You are on page 1of 26

गिल्लू

प्रश्न 1.
सोनजुही में लगी पीली कली को दे ख लेखिका के मन में कौन से विचार उमड़ने लगे?
उत्तर-
सोनजह
ु ी में लगी पीली कली को दे खकर लेखिका के मन में यह विचार आया कि गिल्लू
सोनजह
ु ी के पास ही मिट्टी में दबाया गया था। इसलिए अब वह मिट्टी में विलीन हो गया
होगा और उसे चौंकाने के लिए सोनजह
ु ी के पीले फूल के रूप में फूट आया होगा।

प्रश्न 2.
पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है ?
उत्तर-
हिंद ू संस्कृति में ऐसी मान्यता है कि पितप
ृ क्ष में हमारे पर्व
ू ज हमसे कुछ पाने के लिए कौए
के रूप में हमारे सामने आते हैं। इसके अलावा कौए हमारे दरू स्थ रिश्तेदारों के आगमन की
सच
ू ना भी दे ते हैं, जिससे उसे आदर मिलता है । दस
ू री ओर कौए की कर्क श भरी काँव-काँव को
हम अवमानना के रूप में प्रयुक्त करते हैं। इससे वह तिरस्कार का पात्र बनता है । इस प्रकार
एक साथ आदर और अनादर पाने के कारण कौए को समादरित और अनादरित कहा गया है ।

प्रश्न 3.
गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया?
उत्तर-
महादे वी वर्मा ने गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार बड़े ध्यान से ममतापूर्वक किया। पहले
उसे कमरे में लाया गया। उसका खून पोंछकर घावों पर पेंसिलिन लगाई गई। उसे रुई की
बत्ती से दध
ू पिलाने की कोशिश की गई। परं तु दध
ू की बूंदें मँह
ु के बाहर ही लुढ़क गईं। कुछ
समय बाद मँह
ु में पानी टपकाया गया। इस प्रकार उसका बहुत कोमलतापूर्वक उपचार किया
गया।

प्रश्न 4.
लेखिको का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था?
उत्तर-
लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू-
 उसके पैर तक आकर सर्र से परदे पर चढ़ जाता और उसी तेज़ी से उतरता था। वह
ऐसा तब तक करता था, जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न उठ जाती।
 भख
ू लगने पर वह चिक-चिक की आवाज़ करके लेखिका का ध्यान खींचता था।

प्रश्न 5.
गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या
उपाय किया?
उत्तर-
महादे वी ने दे खा कि गिल्लू अपने हिसाब से जवान हो गया था। उसका पहला वसंत आ चुका
था। खिड़की के बाहर कुछ गिलहरियाँ भी आकर चिकचिक करने लगी थीं। गिल्लू उनकी
तरफ प्यार से दे खता रहता था। इसलिए महादे वी ने समझ लिया कि अब उसे गिलहरियों के
बीच स्वच्छं द विहार के लिए छोड़ दे ना चाहिए।
लेखिका ने गिल्लू की जाली की एक कील इस तरह उखाड़ दी कि उसके आने-जाने का रास्ता
बन गया। अब वह जाली के बाहर अपनी इच्छा से आ-जा सकता था।

प्रश्न 6.
गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भमि
ू का निभा रहा था?
उत्तर-
लेखिका एक मोटर दर्घ
ु टना में आहत हो गई थी। अस्वस्थता की दशा में उसे कुछ समय
बिस्तर पर रहना पड़ा था। लेखिका की ऐसी हालत दे ख गिल्लू परिचारिका की तरह उसके
सिरहाने तकिए पर बैठा रहता और अपने नन्हें -नन्हें पंजों से उसके (लेखिका के) सिर और
बालों को इस तरह सहलाता मानो वह कोई परिचारिका हो।

प्रश्न 7.
गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप
है ?
उत्तर-
गिल्लू की निम्नलिखित चेष्टाओं से महादे वी को लगा कि अब उसका अंत समीप है -

 उसने दिनभर कुछ भी नहीं खाया।


  वह रात को अपना झल
ू ा छोड़कर महादे वी के बिस्तर पर आ गया और उनकी उँ गली
पकड़कर हाथ से चिपक गया।

प्रश्न 8.
‘प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो
गया’का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
आशय यह है गिल्लू का अंत समय निकट आ गया था। उसके पंजे ठं डे हो गए थे। उसने
लेखिका की अँगल
ु ी पकड़ रखा था। उसने उष्णता दे ने के लिए हीटर जलाया। रात तो जैसे-
तैसे बीती परं तु सवेरा होते ही गिल्लू के जीवन का अंत हो गया।

प्रश्न 9.
सोनजह
ु ी की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिको के मन में किस विश्वास का
जन्म होता है ?
उत्तर-
सोनजह
ु ी की लता के नीचे गिल्लू की समाधि बनी थी। इससे लेखिका के मन में यह विश्वास
जम गया कि एक-न-एक दिन यह गिल्लू इसी सोनजह
ु ी की बेल पर पीले चटक फूल के रूप
में जन्म ले लेगा।

अन्य पाठे तर हल प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
लेखिका को अकस्मात किस छोटे जीव का स्मरण हो आया और कैसे?
उत्तर-
लेखिका ने दे खा कि सोनजह
ु ी में पीली कली आ गई है । यह दे खकर उसे अकस्मात छोटे जीव
गिल्लू का स्मरण हो आया। सोनजह
ु ी की इसी सघन हरियाली में गिल्लू छिपकर बैठता था
जो अचानक लेखिका के कंधे पर कूदकर उसे चौंका दे ता था। लेखिका को लगा कि पीली
कली के रूप में गिल्लू ही प्रकट हो गया है ।

प्रश्न 2.
कौए की काँव-काँव के बाद भी मनष्ु य उसे कब आदर दे ता है और क्यों?
उत्तर-
कौए की काँव-काँव के बाद भी मनुष्य उसे पितप
ृ क्ष में आदर दे ता है , क्योंकि हमारे समाज में
ऐसी मान्यता है कि हमारे पुरखे हमसे कुछ पाने के लिए पितप
ृ क्ष में कौओं के रूप में आते
हैं। इसके अलावा कौआ हमारे किसी दरू स्थ के आने का संदेश भी लेकर आता है ।
प्रश्न 3.
कौए अपना सल
ु भ आहार कहाँ खोज रहे थे और कैसे?
उत्तर-
लेखिका ने दे खा कि गमले और दीवार की संधि में गिलहरी का छोटा-सा बच्चा है जो
संभवत: घोंसले से गिर पड़ा होगा। कौए उसे उठाने के प्रयास में चोंच मार रहे थे। इसी छोटे
बच्चे में कौए अपना सल
ु भ आहार खोज रहे थे।

प्रश्न 4.
लेखिका की अनप
ु स्थिति में गिल्लू प्रकृति के सान्निध्य में अपना जीवन किस प्रकार बिताता
था?
उत्तर-
लेखिका की अनप
ु स्थिति में गिल्लू खिड़की में बनी जाली को उठाने से बने रास्ते द्वारा बाहर
चला जाता था। वह दस
ू री गिलहरियों के झुंड में शामिल होकर उनका नेता बन जाता और
हर डाल पर उछल-कूद करता रहता था। वह लेखिका के लौटने के समय कमरे में वापस आ
जाता था।

प्रश्न 5.
गिल्लू का प्रिय खाद्य क्या था? इसे न पाने पर वह क्या करता था?
उत्तर-
गिल्लू का प्रिय खाद्य काजू था। इसे वह अपने दाँतों से पकड़कर कुतर-कुतरकर खाता रहता
था। गिल्लू को जब काजू नहीं मिलता था तो वह खाने की अन्य चीजें लेना बंद कर दे ता था
या उन्हें झल
ू े से नीचे फेंक दे ता था।

प्रश्न 6.
लेखिका ने कैसे जाना कि गिल्लू उसकी अनुपस्थिति में दख
ु ी था?
उत्तर-
लेखिको एक मोटर दर्घ
ु टना में घायल हो गई। इससे उसे कुछ समय अस्पताल में रहना पड़ा।
उन दिनों जब लेखिका के कमरे का दरवाजा खोला जाता तो गिल्लू झल
ू े से नीचे आता परं तु
किसी और को दे खकर तेजी से भागकर झुले में चला जाता। सब उसे वहीं काजू दे आते, परं तु
जब लेखिका ने अस्पताल से आकर झल
ू े की सफ़ाई की तो उसे झूले में काजू मिले जिन्हें
गिल्लू ने नहीं खाया था। इससे लेखिका ने जान लिया कि उसकी अनुपस्थिति में गिल्लू दख
ु ी
थी।
प्रश्न 7.
भोजन के संबंध में लेखिका को अन्य पालतू जानवरों और गिल्लू में क्या अंतर नज़र आया?
उत्तर-
लेखिका ने अनेक पश-ु पक्षी पाल रखे थे, जिनसे वह बहुत लगाव रखती थी परं तु भोजन के
संबंध में लेखिका को अन्य पालतू जानवरों और गिल्लू में यह अंतर नज़र आया कि उनमें से
अिकसी जानवर ने लेखिका के साथ उसकी थाली में खाने की हिम्मत नहीं कि जबकि गिल्लू
खाने के समय मेज़ पर आ जाता और लेखिका की थाली में बैठकर खाने का प्रयास करता।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
लेखिका ने लघु जीव की जान किस तरह बचाई? उसके इस कार्य से आपको क्या प्रेरणा
मिलती है ?
उत्तर-
लेखिका ने दे खा कि गमले और दीवार की संधि के बीच एक छोटा-सा गिलहरी का बच्चा पड़ा
है । शायद यह घोंसले से गिर गया होगा। इसे कौए अपना भोजन बनाने के लिए तत्पर थे
कि लेखिका की दृष्टि उस पर पड़ गई। उसने उस बच्चे को उठाकर उसके घावों पर पेंसिलीन
लगाई और पानी पिलाया। इससे वह दो-तीन दिन में स्वस्थ हो गया। लेखिका के इस कार्य
में हमें -

 जीव जंतुओं के प्रति संवेदनशील बनने की प्रेरणा मिलती है ।


 जीव-जंतुओं की रक्षा करने की सीख मिलती है ।
 जीव-जंतुओं को न सताने तथा उन्हें प्रताड़ित न करने की प्रेरणा मिलती है ।

प्रश्न 2.
लेखिका को जीव-जंतुओं की संवेदनाओं की सूक्ष्म समझ थी। इसे स्पष्ट करते हुए बताइए कि
आपको इनसे किन किन मूल्यों को अपनाने की सीख मिलती है ?
उत्तर-
लेखिका अत्यंत सदय, संवेदनशील तथा परदख
ु कोतर थी। उससे मनष्ु य ही नहीं पश-ु पक्षियों
का दख
ु भी नहीं दे खा जाता था। इसके अलावा उसे जीव-जंतओ
ु ं की भावनाओं की सक्ष्
ू म
समझ थी। लेखिका ने दे खा कि वसंत ऋतु में गिल्लू अन्य गिलहरियों की चिक-चिक सन
ु कर
उन्हें अपनेपन के भाव से खिड़की में से निहारता रहता है । लेखिका ने तरु ं त कीलें हटवाकर
खिड़की की जाली से रास्ता बनवा दिया, जिसके माध्यम से वह बाहर जाकर अन्य गिलहरियों
के साथ उछल-कूद करने लगा। इससे हमें जीव-जंतओ
ु ं की भावनाएँ समझने, उनके प्रति
दयालत
ु ा दिखाने तथा जीवों को उनके प्राकृतिक आवास में पहुँचाने की प्रेरणा मिलती है ।
स्मति

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
भाई के बल
ु ाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?
उत्तर-
भाई के बल
ु ाने पर घर लौटते समय लेखक डर गया था। उसे लगा कि उसके बड़े भाई झरबेरी
से बेर तोड़-तोड़कर खाने के लिए डाँटेंगे और उसे खूब पीटें गे।

प्रश्न 2.
मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढे ला क्यों फेंकती
थी?
उत्तर-
लेखक के गाँव से मक्खनपुर जाने वाली राह में 36 फीट के करीब गहरा एक कच्चा कुआँ
था। उसमें एक साँप न जाने कैसे गिर गया था। मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली
उस कुएँ में इसलिए ढे ले फेंकती थी ताकि साँप क्रुद्ध होकर फुफकारे और बच्चे उस फुफकार
को सुन सकें।

प्रश्न 3.
‘साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढे ला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं’–यह
कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है ?
उत्तर-
यह कथन लेखक की बदहवास मनोदशा को स्पष्ट करता है । जैसे ही लेखक ने टोपी उतारकर
कुएँ में ढे ला फेंका, उसकी ज़रूरी चिट्ठियाँ कुएँ में जा गिरी। उन्हें कुएँ में गिरता दे खकर वह
भौंचक्का रह गया। उसका ध्यान चिट्ठियों को बचाने में लग गया। वह यह दे खना भल
ू गया
कि साँप को ढे ला लगा या नहीं और वह फुसकारा या नहीं।

प्रश्न 4.
किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?
उत्तर-
लेखक द्वारा चिट्ठियों को कुएँ से निकालने के निम्नलिखित कारण हैं-
 लेखक को झूठ बोलना नहीं आता था।
 चिट्ठियों को डाकखाने में डालना लेखक अपनी जिम्मेदारी समझता था।
 लेखक को अपने भाई से रुई की तरह पिटाई होने का भय था।
 वह साँप को मारना बाएँ हाथ का काम समझता था, जिससे चिट्ठियाँ उठाना उसे आसान
लग रहा था।

प्रश्न 5.
साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाईं?
उत्तर-
साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने निम्नलिखित युक्तियाँ अपनाईं-

 उसने मुट्ठीभर मिट्टी फेंककर साँप का ध्यान उधर लगा दिया।


 उसने अपने हाथ का प्रहार करने की बजाय उसकी तरफ डंडा बढ़ा दिया, जिससे साँप ने
सारा विष डंडे पर उगल दिया।

प्रश्न 6.
कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
कुएँ में चिट्ठियाँ गिर जाने पर लेखक ने रोना-धोना छोड़कर भयानक निर्णय लिया। उसने
अपनी और अपने छोटे भाई की पाँचों धोतियों को एक-दस
ू रे से बाँधा। इसके एक छोर में डंडा
बाँधकर उसे कुएँ में उतार दिया और दस
ू रे सिरे को कुएँ की डेंग में बाँधकर भाई को पकड़ा
दिया। अब उन धोतियों के सहारे लेखक कुएँ में उतर गया और कुएँ के धरातल से चार पाँच
गज ऊपर लटककर साँप को दे खने लगा। साँप भी फन फैलाए लेखक की प्रतीक्षा कर रहा
था। लेखक ने कुएँ की दीवार में पैर जमाकर कुछ मिट्टी गिराई। इससे साँप का ध्यान बँट
गया। वह मिट्टी पर मँुह मार बैठा।

इस बीच लेखक ने डंडे से जब चिट्ठियाँ सरकाईं तो साँप ने जोरदार प्रहार किया और अपनी
शक्ति के प्रमाण स्वरूप डंडे पर तीन-चार जगह विषवमन कर दिया। इससे लेखक का साहस
बढ़ा। उसने चिट्ठियाँ उठाने का प्रयास किया तो साँप ने वार किया और डंडे से लिपट गया।
इस क्रम में साँप की पँछ
ू का पिछला भाग लेखक को छू गया। यह दे ख लेखक ने डंडे को
पटक दिया और चिट्ठियाँ उठाकर धोती में बाँध दिया, जिन्हें उसके भाई ने ऊपर खींच लिया।
अब लेखक ने कुएँ की दीवार से कुछ मिट्टी साँप की दाहिनी ओर फेंकी। साँप उस पर झपटा।
अब लेखक ने डंडा खींच लिया। लेखक ने मौका दे खा और जैसे-तैसे हाथों के सहारे सरककर
छत्तीस फुट गहरे कुएँ से ऊपर आ गया।
प्रश्न 7.
इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सल
ु भ शरारतों के विषय में पता चलता है ?
उत्तर-
बालक प्रायः शरारती होते हैं। उन्हें छे ड़छाड़ करने में आनंद मिलता है । यदि उनकी छे ड़छाड़ से
कोई हलचल होती हो तो वे उसमें बहुत मज़ा लेते हैं। साँप को व्यर्थ में ही फॅफकारते दे खकर
वे बड़े खश
ु होते हैं।
बालकों को प्रकृति के स्वच्छं द वातावरण में विहार करने में भी असीम आनंद मिलता है । वे
झरबेरी के बेर तोड़-तोड़कर खाते हैं तथा मन में आनंदित होते हैं। वे आम के पेड़ पर चढ़कर
डंडे से आम तोड़कर खाने में खूब आनंद लेते हैं।

प्रश्न 8.
मनष्ु य का अनम
ु ान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उलटी निकलती हैं’–
का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
मनुष्य किसी कठिन काम को करने के लिए अपनी बुद्धि से योजनाएँ तो बनाता है , किंतु
समस्याओं का वास्तविक सामना होते ही ये योजनाएँ धरी की धरी रह जाती हैं। तब उसे
यथार्थ स्थिति को दे खकर काम करना पड़ता है । इस पाठ में लेखक ने सोचा था कि कुएँ में
उतरकर वह डंडे से साँप को मार दे गा और चिट्ठियाँ उठा लेगा, परं तु कुएँ का कम व्यास
दे खकर उसे लगा कि यहाँ तो डंडा चलाया ही नहीं जा सकता है । उसने जब साँप को फन
फैलाए अपनी प्रतीक्षा करते पाया तो साँप को मारने की योजना उसे एकदम मिथ्या और
उलटी लगने लगी।

प्रश्न 9.
‘फल तो किसी दस
ू री शक्ति पर निर्भर है ’-पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर
लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने के लिए कुएँ में उतरने का दृढ़ निश्चय कर लिया। इस
दृढ़ निश्चय के सामने फल की चिंता समाप्त हो गई। उसे लगा कि कुएँ में उतरने तथा साँप
से लड़ने का फल क्या होगा, यह सोचना उसका काम नहीं है । परिणाम तो प्रभु-इच्छा पर
निर्भर है । इसलिए वह फल की चिंता छोड़कर कुएँ में घुस गया।

अन्य पाठे तर हल प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर


प्रश्न 1.
बड़े भाई द्वारा बल
ु ाए जाने की बात सन
ु कर लेखक की क्या दशा हुई और क्यों ?
उत्तर-
बड़े भाई द्वारा बल
ु ाई जाने की बात सन
ु कर लेखक घबरा गया। उसे बड़े भाई द्वारा पिटाई
किए जाने का भय सता रहा था। वह कडी सरदी और ठं डी हवा के प्रकोप के बीच अपने छोटे
भाई के साथ झरबेरी के बेर तोड़-तोड़कर खा रहा था। कहीं बेर खाने के अपराध में ही तो उसे
नहीं बल
ु ाया जा रहा था।

प्रश्न 2.
लेखक को अपने पिटने का भय कब दरू हुआ?
उत्तर-
लेखक अपने बड़े भाई के बल
ु ाने पर सहमा-सा घर आया तो दे खा कि उसके बड़े भाई पत्र
लिख रहे हैं। भाई को पत्र लिखते दे खकर वह समझ गया कि उसे इन पत्रों को डाकखाने में
डालने के लिए ही बुलवाया होगा। यह सोचकर उसे अपने पिटने का भय जाता रहा।

प्रश्न 3.
डाकखाने में पत्र डालने जाते समय लेखक ने क्या-क्या तैयारियाँ कीं और क्यों?
उत्तर-
डाकखाने में पत्र डालने जाते समय लेखक ने निम्नलिखित तैयारियाँ कीं-

 उसने और उसके छोटे भाई ने अपने-अपने कानों को धोती से बाँधा।


 उसने अपना मजबूत बबूल का डंडा साथ लिया।
 उनकी माँ ने उन्हें भुनाने के लिए चने दिए।
 उन्होंने सिर पर टोपियाँ लगाईं।

उन्होंने ये तैयारियाँ इसलिए की क्योंकि सरदी के मौसम में तेज़ हवा हड्डियों को भी कँपा
रही थी।

प्रश्न 4.
लेखक को अपने डंडे से इतना मोह क्यों था?
उत्तर-
लेखक को अपने डंडे से इतना मोह इसलिए था, क्योंकि-

 उसने इस डंडे से अब तक कई साँप मारे थे।


 वह इस डंडे से आम के पेड़ों से प्रतिवर्ष आम तोड़ता था।
 उसे अपना मूक डंडा सजीव-सा लगता था।

प्रश्न 5.
कुएँ में साँप होने का पता लेखक एवं अन्य बच्चों को कैसे चला?
उत्तर-
लेखक और उसके साथ अन्य बच्चे मक्खनपुर पढ़ने जाते थे। उसी रास्ते में छत्तीस फुट
गहरा सूखा कच्चा कुआँ था। लेखक ने एक स्कूल से लौटते हुए उसमें झाँक कर दे खा और
एक ढे ला इसलिए फेंका ताकि वह ढे ले की आवाज़ सुन सके, पर ढे ला गिरते ही उसे एक
फुसकार सुनाई दी। इस तरह वे जान गए कि कुएँ में साँप है ।

प्रश्न 6.
लेखक पर बिजली-सी कब गिर पड़ी?
उत्तर-
लेखक अपने छोटे भाई के साथ मक्खनपुर डाक में चिट्ठियाँ डालने जा रहा था। उसके साथ
उसका छोटा भाई भी था। उस रास्ते में एक कुआँ पड़ता था जिसमें साँप गिर पड़ा था।
लेखक के मन में उसकी फुसकार सुनने की इच्छा जाग्रत हुई। उसने एक हाथ से टोपी उतारी
और उसी समय दस ू रे हाथ से ढे ला कुएँ में फेंका। टोपी उतारते ही उसमें रखी चिट्ठियाँ कुएँ में
चक्कर काटते हुए गिर रही थी। चिट्ठियों की ऐसी स्थिति दे खकर लेखक पर बिजली-सी गिर
पड़ी।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
लेखक को माँ की याद कब और क्यों आई?
उत्तर-
लेखक अपने भाई द्वारा लिखी चिट्ठियाँ डाक में डालने जा रहा था कि उसके मन में कुएँ में
गिरे साँप की फुफकार सुनने की इच्छा जाग उठी। उसने ढे ला फेंकने के लिए ज्यों ही अपने
सिर से टोपी उतारी उसमें रखी टोपियाँ चक्कर काटती हुई कुएँ में गिर पड़ीं। लेखक निराशा,
पिटने के भय, और उद्वेग से रोने का उफ़ान नहीं सँभाल पा रहा था। इस समय उसे माँ की
गोद की याद आ रही थी। वह चाहता था कि माँ आकर उसे छाती से लगा ले और लाड-प्यार
करके कह दे कि कोई बात नहीं, चिट्ठियाँ फिर लिख ली जाएँगी। उसे विश्वास था कि माँ ही
उसे इस विपदा में सच्ची सांत्वना दे सकती है ।

प्रश्न 2.
‘लेखक चिट्ठियों के बारे में घर जाकर झठ
ू भी बोल सकता था, पर उसने ऐसा नहीं किया’
इसके आलोक में लेखक की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए बताइए कि आप
लेखक के चरित्र से किन-किन विशेषताओं को अपनाना चाहें गे?
उत्तर
लेखक जानता था कि जिस कुएँ में उससे चिट्ठियाँ गिर गई हैं, उसमें जहरीला साँप रहता था।
उसके पास से चिट्ठियाँ उठाना अत्यंत जोखिम भरा था। वह चिट्ठियों के बारे में घर आकर
झठ
ू -भी बोल सकता था, पर उसने झठ
ू बोलने के बजाय कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का जोखिम
भरा कार्य किया। लेखक के चरित्र में सत्यनिष्ठा थी, जो उसके झठ
ू बोलने की सोच पर भारी
पड़ रही थी। वह साहसी और बुद्धिमान था, जिसके बल पर वह पहले भी कई साँप मार चुका
था। उसका संकल्प और आत्मबल मज़बूत था जिसके सहारे वह असंभव को भी सरल काम
समझ रहा था। इसी के बल पर उसने योजनानुसार अपना काम किया। मैं लेखक के चरित्र
से सत्यनिष्ठ, प्रत्युत्पन्नमति, साहसी, बुद्धि से काम करने की कला तथा दृढ़ संकल्प जैसे गुण
अपनाना चाहता हूँ।

प्रश्न 3.
कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने में उसके भाई का कितना योगदान था? इससे लेखक के चरित्र में
किन-किन जीवन मूल्यों की झलक मिलती है ?
उत्तर
लेखक कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का काम संभवतः करने की सोच भी न पाता, यदि उसे
अपने भाई का सहयोग न मिलता। लेखक ने दृढ़ संकल्प से अपनी दवि
ु धा पर विजयी पाई।
उसने चिट्ठियाँ निकालने के लिए अपनी दो धोतियाँ तथा अपने छोटे भाई की दोनों धोतियों के
अलावा वह धोती भी बाँधी जिसमें भुनवाने के लिए चने बँधे थे, को परस्पर बाँधा। अब उसके
छोर पर एक डंडा बाँधकर उसने कुएँ में लटका दिया और दस
ू रे हिस्से को कुएँ की डेंग में
बाँधकर इसे अपने भाई को पकड़ा दिया। इसके बाद वह चिट्ठियाँ उठाने के लिए कुएँ में उतर
गया। अदम्य साहस और बुद्धि कौशल का परिचय दे ते हुए चिट्ठियाँ निकालने में वह सफल हो
गया। इस कार्य से लेखक के साहसी होने, बुद्धिमान होने, योजनानुसार कार्य करने तथा भाई
से असीम लगाव रखने जैसे उच्च जीवन मूल्यों की झलक मिलती है ।

प्रश्न 4.
लेखक ने किस तरह अत्यंत सूझ-बूझ से अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह किया? ‘स्मति
ृ ’ पाठ के
आलोक में स्पष्ट कीजिए। इससे आपको क्या सीख मिलती है ?
उत्तर-
‘स्मति
ृ ’ पाठ में लेखक को उसके भाई ने डाक में डालने की चिट्ठियाँ दी थीं। उसकी
असावधानी के कारण ये चिट्ठियाँ उस कुएँ में गिर गईं, जिसमें विषधर बैठा था। उसके पास से
चिट्ठियाँ उठाना शेर के जबड़े से माँस खींचने जैसा कठिन और जोखिम भरा था, जिसमें जरा-
सी चूक जानलेवा साबित हो सकती थी। यद्यपि ऐसा करने के पीछे एक ओर उसमें
जिम्मेदारी का भाव था, तो दस
ू री ओर भाई से पिटने का भय परं तु उसने अदम्य साहस, दृढ़
संकल्प और आत्मविश्वास, धैर्य, विपरीत परिस्थितियों में बद्धि
ु मानी से काम करने की कला के
कारण वह मौत के मँह
ु से चिट्ठियाँ उठा लिया और मौत को ठें गा दिखा दिया। इस घटना से
हमें यह सीख भी मिलती है कि ऐसी घटनाओं को हमें प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए और
ऐसा कार्य करने से पहले अपने से बड़ों की राय-सलाह अवश्य लेनी चाहिए, ताकि हम किसी
अनहोनी का शिकार न बनें।

प्रश्न 5.
‘स्मति
ृ ’ कहानी हमें बच्चों की दनि
ु या से सच्चा परिचय कराती है तथा बाल मनोविज्ञान का
सफल चित्रण करती है । इससे आप कितना सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘स्मति
ृ ’ कहानी का समूचा कथानक बच्चों की दनि
ु या के आसपास ही घूमता है । इसमें एक
ओर बाल मनोविज्ञान का सुंदर चित्रण है तो बाल सल
ु भ क्रीड़ाओं का संचार भी रचा-बसा है ।
इसके अलावा बालकों के साहस, बुद्धि, उत्साह के कारण खतरे को अनदे खा करने जैसे
क्रियाकलापों का भी उल्लेख है । कहानी की शुरुआत में ही बच्चों को कड़ी ठं ड में झरबेरी
तोड़कर खाते हुए चित्रित किया गया है , जिसमें उन्हें असीम आनंद मिलता है परं तु भाई
द्वारा बल
ु ाए जाने की बात सुनकर यह आनंद तरु ं त भय में बदल जाता है परं तु भाई का पत्र
लिखता दे ख उसके मन से भय गायब हो जाता है ।

बच्चे स्कूल जाते हुए उछल-कूद और हँसी मजाक ही नहीं वरन ् तरह-तरह की शरारतें भी
करते हैं। वे कुएँ में पड़े साँप की फुफकार सन
ु ने के लिए उसमें मिट्टी का ढे ला फेंककर हर्षित
होते हैं। गलती हो जाने पर वे पिटाई से बचने के लिए तरह-तरह के बहाने सोचते हैं तो
समय पर जि मेदारी की अनुभति
ू करते हैं और जान जोखिम में डालने से भी पीछे नहीं हटते
हैं। इस तरह यह कहानी बाल मनोविज्ञान का सफल चित्रण करती है ।
हामिद खाँ
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
लेखक का परिचय हामिद खाँ से किन परिस्थितियों में हुआ?
उत्तर-
हामिद पाकिस्तानी मुसलमान था। वह तक्षशिला के पास एक गाँव में होटल चलाता था।
लेखक तक्षशिला के खंडहर दे खने के लिए पाकिस्तान आया तो हामिद के होटल पर खाना
खाने पहुँचा। वहीं उनका आपस में परिचय हुआ।

प्रश्न 2.
काश मैं आपके मुल्क में आकर यह सब अपनी आँखों से दे ख सकता।’-हामिद ने ऐसा क्यों
कहा?
उत्तर-
हामिद ने ऐसा इसलिए कहा, क्योंकि वहाँ हिंद-ू मुसलमानों को आतताइयों की औलाद समझते
हैं। वहाँ सांप्रदायिक सौहार्द्र की कमी के कारण आए दिन हिंद-ू मुसलमानों के बीच दं गे होते रहे
हैं। इसके विपरीत भारत में हिंद-ू मुसलमान सौहार्द से मिल-जुलकर रहते हैं। ऐसी बातें हामिद
के लिए सपने जैसी थी।

प्रश्न 3.
हामिद को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था?
उत्तर-
हामिद को लेखक की भेदभाव रहित बातों पर विश्वास नहीं हुआ। लेखक ने हामिद को बताया
कि उनके प्रदे श में हिंद-ू मुसलमान बड़े प्रेम से रहते हैं। वहाँ के हिंद ू बढ़िया चाय या पुलावों
का स्वाद लेने के लिए मुसलमानी होटल में ही जाते हैं। पाकिस्तान में ऐसा होना संभव नहीं
था। वहाँ के हिंद ू मस
ु लमानों को अत्याचारी मानकर उनसे घण
ृ ा करते थे। इसलिए हामिद को
लेखक की बातों पर विश्वास न हो सका।

प्रश्न 4.
हामिद खाँ ने खाने का पैसा लेने से इंकार क्यों किया?
उत्तर-
हामिद खाँ ने खाने का पैसा लेने से इसलिए इंकार कर दिया, क्योंकि-
 वह भारत से पाकिस्तान गए लेखक को अपना मेहमान मान रहा था।
 हिंद ू होकर भी लेखक मस
ु लमान के ढाबे पर खाना खाने गया था।
 लेखक मस
ु लमानों को आतताइयों की औलाद नहीं मानता था।
 लेखक की सौहार्द भरी बातों से हामिद खाँ बहुत प्रभावित था।
 लेखक की मेहमाननवाजी करके हामिद ‘अतिथि दे वो भव’ की परं परा का निर्वाह करना
चाहता था।

प्रश्न 5.
मालाबार में हिंद-ू मुसलमानों के परस्पर संबंधों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
मालाबार में हिंद-ू मुसलमानों के आपसी संबंध बहुत घनिष्ठ हैं। हिंदज
ू न मुसलमानों के होटलों
में खूब खान-पान करते हैं। वे आपस में मिल जल ु कर रहते हैं। भारत में मुसलमानों द्वारा
बनाई गई पहली मसजिद उन्हीं के राज्य में है । फिर भी वहाँ सांप्रदायिक दं गे बहुत कम होते
हैं।

प्रश्न 6.
तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के मन में कौन-सा विचार कौंधा? इससे लेखक
के स्वभाव की किस विशेषता का परिचय मिलता है ?
उत्तर-
तक्षशिला में आगजनी की खबर सन
ु कर लेखक के मन में हामिद खाँ और उसकी दक
ु ान के
आगजनी से प्रभावित होने का विचार कौंधा। वह सोच रहा था कि कहीं हामिद की दक
ु ान इस
आगजनी का शिकार न हो गई हो। वह हामिद की सलामती की प्रार्थना करने लगा। इससे
लेखक के कृतज्ञ होने, हिंद-ू मस
ु लमानों को समान समझने की मानवीय भावना रखने वाले
स्वभाव का पता चलता है ।

अन्य पाठे तर हल प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सांप्रदायिक दं गों की खबर पढ़कर लेखक कौन-सी प्रार्थना करने लगा?
उत्तर-
सांप्रदायिक दं गों की खबर पढ़कर लेखक को हामिद और उसकी दक
ु ान की याद हो आई। वह
ईश्वर से प्रार्थना करने लगा, “हे भगवान! मेरे हामिद खाँ की दक
ु ान को इस आगजनी से बचा
लेना।”
प्रश्न 2.
हामिद खाँ की दक
ु ान का चित्रण कीजिए।
उत्तर-
हामिद खाँ की दक
ु ान तक्षशिला रे लवे स्टे शन से पौन मील दरू ी पर एक गाँव के तंग बाज़ार
में थी। उसकी दक
ु ान का आँगन बेतरतीबी से लीपा था तथा दीवारें धल
ू से सनी थीं। अंदर
चारपाई पर हामिद के अब्बा हुक्का गड़
ु गड़
ु ा रहे थे। दक
ु ान में ग्राहकों के लिए कुछ बेंच भी
पड़े थे।

प्रश्न 3.
लेखक को हामिद की याद बनी रहे , इसके लिए उसने क्या तरीका अपनाया?
उत्तर-
भारत जाने पर भी लेखक को हामिद की याद आए, इसके लिए उसने लेखक को भोजन के
बदले दिया गया रुपया वापस करते हुए कहा, ‘मैं चाहता हूँ कि यह आपके ही हाथों में रहे ।
जब आप पहुँचे तो किसी मुसलमानी होटल में जाकर इसे पैसे से पल ु ाव खाएँ और तक्षशिला
के भाई हामिद खाँ को याद करें ।”

प्रश्न 4.
हामिद ने ‘अतिथि दे वो भवः’ परं परा का निर्वाह किस तरह किया?
उत्तर-
लेखक तक्षशिला के पौराणिक खंडहर दे खने पाकिस्तान गया था। वह भूख-प्यास से बेहाल
होकर खाने की तलाश में हामिद की दक
ु ान पर गया। वहाँ वह लेखक की बातों से इतना
प्रभावित हुआ कि उसने लेखक को आदर से भोजन ही नहीं कराया बल्कि उसे अपना मेहमान
समझकर उससे पैसे नहीं लिए और सदा-सदा के लिए लेखक के मन में अपनी छाप छोड़ दी,
इस तरह उसने ‘अतिथि दे वो भवः’ परं परा का निर्वाह किया।

प्रश्न 5.
लेखक ने तक्षशिला में हामिद की निकटता पाने का क्या उपाय अपनाया? इसका हामिद पर
क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
लेखक जानता था कि परदे श में मुसकराहट ही हमारी रक्षक और सहायक बनती है । अतः
लेखक ने हामिद की निकटता पाने के लिए अपना व्यवहार विनम्र बनाया और होठों पर
मुसकान की चादर ओढ़ ली। मुसकान सामने वाले पर अचूक प्रभाव डालती है । हामिद भी
इससे बच न सका। वह लेखक से बहुत प्रभावित हुआ।
प्रश्न 6.
‘तक्षशिला और मालाबार के लोगों में सांप्रदायिक सद्भाव में क्या अंतर है ’? हामिद खाँ पाठ के
आधार पर लिखिए।
उत्तर-
तक्षशिला के लोगों में सांप्रदायिकता का बोलबाला था। वहाँ हिंद ू और मस
ु लमान परस्पर शक
की निगाह से दे खते हैं और एक-दस
ू रे को मारने-काटने के लिए दं गे और आगजनी करते हैं।
इसके विपरीत मालाबार में हिंद-ू मस
ु लमानों में सांप्रदायिक सद्भाव है । वे मिल-जल
ु कर रहते हैं।
यहाँ नहीं के बराबर दं गे होते हैं।

प्रश्न 7.
आज समाज में हामिद जैसों की आवश्यकता है । इससे आप कितना सहमत हैं और क्यों?
उत्तर-
हामिद अमन पसंद व्यक्ति है । वह तक्षशिला में होने वाले हिंद-ू मुसलमानों के लड़ाई-झगड़े से
दख
ु ी है । वह चाहता है कि समाज में हिंद-ू मुसलमान एकता, भाई-चारा बनाकर रहें तथा आपस
में प्रेम करें । वे दं गों तथा मारकाट से दरू रहें । हामिद के हृदय में मनुष्य मात्र के लिए प्रेम
है । अतः आज समाज में हामिद जैसों की आवश्यकता है और भविष्य में भी रहे गी।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
हामिद खाँ ने अपने व्यवहार से भारतीय संस्कृति की किस विशेषता की यादें ताज़ी कर दीं,
और कैसे?
उत्तर
लेखक तक्षशिला (पाकिस्तान) के पौराणिक खंडहर दे खने गया था। वहाँ वह धूप में भूख-प्यास
से बेहाल होकर होटल की तलाश कर रहा था कि उसे हामिद खाँ की दक
ु ान पर जाना पड़ा।
यहाँ हामिद खाँ ने जाना कि लेखक भारत से आया है । और वह हिंद ू है तो उसने लेखक से
खाने का पैसा नहीं लिया और कहा, “भाई जान, माफ़ करना। पैसे नहीं लग
ूं ा। आप मेरे
मेहमान हैं।” हामिद ने अपने व्यवहार से भारतीय संस्कृति की विशेषता ‘अतिथि दे वो भव’ की
यादें ताज़ी कर दी। उसने लेखक को अपना मेहमान मानकर आदरपूर्वक भोजन कराया और
अपने व्यवहार की छाप लेखक के हृदय पर छोड़ दी।

प्रश्न 2.
सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने के लिए आप क्या-क्या सझ
ु ाव दे ना चाहें गे?
उत्तर
सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने के लिए मैं निम्नलिखित सझ
ु ाव दे ना चाहूँगा-

 हिंद-ू मुसलमानों को परस्पर मिल-जल


ु कर रहना चाहिए।
 उन्हें एक-दस
ू रे के धर्म का आदर करना चाहिए तथा धर्म के प्रति कट्टरता को त्याग
करना चाहिए।
 एक-दस
ू रे के त्योहारों को मिल-जल
ु कर मनाना चाहिए, जिससे आपसी दरू ी कम हो जाए।
 अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए नेताओं को किसी धर्म के विरुद्ध भड़काऊ भाषण नहीं
दे ना चाहिए।
 एक-दस
ू रे के धर्म, भाषा, रहन-सहन, आचार-विचार तथा सामाजिक मान्यताओं को नीचा
दिखाने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
 किसी बहकावे में आकर मरने-मिटने को तैयार नहीं हो जाना चाहिए।
 अपने विचारों की संकीर्णता में दोनों धर्मों के लोगों को बदलाव लाना चाहिए।

प्रश्न 3.
हामिद के भारत आने पर आप उसके साथ कैसा व्यवहार करते?
उत्तर-
हामिद के भारत आने पर मैं उसका गर्मजोशी से स्वागत करता। उससे तक्षशिला के
सांप्रदायिक वातावरण में आए बदलावों के बारे में पछ
ू ता, उसकी दक
ु ान के बारे में पूछता। मैं
हामिद को मालाबार के अलावा भारत के अन्य शहरों में ले जाता और हिंद-ू मस्लि
ु म एकता के
दर्शन कराता। मैं उसे अपने साथ हिंद ू होटलों के अलावा मस्लि
ु म होटलों में भी खाना
खिलाता। उसे हिंद-ू मस
ु लमान दोनों धर्मों के लोगों से मिलवाता ताकि वह यहाँ के
सांप्रदायिकता सौहार्द को स्वयं महसस
ू कर सके। मैं उसके साथ ‘अतिथि दे वो भव’ परं परा का
पर्ण
ू निर्वाह करना।।

प्रश्न 4.
अखबार में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक क्यों चिंतित हो गया?
उत्तर-
लेखक पाकिस्तान स्थित तक्षशिला के पौराणिक खंडहरों को दे खने गया था। वहाँ से वह भख
ू -
प्यास से बेहाल होकर भटक रहा था। वह स्टे शन से कुछ दरू चला आया। यहाँ उसे एक
दक
ु ान में रोटियाँ सिंकती दिखी। बातचीत में पता चला कि दक
ु ान हामिद नामक अधेड़ उम्र
का पठान चला रहा है । हामिद लेखक की बातों से प्रभावित होता है , विशेष रूप से एक हिंद ू
होकर मुसलमान के ढाबे पर खाने आना। वह लेखक को मेहमान मान लिया और पैसे नहीं
लिए। उसने लेखक के मन पर अपनी अमिट छाप छोड़ दी थी। हामिद भी कहीं इस आगजनी
का शिकार न हो गया हो, यह सोचकर लेखक चिंतित हो गया।
प्रश्न 5.
हमें अपनी जान बचाने के लिए लड़ना पड़ता है , यही हमारी नियति है । ऐसा किसने और क्यों
कहा? उसके इस कथन का लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
लेखक तक्षशिला की एक सँकरी गली में खाने के लिए कोई ढाबा हूँढ़ रहा था कि एक दक
ु ान
से चपातियों की सोधी खश
ु बू आती महससू हुई। वह दकु ान के अंदर चला गया। बातचीत में
चपातियाँ सेंकने वाले हामिद ने पछ
ू ा, क्या आप हिंद ू हैं? लेखक के हाँ कहने पर उसने पछ
ू ा
आप हिंद ू होकर भी मुसलमान के ढाबे पर खाना खाने आए हैं, तो लेखक ने अपने दे श हिंद-ू
मस्लि
ु म सांप्रदायिक सद्भाव के बारे में उसे बताया जबकि तक्षशिला में स्थिति ठीक विपरीत
थी। वहाँ हामिद जैसों को आतताइयों की औलाद माना जाता था। उन पर हमले किए-कराए
जाते थे, इसलिए उसने कहा कि हमें अपनी जान बचाने के लिए लड़ना पड़ता है । उसके इस
कथन से लेखक दख
ु ी हुआ।

प्रश्न 6.
हामिद कौन था? उसे लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था?
उत्तर
हामिद तक्षशिला की सँकरी गलियों में ढाबा चलाने वाला अधेड़ उम्र का पठान था। वह
अत्यंत संवेदनशील और विनम्र व्यक्ति था। तक्षशिला में उस जैसों को सांप्रदायिकता का
शिकार होना पड़ता था। इससे बचने के लिए उसे आतताइयों से लड़ना-झगड़ना पड़ता था।
लेखक ने जब उसे बताया कि उसके यहाँ (मालाबार में ) अच्छी चाय पीने और स्वादिष्ट
बिरयानी खाने के लिए हिंद ू भी मुसलमानों के ढाबे पर जाते हैं तथा हिंद ू और मस
ु लमान
परस्पर मिल-जुलकर रहते हैं। इसके अलावा भारत में पहली मस्जिद का निर्माण मुसलमानों
ने उसके राज्य के एक स्थान कोंडुगल्लूर में किया था तथा उसके यहाँ हिंद-ू मुसलमानों के
बीच दं गे नहीं के बराबर होते हैं, तो यह सब सुनकर हामिद को विश्वास नहीं हो रहा था।

दिये जल उठे
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.
किस कारण से प्रेरित हो स्थानीय कलेक्टर ने पटे ल को गिरफ्तार करने का आदे श दिया?
उत्तर-
सरदार पटे ल ने पिछले आंदोलन में स्थानीय कलेक्टर शिलिडी को अहमदाबाद से भगा दिया
था। इसी अपमान का बदला लेने के लिए उसने सरदार पटे ल को निषेधाज्ञा भंग करने के
आरोप में गिरफ्तार करने का आदे श दे दिया।

प्रश्न 2.
जज को पटे ल की सज़ा के लिए आठ लाइन के फैसले को लिखने में डेढ़ घंटा क्यों लगा?
उत्तर-
सरदार पटे ल ने रास में भाषण की शरु
ु आत करके कोई अपराध नहीं किया था। पटे ल को
कलेक्टर ने ईष्र्या व रं जिश के कारण गिरफ्तार करवाया था। पटे ल के पीछे दे शवासियों का
पूरा समर्थन था। किस धारा के अंतर्गत पटे ल को कितनी सजा दें , यही सोच-विचार करने के
कारण उसे डेढ़ घंटे का समय लगा।

प्रश्न 3.
“मैं चलता हूँ! अब आपकी बारी है ।”- यहाँ पटे ल के कथन का आशय उधत
ृ पाठ के संदर्भ में
स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
सरदार पटे ल को निषेधाज्ञा उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यद्यपि
निषेधाज्ञा उसी समय लागू की गई थी। अतः उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी थी। अंग्रेज़ सरकार
को कोई-न-कोई बहाना बनाकर कांग्रेस के नेताओं को पकड़ना था। इसी सत्य को उद्घाटित
करते हुए पटे ल ने गाँधी को कहा-“मैं जेल में चलती हैं। अब सरकार आपको भी जेल में बंद
करे गी। तैयार रहिए।

प्रश्न 4.
“इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखें”-गांधी जी ने यह किसके लिए और किस संदर्भ में
कहा?
उत्तर-
पटे ल की गिरफ्तारी के बाद जब गांधी जी रास पहुँचे तो दरबार समुदाय के लोगों के द्वारा
उनका भव्य स्वागत किया गया। ये दरबार लोरा रियासतदार होते थे, जो अपना ऐशो-आराम
छोड़कर रास में बस गए थे। गांधी जी ने इन्हीं दरबार लोगों के त्याग और ऐसे फैसले लेने
के साहस के बारे में कह रहे थे।
प्रश्न 5.
पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि-‘कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना
तात्कालिक सझ
ू बझ
ू और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है । अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
इस पाठ से सिद्ध होता है कि हर कठिन परिस्थिति को आपसी सझ
ू बझ
ू और सहयोग से
निपटा जा सकता है । वल्लभभाई पटे ल की गिरफ्तारी से एक चन
ु ौती सामने आई। गज
ु रात
का सत्याग्रह आंदोलन असफल होता जान पड़ा। किंतु स्वयं गाँधी जी ने आंदोलन की कमान
सँभाल ली। यदि वे भी गिरफ्तार कर लिए जाते तो उसके लिए भी उपाय सोचा गया।
अब्बास तैयबजी नेतत्ृ व करने के लिए तैयार थे।
गाँधी जी को रास से कनकापुर की सभा में जाना था। वहाँ से नदी पार करनी थी। इसके
लिए गाँववासियों ने पूरी योजना बनाई। रात ही रात में नदी पार की गई। इसके लिए झोंपड़ी,
तंबू, नाव, दियों आदि का प्रबंध किया गया। सारा कठिन काम चुटकियों में संपन्न हो गया।

प्रश्न 6.
महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर-
गांधी जी और सत्याग्रही सायं छह बजे चलकर आठ बजे कनकापुरा पहुँचे। वहीं आधी रात में
महिसागर नदी पर करने निर्णय लिया गया। नदी तट पर हजारों लोग दिये लेकर खड़े थे।
नदी के दोनों तटों पर मेले जैसा दृश्य हो रहा था। लोग गांधी, पटे ल और नेहरू की जयकार
कर रहे थे।

प्रश्न 7.
“यह धर्मयात्रा है । चलकर पूरी करूंगा”-गांधीजी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण
का परिचय प्राप्त होता है ?
उत्तर-
इस कथन द्वारा गांधी जी की दृढ़ आस्था, सच्ची निष्ठा और वास्तविक कर्तव्य भावना के
दर्शन होते हैं। वे किसी भी आंदोलन को धर्म के समान पूज्य मानते थे और उसमें पूरे
समर्पण के साथ लगते थे। वे औरों को कष्ट और बलिदान के लिए प्रेरित करके स्वयं सुख-
सवि
ु धा भोगने वाले ढोंगी नेता नहीं थे। वे हर जगह त्याग और बलिदान का उदाहरण स्वयं
अपने जीवन से दे ते थे।

प्रश्न 8.
गांधी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारी इस बात से सहमत नहीं थे कि गांधी कोई काम
अचानक और चुपके से करें गे। फिर भी उन्होंने किस डर से और क्या एहतियाती कदम
उठाए?
उत्तर-
अंग्रेज अधिकारी भी गांधी जी की स्वाभाविक विशेषताओं से परिचित थे। वे जानते थे कि
गांधी जी छल और असत्य से कोई काम नहीं करें गे। फिर भी उन्होंने इस डर से एहतियाती
कदम उठाए कि गांधी जी ने कहा था कि यहाँ भी नमक बनाया जा सकता है , इसलिए नदी
के तट से सारे नमक के भंडार नष्ट करवा दिए।

प्रश्न 9.
गांधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर क्यों खड़े रहे ?
उत्तर-
गांधी जी महिसागर नदी के पार उतर गए। फिर भी लोग नदी तट पर इसलिए खड़े रहे
ताकि गाँधी जी के पीछे आ रहे सत्याग्रही भी तट तक पहुँच जाएँ और उन्हें दियों का प्रकाश
मिल सके।

अन्य पाठे तर हल प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
गांधी जी और पटे ल की मल
ु ाकात आश्रम के सामने सड़क पर क्यों हुई?
उत्तर-
सरदार पटे ल को बोरसद की अदालत में 500 रुपए जर्मा
ु ने के साथ तीन महीने की जेल की
सजा हुई। इसके लिए उन्हें अहमदाबाद की साबरमती जेल में लाया जा रहा था। जेल का
रास्ता आश्रम से होकर जाता था। गांधी जी उनसे मिलने आश्रम से बाहर सड़क पर आ गए
थे, जहाँ दोनों नेताओं की मल
ु ाकात हुई।

प्रश्न 2.
रास में गांधी जी ने लोगों से सरकारी नौकरी के संबंध में क्या आह्वान किया?
उत्तर-
रास में गांधी जी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पटे ल को यह सज़ा आपकी
सेवा के पुरस्कार के रूप में मिली है । ऐसे में कुछ मुखी और तलाटी अब भी सरकारी नौकरी
से चिपके हुए हैं। उन्हें भी अपने निजी तुच्छ स्वार्थ भल
ू कर इस्तीफा दे दे ना चाहिए।
प्रश्न 3.
नदी पार करने के लिए सत्याग्रहियों ने रात दस बजे के बाद का समय क्यों चन
ु ा?
उत्तर-
मही नदी के दोनों ओर दरू -दरू तक दलदल और कीचड़ था। इसी कीचड़ एवं दलदल में कई
किलोमीटर पैदल चलकर नाव तक पहुँचना था। रात बारह बजे समद्र
ु का पानी नदी में चढ़
आता है जिससे कीचड़ एवं दलदल पर पानी भर जाता है और नाव चलने योग्य हो जाती है ।

प्रश्न 4.
रघन
ु ाथ काका ने सत्याग्रहियों की मदद किस तरह की?
उत्तर-
रघन
ु ाथ काका ने गांधी जी एवं अन्य सत्याग्रहियों को नदी पार कराने की जिम्मेदारी अपने
ऊपर ले ली। वे एक नई नाव खरीदकर कनकापरु ा पहुँच गए। गांधी जी उस नाव पर
सत्याग्रहियों के साथ सवार हुए और रघुनाथ काका नाव चलाते हुए दस
ू रे किनारे पर ले गए।

प्रश्न 5.
सरदार पटे ल की गिरफ्तारी पर दे श में क्या-क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर-
रास में मजिस्ट्रे ट द्वारा निषेधाज्ञा लगवाकर गिरफ्तार करवाने से दे श में अंग्रेजी सरकार के
विरुद्ध तरह-तरह की प्रतिक्रियाएँ हुईं। मदनमोहन मालवीय ने केंद्रीय असेंबली में प्रस्ताव पेश
किया, जिसमें पटे ल पर मुकदमा चलाए बिना जेल भेज दे ने की निंदा की गई। इसी प्रस्ताव
के संबंध में मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा था कि सरदार बल्लभ भाई की गिरफ्तारी
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत पर है । गांधी जी भी पटे ल की इस तरह की गिरफ्तारी
से बहुत क्षुब्ध थे।

प्रश्न 6.
महिसागर के दस
ू रे तट की स्थिति कैसी थी? ‘दिये जल उठे ’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
महिसागर के दस
ू रे तट की स्थिति भी पहले तट के जैसी ही थी। यहाँ की जमीन भी दलदली
और कीचडयुक्त थी। यहाँ भी गांधी जी को करीब डेढ़ किलोमीटर तक पानी और कीचड़ में
चलकर किनारे पहुँचना पड़ा। यहाँ भी गांधी जी के विश्राम के लिए झोपड़ी पहले से तैयार कर
दी गई थी।

प्रश्न 7.
गांधी जी के प्रति ब्रिटिश हुक्मरान किस तरह की राय रखते थे?
उत्तर-
गांधी जी के प्रति ब्रिटिश हुक्मरान दो प्रकार की राय रखते थे। इनमें से एक वर्ग को ऐसा
लगता था कि गांधी जी अचानक नमक बनाकर कानन ू तोड़ दें गे, जबकि गांधी जी को निकट
से जानने वाले अधिकारी इस बात से सहमत न थे। उनका मानना था कि गांधी जी इस
तरह कोई काम चप
ु के से नहीं करें गे।

प्रश्न 8.
कनकापरु ा में गांधी जी की सभा के बाद आगे की यात्रा में परिवर्तन क्यों कर दिया गया?
उत्तर-
कनकापरु ा में गांधी जी की सभा के बाद आगे की यात्रा में इसलिए परिवर्तन कर दिया गया
क्योंकि नदी में आधी रात के समय समद्र
ु का पानी चढ़ आता था। इससे कीचड़ और दलदल
में कम चलना पड़ता। इसके विपरीत नदी में पानी कम होने पर नाव तक पहुँचने के लिए
ज्यादा दरू ी कीचड़ और दलदल में तय करनी पड़ती।

प्रश्न 9.
महिसागर नदी का किनारा उस दिन अन्य दिनों से किस तरह भिन्न था? इस अद्भत
ु दृश्य
का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर-
गांधीजी और अन्य सत्याग्रही पानी चढ़ने का इंतजार कर रहे थे। रात बारह बजे महिसागर
नदी का किनारा भर गया, गांधीजी झोपड़ी से बाहर आए और घुटनों तक पानी में चलकर
नाव तक पहुँचे। इसी बीच महात्मागांधी की जय, नेहरु जी की जय, सरदार पटे ल की जय के
नारों के बीच नाव रवाना हुई । इसे रघुनाथ काका चला रहे थे। कुछ ही दे र में नदी के दस
ू रे
किनारे से भी ऐसी ही आवाज़ गूंजने लगी।

प्रश्न 10.
कनकापुरा की जनसभा में गांधी जी ने अंग्रेज़ सरकार के बारे में क्या कहा?
उत्तर-
कनकापुरा की जनसभा में गांधी जी ने अंग्रेज़ सरकार और उसके कुशासन के बारे में यह
कहा कि इस राज में रं क से राजा तक सभी दख
ु ी हैं। राजे-महाराजे भी उसी तरह नाचने को
तैयार हैं, जैसे सरकार नचाती है । यह राक्षसी राज है । इसका संहार करना चाहिए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर


प्रश्न 1.
अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं और किन मानवीय मल्
ू यों के कारण गांधी जी दे शभर में
लोकप्रिय हो गए थे?
उत्तर-
गांधी जी सत्य और अहिंसा के पज
ु ारी थे। वे झठ
ू एवं छल का सहारा लेकर कोई काम नहीं
करते थे। उनकी इस चारित्रिक विशेषता को भारतीय ही नहीं अंग्रेज़ भी समझते थे। इसके
अलावा गांधी जी अपने आराम के लिए दस
ू रों को कष्ट नहीं दे ना चाहते थे। स्वाधीनता की
लड़ाई को वे धार्मिक कार्य मानकर निष्ठा, लगन, ईमानदारी से कर रहे थे। उनके उदार
स्वभाव, दस
ू रों की मदद करने की प्रवत्ति
ृ और सेवा भावना ने उन्हें दे शभर में लोकप्रिय बना
दिया। अपने नेतत्ृ व क्षमता के कारण वे स्वाधीनता आंदोलन के अगआ
ु थे। उनके एक
आह्वान पर दे श उनके पीछे चल दे ता था। इस प्रकार कार्य के प्रति समर्पण, उदारता,
परोपकारिता, सत्यवादिता आदि मानवीय मूल्यों के कारण वे दे शभर में लोकप्रिय हो गए थे।

प्रश्न 2.
सरदार पटे ल के चरित्र से आप किन-किन मूल्यों को अपनाना चाहें गे?
उत्तर-
सरदार बल्लभ भाई पटे ल दे श को आजादी दिलाने वाले नेताओं में प्रमुख स्थान रखते थे। वे
अत्यंत जुझारू प्रवत्ति
ृ के नेता थे। त्याग, साहस, निष्ठा, ईमानदारी जैसे मानवीय मूल्य उनमें
कूट-कूटकर भरे थे। उनमें गजब की नेतत्ृ व क्षमता थी। उनके चरित्र से मैं नि:स्वार्थ भाव से
काम करने की प्रवत्ति
ृ , कार्य के प्रति समर्पण, साहस, ईमानदारी और कार्य के प्रति जुझारूपन
दिखाने जैसे मानवीय मूल्यों को अपनाना चाहूँगा। मैं अपने राष्ट्र के लिए उनके समान तन-
मन और धन त्यागने का गुण एवं साहस बनाए रखना चाहूँगा। दिये जल उठे

प्रश्न 3.
पटे ल और गांधी जी जैसे नेताओं ने दे श के लिए अपना चैन तक त्याग दिया था। आप अपने
दे श के लिए क्या करना चाहें गे?
उत्तर-
गांधी और पटे ल अत्यंत उच्च कोटि के दे शभक्त एवं नेता था। उनके जैसा त्याग करना
सामान्य आदमी के बस की बात नहीं। उनमें नि:स्वार्थ काम करने की जन्मजात भावना थी।
उन्हीं लोगों से प्रेरित होकर मैं अपने दे श के लिए निम्नलिखित कार्य करना चाहूँगा-

 मैं अपनी मातभ


ृ मि
ू की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दं ग
ू ा।
 अपने दे श से प्रेम और सच्चा लगाव रबँगा।
 अपने दे श की बुराई भल
ू कर भी नहीं करूंगा, न सुनूंगा।
 दे श को साफ़-सुथरा बनाने का प्रयास करूंगा।
 दे श की समस्याओं के समाधान में अपना योगदान दं ग
ू ा।
 दे श की उन्नति एवं शान बढ़ाने वाले काम करूंगा।

प्रश्न 4.
नेहरू जी गांधी जी से कब मिलना चाहते थे? इस पर गांधी जी ने क्या कहा?
उत्तर-
नेहरू जी 21 मार्च को होने वाली अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक से पहले गांधी जी
से मिलना चाहते थे। इस पर गांधी जी ने कहा कि उन तक पहुँचना कठिन है । तुमको पूरी
एक रात का जागरण करना पड़ेगा। अगर कल रात से। पहले वापस लौटना चाहते हो, तो
इससे बचा भी नहीं जा सकता। मैं उस समय जहाँ भी रहूँगा, संदेशवाहक तुमको वहाँ तक ले
आएगा। इस प्रयाण की कठिनतम घड़ी में तुम मुझसे मिल रहे हो। तम ु को रात के लगभग
दो बजे जाने-परखे मछुआरों के कंधों पर बैठकर एक धारा पार करनी पड़ेगी। मैं राष्ट्र के
प्रमुख सेवक के लिए भी प्रयाण में जरा भी विराम नहीं दे सकता।

प्रश्न 5.
रास की जनसभा में गांधी जी ने लोगों को किस तरह स्वतंत्रता के प्रति सचेत किया?
उत्तर-
रास की आबादी करीब तीन हज़ार थी, लेकिन उनकी जनसभा में बीस हजार से ज्यादा लोग
थे। अपने भाषण में गांधी ने पटे ल की गिरफ़्तारी का जिक्र करते हुए कहा, ”सरदार को यह
सज़ा आपकी सेवा के परु स्कार के रूप में मिली है । उन्होंने सरकारी नौकरियों से इस्तीफ़े का
उल्लेख किया और कहा कि कुछ मख ु ी और तलाटी ‘गंदगी पर मक्खी की तरह’ चिपके हुए
हैं। उन्हें भी अपने निजी तच्
ु छ स्वार्थ भल
ू कर इस्तीफा दे दे ना चाहिए।” उन्होंने कहा, “आप
लोग कब तक गाँवों को चस
ू ने में अपना योगदान दे ते रहें गे। सरकार ने जो लट
ू मचा रखी है
उसकी ओर से क्या अभी तक आपकी आँखें खल
ु ी
नहीं हैं?”

प्रश्न 6.
रासे में गांधी जी को किस तरह स्वागत हुआ? उन्होंने रास में रहने वाले दरबारों का उदाहरण
किस संदर्भ में दिया?
उत्तर-
रास में गांधी का भव्य स्वागत हुआ। दरबार समुदाय के लोग इसमें सबसे आगे थे। दरबार
गोपालदास और रविशंकर महाराज वहाँ मौजूद थे। गांधी ने अपने भाषण में दरबारों को
खासतौर पर उल्लेख किया। कुछ दरबार रास में रहते हैं, पर उनकी मुख्य बस्ती कनकापुरा
और उससे सटे गाँव दे वण में है । दरबार लोग रियासतदार होते थे। उनकी साहबी थी, ऐशो-
आराम की ज़िंगदी थी, एक तरह का राजपाट था। दरबार सब कुछ छोड़कर यहाँ आकर बस
गए। गांधी ने कहा, “इनसे आप त्याग और हिम्मत सीखें

You might also like