपके
पास जीवन के हर ल य को पूरा करने के लए संभा वत प से लाभदायी ग त व धय क
सं या दस से पं ह है, तो यह नयम कहता है क इनम से सफ दो या तीन मह वपूण
ग त व धयाँ ही ऐसी ह, जो तय करगी क आप अपना ल य हा सल करने म सफल ह गे
या नह । यह रणनी त आपको सफ इतनी ही ग त व धय पर यान क त करने के लए
कहती है।

इस न कष को वीकार करने के बाद आप यह तक भी दे सकते ह क हम संभा वत प


से लाभदायी अ य 80 तशत ग त व धय को नज़रअंदाज नह करना चा हए। यह सच है
क ये कम मह वपूण ग त व धयाँ आपके ल य को पूरा करने म उतना योगदान नह दे त ,
जतना मह वपूण दो या तीन ग त व धयाँ दे ती ह, पर ये थोड़ा-ब त लाभ तो दे ही सकती
ह, तो भला इनका उपयोग य न कया जाए? दरअसल जब तक आप अ धक मह वपूण
ग त व धय को नज़रअंदाज नह कर रहे ह, तब तक इन कम मह वपूण ग त व धय का
समथन करने म कोई हा न नह है।

हालाँ क यह तक इस मु य ब पर गौर नह करता क हर ग त व ध म आपका उतना ही


समय व यान खच होता है, भले ही उसका मह व यादा हो या कम। इसी लए अगर आप
कम भावी ग त व धय म उलझे रहगे, तो इसका अथ होगा क आप वह ब मू य समय
बरबाद कर रहे ह, जसे आप अ धक भावी ग त व धय म लगा सकते थे। यह एक जीरो-
सम गेम है, जहाँ लाभ और हा न एक बराबर है। और चूँ क कम भावी ग त व धय के
बजाय अ धक भावी ग त व धय म अपने समय का नवेश करने से आपको अपे ा से
अ धक लाभ मलता है। इस लए आप कम भावी ग त व धय क ओर जतना अ धक
बढ़गे, आपका सम लाभ उतना ही कम होता जाएगा।

कारोबारी नया इस ग णत को अ तरह समझती है। इसी लए कंप नय ारा अपने


अनु पादक ाहक से पीछा छु ड़ा लेना सामा य बात है। अगर उनका 80 तशत मुनाफा
20 तशत ाहक से आता है, तो इसका अथ यही आ क कम मुनाफा दे नेवाले ढे र सारे
ाहक के बजाय, अ धक मुनाफा दे नेवाले कुछे क ाहक को बेहतर सेवा दे ने म अपनी
ऊजा लगाकर कंपनी यादा पैसा कमाएगी। अ धक मुनाफा दे नेवाले ाहक क सेवा म
खच कया गया एक घंटा, कम मुनाफा दे नेवाले ाहक को दए गए एक घंटे से अ धक
लाभदायी होगा। ठ क यही बात आपके ावसा यक और गत, दोन क म के ल य
पर लागू होती है। फेसबुक पर पुराने दो त को ढूँ ढ़ने जैसी कम भावी ग त व धय म खच
कए जानेवाले समय म कटौती करके उसका उपयोग; अपने कसी प के दो त को लंच
पर ले जाने जैसी अ धक भावी ग त व धय म करने से आपक सफलता क संभावना
बढ़ जाती है। इसी लए इस तक के अनुसार कसी नेटवक-टू ल को यागने का अथ इसके
संभा वत छोटे लाभ से वं चत रहना नह है ब क इसका अथ तो ये है क आप उन
ग त व धय का अ धकतम उपयोग कर, जनसे आप पहले से प र चत ह ता क इससे
आपको बड़े लाभ ा त ह ।

च लए वापस उसी ब पर लौटते ह, जहाँ से हमने शु आत क थी। मै कम लैडवेल,


माइकल लुईस और जॉज पेकर के लए ट् वटर उनक उन 20 तशत ग त व धय म
सहयोगी नह है, जो उनके लेखन कॅ रयर क सफलता म सबसे अ धक योगदान दे ते ह।
हालाँ क अपने आपम ट् वटर के कुछ छोटे -मोटे लाभ हो सकते ह, ले कन अगर इन तीन
के कॅ रयस को उनक संपूणता म दे खा जाए, तो ट् वटर का इ तेमाल करने के बजाय उस
समय को कसी अ य लाभदायी ग त व ध म नवेश करने से उनक सफलता क संभावना
बढ़ जाती है। आपको भी यह नणय लेने म पूरी सावधानी बरतनी चा हए क अपने
सी मत समय और यान को कस टू ल म खच करना आपके लए सबसे अ धक लाभदायी
होगा।

सोशल मी डया का इ तेमाल बंद कर द

जब रेयान नकोडेमस ने अपने जीवन को आसान बनाने का फैसला कया, तो उनका


पहला ल य था, अपने साजो-सामान से छु टकारा पाना। उस समय रेयान तीन
बेड सवाले एक अपाटमट म अकेले रहते थे। उपभोगवाद मान सकता के चलते वे कई
साल से अपने उस वशाल अपाटमट को तरह-तरह के सामान से भरने म लगे ए थे। अब
समय गया था क वे इस ढे र सारे क मती सामान के बीच फँसी अपनी जदगी को वापस
अपने नयं ण म ल। इसके लए उ ह ने जो रणनी त अपनाई, वह पढ़ने म तो ब त
साधारण लगती है, पर वा तव म उनका वचार प रवतनवाद था। दरअसल एक दन
उ ह ने अपने अपाटमट के सारे सामान को काडबोड के बड़े-बड़े ब स म पैक करके रख
दया, मान वे यह घर छोड़कर कसी और घर म श ट हो रहे ह । अपने इस ‘क ठन
उप म’ को थोड़ा कम क दायी बनाने के लए उ ह ने इसे ‘पै कग पाट ’ का नाम दया।
उनका कहना था, ‘काम कैसा भी हो, अगर उसे पाट बना लया जाए, तो वह यादा
दलच हो जाता है। है ना?’

सामान क पै कग पूरी होने के बाद नकोडेमस ने अगला स ताह सामा य दनचया के साथ
बताया। इस दौरान अगर उ ह कसी ऐसी चीज़ क ज़ रत पड़ती, जो पैक करके रखी ई
ह, तो वे उसे बाहर नकालकर वापस उसी जगह पर रख दे ते, जहाँ वह पहले रखी ई थी।
स ताह के अंत म उ ह ने पाया क यादातर सामान पैक ही रखा आ है य क उ ह
उसक कोई ज़ रत महसूस ही नह ई।

इस लए उ ह ने वह सारा सामान बेच दया, जो अभी तक पैक रखा आ था। दरअसल


लोग के घर म धीरे-धीरे ढे र सारा सामान इस लए जमा हो जाता है य क जब भी उस
सामान से छु टकारा पाने क बारी आती है, तो वे यह सोचकर च तत हो उठते ह क ‘अगर
कसी दन इस सामान क ज़ रत पड़ गई तो?’ अपनी इस चता क वजह से वे
आव यकता से अ धक सामान को जमा करके रखते ह। नकोडेमस को अपनी पै कग
पाट से यह बात प से समझ म आ गई क उनके अपाटमट म यादातर सामान
ऐसा है, जसक उ ह कोई ज़ रत ही नह है। इस समझ से जदगी को आसान बनाने के
उनके वचार को समथन मला।

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पछली रणनी त ने एक ऐसा व त तरीका उपल कराया, जससे आपको उन


नेटवक-टू स क छँ टनी शु करने का मौका मले, ज ह ने आपके ब मू य समय और
यान पर अ धकार जमा रखा है। यह रणनी त इन मु के लए आपको एक अलग ले कन
पूरक कोण दान करती है। यह अपने घर के फालतू सामान से छु टकारा पाने के रेयान
नकोडेमस के कोण से े रत है।

व तार से कह, तो यह रणनी त आपसे माँग करती है क जस तरह नकोडेमस ने अपने


घर के फालतू सामान से छु टकारा पाने के लए पै कग पाट क , आपको भी उन सोशल
मी डया वेबसाइट् स के मामले म वैसा ही कुछ करना होगा, जनका आप वतमान म
उपयोग कर रहे ह। आपको ‘पै कग’ के बजाय अगले तीस दन के लए हर सोशल
मी डया वेबसाइट का उपयोग बंद करना है: फेसबुक, इं टा ाम, ट् वटर, नैपचैट, वाइन,
गूगल लस और ऐसी हर सोशल मी डया वेबसाइट, जो इस कताब को लखे जाने के बाद
मश र ई हो। आपको औपचा रक तौर पर इन वेबसाइट् स म अपना अकाउं ट बंद करने
क ज़ रत नह है और साथ ही (यह अगला ब मह वपूण है) इन वेबसाइट् स पर जाकर
यह घोषणा करने क ज़ रत नह है क आप अगले कुछ दन के लए इनसे र रहगे।
बस इनका उपयोग बंद कर द। अगर कोई कसी और तरीके से आपसे संपक करके
यह पूछता है क ‘अब आप इन वेबसाइट् स पर स य य नह दखते’, तो आप उसे
इसका कारण बता सकते ह। ले कन आपको हर कसी को यह बताने क कोई ज़ रत
नह है क आप ऐसा य कर रहे ह।

इन नेटवक टू स से तीस दन तक र रहने के बाद आपको अपने आपसे हर उस वेबसाइट


के बारे म ये दो सवाल पूछने ह, जसका इ तेमाल आपने बंद कया था:

1. अगर म इन तीस दन म भी सोशल मी डया वेबसाइट् स का इ तेमाल जारी रखता, तो


या ये तीस दन मेरे लए पहले क तुलना म बेहतर होते?

2. या लोग को इस बात क कोई परवाह थी क म सोशल मी डया वेबसाइट् स का


इ तेमाल नह कर रहा ँ।

अगर इन दोन सवाल पर आपका जवाब ‘ना’ है, तो इन वेबसाइट् स का इ तेमाल ाई


प से बंद कर द। अगर इन दोन सवाल पर आपका जवाब प से ‘हाँ’ है, तो
इनका इ तेमाल फर से शु कर द। वह अगर इन दोन सवाल पर आपके जवाब अ
से ह, तो फर यह तय करना पूरी तरह आप पर नभर है क आप इन वेबसाइट् स का
इ तेमाल फर से शु करगे या नह । हालाँ क म आपको इनका इ तेमाल बंद करने के
लए ही ो सा हत क ँ गा (आप बाद म जब चाह, इनका इ तेमाल शु कर सकते ह)।

यह रणनी त आपके समय और यान पर अपना दावा पेश करनेवाले व भ नेटवक-टू स


म से खासतौर पर सोशल मी डया वेबसाइट् स से र होने क बात कहती है। य क अगर
सोशल मी डया वेबसाइट् स का इ तेमाल सीमा से बाहर जाकर या फर ज़ रत से अ धक
कया जाए, तो यह गहन काय करने के आपके यास के लए खासतौर पर वनाशकारी
हो सकता है। सोशल मी डया वेबसाइट् स आपके सामने अ या शत प से लगातार
आपक पसंद क सूचनाएँ तुत करती रहती ह - जो आपके लए कसी खतरनाक नशे
जैसा है। इसी लए इन वेबसाइट् स म, यान क त करने के आपके यास को गंभीर
नुकसान प ँचाने क मता होती है। इन खतर के चलते शायद आपको लगे क यादातर
नॉलेज वकस इन टू स को पूरी तरह नज़रअंदाज करते ह गे - खासकर कं यूटर ो ामस
और लेखक जैसे नॉलेज वकस, जनक आजी वका प से गहन काय से नकले
प रणाम पर नभर होती है। ले कन जो बात सोशल मी डया वेबसाइट् स को खासतौर पर
घातक बनाती है, वह ये है क इ ह चलानेवाली वे कंप नयाँ, जो आपका यान पाकर
मुनाफा कमाती ह, उनक सफलता के पीछे एक शानदार माक टग का छलावा है: हमारी
पूरी सं कृ त को उ ह ने यह व ास दला दया है क अगर आप उनक इन सेवा का
इ तेमाल नह कर रहे ह, तो इसका अथ है क आप कुछ खास चीज़ का अनुभव करने से
वं चत हो रहे ह।

वं चत रह जाने का यह डर, न त प से रेयान नकोडेमस के उस डर के समान ही है क


उनके घर पर रखा ढे र सारा सामान न जाने कब काम आ जाए। इसी लए म आपको एक
ऐसी सुधारा मक रणनी त अपनाने का सुझाव दे रहा ,ँ जो उनक पै कग पाट से मलती-
जुलती है। सोशल मी डया वेबसाइट् स का इ तेमाल कए बना एक महीने का समय
बताने से आपको वा त वकता क जो खुराक मलेगी, उसक मदद से आप इस डर से
मु हो सकते ह क इनसे र रहकर आप वशेष काय म , चचा और साझा
सां कृ तक अनुभव जैसी खास चीज़ के अनुभव से वं चत रह जाएँगे। अ धकतर लोग के
लए वा त वकता क यह खुराक इस बात क पु करेगी क सोशल मी डया वेबसाइट् स
का आपके जीवन म कोई खास मह व नह है। यह बात आपके सामने सफ तभी
होती है, जब आप इन टू स से जुड़े माक टग संदेश के जाल से खुद को मु करने के लए
कड़ी मेहनत कर चुके ह गे।

मने आपसे कहा था क आपको तीस दन के अपने इस योग क सावज नक घोषणा


करने क कोई ज़ रत नह है। इसका कारण यह है क जस म के चलते लोग सोशल
मी डया वेबसाइट् स से बँध से जाते ह, कुछ लोग के लए उस म का एक पहलू यह
वचार है क लोग को उनक बात या ट प णयाँ सुनने म बड़ी दलच ी है और अगर वे
अचानक सोशल मी डया पर ये ट प णयाँ करना बंद कर दगे, तो लोग नराश हो जाएँगे।
शायद मेरे श द से आपको ऐसा लगा हो क म इन लोग का मज़ाक उड़ा रहा ँ पर यह
अंत न हत भावना ब त आम है और इससे नपटना ज़ री है। उदाहरण के लए ये श द
लखे जाने तक ट् वटर इ तेमाल करनेवाले हर के औसतन 208 फॉलोअस होते ह।
तो जब आपको यह पता हो क दो सौ से यादा लोग वे ा से आपक बात और
ट प णयाँ सुनना चाहते ह, तो आपको बड़ी आसानी से यह गलतफहमी हो सकती है क
इन वेबसाइट् स पर आपक स यता वाकई एक मह वपूण चीज़ है। मेरा काम भी सर
को अपने वचार बेचना ही है और म अपने अनुभव से कह सकता ँ क यह कसी नशे क
लत से कम नह है!

पर सोशल मी डया के इस युग म दशक से जुड़ी वा त वकता भी ज़रा अलग हो गई है।


दरअसल इन वेबसाइट् स के अ त व म आने से पहले अपने दो त और प रवार के सद य
से परे अपने लए कसी भी आकार का दशक-वग तैयार करने के लए त ध ढं ग से
कड़ी मेहनत करने क ज़ रत पड़ती थी। उदाहरण के लए 2000 के दशक क शु आत म
कोई भी अपना लॉग शु कर सकता था, ले कन उस समय हर महीने कुछे क नए
व जटस हा सल करने के लए भी खासी मेहनत करनी होती थी। इसके लए आपको
अपने लॉग म ऐसी मह वपूण सूचनाएँ तुत करना ज़ री था, जो लोग का यान ख च
सक। म इस क ठनाई से अ तरह वा कफ ँ। मने अपना पहला लॉग सन 2003 क
शरद ॠतु म शु कया था। इसका नाम था, ‘इं ाय रग मॉ नकर’। मने यह लॉग अपने
जीवन के क स को डायरी क तरह लखने के लए शु कया था। उस समय मेरी उ
20 साल थी और म कॉलेज का छा था। मुझे यह वीकार करते ए ज़रा श मदगी हो रही
है क उस समय कई बार ऐसा आ, जब कई-कई दन तक मेरे लॉग पर कोई व जटर
नह आया। इसके बाद अगले एक दशक म मने काफ धीरज रखते ए बड़ी मु कल से
अपने वतमान लॉग ‘ टडी है स’ के लए एक दशक वग तैयार कया। शु आत म जहाँ
इसके मु भर ही दशक थे, वह बाद म जाकर इसे हर महीने लाख लोग दे खने लगे। इस
एक दशक म ही मने सीखा क इंटरनेट पर लोग का यान अ जत करने के लए कड़ी
मेहनत क ज़ रत होती है।

पर अब ऐसा नह है।

मेरा मानना है क सोशल मी डया क बढ़ती वीकायता के पीछे का एक कारण ये है क


इसने वा त वक मू य उ पादन के पीछे छपी कड़ी मेहनत और लोग ारा आप पर यान
दए जाने के सकारा मक तफल के बीच के संबंध को तोड़ दया है। सोशल मी डया ने
इस शा त पूँजीवाद आदान- दान को हटाकर इसका एक सतही सामू हक वक प पैदा
कर दया है क अगर तुम मेरी बात पर यान दोगे, तो म भी तु हारी बात पर यान ँ गा -
भले ही हमारी बात का कोई वा त वक मू य और मह व हो या नह । उदाहरण के लए
ऐसा लॉग, मै जीन या टे ली वजन ो ाम का कंटट, जो आमतौर पर फेसबुक या ट् वटर
पर बड़ी सं या म मौजूद रहता है, उसे औसतन कोई दशक नह मलते। पर जब यही कंटट
सोशल मी डया क सामा य चय व वहार के दायरे के अंतगत तुत कया जाता है,
तो यह लाइ स और कमट् स के प म दशक का यान ख चने म कामयाब हो जाता है।
इस वहार को े रत करने के पीछे यह समझौता है क अपने दो त और फॉलोअस का
यान पाने के एहसान के बदले म आप भी उनके कंटट पर यान दगे। (जब क आप अपने
दो त और फॉलोअस का यान पाने के यो य नह ह, वे भी आपका यान पाने यो य नह
ह।) यानी यह कुछ ऐसा है क तुम सोशल मी डया पर मेरा टे टस अपडेट ‘लाइक’ करो
और म तु हारा टे टस अपडेट ‘लाइक’ क ँ गा। इस आपसी समझौते के चलते हर कसी
को ब त अ धक यास कए बना ही पया त मह व दे दया जाता है।

बना कसी को सूचना दए या बना कोई सावज नक घोषणा कए सोशल मी डया


वेबसाइट् स का इ तेमाल बंद करके आप एक कंटट ो ूसर के प म अपनी वा त वक
है सयत का भी पता लगा सकते ह। अ धकांश लोग और सेवा के लए यह खबर शांत
करनेवाली होगी - आपके करीबी दो त और प रवार के अलावा कोई और यह गौर
भी नह करेगा क आप सोशल मी डया वेबसाइट् स से र हो गए ह। म जानता ँ क इस
मु े पर ये सब कहते ए म आपको कसी खूसट और कठोर जैसा लग रहा ँ - पर
या इससे नपटने का कोई और तरीका है? इस बारे म चचा करना ज़ री है य क सर
क नज़र म अपना मह व पहचानने क यह भूख, लोग को बना सोचे-समझे अपना
क मती समय बरबाद करने और अपना यान भटकाने क ओर धकेलती रहती है।

जा हर है क कुछ लोग के लए 30 दन का यह योग मु कल होगा और कई परेशा नयाँ


खड़ी करेगा। उदाहरण के लए अगर आप कॉलेज के छा ह या एक इंटरनेट-पसनै लट
ह, तो सोशल मी डया से परहेज करना आपके जीवन को ज़रा ज टल बना दे गा, जो
प से नज़र भी आएगा। पर मुझे लगता है क अ धकांश लोग के लए इस योग का
प रणाम यह होगा क दै नक जीवन म सोशल मी डया क भू मका के बारे म आपका
कोण अ धक बु नयाद क म का हो जाएगा। यह योग करने से भले ही आपक
इंटरनेट संबंधी आदत म कुछ खास बदलाव न आए ह । सोशल मी डया वेबसाइट् स का
चार कुछ यूँ कया जाता है, मान वे इस आधु नक प से संबं संसार म हमारी जीवन
रेखा जैसी ह, जब क यह सच नह है। सोशल मी डया वेबसाइट् स भी सफ कुछ कंप नय
ारा तैयार कए गए ऐसे ोड ट ह, ज ह बे हसाब फं डग मली, जनक बड़ी सावधानी
से माक टग क गई और ज ह अंतत: इस कार डजाइन कया गया क वे आपका यान
और आपक गत जानकारी हा सल करके उसे व ापनदाता को बेच सक।
सोशल मी डया का इ तेमाल करना मजेदार हो सकता है पर जब आपके जीवन और
मह वाकां ा क बात हो, तो वे आपका यान भटकानेवाली उन मह वहीन चीज़ से
यादा कुछ नह ह, जो आपको गहनता म जाने से रोकती ह। या फर हो सकता है क
सोशल मी डया टू स ही आपके अ त व का क ह । वा त वकता या है, यह आपको
तब तक पता नह चलेगा, जब तक अपना जीवन उनके बना जीकर नह दे खते।

इंटरनेट का इ तेमाल अपने मनोरंजन के लए न कर

अं ेज लेखक आन बेनेट बीसव सद शु होने से कुछ साल पहले पैदा ए थे। यह


उनक मातृभू त इं लड क अथ व ा के लए एक बुरा दौर था। औ ो गक ां त क
आहट पछले कई दशक से सुनाई दे रही थी और अब इसके चलते एक नया वग - हाइट
कॉलर वकर - तैयार हो रहा था, जसके लए टश सा ा य के खजाने से पया त मा ा
म अ त र पूँजी ख ची जा चुक थी। अब एक ऐसी नौकरी संभव थी, जहाँ आप कसी
ऑ फस म हर स ताह एक न त अव ध तक काम करगे और इसके बदले म आपको
एक ाई वेतन मलेगा, जो घर चलाने के लए पया त होगा। वतमान युग म हम सब ऐसी
नौकरीवाली जीवनशैली से अ तरह प र चत ह पर बेनेट और उनके समकालीन के
लए यह एक बलकुल नई और कई मायन म परेशान करनेवाली चीज़ थी। इस बारे म
बेनेट क मु य चता म से सबसे पहली यह थी क इस नए वग के लोग त कालीन
तय म जीवन को संपूणता के साथ जीने के मौक से वं चत हो रहे ह।

सन 1910 म का शत अपनी ला सक से फ हे प कताब ‘हाउ टू लव ऑन 24 ऑवस


ए डे’ म बेनेट लखते ह, ‘उदाहरण के लए एक औसत लंदन नवासी कसी ऑ फस म हर
रोज सुबह दस बजे से शाम छह बजे तक काम करता है और उसे हर रोज ऑ फस आने-
जाने म लगभग 50 मनट लगते ह। उसके पास ऑ फस आने-जाने और वहाँ काम करने
के बाद रोज करीब-करीब 16 घंटे का समय बचता है।’ बेनेट के लए यह समय काफ था
पर ासद बात ये है क इस लंदन नवासी क ही तरह ब त से लोग को इस ढे र सारे
समय म छपी संभावना का एहसास ही नह होता। इसके बारे म बेनेट कहते ह, ‘यह
औसत लंदन नवासी सबसे बड़ी गलती ये करता है क अपने काम म आनंद न आने के
बावजूद भी (काम उसके लए एक ऐसी चीज़ है, जसे उसे नपटाना है) वह सुबह दस से
शाम छह तक के काम के समय को ही अपना दन मानता है और इस अव ध से पहले के
दस घंटे और बाद के छह घंटे उसके लए सफ आरंभ और अंत जैसे होते ह।’ बेनेट इस
कोण क नदा करते ए इसे पूणत: अता कक और हा नकारक करार दे ते ह।

इसका वक प या है? बेनेट सुझाव दे ते ह क यह ऑ फस के काम के बाद बचे


दन के 16 घंट को भी ‘एक दन’ क तरह दे खे। ‘इस दौरान वह वतं रहता है; रोजी-
रोट कमाने म नह जुटा होता; कमाई से जुड़ी चता म नह उलझा होता; इस दौरान वह
कसी ऐसे जैसा होता है, जो ऑ फस म काम करने के बजाय कसी और तरीके से
अपनी जी वका कमाता हो।’ इसी लए उस को अपना यह समय कसी अ भजा य
वग के क तरह बताना चा हए यानी आ म- वकास के कड़े यास करते ए। बेनेट
के अनुसार आ म- वकास के काय म सबसे मह वपूण ह, शानदार सा ह य और क वताएँ
पढ़ना।

बेनेट इन मु पर एक सद पहले ही ब त कुछ लख चुके थे। इस लए शायद आपको लगे


क इसके बाद के दशक म जब पूरी नया म म यम-वग का आकार व ोटक ग त से
बढ़ा, तो शायद अपने खाली समय के बारे म हमारी सोच भी काफ वक सत हो गई होगी।
ले कन ऐसा कुछ नह आ। अगर कुछ आ है, तो ये क इंटरनेट के उदय और सतही
यान से जुड़े काय क अथ व ा को इंटरनेट पूरा सहयोग करता है और इस
अथ व ा म स ताह म चालीस घंटे काम करनेवाले औसत कमचारी ने खाली समय क
गुणव ा को घटते दे खा है। ये कमचारी खासकर मेरी तकनीक- ेमी मले नयल जनरेशन
के ह। अब इस खाली समय म हर कोई मु यत: अपने भटके ए यान के साथ ड जटल
मनोरंजन से जुड़े कंटट पर लक करता रहता है। अगर बेनेट आज जदा होते, तो इस
े म इंसानी वकास क यह हालत दे खकर नराश हो गए होते।

म कर ँ क बेनेट के सुझाव के पीछे के नै तक आधार से मेरा कोई वा ता नह है।


महान कताब और क वताएँ पढ़कर म यम-वग के लोग के मन और आ मा के उ ान क
बेनेट क क पना कुछ हद तक ाचीन और उ -वग य सोच से सत लगती है। पर
उनक इस बात का ता कक आधार क आपको अपने खाली समय का उपयोग सोच-
समझकर करना चा हए - आज भी उ चत है। खासकर इस नयम के उ े य के संदभ म,
जो कुछ इस कार है: गहन काय करने क आपक मता पर नेटवक टू स का भाव
कम करना।

व तार से कह, तो अब तक इस नयम म हमने जन रणनी तय पर चचा क है, उनम से


कसी म भी हमने नेटवक टू स के ऐसे वग को यादा समय नह दया है, जो गहनता क
इस लड़ाई म खासतौर पर ासं गक ह। म बात कर रहा ँ, मनोरंजन-क त वेबसाइट् स
क , ज ह आपका यान आक षत करने और जतना हो सके, उतना लंबे समय तक उसे
जकड़कर रखने के लए ही डजाइन कया गया है। ये श द लखे जाने तक, ऐसी सबसे
मश र वेबसाइट् स क सूची म ह फ टन पो ट, बज़फ ड, बजनेस इनसाइडर और रे डट
सबसे ऊपर थ । ये सूची न त ही बदलती रहेगी पर इस ेणी क वेबसाइट् स म मु य
समानता यह होती है क ये सब आसानी से हण कए जानेवाले कंटे ट को सावधानी से
तैयार कए गए शीषक के साथ आपके सामने तुत करती ह। इसके साथ ही यादा से
यादा दशक का यान आक षत करने के लए इस कंटे ट को इंटरनेट ए गो र से खासी
मदद भी मलती है।

जैसे ही आप इनम से कसी भी वेबसाइट् स के कसी लेख के पेज पर प ँचते ह, तो पेज के


कनार पर और नीचे क ओर मौजूद ढे र सारे लक आपको अपनी ओर आक षत करने
लगते ह। जब आप उनम से कसी लक पर लक करते ह, तो उसके पेज पर प ँचने के
बाद एक बार फर ढे र सारे अ य लक आपको अपनी ओर आक षत करने म जुट जाते ह।
शीषक को ‘लोक य’ और ‘ े डग’ के तौर पर सूचीब करने से लेकर, आकषक
त वीर के इ तेमाल तक, ये वेबसाइट् स आपका मन लगाकर रखने के लए इंसानी
मनो व ान क सारी चाल चलती ह। उदाहरण के लए जस समय ये श द लखे जा रहे ह,
बज़फ ड पर मौजूद सबसे लोक य लेख म से कुछ लेख का शीषक इस कार था, ‘17
ऐसे श द ज ह उ टा लखने पर उनका अथ बलकुल बदल जाता है’ और ‘33 ऐसे पालतू
कु े जो हर मामले म वजेता सा बत हो रहे ह।’

ये वेबसाइट् स खासतौर पर तब और हा नकारक हो जाती ह, जब आप दनभर अपना


काम नपटाने के बाद इनका इ तेमाल करते ह य क तब ये आपके खाली समय का क
बन जाती ह। इसी तरह अगर आप कसी लाइन म लगे ए ह या खाना खा रहे ह या फर
कसी ट वी शो के लाइमे स का इंतजार कर रहे ह, तो उस समय ऐसी वेबसाइट् स
आपके लए एक मान सक बैसाखी का काम करने लगती ह ता क आपके बोर होने क
कसी भी संभावना को ख म कया जा सके। और जैसा क मने नयम-2 म कहा था, यह
खतरनाक है य क यह यान भटकने से रोकने क आपक सहज दमागी मता पर
नकारा मक भाव डालता है और बाद म जब आप वा तव म अपना यान क त करना
चाहते ह तो आपके लए गहन काय करना मु कल हो जाता है। इससे भी बदतर यह है क
ये सारे नेटवक टू स कोई ऐसी चीज़ नह ह, जनके इ तेमाल के लए आपको इनका
सद य बनना पड़ता हो। इसी लए ये ऐसी चीज़ नह ह, ज ह छोड़ने भर से आप उ ह
अपने जदगी से नकाल सक (इससे पछली दोन रणनी तयाँ अनु चत हो जाती ह)। ये
वेबसाइट् स ऐसी चीज़ ह, जो हमेशा उपल रहती ह और जनके लए आपको सफ एक
बार लक करना होता है।

सौभा य से आन बेनेट ने इस सम या का समाधान भी सौ साल पहले ही खोज लया


था, जो कुछ इस कार था, ‘अपने खाली समय पर समझदारी से वचार कर।’ सरे श द
म कह, तो यह रणनी त कहती है क जब खाली समय को सुकून से बताने क बात आए,
तो उन चीज़ के च कर म न पड़, जो उस समय यूँ ही आपका यान आक षत करने म
कामयाब हो जाती ह ब क इस बारे म ज़रा समझदारी से वचार कर क आपको अपना
यह खाली समय कैसे बताना है। याद रख क आपको अपना लती बनानेवाली ये
वेबसाइट् स एक शू य या नवात क त म फलती-फूलती ह। यानी अगर आपके पास
कोई काम नह है और आप खाली बैठे ह, तो ये वेबसाइट् स हमेशा एक आकषक वक प
के प म आपको अपनी ओर ख च रही होती ह। जब क अगर आप इनका इ तेमाल करने
के बजाय अपने खाली समय म कसी अ य गुणव ापूण चीज़ म त हो जाएँ, तो
आपके यान पर इनक पकड़ ढ ली पड़ने लगती है।

इसी लए यह मह वपूण है क आप पहले से ही यह नधा रत कर ल क आप हर रोज काम


नपटाने के बाद अपना शाम का व और अपना स ताहांत कैसे बताएँगे। अपने शौक पूरे
करना इस खाली समय को बताने का एक ब ढ़या वक प है य क हर शौक के पीछे
एक ल य होता है, जसे पूरा करने के लए आप कोई न त काय करते ह। जैसे हर
रात सोने से पहले कताब पढ़ना। इसके लए हर रात एक न त अव ध पहले से तय
होनी चा हए, जहाँ आप खासतौर पर अपनी पसंद क कताब का चुनाव कर। नय मत
प से ऐसा करने पर आप ब त सी शानदार कताब पढ़ सकते ह। यह वाकई एक कमाल
का वक प है य क कताब आपक सबसे ब ढ़या दो त सा बत हो सकती ह। उदाहरण
के लए मने अपने जीवन म हर साल ढे र कताब पढ़ ह य क म एक ोफेसर और
लेखक ँ इस लए कताब पढ़ना मेरे पेशे क ज़ रत है (म एक समय म औसतन तीन से
पाँच कताब एक साथ पढ़ रहा होता )ँ । यह इस लए संभव हो पाता है य क हर रात
अपने ब को सुलाने के बाद मेरी पसंद दा ग त व ध है, कोई दलच कताब पढ़ना।
इसके प रणाम व प मेरा माटफोन और कं यूटर अगली सुबह तक मुझसे र पड़े रहते ह
और इसी लए मेरा यान भी नह भटकता।

इस ब पर आकर शायद आपको यह चता सताने लगे क अपने खाली समय को इतने
योजनाब और व त ढं ग से बताने से आपको आराम महसूस नह होगा, जब क
खाली समय का मु य उ े य आराम ही है। दरअसल अ धकतर लोग को यही लगता है
क खाली समय म आराम करने के लए पूण वतं ता ज़ री है और आपको वह समय
बना कसी योजना के बताना चा हए, वरना खाली समय का या फायदा। जैसे अगर
शाम का व बना कसी योजना के आराम फरमाते ए बताने के बजाय व त और
योजनाब ढं ग से बताया जाए, तो अगले दन भी थकान महसूस होती रहती है। तो फर
भला अपने खाली समय को योजनाब तरीके से य बताया जाए? वा तव म बेनेट ने
ब त पहले ही इस शकायत को पहचान लया था। इस लए उनका कहना था क इस तरह
क चताएँ इस लए पैदा होती ह य क इंसान इस बात को लेकर गलतफहमी म है क
उसक मानवीय भावना को कौन सी चीज़ स य और ऊजावान बनाती है:

या? तु ह लगता है क काम के आठ घंट के बाद तु हारे पास जो सोलह घंटे का समय
बचता है, उस समय को पूणत: ऊजावान बनाने से उन आठ घंट का मू य कम हो जाता
है? नह । ब क इससे तो उन आठ घंट का मू य बढ़ जाएगा। मने जस औसत लंदन
नवासी क क पना क है, उसके लए यह सीखना सबसे मह वपूण होगा क इंसानी
दमाग नरंतर क ठन ग त व धय के लए पूरी तरह स म होता है; वह इंसान के अ य
अंग क तरह थकता नह है। अगर उसक न द क वाभा वक ज़ रत पूरी हो रही हो, तो
उसके बाद उसे कसी आराम क नह ब क सफ बदलाव क ज़ रत होती है।

मेरा अनुभव कहता है क बेनेट का यह व ेषण बलकुल सही है। अगर आप काम के
आठ घंट के दौरान अपने दमाग को कोई साथक काय करने दे ते ह, तो दन के अंत म
आप खुद को अ धक प रपूण महसूस करते ह और अगले दन क शु आत भी अ धक
मान सक शां त के साथ करते ह। जब क अगर आपने दनभर अपना दमाग अथहीन ढं ग
से यूँ ही बेकार क वेबस फग करने म लगाया होगा, तो दन के अंत म और अगली सुबह
आप खुद को प रपूण और शांत महसूस नह करगे।

आ खर म अगर म इसका सारांश तुत क ँ , तो यही क ँगा क अगर आप मनोरंजक


वेबसाइट् स के उस आकषण को ख म करना चाहते ह, जो कसी नशे क लत जैसा होता
है और आपका ढे र सारा समय व यान खच करवा दे ता है, तो अपने दमाग को इसका
एक बेहतर और गुणव ापूण वक प द। इससे न सफ आपक यान क त करने क
और यान भटकने से रोकने क मता बची रहेगी ब क हो सकता है क आप अपने
जीवन म पहली बार आन बेनेट के उस मह वाकां ी ल य को भी पूरा कर ल क जदगी
चलाने के बजाय जदगी जीने का अनुभव महसूस करना या होता है।
1 इ फॉरमेशन और एंटरटे नमट को मलाकर बना एक श द, जसका अथ है ऐसा मी डया,
जो सूचना के साथ-साथ मनोरंजन भी दान करे। जैसे टे ली वजन और इंटरनेट वेबसाइट् स
आ द।

2 यहाँ यान द क इंटरनेट सबै टकल और नयम-2 म उ ले खत इंटरनेट सैबथ का अथ


समान नह ह। इंटरनेट सैबथ का अथ होता है, इंटरनेट से नय मत प से छोटे -छोटे ेक
या छु लेना (आमतौर पर स ताह म एक दन), जब क इंटरनेट सबै टकल का अथ होता
है, अपने ऑनलाइन जीवन से एक लंबा ेक लेना, जो कई स ताह या उससे भी यादा
लंबी अव ध तक चल सकता है।

3 ऐसे मवे शय का माँस ज ह हमेशा कृ म क टनाशक के बना उगाई गई घास खलाई


गई हो व हाम स और एंट -बायो टक न दए गए ह ।

4 म का संहनन वह या है, जसम म पर रोड रोलर जैसी मशीन चलाकर उस पर


तनाव उ प कया जाता है, जससे म म घन व बढ़ जाता है और म के दान के बीच
क हवा छ से बाहर नकल जाती है।

5 वा तव म इस कार के व ेषण ही फेसबुक पर मेरे न होने का औ च य स करते ह।


मने कभी फेसबुक पर अपना अकाउं ट नह बनाया और इसी लए म इसके उन सभी छोटे -
मोटे लाभ से वं चत रहा ँ, जनका उ लेख अब तक कया गया है। पर इससे एक संप
और लाभ द सामा जक जीवन जीने क मेरी इ ा कसी भी तरह भा वत नह ई है।

6 इस वचार को कई नाम से जाना जाता है, जैसे 80/20 का नयम, पारेतो का स ांत
वगैरह और अगर आप खासतौर पर ज़रा धूत महसूस कर रहे ह, तो इसे कारक वरलता
का स ांत भी कह सकते ह।
नयम

4: सतही काय से छु टकारा पाएँ

सन 2007 क ग मय म ‘37 सगन स’ नामक सॉ टवेयर कंपनी ( जसे अब बेसकै के


नाम से जाना जाता है) ने एक योग शु कया। कंपनी ने अपने कमचा रय को नदश
दया क अब उ ह स ताह म पाँच दन के बजाय सफ चार दन ही ऑ फस आना होगा।
इसके बाद ज द ही कंपनी को एहसास आ क उनके कमचारी जतना काम पाँच दन म
पूरा करते थे, अब वे उतना ही काम चार दन म कर लेते ह। इस लए कंपनी ने इस बदलाव
को ाई कर दया। अब हर साल मई से अ टू बर तक 37 सगन स के कमचारी हर
स ताह सोमवार से गु वार तक ही काम करते ह ( सफ क टमर केयर वभाग को छोड़कर,
जो अब भी स ताह भर चलता है।) कंपनी के सह-सं ापक जेसन ाइड इसके बारे म
अपनी एक लॉग पो ट म चुटक लेते ए कहते ह, ‘ग मय म लोग को मौसम का आनंद
लेने का मौका मलना चा हए।’

ज द ही ावसा यक खबर का शत करनेवाले मी डया म इस मसले पर तरह-तरह क


बात शु हो ग । चार दन के कामकाजी स ताह को ाई प दे ने क घोषणा के कुछ ही
महीन बाद तारा वज़ नामक एक प कार ने फो स प का म इस नणय क आलोचना
करते ए एक लेख लखा, जसका शीषक था : ‘चार दन का कामकाजी स ताह कारगर
य नह है!’ कंपनी क इस रणनी त से तारा वज़ को जो सम या थी, उसे उ ह ने इस
कार तुत कया:

चालीस घंट के काय को चार दन क अव ध म ठूँ स दे ना काम करने का कोई कारगर


तरीका नह है। अ धकतर लोग को आठ घंटे का काय दवस ही खासा क ठन लगता है;
ऐसे म हर रोज दो घंटे यादा काम करने से उनका मनोबल और उ पादकता, दोन म कमी
आ सकती है।

जेसन ाइड ने तारा वज़ क इस आलोचना का जवाब दे ने म ज़रा भी दे र नह क ।


उ ह ने इसके जवाब म एक लॉग पो ट लखी, जसका शीषक था, ‘चार दन के
कामकाजी स ताह का वचार फो स क समझ से बाहर है!’ उ ह ने अपनी इस लॉग पो ट
क शु आत तारा वज़ क बात से सहम त जताते ए क : ‘इसम कोई दोराय नह क
चालीस घंटे के काम को चार दन क अव ध म ठूँ स दे ना कई कमचा रय के लए
तनावपूण हो सकता है।’ पर साथ ही उ ह ने कया क उ ह ने तो अपने कमचा रय
से ऐसा कुछ करने के लए कहा ही नह है। अपनी लॉग पो ट म उ ह ने आगे लखा, ‘चार
दन के कामकाजी स ताह का मु य उ े य दरअसल काम के घंट म कमी लाना है।
इसका अथ स ताह म चार दन दस-दस घंटे काम करना नह है ब क चार दन तक रोज
आठ-आठ घंटे काम करना है।’

हो सकता है क पहली बार म यह बात ामक लगे। इससे पहले ाइड का कहना था क
उनके कमचारी जतना काम पाँच दन म पूरा करते थे, उतना ही काम वे चार दन म भी
कर लेते ह। जब क अब वे यह दावा कर रहे थे क चार दन के कामकाजी स ताह का अथ
है कम घंट तक काम करना। भला ये दोन बात एक साथ सच कैसे हो सकती ह?
आ खरकार आ क यह पूरा मामला सतही यानी कम मह वपूण लगनेवाले काय से
जुड़ा आ है। इसे ाइड ने व तारपूवक समझाया :

कसी भी कंपनी म ब त कम कमचारी ही ऐसे होते ह, जो वाकई हर रोज आठ घंटे काम


करते ह। एक सामा य काय दवस म ऑ फस क तमाम मी ट स्, कावट , वेब स फग,
गत काय और ऑ फस क राजनी त के बीच अगर आपको काम करने के लए
कुछे क घंट का समय मल जाता है, तो आपको भा यशाली ही कहा जाएगा।

कामकाजी घंट क सं या कम करने से ऐसी थ क ग त व धय पर अंकुश लगता है।


दरअसल जब हर कसी के पास अपना काम नपटाने के लए अपे ाकृत कम समय होता
है, तो उ ह यह एहसास हो जाता है क उनका समय कतना मह वपूण है। इससे लोग
अपने समय को थ चीज़ म खच करने के मामले म ज़रा कंजूस हो जाते ह, जो क एक
अ बात है। फर वे अपना समय मह वहीन चीज़ म बरबाद नह करते। जब आपके
पास कम समय होता है, तो आप उसका इ तेमाल भी अ धक समझदारी से करते ह।

सरे श द म कह, तो 37 सगन स के कामकाजी स ताह म दन क सं या घटने से


कंपनी के कमचारी सतही काय के बजाय गहन काय पर अ धक यान दे ने लगे। जसके
चलते सारे मह वपूण काय अपनी ग त से पूरे होते रह। पहले जन सतही काय को त काल
पूरा करने पर जोर दया जाता था, अब हर कसी को अपने त प से वे काय मह वहीन
लगने लगे।

‘अगर 37 सगन स इससे भी एक कदम आगे चली गई होती, तो या होता?’ यह इस


योग पर सामने आनेवाली एक वाभा वक त या है। अगर सतही काय पर खच
होनेवाले समय म कटौती करने से, कंपनी के प रणाम पर कोई असर नह पड़ता है, तो
तब या होता, जब कंपनी ने सतही काय को ख म करके, बचे ए खाली समय का
इ तेमाल और अ धक गहन काय करने म कया होता? सौभा य से हमारी यह ज ासा भी
अगली कुछ पं य म शांत हो जाएगी। य क कंपनी ने ज द ही इस साहसी वचार पर
भी योग करना शु कर दया।

ाइड को हमेशा से ही गूगल जैसी टे क-कंप नय क नी तय म खासी दलच ी थी, जो


कमचा रय को व- नद शत ोजे ट् स पर काम करने के लए अपना 20 तशत समय
दे ती है। हालाँ क ाइड को यह वचार आकषक लगा, ले कन उ ह यह भी लगा क एक
त कामकाजी स ताह से एक दन घटा दे ना, स ी सफलता दे नेवाले गहन काय को
सहयोग करने के लए काफ नह है। वे कहते ह, ‘अगर मुझे कसी काय के लए ‘लगातार
पाँच दन’ और ‘पाँच स ताह क अव ध म पाँच अलग-अलग दन’ जैसे दो वक प दए
जाएँ, तो म न त ही ‘लगातार पाँच दन’ का वक प चुनूँगा। इस लए हमारा मानना है
क अगर हमारे कमचा रय को बना कसी कावट के एक साथ लंबा समय मले, तो
इससे हम बेहतर प रणाम दे खने को मलगे।’

इस मा यता का परी ण करने के लए 37 सगन स ने एक वल ण योग कया : कंपनी


ने अपने कमचा रय को जून के पूरे महीने का अवकाश दे दया ता क वे अपने गत
ोजे ट् स म गहनता से काय कर सक। यह अव ध ऑ फस के कसी भी सतही काय से
मु थी - न कोई टे ट्स मी टग, न कोई मेमो और न कोई पावर पॉइंट ेजे टे शन, जो
अपने आपम कसी आशीवाद से कम नह था। महीने के आ खर म कंपनी ने एक ‘ पच-
डे’ यानी तु त- दवस का आयोजन कया, जसम कमचारी उन वचार को तुत कर
सकते थे, जन पर उ ह ने इस एक महीने क अव ध म काम कया था।

इंक प का म अपनी कंपनी के इस साह सक योग का सारांश तुत करते ए ाइड ने


इसे सफल करार दया। कंपनी ारा आयो जत ‘ पच-डे’ से दो ऐसे ोजे ट सामने आए,
जन पर ज द ही काम शु कर दया गया : इनम से पहला ोजे ट था, कुछ कारगर टू स
के एक समूह का वकास करना, जसक मदद से ाहक सेवा को बेहतर बनाया जा सके।
जब क सरा ोजे ट था, एक ऐसा डाटा वजुअलाइजेशन स टम तैयार करना, जससे
कंपनी को यह समझने म मदद मले क ाहक उसके ोड ट् स का उपयोग कैसे करते ह।
कंपनी का अनुमान था क इन दोन ोजे ट् स से उसे काफ लाभ होगा पर यह तब तक
संभव नह था, जब तक कमचा रय को बना कसी कावट के गहन काय करने का समय
न दया जाए। वे अपनी मता के अनुसार काम कर सक, इसके लए ज़ री था क उ ह
दजन घंट तक बना कावट के लगातार को शश करने द जाए।
‘नए वचार के साथ योग करने के लए अपने वसाय को अ ाई प एक महीने के
लए बंद कैसे कया जा सकता है?’ ाइड अपने शा दक आडंबर के साथ पूछते ह और
फर अपने ही सवाल का जवाब दे ते ए कहते ह, ‘भला ऐसा य नह कया जा सकता!’

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37 सगन स के इन योग ने एक मह वपूण वा त वकता को उजागर कया : वह सतही


काय (कम मह वपूण काय), जो नॉलेज वकस के समय और यान पर लगातार हावी रहता
है, वह जतना मह वपूण नज़र आता है, उतना मह वपूण नह होता। अ धकतर वसाय
म अगर आप अ धकांश सतहीपन से छु टकारा पा ल, तब भी आमतौर पर इस बात क पूरी
संभावना होती है क कंपनी का मूल आधार इससे अ भा वत रहेगा। और जैसा क जेसन
ाइड को पता चला, अगर आप सतही काय से छु टकारा पाने के बाद बचे ए खाली
समय म अ धक गहन काय करते ह, तो न सफ आपका वसाय चलता रहेगा ब क वह
और अ धक सफल भी हो जाएगा।

यह नयम आपसे इन अंत य को अपनी ावसा यक जदगी म भी लागू करने क माँग


करता है। आगे जो भी रणनी तयाँ बताई गई ह, उ ह इस कार डजाइन कया गया है क
आप उनक मदद से अपने वतमान काय क गंभीरता क पहचान कर सक और फर उसे
घटाते ए न नतम तर पर ला सक - जससे आपके पास उन गहन यास के लए
अ धक समय बचेगा, जो वा तव म सबसे अ धक मह वपूण होते ह।

हालाँ क इन रणनी तय क गहराई म जाने से पहले हम इस वा त वकता का सामना


करना होगा क इस सतहीपन- वरोधी सोच क अपनी एक सीमा भी है। गहन काय का
मह व, सतही काय के मह व से कह यादा है, पर इसका अथ ये नह है क आप जानते-
बूझते अपना श ूल ऐसा बना ल, जहाँ आप अपना सारा समय सफ गहन काय म ही
लगा रहे ह । नॉलेज वक के े से जुड़ी अ धकतर नौक रय म ढे र सारा सतही काय
करना ज़ री होता है। हो सकता है क सतही काम से छु टकारा पाकर आप हर दस मनट
म अपना ई-मेल चेक करने से बच जाएँ पर अगर आप मह वपूण ई-मे स का जवाब दे ना
ही बंद कर दगे, तो संभव है क कुछ ही दन म आपको अपनी नौकरी गँवानी पड़ जाए।
इसी लए हम इस नयम को इस कार दे खना चा हए क यह हमसे अपने श ूल म
सतही काय क मा ा कम करने को कहता है, न क उसे पूरी तरह ख म करने को कहता
है।
फर मान सक मता का मु ा भी है। गहन काय करना थकानभरा होता है य क इसम
आप अपनी मता का संपूण उपयोग करते ह। उ े यपूण- दशन के वशेष
मनो व ा नक ने इस वषय पर व तृत अ ययन कए ह क एक औसत के लए
एक दन क अव ध म ऐसे यास करना कतनी दे र तक संभव होगा। (1 ) एंडस ए र सन
और उनके सहयो गय ने अपने एक अ यंत भावशाली शोधप म इन अ ययन पर अपने
सव ण का सार तुत कया है। इसम उ ह ने बताया क जस ने नया-नया ऐसा
करना शु कया हो, वह एक दन म उ चत प से अ धकतम एक घंटे तक गहन यास
कर सकता है। इसके उदाहरण के तौर पर उ ह ने ऐसे ब े के बारे म बताया है, जसने
कम उ म ही वशेष - तर का कौशल दखाना शु कर दया था। जब क जो लोग गहन
यास क वाभा वक कठोरता का अनुभव पहले भी कई बार कर चुके ह, उनके लए यह
सीमा आमतौर पर एक दन म चार घंटे क होती है। ब त कम लोग ही ऐसे होते ह, जो
एक दन म चार घंटे से यादा गहन यास कर सकते ह।

इसका अथ ये है क जब आप एक दन क अव ध म गहन काय करने क अपनी मता


क अ धकतम सीमा तक प ँच जाते ह, उसके बाद भी अगर आप और अ धक गहन काय
करने क को शश करते ह, तो उससे आपको कम लाभ होता है। जब क सतही काय तब
तक बुरा नह होता, जब तक वह एक दन क अव ध म ए गहन काय क जगह न लेने
लगे। शु -शु म यह चेतावनी कुछ आशावाद क म क लग सकती है। एक सामा य
काय दवस आमतौर पर आठ घंटे का होता है और सबसे कुशल गहन वचारक भी इन
आठ घंट क अव ध के दौरान स ी गहनता क अव ा म चार घंटे से यादा नह बता
सकता। यानी आप अपने आठ घंटे के काय दवस का आधा समय बड़ी आसानी से सतही
काय करते ए बता सकते ह और इसका कोई नकारा मक भाव भी नह पड़ेगा।
हालाँ क यह व ेषण जस खतरे को पहचानने म असफल रहा है, वह ये है क अगर
आप मी ट स, अपॉइंटमट् स, फोन कॉ स और अ य तयशुदा काय म को यान म रख तो
यह समझना मु कल नह है क ये समय-अव ध भी कतनी आसानी से खच हो सकती है।
ऐसी कई नौक रयाँ ह, जनम इन ग त व धय म इतना समय खच हो जाता है क लोग के
पास काम करने के लए आ यजनक प से ब त ही कम समय बचता है।

उदाहरण के लए एक ोफेसर के प म मेरे काम म इस कार क सतही वचनब ताएँ


पारंप रक प से कम ही रहती ह, इसके बावजूद इनम मेरा ब त सा समय खच हो जाता
है, खासकर शै णक वष के दौरान। उदाहरण के लए अगर म पछले स म से कसी
एक दन क बात क ँ (यह अ याय ग मय के महीने म लखा गया था) तो म दे खता ँ क
उस दन मने दोपहर 11:00 से 12:00 बजे के बीच और दोपहर 1:00 से 2:30 बजे के बीच
दो मी ट स् म ह सा लया और फर 3:00 से 5:00 बजे के बीच अपनी क ाएँ ल । इस
तरह दे खा जाए तो मेरा आठ घंटे का दन अपने आप वत: ही चार घंटे का हो गया। अब
अगर म इसम से आधे घंटे का समय ई-मेल चेक करने और ऐसे ही अ य सतही काय के
लए ले लूँ, तब भी अपने त दन के ल य के अनुसार मेरे पास गहन काय करने के लए
चार घंटे का समय नह बचेगा। सरे श द म कह, तो भले ही हमारे अंदर यह मता नह
होती क हम अपना पूरा दन गहनता क अव ा म बता सक, ले कन इससे सतही काय
को कम करने क हमारी को शश कम नह होनी चा हए। य क एक नॉलेज वकर का
सामा य दन जतना बखरा आ होता है, अ धकांश लोग के लए उसक क पना करना
भी मु कल है।

सं ेप म कहा जाए, तो म आपसे सतही काम को संदेहपूवक करने को कह रहा ँ य क


इससे होनेवाले नुकसान को अ सर ब त कम करके आँका जाता है और इसके मह व को
अ सर ब त बढ़ा-चढ़ाकर पेश कया जाता है। इस कार के काय करना अ नवाय होता है
पर आपको इ ह एक सीमा म ही रखना चा हए ता क ये गहन यास से लाभ ा त करने
क आपक मता को भा वत न कर सक। य क अंतत: गहन काय ही इस बात को
नधा रत करता है क आप अपने े म कतने भावी सा बत ह गे। आगे आपको इससे
जुड़ी जन रणनी तय से प र चत कराया जाएगा, वे इस वा त वकता के बीच काय करने
म आपका सहयोग करगी।

अपने दन के एक-एक मनट का श ूल बना ल

अगर आपक उ प ीस से चौतीस वष के बीच है और आप टे न म रहते ह, तो आप


अपने अनुमान से कह अ धक ट .वी. दे खते ह। सन 2013 म टे न के ट .वी. लाइस सग
ा धकरण ने दशक क ट .वी. दे खने से जुड़ी आदत पर एक सव ण कया। इस सव ण
म ह सा लेनेवाले प ीस से चौतीस वष के बीच क उ के लोग का अनुमान था क वे
हर स ताह करीब पं ह से सोलह घंटे ट .वी. दे खते ह। सुनने म यह काफ यादा लगता है,
पर वा तव म इन लोग ने अपनी ट .वी. दे खने क अव ध को ब त कम करके आँका था।
हम यह बात इस लए जानते ह य क ट .वी. दे खने संबंधी आदत के मामले म हम
वा त वकता से अ तरह प र चत ह। ॉडका टर ऑ डयंस रसच बोड ट .वी.
दे खनेवाले प रवार म से कुछे क को त न ध नमूने के तौर पर चुनकर उनके घर म एक-
एक मीटर लगा दे ता है। ये मीटर बना कसी पूवा ह के यह रकॉड करते ह क लोग
वा तव म कतना ट .वी. दे खते ह। प ीस से चौतीस वष क उ के बीच के लोेग, ज ह
लगता था क वे हर स ताह लगभग पं ह से सोलह घंटे ट .वी. दे खते ह, वा तव म हर
स ताह करीब अ ाइस घंटे ट .वी. दे खते थे, जो उनके अनुमान से कह यादा था।

दरअसल समय का यह गलत अनुमान सफ टे न के ट .वी. दशक तक ही सी मत नह


है। जब भी कोई समूह अपने व भ वहार के संदभ म आ म-मू यांकन करता है, तो
उससे अ सर यही गलती होती है। वसाय-ले खका लॉरा वडरकम ने वॉल ट जनल
के लए इसी वषय पर एक लेख लखा था, जसम उ ह ने ऐसे ही अ य कई उदाहरण क
ओर इशारा कया था। नेशनल लीप फाउं डेशन के एक सव ण से पता चला क
अमे र कय को लगता है क वे हर रात औसतन 07 घंटे सोते ह। पर अमे रकन टाइम यूज़
सव से जुड़े लोग ने अपनी न द को सचमुच मापकर दे खा और बताया क वा तव म हर
रात औसतन न द का आँकड़ा 07 घंटे का नह ब क 8.6 घंटे का है। एक अ य सव ण से
पता चला क जो लोग त स ताह औसतम 60 से 64 घंटे काम करने का दावा करते ह, वे
वा तव म हर स ताह औसतन करीब 44 घंटे ही काम करते ह। जब क जो लोग त
स ताह 75 घंटे से यादा काम करने का दावा करते ह, वे हर स ताह औसतन सफ 55 घंटे
ही काम करते ह।

ये सारे उदाहरण एक मह वपूण ब को रेखां कत करते ह : हम दनभर म अ धकतर


समय ऑटो-पायलट मोड म रहते ह - यानी हम इस बात पर यादा यान नह दे रहे होते
क हम अपने समय को कस कार खच कर रहे ह। यह अपने आपम एक सम या है।
अगर गहन काय और सतही काय के बीच आपका वतमान संतुलन सही नह है और अगर
आप अपने काम शु करने से पहले पलभर के लए ठहरकर यह पूछने क आदत
वक सत नह करते क ‘इस समय या करना सबसे बेहतर होगा’ तो मह वहीन चीज़ को
अपने श ूल पर हावी होने से रोकना मु कल हो जाएगा। आगे के पैरा ाफ म व णत
रणनी त आपको ये सारे वहार अपनाने के लए मज़बूर करने के उ े य से तैयार क गई
है। शु आत म ये वचार ज़रा अ तवाद क म का लग सकता है, ले कन ज द ही यह
सा बत हो जाएगा क गहन काय के मह व का पूरा लाभ उठाने क आपक को शश के
लए यह वचार आव यक है क अपने दन के एक-एक मनट का श ूल बना ल।

मेरा एक सुझाव है : इस उ े य क पू त के लए अपने पास लाइन वाली एक नोटबुक रख


और हर रोज अपने काय दवस क शु आत म इसका एक नया पेज खोल। पेज के बा
ओर हर सरी लाइन को दन के एक घंटे के तौर पर च हत कर। इन घंट क सं या
उतनी ही होनी चा हए, जतने घंटे आप आमतौर पर रोज काम करते ह। अब आता है
इसका सबसे मह वपूण ह सा: अपने काय दवस के घंट को अलग-अलग लॉ स म
वभा जत कर ल। उदाहरण के लए अपने कसी ाहक क ेस रलीज लखने के लए
सुबह 09 से 11 बजे के बीच के समय को एक लॉक म रख ल। इसके लए आप उस पेज
पर एक ऐसा लॉक बनाएँ, जो इन घंट को च हत करनेवाली लाइ स को कवर करता
हो। इसके बाद उस लॉक के अंदर ‘ ेस रलीज’ लख द। हालाँ क यह ज़ री नह है क
आपका हर लॉक कसी न त काय के लए ही आर त कया जाए। आप लंच और
चाय-ना ते के े स के लए भी लॉ स आर त कर सकते ह। नोटबुक के पेज पर
उ ले खत चीज़ को रखने के लए हर लॉक कम से कम तीस मनट का होना चा हए
(यानी आपके पेज क एक लाइन पर च हत होना चा हए) इसका अथ है क अपने हर
छोटे -छोटे काम के लए - जैसे बॉस के ई-मेल का जवाब दे ना, तपू त
(Reimbursement) फॉम जमा करना, अपने सहकम से कसी मह वपूण रपोट के बारे
म पूछना वगैरह। एक-एक लॉक बनाने के बजाय आप समान चीज़ को कसी एक लॉक
म भी रख सकते ह। साथ ही पेज पर बने कसी एक लॉक से पेज के दा ओर तक एक
लाइन ख चकर आप उन सभी चीज़ क सूची भी बना सकते ह, जो आपको उस
लॉकवाले काय को पूरा करने के लए ज़ री ह। यह आपके लए काफ उपयोगी सा बत
हो सकता है।

अपने दनभर का श ूल तैयार करते समय यह सु न त कर क आपके समय का एक-


एक मनट कसी न कसी लॉक का ह सा ज़ र हो। ऐसा करके आप दरअसल अपने
काय दवस के हर मनट के लए कोई न कोई काय तय कर रहे होते ह। यह श ूल तैयार
होने के बाद हर रोज इसका पालन कर।

यही वह ब है, जहाँ अ धकांश लोग को सम या हो सकती है। जैस-े जैसे आपका
काय दवस आगे बढ़ता है, आपके श ूल क दो चीज़ ऐसी ह, जो गड़बड़ हो सकती ह
(या यूँ कह क ज़ र गड़बड़ ह गी)। इनम से पहली ये है क आपका अनुमान गलत
सा बत होगा। उदाहरण के लए, हो सकता है क आपने एक ेस रलीज लखने के लए
दो घंटे का समय आर त कर रखा हो, जब क वा तव म जब आप ेस रलीज लखने
बैठ, तो उसे पूरा करने म आपको दो घंटे के बजाय ढाई घंटे का समय लग जाए। वह
सरी गड़बड़ ये है क आपने जस समय जो काम करना नधा रत कया है, उसम कोई
बाधा आ जाए या आपके सामने अचानक ही कोई नया मह वपूण काय आ जाए, जसे
त काल पूरा करना ज़ री हो। इस तरह क चीज़ से आपका श ूल गड़बड़ा सकता है।

अगर आपका श ूल गड़बड़ा गया है, तो जैसे ही मौका मले, थोड़ा सा समय नकालकर
आपको उसम ज़ री बदलाव कर लेना चा हए। आप चाह, तो नोटबुक का एक नया पेज
खोल सकते ह या फर पुराने लॉ स को मटाकर नए लॉ स बना सकते ह। या फर आप
वह कर सकते ह, जो म करता :ँ अपने काय दवस के बाक घंट के लए बने लॉ स पर
ॉस का नशान लगाकर उ ह काट दे ना और उनके दा ओर पेज के खाली ह से म नए
लॉ स बना लेना (म अपने लॉ स ब त पतली-पतली लाइ स के साथ बनाता ँ ता क
ज़ रत पड़ने पर उनम बदलाव करना आसान रहे)। हो सकता है क कभी-कभी आपको
अपने श ूल म कई बार बदलाव करना पड़े। अगर ऐसा हो, तो परेशान न ह । आपका
उ े य कसी भी क मत पर कसी एक श ूल से चपके रहना नह है ब क आपका
उ े य ये है क आप सोच- वचार के साथ अपने समय का सही इ तेमाल कर - भले ही
जैस-े जैसे आपका काय दवस बीते, वैसे-वैसे आपको अपने नणय पर बार-बार फर से
काम करना पड़े।

अगर आपको लगे क आपको अपने श ूल म बार-बार बदलाव करने क ज़ रत पड़


रही है, तो कुछ ऐसी यु याँ ह, जो इससे नपटने म आपक मदद कर सकती ह। सबसे
पहले आपको समझ लेना चा हए क कस काम के लए कतने समय क ज़ रत पड़ेगी,
इस बारे म आपका अनुमान शु -शु म अ सर गलत सा बत होगा। जब लोग म यह
आदत नई-नई वक सत होती है, तब वे अपने श ूल के बारे म जो भी अनुमान लगाते ह,
वह वा त वकता कम और उनक मनचाही क पना अ धक होता है। इसी लए समय के
साथ आपक को शश यह होनी चा हए क आप इस बात का सही अनुमान लगा सक क
कस काम के लए कतने समय क ज़ रत पड़ेगी।

सरी यु जो आपके लए मददगार सा बत हो सकती है, वह है अ त र लॉ स का


इ तेमाल। अगर आप इस बात को लेकर न त नह ह क कोई काय करने म कतना
समय लगेगा, तो आपको उसम जतना समय लगने क उ मीद हो, उसका लॉक बना ल
और साथ ही अ त र उ े य के लए एक अ य लॉक भी बना ल। अगर आपको पछली
ग त व ध के लए और अ धक समय क ज़ रत हो, तो इस पर आगे काम करते रहने के
लए इस अ त र लॉक का इ तेमाल कर। जब क काय न त समय पर ख म होने क
त म, उस अ त र लॉक के लए पहले से ही एक वैक पक उपयोग तय करके रख
(जैसे कुछ ऐसे काय, ज ह त काल पूरा करना ज़ री न हो)। इससे श ूल म कोई
बदलाव कए बना ही यह तय हो सकेगा क आपके सामने अनपे त तयाँ न बन।
जैसे अगर हम अपने ेस रलीज वाले पछले उदाहरण पर वापस लौट, तो भले ही आपने
ेस रलीज लखने के लए दो घंटे का समय आर त कया हो पर साथ ही एक घंटे का
एक अ त र लॉक भी बना ल, ता क ज़ रत पड़ने पर आप उस अ त र एक घंटे को
भी ेस रलीज लखने पर खच कर सक। अगर इसक ज़ रत न पड़े, तो उस अ त र
समय को आप अपने ई-मे स चेक करने और जवाबी ई-मेल भेजने के लए इ तेमाल कर
सकते ह।

तीसरी यु है, काय संबंधी लॉ स के इ तेमाल को लेकर उदार रह। अपने पूरे काय दवस
म कई लॉ स लागू कर और सुबह के काय को पूरा करने के लए बनाए गए लॉ स को,
जतनी ज़ रत हो, उससे थोड़ा यादा बड़ा बनाएँ। एक साधारण नॉलेज वकर के
काय दवस के दौरान कई सारी अनपे त चीज़ सामने आती रहती ह: इन अनपे त काय
के लए अगर आप पहले से ही कुछ अ त र लॉ स के प म थोड़ा सा अ त र समय
आर त करके रख, तो सब कुछ सुचा प से चलता रहेगा।

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आप इस रणनी त को अपने जीवन म लागू कर, उससे पहले म इस पर उठाई जानेवाली


एक आम आप पर बात करना चा ँगा। मेरा अनुभव है क जब भी म त दन के
श ूल का मह व बताता ,ँ तो ब त से लोग को यह चता सताने लगती है क इस
क म क लंबी-चौड़ी योजना बनाना उनके लए कसी अ त र बोझ जैसा होगा और
साथ ही इसके चलते उनका जीवन ढे र सारे तबंध से घर जाएगा। उदाहरण के लए
इसी वषय पर मेरे ारा लखी गई एक लॉग पो ट पर जोसेफ नामक एक पाठक ने एक
कमट कया था। म उस कमट का एक ह सा यहाँ तुत कर रहा ँ:

मुझे लगता है क आप इस मामले म अ न तता क भू मका को ब त कम करके आँक


रहे ह... मुझे तो उन पाठक क चता है, जो आपके ारा तुत इन बात को अपने जीवन
म गंभीरता से लागू करगे। इससे उनके और उस श ूल के बीच एक जुनूनी क म का
संबंध बनने का खतरा है, जो काम म डू बने के बजाय, काम पर खच कए गए एक-एक
पल क गनती करने को अ धक मह वपूण बनाकर पेश करता है। जब क अगर कलाकार
क बात कर, तो उनके लए अपने काम म डू बना न सफ सबसे ज़ री होता है ब क
अपने काम म गुणव ा क ऊँचाइयाँ छू ने के लए उनके पास यही इकलौता वक प भी
होता है।

म इन चता को समझता ँ और न त ही जोसेफ ऐसे पहले नह ह, ज ह ने


इन चता को सामने रखा है। हालाँ क सौभा य क बात ये है क इन चता को र
करना भी आसान है। म खुद जब रोज अपना दनभर का श ूल बनाता ँ, तो न सफ
चतन और चचा के लए नय मत प से समय तय करने के लए लॉ स बनाता ँ ब क
मेरा एक नयम है क अगर इस दौरान मुझे अचानक कोई मह वपूण अंत मलती है,
तो अपने बाक के दन के सारे श ूल को नज़रअंदाज करने के लए यह एक कारण
काफ है ( वाभा वक प से इसम वे चीज़ अपवाद ह, ज ह त काल नपटाना ज़ री है)।
इसके बाद म अनपे त प से मली उस अंत के साथ तब तक त रह सकता ँ,
जब तक उसके त मेरा उ साह ख म नह हो जाता। इस ब पर आकर म एक कदम
पीछे जाकर दन के बचे ए समय के लए अपना श ूल फर से बना लेता ँ।

सरे श द म कह, तो म न सफ अपने श ूल म सहजता आने दे ता ँ ब क इसे


लगातार ो सा हत भी करता ँ। जोसेफ ारा क गई आलोचना दरअसल इस गलत
वचार से े रत है क श ूल का उ े य आपको एक कठोर योजना के अनुसार काम
करने के लए मज़बूर करना है। जब क असल म इस कार से श ूल का संबंध आपके
वहार को कसी भी कार से तबं धत करने से नह है ब क इसका संबंध तो
वचारशीलता से है। यह एक साधारण सी आदत है, जो आपको दन म कई बार पलभर के
लए ठहरकर खुद से यह सवाल पूछने के लए मज़बूर करती है क ‘मेरे पास अभी जतना
समय बचा है, उसम कौन सा काम करना सबसे उ चत होगा?’ सवाल पूछने क यह आदत
अपनाने से आपको सीधे प रणाम मलते ह।

म तो यहाँ तक क ँगा क जो इस कार का ापक श ूल बनाकर काम करता है


और ज़ रत पड़ने पर अपनी योजना को बदलने और फर उन बदलाव के हसाब से आगे
बढ़ने को तैयार रहता है, उसे रचना मक अंत य का अनुभव होने क संभावना अ धक
होती है। जब क जो ‘ता का लक’ वहारवाला पारंप रक कोण अपनाता है
यानी जसके पास अपने दनभर के काम के लए कोई तयशुदा श ूल या काय म नह
होता, उसे ऐसी अंत य का अनुभव मु कल से ही होता है। जब के पास दनभर
के लए कोई तयशुदा काय म नह होता, तो वह अ सर ई-मेल, सोशल मी डया और वेब
स फग जैसी सतही ग त व धय म अपना समय बरबाद करता रहता है। इस क म का
सतही वहार णक प से तो संतोषजनक लगता है, पर यह आपक रचना मकता के
लए कतई अनुकूल नह होता। जब क अगर आपके पास दनभर के लए एक तयशुदा
काय म है, तो आप कसी नए वचार पर काम करने के लए लॉ स बनाकर अपना
श ूल तैयार करना या कसी चुनौतीपूण काय को नपटाने के लए गहनतापूवक जुट
जाना या फर एक न त अव ध तक गहन सोच- वचार करना सु न त कर सकते ह।
इस कार के तब तापूण वहार से नए व रचना मक काय करने और बेहतर प रणाम
हा सल करने क संभावना बढ़ जाती है (उदाहरण के लए नयम-1 म आपको बताया गया
था क कैसे कई महान रचना मक चतन कठोर र म का पालन करते ह) चूँ क आप कोई
नया वचार आने पर अपनी तयशुदा योजना को कनारे रखने के लए पहले से तैयार ह गे
इस लए ेरक श महसूस होते ही दोबारा काम म जुटने के लए भी तैयार रहगे।

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सं ेप म कह, तो इस रणनी त क ेरणा इस समझ से आती है क गहन काय करने क


आदत के लए यह ज़ री है क आप अपने समय का मह व समझ। इस मह व को यान
म रखकर आगे बढ़ने पर आपका पहला कदम या होना चा हए, इस बारे म मेरा सुझाव
यह है : अपने काय दवस के एक-एक मनट क योजना पहले से ही तैयार कर ल। शु -
शु म वाभा वक तौर पर आपको ऐसा करने म क ठनाई होगी। य क इसम कोई
दोराय नह है क अपने दनभर के श ूल पर अपनी आंत रक सनक और बाहरी
ज़ रत जैसी दो जुड़वाँ श य को हावी होने दे ना, एक-एक मनट क योजना तैयार
करने के मुकाबले कह यादा आसान होता है। पर अगर मह वपूण रचनाएँ करनेवाले एक
के तौर पर आप अपनी मता के उ तम ब तक प ँचना चाहते ह, तो आपको
तयशुदा काय म के त अपने अ व ास से उबरना होगा।

अपनी ग त व ध क गहनता नधा रत कर

अपने काय दवस का श ूल बनाने का एक लाभ ये भी है क इसक मदद से आप यह


पता कर सकते ह क दनभर म आपने सतही ग त व धय म कुल कतना समय खच
कया। हालाँ क अपने श ूल क मदद से यह अंत हा सल करना ावहा रक प से
ज़रा मु कल हो सकता है य क आमतौर पर यह नह होता क आपको कस
ग त व ध या काय को कतना सतही मानकर चलना है। इस चुनौती का सामना कैसे कया
जाए, यह समझने के लए आइए खुद को सतही काय क वह औपचा रक प रभाषा याद
दलाते ह, जसे मने इस कताब क ‘भू मका’ म आपके सामने तुत कया था।

सतही काय : मान सक प से आसान, ले कन अ य कसी भी लहाज से मु कल ऐसा


संचालन-संबंधी काय, जो अ सर उस समय कया जाता है, जब यान भटका आ होता
है। इस कार के काय पर क गई मेहनत से कुछ भी नया या मह वपूण प रणाम नह
मलता और इन काय को दोहराना ब त आसान होता है।

कुछ सतही ग त व धयाँ ऐसी ह, जो इस प रभाषा पर पूरी तरह खरी उतरती ह। जैसे ई-
मेल चेक करना या एक का स कॉल का समय नधा रत करना न ववाद प से सतही
काय क ेणी म आता है। पर अ य ग त व धय का वग करण ज़रा अ हो सकता है,
उदाहरण के लए :

- उदाहरण-1: एक शै णक लेख के मसौदे का संपादन जसे आप ज द ही अपने


सहयोगी के साथ मलकर एक जनल म का शत करने के लए भेजगे।

- उदाहरण-2: कंपनी के तमाही ब आँकड़ के बारे म एक पावर पॉइंट ेजे टे शन तैयार


करना।

- उदाहरण-3: कसी मह वपूण ोजे ट क वतमान त पर चचा करने और अगले


चरण पर आपसी सहम त बनाने के लए एक मी टग म ह सा लेना।

शु आत म यह नह होता क इन उदाहरण को वग कृत कैसे कया जाए। इनम से


पहले दोन काय इस कार के ह, ज ह पूरा करना काफ मु कल हो सकता है। ये तीन
काय, कामकाज संबंधी मु य उ े य क पू त के लए मह वपूण नज़र आते ह। इस
रणनी त का उ े य ये है क वग करण करने से जुड़ी अ ता से उबरने के लए आपको
एक सट क मा क उपल कराया जा सके - ता क कोई काय सतही से गहनता तक के
पैमाने पर कहाँ सट क बैठता है, इस बारे म और सुसंगत नणय लेने के लए आपको
एक तरीका मल सके। आप ऐसा कर सक, इसके लए यह रणनी त आपसे माँग करती है
क आप अपनी ग त व धय का मू यांकन करने के लए एक सीधा सा (पर आ यजनक
प से ानवधक) सवाल पूछ:

‘हाल ही म ेजुएट ए एक बु मान कॉलेज छा को आज तक मेरे े से जुड़ा कोई


श ण नह मला है, उसे यह काय पूरा करने के लए कतने महीन का श ण दे ने क
ज़ रत पड़ेगी?’

आइए अब इस कोण को समझने के लए इस सवाल को अ काय के उदाहरण


पर भी लागू करके दे खते ह।

उदाहरण-1 का व ेषण: एक शै णक लेख को ठ क से संपा दत करने के लए यह


ज़ री है क आप उस काम क बारी कय को समझते ह (ता क यह सु न त हो सके क
उसक साम ी का वणन ठ क से हो रहा है) और साथ ही आप उस लेख के वषय से जुड़ी
बारी कय को भी अ तरह समझते ह (ता क यह सु न त हो सके क उसका उ रण
ठ क से हो रहा है)। इन आव यकता क पू त के लए एक शै णक े का
अ याधु नक ान होना ज़ री है - यह ऐसी चीज़ है, जसके लए आज के वशेष तावाले
युग म गे्रजुएशन के तर पर और उसके बाद भी गहन अ ययन क ज़ रत होती है। अगर
वशेष प से इसी उदाहरण क बात कर तो इसके लए 50 से 75 महीन का गहन
अ ययन ज़ री है।

उदाहरण-2 का व ेषण: इस व ेषण म सरा उदाहरण अ धक अ ा सा बत नह


होता। कंपनी के तमाही ब के आँकड़ का वणन करनेवाली पावर पॉइंट ेजे टे शन
बनाने के लए तीन चीज़ क ज़ रत पड़ती है: पहली, यह जानकारी होना क पावर पॉइंट
ेजे टे शन कैसे बनाई जाती है... सरी, अपनी कंपनी के ेजे टे शन संबंधी टडड फॉमट
क समझ होना... और तीसरी, यह पता होना क आपक कंपनी ब संबंधी कन
मा क पर नज़र रखती है और उ ह उ चत ा स म कैसे त द ल कया जा सकता है...।
हमने अपने सवाल म जस का प नक कॉलेज गे्रजुएट का ज कया था, उसके बारे म
हम यह मानकर चल सकते ह क उसे पावर पॉइंट का उपयोग करना आता होगा और
आपक कंपनी के ेजे टे शंस का फॉमट सीखने म भी उसे एक स ताह से यादा का समय
नह लगेगा। अब असली सवाल ये है क आपक कंपनी जन मा क पर नज़र रखती है,
उ ह समझने म, प रणाम का पता लगाने म और लाइड ेजे टे शन के लए उ ह उ चत
ा स व चाट् स म त द ल करने म एक यो य कॉलेज ेजुएट को कतना समय लगेगा? यह
कोई आसान काम नह है ले कन एक यो य और बु मान कॉलेज गे्रजुएट छा को यह
सब करने के लए यादा से यादा एक महीने के अ त र श ण क ज़ रत पड़ेगी -
यानी हमारे सवाल ( क इस काय को पूरा करने के लए एक यो य कॉलेज ेजुएट को
कतना समय लगेगा) का जवाब है, करीब दो महीना।

उदाहरण-3 का व ेषण: मी ट स का व ेषण करना मु कल हो सकता है। मी ट स


कई बार थका दे नेवाली भी हो सकती ह पर आमतौर पर मी ट स को ऐसे तुत कया
जाता है, जैसे उनम ह सा लेना अपनी कंपनी क सबसे मह वपूण ग त व धय म से मु य
भू मका नभाने जैसा हो। यहाँ जो व ध तुत क जा रही है, वह सतही तर पार करके
गहराई म जाने म आपक सहायक होती है। हाल ही म ेजुएट ए एक बु मान छा को
योजना संबंधी मी ट स म आपक जगह लेने यो य बनाने के लए कतना श ण दे ना
होगा? इसके लए उसे इस ोजे ट को और इसम ह सा लेनेवाल के कौशल को अ
तरह समझना होगा ता क वह इसके सबसे मह वपूण ब को जान सके। हमारे इस
का प नक कॉलेज गे्रजुएट को संभवत: पर र गत संबंध के साथ-साथ इस बारे म
भी अंत क ज़ रत पड़ेगी क वा तव म कंपनी म ऐसे ोजे ट पर काम कस कार
से होता है। इस ब पर आकर शायद आपको ऐसा लगे क इस कॉलेज ेजुएट को
ोजे ट से जुड़े वषय पर भी गहन वशेष ता क ज़ रत होगी। पर शायद योजनासंबंधी
मी टग के लए उसे इसक ज़ रत न पड़े। इस कार क मी ट स ब त कम मौक पर ही
मूल मु पर क त होती ह। आमतौर पर इनम ब त सारी गपशप और दखावा होता है,
इनम ह सा लेनेवाले बना कसी वा त वक वचनब ता के एक- सरे के सामने यह जताने
क को शश करने म लगे ह क वे ोजे ट् स के त पूरी तरह वचनब ह। अगर हम इस
का प नक कॉलेज गे्रजुएट को ये सब सीखने के लए सफ तीन महीने का समय दे , तो
वह बना कसी द कत के इन फालतू मी ट स म आपक जगह ले सकता है। इस लहाज
से, हम अपने सवाल के जवाब के तौर पर ‘कॉलेज गे्रजुएट को तीन महीने के श ण
क ज़ रत होगी’ का उपयोग करगे।

यह सवाल एक क म का वचार संबंधी योग है (म आपसे अपने सतही काम के लए


कसी कॉलेज ेजुएट को नयु करने के लए नह क ँगा) पर यह जो जवाब उपल
कराता है, वह तट भाव से व भ ग त व धय क गहनता या सतहीपन नधा रत करने
म सहायक होता है। अगर हमारे का प नक कॉलेज ेजुएट को कसी काय म आपक
जगह लेने के लए कई महीन के श ण क ज़ रत है, तो इससे यह संकेत मलता है
क उस काय को पूरा करने के लए ऐसी वशेष ता क ज़ रत पड़ती है, जसे हा सल
करने के लए कड़ी मेहनत ज़ री है। जैसा क पहले भी बताया गया था, जस काय म
आपक वशेष ता काम आती है, वह अ सर गहन काय होता है और इसी लए उससे
आपको दोहरा लाभ मल सकता है: ऐसे काय म आप जतना समय खच करते ह, बदले
म आपको उससे कह अ धक प रणाम मलते ह। साथ ही ऐसे काय से आपक मता भी
बढ़ती है, प रणाम व प आप बेहतर बनते ह। सरी ओर हमारा का प नक कॉलेज
ेजुएट जस काय क ज मेदारी अपने कंध पर तुरंत उठा सकता है, उस काय के लए
वशेष ता क ज़ रत नह होती और इसी लए उसे सतही काय के तौर पर दे खा जा
सकता है।

इस रणनी त के मामले म आपको या करना चा हए? एक बार जब आपको यह समझ म


आ जाए क सतही से लेकर गहन के पैमाने पर आपक ग त व धय क त या है, तो
अपने समय को यादा से यादा उन ग त व धय म लगाएँ, जो इस पैमाने पर गहनता के
करीब ह । उदाहरण के लए जब हम अपनी केस टडीज पर पुन वचार करते ह, तो आप
दे खगे क पहला काय कुछ ऐसा है, जसे आप समय का सही इ तेमाल करने के लए
अपनी ाथ मकता सूची म सबसे ऊपर रखना चाहगे, जब क सरा और तीसरा काय उस
क म का होगा, जसम कम से कम समय खच करना है। हो सकता है क वे आपको
उ पादक यानी ोड टव काय लग पर उनम जतना समय खच होता है, उसके लहाज से
उनसे मलनेवाला प रणाम औसत दज का होता है।

हालाँ क आप सतही काय से गहन काय क ओर कैसे बढ़गे, यह अ सर नह होता


- भले ही आपको पता हो क अपनी वचनब ता का सट क वग करण कैसे करना है।
आगे आपको उन रणनी तय के बारे म बताया जाएगा, जनसे आपको इस मु कल ल य
को पूरा करने के लए वशेष मागदशन मलेगा।

अपने बॉस से सतही काम के लए समय आर त करने को कह

एक मह वपूण सवाल, जसे ब त कम ही पूछा जाता है, ये है क ‘सतही काम पर मेरे


समय का कतने तशत ह सा खच होना चा हए?’ यह रणनी त कहती है क आपको
यह सवाल ज़ र पूछना चा हए। सरे श द म कह, तो अगर आपका कोई बॉस है, तो
उसके साथ इस सवाल पर चचा कर (संभवत: सबसे पहले आपको उसके सामने यह
करना होगा क ‘सतही काय’ और ‘गहन काय’ या होता है)। और अगर आपका कोई
बॉस नह है या आप कोई गत वसाय करते ह, तब भी आपको यह सवाल अपने
आपसे ज़ र पूछना चा हए। दोन ही तय म आपको इस सवाल का एक जवाब
तय करना होगा। इसके बाद आपको उस आर त समय म ही वह काम करना होगा। ऐसा
करना ज़ री है (इससे पहले आपको जो रणनी तयाँ बताई गई थ और आगे जो
रणनी तयाँ बताई जाएँगी, वे सब इस ल य क पू त म आपक सहायक ह गी)।

नॉलेज-वक से जुड़ी अ धकतर नौक रय म (जू नयर लेवल क नौक रय को छोड़कर)


अ धकांश मामल म यह आर त समय, कुल समय का 30 से 50 तशत के बीच होगा।
( जन काय के लए वशेष ता या कौशल क ज़ रत नह होती, उन पर अपना
अ धकांश समय खच करने के वचार के त लोग म खासी दलच ी नह होती।
इस लए ऐसे काम के लए ‘50 तशत समय’ एक वाभा वक उ तम सीमा है। जब क
इसी के साथ अ धकांश बॉसेस इस बारे म च तत होने लगगे क अगर यह आँकड़ा 30
तशत से भी नीचे चला गया, तो आप नॉलेज वक करनेवाले कसी एकांतवासी जैसे हो
जाएँगे, जसके मन म बड़े-बड़े वचार तो उठते ह, पर वह कभी ई-मे स का जवाब तक
नह दे ता।)

सतही काय के लए आर त समय के दायरे म काम करने के लए संभवत: आपको


अपने वहार म बदलाव लाने क ज़ रत पड़ेगी। यह करीब-करीब न त है क आपको
सतहीपन से भरे ोजे ट् स को ‘ना’ कहना पड़ेगा। साथ ही आपको अपने मौजूदा
ोजे ट् स म भी सतहीपन को आ ामक ढं ग से कम करना होगा। इस बजट के कारण
प रणाम-आधा रत रपो टग को ाथ मकता मलेगी, जसके चलते संभवत: सा ता हक
टे टस मी टग क ज़ रत ख म हो जाएगी (‘जब काम म मह वपूण ग त हा सल हो
जाए, तो मुझे इससे अवगत कराएँ। इसके बाद ही हम आगे चचा करगे’) इसके चलते
संभवत: आप सुबह के समय आमतौर पर कसी भी इले ॉ नक क यू नकेशन
(इले ॉ नक गैजेट्स क मदद से कया जानेवाला संवाद) से री बनाकर रखगे या फर
यह तय कर लगे क अपने इनबॉ स म आनेवाले हर ई-मेल का फौरन और व तारपूवक
जवाब दे ना इतना मह वपूण भी नह है, जतना आपको पहले लगता था।

अपने कामकाजी जीवन म गहन काय करने क इ ा को क य मह व दे ने के लहाज से


ये सारे बदलाव आपके लए सकारा मक सा बत ह गे। एक ओर जहाँ ये सारे बदलाव
आपको अपने मु य सतही दा य व को यागने के लए नह कहते और अगर ऐसा कया
गया, तो इससे सम याएँ और खीझ पैदा होगी य क इन बदलाव के बाद भी आप सतही
दा य य को नभाने म काफ समय खच कर रहे होते ह। जब क सरी ओर ये बदलाव
आपको इस बात के लए मज़बूर ज़ र करते ह क अपने श ूल म छलपूवक शा मल
होनेवाले उन सतही काय को पूरा करने के लए कुछ समय आर त कर ल, ज ह
त काल पूरा करना ज़ री नह है। यह समय आर त होने से आपके पास नरंतर गहन
काय करने के लए पया त समय बचने लगता है।

ये नणय लेने से पहले अपने बॉस से इस वषय पर चचा करनी चा हए य क जब


आपका बॉस आपसे सहमत होगा, तो आपको भरपूर सहयोग मलेगा। अगर आपका पेशा
ऐसा है, जहाँ कोई आपका बॉस है, तो इस रणनी त से आपको ये सु वधा मलेगी
क जब आप कसी सतही दा य व को अपने ज मे लेने से इनकार करगे या कसी ोजे ट
के सतहीपन को कम करने के लए उसे नए सरे से तैयार करगे, तो इस नणय पर सवाल
उठानेवाल को चुप कराने के लए आप अपने बॉस का नाम ले सकते ह। आप अपने इस
कदम को इस लए सही ठहरा सकते ह य क यह सतही और गहन काय के म त ल य
को पूरा करने के लए ज़ री है। जैसा क मने सरे अ याय म बताया था, नॉलेज वक से
जुड़ी नौक रय म सतही काय क मा ा हमेशा इस लए यादा होती है य क हम आमतौर
पर उसके नकारा मक भाव पर गौर ही नह करते। ब क हम अपने इस वहार का
मू यांकन सफ णक तौर पर ही करते ह। यह ऐसा कोण है, जससे हर काय उ चत
और सु वधाजनक ही लगता है। हालाँ क इस नयम म पहले बताए गए टू स इस भाव
को प से दे खने का मौका दे ते ह। अब आप पूरे आ म व ास के साथ अपने बॉस
को यह बता सकते ह क ‘ पछले स ताह मने सतही काय पर कुल इतने तशत समय
खच कया’ और फर आप उसी समय के रेशो को मंजूरी दे ने के लए अपने बॉस को बा य
कर सकते ह। इन आँकड़ से होनेवाली आ थक वा त वकता के सामने आने के
बाद (उदाहरण के लए सफ ई-मेल चेक करने, उनका जवाब दे ने और मी ट स म ह सा
लेने के लए कसी अ े -खासे श त कमचारी को काम पर रखना थ है) बॉस वत:
ही इस वाभा वक नतीजे पर प ँच जाएगा क ज़ रत पड़ने पर ‘ना’ कहना और सर
को व त करना आव यक है। आपको ऐसा करने का अ धकार होना चा हए - भले ही
इससे आपके बॉस के, आपके और सहक मय के जीवन म ज़रा असु वधा बढ़ जाए।
य क अंतत: एक वसाय का मूल ल य लाभ कमाना होता है, न क अपने कमचा रय
के जीवन को यादा से यादा आसान बनाना।

सरी ओर अगर आप कोई गत वसाय करते ह, तो यह अ यास आपको इस


स ाई का सामना करने के लए मज़बूर कर दे गा क आपके ‘ त’ श ूल म कतना
कम समय ऐसा होता है, जब आप वा तव म कसी क म का लाभ कमा रहे होते ह। इन
आँकड़ से आपको अपनी उन सतही ग त व धय को कम करने का आ म व ास
मलेगा, जनके चलते आपका अ धकतर समय थ हो जाता है। इन आँकड़ के बना
कसी भी वसायी के लए ऐसी ग त व धय को ‘ना’ कहना मु कल होता है, जनसे वह
थोड़ा-ब त लाभ कमा सकता है। ‘मुझे ट् वटर पर स य रहना है!’ ‘मुझे फेसबुक पर
अपनी स य उप त बनाए रखनी है!’ ‘मुझे अपने लॉग पर वजेट्स को ठ क करना
होगा!’ आप खुद को इस तरह क बात बोलते रहते ह य क इनम से कसी भी ग त व ध
को ‘ना’ कहना ऐसा लगता है क जैसे आप आलसी होने के कारण इनम ह सा लेने से
बच रहे ह। इसके बजाय अब आप सतही से गहन रेशो का चुनाव करके अपराध बोध से
नमाण ई इस बेशत वीकायता को छोड़ सकते ह। इसक जगह आप, सतही काय के
लए आर त समय का यादा से यादा लाभ उठाने (इससे आपको अ य कोई अवसर
गँवाना नह पड़ेगा), आर त समय क मा ा यूनतम रखने और वसाय को आगे
बढ़ानेवाले गहन काय पर यान क त रखने क आदत अपना सकते ह।

बेशक यह संभावना हमेशा बनी रहती है क जब आप ये सवाल पूछ क ‘सतही काम पर


मेरे समय का कतने तशत ह सा खच होना चा हए?’ तो बदले म आपको एक कड़ा
जवाब मले। कोई भी बॉस श द म यह जवाब नह दे गा क ‘तु हारा शत- तशत
समय सतही ग त व धय के लए आर त होना चा हए!’ (बशत आप एक जू नयर-लेवल
कमचारी न ह । अगर आप सचमुच एक जू नयर-लेवल कमचारी ह, तो फर इस अ यास
के लए आपको तब तक इंतजार करना चा हए, जब तक आप अपने अंदर इतना कौशल
वक सत न कर ल क अपने कामकाज से संबं धत आ धका रक ग त व धय म गहन
यास को भी जोड़ सक।) संभवत: आपको अपने बॉस से कुछ ऐसा जवाब मलेगा,
‘सतही ग त व धय म तु ह उतना ही समय दे ना है, जतने म तुम वे सारे काम तुरंत पूरे कर
सको, जो तु ह दए गए ह।’ यह जवाब भी उपयोगी है य क यह आपको बताता है क
यह कोई ऐसी नौकरी नह है, जो गहन काय का समथन करती हो। और जो नौकरी गहन
काय का समथन नह करती, वह आज क सूचना आधा रत अथ व ा म सफलता पाने
म आपका सहयोग नह कर सकती। इस लए आपको अपने बॉस को उनक त या के
लए ध यवाद दे कर तुरंत एक ऐसा नया पद हा सल करने क योजना बनाना शु कर दे ना
चा हए, जो गहनता को मह व दे ता हो।

शाम साढ़े पाँच बजे तक अपना काम ख म कर ल

इन श द को लखे जाने से ठ क पहले मने सात दन क अव ध म पसठ ऐसी चचा म


ह सा लया, जो ई-मेल के मा यम से हो रही थ । इन पसठ चचा के दौरान मने शाम को
साढ़े पाँच बजे के बाद सफ पाँच ई-मेल भेजे। इन आँकड़ से होता है क अगर
अपवाद व प कुछ मौक को छोड़ दया जाए, तो शाम साढ़े पाँच बजे के बाद म कोई ई-
मेल नह भेजता। आज के जमाने म ई-मेल जस तरह हमारे कामकाजी जीवन का अ भ
अंग बन चुका है, उस हसाब से मेरा यह वहार एक आ यजनक वा त वकता क ओर
संकेत करता है क म शाम को साढ़े पाँच बजे के बाद काम नह करता।

म अपनी इस वचनब ता को तयशुदा श ूल क उ पादकता ( ोड ट वट ) कहता ँ


य क मने यह तय कर रखा है क एक न त समय के बाद म काम नह क ँ गा और
फर एक कदम पीछे जाकर ऐसी उ पादकता संबंधी रणनी तयाँ खोजूँगा जनक मदद से
अपनी इस वचनब ता को पूरा कर सकूँ। मुझे तयशुदा शडयूल क उ पादकता का खुशी-
खुशी अ यास करते ए करीब आधा दशक हो चुका है और गहन काय पर क त एक
उ पादक ावसा यक जीवन का नमाण करने म यह ब त मह वपूण सा बत आ है।
आगे के प म म आपको यह रणनी त अपनाने के लए े रत करने का यास क ँ गा।

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आपके सामने तयशुदा श ूल क उ पादकता को तुत करने क शु आत म ही म


आपको बताना चा ँगा क म जस अकाद मक नया म काम करता ,ँ उसम पारंप रक
समझ के अनुसार इस यु को असफल हो जाना चा हए था। ोफेसस - खासतौर पर
जू नयर लेवल ोफेसस - ऐसा थकाऊ श ूल अपनाने के लए जाने जाते ह, जसम वे
रात के व और स ताह के अंत म भी काम कर रहे होते ह। उदाहरण के लए एक युवा
कं यूटर साइंस ोफेसर - जसे म ‘टॉम’ नाम से संबो धत क ँ गा, उसके ारा लखी गई
एक लॉग पो ट पर वचार कर। सन 2014 म स दय म लखी गई इस लॉग पो ट म इस
युवा ोफेसर ने कहा था क हाल ही म उसने एक दन अपने ऑ फस म बारह घंटे बताए
और अब यही उसका श ूल है। त दन बारह घंटे के इस श ूल म वह पाँच अलग-
अलग मी ट स और तीन घंटे का ‘ शास नक’ काय करता है, जसे उसने ‘ढे र ई-मेल चेक
करने, नौकरशाही से जुड़े फॉ स भरने, मी ट स के नोट् स व त करने और भ व य क
मी ट स क योजना बनाने’ के तौर पर प रभा षत कया था। उसके अपने अनुमान के
मुता बक इन बारह घंट म सफ डेढ़ घंटे का समय ऐसा होता है, जसम वह अपना
‘असली’ काम करता है। इस असली काम को उसने ‘शोध पूरा करने’ क दशा म क गई
को शश के तौर पर प रभा षत कया। कोई आ य नह क टॉम एक औसत कामकाजी
दन से यादा काम करने के लए खुद को मज़बूर महसूस करता है। अपनी एक अ य
लॉग पो ट म टॉम लखता है क ‘म इस वा त वकता को पहले ही वीकार कर चुका ँ
क मुझे स ताह के अंत म भी काम करना पड़ेगा। कॉलेज क जू नयर फैक ट म ऐसे
लोग क सं या ब त ही कम है, जो इस भा य से बच सकते ह।’

फर भी मेरे साथ ऐसा नह आ। भले ही म रात म काम नह करता और स ताहांत म भी


मेरा काम करना लभ ही होता है। इसके बावजूद सन 2011 क शरद ॠतु म जॉजटाउन
को अपना नवास ान बनाने से लेकर, सन 2014 क शरद ॠतु म इस अ याय को लखे
जाने तक, मेरे लखे करीब बीस लेख का शत हो चुके ह। जनक समी ा मेरे सहक मय
ारा क गई है। इसके साथ ही मने दो त ध अनुदान हा सल कए ह, एक (गैर-
शै णक) कताब लख चुका ँ और अपनी अगली कताब भी करीब-करीब पूरी कर
चुका ँ ( जसे आप फलहाल पढ़ रहे ह।) ये सब मने उन थका दे नेवाले काय म को
अनदे खा करते ए कया है, ज ह अ सर ऐरे-गैरे क म के लोग आव यक बताते रहते ह।

इस वरोधाभास के पीछे या है? इस सवाल का स मोहक जवाब सन 2013 म का शत


एक ऐसे लेख म मल सकता है, जो खासा च लत आ था। इसे श ा के े म काम
करनेवाली एक म हला ने लखा था, जो कॅ रयर के मामले म न सफ मुझसे काफ आगे ह
ब क उनक उपल याँ भी मुझसे कह यादा ह। उनका नाम है रा धका नागपाल। वे
हावड यू नव सट म कं यूटर साइंस क ोफेसर ह। रा धका अपने लेख क शु आत इस
दावे के साथ करती ह क जू नयर ोफेसस के अ धकांश तनाव का कारण वे वयं होते ह।
वे कहती ह, ‘ रसच को ाथ मकता दे नेवाली यू नव सट ज क जू नयर फैक ट का जीवन
डरावने मथक और डाटा से भरा होता है।’ वे आगे बताती ह क कैसे उ ह ने अंतत:
पारंप रक ान क उपे ा का नणय लया और इसके बजाय ‘अपने आपको खुश रखने
के वशेष यास कए।’ सोच-समझकर कए गए इन यास के चलते एक जू नयर
ोफेसर के तौर पर रा धका का कायकाल आनंददायक हो गया।

यूँ तो वे अपने इन यास के बारे म व तार से बताते ए कई उदाहरण सामने रखती ह पर


उनक एक वशेष रणनी त है, जो आपको काफ जानी-पहचानी सी लगेगी। जैसा क
रा धका खुद वीकार करती ह, अपने शै णक कॅ रयर के शु आती दौर म उ ह ने पाया
क सुबह सात बजे से लेकर रात को बारह बजे के बीच जब भी उ ह थोड़ा सा खाली समय
मलता, वे कोई न कोई काम लेकर बैठ जाती थ (चूँ क कॅ रयर के साथ-साथ उ ह अपने
छोटे -छोटे ब क दे खभाल भी करनी होती थी, इस लए वे एक साथ काफ दे र तक
कभी खाली नह रह पाती थ )। ज द ही उ ह एहसास आ क उनका यह तरीका लंबे
समय तक नह चल सकता, इस लए उ ह ने स ताह म पचास घंटे क सीमा तय क । इसके
बाद उ ह ने कुछ इस तरह काम कया क वे यह तय कर सक क इस सीमा म रहकर काम
पूरा करने के लए कन आदत और नयम क ज़ रत पड़ेगी। सरे श द म कह, तो
रा धका ने ‘तयशुदा श ूल क उ पादकता’ को अपना लया।

हम जानते ह क रा धका क काय करने क प त ने उनके अकाद मक कॅ रयर को कोई


नुकसान नह प ँचाया य क श ूल के अनुसार ही उनक पदो त ई और इसके बाद
सफ तीन साल के भीतर वे एक ाई ोफेसर बन ग (कॅ रयर के लहाज से यह काफ
भावशाली दशन है)। आ खर उ ह ने ये सब कैसे कया? उनके लेख के अनुसार,
तयशुदा घंट क सीमा के भीतर रहकर काम करने क मु य तकनीक थी, अपने
अकाद मक जीवन म सतही काय के मु य ोत के लए एक न त कोटा तय करना।
उदाहरण के लए उ ह ने तय कया क भले ही कतने भी काम ह , वे उनके लए एक साल
क अव ध म सफ पाँच या ाएँ करगी य क या ा के चलते कई ऐसे सतही काय
सामने आने लगते ह, ज ह त काल पूरा करना ज़ री होता है। जैसे ठहरने क व ा
करने से लेकर उन ान पर होने जा रही चचा या भाषण वगैरह के लए ज़ री लेखन
करना। एक साल म पाँच या ाएँ भी सुनने म यादा लग सकती ह पर अकाद मक े के
ावसा यक के लए यह सं या कोई यादा नह है। इस ब पर जोर दे ते ए म
आपका यान इस बात क ओर आक षत करना चा ँगा क हावड के कं यूटर साइंस
डपाटमट म रा धका नागपाल के एक पूव सहकम मैट वे श (जो अब गूगल म कायरत ह)
ने एक बार एक लॉग पो ट लखी थी, जसम उ ह ने यह दावा कया क एक जू नयर
फैक ट के लए साल म बारह से चौबीस या ाएँ करना आम बात है। जरा क पना क जए
क ये अ त र दस से पं ह या ाएँ न करके रा धका नागपाल ने खुद को कतने सारे
सतही काय से बचा लया। या ा का यह कोटा तय करना रा धका क उन कई रणनी तय
म से एक है, जनका इ तेमाल करके वे अपने काय दवस को अपने नयं ण म रखती थ ।
उदाहरण के लए उ ह ने ऐसे शोध-प क सं या भी सी मत कर द , जनक वे हर साल
समी ा करती थ । पर उनक सभी रणनी तय म यह समानता थी क वे सतही चीज़ को
कठोरता से एक सीमा म रखने के लए वचनब थ । साथ ही गहन यास को सुर त
भी रखती थ । उनके मामले म ये यास थे मौ लक शोध करना। इसी से यह तय आ क
उनका आगे का ावसा यक जीवन कैसा होगा।

अब अगर म एक बार फर अपना उदाहरण ँ , तो ठ क यही वह वचनब ता है, जो मुझे


तयशुदा- श ूल के साथ सफल होने म स म बनाती है। उ पादकता के श दकोश का
सबसे खतरनाक श द ‘हाँ’ है। म इस श द के इ तेमाल को लेकर बेहद सतक रहता ँ।
इसी लए मुझे कसी भी ऐसी चीज़ के लए सहमत करना ब त मु कल है, जो सतही काय
से जुड़ी हो। अगर आप मुझे यू नव सट से जुड़े कसी ऐसे काम म भागीदारी बनाना
चाहगे, जो कतई आव यक नह है, तो शायद मेरा जवाब होगा, ‘मुझसे इस बारे म तब
बात क रएगा, जब मेरा अ ाई कायकाल ख म हो जाए।’ मने यह जवाब अपने उस
डपाटमट के हेड से सीखा था, ज ह ने मुझे काम पर रखा था। एक और रणनी त है, जो
मेरे लए काफ कारगर स ई है: जब कसी चीज़ के लए ‘ना’ कहना हो, तो
श द म कह और जब ‘ना’ कहने का कारण बताना हो, तो कोई अ सा बहाना बना द।
यहाँ मु य बात ये है क ‘ना’ करने के पीछे आप जो भी कारण द, उसके बारे म ऐसा कोई
भी यौरा दे ने से बच, जसके चलते सामनेवाला आपके कारण को अनदे खा कर सके। जैसे
उदाहरण के लए मान ली जए क म कसी ऐसे काय म म भाषण दे ने का नमं ण ठु करा
दे ता ,ँ जहाँ मेरा काफ समय बरबाद हो सकता है और इसके लए म यह बहाना बनाता ँ
क म उसी समय कसी और काय म म जाने के लए पहले ही कसी और से वादा कर
चुका ँ। ऐसे म म सामनेवाले को उस सरे काय म का कोई यौरा नह दे ता ता क उसे
यह सुझाव दे ने का मौका ही न मले क वह मेरे श ूल के हसाब से अपने काय म म
थोड़े-ब त बदलाव कर दे गा ता क म उसके काय म म भी भाषण दे सकूँ।

म तो बस उससे इतना ही कहता ँ क ‘जैसा आपने बताया, उससे तो लगता है क


आपका काय म काफ दलच होगा पर म उसम शा मल नह हो सकूँगा य क म
उसी दन कसी और काय म म जाने के लए पहले ही हामी भर चुका ँ।’ जब म इस
तरह कसी का नमं ण ठु कराता ँ, तो उसे सां वना दे ने के च कर म ऐसा कोई भी काय
करने से बचता ,ँ जससे मेरे श ूल को कोई नुकसान हो या मेरा थोड़ा सा भी समय
बरबाद हो। (उदाहरण के लए म ऐसा कुछ नह कहता क ‘मुझे खेद है क म आपक
कमेट के काय म म शा मल नह हो सकूँगा, ले कन अगर आप कह, तो आपके सारे
ताव तैयार होने के बाद म उन पर एक नज़र डाल सकता ँ और उनके बारे म आपको
अपनी राय दे सकता ँ।) बना कोई सां वना दए श द म मना करना ही सबसे
बेहतर तरीका है। इसके अलावा अपने दा य व का पालन करने के लए म अपना समय
खच करने को लेकर काफ सावधानी बरतता ँ। चूँ क मेरे पास हर रोज सी मत समय ही
होता है इस लए म कसी डेडलाइन को अनदे खा करने या सुबह का पूरा समय थ क
चीज़ म बताने जैसी गल तयाँ नह कर सकता और वह भी सफ इस लए य क मने
थोड़ा समय नकालकर अपने दन क उ चत योजना नह बनाई। मेरी तयशुदा- श ूल क
उ पादकता के चलते मेरे काय दवस क अ धकतम समय-सीमा भी तय रहती है। जसके
चलते मेरे संगठना मक यास को बल मलता है। इस समय-सीमा के बना शायद म कुछ
यादा ही श थल हो जाऊँगा और मेरी आदत बगड़ जा गी।

मेरे इन अवलोकन का सार यही है क रा धका नागपाल और म, दोन ही जू नयर ोफेसर


टॉम क तरह अकाद मक े म कोई अ त र बोझ उठाए बना भी सफल हो सकते ह।
इसके दो कारण ह, पहला कारण है क हम दोन ही अपने तयशुदा श ूल क
वचनब ता के चलते थ क चीज़ म समय बरबाद नह करते। सतहीपन को कठोरता से
कम करने के साथ-साथ गहनता को बचाकर रखने क रणनी त के चलते, हमारा काफ
समय बच जाता है और वह भी उस ताजा मू य को कम कए बना, जसे हम पैदा करते
ह। म तो यहाँ तक क ँगा क सतहीपन म कमी लाने से काफ ऊजा बचती है। यह ऊजा
गहन काय म लगाने से हमारी उ पादकता बढ़ती है। जब क अगर हम कसी ऐसे घसे- पटे
श ूल के अनुसार काय करते, जहाँ सतही काय क कोई कमी नह है, तो यह संभव
नह हो पाता। सरा कारण है क समय-सीमा म काम करने के लए अपनी संगठना मक
आदत के बारे म अ धक सावधानीपूवक सोच- वचार करना ज़ री हो जाता है। इससे
अपे ाकृत अ धक मू य का उ पादन होने लगता है।

इस रणनी त का मु य दावा ये है क नॉलेज वक (2 ) से जुड़े े म भी समान लाभ


मलता है। यानी भले ही आप पेशे से एक ोफेसर न ह , ले कन तयशुदा श ूल क
उ पादकता आपके लए काफ लाभकारी सा बत हो सकती है। नॉलेज वक से जुड़ी
अ धकतर नौक रय म ता का लक प से कसी ऐसी सतही ग त व ध म शा मल होने से
इनकार करना मु कल हो सकता है, जो अपने आपम हा नर हत नज़र आती हो - फर
चाहे यह कॉफ पीने का नमं ण वीकार करना हो या फर ‘ज़ रत पड़ने पर बुलाने’ के
लए सहमत होना। हालाँ क तयशुदा- श ूल क उ पादकता के त वचनब होने से
आपके अंदर अभाव त मान सकता वक सत होने लगती है। यानी अपने गहन यास से
परे कोई भी अ य काय अचानक सं द ध नज़र आने लगता है और आप उसे संभा वत प
से हा नकारक चीज़ क तरह दे खने लगते ह। फर कोई भी काय वीकार करने के सवाल
पर आपका मु य जवाब हमेशा ‘ना’ ही होता है। आपका समय व यान पाना ज़ रत से
यादा मु कल हो जाता है और आप इन कावट को पार करनेवाले यास को बड़ी ही
कठोर द ता के साथ व त करना शु कर दे ते ह। हो सकता है क अपनी कंपनी क
काय-सं कृ त के बारे म आपक ठोस धारणाएँ भी लचीली सा बत हो जाएँ। उदाहरण के
लए दे र रात को बॉस का ई-मेल मलना एक आम बात है। अगर आप तयशुदा श ूल
क उ पादकता अपनाते ह, तो ऐसे संदेश को अगली सुबह तक अनदे खा करके रखगे।
कई लोग को यह संदेह रहता है क ऐसा करने से सम याएँ खड़ी हो सकती ह य क ऐसी
त याएँ अपे त होती ह, पर अ धकांश मामल म आपका बॉस दे र रात अपना ई-मेल
इनबॉ स साफ कर रहा होता है और इसका अथ ये कतई नह है क वह आपका जवाबी
ई-मेल त काल पाने क अपे ा कर रहा है। यह एक ऐसी बात है, जो इस रणनी त को
अपनाने से ज द समझ म आ जाती है।

सरे श द म कह, तो तयशुदा श ूल क उ पादकता एक ऐसी आदत है, जसे अपनाना


आसान है पर इसका भाव ापक होता है। अगर आपको सफ एक ऐसा वहार चुनना
हो, जो आपके यान को दोबारा गहनता क ओर क त कर दे , तो इसे संभावना क
सूची म सबसे ऊपर होना चा हए। हालाँ क अगर आप अब भी इस वचार को लेकर
न त नह ह क आपके काय दवस के लए तय क गई एक कृ म सीमा आपको
अ धक सफल बना सकती है, तो म आपसे आ ह क ँ गा क आप तयशुदा श ूल क
वकालत करनेवाली रा धका नागपाल के कॅ रयर पर एक बार फर गौर कर। यह अपने
आपम एक संतोषजनक संयोग ही है क जब जू नयर ोफेसर के तौर पर टॉम अपने
कायभार पर ऑनलाइन वलाप कर रहा था, उसी समय रा धका नागपाल अपने तयशुदा
श ूल के बावजूद कॅ रयर म मली नई सफलता का ज मना रही थ : उनक रसच
त त प का साइंस के मुखपृ पर का शत ई थी।

आसानी से उपल न रह

सतही काय से जुड़ी कोई भी चचा ई-मेल का ज कए बना पूरी नह हो सकती। यह


सतही ग त व ध नॉलेज वकस के यान पर हावी रहने के मामले म खासतौर पर छलावे से
भरी होती है। य क यह यान भटकानेवाली एक ऐसी चीज़ को नरंतर आपक ओर
भेजती रहती है, जसे खासतौर पर आपके लए तैयार कया गया है। ई-मेल का सव ापी
इ तेमाल हमारी ावसा यक आदत म इतनी गहराई तक बस चुका है क अब हम यह भी
भूलने लगे ह क जीवन म ई-मेल क भू मका के बारे म आ खरी नणय लेने का अ धकार
अब भी हमारे ही पास है। जैसा क जॉन मैन ने सन 2009 म का शत अपनी कताब
‘द टायरनी और ई-मेल’ म चेतावनी दे ते ए कहा था, ‘धीरे-धीरे हम - सावधानीपूवक और
ज टल ढं ग से - यह करने क अपनी मता ख म करते जा रहे ह क अपने
काय दवस का सही बंधन करने को लेकर कोई शकायत करना, तरोध करना या फर
उसे एक नया प दे ना हमारे लए इतना गलत य है।’ अब ई-मेल नय त है और तरोध
करना नरथक है।

यह रणनी त इसी नय तवाद को र करती है। आप ई-मेल नामक इस टू ल को पूरी तरह


अनदे खा नह कर सकते, पर इसका मतलब ये भी नह है क आप अपने मान सक
प र य म इसक भू मका तय करने का अ धकार याग द। अगले ह से म मने तीन
यु य का वणन कया है। जनक मदद से आपको पता चलेगा क ई-मेल पर आपका
समय और यान कस तरह खच होना चा हए और आपक वाय ा म आनेवाली वह कमी
कैसे रोक जाए, जसका ज जॉन मैन ने अपनी कताब म कया था। तरोध
नरथक नह है; इले ॉॅ नक डवाइसेस के मा यम से होनेवाले संवाद पर आपका नयं ण
अपनी क पना से कह यादा होता है।

यु -1: ई-मेल भेजनेवाल से यादा काम करा

अ धकतर नॉन- फ न (कहा नय से अलग सा ह य) लेखक तक प ँचना आसान होता


है। वे अपनी वेबसाइट पर एक ई-मेल ए ेस दे ते ह, साथ ही अपने पाठक को कोई भी
अनुरोध या सुझाव करने के लए खुला नमं ण दे ते ह। कई लेखक तो पाठक क
त या को इस लए भी ो सा हत करते ह ता क इससे वे अपने पाठक का एक
‘समुदाय’ बना सक। लेखक क नया म इसे काफ ज़ री माना जाता है जब क म ऐसा
नह मानता।

अगर आप मेरी बेवसाइट के कॉ टे ट पेज पर जाएँग,े तो पाएँगे क वहाँ सामा य इ तेमाल


के लए कोई ई-मेल ए ेस नह दया गया है। ब क मने ऐसे य क सूची दे रखी है,
जनसे आप अलग-अलग काय के लए संपक कर सकते ह। जैसे इनम से एक है, मेरा
लटरेरी एजट, जससे आप मेरी कताब वगैरह के अ धकार लेने के लए संपक कर सकते
ह या फर मेरे ी कग एजट से मेरे भाषण संबंधी ग त व धय के लए संपक कर सकते
ह। अगर आप मुझसे ही संपक करना चाहते ह, तो उसके लए भी मने एक ई-मेल ए ेस दे
रखा है पर यह सामा य इ तेमाल के लए नह है। मने यह ए ेस सफ इस लए दे रखा है
ता क अगर कोई कसी वशेष वजह से मुझसे संपक करना चाहे, तो कर सकता है पर उस
ए ेस पर ई-मेल भेजनेवाले को मेरा जवाब पाने क यादा उ मीद नह करनी चा हए :
अगर आपके पास मेरे लए कोई ऐसा ताव है या आप मुझे कोई ऐसा अवसर दलवा
सकते ह या फर कसी ऐसे मह वपूण से मेरा प रचय करवा सकते ह, जससे मेरा
जीवन और दलच बन सकता है, तो मुझे interesting [at] calnewport.com. पर ई-
मेल क जए। ऊपर जो कारण दए गए ह, उनम से म सफ उ ह ताव पर अपनी
त कया ँ गा, जो मेरे श ूल और दलच य के मुता बक ह गे।

म इस कोण को से र फ टर कहता ँ य क म अपने पाठक से कह रहा ँ क वे


मुझे ई-मेल भेजने से पहले खुद ही फ टर कर ल। इस फ टर के कारण इनबॉ स चेक
करने म खच होनेवाला मेरा ढे र सारा समय बच जाता है। से र फ टर का इ तेमाल शु
करने से पहले मने अपनी वेबसाइट पर सामा य इ तेमाल के लए अपना एक ई-मेल ए ेस
दे रखा था। आ य नह क मुझे ढे र लंबे-लंबे ई-मेल मलते थे, जनम खासतौर पर कसी
व श (और अ सर ज टल क म के) छा के लए सलाह माँगी जाती थी या फर
कॅ रयर संबंधी सवाल पूछे जाते थे। मुझे लोग क मदद करना पसंद है पर पाठक के ये
अनुरोध ब त यादा आते थे। ऐसे ई-मेल लखने म पाठक को तो यादा समय नह
लगता था पर उनका जवाब दे ने के लए मुझे काफ व तार से लखने क ज़ रत होती
थी। मेरे से र फ टर ने ऐसे यादातर संवाद को ख म कर दया है, जससे मेरे इनबॉ स
म आनेवाले ई-मे स क सं या उ लेखनीय प से घट गई। हालाँ क म अपने पाठक क
मदद करना चाहता ँ। इसी लए म अपनी ऊजा को एक नई दशा दे कर सावधानीपूवक
ऐसी जगह पर लगाता ँ, ज ह मने खुद चुना हो, ता क मेरे काय का अ धकतम भाव
पड़ सके। जैसे नया के कसी भी कोने म बैठे छा को यह अनुम त दे ने के बजाय क
वह मुझे कोई सवाल लखकर भेज,े अब म कुछ छा -समूह के साथ काफ करीब से काम
करता ँ। म इन समूह के छा के लए आसानी से उपल रहता ँ और उ ह बेहतर व
कह अ धक भावी सलाह दे सकता ँ।

से र फ टर का एक अ य लाभ यह है क ये अपे ा को फर से ा पत कर दे ता है।


मेरे ववरण म सबसे मह वपूण पं ये है: ‘म सफ उ ह ताव पर त या ँ गा, जो
मेरे श ूल और दलच य के मुता बक ह गे।’ यूँ तो ये बड़ी मामूली सी बात लगती है,
पर इससे इस बात पर गहरा फक पड़ता है क मुझे ई-मेल भेजनेवाले अपने संदेश के बारे
म या सोचते ह। अगर कसी ने आपको ई-मेल भेजा है, तो इसका अथ है क आपको
उसका जवाब दे ना पड़ेगा। ई-मेल के मामले म च लत सामा जक चलन यही है। हाँ, अगर
आप एक स ह, तो बात अलग है। इसी लए जब इनबॉ स संदेश से भरा हो, तो
अ धकांश लोग को ऐसा महसूस होता है क इन संदेश का जवाब दे ना उनक ज मेदारी
है।
इसके बजाय जब आप ई-मेल भेजनेवाल क अपे ा को इस हद तक कम कर दे ते ह
क उ ह लगने लगे क संभवत: आप उ ह जवाब नह दगे, तो इससे पूरा अनुभव ही बदल
जाता है। इस तरह आपका इनबॉ स ऐसे अवसर का सं ह बन जाता है, ज ह आप
खाली समय म दे ख सकते ह - और उनम से अपने लए लाभ द अवसर का चुनाव कर
सकते ह। इससे उन संदेश का ढे र नह लगता, ज ह आपने अब तक नह पढ़ा है और न
ही आपके ऊपर उ ह पढ़कर नपटाने का कोई मान सक दबाव है। अब आपक इ ा पर
नभर होगा क आप या करगे। पढ़ना चाह, तो पढ़ वरना नज़रअंदाज कर द। ऐसा करने
से आपका कोई नुकसान नह होगा और आप मनौवै ा नक प से मु महसूस करगे।

जब मने पहले-पहले से र फ टर का इ तेमाल शु कया, तो म इस बात को लेकर ज़रा


च तत था क यह कसी दखावे जैसा लगेगा - मानो मेरा समय मेरे पाठक के समय से
यादा क मती हो - और इससे लोग बुरा मान जाएँगे। पर मेरा यह डर सच सा बत नह
आ। अ धकतर लोग ने इस वचार को वीकार कर लया क अपने पास आनेवाले ई-
मे स को नयं त करना आपका अ धकार है य क लोग खुद भी अपने लए यही
अ धकार चाहते ह। सबसे मह वपूण यह है क लोग ने मेरी ता क सराहना क । चूँ क
अब उ ह मेरी त या क अपे ा ही नह थी इस लए अ धकांश लोग को इस बात से
कोई सम या नह थी क म उनके ई-मेल पर कोई त या नह ँ गा। (आमतौर पर
मामूली प से स लोग, खासकर लेखक, इस बात को लेकर ज़ रत से यादा च तत
रहते ह क उनके पाठक के लए उनक त या कतनी मह वपूण है।)

कुछ मामल म तो पाठक क अपे ा को इस तरह कम करने से आपक साख भी बढ़


जाती है। उदाहरण के लए एक बार एक ऑनलाइन काशन क संपादक ने मुझे उनके
संगठन का मेहमान-लेखक बनने का ताव भेजा। मेरे से र फ टर के चलते उ ह लगा
क म शायद ही उनके ताव पर कोई त या ँ । पर जब मने उ ह जवाबी ई-मेल
भेजा, तो ये उनके लए कसी सुखद आ य से कम नह था। इस बारे म उ ह ने जो कहा,
उसका सारांश कुछ इस कार है:

तो जब मने कैल को हमारे काशन के लए मेहमान-लेखक के तौर पर लखने का ताव


ई-मेल कया, उस समय मेरी अपे ा ब त कम थी। उ ह ने अपने से र फ टर म ऐसा
कोई उ लेख नह कया था क वे कसी काशन का मेहमान लेखक बनने के इ ु क ह,
इसी लए अगर वे मेरे ताव पर कोई त या नह दे त,े तब भी मुझे बुरा नह लगता। पर
जब उनक त या आई, तो म सचमुच रोमां चत हो उठ ।
मेरा से र फ टर इस सामा य रणनी त का सफ एक उदाहरण है। ज़रा ले हबट पर गौर
कर, जो टे नोलॉजी े से जुड़ी टाट-अप कंप नय के लए ाउड-फं डग (3 ) अ भयान
चलाने के वशेष ह। उनके इस नर के चलते ब त से लोग उनक सलाह लेना चाहते ह
और उनसे ई-मेल या अ य मा यम से संपक करते रहते ह। फो स डॉट कॉम म से र
फ टस पर का शत एक रपोट के अनुसार, ‘एक समय ऐसा आया, जब हबट क मता
से यादा लोग उनसे संपक करने लगे और उनके लए हर ई-मेल का जवाब दे ना असंभव
हो गया। इसी लए उ ह ने ये फ टस तैयार कए, जो सलाह या मदद माँगनेवाले के कंध
पर ही अ धकांश ज मेदारी डाल दे ते ह।’

हालाँ क हबट ने भी उसी उ साह के साथ शु आत क थी, जो मेरे मन म था, ले कन उनके


फ टस ने एक नया ही प ले लया। हबट के साथ संपक करने के लए सबसे पहले
आपको उनक बेवसाइट पर जाना होगा, FAQ ( वे टली आ ड वे स या अ सर
पूछे जानेवाले सवाल) वक प क मदद लेनी होगी ता क आप यह जान सक क आप जो
सवाल पूछ रहे ह, उसका जवाब पहले दया जा चुका है या नह । ( फ टस का इ तेमाल
शु करने से पहले हबट के पास आनेवाले यादातर सवाल इसी ेणी के होते थे।) FAQ
के इस फ टर से बच गए, तो फर आपको एक सव म ह सा लेना होगा। जससे हबट को
यह समझने का मौका मल जाता है क उनके लए कसका संदेश उ चत है। हबट से
संपक करने क या म जो लोग इस चरण को भी पार कर जाते ह, उनसे संवाद करने
के लए हबट एक न त शु क लेते ह। इस शु क का उ े य अ त र कमाई करना नह
है ब क उन य का चुनाव करना है, जो हबट से सलाह लेने और फर उस सलाह पर
अमल करने के त सचमुच गंभीर होते ह। इन सब चीज़ के बावजूद हबट के फ टस
उ ह सर क मदद करने और दलच अवसर हा सल करने म उ लेखनीय सहायता
करते ह। साथ ही इन फ टस ने हबट के पास आनेवाले संदेश क सं या इस हद तक
कम कर द है क अब हबट उ ह आसानी से संभाल सकते ह।

सरा उदाहरण है, एंटो नओ से टे नो का, जो ‘ रयल मैन टाइल’ नामक लॉग चलाते ह।
से टे न के फ टस क या दो चरण वाली है। अगर आप उनसे कोई सवाल पूछना
चाहते ह, तो आपको वह सवाल पो ट करने के लए उनके लॉग के कसी सावज नक पेज
पर भेज दया जाएगा। से टे नो को लगता है क पाठक के साथ गत संवाद म बार-
बार एक ही सवाल का जवाब दे ना थ है। अगर आप यह चरण पार कर लेते ह, तो वे
आपसे कुछ चेक बॉ सेस पर लक करके नीचे दए गए तीन वाद को पूरा करने के लए
कहते ह:
1) म ए टो नओ से टाइल (शैली) संबंधी ऐसा कोई सवाल नह क ँ गा, जसका जवाब
गूगल पर दस मनट सच करके ढूँ ढ़ा जा सकता है।

2) मेरा वसाय, जसका एंटो नयो से कोई लेना दे ना नह है, उसे बढ़ावा दे ने के लए म
एंटो नयो से बार-बार कोई ऐसा अनुरोध नह क ँ गा (इंटरनेट क भाषा म इसे ै मग
कहते ह), जो मने कह से यूँ ही कट-एंड-पे ट कया हो।

3) अगर एंटो नयो ने मेरे सवाल का जवाब 23 घंटे के अंदर दे दया तो बदले म म अपनी
ओर से कुछ अजन बय क मदद क ँ गा।

लॉग के जस मैसेज बॉ स म आप अपना मैसेज टाइप करते ह, वह कॉ टे ट पेज पर तब


तक दखाई नह दे ता, जब तक आप इन तीन वाद को नभाने के लए इनके चेकबॉ स
पर लक नह कर दे ते।

सं ेप म कह, तो ई-मेल म अंत न हत तकनीक प रवतनकारी होती है पर हम इन


तकनीक को कैसे लागू कर, इसे दशा दखानेवाले वतमान सामा जक चलन का वकास
अभी अधूरा है। सारे ई-मेल एक ही इनबॉ स म आते ह, भले ही ई-मेल ेषक या ई-मेल
का उ े य जो भी हो। ऐसे म यह धारणा क हर ई-मेल का समय पर जवाब दया जाना
चा हए, अपने आपम एक बेतुक और अनु पादक धारणा है। इससे जुड़ी तय को
बेहतर बनाने के लए से र फ टर एक छोटा पर उपयोगी कदम है। यह एक ऐसा वचार
है, जसका अब समय आ चुका है। कम से कम उ मय और लांसस, जनके पास
अ सर ढे र ई-मेल आते ह और जनम अपनी उपल ता पर नयं ण रखने क मता है,
उनके मामले म तो ऐसा ही है (म चा ँगा क बड़े संगठन म ऑ फस के अंदर होनेवाले
संवाद पर भी यही नयम लागू ह , ले कन अ याय-2 म दए गए कारण के लहाज से
दे ख, तो अभी ऐसा होना र क कौड़ी लगता है।) अगर संभव हो, तो से र फ टर को
एक ऐसे तरीके के प म दे ख, जसक मदद से आप अपने समय और यान पर दोबारा
नयं ण पा सकते ह।

यु -2: जब आप कोई ई-मेल भेज या जवाब द तो अ धक काम कर

आगे तुत कए गए ई-मे स पर गौर कर:

ई-मेल 1: पछले ह ते आपसे मलकर ब त अ ा लगा। इस मुलाकात म हमने जन


मसल पर बातचीत क , उन पर आगे चचा करके मुझे ब त खुशी होगी। तो या आप
कसी दन मेरे साथ कॉफ पीना चाहगे?

ई-मेल 2: पछली बार हमने शोध से जुड़ी जस सम या पर बात क थी, हम उस पर


दोबारा गौर करना चा हए। या आपको याद है क हमारी चचा कस ब तक प ँची थी?

ई-मेल 3 : हमारी बातचीत म जस लेख का ज आ था, मने उसे पढ़ा। म आपको उस


लेख का अटै चमट म भेज रहा ँ। इसके बारे म आपके या वचार ह?

अ धकांश नॉलेज वकस इन तीन उदाहरण से प र चत ह गे य क उनके इनबॉ स म


अ सर इसी क म के ई-मेल आते ह, जो आमतौर पर उ पादकता क संभा वत खदान
जैसे होते ह। इन पर आपक जो भी त या होगी, उसका इस बात पर काफ मह वपूण
भाव पड़ेगा क इनके प रणाम व प होनेवाले संवाद म आपका कतना समय और
यान खच होगा।

पूछताछ से जुड़े ऐसे ई-मेल को दे खकर आपम त काल त या दे ने क सहज वृ


उभर आती है य क आप उस ई-मेल को - अ ाई प से ही सही - ले कन ज द से
ज द नपटाना चाहते ह। त काल त या दे ने से आपको अ ाई राहत मलती है।
य क इस तरह आप ई-मेल म न हत ज मेदारी को अपने कंध से हटाकर वापस ेषक
के कंध पर डाल दे ते ह। हालाँ क यह राहत अ ाई ही होती है य क यह ज मेदारी
आपके कंध पर बार-बार आती रहेगी और आपका समय व यान खच कराती रहेगी।
इसी लए मेरा सुझाव है क जब भी आपके सामने ऐसा कोई सवाल आए, तो जवाब दे ने से
पहले पलभर के लए ठहर और पहले खुद को न न ल खत सवाल का जवाब द:

यह ई-मेल कस ोजे ट का त न ध व करता है और इसके संदभ म एक सफल न कष


पर प ँचने क सबसे भावी या या होगी?

इस सवाल का जवाब दे ने के बाद भी त काल त या न द। ब क थोड़ा समय ल और


उस भावी या का वणन कर, जसक आपने पहचान क हो, उन कदम क ओर
इशारा कर, ज ह वतमान म उठाना ज़ री है और अगले कदम पर जोर द। म इसे ई-मेल
का या-क त कोण कहता ँ। इसे कुछ इस तरह वक सत कया गया है क
इससे न सफ आपको मलनेवाले ई-मेल क सं या कम हो जाएगी ब क ई-मेल के चलते
पैदा होनेवाला मान सक बोझ भी कम हो जाएगा।
इस या को और इसके कारगर होने के पीछे के कारण को बेहतर ढं ग से समझने के
लए आपको या-क त त या पर वचार करना होगा। इन या-क त
त या के तौर पर नीचे तीन नमूने दए जा रहे ह, जन पर आप वचार कर सकते ह।

ई-मेल 1 पर या-क त त या : ‘मुझे आपके साथ कॉफ पीकर खुशी होगी।


च लए, यू नव सट कपस म त टारब स म मलते ह। अगले स ताह मेरे पास दो दन
का समय खाली है। मुलाकात का समय या होगा, इसके लए म हर दन के लए तीन-
तीन वक प दे रहा ँ। इसके हसाब से आप जब भी मुझसे मलने आना चाह, आपका
वागत है। म आपके जवाबी ई-मेल को ही इस मुलाकात के लए आपक ‘हाँ’ मान लूँगा।
अगर मेरे ारा सुझाए गए दन व समय पर आना आपके लए संभव न हो, तो मुझे नीचे
दए गए नंबर पर कॉल क रए और हम मुलाकात का दन और समय तय कर लगे। मुझे
आपके जवाब का इंतजार रहेगा।’

ई-मेल 2 पर या-क त त या : म आपक इस बात से सहमत ँ क हम इस पर


दोबारा गौर करना चा हए। मेरा सुझाव है क...

‘हमारे बीच इस सम या पर ई चचा के जो ब आपको मह वपूण लगते ह , उ ह अगले


स ताह कसी दन मुझे ई-मेल कर द जए। आपका यह ई-मेल मलने के बाद म इस
ोजे ट के लए एक साझा डायरे शु कर ँ गा और इसम एक वशेष द तावेज भी
जोड़ ँ गा। आप अपने ई-मेल म जो भी लखकर भेजगे, इस द तावेज म उसका सार
होगा। साथ ही हमारी चचा क जो बात मुझे मह वपूण लगती ह, उ ह भी इसी म जोड़
ँ गा। इस द तावेज के ज रये म अगले दो या तीन मु य कदम पर काश डालूँगा।

इसके बाद हम कुछ स ताह तक उन अगले कदम पर काम करगे और फर दोबारा एक-
सरे से चचा करगे। मेरा सुझाव है क इस बारे म फोन पर बात करने के लए हम आज से
एक महीने बाद का कोई दन तय कर लेते ह। म नीचे दनांक और समय के कुछ वक प दे
रहा ँ, जब म फोन कॉल के लए उपल र ँगा। जब आप अपनी त या द, तो इन
वक प म से वह दनांक और समय चुनकर बता सकते ह, जो आपके लए सु वधाजनक
हो। आपका जवाबी ई-मेल ही इस फोन कॉल के लए हमारी आपसी सहम त दशाएगा।
मुझे इस सम या क गहराई म जाने का इंतजार रहेगा।’

ई-मेल 3 पर या-क त त या : ‘मुझसे संपक करने के लए ध यवाद। म लेख का


यह ा ट पढ़ लेता ँ। अगले शु वार को आपको इसका संपा दत सं करण भेज ँ गा,
जसम मेरी ट प णयाँ भी ह गी। म आपको जो सं करण भेजूँगा, उसम जतना संभव
होगा, संपादन कर ँ गा और साथ ही अपनी ट प णयाँ भी जोड़ ँ गा, ता क उन ान पर
आपका यान आक षत कर सकूँ, जहाँ सुधार क ज़ रत है। मुझे लगता है क इसके बाद
आपके पास इस लेख का ऐसा सं करण तैयार हो जाएगा, जसे बस थोड़ा और बेहतर
बनाकर काशन के लए जमा कया जा सकेगा। मेरे इस ई-मेल का जवाब दे ने क
आव यकता नह है। संपा दत सं करण मलने के बाद भी उसके बारे म मुझे बताने का
क न कर - हाँ, अगर कोई सम या आती है, तो अलग बात है।’

इन त न ध त या को नमूने के तौर पर तैयार करने क शु आत मने ई-मेल म


न हत ोजे ट् स क पहचान करके क । यान द, यहाँ ‘ ोजे ट’ श द का इ तेमाल ज़रा
अ ढं ग से कया जा रहा है। इसके दायरे म वशाल चीज़ के अलावा रसच संबंधी
सम या का हल ढूँ ढ़ने जैसे ोजे ट् स भी (उदाहरण 2) आते ह। साथ ही यह कॉफ के
बहाने मुलाकात करने (उदाहरण 1) जैसी छोट -मोट चुनौ तय पर भी उतनी ही आसानी
से लागू होता है। इसके बाद मने कुछ मनट का समय लेकर एक ऐसी या पर सोच-
वचार कया, जो हम वतमान अव ा से मनचाहे प रणाम क ओर ले जाए और इसके
लए यूनतम ई-मेल संदेश क ज़ रत पड़े। इसका अं तम चरण था, एक ऐसा जवाबी ई-
मेल लखना, जो न सफ या का वणन करे ब क यह भी बताए क हमारी
वा त वक त या है। ये सारे उदाहरण जवाबी ई-मेल पर क त ह पर यह होना
चा हए क ठ क यही कोण तब भी कारगर स होता है, जब आप जवाबी ई-मेल के
बजाय सामा य ई-मेल लख रहे ह ।

या-क त त या का यह कोण आपके समय और यान पर ई-मेल तकनीक के


भाव को काफ कम कर दे ता है। इसके दो कारण ह। पहला ये क इसके चलते आपके
इनबॉ स म आनेवाले ई-मेल क सं या उ लेखनीय ढं ग से कम हो जाती है (अगर अपने
जवाबी ई-मेल को लेकर सावधानी न बरती जाए, तो कॉफ पर मुलाकात तय करने जैसी
मामूली सी चीज़ के कारण भी कुछ ही दन म दजनभर से भी यादा ई-मेल आए ह)।
या-क त त या का कोण न सफ इनबॉ स पर खच होनेवाला समय कम कर
दे ता है ब क इस दौरान आपको जो मान सक ऊजा खच करनी पड़ती है, वह भी बच
जाती है।

अगर म डे वड एलन से चुराए ए श द का इ तेमाल करते ए क ,ँ तो इसका सरा


कारण है क ‘एक अ ा या-क त संदेश, संबं धत ोजे ट से जुड़े व भ ई-मेल के
‘लूप को फौरन बंद कर दे ता है।’ आप जो ई-मेल भेजते या ा त करते ह, जब उसके
मा यम से कोई ोजे ट शु करने क पहल क जाती है, तो वह ई-मेल आपके लए
मान सक बोझ जैसा हो जाता है - वह एक ऐसी चीज़ बन जाता है, जससे आपको
नपटाना है य क उसे आपके यान म लाया गया है और अंतत: आपको उस पर काम
करना ही होगा। हालाँ क या-क त त या जैसे ही शु होती है, वह इस मु लूप
को बंद कर दे ती है। या के ज रये काम करके, अपनी कायसूची म ज़ री काय को
जोड़कर और सामनेवाले को इस ोजे ट के संदभ म स य करके आपका मान सक
बोझ कम हो जाता है। कम मान सक बोझ का अथ होता है गहन सोच- वचार के लए
अ धक मान सक संसाधन क उपल ता।

हो सकता है क शु -शु म या-क त ई-मे स वाभा वक न लग। ऐसे ई-मे स


लखने के पहले उनके बारे म पया त सोच- वचार करना ज़ री होता है। ऐसा करते समय
आपको लग सकता है क आप ई-मेल पर कुछ यादा ही समय खच कर रहे ह। पर याद
रख क इस पर जो अ त र दो या तीन मनट खच ह गे, उनके चलते आपको बाद म
अनाव यक ई-मे स पढ़ने और उनका जवाब दे ने के लए ढे र सारा समय बरबाद नह
करना पड़ेगा।

अगला मु ा ये है क संभवत: या-क त संदेश अ वाभा वक और ज़ रत से यादा


तकनीक क म के लगगे। ई-मेल को लेकर वतमान सामा जक चलन ऐसा है, जो संवाद
क एक वशेष शैली को बढ़ावा दे ता है। या-क त संवाद म आमतौर पर इ तेमाल
होनेवाले अपे ाकृत अ धक व त श ू स और नणय से इस शैली का टकराव
होता रहता है। अगर यह आपके लए चता का वषय है, तो मेरा सुझाव है क अपने
संदेश म एक लंबी संवादा मक भू मका जोड़ना शु द। आप चाह, तो ई-मेल लखते
समय इस शु आती ह से से या-क त भाग को अलग कर द और दोन के बीच एक
वभाजन रेखा ख च द। या फर आप इस पर ‘ ता वत अगला चरण’ का लेबल भी लगा
सकते ह ता क इसका तकनीक वर संदभ के अनुसार अ धक उपयु लगे।

ये मामूली परेशा नयाँ अंतत: लाभ द सा बत होती है। इनबॉ स म आनेवाले ई-मेल वा तव
म या ताव लेकर आ रहे ह, इस बारे म पया त सोच- वचार करने से आप मह वपूण
काय करने क अपनी मता पर इस तकनीक के नकारा मक भाव को काफ हद तक
कम कर दे ते ह।

यु -3: अपनी ओर से कोई त या न द

एमआईट का ेजुएट छा होने के चलते मुझे कई मश र श ा वद के साथ संवाद करने


का मौका मला। इन संवाद के दौरान मने गौर कया क ई-मेल के त उनम से अ धकतर
का कोण काफ दलच ले कन लभ क म का था: आमतौर वे अपने इनबॉ स म
आनेवाले ई-मे स पर कोई त या नह दे ते थे।

समय के साथ मुझे पता चला क उनके इस वहार के पीछे उनक सोच या थी। उनका
मानना था क ई-मेल भेजनेवाले क यह ज मेदारी है क वह अपने संदेश से आपको यह
महसूस करा दे क जवाबी ई-मेल भेजना साथक होगा। अगर आप इनम से कसी ोफेसर
को ई-मेल भेज रहे ह और आपका संदेश उ ह जवाबी ई-मेल लखने के लए े रत नह
करता और जवाबी ई-मेल लखने म जो मेहनत लगती है, उसे कम नह करता तो इसका
अथ है क आपको अपने ई-मेल का कोई जवाब नह मलेगा।

उदाहरण के लए अगर आप इन मश र श ा वद को न न ल खत ई-मेल भेजगे, तो


संभवत: वे आपको कोई जवाब नह दगे:

हेलो ोफेसर,

म कसी दन आपसे मलकर फलाँ वषय पर चचा करना चाहता ँ। या आप उपल


रहगे?

इस कार के ई-मेल का जवाब दे ने के लए काफ मेहनत करनी पड़ेगी ( य क ‘ या आप


उपल रहगे?’ इतना अ सा सवाल है क इसका जवाब फौरन नह दया जा
सकता।) इसके अलावा इस ई-मेल म ऐसा कोई तक भी तुत नह कया गया है, जससे
लगे क इस ता वत बातचीत के लए समय दे ना ोफेसर के लए साथक होगा। इन
आलोचना को यान म रखते ए, म आपके लए इसी ई-मेल का एक अ य सं करण
तुत कर रहा ,ँ जसका जवाब आने क संभावना अपे ाकृत कह यादा होगी:

हेलो ोफेसर,

म अपने सलाहकार ोफेसर के साथ फलाँ वषय से जुड़े एक ोजे ट पर काम कर रहा
ँ। अगर आपक अनुम त हो, तो म गु वार को आपका ऑ फस ख म होने से पं ह मनट
पहले आकर आपसे मलना चा ँगा ता क आपको व तार से बता सकूँ क हम या करने
जा रहे ह और इससे आपके वतमान ोजे ट को या लाभ हो सकता है?

पहले ई-मेल के मुकाबले सरा ई-मेल श द म यह बताता है क यह मुलाकात


साथक य है। साथ ही यह पूरा संदेश इस क म का है क ोफेसर को इसका जवाब दे ने
के लए यादा मेहनत या सोच- वचार करने क ज़ रत नह पड़ेगी।
यह यु आपसे कहती है क आपके वसाय म जतना संभव हो, ई-मेल के त
आपका कोण भी इन ोफेसस क तरह मलाजुला क म का होना चा हए। इस काय
म आपक मदद करने के लए नीचे तीन नयम दए जा रहे ह। जनका उपयोग करके
आपको यह पता लगाने म आसानी होगी क कौन सा संदेश त या दे ने लायक है और
कौन सा नह ।

ोफेसस क तरह ई-मेल का वग करण: ऐसे कसी भी ई-मेल का जवाब न द, जन पर


न न ल खत बात लागू होती ह -

1) अगर आपको ा त आ ई-मेल अ हो या फर उसका उ चत जवाब दे ना क ठन


हो।

2) अगर उसम दए गए ताव म आपको कोई दलच ी न हो।

3) अगर जवाब दे ना लाभदायक न हो और जवाब न दे ना हा नकारक न हो।

आमतौर पर कई ई-मेल इसका अपवाद होते ह। उदाहरण के लए अगर आपके पास कोई
ऐसा ई-मेल आता है, जो नह है और उसम ता वक ोजे ट म भी आपको कोई
दलच ी नह है, पर वह ई-मेल आपक कंपनी के सीईओ ने भेजा है। ऐसे म है क
आप उसे नज़रअंदाज नह कर सकते और आपको उसका जवाब भेजना होगा। हालाँ क
अगर ऐसे अपवाद को छोड़ दया जाए, तो ोफेसस का यह कोण आपसे यह माँग
करता है क जवाबी ई-मेल भेजने का नणय लेते समय आपको ज़रा बेरहमी से काम लेना
चा हए।

शु -शु म यह यु आपके लए असु वधाजनक हो सकती है य क इसके चलते ई-


मेल से संबं धत एक मु य वतमान चलन बंद होने लगता है : ‘संदेश क ासं गकता और
उपयु ता क परवाह कए बना यह मान लेना क सामनेवाला जवाबी ई-मेल भेजेगा।’
अगर आप इस कोण को अपनाते ह, तो कुछ ऐसी नकारा मक चीज़ भी ह गी, जनसे
आप बच नह सकते। जैसे कुछे क लोग ऐसे ज़ र ह गे, जो आपके इस कोण के
कारण मत या नाराज हो जाएँगे - खासकर अगर उ ह ने ई-मेल से संबं धत मानक चलन
क अनदे खी या कसी को उन पर सवाल उठाते ए न दे खा हो। अगर ऐसा होता है, तो
कोई बात नह । जैसा क लेखक टम फे रस ने एक बार लखा था: ‘छोट -मोट
नकारा मक चीज़ होने द और इसे अपनी आदत बना ल। अगर आप ऐसा नह करगे, तो
आपको जीवन बदल डालनेवाली बड़ी चीज़ के लए कभी समय नह मलेगा।’ आपको
यह जानकर कुछ राहत मलेगी क एमआईट के ोफेसस ने पाया क लोग आपक संवाद
संबंधी आदत के हसाब से ज द ही अपनी अपे ा को कम कर लेते ह। दरअसल
ज दबाजी म लखे गए उनके संदेश पर आपका कोई जवाब न दे ना उनके लए इतना
मह वपूण भी नह होता, जतना नज़र आता है।

इस कोण को अपनाने से शु आत म जो असु वधा होती है, एक बार जब आप उससे


उबर जाएँग,े तो इससे मलनेवाले लाभ का अनुभव करगे। ई-मे स के इस बढ़ते बोझ को
कम करने के उ े य से जब भी कोई चचा होती है, तो दो मु े उभरकर सामने आते ह।
पहला ये क आपका एक ई-मेल, कई और ई-मेल के अ त व म आने का बहाना बन
जाता है। जब क सरा ये क अ और अ ासं गक ई-मे स से जूझना इनबॉ स संबंधी
मान सक तनाव का सबसे बड़ा कारण है। यहाँ आपको जस कोण से प र चत कराया
गया है, वह इन दोन मु से पूरी आ मकता के साथ नपटता है - आप अपे ाकृत कम
ई-मेल भेजते ह और अपने इनबॉ स म आनेवाले उन ई-मे स को नज़रअंदाज कर दे ते ह,
ज ह नपटाना आसान नह है - ऐसा करके आप अपने समय और यान पर इनबॉ स क
पकड़ उ लेखनीय ढं ग से कमजोर कर दे ते ह।
1 मने जन अ ययन का हवाला दया है, वे उ े यपूण- दशन संबंधी ग त व धय पर गौर
करनेवाले अ ययन ह - जो हमारी गहन काय क प रभाषा को काफ हद तक (ले कन पूरी
तरह नह ) ओवरलैप करते ह। हमारे उ े य के संदभ म उ े यपूण- दशन वा तव म
मान सक प से मु कल काय क सामा य ेणी का एक अ ा वक प है। गहन काय
इसी से जुड़ा होता है।

2 ऐसा काम जसे करने वाले, जनक मु य पूँजी उसका ान हो, जैसे ो ा मग,
इंजी नय रग, अकाउं टे सी, आ कटे चर और वकालत वगैरह।

3 कसी काय के लए आम लोग से ऑनलाइन चंदा लेकर पैसा जुटाना


उपसंहार

माइ ोसॉ ट क ापना क कहानी इतनी बार कही जा चुक है क अब यह एक आदश


कहानी सी बन गई है। सन 1974 क स दय म हावड यू नव सट के युवा छा बल गेट्स
को पॉपुलर इले ॉ न स नामक प का के मुखपृ पर नया का पहला पसनल कं यूटर
ए टे यर दे खने का मौका मला। गेट्स को इसम एक अवसर नज़र आया। उ ह एहसास
आ क इस मशीन के लए सॉ टवेयर बनाए जा सकते ह। बस फर या था, उ ह ने
बाक सारे काम छोड़कर, पॉल एलन और माँटे डे वडॉफ क मदद से अगले आठ स ताह म
ए टे यर के लए ‘बे सक’ (इअडखउ) नामक कं यूटर ो ा मग ल वेज का एक सं करण
तैयार कया। इस कहानी को अ सर बल गेट्स क गहन अंत और साहस के उदाहरण
के प म तुत कया जाता है पर उनके हा लया इंटर ू से उनक एक अ य वशेषता का
भी पता चलता है, जसने उनक सफलता म मह वपूण भू मका नभाई है। वह वशेषता है,
उनक गहन काय करने क अलौ कक मता।

प कार वॉ टर आईजै सन सन 2013 म हावड गैजेट म का शत अपने एक लेख म


बताते ह क इन आठ स ताह के दौरान बल गेट्स बड़ी गहनता के साथ काम करते थे। वे
कं यूटर ल वेज के कोड् स लखने म इस हद तक डू बे रहते थे क अ सर थककर चूर होने
के बाद अपने क -बोड पर ही नढाल होकर सो जाते थे। इस तरह अगले एक-दो घंटे तक
सोने के बाद जब वे उठते, तो दोबारा कोड् स लखने म जुट जाते। यह एक ऐसी मता है,
जसे पॉल एलन ‘एका ता का वल ण परा म’ करार दे ते ह। बाद म आईजै सन ने
अपनी कताब ‘द इनोवेटस’ म गहनता के त बल गेट्स क अनोखी वृ को कुछ इस
कार तुत कया : ‘एक चीज़ जो बल गेट्स को पॉल एलन से अलग करती है, वह है
उनक एका ता। एलन का दमाग व भ वचार और आवेग के बीच डोलता रहता, पर
गेट्स कसी धुनी क तरह नरंतर जुटे रहते।’

बल गेट्स क जुनूनी एका ता क कहानी का यही वह ब है, जो गहन काय के बारे म


मेरी दलील का सबसे बड़ा माण है। आज के सूचना युग म तेजी से बढ़ रही अशां त के
बीच ं दपूण ढं ग से शकायत व वरोध करना ब त आसान है। आज लोग अपने मोबाइल
फोन से जस तरह चपके रहते ह, उसे लेकर अधीर वभाव के लोग असहज महसूस करते
ह। वे धैयपूण एका ता के पुराने दौर को बार-बार याद करते ह। जब क हर नए ड जटल
चलन को फौरन अपनानेवाले लोग, पुराने दौर को याद करने क उनक इस वृ को,
बोरडम और बदलाव को वीकार न करने क उनक आदत करार दे दे ते ह। ड जटल
चलन को फौरन अपनानेवाले लोग मानते ह क ड जटल गैजेट्स क मदद से लोग का
एक- सरे के साथ यादा से यादा संपक म रहना ही एक आदश भ व य क न व है।
कनाडा के दाश नक माशल मै लुहन ने बताया था क ‘मा यम ही संदेश है,’ पर वतमान म
इस वषय पर जो चचाएँ होती ह, उ ह दे खकर तो ऐसा लगता है, मानो ‘मा यम ही
नै तकता है’ - यानी या तो आप फेसबुक नुमाँ भ व य के समथक ह या फर इसे अपने
पतन के प म दे खते ह।

जैसा क मने इस कताब क तावना म जोर दे कर कहा है, मुझे इस बहस म कोई
दलच ी नह है। गहन काय के लए वचनब ता कोई नै तकता नह है और न ही यह
कोई दाश नक वचन है - ब क यह तो बस एक ावहा रक समझ है क एका होने क
मता एक ऐसा कौशल है, जससे मह वपूण काय को पूरा कया जा सकता है। गहन
काय मह वपूण है, सरे श द म कह, तो इस लए नह य क यान भटकने म कोई बुराई
है ब क इस लए क इसी एका ता के चलते बल गेट्स एक सेमे टर से भी कम समय म
अरब डॉलर क एक इंड क न व रखने म कामयाब ए थे।

यह एक सबक भी है य क आ ये क मने अपने कॅ रयर म गत प से कई चीज़


को बार-बार दोबारा सीखा। म तो एक दशक से भी यादा समय से गहनता का उपासक ँ
पर आज भी कभी-कभी इसक श से हैरान रह जाता ँ। जब म गे्रजुएशन कर रहा था
- यही वह समय था जब मने इस कौशल को पहली बार जाना और इसे ाथ मकता दे ना
शु कया - तब मने पाया क गहन काय के चलते ही म हर साल कम से कम दो ऐसे
गुणव ापूण रसच पेपस लखने म कामयाब रहा, जनक समी ा मेरे सा थय ने क
( कसी भी छा के लए यह सं या एक स मानजनक दर है)। जब क इसके लए मुझे
कसी दन शाम को पाँच बजे के बाद या स ताहांत म काम भी नह करना पड़ा (जब क
मेरे सा थय के मामले म ऐसा होना लभ है)।

हालाँ क जैस-े जैसे मेरे ोफेसर बनने के दन करीब आ रहे थे, वैसे-वैसे म च तत होने
लगा। एक छा और डॉ टर क उपा ध हा सल करने के बाद शोध करनेवाले शोधकता के
तौर पर मेरे पास इतना यादा काम नह होता था क म हमेशा त र ँ। आमतौर पर मेरे
पास पूरा दन उपल होता, जसका इ तेमाल म मनचाहे ढं ग से कर सकता था। म
जानता था क अपने कॅ रयर के अगले चरण म मेरे पास यह सु वधा नह रहेगी। मुझे यह
व ास भी नह था क ज द ही शु होनेवाले अपने क ठन श ूल के साथ गहन काय
को एक कृत करने क वह मता मेरे अंदर है, जससे म अपनी उ पादकता बनाए रख
सकूँ। अपनी इस चता म घुलने के बजाय मने तय कया क म इस बारे म कोई नणायक
कदम उठाऊँगा: मने अपनी गहन काय क मता बढ़ाने के लए एक योजना बनाई।

अपने श ण के ये यास मने एमआईट म अपने आ खरी दो साल के दौरान कए थे।


उस समय म डॉ टर क उपा ध हा सल करने के बाद एक शोधकता के तौर पर स य था
और ोफेसर का पद पाने क राह दे ख रहा था। मेरी मु य रणनी त थी, अपने ऊपर कुछ
बं दश लगाना। ोफेसर बनने के बाद मेरे पास खाली समय क भारी कमी होनेवाली थी
और म उसी त के लए खुद को तैयार कर रहा था। रात को काम न करने के अपने
नयम के अलावा म दन म लंच बे्रक के दौरान भी थोड़ा अ त र समय नकाल लेता। म
इस अ त र समय का इ तेमाल करने के लए दौड़ने नकल जाता और लंच तभी करता,
जब दौड़ने के बाद वापस घर लौट आता। इसी दौर म मने ‘सो गुड दे का ट इ नोर यू’
शीषक से अपनी चौथी कताब लखने का ताव भी आ धका रक प से वीकार कर
लया था - यह एक ऐसा ोजे ट था, जो ज द ही मेरे अ धकांश समय पर अपना
अ धकार जमानेवाला था।

खुद ही लगाई इन बं दश को पार करने के लए मने गहनता के साथ काय करने क अपनी
मता को बढ़ाया। मने बड़ी सावधानी से गहन काय के समय क योजना बनानी शु क
और कोई आक मक काय आने पर भी उस समय को बचाकर रखा, ता क उसका उपयोग
गहन काय म हो सके। म हर स ताह पैदल चलते ए (मेरी उ पादकता के लए एक
वरदान) जो समय बताता था, उस दौरान मने अपने वचार पर सावधानीपूवक काम करने
क मता भी वक सत कर ली। साथ ही म ऐसे ान क खोज करने को लेकर भी
जुनूनी हो गया, जो बाक ान से कटा आ हो और जहाँ एका होना आसान हो।
उदाहरण के लए म ग मय के मौसम म अ सर बाकर इंजी नय रग लाइ ेरी म गुंबद के
नीचे बैठकर काम करता था - जो गुफा जैसा बड़ा ही मनभावन ान था। हालाँ क
श ा स के दौरान यहाँ छा क भीड़ काफ बढ़ जाती थी। जब क स दय के मौसम म
शां त के लए म ऐसे गु त ान क तलाश म रहता था, जो लोग के बीच घूमने-
फरनेवाली जगह के प म स न ह । आ खरकार मने ऐसे ान के तौर पर लुईस
यू जक लाइबे्ररी को ाथ मकता दे ना शु कर दया। यह एक छोटा ले कन ब ढ़या ान
था। एक बार तो मने ग णत संबंधी माण पर काम करने के लए ड जैसी पं य वाली
एक महंगी लैब-नोटबुक तक खरीद ली। इसके लए मने 50 डॉलस क रकम खच क थी।
मेरा व ास था क यह खच सोच- वचार के दौरान मुझे सावधानी बरतने के लए े रत
करेगा।
म इस बात से हैरान था क गहनता के त यूँ दोबारा तब होना मेरे लए कतना
कारगर सा बत हो रहा है। सन 2011 क शरद ॠतु म जॉजटाउन यू नव सट म कं यूटर
साइंस के ोफेसर के पद पर नयु होने के बाद मेरी ज मेदा रयाँ ब त तेजी से बढ़ । पर
म अब तक खुद को इसी के लए श त कर रहा था। मने न सफ अपनी रसच संबंधी
उ पादकता बचाकर रखी थी; ब क यह पहले से कह यादा बेहतर भी हो गई थी।
ावसा यक ज मेदा रय का यह बोझ बढ़ने के बाद, त वष दो अ े रसच पेपस
लखने क मेरी ग त बढ़कर चार अ े रसच पेपस त वष हो गई, जसे मने एक छा
के तौर पर कायम रखा था।

भले ही मेरा यह दशन अ ा रहा हो, ले कन ज द ही मुझे पता चला क अभी भी मेरा
दशन उस तर तक नह प ँचा है, जस तर पर गहन काय के ज रये प ँचना संभव है।
यह एहसास मुझे एक ोफेसर के तौर पर काम शु करने के बाद तीसरे साल म आ।
अपने दशन को बेहतर बनाने के अवसर खोजने के उ े य से मने सन 2013 क शरद
ॠतु से लेकर 2014 क ग मय तक अपने तीसरे साल के दौरान एक बार फर अपनी गहन
काय संबंधी आदत पर यान दे ना शु कया। गहनता के त इस कार दोबारा तब
होने के पीछे का एक बड़ा कारण वह कताब है, जो फलहाल आपके हाथ म है - इस
कताब का अ धकांश ह सा इसी अव ध म लखा गया है। स र हजार श द क इस
कताब को लखने के चलते मेरे त श ूल म कई नई बं दश जुड़ ग । साथ ही म यह
भी सु न त करना चाहता था क इसके चलते अकाद मक े म मेरी उ पादकता पर
कोई भाव न पड़े। गहनता क ओर वापस जाने का एक और कारण था, ोफेसर के तौर
पर मेरे कायकाल से जुड़ी या। अब मेरे पास नए रसच पेपस लखने के लए सफ
एक या दो साल का ही समय बचा था य क उसके बाद मुझे ाई ोफेसर के तौर पर
अपनी नयु के लए संबं धत ा धकरण म आवेदन जमा करना था। सरे श द म कह,
तो यही वह समय था, जसम अपनी मता का भरपूर दशन करना ज़ री था
(खासतौर पर इस लए भी य क म और मेरी प नी मेरा ाई कायकाल शु होने से
पहले आ खरी साल म एक ब ा चाहते थे, जो हमारी सरी संतान होता)। वह गहनता
अपनाने के पीछे जो आ खरी कारण था, वह न सफ अ धक गत था ब क मुझे
काफ परेशान करनेवाला भी था। दरअसल मने एक त त अनुदान के लए आवेदन
दया था, जो मेरे कई सहक मय को मल रही थी, ले कन मेरा आवेदन खा रज हो गया।
यह मेरे लए ब त ही श मदगी क बात थी और इसके चलते म काफ परेशान रहा।
इसी लए मने तय कया क शकायत करने या अपनी मता पर संदेह करने के बजाय
म अपने रसच पेपस क सं या और गुणव ा बढ़ाकर, वह अनुदान हा सल न कर पाने क
तपू त क ँ गा। ता क मेरी जगह उन लोग को खुद ही एक तरह से यह घोषणा करनी
पड़े क भले ही उस एक अनुदान के लए मेरा आवेदन खा रज कर दया गया हो, ले कन
मेरी मता पर संदेह नह कया जा सकता।

म पहले से ही गहन काय म संल न था पर इन तीन चीज़ ने मेरी इस आदत को


चरम पर प ँचा दया। म ऐसे काय को अ वीकार करने के मामले म ब त न ु र हो गया,
जनम ब त यादा समय खच होता हो। म अपना अ धकांश काम अपने ऑ फस के बाहर
ऐसे ान पर करने लगा, जो शांत और अलग-थलग ह । मने गहन काय म बताए गए
समय का हसाब लगाया, जो मेरी उ मीद से कम नकला। यह बात मुझे कतई अ नह
लगी। इस लए मने एक बार फर एमआईट वाले दन क आदत अपना ली क जब भी
थोड़ा सा खाली समय मले - जैसे ऑ फस आते-जाते समय रा ते म या अपने पालतू कु े
को सैर कराते समय - तो ज़ री काय पर सोच- वचार करके उस समय का स पयोग कर
लूँ। इससे पहले म डेडलाइन पास आने पर ही अपने गहन काय का समय बढ़ाता था, पर
इस साल म अपनी ओर से अथक यास कर रहा था - अ धकांशत: हर स ताह करीब-
करीब हर दन म खुद को प रणाम से जूझने के लए े रत करता रहता था, भले ही कोई
डेडलाइन पास आ रही हो या नह । म मे ो े न म सफर करते समय और अपने घर के
सामने से हर रोज बफ हटाते समय मन ही मन म सवाल को हल करता रहता था। इसी
तरह स ताह के अंत म अपने न ह बेटे को सुलाने के बाद म बरामदे म तेजी से चहलकदमी
करते ए सोच- वचार म जुटा रहता और ै फक जाम म फँसने पर मब ढं ग से उन
सवाल के हल खोजने म लगा रहता, जो अपनी क ठनता के चलते मुझे लगातार हैरान
करते रहते थे।

जैस-े जैसे यह साल आगे बढ़ा, म गहन काय करनेवाली कसी मशीन जैसा हो गया और
इस बदलाव से मले प रणाम ने मुझे हैरान कर दया। इस अव ध म मने एक कताब
लखी। इसी अव ध के दौरान मेरा बेटा दो साल का हो गया। (वह उ जसम अ धकांश
ब े बड़े उ ं ड हो जाते ह, जससे माता- पता क मु कल अचानक बढ़ जाती ह।) इसी
अव ध म मने अपनी अकाद मक उ पादकता दोगुनी से भी यादा कर ली - इस दौरान मने
नौ ऐसे रसच पेपस लखे, जनक समी ा मेरे सहक मय ने क । जब क इस दौरान भी
शाम के समय काम न करने का मेरा नणय जस का तस ही रहा।

म यह वीकार करना चा ँगा क चरम गहनता का मेरा यह साल शायद कुछ यादा ही
चरमपंथी क म का रहा: इसने मुझे मान सक प से थका दया था। इस लए मने तय
कया क आगे से अपनी इस ती ता को ज़रा कम रखूँगा। पर इस अनुभव से वही बात
सा बत होती है, जससे इस उपसंहार क शु आत ई थी: लोग को जतना लगता है,
गहन काय उससे कह अ धक भावशाली होता है। इस कौशल के त अपनी तब ता
के चलते ही बल गेट्स एक अ या शत अवसर का अ धकतम लाभ उठा सके और उनके
हाथ कं यूटर सॉ टवेयर इंड क शु आत हो सक । इसी कौशल के चलते म भी उसी
साल अपनी अकाद मक उ पादकता को दोगुना करने म कामयाब रहा, जस साल मने
अपनी ावसा यक ज मेदा रयाँ नभाने के साथ-साथ एक कताब लखने का नणय
लया। मेरा मानना है क यान क त रखनेवाले कुछे क लोग क ेणी म शा मल होने के
लए, भटके ए यानवाले अ धकतर लोग को पीछे छोड़ दे ना अपने आपम एक बड़ा ही
प रवतकारी अनुभव है।

न त ही गहनताभरा ऐसा जीवन हर कसी के लए नह होता। इसके लए कड़ी मेहनत


और अपनी आदत म बल बदलाव करने क ज़ रत होती है। कई लोग को ई-मेल के
ज रये नरंतर संवाद करने और सोशल मी डया पर दखावा करने म ही सुकून मलता है।
जब क गहन जीवन इनम से अ धकांश चीज़ को छोड़कर आगे बढ़ने क माँग करता है।
अपनी सव े मता के अनुसार काय करके सव े उ पादन करने क सारी को शश म
एक क म क बेचैनी हावी रहती है य क ऐसा करने पर आपको इस संभावना का
सामना करना पड़ता है क शायद आपका सव े काय उतना ब ढ़या भी नह है, जतना
आपको लगता है। अपनी सं कृ त पर ट पणी करना, जमीनी तर पर उतरकर उसम
सुधार क को शश करने से कह यादा आसान और सु वधाजनक होता है।

पर अगर आप इन सु वधा और अपने डर को एक कनारे रखकर आगे बढ़ने को तैयार


ह और जो चीज़ वाकई मायने रखती ह, उनक रचना करने के लए अपने मन को उसक
संपूण मता के साथ इ तेमाल करने को तैयार ह , तो आप पाएँगे क गहनता आपके
जीवन को उ पादकता और अथ से समृ कर दे ती है। आपसे पहले भी ब त से लोग ने
अपने जीवन म यही कया है। इस कताब के खंड-1 म मने ले खका वनी े ड गैलेगर के
हवाले से कहा था, ‘म एक एका तापूण जीवन जीऊँगी य क जीने का सव े तरीका
यही है।’ म गैलेगर क इस बात से पूरी तरह सहमत ँ। बल गेट्स भी इससे ज़ र सहमत
ह गे और उ मीद करता ँ क आपने यह कताब पढ़ ली है इस लए अब आप भी इससे
सहमत ह गे।
सर ारा र चत े पु तके

आ या मक वकास साध यासाठ या पु तकांचा लाभ या

यान द ा - यानाचे दान - ‘ व’ सा ीचं ान


संपूण यान - २२२ न
मृ यू उपरांत जीवन - मृ यू मोका क धोका
मृ यू अंत न हे वाटचाल... पारटू चं रह य
ई यर कोण मी कोण - आ मसा ा काराचामाग
तुझी इ ा तीच माझी इ ा - भ वरदान
The मन - कसे बनावे मन: नमन, सुमन, अमन आ ण अकंप
नःश द संवाद एक जा - जीवन जग याचे १११ उपाय
कसं ा त कराल - ई राचं मागदशन
कमयोग नाइ ट - येकाची गीता वेगळ आहे

युवकांनी या पु तकांचा लाभ यावा

आज या युवा पढ साठ - वचार नयम फॉर युथ


न व नाइ ट फॉर ट स् - बे ट कसे बनाल
नवरामायण फॉर ट स्

व वकासासाठ या पु तकांचा लाभ यावा

वसंवाद एक जा - आपला रमोट कं ोल कसा ा त करावा


नणय आ ण जबाबदारी - वचनब नणय आ ण जबाबदारी कशी यावी
बोरडम, मोह, अहंकार यांपासून मु - सू म वकारांवर वजय
आळसावर मात - उ साही जीवनाची सु वात
न तेची श - अहंकारातून मु
वकास नयम - आ मसंतु ीचं रह य
रचना मक वचारसू - ना व यपूण वचारां ारे जीवन बदल याचा माग
धीराचे धनवान बना - संतु लत जीवन संगीत
कशी मळे ल इ ांपासून मु
महापु षां या लेखणीतून...
A to Z २६ सू - प रपूण जीवनासाठ
सुगंध ना यांचा - सोनेरी नयमाची कमया
आ म मनोबल ा त कर या या ७ श - मनासारखं ल य कसं ा त कराल

या पु तकां ारे येक सम येचं समाधान ा त करा

वीकाराची जा - व रत आनंद कसा ा त करावा


भय, चता आ ण ोध यांपासून- मु

या आ या मक कादं बया ारे जीवनाचे गूढ रह य जाणा

यो य कमा ारे यश ा ती - सन ऑफ बु ा
शोध वतःचा - In Search of Peace
पृ वी ल य - मृ यूचं महास य
ःखात खुश राह याची कला - संवाद गीता
वॉव प ल श ज् ा. ल.

*र ज टड ऑ फस : ए-4, वैभव नगर, तपोवनमं दराजवळ, पपरी, पुणे -411017


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*न नवेदन *

व शांतीसाठ लाखो लोक दररोज सकाळ आ ण रा ी 9:09 म नटांनी


ाथना करत आहेत. कृपया, आपणही याम ये सहभागी हा.

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