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कबीर दास की साखियाँ एवं सबद (पद) 

कबीर की साखियाँ 
          इस पाठ में कबीर द्वारा रचित सात सखियों का संकलन है । इनमें प्रेम का महत्त्व, संत के लक्षण,
ज्ञान की महिमा, बाह्याडंबरों का विरोध, सहज भक्ति का महत्त्व, अच्छे कर्मों की महत्ता आदि भावों का
उल्लेख हुआ है । इसके अलावा पाठ में कवि के दो सबद (पदों) का संकलन है , जिसमें पहले सबद में
बाह्याडंबरों का विरोध तथा अपने भीतर ही ईश्वर की व्याप्ति का संकेत है । दस
ू रे सबद में ज्ञान की आँधी
रूपक के सहारे ज्ञान के महत्व का वर्णन है । कवि का मानना है कि ज्ञान की सहायता से मनुष्य अपनी
सभी दर्ब
ु लताओं पर विजय पा सकता है । 
मानसरोवर सुभर जल, हं सा केलि कराहिं।
मक
ु ताफल मक
ु ता चग
ु ैं, अब उड़ि अनत न जाहिं। 1। 
शब्दार्थ : मानसरोवर-तिब्बत में एक बड़ा तालाब, मनरूपी सरोवर अर्थात ् हृदय । सभ
ु र-अच्छी तरह भरा
हुआ। हं स-हं स पक्षी, जीव का प्रतीक । केलि-क्रीड़ा । कराहि-करना । मुक्ताफल-मोती, प्रभु की भक्ति । उड़ि–
उड़कर । अनत-अन्यत्र, कहीं और। जाहि-जाते हैं। 
भावार्थ : मानसरोवर स्वच्छ जल से पूरी तरह भरा हुआ है । उसमें हं स क्रीड़ा करते हुए मोतियों को चुग रहे
हैं। वे इस आनंददायक स्थान को छोड़कर अन्यत्र नहीं जाना चाहते हैं। आशय यह है कि जीवात्मा प्रभुभक्ति
में लीन होकर मन में परम आनंद सख
ु लट
ू रहे हैं। वे स्वच्छं द होकर मक्ति
ु का आनंद उठा रहे हैं। वे इस
सुख (मुक्ति) को छोड़कर अन्यत्र कहीं नहीं जाना चाहते 
प्रेमी ढूँढ़त मैं फिरौं, प्रेमी मिले न कोइ।
प्रेमी कौं प्रेमी मिलै, सब विष अमत
ृ होइ।2।
शब्दार्थ : प्रेमी-प्रेम करने वाले (प्रभु-भक्त)। फिरों-घूमता हूँ। होइ-हो जाता है । 
 भावार्थ : कवि कहता है कि मैं ईश्वर प्रेमी अर्थात ् प्रभु -भक्त को ढूँढ़ता फिर रहा था पर अहं कार के कारण
मझ
ु े कोई भक्त न मिला। जब दो सच्चे प्रभ-ु भक्त मिलते हैं तो मन की सारी विष रूपी बरु ाइयाँ समाप्त हो
जाती हैं तथा मन में अमत
ृ मयी अच्छाइयाँ आ जाती हैं। 
हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दल
ु ीचा डारि।
स्वान रूप संसार है , भँक
ू न दे झख मारि।3। 
शब्दार्थ : हस्ती-हाथी। सहज-प्राकृतिक समाधि । दल
ु ीचा-कालीन। स्वान-कुत्ता। भँक
ू न दे -भौंकने दो। झख मारि –
समय बरबाद करना। 
भावार्थ : कवि ज्ञान प्राप्ति में लगे साधकों को संबोधित करते हुए कहता है कि तम
ु ज्ञानरूपी हाथी पर सहज
समाधि रूपी आसन (कालीन) बिछाकर अपने मार्ग पर निश्चिंततापूर्वक चलते रहो। यह संसार कुत्ते के
समान है जो हाथी को चलते दे खकर निरुद्देश्य भौंकता रहता है । अर्थात ् साधक को ज्ञान प्राप्ति में लीन
दे खकर दनि
ु यावाले अनेक तरह की उल्टी-सीधी बातें करते हैं परं तु उसे दनि
ु या के लोगों की निंदा की परवाह
नहीं करनी चाहिए। 
 
पखापखी के कारनै, सब जग रहा भुलान।
निरपख होइ के हरि भजै, सोई संत सुजान। 4। 
शब्दार्थ : पखापखी-पक्ष और विपक्ष। कारनै-कारण। भल
ु ान-भल
ू ा हुआ। निरपख-निष्पक्ष । भजै-भजन, स्मरण
करना। सोई-वही। सुजान-चतुर, ज्ञानी, सज्जन। 
भावार्थ : लोग अपने धर्म, संप्रदाय (पक्ष) को दस
ू रों से बेहतर मानते हैं। वे अपने पक्ष का समर्थन तथा दस
ू रे की
निंदा करते हैं। इसी पक्ष-विपक्ष के चक्कर में पड़कर वे अपना वास्तविक उद्देश्य भल
ू जाते हैं। जो धर्म-संप्रदाय के
चक्कर में पड़े बिना ईश्वर की भक्ति करते हैं वही सच्चे ज्ञानी हैं। 
हिंद ू मआ
ू राम कहि, मुसलमान खुदाइ।
कहै कबीर सो जीवता, जो दह ु ु ँ के निकटि न जाइ ।5।
शब्दार्थ : मूआ-मर गया। सो जीवता-वही जीता है । दहु ु ँ-दोनों। निकटि-पास, नजदीक । जाइ-जाता है । 
भावार्थ : निराकार ब्रह्म की उपासना की सीख दे ते हुए कवि कहता है कि हिंद ू राम का जाप करते हुए तथा
मस
ु लमान खद ु ा की बंदगी करते हुए मर मिटे तथा आने वाली पीढ़ी के लिए कट्टरता छोड़ गए। वास्तव में
राम और खुदा तो एक ही हैं। कवि के अनुसार जो राम और खुदा के चक्कर में न पड़कर प्रभु की भक्ति
करता है वही सच्चे रूप में जीवित है और सच्चा तान प्राप्त 
काबा फिरि कासी भया, रामहिं भया रहीम।
मोट चून मैदा भया, बैठि कबीरा जीम।6। 
शब्दार्थ : काबा-मुसलमानों का पवित्र तीर्थ स्थान । कासी-हिंदओ
ु ं का पवित्र तीर्थ स्थल । भया-हो गया। मोट
चन
ू -मोटा आटा। बैठि-बैठकर । जीम-भोजन करना। 
भावार्थ : कवि कहता है कि मैं जब राम-रहीम, हिंद-ू मुसलमान के भेद से ऊपर उठ गया तो मेरे लिए काशी
तथा काबा में कोई अंतर नहीं रह गया। मन की जिस कलुषिता के कारण जिस मोटे आटे को अखाद्य
समझ रहा था, अब वही बारीक मैदा हो गया, जिसे मैं आराम से खा रहा हूँ। अर्थात ् मन से सांप्रदायिकता
तथा भेदभाव की दर्भा
ु वना समाप्त हो गई। 
ऊँचे कुल का जनमिया, जे करनी ऊँच न होइ।
सब
ु रन कलस सरु ा भरा, साधू निंदा सोइ। 7। 

शब्दार्थ : ऊँचा कुल-अच्छा खानदान । जनमिया-पैदा होकर। करनी-कर्म । सुबरन-सोने का। कलस-घड़ा। सुरा-


शराब। निंदा-बुराई। सोइ-उसकी। 
भावार्थ : कर्मों के महत्त्व को बताते हुए कवि कहता है कि ऊँचे कुल में जन्म लेने मात्र से कोई व्यक्ति बड़ा
नहीं बन जाता है । इसके लिए अच्छे कर्म करने पड़ते हैं। इसी का उदाहरण दे ते हुए कबीर कहते हैं कि सोने
के पात्र में शराब भरी हो तो भी सज्जन उसकी निंदा ही करते हैं। 

सबद
मोकों कहाँ ढूँढ़े बंदे, मैं तो तेरे पास में ।
ना मैं दे वल ना मैं मसजिद, ना काबे कैलास में ।
ना तो कौने क्रिया-कर्म में , नहीं योग बैराग में ।
खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं, पल भर की तालास में ।
कहैं कबीर सुनो भई साधो, सब स्वाँसों की स्वाँस में ।। 
शब्दार्थ : मोको-मझ
ु को। बदे -मनुष्य। दे वल-दे वालय, मंदिर। काबा-मुसलमानों का तीर्थ स्थल । कैलास-कैलाश पर्वत
जहाँ भगवान शिव का वास माना जाता है । कोने-किसी। क्रिया-कर्म-मनुष्य द्वारा ईश्वर की प्राप्ति के लिए
किए जाने वाले आडबर। योग-योग साधना। बैराग-वैराग्य। तरु ते-तरु ं त। मिलिहाँ-मिलेंगे। तालास-खोज। 
भावार्थ : मनुष्य जीवन-भर ईश्वर को पाने का उपाय करता है तथा नाना प्रकार की क्रियाएँ करता है , पर उसे
प्रभु के दर्शन नहीं होते हैं। इसी संबंध में स्वयं निराकार बम मनुष्य से कहते हैं कि हे मनुष्य तूने मुझे
कहाँ खोजा, मैं तो तुम्हारे पास में ही हूँ। मैं किसी मंदिर-मस्जिद या दे वालय में नहीं रहता हूँ न किसी तीर्थ
स्थान पर। मैं किसी पाखंडी क्रियाओं से भी नहीं मिल सकता। जो मुझे सच्चे मन से खोजता है उसे मैं पल
भर में ही मिल सकता हूँ क्योंकि मैं तो हर प्राणी की प्रत्येक साँस में मौजद
ू हूँ। मझ
ु े खोजना है तो अपने
मन में खोज लो। 
संतों भाई आई ग्याँन की आँधी रे ।
भ्रम की टाटी सबै उडाँनी, माया रहै न बाँधी।।
हिति चित की वै यँन
ू ी गिराँनी, मोह बलिंडा तट
ू ा।
त्रिस्नाँ छाँनि परि घर ऊपरि, कुबधि का भाँडाँ फूटा।।
जोग जुगति करि संतों बाँधी, निरचू चुवै न पाणी।
कूड़ कपट काया का निकस्या, हरि की गति जब जाँणी।। 
आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ। 
कहें कबीर भाँन के प्रगटे उदित भया तक खीनाँ।।
शब्दार्थ : भ्रम-संदेह। टाटी-घास फूस तथा बाँस की फट्टियों से बनाया गया आवरण। उड़ॉनी-उड़ गई। माया-मोह
(रस्सी)। बाँधी-बँधकर। हिति-स्वार्थ। चित्त-मन। बै-दो। यूँनी-सहारे के लिए लगाई गई लकड़ी, टे क। गिराँनी-गिर
गई। बलिंडा-मोटी बिल्ली जो छप्पर के बीचोंबीच बाँधी जाती है ।  तूटा-टूट गया। त्रिस्ना-तष्ृ णा, लालच । छाँनि-
छप्पर । कुबुधि-दर्बु
ु द्धि। भाँडाँ-बर्तन। जोग जुगति-योग साधना के उपाय। निरचू-तनिक भी। चुबै-
टपकना। निकस्या-निकल गया। जाँणी-समझ में आई। बूठा-बरसा। भीना-भीग गया। भान (भानु)-सूरज। उदित
भया-निकल आया। तम-अंधकार। खीना-क्षीण या नष्ट होना। 
भावार्थ : ज्ञान का महत्त्व प्रतिपादित करते हुए कहा गया है कि हे संतों! ज्ञान की आँधी आ गई है। उसके
प्रभावों से भ्रम का आवरण उड़ गया। वह माया की रस्सी से बँधा न रह सका। स्वार्थ के खंभे तथा मोह की
बल्लियाँ टूट गईं। तष्ृ णा का छप्पर गिरने से कुबुद्धि के सभी बर्तन टूट गए। संतों ने योग-साधना के उपायों
से नए मजबूत छप्पर को बनाया जिससे तनिक भी पानी नहीं टपकता है । जब संतों को प्रभु का मर्म पता
चला तब उनका शरीर निष्कपट हो गया। इस ज्ञान रूपी आँधी के कारण प्रभ ु -भक्ति की जो वर्षा हुई उससे
हार कोई  हरि के प्रेम में भीग गए। इस प्रकार ज्ञान के सर्यो
ू दय से संतों के मन का अंधकार नष्ट हो
गया। 

साखियाँ एवं सबद प्रश्न उत्तर


 प्रश्न 1 : ‘मानसरोवर’ से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर : मानसरोवर से कवि का आशय यह है कि जीव की आत्मा भी मानसरोवर रूपी प्रभु भक्ति में लीन
होकर मुक्ति का आनंद उठा रहे है और इस भक्ति रूपी मानसरोवर के सुख को छोड़कर वे कहीं जाना नहीं
चाहते । योग साधना में मानसरोवर स्नान एवं कैलाशवास की चर्चा की गई है। जब कंु डलिनी शक्ति सुजुम्ना मार्ग से ब्रह्म
रं घ्र में पहुँचती है , तब शिव-शक्ति का समागम होता है साधना की यह चरमावस्था ही मानसरोवर-स्नान है ।
प्रश्न 2. कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है ?
उत्तर:-कवि ने सच्चे प्रेमी की कसौटी बताते हुए कहा है कि जब सच्चा प्रेमी अपने प्रियतम से मिलता
है तो उसके मन का वियोग रूपी विष मिलन-सुख से उत्पन्न अमत ृ के रूप में बदल जाता है ।
प्रश्न 3.तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्व दिया है ?
उत्तर:- सहज समाधि या सहज ध्यान के बाद प्राप्त ज्ञान को कवि ने महत्त्व दिया है ।
प्रश्न 4.इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता
उत्तर:- जो किसी भी मत-संप्रदाय से निरपेक्ष होकर ईश्वर की भक्ति करता है उसे ही कबीर ने सच्चा
संत -माना है ।
प्रश्न 5.अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है ?
उत्तर:- हिन्द-ू मुसलमान में भेद करना और कुल जातिकी श्रेष्ठता को मानना ऐसी संकीर्णताएं हैं।
प्रश्न 6. किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल सहोती है या उसके कर्मों से? तर्क सहित उत्तरदीजिए।
उत्तर:-मनुष्य की पहचान उसके कर्मों से होती है , कुल से नहीं। ऊँचे कुल में जन्म लेने वाले यदि नीच
कर्म करता है तो वह हे य है । इसके विपरीत कोई व्यक्ति अच्छे कर्म करता है तो उसे कर्मों से पहचान
मिलती है । कोई उसकी कुल जाति नहीं पूछता।
प्रश्न 7.काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिएहस्ती चढ़िए ज्ञान को, सहज दल
ु ीचा डारि। स्वान रूप संसार है , मूंकन
में झख मारि।
उत्तर:- कवि ज्ञान का महत्त्व प्रतिपादित कर रहा है ।
जैसे हाथी बलशाली पशु है उसी प्रकार ज्ञान भी बलशाली है ।
ज्ञान रूपी हाथी की सवारी करना सम्मान का लक्षण है ।
‘सहज’ का विशेष अर्थ है -सहज ध्यान या समाधि।
(क) ऐसे ज्ञानी की आलोचना करने वाले कुत्ते हैं, जो नए और अपरिचित को दे खकर भौंकते रहते हैं,
उनकी चिंता नहीं करनी चाहिए।
(ख) रूपक अलंकार-ज्ञान रूपी हाथी, सहज रूपी दनि
ु या और स्थान रूपी संसार।
(ग) ‘कुत्तों को भौंकते दो’ कहकर आलोचकों की चिंता न करने का संदेश।
(घ) लक्षण शब्द शक्ति, मुहावरों का प्रयोग।
दोहा, छं द, सरल भाषा।
प्रेश्न 8.मनष्ु य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ता फिरता
उत्तर:-मनष्ु य ईश्वर को दे वालयों, मस्जिदों, काबा कैलाश विभिन्न क्रिया-कर्मों और योग तथा वैराग्य में
ढूँढता फिरता है ।
प्रश्न 9.कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है ?
उत्तर:-कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए दे वालयों में जाने मस्जिदों में जाने, काबा और काशी की यात्रा
करने विभिन्न कर्मकांड करने और योग वेराग्य की साधना करने के विश्वास का खंडन किया है ।
प्रश्न 10.कबीर ने ईश्वर को ‘सब स्वाँसों की स्वाँस में क्यों कहा है ?
उत्तर:-ईश्वर का निवास प्रत्येक जीवात्मा के अंदर है इसलिए कबीर ने कहा है कि ईश्वर आत्मा में
अर्थात ् ‘सब स्वासों की स्वाँस में ’ है ।
प्रश्न 11.कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की?
उत्तर:-जैसे आँधी आने पर सारे टाट-छप्पर पड़ जाते हैं और वर्षा आती है वैसे ही जब ज्ञान आता है तो
वह – चित्त से अज्ञानता के आवरण को उड़ाकर व्यक्ति को शुद्ध और ज्ञान राशि से स्नात (स्नात करा
दे ता) कर दे ता है ।
प्रश्न 12.ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-ज्ञान की आँधी के आने पर भक्त ईश्वर प्रेम के जल में स्नान करता है अज्ञान रूपी अंधेरा ज्ञान
रूपी सूर्य के उदित होने पर छं ट जाता है और भक्त अपने वास्तविक स्वरूप से परिचित हो जाता है ।
प्रश्न 13. भाव स्पष्ट कीजिए
(क) हिति चित्त की वै यूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
उत्तर:-कबीर कहते हैं कि जब भक्त को ज्ञान प्राप्त होता है तो उसके मन से स्वार्थ नष्ट हो जाता है ।
वह आत्महित नहीं सोचता। उसका मोह भी दरू हो जाता है ।
(ख) अंधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
उत्तर:-कबीर कहते हैं कि जैसे आँधी-तूफान के बाद पानी भर जाता है उसी प्रकार भक्त के मन में ज्ञान
की आँधी के बाद प्रेम का जल सर्वत्र फैल जाता है जिसमें हरि का भक्त भीग जाता है अर्थात ् प्रेम में
सराबोर हो जाता है ।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 14.संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी
विचारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:-कबीर का धर्म संकीर्ण नहीं है , वे निष्पक्ष होकर अपने ईश्वर को स्मरण करने का परामर्श दे ते हैं।
उनके विचार से मन में प्रेम का होना आवश्यक है । काबा-कासी में ईश्वर नहीं है । वे हिंद-ू मुसलमान
दोनों की उपासना पद्धति पर चोट करते हैं और उन्हें निष्पक्ष रहने का परामर्श दे ते हैं।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 15. निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए-
पखापखी, अनत, जोग, जग
ु ति, बैराग, निरपख
उत्तर:
परखापखी – पक्ष-विपक्ष
अनत – अन्यत्र
जोग – योग
जुगति – बैराग
निरपख – निष्पक्ष
Question 1. मोको कहाँ दं दे बंदे, ‘मैं’ तो तेरे पास में इसमें मैं’ किसके लिए प्रयोग हुआ है ।
(a) कबीर दास के लिए
(b) अहं कार के लिए
(c) भगवान के लिए
(d) मनष्ु य के लिए
Answer
Question 2. कबीर के अनुसार ईश्वर का वास कहाँ है
(a) मंदिर में
(b) जंगल में
(c) आकाश में
(d) प्रत्येक जीव की साँसों में
Answer
question 3. कबीर ने संत के क्या लक्षण बताए हैं।
(a) वह किसी एक मत को मानता है
(b) वह अपने पक्ष का समर्थन करने वाला होता है
(c) वह निरपेक्ष होकर ईश्वर का भजन करता है
(d) वह सभी मतों को मानता है
Answer
Question 4.ज्ञान की आंधी आने पर क्या होता है ?
(a) मनुष्य का भ्रम दरू हो जाता है
(b) माया-मोह से छुटकारा मिल जाता है
(c) मनुष्य की अज्ञानता समाप्त हो जाती है
(d) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं
Answer
Question 5. ‘मान सरोवर ………… अनंत न जाहि’ इस साखी में कौन-सा अलंकार है ?
(a) अन्योक्ति
(b) रूपक
(c) श्लेष
(d) उपमा
Answer

Question 6. ‘मान सरोवर ……………. अनंत न जाहि’ इस साखी में हं स और मानसरोवर किस-किस के
प्रतीक हैं।
(a) हं स परमात्मा का और मानसरोवर मन का प्रतीक
(b) हं स जीवात्मा का और मानसरोवर आनंदवति
ृ त्त वाले मन का एवं शन्
ू य विकार के अमत
ृ कंु ट का
प्रतीक है
(c) हं स शन्
ू य विकार का व मान सरोवर परमात्मा का प्रतीक है
(d) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
Answer
Question 7. कबीर दास जी ने ज्ञानी और संत किसे बताया
(a) जो अपने धर्म सम्प्रदाय का ख्याल रखता है
(b) जो सदा ईश्वर भक्ति में लीन रहता है
(c) जो सरल हृदय से निष्पक्ष होकर सम्प्रदायों से ऊपर उठकर प्रभु का ध्यान करता है
(d) जो कठोर साधना में लीन रहता है ।
Answer
Question 8. मनुष्य कब महान कहलाता है ?
(a) जब वह ऊँचे कुल में जन्म लेता है
(b) जब उसके माँ बाप धनी होते हैं
(c) जब वह अपने धर्म सम्प्रदाय को बढ़ावा दे ता है
(d) जब उसके कर्म ऊंचे होते हैं
Answer
Question 9.कबीर की रचनाएँ संकलित हैं
(a) सरू सागर में
(b) कबीर ग्रन्थावली में
(c) सूर सारावली में
(प) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Answer
Question 10. कबीर रास की रचनाएँ हमें मिलती हैं
(a) साखी के रूप में
(b) सबद के रूप में
(c) रमैनी के रूप में
(d) सभी कथन सत्य हैं
Answer

Question 11. कबीर दास ने किए


(a) समाज सुधार के कार्य
(b) आर्थिक सुधार के कार्य
(c) धार्मिक कार्य
(d) धार्मिक व आर्थिक दोनों
Answer
Question 12. कबीर दास जी
(a) सगुण के उपासक ये
(b) सगुण और निर्गुण दोनों के उपासक थे
(c) नास्तिक थे
(d) निर्गुण के उपासक थे
Answer
Question 13. कबीर दास के गुरु का नाम था
(a) सत्यानंद
(b) रामानंद
(c) ब्रह्मानंद
(d) ईश्वरानंद
Answer
Question 14. कबीर दास के माता-पिता का नाम था
(a) शेरु व सीमा
(b) हरिया व हीरा
(c) नीरू और नीमा
(d) रामू और श्यामा
Answer
Question 15. कबीर दास का जन्म कब और कहाँ हुआ?
(a) सन ् 1999 में वाराणसी में
(b) सन ् 1459 में प्रयाग में
(c) सन ् 1393 में मधरु ा में
(d) सन ् 1430 में आगरा में
Answer
काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न
मोको कहाँ ढूँढे बंदे, मैं तो तेरे पास में ।
ना मैं दे वल ना मैं मसजिद, ना काये कैलास में ।
ना तो कौने किया-कर्म में , नहीं योग वैराग में ।
खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं, पल भर की तालास में ।
की कबीर सुनो भाई सायो, सब स्वासों की स्वोस में ।।
Question 1.लोग ईश्वर को कहाँ ढूँढते हैं?
(a) मंदिर में
(b) मसजिद में
(c) काबा और कैलाश में
(d) उपर्युक्त सभी जगह
Answer
Question 2.ईश्वर कहाँ रहता है ?
(a) मूर्ति में
(b) काशी में
(c) प्राणी के हृदय में
(d) काबा में
Answer
Question 3.हम ईश्वर को क्यों नहीं हूँढ पाते हैं।
(a) क्योंकि हम अपने अंतःकरण को नहीं टटोलते
(b) क्योंकि हम मूर्तिपज
ू ा नहीं करते
(c) क्योंकि हम तीर्थ यात्रा नहीं करते
(d) क्योंकि हम अपने को बहुत ज्ञानी समझते हैं
Answer
Question 4.कबीर ने इस पद में किस बात पर जोर दिया
(a) मूर्तिपूजा पर
(b) तीर्थयात्रा पर
(c) पीतांबर धारण करने पर
(d) ईश्वर का अपने हृदय में ध्यान करने पर
Answer
Question 5.कबीर ने किन-किन धारणाओं का खंडन किया
(a) कि ईश्वर मर्ति
ू यों में है
(b) ईश्वर तीर्थों में बसता है
(c) ईश्वर काबा या कैलाश में है
(d) उपर्युक्त सभी का खंडन किया है
Answer

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