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Question Answer

संस्मरण से
प्रश्न 1. लेखिका बचपन में इतवार की सुबह क्या-क्या काम करती थी ?

उत्तर-बचपन में इतवार की सुबह लेखिका अपने मोजे धोती थी, फिर जूतों पर पॉफलश करके उसे
कपडे या ब्रश से रगडकर चमकाती थी।

प्रश्न 2. ‘तुम्हें बताऊँगी कक हमारे समय और तुम्हारे समय में ककतनी दू री हो चुकी है।’-इस बात
के कलए ले खिका क्या-क्या उदाहरण दे ती हैं?

उत्तर-लेखिका अपने समय से आज के समय की दू री को बताने के फलए फनम्नफलखित उदाहरण प्रस्तुत


कर रही हैं-
(क) तब उन फदनों रे फियो और टे लीफवज़न की जगह कुछ घरों में ग्रामोफोन होते थे।
(ि) पहले कुल्फी होती थी अब आइसक्रीम हो गई। कचौडी-समोसा अब पैटीज़ में बदल गया है।
(ग) फाल्से और िसिस के शरबत के स्थान पर कोक और पेप्सी जैसे शीतल पेयों ने ले फलया है।
उनके समय में कोक नहीं। लेमनेि, फवमटो फमलती थी।

प्रश्न 3. पाठ से पता करके कलिो कक ले खिका को चश्मा क्योों लगाना पडा? चश्मा लगाने पर
उनके चचेरे भाई उन्हें क्या कहकर कचढाते थे?

उत्तर-लेखिका को रात में टे बल लैंप के सामने बैठकर पढ़ने के कारण उनकी नजर कमजोर हो गई
थी, इस वजह से उन्हें चश्मा लगाना पडा। उनके चचेरे भाई चश्मा लगाने पर उन्हें छे डते हुए कहते
थेआँि पर चश्मा लगाया ताफक सूझे दू र की यह नहीं लडकी को मालूम सूरत बनी लंगूर की!

प्रश्न 4. लेखिका अपने बचपन में कौन-कौन सी चीजें मजा ले-लेकर िाती थी ों? उनमें से प्रमुि
फलोों के नाम कलिो।

उत्तर-लेखिका बचपन में चॉकलेट को बडे मजे से िाती थी। उनको सप्ताह में एक बार चॉकलेट
िरीदने की छूट थी। लेखिका चॉकलेट को साइिबोिड पर रि दे ती थी फिर फबस्तर पर लेटकर मजे से
िाती थी। इसके अफतररक्त कुल्फी, शहतूत, फाल्से के शरबत, चॉकलेट, पेस्ट्री तथा िल मजे ले-लेकर
िाती थी। कुछ प्रमुि िल ‘कािल’ और ‘चेस्ट्नट’ था।

संस्मरण से आगे
प्रश्न 1. लेखिका के बचपन में हवाई जहाज की आवाजें, घुडसवारी, ग्रामोफोन और शोरूम में
कशमला-कालका ट्र े न का मॉडल ही आश्चययजनक आधुकनक चीजें थी ों। आज क्या-क्या
आश्चययजनक आधुकनक चीजें तुम्हें आककषयत करती हैं? उनके नाम कलिो।
उत्तर-आज की आश्चयडजनक आधुफनक चीजें हैं-कंप्यूटर, टे लीफवज़न, इं टरनेट, मोबाइल, रोबोट, मेटरो
टर े न, मोटर कार, बाइक आफद।
इनके प्रफत हम आज ज्यादा आकफषडत होते हैं।

प्रश्न 2. अपने बचपन की ककसी मनमोहक घट्ना को याद करके कवस्तार से कलिो।

उत्तर-छात्र स्वयं करें ।

अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. सन् 1935-40 के लगभग लेखिका को बचपन कशमला में अकधक कदन गुजरा उन कदनोों के
कशमला के कवषय में जानने का प्रयास करो।

उत्तर-लेखिका का बचपन अफधकांशतः फशमला में गुजरा। उन फदनों फशमला फवकफसत होने लगा था।
वहाँ रे स्ट्ोरें ट, मॉल, अच्छी दु कानें आफद िुल गई थीं। छोटी-छोटी पहाफडयों से फघरा शहर, चढ़ाई-
चढ़कर फगरजा मैदान पहुँचना और उतर कर मॉल जाना ये सब घटनाएँ सुिद थीं। संध्या के समय
धुंधलके में गहराते पहाड, ररज पर बढ़ती रौनक, मॉल के दु कानों की चमक और स्कैंिल प्ांइट ये सब
फशमला की िूबसूरती की झलक फदिाते हैं।

प्रश्न 2. लेखिका ने इस सोंस्मरण में सरवर के माध्यम से अपनी बात बताने की कोकशश की है,
लेककन सरवर का कोई पररचय नही ों कदया है। अनुमान लगाइए कक सरवर कौन हो सकता है?

उत्तर-इस संस्मरण में लेखिका ने दो बार सरवर का नाम फलया है। सरवर का नाम लेखिका ने संकेत के
रूप में फलया है। इसके अलावा उस व्यखक्त के फलए अन्य संबोधन का प्रयोग नहीं हुआ है। अतः संभव
है फक सरवर कोई पत्रकार या उनका फमत्र लेिक रहा होगा फजन्हें वह अपनी जीवनी सुना रही हैं।

भाषा की बात

प्रश्न 1. कियाओों से भी भाववाचक सोंज्ञाएँ बनती हैं। जैसे मारना से मार, काट्ना से काट्, हारना
से हार, सीिना से सीि, पलट्ना से पलट् और हडपना से हडप आकद भाववाचक सोंज्ञाएँ बनी
हैं। तुम भी इस सोंस्मरण से कुछ कियाओों को छाँट्कर कलिो और उनके भाववाचक सोंज्ञा
बनाओ।

उत्तर-

किया भाववाचक सोंज्ञा


गूंजना गूँज

उभार उभरना

दौडना दौड

चढ़ना चढ़ाई

चाल चलन

गहराना गहराई

िींजना िीज़

बदलना बदलाव

प्रश्न 2. चार कदन, कुछ व्यखि, एक लीट्र दू ध आकद शब्ोों के प्रयोग पर ध्यान दो तो पता चलेगा
कक इसमें चार, कुछ और एक लीट्र शब् से सोंख्या या पररमाण का आभास होता है, क्योोंकक ये
सोंख्यावाचक कवशेषण हैं। इसमें भी चार कदन से कनकश्चत सोंख्या का बोध होता है, इसकलए इसको
कनकश्चत सोंख्यावाचक कवशेषण कहते हैं और कुछ व्यखि से अकनकश्चत सोंख्या का बोध होने से इसे
अकनकश्चत सोंख्यावाचक कवशेषण कहते हैं। इसी प्रकार एक लीट्र दू ध से पररमाण का बोध होता
है इसकलए इसे पररमाणवाचक कवशेषण कहते हैं।
अब तुम नीचे कलिे वाक्योों को पढो और उनके सामने कवशेषण के भेदोों को कलिो-
(क) मुझे दो दजयन केले चाकहए।
(ि) दो ककलो अनाज दे दो।
(ग) कुछ बच्चे आ रहे हैं।
(घ) सभी लोग हँस रहे थे।
(ङ) तुम्हारा नाम बहुत सुोंदर है।

उत्तर-(क) दो दजडन- फनफश्चत संख्यावाचक फवशेषण।


(ि) दो फकलो- फनफश्चत पररणामवाचक फवशेषण।
(ग) कुछ- अफनफश्चत संख्यावाचक फवशेषण।
(घ) सभी- अफनफश्चत पररमाणवाचक फवशेषण।
(ङ) (i) तुम्हारा- सावडनाफमक फवशेषण
(ii) बहुत- अफनफश्चत पररमाणवाचक फवशेषण
(iii) सुंदर- गुणवाचक फवशेषण

प्रश्न 3. कपडोों में मेरी कदलचखियाँ मेरी मौसी जानती थी ों।


इस वाक्य में रे िाोंककत शब् ‘कदलचखियाँ’ और ‘मौसी’ सोंज्ञाओों की कवशेषता बता रहे हैं,
इसकलए ये सावयनाकमक कवशेषण हैं। सवयनाम कभी-कभी कवशेषण का काम भी करते हैं। पाठ में
से ऐसे पाँच उदाहरण छाँट्कर कलिो।

उत्तर-(क) हम बच्चे इतवार की सुबह इसी में लगते


(ि) उन फदनों कुछ घरों में ग्रामोफोन थे।
(ग) हमारा घर माल से ज्यादा दू र नहीं था।
(घ) अपने-अपने जूते पॉफलश करके चमकाते।
(ङ) यह गाना उन फदनों स्कूल में हर बच्चे को आता था।

कुछ करने को
प्रश्न 1. अगर तुम्हें अपनी पोशाक बनाने को कहा जाए तो कैसी पोशाक बनाओगे और पोशाक
बनाते समय ककन बातोों का ध्यान रिोगे? अपनी कल्पना से पोशाक का कडजाइन बनाओ।

उत्तर-स्वयं करें ।
सोंकेत :छात्र अपनी कल्पना से फिज़ाइन बनाएँ । लडके कोट-पैंट या कुताड पाजामे का फिजाइन बना
सकते हैं और लडफकयाँ फ्रॉक या सलवार कमीज को फिजाइन बना सकती हैं। यह भी फलिें फक
पोशाक बनाते समय आप फकस बात का ध्यान | रिेंगे-पहनने में सुफवधा और आराम का या
आधुफनकता और कारीगरी का।

प्रश्न 2. तीन-तीन के समूह में अपने साकथयोों के साथ कपडोों के नमूने इकट्ठा करके कक्षा में
बताओ। इन नमूनोों को छूकर दे िो और अोंतर महसूस करो। यह भी पता करो कक कौन-सा
कपडा ककस मौसम में पहनने के कलए अनुकूल है।
उत्तर-छात्र स्वयं करें ।

प्रश्न 3. हथकरघा और कमल के कपडे बनाने के तरीकोों के बारे में पता करो। सोंभव हो तो ककसी
कपडे के कारिाने में जाकर जानकारी इकट्ठी करो।

उत्तर-हथकरघा पर हाथ से कपडे बनाए जाते हैं और फमल में मशीन के द्वारा। छात्र फकसी कारिाने
का भ्रमण कर यह जानने का प्रयास करें फक कपडे बनाने की प्रफक्रया क्या है।

प्रश्न 4. हमारे दे श में तरह-तरह के भोजन, तरह-तरह की पोशाकें प्रचकलत हैं। कक्षा के बच्चे और
कशक्षक इनके कवकवध रूपोों के बारे में बातचीत करें । उत्तर-छात्र स्वयों करें ।

उत्तर-छात्र स्वयं करें ।

बहुफवकल्पी प्रश्नोत्तर
(क) “बचपन’ पाठ ककसकी रचना है-
(i) प्रेमचोंद
(ii) रवी ोंद्रनाथ ट्ै गोर
(iii) महादे वी वमाय
(iv) कृष्णा सोबती

(ि) लेखिका बचपन में इतवार की सुबह क्या काम करती थी?
(i) वह कवद्यालय जाती थी।
(ii) वह पौधोों की दे ि-रे ि करती थी।
(iii) वह नृत्य करती थी।
(iv) वह अपने मोजे व जूते पॉकलश करती थी

(ग) लेखिका का जन्म ककस सदी में हुआ था?


(i) 18वी ों सदी
(ii) 20वी ों सदी
(iii) 21वी ों सदी
(iv) 22वी ों सदी

(घ) पहले गीत-सोंगीत सुनने के क्या साधन थे?


(i) रे कडयो
(ii) ट्े लीकवजन
(iii) ग्रामोफोन
(iv) सी० डी० प्लेयर

(ङ) हर शकनवार लेखिका को क्या पीना पडता था?


(i) घी
(ii) ऑकलव ऑयल
(iii) सरसोों तेल
(iv) नाररयल तेल

उत्तर-(क) (iv), (ि) (iv), (ग) (ii), (घ) (iii), (ङ) (ii)

अफतलघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1. इस सोंस्मरण में लेखिका ककसकी चचाय कर रही है?

उत्तर-इस संस्मरण में लेखिका अपने बचपन की चचाड कर रही है।

प्रश्न 2. लेखिका का जन्म ककस सदी में हुआ था?

उत्तर-20वीं सदी में।

प्रश्न 3. लेखिको को सप्ताह में ककतनी बार चॉकलेट् िरीदने की छूट् थी?

उत्तर-लेखिका को सप्ताह में एक बार चॉकलेट िरीदने की छूट थी।

प्रश्न 4. हर शकनवार को लेखिका को क्या पीना पडता था?

उत्तर-हर शफनवार को लेखिका को ऑफलव ऑयल या कैस्ट्र ऑयल पीना पडता था।

प्रश्न 5. दु कान में ककस ट्र े न का मॉडल था?

उत्तर-दु कान में फशमला-कालका टर े न का मॉिल था।

लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1. लेखिका बचपन में कौन-कौन सी चीजें मजा ले-लेकर िाती थी ?

उत्तर-लेखिका बचपन में कुल्फी, शहतूत, फाल्से के शरबत, चॉकलेट, पेस्ट्री तथा िले मजे ले-लेकर
िाती थी। कुछ प्रमुि िल काफल और चेस्ट्नट हैं।

प्रश्न 2. लेखिका बचपन में कैसी पोशाक पहना करती थी? वणयन कीकजए।

उत्तर-बचपन में लेखिका रं ग-फबरं गे कपडे पहनती थी। उन्होंने फपछले दशकों में क्रमशः अनेक प्रकार
के पहनावे बदले हैं। लेखिका पहले फ्रॉक उसके बाद फनकर-वॉकर, स्कटड , लहँगे पहनती थी। उन फदनों
फ्रॉक के ऊपर की जेब में रूमाल और बालों में इतराते रं ग-फबरं गे ररबन का चलन था। लेखिका तीन
तरह की फ्रॉक इस्तेमाल फकया करती थी। एक नीली पीली धारीवाला फ्रॉक था फजसका कॉलर गोल
होता था। दू सरा हलके गुलाबी रं ग का बारीक चुन्नटवाला घेरदार फ्रॉक था, फजसमें गुलाबी फफ्रल लगी
होती थी। लेमन कलर के बडे प्लेटों वाले गमड फ्रॉक का फजक्र करती हैं, फजसके नीचे फर टॅ की थी।

प्रश्न 3. चश्मा लगाते समय डॉक्टर ने क्या भरोसा कदया था?

उत्तर-चश्मा लगाते समय िॉक्टर ने आश्वासन फदया था फक कुछ फदन चश्मा पहनने के बाद चश्मा
आँ िों से उतर जाएगा, लेफकन ऐसा नहीं हुआ। इसके फलए लेखिका स्वयं को ही फजम्मेदार मानती है।
फदन की रोशनी में न काम कर रात में टे बल लैंप के सामने काम करने के कारण उनका चश्मा कभी
नहीं हटा।

प्रश्न 4. ट्ोपी के सोंबोंध में लेखिका क्या सोचती थी?

उत्तर-लेखिका बचपन के फदनों में फसर पर टोपी लगाना पसंद करती थी। उनके पास कई रं गों की
टोफपयाँ थीं। उनका कहना है फक फसर पर फहमाचली टोपी पहनना आसान था जबफक फसर पर दु पट्टा
रिना थोडा कफठन काम।

प्रश्न 5. उम्र बढने के साथ-साथ लेखिका के पहनावे में क्या-क्या बदलाव हुए हैं? पाठ से मालूम
करके कलखिए।

उत्तर-उम्र बढ़ने के साथ-साथ लेखिका के पहनावे में और रहन-सहन में जमीन-आसमान का अंतर आ
गया है। बचपन में लेखिका रं ग-फबरं गी पोशाकें पहनती थी। जैसे पहले फ्रॉक, उसके बाद फनकर-वॉकर,
स्कटड , लहँगे इत्याफद। वतडमान पररवेश में वे चूडीदार पजामी और ऊपर से घेरेदार कुताड पहनती हैं।

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