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निम्िलिखित मह

ु ावरों को अर्थ के सार् जोड़िए:

अ) १) गर्थि उठािा – क) बहुत पररश्रम करिा


२) िूि-पसीिा एक करिा – ि) क्रोध से भर जािा
३) कमर कसिा – ग) ववरोध करिा
४) आग बबूिा होिा – घ) तैयार होिा

आ) १) आसमाि लसर पर उठािा – क) असहिीय र्ुःु ि होिा


२) किेजा फटिा – ि) बहुत प्यारा
३) गिे का हार – ग) बात बबग़ि जािा
४) गु़ि गोबर करिा – घ) बहुत शोर करिा

इ) १) िाक में लमिािा – क) वपछिी बातों को व्यर्थ में यार् करिा


२) ग़िे मुर्े उिा़ििा – ि) धोिा र्े िा
३) टााँग अ़िािा – ग) िष्ट-भ्रष्ट कर र्े िा
४) चकमा र्े िा – घ) व्यर्थ में र्िि र्े िा

ई) १) जी चुरािा – क) निर्ोष पर र्ोष िगािा


२) चााँर् पर र्क
ू िा – ि) इज्जत बढािेवािा
३) घर का उजािा – ग) हारकर भागिा
४) पीठ दर्िािा – घ) मेहित से बचिा

उ) १) पिकें बबछािा – क) जोर की भि


ू िगिा
२) पेट में चह
ू े कूर्िा – ि) डर कर भाग जािा
३) र्ाि ि गििा – ग) प्रतीक्षा करिा
४) र्म
ु र्बाकर भागिा – घ) सफि ि होिा

ऊ) १) िाम कमािा – क) भेर् िि


ु िा
२) माँह
ु फेरिा – ि) सम्माि प्राप्त करिा
३) िौ-र्ो-ग्यारह होिा – ग) उपेक्षा करिा
४) पोि िि
ु िा – घ) भाग जािा
अनतररक्त प्रश्िुः

अ) १) अंक भरिा – क) र्काि की पी़िा होिा।


२) अंधे की िाठी – ि) एकमात्र सहारा।
३) अंग अंग टूटिा – ग) प्रसन्िता से रोम-रोम खिििा।
४) अंग अंग मुसकािा – घ) गोर् में भर िेिा।

आ) १) अंग मो़ििा – क) मौके पर धोिा र्े िा।


२) अाँगूठा दर्िािा – ि) िज्जा से र्े ह लसको़ििा।
३) अाँगूठा चूमिा – ग) परवाह ि करिा।
४) अाँगूठे पर मारिा – घ) िुशामर् करिा।

इ) १) आाँिे अटकिा – क) बोध होिा।


२) आाँि आिा – ि) ध्याि ि र्ेिा।
३) आाँि उठाकर ि र्े ििा – ग) आाँि में रोग होिा।
४) आाँि िुििा – घ) प्रेम होिा।

ई) १) आाँि ग़ििा – क) रोिा।


२) आाँिे चुरािा – ि) क्रोध करिा।
३) आाँिे डबडबािा – ग) िािच होिा।
४) आाँि दर्िािा िािा – घ) िज्ज्जत होिा।

उ) १) आाँि मारिा – क) पसन्र् आिा।


२) आाँि सेंकिा – ि) बाट जोहिा।
३) आाँिें बबछािा – ग) र्शथि-सि
ु िट
ू िा।
४) आाँि में चढिा – घ) इशारा करिा।

ऊ) १) आाँिों का कााँटा होिा – क) मि


ू थ बिािा।
२) उल्िू बिािा – ि) अत्यंत वप्रय।
३) आसमाि के तारे तो़ििा – ग) शत्रु होिा।
४) आाँिों का तारा – घ) असंभव कायथ करिा।
ए) १) आाँि की पुतिी होिा – क) र्ब
ु थिता के कारण मूछाथ आिा।
२) आाँिों के आगे अाँधेरा छािा – ि) प्यारा होिा।
३) आाँिें िीिी-पीिी करिा। – ग) िज्जा ि होिा।
४) आाँि में पािी ि होिा – घ) िाराज होिा।

ऐ) १) आाँिों पर चबी छािा – क) धोिा र्ेिा।


२) आाँिों पर पर्ाथ प़ििा – ि) अच्छा ि िगिा।
३) आाँि में ग़ििा – ग) अज्ञाि के अन्धकार से रहिा।
४) आाँि में धूि झोंकिा – घ) घमण्ड से उपेक्षा करिा।

ओ) १) आाँि से ओझि होिा – क) िेत्र ज्योनत समाप्त होिा।


२) आाँिों में रात काटिा – ि) कृपादृज्ष्ट ि रििा।
३) आाँि बर्ि जािा – ग) चचन्ता या व्यग्रता में रात बबतािा।
४) आाँिें बैठिा – घ) िज़र से र्रू होिा।

औ) १) आाँिें चार होिा – क) सम भाव से र्े ििा।


२) एक आाँि से र्े ििा – ि) र्े िार्े िी होिा।
३) उाँ गिी उठािा – ग) अपिे काबू में कर िेिा।
४) उाँ गिी पर िचािा – घ) बर्िाम करिा।

क) १) उाँ गिी रििा – क) र्ो़िा पाकर अचधक पािे की इच्छा करिा।


२) उाँ गिी पक़िकर पहुंचा पक़ििा – ि) र्ोष दर्िािा।
३) पााँचों उाँ गलियााँ घी में होिा – ग) दृढ निश्चय करिा।
४) कमर कसिा – घ) मौज-मस्ती में रहिा।

ि) १) कमर सीधी करिा – क) निरूत्साह होिा।


२) कमर टूटिा – ि) ववश्राम करिा।
३) किेजा काढिा – ग) ईष्याथ होिा।
४) किेजा फटिा – घ) वप्रय वस्तु का निकि जािा

ग) १) किेजा ठं डा होिा – क) हृर्य पर गहरा आधात पहुाँचिा।


२) किेजा टूक-टूक होिा – ि) डाह पूरा होिे पर संतोष होिा।
३) किेजा र्ामकर रह जािा – ग) हृर्य की बात कहिा।
४) किेजा निकािकर रि र्े िा – घ) मि मसोसकर रह जािा।

घ) १) किेजा माँह
ु को आिा – क) पण
ू थ ववश्वास दर्िािा।
२) किेजे पर सााँप िोटिा – ि) दर्ि मजबत
ू करिा।
३) किेजे पर पत्र्र रििा – ग) ककसी की उन्िनत र्े िकर जिि होिा।
४) किेजा चीरकर दर्िािा – घ) बहुत अफसोस होिा।

च) १) काि का पर्ाथ फटिा – क) ध्याि र्े िा।


२) काि र्ेिा – ि) चग
ु िी करिा।
३) काि ि़िे होिा – ग) बहुत हल्िा होिा।
४) काि भरिा – घ) सावधाि होिा।

१) काि में तेि डािकर बैठिा – क) बहुत हल्िा होिा।


२) काि का पर्ाथ फटिा – ि) िापरवाह होिा।
३) िूि िौििा – ग) भय से पीिा प़ि जािा।
४) िूि सूििा – घ) गुस्से से भर जािा।

ज) १) िि
ू की िर्ी बहािा – क) भयभीत होिा।
२) िूि ठं डा होिा – ि) बहुत मार-काट करिा।
३) िूि उतरिा – ग) इच्छा के ववरूद्ध कुछ र्ोप र्ेिा।
४) गिे मंढिा – घ) क्रोध से मुाँह और आाँि िाि होिा।

झ) १) गिे िगािा – क) रूठिा।


२) गिे का हार – ि) डींग हााँकिा।
३) गाि फुिािा – ग) प्रेम करिा।
४) गाि बजािा – घ) अत्यन्त वप्रय या शोभा बढािेवािा।

ट) १) घुटिे टे किा – क) इच्छा पूरी होिा।


२) छाती जु़िािा – ि) हार माििा।
३) जी जििा – ग) अलभमाि करिा।
४) छाती फुिािा – घ) डाह होिा।

ठ) १) जबाि िोििा – क) वाणी पर नियंत्रण ि होिा।


२) जबाि पर िगाम ि होिा – ि) बोििा, मााँगिा।
३) जबाि बन्र् होिा – ग) कफजि
ू र्िि र्ेिा।
४) टााँग अ़िािा – घ) निरुत्तर होिा।

ड) १) टााँग पसारकर सोिा – क) िुशामर् करिा।


२) तिवा चाटिा – ि) निज्श्चन्त होकर सोिा।
३) तिवों में आग िगिा – ग) कदठि र्ण्ड र्ेिा।
४) र्ााँत उिा़ििा – घ) बहुत क्रोध होिा।

ढ) १) र्ााँत-काटी रोटी होिा – क) प्रनतष्ठा जािा।


२) र्ााँत से र्ााँत बजिा – ि) प्रनतष्ठा िष्ट करिा।
३) िाक कटिा – ग) बहुत लमत्रता होिा।
४) िाक काटिा – घ) बहुत जा़िा प़ििा।

त) १) पिक झपकते – क) कम के बर्िे अचधक र्ेिा।


२) पसीिे-पसीिे होिा – ि) क़िी मेहित की कमाई।
३) पसीिे की कमाई – ग) बबिकुि िज्ज्जत होिा।
४) पसीिे की जगह िूि बहािा – घ) क्षण मात्र में।

र्) १) पााँव (टााँग) अ़िािा – क) पराज्जत होिा।


२) पााँव उि़ि जािा – ि) बाधा र्े िा।
३) पीठ ठोकिा – ग) सहायक होिा।
४) पीठ पर होिा – घ) प्रोत्साहि र्ेिा।

र्) १) पेट का पािी ि पचिा – क) अल्पायु में ही बद्


ु चधमाि ् होिा।
२) पेट में र्ाढी होिा – ि) बात ि पचिा।
३) बााँह गहिा या पक़ििा – ग) सहारा र्े िा।
४) बााँह र्ेिा – घ) अपिािा।
ध) १) मि डोििा – क) उम्मीर् ि करिा।
२) मि चििा – ि) िज्जावश सामिे ि आिा।
३) माँह
ु धोिा – ग) िािच होिा।
४) माँह
ु ि दर्िािा – घ) इच्छा होिा।

ि) १) माँह
ु ि र्े ििा – क) घण
ृ ा प्रकट करिा।
२) माँह
ु बिािा – ि) घण
ृ ा करिा।
३) लसर पर िेििा – ग) धि
ु सवार होिा।
४) लसर पर भूत सवार होिा – घ) ककसी के मत्र्े कुछ कर

प) १) हार् िींचिा – क) आरम्भ करिा।


२) हार् िगािा – ि) सहायता बंर् करिा।
३),हार् िािी होिा – ग) झग़िा होिा।
४) हार्ापाई होिा – घ) पैसा ि होिा।

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