You are on page 1of 4

THE BISHOP’S CO-ED SCHOOL, KALYANI NAGAR - PUNE

CLASS - 10
SUBJECT- HINDI
साहित्य सागर – पाठ 5 – बड़े घर की ब़ेटी

प्रश्न-उत्तर
(I) “श्रीकंठ ससंि की दशा बबलकुल विपरीत थी।“

1) श्रीकंठ ससंि की शारीररक बनािट ककसक़े विपरीत थी और कैस़े?


- श्रीकंठ स हं की शारीररक बनावट उनके अपने छोटे भाई लालबबहारी े बबलकुल ववपरीत
थी। जहााँ लालबबहारी दोहरे बदन का जीला जवान था, उ का चेहरा भरा हुआ और छाती
चौडी थी। ुबह उठते ही वह दो-दो ेर दध
ू पीने की क्षमता रखता था। उ के ववपरीत
श्रीकंठ ने अपना परू ा ध्यान पढाई पर केंद्रित ककया था, अतः खाने-पीने और ोने की
लापरवाही े उनके माँह
ु पर कांतत का अभाव और शरीर दब
ु ल
ब था।
2) सम्मिसलत कुटुंब क़े संबंध िें श्रीकंठ क़े क्या विचार थ़े?
- श्रीकंठ म्ममसलत कुटुंब के उपा क थे। वे समल-जुलकर पररवार में रहने की भावना को
बल दे ते थे और म्जन म्रियों के मन में पररवार े दरू अलग े गह
ृ रथी ब ाने की
भावना जन्म लेती थी उन्हें वे जातत और दे श दोनों के सलए हातनकारक मझते थे। यही
कारण था कक गााँव की ललनाएाँ उनकी तनंदक थी। कोई-कोई तो उन्हें अपना शिु मझने
में भी ंकोच न करती थीं।
3) सम्मिसलत कुटुंबक़े संबंध िें श्रीकंठ ससंि और उनकी पत्नी क़े विचारों का अंतर स्पष्ट
कीम्िए।
- जहााँ एक ओर श्रीकंठ म्ममसलत पररवार के उपा क थे और अलग घर ब ाने को जातत
और दे श के सलए हातनकारक मानते थे, वहीं द ू री ओर उनकी पत्नी आनंदी का मानना
था कक बहुत कुछ हने पर भी यद्रद पररवार में ववचार न समलते हों और ाथ में गुजारा
न होता हो तो आए द्रदन के कलह े जीवन को नष्ट करने की अपेक्षा अच्छा है कक
अपनी खखचडी अलग पकाई जाए।
4) श्रीकंठ ससंि की पत्नी का संबंध ककस कुल स़े था, स्पष्ट कीम्िए।
- श्रीकंठ स हं की पत्नी का ंबंध बहुत ही उच्च घराने े था, जहााँ उ के वपता एक छोटी-
ी ररया त के ताल्लुकेदार थे। मान-प्रततष्ठा, ववशाल भवन, एक हाथी, तीन कुत्ते, भी
ुख- ाधन, ऑनरे री मम्जररे टी और ऋण जो एक प्रततम्ष्ठत ताल्लुकेदार के योग्य पदाथब
है, भी वहााँ ववद्यमान थे।
(II) ‘िि एक सीधा-सादा द़े िाती गि
ृ स्थ का िकान था, ककं तु आनंदी ऩे थोड़े िी हदनों
िें अपऩे आपको इस नई पररम्स्थतत क़े ऐसा अनुकूल बना सलया, िानो विलास
क़े सािान कभी द़े ख़े िी न थ़े।‘
(क) ‘सीधा-सादा गि
ृ स्थ’ – स़े ककसकी ओर संक़ेत ककया गया िै ? उसका पररचय दीम्िए।
- ‘ ीधा- ादा गह
ृ रथ’ े गौरीपुर गााँव के जमीनदार और नंबरदार बेनीमाधव स हं की ओर
ंकेत ककया गया है। यहााँ उनके घर की चचाब हो रही है। उनके वपतामह कक ी मय बडे
धन-धान्य े ंपन्न थे। गााँव का पक्का तालाब और मंदीर उन्हीं के द्वारा बनवाया गया
था। आज उनकी आर्थबक म्रथतत वै ी नहीं रही है। उनका रहन- हन बहुत ही ाधारण
है। बेनीमाधव स हं अपनी आधी े अर्धक ंपवत्त वकीलों को भें ट कर चक
ु े है और उनकी
वतबमान आय एक हजार वावषबक े अर्धक न थी।
(ख) आनंदी क़े वपता उसक़े वििाि को ल़ेकर ककस प्रकार क़े धिम संकट िें थ़े?
- आनंदी के वपता एक ररया त के ताल्लुकेदार थे। घर में जावट और ुख के भी
ाधन उपलब्ध थे परं तु इ मान- ममान के रहते उन पर भारी ऋण भी था। आनंदी
उनकी चौथी लडकी थी। बहनों में अर्धक ुंदर तथा गुणवती होने के कारण वह अपने
वपता को अत्यर्धक वप्रय थी। वे उ का वववाह कक ी ऊाँचे घराने में कराना चाहते थे परं तु
वववाह के सलए ऋण नहीं लेना चाहते थे क्योंकक इ े आनंदी को बहुत ठे पहुाँचती।
(ग) आनंदी क़े िैक़े और ससुराल क़े िातािरण िें क्या अंतर था?
- प्ररतुत प्रश्न का उत्तर छाि रव-वववेक े सलखेंगे।
(घ) आनंदी और लालबबिारी की तकरार ककस बात पर शुरू िुई?
- आनंदी एक द्रदन दोपहर का भोजन बनाकर बैठी ही थी कक लालबबहारी स हं दो र्चडडयाँ
लेकर आया और आनंदी को पकाने के सलए कहा। आनंदी ने दे खा कक हााँडी में पाव भर
भी घी नहीं था। उ ने ब घी मां में डाल द्रदया। लालबबहारी खाने बैठा तो दाल में घी
न था तो उ ने पूछा कक दाल में घी क्यों नहीं है ? और इ पर वह उ के मायके को
बुरा-भला कहने लगा। आनंदी े न रहा गया। उ ने भी ुना द्रदया कक इतना घी तो वहााँ
नाई-कहार खा जाते हैं और कक ी को जान भी नहीं पडता। इ बात पर लालबबहारी जल
गया और उ ने गुर े में आनंदी पर खडाऊाँ फेंक कर मारी। आनंदी ने हाथ े खडाऊाँ
रोकी इ सलए उ का स र बच गया परं तु ऊाँगली में काफी चोट आई। इ प्रकार दोनों की
तकरार शुरू हुई।
(III) “भाभी, भैया ऩे तनश्चय ककया िै कक ि़े ि़ेऱे साथ इस घर िें न रिें ग।़े अब ि़े ि़ेरा
िुुँि भी द़े खना निीं चाित़े, इससलए िैं िाता िूुँ। उन्िें किर िुुँि न हदखाऊुँगा।
िझ ु स़े िो अपराध िुआ, उस़े क्षिा करना।”
(क) भाभी और भैया का पररचय दीम्िए। भैया ऩे क्या तनश्चय ककया था और क्यों?
- भाभी अथाबत आनंदी एक बडे खानदान की ुशील, भ्य, गण
ु ी, रवासभमानी और पतत
परायण नारी है। धनी पररवार े आकर मध्यम वगीय रु ाल में भी अपने को ढाल
लेती है। वह अपनी झ
ू -बझ
ू े टूटते हुए पररवार को एक कर लेती है ।
भैया अथाबत श्रीकंठ स हं पढा-सलखा, भारतीयता, म्ममसलत कुटुंब का मथबन करने
वाला, ाह ी, अपने छोटे भाई े प्यार करने वाला तथा अपने कत्तबव्य का पालन करने
वाला यव
ु क है । अपनी पत्नी के अपमान को वह हन नहीं कर पाता और लालबबहारी े
अलग हो जाने की बात करता है।
भैया अथाबत श्रीकंठ स हं ने यह तनश्चय ककया था कक उनका तनवाबह अब इ घर में
नहीं होगा क्योंकक इ घर में अन्याय और हठ का बोलबाला है। म्ज घर में बडों का
कोई आदर- ममान नहीं होता, म्रियों पर खडाऊाँ और जूतों की बौछार होती है , उ घर
में उनका रहना अ ंभव है। अब वह लालबबहारी के ाथ इ घर में नहीं रह कता।
(ख) आनंदी क़े स्िभाि की चचाम कीम्िए। िि अपऩे पतत पर ककस बात क़े सलए झुँुझला
रिी थी?
- आनंदी रूपवती, गुणवती, ंरकारी, बातों को मझने वाली, धैयश
ब ाली, दयालु, ववशाल
हृदय की रिी थी। आनंदी ने लालबबहारी की सशकायत की थी, लेककन अब मन में पछता
रही थी। वह रवभाव े ही दयालु थी। उ े इ का ततनक भी न ध्यान था कक बात इतनी
बढ जाएगी। इ कारण वह अपने पतत पर इ बात के सलए झाँुझला रही थी क्योंकक
उ के पतत बहुत ही गरम रवभाव अथाबत गुर ेल क्यों हैं।
(ग) आनंदी की अपऩे पतत स़े क्या बातचीत िुई?
- आनंदी ने जब लालबबहारी को दरवाजे पर खडे यह कहते ुना कक अब मैं जाता हूाँ,
मुझ े जो कुछ हुआ, क्षमा करना, तो आनंदी का रहा- हा क्रोध भी पानी हो गया और
वह रोने लगी। वह श्रीकंठ े कहने लगी कक लालबबहारी बाहर खडे बहुत रो रहे हैं और
उन्हें भीतर बुला लो। मेरी जीभ में आग लगे। मैंने कहााँ े झगडा उठाया। तब श्रीकंठ
स हं मना कर दे ते है और कहते है कक मैं नहीं बुलाऊाँगा। तब आनंदी भी श्रीकंठ स हं को
मझाते हुए कहती है कक आप बहुत पछताओगे। लालबबहारी को बहुत ग्लातन हुई है और
ऐ ा न हो कक वह चमुच घर छोडकर चले जाए। इ प्रकार आनंदी की अपने पतत े
बातचीत हुई।
(घ) घटनाक्रि ऩे अंत िें ककस प्रकार िोड सलया?
- आप ी झगडे के कारण लालबबहारी के घर े चले जाने की बात े आनंदी को भी र्चंता
हुई। वह घर में शांतत चाहती थी। उ ने ोचा कक अगर झगडा बढे गा तो लोग तमाशा
दे खेंगे। लालबबहारी को अपने ककये पर पछतावा हो रहा था। आनंदी ने अपने दे वर को
अपनी क म खखलाकर घर े जाने े रोक सलया। आनंदी की बातों े श्रीकंठ का हृदय
भी प ीज गया। दोनों भाई एक-द ू रे के गले समल गए और फूट-फूट कर रोने लगे। दोनों
भाईयों को गले समलते दे ख बेनीमाधव स हं बहुत प्र न्न हुए और बोले – बडे घर की
बेद्रटयााँ कई बार बबगडता हुआ काम बना लेती हैं। गााँव के भी लोगों ने आनंदी की
उदारता को राहा।

**********

You might also like