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गिल्लू

1. ‘प्रभात की प्रथम ककरण के स्पर्श के साथ ही वह ककसी और जीवन में जािने के गलए सो

िया’ – का आर्य स्पष्ट कीगजए।

उत्तर:- इस कथन का आर्य है कक प्रातः कालीन सूयश की ककरणों के साथ ही गिल्लू ने अपना

र्रीर त्याि किया। ककसी अन्य जीवन में जन्म लेने के गलए उसने अपने प्राण छोड़ किए।

2. सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समागि से लेगिका के मन में ककस गवश्वास का

जन्म होता है ?

उत्तर:- सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समागि से लेगिका के मन में इस गवश्वास

का जन्म होता था कक एक किन गिल्लू जूही के छोटे से पत्ते के रूप में अवश्य गिलेिा और वह

किर से उसे अपने आस-पास अनुभव कर पाएिी। यह गवश्वास उन्हें संतोष िेता था।

3. पाठ के आिार पर कौए को एक साथ समािररत और अनािररत प्राणी क्यों कहा िया है?

उत्तर:- कौआ बड़ा गवगचत्र प्राणी है। इसका कभी आिर ककया जाता है तो कभी अनािर।

श्राद्ध में लोि कौए को आिर से बुलाते हैं। ऐसा माना जाता है कक गपतृ पक्ष में हमारे पुरिे

हमसे कु छ पाने के गलए कौए बनकर ही आते हैं। इसका अनािर इसगलए ककया जाता है,

क्योंकक कााँव-कााँव करके हमारा गसर िा जाते हैं। इसकी ककश र् वाणी ककसी को नहीं भाती।

4. लेगिका का ध्यान आकर्षशत करने के गलए गिल्लू क्या करता था?

उत्तर:- लेगिका का ध्यान आकर्षशत करने के गलए गिल्लू उनके पैरों तक आकर सरश से परिे

पर चढ़ जाता और किर उसी तेजी से उतरता। उसका यह िौड़ने का क्रम तब तक चलता जब

तक लेगिका उसे पकड़ने के गलए न िौड़ती।


5. गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार ककस प्रकार ककया िया?

उत्तर:- लेगिका गिलहरी के घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले िई। रुई से उसका िून

पोंछकर उसके घावों पर मरहम लिाया। उसकी भूि गमटाने के गलए रुई की बत्ती िूि में

गभिोकर उसके मुाँह पर लिाई िई। कई घंटे के उपचार के बाि वह उसके मुाँह में पानी

टपकाने में सिल हुई। तीन किन में वह स्वस्थ हो िया।

6. गिल्लू ककन अथों में पररचाररका की भूगमका गनभा रहा था?

उत्तर:- एक बार लेगिका मोटर-िुघशटना में घायल होकर कु छ किन तक अस्पताल में रही।

अस्पताल से घर आने पर गिल्लू ने उसकी सेवा की। वह लेगिका के तककए के गसरहाने बैठकर

अपने नन्हे-नन्हे पंजों से उसके गसर और बालों को इतने हौले-हौले सहलाता रहता कक

उसका वहााँ से हटना लेगिका को ककसी पररचाररका के हटने के समान लिता। इस प्रकार

लेगिका की अस्वस्थता में गिल्लू ने पररचाररका की भूगमका गनभाई।

7. गिल्लू को ककन चेष्टाओं से यह आभास गमलने लिा था कक अब उसका अंत समय समीप है

उत्तर:- जब गिल्लू का अंत समय आया तो उसने िाना-पीना छोड़ किया। वह घर से बाहर

भी नहीं िया। गिल्लू अपने अंगतम समय में झूले से उतरकर लेगिका के गबस्तर पर गनश्चेष्ट

लेट िया। उसके पंजे पूरी तरह ठं डे पड़ चुके थे। वह रात भर लेगिका की ऊाँिली पकड़ें रहा

और प्रभात होने तक वह सिा के गलए मौत की नींि सो िया।

8. गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी िई और उसके गलए लेगिका ने क्या

उपाय ककया?

उत्तर:- गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता इसगलए पड़ी क्योंकक वह उसका पहला बसंत

था। बाहर की गिलहररयााँ गिड़की की जाली के पास आकर गचक-गचक करके कु छ-कु छ कहने

लिीं। उस समय गिल्लू जाली के पास आकर बैठ जाता था और उन्हें गनहारता रहता था। तब
लेगिका को लिा के अब गिल्लू को मुक्त कर िेना चागहए। वह अपने सागथयों से गमलना

चाहता था। लेगिका ने उसे मुक्त करने के गलए जाली का कोना िोल किया ताकक इस मािश से

गिल्लू आ-जा सके ।

9. सोनजुही में लिी पीली कली को िेि लेगिका के मन में कौन से गवचार उमड़ने लिे?

उत्तर:- सोनजुही की पीली कली मनमोहक होती है। लेगिका को गवचार आया कक वह छोटा

जीव लता की सघन हरीगतमा में गछपकर बैठ जाता था। उसका नाम गिल्लू था। लेगिका के

गनकट पहुाँचने ही उनके कं िे पर कू िकर उन्हें चौंका िेता था। तब लेगिका को कली की िोज

रहती थी, पर आज उस लघुप्राण की िोज थी।

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