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CLASS NOTES

Class – VII Topic- पाठ- 15


Subject- हिन्दी ‘वसंत’ नीलकंठ
यि पाठ एक रे खाचित्र िै । इसकी लेखखका मिादे वी वमाा िैं ।
शब्दार्ा :
अतिथि = मेहमान । थिड़िमार = पक्षी पकिने वाला ।
शावक = पक्षी का बच्िा । खासियि = ववशेषिा ।
अनुिरण = पीछे -पीछे िलना। दब
ु बलिा = कमजोरी ।
आववर्बि
भ = प्रकट । नवागंिक
ु = नया-नया आया हुआ ।
आक्रमण = हमला । माजाबरी = मादा बबल्ली ।
िघन = घनी । तनरीक्षण = जााँि ।
बारहा = बार-बार मभाँजी = दष्ु ट ।
मुनासिब = उथिि। बंककम = टे ढ़ी ।
नीलार् = नीली आर्ा(िमक)। र्ंथगमा = मुद्रा ।
द्यभि = िमक । उद्दीप्ि होना = िमकना ।
मंिर = धीमी । िहिाररणी = िाि िलने वाली ।
िंिु-प्रहार = िोंि िे िोट करना। आिबक्रंदन = ददब र्री आवाज़ में िीखना।
व्यिा = पीिा । तनश्िेष्ट = बेहोश । उष्णिा = गमी ।
अधर = बीि में । मेघ = बादल । तनत्य = प्रतिददन ।
पैनी = िेज । हौले-हौले = धीरे -धीरे । द्वेष = ईष्याब ।
मंजरी = आम के बौर । ववरल = बहुि कम। िुरम्य = मनोहर ।
पुष्ष्पि = फभलों िे लदे । पल्लववि= पत्तों िदहि। िोपान = िीढ़ी ।
केका = मोर की बोली। स्िबक = गुलदस्िा । कुब्जा = कुबिी ।
दक
ु े ली = जो अकेली न हो। मेघाच्छन्न = बादलों िे ढका हुआ।
ववषधर = िपब ।

प्रश्न-अभ्यास
ननबंध से
1. मोर-मोरनी के नाम ककस आधार पर रखे गए ?
उत्तर- मोर-मोरनी के नाम उनके रूप, िौन्दयब और गुणों के आधार पर रखे
गए। मोर की गदब न नीली िमक सलए हुए िी, इिसलए उिका नाम
नीलकंठ रखा गया। मोरनी िदा नीलकंठ के आि-पाि उिकी छाया बनकर
रहिी िी, इिसलए उिका नाम राधा रखा गया।
2. जाली के बड़े घर में पिुँिने पर मोर के बच्िों का ककस प्रकार स्वागत
िआ ?
उत्तर- मोर-मोरनी को जब जाली के बिे घर में पहुाँिाया गया, िो वहााँ
अन्य जानवरों ने उनका स्वागि उिी िरह ककया जैिा नववधभ का होिा
है । लक्का कबभिर नािना छोिकर उनके िारों ओर घभमकर उनका तनरीक्षण
करने लगा । खरगोश उन्हें दे खने लगे। िोिे एक आाँख बंद कर उनका
परीक्षण करने लगे। छोटे खरगोश उनके िारों ओर उछल-कभद मिाने लगे।
3. लेखखका को नीलकंठ की कौन-कौन सी िेष्टाएुँ बित भाती र्ीं ?
उत्तर- नीलकंठ ष्जिना िुंदर िा उिकी िेष्टाएाँ र्ी उिनी ही िुंदर िीं।
लेखखका को उिकी तनम्न िेष्टाएाँ बहुि र्ािी िीं –
1) गदब न ऊाँिी करके दे खना ।
2) ववशेष र्ंथगमा के िाि दाना िुगना एवं पानी पीना ।
3) गदब न टे ढ़ी करके ककिी आवाज़ को िुनना ।
4) मेघों की गजबन पर नत्ृ य करना ।
5) पंख फैलाकर ववशेष मुद्रा में खिे होना ।
6) हिेली पर रखे िने को धीरे िे उठाकर खाना, आदद।
4. ‘इस आनंदोंत्सव की राचगनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा’- वाक्य ककस
घटना की ओर संकेत कर रिा िै ?
उत्तर- ‘इि आनंदोंत्िव की राथगनी में बेमल
े स्वर कैिे बज उठा’- वाक्य
उि घटना की ओर िंकेि करिा है , जब लेखखका बिे समयााँ की दक
ु ान िे
एक और मोरनी ले आईं। लाँ गिाकर िलने वाली मोरनी की िाल और
व्यवहार कुब्जा जैिा िा। उिे नीलकंठ और राधा का िाि न र्ाया। उिने
राधा के अंडों को फोि ददया। वह नीलकंठ के िाि रहना िाहिी िी।
जबकक नीलकंठ उिके िाि नहीं रहना िाहिा िा । इि प्रकार नीलकंठ
और राधा के िुखों का अंि हो गया ।
5. वसंत ऋत में नीलकंठ का जालीघर में बंद रिना असिनीय क्यों िो
जाता र्ा ?
उत्तर- विंि ऋिु में िवबत्र प्राकृतिक िौन्दयब छा जािा िा। ऐिे में वक्ष
ृ र्ी
पुष्ष्पि और पल्लववि हो जािे िे । आम के वक्ष
ृ माँजररयों िे लद जािे िे
और अशोक के वक्ष
ृ लाल पत्तों िे। यह प्राकृतिक दृश्य दे खने और इन पेिों
का िाष्न्नध्य पाने के सलए नीलकंठ अष्स्िर हो जािा िा।
6. जालीघर में रिने वाले सभी जीव एक-दस
ू रे के ममत्र बन गए र्े, पर
कब्जा के सार् ऐसा संभव क्यों निीं िो पाया ?
उत्तर- जालीघर के िर्ी जीव-जन्िु परस्पर समत्र बन गए, पर कुब्जा के
िाि ऐिा न हो िका। वह ईष्याबलु प्रववृ त्त की िी, जो न दि
भ रों िे समत्रिा
करिी िी और न दि
भ रों की समत्रिा उिे पिंद आिी िी। उिका स्वर्ाव ही
ऐिा िा । नीलकंठ िे अन्य जानवरों की समत्रिा िी, ष्जिे वह नहीं दे ख
िकिी िी ।
7. नीलकंठ ने खरगोश के बच्िे को ककस तरि बिाया ? इस घटना के
आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की ववशेषताओं का उल्लेख कीजजए।
उत्तर- िााँप ने खरगोश के बच्िे को आधा मुाँह में दबोि सलया िा, िर्ी
खरगोश की हल्की आवाज़ िे नीलकंठ िजग हो गया। उिने िााँप की
गदब न को पंजों िे दबाया और िोंि िे प्रहार करने लगा । उिके प्रहार िे
िााँप की पकि ढीली हो गई और खरगोश का बच्िा बाहर आ गया। िााँप
को मारकर नीलकंठ तनश्िेष्ट खरगोश को अपने पंखों के नीिे दबाकर
उष्णिा दे िा रहा। इि घटना िे नीलकंठ के िाहिी , वीर ििा दि
भ रों की
रक्षा करने जैिी स्वार्ाववक ववशेषिाओं का पिा िलिा है ।

मूल्यबोध प्रश्न
प्रश्न- ‘नीलकंठ’ पाठ से िमें क्या संदेश ममलता िै ?
उत्तर- ‘नीलकंठ’ पाठ िे हमें िंदेश समलिा है कक हमें जीव-जंिओ
ु ं के प्रति
िहृदय बनना िादहए । उनके प्रति िंवेदनशील बनकर प्रेम एवं अपनत्व का
र्ाव रखना िादहए । हमें उनके प्रति अत्यािार नहीं करना िादहए । उनका
आश्रय नष्ट ककए बबना उनके सलए िारा और दाना-पानी की व्यवस्िा करनी
िादहए।

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ववशेष- यह पाठ्यिामग्री घर में ही रहकर िैयार की गई है ।

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