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Government of Karnataka

साहित्य गौरव
प्रथम पी.यू.सी हििं दी पाठ्यपुस्तक
Revised Edition
2021-2022

Sahitya Gaurav

(I PUC Hindi: Detailed and Non-detailed text of All Notes)

Department of Pre-University Education


18th Cross, Malleshwaram Bengaluru – 560012

Prepared by- Prof. Manoj Kumar

Student Name- ………………….


Combination- ……………………
Register No.-……………………..

1
हवषय- क्रम
प्रथम सोपान [25 Marks]
पहित गद्य भाग (Detail Short Story)
क्र.सिं. पाि लेखक/कहव पृ.सिं.
1. बड़े घर की बेटी प्रेमचिंद ----------------------
2. युवाओिं से स्वामी हववेकानिंद ------------
3. हनिंदा रस िररशिंकर परसाई ------------
4. हबन्दा मिादे वी वमाा ----------------
5. बाबा सािेब डॉ. अम्बेडकर शान्ति स्वरूप बौद्ध ----------
6. हदल का दौरा और एिं जाइना डॉ. यतीश अग्रवाल ----------
7. मेरी बदरीनाथ यात्रा हवष्णु प्रभाकर----------------
8. नालायक हववेकी राय ------------------
9. राष्ट्र का स्वरूप वासुदेव शरण अग्रवाल--------
10. ररिसाल ओम प्रकाश आहदत्य----------

हितीय सोपान
पहित पद्य भाग [20 Marks]
(अ) मध्यकालीन कहवता (Ancient Poetry)

1. कबीरदास के दोिे कबीर दास ------------------------


2. तुलसीदास के दोिे तुलसी दास ------------------------
3. मीराबाई के पद मीराबाई ---------------------------
4. शरण वचनामृत अल्लम प्रभु, बसवेश्वर, अक्कमिादे वी -
5. रीहतकालीन काव्य रसखान के सवैये--------------------

(आ) आधुहनक कहवता (Modern Poetry)


1. कुहटया में राजभवन मैहथलीशरण गुप्त
2. तोड़ती पत्थर सू याकािंत हत्रपािी हनराला
3. उल्लास सु भद्रा कुमारी चौिान
4. तुम गा दो मेरा गान अमर िो जाए िररविंश राय बच्चन
5. प्रहतभा का मूल हबिंदु प्रभाकर माचवे
6. तुम आओ मन के मुग्ध हमत सरगु कृष्णमूहता
7. मत घबराना रामहनवास मानव
8. अहभनिंदनीय नारी जयिी प्रसाद नौहटयाल

2
तृतीय सोपान [15 Marks]
अपहित भाग ( किाहनयााँ-Non-Detail Story)
1. मधुवा जयशिंकर प्रसाद
2. श्मशान मन्नू भिंडारी
3. खून का ररश्ता भीष्म सािनी
4. शीतलिर जयप्रकाश कदा म
5. सीहलया सु शीला टाकभौरे
6. दोपिर का भोजन अमरकाि

चतुथा सोपान [40 Marks]


(व्याकरण तथा अपहित गद्यािंश/अवतरण (रचना)-Grammar and Unseen Passage)
1. वाक्य शुन्तद्ध (Correct the Sentence) पााँच वाक्य – (5x1=5)
2. ररक्त स्थान की पूहता (Fill in the Blanks) पााँच कारक हचन्ह – (5x1=5)
3. मुिावरे (Idioms) चार मुिावरे – (4x1=4)
4. काल पररवतान (Change the following Sentences) तीन वाक्य – (3x1=3)
5. हलिंग (Gender) दो शब्द – (2x1=2)
6. वचन (Number) दो शब्द – (2x1=2)
7. पयाायवाची / समानाथी शब्द (Synonyms) दो शब्द – (2x1=2)
8. हवपरीताथाक शब्द / हवलोम शब्द /उलटा शब्द / हवरोधात्मक शब्द- दो शब्द –(2x1=2)
(Antonyms, Opposite words)
9. पत्र - लेखन (Letter-Writing) दो में से एक – (1x5=5)
10. अपहित गद्यािंश / अवतरण (रचना) (Unseen Passage) पााँच प्रश्न – (5x1=5)
11. अिंग्रेजी से हििंदी में अनुवाद (English-to-Hindi translation) पााँच वाक्य – (5x1=5)
(कुल-40 Marks)

Student Name- …………………….


Combination- ……………………...
Register No.-………………………..

3
प्रथम सोपान
पहित गद्य भाग
( Detail Short Story )
1. बडे घर की बेटी (Daughter of Rich Family)
लेखक- प्रेमचिंद

I. एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. िाकुर सािब के हकतने बेटे थे ?
उत्तर: ठाकुर साहब के दो बेटे थे।
2. बेनी माधव हसिंि अपनी आधी से अहधक सिंपहत्त हकसे भेंट के रूप में दे चूके थे ?
उत्तर: बेनी माधव ससिंह अपनी आधी से असधक सिंपसि वकीलोिं को भेंट के रूप में दे चूके थे ।
3. िाकुर सािब के बड़े बेटे का नाम क्या था?
उत्तर: ठाकुर साहब के बड़े बेटे का नाम श्रीकिंि हसिंि था।
4. श्रीकिंि हसिंि कब घर आया करते थे?
उत्तर: श्रीकिंठ ससिंह शहनवार को घर आया करते थे।
5. आनन्दी के हपता का नाम हलन्तखए?
उत्तर: आनन्दी के सपता का नाम भूपहसिंि था।
6. थाली उिाकर हकसने पलट दी?
उत्तर: थाली उठाकर लाल हबिारी ने पलट दी।
7. गौरीपुर गािंव के जमी िंदार कौन थे ?
उत्तर: गौरीपुर गािंव के जमीिंदार बेनी माधव हसिंि थे।
8. हकसकी आिं खें लाल िो गई थी?
उत्तर: लाल हबिारी हसिंि की आिं खें लाल हो गई थी।
9. हबगड़ता हुआ काम कौन बना लेती िै ?
उत्तर: सबगड़ता हुआ काम बड़े घर की बेटी बना लेती है ।
10. बडे घर की बेटी किानी के लेखक कौन िैं ?
उत्तर: बड़े घर की बेटी कहानी के लेखक- मुिंशी प्रेमचिंद िै ।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. बेनी माधव हसिंि के पररवार का सिंहिप्त पररचय दीहजए।
उत्तर बेनी माधव ससिंह गौरीपुर गािंव के एक जमीिंदार थे। उनके सपता सकसी समय बड़े धन-धान से सिंपन्न थे। उनकी
वततमान आय ₹1000 वासषतक से असधक ना थी। वे आधी से असधक सिंपसि वकीलोिं को भेंट कर चूके थे। इनके दो पुत्र
थे। बड़े बेटे का नाम-श्रीकिंठ ससिंह तथा छोटे बेटे का नाम लालसबहारी ससिंह था। श्रीकिंठ ससिंह बी. ए. की सिग्री प्राप्त
करके इलाहाबाद शहर में नौकरी करता था। लालसबहारी ससिंह दोहरे बदन वाला एक नौजवान लड़का था। वह बहुत
खाता-पीता था और मौज मस्ती करता था। श्रीकिंठ ससिंह का सववाह लाहौर के एक सुशील, सिंपन्न और सशसित लड़की
आनिंदी के साथ हुआ था।
2. आनन्दी ने अपने ससुराल में क्या रिं ग ढिं ग दे खा?
उत्तर: आनन्दी एक बड़े घर की बेटी थी। वह अपने घर में सुखी-सुसवधाओिं में पली थी। उसके बाप एक छोटी सी
ररयासत के ताल्लुकेदार थे। सवशाल भवन, एक हाथी, तीन कुते, चार झाड़ फानूस था। वहााँ नौकर- चाकर भी काम
करते थे। जो एक प्रसतसित तालुकेदार के योग्य था। वहााँ सभी सुख-सुसवधा सवद्यमान था। लेसकन जब आनन्दी अपने
4
नए घर में आई तो यहााँ का रिं ग ढिं ग कुछ और ही अजीब था। उसे टीम-टाम में रहने की आदत बच्चपन से ही पड़ी हुई
थी। यहााँ नाम मात्र भी न था । हाथी-घोिा को तो कहना ही क्या, कोई सजी हुई सुिंदर दीवार भी न थी। रे शमी स्लीपर
साथ लाई थीिं, पर यहााँ बाग बगीचा नहीिं था। मकान में खखड़सकयााँ तक न थी, न जमीन पर फशत था, न दीवार पर तस्वीरें
था। सीधा-साधा दे हाती गृहस्थ का मकान था। सकिंतु आनन्दी ने थोड़े ही सदनोिं में अपने को इस नई अवस्था को एक
ऐसा अनुकूल बना सलया, मानो उसने सवलास के सामान कभी दे खे ही न थी।

3. लालहबिारी आनिंदी पर क्योिं हबगड़ा?


उत्तर: एक सदन दोपहर के समय लाल सबहारी ससिंह ने दो सचसड़या सलए हुए आया और भाभी से बोला-भाभी जल्दी इसे
पका दो मुझे बहुत भूख लगी है । आनन्दी ने हािंिी में दे खा सक एक पािंव से ज्यादा घी न था। बड़े घर की बेटी सकफायत
क्या जानें। उसने सारा घी मािंस में िाल सदया। जब लाल सबहारी खाने बैठा तो दाल में घी न था। भाभी से कहा- भाभी
दाल में घी िाल दीसजए । तब आनन्दी ने कहा -थोड़ा घी था, मैंने मािंस में िाल सदया। तब लाल सबहारी ने कहा दो सदन
पहले घी आया इतना जल्दी उठ गया। इसी बात को लेकर लाल सबहारी ने आनन्दी पर सबगड़ पड़ा।

4. आनन्दी हबगडता हुआ काम कैसे बना लेती िै ?


उत्तर: श्रीकिंठ ससिंह के छोटे भाई लाल सबहारी ससिंह के अभद्र व्यवहार से आनन्दी क्रोसधत हो जाती है । गुस्से में उसने
अपने पसत से साड़ी सशकायतें कर दे ती है। झगरा इतना बढ़ गया सक घर टू टने तक पहुाँच गया। तब सबखरते हुए घर
को दे खकर आनन्दी शािंत हो जाती है और लाल सबहारी को घर छोड़कर जाने से रोक लेती है। इस प्रकार आनन्दी
सबगड़ते हुए काम को बना लेती है ।

5. आनन्दी का चररत्र-हचत्रण कीहजए।


उत्तर: आनन्दी एक बड़े घर की बेटी थी। वह रूपवान गुणवान सशसित और आदशतवादी मसहला थी। व सुख सुसवधाओिं
में पली थी। आनन्दी अपनी सब बहनोिं से असधक रूपवती और गुणवती लड़की थी। उसके ससुराल में ठीक सवपरीत
था। सफर भी वह कुछ ही सदनोिं में अपने आपको इस घर में अनुकूल बना सलया। वह अपने घर की एकता बनाए रखना
चाहती थी। इससलए सबखरते घर को बचा लेती है ।

III. हनम्नहलन्तखत वाक्य हकसने हकससे किे ? (Who said the following sentence to whom)
1. “जल्दी से पका दो मुझे भूख लगी िै ।”
उत्तर: यह वाक्य लालसबहारी ने आनन्दी से कहा।
2. “हजसके गुमान पर भूली हुई, उसे भी दे खूिंगा और तुम्हें भी।”
उत्तर: यह वाक्य लाल सबहारी ने आनन्दी से कहा ।
3. “बुन्तद्धमान लोग मूखों की बात पर ध्यान निी िं दे ते।”
उत्तर: यह वाक्य बेनीमाधव ससिंह ने श्रीकिंठ ससिंह से कहा।
4. “लाल हबिारी को मैं अब अपना भाई निी िं समझता।”
उत्तर: यह वाक्य श्रीकिंठ ससिंह ने अपने सपता बेनी माधव ससिंह से कहा।
5. “अब मेरा मुाँि निी िं दे खना चािते , इसहलए अब मैं जाता हाँ ।”
उत्तर: यह वाक्य लाल सबहारी ने आनन्दी से कहा।
6. “भैया अब कभी मत किना हक तुम्हारा मुाँि न दे खूिंगा।”
उत्तर यह वाक्य लाल सबहारी ने श्रीकिंठ ससिंह से कहा।
7. “मुझे जो कुछ अपराध हुआ िमा करना।”
उत्तर: यह वाक्य लाल सबहारी ने आनन्दी से कहा ।

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IV सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:
1. ‘अभी परसोिं िी घी आया िै , इतना जल्दी उि गया? ’
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक-प्रेमचिंद द्वारा सलखखत ‘बड़े घर की बेटी’ पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: इस वाक्य को लाल सबहारी ने आनन्दी से कहा
स्पष्ट्ीकरण: जब लालसबहारी आनन्दी से मािंस पकाने के सलए कहा। तब आनन्दी ने हााँ िी में दे खा सक पाव भर से
ज्यादा घी न था। उसने सारा घी मािंस में िाल सदया। जब लालसबहारी खाना खाने बैठा तो दाल में घी नहीिं था। तब
लालसबहारी ने आनिंसदत से कहा-भाभी दाल में घी क्योिं नहीिं छोड़ा? तब आनन्दी कहती हैं -मैनें सारा घी मािंस में िाल
सदया है । इससलए घी खत्म हो गया है । तब लालसबहारी ने गुस्से में आकर आनन्दी से कहा-अभी परसो हीिं घी आया
इतना जल्दी उठ गया।
हवशेषता: पररखस्थसत के अनुसार खचत करना चासहए।

2. ‘स्त्री गाहलयााँ सि लेती िै , मार भी सि लेती िै , पर मैके की हनिंदा उनसे सिी निी िं जाती।’
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक प्रेमचिंद द्वारा सलखखत ‘बड़े घर की बेटी’ पाठ से सलया गया है।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को आनन्दी ने लालसबहारी से कहा।
स्पष्ट्ीकरण: घी खत्म हो जाने के कारण आनिंदी दाल में घी नहीिं िाली। लालसबहारी ने भाभी से पूछा भाभी दाल में घी
क्योिं नहीिं िाला है। आनन्दी ने उिर सदया- आज तो कुल पाव भर हीिं घी रहा होगा। वह सब मैंने मास में िाल सदया।
तब लालसबहारी ने कहा-अभी परसोिं ही घी आया, इतनी जल्दी उठ गया। लालसबहारी ने उसके मायके के बारे में खरी-
खोटी सुना सदया और सफर कहा- शायद तुम्हारे मायके में तो घी की नसदयािं बहती हो। इस पर आनिंदी कहती है सक
स्त्री गासलयािं सह लेती है , मार भी सह लेती है , पर मायके की सनिंदा उससे नहीिं सही जाती।
हवशेषता: सकसी स्त्री के मायके के सिंबिंध में उल्टा-पल्टी की बाते नहीिं करनी चासहए।

3. ‘पर तुमने आजकल घर में क्या उपद्रव मचा रखा िै ?’


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक प्रेमचिंद द्वारा सलखखत ‘बड़े घर की बेटी’ पाठ से सलया गया है।
सिंदभा: इस वाक्य को श्रीकािं ठ ससिंह ने आनिंदी से कहा।
स्पष्ट्ीकरण: जब श्रीकिंठ ससिंह शसनवार को घर पहुिं चा तो लालसबहारी ने आनन्दी के बारे में सबकुछ बता सदया। आनन्दी
के बारे में सशकायत सुनकर श्रीकािं ठ ससिंह उसके के पास जाता है और पूछा-‘पर तुमने आजकल घर में क्या उपद्रव
मचा रखा है ?’
हवशेषता: सोच समझकर कोई बात सकसी से पूछना चासहए।

4. ‘उससे जो कुछ भूल हुई, उसे तुम बड़े िोकर िमा करो। ’
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक प्रेमचिंद द्वारा सलखखत ‘बड़े घर की बेटी’ पाठ से सलया गया है।
सिंदभा: इस वाक्य को बेनीमाधव ससिंह ने श्रीकािं ठ ससिंह से कहा।
स्पष्ट्ीकरण: आनन्दी के प्रसत लालसबहारी का अभद्र। व्यवहार दे खकर श्रीकिंठ ससिंह अपमासनत महसूस करता है और
अपने सपता के पास जाता है । श्रीकिंठ ससिंह अपने-आपे से बाहर हो जाता है । अपने सपता से क्रोसधत अवस्था में बात
करते हुए कहता है । मैं इस घर में लालसबहारी के साथ नहीिं रह सकता हाँ । इस पर बेनीमाधव ससिंह श्रीकिंठ ससिंह को
समझाते हुए कहते हैं सक बेटा बुखिमान लोग मूखो की बात पर ध्यान नहीिं दे ते। लालसबहारी नासमझ लड़का है , उससे
जो कुछ भूल हुई है , उसे तुम्हें बिेे़ होकर िमा करो।
हवशेषता: क्रोध में आकर जल्दी कोई कदम नहीिं उठाना चासहए।

5. ‘बड़े घर की बेहटयािं ऐसी िी िोती िै हबगडता हुआ काम बना लेती िै ।’


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक प्रेमचिंद द्वारा सलखखत ‘बड़े घर की बेटी’ पाठ से सलया गया है।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को बेनीमाधव ससिंह ने आनन्दी से कहा है।

6
स्पष्ट्ीकरण: लालसबहारी नाराज होकर घर से बाहर जा रहा था। आनन्दी ने श्रीकिंठ से कहती है सक लालसबहारी बहुत
रो रहा है उसे मना लो। मेरी जीभ में आग लगे, जो मैने कहााँ से यह झगड़ा उठाया। लालसबहारी ने आनिंदी से कहा-
भाभी, भैया से मेरा प्रणाम कहना। वे मेरा मुाँह नहीिं दे खना चाहते। इससलए मैं घर छोिकर जा रहा हाँ । आनन्दी अपने
कमरे से बाहर सनकली और लालसबहारी का हाथ पकड़ सलया और कहा सक तुम्हे मेरी कसम तुम कही नहीिं जाओगे।
सफर आनन्दी कहती हैं सक मैं ईश्वर को सािी मानकर कहती हाँ सक तुम्हारी ओर से मेरे मन में तसनक भी मैल नहीिं है ।
यह सब सुनकर श्रीकिंठ ससिंह का हृदय सपघल जाता है । वह बाहर आकर लालसबहारी को गले से लगा सलया। दोनोिं भाई
फूट-फूटकर रोने लगे। बेनीमाधव ससिंह बाहर से दोनोिं भाइयोिं को गले समलते हुए दे ख वह प्रसन्न होते हैं और बोल उठते
हैं सक बड़े घर की बेसटयााँ ऐसी हीिं होती है , जो सबगड़ते हुए काम को बना लेती है
हवशेषता: बड़े घर में जन्म लेने से कोई ‘बड़े घर की बेटी’ नहीिं होती है , वह अपने अच्छे गुण, स्वभाव, बुखिमती और
आचरण से बड़े घर की बेटी होती है ।

V वाक्य शुद्ध कीहजये: (Write the Correct Sentence)


1. उनकी हपतामि हकसी समय बड़े धन-ध्यान सिंपन्न थे।
उत्तर: उनके सपतामह सकसी समय बड़े धन-धान्य से सिंपन्न थे।
2. स्वयिं उनका पत्नी को िी िं इस हवषय में उनसे हवरोध थी।
उत्तर: स्वयिं उनकी पत्नी को हीिं इस सवषय में उनसे सवरोध था।
3. आनन्दी अपने नये घर में आया।
उत्तर: आनन्दी अपने नये घर में आई।
4. मुझे जाना दो।
उत्तर: मुझे जाने दो।

VI कोष्ठक में हदए गए उहचत शब्दोिं से ररक्त स्थान भररए:


(Fill in the blanks with appropriate words in the brackets.)
(ऐसी, शहनवार, सिंतान, गौरीपुर, िाथी)
1. इस दरवाजे पर िाथी झूमता था।
2. गौरीपुर में रामलीला के वही जन्मदाता थे।
3. सुिंदर सिंतान को कदासचत उसके माता सपता भी असधक चाहते थे।
4. श्रीकािं ठ ससिंह शहनवार को घर आया करते थे।
5. बड़े घर की बेसटयााँ ऐसी हीिं होती है।

VII हनम्नहलन्तखत मुिावरोिं को अथा के साथ जोड़कर हलन्तखए:


[Match the idioms with their meaning.]
1. खून का घूाँट पीकर रह जाना = क्रोध को दबाकर बैठ जाना
2. सपिंि छु ड़ाना = पीछा छु ड़ाना
3. आाँ खें लाल होना = गुस्सा करना
4. सतलसमला उठना = बौखला जाना
5. उल्लू बनाना = मूखत बनाना
6. गले लगाना = आसलिंगन करना
7. ससर झुकाना = लज्जा से झुक जाना

7
VIII अन्य हलिंग रूप हलन्तखए: [Write other gender form.]
1)ठाकुर-ठाकुराइन, (2) पसत-पत्नी, (3) बेटा-बेटी, (4) स्त्री-पुरुष, (5) बुखिमान-बुखिमती, (6) हाथी-हसथनी,
(7) भाई-बहन,

IX अन्य वचन के रूप हलन्तखए: (Write change the number)


1)घर-घर, (2) बेटी-बेसटयााँ, (3) भैंस-भैंसे, (4) स्त्री-खस्त्रयााँ (5) आाँ ख-आाँ खें, (6) थाली-थासलयााँ

X सूचना अनुसार काल बदहलए:


(Change the following sentences according to the instructions given.)
1. वि अपना काम करता िै । [भूतकाल में बदहलए-Change into Past Tense]
उत्तर: वह अपना काम करता था।
2. उसने फल खाया। [वतामान काल में बदहलए-Change into Present Tense]
उत्तर: वह फल खाता िै ।
3. सुधा िाँसती िै। [भहवष्यत काल में बदहलए- Change into Future Tense]
उत्तर: सुधा िाँसेगी।

XI समानाथाक शब्द हलन्तखए: (Write two synonyms for each)


1) अिंधकार- अिंधेरा, सनशा
2) अमृत- सुधा, सोम
3) घोड़ा- घोटक, वासज
4) आाँ ख- नयन, नेत्र
5) आकाश- गगन, नभ
6) आग- अग्नी, पावक

XII हवलोम शब्द हलन्तखए: (Write the opposite words)


1)आसद X अिंत, (2)अिंदर X बाहर, (3)अच्छा X बुरा, (4)अमृत X सवष, (5)अनुराग X सवराग, (6)अिंतरिं ग X बसहरिं ग,
(7)अिंधकार X प्रकाश, (8)अपना X पराया, (9)अग्रज X अनुज, (10)आहार X सनराहार ।

XII हििंदी में अनुवाद कीहजए: (English-to-Hindi translation)


i) The Taj Mahal is a very famous monument.
ऊत्तर: ताज महल एक प्रससि इमारत है
ii) Kautilya was a wise minister.
ऊत्तर: कौसटल्य एक सवद्वान मिंत्री था।
iii) Where there is a will, there is a way.
ऊत्तर: जहााँ चाह है, वहााँ रहा है ।
iv) Unity is our strength.
ऊत्तर: एकता ही हमारी शखि है
v) Bijapur was ruled by king Adil Shah.
ऊत्तर: बीजापुर में आसदल शाह राजा राज़ करते थे।

*****

8
2. युवाओिं से (From Youth)
लेखक- स्वामी हववेकानन्द

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. स्वामी हववेकानन्द का हवश्वास हकन पर िै ?
उत्तर: स्वामी सववेकानन्द का सवश्वास भारत के नवीन पीढ़ी के नवयुवकोिं पर िै ।
2. स्वामी हववेकानन्द के अनुसार भारत के राष्ट्रीय आदशा क्या िै ?
उत्तर: स्वामी सववेकानन्द के अनुसार भारत का राष्ट्रीय आदशत त्याग और सेवा िै ।
3. कौन सबकी अपेिा उत्तम रूप से काया करता िै ?
उत्तर: हनस्वाथा व्यन्तक्त सबकी उपेिा उिम रूप से कायत करता है ।
4. हकस शन्तक्त के सामने सब शन्तक्तयािं दब जाएगी?
उत्तर: इच्छा शन्तक्त के सामने सब शखियािं दब जाएगी।
5. असिंभव को सिंभव बनाने वाली चीज़ क्या िै ?
उत्तर: असिंभव को सिंभव बनाने वाली चीज़ प्रेम िै ।
6. जो अपने आप में हवश्वास निी िं करता िै वि क्या िै ?
उत्तर: जो अपने आप में सवश्वास नहीिं करता है , वि नान्तस्तक िै ।
7. कमजोरी हकसके समान िै ?
उत्तर: कमजोरी मृत्यु के समान है ।
8. सबसे पिले िमारे तरुणोिं को क्या बनना चाहिए?
उत्तर: सबसे पहले हमारे तरुणोिं को मजबूत बनाना चाहिए।
9. प्रत्येक आत्मा क्या िै ?
उत्तर: प्रत्येक आत्मा पारब्रह्म िै ।
10. नवयुवकोिं को हकसकी तरि सिनशील िोना चाहिए?
उत्तर: नवयुवकोिं को पृथ्वी की तरि सहनशील होना चासहए।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. भारत वषा का पुनरुत्थान कैसे िोगा?
उत्तर: भारत वषत का पुनरुत्थान के सलए शारीररक शखि से नहीिं वरण आत्मा की शखि के द्वारा शािंसत और प्रेम की
ध्वजा से भारत का पुनरुत्थान होगा।

2. त्याग और सेवा के बारे में स्वामी हववेकानन्द जी का क्या हवचार िै ?


उत्तर: स्वामी सववेकानन्द जी के अनुसार भारतीय आदशत, त्याग और सेवा है । तुम काम में लग जाओ, सफर दे खोगे सक
तुम्हें इतनी शखि आ जाएगी सक तुम उसे सिंभाल ना सकोगे। दू सरोिं के सलए रिीभर सोचने से धीरे -धीरे ससिंह के समान
बल आ जाएगी। दीन दु खखयोिं का ददत बािंटो और ईश्वर से सहायता की प्राथतना करो। यही जीवन का सही उद्दे श्य है ।

3. स्वदे श भन्तक्त के बारे में स्वामी हववेकानन्द जी का क्या आदशा िै ?


उत्तर: स्वदे श भखि के बारे में स्वामी सववेकानन्द जी का सवचार है सक बड़े काम करने के सलए तीन चीजोिं की
आवश्यकता होती है -बुखि, सवचार शखि और हृदय की महाशखि। दे श भिोिं को हृदयवान बनना चासहए। भारत के
अपने गरीब दीन-दु खखयोिं की कई समस्याएिं हैं । उसे समझें दू र करने की कोसशश करें । यही दे शभखि की प्रथम सीढ़ी
है । यही स्वामी सववेकानन्द जी का आदशत सवचार है ।

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4. सवा धमा सहिष्णुता के बारे में स्वामी हववेकानन्द जी के क्या हवचार िै हलन्तखए।
उत्तर: सवत धमत ससहष्णुता के बारे में स्वामी सववेकानन्द जी का सवचार है सक हमें सभी धमों को स्वीकार करना चासहए।
हमें सभी धमों की पूजा करनी चासहए, हमें सभी धमतस्थलोिं में जाना चासहए, इसी के द्वारा हम आगे बढ़ सकते हैं ।

5. हशिा के बारे में स्वामी हववेकानन्द जी क्या किते िैं ?


उत्तर: सशिा के बारे में स्वामी सववेकानन्द जी कहते हैं सक सशिा सवसवध जानकाररयोिं का ढे र नहीिं है , जो तुम्हारे
मखस्तष्क में ठूिंस सदया गया है । हमें उन सवचारोिं की अनुभूसत करनी चासहए जो जीवन सनमातण तथा चररत्र सनमातण में
सहायक हो। यसद केवल पािं च ही परखे हुए सवचार आत्मसात करके उनके अनुसार अपने जीवन और चररत्र का सनमातण
कर लेते हैं , तो हम पूरे ग्रिंथालय को किंठस्थ करने वालोिं की अपेिा हम असधक सशसित हैं।

III सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:


1. ‘यि याद रखो हक तुम स्वयिं अपने भाग्य के हनमााता िो।’
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक स्वामी सववेकानन्द जी द्वारा सलखखत युवाओिं पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को लेखक स्वामी सववेकानन्द जी द्वारा सलखखत युवाओिं पाठ से सलया गया है ।
स्पष्ट्ीकरण: स्वामी सववेकानन्द जी कहते हैं सक भारत के युवा वगत दु बतल नहीिं है । सब ईश्वर की सिंतान हैं । उनकी आत्मा
पसवत्र और पूणत हैं । वे स्वयिं अपने भाग के सनमातता हैं । उनका बल उन्ीिं के भीतर है । सजतना अच्छा मेहनत करें गे , उतना
ही अच्छे फल पाएिं गे।
हवशेषता: इन वाक्योिं के द्वारा स्वामी सववेकानन्द जी भारत के युवकोिं को राष्ट्र सनमात ण की प्रेरणा दे रहे हैं ।

2. ‘उिो, जागो और तब तक रुको निी िं, जब तक लक्ष्य प्राप्त न िो जाए।’


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक स्वामी सववेकानन्द जी द्वारा सलखखत युवाओिं पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को लेखक-स्वामी सववेकानन्दजी ने भारत के नवयुवकोिं से कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: प्रस्तुत वाक्य के द्वारा स्वामी सववेकानन्द जी ने बताया है सक कायत करने के सलए बुखि, सवचार और हृदय
की आवश्यकता होती है और प्रेम एक ऐसी चीज़ है , जो असिंभव को सिंभव बना दे ती है । इससलए उठो जागो और तब
तक रुको नहीिं, जब-तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।
हवशेषता: जब तक हमें लक्ष्य प्राप्त न हो तब तक करतब करते रहना चासहए।

3. ‘भय से िी दु ख िोता िै, यि मृत्यु का कारण िै तथा इसी के कारण सारी बुराई तथा पाप िोता िै ।’
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक स्वामी सववेकानन्द जी द्वारा सलखखत युवाओिं पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य के माध्यम से स्वामी सववेकानन्द जी भारत के नवयुवकोिं को जागृत होने के सलए कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: युवा पीढ़ी को स्वामी सववेकानन्द जी सहम्मत दे ते हुए कहते हैं सक तुम्हें कमजोर, भयभीत नहीिं होना
चासहए। सनभीकता से ही सकसी राष्ट्र की उन्नसत होती है । भय ही मृत्यु का कारण बनता है और इसी से पाप का जन्म
होता है ।
हवशेषता: मनुष्य को भय और मृत्यु को मन से हटाकर अपना करतब करना चासहए

4. ‘ढोिंगी बनने की अपेिा स्पष्ट् रूप से नान्तस्तक बनना अच्छा िै ।’


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक स्वामी सववेकानन्द जी द्वारा सलखखत युवाओिं पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: स्वामी सववेकानन्द जी ने भारत के युवाओिं से ढोिंगी न बनने के सलए कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: स्वामी सववेकानन्दजी ने बताया है सक ईश्वर की भखि सच्चे मन से सवश्वास के साथ करनी चासहए। सदखावटी
या ढोिंगी भखि नहीिं करना चासहए। ढोिंगी भखि बनने से बेहतर है नाखस्तक बनकर रहना चासहए।
हवशेषता: मनुष्य को ढोिंगी नहीिं बनना चासहए।

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5. ‘मैं तुम सबसे यिी चािता हाँ हक तुम आत्म प्रहतष्ठा दलबिंदी और ईष्याा को सदा के हलए छोड़ दो।’
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक स्वामी सववेकानन्द जी द्वारा सलखखत युवाओिं पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: स्वामी सववेकानन्द जी ने लोगोिं से कहा है सक मनुष्य को स्वाथत त्यागकर कायत करना चासहए।
स्पष्ट्ीकरण: स्वामी जी स्वामी सववेकानन्द जी के अनुसार सिंगठन के सलए जो बातें चासहए आज उनका अभाव है दे श
भिोिं की एकता के सलए आपसी ईष्यात , द्वे ष, अहिंकार ये सारी बातें नहीिं होना चासहए। क्योिंसक ये एकता में बाधक
होता है ।
हवशेषता: मनुष्य को ईष्यात , द्वे ष, घृणा नहीिं करना चासहए।

IV वाक्य शुद्ध कीहजये: (Write the Correct Sentence)


1. मैं स्कूल जाना चाहिए।
उत्तर: मुझे स्कूल जाना चासहए।
2. िम िमारे दे श को प्यार करते िैं।
उत्तर: हम अपने दे श से प्यार करते हैं ।
3. तालाब के अिंदर छोटी-सी मिंहदर िै ।
उत्तर: तालाब के अिंदर छोटा-सा मिंसदर है ।
4. सभी उसको तारीफ करते िैं।
उत्तर: सभी उसकी तारीफ करते हैं ।
5. वि घर को जा रिा िै ।
उत्तर: वह घर जा रहा है ।

V कोष्ठक में हदए गए उहचत शब्दोिं से ररक्त स्थान भररए:


(Fill in the blanks with appropriate word in the brackets.)

(से, ने, को, का, की)


1. छात्र कलम से सलखता है ।
2. श्याम ने पुस्तक पढी ।
3. अध्यापक सवद्यासथतयोिं को पढ़ाते हैं ।
4. उसकी बहन का नाम मालती है ।
5. गीता की पुस्तक मेरे पास है ।

VI हनम्नहलन्तखत मुिावरोिं को अथा के साथ जोड़कर हलन्तखए:


[Match the idioms with their meaning.]
1. गदत न उठाना = सवरोध करना;
2. खून पसीना एक करना = बहुत पररश्रम करना;
3. कमर कसना = तैयार होना;
4. आग बबूला होना = क्रोसधत होना;

VII अन्य हलिंग रूप हलन्तखए: [Write other gender form.]


1) दे वता- दे वी, (2) दास- दासी, (3) पुत्र- पुत्री, (4) रािस- रािसी/रािसणी, (5) बेटा- बेटी,

VIII अन्य वचन के रूप हलन्तखए: (Write change the number)


1) आवश्यकता- आवश्यकताएाँ , (2) बेटा- बेटे, (3) ऋतु- ऋतुएाँ, (4) रासश- रासशयााँ (5) तलवार- तलवारें ।

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IX सूचना अनुसार काल बदहलए:
(Change the following sentences according to the instructions given.)
1. कल मेिमान आयेंगे । [भूतकाल में बदहलए-Change into Past Tense]
उत्तर: कल मेहमान आये थे।
2. सूरदास ने पद हलखें। [वतामान काल में बदहलए-Change into Present Tense]
उत्तर: सूरदास अनेक पत्र सलखते हैं ।
3. बालक खा रिा था। [भहवष्यत काल में बदहलए- Change into Future Tense]
उत्तर: बालक खाएगा।

X समानाथाक शब्द हलन्तखए: (Write two synonyms for each)


1) नवीन- नया, नवा
2) पहाड़- पवतत, सगरर
3) तरुण- युवक, जवान
4) पुरोसहत- पुजारी, पिंसित
5) ईश्वर- भगवान, प्रभु
6) साहस- सहम्मत, बहादु री

XI हवलोम शब्द हलन्तखए: (Write the opposite words)


1) आशा X सनराशा, (2) स्वाथी X सनस्वाथी, (3) पसवत्र X अपसवत्र,
(4) मजबूत X कमजोर, (5) साधारण X साधारण, (6) कीसतत X अपकीसतत ।

XII हििंदी में अनुवाद कीहजए: (English-to-Hindi translation)


i) . I am unable to do this work.
उत्तर: मैं यह काम करने में असमथत हाँ ।
ii) No person is happy without friends.
उत्तर: सबना समत्र के कोई खुशी नहीिं रहता है ।
iii) A leader should be a servant of the people.
उत्तर: नेता को जनता का सेवक होना चासहए।
iv) It was raining when we come out.
उत्तर: जब हम बाहर आए तब वषात हो रही थी।
v) There are thousands of villages in India.
उत्तर: भारत ने हजारोिं गािंव हैं।

*****

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3. हनिंदा रस (Condemnation Juice)
लेखक-िररशिंकर परसाई

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. धृतराष्ट्र की भुजाओिं में कौन सा-पुतला जकड गया था?
उत्तर: धृतराष्ट्र की भुजाओिं में भीम का-पुतला जकि गया था।
2. हपछली रात ‘क’ ‘ग’ के साथ बैिकर क्या करता रिा?
उत्तर: सपछली रात ‘क’ ‘ग’ के साथ बैठकर हनिंदा करता रहा।
3. कुछ लोग आदतन क्या बोलते िैं ?
उत्तर: कुछ लोग आदतन झूि बोलते हैं ।
4. लेखक के हमत्र के पास दोषोिं का क्या िै ?
उत्तर: लेखक के समत्र के पास दोषोिं का खजाना है ।
5. लेखक के मन में हकस के प्रहत मैल निी िं रिा?
उत्तर: लेखक के मन में हनिंदक हमत्र के प्रसत मैल नहीिं रहा।
6. हनिंदकोिं की जैसी एकाग्रता हकनमें दु लाभ िै?
उत्तर: सनिंदकोिं की जैसी एकाग्रता भक्तोिं में दु लतभ है ।
7. मशीनरी हनिंदक चौबीसोिं घिंटे हनिंदा करने में हकस भाव से लगे रिते िैं ?
उत्तर: मशीनरी सनिंदक चौबीसोिं घिंटे सनिंदा करने में पहवत्र भाव से लगे रहते हैं ।
8. हनिंदा, हनिंदा करने वालोिं के हलए क्या िोती िै ?
उत्तर: सनिंदा, सनिंदा करने वालोिं के सलए टॉहनक होती है ।
9. हनिंदा का उद्गम हकससे िोता िै ?
उत्तर: सनिंदा का उद्गम िीनता और कमजोरी से होता है ।
10. कौन बड़ा ईष्यालुा माना जाता िै ?
उत्तर: इिं द्र बड़ा ईष्यालुत माना जाता है ।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. धृतराष्ट्र का उल्लेख लेखक ने क्योिं हकया िै ?
उत्तर: लेखक के समत्र ‘क’ ने जब हषत के साथ समलने का झूठा बहाना सकया, तो लेखक को उसके व्यवहार पर शक
हो गया। क्योिंसक वह सच्चे मन से खुश नहीिं था। इससलए लेखक धृतराष्ट्र का उल्लेख सकया सक भीम को सदखावे की
खुशी में अपने पास बुलाया। जबसक मन में सोचा कुछ और था।

2. हनिंदा की महिमा का वणान कीहजए।


उत्तर: सनिंदक लोग जहािं कहीिं इकट्ठे हो जाते हैं , वहााँ वे दू सरोिं की सनिंदा में इतने तन्मय हो जाते हैं सक उन्ें अन्योिं की
सचिंता ही नहीिं रहती है । सजतनी एकाग्रता से कोई भि भी भगवान के ध्यान में मन नहीिं लगाता हो, उतनी ये सनिंदा करने
वाले में अपना समय लगा दे ते हैं। सनिंदकोिं की एकाग्रता परस्पर आत्मीयता में होती है । इतनी आत्मीयता तो भिोिं में
भी दु लतभ है ।

3. ‘हमशनरी’ हनिंदक से लेखक का क्या तात्पया िै ?


उत्तर: समशनरी सनिंदक से लेखक का तात्पयत उन सनिंदकोिं से है , जो पूरी पसवत्र भावना से सनिंदा के कायत में लगे रहते हैं ।
उनका सकसी से वैर नहीिं है , द्वे ष नहीिं है। वे सकसी का बुरा नहीिं सोचते हैं , सफर भी वे चौबीसोिं घिंटे दू सरोिं की सनिंदा करने
में पसवत्र भाव से लगे रहते हैं। सनिंदा इनके सलए टॉसनक होती है ।

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4. हनिंदकोिं के सिंघ के बारे में हलन्तखए।
उत्तर: सजस प्रकार मज़दू रोिं की टर े ि यूसनयन होती है , वैसे ही सनिंदाको का भी एक सिंघ होता है। सिंघ के सदस्य इधर-
उधर की खबरें लाकर सिंघ को सौिंपते हैं । यह कच्चा माल माना जाता है । सिंघ इसे पक्का माल बनाकर, सभी सदस्योिं
को इस तरह बािंटते हैं जैसे उनकी दृसष्ट् में बहुजन सहत का कायत को हो।

5. ईष्याा-िे ष से प्रेररत हनिंदकोिं की कैसी दशा िोती िै?


उत्तर: बुरे कमों में लगे व्यखि कभी सुखी नहीिं हो सकते। वही खस्थसत सनिंदकोिं की होती है । इनका असधकािंश समय
ईष्यात -द्वे ष से युि सनिंदा करने में लगा रहता है । जैसे-रात को कुिा चााँद को दे खकर भौिंकता है , वैसे ही सनिंदक अच्छे
लोगोिं को दे खकर भौिंकता है ।

6. हनिंदा को पूिंजी बनानेवालोिं के बारे में लेखक ने क्या किा िै ?


उत्तर: सजन लोगोिं के पास सनिंदा के अलावा और कोई दू सरी सिंपसि नहीिं होती है । वे लोग इसी पूिंजी या सिंपसि से अपना
कारोबार बढ़ाते रहते हैं। उनका यह कलिंसकत कायत ही उनकी प्रसतिा मानी जाती है।

7. हनिंदा रस’ हनबिंध का आशय अपने शब्दोिं में स्पष्ट् कीहजए?


उत्तर: सनिंदक सनिंदा करके सनिंदा रस का आनिंद लेता है । सनिंदक दू सरोिं की सनिंदा में सुख भोगता है । कुछ लोग ईष्यात से
सनिंदा करते हैं। कुछ अपनी प्रससखि के सलए भी सनिंदा करते रहते हैं। कुछ लोग सबना कारण से ही सकसी दू सरे की सनिंदा
करते रहते हैं ।

III सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:


1. आ बेटा, तुझे कलेजे से लगा लूाँ ।
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक-हररशिंकर परसाई द्वारा सलखखत ‘सनिंदा रस’ पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को धृतराष्ट्र ने भीम से कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: लेखक सुबह ही चाय पीकर अखबार दे ख रहे थे सक उनके एक समत्र तूफान की तरह कमरे में घुसकर
उन्ें अपनी भुजाओिं में जकड़ा तो उन्ें तो सितराष्ट्र की भुजाओिं में झगड़े भीम के पुतले की याद आ गयी। तब अिंधे
सितराष्ट्र ने टटोलते हुए पूछा कहााँ है भीम? आप बेटा तुझे कलेजे से लगा लूाँ।
हवशेषता: इस वाक्य में सवश्वासघात के प्रसत बताया गया है ।

2. अभी सुबि की गाड़ी से उतरा और एकदम तुमसे हमलने चला आया।


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक-हररशिंकर परसाई द्वारा सलखखत ‘सनिंदा रस’ पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने अपने समत्र से कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: लेखक जानता है सक ‘क’ तो कल रात ही आ गया था। वह झूठ बोल रहा है सक अभी-अभी गाड़ी से
उतरकर सीधे हमसे समलने आया है । लेखक को ज्ञात है सक वह अकारण ही झूठ बोल रहा है और उसको झूठ बोलने
की आदत भी पड़ गई है ।
हवशेषता: कुछ लोगोिं में सबना मतलब के झूठ बोलने की आदत होती है ।

3. कुछ लोग बड़े हनदोष हमथ्यावादी िोते िैं ।


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक-हररशिंकर परसाई द्वारा सलखखत ‘सनिंदा रस’ पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने अपने समत्र से कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: कुछ लोग हमेशा झूठ बोलते हैं । इससे उनको कोई लाभ भी नहीिं होता है । सफर भी झूठ बोलते रहते हैं ।
ऐसे लोगोिं को लेखक ने सनदोष समथ्यावादी कहा है ।
हवशेषता: कुछ लोग झूठ बोलने में अपना बड़प्पन समझते हैं ।

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4. ‘हनिंदा का उद्गम िी िीनता और कमजोरी से िोता िै ।
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक-हररशिंकर परसाई द्वारा सलखखत ‘सनिंदा रस’ पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने लोगोिं से कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: हीनता और कमजोरी की भावना से सनिंदा की उत्पसि होती है। ऐसे लोग सदा दू सरोिं की बु राई करते रहते
हैं । ऐसे लोग अपने को अच्छा और दू सरोिं को बुरा मानते हैं। तब लेखक ने कहा-सनिंदा का उद्गम ही हीनता और कमजोरी
से होता है ।
हवशेषता: जो व्यखि ईष्यात रखता है , उसे ही सनिंदा का उद्गम होता है ।

5. ‘ज्ोिं-ज्ोिं कमा िीण िोता जाता िै , त्योिं-त्योिं हनिंदा की प्रवृहत्त बढ़ती जाती िै ।
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक-हररशिंकर परसाई द्वारा सलखखत ‘सनिंदा रस’ पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने लोगोिं से कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: खुद आदमी हीन भावना से ग्रससत हो जाता है । तब वह केवल सनिंदा करना ही अपना परम कततव्य समझने
लगता है और धीरे -धीरे उसको झूठ बोलने की आदत बढ़ जाती है । तब लेखक ने कहा-ज्योिं-ज्योिं कमत िीण होता जाता
है , त्योिं-त्योिं सनिंदा की प्रवृसि बढ़ती जाती है ।
हवशेषता: मनुष्य में कमत िीण होने के कारण दू सरोिं में सनिंदा करने की प्रवृसि बढ़ती जाती है ।

IV वाक्य शुद्ध कीहजये: (Write the Correct Sentence)


1. ऐसी मौके पर िम अक्सर अपने पुतले को अिंकवार में दे दे ते िैं ।
उत्तर: ऐसे मौके पर हम अक्सर अपने पुतले को अिंकवार में दे दे ते हैं ।
2. पर मेरी दोस्त अहभनय में पूरा िै ।
उत्तर: पर मेरा दोस्त असभनय में पूरा है ।
3. हनिंदा का ऐसी िी महिमा िै ।
उत्तर: सनिंदा की ऐसी ही मसहमा है ।
4. आपके बारे में मुझसे कोई भी बुरी निी िं किता।
उत्तर: आपके बारे में मुझसे कोई भी बुरा नहीिं कहता।
5. सूरदास ने इसहलए ‘हनिंदा सबद रसाल’ किी िै ।
उत्तर: सूरदास ने इससलए ‘सनिंदा सबद रसाल’ किा है ।

V कोष्ठक में हदए गए उहचत शब्दोिं से ररक्त स्थान भररए:


(Fill in the blanks with appropriate word in the brackets.)
(तूफान, पुतला, भेद-नाशक, ईष्याा-िे ष, पूिंजी),
1. सुबह चाय पीकर अखबार दे ख रहा था सक वे तूफान की तरह कमरे में घुसे।
2. छल का धृतराष्ट्र अब आसलिंगन करे , तो पुतला ही आगे बढ़ाना चासहए।
3. सनिंदा का ऐसा ही भेद-नाशक अिंधेरा होता है ।
4. ईष्याा-िे ष से प्रेररत सनिंदा भी होती है ।
5. सनिंदा कुछ लोगोिं की पूिंजी होती है ।

VI हनम्नहलन्तखत मुिावरोिं को अथा के साथ जोड़कर हलन्तखए:


[Match the idioms with their meaning.]
1. गले लगाना = आसलिंगन करना;
2. बेईमानी करना = धोखा दे ना;
3. कलेजा फटना = असहनीय दु ख होना ;
4. गले का हार होना = बहुत प्यारा होना;
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VII अन्य हलिंग रूप हलन्तखए: [Write the other gender form.]
1) पुतला - पुतली , (2) बेटा - बेटी, (3) पसत - पत्नी ,
(4) स्त्री - पुरुष , (5) मजदू र - मजदू रनी , (6) सवद्वान - सवदु षी

VIII अन्य वचन के रूप हलन्तखए: (Change the number)


1) भुजा - भुजाएाँ , (2) कमरा - कमरें , (3) घिंटा - घिंटे , (4) दु श्मन - दु श्मनें,
(5) लकीर - लकीरें , (6) कसवता - कसवताएाँ , (7) कथा - कथाएाँ )।

IX सूचना अनुसार काल बदहलए:


(Change the following sentences according to the instructions given.)
1. हशकारी हशकार करे गा। [भूतकाल में बदहलए-Change into Past Tense]
उत्तर: सशकारी सशकार करता था।
2. माताजी मिंहदर जाएिं गी। [वतामान काल में बदहलए-Change into Present Tense]
उत्तर: माताजी मिंसदर जाती िै ।
3. माला गाना गाती िै । [भहवष्यत काल में बदहलए- Change into Future Tense]
उत्तर: माला गाना गाएगी।

X समानाथाक शब्द हलन्तखए: (Write two synonyms for each)


1) ईश्वर - प्रभु, परमात्मा
2) कमल – सरोज, जलज
3) घर – सगरी, मकान
4) चााँद – शसश, इिं दु
5) जल – पानी, नीि
6) तालाब – सरोवर, पोखर

XI हवलोम शब्द हलन्तखए: (Write the opposite word)


1) आशा X सनराशा, (2) आजादी X गुलामी, (3) आरम्भ X अिंत, (4) आयात X सनयातत, (5) इच्छा X असनच्छा
(6) इधर X उधर, (7) ईश्वर X असनश्वर, (8) उिम X अधम, (9) उिीणत X अनुतीणत, (10) एक X अनेक

XII हििंदी में अनुवाद कीहजए: (English-to-Hindi translation)


i) Most of the Indians depend upon agriculture.
उत्तर: भारत में असधकािंश लोग कृसष पर सनभतर है ।
ii) Indian is rich cultured country.
उत्तर: भारत सिंस्कृसत सिंपन्न दे श है ।
iii) Students must behave in a discipline way.
उत्तर: हवद्याहथायोिं को अनुशासन में रिना चाहिए।
iv) Seringapatan each very near to Mysore.
उत्तर: श्रीरिं गपट्टण मैशहर से काफी नजदीक हैं ।
v) Fresh air is very essential for our health.
उत्तर: सुि हवा हमारे स्वास्थ्य के सलए जरूरी है ।

*****

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4. हबिंदा
लेन्तखका- मिादे वी वमाा

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. मिादे वी वमाा की बाल सखी का नाम हलन्तखए।
उत्तर: महादे वी वमात की बाल सखी का नाम हबिंदा था।
2. मिादे वी वमाा को हकसका अनुभव बहुत सिंहिप्त था?
उत्तर: महादे वी वमात को सिंसार का अनुभव बहुत सिंसिप्त था।
3. पिंहडताइन चाची के अलिंकार उन्हें हकसकी समानता दे ते थे ?
उत्तर: पिंसिताइन चाची के अलिंकार उन्ें गुहडया की समानता दे ते थे।
4. हबन्दा का काम लेन्तखका को हकस के तमाशे के जैसा लगता था?
उत्तर: सबन्दा का काम लेखखका को बाहजगर के तमाशे के जैसा लगता था।
5. हबन्दा की आिं खें लेन्तखका को हकसकी यादें हदलाती थी?
उत्तर: सबन्दा की आिं खें लेखखका को हपिंजरे में बिंद हचहड़या की यादें सदलाती थी।
6. हबिंदा ने तारे हगनते-हगनते एक चमकीले तारे की ओर ऊाँगली उिाकर क्या किा?
उत्तर: सबिंदा ने तारे सगनते-सगनते एक चमकीले तारे की ओर ऊाँगली उठाकर कहा- वि रिी मेरी अम्मा।
7. मिादे वी वमाा ने रात को अपनी मााँ से बहुत अनुनय पूवाक क्या किा?
उत्तर: महादे वी वमात ने रात को अपनी मााँ से बहुत अनुनय पूवतक कहा-तुम कभी तारा न बनना।
8. मिादे वी वमाा हकसके न्यायालय से हमलने वाले दिं ड से पररहचत िो चुकी थी?
उत्तर: महादे वी वमात पन्तिताइन चाची से न्यायालय से समलने वाले दिं ि से पररसचत हो चुकी थी।
9. मिादे वी वमाा को हकसकी पहत्तयााँ चु भ रिी थी?
उत्तर: महादे वी वमात को घास की पसियााँ चुभ रही थी।
10. हकसने हबिंदा के पैरोिं पर हतल का तेल लगाया?
उत्तर: मिादे वी वमाा की मााँ ने सबिंदा के पैरोिं पर सतल का तेल लगाया।
11. मिादे वी वमाा के हलए कौन हत्रकाल दशी से कम न थी?
उत्तर: महादे वी वमात के सलए रुहकया हत्रकालदशी से कम न थी।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. मिादे वी वमाा को हबिंदा की याद क्योिं आ गई?
उत्तर: एक सज्जन आदमी ने अपनी बेटी को प्रवेश सदलाने के सलए स्कूल आए हुए थे। उसकी कमजोर बेटी िरी हुई
थी। उम्र ठीक न बताए जाने के कारण प्रवेश पत्र लौटा सदया गया था। लेखखका ने सुना सक वह सज्जन की दू सरी पत्नी
है , तो अचानक महादे वी वमात को सबिंदा की याद आ गई।

2. मिादे वी वमाा को पिंहडताईन चाची का कौन-सा रुप आकहषात करता था?


उत्तर: पिंसिताईन चाची जब रिं गीन सािी में सज-धजकर लाल स्याही की ससिंदूर लगाकर, आाँ खोिं में काजल िालकर,
चमकीले कणतफूल, गले की माला, नकदार रिं ग-सबरिं गी चुसिया और घुिंघरूवाले सबछु ए पहनकर श्रृिंगार करतीिं तो लेखखका
महादे वी वमात को वह गुसड़या की तरह बहुत अच्छी लगती थी। महादे वी वमात को यही रुप आकसषतत करता था।

3. मिादे वी वमाा के कभी-कभी छत पर जाकर दे खने पर हबिंदा क्या-क्या करते हदखाई दे ती थी?
उत्तर: जब कभी महादे वी वमात छत पर जाकर दे खती तो सबिंदा झािू लगाती हुई, कभी आग जलती हुई, कभी आिं गन
से पीने का पानी भरती हुई, तो कभी नई मााँ को दू ध का कटोरा दे ती हुई सदखाई दे ती थी। ये सब बाजीगर के तमाशे
की तरह लगता था।
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4. हबन्दा अपनी नई अम्मा से हकस प्रकार डरती थी?
उत्तर: सबन्दा नई अम्मा से बहुत िरती थी। यहााँ तक सक थोड़ी बहुत ही आवाज आती अथवा आहट होती तो, वह
कािंपने लगती थी सक न जाने अब क्या होगा। नई अम्मा की आवाज सुनते ही सबिंदा थर-थर कािंपने लग जाती थी।

5. मिादे वी वमाा ने दोपिर के समय सबकी आिं ख बचाकर हबिंदा के घर पहुिंचने पर क्या दे खा?
उत्तर: महादे वी वमात एक सदन दोपहर को सबकी आिं ख बचाकर सबन्दा के घर पहुिंची, तो दे खा सक नीचे के सुनसान
खिंि में सबिंदा अकेली खाट पर पड़ी थी। आाँ खें धिंस गई थी। लेखखका चसकत चारोिं ओर दे खती रह गई। सबिंदा ने कुछ
सिंकेत और कुछ अस्पष्ट् शब्ोिं में बताया सक नई अम्मा मोहन के साथ ऊपर रहती है । शायद वह मेरी चेचक के िर
से ऊपर रहती है ।

6. हबन्दा के घर के सामने भीड़ दे खकर लेन्तखका के मन में क्या हवचार आने लगे ?
उत्तर: सबिंदा के घर के सामने भीड़ दे खकर लेखखका ने सोचा सक पिंसित जी का सववाह तो दू सरी पिंसिताइन चाची के
मरने के बाद होगा। मोहन तो अभी छोटा है । शायद सबिंदा का सववाह हो रहा होगा और उसने मुझे बुलाया तक नहीिं।
महादे वी वमात अपमासनत होकर सबिंदा को सकसी भी शुभ कायत में न बुलवाने की ठान ली।

III. हनम्नहलन्तखत वाक्य हकसने हकससे किे ? (Who said the following sentence to whom)
1. “क्या पिंहडताइन चाची तुम्हारी तरि निी िं िै ।”
उत्तर: इस वाक्य को महादे वी वमात ने अपनी मााँ से कहा।
2. “वि रिी मेरी अम्मा।”
उत्तर: इस वाक्य को सबिंदा ने महादे वी वमात से कहा।
3. “ तुम कभी तारा न बनना, चािे भगवान हकतना िी चमकीला तारा बनावें ।”
उत्तर: इस वाक्य को महादे वी वमात ने अपनी मााँ से कहा।

IV सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:


1. उिती िै या आऊाँ,’ बैल के-से दीदे क्या हनकाल रिी िै ?’ ‘मोिन का दू ध कब गमा िोगा,’अभागी मरती भी
निी िं आहद।
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखखका-महादे वी वमात द्वारा सलखखत ‘सबन्दा’ पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: इस वाक्य को पिंसिताइन चाची ने सबिंदा से कहा।
स्पष्ट्ीकरण: जब सदी के सदनोिं में लेखखका को दे री से उठाया जाता, गमत पानी से हाथ मुाँह धुलाई जाते, जूते और ऊनी
कपिेे़ पहनाए जाते थे, जबरदस्ती गमत दू ध सपलाया जाता था। तब पड़ोस के घर में पिंसिताई चाची की आवाज कठोर
शब्ोिं में सुनाई दे ती थी। अभागी तू अभी उठी नहीिं। जल्दी से जाकर दू ध ला, अभागी मर भी नहीिं जाती।
हवशेषता: सौतेली मााँ सौतेली बच्चे को नीचे सनगाह की दृसष्ट् से नहीिं दे खती हैं और अभद्र व्यवहार करती है ।
2. तुम नई अम्मा को पुरानी अम्मा क्योिं निी िं किती, हफर वे न नई रिेंगी और न डािंटेगी।
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखखका-महादे वी वमात द्वारा सलखखत ‘सबन्दा’ पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को महादे वी वमात ने अपनी सहेली सबिंदा से कहा।
स्पष्ट्ीकरण: सबन्दा की सौतेली मााँ का उस पर अत्याचार होते दे खकर लेखखका को बहुत दु ख होता है । उनके बालसुलभ
मन में यह बात बैठ जाती है सक इस अम्मा को ईश्वर बुला लेता है , वह तारा बन कर ऊपर से अपने बच्चोिं को दे खती
रहती है और जो बहुत सज-धज से घर में आती है । वह सबिंदा की नई अम्मा जैसी होती है । लेखखका की बुखि सहज ही
पराजय स्वीकार करना नहीिं जानती। इसी से उन्ोिंने सोचकर कहा सक यसद सबिंदा अपनी नई अम्मा को पुरानी अम्मा
कहेगी तो, सफर वे नई नहीिं रहेंगी और न िािंटेगी।
हवशेषता: अपनी अम्मा जैसा सौतेली मााँ सौतेले बच्चे को आदर नहीिं दे ती है ।

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3. ‘पिंहडताइन चाची के न्यायहवधान में न िमा का स्थान था, न अपील का अहधकार।’
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखखका-महादे वी वमात द्वारा सलखखत ‘सबन्दा’ पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को लेखखका महादे वी वमात ने अपने -आप से कह रही है ।
स्पष्ट्ीकरण: एक सदन दू ध गमत करते समय दू ध उफनकर बाहर सनकलने लगा। सबिंदा उसे उठाने की कोसशश करने
लगी, पर वह दू ध उसके पैरोिं पर सगर गया और पैर जल गया। लेसकन मााँ के पास जाने की बजाय अपनी सहेली के घर
की कोठरी में छु प जाती है । तभी उन्ें पिंसिताइन चाची की उग्र आवाज सुनाई दे ती है । लेखखका की मााँ सबिंदा के जले
पैरोिं पर सतल का तेल लगाती है और उसे उसके घर सभजवा दे ती है । उसकी नई अम्मा उसके प्रसत सहानुभूसत न दशातते
हुए सेवा करने के बजाय कठोर शब्ोिं से िािंटना, मारना शुरू करती है। तब महादे वी वमात कहती है । लगता है सक
पिंसिताइन चाची के न्यायसवधान में न िमा का स्थान है न अपील का असधकार है।
हवशेषता: इस वाक्य में सौतेली मााँ के क्रूर व्यवहार का वणतन सकया गया है ।

V वाक्य शुद्ध कीहजये: (Write the Correct Sentence)


1. मोिन ने रोटी खाया।
उत्तर: मोहन ने रोटी खाई।
2. श्रीकृष्ण के अनेकोिं नाम िै ।
उत्तर: श्रीकृष्ण के अनेक नाम है ।
3. मुझे मैसूर जानी पड़े गी।
उत्तर: मुझे मशहर जाना पड़े गा।
4. गोपाल गाना गाया।
उत्तर: गोपाल ने गाना गाया।
5. श्याम काम हकया।
उत्तर: श्याम ने काम सकया।

VI कोष्ठक में हदए गए उहचत शब्दोिं से ररक्त स्थान भररए:


(Fill in the blanks with appropriate word in the brackets.)

(को, की, पर, से)


1. सबन्दा की समस्या का समाधान न हो सका।
2. सबन्दा को मेरा उपाय कुछ जाँचा नहीिं।
3. उसके घर जाने से मााँ ने मुझे रोक सदया था।
4. चूल्हे पर चढ़ाया दू ध उफना जा रहा था।

VII हनम्नहलन्तखत मुिावरोिं को अथा के साथ जोड़कर हलन्तखए:


[Match the idioms with their meaning.]
1. खाक में समलना = नष्ट् भ्रष्ट् कर होना;
2. गड़े मुदे उखाड़ना = सपछली बातोिं को व्यथत में याद करना;
3. टािंग अिाना = व्यथत में दखल दे ना;
4. चकमा दे ना = धोखा दे ना;

VIII सूचना अनुसार काल बदहलए:


(Change the following sentences according to the instructions given.)
1. कई अनाथालय भी खुलेंगे। [भूतकाल में बदहलए-Change into Past Tense]
उत्तर: कई अनाथालय खुले थे।
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2. नेताजी भाषण दें गे। [वतामान काल में बदहलए-Change into Present Tense]
उत्तर: नेताजी भाषण दे ते िैं ।
3. श्याम काम करता िै । [भहवष्यत काल में बदहलए- Change into Future Tense]
उत्तर: श्याम काम करे गा।

IX अन्य हलिंग रूप हलन्तखए: [Write the other gender form.]


1) सभखाररन - सभखारी, (2) पिंसिताइन - पिंसित, (3) लेखखका - लेखक, (4) बैल - गाय, (5) चाची - चाचा
(6) नाना – नानी, (7) दादी – दादा, (8) सवद्यासथतनी – सवद्याथी, (9) बासलका – बालक, (10) बुखिमती - बुखिमान ,

X अन्य वचन के रूप हलन्तखए: (Change the number)


1) बच्चा - बच्चे, (2) कोठरी - कोठररयााँ , (3) सीढी - सीसढ़यािं , (4) मुद्रा - मुद्राएिं (5) पिंखा - पिंखे
(6) दरवाजे – दरवाजा (7) उिं गली - उिं गसलयािं (8) नीसत - नीसतयााँ

XI समानाथाक शब्द हलन्तखए: (Write two synonyms for each)


1) नारी – मसहला, औरत
2) पत्थर – पाहन, पाषाण
3) हवा – पवन, वायु
4) बालक – लिका, बच्चा

XII हवलोम शब्द हलन्तखए: (Write the opposite word)


1) दु लतब X सबल, (2) स्पष्ट् X अस्पष्ट्, (3) ज्ञात X अज्ञात, (4) मृत्यु X जन्म, (5) स्वगत X नरक,
(6) पुण्य X पाप (7) सुिंदर X असुन्दर/ कुरूप, (8) न्याय X अन्याय, (9) स्वाभासवक X अस्वाभासवक
(10) ऊपर X नीचे (11) कट् टु X मधु /मधुर

XIII हििंदी में अनुवाद कीहजए: (English-to-Hindi translation)


i) Food, clothing, and shelter are our basic needs.
उत्तर: रोटी, कपड़ा और मकान हमारी मूलभूत आवश्यकता है ।
ii) We are living in an age of science.
उत्तर: हम सवज्ञान के युग में रह रहे हैं ।
iii) Sumitra Nandan pant was a lower of nature.
उत्तर: सुसमत्रा निंदन पिंत प्रकृसत प्रेमी थे ।
iv) India will never tolerate terrorism.
उत्तर: भारत आतिंकवाद को कभी सहन नहीिं करे गा।
v) Ravindra Nath Tagore established Shanti Niketan.
उत्तर: रवीन्द्रनाथ टै गोर शािंसत सनकेतन की स्थापना की।

*****

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5. बाबासािेब डॉ. अम्बेडकर
लेखक-शािंहतस्वरुप बौि

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. डॉ. बी. आर. अिंबेडकर का जन्म कब हुआ था?
उत्तर: िॉ. बी. आर अिंबेिकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 ई. में हुआ था।
2. डॉ. अिंबेडकर की माता का नाम क्या था।
उत्तर: िॉ. अिंबेिकर की माता का नाम भीमाबाई था।
3. रामजी सूबेदार हकस गािंव में सैहनक थे ?
उत्तर: रामजी सूबेदार मह गािंव में सैसनक थे।
4. भीमराव ने मैहटर क परीिा कब पास की?
उत्तर: भीमराव ने मैसटर क परीिा सन् 1907 ई. में पास की।
5. कृष्णजी अजुान केलुस्कर ने कौन-सी पुस्तक भीमराव को भेंट दी?
उत्तर: कृष्णजी अजुतन केलुस्कर ने अपनी बुद्ध जीवनी नामक पुस्तक भीमराव को भेंट की।
6. भीमराव का हववाि हकसके साथ हुआ?
उत्तर: भीम राव का सववाह रामाबाई के साथ हुआ।
7. मिाराज की ओर से भीमराव को माहसक छात्रवृहत्त हकतनी हमलती थी?
उत्तर: महाराज की ओर से भीमराव को माससक छात्रवृहत्त ₹25 समलते थे।
8. अिंबेडकर जी ने बी. ए. की परीिा कब पास की?
उत्तर: अिंबेिकर जी ने बी.ए की परीिा सन् 1912 ई. में पास की?
9. भीमराव जी 1913 ई. में अमेररका के हकस हवश्वहवद्यालय में दान्तखल िो गए?
उत्तर: भीमराव जी ने बी.ए. में अमेररका के कोलिंहबया हवश्वहवद्यालय में दाखखल हो गए।
10. डॉ. अिंबेडकर ने हकस समाज को जागरूक करना आरिं भ हकया?
उत्तर: िॉ. अिंबेिकर ने विंहचत एविं पीहड़त समाज को जागरूक करना आरिं भ सकया।
11. मूक नायक पहत्रका के सिंपादक कौन थे ?
उत्तर: मूक नायक पसत्रका के सिंपादक डॉ. भीमराव अिंबेडकर थे।
12. डॉ. अिंबेडकर पत्नी और बच्चोिं से भी अहधक हकसे मानते थे ?
उत्तर: िॉ. भीमराव अिंबेिकर पत्नी और बच्चोिं से भी असधक पुस्तकोिं को मानते थे।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. अिंबेडकर जी के बाल जीवन का पररचय दीहजए।
उत्तर: बचपन में िॉ. अिंबेिकर को भीमराव नाम रखा गया था। घरवाले प्यार से भीवा कहकर पुकारते थे। बचपन में
उन्ें छु आ-छूत के भेदभाव को सहन करना पड़ा। स्कूल में प्रवेश भी मुखिल से समला। उन्ें किा के भीतर अन्य
सवद्यासथतयोिं के साथ बैठने की अनुमसत नहीिं थी। बैठने के सलए घर से सबछौना ले जाना पड़ता था। प्यास बुझाने के सलए
स्कूल में पीने का पानी तक उन्ें नहीिं समल पाता था।

2. अिंबेडकर जी को हशिा प्राप्त करते समय हकन-हकन समस्याओिं का सामना करना पड़ा?
उत्तर: िॉ. अिंबेिकर को सशिा प्राप्त करने में कई कसठनाइयोिं का सामना करना पड़ा। पाठशाला में उन्ें किा के
भीतर अन्य सवद्यासथतयोिं के साथ बैठने की मनाही थी। वे अपनी किा के बाहर सब छात्रोिं के जूतोिं के बीच दरवाजे के
बाहर बैठते थे। भीम राव को पानी के घड़े को भी छूने की इजाजत नहीिं थी। कारण यह था सक अछूतोिं को छू लेने से
घिे का जल भ्रष्ट् हो जाता है । सकतनी भी प्यास लगे बेशक प्यास के मारे प्राणी क्योिं न सनकल जाए, मगर प्यासा अछूते
घड़े से पानी लेकर नहीिं पी सकता था। सकसी चपरासी की कृपा हो गई तो पानी समल जाता, नहीिं तो घर आकर ही पानी
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पीते थे। एक बार स्कूल में गुरु के प्रश्न का उिर सलखने के सलए वे ब्लैक बोित की ओर चले त्योिं ही किा के सभी छात्रोिं
ने सवरोध सकया सक ब्लैक बोित के नीचे रखा भोजन इनके छूने से भ्रष्ट् हो जाएगा।

3. लिंडन के गोलमेज सम्मेलन में अिंबेडकर जी ने हकन हवषयोिं पर प्रकाश डाला?


उत्तर: भारत की भावी शासन प्रणाली में सिंसवधान के बारे में रूपरे खा तय करने के सलए सिसटश सम्राट ने एक गोलमेज
सम्मेलन लिंदन में आयोसजत सकया गया। इस सम्मेलन में िॉ. अिंबेिकर जी ने अपने प्रभावशाली भाषण में अछूतोिं के
उिार के सलए उनके सुधार के सलए सनभतयता से अपने सवचार रखे। गजतना करते हुए कहा जब हम अपनी वततमान
खस्थसत और सिसटश शासन से पहले की खस्थसत की तुलना करते हैं तो हम पाते हैं सक हम उन्नसत करने की बजाय व्यथत
में अपना समय बबातद कर रहे हैं।

4. पत्नी की मृत्यु का डॉ. अिंबेडकर पर क्या प्रभाव पड़ा?


उत्तर: 27 मई 1935 को अिंबेिकरजी की पत्नी रामा बाई का दे हािंत हो गया। उन्ोिंने दु खी होकर भगवा वस्त्र पहनकर
सिंन्यास लेने का सनणतय कर सलया। परिं तु पररवार के बिेे़ व्यखि तथा समत्रोिं के समझाने बुझाने पर उन्ोिंने भगवा वस्त्र
त्यागकर समाज कल्याण के सलए सिंघषत करने का सवचार सकया। उस समय भगवा वस्त्र धारण करने के कारण लोगोिं
ने उन्ें बाबासाहेब अिंबेिकर कहना शुरू कर सदया।

III वाक्य शुद्ध कीहजये: (Write the Correct Sentence)


1. सरला ने किानी पढ़ा ।
उत्तर: सरला ने कहानी पढ़ी।
2. िवा तेज बिने लगा ।
उत्तर: हवा तेज बहने लगी।
3. ग्यारिवी िं शताब्दी का बात िै ।
उत्तर: ग्यारहवीिं शताब्ी की बात है ।
4. वि दरवाज़ा खोला।
उत्तर: उसने दरवाजा खोला।
5. आप आपके घर जाइए।
उत्तर: आप अपने घर जाइए।

IV कोष्ठक में हदए गए उहचत शब्दोिं से ररक्त स्थान भररए:


(Fill in the blanks with appropriate word in the brackets.)

(के, का, में, के, हलए)


1. जन्म के समय िॉ. अिंबेिकर का नाम भीमराव रखा गया था।
2. उस समय एक अछूत के हलए यह बहुत अनोखी बात थी।
3. इसी बीच उन्ें बड़ौदा के दीवान ने एक पत्र सलखा।
4. आाँ खोिं में आिं सू छलक पड़ते हैं ।

V हनम्नहलन्तखत मुिावरोिं को अथा के साथ जोड़कर हलन्तखए:


[Match the idioms with their meaning.]
1. जी चुराना = मेहनत से बचना;
2. चााँद पर थूकना = सनदोष पर दोष लगाना;
3. घर का उजाला = इज्जत बढ़ाने वाला;
4. पीठ सदखाना = हार कर भागना;
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VI सूचना अनुसार काल बदहलए:
(Change the following sentences according to the instructions given.)
1. माताजी पत्र हलखेंगी। [भूतकाल में बदहलए-Change into Past Tense]
उत्तर: माताजी पत्र सलखती थी।
2. उसने करवट बदली। [वतामान काल में बदहलए-Change into Present Tense]
उत्तर: वि करवट बदलती िै।
3. वि अपना हवचार व्यक्त करता िै । [भहवष्यत काल में बदहलए- Change into Future Tense]
उत्तर: वह अपना सवचार व्यि करे गा।

VII अन्य हलिंग रूप हलन्तखए: [Write the other gender form.]
1) पिंसित - पिंसिताइन, (2) सुबेदार - सूबेदारनी, (3) सपता - माता, (4) नायक - नासयका,
(5) गाय – बैल, (6) नर - नारी,

VIII अन्य वचन के रूप हलन्तखए: (Change the number)


1) नदी - नसदयााँ, (2) सािी - सासियााँ , (3) कली - कसलयााँ , (4) भेसड़या - भेसड़ये, (5) रानी - रासनयााँ ।

IX समानाथाक शब्द हलन्तखए: (Write two synonyms for each)


1) मनुष्य – आदमी, नर
2) माता – जननी, मााँ
3) रजा – भूपसत, सम्राट
4) वृि – पेि, वटप

X हवलोम शब्द हलन्तखए: (Write the opposite word)


1) कपट X सनष्कपट, (2) कपूत X सपूत, (3) कोमल X कठोर ,
(4) क्रोध X शािंत, (5) कायर X वीर, (6) कृपण X उदार/दानी (7) खुश X नाखुश (8) खरा X खोटा

XI हििंदी में अनुवाद कीहजए: (English-to-Hindi translation)


i) Kannada is our state language.
उत्तर: कन्नड़ हमारी राजभाषा है ।
ii) we are Indian.
उत्तर: हम लोग भारतीय हैं ।
iii) books are our best friends.
उत्तर: पुस्तकें हमारी अच्छी समत्र हैं।
iv) Students should be obedient to their teachers.
उत्तर: सवद्यासथतयोिं को सशिक के प्रसत आज्ञाकारी होना चासहए।
v) please close the door.
उत्तर: कृपया दरवाजा बिंद कीसजए।

*****

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6. हदल का दौरा और एनजाइना (Enjaina and Heart Attack)

लेखक- डॉ. यतीश अग्रवाल

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. हृदय रोग के दो रूप कौन से िैं ?
उत्तर: हृदय रोग के दो रूप हैं - हदल का दौरा और एनजाइना।
2. हदल का दौड़ा और एनजाइना आम तौर से हकतने वषा से अहधक उम्र के व्यन्तक्तयोिं में दे खे जाते िैं ?
उत्तर: सदल का दौरा और एनजाइना आम तौर से 45 वषा से अहधक उम्र के व्यखियोिं में दे खे जाते हैं ।
3. मुगा टे स्ट हकसे किते िैं ?
उत्तर: न्यून्तियर स्कैन से यह पता चलता है सक रोगी के सदल का सकतना सहस्सा दौरे की चपेट से िसतग्रस्त हुआ है ।
उसे मुगात टे स्ट कहते हैं ।
4. कोरोनरी धमहनयोिं में हसकुड़न आने का एक बड़ा कारण क्या िै ?
उत्तर: उसमें वसा की परत जम जाने से कोरोनरी धमसनयोिं में ससकुड़न आ जाते हैं ।
5. क्या बायपास सजारी भारत में सिंभव िै ?
उत्तर: हााँ, बायपास सजतरी भारत में भी सिंभव है ।
6. हृदय रोहगयोिं के हलए हकस तरि का भोजन अच्छा निी िं िै ?
उत्तर: हृदय रोसगयोिं के सलए तले हुए एविं अहधक वसायुक्त भोजन अच्छा नहीिं है ।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. हदल का दौरा और एनजाइना हकसे किते िैं ?
उत्तर: सदल का दौरा और एनजाइना हृदय रोग के दो प्रकार हैं । एनजाइना में हृदय तक पहुिंचने वाली ऊजात नहीिं पहुाँच
पाती है , जो कोरोनरी धमनी की शाखाओिं में ससकुिन की वजह से होता है । जब हृदय रि को पिंप करने में असमथत
हो जाता है तो उसे एनजाइना कहते हैं । इसी के भयिंकर रूप को सदल का दौरा कहते है । सकसी एक धमनी में रुकावट
आ जाने से सदल का दौरा पड़ता है।

2. हदल का दौरा और एनजाइना हकन कारणोिं से िोता िै ?


उत्तर: उच्च रिचाप, मोटापा, तनाव, धूम्रपान, वसा के खाद्य पदाथों का सेवन, मसदरापान, कोलेस्टरॉल का बढ़ना,
पररवार में अन्य सकसी को यह रोग होना, व्यायाम न करना, पररश्रम न करना, ये सब सदल का दौरा और एनजाइना के
मुख्य कारण माने गए हैं । उग्रता का स्वभाव, अकेलापन, शहरी सजिंदगी का तनाव, आधुसनकीकरण से जीवन के तौर
तरीकोिं में बदलाव भी इसके कारण हो सकते हैं ।

3. हदल का दौरा और अनजाना रोग के प्रमुख लिण क्या िै ?


उत्तर: जब रोगी तनाव पूणत खस्थसत में होता है और इसके सीने में बाईिं ओर ददत होने लगता है । बेचैनी और भारीपन होने
लगने लगता है , तो ये सदल के दौरे के लिण माने जाते हैं। खास तौर से सीने में असहनीय ददत होता है और यह ददत
शरीर के सवसभन्न भागोिं तक फैल जाता है । रोगी को ऐसा महसूस होता है सक जैसे उसकी छाती पर कोई बहुत भारी
चीज़ रख दी गई हो। कभी- कभी असहनीय ददत से रोगी बेहोश भी हो जाता है।

4. हदल का दौरा पड़ने पर प्राथहमक उपचार के हलए क्या-क्या कदम उिाने चाहिए?
उत्तर: सदल का दौरा पड़ते ही िॉक्टर को बुलाना चासहए। समाधान के सलए तब तक कोई ददत सनवारण गोली दी जा
सकती है । पहले से ही यसद रोगी इसका सशकार है तो उसे साहबाटरट की गोली दे दे नी चासहए। यसद रोगी की धड़कन

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रुक गई है , तो उसे पीठ के बल सलटाकर उसके कपड़े ढीले करके छाती पर मासलश करनी चासहए। यथाशीघ्र अपनी
सािंस दे ने का प्रयास करनी चासहए।

5. िाटा अटै क के रोगी का इलाज हकस तरि हकया जाता िै ?


उत्तर: रोगी को तुरिंत अस्पताल ले जाना जरूरी होता है। यसद धमनी का काम रुक गया हो तो, उसे ऐसी दवा सदलवानी
चासहए सजससे धमनी खुल जाए। इस स्टर प्टोकाइनेज या यूरोकाइनेज जैसी दवा इिं जेक्ट भी सकया जा सकता है ।
आवश्यकता होने पर दवा और पेसमेकर की जरूरत भी हो सकती है ।

6. बैलून एनजीओप्लास्टी तकनीक क्या िै ?


उत्तर: जब एक-दो धमसनयााँ अवरुद्व हो जाती है , तो उन्ें ठीक करने के सलए बैलून एनजीओप्लास्टी की जाती है ।
एक पतली ट्यूब के द्वारा गुब्बारे को धमनी के ससकुड़े हुए भाग तक पहुिंचाकर फुलाया जाता है । उससे बसा की परत
दबकर धमनी खुल जाती है । सफर रि बहाव सम्मान होकर समट जाता है ।

7. हृदय रोग से बचने व काबू पाने के हलए क्या-क्या एिहतयात बरतनी चाहिए?
उत्तर: रोजाना व्यायाम करें । इसके सलए सुबह-शाम की सैर अच्छी होती है। अपने वजन पर कड़ी नजर रखना चासहए,
उसे सबल्कुल न बढने दें । मानससक तनाव को भी दू र रखे। ब्लि प्रेशर बढ़ा हुआ हो या शुगर तो ठीक समय दवा लेते
रहना चासहए। इससे सदल को राहत समलेगी। तले हुए असधक वसा वाले भोजन से बचकर रहें । घी, मक्खन अिंिे, सचकन,
फूिी, कचौड़ी, समोसे, फराठे , सटक्की पकौिंिोिं आसद से दू र रहे । जहााँ तक हो सके कॉफी और चाय भी कम से कम
लें। धूम्रपान और मसदरा पर रोक लगा दे । ऐसा करने से हृदय रोग से बचने का कुछ उपाय हो सकता है ।

III वाक्य शुद्ध कीहजये: (Write the Correct Sentence)


1. तेरे को क्या िो गया िै ?
उत्तर: तुम्हें क्या हो गया है ?
2. आप कल जरूर आओ।
उत्तर: आप कल जरूर आइए।
3. आप किा था।
उत्तर: आप ने कहा था।
4. कई हवद्यालय खुला।
उत्तर: कई सवद्यालय खुले।

IV कोष्ठक में हदए गए उहचत शब्दोिं से ररक्त स्थान भररए:


(Fill in the blanks with appropriate word in the brackets.)

(का, में, के, पर, की)


1. उसके सीने में ददत उठने लगता है ।
2. इसके साथ ही जोरोिं का पसीना छूटने लगता है ।
3. समतली की सशकायत भी हो सकती है ।
4. पास के िॉक्टर को बुला भेजें ।
5. कास्टे ल उपखस्थयोिं के सिंगम स्थल पर जोरोिं का ददत हो सकता है ।

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V हनम्नहलन्तखत मुिावरोिं को अथा के साथ जोड़कर हलन्तखए:
[Match the idioms with their meaning.]
1. पलकें सबछाना = प्रतीिा करना ;
2. पेट में चूहे कूदना = बहुत ज़ोर की भूख लगना ;
3. दाल न गलना = सफल न हो ना;
4. दु म दबाकर भागना = िरकर भाग जाना;

VI सूचना अनुसार काल बदहलए:


(Change the following sentences according to the instructions given.)
1. िमारे हशिक प्रश्न करते िैं । [भूतकाल में बदहलए-Change into Past Tense]
उत्तर: हमारे सशिक प्रश्न करते थे।
2. सैहनकोिं ने दे श का नाम रोशन हकया । [वतामान काल में बदहलए-Change into Present Tense]
उत्तर: सैसनक दे श का नाम रोशन करते िैं ।
3. लड़के मैदान में खेल रिे थे । [भहवष्यत काल में बदहलए- Change into Future Tense]
उत्तर: लड़के मैदान में खेलेंगे।

VII अन्य हलिंग रूप हलन्तखए: [Write the other gender form.]
1) चाचा - चाची , (2) नाना - नानी , (3) वर – वधू , (4) दादा - दादी , (5) श्रीमान - श्रीमती ,

VIII अन्य वचन के रूप हलन्तखए: (Change the number)


1) पसली - पससलयााँ , (2) तिंसत्रका - तिंसत्रकाएिं , (3) दवा - दवाइयााँ / दवाएाँ , (4) धमनी - धमसनयााँ

IX समानाथाक शब्द हलन्तखए: (Write two synonyms for each)


1) समुद्र – सागर, रत्नाकर
2) सूरज – रसव, सदनकर

X हवलोम शब्द हलन्तखए: (Write the opposite word)


1) पास X दू र, (2) छोटा X बड़ा, (3) ज्यादा X कम,
(4) नीचे X ऊपर, (5) चैन X बेचैन, (6) समथत X असमथत।

XI हििंदी में अनुवाद कीहजए: (English-to-Hindi translation)


i) . Give me a glass of water.
उत्तर: मुझे एक सगलास पानी दो।
ii) Police caught the thief.
उत्तर: पुहलस ने चोर को पकड़ा।
iii) when did you return this book.
उत्तर: आपने यह पुस्तक कब लौटाया था।
iv) College annual day was celebrated yesterday.
उत्तर: कल कॉलेज का वासषतकोत्सव मनाया गया।
v) Mother became happy after reading Son’s letter.
उत्तर: पुत्र का पत्र पढ़कर माता प्रसन्न हुई।

*****
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7. मेरी बद्रीनाथ यात्रा (My Trip to Badrinath Temple)
लेखक - हवष्णु प्रभाकर

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. काहलदास ने हिमालय को क्या किा िै ?
उत्तर: कासलदास ने सहमालय को नागाहधराज किा िै ।
2. यात्रा के हनयम के अनुसार लेखक पिले किााँ गए?
उत्तर: यात्रा के सनयम के अनुसार लेखक केदारनाथ गए।
3. केदार नाथ की शीत-ऋतु की राजधानी का नाम क्या िै ?
उत्तर: केदार नाथ की शीत-ऋतु की राजधानी का नाम उषीमि िै ।
4. सबसे ऊिंचे स्थान पर बना हुआ मिंहदर कौन-सा िै?
उत्तर: सबसे ऊिंचे स्थान पर बना हुआ मिंसदर तुिंगनाथ िै ।
5. आि वषा की प्यारी बच्ची का नाम क्या िै ?
उत्तर: आठ वषत की प्यारी बच्ची का नाम सिंध्या िै ।
6. जोषीमि से बद्रीनाथ हकतने मील की दू री पर िै?
उत्तर: जोषीमठ से बद्रीनाथ केवल 19 मील की दू री पर है ।
7. हकस पेड़ के नीचे बैिकर प्रहतभापुाँज शिंकर ने उपहनषदोिं पर टीकाएाँ हलखी थी?
उत्तर: शितूत के पेड़ के नीचे बैठकर प्रसतभापुिंज शिंकर ने उपसनषदोिं पर टीकाएाँ सलखी थी।
8. बद्रीनरायण मिंहदर हकतने फुट की ऊाँचाई पर िै ?
उत्तर: बद्रीनारायण मिंसदर 10,480 फुट की ऊाँचाई पर है ।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. हिमालय की हवशेषता का वणान कीहजए।
उत्तर: सहमालय को काली दास ने नागासधराज कहा है । यह सवश्व का श्रेि एविं ऊाँचा पवतत है। बफीला नजारा दे खते ही
बनता है । इसके आिं चल से सकतनी ही नसदया अलख जगाते हुए कलकल सननाद करते हुए बहती है । कस्तूरी मृग अपनी
नासभ में सुगिंध सलए यहीिं घूमते हैं। दे वदारु चीनार आसद वृिोिं की छटा दे खते ही बनती है । रिं ग- सबरिं गे पसियोिं का कलरव
सुनाई पड़ता है। सहमालय का प्राकृसतक सौिंदयत हर सकसी को अपनी ओर आकसषतत करके सकसी को कसव या सकसी
को दाशतसनक भी बना दे ता है।

2. बद्रीनाथ यात्रा में लेखक और उनके साहथयोिं की हदनचयाा हलन्तखए।


उत्तर: लेखक और उनके साथी प्रसतसदन प्रात 3:00 बजे उठते हैं । अपने सबस्तर समेटकर सनत्य कमत पूरा करके भार
वाहकोिं को अपने सामान दे कर आगे बढ़ते हैं । प्रसतसदन 12 से 18 मील यात्रा करते हैं। बद्री सवशाल की जय कार करते
हुए, हाँसी मजाक की बातें करते हुए, आवश्यकतानुसार अल्पाहार लेते हुए, अगले पड़ाव तक पहुिंचते हैं।

3. तुिंगनाथ हशखर के सिंदभा के सौद िं या के सिंबिंध में लेखक ने क्या किा िै ?


उत्तर: तुिंगनाथ सशखर 12,080 फुट की उाँ चाई पर है। यद्यसप टे ढ़ा-मेढा, उतार-चढ़ाव का रास्ता है । सफर भी थकान
महसूस नहीिं होती। गिंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ, चौखिंभा आसद रजत-सशखर सूयत प्रकाश में चमकते रहते हैं ।
सहम-सशखरोिं के दशतनोिं की यात्री का लाभ उठाते हैं। यहााँ की प्रकृसत यासत्रयोिं को मोह लेती है । शाम होने से पूवत ही यहााँ
कोहरा छा जाता है ।

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4. बद्रीनाथ की घाटी का हचत्रण कीहजए।
उत्तर: बद्रीनाथ की घाटी केदारनाथ जैसा सौिंदयत तो नहीिं है । परन्तु अलकनिंदा का रूप जाल जरूर है। यह नदी यहााँ
उछल-कूद मचाती है । गजतना करती है । जल प्रपात बनाते हुए आगे बढ़ती है । कहीिं-कहीिं बफीले प्राकृसतक पुल दे खने
लायक होते हैं ।

5. बद्री नारायण मिंहदर की हवशेषता पर प्रकाश डाहलए।


उत्तर: अलकनिंदा के दोनोिं ओर के पहाि नर-नारायण कहलाते हैं । कहा जाता है सक सकसी जमाने में बद्रीनाथ में बेरी
का वन था। बद्री को बेर कहा जाता है। यह मिंसदर10,480 फुट की ऊाँचाई पर बना हुआ है । मिंसदर की स्थापना
शिंकराचायत जी ने सकया था। वह मिंसदर नारायण मिंसदर की गोद में बसा हुआ है। नीलकिंठ के सहम-सशखर की छाया भी
है । यह दे श का अिंसतम गााँ व माना जाता है । यह मिंसदर आकषतक है । यह नारायण का मिंसदर एक तीथत धाम मिंसदर हैं ।

III. हनम्नहलन्तखत वाक्य हकसने हकससे किे ? (Who said the following sentence to whom)
1. अरे हबच्छू हबच्छू
उत्तर: यह वाक्य हुआ वयोवृद्व सज्जन ने दल के सदस्योिं से कहा।
2. कहिए हदल जम गया या बच गया।
उत्तर: यह वाक्य लेखक ने अपने समत्र से कहा।
3. मिंहजल पर पहुाँच जाने पर रोमािंच को िी आता िै ।
उत्तर: यह वाक्य लेखक ने पाठकोिं से कहा है ।
4. यात्रा का यि अस्थायी स्नेि भी हकतना पहवत्र िोता िै ।
उत्तर: यह वाक्य लेखक ने पाठकोिं से कहा है ।

IV सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:


1. ऐसे प्रदे श में पहुाँचकर अकहव भी कहव और अदाशाहनक भी दाशाहनक बन जाता िै ।
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक- सवष्णु प्रभाकर द्वारा सलखखत ‘बदरीनाथ यात्रा’ पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने अपने सासथयोिं से कहा है।
स्पष्ट्ीकरण: लेखक सहमालय के सौिंदयत का वणतन करते हुए कहते हैं सक यहााँ पहुिंचने वाला प्रत्येक यात्री कसव और
दाशतसनक होने का अनुभव करने लगता है । ऐसे यहााँ के सहमसशकर, नसदयोिं की अलक, पसियोिं का कलरव, कुहरा आसद
मोहक है ।
हवशेषता: लेखक ने बद्रीनाथ मिंसदर के सौिंदयत का वणतन सकया है।

2. यि मागा अपेिाकृत भयानक िै , इसहलए इसका सौद िं या भी अभी अछूता िै ।


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक- सवष्णु प्रभाकर द्वारा सलखखत ‘बदरीनाथ यात्रा’ पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने अपने सासथयोिं से मागत के बारे में कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: यात्रा के सनयम के अनुसार लेखक चमौली पहुिंचते हैं । केदारनाथ की शीत-ऋतु की राजधानी उषीमठ है
और तुिंगनाथ मिंसदर यहीिं पर है । मागत चाहे सकतना कसठन क्योिं न हो सफर भी यात्री यहााँ आते रहते हैं ।
हवशेषता: लेखक ने वहााँ के मागत के सिंदभत के बारे में कहा है ।

3. िाय राम, हबच्छू लग रिा था, पर वि चलता क्योिं निी िं?


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक- सवष्णु प्रभाकर द्वारा सलखखत ‘बदरीनाथ यात्रा’ पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने अपने सासथयोिं से कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: बद्रीनाथ यात्रा के दौरान लेखक को कई रोचक अनुभव हुए। सजसमें कभी-कभी अनायास ही उनमें से
कोई हाँसी का पात्र बन जाता है । एक सदन वे अपने दल के साथ एक छोटी-सी चट्टी पर खाना खा रहे थे सक उनके दल

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के एक वयो वृि सज्जन सजला उठे अरे सबच्छू सबच्छू सजसे सुनकर सभी चौिंक कर उस ओर दे खने लगे। दे खने पर सबच्छू
-सा कुछ सदखाई सदया। परिं तु उसमें कोई हरकत नहीिं थी। मोमबिी की रौशनी में ध्यान से दे खने पर ज्ञात हुआ सक
सजसे सब सबच्छू समझ रहे थे वह चासबयोिं का गुच्छा था। जो सज्जन की जेब से लटककर जााँघ पर आ गया था।
हवशेषता: लेखक ने गलतफेमी के बारे में बताया है ।

4. जम कैसे सकता था, िमने विााँ पानी लगने िी निी िं हदया।


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक- सवष्णु प्रभाकर द्वारा सलखखत ‘बदरीनाथ यात्रा’ पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने स्नान करते हुए अपने सासथयोिं से कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: बद्रीनाथ की घाटी में बहने वाली अलकनिंदा नदी का पानी बहुत ठिं िा था। लेखक के समत्र यात्रा में नहाना
आवश्यक नहीिं समझते थे, सकिंतु यात्रा की प्रथा के अनुसार सभी को नदी में नहाना जरूरी था। सववश होकर लेखक
के समत्र ने नहाकर बुरी तरह कािं प रहे थे। उन्ें छे ड़ने के सलए लेखक ने पूछा सदल जम गया है यह बच गया है । इसके
उिर में उन्ोिंने भी हास्यपूणत ढिं ग से बताया सक जम कैसे सकता है , सदल पर पानी लगने ही नहीिं सदया।
हवशेषता: इस वाक्य में लेखक ने अपने समत्रोिं के साथ व्यिंग सकया है ।

5. वि आकषाक िै - सरल भन्तक्त का प्रकृहत के वैभव का।


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक- सवष्णु प्रभाकर द्वारा सलखखत ‘बदरीनाथ यात्रा’ पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने बद्रीनाथ के मिंसदर के बारे में बताते हुए कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: अत्यसधक उाँ चाई पर बसे इस मिंसदर ने भयिंकर तूफान को झेला, नष्ट् भी हुआ। सफर भी सिंघषतशील मानव
अपनी श्रिा और भखि समपतण करने यहााँ आतें हैं , जो प्रकृसत का वैभव है । बद्रीनारायण मिंसदर कला की दृसष्ट् से कोई
महत्व नहीिं रखता। सफर भी उसमें ये आकषतक है। वह आकषतक है ।
हवशेषता: इस वाक्य में बद्रीनारायण मिंसदर कला की दृसष्ट् से प्राकृसतक सौिंदयत का वणतन बताया है ।

V वाक्य शुद्ध कीहजये: (Write the Correct Sentence)


1. िम प्रहतहदन सवेरे तीन बजे उिता था।
उत्तर: हम प्रसतसदन सवेरे तीन बजे उिते थे।
2. वि तो सचमुच हबच्छू लग रिी थी।
उत्तर: वह तो सचमुच सबच्छू लग रिा था।
3. लेहकन एक कथाएाँ किााँ तक किा जाए।
उत्तर: लेसकन ये कथाएाँ कहााँ तक किी जाए।
4. मिंहदर में पूजा िो रिा था।
उत्तर: मिंसदर में पूजा हो रिी थी।

VI कोष्ठक में हदए गए उहचत शब्दोिं से ररक्त स्थान भररए:


(Fill in the blanks with appropriate word in the brackets.)

(के, ने, का, पर)


1. मिंसजल पर पहुाँच जाने पर रोमािंच हो हीिं आता है ।
2. कहते हैं सक प्राचीन काल में भगवान ने नर-नारायण के रूप में यहााँ तप सकया था।
3. दे वदारु के पेि भी इधर बहुत है ।
4. तीन सदन तक हम उस प्रदे श का वैभव दे खते रहें ।
VII हनम्नहलन्तखत मुिावरोिं को अथा के साथ जोड़कर हलन्तखए:
[Match the idioms with their meaning.]
1. नाम कमाना = सम्मान प्राप्त करना;
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2. मुाँह फेरना = उपेिा करना;
3. नौ दो ग्यारह होना = भाग जाना;
4. पोल खुलना = भेद खुलना / रहस्य खुलना;

VIII सूचना अनुसार काल बदहलए:


(Change the following sentences according to the instructions given.)
1. बद्रीनाथ िमें पुकार रिे िैं । [भूतकाल में बदहलए-Change into Past Tense]
उत्तर: बद्रीनाथ हमें पुकार रहे थे।
2. िम प्रहतहदन सवेरे तीन बजे उिते थे । [वतामान काल में बदहलए-Change into Present Tense]
उत्तर: हम प्रसतसदन सवेरे तीन बजे उठते िैं ।
3. अहधकािंश यात्री पैदल चलते िैं । [भहवष्यत काल में बदहलए- Change into Future Tense]
उत्तर: असधकािंश यात्री पैदल चलेंगे।

IX अन्य हलिंग रूप हलन्तखए: [Write the other gender form.]


1) बालक - बासलका, (2) कसव - कवसयत्री, (3) भि - भखिन, (4) भगवान - भगवती, (5) वृि - वृिा,

X अन्य वचन के रूप हलन्तखए: (Change the number)


1) रानी - रासनयााँ , (2) यात्रा -यात्राएाँ , (3) दशतन - दशतन, (4) ऋतु - ऋतुएाँ, (5) कहानी - कहासनयााँ ,
6) छोटी - चोसटयााँ , 7) भाषा - भाषाएाँ ।

XI समानाथाक शब्द हलन्तखए: (Write two synonyms for each)


1) सााँप - नाग, सपत
2) हाथ – हस्त, कर
3) हाथी – गज, हस्ती

XII हवलोम शब्द हलन्तखए: (Write the opposite word)


1) आगे X पीछे , (2) ऊाँचा X नीचा, (3) उठना X बैठना, 4) उतार X चढ़ाव

XIII हििंदी में अनुवाद कीहजए: (English-to-Hindi translation)


i) Birds have to wings.
उत्तर: पसियोिं को दो पिंख होते हैं ।
ii) Shyam’s daughter is very beautiful.
उत्तर: श्याम की बेटी बहुत सुिंदर है ।
iii) There is church in between the two houses.
उत्तर: उन दो मकानोिं के बीच एक सगरजा घर है ।
iv) If the students had come on time, I would have permitted him to the class.
उत्तर: अगर सवद्याथी ठीक समय पर आते हैं , तो मैं उसे किा में आने की अनुमसत दे ता।
v) He will come after some time.
उत्तर: वह कुछ समय के बाद आएगा।
*****

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8. नालायक (Unworthy)
लेखक- हववेकी राय

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. हकतने अनटर ें ड अध्यापकोिं का चुनाव था?
उत्तर: तीन सौ अनटर ें ि अध्यापकोिं का चुनाव था।
2. हकतने उम्मीदवार आए थे ?
उत्तर: दस िजार उम्मीदवार आए थे।
3. प्रहत उम्मीदवार के बीच हकतने हसफाररशें आई थी?
उत्तर: प्रसत उम्मीदवार के पीछे लगभग पािंच से छि ससफाररशें आई थी।
4. ज्ोहतषी किााँ पर बैिे थे?
उत्तर: ज्योसतषी फुटपाथ पर बैठे थे।
5. पुहलस की हकतनी गाहड़यािं आई थी?
उत्तर: पुसलस की दो गाहड़यााँ आई थी।
6. हकसका नाम सभापहत के हलए प्रस्ताहवत हकया गया?
उत्तर: श्री रघुपहत राघव का नाम सभापसत के सलए प्रस्तासवत सकया गया।
7. नालायक पाि के लेखक कौन िैं ?
उत्तर: नालायक पाठ के लेखक हववेकी राय हैं।
II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:
1. अनटर ें ड अध्यापकोिं के चुनाव के मािौल का वणान कीहजए।
उत्तर उस सदन सजला पररषद में प्राइमरी स्कूलोिं के सलए अनटर ें ि अध्यापकोिं का चुनाव था। उसमें तीन सौ अध्यापक
चुने जाने वाले थे। दस हजार उम्मीदवार आए थे। हर एक उम्मीदवार के साथ लगभग पािंच से छह ससफाररश करने
वाले आये थे। दशतक भी काफी थे और वह एक मेला के जैसा लग रहा था। वन अनटर ें ि अध्यापकोिं के चुनाव के सलए
शहर में सुबह से ही इतनी भीि लगी हुई थी सक मानो कुिंभ का मेला लगा हो। सड़कोिं पर लोगोिं की चहल-पहल और
शोरगुल शुरू हो गया था।

2. हजला पररषद के बािर का दृश्य प्रस्तुत कीहजए।


उत्तर: सजला पररषद में प्राइमरी स्कूलोिं के सलए अनटर ें ि अध्यापकोिं की सनयुखि होनी थी। इससलए सजला पररषद के
बाहर अपार जनसागर उमर कर जमा हो गया था। प्रवेश द्वार से लेकर बाहर आिं गन, मैदान, चौक, सड़क और लगभग
दो-तीन फलात ग तक ठसमठस आदमी भरे थे। सकसी को पता नहीिं सक क्योिं खड़े हैं । बस खड़े हैं। जो पहले आए थे वे
पहले से फाटक की ओर खड़े थे। जो आगे थे उनका सनकलना कसठन हो रहा था। भीतर पररषद कायातलय था।

3. लाउडस्पीकर से क्या घोषणा की जा रिी थी?


उत्तर: चेयरमैन साहब के बिंगले के बाहर भीड़ जमा होने के कारण पुसलस की गासड़यािं भीि को सनयिंसत्रत करने के सलए
पहुिंची। लाउिस्पीकर से घोषणा की जाने लगी सक सज्जनोिं ज्ञात हुआ है सक आप लोग थित सिवीजनरोिं के ससफाररशी
है । आप लोगोिं को बहुत समझाया गया सक ससफाररश से काम नहीिं चलेगा। परिं तु आप लोग मानते ही नहीिं है । अब
स्कूल मास्टर के सलए थित सिसवजनर नहीिं सलए जाएिं गे। यसद आप लोग सबना उस ससफाररशी कागज को सदए चलने
वाले नहीिं हैं , तो दे दीसजए। पच्चास व्यखि खााँची लेकर तैनात सकए जाते हैं । इन्ीिं खााँसचयोिं में िाल दें ।

4. दौड़कर आते हुए उम्मीदवार ने क्या किा?उत्तर: दौिकर आते हुए उम्मीदवार ने गुस्से में कहा- साहब लोग
कहते हैं सक अध्यापक पद के सलए थित सिवीजनर नहीिं सलए जाएिं गे। क्योिं नहीिं सलए जाएिं गे ? सजसका ज्यादा वोट होगा
उसे सलया जाएगा। हम सभी फस्टत और सेकेंि सिसवजनर के खखलाफ़ आिं दोलन करें गे।
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5. थडा हडवीजनरोिं की व्यथा को प्रकट कीहजए।
उत्तर: थित सिवीजनरोिं का जीवन नरक के समान होता है । उनके सलए हर जगह दरवाजा बिंद रहता है । जैसे वे आदमी
नहीिं बैल है। उसकी उपेिा होती है । उन्ें नौकरी के सलए नाक रगड़नी पड़ती है। कदम-कदम पर सनराशा होती है।
अिंत: थित सिसवजनवालोिं को नालायक समझ कर नौकरी नहीिं दे ता है ।
III. हनम्नहलन्तखत वाक्य हकसने हकससे किे ? (Who said the following sentence to whom)
1. आपका उम्मीदवार हकस हडवीजन में पास िै ?
उत्तर: इस वाक्य को लेखक ने एक उम्मीदवार से कहा।
2. थडा हडवीजनर के हलए दु हनया में कोई जगि निी िं िै ।
उत्तर: इस वाक्य को लेखक ने ससफाररश लोगोिं से कहा।
3. ये लोग िम लोगोिं का िक मार रिे िैं ।
उत्तर: इस वाक्य को एक थित सिवीजनर ने लेखक से कहा।
4. िमारे हलए िर जगि दरवाजा बिंद िै ।
उत्तर: इस वाक्य को एक थित सिसवजनर ने सभी थित सिसवजनर युवकोिं से कहा।

IV सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:


1. जीवन में पहली बार ससफाररश का यह तरीका जाना।
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक सववेकी राय द्वारा सलखखत नालायक पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: इस वाक्य को चेयरमैन ने ससफाररश करने वाले लोगोिं से कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: पता चला सक थित सिसवजनर को प्राइमरी अध्यापक की नौकरी नहीिं दे रहे हैं । तो जो युवक उम्मीद लगाए
बैठे थे, वे गुस्से में लाल-पीले होकर जवानोिं की तरह लड़ने -मारने को तैयार हो गए थे।
हवशेषता: अयोग्य की सिंख्या बढ़ती जा रही है ।

2. सुबि का हसकुड़ा व बाल अब धन का जवान की तरि लग रिा था।


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक सववेकी राय द्वारा सलखखत नालायक पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: इस वाक्य को लेखक ने थित सिसवजनर ने लोगोिं से कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: सुबह जो उम्मीदवार लेखक के पास आया था, वहीिं दौड़ता हुआ लेखक के पास आया और उसने कहा
सक लोग कहते हैं सक वे थित सिसवजनर को नहीिं लेंगे। हम फस्टत सिवीज़न और सेकिंि सिसवजन वालोिं के खखलाफ़
आिं दोलन करें गे । वे हमारे हक मार रहे हैं । यही बालक जो सुबह से ससकुड़ा बैठा था,अब वह तन कर जवान की तरह
बातें कर रहा है ।
हवशेषता: नालायक और सहम्मत हारे हुए लोग आिं दोलन करते हैं और कसठन पररश्रम करने से बचते हैं ।

3. िरहगज निी िं मानते िैं हक कागज की तीन लकीरोिं के कारण िम लोग नालायक िैं।
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक सववेकी राय द्वारा सलखखत नालायक पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: इस वाक्य थित सिसवजनर उम्मीदवार ने सभी थित सिसवजनर उम्मीदवार से कहा।
स्पष्ट्ीकरण: जब थित सिजाइनरोिं को खाररज कर सदया गया, तो वे लोग इसका दोष सशिा सवभाग तथा अध्यापकोिं पर
लगा रहे थे और कह रहे थे सक कागज पर थित सिसवजन सलख दे ने से हम नालायक नहीिं हो सकते।
हवशेषता: थित सिसवजनर लोग अपनी गलती और कमजोरी स्वीकार करने को तैयार नहीिं होते हैं ।

4. हकसको हमले मास्टरी चािंस थडा हडहवजनर मैहटर क पास।


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक सववेकी राय द्वारा सलखखत नालायक पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को एक थित सिसवजनर उम्मीदवार ने सभी थित सिसवजनर उम्मीदवार से कहा।

32
स्पष्ट्ीकरण: थित सिसवजनरोिं के असधकार सछन जाने से वे उिेसजत हो गए और सभी समलकर थित सिसवजनर सजिंदाबाद
के नारे लगाते हुए आिं दोलन पर उतर आए और कह रहे थे सकसको समले मास्टरी चािंस थित सिसवजनल मैसटर क पास।
हवशेषता: मन के हारे हुए लोग हीिं नारे लगाते हैं ।

V हनम्नहलन्तखत मुिावरोिं को अथा के साथ जोड़कर हलन्तखए:


[Match the idioms with their meaning.]
1. गोबर बारूद होना = नाकाम होना;
2. नाक रगिना = सगिसगिाना ;
3. हक मारना = असधकार छीनना ;
4. सजगर का टु कड़ा = असत सप्रय होना ;

VI सूचना अनुसार काल बदहलए:


(Change the following sentences according to the instructions given.)
1. पुहलस लोगोिं की रिा कर रिी िै । [भूतकाल में बदहलए-Change into Past Tense]
उत्तर: पुसलस लोगोिं की रिा कर रही थी।
2. तीन सौ अध्यापक चुने जाएाँ गे। [वतामान काल में बदहलए-Change into Present Tense]
उत्तर: तीन सौ अध्यापक चुने जाते िैं ।
3. सभी हसफाररशें हतरस्कृत की गई। [भहवष्यत काल में बदहलए- Change into Future Tense]
उत्तर: सभी ससफाररशें सतरस्कृत की जाएगी।

VII अन्य हलिंग रूप हलन्तखए: [Write the other gender form.]
1) शेर - शेरनी, (2) साहब - सासहबा, (3) अध्यापक - अध्यासपका, (4) मास्टर - मास्टरनी, (5) युवक- युवती ,

VIII अन्य वचन के रूप हलन्तखए: (Change the number)


1) पुस्तक पुस्तकें, (2) बेटी - बेसटयााँ , (3) गािी - गासड़यााँ , (4) लिका - लिके।

IX समानाथाक शब्द हलन्तखए: (Write two synonyms for each)


1) सम्राट – राजा, नृप
2) प्रयत्न - कोसशश, प्रयास
3) अध्यापक – सशिक, गुरु
4) सहायता – मदद, रहम
5) स्वतिंत्र – आजाद, स्वतिंत्रता
X हििंदी में अनुवाद कीहजए: (English-to-Hindi translation)
i) If he had worked hard, he would have passed the examination.
उत्तर: यसद उसने पररश्रम सकया होता तो, परीिा में उिीणत होता।
ii) The Sun sets in the West.
उत्तर: सूरज पहिम में डूबता िै ।
iii) Friends are our real well-wisher.
उत्तर: समत्र हमारे सच्चे शुभसचिंतक हैं।
iv) She reached Mysore safely.
उत्तर: वह सुरसित मैसूर पहुिंची।

*****
33
9. राष्ट्र का स्वरूप (Nation’s Beauty)
लेखक- वासुदेवशरण अग्रवाल

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. हकसके सम्मेलन से राष्ट्र का स्वरूप बनता िै ?
उत्तर: भूहम, जन और सिंस्कृहत के सम्मेलन से राष्ट्र का स्वरूप बनता है ।
2. हकस की कोख में अमूल हनहधयााँ भरी िै ?
उत्तर: धरती माता की कोख में अमूल सनसधयााँ भरी है ।
3. सच्चे अथों में िी पृथ्वी पुत्र कौन िै ?
उत्तर: हनष्काम भाव से सेवा करने वाले िी सच्चे अथों में पृथ्वी का पुत्र है ।
4. पुत्र का स्वाभाहवक कताव्य क्या िै ?
उत्तर: माता के प्रहत अनुराग और सेवाभाव िी पुत्र का स्वाभासवक कततव्य है ।
5. माता अपने सब पुत्रोिं को हकस भाव से चािती िै ?
उत्तर: माता अपने सब पुत्रोिं को समान भाव से चाहती है ।
6. राष्ट्र का तीसरा अिंग कौन-सा िै ?
उत्तर: राष्ट्र का तीसरा अिंग सिंस्कृहत िै ।
7. राष्ट्र की वृन्तद्ध हकसके िारा सिंभव िै ?
उत्तर: राष्ट्र की वृखि सिंस्कृहत के िारा सिंभव है ।
8. राष्ट्र का सुखदायी रूप क्या िै ?
उत्तर: राष्ट्र का सुखदायी रूप समन्वययुक्त जीवन राष्ट्र का सुखदायी रूप है ।
9. सिंस्कृहत का अहमत भिार हकसमें भरा हुआ िै ?
उत्तर: सिंस्कृसत का असमत भण्डार स्वच्छिं द लोक गीतोिं और हवकहसत लोक कथाओिं में भरा हुआ है ।
10. राष्ट्र का स्वरूप पाि के लेखक कौन िैं ?
उत्तर: राष्ट्र का स्वरूप पाठ के लेखक श्री वासुदेव शरण अग्रवाल िै ।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. राष्ट्र को हनहमात करने वाले तथ्योिं का वणान कीहजए।
उत्तर: भूसम भूसम पर बसने वाले जन और जन की सिंस्कृसत इन तीनोिं के सम्मेलन से राष्ट्र का स्वरूप बनता है । भूसम के
प्रसत हम जीतने जागृत होिंगे उतनी ही हमारी राष्ट्रीयता बलविंत होगी। मातृभूसम पर सनवास करने वाले मनुष्य राष्ट्र का
दू सरा नाम है। हम सब धरती मााँ के पुत्र हैं । राष्ट्र का तीसरा अिंग सिंस्कृसत है ।

2. धरती वसुिंधरा क्योिं किलाती िै ?


उत्तर: धरती माता की कोख में अमूल्य सनसधयािं भरी है । सजनके कारण वह वसुिंधरा कहलाती है । लाखोिं करोड़ोिं वषों
से अनेक प्रकार की धातु पृथ्वी के गभत में समला है । नसदयोिं ने 20 फीसदी का अगसणत प्रकार की समसट्टयोिं से पृथ्वी की
दे ह को सजाया है। पृथ्वी की गोद में जन्म लेने वाले जि, पत्थर कुशल सशखल्पयोिं से सिंवारे जाने पर अत्यिंत सुिंदर के बन
जाते हैं ।

3. राष्ट्र हनमााण में जन का क्या योगदान िोता िै ?


उत्तर: जन के हृदय में राष्ट्रीयता सक कुिंजी है । इसी भावना से राष्ट्र सनमात ण के अिंकुर उत्पन्न होते हैं । जो जन पृथ्वी के
साथ माता और पुत्र के सिंबिंध को स्वीकार करता है उसे ही पृथ्वी के वरदानोिं में भाग लेने का असधकार होता है। माता
के प्रसत अनुराग और सेवाभाव पुत्र का स्वाभासवक कततव्य है , जो जन मातृभूसम के साथ अपना सिंबिंध जोड़ना चाहता है ।
उसे अपने कततव्योिं के प्रसत पहले ध्यान दे ना चासहए।
34
4. लेखक ने सिंस्कृहत को जीवन हवटप का पुरुष क्योिं किा िै ?
उत्तर: राष्ट्र के समग्र रूप में भूसम और जन के साथ-साथ जन की सिंस्कृसत का महत्वपूणत स्थान है । यसद भूसम और जन
अपनी सिंस्कृसत से सवरसहत कर सदए जाएिं तो राष्ट्र का लोप समझना चासहए। जीवन के सवटप का पुष्प सिंस्कृसत है । उन
सिंस्कृसतक सौिंदयत और सौरभ में ही राष्ट्रीय जन के जीवन का यश सनसहत है ।

5. समन्वय युक्त जीवन के सिंबिंध में वासुदेव शरण अग्रवाल के हवचार प्रकट कीहजए।
उत्तर: माता अपने सब पुत्रोिं को समान भाव से चाहती है । इसी प्रकार पृथ्वी पर बसने वाले सभी जन बराबर है । उनमें
ऊिंच और नीच का भाव नहीिं है । ये जन अनेक प्रकार की भाषाएिं बोलने वाले और अनेक धमों को मानने वाले हैं । सफर
भी ये सब मातृभूसम के ही पुत्र हैं ।

III सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:


1. भूहम माता िै , मैं उसका पुत्र हाँ ।
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक वासुदेव शरण अग्रवाल द्वारा सलखखत ‘राष्ट्र का स्वरूप’ नाम पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने लोगोिं से कहा है सक भूसम के प्रसत प्रेम, आदर और सेवा भाव रखो।
स्पष्ट्ीकरण: मनुष्य अपनी मााँ की कोख से जन्म लेता है , लेसकन बाद में उसका भरण-पोषण करने वाली माता पृथ्वी
माता है । पृथ्वी न हो तो अन्न नहीिं, जीवन नहीिं, सिंस्कृसत नहीिं, पृथ्वी और जन दोनोिं के सम्मेलन से ही राष्ट्र का स्वरूप
सिंपासदत होता है । इससलए लेखक कहते हैं सक भूसम माता है और हम सब उनके पुत्र हैं ।
हवशेषता: अपनी मााँ की तरह धरती मााँ का भी सम्मान करना चासहए।

2. यि प्रणाम भाव िी भूहम और जन का दृढ बिंधन िोता िै ।


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक वासुदेव शरण अग्रवाल द्वारा सलखखत ‘राष्ट्र का स्वरूप’ नाम पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने लोगोिं से कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: लेखक कहते हैं सक लोगो के हृदय में भूसम माता है । मैं उनका पुत्र हाँ । इसी भावना के द्वारा मनुष्य पृथ्वी
के साथ अपने सच्चे सिंबिंध को प्राप्त करते हैं । जहााँ यह भाव नहीिं हैं , वहााँ जन और भूसम का सिंबिंध अचेतन और जड़
बना रहता है । सजस समय जन का हृदय भूसम के साथ, माता और पुत्र के सिंबिंध को पहचानता है उसी क्ष्ण श्रिा से भरा
हुआ उसका प्रमाण समलता है ।
हवशेषता: पृथ्वी माता के प्रसत प्रेम को दशातया गया है ।

3. जन का प्रवाि अनिंत िोता िै ।


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक वासुदेव शरण अग्रवाल द्वारा सलखखत ‘राष्ट्र का स्वरूप’ नाम पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य लेखक ने जन के प्रवाह के बारे में कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: हजारोिं वषों से भूसम के साथ राष्ट्रीय जन में स्थासपत सकया है । उसका प्रवाह अनिंत है। जब तक सूरज की
सकरणें सिंसार को अमृत से भरता रहेगा, तब-तक राष्ट्रीय जन का जीवन भी अमर है । जन का जीवन नदी के प्रवाह की
तरह है , सजसमें कमत और श्रम के द्वारा उत्थान के अनेक घाटोिं का सनमातण करना होता है ।
हवशेषता: लेखक ने भूसम, जन, सिंस्कृसत के बारे में कहा है ।

4. सिंस्कृहत जन का मन्तस्तष्क िै ।
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक वासुदेव शरण अग्रवाल द्वारा सलखखत ‘राष्ट्र का स्वरूप’ नाम पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को लेखक ने सिंस्कृसत को मखस्तष्क कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: सिंस्कृसत जन का मखस्तष्क है । सबना सिंस्कृसत के जन की कल्पना नाम मात्र है । सिंस्कृसत के सवकास के द्वारा
ही राष्ट्र की वृखि सिंभव है । राष्ट्र के समग्र रूप में भूसम और जन की सिंस्कृसत का महत्वपूणत स्थान है ।
हवशेषता: लेखक के अनुसार सिंस्कृसत सारे जन समाज को जोड़ती है ।
35
5. उन सब का मूल आधार पारस्पररक सहिष्णुता और समन्वय पर हनभार िै ।
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को लेखक वासुदेव शरण अग्रवाल द्वारा सलखखत ‘राष्ट्र का स्वरूप’ नाम पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुसत में लेखक ने सिंस्कृसत के बारे में लोगोिं से कहा है
स्पष्ट्ीकरण: प्रत्येक जासत अपनी-अपनी सवशेषज्ञोिं के साथ सिंस्कृसत का सवकास करती है। प्रत्येक जन की अपनी-अपनी
भावनाओिं के अनुसार अलग-अलग सिंस्कृसतयािं राष्ट्र में सवकससत होती है । सब का मूल आधार पारस्पररक ससहष्णुता
और समिंवय में पर सनभतर है ।
हवशेषता: लेखक ने कहा है सक सिंस्कृसत ही राष्ट्र का स्वरूप बनाते हैं ।

IV कोष्ठक में हदए गए उहचत शब्दोिं से ररक्त स्थान भररए:


(Fill in the blanks with appropriate word in the brackets.)

(पर, का, के, मे,)


1. झटका परवाि अनिंत िोता िै ।
2. जीवन नदी के प्रवाह की तरह है ।
3. पृथ्वी के गभत में अमूल्य सनसधयािं है ।
4. उम्मीदवार जन सनवास करते हैं ।

V सूचना अनुसार काल बदहलए:


(Change the following sentences according to the instructions given.)
1. मनुष्य सभ्यता का हनमााण करे गा । [भूतकाल में बदहलए-Change into Past Tense]
उत्तर: मनुष्यता का सनमातण हकया था।
2. माता अपने सब पुत्रोिं को समान भाव से चािती थी। [वतामान काल में बदहलए-Change into Present Tense]
उत्तर: माता अपने सभी पुत्रोिं को समान भाव से चाहती िै ।
3. िमारे ज्ञान के कपाट खुलते िैं । [भहवष्यत काल में बदहलए- Change into Future Tense]
उत्तर: हमारे ज्ञान के कपाट खुलेंगे।

VI समानाथाक शब्द हलन्तखए: (Write two synonyms for each)


1) आकाश – आसमान, गगन
2) नारी – औरत, मसहला
3) धरती – वसुिंधरा, पृथ्वी
4) सूयत – सदनकर, सूरज
5) पेड़ – वृि, वट

VII हवलोम शब्द हलन्तखए: (Write the opposite word)


1) प्रसन्न X अप्रसन्न, (2) स्वाभासवक X अस्वाभासवक, (3) जनम X मरण, (4) अमृत X सवष

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VIII हििंदी में अनुवाद कीहजए: (English-to-Hindi translation)
i) I couldn’t see that film .
उत्तर: मैं वह ससनेमा दे ख नहीिं सका।
ii) Mohan cannot see.
उत्तर: मोहन दे ख नहीिं सकता।
iii) Humour plays an important role in our life.
उत्तर: हाँसी मजाक का भी हमारे जीवन में उतना ही महत्व रखता है ।
iv) Ram couldn’t read the book.
उत्तर: राम से पुस्तक पढी न जा सकी।
v) Gopal always speaks the truth.
उत्तर: गोपाल सदा सत्य बोलता है ।

*****

37
10. ररिसाल
लेखक-ओम प्रकाश आहदत्य
पात्र-पररचय

1) प्रोफेसर पािंडुरिंग 5) बैद्य परमानिंद


2) अध्यापक 6) हकसान
3) एक बीमार स्त्री 7) एक बालक (रमेश)
4) बालक के माता-हपता

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. वैद्य परमानिंद बीमार स्त्री को हकतने हदन तक खाना न खाने के हलए किते िैं ?
उत्तर: वैद्य परमानन्द बीमार स्त्री को 15 हदन तक खाना न खाने की सलाह दे ते हैं ।
2. हकसान हकसकी बीमारी के इलाज के हलए वैध परमानिंद के पास पहुिंचता िै ?
उत्तर: सकसान गाय की बीमारी के इलाज के सलए वैद्य परमानिंद के पास पहुिंचता है ।
3. परमानिंद िर बीमारी के हलए कौन सी दवा दे ते िैं ?
उत्तर: वैध परमानिंद हर बीमारी के सलए अमर भास्कर चुणा दे ते हैं।
4. प्रोफेसर पािंडुरिंग बीमार स्त्री को कमजोरी दू र करने का क्या उपाय बताते िैं ?
उत्तर: प्रोफेसर पािंिुरिं ग बीमार स्त्री से कहते हैं सक वि हिम्मत से आाँ खें बिंद करके शे र से लडे , पिाडोिं पर चढेे़ ,
तूफ़ान में समुद्र में कूदकर अपनी कमजोरी दू र कर सकती िै ।
5. प्रोफेसर पािंडुरिंग हकसान को हकसकी फोटो लाने के हलए किते िैं ?
उत्तर: प्रोफेसर पािंिुरिं ग सकसान को गाय की फोटो लाने के सलए कहते हैं ।
6. प्रोफेसर पािंडुरिंग हकसे यमराज का सगा भाई किते िैं ?
उत्तर: प्रोफेसर पािंिुरिं ग वै द्य परमानिंद को यमराज का सगा भाई कहते हैं ।
7. प्रोफेसर पािंडुरिंग लड़के को िोश में लाने के हलए कैसी किाहनयााँ सुनाने की सलाि दे ते िैं ?
उत्तर: प्रोफेसर पािंिुरिं ग लड़के को होश में लाने के सलए ऐसी कहासनयााँ सुनाने की सलाह दे ते हैं सक बेिोश
व्यन्तक्तयोिं के िोश में आने का वणान िो।
8. वैद्य परमानिंद के अनुसार लड़के को क्या हुआ िै ?
उत्तर: वैद्य परमानिंद के अनुसार लड़के को सहन्नपात की बीमारी हुआ था।
9. बेिोशी का अहभनय हकसने हकया?
उत्तर: बेहोशी का असभनय रमेश ने हकया।
10. बेिोशी का अहभनय करने वाले लड़के का नाम हलन्तखए।
उत्तर: बेहोशी का असभनय करने वाला लड़के का नाम रमेश था।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. वैद्य परमानिंद बीमार स्त्री का इलाज हकस प्रकार करते िै ?
उत्तर: बीमार स्त्री के इलाज के सलए जब बैद्य परमानिंद के पास जाती है , तो वे उसे उसका बचना मुखिल है , कहकर
खूब िराते हैं । बाद में उससे अजीब से प्रश्न पूछते हैं सजसका बीमारी से कोई सिंबिंध ही नहीिं था। उसके हृदय पर चिंदन
का लेप लगाने के सलए कहते हैं । उसके हाथ में अमर भास्कर चूणत दे कर उसे इस तरह खाने को कहते हैं , जो वह सीधे
पेट में न जाकर हृदय में जाए। और 15 सदन का खाना न खाने की सलाह दे ते हैं ।

38
2. वैद्य परमानिंद गाय की बीमारी दू र करने का क्या उपाय बताते िैं ?
उत्तर: वैद्य परमानिंद सकसान से कहा- तुम बीमार हो या तुम्हारी गाय मेरे सलए एक ही बात है । लाओ, अपना नब्ज
सदखाओ। सकसान बोला जी नब्ज मैं सदखाऊाँ? परमानिंद ने कहा-और कौन सदखाएगा? गाय तुम्हारी बीमार है या सकसी
और की? नब्ज दे खते हुए कहा- गाय की हालत सचिंताजनक है । उसे शीघ्र चारा खखलाओ। उसे उसी का दू ध सनकालकर
सपलाओ। अमर भास्कर चुणत गमत पानी के साथ खा लेना मैं और गाय को भी खखला दे ना। दोनोिं को लाभ पहुिंचेगा।

3. प्रोफेसर पािंडुरिंग बीमार स्त्री का इलाज हकस ढिं ग से करते िैं ?


उत्तर: जब स्त्री प्रोफेसर साहब के पास पहुाँचकर बोली मैं बीमार हाँ । प्रोफेसर साहब मेरा हृदय धरता है , घबराहट बहुत
रहती है , कमजोरी कैसे दू र हो सकती है । प्रोफेसर साहब ने कहा- आप को भ्रम हो गया है । हृदय तो मेरा भी धड़कता
है । सदल की कमजोरी है बीमारी नहीिं है । सहम्मत रखखए। आिं खें मूाँद लीसजए। आप सोिंचीए की हम जिंगल में हैं । हासथयोिं
की सच शेघाि शेरोिं की दहाड़, शेर आप की ओर बढ़ा रहा है । घबराइए मत, लसड़ए उससे अब इसे घुसे से मार दीसजए।
उसके दािं त तोड़ दीसजए। इस प्रकार प्रोफेसर बीमार स्त्री का इलाज करते हैं ।

4. वैद्य और प्रोफेसर के आमने-सामने आने के बाद का दृश्य प्रस्तुत कीहजए।


उत्तर: वैद्य परमानिंद और प्रोफेसर पाण्डु ररिं ग आमने- सामने आने के बाद एक-दू सरे पर व्यिंग्य करते हैं । प्रोफेसर
परमानिंद को यमराज का सगा भाई कहते हैं । तो परमानन्द प्रोफेसर को वात-सपत-कप कहता है । व्यिंग्य करते हुए वह
कहता है सक तुम यसद सकसी की नब्ज भी पकि लेते हो, तो उसकी जान चली जाती है ।

5. रमेश ने बेिोशी का अहभनय क्योिं हकया?


उत्तर: रमेश अपने घर में बेहोश हो जाता है। उसके सपता वैद्य परमानिंद और प्रोफेसर पािंिुरिं ग को बुलाते हैं । परमानिंद
के अनुसार लड़के को ससन्नपात की बीमारी है तथा प्रोफेसर पािंिुरिं ग के अनुसार उसे स्नायु रोग है । यह सब सुनकर
लड़का घबरा जाता है और चादर फेंककर उठते हुए कहता है सक मैं पूरी तरह होश में हाँ। न मुझे भ्रम है और न मुझे
कुछ महसूस करने की जरूरत है । स्कूल में होने वाले नाटक सजसमें मुझे 2- 3 घिंटे बेहोशी का असभनय करना है । मैं
उसकी ररहसतल कर रहा था।

III. हनम्नहलन्तखत वाक्य हकसने हकससे किे ? (Who said the following sentence to whom)
1. परिेज िी तो असली इलाज िै ।
उत्तर: इस वाक्य को वैद्य परमानिंद ने बीमार स्त्री से कहा।
2. तुम भी खा लेना, गाय को भी न्तखला दे ना।
उत्तर: यह वाक्य वैद्य परमानिंद ने सकसान से कहा।
3. निी िं बेटे अपने बाप से भी बड़े िो जाते िैं ।
उत्तर: यह वाक्य वैद्य परमानिंद ने अध्यापक से कहा।
4. िीक तो िो जाएगा, पर िोश में निी िं आएगा।
उत्तर: यह वाक्य वैद्य परमानिंद ने रमेश की मााँ से कहा।
5. तुझे क्या िो गया था मेरे लाडले
उत्तर: यह वाक्य मााँ ने अपने पुत्र रमेश से कहा।

39
IV सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:
1. मरना तो कोई नहीिं चाहता। लेसकन मैंने अपने रोसगयोिं को अक्सर मरते दे खा है ।
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य लेखक-ओम प्रकाश ‘आसदत्य’ द्वारा सलखखत ररहसतल पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: इस वाक्य को वैद्य परमानिंद ने बीमार खस्थत इसे कहा।
स्पष्ट्ीकरण: वैद्य परमानिंद के पास एक अधेर उम्र की स्त्री आती है और आकर बेंच पर बैठ जाती है । वह बीमार है।
स्त्री वैद्य परमानिंद को बतलाती है सक मेरा सदल धड़कता है , नीिंद नहीिं आती है आसद। यह सुनकर वैद्य जी उस स्त्री से
कहते हैं सक तुम्हारा बचना मुखिल है । स्त्री मरना नहीिं चाहती। तब वह वैद्य परमानिंद से कहती है सक मेझे बचा लें।
तब वैध परमानिंद कहते हैं सक मरना तो कोई नहीिं चाहता। लेसकन मैंने अपने रोसगयोिं को अक्सर मरते दे खा है ।
हवशेषता: इस वाक्य में स्त्री के सदल की कमजोरी के बारे में बताया गया है ।

2. हृदय का गुण िी धरना िै ।


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य लेखक-ओम प्रकाश ‘आसदत्य’ द्वारा सलखखत ररहसतल पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: इस वाक्य को प्रोफेसर पािंिुरिं ग ने उस बीमार स्त्री से कहा।
स्पष्ट्ीकरण: जब बीमार स्त्री ने कहा सक मेरा हृदय धड़कता है तो प्रोफेसर पािं िुरिं ग ने उससे कहा सक हृदय तो मेरा
भी धड़कता है । दु सनया में हर आदमी का हृदय धिकता है । इसमें नई बात क्या है ? हृदय का काम ही धड़कना है ।
आपको सदल की कमजोरी है । यह बीमारी नहीिं है । सजससे धयत और कल्पना के सहारे ठीक सकया जा सकता है ।
हवशेषता: इस वाक्य में सदल की धड़कन के बारे में बताया गया है ।

3. मुझे डर िै हक किी िं यिााँ बैिे-बैिे मेरा हदल धड़कना बिंद न कर दें ।


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य लेखक-ओम प्रकाश ‘आसदत्य’ द्वारा सलखखत ररहसतल पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: इस वाक्य को स्त्री ने प्रोफेसर पािंिुरिं ग से कहा।
स्पष्ट्ीकरण: जब प्रोफेसर ने कहा आप का सदल लोहे की तरह मजबूत हो जाएगा। तब स्त्री ने कहा पािंिुरिं गी मुझे िर
है सक कहीिं यहााँ बैठे-बैठे मेरा सदल धरकना बिंद न कर दें । मैं चलती हाँ नमस्ते !
हवशेषता: स्त्री के सदल के बारे में बताया गया है ।

4. इससे भ्रम िो गया िै हक यि बेिोश िै ।


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य लेखक-ओम प्रकाश ‘आसदत्य’ द्वारा सलखखत ररहसतल पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: इस वाक्य को परमानिंद ने रमेश की मााँ से कहा।
स्पष्ट्ीकरण: जब मााँ कहती है यह बेहोश है । प्रोफेसर ने कहा यह बेहोश नहीिं है । तब परमानिंद ने कहा तो क्या है ?
तब प्रोफेसर ने कहा- इसे भ्रम हो गया है सक यह बेहोश है । असल में यह होश में है।
हवशेषता: इस वाक्य में भ्रम के बारे में बताया गया है ।

5. सहन्नपात िै वैद्य परमानिंद को और स्नायु रोग िै प्रोफेसर पािंडुरिंग को।


प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य लेखक-ओम प्रकाश ‘आसदत्य’ द्वारा सलखखत ररहसतल पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: इस वाक्य को रमेश ने बैद्य परमानिंद और प्रोफेसर पािंिुरिं ग से कहा।
स्पष्ट्ीकरण: जब मााँ ने कहा सक हाय राम! यह तो रोग पर रोग बढ़ाए जा रहे हैं । तब लड़का कहता है - सन्नीपात है
वैध परमानिंद जी को और स्नायु रोग है प्रोफेसर पािंिुरिं ग को। मैं पूरी तरह होश में हाँ । मुझे भ्रम नहीिं है । मैं तो असभनय
कर रहा था।
हवशेषता: इस वाक्य में वैद्य परमानिंद और प्रोफेसर पािं िुरिं ग के गलतफेमी के बारे में बताया गया है ।

40
V अन्य हलिंग रूप हलन्तखए: [Write the other gender form.]
1) हाथी - हसथनी, (2) शेर - शेरनी, (3) गाय - बैल, (4) सपता - माता,
(5) अध्यापक - अध्यासपका, (6) लड़का - लड़की (7) भगवान भगवती

VI अन्य वचन के रूप हलन्तखए: (Change the number)


1) दु कान - दु कानें, (2) घिंटा - घिंटे, (3) सकताब - सकताबें, (4) मुद्रा - मुद्राएाँ (5) मूाँछ - मूाँछे (6) सपना - सपने।

VII हवलोम शब्द हलन्तखए: (Write the opposite word)


1) बेहोश X होश, (2) मोटा X पतला, (3) मौत X बेमौत,
(4) शीघ्र X सवलिंब, (5) छोटा X बिा।

VIII हििंदी में अनुवाद कीहजए: (English-to-Hindi translation)


i) Time lost is never regained.
उत्तर: बीता हुआ समय कभी लौटकर नहीिं आता।
ii) Most of the people in India know Hindi.
उत्तर: भारत में असधकािंश लोग सहिं दी जानते हैं ।
iii) One who makes proper use of time will become successful in life.
उत्तर: समय का सदु पयोग करने वाला जीवन में सफल होता है ।

*****

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I PU पत्र-लेखन (Letter Writing)

पत्र दो प्रकार के िोते िैं -


1. औपचाररक पत्र (Formal letter / Official letter)
2. अनौपचाररक पत्र (Informal letter / Unofficial letter)

1. चार हदन का अवकाश मााँगते हुए अपने मिाहवद्यालय के प्रधानाचाया को एक आवेदन पत्र
हलन्तखए।
Write a letter to your principal asking for a leave of four days.

नाम:................................
पता:................................
..................................

हदनािंक:.............................

सेवा में,
प्राचाया मिोदय,
.....................
.....................
.....................

हवषय: चार हदन के अवकाश िेतु आवेदन।

मिोदय,

ससवनय सनवेदन है सक सपछले दो सदनोिं से मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीिं है । मुझे बार-बार बुखार आ रहा
है । िॉ. से सदखाने पर िॉ. ने मुझे कुछ दवाइयााँ दी है और कहा है सक इस दवाई को खाइए और 3-4
सदनोिं तक आराम करने की सलाह दी है ।

अिंत: श्रीमान से प्राथतना है सक मुझे सदनािं क-............ से सदनािं क-............. तक मुझे अवकाश
प्रदान करने की कृपा करें । मैं इस कायत के सलए सदा आपका आभारी बना रहिं गा।
सधन्यवाद,
आपका आज्ञाकारी छात्र
नाम (Name)-
वगत (Class Combination, Section)-
क्रमााँ क (Reg No.)-
42
2. परीिा में सफल िोने पर बधाई दे ते हुए अपने छोटे भाई को एक पत्र हलन्तखए।
Write a letter to your younger brother congratulation him on success succeeding in
the exam.

नाम:................................
पता:................................
................................

हदनािंक:.............................

हप्रय-................,
शुभ आशीवााद।

कल ही तुम्हारा पत्र समला। मैं उस पत्र को पढकर बहुत खुश हुआ। मुझे पता चला सक तुम सपछले
किा में प्रथम श्रेणी से उिीणत हुए हो और इसके सलए तुम्हें स्वणत पदक भी समलने वाला है । इस
सफलता के सलए ढे र सारी शुभकामनाएाँ दे ता हाँ । मुझे आशा है सक तुम इसी प्रकार कामयाब होते
रहोगे। मेरा आशीवात द तुम्हारे साथ हमेशा बना रहे गा।

तुम्हारा अग्रज
.....................

43
3. आहथाक सिायता मािंगते हुए अपने प्रधानाचाया जी को एक पत्र हलन्तखए।
Write an application to your principal asking for financial assistance.
नाम:................................
पता:................................
..................................

हदनािंक:.............................

सेवा में,
प्राचाया मिोदय,
.....................
.....................
.....................

हवषय: आहथाक सिायता िेतु आवेदन।

मिोदय,
मैं प्रथम पी.यू.सी. कॉमसत का छात्र हाँ । मेरा नाम.............है । मैं हर साल प्रथम श्रेणी से उतीणत होता हाँ ।
मैं आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहता हाँ । लेसकन मेरे सपताजी का व्यवसाय कुछ कारणवश बिंद हो
गया है । सजसके कारण फीस दे ने में असमथत हाँ। अगर आप मेरी छात्रवृसि मिंजूर कर लेंगे तो आपकी
असत कृपा होगी। मेरी आसथतक खस्थसत ठीक नहीिं है । मैं इस कायत के सलए सादा आपका आभारी बना
रहिं गा।

सधन्यवाद,
आपका आज्ञाकारी
छात्र................
किा................
क्रमािंक............

44
4. नशीले पदाथों से बचें रिने का हनदे श दे ते हुए अपने हमत्र को एक पत्र हलन्तखए।
Write a letter to your friend instructing him to abstain (stay away) from drugs.
नाम:................................
पता:................................
..................................

हदनािंक:.............................
हप्रय हमत्र...........
नमस्ते!
कल हीिं तुम्हारा पत्र समला। उसे पढ़कर मैं बहुत खुश हुआ सक तुम परीिा में 95% अिंक प्राप्त सकए
होिं। इस पत्र के माध्यम से मैं तुम्हें एक सलाह दे ना चाहता हाँ सक आजकल कॉलेजोिं में सवद्यासथतयोिं को
नशा करने की बहुत आदतें पड़ गई है । बहुत सारे बच्चे गािंजा, भािं ग, चरस, हफीम, दारू, शराब, पान,
गुटका, सशखर आसद नशीले पदाथत का सेवन करते हैं । जो स्वास्थ्य के सलए बहुत हासनकारक है। मनुष्य
का असली सिंपसि उसका स्वास्थ्य होता है । अगर मनुष्य का स्वास्थ्य अच्छा नहीिं है , तो दु सनया का कोई
भी चीज़ अच्छा नहीिं लगता है । इससलए तुम नशा करने वाले सवद्यासथतयोिं से दू र रहना और तुम भी कोई
नशा न करना। यही तुमसे मेरी आशा है ।

आशा है सक तुम मेरी सलाह जरूर मानोगे।

तुम्हारा हमत्र
...................

45
5. बैंक में खाता खोलने के हलए प्रबिंधन के नाम आवेदन पत्र हलन्तखए।
To open an account in the bank, write an application letter in the name of the bank
Manager.

नाम:................................
पता:................................
..................................

हदनािंक:.............................

सेवा में,
शाखा प्रबिंधक,
.....................
.....................
.....................

हवषय: बैंक में खाता खोलने िेतु आवेदन पत्र।

मिोदय,
ससवनय सनवेदन है सक मैं यहााँ के एक स्थानीय कॉलेज में पढ रहा हाँ । यहााँ सकसी बैंक में मेरा खाता
नहीिं है । आज का मैं आपके बैंक में एक खाता खुलवाना चाहता हाँ । आपके सनयमानुसार पररचय पत्र,
घर का पता, आधार काित , और पैन काित , की छायाप्रसत है तथा पासपोटत साइज का फोटो इस आवेदन
पत्र के साथ सिंलग्न है । कृपया आप अपने बैंक में खाता खुलवाने का कृपा करें । मैं इस कायत के सलए
आपका आभारी बना रहिं गा।

सधन्यवाद,
भवदीय
नाम.......................
मो. न.
..............................
िस्तािर

46
हितीय सोपान - पद भाग
मध्ययुगीन काव्य भाग

1. कबीरदास के दोिे
सिंत कहव- कबीरदास

I. एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. हकसके प्रताप से सब दु ख ददा हमटते िैं ?
उत्तर: सतगुरु के प्रताप से सब दु ख ददत समटते हैं ।
2. सिंत कबीर के गुरु कौन थे ?
उत्तर: कबीर के गुरु रामानिंद थे।
3. कबीर हकस पर बहलिारी िोते िैं ?
उत्तर: कबीर अपने गुरु पर बसलहारी होते हैं ।
4. माटी कुम्हार से क्या किती िै ?
उत्तर: माटी कुम्हार से कहती है सक तू आज मुझे रौिंदता है , एक सदन ऐसा समय आएगा सक मैं तुम्हें रौिंद दू िं गी।
5. हकसको पास रखना चाहिए?
उत्तर: अपने हनिंदक को अपने पास रखना चासहए ।
6. कस्तूरी किााँ बसती िै ?
उत्तर: कस्तूरी मृग की नाहभ में बसती है।
7. कबीर हकसकी राि दे खते िैं ?
उत्तर: कबीर भगवान श्रीराम की राह दे खते हैं ।
8. क्रोध हकसके सामान िै ?
उत्तर: क्रोध मृत्यु के समान है ।
9. दु ख में मनुष्य क्या करता िै ?
उत्तर: दु ख में मनुष्य भगवान का स्मरण करता है ।
10. कबीरदास के अनुसार हकसकी जाहत निी िं पूछनी चाहिए?
उत्तर: कबीरदास के अनुसार गुरु की जाहत नहीिं पूछनी चासहए।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. गुरु की महिमा के बारे में कबीर क्या किते िैं ?
उत्तर: गुरु की मसहमा के बारे में कबीरदास कहते हैं सक गुरु के प्रताप से सब दु :ख ददत समट जाते हैं । मैं बहुत बड़ा
भाग्यशाली हाँ सक मुझे रामानिंद जैसे गुरु समले। गुरु भगवान से भी बढ़कर होते हैं । क्योिंसक उन तक पहुिंचने का मागत
गुरु हीिं बताते हैं । गुरु और गोसविंद दोनोिं मे रे सामने खड़े हैं तो, मैं सबसे पहले गुरु को ही प्रणाम करू
ाँ गा उसके बाद
भगवान को प्रणाम करू ाँ गा। क्योिंसक गुरु ही मागतदशतक होते हैं ।

2. जीवन की नश्वरता के बारे में कबीर के क्या हवचार िै ?


उत्तर: जीवन की नश्वरता के बारे में कबीरदास कहते हैं सक यह मनुष्य का जीवन िण भिंगुर है । इसके प्रसत अहिंकार
कभी नहीिं करनी चासहए। इससलए मनुष्य को अपने तन पर गवत नहीिं करना चासहए।

47
3. दया और धमा के मित्व का वणान कीहजए।
उत्तर: दया और धमत के बारे में कबीरदास ने बताया है सक दया और धमत ये दोनोिं मनुष्य के अच्छे गुण है । जहााँ दया
होता है, वहााँ धमत होता है । जहााँ लोभ होता है , वहााँ पाप होता है । जहााँ क्रोध होता है , वह काल होता है । जहााँ िमा होता
,वहााँ ईश्वर होता है । इससलए ईश्वर की प्राखप्त के सलए दया और िमा को अपनाना चासहए और लोभ तथा क्रोध को त्याग
दे ना चासहए।

4. समय के सदु पयोग के बारे में कबीर क्या किते िैं ?


उत्तर: समय के सदु पयोग के बारे में कबीरदास ने बताया है सक हमें समय का सही सदु पयोग करना चासहए। यानी जो
काम कल करना है उस काम को आज ही कर लेना चासहए। जो काम को आज करना चासहए उस काम को अभी कर
लेना चासहए। क्योिंसक कल क्या होगा, कोई नहीिं जानता है । यह दु सनया पल भर में प्रलय हो जाएगी, तो उस काम को
कब करें गे।

5. कबीर के अनुसार ज्ञान का क्या मित्व िै ?


उत्तर: कबीरदास ने ज्ञान के महत्व के बारे में बताया है सक साधुओिं (गुरु) की कभी भी जासत नहीिं पूछनी चासहए। अगर
पूछना है तो उनसे केवल ज्ञान पूछ लेना चासहए। जैसे- म्यान का महत्व नहीिं होता है , तलवार का महत्व होता है ।

III सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए


1. माटी किै कुम्हार से, तू क्या रौिंदे मोय।
एक हदन ऐसोिं िोएगो, मैं रौिंदूाँगी तोय॥
प्रसिंग: प्रस्तुत दोहे को कसव- कबीरदास द्वारा सलखखत ‘कबीर के दोहे ’ पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत वाक्य को कबीर ने लोगोिं से कहा है सक कभी भी सकसी को कमजोर समझकर सताना नहीिं चासहए।
स्पष्ट्ीकरण: प्रस्तुत पद के माध्यम से कबीर दास ने बताया है - कुम्हार समट्टी को रौिंदता है । तब समट्टी कुमार से कहती
है सक तुम मुझे आज रौिंदते हो, एक सदन ऐसा समय आएगा सक मैं तुम्हें रौिंद दू ाँ गी।
हवशेषता: सकसी को छोटा और कमजोर समझकर नहीिं सताना चासहए। नहीिं तो सजस सदन उसमें आपके प्रसत प्रसतसहिंसा
जाग जाएगी, उस सदन आपके सलए हुआ ससर का ददत या मृत्यु का कारण भी बन सकता है ।

2. ‘कस्तूरी किंु डहल बसै, मृग ढू ाँ ढे बन मााँिी।


ऐसे घटी घटी राम िै , दु हनया दे खै नािंिी॥
प्रसिंग: प्रस्तुत दोहे को कसव- कबीरदास द्वारा सलखखत ‘कबीर के दोहे ’ पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत दोहे में कबीर ने लोगोिं से कहा है सक तुम भगवान को बाहर खोजते हो, लेसकन भगवान कहते हैं ,मैं बाहर
नहीिं हाँ । मैं तुम्हारे घट के अिंदर हाँ ।
स्पष्ट्ीकरण: मृगा के नासभ में कस्तूरी रहता है । उसकी खुशबू चारोिं तरफ फैलती है। मृगा कस्तूरी की खुशबू पाने के
सलए पूरे जिंगल में भटकता रहता है पर उसे पता नहीिं चलता है सक जो खुशबू आ रही है वह हमारे नासभ में ही है । यही
हाल मनुष्य का होता है , जो प्रस्तुत दोहे के माध्यम से कबीरदास बता रहे हैं सक लोग ईश्वर को प्राप्त करने के सलए
दे वस्थान में जाते हैं । पूजा-पाठ करते हैं । लेसकन उनको ईश्वर का दशतन नहीिं हो पाता है । उनको पता नहीिं है सक ईश्वर
हमारे घट के अिंदर में हीिं रहते हैं ।
हवशेषता: ईश्वर बाहर नहीिं रहते हैं , वे हमारे घट के अिंदर ही रहते हैं । उनका दशतन, साधना करने से ही होता है ।

48
3. दु :ख में सुहमरन सब करै , सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुहमरन करै , तो दु :ख कािे िोय॥
प्रसिंग: प्रस्तुत दोहे को कसव- कबीरदास द्वारा सलखखत ‘कबीर के दोहे ’ पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: कबीरदास ने लोगोिं से कहा है सक सुख में सु समरन करो, तब दु ख कभी नहीिं आएगी।
स्पष्ट्ीकरण: प्रस्तुत दोहे में कबीरदास ने कहा है सक सभी लोग दु :ख में भगवान का सुसमरन करते हैं । सुख में भगवान
का सुसमरन कोई नहीिं करता है । इससलए भगवान दु :ख दे ते हैं । अगर हम सुख में भगवान का सुसमरन करते हैं , तो
दु :ख कभी नहीिं आएगी।
हवशेषता: कबीरदास ने लोगोिं से कहा है सक सुख में सु समरन करो, तब दु ख कभी नहीिं आएगी।

*****

49
2. तुलसीदास के दोिे
सिंत कहव-गोस्वामी तुलसीदास

I. एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. तुलसीदास हकस पर हवश्वास करते िैं ?
उत्तर: तुलसीदास भगवान श्री राम पर सवश्वास करते हैं ।
2. तुलसीदास हकसको आराध्य दे व मानते िैं ?
उत्तर: तुलसीदास भगवान श्री राम को आराध्य दे व मानते हैं।
3. सिंत का स्वभाव कैसा िोता िै ?
उत्तर: सिंत का स्वभाव पेड की तरि शािंत िोता िै ।
4. तुलसीदास खाया और मन की उपमा हकसे दे ते िैं ?
उत्तर: तुलसीदास काया को खेत और मन को हकसान की उपमा दे ते हैं ।
5. मधुर वचन से क्या हमटता िै ?
उत्तर: मधुर वचन से अहभमान समट जाता है।
6. पिंहडत और मूखा एक समान कब लगते िैं ?
उत्तर: काम क्रोध मद और लोग को मन में धारण करने पर, पिंसित और मूखत एक समान लगते हैं।
7. तुलसीदास किााँ जाने के हलए मना करते िै ?
उत्तर: तुलसीदास कहते हैं सक जिााँ जाने पर, आदर सत्कार न हमलता िो, वहााँ नहीिं जाना चासहए।
8. हबना तेज के पुरुष की अवस्था कैसी िोती िै ?
उत्तर: सबना तेज़ की पुरुष की अवस्था राख के समान होती है ।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. तुलसीदास की राम भन्तक्त का वणान कीहजए।
उत्तर: तुलसीदास कहते हैं सक मुझे केवल श्री राम प्रभु पर भरोसा है । वही हमारी आशा और बल है । सजस प्रकार
स्वासत नित्र में बाररश के पानी की पहली बूिंद के सलए जातक पिी तरसता रहता है । उसी तरह मैं प्रभु श्री राम के दशतन
के सलए तरसता रहता हाँ ।

2. तुलसीदास के अनुसार सिं त के स्वभाव का वणान कीहजए।


उत्तर: तुलसीदास जी के अनुसार सिंत का स्वभाव फलदार आम के वृि की तरह होना चासहए। आम का वृि दू सरोिं
की भलाई के सलए ही फलता-फूलता है । सजस प्रकार मनुष्य आम को पाने के सलए पत्थर मारता है , तो उसके बदले में
आम फल दे ता है । उसी प्रकार सिंतोिं को चासहए सक वे लोक सनिंदा की परवाह न कर समाज को सुधारने के कायत में
लगे रहे ।
3. तुलसीदास ने मधुर वचन के मित्व का कैसे वणान हकया िै ?
उत्तर: मधुर वचन के बारे में तुलसी दासजी कहते हैं सक मीठी बोली बोलने से हमारे मन में रहने वाले अहिं कार समट
जाते हैं ठीक वैसे ही जैसे की उफनते हुए दू ध पर थोिासा शीतल जल सछड़कने ही से उफनता हुआ दू ध नीचे बैठ
जाता है ।

4. तुलसीदास के अनुसार मनुष्य के जीवन में सिंतोष धन का क्या मित्व िै ?


उत्तर: दु सनया में कई प्रकार के धन होते हैं । जैसे- गोधन, गजधन, वासजधन और रतन धन आसद। इन सबके रहते हुए
भी इनको प्राप्त करने पर भी मनुष्य को सिंतुसष्ट् नहीिं समलती है । तुलसीदास जी कहते हैं सक जब सिंतोष रूपी धन हमें
समल जाता है तो ये सभी प्रकार के धन धूल के समान हो जाते हैं । अथातत सिंतोष ही सबसे बड़ा धन होता है ।
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5. तुलसीदास कुल रीहत के पालन करने के सिंबिंध में क्या किते िैं ?
उत्तर: सिंत तुलसीदास जी कहते हैं सक हमें अपने कुल के रीती ररवाज अथवा कुल की परिं परा का कभी त्याग नहीिं
करना चासहए। जो लायक हो उसी से ब्याह कीसजए। जो लायक हो उसी से बैर कीसजए और जो लायक हो उसी से
प्रीसत या प्रेम कीसजए।

III ससिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:


1. तुलसी काया खेत िैं , मिंशा भयो हकसान।
पाप पुण्य दो बीज िै , बुवै सौ लुनै हनदान॥
प्रसिंग: प्रस्तुत दोहे को कसव तुलसीदास जी द्वारा सलखखत तुलसी के दोहे बाद से सलया गया है ।
सिंदभा: तुलसीदास ने लोगोिं से कहा है सक जैसा करम करते हो वैसा ही फल समलता है।
स्पष्ट्ीकरण: तुलसीदास बता रहे हैं सक हमारा शरीर खेत हैं और हमारा मन सकसान है पाप और पु ण्य ये दो प्रकार के
बीज है। अब हम इनमें से जो बीज बोएिं गे हमें वैसा ही फल समलेगा।
हवशेषता: अच्छा या बुरा फल पाना हमारे हाथ में है । लोगोिं को अपने कमों के अनुसार सुख या दु ख समलता है ।

2. ‘काम, क्रोध, मद, लोभ की, जौ लौ मन में खान।


तौ लौ पिंहडत मूरखौ, तुलसी एक समान॥
प्रसिंग: प्रस्तुत दोहे को कसव तुलसीदास जी द्वारा सलखखत तुलसी के दोहे बाद से सलया गया है । ।
सिंदभा: प्रस्तुत दोहे में तुलसीदास ने लोगोिं से कहा है सक काम, क्रोध, लोभ, मोह अहिं कार नहीिं करना चासहए।
स्पष्ट्ीकरण: तुलसीदास कहते हैं सक जब तक हमारे मन रूपी खजाने में काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहिंकार खस्थर रहते
हैं । तब-तक मूखत और पिंसित एक समान होते हैं । एक साधारण मनुष्य जो उपरोि मनोसवकारोिं से बचकर रहता है ,
वही महान होता है । नहीिं तो बड़ा पिंसित भी मूखत बन जाता है ।
हवशेषता: सजस व्यखि के पास काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहिंकार नहीिं होता है , वही व्यखि महान होता है ।

*****

51
3. मीराबाई के पद
कवहयत्री- मीराबाई

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. मीराबाई ने हकसे अपना आराध्य दे व माना िै ?
उत्तर: मीराबाई ने हगरधर गोपाल को (श्रीकृष्ण) अपना आराध्य दे व माना है।
2. मीराबाई ने हकसके हलए सारा जग छोड़ा?
उत्तर: मीराबाई ने श्रीकृष्ण हगरधर गोपाल के हलए सारा जगह छोड़ा।
3. मीराबाई ने हकसकी सिंगहत में बैिकर लोक लाज छोड़ा?
उत्तर: मीराबाई ने साधुओ िं की सिंगहत में बैि कर लोक लाज छोड़ा।
4. मेराबाई ने कृष्ण प्रेम को हकससे सी िंचा?
उत्तर: मीराबाई ने कृष्ण प्रेम को आिं सुओ िं से सीिंचा।
5. हवष का प्याला हकसने भेजा था?
उत्तर: सवष का प्याला राणासािंगा ने भेजा था।
6. मीराबाई की लगन हकस में लगी िै ?
उत्तर: मीराबाई की लगन अपने ईस्ट हगरधर गोपाल में लगी है ।
7. श्रीकृष्ण के चरण कमल कैसे िैं ?
उत्तर: श्रीकृष्ण के चरण कमल अहवनाशी िै ।
8. हकसका घमिंड निी िं करना चाहिए?
उत्तर: शरीर का घमिंि नहीिं करना चासहए।
9. सिंसार हकसका खेल िै?
उत्तर: सिंसार हचहड़योिं का खेल है ।
10. मीराबाई हकन बिंधनोिं को नष्ट् करने के हलए प्राथाना करती िै ?
उत्तर: मीराबाई सिंसाररक बिंधनोिं को नष्ट् करने के सलए प्राथतना करती है ।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. मीराबाई की कृष्ण भन्तक्त का वणान कीहजए।
उत्तर: मीराबाई कृष्ण के अनन्य भि हैं। सब कुछ श्रीकृष्ण के सलए समसपतत करती है। वह कहती हैं सक मेरे तो केवल
सगरधर गोपाल हैं , दू सरा कोई नहीिं है। इसी कारण मैंने उसे पाने के सलए भाई-बिंधु समस्त पररवार को छोड़ सदया है।
साधु-सिंतोिं की सिंगसत में बैठकर लोक-लाज खोया हाँ । मैं अपने आिं सुओिं से सीिंच-सीिंच कर अपने हृदय में कृष्ण के प्रेम
की बीज बोया है । जब राणा सिंगा ने मुझे कृष्ण भखि से सवमुख करने के सलए सवष का प्याला भेजा तो मैंने प्रसन्नता से
उस सवष को पी सलया। मैं तो केवल सगरधर गोपाल कृष्ण से लगी हुई है । यह कभी छूट नहीिं सकती।

2. मीराबाई ने जीवन के सार तत्व को कैसे अपना हलया?


उत्तर: मीराबाई ने अपने इष्ट् सगरधर गोपाल की सच्चे मन से भखि की हैं। उसने जीवन के सार तत्व को अपना सलया
है । अथातत तीथातटन, व्रत, उपवास अथवा काशी में करवट लेने से कुछ फायदा नहीिं है । यह केवल सदखावटी है । इससे
भगवान की प्राखप्त कभी नहीिं हो सकती है । ऐसी भखि केवल पाखिंिी लोग करते हैं । मैंने सच्चे मन से सगरधर गोपाल
की भखि सकया है। मैंने अपने आिं सू से सीिंचा है ।

52
3. मीराबाई ने जीवन की नश्वरता के सिंबिंध में क्या किा िै ?
उत्तर: मीराबाई के अनुसार धरती और आसमान में सजतनी दू र तक दृसष्ट् जाए सब कुछ नश्वर है । जो जन्म लेता है वह
एक-न-एक सदन अवश्य मरता है। यह शरीर नश्वर है। इस नाशवान शरीर के सलए कभी भी गवत नहीिं करना चासहए।
क्योिंसक यह शरीर समट्टी से बना है और समट्टी में समल जाएगी। यह जीवन सचसड़योिं का खेल है । सजस तरह से सचसड़या
सुबह होते सदखाई दे ती है और शाम होते -होते वह लुप्त हो जाती है । उसी तरह मनुष्य का जीवन है । जो जन्म लेता है ।
उसे एक सदन- न- एक सदन उसे मर जाना है , सफर क्योिं अपने शरीर पर गवत (घमण्ड) करना है ।

4. मीराबाई सािंसाररक बिंधन से क्योिं मुन्तक्त चािती िै ?


उत्तर: मीराबाई का मानना है सक इस सिंसार में जो आता है , वह मोह माया के बिंधन में फिंस जाता है और वह ऐसी
खस्थसत में ईश्वर को नहीिं पा सकता है । उसे मुखि या मोि भी समलना कसठन हो जाता है । इस आकाश और भूसम के
बीच सदखाई दे ने वाला हर चीज, सब कुछ नष्ट् होने वाला है। तीथातटन, व्रत, उपवास अथवा काशी में करवट लेने से
कुछ फायदा नहीिं। इससलए शरीर का घमिंि नहीिं करना चासहए। यसद ईश्वर को पाना है और मोि पाना है , तो सिंसार के
बिंधनोिं से छु टकारा पाना असत आवश्यक है । इससलए मीराबाई इस सािंसाररक बिंधन से मुखि चाहती है ।

III सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:


1. म्हारािं री सगरधर गोपाल दू सरािं कूयािं।
दू सरािं न कोवािं साधािं सकल लोक जूयािं।
भाया छािंिया बिंधािं छािंिया सगािं सूयािं।
साधा सिंग बैठ बैठ लोक लाज खूया।
भगत दे ख्यािं राजी ह्नयािं जगत दे ख्यािं रुयािं ।
प्रसिंग: प्रस्तुत पद को कवसयत्री-मीराबाई के द्वारा सलखखत ‘मीराबाई के पद’ कसवता पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत पद के द्वारा मीराबाई ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रसत आत्मसमपतण के बारे में बताया है ।
स्पष्ट्ीकरण: मीराबाई कहती हैं सक मेरे तो सगरधर गोपाल हैं , दू सरा कोई नहीिं है । साधु-सिंतोिं के बीच बैठकर मैं खुश
हाँ और अपने इष्ट् की प्राखप्त के सलए ही मैंने भाई-बिंधु तथा अपने सगे सिंबिंधी-सिंबिंसधयोिं को छोड़ सदया है । साधु-सिंतो के
बीच बैठकर मैंने लोक लाज त्याग दी है । भिोिं की सिंगती मुझे खुशी दे ती है । जगत के लोगोिं का इस तरह सिंसार रूपी
माया-जाल में फिंसा दे खकर मुझे रोना आता है । लोग इस बात को नहीिं जानते हैं सक मैं तो कृष्ण की दीवानी हो गई हाँ ।
हवशेषता: मीराबाई ने बताया है सक सिंसारीक लोक-लाज को त्याग कर भगवान श्रीकृष्ण की शरण में जाने से मनुष्य
को मोि समलती है।

*****

53
4. शरण वचनामृत
कहव- आध्यात्म्योगी अल्लमप्रभु
कहव- मिात्मा बसवेश्वर
कवहयत्री- हशवशरणी अक्कमिादे वी

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. कनक, काहमनी और माटी को लोगोिं ने क्या किा िै ?
उत्तर: कनक, कासमनी और माटी को लोगोिं ने माया कहा है ।
2. अल्लमप्रभु दे व के आराध्य दे व कौन थे?
उत्तर: अल्लमप्रभु दे व के आराध्य दे व गुिेश्वर थे।
3. बसवेश्वर के अनुसार ज्ञान से क्या दू र िोता िै ?
उत्तर: बसवेश्वर के अनुसार ज्ञान से अज्ञान दू र होता है ।
4. ज्ोहत से क्या दू र िोता िै ?
उत्तर: ज्योसत से अिंधकार दू र होता है ।
5. बसवेश्वर के आराध्य दे व का नाम क्या िै ?
उत्तर: बसवेश्वर के आराध्य दे व का नाम कुडलसिंगम दे व है ।
6. सत्य से क्या दू र िोता िै ?
उत्तर: सत्य से असत्य दू र होता है ।
7. पारस से क्या दू र िोता िै?
उत्तर: पारस से लोित्व दू र होता है ।
8. पवात पर बसाकर घर हकससे निी िं डरना चाहिए?
उत्तर: पवतत पर बसाकर घर जिंगली जानवरोिं नहीिं िरना चासहए।
9. िाट में बसाकर घर हकससे निी िं डरना चाहिए?
उत्तर: हाट में बसाकर घर शोरगुल नहीिं िरना चासहए।
10. जगत में जन्म लेने के बाद हकससे निी िं डरना चाहिए?
उत्तर: जगत में जन्म लेने के बाद हनिंदा और स्तुहत नहीिं िरना चासहए।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. अल्लमप्रभु दे व ने माया के सिंबिंध में क्या किा िै ?
उत्तर: अल्लमप्रभु दे व माया के बारे में कहा है सक लोग कनक को माया मानते भी हैं और नहीिं भी मानते हैं , कासमनी
को माया मानते भी हैं और नहीिं भी मानते हैं। माटी को माया मानते भी हैं और नहीिं भी मानते हैं । अतः मन के आगे जो
चाह है, वही माया हैं ।

2. बसवेश्वर के हवचारोिं को स्पष्ट् कीहजए।


उत्तर: महात्मा बसेश्वर कहते हैं सक ज्ञान से अज्ञान समटता है , ज्योसत से अिंधकार समटता है , सत्य से असत्य समटता है ,
पारस से लोहत्व समटता है। इसी प्रकार हैं कूिलसिंगम दे व आपके शरणोिं के अनुभाव और ज्ञान से मेरा सिंसारी मोह भी
छूट गया है।

3. अक्कमिादे वी के अनुसार भवसागर में कैसे रिना चाहिए।


उत्तर: अक्कमहादे वी कहती हैं सक पवततोिं पर घर बसा कर जिंगली जानवरोिं से नहीिं िरना चासहए। सागर के सकनारे घर
बसाकर लहरोिं से नहीिं िरना चासहए। बाजार में रहकर शोरगुल से नहीिं िरना चासहए। सिंसार में जन्म लेने पर स्तुसत

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और सनिंदा से नहीिं िरना चासहए। मन में क्रोध न करके, हर हाल में समान भाव से शािंत सचत रखना चासहए। यही सजिंदगी
जीने का सही तरीका हैं ।

III सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:


1. ‘ज्ञान से अज्ञान दू र होता है ,
ज्योसत से दमन दू र होता है ,
सत्य से असत्य दू र होता है ,
पारस से लोहत्व दू र होता है ,
आपके शरणोिं के अनुभव से
मेरा भव छु ट गया, कूिलसिंगम दे वा।
प्रसिंग: प्रस्तुत पद को कसव- बसेश्वर के द्वारा सलखखत सरण वचनामृत कसवता पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: बसेश्वर ने कहा है सक व्यखि का ज्ञान ही सबसे बड़ा सिंपसि है ।
स्पष्ट्ीकरण: महात्मा बसेश्वर इस वचन के माध्यम से कहते हैं सक ज्ञान से अज्ञान दू र होता है , ज्योसत से अिंधकार दू र
होता है , सत्य से असत्य दू र होता है , पारस से लोहत्व दू र होता है । इसी तरह से कूि् लसिंगम दे व आपके शरणोिं के
अनुभव से मेरा सारा भ्रम छूट गया है ।
हवशेषता: परमात्मा का ज्ञान पाने से ही व्यखि को मोह-माया के बिंधनोिं से छु टकारा समलता है ।

*****

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5. रसखान के सवैये
कहव- रसखान

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. रसखान मनुष्य रूप में अलग जन्म किााँ लेना चािते िैं ?
उत्तर: रसखान मनुष्य रूप में अलग जन्म बृन्दावन में लेना चाहते हैं ।
2. रसखान पशु रूप में जन्म लेने पर किााँ रिना चािते िैं ?
उत्तर: रसखान पशु रूप में जन्म लेने पर नन्दबाबा के गौओिं के बीच जन्म लेकर रहना चाहते हैं ।
3. रसखान पिी रूप में जन्म लेने पर हकस डाली पर बसना चािते िैं ?
उत्तर: रसखान पिी रूप में जन्म लेने पर काहलिंदी नदी के हकनारे , कदम की पेड़ की डाली पर बसना चाहते हैं।
4. गोपी हसर पर क्या धारण करना चािती िै ?
उत्तर: गोपी ससर पर मोर-मुकुट धारण करना चाहती है ।
5. गोपी कृष्ण की मुरली किााँ निी िं रखना चािती िै ?
उत्तर: गोपी कृष्ण की मुरली ओिोिं पर नहीिं रखना चाहती है ।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. रसखान ब्रज भूहम में क्योिं जन्म लेना चािते िैं ?
उत्तर: रसखान को कृष्ण की क्रीिा-स्थली िज भूसम से बड़ा लगाव है। अत: वे कहते हैं सक यसद मैं अगले जन्म में
मनुष्य बनूाँ तो गोकुल के ग्वालोिं के बीच में मेरा जन्म हो। अगर पशु के रुप में जन्म लूाँ, तो निंदबाबा की गौओिं के बीच
में जन्म लूाँ,, अगर मैं पिी में जन्म लूाँ, तो यमुना के तट खस्थत कदम की िाली पर रहाँ । यसद पत्थर बनूाँ तो गोवधतन पवतत
के पत्थर के रूप में जन्म लूाँ ।

2. गोपी क्या-क्या स्वााँग भरती िैं ?


उत्तर: गोपी अपने सप्रयतम श्रीकृष्ण को पाने के सलए मोर पिंख का मुकुट पहनकर गूिंज की माला यानी रत्नोिं की माला
गले में धारण कर पीतािंबर ओढ कर हाथ में लकुसटया लेना चाहती है । वह कृष्ण के सभी स्वााँग भर कर गोधन और
ग्वासलनोिं के सिंग खेलना चाहती है । परिं तु मुरलीधर की मुरली अपने अधरोिं पर नहीिं रखना चाहती है ।

3. गोहपयोिं का कृष्ण के प्रहत अनन्य प्रेम कैसा िै ?


उत्तर: गोसपयोिं का कृष्ण के प्रसत अनन्य प्रेम है । वे अपने कृष्ण को पाने और ररझाने के सलए कुछ भी करने के सलए
तैयार हैं । परिं तु अपनी मयात दा के साथ रहना चाहती है । गोसपयािं िजभूसम, िज के पशु-पसि तथा िज की गौएाँ आसद को
कृष्णभखि में सहायक मानती है ।

III सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:


1. ‘मानुष हो तो वही रसखासन बसौ िज गोकुल गािंव के ग्वारन।
जो पसु हौिं, तो कहा बसु मेरो, चरौ सनत नन्द की धेनु माँझारन॥
पाहन हौ, तो वही सगरर कौ, जो धरयौ कर छत्र पुरिंदर धारण।
जो खग हो, बसेरोिं करौिं समसल कासलिंदी-कूल कदम की िारिं न॥’
प्रसिंग: प्रस्तुत पद को कसव- रसखान द्वारा सलखखत ‘रसखान के सवैये’ कसवता पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत सवैये को रसखान श्रीकृष्ण से कह रहे हैं ।
स्पष्ट्ीकरण: इस सवैये के माध्यम से कृष्ण भि कसव- रसखान श्रीकृष्ण पर अन्नय भखि तथा िज भूसम के प्रसत
अपनी श्रिा प्रकट करते हैं । रसखान अपना सिंबिंध श्रीकृष्ण से जोिना चाहते हैं । सजनका सिंबिंध श्रीकृष्ण से है । रसखान
को िज भूसम से इतना लगाव हो गया है सक वे कहते हैं यसद मैं अगले जन्म में मनुष्य बनूाँ तो गोकुल के ग्वालोिं के बीच
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में मेरा जन्म हो। अगर पशु के रुप में जन्म लूाँ, तो निंदबाबा की गौओिं के बीच में जन्म लूाँ,, अगर मैं पिी में जन्म लूाँ, तो
यमुना के तट खस्थत कदम की िाली पर रहाँ । यसद पत्थर बनूाँ तो गोवधतन पवतत के पत्थर के रूप में जन्म लूाँ ।
हवशेषता: प्रस्तुत पद में रासशद खान श्रीकृष्ण के प्रसत प्रेम और भखि को बताया है ।

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आ) आधुहनक कहवता (Modern Poetry)

1. कुहटया में राजभवन (The Royal Palace in a Hut)


कहव मैहथली शरण गुप्त

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. सीताजी का मन किााँ भाया?
उत्तर: सीताजी का मन कुहटया में भाया।
2. सीताजी के प्राणेश कौन िैं ?
उत्तर: सीताजी का प्राणेश श्री राम िै ।
3. सीताजी कुहटया को क्या समझती िै ?
उत्तर: सीताजी कुसटया को राजभवन समझती है ।
4. नवीन फल किााँ हमला करते िैं ?
उत्तर: नवीन फल डाली-डाली में समला करते हैं ।
5. सीताजी की गृिस्थी किााँ जगी?
उत्तर: सीताजी की गृहस्थी वन में जगी हैं।
6. वधु बनकर कौन आई िै ?
उत्तर: वधू बनकर जानकी आई िै ।
7. सीता की सन्तखयााँ कौन िै ?
उत्तर: सीता की सखखयााँ मूनी बालायें िै ।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. सीताजी अपनी कुहटया में कैसे पररश्रम करती थी?
उत्तर: सीताजी जब वे वनवास जाने के सलए राजभवन छोड़कर श्री राम और लक्ष्मण ससहत वन में कुसटया बसाती है ।
वहााँ उनका काम करने के सलए कोई दासी नहीिं रहती है । सफर भी वह पसीना बहाकर सारे गृह कायत करती है । जैसे-
भोजन बनाना, कुसटया की सफाई करना, पानी लाना आसद। सजससे उनका आत्म धैयत बढ़ता है और दू सरोिं पर सनभतर
होने की आदत छूट जाती है । कुसटया में आकर सीता जी को घर और पररवार के महत्व का पता चलता है ।

2. सीताजी प्रकृहत सौद िं या के बारे में क्या किती िै?


उत्तर: सीताजी प्रकृसत सौिंदयत के बारे में कहती हैं सक यह मेरा सौभाग्य है सक मुझे प्रकृसत में रहने का और सवचरण
करने का अवसर समला है। हररयाली की शुि हवा, पशु पसियोिं का कलरव, लता, फूल आसद मन को प्रसन्न सचि करने
वाली प्रकृसत की शोभा है । यह प्रकृसत का माया लोक सकसी राजभवन से कम नहीिं है ।

3. सीताजी कुहटया में कैसे सुखी िै ?


उत्तर: सीताजी को कुसटया ही राजभवन की तरह लग रही है , क्योिंसक उनके प्राणेश श्री राम उनके साथ है । दे वर लक्ष्मण
भी ससचव की तरह परहरी बने हुए हैं । इसके अलावा प्राकृसतक सौिंदयत ने उनको मोह सलया है । सीताजी स्वावलिंबी बनी
हुई है। प्रकृसत के कण-कण को सीताजी ने राजभवन के सुख वैभव के रूप में अपना सलया है ।

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4. कुहटया में राजभवन कहवता का आशय सिंिेप में हलन्तखए।
उत्तर: कुसटया में राजभवन इस कसवता का आशय है सक सीताजी वन में भी राज-सुख भोगती है । श्री रामचन्द्र जी स्वयिं
सीताजी के साथ-रहते हैं । दे वर लक्ष्मण मिंत्री के रूप में कायत कर रहे हैं । यहााँ धन और राज्य वैभव का कोई मूल्य नहीिं
है ।

III सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:


1. ‘ओरो के हाथोिं यहााँ नहीिं पलती हाँ ,
अपने पैरोिं पर खड़ी आप चलती हाँ ,
श्रमवारर सबिंदु फल स्वास्थ्य शुखि फलती हाँ,
अपने आिं चल से व्यिंजन आप झलती हाँ ।
प्रसिंग: प्रस्तुत पद को कसव-मैसथलीशरण गुप्त द्वारा सलखखत ‘कुसटया में राजभवन’ नामक कसवता पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत पाठ के माध्यम से सीताजी दू सरी मसहलाओिं से कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: इन पिंखियोिं में सीताजी ने अपने स्वालिंबन के बारे में कह रही है सक मैं यहााँ अपने पैरोिं पर खड़ी हाँ । दू सरोिं
पर सनभतर नहीिं हाँ। शरीर का वास्तसवक आनिंद तो पररश्रम से ही प्राप्त होता है । मैं अपने हाथोिं से हवा स्वयिं झलती हाँ ।
खाना बनाती हाँ । अपने दे वर और प्राणेश को खखलाती हाँ और खुद खाती हाँ । मैं इस कुसटया में रहकर बहुत खुश हाँ ।
हवशेषता: अगर कुसटया में आपस में सभी के साथ प्रेम और सिंतोष है , तो कुसटया ही राजभवन के समान होता है ।

2. ‘कहता है कौन सक भाग्य ठगा है मेरा?


वह सुना हुआ भय दू र भगा है मेरा।
कुछ करने में अब हाथ लगा है मेरा,
वन में ही तो गृहस्थ जगा है मेरा।
प्रसिंग: प्रस्तुत पद को कसव-मैसथलीशरण गुप्त द्वारा सलखखत ‘कुसटया में राजभवन’ नामक कसवता पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत पाठ के माध्यम से सीताजी दू सरी मसहलाओिं से कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: जीवन का आनिंद वन में अनुभव करते हुए सीताजी कहती हैं सक कौन कहता है सक हमारा भाग्य ठगा
गया है वास्तव में यहााँ हमारा भय समट गया है यहााँ रहकर कुछ न कुछ करने में मन लगता है ऐसा लग रहा है सक वन
ही वन में ही मेरा गृहस्थ झुक गया है मैं यहााँ अपने आप पर सनभतर हाँ
हवशेषता: नारी को सुख-दु ख में एक समान रहना और साधारण जीवन जीने का सिंदेश सदया है ।

*****

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2. तोड़ती पत्थर (Woman is Breaking Stone)

कहव- सूया कािंत हत्रपािी हनराला

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. नारी किााँ पत्थर तोड़ रिी थी?
उत्तर: नारी इलािाबाद के पथ पर पत्थर तोड़ रही थी।
2. पत्थर तोड़ती नारी के तन का रिं ग कैसा था?
उत्तर: पत्थर तोड़ती नारी के तन का रिं ग सािंवला था।
3. नारी बार-बार क्या करती थी?
उत्तर: नारी बार-बार िथौड़े से पत्थर पर प्रिार करती थी।
4. नारी के माथे से क्या टपक रिा था?
उत्तर: नारी के माथे से पसीना टपक रहा था।
5. नारी कब पत्थर तोड़ रिी थी?
उत्तर: नारी दोपिर की कड़ी धूप में पत्थर तोड़ रही थी?
6. तोड़ती पत्थर कहवता के कहव कौन िै ?
उत्तर: तोड़ती पत्थर कसवता के कसव- सूयाकािंत हत्रपािी हनराला िै ।
II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:
1. इलािाबाद के पथ पर पत्थर तोड़ने वाली स्त्री का चररत्र-हचत्रण कीहजए।
उत्तर: इलाहाबाद के पथ पर एक मसहला पत्थर तोड़ रही थी। वहााँ कोई छायादार पेि नहीिं था। उसका तन सािंवला
था। पर वह भरे यौवन में थी। आिं खें नीचे थी, और काम में तत्पर थी। वह बड़ा हथौिा हाथ में सलए बार-बार प्रहार
करते हुए पत्थर तोड़ रही थी।

2. हकन पररन्तस्थहतयोिं में नारी पत्थर तोड़ रिी थी?


उत्तर: एक साधनहीन और असहाय नारी इलाहाबाद के पथ के सकनारे बैठकर पत्थर तोड़ रही है। आसपास कोई
छायादार पेि नहीिं है । धूप चढ़ रही थी। कमी के सदन थे । शरीर को झुलसा दे नेवाली धूप थी। गमत हवा और धूल उड़
रही थी। उस पररखस्थसत में वह नारी पत्थर तोड़ रही थी।

3. तोड़ती पत्थर कहवता का सारािंश अपने शब्दोिं में हलन्तखए।


उत्तर: तोिती पत्थर कसवता में कसव सूयतकािंत सत्रपाठी सनराला ने इलाहाबाद की एक सड़क के सकनारे पत्थर तोड़ती
मजदू ररन का सचत्रण सकया है। एक मजदू ररन तपती धूप में काम कर रही थी। उसी का मासमतक सचत्रण सकया है । गमी
के सदन थे । गमत हवा और लू चल रही थी। उस दोपहरी में सड़क के सकनारे वह पत्थर तोड़ रही थी। आसपास कोई
छायादार पेंि नहीिं था। कसव ने उस सािंवली सलोनी सनधतन मजदू ररन के कसठन पररश्रम की महत्व को प्रकट सकया है ।

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III सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:
1. ‘चढ रही थी धूप
गसमतयोिं के सदन
सदवा का तमतमाता रूप।
उठीिं झुलसाती हुई लू’
प्रसिंग: प्रस्तुत पद को कसव-सूयतकािंत सत्रपाठी ‘सनराला’ द्वारा सलखखत ‘तोिती पत्थर’ कसवता पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: कसव एक मजबूर स्त्री की परे शासनयोिं के बारे में सिंकेत सकया है ।
स्पष्ट्ीकरण: इलाहाबाद के पथ के सकनारे पत्थर तोड़ने वाली नारी झुलसाती धूप में पसीना टपकाती हुई, वह अपने
कायत में मग्न रहती है। उसकी सववशता पर कसव का मन दु खी होता है । सकिंतु उस नारी के धैयत तथा कायत में लगन
दे खकर उसके प्रसत सम्मान बढ़ जाता है ।
हवशेषता: कसव एक मजबूर स्त्री की परे शासनयोिं के बारे में सिंकेत सकया है ।

2. ‘दे खते दे खा मुझे तो एक बार


उस भवन की ओर दे खा सछन्न तार
दे खकर कोई नहीिं,
दे खा मुझे उस दृसष्ट् से
जो मार खा रोई नहीिं।’
प्रसिंग: प्रस्तुत पद को कसव-सूयतकािंत सत्रपाठी ‘सनराला’ द्वारा सलखखत ‘तोिती पत्थर’ कसवता पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: मजबूर स्त्री की सववशता पर बड़े लोगोिं को दया नहीिं आती है , इसी चीज़ को दशातया गया है।
स्पष्ट्ीकरण: कसव- सूयतकािं त सत्रपाठी सनराला ने एक दयनीय मजदू ररन की दशा को दे ख रहा था। मजदू ररन ने कसव
को अपनी ओर दे खते हुए दे खा तो उसने भी दृसष्ट् उठाकर िण भर के सलए दे खा। सफर उस वैभवशाली सवशाल भवन
की ओर दे खा। जब उसे वहााँ कोई सदखाई नहीिं सदया, तब उसने सववशता से कसव के तरफ दे खा। उसकी दृसष्ट् वैसी
ही थी जैसे कोई व्यखि लगातार शोषण से भयभीत होकर रोता नहीिं है , पर उसके आिं सू सूख गए थे। इस प्रकार वह
लग रही थी।
हवशेषता: मजबूर स्त्री की सववशता पर बड़े लोगोिं को दया नहीिं आती है , इसी चीज़ को दशातया गया है।

*****

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3.उल्लास (Happiness)
कवहयत्री- सुभद्रा कुमारी चौिान

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. कवहयत्री ने शैशव प्रभात में क्या दे खा?
उत्तर: कवसयत्री ने शैशव प्रभात में नव हवकास दे खा।
2. कवहयत्री ने यौवन के नशे में क्या दे खा?
उत्तर: कवसयत्री ने यौवन के नशे में यौवन का उल्लास दे खा।
3. कवहयत्री ने हकसका हवकास दे खा?
उत्तर: कवसयत्री ने आशा का सवकास दे खा।
4. कवहयत्री ने हकसका प्रकाश दे खा?
उत्तर: कवसयत्री ने आकािंिा, उत्साि तथा प्रेम का सवकास दे खा।
5. कवहयत्री को हकसने कभी निी िं रुलाया?
उत्तर: कवसयत्री को जीवन में हनराशा ने कभी नहीिं रुलाया।
6. कवहयत्री ने िमेशा हकस प्रकार का व्यविार हकया?
उत्तर: कवसयत्री ने सदा सबसे मधुर प्यार का ही व्यवहार सकया।
7. कवहयत्री को प्रेम का क्या हदखाई दे ता िै ?
उत्तर: कवसयत्री को प्रेम का सागर सदखाई दे ता है ।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. उल्लास कहवता के आधार पर मानव हृदय में उिने वाले भावोिं को अपने शब्दोिं में हलन्तखए।
उत्तर: मानव हृदय में शैशव काल में नव सवकास दे खा जा सकता है। यौवन या युवा अवस्था में यौवन का उल्लास दे खा
जा सकता है । इसी प्रकार आकािंिा, उत्साह और प्रेम का भी क्रसमक प्रकाश दे खा जा सकता है ।

2. कवहयत्री ने जीवन के सिंबिंध में क्या किा िै ?


उत्तर: कवसयत्री ने जीवन के सिंबिंध में कहा है सक कभी सनराश नहीिं होना चासहए। सनराश होने में रोना नहीिं चासहए। यह
सिंसार झूठा है । ऐसे भाव भी मन में नहीिं लानी चासहए। शत्रु की पहचान के सलए न घृणा करें और न कभी अशािंसत का
वातावरण महसूस करें ।

3. उल्लास कहवता का आशय सिंिेप में हलन्तखए।


उत्तर: जीवन के प्रसत आशावादी दृसष्ट्कोण रखना इस कसवता का मुख्य आशय है । जीवन में हर समय हषत व उल्लास
से रहना चासहए। अशािंसत, घृणा को त्यागकर, सबसे प्रेम के साथ व्यवहार करना चासहए। हम लोगोिं में प्यार बािंटेंगे तो
हमें प्यार ही समलेगा। घृणा से व्यवहार करें गे तो समाज में घृणा और अशािंसत फैलेगी। यही इस कसवता का आशय है ।

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III सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:
1. ‘जीवन में न सनराशा मुझको,
कभी रुलाने को आई।
जग झूठा है , यह सवरखि भी,
नहीिं ससखाने को आई॥’
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को कवसयत्री- सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा सलखखत ‘उल्लास’ कसवता पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: कवसयत्री ने जीवन में कभी सनराशा न लाने के सलए कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: प्रस्तुत पिंखियोिं में कवसयत्री का जीवन के प्रसत सकारात्मक दृसष्ट्कोण व्यि होता है । उनके अनुसार
जीवन आशा की भावना को दशातता है। सनराशा को उन्ोिंने अपने जीवन में स्थान नहीिं सदया है । जग के प्रसत झूठा होने
का अहसास उन्ें नहीिं हुआ है। जीवन के प्रसत उसे वैराग नहीिं बखल्क प्रेम है । उनकी नजर में मनुष्य का आशापूणत
मनोभाव ही उसके सुख की पूिंजी है। लौसकक जीवन में प्रत्येक जन या वस्तु के प्रसत सवश्वास रखकर सुख और शािंसत से
जीना चासहए।
हवशेषता: जीवन में प्रत्येक जन या वस्तु के प्रसत सवश्वास रखकर सुख और शािंसत से सजिंदगी जीना चासहए।

2. ‘मैं हाँ प्रेममयी, जग सदखता


मुझे प्रेम का पारावार।
भरा प्रेम से मेरा जीवन,
लुटा रहा है सनमतल प्यार॥
प्रसिंग: प्रस्तुत वाक्य को कवसयत्री- सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा सलखखत ‘उल्लास’ कसवता पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: कवसयत्री ने लोगोिं से कहा है सक सब के साथ प्रेम और सनमतल व्यवहार रखना चासहए।
स्पष्ट्ीकरण: कवसयत्री जीवन के प्रसत आशावादी दृसष्ट्कोण अपनाते हुए कहती हैं सक मैं प्रेममयी हाँ । मेरा जीवन प्रेम से
भरा हुआ है। यह सिंसार मुझे प्रेम रूपी सागर के समान सदखता है। सिंसार के कण-कण में प्रेम बसा है । मैं इस सनमतल
प्रेम को सभी पर लुटा रही हाँ।
हवशेषता: मनुष्य को सब के साथ प्रेम और सनमतल व्यवहार रखना चासहए।

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4. तुम गा दो, मेरा गान अमर िो जाए
कहव- िररविंशराय ‘बच्चन’

I. एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. बच्चन जी ने हकस प्रकार के गीत बनाए िैं ?
उत्तर: बच्चन जी ने गूिंज-गूिंज कर हमटने वाले गीत बनाएाँ हैं।
2. कहव- बच्चन जी ने क्या लूटा लुटाया?
उत्तर: कसव- बच्चन जी ने कहवताओिं का कोष लुटाया।
3. कहव- बच्चन क्या खोकर रिं क हुए?
उत्तर: कसव- बच्चन जी ने अपनी हनजी हनहध खोकर रिं क हुए।
4. दु हनया कैसी िै ?
उत्तर: दु सनया ममतामयी है।
5. सूख की एक सााँस पर क्या हनछावर िै ?
उत्तर: सूखी एक सााँस पर अमरत्व सनछावर है ।
6. कहव- बच्चन जी का जीवन कैसे बीता?
उत्तर: कसव- बच्चन जी का जीवन दु ख में बीता।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. बच्चन जी ने जग में क्या लुटाया और क्योिं?
उत्तर: समाज के प्रसत उदार वादी दृसष्ट्कोण रखने वाले बच्चन जी ने गूाँज-गूाँज कर समटने वाले गीत बनाए। जब-जब
समाज के लोगोिं ने उनके सामने हाथ फैलाए। बच्चन जी ने अपने सुमधुर गीतोिं का कोष लुटाया। सजससे उनका गीत
साथतक बन गया। कसव अपने गीतोिं को लोगोिं से सुना सुनाकर अपने गीतोिं को वणों को खोकर वे गरीब हो गए। यह
कोष उनके सलए सनसध के समान था। इसे लुटाकर कसव अपने जीवन को साथतक समझता है ।

2. बच्चन की पािकोिं को क्या-क्या भेंट दे ते िैं ?


उत्तर: बच्चन जी ने गूाँज-गूाँज कर समटने वाले गीत बनाए थे। वे जानते हैं सक पाठक उनके गीत को गाकर उसे अमर
कर दे । पाठकोिं के प्रसत अपनी कृतज्ञता दे कर ऐसा करना चाहते हैं , सजसे दे खकर उन्ें कोई हासन न हो और बदले में
पाठकोिं को सब कुछ समल जाए। इस दान को स्वीकार करके पाठक उनके दान को अमर कर दें गे।

3. बच्चन जी ने सिंसार और जीवन के सिंबिंध में क्या किा िै ?


उत्तर: बच्चन जी सिंसार और जीवन के सिंबिंध में कहते हैं सक जब-जब इस जग ने हाथ फैलाए, तो मैंने अपना कोष लूटा
सदया। इतना ही नहीिं अपनी सिंपूणत सनसध (सिंपसि) दे कर स्वयिं रिं क (गरीब) हो गए। मैंने चाहा सक कम से कम तुम मेरा
गाना गाओगे तो, मेरा गाना अमर हो जाएगा। पर ऐसा नहीिं हुआ। इस बहु रूपी सिंसार को मैंने सराहा। इसे ममता भी
दी। सफर भी मेरी तमन्ना हैं सक मेरा गान अमर हो जाए।

4. बच्चन जी की कहवता का मूल भाव हलन्तखए।


उत्तर: बच्चन जी समाज के प्रसत मनुष्य का दासयत्व एविं सवश्व के प्रसत उदार वादी दृसष्ट्कोण इस कसवता का सवषय है ।
आज सवश्व में हर जगह दु ख-ददत का ही प्रभाव है । हषत, उल्लास प्रेम का भावना चाहते हैं । मधुर गान वाली कोसकला का
गाना दु ख ददत का गान है । दु सनया के लोगोिं से कसव कहते हैं सक उसका जीवन दु ख में ही बीता है । आज जीवन के
अिंसतम सदनोिं में कसव पाठकोिं से उनका गाना गाकर अमर करने को कहते हैं ।

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III सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:
1. ‘जब-जब जग ने पर फैलाये
मैंने कोस लुटाया,
रिं क हुआ मैं सनज सनसध खोकर,
जगती ने क्या पाया?
प्रसिंग: प्रस्तुत पद को कसव-हररविंशराय बच्चन जी द्वारा सलखखत ‘तुम गा तो मेरा गान अमर हो जाए’ कसवता पाठ से
सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत पद के माध्यम से कसव ने लोगोिं से बताया है सक मैं दु सनया के सलए अपना कोष लुटाया हाँ।
स्पष्ट्ीकरण: कसव कहते हैं सक जब भी इस जग ने हाथ फैलाए तो मैंने अपना कोष लुटाया और अपनी सिंपसि दू सरोिं
को दे कर मैं स्वयिं रिं क हो गया। आखखर इस सिंसार में मैंने क्या पाया।
हवशेषता: यश पाने के सलए इस सिंसार में कुछ दान-पुण्य करना पड़ता है ।

2. ‘दु ख से जीवन बीता सफर भी


शेष अभी कुछ रहता
जीवन की अिंसतम घसड़योिं में
भी तुम से यह कहता
प्रसिंग: प्रस्तुत पद को कसव-हररविंशराय बच्चन जी द्वारा सलखखत ‘तुम गा तो मेरा गान अमर हो जाए’ कसवता पाठ से
सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत पद के माध्यम से कसव बता रहे हैं सक दु ख में भी जीवन जीने के सलए सीखना चासहए।
स्पष्ट्ीकरण: बच्चन जी कहते हैं सक मेरा जीवन यद्यसप बहुत दु ख से बीता है । तथासप मैंने सदा यही चाहा सक जीवन
की अिंसतम घसड़योिं तक सुख की एक सािंस के सलए अमरत्व को सनछावर कर दू ाँ ।
हवशेषता: कसव बता रहे हैं सक दु ख में भी जीवन जीने के सलए सीखना चासहए।

*****

65
5. प्रहतभा का मूल हबिंदु (The Beginning Point of Brilliancy)
कहव- डॉ. प्रभाकर ‘माचवे’
I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:
1. कहव प्रहतभा से क्या पूछते िैं ?
उत्तर: कसव प्रसतभा से पूछते हैं सक तेरा जन्म किााँ हुआ िै ?
2. कहव ने हदवा स्वप्न की रानी हकसे किा िै ?
उत्तर: कसव प्रहतभा को सदवा स्वप्न की रानी कहा है ।
3. हशल्पी ने हकसकी ओर सिंकेत हकया िै ?
उत्तर: सशल्पी ने हमट्टी के लौदे की ओर सिंकेत सकया है ।
4. गाहयका क्या कि गई?
उत्तर: गासयका कह गई सक क्या-तुने हदव्य-स्वर की महदरा पी िै ।
5. प्रहतभा किााँ बसती िै ?
उत्तर: प्रसतभा यातना, कष्ट् सिन की ताकत में, सिंघषा में बसती है ।
6. प्रहतभा का मूल हबिंदु कहवता के कहव का नाम हलन्तखए।
उत्तर: प्रसतभा का मूल सबिंदु कसवता के कहव- डॉ. प्रभाकर ‘माचवे’ हैं।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. कहव प्रहतभा का मूल किााँ -किााँ ढू ाँ ढते िैं ?
उत्तर: कसव प्रसतभा के मूल को सवतत्र ढू ाँ ढते हैं । कसव प्रसतभा को महलोिं में , गुलगुले गली में, गुलाब की क्यारी में , वृिोिं
की सचिंता में, बच्चोिं की सकलकारी में, सचत्रकार की तूसलका में, सशल्पी की कला में, गासयका के स्वर में ढू ाँ ढते हैं ।

2. कहव ‘माचवे’ के अनुसार प्रहतभा के लिण हलन्तखए।


उत्तर: कसव- ‘माचवे’ जी के अनुसार प्रसतभा सदवा स्वप्न की रानी है । समट्टी के लौिंदे की ओर सिंकेत सकया है । कल्पना
नवीन, सवस्मय, उपजाऊ अनुमान, अलौसकक गुढ मिंत्री ससि की वाणी,अनुभूसत रसायन, सभी प्रसतभा के लिण हैं ।
3.प्रहतभा का मूल हबिंदु’ कहवता का भाव सिंिेप में हलन्तखए।
उत्तर: प्रसतभा का मूल सबिंदु कसवता में कसव द्वारा सैिािंसतक समीिा की गई है । सजसमें अत्याधुसनक कल्पनाओिं का
अनुमान का प्रयोग न करके जीवन के सनरिं तर सिंघषत पथ को कसव बताता है । प्रसतभा शतक प्रयास तथा पररश्रम की
जननी मानी जाती है ।

III सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:


1. ‘कहााँ जन्म है तेरा? मैंने जब पूछा प्रसतभा से,
महलोिं में? गुलगुले गलीचोिं पर? गुलाब की क्यारी में?
वृिोिं की सचिंता में? बच्चोिं की दिं तहीन सकलकारी में?
बोलो तुम रहती कहााँ हो? जानने को हम सभा सकतने प्यासे हैं !’
प्रसिंग: प्रस्तुत कसवता को कसव िॉ- प्रभाकर ‘माचवे’ द्वारा सलखखत प्रसतभा का मूल सबिंदु कसवता पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: कसव ने लोगोिं के प्रसतभा के बारे में बताया है ।
स्पष्ट्ीकरण: प्रस्तुत पिंखियोिं में कसव-माचवे जी ने प्रसतभाग के मूल को जानने की इच्छा से उसके जन्म स्थान के बारे
में स्वयिं प्रसतभा से ही प्रश्न करते हैं सक तुम महलोिं में, फूलोिं वाले गलीचोिं पर, गुलाब की क्याररयोिं में, वृिोिं की सचिंता
मे,सदल में रहते हो क्या? तुम कहााँ पैदा हुआ था? कसव प्रसतभा के मूल्य की सैिािंसतक समीिा का प्रयास इन पिंखियोिं
द्वारा करता है ।
हवशेषता: प्रसतभा हमारे मखस्तष्क में रहता है ।
*****
66
6. तुम आओ मन के मुग्ध मीत (‘O’ Innocent Minded Friend come)

कहव- डॉ. सरगु कृष्णमूहता

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. कहव अपने हमत्र से क्या किता िै ?
उत्तर: कसव अपने समत्र से कहता है सक वि अिंधकार में डरा हुआ िै और वि आकर अिंधकार हमटा दें ।
2. कभी अपने हमत्र का स्वागत कैसे करता िै ?
उत्तर: कसव आपने समत्र का स्वागत झुककर तथा पूरे मन के साथ हसर नवाकर करता िै ।
3. कहव हकस से हबछड़कर रि गया िै ?
उत्तर: कसव अपने मुग्ध हमत्र से सबछड़कर रह गया है।
4. ‘तुम आओ मन के मुग्ध मीत’ कहवता के कहव कौन िै ?
उत्तर: तुम आओ मन के मु ग्ध मीत कसवता के कसव- डॉ. सरगू कृष्णमूहता िै ।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. अपने मुग्ध हमत्र से हबछु ड़कर कहव की आत्मा कैसे तरफ रिी िै ?
उत्तर: कसव कहता है सक मेरा जीवन अिंधकारमय हो गया है । हे समत्र! तुम प्रकाश की सकरण बनकर आ जाओ। मैं
सूयत-चिंद्र की तरह प्रकाशमान हो सकूाँ। तुम्हारे आने से प्रात: हुई और कोमल प्रीसत मुस्कुराई। जीवन मृत्यु के साथ ही
मेरे पाप समट जाए और आत्मा पसवत्र हो जाए। नतमस्तक होकर तुम्हारा स्वागत करता हाँ।

2. कहव आपने हमत्र को हकन-हकन शब्दोिं में पुकारता िै ?


उत्तर: कसव- िॉ. सरगु कृष्णमूसतत जी अपने समत्र को मुग्ध मीत, मधुरमीत, जन्मोिं के जीवन मृत्यु मीत, हारोिं की मधुर
मीत, दे वताओिं के आनिंद गीत से आशा और शोभा के बीच आसद शब्ोिं से पुकारते हैं ।

3. कभी अपने हमत्र की जुदाई से कैसे व्याकुल िो रिा िै ?


उत्तर: कसव-सरगु कृष्णमूसतत कहते हैं सक मेरे समत्र हमसे सबछु ड़कर सकतने सदन हो गए हैं सक लग रहा है युग बीत गए
हैं । सफर भी मैं तुम्हारी प्रतीिा कर रहा हाँ । जैसे पेड़-पौधे वषात की कामना करते हैं। सम्पूणत सिंसार सकसी न सकसी स्वाथत
में फिंसा हुआ है । जब सक तुम एक ही हो जो सनस्वाथत हो।

4. कभी हक दु खी आत्मा का पररचय दीहजए।


उत्तर: कसव अपनी दु खी और पीसड़त आत्मा के सलए कहता है सक हे मेरे मीत! मुझे चारोिं ओर से दु ख, दीनता और
दररद्रता ने घेर सलया है । इन सबसे मैं दु खी हो गया हाँ। अब तुम आओ मेरे समत्र और मुझे इन झिंझावातोिं से छु टकारा
सदलाओ।
III सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:
1. ‘झन झनन झनन झिंझा झकोर से झिंकृत यह जीवन सनशीथ,
सब िसणक वसणक वत स्वाथत मग्न तुम एक मात्र सनस्वाथत समत्र।

दु ख दै न्य अश्रु दररद्रय धार कर गय मुझे ही मनोनीत,


तूफान और इस आिं धी में, सुनवाने ने रज का जीव गीत॥ ’
प्रसिंग: प्रस्तुत कसवता को कसव- िॉ. सरगु कृष्णमूसतत द्वारा सलखखत ‘तुम आओ मन के मुग्ध मीत’ कसवता पाठ से सलया
गया है ।
सिंदभा: कसव अपने दु ख के बारे में अपने समत्र से कह रहे हैं ।
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स्पष्ट्ीकरण: कसव कहते हैं सक झिंकार करने वाले इस झिं झापूणत जीवन की अधतरासत्र में सब िसणक व्यापारी वृसि के
लोग हैं। सब स्वाथत में मग्न है। अत: तुम आओ और मुझे इनसे मुि करो। अपने सनस्वाथत भाव से मधुर गीतोिं से सारे
पाप समटा दो। मैं दु ख दररद्रता व दीनता में सघर गया हाँ। अत: तुम आओ और मुझे इस तूफान व आिं धी के थपेड़ोिं से
बचा लो। आशा है तुम मेरी व्यथा समटा दोगे। क्योिंसक तुम मेरे मधुर मीत हो।
हवशेषता: कसव अपने दु ख बािंटने के सलए अपने समत्र से सहायता मािंग रहे हैं ।

2. ‘जन्मोिं के जीवन मृत्यु मीत! मेरी हारोिं की मधुर जीत!


झुक रहा है तुम्हारे स्वागत में मन का मन सशर-सशर सवनीत।’
प्रसिंग: प्रस्तुत कसवता को कसव- िॉ. सरगु कृष्णमूसतत द्वारा सलखखत ‘तुम आओ मन के मुग्ध मीत’ कसवता पाठ से सलया
गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत कसवता में कसव जन्म और मृत्यु के बारे में कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: कसव अपने मुग्ध समत्र से सबछड़ गया है। वह उनका अिंतरिं ग समत्र है । जन्म जन्मािंतर का मीत है । जीवन
और मृत्यु के साथ दे नेवाला एविं पराजयोिं के दु ख के जीत की खुशी में बदलने वाला मीत है। इस सप्रय समत्र के स्वागत
में कसव नतमस्तक है । उसका मन श्रिा से झुक गया है ।
हवशेषता: कसव अपने समत्र के साथ नतमस्तक है ।

3. ‘दु ख दै न्य अश्रु दाररद्रय धार-कर गए मुझे ही मनोनीत


तूफान और इस आिं धी में सुनवाने रज का जीव गीत।’
प्रसिंग: प्रस्तुत कसवता को कसव- िॉ. सरगु कृष्णमूसतत द्वारा सलखखत ‘तुम आओ मन के मुग्ध मीत’ कसवता पाठ से सलया
गया है ।
सिंदभा: कसव दु ख और दररद्रता के बारे में कहा है ।
स्पष्ट्ीकरण: कसव अपने समत्र से कहते हैं सक मैं दु ख भरी दररद्रता व दीनता में सघर गया हाँ। तुम आओ और इस
आिं धी तूफान के थपेड़ोिं से बचा लो। आशा है तुम मेरी व्यथा समटा दोगे। क्योिंसक तुम ही मेरे मधुर मीत हो। इस तरह
कसव अपनी भावना अपने समत्र के सामने व्यि करता है ।
हवशेषता: कसव अपनी भावना समत्र के पास व्यि कर रहा है ।

*****

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7. मत घबराना (Don’t Get Afraid)

कहव- डॉ. रामहनवास ‘मानव’

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. कहव हकस प्रकार आगे बढ़ने के हलए किते िैं ?
उत्तर: कसव कदम साधकर आगे बढ़ने के सलए कहते हैं ।
2. कहव हकसके साथ िोने की बात किते िैं ?
उत्तर: कसव चिंदा और तारे के साथ होने की बात कहते हैं ।
3. कहव हकसे अपनी व्यथा सुनाने के हलए किते िैं ?
उत्तर: कसव अपनी सारी व्यथा चिंदा-तारे को सच्चा साथी जानकार सुनाने के सलए कहते हैं ।
4. पथ पर बार-बार क्या टकराती िैं ?
उत्तर: पथ पर बार-बार बाधाएाँ टकराती हैं।
5. कहव बीच राि में कैसे न रुकने को किते िैं ?
उत्तर: कसव िरकर न रुकने को कहते हैं ।
6. वीर कााँटोिं को क्या समझता िै ?
उत्तर: वीर काटोिं को भी फूल समझता है ।
7. वीर हकससे िाथ हमलाता िै ?
उत्तर: वीर हवपदाओिं से हाथ समलाता है ।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. मत घबराना कहवता में प्रकृहत को प्रेरणा स्रोत क्योिं किा गया िै ?
उत्तर: हमारे साथ कोई रहें या न रहे परन्तु चिंदा और तारे हमेशा साथ रहते हैं। ये हमारा ददत बािंट लेंगे । अपनी बात
कहेंगे। ये नसदयािं और झरने हर दम हाँसते गाते आगे बढ़ने को कहेंगे। कसव प्रकृसत को प्रेरणा का स्रोत मानता है ।
प्रकृसत हमारा साथ दे ती है और आगे बढ़ने की प्रेरणा भी दे ती है ।

2. कहव ने जीवन की हकन हवशेषताएिं का उल्लेख हकया िै ?


उत्तर: कसव कहता है सक जीवन में कई बाधाएिं आती है और वे हमें रोकती है। सततसलयााँ भी अपने सुिंदर रिं ग-सबरिं गे
पिंखोिं से हमें अपनी ओर आकसषतत करती है । रोकने की कोसशश करती है । ऐसे खस्थसत में बाधाओिं से न िरकर और
सततसलयोिं से न ललचाकर हमें बीच राह में नहीिं रुकना चासहए। हमें नसदयोिं की तरह अकेले ही सनिर होकर आगे बढता
रहना चासहए। यही जीवन की सवशेषताएिं हैं ।

3. मिंहजल हकन्हें हमलती िै? अपने शब्दोिं में हलन्तखए।


उत्तर: मत घबराना कसवता में कसव नव युवकोिं को जीवन पथ पर हमेशा आगे बढ़ने का सिंदेश दे ते हैं। प्रकृसत को प्रेरणा
के रूप में सचसत्रत करते हुए कसव ने कहा है मिंसजल उन्ीिं को समलती है , जो बाधाओिं को चुनौती दे कर धीर-वीर के
समान आगे बढ़ते हैं । जो कााँटोिं को फूल समझ कर सवपदाओिं को स्वीकार करते हैं । जो कायर नहीिं है , जो बहाने
बनाकर सनखिय नहीिं होते हैं ।वहीिं मिंसजल को हाससल कर लेते हैं।

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4. मत घबराना कहवता का सिंदेश अपने शब्दोिं में हलन्तखए।
उत्तर: मत घबराना कसवता में कसव युवकोिं को सिंदेश दे ते हैं सक जीवन के पथ पर सदा आगे बढ़ते रहना चासहए। साथ
कोई हो या न हो प्रकृसत माता सदा हमारे साथ रहें गी। प्रकृसत से हमें प्रेरणा लेनी चासहए। यही कसवता का सिंदेश है।

III सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:


1. ‘मिंसजल सदा खुशी को समलतीिं
धीर वीर जो बढ़ता जाता।
कााँटोिं को भी फूल समझता,
सवपदाओिं से हाथ समलाता।
कायर तो घबराते वे ही,
वीर करते कभी बहाना।
प्रसिंग: प्रस्तुत पिंखियोिं को कसव िॉक्टर रामसनवास ‘मानव’ द्वारा सलखखत मत घबराना कसवता पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: इस सिंदभत में कसव हमेशा आगे बढ़ने के सलए कहते हैं ।
स्पष्ट्ीकरण: कसव कहता है सक मिंसजल सदा उसी को समलती है , जो धीर वीर बनकर आगे बढ़ता है । जो कााँटोिं को
फूल समझकर सवपसियोिं से हाथ समलाकर आगे बढ़ता है और िरने का बहाना न बनाकर जो आगे बढ़ता है । वही
जीवन में सफल होता है ।
हवशेषता: जो कााँटोिं को फूल समझकर सवपसियोिं से हाथ समलाकर आगे बढ़ता है । वही सफल होता है ।

*****

70
8. अहभनिंदनीय नारी (An Applauded Lady)
कहव-जयिंती प्रसाद नौहटयाल

I. एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. नारी हकसके समान सिनशील िोती िै ?
उत्तर: नारी धरती के समान सहनशील होती है।
2. नारी बचपन में हकसके मन में हिलोरें उिाती िै ?
उत्तर: नारी बचपन में अपने माता-हपता के हृदय में सहलोरें उठाती है।
3. नारी ने इस धरती को कैसे धन्य हकया िै ?
उत्तर: नारी ने इस धरती को स्नेि और सेवा से धन्य सकया है।
4. स्वाथी सिंसार क्या याद निी िं रखता िै ?
उत्तर: स्वाथी सिंसार दू सरोिं के हकए गये उपकारोिं को याद नहीिं रखता है ।
5. नारी अबला निी िं बन्ति क्या िै ?
उत्तर: नारी अबला नहीिं बन्ति रण चिंडी भी िै ।
6. हजसके घर में नारी का सम्मान िो विााँ क्या िोता िै ?
उत्तर: सजसके घर में नारी का सम्मान हो विााँ आनिंद का सागर िोता िै ।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. नारी के हवहभन्न गुणोिं का पररचय दीहजए।
उत्तर: नारी पृथ्वी पर मृदुल रस की तरह है । नारी सूख का सागर है , नारी विंदनीय है , असभनिंदनीय है। इससलए उसको
मैं सादर प्रणाम करता हाँ। धरती की तरह नारी सहनशील है । जल की तरह सनमतल है । फूलोिं की तरह कोमल है । नारी
जीवन की गसत है ।नारी जीवन की बुखि है । नारी ने िमा,करुणा, स्नेह और अपनी सेवा से इस धरती को धन बनाया है।

2. नारी के बचपन का हचत्रण कीहजए।


उत्तर: नाड़ी बचपन में सचसड़या की तरह चहकती है , फुदकती हुई इठलाती है । सजसे दे ख माता- सपता के मन में आनिंद
की सहलोरें उठती है। जब वह ठु मक-ठु मक कर चलती है , तो उसकी पैड़ोिं की पायसलयााँ मधुर सिंगीत सुनाती है । नारी
बचपन में आिं गन की तुलसी की तरह घर की शोभा बढाती है और सब को प्यारी लगती है ।

3. नारी के शन्तक्त रूप का वणान कीहजए।


उत्तर: नारी शखि रूप है । कभी रण चिंिी भी दै त्य नासशनी दु गात मााँ है । शखि तथा कात्यानी का सशि रूप भी नारी
है। समय की मािं ग के अनुसार नारी दै त्योिं का खून पीने वाली महा काली का वेश धारण भी कर लेती है । इस तरह नारी
सृसष्ट् का मूल रूप है ।

4. नारी हकस प्रकार से सृहष्ट् का श्रृिंगार िै ?


उत्तर: सवसभन्न रूपोिं में सजी हुई यह नारी सृसष्ट् का श्रृिंगार है। यसद इस सिंसार में नारी न हो तो, सफर यह सिंसार सकस
काम का है। सजसके घर में नारी का सम्मान होता है , उस घर में आनिंद का सागर होता है । यसद जीवन में नारी न हो
तो मानव जीवन ही व्यथत है । जहााँ नाररयोिं का सम्मान होता है , वहााँ दे वताओिं का वास होता है ।

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III सिंदभा स्पष्ट्ीकरण कीहजए:
1. ‘इस धारा पर मृदुल रस धार- सी तुम सुख का सार होना नारी
तुम विंदनीय हो, असभनिंदनीय हो, सादर तुम्हें हे नारी......!
धरा सी सहनशील, जल- सी सनमतल, फूलोिं सी कोमल तुम नारी
जीवन की गसत, जीवन की रसत जीवन की मसत हो तुम नारी....!’
प्रसिंग: प्रस्तुत पद को कसव-िॉ. जयिंतीप्रसाद नौसटयाल द्वारा सलखखत ‘असभनिंदनीय नारी’ कसवता पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत पद के माध्यम से कसव ने पुरुष के जीवन में नारी के महत्व के बारे में बताया है ।
स्पष्ट्ीकरण: नारी पृथ्वी पर मृदुल रस की तरह है । नारी सूख का सागर है , नारी विंदनीय है , असभनिंदनीय है। इससलए
उसको मैं सादर प्रणाम करता हाँ। धरती की तरह नारी सहनशील है । जल की तरह सनमतल है । फूलोिं की तरह कोमल
है । नारी जीवन की गसत है ।नारी जीवन की बुखि है । नारी ने िमा,करुणा, स्नेह और अपनी सेवा से इस धरती को धन
बनाया है ।
हवशेषता: नारी के कोमलता, सहनशखि और सनमतलता के बारे में बताया गया है ।

2. ‘नारी अबला नहीिं बखल्क यह नारी रण चिंिी भी है ,


कृत्या है यह दु गतम, दै त्य नासशनी दु गात मााँ भी है ।
शखि और सशवानी है यह और कात्यासयसन भी है
दै त्योिं के शोसणत को पीने वाली महाकाली भी है ॥
प्रसिंग: प्रस्तुत पद को कसव-िॉ.जयिंतीप्रसाद नौसटयाल द्वारा सलखखत ‘असभनिंदनीय नारी’ कसवता पाठ से सलया गया है ।
सिंदभा: प्रस्तुत पद में नारी के शखि के बारे में बताया गया है ।
स्पष्ट्ीकरण: नारी शखि रूप है । कभी रण चिंिी भी दै त्य नासशनी दु गात मााँ है। शखि तथा कात्यानी का सशि रूप
भी नारी है। समय की मािंग के अनुसार नारी दै त्योिं का खून पीने वाली महा काली का वेश धारण भी कर लेती है । इस
तरह नारी सृसष्ट् का मूल रूप है ।
हवशेषता: नारी दु गात और महाकाली की तरह बहुत शखिशाली भी होती है ।

*****

72
तृतीय सोपान- अपहित भाग (किाहनयााँ)
1. मधुआ
लेखक- जैयशिंकर प्रसाद

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. बालक का नाम क्या िै?
उत्तर: बालक का नाम मधुआ है ।
2. िाकुर सरदार हसिंि का लड़का किााँ पढता था?
उत्तर: ठाकुर सरदार ससिंह का लड़का लखनऊ में पढ़ता था।
3. बड़े -बड़ोिं के घमिंड चूर को किााँ हमल जाते िैं ?
उत्तर: बड़े -बिोिं के घमिंि चूर होकर धूल में समल जाते हैं ।
4. गिंदी कोिरी में बालक को खाने के हलए क्या हमला?
उत्तर: गिंदी कोठरी में बालक को खाने के सलए एक परािे का टु कड़ा समला।
5. शराबी के िाथ में हकतने रुपये थे ।
उत्तर: शराबी के हाथ में एक रुपया थे।
6. सीली जगि में सोते हुए बालक ने क्या ओढ हलया?
उत्तर: सीली जगह में सोते हुए बालक ने शराबी का कोट ओढ सलया।
7. बालक की आिं खें हकसकी सौगिंध खा रिी थी?
उत्तर: बालक की आिं खें दृढ हनिय की सौगिंध खा रही थी?

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. शराबी िाकुर सरदार हसिंि को कौन-कौन सी किाहनयााँ सुनाता था?
उत्तर: ठाकुर सरदार ससिंह का लड़का लखनऊ में पढ़ता था। ठाकुर सरदार ससिंह कभी-कभी लखनऊ जाते थे। कहानी
सुनने का बड़ा शौक था। वहााँ एक शराबी रहता था। ठाकुर साहब को मजेदार तथा लच्छे दार कहासनयााँ सुनाकर खुश
करता था। एक सदन शराबी ने गड़ररये की कहानी सुनाई तो ठाकुर साहब हिंसने लगे। इस प्रकार शराबी अमीरोिं की
रिं ग-रे सलयााँ , नवाबोिं के सोने से दीन, दु खखयोिं की ददत भरी आहे , तथा रिं ग महलोिं में घुट-घुटकर मरने वाली बेगमोिं की
कहासनयााँ सुनाया करता था।

2. शराबी को बच्चा किााँ हमला? वि उसे अपने साथ क्योिं लाया?


उत्तर: शराबी से बात करते -करते ठाकुर साहब जब थक गए तो उन्ोिंने ₹1 दे कर शराबी को जाने का आदे श सदया।
साथ ही लल्लू जमादार को भेज दे ने के सलए भी कहा। जमादार लल्लू को खोजते हुए शराबी फाटक के बगल वाली
कोठरी के पास पहुिंचा तो एक बच्चा मार खा कर रोते हुए समला। लल्लू उसे बुरी तरह िािंट रहा था। शराबी उस बच्चे
को साथ ले आया और रोने का कारण पूछा। लड़के ने रोते-रोते कहा- मैंने आज सदन भर कुछ नहीिं खाया हैं । यह
बात सुनकर शराबी को बालक पर दया आ गई। शराबी अपनी गिंदी कोठरी में रखा पराठे का टु कड़ा खखलाने के सलए
साथ ले आया और उसे एक पराठे का टु किा खाने को सदया।

3. शराबी ₹1 से क्या खरीदना चािता था और बाद में क्या खरीद हलया?


उत्तर: शराबी मधुआ को अपने घर में शरण दे ता है। वह मधुआ को एक पराठे का एक टु कड़ा खाने के सलए दे ता है ।
मधुआ का पेट भरने के सलए कुछ खरीदने दु कान पहुिं चता है । वाह ₹1 से 12 आने का एक दे शी अधात और दो आने
की चाय, दो आने की पकौड़ी आलू मटर या सफर चारोिं आने का मािंस खरीदना चाहता था। परन्तु मधुआ का खयाल
आते ही वह आधात लेना भूल गया और समठाई खरीद लाया।

73
4. शराबी के जीवन में मधुआ के आने के बाद क्या पररवतान आया?
उत्तर: मधुआ के समलने से पहले शराबी का जीवन सदशाहीन तथा अस्त-व्यस्त था। वह ठाकुर सरदार ससिंह को
कहासनयााँ सुनाकर, समले हुए पैसोिं से शराब पीता था। जीवन में मधु आ के आने के बाद शराबी ने शराब पीना छोड़
सदया। उसे सजम्मेदारी का अहसास हुआ। पाररवाररक बिंधन का अथत समझ में आया। मधुआ के आने से शराबी इतना
सिंवेदनशील हो गया सक मधु आ को पालने के सलए कुछ-न-कुछ काम करना चाहा तथा हमेशा मधुआ को साथ रखने
का सनणतय सलया।

5. मधुआ पात्र का चररत्र-हचत्रण कीहजए।


उत्तर: मधुआ एक गरीब बच्चा था। दे खने में सुन्दर तथा गोरे बदन वाला था। वह ठाकुर सरदार ससिंह के यहााँ काम
करता था। सदन भर कुिंवर साहब का ओवरकोट सलए साथ घूमता है। रात को 9:00 बजे तक काम करता था। मधुआ
जमादार से खाना मािं गता है । जमादार लल्लू ने उसे मार-पीट कर भगा दे ता है। इस सनधतन बालक पर शराबी को दया
आ गयी। उसे अपने यहााँ ले आकर खाना खखलाता है। दोनोिं अपना जीवन सबताने के सलए शान धरने की कल से दोनोिं
समलकर कुछ कमाने लगे और अपना जीवन सबताने लगे।

*****

74
2. श्मशान (Graveyard)
कवहयत्री-मन्नू भिंडारी

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. श्मशान मनुष्य से प्यार के बदले क्या पता िै ?
उत्तर: श्मशान मनुष्य से प्यार के बदले घृणा पाता है ।
2. श्मशान हकससे बातें कर रिा िै ?
उत्तर: श्मशान पिाड़ी से बातें कर रहा है।
3. युवक की पिली पत्नी का नाम हलन्तखए।
उत्तर: युवक की पहली पत्नी का नाम सुकेशी है ।
4. श्मशान सारे हदन हकसके शव की प्रतीिा करता रिा?
उत्तर: श्मशान सारे सदन युवक के शव की प्रतीिा करता रहा।
5. शमशान के मन में वषों से हकसके प्रेम की अलौहकक धारणा जमी हुई थी?
उत्तर: श्मशान के मन में वषों से मनुष्य के अलौहकक प्रेम की धारणा जमी हुई थी।
6. पााँच वषा में युवक की हकतनी पहत्नयााँ मर गई?
उत्तर: पााँच वषत में युवक की तीन पहत्नयााँ मर गई।
7. मनुष्य सबसे अहधक प्रेम हकससे करता िै ?
उत्तर: मनुष्य सबसे असधक प्रेम अपने आप से करता है ।
8. श्मशान किानी की लेन्तखका कौन िै ?
उत्तर: श्मशान कहानी की लेखखका मन्नू भिंडारी है ।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. श्मशान ने आि भर कर पिाड़ी से क्या किा?
उत्तर: श्मशान ने आह भरकर खड़ी पहाड़ी से कहा-मैं इिं सान को सजतना प्यार करता हाँ , उतना ही उससे घृणा पाता
हाँ। सभी मनुष्य यही चाहते है सक कभी उन्ें मेरा मुाँह न दे खना पड़े । पर वास्तव में मैं इतना बुरा नहीिं हाँ । सिंसार में जब
मनुष्य को एक सदन के सलए भी स्थान नहीिं रह जाता है , तब मैं उसे अपनी गोद में स्थान दे ता हाँ। अमीर, गरीब, वृि,
बालक सबको मैं सामान दृसष्ट् से दे खता हाँ। पर मेरे पास प्रेम नहीिं मुहब्बत का सचराग नहीिं। नहीिं जानता, खुदा ने मेरे
साथ ऐसी बेईमानी का सलूक क्योिं सकया।

2. मनुष्य के प्रेम के बारे में िर श्मशान के हवचार प्रकट कीहजए।


उत्तर: श्मशान की दृसष्ट् में मनुष्य प्रेम का बहुत महत्वपूणत है । वह मनुष्य प्रेम को अलौसकक समझता है । वह मनुष्य के
मन में अपने सलए भी थोड़ी जगह बनाना चाहता है। प्रेम को सनसध के समान मानता है , जो उसके नसीब में नहीिं है ।
उसका मानना है सक मनुष्य को प्रेम से ही जीवन को पररपूणतता प्राप्त होती है। उसे अपना जीवन बेकार और सनरथत क
लगता है। मनुष्य के पास जैसा प्रेममय हृदय है उसे पाने के सलए वह अपने जैसे सौ जीवन को भी कुबातन करने के सलए
तैयार है।

3. पिली पत्नी की मृत्यु पर युवक हकस प्रकार हवलाप करने लगा?


उत्तर: पहली पत्नी की मृत्यु पर युवक राख बटोरकर उसे पकि कर सवलाप करने लगा और कहने लगा सक तुम मुझे
छोड़ कर कहााँ चली गई सुकेशी? दो वषों में ही तुम मुझे अकेला छोड़ कर चली गई। मैं तुम्हारे सबना जीसवत नहीिं रह
सकता हाँ । तुम मुझे अपने पास बुला लो। तुम्हारे सबना यह जीवन व्यथत। तुम मेरी प्रेरणा थी। अब मैं जीसवत रहकर क्या
करूाँ गा? इसी प्रकार वह रोता रहा और अपना ससर फोड़ता रहा।

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4. युवक अपनी तीसरी पत्नी की मृत्यु के उपरािंत उसे सबसे अहधक गुनी क्योिं समझता िै ?
उत्तर: युवक अपनी तीसरी पत्नी की मृत्यु के पश्चात उसके पहले वाले रूप में और आज के रूप में कोई अिंतर न था।
उसकी बातें भी वही थी केवल इतना ही अिंतर था सक आज सवशेषकर अपनी तीसरी पत्नी ही सबसे असधक गुनी सदखाई
दे रही थी। दावा कर रहा था सक तीसरी पत्नी से ही उसका सच्चा प्रे म था। पहले दो पसत्नयोिं का प्रेम बचपना था। नासमझी
थी। पहली पत्नी उसकी अनुगाहमनी(One who obeys) थी| दू सरी पत्नी सिगाहमनी (Who goes together)
थी। तीसरी पत्नी मेरा पथ-प्रदहशाका(One who leads) थी। सजसके सबना मैं एक िण भी जीसवत नहीिं रह सकता हाँ।

5. अिंतत पिाड़ी ने तरस खाकर आत्म सम्मान से क्या किा?


उत्तर: तीसरी पत्नी के दे हािंत पर युवक हुक-हुक कर रो रहा था। मनुष्य के अलौसकक प्रेम को श्मशान अपने हृदय में
बड़े यत्न से सिंजोए बैठा था। श्मशान की हालत दे खकर पहाड़ी ने सदलासा दे ते हुए कहा- जो इिं सान प्रेम करता है उसे
जीवन भी कम प्यारा नहीिं है। मनुष्य जीवन की पूणतता के सलए और जीसवत रहने की ललक में हर दु ख और कष्ट् को
झेल लेता है और वह सफर से प्रेम करता है । क्योिंसक मनुष्य केवल अपने आप से असधक प्रेम करता है।

*****

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3. खून का ररश्ता (Blood Relation)
लेखक-भीष्म सािनी

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. चाचा मिंगलसेन हचलम थामे क्या दे ख रिा था?
उत्तर: चाचा मिंगलसेन सचलम थामे दे ख रहा था सक मैं सिंबिंहधयोिं के घर बैिा हाँ और वीर जी की सगाई िो रिी िै ।
2. घर का पुराना नौकर कौन था?
उत्तर: घर का पुराना नौकर सिंतू था।
3. सिू की पीि पर क्या पड़ी?
उत्तर: सन्तू की पीठ पर चाबुक पड़ी।
4. हकसका स्वप्न सचमुच सरकार िो उिा?
उत्तर: मिंगलसेन का स्वप्न सचमुच सरकार हो उठा।
5. लड़की की पढ़ाई किााँ तक हुई थी?
उत्तर: लड़की की पढ़ाई बी.ए. तक हुई थी।
6. बाबूजी के सामने हकतनी चािंदी की कटोररयााँ रखी हुई थी?
उत्तर: बाबूजी के सामने तीन चािंदी की कटोररयााँ रखी हुई थी।
7. वीरजी की बिन का नाम क्या िै ?
उत्तर: वीरजी की बहन का नाम मनोरमा है।
8. प्रभा की सगाई हकनके साथ हुई?
उत्तर: प्रभा की सगाई वीरजी के साथ हुई।
9. एक चम्मच की कीमत हकतनी मानी गई?
उत्तर: एक चम्मच की कीमत पााँच रुपये मानी गई।
10. प्रभा का भाई वीर जी के घर क्या दे ने आया था?
उत्तर: प्रभा का भाई वीरजी के घर चम्मच दे ने आया था।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. वीरजी के पररवार का सिंहिप्त पररचय दीहजए।
उत्तर: वीर जी का पररवार सिंपन्न था। वीर जी पढ़े -सलखे थे और शहर में रहते थे। पररवार में उनके माता-सपता थे। एक
शरारती समज़ाज वाली छोटी बहन थी सजसका नाम मनोरमा था। घर पर मिंगलसेन नाम के ररश्ते के एक चाचा रहते
थे। जो स्वयिं को इनके पररवार का असभन्न अिंग मानते थे । घर का पुराना नौकर सिं तू था, जो मिंगलसेन से ज्यादा सहल-
समल गया था। वीरजी असववासहत थे। सकिंतु प्रभा नाम की एक पढ़ी-सलखी सुन्दर कन्या से उनकी सगाई होने वाली थी।
वीरजी बहुत भावुक थे। वे प्रभा से प्रेम करते थे और उससे सरल सववाह करना चाहते थे।

2. मिंगलसेन को अपनी िैहसयत पर क्योिं नाज था?


उत्तर: मिंगल सेन को अपनी हैससयत पर बड़ा नाज था। सकसी जमाने में वे फौज में रह चुके थे। इस कारण अब भी वे
ससर पर खाकी पगड़ी पहनते थे। खाकी रिं ग सरकारी रिं ग है । पटवारी से लेकर बिेे़ -बिेे़ इिं स्पेक्टर तक सभी खाकी
पगड़ी पहनते हैं । वे ऊिंचा खदान और शहर के धनी- मनी भाई के घर में रहते थे। इससलए उन्ें हैससयत पर नाज था।

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3. सिू का पररचय दीहजए।
उत्तर: सन्तु वीरजी के घर पर सिंतू नाम का एक नौकर था। इस घर का वह पुराना नौकर था। सन्तू बार-बार मिंगल
सेन से कहता था सक बाबूजी वीरजी की सगाई मैं आपको नहीिं ले जाएिं गे। यह कहकर मिंगलसेन का मजाक उड़ाया
करता था। मिंगलसेन का स्वप्न साकार होते दे ख वह बोला तुम जीत गए बस वेतन समलते ही तुम्हें ₹2 दे दू िं गा। जबसक
सिंतू नौकर था और मिंगलसेन समधी थे । सन्तू कभी-कभी कामकाजोिं में उदासीन भी रहता था। इससलए उसे िािंट खानी
पड़ती थी।

4. ससिंहधयोिं के घर मिंगलसेन की आवभगत कैसे हुई?


उत्तर: सिंसधयोिं के घर मिंगलसेन की आवभगत बहुत ही जोरदार तरीके से की गई। मिंगलसेन एक आराम कुसी पर बैठा
था एक आदमी पीछे पिंखा चला रहा था। सभी आगे-पीछे घूम रहे थे। क्या लाऊाँ? क्या सेवा करूाँ ? इस प्रकार कहते
थकते नहीिं थे। इस प्रकार मिंगलसेन की आवभगत श्रिा के साथ ठाट-बाट से की गई थी।

5. बाबूजी सगाई में केवल सवा रुपए िी क्योिं लेना चािते थे ?


उत्तर: बाबूजी पुरानी रस्मोिं को बदलना चाहते थे। वे समसधयोिं को सदल दु खाना नहीिं चाहते थे। बाबूजी शादी सववाह में
पैसे बबातद करना नहीिं चाहते थे। उनसे सदए गए सवा रुपए बाबूजी के सलए 1,25,000 के बराबर था। इन चीजोिं में
उनका सवश्वास नहीिं था। यसद कुछ सलया तो वसूल की बात होगी। इससलए बाबूजी सगाई में केवल सवा रुपये ही लेना
चाहते थे।

6. समधी अिंदर से थाल में क्या-क्या लेकर आए?


उत्तर: समधी अिंदर से एक थाल ले आए और बाबूजी के सामने रख सदया। उस पर लाल रिं ग का रे शमी रुमाल सबछा
था। बाबूजी ने रूमाल उठाया तो नीचे चािंदी के थाल में चािंदी की तीन चम्मच चमकती कटोररयााँ रखी हुई थी। एक में
केसर, दू सरी कटोरी में रिं गा हुआ धागा और तीसरी कटोरी में एक चमकता हुआ चािंदी का एक रुपया और चमकती
एक चवन्नी था। इसके अलावा तीनोिं कटोररयोिं में तीन छोटे -छोटे चािंदी के चम्मच रखे हुए थे।

7. चम्मच खो जाने पर वीरजी की क्या प्रहतहक्रया हुई?


उत्तर: जब मिंगलसेन बाबूजी के साथ वीरजी को सगाई में लेकर जाते हैं , तब वहााँ ससिंसध उनका आवभगत करते हैं ।
बहुत मना करने पर भी ससिंसध बाबूजी को सगाई में तीन कटोररया और तीन चम्मच और सवा रुपये दे ते हैं । वापस
लौटने पर उसमें से एक चम्मच नहीिं रहता है । यह सुनकर वीरजी को क्रोध होता है । प्रभा द्वारा भेजा गया चम्मच
मिंगल-सेन ने खो सदया है। मिंगलसेन की तलाशी ली जाती है। और वीरजी की बहन उनका मजाक उड़ाती है । वीरजी
सहसा आवेश में आकर मिंगलसेन के पास जाकर दोनोिं किंधोिं को पकड़कर झकझोर दे ता है। वह कहता हैं आपको
इसीसलए भेजा था सक आप चीजें गिंवा दें ।

8. खून का ररश्ता किानी के उद्दे श्य पर प्रकाश डाहलए।


उत्तर: उनका ररश्ता कहानी में भीष्म सहनी जी ने सगाई की रस्म, ररश्तेदारोिं की अहसमयत, सगाई में सवा रुपए लेना,
आसतथ्य सत्कार आसद घटनाओिं का सजीव सचत्रण सकया है । आज के चकाचौिंध भरे माहौल में सरल सववाह की महत्व
तथा खून के ररश्तोिं एविं पाररवाररक ररश्तोिं को सनभाने पर बल दे ने के उद्दे श्य से यह कहानी सलखा गया है ।

*****

78
4. शीत लिर (Cold wave)
लेखक-डॉ. जय प्रकाश ‘कदा म’

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. चन्द्रप्रकाश का फ्लैट किााँ था?
उत्तर: चन्द प्रकाश का फ्लैट िाररका नगर के एक ग्रुप िाउहसिंग सोसाइटी में था।
2. सोसाइटी सभी फ्लैट माहलको में प्रहत माि रख-रखाव का हकतना खचा लेती थी?
उत्तर: सोसाइटी सभी फ्लैट मासलको से प्रसत माह रख-रखाव का एक िे़जार रुपए खचत लेती थी।
3. लक्ष्मीबाई नगर से िारका तक के रास्ते में लेखक हकन्हें दे खते िैं ?
उत्तर: लक्ष्मीबाई नगर से द्वारका तक के रास्ते में लेखक ने रे ड लाइटोिं, चौरािे , पुल के पास निंगे-अधनिंगे स्त्री-
पुरुष, बच्चोिं को कािंपते-हििु रते हुए दे खते िैं ।
4. चन्द्रप्रकाश की पत्नी का नाम क्या िै ?
उत्तर: चन्द्र प्रकाश की पत्नी का नाम पूनम है।
5. चन्द्रप्रकाश के अनुसार प्रत्येक व्यन्तक्त कैसे जीना चािता िै ?
उत्तर: चन्द्रप्रकाश के अनुसार प्रत्येक व्यखि सम्मान के साथ चाहता जीना चाहता है ।
6. भीख मािंगना हकसी भी व्यन्तक्त के हलए क्या िै ?
उत्तर: भीख मािंगना सकसी भी व्यखि के सलए अपमानजनक होता है।
7. दरवाजा लॉक करते समय चिंद्रप्रकाश ने हकसका जोडा दे खा?
उत्तर: दरवाजा लॉक करते समय चिंद्रप्रकाश ने कबूतरोिं का जोड़ा दे खा।
8. चन्द्रप्रकाश की ओर बच्चे हकस नजर से दे ख रिे थे ?
उत्तर: चन्द्र प्रकाश की ओर बच्चे आशा और उत्सुकता की नजर से दे ख रहे थे।
9. चन्द्रप्रकाश ने बच्चोिं को हकतने रुपये दे ने चािे ?
उत्तर: चन्द्रप्रकाश ने बच्चोिं को ₹100 दे ने चासहए।
10. शीतलिर किानी के किानीकार कौन िै ?
उत्तर: शीतलहर कहानी के कहानीकार जयप्रकाश कदा म है ?

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. चन्द्रप्रकाश सोसाइटी के फ्लैट में क्योिं निी िं रिते थे?
उत्तर: चन्द्रप्रकाश का फ्लैट द्वारका टाउन सशप के एक ग्रुप हाउससिंग सोसायटी में था जो सक सदल्ली शहर से काफी
दू र था यह बहुत कम लोग रहते थे अमरा चन्द्रप्रकाश के पास लक्ष्मीबाई नगर में चार कमरोिं वाला सरकारी आवास था
जो सदल्ली के बीचोबीच था तथा सभी सुसवधाएिं भी उपलब्ध थीिं इससलए वह अपने फ्लैट में अभी जाना नहीिं चाहता था
पूरा सेवा सनवृत होने तक हुआ लक्ष्मीबाई नगर के सरकारी आवास में ही रहना चाहता था

2. हदल्ली में शीतलिर के प्रकोप का वणान कीहजए।


उत्तर: जनवरी के आसपास सदल्ली में शीतलहर का प्रकोप पढ़ाया जाता ही रहता है सदल्ली में करा दें की ठिं ि थी शरीर
के भीतर से पार हो जाने वाली तेज हवा चल रही थी। कई सदन से सूरज नहीिं सनकल रहा था। सदन में तापमान 15 सिग्री
सेखियस से ऊपर नहीिं जा रहा था। के पारा चार सिग्री सेखियस तक नीचे जा रहा था पुन्नाराम कई साल के बाद
सदल्ली में इतनी तेज ठिं ि पड़ रही थी उमरा समूचा उिरी भारत शीतलहर की चपेट में था। सदल्ली में दजतनोिं लोगोिं की
मौत हो चुकी थी पूरा जगह जगह अल्लाह चलाने की व्यवस्था की गई गरीब लोगोिं को किंबल बािंटे गए और स्कूलोिं को
छु ट्टी कर दी गई थी

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3. क्या हजिंदगी िै इन लोगोिं की....! चन्द्रप्रकाश के इस उदार पर हटप्पणी कीहजए।
उत्तर: जब चिंद्र प्रकाश की पत्नी सरकारी रै न बसेरोिं को दे खकर उनके प्रसत अपनी सहानुभूसत व्यि करती है तब चन्द्र
प्रकाश कहते हैं रै न बसेरोिं में वे रात गुजार सकते हैं जो सुसवधा शुल्क दे सकते हैं गरीब लोगोिं के सलए नहीिं है ये रै न
बसेरे इनके पास न खाने के सलए है न पहनने के सलए गुिंिा कुछ रुका और सफर धीरे से बुदबुदाया क्या सजिंदगी है इन
लोगोिं की।

4. चन्द्रप्रकाश अपने फ्लैट में बेघर लोगोिं को क्योिं निी िं रख पाया?


उत्तर: बेघर लोगोिं को ठिं ि में दे खकर चिंद्र प्रकाश को दया आ गई और वह उन लोगोिं को अपने खाली फ्लैट में रहने
दे ना चाहता था फ़ोन पूरा परिं तु उसकी पत्नी ने कहा एक बार फ्लैट में आने के बाद तुम इनको बाहर नहीिं सनकाल
पाओगे उन ग्राम अनजान आदमी का क्या भरोसा है सक वह कैसा सनकल जाए उन ग्राम यसद सनकल भी जाए तो फ्लैट
का सत्यानाश कर दें गे सोसाइटी के सदस्योिं ने भी सवरोध सकया कुिंिा इससलए चन्द्रप्रकाश चाहते हुए भी उन लोगोिं को
अपना फ्लाइट में नहीिं रख पाया

5. चन्द्रप्रकाश का चररत्र हचत्रण कीहजए।


उत्तर: चन्द्रप्रकाश सदल्ली में सनवास करने वाला केंद्र सरकार का असधकारी था। धान सरकारी आवास समला हुआ था।
अपना एक फ्लैट भी खरीदा था परिं तु दू र होने तथा सुसवधा सवहीन होने के कारण वहााँ नहीिं गया चन्द्र प्रकाश की पत्नी
पूनम को बहुत चाहता था पूरा बेघर लोगोिं को रहने के सलए अपना फ्लैट दे ना चाहता था परिं तु पत्नी के समझाने और
बुझाने पर सोसायटी के सदस्योिं के सवरुि के कारण नहीिं दे पाया पूरा वे शो भाव से दयालु थे परिं तु उनकी कुछ मजबूरी
थी हम्म

6. चन्द्रप्रकाश को अपनी हववशता पर क्योिं हुआ?


उत्तर: सदी में बेघर लोगोिं को सठठु रते दे ख चिंद्रप्रकाश का हृदय सपघल गया कुिंभ राम व अपना खाली फ्लैट उन्ें रहने
के सलए दे ना चाहता था परिं तु उनकी पत्नी के समझाने के बाद और सोसायटी के सदस्योिं का सवरोध होने के कारण
इच्छा होते हुए भी चन्द्रप्रकाश उन गरीब लोगोिं की मदद नहीिं कर पाया हुआ सचिंता जताता है सक इतनी भयिंकर सदी
का मुकाबला कैसे करें गे। उसने बच्चोिं को ₹100 दे ने चाहे और कोट की जेब में हाथ िाला लेसकन सफर भी यह सोच
कर रुक गया सक ₹100 दे ने से भी इनका क्या भला होगा रुपया इनको सदी से नहीिं बचा सकते। की ररन की मदद
कैसे करू ाँ उसे अपनी इस व्यवस्था पर छोड़ हुआ पूरा उसने सोसायटी के पदासधकाररयोिं पर उतारा यसद सोसाइटी
वाले अलाऊ कर दे तो इसमें क्या हजत है ।

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5. हसहलया
लेन्तखका- डॉ. सुशीला टाकभौरे

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. नानी शैलजा को हकस नाम से पुकारती थी?
उत्तर: नानी शैलजा को हसहलया नाम से पुकारती थी।
2. सन् 1970 में हसहलया कौन-सी किा में पढ़ रिी थी?
उत्तर: सन् 1970 में सससलया ग्यारिवी िं किा में पढ़ रही थी।
3. हकनकी बातोिं को सुनकर हसहलया के मन में आत्महवश्वास जाग उिा?
उत्तर: मााँ की बातोिं को सुनकर सससलया के मन में आत्मसवश्वास जाग उठा।
4. मालती ने हकस मोिल्ले के कुएिं से पानी हनकालकर हपया था?
उत्तर: मालती ने गाडरी मोहल्ले के कुएिं से पानी सनकालकर सपया था।
5. हसहलया हकस दौड़ में प्रथम आई थी?
उत्तर: सससलया लम्बी दौड़ और कुसी दौड में प्रथम आई थी।
6. िेमलता िाकुर हसहलया के साथ हकस किा में पढ़ती थी?
उत्तर: हेमलता ठाकुर सससलया के साथ पााँचवी िं किा में पढ़ती थी।
7. जिााँ चाि िोती िै , विााँ क्या बनने लगती िै ?
उत्तर: जहााँ चाह होती है , विााँ अपने-आप राि बनने लगती िै ।
8. प्रहतहष्ठत साहित्य सिंस्था ने हकस को सम्माहनत हकया?
उत्तर: प्रसतसित सासहत्य सिंस्था ने दहलत कन्या,समाजसेवी,कवहयत्री और हसहलया को सम्मासनत सकया।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. हििंदी अखबार ‘नई दु हनया ‘में छपे हवज्ञापन के बारे में हलन्तखए।
त्तर: सन 1970 की स्तर की बात है । सससलया ग्यारहवीिं किा में पढ़ रही थी। लोग उसकी शादी के सवषय में चचात करने
लगे थे। उसी साल सहिंदी अखबार ‘नई दु सनया’ में एक सवज्ञापन छपा। शूद्रवणत की वधू चासहए। मध्यप्रदे श की राजधानी
भोपाल के जाने-माने युवा नेता सेठजी एक अछूत कन्या के साथ सववाह करके, समाज के सामने एक आदशत रखना
चाहते थे। उनकी केवल एक ही शतत थी सक लड़की कम- से- कम मैसटर क पास होना चासहए।

2. हसहलया की मााँ ने गािंव वालोिं की सलाि को क्योिं निी िं माना?


उत्तर: गााँव के बहुत से पढ़े -सलखे लोगोिं ने बड़ा िाह्नणोिं ने सससलया की मााँ को सलाह सदया की सससलया की मााँ तुम्हारी
बेटी मैसटर क पढ़ रही है । बहुत होसशयार है । समझदार भी हैं । तुम उसका फोटो, नाम, पता, सलखकर भेज दो। तुम्हारी
बेटी के भाग्य खुल जाएिं गे, राज करे गी। सेठ जी बहुत बड़े आदमी हैं । तुम्हारी बेटी की सकस्मत अच्छी है। तब सससलया
सक मााँ कहती हैं सक हााँ भैया जी, हााँ दादा जी सोच सवचार करें गे। मााँ घरवालोिं को मौजूदा में समझाकर कहती है नहीिं
भैया ये सब बड़े लोगोिं चोिंचले होते हैं। आज शादी कर लेंगे कल छोड़ दें गे, तो मैं क्या करू ाँ गी? अपनी इज्जत अपने
समाज में रहकर भी हो सकती है । हमारी बेटी न इधर की न उधर की रह रहेगी। उसे हमसे भी दू र कर दी जाएगी।

3. हसहलया के स्वभाव का पररचय दीहजए।


उत्तर: सससलया-सािंवली सलोनी मासूम भोली लड़की थी। वह गिंभीर स्वभाव वाली लड़की थी। सससलया की सहेसलयािं
उसे छे िती और हाँस्ती है । सससलया मगर इन बातोिं पर कोई ध्यान नहीिं दे ती थी। सससलया गिंभीर और सीधे स्वभाव की
आज्ञाकारी लड़की थी। अपने जासत पर होने वाले भेद-भाव पर क्रोध था। वह भेदभाव को जि से सनकालकर फेंकना
चाहती है । वह अपनी मााँ से हमेशा कहती थी सक मैं शादी नहीिं करूाँ गी। खुद पढू िं गी और अच्छा नाम कमाऊिंगी। मैं
सकसी के सामने ससर झुकाना नहीिं चाहती हाँ।

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4. िेमलता की मौसी ने सीहलया के साथ कैसा बतााव हकया?
उत्तर: हेमलता ठाकुर सससलया के साथ ही पााँचवीिं किा में पढ़ती थी। एक सदन सससलया हे मलता ने सससलया को लेकर
अपनी बहन के घर आई थी। सससलया के हाथ में पानी का सगलास दे खकर मौसी ने पूछा- तुम कौन हो? सकसकी बेटी
हो? हे मलता ने कहा- मौसी जी मेरी सहेली है । हमारे साथ ही आई है । इसके मामा-मामी इधर कहते हैं । उनका पता
मालूम नहीिं है । मौसी ने सससलया की जाती पूछी। हेमलता ने धीरे से बता सदया। जासत का नाम सुनकर मौसीजी चौिंक
गयी। भैया ने पूछा गाड़ी मोहल्ला के पास रहते हैं । तब मौसी जी ने प्रेम से कहा-कोई बात नहीिं बेटी! मैं साइसकल पर
सबठा के वहााँ छोड़ आएाँ गे। ऐसा कहते हुए मौसीजी पानी ग्लास उसके हाथ से लेकर अिंदर चली गई।

5. हसहलया ने मन िी मन क्या दृढ़ सिंकल्प हकया?


उत्तर: सससलया ने सिंकल्प सकया सक दृढ़ सिंकल्प सकया। बहुत आगे तक पढू ाँ गी और बढ़ती रहाँ गी। सजन्ोिंने उन्ें समाज
में अछूत बना सदया है। वह सवद्या, बुखि और सववेक से दृढ को ऊाँचा सासबत करके रहें गी। मैं सकसी के सामने नहीिं
झुकूाँगी। एक सदन अपनी मााँ और नानी के सामने उसने दृद सनश्चय के साथ कहा- मैं शादी नहीिं करू ाँ गी। मुझे बहुत
आगे तक पढ़ना है ।

6. हसहलया ने अपने सिंकल्प को हकस प्रकार सरकार हकया?


उत्तर: सससलया ने सोचा वहााँ एक सचिंगाड़ी है , जो मशाल बनकर अपने समाज की प्रगसत के मागत को प्रकासशत करे गी।
वह जीवन भर कोसशश करे गी सक समाज इन सब बातोिं को समझने और सही रूप में समाज का हकदार बने । जहााँ
चाह होती है । वहााँ राह खुद बनने लगती है । सससलया ने अपनी मिंसजल को जान सलया। वह दे श के कोने-कोने में जाकर
सामासजक जागृत का कायत करने लगी। लगभग 20 वषत के बाद दे श की राजधानी प्रख्यात सभागृह में एक प्रसतसित
सासहत्य सिंस्था द्वारा एक मसहला को सम्मासनत सकया जा रहा है । उन दसलत मुखि आिं दोलन के कायतकतात सवदे शी समाज
से भी कवसयत्री प्रससि लेखखका को मिंत्री महोदय ने सम्मान पत्र स्मृसत सचन् दे कर सम्मासनत सकया। वह मसहला कोई
और नहीिं थी, वह सससलया थी।

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6. दोपिर का भोजन (Mid-Day Meal)
लेखक-अमरकािंत

I एक शब्द या वाक्यािंश या वाक्य में उत्तर हलन्तखए:


1. रामचन्द्र हकतने वषा का था?
उत्तर: रामचन्द्र 21 वषा का था।
2. प्रुफरीडरी का काम कौन सीख रिा था?
उत्तर: प्रुफरीिरी का काम रामचन्द्र सीख रहा था।
3. हसद्धे श्वरी के मझले लड़के का नाम हलन्तखए।
उत्तर: ससिे श्वरी के मझले लड़के का नाम मोिन था।
4. हसद्धे श्वरी के छोटे लड़के की उम्र हकतने वषा का था?
उत्तर: ससिे श्वरी के छोटे लड़के की उम्र 6 वषा का था।
5. मुिंशी चिंहद्रका प्रसाद हकतने साल के लगते थे ?
उत्तर: मुिंशी चिंसद्रका प्रसाद 50-55 साल के लगते थे।
6. हकसकी शादी तय िो गई थी?
उत्तर: गिंगाशरण बाबू की बेटी की शादी तय हो गई थी।
7. मुिंशी जी की तबीयत हकस से ऊब गई थी?
उत्तर: मुिंशी जी की तबीयत अन्न और नमकीन से ऊब गई थी।
8. मुिंशी जी की छिं टनी हकस हवभाग से िो गई थी?
उत्तर: मुिंशी जी की छिं टनी मकान-हकराया हनयिंत्रण हवभाग की िका से से हो गई थी।
9. रामचन्द्र की पढ़ाई किााँ तक हुई थी?
उत्तर: रामचन्द्र की पढ़ाई इिं टर तक हुई थी।
10. दोपिर का भोजन किानी के किानीकार कौन िै ?
उत्तर: दोपहर का भोजन कहानी के कहानीकार अमरकािंत है ।

II हनम्नहलन्तखत प्रश्नोिं के उत्तर हलन्तखए:


1. हसद्धे श्वरी के पररवार का सिंहिप्त पररचय दीहजए।
उत्तर: ससिे श्वरी का पररवार सनधतन था। उनके तीन बेटे थे। बड़ा बेटा रामचन्द्र 21 साल का था। पतला गोरे रिं ग का
लड़का था। सजसकी बड़ी-बड़ी आिं खें थी। वह सकसी अखबार में काम करता था। वह स्वभाव से गिंभीर था। मझला
लड़का मोहन 18 वषत का था। वह हाई स्कूल का प्राइवेट इम्तहान दे ने की तैयारी कर रहा था। पढ़ाई में उसकी रुसच
नहीिं थी। छोटा लड़का प्रमोद छह वषत का था, जो बहुत कमजोर और बीमार रहता था। ससिे श्वरी का पसत मुिंशी चिंसद्रका
प्रसाद 45 साल के थे। पाररवाररक समस्याओिं के कारण वे 50 से 55 साल के लगते थे। िे ढ़ महीने पूवत मकान सकराया
सनयिंत्रण सवभाग की क्लकत से उनकी छिं टनी हो गई थी।

2. बीमार प्रमोद की िालत कैसी थी?


उत्तर: रामचन्द्र का छोटा बेटा प्रमोद बीमार पड़ा है । उम्र छह वषत का है। आज टू टे खटोले पर निंगे पड़ा हुआ। वह
इतना छीन हो गया है सक उसके शरीर की हसियााँ स्पष्ट् सदखाई दे ने लगा है । उसके हाथ सूखे बेजान हो गए हैं। मुाँह
पर मखक्खयािं सभनसभना रही थी। मााँ ससिे श्वरी ने उसके चेहरे पर एक फटा गिंदा ब्लाउज का टु किा िाल सदया था। इस
प्रकार प्रमोद की हालत हो गई थी।

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3. रामचन्द्र का पररचय दीहजए।
उत्तर: रामचन्द्र की पत्नी का नाम ससिे श्वरी था। उसके तीन लड़के थे। बड़ा लड़का का नाम मोहन था। उसकी उम्र
करीब 21 वषत का है । पतला गोरे रिं ग का लड़का था। सजसकी बड़ी-बड़ी आिं खें थी। वह सकसी अखबार में काम करता
था। वह स्वभाव से गिंभीर था। मझला लड़का मोहन 18 वषत का था। वह हाई स्कूल का प्राइवेट इम्तहान दे ने की तैयारी
कर रहा था। पढ़ाई में उसकी रुसच नहीिं थी। छोटा लड़का प्रमोद छह वषत का था, जो बहुत कमजोर और बीमार रहता
था। ससिे श्वरी का पसत मुिंशी चिंसद्रका प्रसाद 45 साल के थे। पाररवाररक समस्याओिं के कारण वे 50-55 साल के लगते
थे।

4. माँझले लड़के मोिन के रूप- रिं ग और स्वभाव के बारे में हलन्तखए।


उत्तर: मझला लड़का मोहन 18 वषत का था। वह हाई स्कूल का प्राइवेट इम्तहान दे ने की तैयारी कर रहा था। पढ़ाई में
उसकी रुसच नहीिं थी। मोहन कब से घर से गायब था और ससिे श्वरी को स्वयिं पता नहीिं था सक वह कहााँ गया है । वह
कुछ सािंवला था और उसकी आिं खें छोटी थी। उसके चेहरे पर चेचक के दाग थे ।

5. हसद्धे श्वरी की आाँ खोिं से आिं सू क्योिं टपकने लगे?


उत्तर: ससिे श्वरी के घर की आसथतक खस्थसत ठीक नहीिं थी। ससिे श्वरी सात रोसटयािं बनाई थी। ससिे श्वरी बड़े बेटे को पसत
को मझले बेटे को दो-दो रोसटयािं परोस दी। एक रोटी बची थी। वह पसत की झूठी थाली में बची चने की तरकारी के
साथ बनी जली रोटी रखने जा रही थी सक उसका ध्यान छोटे बेटे प्रमोद की ओर गया। एक रोटी के दो टु कड़े सकए
और एक अलग से रख सदया। सफर खाने बैठ गई। उसके बाद छोटे बेटे प्रमोद। वह आधी रोटी प्रमोद के सलए रख
सदया। उसे घर की याद आई और घर खस्थसत से वह दु खी हुई और उसकी आिं खोिं से आिं सू टपकने लगे ।

6. मुिंशी चिंहद्रका प्रसाद की लाचारी का वणान कीहजए।


उत्तर: मुिंशी चिंसद्रका प्रसाद की िे ढ़ महीने पूवत मकान सकराया सनयिंत्रण सवभाग की क्लकत से छिं टनी हो गई थी। उन्ें
दू सरी कहीिं भी नौकरी नहीिं समली थी। घर में लड़का बीमार पड़ा था। लड़के को कही अच्छी नौकरी नहीिं समली थी ।
एक बेटा हाई स्कूल परीिा के सलए बैठा है । घर में दो वि का भी भोजन नहीिं समल पा रहा है। पत्नी गिंदी सारी पहनती
है। घर मखक्खयोिं से सभन्न-सभन्नाता रहता था। खाने-पीने के सलए हमेशा तरसता रहता था। इस तरह मुिंशी चिंसद्रका प्रसाद
के घर में लाचारी और बेबसी था।

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