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बड़े घर की बेटी 1 puc
बड़े घर की बेटी 1 puc
प्रश्न 2. बेनीमाधव लसांह अपनी आधी से अलधक सांपलत्त लकसे भेंट के रूप में दे चु के थे?
उत्तर: बेनीमाधव लसांह अपनी आधी से अलधक सांपलत्त वकीिोां को भें ट कर चु के थे।
अलतररक्त प्रश्नः
अलतररक्त प्रश्नः
प्रश्न 2.“लजसके गुमान पर भूिी हुई हो, उसे भी दे िूगा, और तुम्हें भी।”
उत्तर:यह वाक् िािलबहारी ने आनांदी से कहा।
अलतररक्त प्रश्नः
प्रश्न 2. “स्त्री गालियााँ सह िेती है , मार भी सह िे ती है, पर मैके की लनांदा उनसे नहीां सही जाती।”
उत्तर: प्रसांग : प्रस्तुत गद्याांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘सालहत्य वैभव’ की कहानी ‘बडे घर की बे टी’ से लिया
गया है। इसके िेिक मुांशी प्रे मचन्द हैं।
सांदभत : इस वाक् में िेिक प्रेमचांद आनांदी के बारे में लटप्पणी करते हुए पाठकोां को उसके चररत्र का
पररचय करा रहे हैं।
स्पष्टीकरण : दाि में घी न िािने से तथा घी ित्म हो जाने से िािलबहारी ने गुस्से में भिा-बुरा कहा और
मायकेवािोां के बारे में िरी-िोटी बातें सुनायी। इसी से आनांदी को गुस्सा आ गया। क्ोांलक खस्त्रयााँ सब कुछ
सह सकती है, मार भी िा सकती हैं, पर मायके की लनांदा नहीां सह सकती।
प्रश्न 3. “पर तुमने आजकि घर में यह क्ा उपद्रव मचा रिा है।”
उत्तर: प्रसांग : प्रस्तुत गद्याांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘सालहत्य वैभव’ की कहानी ‘बडे घर की बे टी’ से लिया
गया है। इसके िेिक मुांशी प्रे मचन्द हैं।
सांदभत : इस वाक् को श्रीकांठ अपनी पत्नी आनांदी से कहता है।
स्पष्टीकरण : श्रीकांठ जब शलनवार को घर पहुांचे तो िािलबहारी ने आनांदी के बारे में सबकुछ बता लदया था।
आनांदी के बारे में लशकायतें सुनकर जब श्रीकांठ आनांदी के पास जाता है, तो पूछता है – आजकि यह सब
क्ा हो रहा है? तुमने क्ा उपद्रव मचा रिा है?
प्रश्न 4. “उससे जो कुछ भूि हुई, उसे तुम बडे होकर िमा करो”
उत्तर: प्रसांग : प्रस्तुत गद्याांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘सालहत्य वैभव’ की कहानी ‘बडे घर की बे टी’ से लिया
गया है। इसके िेिक मुांशी प्रे मचन्द हैं।
सांदभत : इस वाक् को लपता बेनीमाधव लसांह अपने बडे पुत्र श्रीकांठ से कहते है।
स्पष्टीकरण : िािलबहारी के हाथोां अपने स्त्री का अपमान होते दे ि श्रीकांठ आपे से बाहर हो जाता है। वह
अपने लपता बेनीमाधव के सामने अपने क्रोध को प्रकट करता है। बेनीमाधव लसांह अनुभवी आदमी थे। वे
इन भावोां को ताडकर अपने बेटे को शाांत करने के उद्दे श्य से बोिते है लक श्रीकांठ को अपने छोटे भाई को
िमा करके अपने बडप्पन का पररचय दे ना चालहए।
प्रश्न 5. “बडे घर की बे लटयााँ ऐसी ही होती हैं। लबगडता हुआ काम बना िे ती हैं।”
उत्तर: प्रसांग : प्रस्तुत गद्याांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘सालहत्य वैभव’ की कहानी ‘बडे घर की बे टी’ से लिया
गया है। इसके िेिक मुांशी प्रे मचन्द हैं। ..
सांदभत : लपता बेनीमाधव लसांह ने अपने पुत्रोां के समि यह वाक् अपनी बह की प्रशांसा करते हुए कहते हैं।
स्पष्टीकरण : श्रीकांठ और िािलबहारी के बीच वाद-लववाद होने से तथा उनकी आपसी नाराजगी के कारण
भाइयोां में प्रेम टू टने तथा घर लबिरने की नौबत आ गई। इससे आनांदी अपने गुस्से को छोडकर,
िािलबहारी को रोक िेती है। सब कुछ ठीक हो जाता है। बडे घर की बेलटयााँ. ऐसे ही लबगडा काम बना
िेती हैं।
अलतररक्त प्रश्नः
प्रश्न 8. “उन्हें बहुत ग्लालन हो गयी है, ऐसा न हो, कहीां चि दें ।”
उत्तर: प्रसांग : प्रस्तुत गद्याांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘सालहत्य वैभव’ की कहानी ‘बडे घर की बे टी’ । से लिया
गया है लजसके कहानीकार मुांशी प्रे मचन्द जी हैं।
सांदभत : आनांदी के अपमान पर श्रीकांठ लसांह का गु स्सा और प्रण दे िकर िािलबहारी को अपने लकए पर
ग्लालन हो आती है।
स्पष्टीकरण : श्रीकांठ लसांह अपने छोटे भाई द्वारा अपनी पत्नी के अपमान की बातें सुनकर गु स्सा हो जाते हैं।
वे लनणतय िेते हैं लक इस घर में या तो िािलबहारी रहेगा या वे स्वयां। वे अपने लपता से कहते हैं लक अब वे
िािलबहारी का मुाँह तक दे िना नहीां चाहते।
िािलबहारी अपने भाई के इस प्रण को सुनकर द्रलवत हो जाता है और स्वयां घर छोडने का फैसिा करता
है। वह अपनी भाभी से िमा मााँगता हैं। तब आनांदी दौडकर अपने पलत के पास आती है। वह कहती हैं-
‘उन्हें बहुत ग्लालन हो गयी है , ऐसा न हो, कहीां चि दें ।’
VI. कोष्टक में लदये गये उलचत शब्दोां से ररक्त स्थान भररए।
• पलत – पत्नी
• बेटा – बेटी
• स्त्री – पुरुष
• बुखिमान – बु खिमती
• हाथी – हलथनी
• भाई – बहन
VIII. अन्य वचन रूप लिखिए।
• बेटी – बेलटयााँ
• भैंस – भैंसें
• स्त्री – खस्त्रयााँ
• आाँ िें – आाँ ि
• थािी – थालियााँ
मुहावरें ।