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प्रार्थना सभा

सुविचार – अंग्रेजी व हिंदी

समाचार

रोचक तथ्य

आज का शब्द
आवश्यक निर्देश

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Grandiose

हिंदी शब्दकोश
शब्द व्याकरणिक इकाई अर्थ पर्यायवाची विलोम वाक्य प्रयोग- जिसमें मुख्य शब्द रेखांकित हो |

समर्थ विशेषण शक्तिशाली योग्य असमर्थ जीवन में मुश्किलों का सामना


करने के लिए समर्थ होना
आवश्यक है।
उत्थान संज्ञा विकास प्रगति पतन नारी के उत्थान से ही समाज
का कल्याण संभव है ।

स्वर्ग संज्ञा देवलोक सुरलोक नरक स्वर्ग लोक में देवताओं का


वास है ।
वर्तनी लेखन अभ्यास

•वर्तनी लेखन एक कला है,


जिसे अभ्यास के माध्यम से
बेहतर बनाया जा सकता है।

• अतः बार-बार इसका


अभ्यास करते रहना चाहिए।
श्रुतलेख शब्द
ग्रीवा
लेखिका
नववधू
चंचु
प्रसन्न
अधिगम के प्रतिफल ---LEARING
OUTCOMES

जीव-जंतुओं व पशु-पक्षियो के प्रति मन में संवेदना व


विषय- पाठ नीलकं ठ प्रेम का विकास एवं पठन कौशल में वृद्धि कर सकें गे |

छात्रों में किसी विषय को सुनकर समझने की शक्ति का


विषय के प्रति अपने संदेह का निवारण कर सकें गे | विकास होगा |
आज का पाठ
महादे वी वर्मा जी का जीवन परिचय

 परू ा नाम - महादे वी वर्मा


 जन्म - 26 मार्च, 1907, फ़र्रु ख़ाबाद, उत्तर प्रदे श
 मत्ृ यु - 11 सितम्बर, 1987, प्रयाग, उत्तर प्रदे श (80 साल)
 पिता - श्री गोविन्द प्रसाद वर्मा
 माता - हे मरानी दे वी
 पति का नाम - डॉ. रुपनारायण वर्मा
 शिक्षा - एम.ए.(संस्कृत)
 प्रसिद्ध रचनाएं - स्मति
ृ की रे खाएं, पथ के साथी, अतीत के चलचित्र,
दीपशिखा,मेरा परिवार,नीहार,श्रंखला की कड़ियां, नीरजा।
महादेवी वर्मा जी हिन्दी साहित्य की एक महान कवयित्री और  सुविख्यात
लेखिका थी, उन्हें हिन्दी साहित्य के छायावाद युग के चार प्रमुख स्तंभों में
से एक माना जाता है। महादेवी वर्मा जी ने हिंदी साहित्य जगत में एक
बेहतरीन गद्य लेखिका के रुप में अपनी पहचान बनाई थी।
महादेवी वर्मा जी एक विलक्षण प्रतिभा वाली कवयित्री थी, जिन्हें हिन्दी
साहित्य के महान कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी ने ”सरस्वती” की भी
संज्ञा दी थी। इसके अलावा उन्हें आधुनिक युग की ‘मीरा’ का भी दर्जा दिया
गया था, क्योंकि उन्होंने अपनी कविताओं में एक प्रेमी से दूर होने का कष्ट एवं
इसके विरह और पीड़ा का बेहद भावनात्मक रुप से वर्णन किया था। महादेवी वर्मा
जी एक मशूहर कवयित्री तो थी हीं, इसके साथ ही वे एक महान समाज
सुधारक  भी थीं।
उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष जोर दिया था एवं महिला शिक्षा को
काफी बढ़ावा दिया था। यही नहीं महादेवी वर्मा जी ने  महिलाओं को समाज में
उनका अधिकार दिलवाने और उचित आदर-सम्मान दिलवाने के लिए कई
महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी कदम उठाए थे।
उद्देश्य – वन्य जीव जंतुओं एवं पशु- पक्षियों के प्रति संवेदना , प्रेम का विकास तथा उनके संरक्षण के प्रति जागरूकता
उत्पन्न करना
कक्षा कार्य
मौखिक प्रश्न

1. प्रस्तुत रेखाचित्र किसके द्वारा रचित है ?


उत्तर - प्रस्तुत रेखाचित्र महादेवी वर्मा जी द्वारा रचित है।

2. मोरनी का क्या नाम रखा गया ?


उत्तर – मोर के साथ रहने के कारण मोरनी का नाम राधा रखा गया ।
मौखिक

प्रश्न 3 – अतिथि को स्टेशन पहुँचाकर लौटते समय रास्ते में चिड़ियावाले ने क्या
कहा ?
उत्तर - अतिथि को स्टेशन पहुँचाकर लौटते समय रास्ते में चिड़ियावाले ने कहा कि
शंकरगढ़ के एक चिड़ीमार ने दो मोर के बच्चे लाकर तीस रुपये में दिए हैं । आप इन्हें
पाल लें ।नहीं तो कोई इनके पंजों से दवा बनाने के लिए ले जाएगा, मरने के लिए कै से
दे दूँ ।
कक्षा कार्य
मौखिक प्रश्न

4. मोर का क्या नाम रखा गया और क्यों ?


उत्तर – मोर की गर्दन नीली थी इसलिए उसका नाम नीलकं ठ रखा गया ।
मौखिक
प्रश्न – 5. दूसरी मोरनी का कु ब्जा नाम रखने का क्या कारण था ?
उत्तर – दूसरी मोरनी का नाम कु ब्जा रखने का कारण उसके दोनों पंजों
की उँगलियाँ टू टी हुई थीं और पैर मूँज से बँधे थे जिसके कारण वह ठीक से खड़ी नहीं हो सकती थी ।

प्रश्न – 6. ‘नीलकं ठ’ रेखाचित्र पढ़कर महादेवी जी के स्वभाव की किन विशेषताओं का ज्ञान होता है ?
उत्तर - ‘नीलकं ठ’ रेखाचित्र पढ़कर महादेवी जी के वन्य जीव जंतुओं एवं पशु- पक्षियों के प्रति संवेदना , प्रेम का
विकास तथा उनके संरक्षण के प्रति जागरूकता आदि स्वभाव की विशेषताओं का ज्ञान होता है ।
लिखित

प्रश्न 1. नखासकोना के प्रति लेखिका के आकर्षण का क्या कारण था ?


उत्तर- नखासकोना के प्रति लेखिका के आकर्षण का कारण उनके खरगोश,कबूतर ,
मोर,चकोर आदि का कारागार था।
लिखित -

2. नीलकं ठ स्वयं सबका संरक्षक बन बैठा था ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए ।

नीलकं ठ स्वयं सबका संरक्षक बन बैठा था यह इस बात से स्पष्ट होता है कि वह सुबह होते ही खरगोश,
कबूतर आदि की सेना को एकत्र करके जहाँ दाना दिया जाता उस ओर ले जाता और घूम-घूम कर
सबकी रखवाली करता । किसी के गड़बड़ करने पर अपनी तीव्र चोंच से उन पर हमला कर उन्हें सजा
देता ।
लिखित
प्रश्न 3. ‘खरगोश के प्रति उसका प्रेम असाधारण’ था । स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर - ‘खरगोश के प्रति उसका प्रेम असाधारण’ था यह इस बात से स्पष्ट हुआ –एक बार साँप
ने खरगोश के बच्चे का आधा हिस्सा अपने मँह ु में दबा लिया। वह
चीख नहीं सकता था। नीलकंठ ने उसका धीमा स्वर सन ु लिया
और उसने नीचे उतरकर साँप को फन के पास पंजों से दबाया और
चोंच-चोंच मारकर उसे अधमरा कर दिया। पकड़ ढीली पड़ते ही
खरगोश उसके मँह ु से निकल आया। मोर रात भर उसे अपने पंखों
के नीचे रखकर गरमी दे ता रहा जिससे वह स्वस्थ हो गया ।
लिखित

प्रश्न 4. कु ब्जा ने राधा के अंडों को पैरों से क्यों कु चल डाला । उसकी इस हरकत से पक्षियों के
स्वभाव के विषय में क्या जानकारी प्राप्त होती है ?
उत्तर - कु ब्जा ने राधा के अंडों को पैरों से कु चल डाला क्योंकि वह राधा को नीलकं ठ के साथ
देखकर चिढ़ती थी, उसने राधा के पंख , कलगी नोच डाली । उसकी इस हरकत से पक्षियों में
प्रकृ ति में भिन्नता मानव के द्वेष (जलन) स्वभाव के विषय में जानकारी प्राप्त होती है ।
लिखित
प्रश्न 5. लेखिका के पास कौन-कौन से पशु-पक्षी थे ? उनके स्वभाव के विषय में
संक्षेप में बताइए ।
उत्तर - लेखिका के पास मोर , मोरनी ,कबूतर, खरगोश, तोता , बिल्ली व
अल्सेशियन कु तिया आदि पशु-पक्षी थे। मोर संरक्षक स्वभाव का था, मोरनी शांत ,
कबूतर चंचल, तोता खुशमिजाज़ ,बिल्ली चित्रा चतुर व कजली बहुत तेज थी ।
लिखित -
प्रश्न-6 ‘पक्षियों ने दोनों का नववधू जैसे स्वागत किया’
इस कथन का क्या आशय है ?
उत्तर-
‘पक्षियों ने दोनों का नववधू जैसे स्वागत किया’ इस कथन से लेखिका तात्पर्य है कि भारतीय
संस्कृ ति में जिसप्रकार नव वधू के आगमन पर खुशियों से स्वागत किया जाता है मानो उसी प्रकार
की परंपरा को ये पक्षियों ने भी निभाया । लक्का कबूतर उनके चारों ओर घूम-घूमकर गुटर-गूँ करने
लगा, बड़े खरगोश
गंभीर भाव से कतार में बैठकर उन्हें देखने लगे। छोटे खरगोश उनके आसपास उछल-कू द मचाने
लगे। तोता पंख फै लाकर शोर करने लगा हैं।
शब्द – अर्थ
• कारागार – जेल
• ग्रीवा – गर्दन
• भंगिमा – मुद्रा , भाव
• कोलाहल – शोर
• संरक्षक – रक्षा करने वाला
• बसेरा – निवास
• चंचु – चोंच
• कलह – झगड़ा
• निश्चेष्ट – चेष्टा रहित
• नखासकोना – जहाँ विशेष प्रकार की वस्तुएँ मिलती हैं
•अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

•(क) बड़े मियाँ मोर के बच्चे कहाँ से खरीदकर लाया था।


उत्तर-
बड़े मियाँ शंकरगढ़ के एक चिड़ीमार से मोर के दो बच्चे खरीद लाया था।
•(ख) लेखिका मोर-मोरनी को कहाँ से लाई ?
उत्तर-
लेखिका मोर-मोरनी को नखास कोने से लाई। उन्होंने पैंतीस रुपए में पक्षी बेचनेवाले
दकु ान से लिया था।
•(ग) मोरनी को मोर की सहचारिणी क्यों कहा गया?
उत्तर-
मोरनी को मोर का सहचारिणी कहा गया क्योंकि वह हमेशा मोर के साथ रहती थी।
•अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

•(घ) घर पहुँचने पर बच्चों को घरवालों ने क्या कहा?


उत्तर-
घर पहुँचने पर सब कहने लगे – तीतर है और मोर कहकर ठग लिया है ।
•(ङ) लेखिका को दे खकर नीलकंठ अपनी प्रसन्नता कैसे प्रकट करता?
उत्तर-
लेखिका को दे खकर नीलकंठ उनके सामने मंडलाकार रूप में अपने पंख फैलाकार खड़ा
होकर अपनी प्रसन्नता प्रकट करता था।
धन्यवाद

शंका समाधान

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