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बड़ी सोच
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बड़ा जा

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बड़ी सोच
का
बड़ा जा

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डे वड जे. ाट् ज़

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अनुवाद : डॉ. सुधीर द त

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मंजुल प ल शग हाउस
कॉरपोरेट एवं संप ादक य कायालय
तीय तल, उषा ीत कॉ ले स, 42 मालवीय नगर, भोपाल-462 003

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व य एवं वपणन कायालय

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7 / 32, भू तल, अंसारी रोड, द रयागंज, नई द ली-110 002

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वेबसाइट : www.manjulindia.com

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वतरण के

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अहमदाबाद, बगलु , भोपाल, कोलकाता, चे ई,

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हैदराबाद, मु बई, नई द ली, पुणे

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डे वड जे. ाट् ज़ ारा ल खत मूल अं ेजी पु तक
द मै ज़क ऑफ़ थ कग बग का ह द अनुवाद

यह ह द सं करण पे रजी बु स के सहयोग से का शत

यह ह द सं करण 2012 म पहली बार का शत


29व आवृ : 2016

ISBN 978 - 81 - 86775 - 26 - 4

ह द अनुवाद : डॉ. सुधीर द त

सवा धकार सुर त। यह पु तक इस शत पर व य क जा रही है क काशक क


ल खत पूवानुम त के बना इसे या इसके कसी भी ह से को न तो पुन: का शत कया
जा सकता है और न ही कसी भी अ य तरीके से, कसी भी प म इसका ावसा यक
उपयोग कया जा सकता है। य द कोई ऐसा करता है। तो उसके व कानूनी
कारवाई क जाएगी।
समपण
डे वड तृतीय को

मेरे छह साल के बेटे डे वड ने जब कडरगाटन पास कया, तो मने उससे पूछा, “बड़े होकर

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तुम या बनना चाहते हो ?”

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डे वी ने मेरी तरफ़ यान से दे खा और जवाब दया, “डै डी, म ोफे़सर बनना चाहता

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ँ।”

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मने पूछा, “ ोफ़ेसर ? कस वषय का ोफ़ेसर ?”

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“डै डी,” उसने जवाब दया, “म सुख का ोफ़ेसर बनना चाहता ँ।”

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सुख का ोफ़ेसर! बड़ा मह वाकां ी इरादा था। या आपको ऐसा नह लगता?
तो यह पु तक महान ल य वाले डे वड और उसक माँ को सम पत ह।
वषय-सूची

तावना
यह पु तक आपके लए या करेगी
1. व ास कर क आप सफल हो सकते ह और आप हो जाएँगे
2. बहानासाइ टस का इलाज कराएँ, यह असफलता क बीमारी है
3. व ास जगाएँ, डर भगाएँ

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4. बड़ा कैसे सोच ?

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5. रचना मक तरीके़ से कैसे सोच और सपने दे ख

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6. जैसा सोचगे वैसा बनगे

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7. अपने माहौल को सुधार : फ़ ट लास बन

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8. अपने वचार को अपना दो त बनाएँ

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9. लोग के बारे म अ ा सोच

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10. काम म जुटने क आदत डाल

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11. हार को जीत म कैसे बदल
12. ल य बनाएँ, सफल बन
13. सोच तो लीडर क तरह
तावना
इतनी बड़ी पु तक य ? इस पु तक पर इतनी चचा आ ख़र य ? इस साल बारह हज़ार
पु तक छपगी। फर एक और पु तक य ?
मुझे इस बारे म कुछ कहने द।
कुछ साल पहले मने एक बेहद भावशाली से स मी टग म ह सा लया। इस
कंपनी का वाइस े सडे ट ब त यादा रोमां चत था। वह अपने से समैन को कोई

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मह वपूण बात समझाना चाहता था उसके साथ मंच पर उस संगठन का नंबर वन से समैन

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था, जो दख तो साधारण रहा था परंतु उसने अभी ख़ म ए साल म 60,000 डॉलर का

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बज़नेस कया था बाक़ से समैन ने औसतन 12,000 डॉलर कमाए थे।

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वाइस े सडे ट ने ुप से कहा, “म चाहता ँ क आप हैरी क तरफ़ यान से दे ख।

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आ ख़र हैरी म ऐसा या है, जो आप सबम नह है? हैरी ने औसत से पाँच गुना यादा

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कमाई क है, परंतु या हैरी आपसे पाँच गुना यादा माट है? नह , हमारे परी ण के

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हसाब से ऐसा नह है। मने ख़ुद यह परी ण कया है। परी ण से पता चला है क वह

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उतना ही माट है, जतने क आप लोग।”
“और या हैरी ने आप लोग से पाँच गुना यादा मेहनत क है ? नह : यह भी सही
नह है। वा तव म उसने आप लोग से यादा समय छु य म बताया है।”
“ या हैरी का इलाक़ा ब त ब ढ़या है। एक बार फर मुझे यही कहना पड़े गा क यह
बात भी नह है। उसका इलाक़ा बाक़ इलाक़ से ख़ास अलग नह है। या हैरी यादा
श त है ? या उसका वा य यादा अ ा है? एक बार फर, नह । हैरी उतना ही
औसत इंसान है जतने क आप लोग ह, परंतु उसम और आपम एक फ़क़ है।”
“हैरी और आप लोग म,” वाइस े सडे ट ने कहा, “यह फ़क़ है क हैरी क सोच
आपक सोच से पाँच गुना यादा बड़ी है।”
फर, ए ज़ी यू टव ने यह बताया क सफलता का संबंध इंसान के दमाग़ के
आकार से नह होता, ब क उसक सोच के आकार से होता है।
यह एक दलच वचार था। और यह मेरे दमाग़ म बार-बार आता रहा। मने लोग
को जतना दे खा, जतने यादा लोग के साथ बात क , म सफल लोग क ज़दगी म
जतनी गहराई तक गया, मुझे उतना ही लगता गया क यह सचमुच दलच और शानदार
वचार था। हर घटना मुझे यही बताती थी क कसी इंसान क सोच के आकार पर ही
उसके बक अकाउं ट, उसके सुख के अकाउं ट, और उसक संतु के अकाउं ट का आकार
नभर करता है। बड़ी सोच म सचमुच जा क ताक़त होती है।
“अगर बड़ी सोच से इतना सब हा सल होता है, तो फर हर इसी तरीक़े से
य नह सोचता ?” मुझसे यह सवाल कई बार पूछा जाता है। यहाँ इसका जवाब दया जा
रहा है। हम सभी अपने आस-पास के माहौल से भा वत होते ह। हमारी सोच हमारे
आस-पास क सोच का ॉड ट होती है। और हमारे आस-पास क यादातर सोच छोट
होती है, बड़ी नह । आपके चार तरफ़ एक ऐसा माहौल है जो आपको पीछे धकेलना
चाहता है, आपको ध के मारकर सेकंड लास ट म गराना चाहता है। आपको बार-बार

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बताया जाता है क नया म “लीडस भरे पड़े ह, कमी तो पीछे चलने वाले छोटे लोग क

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है।" सरे श द म आपको यह समझाया जाता है क लीडर बनने का मौक़ा मु कल से

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मलता है, और चूँ क नया म ब त सारे लीडस भरे पड़े ह, इस लए आप ज़दगी म छोटे

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आदमी बनकर ही सुखी रह।

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परंतु “लीडस भरे पड़े ह” वाले वचार म स ाई नह है। हर वसाय म चोट के

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लोग आपको बता सकते ह, “सम या यह है क छोटे लोग ब त यादा तादाद म होते ह

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और ब त कम लोग लीडस होते ह।”

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यह छोटा और घ टया माहौल कुछ और बात भी कहता है। यह आपको बताता है,
“जो –जो होना है, सो-सो होता है।” यानी क आपक क मत पर आपका ज़ोर नह
चलेगा, य क आपका “भा य" आपके कम से यादा ताक़तवर होता है। इस लए आप
अपने सपन को भूल जाएँ, बड़े घर क हसरत को भूल जाएँ, ब को कॉलेज भेजने के
अपने इरादे को भूल जाएँ, बेहतर ज़दगी को भूल जाएँ। सब कुछ क़ मत पर छोड़ द।
ब तर पर लेट जाएँ और मरने का इंतज़ार कर।
और यह बात भी आप सबने सुनी होगी, “सफलता क क़ मत ब त यादा होती
है,” य क चोट पर प ँचने के लए आपको अपनी आ मा, अपना पा रवा रक जीवन,
अपनी अंतरा मा व अपने जीवनमू य बेचने पड़ते ह। परंतु सच तो यह है क सफलता क
क़ मत इतनी यादा नह होती। आगे बढ़े हर क़दम से आपको लाभ ही होता है।
हमारे आस-पास का माहौल हम यह भी बताता है क जीवन म चोट के ान के
लए ब त यादा तयो गता होती है। परंतु या सचमुच ऐसा है? एक रोज़गार अ धकारी
ने मुझे बताया क 50,000 डॉलर तवष क नौक रय के लए जतने आवेदन उसके पास
आते ह, उससे 50 से 250 गुना आवेदन 10,000 डॉलर तवष क नौक रय के लए आते
ह। इसका मतलब है क फ़ ट लास एवे यू म नौकरी क तुलना म सेकंड लास ट पर
नौकरी करने म कम से कम 50 गुना यादा तयो गता का सामना करना पड़ता है। फ़ ट
लास एवे यू, यूएसए छोट सी वीरान सड़क है। वहाँ पर आप जैसे लोग के लए काफ़
जगह है, उन लोग के लए जो बड़ा सोचने का साहस कर पाते ह।
इस पु तक म जो मूलभूत स ांत और वचार ह, वे ब त ऊँची जगह से लए गए
ह, महान और े तरीके़ से सोचने वाले वचारक से लए गए ह। जैसे ॉफे़ट डे वड,
ज ह ने लखा था, “जैसा आप अपने दल म सोचते ह, आप वैसे ही होते ह।” या इमसन,
ज ह ने कहा था, “महान लोग वे होते ह जो यह दे ख सकते ह क वचार ही नया पर
शासन करते ह।” या फर म टन, ज ह ने पैराडाइज़ लॉ ट म लखा है, “म त क का
अपना ान न त होता है और यह वग को नक बना सकता है और नक को वग।”

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शे स पयर जैसे महान म त क वाले का कहना था, “कोई भी चीज़ बुरी या अ

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नह होती, हमारा नज़ रया ही उसे अ ा या बुरा बनाता है।”

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परंतु हम इस बात का माण कैसे मलेगा ? हम यह कैसे पता चलेगा क यह महान

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वचारक सही थे ? सवाल जायज़ ह। इसका माण हम अपने आस-पास के उन चु नदा

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लोग से मलेगा ज ह ने सफलता, उपल याँ और सुख हा सल करके यह सा बत कर

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दया है क बड़ी सोच सचमुच जा क तरह काम करती है।

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हमने यहाँ जो आसान क़दम सुझाए ह, वे कोरे स ांत नह ह, ज ह बना जाँचे-

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परखे हमने आपके सामने परोस दया है। वे कसी एक आदमी क राय या क पना क
उपज नह ह। वे जीवन क तय के बारे म आज़माई ई तकनीक ह और शा त प
से सफल होने वाली ऐसी तकनीक ह जो जा क तरह काम करती ह।
आप यह पृ पढ़ रहे ह इससे यह सा बत होता है क आप बड़ी सफलता हा सल
करने म च रखते ह। आप अपनी इ ा को पूरा करना चाहते ह। आप बेहतर
जीवनशैली का आनंद लेना चाहते ह। आप वे सारी चीज हा सल करना चाहते ह जो
आपको लगता है क आपके पास होनी चा हए। सफलता म च रखना एक अ त गुण
है।
आपम एक और अ त गुण है। आप इस पु तक को अपने हाथ म पकड़े ए ह,
इससे यह पता चलता है क आपम अपने ल य तक प ँचने के लए औज़ार खोजने क
बु भी है। कसी भी चीज़ को बनाने के लए, चाहे वह कार हो, पुल हो या मसाइल हो,
हम औज़ार क ज़ रत होती है। कई लोग सफल जीवन बनाने क को शश करते समय
यह भूल जाते ह क इस काम म उनक मदद करने के लए कई औज़ार भी ह। आप यह
नह भूले ह। आपम इस तरह दो ऐसे मूलभूत गुण ह जनक वजह से आप इस पु तक का
स ा लाभ उठा सकते ह : बड़ी सफलता हा सल करने क इ ा, और उस इ ा को पूरा
करने म कसी औज़ार क मदद लेने क बु ।
बड़ा सोच और आप जीवन म बड़े बन सकगे। आपको बड़े -बड़े सुख मलगे।
आपक उपल याँ बड़ी ह गी। आपक आमदनी बड़ी होगी। आपके दो त बड़े ह गे।
आपको लोग बड़ा स मान दगे।
तो वादे ब त हो चुके।
अब शु कर । अभी । और जान क आप अपनी सोच को कस तरह अलाद न के
चराग़ क तरह इ तेमाल कर सकते ह। महान दाश नक डज़राइली के इस वचार से शु
कर, “ ज़दगी इतनी छोट है क इसे घ टया नह होना चा हए।”

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यह पु तक आपके लए या करेगी?
इस पु तक के हर अ याय म आपको दजन शानदार, ावहा रक वचार, तकनीक और
स ांत मलगे। इन स ांत से आप बड़ी सोच क जा ई श का दोहन कर पाएँगे। ऐसा
करने से आप मनचाही सफलता, सुख, और संतोष हा सल कर पाएँगे। हर तकनीक को
यादा अ तरह से समझाने के लए असली ज़दगी का एक उदाहरण भी दया गया है।
आप न सफ़ यह समझ लगे क आपको या करना है, ब क आप यह भी समझ लगे क
इन स ांत को असली ज़दगी क तय और सम या म कस तरह लागू करना है।

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तो यहाँ यह बताया जा रहा है क यह पु तक आपके लए या करेगी और आपको

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सफलता पाने के लए कस रा ते पर चलना चा हए।

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व ास क श के सहारे सफलता तक प ँच

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सफल होने के लए यह व ास कर क आप सफल हो सकते ह

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अ व ास और इससे पैदा होने वाली नकारा मक श को हराएँ

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बड़ा सोचकर बड़े प रणाम हा सल कर
अपने दमाग़ म सकारा मक वचार ही सोच
व ास क श को वक सत कर
सफलता के काय म क योजना बनाएँ
बहानासाइ टस यानी असफलता क बीमारी का इलाज कर
यह जान क सेहत के त आपके नज़ रए का रह य या है
सेहत के बहानासाइ टस को हराने के चार सकारा मक क़दम का योग कर
जान क आपक सोच बु से यादा मह वपूण य है
सोच के लए अपने दमाग़ का उपयोग कर - इसे सफ़ त य का गोदाम न बनाएँ
बु के बहानासाइ टस का इलाज करने के तीन आसान तरीके़
उ क सम या को जीतना– “ब त छोटा” या “ब त बड़ा” होना
क़ मत के बहानासाइ टस को जीत और अपनी क़ मत चमकाएँ
डर भगाने और व ास जगाने के लए कम क तकनीक का योग कर
व ास बढ़ाने के लए मरण श को मैनेज कर
सरे लोग से डरना छोड़
अपनी अंतरा मा के हसाब से काम करके आ म- व ास बढ़ाएँ
व ासपूण काम करके व ासपूण सोच वक सत कर
व ास बढ़ाने और डर भगाने के पाँच सकारा मक क़दम
यह जान क सफलता आपक सोच के आकार से नापी जाती है

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अपने स े आकार को नाप और जान क आप कतने यो य ह

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आप जतने बड़े ह , अपने आपको उतना ही बड़ा मान

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इन चार उपाय से बड़े चतक क श दावली वक सत कर

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भ व य म या कया जा सकता है, यह क पना करके बड़ा सोच

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चीज़ , लोग और ख़ुद का मू य बढ़ाएँ

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अपने काम के बारे म ‘बड़ी सोच’ रख

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छोट -छोट बात से ऊपर उठ और मह वपूण बात पर यान द
ख़ुद को परख- टे ट दे कर पता लगाएँ क आपक सोच सचमुच कतनी बड़ी है
काम करने के नए और बेहतर तरीके़ खोजने के लए रचना मक सोच का योग कर
काम को कया जा सकता है। इस व ास के सहारे रचना मक श वक सत कर
अपने दमाग़ को कुंद करने वाली पारंप रक सोच
अपनी रचना मक श के योग से यादा और बेहतर काम कर
अपने कान और दमाग़ खुले रखकर अपनी रचना मकता बढ़ाने क तीन कुं जय
का योग कर
अपनी सोच को ापक बनाएँ और अपने दमाग़ को े रत कर
अपने वचार का दोहन और वकास कर, य क वचार आपक सोच के फल ह
मह वपूण दख, य क इससे मह वपूण सोचने म मदद मलती है
यह सोचकर मह वपूण बन क मह वपूण है आपका काम मह वपूण है
“ख़ुद के हाथ ख़ुद को बेचने” का अपना व ापन बनाएँ
अपनी सोच को आधु नक कर – मह वपूण लोग क तरह सोच
अपने माहौल क मदद ल
आपको पीछे करने के छोटे लोग के इराद को असफल कर
अपने काम के माहौल को मैनेज कर
फुरसत के ण म काफ़ मनोवै ा नक ऊजा इक कर

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अपने माहौल से ज़हरीले त व को बाहर नकाल फक

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अपने हर काम म फ़ ट लास बन

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ऐसे रवैए वक सत कर जनसे आप अपनी मनचाही चीज़ हा सल कर सक

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उ साही बन

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स े उ साह क श वक सत कर

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“आप–मह वपूण– ह ” का रवैया वक सत कर

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“पहले सेवा” के रवैए से यादा पैसा कमाएँ
सरे लोग के बारे म सही नज़ रया रखकर उनका सहयोग हा सल कर
अपने आपको लोक य बनाएँ
दो ती बनाने म पहल कर
लोग के बारे म सफ़ अ े वचार सोचने क तकनीक अपनाएँ
चचा म उदारता का अ यास करके दो त बनाएँ
बड़ा सोच, तब भी जब आप हार जाएँ या असफल ह
कमठ बन– आदश प र तय का इंतज़ार न कर
अपने वचार को काम क श ल द
डर भगाने और व ास जगाने के लए कम कर
म त क कैसे काम करता है, यह रह य जान
अभी के जा का सहारा ल
“बोलने” क आदत डालकर ख़ुद को सफल बनाएँ
लीडर बन
यह जान क असफलता सफ़ एक मान सक त है
हर असफलता से कुछ न कुछ सीख
रचना मक आ म–आलोचना क श का उपयोग कर
लगन और योगशीलता से सकारा मक प रणाम हा सल कर

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हर प र त के अ े पहलू को ढू ँ ढ़कर नराशा को र भगाएँ

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आप जीवन म कहाँ जाना चाहते ह, यह तय कर

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अपना 10 साल का ल य बनाने म इस योजना का योग कर

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सफलता के इन पाँच ह यारे ह थयार से बच

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न त ल य बनाकर अपनी ऊजा को कई गुना बढ़ाएँ

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काम करने और लंबे समय तक जीने के लए ल य बनाएँ

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30 दवसीय सुधार काय म के ारा अपने ल य को हा सल कर
भ व य के लाभ के लए ख़ुद म नवेश कर
लीडर शप के चार नयम सीख
आप ज ह भा वत करना चाहते ह, उनके नज़ रए से सोचने क श वक सत
कर
“मानवीय बनने” क शैली का योग कर
ग त के बारे म सोच, ग त म व ास कर, ग त के लए यास कर
आपक सोच कतनी ग तशील है, यह टे ट कर
बड़ी सोच क श का दोहन कर
जीवन क मु कल प र तय म बड़ी सोच के जा का योग कर
व ास कर क आप सफल हो सकते ह और आप हो
जाएँगे

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फलता यानी ब त सी अ त और अ चीज़। सफलता का मतलब है अमीरी–

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शानदार घर, मज़ेदार छु याँ, या ा, नई चीज, आ थक सुर ा, अपने ब को

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यादा से यादा ख़ुशहाली दे ना। सफलता का मतलब है शंसा का पा बनना,

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लीडर बनना, अपने बज़नेस और सामा जक जीवन म स मान पाना। सफलता का मतलब

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है आज़ाद – चता , डर, कुंठा और असफलता से आज़ाद । सफलता का मतलब है

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आ म – स मान, ज़दगी का असली सुख और जीवन म संतु , जो लोग आप पर नभर ह

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उनके लए अ धक से अ धक करने क मता।

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सफलता का मतलब है जीतना।
सफलता – उपल – मनु य के जीवन का ल य है!
हर इंसान सफलता चाहता है। हर इंसान चाहता है क उसे ज़दगी का हर सुख
मले। कोई भी घसट– घसटकर औसत ज़दगी नह जीना चाहता। कोई भी सेकंड लास
नह दखना चाहता या इस तरह का जीवन नह गुज़ारना चाहता।
सफल जीवन का ावहा रक रा ता हम बाइबल क उस पं म दखाया गया है
जसके अनुसार आ ा से पहाड़ हलाए जा सकते ह।
व ास कर, सचमुच व ास कर क आप पहाड़ हला सकते ह और आप वाक़ई
ऐसा कर सकते ह। अ धकतर लोग को यह व ास ही नह होता क उनम पहाड़ हलाने
क मता है। इसका प रणाम यह होता है क वे ऐसा कभी नह कर पाते।
कसी मौके पर आपने शायद कसी को यह कहते सुना होगा, “यह सोचना बकवास
है क आप कसी पहाड़ को यह कहकर हला सकते ह, ‘पहाड़, मेरे रा ते से हट जाओ।’
यह असंभव है। ”
जो लोग इस तरह से सोचते ह उ ह ने आ ा और इ ा के बीच के अंतर को ठ क
से नह समझा है। यह सच है क केवल इ ा करने भर से आप पहाड़ को नह हटा
सकते। केवल इ ा करने भर से आप ए ज़ी यू टव नह बन जाते। केवल इ ा करने भर
से आप पाँच बेड म और तीन बाथ वाले घर के मा लक नह बन जाते या आप अमीर नह
बन जाते। केवल इ ा करने भर से आप लीडर नह बन जाते।
परंतु अगर आपम व ास हो, तो आप पहाड़ को हला सकते ह अगर आपको
अपनी सफलता का व ास हो, तो इस व ास के सहारे आप सफलता हा सल कर सकते
ह।

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व ास क श के बारे म कुछ भी जा ई या रह यमय नह है।

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व ास इस तरह काम करता है। “मुझे व ास है क म यह कर सकता ँ” वाला

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रवैया हम वह श , यो यता और ऊजा दे ता है जसके सहारे हम वह काम कर पाते ह।

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जब आपको यक न होता है क आप कोई काम कर सकते ह, तो आपको अपने आप पता

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चल जाता है क इसे कैसे कया जा सकता है।

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हर दन दे श भर म युवा लोग नई नौक रयाँ शु कर रहे ह। ये सभी युवक–युव तयाँ

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“चाहते” ह क कसी दन वे सफलता क चोट पर प ँच और सफल बन। परंतु इनम से
यादातर लोग लोग को को यह व ास नह है क वे कभी चोट पर प ँच पाएँगे। और
इसी, कारण वे चोट पर नह प ँच पाते। अगर आप यह मान लेते ह क चोट पर प ँचना
असंभव है, तो आप उन सी ढ़य को नह ढू ँ ढ़ पाएँगे जनके सहारे आप चोट पर प ँच
सकते ह। ऐसे लोग ज़दगी भर “औसत” य क तरह ही वहार करते रहते ह।
परंतु इनम से कुछ युवक–युव तय को व ास होगा क वे सफल हो सकते ह। वे
अपने काम के त “म चोट पर प ँचकर दखाऊँगा” वाला रवैया रखते ह। और चूँ क
उनम ज़बद त व ास होता है इस लए वे चोट पर प ँच जाते ह। यह जानते ए क वे भी
सफल हो सकते ह – और ऐसा असंभव नह है – यह लोग अपने व र ए ज़ी यू ट ज़ के
वहार को यान से दे खते ह। वे सीखते ह क सफल लोग कस तरह सम या को
सुलझाते ह और नणय लेते ह। वे सफल लोग के रवैए को यान से दे खते ह।
जस आदमी को व ास होता है क वह काम कर लेगा, उसे हमेशा उस काम को
करने का तरीक़ा सूझ जाता है।
मेरी एक प र चत म हला ने दो साल पहले यह फ़ैसला कया क वह मोबाइल होम
बेचने क से स एजसी बनाएगी। उसे कई लोग ने सलाह द क उसे ऐसा नह करना
चा हए, य क वह ऐसा नह कर पाएगी।
उस म हला के पास पूँजी के नाम पर सफ़ 3000 डॉलर थे और उसे बताया गया
क इस काम को शु करने के लए इससे कई गुना यादा पूँजी क ज़ रत होती है।
उसे समझाया गया, “इसम तयो गता ब त है। और इसके अलावा, आपको
मोबाइल हो स बेचने का कोई अनुभव भी नह है। आपको बज़नेस चलाने का अनुभव भी
नह है।”
परंतु इस युवा म हला को अपनी मता पर व ास था। उसे व ास था क वह
सफल होगी। वह मानती थी क उसके पास पूँजी नह थी, क बज़नेस म सचमुच ब त
तयो गता थी, और यह क उसके पास अनुभव नह था।

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“परंतु, ” उसने कहा, “मुझे यह साफ़ दख रहा है क मोबाइल होम उ ोग तेज़ी से

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फैलने जा रहा है। इसके अलावा, मने अपने इस बज़नेस म तयो गता का अ ययन कर

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लया है। म जानती ँ क म इस बज़नेस को इस शहर म सबसे अ े तरीके़ से कर

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सकती ँ। म जानती ँ क मुझसे थोड़ी–ब त ग़ल तयाँ तो ह गी, परंतु म चोट पर तेज़ी से

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प ँचना चाहती ँ।”

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और वह प ँच गई। उसे पूँजी जुटाने म कोई ख़ास सम या नह आई। इस बज़नेस

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म सफलता के उसके ढ़ व ास को दे खकर दो नवेशक ने उसके वसाय म नवेश
करने का जो खम लया। और संपूण आ ा के सहारे उसने ‘असंभव’ को कर दखाया–
उसने बना पैसा दए एक े लर नमाता से माल एडवांस ले लया।
पछले साल उसने 1,000,000 डॉलर से यादा क़ मत के े लर बेचे।
“अगले साल,” उसका कहना है, “मुझे उ मीद है क म 2,000,000 डॉलर का
आँकड़ा पार कर जाऊँगी।”
व ास, ढ़ व ास, म त क को े रत करता है क वह ल य को ा त करने के
तरीके़, साधन और उपाय खोजे। और अगर आप यक़ न कर ल क आप सफल हो सकते
ह, तो इससे सरे भी आप पर व ास करने लगते ह।
यादातर लोग व ास क श म भरोसा नह करते। परंतु कई लोग करते ह, जैसे
अमे रका के स सेसफु़ल वले म रहने वाले नाग रक। कुछ स ताह पहले मेरे एक दो त ने
जो टे ट हाइवे डपाटमट म अ धकारी है मुझे एक “पहाड़ हलाने वाला” अनुभव बताया ।
“ पछले महीने,” मेरे दो त ने बताया, “हमारे वभाग ने कई इंजी नय रग कंप नय
को टडर नो टस दए। हम अपने हाइवे बनाने के लए कसी फ़म से आठ पुल क डज़ाइन
बनवानी थी। पुल क लागत 5,000,000 डॉलर थी। जस भी इंजी नय रग फ़म को चुना
जाता, उसे डज़ाइ नग के काम के लए 4 तशत का कमीशन दया जाना ता वत था
यानी 2,00,000 डॉलर।
“मने इस बारे म 21 डज़ाइ नग फ़ स से बात क । सबसे बड़ी चार फ़म ने तो
त काल ताव भेज दए। बाक़ 17 कंप नयाँ छोट थ , जनम केवल 3 से 7 इंजी नयर ही
थे। ोजे ट इतना बड़ा था क इनम से 16 तो इसके बड़े आकार को दे खकर ही घबरा ग ।
उ ह ने इतने बड़े ोजे ट को दे खा, अपने सर को हलाया और इस तरह क बात कही,
‘यह हमारे लए ब त बड़ा ोजे ट है। काश हम इसे कर पाते, परंतु को शश करने से कोई
फ़ायदा नह ।’

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“परंतु इनम से एक छोट फ़म ने, जसके पास केवल तीन इंजी नयर थे, ोजे ट

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का अ ययन कया और कहा, ‘हम इसे कर सकते ह। हम एक ताव तो भजवा ही दे ते

d
ह।’ उ ह ने ताव भजवाया, और उ ह वह काम मल गया।”

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ज ह यक़ न होता है क वे पहाड़ हला सकते ह, वे ऐसा कर पाते ह। ज ह यक़ न

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होता है क वे पहाड़ नह हला सकते, वे ऐसा नह कर पाते। व ास से ही ऐसा करने क

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श मलती है।

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दरअसल, आज के आधु नक दौर म व ास के दम पर पहाड़ हलाने से भी यादा
बड़ी चीज करना संभव है। आज के अंत र अ वेषण काय म का सबसे मूलभूत त व यह
है क अंत र को जीता जा सकता है। मनु य अंत र म या ा कर सकता है, इस ढ़
व ास के बना हमारे वै ा नक म वह साहस, उ साह, और च पैदा नह हो पाती
जससे उ ह आगे बढ़ने का हौसला मलता। यह व ास क कसर का इलाज कया जा
सकता है, हम इस बात के लए े रत करता है क हम इसके उपचार को खोज और अंततः
ऐसा उपचार हम खोज ही लगे। अभी यह चचा चल रही है क इं लश चैनल के नीचे एक
टनल बनाई जाए और इं लड को महा प से जोड़ दया जाए। यह टनल बन पाएगी या
नह , यह इस बात पर नभर करता है क इसे बनाने वाले लोग के पास ऐसा कर पाने का
व ास है या नह ।
बल व ास ही वह श है जो महान पु तक , नाटक , वै ा नक खोज के पीछे
होती है। सफलता म व ास ही हर सफल बज़नेस, चच और राजनी तक संगठन के पीछे
होता है। सफलता म व ास ही वह मूलभूत, अ नवाय त व है जो हर सफल म पाया
जाता है।
व ास कर, सचमुच व ास कर, क आप सफल हो सकते ह और आप हो
जाएँगे।
बरस तक मने ऐसे कई लोग से बात क है जो अपने बज़नेस या सरे क रयर म
असफल हो गए थे। मने असफलता के ब त से कारण और ब त से बहाने सुने ह।
असफलता के बारे म ई इन चचा म हम एक मह वपूण जानकारी मली। असफल
आदमी के मुँह से इस तरह क कोई न कोई बात ज़ र सुनने म आई, “सच क ँ तो, मुझे
लग ही नह रहा था क हम सफल हो पाएँगे” या “मने काम शु कया उसके पहले ही
मुझे इसक सफलता पर शक हो रहा था” या “दरअसल जब यह असफल आ तो मुझे
ज़रा भी हैरानी नह ई।”
“ठ क – है – म – को शश – करके – दे खता – ँ – पर – मुझे – नह – लगता –

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क – यह – होगा” वाले रवैए क वजह से ही आदमी असफल होता है।

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अ व ास नकारा मक श है। जब म त क कसी बात पर अ व ास करता है या

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कसी बात पर संदेह करता है तो म त क ऐसे “कारण ” को खोज लेता है जससे उस

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अ व ास को बल मले। यादातर असफलता के लए ज़ मेदार ह : शंका, अ व ास,

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असफल होने क अवचेतन इ ा व सफल होने क स ी इ ा न होना।

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शंका कर और असफल हो जाएँ।

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जीत के बारे म सोच और सफल हो जाएँ।
एक युवा कहानीकार अपनी लेखन मह वाकां ा को लेकर मुझसे हाल म मली।
चचा उसके े के एक महान लेखक के बारे म होने लगी।
“ओह, ” उसने कहा, “ म टर ए स असाधारण लेखक ह, परंतु म उनके जतनी
सफल नह हो सकती।”
उसके रवैए से मुझे ब त नराशा ई, य क म उस म टर ए स को जानता ँ।
उनम न तो असाधारण बु है, न ही असाधारण ेरणा है, न ही वे कसी और बात म सुपर
ह, उनम केवल एक ही बात असाधारण है और वह है उनका असाधारण आ म व ास।
उ ह ढ़ व ास है क वे सव े लेखक ह और इसी लए वे सव े लखते ह।
लीडर का स मान करना अ बात है। उससे सीख। उसे यान से दे ख। उसका
अ ययन कर। परंतु उसक पूजा न कर। यह व ास कर क आप उससे आगे नकल
सकते ह। यह व ास कर क आप उससे ऊपर जा सकते ह। जन लोग का रवैया सेकंड
लास होता है वे सेकंड लास काम ही कर पाते ह।
इसे इस तरह से दे ख। व ास ही वह थम टे ट है जो हमारी उपल य को
नय मत करता है। उस का अ ययन कर जो औसत ज़दगी के जाल म उलझा आ
है। उसे व ास है क वह अयो य है, इसी लए उसे अयो य समझा जाता है। वह मानता है
क वह बड़े काम नह कर सकता और इसी लए वह उ ह नह कर पाता। वह मानता है क
वह मह वपूण नह है, इस लए जो भी वह करता है वह काम मह वहीन बन जाता है।
समय के साथ–साथ आ म व ास का अभाव उसक बात , चाल–ढाल और काम म
दखने लगता है। जब तक क वह अपने थम टे ट को फर से संतु लत नह करेगा, तब तक
वह सकुड़ता रहेगा, बौना होता जाएगा और अपनी नज़र म छोटा होता जाएगा। और चूँ क
सरे हमम वही दे खते ह जो हम अपने आपम दे खते ह इस लए वह अपने आस–पास के
लोग क नज़र म भी छोटा होता जाएगा।

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अब उस क तरफ़ दे ख जो आगे बढ़ रहा है। उसे व ास है क वह यो य है

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और इस लए बाक़ लोग भी उसे यो य समझते ह। उसे व ास है क वह बड़े , क ठन काम

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कर सकता है– और इस लए वह इ ह कर लेता है। जो भी वह करता है, जस तरह भी वह

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लोग से बात करता है, उसका च र , उसके वचार, उसका कोण; सभी बात म यह

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झलकता है क “यह ोफ़ेशनल है। यह एक मह चपूण है।”

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कोई भी वैसा ही होता है, जैसे उसके वचार होते ह। बड़ी बात म यक़ न

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कर। अपने थम टे ट को आगे क तरफ़ सेट कर। अपने सफलता के अ भयान क शु आत

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इस स े, संजीदा व ास से कर क आप सफल हो सकते ह। अगर आपको यक न है क
आप महान बन सकते ह तो आप सचमुच महान बन जाएँगे।
कई साल पहले म डे ॉइट म एक बज़नेसमेन समूह को संबो धत कर रहा था। चचा
के बाद एक मेरे पास आया और उसने अपना प रचय दे ने के बाद कहा, “मुझे
आपक बात पसंद आई। या आप मुझे कुछ मनट का समय दे सकते ह? म आपके साथ
अपने गत अनुभव पर चचा करना चाहता ँ।”
कुछ ही समय बाद एक रे तराँ म बैठे ए थे।
“मेरा एक अनुभव है,” उसने शु कया, “जो आपक इस क चचा से संबं धत था,
जसम आपने कहा था क आप कस दमाग़ को अपना सहयोगी बनाएँ, न क अपना
वरोधी। मने तरह आज तक यह कसी को नह बताया है क मने कस तरह अपने आपको
औसत लोग लोग नया से ऊपर उठाया है, परंतु म आपको, यह बताना चाहता ँ ।”
“और म यह सुनना चा ँगा,” मने कहा।
“आज से पाँच साल पहले म भी और क ही तरह था– मेरी ज़दगी घसट भर रही
थी। मेरी कमाई औसत थी। परंतु यह आदश नह थी। हमारा घर ब त छोटा था और हमारे
पास अपनी मनचाही चीज़ को ख़रीदने के लए पैसे नह रहते थे। मेरी प नी, भगवान
उसका भला करे, इस बात क शकायत नह करती थी, परंतु उसके चेहरे पर यह साफ़
लखा आ था क उसने भा य के सामने हार मान ली है और वह सचमुच ख़ुश नह है।
अपने अंदर म ब त असंतु महसूस कर रहा था। जब मने दे खा क म कस तरह अपनी
अ प नी और दो ब को आदश जीवनशैली नह दे पा रहा ँ, तो मुझे अंदर से ब त
चोट प ँची।”
“परंतु आज सब कुछ बदल गया है,” मेरे दो त ने कहा। “आज हम दो एकड़ के
लॉट पर बने अपने सुंदर नए घर म रहते ह, जो यहाँ से दो सौ मील र है। आज हम इस
बात क चता नह है क हम अपने ब को अ े कॉलेज म भेज पाएँगे या नह । आज

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मेरी प नी जब नए कपड़े ख़रीदती है तो उसे यह नह लगता, जैसे उसने कोई गुनाह कर

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दया है। अगली ग मय म हम लोग एक महीने क छु याँ मनाने यूरोप जा रहे ह। हम

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सचमुच ज़दगी का आनंद ले रहे ह।”

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“ऐसा कैसे आ?” मने पूछा।

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उसका जवाब था, “आपने आज रात एक बात कही थी, ‘अपने व ास क श

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का दोहन कर।’ मने वही कया और प रणाम आपके सामने पाँच साल पहले मने डे ॉइट

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क एक टू ल – एंड – डाई कंपनी के बारे म सुना। हम उस व त लीवलड म रह रहे थे।

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मने फैसला कया क को शश करने म हज़ ही या है, शायद यहाँ थोड़ी यादा तन वाह
मल जाए। म यहाँ र ववार क शाम को ही आ गया, जब क इंटर ू सोमवार को था।
“ डनर के बाद म अपने होटल के कमरे म बैठा आ था और न जाने य , म ख़ुद
को कोसने लगा, ‘आ ख़र य ,’ मने ख़ुद से पूछा, ‘आ ख़र य , म एक असफल आदमी
क तरह म डल लास के दलदल म फँसा आ ँ? आ ख़र य थोड़ी यादा तन वाह के
लए म यह नौकरी हा सल करने क को शश कर रहा ँ ?’
“म आज तक यह नह जान पाया क मने ऐसा य कया, परंतु इसके बाद मने
होटल का नोटपैड लया। नोटपैड म मने अपने से यादा सफल पाँच लोग के नाम लखे,
ज ह म वष से जानता था और जनक आमदनी और नौकरी मुझसे काफ़ बेहतर थ । दो
तो मेरे पुराने पड़ोसी थे जो अब एक पॉश कॉलोनी म रहते थे। दो लोग के लए म पहले
काम कया करता था और एक मेरा र तेदार था।
“इसके बाद– मने ख़ुद से पूछा क मेरे इन पाँच दो त म ऐसा या था जो मुझम
नह था। मने अपनी और उनक बु क तुलना क और ईमानदारी से व ेषण करने पर
यह पाया क जहाँ तक बु का सवाल था, वे मुझसे बेहतर नह थे। न ही वे मुझसे श ा,
च र या गत आदत म बेहतर थे।
“आ ख़रकार म सफलता के एक ऐसे गुण पर आया, जसके बारे म काफ़ चचा
होती है। पहल करना। मुझे यह मानने म काफ़ द क़त ई, पर इसे मानने के सवा कोई
चारा नह था। इस मामले म मेरा रकॉड उनक तुलना म काफ़ नीचे था।
“यह सब सोचते–सोचते सुबह के 4 बज गए, परंतु मेरा दमाग़ बलकुल सोच
रहा था। जीवन म पहली बार म अपनी कमज़ोरी को दे ख पाया था। मने पाया क इसी
चीज़ के कारण म जीवन म इतना पीछे रह गया था। मने हमेशा सहारे के लए अपने साथ
एक छोट छड़ी रखी थी। म अपने अंदर जतनी गहराई तक गया, मने पाया क म इस लए
पहल नह करता था, य क मुझे अंदर से यह व ास नह था क म ऐसा कर सकता था,

n
क म सचमुच इस क़ा बल ँ।

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“पूरी रात म यही सोचता रहा क आ म व ास क कमी के कारण ही मने अपने

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म त क को अपना वरोधी बना लया था। मने पाया क म ख़ुद को यही बताता था क म

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आगे य नह बढ़ सकता, जब क मुझे ख़ुद को यह बताना चा हए था क मुझे आगे य

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बढ़ना चा हए। म अपने आपको स ते म बेच रहा था। अपनी नज़र म गरा होने के कारण

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ही म लोग क नज़र म भी गरा आ था। यह मेरी हर बात म प से दख रहा था।

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तभी मुझे यह समझ म आया क जब तक म ख़ुद म व ास नह क ँ गा, तब तक कोई

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सरा भी मुझ पर व ास नह करेगा।
“उसी समय मने फ़ैसला कया, ‘अब सेकंड लास क ज़दगी ख़ म। आगे से म
ख़ुद को स ते म नह बेचँग
ू ा।’
“अगली सुबह भी मुझ म वही आ म व ास था। नौकरी के उस इंटर ू म मेरे
व ास का पहला इ तहान आ। इंटर ू के लए अपने घर से चलते समय मने सोचा था
क म ह मत करके अपनी वतमान नौकरी से 750 या 1000 डॉलर यादा माँग लूँगा। परंतु
अब, जब म जान गया था क म एक यो य आदमी था, मने 3500 डॉलर यादा माँगे। और
यह मुझे मले भी। म ख़ुद को महँगे दाम म इस लए बेच पाया, य क एक रात तक चले
लंबे आ म– व ेषण के बाद म यह जान गया था क मुझ म ऐसे गुण ह ज ह महँगे दाम
पर बेचा जा सकता है।
“दो साल म ही मने अपनी त ा एक सफल बज़नेसमैन के प म बना ली। सभी
जान गए क यह आदमी बज़नेस ला सकता है। फर मंद का दौर आया। इस दौर म म
और भी यादा मू यवान बन गया, य क मुझ म अपनी इंड म सबसे अ ा बज़नेस
हा सल करने क क़ा ब लयत थी। कंपनी का पुनगठन आ और मुझे ब त यादा
तन वाह मलने लगी और इसके अलावा मुझे कंपनी के काफ़ सारे शेयर भी मले।”
अपने आपम व ास कर और आपके साथ अ घटनाएँ होने लगगी।
आपका दमाग़ “ वचार क फै टरी” है। यह एक त फ़ै टरी है, जो एक दन म
अन गनत वचार का उ पादन करती है।
आपके वचार क इस फ़ै टरी म उ पादन के इ चाज दो फ़ोरमैन ह, जनम से एक
को हम म टर वजय और सरे को म टर पराजय का नाम दगे। म टर वजय
सकारा मक वचार के नमाण के इ चाज ह। उनक वशेष ता इस तरह के कारण दे ने म
है क आप य सफल हो सकते ह, आपम इस काम क क़ा ब लयत य है, और आप
इसम य सफल ह गे।

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सरा फ़ोरमैन म टर पराजय नकारा मक, कमतरी के वचार का उ पादन करता

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है। यह फ़ोरमैन इस तरह के कारण ढू ँ ढ़ने म महारत रखता है क आप कोई काम य नह

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कर सकते, क आप य कमज़ोर ह, क आप य अ म ह। उसक वशेष ता इस तरह

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के वचार क ृँखला ढू ँ ढ़ने म है क “आप य असफल हो जाएँगे ?”

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म टर वजय और म टर पराजय दोन ही बेहद आ ाकारी होते ह। वे त काल

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आपक बात पर यान दे ते ह। आपको दोन म से कसी भी फ़ोरमैन को मान सक प से

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संकेत भर दे ना होता है। अगर संकेत सकारा मक होता है तो म टर वजय आगे आ जाएँगे
और काम म जुट जाएँगे। इसी तरह नकारा मक संकेत दे खते ही म टर पराजय स य हो
जाएँगे।
दोन फ़ोरमैन आपके लए कस तरह काम करते ह, इसे वयं आज़माकर दे ख।
अपने आपसे कह, “आज तो बड़ा ही बुरा दन है।” इससे म टर पराजय हरकत म आ
जाएँगे और वे आपको सही सा बत करने के लए कुछ त य का उ पादन कर दगे। वे
आपको यह सुझाव दगे क मौसम यादा गम या यादा ठं डा है, आज बज़नेस बुरा रहेगा,
ब कम होगी, सरे लोग चड़ चड़े रहगे, आप बीमार पड़ सकते ह, आपक प नी आज
बात का बतंगड़ बना दे गी। म टर पराजय बेहद स म होते ह। वे कुछ ही मनट म आपको
पूरी तरह व ास दला दे ते ह क आज का दन सचमुच ब त बुरा है। और आपका दन
सचमुच बुरा सा बत होता है।
परंतु अपने आपसे कह, “आज कतना ब ढ़या दन है।” और त काल म टर वजय
स य हो जाते ह। वे आपको बताते ह, “आज शानदार दन है। ख़ुशगवार मौसम है।
कतना सुखद जीवन है। आज आप जो भी काम करगे ब ढ़या करगे और आप उसम
न त प से सफल ह गे।” और आपका वह दन सचमुच ब त अ ा गुज़रता है।
इसी तरह से म टर पराजय आपको यह बताते ह क आप म टर मथ को माल
य नह बेच सकते, जब क म टर वजय आपको बताते ह क आप म टर मथ को
माल कस तरह बेच सकते ह। म टर पराजय आपको यह व ास दलाते ह क आप
असफल हो जाएँगे, जब क म टर वजय आपको यह व ास दलाते ह क आप य
सफल ह गे। म टर पराजय टॉम को नापसंद करने के कई कारण गना दगे, जब क म टर
वजय टॉम को पसंद करने के कई कारण गना दगे।
आप इन दोन फ़ोरमैन म से जसे यादा काम दगे, वह उतना ही ताक़तवर बनता
जाएगा। अगर म टर पराजय को यादा काम दया जाएगा तो वह अपने कमचा रय क

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सं या बढ़ा लेगा और आपके दमाग़ क यादा जगह पर क़ ज़ा कर लेगा। एक दन ऐसा

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आएगा जब वह आपके दमाग़ के वचार का पूरा उ पादन अपने हाथ म ले लेगा और

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इसके बाद आपक मान सकता पूरी तरह नकारा मक हो जाएगी।

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समझदारी इसी म है क आप म टर पराजय को त काल नौकरी से नकाल द।

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आपको उनक ज़ रत नह है। आपको उनक इस सलाह क ज़ रत नह है क आप

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कोई काम य नह कर सकते, क आप य अ म ह, और आप य असफल ह गे

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इ या द। जहाँ आप प ँचना चाहते ह, वहाँ तक आपको प ँचाने म म टर पराजय आपक

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कोई मदद नह कर सकते, इस लए म टर पराजय को आप ध के मारकर अपने दमाग़
क फै टरी से बाहर नकाल द।
पूरे समय म टर वजय से ही काम ल। जब भी आपके दमाग़ म कोई वचार आए
तो म टर वजय को ही वह काम स प। वह आपको बताएँगे क आप कस तरह सफल हो
सकते ह।
अगले चौबीस घंट म अमे रका म 11,500 नए ाहक आ जाएँगे।
जनसं या तेज़ी से बढ़ रही है। अगले दस साल म 3.5 करोड़ लोग क वृ का
अनुमान है। इसका मतलब है पाँच बड़े शहर क वतमान जनसं या : यूयॉक, शकागो,
लॉस एँजे लस, डे ॉइट और फलाडे फया। क पना कर!
नए उ ोग, नए वै ा नक आ व कार, बढ़ते ए बाज़ार– हर तरफ़ अवसर ही
अवसर ह। यह अ ख़बर है। ज़दा रहने के लए यह अ त समय है ।
हर े म ऐसे अवसर बखरे ह जहाँ चोट के लोग क रकॉड माँग है– उन लोग
क जनम सर को भा वत करने क अ धकतम यो यता है, जो सर का मागदशन कर
सकते ह, जो उनके लीडर बनकर उनक सेवा कर सकते ह। और जो लोग ऐसे लीडर
बनगे, वे सभी आज वय क ह या वय क बनने वाले ह। उनम से एक आप भी हो सकते ह।
आ थक व ा म उछाल का यह मतलब नह है क आप गत प से सफल
हो ही जाएँगे। दे खा जाए तो अमे रक अथ व ा म उछाल हमेशा ही रहा है। परंतु इसके
बाद भी लाख –करोड़ लोग संघष ही करते रहते ह और सफल नह हो पाते। यादातर
लोग औसत ज़दगी के दलदल म ही फँसे रहते ह और पछले दो दशक से लगातार चल
रहे रकॉड अवसर का लाभ नह उठा पाते। और आगे आने वाले अ े समय म भी
यादातर लोग चता ही करते रहगे, डरते ही रहगे, ज़दगी भर ख़ुद को अयो य मानते ए
घसटते ही रहगे, और वह काम नह कर पाएँगे जो वे करना चाहते ह। इसका प रणाम यह
होगा क उ ह उनके काम के बदले म कम तन वाह ही मलेगी, उनक ख़ुशी छोट ख़ुशी ही
होगी।

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जो लोग अवसर का भरपूर लाभ उठाते ह (और यहाँ म यह कहना चाहता ँ क

d
आप भी उन लोग म से एक हो सकते ह, य क अगर ऐसा नह होता तो आप इस पु तक

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को पढ़ने के बजाय क़ मत के भरोसे ही बैठे होते), वे ऐसे समझदार लोग ह गे जो यह

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सीख लगे क बड़ी सोच के सहारे ख़ुद को सफलता के रा ते पर कस तरह ले जाया जा

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सकता है।

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अंदर चले जाएँ। सफलता का दरवाज़ा आज पहले क तुलना म यादा खुला आ

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है। यह ठान ल क आप भी सफल लोग के समूह म शा मल होना चाहते ह, आप भी
अपनी मनचाही चीज़ हा सल करना चाहते ह।
सफलता क तरफ़ यह आपका पहला क़दम होगा। यह एक मूलभूत क़दम है। इस
क़दम को उठाए बना काम नह चलेगा। क़दम एक– खुद म व ास कर, व ास कर क
आप सफल हो सकते ह।

व ास क श को कस तरह वक सत कर
व ास क श को ा त करने और व ास को ढ़ बनाने के लए तीन उपाय कए जा
सकते ह :
1. सफलता क बात सोच, असफलता क बात न सोच। नौकरी म, घर म,
असफलता क जगह सफलता के बारे म सोच। जब आपके सामने कोई क ठन प र त
आए, तो सोच “म जीत जाऊँगा,” यह न सोच “शायद म हार जाऊँगा।” जब आप कसी
से तयो गता कर, तो सोच, “म सव े ँ”, यह न सोच “म उसके जतना यो य नह
ँ।” जब अवसर नज़र आए, तो सोच “म यह कर सकता ँ,” यह न सोच “म इसे नह कर
सकता।”अपनी चतन या पर इस वचार को हावी हो जाने द, “म सफल होकर
दखाऊँगा।” सफलता के बारे म सोचने से आपका दमाग़ ऐसी योजना बना लेता है जससे
आपको सफलता मलती है। असफलता के बारे म सोचने से इसका ठ क उ टा होता है।
असफलता के बारे म चतन करने से आपका दमाग़ ऐसे वचार सोचता है, जन से आपको
असफलता हाथ लगती है।
2. अपने आपको बार–बार याद दलाएँ क आप जतना समझते ह, आप उससे
कह बेहतर ह। सफल लोग सुपरमैन नह होते। सफलता के लए सुपर–इ टे ले ट का होना
ज़ री नह है। न ही सफलता के लए कसी जा ई श या रह यमयी त व क
आव यकता होती है। और सफलता का भा य से भी कोई संबंध नह होता। सफल लोग

n
साधारण लोग ही होते ह, पर ऐसे लोग होते ह ज ह अपने आप पर व ास है, अपनी

i. i
मता पर व ास है और जो मानते ह क वे सफल हो सकते ह। कभी भी, हाँ, कभी

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भी, ख़ुद को स ते म न बेच।

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3. बड़ी सोच म व ास कर। आपक सफलता का आकार कतना बड़ा होगा, यह

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आपके व ास के आकार से तय होगा। अगर आपके ल य छोटे ह गे, तो आपक

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उपल याँ भी छोट ह गी। अगर आपके ल य बड़े ह गे, तो आपक सफलता भी बड़ी

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होगी। एक बात कभी न भूल! बड़े वचार और बड़ी योजनाएँ अ सर छोटे वचार और

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छोट योजना से आसान होते ह।

जनरल इले क कंपनी के चेयरमैन रा फ जे. कॉ डनर ने लीडर शप कॉ स म कहा था,


“…जो भी लीडर बनना चाहता है, उसे वयं के और वयं क कंपनी के वकास क
योजना बना लेनी चा हए और इसका ढ़ न य कर लेना चा हए। कोई भी कसी सरे
के वकास का आदे श नह दे सकता ... कोई दौड़ म आगे रहेगा या पीछे रह
जाएगा यह इस बात पर नभर करता है क उसक तैयारी कैसी है। यह ऐसी चीज़ है जस
म समय लगता है, मेहनत लगती है और इस म याग क आव यकता होती है। आपके
लए यह कोई सरा नह कर सकता।”
म टर कॉ डनर क सलाह म दम है और यह ावहा रक है। इस पर चल। जो लोग
बज़नेस मैनेजमट, से स लाइन, इंजी नय रग, धा मक सं ा , लेखन, अ भनय और
सरे े म चोट पर प ँचते ह वे न ा और लगन के साथ आ म– वकास क योजना पर
चलकर ही बहाँ प ँच पाए ह।
कसी भी श ण काय म म – और यही इस पु तक का ल य भी है – तीन बात
होनी चा हए। इसम साम ी होनी चा हए – यानी या कया जाए। सरी बात यह क इसम
तरीक़ा होना चा हए – यानी कैसे कया जाए। और तीसरी बात यह क इसे ए सड टे ट म
खरा उतरना चा हए – यानी क इससे प रणाम मलना चा हए।
या कया जाए, इस बारे म सफलता का आपका गत श ण काय म
सफल लोग के रवैए और तकनीक के अ ययन से संबं धत है। वे कस तरह वयं को
सफल बनाते ह? वे कस तरह बाधा का सामना करते ह और उ ह पार करते ह ? वे कस
तरह सर का स मान ा त करते ह? कौन सी चीज़ है जो उ ह साधारण लोग से अलग
करती है? सफल लोग कस तरह सोचते ह?
आ म– वकास कैसे कया जाए, वाला ह सा आपक काययोजना बनाएगा। यह

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हर अ याय म मलेगा। इससे काम को दशा मलती है। इस पर अमल कर और इसके

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प रणाम को वयं महसूस कर।

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और इस पु तक म इस श ण के सबसे मह वपूण भाग यानी क प रणाम पर

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भी यान दया गया है। यहाँ पर जो काय म दया जा रहा है, अगर आप उसे अमल म

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लाते ह तो आपको ऐसी सफलता मलेगी और इतने बड़े पैमाने पर मलेगी जसक आपने

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सपने म भी क पना नह क होगी। सफलता के आपके गत श ण काय म म

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आपको कई लाभ ह गे– आपका प रवार आपका यादा स मान करने लगेगा, आपके म

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और आपके सहयोगी आपक शंसा करने लगगे, आप अ धक उपयोगी ह गे, आपके पास
त ा होगी, लोक यता होगी, यादा तन वाह होगी और आप बेहतर जीवनशैली का
आनंद ले पाएँगे।
अपने को सखाने का ज़ मा आप ही का है। कोई सरा आपके सर पर
खड़ा रहकर आपको यह नह बताएगा क आपको या करना है और कैसे करना है। यह
पु तक आपको रा ता दखाएगी, परंतु आप और केवल आप ही वयं को समझ सकते ह।
केवल आप ही वयं को यह आदे श दे सकते ह क आप इस पु तक म दए गए स ांत
पर चलगे। केवल आप ही अपनी ग त का मू यांकन कर सकते ह। जब आप अपने रा ते
से थोड़ा सा भटक जाएँ, तो केवल आप ही अपनी ग़लती सुधारकर सही रा ते पर आ
सकते ह। सौ बात क एक बात, आपको ही वयं को इस यो य बनाना है क आप बड़ी से
बड़ी सफलता ा त कर सक।
आपके पास पहले से ही एक ऐसी योगशाला है जसम आप काम करते ह और
अ ययन करते ह। आपक योगशाला आपके आस–पास ही है। आपक योगशाला म
इंसान रहते ह। इस योगशाला म मानवीय काय के हर तरह के उदाहरण ह। अगर आप
अपनी इस योगशाला म वयं को वै ा नक समझ ल तो आप ब त कुछ सीख सकते ह।
और इससे भी बड़ी बात यह क यहाँ आपको कुछ ख़रीदना नह पड़ता। इसका कोई
कराया नह दे ना पड़ता। यहाँ कसी तरह क फ़ स नह लगती। आप इस योगशाला का
उपयोग मु त म कर सकते ह।
अपनी योगशाला के डायरे टर के प म, आपको वही करना होगा जो हर
वै ा नक करता है– आपको अवलोकन और योग करना होगा।
या आपको इस बात से हैरानी नह होती क हमारे चार तरफ़ ज़दगी भर इतने
सारे लोग रहते ह, फर भी यादातर लोग यह नह जान पाते क इंसान के वहार के पीछे
या कारण होते ह ? यादातर लोग यह जानते ही नह क अवलोकन कैसे कया जाता है।
इस पु तक का एक मह वपूण ल य आपको यह सखाना भी है क आप अवलोकन कैसे

in
कर, इंसान के काम के पीछे छु पे कारण को कस तरह समझे। आप वयं से यह सवाल

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पूछ सकते ह, “ऐसा य है क जॉन इतना सफल है, जब क टॉम सफ़ दन काट रहा है?”

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“कुछ लोग के इतने सारे दो त य होते ह, जब क कई लोग के ब त कम दो त य होते

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ह?” “लोग एक क कही बात पर व ास य कर लेते ह, जब क वे कसी सरे

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क कही ई उसी बात पर व ास य नह करते?”

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एक बार आप श त हो जाएँ, तो आपको केवल अवलोकन करने क आसान

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या से ही ब मू य सबक़ सीखने को मलगे।

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यहाँ दो वशेष सुझाव दए गए ह, जनके मा यम से आप अवलोकन क कला
सीख सकते ह। आप अपने आस–पास के दो सबसे और सबसे असफल लोग को
अ ययन के लए चुन। फर सफल जैसे–जैसे आप यह पु तक पढ़ते जाएँ, यह दे ख क
आपका सफल म कस तरह सफलता के इन स ांत पर चलता है। यह भी दे ख क इस
तरह के दोन लोग के अ ययन से आप वयं इस पु तक म दए गए स ांत क स ाई
को परख सकगे।
सरे के साथ कसी भी तरह के संपक म आपको सफलता के स ांत
आज़माने का मौक़ा मलता है। आपका ल य यह होना चा हए क आप सफलता क
काययोजना बनाने क आदत डाल ल। हम जतना यादा अ यास करगे, हम उतनी ही
ज द सफल ह गे।
हमम से यादातर लोग के ऐसे दो त होते ह ज ह गाड नग का शौक़ होता है। और
हम सब ने इस तरह क बात सुनी ह, “पौध को बढ़ते ए दे खना कतना रोमांचक होता है।
कस तरह खाद–पानी से वे तेज़ी से बढ़ते ह। पछले स ताह वे जतने बड़े थे, आज वे उस
से कतने यादा बड़े हो गए ह।”
न त प से, जब आदमी सावधानी से कृ त के साथ सम वय कर लेता है तो
इसके प रणाम रोमांचक होते ह। परंतु अगर आप सावधानी से वचार–मैनेजमट काय म
पर चलगे, तो इसके प रणाम उससे दस गुना अ धक रोमांचक ह गे। यह दे खना सुखद होगा
क आप हर महीने, हर दन यादा आ म व ासी, यादा भावशाली, यादा सफल बनते
जाएँ। जीवन म कोई सरी चीज़ आपको इतनी संतु नह दे सकती, जतना यह जानना
क आप सफलता और उपल क सही राह पर चल रहे ह। और इस राह पर चलने के
लए सबसे बड़ी चुनौती यही है क आप अपनी मता का अ धकतम लाभ उठाएँ।

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बहानासाइ टस का इलाज कराएँ

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यह असफलता क बीमारी है।

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क सफलता का संबंध लोग से है, इस लए सफल होने के लए यह ज़ री है क आप
चूँ

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लोग को अ तरह से समझ ल। अगर आप आप लोग लोग को यान से दे खगे तो

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आप उनसे यह सीख सकते ह क ज़दगी म सफल कैसे आ जा सकता है। और यह

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सीखने के बाद आप उसे अपने जीवन म उतार भी सकते ह;अभी हाल, बना दे री के।

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लोग का अ ययन गहराई से कर और जब आप ऐसा करगे तो आप दे खगे क

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असफल लोग को दमाग़ क एक भयानक बीमारी होती है। हम इस बीमारी को
अप डसाइ टस क तज़ पर बहानासाइ टस (excusitis) का नाम दे सकते ह। हर असफल
म यह बीमारी ब त वक सत अव ा म पाई जाती है। और यादातर “आम”
आद मय म यह बीमारी थोड़ी–ब त तो होती ही है।
आप पाएँगे क बहानासाइ टस क बीमारी सफल और असफल य के बीच
का सबसे बड़ा अंतर होती है। सफलता क सी ढ़य पर बना के चढ़ने वाला
बहानासाइ टस का रोगी नह होता, जब क असफलता क ढलान पर लगातार फसलने
वाला बहानासाइ टस से गंभीर प से पी ड़त होता है। अपने आस–पास के लोग
को दे खने पर आप पाएँगे क जो जतना सफल होता है, वह उतने ही कम बहाने
बनाता है।
परंतु जो कह नह प ँच पाता और उसके पास कह प ँचने क कोई योजना
भी नह होती, उसके पास बहाने थोक म मौजूद रहते ह। असफल लोग फ़ौरन से बता दे ते
ह क उ ह ने अमुक काम य नह कया, या वे उसे य नह करते, या वे उसे य नह
कर सकते, या यह क वे असफल य ह।
सफल लोग क ज़दगी का अ ययन कर और आप उन सबम एक बात पाएँगे–
असफल लोग जो बहाने बनाते ह, सफल भी वही बहाने बना सकता है, परंतु वह
बहाने नह बनाता।
म जतने भी बेहद सफल बज़नेसमैन , म ल ऑ फ़सर , से समैन , ोफ़ेशनल
य या कसी भी े के अ णी लोग से मला ँ या जनके बारे म मने सुना है, उनके
सामने बहान क कोई कमी नह थी। ज़वे ट अपने बेजान पैर का बहाना बना सकते थे;
टू मैन “ श ा क कमी” का बहाना बना सकते थे, कैनेडी यह कह सकते थे “ े सडे ट बनते
व त मेरी उ कम थी,” जॉनसन और आइज़नहॉवर हाट अटै क के बहाने के पीछे छु प

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सकते थे।

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कसी भी बीमारी क तरह बहानासाइ टस का अगर व त पर सही इलाज नह

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कया जाए तो हालत बगड़ सकती है। वचार क इस बीमारी का शकार इस तरह

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से सोचता है : “मेरी हालत उतनी अ नह है, जतनी क होनी चा हए। अब म लोग के

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सामने अपनी इ ज़त बचाने के लए कौन सा बहाना बना सकता ँ? बुरी सेहत ? श ा का

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अभाव ? यादा उ ? कम उ ? बद क मती ? गत वप याँ ? बुरी प नी ? माँ–बाप

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क गलत परव रश ?”

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असफलता क बीमारी से पी ड़त जब कसी “अ े ” बहाने को चुन लेता है,
तो फर वह इसे कसकर जकड़ लेता है। फर वह इस बहाने के सहारे लोग को और ख़ुद
को यह समझाता है क वह जीवन म आगे य नह बढ़ पा रहा है।
और हर बार जब यह बीमार बहाना बनाता है, तो वह बहाना उसके अवचेतन
म और गहराई तक चला जाता है। जब हम उनम दोहराव क खाद डालते ह तो वचार,
चाहे वे सकारा मक ह या नकारा मक, यादा तेज़ी से फलने–फूलने लगते ह। शु आत म
तो बहानासाइ टस का रोगी जानता है क उसका बहाना कमोबेश झूठ है। परंतु वह जतनी
यादा बार अपने बहाने को दोहराता है, उतना ही उसे लगने लगता है। क यही सच है और
यही उसक असफलता का असली कारण है।
सफलता क राह म अपने चतन को सही दशा म ले जाने के लए सबसे पहले तो
आपको यह क़दम उठाना पड़े गा क आप बहानासाइ टस से बचाव के लए वै सीन लगवा
ल। यह इस लए ज़ री है, य क बहानासाइ टस एक ऐसी बीमारी है, जो इंसान को
ज़दगी भर सफल नह होने दे ती।
बहानासाइ टस क बीमारी कई तरह क होती है, परंतु मोटे तौर पर यह चार कार
क होती है : सेहत का बहानासाइ टस, बु का बहानासाइ टस, उ का बहानासाइ टस
और क़ मत का बहानासाइ टस। आइए हम दे ख क इन सबसे ख़ुद को कस तरह बचा
सकते ह :

बहानासाइ टस के चार सबसे लोक य प


1.“म या क ँ , मेरी त बयत ही ठ क नह रहती।” यह सेहत का बहानासाइ टस है। परंतु
सेहत का बहानासाइ टस भी कई तरह का होता है। कई लोग बना कसी बीमारी के
उ लेख के यूँ ही कहते ह, “मेरी त बयत ठ क नह लग रही है।” जब क कई लोग अपनी

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बीमारी का नाम ज़ोर दे कर अंडरलाइन करते ह और फर व तार से आपको बताते ह क

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उनके साथ या गड़बड़ है।

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“बुरी” सेहत को लेकर हज़ार बहाने बनाए जा सकते ह, और उनसे यह स कया

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जा सकता है क अपनी बीमारी के कारण ही आदमी वह नह कर पा रहा है जो वह करना

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चाहता है, अपनी बीमारी के कारण ही वह बड़ी ज़ मेदा रय का बोझ नह ले पा रहा है,

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इसी कारण वह यादा पैसा नह कमा पा रहा है, इसी कारण वह सफल नह हो पा रहा है।

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लाख –करोड़ लोग सेहत के बहानासाइ टस से पी ड़त रहते ह। परंतु या यादातर

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मामल म यह सफ बहाना नह होता ? ज़रा एक पल के लए सोच क बेहद सफल लोग
भी अपनी सेहत का रोना रो सकते थे, परंतु उ ह ने तो ऐसा कभी नह कया।
मेरे डॉ टर म मुझे बताते ह क इस नया म कोई पूरी तरह व नह होता है।
हर एक के साथ कोई न कोई वा य संबंधी सम या होती है। कई लोग कुछ हद तक या
काफ़ हद तक सेहत के बहानासाइ टस के सामने घुटने टे क दे ते ह, जब क सफलता चाहने
वाले लोग ऐसा नह करते।
मेरे साथ एक ही दन म दो घटनाएँ ई जनसे मुझे यह सीखने को मला क अपनी
सेहत के बारे म सही और ग़लत नज़ रया या होता है। लीवलड म मेरे भाषण के बाद 30
साल का एक आदमी मुझसे अकेले म मला। उसने कहा क उसे भाषण तो ब त ब ढ़या
लगा, परंतु उसने यह भी कहा, “पर मुझे नह लगता क आपके वचार से मुझे कोई
फ़ायदा हो सकता है।”
उसने बताया, “मुझे दयरोग है और मुझे ख़ुद का यान रखना पड़ता है।" इसके
बाद उसने मुझे यह भी बताया क वह चार डॉ टर के पास जा चुका है, परंतु डॉ टर उसके
दल म कोई बीमारी नह ढू ँ ढ़ सके। उसने मुझसे पूछा क ऐसी त म उसे या करना
चा हए।
मने जवाब दया, “म दयरोग के बारे म तो यादा नह जानता, परंतु एक आम
आदमी के प म म आपको यह बता सकता ँ क इन प र तय म म या करता।
पहली बात तो यह, क म सबसे अ े दयरोग च क सक के पास जाता और उसक राय
को अं तम मान लेता। आपने पहले ही चार डॉ टर से चेकअप करवा लया है और उ ह
आपके दल म कोई ख़राबी नज़र नह आई। तो अब पाँचव डॉ टर का फ़ैसला आपको
मान लेना चा हए। हो सकता है क आपके दय म कोई रोग न हो, और यह सफ़ आपके
मन का वहम हो। परंतु अगर आप इसक चता करगे तो एक न एक दन आपको सचमुच
दयरोग हो जाएगा। अगर आप बीमारी के बारे म सोचते रहगे, उसे खोजते रहगे, उसक
चता करते रहगे तो अकसर आप इसी वजह से बीमार पड़ जाएँगे।

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“म आपको सरी सलाह यह दे ना चाहता ँ क आप डॉ टर शड् लर क महान

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पु तक हाऊ टु लव 365 डे ज़ ए इयर पढ़े । डॉ. शड् लर इस पु तक म बताते ह क

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अ ताल म जो मरीज़ भत होते ह उनम से तीन चौथाई लोग को दरअसल कोई शारी रक

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बीमारी होती ही नह है। उनक बीमारी का असली कारण मान सक या भावना मक होता

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है। जरा सो चए, हमारे दे श के तीन चौथाई लोग सफ़ इस लए अ ताल के ब तर पर पड़े

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ए ह य क वे अपनी भावना को क़ाबू म नह रख पाए। डॉ शड् लर क पु तक पढ़े

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और इसके बाद “भावना को मैनेज‘ करना सीख।

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“तीसरी बात यह क म तब तक ज़दा दल बने रहने का न य क ँ गा जब तक क
म मर ही न जाऊँ। फर मने इस परेशान आदमी को वही सलाह द , जो मेरे वक ल दो त ने
मुझे कई साल पहले द थी। वक ल दो त को ट . बी . था, परंतु इसके बाद भी वह
वकालत करता रहा, अपने प रवार का मु खया बना रहा, और जीवन का पूरा आनंद लेता
रहा। अभी मेरे उस वक ल दो त क उ 78 वष है। उसने अपनी फलॉसफ बताई । ‘म
तब तक ज़दा दल र ँगा जब तक क म मर न जाऊँ। म ज़दगी और मौत को लेकर फालतू
चता नह क ँ गा। जब तक म इस धरती पर ँ तब तक म ज़दा ँ। तो म अधूरी ज़दगी
य जऊँ ? मौत के बारे म चता करने म जतना समय बवाद करता है, उतने समय
तक वह वा तव म मुदा ही होता है।”
मुझे इस ब पर चचा ख़ म करनी पड़ी, य क मुझे डे ॉयट जाने वाला हवाई
जहाज़ पकड़ना था। हवाई जहाज़ म सरा अजीबोगरीब परंतु सुखद अनुभव आ। जब
हवाई जहाज़ आसमान म प ँच गया तो मुझे टक– टक क आवाज़ सुनाई द । हैरानी सेसे
मने अपने पड़ोस म बैठे आदमी क तरफ़ दे खा, जसके पास से वह वह से आवाज़ आ रही
थी।
वह मेरी तरफ़ दे खकर मु कराया और उसने मुझसे कहा, “ड रए नह , मेरे पास कोई
बम नह है। यह तो मेरा दल धड़क रहा है।”
मुझे यह सुनकर हैरानी ई, इस लए उसने मुझे पूरी कहानी सुनाई।
सफ़ 21 दन पहले ही उसका ऑपरेशन आ था, जसम उसके दल म एक
ला टक वॉ व फट कया गया था। उसने बताया क टक टक क आवाज़ कई महीन
तक आती रहेगी, जब तक क नकली वॉ व पर नया ऊतक नह उग आता। मने उससे पूछा
क अब वह या करने वाला है।
“अरे,” उसने कहा, “मेरी ब त सी योजनाएँ ह। मनेसोटा प ँचकर म वकालत

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पढ़ने वाला ँ। शायद मुझे कसी दन सरकारी नौकरी भी मल जाए। डॉ टर ने मुझसे

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कहा है क मुझे पहले कुछ महीन तक सावधानी रखनी पड़े गी, परंतु कुछ महीन के बाद

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मेरा दल वलकुल ांड यू हो जाएगा।”

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तो ये रहे वा य संबंधी सम या के बारे म दो अलग–अलग नज़ रए। पहला

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आदमी तो यह जानता भी नह था क उसे कोई बीमारी थी भी या नह । इसके बावजूद, वह

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च तत था, परेशान था, हार के रा ते पर जा रहा था और आगे नह बढ़ने के बहाने बना रहा

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था। सरे आदमी का हाल ही म ब त बड़ा ऑपरेशन आ था, फर भी वह कुछ नया करने
के लए उ सुक था, आशावाद था। अपनी सेहत के बारे म दोन क सोच म कतना बड़ा
फ़क़ था!
सेहत के बहानासाइ टस का मुझे गत अनुभव भी है। मुझे डाय बट ज़ है। जब
मुझे यह बीमारी ई (कोई 5000 इंजे न पहले), तो डॉ टर ने मुझे यह हदायत द थी,
“डाय बट ज़ एक शारी रक बीमारी है, परंतु अगर इसके बारे म आपका नज़ रया
नकारा मक रहेगा तो आप ब त परेशान रहगे और आपक बीमारी भी बढ़ सकती है। अगर
आप इसके बारे म चता करते रहगे, तो आपक ज़दगी नक बन सकती है।”
डाय बट ज़ होने के बाद म ब त से डाय बट ज़ के मरीज़ के संपक म आया। म
आपको बता ँ क इस बीमारी के बारे म लोग के कतने वरोधाभासी वचार होते ह। एक
आदमी को यह बीमारी शु आती अव ा म है और वह इसे लेकर ब त परेशान रहता है।
ज़रा सा मौसम बदलता है तो वह घबरा जाता है, मूखतापूण प से अपने आपको लवादे म
छु पा लेता है। उसे इनफे न से इतना डर लगता है, क वह सद –खाँसी वाले आदमी को
दे खते ही र भाग जाता है। वह डरता है। क कह वह यादा मेहनत न कर ले, इस लए
वह कभी कुछ करता ही नह है। उसका यादातर समय और मान सक ऊजा इसी चता म
बबाद होते ह क उसके साथ या– या बुरा हो सकता है। वह सरे लोग को अपनी
भयानक बीमारी क स ी–झूठ दा तान सुना–सुनाकर बोर करता रहता है। दरअसल
उसक असली बीमारी डाय बट ज़ नह है। वह तो सेहत के बहानासाइ टस से पी ड़त है।
वह बीमारी को असफलता के बहाने क तरह इ तेमाल कर रहा है। कस लए ? य क वह
लोग क सहानुभू त हा सल करना चाहता है।
सरी तरफ़ एक बड़ी काशन फ़म का डवीज़न मैनेजर है, जो डाय बट ज़ का
गंभीर रोगी है। वह ऊपर वाले मरीज़ से 30 गुना यादा इ सु लन लेता है। परंतु वह बीमार
क तरह नह जीता है। उसे अपने काम म मज़ा आता है और वह ज़दगी का पूरा आनंद
लेता है। एक दन उसने मुझसे कहा, “दे खा जाए तो डाय बट ज़ एक सम या तो है, पर

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दाढ़ बनाना भी तो एक सम या है। और म इस बारे म चता कर–कर के सचमुच बीमार

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नह पड़ना चाहता। जब म इ सु लन के इंजे न लेता ँ तो म अपनी बीमारी को नह

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कोसता ँ, ब क उस आदमी को आएँ दे ता ँ जसने इ सु लन क खोज क है।”

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मेरा एक ब त अ ा दो त 1945 म जब यु से लौटा, तो उसका एक हाथ कटा

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आ था। इसके बावजूद जॉन हमेशा मु कराता रहता था, हमेशा सर क मदद करता

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रहता था। म जतने भी आशावाद लोग को जानता ँ, जॉन उन सबसे यादा आशावाद

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था। एक दन मने उससे उसके कटे ए हाथ के बारे म लंबी चचा क ।

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उसने कहा, “मेरा सफ़ एक हाथ नह है। यह सही बात है, क दो हाथ हमेशा एक
हाथ से अ े होते ह। परंतु पूरे शरीर को बचाने के लए अगर एक हाथ काटना पड़े , तो यह
महँगा सौदा नह है। और फर, मेरी जीवनश तो अब भी 100 तशत बची ई है। म
इसके लए कृत है।”
मेरा एक और वकलांग दो त एक बेहतरीन गो फ़र है। एक दन मने उससे पूछा क
वह सफ़ एक हाथ से इतना अ ा कैसे खेल सकता है, जब क दोन हाथ से खेलने वाले
यादातर गो फ़र उसके जतना अ ा नह खेल पाते ह। उसने मेरी बात का ज़ोरदार
जवाब दया, “यह मेरा अनुभव रहा है क सही रवैया और एक बाँह वाला आदमी, ग़लत
रवैए और दोन बाँह वाले आदमी को हमेशा हर सकता है।” सही रवैया और एक बाँह वाला
आदमी, गलत रवैए और दोन बाँह वाले आदमी को हमेशा हरा सकता है। इस बारे म कुछ
दे र सोच। यह न सफ़ गो फ़ के मैदान पर सच है, ब क यह ज़दगी के हर े म सच है।

सेहत के बहानासाइ टस से बचने के चार तरीके़


सेहत के बहानासाइ टस से बचाव के सव े वै सीन के चार डोज़ ह :
1. अपनी सेहत के बारे म बात न कर। आप कसी बीमारी के बारे म जतनी यादा
बात करगे, चाहे वह साधारण सी सद ही य न हो, वह बीमारी उतनी ही बगड़ती
जाएगी। बुरी सेहत के बारे म बात करना काँट को खाद–पानी दे ने क तरह है। इसके
अलावा, अपनी सेहत के बारे म बात करते रहना एक बुरी आदत है। इससे लोग बोर हो
जाते ह। इससे आपको आ म–क त और बु ढ़या क तरह बात करने वाला समझा जा
सकता है। सफलता क चाह रखने वाले आदमी अपनी “बुरी” सेहत के बारे म चता नह
करता। अपनी बीमारी का रोना रोने से आपको थोड़ी सहानुभू त तो मल सकती है (और म
सकती श द पर ज़ोर दे ना चा ँगा), परंतु जो आदमी हमेशा शकायत करता रहता है, उसे
कभी कसी का स मान, आदर या वफ़ादारी नह मल सकते।

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2. अपनी सेहत के बारे म फालतू क चता करना छोड़ द। डॉ वॉ टर अ चरेज़

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व स मेयो ली नक म एमे रटस क स टट ह। उ ह ने हाल ही म लखा है, “म

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हमेशा फ़जूल क चता करने वाले लोग को ऐसा न करने क सलाह दे ता ँ। उदाहरण के

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तौर पर, मने एक आदमी को दे खा जसे इस बात का पूरा व ास था क उसका ‘गाल

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लैडर” ख़राब है, हालाँ क आठ बार अलग–अलग ली नक म ए स–रे कराने पर भी

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उसका गाल लैडर पूरी तरह सही दख रहा था और डॉ टर का कहना था क यह सफ़

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उसके मन का वहम है और दरअसल उसे कोई बीमारी नह है। मने उससे वनती क क

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वह अब तो मेहरबानी करके अपने गाल लैडर का ए स–रे कराना छोड़ दे । मने सेहत का
ज़ रत से यादा यान रखने वाले सैकड़ लोग को बार–बार जबरन ई . सी . जी. कराते
दे खा है और मने उनसे भी यही वनती क है क वे अपनी बीमारी के बारे म फालतू क
चता करना छोड़ द।
3. आपक सेहत जैसी भी हो, आपको उसके लए कृत होना चा हए। एक पुरानी
कहावत है, “म अपने फटे ए जूत को लेकर :खी हो रहा था, परंतु जब मने बना पैर
वाले आदमी को दे खा तो मुझे ऊपर वाले से कोई शकायत नह रही, इसके बजाय म कृत
हो चला।” इस बात पर शकायत करने के बजाय क आपक सेहत म या “अ ा नह ”
है, आपको इस बारे म ख़ुश और कृत होना चा हए क आपक सेहत म या ‘अ ा’ है।
अगर आप कृत ह गे तो आप कई असली बीमा रय से भी बचे रहगे।
4. अपने आपको यह अ सर याद दलाएँ, “ज़ंग लगने से बेहतर है घस जाना।”
आपको जीवन मला है आनंद लेने के लए। इसे बबाद न कर। ज़दगी जीने के बजाय
अगर आप चता करते रहगे, तो आप ज द ही कसी अ ताल म भत नज़र आएँगे।
2. “परंतु मेरे पास सफल लोग जतनी बु नह है।” बु का बहानासाइ टस या “मेरे
पास उतनी बु नह है” ब त लोक य बहाना है। वा तव म यह इतना आम है क यह
हमारे आस–पास के तक़रीबन 95 तशत लोग म कसी न कसी प म मौजूद रहता है।
बहानासाइ टस के बाक़ प म तो बढ़–चढ़कर बात करता है, परंतु इस क म के
बहानासाइ टस यानी बु के बहानासाइ टस म चुपचाप :खी होता रहता है।
यादातर लोग सर के सामने यह मानने को तैयार नह होते क उनम पया त बु या
समझ नह है। परंतु, वे अंदर से यह बात महसूस करते ह।
जब बु क बात आती है, तो हमम से यादातर लोग दो तरह क मूलभूत

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ग़ल तयाँ करते ह :

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1. हम अपनी बु को कम आँकते ह, और

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2. हम सरे क बु को यादा आँकते ह।

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इन गल तय के कारण लोग काफ़ नुक़सान म रहते ह। वे चुनौतीपूण प र तय

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का सामना करने म असफल रहते ह, य क उनम “बु क ज़ रत” होती है। परंतु तभी

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वहाँ एक ऐसा आता है जो बु के बारे म ज़रा भी वचार नह करता और उसे वह

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काम मल जाता है।

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दरअसल मह व इस बात का नह है क आपम कतनी वृ है, ब क इस बात का
है क जो आपके पास है। आप उसका कस तरह उपयोग करते ह। आपक बु क मा ा
से यादा मह वपूण है वह चतन या वह नज़ रया जो आपक बु को दशा दखा रहा है।
मुझे इस बात को दोहराने द, य क यह ब त ही मह वपूण है : आपक बु क मा ा से
यादा मह वपूण है वह चतन या वह नज़ रया जो आपक बु को दशा दखा रहा है।
दे श के मश र डॉ टर एडवड टे लर से एक बार कसी ने यह सवाल पूछा, “ या
कोई भी ब ा वै ा नक बन सकता है ?” टे लर ने जवाब दया, “वै ा नक बनने के लए
तूफ़ानी दमाग़ क ज़ रत नह होती, न ही चम कारी याददा त क ज़ रत होती है, न ही
यह ज़ री है क ब ा कूल म ब त अ े नंबर से पास हो। वै ा नक बनने के लए
केवल यह ज़ री है क ब े क व ान म काफ़ च हो। उसक यह च जतनी यादा
होगी, वह उतना ही बड़ा वै ा नक बन सकता है।
तो च या उ साह व ान म भी मह वपूण होते ह !
अगर 100 आई यू वाले कसी का रवैया सकारा मक, आशावाद और
सहयोगा मक है, तो वह उस से यादा पैसा, सफलता और स मान हा सल करेगा,
जसका आई यू तो 120 है, परंतु उसका रवैया नकारा मक, नराशावाद और
असहयोगा मक है।
कसी काम म जुटे र हए जब तक क वह पूरा न हो जाए– यही असली पते क बात
है। आलसी बु कस काम क ? अ सर जुटे रहने वाला उस बु मान और
तभाशाली से यादा सफल होता है जो कोई काम पूरा नह करता है।
जुटे रहने क मता ही यो यता का 95 तशत ह सा है।
पछले साल म अपने कॉलेज के एक पुराने दो त चक से 10 साल बाद मला। चक
ब त ही तभाशाली छा था और उसने ऑनस के साथ ेजुएशन कया था। जब म

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उससे आ ख़री बार मला था, तो उसका ल य था प मी ने ा का म अपना बज़नेस खड़ा

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करना।

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मने चक से पूछा क आ खरकार उसने कस तरह का बज़नेस खड़ा कया है।

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उसका जवाब था, “म कोई बज़नेस खड़ा नह कर पाया। पाँच साल पहले म तु ह

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यह नह बताता, एक साल पहले भी नह , परंतु अब म इस बारे म बात करने के लए तैयार

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ँ।”

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“अब जब म अपने कॉलेज के दन क याद करता ँ, तो मुझे यह महसूस होता है
क म हर योजना क ख़ा मयाँ ढू ँ ढ़ने म मा हर था। म यह बता सकता था क कोई बज़नेस
य चौपट हो जाएगा, कोई योजना य असफल हो जाएगी, राह म कतनी मु कल
आएँगी : ‘ आपके पास ब त सारी पूंजी होनी चा हए;’ ‘यह सु न त कर ल क बज़नेस
साइकल सही हो;’ ‘जो सामान हम बनाएँगे, या उसक ब त माँग है?’ या ानीय
उ ोग र और ाई ह ?’– और इसी तरह के एक हज़ार एक सवाल जनके जवाब ढू ँ ढ़े
बना कोई बज़नेस शु करना ख़तरनाक हो सकता था।
“मुझे सबसे यादा क इस बात से होता है क मेरे वे दो त जनम यादा बु
नह थी, या वे लोग जो कभी कॉलेज गए ही नह थे, उ ह ने अ े –ख़ासे बज़नेस खड़े कर
लए ह। जब क म वह का वह ँ, उनक कंप नय का ऑ डट करता फर रहा ँ। कोई
बज़नेस य असफल हो सकता है, इसके बारे म सोचते रहने के बजाय काश मने यह
सोचा होता क कोई बज़नेस कस तरह सफल हो सकता है! अगर मने सकारा मक चतन
कया होता तो मेरी ज़दगी यादा सुखद होती।”
चक क बु से यादा मह वपूण था उसका सोचने का नज़ रया, जसने चक क
बु को गलत राह दखाई।
कई तभाशाली लोग य असफल होते ह? पछले कई साल से म एक ऐसे
आदमी के संपक म ँ जो बेहद तभाशाली है, जसम बु क कोई कमी नह है और
उसका नाम है फ बेटा का पा। इतनी बु होने के बावजूद वह ब त असफल है। उसक
नौकरी भी सामा य है (वह ज़ मेदा रय से घबराता है)। उसने कभी शाद नह क (वह
मानता है। क यादातर शा दय का अंत तलाक़ म होता है)। उसके ब त कम दो त ह
(लोग से बात करना उसे बो रग लगता है)। उसने कसी तरह क जायदाद नह खरीद है
(इस डर से क कह वह अपना पैसा न गँवा दे )। यह आदमी अपनी बु का इ तेमाल
करके यह स कर दे ता है क चीज़ य असफल ह गी। इसके बजाय उसे अपनी बु
का इ तेमाल करके यह स करना चा हए क सफल कस तरह आ जाए।’

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जैसा मने कहा उसके पास बु क कमी नह है, सफ़ उसके सोचने का नज़ रया

d
गलत है। और इसी कारण यह तभाशाली आदमी समाज को ब त कम योगदान दे पाया

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है और उसने कोई रचना मक काय नह कया है। अगर वह अपना नज़ रया बदल ले, तो

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वह बड़े –बड़े काम कर सकता है। उसम अ त सफलता दलाने वाला दमाग तो है, परंतु

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उसका नज़ रया उतना ताक़तवर नह है।

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म एक और ऐसे ही आदमी को जानता ँ जो यूयॉक यू नव सट से पीएच . डी .

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करने के बाद सेना म भत आ। उसने सेना म तीन साल कस तरह बताए ? टाफ
ऑ फ़सर के प म नह । न ही टाफ़ ेश ल ट के प म। इसके बजाय, वह तीन साल
तक सेना का क चलाता रहा। य ? य क उसके मन म अपने साथी सपा हय के त
नकारा मक वचार भरे ए थे (“म उनसे े ँ ” ), सेना के नयम–क़ायद से वह चढ़ता
था (“सारे नयम बकवास और मूखतापूण ह । ” ), अनुशासन को वह पसंद नह करता था
(“यह सर पर लागू होता होगा, मुझ पर नह होगा ” ), यानी क हर चीज़ के बारे म
उसका नज़ रया नकारा मक था, जसम वह ख़ुद भी शा मल था (“म कैसा मूख था जो इस
झमेले म आ फँसा और अब यहाँ से बाहर नकलने का कोई रा ता नह ढू ँ ढ़ पा रहा ँ ” ) ।
ऐसे आदमी का आदर कौन करता ? उसका सारा ान उसके दमाग़ के गोदाम म
भरा रहा और वह दफन होकर रह गया। उसके नकारा मक वचार ने उसे नठ ला बना
दया था।
याद रख, आपक बु क मा ा से यादा मह वपूण है वह चतन या वह नज़ रया
जो आपक बु को दशा दखा रहा है। पीएच. डी. क ड ी भी इस मूलभूत सफलता के
स ांत के सामने हार जाती है।
कई साल पहले म अपने क़रीबी दो त फल के ऑ फ़स म बैठा था। फल एक बड़ी
एडवटाइ ज़ग एजसी म ऑ फ़सर था। फल अपनी एजसी के माक टग रसच का नदे शक
था और उसका काम ज़ोरदार चल रहा था।
या फल ब त “ दमाग़ वाला” था ? बलकुल नह । फल को रसच तकनीक का
ज़रा भी ान नह था। उसे सां यक क बलकुल समझ नह थी। वह कॉलेज ैजुएट भी
नह था (हालाँ क उसके सभी मातहत कमचारी कॉलेज ैजुएट थे)। और फल यह दावा
भी नह करता था क उसे रसच के तकनीक पहलू का ान है। तो फर फल म ऐसी या
बात थी क उसे साल भर म 30,000 डॉलर मलते थे, जब क उसके मातहत को सफ़
10,000 डॉलर ही मलते थे ?
फल “इंसान ” का इंजी नयर था। फल 100 तशत सकारा मक था। जब लोग

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का उ साह ठं डा पड़ जाता था, तो फल उ ह े रत कर सकता था। फल उ साही था। वह

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उ साह पैदा कर सकता था। फल म लोग क समझ थी और इस लए वह सचमुच जानता

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था क उनसे कैसे काम लया जा सकता है और इससे भी बड़ी बात यह क वह उन लोग

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को पसंद करता था।

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कंपनी ने फल को उन कमचा रय से तीन गुना यादा ब मू य समझा जनम

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उससे यादा आई यू या दमाग़ था। और न त प से फल म बु तो कम थी, परंतु

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उसके सोचने के तरीके़ या नज़ रए ने उसे कंपनी के लए इतना मू यवान बना दया था।

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कॉलेज म दा ख़ल होने वाले 100 म से सफ़ 50 तशत ही ैजुएट हो पाएँगे । म
यह जानकर हैरान आ इस लए मने एक बड़ी यू नव सट के डायरे टर ऑफ़ एडमीशन से
इसका कारण पूछा।
उसने कहा, “इसका कारण कम बु नह है। अगर उनम पया त यो यता नह
होती, तो हम उ ह दा ख़ला ही नह दे ते। और सवाल पैसे का भी नह है। आजकल जो भी
अपने कॉलेज क फ़ स के लए काम करने को तैयार है, उसके लए काम क कोई कमी
नह है। असली कारण है नज़ रया या रवैया। आपको यह जानकर ता ुब होगा क कतने
सारे नौजवान सफ़ इस लए कॉलेज छोड़ दे ते ह, य क उ ह ोफ़ेसर पसंद नह होते, या
उ ह अपने वषय म मज़ा नह आता या उ ह पसंद दा साथी नह मलते। ”
नकारा मक नज़ रए के कारण ही कई जू नयर ए ज़ी यू ट ज़ ऊँचे पद पर नह
प ँच पाते। ऐसे हज़ार युवा ए ज़ी यू ट ज़ ह जनम पया त बु तो है, परंतु उनका रवैया
नकारा मक, चड़ चड़ा, नराशावाद और अपमानजनक है। जैसा एक ए ज़ी यू टव ने
मुझे बताया, “ऐसा लभ ही है क हम कसी युवा ऑ फ़सर को दमाग़ या बु क कमी
के कारण मोशन नह दे ते। लगभग हमेशा इसका कारण होता है उसका रवैया या
नज़ रया।”
मुझे एक बीमा कंपनी ने एक रसच करने को कहा। वे यह जानना चाहते थे क
उनके चोट के 25 तशत एजट 75 तशत बीमा करने म सफल य हो रहे ह, जब क
सबसे नीचे के 25 तशत एजट कुल बीमे का सफ़ 5 तशत ही य कर पा रहे ह।
इसका कारण या था ?
हज़ार फ़ाइल को ग़ौर से दे खा गया। इस रसच म एक बात उभरकर आई क
सबसे चोट के और सबसे नचले बीमा एजट क बु म कोई ख़ास अंतर नह था। उनक
सफलता म अंतर का कारण उनक श ा का अंतर भी नह था। बेहद सफल और ब त
असफल लोग म जो सबसे बड़ा अंतर पाया गया, वह था उनके रवैए या नज़ रए का। चोट

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के बीमा एजट चता कम करते थे, यादा उ साही थे, लोग को सचमुच पसंद करते थे।

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हम अपनी बु क मा ा को तो बदल नह सकते, परंतु हम उस तरीके़ को तो

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बदल ही सकते ह जससे हम अपनी बु का इ तेमाल करते ह।

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ान ही श है– अगर आप इसका रचना मक योग कर। बु के बहानासाइ टस

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से जुड़ी ई एक ग़लत धारणा यह है क ान ही श है। परंतु यह बात पूरी तरह सही

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नह है, यह केवल आधी सही है। ान केवल संभा वत श है। ान श तभी बनता है

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जब इसका उपयोग कया जाता है– और सफ़ तभी, जब यह उपयोग सकारा मक या

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रचना मक हो।
एक बार महान वै ा नक आइं ट न से कसी ने पूछा क एक मील म कतने फुट
होते ह। आइं ट न ने जवाब दया, “मुझे नह मालूम। म अपने दमाग़ म ऐसी जानकारी
य भ ँ जो म कसी भी कताब से दो मनट म हा सल कर सकता ँ ?”
आइं ट न ने हम एक बड़ा सबक़ सखाया है। उनका मानना था क हम अपने
दमाग़ को त य या जानकारी का गोदाम बनाने से बचना चा हए और इसके बजाय यह
यादा मह वपूण था क हम अपने दमाग़ से सही तरीके़ से सोच।
एक बार हेनरी फ़ोड ने शकागो यून पर मानहा न का मुकदमा ठ क दया। कारण
यह था क उस अख़बार ने फ़ोड को अ ानी कह दया था। फ़ोड ने उनसे यह “ स
करने” को कहा।
यून ने फ़ोड से दजन सवाल पूछे, जैसे “बेने ड ट अना कौन थे ; “ ां त का
यु कब लड़ा गया था ?” इ या द। और फ़ोड यादातर सवाल के जवाब नह दे पाए,
य क उनक औपचा रक श ा कम ई थी।
आ खरकार फ़ोड काफ़ परेशान होकर ग़ से से बोले, “म इन सवाल के जवाब तो
नह जानता, परंतु म पाँच मनट म ऐसे आदमी को ढू ँ ढ़ सकता ँ जो इन सारे सवाल के
जवाब जानता हो।”
हेनरी फ़ोड ने फालतू क जानकारी हा सल करने म कभी च नह ली उ ह मालूम
थी जो हर सफल एकज़ी यू टव जानता है । वह बात दमाग़ को त य का गैरेज मत
बनाओ, यह जानकारी रखो क जानकारी कहाँ से हा सल हो सकती है।”
त य के आदमी का मोल या है? मने एक दो त के साथ एक ब त रोचक शाम
गुज़ारी। मेरा दो त एक नई परंतु तेज़ी से बढ़ रही कंपनी का े सडे ट है। ट वी पर एक
लोक य वज़ काय म आ रहा था। जस आदमी से सवाल पूछे जा रहे थे, वह पछले
कुछ स ताह से लगातार आ रहा था। वह सभी तरह के सवाल के जवाब दे सकता था,

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चाहे उनम से कुछ सवाल कतने ही मूखतापूण य न ह ।

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जब उस आदमी ने एक ब त मु कल सवाल का जवाब दया जसका संबंध

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अज ट ना के कसी पहाड़ से था, तो मेरे दो त ने मुझसे कहा, “तु ह या लगता है क म

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इस आदमी को कतने डॉलर क नौकरी ँ गा ?”

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“ कतने क ?”, मने पूछा।

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“300 डॉलर से एक सट भी यादा नह – त स ताह नह , त माह भी नह ,

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ब क जीवन भर। मने उसके ान क थाह ले ली है। यह वशेष ‘ सोच नह सकता। वह
केवल रट सकता है, याद कर सकता है। वह एक इंसानी ए साइ लोपी डया है और म
समझता ँ क म 3०० डॉलर म एक अ ा ए साइ लोपी डया ख़रीद सकता ँ। वा तव
म, शायद यह क़ मत भी उसके लए यादा होगी। इस आदमी को जतना पता है, उसका
90 तशत ह सा तो मुझे 2 डॉलर क जनरल नॉलेज क कताब म ही मल जाएगा।
“म अपने आस–पास ऐसे लोग को चाहता ँ जो सम याएँ सुलझा सक, जनके
पास वचार ह । जो सपने दे ख सक और फर उन सपन को साकार कर सक। जस
आदमी म वचार ह वह मेरे साथ पैसे कमा सकता है, जसके पास सफ़ त य ह, वह मेरे
साथ पैसे नह कमा पाएगा।”

बु के बहानासाइ टस के इलाज के तीन तरीके़


बु के बहानासाइ टस के इलाज के तीन आसान तरीके ह :
1. अपनी ख़ुद क बु को कभी कम न आँक और सर क बु को कभी
ज़ रत से यादा न आँक। अपनी सेवा को स ते म न बेच। अपने अ े ब पर
यान क त कर। अपने गुण को खोज। याद रख, मह व इस बात का नह है क आपम
कतनी बु है। मह व तो इस बात का है क आप अपने दमाग़ का कस तरह इ तेमाल
करते ह। इस बात पर सर न धुन क आपका आई यू कम है, ब क अपनी मान सकता
को सकारा मक कर
2. अपने आपको बार–बार याद दलाएँ, “मेरी बु से यादा मह वपूण है मेरा
नज़ रया।” नौकरी पर और घर पर सकारा मक नज़ रए का अ यास कर। काम टालने के
तरीके़ खोजने के बजाय काम करने के तरीके़ खोज। अपने आपम “म जीत रहा ँ” का
रवैया वक सत कर। अपनी बु का रचना मक और सकारा मक योग कर। अपनी बु
का योग इस तरह कर क आप जीत सक। अपनी बु का पयोग अपनी असफलता

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के अ े बहाने खोजने म न कर।

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3. याद रख क त य को रटने से यादा मह चपूण और ब मू य है सोचने क

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यो यता। अपने दमाग़ को रचना मक बनाएँ और नए–नए वचार आने द। काम करने के

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नए और बेहतर तरीके़ खोजते रह। ख़ुद से पूछ, ” या म अपनी मान सक मता का

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उपयोग इ तहास रचने म कर रहा ँ या इ तहास रटने म ?”

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3.“कोई फ़ायदा नह । मेरी उ यादा (या कम) है।” उ का बहानासाइ टस असफलता

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क एक ऐसी बीमारी है जसम दोष उ के म े मढ़ दया जाता है। इसके दो आसानी से
पहचाने जाने वाले प ह। ‘मेरी उ यादा है‘ का प और ‘मेरी उ अभी ब त कम है‘
का ांड।
आपने हर उ के सैकड़ लोग को अपनी असफलता के बारे म इस तरह क
बात करते सुना होगा : “इस काम म सफल होने के लए मेरी उ ब त यादा (या ब त
कम) है। अपनी उ के कारण ही म वह नह कर सकता जो म करना चाहता ँ या जो
करने म म स म ँ।”
यह आ यजनक है परंतु ब त कम लोग ऐसा महसूस करते ह क उनक उ
कसी काम के लए “ बलकुल सही” है। इस बहाने ने हज़ार लोग के लए स े अवसर
के दरवाज़े बंद कर दए ह। वे सोचते ह क उनक उ ही गलत है, इस लए वे को शश
करने क ज़हमत भी नह उठाते।
उ के बहानासाइ टस का सबसे लोक य प है “मेरी उ यादा है।” यह बीमारी
ब त सू म तरीके़ से फैलाई जाती है। ट वी के सी रयल म दखाया जाता है क जब कंपनी
के वलय के कारण कसी ए ज़ी यू टव क नौकरी छू ट जाती है, तो वह बेरोज़गार हो
जाता है। उसे कह भी नौकरी नह मल पाती, य क उसक उ यादा हो चुक है।
म टर एकज़ी यू टव महीन तक नौकरी क तलाश करते ह, परंतु उ ह नौकरी नह मलती
और इस दौरान वे कुछ समय तक आ मह या के वक प पर वचार करते ह और अंत म
इस न कष पर प ँचते ह क अब ख़ुद को रटायर समझ लेने म ही समझदारी है।
“चालीस के बाद आपक ज़दगी म मु कल य बढ़ जाती ह,” यह वषय नाटक
और प का के लेख म लोक य है, इस लए नह य क इसम स े त य ह, ब क
इस लए य क बहाना ढू ँ ढ़ने वाले ब त से लोग इसी तरह के नाटक दे खना चाहते ह और
इसी तरह के लेख पढ़ना चाहते ह।

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उ के बहानासाइ टस का इलाज या है

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उ के बहानासाइ टस का इलाज कया जा सकता है। कुछ साल पहले जब मने एक से स

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े नग ो ाम का संचालन कया था, तो मने एक अ े सीरम क खोज क थी जो इस

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बीमारी का इलाज तो करता ही था, साथ ही यह भी सु न त करता था क यह बीमारी

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आपको कभी न हो।

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इस ो ाम म से सल नाम का एक श ु था। चालीस वष य से सल नमाता का

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त न ध बनना चाहता था, परंतु सोचता था क उसक उ यादा हो चुक है। उसने कहा,
“मुझे शु से सब कुछ करना पड़े गा। और अब म ऐसा कैसे कर सकता ँ ? अब म
चालीस बरस का हो गया ँ ”
मने “ यादा उ क सम या” पर से सल के साथ कई बार बात क मने पुरानी दवा
का इ तेमाल कया, ‘ आपक उ उतनी ही होती है, जतना आप समझते ह।‘ परंतु मने
पाया क उसका मज़ इस दवा से ठ क नह हो रहा है। ( यादातर लोग इसके जवाब म
कहते ह, “परंतु म अपने आपको बूढ़ा समझता ँ ! ” )
अंततः, मने एक ऐसा तरीक़ा खोज लया जो जा क तरह काम कर गया। एक दन
मने से सल से कहा, “से सल, मुझे यह बताओ क कसी आदमी क रचना मक उ कब
शु होती है?”
उसने एक–दो सेकड तक सोचने के बाद जवाब दया, ”लगभग 20 साल क उ
म।”
“अ ा,” मने कहा, ”और अब मुझे यह बताओ क कसी आदमी क रचना मक
उ कब ख़ म होती है?”
से सल ने जवाब दया, “मुझे लगता है क अगर वह तं त है और अपने काम को
पसंद करता है तो कोई आदमी 70 साल क उ तक रचना मक काय कर सकता है।”
“ठ क है,” मने कहा, “ब त से लोग 70 साल के बाद भी ब त से रचना मक काय
करते ह, परंतु म आपसे सहमत हो जाता ँ क कसी आदमी के रचना मक काय करने क
उ 20 से 70 साल के बीच होती है। और इस दौरान उसके पास 50 साल यानी क आधी
सद होती है। से सल,” मने कहा, “आप अभी चालीस साल के ह। आपक रचना मक
ज़दगी कतनी ख़ म हो चुक है ?”
“बीस साल,” उसने जवाब दया।

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“और आपक रचना मक ज़दगी अभी कतनी बाक़ है ?”

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“तीस साल,” उसने जवाब दया।

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“ सरे श द म, से सल, आपने अभी आधा रा ता भी तय नह कया । आपने अभी

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अपने रचना मक वष का सफ़ 40 तशत ह सा ही पूरा कया है।”

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मने से सल क तरफ़ दे खा और यह महसूस कया क यह बात उसके दल को छू

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गई थी। उसक उ का बहानासाइ टस त काल र हो गया। से सल ने दे खा क उसके

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सामने अभी ब त से अवसरपूण वष मौजूद ह। अभी तक वह सोचता था, “म तो अब बूढ़ा
हो चला ँ,” परंतु अब वह सोचने लगा, ”म अब भी युवा ँ।” से सल ने अब महसूस कया
क हमारी उ कतनी है, इस बात का कोई ख़ास मह व नह होता। दरअसल, उ के बारे
म हमारा नज़ रया ही हमारे लए वरदान या शाप बन जाता है।
उ के बहानासाइ टस का इलाज करने से आपके लए अवसर के वे बंद दरवाज़े
खुल जाएँगे जन पर इस बीमारी क वजह से ताला लगा आ था। मेरे एक र तेदार ने
अलग–अलग तरह के काम करने म अपने कई साल बबाद कए– जैसे से समैन शप,
अपना बज़नेस करना, बक म काम करना– परंतु वह यह तय नह कर पाया क वह या
करना चाहता था या उसे कौन सा काम पसंद था। आ ख़रकार, वह इस नतीजे पर प ँचा
क वह पादरी बनना चाहता था। परंतु जब उसने इस बारे म सोचा तो उसने पाया क
उसक उ यादा हो चुक है। अब वह 45 वष का था, उसके तीन ब े थे और उसके
पास पैसा भी यादा नह था।
परंतु सौभा य से उसने अपनी पूरी ताक़त जुटाई और ख़ुद से कहा, “चाहे मेरी उ
पतालीस साल हो या पसठ साल, म पादरी बनकर दखाऊँगा।”
उसके पास आ ा का भंडार था, और इसके सवा कुछ नह था। उसने व कॉ सन
म 5 वष य धमशा श ण काय म म अपना नाम लखवा लया। पाँच साल बाद वह
पादरी बन गया और इ लनॉय के चच म अपने ल य को हा सल करने म कामयाब आ।
बूढ़ा ? बलकुल नह । अभी तो उसके सामने 20 वष क रचना मक ज़दगी बाक़
थी। म इस आदमी से हाल ही म मला था और उसने मुझे बताया, “अगर मने 45 वष क
उ म इतना बड़ा फैसला नह कया होता तो मेरी बाक़ ज़दगी :ख भरी होती। जब क
अभी म अपने आपको उतना ही युवा समझता ँ जतना क म 25 वष पहले था।”
और उसक उ कम लग भी रही थी। जब आप उ के बहानासाइ टस को हरा दे ते

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ह, तो इसका वाभा वक प रणाम यह होता है क आपम युवाव ा का आशावाद अ◌ा

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जाता है और आप युवा दखने भी लगते ह। जब आप उ क सीमा के अपने डर को

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जीत लेते ह तो आप अपनी ज़दगी म कुछ साल तो जोड़ ही लेते ह, अपनी सफलता म भी

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कुछ साल जोड़ लेते ह।

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यू नव सट के मेरे एक पुराने सहयोगी ने मुझे ऐसा दलच तरीक़ा बताया जससे

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उ के बहानासाइ टस को हराया जा सकता था। बल ने हावड से बीस के दशक म

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ैजुएशन कया था। 24 साल तक टॉक ोकर रहने के बाद बल ने यह फैसला कया क

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वह कॉलेज ोफ़ेसर बनेगा। बल के दो त ने उसे चेतावनी द क यह ब त मेहनत का
काम है और उससे इस उ म उतनी मेहनत नह होगी। परंतु बल ने अपने ल य को
हा सल करने का प का इरादा कर लया था और उसने 51 वष क उ म यू नव सट ऑफ़
इ लनॉय म दा ख़ला लया। 55 वष क उ म उसे ड ी मली। आज बल एक ब ढ़या
आटस कॉलेज म डपाटमट ऑफ़ इकॉनो म स का चेयरमैन है। वह सुखी भी है। वह
मु कराते ए कहता है, ”अभी तो मेरी ज़दगी के एक तहाई बेहतरीन साल बाक़ ह।”
यादा उ का बहाना असफलता दे ने वाली बीमारी है। इसे हराएँ, वरना यह
आपको हरा दे गी।
कोई आदमी यादा छोटा कब होता है? “मेरी उ अभी ब त कम है” भी उ के
बहानासाइ टस का एक ऐसा कार है जसने कई लोग का भ व य चौपट कर दया है।
लगभग एक साल पहले जेरी नाम का 23 वष य युवक मेरे पास एक सम या लेकर आया।
जेरी स वस म एक पैरा पर था और इसके बाद वह कॉलेज गया था। कॉलेज जाते–जाते
भी जेरी ने अपने प नी और ब क ख़ा तर एक बड़ी ांसफ़र – एंड – टोरेज ककंपनी के
लए से समैन का काम कया। उसने ब त बेहतरीन काम कया। कॉलेज म भी और कंपनी
म भी।
परंतु आज जेरी च तत था। डॉ. ाटज़,” उसने कहा, “मेरी एक सम या है। मेरी
कंपनी ने मुझे से स मैनेजर बनाने का फ़ैसला कया है। इससे म आठ से समैन का
सुपरवाइज़र बन जाऊँगा।”
मने कहा, “बधाइयाँ, यह तो ब त ब ढ़या बात है। फर तुम इतने परेशान य दख
रहे हो ? ”
उसने जवाब दया, “मुझे जन आठ लोग का सुपरवाइज़र बनाया गया है, वे सभी
मुझसे सात साल से लेकर इ क स साल तक बड़े ह। मुझे ऐसे म या करना चा हए? या
म यह काम ठ क से कर सकता ँ ?”

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“जेरी,” मने कहा, ”तु हारी कंपनी का जनरल मैनेजर तो यही समझता है क तुम

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यह काम ठ क से कर पाओगे वरना वह तु ह सुपरवाइज़र बनाता ही य । सफ़ तीन बात

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याद रखो और हर चीज़ ठ क हो जाएगी। पहली बात तो यह क उ पर यान ही मत दो।

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खेत म कोई ब ा तभी आदमी माना जाता है जब वह यह सा बत कर दे ता है क वह

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आदमी के बराबर काम कर सकता है। उसक उ से इसका कोई लेना–दे ना नह होता।

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और यही तु ह भी सा बत करना होगा। जब तुम यह सा बत कर दोगे क तुम से स मैनेजर

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के काम को अ तरह से कर सकते हो, तो तुम अपने आप उतने बड़े हो जाओगे।

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“ सरी बात, अपने ‘ मोशन’ पर कभी इतराने क को शश मत करना। से समैन
के त स मान दखाना। उनसे सलाह लेना। उ ह यह महसूस कराना क वे एक ट म के
क तान के साथ काम कर रहे ह, कसी तानाशाह के साथ नह । अगर तुम ऐसा करोगे, तो
वे लोग तु हारे साथ काम करगे, न क तु हारे व ।
“तीसरी बात, इस बात क आदत डाल लो क तुमसे यादा उ वाले लोग तु हारे
अधीन काम कर। हर े का लीडर ज द ही यह जान लेता है क उसक उ अपने कई
अधीन से कम है। इस लए इस बात क आदत डाल लो। यह आगे आने वाले साल म
तु हारे काफ़ काम आएगी, जब तु ह और भी बड़े अवसर मलगे।
“और याद रखो, जेरी, तु हारी उ तु हारी सफलता क राह म कभी बाधा नह
बनेगी, जब तक क तुम ख़ुद उसे बाधा न बनाओ।”
आज जेरी का काम ब ढ़या चल रहा है। उसे ांसपोटशन बज़नेस पसंद है और
कुछ ही साल म वह अपनी ख़ुद क कंपनी शु करने क योजना बना रहा है
कम उ तभी बाधा बनती है, जब आप ख़ुद ऐसा सोचते ह। आप अ सर सुनते ह गे
क कई काम म “काफ़ ” शारी रक प रप वता क ज़ रत होती है जैसे स यु रट ज़ या
बीमा बेचने म। कसी नवेशक का व ास जीतने के लए या तो आपके बाल सफेद होने
चा हए या फर आपके सर पर बाल ही नह होने चा हए– ऐसा सोचना सरासर मूखता है
असली मह च तो इस बात का है क आप अपना काम कतनी अ तरह से करते ह।
अगर आप अपने काम पर पकड़ रखते ह, लोग को समझते ह तो आप पया त प रप व ह।
उ का यो यता से कोई सीधा संबंध नह होता जब तक क आप ख़ुद को यह यक़ न न
दला द क उ और केवल उ ही आपको सफलता या असफलता दला सकती है।
कई युवा लोग यह महसूस करते ह क वे अपनी कम उ के कारण ज़दगी क दौड़
म पीछे ह। हो सकता है क कसी ऑ फ़स म कोई असुर त आदमी या वह आदमी जसे
अपनी नौकरी छू टने का डर हो, आपके आगे बढ़ने क राह म रोड़े डाले। और हो सकता है

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क वह आपक उ का और आपके अनुभव क कमी का ज़ भी करे।

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परंतु आपको ऐसे असुर त लोग क बात पर यान दे ने क ज़ रत नह है।

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कंपनी के मा लक, कंपनी के मैनेजर ऐसा नह सोचगे। वे आपको उतनी ज़ मेदारी दगे,

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जतनी क आप नभा सक। यह सा बत कर क आपम यो यता है, सकारा मक रवैया है

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और आपक कम उ एक लाभ के प म गनी जाएगी।

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सं ेप म, उ के बहानासाइ टस के इलाज यह ह :

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1. अपनी वतमान उ के बारे म सकारा मक सोच रख। यह सोच, “म अभी भी
युवा ँ;” यह न सोच, “म अब बूढ़ा हो चुका ँ।” नए ल य को हा सल करने क को शश
करते रह। ऐसा करगे तो आपम मान सक उ साह आ जाएगा और आप अ धक युवा भी
दखने लगगे।
2. हसाब लगाएँ क आपके पास कतना रचना मक समय बचा है। याद रख, तीस
साल के आदमी के पास अपने जीवन का 80 तशत रचना मक समय शेष है। और 50
साल के आदमी के पास अब भी 40 तशत समय है– शायद सव े समय तो अभी
आना शेष है। यादातर लोग जतना सोचते ह, ज़दगी दरअसल उससे लंबी होती है!
3. भ व य म वह काम कर जो आप सचमुच करना चाहते ह । जब आप अपने
दमाग को नकारा मक कर लेते ह और सोचते ह क अब तो समय नकल चुका है, तभी
आपके हाथ से समय सचमुच नकलता है। यह सोचना छोड़ द, “मुझे यह काम साल
पहले शु कर दे ना चा हए था।” यह असफलता क सोच है। इसके बजाय यह सोच, “म
अब शु करने जा रहा ँ, मेरे सव े वष अभी बाक़ ह।” सफल लोग इसी तरीके से
सोचते ह।
4. “परंतु मेरा मामला अलग है। मेरी तो क मत ही ख़राब है।” हाल ही म, मने
सड़क घटना के बारे म एक ै फ़क इंजी नयर क बात सुन । उसका कहना था क हर
साल सड़क घटना म लगभग 40,000 लोग मर जाते ह। उसक चचा का मु य ब
यह था क शायद ही कभी कोई स ी घटना होती हो। हम जसे घटना मानते ह, वह
दरअसल कसी मानवीय या मशीनी गड़बड़ी का प रणाम होती है।
यह ै फ़क वशेष जो बात कह रहा था, उसका मूल भाव दाश नक और चतक
हम स दय से सखाते आ रहे ह ; हर चीज़ का कोई न कोई कारण होता है। कोई भी चीज़
बना कारण के नह होती। आज बाहर जो मौसम है, वह भी घटनावश नह है। वह क ह
वशेष कारण से वैसा है। और यह मानने का कोई कारण नह है क इंसान के मामले इस
नयम का अपवाद ह ।

in
परंतु शायद ही कोई दन ऐसा गुज़रता हो जब हम कसी को अपनी “बद क़ मती”

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को दोष दे ते न सुनते ह । और वह लभ दन ही होगा जब आप कसी सरे आदमी क

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सफलता के बारे म उसक “अ ” क़ मत क हाई न सुन।

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म आपको एक उदाहरण से समझाना चाहता ँ क लोग कस तरह क मत के

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बहानासाइ टस से पी ड़त होते ह। मने तीन युवा जू नयर ए ज़ी यू ट ज़ के साथ हाल ही

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म लंच लया। उस दन चचा का मु य ब था जॉज सी. का मोशन। कल तक जॉज

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इ ह लोग क तरह जू नयर ए ज़ी यू टव था। आज उसे मोशन मल गया था

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जॉज को मोशन य मला? इन तीन लोग ने इस मु े का पो टमाटम कया और
ब त से कारण खोज नकाले : अ क मत, म खनपॉ लश, ेशर, और जॉज क प नी
का सोस, यानी स ाई को छोड़कर हर बात कही गई। स ाई यह थी क जॉज इस
मोशन के लए सबसे यादा यो य था। वह अपने काम को बेहतर तरीके से कर रहा था।
वह यादा मेहनत से काम कर रहा था। वह अ धक भावी और कायकुशल था।
म यह भी जानता था क उस कंपनी के सी नयर ऑ फ़सस ने काफ़ सोच– वचार
कया था क इन चार म से कसे मोशन मले। मेरे इन तीन नराश दो त को यह
समझना चा हए था क कंपनी के सी नयर ऑ फ़सस जब मोशन दे ते ह, तो वे चार नाम
लखकर टोपी म से कसी एक का नाम नह नकालते ह।
म मशीन के पुजे़ बनाने वाली कंपनी के से स ए ज़ी यू टव से क़ मत के
बहानासाइ टस के बारे म बात कर रहा था। वह सम या को सुनकर रोमां चत हो गया और
उसने मुझे अपने जीवन का एक क सा सुनाया।
“मने इसका यह नाम तो पहले कभी नह सुना, ”उसका कहना था, परंतु हर
से समैन इस गंभीर सम या से जूझता है। कल ही हमारी कंपनी म जो घटना ई, उससे
आपको एक ब ढ़या उदाहरण मल जाएगा।
“हमारा एक से समैन चार बजे मशीन के पुज़ का एक बड़ा ऑडर लेकर आया।
ऑडर 112,000 डॉलर का था। सरा से समैन उस व त वह ऑ फ़स म खड़ा आ था।
इस से समैन का माल इतना कम बकता था क वह कंपनी पर बोझ बनता जा रहा था।
जब जॉन ने अ ख़बर सुनाई तो उसने ई य भरी बधाइयाँ तो द , परंतु साथ म यह भी
कहा, ‘जॉन, एक बार फर तु हारी क मत अ रही!’
“दे खने वाली बात यह है क यह कमज़ोर से समैन यह मानने को तैयार ही नह था
क जॉन के बड़े ऑडर से क मत का कोई लेना–दे ना नह था। जॉन उस ाहक पर कई
महीन से मेहनत कर रहा था। उसने वहाँ आधा दजन लोग से लंबी और बार–बार चचाएँ

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क थ । जॉन रात को योजनाएँ बनाया करता था क वह कस तरह यह ऑडर हा सल कर

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सकता था। फर उसने हमारे इंजी नयर के साथ बैठकर उस यं के शु आतीसु नयो जत

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डज़ाइन बनवाए। जॉन नह था, जब तक क आप सु नयो जत काम करने के तरीके़ को

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क़ मत क मत का का नाम न द।”

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अगर क़ मत के सहारे हम जनरल मोटस को एक बार फर से ग ठत कर। अगर

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क़ मत ही यह तय करे क कौन आदमी मैनेजर बनेगा और कौन चपरासी, तो इस दे श का

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हर बज़नेस चौपट हो जाएगा। एक मनट के लए क पना कर क जनरल मोटस को हम

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क़ मत के सहारे पूरी तरह पुनग ठत कर। इस काम के लए हम एक ब से म सभी
कमचा रय के नाम क पच डाल द। पच उठाने पर जसके नाम क पहली पच खुलेगी,
उसे हम े सडे ट बना दगे, सरे नाम वाले को वाइस े सडे ट और इसी म से हम नीचे
क तरफ़ आते जाएँगे।
यह मूखतापूण लगता है, नह या ? परंतु क़ मत जब काम करती है, तो इसी तरह
से करती है।
जो लोग कसी भी वसाय म चोट पर प ँचते ह, चाहे वह बज़नेस मैनेजमट हो,
से समैन शप हो, क़ानून, इंजी नय रग, अ भनय या और कोई े हो, वे इस लए चोट पर
प ँचते ह, य क उनका नज़ रया उ कृ होता है और वे साथ म कड़ी मेहनत भी करते ह।

क़ मत के बहानासाइ टस को दो तरीक़ से जीत


1.कारण और प रणाम के नयम को वीकार कर। जब आपको लगे क कोई आदमी
“ख़ुश क़ मत” है तो ज़रा गौर से दे ख। तब आपको यह दखेगा क जसे आप पहली नज़र
मअ क़ मत समझे थे, दरअसल वह तैयारी, योजना और सफलता के नज़ रए का
प रणाम है। इसी तरह कसी आदमी क “बद क़ मती” को भी ग़ौर से दे ख। आपको उसके
पीछे भी कुछ कारण मलगे। म टर सफल को जब झटका लगता है, तो वे उससे कुछ
सीखते ह और उससे लाभ उठाते ह। परंतु जब म टर असफल हारते ह, तो वे अपनी
असफलता से कुछ नह सीखते और बहाने बनाते रहते ह।
2.कभी भी दवा व न दे ख। अपनी मान सक ऊजा को ऐसे सपने दे खने म ज़ाया
न कर जसम बना मेहनत के सफलता हा सल क जा सकती हो हम क़ मत के सहारे
सफल नह होते। सफलता उन चीज़ को करने से आती है और उन स ांत म पारंगत होने
से मलती है जो सफलता म सहायक होते ह। मोशन, जीत, जीवन क अ चीज़ म
क़ मत का सहारा न ल। क़ मत से ये चीज नह मला करत । इसके बजाय, आप अपने

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आपम ऐसे गुण वक सत कर क आप सचमुच एक वजेता बन जाएँ।

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व ास जगाएँ डर भगाएँ


ब हम डरे होते ह तो हमारे दो त हम समझाते ह, “यह तु हारे मन का वहम है।

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चता मत करो। डरने क कोई बात नह है।”

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परंतु आप और हम जानते ह क डर क इस क म क दवा से काम नह चलता है।

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इस तरह क तस ली से हम कुछ मनट या कुछ घंटे का ही आराम मलता है। “यह तु हारे

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मन का वहम है” वाले उपचार से व ास नह जागता, न ही डर का इलाज होता है।

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हाँ, डर वा त वक होता है। और इसे जीतने से पहले हम यह मानना ही पड़े गा क

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इसका अ त व होता है।

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आजकल इंसान के यादातर डर मनोवै ा नक होते ह। चता, तनाव, उलझन,
सं ास- यह सभी हमारी नकारा मक, अनुशासनहीन क पना के कारण पैदा होते ह। परंतु
सफ़ यह जानने से क डर कैसे पैदा होता है, उस डर का इलाज नह हो जाता। जब
डॉ टर यह पता लगा लेता है क आपके शरीर म कह पर कोई इ फे़ न है, तो उसका
काम वह पर पूरा नह हो जाता। इसके बाद वह इ फे़ न का इलाज भी करता है।
“यह तु हारे मन का वहम है” वाला पुराना वचार यह मानता है क डर का वा तव
म अ त व होता ही नह है। परंतु ऐसा नह है। डर का अ त च होता है। डर असली है।
डर सफलता का नंबर एक मन है। डर लोग को अवसर का लाभ उठाने से रोकता है।
डर लोग को शारी रक प से कमज़ोर बना दे ता है। डर लोग को बीमार बना दे ता है। डर
लोग क ज़दगी को छोटा कर दे ता है। आप जब बोलना चाहते ह, तो डर आपके मुँह को
बंद रखता है।
डर – अ न तता, आ म व ास का अभाव – के ही कारण हमारी अथ व ा म
मं दयाँ आती ह। डर के ही कारण करोड़ लोग इतना कम हा सल कर पाते ह और जीवन
का इतना कम आनंद ले पाते ह।
वा तव म डर एक श शाली भावना है। कसी न कसी प म डर लोग को वह
हा सल करने से रोकता है जो वे जीवन म हा सल करना चाहते ह।
हर तरह और हर आकार का डर मनोवै ा नक इ फे़ न का एक प है। हम
अपने मान सक इ फ़े न को भी उसी तरीके़ से र कर सकते ह जस तरह हम अपने
शारी रक इ फ़े न को र करते ह- यानी उसका इलाज करके।
इसके लए सबसे पहले हम उपचार के पहले क तैयारी करनी होगी। यह जानना
होगा क आ म व ास आसमान से आकर हमारे दमाग़ म नह घुसता, ब क हा सल
कया जाता है, वक सत कया जाता है। कोई भी आ म व ास के साथ पैदा नह

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होता। जन लोग म आ म व ास चुरता म होता है, ज ह ने चता को जीत लया है, जो

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हर जगह और हर कह बे फ़ से आते-जाते ह, उ ह ने यह आ म व ास धीरे-धीरे हा सल

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कया है।

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आप भी ऐसा ही कर सकते ह। यह अ याय आपको बताएगा, कैसे।

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तीय व यु म नेवी ने यह फ़ैसला कया क इसके सभी नए रंग ट को तैरना आना

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चा हए। इसके पीछे यह वचार था क तैरना आने से कसी डू बते आदमी क जान बचाई
जा सकती है।
जन लोग को तैरना नह आता था, उनके लए तैरने क क ाएँ आयो जत क ग ।
मने इस तरह के एक श ण को दे खा। सतही तौर पर यह दे खना मज़ेदार था क इतने
बड़े – बड़े , जवान, और व लोग कुछ फु़ट गहरे पानी म कूदने से घबरा रहे थे। इन लोग
को 6 फु़ट ऊँचे टड से पानी म कूदना था और पानी सफ़ 8 फु़ट गहरा था। हालाँ क आस-
पास ब त से वशेष तैराक खड़े थे और जान का कोई जो खम नह था, फर भी ये
वय क लोग बुरी तरह आतं कत थे।
गहराई से सोचने पर यह :खद संग था। उनका डर वा त वक था। परंतु उनम
और हार के डर के बीच म केवल एक ही चीज़ आड़े आ रही थी, और वह थी नीचे के पानी
म छलाँग। एक से यादा बार मने दे खा क इन युवक को बोड से “अनपे त” ध का दे
दया गया। और इसका प रणाम यह आ क पानी से उनका डर हमेशा के लए र हो
गया।
हज़ार भूतपूव नेवी के जवान इस घटना से प र चत ह गे। इस घटना से हम यह
श ा मलती है : काम करने से डर र होता है। वधा म रहने या अ नणय क तम
रहने से या काम टालने से हमारा डर बढ़ता है।
इसे अभी हाल अपनी सफल नयम क पु तका म लख ल। काम करने से डर र
होता है।
काम करने से डर सचमुच र होता है। कुछ महीन पहले चालीस साल का एक
परेशानहाल ए ज़ी यू टव मुझसे मलने आया। वह एक बड़े रटे लग संगठन म मह वपूण
पद पर था।
च तत वर म उसने मुझे बताया, “मुझे डर है क मेरी नौकरी छू ट जाएगी। मुझे
ऐसा लगता है क मेरे थोड़े से दन बचे ह।”
“ य ?” मने पूछा।

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“सभी बात मेरे ़खलाफ़ ह। मेरे वभाग क ब के आँकड़े पछले साल से 7

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तशत कम ह। यह ब त बुरा है, ख़ासकर तब जब हमारे टोर क सेल पछले साल क

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तुलना म 6 तशत बढ़ है। मने हाल ही म कुछ ग़लत फ़ैसले लए ह और मुझे कई बार

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मी टग म यह संकेत दया गया है क म कंपनी क ग त के साथ-साथ ग त नह कर पा

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रहा ँ।

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“मुझे इतना बुरा अनुभव पहले कभी नह आ। मेरी पकड़ ढ ली होती जा रही है

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और यह सबको साफ़ दख रहा है। मेरे कमचा रय को भी इस बात का एहसास है। मेरे
से समेन भी यह दे ख सकते ह। सरे ए ज़ी यू टव भी यह जानते ह क म ढलान पर नीचे
फसल रहा ँ। एक साथी ए ज़ी यू टव ने तो पछली मी टग म यहाँ तक सुझाव दया क
मेरा कुछ काम उसके डपाटमट को स प दया जाए, ‘ता क टोर के लए कुछ लाभ
कमाया जा सके।‘ म एक ऐसा डू बता आ आदमी ँ, जसे ब त सारे लोग डू बता आ
दे ख रहे ह और उसके डू बने का इंतज़ार कर रहे ह।”
ए ज़ी यू टव ने अपनी दशा पर बोलना जारी रखा। आ ख़रकार मने उसे बीच म
रोककर उससे पूछ ही लया, “तो आप इस बारे म या कर रहे ह ? आप त को सुधारने
के लए या यास कर रहे ह?"
“म इसम कर ही या सकता ँ?” उसने जवाब दया, "म सफ़ यही उ मीद कर
रहा ँ क सब कुछ ठ क हो जाए।"
इस पर मने कहा, “परंतु या उ मीद करने से ही सब कुछ ठ क हो जाएगा ?" फर
बना उसे जवाब दे ने का मौक़ा दए मने उससे अगला सवाल पूछा :
“ य न उ मीद करने के साथ-साथ आप कुछ यास भी कर ?”
“कैसे ?" उसने कहा।
“आपके मामले म दो तरह के काम कए जा सकते ह। पहला तो यह क आप
अपनी से स को बढ़ाकर दखाएँ। हम यह से शु करना होगा। कोई न कोई वजह तो
होगी जसके कारण आपक से स कम हो रही है। उस वजह का पता लगाएँ। हो सकता है
क आपको अपना पुराना माल नकालने के लए ेशल सेल लगानी पड़े , ता क आप नया
माल ख़रीद सक। शायद आपको अपने ड ले काउ टस को अलग तरीके़ से जमाना
चा हए। शायद आपको अपने से समैन म यादा उ साह भरना चा हए। म यह तो नह
बता सकता क कस तरह आपका से स वॉ यूम बढ़ सकता है, परंतु यह कसी न कसी
तरह तो बढ़ ही सकता है। और इसके अलावा आप अपने मैनेजर से भी बात करके दे ख ल।
हो सकता है क वे आपको नौकरी से नकालने वाले ह , परंतु अगर आप उनक सलाह लगे

. in
तो वे आपको सम या को सुलझाने के लए न त प से यादा मोहलत दे दगे। टोर के

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लए आपका वक प ढू ँ ढ़ना ब त मु कल होगा बशत क टॉप मैनेजमट को यह लगे क

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आप सम या को सुलझाने का गंभीर यास कर रहे ह।"

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म आगे कहता रहा, “इसके बाद आप अपने कमचा रय से, अपने अधीन से

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बात कर। डू बते ए आदमी क तरह वहार करना छोड़ द। अपने आस -पास के लोग को

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यह एहसास होने द क आपम अभी जान बाक़ है। ”

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एक बार फर उसक आँख म ह मत लौट आई थी। फर उसने पूछा, “आपने कहा
था क म दो क़दम उठा सकता ँ। सरा क़दम या है?”
“ सरा क़दम यह है, जसे आप बीमा योजना कह सकते ह, क आप कसी सरे
टोर म अपने लए ऐसी जगह ढू ँ ढ़कर रख जहाँ आपको यहाँ से यादा तन वाह मल
सके।
“अगर आप सकारा मक काय करगे तो मुझे नह लगता क आपको इसक ज़ रत
पड़े गी। आपक कमठता से आपके से स आँकड़े न त प से सुधर जाएँगे। फर भी
एक-दो वक प रहना हमेशा यादा अ ा होता है। याद रख, बेरोज़गार आदमी के लए
नौकरी हा सल करना ब त मु कल होता है, जब क पहले से नौकरी कर रहे आदमी के
लए नौकरी हा सल करना बेरोज़गार क तुलना म दस गुना यादा आसान होता है। "
दो दन पहले यही ए ज़ी यू टव मुझसे मलने आया।
“आपसे चचा के बाद म काम म जुट गया। मने ब त से बदलाव कए, परंतु सबसे
बड़ा बदलाव मने अपने से समैन के रवैए म कया। पहले म स ताह म एक बार मी टग
लया करता था, अब म हर सुबह मी टग लेता ँ। मने इन सभी लोग म उ साह भर दया
है। ऐसा लगता है क मेरे जोश को दे खकर उनम भी हौसला आ गया है। जब उ ह ने दे खा
क मुझम जान बाक़ है, तो उ ह ने भी यादा मेहनत करने का फ़ैसला कर लया। ऐसा
लगता है जैसे वे सफ़ इस बात का इंतज़ार कर रहे थे क म आगे बढ़ने म पहल क ँ ।
"अब सब कुछ ठ क चल रहा है। पछले ह ते मेरी ब पछले साल क तुलना म
यादा ई है और यह टोर क औसत ब से भी काफ़ अ है।
“ओह, बहरहाल," उसने कहा, “म आपको एक और अ ख़बर सुनाना चाहता
ँ। मुझे दो वैक पक नौक रय के ताव मले ह। न त प से इससे म ख़ुश ँ परंतु
मने दोन को अ वीकार कर दया, य क यहाँ पर सब कुछ एक बार फर ठ क-ठाक हो
गया है।"

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जब हम क ठन सम या का सामना करते ह, तो हम तब तक दलदल म फँसे

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रहते ह जब तक क हम कम नह करते। आशा से शु आत होती है। परंतु जीतने के लए

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आशा के साथ-साथ कम क भी ज़ रत होती है।

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कम के स ांत पर अमल कर। अगली बार जब भी आपको डर लगे, चाहे डर छोटा

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हो या बड़ा, अपने आपको सँभाल। फर इस सवाल का जवाब ढू ँ ढ़ : कस तरह के काम से

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म अपने डर को जीत सकता ँ?

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अपने डर का कारण खोज ल। फर उ चत क़दम उठाएँ।
डर और उनके उपचार के कुछ उदाहरण नीचे बताए गए ह।
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डर का इलाज करने और व ास हा सल करने के लए ये दो क़दम उठाएँ :


1. डर का असली कारण पता कर। यह तय कर ल क आप वा तव म कस चीज़
से डर रहे ह।
2. फर कम कर। हर तरह का डर कसी न कसी तरह के काम से र हो सकता है।
और याद रख, झझकने से आपका डर बढ़ता ही है, कम नह होता। इस लए दे र न
कर, ब क त काल काम म जुट जाएँ। फ़ैसला कर।
आ म व ास के अभाव का कारण होती है ख़राब याददा त।
आपका दमाग़ कसी बक क तरह होता है। हर दन आप अपने “ दमाग़ के बक”

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म वचार को जमा करते जाते ह। वचार का यह सं ह बढ़ता जाता है और आपक

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याददा त बन जाता है। जब भी आप सोचने बैठते ह या आपके सामने कोई सम या आती

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है तो दरअसल आप अपनी याद के बक से पूछते ह, “इस बारे म म या जानता ँ ?”

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आपक याद का बक पहले से जमा कए ए वचार के सं ह म से आपको

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आपक मनचाही जानकारी दे ता है। आपक याद ही वह मूलभूत स लायर ह जो आपको

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नए वचार के लए क ा माल दान करती ह

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आपक याद के बक का टे लर ब त ही भरोसेमंद है। वह आपको कभी धोखा नह

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दे ता। जब आप उसके पास जाकर कहते ह, “ म टर टे लर, मुझे कुछ वचार नकालकर द
जनसे यह स हो क म बाक़ लोग जतना यो य नह ँ,” वह कहता है, “ बलकुल,
सर। याद कर आपने पहले भी दो बार इस काम को करने क को शश क थी, और आप
असफल ए थे ? याद कर आपक छठ क ा क ट चर ने कहा था क आप कोई भी काम
ढँ ग से नह कर सकते। याद कर आपने अपने साथी कमचा रय को अपने बारे म यह कहते
सुना था... याद कर ...”
और म टर टे लर एक के बाद एक वचार नकालकर आपको दे ते ह जनसे यह
न कष नकलता है क आप अयो य ह, असमथ ह।
परंतु अगर आप अपनी याद के टे लर से यह कह, " म टर टे लर मुझे एक मह वपूण
फ़ैसला करना है। या आप मुझे ऐसे वचार दान करगे जनसे मुझे हौसला मले ?”
और इसके जवाब म म टर टे लर कहते ह, “ बलकुल, सर," परंतु इस बार वे
आपको पहले से जमा कए ए ऐसे वचार दे ते ह जनसे यह सा बत होता है क आप
सफल हो सकते ह। “याद कर आपने पहले भी ऐसी प र त म वह शानदार काम कया
था. . . . याद कर म टर मथ को आप पर कतना भरोसा था... याद कर आपके अ े
दो त आपके बारे म यह कहा करते थे... याद कर . . . ” म टर टे लर पूरी तरह सहयोग
करगे और आपको उसी तरह के वचार नकालने दगे जस तरह के वचार आप नकालना
चाहते ह। आ ़खर, यह आपका बक है।
यहाँ पर दो उपाय दए जा रहे ह जनके योग से आप अपनी याद के बक का
भावी उपयोग कर सकते ह और अपना आ म व ास जगा सकते ह।
1. अपनी याद के बक म केवल सकारा मक वचार ही जमा कर। इस बात को
अ तरह से समझ ल। हर के जीवन म अ य, मु कल, हतो सा हत करने वाली
घटनाएँ होती ह। परंतु इन घटना के त असफल और सफल लोग क त याएँ
अलग-अलग होती ह। असफल लोग बुरी घटना को दल से लगाकर रखते ह। वे अ य

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तय को बार-बार याद करते ह, ता क वे उनक याद म अ तरह से जम जाएँ। वे

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अपने दमाग़ से उ ह नह नकाल पाते। रात को भी वे जस घटना के बारे म सोचते ए

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सोते ह, वह दन म ई कोई अ य घटना ही होती है।

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सरी तरफ़ आ म व ास से पूण, सफल लोग इस तरह क घटना को “भूल जाते

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ह।" सफल लोग अपनी याद के बक म केवल सकारा मक वचार ही रखते ह।

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आपक कार कस तरह चलेगी अगर हर सुबह काम पर जाने से पहले आप दो मु

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धूल अपने क केस म डाल द ? या आपका शानदार इंजन बैठ नह जाएगा और आप
इससे जो कराना चाहते ह, वह करने से इ कार नह कर दे गा ? आपके दमाग़ म जमा
नकारा मक, अ य वचार भी आपके दमाग़ को इसी तरह से भा वत करते ह।
नकारा मक वचार आपक मान सक मोटर को इसी तरह क अनाव यक टू टफूट का
शकार बनाते ह। इनसे चता, कुंठा और हीनता क भावनाएँ पैदा होती ह। नकारा मक
वचार आपको सड़क के कनारे खड़ा रखते ह, जब क बाक़ लोग अपनी गा ड़य पर फराटे
से आगे बढ़ रहे होते ह।
ऐसा कर : उन ण म जब आप अपने वचार के साथ अकेले ह जब आप अपनी
कार चला रहे ह या अकेले खाना खा रहे ह – सुखद, सकारा मक घटनाएँ याद कर।
अपनी याद के बक म अ े वचार डाल। इससे आ म व ास बढ़ता है। इससे आपम “म
सचमुच अ ा ँ" क भावना जागती है। इससे आपका शरीर भी व रहता है।
इसका एक ब ढ़या तरीक़ा यह है। सोने जाने से पहले, अपनी याद के बक म अ े
वचार को डाल द। अपने जीवन क अ बात को याद कर। यह सोच क आपको
कतनी सारी चीज़ के लए ऊपर वाले का शु गुज़ार होना चा हए : आपक प नी या
आपका प त, आपके ब े, आपके दो त, आपका वा य। उन अ चीज़ को याद कर
जो आपने लोग को आज करते दे खा है। अपनी छोट -छोट सफलता और उपल य
को याद कर। उन कारण को हराएँ क आपको आज जी वत होने के लए ख़ुश य होना
चा हए।
2. अपनी याद के बक से केवल सकारा मक वचार ही नकाल। कई वष पहले म
शकागो म मनोवै ा नक सलाहकार क एक फ़म के साथ क़रीबी प से जुड़ा आ था।
वे कई तरह के मामले सुलझाते थे, परंतु उनम से यादातर मामले ववाह संबंधी सम या
और मनोवै ा नक क ठनाइय से संबं धत होते थे।
एक दन म फ़म के मु खया से उसके ोफ़ेशन और उसक तकनीक के बारे म बात
कर रहा था। म यह जानना चाहता था क वह कस तरह असंतु लत क मदद करता

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है। उसने कहा, " या आप जानते ह क लोग अगर केवल एक चीज़ कर ल, तो उ ह मेरी

i.
सेवा क कभी ज़ रत नह पड़े गी।"

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“वह या ?” मने उ सुकता से पूछा।

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“ सफ़ यही- क आप अपने नकारा मक वचार को न कर द, इससे पहले क वे

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वचार रा स बन जाएँ और आपको न कर द।"

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“म जन लोग क मदद करता ँ उनम से यादातर लोग,” उसने कहा, “मान सक

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आतंक क नया म रहते ह। शाद क ब त सारी क ठनाइयाँ ‘हनीमून रा स‘ क वजह
से होती ह। हनीमून उतना संतोषजनक नह रहा होगा, जतना एक या दोन जीवनसाथी
चाहते ह । परंतु उस याद को दफ़ना दे ने के बजाय वे लोग सैकड़ बार उस पर वचार करते
रहते ह जब तक क यह उनके वैवा हक जीवन क एक ब त बड़ी बाधा नह बन जाती। वे
मेरे पास पाँच या दस साल बाद आते ह।
“आम तौर पर, मेरे ाहक यह नह जान पाते क सम या क जड़ कहाँ है। यह मेरा
काम है क म उनक क ठनाई का व ेषण क ँ और उ ह यह बताऊँ क उ ह ने राई का
पहाड़ बना लया है।
“कोई भी कसी भी अ य घटना को मान सक रा स बना सकता है," मेरे
मनोवै ा नक दो त ने आगे कहा। “नौकरी क असफलता, असफल रोमांस, बुरा नवेश,
ट न-एज ब े के वहार से नराशा- ऐसे आम रा स ह जनक वजह से मने लोग को
परेशान दे खा है और म इन रा स को मारने म इन लोग क मदद करता ँ।”
यह है क अगर हम कसी भी नकारा मक वचार को बार-बार दोहराएँगे तो
इसका मतलब है क हम इसे खाद-पानी दे रहे ह। और अगर हम इसे खाद-पानी दगे, तो
यह धीरे- – धीरे बड़ा रा स बनकर हमारे आ म व ास को न कर दे गा और हमारी
सफलता क राह म गंभीर मनोवै ा नक क ठनाइयाँ खड़ी कर दे गा।
कॉ मोपॉ लटन मै ज़ीन म हाल ही म छपे एक लेख "द ाइव टु वड से फ़ –
डे न " म ए लस म काहे ने इस तरफ़ इशारा कया क हर साल 30,000 अमे रक
आ मह या कर लेते ह और 100,000 लोग आ मह या का असफल यास करते ह। उ ह ने
आगे कहा, “इस बात के आ यजनक माण मले ह क लाख -करोड़ सरे लोग धीमे –
धीमे, कम तरीक़ से ख़ुद को मार रहे ह। बाक़ के लोग शारी रक आ मह या करने के
बजाय, आ या मक आ मह या कर रहे ह य क वे ख़ुद को कई कर रहे ह और कुल
मलाकर अपने आपको तरह से अपमा नत, छोटा बना रहे ह।
जस मनोवै ा नक म का मने ज़ कया था, उसने मुझे बताया क कस तरह

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उसने अपनी एक ऐसी मरीज़ को रोका जो "मान सक और आ या मक आ मह या" करने

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पर तुली ई थी। उसने कहा, "इस मरीज़ क उ पतीस से ऊपर होगी। उसके दो ब े थे।

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सामा य भाषा म कहा जाए तो उसे गंभीर ड ेशन था। अपनी ज़दगी का हर अनुभव उसे

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:खद अनुभव ही लगता था। उसका कूली जीवन, उसक शाद , ब का लालन –

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पालन, जन जगह पर वह रही थी- सभी के बारे म उसक सोच नकारा मक थी। उसने

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बताया क उसे याद नह है क वह कभी सुखी भी रही थी। और चूँ क अपने अतीत

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क कूची से ही अपने वतमान म रंग भरता है इस लए उसे वतमान जीवन म भी सफ़

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नराशा और अँधेरा ही नज़र आ रहा था ।

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“जब मने उससे पूछा क सामने वाली त वीर म उसे या दख रहा था, तो उसने
कहा, ‘ऐसा लगता है जैसे यहाँ आज रात तूफ़ान आने वाला है।‘ यह उस त वीर का सबसे
नराशाजनक व ेषण था।" (यह त वीर एक बड़ी ऑइल प टग है जसम सूय आसमान
म नीचे क तरफ़ है। च ब त चतुराई से बनाया गया है और इसे सूय दय का य भी
समझा जा सकता है और सूया त का भी। मनोवै ा नक ने कहा क लोग त वीर म जो
दे खते ह, उससे उनके व के बारे म संकेत मल जाता है। यादातर लोग कहते ह क
यह सूय दय का य है जब क मान सक प से असंतु लत, ड े ड हमेशा इसे
सूया त का य बताते ह)
“एक मनोवै ा नक के प म म कसी क याददा त तो नह बदल सकता।
परंतु अगर मरीज़ सहयोग दे , तो म उसे अपने अतीत को अलग तरीके़ से दे खने का नज़ रया
सखा सकता ँ। मने इस म हला को भी ऐसा ही करना सखाया। मने उसे बताया क वह
अपने अतीत को पूरी तरह नराशावाद रवैए से न दे खे और उसम से ख़ुशी और आनंद के
पल को याद करने क को शश करे। छह महीन के बाद उसक हालत म थोड़ा सा सुधार
आ। उस व त मने उसे एक ख़ास काम स पा। मने उससे कहा क वह हर दन तीन
कारण लखे जनके कारण उसे ख़ुश होना चा हए। हर स ताह गु वार को म उसके लखे
कारण को दे ख लेता था। यह सल सला तीन माह तक चलता रहा। उसम काफ़ सुधार हो
रहा था। आज वह म हला एक सामा य जीवन जी रही है। वह सकारा मक है और वह
यादातर लोग जतनी ही सुखी है।"
जब इस म हला ने अपनी याद के बक से नकारा मक वचार नकालना बंद कर
दया, तो उसक हालत म सुधार होना शु हो गया।
चाहे मनोवै ा नक सम या बड़ी हो या छोट , इलाज हमेशा तभी शु होता है जब
अपनी याद के बक से नकारा मक वचार को नकालना बंद कर दे ता है और उनके
बजाय सकारा मक वचार नकालना शु कर दे ता है।
मान सक रा स न बनाएँ। अपनी याद के बक से अ य वचार नकालना बंद कर

. in
द। जब भी आपको कसी तरह क कोई प र त याद आए, तो उसके अ े ह से के

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बारे म सोच। बुरे ह से को भूल जाएँ। उसे दफ़ना द। अगर आप यह पाएँ क आप

n
नकारा मक पहलू पर ही वचार कर रहे ह, तो उस घटना से अपने दमाग़ को पूरी तरह हटा

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द।

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और यहाँ हम आपको एक और मह वपूण और उ साहव क बात बताना चाहते ह।

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आपका म त क अ य घटना को भुलाना चाहता है। अगर आप सहयोग कर, तो

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अ य याद धीरे-धीरे सकुड़ती जाती ह और आपक याद के बक का टे लर उ ह बाहर
नकालता जाता है।
डॉ. मै वन एस. हैट् वक एक स एड् वटाइज़मट मनोवै ा नक ह और याद
रखने क हमारी यो यता के बारे म वे कहते ह, “जब जागने वाली भावना सुखद होती है तो
व ापन को याद रखना आसान होता है। जब जागने वाली भावना सुखद नह होती, तो
पाठक या ोता उस व ापन के संदेश को ज द ही भूल जाते ह। अ य घटनाएँ हमारी
चाही गई चीज़ के ख़लाफ़ होती ह, इस लए हम उ ह याद नह रखना चाहते।"
सं ेप म, अगर हम उ ह बार-बार याद न कर तो अ य घटना को भूलना आसान
है। अपनी याद के बक से केवल सकारा मक वचार ही नकाल। बाक़ को यूँ ही बेकार
पड़ा रहने द। और आपका आ म व ास आसमान छू लेगा। आपको ऐसा लगेगा जैसे आप
कला फ़तह कर सकते ह। आपको लगेगा आप नया क चोट पर प ँच सकते ह। आप
जब भी अपने नकारा मक, ख़ुद को छोटा करने वाले वचार को याद करने से इ कार करते
ह तो आप अपने डर को जीतने क तरफ़ एक बड़ा क़दम आगे बढ़ाते ह।
लोग सरे लोग से य डरते ह? जब सरे लोग हमारे आस-पास होते ह तो हम
इतना आ म-चेतन य हो जाते ह? हमारे संकोच क या वजह होती है? हम इस बारे म
या कर सकते ह ?
सरे लोग का डर एक बड़ा डर होता है। परंतु इसे जीतने का भी एक तरीक़ा है।
अगर आप उसे “सही पहलू" से दे खने क आदत डाल ल तो आप लोग के डर को जीत
सकते ह।
मेरे एक सफल बज़नेस म ने मुझे बताया क कस तरह उसने लोग के बारे म
सही नज़ रया सीखा। उसका उदाहरण सचमुच दलच है।
“ तीय व यु म सेना म जाने से पहले म हर एक के सामने झझकता था, हर
एक से डरता था। आप सोच भी नह सकते म उस समय कतना शम ला और संकोची
आ करता था। मुझे लगता था बाक़ लोग मुझसे ब त यादा माट ह। म अपनी शारी रक

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और मान सक क मय को लेकर चता कया करता था। म सोचा करता था क मेरा ज म

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ही असफल होने के लए आ है।

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“ फर क़ मत से म सेना म चला गया और वहाँ जाने के बाद मेरे दल से लोग का

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डर नकल गया। 1942 और 1943 के दौरान जब सेना म लोग को भत कया जा रहा था,

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तो मुझे भत क पर मे डकल ऑ ़फसर के प म तैनात कया गया। मने इन लोग के

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परी ण म सहयोग कया। म इन रंग ट को जतना दे खता था, मेरे मन से लोग का डर

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उतना ही कम होता जाता था।

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“सैकड़ क तादाद म लोग खड़े ए थे, सभी पूरे कपड़े उतारे ए थे और सभी
लगभग एक-से दख रहे थे। हाँ, इनम से कुछ मोटे थे और कुछ बले, कुछ लंबे थे और
कुछ नाटे , परंतु वे सभी परेशान थे, सभी अकेलापन अनुभव कर रहे थे। कुछ समय पहले
यही लोग युवा ए ज़ी यू टव आ करते थे। कुछ समय पहले इनम से कुछ कसान थे,
कुछ से समेन थे, कुछ लू कॉलर कमचारी थे, और कुछ यूँ ही सड़क पर ख़ाक छाना करते
थे। कुछ दन पहले ये लोग अलग-अलग काम कया करते थे। परंतु भत क पर वे सारे
लोग एक-से दख रहे थे।
“तब मने एक मह वपूण बात सोची। मने पाया क लोग यादातर मामल म एक-से
होते ह। लोग म समानताएँ यादा होती ह, और असमानताएँ कम होती ह। मने पाया क
सामने वाला आदमी भी मेरे जैसा ही है। उसे भी अ ा खाना पसंद है, उसे भी अपने
प रवार और दो त क याद आती है, वह भी तर क़ करना चाहता है, उसके पास भी
सम याएँ ह और वह भी आराम करना चाहता है। इस लए, अगर सामने वाला मेरे जैसा ही
है, तो उससे डरने क कोई वजह ही नह है।”
अब, म आपसे पूछता ँ। या यह बात काम क नह है ? अगर सामने वाला मेरे
जैसा ही है, तो उससे डरने क कोई वजह ही नह है।
लोग को सही नज़ रए से दे खने के दो तरीके़ ये ह :
1. सामने वाले को संतु लत से दे ख। लोग के साथ वहार करते समय
इन दो बात का यान रख : पहली बात तो यह क सामने वाला मह वपूण है।
न त प से वह मह चपूण है। हर मह वपूण होता है। परंतु यह भी याद रख क
आप भी मह चपूण ह। तो जब आप कसी से मल तो ऐसा सोच, "हम दो मह वपूण
लोग मलकर कसी आपसी लाभ या च के वषय पर च चा कर रहे ह।”
कुछ महीने पहले, एक बज़नेस ए ज़ी यू टव ने फ़ोन पर मुझे बताया क उसने मेरे
सुझाए एक युवक को नौकरी पर रख लया है। “आपको पता है मुझे उसक कस बात ने

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भा वत कया," मेरे दो त ने कहा। “कौन सी बात ने ?" मने पूछा। “मुझे उसका

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आ म व ास बेहद पसंद आया। यादातर उ मीदवार तो कमरे म घुसते समय डरे और

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सहमे ए थे। उ ह ने मुझे उस तरह के जवाब दए जो उनक राय म म सुनना चाहता था।

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एक तरीके़ से यादातर उ मीदवार भखा रय क तरह वहार कर रहे थे- उ ह आप कुछ

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भी दे सकते थे और उ ह आपसे कसी ख़ास चीज़ क उ मीद नह थी।

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“परंतु जी. का वहार इन सबसे अलग था। उसने मेरे त स मान दखाया, परंतु

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इसके साथ ही साथ मह वपूण बात यह थी क उसने अपने त भी स मान दखाया। मने

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उससे जतने सवाल पूछे, उसने भी मुझसे तक़रीबन उतने ही सवाल पूछे। वह कोई चूहा
नह है। वह असली मद है और म उसके आ म व ास से ब त भा वत आ।”
आपसी मह व का रवैया आपको प र त को दे खने का संतु लत रवैया दे ता है।
सामने वाला आपक नज़र म आपसे यादा मह वपूण नह बन पाता।
हो सकता है सामने वाला ब त बड़ा, ब त मह वपूण दख रहा हो। परंतु याद
रख, है तो वह भी एक इंसान ही। उसके पास भी तो वही चयाँ, इ ाएँ और सम याएँ
ह गी जो आपके पास ह।
2. समझने का रवैया वक सत कर। जो लोग आपको नीचा दखाना चाहते ह,
आपके पर कतरना चाहते ह, आपक टाँग ख चना चाहते ह, आपक बुराई करना चाहते ह,
ऐसे लोग क इस नया म कोई कमी नह है। अगर आप इनका सामना करने के लए
तैयार नह ह, तो यह लोग आपके आ म व ास म बड़े -बड़े छे द कर दगे और आपको ऐसा
लगेगा जैसे आप पूरी तरह हार चुके ह। आपको ऐसे वय क हमलावर के व ढाल
चा हए, उस हमलावर के लए जो अपनी पूरी ताक़त से आप पर चढ़ाई करने के लए कमर
कसे बैठा है।
कुछ महीने पहले मे स होटल क रज़वशन डे क पर मने सीखा क इस तरह के
लोग का सामना कस तरह से कया जा सकता है।
शाम के 5 बजे थे और होटल म नए अ त थय का र ज े शन कया जा रहा था।
मेरे सामने वाले आदमी ने लक को अपना नाम बताया। लक ने कहा, “यस सर, आपके
लए एक ब ढ़या सगल म बुक कया आ है।"
“ सगल,” वह आदमी गु से से च लाया, “मने तो डबल बेड म का ऑडर दया
था।”
लक ने वन ता से जवाब दया, "म दे ख लेता ँ, सर।” उसने अपनी फ़ाइल

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नकाली और उसम दे खकर कहा, “माफ़ क जए, सर। आपके टे ली ाम म साफ़ लखा

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आ था क सगल म चा हए। अगर ख़ाली होता तो म आपको ख़ुशी-ख़ुशी डबल

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बेड म दे दे ता परंतु हमारे पास अभी कोई डबल बेड म ख़ाली नह है।”

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ु द ाहक च लाया, “भाड़ म जाए क टे ली ाम म या लखा है मुझे तो डबल

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बेड म ही चा हए।”

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फर उसने इस लहज़े म बात करना शु कर दया “तुम नह जानते म कौन ँ"

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और उसके बाद वह यहाँ तक आ गया “म तु ह दे ख लुँगा। म तु ह नौकरी से नकलवा ँ गा।
म तु ह यहाँ नह रहने ँ गा।"
शा दक आ मण क इस बौछार को वन ता से सहन करते ए लक ने कहा,
“सर, माफ़ क जए, हमने आपके नदश का पालन कया है।"
आ ख़रकार ाहक जो अब आगबबूला हो चुका था बोला, “चाहे मुझे सबसे ब ढ़या
कमरा भी मल जाए, तो भी अब म इस होटल म कभी नह ठह ँ गा,” और यह कहकर
वह होटल से बाहर नकल गया।
म डे क पर प ँचा और म सोच रहा था क लक इस बदतमीज़ी भरे वहार के
कारण वच लत होगा। परंतु मुझे हैरत ई जब उसने मेरा वागत मधुर आवाज़ म “गुड
ईव नग, सर” कहकर कया। जब वह मेरे र ज े शन क कायवाही पूरी कर रहा था, तो मने
उससे कहा, "मुझे आपका तरीक़ा पसंद आया। आपका अपनी भावना पर ज़बद त
नयं ण है।”
“सर,” लक ने कहा, “म इस तरह के आदमी पर ग़ सा नह हो सकता। वह
वा तव म मुझ पर ग़ सा नह हो रहा था। म तो सफ़ एक ब ल का बकरा था। शायद उस
बेचारे को अपनी प नी से कोई सम या होगी, या उसका बज़नेस चौपट हो रहा होगा या हो
सकता है वह हीन भावना से त हो और यह उसके लए एक सुनहरा अवसर था जब वह
अपनी श स कर सके। म वह आदमी था जस पर वह अपने दल क भड़ास नकाल
सकता था।"
लक ने बाद म यह जोड़ दया, “अंदर से शायद वह ब त भला आदमी होगा।
यादातर लोग होते ह।”
ल ट क तरफ़ बढ़ते समय म उसके श द को हरा रहा था, “अंदर से शायद वह
ब त भला आदमी होगा। यादातर लोग होते ह।” जब भी कोई आप पर आ मण करे, तो
आप इन दो वा य को याद कर ल। अपने ग़ से पर क़ाबू रख। इस तरह क तय म

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जीतने का यही तरीक़ा होता है क सामने वाले को अपने दल क भड़ास नकाल लेने द

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और फर इस घटना को भूल जाएँ।

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कई साल पहले व ा थय क परी ा क कॉपी जाँचते समय एक कॉपी को दे खकर मुझे

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हैरत ई। इस व ाथ ने पूरे साल समूह चचा और पछले टे ट् स म यह सा बत कया

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था क उसम तभा थी, जब क उसक परी ा क कॉपी कुछ और ही कह रही थी। मुझे

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ऐसा अनुमान था क वह क ा म सबसे यादा नंबर लाएगा। इसके बजाय उसके नंबर

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परी ा म सबसे कम आ रहे थे। जैसा म इस तरह के मामले म कया करता था, मने अपनी
से े टरी से कहा क वह उस व ाथ को मेरे ऑ फ़स म एक मह वपूण वषय पर बात
करने के लए बुलवाए।
ज द ही पॉल ड यू. वहाँ आया। ऐसा लग रहा था जैसे वह कसी बुरे दौर से गुज़र
रहा था। उसके बैठने के बाद मने उससे कहा, “ या आ, पॉल ? तुमने परी ा म जस
तरह लखा है, उस तरह क मुझे तुमसे उ मीद नह थी।”
पॉल पशोपेश म था। उसने अपने पैर क तरफ़ दे खते ए जवाब दया, “सर, जब
मने दे खा क आपने मुझे नक़ल करते ए दे ख लया है। तो इसके बाद मेरी हालत ख़राब हो
गई। म कोई सवाल ठ क से नह कर पाया। ईमानदारी से क ँ तो मने ज़दगी म पहली बार
नक़ल क थी। म अ े नंबर से पास होना चाहता था, इस लए मने सोचा य न बेईमानी
का सहारा ले लूँ ?”
वह बुरी तरह परेशान दख रहा था। परंतु एक बार जब उसने बोलना शु कर दया,
तो फर वह चुप होने का नाम ही नह ले रहा था। “मुझे लगता है अब आप मुझे कॉलेज से
नकाल दगे। यू नव सट का नयम तो यही है क अगर कोई व ाथ कसी भी तरह क
बेईमानी करेगा, तो उसे हमेशा के लए कॉलेज से न का सत कया जा सकता है।"
यहाँ पर पॉल ने यह बताना शु कर दया क कॉलेज से नकाले जाने के बाद
उसके प रवार क इ ज़त ख़ाक म मल जाएगी, उसक पूरी ज़दगी बबाद हो जाएगी और
इसके अलावा और भी ब त सारे बुरे प रणाम ह गे। आ ख़रकार मने उससे कहा, "अब बस
भी करो। शांत बैठ जाओ। म तु ह कुछ बता ँ । मने तु ह नक़ल करते ए नह दे खा। जब
तक तुमने मुझे इसके बारे म नह बताया, तब तक मुझे यह अंदाज़ा ही नह था क सम या
यह थी। मुझे :ख है, पॉल, क तुमने नक़ल क ।”
फर मने आगे कहा, “पॉल, मुझे बताओ क तुम अपनी यू नव सट के अनुभव से
या सीखना चाहते हो ?”

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अब वह थोड़ा शांत हो चुका था और एक पल कने के बाद उसने जवाब दया,

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“डॉ टर, मुझे लगता है क मेरा असली ल य तो जीने का तरीक़ा सीखना है, परंतु मुझे

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लगता है क म अपने ल य को हा सल करने म बुरी तरह असफल हो चुका ँ।”

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“हम कई तरीक़ से सीखते ह,” मने कहा। “मुझे लगता है तुम इस अनुभव से

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सफलता का असली सबक़ सीख सकते हो।"

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“जब तुमने अपनी पच से नक़ल क , तो तु हारी अंतरा मा तु ह कचोटने लगी।

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इससे तुमम अपराधबोध क भावना जाग गई और तु हारा आ म व ास ख़ म हो गया ।
जैसा तुमने कहा इसके बाद तु हारी हालत ख़राब हो गई।
“ यादातर बार होता यह है, पॉल, क सही और ग़लत का मसला हम नै तक या
धा मक कोण से दे खते ह। अब इस बात को समझ लो, म यहाँ तु ह भाषण नह दे रहा
ँ, न ही तु ह सही और ग़लत काम के बारे म कोई वचन दे ने के मूड म ँ। परंतु यह
ज़ री है क हम इसके ावहा रक पहलू पर नज़र डाल। जब तुम कोई ऐसा काम करते
हो जो तु हारी अंतरा मा के ख़लाफ़ होता है, तो तुमम अपराधबोध आ जाता है और इस
अपराधबोध के कारण तु हारी सोचने क मता ख़ म हो जाती है। आप ठ क तरह से नह
सोच सकते य क आपका दमाग़ लगातार यही सवाल पूछता रहता है, ‘ या म पकड़ा
जाऊँगा ? या म पकड़ा जाऊँगा ?‘
“पॉल, " मने आगे कहा, “तु ह परी ा म ‘अ े नंबर‘ क इतनी यादा चाह थी क
तुमने वह कया जो तु हारी नज़र म गलत था। जीवन म ब त सारे मौके आएँगे जब
‘सफलता‘ हा सल करने के लए तु हारे सामने ग़लत काम करने का लोभन मौजूद होगा।
उदाहरण के तौर पर, कसी दन आप इतनी बुरी तरह कोई सामान बेचना चाहगे, क आप
अपने ाहक को जान-बूझकर गलत जानकारी दे कर उसे ख़रीदने के लए मजबूर कर दगे।
और ऐसा करने से आपको सफलता मल सकती है। परंतु इससे होता यह है। आपका
अपराधबोध आप पर हावी हो जाएगा और अगली बार जब आप अपने ाहक को दे खगे तो
आप परेशान हो जाएँगे, तनाव म आ जाएँगे। आप सोचने लगगे, ‘ या उसे पता चल गया
है क मने उसे धोखा दया था ?‘ आपक तु त इस लए भावी नह होगी य क आप
पूरे मन से तु त नह दे पाएँगे। इस बात क संभावना है क आप इसके बाद उसी ाहक
को सरी, तीसरी, चौथी और कई बार सामान बेचने का अवसर गँवा दगे। लंबे समय म इस
तरह क गलत से स तकनीक आपक अंतरा मा को तो चोट प ँचाएँगी ही, आपक
आमदनी को भी कम कर दगी।”
इसके बाद मने पॉल को बताया क जब कसी वज़नेसमैन या ोफेशनल आदमी

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को यह डर सताता है क उसक प नी को उसके ववाहेतर ेमसंबंध का पता चल जाएगा

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तो वह असफल होने लगता है। वह दन-रात यही सोचता रहता है, “ या उसे पता चल

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जाएगा ? या उसे पता चल जाएगा ?” इस कारण उसका आ म व ास कमज़ोर हो जाता

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है और इसका प रणाम यह होता है क वह नौकरी या घर म कोई भी काम ठ क तरह से

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नह कर पाता।

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मने पॉल को याद दलाया क कई अपराधी कोई सबूत या संकेत नह छोड़ते, फर

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भी वे सफ़ इस लए पकड़े जाते ह य क वे अपरा धय क तरह वहार करते ह और

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उ ह दे खकर यह समझ म आ जाता है क इ ह ने कोई गलत काम कया है। उनक
अपराधबोध क भावनाएँ उ ह सं द ध आद मय क सूची म शा मल कर दे ती ह।
हमम से हर एक म सही होने, सही सोचने और सही काम करने क इ ा होती है।
जब हम इस इ ा के वपरीत वहार करते ह तो हम अपनी अंतरा मा म कसर क
बीमारी आमं त कर लेते ह। यह कसर बढ़ता है और हमारे आ म व ास को कम करता
जाता है। इस लए इस तरह का कोई काम न कर, जसे करने के बाद आपको यह डर
सताने लगे, “ या म पकड़ा जाऊँगा ? या लोग को इस बात का पता चल जाएगा ? या
म बचने म सफल हो पाऊँगा ?”
धोखा दे कर और अपना आ म व ास कम करके “अ े नंबर" लाने क यानी क
सफल होने क को शश कभी न कर।
मुझे यह बताते ए ख़ुशी हो रही है क पॉल को सीख मल गई। उसने सही काम
करने का ावहा रक मू य समझ लया। मने सुझाव दया क वह बैठ जाए और एक बार
फर से परी ा दे । उसने मुझसे सवाल कया, “परंतु या आप मुझे कॉलेज से नह
नकालगे ?” मेरा जवाब था, “म न कासन के नयम जानता ँ। परंतु, अगर हम धोखा दे ने
वाले सारे व ा थय को कॉलेज से नकाल दगे तो हमारे आधे ोफेसर क छु हो
जाएगी। और अगर हम धोखा दे ने का वचार करने वाले सभी व ा थय को नकाल दगे,
तो हम कॉलेज म ताले लगाने पड़गे।”
“इस लए म इस घटना को भूलने के लए तैयार ँ, अगर तुम एक काम करो। ”
“ बलकुल,” उसने कहा।
मने उसे एक पु तक द । पु तक का नाम था फ़ ट इयस वथ द गो न ल। इसे
दे ते ए मने उससे कहा, “पॉल, इस पु तक को पढ़ो और पढ़ने के बाद इसे वापस कर दे ना।
जे. सी. पेनी के ख़ुद के श द म यह जानो क कस तरह सही काम करने क वजह से वे
अमे रका के सबसे अमीर य के समूह म शा मल हो गए।"

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सही काम करने से आपक अंतरा मा संतु रहती है। और इससे आ म व ास भी

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बढ़ता है। जब हम कोई ग़लत काम करते ह, तो दो नकारा मक बात होती ह। पहली बात तो

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यह क हमम अपराधबोध आ जाता है और इस अपराधबोध से हमारा आ म व ास कम हो

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जाता है। सरी बात यह क दे र-सबेर सरे लोग को हमारे ग़लत काम क जानकारी मल

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जाती है और उनका हम पर से व ास उठ जाता है।

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सही काम कर और अपने आ म व ास को बनाए रख। यही सफल चतन का

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कारगर तरीक़ा है।
यहाँ एक मनोवै ा नक स ांत दया जा रहा है जो 25 बार पढ़ने लायक़ है। इसे
तब तक पढ़ते रह, जब ) तक क यह आपके दमाग़ म पूरी तरह से न घुस जाए :
व ासपूण चतन के लए व ासपूण काम कर।
महान मनोवै ा नक डॉ. जॉज ड यू. े न ने अपनी स पु तक अ लाइड
साइकलॉजी ( शकागो : हॉप क स सडीकेट, इ क. 1950) म लखा है, “याद रख, काम
ही भावना के अ ज होते ह। हम अपनी भावना को तो सीधे नयं त नह कर सकते।
परंतु हम अपने काम को नयं त करके अपनी भावना को नय त कर सकते ह
सम या और गलतफ़ह मय को र करने के लए स े मनोवै ा नक त य को जान।
हर दन सही काम कर और ज द ही आपम सही भावनाएँ जाग जाएँगी! यह सु न त कर
ल क आप अपने जीवनसाथी के साथ डे टग कर, उसका चुंबन ल, हर दन उसक स ी
तारीफ़ कर और भी ऐसी ही छोट -छोट चीज कर, और आपको यार कम होने क चता
कभी नह करनी पड़े गी। आप ेम के काम करते रहगे, तो ज द ही आपम ेम क भावना
भी उ प हो जाएगी।”
मनोवै ा नक के अनुसार शारी रक ग त व धय म बदलाव करके हम अपने रवैए
को बदल सकते ह। उदाहरण के तौर पर, आप अगर मु कराने क या करते ह, तो आप
सचमुच मु कराने के मूड म आ जाएँगे। जब आप अपने शरीर को झुकाने के बजाय तान
लेते ह तो आप यादा सुपी रयर महसूस करने लगते ह। इसके उलट अगर, यौ रयाँ
चढ़ाकर दे ख तो पाएँगे क आप यौ रयाँ चढ़ाने के मूड म आ गए ह।
यह स करना तो आसान है क अपनी या पर क़ाबू करके आप अपनी
भावना को बदल सकते ह। जो लोग अपना प रचय दे ने म संकोच करते ह, वे अपने
संकोच को आ म व ास म बदल सकते ह अगर वे सफ़ कुछ सामा य याएँ कर : पहली
बात तो यह क सामने वाले से गमजोशी से हाथ मलाएँ। इसके बाद, सामने वाले
क तरफ़ एकल सीधे दे ख। और तीसरी बात, सामने वाले से कह, “मुझे आपसे मलकर

n
ख़ुशी ई।"

i. i
इन तीन साधारण या से आपका संकोच अपने आप और त काल र हो

d
जाएगा। आ म व ास से भरी या क वजह से आपम अपने आप आ म व ास आ

i n
जाएगा।

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आ म व ासपूण चतन करने के लए आ म व ास क याएँ कर। जस तरह क

l p
भावनाएँ आप वयं म जगाना चाहते ह, उस तरह के काम कर। नीचे आ म व ास बढ़ाने

e
वाले पाँच अ यास दए जा रहे ह। इ ह सावधानी से पढ़। फर इनका अ यास करने क

h
पूरी को शश कर और आप अपना आ म व ास काफ़ बढ़ा-चढ़ा पाएँगे।
1.आगे क बच पर बैठ। कभी आपने मी टग या चच या लास म या कसी और
तरह क सभा म इस बात पर ग़ौर कया है। क पीछे क सीट सबसे पहले भर जाती ह ?
यादातर लोग पीछे क लाइन म इस लए बैठते ह ता क वे “लोग क नज़र म न आएँ”।
और वे लोग क नज़र म आने से इस लए बचना चाहते ह य क उनम आ म व ास नह
होता।
आगे बैठने से आ म व ास बढ़ता है। इसका अ यास कर। आगे से यह नयम बना
ल क आप जतना आगे बैठ सकते ह . बैठे। यह बात तो प क है क आगे बैठने से आप
थोड़े यादा नज़र म रहते ह, परंतु याद रख सफलता के लए लोग क नज़र म रहना
ज़ री होता है।
2.नज़र मलाकर बात करने का अ यास कर। कोई कस तरह अपनी आँख
का योग करता है, इससे भी हम उसके बारे म काफ़ जानकारी मल सकती है। अगर
कोई आपक आँख म सीधे नह दे खता है, तो आपके मन म यह सवाल त काल आ जाता
है, “यह या छु पाने क को शश कर रहा है? यह कस बात से डरा आ है ?
या यह मुझे धोखा दे ना चाहता है? इस के इरादे या ह ?”
आम तौर पर, आँख के संपक म असफलता से दो बात पता चलती ह। पहली यह,
“म आपके सामने आने पर असहज अनुभव करता ँ। म आपसे हीन अनुभव करता ँ। म
आपसे डरा आ अनुभव करता ँ।” या सामने वाले से आँख न मलाने से यह बात पता
चलती है, “म अपराधबोध से त ँ। मने ऐसा कुछ कया है या सोचा है जो म नह
चाहता क आपको पता चल जाए। मुझे डर है क अगर म आपसे नज़र मलाऊँगा तो आप
मेरे दल क बात समझ जाएँगे।”
जब आप नज़र मलाने से बचते ह, तो आप सामने वाले पर अ छाप नह छोड़
पाते। आप कहते ह, “म डरा आ ँ। मुझम आ म व ास क कमी है।” इस डर को जीतने

n
का यही तरीक़ा है क आप सामने वाले से नज़र मलाकर बात कर।

i. i
नज़र मलाकर बात करने से सामने वाले को यह संदेश जाता है, “म ईमानदार और

d
स ा ँ। म जो कह रहा ँ, म उसम पूरी तरह यक़ न करता ँ। म डरा आ नह ँ। म

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आ म व ास से भरा आ ँ।"

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अपनी आँख से काम ल। सरे क आँख म आँख डालकर बात कर। इससे

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न सफ़ आपम आ म व ास आ जाएगा, ब क इससे सामने वाला भी आप पर व ास

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करने लगेगा।

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3. 25 तशत तेज़ चल। जब म छोटा था, तो काउं ट सीट पर जाना ही अपने
आपम एक रोचक अनुभव होता था। जब सारे काम हो चुके होते और हम कार म लौट
आते, तो मेरी माँ अ सर कहा करती थ , “डे वी, यहाँ थोड़ी दे र चुपचाप बैठो और दे खो क
लोग कस तरह चल रहे ह ”
माँ इस खेल को ब त अ तरह से खेलती थ । वे कहा करती थ , “उस आदमी
को दे खो। वह परेशान सा दख रहा है ?” या, “तु ह या लगता है वह म हला या करने
जा रही है ?” या, “उस आदमी क तरफ़ दे खो। वह कोहरे म लपटा आ लगता है।"
लोग को चलते ए दे खना सचमुच मज़ेदार था। मनोरंजन का यह तरीक़ा फ़ म
दे खने से स ता पड़ता था (मुझे बाद म पता चला क इस खेल को खेलने के पीछे माँ का
एक कारण यह भी था)। और इससे यादा श ा भी मलती थी।
म अब भी लोग को चलते ए दे खता ँ। कॉरीडॉर म, लॉबी म फुटपाथ पर लोग
को चलते" ए दे खकर म समझ लेता ँ क उनक मान सक त कैसी है। "
मनोवै ा नक झुक ई मु ा और सु त चाल का संबंध ख़ुद के बारे म, अपनी
नौकरी के बारे म, अपने आस-पास के लोग के बारे म अ य रवैए से जोड़ते ह। परंतु
मनोवै ा नक यह भी बताते ह क आप अपनी मु ा को बदलकर और अपनी चलने क ग त
को बदलकर अपने रवैए को सचमुच बदल सकते ह। आप भी दे ख। अगर दे खगे, तो आप
यह पाएँगे क शरीर क या मान सक या का प रणाम है। जो हारा आ है, चोट
खाया आ है वह मरा-मरा चलता है, सु त चलता है। उसम आ म व ास शू य होता है
औसत लोग “औसत” चाल चलते ह। उनक ग त “औसत" होती है। उनके चेहरे
पर लखा होता है, “मुझे अपने आप पर नाज़ नह है।”
एक तीसरा समूह भी होता है। इस समूह के लोग म बल आ म व ास होता है। वे
आम लोग से तेज़ चलते ह। उनक चाल म फुत होती है। उनक चाल नया को बताती
है, "म कसी मह चपूण काम से कसी मह वपूण जगह जा रहा ँ। इससे भी बड़ी बात यह

in
है क जो काम म 15 मनट बाद करने जा रहा ँ, मुझे उसम सफलता मलेगी।

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आ म व ास बढ़ाने के लए 25 तशत तेज़ चलने क तकनीक का योग करके

n
दे ख। अपने कंध को सीधा कर ल, अपने सर को ऊपर उठा ल, और थोड़े तेज़ क़दम से

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आगे क तरफ़ बढ़े चल। आप पाएँगे क आपका आ म व ास भी बढ़ है।

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को शश कर और प रणाम दे ख।

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4. बोलने क आदत आदत डाल। कई तरह के समूह के साथ काम करते ए मने

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यह पाया है क ब त से समझदार और यो य लोग चचा म भाग नह लेते ह। चचा, के
दौरान उनका मुँह ही नह खुल पाता। ऐसा नह है क उनके पास बाक़ लोग जतने अ े
वचार नह होते या वे बोल नह सकते। इसका कारण सफ़ यह होता है क उनम
आ म व ास नह होता।
यह चु पा अपने बारे म इस तरह क बात सोचता है, "मेरा वचार शायद काम
का नह है। अगर म कुछ क ँगा तो हो सकता है क लोग मुझे मूख समझ। इस लए बेहतर
यही है क म चुपचाप बैठा र ँ। इसके अलावा, समूह के बाक़ लोग मुझसे बेहतर जानते
ह। म सर के सामने यह जताना नह चाहता क म कतना नासमझ ँ।”
जतनी बार यह चु पा बोलने म असफल रहता है, वह अपने आपको उतना
ही यादा अ म और हीन बनाता जाता है। अ सर वह ख़ुद से यह कमज़ोर-सा वादा
करता है ( अंदर से वह जानता है क इस वादे को वह कभी पूरा नह कर पाएगा) क वह
"अगली बार” मौक़ा पड़ने पर ज़ र बोलेगा।
यह ब त मह वपूण है : हर बार जब चु पा बोलने म असफल रहता है, तो
वह आ म व ास को ख़ म करने वाले ज़हर क एक और ख़ुराक गटक लेता है। अपने आप
पर उसका व ास उतना ही कम होता जाता है।
सकारा मक पहलू यह है क आप जतना यादा बोलते ह, आपका आ म व ास
उतना ही यादा बढ़ता जाता है और आपके लए अगली बार बोलना उतना ही यादा
आसान हो जाता है। बोलने क आदत डाल। आ म व ास बढ़ाने के लए यह आदत
वटा मन क तरह काम करती है।
आ म व ास बढ़ाने क इस तकनीक का योग कर। हर ओपन मी टग म बोलने का
नयम बना ल। आप जस बज़नेस बात, क मट मी टग, क यु नट फोरम म भाग ल, उसम
अपने आप कुछ न कुछ कह। इस मामले म कोई अपवाद न रख। कोई ट पणी कर, कोई
सुझाव द, कोई सवाल पूछे। और आ ख़री म कभी न बोल। आपको सबसे पहले बोलने क

n
आदत डालनी चा हए, आपको झझक तोड़नी होगी।

i. i
और मूख दखने के बारे म चता न कर। आप मूख नह दखगे। अगला चाहे

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आपसे सहमत न हो, परंतु कोई सरा आपसे ज़ र सहमत होगा। अपने आपसे यह

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सवाल करना छोड़ द, " या म कभी बोलने क ह मत कर पाऊँगा ?”

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इसके बजाय, समूह के लीडर का यान आक षत करने का ल य बनाएँ ता क आप

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बोल सक।

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बोलने के वशेष श ण और अनुभव के लए अपने ानीय टो टमा टर के लब
म शा मल हो जाएँ। हज़ार लोग ने इस तरह के सु नयो जत काय म म शा मल होकर
लोग के साथ और लोग के सामने चचा करके अपना आ म व ास बढ़ाया है।
5. बड़ी मु कराहट द। यादातर लोग का कहना है क मु कराहट से उ ह स ी
ताक़त मलती है। उ ह बताया गया है क मु कराहट आ म व ास क कमी को र करने के
लए एक ब ढ़या दवा है। परंतु यादातर लोग इस बात म इस लए यक़ न नह करते,
य क जब वे डरे होते ह तो वे मु कराने क को शश ही नह करते।
यह छोटा-सा योग करके दे ख। आप परा जत अनुभव कर और बड़ी मु कराहट द :
एक साथ, एक ही समय म यह संभव नह है। आप ऐसा कर ही नह सकते। बड़ी
मु कराहट आपको आ म व ास दे ती है। बड़ी मु कराहट आपका डर भगाती है, चता र
करती है और नराशा हर लेती है।
और एक स ी मु कराहट सफ़ आपके आ म व ास को ही नह बढ़ाती, या सफ़
आपके मन से बुरी भावना को ही नह हटाती। स ी मु कराहट से लोग का वरोध भी
पघल जाता है- और यह त काल होता है। अगर आप कसी को बड़ी - सी, स ी
मु कराहट द, तो सामने वाला आपसे ग़ सा हो ही नह सकता। कुछ समय पहले क
बात है मेरे साथ एक घटना ई, जसम ऐसा ही आ। म चौराहे पर हरी ब ी जलने का
इंतज़ार कर रहा था क तभी भड़ाम क आवाज़ आई! मेरे पीछे वाले ाइवर का पैर ेक पर
से हट गया था और उसने मेरी कार के ब र म पीछे से ट कर मार द थी। मने शीशे म से
दे खा क वह बाहर नकल रहा था। म भी त काल बाहर नकल आया और नयम क
पु तक को भूलते ए बहस के लए तैयार हो गया। म मानता ँ क म उससे बहस करके
उसे नीचा दखाने के लए पूरी तरह तैयार था।
परंतु सौभा य से, इसके पहले क मुझे ऐसा करने का मौक़ा मलता, वह मेरे पास
आया, मु कराया और उसने गंभीरता से कहा, “दो त, मेरा ऐसा कोई इरादा नह था।"
उसक मु कराहट और उसके गंभीर वा य को सुनकर मेरा ग़ सा काफूर हो गया। जवाब म

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मने इस तरह क बात कही, “चलता है। ऐसा तो होता ही रहता है।" पलक झपकते ही

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हमारा वरोध म ता म बदल गया।

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बड़ी मु कराहट द और आप महसूस करगे क “एक बार फर ख़ुशी के दन लौट

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आए ह।" परंतु मु कराहट बड़ी होनी चा हए। आधी मु कराहट से काम नह चलेगा। आधी

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मु कराहट क सफलता क कोई गारंट नह है। तब तक मु कराएँ जब तक आपके दाँत न

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दखने लग। बड़ी मु कराहट क सफलता क पूरी गारंट है।

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मने कई बार सुना है, “हाँ, परंतु जब म डरा आ होता ँ, या म ग़ से म होता ँ तो

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मेरी मु कराने क इ ा ही नह होती।"
बलकुल नह होती होगी। कसी क नह होती। परंतु यही तो ख़ास बात है क आप
ऐसे व भी खुद कह, “म मु कराकर दखा ँ गा।"
फर मु कराएँ।
मु कराहट क श का दोहन कर।

इन पाँच तकनीक के योग से लाभ उठाएँ


1. काय करने से डर र होता है। अपने डर को च हत कर ल और फर रचना मक काय
कर। अकम यता - कसी प र त के बारे म कुछ न करने क आदत - से डर बढ़ता है
और आ म व ास कम होता है।
2. अपनी याद के बक म केवल सकारा मक वचार ही जमा करने क को शश कर।
नकारा मक, ख़ुद को नीचा दखाने वाले वचार को मान सक रा स न बनने द। अ य
घटना या प र तय को याद करने क आदत छोड़ द।
3. लोग को सही पहलू से दे ख। याद रख, लोग यादातर मामल म एक जैसे होते
ह और ब त कम मामल म एक- सरे से अलग होते ह। सामने वाले के बारे म संतु लत
नज़ रया रख। आ ख़र, वह भी आप ही क तरह एक इंसान है। और आप समझने के रवैए
का भी योग कर। कई लोग भ कते ह, परंतु ब त कम लोग सचमुच काटते ह।
4. वही काम करने क आदत डाल जो आपक अंतरा मा के हसाब से ठ क ह।
इससे आपके जीवन म अपराधबोध का ज़हर नह घुल पाता। सही काम करना सफलता के
लए एक ब त ावहा रक नयम है।
5. अपने हर काम से यह झलकने द, “मुझम आ म व ास है, काफ़ आ म व ास

in
है।" अपने रोज़मरा के जीवन म इन छोट -छोट तकनीक का योग कर

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अ. “आगे क बच” पर बैठे।

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ब. नज़र मलाने का अ यास कर।

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स. 25 तशत तेज़ चल।

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द. बोलने क आदत डाल।

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इ. बड़ी मु कराहट द।
बड़ा कैसे सोच?

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ल ही म मने एक बड़ी औ ो गक कंपनी के रोज़गार वशेष से चचा क । यह
हा

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वशेष हर साल चार महीने कॉलेज म जाकर वहाँ के तभाशाली सी नयर छा

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को अपनी कंपनी के जू नयर ए ज़ी यू टव श ण काय म के लए चुनती थी। उसक

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बात से लगा जैसे वह छा के रवैए से नराश थी।

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“म हर दन 8 से 12 ऐसे कॉलेज सी नयस का इंटर ू लेती ँ, जो हमारे साथ काम

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करना चाहते ह। हम नग इंटर ू म जस बात पर सबसे यादा यान दे ते ह, वह होती

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है उनक ेरणा, उनका योजन। हम यह जानना चाहते ह क या यह आदमी कुछ साल

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बाद हमारे लए बड़े ोजे ट कर सकता है, हमारे ांच ऑ फस या फै टरी को सँभाल
सकता है, या कसी और तरीके से कंपनी के लए बड़ी ज़ मेदारी उठा सकता है।
“मुझे यह कहना पड़े गा क म जन लोग से चचा करती ँ, उनम से यादातर
सी नयस के गत ल य को दे खकर म ख़ुश नह ँ। आपको यह जानकर हैरत होगी
क यह 22 साल के लड़के हमारी बाक़ कसी चीज़ से यादा हमारे रटायरमट लान म
च लेते ह। उनका सरा पसंद दा सवाल होता है, “ या मुझे घूमने को मलेगा ?” उनम
से यादातर लोग के लए सफलता श द सुर ा का पयायवाची होता है। हम इस तरह के
लोग को अपनी कंपनी से जोड़ने का जो खम य उठाएँ ?
“आज के युवा बाक़ बात म तो इतने आधु नक हो गए ह, ले कन मेरी समझ म यह
नह आता क वे अब भी अपने भ व य के बारे म इतना संकु चत रवैया य रखते ह? हर
दन अवसर बढ़ते जा रहे ह। वै ा नक और औ ो गक े म हमारा दे श रकॉड तर क़
कर रहा है। हमारी जनसं या तेज़ी से बढ़ रही है। अगर अमे रका म तर क़ का कोई युग
है, तो यही है "
अब अगर इतने सारे लोग क सोच इतनी छोट है, तो इसका मतलब यह आ क
अगर आप सचमुच बड़ा सोचते ह तो आपके सामने ब त कम तयो गता है और आपके
लए एक ब त बड़े क रयर का रा ता खुला आ है।
सफलता के मामले म लोग को इंच या प ड के हसाब से नह नापा जाता, न ही
उ ह कॉलेज क ड य से या पा रवा रक पृ भू म के पैमाने से नापा जाता है, उ ह तो
उनक सोच के आकार से नापा जाता है। आप कतना बड़ा सोचते ह, यही आपक
उपल य के आकार को तय करता है। दे खते ह क हम कस तरह अपनी सोच को बड़ा
कर सकते ह।
कभी आपने ख़ुद से पूछकर दे खा है, “मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी या है?” शायद
इंसान क सबसे बड़ी कमज़ोरी ख़ुद का मू यांकन कम करने क होती है- यानी क ख़ुद को
स ते म बेचने क कमज़ोरी। आ म-मू यांकन म कमी अन गनत तरीक़ से साफ़ दखती है।

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जॉन अख़बार म एक नौकरी का व ापन दे खता है। वह इसी तरह क नौकरी करना चाहता

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है। परंतु वह इसके लए कोई को शश नह करता य क वह सोचता है, “म इस नौकरी के

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लए पया त यो य नह ँ, इस लए को शश करने क मेहनत य क ँ ?” या जम जोन

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के साथ डे टग पर जाना चाहता है, परंतु वह उससे नह पूछता य क उसे लगता है क

h
वह तैयार नह होगी।

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टॉम को लगता है क म टर रचडस उसके माल के अ े ाहक हो सकते ह, परंतु

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टॉम म टर रचडस से मलने नह जाता। उसे लगता है क म टर रचड् स जैसे बड़े

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आदमी उससे नह मलगे। पीट नौकरी का आवेदन भर रहा है। उसम एक पूछा जाता
है, "आप शु आत म कतनी तन वाह चाहगे ?” पीट एक छोट -सी रक़म लख दे ता है
य क उसे लगता है क वह इससे यादा तन वाह के यो य नह है, जब क वह इससे
यादा तन वाह पाना चाहता है ।
हज़ार साल से दाश नक हम यह अ सलाह दे ते आ रहे ह ख़ुद को जान। परंतु
यादातर लोग इस सलाह का मतलब यह नकालते ह क ख़ुद के नकारा मक पहलू को
जान। यादातर आ म-मू यांकन म लोग अपनी ग़ल तय , क मय , अयो यता क लंबी
सी मान सक सूची बना लेते ह।
हम अपनी क मयाँ पता ह , अ बात है। इनसे हम यह पता चलता है क हम इन
े म सुधार करना है। परंतु अगर हम सफ़ अपने नकारा मक पहलू को ही जान पाएँ तो
हम परेशानी म फँस जाएँगे। हमारा मू य अपनी नज़र म कम हो जाएगा।
यहाँ एक अ यास दया गया है जससे आप अपने स े आकार को नाप सकते ह।
मने इसे ए ज़ी यू ट ज़ और से स पसनेल के अपने श ण काय म म आज़माया है।
यह वाक़ई काम करता है।
1. अपने पाँच मुख गुण को तय कर। कसी न प दो त क मदद ल - जैसे
आपक प नी, आपका सी नयर, आपका ोफ़ेसर - कोई समझदार जो आपको
स ी राय दे सके। (गुण के उदाहरण ह। श ा, अनुभव, तकनीक यो यता, लया,
संतु लत घरेलू जीवन, रवैया, व, लीडर शप क यो यता)।
2. हर गुण के सामने अपने उन तीन प र चत य के नाम लख ल जो बेहद
सफल ह परंतु उनम यह गुण उतनी मा ा म नह है, जतनी मा ा म यह गुण आपम है।
इस अ यास को पूरा कर लेने पर आप पाएँगे क आप कसी न कसी बात म कई
सफल लोग से आगे ह।

. in
ईमानदारी से आप एक ही न कष पर प ँच सकते ह ? आप जतना सोचते ह,

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आप उससे बड़े ह। इस लए, आप अपनी सोच को भी अपने असली आकार के हसाब से

n
बना ल। उतना ही बड़ा सोच जतने बड़े आप ह! और कभी, ख़ुद को स ते म न बेच!

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जो “अचल” श द के लए " भ " श द का योग करता है या “बचत" क जगह

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" मत यता" श द का योग करता है, उसके बारे म हम यह जान जाते ह क उसक

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श दावली का दायरा बड़ा है। परंतु या उसके पास एक बड़े चतक क श दावली है?

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शायद नह । जो लोग क ठन श द का योग करते ह, जो लोग ऐसे आलंका रक वा य का
योग करते ह ज ह समझने म आम लोग को क ठनाई होती है वे दरअसल दखावट और
घमंडी लोग होते ह। और दखावट लोग आम तौर पर छोटे चतक होते ह।
कसी क श दावली का मह वपूण पैमाना उसके श द क सं या या आकार
नह है। असली मह व क बात तो यह है क उसके श द का उस पर और सामने वाले पर
या भाव पड़ रहा है।
यहाँ एक मूलभूत बात बताई जा रही है : हम श द और वा य म नह सोचते ह।
हम त वीर और/या बब म सोचते ह। श द वचार के लए क ा माल ह। जब इ ह बोला
जाता है या पढ़ा जाता है तो हमारा दमाग़ी कं यूटर इन श द को अपने आप त वीर म
बदल लेता है। हर श द, हर वा य, आपके दमाग़ म एक अलग त वीर बनाता है। अगर
कोई यह कहता है, “ जम ने एक नया लट-लेवल ख़रीदा है,” तो हमारे दमाग़ म एक
अलग त वीर बनती है। परंतु अगर आपको बताया जाता है, “ जम ने एक नया रच हाउस
ख़रीदा है" तो आपके दमाग म सरी ही त वीर बनती है। हमारे दमाग म अलग-अलग
त वीर अलग-अलग श द क वजह से बनती ह।
इसे इस तरीके से दे ख। जब आप बोलते ह या लखते ह तो आप एक तरह से सरे
लोग के दमाग़ म फ़ म दखाने वाले ोजे टर का काम कर रहे ह। और आप जस तरह
क फ म दखाएँगे, सामने वाले पर आपका भाव वैसा ही पड़े गा।
मान ली जए आप लोग को यह बताते ह, “मुझे यह बताते ए :ख हो रहा है क
हम असफल हो गए ह।" इस वा य का उन लोग पर या असर होगा ? वे लोग इन श द
म हार और नराशा और :ख के च दे खगे, जो "असफल” श द म छु पे ए ह। इसके
बजाय अगर आप कहते ह, “यह रहा एक नया उपाय, जससे हम सफल हो सकते ह," तो
इससे उनका उ साह बढ़ जाएगा और वे एक बार फर को शश करने के लए तैयार हो
जाएँगे।
मान ली जए आप कहते ह, “हमारे सामने एक सम या है।" ऐसा कहने पर सर

in
के दमाग़ म आप एक ऐसी त वीर बना दगे जो सुलझाने म मु कल और अ य होगी।

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इसके बजाय यह कह, "हमारे सामने एक चुनौती है।" और इस वा य से आप एक ऐसी

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मान सक त वीर बना दे ते ह जसम आनंद है, खेल है, करने के लए कुछ अ ा है।

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या कसी समूह से कह, “हमने काफ़ बड़ा ख़च कर डाला।" और लोग को लगता

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है क ख़च आ पैसा कभी वापस नह लौटे गा। न त प से यह नकारा मक वा य है।

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इसके बजाय यह कह, "हमने काफ़ बड़ा नवेश कया है," और लोग एक ऐसी त वीर बना

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लगे जसम बाद म लाभ लौटता आ दखता है, और यह एक ब त सुखद य होता है।

h
मुददे् क बात यह है : बड़े चतक म अपने और सर के म त क म सकारा मक,
ग तशील और आशावाद त वीर बनाने क कला होती है। बड़ी सोच के लए हम ऐसे
श द और वा य का योग करना चा हए जो बड़े , सकारा मक मान सक च दान कर
सक।
नीचे बाएँ हाथ के कॉलम म कुछ वा य दए गए ह जनसे छोटे , नकारा मक,
नराशाजनक वचार उ प होते ह। दाएँ हाथ के कॉलम म उसी प र त को बड़े ,
सकारा मक अंदाज़ म तुत कया गया है।
पढ़ते समय ख़ुद से पूछे, “म कस तरह के मान सक च दे ख रहा ँ?"
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बड़े चतक क श दावली वक सत करने के चार तरीके़

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यहाँ चार तरीके़ दए जा रहे ह, जनक मदद से आप बड़े चतक क श दावली वक सत

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कर सकते ह।
1. अपनी भावना को करने के लए बड़े , सकारा मक, आशावाद श द
और वा य का योग कर। जब कोई आपसे पूछता है, “आप आज कैसा महसूस कर रहे
ह ?” और आप उसे जवाब दे ते ह, "म थका आ ँ (मुझे सरदद है, काश क आज
श नवार होता, मेरा आज ब त बुरा हाल है)” तो आप अपनी त को अपने ही हाथ
ख़राब कर रहे ह। इसका अ यास कर : यह एक ब त आसान बात है, परंतु इसम ब त
श है। जब भी कोई आपसे पूछे, “आप कैसे ह?” या “आप आज कैसा महसूस कर रहे
ह ?” तो जवाब म हमेशा कह, “ब त ब ढ़या/ध यवाद और आप कैसे ह?” या कह
“बेहतरीन” या “शानदार ” । हर मौके पर कह क आप ब ढ़या महसूस कर रहे ह और आप
सचमुच ब ढ़या महसूस करने लगगे और यादा बड़ा भी। एक ऐसे बन जो हमेशा
ब ढ़या महसूस करता है। इससे दो त बनते ह।
2. सरे लोग का वणन करते समय चमक ले, ख़ुशनुमा, सकारा मक श द और
वा य का योग कर। यह नयम बना ल क आप अपने सभी दो त और सहयो गय के
लए बड़े , सकारा मक श द का योग करगे। जब आप कसी के साथ कसी तीसरे
अनुप त के बारे म बात कर रहे ह , तो आप उसक बड़े श द म शंसा कर, “हाँ,
वह ब ढ़या आदमी है।" "लोग कहते ह उसका काम ब त ब ढ़या है।" इस बात का ब त
यान रख क आप उसक बुराई न कर या घ टया भाषा का इ तेमाल न कर। दे र सवेर
तीसरे को पता चल जाता है क आपने या कहा था, और आपने जो बुराई क थी,
वह आपको ही बुरा बना सकती है।
3, सर का उ साह बढ़ाने के लए सकारा मक भाषा का योग कर। हर मौके पर
लोग क तारीफ़ कर। अपनी प नी या अपने प त क हर रोज़ तारीफ़ कर। अपने साथ काम
करने वाल क रोज़ तारीफ़ कर। अगर स ी तारीफ़ क जाए, तो यह सफलता का औज़ार
बन जाती है। इसका योग कर। इसका योग बार - बार, हर बार कर। लोग के लए,
उनके काम, उनक उपल य , उनके प रवार क तारीफ़ कर।

in
4, सर के सामने योजना तुत करते समय सकारा मक श द का योग कर।

i.
जब लोग इस तरह क बात सुनते ह- “म आपको एक अ ख़बर सुनाना चाहता ँ।

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हमारे सामने एक सुनहरा अवसर है . . . " तो उनके दमाग़ म आशा जाग जाती है। परंतु

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जब वे इस तरह क कोई बात सुनते ह, “चाहे आप इसे पसंद कर या न कर, हम यह काम

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करना है," तो दमाग़ क फ़ म बो झल, बो रग हो जाती है और वे भी इसी तरह के हो जाते

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ह। जीत का वादा कर और उनक आँख म चमक आ जाएगी। जीत का वादा कर और

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आपको समथन हा सल हो जाएगा। महल बनाएँ, क़ न खोद!

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यह न दे ख क या है, यह दे ख क या हो सकता है
बड़े चतक सफ़ यही नह दे खते क या है, वे यह भी दे ख सकते ह क या हो सकता है।
यहाँ पर चार उदाहरण दए जा रहे ह क ऐसा कस तरह कया जा सकता है।
1. रयल ए टे ट क क़ मत कैसे बढ़ती है? एक बेहद सफल रए टर, जो ामीण
इलाके क जायदाद का वशेष है, का कहना है क अगर हम भ व य क क पना कर
सक, तो इससे हम ब त लाभ हो सकता है। जहाँ आज कुछ नह है, वहाँ कल या हो
सकता है, इस बात क क पना करना हम सीखना चा हए।
मेरे दो त ने कहा, " ामीण इलाक़ा होने के कारण यहाँ यादातर ज़मीन-जायदाद
ब त आकषक नह होती। म इस लए सफल आ ँ य क म अपने ाहक को यह नह
बताता क उनके फ़ाम क हालत अभी कैसी है।
“म अपने पूरे से स लान को इस बात के चार तरफ़ बनाता ँ क यह फ़ाम भ व य
म या बन सकता है। ाहक को अगर म सीधे तरीके़ से यह बताऊँ, ‘इस फ़ाम म इतने
एकड़ ज़मीन, इतने एकड़ पेड़ ह और यह शहर से इतने मील र है‘ तो इससे वह
उ सा हत नह होगा और इसे कभी नह ख़रीदे गा। परंतु जब म उसे एक ऐसी योजना
बताता ँ क वह इस फ़ाम पर या- या कर सकता है, तो वह इस फ़ाम को ख़ुशी-ख़ुशी
ख़रीद लेता है। म आपको बताता ँ क म ऐसा कस तरह करता ँ।”
उसने अपना ीफ़केस खोला और एक फ़ाइल नकाली। “यह फ़ाम," उसने कहा,
“अभी - अभी हमारे पास आया है। यह भी बाक़ फ़ाम क तरह है। यह शहर से 43 मील
क री पर है। इसका घर टू ट -फूट हालत म है और पछले पाँच साल से यहाँ खेती नह
ई है। अब म आपको यह बताता ँ क मने या कया है। मने इस जगह का पूरा अ ययन
करने के लए पछले स ताह यहाँ दो दन गुज़ारे। मने इस पूरी जगह के कई च कर लगाए।

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मने पड़ोसी फ़ाम को भी दे खा। मने वतमान और ता वत हाइवे लान के संदभ म भी

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फ़ाम क लोकेशन को दे खा। मने ख़ुद से पूछा, ‘यह फ़ाम कस बड़े काम के लए उपयु

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है?‘

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“मुझे इसम तीन संभावनाएँ दख । मने तीन क योजना बना ली।" उसने मुझे हर

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योजना दखाई। हर योजना थी और व तार से बनी थी। एक लान म सुझाव दया

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गया था क फ़ाम को घुड़सवारी के अ तबल म बदल दया जाए। इस लान म बताया गया

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था क वचार दमदार है ।: शहर बढ़ रहा है, लोग गाँव को यादा पसंद करने लगे ह, लोग

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मनोरंजन पर यादा ख़च करने लगे ह, सड़क अ ह। इस लान म बताया गया था क
कस तरह यहाँ पर काफ़ घोड़े रखे जा सकते ह जससे घुड़सवारी से काफ़ आमदनी क
जा सकती है। घुड़सवारी के अ तबल का वचार काफ़ अ ा और ेरक था। योजना को
, व तृत और दमदार होना चा हए, म “दे ख” सकता था क पेड़ के बीच से गुज़रते ए
एक दजन दं प त घुड़सवारी का आनंद ले रहे थे।‘
इसी तरीके़ से इस मेहनती से समैन ने सरी व तृत योजना बनाई क कस तरह
इसे वृ के फ़ाम म बदला जा सकता है और तीसरी योजना थी क यहाँ पर वृ के फ़ाम
के साथ-साथ पो फ़ाम भी शु कया जा सकता है।
“अब, जब म अपने ाहक से चचा करता ँ तो मुझे उ ह यह व ास नह दलाना
होता क इसक वतमान हालत म इस फ़ाम को ख़रीदना एक अ ा सौदा है। म उ ह एक
ऐसी त वीर दखाता ँ जसम फ़ाम पैसा बनाने वाला वसाय बन जाता है।
“इससे म न सफ़ यादा फ़ाम बेच सकता ँ और यादा तेज़ी से बेच सकता ँ,
ब क जायदाद बेचने के मेरे तरीके़ का एक और फ़ायदा भी है। म अपने तयो गय से
यादा क़ मत पर फ़ाम बेच सकता ँ। लोग ज़मीन और एक वचार के लए जो क़ मत दे ते
ह वह सफ़ ज़मीन के लए द गई क़ मत से वाभा वक तौर पर यादा होती है। इसी
कारण यादातर लोग अपने फ़ाम को मेरे यहाँ से बेचना चाहते ह और हर ब पर मेरा
कमीशन बढ़ता जाता है।‘
इसका संदेश यह है :वतमान म चीज़ कैसी ह, यह दे खने के बजाय यह दे ख क वे
भ व य म कैसी हो सकती ह। क पनाश से हर चीज़ यादा क़ मती बन जाती है। बड़ा
चतक हमेशा इस बात क क पना कर लेता है क भ व य म या कया जा सकता है। वह
केवल वतमान म ही नह उलझा रहता।
2. एक ाहक का कतना मू य होता है? एक डपाटमट टोर एकज़ी यू टव
मैनेजर क मी टग को संबो धत कर रही थ । उ ह ने कहा, “हालां क मेरे वचार आपको

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पुराने ज़माने के लगगे, परंतु म उस वचारधारा क ँ क अगर आप अपने ाहक से

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दो ताना, शालीन वहार करगे तो वे बार-बार आपके पास आएँगे। एक दन म अपने टोर

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म घूम रही थी। मने अपने से समैन को एक ाहक से बहस करते सुना। ाहक ग़ से म

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बाहर चला गया।

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“इसके बाद, से समैन ने सरे से समैन से कहा, ‘ म 1.98 डॉलर के ाहक के

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पीछे अपना समय य ख़राब क ँ । उसक ज़ रत के सामान के लए पूरे टोर को य

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छानूँ ? वह इस क़ा बल ही नह है।"

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“म वहाँ से चली आई," ए ज़ी यू टव ने कहा, “परंतु म अपने दमाग़ से उस बात
को नह नकाल पाई। मने सोचा क यह ब त गंभीर मामला है जब हमारे से समैन अपने
ाहक को 1.98 क ेणी म रखते ह। मने तभी यह फ़ैसला कया क सोच के इस ढँ ग को
बदलना होगा। जब म वापस अपने ऑ फ़स म प ँची, तो मने अपने रसच डायरे टर को
बुलाया और उससे पूछा क हमारे टोर म पछले साल औसत ाहक ने कतने पैसे का
माल ख़रीदा। उसने मुझे जो आँकड़ा बताया, उससे मुझे भी हैरत ई। हमारे रसच
डायरे टर के आँकड़ के हसाब से औसत ाहक ने हमारे टोर से 362 डॉलर का सामान
ख़रीदा।
“इसके बाद मने अपने सुपरवाइज़स क मी टग बुलाई और उ ह यह घटना बताई।
फर मने उ ह यह बताया क हमारे ाहक का मू य वा तव म कतना है। एक बार मने जब
इन लोग को यह समझा दया क कसी ाहक को एक बार क ख़रीदारी के हसाब से
नह तौलना चा हए ब क सालाना ख़रीदारी के हसाब से तौलना चा हए, तो हमारे टोर म
ाहक के त कोण पूरी तरह बदल गया।”
रटे लग ए ज़ी यू टव क यह बात कसी भी तरह के बज़नेस पर लागू होती है।
बार-बार के बज़नेस म लाभ होता है। अ सर, कई धंध म शु आत म तो कोई लाभ ही
नह होता। ाहक क भ व य क ख़रीद को दे ख, यह न दे ख क वे वतमान म या ख़रीद
रहे ह।
ाहक को मू यवान समझने से वे बड़े , नय मत संर क म बदल जाते ह। ाहक
को तु समझने से वे कसी सरी जगह से सामान ख़रीदने लगते ह। एक व ाथ ने एक
बार मुझे यह मह वपूण घटना सुनाई और बताया क वह एक रे तराँ म कभी ना ता य
नह करता।
“एक दन लंच के लए," व ाथ ने कहा, "मने एक नए रे तराँ म जाने का फ़ैसला
कया। यह रे तराँ दो स ताह पहले ही खुला था। मेरे लए अभी पैसा ब त मह वपूण है,

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इस लए म सु न त कर लेता ँ क म जो ख़रीद रहा ँ, उसक क मत या है। मीट

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से न के पास से गुज़रते समय मने टक को दे खा और उस पर क़ मत डली थी 39 सट।

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“जब म कैश र ज टर के पास गया, तो चेकर ने मेरी े को दे खा और कहा ‘ 1 . 09

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‘ मने वन ता से उससे बारा चेक करने को कहा, य क मेरे हसाब से बल 99 सट का

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होना चा हए था। मेरी तरफ़ घूरने के बाद उसने फर से हसाब जोड़ा। हसाब म जो अंतर

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आ रहा था वह टक क क़ मत के कारण था। उसने 39 सट क जगह मुझसे 49 सट लए

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थे। फर मने उसका यान उस साइनबोड क तरफ़ ख चा जसम लखा आ था 39 सट।

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“इससे वह भड़क गई। ‘मुझे इस बात क परवाह नह है क साइनबोड पर या
लखा है। इसका दाम है 49 सट। दे खए। यह रही आज क मू य सूची। कसी ने शायद
ग़लती से वहाँ पर साइनबोड लगा दया होगा। आपको 49 सट ही दे ने ह गे।‘
“ फर मने उसे यह समझाने क को शश क क मने टक ली ही इस लए थी
य क इसका मू य 39 सट था। अगर इसका मू य 49 सट होता तो म इसक जगह कोई
सरी चीज़ ले लेता।
“इसके बाद भी उसका जवाब था, ‘चाहे जो हो, आपको 49 सट दे ने ह गे।‘ मने
ऐसा ही कया य क म वहाँ खड़े रहकर तमाशा खड़ा नह करना चाहता था। परंतु मने
उसी समय यह फ़ैसला भी कर लया क म बारा उस रे तराँ म नह जाऊँगा। म हर साल
लंच पर 250 डॉलर ख़च करता ँ और यह बात तो प क है क म उस रे तराँ म एक पाई
भी ख़च नह क ँ गा।"
यह छोटे नज़ रए का एक उदाहरण है। चेकर ने क मत का छोटा-सा अंतर ही दे खा,
उसने संभा वत 250 डॉलर क सेल नह दे खी।
3. अंधे ध वाले का मामला। हैरत क बात है क लोग कस तरह भावी संभावना
के त अंधे होते ह। कुछ साल पहले एक युवा ध वाला हमारे घर पर ध के बज़नेस के
सल सले म आया। मने उसे समझाया क हमारा ध वाला अ ा ध दे ता है और हम
उसक सेवा से संतु ह। फर मने उसे सुझाव दया क वह पड़ोस क म हला से पूछ
ले।
इसके जवाब म उसने कहा, “मने पड़ोस क म हला से पहले ही बात कर ली है,
परंतु वे लोग दो दन म एक वाट ध ही लेते ह और म इतनी कम रक़म के लए यहाँ कँू
यह फ़ायदे का सौदा नह होगा।”
“शायद आपक बात सही हो,” मने कहा, “परंतु जब आप मेरी पड़ोसन से बात कर
रहे थे, तो आपने यह नह दे खा क उस घर म ध क माँग एक-दो महीने म बढ़ने वाली है?

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उनके यहाँ ब ा पैदा होने वाला है, जो न त प से काफ़ ध पएगा।”

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उस युवक ने मेरी तरफ़ ऐसे दे खा जैसे उसे घूँसा मार दया गया हो और फर उसने

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कहा, “कोई इंसान कतना अंधा हो सकता है ?”

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कभी जो प रवार दो दन म एक वाट ध ख़रीदता था, आज वही प रवार दो दन

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म 7 वाट ध ख़रीदता है, परंतु वह ध वाला भ व यदश नह था। उस छोटे ब े के अब

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दो छोटे भाई और एक छोट बहन और हो चुके ह। और मुझे जानकारी मली है क उनके

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यहाँ एक और ब ा पैदा होने वाला है।
हम कतने अंधे हो सकते ह ? इस लए यह दे ख क या हो सकता है, सफ़ यही न
दे ख क या है।
जो कूल ट चर जमी के सफ़ वतमान वहार के बारे म सोचेगा वह यही सोचेगा
क जमी बदतमीज़, पछड़ा और गँवार है। परंतु अगर ट चर ऐसा सोचेगा तो इससे जमी
का वकास नह हो पाएगा। परंतु जो ट चर जमी क संभावना को दे ख सकेगा वही
उसका वकास कर पाएगा।
यादातर लोग ‘ कड रो’ से गुज़रते समय केवल हारे ए शरा बय को दे ख पाते
ह। परंतु कुछ न ावान लोग ‘ कड रो’ से गुज़रते समय एक सुधरे ए नाग रक क
संभावना को भी दे ख सकते ह। और चूँ क वे भ व य क संभावना को दे ख पाते ह, इस लए
वे यहाँ पर एक सफल सुधार काय म शु कर पाते ह।
4. कौन सी चीज़ आपका मू य तय करती है? कुछ स ताह पहले एक श ण स
के बाद एक युवक मुझसे मलने आया और उसने मुझसे कहा क वह मेरे साथ कुछ मनट
बात करना चाहता है। म इस युवक को जानता ँ। इसक उ अभी 26 साल है और यह
ब त ही गरीब घर से आया था। इसके अलावा म यह भी जानता था क इसके शु आती
वय क जीवन म इस पर मुसीबत का पहाड़ टू टा था। म यह भी जानता था क वह ठोस
भ व य के लए ख़ुद को तैयार करने का स ा यास कर रहा था
कॉफ़ पीते ए हमने उसक तकनीक सम या का हल ढू ँ ढ़ लया और फर हमारी
चचा इस तरफ़ मुड़ गई क कस तरह ग़रीब लोग भ व य के त आशावाद नज़ रया रख
सकते ह। उसक बात ने इस सवाल का सीधा और ब ढ़या जवाब दे दया।
“मेरे पास बक म 200 डॉलर ह। लक क मेरी नौकरी म तन वाह यादा नह है
और न ही यह कोई ज़ मेदारी वाली नौकरी है। मेरी कार चार साल पुरानी है और म अपनी
प नी के साथ सरी मं जल के एक छोटे -से अपाटमट म रहता ँ।

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“परंतु,, ोफ़ेसर,” उसने कहा, “मने तय कर लया है क मेरे पास जो नह है, उसे

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म अपनी राह म बाधा नह बनने ँ गा।”

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म उसक बात पूरी तरह नह समझ पाया इस लए मने उसे व तार से उसका पूरा

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मतलब समझाने के लए कहा।

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“दे खए, " उसने कहा, “म काफ़ समय से लोग का अ ययन कर रहा ँ और मने

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यह पाया है : जो लोग ग़रीब होते ह वे अपने वतमान को दे खते ह। वे सफ़ अपने वतमान

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को ही दे ख पाते ह। वे भ व य को नह दे ख पाते, वे सफ़ अपने घ टया वतमान को ही दे ख
पाते ह।
“मेरे पड़ोसी का उदाहरण ल। वह लगातार रोता रहता है क उसक तन वाह कम
है, उसक छत लगातार टपकती रहती है, मोशन कसी सरे को मल जाते ह,
डॉ टर के बल लगातार बढ़ते जा रहे ह। वह लगातार ख़ुद को याद दलाता रहता है क वह
ग़रीब है और इस लए वह यह मान लेता है क वह हमेशा ग़रीब ही बना रहेगा। वह इस
तरह वहार कर रहा है जैसे उसे ज़दगी भर उसी टू टे-फूटे अपाटमट म रहने क सज़ा
मली हो।"
मेरा दो त अपने दल क बात बोल रहा था और एक पल कने के बाद उसने आगे
कहा, “अगर म अपने वतमान क तरफ़ दे खूँ - पुरानी कार, कम तन वाह, स ता अपाटमट
और हैमबगर का भोजन - तो म भी ज द ही नराश हो जाऊँगा। म दे खूँगा क मेरी ह ती
कुछ नह है और म ज़दगी भर बना ह ती वाला आदमी बना र ँगा।
“परंतु म अपने भ व य क क पना करता ँ। म यह दे खता ँ क म कुछ साल बाद
या बन सकता ँ। म अपने आपको लक के प म नह दे खता, ब क ए ज़ी यू टव के
प म दे खता ँ। म अपने छोटे अपाटमट को नह दे खता ँ, ब क म ब ढ़या नए
उपनगरीय घर को दे खता ँ। और जब म अपने भ व य को इस तरह से दे खता ँ तो म
यादा बड़ा अनुभव करता ँ और बड़ा सोच पाता ँ। और मेरे पास इस बात का ब त
अनुभव है क इससे फ़ायदा होता है।" या यह ख़ुद को मू यवान बनाने क ब ढ़या योजना
नह है? यह युवक वा तव म अ ज़दगी क तरफ़ तेज़ी से बढ़ रहा है। उसने सफलता
के इस मूलभूत स ांत को अपने जीवन म उतार लया है : ‘ आपके पास या नह है, यह
मह वपूण नह होता। इसके बजाय यह मह वपूण होता है क आपके पास भ व य म या
होगा। नया हम पर क़ मत का जो टै ग लगाती है वह उस टै ग के अनु प ही होता है जो
हम ख़ुद पर लगाते ह।
यहाँ आपको यह बताया जा रहा है क आप कस तरह अपने भ व य क श को

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वक सत कर सकते ह, यानी आप अपनी संभावना को कस तरह दे ख सकते ह। म इ ह

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“मू य बढ़ाने वाले अ यास” कहता ँ।

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1. चीज़ का मू य बढ़ाने का अ यास कर । रयल ए टे ट का उदाहरण याद कर।

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ख़ुद से पूछे, “ कस तरह म इस कमरे या इस घर या इस बज़नेस का मू य बढ़ा सकता ँ

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?” चीज़ का मू य बढ़ाने के लए वचार खोज। कोई भी चीज़ चाहे वह ख़ाली लॉट हो,

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घर हो या बज़नेस हो, उसका मू य वही होता है जो उसके योग के वचार म छु पा होता

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है।

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2. लोग का मू य बढ़ाने का अ यास कर। जब आप सफलता क नया म ऊपर
और ऊपर जाएँगे तो आपके पास यादातर काम “लोग का वकास” करना होगा। ख़ुद से
पूछ, “म कस तरह अपने अधीन का ‘मू य बढ़ा सकता ँ ?‘ म कस तरह उ ह यादा
भावी बना सकता ँ ?” याद रख, कसी से सव े दशन करवाने के लए
आपको उसक सव े मता क क पना करनी होती है।
3. ख़ुद का मू य बढ़ाने का अ यास कर। ख़ुद के साथ हर रोज़ एक इंटर ू रख।
ख़ुद से पूछ, "आज म अपने आपको अ धक मू यवान बनाने के लए या कर सकता ँ?"
अपने मू य क क पना अपने वतमान से न कर, इस बात से न कर क आप आज या ह,
ब क अपने मू य क क पना अपने भ व य से कर, इस बात से कर क आप या बन
सकते ह। फर उस संभा वत मू य को हा सल करने के तरीके़ अपने आप आपके दमाग़ म
आ जाएँगे। को शश करके दे ख।

म यम आकार क टग कंपनी (60 कमचारी) के रटायड मा लक-मैनेजर ने मुझे बताया


क उसने अपना उ रा धकारी कैसे चुना।
“पाँच साल पहले,” उसने कहा, “मुझे अकाउं टग और ऑ फ़स के बाक़ काम के
लए अकाउं टट क ज़ रत थी। मने हैरी नाम के 26 वष य युवक को काम पर रख लया।
उसे टग बज़नेस क कोई समझ नह थी परंतु उसके रकॉड से पता चलता था क वह
एक अ ा अकाउं टट था। डे ढ़ साल पहले जब म रटायर आ तो हमने उसे अपनी कंपनी
का े सडट और जनरल मैनेजर बना दया।
“जब म इस बारे म सोचता ँ तो मुझे लगता है क हैरी म एक गुण ऐसा था जो उसे
बाक़ सब लोग से आगे कर दे ता था। हैरी पूरी कंपनी म गंभीरता से स ी च लेता था।
वह सफ़ चेक नह लखता था, वह सफ़ रकॉड नह रखता था। जब भी वह दे खता था

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क वह बाक़ कमचा रय क मदद कर सकता था, वह त काल काम म जुट जाता था।

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“हैरी के आने के एक साल के भीतर, हमारे कुछ कमचारी चले गए। हैरी मेरे पास

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एक ज-बे न फ़ट ो ाम लेकर आया और उसका कहना था क इससे लागत कम

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आएगी। और इससे सचमुच लाभ आ।

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"हैरी ने और भी कई काम कए जनसे सफ़ उसके वभाग को नह , ब क पूरी

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कंपनी को फ़ायदा आ। उसने हमारे उ पादन वभाग का लागत अ ययन तैयार कया और

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बताया क कस तरह 30,000 डॉलर क नई मशीन म नवेश करके हम यादा लाभ कमा

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सकते ह। एक बार हमारा माल नह बक पा रहा था। हैरी हमारे से स मैनेजर के पास गया
और उनसे इस तरह क बात कही, ‘म से स के बारे म तो नह जानता, परंतु म आपक
मदद करने क को शश क ँ गा।" और उसने ऐसा ही कया। हैरी के दमाग़ म कई अ े
वचार थे जनक वजह से हमारी ब बढ़ गई।
“जब भी कोई नया कमचारी कंपनी म आता था, हैरी उस आदमी क काफ़ मदद
करता था। हैरी पूरी कंपनी म स ी च लेता था।
“जब म रटायर आ, तो हैरी ही मेरा उ रा धकारी बनने लायक था।
“परंतु मुझे गलत मत समझना,” मेरे दो त ने कहा, "हैरी ने उ रा धकारी बनने के
लए कोई को शश नह क । वह कसी के काम म अड़गा नह लगाता था। वह नकारा मक
प से आ ामक नह था। वह लोग क पीठ पीछे बुराई नह करता था और वह ऑडर भी
नह दे ता था। वह सफ़ मदद करता था। हैरी इस तरह बताव करता था जैसे कंपनी म होने
वाली हर चीज़ से उसे फ़क़ पड़ता था। उसने कंपनी के बज़नेस को अपना बज़नेस मान
लया था।”
हैरी के उदाहरण से हम भी सीख सकते ह। “म अपना काम कर रहा ँ और यही
काफ़ है” वाला रवैया छोट , नकारा मक सोच है। बड़े चतक अपने आपको ट म के सद य
के प म दे खते ह और अकेले नह , ब क ट म के साथ जीतते या हारते ह। वे जतनी
मदद कर सकते ह, करते ह, चाहे इसके बदले म उ ह कोई सीधा लाभ हो रहा हो या न हो
रहा हो। वह आदमी जो अपने डपाटमट के बाहर क हर सम या को यह कहकर टाल दे ता
है, "इससे मुझे कोई लेना-दे ना नह है, उसी डपाटमट के लोग को इस बात क चता करने
दो।” उसका रवैया उसे कभी लीडर नह बनवा सकता।
इसका अ यास कर। बड़े चतक बनने का अ यास कर। कंपनी क च को अपनी
च क तरह दे ख। बड़ी कंप नय म काम करने वाले ब त कम लोग अपनी कंपनी म
स ी, नः वाथ च लेते ह। परंतु ब त कम लोग ही बड़े चतक बनने के क़ा बल होते ह।

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और इ ह थोड़े से लोग को यादा ज़ मेदारी, यादा तन वाह वाली नौक रयाँ द जाती

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ह।

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ब त से लोग अपनी उपल क राह म छोट , घ टया, मह वहीन चीज़ को बाधा

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बना लेते ह। हम इन चार उदाहरण को दे ख :

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1. अ े भाषण के लए या ज़ री होता है?

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हर चाहता है क वह सबके सामने ब ढ़या बोल सके। परंतु यादातर लोग क यह
चाहत पूरी नह हो पाती। यादातर लोग घ टया व ा होते ह
य ? इसका कारण सीधा-सा है। यादातर लोग बोलते समय बड़ी, मह वपूण
बात के बजाय छोट , घ टया बात पर यान दे ते ह। चचा क तैयारी करते समय यादातर
लोग ख़ुद को मान सक नदश दे ते रहते ह, “मुझे सीधे खड़े रहना चा हए,” “इधर - उधर
नह हलना है और अपने हाथ का योग नह करना है,” “जनता को यह पता न चलने द
क आप नोट् स क मदद ले रहे ह,” “याद रख, ामर क ग़लती न होने द,” “इस बात का
यान रख क आपक टाई सीधी रहे,” “ज़ोर से बोल, पर यादा ज़ोर से नह ।” इ या द।
अब जब व ा बोलने के लए खड़ा होता है तो या होता है ? वह डरा आ होता है
य क उसने अपने दमाग़ म एक सूची बना ली है क उसे या चीज नह करनी चा हए।
‘ या मने कोई ग़लती कर द है ?‘ सं ेप म, वह लाॅप हो जाता है। वह इस लए लाॅप
होता है य क उसने एक अ े व ा के छोटे , घ टया, तुलना मक प से मह वहीन गुण
पर यान क त कया है और अ े व ा के बड़े गुण पर यान क त नह कया है : जस
बारे म आप बोलने जा रहे ह, उसका ान और सरे लोग को बताने क उ कट इ ा।
अ े व ा का असली इ तहान इस बात म नह होता क वह सीधा खड़ा होता है
या नह , वह ामर म ग़ल तयाँ करता है या नह , ब क इस बात म होता है क वह जनता
तक अपनी बात अ तरह से प ँचा पाता है या नह । हमारे यादातर चोट के व ा म
कई सारे दोष होते ह, कइय क तो आवाज़ ही ख़राब है। अमे रका के ब त से स
व ा को तो अगर भाषण दे ने क परी ा म बठाया जाए क “ या करना चा हए और
या नह करना चा हए” तो उनम से कई तो फ़ेल हो जाएँगे।
परंतु इन सभी सफल सावज नक व ा म एक बात पाई जाती है। उनके पास
कहने को कुछ होता है और उनम सरे लोग को अपनी बात बताने क बल इ ा होती

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है।

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छोट -छोट बात पर यान दे कर जनता म सफलता से बोलने क कला को भा वत

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न होने द।

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2. झगड़े क वजह या होती है?

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कभी आपने खुद से यह सवाल कया है क आ ख़र झगड़े क वजह या होती है ? 99

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तशत मामल म झगड़े छोट - छोट , मह वहीन बात से शु होते ह, जैसे : जॉन थोड़ा
थका आ, तनाव म घर लौटता है। डनर म उसे मज़ा नह आता और वह शकायत करने
लगता है। उसक प नी जोन का दन भी अ ा नह गुज़रा, इस लए वह आ मर ा म कह
दे ती है, “इस बजट म म इससे अ ा खाना कैसे बनाऊँ ?” या “अगर हमारे पास बाक़
सबक तरह नया गैस टोव हो, तो म इससे बेहतर खाना पका सकती ँ।” इससे जॉन का
गव आहत हो जाता है और वह बदले म जोन पर हमला कर दे ता है, “दे खो, जोन, सवाल
पैसे क कमी का नह है, सवाल इस बात का है क तु ह घर चलाना आता ही नह है।”
और फर लड़ाई शु हो जाती है! जब तक शां त ा पत होती है, तब तक दोन ही
प एक- सरे पर तरह-तरह के आरोप लगा चुके होते ह। एक- सरे के माँ - बाप, से स,
पैसे, शाद से पहले के वादे , शाद के बाद के वादे और इसी तरह के सरे मामल को बीच
म लाया जाता है। दोन ही दल यु म तनाव त और नवस होते ह। दोन के मतभेद पूरी
तरह नह सुलझ पाते और दोन को ही अपनी अगली लड़ाई म इ तेमाल करने के लए नए
ह थयार मल जाते ह। छोट -छोट चीज़ क वजह से, छोटे चतन क वजह से यादातर
झगड़े होते ह। इस लए झगड़ से अगर आप बचना चाहते ह, तो आपको छोटे चतन से
बचना होगा।
यहाँ एक आज़माई ई तकनीक बताई जा रही है। कसी क शकायत करने से
पहले, उस पर आरोप लगाने से पहले, उसे डाँटने से पहले, आ मर ा म उस पर हमला
करने से पहले, ख़ुद से पूछ, “ या यह वा तव म मह वपूण है ?” यादातर मामला
मह वपूण होता ही नह है और आप झगड़े से बच जाते ह।
खुद से पृछ, “ या यह सचमुच मह वपूण है क उसक सगरेट क राख बखर गई
या उसने टू थपे ट का ढ कन नह लगाया था वह शाम को दे र से घर लौटा ?”
“ या यह सचमुच मह वपूण है क उसने थोड़ा पैसा उड़ा दया है या उसने कुछ
ऐसे लोग को घर पर बुलवा लया है ज ह म पसंद नह करता ?”

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जब आप नकारा मक या करने वाले ह , तो ख़ुद से पूछे, “ या यह सचमुच

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मह चपूण है?” इस सवाल म जा है और यह आपके घर का माहौल सुधार सकता है। यह

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ऑ फ़स म भी काम करता है। जब आपके सामने वाला ाइवर आपके सामने कट मारता है

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तो यह ै फ़क म भी काम करता है। यह ज़दगी क कसी भी ऐसी प र त म काम

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करता है जसम झगड़े का अंदेशा हो।

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3. जॉन को सबसे छोटा ऑ फ़स मला और वह बबाद हो गया

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कुछ साल पहले, मने दे खा क छोटे चतन के कारण कस तरह एक आदमी का
एड् वटाइ ज़ग के े म अ संभावना वाला क रयर तबाह हो गया।
व ापन कंपनी म समान पद पर कायरत चार युवा ए ज़ी यू ट ज़ को नए ऑ फ़स
दए गए। तीन ऑ फ़स तो आकार- कार एवं साज-स ा म एक-से थे, परंतु चौथा
ऑ फ़स थोड़ा छोटा था।
जे . एम . को चौथा ऑ फ़स दया गया। इससे उसका गव आहत आ। त काल
उसे महसूस आ क उसके साथ भेदभाव कया गया है। नकारा मक चतन, गु सा,
कड़वाहट, क ई या ने उसके दमाग़ पर क़ ज़ा जे को लगने लगा क लोग उसे कम यो य
समझते ह। कर लया। .एम प रणाम यह आ क जे . एम . अपने साथी ए ज़ी यू ट ज़
के त श ुता रखने लगा। सहयोग करने के बजाय वह उनके यास को वफल करने क
को शश करने लगा। माहौल बगड़ता गया। तीन महीने बाद जे.एम का वहार इतना
ख़राब हो गया क मैनेजमट के पास उसे हटाने के सवा कोई चारा ही नह बचा।
एक छोट -सी बात पर बुरा मानने के कारण जे . एम . का क रयर तबाह हो गया।
भेदभाव के बारे म सोचने क उसे इतनी ज द थी क वह यह नह दे ख पाया क कंपनी
तेज़ी से कर रही थी और वकास कर रही थी और ऑ फ़स म जगह क कमी थी। उसने
यह नह सोचा क जस ए ज़ी यू टव ने ऑ फ़स बाँटे थे, उसे तो यह भी नह पता था क
कौन-सा ऑ फ़स छोटा है और कौन-सा बड़ा। सवाय जे . एम . के कंपनी म और कसी
भी आदमी को ऐसा नह लगा क उसके छोटे ऑ फ़स से उसक इ ज़त घट गई हो।
मह वहीन बात पर छोट सोच से आप आहत हो सकते ह जैसे आपका नाम
डपाटमट क सूची म सबसे आ ख़र म लख दया जाए या आपको ऑ फ़स के कसी मेमो
क चौथी काबन कॉपी द जाए। बड़ा सोच और इन छोट -छोट बात का बुरा मानना छोड़
द।

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4. हकलाने के बावजूद सफलता पाई जा सकती है

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एक से स ए ज़ी यू टव ने मुझे बताया क अगर से समैन म सरे गुण ह तो

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से समैन शप म हकलाने के बावजूद सफलता पाई जा सकती है।

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“मेरा एक दो त भी से स ए ज़ी यू टव है और वह मज़ा कया वभाव का है। कुछ

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महीने पहले मेरे इस मज़ा कया दो त के पास एक युवक आया और उससे से समैन क

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नौकरी माँगी। इस युवक को हकलाने क आदत थी और मेरे दो त ने फ़ैसला कया क वह
मेरे साथ मज़ाक़ कर सकता है। इस लए मेरे दो त ने इस हकलाने वाले उ मीदवार से कहा
क उसे तो से समैन क ज़ रत नह है, परंतु उसके एक दो त (यानी क मुझे) को एक
से समैन क ज़ रत है। फर उसने मुझे फ़ोन कया और मुझसे उस युवक क इतनी
तारीफ़ कर द क मुझे कहना ही पड़ा, ‘उसे अभी मेरे पास भेज दो!‘
“तीस मनट बाद वह युवक मेरे सामने खड़ा था। उसके तीन श द बोलने से पहले
ही म समझ गया क मेरे दो त ने उसे मेरे पास य भेजा था ‘ म - म - म ज - ज - जैक
आर.‘ उसने कहा, ‘ म टर ए स ने मुझे आपके पास नौ-नौकरी के लए भे-भेजा है।‘ हर
श द बोलने के लए उसे संघष करना पड़ रहा था। मने ख़ुद से सोचा, ‘यह आदमी एक
डॉलर के नोट को वॉल ट म 90 सट म भी नह बेच पाएगा।‘ मुझे अपने दो त पर ग़ सा
आया, परंतु मुझे उस युवक से स ी हमदद भी थी इस लए मने सोचा क कम से कम
उससे कुछ वन तो पूछ लए जाएँ ता क म कोई अ ा-सा बहाना बना सकूँ क म
उसे काम पर य नह रख सकता।
“चचा के दौरान मने पाया क यह आदमी काम का था। उसम बु थी। उसम
आ म व ास था, परंतु इसके बावजूद म इस त य को नह पचा पाया क वह हकलाता था
आ ख़रकार मने उससे इंटर ू का आ ख़री सवाल करने का फ़ैसला कया, ‘आपने यह
कैसे सोचा क आप इस जॉब म सफल हो पाएँगे ?‘ उसने जवाब दया, “म तेज़ी से सीख
सकता ँ, म - म - म लोग को पसंद करता ँ, म - म - म सोचता ँ क आपक कंपनी
अ है और म - म - म पैसे कमाना चाहता ँ। अभी मे - मे - मेरे साथ हकलाने क
सम या है, परंतु इससे मु - मु - मुझे कोई परेशानी नह है, इस लए मु - मु - मुझे नह
लगता क इससे कसी और को भी कोई परेशानी होगी।”
“उसके जवाब ने मुझे बता दया क उसके पास से समैन बनने क सचमुच
मह वपूण यो यता थी। मने त काल उसे मौक़ा दे ने का फ़ैसला कर लया और आपको यह
जानकर हैरत होगी क वह एक सफल से समैन बन चुका है।"

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अगर बाक़ बड़ी यो यताएँ ह , तो बोलने वाले वसाय म हकलाने क आदत भी

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आपक सफलता क राह म बाधा नह बन सकती।

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इन तीन उपाय का अ यास कर ता क आप छोट -छोट बात के बारे म सकारा मक

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प से सोच सक :

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1. अपनी नज़र बड़े ल य पर लगाए रख। कई बार हम उस से समैन क तरह होते

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ह जो सामान बेचने म असफल रहने के बाद अपने मैनेजर को बताता है, “परंतु मने ाहक

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के सामने सा बत कर दया क वह गलती पर था।" बेचने म बड़ा ल य सामान बेचना होता
है, बहस म जीतना नह होता।
शाद म बड़ा ल य शां त, सुख, ख़ुशी होता है- बहस म जीतना नह होता या यह
कहना नह होता, “म तु ह यह बात पहले ही बता सकता था।"
कमचा रय के साथ काम करते समय, बड़ा ल य उनक पूरी मता का उपयोग
करना होता है- छोट -छोट गल तय पर उ ह नीचा दखाना नह होता
पड़ो सय के साथ बड़ा ल य आपसी स मान और दो ती होता है यह दे खना नह
होता क उनका कु ा कभी-कभार रात म भ कता है, इस लए उस कु े को जंगल म छोड़
दे ना चा हए।
म ल क भाषा म कहा जाए तो सं ाम म हारकर यु जीतना बेहतर होता है,
सं ाम को जीतकर यु हारना अ ा नह होता।
अपनी नज़र को बड़े ल य पर जमाए रख।
2. ख़ुद से पूछे, “‘ या यह सचमुच मह वपूण है ?” नकारा मक प से उ े जत
होने के बजाय अपने आप से पूछे, “ या यह मामला इतना मह वपूण है क म इस बारे म
इतनी चता क ँ ?” अगर आप ख़ुद से यह सवाल पूछगे तो आप छोटे -छोटे मामल पर
कुं ठत होने से बच सकते ह। अगर हम झगड़े क प र तय म ख़ुद से पूछ, “ या यह
सचमुच मह वपूण है ?” तो हम कम से कम 90 तशत झगड़ से बच सकते ह।
3. छोटे पन के जाल म न फँस। भाषण दे ते समय सम याएँ पैदा करने के बजाय
सम याएँ सुलझाएँ। कमचा रय को सलाह दे ते समय उ ह बात पर यान क त कर, जो
मह वपूण ह, जनसे फ़क़ पड़ता है। सतही मु म उलझकर न रह जाएँ। मह वपूण चीज़
पर यान क त कर।

अपनी सोच का आकार नापने के लए यह टे ट द

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नीचे बाएँ कॉलम म कुछ आम तयाँ द गई ह। बीच वाले और दाएँ कॉलम म यह तुलना

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क गई है क इसी त का सामना छोटे चतक और बड़े चतक कस तरह करते ह। ख़ुद

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ही दे ख ल। फर फ़ैसला कर क जहाँ म जाना चाहता ँ वहाँ म कस रा ते पर चलकर

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प ँच सकता ँ? छोटे चतन से या बड़े चतन से ?

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एक ही प र त का सामना दो तरीक़ से कया जा सकता है। फैसला आपके

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हाथ म है।

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याद रख, बड़ी सोच से हर तरह से फ़ायदा होता है!
1. अपने आपको स ते म न बेच। ख़ुद के कम मू यांकन का अपराध कभी न कर। अपने
गुण , अपनी यो यता पर यान क त कर। यह जान ल, आप जतना समझते ह, आप
उससे कह बेहतर ह।
2. बड़े चतक क श दावली का योग कर। बड़े , चमक ले, आशावाद श द का योग
कर। ऐसे श द का योग कर जनसे वजय, आशा, सुख, आनंद के भाव नकलते ह ।
ऐसे श द का योग न कर जनसे असफलता, हार, :ख के नराशाजनक च बनते ह ।

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3.अपनी को व तार द। सफ़ यह न दे ख क या है, ब क यह भी दे ख क या हो

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सकता है। चीज़ , लोग और ख़ुद का मू य बढ़ाने का अ यास कर।

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4. अपनी नौकरी के बारे म बड़ा कोण रख। सोच, सचमुच सोच क आपक वतमान

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नौकरी मह वपूण है। आप अपनी वतमान नौकरी के बारे म या सोचते ह इसी बात पर

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आपका अगला मोशन नभर करता है।

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5. छोट -छोट बात से ऊपर उठे । अपने यान को बड़े ल य पर लगाएँ। छोटे मामल म

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उलझने के बजाय ख़ुद से पूछ, " या यह सचमुच मह वपूण है?”

बड़ा सोचकर बड़े बन जाएँ!


रचना मक तरीक़े से कैसे सोच
और सपने दे ख ?

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बसे पहले तो रचना मक सोच को लेकर फैली एक ग़लतफ़हमी को र कर ल। न

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जाने य व ान, इंजी नय रग, सा ह य और कला को ही रचना मक काम माना

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जाता है। यादातर लोग क नज़र म रचना मक सोच का अथ होता है बजली या

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पो लयो वै सीन क खोज, या उप यास लखना रंगीन टे ली वज़न का आ व कार करना।

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न त प से ये तमाम उपल याँ रचना मक सोच का प रणाम ह। अंत र को

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इंसान इसी लए जीत पाया, य क उसने रचना मक सोच का सहारा लया। हम यह बात

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समझ लेनी चा हए क रचना मक सोच का संबंध केवल कुछ ख़ास वसाय से नह

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होता, न ही अ त बु मान लोग से इसका कोई वशेष संबंध होता है।
फर, रचना मक सोच या है ?
कम आमदनी वाला प रवार अपने ब े को कसी मश र यू नव सट म भेजने क
योजना बनाता है। यह रचना मक सोच है।
कोई प रवार अपने आस–पास क ब त बुरी जगह को सबसे सुंदर जगह म बदल
दे ता है। यह रचना मक सोच है।
कोई पादरी ऐसी योजना बनाता है जससे र ववार शाम क उप त गुनी हो
जाती है। यह रचना मक सोच है।
अगर आप रकॉड–क पग को आसान बनाने के तरीक़े ढू ँ ढ़ते ह, “असंभव” ाहक
को सामान बेचने के तरीक़े ढू ँ ढ़ते ह, रचना मक प से ब को त रखते ह, ऐसा उपाय
करते ह क आपके कमचारी दल लगाकर काम कर, या आप कसी “ न त” झगड़े को
रोक लेते ह- ये सभी ावहा रक जीवन म रचना मक सोच के उदाहरण ह।
रचना मक सोच का अथ है कसी भी काम को करने के नए, सुधरे ए तरीक़े
खोजना। हर जगह सफलता इसी बात म छु पी होती है क आप चीज़ को बेहतर तरीक़े से
करने के उपाय कस तरह खोजते ह, फर चाहे वह सफलता घर म हो, काम–धंधे म हो या
समाज म हो। आइए दे खते ह क हम अपनी रचना मक सोच क यो यता को कस तरह
वक सत कर सकते ह और इसक आदत कैसे डाल सकते ह।
क़दम एक : व ास कर क काम कया जा सकता है। एक मूलभूत स य जान ल-
कसी भी काम को करने के लए पहले आपको यह व ास करना होगा क इसे कया जा
सकता है। एक बार आप यह सोच ल क यह काम संभव है तो फर आप उसे करने का
तरीक़ा भी सोच ही लगे।
श ण दे ते समय म रचना मक सोच के इस पहलू को समझाने के लए अ सर

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यह उदाहरण दे ता ँ। म लोग से पूछता ँ, “आपम से कतने लोग को यह लगता है क

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30 साल बाद हम जेल वहीन समाज म रह सकगे ?”

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हमेशा समूह के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ती नज़र आई ह। उ ह हमेशा यही लगा क

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शायद उ ह ने ग़लत सुन लया है या फर म गंभीर क़ म का मज़ाक़ कर रहा ँ। इस लए

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थोड़ा ठहरने के बाद म फर पूछता ँ, “आपम से कतने लोग को यह लगता है क 30

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साल बाद हम जेल वहीन समाज म रह सकगे ?”

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एक बार यह प का हो जाने के बाद क म मज़ाक़ नह कर रहा ँ, कोई न कोई इस
तरह क बात कहता है, “आप यह कहना चाहते ह क 30 साल बाद सभी ह यारे, चोर-
उच के और बला कारी जेल म बंद रहने के बजाय सड़क पर खुले आम घूमगे। आप
जानते ह इसका नतीजा या होगा ? हमम से कोई भी सुर त नह रह पाएगा। हमारे
समाज का काम जेल के बना चल ही नह सकता।”
तभी सरे लोग भी बोलने लगते ह।
“अगर जेल न ह , तो हमारी क़ानून व ा ठ प हो जाएगी।”
“कुछ लोग तो पैदाइशी अपराधी होते ह।”
“ जतनी ह, हम उससे यादा जेल क ज़ रत है।”
“ या आपने आज सुबह के अख़बार म ह या क वह ख़बर पढ़ थी ?”
और लोग बोलते जाते ह, एक के बाद एक अ े कारण बताते ह क हमारे समाज
म जेल का होना य ज़ री है। एक आदमी ने तो यहाँ तक सुझाव दया क हमारे समाज
म जेल इस लए होनी चा हए ता क पु लस और जेल के संत रय क नौकरी बची रह सके।
म दस मनट तक लोग को यह “ स ” करने दे ता ँ क जेल को समा त य नह
कया जाना चा हए, इसके बाद म उनसे कहता ँ, ‘मने आपसे पूछा था क जेल को ख़ म
य करना चा हए। यह सवाल पूछने के पीछे मेरा एक ख़ास मक़सद था।
“आपम से हर एक ने मुझे यही तक दए ह क जेल को ख़ म य नह कया
जाना चा हए। अब आप मेहरबानी करके मुझ पर एक एहसान कर। आप कुछ मनट तक
अपने दमाग़ पर ज़ोर डालकर यह यक़ न कर ल क हम जेल को ख़ म कर सकते ह।”
योग म दलच ी लेते ए लोग कहते ह, “ठ क है, सफ़ मज़े के लए, सफ़
योग के लए ऐसा करने म हम या द क़त हो सकती है?” फर म पूछता ँ, “अब हम
यह मान लेते ह क हम जेल को ख़ म करना चाहते ह, परंतु हम कस तरह से शु आत
करगे ?”

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पहले तो सुझाव धीमे-धीमे आते ह। कोई थोड़ा झझकते ए कहता है, “अगर

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यादा युवा क ा पत कए जाएँ, तो अपराध को कम कया सकता है।”

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थोड़ी ही दे र म पूरा समूह, जो दस मनट पहले तक इस वचार के पूरी तरह

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ख़लाफ़ था, अब स े उ साह से काम म जुट जाता है।

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“अपराध कम करने के लए हम गरीबी र करने के उपाय सोचने ह गे। यादातर

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अपराध गरीबी के कारण होते ह।”

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“अनुसंधान के ज़ रए अपराध करने से पहले ही संभा वत अपराधी का पता लगाया
जाना चा हए।”
“कुछ तरह के अपरा धय के इलाज के लए मे डकल ऑपरेशन कए जाने
चा हए।”
“क़ानून के रखवाल को सुधार के रचना मक तरीक़े सखाने चा हए।”
ये उन 78 वचार म से कुछ ह जो मुझे सुनने को मले। मेरा योग यह था क कस
तरह जेल वहीन समाज का नमाण कया जा सकता है।

जब आप व ास करते ह, तो आपका दमाग़ तरीक़े ढू ँ ढ़ ही


लेता है।
इस योग का सफ़ एक संदेश है : जब आप यह व ास करते ह क कोई काम असंभव
है, तो आपका दमाग़ आपके सामने यह स कर दे ता है क यह य असंभव है। परंतु
जब आप व ास करते ह, सचमुच व ास करते ह क कोई काम कया जा सकता है, तो
आपका दमाग़ आपके लए काम म जुट जाता है और तरीक़े ढू ँ ढ़ने म आपक मदद करता
है।
यह व ास क कोई काम कया जा सकता है, रचना मक समाधान का रा ता
खोल दे ता है। यह व ास क कोई काम नह कया जा सकता, असफल य क सोच
है। यह बात सारी प र तय पर लागू होती है चाहे वे प र तयाँ छोट ह या बड़ी।
जन राजनी तक नेता को यह व ास नह होता क ाई व शां त संभव है, वे शां त
ा पत करने म असफल हो जाएँगे य क उनके दमाग़ शां त ा पत करने के
रचना मक उपाय नह ढू ँ ढ़ पाएँगे। जन अथशा य का व ास है क बज़नेस म मंद

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अप रहाय है, वे बज़नेस च को हराने के रचना मक तरीक़े कभी वक सत नह कर

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पाएँगे।

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इसी तरीक़े से, अगर आपको व ास हो, तो आप कसी भी को पसंद करने

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के तरीक़े खोज सकते ह।

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अगर आपको व ास हो, तो आप अपनी गत सम या का हल ढू ँ ढ़ सकते

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ह।

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अगर आपको व ास हो, तो आप नए, बड़े घर को ख़रीदने का तरीक़ा खोज सकते

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ह।
व ास रचना मक श य को मु करता है। अ व ास इन पर ेक लगा दे ता है।
व ास कर और आप सोचना शु कर दगे- रचना मक प से।
अगर आप उसके काम म कावट न डाल, तो आपका दमाग़ काम करने के उपाय
खोज लेगा। दो साल पहले एक युवक ने मुझसे एक अ सी नौकरी खोजने म मदद
माँगी। वह कसी मेल ऑडर कपनी के े डट वभाग म लक था और उसे लग रहा था क
वहाँ पर उसका भ व य उ वल नह है। हमने उसके पछले रकॉड के बारे म बात क
और यह चचा क क वह या करना चाहता था। उसके बारे म कुछ जानने के बाद मने
कहा, “म आपक शंसा करता ँ क आप बेहतर नौकरी क सीढ़ पर ऊपर क तरफ़
चढ़ना चाहते ह। परंतु आजकल ऐसी नौकरी हा सल करने के लए कॉलेज क ड ी होना
ज़ री है। आपने अभी बताया है। क आपने तीन से म टर पूरे कर लए ह। म आपको यही
सलाह ँ गा क आप अपने कॉलेज क श ा को पूरा कर ल। आप दो साल म ऐसा कर
सकते ह। फर म आपको यक़ न दलाता ँ क आपको आपक मनचाही नौकरी मल
जाएगी, और उसी कंपनी म मल जाएगी जसम आप चाहते ह ”
“म जानता ँ,” उसने जवाब दया, “ क कॉलेज क श ा ज़ री है। परंतु मेरे लए
कॉलेज क पढ़ाई पूरी करना असंभव है।”
“असंभव ? य ?” मने पूछा।
“एक कारण तो यह है,” उसने बताया, “म चौबीस साल का ँ। इसके अलावा मेरी
प नी को दो महीने म सरा ब ा होने वाला है। हमारा ख़च अभी ही जैसे–तैसे चल रहा
है। मुझे नौकरी तो करनी ही पड़े गी और इस लए मेरे पास पढ़ने के लए समय नह बचेगा।
यह असंभव है, बलकुल असंभव है।”
इस युवक ने ख़ुद को व ास दला दया था क कॉलेज क पढ़ाई पूरी करना उसके

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लए असंभव था।

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फर मने उससे कहा, “अगर तु हारा व ास है क तु हारे लए कॉलेज क पढ़ाई

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पूरी करना असंभव है, तो यह सचमुच असंभव है। परंतु इसी तक से, अगर तुम यह व ास

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कर लो क तुम पढ़ाई पूरी कर सकते हो, तो कोई न कोई रा ता ज़ र नकल आएगा।

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“अब म चाहता ँ क तुम यह करो। अपना मन बना लो क तुम कॉलेज जा रहे हो।

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इस वचार को अपनी सोच पर हावी हो जाने दो। फर सोचो, सचमुच सोचो, क तुम ऐसा

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कस तरह कर सकते हो और अपने प रवार का ख़च चलाते ए यह कस तरह संभव है।
दो स ताह बाद आना और मुझे बताना क तु हारे दमाग़ म कस तरह के वचार आए।”
मेरा युवा म दो स ताह बाद आया।
“मने आपक कही बात पर काफ़ सोचा.” उसने कहा। “मने कॉलेज जाने का
फ़ैसला कर लया है। हालाँ क मने व तार से इस बारे म नह सोचा है, परंतु मुझे लगता है
क कोई न कोई रा ता ज़ र नकल आएगा।”
और रा ता नकल आया।
उसे े ड एसो सएशन क तरफ़ से कॉलर शप मल गई जससे उसक ूशन फ़ ,
पु तक का और बाक़ ख़च नकल गया। उसने अपनी नौकरी के समय को इस तरह से
करवा लया जससे वह क ा म भाग ले सके। उसके उ साह को दे खकर और बेहतर
ज़दगी क संभावना को दे खकर उसक प नी ने भी उसका पूरा साथ दया। उन दोन ने
मलकर अपने पैस और समय का बजट सफलतापूवक बना ही लया।
पछले महीने उसे उसक ड ी मल गई और अब वह एक बड़े कॉरपोरेशन म
मैनेजमट े नी के प म काम कर रहा है।
जहाँ चाह, वहाँ राह।
व ास कर क यह हो सकता है। यह रचना मक सोच क पहली आव यकता है। यहाँ दो
सुझाव दए जा रहे ह जनक मदद से आप अपना आ म व ास बढ़ा सकते ह और अपनी
रचना मक सोच क श को वक सत कर सकते ह:
1. अपने श दकोश से असंभव श द को बाहर नकाल फक। इस श द को कभी
अपने दमाग़ म या जबान पर न लाएँ। असंभव असफलता का श द है। जब आप कहते ह
“यह असंभव है” तो आपके दमाग़ म ऐसे वचार आ जाते ह जो सा बत कर दे ते ह क
आप सही सोच रहे ह।
2. कसी ऐसे काम के बारे म सोच जसे आप पहले कभी करना चाहते ह , परंतु

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उस समय आपको यह असंभव लगा हो। अब ऐसे कारण क सूची बनाएँ क ऐसा कस

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तरह संभव हो सकता है। हमम से कई लोग अपनी इ ा को कोड़े मारते ह और उ ह

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हरा दे ते ह य क पूरे समय हम यही सोचते रहते ह क हम कोई काम य नह कर पाएँगे

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जब क हम सोचना यह चा हए क हम कोई काम य कर सकते ह और कस तरह से कर

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सकते ह।

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हाल ही म मने अख़बार म यह पढ़ा क यादातर रा य म काउं टय क सं या ज़ रत से

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यादा है। लेख म संकेत कया गया था क यादातर काउं टय क सीमाएँ स दय पुरानी
ह, उस ज़माने क ह जब वाहन नह थे और जब या ा घोड़े और ब घी से आ करती थी।
परंतु आजकल काफ़ तेज़ वाहन चलने लगे ह और सड़क भी अ ह, इस लए अब यह
उ चत है क तीन या चार काउं टय को मलाकर एक काउं ट बना द जाए। इससे ब त सी
परेशा नयाँ कम हो जाएँगी और जनता पर टै स का बोझ भी कम हो जाएगा।
लेखक ने कहा क उसके वचार से उसके दमाग़ म एक शानदार वचार आया था,
इस लए उसने 30 लोग से इंटर ू लया और इस बारे म उनक त या जाननी चाही।
प रणाम–उनम से एक आदमी ने भी यह नह कहा क वचार म दम था, हालाँ क यह बात
तो तय थी क ऐसा होने पर उ ह कम क़ मत पर बेहतर ानीय सरकार मल जाती।
यह पारंप रक सोच का एक उदाहरण है। पारंप रक तरीके़ से सोचने वाले के
दमाग़ को लक़वा मार गया है। वह तक दे ता है, “ऐसा स दय से होता आ रहा है। इस लए
यह अ ा ही होगा और इसे ऐसे ही बने रहने दे ना चा हए। बदलने का जो खम य उठाया
जाए ?”
“औसत” लोग हमेशा ग त से चढ़ते ह। कई लोग ने तो मोटरगाड़ी का वरोध इस
आधार पर कया था क कृ त ने इंसान को पैदल चलने या घोड़े क सवारी करने के लए
बनाया था। कई लोग को हवाईजहाज़ का वचार इस लए पसंद नह आया था य क
इंसान को प य के लए "आर त” े म दख़ल दे ने का कोई “अ धकार” नह था।
ब त से “यथा तवाद ” ( status - quoers ) अब भी मानते ह क इंसान क जगह
अंत र म नह है।
एक चोट के मसाइल वशेष ने हाल ही म इस तरह क सोच का जवाब दया।
डॉ. वॉन ॉन का कहना है, “मनु य क जगह वह है, जहाँ मनु य जाना चाहता है।”
1900 के आस–पास एक से स ए ज़ी यू टव ने से स मैनेजमट का एक
“वै ा नक” स ांत खोजा। इसका काफ़ चार आ और इसे पा पु तक तक म

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शा मल कर लया गया। यह स ांत था - हर माल बेचने का एक सव े तरीक़ा होता है।

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सव े तरीक़ा खोज लो। और फर उससे इधर-उधर मत हलो।

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इस आदमी क कंपनी क क़ मत अ थी, जो सही व त पर नए मैनेजमट ने

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आकर डू बती ई कंपनी को द वा लया होने से बचा लया।

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इस अनुभव के वपरीत ॉफ़ोड एच. ीनवॉ ट क फलॉसफ दे ख। ीनवॉ ट एक

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ब त बड़ी कंपनी के े सडे ट ह। कोलं बया यू नव सट म अपने ले चर म उ ह ने कहा,

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“एक अ ा काम कई तरीक़ से कया जा सकता है - और जतने आदमी ह , उतने ही
तरीके़ हो सकते ह।”
सच तो यह है क कसी भी काम को करने का कोई एक ही सव े तरीक़ा नह
होता। घर सजाने का, लॉन को लड केप करने का, या माल बेचने का या ब े पालने का
या ट क पकाने का कोई एक सव े तरीक़ा नह होता। जतने रचना मक म त क ह गे,
उतने ही सव े तरीके़ हो सकते ह।
कोई भी चीज़ बफ़ म नह उगती। अगर हम अपने दमाग़ पर परंपरा क बफ़ जमने
द, तो नए वचार नह पनप सकते। इस योग को ज द ही कर। नीचे दए गए वचार
कसी को सुनाएँ और फर उसक त या दे ख।
1. डाकतार वभाग काफ़ समय से सरकारी एका धकार म है, य न इसे ाइवेट
कंप नय के हवाले कर दया जाए।
2. रा प त के चुनाव हर चार साल क जगह दो या छह साल म होने चा हए ।
3. रटे ल टोस के खुलने का समय सुबह 9 बजे से शाम साढ़े पाँच बजे के बजाय शाम
को 1 बजे से 8 बजे तक होना चा हए।
4. रटायरमट क उ बढ़ाकर 70 साल कर दे नी चा हए।
ये वचार दमदार ह या नह , ावहा रक ह या नह , यह बात मह वपूण नह है।
मह वपूण यह है क कोई इन पर या त या दे ता है। अगर वह इन वचार पर
हँसता है और उस पर ग़ौर ही नह करता (और शायद 95 तशत लोग इस पर हँसगे) तो
इस बात क संभावना है क वह परंपरा के लक़वे से त है। परंतु बीस म से एक
यह कहेगा, “यह एक दलच वचार है। मुझे इसके बारे म व तार से बताएँ।” और इस
म एक ऐसा दमाग़ होगा जो रचना मक तरीके़ से सोच सकता है।
रचना मक सोच क सबसे बड़ी मन है–पारंप रक सोच। जो भी रचना मक
तरीके़ से सफल होना सीखना चाहता है, उसे इस बारे म सावधान रहना चा हए। पारंप रक

n
सोच आपके दमाग़ पर बफ़ क तह जमा दे ती है, आपक ग त को रोक दे ती है, आपक

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रचना मक श को वक सत नह होने दे ती। पारंप रक सोच से जूझने के तीन तरीके़ ह:

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1. नए वचार का वागत कर। इन वचार-श ु को न कर यह काम नह

i n
करेगा,” “इसे कया ही नह जा सकता,” “यह बेकार है,” और “यह मूखतापूण है।”

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मेरा एक सफल दो त एक बीमा कंपनी म अ े पद पर है। उसने मुझसे कहा, “म

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इस बात का दावा नह करता क म इस बज़नेस म सबसे माट आदमी ँ। परंतु मुझे

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लगता है क म बीमा उ ोग म सबसे अ ा ंज ँ। म सारे अ े वचार को सोख लेता

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ँ।”
2. योगशील बन। बधे-बंधाए ट न को तोड़। नए रे तराँ म जाएँ, नई
पु तक पढ़े , नए थएटर म जाएँ, नए दो त बनाएँ, कसी दन अलग रा ते से काम पर जाएँ,
इस साल अलग ढँ ग से छु याँ मनाएँ, इस स ताह के अंत म कुछ नया और अलग कर।
अगर आप ड यूशन का काम करते ह, तो ॉड न, अकाउं टग, फ़ाइनै स और
बज़नेस के सरे पहलु को सीखने म च ल। इससे आपक सोच ापक होगी और
आप यादा ज़ मेदारी उठाने क़ा बल बन सकगे।
3. ग तशील बन, ग त वरोधी न बन। ऐसा न कह, “म जहाँ नौकरी करता था,
वहाँ यह काम इस तरीके़ से होता था, इस लए हम यहाँ भी इसे उसी तरीके़ से करना
चा हए” ब क यह कह, “जहाँ म नौकरी करता था, वहाँ पर यह काम इस तरीके़ से होता
था। इसे बेहतर तरीके़ से कस तरह कया जा सकता है ?” पीछे ले जाने वाली बात न
सोच, ग त का वरोध न कर। आगे ले जाने वाली बात सोच, ग तशील तरीके़ से सोच।
सफ़ इस लए क, बचपन म आप सुबह पेपर बाँटने या गाय का ध नकालने के लए
5:30 बजे उठ जाते थे, आप अपने ब से ऐसा करने क उ मीद नह रख सकते।
क पना क जए या होगा अगर फ़ोड मोटर कंपनी का मैनेजमट यह सोच ले, “इस साल
हमने ऑटोमोबाइल के इ तहास म सव , सव कृ , सव े कार बना ली है। इससे आगे
सुधार हो पाना संभव नह है। इस लए, सभी इंजी नय रग योग और डज़ाइ नग के योग
अब हमेशा के लए बंद कए जाते ह।” फ़ोड कॉरपोरेशन जैसी द गज कंपनी भी इस
तरीके़ का रवैया अपनाकर अपना बज़नेस चौपट कर लेगी।
सफल बज़नेस कंप नय क तरह ही सफल लोग भी ख़ुद से यह सवाल पूछते ह,
“म कस तरह अपने दशन क वा लट सुधार सकता ँ? म कस तरह इस काम को
बेहतर कर सकता ँ?”

in
मसाइल बनाने से लेकर ब े पालने तक के सभी मानवीय काम म पूणता संभव

i.
नह है। इसका मतलब यह है क हर काम म सुधार क गुंजाइश हमेशा रहती है। सफल

d
लोग इस बात को जानते ह और वे हमेशा बेहतर तरीके़ खोजते रहते ह। (नोट : सफल

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यह नह पूछता, “ या इसे बेहतर तरीके़ से कया जा सकता है ?” वह जानता है क

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यह संभव है। इस लए वह यह सवाल पूछता है, “इसे बेहतर तरीके़ से कैसे कया जा

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सकता है ?”)

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कुछ महीने पहले, मेरी एक भूतपूव छा ा ने बज़नेस म उतरने के चार साल के

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भीतर ही अपना चौथा हाडवेयर टोर खोल लया। यह ब त बड़ी बात थी। म जानता था
क उस म हला ने केवल 3,500 डॉलर क छोट सी पूँजी से बज़नेस शु कया था, उसे
सरे तयो गय क ज़बरद त तयो गता का सामना करना पड़ रहा था और उसे
बज़नेस म उतरे ए अभी यादा समय भी नह आ था।
टोर खुलने के कुछ समय बाद ही उसे बधाई दे ने के लए म उसके टोर म गया।
मने उससे बात -बात म पूछा क जब बाक़ के ापारी एक टोर तक ठ क से नह
चला पा रहे ह, तो वह कस तरह तीन टोस सफलतापूवक चला रही है और उसने चौथा
टोर भी शु कर दया है।
“ वाभा वक है,” उसने जवाब दया, “म इसके लए मेहनत करती ँ परंतु ज द
उठने और दे र तक मेहनत करने के कारण ही म चार टोस खोलने म सफल नह ई ँ।
मेरे बज़नेस म यादातर लोग कड़ी मेहनत करते ह। म अपनी सफलता के लए जस बात
को इसका सबसे यादा ेय दे ना चा ँगी वह है मेरा बनाया आ ‘सा ता हक सुधार
काय म । ’ ”
“सा ता हक सुधार काय म ? यह वा य सुनने म अ ा लगता है। परंतु यह
सा ता हक सुधार काय म या है ?” मने पूछा।
“इसम कोई बड़ी बात नह है,” उसने कहा, "यह सफ़ एक योजना है जसम हर
ह ते अपने दशन को सुधारने के तरीक़ पर म वचार करती ँ।
“भ व य म यादा सफल होने के लए मने अपने काम को चार भाग म बाँट लया
है। ाहक, कमचारी, माल और मोशन। पूरे स ताह म नोट् स बनाती ँ और अपने दमाग़
म आने वाले हर उस वचार को लख लेती ँ क म कस तरह अपने बज़नेस को सुधार
सकती ँ।
“ फर हर सोमवार को म सुबह चार घंटे अपने लखे वचार को पढ़ती ँ और यह
तय करती ँ क कन वचार का योग म अपने बज़नेस म कर सकती ँ।

. in
“इस चार घंटे के समय म म अपने काम का कड़ा मू यांकन करती ँ। म सफ़

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इतना ही नह चाहती क मेरे टोर म यादा ाहक आएँ। इसके बजाय म ख़ुद से पूछती ँ,

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‘ यादा ाहक को आक षत करने के लए म और या कर सकती ँ ?‘ ‘म कस तरह

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नय मत, वफ़ादार ाहक को बढ़ा सकती ँ ?’”

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फर उसने मुझे उन छोटे -छोटे उपाय के बारे म बताया जनके कारण उसके तीन

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टोर सफल ए थे : माल जमाने का तरीक़ा, सुझाव दे कर सामान बेचने क कला, जसम

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वह अपने ाहक को दो या तीन ऐसे सामान भी ख़रीदवा दे ती थी ज ह ख़रीदने के इरादे से
वे उसके टोर म नह घुसे थे, हड़ताल के समय अपने बेकाम ाहक के लए उधार दे ने क
क म, तयो गताएँ और ईनाम जो उसने मंद के दौर म ब बढ़ाने के लए शु कए
थे।
“म ख़ुद से पूछती ँ, ‘म अपने बज़नेस को सुधारने के लए या कर सकती ँ ?’
और इसके जवाब म मेरे दमाग़ म ब त से वचार आते ह। म आपको सफ़ एक उदाहरण
बताना चाहती ँ। चार ह ते पहले मने सोचा क म अपने टोर म छोटे ब को आक षत
करने के लए कुछ क ँ । मने सोचा क अगर छोटे ब े टोर म आना चाहगे, तो उनके माँ-
बाप अपने आप मेरे टोर से सामान ख़रीदने लगगे। म इस बारे म सोचती रही और एक
योजना बनाई : मने चार से आठ साल क उ के ब के लए छोटे -छोटे खलौने लाइन
से रखवा दए। खलौन को रखने म यादा जगह नह लगी थी और ब े इ ह धड़ाधड़
ख़रीद रहे थे, जससे मुझे ब त फ़ायदा आ। परंतु इससे भी बड़ा फ़ायदा यह आ क इन
खलौन के कारण मेरे टोर म यादा ाहक आने लगे ह।
“यक़ न क जए,” उसने आगे कहा, “मेरा सा ता हक सुधार काय म सचमुच काम
करता है। म सफ़ अपने आपसे यह सवाल पूछती ँ, ‘म कस तरह अपने काम को सुधार
सकती ँ ?‘ और मुझे जवाब अपने आप मल जाते ह। ऐसा दन शायद ही कोई होता हो
जब मेरे दमाग़ म यादा मुनाफ़ा कमाने क कोई योजना न आती हो।
“और मने सफल बज़नेस के बारे म एक और मह वपूण बात सीखी है, जो हर
बज़नेसमैन को सीखनी चा हए।”
“वह या ?” मने पूछा।
“ सफ़ यह। आप बज़नेस शु करते समय कतना जानते ह, यह मह वपूण नह
होता। परंतु आप बज़नेस शु करने के बाद कतना सीखते ह और अपने आपको कतना
सुधारते ह, यह बेहद मह वपूण होता है।”

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बड़ी सफलता उ ह लोग का दरवाज़ा खटखटाती है जो लगातार ख़ुद के सामने

d
और सर के सामने ऊँचे ल य रखते ह, जो अपनी काय मता सुधारना चाहते ह, जो कम

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लागत पर बेहतर माल दे ना चाहते ह, जो कम यास म यादा काम करना चाहते ह। ऊँची

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सफलता उसी को मलती है जसका रवैया होता है म - इसे - बेहतर - तरीके़ - से -

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कर - सकता - ँ ।

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जनरल इले क का लोगन है : ग त हमारा सबसे मह वपूण ॉड ट है।

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य न आप भी ग त को अपना सबसे मह वपूण ॉड ट बनाएँ।
म - इसे - बेहतर - तरीके़ - से - कर - सकता - ँ वाली फलॉसफ जा क तरह
काम करती है। जब आप ख़ुद से पूछते ह, “म इसे कस तरह सुधार सकता ँ ?” तो
आपका रचना मक ब ब जल उठता है और आपके दमाग़ म काम करने के बेहतर तरीके़
अपने आप आने लगते ह।
यहाँ एक दै नक अ यास दया जा रहा है जसक मदद से आप म - इसे - बेहतर -
तरीके़ - से - कर - सकता - ँ रवैए क श को पहचान सकते ह और वक सत कर
सकते ह।
हर दन काम शु करने से पहले 10 मनट यह सोच, “आज म अपने काम को
कस तरह सुधार सकता ँ, पहले से बेहतर कर सकता ँ?” पूछे, “आज म अपने
कमचा रय का उ साह कस तरह बढ़ा सकता ँ?” “आज म अपने ाहक के लए या
ख़ास काम कर सकता ँ ?” “म अपनी गत काय मता कस तरह बढ़ा सकता ँ?”
यह अ यास आसान भी है और बड़े काम का भी। इसे आज़माकर दे ख और आप
पाएँगे क इसके रचना मक तरीक़ का उपयोग करने पर आप बड़ी सफलता हा सल कर
सकते ह।
जब भी म और मेरी प नी एक दं प त से मलने जाया करते थे, हमारी चाँ “कामकाजी
म हला ” के बारे म होने लगती थी। शाद से पहले ीमती एस. नौकरी करती थ और
उ ह नौकरी करना अ ा लगता था।
“परंतु अब,” वे कहा करती थ , “अब मेरे दो ब े कूल म पढ़ रहे ह, मुझे घर
सँभालना पड़ता है और खाना बनाना पड़ता है। अब मेरे पास नौकरी करने का समय ही

n
नह है।”

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फर एक र ववार क शाम को म टर और मसेज़ एस. अपने ब के साथ कह से

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आ रहे थे। उनक कार का ए सीडट हो गया। कसी और को तो कोई ख़ास चोट नह आई,

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ले कन म टर एस. क रीढ़ क ह ी म गंभीर चोट आई और वे हमेशा के लए अपंग हो

n
गए। अब मसेज़ एस. के पास नौकरी करने के अलावा कोई वक प नह बचा था।

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जब हमने उस घटना के कुछ महीन बाद मसेज़ एस. को दे खा, तो हम यह

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दे खकर दं ग रह गए क उ ह ने अपनी नई ज़ मेदा रय को बखू़बी संभाल लया था।

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“आप जानते ह,” उ ह ने कहा, “छह महीने पहले म क पना भी नह कर सकती
थी क म घर सँभालने के साथ-साथ फुल टाइम नौकरी भी कर पाऊँगी। परंतु ए सीडट के
बाद मने यह फ़ैसला कया क मुझे समय नकालना ही पड़े गा। यक न मा नए, मेरी
काय मता पहले से 100 तशत यादा बढ़ चुक है। म ऐसे ब त से काम कया करती
थी, जो मह वपूण नह थे और ज ह करने क कोई ज़ रत नह थी। फर मने यह भी
जाना क मेरे ब े मेरी मदद कर सकते थे और वे मेरी मदद करना चाहते थे। मने समय
बचाने के दजन तरीके़ ढू ँ ढ़ लए- टोर के कम च कर लगाना, कम ट वी दे खना, टे लीफ़ोन
पर कम बात करना समय को कम बबाद करना।”
इस अनुभव से हम एक सीख मलती है : काम करने क मता एक मान सक
त है। हम कतना यादा काम कर सकते ह, यह इस बात पर नभर करता है क हम
अपनी मता के बारे म या सोचते ह। जब आपको सचमुच व ास होता है क आप
यादा काम कर सकते ह, तो आपका दमाग़ रचना मक तरीके़ से सोचता है और आपको
रा ता दखा दे ता है।
एक युवा बक एकज़ी यू टव ने “काम करने क मता” के बारे म अपना अनुभव
मुझे सुनाया।
“हमारी बक का एक ए ज़ी यू टव अचानक नौकरी छोड़कर चला गया। इससे
हमारे डपाटमट म सम या पैदा हो गई। जो आदमी गया था, उसका काम मह वपूण था
और उसके काम को कए बना बक का काम नह चल सकता था। यह काम इतना अज ट
था क इसे टाला भी नह जा सकता था।
“उसके जाने के एक दन बाद, बक के वाइस े सडट यानी क मेरे वभाग के
इ चाज ने मुझे बुलाया। उ ह ने बताया क उ ह ने मेरे वभाग के बाक़ दो लोग से पूछा था
क जब तक क कोई सरा आदमी काम पर न रखा जाए, तब तक या वे उस आदमी के
काम को सँभाल सकते ह। ‘दोन ने ही सीधे तो मना नह कया, परंतु दोन का ही कहना

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था क उनके पास काम का पहले से ही ब त बोझ है। इतना काम है क उ ह सर उठाने

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तक क फुरसत नह मलती। म सोच रहा था क या आप कुछ समय के लए यह

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अ त र काम कर लगे ?‘

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“मेरी पूरी नौकरी म मने यह सीखा है क जो भी चीज़ अवसर क तरह दखे, उसे

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ठु कराना नह चा हए। इस लए म त काल राज़ी हो गया और मने वादा कया क म अपना

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काम तो क ँ गा ही, सरे आदमी का काम भी सँभाल लूँगा। वाइस- े सडे ट यह सुनकर

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ख़ुश हो गया।

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म उसके ऑ फ़स से बाहर नकलते समय सोच रहा था क मने अपने ऊपर कतनी
बड़ी ज़ मेदारी ले ली है। म भी अपने वभाग के बाक़ दो लोग क तरह ब त त था,
परंतु मने उनक तरह अ त र काम से जी नह चुराया था। मेरा ढ़ न य था क म दोन
काम एक साथ करने का कोई न कोई रा ता ढू ँ ढ़ ही नकालूँगा । मने उस दोपहर अपना
काम ख़ म कया और जब ऑ फ़स बंद हो गया तो मने बैठकर वचार कया क कस तरह
म अपनी काय मता बढ़ा सकता ँ। मने एक प सल ली और अपने हर वचार को लखना
शु कर दया।
“और आप जानते ह, मेरे दमाग म ब त से अ े वचार आने लगे। जैसे, अपनी
से े टरी से यह कहना क वह मेरे लए आने वाले सामा य टे लीफ़ोन कॉल हर दन एक
न त समय ही मुझे ांसफ़र कया करे। वह कसी न त समय ही बाहर जाने वाले
टे लीफ़ोन कॉल लगाया करे। मने अपनी चचा क अव ध को भी 15 मनट से घटाकर 10
मनट कर लया। म अपने सभी ड टे शन हर दन एक ही वार म दे ने लगा। मने यह भी
पाया क मेरी से े टरी मेरी मदद कर सकती थी और मेरे बदले म कई काम सँभाल सकती
थी।
“म यह काम पछले दो साल से कर रहा था और सच क ँ, तो मुझे यह जानकर
इतनी हैरत ई क म अब तक कतनी कम मता से काम कर रहा था।
“एक ह ते के समय म ही म पहले से गुने प ड टे ट करने लगा, पहले से 50
तशत यादा फ़ोन कॉल करने और सुनने लगा, पहले से 50 तशत यादा मी टग म
भाग लेने लगा- और यह सब बना तनाव के करने लगा।
“इसी तरह दो स ताह और गुज़र गए। वाइस- े सडे ट ने मुझे बुलवाया। उ ह ने मेरी
तारीफ़ क क मने इस अ त र ज़ मेदारी को इतनी अ तरह सँभाला है। उ ह ने आगे
कहा क वे एक आदमी क तलाश कर रहे थे और इसके लए वे बक के अंदर और बाहर
कई लोग को परख चुके थे। परंतु उ ह अब तक सही आदमी नह मला था। फर उ ह ने
वीकार कया क उ ह ने बक क ए ज़ी यू टव कमेट के सामने यह ताव रखा है क

n
इन दो काम को मलाकर एक ही आदमी को स प दया जाए, उ ह ने इस काम के लए

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मुझे चुना है और उ ह ने यह ताव भी रखा क मेरी तन वाह काफ़ बढ़ा द जाए। कमेट

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ने उनक बात मान ली और मुझे हर तरह से फ़ायदा आ।

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“मने यह सा बत कर दया क मेरी मता उतनी ही होती है, जतनी मता का

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व ास मेरे मन म होता है। म उतना ही काम कर सकता ँ, जतना काम करने क म ठान

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लेता ँ।”

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काम करने क मता एक मान सक त है।

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हर दन तेज़ी से आगे बढ़ती बज़नेस क नया म यही होता है। बॉस कसी
कमचारी को बुलाता है और बताता है क कोई वशेष काम करना है। फर वह कहता है,
"म जानता ँ क तु हारे पास पहले से ही ब त काम है, परंतु या तुम उसके साथ यह
काम भी कर पाओगे ?” अ सर कमचारी जवाब दे ता है, “मुझे अफ़सोस है, परंतु मुझ पर
पहले से ही काम का ब त यादा बोझ है। काश म इस काम को कर सकता, परंतु मेरे पास
इस काम को करने के लए समय ही नह है।”
इन प र तय म बॉस को कमचारी क बात का बुरा तो नह लगता, य क यह
“अ त र काम” है। परंतु बॉस महसूस करता है। क इस काम को करना तो है ही,
इस लए वह ऐसे कमचारी क तलाश करता है जस पर बाक़ लोग जतना ही काम का
बोझ है, परंतु जो यह समझता है क वह यह अ त र ज़ मेदारी नभा सकता है। और
यही कमचारी सफलता म बाक़ सबसे आगे नकल जाता है।
बज़नेस म, घर म, समाज म, सफल तालमेल होता है। - अपने काम को लगातार
बेहतर तरीके़ से करते रह (अपने काम क वा लट सुधार) और आप जतना पहले करते
थे, उससे यादा कर (अपने काम क वां टट बढ़ाएँ)।
या आपको नह लगता क ऐसा करने से आपको फ़ायदा होगा ? दो क़दम क इस
तकनीक को दे ख :
1. यादा काम करने के अवसर को उ साहपूवक वीकार कर। नई ज़ मेदारी के लए
आपसे पूछा जा रहा है, इससे यह सा बत होता है क आपके बॉस को आपक मता
पर भरोसा है। अपनी नौकरी म यादा ज़ मेदारी लेने से आप बाक़ लोग से अलग
दखते ह और इससे पता चलता है क आप उनसे यादा मह वपूण ह। जब आपके
पड़ोसी आपसे कसी मामले म पहल करने को कह, तो उनक बात मान ल। इससे
आपको समाज म लीडर बनने म मदद मलती है।
2. इसके बाद, इस बात पर यान क त कर, “म इस काम को कस तरह और यादा

. in
कर सकता ँ?” आपको इस सवाल के रचना मक जवाब मल जाएँगे। कुछ जवाब

i
इस तरह के ह गे क आप अपने वतमान काम को योजनाब तरीके़ से कर या अपनी

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रोज़मर क ग त व धय का शॉटकट ढू ँ ढ़ या मह वहीन काम को करना पूरी तरह छोड़

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द। परंतु, म इस बात को दोहराना चाहता ँ, यादा काम करने के रा ते आपको मल

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ही जाएँगे।

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मने अपने जीवन म इस अवधारणा को पूरी तरह वीकार कर लया है–अगर आप

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कोई काम करवाना चाहते ह, तो इसे कसी त आदमी को दे द। म मह वपूण काम ऐसे

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आद मय को नह दे ता जनके पास ब त सा ख़ाली समय है। मने :खद अनुभव से सीखा
है क वह आदमी जसके पास ब त फुरसत होती है, वह कभी अचछा काम नह कर
पाता।
म जतने भी सफल, यो य य को जानता ँ वे सभी बेहद त ह। जब म
उनके साथ कोई ोजे ट शु करता ँ, तो म जानता ँ क यह ोजे ट सफलतापूवक
पूरा हो जाएगा।
मने दजन उदाहरण दे खे ह क म कसी त आदमी से समय पर काम करवा
सकता ँ। परंतु जन लोग के पास ‘ नया भर का समय है‘ म उनसे समय पर काम नह
करवा पाया ँ। ऐसे लोग के साथ काम करने का मेरा अनुभव नराशाजनक ही रहा है।
ग तशील बज़नेस मैनेजमट लगातार पूछता है, “हम कस तरह अपने आउटपुट
को, अपने उ पादन को बढ़ा सकते ह ?” आप ख़ुद से य नह पूछते, “म कस तरह अपने
आउटपुट को, अपने उ पादन को बढ़ा सकता ँ ?” आपका दमाग़ अपने आप ऐसे
रचना मक उपाय बता दे गा क ऐसा कस तरह कया जा सकता है।
सभी तरह के सैकड़ लोग के इंटर ू लेने के बाद मने यह खोज क है जो आदमी जतना
बड़ा होता है, वह आपको बोलने का उतना ही यादा मौक़ा दे ता है; जो आदमी जतना
छोटा होता है, वह आपके सामने उतना ही यादा बोलता है।
बड़े लोग लगातार सुनते ह।
छोटे लोग लगातार बोलते ह।
यह भी नोट कर : हर े म चोट के लीडस सलाह सुनने म यादा समय लगाते ह,
सलाह दे ने म कम समय लगाते ह। जब कोई लीडर नणय लेता है तो वह पूछता है, “आप
इस बारे म या सोचते ह?” “आपका सुझाव या है ?” “आप इन प र तय म या

. in
करते ?” “आपको यह कैसा लगता है?”

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इसे इस तरीके़ से दे ख : लीडर नणय लेने वाली एक इंसानी मशीन है। कसी भी

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चीज़ के उ पादन के लए क े माल क ज़ रत होती है। रचना मक नणय के उ पादन के

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लए सर के वचार और सुझाव ही क ा माल होते ह। इस बात क उ मीद न कर क

i n
सरे लोग आपको रेडीमेड समाधान सुझा दगे। उनसे सलाह लेने का और उनके सुझाव

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सुनने का यह उ े य नह होता। सरे लोग के वचार सुनने से आपके दमाग़ म नए वचार

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आते ह जनसे सा बत होता है क आपका दमाग़ यादा रचना मक हो चुका है।
हाल ही म मने एक ए ज़ी यू टव मैनेजमट से मनार म एक टाफ़ इ टर के प
म भाग लया। से मनार बारह स का था। हर स म एक ए ज़ी यू टव आकर 15 मनट
का ले चर दे ता था, “मने अपनी ज़दगी क सबसे मह वपूण मैनेजमट सम या को कस
तरह सुलझाया ?”
नव स म एक ए ज़ी यू टव ऐसा आया, जो एक बड़ी म क- ोसे सग ककंपनी म
वाइस– े सडे ट था। इस ए ज़ी यू टव का ले चर ज़रा हटकर था। यह बताने के बजाय
क उसने अपनी सम या को कस तरह सुलझाया, उसने अपने ले चर का टॉ पक रखा
“ज़ रत है : मेरी सबसे बड़ी मैनेजमट सम या को सुलझाने के लए मदद क ।" उसने
अपनी सम या को बताया और फर हम लोग से इसे सुलझाने के संबंध म वचार माँगे।
उसे ब त सारे वचार दए गए और उसने उन सभी वचार को एक टे नो ाफ़र से लखवा
लया।
बाद म मने इस से चचा क और उसक अ त तकनीक पर उसे बधाई द ।
उसका कहना था, “इस समूह म ब त से बु मान लोग ह। मने यही सोचा क य न
उनक बु म ा का लाभ उठाया जाए। इस बात क काफ़ संभावना है क कसी ने उस
स के दौरान ऐसा कुछ कहा हो जससे मुझे सम या सुलझाने म मदद मले।”
यह यान रख : ए ज़ी यू टव ने सम या बताने के बाद लोग क बात सुन । इस
तरह उसे नणय पर प ँचने के लए क ा माल मल गया और उसे यह लाभ भी आ क
जनता को उसके ले चर म मज़ा आ गया य क इसम उ ह स य होने का, अपना
योगदान दे ने का मौक़ा मल गया।
सफल बज़नेस कंप नयाँ ाहक के सव ण म काफ़ रक़म ख़च करती ह। वे लोग
से कसी सामान के वाद, वा लट , आकार और सजावट के बारे म कई तरह के सवाल
पूछती ह। लोग क राय जानने से उ ह यह तय करने म मदद मलती है क इस सामान को
यादा बेचने यो य कस तरह बनाया जा सकता है। इससे नमाता यह भी जान जाता है

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क वह कस तरह के व ापन दे , ता क यादा से यादा लोग उसका सामान खरीद।

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सफल उ पाद को वक सत करने का तरीक़ा यह है क आप जतने वचार जान सक,

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जानने क को शश कर। सामान ख़रीदने वाले लोग क राय जान और फर उस सामान को

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बेचने का कोई ऐसा तरीक़ा खोज जससे वह सामान यादा से यादा लोग को भा जाए।

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एक ऑ फ़स म मने एक पो टर लगा दे खा जस पर लखा था, “जॉन ाउन को

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कोई सामान बेचने के लए आपको चीज़ को जॉन ाउन क नज़र से दे खना होगा।” और

l
जॉन ाउन क नज़र से चीज़ को दे खने के लए आपको जॉन ाउन क बात को सुनना

h e
होगा।
आपके कान आपके दमाग़ के वॉ व ह। वे आपके दमाग़ म क ा माल डालते ह
जसे आप रचना मक ऊजा म बदल सकते ह। हम बोलने से कुछ नया नह सीखते। परंतु
हम पूछने और सुनने से ब त कुछ सीख सकते ह।
पूछने और सुनने के मा यम से अपनी रचना मकता को बढ़ाने के लए इस तीन–
तरीय काय म को आज़माएँ:
1. सरे लोग को बोलने के लए ो सा हत कर। गत चचा म या समूह बैठक
म लोग से ऐसे आ ह कर, “मुझे अपना अनुभव बताएँ.” या “आपको या लगता है इस
बारे म या कया जाना चा हए . . . ? ” “आपको या लगता है सबसे मह वपूण बात या
है ?” सरे लोग को बोलने के लए ो सा हत कर और इससे आपको दो फ़ायदे ह गे ।
आपका दमाग़ उस क े माल को सोख लेगा जसे आप रचना मक वचार म बदल सकते
ह। इसके अलावा आपके ब त सारे दो त भी बन जाएँगे। अगर आप लोग को बोलने के
लए ो सा हत करते ह तो दो त बनाने का इससे ब ढ़या कोई सरा तरीक़ा हो ही नह
सकता।
2. अपने वचार को सर के सामने सवाल के प म रख। सरे लोग को मौक़ा
द क वे आपके वचार को बेहतर श ल द। आप - इस - बारे - म - या - सोचते - ह क
शैली म सुझाव द। हठधम न बन। कसी नए वचार को इस तरह तुत न कर जैसे यह
सीधा आसमान से आया हो। पहले थोड़ा-सा अनौपचा रक शोध कर ल। दे ख क इस
वचार के बारे म आपके सा थय क या त या है। अगर आप ऐसा करते ह, तो
यक़ नन आपका वचार पहले से बेहतर हो जाएगा।
3, सामने वाला जो कह रहा है, उसे यान से सुन। सुनने का मतलब यही नह होता
क आप अपना मुँह बंद रख। सुनने का मतलब है क जो कहा जा रहा है, आपका पूरा

n
यान उसी तरफ़ है। यादातर लोग सुनने के बजाय सुनने का नाटक करते ह। वे सामने

i. i
वाले क बात ख़ म होने का इंतज़ार करते ह, ता क वे अपनी बात कहना शु कर सक।

d
सामने वाले क बात पूरे यान से सुन। उसका मू यांकन कर। इसी तरह आप अपने दमाग़

i n
के लए क ा माल इक ा कर सकते ह।

n h
अ धकांश स व व ालय सी नयर बज़नेस ए ज़ी यू ट ज़ लए एडवां ड

pi
मैनेजमट े नग ो ा स आयो जत कर रहे ह। ायोजक के अनुसार इन काय म का

l
ल य इन ए ज़ी यू ट ज़ को रेडीमेड फ़ॉमूले दे ना नह , ब क नए वचार के आदान- दान

h e
का अवसर दे ना है। यहाँ ए ज़ी यू ट ज़ कॉलेज के हॉ टल म एक साथ रहते ह, जससे
उनम आपसी वचार- वमश यादा अ तरह होता है। सं ेप म, ए ज़ी यू ट ज़ को
इससे सबसे बड़ा फ़ायदा यह होता है क उ ह नए वचार करने क ेरणा मलती है।
एक साल पहले मने अटलांटा के से स मैनेजमट कूल म एक स ताह म दो स
आयो जत कए ज ह नेशनल से स ए ज़ी यू ट ज़ इ क ने ायो जत कया था। कुछ
स ताह बाद म एक से समैन म से मला जसके मैनेजर ने उस श ण स म भाग
लया था।
“ कूल म आपने हमारे से स मैनेजर को ब त सारी बात सखा द ह क कंपनी को
बेहतर तरीके़ से कैसे चलाया जा सकता है।” मेरे युवा म ने कहा। उ सुकतावश, मने
उससे पूछा क वह व तार से बताए क उसे अपने मैनेजर म या बदलाव दखे। मेरे म
ने कई बात गना द कंप सेशन लान म सुधार, महीने म एक बार क जगह दो बार से स
मी ट स, नए बज़नेस काड् स और टे शनरी, से स टे रटरी का पुनगठन और मज़े क बात
यह थी क श ण काय म म इनम से कसी का भी सीधे उ लेख नह कया गया था।
से स मैनेजर को ड बाबंद तकनीक नह द गई थ । इसके बजाय, उसने कुछ यादा
ब मू य सीखा, यह सीखा क सर के वचार से वह कस तरह अपने वचार उ े रत
कर सकता है ता क उसे और उसक कंपनी को फ़ायदा हो ।
पट नमाता के यहाँ काम करने वाले एक युवा अकाउं टट ने मुझे बताया क सर के
वचार को सुनने के कारण उसे एक बार ब त सफलता मली थी।
“मने रयल ए टे ट म कभी यादा च नह ली,” उसने मुझे बताया। “म कई साल
से ोफ़ेशनल अकाउं टट ँ और म अपने काम से काम रखता ँ। एक दन एक रए टर
म ने मुझे शहर के रयल ए टे ट समूह के साथ लंच के लए बुलाया।
“उस दन का व ा एक वृ आदमी था जसने शहर को बढ़ते ए दे खा था।
उसक चचा का वषय था, ‘अगले बीस साल ।‘ उसने यह भ व यवाणी क क कुछ ही
समय म शहर इतना फैल जाएगा क वह आस-पास क कृ ष भू म को भी अपने म समेट

in
लेगा। उसने यह भी भ व यवाणी क क 2 से 5 एकड़ के जे टलमैन-साइज़ के फ़ाम हाउस

i.
क रकॉडतोड़ माँग होने वाली है। ऐसे फ़ाम हाउस, जनम बज़नेसमैन या ोफे़शनल

d
व मग पूल बनवा सक, घोड़े रख सक, बगीचा लगा सक और सरी ऐसी ही

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शौ कया चीज बनवा सक।

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“इस आदमी क बात सुनकर मुझे ेरणा मली। उसने जस तरह के फाम हाउस

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का ज कया था, म भी उसी तरह का फाम हाउस तलाश रहा था। अगले कुछ दन तक

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मने अपने कई दो त से पूछा क कसी दन 5 एकड़ क ए टे ट के मा लक बनने के बारे म

h
उनका या वचार है। हर एक को यह वचार ब त पसंद आया।
“म इस बारे म लगातार सोचता रहा और ख़ुद से यह सवाल पूछता रहा क म इस
वचार को कस तरह फ़ायदे मंद बज़नेस म बदल सकता ँ। फर एक दन जब म नौकरी
पर जा रहा था, तो अचानक मेरे दमाग़ म जवाब क ध गया। य न एक फ़ाम ख़रीदा जाए
और इसे छोटे ए टे ट म बाँट दया जाए ? इस तरह मुझे ज़मीन स ते भाव म मल सकती
थी और म ए टे ट को महँगे दाम म बेच सकता था।
“शहर से बाईस मील र मुझे 50 एकड़ का फ़ाम 8,500 डॉलर म मल गया। मने
उसे ख़रीद लया और ख़रीदते समय केवल एक तहाई नक़द दया और बाक़ रक़म क
क़ त बाँध ल ।”
“ फर जहाँ पेड़ नह थे, वहाँ मने चीड़ के वृ रोप दए। मने ऐसा कया य क मुझे
कसी रयल ए टे ट बज़नेस के आदमी ने यह बताया था, ‘लोग आजकल पेड़ पसंद करते
ह, ब त सारे पेड़ ह तो और भी अ बात है!”
“म अपने संभा वत ाहक को यह दखाना चाहता था क आज से कुछ साल बाद
उनके ए टे ट म ढे र सारे चीड़ के सुंदर वृ लगे ह गे।
“ फर मने एक सवयर को बुलाकर उस 50 एकड़ के फ़ाम को 5 एकड़ के दस फ़ाम
हाउस म बाँट दया।
“अब म फ़ाम हाउस बेचने के लए तैयार था। मने शहर म कई युवा ए ज़ी यू ट ज़
के नाम-पते लए और छोटे पैमाने पर सबको सीधे च याँ लख । मने बताया क कस
तरह सफ़ 3,000 डॉलर म, जसम शहर म एक छोटा-सा लॉट ही मल पाएगा, वे शहर से
थोड़ी-सी र पर ए टे ट ख़रीद सकते ह। मने उ ह मनोरंजन और वा य द जीवन क
संभावना के बारे म भी बताया।
“छह ह त म ही, केवल शाम को और स ताहांत म काम करके, मने सभी 10 फ़ाम

in
हाउस बेच दए। कुल आमदनी ई 30,000 डॉलर। कुल ख़च, जसम ज़मीन, व ापन,

i.
सवइंग और क़ानूनी ख़च शा मल था- 10,400 डॉलर। और लाभ 19,600 डॉलर।

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“मुझे इतना फ़ायदा इस लए आ य क मने सरे समझदार लोग के वचार से

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लाभ उठाया। अगर म रयल ए टे ट के लोग के साथ लंच म नह जाता, य क वे मेरे

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वसाय से जुड़े लोग नह थे, तो मेरे दमाग़ म मुनाफ़ा कमाने क यह सफल योजना आ

l p
ही नह सकती थी।”

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मान सक उ ेरण हा सल करने के कई तरीके़ होते ह, परंतु यहाँ पर दो तरीके़ दए
जा रहे ह ज ह आप अपने जीवन म उतार सकते ह।
पहला तरीक़ा यह है क आप कम से कम एक ऐसे ोफ़ेशनल समूह से जुड़, जो
आपके वसाय से संबं धत हो। सफलता क चाह रखने वाले लोग के साथ मल - जुल,
उनके साथ वचार का आदान- दान कर। कतनी बार हम कसी को यह कहते सुनते ह,
“आज मी टग म मुझे यह ब ढ़या वचार मला,”या “कल क मी टग म मने यह सोचा . . .
” याद रख, वह दमाग़ जो केवल अपने ही बनाए ए भोजन पर ज़दा रहता है, ज द ही
कुपोषण का शकार हो जाता है, कमज़ोर हो जाता है और रचना मक, ग तशील वचार
को सोचने म असमथ हो जाता है। सर के वचार से े रत होना आपके म त क के लए
उ म आहार सा बत होता है।
सरी बात, अपने वसाय के बाहर के कम से कम कसी एक समूह से जुड़।
अपने वसाय के बाहर के लोग से मलने से आपक सोच ापक होती है और आप बड़ी
त वीर दे ख पाते ह। आप यह जानकर हैरान ह गे क आपके वसाय के बाहर के लोग से
नय मत प से मलने से आपक नौकरी पर भी सकारा मक असर होता है।
वचार आपक सोच के फल ह। परंतु उनका दोहन करना पड़ता है और तभी उनका
मू य होता है।
हर साल बलूत का पेड़ इतने फल गराता है क अगर सभी बीज उग जाएँ तो एक
अ ा-ख़ासा जंगल तैयार हो जाए। परंतु इन बीज म से शायद एक या दो बीज ही उग
पाते ह। यादातर बीज गलह रयाँ खा जाती ह और पेड़ के नीचे क ज़मीन इतनी स त
होती है क बचे ए बीज उस पर उग ही नह पाते।
ऐसा ही वचार के साथ होता है। केवल कुछ ही वचार के फल मल पाते ह।
वचार ब त ज द न होने वाले बीज ह। अगर हम रखवाली न कर, तो गलह रयाँ
(नकारा मक प से सोचने वाले लोग) हमारे यादातर वचार को न कर दगी। वचार
जब पैदा होते ह, तभी से उनक ख़ास दे खभाल करनी होती है। और तब तक करनी होती है

n
जब तक क वे बड़े न हो जाए और उनम फल न लगने लग। अपने वचार के दोहन के

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लए और उ ह वक सत करने के लए इन तीन तरीक का योग कर :

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1. वचार को बच नकलने का मौक़ा न द। उ ह लख ल। हर दन आपके दमाग़ म ब त

i n
से अ े वचार आते ह, परंतु वे ज द ही मर जाते ह य क आपने उ ह काग़ज़ पर नह

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लखा है और आप कुछ समय बाद उ ह भूल जाते ह। नए वचार क पहरेदारी के लए

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याददा त एक कमज़ोर चौक दार है। अपने पास नोटबुक या डायरी रख। जब भी आपके

l
दमाग़ म कोई अ ा वचार आए, उसे लख ल। या ा करने का शौक न मेरा एक दो त

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अपने साथ एक डायरी रखता है जस पर वह अपने वचार त काल लख लेता है।
रचना मक म त क वाले मनु य जानते ह क अ ा वचार कभी भी, कह भी आ सकता
है। वचार को नकल भागने का मौक़ा न द; अ यथा आप अपने वचार के फल न कर
लगे। उ ह बाँधकर रख।
2. इसके बाद, अपने वचार का अवलोकन कर। इन वचार को एक फ़ाइल म
लगा ल। यह फ़ाइल बड़ी हो सकती है या फर छोट फ़ाइल से भी काम चल सकता है।
परंतु फ़ाइल ज़ र बनाएँ और इसके बाद आप अपने वचार का नय मत प से व ेषण
कर। जब आप इन वचार का अवलोकन करगे तो आपको कुछ वचार बेकार या
मह वहीन लगगे। उ ह बाहर नकाल द। परंतु जब तक आपको कोई वचार दमदार लगता
है, उसे अंदर ही रहने द।
3. अपने वचार को वक सत कर। इसे फलने–फूलने द। इसके बारे म सोचते रह।
इस वचार को इससे संब वचार के साथ बाँध द। अपने वचार से संबं धत साम ी पढ़ते
रह। सभी पहलु क जाँच कर ल। फर जब समय आए, तो काम म जुट जाएँ और
अपनी नौकरी, अपने भ व य को सुधारने के लए इसका उपयोग कर।
जब कसी आ कटे ट के मन म नई इमारत का वचार आता है, तो वह एक शु आती ाइंग
बनाता है। जब एड् वटाइ ज़ग के कसी रचना मक के दमाग़ म नए ट वी व ापन
का वचार आता है तो वह इसे टोरीबोड फ़ॉम म लख लेता है और ऐसी ॉइंग बना लेता है
जनसे यह पता चलता है क पूरा होने के बाद यह वचार कस तरह दखेगा। वचार वाले
लेखक पहला ा ट तैयार करते ह।
नोट : अपने वचार को काग़ज़ पर आकार द। यह दो कारण से ज़ री है। जब
वचार न त आकार ले लेता है, तो आप इसका पूरी तरह अ ययन कर सकते ह, इसक
क मयाँ दे ख सकते ह, इसे बेहतर बनाने के लए यास कर सकते ह। इसके अलावा,

n
वचार कसी और को “बेचे” जाने होते ह – ाहक, कमचा रय , बॉस, दो त , साथी लब

i. i
के सद य , नवेशक इ या द को। कोई न कोई तो होना चा हए जो आपका वचार ख़रीदे ,

d
अ यथा आपके वचार का कोई मू य नह है।

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एक बार दो जीवन बीमा से समैन मुझसे मले। दोन ही मेरा बीमा करना चाहते थे।

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दोन दोन ने ने ही मुझसे वादा कया क वे नई बीमा पॉ लसी के साथ मेरे पास आएँगे,

pi
जसम कुछ बदलाव कए गए थे। पहला से समैन आया और उसने मुझे मुँहज़बानी

l
योजना बता द । जो म चाहता था, उसने मुझे श द के मा यम से समझा दया। परंतु म

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उसक बात पूरी तरह से समझ नह पाया। उसने टै स, ऑ श स, सोशल स यु रट और
बीमा योजना के सारे तकनीक पहलु पर व तार से रोशनी डाली, परंतु मेरे प ले कुछ
नह पड़ा और अंततः मुझे उसे मना करना पड़ा।
सरे से समैन ने एक अलग शैली का इ तेमाल कया। उसने अपनी अनुशंसा
को चाट के मा यम से लखकर तुत कया। सारे डीटे स डाय ाम म दए गए थे। मुझे
उसका ताव आसानी से समझ म आ गया य क म उसे साफ़ दे ख सकता था। मने
उससे बीमा करवा लया।
अपने वचार को बेचे जाने वाले प म तैयार कर। मौ खक वचार के बजाय
ल खत वचार या डाय ाम के प म तुत वचार को बेचना कई गुना यादा आसान
होता है।

सं ेप म, इन उपाय का योग कर और रचना मक तरीक़े से


सोच
1. व ास कर क काम कया जा सकता है। जब आप यह व ास करते ह क आप कोई
काम कर सकते ह, तो आपका दमाग़ उसे करने के तरीक़े ढू ँ ढ़ ही लेगा। इसका कोई रा ता
है, यह सोचने भर से रा ता नकालना आसान हो जाता है।
अपनी सोचने और बोलने क श दाव लय से “असंभव”, “यह काम नह करेगा,”
“म यह नह कर सकता,” “को शश करने से कोई फ़ायदा नह ” जैसे वा य नकाल द।
2. परंपरा को अपने दमाग़ को कमज़ोर न बनाने द। नए वचार को वीकार कर।
योगशील योगशील बन। नई शै लय को आज़माएँ। अपने हर काम म ग तशील रह। ।
3. अपने आपसे हर रोज़ पूछ, “म इसे कस तरह बेहतर तरीक़े से कर सकता ँ ?”

. in
आ म-सुधार क कोई सीमा नह है। जब आप ख़ुद से पूछते ह, “म कस तरह बेहतर कर

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सकता ँ” तो अ े जवाब अपने आप उभरकर सामने आएँगे। को शश कर और दे ख।

i n
4. ख़ुद से पूछ, “म यह काम और यादा कस तरह कर सकता ँ ?” काम करने

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क मता एक मान सक अव ा है। जब आप ख़ुद से यह सवाल पूछगे तो आपके दमाग़

i n
म अ े शॉटकट अपने आप आ जाएँगे। बज़नेस म सफलता का संयोग है : अपने काम

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को लगातार बेहतर तरीक़े से करते रह (अपने काम क वा लट सुधार) और आप जतना

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पहले करते थे, उससे यादा कर (अपने काम क वां टट बढ़ाएँ)।
5. पूछने और सुनने क आदत डाल। पूछ और सुन और आपको सही नणय पर
प ँचने के लए क ा माल मल जाएगा। याद रख : बड़े लोग लगातार सुनते ह; छोटे लोग
लगातार बोलते ह।
6. अपने म त क को ापक बनाएँ। सर के वचार से ेरणा ल। ऐसे लोग के
साथ उठ–बैठ जनसे आपको नए वचार, काम करने के नए तरीक़े सीखने को मल सकते
ह । अलग–अलग वसाय और सामा जक चय वाले लोग से मल।
जैसा सोचगे, वैसा बनगे
दातर लोग का वहार उलझन भरा होता है। या आपने कभी सोचा क कोई

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या

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से समैन एक ाहक को इ ज़त य दे ता है जब क वह सरे ाहक को

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नज़रअंदाज़ कर दे ता है? कोई आदमी एक म हला के लए दरवाज़ा य खोल दे ता है,

i n
जब क सरी म हला के लए नह खोलता ? कोई कमचारी एक सुपी रयर के आदे श का

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फटाफट पालन य करता है, जब क सरे सुपी रयर के आदे श का पालन म मारकर

i n
करता है? या हम कसी आदमी क बात यान से य सुनते ह, जब क सरे आदमी क

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बात अनसुनी कर दे ते ह ?

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अपने चार तरफ़ दे ख। आप दे खगे क कई लोग को “हे, मैक" या “और, यार"
कहकर बुलाया जाता है, जब क कई लोग से मह वपूण “यस, सर" कहा जाता है। दे खए।
आप पाएँगे क कुछ लोग को एह मयत, वफ़ादारी और तारीफ़ मलती है जब क बाक़
लोग को ये सब चीजे़ं नह मलत ।
और क़रीब से दे खने पर आप पाएँगे क जन लोग को सबसे यादा स मान मलता
है वे सबसे यादा सफल भी होते ह।
इसका कारण या है? एक श द म इसका जवाब दया जाए तो इसका कारण है :
सोच। सोच के कारण ही ऐसा होता है। सरे लोग हमम वही दे खते ह, जो हम अपने
आपम दे खते ह। हम उसी तरह का वहार मलता है जसके क़ा बल हम ख़ुद को समझते
ह।
सोच के कारण ही सारा फ़क़ पड़ता है। वह आदमी जो ख़ुद को हीन समझता है,
चाहे उसक यो यताएँ कतनी ही य न ह , वह हीन ही बना रहेगा। आप जैसा सोचते ह,
वैसा ही काम करते ह। अगर कोई अपने आपको हीन समझता है, तो वह उसी तरीक़े
से काम करेगा। चाहे वह अपनी हीनता छु पाने का कतना भी यास करे, यह मूलभूत
भावना लंबे समय तक छु पी नह रह सकती। जो यह महसूस करता है क वह
मह वपूण नह है, वह सचमुच मह चपूण नह होता।
सरी तरफ़, जो यह समझता है क वह कोई काम कर सकता है, वह
सचमुच उस काम को कर लेगा।
मह वपूण बनने के लए यह सोचना ज़ री है क हम मह वपूण ह। सचमुच ऐसा
सोच। तभी सरे लोग भी हमारे बारे म ऐसा सोचगे। यहाँ पर म एक बार फर तक दे ना
चाहता ँ :
आप या सोचते ह, इससे तय होता है क आप कैसा काम
करते ह।

n
आप या करते ह इससे तय होता है :

i. i
सरे आपके साथ कैसा वहार करते ह।

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सफलता के आपके गत काय म के सरे क तरह ही स मान पाना मूलभूत

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प से ब त आसान है। सरे लोग का स मान पाने के लए आपको सबसे पहले तो यह

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सोचना होगा क आप उस स मान के क़ा बल ह। और आप अपने आपको जतने स मान

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के क़ा बल समझगे, सरे लोग आपको उतना ही स मान दगे। इस स ांत को आज़माकर

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दे ख ल। या आपके दल म कसी ग़रीब और असफल आदमी के लए स मान होता है?

h
बलकुल नह । य ? य क वह ग़रीब और असफल आदमी खुद का स मान नह करता।
वह आ म–स मान के अभाव म अपनी ज़दगी बबाद कर रहा है।
आ म–स मान हमारे हर काम म साफ़ दख जाता है। इस लए हम इस तरफ़ यान
दे ना होगा क हम कस तरह अपना आ म–स मान बढ़ा सकते ह और सर से स मान
हा सल कर सकते ह।
मह वपूण दख– इससे ख़ुद को मह वपूण समझने म मदद मलती है। नयम : याद
रख क आपका व बोलता है। आप कैसे दखते ह, इससे आपक छ व बनती है।
सु न त कर ल क आपके बाहरी व से आपके बारे म सकारा मक छ व ही बने। घर
से चलते समय सु न त कर ल क आप वैसे ही दख रहे ह जैसे आप दखना चाहते ह।
एक ब त ही ब ढ़या व ापन छपा था, “सही कपड़े पहन। इसके बना काम नह
चलेगा!” यह व ापन अमे रकन इं ट ूट ऑफ़ मे स एंड बॉयज़ वेअर ने ायो जत कया
था। इस व ापन को हर ऑ फ़स, रे ट म, बेड म, और कूल म म लगाकर रखना
चा हए। एक और व ापन म एक पु लस वाला बोलता है :
आप कसी ब े के हावभाव से समझ लेते ह क यह ब ा बदमाश है।
यह ठ क नह है, परंतु ऐसा ही होता है – लोग कसी ब े को उसके
कपड़ से पहचानते ह। और एक बार आप कसी ब े के बारे म राय
बना लेते ह, तो फर उस राय को बदलना, उस ब े के त अपने रवैए
को बदलना ब त मु कल होता है। अपने ब े को दे ख। उसे उसके
ट चर क नज़र से दे ख, आपके पड़ोसी क नज़र से दे ख। उसका जो
लया है, वह जो कपड़े पहनता है, या उससे उसक ग़लत छ व बन
रही है ? या आपको यह प का व ास है क वह सही दखता है, सही
कपड़े पहनता है और हर जगह सही वहार करता है?
यह व ापन ब के बारे म था। परंतु इसे वय क पर भी लागू कया जा सकता

n
है। आप श द म थोड़ा सा हेर–फेर कर ल और पड़ो सय क जगह सहयोगी कर ल, ट चर

i. i
क जगह सुपी रयर कर ल और उसे क जगह अपने आपको कर ल। अब यह वा य इस

d
तरह का हो गया : अपने आपको अपने सुपी रयर क नज़र से दे ख, अपने सहयो गय क

i n
नज़र से दे ख।

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साफ़–सुथरा दखने म ब त कम ख़च होता है। इस लोगन को श दशः ल। इससे

pi
यह सीख ल : सही कपड़े पहन, इससे हमेशा फ़ायदा होता है। याद रख – मह वपूण दख

l
य क इससे मह वपूण सोचने म मदद मलती है।

h e
कपड़ का इ तेमाल आ म व ास बढ़ाने के साधन के प म कर। हमारे मनो व ान
के ोफ़ेसर परी ा के एक दन पहले हम सलाह दया करते थे, “इस मह चपूण परी ा के
लए अ े कपड़े पहनना। नई टाई पहनकर आना। अपने सूट को अ े से ेस कर लेना।
अपने जूते चमका लेना। अ े दखना य क तु ह परी ा म अ ा दशन करना है।”
ोफेसर का मनो व ान बलकुल सही था। इस बारे म कोई ग़लतफ़हमी न पाल।
आपके बाहरी प–रंग या लए से आपके मान सक लए पर ब त भाव पड़ता है।
आप बाहर से कैसे दखते ह, यह इस बात को भा वत करता है क आप कस तरह
सोचते ह या आप अंदर से कैसा महसूस करते ह।
सभी ब े "हेट टे ज” से गुज़रते ह। इसका मतलब है क वे जस पा का अ भनय
करना चाहते ह, वे उसका हैट पहनकर उसक नक़ल करते ह। मुझे अपने पु डे वी के साथ
ई हैट क एक घटना हमेशा याद रहेगी। एक दन वह अड़ गया क उसे लोन रजर ही
बनना है। परंतु उसके पास लोन रजर का हैट नह था।
मने उसे समझाने क ब त को शश क क वह सरा हैट पहनकर लोन रजर बन
जाए। परंतु उसने आप क , “पर, डै ड, म बना लोन रजर हैट पहने लोन रजर क तरह
नह सोच पाऊँगा।”
मने आ खरकार हार मान ली और उसे उसका मनचाहा हैट ख़रीदकर दे दया। और
हैट पहनने के बाद वह सचमुच लोन रजर बन गया ।
म इस घटना को अ सर याद कर लेता ँ य क इससे पता चलता है क हमारे
बाहरी व का हमारी सोच पर या भाव होता है। जसने भी सेना म नौकरी क है,
वह जानता है क जब कोई आदमी सपाही क यू नफ़ॉम म होता है, तभी वह सपाही क
तरह महसूस कर पाता है, तभी वह सपाही क तरह सोच पाता है। जब कोई म हला पाट
क े स पहन लेती है, तभी वह पाट म जाने क इ ु क होती है।
इसी तरह से, अगर कोई ए ज़ी यू टव वाले कपड़े पहन ले, तो वह ए ज़ी यू टव

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क तरह दखने लगता है, उसक तरह सोचने लगता है। एक से समैन ने मुझे यह बात इस

i.
तरह समझाई, “म तब तक समृ अनुभव नह कर सकता – और मुझे यह अनुभव करना

d
ही होता है य क इसके बना म बड़ी सेल नह कर सकता – जब तक क मुझे यह

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व ास न हो क म उस तरह का दखता ँ।”

i n h
आपक वेशभूषा आपसे कुछ कहती है, परंतु यह सर से भी कुछ कहती है। इसी

l p
के आधार पर तय होता है क सरे लोग आपके बारे म या सोचते ह। स ांत म यह

e
सुनना अ ा लगता है क लोग को आदमी क बु दे खनी चा हए, कपड़े नह । परंतु

h
इससे धोखा न खाएँ। लोग आपके बाहरी व के हसाब से आपका मू यांकन करते
ह। आपका बाहरी व ही लोग के मू यांकन का पहला आधार होता है। और पहली
छाप हमेशा के लए हो जाती है, चाहे बाद म कुछ भी हो।
एक दन सुपरमाकट म मने एक टे बल पर अंगूर रखे दे खे जन पर क़ मत डली थी
एक प ड 15 सट। सरी टे बल पर भी बलकुल वैसे ही अंगूर रखे थे, परंतु उ ह पॉलीथीन
के बैग म पैक कया आ था और उन पर क़ मत लखी ई थी 2 प ड 35 सट।
मने वज़न करने वाले युवक से पूछा, “इन दोन तरह के अंगूर म या फ़क़ है?”
“दोन म फ़क़ है”, उसने जवाब दया, “पॉलीथीन के कवर का। पॉलीपैक वाले
अंगूर साधारण अंगूर से दो गुना यादा बकते ह। य क वे यादा आकषक दखते ह।”
अगली बार जब आप खुद को बेचने जाएँ, तो अंगूर के उदाहरण को यान म रख।
अ “पै कग” हो, तो आप अपने आपको यादा अ तरह से बेच पाएँगे– और यादा
क़ मत म भी।
इससे हम यह श ा मलती है– आपक पै कग जतनी अ होगी, आपको
जनता उतना ही पसंद करेगी।
कल आप उन लोग को दे ख ज ह रे तराँ, बस , भीड़ भरी लॉ बय , टोस और
ऑ फ़स म सबसे यादा स मान मलता है। लोग सामने वाले आदमी पर एक नज़र डालते
ह, अवचेतन म उसका मू यांकन करते ह और उसके साथ उसी तरह का वहार करते ह।
हम कसी आदमी क तरफ़ दे खते ह और “और, यार" वाला वहार करते ह। हम
सरे आदमी क तरफ़ दे खते ह और “यस, सर” वाला वहार करते ह।
हाँ, आदमी का बाहरी आवरण बोलता है। अ वेशभूषा वाले क
सकारा मक छाप पड़ती है। इससे लोग तक यह संदेश प ँचता है, “यह एक मह वपूण
है – बु मान, अमीर और भरोसेमंद। इस का स मान करना चा हए, इसक

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तारीफ़ करनी चा हए और इस पर भरोसा करना चा हए। यह ख़ुद का स मान करता है और

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म भी उसका स मान क ँ गा।"

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फटे हाल या गंदे कपड़े पहने क लोग पर नकारा मक छाप पड़ती है। ऐसे

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कपड़ से यह संदेश प ँचता है, “यह रहा एक असफल – लापरवाह, अयो य,

i n
मह वहीन। वह सफ़ एक औसत आदमी है। उसक तरफ़ कोई वशेष यान नह दे ना

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चा हए। उसे ध के खाने क आदत होगी”

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जब म अपने श ण काय म म इस बात पर ज़ोर दे ता ँ क अपने पहनावे का
स मान करो” तो मुझसे हमेशा यही सवाल पूछा जाता है, “म आपक बात से सहमत ँ।
पहनावा मह वपूण है। परंतु म इतने महँगे कपड़े कैसे पहन पाऊँगा ज ह पहनकर मुझम
आ म व ास जाग जाए और सरे मेरा स मान करने लग ?”
यह सवाल कई लोग को परेशान करता है। इसने मुझे भी काफ़ समय तक परेशान
कया था। परंतु इसका जवाब दरअसल ब त ही आसान है – गुनी क़ मत दो और आधी
सं या ख़रीदो। इस सू को दमाग़ म अ तरह बठा ल। फर इस पर अमल कर। हैट,
सूट, जूते, मोज़े, कोट– जो भी कपड़े आप पहन, इसी हसाब से पहन। जहाँ तक दखने
का सवाल है, वा लट यादा मह वपूण होती है, वां टट कम मह वपूण होती है। जब
आप इस स ांत पर अमल करगे तो पाएँगे क न सफ़ इससे आपक नज़र म आपका
स मान बढ़े गा, ब क सरे लोग क नज़र म भी आपका स मान कई गुना बढ़ जाएगा।
और आप पाएँगे क यादा महँगे कपड़े पहनने के बाद भी आप फ़ायदे म रहे य क :
1. आपके कपड़े यादा समय तक चलगे य क वे स ते कपड़ से यादा टकाऊ होते
ह, और जब तक वे चलगे, तब तक उनक “ वा लट " बनी रहेगी।
2. जो आप ख़रीदगे, वह यादा समय तक फ़ैशन म बना रहेगा। अ े कपड़े हमेशा
फ़ैशन म बने रहते ह।
3. आपको अ सलाह मलेगी। जो कानदार 200 डॉलर का सूट बेचता है वह 100
डॉलर का सूट बेचने वाले कानदार के बजाय “सही कपड़ा चुनने" म आपक यादा
मदद करेगा।
याद रख : आपक वेशभूषा आपसे कुछ कहती है और यह सर से भी कुछ कहती है।
सु न त कर ल क वह सबसे यही कहे, “यह रहा एक जो अपना स मान करता है।
यह मह वपूण है। इसके साथ ऐसा वहार करो जैसा मह वपूण य के साथ
कया जाता है।"
आपको सर के लए अपने पहनावे पर यान दे ना चा हए, और उससे भी

in
मह चपूण बात यह है क आपको खुद के लए ऐसा करना चा हए– अपने सबसे अ े

i.
व प म सबके सामने ख़ुद को पेश करना चा हए।

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आप अपने बारे म जो सोचते ह, वही आप होते ह। अगर आपके पहनावे से आपको

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लगता है क आप हीन ह, तो आप वाक़ई हीन होते ह। अगर आपको लगता है क आप

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छोटे ह, तो आप सचमुच छोटे बन जाते ह। सव े दखने क को शश कर तभी आप ख़ुद

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को सव े समझगे। और सव े काम कर पाएँगे।

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यह सोच क काम मह चपूण है। काम के बारे म तीन ट उठाने वाल क यह

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कहानी अ सर सुनाई जाती है। यह ब त ब ढ़या कहानी है, इस लए इसे एक बार और
सुनने म कोई हज़ नह ।
जब यह सवाल पूछा गया, “तुम या कर रहे हो ?” तो पहले ट जमाने वाले ने
कहा, " ट जमा रहा ँ।” सरे ने जवाब दया, " त घंटे 9.3 डॉलर कमा रहा ँ।” और
तीसरे ने जवाब दया, "म ? म तो नया का सबसे महान गरजाघर बना रहा ँ।
यह कहानी हम यह नह बताती क बाद म इन तीन ट वाल क ज़दगी म या
आ, परंतु आपको या लगता है या आ होगा ? शायद पहले दोन ट वाले ज़दगी भर
वही काम करते रहे ह गे – ट ढोने और ट जमाने का। उनम भ व य क नह थी। वे
अपने काम का स मान नह करते थे। उ ह कोई चीज़ पीछे से धकेलकर महान सफलता
क तरफ़ नह ले जा रही थी।
परंतु आप शत लगा सकते ह क तीसरा कारीगर जसने यह कहा था क वह महान
गरजाघर बना रहा था, उसने हमेशा ट नह उठाई ह गी। शायद वह फ़ोरमैन बन गया
होगा या शायद एक कॉ ै टर या शायद एक आ कटे ट। वह आगे क तरफ़ गया होगा,
ऊपर क तरफ़ बढ़ा होगा। य ? य क इंसान क सोच ही उसक ग त का आधार है।
तीसरे नंबर का कारीगर ऊँचा सोच सकता था, उसके वचार ऊँचे थे और उसे अपने काम
के मह व का एहसास था।
काम के बारे म आपक या सोच है, उससे आपके बारे म ब त कुछ पता चलता है
और यह भी पता चलता है क आपम यादा बड़ी ज़ मेदारी उठाने क मता है या नह ।
मेरा दो त नयु याँ दे ने वाली एक फ़म चलाता है। उसने मुझसे हाल ही म कहा,
“हम कसी क नौकरी के आवेदन म इस बात पर ख़ास यान दे ते ह क वतमान नौकरी के
बारे म कसी कमचारी क राय या है जब हम दे खते ह क उसक नज़र म उसका वतमान
काम मह वपूण है, तो हम पर इसका हमेशा अ ा भाव पड़ता है।

. in
“ य ? सफ़ इस लए य क अगर आवेदक क नज़र म उसका वतमान काम

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मह वपूण है, तो उसक नज़र म उसका अगला काम भी मह वपूण होगा। हमने यह पाया है

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क जो आदमी अपने काम का जतना स मान करता है, वह अपने काम को उतनी ही

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अ तरह से करता है। दोन म बड़ा गहरा संबंध होता है।”

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आपक वेशभूषा क तरह, आपक अपने काम के बारे म सोच भी आपके

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सुपी रयर, सहयो गय , अधीन से कुछ कहती है – दरअसल, आपके संपक म आने

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वाले हर से कुछ न कुछ कहती है।
कुछ महीन पहले मने एक दो त के साथ कुछ घंटे का समय बताया। मेरा यह म
एक अ लायंस नमाता के यहाँ पसनेल डायरे टर (personnel director) है। हमने
“आदमी बनाने” के बारे म बात क । उसने अपना “पसनेल ऑ डट स टम" मुझे समझाया
और कहा क उसने इससे ब त सीखा है।
“हमारे यहाँ 800 लोग का गैर–उ पादक टाफ़ है। हमारे पसनेल ऑ डट स टम म
म अपने एक सहयोगी के साथ हर छह महीने म अपने हर कमचारी का इंटर ू लेता ँ।
हमारा ल य सीधा–सा है। हम जानना चाहते ह क हम उसके काम म उसक या मदद
कर सकते ह। हम सोचते ह क यह एक अ परंपरा है य क हमारे यहाँ काम करने
वाला हर हमारे लए मह वपूण है, वरना वह हमारे यहाँ काम नह कर रहा होता।
“हम कमचा रय से सीधे सवाल नह पूछते ह। इसके बजाय हम उ ह ो सा हत
करते ह क वे जो कहना चाहते ह , कह। हम उनके स े वचार सुनना चाहते ह। हर
इंटर ू के बाद हम उनके काम के बारे म उनके रवैए का मू यांकन कई ब पर करते ह।
“मने इससे यह सीखा," उसने आगे कहा, “हमारे कमचारी ए ुप या बी ुप म से
कसी एक ुप म फ़ट होते ह और उनके कसी ुप म फ़ट होने का आधार होता है अपने
काम के बारे म उनका रवैया।
“बी ुप के लोग मु य तौर पर सुर ा, कंपनी क रटायरमट योजना , मे डकल
लीव क नी तय , छु के समय, बीमा योजना म सुधार और ओवरटाइम के बारे म बात
करते ह। वे यह जानना चाहते ह क जस तरह उ ह पछले माच म ओवरटाइम दया गया
था, या इस बार भी माच म उ ह ओवरटाइम दया जाएगा। वे अपनी नौकरी क मु कल
के बारे म भी काफ़ बात करते ह। वे हम व तार से बताते ह क उ ह अपने साथी–
कमचा रय क कौन सी बात या आदत पसंद नह ह। कुल मलाकर, बी ुप के लोग – और
इस ुप म हमारे गै़र–उ पादक टाफ़ के लगभग 80 तशत कमचारी आते ह – अपनी
नौक रय को आव यक बुराई समझते ह।

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अपनी नौकरी के बारे म ए ुप के का नज़ रया बलकुल अलग होता है। वह

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अपने भ व य के बारे म च तत होता है और हम सुझाव दे ता है क वह कस तरह अपने

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काम को और बेहतर तरीक़े से कर सकता है। वह हमसे कसी और बात क उ मीद नह

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करता, वह हमसे सफ़ अवसर चाहता है। ए ुप के लोग बड़े पैमाने पर सोचते ह। वे

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बज़नेस सुधारने के सुझाव दे ते ह। वे मेरे ऑ फ़स म होने वाले इंटर ू को रचना मक और

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लाभदायक समझते ह। जब क बी ुप के लोग मानते ह क इंटर ू या हमारा पसनेल

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ऑ डट स टम एक ेनवॉ शग अ भयान है और इससे जैसे–तैसे छु टकारा पाकर वे ख़ुश

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होते ह।

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“ कसी के रवैए का उसक सफलता से या संबंध है, यह दे खने का तरीक़ा हमारे
पास है। कमचा रय को मोशन दे ना, उनक तन वाह बढ़ाना और बाक़ ख़ास लाभ दे ने
क जतनी भी सफ़ा रश होती ह, वे सब मेरे पास आती ह। हमेशा यही दे खने म आया है
क लाभ दे ने क सफ़ा रश ए ुप के लोग के लए क जाती ह। और हमेशा यही दे खने म
आया है क जतनी भी सम याएँ होती ह, वे बी ुप के लोग क तरफ़ से आती ह।
“मेरे काम म सबसे बड़ी चुनौती यह है,” उसने कहा, “ क बी ुप के लोग को कस
तरह े रत कया जाए और उनक कस तरह मदद क जाए क वे बी ुप से ए ुप म आ
जाएँ। यह आसान नह है य क जब तक ख़ुद अपनी नौकरी को मह वपूण नह
समझे और अपने काम के बारे म सकारा मक वचार नह रखे, तब तक उसक कोई मदद
नह क जा सकती।”
यह इस बात का य माण है क आप अपने बारे म जैसा सोचते ह, आप वैसे
ही होते ह। आपक वचार श आपको वैसा ही बना दे ती है। यह सोच क आप कमज़ोर
ह, यह सोच क आपम यो यता कम है, यह सोच क आप असफल हो जाएँगे, यह सोच
क आप सेकंड लास ह – इस तरीक़े से सोच और आप न त प से असफल ज़दगी
जीने के लए ववश हो जाएँगे।
परंतु इसके बजाय यह सोच, म मह वपूण ँ। मुझम यो यता है। म फ़ ट– लास
कमचारी ँ। मेरा काम मह वपूण है। इस तरीक़े से सोच और आप सफलता क चोट पर
प ँच पाएँगे।
जीतने का सीधा–सा तरीक़ा यह जानना है क आप अपने बारे म सकारा मक
सोचकर अपने ल य तक प ँच सकते ह। सरे लोग आपक यो यता का अनुमान आपके
काम से लगाते ह। और आपके काम आपके वचार से नयं त होते ह।
आप जो सोचते ह आप वही होते ह।
सुपरवाइज़र के पहलू से दे ख और अपने आपसे पूछ क आप कस को

. in
मोशन दगे या कस क तन वाह बढ़ाने क सफ़ा रश करगे :

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1. उस से े टरी क , जो अपने बॉस के ऑ फ़स म न रहने पर मै ज़ीन पढ़ती है या

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उस से े टरी क जो इसी समय म अपने बॉस के छोटे –मोटे काम कर दे ती है ता क वापस

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लौटने पर वह अपना काम बेहतर ढँ ग से कर सके ?

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2. उस कमचारी को जो कहता है, “कोई परवाह नह , मुझे हमेशा सरी नौकरी

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मल सकती है। अगर उ ह मेरे काम का तरीक़ा पसंद नह आता, तो म यह काम छोड़

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सकता ँ।” या उस कमचारी को जो आलोचना को रचना मक प से लेता है और यादा
अ ा काम करने का गंभीर यास करता है?
3. उस से समैन को जो ाहक को बताता है, “अरे, म तो वही करता ँ जो मुझसे
करने के लए कहा जाता है। उ ह ने कहा बाहर जाओ और दे खो क आपको कुछ चा हए
तो नह ।" या उस से समैन को जो कहता है, " म टर ाउन, म आपक या मदद कर
सकता ँ ?”
4. उस फ़ोरमैन को, जो कसी कमचारी से कहता है, “सच बात क ँ, तो म अपने
काम को यादा पसंद नह करता। ऊपर के लोग मेरी नाक म दम कए रहते ह। आधे से
यादा समय तो म यह समझ ही नह पाता क बॉस या बोल रहे ह,” या उस सुपरवाइज़र
को जो कहता है, “ कसी भी काम म कोई न कोई गड़बड़ बात तो होती ही है। परंतु म
आपको आ त कर ँ । ऊपर के लोग काफ़ समझदार ह। वे हमारी सम याएँ समझते ह
और हमारा भला चाहते ह।”
या इससे आपको यह पता नह चल जाता क कई लोग सारी ज़दगी एक ही तर
पर य बने रहते ह? उनक सोच, और केवल उनक सोच, ही उ ह वहाँ बनाए रखती है।
एक एड् वटाइ ज़ग ए ज़ी यू टव ने मुझे एक बार बताया क कस तरह उसक
एजसी अपने नए, अनुभवहीन लोग को अनौपचा रक श ण दे ती है।
“कंपनी क नी त यह है,” उसने कहा, “ क हम कसी भी नए युवक को शु आती
सव े श ण द। आम तौर पर यह युवक कॉलेज ैजुएट होता है और हम शु म इसे
मेल वॉय का काम स पते ह। हम ऐसा इस लए नह करते य क हम एक ऑ फ़स से
सरे ऑ फ़स म डाक प ँचाने के लए कसी कॉलेज ैजुएट क ज़ रत होती है। हमारा
ल य यह होता है क इस नए युवक को हमारी एजसी के सभी तरह के काम का अनुभव
हो जाए। जब वह यह काम अ तरह से सीख लेता है तो हम उसे नया काम दे ते ह।

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“कभी – कभार यह होता है क जब हम उस नए युवक को बताते ह क उसे

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शु आत म डाक लाना और ले जाना है तो उसे लगता है क डा कए का काम करना छोटा

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और मह वहीन है। जब ऐसा होता है, तो हम समझ जाते ह क हमने ग़लत चुन

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लया है। अगर उसम यह दे खने क र नह है क मेल वॉय का काम सीखना ज़ री

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है, क यह मह वपूण काय क दशा म पहला ावहा रक क़दम है, तो हमारी एजसी म

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उसका कोई भ व य नह है।”

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पाद रख, ए ज़ी यू ट ज़ सोचते ह याद, जब इस सवाल का जवाब, उस तर पर

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वह या करेगा ? तो इसके पहले वे इस सवाल का जवाब ढू ँ ढ़ते ह, अभी वह जो
काम कर रहा है, वह कैसा कर रहा है?
यहाँ पर एक तक दया जा रहा है, जो दमदार, सीधा–सा और आसान है। आगे
पढ़ने से पहले इसे कम से कम पाँच बार पढ़ :
वह जो सोचता है क उसका काम मह वपूण है
उसे मान सक संकेत मलते ह क वह बेहतर काम कैसे कर सकता है।
और बेहतर काम का मतलब होता है
यादा मोशन, यादा तन वाह, यादा त ा, यादा सुख।
हम सभी ने दे खा होगा क ब े कस तरह ज द से अपने माता– पता के रवैए,
आदत, डर और चय को सीख लेते ह। चाहे भोजन क च हो, वहार के तरीक़े ह ,
धा मक और राजनी तक वचार ह , या कसी और तरह का वहार हो, ब ा आम तौर पर
अपने माँ बाप क सोच का जीता–जागता त बब होता है, वह नक़ल करके सीखता है।
और यही वय क के साथ भी होता है। लोग ज़दगी भर सर क नक़ल करते रहते
ह। वे अपने लीडस और सुपरवाइज़स क नक़ल करते ह उनके वचार और काय पर इन
लोग का ब त भाव पड़ता है।
आप इसे आसानी से परख सकते ह। अपने कसी दो त और उसके बॉस का
अ ययन कर और यह दे ख क दोन क सोच और काय म कतनी समानता है।
आपका दो त इन े म अपने बॉस क नक़ल कर सकता है : भाषा और श द का
चयन, सगरेट पीने का तरीक़ा, चेहरे के कुछ भाव और आदत, कपड़ का चुनाव और कार
का चयन। इसके अलावा और भी ब त सारे े म समानता दखाई दे सकती है।
नक़ल क श को दे खने का एक और तरीक़ा कमचा रय के रवैए और “बॉस" के
रवैए क तुलना करना है। अगर बॉस नवस, तनाव त, च तत होगा तो उसके क़रीबी

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सहयोगी भी इसी तरह के ह गे। परंतु जब म टर बॉस सफल महसूस करते ह, अ ा

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महसूस करते ह तो उनके कमचारी भी सफल और अ ा महसूस करते ह।

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इससे हम यह श ा मलती है : हम अपने काम के बारे म जस तरह सोचते ह,

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उससे यह तय होता है क हमारे अधीन अपने काम के बारे म कस तरह सोचगे।

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हमारे अधीन का काम के बारे म जो रवैया होता है, वह काम के बारे म हमारे

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अपने रवैए का त बब होता है। यह याद रखना मह वपूण है क हमारे अ े –बुरे रवैए का

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असर हमारे अधीन के रवैए पर पड़ता है, जस तरह क कसी ब े पर अपने माँ बाप
के रवैए का असर पड़ता है।
सफल लोग के सफ़ एक गुण पर यान क त कर– उ साह। कभी आपने दे खा क
डपाटमट के उ साही से समैन ने आपको, यानी ाहक को कसी सामान के बारे म यादा
रोमां चत कर दया हो। या कभी आपने ग़ौर कया क कसी उ साही धम पदे शक या व ा
ने अपने ोता को उ साही और सजग बना दया ? अगर आपम उ साह होगा, तो आपके
आस–पास के लोग म भी उ साह होगा।
परंतु आप अपने भीतर उ साह कस तरह भर सकते ह। मूलभूत आसान है–
उ साहपूवक सोच। हमेशा आशावाद , ग तशील क़दम वचार रख, “यह ब त ब ढ़या
काम है और म यह काम कर सकता ँ।"
आप जो सोचते ह, आप वही होते ह। उ साह के बारे म सोच और आप उ साही बन
जाएँगे। अपने अधीन से अ वा लट का काम करवाने के लए आपको उस काम
के बारे म उ साही होना पड़े गा। सरे भी आपके उ साह को दे खकर उ सा हत हो जाएँगे
और आपका काम ब ढ़या ढँ ग से हो जाएगा।
परंतु, अगर आप नकारा मक प से अपनी कंपनी को ख़च, स लाई, समय और
सरे छोटे –छोटे तरीक़ से “धोखा" दे ते ह, तो आप अपने अधीन से या उ मीद कर
सकते ह ? अगर आप दे र से ऑ फ़स आएँगे और ज द चले जाएँगे, तो आप अपने
“कमचा रय ” से या उ मीद रखगे ?
हम अपने काम के बारे म सही रवैया इस लए भी रखना चा हए ता क हमारे
अधीन अपने काम के बारे म सही रवैया रख सक। हमारे सुपी रयर हमारे काम क
वा लट और वां टट का मू यांकन करते समय उसी काम का मू यांकन करते ह, जो
हमारे अधीन ने कया है।

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इसे इस तरह से दे ख – आप कसे डवीज़न से स मैनेजर का मोशन दगे – उस

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ांच से स मैनेजर को जसके से समैन ब ढ़या काम कर रहे ह या उस ांच से स मैनेजर

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को जसके से समैन केवल औसत दशन कर रहे ह ? या आप कसे ॉड न मैनेजर के

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पद पर मोशन दगे – उस सुपरवाइज़र को जो अपने उ पादन के ल य को पूरा कर लेता है,

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या उस सुपरवाइज़र को जसका डपाटमट ल य से काफ़ पीछे रहता है ?

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यहाँ दो सुझाव दए जा रहे ह जनक मदद से आप सर से अ ा और यादा

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काम करवा सकते ह।

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1. हमेशा अपने काम के बारे म सकारा मक रवैया रख ता क आपके अधीन भी
“सीख ल” क काम के बारे म इस तरह से सोचना चा हए।
2. जब आप हर दन काम पर जाएँ, तो ख़ुद से पूछ, “ या म ऐसा ँ जससे सामने
वाला कुछ सीख ले सके ? या मेरी आदत ऐसी ह जो म अपने अधीन म दे खना चा ँगा
?”

हर दन अपना उ साह बढ़ाएँ


कुछ महीने पहले एक ऑटोमोबाइल से समैन ने मुझे सफलता दलाने वाली तकनीक के
बारे म बताया। यह तकनीक ब त ब ढ़या थी। इसे पढ़।
“हमारे काम का एक बड़ा ह सा है। टे लीफ़ोन करना," से समैन ने बताया, “ जसम
हम दो घंटे तक अपने संभा वत ाहक को फ़ोन करके डमां े शन के लए अपॉइंटमट लेते
ह। जब मने तीन साल पहले कार बेचना शु कया, तो मुझे यह पर सबसे यादा मु कल
आती थी। म संकोची और डरा आ रहता था और म जानता था क मेरी आवाज़ फ़ोन पर
कैसी सुनाई दे ती होगी। सामने वाले आदमी के लए यह बोलना वाभा वक ही होता था,
‘सॉरी, मेरी इसम कोई च नह है‘ और इसके बाद वह फ़ोन काट दे ता था।
“हर सोमवार क सुबह हमारे से स मैनेजर एक से स मी टग लेते थे। यह मी टग
ब त ेरणादायक आ करती थी और इससे मुझे काफ़ ेरणा मलती थी। और इसका
प रणाम यह होता था क सोमवार को म स ताह के कसी और दन के मुक़ाबले यादा
डमां े शन हा सल करने म कामयाब हो जाता था। परंतु सम या यह थी क सोमवार क
मेरी ेरणा मंगलवार तक ख़ म हो जाती थी और बाक़ ह ते मेरा दशन एक बार फर
नराशाजनक आ करता था

in
“तभी मेरे दमाग़ म एक वचार आया। अगर मेरा से स मैनेजर मुझे े रत कर

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सकता था, तो म अपने आपको े रत य नह कर सकता ? य न म फ़ोन कॉल करने के

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पहले अपने आपको एक ेरक भाषण ँ । उस दन मने फ़ैसला कया क म को शश करके

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दे खूँगा । बना कसी को बताए म ख़ाली मैदान म गया और एक ख़ाली कार म बैठ गया।

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वहाँ कुछ दे र बैठकर मने ख़ुद से बात क । मने अपने आपको बताया, “म एक अ ा कार

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से समैन ँ और म सव े से समैन बनने जा रहा ँ। म अ कार बेचता ँ और मेरा

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धंधा अ ा चल रहा है जन लोग को म फ़ोन कर रहा ँ उ ह इन कार क ज़ रत है और

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म इ ह बेचने जा रहा ँ।
“शु आत से ही यह आ म– ेरक तकनीक सफल ई। मुझे इतना अ ा लगा क
मुझे फ़ोन करने म ज़रा भी हचक नह ई। म फ़ोन करने के लए उ सुक होने लगा। म
आजकल ख़ाली लॉट म ख़ाली कार म बैठकर ख़ुद को ेरणा नह दे ता ँ, परंतु म अब भी
इस तकनीक का योग करता ँ। कसी भी नंबर को डायल करने से पहले म अपने
आपको यह याद दलाता ँ क म एक बेहतरीन से समैन ँ और म सफल होने जा रहा ँ।
और मुझे सफलता मलती है।”
यह ब त शानदार वचार है, नह या ? सफलता क चोट पर प ँचने के लए
आपको यह अनुभव करना होगा क आप सफलता क चोट पर ह। अपने आपसे ेरक
चचा कर और यह जान क ऐसा करने से आप कतने बड़े और व ासपूण बन सकते ह।
हाल ही म, मने एक े नग ो ाम आयो जत कया। इसम हर को दस मनट
तक “लीडर बनने के वषय पर बोलना था। एक े नी ने ब त बुरा दशन कया। उसके
घुटने काँप रहे थे और उसके हाथ थरथरा रहे थे। वह भूल गया क वह या कहने वाला
था। पाँच या छह मनट तक इधर–उधर क बात करने के बाद, वह पूरी तरह असफल
होकर बैठ गया।
स के बाद, मने उससे सफ़ इतना कहा क वह अगले स क शु आत के पं ह
मनट पहले वहाँ आ जाए।
वह वादे के मुता बक़ अगले स के पं ह मनट पहले वहाँ आ गया। हम दोन
पछली रात के उसके बुरे अनुभव के बारे म बात करने लगे। मने उससे पूछा क भाषण दे ने
के पाँच मनट पहले उसके दमाग़ म कस तरह के वचार आ रहे थे।
“म ब त डरा आ था। म जानता था क म सर के सामने ख़ुद को मूख सा बत
कर ँ गा। म जानता था क म लाॅप होने वाला ँ। म यह सोचता जा रहा था, ‘लीडर बनने
के बारे म म या बोल सकता ँ ?‘ मने यह याद करने क को शश क क म या बोलने

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वाला ँ परंतु मुझे असफल होने के अलावा और कोई बात सूझ ही नह रही थी।"

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“यही तो,” मने बीच म कहा, “यही तो आपक सम या क जड़ है। बोलने के पहले

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ही आपने अपने आपको हरा दया। आपने ख़ुद को व ास दला दया क आप असफल

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होने वाले ह। फर इसम हैरत क या बात है क आप असफल हो गए ? साहस बढ़ाने के

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बजाय आपने डर बढ़ाने का वक प चुना।

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“अब इस शाम का स शु होने म सफ़ चार मनट का समय बचा है," मने उससे

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कहा। “म चाहता ँ क अब आप यह कर। अगले कुछ मनट तक अपने आपसे ेरणा भरी
बात कर। हॉल के बाहर उस ख़ाली कमरे म चले जाएँ और ख़ुद से कह, ‘म ब त अ ा
भाषण दे ने जा रहा ँ। म अपनी बात स े दल से क ँगा और लोग पूरा मन लगाकर
सुनगे।‘ इन श द को लगातार दोहराते रह, और पूरे व ास से ऐसा कर। फर आप हॉल म
आएँ और अपना भाषण दे ना शु कर द।”
काश क आप वहाँ होते और दोन भाषण के अंतर को सुन सकते। उस छोट –
सी, ख़ुद क द गई ेरणादायक चचा का असर यह आ क वह ब त ब ढ़या भाषण दे ने म
कामयाब आ।
संदेश – ेरणादायक आ म– शंसा का अ यास कर। आ म– नदा के श द से ख़ुद
को छोटा न बनाएँ।
आप जैसा सोचते ह, आप वैसे ही होते ह। अपने बारे म बड़ी बात सोच और आप
सचमुच बड़े बन जाएँगे।

“ख़ुद को ख़ुद के हाथ बेचने” का व ापन बनाएँ। एक मनट के लए अमे रका के बेहद
लोक य ांड कोका कोला के बारे म सोच। हर दन आपक आँख या कान म कई बार
“कोक” दखाई या सुनाई दे जाता है। जो लोग कोका कोला बनाते ह वे आपको लगातार
“कोक" बेचते ह और इसके पीछे एक कारण होता है। अगर वे आपको लगातार “कोक"
नह बेचगे तो हो सकता है क “कोक” म आपक च कम हो जाए और एक दन यह पूरी
तरह ख़ म हो जाए। इससे उनक ब घट जाएगी।
परंतु कोका कोला कंपनी ऐसा नह होने दे ती। वे आपको ब त बार “कोक” बेचते
ह, बार–बार बेचते ह।
हर दन हम लोग ऐसे आधे – ज़दा– – आधे – मुदा लोग को दे खते ह ज ह ने ख़ुद
को ख़ुद के हाथ नह बेचा है। उनम अपने सबसे मह वपूण सामान यानी ख़ुद के लए कोई
आ म–स मान नह है। ये लोग नीरस ह। ख़ुद को छोटा समझते ह। उ ह लगता है उनक

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कोई ह ती नह है और चूँ क उ ह ऐसा लगता है, इस लए सचमुच ऐसा ही होता है।

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आधे – ज़दा– आधे – मुदा आदमी को इस बात क ज़ रत है क वह ख़ुद को ख़ुद

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के हाथ बेच दे । उसे यह महसूस करना होगा क वह एक फ़ ट लास आदमी है। उसे ख़ुद

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पर स ा, पूरा व ास करना ही होगा।

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टॉम टै ली एक युवक है जो तेज़ी से सफलता के रा ते पर जा रहा है। टॉम दन म

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तीन बार ख़ुद को ख़ुद के हाथ बेचता है। और वह ऐसा टॉम टै ली के 60 सेकंड के

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व ापन” के मा यम से करता है। वह अपने व ापन को हमेशा अपने पस म अपने साथ
रखता है। इस व ापन म उसने या लखा है :
टॉम टै ली से मल– एक मह वपूण, सचमुच मह वपूण । टॉम,
आप एक बड़े चतक ह, इस लए आप बड़ा सोच।हर चीज़ के बारे म
बड़ा सोच। आपम ब ढ़या काम करने क ब त यो यता है इस लए
हमेशा ब ढ़या काम कर।
टॉम, आप सुख, ग त और अमीरी म व ास करते ह।
इस लए : सफ़ सुख के बारे म बात कर,
सफ़ ग त के बारे म बात कर,
सफ़ अमीरी के बारे म बात कर।
आपम ब त मताएँ ह, टॉम, आपम ब त मताएँ ह।
इस लए आप अपनी मता का उपयोग अपनी नौकरी म कर। आपको
कोई चीज़ सफल होने से रोक नह सकती, टॉम, कोई भी चीज़।
टॉम, आप उ साही ह। अपने उ साह को सबके सामने दखने द।
आप अ े दखते ह, टॉम, और आप अ ा अनुभव करते ह। ऐसे ही बने
रह।
टॉम टै ली, आप कल ब त ब ढ़या आदमी थे और आप आज उससे भी
ब ढ़या आदमी बनकर दखाएँगे। अब ऐसा करके दखाएँ, टॉम। आगे बढ़े ।
टॉम मानता है क इस व ापन क मदद से ही वह इतना सफल और मह वपूण बन
पाया। “ख़ुद को ख़ुद के हाथ बेचने से पहले म सोचा करता था क म हर एक क तुलना म
हीन ँ, छोटा ँ। अब म महसूस करता ँ क मेरे पास सफल होने के सारे गुण ह और म
सफल हो रहा ँ। और म हमेशा सफल होता र ँगा।”

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आप अपना “ख़ुद के हाथ ख़ुद को बेचने का व ापन” कैसे बनाएँ ? पहले तो

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अपने गुण को चुन, आपम कौन सी यो यताएँ और क़ा ब लयत ह ? ख़ुद से पूछ, “मुझम

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या ख़ास बात है?" अपने बारे म वणन करते समय ज़रा भी संकोच न कर।

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इन गुण को एक काग़ज़ पर अपने श द म लख ल। फर अपने बारे म व ापन

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लख। टॉम टै ली के व ापन को एक बार फर पढ़। यह दे ख क वह कस तरह टॉम से

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बात करता है। अपने आपसे बात कर। बलकुल रह। जब आप व ापन तैयार कर तो

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कसी और के बारे म न सोच, ख़ुद के बारे म सोच।
तीसरी बात, आप दन म कम से कम एक बार इस व ापन को अकेले म जोर से
पढ़। शीशे के सामने पढ़ने से यादा फ़ायदा होगा। इसे पढ़ते समय शारी रक ग त व धय
क भी मदद ल। अपने व ापन को ढ़ न य के साथ पढ़। इसे पढ़ते समय अपने शरीर म
र का वाह तेज़ हो जाने द। इसे जोश के साथ पढ़।
चौथी बात, आप अपने व ापन को हर दन चुपचाप कई बार पढ़। जब भी आपको
कसी प र त म साहस क ज़ रत हो, इसे पढ़। जब भी आप ख़ुद को नराश या
असफल पाएँ, इसे पढ़। अपने व ापन को हमेशा अपने पास रख – और इसका योग
कर।
एक बात और। ब त से लोग, शायद यादातर लोग, सफलता क इस तकनीक को
पढ़कर “हँस” सकते ह। इस लए य क ये लोग यह मानने को तैयार नह होते क वचार
को नयं त करके सफलता पाई जा सकती है। परंतु, मेहरबानी करके, औसत य के
फ़ैसले को न मान। आप औसत नह ह। अगर आपको “ख़ुद के हाथ ख़ुद को बेचने"
के स ांत के बारे म कोई शंका है तो अपनी पहचान के सबसे सफल से सलाह ल
क वह इस बारे म या सोचता है। उससे पूछ, और फर ख़ुद के हाथ ख़ुद को बेचना शु
कर।
अपनी सोच को वक सत कर। मह वपूण लोग क तरह सोच।
अपनी सोच को वक सत करने का मतलब है अपने काय को वक सत करना और इसी से
सफलता मलती है। यहाँ आपको एक आसान तरीक़ा बताया जा रहा है जसक मदद से
आप मह वपूण लोग क तरह सोच पाएँगे। नीचे दए गए फ़ॉम को मागदशक क तरह
यु कर।

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अपने दमाग़ म यह सवाल जमकर बठा ल, ‘ या मह वपूण इसी तरीक़े से
काम करता है? बड़े , यादा सफल बनने के लए इस सवाल का उपथाेग कर ।
सं ेप म, याद रख :
1. मह वपूण दख; इससे आपको मह वपूण सोचने म मदद मलती है। आपक
वेशभूषा आपसे कुछ कहती है। सु न त कर ल क यह आपके आ म व ास और
हौसले को बढ़ाए। आपक वेशभूषा सामने वाले से भी कुछ कहती है। सु न त कर
ल क यह सबसे कहे, “यहरहा एक मह वपूण – बु मान, अमीर और

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भरोसेमंद।”

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2. यह सोच क आपका काम मह वपूण है। इस तरीके से सोच और आपको ऐसे

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मान सक संकेत मलने लगगे क आप अपने काम को कस तरह बेहतर ढँ ग से कर

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सकते ह। सोच क आपका काम मह वपूण है और आपके अधीन भी सोचने लगगे

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क उनका काम मह वपूण है।

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3. हर दन कई बार अपने आपसे ेरणादायक बात कर। “ख़ुद के हाथ ख़ुद को बेचने”

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का व ापन बनाएँ। हर मौक़े पर ख़ुद को याद दलाएँ क आप एक फ़ ट–वलास

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इंसान ह।

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4. ज़दगी क हर प र त म ख़ुद से पूछ, “ या मह वपूण इसी तरह से सोचते
ह?” फर जवाब के हसाब से काम कर।
अपने माहौल को सुधार : फ़ ट लास बन


पका दमाग़ एक अ त मशीन है। जब आपका दमाग़ एक तरीक़े से काम करता

in
है, तो यह आपको असाधारण सफलता के रा ते पर आगे ले जा सकता है। परंतु

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वही दमाग़ जब सरे तरीक़े से काम करता है तो यह आपको पूरी तरह असफल

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करा सकता है।

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म त क पूरी सृ म सबसे नाजक, सबसे संवेदनशील यं है। आइए दे ख क

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म त क म जो वचार आते ह वे य आते ह।

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करोड़ लोग अपने खान–पान का यान रखते ह। अमे रका को कैलोरी गनने वाल

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का दे श कहा जाता है। हम वटा मन, मनरल और सरे भो य पूरक पर करोड़ डॉलर

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ख़च करते ह और हम सब जानते ह क हम ऐसा य करते ह। पोषण पर ए शोध से
हमने यह जाना है क शरीर को हम जो आहार दे ते ह, उसका शरीर पर अ ा या बुरा
भाव पड़ता है। शारी रक टै मना, बीमारी से बचाव, शरीर का आकार यहाँ तक क हम
कतना लंबा जएँगे – इन सबका संबंध हमारे खान–पान से होता है।
शरीर वैसा ही बनता है जैसा भोजन शरीर को खलाया जाता है। इसी तरह दमाग़
वैसा ही बनता है जैसा भोजन दमाग़ को खलाया जाता है। दमाग़ का भोजन पैकैट या
ड ब म नह आता और आप इसे कसी टोर म नह ख़रीद सकते। आपका माहौल ही
आपका दमाग़ी भोजन है– और इसम वे अन गनत चीज आ जाती ह जनसे आपका चेतन
और अवचेतन वचार भा वत होता है। हम कस तरह का दमाग़ी भोजन करते ह इससे
हमारी आदत, रवैए और व नधा रत होते ह। हमम से हर एक को कोई न कोई ख़ास
मता वरासत म मली है, जसका वकास हम कर सकते ह। परंतु हम उस मता को
कतना और कस तरह वक सत कर पाते ह, यह हमारे दमाग़ी भोजन पर नभर करता है।
म त क पर माहौल का ब त भाव पड़ता है जस तरह क शरीर पर भोजन का
पड़ता है।
आपने कभी सोचा क अगर आप अमे रका क जगह कसी सरे दे श म पैदा ए
होते तो आप कस तरह के इंसान होते ? आपको कौन सा खाना पसंद होता ? आप कैसे
कपड़े पहनना पसंद करते ? आपको कौन से मनोरंजन यादा अ े लगते ? आप कस
तरह क नौकरी कर रहे होते ? आपका धम कौन सा होता ?
आप इन सभी सवाल के जवाब नह दे सकते। परंतु एक बात तो तय है, क अगर
आप कसी सरे दे श म बड़े ए होते तो आप एक बलकुल ही अलग तरह के इंसान होते।
य ? य क आप एक अलग माहौल म रह रहे होते और आप उससे न त प से
भा वत ए होते। जैसा कहा जाता है, कोई भी इंसान अपने आस–पास के माहौल का

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ॉड ट होता है।

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इसे यान से समझ ल। माहौल हम आकार दे ता है, हम सोचने का तरीक़ा दे ता है।

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आप एक भी ऐसी आदत नह गना सकते जो आपने सर से न सीखी हो। छोट -छोट

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चीज जैसे आपक चाल, खाँसने का तरीक़ा, कप पकड़ने का अंदाज़, आपका संगीत,

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सा ह य, मनोरंजन, कपड़ का शौक़ – सभी हमारे माहौल क दे न ह।

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इससे भी यादा मह वपूण यह है क आपक सोच का आकार आपके ल य क

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ऊँचाई, आपका रवैया और आपका समूचा व आपके माहौल ारा तय कया जाता

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है।
अगर आप नकारा मक लोग के साथ यादा समय तक रहगे तो आपक सोच
नकारा मक हो जाएगी, छोटे लोग के साथ नकट संपक रहने पर आपम छोट आदत आ
जाएँगी। सरी ओर, बड़े वचार वाले लोग के साथ रहने पर आपक सोच का तर भी
ऊँचा हो जाएगा। मह वाकां ी लोग के नकट संपक म रहने पर आपम भी मह वांका ा
आ जाएगी।
वशेष सहमत ह क आप आज जस तरह के इंसान ह, आज आपका व,
या मह वाकां ा, या टे टस जैसा भी है, यह आपके मनोवै ा नक माहौल के कारण है।
और वशेष यह भी मानते ह क आप आज से एक, पाँच, दस या बीस साल बाद या
बनगे यह भी पूरी तरह आपके भ व य के माहौल पर नभर करता है।
आप महीन और साल तक बदलते रहगे। हम इतना तो जानते ही ह। परंतु आप
कस तरह बदलगे यह आपके भावी माहौल पर नभर करता है, उस दमाग़ी भोजन पर
नभर करता है जो आप अपने आपको खलाएँगे। आइए दे खते ह क हम संतु और
समृ के लए अपने भावी माहौल को कस तरह अपने मनमा फ़क बना सकते ह।
पहला क़दम – सफलता के लए ख़ुद को ढाल। ऊँचे तर क सफलता क राह म
सबसे पहली बाधा यह भावना है क महान सफलता हमारी प ँच के बाहर है। यह रवैया
कई, ढे र सारी दमनकारी श य से उपजता है जो हमारी सोच को औसत तर का बनाए
रखती ह।
इन दमनकारी श य को समझने के लए हम अपने बचपन क तरफ़ नजर
डालनी होगी। बचपन म हम सभी के ल य काफ़ ऊँचे आ करते ह। ब त छोट उ म ही
हम अनजान को जीतने क योजनाएँ बनाते ह, लीडर बनने क , ऊँचे मह व के पद हा सल
करने क , रोमांचक काम करने क , अमीर और स बनने क – सं ेप म, हम चाहते ह

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क हम पहले नंबर पर ह , सबसे बड़े और सबसे े बन जाएँ। और अपने अ ान म हम

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साफ़ रा ता दे ख सकते ह क हम इन ल य को हा सल कर लगे।

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परंतु होता या है? इसके पहले क हम उस उ म आएँ जब हम अपने महान

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ल य क तरफ़ आगे क़दम बढ़ा सक, ब त सी दमनकारी श याँ हम पर हावी हो जाती

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ह।

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हर तरफ़ से हम सुनते ह, “सपने दे खना मूखता है,” और यह क हमारे वचार

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“अ ावहा रक, मूखतापूण, नादानी भरे या बकवास" ह, क “सफल होने के लए आपके

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पास ढे र सारा पैसा होना चा हए,” क “आप सफल तभी हो सकते ह जब या तो आपक
क मत अ हो या फर आपके ब त से मह वपूण दो त ह ,” या आप अभी “ यादा
बूढ़े” या “ यादा युवा” ह।
“आप–आगे–नह –बढ़–सकते–इस लए–को शश–करने–से–कोई–फ़ायदा नह ”
वाला चार आपके दमाग़ पर बमबारी करके उसे व त कर दे ता है और इसका प रणाम
यह होता है क यादातर लोग को तीन समूह म बाँटा जा सकता है :
पहला समूह । ज ह ने पूरी तरह घुटने टे क दए ह। यादातर लोग अंदर से यह मान
चुके ह क उनके पास आव यक यो यता नह है। असली सफलता, असली उपल
सर के लए है जो कसी मायने म आपसे यादा भा यवान या तक़द र वाले ह। आप ऐसे
लोग को आसानी से पहचान सकते ह य क वे काफ़ दे र तक आपको यह समझाते ह
क वे अपने जीवन से य संतु ह और वे सचमुच कतने “ख़ुश” ह।
एक ब त बु मान है जसक उ 32 साल है। उसने अपने आपको एक
सुर त परंतु औसत नौकरी के पजरे म कैद कर लया है, और कुछ समय पहले उसने
मुझे घंट तक यह समझाया क वह अपने काम से पूरी तरह संतु है। उसने तक दए, बड़े -
बड़े और बड़े अ े तक दए, परंतु वह जानता था क यह हक़ क़त नह है। दरअसल वह
चाहता तो यह था क उसे भी चुनौतीपूण तयाँ मल, जनका सफलतापूवक सामना
करके वह आगे बढ़ सके और अपनी मता को वक सत कर सके। परंतु “दमनकारी
श य क ब तायत” के कारण उसे इस बात का व ास हो चला था क वह बड़े काम
करने के क़ा बल नह है।
यह समूह वा तव म उस नौकरी बदलने वाले समूह का ठ क उ टा है जो अपनी हर
नौकरी से असंतु रहता है और लगातार नौक रयाँ बदलता रहता है। अपने आपको कसी
खोल म बंद कर लेना, जसे एक ऐसी क़ कहा गया है जसके दोन सरे खुले ह, भी
उतना ही बुरा हो सकता है जतना क बना ल य के इधर–उधर भटकना, यह आशा करना

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क अवसर कह से आकर आपसे टकरा जाएगा।

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सरा समूह। वे लोग ज ह ने आं शक प से समपण कया है सरा परंतु कुछ

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छोटा समूह वय क जीवन म जब वेश करता है तो उसे सफलता क काफ़ आशा होती

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है। ऐसे लोग अपने आपको तैयार करते ह। वे मेहनत करते ह। वे योजना बनाते ह। परंतु,

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एक या दो दशक बाद, उनक ेरणा क आग ज़माने क नकारा मक हवा से बुझने

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लगती है, ऊँचे पद के लए तयो गता करने का उनका उ साह ठं डा पड़ने लगता है। यह

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समूह तब फ़ैसला करता है क महान सफलता उनक प ँच के बाहर है।

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वे यह तक दे ते ह, “हम औसत से यादा कमा रहे ह और हम औसत
से बेहतर ज़दगी गुज़ार रहे ह। हम हमेशा को के बैल क तरह य जुते रह?”
वा तव म, इस समूह ने भी अपने भीतर कुछ डर बठा लए ह असफलता का डर,
सामा जक नदा का डर, असुर ा का डर, जो है उसे खो दे ने का डर। यह लोग संतु नह
होते य क अंदर से वे जानते ह क उ ह ने समपण कर दया है। इस समूह म कई
तभाशाली, बु मान लोग होते ह जो ज़दगी क राह म सफ़ इस लए घसटते ए चलते
ह य क वे खड़े होकर दौड़ने से डरते ह।
तीसरा समूह। वे लोग ज ह ने कभी समपण नह कया – यह समूह जसम शायद
दो या तीन तशत लोग ही आते ह गे, अपने दमाग़ म नराशा को कभी हावी नह होने
दे ता। ऐसा दमनकारी श य के सामने समपण नह करता। वह घुटन के बल
चलने म व ास नह करता। इसके बजाय, यह लोग सफलता क साँस लेते ह, सफलता
का जीवन जीते ह। यह समूह सबसे सुखी होता है य क इसक उपल याँ सबसे यादा
होती ह। ये लोग चोट के से समैन, ए ज़ी यू टव, और हर े के लीडर बन जाते ह। इ ह
अपना जीवन रोमांचक, ेरक, ब मू य और मह वपूण लगता है। यह लोग हर नए दन का
वागत करते ह, सरे लोग के साथ उ साह से मलते ह और हर दन का पूरी तरह आनंद
उठाते ह।
हम ईमानदारी से सोच। हम सभी तीसरे समूह म होना पसंद करगे, ऐसे समूह म
जसे हर साल यादा बड़ी सफलताएँ मलती जाती ह, ऐसे समूह म जहाँ बड़े काम होते ह
और उनके बड़े प रणाम मलते ह।
इस समूह म आने – और बने रहने – के लए हम अपने माहौल के दमनकारी
भाव से जूझना होगा। अगर आप यह जानना चाह क आपको पहले और सरे समूह के
लोग कस तरह पीछे ख चते ह, तो आप इस उदाहरण का अ ययन कर।
मान ली जए आप अपने “औसत” दो त से पूरी गंभीरता से यह कह, “ कसी न
कसी दन म इस कंपनी का वाइस– े सडट बनकर दखाऊँगा।”

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यह सुनकर उनक त या या होगी ? आपके दो त शायद यह सोचगे क आप

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मज़ाक़ कर रहे ह। और अगर उ ह यक़ न हो जाए क आप गंभीर ह, तो शायद वे यह

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कहगे, “नादान आदमी, तु ह अभी ज़दगी म ब त कुछ सीखना है।”

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आपक पीठ पीछे वे तो यहाँ तक कहगे क आपके दमाग़ के पच ढ ले हो गए ह या

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आपका दमाग़ खसक गया है।

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अब हम यह मान ल क आप अपनी कंपनी के े सडट से यही बात इतनी ही

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गंभीरता से कहते ह। उसक त या या होगी ? चाहे जो हो, एक बात तो प क है :
वह हँसेगा नह । वह आपक तरफ़ ग़ौर से दे खेगा और ख़ुद से पूछेगा, “‘ या यह आदमी
गंभीर है ?”
परंतु वह, म एक बार फर दोहरा ँ , हँसेगा नह ।
य क बड़े लोग बड़े वचार पर हँसा नह करते।
या मान ल आप औसत लोग से यह कह क आपक योजना 50,000 डॉलर का
घर ख़रीदने क है, तो वे आप पर हँस सकते ह य क उ ह लगेगा क यह असंभव है।
परंतु आप अगर यह योजना कसी ऐसे को बताएँ जो 50,000 डॉलर के घर म रह
रहा हो, तो उसे आ य नह होगा। वह जानता है क यह असंभव नह है, य क वह ऐसा
कर चुका है।
याद रख– जो लोग आपको बताते ह क इसे कया नह जा सकता, वे उपल य
के मामले म हमेशा असफल लोग होते ह, हमेशा औसत लोग होते ह। इन लोग के वचार
जहर क तरह होते ह।
जो लोग आपको यह समझाना और व ास दलाना चाहते ह क आप यह नह कर
सकते, आपको उन लोग के ख़लाफ़ अपनी सुर ा का इंतज़ाम कर लेना चा हए।
नकारा मक सलाह को केवल चुनौती के प म वीकार कर और आप उस काम को करके
दखा द।

इस बारे म बेहद सावधान रह– नकारा मक सोच वाले लोग को अपनी सफलता क
योजना बदलने का मौक़ा न द। नकारा मक लोग हर जगह होते ह और उ ह सर का
बना–बनाया खेल बगाड़ने म बड़ा मज़ा आता है।
कॉलेज म म दो से म टर म ड यू. ड यू. के साथ था। वह एक अ ा दो त था,
जो आपको कभी-कभार ज़ रत पड़ने पर थोड़ा-ब त क़ज़ दे दया करता था या सरे
तरीक़ से भी मदद कर दया करता था। इन अ आदत के बावजूद, ड यू. ड यू.

. in
ज़दगी के त नराशावाद और कटु था, उसे अपना भ व य पूरी तरह अंधकारमय नज़र

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आता था, उसे सफल होने का कोई मौक़ा नह दखता था। उसक मान सकता पूरी तरह

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नकारा मक थी।

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उस समय म अख़बार क एक कॉल म ट का द वाना आ करता था। यह

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कॉल म ट आशावाद थी, सकारा मक रवैए वाली थी, और मानती थी क ज़दगी म

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अवसर क कोई कमी नह है। जब भी ड यू ड यू. मुझे इस कॉल म ट के लेख पढ़ते

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ए दे खता था या जब भी चचा म उसका नाम आता था, तो वह कहता था, “भगवान के
लए, डे ब। मु य पृ पढ़ो। वह तु ह ज़दगी क स ाई नज़र आएगी। तु ह पता होना
चा हए क यह आशावाद कॉल म ट कमज़ोर लोग के दमाग़ को बहला–फुसलाकर अपने
पैसे कमा रही है।”
जब भी हमारी चचा ज़दगी म सफलता हा सल करने के बारे म आ करती थी, तो
ड यू. ड यू. पैसा–कमाने का अपना फ़ॉमूला बताता था। उसके श द म फ़ॉमूला था–
“डे व, पैसा कमाने के आजकल तीन रा ते ह। पहला, अमीर औरत से शाद कर लो। सरा,
अ े , साफ़–सुथरे ढँ ग से, क़ानूनी तरीक़े से धोखा दो। तीसरा तरीक़ा यह क सही लोग से
जान-पहचान कर लो, जनक अ पकड़ हो। "
ड यू. ड यू. हमेशा अपने फ़ॉमूले को सही सा बत करने के लए ढे र उदाहरण
दया करता था। मु य पृ पर छपी खबर का हवाला दे ते ए वह बताता था क हज़ार
लेबर लीडस म से एक लीडर ने अपनी यू नयन के पैसे का ग़बन कया और रफू-च कर हो
गया। वह उस लभ ख़बर क तलाश भी कया करता था क कस तरह एक फल बेचने
वाले ने करोड़प त लड़क से शाद कर ली। और वह एक ऐसे आदमी को जानता था
जसका प र चत एक बड़े आदमी का प र चत था और इस कारण उसे एक बड़ा मौक़ा हाथ
लग गया और वह अमीर बन गया।
ड यू. ड यू. मुझसे कई साल बड़ा था और उसे इंजी नय रग क क ा म अ े
नंबर मला करते थे। म उसे बड़े भाई क तरह मानता था। म इस बात के ब त क़रीब आ
गया था क अपने मूलभूत व ास पर उसक वचारधारा को हावी हो जाने ँ और अपनी
सकारा मक वचारधारा को उसक नकारा मक वचारधारा से भा वत हो जाने ँ ।
सौभा य से, एक शाम ड यू. ड यू. से लंबी चचा के बाद मने ख़ुद को सँभाला।
मुझे यह एहसास आ क म असफलता क आवाज़ सुन रहा था। मुझे यह लगा क
ड यू. ड यू. मुझे नह समझा रहा है, ब क अपने आप को तस ली दे रहा है क उसक
सोच सही है। इसके बाद म ड यू ड यू. को एक नए अंदाज़ म दे खने लगा, जैसे कोई

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वै ा नक योग करते समय कसी चूहे को दे खता है। उसक बात को मानने के बजाय मने

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उसका अ ययन शु कया। म यह समझने क को शश कर रहा था क उसक ऐसी

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वचारधारा य थी और उसक यह नकारा मक सोच उसे कहाँ ले जाएगी। मने अपने

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नकारा मक दो त को एक गत योग म बदल लया।

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म ड यू. ड यू. से 11 साल से नह मला। परंतु मेरा एक दो त उससे कुछ महीने

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पहले ही मला था। ड यू. ड यू. वॉ शगटन म एक कम तन वाह वाला ा ट् समैन है।

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मने अपने म से पूछा क या ड यू. ड यू. म कोई बदलाव आया है।

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“नह , अगर कोई बदलाव आया है, तो सफ़ यही क वह पहले से यादा
नकारा मक हो गया है। वह ज़दगी म ब त सारी क ठनाइयाँ झेल रहा है। उसके चार ब े
ह और उसक कम तन वाह म उनका ठ क से गुज़ारा नह हो पाता। ड यू. ड यू. म
इतना दमाग है क वह इससे पाँच गुना यादा कमा सकता है परंतु उसे यह नह मालूम क
इस दमाग़ का कस तरह उपयोग कया जाए।”
नकारा मक लोग हर जगह होते ह। कुछ नकारा मक लोग, जैसा मेरा दो त ड यू.
ड यू. था, दल के साफ़ होते ह और आपका भला करना चाहते ह। परंतु कई नकारा मक
लोग आपसे जलते ह। चूँ क वे ख़ुद ज़दगी क दौड़ म पीछे रह गए ह, इस लए वे आपको
भी गराना चाहते ह। वे ख़ुद को अयो य समझते ह, इस लए वे आपको भी अपनी तरह
अयो य, औसत बनाना चाहते ह।
बेहद सावधान रह। नकारा मक लोग का अ ययन कर। उ ह अपनी सफलता क
योजना न न करने द।
एक युवा कमचारी ने मुझे बताया क उसने अपना डपाटमट बदल लया है। उसने
कहा, “हमारे डपाटमट का एक आदमी सुबह-शाम हमारी कंपनी क बुराई कया करता
था। चाहे मैनेजमट कुछ भी करे, वह उसम बुराई ढू ँ ढ़ ही लेता था। वह सुपरवाइज़र से
लेकर मा लक तक हर एक के बारे म नकारा मक सोच रखता था और नकारा मक बात
कहता था। हम जो माल बेचते थे, वह उसक नज़र म घ टया था। हमारी हर नी त म कोई
न कोई खामी थी। जहाँ तक उसका याल था, हमारी कंपनी क हर चीज़ म, हर म
कह न कह , कोई न कोई गड़बड़ी थी।
“हर सुबह जब म काम पर आता था तो उसक जली-कट बात सुनकर म
तनाव त हो जाया करता था और शाम को जब म घर जाता था, उसके पहले भी वह
कमचारी 45 मनट तक इस बात पर भाषण दे ता था क उस दन हमारे साथ या- या
ग़लत आ, वह दन य ख़राब गुज़रा। म ब त न सा हत, नराश होकर घर लौटता था।

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आ ख़रकार मने फ़ैसला कया क म सरे डपाटमट म चला जाऊँ। इससे ब त यादा

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फ़क़ पड़ा य क अब म ऐसे लोग के साथ ँ जो दोन पहलु पर वचार कर सकते ह।”

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उस युवक ने अपना माहौल बदल लया। उसने सही काम कया, है ना ?

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इस बारे म कोई ग़लतफ़हमी न पाल। आपको आपके संगी–सा थय के आधार पर

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पहचाना जाता है। एक जैसे लोग एक साथ रहते ह। सभी कमचारी एक-से नह होते। कुछ

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नकारा मक होते ह, कुछ सकारा मक। कुछ इस लए काम करते ह य क काम करना

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उनक “मजबूरी” है। कुछ इस लए काम करते ह य क वे मह वाकां ी ह और आगे

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बढ़ना चाहते ह। कुछ सहयोगी बॉस क हर बात या उसके हर काम क बुराई करते ह, कुछ
सरे सहयोगी यादा न प से सोचते ह और यह महसूस करते ह क अ े लीडर
बनने से पहले उ ह अ ा अनुयाई बनना चा हए।
हम कस तरह सोचते ह, यह हमारे समूह से तय होता है। सु न त कर ल क आप
ऐसे समूह म ह जो सही सोचता है।
आपके काम के माहौल म कई बाधाएँ आएँगी। हर समूह म ऐसे लोग ह गे ज ह
अपनी अयो यता का एहसास होगा और वे आपक राह म बाधा बनकर खड़े हो जाएँगे और
आपको ग त नह करने दगे। कई मह वाकां ी लोग क हँसी उड़ाई जाती है, उ ह
धमकाया तक जाता है और सफ़ इस लए य क वे लोग यादा सफल होते ह और यादा
काम करते ह। हम इस बात को ठ क से समझ ल। कुछ लोग ई य क वजह से आपको
नीचा दखाना चाहते ह और वे ऐसा इस लए करते ह य क आप सफलता क सीढ़ पर
ऊपर क तरफ़ चढ़ना चाहते ह।
यह फ़ै ट रय म अ सर होता है जहाँ साथी कमचारी ऐसे से चढ़ते ह जो
उ पादन बढ़ाना चाहता है। यह म ल म भी होता है जहाँ नकारा मक लोग का समूह उस
युवा सपाही क हँसी उड़ाता है और उसका अपमान करता है जो ऑ फ़सस कूल म जाना
चाहता है।
यह बज़नेस म भी होता है, जब ज़दगी क दौड़ म पीछे रह जाने वाले लोग आगे
नकलने वाले लोग का रा ता रोकने क को शश करते ह।
आपने यह हाई कूल म भी बार-बार दे खा होगा क कुछ आवारा लड़के उस
सहपाठ का मज़ाक़ उड़ाते ह जो अ तरह पढ़ता है और अ े नंबर लाता है। कई बार
तो उस तभाशाली व ाथ का तब तक मज़ाक़ उड़ाया जाता है जब तक क वह इस
न कष पर नह प ँच जाता क तभाशाली होने म समझदारी नह है।

. in
अपने आस–पास के ऐसी नकारा मक सोच वाल को नज़र अंदाज़ कर द।

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अ सर आपसे इस तरह क जो बात कही जाती ह, उनका उ े य आपको नीचा

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दखाना नह होता। वे तो केवल बोलने वाले क असफलता और नराशा को उजागर करती

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ह।

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नकारा मक सोच वाले लोग को इस बात क छू ट न द क वे आपको भी अपने तर

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तक नीचे ले आएँ। उनक बात को उसी तरह से फसल जाने द जैसे बतख क पीठ से

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पानी फसला करता है। इस तरह के लोग से जुड़ जो सकारा मक सोचते ह, जो
ग तशील सोच रखते ह। उनके साथ ऊपर क तरफ़ बढ़े ।
आप भी ऐसा कर सकते ह, बशत क आपक सोच सही हो!
परंतु एक सावधानी रख – ये दे ख क आपको सलाह दे ने वाला कौन है। यादातर
संगठन म आपको ब त से ऐसे लोग मल जाएँगे जो आपको “फोकट क सलाह” दगे। वे
च लेकर आपको सफलता के गुर या नु ख़े या फ़ॉमूले बताना चाहगे। एक बार मने इसी
तरह के फोक टया सलाहकार को एक तभाशाली नए कमचारी को सलाह दे ते ए सुना।
सलाहकार कह रहा था, “यहाँ काम करने का तरीक़ा यही है क आप हर काम से बच।
अगर उ ह पता चल गया क आपम तभा है, तो वे आप पर काम लादते चले जाएँगे।
ख़ास तौर पर म टर जेड. ( डपाटमट के मैनेजर) से जतना बने र रहना। अगर उ ह पता
चल गया क आपके पास कम काम है तो वे आपको गले तक काम म डु बो दगे . . . । ”
यह फोक टया सलाहकार 30 साल से उस कंपनी म काम कर रहा है और उसे
आज तक मोशन नह मला है। उस के लए यह कतना अ ा सलाहकार हो
सकता है जो अभी नया–नया काम शु कर रहा है और बज़नेस म ऊपर क तरफ़ ग त
करना चाहता है!
जो जानते ह, उ ह से सलाह लेने का नयम बनाएँ। ब त से लोग यह सोचते ह क
सफल लोग से मलना आसान नह होता। यह बात ग़लत है। सच तो यह है क इनसे
मलना मु कल नह होता । दे खने म यह आता है क जो जतना यादा सफल
होगा, वह उतना ही वन होता है और सर क मदद करने के लए तैयार रहता है। चूँ क
ऐसे लोग अपने काम और सफलता म सचमुच च लेते ह इस लए वे यह दे खना चाहते ह
क हर काम सफलतापूवक हो और जब वे रटायर ह तो उनका उ रा धकारी इतना
क़ा बल हो क वह हर काम सफलतापूवक कर सके। उन लोग से मलना मु कल होता है
जो “भ व य म बड़ा बनने के सपने दे खने वाले लोग” होते ह।

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एक एकज़ी यू टव ने जसे एक घंटे के 4० डॉलर मला करते थे इस बात को

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कया – “म एक त म हला ँ, परंतु मेरे ऑ फ़स के दरवाज़े पर ‘डू नॉट ड टब‘ का

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बोड नह लगा रहता। लोग को सलाह दे ना मेरा मु य काम है। हम अपनी कंपनी के हर

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को श ण दे ते ह। परंतु अगर कसी को गत परामश या “सलाह” क

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ज़ रत हो, तो उसे बस कहने भर क दे र है।

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“म अपने यहाँ आने वाले क हर सम या सुनने के लए तैयार ँ, चाहे वह सम या

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कंपनी से संबं धत हो या गत। वह जो अपनी नौकरी के बारे म यादा जानना

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चाहता है और काम करने के यादा अ े तरीक़े सीखना चाहता है, उसक मदद करना
मुझे सबसे अ ा लगता है।
“परंतु,” उसका कहना था, “मुझे ऐसे फालतू लोग को सलाह दे ने म समय बबाद
करना पसंद नह है जो गंभीरता से सलाह नह ले रहे ह ।”
जब आपके पास सवाल ह , तो फ़ ट लास बन । असफल से सलाह लेना
उसी तरह क बात है जैसे नीमहक म से कसर का इलाज पूछना।

आजकल कई ए ज़ी यू टव कसी मह वपूण पद पर कसी को नौकरी दे ते समय उसक


प नी का इंटर ू भी लेते ह। एक से स ए ज़ी यू टव ने मुझे बताया, “म यह सु न त कर
लेता ँ क हमारे संभा वत से समैन का प रवार उसे सहयोग करता हो। से समैन क
नौकरी म या ा करनी पड़ती है, काम के घंटे अ नय मत होते ह और भी इसी तरह क कई
द क़त होती ह। ऐसी प र त म ऐसा सहयोगी प रवार होना चा हए जो से समैन क
राह म द क़त खड़ी न करे।”
आज लोग इस बात को समझ चुके ह क छु के दन म जो होता है और शाम को
6 बजे से सुबह 9 बजे तक जो होता है उससे कसी इंसान के काम पर फ़क़ पड़ता है,
उससे इस बात पर फ़क़ पड़ता है क वह इंसान सुबह 9 बजे से शाम को 6 बजे तक कस
तरह काम करेगा। जसक नौकरी के बाहर क ज़दगी रचना मक है वह उस से
यादा सफल होगा जसक घरेलू ज़दगी बो झल और नीरस है।
हम पारंप रक तरीक़े से दो साथी कमचा रय जॉन और म टन को दे ख क वे
अपना वीकएंड कस तरह गुज़ारते ह। और इसके या प रणाम होते ह।
जॉन वीकएंड म अपनी मनोवै ा नक ख़ुराक इस तरह लेता है। आम तौर पर एक
शाम वह अपने चु नदा, दलच दो त के साथ गुज़ारता है। सरी शाम को वे लोग घूमने
जाते ह - शायद कोई फ़ म दे खते ह, कसी सामुदा यक काय म म जाते ह या कसी
दो त के घर जाते ह। जॉन श नवार क सुबह वॉय काउट वक म लगाता है। श नवार क

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दोपहर को वह घर के छोटे –मोटे काम नबटाता है। अ सर वह कसी ख़ास ोजे ट पर

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काम करता है। अभी वह पछवाड़े एक आँगन बना रहा है। र ववार को जॉन अपने प रवार

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के साथ कुछ ख़ास करता है। हाल ही म एक र ववार को वे लोग पहाड़ पर चढ़ने गए। सरे

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र ववार को वे सं हालय घूमने गए। कभी-कभार वे आस-पास दे हात म पक नक मनाने

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चले जाते ह य क जॉन भ व य म दे हात म ज़मीन–जायदाद ख़रीदना चाहता है।

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र ववार क शाम शां त से गुज़रती है। जॉन आम तौर पर कोई पु तक पढ़ता है या

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फर समाचार सुनता है।

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जॉन के वीकएंड त और सु नयो जत रहते ह। कई तरह क रोचक ग त व धय
के कारण बो रयत का सवाल ही नह उठता। जॉन को काफ़ मनोवै ा नक ऊजा मल
जाती है।
म टन क मनोवै ा नक ख़ुराक जॉन क तुलना म कम संतु लत है। उसके वीकएंड
क कोई योजना नह होती। म टन आम तौर पर शु वार क रात को “थका आ” होता
है, परंतु वह अपनी प नी से औपचा रकतावश पूछ लेता है, “कुछ करने का इरादा तो नह
है ?” परंतु योजना वह पर ख़ म हो जाती है। म टन और उसक प नी कभी-कभार ही
कह आते-जाते ह। म टन श नवार क सुबह दे र तक सोता है और बाक़ दन कसी न
कसी तरह के काम म उलझा रहता है। श नवार क रात को म टन और उसका प रवार
सामा यत: फ़ म दे खने जाता है या ट वी दे खता है ( “और करने के लए है ही या ? ” ) ।
म टन र ववार क सुबह का यादातर ह सा ब तर म ही गुज़ारता है। र ववार क दोपहर
वे लोग बल और मैरी के यहाँ जाते ह या फर मैरी और बल उनके यहाँ आ जाते ह। ( बल
और मैरी ही ऐसे इकलौते दं प त ह जनके यहाँ म टन और उसक प नी नय मत प से
आते–जाते ह।)
म टन का पूरा वीकएंड बो रयत भरा होता है। र ववार क रात तक पूरे प रवार म
तनाव-सा छा जाता है। उनम कोई लड़ाई-झगड़ा तो नह होता, परंतु घंट का मनोवै ा नक
यु चलता रहता है।
म टन का वीकएंड बो झल, नराशाजनक, बो रयत भरा होता है। म टन को कोई
मनोवै ा नक ऊजा नह मलती।
अब इन घरेलू माहौल का जॉन और म टन पर या असर होगा ? कुछ स ताह म
तो शायद इसका असर हम नज़र नह आएगा। ले कन अगर यही सल सला महीन या
साल तक चलता रहा तो उसका असर साफ़ नज़र आएगा।

. in
जॉन के माहौल से उसे ताज़गी मलती है, ऊजा मलती है, नए–नए वचार मलते

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ह, उसक सोच ापक होती है। वह उस एथलीट क तरह है जो वटा मन क गो लयाँ खा

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रहा है।

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म टन का माहौल ऐसा है जो उसे मनोवै ा नक प से भूखा रख रहा है। उसका

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सोचने का यं ख़राब हो चुका है। वह उस एथलीट क तरह है जसे कडी और बयर द जा

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रही है।

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जॉन और म टन आज एक ही तर पर हो सकते ह, परंतु आगे आने वाले साल म
दोन के बीच का फ़ासला बढ़ता जाएगा और जॉन म टन क तुलना म काफ़ आगे नकल
जाएगा।
मज़ा कया लोग कहगे, “शायद इस लए क जॉन म म टन से यादा दम है”।
परंतु बात यह नह है। बात यह है क इन दोन के दमाग़ को इनके माहौल ने जो
मनोवै ा नक ख़ुराक द है, उसका असर इनक नौक रय पर तो होना ही है।
हर कसान जानता है क अगर वह खेत म खाद डालेगा तो फ़सल यादा पैदा
होगी। अगर हम बेहतर प रणाम पाना चाहते ह, तो हमारी सोच को भी अ त र पोषण क
ज़ रत होती है।
मेरी प नी और म पछले महीने एक डपाटमट टोर के मा लक क पाट म गए।
मेरी प नी और म उससे बात करने के लए थोड़ा क गए, जब क बाक़ लोग वहाँ से चल
दए। मने टोर के मा लक से पूछा, “शाम से ही म आपसे यह सवाल पूछना चाहता था क
आपने हम लोग को इस पाट म य बुलाया। मने उ मीद क थी क यहाँ पर आपके
ोफ़ेशन से संबं धत लोग ही ह गे। परंतु आपके अ त थ तो अलग-अलग वसाय से
संबं धत थे। कोई लेखक था, कोई डॉ टर था, कोई इंजी नयर था, कोई अकांउटट था तो
कोई ट चर।”
वह मु कराया, “हम अ सर अपने ोफ़ेशन के लोग को पाट दे ते ह। परंतु हेलेन
और म यह भी पसंद करते ह क हम ऐसे लोग से भी मल जनका ोफ़ेशन अलग हो।
मुझे लगता है क अगर हम केवल अपने ही वसाय के लोग से मलगे-जुलगे तो हमारी
मान सकता संकु चत हो जाएगी।
“इसके अलावा,” उसने आगे कहा, “मेरा बज़नेस लोग से जुड़ा बज़नेस है। हर
दन हर ोफेशन के हज़ार लोग मेरे टोर म सामान ख़रीदते ह। सरे लोग के बारे म म

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जतना यादा जानूँगा – उनके वचार, उनक चयाँ, उनका कोण – मुझे उतना ही

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यादा फ़ायदा होगा य क म उ ह उसी तरह क सेवा और सामान दे पाऊँगा जो वे चाहते

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ह।”

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कुछ नयम का पालन करके आप भी अपने सामा जक माहौल को फ़ ट लास

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बना सकते ह :

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1.नए समूह म आएँ – जाएँ । अपनी सामा जक ग त व धय को कसी छोटे समूह म

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सी मत रखने से बो रयत और असंतु होती है। साथ ही यह भी मह वपूण है क सफलता
के लए लोग को समझना ज़ री होता है। हर तरह के लोग के बारे म जान, उनसे सीख,
उनका अ ययन कर। केवल एक समूह का अ ययन करके लोग के बारे म जानकारी
हा सल करने का वचार उसी तरह का है जस तरह एक छोट -सी पु तक पढ़कर ग णत
बनने का वचार।
नए दो त बनाएँ, नए संगठन म श मल ह , अपने सामा जक दायरे को बढ़ाएँ।
इसके अलावा अलग-अलग लोग से मलने से आपके जीवन का आनंद बढ़ जाता है और
आपक सोच ापक होती है। यह आपके दमाग़ के लए अ ा भोजन है।
2.ऐसे दो त चुन जनके वचार आपसे अलग ह । आज के आधु नक युग म, संक ण
वचारधारा के का भ व य ब त उ वल नह है। ज़ मेदारी और मह वपूण पद
उसी को मलते ह जो दोन पहलु को दे ख सकता है। अगर आप रप लकन ह,
तो आपके कुछ दो त डे मो े ट होने चा हए और अगर आप डे मो े ट ह तो आपके कुछ दो त
रप लकन होने चा हए। सरे धम के लोग से मल। अपने वपरीत वभाव के लोग से
दो ती कर। परंतु इस बात को सु न त कर ल क उनक मान सकता भी ग तशील हो,
उनम भी सफलता क चाह हो।
3.ऐसे दो त चुन जो छोट , मह वहीन बात से ऊपर उठ सकते ह । जो लोग आपके वचार
या अपक चचा के बजाय आपके घर के सामान या सजावट म च लेते ह वे छोट
मान सकता के लोग होते ह। अपने मनोवै ा नक माहौल क र ा कर। ऐसे दो त चुन जो
सकारा मक चीज़ म च रखते ह । ऐसे दो त चुन जो आपको सचमुच सफल दे खना
चाहते ह । ऐसे दो त बनाएँ जो आपक योजना और आदश म उ साह भर द। अगर
आप ऐसा नह करते, अगर आप घ टया सोच वाल को अपना सबसे प का दो त बनाते ह,
तो आप भी धीरे–धीरे एक घ टया चतक म बदल जाएँगे। हमारे दे श म ज़हर का ब त
यान रखा जाता है। –शारी रक ज़हर का।

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हर रे तराँ फ़ूड पॉइज़ नग के बारे म सतक रहता है। अगर कसी रे तराँ म ऐसे एक–

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दो मामले हो जाएँ तो फर ाहक वहाँ जाना छोड़ दे ते ह। हमारे यहाँ सैकड़ क़ानून ह

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जनम जनता को सैकड़ तरह के शारी रक ज़हर से सुर ा द जाती है। हम ज़हर को ब

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क प ँच से र रखना चा हए। हम शारी रक ज़हर से बचने के लए हरसंभव यास करते

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ह। और हम ऐसा करना भी चा हए।

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परंतु एक और तरह का ज़हर होता है जो शायद शारी रक ज़हर से थोड़ा यादा

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हा नकारक होता है – वचार का ज़हर – जसे “गपशप" कहा जाता है। वचार के ज़हर

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और शारी रक ज़हर म दो अंतर होते ह। वैचा रक ज़हर दमाग़ को भा वत करता है, शरीर
को नह और इसके अलावा यह यादा सू म होता है। जस को वैचा रक ज़हर दया
जा रहा है, आम तौर पर उसे इस बात का पता ही नह चलता।
वैचा रक ज़हर सू म होता है, परंतु इससे “बड़ी" चीज़ हो जाती ह। यह हमारी सोच
का आकार घटाता है, य क हम अपनी सोच को छोट , मह वहीन बात पर क त करने
लगते ह। यह लोग के बारे म हमारी सोच को उथला और घ टया कर दे ता है य क इसम
त य को तोड़-मरोड़कर पेश कया जाता है और यह हमम अपराधबोध भी पैदा कर दे ता है
जो तब साफ़ दखाई दे जाता है जब हम उस के सामने आते ह जसके बारे म
गपशप क जा रही थी। वैचा रक ज़हर म सही सोच 0 तशत होती है और 100 तशत
गलत सोच होती है।
और यह बात सही नह है क सफ़ म हलाएँ ही गपशप म मज़ा लेती ह। हर दन
ब त सारे पु ष गपशप करते नज़र आते ह, वैचा रक ज़हर के माहौल म रहते नज़र आते
ह। हर दन हज़ार ग प होती ह, जनका वषय होता है “बॉस क वैवा हक या आ थक
क ठनाइयाँ”, “ बल क बज़नेस म आगे नकलने क जोड़ – तोड़ ”, “जॉन के ांसफ़र क
संभावना,” “टॉम को मोशन दए जाने के छु पे ए कारण”, और “उ ह ने उस नए
को य रखा।” गपशप इस तरह से चलती है। – “मने सुना है . . . नह , य . . . इससे
मुझे हैरानी नह ई... उसके साथ तो यह होना ही था . . . कसी को बताना नह , यह
गोपनीय है . . . ”
बातचीत हमारे मनोवै ा नक माहौल का एक ब त बड़ा ह सा है। कुछ चचाएँ
व होती ह। इनसे आपको ो साहन मलता है। आपको ऐसा लगता है जैसे आप वसंत
क कुनकुनी धूप म टहल रहे ह । कुछ चचा से आपको वजेता होने का एहसास होता
है।
परंतु कई बार चचा इस तरह क होती है जैसे आप कसी ज़हरीले, रे डयोए टव
बादल से गुज़र रहे ह । इससे आपको बीमारी का एहसास होने लगता है। इससे आप हारा

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आ महसूस करने लगते ह।

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गपशप लोग के बारे म नकारा मक चचाएँ ह और वैचा रक ज़हर का शकार

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यह समझता है क उसे इसम मज़ा आ रहा है। वह लोग के बारे म नकारा मक बात सोच-

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सोचकर एक क़ म का ज़हरीला आनंद लेता है। वह यह समझ ही नह पाता क ऐसा

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करने से वह सफल लोग क नज़र म लगातार छोटा होता जा रहा है और उनका उस पर

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से भरोसा कम होता जा रहा है।

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एक बार जब म और मेरे दो त बजा मन क लन के बारे म चचा कर रहे थे, तो
इसी तरह का वैचा रक ज़हर का शकार हमारी चचा म शा मल हो गया। जैसे ही
म टर कलजॉय को हमारी चचा का वषय मालूम चला, उ ह ने क लन के गत
जीवन के कुछ संग हम नकारा मक प से सुनाए। शायद यह सच हो क क लन का
गत जीवन पाकसाफ़ नह रहा हो। परंतु मु े क बात यह थी क हम लोग बजा मन
क लन के गत जीवन पर बात नह कर रहे थे और मुझे खुशी ई क हम लोग
अपने कसी प र चत के बारे म चचा नह कर रहे थे।
लोग के बारे म बोल ? हाँ, परंतु सकारा मक पहलू से।
एक बात अ े से समझ ल : हर तरह क चचा गपशप नह होती। कई बार इधर-
उधर क चचा, हँसी – मज़ाक़, ह का-फु का मनोरंजन ज़ री होता है। उससे दमाग़
तरोताज़ा होता है, परंतु शत यह है क यह रचना मक होना चा हए। आप इस टे ट से यह
जान सकते ह क आप कतना ग पयाते ह या ग प म आपक कतनी च है :
1. या म सर के बारे म अफ़वाह फैलाता ँ?
2. या म सर के बारे म अ बात कहता ँ?
3. या मुझे कडल सुनना अ ा लगता है?
4. या म केवल त य के आधार पर ही कसी का मू यांकन करता ँ ?
5. या म सर को इस बात के लए ो सा हत करता ँ क वे मुझे अफ़वाह सुनाएँ ?
6. या म अपनी चचा को इस बात से शु करता ँ, “दे खना कसी से कहना नह ?”
7. या म गोपनीय जानकारी को पूरी तरह गोपनीय रखता ँ?
8. या म सर के बारे म बोलते समय अपराधबोध से त रहता ँ?
सही जवाब या है, यह बताने क ज़ रत नह है।
इस बारे म एक मनट सोच : कु हाड़ी उठाकर अपने पड़ोसी का फ़न चर तोड़ दे ने
से आपका फ़न चर बेहतर नह दखने लगता। इसी तरह, सरे पर श द क
कु हाड़ी या हथगोले चलाने से आप बेहतर इंसान नह बन जाते।

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हमेशा फ़ ट लास बने रह। अपने हर काम म इस नयम का पालन कर। सामान या सेवाएँ

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ख़रीदने म भी। एक बार, फ़ ट लास सोच क सफलता सा बत करने के लए मने एक

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े नी समूह से पूछा क वे मुझे अपने जीवन क कुछ ऐसी घटनाएँ सुनाएँ जब उ ह ने चव ी

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बचाकर अठ ी का नुक़सान कर लया हो। यहाँ पर कुछ उदाहरण दए जा रहे ह :

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“मने फ़टपाथ से एक स ता-सा सूट ख़रीद लया। मने सोचा क यह ब ढ़या सौदा

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था, परंतु सूट ख़राब नकला।”

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“मेरी कार म रपेय रग होनी थी। म इसे एक स ते से गैरेज म ले गया जो
अथॉराइ ड डीलर से 25 डॉलर कम म रपेय रग करने के लए तैयार हो गया। परंतु मेरी
कार ज द ही फर से ख़राब हो गई। अब वह गैरेज वाला यह मानने को तैयार नह है क
गलती उसक है।”
“महीन तक मने पैसे बचाने के लए एक घ टया होटल म खाना खाया । जगह
साफ़ – सुथरी नह थी, खाना भी अ ा नह था और स वस उसे स वस कहना ही मूखता
होगी और ाहक भी थड लास आते थे। एक दन मेरा एक दो त ज़बरद ती मुझे एक
ब ढ़या रे तराँ म ले गया। उसने लंच का ऑडर दया और मने भी। मुझे जो मला उससे म
हैरान हो गया– ब ढ़या खाना, ब ढ़या स वस, ब ढ़या माहौल, और पैसे भी थोड़े –से ही
यादा लगे। इस घटना से मने एक बड़ा सबक़ सीखा।”
ऐसे और भी कई संग सुनाए गए। एक ने कहा क उसने “बारगेन” अकाउं ट
का उपयोग कया था जसके कारण वह टै स के झंझट म फँस गया था। सरे ने
बताया क वह एक स ते डॉ टर के पास चला गया था, जसने उसे ग़लत बीमारी बता द
थी। कई और लोग ने बताया क कस तरह स ते के च कर म – घर क स ती मर मत,
स ते होटल, और बाक़ स ते सामान म – उ ह ने चोट खाई थी।
मने कई बार लोग को यह कहते सुना है, “परंतु म फ़ ट लास सामान कैसे ख़रीद
सकता ँ?” इसका सीधा-सा जवाब है, ‘आप इसके अलावा कोई सरा सामान कस तरह
ख़रीद सकते ह?‘ लंबे समय म अ ा माल ख़रीदना हमेशा स ता पड़ता है। इसके अलावा
ढे र सारी घ टया चीज़ होने से यह बेहतर है क आपके पास कम चीज़ ह , पर अ ह।
तीन जोड़ी घ टया जूते होने से एक जोड़ी ब ढ़या जूते हमेशा बेहतर ह।
लोग वा लट के हसाब से आपका मू यांकन करते ह, चाहे वे अवचेतन म ऐसा
करते ह । वा लट का यान रख। इससे फ़ायदा होता है। और इसम यादा ख़च भी नह
होता। यादातर समय, फ़ ट लास बनने म सेकंड लास क तुलना म कम पैसा लगता

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है।

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सफलता का माहौल कैसे तैयार कर

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1.माहौल के त सचेत बन। जस तरह अ ा भोजन शरीर को श दे ता है, उसी तरह

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अ े वचार आपके म त क को श दे ते ह।

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2.अपने माहौल को अपना सहयोगी बनाएँ, अपना वरोधी नह । दमनकारी श य ,

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नकारा मक लोग , आप – ऐसा – नह – कर – सकते कहने वाले लोग को अपना हौसला
प त न करने द।
3.छोट सोच वाले लोग के च कर म न आएँ। ई यालु लोग तो चाहते ही ह क
आप आगे न बढ़ पाएँ। उ ह ख़ुश होने का मौक़ा न द।
4.सफल लोग से सलाह ल। आपका भ व य मह वपूण है। फोक टया सलाहकार
से सलाह लेने का जो खम न ल, य क अ सर यह दे खा गया है क असफल लोग ही
फोक टया सलाहकार होते ह।
5.ब त–सी मनोवै ा नक ऊजा हा सल कर। नए समूह म आएँ – जाएँ । करने के
लए नए और ेरक काम खोज।
6.अपने माहौल से वैचा रक ज़हर को र रख। गपशप से, पर नदा से बच। लोग के
बारे म बात कर, परंतु सकारा मक पहलू से।
7.अपने हर काम म फ़ ट लास रह। आप सरे कसी तरीके़ से काम करने का
जो खम नह उठा सकते।
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अपने वचार को अपना दो त बनाएँ

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या आप सामने वाले के वचार पढ़ सकते ह? कसी के वचार पढ़ना कोई मु कल

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काम नह है। आप इस काम को जतना क ठन समझते ह, यह दरअसल उससे

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ब त आसान है। शायद आपने इस बारे म ठ क से सोचा नह है, परंतु यह सच है क आप

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हर दन सर के वचार पढ़ते ह और आप अपने ख़ुद के वचार को भी पढ़ते ह।
हम ऐसा कस तरह करते ह? ऐसा अपने आप होता है और हम रवैए के मू यांकन
से ऐसा कर पाते ह।
आपने वह गाना सुना है, You Don‘t Need to Know the Language to Say
You‘re In Love ( यार का इज़हार करने के लए भाषा जानने क ज़ रत नह होती)।
यह स गीत बग ॉसबी ने कुछ साल पहले गाया था। इस साधारण से गाने म
मनो व ान क पूरी पु तक का नचोड़ है। आपको यार का इज़हार करने के लए भाषा
जानने क ज़ रत नह होती। जसने भी ेम कया है, वह यह बात अ तरह से जानता
है।
और आपको यह बताने के लए भी भाषा जानने क ज़ रत नह है, "म आपको
पसंद करता ँ” या “म आपसे नफ़रत करता ँ" या “म समझता ँ क आप मह वपूण ह।”
या “मह वहीन ह” या “म आपसे ई या करता ँ।” आपको यह कहने के लए श द का
इ तेमाल नह करना पड़ता, “म अपने काम को पसंद करता ँ” या “म बोर हो चुका ँ” या
“म भूखा ँ।” लोग इन वा य को बना आवाज़ कए बोल लेते ह।
हम या सोच रहे ह, यह हमारे हावभाव से समझ म आ जाता है। हमारे हावभाव
हमारे म त क के त बब ह। वे बताते ह क हम या सोच रहे ह।
आप ऑ फ़स क कुस पर बैठे कसी के वचार पढ़ सकते ह। आप उसके
हावभाव दे खकर समझ सकते ह क अपने काम के बारे म उसका कोण या है। आप
से समैन, व ा थय , प तय और प नय के वचार समझ सकते ह, आप न सफ़ ऐसा
कर सकते ह, ब क आप अ सर ऐसा करते ह।
फ़ म और ट वी सी रयल के लोक य अ भनेता दरअसल अ भनय नह करते। वे
अपनी भू मका को नह नभाते। इसके बजाय वे अपने अ त व को भूल जाते ह और

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सचमुच यह क पना करने लगते ह क वे अ भनय कए जाने वाले पा के शरीर म घुस गए

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ह। उ ह यह करना ही पड़ता है। इसके बना वे नक़ली लगगे, उनके अ भनय म जान नह

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आ पाएगी और उनक लोक यता कम हो जाएगी।

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हमारे कोण न सफ़ दख जाते ह, ब क वे “सुनाई” भी दे जाते ह। कोई

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से े टरी जब फ़ोन पर बात करती है और कहती है, "गुड मॉ नग, म टर शूमेकस ऑ फ़स,”

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तो इन पाँच श द म वह से े टरी यह जता दे ती है, “म आपको पसंद करती ँ। मुझे ख़ुशी

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है क आपने फ़ोन कया। मुझे लगता है क आप मह वपूण ह। म अपने काम को पसंद

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करती ँ।”
परंतु सरी से े टरी इ ह श द के मा यम से यह बोलती ई लग सकती है, “आप
मुझे परेशान कर रहे ह। कतना अ ा होता अगर आपका फ़ोन नह आया होता। म अपने
काम से बोर हो गई ँ और म ऐसे लोग को पसंद नह करती, जो मुझे परेशान कर।”
हावभाव से, आवाज़ क टोन से और आवाज़ के उतार–चढ़ाव से हम कसी के भी
रवैए को समझ जाते ह। इसका कारण या है? मनु य के इ तहास म बोलने वाली भाषा
का ज म तो हाल ही म आ है। अगर हम कालच के हसाब से दे ख, तो पूरे इ तहास क
घड़ी के मान से मनु य ने इसी सुबह बोलना शु कया है। भाषा के ज म से पहले, करोड़
साल से इंसान सफ़ आवाज़ और इशार और हावभाव से अपनी बात कहता आया है।
करोड़ साल तक इंसान सरे इंसान के साथ सं ेषण के लए श द का इ तेमाल
नह करता था, ब क अपने शरीर, अपने चेहरे के भाव और अपनी आवाज़ का इ तेमाल
करता था। और हम आज भी अपने कोण और अपनी भावनाएँ अ भ करने के
लए इनका इ तेमाल करते ह। ब के साथ वहार करते समय हमारे पास सीधे
शारी रक श के अलावा सफ़ आवाज़, हावभाव और शरीर क ग त व धयाँ ही तो
सं ेषण का मा यम ह। और ब म ऐसी छठ इं य होती है क वे असली और नक़ली
का फ़क़ त काल समझ लेते ह।
ोफेसर अ वन एच. शेल, जो लीडर शप म अमे रका के यात वशेष ह, कहते
ह, “सच कहा जाए तो उपल के लए सु वधा और यो यता के अलावा कसी और
चीज़ क भी ज़ रत होती है। मेरा यह मानना है क इस उ ेरक को सफ़ एक श द म
बयान कया जा सकता है – रवैया। जब आपका रवैया सही होगा, तभी आप अपनी
यो यता का अ धकतम उपयोग कर पाएँगे और आपको उसके अ े प रणाम अपने
आप मलगे।”

in
रवैए से फ़क़ पड़ता है। सही रवैए वाला से समैन अपने ल य को ा त ही नह

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करता, ब क उससे आगे नकल जाता है। सही रवैए वाला व ाथ परी ा म फ़ ट

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डवीज़न लाता है। सही रवैए वाले दं प त सुखी वैवा हक जीवन बताते ह। सही रवैए से

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आप लोग के साथ भावी वहार करते ह, आप लीडर बन जाते ह। सही रवैए से आप

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हर तरह क प र त म जीत जाते ह।

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इन तीन रवैय को वक सत कर। इ ह अपने हर काम म अपना साथी बनाएँ।

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1.मुझम उ साह है का रवैया वक सत करना।

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2.आप मह वपूण ह का रवैया वक सत करना।
3.सेवाभाव का रवैया वक सत करना।
अब हम दे खते ह क ऐसा कस तरह कया जा सकता है।
साल पहले, जब म कॉलेज म था, मने अमे रक इ तहास क क ा म अपना नाम
लखाया। मुझे लास ब त अ तरह याद है, इस लए नह य क वहाँ मने अमे रकन
इ तहास के बारे म ब त कुछ सीखा था, ब क इस लए य क मने वहाँ पर सफल जीवन
का यह मूलभूत स ांत सीखा था : सर म उ साह भरने के लए, पहले ख़ुद म उ साह
भर।
इ तहास क क ा ब त बड़ी थी और यह एक बड़े हॉल म लगा करती थी। ोफ़ेसर
अधेड़ थे और बड़े ानी थे, परंतु उनके ले चर ब त बो रग आ करते थे। इ तहास को
जीवंत और रोचक वषय के प म पढ़ाने के बजाय वे हम त य और तारीख़ गनाते रहते
थे। मुझे यह दे खकर हैरानी होती थी क वे इतने रोचक वषय को इतने बुरे तरीके़ से कैसे
पढ़ा लेते ह। परंतु वे ऐसा कर लेते थे।
आप समझ ही सकते ह क ोफे़सर क बो रयत भरी बात का व ा थय पर या
असर होता होगा। वे या तो बात करते थे या फर सो जाते थे। जब माहौल ब त बगड़ गया
तो ोफ़ेसर ने दो पहरेदार को तैनात कर दया ता क व ा थय को बात करने और सोने से
रोका जा सके।
कभी – कभार, ोफे़सर बीच म ककर अपनी उँ गली उठाकर छा से कहते थे,
“म तुम सबको चेतावनी दे ता ँ। मेरी बात यान से सुनो। तुम लोग बात करना बंद कर दो
और मेरा ले चर सुनो।” इससे व ा थय पर कोई ख़ास असर नह पड़ता था, य क
इनम से कई व ाथ तो हाल ही म यु से लौटे थे और उ ह ने टापु और लड़ाकू हवाई

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जहाज़ म इ तहास रचा था।

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जब म वहाँ बैठकर यह सोच रहा था क जस वषय को इतने ब ढ़या तरीके़ से

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पढ़ाया जा सकता था, उसे यह ोफ़ेसर इतने बुरे तरीके़ से य पढ़ा रहे ह, तो मेरे दमाग़ म

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यह सवाल भी आया, “ व ाथ ोफे़सर क बात म च य नह ले रहे ह?”

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जवाब त काल मल गया।

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व ा थय को ोफ़ेसर क बात म कोई च इस लए नह थी, य क अपने

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ले चर या अपने वषय म ोफ़ेसर क ही कोई च नह थी वह इ तहास पढ़ाते–पढ़ाते बोर
हो चुके थे और यह साफ़ नज़र आता था। सर को उ सा हत करने के लए आपको पहले
ख़ुद उ सा हत होना पड़े गा।
साल तक मने इस स ांत को सैकड़ प र तय म आज़माया है। हर बार यह
सच सा बत आ है। जस म उ साह नह होता, वह सर को उ सा हत नह कर
सकता। परंतु जो उ साही होता है, उसके पीछे ज द ही ब त से उ सा हत अनुयायी जमा
हो जाते ह।
उ साही से समैन को इस बारे म फ़ नह होनी चा हए क उसके ाहक म
उ साह क कमी हो सकती है। उ साही ट चर को उ साहहीन व ा थय के बारे म फ़
नह करनी पड़े गी। उ सा हत धम पदे शक उन द भीड़ को दे खकर कभी :खी नह होगा।
उ साह से चीज़ 1100 तशत बेहतर हो सकती ह। दो साल पहले एक कंपनी के
कमचा रय ने रेड ॉस म 94.35 डॉलर का दान दया। इस साल उ ह कमचा रय ने
लगभग 1,100 डॉलर दान म दए, जो पछली रा श से 1100 तशत यादा थी।
जस क तान ने 94.35 डॉलर का चंदा लया था, उसम उ साह नह था। उसने इस
तरह क बात कह , “मुझे लगता है यह एक मह वपूण सं ा है;” “मेरा इससे कभी सीधा
सरोकार नह रहा है”; “यह एक बड़ा संगठन है और यह अमीर लोग से काफ़ चंदा लेता
है इस लए मुझे नह लगता क आपके योगदान से कोई ख़ास फ़क पड़ने वाला है,” “अगर
आप दान दे ना चाहते ह , तो मुझसे संपक कर ल।” इस ने कसी को रेड ॉस म
शा मल होने के लए े रत नह कया।
इस साल का चंदा लेने वाला ज़रा अलग क म का था। उसम उ साह था। उसने
इ तहास के कई उदाहरण दे कर लोग को बताया क रेड ॉस संकट के समय कस तरह
इंसान क सहायता करती है। उसने बताया क रेड ॉस हर के दान के सहारे
चलती है। उसने कमचा रय को बताया क वे रेड ॉस को उतना ही दान म द, जतना वे
अपने मुसीबत म फँसे पड़ोसी क मदद करने के लए दगे। उसने कहा, “दे खए, रेड ॉस

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ने अब तक या– या कया है!” यान द जए, उसने भीख नह माँगी। उसने यह नह

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कहा, “मुझे आपम से हर आदमी से इतने डॉलर चा हए।” उसने रेड ॉस के मह व के बारे

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म उ साह से बताया। इसके बाद उसे सफलता अपने आप मल गई।

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एक पल के लए अपने कसी ऐसे लब या संगठन के बारे म सोच जो न तेज हो

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चुका हो। शायद इसे पुनज वत करने के लए उ साह क ज़ रत हो।

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जतना उ साह होगा, प रणाम उतने ही मलगे।

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उ साह का मतलब है, “यह कतना ब ढ़या है!”
यहाँ तीन क़दम का तरीक़ा बताया जा रहा है जो उ साह क श को वक सत
करने म आपक मदद करेगा।
1. गहराई म जाएँ। यह छोटा सा योग कर। दो ऐसी चीज़ के बारे म सोच जनम
आपक बलकुल भी च नह है या ब त कम च है– जैसे ताश के प े, कसी ख़ास
क़ म का संगीत, कोई खेल। अब ख़ुद से पूछ, “म इन चीज़ के बारे म कतना जानता ँ?”
100 म से 99 मामल म आपका जवाब होगा, “ यादा नह ।”
म यह वीकार करता ँ क कई साल तक मुझे आधु नक च कला म कोई च
नह थी। मुझे आधु नक च कला म कुछ आड़ी– तरछ लक र ही दखा करती थ । परंतु
तभी मेरे एक च कार दो त ने मुझे आधु नक च कला क जानकारी द । सचमुच म इसम
जतनी गहराई तक गया, मने पाया क यह ब त दलच थी।
इस अ यास म उ साह बढ़ाने क एक और मह वपूण कुंजी है उ सा हत होने के
लए, उस चीज़ के बारे म यादा जान जसके बारे म आपम कम उ साह हो।
हो सकता है क आप क भ र म यादा च न हो। परंतु अगर आप भ र का
अ ययन कर, यह पता कर क वे कतनी भलाई करते ह, वे कस तरह सरे भ र के साथ
संबंध जोड़ते ह, वे कस तरह जनन करते ह, वे जाड़ म कहाँ रहते ह– अगर आप भ र
के बारे म मल सकने वाली सारी जानकारी हा सल करगे, तो आप पाएँगे क भ र म
आपक दलच ी सचमुच बढ़ गई है।
म इस बात का श ण दे ता ँ क गहराई म जाने क तकनीक से उ साह कस
तरह वक सत कया जा सकता है। श ण दे ते समय म ीनहाउस का उदाहरण दे ता ँ।
म समूह से यूँ ही पूछ लेता ँ, “ या आपम से कोई ीनहाउस बनाने और बेचने म च
रखता है?” मने आज तक इसके जवाब म हाँ नह सुना। फर म समूह को बताता ँ क
जैसे–जैसे हमारा जीवन तर बढ़ता जा रहा है, लोग अपनी मूलभूत आव यकता के बाहर

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क चीज़ म यादा च लेने लगे ह। अमे रका क कोई भी म हला अपने घर म संतरे या

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ऑ कड के पेड़ लगाकर ख़ुश होगी। म बताता ँ क अगर लाख प रवार ाइवेट व मग

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पूल बनवा सकते ह, तो करोड़ लोग न त प से ीनहाउस भी ख़रीद सकते ह य क

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ीनहाउस क लागत व मग पूल क तुलना म ब त कम होती है। म उ ह बताता ँ क

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अगर आप 50 म से एक प रवार को भी 600 डॉलर का ीनहाउस बेच लेते ह तो आपका

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छह सौ म लयन डॉलर का ीनहाउस का बज़नेस खड़ा हो जाएगा। और शायद पौध और

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बीज क आपू त करने के लए आप दो सौ पचास म लयन डॉलर का उ ोग अलग डाल

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लगे।

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इस अ यास के साथ द क़त यह होती है क दस मनट पहले तक जो समूह
ीनहाउस के बारे म बलकुल भी च नह ले रहा था, अब वह इतनी च लेने लगता है
क अगले वषय पर जाना ही नह चाहता!
सरे लोग म अपना उ साह बढ़ाने के लए भी गहराई म जाने क तकनीक का
योग कर। सामने वाले के बारे म सारी जानकारी इक कर– वह या करता है,
उसका प रवार, उसक पृ भू म, उसके वचार और मह वाकां ाएँ– और आप पाएँगे क
उसम आपक च और उ साह बढ़ रहा है। आप और गहराई म जाएँगे तो आपको न त
प से साझी दलच ी के वषय मल जाएँगे। और गहराई म जाएँगे तो आपको
आ ख़रकार एक ब त ही आकषक दख जाएगा।
गहराई म जाने क तकनीक नई जगह के त भी उ साह पैदा कर सकती है। कई
साल पहले मेरे कुछ दो त ने डे ॉएट से लो रडा के एक छोटे क़ बे म जाकर रहने का
फ़ैसला कया। उ ह ने अपने घर बेच दए, अपने बज़नेस” समेट, लए और अपने दो त से
अल वदा कहकर वे रवाना हो गए।
छह ह त बाद वे वापस डे ॉइट म दखे। उनके वापस लौटने का कारण उनके
बज़नेस से संबं धत नह था। इसके बजाय उनका कहना था, “हम छोटे क़ बे म रह नह
पाए। इसके अलावा, हमारे सभी दो त डे ॉइट म ह। हम वापस लौटना ही पड़ा।”
बाद म इन लोग के साथ ई चचा म मने उनक वापसी का असली कारण जाना।
कारण सफ़ इतना था क उ ह छोटा शहर पसंद नह आया था। कुछ दन के वास म
उ ह ने उस जगह का सतही मुआयना कया– वहाँ का इ तहास, भ व य क योजनाएँ, वहाँ
के लोग। उनका शरीर तो ल रडा म रह रहा था, परंतु वे अपना दल डे ॉइट म छोड़ गए
थे।
मने दजन ए ज़ी यू ट ज़, इंजी नयर और से समैन से बात क ज ह उनक
कंपनी सरी जगह भेजना चाहती थी, परंतु वे वहाँ नह जाना चाहते थे। "म शकागो (या

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सैन ां स को या अटलांटा या यूयॉक या मयामी) जाने का सोच ही नह सकता” दन म

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कई बार बोला जाता है।

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नई जगह के बारे म उ साह बढ़ाने का एक तरीक़ा यह है। नए समुदाय क गहराई म

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जाने का संक प कर। इसके बारे म हर जानकारी इक कर। लोग से मल – जुल । पहले

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ही दन से अपने को वहाँ का नवासी समझे। ऐसा कर, और आप अपने नए माहौल के बारे

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म उ सा हत हो जाएँगे।

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आज करोड़ अमे रक शेयर बाज़ार म पैसा नवेश कर रहे ह। परंतु कई करोड़ लोग
ऐसे भी ह ज ह टॉक माकट म कोई च नह है। ऐसा इस लए है य क उ ह शेयर
बाज़ार का कोई ान नह है, यह कस तरह से काम करता है, शेयर के भाव ऊपर–नीचे
य आते ह, और हम यह नह भूलना चा हए क शेयर बाज़ार अमे रक वसाय का दन
– त – दन का रोमांस है।
कसी भी चीज़ के बारे म – लोग, जगह, चीज़ – उ सा हत होने के लए इसक
गहराई म जाएँ।
गहराई म जाएँ और आपम अपने आप उ साह पैदा हो जाएगा। अगली बार जब भी
आप कोई ऐसा काम कर जो आप न करना चाहते ह , तो इस स ांत का योग कर।
अगली बार जब आप कसी काम से बोर हो रहे ह , तो इस स ांत का योग कर। गहराई
म जाएँ और आपक च अपने आप जाग जाएगी।
2.हर काम दल से कर। उ साह या उ साह क कमी आपके हर काम म दखती है,
आपक हर बात म कट होती है। दल से हाथ मलाएँ। जब आप हाथ मलाएँ, तो ज़रा
कसकर मलाएँ। अपने हाथ को यह कहने द, “मुझे आपसे मलकर ख़ुशी ई।” “म
आपसे बारा मलकर ख़ुश आ।” कमज़ोर चूहे क तरह हाथ मलाने से तो अ ा है क
हाथ ही न मलाया जाए। इससे लोग यह सोचते ह, “यह ज़दा नह , ब क मुदा है
तभी मुद क तरह हाथ मला रहा है।” यह दे खने क को शश कर क या कोई सफल
चूहे क तरह हाथ मलाता है। आप को शश ही करते रह जाएँगे और ऐसा लंबे समय
तक दे ख नह पाएँगे।
दल से मु कराएँ। अपनी आँख से मु कराएँ। कोई भी नक़ली, चपक ई, रबर
जैसी मु कान पसंद नह करता। जब मु कराएँ, तो दखना चा हए क आप मु करा रहे ह।
अपने थोड़े ब त दाँत दखाएँ। हो सकता है क आपके दाँत आकषक न ह , परंतु उससे
कोई ख़ास फ़क़ नह पड़ता। जब आप मु कराते ह, तो लोग आपके दाँत नह दे खते। वे एक
गमजोशी से भरे उ साही व को दे खते ह और उसे पसंद करते ह।

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दल से “ध यवाद” द। ट न “ध यवाद" का मतलब तो " लप, लप" कहने क

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तरह मशीनी अंदाज़ है। यह सफ़ एक अ भ है। इससे कुछ भी सं े षत नह होता।

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इससे प रणाम हा सल नह होते। अपने “ध यवाद" को इस तरह कह ता क सामने वाला

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यह सुने, “ब त – ब त ध यवाद।”

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दल से बात कर। डॉ. जे स एफ़. बे र, जो मानी ई ह ती ह, अपनी पु तक हाऊ

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टु टॉक वेल ( यूयॉक : मैक ॉ– हल बुक कंपनी, 1949) म लखते ह, " या आपक ‘गुड

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मॉ नग‘ सचमुच गुड है ? या आपक ‘बधाई’ सचमुच उ साह से द गई है। जब आप

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कहते ह, "आप कैसे ह?” तो या आप सचमुच जानना चाहते ह ? जब आप अपने श द
म भावना के रंग भर दे ते ह तो लोग आपक बात यान से सुनने लगते ह और आपको
मह व दे ने लगते ह।”
लोग उस के पीछे –पीछे जाते ह जो अपनी कही ई बात म यक़ न करता है।
इस लए दल से बात कर। अपने श द म भावना के रंग भर। चाहे आप कसी गाडन
लब म बोल रहे ह , ाहक से बात कर रहे ह , या अपने ब से– अपने श द म जोश
झलकने द। उ साह से दया गया वचन महीन तक, साल तक याद रहता है। जब क
उ साह के बना दया गया वचन एक स ताह भी याद नह रहता।
और जब आप दल से बोलते ह तो आप अपने अंदर भी जोश भर लेते ह। अभी
आज़मा कर दे ख ल। ज़ोर से और जोश से कह : आज म ब त ख़ुश ँ।” यह वा य कहने
के बाद या आप पहले से बेहतर महसूस नह कर रहे ह। अपने आपम जान फूँक।
दल से बोल, दल से काम कर। अपने हर काम, अपनी हर बात से लोग को यह
लगने द, “इस म जोश है, हौसला है।” “वह सचमुच यह काम करना चाहता है।”
“वह न त प से सफल होगा।”
3.अ ख़बर फैलाएँ। आपके और हमारे सामने कतनी ही बार कसी ने
अचानक आकर कहा होगा, “म आपको एक अ ख़बर सुनाना चाहता ँ।” त काल हर
एक का पूरा यान उस क तरफ़ चला जाता है। अ ख़बर से सफ़ यान ही
आक षत नह होता, अ ख़बर से लोग ख़ुश भी होते ह। अ ख़बर से उ साह
वक सत होता है। अ ख़बर से पाचन तं भी ठ क रहता है।
चूँ क अ ख़बर सुनाने वाल के मुक़ाबले आज बुरी ख़बर सुनाने वाले यादा हो
गए ह इस लए उनके बहकावे म न आएँ। आज तक बुरी ख़बर सुनाकर कसी ने भी कोई
दो त नह बनाया, कसी ने भी पैसा नह कमाया, न ही कसी ने कोई उपल हा सल क

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है।

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अपने प रवार को अ ख़बर सुनाएँ। उ ह आज घट अ घटनाएँ सुनाएँ। उ ह

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अपने रोचक, सुखद अनुभव सुनाएँ और अ य घटना को दफ़ना द। अ ख़बर

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फैलाएँ। बुरी ख़बर फैलाने का कोई अथ नह है। इससे आपका प रवार थ ही च तत

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और नवस हो जाएगा। हर दन घर म सूरज क रोशनी लेकर जाएँ, रात का अँधेरा लेकर न

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जाएँ।

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कभी आपने दे खा है क ब े मौसम के बारे म कतनी कम शकायत करते ह। उ ह

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गम मौसम से तब तक कोई ख़ास तकलीफ़ नह होती जब तक क उ ह नकारा मक वचार
वाले लोग इसके नुक़सान से प र चत नह करवा दे ते। चाहे मौसम कैसा भी हो, आप
मौसम के बारे म हमेशा अ ा बोलने क आदत डाल ल। मौसम के बारे म शकायत करने
से आपका मूड ख़राब होता है और आप सर का मूड भी ख़राब कर दे ते ह।
आप कैसा महसूस करते ह, इस बारे म भी अ ख़बर सुनाएँ। “मुझे ब त अ ा
लग रहा है” कहने वाले बन। हर मौके पर कह, “मुझे ब त अ ा लग रहा है” और
ऐसा कहने के बाद आपको सचमुच अ ा लगने लगेगा। इसी तरह से अगर आप लोग को
यह बताएँगे, “मुझे ब त बुरा लग रहा है” तो आपको सचमुच सब कुछ बुरा लगने लगेगा।
हम कैसा महसूस करते ह, यह काफ़ हद तक हमारे वचार पर नभर करता है। यह भी
याद रख क सभी लोग उ साही य को पसंद करते ह। शकायत करने वाल और
आधे–मुदा लोग के आस–पास रहना कसी को भी पसंद नह होता।
अपने साथ काम करने वाल को अ ख़बर सुनाएँ। उनका उ साह बढ़ाते रह, हर
मौक़े पर उनक तारीफ़ करते रह। कंपनी के सकारा मक काम के बारे म उ ह बताएँ।
उनक सम याएँ सुन। उनक मदद करने क को शश कर। लोग को ो सा हत कर और
उनका सहयोग हा सल कर। उनके अ े काम के लए उनक पीठ थपथपाएँ। उ ह आशा
वैधाएँ। उ ह बताएँ क आपको उन पर, उनक मता पर भरोसा है और आपको यह
व ास भी है क वे सफल हो सकते ह। चता करने वाल क चता कम करने क को शश
कर।
हर दन सही रा ते पर चलने के लए यह छोटा सा योग नय मत प से कर। जब
भी आप कसी से वदा ल, ख़ुद से पूछे, “ या मुझसे बात करने के बाद इस
का मूड पहले से बेहतर आ है ?” यह आ म– श ण तकनीक सचमुच सफल होती है।
अपने कमचा रय , अपने सहयो गय , अपने प रवार, अपने ाहक , यहाँ तक क कभी–
कभार मलने वाले प र चत के साथ भी इस तकनीक का योग कर।
मेरा एक से समैन म अ ख़बर को ॉडका ट करता है। वह हर महीने अपने

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ाहक के पास जाता है और उ ह नयम से कोई न कोई अ ख़बर सुनाता है।

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उदाहरण : “म पछले स ताह ही आपके एक अ े दो त से मला। उसने आपको

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नम ते कहलवाया है।” “ पछली बार म जब आपसे मला था, तब से अब के बीच म ब त

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बड़े प रवतन हो चुके ह। पछले महीने 350,000 ब का ज म आ है और यादा ब े

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पैदा होने का मतलब है हम दोन के लए यादा बज़नेस।”

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हम अ सर यह सोचते ह क बक के े सडट ब त रज़व टाइप के भावहीन

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होते ह। परंतु एक बक े सडट ऐसा नह है। फ़ोन पर उनका जवाब दे ने का फ़ेव रट तरीक़ा
है, “गुड मॉ नग। नया कतनी अ है। या म आपको कुछ पैसे उधार दे सकता ँ?”
कई लोग कहगे बकर के लए यह ठ क नह है, पर म यह बता ँ क जो बकर इस तरह क
बात कहते ह, उनका नाम है म स लेन, जो स टज़ स एंड सदन बक के जू नयर े सडट
ह और हम जानते ह क यह बक पूरे द ण–पूव म सबसे बड़ा बक है।
अ ख़बर के प रणाम भी अ े होते ह। इस लए अ ख़बर फैलाते रह।
एक श नमाता कंपनी के े सडट ने अपनी टे बल पर यह सू वा य लगा रखा था।
आगंतुक के सामने लखा रहता था – “मुझसे या तो अ बात कह या कुछ न कह।” मने
उसक तारीफ़ क क उसने इतना ब ढ़या वचार लखा है जससे लोग यादा आशावाद
हो जाते ह।
वह मु कराया और उसने कहा, “यह वचार हम इस बारे म जाग क बना दे ता है।
परंतु मेरी तरफ़ से दे खने पर तो यह वचार और भी मह वपूण बन जाता है।" उसने त ती
को पलट दया और मने दे खा क उसक तरफ़ यह वचार कुछ इस तरह लखा गया था,
“उनसे या तो अ बात कह, या कुछ न कह।”
अ ख़बर फैलाने से आप े रत होते ह, आपको अ ा लगता है। अ ख़बर
फैलाने से सरे लोग को भी अ ा लगता है।
आप मह वपूण ह वाला रवैया वक सत करना
यह बेहद मह वपूण त य है : हर इंसान म – चाहे वह इं डया म रहता हो या
इं डयानापो लस म, चाहे वह मूख हो या तभाशाली, चाहे वह स य हो या जंगली, चाहे
वह ब ा हो या बूढ़ा – यह इ ा होती है : क उसे मह वपूण समझा जाए।
इस बारे म वचार कर। सबम, हाँ हर एक म – आपके पड़ोसी, आप, आपक प नी,
आपके बॉस – हर म यह वाभा वक इ ा होती है क वह “मह वपूण” है।
मह वपूण बनने क इ ा मनु य क सबसे बल, सबसे बल ग़ैर–शारी रक भूख होती है।

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सफल एड् वटाइज़स जानते ह क लोग त ा, स मान, आदर चाहते ह। इसी लए

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तो व ापन म लोग को लुभाने के लए ऐसी बात लखी जाती ह, “ माट युवा म हला

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के लए,” “जो लोग ख़ास होते ह वे अमुक सामान इ तेमाल करते ह,” आपको सबसे

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अ ा माल चा हए”, “हर एक क तारीफ़ के क़ा बल बन,” "उन म हला के लए जो

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सरी म हला को जलाना चाहती ह और पु ष को रझाना चाहती ह।" इस तरह के

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वा य वा तव म लोग को यह बताते ह, “इस सामान को ख़रीदो और ख़ुद को मह वपूण

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लोग क ेणी म शा मल कर लो।”

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मह वपूण बनने क लालसा, मह वपूण बनने क भूख ही आपको सफलता क
तरफ़ आगे ले जाती है। यह आपक सफलता का सबसे बड़ा औज़ार है। परंतु, (और आगे
बढ़ने से पहले इस वा य को बारा पढ़) हालाँ क “आप मह वपूण ह।" के रवैए से प रणाम
मलते ह और हालाँ क इसम कुछ भी ख़च नह होता, फर भी ब त कम लोग इस रवैए का
इ तेमाल करते ह। अब यह बताना ज़ री है क ऐसा य होता है।
दाश नक से दे खा जाए तो हमारे धम, हमारे क़ानून, हमारी पूरी सं कृ त – यह
मनु य को मह वपूण मानते ह। इन सबके अ त व का आधार ही मनु य क मह ा है।
मान ली जए, आप अपने हवाई जहाज़ म उड़ रहे ह और कसी वीरान जंगल म
आपको मजबूरन उतरना पड़ जाए तो या होगा। जैसे ही इस घटना क ख़बर मलेगी,
आपक खोज के लए बड़े पैमाने पर खोज अ भयान शु हो जाएगा। कोई भी यह नह
पूछेगा, “ या यह मह वपूण है ?” आपके बारे म कोई कुछ भी नह जानता सवाय
इसके क आप एक इंसान ह, फर भी हेलीकॉ टर, हवाई जहाज़ और खोजी द ते आपक
तलाश म जुट जाएँगे। और वे तब तक आपक खोज करते रहगे, और इस अ भयान म
हज़ार डॉलर ख़च करते रहगे, जब तक क आप उ ह मल नह जाते या उ ह यह व ास
नह हो जाता क अब खोज करने से कोई फ़ायदा नह होगा।
जब कोई छोटा ब ा जंगल म गुम जाता है या कुँए म गर जाता है या कसी ऐसी
ही ख़तरनाक प र त म फँस जाता है तो कोई इस बारे म नह पूछता क वह ब ा
कसी “मह वपूण” प रवार का है या नह । ब े को बचाने क हरसंभव को शश सफ़
इस लए क जाती है य क हर ब ा मह वपूण होता है।
सम त जी वत ा णय म एक करोड़ म से एक ाणी ही मनु य होता है। मनु य
जैववै ा नक प से लभ ाणी है। ई र क योजना म मनु य का मह वपूण ान है।

अब हम इसके ावहा रक प को दे ख। जब यादातर लोग दाश नक चचा से रोज़मरा क


प र तय पर आते ह तो वे भा य से यह भूल जाते ह क मनु य मह वपूण होता है।

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कल, आप यह यान से दे ख क कस तरह यादातर लोग का रवैया यह कहता नज़र

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आता है, “आप कोई नह ह, आपका कोई मू य नह है; आपका कोई अथ नह है, आपका

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मेरे लए कोई मह व नह है।”

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“आप मह वहीन ह” वाले रवैए के पीछे भी एक कारण होता है। यादातर लोग

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सरे क तरफ़ दे खते ह और सोचते ह, “यह मेरे लए कुछ नह कर सकता।

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इस लए, यह मह वपूण नह है।”

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परंतु यह पर लोग ब त बड़ी भूल करते ह। सामने वाला , चाहे उसका टे टस
या उसक आमदनी कुछ भी हो, आपके लए दो कारण से मह वपूण होता है।
पहला कारण यह, जब आप लोग को मह व दे ते ह, तो वे आपके लए यादा काम
करते ह। वष पहले म डे ॉइट म हर सुबह एक बस म अपनी नौकरी पर जाता था। ाइवर
एक सनक बु ा था। दजन शायद सैकड़ - बार मने दे खा क उस ाइवर ने गाड़ी चला द ,
जब क सवारी भागती ई, हाथ हलाती ई आ रही थी और दरवाज़े से एक या दो क़दम
क री पर थी। कई महीन तक मने दे खा क यह ाइवर केवल एक या ी के त वशेष
स मान दखाता था, और ाइवर ने उस सवारी का कई बार ख़ास यान रखा। कई बार तो
ाइवर इस या ी के आने का इतज़ार तक करता था।
और वह ऐसा य करता था ? य क यह या ी ाइवर को मह व दे ता था। हर
सुबह वह ाइवर का अ भवादन करता था, गंभीरता से उससे “गुड मॉ नग, सर” कहता
था। कई बार यह या ी ाइवर के पास बैठ जाता था और उससे छोटे -छोटे वा य कहता
था, “आपका काम बड़ी ज़ मेदारी का है।” “इतने ै फ़क म गाड़ी चलाने के लए बड़ी
ह मत चा हए।" "आपक बस के हसाब से तो घड़ी मलाई जा सकती है।" यह या ी
ाइवर को इतना मह वपूण बना दे ता था जैसे वह 180 या य के जेट एयरलाइनर को
उड़ा रहा हो। और बदले म वह ाइवर भी इस या ी के साथ वशेष वहार करता था।
“छोटे ” लोग को बड़े लोग क तरह मह व दे ने से फ़ायदा होता है।
आज, अमे रका म हज़ार ऑ फ़स म, से े टरी से समैन क सामान बेचने म मदद
कर रहे ह या उसका सामान बकने नह दे रहे ह, जो इस बात पर नभर करता है क
से समैन का से े टरी के त वहार कैसा है। कसी भी को अगर आप मह वपूण
अनुभव कराते ह तो वह आपक परवाह करने लगेगा। और जब वह आपक परवाह करेगा,
तो वह आपके लए यादा काम करेगा।
अगर आप लोग को मह वपूण अनुभव कराएँगे, तो ाहक आपसे यादा सामान
ख़रीदगे, आपके कमचारी आपके लए यादा मेहनत करगे, आपके सहयोगी आपके साथ

in
यादा सहयोग करगे, आपका बॉस आपक यादा मदद करेगा।

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“बड़े ” लोग को यादा बड़े होने का मह व दे ना भी फ़ायदे का सौदा है। बड़ी सोच

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वाला लोग क सव े मता के हसाब से उनका मू यांकन करता है। चूँ क वह

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हमेशा लोग के बारे म बड़ा सोचता है, इस लए वह उनसे सव े दशन करवाने म सफल

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होता है।

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यहाँ सामने वाले को मह व दे ने का सरा बड़ा कारण बताया जा रहा है : जब आप सर

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को मह वपूण अनुभव कराते ह, तो आप ख़ुद को भी मह वपूण अनुभव कराते ह।
एक ल ट ऑपरेटर जो कई महीन तक मुझे “ऊपर - नीचे ” ले जाती रही, ब त
ही सामा य, मह वहीन सी म हला थी। वह पचास के क़रीब होगी, वह ज़रा भी आकषक
नह थी और वह अपने काम म बलकुल च नह लेती थी। यह था क मह वपूण
दखने क उसक चाह ज़रा भी संतु नह ई थी। वह उन करोड़ लोग म से थी जो कई
बार महीन तक ऐसी ज़दगी जीते रहते ह जस दौरान उ ह यह नह लगता क कोई उनक
परवाह करता है या उनक तरफ़ यान दे ता है।
एक सुबह मने दे खा क उसने अपने बाल को नए टाइल से कटवाया था। ज़ा हर
था क यह यूट पालर का काम नह था, यह तो घरेलू काम दख रहा था। परंतु बाल कटे
ए थे और पहले से बेहतर दख रहे थे।
इस लए मने कहा, “ मस एस., ( यान द जए, मने उसका नाम जान लया था)
आपके बाल क क टग बड़ी अ ई है। अब यह सचमुच आकषक लग रहे ह।” वह
शमा गई, और उसने कहा, “थक यू, सर,” और इसके बाद वह ख़याल म इस क़दर खो गई
क वह अगली मं ज़ल पर ल ट रोकना तक़रीबन भूल गई। उसे तारीफ़ अ लगी थी।
अगली सुबह जब म ल ट म घुसा तो मने सुना, “गुड मॉ नग, डॉ. ाट् ज़।” मने
इससे पहले इस ल ट ऑपरेटर को कसी का नाम लेते नह सुना था। और जब तक म
उस ऑ फ़स म रहा, तब तक उस म हला ने मेरे अलावा कसी को भी नाम से नह बुलाया।
मने ऑपरेटर को मह वपूण होने का एहसास दलाया था। मने उसक स ी तारीफ़ क थी
और उसे नाम से पुकारा था।
मने उसे मह वपूण अनुभव कराया था। अब वह मुझे मह वपूण अनुभव कराकर
एहसान उतार रही थी।
हम अपने आपको धोखे म न रख। जन लोग म आ म-मह ा का भाव गहराई तक

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नह होता है, वे हमेशा औसत ज़दगी जीते रहगे। अ तरह से इस बात को समझ ल :

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आपको सफल होने के लए मह वपूण अनुभव करना होगा। सरे लोग को मह वपूण

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अनुभव कराने से आपको इस लए फ़ायदा होता है य क इससे आप यादा मह वपूण बन

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जाते ह। आज़माकर दे ख।

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1. तारीफ़ करने क आदत डाल। सर को यह बताने का नयम बना ल क आप

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उनके कए काम क तारीफ़ करते ह। कभी भी कसी को भी यह महसूस न होने द क

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आप उसके काम को ट न काम मान रहे ह। गमजोशी से, स ी मु कराहट के साथ

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तारीफ़ कर। मु कराहट से सर को पता चलता है क आप उनक तरफ़ यान दे रहे ह
और आप उ ह दे खकर ख़ुश ए ह।
सर को यह बताकर उनक तारीफ़ कर क आप उन पर कतने नभर ह। गंभीरता
से बोला गया इस तरह का वा य, “ जम, म नह जानता क तु हारे बना मेरा काम कैसे
चल पाता” लोग को उनके मह व का एहसास करा दे ता है और इसके बाद वे आपके लए
पहले से यादा और बेहतर काम करते ह।
स ी, गत तारीफ़ करने क आदत डाल। लोग तारीफ़ सुनना पसंद करते ह।
चाहे कसी क उ 2 साल हो या 20 साल, 9 साल हो या 90 साल, हर मनु य तारीफ़ का
भूखा होता है। उसे यह व ास दलाया जाना चा हए क वह अ ा काम कर रहा है, क
वह मह वपूण है। ऐसा न लगने द क आप केवल बड़ी उपल य क ही सराहना करते
ह। छोट -छोट बात पर लोग को तारीफ़ का उपहार द : उनक वेशभूषा, उनके काम करने
का तरीक़ा, उनके वचार, उनक वफ़ादारी, उनक मेहनत। उपल य पर लोग को च
लखकर उनक तारीफ़ कर। कसी वशेष सफलता पर फ़ोन कर या मलने जाएँ।
यह सोचने म अपना समय या अपनी मान सक ऊजा बबाद न कर क कौन से लोग
“बेहद मह वपूण” ह, कौन से “मह वपूण” ह, या कौन से “मह वहीन” ह। कसी के साथ
कोई भेदभाव न कर। हर चाहे वह वीपर हो या कंपनी का वाइस- े सडट आपक
नज़र म मह वपूण है। कसी के साथ घ टया वहार करके आप उससे ब ढ़या प रणाम
क उ मीद नह कर सकते।
2. लोग का नाम लेने क आदत डाल। हर साल चतुर नमाता सरे नमाता से
यादा ीफ़केस, प सल, बाइबल, और सैकड़ सरे सामान बेच लेते ह। कारण यह होता
है क वे अपने सामान पर ख़रीदार का नाम लख दे ते ह। लोग को अपने नाम का संबोधन
अ ा लगता है। जब कसी का नाम लया जाता है, तो उसे ऐसा लगता है जैसे उसके
कान म शहद घोल दया गया हो।

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आपको दो ख़ास बात का यान रखना चा हए। नाम का उ ारण सही कर और

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उसक े लग म गलती न कर। अगर आप ग़लत उ ारण करते ह या ग़लत े लग

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लखते ह, तो सामने वाला समझ सकता है क आपक नज़र म उसका कोई मह व

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नह है।

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एक और बात का यान रख। जब भी आप ऐसे लोग से बात कर ज ह आप ठ क

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से न जानते ह , तो नाम के पहले उ चत संबोधन - मस, म टर या मसेज़ - लगाना न

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भूल। आपके ऑ फ़स का चपरासी जो स के बजाय म टर जो स कहा जाना यादा पसंद

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करता है। यही आपके अधीन कमचारी के बारे म भी सही है। यही हर तरह के, हर जगह
के लोग के बारे म सही है। इन छोटे -छोटे टाइट स से लोग अपने आपको ब त मह वपूण
समझने लगते ह।
3. शंसा को झपटने के बजाय इसका नवेश कर। हाल ही म म एक कंपनी के
काय म म अ त थ के प म गया। उस शाम डनर के बाद कंपनी के वाइस े सडट ने दो
ड ट मैनेजस को पुर कार दे ने क घोषणा क । इनम एक पु ष था और सरी म हला
थी। इन दोन ही मैनेजस के संगठन ने उस साल सव े दशन कया था। फर वाइस
े सडट ने इन मैनेजस से कहा क वे 15 मनट म लोग को यह बताएँ क उनके संगठन ने
यह काम इतनी अ तरह कैसे कया।
पहला ड ट मैनेजर (मुझे बाद म पता चला क उसे तीन महीने पहले ही मैनेजर
बनाया गया था और इस लए वह अपने संगठन के शानदार दशन के लए आं शक प से
ही ज़ मेदार था) उठा और उसने लोग को बताया क उसने ऐसा कस तरह कया।
उसने यह जताया जैसे उसके यास से और केवल उसके यास से ही उस
संगठन क ब इतनी बढ़ है। उसके भाषण म बार-बार इस तरह के वा य आ रहे थे,
“जब मने काम सँभाला, तो मने यह कया, मने वह कया;” “जब म आया तो हर चीज़
गड़बड़ थी; परंतु मने सब कुछ ठ क-ठाक कर दया;” “यह आसान नह था, परंतु मने
प र त का अ ययन कया और मने न य कया क चाहे जो हो, म सफल होकर
दखाऊँगा।”
उसके बोलते समय उसके संगठन के से समैन के चेहरे पर नराशा साफ़ दख रही
थी। ड ट मैनेजर सफलता का सारा ेय ख़ुद ही लए जा रहा था और उ ह
नज़रअंदाज़ कर रहा था। रकॉड सेल म से समैन क कड़ी मेहनत का योगदान है, इस
बात को मैनेजर ने नह बताया था।
इसके बाद, सरी ड ट मैनेजर ने अपनी बात कही। परंतु इस म हला क शैली

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बलकुल अलग थी। पहले तो उसने बताया क उसके संगठन को जो सफलता मली है,

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वह उसक ट म के जी-जान से कए गए यास का प रणाम है। इस सफलता के असली

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हक़दार तो उसके से समैन ह। इसके बाद उस मैनेजर ने अपने हर से समैन को खड़े होने

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के लए कहा ता क वह हर एक को उसके यास के लए बधाई दे सके, उसक तारीफ़ कर

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सके।

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दोन के वहार म कतना फ़क़ था। पहले मैनेजर ने वाइस े सडट क तारीफ़

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झपटकर रख ली और ख़ुद ही पूरी तारीफ़ हड़प कर गया। उसके ऐसा करने से, उसके

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अपने ही लोग उससे चढ़ गए। उसके से समैन का मनोबल कम हो गया। सरी मैनेजर ने
तारीफ़ को अपने से समैन म बाँट दया जससे उनका मनोबल बढ़ गया और वे भ व य म
यादा अ ा काम करने के लए े रत ए। यह मैनेजर जानती थी क यादा लाभ कमाने
के लए पैसे क तरह, तारीफ़ का भी नवेश करना चा हए। वह जानती थी क से समैन
क इस तरह तारीफ़ करने से वे अगले साल और यादा मेहनत करगे।
याद रख, शंसा ही श है। अपने सुपी रयर से मलने वाली तारीफ़ का नवेश
कर। अपने अधीन तक उस तारीफ़ को प ँचा द ता क वे भ व य म बेहतर काम करने
के लए े रत ह । जब आप तारीफ़ बाँटते ह, तो आपके अधीन यह समझ लेते ह क
आप उ ह मू यवान समझते ह, उ ह मह व दे ते ह।
यहाँ एक दै नक अ यास दया जा रहा है जसके ब त यादा लाभ होते ह। अपने
आपसे हर दन यह पूछ, “म अपनी प नी और प रवार को सुखी बनाने के लए आज या
कर सकता ँ?”
यह ब त आसान लगता है, परंतु यह बड़े काम का नु ख़ा है। एक शाम, म से स
े नग काय म म यह चचा कर रहा था, “सफल से समैन बनने के लए सही घरेलू माहौल
कैसे बनाएँ।” अपनी बात को समझाने के लए मने से समैन से पूछा (जो सभी शाद -शुदा
थे), “आ ख़री बार, समस को, अपनी शाद क साल गरह को, या अपनी प नी के
ज म दन को छोड़कर आपने कब उसे कोई ख़ास तोहफ़ा दया था ?”
म भी जवाब को सुनकर हैरान रह गया। 35 से समैन म से सफ़ एक ने पछले
महीने अपनी प नी को तोहफ़ा दया था। समूह म से कइय का जवाब था, “तीन से छह
महीने पहले”। और एक तहाई का जवाब था, “मुझे याद नह क मने उसे कभी कोई
तोहफ़ा दया हो।”
क पना क जए! और इसके बाद भी कई लोग यह ता ुब करते ह क उनक
प नी उनके साथ वैसा वहार नह करती, जैसा सहासन पर बैठे स ाट के साथ कया

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जाता है।

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म इन से समैन को यह समझाना चाहता था क स े दल से दए गए तोहफ़े म

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जा क ताक़त होती है। अगली शाम को मने एक फूल वाले को स के आ ख़र म बुलवा

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लया। मने उसका प रचय अपने से समैन से करवाया और कहा, “म चाहता ँ क आज

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आप यह दे ख क तोहफ़ा दे ने से घरेलू माहौल कस तरह सुधारा जा सकता है। मने इस

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फूल वाले से कहा है क वह आपको एक गुलाब का फूल सफ़ 50 सट म उपल कराए।

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अगर आपके पास 50 सट न ह , या आप सोचते ह क आपक प नी इस लायक़ नह है

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क उस पर इतनी बड़ी रक़म ख़च क जाए (इस बात पर वे सब हँसे), तो म अपनी तरफ़ से
उसके लए गुलाब ख़रीद ँ गा । म आपसे सफ़ यही चाहता ँ क आप गुलाब लेकर अपनी
प नी के पास जाएँ और कल शाम को आकर बताएँ क इसका उस पर या असर आ। ”
“और हाँ, उसे यह मत बताना क आपने यह गुलाब उसके लए कैसे और य
ख़रीदा।”
वे समझ गए।
बना अपवाद के, हर ने अगली शाम को आकर बताया क 50 सट के छोटे से
नवेश से उसक प नी ख़ुश हो गई।
अपने प रवार के लए अ सर कुछ ख़ास कर। ज़ री नह है क आप कोई महँगा
तोहफ़ा ही ख़रीद। मह व इस बात का होता है क आपको उनक याद रही। ऐसा कुछ जो
आपके प रवार के त आपका ेम या परवाह द शत करे, कारगर होगा।
अपने प रवार को अपनी ट म म शा मल कर। उसका सु नयो जत प से यान
रख।
इस त भागदौड़ भरे युग म कई सारे लोग अपने प रवार के लए समय नकाल
पाने म असमथ ह। ले कन अगर हम योजना बनाकर चल, तो अव य ही समय नकलेगा।
एक वाइस े सडट ने मुझे अपना तरीक़ा बताया जो उसके हसाब से ब त कारगर था :
“मेरे काम म ब त ज़ मेदा रयाँ ह और हर शाम को ढे र सारा काम घर ले जाने के
अलावा मेरे पास कोई वक प नह होता। परंतु म अपने प रवार को अनदे खा या नज़र
अंदाज़ नह करता, य क वही तो मेरे जीवन का सबसे मह वपूण ह सा ह। उ ह के लए
तो म इतनी कड़ी मेहनत कर रहा ँ। मने एक टाइम टे बल बना लया है जससे म अपने
प रवार पर भी पूरा यान दे पाता ँ और अपने काम पर भी। हर शाम 7:30 से 8:30 तक म

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अपने दोन ब को समय दे ता ँ। म उनके साथ खेलता ँ, उ ह कहा नयाँ सुनाता ँ,

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उनके साथ त वीर बनाता ँ, उनके सवाल के जवाब दे ता ँ- यानी जो वे चाहते ह, वही

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करता ँ। इस एक घंटे के बाद मेरे ब को तो संतोष होता ही है, म भी पूरी तरह तरोताज़ा

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हो जाता ँ। 8:30 पर वे सोने चले जाते ह और म दो घंटे तक काम करता ँ।

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“10 : 30 पर म अपना काम बंद कर दे ता ँ और एक घंटा अपनी प नी के साथ

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बताता ँ। हम ब के बारे म, उसके कामकाज के बारे म, भ व य क योजना के बारे

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म बात करते ह। दन ख़ म करने के लए यह एक घंटा ब त शानदार सा बत होता है।

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“म र ववार को पूरी तरह अपने प रवार के लए सुर त रखता ँ। पूरा दन उनका
होता है। म अपने प रवार क तरफ़ पूरा यान दे ने के लए योजना बनाता रहता ँ जो न
सफ़ उनके लए अ ा है, ब क मेरे लए भी अ ा है। इससे मुझे नई ऊजा मलती है।”

पैसे कमाना चाहते ह? इसके लए सेवाभाव वक सत क जाए



यह पूरी तरह वाभा वक है - वा तव म यह ब त अ बात है - क पैसा कमाया जाए
और दौलत इक क जाए। पैसा ही वह ताक़त है जो आपके प रवार को श दे ती है और
मनचाही जीवनशैली दे ती है। पैसा ही वह ताक़त है जसक मदद से आप बद क़ मत लोग
क मदद कर सकते ह। पैसा उन साधन म से एक है जनके सहारे आप जीवन को पूरी
तरह से जी सकते ह।
एक बार एकस ऑफ़ डायमंड्स के लेखक महान पादरी रसेल एच. कॉनवेल क
आलोचना ई। आलोचना का कारण यह था क रसेल लोग को पैसा कमाने के लए े रत
करते थे। अपनी आलोचना के जवाब म उ ह ने कहा, “पैसे से ही आपक बाइबल छपी ह।
पैसे से ही आपके चच बने ह। पैसे से ही आप अपने मशनरीज़ को भेज पाए ह। अपने
पाद रय को भी आप पैसा दे ते ह। और अगर आप उ ह पैसा दे ना बंद कर दगे, तो आपके
पास यादा पादरी भी नह बचगे।”
वह जो कहता है क वह ग़रीब रहना चाहता है वह या तो अपराधबोध से
त है या फर वह अपने आपको अयो य समझता है। वह उस ब े क तरह है जसे
लगता है क वह कूल म कभी फ़ ट डवीज़न नह ला पाएगा या कभी फ़टबॉल ट म म
शा मल नह हो पाएगा, इस लए वह यह जताता है क वह फ़ ट डवीज़न नह लाना
चाहता या फ़टबॉल नह खेलना चाहता।

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पैसे कमाना एक ब ढ़या ल य है। यह हैरानी क बात है क यादातर लोग पैसा

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कमाते समय सीधी शैली के बजाय उ ट शैली का योग य करते ह। हर कह आप

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दे खते ह क लोग का रवैया “पहले पैसा” होता है। परंतु इ ह लोग के पास सबसे कम

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पैसा होता है। य ? सफ़ इस लए य क जन लोग का रवैया “पहले पैसा" होता है वे

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पैसे के बारे म द वाने हो जाते ह। वे यह भूल जाते ह क पैसे क फ़सल तब तक नह काट

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जा सकती जब तक क आप पैसे के बीज को न बोएँ।

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और पैसे का बीज है सेवा। इसी लए “पहले सेवा” वाले रवैए से ही दौलत आती है।

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पहले सेवा क जए और पैसा अपने आप आपके पास आ जाएगा।
एक दन म या ा के दौरान सन सनाट से गुज़र रहा था। मुझे पे ोल भरवाना था।
म एक साधारण-से परंतु बेहद त स वस टे शन पर का।
चार मनट बाद ही म जान गया क यह स वस टे शन इतना लोक य य था। मेरी
कार म पे ोल भरने के बाद, गाड़ी म बना कहे हवा चेक करने के बाद, और बाहर का शीशा
साफ़ करने के बाद अटडट मेरे पास आया और कहा, “सर, आज काफ़ धूल भरा दन था।
या म आपक वडशी के अंदर क तरफ़ वाला काँच भी साफ़ कर ँ ।”
ज द ही और बड़े अ े तरीक़े से उसने अंदर क सफ़ाई कर द । कसी और
स वस टे शन म इस तरफ़ यान ही नह दया जाता।
इस छोट सी वशेष सेवा के कारण न सफ़ मुझे रात म बेहतर दखने लगा ( और
इससे ब त फ़क़ पड़ा था); ब क मुझे यह टे शन याद रहा। इ फ़ाक से, म अगले तीन
महीन म आठ बार सन सनाट से गुज़रा। हर बार म इसी टे शन पर का। और हर बार
मुझे जतनी स वस क उ मीद थी, उससे यादा स वस मली। यह भी रोचक था क हर
बार जब भी म वहाँ प ँचा (एक बार तो सुबह के 4 बज रहे थे), मुझे वहाँ ब त सारी कार
खड़ी मल । कुल मलाकर मने इस टे शन से लगभग 100 गैलन पे ोल ख़रीदा होगा।
जब म पहली बार वहाँ आया था, तो अटडट यह सोच सकता था, “यह बाहर
का है। शायद यह बारा यहाँ नह आएगा। उसक तरफ़ वशेष यान दे ने से या फ़ायदा?
वह तो सफ़ एक बार का ाहक है।”
परंतु उस स वस टे शन के अटडट ने इस तरह से नह सोचा। वहाँ पर पहले सेवा
क जाती थी और यही कारण था क उ ह पे ोल भरने से फ़रसत ही नह मलती थी,
जब क उनके आस-पास के पे ोल पंप वीरान से पड़े रहते थे। अगर पे ोल क वा लट म
कोई फ़क़ हो तो सच क ँ मने उस तरफ़ यान नह दया। और क़ मत भी वा जब थी।
फ़क़ सफ़ सेवाभाव का था। और यह था क सेवाभाव के कारण उ ह काफ़

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फ़ायदा भी हो रहा था।

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जब मेरी पहली या ा म अटडट ने मेरी वडशी को अंदर से साफ़ कया तो उसने

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पैसे का एक बीज बो दया।

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सेवा को मह व दो और पैसा अपने आप आपके पास आ जाएगा- हमेशा।

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पहले-सेवा वाले रवैए से हर त म लाभ होता है। मेरी शु आती नौकरी म म एक

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युवक के साथ काम करता था जसे म एफ़. एच. का नाम दे ना चा ँगा।

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एफ़. एच. आपक पहचान के ब त से लोग क तरह होगा। वह इस बात क चता
कया करता था क उसके पास पैसा कम था जब क उसे पैसे क ब त ज़ रत थी। वह
हमेशा पैसे क कमी के बारे म ही सोचता रहता था, और यादा पैसा कमाने के तरीक़ के
बारे म कभी वचार नह करता था। हर स ताह एफ़. एच. ऑ फ़स के समय म अपनी
गत बजट सम या पर काम कया करता था। चचा का उसका फ़ेव रट टॉ पक था,
“मुझे यहाँ पर सबसे कम तन वाह मलती है। म आपको बता ँ क ऐसा य होता है।”
एफ़. एच. का रवैया था, “यह कंपनी इतनी बड़ी है। यह करोड़ कमा रही है। यह
इतने सारे लोग को इतनी मोट -मोट तन वाह दे रही है, इस लए मुझे भी यादा तन वाह
मलनी चा हए।”
जब तन वाह बढ़ाने क बारी आती थी, तो एफ़. एच. को अनदे खा कर दया जाता
था। जब ऐसा कई बार हो चुका, तो एक दन उसने फ़ैसला कया क वह जाकर यादा
तन वाह क माँग करेगा। 30 मनट बाद एफ़. एच. ग़ से म वापस लौटा। उसके चेहरे पर
साफ़ लखा आ था क अगले महीने भी उसे उतनी ही तन वाह मलने वाली है जतनी
क इस महीने मली थी।
त काल एफ़. एच. ने अपनी भड़ास नकालना शु कर दया। “हे भगवान, मेरे तो
तनबदन म आग लग गई। जब मने तन वाह बढ़ाने क बात क , तो जानते हो ‘बु े ’ ने या
कहा ? उसने यह पूछने क जरत क , ‘ आपको ऐसा य लगता है क आपक तन वाह
बढ़ानी चा हए ?’
“मने उसके सामने ब त से कारण गना दए,” एफ़. एच. ने कहा। “मने उसे बताया
क कई बार मुझसे जू नयर लोग को मोशन दया गया है। मने उसे बताया क मेरा ख़च
दन दन बढ़ता जा रहा है और मेरी तन वाह वह पर अटक ई है। और मने उसे बताया
क ऑ फ़स म मुझसे जो काम कहा जाता है, म वह काम कर दे ता ँ।

in
“और इसके बाद मेरी तन वाह य नह बढ़नी चा हए ? मुझे यादा तन वाह क

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ज़ रत थी, परंतु मुझे यादा पैसे दे ने के बजाय आप उन लोग क तन वाह बढ़ा रहे ह

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ज ह इसक इतनी यादा ज़ रत नह है।’

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“और जानते हो इसके बाद उसने मेरे साथ कैसा वहार कया," एफ़. एच. ने आगे

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कहा, “उसने ऐसा वहार कया जैसे म भीख माँग रहा ँ। उसने कहा, ‘जब तु हारा

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रकॉड बताएगा क तुम यादा तन वाह के यो य हो, तो तु ह अपने आप ही यादा

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तन वाह मलने लगेगी।‘

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“अव य ही म बेहतर काम कर सकता ँ, अगर वे मुझे इसके लए यादा पैसे द,
ले कन एक बेवकूफ़ ही वह करेगा जसका उसे पैसा नह मलता।”
एफ़. एच. उस जा त का एक उदाहरण है जो यह नह दे ख पाती क पैसा “कैसे”
कमाया जाता है। उसक आ ख़री ट पणी म उसक ग़लती का सारांश था। एफ़. एच.
चाहता था क पहले कंपनी उसक तन वाह बढ़ाए, फर वह बेहतर काम करेगा। परंतु
स टम इस तरह काम नह करता। बेहतर दशन के वादे पर ही आपक तन वाह नह बढ़
जाती। उसके लए आपको बेहतर दशन करके दखाना होगा। आप तब तक पैसे क
फ़सल नह काट सकते जब तक आपने पैसे के बीज को नह बोया हो। और पैसे का बीज
है सेवा।
सेवा को पहले नंबर पर रख और मेवा यानी क पैसा अपने आप आपके पास आ
जाएगा।
यह सोच क कौन सा नमाता फ़ म से यादा पैसे कमाता ह। फटाफट - अमीर -
बनने - वाला नमाता एक फ़ म बनाता ह। वह पैसे को मनोरंजन (सेवा) से यादा मह व
दे ता है। वह एक ख़राब ट ख़रीदता है और घ टया लेखक से इसक पटकथा
लखवाता है। अ भनेता , सेट बनाने, रकॉ डग म भी वह पैसे को पहले नंबर पर रखता
है। यह नमाता सोचता है क फ़ म दे खने वाली जनता मूख होती है और वह अ े -बुरे के
फ़क़ को नह समझ पाएगी।
परंतु फटाफट- अमीर - बनने - वाला नमाता शायद ही कभी ज द अमीर बन
पाएगा। जनता कभी इतनी मूख नह होती क घ टया माल को ख़रीदे , और वह भी ऊँचे
दाम पर।
जस नमाता को फ़ म से सबसे यादा मुनाफ़ा होता है, वह मनोरंजन को पैसे के
ऊपर रखता है। अपने दशक को मूख बनाने के बजाय वह उ ह यादा से यादा मनोरंजन
दे ने क को शश करता है। प रणाम यह होता है क लोग उसक फ़ म को पसंद करते ह।

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उसक तारीफ़ होती है। अख़बार म उसके ब ढ़या र ू छपते ह। और बॉ स ऑ फ़स पर

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खू़ब कमाई होती है।

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एक बार फर यान रख, पहले सेवा कर और पैसा अपने आप आपके पास आ

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जाएगा।

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वह वेटर जो अपने ाहक को सबसे अ स वस दे ने क को शश करता है उसे

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टप के बारे म चता करने क कोई ज़ रत नह है। टप उसे ज़ र मलेगी और अ

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मलेगी। परंतु उसी का साथी वेटर जो कॉफ़ के ख़ाली कप को अनदे खा कर दे ता है (“उ ह
अपने आप य भ ँ । वैसे भी यह लोग यादा टप दे ने वाले नह दख रहे ह ” ), ऐसे वेटर
को यादा टप कौन दे गा?
जो से े टरी अपने बॉस क उ मीद से बेहतर लेटर टाइप करके दखाती है, उसक
भ व य क तन वाह अ ही होगी। परंतु जो से े टरी सोचेगी, “थोड़ी ब त ग़ल तय के
बारे म चता य क ँ ? आ ख़र 65 डॉलर त स ताह म आप मुझसे या उ मीद करते
ह?” उसे आगे भी 65 डॉलर त स ताह ही मलते रहगे।
वह से समैन जो अपने ाहक क मन लगाकर सेवा करता है, उसे अपने ाहक के
खोने या छन जाने का कोई डर नह होना चा हए।
यहाँ एक आसान परंतु सश नयम दया जा रहा है जो आपको बताएगा क आप
कस तरह पहले सेवा का रवैया रख : लोग जतनी उ मीद करते ह, लोग को हमेशा उससे
यादा द। थोड़ा अ त र दे ने से आप पैसे का बीज बो दे ते ह। दे र तक ककर इ ा से
काम करना और डपाटमट के सामने आई कसी मु कल सम या को र करना भी पैसे
का बीज बोना है। ाहक क अ त र सेवा कर दे ना भी पैसे का बीज बोना है य क
इससे ाहक आपके पास बार-बार आता है। काय मता को बढ़ाने के लए नए वचार
बताना भी पैसे का बीज बोना है।
पैसे के बीज से पैसे का पेड़ उगता है और पैसे के फल लगते ह। परंतु पैसे के इस
बीज का नाम है सेवा। इस लए सेवा को बो द और पैसे क फ़सल काट।
हर दन कुछ समय इस सवाल का जवाब दे ने म बताएँ, "म कस तरह अपे ा से
यादा करके दखा सकता ँ ?” और फर दमाग़ म जो जवाब आएँ, उन पर अमल कर।
सेवा को पहले नंबर पर रख और पैसा अपने आप आपके पास आ जाएगा।
सं ेप म, सफलता क तरफ़ आगे ले जाने वाले रवैय को वक सत कर।
1. “मुझम उ साह है” का रवैया वक सत कर। आपम जतना उ साह होगा,

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आपको उतने ही अ े प रणाम मलगे। आप तीन तरह से अपने आपम उ साह भर सकते

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ह:

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A. गहराई म जाएँ। जब आपको कोई चीज़ नीरस लगे, तो उसके बारे म यादा से

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यादा जानने क को शश कर। इससे उ साह बढ़ता है।

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B. हर काम दल से कर। आपक मु कराहट, आपका हाथ मलाना, आपक चचा,

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आपक चाल, हर बात म उ साह और गमजोशी दखनी चा हए। ज़दा दली

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से काम कर।

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C. अ ख़बर फैलाएँ। कसी भी ने बुरी ख़बर सुनाकर कोई अ चीज़
हा सल नह क है।
2. “आप मह वपूण ह ” का रवैया वक सत कर। जब आप लोग को मह वपूण
अनुभव कराते ह, तो लोग आपके लए यादा काम करते ह। तीन बात याद रख :
A. हर मौके़ पर तारीफ़ कर। लोग को मह वपूण अनुभव कराएँ।
B. लोग को उनके नाम से बुलाएँ।
3. “पहले सेवा” वाला रवैया वक सत कर और पैसा अपने आप आपके पास आ
जाएगा। हर काम म यह नयम बना ल, लोग आपसे जतनी उ मीद करते ह, आप उससे
यादा ही द।
लोग के बारे म अ ा सोच


फलता हा सल करने का यह एक मूलभूत नयम है। हम इसे अपने दमाग़ म बठा

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ल और इसे हमेशा याद रख। यह नयम है: सफलता सरे लोग के सहयोग पर

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नभर करती है। आपके और आपके ल य के बीच एकमा बाधा सर का सहयोग

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है।

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इसे इस तरीके़ से दे ख : कसी अफ़सर को अपने आदे श के पालन के लए

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कमचा रय पर नभर होना पड़ता है। अगर वे उसके आदे श नह मानगे, तो कंपनी का

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े सडट उस अफ़सर को नौकरी से नकाल दे गा, जब क कमचा रय का कुछ नह

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बगड़े गा। से समैन को अपना सामान बेचने के लए ाहक पर नभर होना पड़ता है। अगर

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ाहक उसका सामान न ख़रीद, तो से समैन असफल हो जाएगा। इसी तरह, कॉलेज का
डीन भी अपने शै णक काय म म सहयोग के लए अपने ोफ़ेसर पर नभर होता है।
एक राजनेता अपने चुनाव के लए मतदाता पर नभर होता है। एक लेखक अपनी
पु तक क ब के लए पाठक पर नभर होता है। कोई चेन टोर मा लक सफ़ इस लए
चेन टोर मा लक बना य क कमचा रय ने उसे लीडर माना और ाहक ने उसक
ावसा यक योजना को पसंद कया।
इ तहास म ऐसे भी समय रहे ह जब कसी ने केवल अपनी ताक़त के दम पर
स ा हा सल क है। उस दौर म या तो “लीडर” के साथ सहयोग करता था, या फर
उसका सर धड़ से अलग कर दया जाता था।
परंतु यह जान ल क आजकल या तो कोई आपको इ ा से सहयोग दे गा या
फर वह आपको बलकुल भी सहयोग नह दे गा।
अब आप यह पूछ सकते ह, “च लए यह मान लया, क म जो सफलता चाहता ँ,
उसे हा सल करने के लए मुझे सर पर नभर रहना पड़ता है, परंतु म कस तरह इन
लोग को े रत क ँ क वे मुझे सहयोग द और मुझे लीडर मान ?”
इसका जवाब एक छोटे से वा य म दया जा सकता है : लोग के बारे म अ ा
सोच। जब आप लोग के बारे म अ ा सोचगे तो वे आपको पसंद करगे और आपको
सहयोग भी दगे। यह अ याय बताता है क आप ऐसा कैसे कर सकते ह।
दन म हज़ार बार इस तरह का य घ टत होता है। कसी कमेट या समूह क
बैठक चल रही है। इसका ल य है कसी मोशन, नई नौकरी, लब क सद यता, स मान
के लए नाम पर वचार जैसे कंपनी के नए े सडट, नए सुपरवाइज़र, नए से स मैनेजर के
लए। समूह के सामने एक नाम रखा जाता है। चेयरमैन पूछता है, “इसके बारे म आपक
या राय है?”

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इसके बाद वहाँ बैठे सभी लोग अपनी-अपनी राय दे ते ह। कई नाम के बारे म यह

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राय सकारा मक होती है जैसे : “वह ब ढ़या है। लोग उसक तारीफ़ करते ह। उसका

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तकनीक ान भी अ ा है।”

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“ म टर एफ़.? वह मलनसार है, ख़ुश मज़ाज । मुझे यक़ न है क यह

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हमारे ऑ फ़स म ठ क तरह से फ़ट हो जाएगा।”

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कई नाम पर वचार करते समय हम नकारा मक व सुन सकते ह। “मुझे

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लगता है क हम इस के बारे म अ तरह खोजबीन करनी चा हए। उसक लोग
से पटरी नह बैठ पाती।”
“म जानता ँ क उसका शै णक और तकनीक ान अ ा है। मुझे उसक
यो यता पर कोई संदेह नह है। परंतु फर भी मुझे इस बात क चता होती है क वह हमारी
कंपनी म कस तरह फ़ट होगा। लोग न तो उसे पसंद करते ह, न ही उसक इ ज़त करते
ह।”
यह एक ब त ही मह वपूण स ांत है : दस म से नौ बार, “पसंद कए जाने” क
बात सबसे पहले कही जाती है। और यादातर मामल म “पसंद कए जाने” के त व को
तकनीक यो यता से यादा मह व दया जाता है।
यू नव सट ोफ़ेसर के चयन म भी यही स ांत मह वपूण भू मका नभाता है। मेरे
ख़ुद के एकैड मक अनुभव से म जानता ँ क नए फ़ैक ट मबर के लए नाम पर कस
तरह वचार कया जाता है। जब भी नाम आता था, समूह उस पर इस तरह वचार करता
था : “ या वह फ़ट हो पाएगा ?” “ या छा उसे पसंद करगे ?” “ या वह टाफ़ के सरे
लोग को साथ लेकर चल सकेगा ?”
ग़लत ? अन-एकैड मक ? नह । अगर कसी को पसंद नह कया जाता हो,
तो वह अपने छा को भावी ढँ ग से नह पढ़ा सकता।
इस बात को ठ क से समझ ल। कसी आदमी को ऊपर क तरफ़ ख चा नह जाता
है। इसके बजाय, उसे बस सहारा दया जाता है। आज के दौर म कसी के पास इतनी
फ़रसत या इतना धीरज नह है क वह कसी सरे को नौकरी क सीढ़ पर ऊपर ख चे ।
कसी को इस लए चुना जाता है य क वह बाक़ सभी लोग से ऊँचा नज़र आता
है।
हम ऊपर क सीढ़ पर चढ़ने के लए सहारा तब दया जाता है जब लोग को यह
लगता है क वे हम पसंद करते ह। आप जब भी एक दो त बनाते ह, वह आपको एक इंच
ऊपर प ँचा दे ता है। और चूँ क अ◌ाप पसंद कए जाते ह, इस लए ऊपर उठाते समय

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सामने वाले को वज़न भी नह लगाता ।

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सफल लोग के पास लोक य बनने क योजना होती है। या आपके पास है? जो

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लोग चोट पर प ँचते ह वे इस बारे म यादा नह बताते क लोग के बारे म अ ा सोचने

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क उनक तकनीक या ह। परंतु आपको यह जानकर हैरानी होगी क ब त से महान

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लोग के पास लोग को भा वत करने क एक , नधा रत, यहाँ तक क ल खत

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योजना भी होती है।

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रा प त लडन जॉनसन का उदाहरण ल। े सडट बनने के ब त पहले लडन

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जॉनसन ने सफलता का अपना दस सू ीय काय म तैयार कया था। इ तहास गवाह है क
वे इन सू को अपने जीवन म उतारते थे और ये सू ह :
1. नाम याद रखने क आदत डाल। अगर आप ऐसा नह करते, तो सामने वाले को यह
लग सकता है क आपक उनम च नह है।
2. एक ऐसे आरामदे ह बन, जससे आपके साथ होने पर कोई तनाव म न रहे।
मज़ा कया, अनुभवी टाइप के बन।
3. अपने दमाग़ को ठं डा रखने क आदत डाल ता क क ठन प र तयाँ आपको
उ े जत या परेशान न कर।
4. बड़बोले न बन। सामने वाले को यह एहसास न होने द क आप ख़ुद को सव ानी
समझते ह।
5. दलच बनने क आदत डाल, ता क लोग आपके आस-पास रहना चाह।
6. अपने व से “चुभने वाले” त व को बाहर नकाल फक।
7. स ी धा मक भावना से हर ग़लतफ़हमी र करने क पूरी को शश कर। अपनी
शकायत को नाली म बहा द।
8. लोग को पसंद करने का अ यास कर, और कुछ समय बाद आप सचमुच उ ह
पसंद करने लगगे।
9. कसी क उपल य या सफलता पर बधाई दे ने का कोई मौक़ा न गँवाएँ, न ही
:ख या नराशा म संवेदना जताने का अवसर खोएँ ।
10. लोग को आ या मक श द और वे आपको पसंद करने लगगे।
इन दस आसान परंतु बेहद भावी “लोग को पसंद करने" के नयम क वजह से
े सडट जॉनसन को उनके मतदाता ने, संसद ने पसंद कया। इन दस नयम को जीवन
म उतारने से े सडट जॉनसन को सहारा दे कर ऊपर प ँचाना यादा आसान हो गया।
इन नयम को एक बार फर से पढ़। यान द क यहाँ बदला लेने क बात नह कही
गई है। यहाँ यह भी नह कहा गया है क ग़लतफ़हमी र करने के लए आप सामने वाले

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क पहल का इंतज़ार कर। यहाँ पर इस तरह का वचार भी नह है क म ही सब कुछ

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जानता ँ और बाक़ सब लोग मूख ह।

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चाहे वे बज़नेस म ह , कला, व ान या राजनी त म ह , महान लोग ब त मानवीय,

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ख़ुश मज़ाज होते ह। उनम ऐसी कला होती है क लोग उ ह पसंद करने लगते ह।

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परंतु, दो ती ख़रीदने क को शश न कर य क दो ती बकाऊ नह होती। अगर

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स ी भावना हो, अगर आप सामने वाले को सचमुच पसंद करते ह तो तोहफ़े दे ना अ

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बात है। परंतु अगर ऐसा नह है, तो तोहफ़े को अ सर र त समझ लया जाता है।
पछले साल, समस के कुछ दन पहले म एक म यम आकार क कग फ़म के
े सडट के ऑ फ़स म बैठा था। जब म वदा लेने वाला था तो वहाँ पर एक डलीवरी मैन
तोहफ़ा लेकर आया, जो उसे ानीय टायर– रकै पग फ़म ने भजवाया था। तोहफ़े को
दे खकर मेरे दो त का दमाग़ ख़राब हो गया और उसने चढ़कर डलीवरी मैन से कहा क
वह तोहफ़े को वापस ले जाए और भेजने वाले को स प दे ।
जब डलीवरी मैन चला गया तो मेरे दो त ने मुझसे कहा, “मुझे ग़लत मत समझना
। मुझे तोहफ़े लेना और दे ना दोन ही पसंद है।”
फर उसने मुझे उन तोहफ़ के बारे म बताया जो उसे उसके दो त ने दए थे।
“परंतु,” उसने आगे कहा, “जब तोहफ़ा र त क तरह दया जाए, अपना काम
नकलवाने के लए दया जाए, तो म इसे पसंद नह करता।” मने इस फ़म के साथ
बज़नेस करना तीन महीने पहले बंद कर दया था, य क उनका काम ठ क नह था और
म उनके कमचा रय को भी पसंद नह करता था। परंतु उनका से समैन बार–बार हमारे
यहाँ चला आता था।
“मुझे ग़ सा इस बात पर आता है,” उसने कहा, “ क पछले स ताह यही से समैन
यहाँ पर आया और उसने यह कहने क हमाकत क , ‘हम चाहगे क आप हम काम द। म
सांता से जाकर क ँगा क वह आपको इस साल कोई अ ा सा तोहफ़ा ज़ र भजवा
दे ।‘ अगर मने यह तोहफ़ा वापस नह कया होता, तो अगली बार वह से समैन आकर जो
पहली बात कहता वह यह होती, ‘ आपको तोहफ़ा तो पसंद आया, है ना ?”
दो ती ख़रीद नह जा सकती। और जब हम इसे ख़रीदने क को शश करते ह, तो
हम दो तरह से नुक़सान होता है :
1. हम पैसा गँवाते ह।

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2. हम भावना पैदा करते ह।

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दो ती करने म पहल कर– सफल लोग यही करते ह। यह सोचना यादा आसान

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और वाभा वक है, “सामने वाले को पहल करनी चा हए।” “उसे मेरे घर पहले आना

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चा हए।” “पहले उसे बात शु करनी चा हए।”

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सरे लोग को इस तरह से नज़रअंदाज़ करना ब त आसान होता है।

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हाँ, यह आसान है और वाभा वक है, परंतु लोग के बारे म अ ा सोचने का यह

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सही तरीक़ा नह है। अगर आप इस बात का इंतज़ार करगे क सरा दो ती क न व
रखे, तो आपके पास कभी यादा दो त नह ह गे।
वा तव म, यही स े लीडर क पहचान है क वह लोग से पहचान बढ़ाने म पहल
करता है। अगली बार आप जब भी कसी बड़े समूह म खड़े ह , तो इस बात को यान से
दे ख : वहाँ पर मौजूद सबसे मह वपूण वह होता है, जो अपना प रचय दे ने म सबसे
यादा स य होता है।
वह सचमुच सफल होगा जो आपके पास आता है, आपसे हाथ मलाता है
और कहता है, “हलो, म जैक आर . ” । इस बात पर थोड़ा वचार कर और आप पाएँगे क
वह इस लए सफल होगा य क वह दो ती बनाने के लए मेहनत कर रहा है।
लोग के बारे म अ ा सोच। जैसा मेरे एक दो त का कहना है, “चाहे म उसके लए
मह वपूण न होऊँ, परंतु वह मेरे लए मह वपूण है। इसी कारण मुझे उसे क़रीब से जानना
चा हए।”
आपने कभी सोचा है क लोग ल ट का इंतज़ार करते समय पुतल क तरह य
खड़े होते ह? जब तक क वे अपने कसी प र चत के साथ न ह , तब तक यादातर लोग
अपने आस–पास खड़े लोग से बात ही नह करते। एक दन मने इस बारे म छोटा सा
योग करने का फै़सला कया।
मने अपने पास खड़े से बातचीत शु करने का फै़सला कया। मने 25 बार
लगातार ऐसा कया और 25 बार ही मुझे इसके जवाब म सकारा मक, दो ताना जवाब
मला।
हालाँ क अजन बय के साथ बात करने को अ े मैनस म शा मल नह कया
जाता, परंतु यादातर लोग फर भी इस बात को पसंद करते ह। और यह रहा इसका लाभ
:
जब आप कसी अजनबी के बारे म कोई सकारा मक बात कहते ह, तो उसका मूड
अ ा हो जाता है। आपको भी अ ा लगता है। और आपको शां त और ख़ुशी भी मलती

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है। हर बार जब भी आप कसी क तारीफ़ करते ह, तो आप दरअसल अपने आपको

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लाभ प ँचा रहे ह। यह अपनी कार को जाड़े के दन म गम करने क तरह है।

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यहाँ ज़रा सी पहल से दो त बनाने के छह तरीक़ दए जा रहे ह :

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1. हर मौके़ पर सर को अपना प रचय द– पाट म, बैठक म, हवाई जहाज़ म,

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ऑ फ़स म, हर जगह।

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2. यह सु न त कर ल क सामने वाला आपका नाम ठ क से जान ले।

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3. यह सु न त कर ल क आप सामने वाले के नाम का उ ारण ठ क से कर सक।

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4. सामने वाले का नाम लख ल और यह सु न त कर ल क आपने उसक े लग
सही लखी हो। अगर आप कसी के नाम क ग़लत े लग लखगे तो हो सकता है
क वह दो त के बजाय आपका मन बन जाए। अगर संभव हो, तो उसका पता और
फ़ोन नंबर भी लख ल।
5. आप जन नए दो त से मल, उनम से आप जससे प रचय बढ़ाना चाहते ह , उ ह
च लख या फ़ोन कर। यह ब त मह वपूण है। यादातर सफल लोग नए दो त
बनाने के बाद उ ह च लखते ह या फर फ़ोन पर उनसे बात करते ह।
6. और सबसे आ ख़री बात, अजन बय से अ बात कर। इससे आपको भी अ ा
लगेगा और आपका दन भी अ ा जाएगा।
इन छह नयम पर अमल करना ही लोग के बारे म अ ा सोचने का सही तरीक़ा
है। एक बात तो तय है, आम आदमी इस तरह से नह सोचता। ”आम” आदमी कभी
प रचय दे ने म पहल नह करता। वह इस बात का इंतज़ार करता है क सामने वाला पहल
करे।
पहल कर। सफल लोग क तरह बन। लोग से मलने क को शश कर। द बू या
संकोची न बन। ज़रा हटकर काम करने से न घबराइएँ। यह पता कर क सामने वाला
कौन है और उसे बताएँ क आप कौन ह।
कुछ समय पहले मुझे और मेरे सहयोगी को कसी बज़नेस म से स जॉब के आवेदन प
क नग का काम स पा गया। हमने पाया क एक आवेदक, जसे हम टे ड का नाम दगे,
ब त यो य था। वह बु मान, आकषक और मह वाकां ी था।
परंतु इसके बावजूद हमने यह पाया क हम उसे नह चुन सकते, कम से कम
फ़लहाल तो नह । टे ड म सबसे बड़ी गड़बड़ यह थी : वह सरे लोग से पूणता क उ मीद
करता था। टे ड छोट –छोट बात पर चढ़ जाता था, जैसे ाकरण क ग़लती से, सगरेट
का गुल खलाने वाले लोग से, या मै चग के कपड़े न पहनने वाल से इ या द।
जब हमने टे ड को उसक इस आदत के बारे म बताया, तो उसे आ य आ। परंतु

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वह यह काम करने को इ ु क था, इस लए उसने हमसे पूछा क वह अपनी इस कमज़ोरी

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को कस तरह र कर सकता है।

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हमने उसे तीन सुझाव दए :

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1. यह जान ल क कोई पूण नह होता। कई लोग बाक़ लोग से यादा पूण

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होते ह, परंतु कोई भी पूण नह कहा जा सकता। हर एक म कुछ न कुछ कमी तो

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होती ही है। इंसान को इंसान बनाने वाली चीज़ यही है क वे ग़ल तयाँ करते ह, हर तरह

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क ग़ल तयाँ।
2. यह जान ल क सरे को अलग होने का अ धकार है। कसी भी चीज़ के
बारे म सव ानी होने का दावा न कर। लोग को सफ़ इस लए नापसंद न कर य क
उनक आदत आपसे अलग ह, या उनके कपड़े , उनका धम, उनक पा टयाँ, उनक कार
आपसे भ ह। यह ज़ री नह है क आप सामने वाले के काम क तारीफ़ कर,
परंतु यह भी ज़ री नह है क आप उसके काम को नापसंद कर।
3. सुधारक बनने से बच। अपनी फलॉसफ म ‘ जयो और जीने दो‘ के स ांत का
पालन कर। यादातर लोग को यह पसंद नह होता क कोई उनक ग़ल तयाँ बताए। कसी
के बारे म आपके वचार होना गलत नह है, परंतु कई बार उन वचार को ना कहने म
यादा समझदारी होती है।
टे ड ने इन सुझाव पर काफ़ मेहनत से अमल कया। कई महीन बाद वह पूरी तरह
बदल गया। अब वह लोग के त यादा उदार हो चला है। वह जान गया है क लोग न तो
पूरी तरह अ े होते ह, न ही पूरी तरह बुरे होते ह।
वह कहता है, “पहले म जस बात से चढ़ जाता था, अब उसी बात म मुझे मज़ा
आने लगा है। अब जाकर मुझे यह समझ आया है क अगर सभी लोग एक जैसे होते और
सभी पूण होते तो यह नया कतनी नीरस हो जाती।”
इस आसान परंतु मह वपूण बात का यान रख : कोई भी पूरी तरह अ ा या
बुरा नह होता। पूण इस नया म कोई नह होता। हम सभी आधे–अधूरे होते ह।
अब, अगर हम अपने चतन को नयं त न कर, तो हम हर म बुराई दख
सकती है। परंतु अगर हम अपने चतन को नयं त कर लेते ह, तो हम हर म
अ ाई भी खोज सकते ह।
इसे इस तरह से दे ख। आपका दमाग़ एक मान सक ॉडका टग टे शन है। इस
ॉडका टग स टम म बराबर ताक़त वाले दो चैनल ह जनके मा यम से यह आप तक
संदेश प ँचाता है : चैनल पी (positive) यानी सकारा मक चैनल और चैनल एन

in
(negative) यानी नकारा मक चैनल।

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आइए अब दे ख क आपका ॉडका टग स टम कस तरह काम करता है। मान ल

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क आपके बॉस (हम उनका नाम म टर जैक स रख लेते ह) ने आपको अपने के बन म

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बुलवाया और आपके काम का मू यांकन कया। उ ह ने आपके कई काम क तारीफ़ क

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और साथ ही आपको कुछ सुझाव भी दए क आप अपने काम को कस तरह बेहतर तरीके

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से कर सकते ह। आज क रात यह वाभा वक ही है क आप उस बारे म सोच।

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अगर आप चैनल एन को चालू करते ह तो वहाँ पर उ ोषक कुछ इस तरह क बात
करेगा : “सावधान! जैक स तु ह नीचा दखाना चाहता है। उसे सर को परेशान करने म
मज़ा आता है। तु ह उसक सलाह क कोई ज़ रत नह है। भाड़ म जाए उसक सलाह।
याद करो जो ने जैक स के बारे म या बताया था ? वह ठ क कहता था। जैक स तु ह भी
उसी तरह ज़लील करना चाहता है जस तरह उसने जो को ज़लील कया था। उसका
वरोध करो। अगली बार जब वह तु ह बुलाए तो तुम उसक बात चुपचाप मत सुनो ब क
उससे बहस करो। या इससे भी बेहतर तो यह होगा क तुम इंतज़ार मत करो। कल ख़ुद ही
जाकर उससे मलो और पूछो क तु हारी आलोचना उसने य क . . . ”
परंतु अगर आप चैनल पी को सुनते ह तो वहाँ उ ोषक कुछ इस तरह क बात
करता है, “ म टर जैक स भले आदमी ह। उ ह ने मुझे जो सुझाव दए ह वे सचमुच ब त
अ े ह। अगर म उन सुझाव पर अमल क ँ तो शायद मेरा काम सुधर जाए और बाद म
मेरा मोशन भी हो जाए। म टर जैक स ने तो मेरी ग़ल तयाँ बताकर मुझ पर एहसान
कया है। कल ही म जाऊँगा और उनक रचना मक मदद के लए उ ह ध यवाद ँ गा। बल
ठ क कहता है जैक स के साथ काम करना ब त अ ा है . . . । ’
इस मामले म, अगर आप चैनल एन क बात सुनगे तो हो सकता है क आपके
संबंध आपके बॉस से ख़राब हो जाएँ और आप कोई ग़लत या ख़तरनाक हरकत कर बैठ।
परंतु अगर आप चैनल पी क बात मानगे तो आपके बॉस के सुझाव से आपको लाभ
मलना तय है और इसके अलावा आप उनके क़रीब भी प ँच जाएँगे। वे आपसे मलना
पसंद करगे। जाएँ, को शश करके दे ख।
यह यान रख क आप जतनी यादा दे र तक चैनल पी या चैनल एन क बात सुनते
ह, आप उस तरह क बात म सचमुच दलच ी लेने लगते ह और चैनल बदलना आपके
लए उतना ही मु कल होता जाता है यह सच है य क एक वचार, चाहे वह सकारा मक
हो या नकारा मक, अपने जैसे कई वचार का चेन रए न पैदा करता है।
उदाहरण के तौर पर, आप कसी के उ ारण के बारे म नकारा मक सोचने से

in
शु कर सकते ह और ज द ही आप यह सोचने लगगे क उसके राजनी तक या धा मक

i.
व ास कतने ग़लत ह, वह कतने ग़लत ढँ ग से कार चलाता है, उसक आदत कतनी बुरी

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ह और उसके अपनी प नी के साथ संबंध भी ख़राब ह, यहाँ तक क वह अपने बाल भी

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ठ क से नह काढ़ता। और अगर आप इस तरह से सोचगे तो न त प से आप वहाँ नह

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प ँच पाएँगे जहाँ आप प ँचना चाहते ह।

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आप ही दोन चैनल के मा लक ह इस लए अपने वचार के ॉडका टग टे शन पर

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क़ाबू रखना भी आपक ज़ मेदारी है। जब आप लोग के बारे म सोच तो चैनल पी को

h
सुनने क आदत डाल ल।
अगर चैनल एन बीच म आ जाए, तो उसे बंद कर द। फर चैनल बदल ल। चैनल
बदलने के लए आपको उस के बारे म कोई अ बात सोचना भर है। स ी चेन
रए न शैली म एक वचार के बाद उसी तरह का सरा वचार आ जाएगा और इसी तरह
एक के बाद एक वचार आते चले जाएँगे। और आप ख़ुश ह गे।
जब आप अकेले होते ह, तो आप और सफ़ आप ही यह फै़सला कर सकते ह क
आप चैनल पी सुनगे या चैनल एन। परंतु जब आप कसी और के साथ बात करते ह तो
आपके सोचने के तरीक़े पर उस का भी कुछ नयं ण होता है।
हम यह याद रखना चा हए क यादातर लोग नह जानते क लोग के बारे म
सोचने का सही नज़ रया या होता है। इस लए आप यह पाएँगे क कोई आपक
तरफ़ दौड़ा चला आएगा और कसी प र चत के बारे म कोई बुरी बात बताने के लए
ाकुल होगा : आपका सहकम सरे कमचारी क आप जनक बात बता सकता है;
आपका पड़ोसी सरे पड़ोसी क घरेलू सम याएँ बता सकता है, या ाहक अपने उस
तयोगी क बुराई बता सकता है जससे आप मलने जा रहे ह ।
वचार अपनी ही तरह के वचार को ज म दे ते ह। असली ख़तरा यह है क जब
आप कसी सरे के बारे म नकारा मक वचार सुनते ह, तो आपके मन म भी उसी
तरह के वचार आएँगे और आप भी नकारा मक बात कर सकते ह। वा तव म, अगर आप
सावधान न ह , तो हो सकता है क आप आग म घी डाल द और यह कह, “हाँ, और यही
नह । या तु ह पता है . . . ”
इस तरह क बात पलटकर वापस आती ह, बूमरग क तरह।
दो तरीक़े ह जनसे हम सरे लोग को हमारे पी चैनल को एन चैनल म बदलने से
रोक सकते ह। एक तो यह क आप त काल वषय बदल द और इस तरह क बात कह,

in
“ मा कर, जॉन, परंतु म तुमसे यह पूछना चाहता था . . . ” सरा तरीक़ा यह है क आप

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वहाँ से इस तरह क बात कहकर चल द, ”अभी म ज द म ँ...” या “मुझे एक जगह

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प ँचना है और मुझे पहले ही दे र हो चुक है। अब मुझे चलना चा हए।”

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अपने आपसे एक वादा कर। सर को इस बात क अनुम त न द क वे आपके

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चतन पर नकारा मक भाव डाल। चैनल पी को हमेशा लगाए रख।

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एक बार आप लोग के बारे म अ ा सोचने क आदत डाल लगे, तो फर आपक

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सफलता न त है। म आपको उस सफल बीमा से समैन क बात बताता ँ जसने मुझे
अपनी कहानी बताई थी क कस तरह लोग के बारे म अ ा सोचने से उसे फ़ायदा आ
था।
“जब म पहली बार बीमा बज़नेस म आया,” उसने कहा, ”तो मुझे ब त मु कल
आई। पहले तो यह लगा जैसे मेरे जतने संभा वत ाहक थे, उतने ही मेरे तयोगी थे।
और ज द ही मने यह जान लया जो सभी बीमा एजट जानते ह क 10 म से 9 संभा वत
ाहक का यह ढ़ व ास होता है क उ ह बीमे क कोई ज़ रत नह है।”
“मेरा काम ठ क चल रहा है। परंतु म आपको बता ँ क ऐसा इस लए नह है
य क म बीमे के तकनीक पहलू का वशेष ँ। वह भी मह वपूण है, परंतु आप मुझे
ग़लत मत समझना, मुझसे ब त यादा समझदार लोग मेरे जतने सफल नह ह। वा तव
म, म एक ऐसे को जानता ँ जसने बीमे पर एक पु तक लखी है, परंतु वह उस
का बीमा भी नह कर पाया जो जानता था क उसे सफ़ पाँच दन ज़दा रहना है।
“मेरी सफलता का आधार सफ़ यह है,” उसने कहा, “म जसे अपनी बीमा
पॉ लसी बेचता ँ, म उसे सचमुच पसंद करता ँ। हाँ, म उसे सचमुच पसंद करता ँ। मेरे
कई साथी से समैन यह नाटक करते ह क वे सामने वाले को पसंद करते ह, परंतु इससे
कोई फ़ायदा नह होता। लोग समझ जाते ह क आप उ ह बेवकूफ़ बना रहे ह। आपके हाव
– भाव, आपके चेहरे के भाव, आपक आँख से साफ़ दख जाता है क आप नाटक कर रहे
ह”
“जब म कसी संभा वत ाहक के बारे म जानकारी इक करता ँ, तो म वही
करता ँ जो हर एजट करता है। म उसक उ , उसके काम – धंधे, उसक आमदनी, उसके
बीवी–ब इ या द के बारे म जानकारी हा सल करता ँ।
“परंतु इसके साथ ही म एक और चीज़ क खोज करता ँ जसके बारे म यादा
से समैन परवाह नह करते– म ऐसा कारण ढू ँ ढ़ता ँ जसके कारण म अपने संभा वत
ाहक को पसंद करने लगूँ। हो सकता है क मुझे यह कारण उसक नौकरी म मल जाए,

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या उसके पछले रकॉड म मल जाए। परंतु म हमेशा उसे पसंद करने का कारण ढू ँ ढ़ने म

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कामयाब हो जाता ँ।

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“ फर जब भी मेरा यान अपने संभा वत ाहक पर क त होता है, तो म उसे पसंद

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करने के कारण को याद कर लेता ँ। उससे बीमे के बारे म एक श द कहने से पहले ही म

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उस संभा वत ाहक क पसंद दा छ व बनाने क को शश करता ँ।

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“यह छोट सी तकनीक बड़े काम क है। चूँ क म उसे पसंद करता ँ, इस लए वह

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भी मुझे दे र–सबेर पसंद करने लगता है। ज द ही म मेज़ पर उसके सामने बैठने के बजाय
उसक बग़ल म बैठा होता ँ और हम उसक बीमा योजना बना रहे होते ह। वह मुझ पर
व ास करता है य क अब म उसका दो त बन चुका ँ।
“हालाँ क हमेशा मुझे पहली नज़र म ही पसंद नह कया जाता, परंतु मने पाया है
क जब तक म सामने वाले को पसंद करता ँ, तब तक इस बात क संभावना रहती है क
वह भी मुझे पसंद करने लगेगा और हमारा बज़नेस प का हो जाएगा।
मेरे दो त ने आगे कहा, “अभी पछले ही ह ते म एक स त ाहक से तीसरी बार
मला। वह मुझे दरवाज़े पर ही मल गया और मेरे कुछ कहने से पहले ही वह मुझ पर
काफ़ गम आ। वह अपनी बात लगातार कहता रहा और उसने मुझे कुछ बोलने का मौक़ा
ही नह दया। आ ख़रकार उसने अपनी बात यह कहते ए ख़ म क , ‘अब म आपक सूरत
भी नह दे खना चाहता।’
जब उसने इतना कह दया, तो मने उसक आँख म 5 सेकंड तक दे खा, और फर
स े दल से धीमे से कहा, ‘परंतु म टर एस., म तो आज आपके दो त क है सयत से
मलने आया ँ।‘
“और कल ही उसने मुझसे 10,000 डॉलर क पॉ लसी ख़रीद ली।”
सॉल पोक को शकागो का अ लायंस कग कहा जाता है। 21 साल पहले कुछ नह से
शु करने वाले सॉल पोक शकागो म आजकल एक साल म 60 म लयन डॉलर से यादा
का सामान बेचते ह।
सॉल पोक अपने बज़नेस क सफलता का ेय ख़रीदार के त उनके वहार को
दे ते ह। वे कहते ह, “ ाहक के साथ उसी तरह से बताव करना चा हए जैसे वे हमारे घर
आए मेहमान ह ।”
या यह लोग के बारे म सोचने का सही नज़ रया नह है? और या हम सफलता
के इस फ़ॉमूले को अपने जीवन म नह उतार सकते ? ाहक के साथ उसी तरह का बताव

in
कर, जैसे वे आपके घर आए मेहमान ह ।

d i.
यह तकनीक बज़नेस के अलावा सरे े म भी काम आती है। ाहक क जगह

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कमचारी रख ल और आपको यह सू मलेगा, “कमचा रय के साथ उसी तरह से बताव

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कर जैसे वे आपके घर आए मेहमान ह ।” अपने कमचा रय के साथ ब त अ ा वहार

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कर और आपको बदले म ब त अ ा सहयोग मलेगा, ब त अ ा ट मवक। अपने चार

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तरफ़ के लोग के बारे म ब त अ ा सोच और बदले म आपको इसके ब त अ े

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प रणाम मलगे।

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इस पु तक के शु आती सं करण का र ू करने वाले मेरे एक दो त ने यह सू
पढ़ने के बाद मुझसे कहा, “यह लोग को पसंद करने और उनका स मान करने का
सकारा मक प रणाम है। म आपको अपने एक दो त क स ी कहानी सुनाना चाहता ँ
जससे यह सा बत होता है क अगर आप लोग को नापसंद करते ह तो आपको उसके
प रणाम कस तरह भुगतने पड़ते ह।”
उसके अनुभव म दम था। ज़रा दे ख!
“मेरी फ़म को एक कॉ ै ट मला था। हम सॉ ट क बॉट लग करने वाली एक
छोट कंपनी को परामश सेवाएँ दे नी थ । कॉ ै ट काफ़ बड़ा था, लगभग 9,500 डॉलर
का। हमारा ाहक ब त पढ़ा– लखा नह था उसका बज़नेस भी ठ क नह चल रहा था
और पछले कुछ साल म उसने बड़ी भारी ग़ल तयाँ क थ ।
“कॉ ै ट मलने के तीन दन बाद म अपने सहयोगी के साथ उस कंपनी के लांट म
गया जो हमारे ऑ फ़स से 45 मनट र था। आज तक म नह जानता क बात कस तरह
शु , परंतु कसी न कसी कारण हम लोग अपने ाहक के नकारा मक गुण पर बात
करने लगे।
“हम उसक मूखता पर हँस रहे थे, जस वजह से उसने अपनी राह म द क़त
खड़ी कर ल । उसने अपनी सम या के बारे म हमसे सलाह लेने के बजाय अपनी बु
पर भरोसा कया था, और उसी का नतीजा था क आज उसके बज़नेस का भ ा बैठ चुका
है।
“मुझे अपनी कही ई एक बात ख़ास तौर पर याद है– ‘केवल एक चीज़ ही म टर
एफ़ को गरने से रोक रही है– और वह है उनका मोटापा।’ मेरे सहयोगी ने भी इस चचा म
अपना योगदान दया। ‘ और उसके लड़के को दे खो। उसक उ लगभग 35 साल होगी,
परंतु अपने काम के बारे म उसक एकमा यो यता यह है क उसे अँ ेज़ी बोलना आता

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है।’

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“रा ते भर हम सफ़ अपने ाहक क बुराई करते रहे और यह सोचते रहे क वह

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कतना मूख था।

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“तो, उस दोपहर हमारी चचा ब त ठं डी सा बत ई। अब जब म पीछे मुड़कर

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सोचता ँ तो मुझे लगता है क शायद हमारा ाहक यह समझ गया था क उसके बारे म

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हमारी सोच नकारा मक थी। उसने सोचा होगा : ‘ये लोग सोचते ह क म मूख ँ या

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नासमझ ँ और वे मुझसे चकनी–चुपड़ी बात करके मुझसे पैसे ठना चाहते ह।’

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“दो दन बाद मुझे इस ाहक क दो लाइन क च मली, जसम लखा था, ‘मने
फै़सला कया है क म आपक परामश सेवा का लाभ नह उठाना चाहता। अगर आज
क तारीख तक आपक सेवा का कोई भुगतान मुझे करना हो, तो कृपया अपना बल
भजवा द।’
“40 मनट के नकारा मक वचार क क़ मत हम इस तरह चुकानी पड़ी क हमारे
हाथ से 9,500 डॉलर का कॉ ै ट चला गया। इससे भी यादा खद बात यह थी क
हमारे भूतपूव ाहक ने एक महीने बाद शहर के बाहर क एक फ़म क परामश सेवाएँ ले
ल।
“अगर हमने उसके अ े गुण पर अपना यान क त कया होता तो हमने अपने
ाहक को नह खोया होता। और उसम अ े गुण थे। यादातर लोग म होते ह।”
आप एक काम कर जसम आपको मज़ा भी आएगा और साथ ही साथ आप
सफलता का यह मूलभूत स ांत भी सीख सकगे। अगले दो दन तक आप जतनी चचाएँ
सुन सकते ह , सुन। दो बात पर यान द : चचा के दौरान कौन यादा बोल रहा है और
कौन यादा सफल है।
मने यह योग सैकड़ बार कया है और इसके बाद म इस नतीजे पर प ँचा ँ: वह
जो सबसे यादा बोलता है और वह जो सबसे यादा सफल होता है; वे दोन
शायद ही कभी एक होते ह। शायद इसका अपवाद भी नह होता। जतना
सफल होता है, वह चचा म उतना ही यादा उदार होता है, यानी क वह सामने वाले को
अपने बारे म बात करने दे ता है, अपने वचार, अपनी उपल याँ, अपने प रवार, अपनी
नौकरी, अपनी सम या के बारे म बात करने दे ता है।
चचा क उदारता दो तरह से आपको यादा सफल बनाती है
1. चचा क उदारता से आपके दो त बनते ह

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2. चचा उदारता से आपको लोग के बारे म यादा जानने का मौक़ा मलता है।

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याद रख : आम आदमी नया म कसी भी चीज़ से यादा ख़ुद के बारे म बात

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करना पसंद करता है। जब आप उसे इस बात का मौक़ा दे ते ह, तो वह आपको पसंद करने

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लगता है। चचा म उदारता दखाना दो त बनाने का सबसे आसान और अचूक तरीक़ा है।

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और चचा म उदारता का सरा लाभ भी मह वपूण है, जसम आप लोग के बारे म

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यादा जान जाते ह। जैसा हमने पहले अ याय म कहा है, हम अपनी सफलता क

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योगशाला म लोग का अ ययन करते ह हम उनके बारे म, उनक वचार या, उनके

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अ े और बुरे गुण के बारे म, वे कोई काम य और कैसे करते ह इस बारे म जतना
यादा जान लेते ह, हम उतना ही लाभ होता है य क इस जानकारी से हम उ ह भा वत
करने के तरीक़े आसानी से ढू ँ ढ़ सकते ह।
म आपको एक उदाहरण दे ना चा ँगा।
बाक़ व ापन एज सय क ही तरह, यूयॉक क एक एड् वटाइ जग एजसी भी
जनता को यह बताया करती थी क जनता को इसके व ापन म बताई चीज य ख़रीदनी
चा हए। परंतु यह एजसी एक काम और करती थी। यह अपने व ापन लखने वाल को
हर साल एक स ताह के लए कान म से समैन के काम पर रखती थी, ता क वे वहाँ पर
उनके ारा व ा पत चीज़ के बारे म लोग के वचार सुन सक। सुनने से ही उ ह इस बात
क ेरणा मलती थी क वे बेहतर, यादा असरदार व ापन लख सक।
कई ग तशील कंप नयाँ अपने उन कमचा रय का आ ख़री इंटर ू लेती ह जो
काम छोड़कर जा रहे ह। इसका कारण यह नह होता है क वे कमचारी को वहाँ पर रोकने
का यास करती ह, ब क यह जानना होता है क वे काम छोड़कर य जा रहे ह। कंपनी
के कमचा रय के साथ संबंध सुधारने म यह इंटर ू ब त काम आता है। सुनने से फ़ायदा
होता है।
सुनना से समैन के लए भी फ़ायदे मंद होता है। अ सर लोग यह सोचते ह क
अ ा से समैन वह होता है जो “अ ा व ा” हो या ”तेज़ बोलने वाला” हो। परंतु, से स
मैनेजर पर अ े व ा का उतना भाव नह पड़ता जतना क एक अ े ोता का पड़ता
है, एक ऐसा जो सवाल पूछ सकता है और उसके अपे त जवाब हा सल कर
सकता है।
चचा म बोलने क बागडोर न थामे रह। सुन, दो त बनाएँ और सीख।
सामने वाले के साथ चचा म श ाचार सबसे अ ा ै वलाइज़र होता है।
आप सरे लोग के लए जो छोट –छोट चीज करते ह, वे ब त मह वपूण होती ह। अगर

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आपका लोग के बारे म सोचने का नज़ रया सही हो, तो आपक ब त सी कुंठाएँ और

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आपका तनाव न त प से कम हो जाएँगे। जब आप शां त से वचार करगे, तो आप

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पाएँगे क आपके तनाव का कारण सरे लोग के त नकारा मक भावनाएँ ही ह। इस लए

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सरे लोग के त अपनी सोच को सकारा मक बनाएँ और यह खोज क यह संसार

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कतना अ त है।

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लोग के बारे म सही नज़ रए का असली इ तहान तब आता है जब चीज हमारे

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हसाब से नह होत । आपको कैसा लगता है जब आपक जगह कसी सरे को

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मोशन मल जाता है ? या जब आप अपने लब के चुनाव म हार जाते ह? या जब आपके
काम क आलोचना होती है ? याद रख : हारने के बाद आप कस तरह से सोचते ह, इसी
बात से तय होता है क आप कतने समय बाद जीतगे।
अपनी असफलता के बाद लोग के बारे म सही तरीक़े से सोचने क पैरवी बजा मन
फे़यरलेस ने क है। ब त ग़रीब माहौल म बड़े होने के बाद म टर फे़यरलेस युनाइटे ड
टे ट्स ट ल कॉरपोरेशन के चीफ़ ए ज़ी यू टव बन गए। लाइफ़ मै ज़ीन (15 अ टू बर,
1956) म उनका यह उ रण छपा था :
“सब कुछ इस बात पर नभर करता है क आप घटना को कस तरह लेते ह।
उदाहरण के तौर पर, म अपने कसी ट चर से कभी नह चढ़ा। हालाँ क हर व ाथ क
तरह मुझे भी डाँट पड़ती थी, पर म सोचता था क मुझे मेरी ग़लती के कारण ही डाँट पड़
रही है और अनुशा सत बनना मेरे लए अ बात थी। मने अपने हर बॉस को भी पसंद
कया है। मने हमेशा यह को शश क है क खुश रखूँ और वे जतना चाहते ह, म उससे
यादा काम क ँ ।
“ऐसा नह है, क मुझे कभी नराशा ई। कई बार मेरी जगह कसी सरे को
मोशन दे दया गया। परंतु मने यह कभी नह सोचा क म ‘ऑ फ़स क राजनी त‘ का
शकार था या मेरे त कसी का पूवा ह था या मेरे बॉस का फ़ैसला ग़लत था। :खी होने,
झ लाने और नौकरी छोड़ दे ने के बजाय मने ता कक से वचार कया। न त प से
सरा मोशन के लए मुझसे यादा यो य था। जब मोशन का अगला मौक़ा
आएगा, तब तक म ऐसा या कर सकता ँ क म उस यो य बन जाऊँ? साथ ही म कभी
अपने आप पर भी नाराज़ नह आ क म य असफल आ था। मने कभी हीन भावना
से पी ड़त होने म अपना समय बबाद नह कया।”
जब भी कोई बात बगड़ जाए, तो बजा मन फे़यरलेस को याद कर। सफ़ दो काम
कर :

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1.ख़ुद से पूछ, “जब मोशन का अगला मौक़ा आएगा, तब तक म ऐसा या कर

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सकता ँ क म उस यो य बन जाऊँ ?”

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2. नराश या हताश होने म समय और ऊजा बबाद न कर। अपने आपको न कोस।

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अगली बार जीतने क योजना बनाएँ।

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सं ेप म, आप इन स ांत को अमल म लाएँ

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1.अपने आपको ह का रख ता क लोग आपको से ऊपर उठा सक। लोग के य बन।
लोक य बनै। इससे उनका समथन भी हा सल होता है और आपके सफल होने म
सहयोग भी मलता है।
2. दो ती बनाने म पहल कर। हर मौक़े पर सामने वाले को अपना प रचय द। यह
सु न त कर ल क आप सामने वाले का सही नाम जान ल और यह भी सु न त कर ल
क वह आपका नाम ठ क से जान ले। आप अपने जन नए दो त को बेहतर जानना चाहते
ह , उ ह च लख या फ़ोन कर।
3. हर इंसान अलग होता है और हर इ सान क सीमाएँ होती ह, इस बात को
वीकार कर। कसी भी से पूणता क उ मीद न कर। याद रख, हर को अलग
होने का अ धकार है। और हाँ, सुधारक बनने क को शश न कर।
4. चैनल पी, यानी क अ े वचार के टे शन को बराबर सुनते रह। कसी
क अ ाइय और तारीफ़ के क़ा बल गुण को खोजते रह, उसक बुराइय को ढू ँ ढने म
अपना समय बबाद न कर। इसके अलावा, सरे लोग को अपनी सकारा मक सोच को
नकारा मक सोच म बदलने का मौक़ा न द। लोग के बारे म सकारा मक चतन कर– और
आपको सकारा मक प रणाम मलगे।
5. चचा म उदार बन। सफल लोग क तरह बन। सरे लोग को बोलने के लए
ो सा हत कर। सरे को अपने वचार, अपनी उपल य के बारे म बात करने का
पूरा मौक़ा द।
6. हर समय श ाचार नभाएँ। इससे लोग को अ ा लगता है। इससे आपको भी
अ ा लगेगा।
7. जब भी आप असफल ह , तो अपनी असफलता के लए सर को दोष न द।
याद रख : हारने के बाद आप कस तरह से सोचते ह, इसी बात से तय होता है क आप
कतने समय बाद जीतगे।

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काम म जुटने क आदत डाल


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र े के द गज इस बात पर सहमत ह : ऊँची पो ट के लए यो य नह

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मलते। जैसी कहावत है, चोट पर हमेशा काफ़ जगह ख़ाली रहती है। एक

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ए ज़ी यू टव का कहना था क ब त सारे लोग म तकनीक क़ा ब लयत तो होती है,

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परंतु उनम सफलता के एक मूलभूत त व क कमी रहती है। वह त व है काम पूरा करना या

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प रणाम दे ना।

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हर बड़े काम म – चाहे वह बज़नेस चलाना हो, ऊँचे तर क से समैन शप हो,

l
व ान, सेना या सरकार हो – आपको एक ऐसे क ज़ रत पड़ती है जो न सफ़

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सोचता हो, ब क काम भी करता हो। जब भी अफ़सर कसी मह वपूण कमचारी को
नयु करते ह तो वे अ सर इस तरह के सवाल पूछते ह, “ या वह यह काम कर पाएगा
?” “ या वह पूरा काम कर सकता है?” “ या वह ख़ुद ही काम म जुटा रहेगा या उसे बार–
बार याद दलाना पड़े गा ?” “ या वह काम पूरा करेगा या सफ़ बात ही करता रहेगा ?”
इन सारे सवाल का ल य एक ही है : यह पता लगाना क या वह कमठ है,
या वह काम का है।
उ कृ वचार ही पया त नह होते। एक साधारण वचार पर भी अगर अमल कया
जाए और उसे वक सत कया जाए तो उसके अ े प रणाम नकलते ह। सरी तरफ़,
अगर आपके पास सव े वचार भी हो और आप उस पर अमल नह कर पाएँ, तो वह
बेकार है य क वह आपके दमाग़ म ही पैदा होता है और वह मर जाता है।
महान ापारी जॉन वानामेकर अ सर कहा करते थे, “कोई भी चीज़ सफ़ सोच
लेने भर से नह हो जाती।”
इस बारे म वचार कर। इस नया क हर चीज़, उप ह और गगनचुंबी इमारत से
लेकर बेबी फ़ूड तक, सफ़ एक वचार था जस पर कसी ने मेहनत क है।
जब आप सफल और असफल दोन तरह के लोग का अ ययन करते ह, तो आप
पाएँगे क आप उ ह दो े णय म बाँट सकते ह। सफल लोग “कमठ” होते ह। औसत
साधारण होता है, जब क असफल लोग “ नठ ले” होते ह।
हम दोन समूह के अ ययन से सफलता का स ांत खोज सकते ह। म टर कमठ
काम करने वाले होते ह। वे काम शु करते ह, उसे पूरा करते ह और उनके दमाग़ म
वचार और योजनाएँ होती ह। म टर नठ ले एक “अकम य” होते ह। वे काम को
टालते रहते ह जब तक क वे यह सा बत न कर द क वह काम उ ह य नह करना
चा हए, या वह काम वे य नह कर सकते, या जब तक काम का व त ही न नकल

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जाए।

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म टर कमठ और म टर नठ ले के बीच का अंतर अन गनत चीज़ म दखता है।

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म टर कमठ छु याँ मनाने क योजना बनाते ह। वे छु याँ मनाकर आ जाते ह। म टर

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नठ ले छु याँ मनाने क सोचते ह। परंतु वे उसे “अगले” साल तक के लए टाल दे ते ह।

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म टर क. नणय लेते ह क उ ह नय मत प से चचा जाना चा हए। और वह ऐसा करते

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ह। म टर न. सोचते ह क चच जाना एक अ ा वचार है, परंतु वे ऐसा करने से कसी न

l
कसी कारण से बचते रहते ह। म टर क. महसूस करते ह क उ ह कसी क उपल पर

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उसे बधाई दे नी चा हए। वे च लख दे ते ह। म टर न. को च लखने से बचने का कोई
बहाना मल जाता है और वे च कभी नह लख पाते।
यह अंतर बड़ी चीज़ म भी साफ़ दखाई दे ता है। म टर क. अपना ख़ुद का
बज़नेस खड़ा करना चाहते ह। वे ऐसा कर लेते ह। म टर न. भी ख़ुद का बज़नेस खड़ा
करना चाहते ह, परंतु उ ह समय रहते ही कोई ऐसा “बेहतरीन” बहाना मल जाता है
जसके कारण वे कभी ऐसा नह कर पाते। म टर क., 40 साल क उ म, कसी नए काम
म हाथ डालने का फै़सला करते ह। वे ऐसा सफलतापूवक कर लेते ह। यही वचार म टर
न. के मन म आता है, परंतु वे इस बात पर सोचते ही रहते ह और कभी कुछ कर नह पाते।
इन दोन य यानी क म टर कमठ और म टर नठ ले के बीच का अंतर हर
तरह के वहार म भी साफ़ झलकता है। म टर क. जो काम करना चाहते ह वे उसे करके
दखा दे ते ह और इसके फल व प उ ह आ म व ास, अंद नी सुर ा क भावना,
आ म नभरता और यादा आमदनी इ या द चीज मलती ह। म टर न. कभी भी अपना
मनचाहा काम नह कर पाते, य क वे काम करना शु ही नह करते। इसके फल व प
उनका आ म व ास कम होता जाता है, उनक आ म नभरता समा त हो जाती है और वे
औसत दज क ज़दगी जीने के लए ववश रहते ह।
म टर कमठ कुछ करते ह। म टर नठ ले “करना तो चाहते ह, पर कभी कुछ
शु नह कर पाते।”
हर कमठ बनना चाहता है। इस लए आइए काम शु करने और फर उसे
पूरा करने क आदत डाल।
ब त से नठ ले लोग इस तरह के इस लए बने य क वे इस बात का इंतज़ार
करते ह क प र तयाँ पूरी तरह आदश होनी चा हए और जब तक ऐसा नह होता वे वह
के रहते ह। आदश त या पूणता ब त अ बात है। परंतु यह भी सच है क कोई भी
इंसानी चीज़ पूरी तरह आदश या पूण नह होती है, न ही हो सकती है। इस लए अगर आप

in
आदश त का इंतज़ार करगे, तो शायद आपको हमेशा इंतज़ार करना पड़े गा।

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नीचे तीन उदाहरण दए गए ह, जनम बताया गया है क तीन लोग ने अपनी

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“ तय ” का सामना कस तरह कया।

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उदाहरण एक : जी. एन. ने शाद य नह क

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म टर जी. एन. लगभग चालीस साल के उ – श त अकाउं टट ह और शकागो म रहते
ह। जी. एन. क शाद करने क बड़ी इ ा है। वे ेम, साहचय, घर, ब े चाहते ह। जी.
एन. कई बार शाद के ब त क़रीब आ गए थे, एक बार तो उनक शाद को सफ़ एक दन
बचा था। परंतु हर बार जब भी शाद क तारीख़ क़रीब आती थी, उ ह कोई न कोई ऐसा
बहाना मल जाता था जसके कारण वह उस लड़क से शाद करने से इंकार कर दे ते थे।
(“भगवान का शु है क म वह ग़लती करने से बाल–बाल बच गया । ” )
इसका एक दलच उदाहरण यह है। दो साल पहले, जी. एन. ने सोचा क
आ ख़रकार उसे सही लड़क मल गई है। वह आकषक, ख़ुश मज़ाज और बु मान थी।
परंतु जी. एन. को यह सु न त करना था क इस लड़क के साथ शाद करना पूरी तरह
सही होगा। जब वे एक शाम को शाद क योजना पर चचा कर रहे थे, तो लड़क ने कुछ
ऐसी बात कह , जनसे जी. एन. को चता होने लगी।
तो, यह सु न त करने के लए क वह सही लड़क से शाद करने जा रहा है, जी.
एन. ने चार पेज का एक ए ीमट लखा, जस पर लड़क को शाद से पहले साइन करने
थे। इस ए ीमट म कुछ शत थ , और टाइप कया आ यह द तावेज़ जीवन के हर पहलू के
बारे म था। धम वाले खंड म कुछ शत थ ? वे कौन से चचा म जाएँगे, वे कतनी बार चच
जाएँगे, वे कतना दान दगे। सरे खंड म ब क योजना बनाई गई थी। उनके कतने ब े
ह गे और कब ह गे।
पूरे व तार से जी. एन. ने यह परेखा बना ली थी क उनके कस तरह के दो त
ह गे, उसक भावी प नी कस तरह क नौकरी करेगी, वे लोग कहाँ रहगे, कस तरह उनक
आमदनी ख़च क जाएगी। द तावेज़ के अंत म, जी. एन. ने आधे पेज म उन आदत को
लखा जो लड़क को या तो छोड़नी पड़े गी या सीखनी पड़े गी। इनम धू पान, शराबखोरी,
मेकअप, मनोरंजन इ या द थे।
जब जी. एन. क भावी हन ने उसका यह अ ट मेटम दे खा तो उसने वही कया

in
जो आप और हम सोच रहे ह। उसने एक नोट लगाकर इसे वापस भजवा दया, “हर एक

i.
के लए सामा य ववाह क यह शत ही काफ़ है क अ े और बुरे व त म हम साथ–साथ

d
रहगे’ और यह मेरे लए भी पया त है। अब मुझसे शाद क बात भूल जाएँ।”

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जब जी. एन. मुझे अपना अनुभव सुना रहा था तो उसने च तत होकर कहा, ‘अब

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आप बताएँ, ए ीमट लखकर मने या ग़लती कर द ? आ ख़र, शाद एक बड़ा फै़सला है।

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आपको यह फै़सला ब त सोच–समझकर करना चा हए। ’

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परंतु जी. एन. ग़लत था। आप ब त यादा सोच–समझकर चलगे, ब त यादा
सावधान रहगे तो शाद ही या, आप नया के हर े म असफल रहगे। आपक अपे ाएँ
आसमान छू रही ह गी। जी. एन. का शाद के बारे म भी वही नज़ रया था जो अपनी नौकरी
के बारे म था, अपनी बचत, अपने दो त या कसी और चीज़ के बारे म था।
सम याएँ पैदा होने से पहले ही उ ह पूरी तरह ख़ म कर दे ने क यो यता सफल
म नह पाई जाती, परंतु सम याएँ पैदा होने के बाद उ ह सुलझाने क यो यता हर
सफल म पाई जाती है। अगर हम कोई काम शु करने से पहले सारी उ इंतज़ार
नह करना चाहते तो बेहतर होगा क हम पूणता के साथ समझदारीपूण समझौता करने के
इ ु क रह। पुल को तभी पार कर, जब वे आएँ। यह सलाह काफ़ समय से द जा रही है
और यह अब भी उतनी ही सही है जतनी क यह दो सौ साल पहले सही थी।

उदाहरण दो : जे. एम. नाए घर म य रहता है


हर बड़ा नणय लेते समय, म त क ख़ुद के साथ यु करता है– काम कर या न कर, कर
क न कर। यहाँ पर ऐसे युवक क कहानी है जसने काम करने का फ़ैसला कया और
इससे उसे ब त फ़ायदा आ।
जे. एम. क त भी लाख –करोड़ युवक जैसी है। वह अभी प ीस साल का है
और उसक प नी और एक ब ा है और उसक आमदनी ख़ास नह है।
म टर और मसेज़ जे. एम. एक छोटे अपाटमट म रहा करते थे। नया घर दोन का
सपना था। वे चाहते थे क उनके पास यादा जगह हो, आस–पास का माहौल यादा
अ ा हो, ब के लए खेलने का मैदान हो और अपनी ख़ुद क जायदाद हो।
परंतु नया घर ख़रीदने म एक बाधा थी– नक़द भुगतान। एक दन जब जे. एम.
अगले महीने के मकान कराए का चेक काट रहा था तो उसे ब त को ते ई। जतना
मकान कराया वह दे रहा था, वह तो नए मकान क क़ त के बराबर रक़म थी।

. in
जे. एम. ने अपनी प नी से कहा, “ या तुम अगले ह ते नया घर ख़रीदना पसंद

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करोगी ?” प नी ने पूछा, “आज तु ह हो या गया है ? य मज़ाक़ कर रहे हो ? तुम जानते

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हो हम अभी घर नह ख़रीद सकते। नक़द दे ने के लए हमारे पास पैसे नह ह? डाउन–पेमट

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हम कहाँ से दगे ?”

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परंतु जे. एम. का इरादा प का था। “हमारी तरह के लाख लोग ह गे जो कसी न

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कसी दन नया घर ख़रीदने के सपने दे खते ह गे, परंतु उनम आधे से यादा लोग कभी भी

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अपने सपन का घर नह ख़रीद पाते। कोई न कोई चीज़ आकर उ ह रोक दे ती होगी। हम
घर ख़रीदगे। म नह जानता क हम डाउन–पेमट कहाँ से लाएँगे, परंतु हम कसी न कसी
तरह ऐसा कर लगे।”
अगले ह ते उ ह एक ऐसा घर मल गया जो उ ह पसंद था। घर छोटा परंतु ब ढ़या
था, और उ ह सफ़ 1200 डॉलर का डाउनपेमट दे ना था। अब सम या थी 1200 डॉलर
इक े करना। जे. एम. जानता था क उसे क़ज़ म इतनी बड़ी रक़म नह मलेगी।
परंतु जहाँ चाह, वहाँ राह। अचानक, जे. एम. ने इस सम या पर काफ़ सोच– वचार
कया। य न ब र से बात क जाए और 1200 डॉलर एकमु त दे ने के बजाय क त म
दया जाए ? जे. एम. ने ब र से बात क । पहले तो ब र नह माना, परंतु जे. एम. जब
जुटा रहा, तो ब र राज़ी हो गया। ब र जे. एम. को 1200 डॉलर का लोन दे ने के लए
तैयार हो गया। अब जे. एम. को हर महीने 100 डॉलर और बयाज का इतज़ाम करना था।
प त–प नी दोन ने हसाब लगाया और हर महीने अपने ख़च म 25 डॉलर क
कटौती करने का फै़सला कया। परंतु अब भी सम या यह थी क 75 डॉलर कहाँ से
आएँगे, जो हर महीने क़ त दे ने के लए ज़ री ह गे।
तभी जे. एम. के दमाग़ म एक वचार आया। अगली सुबह वह अपने बॉस से
मलने गया। उसने उ ह बताया क त या है। बॉस यह जानकर ख़ुश ए क जे. एम.
घर ख़रीद रहा है।
फर जे. एम. ने कहा, "सर, मुझे इसके लए हर महीने 75 डॉलर चा हए। म जानता
ँ क आप मेरी तन वाह तभी बढ़ाएँगे जब आप मुझे इस क़ा बल समझगे। म अभी तो
आपसे सफ़ पैसा कमाने का अवसर चाहता ँ। इस ऑ फ़स म ऐसी ब त सी चीज़ ह, जो
म स ताहांत म आकर कर सकता ँ। या ऐसा संभव है क इससे मेरी सम या सुलझ
जाएगी ?”
जे. एम. क गंभीरता और मह वाकां ा दे खकर बॉस भा वत ए। हर स ताहांत म
दस घंटे अ त र काम करने के बदले म वे जे. एम. को इतनी रा श दे ने के लए तैयार हो

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गए और फर म टर और मसेज़ जे. एम. अपने नए घर म रहने के लए चले गए।

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1. जे. एम. के मन म काम करने का ढ़ संक प था, जससे उसे ल य क ा त म

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सहयोग मला।

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2. जे. एम. नए व ास से भर गया। इसके बाद अगर उसके सामने कोई बड़ी

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प र त आती है, तो उसके लए कमठता दखाना आसान होगा।

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3. जे. एम. ने अपनी प नी और अपने ब को उनके सपन का घर दलवा दया।

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अगर उसने आदश तय का इंतज़ार कया होता, घर ख़रीदने को टाला होता, तो

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हो सकता था क वे लोग कभी अपने ख़ुद के घर म नह रह पाते।

उदाहरण तीन : सी. डी. अपना ख़ुद का बज़नेस शु करना


चाहता था, परंतु. . .
म टर सी. डी. भी इसी तरह का एक उदाहरण है जो हम बताता है क अगर कोई काम
शु करने से पहले आदश प र तय का इंतज़ार करता है तो उसका प रणाम या होता
है।
सरे व यु के कुछ ही समय बाद सी. डी. को अमे रकन पो ट ऑ फ़स
डपाटमट के क ट स डवीज़न म नौकरी मल गई। उसे काम पसंद था। परंतु पाँच साल
बाद वह अपनी नौकरी से उकता गया। वही काम करते-करते वह ऊब गया था, रोज़ काम
के बँधे-बँधाए घंटे, कम तन वाह और ऐसा सी नयॉ रट स टम जसम तर क़ क
गुंजाइश कम ही थी।
तभी उसके मन म एक वचार आया। उसे इस बात का काफ़ ान हो चुका था क
सफल आयात कैसे कया जा सकता है। य न वह कम क़ मत के तोहफ़े और खलौने
आयात करने का बज़नेस शु करे ? सी. डी. कई सफल आयातक को जानता था जनके
पास इस बज़नेस का उसके जतना ान नह था।
अपना बज़नेस शु करने का वचार उसके मन म दस साल पहले आया था। परंतु
आज भी वह क ट स ऑ फ़स म ही काम कर रहा है।
य ? होता यह था क जब भी सी. डी. शु करने वाला होता था, कोई न कोई
ऐसी सम या आ जाती थी जसके कारण वह आ ख़री क़दम नह उठा पाता था। पैसे क
कमी, आ थक मंद , ब े का ज म, टे ररी सुर ा क आव यकता, ापार पर तबंध,
और इसी तरह के कई बहाने इंतज़ार करने और काम टालने के लए इ तेमाल कए गए।

. in
स ाई तो यह है क सी. डी. ने ख़ुद को म टर नठ ले बन जाने दया। वह चाहता

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था क वह आदश प र तय म ही काम शु करे। चूँ क प र तयाँ कभी आदश नह

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, इस लए सी. डी. का काम कभी शु नह हो पाया।

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आप इस सम या को कैसे र कर सकते ह ? यहाँ दो तरीक़े सुझाए जा रहे ह जो

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आपक इस आदत को र कर दगे :

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1. भ व य म आने वाली क ठनाइय का अनुमान लगाएँ। हर नए काम म जो खम, सम या
और अ न तताएँ होती ह। मान ल क आप कार से शकागो से लॉस एंजे स जाना चाहते
ह, और आप तब तक चलना शु नह करगे, जब तक क आपको इस बात क पूरी गारंट
न मल जाए क रा ते म कोई बाधा नह आएगी, आपक गाड़ी ख़राब नह होगी, मौसम
ख़राब नह होगा, कोई शराबी ाइवर आपको तंग नह करेगा, और कसी तरह का कोई
ख़तरा नह होगा, तो या होगा ? आप कब चलना शु करगे ? कभी नह ! इसी या ा क
तैयारी आप इस तरह से भी कर सकते ह क आप या ा का न शा साथ रख ल, अपनी
कार को चेक करा ल, और इस तरह पूरी सावधानी बरत। परंतु आप सारे ख़तर को न तो
भाँप सकते ह, न ही उ ह ख़ म कर सकते ह।

2. जब सम याएँ और बाधाएँ आएँ, तब उनसे नबट। सफल क यो यता इस


बात से नह जाँची जाती क वह काम शु करने के पहले ही सारी बाधा को हटा दे ता है,
ब क इस बात से जाँची जाती है क जब भी उसक राह म बाधाएँ आती ह, वह उनसे
नबटने के तरीक़े खोज लेता है। बज़नेस, शाद , या कसी भी अ य चीज़ म आप पुल को
तभी पार कर सकते ह, जब क आप पुल पर ह ।
हम सभी सम या के ख़लाफ़ बीमा पॉ लसी नह ख़रीद सकते।
अपने वचार के बारे म कुछ करने का मन बना ल। पाँच या छह साल पहले एक
ब त ही यो य ोफे़सर ने मुझे बताया क वे एक पु तक लखने क योजना बना रहे ह। वे
कुछ दशक पहले के एक ववादा द क जीवनी लखना चाहते थे। उनके वचार न
सफ़ रोचक थे, ब क शानदार थे। उनम दम था, लोग को मं मु ध करने क मता थी।
ोफे़सर को पता था क वह या कहना चाहते थे और उ ह अपनी बात कस तरह कहनी
चा हए। इस पु तक के पूरा होने पर उ ह अंद नी संतोष तो मलता ही, साथ ही त ा
और पैसा भी काफ़ मलता।

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पछले साल म उसी म से फर मला और मने अनजाने म उससे यह पूछ लया

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क या उसक पु तक पूरी हो गई। (यह मूखतापूण सवाल था य क इससे मने उसके

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पुराने घाव को कुरेद दया था।)

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नह , वह पु तक नह लख पाया। कुछ समय तक तो वह यही सोचता रहा क वह

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इसका या कारण बताए। आ ख़रकार उसने कहा क वह बेहद त था, उसके पास

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सरी “ ज़ मेदा रयाँ” थ और इस लए उसे पु तक लखने क फु़रसत ही नह मली।

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वा तव म ोफ़ेसर ने इस वचार को अपने मान सक क़ तान म गहरे दफ़ना दया
था। उसने अपने दमाग़ म नकारा मक वचार को बढ़ने दया था। उसने यह क पना कर
ली थी क उसे पु तक लखने म ब त मेहनत करनी पड़े गी और उसे कई याग भी करने
ह गे। उसने उन सभी कारण पर वचार कर लया था जनके कारण उसक योजना
असफल हो सकती थी।
वचार मह वपूण ह। हम इस बात को अ तरह समझ ल। अगर हम कुछ भी
बनाना है या सुधारना है तो उसक पहली शत यह है क हमारे पास वचार ह । सफलता
उस के दरवाज़े पर द तक नह दे ती जसके पास वचार नह होते।
परंतु हम इस ब को अ तरह से समझ ल। केवल वचार का ही मह व नह
होता। वचार का मह व तभी होता है जब उन पर अमल कया जाए। अगर आपके मन म
यह वचार आता है क आप अपने बज़नेस को कस तरह बढ़ाएँ, तो केवल वचार करने
भर से आपका बक बैलस नह बढ़ जाता।
हर दन हज़ार लोग अ े वचार को दफ़नाते रहते ह य क उनम उन पर अमल
करने क ह मत नह होती।
और इसके बाद, उन वचार के भूत उ ह सताने के लए आ जाते ह।
इन दो वचार को अपने दमाग़ म गहरे बैठ जाने द। पहली बात तो यह, क अपने
वचार पर अमल करके उ ह मू यवान बनाएँ। चाहे वचार कतना ही अ ा हो, य द आप
उस पर अमल नह करगे तो आपको ज़रा भी लाभ नह होगा।
सरी बात यह है क अपने वचार पर अमल कर और मन क शां त हा सल कर।
कसी ने एक बार कहा था क सबसे :खद श द ह काश मने ऐसा कया होता! हर दन
आप कसी न कसी को ऐसी बात करते सुनते ह गे, "अगर म 1952 म इस बज़नेस म गया
होता, तो आज म लाख म खेल रहा होता।” या “मुझे लगता था क ऐसा ही होगा। काश
मने उस व त अपने दल क बात सुनी होती!” अगर अ े वचार पर अमल न कया जाए,

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तो उससे काफ़ मनोवै ा नक पीड़ा भी होती है। परंतु अगर अ े वचार पर अमल कया

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जाए तो उससे हम मान सक शां त मलती है।

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या आपके पास कोई अ ा वचार है? तो फर दे र कस बात क है, उस पर

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अमल कर।

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काम करके डर का इलाज कर और आ म व ास हा सल कर। यह याद रखने

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लायक़ बात है। काम करने से आपका आ म व ास बढ़ता और बल होता है। काम न

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करने से डर बढ़ता और बल होता है। इस लए डर को र करने के लए, उस काम को कर

h
द। अपने डर को बढ़ाने के लए- इंतज़ार करते रह, काम को टालते रह, बाद म करने क
सोच।
एक बार मने एक युवा पैराटपर इन टर के मुंह से सुना, “कूदने म कोई द क़त
नह है। कूदने के पहले इंतज़ार करते व त मु कल आती है। जब कूदने का समय आता है
तो म हमेशा यह को शश करता ँ क लोग को यादा सोचने का मौक़ा न मले। कई बार
ऐसा आ है क कसी श ु ने इस बारे म यादा सोच लया क उसके साथ या बुरा हो
सकता है और यह सोचकर वह घबरा गया। अगर हम उसे अगली प म कूदने के लए
तैयार नह कर पाए, तो वह ज़दगी म कभी पैराटपर नह बन सकेगा। आ म व ास उसे
तभी मलेगा जब वह कूद जाएगा। जब तक वह कूदने से बचता रहेगा, उसे टालता रहेगा
तब तक वह डरता ही रहेगा।”
इंतज़ार करना वशेष को भी नवस कर दे ता है। टाइम मै ज़ीन म लखा गया था
क एडवड आर. मरो, जो दे श के बेहतरीन यूज़रीडर ह, जब टे ली वज़न पर आने वाले होते
ह तो वे काफ़ नवस हो जाते ह और उ ह पसीना आने लगता है। परंतु एक बार वे काम म
जुट जाते ह तो फर उनका डर काफ़ूर हो जाता है। कई अ भनेता भी इसी तरह क या
से गुज़रते ह। सभी इस बारे म एकमत ह क टे ज के डर का एक ही इलाज है टे ज पर
उतरना या कम करना। जनता के सामने मंच पर आ जाने के बाद डर, चता, तनाव सब र
हो जाता है।
कम से डर र हो जाता है। एक बार हम अपने दो त के घर गए जहाँ उसका पाँच
साल का ब ा सोने के आधे घंटे बाद ही जाग गया और रोने लगा। ब े ने एक डरावनी
फ़ म दे खी थी और उसे यह डर लग रहा था क रा स आकर उसे उठा ले जाएगा। ब े
के पता ने उसे समझाया। उसके समझाने का तरीक़ा सचमुच लाजवाब था। उसने यह नह
कहा, " फ़ मत करो, बेटे, कोई भी तु ह कह उठाकर नह ले जाएगा। चुपचाप सो
जाओ।" इसके बजाय उसने सकारा मक काय कया। उसने ब े के सामने सारी

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खड़ कय क जाँच क और इससे ब े को यह व ास हो गया क सभी खड़ कयाँ

i. i
अ तरह बंद ह। इसके बाद उसने ब े क ला टक क बं क उसके पास क टे बल पर

d
रख द और कहा, “ बली, वैसे अगर तु ह कोई द क़त आए, तो यह बं क तु हारे पास ही

i n
रखी है।" अब जाकर छोटे ब े को चैन मला, उसका डर र आ और चार मनट बाद ही

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वह गहरी न द म सो गया।

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कई डॉ टर लोग को हा नर हत न य “दवाइयाँ" इस लए दे ते ह ता क उनके

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मन को संतोष रहे। लोग डॉ टर से न द क गोली माँगते ह, डॉ टर उ ह झूठ-मूठ क न द

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क गोली पकड़ा दे ता है। लोग को गोली नगलने के बाद ऐसा लगता है क उ ह अ नद
आती है, हालाँ क गोली म कोई दवाई नह थी, इसके बावजूद उन पर इसका मनोवै ा नक
असर होता है और उ ह अपनी तबीयत यादा अ महसूस होती है।
यह वाभा वक है क हम कसी न कसी तरह का डर सताए। इसका सामना करने
के आम तरीके़ कई बार आपको कारगर नह लगगे। म कई से समैन से मला ँ ज ह ने
डर का इलाज करने क को शश क है जैसे उ ह ने ाहक के घर के चार तरफ़ तीन
च कर लगाए ह या एक कॉफ़ यादा पी है। परंतु इन चीज़ से सम या हल नह होती।
इस तरह के डर को र करने का- हाँ, ब क कसी भी तरह के डर को र करने का
एकमा तरीक़ा यह है क उस काम को कर दया जाए।
अगर आपको कसी को फोन करने म डर लगता है, तो आप फ़ोन कर द जए और
आपका डर ग़ायब हो जाएगा। अगर आप इसे टालते जाएँगे तो आपके लए फ़ोन करना
दन दन मु कल होता जाएगा।
डॉ टर के पास चेकअप करवाने के लए जाने म आपको घबराहट होती है? जाइए
और आपक चता र हो जाएगी। हो सकता है क आपको कोई गंभीर बीमारी न हो, और
अगर हो भी, तो कम से कम आपको यह तो पता चल जाएगा क आप कस हाल म ह।
अगर आप अपने चेकअप को टालते रहगे तो आपका डर बढ़ता जाएगा और एक न एक
दन आप सचमुच इसी डर और चता के कारण बीमार पड़ जाएँगे।
अगर आपको अपने बॉस के साथ कसी सम या पर चचा करने म डर लगता हो, तो
चचा कर ल और आप पाएँगे क आपक चताएँ चुट कय म र हो गई ह।
आ म व ास जगाएँ। कम करके डर को र भगाएँ।

अपने मान सक इंजन को चालू कर- मशीनी तरीक़े से

. in
एक युवक लेखक बनना चाहता था, परंतु उसने जो कुछ लखा था वह सफल लेखन नह

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कहा जा सकता था। इस लेखक ने मेरे सामने यह वीकार कया, "मेरी सम या यह है क

i n
कई बार पूरा दन या पूरा ह ता नकल जाता है और म एक पेज भी नह लख पाता ।

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उसने कहा, “लेखन रचना मक काय है। इसके लए आपको ेरणा मलनी चा हए।

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आपका मूड होना चा हए।”

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यह सच है क लेखन रचना मक होता है, परंतु म आपको एक सफल लेखक क

h
बात बताना चाहता ँ जसने कहा था क यही वह “राज़" क बात है जसके कारण वह
इतना सफल लेखन कर पाया।
“म ‘ दमाग़ को मजबूर करने वाली‘ तकनीक का इ तेमाल करता ँ। मेरे पास हर
काम क डे डलाइन मौजूद होती है और म ेरणा के आसमान से उतरने का इंतज़ार नह कर
सकता। म मूड के सही होने का इंतज़ार भी नह कर सकता। मुझे मूड बनाना पड़ता है।
यह रहा मेरा तरीक़ा। म अपनी टे बल-कुस पर बैठ जाता ँ। फर म अपनी प सल उठाकर
लखने बैठ जाता ँ। जो भी मन म आता है, म लखने लगता ँ। म हाथ चलाता ँ और
कुछ समय बाद मुझे पता ही नह चलता क कब मेरा म त क सही दशा म चला जाता है
और मुझे ेरणा मल जाती है और मेरा सचमुच ही लखने का मूड बन जाता है।"
“कई बार, जब म नह लख रहा होता ँ तब भी मेरे दमाग़ म अचानक ज़ोरदार
वचार आ जाते ह, परंतु ऐसे वचार मेरे लए बोनस क तरह ह। यादातर अ े वचार मेरे
दमाग़ म तभी आते ह जब म काम करने बैठ जाता ँ।”
कम होने के पहले कम करना पड़ता है। यह कृ त का नयम है। कोई भी चीज़
अपने आप शु नह होती, वे यं भी नह जनका आप रोज़ाना इ तेमाल करते ह।
आपके घर म ऑटोमे टक एयरकंडीशनर होगा, मनचाहा तापमान तो चुनना ही
पड़ता है (कम करना पड़ता है)। आपक कार अपने आप गयर बदल लेती है, परंतु उससे
पहले आपको सही लीवर दबाना पड़ता है। यही स ांत दमाग़ के कम के बारे म भी सही
है। आपको अपने दमाग़ को सही गयर म लाना होगा, तभी यह आपके लए सही काम
करेगा।
एक युवा से स-मैनेजर ने बताया क वह कस तरह अपने से समैन को “मशीनी
तरीक़े" से दन शु करने का श ण दे ता है।
“हर से समैन जानता है क घर-घर जाकर सामान बेचने वाले से समैन को कतनी

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द क़त का सामना करना पड़ता है। हर से समैन को सुबह क पहली ब से डर लगता

i.
है। वह जानता है क उसका दन भारी गुज़रेगा, इस लए वह पहले घर का दरवाज़ा

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खटखटाने से बचता रहता है। वह दो कप कॉफ़ पीता है, वह अड़ोस-पड़ोस म फ़ालतू

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घूमता रहता है और दजन बेकार काम करता है सफ़ इस लए क वह पहले घर का

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दरवाज़ा खटखटाने से सके।

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“म हर नए को इस तरह सखाता ँ। म उसे बताता ँ क शु करने का एक

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ही तरीक़ा होता है और वह है शु करना। काम को टालो मत। उसके बारे म यादा सोचो

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मत। बस शु कर दो। अपनी गाड़ी खड़ी करो। अपना सपल केस नकालो। दरवाज़े तक
जाओ। घंट बजाओ। मु कराओ। ‘गुड मॉ नग‘ कहो। और अपनी बात मशीनी तरीक़े से
ाहक के सामने रखो और इसके बारे म न तो यादा चता करो, न ही सोचो। इस तरह दन
शु करने से आपक हचक र हो जाती है सरे-तीसरे घर के दरवाज़े के सामने प ँचते-
प ँचते आपका दमाग़ पैना हो जाएगा और आपक तु तयाँ अपने आप भावी हो
जाएँगी।”
एक ने कहा था क ज़दगी क बड़ी सम या गम ब तर से नकलकर ठं डे
कमरे म आना थी। और उसक बात म दम था। आप जतनी दे र तक ब तर पर पड़े रहगे
और सोचते रहगे क बाहर नकलना कतना क दायक है, ऐसा करना आपके लए उतना
ही मु कल होता जाएगा। इस तरह क सीधी-साद सी बात म भी, जसम आपको अपनी
चादर हटाकर अपने पैर को फ़श पर रखना है, आपको डर लगता है।
संदेश है। जो लोग नया म कुछ कर गुज़रते ह वे इस बात का इंतज़ार नह
करते क कब उनका मूड सही होगा; ब क वे मूड को सही करने क साम य रखते ह।
यह दो योग कर :
1. छोटे परंतु क दायक काम को करने के लए मशीनी तरीक़े का इ तेमाल कर।
उस काम के बुरे पहलु के बारे म सोचने के बजाय आप बना सोचे उस काम को करना
शु कर द।
शायद यादातर म हला को बतन साफ़ करना सबसे क दायक काम लगता
होगा। मेरी माँ भी इसका अपवाद नह थ । परंतु उ ह ने इस काम को फुत से नबटाने का
मशीनी तरीक़ा ईजाद कर लया था, ता क इसके बाद वे अपना मनचाहा काम कर सक।
जब वे डाय नग टे बल से जाती थ , तो वे मशीनी अंदाज़ म बतन इक े कर लेती थ
और उ ह साफ़ करना शु कर दे ती थ । कुछ ही मनट म उनका काम ख़ म हो जाता था।

in
या यह तरीक़ा बतन “ सक म जमा करते रहने” और उ ह दे ख-दे खकर चता करने से

i.
बेहतर नह है ?

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आज यह करके दे ख : एक ऐसा काम चुन ल जो आपको नापसंद है। फर, बना

h i
उस बारे म सोचे, या बना उससे डरे, उस काम को कर द। नापसंदगी के छोटे -छोटे काम

i n
को करने का यही तरीक़ा सबसे भावी है।

l p
2. अगला क़दम यह है क आप वचार करने, योजनाएँ बनाने, सम याएँ सुलझाने

h e
और सरे दमाग़ी काम के लए भी मशीनी तरीक़े का इ तेमाल कर। आप मूड बनने का
इंतज़ार कर, इसके बजाय बेहतर यही है क आप बैठ जाएँ और अपने मूड को बना ल।
यहाँ एक ख़ास तकनीक द जा रही है, जो आपक काफ़ मदद करेगी। प सल और
काग़ज़ का इ तेमाल कर। पाँच सट क छोट सी प सल नया का सबसे महान एका ता
यं है। अगर मुझे एक ब त शानदार, साउं ड ूफ़ ऑ फ़स और प सल-काग़ज़ म से कसी
एक को चुनना हो, तो म यक़ नन प सल और काग़ज़ को चुनूँगा। प सल और काग़ज़ से
आप अपने दमाग़ को कसी सम या से बाँध सकते ह।
जब आप कसी वचार को काग़ज़ पर लखते ह, तो आपका पूरा यान अपने आप
उस वचार पर क त होता है। ऐसा इस लए होता है य क आपका दमाग़ एक साथ दो
काम नह कर सकता। एक ही समय पर आपका दमाग़ एक वचार को सोचे और सरे
वचार को लखे, यह नह हो सकता। और जब आप काग़ज़ पर कुछ लखते ह, तो आप
दरअसल अपने दमाग़ पर “ लख” रहे ह। परी ण से यह सा बत हो चुका है क अगर
आप काग़ज़ पर लखकर कोई चीज़ याद करते ह, तो वह आपको लंबे समय तक और
यादा अ तरह याद रहती है।
और एक बार आप एका ता के लए प सल और काग़ज़ क इस तकनीक म पारंगत
हो जाएँ, तो फर आप शोरगुल के माहौल म भी सोच सकगे। जब आप सोचना चाह,
लखना शु कर द या डाय ाम बनाना शु कर द। अपने मूड को बनाने का यह बेहतरीन
तरीक़ा है।

अब म आपको सफलता का जा ई फ़ॉमूला बताना चाहता ँ । कल, अगले स ताह, बाद म,


और कसी दन, फर कसी समय- यह सभी असफलता के श द कभी नह के पयायवाची
ह। ब त सारे अ े सपने कभी सच नह हो पाते य क हम यही कहते रह जाते ह, “म
इसे कसी दन शु क ँ गा ।" जब क हम यह कहना चा हए, “म इसे अभी शु करता
ँ।”

in
एक उदाहरण ल, पैसे बचाने का। हर मानता है क पैसे बचाना एक अ

i.
बात है। परंतु यह अ बात है, इसका यह मतलब नह है क सभी लोग योजनाब

n d
तरीक़े से बचत करते ह और नवेश करते ह। कई लोग का बचत करने का इरादा तो होता

i
है परंतु ब त कम लोग अपने इराद पर अमल कर पाते ह।

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एक युवा दं प त ने इस तरह बचत करना शु कया। बल क तन वाह 1000

l p
डॉलर थी, परंतु वह और उसक प नी जेनेट हर माह 1000 डॉलर ख़च भी कर डालते थे।

e
दोन ही बचत करना चाहते थे, परंतु कोई न कोई ऐसा कारण आ जाता था जससे वे कभी

h
बचत नह कर पाए। साल तक वे सोचते रहे, “जब मेरी तन वाह बढ़े गी, तब हम बचत
करना शु करगे।” “जब हमारी अमुक चीज़ क क़ त ख़ म हो जाएँगी, तब हम बचत
करना शु करगे।” “अगले महीने,” “अगले साल।”
आ ख़रकार जेनेट को बचत करने क अपनी असफलता पर ग़ सा आ गया। उसने
बल से कहा, “दे खो बल, हम कभी बचत कर पाएँगे या नह ।” बल ने जवाब दया, “हाँ,
हम करना तो है परंतु हम अभी कर ही या सकते ह ?”
परंतु इस बार जेनेट करो–या–मरो वाले मूड म थी। “हम साल से बचत करने क
सोच रहे ह। हम इस लए नह बचा पाते, य क हमने यह सोच रखा है क हमसे बचत
नह होगी। इसके बजाय अब हम यह सोचना शु कर द क हम बचत कर सकते ह । मने
आज एक व ापन दे खा जसम लखा है क अगर हम हर महीने 100 डॉलर भी बचाते ह,
तो 15 साल म हमारे पास 18000 डॉलर जमा हो जाएँगे, और उसके साथ ही हम 6600
डॉलर याज भी मलेगा। व ापन म यह भी लखा था क ख़च करने के बाद बचत करना
मु कल होता है, जब क बचत करने के बाद तन वाह ख़च करना आसान होता है। अगर
तुम साथ दो, तो म चाहती ँ क तु हारी तन वाह का दस तशत हम शु म ही बचत
खाते म डाल दगे। अगर महीने के आ ख़र म हम फाके भी करने पड़े तो म उसके लए
तैयार ँ। बल, इस तरह अगर हम ठान ल, तो हम बचत कर सकते ह।”
बल और जेनेट को कुछ महीन तक तो मु कल आई, परंतु ज द ही उ ह ने अपने
नए बजट के हसाब से आसानी से घर चलाना सीख लया। अब बचत करने म भी उनको
उतना ही मज़ा आता है, जतना उ ह पहले "ख़च करने” म आता था।
कसी दो त को च लखना चाहते ह? अभी लख द। आपके पास एक वचार
आया है क आपका बज़नेस कस तरह बढ़ सकता है ? उस वचार को अभी तुत कर
द। बजा मन क लन क सलाह याद रख, “कल टाल. जसे आप आज " पर वह काम न
कर सकते ह।
याद रख, अभी काम करने का तरीक़ा सफलता का तरीक़ा है, जब क फर कसी

in
दन या फर कभी काम करने क सोच असफलता का तरीक़ा है।

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एक दन म अपनी पुरानी बज़नेस म से मलने गया। वह एक कॉ स से अभी हाल

h
लौट थी। जब मने उसे दे खा तो मने महसूस कया क वह कसी बात से परेशान थी। ऐसा

i n
लग रहा था जैसे वह काफ़ नराश थी। और मेरा अनुमान सही था।

l p
उसने आते ही कहा, “मने आज सुबह मी टग क य क म चाहती थी क कंपनी

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क पॉ लसी म जो बदलाव ता वत है, उसके बारे म कुछ मदद मल सके। परंतु मुझे
कस तरह क मदद मली ? मेरे साथ छह लोग मी टग म थे और केवल एक ही ने
अपने वचार का योगदान दया। दो और लोग ने कहा, परंतु उ ह ने सफ़ मेरे श द को
दोहरा दया। ऐसा लग रहा था जैसे म प र से सर फोड़ रही थी। म यह नह जान पाई
क ता वत पॉ लसी प रवतन के बारे म उन लोग क या राय थी।
“दरअसल,” उसने आगे कहा, “होना यह चा हए था क हर मुझे यह बताता
क वह या सोचता था। आ ख़रकार, इससे उन सभी को भा वत होना था। ”
मेरी म को मी टग म कोई मदद नह मली। परंतु अगर आप मी टग ख़ म होने के
बाद हॉल म जाते, तो आपको उ ह चु पे लोग के मुँह से इस तरह क ट प णयाँ सुनने को
मल जात , “मेरी इ ा तो ई थी क म कुछ कह ँ . . . ” “ कसी ने यह य नह कहा
क . . ”, मुझे नह लगता . . . ” “हम आगे बढ़ना चा हए . . । ” अ सर प र टाइप के
यह लोग जो मी टग म म चुपचाप बैठे रहते ह, मी टग के बाद ब त बोलते ह, जब उनके
बोलने से कोई फ़क़ नह पड़ता। जब व त नकल जाता है, तो वे जागते ह और स य
होते ह।
बज़नेस मी टग म लोग आपक राय, आपके वचार जानना चाहते ह। जो
अपनी राय को अपने दमाग़ क तजोरी म ही बंद रखता है, वह अपने ही पैर पर कु हाड़ी
मारता है।
“बोलने क ” आदत डाल। हर बार जब आप बोलने के लए खड़े होते ह, आपका
आ म व ास बढ़ता जाता है। अपने रचना मक वचार के साथ आगे आएँ।
हम सभी जानते ह क कॉलेज के व ाथ परी ा क तैयारी कस तरह करते ह।
जो नाम के एक व ाथ ने भी एक शाम को ब त पढ़ने का फ़ैसला कया, य क अगले
दन उसक परी ा थी। यहाँ यह बताया गया है क उसके फ़ैसले का या आ और उसक
शाम कस तरह गुज़री।
जो शाम को 7 बजे पढ़ने के लए तैयार था, परंतु उसका डनर कुछ भारी हो गया

. in
था, इस लए उसने सोचा क वह कुछ दे र ट वी दे ख ले। कुछ दे र करते-करते उसने एक घंटे

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तक ट वी दे खा य क सी रयल उसे पसंद आ गया था। 8 बजे वह अपनी टे बल पर बैठ

n
गया. ले कन त काल ही उठ गया य क उसे अचानक याद आ गया क उसे अपनी

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गल ड को फ़ोन करना है। इसम 40 मनट लग गए (उसने पूरे दन उससे बात नह क

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थी)। कसी का फ़ोन आ गया, जसम 20 मनट लग गए। अपनी डे क पर आते-आते जो

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क इ ा ई क वह पग पॉ ग खेल ले। इसम एक और घंटा बबाद हो गया। पग पॉ ग

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खेलने के बाद उसे पसीना आ गया था, इस लए वह नहा भी लया। नहाने के बाद उसे भूख

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लगी, य क पग पॉ ग और नहाने के बाद भूख लगना वाभा वक था।
और इस तरह उसक शाम बबाद हो गई। उसके इरादे तो अ े थे, परंतु वह इराद
पर अमल नह कर पाया। आ ख़रकार एक बजे रात को उसने अपनी पु तक खोली, परंतु
उसे इतनी न द आ रही थी क वह कुछ समझ नह पा रहा था। आ ख़रकार उसने न द के
आगे हार मान ली। अगली सुबह उसने अपने ) ोफ़ेसर को बताया, “मुझे लगता है क
आप मुझे अ े नंबर दगे। मने इस परी ा के लए सुबह दो बजे तक पढ़ाई क है।"
जो काय करने म नह जुटा य क उसने काय करने क तैयारी म ब त समय
बबाद कर दया। और जो ही “ यादा तैयारी” का एकमा शकार नह है। जो नाम का
से समैन, या ए ज़ी यू टव, या ोफ़ेशनल वकर, जोसेफाइन नाम क हाउसवाइफ़ - यह
सभी इसी तरह क तैयारी करते ह। कोई भी मह वपूण काम शु करने से पहले वे
इसी लए गपशप करते ह, कॉफ़ पीते ह, प सल तेज़ करते ह, पढ़ते ह, मेज़ साफ़ करते ह,
ट वी दे खते ह और कई ऐसी चीज़ करते ह जनम फ़ालतू समय बबाद होता है।
परंतु इस आदत को र करने का एक तरीक़ा है। अपने आपसे यह कह, “म अभी
शु करने क हालत म ँ। काम टालने से मुझे कोई फ़ायदा नह होगा। म तैयारी म जतना
समय और ऊजा बबाद क ँ गा, उसका इ तेमाल म काम करने म कर सकता ँ।”
मशीन के पुजे़ बनाने वाली कंपनी के एक बॉस ने अपने से स ए ज़ी यू ट ज़ से
यह कहा, “इस बज़नेस म हम ऐसे लोग क ज़ रत है जनके पास दमदार वचार ह
और उनम अपने वचार पर अमल करने का दम भी हो। हमारी कंपनी का हर काम बेहतर
तरीक़े से हो सकता है, चाहे उ पादन हो, माक टग हो या कोई अ य े हो। म यह नह
कहना चाहता क हम अभी ख़राब काम कर रहे ह। हम अ ा काम कर रहे ह। परंतु हर
सफल कंपनी क तरह, हम नए सामान , नए बाज़ार , नए वचार और नए उपाय क
ज़ रत है। हम ऐसे लोग क ज़ रत है जो पहल कर। वही हमारी ट म के क तान बनने
क़ा बल ह।”

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पहल करना कम करने का एक ख़ास पहलू है। पहल करने का मतलब है बना

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कसी के कहे कोई मह वपूण काम करना। पहल करने वाला हर बज़नेस और

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ोफ़ेशन म अलग दख जाता है, और उसक आमदनी भी काफ़ होती है।

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मुझे एक दवाई बनाने वाली कंपनी का मला। वह माक टग रसच का

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डायरे टर था। उसने मुझे बताया क वह इस पद पर कैसे प ँचा। पहल क श का यह

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एक अ ा सबूत है।

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“पाँच साल पहले मेरे मन म एक वचार आया,” उसने मुझे बताया । “म तब एक

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मशनरी से समैन क तरह काम कर रहा था जो होलसेलस से मला करता था। मने यह
पाया क हमारे पास अपने ाहक के बारे म आँकड़ क कमी थी। मने कंपनी के हर
से इस बारे म बात क । मने उ ह बताया क हम माकट रसच क ज़ रत है। पहले तो
सबने मेरी बात अनसुनी कर द , य क मैनेजमट को इसका मह व समझ म नह आया।
“परंतु मुझे प का व ास था क हमारी कंपनी म माक टग रसच होनी चा हए,
इस लए मने पहल करने का फै़सला कर लया। मने मैनेजमट क अनुम त के बाद ‘फै़ ट् स
ऑफ़ ग माक टग‘ नाम क एक मा सक रपोट तैयार क । मने हर जगह से जानकारी
इक क । म ऐसा हर महीने करता रहा और ज द ही मैनेजमट और सरे से समैन को
यह समझ आ गया क म जो कर रहा ँ, वह सचमुच मह चपूण है। इसके बाद वे भी इस
काम म दलच ी लेने लगे। अपनी रसच शु करने के एक साल बाद मुझे अपनी
नय मत नौकरी से हटा दया गया और मुझसे कहा गया क म सफ़ अपने वचार को
वक सत करने पर पूरा यान ँ ।
“बाक़ बात तो साधारण तरीक़े से । आज मेरे पास दो सहयोगी, एक से े टरी,
और तीन गुना यादा तन वाह है।"
लीडर बनने क कला वक सत करने के लए यहाँ पर दो अ यास दए गए ह :
1. संघष करने वाला बन। जब आप ऐसी कोई बात सोच जो आपके हसाब से क
जानी चा हए तो आप त काल उस वचार को उठा ल और फर उसके लए संघष शु कर
द।
मेरे पड़ोस म ही एक नई कॉलोनी बन रही थी जो लगभग दो तहाई बन चुक थी,
परंतु इसके बाद उसका व तार ठ प हो गया। कुछ ऐसे प रवार वहाँ रहने आ गए थे जो
लापरवाह लोग थे। इससे कई अ े प रवार को उस जगह से अपने मकान बेचकर जाना
पड़ा। जैसा अ सर होता है, परवाह करने वाले लोग को भी लापरवाह लोग क सोहबत
का असर आ और पूरी कॉलानी ही लापरवाह हो गई। परंतु हैरी एल. ऐसा नह आ। वह

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माहौल क परवाह करता था और उसने फै़सला कया क वह इसे अ कॉलोनी बनाने के

i. i
लए संघष करेगा।

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हैरी ने अपने कुछ दो त से बात क । उसने बताया क यह कॉलोनी एक बेहतरीन

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कॉलोनी बन सकती है परंतु इसके लए यास करने ह गे वरना यह थड लास कॉलोनी

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बनकर रह जाएगी। हैरी के उ साह और पहल का वागत आ। ज द ही वहाँ पर साफ़-

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सफ़ाई शु हो गई। बगीचे क योजना पर काम शु हो गया। वृ ारोपण अ भयान शु

l
कया गया। ब के लए खेल का मैदान बन गया। व मग पूल भी बन गया। लापरवाह

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प रवार भी उ साही समथक बन गए। पूरी कॉलोनी म एक नई जान आ गई थी। अब वहाँ
से नकलने पर दल ख़ुश हो जाता है। इससे यह पता चलता है क संघष करने वाला
चाहे, तो नरक को भी वग म बदल सकता है।
या आपको ऐसा लगता है क आपके बज़नेस म एक नया डपाटमट बनना
चा हए, या आपक कंपनी को बाज़ार म एक नया सामान लाना चा हए या कसी और
तरीके से तर क़ करनी चा हए? अगर आपको ऐसा लगता है, तो उस वचार के लए संघष
कर। या आपको लगता है क आपके चच को नई इमारत क ज़ रत है? अगर हाँ, तो
इसके लए पहल और संघष कर। या आप चाहते ह क आपके ब के कूल म कं यूटर
लगने चा हए ? अगर हाँ, तो इसके लए पहल कर और ऐसा संभव बनाएँ।
और आप यह बात जान ल : हालाँ क हर संघष शु आत म एक का संघष ही
होता है, परंतु अगर वचार म दम हो, तो ज द ही ब त से लोग आपके समथन म खड़े हो
जाते ह।
कमठ और संघषशील बन।
2. वयंसेवी बन। हमम से हर एक के जीवन म ऐसा मौक़ा आया होगा जब हम
कसी सं ा म वयंसेवा करना चाहते ह गे, परंतु हमने ऐसा नह कया। कारण या था ?
डर। यह डर नह क हम काम नह कर पाएँगे, ब क यह डर क लोग या कहगे। यह डर
क लोग हम पर हँसगे, हम जुगाड़ कहगे, हम मह वाकां ी समझेगे - यही डर ब त से
लोग को आगे बढ़ने से रोकता है।
यह वाभा वक है क आप लोग का समथन, उनक तारीफ़ चाह। परंतु ख़ुद से
पूछ, “म कन लोग क तारीफ़ चाहता ँ : उन लोग क जो मुझ पर ई या के कारण हँसते
ह या उन लोग क जो कमठता से काम करके सफल होते ह?” सही वक प या है, यह
बताने क ज़ रत नह है।
वयंसेवी अलग दख जाता है। उसक तरफ़ ख़ास तव ो द जाती है। सबसे

in
मह वपूण बात यह है क वह वयंसव
े ा करके अपनी वशेष यो यता और मह वाकां ा को

i.
सबके सामने ले आता है। न त प से वयंसेवक को वशेष काम स पे जाएँगे।

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आप बज़नेस, म ल या अपने समुदाय के जन लीडस को जानते ह . उनके बारे

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म सोच या वे कमठ लगते ह या वे नठ ले लगते ह?

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दस म से दस लीडर कमठ ह गे, ऐसे लोग ह गे जो काम पूरा करके दखाते ह। वह

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जो हा शए पर खड़ा रहता है, वह जो :खी होता रहता है, वह नठ ला होता

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है, जो सफ़ इस लए" वह रह जाता है य क वह कम के मैदान म नह उतरता। जो
वचार करता है और उस पर अमल करता है, उस कमठ के पीछे कई लोग आ जाते
ह और वह लीडर बन जाता है।
जो काम करता है, लोग उस पर व ास करते ह। वे मान लेते ह क वह
जानता है क वह या कर रहा है।
मने कसी क तारीफ़ इस बात के लए नह सुनी, “वह कसी को ड टब
नह करता, ” “वह काम तक उसे बताया न जाए, वह कुछ नह करता ।”
या आपने इन बात के लए कसी क तारीफ़ होते दे खी है?

कम क आदत बढावा द
इन मु य ब का अ यास कर:
1. “कमठ" बन। काम करने वाला बन। “काम टालने वाला” न बन।
2. प र तय के आदश होने का इंतज़ार न कर। वे कभी आदश नह ह गी। भ व य
क बाधा और क ठनाइय क उ मीद कर और जब वे आएँ, तब आप उ ह
सुलझाने का तरीक़ा खोज।
3. याद रख, केवल वचार से सफलता नह मलती। वचार का मू य तभी है, जब आप
उन पर अमल कर।
4. डर भगाने और आ म व ास हा सल करने के लए कम कर। जस काम से आप
डरते ह , वह कर और आपका डर भाग जाएगा। को शश करके दे ख।
5. अपने मान सक इंजन को मशीनी तरीक़े से चालू कर। सही मूड बनने का इंतज़ार न
कर। कम शु कर द, और आपका मूड अपने आप सही हो जाएगा।
6. अभी काम शु करने के बारे म सोच। कल, अगले स ताह , बाद म
और इसी तरह के श द असफलता के श द कभी नह के पयायवाची ह। इस
तरह के बन, “म अभी इस काम को शु कर दे ता ँ।”

. in
7. काय म जुट जाएँ। काय क तैयारी म समय बबाद न कर। इसके बजाय सीधे काम म

i
लग जाएँ।

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8. पहल कर। संघष कर। गद छ नकर गोल क तरफ़ दौड़ लगाएँ। वयंसेवक बन। यह

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बताएँ क आपम कम करने क यो यता और मह वाकां ा है।

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अपने दमाग़ को गयर म डाल द और सफलता क राह पर चल

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पड़!

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हार को जीत म कैसे बदल?

n
मा जक कायकता और सरे लोग जो ग़रीब इलाक़ या झु गी- ब तय म काम करते
सा

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ह, उनका कहना है क इन दयनीय लोग क उ , धा मक आ ा, श ा और

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पृ भू मयाँ अलग-अलग होती ह। इनम से कई नाग रक आ यजनक प से युवा होते ह।

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कई बूढ़े होते ह। कुछ कॉलेज ैजुएट होते ह, कुछ बलकुल अ श त होते ह। कई शाद -

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शुदा होते ह, कई कुँवारे होते ह। परंतु ग़रीबी के दलदल म रहने वाले सभी असफल लोग म

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एक बात समान होती है : हर हारा आ है, पटा आ है, चोट खाया आ है। हर

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एक ने जीवन म ऐसी सम या को झेला है जनके आगे वह घुटने टे क चुका है। वह

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आपको उस भा यपूण त के बारे म बताने के लए उ सुक है, है जो उसक

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ज़दगी का वॉटरलू सा बत ई।
मानवीय अनुभव क ये दा तान “मेरी प नी मेरा घर छोड़कर भाग गई।" से लेकर
“मने अपना सब कुछ गँवा दया था और मेरे पास जाने के लए कोई और जगह नह बची
थी” से लेकर “मने दो-एक काम ऐसे कए जससे मेरा सामा जक ब ह कार कर दया गया
और म यहाँ चला आया।”
जब हम कड रो यानी असफलता के दलदल से ऊपर चलकर म टर और मसेज़
औसत के इलाक़े म प ँचते ह, तो हम जीवन तर म अंतर दे ख सकते ह। परंतु
हम एक बार फर यह दे खते ह क म टर औसत भी अपनी औसत प र तय के
लए मूलतः वही कारण बताते ह जो म टर असफल ने बताए थे। अंदर से, म टर औसत
हारा आ महसूस करते ह। जन प र तय से वे चोट खाए ह, उनके घाव अब भी
नह भरे ह। अब वे अ त सावधान हो गए ह। अब वे क- ककर चलते ह, सीना तानकर
नह चलते। वजयी सेनाप त क तरह सर उठाकर नह चलते, ब क हारे ए असंतु
सपाही क तरह सर झुकाकर चलते ह। वे हारा आ महसूस करते ह परंतु वे अपनी
औसत ज़दगी क सज़ा काटने क को शश करते ह जसके लए वे अपनी “तक़द र” को
दोष दे ते ह।
इस ने भी हार के सामने समपण कर दया है, परंतु इसने यह समपण
ता कक प से, अ े ढँ ग से, सामा जक प से “ वीकृत” तरीक़े से कया है।
अब जब हम सफलता क कम भीड़ वाली नया म ऊपर चढ़ते ह, तो हम दे खते ह
क यहाँ भी हर तरह क पृ भू म से आए लोग मौजूद ह। कॉरपोरेट ए ज़ी यू ट ज़ ह या
स मं ी या सरकारी अ धकारी हर े के चोट के लोग को दे खने पर हम पाते ह क
ये लोग ग़रीब घर , अमीर घर , बखरे ए प रवार , मज़ र प रवार , खे तहर घर , और
झोप ड़य से यानी हर पृ भू म से आए ह। समाज का नेतृ व करने वाले ये लोग हर उस
क ठन प र त को झेल चुके ह जसक क पना हम कर सकते ह।

in
हर मामले म म टर असफल, म टर औसत और म टर सफल म समानता हो

i.
सकती है- उ , बु , पृ भू म, रा ीयता या कोई और चीज़ जो आपके दमाग़ म आए। इन

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सभी बात म इन लोग म कोई अंतर नह होता। परंतु इनम एक बड़ा फ़क़ होता है। उन

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लोग का हार के बारे म नज़ रया अलग-अलग होता है।

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जब म टर असफल गर जाते ह, तो वे बारा नह उठ पाते। वे वह पड़े रहते ह,

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कराहते ए, अपनी चोट को सहलाते ए। म टर औसत अपने घुटन के बल बैठ जाते ह

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और रगने लगते ह और जब वे थोड़ी र प ँच जाते ह तो फर उठकर सरी दशा म दौड़

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लगा दे ते ह ता क वे बारा न गर।
परंतु म टर सफल जब गरते ह, तो उनक त या भ होती है। वे त काल उठ
खड़े होते ह, सबक़ सीखते ह, गरने क बात भूल जाते ह और ऊपर क तरफ़ बढ़ने लगते
ह।
मेरा एक क़रीबी दो त ब त ही सफल मैनेजमट सलाहकार है। जब आप उसके
ऑ फ़स म क़दम रखते ह तो आपको सचमुच ऐसा लगता है जैसे आप कसी पॉश इलाक़े
म आ गए ह। फ़न चर इतना शानदार होता है, गलीचे इतने आलीशान, ाहक इतने
मह वपूण और माहौल इतना त क आप पहली ही नज़र म यह अनुमान लगा सकते ह
क उसक कंपनी ब त सफल और समृ होगी।
कोई आलोचक यह कह सकता है, “इस तरह का माहौल ‘चालाक’ आसानी
से बना सकता है।” परंतु आलोचक ग़लत है। इस तरह का माहौल ‘चालाक‘ ने नह
बनाया। यह माहौल कसी तभाशाली या अमीर या ख़ुश क़ मत ने भी नह
बनाया। यह माहौल सफ़ ( सफ़ श द के योग म मुझे संकोच होता है य क सफ़ का
मतलब आपको ब त थोड़ा लग सकता है) एक लगनशील ने बनाया, जसने कभी
यह नह सोचा क वह हार गया है।
इस समृ और त त कंपनी के पीछे उस क कहानी है जसने ऊपर आने
के लए संघष कया : बज़नेस के शु आती छह महीन म ही उसने अपनी 10 साल क
बचत गँवा द । वह कई महीन तक अपने ऑ फ़स म ही रहा य क उसके पास कराए के
घर के लए पैसे नह थे। उसने कई "अ ” नौक रय का ताव ठु करा दया य क वह
चाहता था क वह अपने ल य को हा सल करे। जतनी बार उसके संभा वत ाहक ने उसे
‘हाँ’ कहा, उससे सौ गुना यादा लोग ने ‘ना’ कहा।
सफल होने के लए उसने सात साल कड़ी मेहनत क , परंतु मने इस दौरान एक बार
भी उसके मुँह से शकायत नह सुनी। वह कहता था, “डे व, म सीख रहा ँ। इस बज़नेस

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म काफ़ तयो गता है और चूँ क यह अ य बज़नेस है इस लए इसे बेचना मु कल है।

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परंतु म अब सीख रहा ँ।”

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और उसने इसे सीख ही लया।

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एक बार मने अपने दो त से कहा क इस अनुभव से उसक काफ़ ऊजा बाहर

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नकल जाती होगी। परंतु उसका जवाब था “नह , यह मेरे अंदर से कुछ नकाल नह रहा

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है, ब क मेरे अंदर कुछ भर रहा है।”

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इज़ इन अमे रका म लोग क जीव नयाँ पढ़ और आप पाएँगे क जो लोग

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ब त सफल ए ह, उ ह कई बार असफलता झेलनी पड़ी है। सफल लोग के इस
अ भजा य समूह ने वरोध सहन कया, लोग के ताने सहे, राह म बाधाएँ और तकलीफ़
झेल , असफलता का दौर झेला, गत भा य सहा।
महान लोग क जीव नयाँ पढ़, और आप यहाँ भी पाएँगे क ये सभी लोग कसी न
कसी मोड़ पर अपनी असफलता के सामने घुटने टे क सकते थे।
या इसके बजाय ऐसा कर। अपनी कंपनी के े सडट क पृ भू म जान या अपने
शहर के मेयर क या कसी ऐसे को चुन ल जसे आप सचमुच सफल मानते ह ।
जब आप गहराई म जाएँगे, तो आप पाएँगे क इस ने ब त बड़ी, असली बाधाएँ पार
क ह और तब जाकर वह सफल आ है।
बना वरोध, मु कल और असफलता के बड़ी सफलता हा सल करना संभव
नह है। परंतु यह संभव है क आप इन असफलता को आगे बढ़ने क ेरणा बना ल।
आइए दे ख क ऐसा कस तरह कया जा सकता है।
मने ावसा यक एयरलाइन के आँकड़े दे खे जनके मुता बक़ लगभग 10 ब लयन
मील क उड़ान म केवल एक घटना होती है। हवाई या ा आजकल ब त यादा सुर त
है। भा य से, इसके बावजूद हवाई घटनाएँ होती ह। परंतु जब कोई घटना होती है, तो
‘ स वल एरोनॉ ट स एड म न े शन‘ ( सी . ए . ए . ) त काल जाँच शु कर दे ता है क
घटना का कारण या था। मील र तक फैले मलबे को इक ा कया जाता है। वशेष
का समूह यह वचार करता है क या आ होगा जस वजह से यह घटना ई। गवाह
और ज़दा बचे लोग से बातचीत क जाती है। जाँच कई ह ते, कई महीने तक चलती है
जब तक क इस सवाल का जवाब न मल जाए, “यह घटना य ई?”
एक बार सी . ए . ए . को जवाब मल जाता है, तो त काल ऐसे क़दम उठाए जाते ह
क फर कभी इस तरह क घटना न होने पाए। अगर घटना कसी तकनीक ख़राबी के
कारण ई थी, तो उसी तरह के सरे जहाज़ म उस तकनीक दोष को र कया जाता है।

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अगर कोई यं दोषपूण होता है, तो उसम सुधार कया जाता है। आधु नक हवाई जहाज़ म

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हज़ार सुर ा यं सी . ए . ए . क इसी तरह क जाँच के प रणाम व प तैयार ए ह।

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सी ए . ए . के अ ययन से हवाई या ाएँ पहले से यादा सुर त होती जाती ह।

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असफलता से सीखने क ेरणा इसी को कहते ह।

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डॉ टस भी असफलता के सहारे बेहतर वा य और लंबे जीवन को सु न त

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करते ह। अ सर जब कोई मरीज़ कसी अनजान कारण से मरता है तो डॉ टर यह जानने

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के लए पो टमॉटम करते ह क उसक मौत का कारण या था। इस तरह वे मानव शरीर

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क काय णाली के बारे म यादा जान पाते ह और कई सरे लोग क ज़द गयाँ बचा पाते
ह।
मेरा एक दो त से स ए ज़ी यू टव है जो हर महीने अपने से समैन को यह बताने
के लए एक मी टग करता है क वे कोई मह वपूण ब य नह कर पाए। ाहक और
से समैन के बीच क पूरी वाता का व ेषण कया जाता है और यह सीखा जाता है क
कस तरह भ व य म ऐसी ग़ल तयाँ न क जाएँ जनसे असफलता मली।
यही सफल फ़टबॉल कोच भी करते ह, जो जतने मैच हारते ह, उससे कह यादा
मैच जीतते ह। वे भी अपनी ट म के साथ हर मैच का व षण करते ह और खला ड़य
को उनक ग़ल तयाँ बताते ह। कई कोच तो हर मैच क वी डयो फ़ म भी बनवाते ह ता क
ट म अपनी आँख के सामने अपनी ग़लत चाल को दे ख सक। इसका उ े य है : ट म
अगला मैच बेहतर खेले।
सी . ए . ए . के अ धकारी, सफल से स ए ज़ी यू ट ज़, डॉ टर, फ़टबॉल कोच
और हर े के ोफ़ेशन स सफलता के इस स ांत का अनुसरण करते ह : हर
असफलता से कुछ न कुछ बचा लो।
जब हम असफल होते ह तो हम भावना मक प से इतने :खी और वच लत हो
जाते ह क हम उससे सबक़ सीखना भूल जाते ह।
ोफ़ेसर जानते ह क फ़ेल होने के बाद व ाथ क त या से ही सफलता क
उसक संभावना पता चलती है। जब म डे ॉयट म ‘वेन टे ट यू नव सट ‘ म ोफ़ेसर था, तो
मने एक सी नयर व ाथ को फ़ेल कर दया था। मेरे पास कोई सरा वक प नह था।
इससे व ाथ को गहरा ध का लगा। उसने ैजुएशन के बाद क योजनाएँ बना ली थ
और इस कारण उसक हँसी उड़ना तय थी। उसके पास दो वक प थे : या तो वह एक
साल और पढ़कर परी ा पास करे या फर वह बना ड ी लए कॉलेज छोड़कर चला

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जाए।

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मुझे आशा थी क अपनी असफलता पर व ाथ नराश होगा, शायद वह उ े जत

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भी हो। जब मने उसे यह समझाया क वह असफल य आ था, तो उसने यह माना क

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उसने इस बार ठ क से पढ़ाई नह क थी।

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“परंतु,” उसने कहा, “मेरा पछला रकॉड तो ठ क-ठाक है। आपने उसे यान म

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य नह रखा ?”

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मने उसे बताया क म ऐसा नह कर सकता य क हम हर साल का अलग-अलग
मू यांकन करते ह। मने यह भी जोड़ा क कठोर शै णक नयम के चलते नंबर तभी
बढ़ाए जा सकते ह जब जाँचने वाले ोफ़ेसर ने कोई ग़लती क हो।
जब व ाथ को यह पता चला क उसके नंबर बढ़ने के सारे रा ते बंद हो चुके ह, तो
वह काफ़ ग़ सा हो गया। उसने कहा, “ ोफ़ेसर, म आपको इस शहर के 50 लोग के नाम
गना सकता ँ जो बेहद सफल ह पर वे कभी कॉलेज नह गए, न ही उनके पास कोई ड ी
है। ैजुएशन क ड ी का मह व ही या है? परी ा म थोड़े ख़राब नंबर मलने के कारण
या मुझे मेरी ड ी नह मलेगी ?
“भगवान का शु है,” उसने आगे कहा, “बाहर क नया म लोग आप जैसे
ोफ़ेसर क तरह नह सोचते।”
इस ट पणी के बाद म 45 सेकंड तक का। (मने यह सीखा है क जब आपक
आलोचना हो, तो वाकयु से बचने का एक अ ा तरीक़ा जवाब दे ने म दे री करना है।)
फर मने अपने व ाथ से कहा, "तु हारी यादातर बात सही ह। ऐसे कई बेहद
सफल लोग ह जनके पास कॉलेज क कोई ड ी नह है, या ज ह ने इस ड ी का नाम
तक नह सुना है। और यह तु हारे लए भी संभव है क तुम बना ड ी के जीवन म सफल
हो जाओ। पूरे जीवन के हसाब से दे खा जाए, तो तु हारे फे़ल होने का तु हारे जीवन क
सफलता या असफलता से कोई सीधा संबंध नह है। परंतु फ़ेल होने के त तु हारे रवैए से
ब त फ़क़ पड़ सकता है।”
“वह कैसे ?” उसने पूछा।
मने जवाब दया, “बाहर क नया म भी लोग आपको उसी तरह नंबर दे ते ह, जैसे
हम लोग दे ते ह। वहाँ भी इसी बात का मह व होता है। क आप अपने काम को कतनी
अ तरह करते ह। बाहर क नया म भी कोई आपको घ टया काम करने के लए
मोशन नह दे गा, न ही आपक तन वाह बढ़ाएगा।”
म एक बार फर का ता क उसे पूरी बात समझ म आ जाए।

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फर मने कहा, “ या म तु ह एक सुझाव ँ ? अभी तुम ब त नराश हो। म समझ

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सकता ँ क तु ह कैसा लग रहा होगा। और अगर इस बात पर तुम उ े जत ए हो, तो मने

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उसका बलकुल भी बुरा नह माना है। म चाहता ँ तुम इस अनुभव को सकारा मक तरीक़े

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से लो। यह तु ह एक ब त मह वपूण सबक़ सखा सकता है : अगर आप अ ा काम नह

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करगे, तो आप वहाँ नह प ँच पाएँगे, जहाँ आप प ँचना चाहते ह। इस सबक़ को सीख लो

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और आज से पाँच साल बाद जाकर तु ह यह एहसास होगा क यह तु हारे ारा सीखी गई

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जीवन क सबसे ब मू य श ा म से एक है।”
म यह जानकर ख़ुश आ क कुछ ही दन बाद उस व ाथ ने एक बार फर
कॉलेज म एडमीशन ले लया। इस बार वह ब त ही अ े नंबर से पास आ। इसके बाद,
वह ख़ास तौर पर मुझसे मलने आया और उसने मुझे बताया क हमारी पहले वाली
मुलाक़ात ने उस पर गहरा असर डाला था और उसने उस चचा से ब त कुछ सीखा था।
“आपके कोस म फे़ल हो जाने से मने ब त कुछ सीखा,” उसने कहा। “यह अजीब
लगेगा, ोफ़ेसर, परंतु अब म ख़ुश ँ क म पहली बार म पास नह आ ।”
हम हार को जीत म बदल सकते ह। सबक़ सीखो, उसे अपने जीवन म उतारो,
पराजय क तरफ़ पीछे मुड़कर दे खो और मु कराओ
फ़ म के शौक न लोग महान अ भनेता बैरीमोर को कभी नह भूल । 1936 म
बैरीमोर के नतंब म फ़ै चर हो गया। यह फ़ै चर कभी ठ क नह हो पाया। कई लोग को
लगा । क म टर बैरीमोर क ज़दगी ख़ म हो गई। परंतु नह , म टर बैरीमोर को ऐसा नह
लगा। उ ह ने इस बाधा को र करके अपने अ भनय क सफलता से भी बड़ी सफलता का
रा ता बना लया। अगले 18 साल तक दद के बावजूद उ ह ने हील चेयर पर बैठे-बैठे
दजन सफल भू मका म अ भनय कया
15 माच, 1945 को ड यू. कॉ वन व लय स ांस म एक टक के पीछे चल रहे
थे। टक एक बा द सुरंग से टकराया, उसम व ोट आ और इससे म टर व लय स
हमेशा के लए अंधे हो गए।
परंतु यह घटना म टर व लय स को पादरी और सलाहकार बनने के अपने ल य
का पीछा करने से नह रोक पाई। जब उ ह ने कॉलेज से ैजुएशन कर लया ( और वह भी
ऑनस के साथ), तो व लय स ने कहा क उनके वचार से उनका अंधापन “उनके चुने गए
क रयर म एक वरदान सा बत होगा। म कभी बाहरी चीज़ को दे खकर नणय नह लूँगा ।
इस लए म हमेशा को सरा मौक़ा ँ गा। मेरे अंधेपन से मुझे यह लाभ भी होगा क

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कोई कैसा भी दखे, म सबके साथ एक जैसा वहार क ँ गा म इस तरह का इंसान

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बनना चाहता ँ जसके पास कोई भी आ सके और बे झझक आकर अपने दल क बात

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कह सके।

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या यह एक शानदार उदाहरण नह है क कस तरह एक ू र, कटु हार को जीत म

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बदला जा सकता है?

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हार केवल एक मान सक त है, इससे यादा कुछ नह ।

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मेरा एक दो त टॉक माकट म सफल और स नवेशक है। वह अपने नवेश के
हर नणय को अपने अतीत के अनुभव के आधार पर लेता है। एक बार उसने मुझे बताया,
“जब मने 15 साल पहले नवेश करना शु कया तो मेरे हाथ कई बार जले। यादातर
शु आती लोग क तरह, म भी फटाफट अमीर बनना चाहता था। परंतु इसके बजाय म
ज द ही द वा लया हो गया। परंतु इसके बावजूद मने हार नह मानी। मुझे अथ व ा क
मूलभूत श का ान था ओर म यह जानता था क लंबे समय म अ तरह चुने गए
शेयर म नवेश करना समझदारीपूण होता है।
“तो मने अपने शु आती बुरे नवेश को अपनी श ा क क़ मत मान लया।” वह
हँसते ए कहता है।
सरी तरफ़, म ऐसे कई लोग को जानता ँ जो एक-दो मूखतापूण नवेश करने के
बाद ‘ शेयर - वरोधी ‘ बन जाते ह। अपनी ग़ल तय का व ेषण करने के बजाय और
एक अ सं ा से जुड़ने के बजाय, वे इस ग़लत न कष पर प ँचते ह क शेयर माकट
म पैसे लगाने का मतलब है जुआ खेलना, एक ऐसा जुआ, जसम दे र-सबेर हर
हारता है।
हर असफलता से कुछ न कुछ बचाने का फ़ैसला कर। अगली बार जब नौकरी या
घर म कोई गड़बड़ हो, तो शांत हो जाएँ और यह पता लगाएँ क गड़बड़ कहाँ शु ई थी।
इससे आप उसी ग़लती को बारा करने से बच सकते ह।
अगर हम कुछ सीख, तो असफल होना भी फ़ायदे मंद सा बत हो सकता है।

हम इंसान भी अजीब होते ह। अपनी सफलता का ेय तो हम पूरा लेना चाहते ह। जब


हम जीतते ह, तो हम पूरी नया को इस बारे म बताना चाहते ह। यह वाभा वक है क हम
लोग के मुँह से यह सुनना चाह, “यही वह है जसने इतना बड़ा काम कया।"
परंतु अपनी असफलता का ेय त काल कसी सरे के म े मढ़ दे ता है।

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जब सामान नह बकता, तो से समैन ाहक को दोष दे ते ह। अफ़सर के लए यह

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वाभा वक है क वे ग़लत काम होने पर कमचा रय या सरे अफ़सर को दोष द। घरेलू

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लड़ाइय और सम या के लए प त अपनी प नय को दोष दे ते ह और प नयाँ अपने

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प तय को।

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यह तो सच है क इस ज टल संसार म सरे लोग हम ध का मारकर गरा सकते ह

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परंतु यह भी सच है क यादातर हम ख़ुद ही अपने आपको गराते ह। हम अपनी गत

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क मय व ग़ल तय के कारण हारते ह।

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सफलता के लए ख़ुद को इस तरह तैयार कर। अपने आपको याद दलाएँ क आप
आदश और पूण मनु य बनना चाहते ह, जतना बनना इंसान के लए संभव है। अपने
आपको एक टे ट ूब म रखकर न प से ख़ुद का और अपनी त का मू यांकन
कर। यह दे ख क या आपम ऐसी कोई कमज़ोरी है जसके बारे म आप जानते न ह ।
अगर आपम ऐसी कमज़ोरी है, तो उसे सुधारने के लए क़दम उठाएँ । कई लोग खुद को
दे खने के इतने आद हो जाते ह क वे सुधार क संभावना दे खने म असफल हो जाते ह।
महान मे ोपॉ लटन ऑपेरा टार, रसे ट व स ने रीडस डाइजे ट (जुलाई 1955) म
कहा क उसे सबसे अ सलाह अपने जीवन के सबसे :खद ण म मली।
अपने क रयर क शु आत म, मस ट व स मे ोपॉ लटन ऑपेरा “ऑडीश स ऑफ़
द एयर" म असफल हो गई। हारने के बाद मस ट व स कड़वाहट से भरी ई थ । “म यह
सुनना चाहती थी,” उसने कहा, “ क मेरी आवाज़ वा तव म सरी लड़क से सचमुच
बेहतर थी, क नणायक का फ़ैसला ग़लत था, क म इस लए नह जीत पाई, य क मेरे
पास सही जुगाड़ नह थ ।”
परंतु मस ट व स क ट चर ने उसे कोई झूठ सां वना नह द । इसके बजाय
उ ह ने मस ट व स से कहा, “दे खो बेटा, अपनी ग़ल तय का सामना करने क ह मत
जुटाओ।”
“हालाँ क म आ म-दया के श द सुनना चाहती थी,” मस ट व स ने कहा, "परंतु
अपनी ट चर के श द बार-बार मेरे कान म गूँजते रहे। उस रात उन श द ने मुझे जगा
दया। म तब तक नह सो पाई जब तक क मने अपनी क मय का सामना नह कर लया।
अँधेरे म लेटे-लेटे मने ख़ुद से पूछा, ‘म य असफल ई?’ ‘म अगली बार कस तरह जीत
सकती ँ ?’ और मने माना क मेरी आवाज़ क रज सचमुच उतनी अ नह है जतनी
क होनी चा हए, क मुझे और भाषाएँ सीखनी चा हए, क मुझे और यादा भू मकाएँ
सीखनी चा हए।”
मस ट व स ने आगे बताया क कस तरह अपनी क मय का सामना करने से उसे

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न सफ़ टे ज पर सफलता मली, ब क अपनी ग़ल तय को मानने से उसके यादा दो त

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भी बने और वह यादा लोक य भी ई।

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ख़ुद का अ ा आलोचक होना अ बात है, बशत क आलोचना रचना मक हो।

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इससे आपको गत श और यो यता बढ़ाने म मदद मलती है, जो सफलता के लए

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ब त ज़ री है। सर को दोष दे ना व वंसा मक है। सामने वाले क ग़लती “सा बत”

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करने से आपको कुछ भी हा सल नह होता।

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रचना मक प से ख़ुद क आलोचना कर। अपनी कमज़ो रय को वीकार करने म

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न हच कचाएँ। स े ोफ़ेशनल बन। वे अपनी ग़ल तय और कमज़ो रय को ढू ँ ढ़ते ह, फर
उ ह र करते ह। इसी कारण वे सफल ोफ़ेशनल बनते ह।
परंतु अपनी ग़ल तयाँ सफ़ इस लए न ढू ँ ढ़े ता क आप ख़ुद के सामने यह बहाना
बना सक, “यह एक और कारण है जससे म असफल होता ँ।”
इसके बजाय अपनी ग़ल तय को इस तरह से दे ख, “यह एक और तरीक़ा है जससे
म जीत सकता ँ।”
महान अ बट हबाड ने एक बार कहा था, “असफल वह होता है जसने बड़ी
ग़ल तयाँ क तो ह, परंतु जो अपने अनुभव से कुछ नह सीख पाया। ”
अ सर हम अपनी असफलता के लए क मत को दोष दे ते ह। हम कहते ह, “अरे,
गद तो इसी तरह से ट पे खाती है,” और फर हाथ पर हाथ धरकर बैठ जाते ह। परंतु ज़रा
क और सोच। गद क उछाल क भी कोई न कोई वजह होती है। गद बना कारण के यूँ ही
कसी दशा म नह उछलती। गद का उछाल तीन कारण से नधा रत होता है : एक तो गद,
फर जस तरीक़े से इसे फका जाता है, और तीसरे जस सतह से यह टकराती है। न त
भौ तक नयम गद क उछाल का कारण तय करते ह, इसका क़ मत से कोई लेना-दे ना
नह होता।
मान ल क सी . ए . ए . एक रपोट जारी करे और कहे, “हम खेद है। क हवाई
जहाज़ घटना त हो गया, परंतु हम या कर, गद तो इसी तरह से ट पे खाती है।”
आप कहगे क अब सी . ए . ए . को बदल दे ना चा हए। या अगर कोई डॉ टर कसी
र तेदार से कहे, “मुझे खेद है क म उसे बचा नह पाया। म नह जानता क ऐसा कैसे
आ। यह तो क़ मत क बात थी।”
जब आप या आपका कोई सरा र तेदार बीमार होगा, तो आप उस डॉ टर के पास
नह जाएँगे।
‘गद तो इसी तरह से ट पे खाती है’ वाली शैली हम कुछ नह सखाती। जब हम

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अगली बार उसी तरह क प र त का सामना करते ह। तो हम वही ग़लती करने से सफ़

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इस लए नह बच पाते, य क हमने अपनी पछली ग़लती से सबक़ नह सीखा था। वह

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फु़टबॉल कोच जो श नवार का मैच हार जाने के बाद अपनी ट म से कहता है, “ चता मत

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करो, गद तो इसी तरह से ट पे खाती है” अपनी ट म क ग़ल तयाँ ढू ँ ढ़ने म मदद नह कर

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रहा है, जससे अगले श नवार को होने वाले मैच म उन ग़ल तय को सुधारा जा सके।

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डयरबॉन, मशीगन के मेयर ऑर वल हबाड 17 साल से लगातार मेयर ह और दे श

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के सवा धक त त नगरीय शासक म से एक ह।
डयरबॉन के मेयर बनने के दस साल पहले म टर हबाड भी “बद क़ मती” का
बहाना बना सकते थे और राजनी त छोड़ सकते थे।
लगातार वजेता बनने के पहले, ऑर वल हबाड तीन बार “बद क़ मत” रहे थे
य क उ ह मेयर पद के लए नामां कत ही नह कया गया था। तीन बार उ ह ने टे ट
सीनेटर के लए नामांकन हा सल करने क को शश क थी, परंतु वे असफल ए। एक बार
तो वे काँ ेस के लए नामांकन क दौड़ से ही बाहर हो गए थे।
परंतु ऑर वल हबाड ने अपनी पराजय का अ ययन कया। उ ह ने इसे अपनी
राजनी तक श ा का ह सा माना। और आज वे ानीय सरकार के सबसे मँझे ए,
सबसे अपराजेय राजनेता म से एक ह।
क़ मत को दोष दे ने के बजाय, अपनी असफलता का व ेषण कर। अगर आप
हार जाते ह, तो सीख। यादातर लोग ज़दगी म अपनी असफलता का व ेषण करते
समय “बद क़ मती ”, “ भा य ”, “ क़ मत” या “तक़द र” को दोष दे ते ह। यह लोग ब
क तरह अप रप व होते ह और सहानुभू त क तलाश करते ह। और चूँ क उ ह अपनी
ग़लती का एहसास ही नह होता, इस लए वे यादा बड़े , यादा मज़बूत और यादा आ म-
नभर होने के अवसर दे खने म असफल रहते ह।
क़ मत को दोष दे ना बंद कर द। क़ मत को दोष दे ने से कोई वहाँ नह
प ँचा जहाँ वह प ँचना चाहता था।

मेरा एक दो त सा ह यक सलाहकार, लेखक और आलोचक है। उसने मुझसे हाल ही म


एक सफल लेखक के गुण के बारे म चचा क ।
“ब त से भावी लेखक,” उसने बताया, “ लखने के बारे म गंभीर नह रहते। वे कुछ
समय तक को शश करते ह, परंतु जब उ ह पता चलता है क इसम मेहनत करनी पड़ती है,
असली काम करना पड़ता है, तो वे लखना छोड़ दे ते ह। म इन लोग को नह झेल पाता

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य क ये लोग कसी शॉटकट क तलाश म रहते ह, जब क ऐसा कोई शॉटकट होता ही

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नह है।

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“परंतु,” उसने आगे कहा, “म यह नह कहना चाहता क केवल लगन ही पया त

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होती है। वा तव म केवल लगन काफ़ नह होती।‘

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“अभी हाल म एक ऐसे से मला जसने 62 कहा नयाँ लखी ह, परंतु उनम

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से एक भी नह छपी। प से, वह लेखक बनने के अपने ल य के त लगनशील है।

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परंतु इस के साथ सम या यह है क वह हर कहानी एक ही तरह से लखता है।
उसने अपनी कहा नय के लए एक फ़ॉमूला बना लया है। वह अपनी साम ी के साथ कोई
योग नह करता- उसके लॉट और पा , यहाँ तक क उसक शैली भी नह बदलती। म
अब इस लेखक को यह सखाने क को शश कर रहा ँ क वह नई शै लय और नई
तकनीक को सीखे। उसम तभा है और अगर वह कुछ योगशीलता सीख ले, तो मुझे
व ास है क लेखक के प म वह सफल हो सकता है। परंतु जब तक वह ऐसा नह
करता, तब तक उसे एक के बाद एक रजे न लप मलती रहेगी।”
सा ह यक सलाहकार क सलाह अ थी। हमम लगन होना चा हए, परंतु लगन
सफलता के त व म से सफ़ एक त व है। हम को शश कर सकते ह, बार - बार, लगातार
को शश कर सकते ह और इसके बावजूद हम असफल हो सकते ह जब तक क हमम
लगन और योगशीलता का तालमेल न हो।
एडीसन के बारे म कहा जाता है क वे अमे रका के सवा धक लगनशील वै ा नक
म से एक थे। यह बताया गया है क बजली के ब ब क खोज से पहले उ ह ने हज़ार
योग कए। परंतु यह यान द : एडीसन म लगन के साथ ही योगशीलता भी थी। वे
बजली के ब ब को वक सत करने के अपने ल य म जुटे रहे। परंतु उ ह ने लगन के साथ
योगशीलता को भी मला दया।
एक ही दशा म लगन से जुटे रहना सफलता क गारंट नह है। परंतु लगन और
योगशीलता के सम वय से सफलता क गारंट मल जाती है।
मने हाल ही म तेल खोजने क या के बारे म एक लेख पढ़ा। इसम लखा गया
था क तेल का कूँआ खोदने से पहले तेल कंप नयाँ च ान का सव करती ह। परंतु उनके
वै ा नक व ेषण के बाद भी आठ म से सात कुँए सूखे नकलते ह। तेल कंप नयाँ अपनी
तेल क खोज म तो लगनशील रहती ह, परंतु वे एक ही कुँए को मूखतापूण गहराई तक
खोदने म नह जुट रहत । इसके बजाय जब कॉमन से स से वे यह जान लेती ह क पुराने
कुँए से तेल नह नकलेगा, तो वे एक नए कुँए को खोदने का योग करने लगती ह।

in
कई मह वाकां ी लोग जीवन म शंसनीय लगनशीलता और मह वाकां ा के साथ

i.
ज़दगी भर जुटे रहते ह, परंतु वे कभी इस लए सफल नह हो पाते य क उनम

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योगशीलता नह होती, वे नई शै लय का योग नह कर पाते। अपने ल य को बनाए

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रख। इसे एक इंच भी इधर-उधर न हलाएँ। परंतु अपने सर को कसी द वार से भी न

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फोड़। अगर आपको प रणाम नह मलते ह, तो कसी सरे तरीक़े का इ तेमाल कर।

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जन लोग म बुलडॉग जैसी लगनशीलता होती है, जो एक बार कसी चीज़ को

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पकड़ लेने पर उसे नह छोड़ते ह, उनम सफलता का एक मूलभूत त व होता है। यहाँ दो

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सुझाव दए जा रहे ह जनसे आप योगशीलता सीख सकते ह, और लगनशीलता के साथ
इसके सम वय के बाद आप आसानी से सफल हो सकते ह।
1. ख़ुद को बताएँ, “कोई तरीक़ा है।” वचार म चुंबक य श होती है। जैसे ही
आप ख़ुद को बताते ह, “म हार गया ँ। म इस सम या से नह जीत सकता," आप
नकारा मक वचार को आक षत करते ह, और इनम से येक वचार आपको यह व ास
दलाता है क आप सही ह, क आप वा तव म हार चुके ह।
इसके बजाय यह व ास कर, “इस सम या को सुलझाने का कोई तो रा ता
होगा।” और त काल आपके दमाग़ म सकारा मक वचार आने लगगे, जससे आपको
सम या सुलझाने म मदद मलेगी।
“कोई न कोई तरीक़ा तो है” यह सोचना, यह व ास करना सचमुच मह वपूण है।
ववाह परामशदाता भी ववाह को नह बचा सकते जब तक क एक या दोन
जीवनसाथी यह न सोच क एक बार फर साथ रहना संभव है।
मनोवै ा नक और सामा जक कायकता कहते ह क कोई शराबी तब तक शराबी ही
बना रहेगा जब तक क उसे यह यक़ न न हो जाए क वह शराब क आदत को छोड़ सकता
है।
इस साल हज़ार नई कंप नयाँ बनगी। पाँच साल बाद इनम से ब त कम कंप नयाँ
ही बची रह पाएँगी। असफल होने वाली यादातर कंप नयाँ यही कहगी, “ तयो गता ब त
यादा थी। हमारे पास छोड़ दे ने के सवा कोई वक प ही नह था।" असली सम या यह है
क जब यादातर लोग के सामने मु कल या बाधाएँ आती ह, तो वे केवल पराजय के बारे
म ही सोचते ह और इसी कारण वे हार जाते ह।
जब आप मानते ह क कोई न कोई तरीक़ा तो होगा, तो आप अपने आप
नकारा मक ऊजा (च लए, हम छोड़ दे ते ह, हम हार मान लेते ह) को सकारा मक ऊजा
(हम आगे बढ़ना चा हए, हम जुटे रहना चा हए) म बदल लेते ह ।

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कोई भी सम या या मु कल तभी तक पहाड़ जैसी लगेगी, जब आप इसे पहाड़

i.
जैसा समझगे। अगर आप मानते ह क यह नह सुलझ सकती, तो यह सचमुच नह

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सुलझेगी। यह व ास रख क यह सुलझ सकती है और इसके बाद आपके मन म इसके

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समाधान अपने आप आने लगगे। यह असंभव है, ऐसा कभी न तो सोच, न ही कह।

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2. पीछे हट, और फर से शु कर। अ सर हम इतने लंबे समय तक कसी सम या

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के इतने क़रीब रहते ह क हम नए समाधान या नई शै लय को नह दे ख पाते।

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मेरे एक इंजी नयर दो त को एक नई ए युमी नयम इमारत क डज़ाइन बनाने का
काम मला। इस तरह क कोई चीज़ या इससे मलती-जुलती कोई चीज़ या उसक
डज़ाइन अब तक कसी ने नह बनाई थी। म इस दो त से कुछ दन पहले मला और मने
उससे पूछा क उसक नई ब ग का या हाल है।
“ब त अ ा नह ,” उसने जवाब दया। “मुझे लगता है क मने इन ग मय म अपने
बगीचे म पया त समय नह दया है। जब म लंबे समय तक डज़ाइ नग क क ठन
सम या म उलझा रहता ँ, तो मुझे इससे बाहर नकलने क ज़ रत होती है, य क
बाहर नकलने के बाद ही मेरे मन म नए वचार आते ह।”
“आपको यह जानकर आ य होगा,” उसने आगे कहा, “कई इंजी नय रग के वचार
तो मेरे मन म तब आते ह जब म पेड़ के क़रीब बैठकर घास पर पानी डाल रहा होता ँ।”
रा प त आइज़नहॉवर से एक बार कसी प कार वाता म पूछा गया क वे इतनी
छु याँ य मनाते ह। उनका जवाब उन लोग के ब त काम का है जो अपनी रचना मक
यो यता बढ़ाना चाहते ह। आइज़नहॉवर ने कहा, “म नह मानता क कोई भी , चाहे
वह जनरल मोटर चला रहा हो या दे श, अपनी मेज़ पर बैठकर या ढे र सारे काग़ज़ के बीच
मुँह छपाकर अपने काम को अ तरह से कर सकता है। वा तव म े सडट को अपना
दमाग़ फ़ालतू क चीज़ से मु रखना चा हए। उसे मूलभूत स ांत और मु य मु पर
अपना ख़ुद का चतन करते रहना चा हए . . . ता क वह सोच सके और बेहतर नणय
ले सके।”
मेरा एक भूतपूव बज़नेस सहयोगी अपनी प नी के साथ हर महीने 72 घंटे क
छु याँ मनाने शहर से बाहर जाता है। उसका मानना है क इस तरह पीछे हटने और नए
सरे से शु करने से उसक मान सक मता बढ़ जाती है और वह अपने ाहक को
अ धक लाभ प ँचा पाता है।
जब आपक राह म बाधा आए, तो पूरे ोजे ट को कूड़े दान म न डाल द। इसके
बजाय, पीछे हट, मान सक प से ख़ुद को तरोताज़ा कर ल। संगीत सुन या टहल या

in
झपक ले ल। इसके बाद जब आप उस सम या का सामना करगे तो आपके कुछ सोचने से

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पहले ही आपके सामने इसका समाधान अपने आप आ जाएगा।

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बड़ी प र तय म भी अ े पहलू को दे खना लाभदायक होता है। एक युवक ने

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मुझे बताया क जब उसक नौकरी छू ट तो उसने अ े पहलू को दे खने पर यान क त

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कया। उसने बताया, “म एक बड़ी े डट रपो टग कंपनी के लए काम कर रहा था। एक

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दन मुझे नौकरी से हटाए जाने का नो टस थमा दया गया। मंद का दौर चल रहा था और

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कंपनी उन कमचा रय को हटा रही थी, जो उसके लए ‘कम मह वपूण’ थे।

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“नौकरी म मुझे तन वाह तो ब त यादा नह मलती थी, परंतु फर भी मेरे हसाब
से यह अ थी। मुझे कई घंटे तक तो ब त बुरा लगता रहा, परंतु फर मने यह फ़ैसला
कया क म इस बारे म सकारा मक तरीक़े से सोचूँगा। दरअसल मुझे यह नौकरी खास
पसंद नह थी और अगर म यह बना रहता, तो म यादा तर क़ नह कर सकता था। अब
म कोई ऐसी नौकरी ढू ँ ढ़ सकता जो मुझे पसंद हो। ज द ही मुझे मेरी मनचाही नौकरी मल
गई, और अ बात तो यह थी क यहाँ मेरी तन वाह भी यादा थी। े डट कंपनी से
नकाला जाना मेरे लए ब त अ ा सा बत आ।”
याद रख, आप कसी भी प र त म वही दे खते ह, जो आप दे खना चाहते ह।
अ े पहलू को दे ख और हार को जीत म बदल ल। अगर आप वक सत कर लेते
ह, तो सारी चीज़ आपके लए अ ा काम करगी।

सं ेप म
सफलता और असफलता म फ़क़ इस बात का होता है क असफलता, बाधा, नराशाजनक
तय और हतो सा हत करने वाली बात के त आपका रवैया या है।
हार को जीत म बदलने के लए यह पाँच स ांत काम म लाएँ:
1. असफलता का अ ययन कर, ता क आप सफलता क राह पर आगे बढ़ सक। जब
आप हार, तो उस हार से सबक़ सीख और फर अगली बार जीतने क तैयारी कर।
2. अपने ख़ुद के रचना मक आलोचक बनने का साहस रख। अपनी गल तयाँ और
कमज़ो रयाँ खोज और फर उ ह सुधार। इससे आप ोफ़ेशनल बन जाएँगे।
3. क़ मत को दोष दे ना बंद कर द। हर असफलता का व ेषण कर। यह पता लगाएँ
क ग़लती कहाँ ई थी। याद रख, तक़द र को दोष दे ने से कोई वहाँ नह
प ँचा, जहाँ वह प ँचना चाहता था।
4. लगनशीलता के साथ योगशीलता का सम वय कर ल। अपने ल य को बनाए रख,

. in
परंतु प र क द वार से अपना सर न टकराते रह। नई शै लय का योग कर।

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योगशील बन।

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5. याद रख, हर त का एक अ ा पहलू होता है। इसे खोज, अ े पहलू को दे ख

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और आप एक बार फर उ साह से भर जाएँगे।

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ल य बनाएँ, सफल बन

इं सान ने जतनी भी तर क़ क है, ल य बनाकर क है। हमारे जतने भी आ व कार ए

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ह, चाहे वे च क सा के े म ह , इंजी नय रग के े म ह , या कसी और े म ह ,

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वे सभी इसी कारण संभव ए ह य क उ ह हा सल करने का ल य बनाया गया था।

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बज़नेस म सफलता भी अ सर इसी लए मलती है य क उसे हा सल करने का टारगेट

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बनाया गया था। उप ह धरती के चार तरफ़ अपने आप च कर नह लगा रहे ह, ब क

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इस लए च कर लगा रहे ह य क वै ा नक ने “अंत र को जीतने” का ल य बनाया

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था।

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ल य का मतलब है उ े य। ल य सपने से यादा होता है, य क ल य का मतलब

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ल य का मतलब है सपने पर काम करना। ल य इससे यादा होता है, “काश! म यह
कर सकता!” ल य ब त ही होता है, "म इसक तरफ़ बढ़ रहा ँ।”
जब तक ल य नह बनाया जाता, तब तक कुछ भी हा सल नह होता, तब तक
उसक तरफ़ क़दम नह बढ़ाए जा सकते। ल य के बना जीवन म इधर-उधर
भटकता रहता है। वह लड़खड़ाता रहता है। और कभी यह नह जान पाता क वह कहाँ जा
रहा है, इस लए वह कह भी नह प ँच पाता।
ल य सफलता के लए उसी तरह ज़ री है, जस तरह जीवन के लए हवा ज़ री
है। कोई भी बना ल य के सफल नह आ। कोई भी बना हवा के जी वत नह रहा।
इस लए आप अ तरह अपने ल य को तय कर ल क आप कहाँ प ँचना चाहते ह।
डे व मॅहोने कभी एड् वटाइ ज़ग एजसी म 25 डॉलर त स ताह क नौकरी कया
करते थे, 27 वष क उ म वे एजसी के वाइस- े सडट बन गए और 33 वष क उ म वे
गुड हयूमर कंपनी के े सडट बन गए। ल य के बारे म उनका कहना था “मह चपूण बात
यह नह है क आप कल या थे, या आप आज या ह, ब क मह वपूण बात तो यह है
क आप कल कहाँ प ँचना चाहते ह।”
मह चपूण बात यह नह है क आप कल या थे, या आप आज या ह, ब क
मह वपूण बात तो यह है क आप कल कहाँ प ँचना चाहते ह।
अ कंप नयाँ अगले 10 से 15 साल के ल य बनाकर चलती ह। सफल
बज़नेसमैन को ख़ुद से यह सवाल पूछना ही पड़ता है, “आज से दस साल बाद हम अपनी
कंपनी को कहाँ दे खना चाहते ह ?” फर वे उसके हसाब से अपनी योजना बनाते ह। नई
मशीन लगाई जाती ह ता क उ पादन क मता बढ़ सके, आज क ज़ रत के हसाब से
नह , ब क आज से 5 या 10 साल बाद क ज़ रत के हसाब से। ऐसे उ पाद को
वक सत करने के लए शोध कया जाता है जो दस साल से पहले बाज़ार म नह उतर

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पाएँगे।

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आधु नक कंप नयाँ भ व य को क़ मत के भरोसे नह छोड़त । या आपको ऐसा

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करना चा हए ?

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हमम से हर सफल कंप नय से यह मह वपूण सबक़ सीख सकता है। हम

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कम से कम 10 साल बाद तक क योजना बना लेनी चा हए। आप दस साल बाद अपनी

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जो इमेज बनाना चाहते ह, आपको सबसे पहले तो अभी वह इमेज सोच लेनी चा हए। यह

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एक बेहद मह वपूण वचार है। कोई कंपनी जो अ तरह भ व य क योजना नह

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बनाती, वह यूंँ ही चलती रहेगी (यह बीच म द वा लया भी हो सकती है)। इसी तरह जो
लंबे ल य तय नह कर पाता, वह भी ज़दगी क भूलभुलैया म यूँ ही भटकता रहेगा।
बना ल य के हमारा वकास नह होता।
म आपको एक उदाहरण बताना चाहता ँ क लंबी री के ल य से सफलता कस
तरह मलती है। अभी पछले ह ते एक युवक (म उसे एफ़, बी. कहना चा ँगा) अपने
क रयर क सम या लेकर मेरे पास आया। एफ, बी. स य और समझदार दख रहा था। वह
कुँवारा था और उसने चार साल पहले ही अपना कॉलेज पूरा कया था।
हमने उसके काम - काज, श ा, उसक यो यता और उसक सामा य पृ भू म
के बारे म चचा क । फर मने उससे कहा, "आप मुझसे नौकरी बदलने के बारे म सलाह
लेने आए ह। आप कस तरह क नौकरी चाहते ह?”
उसने कहा, “यही तो म आपसे पूछने आया ँ। मुझे नह पता क म या करना
चाहता ँ।”
उसक सम या ब त ही आम सम या है। परंतु मने महसूस कया क इस
क मदद करने का यह तरीक़ा नह है क म इसे कई संभा वत नयो ा से मलवा ँ ।
क रयर चुनने म ग़लती करके उससे सीखना कोई अ ा तरीक़ा नह है। चूँ क क रयर क
संभावनाएँ दजन होती ह, इस लए सही नौकरी मलने के अवसर भी दजन म से एक होते
ह। म जानता था क मुझे एफ़. बी. को यह एहसास कराना होगा क कसी जगह अपना
क रयर बनाने से पहले उसे पहले यह जानना पड़े गा क उसक मनचाही जगह कौन सी है।
इस लए मने कहा, "अब आप एक अलग नज़ रए से अपने क रयर लान को दे ख।
या आप मुझे बताएँगे क आज से दस साल बाद आप अपनी कैसी इमेज दे खना चाहते ह
?”
एफ़. बी. ने काफ़ सोच- वचारकर कहा, “म समझता ँ क म वही चाहता ँ जो
हर चाहता है : एक अ सी नौकरी जसम अ तन वाह मलती हो और एक

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अ ा सा घर। सच क ँ, तो मने इसके बारे म यादा नह सोचा। ”

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मने उसे आ त कया क यह बलकुल वाभा वक है। फर मने उसे बताया क

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क रयर चुनने क उसक शैली वैसी ही थी जैसे हम कसी एयरलाइन टकट काउं टर पर

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जाएँ और कह, “मुझे एक टकट दे द जए।” टकट बेचने वाले आपक कोई मदद नह कर

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सकते जब तक क आप उ ह यह न बताएँ क आप कहाँ जाना चाहते ह। इस लए मने

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कहा, "और म तब तक नौकरी ढू ँ ढ़ने म आपक मदद नह कर सकता जब तक क आप

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मुझे यह न बता द क आप कहाँ प ँचना चाहते ह। आप और सफ़ आप ही मुझे यह बता

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सकते ह क आपका ल य या है।”
इससे एफ़. बी. सोचने पर मजबूर हो गया। अगले दो ह त तक हमने अलग-अलग
नौक रय के अ े -बुरे पहलु पर वचार करने के बजाय ल य नधा रत करने के बारे म
वचार कया। एफ़. बी. ने क रयर ला नग का सबसे मह वपूण सबक़ सीख लया : शु
करने से पहले जान ल, आप कहाँ जाना चाहते ह।
सफल कंप नय क तरह, आगे क योजना बनाएँ। एक तरह से आप भी कसी
कंपनी क तरह ह। आपक यो यताएँ, आपक तभा, आपक द ताएँ आपके “उ पाद”
ह। आप अपने उ पाद को वक सत करना चाहते ह, ता क आपको उनक अ धकतम
क़ मत मल सके। भ व य क योजना बनाने से ऐसा करना संभव है।
यहाँ दो क़दम सुझाए जा रहे ह जो आपक मदद करगे :
पहले तो अपने भ व य को तीन खंड म बाँट द : काम - धंधा, घर, और ‘समाज।
अपने जीवन को खंड म बाँट दे ने से आप वधा म नह पड़गे, आप आंत रक संघष क
सम या से बच सकगे और आप अपने भ व य क पूरी त वीर दे ख सकगे।
सरी बात, अपने आपसे इन सवाल के , सु न त जवाब पूछे। म अपने
जीवन म या हा सल करना चाहता ँ ? म या बनना चाहता ँ ? और कस चीज़ से मुझे
संतु मलेगी?
मदद के लए नीचे द ई ला नग गाइड का योग कर।

आज से 10 साल बाद क मेरी इमेज : 10 साल क ला नग


गाइड
A. काम-धंधे का खंड : आज से 10 साल बाद :
1. म कतनी आमदनी हा सल करना चाहता ँ ?

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2. म अपने पास कतनी ज़ मेदारी चाहता ँ?

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म कतनी स ा, कतना अ धकार चाहता ँ ?

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4. अपने काम-धंधे से म कतनी त ा चाहता ँ ?

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B. घर का खंड : आज से 10 साल बाद :

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1. म अपने प रवार को कस तरह का जीवन तर दे ना चाहता ँ ?

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2. म कस तरह के घर म रहना चाहता ँ ?

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3. म कस तरह से छु याँ बताना चाहता ँ?

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4. अपने ब के शु आती वय क साल म म उनक कतनी आ थक मदद
करना चाहता ँ ?
C. सामा जक खंड : आज से 10 साल बाद :
1. मेरे पास कस तरह के दो त होने चा हए ?
2. म कन सामा जक समूह से जुड़ना चाहता ँ?
3. म कन सं ा का लीडर बनना चाहता ँ?
4. म कन सामा जक सम या को र करने क पहल करना चाहता ँ ?
कुछ साल पहले मेरे पु ने ज़ोर दे कर कहा क म उसके साथ मलकर उसके कु े
के प ले के लए एक डॉगहाउस बनवाऊँ। मेरा पु पीनट नाम के इस प ले से ब त ेम
करता था और उसे इस पर नाज़ था। पु का उ साह दे खकर म उसके लगातार आ ह को
ठु करा नह पाया। और इस तरह हम दोन पीनट का घर बनाने म जुट गए। कारपे टरी क
हम दोन क समझ कुल मलाकर ज़ीरो थी और जो घर बना, वह इस बात का सबूत था।
कुछ समय बाद मेरा एक अ ा दो त आया और हमारे उस डॉगहाउस को दे खने के
बाद उसने पूछा, "तुम लोग ने पेड़ पर यह या लटका रखा है? कह , यह डॉगहाउस तो
नह है ?” मने हाँ म जवाब दया। फर उसने हमारी कुछ ग़ल तय क तरफ़ हमारा यान
आक षत कया और अपनी पूरी बात को सारांश म इस तरह कहा, “तुम लोग ने कोई
योजना नह बनाई। आजकल कोई बना लू ट के डॉगहाउस नह बनाता।”
और कृपया, जब भी आप अपने भ व य क क पना कर, तो बड़ी क पना करने से
न घबराएँ। आजकल लोग को उनके सपन के आकार के हसाब से तौला जाता है। कोई
भी जतना हा सल करना चाहता है, उससे यादा हा सल नह कर पाता। इस लए
हमेशा अपने भ व य के सपन को बड़ा रख।
नीचे एक के जीवन क योजना श दशः बताई गई है। इसे पढ़। कस तरह
उसने अपने भावी “घर” का ल य बनाया है, यह दे ख। जब उसने यह लखा होगा, तब

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न त प से वह अपने भ व य के घर को दे ख रहा होगा।

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“मेरे घर का ल य गाँव म होगा। घर ‘सदन मैनर‘ टाइल का होगा, दोमं ज़ला,

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सफेद कॉलम इ या द। चार तरफ़ फ़ सग होगी और शायद वहाँ पर फ़शपॉ भी होगा

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य क मेरी प नी और मुझे मछली पकड़ने का शौक़ है। हम अपने डॉबरमॅन के लए जो

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घर बनाएँगे, वह घर के पछवाड़े बनाएँगे। म हमेशा से चाहता ँ क मेरे घर म एक लंबा-सा

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ाइववे हो जसके दोन तरफ़ पेड़ लगे ह ।

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“परंतु म जानता ँ क मकान और घर म अंतर होता है। ज़ री नह है क हर

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मकान घर भी हो। म अपने मकान को घर बनाने क पूरी को शश क ँ गा, यह यान रखूँगा
क यह खाने और सोने क जगह से यादा कुछ बने। हम अपनी योजना बनाते समय ई र
को भी नह भूले ह। हम चच क ग त व धय म एक न त रा श दान म दगे।
“आज से दस साल बाद म अपने प रवार को नया क सैर पर ले जाना चा ँगा।
इसके पहले क हमारा प रवार शाद - याह के कारण ततर- बतर हो जाए, म ऐसा करना
चाहता ँ। अगर हमारे पास एक साथ पूरी नया क सैर पर जाने का समय नह होगा तो
हम इसे चार - पाँच- अलग-अलग छु य म बाँट लगे और हर साल नया के एक ह से
क या ा करगे। वाभा वक प से मेरे “घर के खंड” क ये सारी योजनाएँ इस बात पर
नभर करती ह क मेरे “काम - धंधे के खंड” म मुझे कैसी सफलता मलती है, इस लए
अगार म यह सब हा सल करना चाहता ँ तो मुझे सफल होना ही पड़े गा।”
यह योजना पाँच साल पहले लखी गई थी। तब उस के पास दो छोटे टोस
थे। आज वह पाँच टोस का मा लक है। और उसने दे हात म 17 एकड़ ज़मीन भी ख़रीद ली
है, जहाँ वह अपना घर बनाने जा रहा है। वह अपने ल य क तरफ़ लगातार बढ़ रहा है।
आपके जीवन के तीन खंड आपस म जुड़े ए ह। हर एक क सफलता कसी न
कसी हद तक सरे पर नभर करती है। परंतु जो खंड बाक़ सभी खंड पर सबसे यादा
भाव डालता है, वह है आपका काम - धंधे वाला खंड । हज़ार साल पहले जस
गुफामानव का घरेलू जीवन सबसे सुखद होता था और जसे सवा धक सामा जक स मान
मलता था, वह शकारी के प म सबसे सफल आ करता था। सामा य तौर पर यही बात
आज भी सही है। हम अपने प रवार को जो जीवन तर दे ते ह और हम जो सामा जक
स मान मलता है वह काफ हद तक काम-धंधे के खंड म हमारी सफलता के कारण
मलता है।
कुछ समय पहले ‘मै क सी फ़ाउं डेशन फ़ॉर मैनेजमट रसच‘ ने ापक सव ण
करवाया, ता क यह जाना जा सके क ए ज़ी यू टव बनने के लए सबसे यादा ज़ री

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गुण कौन सा है। बज़नेस, सरकार, व ान और धम के लीडस से सवाल पूछे गए। हर बार,

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अलग-अलग तरीक़ से इन शोधकता को एक ही जवाब मला : ए ज़ी यू टव क सबसे

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मह वपूण यो यता उसक आगे बढ़ने क बल इ ा होती है।

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जॉन वानामेकर क सलाह याद रख, “कोई जब तक अपने काम म अपने

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आपको झ क नह दे ता, तब तक वह महान काम नह कर पाता ।"

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अगर इसका सही दोहन कया जाए, तो बल इ ा म अनंत श है। इ ा का

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अनुसरण करने क असफलता, वह न करना जो आप करना चाहते ह, औसत दज क

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ज़दगी या असफलता का रा ता है ।
मुझे एक कॉलेज के अख़बार के बेहद तभाशाली युवा लेखक के साथ ई चचा
याद आती है। इस युवक म तभा थी। अगर कसी म प का रता के क रयर म
सफल होने का मा ा था, तो वह यही था। उसके ैजुएशन के कुछ समय पहले मने
उससे पूछा, "डै न, तुम अब या करोगे, प का रता के क रयर म जाओगे ?” डै न ने मेरी
तरफ़ दे खा और कहा, " अरे, नह । मुझे लखना और रपो टग करना ब त पसंद है और
मुझे कॉलेज के अख़बार म काम करने म ब त मज़ा भी आता है। परंतु प कार क कमाई
थोड़ी सी होती है और म भूखे नह मरना चाहता। ”
इसके बाद म पाँच साल तक डै न से नह मला। फर एक शाम को वह मुझे यू
ऑ लय स म मला। डै न कसी इले ॉ न स कंपनी म अ स टट पसनेल डायरे टर के
प म काम कर रहा था। और उसने मुझे ज द ही बता दया क वह अपने काम से संतु
नह है, “मेरी तन वाह तो अ है। मेरी कंपनी भी अ है और जहाँ तक जॉब
स यु रट का सवाल है वह मेरे पास है। परंतु इस काम म मेरा दल नह लगता। अब म
सोचता ँ क काश कॉलेज के बाद मने कसी काशक के यहाँ या कसी अख़बार म काम
कया होता।”
डै न के रवैए से बो रयत और अ च साफ़ झलक रही थी। वह हर चीज़ म बुराई दे ख
रहा था। जब तक वह अपनी नौकरी छोड़कर प का रता म नह जाएगा, उसे उसक
मनचाही सफलता हा सल नह हो पाएगी। सफलता म पूरे मन से यास क ज़ रत होती
है और आप कसी काम म पूरा मन तभी लगा सकते ह जब आप उसे पसंद करते ह ।
अगर डै न ने अपना मनपसंद काम कया होता, तो वह आज अख़बार क नया म
काफ़ ऊपर होता। और लंबे समय म उसे आज से यादा पैसा और मान सक संतोष मल
रहा होता।
अपने नापसंदगी के काम को छोड़कर अपना मनपसंद काम करना वैसा ही है जैसे

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10 साल पुरानी कार म 500 हॉसपॉवर क मोटर लगा द जाए।

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हम सभी म इ ाएँ होती ह। हम सभी सपने दे खते ह क हम सचमुच या करना

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चाहते ह। परंतु हमम से ब त कम लोग ही वा तव म अपनी इ ा का कहना मानते ह।

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इसके बजाय, हम अपनी इ ा का गला घ ट दे ते ह। सफलता क ह या करने के लए

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हम पाँच तरह के ह थयार का इ तेमाल करते ह। इन ह थयार को न कर द, य क ये

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ह थयार ख़तरनाक ह।

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1. ख़ुद को नाक़ा बल समझना। आपने दजन लोग को यह कहते सुना होगा, "म

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डॉ टर (या ए ज़ी यू टव या कम शयल आ ट ट या बज़नेसमैन) बनना चाहता ँ, परंतु म
ऐसा नह कर सकता।” “मुझम इतनी तभा नह है।” अगर मने को शश क तो म सफल
नह हो पाऊँगा।” “मेरे पास श ा और/या अनुभव क कमी है।” कई युवक-युव तयाँ
अयो यता क छु री से अपनी इ ा को मार डालते ह।
2. सुर ा क बीमारी। जो लोग कहते ह, “म जहाँ ँ वह सुर त ँ", वे अपने
सपन क ह या करने म सुर ा के ह थयार का इ तेमाल करते ह।
3. तयो गता। “इस े म पहले से ही ब त सारे लोग ह,” “यहाँ तो लोग एक के
ऊपर एक खड़े ए ह,” जैसे वचार भी इ ा को त काल मार डालते ह।
4. माता- पता के आदे श। मने सैकड़ ब को अपना क रयर चुनते समय यह
कहते सुना है, “मेरा मन तो सरा क रयर चुनने बका था, परंतु मेरे माता- पता ने मुझसे यह
क रयर चुनने के लए कहा, इस लए मने इसे ही चुन लया।” यादातर माता- पता अपने
ब को जान-बूझकर यह आदे श नह दे ते क उ ह या करना चा हए। हर बु मान
माता- पता अपने ब को ज़दगी म सफल दे खना चाहते ह। अगर ब ा शां त से यह
समझाए क वह सरा क रयर य चुनना चाहता है, तो माता- पता उसक बात सुनगे और
कोई तनाव पैदा नह होगा। य क ब े के क रयर के बारे म माता- पता और ब े दोन
का ल य एक ही है : सफलता ।
5. पा रवा रक ज़ मेदारी। “अगर मने पाँच साल पहले नौकरी बदली होती, तो
अ ा रहता परंतु अब मेरे पास प रवार है और इस लए म अब कुछ नह कर सकता।” यह
नज़ रया भी आपक इ ा क ह या करने का ह थयार है।
इन ह या के ह थयार को फक द। याद रख, पूरी श हा सल करने का इकलौता
तरीक़ा, पूरी ताक़त से ल य क तरफ़ बढ़े चलने का एकमा उपाय यही है क आप जो
करना चाहते ह, वही कर। इ ा के सामने समपण कर द और बदले म आपको ऊजा,

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उ साह, मान सक ू त और बेहतर सेहत भी मलेगी।

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और इ ा के सामने समपण करने क कोई उ नह होती।

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यादातर सचमुच सफल लोग स ताह म 40 घंटे से भी यादा समय तक काम

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करते ह। परंतु आपने कभी नह सुना होगा क उ ह ने यादा काम क शकायत क हो।

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सफल लोग का यान ल य पर लगा होता है और इसी से उ ह ऊजा मलती है।

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इससे हम यह श ा मलती है : जब आप एक इ त ल य बना लेते ह और उस

h
ल य क तरफ़ बढ़ने का संक प करते ह तो आपक ऊजा बढ़कर कई गुना हो जाती है।
कई लोग, करोड़ लोग, अपना ल य बनाकर और उस ल य को हा सल करने म जीजान से
जुटकर नई ऊजा हा सल कर सकते ह। ल य से बो रयत र होती है। ल य से कई लंबी
बीमा रयाँ भी र हो जाती ह।
हम ल य क श म थोड़ा गहराई तक जाएँ। जब आप अपनी इ ा के आगे
समपण करते ह, जब आप अपने दमाग़ पर ल य को हावी हो जाने दे ते ह, तो आप म
शारी रक श , ऊजा और उ साह का संचार होता है जसके सहारे आप उस ल य को
हा सल कर सकते ह। परंतु आपको कुछ और भी मलता है जो उतना ही ब मू य है।
आपको “ वचा लत या ऑटोमै टक योजना” मलती है जो आपको सीधे ल य तक ले
जाती है।
गहराई से तय कए गए ल य के साथ सबसे आ यजनक बात यह है क यह
आपको अपने तक प ँचने क राह पर बनाए रखता है। इसम कोई रह य नह है। दरअसल
होता यह है। जब आप अपने ल य के आगे समपण कर दे ते ह, तो ल य आपके अवचेतन
म त क म जाकर बैठ जाता है। आपका अवचेतन म त क हमेशा संतुलन म रहता है। हो
सकता है क आपका चेतन म त क संतुलन म न हो। आपका चेतन म त क तभी
संतुलन म रहता है जब यह वही करता है जो आपका अवचेतन म त क सोच रहा है।
अवचेतन म त क के पूरे सहयोग के बना कोई भी झझकेगा, वधा म होगा,
अ नणय क त म होगा। अब जब क आपका ल य आपके अवचेतन म त क म गहरे
बैठ गया है तो आप अपने आप सही तरीक़े से काम करने लगते ह। चेतन म त क अब
, सीधा चतन कर सकता है।
म आपको दो का प नक य का उदाहरण दे कर इस बात को समझाना चाहता
ँ। शायद इनम आपको अपने आस-पास के कई लोग क झलक दखाई दे । हम इ ह टॉम
और जैक का नाम दगे। यह दोन बाक़ सभी बात म लगभग समान ह, दोन म एक ही
चीज़ का अंतर है। टॉम का एक न त ल य है। जैक का नह है। टॉम जानता है क वह

n
या बनना चाहता है। वह दस साल बाद ख़ुद को कॉरपोरेशन के वाइस े सडट क कुस

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पर बैठा दे ख रहा है।

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चूँ क टॉम ने अपने ल य के आगे समपण कर दया है, इस लए उसके अवचेतन

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म त क से उसका ल य उसे संकेत करता है, “यह करो”, या “यह मत करो, इससे तुम

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अपने ल य तक नह प ँच पाओगे।” ल य लगातार बोलता रहता है, “म ही वह इमेज ँ

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जसे तु ह हक़ क़त बनाना है। तु ह मुझे हक़ क़त बनाने के लए यह करना चा हए।"

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टॉम के पास ल य था, इस लए वह इधर-उधर क बात म नह उलझा। ल य ने

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उसे सारे काम म सही रा ता दखाया। जब टॉम कोई सूट ख़रीदता था, तो उसका ल य
उसे बताता था क उसे कौन सा सूट चुनना चा हए। ल य ही टॉम को बताता था क उसे
अगली नौकरी कस तरह क चुनना चा हए, बज़नेस मी टग म या कहना चा हए, ववाद
क त म या करना चा हए, या पढ़ना चा हए और कस तरह के स ांत पर चलना
चा हए। अगर टॉम अपने ल य से ज़रा सा भी इधर-उधर भटकता था तो उसके अवचेतन
म त क म फट वचा लत यं स य हो जाता था और उसे चेतावनी दे दे ता था क वह
भटक गया है और उसे बताता था क सही राह पर आने के लए उसे या क़दम उठाने
ह गे।
टॉम के ल य ने उसे अपनी नौकरी के वातावरण के त बेहद संवेदनशील बना
दया था।
सरी तरफ़, जैक के पास कोई ल य नह था, इस लए उसके पास मागदशन दे ने
वाले वचा लत यं का अभाव था। वह ज द ही वधा म पड़ जाता था। उसके काम
बना नी तय के होते थे। वह हचकता था, कभी इधर कभी उधर जाता था, यह सोचता था
क उसे इस हालत म या करना चा हए। चूँ क उसके पास ल य को हा सल करने क
लगन नह थी, इस लए जैक औसत : ज़दगी क आसान राह पर लड़खड़ाता आ आ
चल चल रहा था।
या म आपसे ऊपर लखे खंड को बारा पढ़ने का आ ह कर सकता ँ? ऐसा
अभी कर। इस अवधारणा को अपने दमाग़ म बैठ जाने द। बेहद सफल लोग के जीवन का
अ ययन कर। यह दे ख क उन सभी ने अपने ल य के त समपण कर दया था। दे ख क
कस तरह कसी बेहद सफल क ज़दगी उसके ल य के चार तरफ़ घूमती है।
ल य के सामने समपण कर। सचमुच समपण कर। उसे अपने दमाग़ पर हावी हो
जाने द और तब ल य आपको वह वचा लत मागदशन दान करेगा जो आपको ल य तक
प ँचाने म सहायक होगा।

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हम लोग के साथ अ सर होता है क कसी श नवार क सुबह जब हम सोकर उठते ह तो

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हमारे पास कोई योजना नह होती, हम नह जानते क हम उस दन या करना है। इस

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तरह के दन म हम लगभग कुछ हा सल नह कर पाते। हम दन को यूँ ही गुज़ार दे ते ह,

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और जब दन ख़ म हो जाता है तो ख़ुश होते ह। परंतु जब हम कसी दन को योजना के

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साथ शु करते ह, तो हमारे काम फटाफट हो जाते ह।

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यह आम अनुभव एक मह वपूण सबक़ सखाता है : कसी काम म सफलता

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हा सल करने के लए, हम उस काम क योजना बनाना चा हए।

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तीय व यु के पहले वै ा नक को परमाणु क बल श का आभास था।
परंतु वे यह नह जानते थे क परमाणु को कस तरह वखं डत कया जाए ता क इसक
बल श का व ोट हो। जब अमे रका यु म उतरा, तो भ व यदश वै ा नक ने
परमाणु बम क संभा वत श को दे खा। त काल एक योजना बनी जसका सफ़ एक
ल य था : परमाणु बम बनाना। बाक़ सब इ तहास है। कुछ ही साल म लगन और मेहनत
रंग लाई। परमाणु बम गराए गए और यु ख़ म हो गया। परंतु अगर ल य हा सल करने
क योजना नह बनी होती तो परमाणु को वखं डत करने क या शायद इतनी ज द
नह हो पाती। शायद इसम एक दशक या इससे भी यादा का वलंब आ होता।
अगर आपको काम करना है, तो उसके ल य बना ल।
हमारे उ पादन का भ ा ही बैठ जाएगा, अगर हम उ पादन के टारगेट न बनाएँ। सभी
कंप नय के अफ़सर टारगेट डे ट और उ पादन क सं या का ल य बनाते ह। से समैन तभी
यादा सामान बेच पाते ह जब उ ह न त सं या म माल बेचने का ल य दया जाता है।
ोफ़ेसर जानते ह क व ाथ तभी अपने टम पेपर लख पाते ह जब उसके लए डे डलाइन
तय कर द जाती है।
तो अगर आप सफलता क तरफ़ आगे बढ़ना चाहते ह तो ल य तय कर । डे डलाइन
बनाएँ, कस तारीख़ तक आप ल य हा सल करगे यह तय कर। अपने आप यह तय कर
क आप इतने समय म इतना हा सल करगे। आप केवल उतना ही हा सल कर सकते ह,
जतना हा सल करने क आपने योजना बनाई है।
ू ेन यू नव सट कूल ऑफ़ मे ड सन के डॉ टर जॉज ई. बक मानवीय

द घजी वता के वशेष ह। उनके अनुसार कई चीज़ से यह तय होता है क आप कतने
समय तक जएँगे : वज़न, आनुवं शकता, खान-पान, मान सक तनाव, गत आदत।
परंतु डॉ. बक कहते ह, "ज द मरने का सबसे आसान तरीक़ा है रटायर हो जाना और कुछ

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न करना। हर इंसान को ज़दा रहने के लए जीवन म च लेना चा हए।”

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हमम से हर एक के पास वक प है। रटायरमट हमारे लए शु आत भी हो सकता

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है और अंत भी। “कुछ मत करो, बस खाओ, सोओ और दन काटो" का रवैया रटायरमट

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का “ख़ुद को तेज़ी से ज़हर दे दो" वाला रा ता है। जो लोग रटायरमट को स य जीवन

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का अंत मानते ह, उनम से यादातर लोग के जीवन का अंत भी इसके त काल बाद हो

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जाता है। चूँ क अब जीवन का कोई ल य नह बचा है, जीने का कोई कारण नह बचा है,

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इस लए ज़दगी ख़ म हो जाती है।

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सरी तरफ़ रटायर होने का बु म ापूण रवैया है, "म अब नए सरे से शु आत
क ँ गा।" मेरे ब त अ े दो त यू गॉडन ने रटायर होने के इसी तरीक़े को चुना। यू कुछ
साल पहले अटलांटा के सबसे बड़े बक के वाइस- े सडट के प म रटायर ए थे। परंतु
उ ह ने अपने रटायरमट के दन को अपनी नई ज़दगी क शु आत माना था। उ ह ने ख़ुद
को बज़नेस सलाहकार के प म ा पत कया। और उनक ग त आ यजनक है।
अब वे साठ से स र के बीच ह, वे ढे र सारे ाहक को सेवाएँ दे ते ह और व ा के
प म उनक दे श भर म माँग है। उनक एक योजना ‘पी स मा ए सीलॉन‘ नामक सं ा
बनाने क थी जो ोफ़ेशनल से समैन और से स ए ज़ी यू ट ज़ क सं ा हो। हर बार
जब म दे खता ँ यू क उ मुझे पहले से कम दखती है। अभी भी अपनी आ मा म वे 30
साल के जवान ह। म ऐसे ब त कम लोग को जानता ँ जो इतनी उ म जीवन से सुख
क इतनी फ़सल काट रहे ह जतना क यह व र नाग रक, जसने रटायरमट को जीवन
का अंत नह माना।
और यू गॉडन क तरह के लोग बो रग बु े नह होते ह, जो सफ़ अपने :ख क
दा तान ही सुनाते रह।
ल य, बल ल य, कसी को ज़दा रख सकते ह, चाहे उसक शारी रक
त कैसी भी हो। मसेज़ डी. मेरे कॉलेज के एक म क माँ थ । उ ह तभी कसर हो
गया था जब उनका पु केवल दो साल का था। इतना ही नह , बीमारी का पता चलने से
तीन महीने पहले ही उनके प त क मृ यु हो गई थी। उनके डॉ टर ने उ ह कोई दलासा
नह दया। परंतु मसेज़ डी. ने हार नह मानी। उनका संक प था क वे अपने दो साल के
ब े को सफलतापूवक कॉलेज क पढ़ाई पूरी करवाएँगी। अपने प त ारा छोड़ी गई छोट
सी कराने क कान चलाकर उ ह ने पढ़ाई के लए पैसे जुटाना शु कए। उनके ब त से
ऑपरेशन ए। हर बार डॉ टर यही कहते थे, “बस कुछ महीने और।”

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कसर तो कभी ख़ म नह आ। परंतु “कुछ महीने” खचते चले गए और 20 साल

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बन गए। उ ह ने अपने ब े को सफलतापूवक कॉलेज क पढ़ाई ख़ म करते और ड ी लेते

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दे खा। इसके छह ह ते बाद वे चल बस ।

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ल य, बल लालसा, म इतनी श थी क वे मौत से दो दशक तक लड़ती रह ।

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लंबे जीवन के लए ल य का योग कर। नया क कोई भी दवा - और आपका

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डॉ टर भी यह मानेगा - जीवन को बढ़ाने म इतनी स म नह होती, जतनी क कुछ करने

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क इ ा होती है।

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वह जो अ धकतम सफलता हा सल करने के लए कृतसंक प है, यह स ांत सीख
जाता है क ग त एक समय म एक क़दम चलने का नाम है । एक-एक ईट लगाकर ही घर
बनता है। फु़टबॉल के खेल म भी एक-एक मैच करके ही व कप जीता जाता है। कोई
डपाटमट टोर एक-एक नए ाहक से ही बढ़ता है। हर महान सफलता छोट -छोट
सफलता क ृँखला होती है।
ए रक सेवारीड जाने-माने लेखक ह। उ ह ने रीडस डाइजे ट (अ ैल 1957) म
लखा है क उ ह ने जो सबसे ब ढ़या सलाह सीखी है, वह है अगले मील" का स ांत।
यहाँ पर उनके लेख का कुछ ह सा दया जा रहा है :
“ तीय व यु के दौरान, मुझे और कई सरे लोग को त त हवाई जहाज़ से
पैराशूट से छलाँग लगाकर बमा-भारत क सीमा के पहाड़ी जंगल म कूदना पड़ा। इस बात
क कोई उ मीद नह थी क अगले कुछ स ताह तक हमारे बचाव के लए कोई ट म वहाँ
प ँचती। और तब हमने भारत क तरफ़ एक ददनाक, लंबी या ा शु क । हम 140 मील
का फ़ासला तय करना था। बीच म पहाड़ थे, अग त क गम थी और मानसून क बा रश
थी।
“सफ़र के पहले ही घंटे म मेरे जूते म एक क ल एक फु़ट गहरी धँस गई। शाम तक
मेरे दोन पैर म स क के आकार के छाले हो गए। या म 140 मील तक लड़खड़ाते ए
चल सकता था ? या सरे लोग इतनी र चल पाएँगे, जब क उनम से कई क हालत तो
मुझसे भी बदतर थी ? हम लोग को यह व ास था क हम ऐसा नह कर सकते। परंतु हम
अगली चोट तक तो प ँच ही सकते थे, हम रात गुज़ारने के लए अगले गाँव तक तो प ँच
ही सकते थे। और हमारा ल य एक दन म बस इतना ही करना तो था ..।
“जब मने नौकरी छोड़ी और ढाई लाख श द क एक पु तक लखने का फ़ैसला
कया तो मने पूरी योजना के बारे म एक साथ नह सोचा। अगर मने ऐसा कया होता तो म

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वह मह वाकां ी पु तक कभी पूरी नह कर पाया होता। मने केवल अगले पैरे ाफ़ के बारे

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म वचार कया, अगले पेज के बारे म नह , और अगले अ याय के बारे म तो बलकुल भी

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नह । इस तरह, पछले छह महीन से मने कुछ नह कया, केवल एक पैरे ाफ़ के बाद

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सरा पैरे ाफ़ लखता रहा और पु तक ‘अपने आप तैयार‘ हो गई।

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“वष पहले, मने हर रोज़ लखने और ॉडका टग का काम अपने हाथ म लया जो

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आज 2000 पांडु ल पय से यादा हो चुका है। अगर तब कसी ने मुझसे एक साथ ‘2000

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पांडु ल पय को लखने‘ का कॉ ै ट साइन कराया होता, तो म इतने बड़े काम को करने म

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अपनी असमथता कर दे ता। परंतु मुझे सफ़ एक पांडु ल प लखने के लए कहा गया,
इसके बाद फर एक, और मने हमेशा यही कया है।”
“अगले मील” का स ांत ए रक सेवारीड के लए काम कर गया और यह आपके
लए भी काम करेगा।
क़दम - दर - क़दम का तरीक़ा कसी भी ल य को हा सल करने का इकलौता
बु म ापूण तरीक़ा है। धू पान छोड़ने का सव े फ़ॉमूला जसने मेरे कई दो त क
सगरेट छु ड़वा द है, वह अगले घंटे का फ़ॉमूला है। अं तम ल य तक पहली ही बार म
प ँचने के बजाय यानी कभी धू पान न करने का संक प ले लेना उतना कारगर नह होता,
जतना क अगले घंटे सगरेट न पीने का संक प। जब घंटा ख़ म होता है, तो धू पान करने
वाला अपने संक प को एक और घंटे के लए बढ़ा दे ता है। फर, जब इ ा कम होती जाती
है, तो इस समय को दो घंटे रखा जा सकता है। और इसके बाद एक दन। अंततः ल य
हा सल हो जाता है। वह जो एकदम इस आदत को छोड़ना चाहता है वह इस लए
असफल होता है य क इसम असहनीय मनोवै ा नक वेदना होती है। सगरेट के बना
एक घंटे रहना आसान है; सगरेट के बना ज़दगी भर रहना क ठन है।
कसी भी ल य को हा सल करने म कदम - दर - क़दम चलने के तरीक़े क ज़ रत
होती है। जू नयर ए ज़ी यू टव के लए हर काम चाहे वह कतना भी छोटा नज़र आता हो,
आगे बढ़ने का एक मौक़ा दे ता है। एक समय म एक ाहक को सामान बेचकर ही से समैन
मैनेजमट क ज़ मेदारी उठाने क़ा बल समझा जाता है।
धम पदे शक के लए हर वचन, ोफ़ेसर के लए हर ले चर, वै ा नक के लए हर
योग, बज़नेसमैन के लए हर मी टग महान ल य क तरफ़ एक क़दम आगे बढ़ाने का
अवसर है ।
कई बार ऐसा लगता है जैसे कोई अचानक सफल हो गया है। परंतु अगर आप ऐसे
लोग के इ तहास को दे ख जो अचानक चोट पर प ँचते दखे ह , तो आप पाएँगे क उ ह ने
पहले काफ़ ज़मीनी तैयारी क थी। और जो तथाक थत “सफल लोग” अपनी स को

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ज द ही गँवा दे ते ह वे दरअसल ऐसे नक़ली लोग होते ह जनक न व कमज़ोर होती है।

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जस तरह कोई सुंदर इमारत प र के टु कड़ से बनती है, उसी तरह सफल ज़दगी

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हमारे छोटे -छोटे काम से ही बनती है।

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यह कर : चाहे आपको अपना अगला काम कतना ही मह वहीन लगे, परंतु चूँ क

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यह सही दशा म एक क़दम है, इस लए इस काम को पूरा करके अपने अं तम ल य क

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तरफ़ बढ़े चल। इस को याद कर ल और अपने हर काम के मू यांकन म इसक मदद

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ल, “ या यह मुझे वहाँ ले जाएगा जहाँ म प ँचना चाहता ँ?” अगर जवाब ‘ना‘ म है, तो

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पीछे हट जाएँ; अगर जवाब ‘हाँ‘ म है, तो बेधड़क आगे बढ़ जाएँ।
यह है। हम सफलता क कोई बड़ी छलाँग नह लगाते। हम वहाँ एक समय म
एक-एक क़दम बढ़ाकर प ँचते ह। सफल उपल के लए मा सक कोटा नधा रत करना
एक उ म नी त है।
अपना मू यांकन वयं कर। यह तय कर क अपने आपको यादा भावी बनाने के
लए आपको या करना चा हए। नीचे दए गए फ़ॉम का योग मागदशक के प म कर।
हर मह वपूण शीषक के अंतगत वह काम लख ल जो आप अगले 30 दन म करना चाहते
ह । फर जब 30 दन का समय ख़ म हो जाए, तो अपनी ग त क जाँच कर और एक
नया 30 दवसीय ल य बना डाल। हमेशा ‘ छोटे - छोटे काम‘ करते रह ता क अ◌ाप बड़े
काम करने के लए तैयार रह।

30 दवसीय सुधार मागद शका


अभी और ____________ के बीच म यह क ँ गा
A. इन आदत को छोडू ँगा : (सुझाव)
1. काम टालना।
2. नकारा मक भाषा।
3. एक दन म एक घंटे से यादा ट वी दे खना।
4. गपशप।
B. इन आदत को डालूँगा : (सुझाव)
1. अपने लए का हर सुबह कड़ा मू यांकन कर।
2. रात को सोते समय अगले दन क योजना बनाएँ।
3. हर संभव मौक़े पर लोग क तारीफ़ कर।

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C. इन तरीक़ से अपने बॉस क नज़र म अपना मू य बढ़ाएँ: (सुझाव)

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1. अपने अधीन को वक सत करने म सहयोग द।

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2. अपनी कंपनी के बारे म, इसके काम के बारे म और इसके ाहक के बारे म

i n
यादा जान।

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3. अपनी कंपनी को अ धक भावी बनाने के लए तीन सुझाव द।

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D. अपने घर पर म अपना मू य इस तरह बढ़ाऊँगा : (सुझाव)

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1. अपनी प नी के छोटे -छोटे काम क तारीफ़ क ँ गा, ज ह म अब तक

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अनदे खा कया करता था।
2. स ताह म एक बार, अपने पूरे प रवार के लए कुछ ख़ास क ँ गा ।
3. अपने प रवार को हर दन एक घंटे का अ वभा जत समय ँ गा ।
E. इन तरीक़ से अपने दमाग़ को पैना क ँ गा : (सुझाव)
1. अपने े क ावसा यक प का को पढ़ने म हर ह ते दो घंटे का
समय ँ गा।
2. आ म-सुधार क एक पु तक प ँ गा।
3. चार नए दो त बनाऊँगा।
4. चुपचाप एकांत म बैठकर 30 मनट रोज़ चतन क ँ गा।

अगली बार जब आप कसी स य , सं कारवान , अ े व ा, आकषक तरीक़े


से तैयार , भावी को दे ख तो ख़ुद को याद दलाएँ क वह इस तरह से पैदा
नह आ था। उसने इस तरह बनने के लए हर दन को शश क होगी, लगातार को शश
क होगी। नई अ आदत डालना और पुरानी बुरी आदत को छोड़ना हर दन क इसी
को शश का ह सा है।
अभी हाल अपनी 30 दवसीय सुधार मागद शका तैयार कर।
अ सर, जब म ल य नधा रत करने क बात करता ँ तो कोई न कोई इस तरह क
बात कहता है, “म जानता ँ क ल य क तरफ़ काम करना मह वपूण है, परंतु अ सर
ऐसी घटनाएँ हो जाती ह जनसे मेरी योजना गड़बड़ा जाती है।”
यह सच है क कई बार ऐसी घटनाएँ हो जाती ह जो आपके ल य क राह म बाधा
खड़ी कर दे ती ह। जैसे आपके प रवार म कोई गंभीर बीमारी या मृ यु हो जाए, आप जस
नौकरी क को शश कर रहे ह वह पद ही समा त हो जाए, या आपके साथ कोई घटना हो
जाए।

. in
तो हम इस वचार को अपने दमाग़ म गहरे बैठा ल : वैक पक रा ते तैयार रख।

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अगर आप कसी सड़क पर जा रहे ह , और आपको बीच म ‘रा ता बंद है‘ का बोड दखाई

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दे ता है, तो आप वह पर डे रा नह डाल दे ते, न ही आप घर वापस लौट जाते ह। वह रा ता

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बंद है, इसका मतलब सफ़ इतना सा है क आप उस रा ते से अपने ल य तक नह प ँच

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सकते। आपको अपने ल य तक प ँचने के लए कसी सरे रा ते से जाना होगा।

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यह दे ख क सेना के अ धकारी कस तरह योजना बनाते ह। जब वे अपने ल य को

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हा सल करने के लए मा टर लान बनाते ह, तो वे वैक पक योजनाएँ भी बनाते ह। अगर
कोई अ या शत घटना हो जाती है जससे लान ए सफल नह हो सकता, तो वे लान बी
पर काम करने लगते ह। आप हवाई जहाज़ म तब भी आराम से बैठे रहते ह जब क वह
हवाई अ ा पास हो जहाँ आपको उतरना है ले कन वहाँ हवाई जहाज़ उतारना फ़लहाल
संभव नह है। आप घबराते नह ह य क आप जानते ह क हवाई जहाज़ चलाने वाले के
पास उतरने क वैक पक जगह है और पया त रज़व धन है।
वह लभ ही होगा जसने ब त बड़ी सफलता पाई हो और अपने जीवन म
उसने कभी वैक पक रा त का इ तेमाल न कया हो ऐसे ब त से लोग ह ज ह ने
वैक पक रा त का इ तेमाल करके सफलता पाई है।
जब आप वैक पक रा ते पर चलते ह, तो आप अपने ल य नह बदलते। आप
सफ़ अपने रा ते बदलते ह।

आपने कई लोग को यह कहते सुना होगा, “काश मने वह टॉक उस समय ख़रीदा होता।
आज मेरे पास ढे र सारा पैसा होता।”
आम तौर पर, लोग टॉक या बॉ या रयल ए टे ट या कसी सरे क़ म क
जायदाद म नवेश करने के बारे म सोचते ह। परंतु सबसे बड़ा और सबसे लाभदायक
नवेश ख़ुद म नवेश करना होता है, ऐसी चीज़ ख़रीदना जनसे आपक मान सक यो यता
और श बढ़े ।
ग तशील कंप नयाँ जानती ह क आज से पाँच साल बाद वे कतनी मज़बूत ह गी
यह उन आने वाले पाँच साल म तय नह होगा, ब क अभी तय होगा और इस बात से तय
होगा क वे इस साल उस योजना म कतना नवेश कर रही ह। लाभ केवल एक ही ोत से
आते ह : नवेश।
यह हम सबके लए एक सबक़ है। लाभ के लए, आगे आने वाले साल म
“औसत” आमदनी से यादा हा सल करने के लए हम ख़ुद म नवेश करना चा हए। हम

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अपने ल य को हा सल करने के लए नवेश करना चा हए।

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यहाँ दो ढ़ आ म- नवेश तकनीक द जा रही ह जो आपके भ व य को सुधारने म

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आपके ब त काम आएँगी

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1. श ा म नवेश कर। ख़ुद म नवेश करते समय स ी श ा म नवेश करना

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सबसे अ ा नवेश होता है। परंतु इससे पहले हम यह सु न त कर ल क वा तव म

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श ा से हमारा आशय या है । कई लोग क नज़र म श ा का मतलब कूल या कॉलेज

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म बताए गए साल, हा सल क गई ड याँ, माणप या ड लोमा होते ह। परंतु श ा के
संबंध म मा ा या सं या क इस शैली से ज़ री नह है क आप सफल बन जाएँ।
जनरल इले क के चेयरमैन रॉ फ जे. कॉ डनर ने श ा के बारे म चोट के बज़नेस
मैनेजमट के कोण को इन श द म कया : “हमारे दो सबसे बेहतरीन े सडट
म टर व सन और म टर कॉ फन कभी कॉलेज म नह पढ़े । हालाँ क हमारे कई वतमान
अफ़सर पीएच. डी. ह, परंतु 41 म से 12 के पास कोई कॉलेज ड ी नह है हम यो यता म
व ास करते ह, ड लोमा म नह ।" ड लोमा या ड ी से आपको नौकरी ढू ँ ढ़ने म मदद तो
मल सकती है परंतु उस नौकरी म आपक ग त क कोई गारंट नह मल सकती।
“ बज़नेस म मह व यो यता का होता है, ड लोमा का नह ।”
कई और लोग के लए श ा का मतलब ढे र सारी जानकारी होता है जसे दमाग़
म भरा जाता है। परंतु यह त य को सोखने वाली श ा क शैली आपको वहाँ नह ले
जाएगी जहाँ आप प ँचना चाहते ह। हम गोदाम म भरी जानकारी के लए पु तक , फ़ाइल
और मशीन पर नभर होते जा रहे ह। अगर हम उतना ही कर सकते ह, जतना क कोई
मशीन, तो हमारा अ त व सचमुच ख़तरे म है।
आपको जस स ी श ा म नवेश करना चा हए, वह है आपके दमाग़ को
वक सत करने वाली श ा। कोई कतना सु श त है, यह इस बात से पता चलता
है क उसका दमाग़ कतनी अ तरह वक सत है- सं ेप म, वह कतनी अ तरह
सोचता है।
जो भी चीज़ सोचने क यो यता को सुधारती है, श ा है। और आप कई तरीक़ से
श ा ा त कर सकते ह। परंतु यादातर लोग के लए श ा के सवा धक भावी ोत
क़रीबी कॉलेज और यू नव सट होते ह। श ा उनका बज़नेस है।
अगर आप कॉलेज म न घुसे ह , तो आपको वहाँ जाने पर हैरानी होगी। आपको यह
जानकर ख़ुशी होगी क अब वहाँ ब त सारे कोस मौजूद ह। आपको यह जानकर भी ख़ुशी
होगी क आप नौकरी के बाद भी कॉलेज जा सकते ह। और वहाँ पर जो व ाथ आते ह वे

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मंदबु नह होते, ब क कई तो सचमुच तभाशाली होते ह, जनम से कई ब त

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ज़ मेदारी के पद पर काम करते ह। मने हाल ही म 25 लोग क एक ईव नग लास ली

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थी, जसम एक व ाथ 12 टोस क रटे ल चेन का मा लक था, नेशनल फ़ूड चेन के दो

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ख़रीदार थे, चार ेजुएट इंजी नयर थे, एक एयर फ़ोस कनल था, और कई अ े टे टस के

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लोग थे।

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आजकल कई लोग शाम के कॉलेज म पढ़कर अपनी ड याँ हा सल करते ह,

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परंतु ड ी, जो आ ख़र केवल एक काग़ज़ का टु कड़ा है, उनक मु य ेरणा नह है। वे

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कॉलेज इस लए जाते ह, ता क वे अपने दमाग़ का वकास कर सक, य क उनका
भ व य इसी से सुधरेगा। वही स ा नवेश है जो आपके भ व य को सुधारने म कया
जाता है ।
और इस बारे म कोई ग़लतफ़हमी न पाल। श ा एक असली सौदा है। 75 से 150
डॉलर के नवेश से आप एक साल तक हर स ताह एक रात कॉलेज जा सकते ह। अपनी
सालाना आमदनी के हसाब से इसका तशत नकाल और ख़ुद से पूछे, " या मेरा
भ व य इस क़ा बल भी नह है क म इसके लए यह छोटा सा नवेश कर सकूँ ?”
य न इस नवेश को करने का फ़ैसला अभी हाल कर ल। कॉलेज म फ़ोन कर :
ज़दगी भर हर स ताह एक रात। यह आपको ग तशील, युवा, चौकस बनाए रखेगा। यह
आपको आपक चय के े से जोड़े रखेगा। और यह आपको ऐसे लोग से भी जोड़े
रखेगा जो आप ही क तरह सफलता के रा ते पर चल रहे ह।
2. वचारदाता म नवेश कर। श ा आपके म त क को ढालने म मदद करती
है। नई प र तय का सामना करने का श ण दे ती है और सम याएँ सुलझाने म
आपक मदद करती है। वचारदाता यानी जो वचार दे ता है, वह भी इससे मलता-जुलता
काम करता है। वचारदाता आपके म त क का पोषण करते ह, आपको सोचने के लए
रचना मक साम ी दे ते ह।
सव े वचारदाता कौन ह? वैसे तो कई ह, परंतु अ गुणव ा क साम ी क
सतत आपू त के लए आप ऐसा कर : हर महीने एक ेरणादायक पु तक ख़रीदने का
संक प कर और दो वचारा धान प का के ाहक बन जाएँ। इस तरह ब त ही कम
पैसे और समय म, आप सव े चतक और वचारक के संपक म आ जाएँगे।
एक दन लंच पर मने एक को यह कहते सुना, “परंतु इसक क़ मत 20
डॉलर त वष है। म वॉल ट जरनल पढ़ने क इतनी क़ मत नह दे सकता।" उसके

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साथी ने, जो सफलता के ल य का पीछा कर रहा था, जवाब दया, “मने पाया है क म

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वॉल ट जरनल न पढ़ने क क़ मत नह चुका सकता।”

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तो, आप सफल लोग से सीख। अपने आपम नवेश कर।

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आइए काम म जुट

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अब एक बार सारांश म यह दे ख क हम इन सफलता के स ांत को कस तरह काम म
ला सकते ह :
1. पहले इस बात क साफ़ त वीर बना ल क आप कहाँ प ँचना चाहते ह। आज से
दस साल बाद आप कैसे होना चाहगे, इस बात क क पना कर ल।
2. अपने 10 साल के लान को लख ल। आपका जीवन इतना मह वपूण है क इसे
क़ मत के भरोसे नह छोड़ा जा सकता। आप अपने काम - धंधे, अपने घर और
अपने सामा जक खंड म जो हा सल करना चाहते ह , उसे काग़ज़ पर लख ल।
3. अपनी इ ा के आगे समपण कर द। यादा ऊजा हा सल करने के लए ल य
नधा रत कर। काम करने के लए ल य तय कर। ल य तय कर और जीने का असली
आनंद ल।
4. अपने मुख ल य को ऑटोमे टक पायलट बनने द। जब आपका ल य आप पर
हावी हो जाएगा, तो आप पाएँगे क आप अपने ल य तक प ँचने के लए सही
फ़ैसले कर रहे ह। 5. अपने ल य हा सल करने के लए एक बार म एक क़दम बढ़ाएँ।
आप जो भी काम कर, चाहे वह कतना ही छोटा य न दखे, उसे अपने ल य क
तरफ़ एक क़दम मान।
6. 30 दन के ल य बनाते रह। दन- त दन के यास का प रणाम अ ा होता है।
7. वैक पक रा ते तय कर। वैक पक रा ते का मतलब सफ़ सरा रा ता चुनना होता
है। इसका यह मतलब नह होता क आपने अपने ल य को बदला है, आपने तो सफ़
अपना रा ता बदला है।
8. अपने आपम नवेश कर। ऐसी चीज़ ख़रीद जनसे आपक मान सक यो यता और
श बढ़े । श ा म नवेश कर। वचारशील साम ी म नवेश कर।

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सोच तो लीडर क तरह


क बार फर ख़ुद को याद दलाएँ क जब आप सफलता क सीढ़ चढ़ते ह, तो आपके

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ऊपर वाले आपको नह ख चते ह, ब क आपके नीचे वाले आपको उठाते ह यानी

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क वे लोग जो आपके साथी ह या आपके नीचे काम कर रहे ह।

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कसी भी बड़ी सफलता को हा सल करने के लए आपको सर के सहयोग क

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ज़ रत होती है। और उस सहयोग को हा सल करने के लए यह ज़ री है क आपम

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लीडर बनने क मता हो। सफलता और लीडर बनने क यो यता - यानी क, लोग से वह

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काम करवाना जो वे बना आपक लीडर शप के न कर पाएँ - साथ - साथ चलती ह।

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पहले के अ याय म सफलता दलाने वाले जो स ांत समझाए गए ह, वे आपक
लीडर शप मता वक सत करने म ब मू य सा बत ह गे। यहाँ पर हम चार ख़ास
लीडर शप स ांत या नयम को बताना चाहगे जो आपको लीडर बनवा सकते ह,
बज़नेस म, सामा जक लब म, घर म, हर जगह।
यह चार लीडर शप स ांत या नयम ह :
1. ज ह आप भा वत करना चाहते ह, उन लोग के नज़ रए से चीज़ को दे ख।
2. सोच : इस सम या से नबटने का मानवीय तरीक़ा या है ?
3. ग त के बारे म सोच, ग त के बारे म व ास कर और ग त के लए को शश
कर।
4. अपने आपसे बात करने के लए समय नकाल।
अगर आप इन नयम का पालन करते ह तो आप न त प से सफल ह गे।
रोज़मरा के जीवन म इन नयम का पालन करने से आपको वह रह यमयी श मल
जाती है जसे लीडर शप कहा जाता है।
आइए दे खते ह क ऐसा कस तरह होता है।
लीडर शप नयम नंबर 1 : ज ह आप भा वत करना चाहते ह, उन लोग के
नज़ रए से चीज़ को दे ख।
ज ह आप भा वत करना चाहते ह, उन लोग के कोण या नज़ रए से चीज़
को दे खना वह जा ई तरीक़ा है जससे आप उनसे अपना मनचाहा काम करवा सकते ह।
अगर आप अपने दो त , सहयो गय , ाहक , कमचा रय के नज़ रए से दे ख सक, तो आप
उनसे जो चाह, करवा सकते ह। यह कैसे होता है, इन दो उदाहरण म दे ख।
टे ड बी. एक बड़ी व ापन एजसी म टे ली वज़न कॉपीराइटर और डायरे टर था।
जब एजसी को ब के जूते का व ापन लखवाना था, तो टे ड को यह ज़ मेदारी स पी

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गई क वह जूत का ट वी व ापन तैयार करे।

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व ापन अ भयान के एक महीने बाद यह समझ म आ गया क व ापन से कोई

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ख़ास फ़ायदा नह आ था। जूत क ब म कोई ख़ास बढ़ोतरी नह ई थी। ज़ा हर था

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क इसका दोष ट वी व ापन पर मढ़ा जाता, य क यादातर शहर म सफ़ ट वी पर ही

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व ापन दए गए थे।

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टे ली वज़न दशक के सव से पता चला क लगभग 4 तशत दशक क राय म यह

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बेहतरीन व ापन था। इन 4 तशत दशक का मानना था क “यह उनके दे खे गए सबसे
अ े व ापन म से एक था।"
बाक़ 96 तशत या तो इस व ापन के बारे म उदासीन थे, या फर उ ह यह
व ापन पसंद नह आया था। सैकड़ बात कही ग , “यह भी कोई व ापन है ? ऐसा लग
रहा था जैसे सुबह के 3 बजे यू ऑ लय स बड बज रहा हो।” “मेरे ब को आम तौर पर
ट वी के व ापन पसंद आते ह। परंतु जब यह जूते वाला व ापन आता है तो वे बाथ म
चले जाते ह या ज खोल लेते ह।” “मुझे लगता है यह थोड़ा हाई लास व ापन है।”
“ऐसा लगता है क कोई यादा समझदार बनने क को शश कर रहा था।”
जब इन सभी सा ा कार का व ेषण कया गया तो एक दलच बात पता
चली। ज ह व ापन बेहद पसंद आया था, वे 4 तशत लोग आय, श ा, चय और
मता म टे ड जैसे ही थे। बाक़ 96 तशत उससे भ “सामा जक - आ थक " वग के
थे।
टे ड के व ापन, जनक लागत लगभग 20000 डॉलर थी, इस लए असफल हो
गए य क टे ड ने सफ़ अपनी चय के बारे म सोचा था। उसने उसी तरीक़े से व ापन
तैयार कए, जस तरीक़े के व ापन वह ख़ुद दे खना चाहता था। उसने उस तरीक़े के
व ापन तैयार नह कए, जस तरीक़े के व ापन ब सं यक जनता दे खना चाहती है।
उसने ऐसे व ापन तैयार कए जो उसे गत प से अ े लगते थे, ऐसे नह जो
यादातर लोग को अ े लगते ह ।
अगर टे ड ने सर के नज़ रए को समझने क को शश क होती, अगर उसने आम
जनता क मान सकता को जानने क को शश क होती तो प रणाम कुछ और ही होता।
उसे ख़ुद से दो सवाल पूछना चा हए थे, “अगर म कसी ब े का पता होता, तो कस तरह
के व ापन को दे खकर म अपने ब े के लए यह जूते ख़रीदता ?” “अगर म ब ा होता,
तो कस तरह के व ापन को दे खकर म अपने माता- पता से कहता क मुझे यही जूते
चा हए ?”

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जोन रटे लग म असफल य ई? जोन 24 साल क आकषक, उ - श त और

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बु मान युवती है। कॉलेज से नकलते ही जोन ने एक डपाटमट टोर म अ स टट बायर

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क नौकरी कर ली। रेडीमेड कपड़ के इस डपाटमट टोर म कम क़ मत से लेकर म यम

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क़ मत का सामान मलता था। जोन क सफ़ा रशी च य म उसक ब त तारीफ़ क गई

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थ । “जोन म मह वाकां ा है, तभा है, उ साह है,” एक प म लखा था। “वह न त

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प से काफ़ सफल होगी।”

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परंतु जोन “काफ़ ” सफल नह ई। जोन केवल 8 महीने ही वहाँ काम कर पाई

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और फर उसने रटे लग छोड़कर सरी नौकरी कर ली।
म उसके बॉस को अ तरह जानता था और मने उनसे पूछा क इसका कारण
या था।
“जोन ब त ही ब ढ़या लड़क है और उसम ब त से अ े गुण ह," उसने कहा।
“परंतु उसम एक ब त बड़ी कमी भी है।"
“वह या ?” मने पूछा।
“जोन ऐसा सामान ख़रीदती थी जो उसे पसंद था, परंतु हमारे यादातर ाहक को
पसंद नह था। वह अपने पसंद क टाइल, कलर, मटे रयल और क़ मत वाला सामान
चुनती थी। वह हमारे ाहक के नज़ रए से नह सोचती थी। एक बार जब मने उससे कहा
क शायद यह सामान हमारे लए ठ क नह होगा, तो वह कहने लगी, "नह , जनता को यह
ब त पसंद आएगा। मुझे तो यह ब त पसंद है। मुझे लगता है क यह ख़ूब बकेगा। ”
“जोन एक समृ प रवार म पली-बढ़ थी। उसे बचपन से वा लट क क़ करना
सखाया गया था। क़ मत का उसके लए कोई ख़ास मह व नह था। जोन ग़रीब या
म यवग य लोग के हसाब से नह सोच पाती थी, जनके लए कपड़े ख़रीदते समय क़ मत
भी मह वपूण होती है। इस लए जो माल जोन ने ख़रीदा, उसे जनता ने पसंद नह कया।"
असली बात यह है : सरे लोग से अपना मनचाहा काम करवाने के लए आपको
उनके नज़ रए से दे खना पड़े गा। जब आप उनके नज़ रए से दे खते ह, तो आप यह समझ
जाएँगे क कस तरह उ ह भा वत कया जा सकता है। मेरे ब त ही सफल से समैन म
ने मुझे बताया क वह तु त दे ने से पहले काफ़ समय तक यह सोचता है क ाहक
उसक तु त को कस तरह से लगे, उनक त या या होगी। अपने ोता का
नज़ रया समझने वाला व ा यादा रोचक, यादा भावशाली स होगा। अपने
कमचा रय का नज़ रया समझने वाला बॉस अपने सुपरवाइज़र से यादा अ तरह
काम करवा लेगा।

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एक े डट ए ज़ी यू टव ने मुझे बताया क इस तकनीक से उसे कस तरह फ़ायदा

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आ।

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“जब म इस टोर म अ स टट े डट मैनेजर के बतौर आया तो मुझे वसूली का

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काम स पा गया। यह कपड़ का टोर था। यहाँ पर वसूली के लए जस तरह के प लखे

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जाते थे, उ ह दे खकर मुझे हैरानी और नराशा ई। इनक भाषा कठोर, अपमानजनक और

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धमकाने वाली थी। मने उ ह पढ़ा और सोचा, ‘बंधु, अगर कोई मुझे इस तरह क च

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लखे, तो म तो ग़ से से आग-बबूला हो जाऊँगा। म कभी अपना हसाब साफ़ नह

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क ँ गा।‘ इस लए म काम म जुट गया और मने अलग तरह के प लखना शु कर दया,
उस तरह के प जो अगर मुझे लखे जाएँ, तो म अपना हसाब साफ़ करने के लए े रत
हो सकूँ। इससे ब त फ़क़ पड़ा। अपने बल न चुकाने वाले ाहक के नज़ रए से दे खने से
हमारा वसूली अ भयान बेहद सफल आ और कुछ ही समय म हमने वसूली का क तमान
बना दया।”
ब त से राजनी तक उ मीदवार चुनाव हार जाते ह य क वे अपने मतदाता के
नज़ रए से ख़ुद को दे खने म असफल होते ह। रा ीय पद के लए एक राजनी तक
उ मीदवार, जो कसी भी तरह अपने त ं से सरी कसी बात म पीछे नह था, केवल
एक कारण से बुरी तरह हार गया। उसने ऐसी श दावली का इ तेमाल कया था, जो उसके
थोड़े से मतदाता क समझ म ही आ पाई।
सरी ओर, उसके वरोधी ने मतदाता क चय का पूरा यान रखा। जब वह
कसान से बात करता था, तो उनक भाषा बोलता था। जब वह फ़ै टरी के मज़ र से बात
करता था, तो वह उनक भाषा म बात करता था। और जब ट वी पर बोलने क बारी आई,
तो उसने जस मतदाता को संबो धत करते ए अपना भाषण दया, वह आम मतदाता था,
न क कसी कॉलेज का ोफ़ेसर।
ख़ुद से यह पूछ, “अगर म सामने वाले क जगह पर होता तो म इसके बारे म या
सोचता ?” इस क मदद से आप यादा सफल नी त बना सकते ह।
कसी को भा वत करने के लए उसके नज़ रए से सोचने का वचार हर तम
सफल होता है। कुछ साल पहले, एक छोटे इले ॉ न स नमाता ने कभी न उड़ने वाला
यूज़ बनाया। उस नमाता ने इसक क़ मत रखी 1.25 डॉलर और इसके बाद उसने एक
व ापन एजसी से इसका चार करने को कहा।
व ापन दे ने वाली एजसी का ए ज़ी यू टव त काल ब त उ सा हत हो गया।
उसक योजना ट वी, रे डयो और अख़बार म भारी चार करने क थी। “यह शानदार है,”

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उसने कहा। “हम पहले ही साल म एक करोड़ यूज़ बेच सकते ह।” उसके सलाहकार ने

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उसे सावधान करने क ब त को शश क , उसे समझाया क यूज़ लोक य सामान क

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ेणी म नह आते ह, उनक कोई रोमां टक अपील नह होती है, और लोग जब यूज़

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ख़रीदते ह तो स ते से स ता यूज़ ख़रीदना चाहते ह। सलाहकार ने यह सलाह द , “ य

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न इसके बजाय कुछ चु नदा प का म व ापन दया जाए और इस यूज़ को ऊँची

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आमदनी वाले लोग को बेचा जाए ?”

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परंतु उसने सलाहकार क सलाह को अनसुना कर दया। दे श भर म तूफ़ानी चार

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अ भयान चलाया गया और छह ह त म ही इसे बंद करना पड़ा य क इसके
“ नराशाजनक प रणाम” मले थे।
सम या यह थी : व ापन एजसी के ए ज़ी यू टव ने महँगे यूज़ को अपनी नज़र
से दे खा, 75,000 डॉलर हर साल कमाने वाले क नज़र से। वह आम आदमी क नज़र से
इस यूज़ को नह दे ख पाया, जसक वा षक आमदनी 9,000 से 15 ००० डॉलर होती
है। अगर उसने ख़ुद को उनक जगह पर रखा होता, तो उसने इस सामान को आम जनता
के बजाय उ आय वग के लोग म बेचने का ल य बनाया होता और तूफ़ानी अ भयान म
इतना पैसा बबाद नह कया होता।
जन लोग को आप भा वत करना चाहते ह , उनके नज़ रए से दे खने क कला
वक सत कर। नीचे दए गए अ यास से आपको ऐसा करने म मदद मलेगी।

सर के नज़ रए से दे खने का अ यास कर
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सर के नज़ रए से दे खने के स ांत को कैसे अमल म लाएँ :

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1. सामने वाले क त का वचार कर। अपने आपको उसक जगह रखकर दे ख।

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याद रख, आपक और उसक चय , आमदनी, बु और पृ भू म म ज़मीन-

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आसमान का अंतर हो सकता है।

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2. अब ख़ुद से पूछ, "अगर म उसक जगह होता, तो मेरी इस पर या त या होती
?” (चाहे आप उससे कुछ भी करवाना चाहते ह ।)
3. अगर आप सामने वाले क जगह होते, तो आपसे वह काम कस तरह करवाया जा
सकता था। बस, उसी तरीक़े का इ तेमाल कर।
लीडर शप नयम नंबर 2 : सोच : इस सम या से नबटने का मानवीय तरीक़ा या
है?
लीडर शप का हर एक का तरीक़ा अलग-अलग होता है। एक तरीक़ा तानाशाह
बनने का होता है। तानाशाह सारे फ़ैसले ख़ुद करता है, वह कसी सरे से सलाह लेना
पसंद नह करता। वह अपने अधीन क बात सुनना इस लए पसंद नह करता, य क
शायद उसे यह डर रहता है क उसका अधीन सही हो और उसे बेइ ज़ती का सामना न
करना पड़े ।
तानाशाह लंबे समय तक नह रह पाते। कुछ समय तक तो कमचारी वफ़ादारी का
नाटक करते ह, परंतु ज द ही असंतोष फैलने लगता है। सव े कमचारी काम छोड़कर
सरी कंप नय म चले जाते ह और जो कमचारी बचे रहते ह वे तानाशाह के ख़लाफ़ मोचा
सँभाल लेते ह। प रणाम यह होता है क कंपनी का काम-काज भा वत होता है और इससे
कंपनी के मा लक क नज़र म तानाशाह क इमेज ख़राब होती है।
लीडर शप का सरा तरीक़ा ठं डा, मशीनी, म - तो - नयम - क - पु तक - के -
हसाब - से - चलता - ँ वाला तरीक़ा है। इस शैली से काम करने वाला हर काम
‘ नयम क पु तक‘ के हसाब से करता है। वह यह नह समझ पाता क हर नयम या नी त
या योजना केवल एक मागदशक स ांत है जो सामा य करण के लए बना है। यह
भावी लीडर इंसान के साथ उसी तरह से वहार करता है जैसे वे इंसान नह , मशीन ह ।
और कसी भी को जो बात सबसे यादा बुरी लगती है, वह यह क उसके साथ

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मशीन क तरह वहार कया जाए। ठं डा, मशीनी वशेष आदश बॉस नह होता। जो

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“मशीन” उसके नीचे काम करती ह, वे अपनी मता का थोड़ा सा उपयोग ही कर पाती ह।

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जो लोग लीडर शप क बुलं दय को छू लेते ह, वे तीसरी शैली का योग करते ह,

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“मानवीय बनने” क शैली।

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कुछ साल पहले म जॉन एस. के साथ काम करता था। जॉन एक बड़े ए युमी नयम

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नमाता के इंजी नय रग डे लपमट वभाग म ए ज़ी यू टव थे। जॉन “मानवीय बनने क

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शैली” म नपुण था और उसे इससे लाभ भी हो रहे थे। दजन छोटे -छोटे तरीक़ से जॉन

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यह बात लोग तक प ँचाता था, "आप एक इंसान ह। म आपका स मान करता ँ। म
आपक जतनी भी मदद कर सकता ँ, क ँ गा।"
जब सरे शहर का एक उसके वभाग म आया, तो जॉन ने काफ़ परेशानी
उठाकर उसके लए अ ा सा घर खोजा।
अपनी से े टरी और दो अ य म हला कमचा रय के मा यम से काम करते ए उसने
अपने टाफ़ के हर सद य के लए ऑ फ़स बथडे पाट ज़ आयो जत करने क परंपरा
डाली। इस छोटे से आयोजन म जो आधे घंटे का समय बबाद होता था, वह दरअसल
बबाद नह , ब क नवेश था। वफ़ादारी, न ा और मता म नवेश।
जब उसे यह पता चला क उसके टाफ़ का एक अ पसं यक है, तो जॉन ने
उसे बुलवाया और उससे कहा क वह ऐसी व ा कर दे गा क वह अपने धा मक
यौहार को मना सके, य क ऐसे यौहार पर अमूमन छु याँ नह होती थ ।
जब कोई कमचारी या कमचारी के प रवार का कोई सद य बीमार होता था, तो जॉन
को यह याद रहता था। जब नौकरी के बाहर उसके टाफ़ का कोई कमचारी उपल
हा सल करता था, तो जॉन उसे बधाई दे ने का समय नकाल लेता था।
परंतु जॉन क “मानवीय बनने” क फलॉसफ का सबसे बड़ा सबूत मला, जब
उसने एक कमचारी को डस मस कया। जॉन के पहले वाले बॉस ने एक कमचारी को
नयु कया था। उस कमचारी क इस तरह के काम म कोई च नह थी, न ही यो यता
थी। जॉन ने इस सम या को बेहतरीन तरीक़े से सुलझाया। उसने कमचारी को ऑ फ़स म
बुलाने का पारंप रक तरीक़ा इ तेमाल नह कया, वह तरीक़ा जसम पहले तो उसे बुरी
ख़बर सुनाई जाए और बाद म उसे 15 या 30 दन का समय दया जाए।
इसके बजाय, उसने दो अ वाभा वक काम कए। पहली बात तो यह, क उसने
कमचारी को समझाया क यह कमचारी के ही हत म है क वह यह नौकरी छोड़ दे और

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कोई ऐसी नौकरी ढू ँ ढ़े जहाँ उसक यो यता और च का बेहतर उपयोग हो सकता हो।

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उसने कमचारी के साथ बैठकर एक त त रोज़गार परामशदाता से सलाह लेने क

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योजना बनाई। इसके बाद उसने ऐसा कुछ कया जो नयम क कसी पु तक म नह लखा

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था। उसने सरी कंप नय के ए ज़ी यू ट ज़ से संपक कया जहाँ उस कमचारी क

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यो यताएँ काम आ सकती थ । उसने इंटर ू का इंतज़ाम भी करवा दया। 18 दन बाद ही

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उस कमचारी को ब त ही ब ढ़या नौकरी मल गई।

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डस मसल के इस तरीक़े से मुझे हैरत ई और मने जॉन से पूछा क उसने इस

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छोट सी बात के लए इतना क य उठाया। जॉन का जवाब था, “मने एक पुरानी
कहावत को अपने दमाग़ म बठा लया है। जो भी कसी के नीचे काम करता है, वह
उसके संर ण म होता है। हम पहले तो उस को नौकरी पर रखना ही नह चा हए
था, य क वह इसके लायक़ नह था। परंतु जब हमने उसे नौकरी पर रख ही लया, तो
हमारा यह फ़ज़ बनता था क इसके बदले म हम उसे ढँ ग क नौकरी तो दलवाते।
जॉन ने आगे कहा, “कोई भी कसी को नौकरी पर रख सकता है। परंतु
लीडर शप का इ तहान इस बात से होता है क आप कसी को नौकरी से कस तरह
हटाते ह। उस कमचारी को अ नौकरी दलवाकर मने अपने डपाटमट के हर म
जॉब स यु रट क भावना पैदा कर द है। इस उदाहरण से वे यह जान गए ह क जब तक
म यहाँ पर ँ वे फु़टपाथ पर नह आएँगे।”
इस बारे म कोई ग़लतफ़हमी न पाल। जॉन क “मानवीय बनने” क लीडर शप के
उसे ब त अ े प रणाम मले। जॉन क पीठ पीछे बुराई कभी नह ई। उसे कमचा रय
क पूरी वफ़ादारी और सहयोग मला। उसे अ धकतम जॉब स यु रट इस लए मली
य क उसने अपने अधीन को अ धकतम जॉब स यु रट द ।
15 साल से म एक ऐसे को जानता ँ जसे म बॉब ड यू का नाम दे ना
चा ँगा। बॉब क उ पचास-साठ के बीच है। उसने अपने दम पर सफलता हा सल क है।
चूँ क उसक श ा यादा नह थी और उसके पास पैसा भी नह था, इस लए उसक
नौकरी 1931 म छू ट गई। परंतु वह हमेशा संघषशील था, इस लए उसने चुपचाप बैठे रहने
के बजाय अपने गैरेज म एक छोट सी फ़न चर क कान शु क । कड़ी मेहनत के बाद
उसका बज़नेस जम गया और आज बॉब आधु नक फ़न चर नमाता है और उसके
कारख़ाने म 300 से यादा कारीगर काम करते ह।
आज बॉब म लयनेअर है। पैसे और भौ तक चीज़ क चता ख़ म हो गई है। परंतु
बॉब सरी तरह से भी अमीर है। वह दो त , संतु और संतोष के लहाज़ से भी लखप त
है।

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बॉब क ढे र अ ाइय म से एक, उनक लोग क सहायता करने क ज़बद त

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इ ा है। बॉब मानवतापूण ह और वे लोग के साथ वैसा ही वहार करते ह जैसा क वे

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लोग चाहते ह। और वे इसके वशेष ह।

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एक दन म और बॉब लोग क आलोचना करने क शैली के बारे म बात कर रहे थे।

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आलोचना करने का बाॅब का मानवीय तरीक़ा एक अ त फ़ॉमूला है। उसने मुझे बताया,

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“मुझे नह लगता क कोई यह कहेगा क म एक कमज़ोर बॉस ँ। म एक बज़नेस चलाता

e
ँ। अगर कुछ ठ क नह हो रहा है, तो मुझे उसे ठ क करना ही पड़ता है। परंतु ठ क करने

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का एक तरीक़ा भी होता है- और तरीक़ा ही मह वपूण होता है। अगर कमचारी ने कोई
ग़लती कर द है, तो म वशेष सावधान रहता ँ क उसक भावना को ठे स न प ँचे और
उसम हीन भावना न आ जाए या वह अपमा नत महसूस न करे। म इन चार आसान क़दम
का इ तेमाल करता ँ :
सबसे पहले, म उनसे अकेले म बात करता ँ।
सरे, म उनके अ े काम क तारीफ़ करता ँ।
तीसरे, म उ ह यह बताता ँ क कस े म वे बेहतर काम कर सकते ह और म
उ ह बेहतर काम करने का तरीक़ा बताता ँ।
चौथे, म एक बार फर उनक अ बात के लए उनक तारीफ़ करता ँ।
“और चार क़दम का यह फ़ॉमूला काम करता है। जब म इसका इ तेमाल करता ँ
तो लोग मुझे ध यवाद दे ते ह। म जान गया ँ क लोग को आलोचना सुनने का यही तरीक़ा
पसंद आता है। जब वे मेरे ऑ फ़स से बाहर नकलते ह तो वे इस लए मेरी बात का बुरा
नह मानते य क मने उ ह याद दला दया है क वे न सफ़ अ े कमचारी ह, ब क वे
बेहतर कमचारी भी बन सकते ह।
“लोग को दे खने का मेरा ज़दगी भर का तजुबा है और म यह जानता ँ क म
उनसे जतना अ ा वहार करता ँ, उतनी ही अ चीज़ मेरे साथ होती ह। ईमानदारी
से कहा जाए, तो म इस बारे म कोई योजना नह बनाता। यह अपने आप ही हो जाता है।
“म आपको एक उदाहरण ँ । कुछ साल पहले, शायद पाँच या छह साल पहले,
हमारा एक मज़ र शराब पीकर काम पर आ गया। ज द ही फै़ टरी म होह ला मच गया।
उसने वॉ नश का 5 गैलन का म उठा लया था, जसे वह फै़ टरी म इधर-उधर फैलाने पर
आमादा था। सरे मज़ र ने उससे म छु ड़ा लया और उसके सुप रटडट ने उसे बाहर
नकाल दया।

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“म बाहर गया और मने दे खा क वह बाहर द वार से टका बैठा था मने उसे सहारा

i.
दे कर उठाया, कार म बठाया और उसे घर लेकर गया। उसक प नी बौखला गई थी। मने

d
उसे आ त कया क सब कुछ ठ क हो जाएगा। ‘परंतु आप कुछ नह समझते ह,‘ उसने

i n
कहा, ‘ म टर ड यू. (यानी क म) यह बदा त नह करगे क कोई नौकरी पर शराब पीकर

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जाएँ। अब तो जम क नौकरी न त प से छू ट जाएगी और अब हम या करगे।‘ मने

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उसे बताया क जम क नौकरी नह छू टे गी। उसने पूछा क म इतने यक़ न के साथ ऐसा

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कैसे कह सकता ँ। मने बताया क म यक़ न के साथ ऐसा इस लए कह सकता ँ य क

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म ही म टर ड यू. ँ।
“यह सुनकर वह लगभग बेहोश हो गई। मने उसे बताया क म फै़ टरी म जम क
मदद करने क पूरी को शश क ँ गा और मने आशा क क घर पर वह जम का यान
रखेगी। मने उससे यह भी कहा क अगली सुबह वह जम को काम पर भेज दे ।
“ फर फै़ टरी लौटकर म जम के डपाटमट म गया और जम के सहक मय से
बात क । मने उनसे कहा, ‘आज जो अ य घटना ई है, उसे आप भूल जाएँ। जम कल
काम पर लौट आएगा। उसके त सहानुभू त रख। वह काफ़ लंबे समय से हमारे साथ है
और वह अ ा कमचारी है। हम उसे एक और मौक़ा दे ना चा हए।’
“ जम वापस आया और उसक शराबख़ोरी ने फर कभी कोई सम या खड़ी नह
क । म इस घटना को ज द ही भूल गया। परंतु जम नह भूला। दो साल पहले लोकल
यू नयन के मु यालय ने कुछ लोग को यहाँ भेजा ता क वे लोकल यू नयन के कॉ ै ट पर
चचा कर। उनक माँग ब त यादा थ । जम - जो ब त शांत और न था - अचानक एक
लीडर बन गया। उसने अ या शत फुत दखाई और उसने फै़ टरी के मज़ र को याद
दलाया क म टर ड यू. ने हमेशा उनके साथ अ ा बताव कया है, उनके साथ कभी
अ याय नह कया और इस लए हम अपने आपसी मामले म बाहर वाल को बीच म लाने
क कोई ज़ रत नह है।
“बाहरी लोग चले गए और हमने हमेशा क तरह अपना कॉ ै ट दो ताना माहौल म
कया, और इसके लए जम ज़ मेदार था।”
“मानवीय” शैली से बेहतर लीडर बनने के दो तरीक़े ह। पहला, हर बार जब भी
आप लोग से संबं धत कसी मु कल मसले का सामना कर, तो ख़ुद से पृछ, “इससे
नबटने का मानवीय तरीक़ा या है?”
जब आपके अधीन म असहम त हो या जब कोई कमचारी सम या खड़ी कर
रहा हो तो इस पर सोच।
बॉब के ग़ल तयाँ सुधारने के फ़ॉमूले को याद रख। कटु ता को टाल। ं य से परहेज़

. in
कर। लोग को नीचा दखाने क को शश न कर। लोग को उनक और सर क नज़र से

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न गराएँ।

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ख़ुद से पूछ, “लोग के साथ नबटने का मानवीय तरीक़ा या है?" इससे हमेशा

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लाभ होता है - कई बार ज द , कई बार दे र से – पर लाभ हमेशा होता है।

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“मानवीय बनने" के नयम से लाभ लेने का सरा तरीक़ा यह है क आप अपने

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काम से यह जताएँ क आपके लए लोग मह वपूण ह। अपने मातहत क नौकरी के बाहर

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क उपल य म च दखाएँ। हर एक के साथ ग रमापूण वहार कर। अपने आपको
याद दलाएँ क जीवन का मु य ल य इसका आनंद लेना है। यह सामा य सा स ांत है
क आप कसी म जतनी अ धक च लगे, वह आपके लए उतना ही मन लगाकर
काम करेगा। और जब वह मन लगाकर काम करेगा तो उससे आप और यादा, ब त
यादा सफल हो जाएँगे।
जब भी मौक़ा मले, अपने सुपरवाइज़र से अपने अधीन क तारीफ़ करते रह।
यह एक पुरानी अमे रक परंपरा है क छोटे आदमी क तरफ़ वाले को हमेशा शंसा
क नज़र से दे खा जाता है। आपके अधीन आपक तारीफ़ से ख़ुश ह गे और आपके त
उनक वफ़ादारी भी बढ़ जाएगी। और इस बात से न डर क इससे आपके सुपरवाइज़र क
नज़र म आपका मह व कम हो जाएगा। जस का दल इतना बड़ा हो, जसका
वहार इतना वन हो, वह उस से यादा आ म व ासी लगता है जो असुर ा के
भाव से भरकर अपनी उपल य क शेखी बघारता रहता है। थोड़ी सी वन ता ब त
काम आती है।
जब भी मौक़ा मले, अपने अधीन क गत प से तारीफ़ कर। उनके
सहयोग के लए उनक तारीफ़ कर। हर अ त र यास के लए उनक तारीफ़ कर।
तारीफ़ ही वह सबसे बड़ा एकमा ो साहन है जो आप उ ह दे सकते ह और इसम
आपका एक पैसा भी ख़च नह होता। इसके अलावा, “गु त मतदान" ने कई सश और
जाने-माने उ मीदवार को भी धराशायी कर दया है। आप कभी नह जानते क कब आपके
अधीन आपके काम आ जाएँगे और आपको कसी अ य त से बचा लगे।
लोग क तारीफ़ करने का अ यास कर।
सही तरीक़े से लोग से वहार कर। मानवीय बन।
लीडर शप नयम नंबर 3 : ग त के बारे म सोच, ग त के बारे म व ास कर और
ग त के लए को शश कर।

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जब कोई आपके बारे म यह कहता है, “वह ग त म व ास करता है। वही

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इस काम के लए ठ क रहेगा।” तो आपक इससे बड़ी तारीफ़ हो ही नह सकती।

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हर े म मोशन उ ह लोग को मलते ह जो ग त म व ास करते ह और ग त

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के लए यास करते ह। लीडस, स े लीडस, ब त कम होते ह। यथा त म व ास

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रखने वाले लोग (जैसा भी चल रहा है ठ क है, हम इसम कोई हेरफेर नह करना चाहते)

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हमेशा ग तशील य से (सुधार क ब त गुंजाइश है इस लए हम इसे सुधारने क

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को शश कर) ब त बड़ी तादाद म होते ह। लीडस के समूह म शा मल ह । अपनी नज़र

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हमेशा आगे क तरफ़ रख।
ग तशील नज़ रया वक सत करने के लए आप दो ख़ास चीज़ कर सकते ह:
1. जो भी काम आप कर, उसम सुधार के बारे म सोच।
2. जो भी काम आप कर, उसम आप ऊँचे तर रख।
कई महीने पहले एक म यम आकार क कंपनी के े सडट ने मुझसे एक मह वपूण
नणय करने के लए कहा। इस ए ज़ी यू टव ने अपना बज़नेस ख़ुद बनाया था और वह
से स मैनेजर के प म काम कर रहा था। अब जब क उसके यहाँ सात से समैन काम कर
रहे थे, उसने यह फै़सला कया क अब वह ख़ुद से स मैनेजर का काम छोड़ दे गा और
कसी से समैन को से स मैनेजर के पद पर मोशन दे दे गा। उसने इस काम के लए तीन
से समैन को छाँटा था, जो अनुभव और से स म लगभग बराबर थे।
मेरा काम था हर के साथ एक दन बताना और यह फै़सला करना क या
यह उस समूह का लीडर बनने के क़ा बल है। हर से समैन को बता दया गया था क
एक सलाहकार आकर माक टग ो ाम के बारे म उनसे चचा करेगा। ज़ा हर है, क उ ह
कारण से यह नह बताया गया था क मेरी चचा का असली उ े य क या था।
दो लोग ने लगभग एक ही तरीक़े से त या क । दोन ही मेरे साथ
असहज हो गए। दोन को ही यह एहसास हो गया क म वहाँ पर “कुछ बदलने” क
फ़राक म था। दोन ही से समैन यथा त के स े र क थे। दोन का ही यह कहना था
क सब कुछ ठ क-ठाक चल रहा है। मने उनसे पूछा क कस तरह उनके े का बँटवारा
आ है, उनके से स मोशनल मटे रयल, क सेशन ो ाम के बारे म बात क - माक टग
के हर पहलू पर उ ह ने यही कहा, "सब कुछ ब ढ़या है।" कुछ ख़ास मु पर इन दोन
य ने कया क वतमान नी त म बदलाव य नह कया जाना चा हए। सं ेप
म, दोन ही चाहते थे क तयाँ जैसी क तैसी बनी रह। एक ने जब मुझे
मेरे होटल म उतारा तो उसने चलते-चलते कहा, “म यह तो नह जानता क आपने आज

. in
मेरे साथ दन य गुज़ारा, परंतु मेरी तरफ़ से आप म टर एम. को बता दे ना क जैसा भी

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है, सब कुछ ब ढ़या है। कसी भी चीज़ को बदलने क कोई ज़ रत नह है।”

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तीसरा से समैन इनसे अलग था। वह कंपनी से ख़ुश था और उसे इसक ग त पर

h
नाज़ था। परंतु वह पूरी तरह संतु नह था। वह सुधार चाहता था। पूरे दन यह तीसरा

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से समैन मुझे यह बताता रहा क नया बज़नेस कैसे हा सल कया जा सकता है, ाहक

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को बेहतर सेवा कैसे द जा सकती है, समय क बबाद कैसे कम क जा सकती है,

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क सेशन लान को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है तथा वह ख़ुद और कंपनी इससे

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कस तरह लाभा वत हो सकते ह। उसने एक नए व ापन अ भयान क योजना भी बनाई
थी जसक परेखा उसने मुझे बताई। जब म वहाँ से रवाना आ, तो उसने चलते-चलते
कहा, “मुझे ब त अ ा लगा क म अपने वचार कसी को बता सका। हमारी कंपनी
अ है, पर मुझे लगता है क हम इसे और बेहतर बना सकते ह।”
ज़ा हर है क मेरी अनुशंसा तीसरे के लए थी। यह एक ऐसी अनुशंसा थी जो
कंपनी के े सडट क भावना के अनु प थी। ग त, कायकुशलता, नए उ पाद, नई
या , बेहतर श ण और बढ़ समृ म व ास कर।
ग त म व ास कर, ग त के लए यास कर और आप एक लीडर बन जाएँगे!
बचपन म मुझे मौक़ा मला क म यह दे ख सकूँ क लीडर कस तरह अपने
समथक के वहार को भा वत कर सकता ह ।
म एक दे हाती ाथ मक शाला म पढ़ता था, जहाँ आठ क ाएँ थ , एक ही ट चर थी
और चालीस ब को एक ही कमरे म ठूँ स दया जाता था नई ट चर को हमेशा परेशान
कया जाता था। बड़े ब , यानी क सातव और आठव के ब के नेतृ व म सभी
व ाथ ट चर को मज़ा चखाने के लए तैयार रहते थे।
एक साल तो कुछ यादा ही हंगामा आ। हर दन दजन कूली शरारत होती थ ,
जनम चॉक फककर मारना, काग़ज़ के हवाई जहाज़ चलाना इ या द शा मल थे। इसके
अलावा कई बड़ी घटनाएँ भी जैसे ट चर को कूल के बाहर आधा दन तक खड़ा रखा,
य क कुंडी अंदर से बंद कर ली गई थी। सरे मौक़े पर इसका उ टा आ, यानी ट चर को
कूल म बंद कर दया गया, य क कुंडी बाहर से लगा द गई थी। एक दन एक शरारती
ब ा अपने कु े को कूल म ले आया।
परंतु म आपको यह बता ँ , ये ब े अपराधी क़ म के नह थे। चोरी करना,
शारी रक हसा करना या नुक़सान प ँचाना उनका उ े य नह था। वे व ब े थे जो

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अपनी ज़बद त ऊजा को अपनी शरारत के मा यम से बाहर नकाल रहे थे।

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तो, ट चर ने कसी तरह उस साल तो कूल म रहने म कामयाबी पाई, परंतु अगले

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साल नई ट चर को नयु करना पड़ा और इससे कसी को कोई हैरत नह ई।

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नई ट चर का नज़ रया पुरानी ट चर से बलकुल अलग था। उसने ग रमामयी

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वहार करने क उनक भावना को जा त कया। उसने उ ह समझदारी के काम करने के

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लए ो सा हत कया। हर ब े को एक न त ज़ मेदारी स पी गई जैसे लैकबोड साफ़

e
करना, ड टर साफ़ करना, या छोटे ब क मदद करना। नई ट चर ने ब क ज़बद त

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ऊजा का उपयोग करने के रचना मक तरीक़े खोज लए, जब क यही ज़बद त ऊजा पहले
शरारत म बबाद आ करती थी। उसके शै णक काय म क न व च र बनाने पर थी।
पहले साल ब े रा स क तरह वहार य कर रहे थे और अगले साल वही
ब े दे वता क तरह वहार य करने लगे ? फ़क़ उनके लीडर का, यानी उनक ट चर
का था। ईमानदारी से कहा जाए, तो हम शरारत के लए ब को दोष नह दे सकते। यह
ट चर क ही ग़लती थी जो वह सही दशा म ब का नेतृ व नह कर पाई।
पहली ट चर अंदर से ब क ग त के बारे म परवाह नह करती थी। उसने ब
के लए कोई ल य नह बनाए। उसने उ ह उ सा हत नह कया। वह अपने ग़ से पर क़ाबू
नह रख पाई। उसे पढ़ाना पसंद नह था, इस लए ब को पढ़ना पसंद नह था।
परंतु सरी ट चर ने ऊँचे, सकारा मक मानदं ड बनाए। वह ब को सचमुच पसंद
करती थी और चाहती थी क वे कुछ बन। वह हर एक से इंसान क तरह वहार करती
थी। उसे सबका अनुशासन इस लए मला य क वह अपने हर काम म अ तरह
अनुशा सत थी।
और हर मामले म, व ा थय ने अपनी ट चर के उदाहरण से ही सीखा।
हम इसी तरह का वहार हर दन वय क के समूह म भी दे खते ह। तीय
व यु के दौरान सेनाप तय ने सबसे यादा हौसला उन टु क ड़य म नह पाया जनके
क तान “बे फ़ ", " न त” या “ न साही” थे। सबसे अ टु क ड़याँ थ जहाँ क तान
ख़ुद ऊँचे मानदं ड पर चलता था और उनका पालन करता था। म ल म ऐसे अफ़सर को
स मान नह मलता जनके मानदं ड नीचे होते ह।
कॉलेज के व ाथ भी अपने ोफे़सर के उदाहरण से ही सीखते ह। एक ोफ़ेसर
क लास म वे बंक मार दे ते ह, नक़ल करते ह और बना पढ़े अ े नंबर लाने के येन - केन
- कारेण यास करते ह। परंतु सरे ोफे़सर क लास म यही व ाथ वषय म द ता

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हा सल करने के लए अ त र मेहनत करने को सहष तैयार रहते ह।

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बज़नेस म भी हम यही दे खने को मलता है। कमचारी अपने मा लक के उदाहरण

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से सीखते ह। कमचा रय के कसी समूह को क़रीब से दे ख। उनक आदत , हावभाव,

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कंपनी के त उनके रवैए, उनक नै तकता, उनके आ म नयं ण पर ग़ौर कर। फर उनके

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बॉस के साथ उनके वहार क तुलना कर और आप पाएँगे क दोन म काफ़ समानताएँ

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ह।

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हर साल कई कंप नयाँ जो अपनी ग त से संतु नह ह, कुछ प रवतन करती ह।

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और वे ऐसा कस तरह करती ह। वे सबसे ऊपर के लोग को बदलती ह। कंप नयाँ (और
कॉलेज, चच, लब यू नयन व सभी तरह के संगठन) ऊपर से नीचे क तरफ़ सफलता से
पुनग ठत होते ह, न क नीचे से ऊपर क तरफ़ । ऊपर के लोग क मान सकता बदल द
और अपने आप नीचे के लोग क मान सकता बदल जाएगी।
इसे याद रख : जब आप कसी समूह के लीडर बनते ह, तो उस समूह के लोग
त काल आपके आदश या उदाहरण के हसाब से चलने लगते ह। यह पहले कुछ स ताह
म साफ़ दखता है। उनक सबसे बड़ी चता यह होती है क वे कस तरह आपक
अस लयत जान, कस तरह यह पता कर क आप उनसे या चाहते ह। वे आपक हर
ग त व ध को पूरे यान से दे खते ह। वे सोचते ह, यह मुझे कतनी ढ ल दे गा ? यह
काम को कस तरह कराना चाहता है ? यह कस चीज़ से ख़ुश होता है? अगर म यह काम
क ँ तो यह या कहेगा ?
और जब वे इन सवाल के जवाब जान लेते ह, तो फर वे उसी अनुसार काम करने
लगते ह।
उस आदश का यान रख जो आप तुत करते ह। इस पुराने परंतु हमेशा स े छं द
को अपना मागदशक बनाएँ :
यह नया
कस तरह क नया होती,
अगर इसम रहने वाला हर इंसान
बलकुल मेरी तरह होता ?
इस कहावत म अथ बढ़ाने के लए आप नया क जगह कंपनी श द फ़ट कर ल
और अब यह छं द इस तरह हो गया :
यह कंपनी
कस तरह क कंपनी होती,

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अगर इसम रहने वाला हर इंसान

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बलकुल मेरी तरह होता ?

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इसी तरह, आप ख़ुद से पूछ क अगर हर इंसान आप ही के जैसा हो जाए, तो वह

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लब, समुदाय, कूल या चच कैसा होगा।

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आप अपने अधीन से जस तरह क सोच चाहते ह, वैसा सोच। जैसी चचा

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चाहते ह, वैसी चचा कर। जैसे काम चाहते ह, वैसे काम कर। जैसी जीवनशैली चाहते ह,

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वैसी जीवनशैली जएँ।

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लंबे समय तक साथ रहने के बाद अधीन अपने बॉस क काबन कॉपी बन जाते
ह। उ को ट क सफलता के लए ज़ री है क मा टर कॉपी डु लीकेट करने क़ा बल
होनी चा हए।

या म ग तशील चतक ँ?
चेक ल ट
A. या म अपने काम-धंधे के बारे म ग तशील चतन करता ँ?
1. या अपने काम के बारे म मेरा नज़ रया यह रहता है “म इसे कस तरह
बेहतर तरीक़े से कर सकता ँ?”
2. या म हर मौके पर अपनी कंपनी, अपनी कंपनी के लोग या अपनी कंपनी
के सामान क तारीफ़ करता ँ ?
3. या 3 या 6 महीने पहले मेरे दशन के बारे म मेरी जो राय थी, आज वह
राय पहले से बेहतर है- सं या के संदभ म भी और गुणव ा के संदभ म भी।
4. या म अपने अधीन , सहयो गय और साथी कमचा रय के लए अ ा
उदाहरण तुत कर रहा ँ?
B. या म अपने प रवार के बारे म ग तशील चतन करता ँ?
1. क या मेरा प रवार आज से 3 या 6 महीने पहले से यादा ख़ुश है ?
2. या म अपने प रवार के जीवन तर को सुधारने क योजना पर चल रहा ँ ?
3. या मेरे प रवार के करने के लए घर के बाहर रोचक ग त व धय क
ब तायत है ?
4. या म अपने ब के सामने “एक ग तशील", ग त के समथक

n
का उदाहरण तुत कर रहा ँ?

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C. या म अपने बारे म ग तशील चतन करता ँ ?

d
1. या म ईमानदारी से कह सकता ँ क म आज से 3 या 6 महीने पहले से

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यादा मह वपूण इंसान बन गया ँ?

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2. या म सर क नज़र म बढ़ाने के लए सु नयो जत 2. या अपना मह व

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आ म-सुधार काय म पर चल रहा ँ?

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3. या मेरे पास पाँच वष आगे के भ व य के ल य दे खने क है?

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4. या म उस सं ान या समूह क ताक़त ँ, जनसे म जुड़ा आ ँ?
D. या म अपने समाज के बारे म ग तशील चतन करता ँ?
1. मने पछले छह महीन म अपने समाज (अपने आस - पड़ोस, चच, कूल
इ या द) को सुधारने के लए या कया है ?
2. या म अपने समुदाय को सुधारने के लए सचमुच यास करता ँ या फर
म सफ़ आप याँ उठाता ँ, आलोचना करता ँ और शकायत करता ँ ?
3. या मने अपने समुदाय म सुधार के लए कभी कसी चीज़ का बीड़ा उठाया
है?
4. या म अपने पड़ो सय और बाक़ लोग क तारीफ़ करता ँ ?
लीडर शप नयम नंबर 4 : अपने आपसे बात करने के लए समय नकाल और
अपने चतन क बल श का दोहन कर।
हम आम तौर पर यह लगता है क लीडस बेहद त लोग होते ह। और वे सचमुच
त होते ह। लीडस को काम से घरे रहना पड़ता है। परंतु जस बात पर सामा य तौर पर
यान नह दया जाता, वह यह है क लीडस अकेले म भी काफ़ समय बताते ह, और इस
ख़ाली समय म वे सोचने के अलावा कुछ नह करते ह।
महान धा मक लीडस क जीव नय को पढ़ और आप पाएँगे क सभी ने एकांत म
काफ़ समय चतन कया है। मोज़ेस काफ़ समय एकांत म रहे, कई बार तो ब त लंबे
समय तक। ईसामसीह, बु , क यू शयस, मोह मद, गाँधी के बारे म भी यही सच है।
इ तहास के हर स धा मक लीडर ने जीवन क बाधा से र अपना काफ़ समय
एकांत चतन म गुज़ारा है।
इसी तरह, राजनै तक लीडस ज ह ने इ तहास पर अपनी अ या बुरी छाप छोड़ी
है एकांत म चतन कया करते थे। अगर क लन डी. ज़वे ट को पो लयो क बीमारी के
बाद एकांत नह मला होता तो या उनम कभी असामा य लीडर शप क यो यता वक सत

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हो पाती, यह एक रोचक है। हैरी टू मैन ने भी बचपन और वय कता का अ धकांश

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समय मसूरी फ़ाम म एकांत म बताया था।

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अगर हटलर को जेल म एकांत नसीब नह आ होता, तो शायद उसे स ा भी नह

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मल पाती। जेल म ही उसे मीन का लखने का समय मला, जसम नया को जीतने

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क ज़बद त योजना थी और जसने जमनी क पूरी जनता को कुछ समय के लए अंधा कर

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दया था।

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सा यवाद के कूटनी तक प से चतुर कई लीडस - ले नन, ता लन, मा स, और

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कई अ य - भी काफ़ समय तक जेल म रहे, ता क बना कसी बाहरी चता के वे अपनी
भावी योजनाएँ बना सक।
बड़ी-बड़ी यू नव सट ज़ अपने ोफ़ेसर से हर स ताह सफ़ पाँच घंटे का ले चर
दलवाती ह ता क बाक़ समय ोफ़ेसर के पास सोचने का समय हो।
कई स बज़नेस ह तयाँ दन भर सहयो गय , से े य , टे लीफ़ोन , और
रपोट क तता म घरे दखते ह। परंतु आप उनके जीवन के हर स ताह 168 घंटे दे ख
या हर महीने 720 घंटे दे ख, तो आपको यह जानकर आ य होगा क वे काफ़ समय
एकांत चतन म गुज़ारते ह।
मु े क बात यह है : कसी भी े म सफल अपने आपसे बात करने के
लए समय नकालता है। एकांत म लीडस सम या के सभी टु कड़ को इक ा करते ह,
उसका हल खोजते ह, योजना बनाते ह और एक वा यांश म कहा जाए, तो सुपर- थ कग
करते ह।
कई लोग अपनी रचना मक लीडर शप क मता का इस लए दोहन नह कर पाते,
य क वे अपने अलावा हर इंसान से बात कर लेते ह। आप भी कसी ऐसे ही को
जानते ह गे। यह को शश करता है क वह कभी अकेला न रहे। वह लोग से घरा
रहने क लगातार को शश करता है। वह अपने ऑ फ़स म अकेलापन बदा त नह कर
पाता, इस लए वह सरे लोग के पास जबरन जाता है। शाम को भी वह अकेले समय
शायद ही गुज़ारता हो। वह हर घड़ी कसी से बात करने क ज़ रत महसूस करता है। वह
गपशप म काफ़ समय बबाद करता है।
जब ऐसे को प र तवश शारी रक प से अकेले रहना पड़ता है, तो वह
ऐसे तरीक़े ढू ँ ढ़ लेता है जनसे वह मान सक प से अकेला न रहे। ऐसे समय म वह
टे ली वज़न, अख़बार, रे डयो, टे लीफ़ोन या कसी और ऐसे ही यं का सहारा लेता है जो
उसके चतन को ख़ म कर दे । वा तव म वह यह कहता है, “ म टर ट वी, म टर अख़बार,

n
मेरे दमाग़ को भर दो। म अपने वचार का सामना करने से घबराता ँ।”

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म टर म- अकेलापन - बदा त - नह - कर - पाता वतं वचार से र भागते ह। वे

d
अपने दमाग़ का दरवाज़ा बंद रखते ह। मनोवै ा नक प से वे अपने ख़ुद के वचार से डरे

i n
रहते ह। जैसे-जैसे समय गुज़रता जाता है, म टर म - अकेलापन - बदा त - नह - कर -

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पाता लगातार उथले होते जाते ह। वे कई ग़लत काम भी कर दे ते ह। उनम ल य क

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साम य या गत रता वक सत नह हो पाती। वे भा य से उस सुपर-पॉवर के बारे

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म अनजान रहते ह जो उनके दमाग़ म बेकार ही पड़ा आ है।

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म टर म- अकेलापन - बदा त - नह - कर - पाता न बन। सफल लीडस अकेलेपन
म ही अपने सुपर-पॉवर का दोहन करते ह। आप भी ऐसा ही कर सकते ह।
आइए दे ख क कैसे।
एक ोफ़ेशनल डे लपमट ो ाम के ह से के प म मने 13 व ा थय को दो
स ताह तक हर दन एक घंटे तक एकांत म रहने के लए कहा। व ा थय से कहा गया क
वे सारी बाधा से र, बलकुल एकांत म कसी भी घटना के बारे म रचना मक प से
सोच।
दो स ताह बाद, हर व ाथ ने बना कसी अपवाद के यह बताया क यह अनुभव
ब त ही ावहा रक और सफल रहा। एक ने बताया क एकांत के योग के पहले
उसका अपनी कंपनी के एक अ धकारी से मतभेद हो गया था और वह उसके साथ यु
करने के मूड म आ गया था, परंतु चतन के बाद उसने सम या का ोत खोज लया
और उसका हल भी। बाक़ लोग ने भी बताया क उ ह ने कई सम या का हल ढू ँ ढ़
लया जनम नौक रयाँ बदलने, शाद क क ठनाइयाँ, घर ख़रीदने और ब े के लए अ ा
कॉलेज चुनने क सम याएँ शा मल थ ।
हर व ाथ ने उ साह से बताया क ख़ुद के बारे म उसक बेहतर समझ वक सत
ई है- उसने ख़ुद क कमज़ो रय और श य को जान लया है, जो वह पहले कभी नह
जान पाया था।
व ा थय ने ऐसा कुछ और भी खोज लया जो बेहद मह वपूण है। उ ह ने पाया
क एकांत म लए गए नणय और न कष न जाने य 100 तशत सही होते ह।
व ा थय ने पाया क जब कोहरा छँ ट जाता है तो सही नणय बलकुल हो जाता है ।
एकांत चतन के ब त लाभ ह।
एक दन मेरी एक सहयोगी ने एक सम या के बारे म अपना पहले का नज़ रया पूरी

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तरह बदल लया। म यह जानने के लए उ सुक था क उसने अपने वचार य बदल

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लए। सम या तो वही थी और सम या दरअसल एक मूलभूत क़ म क सम या थी,

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इस लए म इस बदलाव का कारण नह समझ पा रहा था। उसका जवाब यह था, ‘म

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ता से नह सोच पा रही थी क हम या करना चा हए। इस लए म आज सुबह साढ़े

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तीन बजे उठ , एक कप कॉफ़ पी और सोफ़े पर 7 बजे तक बैठकर सोचती रही। अब मुझे

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सारी चीज़ साफ़ दख रही ह। तो इसी लए मने अपने वचार बदल लए और सरे तरीक़े

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को अपनाने का फै़सला कया।’

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और उसका नया तरीक़ा पूरी तरह सही सा बत आ।
हर दन कुछ समय (कम से कम तीस मनट) पूरी तरह एकांत म रहने के लए
अलग नकाल ल।
शायद सुबह का समय बेहतर होता है, य क उस समय शोरगुल नह होता है। या
दे र शाम का समय भी शायद अ ा रहेगा। मह वपूण बात यह है क आप ऐसा समय चुन
जब आपके म त क म ू त हो और जब बाहरी बाधाएँ कम ह ।
आप इस समय का इ तेमाल दो तरीक़ से कर सकते ह : कसी दशा म चतन या
दशाहीन चतन। कसी दशा म चतन करने के लए अपनी कसी मह वपूण सम या पर
वचार कर। एकांत म सम या पर नरपे ढँ ग से सोच और इससे आपको सही जवाब मल
जाएगा।
दशाहीन चतन करने के लए, आप अपने दमाग़ को अपने आप जो वह चाहे
सोचने द। इन ण म आपका अवचेतन म त क आपके मेमोरी बक का दोहन करता है
जो आपके चेतन म त क का पोषण करता है। दशाहीन चतन आ म-मू यांकन करने म
ब त सहायक होता है। यह आपको ब त मूलभूत वषय तक ले जाता है जैसे, “म कैसे
बेहतर बन सकता ँ? मेरा अगला क़दम या होना चा हए ?”
याद रख, लीडर का मु य काम है सोचना। और लीडर शप क सव े तैयारी
चतन है। हर दन कुछ समय एकांत चतन के लए नकाल और आप सफल चतन क
राह पर ह गे।

सं ेप
यादा भावी लीडर बनने के लए इन चार लीडर शप स ांत को अमल म लाएँ :
1. ज ह आप भा वत करना चाहते ह, उन लोग के नज़ रए से चीज़ को दे ख। अगर

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आप उनके नज़ रए से दे ख सकगे तो आपके लए वह तरीक़ा ढू ँ ढ़ना आसान होगा

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जससे सामने वाले से मनचाहा काम करवाया जा सके। कोई भी काम करने से पहले

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ख़ुद से यह सवाल पूछ, “अगर म सामने वाले क जगह होता, तो म इस बारे म या

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सोचता ?”

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2. सर के साथ वहार म “मानवीय बन” नयम को अमल म लाएँ। ख़ुद से पूछ,

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"इस सम या से नबटने का मानवीय तरीक़ा या है ?” आप जो भी कर, उससे यह

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दखना चा हए क आपक नज़र म लोग सबसे पहले आते ह। सरे लोग के साथ

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वही वहार कर, जो आप अपने लए चाहते ह । आपको ब त लाभ होगा।

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3. ग त के बारे म सोच, ग त के बारे म व ास कर और ग त के लए को शश कर।
हर वह काम जो आप करते ह , उसम सुधार के तरीके सोच। अपने हर काम म ऊँचे
तर बनाने के बारे म सोच। लंबे समय तक साथ-साथ काम करते रहने के बाद
अधीन अपने बॉस क काबन कॉपी बन जाते ह। यह सु न त कर ल क मा टर
कॉपी डु लीकेट करने क़ा बल हो। यह संक प कर : “धर म, नौकरी म, सामा जक
जीवन म, म ग त के लए यास क ँ गा।"
4. अपने आपसे बात करने के लए समय नकाल और अपने चतन क बल श का
दोहन कर। एकांत के ब त फ़ायदे होते ह। इसका उपयोग अपनी रचना मक श
को मु करने म कर। अपनी गत और बज़नेस सम या को हल करने के
लए एकांत का योग कर। हर दन सफ़ सोचने के लए कुछ समय अकेले गुज़ार।
उसी चतन तकनीक का योग कर जसका योग सभी महान लीडस करते ह।
अपने आपसे अकेले म बात कर।

जीवन क मु कल प र तय म
बड़ी सोच के जा का योग कैसे कर
बड़ा सोचने म जा ई ताक़त है। परंतु भूलना कतना आसान होता है। जब भी आपके
सामने मु कल आएँगी, यह ख़तरा रहेगा क आपक सोच सकुड़ जाए, आकार म छोट
हो जाए, ओछ हो जाए। और जब ऐसा हो जाता है, तो आप हार जाते ह।
नीचे कुछ सं त मागदशक स ांत दए गए ह जो आपको तब भी महान बने रहने
म मदद करगे जब आपके सामने ओछा सोचने के लोभन मौजूद ह ।
शायद आप इन स ांत को छोटे -छोटे काड पर लखकर अपने पास रखना चाह।
A. जब छोटे लोग आपको नीचा दखाना चाह, तो बड़ा सोचे। न त प से नया
म ऐसे लोग होते ह जो चाहते ह क आप हार जाएँ, आपके जीवन म भा य आ जाए,

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आपको डाँट पड़ जाए। परंतु ये लोग आपको तब तक नुक़सान नह प ँचा सकते जब तक

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क आप ये तीन बात याद रखगे :

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1. अगर आप घ टया लोग से लड़ने से इंकार कर द तो आप जीत जाते ह। ओछे लोग

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से लड़ने से आपका आकार छोटा हो जाता है। इस लए महान बने रह।

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2. पीठ पीछे बुराई का बुरा न मान। यह तो आपके वकास और आपक ग त का

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सबूत है।

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3. याद रख क पीठ पीछे बुराई करने वाले मनोवै ा नक प से बीमार होते ह। महान

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बने रह। उनके त सहानुभू त रख।
अपनी सोच को इतना बड़ा रख क ओछे लोग के हमल का आप पर कोई असर न
हो।
B. जब आपको यह लगे “मेरे पास वह क़ा ब लयत नह है जो म इसम सफल हो
सकूँ” तो बड़ा सोच। याद रख : अगर आप ख़ुद को कमज़ोर समझते ह तो आप कमज़ोर
बन जाते ह। अगर आप ख़ुद को अ म समझते ह तो आप अ म बन जाते ह। अगर आप
ख़ुद को सेकंड लास समझते ह तो आप सेकंड लास बन जाते ह।
इन नयम का योग करके ख़ुद को स ते दाम पर बेचने क वाभा वक वृ को
क़ाबू म रख
1. मह वपूण दख। इससे आपको मह वपूण बात सोचने म मदद मलती है। आप
बाहर से कैसे दखते ह, इस बात का काफ़ संबंध इस बात से होता है क आप अंदर
से कैसा अनुभव करते ह।
2. अपने गुण , अपनी क़ा ब लयत पर यान क त कर। ख़ुद को हौसला दलाने वाले
काय म का योग कर । अपने आपको सुपरचाज करना सीख। अपने
सकारा मक पहलू को जान।
3. सरे लोग के बारे म सही नज़ रया रख। सामने वाला भी इंसान ही है, इस लए
उससे डरने क या ज़ रत है?
आप सचमुच कतने अ े ह, यह दे खने के लए बड़ा सोच!
C. जब बहस या लड़ाई से आप बच न सक, तो बड़ा सोचे। बहस करने और लड़ने
के लोभन का इस तरह सफल तरोध कर :
1. ख़ुद से पूछे : “ या यह चीज़ वा तव म इतनी मह वपूण है क इसके बारे म बहस
क जाए ?”
2. ख़ुद को याद दलाएँ क आप बहस म कभी कुछ हा सल नह कर सकते ह, ब क

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आप हमेशा कुछ न कुछ खो दे ते ह।

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इतना बड़ा सोच क आप यह जान ल क लड़ाई, बहस, झगड़े और इसी तरह क

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फ़ालतू बात से आप अपनी मं ज़ल तक नह प ँच पाएँगे।

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D. जब आप परा जत महसूस कर, तो बड़ा सोच। बना मु कल और

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असफलता के बड़ी सफलता हा सल करना संभव नह है। परंतु बना हारे बाक़ ज़दगी

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गुज़ार दे ना संभव है। महान चतक पराजय का सामना इस तरह करते ह:

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1. पराजय को एक सबक़ के प म ल। इससे सीख। इसका व ेषण कर। आगे
बढ़ने के लए पराजय को ेरणा बनाएँ। हर पराजय से कुछ न कुछ बचा ल।
2. जुटे रहने के साथ योगशीलता को जोड़ द। पीछे हटकर नए सरे से नई शैली से
शु आत कर।
इतना बड़ा सोच क आप दे ख सक क हार एक मान सक अव ा है, इससे यादा
कुछ नह ।
E. जब रोमांस ख़ म होने लगे, तो बड़ा सोच। नकारा मक, ओछ सोच “चूँ क उसने
मेरे साथ ऐसा कया इस लए म भी इसका बदला लूँगा" रोमांस क ह या कर दे ती है और
उस ेम को न कर दे ती है जो आपके और आपक े मका या आपके ेमी के बीच है।
जब ेम म गड़बड़ हो, तो यह कर :
1. आप जस का ेम हा सल करना चाहते ह , आप उसके सबसे अ े गुण पर
अपना यान क त कर। बाक़ चीज़ को आप वह रख जो उनक सही जगह है–
सरे नंबर पर।
2. अपने जीवनसाथी के लए कुछ ख़ास कर- और ऐसा अ सर कर। ववाह के आनंद
का रह य खोजने के लए बड़ा सोच।
F. जब आपको लगे क काम-धंधे म ग त कम हो रही है, बड़ा सोच। चाहे आपका
काम-धंधा कुछ भी हो, ऊँचा टे टस और यादा तन वाह सफ़ एक चीज़ से आती है :
आपके दशन क मा ा और गुणव ा बढ़ाने से। यह कर :
सोच : “म इसे बेहतर तरीक़े से कर सकता ँ।” सव े काम करना मेरे लए संभव
है। हर काम को बेहतर तरीक़े से कया जा सकता है। इस नया म जो भी हो रहा है, उसे
बेहतर तरीक़े से कया जा सकता है। और जब आप सोचते ह, “म इसे बेहतर तरीक़े से कर
सकता ँ।” तो अपने आप आपको बेहतर करने के तरीक़े मल जाएँगे। “म इसे बेहतर
तरीक़े से कर सकता ँ।” सोचने से आपक रचना मक श जा त हो जाती है।

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इतना बड़ा सोच क आप यह दे ख सक क अगर आप सेवाभाव को पहले नंबर पर

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रखगे, तो पैसा अपने आप आपके पास आ जाएगा।

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यू ब ल लअस साइरस के श द म :

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बु मान अपने दमाग़ का मा लक होता है और मूख इसका गुलाम।

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