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प्रस्तुति -करुणा मेहेर

( Dunguripali High School)


कबीरदास का जीवन परिचय

कबीरदास भक्तिकाल के निर्गुण भक्ति धारा के प्रमुख संत


कवियों में से एक हैं l उनका जन्म 1398 ई. में काशी
में हुआ और उनकी मृत्यु 1518 ई. में मगहर में हुई थी
l प्राचीन कथानुसार उनका जन्म एक हिन्दू ब्राह्मणी के
गर्भ से एक महात्मा के आशीर्वाद फलस्वरूप हुआ था,
परन्तु माता ने लोकलज्जा के कारण अपनी संतान को
लहरतारा तालाब के किनारे छोड़ आई थी l उनका
पालनपोषण नीरू और नीमा नामक मुसलमान जुलाहा
दम्पति ने किया l
उनका विवाह लोई नामक कन्या से हुआ और उनकी 2 संतानें भी थीं - कमाल
और कमाली l वे निरक्षर थे परन्तु बड़े अनुभवी पुरुष थे l उनकी रचना बीजक
है, जिसे उनका शिष्य धर्मदास ने लिखी थी l
वे जाति, धर्म ,मलाजप, तीर्थटन,ऊं च - नीच के भेद भाव,
अंधविस्वास,मूर्तिपूजा, के बिरोधी थे और सदाचार, सच्चाई, भाईचारे और
धार्मिक सहिष्णुता का प्रचार करते थे l उनकी भाषा मिश्रित खड़ीबोली है, जिसे
सधुक्कड़ी या खिचड़ी कहाजाता है l
दोहे -1
मनीषा जनम दुर्लभ है, देह न बारम्बार l
तरुवर थै फल झड़ी पड़्या, बहुरि न लगै डार ll

शब्दार्थ -
मनिषा - मनुष्य, मानव, नर
दुर्लभ - जो मिलना मुश्किल हो, लागै - लगना
देह - शरीर , बारम्बार - बार बार
तरवर - पेड़, तरु, श्रेष्ठ पेड़
डार - डाली, शाखा
प्रश्न और अभ्यास -1

1) मनुष्य जनम कै सा है?


2) मनुष्य जनम दुर्लभ क्यों है ?
3) क्या बार बार नहीं मिलता ?
4) तरुबर से क्या झड़ता है ?
5) क्या बार बार नहीं डाल पर नहीं लगता ?
6) फल कहाँ से झड़ता है ?
हिंदी में अनुवाद कीजिए
1) କବୀରଦାସ ଜଣେ ସନ୍ଥ ଥିଲେ l
2) ତାଙ୍କର ଜନ୍ମ କାଶୀ ରେ ହୋଇଥିଲା l
3) ସେ ବୀଜକ ଗ୍ରନ୍ଥ ରଚନା କରିଥିଲେ
4) ମଣିଷ ର ଜନ୍ମ ଦୁ ର୍ଲଭ ଅଟେ l
5) ମଣିଷ କୁ ଶରୀର ବାରମ୍ବାର ମିଳେ ନାହିଁ l
6) ଗଛ ରୁ ଫଳ ଝଡିଗଲେ, ପୁଣି ଥରେ ସେଠାରେ ଫଳ ଲାଗେ ନାହିଁ
l
7) କୁ ମ୍ଭାର ର କୁ ମ୍ଭ ଦୁ ର୍ଜନ ସହିତ ସମାନ l
8) ମାଠିଆ ଭାଂଗିଲା ପରେ ପୁଣି ଥରେ ଯୋଡି ହୁ ଏ ନାହିଁ l
दोहा -2
सोना, सज्जन, साधुजन, टू टी जुरै सौ बार
दुर्जन कुं भ कु म्हार के , एकै धका दरार

शब्दार्थ =
सोना - सुवर्ण, कुं दन, सज्जन - सतजन, साधुजन - साधना करने
वाला, टू टै - भंग होना या टू टना, जुरै - जोड़ना, सौ -100, बार -
दफा, दुर्जन - बुरे जन, असाधु, कुं भ - घड़ा, कु म्हार - मिटटी का
काम करनेवाला, एकै - एक, धक्का - धके लना, दरार - टू टना
प्रश्न और अभ्यास -2

1) क्या क्या टू टने के बाद भी जुड़ सकते हैं ?


2) सज्जन और साधुजन कितने बार टू टकर जुड़ सकते हैं ?
3) कु म्हार का कुं भ कै सा है ?
4) दुर्जन किसके समान है ?
5) क्या एक धक्का से टू टता है ?
6) दुर्जन की तुलना किसके साथ हुई है ?
7) कुं भ की तुलना किससे हुई है ?
समानार्थक शब्द लिखिए

मनिषा, देह, तरवर, सोना,, बहुरि, जनम, दरार

विपरीत शब्द लिखिए

जनम, दुर्लभ, दुर्जन, असाधु, टू टना


वाक्य बनाइए
शरीर
कु म्हार
जन्म
फल
दुर्जन
सूरदास
कवि परिचय
• भक्तिकाल के श्रेष्ठ कवि सूरदास हिंदी के सूर्य जैसे तेजस्वी कवि हैं। उनका जन्म सन् 1478 में दिल्ली के
निकट सीही गांव में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ। वे अंधे थे, पर मालूम पड़ता है कि वे जन्मांध नहीं
थे।सूरदास का जन्म निर्धन सारस्वत ब्राह्मण पं0 रामदास के यहाँ हुआ था। सूरदास के पिता गायक थे।
सूरदास के माता का नाम जमुनादास था
• सूरदास की प्रमुख रचनाएँ
• मथुरा और आगरा के बीच यमुना नदी के तटपर स्थित गऊघाट पर उन्होंने संगीत, काव्य और शास्त्र
का अभ्यास किया और विनय के भाव से पदों की रचना की। आगे चलकर वे बल्लभाचार्य के शिष्य बन गए
और बज्र जाकर गोवर्धन के पास परसोली नामक जगह पर अपना स्थायी निवास बनाकर पद लिखते रहे।
• श्रीमद् भागवत महापुराण के आधार पर रचित उनका विशाल ग्रंथ “सूर सागर” हिंदी की अमूल्य निधि
है।
• 1. सूरसागर
• 2. सूर-सारावली
3. साहित्य लहरी
पद

तेरो लाल मेरी माखन खायो।


दुपहर दिवस जानि घर सूनी, ढूँढ़ि-ढँढ़ोरि जाय ही आयो।
खोल किवार सून मंदिर में, दूध, दही सब माखन खबायो।
छींके काढ़ी खाट चढ़ मोहन, कछु खायो कछु लै ढरकायो।
दिन प्रति हानि होत गोरस की, यह ढोटा कौन रंग लायो।
सूरदास कहति ब्रजनारि, पूत अनोखो जायो ।
कठिन सब्दार्थ

• लाल - पुत्र
• ढूँढ़ि-ढँढ़ोरि - खोज खाजकर
• खायो – खाना
• किवार – दरवाजा
• छींके – शिक्या
• ढरकायो – गिरादेना
• ढोटा – पुत्र
प्रश्न और अभ्यास
1) लाल (कृ ष्ण )किसका माखन खाता है ?
2) किस समय कृ ष्ण माखन ढूंढ़ने या चुराने जाते
हैं ?
3) कृ ष्ण अपने सखाओं को क्या खिलाते हैं ?
4) कृ ष्ण कहाँ पर चढ़जाते हैं ?
5) कृ ष्ण थोड़ा दूध, दही खाते हैं और थोड़ो क्या
करते हैं ?
6) प्रतिदिन किस चीज की हानि होती है ?
7) ब्रजनारी किसे अनोखा कहती हैं ?
भाषा कार्य
1) संज्ञा
2) पर्यायवाची शब्द लिखिए
लाल, माखन, दिवस, किवार, पूत, अनोखा
3) तुक मिलाइए
मेरी...........
खायो............
गोरस.............

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