You are on page 1of 173

(3) शौक को पूरा करना आव यक है

(4) समय के सापे आचरण कर


10. ग ांश का उिचत शीषक है-
(1) वत ता
(2) वदेश
(3) समय का सदपु योग
(4) भारत और िव
उ र:
1.(ख) 2.(ग) 3.(क) 4.(घ) 5.(घ)
6.(ख) 7.(घ) 8.(ख) 9.(क) 10.(ग)

3) एकांत ढू ढं ने के कई सकारा मक कारण है। एकांत क चाह िकसी घायल मन क आह भर नह , जो जीवन के काँट से िबंध कर
घायल हो चुका है, एकांत िसफ उसके िलए शरण मा नह । यह उस इंसान क वाइश भर नह , िजसे इस संसार म फक िदया गया हो
और वह फक िदए जाने क ि थित से भयभीत होकर एकांत ढू ढं रहा हो। हम जो एकांत म होते ह, वही वा तव म होते ह। एकांत हमारी
चेतना क अंतव तु को पूरी तरह उघाड़ कर रख देता है।
अं ेजी का एक श द– ‘आइसोलोिफिलया` इसका अथ है अके लेपन, एकांत से गहरा ेम। पर इस श द को गौर से समझ तो इसम
अलगाव क एक परछाई भी िदखती है। एकांत ेमी हमेशा ही अलगाव िक अभेद दीवार के पीछे िछपना चाह रहा हो, यह ज री नह ।
एकांत क अपनी एक िवशेष सुरिभ है और जो भीड़ के अिश पंच म फं स चुका हो, ऐसा मन कभी इसका स दय नह देख सकता।
एकांत और अके लेपन म थोड़ा फक समझना ज री है। एकांत जीवी म कोई दोष या मनोमािल य नह होता। वह िकसी यि या
प रि थित से तंग आकर एकांत क शरण म नह जाता। न ही आततायी िनयित के िवषैले बाण से घायल होकर वह एकांत क खोज
करता है। अं ेजी किव लॉड बायरन ऐसे एकांत क बात करते ह। वे कहते ह िक ऐसा नह िक वे इंसान से कम ेम करते ह, बस कृ ित से
यादा ेम करते ह । बु अपने िश य से कहते ह िक वे जंगल म िवचरण करते हए गडे क स ग क तरह अके ले रह। वे कहते ह-
' येक जीव ज तु के ित िहंसा का याग करते हए िकसी क भी हािन क कामना न करते हए, अके ले चलो-िफरो, वैसे ही जैसे िकसी
गडे का स ग। ह सले 'एकांत के धम' या ‘ रलीजन ऑफ सोली डू ' क बात करते ह। वे कहते ह जो मन िजतना ही अिधक शि शाली
और मौिलक होगा, एकांत के धम क तरफ उसका उतना ही अिधक झुकाव होगा। धम के े म एकांत, अंधिव ास , मत और
धमाधता के शोर से दरू ले जाने वाला होता है। इसके अलावा एकांत धम और िव ान के े म नई अंत ि य को भी ज म देता है। यां
पॉल सा इस बारे म बड़ी ही खूबसूरत बात कहते ह। उनका कहना है- 'ई र एक अनुपि थित है। ई र है इंसान का एकांत। या एकांत
लोग इसिलए पसंद करते ह िक वे िकसी को िम बनाने म असमथ ह? या वे सामािजक होने क अपनी असमथता को िछपाने के िलए
एकांत को मिहमा मंिडत करते ह? वा तव म एकात एक दधु ारी तलवार क तरह है। लोग या कहगे इसका डर भी हम अ सर एकांत म
रहने से रोकता है यह बड़ी अजीब बात है, य िक जब आप वा तव म अपने साथ या अके ले होते ह, तभी इस दिु नया और कु दरत के
साथ अपने गहरे संबधं का अहसास होता है इस संसार को और अिधक गहराई और अिधक समानुभिू त के साथ ेम करके ही हम अपने
दख
ु दायी अके लेपन से बाहर हो सकते ह।
1. उपयु ग ांश िकस िवषय व तु पर आधा रत है।
(क) अके लेपन पर (ख) एकांत पर
(ग) जीवन पर (घ) अ या म पर
2. एकांत हमारे जीवन के िलए य आव यक है?
(क) परे शानी से भागने के िलए (ख) आ याि मक िचंतन के िलए
(ग) वयं को जानने के िलए (घ) अशांत मन को शांत करने के िलए
3. बायरन मनु य से अिधक कृ ित से ेम य करते थे?
(क) कृ ित क सुंदरता के कारण (ख) मनु य से घृणा के कारण
(ग) एकांत ेम के कारण (घ) अके लेपन के कारण
4. दख
ु द अके लेपन से कै से बाहर आया जा सकता है?
(क) संसार से ेम करके (ख) स े दो त बनाकर
(ग) संसार क वा तिवकता को समझ कर (घ) संसार से मु होकर
5. एकांत क खुशबू को कै से महसूस िकया जा सकता है?
(क) संसार से अलग होकर (ख) भीड़ म नह रहकर
(ग) एकांत से ेम करके (घ) अके ले रहकर
6. गडे के स ग क या िवशेषता होती है?
(क) वह िकसी को हािन नह पहंचाता
(ख) वह स ग नह वरन स ग का अपर प होता है ।
(ग) गडे अके ले रहते ह इसिलए स ग भी अके ला रहता है।
(घ) अपनी दिु नया म म त रहना
7. धम के े म एकांत का या योगदान है?
(क) समपण क भावना (ख) पूजा और साधना
(ग) धमाधता से मुि (घ) धम के वा तिवक व प क पहचान
8. नई अंत ि से आप या समझते है?
(क) नई खोज (ख) नया अनुसंधान
(ग) नई संक पना (घ) नया िस ांत
9. ई र एक अनुपि थित है- कै से?
(क) ई र कभी िदखाई नह देते (ख)ई र कभी उपि थत नह होता
(ग) एकांत म ही ई र महसूस होते ह (घ) ई र होते ही नह ह
10. एकांत म रहने का अथ है?
(क) दो त नह बना सकना
(ख) संसार को जानने का अवसर िमलना
(ग) अपने ि य लोग को जानने का अवसर िमलना
(घ) संसार और कृ ित क सुंदरता को देखना
उ र:
1.(ख) 2.(ग) 3.(ग) 4.(क) 5.(ग)
6.(क) 7.(घ) 8.(ग) 9.(ग) 10.(घ)

4) मेरे िवचार से सफलता ा करने के िलए िजन गुण या वृि य का होना आव यक है वे ह– प र म, स ता, ेम व पिव ता। हम
इनम से सव थम वृि अथात काम करने क लगन या प र म को लेते ह। कहा गया है िक काम ही भगवान क भि है इसका अिभ ाय
यह है िक जब हम काम म लीन होत है तो अपने आस–पास क सभी व तुओ ं के बारे म भूल जात ह, तभी काम म हमारी लगन के
कारण हम सफलता ा होती है। यह भी आव यक है िक प र म या काम िन: वाथ भाव से अथात िबना फल क ाि क इ छा से
िकया जाना चािहए। गीता का सव िस ोक “कम येवािधकार ते मा फलेषु कदाचन” इसी स य का ोतक है। हम काम अथक व
िनवाध भाव से इस कार कर, िजस कार स रता या नदी हर मौसम म िबना आराम िकए अपने माग के प थर को काटती हई चली
जाती है। सूय भी फल क इ छा के बगैर हर समय अपना काश फै लाता रहता है। हम भी मन सदैव शांत रखना चािहए। काम को ही
आराम समझते हए अपने ल य क ओर बढ़ते जाना ही सफलता का पहला रह य है। दसू रा साधन है– स ता। जीवन म संघष, बाधाएँ
आती रहती ह, परंतु धैयवान यि हमेशा स रहता है। हम हर समय स , मु कराते हए रहने क आदत डालनी चािहए। भु पर अटू ट
िव ास रखते हए िबना िकसी भय, िचंता या द:ु ख के अपने काम म स तापूवक जुटे रहना तथा अपने मि त क को सदैव शांत रखना ही
स रहने क कुं जी है। स ता को किठनाइय या द:ु ख क बेदी पर बिलदान करना आ मघात के समान है।
1. प र म का या अथ है?
(क) काम करने का तरीका (ख) काम करने क लगन
(ग) काय को िनधा रत करना (घ) काय क योजना बनाना
2. भि क या िवशेषता बताई गई है?
(क) काम म हमारी लगन के कारण हम सफलता ा होती है
(ख) िन: वाथ भाव से काम करना
(ग) मन सदैव शांत रहना
(घ) काम म लीन होना
3. “कम येवािधकार ते मा फलेषु कदाचन” से या ता पय है?
(क) लाभ को यान म रखकर काय करना
(ख) लाभ का यान िकए िबना काय करना
(ग) लाभ लेकर काम क ओर अ सर होना
(घ) उपयु तीन
4. सफलता ा करने के िलए कौन सा/से गुण आव यक है/ह?
(1) प र म
(2) स ता
(3) पिव ता
(4) सभी
5. नदी और सूय को देखकर हम या िश ा िमलती है?
(क) सदैव आगे बढ़ने क (ख) प र म करने क
(ग) िन: वाथ भाव से मेहनत करने क (घ) स रहने क
6. काय करने का सही तरीका या बताया गया है?
(क) मु कराते रहने क आदत डालनी चािहए
(ख) भु पर अटू ट िव ास रखते हए िबना िकसी भय, िचंता या दख
ु के अपना काम करना
(ग) हम हर समय स रहना चािहए
(घ) हम मन को सदा शांत रखना चािहए
7. धैयवान यि क िवशेषता या है?
(क) िनबाध भाव से काय करने क (ख) संघषशील
(ग) स रहना (घ) िचंता या दखु म रहना
8. आ मघात के समान िकसे माना गया है?
(क) मु कराते हए रहने क आदत
(ख) खुिशय को मुसीबत के कारण ख म करना
(ग) लाभ को यान म रखकर काय करना
(घ) काम को ही आराम समझते हए अपने ल य क ओर बढ़ते जाना
9. ‘िन: वाथ’ श द का अथ है-
(क) िन न वाथ (ख) वाथपूण
(ग) िबना वाथ के (घ) िबना काय के
10. उपयु गदयांश का उिचत शीषक या होगा?
(क) जीवन म संघष (ख) फल क इ छा
(ग) सफलता (घ) भगवान क भि
उ र: 1.(ख) 2.(घ) 3.(ख) 4.(घ) 5.(ग)
6.(ख) 7.(ग) 8.(ख) 9.(ग) 10.(ग)

अपिठत प ांश

1) िन निलिखत प ांश को यानपूवक पढ़कर पूछे गए से सही िवक प चुिनए:-


माटी, तुझे णाम !
मेरे पु य देश क माटी, तू िकतनी अिभराम!
तुझे लगा माथे से सारे क हो गए दरू ,
ण भर म ही भूल गया म श - ु यं णा ू र,
सुख- फू ित का इस काया म हआ पुनः संचार
लगता जैसे आज युग के बाद िमला िव ाम
माटी, तुझे णाम!
तुझसे िबछड़ िमला ाण को कभी न पल-भर चैन,
तेरे दशन हेतु रात-िदन तरस रहे थे नैन,
ध य हआ तेरे चरण म आकर यह अि त व–
हई साधना सफल, भ को ा ह गए राम!
माटी तुझे णाम!
अमर मृि के ! लगती तू पारस से बढ़कर आज,
कारा-जड़ जीवन सचेत िफर, तुझ को छू कर आज,
मरणशील हम, िक तु अमर तू, है अम य यह धाम
हम मर-मरकर अमर करगे तेरा उ वल नाम!

(क) किव िकसे णाम कर रहा है ?


(i) मातृभिू म क व तुओ ं को (ii) मातृभिू म क ह रयाली को
(iii) पावन िम ी से बनी मूित को (iv) मातृभिू म क पावन िम ी को
(ख) मातृभूिम को णाम करने के बाद कै सी अनुभूित होती है?
(i) सारे क दरू होने क
(ii) नवीन फू ित क अनुभिू त होने क
(iii) शरीर को आहत करने वाली यं णाओं से िव मृित क
(iv) उपयु सभी क
(ग) माटी से िबछु ड़ने तथा िमलने पर किव को कै सा अनुभव होता है ?
(i) बेचनै ी और साधनाएँ सफल होने का
(ii) सुखद तथा साधनाएँ सफल होने का
(iii) बेचनै ी तथा साधनाएँ असफल होने का
(iv) सुखद तथा साधनाएँ असफल होने का
(घ) ‘अमर मृि के ! लगती तू पारस से बढ़कर आज’- इस पंि म िकस भाव क अिभ यि हई है?
(i) िम ी कभी मरती नह है तथा पारस जैसी है
(ii) िम ी म अमर व है जो उसे पारस से बढकर देते है
(iii) िम ी म लोहे को सोना बनाने का गुण समािहत है
(iv) मातृभिू म क िम ी पारस से बढ़कर है, य िक उसके पश से सभी यातनाएं दरू हो जाती है
(ङ) ‘हम मर-मरकर अमर करगे तेरा उ वल नाम’ म कौन-सा अलंकार है?
(i) अनु ास अलंकार (ii) पुन ि काश अलंकार
(iii) पक अलंकार (iv) यमक अलंकार

7) िन निलिखत प ांश को यानपूवक पढ़कर पूछे गए से सही िवक प चुिनए:-


जला अि थयाँ बार-बारी, िचटकाई िजनम िचंगारी,
जो चढ़ गये पु य वेदी पर, िलए िबना गदन का मोल
कलम, आज उनक जय बोल।
जो अगिणत लघु दीप हमारे , तूफान म एक िकनारे ,
जल - जलकर बुझ गए िकसी िदन, माँगा नह नेह मुहँ खोल
कलम, आज उनक जय बोल।
पीकर िजनक लाल िशखाएँ, उगल रही सौ लपट िदशाएँ,
िजनके िसंहनाद से सहमी, धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनक जय बोल।
अंधा चकाच ध का मारा, या जाने इितहास बेचारा,
साखी ह उनक मिहमा के , सूय च भूगोल खगोल
कलम, आज उनक जय बोल
(1) पु य-वेदी पर चढ़ने वाल ने या नह िकया?
(क) परा म (ख) बिलदान
(ग) दान (घ) याग
(2) कलम ारा जय बुलवाने का या ता पय है?
(क) इितहास िलखना (ख) गीत िलखना
(ग) शंसा करना’ (घ) िव तृत वणन करना
(3) किव के अनुसार धरती के डोलने का या कारण है?
(क) डर (ख) परा म
(ग) वीर क हंकार (घ) ितशोध
(4) इितहास से अनजान रहता है....?
(क) कायर (ख) अंधा
(ग) ऐ य म रहनेवाला (घ) अिशि त
(5) वीर क गवाही िन निलिखत म से कौन नह देता?
(क) सूय (ख) चं मा
(ग) आकाश (घ) खगोल

8) िन निलिखत प ांश को यानपूवक पढ़कर पूछे गए से सही िवक प चुिनए:-


यह हार एक िवराम है, जीवन महासं ाम है
ितलितल िमटूँगा पर दया क भीख म लूँगा नह ।
वरदान माँगँगू ा नह ।
मृित सुखद हर के िलए,अपने ख डहर के िलए
यह जान लो म िव व क स पि चाहँगा नह ।
वरदान माँगँगू ा नह ।
या हार म या जीत म, िकं िचत नह भयभीत म
संघष पथ पर जो िमले यह भी सही वह भी सही।
वरदान माँगँगू ा नह ।
चाहे दय को ताप दो,चाहे मुझे अिभशाप दो
कु छ भी करो क य पथ से िक तु भागूँगा नह ।
वरदान माँगँगू ा नह ।
(1) किव के अनुसार जीवन या है?
(क) िवराम (ख) सं ाम
(ग) भीख (घ) पराजय
(2) दख
ु और शाप िमलने पर भी किव या नह यागना चाहता?
(क) संघष (ख) कत यपरायणता
(ग) संपि (घ) प र म
(3) किवता का दसू रा पद किव क िकस भावना का प रचायक है
(क) याग (ख) परोपकार
(ग) वाथ (घ) ितशोध
(4) किव को िकस अव था म डर नह लगता?
(क) सुख (ख) दःु ख
(ग) जय-पराजय (घ) यश-अपयश
(5) सुखद का िवलोम है?
(क) दख ु ी (ख) दखु ांत
(ग) दखु द (घ) सुखी

8) िन निलिखत प ांश को यानपूवक पढ़कर पूछे गए से सही िवक प चुिनए:-


वातं य गव उनका, जो नर फाक म ाण गंवाते ह,
पर, नह बेच मन का काश रोटी का मोल चुकाते ह।
वातं य गव उनका, िजन पर संकट क घात न चलती है
तूफान म िजनक मशाल कु छ और तेज हो जलती है।
वातं य उमंग क तरंग, नर म गौरव क वाला है,
वातं य ह क ीवा म अनमोल िवजय क माला है।
वातं य भाव नर का अद य, वह जो चाहे कर सकता है,
शासन क कौन िवसात, पाँव िविध क िलिप पर धर सकता है।
रोटी उसक , िजसका अनाज, िजसक जमीन, िजसका म है,
अब कौन उलट सकता वातं य का सु िस , सीधा म है।
आजादी है अिधकार शोषण क धि याँ उड़ाने का
गौरव क भाषा नई सीख, िभखमंग क आवाज़ बदल,
िसमटी बांह को खोल ग ड़, उड़ने का अब अंदाज बदल।
वाधीन मनुज क इ छा के आगे पहाड़ िहल सकते ह,
रोटी या? ये अंबर वाले सारे िसंगार िमल सकते ह।
(1) वतं ता पर गव करने के अिधकारी कौन ह सकते है ?
(क) जो मन का काश बेचते ह (ख) जो चुपचाप बने रहते ह
(ग) जो फाके करके ाण गंवाते ह (घ) जो संकट नह झेल पाते |
(2) का यांश म ‘ ह’ श द का या अथ है ?
(क) आदमी (ख) म तक
(ग) आ मा (घ) गदन
(3) ‘पाँव िविध क िलिप पर धर सकता है’- से या ता पय है-
(क) िविध के िवधान को भी पलट सकता है (ख) ई र के सामने झुक सकता है
(ग) ई र को भी झुका सकता है (घ) मनु य कु छ नह कर सकता है
(4) मनु य क इ छा के सामने या ह सकता है ?
(क) पहाड़ तक िहल सकते ह लोग झुक सकते ह (ख) लोग झुक सकते ह
(ग) कु छ नह कर सकता है (घ) शृंगार िमल सकते ह
(5) ‘सु िस ’ म िकस उपसग का योग हआ है ?
(क) सु+ (ख)
(ग) सु (घ) िस

9) िन निलिखत प ांश को यानपूवक पढ़कर पूछे गए से सही िवक प चुिनए:-


चमक ले पीले रंग म अब डू ब रही होगी धरती,
खेत -खेत फू ली होगी सरस , हँसती होगी धरती,
पंचमी आज, ढलते जाड़ क इस ढलती दोपहरी म,
जंगल म नहा, ओढ़ती पीली सुखा रही होगी धरती।
इसके खेत म िखलती है िसंगरी, तारा, गाजर, कसूम,
िकसम कम है यह, पली धूल म सोना धूल भरी धरती
शहर क बह-बेिटयाँ ह सोने के तार से पीली,
सोने के गहन म पीली, यह सरस से पीली धरती।
िसर धरे कलेऊ क रोटी, ले कर म म ा क मटक ,
घर से जंगल क ओर चली होगी बिटया पर पग धरती।
कर काम खेत म व थ हई होगी तालाब म उतर, नहा,
दे यार बैल को, फे र हाथ, कर यार, बनी माता धरती।
पक रही फसल, लद रहे चना से बूटँ , पड़ी है हरी मटर,
तीमन का साग और पौध से हरा, भरी-पूरी धरती।
हो रही साँझ, आ रहे ढोर, ह रंभा रह गाय-भस,
जंगल से घर को लौट रही गोधूिल बेला म धरती।
(1) का यांश म िकस ऋतु का वणन है?
(क) शरद ऋतु का (ख) बसंत ऋतु का
(ग) ी म ऋतु का (घ) वषा ऋतु का
(2) ‘जंगल म नहा, ओढ़ती पीली सुखा रही होगी धरती।’ पंि म िकस अलंकार का योग है?
(क) अनु ास अलंकार (ख) उपमा अलंकार
(ग) मानवीकरण अलंकार (घ) यमक अलंकार
(3) ‘शहर क बह-बेिटय ’ के बारे म या बताया गया है?
(क) उ ह ने शरीर पर खूब सोने के जेवर लड़ रखे ह
(ख) ह नए-नए फै शन के व लड़ रखे
(ग) वे धुल म सनी हई ह
(घ) वे पीली-पीली िदखाई देती ह
(4) गाँव क ी या काम करती ह?
(क) िसर पर कलेवा क रोटी व म ा क मटक लेकर खेत क ओर जाती है
(ख) खेतो म काम करती है
(ग) तालाब म उतरकर नहाती है
(घ) उपयु सभी काम करती है
(5) िकस बेला को ‘गोधूिल बेला’ कहते ह?
(क) ातः काल का समय
(ख) दोपहर का समय
(ग) सायंकाल का समय
(घ) सायंकाल गाय के घर वापस लौटने का समय

संचार एवं जनसंचार पर आधा रत बहिवक पीय


पाठ 3,4,5 पर आधा रत
सं. 1) संचार के त व ह–
(1) ोत या संचारक और मा यम
(2) कू टीकृ त या एनकोिडंग और डीकोिडंग
(3) ा कता यानी रसीवर और फ डबैक
(4) उपयु सभी
सं. 2) संचार ि या क शु आत होती है-
(1) ोत या संचारक से
(2) कू टीकृ त या एनकोिडंग से
(3) मा यम से
(4) ा कता से
सं. 3) जनसंचार के मा यम िकतने कार के होते ह? -
(1) तीन
(2) दो
(3) चार
(4) असं य
सं. 4) संचार मा यम के मुख उ े य ह –
(1) सूचना देना
(2) मनोरंजन करना
(3) िशि त करना
(4) उपयु सभी
सं. 5) संचार ि या म बाधक त व कौन-सा है? -
(1) मानिसक शोर
(2) तकनीक शोर
(3) भौितक शोर
(4) उपयु सभी
सं. 6) ा कता ारा य क गई िति या कहलाती है-
(1) िडकोिडंग
(2) फ डबैक
(3) भौितक शोर
(4) एनकोिडंग
सं. 7) संचार के िन न भेद म एक ही यि संचारक और ा कता दोन का काय करता है-
(1) अंतर वैयि क
(2) सांकेितक संचार
(3) अंत: वैयि क संचार
(4) समूह संचार
सं. 8) समूह संचार का उदाहरण है-
(1) क ा िश ण
(2) संसद म चचा
(3) पंचायत क बैठक
(4) उपयु सभी
सं. 9) िकसी तकनीक या यांि क मा यम के ज रए समाज के िवशाल वग से संवाद थािपत करना कहलाता है -
(1) समूह संचार
(2) जनसंचार
(3) सांकेितक संचार
(4) मौिखक संचार
सं. 10) जनसंचार के काय ह -
(1) सूचना देना, िशि त करना
(2) मनोरंजन करना, एजडा तय करना
(3) िनगरानी करना, िवचार-िवमश करना
(4) उपयु सभी
सं. 11) ि टं मा यम (मु ण मा यम) के अंतगत आने वाले मा यम ह -
(1) समाचार-प या अखबार या यूज पेपर
(2) पि काएँ या मैगजीन
(3) पु तक या िकताब
(4) उपयु सभी
सं. 12) जनसंचार या ि टं मीिडया क सबसे मजबूत कड़ी माना जाता है –
(1) प -पि काओं को
(2) बाल सािह य को
(3) पु तक या िकताब को
(4) काटू न को
सं. 13) जनसंचार के आधुिनक मा यम म सबसे पुराना मा यम कौन-सा है –
(1) रे िडयो
(2) िसनेमा
(3) ि टं या मु ण मा यम
(4) दरू दशन
सं. 14) सूचना देने के मा यम/साधन को कहते ह-
(1) समाचार मा यम
(2) संचार मा यम
(3) ि टं या मुि त मा यम
(4) दरू दशन
सं. 15) संचार ि या सुचा प से संप हई या नह यह पता चलता है-
(1) मा यम से
(2) शोर से
(3) फ डबैक से
(4) िडकोिडंग से
सं. 16) संचार के मुख भेद ह-
(1) अंत: यैि क और अंतर यैि क संचार
(2) मौिखक और अमौिखक संचार
(3) समूह संचार और जनसंचार
(4) उपयु सभी
सं. 17) ा कता ारा य क गई िति या कहलाती है-
(1) फ डबैक
(2) यु र
(3) अिभ यि
(4) सं ेषण
उ रमाला-
1 उपयु सभी 2 ोत या संचारक से
3 दो 4 उपयु सभी
5 उपयु सभी 6 फ डबैक
7 अंत: वैयि क संचार 8 उपयु सभी
9 जनसंचार 10 उपयु सभी
11 उपयु सभी 12 प -पि काओं को
13 ि ंट या मु ण मा यम 14 संचार मा यम
15 फ डबैक से 16 उपयु सभी
17 फ डबैक

जनसंचार के िविभ मा यम पर आधा रत बहिवक पीय


सं. 1) िन निलिखत म सुमेिलत नह है-
(1) िहंदी का पहला समाचार प = उदंत मातड
(2) भारत का पहला समाचार प = बंगाल गजट
(3) समाचार लेखन क मुख शैली = सीधा िपरािमड शैली
(4) भारत का पहला छापाखाना = गोवा म (1556 म)
सं. 2) ि टं या मु ण मा यम के अंतगत या नह आता है?
(1) अखबार या समाचार प
(2) िसनेमा या चलिच
(3) पि काएँ या मैगेजीन
(4) पु तक या िकताब
सं. 3) अंतरजाल (इंटरनेट) के मा यम से खबर या सूचनाओं का आदान- दान कहलाता है-
(1) इंटरनेट प का रता
(2) साइवर या वेब प का रता
(3) ऑनलाइन प का रता
(4) उपयु सभी
सं. 4) िन न म सुमेिलत नह है-
(1) भारत क पहली साइट = रीिडफ डॉटकॉम
(2) वेबसाइट पर िवशु प का रता शु करने का ेय = तहलका डॉटकॉम
(3) भारत म इंतरनेट का पहला दौर शु हआ = 2003 ई. से
(4) प का रता के िलहाज से िहंदी क सव े साइट है = बी. बी. सी.
सं. 5) िन निलिखत म से कौन ि टं मीिडया क खािमयाँ / कमजो रयाँ नह है?
(1) िनर र के िलए अनुपयोगी होना
(2) छपाई के कारण थािय व होना
(3) घटना क ता कािलक जानकारी न िमलना
(4) छपी हई िु टय का िनराकरण शी न होना
सं. 6) िन निलिखत म से कौन सुमेिलत नह है-
(1) भारत क पहली बोलती िफ म = आलमआरा (1931 म)
(2) िफ म का आिव कार = थामस अ वा एिडसन
(3) रे िडयो का आिव कार = जमनी के गुटेनबग
(4) भारत क पहली मूक िफ म = राजा ह र ंद (1913 म)
सं. 7) िचंतन, िवचार और िव े षण का मा यम है-
(1) ि टं या मु ण मा यम
(2) इले ािनक मा यम
(3) इंटरनेट या अंतजाल
(4) उपयु म से कोई नह
सं. 8) एफ॰एम॰ (ि सी मो ल ू ेशन) क शु आत हई-
(1) सन् 1993 म
(2) सन् 1990 म
(3) सन् 2003 म
(4) सन् 2000 म
सं. 9) आकाशवाणी और दरू दशन को सन् 1997 म वाय ता दान कर अथात् क सरकार के सीधे िनयं ण से िनकालकर
......... स प िदया गया-
(1) ‘ सार भारती’ नामक वाय शासी िनकाय को
(2) ‘संचार िनगम’ नामक वाय शासी िनकाय को
(3) ‘ चार- सार भारती’ नामक वाय शासी िनकाय को
(4) ‘ ान भारती’ नामक वाय शासी िनकाय को
10. मु ण क शु आत कहाँ से हई ?
(1) जापान से
(2) चीन से
(3) अमरीका से
(4) भारत से
11. ि टं (मु ण) मा यम िकसे कहते ह?
(1) संचार के वे साधन जो मु ण के ारा (छपाई के प म) लोग तक सूचनाएँ पहँचाते ह।
(2) संचार के वे साधन जो मु ा के ारा (पैसे देने बाद) लोग तक सूचनाएँ पहँचाते ह।
(3) संचार के वे साधन जो आवाज के ारा ( विन के प म) लोग तक सूचनाएँ पहँचाते ह।
(4) इनम से कोई नह ।
12. िन न म से या ि टं मा यम क कमजोरी नह है?
(1) यह िनर र के िलए िकसी काम क नह है।
(2) इसम खबर बासी अथात् 24 घंटे पुरानी होती ह
(3) इसम थािय व होता है, इसका योग संदभ क तरह िकया जा सकता है
(4) इसम एक बार गलत छपने के बाद ज दी सुधार नह हो पाता
13. भारत के पहले छापाखाना के बारे म सही कथन है-
(1) इसक थापना सन् 1556 ई. म ही थी,
(2) इसक थापना गोवा म हई थी
(3) ईसाई िमशन रय ने इसका उपयोग धम चार क पु तक छापने के िलए िकया था
(4) उपयु सभी
14. रे िडयो के बारे म स य कथन नह है?
(1) रे िडयो एक य मा यम है,
(2) रे िडयो एक य – य मा यम है
(3) रे िडयो का आिव कार 1895 ई॰ म हआ
(4) रे िडयो का आिव कार इटली के इंजीिनयर जी॰ माक नी ने िकया
15. आल इंिडया रे िडयो क थापना कब हई?
(1) 1936 ई॰ म
(2) 1947 ई. म
(3) 1950 ई. म
(4) 1942 ई. म
16. िन निलिखत म िकसक संरचना उ टा िपरािमड शैली (इनवटड िपरािमड) पर आधा रत होती है?
(1) रे िडयो समाचार क संरचना
(2) अखबार/समाचार क संरचना
(3) टी॰ वी॰ समाचार क संरचना
(4) उपयु सभी क
17. भारत के पहले अखबार ‘बंगाल गज़ट’ के बारे म अस य कथन है-
(1) इसका काशन 1780 ई वी म शु हआ
(2) यह कोलकाता से िनकलता था
(3) ‘जे स आग ट िह ’ इसके संपादक थे
(4) यह मु बई से िनकलता था
18. िह दी के पहले सा ािहक प से संबिं धत स य कथन है-
(1) यह1820 ई वी म कोलकाता से िनकला
(2) समाचार प का नाम ‘उद त मातड’ था
(3) इसके संपादक पंिडत जुगल िकशोर थे
(4) उपयु सभी सही ह
19. भारत म टेलीिवज़न क शु आत के बारे म सही कथन है-
(1) भारत म टेलीिवज़न क शु आत युने को क एक शैि क प रयोजना के तहत १५ िसतंबर, १९५९ ई॰ को हई थी।
(2) १९६५ म वत ता िदवस से भारत म िविधवत टेलीिवज़न सेवा का ारंभ हआ।
(3) उपयु दोन कथन सही ह
(4) के वल पहला कथन सही है
20. िसनेमा के बारे म सही कथन है-
(1) िसनेमा का आिव कार १८८३ ई॰ म हआ था
(2) िसनेमा का आिव कार थॉमस अ वा एिडसन ने िकया था
(3) िसनेमा एक य एवं य मा यम है
(4) उपयु सभी
21. पहली िफ म ‘द एराइवल ऑफ ेन’ (The arrival of Train) कब और कहाँ बनी थी?
(1) सन1् 894 ई॰ म, ांस म,
(2) सन1् 894 ई॰ म, ि टेन म,
(3) सन् 1880 ई॰ म, ांस म,
(4) सन् 1880 ई॰ म, ि टेन म,
22. भारत क पहली मूक िफ म से संबिं धत सही कथन है-
(1) भारत म बनी पहली मूक िफ म 1913 ई॰ म बनी
(2) इस िफ म का नाम ‘राजा ह र ं ’ है
(3) इसके िनमाता दादा साहब फा के थे
(4) सभी कथन सही ह
23. भारत क पहली बोलती िफ म थी-
(1) आलमआरा
(2) राजा ह र ंद
(3) लैला मजनूँ
(4) सोहनी मिहवाल
उ रमाला-

1 समाचार लेखन क मुख शैली = सीधा िपरािमड शैली 13 उपयु सभी


2 िसनेमा या चलिच 14 रे िडयो एक य – य मा यम है
3 उपयु सभी 15 1936 ई॰ म
4 भारत म इंतरनेट का पहला दौर शु हआ = 2003 ई. से 16 उपयु सभी क
5 छपाई के कारण थािय व होना 17 यह मु बई से िनकलता था
6 रे िडयो का आिव कार = जमनी के गुटेनबग 18 उपयु सभी सही ह
7 ि टं या मु ण मा यम 19 उपयु दोन कथन सही ह
8 सन् 1993 म 20 उपयु सभी
9 ‘ सार भारती’ नामक वाय शासी िनकाय को 21 सन1् 894 ई॰ म, ांस म,
10 चीन से 22 सभी कथन सही ह
11 संचार के वे साधन जो मु ण के ारा (छपाई के प म) लोग तक सूचनाएँ पहँचाते ह। 23 आलमआरा
12 इसम थािय व होता है, इसका योग संदभ क तरह िकया जा सकता है

िविभ मा यम के िलए लेखन


बहिवक पीय (हल सिहत)
1. आधुिनक मा यम म सबसे पुराना मा यम या है?
(क) अखबार (ख) रे िडयो
(ग) टेलीिवजन (घ) िसनेमा
2. िकसी समाचार संगठन म काम करने वाला िनयिमत वेतनभोगी कमचारी या कहलाता है?
(क) पूणकािलक प कार (ख) अंशकािलक प कार
(ग) लांसर प कार (घ) वेतनभोगी प कार ।
3. नाटक का सबसे ज री और सश मा यम है?
(क) मधुर आवाज (ख) भाषा
(ग) परदा (घ) संवाद ।
4. भारत का पहला छापाखाना कहाँ थािपत हआ?
(क) िद ी (ख) सूरत
(ग) गोवा (घ) अहमदाबाद।
5. इंटर यू के िलए िह दी श द या है?
(क) सा ा कार (ख) बहीजाल
(ग) अंतरमुख (घ) क ीकरण
6. ऑल इि डया रे िडयो क थापना कब हई?
(क) 1930 (ख) 1936
(ग) 1947 (घ) 1951
7. छापेखाने का आिव कार िकसने िकया था?
(क) लुईस हैिम टन (ख) जॉन गुटेनबग
(ग) जे स चैडिवक (घ) मडलीव
8. भारत म इ टरनेट प का रता का ारंभ कब हआ?
(क) 1987 (ख) 1980
(ग) 1994 (घ) 1993
9. समाचार लेखन म िकस शैली का योग होता है?
(क) उ टा िपरािमड शैली (ख) सीधा िपरािमड
(ग) टेढ़ा िपरािमड (घ) िपरािमड
10. उ टा िपरािमड शैली को िकतने िह स म बाँटा जाता है?
(क) एक (ख) दो
(ग) तीन (घ) चार
11. रंगमंच िकस सािहि यक िवधा म आव यक है?
(क) नाटक दशन (ख) कहानी
(ग) िच पट (घ) रे िडयो
12. सवािधक खच ला जनसंचार मा यम या है?
(क) ि टं (ख) रे िडयो
(ग) टेलीिवजन (घ) इंटरनेट
13. रे िडयो नाटक िकस कार का मा यम है?
(क) य मा यम (ख) य मा यम
(ग) दोन (घ) इनम से कोई नह
14. कहानी का क िबंद ु है-
(क) च र िच ण (ख) कथानक
(ग) संवाद योजना (घ) उ े य
15. मीिडया क भाषा म 'बीट' का अथ ह:
(क) े (ख) समाचार
(ग) खबर (घ) नाटक
16. भुगतान के आधार पर अलग-अलग अखबार के िलए िलखने वाला प कार या कहलाता है?
(क) पूणकािलक प कार (ख) लांसर प कार
(ग) अंशकािलक प कार (घ) वेतनभोगी प कार ।
17. इस समय िव तर पर इंटरनेट प का रता का कौन सा दौर चल रहा है?
(क) चौथा (ख) तीसरा
(ग) दसू रा (घ) पहला
18. प कार िकस-िकस कार के होते ह?
(क) पूणकािलक (ख) अंशकािलक प कार
(ग) वतं प कार (घ) उपयु सभी
19. इनम से कौन-सा जनसंचार मा यम अनपढ़ यि के िलए उपयोगी नह है?
(क) इंटरनेट (ख) समाचार-प
(ग) पि काएँ (घ) तीन
20. य जनसंचार मा यम कौन-सा है?
(क). समाचार प (ख). रे िडयो
(ग). इंटरनेट (घ) टेिलिवजन
21. मु ण का आरंभ िकस देश म हआ?
(क) भारत (ख) जापान
(ग) चीन (घ) इं लै ड
22. भारत म पहला छापाखाना कब लगा?
(क) सन् 1556 म (ख) सन् 1546 म
(ग) सन् 1656 म (घ) सन् 1576 म
23. भारत म पहला छापाखाना कहाँ पर लगाया गया?
(क) िद ी म (ख) कोलकाता म
(ग) गोवा म (घ) कानपुर मे
24. समाचार लेखन क भावशाली शैली कौन सी है?
(क) वणना मक शैली (ख) िववेचना मक शैली
(ग) िपरािमड शैली (घ) उ टा िपरािमड शैली
25. इनम से कौन-सा उ टा िपरािमड शैली का अंग नह है?
(क) म य भाग (ख) बॉडी
(ग) इं ो (घ) समापन
26. य का िकस मा यम म अिधक मह व होता है?
(क) समाचार प (ख) रे िडयो
(ग) टेलीिवज़न (घ) इंटरनेट
27. टेलीिवज़न के िलए खबर िलखने क मौिलक शत या है?
(क) सािहि यक भाषा म लेखन (ख) य के साथ लेखन
(ग) सनसनीखेज लेखन (घ) सामा य लेखन
28. िह दी म नेट प का रता िकसके साथ आरंभ हई?
(क) वैब दिु नया के साथ (ख) दैिनक जागरण के साथ
(ग) दैिनक भा कर के साथ (घ) राज थान पि का के साथ
29.ि के ट मैच का सारण िकस कार का है?
(क) फोन इन (ख) एंकर पैकेज
(घ) सीधा सारण (घ) एंकर वाइट
30. आधुिनक युग म इंटरनेट प का रता का कौन-सा दौर चल रहा है?
(क) ि तीय (ख) तृतीय
(ग) थम (घ) चतुथ
31. भारत म इंटरनेट प का रता का दसू रा दौर कब आरंभ हआ?
(क) 2001 म (ख) 2002 म
(ग) 2003 म (घ) 2004 म
32. समाचार प कािशत या सा रत करने के िलए आिखरी समय सीमा को या कहा जाता है?
(क) लू लाइन (ख) लैक लाइन
(ग) रैड लाइन (घ) डैड लाइन
33. 'उदंत मात ड' का काशन कब और कहाँ हआ?
(क)1826 ई. म कोलकाता से (ख)1820 ई. म कोलकाता से
(ग)1828 ई. म गोवा से (घ)1907 ई. म म ास से
34. नेट साउ ड' या ह?
(क) इंटरनेट साउ ड (ख) नार के वर
(ग) िचिड़या का चहचहाना (घ) ाकृ ितक वर
35. क ा बारहव का छा मयंक रे िडयो सुन रहा था। अचानक कु छ श द ऐसे आ गए िजनका अथ वह न अथ समझ पाया। जब तक
उसने श दकोश म से अथ ढू ढ़ँ ने का यास िकया तब तक समाचार समा हो गए यह ि थित दशाती है िक-
(क) श दकोश म ितपािदत अथ ढू ढ़ं ना असा य है
(ख) सा रत श द क किठनाई का कोई िनराकरण नह है
(ग) श द का थािप व अ यंत लाभदायक िस होता है
(घ) समाचार क भाषा सरल व बोधग य होनी चािहए
36. ि टं मीिडया क िवशेषता है-
(क) िचंतन, िवचार व िव े षण के आधार पर तैयार होते ह।
(ख) छपे हए श द का थािय व होता है।
(ग) इंटरनेट क तरह खच ला नह है
(घ) उपयु सभी
37. रे िडयो का आिव कार कब और िकसने िकया?
(क) सन् 1805 ई. म टीफन माक नी ने। (ख) सन् 1890 ई. म गुटेनबग ने ।
(ग) सन् 1895 ई. म जी माक नी ने । (घ) इनम से कोई नही
38. भारत म िवशु प का रता शु करने का ेय िकसे जाता है?
(क) बीबीसी (ख) तहलका डॉटकॉम
(ग) ज़ी यूज (घ) राज थान पि का
39. सुभागी को िकसी अ य समाचार प क पृ भूिम जाननी है तो िकस मा यम से वह अिधक और शी जानकारी ा कर सके गी।
(क) समाचार प से (ख) पि काओं से
(ग) रे िडयो से (घ) इंटरनेट से
40. ोताओं पाठक को बांध कर रखने क ि थित म टेलीिवज़न सबसे सश मा यम है य िक यह-
(क) िनयिमत एवं िनरंतर सा रत होता है।
(ख) अिधक ामािणक ि रे खीय मा यम है
(ग) समाचार के पुि करण का काय करता है
(घ) य एवं य सुिवधा दान करता है
41. टेलीिवजन के िलए समाचार लेखन क बुिनयादी शत या है?
क) सनसनीखेज लेखन ख) जिटल भाषा म लेखन
ग) य के साथ लेखन घ) सािहि यक लेखन
42. ि टं मीिडया क िवशेषता है-
क) िचंतन, िवचार व िव े षण के आधार पर तैयार होते ह।
ख) छपे हए श द का थािय व होता है।
ग) इंटरनेट क तरह खच ला नह है
घ) उपयु सभी
43.समाचार लेखन म संि ा र के | या देखा जाना चािहए?
क) बोलने या िलखने म सरल ह ख) लोकि यता ह
ग) िलखने म जिटल ह घ) कम सुने या पढ़े गए ह
44. पाठ के अनुसार आज िकतने श द ित सेकंड भेजे जा सकते ह?
क) आठ हज़ार श द ख) सौ श द
ग) स र हज़ार श द घ) स र श द
45. पाठ के अनुसार एक समय था जब टेलीि टं र से िकतने श द एक िमनट म भेजे जा सकते थे?
क) 100 ख) 60
ग) 50 घ) 80
46. खबर क य के अनुपल ध होने क ि थित म रपोटर से िमली जानका रय के आधार पर सूचनाएँ पहँचाने वाले का संबिं धत चरण
है-
(क) ाई रपोट (ख) ाई- यहीनता
(ग) ाई – िवजुअल (घ) ाई-एंकर
47. ि के ट का खेल है।
क) टेलीफोन इन ख) मौसम
ग ) दशन घ) धारणा
48. ाई एंकर खबर को िकस कार बताता है?
क) संवाददाता से बात करके बताता है। ख) य के साथ बताता है
ग) सीधे-सीधे बताता है घ) कोई नह
49. िव तर पर इंटरनेट प का रता का दसू रा दौर कब समा हआ?
क) 2000 म ख) 2004 म
ग) 2003 म घ) 2001 म
50. िकसी भी मा यम के लेखन के िलए िकसे यान म रखना होता है?
(क) मा यम को (ख) लेखक को
(ग) जनता को (घ) बाजार को
उ र माला
1. (क) अखबार
2. (क) पूणकािलक प कार
3. (घ) संवाद
4. (ग) गोवा
5. (क) सा ा कार
6. (ख) 1936, िद ी
7. (ख) जॉन गुटेनबग
8. (घ) 1993
9. (क) उ टा िपरािमड
10. (ग) तीन
11. (क) नाटक दशन
12. (घ) इंटरनेट
13. (क) य मा यम ।
14. (ख) कथानक
15. (क) े ।
16.(ख) लांसर प कार
17. (ख) तीसरा।
18. (घ) उपयु सभी।
19. (ड) तीन
20. (ब). रेिडयो
21. (ग)चीन
22.(क)सन् 1556 म
23. (ग) गोवा म
24. (घ) उ टा िपरािमड शैली
25. (क). म य भाग
26.(क) टेलीिवज़न
27. (ख) य के साथ लेखन
28. (क). वैब दिु नया के साथ
29.(ग). सीधा सारण
30. (ख) तृतीय
31. (ग) 2003 म
32. (ड) डैड लाइन
33. (क)1826 ई. म कोलकाता से
34. (घ) ाकृ ितक वर
35. (ख) सा रत श द क किठनाई का कोई िनराकरण नह है
36. (घ) उपयु सभी
37. (ग) सन् 1895 ई. म जी माक नी ने
38. (ख) तहलका डॉटकॉम
39. (घ) इंटरनेट से
40. (घ) य एवं य सुिवधा दान करता है।41. (ग) य के साथ लेखन
42. (घ) उपयु सभी
43. (ख) लोकि यता हो
44. (ग)स र हज़ार श द
45. (घ) 80 46. (घ) ाई-एंकर 47. (ख) दशन
48. (ग) सीधे-सीधे बताता है 49. (घ) 2001 म 50. (क) मा यम को

पिठत का यांश एवं ग ांश पर आधा रत ो री

का य खंड
पाठ 1. आ मप रचय ( किवता )
ह रवंश राय ब न
1. िन निलिखत पिठत का यांश को पढ़ कर के सही िवक प चुिनए :- (1x5=5)
जग – जीवन का मार िलए िफरता हँ,
िफर भी जीवन म यार िलए िफरता हँ;
कर िदया िकसी ने कृ त िजनको छू कर
म साँस के दो तार िलए िफरता हँ !
म नेह-सुरा का पान िकया करता हँ,
म कभी न जग का यान िकया करता हँ,
जग पूछ रहा उनको, जो जग क गाते,
म अपने मन का गान िकया करता हँ !
क ) का यांश म ‘जग-जीवन के भार’ का या अथ है ?
i ) संसार के सभी लोग क िज मेदारी
ii) अपने घर प रवार के सभी दािय व
iii) अपने िम क िज मेदारी
iv) उपयु सभी
ख ) का यांश के अनुसार किव सभी को या बाँटता है ?
i ) खुिशयाँ
ii) दःु ख
iii) आशा
iv) ेम
ग ) इस का यांश म साँस के दो तार का आशय है –
i ) दो तार
ii) सुिवधाओं से भरा जीवन
iii) ेम से भरा जीवन
iv) क से भरा जीवन
घ ) ‘ नेह- सुरा’ म िनिहत अलंकार है –
i ) उपमा
ii) पक
iii) उ े ा
iv) उपयु सभी
ड. ) किव के अनुसार संसार म िकन लोग को ित ा ा होती है?
i ) संसार के िहत म काय करने वाल को
ii) उ सािह य क रचना करने वाले को
iii) संसार क झूठी शंसा न करने वाल को
iv) संसार का झूठा गुणगान करने वाल को
सही उ र : क) : अपने घर प रवार के सभी दािय व ख ) : ेम ग) ेम से भरा जीवन घ) पक ड.) संसार का झूठा
गुणगान करने वाल को

2 . म िनज उर के उ ार िलए िफरता हँ


म िनज उर के उपहार िलए िफरता हँ
है यह अपूण संसार न मुझको भाता
म व न का संसार िलए िफरता हँ।
म जला दय म अि , दहा करता हँ
सुख-दख ु दोन म म रहा करता हँ,
जग भव-सागर तरने क नाव बनाए,
म भव-मौज पर म त बहा करता हँ।
1 . का यांश म ‘उर के उ ार’ और ‘उर के उपहार’ से या आशय है ?
1) अपने ि य के ित ेम भाव से भरे गीत .
2) शादी के िलए उपहार .
3) ऊपर ही ऊपर उपहार देना .
4) ज मिदन के िलए उपहार .

2 . किव ने संसार को अपूण य कहा है?


1) संसार म कोई पूण नह इसिलए .
2) संसार के लोग इ या षे अहंकार आिद से भरे ह .
3) संसार के लोग म ेम का अभाव है .
4) िवक प ‘ख’ और ‘ग’ दोन सही है .

3 . ‘म जला दय म अि दहा करता हँ’ इस पंि का भाव है –

1) किव दय म बदले क आग िलए है .


2) किव दसू र क गित से जलता है .
3) किव हर ण दख ु ी रहता है .
4) किव अपने दय म ि य क याद को बनाए रखता है .

4 . ‘भव – सागर तरने को नाव बनाए’ का आशय या है ?

1) सांसा रक सुख-सुिवधाएं जुटाना.


2) लोग से स ब ध बनाना.
3) नाव या जहाज बनाना .
4) इनम से कोई नह .
5 . ‘भव- सागर’ और ‘भव- मौज ’ म कौन सा अलंकार है?

1) उपमा .
2) पक.
3) यमक.
4) अनु ास.

सही उ र : क) अपने ि य के ित ेम भाव से भरे गीत ख) संसार के लोग इ या ेष अहंकार आिद से भरे ह ग ) किव अपने
दय म ि य क याद को बनाए रखता है . घ) सांसा रक सुख-सुिवधाएं जुटाना ड.) पक
3. ‘म और, और जग और, कहाँ का नाता?
म बना-बना िकतने जग रोज िमटाता,
जग िजस पृ वी पर जोड़ा करता वैभव,
म ित पग से उस पृ वी को ठु कराता!
म िनज रोदन म राग िलए िफरता हँ,
शीतल वाणी म आग िलए िफरता हँ,
ह िजस पर भूप के ासाद िनछावर,
म वह खंडहर का भाग िलए िफरता हँ।‘
1 . ‘म बना-बना िकतने जग रोज िमटाता’ इस पंि का या भाव है ?
1)किव रोज िव वंस का काम करता है .
2)किव नए- नए ‘सपन के संसार’ क क पना करता है .
3)किव संसार के लोग से नफ़रत करता है .
4)वह संसार से रोज ेरणा लेता है .
2 . का यांश म संसार के लोग क िकस वृि को बताया गया है ?
1) वे धन-संपि जोड़ने म लगे रहते ह.
2) वे खंडहर देखने जाते ह.
3) वे धन-संपि को ठु कराते ह .
4) िवक प ‘क’ और ‘ख’ दोन सही है .
3 . का यांश म किव के िकस वाभाव को रे खांिकत िकया गया है ?
1) किव संसार के लोग से िवपरीत सोच रखता है .
2) किव पृ वी पर नह रहना चाहता .
3) किव अपने ि य क याद को दय म बसाए हए है .
4) िवक प ‘क’ और ‘ग’ दोन सही है .
4 . का यांश म िकस पंि म यमक अलंकार है ?
1) ‘म और, और जग और, कहाँ का नाता?’
2) ‘म ित पग से उस पृ वी को ठु कराता!’
3) ‘जग िजस पृ वी पर जोड़ा करता वैभव,’
4) इनम म से कोई नह .
5 . ‘शीतल वाणी म आग’ का या आशय है ?
1) किव क वाणी म घृणा है.
2) किव के गीत म मधुरता है पर तु उसम िवरह क वेदना भी है.
3) किव के गीत म िव ोह का वर है.
4) िवक प ‘ख’ और ‘ग’ सही है.

सही उ र : क) किव नए- नए ‘सपन के संसार’ क क पना करता है।


ख) वे धन-संपि जोड़ने म लगे रहते ह.
ग ) िवक प ‘क’ और ‘ग’ दोन सही है
घ) ‘म और, और जग और, कहाँ का नाता?
ड.) िवक प ‘ख’ और ‘ग’ सही है.
—------------------------------------------------------------------
----------------------

एक गीत ( किवता )
िदन ज दी ज दी ढलता है
( िनशा िनमं ण नामक गीत सं ह से उ तृ )
1. िन निलिखत पिठत का यांश को पढ़ कर के सही िवक प चुिनए :- (1x5=5)
हो जाए न पथ म रात कह
मंिजल भी तो है दरू नह -
यह सोच थका िदन का पंथी भी ज दी-ज दी चलता है!
िदन ज दी-ज दी ढलता है!
1. इस का यांश म रात होने क िचंता कौन कर रहा है?
(1) मंिजल
(2) राहगीर
(3) पथ
(4) िचिड़या
2. ‘पथ म रात न हो जाए’-इसके िलए पंथी या करता है?
(1) रात होने का इंतजार करता है
(2) वह क जाने का बं ध करता है
(3) अपने कदम ज दी-ज दी बढ़ाता है
(4) वापस अपने घर चला जाता है
3. ज दी-ज दी म कौन सा अलंकार है?
(1) अलंकार
(2) उपमा अलंकार
(3) पक अलंकार
(4) पुन ि काश अलंकार
4. तुत का यांश म ‘िदन ज दी-ज दी ढलता है’ पंि म तीक अथ या है?
(1) मंिजल यादा दरू नह है
(2) हमारा जीवन भी ज दी-ज दी ढलता जाता है
(3) रात ज दी -ज दी होती है
(4) रात को राहगीर क जाता है
5. ‘हो जाए न पथ म रात कह ’ पंि म ‘पथ’ श द का अथ है-
(1) राह
(2) रात
(3) राहगीर
(4) मंिजल

उ र-1. राहगीर, 2.अपने कदम ज दी-ज दी बढ़ाता है 3.पुन ि काश अलंकार 4.हमारा जीवन भी ज दी-ज दी
ढलता जाता है. 5. राह

2. िन निलिखत पिठत का यांश को पढ़ कर के सही िवक प चुिनए :- (1x5=5)


मुझसे से िमलने को कौन िवकल?
म होऊं िकसके िहत चंचल?
यह िशिथल करता पद को, भरता उर म िव लता है
िदन ज दी-ज दी ढलता है
1. तुत का यांश म िवकल श द का अथ है-
i. पागल
ii. चंचल
iii. किव
iv. बैचेन
2. किव क याकु लता का या कारण है?
i िनधनता
ii किव के जीवन म कोई ि य नह है
iii किव का अपने ि य से झगड़ा हआ है
iv किव अ व थ है
3. ‘म होऊं िकसके िहत चंचल’ पंि म कौनसा अलंकार है?
i पक
ii यमक
iii व ोि
iii अलंकार
4.‘भरता उर म िव लता है’ पंि म ‘उर’ श द का अथ है-
i राह
ii मंिजल
iii दय
iv आँख
5. ‘िव लता’ श द का अथ है?
i सुख
ii दःु ख
iii नीरसता
iv बैचेनी

उ र-1) बैचेन 2)किव के जीवन म कोई ि य नह है 3) अलंकार 4) दय 5)बैचेनी


—------------------------------------------------------------------
------------------------------------------------------------------

पाठ 2 . पतंग
सबसे तेज़ बौछार गय । भादो गया
सवेरा हआ खरगोश क आँख जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुल को पार करते हए
अपनी नयी चमक ली साइिकल तेज चलाते हए
घंटी बजाते हए जोर-जोर से
चमक ले इशार से बुलाते हए
पतंग उड़ाने वाले ब के झुडं को
चमक ले इशार से बुलाते हए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हए
िक पतंग ऊपर उठ सके -
दिु नया क सबसे हलक और रंगीन चीज उड़ सके -
दिु नया का सबसे पतला कागज उड़ सके -
बाँस क सबसे पतली कमानी उड़ सके
िक शु हो सके सीिटय , िकलका रय और
िततिलय क इतनी नाजुक दिु नया।
1 . िन निलिखत पिठत का यांश को पढ़ कर के सही िवक प चुिनए :- (1x5=5)
1 . प ांश म िकस ऋतु के आगमन क सूचना दी गई है ?
1) वसंत
2) ी म
3) वषा
4) शरद
2 . सबेरे के िलए िकस उपमान का योग िकया गया है?
1) चमक ली साइिकल
2) मुलायम आकाश
3) खरगोश क आँख
4) पतंग
3 . पतंग के िलए कहा गया है?
1) सबसे पतला कागज़
2) सबसे पतली कमानी
3) सबसे ह क रंगीन चीज
4) उपयु सभी
4 . ‘शरद आया पुल को पार करते हए
अपनी नयी चमक ली साइिकल तेज चलाते हए’ पंि म अलंकार है -
1) मानवीकरण
2) उपमा
3) अितयोशयोि
4) इनम से कोई नह
5 . इस का यांश म िकस िब ब क योजना है-
1) य िब ब
2) य
3) पश िब ब
4) उपयु सभी
उ र-1 शरद 2)खरगोश क आँख 3)उपयु सभी 4)मानवीकरण 5)उपयु सभी

2 . िन निलिखत पिठत का यांश को पढ़ कर के सही िवक प चुिनए :- (1x5=5)


ज म से ही वे अपने साथ लाते ह कपास
पृ वी घूमती हई आती है उनके बेचन पैर के पास
जब वे दौड़ते ह बेसधु
छत को भी नरम बनाते हए
िदशाओं को मृदगं क तरह बजाते हए
जब वे पग भरते हए चले आते ह
डाल क तरह लचीले वेग सो अकसर
छत के खतरनाक िकनार तक-
उस समय िगरने से बचाता ह उ ह
िसफ उनके ही रोमांिचत शरीर का संगीत
पतंग क धड़कती ऊँ चाइयाँ उ ह थाम लेती ह महज़ एक धागे के सहारे ।
पतंग के साथ-साथ वे भी उड़ रहे ह
अपने रं के सहारे
अगर वे कभी िगरते ह छत के खतरनाक िकनार से
और बच जाते ह तब तो
और भी िनडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते ह
पृ वी और भी तेज घूमती हई जाती है
उनके बचन पैर के पास।
1 . पृ वी िकनके बैचेन पैर के पास घूमती हई आती है ?
1) खरगोश
2) िततिलय
3) ब
4) घोड़
2 . पतंग उड़ाने वाले ब े िदशाओं को िकसके सामान बजाते ह ?
1) ढोल के सामान
2) बांसरु ी के सामान
3) मृदगं के सामान
4) िगटार के सामान

3 का यांश म कपास िकसका तीक है ?


क ) शांित का
ख ) कोमलता का
ग ) काश का
घ ) न रता का
4 . पतंग उड़ाते हए ब े िकसके सहारे वयं भी उड़ते हए िदखाई दे रहे ह ?
क ) पंख
ख ) रं
ग ) धाग
घ ) क पना
5 . खतरनाक िकनार से जब ब े िगर जाते है तो वे या करते ह ?
क ) वे संभलकर चलते ह .
ख ) वे अपने घर म बैठ जाते ह .
ग ) वे अब पतंग नह उड़ाते .
घ ) उनका साहस और भी बढ़ जाता है .

उ र 1) ब 2)मृदगं के सामान 3)कोमलता का 4) रं 5) उनका साहस और भी बढ़ जाता है .


—------------------------------------------------------------------
------------------------------------------------------------
पाठ 3 कुँ वर नारायण
1 किवता के बहाने

का यांश पर आधा रत ो री
-1.
किवता एक उड़ान है िचिड़या के बहाने
किवता क उड़ान भला िचिड़या या जाने
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
किवता के पंख लगा उड़ने के माने
िचिड़या या जाने?
किवता एक िखलना है फू ल के बहाने
किवता का िखलना भला फू ल या जाने ?
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
िबना मुरझाए महकने के माने
फू ल या जाने ?
उपरो का या श के आधार पर िन निलिखत म से सही िवक प का चयन क िजए-
i) तुत का या श के किव कौन है?
क) कुँ वर नारायण
ख) ह रवंश राय ब न
ग) आलोक ध वा
घ) रामधीर िसंह ‘िदनकर’
ii) उपरो पंि याँ िकस किवता से उ तृ ह?
क) बात सीधी थी पर
ख) किवता के बहाने
ग) आ मप रचय
घ) िदन ज दी-ज दी ढलता है ।
iii) ‘ क पना के पंख लगा उड़ने ’ के ता पय के स दभ म िन निलिखत म से कौन – कौन से कथन अस य ह ?
(i) किवता क भाषा िव कु ल प होती है |
(ii) किवता आकाश म िचिड़य क तरह नह उड़ती है |
(iii) किवता क पना और िवचार क उड़ान है
(iv) किवता म िवचार और भाव क प रप ता है |
(क) i और iv
(ख) ii और iii
(ग) i और ii
(घ) iii और iv
iv) किवता म सुगंध और सौ दय कौन भर देता है?
क) किव
ख) फू ल
ग) िचिड़या
घ) किवता
v) किवता म िकसक तुलना बहत मनोरम बन पड़ी है ?
क) किवता और फू ल क
ख) किवता और किव क
ग) फू ल और िचिड़या क
घ) िचिड़या और किवता क
उ र
i) कुँ वर नारायण ii) किवता के बहाने iii ) (क) i और iv iv) किव v) किवता और फूल क

-2
किवता एक खेल है ब के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने
ब ा ही जाने ।
उपरो का या श के आधार पर िन निलिखत म से सही िवक प का चयन क िजए-
i) किवता म ब के खेलो को देखकर किव या करता है ?
क) श द- ड़ा
ख) जल ड़ा
ग) नए-नए खेल
घ) िचिड़या के साथ खेलता है
ii) किवता को खेल य कहा गया है?
क) किवता एक खेल है
ख) खेलना भी किवता है
ग) ब का खेल है
घ) किवता रचना भी किव क एक ड़ा है
iii) ब ा खेल-खेल म कौन –सा मह वपूण काम कर लेता है ?
क) अपने-पराए के भेद को समा कर देता है
ख) अपने-पराए के भेद को बढ़ा देता है
ग) द ु मनी बढा देता है
घ) उपरो म कोई नह
iv) ‘ब के बहाने’ म कौन- सा अलंकार है?
क) पक
ख) उपमा
ग) अनु ास
घ) यमक
v) ब के अनुसार किव-कम भी या है?
क) एक खेल है
ख) दंड
ग) सजा
घ) पूजा
उ र
i)श द- ड़ा ii)किवता रचना भी किव क एक ड़ा है
iii) अपने-पराए के भेद को समा कर देता है iv)अनु ास v) एक खेल है।

पाठ 4 रघुवीर सहाय


कै मरे म बंद अपािहज
का यांश पर आधा रत ो री
-1॰
हम दरू दशन पर बोलगे
हम समथ शि वान
हम एक दबु ल को लाएँगे
एक बंद कमरे म
उससे पूछगे
तो या आप अपािहज ह ?
तो आप य अपािहज ह ?
आपका अपािहजपन
तो दखु देता होगा
देता है ?
(कै मरा िदखाओ इसे बड़ा-बड़ा)
हाँ तो बताइए आपका दख ु या है
ज दी बताइए
वह दख ु बताइए
बता नह पाएगा ।
उपरो का यांश के आधार पर िन निलिखत म से सही िवक प का चयन क िजए-
i) उपरो का यांश के किव कौन ह?
क) रघुवीर सहाय
ख) कुँ वर नारायण
ग) ह रवंशराय ब न
घ) आलोक ध वा
ii) उपरो का या श िकस किवता से उदधृत है?
क) आ मप रचय
ख) कै मरे म बंद अपािहज
ग) पतंग
घ) अि पथ
iii) दरू दशन के संचालक वयं को या मानते ह?
क) अपािहज
ख) द र
ग) समथ और शि मान
घ) दीन-हीन
iv) किवता म िकस पर यं य िकया गया है?
क) अपािहज पर
ख) गरीब पर
ग) दरू दशन के काय -संचालक क काय-शैली पर
घ) वृ पर
v) अपािहज से पूछे गए िकस बात के प रचायक ह?
क) समथवान होने के
ख) अमीर होने के
ग) अपािहज होने के
घ) अपािहज से पूछे गए बेतक ु े ,और यथ ह .

-2॰
सोिचए
बताइए
आपको अपािहज होकर कै सा लगता है
कै सा
यानी कै सा लगता है
(हम खुद इशारे से बताएँगे िक या कै सा ?)
सोिचए
बताइए
थोड़ी कोिशश क रए
(यह अवसर खो दगे ?)
आप जानते ह िक काय म रोचक बनाने के वा ते
हम पूछ पूछ कर उसको ला दगे
इंतज़ार करते ह आप भी उसके रो पड़ने का
करते ह ?
(यह पूछा नह जाएगा)
उपरो का या श के आधार पर िन निलिखत म से सही िवक प का चयन क िजए-
i) कौन अपने दख ु के बारे म मौन रहता है ?
क) अपािहज
ख) किव
ग) संप यि
घ) दशक
ii) ‘आपको इस तरह का दद होता है’-यह कौन पूछता है?
क) अपािहज
ख) किव
ग) दशक
घ) काय म संचालक
iii) कौन कहता है िक हम अपने काय म को रोचक बनाना है?
क) काय म संचालक
ख) किव
ग) अपािहज
घ) उपरो म से कोई नह
iv)काय म-संचालक अपािहज के दख ु को बार-बार कट करके अपने काय म को या बनाना चाहता है?
क) बेकार
ख) अरोचक
ग) रोचक
घ) मनोरंजक
v) दशक भी िकसम रस लेते ह?
क) दीन–दिु खय के दद को देखने म
ख) दीन–दिु खय क तर म
ग) दीन –दिु खय को स देखकर
घ) उपरो म कोई नह

-3
िफर हम पद पर िदखलाएँगे
फू ली हई आँख क एक बड़ी त वीर
बहत बड़ी त वीर
और उसके ह ठ पर एक कसमसाहट भी
(आशा है आप उसे उसक अपंगता क पीड़ा मानगे)
एक और कोिशश
दशक
धीरज रिखए
देिखए
हम दोन एक संग लाने ह
आप और वह दोन
(कै मरा
बस करो
नह हआ
रहने दो
परदे पर व क क मत है)
अब मुसकराएंगे हम
आप देख रहे थे सामािजक उ े य से यु काय म
(बस थोड़ी ही कसर रह गई )
ध यवाद
उपरो का या श के आधार पर िन निलिखत म से सही िवक प का चयन क िजए-
i) इस का या श म िकस पर यं य िकया गया है?
क) अपािहज पर
ख) दशक पर
ग) दरू दशन पर
घ) दरू दशन के काय म-संचालक पर
ii) काय म-संचालक अपािहज तथा दशक को एक साथ या करना चाहता है?
क) हंसाना
ख) िखलाना
ग) लाना
घ) बैठाना
iii) तुत का यांश म िकस पर काश डाला गया है?
क) मीिडया किमय क दयहीन काय-शैली पर
ख) अपािहज क दीन-हीनता पर
ग) दशक क खुशी पर
घ) अमीर क संप ता पर
iv) का या श म दरू दशन के िकस काय म क पोल–प ी खोली गई है?
क) सां कृ ितक
ख) सामािजक
ग) राजनीितक
घ) दाशिनक
v) उपरो का यांश के किव कौन ह?
क) रघुवीर सहाय
ख) िनराला
ग) ह रवंश राय ब न
घ) आलोक ध वा
‘कै मरे म बंद अपािहज’ का स पूण उ र अब एक साथ –
उ र संकेत – 1॰ i (क) ii (ख) iii (ग) iv (ग) v (घ)
उ र –संकेत – 2॰ i (क) ii (घ) iii (क) iv (ग) v (क)
उ र संकेत – 3॰ i (घ) ii (ग) iii (क) iv (ख) v (क)
-------------------------------------------------------------------
------------------------

शमशेर बहादरु िसंह (उषा)


1.’ ात नभ था बहत नीला शंख जैसे
भोर का नभ
राख से िलपा चौका
(अभी िगला पडा है)
बहत काली िसल
जरा से लाल के सर से
िक जैसे धुल गई हो
लेट पर या लाल खिड़या चाक
मल दी हो िकसी ने
‘नील जल म या िकसी क
गौर िझलिमल देह
जैसे िहल रही हो ।
और …..
जाद ू टू टता है इस उषा का अब
सूय दय हो रहा है।‘
1. नीले आकाश क तुलना नीले शंख से क है। इसीिलए यहां ..... अलंकार है।
(1) उ े ा
(2) यमक
(3) उपमा
(4) मानवीकरण
उतर- उपमा

-2. उपयु प ांश क भाषा शैली क िवशेषता है ?


(1) त सम था देशज श द
(2) त व तथा त सम श द
(3) उद ू तथा त सम श द
(4) त सम तथा आंचिलक श द
उतर- त सम तथा आंचिलक श द
-3. बहत काली िसल , जरा से लाल के सर से” और “ लेट पर या लाल खिड़या चाक मल दी हो िकसी ने” म कौनसा अलंकार है।
(1) मानवीकरण
(2) अितशयो
(3) उ े ा
(4) ात
उतर उ े ा
-4. उपयु पंि य म कौनसा छं द है ?
(1) दोहा छं द
(2) चौपाई छं द
(3) कुं डिलया छं द
(4) मु छं द
उ र- मु छं द
-5. उपयु पंि य म कौनसा का य-गुण है ?
(1) ओज गुण
(2) साद गुण
(3) माधुय गुण
(4) कोई नह
उ र- माधुय गुण
.......................................................................................................................
........
सूयका त ि पाठी िनराला (बादल राग)
(1)
ितरती ह समीर-सागर पर
अि थर सुख पर दख ु क छाया-
जगके द ध दय पर
िनदय िव व क ािवत माया-
यह तेरी रण-तरी
भरी आकां ाओं से,
धन,् भेरी-गजन से सजग सु अंकुर
उर म पृ वी के , आशाव से
नवजीवन क , ऊँ चा कर िसर,
तक रहे ह, ऐ िव व के बादल
-1. बादल को िकस प म िचि त िकया गया है ?
(1) ांितदतू
(2) मेघदतू
(3) अ दतू
(4) यमदतू
उ र- ांितदतू
-2. पृ वी म सोए हए अंकुर पर िकसका भाव पड़ता ह?
(1) पृ वी का
(2) धनुष का
(3) बादल क गजना का
(4) अि का
उ र-बादल क गजना का
-3 सु अंकुर िकसका तीक है ?
(1) बीज के नवजात प का
(2) शोषक का
(3) शोिषत का
(4) उ पीड़क का
उ र-शोिषत का
-4. किव के अनुसार बादल क यु पी नौका म या लदा है ?
1) हिथयार
2) खाने का सामान
3) आदमी क इ छाएँ
4) बादल और समीर
उ र-आदमी क इ छाएँ
-5. ‘समीर-सागर पर’ इसम कौनसा अलंकार है ?
1) यमक
2) अनु ास
3) पक
4) पक
उ र- पक
(2) िफर-िफर
बार-बार गजन
वषण है मूसलधार,
दय थाम लेता संसार,
सुन-सुन घोर व -हंकार।
अशिन-पात से शािपत उ त शत-शत वीर,
त-िव त हत अचल-शरीर,
गगन- पश पधा धीर।
हँसते ह छोटे पौधे लघुभार
श य अपार,
िहल-िहल ,
िखल-िखल,
हाथ िहलाते,
तुझे बुलाते,
िव व-रव से छोटे ही ह शोभा पाते।‘
-1. किव के अनुसार ‘गगन- पश पधा धीर’ म कौन लगे हए ह ?
(1) शोिषत
(2) पूंजीपित
(3) सवहारा
(4) आम जनता \
उ र-पूंजीपित
-2. उपयु पंि य म कौनसा मुख रस है ?
(1) ओज रस
(2) क ण रस
(3) भयानक रस
(4) वीर रस
उ र-वीर रस
-3. उपयु पंि य म कौनसा मुख िब ब है ?
(1) ाण िब ब
(2) पश िब ब
(3) नाद िब ब
(4) आ वाद िब ब
उ र-नाद िब ब
-4. उपयु किवता के रचनाकार कौन है ?
(1) रामधारी िसंह िदनकर
(2) सुिम ा नंदन प त
(3) सूयका त ि पाठी िनराला
(4) महादेवी वमा
उ र-सूयका त ि पाठी िनराला
-5. उपयु किवता के रचनाकार मूलतः िहंदी साही य क िकस धारा से स बंिधत है ?
(1) गितवाद
(2) छायावाद
(3) नयी किवता
(4) योगवाद
उ र-छायावाद
(3)_” कोष है, ु ध तोष
अंगना-अग से िलपट भी
आतंक अंक पर काँप रहे ह।
धनी, व -गजन से बादल
त नयन-मुख ढाँप रहे ह।
जीण बाह, है शीण शरीर,
तुझे बुलाता कृ षक अधीर,
ऐ िव व के वीर!
चूस िलया ह उसका सार,
धनी, वज़-गजन से बादल।
ऐ जीवन के पारावार!”
-1. उपयु पंि य म किव ने िकसक दयनीय दशा का सजीव िच ण िकया है।
(1) मजदरू क
(2) ीक
(3) िकसान क
(4) तीन क
उ र-िकसान क
-2. उपयु किवता म कौनसी धारा का वर है ?
(1) छायावादी
(2) योगवादी
(3) गितवादी
(4) नयी किवता
उ र- गितवादी
-3. ‘पारावार’ श द का पयायवाची श द नह है-
(1) जलिध
(2) अ बुद
(3) समु
(4) सागर
उ र-अ बुद
-4. उपयु पं य म भाषा शैली क एक िवशेषता कौनसी है ?
(1) किठन श दावली का योग
(2) त व श द का योग
(3) आंचिलक श द का योग
(4) त सम श दावली का योग
उ र-त सम श दावली का योग
-5. ‘ त नयन-मुख ढाँप रहे ह।
जीण बाह, है शीण शरीर,
चूस िलया ह उसका सार,
हाड़-मांस ही है आधार |”
इन पंि य म कौनसा रस है ?
(1) भयानक रस
(2) वीर रस
(3) क ण रस
(4) वीभ स रस
उ र- क ण रस
-------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------------------------------
-

पाठ 8 किवतावली (उ रका ड से )


किव - तुलसीदास
पंिडत का यांश पर आधा रत ो री
1)िकसबी, िकसान-कु ल, बिनक, िभखारी,भाट,
चाकर, चपला नट, चोर, चार, चेटक ।
पेटको पढ़त, गुन गुढ़त, चढ़त िगरी,
अटत गहन-गन अहन अखेटक ।।
ऊँ चे-नीचे करम, धरम-अधरम क र,
पेट ही क पचत, बेचत बेटा-बेटक ।।
‘तुलसी ‘ बुझाई एक राम घन याम ही ते
आग बड़वािगत बड़ी ह आग पेटक ।।
पिठत का यांश के आधार पर िदए गए िवक प से के सही उ र चुिनए।
क ) तुलसीदास के समय समाज क ि थित कै सी थी?
1) लोग बहत िनधन थे
2) लोग के पास काम धंधा नह था
3) भूख िमटाने के िलए भी कोई भी अनुिचत काय करने को तैयार थे
4) उपयु सभी।
ख) तुलसीदास के अनुसार पेट क आग को कौन बुझा सकता है?
1) देश का राजा
2) लोग क कमठता
3) राम पी घन याम
4) ी कृ ण क भि
ग) पद के अनुसार पेट क आग िकस आग से भी बड़ी है?
1) दावाि
2) बड़वाि
3) घर क आग
4) दय क आग

घ) तुत पद क भाषा और छं द या है?


1) जभाषा और सवैया छं द
2) अवधी भाषा और किवता छं द
3) अवधी भाषा और सवैया छं द
4) जभाषा और किव छं द

ड.) “तुलसी” बुझाई एक राम घन याम ही त - पंि म कौन-सा अलंकार है ?


1) पक अलंकार
2) उ े ा अलंकार
3) उपमा अलंकार
4) अनु ास अलंकार
उ र
क)4) उपयु सभी।
ख)3) राम पी घन याम
ग)2) बड़वाि
घ)4) जभाषा और किव छं द
ड.)1) पक अलंकार
****************************************************************
*********

(2) खेती न िकसान को, िभखारी को न भीख, बिल,


बिनक को बिनज, न चाकर को चाकरी
जीिवका िबहीन लोग सी मान सोच बस,
कह एक एकन स ‘ कहाँ जाई, का करी ?’
बेदहँ पुरान कही, लोकहँ िबलोिकअत,
साँकरे सब पै, राम ! रावर कृ पा करी।
दा रद-दसानन दबाई दनु ी, दीनबंधु !
द ु रत-दहन देिख तुलसी हहा करी।

पिठत का यांश के आधार पर िदए गए िवक प से के सही उ र चुिनए।


क ) तुत पद म त कालीन समाज क िकस ि थित का िच ण है ?
1) शासन क िनरंकुशता का
2) समाज क कमठता का
3) अकाल एवं बेरोजगारी क भयावहता का
4) दैवीय कोप का

ख) तुलसीदास के अनुसार वेद पुराण आिद ंथ म या उ े ख िमलता है?


1) संकट काल म एक ी राम ही सहायक है
2) ान से बड़ा कोई नह है
3) भा य के भरोसे बैठने से कु छ नह िमलता
4) गरीबी कमठता से ही दरू होगी
ग) तुत पद म किव तुलसीदास ने द र ता को िकसका पक िदया है ?
1) मृ यु का
2) अंधकार का
3) पाप का
4) रावण का
घ) दा रद- दशानन और द ु रत - दहन म कौन सा अलंकार है ?
1) उपमा अलंकार
2) पक अलंकार
3) उ े ा अलंकार
4) अनु ासअलंकार

ड.) यह किवता तुलसीदास क िकस रचना से उ तृ है ?


1) किवतावली
2) गीतावली
3) रामच रतमानस
4) िवनय पि का
उ र
क)3) अकाल एवं बेरोजगारी क भयावहता का
ख)1) संकट काल म एक ी राम ही सहायक है
ग)4) रावण का
घ)2) पक अलंकार
ड.)1) किवतावली
—------------------------------------------------------------------
-----------------------------------
(3 )
धूत कहो, अवधूत कह , रजपूतु कह , जोलहा कह कोऊ।
कह क बेटी स बेटा न याहब, काह क जाित िबगार न सौऊ।
तुलसी सरनाम गुलामु ह राम को, जाको चै सो कह कछु ओऊ।
माँग कै खैबो, मसीत को सोइबो, लैबो को एकु न दैबे को दोऊ।।

पिठत का यांश के आधार पर िदए गए िवक प से के सही उ र चुिनए।


क )पद म किव ने िकस पर यं य िकया है ?
1) त कालीन िश ा नीित पर
2) समाज म गरीब और मिहलाओं क दरु ाव था पर
3) आिथक िवषमता पर
4) समाज के तथाकिथत ठे केदार पर
ख) धूत एवं अवधूत का या अथ है ?
1) द ु और घर से भागा हआ
2) धूत और सं यासी
3) गृह थ और भ
4) इनम से कोई नह
ग) किव वयं को िकसका गुलाम कहते ह ?
1) धम के ठे केदार का
2) ी राम का
3) रामभ का
4) ा ण समाज का
घ) मि जद म सोने क बात कहकर किव ने —-----------और —----------का प रचय िदया है।
1) धािमक उदारता और सामािजक समरसता का
2) महानता और दया का
3) वािभमान और िवरि का
4) अपने भु ीराम क े ता का

ड.) तुत पद म िकस भाषा और छं द का योग िकया गया है ?


1) अवधी भाषा और सोरठा छं द
2) अवधी भाषा और सवैया छं द
3) जभाषा और सवैया छं द
4) जभाषा और किव छं द
उ र
क)4) समाज के तथाकिथत ठे केदार पर
ख)2) धूत और सं यासी
ग)2) ी राम का
घ)1) धािमक उदारता और सामािजक समरसता का
ड.)3) जभाषा और सवैया छं द
............................................................................................
.....................................................................................

2. ल मण मू छा और राम का िवलाप

पिठत का यांश पर आधा रत ो री


1)
तव ताप उर रािख भु, जैहउँ नाथ तुरंत ।
अस किह आयसु पाई पद, बंिद चलेउ हनुमतं ।
भरत बाह बल सील गुन, भु पद ीित अपार।
मन महँ जात सराहत, पुिन-पुिन पवनकु मार।।
क) तुत पद म कौन िकससे संवाद कर रहा है ?
1)राम ल मण से
2) राम हनुमान से
3) हनुमान भरत से
4)भरत हनुमान से
ख)हनुमान ने िकसक वंदना क ?
1) भरत के चरण क
2) ल मण के चरण क
3) ी राम के चरण क
4) भु के चरण क
ग) हनुमान भरत के िकन गुण से भािवत हए ?
1) ी राम के ित भरत क भि
2) भरत के शील वभाव
3) भरत के बाहबल से
4) उपयु सभी
घ) तुत प ांश क भाषा एवं छं द या है ?
1) अवधी भाषा एवं दोहा छं द
2) अवधी भाषा एवं चौपाई छं द
3) अवधी भाषा एवं सोरठा छं द
4) अवधी भाषा एवं सवैया छं द।
ड.) यह छं द तुलसीदास क िकस रचना से एवं िकस कांड से िलया गया है ?
1) किवतावली एवं उ र कांड से
2) गीतावली एवं उ र कांड से
3) रामच रतमानस एवं उ रकांड से
4) रामच रतमानस एवं लंका कांड से ।
—-----------------------------------
उ र
क)3) हनुमान भरत से
ख)1) भरत के चरण क
ग)4) उपयु सभी
घ)1) अवधी भाषा एवं दोहा छं द
ड.)4) रामच रतमानस एवं लंका कांड से ।
********************************
2)
उहाँ राम लिछमनिह िनहारी। बोले बचन मनुज अनुसारी ।।
अध राित गई किप निहं आयउ। राम उठाई अनुज उर लायउ ।।
सकह न दिु खत देिख मोिह काऊ । बंधु सदा तव मृदलु सुभाऊ।।
सो अनुराग कहाँ अब भाई । उठह न सुिन मम बच िबकलाई।।
ज जनतेउँ बन बंधु िबछोह। िपता बचन मनतेऊँ निहं ओह।।
क) तुत छं द म िकस संग का वणन िकया गया है ?
1) राम और रावण के यु का
2) ल मण क मू छा और राम के िवलाप का
3) हनुमान के ारा संजीवनी बूटी लाना
4) ल मण और मेघनाद यु का ।
ख) राम िकसक ती ा कर रहे ह?
1) वै राज सुषेण क
2) ल मण क मू छा टू टने क
3) वानर राज हनुमान क
4) अपनी प नी सीता के
ग) प ांश के अनुसार ल मण का वभाव कै सा था ?
1) उदार और कोमल
2) ोधी और कठोर
3) चंचल और वािभमानी
4) उपयु म से कोई नह
घ) राम कहते ह िक यिद म जानता िक —------ (कथन पूरा क िजए)
1) सीता का हरण हो जाएगा तो वनवास न आता
2) इतनी पीड़ा सहनी पड़ती तो िपता के वचन न मानता
3) यु का ान होता तो वनवास न वीकार करता
4) वन म अपने अनुज को का िवयोग सहना पड़ेगा तो िपता के वचन नह मानता।
ड.) तुत प ांश म कौन सा छं द एवं रस है ?
1) सवैया छं द एवं शांत रस
2) सोरठा छं द एवं क ण रस
3) चौपाई छं द एवं क ण रस
4) चौपाई छं द एवं शांत रस

उ र
क)2) ल मण क मू छा और राम का िवलाप
ख)3) वानर राज हनुमान क
ग)1) उदार और कोमल
घ)4) वन म अपने अनुज का िवयोग सहना पड़ेगा तो िपता के वचन नह मानता।
ड.)3) चौपाई छं द एवं क ण रस
*********************************
3)
सुत िबत ना र भवन प रवारा। होिहं जािहं जग बारिहं बारा।।
अस िबचा र िजय जागह ताता। िमलइ न जगत सहोदर ाता।।
जथा पंख िबनु खग अित दीना। मिन िबनु फिन क रबर कर हीना।।
अस मम िजवन बंधु िबनु तोही। ज जड़ दैव िजआवै मोही।।
जैहउँ अवध कवन मुहँ लाई। ना र हेतु ि य भाई गवांई।।
ब अपजस सहतेउँ जग माह । ना र हािन िबसेष छित नह ।।
क) तुत छं द म राम के िकस प का वणन है ?
1) साधारण मनु य का प
2) मयादा पु षो म राम करो
3) िव णु अवतार का
4) उनके शि शाली प का
ख) तुत प ांश म राम ने ातृ ेम क तुलना म िक हे हीन माना है ?
1) पु ,समय, नारी ,महल और प रवार
2) पु ,रा य, ी , घर और प रवार
3) पु , धन, ी, घर और प रवार
4) पु ,िम , ी , घर और प रवार
ग) सहोदर का अथ या है ?
1) दरू के र ते म भाई
2) चचेरा भाई
3) ममेरा भाई
4) सगा भाई
घ) ल मण के िबना राम क ि थित कै सी हो जाएगी ?
1) पंख के िबना प ी
2) मिण के िबना सांप सूँड़ के िबना हाथी
3) के वल दसू रा सही है
4) पहला और दसू रा दोन सही है ।
ड.) तुत छं द म राम िकस अपयश से याकु ल है ?
1) अपनी प नी क र ा नह कर सके
2) भाई को मौत के मुहं म डाल देने का अफे यस
3) प नी के िलए ि य भाई को खो देना
4) अपनी प नी को खो देना।
उ र
क)1) साधारण मनु य का प
ख)3) पु , धन, ी, घर और प रवार
ग)4) सगा भाई
घ)4) पहला और दसू रा दोन सही है ।
ड.)3) प नी के िलए ि य भाई को खो देना
*******************************
4)
अब अपलोकु सोकु सुत तोरा। सहिह िनठु र कठोर उर मोरा।।
िनज जननी के एक कु मारा । तात तासु तु ह ान अधारा।।
स पेिस मोिह तु हिह गिह पानी। सब िबिध सुखद परम िहत जानी।।
उत काह दैहऊँ तेिह जाई। उिठ िकन मोिह िसखावह भाई।।
बह िबिध सोचत सोिच िबमोचन। वत सिलल रािजव दल लोचन।।
उमा एक अखंड रघुराई। नर गित भगत कृ पालु देखाई।।
क) तुत छं द म राम ने ल मण को या कहकर संबोिधत िकया है ?
1) सहोदर
2) िम
3) पु
4) सखा
ख) तुत छं द म राम ने ल मण को िकसके ाण का आधार कहा है ?
1) माता कौश या के ाण का आधार
2) िपता दशरथ के ाण का आधार
3) प नी उिमला के ाण का आधार
4) माता सुिम ा के ाण का आधार
ग) राम ल मण से मूछा से उठकर या िसखाने क िवनती करते ह ?
1) रावण से िकस कार यु लड़ा जाए
2) वे अयो या लौट कर माता सुिम ा को या जवाब दगे
3) वे अयो या लौट कर उिमला को या जवाब दगे
4) वह यह क कै से सहन कर।
घ) तुत छं द म सोच- िवमोचन कौन है ?
1) ी राम
2) ल मण
3) भगवान शंकर
4) देवी उमा
ड.) नर गित भगत कृ पाल िदखाई- पंि का आशय या है?
1) राम ने अपनी लीला िदखाई
2) राम ने भ पर अपनी कृ पा िदखाई
3) भ पर कृ पा िदखाने वाले राम ने साधारण मनु य क दशा िदखाई।
4) राम ने भ को अपना अि तीय प िदखाया।
उ र
क)3) पु
ख)4) माता सुिम ा के ाण का आधार
ग)2) वे अयो या लौट कर माता सुिम ा को या जवाब दगे
घ)1) ी राम
ड.)3)भ पर कृ पा िदखाने वाले राम ने शोकाकु ल अव था म साधारण मनु य क दशा िदखाई।
********************************
5)
भु लाप सुिन कान, िबकल भए बानर िनकर।
आइ गयउ हनुमान, िजिम क ना महं बीर रस।।
हरिष राम भटेउ हनुमान। अित कृ त य भु परम सुजाना ।।
तुरत बैद तब क ि ह उपाई। उिठ बैठे लिछमन हरषाई ।।
दय लाइ भु भेटेउ ाता। हरषे सकल भालु किप ाता।।
किप पुिन बैद तहाँ पहँचावा। जेिह िबिध तािह लई आवा।।
क) तुत का यांश म कौन-सा छं द है ?
1) दोहा और चौपाई छं द
2) सोरठा और चौपाई छं द
3) दोहा और सोरठा छं द
4) सोरठाऔर सवैया छं द
ख) पूरी वानर सेना िवकल य हो गई ?
1) यु म ल मण को मूिछत देखकर
2) हनुमान के न लौटने के क म
3) यु के प रणाम के बारे म सोच कर
4) भाई के िवयोग म राम का िवलाप सुनकर
ग) हनुमान के आगमन का वणन िकस कार िकया गया है ?
1) मानो शांत रस म हा य रस का आगमन हो गया हो
2) मानो भि रस म वीर रस का आगमन हो गया हो
3) मानो क ण रस म वीर रस का आगमन हो गया हो
4) मानव शांत रस म वीर रस का आगमन हो गया हो
घ) ल मण को व थ देखकर राम ने या िकया ?
1) राम स हो गए
2) राम ने हनुमान को गले से लगा िलया
3) राम ने हनुमान के ित अपनी कृ त ता कट क
4) उपयु सभी िवक प सही है ।
ड.) तुत का यांश म अंत म हनुमान ने या िकया ?
1) हनुमान वानर सेना के साथ खुिशयां मनाने लगे
2) हनुमान अपने भु क वंदना करने लगे
3) हनुमान ने वै सुषेण को उनके िनवास थान पर पहंचा िदया
4) हनुमान वानर सेना को संजीवनी लाने क पूरी कथा सुनाने लगे ।

उ र
क)2) सोरठा और चौपाई छं द
ख)4) भाई के िवयोग म राम का िवलाप सुनकर
ग)3) मानो क ण रस म वीर रस का आगमन हो गया हो
घ)4) उपयु सभी िवक प सही है ।
ड.)3) हनुमान ने वै सुषेण को उनके िनवास थान पर पहंचा िदया
****************************
6)
यह बृतांत दसानन सुनेऊ। अित िबषाद पुिन पुिन िसर धुनेऊ।।
याकु ल कुं भकरन पिहं आवा। िबिबध जतन क र तािह जगावा ।।
जागा िनिसचर देिखअ कै सा । मानहँ कालु देह ध र वैसा ।।
कुं भकरन बूझा कह भाई । काहे तव मुख रहे सुखाई।।
कथा कही सब तेिहं अिभमानी। जेिह कार सीता ह र आनी।।
तात किप ह सब िनिसचर मारे । महा महा जोधा संघारे ।।
दमु खु सुर रपु मनुज अहारी। भट अितकाय अकं पन भारी।।
अपर महोदर आिदक बीरा। परे समर मिह सब रनधीरा।।
सुिन दसकं धर बचन तब, कुं भकरन िबलखान।।
जगदबा ह र अिन अब, सठ चाहत क यान।।
क) तुत छं द म िकस वृतांत क बात कही गई है ?
1) हनुमान ारा संजीवनी बूटी लाना
2) ल मण का उपचार
3) ल मण का व थ हो जाना
4) उपयु सभी ।
ख) यह वृ ांत सुनकर रावण क या दशा हई ?
1) रावण िसर पीटकर पछताने लगा
2) रावण िवलाप करने लगा
3) रावण डर गया
4) रावण िचंता म पड़ गया।
ग) न द से जागने के बाद कुं भकरण कै सा िदखाई दे रहा था ?
1) याकु ल और बेचनै
2) मानो वयं यमराज शरीर धारण करके बैठा हो
3) ोध म पागल
4) बहत अलसाया हआ ।
घ) तुत छं द म कुं भकरण ने सीता को या कहकर संबोिधत िकया है ?
1) जगत का क याण करने वाली
2) आिदशि
3) जगत जननी
4) जगत पालक
ड.) तुत का यांश म िकन छं द का का योग है ?
1) चौपाई और दोहा छं द
2) चौपाई और सोरठा छं द
3) चौपाई और किव छं द
4) चौपाई और सवैया छं द
उ र
क)4) उपयु सभी ।
ख)1) रावण िसर पीटकर पछताने लगा
ग)2) मानो वयं यमराज शरीर धारण करके बैठा हो
घ)3) जगत जननी
ड.)1) चौपाई और दोहा छं द
*************************************************************

पाठ 9 िफ़राक गोरखपुरी


बाइयाँ

का यांश पर आधा रत ो री
1.
आंगन म िलए चाँद के टुकड़े को खड़ी
हाथ पे झुलाती ह उसे गोद भरी
रह-रह के हवा म जो लोका देती ह।
गूँज उठती ह िखलिखलाते ब े क हँसी।
नहला के छलके छलके िनमल जल से
उलझे हए गेसओ ु ं म कं घी करके
िकस यार से देखता है ब ा मुहँ को
जब घुटिनय म लेके ह िप हाती कपड़े।
(1 ) आँगन म कौन खड़ा है ?
क) माँ
ख) चाँद
ग ) पु
घ ) किव
(2 ) किव ने मां क गोद म खेलते ब े को िकस क सं ा दी है?
क) चांद क
ख) िजगर के टुकड़े क
ग ) चांद के टुकडे क
घ ) राज दलु ारे क ।
(3 ) “लोका देना” का अथ या है?
क) साथ म खेलना
ख) उछाल देना
ग ) झूला झुलाना
घ ) घुमाना ।
4) “िप हाती” िकस भाषा का श द है?
क) े ीय भाषा
ख) उद ू भाषा
ग ) िह दी भाषा
घ ) िवदेशी भाषा
(5 ) बाई छं द म िकन पंि य के अंत म एक जैसी मा ा होती है?
क) पहली दसू री और तीसरी
ख) पहली दसू री और चौथी
ग ) दसू री तीसरी और चौथी
घ ) इनम से कोई नह ।
उ र
1) क) माँ
2) ग ) चांद के टु कडे क
3) ख) उछाल देना
4)क) े ीय भाषा
5)ख) पहली दसू री और चौथी
*****************************************
3.
दीवाली क शाम घर पुते और सजे
चीनी के िखलौने जगमगाते लावे
वो पवती मुखड़े पै इक नम दमक
ब े के घरौदे म जलाती ह िदए।
आँगन म ठु नक रहा है िजदयाया है
बालक तो हई चाँद म ललचाया है
दपण उसे दे के कह रही है माँ
देख आईने म चाँद उतर आया है।

(1 ) दीपावली क शाम घर कै सा िदखाई दे रहा है?


क) व छ
ख) पुताई िकया हआ
ग ) सजावट िकया हआ
घ ) उपयु सभी
(2 ) इस अवसर पर माँ ब े के िलए या लाती है?
क) चीनी िम ी के िखलौने
ख) ाि टक के िखलौने
ग ) लकड़ी के िखलौने
घ ) कांच के िखलौने
(3) माँ िदया कहाँ जलाती ह?
क) घर क दीवार पर
ख) घर क छत पर
ग ) घर के बाहर
घ ) ब के घर दे म
(4) तुत बाई म िकस भाषा का योग है?
(क) उद ू भाषा का योग
(ख)िह दी भाषा का योग
(ग) िह दी-उद ू भाषा का योग
(घ) िह दी-उद ू सिहत लोकभाषा का योग

(5 ) बाई छं द म कौन सी पंि वतं होती है?


(क) पहली
(ख) दसू री
(ग) तीसरी
(घ) चौथी

उ र
1)घ ) उपयु सभी
2)क) चीनी िम ी के िखलौने
3)घ ) ब के घर दे म
4)घ) िह दी-उद ू सिहत लोकभाषा का योग
5)(ग) तीसरी
*****************************************

पाठ 10 -उमाशंकर जोशी


किवता-छोटा मेरा खेत
पिठत का यांश पर आधा रत ो री
छोटा मेरा खेत
छोटा मेरा खेत चौकोना
कागज़ का एक प ा,
कोई अंधेड कह से आया
ण का बीज वहाँ बोया गया।
क पना के रसायन को पी
बीज गल गया िन:शेष;
श द के अंकुर फू टे,
प व पु प से निमत हआ िवशेष।
1.उपयु अवतरण के किव का नाम बताइए -
(1) उमाशंकर जोशी
(2) िफ़राक गोरखपुरी
(3) द ु यंत कु मार
(4) शमशेर बहादरु िसंह
2.कौनसा बीज गलकर न हो गया है?
(1) क पना पी
(2) भाव पी
(3) श द पी
(4) प व पी
3.यहाँ किव िकस खेत क बात करता है?
(1) छोटा खेत
(2) कागज़ पी खेत
(3) क पना
(4) ण
4.बीज िकस प म अिभ य हआ है?
(1) श द
(2) क पना
(3) पु प
(4) रसायन
5.संपणू कृ ित का प कौन लेता है -
(1) श द
(2) भाव
(3) कागज़
(4) ण

सही उ र-1. उमाशंकर जोशी,2.भाव पी,3. कागज़ पी खेत,4.श द,5.भाव

नभ म पाँती-बँधे बगुल के पंख,


चुराए िलए जात वे मेरी आँख।
कजरारे बादल क छाई नभ छाया,
तैरती साँझ क सतेज ेत काया।
हौले-हौले जाती मुझे बाँध िनज माया से।
उसे कोई तिनक रोक र खो।
वह तो चुराए िलए जात मेरी आँख
नभ म पाँती-बंधी बगुल क पाँख।

1.'बगुल के पँख' किवता म आकाश म कै से बादल क छाया छाई है?


(1) गहरे
(2) काले
(3) िछतरे
(4) नीले
2. आकाश म िकसक पंि बंधी है?
A. हंस क
B. ब ख क
C. बगुल क
D. कबूतर क ।
3.बगुल के पंख ारा या चुराए जाने क बात कही गई है?
A. मन
B. दय
C. बुि
D. आँख
4. बगुल के पंख काले बादल के ऊपर तैरते िकसके समान तीत होते ह?
A. ात:काल क सुंदर काया
B. सायंकाल क पीली काया
C. राि क काली काया
D. साँझ क ेत काया
5. 'बगुल के पंख
' किवता म साँझ क सतेज ेत काया या कर रही है?
A. तैर रही है
B. उड़ रही है
C. भाग रही है
D. नहा रही है
सही उ र-1.काले, 2. C. बगुल क 3. D. आँख 4. D. साँझ क ेत काया 5. A. तैर रही है

ग - खंड
पाठ 11 . भि न
लेिखका - महादेवी वमा
िवधा - सं मरणा मक रेखािच ( मृित क रेखाएं सं ह से िलया गया है । )
1. िन निलिखत पिठत ग ांश को पढ़कर नीचे िदए के सही िवक प चुिनए :- (1x5=5)
िपता का उस पर अगाध ेम होने के कारण वभावतः ई यालु और संपि क र ा म सतक िवमाता ने उनके मरणांतक रोग का समाचार
तब भेजा, जब वह मृ यु क सूचना भी बन चुका था। रोने-पीटने के अपशकु न से बचने के िलए सास ने भी उसे कु छ न बताया। बहत िदन
से नैहर नह गई, सो जाकर देख आवे, यही कहकर और पहना-उढ़ाकर सास ने उसे िवदा कर िदया। इस अ यािशत अनु ह ने उसके
पैर म जो पंख लगा िदए थे, वे गाँव क सीमा म पहँचते ही झड़ गए। 'हाय लछिमन अब आई क अ प पुनरावृि याँ और प
सहानुभिू तपूण ि याँ उसे घर तक ठे ल ले गई। पर वहाँ न िपता का िचहन शेष था, न िवमाता के यवहार म िश ाचार का लेश था। दख
ु से
िशिथल और अपमान से जलती हई वह उस घर म पानी भी िबना िपए उलटे पैर ससुराल लौट पड़ी। सास को खरी-खोटी सुनाकर उसने
िवमाता पर आया हआ ोध शांत िकया और पित के ऊपर गहने फक-फककर उसने िपता के िचर िवछोह क मम यथा य क ।
(I) भि न क िवमाता ने िपता क बीमारी का समाचार देर से िदया | इस संबधं म कौन सी अवधारणा शािमल नह है
(क) िपता का भि न के ित आगाध ेम
(ख) िपता ारा भि न को संपि दे देने का भय
(ग) सौतेली माता के मन म भि न को दःु ख से बचने क भावना
(घ) भि न के मन म बसी इ या
(II) सास ारा भि न को उसके िपता क मृ यु क सूचना भि न को य नह दी गई?
(क) भि न को िपतृशोक से बचाए रखने के िलए
(ख) भि न से असीम ेम के कारण
(ग) भि न के ारा बार – बार नेहर जाने क िज के कारण
(घ) रोने -िवलाप करने से घर म अपशकु न
(III) सास ने भि न के ित या अ यािशत अनु ह िकया?
(क) भि न के िपता क मृ यु क बात बताना
(ख) भि न को उसके िपता के घर भेजना
(ग) भि न को उसके िपता के घर न भेजना
(घ)भि न के िदन ितिदन के काय म सहयोग देना
(IV) भि न के पैर म लगे पंख झड़ने का कारण या था?
(क) सास ारा िकए गए छल का अहसास
(ख) िपता क मृ यु हो जाने क आशंका
(ग) गाँववाल ारा उसे सहानुभिू तपूण ि से देखना
(घ) तीन िवक प सही ह |
(V) भि न ने सौतेली माँ पर आया ोध कै से शांत िकया?
(क) नैहर का पानी न पीकर
(ख) तुरंत ससुराल वािपस आकर
(ग) अपनी सास को बुरा भला कहकर
(घ) अपने गहने उतारकर पित पर फै क – फै ककर

उ र संकेत : i) िपता ारा भि न को संपि दे देने का भय ii) रोने -िवलाप करने से घर म अपशकु न iii) भि न को
उसके िपता के घर भेजना iv) तीन िवक प सही ह v) अपने गहने उतारकर पित पर फै क – फै ककर

2 . िन निलिखत पिठत ग ांश को पढ़ कर नीचे िदए के सही िवक प चुिनए :- (1x5=5)


इस दंड िवधान के भीतर कोई ऐसी धारा नह थी, िजसके अनुसार खोटे िस क टकसाल जैसी प नी से पित को िवर िकया जा
सकता। सारी चुगली-चबाई क प रणित उसके प नी- ेम को बढ़ाकर ही होती थी। िजठािनयाँ बात-बात पर धमाधम पीटी जाती पर
उसके पित ने उसे कभी उँगली भी नह छु आई। वह बड़े बाप क बड़ी बात वाली बेटी को पहचानता था। इसके अित र प र मी,
तेजि वनी और पित के ित रोम-रोम से रायी प नी को वह चाहता भी बहत रहा होगा, य िक उसके ेम के बल पर ही प नी ने सबको
अँगठू ा िदखा िदया। काम नह करती थी, इसिलए गाय-भस, खेत-खिलहान, अमराई के पेड़ आिद के संबधं म उसी का ान बहत
बढ़ा-चढ़ा था। उसने लॉट-छाँट कर, ऊपर से असंतोष क मु ा साध और भीतर से पुलिकत होते हए जो कु छ िलया, वह सबसे अ छा
भी रहा, साथ ही प र मी दंपित के िनरंतर यास से उसका सोना बन जाना भी वाभािवक हो गया।

(I) खोटे िस क ‘टकसाल’ िकसे कहा गया है?


(क) भि न को
(ख) सास को
(ग) जेठािनय को
(घ) बेिटय को
(II) भि न को खोटे िस क टकसाल कहना समाज क िकस मानिसकता को दशता है?
(क) लोकतांि क ि कोण को
(ख) पु ष वच व क थापना न करना
(ग) नारी क दयनीय ि थित को दशाना
(घ) नारी के ित स मान क भावना को दिशत करना
(III) भि न के पित क कौन सी सोच उसे समाज के अ य लोग से अलग करती थी?
(क) ी के ित आदर क भावना होना
(ख) अ यंत प र मी होना
(ग) प नी से घिन नेह करना
(घ) उपयु सभी सही
(IV) पित से भि न को िवर न कर पाने पर भि न के साथ या िकया गया?
(क) उससे यादा काय कराया जाने लगा |
(ख) उसे पित के साथ प रवार से अलग कर िदया |
(ग) उसे खोटे िस क टकसाल कहा जाने लगा|
(घ) घर के हर काय उसक राय ली जाने लगी |
(V) भि न क सास और जेठािनयाँ उसक चुगली पित के सामने य करती थी ?
(क) तािक भि न घर के काम-काज म िच लेने लगे
(ख) उसक िपटाई करवाने के िलए
(ग) उसके मायके भेजने के िलए
(घ) उपरो सभी

उ र संकेत : i) भि न को ii) नारी क दयनीय ि थित को दशाना iii) उपयु सभी सही iv) उससे यादा काय कराया
जाने लगा v) उसक िपटाई करवाने के िलए

3. िन निलिखत पिठत ग ांश को पढ़कर नीचे िदए के सही िवक प चुिनए :- (1x5=5)
भि न का दभु ा य भी उससे कम हठी नह था, इसी से िकशोरी से युवती होते ही बड़ी लड़क भी िवधवा हो गई। भइह से पार न पा सकने
वाले जेठ और काक को परा त करने के िलए किटब िजठौत ने आशा क एक िकरण िदखाई । िवधवा बिहन के गठबंधन के िलए
बड़ा िजठै त अपने तीतर लडाने वाले साले को बुला लाया, य िक उसका गठबंधन हो जाने पर सब कु छ उ ह के अिधकार म रहता।
भि न क लड़क भी म से कम समझदार नह थी, इसी से उसने वर को नापसंद कर िदया। बाहर के बहनोई का आना चचेरे भाइय के
िलए सुिवधाजनक नह था, अतः यह ताव जहाँ-का-तहाँ रह गया। तब वे दोन माँ-बेटी खूब मन लगाकर अपनी संपि क
देख-भाल करने लगे और 'मान न मान म तेरा मेहमान' क कहावत च रताथ करने वाले वर के समथक उसे िकसी-न-िकसी कार पित
क पदवी पर अिभिष करने का उपाय सोचने लगे।

(I) भि न के हठी दभु ा य के संबधं म कौन सी अवधारणा शािमल नह है?


(क) भि न क माता -िपता का िबछोह
(ख) सौतेली माँ से िमले क
(ग) प रवार का सुख
(घ) पित क असमय मृ यु
(II) भि न के जेठ और िजठािनयाँ िकस बात के िलए किटब थे?
(क) भि न का आ म स मान न करने के िलए
(ख) भि न और उसक बेटी को अलग करने के िलए
(ग) भि न और उसक बेिटय को साथ रखने के िलए
(घ) भि न क हर संभव सहायता करने के िलए
(III) भि न क िवधवा बेटी का पुनिववाह करवाने के मूल म िजठौत क कौन से मंशा िछपी थी ?
(क) सामािजक उ रदािय व का िनवाह
(ख) भि न के साथ अपने र ते का िनवाह
(ग) भि न क जायदाद पर िग ि
(घ) चचेरी बहन का घर बसने क शुभे छा
(IV) चचेरे भाइय के िलए असुिवधाजनक या था?
(क) अपनी पसंद के वर से भि न क बेटी का िववाह होना
(ख) भि न क पसंद के वर से चचेरी बहन का िववाह होना
(ग) भि न क बेटी का पुनिववाह होना
(घ) भि न और उसक बेटी ारा जायदाद संभाले रखना
(V) भि न क िवधवा पु ी ारा अपने चचेरे भाइय क पसंद के वर से इंकार करने का मु य कारण या था?
(क) वर का सुंदर होना
(ख) भि न को वर पसंद न आना
(ग) चचेरे भाइय क बदनीयती का ान होना
(घ) िज मेदा रयां न संभाल पाने का भय होना

उ र संकेत : i) प रवार का सुख ii) भि न और उसक बेटी को अलग करने के िलए iii) भि न क जायदाद पर
िग ि iv) भि न और उसक बेटी ारा जायदाद संभाले रखना v) चचेरे भाइय क बदनीयती का ान होना
—------------------------------------------------------------------
----------------------------------------------------------

पाठ 12 बाज़ार दशन


लेखक-जैने कु मार िवधा - िनबंध

-1॰
बाज़ार म एक जाद ू है। वह जाद ू आँख क राह काम करता है। वह प का जाद ू है। पर जैसे चुबं क का जाद ू लोहे पर ही चलता है, वैसे ही
इस जाद ू क भी मयादा है। जेब भरी हो, और मन खाली हो, ऐसी हालत मे जाद ू का असर खूब होता है। जेब खाली पर मन भरा न हो, तो
भी जाद ू चल जाएगा । मन खाली है तो बाज़ार क अनेकानेक चीज़ो का िनमं ण उस तक पहँच जाएगा। कह उस व जेब भरी तब तो
िफर वह मन िकसक मानने वाला है। पर उस जाद ू क जकड़ से बचने का एक सीधा सा उपाय है। वह यह है िक बाजार जाओ तो खाली
मन न हो । मन खाली हो, तब बाजार न जाओ । कहते ह िक लू म जाना हो तो पानी पीकर जाना चािहए । पानी भीतर हो तो ,लू का
लूपन यथ हो जाता है। मन ल य म भरा हो तो बाजार भी फै ला का फै ला ही रह जाएगा । तब वह घाव िबलकु ल नह दे सके गा, बि क
कु छ आनंद ही देगा। तब बाजार तुमसे कृ ताथ होगा, य िक तुम कु छ न कु छ स ा लाभ उसे दोगे। बाजार क असली कृ ताथता है
आव यकता के समय काम आना ।
उपरो ग ा श के आधार पर िन निलिखत म से सही िवक प का चयन क िजए-
i) तुत ग ा श िकस पाठ से संकिलत है?
क) भि न
ख) बाजार –दशन
ग) नमक
घ) िशरीष के फू ल
ii) उपरो ग ा श के लेखक कौन ह?
क) महादेवी वमा
ख) जैने कु मार
ग) धमवीर भारती
घ) िव णु खरे
iii) जाद ू िकसक राह से काम करती है?
क) कान क
ख) आँख क
ग) नाक क
घ) मुहँ क
iv)बाजार का जाद ू िकस पर अिधक असर करता है?
क) िजनका मन खाली होता है।
ख) िजनका मन भरा रहता है।
ग) िजनके जेब म पैसे होते ह।
घ) िजनके जेब म पैसे नह होते ह।
v) बाजार का आकषण ाहक को कौन-सी चीज खरीदने के िलए ललचाता है?
क) ज रत क चीज
ख) अपनी पसंद क चीज
ग) अ छी चीज
घ) यथ क चीज

उ र संकेत – 1॰ i (ख) ii (ख) iii (ख) iv (क) v (ग)

-3॰
या जाने उस भोले आदमी को अ र- ान तक भी है या नह । और बड़ी बात उसे मालूम या ह गी। और हम आप न जाने िकतनी बड़ी
बड़ी बात जानते ह। इससे यह तो हो सकता है िक वह चूरन वाला भगत हम लोग के सामने एकदम नाचीज़ आदमी हो। लेिकन आप
पाठक क िव ान ेणी का सद य होकर भी म यह वीकार नह करना चाहता हँ िक उस अपदाथ ाणी को वह ा है जो हम म से
बहत कम को शायद ा है। उस पर बाजार का जाद ू वार नह कर पाता । माल िबछा रहता है,और उसका मन अिडग रहता है। पैसा उससे
आगे होकर भीख तक माँगता है िक मुझे लो । लेिकन उसके मन म पैसे पर दया नह समाती। वह िनमम यि पैसे को अपने आहत गव म
िबलखता छोड़ देता है। ऐसे आदमी के आगे या पैसे िक यं य-शि कु छ भी चलती होगी ? या वह शि कुं िठत रहकर सल ही न
हो जाती होगी ?
उपरो ग ा श के आधार पर िन निलिखत म से सही िवक प का चयन क िजए-
i) यहाँ िकस भोले आदमी क बात क जा रही है?
क) चूरन वाले भगत जी क
ख) पान वाले भगत जी क
ग) परचून वाले भगत जी क
घ) उपरो सभी
ii) अपदाथ का या अथ है?
क) अिकं चन
ख) बेचारा,िबना मह व का
ग) हलका-फु लका
घ) उपरो सभी
iii) लोग को लुभाने, यासा बनाने,तृ णा से याकु ल बनाने और लोभ से पागल बनाने क शि को या कहते ह?
क) हा य–शि
ख) यं य-शि
ग) अ शि
घ) मृग शि
iv) िकसके मन म सांसा रक व तुओ ं को पाने क पागल वासना नह है?
क) लेखक के
ख) ाहक के
ग) भगत जी के
घ) लोभ यु मनु य के
v) भोला िकसे कहा गया है?
क) भगत जी को
ख) लेखक को
ग) ाहक को
घ) उपरो म से कोई नह

उ र संकेत – 3॰ i (क) ii (घ) iii (ख) iv (ग) v (क)

-----------------------------------------------------इित-------------
--------------------------

पाठ 13.काले मेघा पानी दे


लेखक - डॉ. धमवीर भारती
िवधा - सं मरण
पिठत ग ांश
1. िन निलिखत पिठत ग ांश को पढ़कर नीचे िदए के सही िवक प चुिनए :- (1x5=5)
हम आज देश के िलए करते या ह? माँग हर े म बड़ी-बड़ी ह पर याग का कह नामो-िनशान नह है। अपना वाथ आज एकमा
ल य रह गया है। हम चटखारे लेकर इसके या उसके ाचार क बात करते ह पर या कभी हमने जांचा है िक अपने तर पर अपने दायरे
म हम उसी ाचार के अंग तो नह बन रहे ह? काले मेघा दल के दल उमड़ते ह, पानी झमाझम बरसता है, पर गगरी फू टी क फू टी रह
जाती है, बैल यासे के यासे रह जाते ह। आिखर कब बदलेगी ये ि थित ??...
(i)आज हम देश के िलए या नह करना चाहते?
(1) सेवा
(2) याग
(3) मेहनत
(4) कोई भी िवक प ठीक नह है
उ र - याग
(ii)हम चटखारे लेकर या करते ह?
(1) ाचार
(2) अपने ाचार क बात
(3) दसू र के ाचार क बात
(4) सभी िवक प ठीक ह
उ र-दसू र के ाचार क बात
(iii)हमारा एकमा ल य या रह गया है?
(1) समाजसेवा
(2) वाथिसि
(3) ाचार
(4) याग
उ र- वाथिसि
(iv)काले मेघा उमड़ने के बावजूद गगरी फू टी और बैल यासा य रह जाता है?
(1) हमारे अपने ाचार के कारण
(2) बा रश न होने के कारण
(3) गगरी और बैल म ही कमी होने के कारण
(4) कोई भी िवक प ठीक नह है
उ र-हमारे अपने ाचार के कारण
(v)इस ग ांश म लेखक या संदश े देता है?
(1) हम दसू र के काम पर यान देना चािहए
(2) हम सभी को पानी िपलाना चािहए
(3) हम दसू र के ाचार क बात करनी चािहएँ
(4) हमारे मन म देश के िलए याग क भावना होनी चािहए
उ र-हमारे मन म देश के िलए याग क भावना होनी चािहए
2. िन निलिखत पिठत ग ांश को पढ़कर नीचे िदए के सही िवक प चुिनए :- (1x5=5)
म असल म था तो इ ह मेढक-मंडली वाल क उमर का, पर कु छ तो बचपन के आयसमाजी सं कार थे और एक कु मार सुधार सभा
कायम हई थी उसका उपमं ी बना िदया गया था| सो समाज-सुधार का जोश कु छ यादा ही था| अंधिव ास के िखलाफ तो तरकस म
तीर रखकर घूमता रहता था| मगर मुि कल यह थी िक मुझे अपने बचपन म िजससे सबसे यादा यार िमला वे थ जीजी| यूँ र ते म मेरी
कोई नह थ , उ म मेरी माँ से बड़ी थ , पर अपने लड़के -बह सबको छोड़ कर उनके ाण मुझी म बसते थे| और वे थ उन तमाम
रीित- रवाज , तीज- योहार , पूजा अनु ान क खान िज ह कु मार सुधार सभा का यह उपमं ी अंधिव ास कहता था, और उ ह जड़ से
उखाड़ फकना चाहता था| पर मुि कल यह थी िक उनका कोई पूजा-िवधान, कोई योहार अनु ान मेरे यहाँ पूरा नह होता था| दीवाली है
तो गोबर और कौिड़य से गोवधन और सितया बनाने म लगा हँ, ज मा मी है तो रोज़ आठ िदन क झाँक तक को सजाने और पंजीरी
बाँटने म लगा हँ, हर-छट है तो छोटी रंगीन कू ि हय म भूजा भर रहा हँ| िकसी म भुजा चना, िकसी म भुनी मटर, िकसी म भुने अरवा
चावल, िकसी म भुना गेह|ँ जीजी यह सब मेरे हाथ से करात , तािक उनका पु य मुझे िमले| के वल मुझे|
(i)लेखक के गाँव म कौनसी सभा बनी थी?
(1) कु मार सुधार सभा
(2) आयसमाज
(3) मेढक-मंडली
(4) िम -मंडली
उ र-कु मार सुधार सभा
(ii)लेखक िकसका िवरोध करता था?
(1) आयसमाज का
(2) अंधिव ास का
(3) कु मार सुधार सभा का
(4) गाँव वाल का
उ र-अंधिव ास का
(iii)जीजी लेखक क या लगती थ ?
(1) बहन (2) माँ
(3) आंटी (4) कु छ नह
उ र-माँ
(iv)जीजी सभी धािमक अनु ान लेखक से य करवाती थ ?
(1) य िक लेखक उन अनु ान को अ छे से करना जानता था
(2) य िक लेखक उन अनु ान म होने वाले मं को जानता था
(3) य िक वे चाहती थ िक उनका पु य लेखक को िमले
(4) य िक वो लेखक क िच उन अनु ान म जगाना चाहती थ
उ र- य िक वे चाहती थ िक उनका पु य लेखक को िमले
(v)जीजी कौनसे अनु ान लेखक से करवाती थ ?
(1) दीवाली पर गोबर और कौिड़य से गोवधन और सितया बनाना
(2) ज मा मी है पर रोज़ आठ िदन क झाँक को सजाना और पंजीरी बाँटना
(3) हर-छट पर छोटी रंगीन कू ि हय म भूजा भरना
(4) सभी िवक प ठीक ह
उ र-सभी िवक प ठीक ह
3. िन निलिखत पिठत ग ांश को पढ़कर नीचे िदए के सही िवक प चुिनए :- (1x5=5)
शहर क तुलना म गाँव म और भी हालत खराब होती थी| जहाँ जुताई होनी चािहए वहाँ खेत क िम ी सूखकर प थर हो जाती, िफर
उसम पपड़ी पड़ कर ज़मीन फटने लगती, लू ऐसी िक चलते-चलते आदमी आधे रा ते म लू खा कर िगर पड़े| ढोर-ढंगर यास के मारे
मरने लगते, लेिकन बा रश का कह नाम-िनशान नह , ऐसे म पूजा-पाठ कथा-िवधान सब करके लोग जब हार जाते तब अंितम उपाय
के प म िनकलती यह इंदर सेना| वषा के बादल के वामी ह, इं और इं क सेना टोली बांध कर क चड़ म लथपथ िनकलती, पुकारते
हए मेघ को, पानी माँगते हए यासे गल और सूखे खेत के िलए| पानी क आशा पर जैसे सारा जीवन आकर िटक गया हो| एक बात मेरे
समझ म नह आती थी िक जब चार और पानी क इतनी कमी है तो लोग घर म इतनी किठनाई से इक ा करके रखा हआ पानी बा टी
भर-भर कर इन पर य फकते ह| कै सी िनमम बरबादी है पानी क |
(i)गाँव क हालत खराब य होती थी?
(1) बाढ़ के कारण
(2) सूखे के कारण
(3) भूकंप के कारण
(4) महामारी के कारण
उ र-सूखे के कारण
(ii)गाँव के कै से य का वणन है?
(1) जहाँ जुताई होनी चािहए वहाँ खेत क िम ी सूखकर प थर हो जाती
(2) भयंकर लू चलती
(3) ढोर-ढंगर यास के मारे मरने लगते
(4) सभी िवक प ठीक ह
उ र-सभी िवक प ठीक ह
(iii)गाँव के लोग बरसात के िलए या उपाय करते?
(1) पूजा-पाठ आिद अनु ान करते
(2) सरकार से ाथना करते
(3) गाँव छोड़कर चले जाते
(4) सभी िवक प ठीक ह
उ र-पूजा-पाठ आिद अनु ान करते
(iv)इंदर-सेना िकसे स करने का यास करती थी?
(1) भगवान िशव को
(2) वषा के राजा इं को
(3) लोग को
(4) सभी िवक प ठीक ह
उ र-वषा के राजा इं को
(v)लेखक को या बात समझ नह आती थी?
(1) लोग पूजा पाठ य करते ह
(2) इंदर सेना य बनी है
(3) लोग इतनी किठनाई से इक ा िकया पानी बरबाद य कर रहे ह
(4) सभी िवक प ठीक है
उ र-लोग इतनी किठनाई से इक ा िकया पानी बरबाद य कर रहे ह।
-------------------------------------------------------------------
-------
पाठ 14 पहलवान क ढोलक
िवधा- कहानी लेखक- फणी र नाथ रेणु
पिठत ग ांश पर आधा रत ो री
िन निलिखत ग ांश को पढ़कर िदए गए के सही उ र वाले िवक प चुिनए –
1.जाड़े का िदन। अमाव या क रात-ठं डी और काली। मले रया और हैजे से पीिड़त गाँव भयात िशशु क तरह थर-थर काँप रहा था।
पुरानी और उजड़ी बॉस-फू स क झोपिड़य म अंधकार और स ाटे का सि मिलत सा ा य अँधेरा और िन त धता !
अँधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी। िन त धता क ण िससिकय और आह को बलपूवक अपने दय म ही दबाने क चे ा कर रही
थी। आकाश म तारे चमक रहे थे। पृ वी पर कह काश का नाम नह । आकाश से टू टकर यिद कोई भावुक तारा पृ वी पर जाना चाहता
तो उसक योित और शि रा ते म ही शेष हो जाती थी। अ य तारे उसक भावुकता अथवा असफलता पर िखलिखलाकर हँस पड़ते थे।
िसयार का ं दन और पेचक क डरावनी आवाज कभी-कभी िन त धता को अव य भंग कर देती थी । गाँव क झोपिड़य से कराहने
और कै करने क आवाज,” हरे राम, हे भगवान”,‘क टेर अव य सुनाई पड़ती थी। ब े भी कभी-कभी िनबल कं ठ से माँ -माँ पुकार
कर रो पड़ते थे । पर इससे राि क िन त धता म िवशेष बाधा नह पड़ती थी ।
िन निलिखत के सही िवक प चुिनए -
क) तुत ग ांश म िकस ऋतु क चचा हो रही है?
1) ी म ऋतु 2) वषा ऋतु
3) शरद ऋतु 4) शीत ऋतु
ख) गाँव क दशा कै सी थी ?
1) मले रया और हैजा क महामारी से पीिड़त
2) भय से कांपते हए िशशु के समान
3) अंधकार और स ाटे से भरे घर
4) उपयु तीन
ग)अंधेरी रात के ारा चुपचाप आँसू बहाने का या अथ है?
1) चार ओर मौत का स ाटा छाया था
2) ओस क बूदं आँसू बहाती-सी तीत होती ह
3) उपयु दोन सही ह
4) के वल दसू रा सही है ।
घ) रात क िन त धता को —------------आवाज भंग करती थी?
1) िसयार के रोने क 2) कु के िमलकर रोने
3) ब के रोने क 4) िसयार और उ क
ङ) ग ांश के आधार पर िन निलिखत कथन पर िवचार क िजए ।
1) पृ वी पर चार ओर अंधेरा और स ाटा था ।
2) कृ ित भी गाँव वाल क पीड़ा देखकर दख ु ी थी ।
3) भावुक तारा टू ट कर धरती पर काश फै लाना चाहता था ।
4) भावुक तारे क योित और शि अशेष थी।
उप रिलिखत िलिखत कथन म से कौन-सा /कौन - से कथन सही है/ ह ?
क) कथन 1 और 2 ख) कथन 3 और 4
ग) कथन 1, 2 और 3 घ) कथन 1 ,3 और 4

उ र-क) 4.शीत ऋतु ख ) 4. उपयु सभी


ग)3 उपयु दोन सही है घ) 4.िसयार और उ क ङ) ग.कथन 1, 2 और 3
2
पंजाबी पहलवान क जमायत चाँद िसंह क आँख प छ रह थ । लु न को राजा साहब ने पुर कृ त ही नह िकया, अपने दरबार म सदा के
िलए रख िलया। तब से लु न राज-पहलवान हो गया और राजा साहब उसे लु न िसंह कहकर पुकारने लगे। राज-पंिडत ने मुहँ िबचकाया
'हजूर जाित का 'िसंह'। मैनेजर साहब ि य थे। न शेवड' चेहरे को संकुिचत करते हए, शि लगाकर नाक के बाल उखाड़ रहे थे।
चुटक से अ याचारी बाल को रगड़ते हए बोले-"हाँ सरकार यह अ याय है!” राजा साहब ने मुसकु राते हए िसफ इतना ही कहा-उसने
ि य का काम िकया है। उसी िदन से लु न िसंह पहलवान क क ित दरू -दरू तक फै ल गई। पौि क भोजन और यायाम तथा राजा साहब
क नेह- ि ने उसक िस म चार चाँद लगा िदए। कु छ वष म ही उसने एक-एक कर सभी नामी पहलवान को िम ी सुंघाकर
आसमान िदखा िदया।

(क) िकसक आंख से आंसू बह रहे थे?


1) लु न िसंह
2) चाँद िसंह
3) बादल िसंह
4) राजा साहब।
(ख) लु न िसंह का िवरोध िकसने िकया ?
1) राज पंिडत और मैनेजर ने
2) राजा ने
3) जनता ने
4) ढोल वादक ने।
(ग) लु न के िवरोध से त कालीन समाज क िकस बुराई का पता चलता ह ?
1) धािमक उ माद
2) चाटुका रता
3) े वाद और जाितवाद
4) गरीब का शोषण।
(घ) लु न क क ित दरू दरू तक कै से फै ल गई?
1) शेर के ब े को हरा िदया
2) इलाके के सभी नामी पहलवान को हरा िदया
3) राज पहलवान बन गया
4) उपयु सभी।
ड.) ग ांश मे यु मुहावरो का चयन क िजए-
(1) चार चाँद लगाना
(2)आसमान िदखाना
(3) पहला और दसू रा दोन सही है
(4) के वल पहला सही है
उ र-
क)2) चाँद िसंह
ख)1) राज पंिडत और मैनेजर ने
ग) 3) े वाद और जाितवाद
घ)4) उपयु सभी।
ड)(3) पहला और दसू रा दोन सही है।
—-------------------------------------------------
4
िकं तु उसक िश ा-दी ा, सब िकए-िकराए पर एक िदन पानी िफर गया। वृ राजा वग िसधार गए। नए राजकु मार ने िवलायत से आते
ही रा य को अपने हाथ म ले िलया। राजा साहब के समय िशिथलता आ गई थी, राजकु मार के आते ही दरू हो गई। बहत से प रवतन हए।
उ ह प रवतन क चपेटाघात म पड़ा पहलवान भी। दंगल का थान घोड़े क रे स ने िलया। पहलवान तथा दोन भावी पहलवान का
दैिनक भोजन यय सुनते ही राजकु मार ने कहा 'टै रबुल!" नए मैनेजर साहब ने कहा "हो रबुल"। पहलवान को साफ जवाब िमल गया,
राज दरबार म उसक आव यकता नह । उसको िगड़िगड़ाने का भी मौका नह िदया गया।

(क) पहलवान िकसे िश ा- दी ा दे रहा था?


1) याम नगर के युवाओं को
2) अपने दोन पहलवान पु को
3) राजा के पु को
4) इनम से कोई नह
(ख) स ा प रवतन के या प रणाम हए?
1) नए राजकु मार ने अपने िपता क प रपाटी जारी रखी।
2) दंगल से जुड़े नए -नए प रवतन िकए गए।
3) पहलवानी क जगह घोड़े क रे स ने ले िलया।
4) लु न का स मान और भी बढ़ गया।
(ग) पहलवान को रा या य य नह िमला?
1) पहलवान और भावी पहलवान का दैिनक भोजन यय बहत अिधक था ।
2) नए राजा को दंगल म कोई िच नह थी ।
3) उपयु दोन कथन सही ह ।
4) उपयु दोन कथन गलत है ।
(घ) नए राजा के शासिनक प रवतन के —--------- म लु न पहलवान भी आ गया।
1) आघात
2) चपेट
3) चपेटाघात
4) चंगल ु
ड. िन निलिखत कथन कारण को यान पूवक बड़ी और उसके बाद िदए गए िवक प म से कोई एक सही िवक प चुनकर िलिखए -
कथन (अ ) मैनेजर जाितगत कारण से लु न िसंह से पहले से ही षे भाव रखतेथे।
कारण (ब ) उ ह ने पहलवान को बोलने का मौका भी नह िदया और उसे और उसके बेटे को राज दरबार से िनकाल िदया।
क) कथन (अ) तथा कारण (ब ) दोन सही ह ।
ख) कथन (अ) सही है िकं तु कारण (ब ) गलत है।
ग) कथन (अ) गलत है िकं तु कारण (ब ) सही है ।
घ) कथन (अ) और कारण (ब ) दोन गलत है।
उ र-
क) अपने दोन पहलवान पु को
ख)पहलवानी क जगह घोड़े क रेस ने ले िलया।
ग) उपयु दोन कथन सही ह ।
घ) चपेटाघात
ड)क) कथन (अ) तथा कारण (ब ) दोन सही ह।
5.
उस िदन पहलवान ने राजा यामानंद क दी हई रे शमी जाँिघया पहन ली। सारे शरीर म िम ी मलकर थोड़ी कसरत क , िफर दोन पु को
कं ध पर लादकर नदी म बहा आया। लोग ने सुना तो दंग रह गए। िकतन क िह मत टू ट गई। िकं तु, रात म िफर पहलवान क ढोलक क
आवाज ितिदन क भाँित सुनाई पड़ी। लोग क िह मत दगु नु ी बढ़ गई। संत िपता-माताओं ने कहा-'दोन पहलवान बेटे मर गए, पर
पहलवान क िह मत तो देखो, डेढ़ हाथ का कलेजा है!” चार-पाँच िदन के बाद एक रात को ढोलक क आवाज नह सुनाई पड़ी।
ढोलक नह बोली। पहलवान के कु छ िदलेर, िकं तु ण िश य ने ात: काल जाकर देखा-पहलवान क लाश 'िचत' पड़ी है। आँसू प छते
हए एक ने कहा-गु जी कहा करते थे िक जब म मर जाऊँ तो िचता पर मुझे िचत नह , पेट के बल सुलाना। म िजंदगी म कभी िच नह
हआ। और िचता सुलगाने के समय ढोलक बजा देना।' वह आगे बोल नह सका।
(क) पहलवान ने अपने ब का अितम सं कार कै से िकया?
1) पहलवान ने राजा यामानंद क दी हई रे शमी जाँिघया पहनी
2) उसने शरीर पर िम ी लगा िलया
3) दोन पु को कं ध पर लादकर नदी म बहा आया
4) उपयु सभी।
(ख) लोग पहलवान क िकस बात पर हैरान थे?
(1) पहलवान जवान पु क मृ यु से भी नह हारा ।
(2) उसने रात भर ढोलक बजाई
(3) पहला कथन सही है
(4) पहला और दसू रा दोन कथन सही है।
(ग) यहाँ िकस मुहावरे का योग िकया गया है?
1) िह मत टू ट जाना
2) दंग रह जाना
3)िच लेटना
4) डेढ़ हाथ का कलेजा होना।
घ) पहलवान क ढोलक बजनी बंद य हो गई?
1) पहलवान थक गया था
(2) पहलवान क मृ यु हो गई थी
(3) पहलवान अपने ब क मौत से दख ु ी था
(4) पहलवान क आ मशि ख म हो गई थी।
ड.) पहलवान क अंितम इ छा या थी?
1) िचता पर पेट के बल िलटाया जाना
(2)िचता सुलगाने के समय ढोलक बजाना
(3)के वल पहला सही है।
(4) पहला और दसू रा दोन कथन सही है।
उ र-
क) 4) उपयु सभी।
ख)(4) पहला और दसू रा दोन कथन सही है।
ग) ) 4) डेढ़ हाथ का कलेजा होना।
घ)(2) पहलवान क मृ यु हो गई थी
ड)(4) पहला और दसू रा दोन कथन सही है।
-------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------

पाठ 17 -िशरीष के फूल


िवधा - लिलत िनबंध लेखक- हजारी साद ि वेदी
पिठत ग ांश
1.ऐसे दमु दार से तो लँडूरे भले । फू ल है िशरीष । वसंत के आगमन के साथ लहक उठता है, आषाढ़ तक जो िनि त प से म त बना
रहता है। मन रम गया तो भरे भाद म भी िनघात फू लता रहता है। जब उमस से ाण उबलता रहता है और लू से दय सूखता रहता है,
एकमा िशरीष कालजयी अवधूत क भाँित जीवन क अजेयता का मं चार करता रहता है। य िप किवय क भाँित हर फू ल-प े को
देखकर मु ध होने लायक दय िवधाता ने नह िदया है, पर िनतांत ठू ं ठ भी नह हँ। िशरीष के पु प मेरे मानस म थोड़ा िह ोल ज र पैदा
करते ह।
1.कौन जीवन क अजेयता का मं चार करता रहता है?
(1) अवधूत
(2) आषाढ़
(3) वसंत
(4) िशरीष
2.कौन िनतांत ठू ँ ठ नह है?
(1) लेखक
(2) िशरीष
(3) अवधूत
(4) िवधाता
3.िशरीष के पु प लेखक के मन म या पैदा करता है?
(1) हंसी
(2) आनंद
(3) िह ोल
(4) मं
4.लेखक क िवधाता से या िशकायत है?
(1) अवधूत जैसा शरीर नह िदया है
(2) कठोर दय नह िदया है
(3) मु ध होने लायक दय नह िदया
(4) िनतांत ठू ँ ठ बना िदया है
5.इस ग ांश के लेखक कौन है?
(1) हजारी साद ि वेदी
(2) िव णु खरे
(3) फणी र नाथ रे णु
(4) महादेवी वमा

सही उ र 1.िशरीष,2.लेखक,3.िह ोल,4.मु ध होने लायक दय नह िदया,5. हजारी साद ि वेदी


2.म सोचता हँ िक पुराने क यह अिधकार- िल सा य नह समय रहते सावधान हो जाती? ज़रा और मृ यु,ये दोन ही जगत के
अितप रिचत और अित ामािणक स य ह। तुलसीदास ने अफ़सोस के साथ इनक स ाई पर मुहर लगाई थी-'धरा को माण यही तुलसी
जो फरा दो झरा, जो बरा सो बुताना!' म िशरीष के फू ल को देखकर कहता हं िक य नह फलते ही समझ लेते बाबा िक झड़ना िनि त
है। सुनता कौन है?महाकाल देवता सपासप कोड़े चला रहे ह, जीण और दबु ल झड़ रहे ह, िजनम ाण -कण थोड़ा भी ऊ वमुखी है, वे
िटक जाते ह। दरु ंत ाणधारा और सव यापक कालाि का संघष िनरंतर चल रहा है। मूख समझते ह िक जहाँ बने ह, वह देर तक बने रह
तो कालदेवता क आँख बचा जाएँगे।
1.जगत के अितप रिचत और अित ामािणक स य या ह?
(1) अिधकार िल सा
(2) ज़रा
(3) मृ यु
(4) ज़रा और मृ यु
2.'महाकाल देवता सपासप कोड़े चला रहे ह ?' से या ता पय है?
(1) देवता लोग कोड़े चला रहे ह
(2) यमराज िनरंतर मौत के कोड़े बरसा रहे ह
(3) जीण शीण को जला रहे ह
(4) कालाि को जला रहे ह
3.िकस स ाई को उजागर करने के िलए तुलसी को उ तृ िकया है?
(1) िशरीष के फू ल क स ाई को
(2) मृ यु अटल है,इस स ाई को
(3) जीवन क स ाई को
(4) मूख क समझ क स ाई को
4.मूख अपना थान य नह छोड़ते ह?
(1) नासमझी के कारण
(2) दरु ंत ाणधारा के कारण
(3) महाकाल के कारण
(4) ऊ वमुखी होने के कारण
5.िशरीष क िकस िवशेषता के कारण लेखक को यह सब कहना पड़ा?
(1) कोमलता क वजह से
(2) िज ीपन क वजह से
(3) सव यापकता के कारण
(4) उपयु म से कोई नह

सही उ र-1. ज़रा और मृ यु,2. यमराज िनरंतर मौत के कोड़े बरसा रहे ह,3.मृ यु अटल है,इस स ाई को,4. नासमझी के
कारण,5.िज ीपन क वजह से
3.िशरीष त सचमुच प े अवधूत क भाँित मेरे मन म ऐसी तरंग जगा देता है जो ऊपर क ओर उठती रहती ह। इस िचलकती धूप म
इतना इतना सरस वह कै से बना रहता है ? या ये बा प रवतन-धूप, वषा, आँधी, लू-अपने आप म स य नह ह ? हमारे देश के ऊपर
से जो यह मार-काट, अि दाह, लूट-पाट, खून-ख र का बवंडर बह गया है, उसके भीतर भी या ि थर रहा जा सकता है ? िशरीष रह
सका है। अपने देश का एक बूढ़ा रह सका था। य मेरा मन पूछता िक ऐसा य संभव हआ ? य िक िशरीष भी अवधूत है। िशरीष
वायुमडं ल से रस ख चकर इतना कोमल और इतना कठोर है। गाँधी भी वायुमडं ल से रस ख चकर इतना कोमल और इतना कठोर हो सका
था। म जब-जब िशरीष क ओर देखता हँ तब तब हक उठती है- - हाय, वह अवधूत आज कहाँ है !
1.िशरीष क तुलना अवधूत से य क गई है?
(1) कोमल होने पर
(2) प रि थितय म न ढलने के कारण
(3) किठन से किठन प रि थितय म सरस रहने के कारण
(4) वह अवधूत क भाँित िदखता है
2.'हाय,वह अवधूत आज कहाँ है!' यह वा य िकसके िलए यु हआ है?
(1) िशरीष के फू ल के िलए
(2) वायुमडं ल के िलए
(3) महा मा गांधी के िलए
(4) बवंडर के िलए
3.अवधूत िकसे कहते ह?
(1) स यासी को
(2) साधु को
(3) फ ड़ म त संत को
(4) िशरीष को
4.गाँधी जी के िलए कौन-से िवशेषण यु हए ह?
(1) कोमल
(2) कठोर
(3) उपयु दोन
(4) इनम से कोई नह
5.िशरीष को जब-तब देखकर लेखक के मन म हक य उठती है?
(1) िशरीष इतना कोमल य है?
(2) यह वायुमडं ल से रस य ख चता है?
(3) गाँधी जैसे लोग अब भारत म य नह है?
(4) अवधूत आज कहाँ चले गए ह?

सही उ र 1.किठन से किठन प रि थितय म सरस रहने के कारण,2. महा मा गांधी के िलए,3.फ ड़ म त संत को,4.उपयु
दोन ,4.गाँधी जैसे लोग अब भारत म य नह है?
4.कािलदास वज़न ठीक रख सकते थे, य िक वे अनास योगी क ि थर - ता और िवद ध ेमी का दय पा चुके थे। किव होने से
या होता है ? म भी छं द बना लेता हँ, तुक जोड़ लेता हँ और कािलदास भी छं द बना लेते थे-तुक भी जोड़ ही सकते ह गे इसिलए हम
दोन एक ेणी के नह हो जाते। पुराने स दय ने िकसी ऐसे ही दावेदार को फटकारते हए कहा था—'वयमिप कवयः कवयः कवय ते
कािलदासा ा !' म तो मु ध और िव मय-िवमूढ़ होकर कािलदास के एक-एक ोक को देखकर हैरान हो जाता हँ। अब इस िशरीष के
फू ल का ही एक उदाहरण लीिजए। शकुं तला बहत सुदं र थी। सुदं र या होने से कोई हो जाता है ? देखना चािहए िक िकतने सुदं र दय से
वह स दय डु बक लगाकर िनकला है। शकुं तला कािलदास के दय से िनकली थी। िवधाता क ओर से कोई काप य नह था, किव क
ओर से भी नह । राजा द ु यंत भी अ छे -भले ेमी थे। उ ह ने शकुं तला का एक िच बनाया था; लेिकन रह-रहकर उनका मन खीझ
उठता था। उहँ, कह -न-कह कु छ छू ट गया है। बड़ी देर के बाद उ ह समझ म आया िक शकुं तला के कान म वे उस िशरीष पु प को देना
भूल गए ह, िजसके के सर गंड थल तक लटके हए थे, और रह गया है शर ं क िकरण के समान कोमल और शु मृणाल का हार।
1.लेखक कािलदास के सफल किव होने म कौन से गुण देखता है?
(1) ि थर- ता
(2) अनासि
(3) िवद ध ेमी
(4) उपयु सभी
2.सामा य किव और कािलदास म या अंतर है?
(1) लय, तुक, छं द आिद का
(2) िवषय के मम तक पहंचने का
(3) दोन एक ही ेणी के ह
(4) भाषा का अंतर
3.द ु यंत को शकुं तला के िच म कमी य तीत हो रही थी?
(1) सुंदर रंग क
(2) िशरीष पु प क
(3) शु मृणाल का हार
(4) क व ख दोन
4.'शकुं तला कािलदास के दय से िनकली थी' -आशय प क िजए।
(1) शकुं तला कािलदास क ेिमका थी
(2) कािलदास का दय बड़ा था
(3) कािलदास शकुं तला के ेम म डू बे हए थे
(4) कािलदास ने शुकंतला के स दय म डू बकर वणन िकया है
5.अनासि का अथ है -
(1) िकसी के ित लगाव
(2) िच -अ िच से परे
(3) घृणा
(4) ेम

सही उ र-1.उपयु सभी,2. िवषय के मम तक पहंचने का,3.क व ख दोन ,4.कािलदास ने शुकंतला के स दय म डू बकर
वणन िकया है,5. िच -अ िच से परे
5.कािलदास स दय के बा आवरण को भेदकर उसके भीतर तक पहँच सकते थे, दख ु हो िक अपना सुख,भाव-रस उस अनास
कृ पीवल क भाँित ख च लेते थे जो िनदिलत ई दु डं से रस िनकाल लेता है। कािलदास महान थे, य िक वे अनास रह सके थे। कु छ
इसी ेणी क अनासि आधुिनक िहंदी किव सुिम ानंदन पंत म है। किववर रव नाथ म यह अनासि थी। एक जगह उ ह ने िलखा-
'राजो ान का िसंह ार िकतना ही अ भेदी य न हो, उसक िश पकला िकतनी ही सुंदर य न हो, वह यह नह कहता िक हमम आकर
ही सारा रा ता समा हो गया। असल गंत य थान उसे अित म करने के बाद ही है, यही बताना उसका कत य है।' फू ल हो या पेड़, वह
अपने-आप म समा नह है। वह िकसी अ य व तु को िदखाने के िलए उठी हई अँगल ु ी है वह इशारा है।
1.कािलदास क स दय- ि क या िवशेषता थी?
(1) बा प रंग को देखने वाली
(2) सू म,अंतभिदनी,संपणू
(3) अनोखी
(4) थूल
2.'अनासि ' का या आशय है?
(1) िकसी के ित लगाव
(2) िच -अ िच से परे
(3) घृणा
(4) ेम
3.कािलदास, रव नाथ, और पंत जी म कौनसा गुण समान था?
(1) आधुिनकता
(2) महानता
(3) अनासि
(4) सुंदरता
4.रव नाथ 'राजो ान' के बारे म या संदश
े देते ह?
(1) अ भेदी होने का
(2) अंितम होने का
(3) गहरे तथा ऊँ चे स दय क ओर इशारा करने का
(4) ठाठ-बाट का
5.िसंह ार का अथ होता है -
(1) शेर के िलए दरवाजा
(2) राजा के िलए दरवाजा
(3) बड़ा दरवाजा
(4) सू म दरवाजा

सही उ र1. सू म,अंतभिदनी, संपूण,2. िच -अ िच से परे,3.अनासि ,4. गहरे तथा ऊँ चे स दय क ओर इशारा करने
का,5. बड़ा दरवाजा

—------------------------------------------------------------------
-----------------------------------------------------
पाठ-18 म-िवभाजन और जाित था
- बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर

पिठत ग ांश पर आधा रत री


1.यह िवडंबना क ही बात है िक इस युग म भी 'जाितवाद' के पोषक क कमी नह है। इसके पोषक कई आधार पर इसका समथन
करते ह। समथन का एक आधार यह कहा जाता है, िक आधुिनक स य समाज 'काय कु शलता' के िलए म िवभाजन को आव यक
मानता है, और चूिँ क जाित था भी म- िवभाजन का ही दसू रा प है इसिलए इसम कोई बुराई नह है। इस तक के संबधं म पहली बात
तो यही आपि जनक है, िक जाित था म-िवभाजन के साथ-साथ िमक-िवभाजन का भी प िलए हए है। म- िवभाजन, िन य
ही स य समाज क आव यकता है, परंतु िकसी भी स य समाज म म- िवभाजन क यव था िमक का िविभ वग म अ वाभािवक
िवभाजन नह करती। भारत क जाित- था क एक और िवशेषता यह है िक यह िमक का अ वाभािवक िवभाजन ही नह करती
बि क िवभािजत िविभ वग को एक-दसू रे क अपे ा ऊँ च-नीच भी करार देती है, जो िक िव के िकसी भी समाज म नह पाया
जाता।
1.पाठ के लेखक का नाम है -
(1) हजारी साद ि वेदी
(2) बाबा साहेब आंबेडकर
(3) जैन
(4) महादेवी वमा
2.िकस बात को िवडंबना कहा गया है?
(1) जाितवाद के समथक को
(2) कायकु शलता को
(3) जाितवाद के िवरोिधय को
(4) म-िवभाजन को
3. म-िवभाजन का अथ है -
(1) िमक का अ वाभािवक वग करण
(2) मानवोपयोगी काय का वग करण
(3) एक काय को िवभािजत करना
(4) अ वाभािवक वग करण
4.जाित था बुरी य है -
(1) िविभ वग म ऊँ च -नीच पैदा करती है
(2) िमक का अ वाभािवक वग करण
(3) काम को ज म के आधार पर बांट देना
(4) उपयु सभी
5.कायकु शलता के िलए ज री है -
(1) िमक का िवभाजन
(2) म-िवभाजन
(3) जाितवाद
(4) क व ख दोन
सही उ र-1.बाबा साहेब आंबेडकर, 2.जाितवाद के समथक को, 3.मानवोपयोगी काय का वग करण, 4.उपयु सभी,
5.क व ख दोन

2.मेरा आदश-समाज वतं ता, समता, ातृता पर आधा रत होगा। या यह ठीक नह है, ातृता अथात भाईचारे म िकसी को या
आपि हो सकती है? िकसी भी आदश समाज म इतनी गितशीलता होनी चािहए िजससे कोई भी वांिछत प रवतन समाज के एक छोर से
दसू रे तक संचा रत हो सके । ऐसे समाज के बहिविध िहत म सबका भाग होना चािहए तथा सबको उनक र ा के ित सजग रहना चािहए।
सामािजक जीवन म अबाध संपक के अनेक साधन व अवसर उपल ध रहने चािहए। ता पय यह िक दधू -पानी के िम ण क तरह भाईचारे
का यही वा तिवक प है, और इसी का दसू रा नाम लोकतं है। य िक लोकतं के वल शासन क एक प ित ही नह है, लोकतं
मूलतः सामूिहक जीवनचया क एक रीित तथा समाज के सि मिलत अनुभव के आदान- दान का नाम है। इनम यह आव यक है िक
अपने सािथय के ित ा व स मान का भाव हो
1.आंबेडकर िकस समाज को आदश मानते ह?
(1) वतं ता, समता व ातृता पर आधा रत
(2) वत ता पर आधा रत
(3) समता पर आधा रत
(4) िमि त समाज
2.लोकतं क या प रभाषा बताई गई है?
(1) लोकतं शासन क एक प ित है
(2) लोकतं जीवन जीने क कला है
(3) लोकतं मूलतः सामूिहक जीवनचया क एक रीित है
(4) इनम से कोई नह है
3.लोकतं म सभी मनु य के ित कै सा भाव होना चािहए?
(1) तानाशाही का
(2) िमि त
(3) प रवतनशील
(4) ा व स मान का
4.आंबेडकर समाज म गितशीलता िकसे मानते ह
(1) अबाध संपक
(2) समान सहभािगता
(3) सबक र ा के ित सचेतता
(4) उपयु सभी
5.समाज नह होना चािहए -
(1) गितशील
(2) प रवतनशील
(3) बहिविध िहत वाला
(4) वाथ

सही उ र-1. वतं ता, समता व ातृता पर आधा रत,2. लोकतं मूलतः सामूिहक जीवनचया क एक रीित है,3. ाव
स मान का,4.उपयु सभी,5. वाथ
—------------------------------------------------------------------
---------------------------------------------------

पाठ -1 िस वर वैिडंग
(लेखक- मनोहर याम जोशी)
पाठ का सारांश
'िस वर वैिडंग’ के लेखक मनोहर याम जोशी ह। इस कहानी के ज रये उ ह ने दो पीिढ़य के बीच के अंतराल के अंत द को
दशाया है। यािन यह कहानी दो पीिढ़य (पुरानी पीढ़ी व नई पीढ़ी) के िवचार व जीने के तौर- तरीक के अंतर को प करती है ।
कहानी के मु य पा यशोधर बाबू पुराने यालात के यि ह जो अपने परंपरागत मू य , आदश और अपने सं कार को जीिवत रखना
चाहते ह मगर उनके ब े नए जमाने के िहसाब से जीवन जीने म िव ास करते ह। उनक प नी भी समय के साथ-साथ अपने आपको
बदलकर आधुिनक तौर-तरीके अपना चुक है, लेिकन यशोधर बाबू अपने आपको बदलने को राजी नह ह और यही बात उनके व
प रजन के बीच टकराव क वजह बन जाती है।
मु य पा यशोधर- प रचय:
यशोधर पंत एक सरकारी द तर म से शन ऑिफसर के पद पर तैनात थे और िद ी के गोल माकट म रहते थे। वे पुरानी मा यताओं व
िवचारधारा को मानने वाले सीधे, सरल यि थे । मगर उनके प रवार के सभी सद य आधुिनक जीवन - शैली अपना चुके थे। यहां तक
िक उनक प नी जो कभी पूण प से उ ह क तरह सं कारी थी। अब उसने भी ब क मज के अनुसार आधुिनक तौर - तरीके अपना
ली थी और मॉडन बन चुक थी। इसी कारण यशोधर बाबू का अपने प रवार वाल के साथ मतभेद चलता रहता था।
यशोधर के पा रवा रक सद य और उनके संबध ं :
यशोधर बाबू अपनी मॉडन प नी का 'शानयल बुिढ़या', 'चटाई का लहंगा' और 'बूढ़ी मुहँ मुहं ासे' लोग करे तमासे' कहकर मजाक बनाते
थे। यशोधर बाबू के तीन बेटे और एक बेटी थी। सबसे बड़ा बेटा भूषण 1500/- पए ित माह के वेतन पर एक िव ापन कं पनी म काम
करता था। दसू रा बेटा आई.ए.एस. क तैयारी कर रहा था और तीसरा बेटा कॉलरिशप लेकर अमे रका जा चुका था। बेटी डॉ टरी क
पढ़ाई के िलए अमे रका जाना चाहती थी। इसीिलए वह िववाह के िलए तैयार नह थी।
यशोधर के ित कायालयीन सहकिमय का यवहार:
कहानी क शु आत करते हए लेखक कहते ह िक यशोधर बाबू अपने द तर म बैठे हए ऑिफस - घड़ी को देखते ह जो उस व ठीक
शाम के 5 बजकर 25 िमनट बजा रही थी। ऑिफस - घड़ी को 5 िमनट सु त बताते हए वे जैसे ही द तर से घर जाने के िलए उठ खड़े
हए तो द तर के एक कमचारी च ा ने उनक घड़ी पर यं य कसते हए उनसे िडिजटल घड़ी लेने क बात क । उसक बात का जबाब देते
हए यशोधर बाबू उसे बताते ह िक यह घड़ी उ ह शादी म उपहार व प िमली थी इसीिलए उ ह यह बेहद ि य है। बात –बात म उनके
द तर वाल को यह पता लग जाता है िक उनक शादी 6 फरवरी 1947 को हई थी और आज उनक िस वर वेिडंग (शादी क 25व
सालिगरह) है और वे लोग यशोधर बाबू से पाट मांगने लगते ह। यशोधर बाबू 30 पये उ ह पाट के िलए देते तो ह मगर खुद उस चाय
पाट म शािमल होने के बजाय अपने घर को िनकल पड़ते ह।
यशोधर पर िकशनदा का भाव:
एक िदन अचानक यशोधर बाबू को िकशनदा (दा यािन बड़ा भाई) क याद आती है जो ऑिफस म चाय- पानी पीने, ग प लड़ाने को
समय क बबादी मानते थे। वे िकशनदा क कही हई सभी बात का अनुसरण िकया करते थे। उनको ही अपना मागदशक व आदश मानते
थे। जब यशोधर बाबू मैि क पास कर िद ी आये थे तो िकशनदा ने ही उ ह अपने घर म शरण दी थी। सरकारी नौकरी करने के िलए उस
समय उनक उ कम थी इसीिलए उ ह ने उ ह कु छ समय के िलए अपने घर म रसोईया बना िदया था। और बाद म उ ह अपने ही ऑिफस
म नौकरी िदलवा दी। यशोधर बाबू के जीवन व च र -िनमाण म िकशनदा का बहत बड़ा योगदान रहा। उ ह ने िकशनदा से ही ऑिफस म
रहने व काय करने के तौर-तरीके सीखे थे। िकशनदा आजीवन अिववािहत रहे। उनका जीवन बहत ही सरल व सादगी भरा था। वे धािमक
व परोपकारी यि थे। वे अपने आदश पर चलते थे। वे समाज - सेवा का काय करते थे। वे सभी के मागदशक थे। वे पहाड़ (कु माऊं ,
उ राखंड) से नौकरी के िलए आने वाले लोग के रहने–खाने क अपने घर म ही यव था करते थे। उनक नौकरी ढू ढं ने म भी मदद करते
थे। वे अपनी स यता व सं कृ ित से ेम करते थे। यशोधर बाबू ने उनसे यह सब सीखा और उनका अपने जीवन म अनुसरण िकया।
यशोधर बाबू क िदनचया:
यशोधर बाबू क एक िनि त िदनचया थी। वे पैदल ही घर से ऑिफस जाते और शाम को 5:00 बजे ऑिफस के बाद सबसे पहले िबड़ला
मंिदर जाते थे और पाक म बैठकर वचन सुनते थे। उसके बाद स जी- मंडी जाकर स जी खरीदकर पैदल ही घर पहंचते थे। इस तरह
5:00 बजे ऑिफस से िनकलकर 8:00 बजे के बाद ही वे अपने घर पहंचते थे। हालाँिक वे अब ऑिफस पैदल ही जाने लगे थे लेिकन
पहले साइिकल से जाते थे। उनके ब े अब बड़े हो चुके थे िज ह उनका साइिकल से ऑिफस जाना पसंद नह था। कू टर उ ह पसंद नह
था और कार वो खरीद नह सकते थे इसीिलए उ ह ने पैदल ही आना–जाना शु कर िदया था। आज भी वे रोज क तरह द तर से पहले
सीधे िबड़ला मंिदर क तरफ जा रहे थे िक रा ते म अचानक उनक नजर उस ाटर (कमरे ) पर पड़ी िजसम कभी िकशनदा रहा करते थे।
उस ाटर को तोड़कर वहाँ तीन मंिजला मकान बना िदया था। उनके ब े भी चाहते थे िक वे भी अब अपने पद के अनुसार बड़ा मकान
ले ल लेिकन उनको वही जगह पसंद थी इसीिलए वहां से कह और नह जाना चाहते थे।
यशोधर और उनके पा रवा रक सद य के म य वैचा रक टकराव:
यशोधर बाबू व उनके ब के बीच अ सर िवचार का टकराव चलता रहता था। ऐसे म कभी–कभी वे सोचते थे िक काश ! िकशनदा
क तरह वे भी अिववािहत रहते और समाज-सेवा म अपना जीवन लगा देते। लेिकन िफर उ ह उनके रटायरमट के बाद का समय याद
आता है जब िकशनदा को िकसी ने सहारा नह िदया और वे गांव चले गये जहाँ उनक एक साल के बाद मृ यु हो गई। इस कार यशोधर
बाबू के मन के भीतर िवचार का अंत द चलता रहा था।
यशोधर बाबू क धािमक वृि :
यशोधर बाबू का मंिदर जाना, धािमक काय म भाग लेना , वचन सुनना आिद उनके प रवार वाल को पसंद नह था। उनके ब े अ सर
उनसे कहते थे िक अभी वे इतने बूढ़े नह हए िक मंिदर जाकर वचन सुन। यशोधर बाबू मंिदर जाने के बाद वचन सुनने तो बैठ गये
लेिकन आज उनका वचन म िब कु ल भी मन नह लग रहा था। उनके िदमाग म कई तरह के याल आ-जा रहे थे इसीिलए वे वचन से
उठकर स जी मंडी क तरफ िनकल पड़े। तभी उ ह याद आया िक उनके बेटे बाजार से सामान लाने के िलए नौकर रखने को कहते ह मगर
खुद जाना पसंद नह करते ह।
यशोधर और उनके पु के म य मतभेद:
उनका बड़ा बेटा तो उ ह अपना वेतन तक नह देता है।अपने पैस व अपनी मज से घर का सामान खुद ही खरीद कर लाता है और िफर
सबको उस सामान का रौब िदखाता है। स जी मंडी से स जी लेकर जब यशोधर बाबू घर पहंचे तो देखा िक उनका बेटा उनके घर के बाहर
अपने बॉस को िवदा कर रहा था और घर से अ य लोग भी िवदा ले रहे थे। घर म पाट चल रही थी। पहले तो उ ह कु छ समझ नह आया।
बाद म भूषण ने उ ह िशकायत करते हए बताया िक उनके घर म उनक ‘िस वर वैिडंग’ क पाट चल रही है और वे ही इतनी देर से आ
रहे ह। यह सब सुनकर यशोधर बाबू को बहत दख ु हआ य िक िकसी ने भी उ ह पाट के आयोजन के बारे म कु छ नह बताया था।
आधुिनक पाट के ित अ िच:
वैसे भी उ ह पाट वगैरह िब कु ल पसंद नह थी मगर ब के बहत आ ह करने पर उ ह ने के क तो काटा लेिकन के क म अंडा होने व
सं या पूजा करने का बहाना बनाकर िबना कु छ खाए वहाँ से उठकर सं या - पूजा करने चले गए और तब तक पूजा थल पर ही बैठे रहे
जब तक सारे मेहमान घर से िवदा नह हए ।
पाट का आयोजन और समापन:
मेहमान के चले जाने के बाद प नी के बुलाने पर जब वे बैठक म आये तो उनके बड़े बेटे ने उ ह ऊनी ेिसंग गाउन िग ट िकया और कहा
िक वे उसे ही पहनकर कल से सुबह दधू लेने जाया कर। लेिकन यशोधर बाबू यह सोच रहे थे िक काश ! उनका बेटा उ ह ेिसंग गाउन देने
के बजाय उनसे कहता िक कल से वह उनक जगह दधू लेकर आया करे गा।
कहानी क मूल संवेदना :
इस कहानी म हािशए पर धके ले जाते मानवीय मू य, पीढ़ी का अंतराल और पा ा य सं कृ ित का भाव व तुतः तीन बात ही मह वपूण
है। यशोधर बाबू और ब के म य एक पीढ़ी का अंतराल है। मानव-मू य के ित ब म कोई लगाव नह है। 'िस वर वैिडंग' जैसे
काय म पा ा य सं कृ ित के कारण हो रहे ह। इन सबके बाद भी कहानी क मूल संवेदना पीढ़ी का अंतराल है। एक ओर यशोधर बाबू है
जो मंिदर जाते ह, वचन सुनते ह, यान लगाते ह, सं या करते ह, अंडा नह खाते ह, सादा और सरल जीवन िबताते ह, ऑिफस पैदल
जाते ह, रामलीला या जनेऊ पूजन का आयोजन करते ह, र तेदार व संबिं धय का यान रखते ह तो दसू री ओर उनके ब को उनका
मंिदर जाना, वचन सुनना या यान लगाना अ छा नह लगता । ब े कहते ह “ब बा, आप कोई बु े थोड़ी है जो रोज-रोज मंिदर जाएं,
इतने यादा त कर।”
पूरी कहानी म पुराने व नए का ं है। यशोधर बाबू पुरानी परंपराओं के िहमायती ह और नई परंपराओं को 'समहाउ इं ापर’ पर मानते ह।
अतः उनके अधीन थ नए कमचारी उनको उिचत स मान नह देते। घर के ब े उनक हर बात को नकारते ह। र तेदारी िनभाना ब क
ि म घाटे का सौदा है।ब को िपता के ित कोई सहानुभिू त नह है।गाउन भी इसिलए आया है िक फटा पुलोवर पहनकर जाने से ब े
अपने स मान पर चोट समझते ह। उनक सादगी ब को भािवत नह कर पाती। अतः पीढ़ी का अंतराल ही कहानी क मूल संवेदना
है।
बक - िस वर वैिडंग
1. िस वर वैिडंग - कहानी का मु य पा आप िकसे मानते ह ?
i. िकशनदा को
ii. भूषण को
iii. च ढ़ा को
iv. यशोधर पंत को
2. यशोधर बाबू ने मैि क क परी ा कहाँ से उ ीण क थी ?
i. डी.ए.वी. कू ल ,िद ी
ii. रे जे कू ल , अ मोड़ा
iii.डी.पी.एस.देहरादनू
iv. िशखा दीप िव ालय, िद ी
3. िकशनदा ने यशोधर बाबू को कौन -सा काम िदया था ?
i.चौक दारी का
ii.सिवस बॉय का
iii.मेस के रसोइए का
iv. नर का
4. यशोधर बाबू का पालन - पोषण िकसने िकया था ?
i. माता ने
ii. िपता
iii. दादी
iv. िवधवा बुआ ने
5. ऑिफस म यशोधर बाबू क शादी क बात कै से हई ?
i. ऑिफस से ज दी जाने पर
ii.ऑिफस से देर से जाने पर
iii.घड़ी के बारे म चचा करने पर
iv.समय पर काम ख़ म करने पर
6. यशोधर बाबू या काम करते थे ?
i. गोल माकट म दकु ान चलाते थे |
ii. पहाड़ पर काम करते थे|
iii. होम िमिन ी म से सन ऑिफ़सर थे |
iv. म टीनेशनल क पनी म नौकरी करते थे |
7. यशोधर बाबू अपने जीवन म िकससे भािवत थे ?
i. कृ णानंद पांडे
ii. कृ णानंद वमा
iii. कृ णानंद गु ा
iv. कृ णानंद शमा
8. िकशनदा के रटायर होने पर यशोधर बाबू उनक सहायता नह कर पाए य िक —
i. यशोधर बाबू क प नी िकशनदा से नाराज़ थ |
ii. यशोधर बाबू के घर म िकशनदा के िलए थान का अभाव था |
iii. यशोधर बाबू का अपना प रवार था, िजसे वे नाराज़ नह करना चाहते थे |
iv. िकशनदा को यशोधर बाबू ने अपने घर म थान देना चाहा ,िजसे उ ह ने वीकार नह िकया |

9. िस वर वैिडंग - कहानी म िकशनदा क मृ यु के संदभ म "जो हआ होगा " का या ता पय है ?


i. लेखक मृ यु से बहत दख
ु ी है |
ii. लेखक को मृ यु का कारण पता है |
iii. लेखक मृ यु के कारण से अप रिचत है |
iv. लेखक को मृ यु से कोई फ़क नह पड़ता है |

10. सन 1984 म भारतीय दरू दशन के थम धारावािहक ‘ हम लोग ‘ का लेखन िकसने िकया है ?
i. मनोहर याम जोशी
ii. ओम थानवी
iii. यशोधर पंत
iv. िकशनदा
11. िस वर वैिडंग िकस कार क कहानी है ?
i. बदलते जीवन मू य पर आधा रत
ii. सां कृ ितक मू य पर आधा रत
iii. राजनीितक मू य पर आधा रत
iv. सामािजक मू य पर आधा रत
12. िस वर वैिडंग - कहानी के अनुसार ‘ यशोधर बाबू क प नी समय के साथ ढल सकने म सफल होती है लेिकन वे असफल
रहते ह |’ यशोधर बाबू क असफलता का या कारण था ?
i. िकशनदा उ ह भड़काते थे |
ii. प नी ब से अिधक ेम करती थी |
iii. आिथक अभाव के कारण
iv. वे प रवतन को सहजता से वीकार नह कर पाते थे |
13. यशोधर बाबू िकस काशन क पु तक पढ़ते थे ?
i . सीता ेस गोरखपुर
ii. गीता ेस गोरखपुर
iii. गीता ेस ह र ार
iv. गीता ेस मथुरा
14. यशोधर बाबू िकसका ितिनिध व करते ह ?
i. पुरानी पीढ़ी का
ii. नई पीढ़ी का
iii. नई िवचारधारा का
iv. नवयुवक का

15. यशोधर पंत को अपने बड़े बेटे क ितभा िकस तर क लगती थी ?


i. िन न तर क
ii. साधारण तर क
iii. उ तर क
iv. म यम तर क
16. अपने ब क तर से खुश होने पर भी यशोधर बाबू को कौन - सी बात खटकती है ?
i. अ छा खाना खाना
ii. पैदल द तर जाना
iii. गरीब र तेदार क उपे ा
iv. िबड़ला मंिदर जाना
17. िस वर वैिडंग क दावत के समय यशोधर बाबू सं या - पूजन य करने लगे ?
i. आशीवाद लेने के िलए
ii. भजन सुनने के िलए
iii. ध यवाद य करने के िलए
iv. पाट से बचने के िलए
18 . यशोधर बाबू गोल माकट म ही य रहना चाहते थे ? य िक -
i . वहां से उनक याद जुड़ी थ
ii . वे ब को सामािजक बनाना चाहते थे
iii . उ ह पैसा बचाना था
iv . उनका घर सु दर था
19. यशोधर पंत ारा ‘नकली हँसी’ हँसने का या अथ है ?
i. झूठ - मूठ हँसना
ii. वयं क गलती पहचानना
iii. खुश होना
iv. अपनी बात कहना
20. “समहाउ इ ॉपर” वा यांश का योग यशोधर बाबू लगभग हर वा य के ारंभ म तिकया कलाम क तरह करते ह | इस
वा यांश का उनके यि व और कहानी के क य से या स ब ध है ?
i. यशोधर बाबू िस ांतवादी यि ह |
ii. यशोधर बाबू िस ांतवादी यि नह ह |
iii. वे भारतीय मू य और मा यताओं के िव ासी नह ह |
iv. उनका यि व अनुकरणीय नह है |
21. ‘जो हआ होगा’ िकस भावना का तीक है ?
i. परायेपन , अस ब ता , अलगाव और फालतूपन का
ii. अपनापन का
iii. समाज म बदलते हए प रवेश का
iv. िवलायती पर परा को अपनाने का
22. िस वर वैिडंग के आधार पर यशोधर बाबू के वभाव क िवशेषताएं बताइए |
i. वे पर परावादी ह |
ii. मानवीय र त और समाज -सं कृ ित से जोड़ने का भरसक यास करते ह |
iii. यशोधर बाबू िस ांतवादी यि ह |
iv. उपरो सभी |
23. कहानी ‘िस वर वैिडंग’ म यशोधर बाबू क कहानी को िदशा देने म िकसक मह वपूण भूिमका रही है?
i. िकशनदा क
ii. यशोधर बाबू क प नी क
iii. उनके भाइय क
iv. उनके सगे-स बि धय क
24. यशोधर बाबू के ब क कौन -सी बात शंसनीय है ?
i. वे सब के सब अपनी ितभा के बल पर ऊपर उठे ह |
ii. वे सब के सब आलसी ह |
iii. वे सब के सब ितभाहीन ह |
iv. वे सब के सब अ व थ रहते ह |
25. िस वर वैिडंग कहानी के अनुसार यशोधर बाबू अपनी शादी क सालिगरह मनाने के प म य नह थे ? य िक -
i. यह भारतीय परंपरा नह है |
ii. वे इसे पि मी स यता का अनुकरण मानते ह |
iii. पैसे अिधक खच ह गे |
iv. वे कह और घूमना चाहते थे |
26. यशोधर बाबू क प नी क सोच उनसे िवपरीत थी ? य िक -
i. मिहलाओं के िवषय म अ छी सोच रखने के कारण
ii. नौकरी करने के कारण
iii. आधुिनक मू य को अपनाने से
iv. उपरो म से कोई नह
27. यशोधर बाबू का बेटा भूषण िकस एजसी म काम करता था ?
i. सिवस ोवाइडर एजसी
ii. िव ापन एजसी
iii. ि िं टंग ेस
iv. एक अख़बार एजसी
28. ‘समहाउ इ ॉपर’ का या अथ है ?
i. कु छ न कु छ गलत होना
ii. सब कु छ सही होना
iii. मेहनत करना
iv. आलस करना
29. बुजगु के ित कम होती स मान क भावना या य करती है ? िस वर वैिडंग कहानी के आधार पर बताइए |
i. समाज के नवीनतम प को
ii. बुज़गु के ित उनके दािय व को
ii. नई पीढ़ी क सोच को
iv. हािशए पर जाते मानवीय मू य को
30. यशोधर बाबू के ब को उनके िपता क कौन-सी बात अ छी नह लगती थी ?
i. बस से आना -जाना
ii. कार से आना -जाना
iii. साइिकल से आना -जाना
iv. मोटर साइिकल से आना -जाना
31. यशोधर बाबू अपनी प नी क बगावत का मज़ाक या कहकर उड़ाते थे ?
i. बूढी मुहँ मुहांसे, लोग करे तमाशे
ii . चटाई का लहंगा
iii. शानयल बुिढ़या
iv. उपयु सभी
32. यशोधर बाबू अपने ब तथा प नी से या चाहते थे?
i. पैसा
ii. स मान
iii. परंपराओं का पालन
iv. मुि
33. 'िस वर वैिडंग' म गाउन पहनते समय यशोधर बाबू को कौन-सी बात चुभी?
i. प नी ारा उपे ा
ii. भूषण के यं य वचन
iii. के क काटना
iv. दधू लाने क बात
34. िकशनदा क िकस परंपरा को यशोधर ने जीवंत रखा ?
i. घर म होली गवाना
ii. ज मिदन मनाना
iii. शादी क वषगांठ मनाना
iv. भोज का
35 . 'िस वर वैिडंग' कहानी क मूल संवेदना िकसे कहगे ?
i. हािशए पर धके ले जाते मानवीय मू य
ii. पीढ़ी का अंतराल
iii. पा ा य सं कृ ित का भाव
iv. उपयु सभी

उ र संकेत
1. iv. यशोधर पंत को
2. ii. रे जे कू ल , अ मोड़ा
3. iii.मेस के रसोइए का
4. iv. िवधवा बुआ ने
5. iii.घड़ी के बारे म चचा करने पर
6. iii. होम िमिन ी म से सन ऑिफ़सर थे |
7. i. कृ णानंद पांडे
8. iii. यशोधर बाबू का अपना प रवार था, िजसे वे नाराज़ नह करना चाहते थे |
9. iii. लेखक मृ यु के कारण से अप रिचत है |
10. i. मनोहर याम जोशी
11. i. बदलते जीवन मू य पर आधा रत
12. i . वे प रवतन को सहजता से वीकार नह कर पाते थे |
13. ii. गीता ेस ,गोरखपुर
14. i. पुरानी पीढ़ी का
15. ii. साधारण तर क
16. iii. गरीब र तेदार क उपे ा
17. iv. पाट से बचने के िलए
18 . i. वहां से उनक याद जुड़ी थ |
19. ii. वयं क गलती पहचानना
20. i. यशोधर बाबू िस ांतवादी यि ह |
21. i. पराएपन , अस ब ता , अलगाव और फालतूपन का
22. iv. उपरो सभी
23. i. िकशनदा क
24. i. वे सब-के -सब अपनी ितभा के बल पर ऊपर उठे ह |
25. i. यह भारतीय परंपरा नह है |
26. iii. आधुिनक मू य को अपनाने से
27. ii. िव ापन एजसी
28. i. कु छ न कु छ गलत होना
29. iv. हािशए पर जाते मानवीय मू य को
30. iii. साइिकल से आना -जाना
31. iv. उपयु सभी
32. iii. परंपराओं का पालन
33. iv. दधू लाने क बात
34. i. घर म होली गवाना
35 . iv. उपयु सभी
पाठ -2 जूझ
(लेखक- डॉ आनंद यादव)
(अनुवाद- के शव थम वीर)

‘जूझ’ कहानी मराठी उप यास ‘झोबी’ का एक अंश है। ‘झोबी’ एक आ मकथा मक उप यास है िजसके लेखक डॉ. आनंद यादव ह। डॉ.
आनंद रतन यादव का मूल नाम आनंदा यादव ज़काते ह। इस मराठी कहानी का िहंदी अनुवाद के शव थम वीर ारा िकया गया है।
जूझ (अथात जूझना या संघष करना, िकसी ल य क ाि हेतु अथक यास करना) इस कहानी के मा यम से लेखक ने पाठक को
संघष करने क सीख दी है। प रि थितयाँ चाहे िकतनी भी िवकट ह , सामने चाहे िकतनी भी बाधाएँ ह िफर भी मनु य को धैय, साहस
और लगन से अपने ल य क ओर बढ़ते रहना चािहए।
पढ़ाई के िलए लेखक क ललक-
लेखक कहते ह िक जब वे पाँचवी क ा म पढ़ते थे तो उनके िपता र ना पा (िज ह वो दादा कह कर बुलाते थे) ने उनका कू ल जाना बंद
करवा िदया। खेती और घर का सारा काम उन पर डाल िदया था । उनके िपता वयं तो घर का कोई काम नह करते थे। बस सारा िदन
घूमने-िफरने, आराम व मौज-म ती म िबता देते थे। पढ़ाई क बात करते ही वे बरहेला सूअर क तरह गुराते थे। लेखक जब अपने िम
को पाठशाला जाते देखते तो याकु ल हो जाते थे लेिकन दादा से पाठशाला जाने क बात करने क िह मत नह होती थी – “डर लगता
था िक ह ी-पसली एक कर दगे”
पाठशाला जाने के िलए लेखक का संघष-
एक िदन गोबर के कं डे थापते व उ ह ने अपनी माँ से कहा िक खेती-बाड़ी म कु छ नह रखा है। अगर वे पढ़ िलख गए तो शायद नौकरी
लग जाएगी, चार पैसे हाथ म रहगे, िवठोबा अ ा क तरह कु छ धंधा कारोबार िकया जा सके गा । माँ भी चाहती थी िक ब ा पढ़-िलख
ले लेिकन वह भी अपने पित से डरती थी। इसीिलए खुल कर उनका साथ नह दे पा रही थी। लेखक (आनंद यादव) ने अपनी माँ को
सुझाव देते हए कहा िक य न दोन चलकर गांव के मुिखया द ा जी राव सरकार से बात कर और उ ह अपनी सारी परे शानी बताएं। माँ
को बेटे क सलाह पसंद आ गई। दोन मुिखया के पास गये और उ ह सारी बात बताई।
द ा जी राव सरकार ारा लेखक क मदद-
दता जी राव सरकार समझदार तथा स मािनत यि थे। गाँव के सारे लोग उनका स मान करते थे। वे िश ा ेमी थे और पढ़ाई-िलखाई
का मह व जानते थे इसीिलए उ ह ने माँ-बेटे को आ ासन देकर यह कहते हए घर भेज िदया “जब वह घर आये तो उसे मेरे पास भेज
देना। उसके थोड़ी देर बाद तू भी यहां आ जाना रे छोरा।” लेखक क माँ ने दता जी राव से ाथना क िक वे उनके यहाँ आने क बात
लेखक के िपता को न बताय।
सरपंच और लेखक के िपता क बैठक -
शाम को िपता के घर आने के बाद माँ ने बताया िक द ा सरकार ने उ ह बुलाया है। लेखक के िपता के िलए यह बड़े स मान क बात थी
सो वो सीधे उनसे िमलने चले गए। उनके पीछे -पीछे थोड़ी देर बाद लेखक भी द ा जी सरकार के घर पहंच गए। लेखक को देखते ही द ा
जी ने उनसे सवाल िकया िक वे कौन सी क ा म पढ़ते ह। जवाब म लेखक ने उ ह बताया िक उनके िपता ने उनक पढ़ाई पाँचव क ा म
ही छु ड़वा दी ह। मुिखया ने लेखक के िपता को खूब डांटते हए कहा –“अपनी म ती के िलए छोरा के जीवन क बिल चढ़ा रहा है। ब े
को तुरंत कू ल भेजो और अगर तुम इसे पढ़ा नह सकते हो तो म इसे पढ़ाऊं गा।” लेखक के िपता ने िववश होकर हामी भर दी।
पाठशाला भेजने क कड़ी शत -
घर पहंचकर लेखक के िपता पहले तो बहत नाराज हए लेिकन िफर कु छ शत के साथ लेखक को कू ल भेजने के िलए राजी हो गए ।
पाठशाला सवेरे 11 बजे लगती थी इसीिलए लेखक को सुबह ज दी उठकर घर और खेत के सारे काम (खेत म पानी लगाना, जानवर
चराना) िनबटाने ह गे। यिद कभी खेत म अिधक काम हआ तो पाठशाला क छु ी करनी होगी। लेखक ने सारी शत खुशी-खुशी मान ली
और कू ल जाने क तैयारी करने लगे। मन म नई आशा और िव ास लेकर पाठशाला पहँच गए।
पाठशाला का पहला िदन-
पाठशाला म लेखक का पहला िदन अ छा नह बीता य िक उनके साथ के सभी ब े अगली क ा म पहँच चुके थे। क ा के ब े उनसे
छोटे थे। कु छ शरारती ब ने उनके साथ शरारत करने का यास िकया और कु छ ने बुरा बताव भी िकया। च ाण जो क ा का सबसे
शरारती लड़का था उसने लेखक का मटमैला गमछा छीनकर अपने िसर पर बांध िलया और टेबल के पास खड़े होकर मा टर जी क
नकल करने लगा। इतने म मा टर जी आ गए और च ाण ने लेखक के गमछे को टेबल पर फक िदया। लेखक को िबना कारण ही डाँट
खानी पड़ी। आधी छु ी म लड़क ने उनक धोती खोलने का यास िकया। ँ आसे से लेखक बड़े दख ु ी मन से घर लौट।
माँ क िदलासा और ेरणा –
लेखक का मन उदास था । जो पाठशाला कभी अपनी थी वह आज पराई लगने लगी। वहाँ अपना कोई नह था, “नह जाऊँ गा ऐसी
पाठशाला म, इससे तो अपने खेत ही अ छे थे। गली के दो ही लड़के ह क ा म। वे तो मुझसे भी कमजोर ह। वे या मदद करगे।” हताश
और िनराश लेखक को माँ ने िह मत बंधाई और सवेरे लेखक िफर पाठशाला के िलए िनकल पड़।
बसंत पािटल से िम ता -
वसंत पािटल क ा का होनहार छा था। शांत और पतला-दबु ला लेिकन गिणत म बहत होिशयार। वह ब क कािपयाँ जाँचता था
और गिणत के सवाल उ ह समझाता था। धीरे -धीरे लेखक क दो ती बसंत पािटल से हो गई। लेखक भी खूब मेहनत से पढ़ाई करने लगे।
टीचर उ ह भी बसंत पािटल के साथ अ य ब क काफ जाँचने को देने लगे।
गिणत के िश क ‘मं ी’ का नेह और अपन व -
मं ी नामक िश क गिणत पढ़ाते थे। वे अ यंत कमठ तथा अनुशािसत िश क थे। यो य ब को पूरा नेह एवम् ो साहन देते थे लेिकन
शरारती लड़क क पीठ पर ऐसा घूसा मारते थे िक वे हक भरने लगते थे। लड़के उनसे बहत डरते थे और क ा म उधम नह करते थे।
लेखक मन लगाकर गिणत सीखने लगे और ज दी ही मं ी िश क के चहेते बन गए। वसंत पाटील इससे लेखक का उ साह बढ़ने लगा
और वे ितभाशाली ब क िगनती म आ गए।
मराठी िश क से का य ेरणा
उनके कू ल म न.वा.स दलगेकर नाम के एक टीचर थे जो उ ह मराठी पढ़ाते थे। उनके पढ़ाने का तरीका बहत अ छा व सबसे हटकर था।
वो मराठी और अं ेजी क किवताओं को पूरे ताल व लय के साथ गाकर सुनाते थे। साथ म अिभनय भी करते थे। वो खुद भी किवताएँ
िलखते थे। उनको देखकर ही लेखक को किवताएं िलखने म िच पैदा हई। एक बार उनके िश क स दलगेकर ने अपने दरवाजे पर लगी
मालती क बेल के ऊपर एक सुंदर सी किवता िलखी। लेखक ने सोचा िक अगर उनके िश क घर म लगी एक मालती क बेल के ऊपर
इतनी सुंदर किवता िलख सकते ह तो ‘’मेरे पास तो खेत खिलहान, पेड़-पौधे और पूरा आकाश है तो म य नह किवताएँ िलख सकता
हँ?’’ लेखक उनके गाने के तरीके , हावभाव, अिभनय सब याद कर लेते और िफर अपने खेत म काम करते हए ह-ब-ह उनक नकल
करते हए अ यास करते थे।
अके लापन अ छा लगने लगा
पहले खेत म काम करते व लेखक िकसी न िकसी का साथ चाहते थे। अब उ ह अके ले रहना अ छा एवं उपयोगी लगने लगा। अब वे
चाहते थे िक खेत म उनके साथ कोई ना रहे तािक वे अके ले म अपनी किवताओं का अ छी तरह अ यास कर सक। खेत म काम करते
हए वे किवताओं को गाकर, थुई-थुई करके नाचकर और कभी-कभी उन किवताओं पर अिभनय कर उनका आंनद लेने लगे।
लगन और मेहनत रंग लाई
लेखक क का य ितभा से भािवत होकर स दलगेकर ने उ ह लय, द, रस और अलंकार क जानकारी कराई और अिभनय क
बारीिकयाँ समझाई। लेखक के चेहरे पर किवता के भाव आने लगे। मा टरजी को लेखक का का यपाठ इतना अ छा लगा िक उ ह ने
ठी-सातव के ब के सामने उनसे किवता पाठ कराया। पाठशाला के समारोह म जब लेखक ने अपनी किवता का वाचन िकया तो
आ मिव ास और बढ़ गया और उ ह लगा िक जैसे उनके पंख िनकल आए ह। इस तरह सीखते-सीखते एक िदन वह ब ा िजसके िपता
उसे पढ़ाना-िलखाना नह चाहते थे अपनी लगन व मेहनत से महान कथाकार व उप यासकर बन गया।

बक: 'जूझ'
1 'जूझ' कहानी के मा यम से िकसके संघष को अिभ यि दान क गई है?
(i) खेतीहर मजदरू के संघष
(ii) गरीब माँ के संघष
(iii) आनंदा के जीवन के संघष
(iv) अ याश िपता के संघष

2 जूझ' कहानी म आनंदा ने िकस िवषय पर किवता िलखना आरंभ िकया?


(i)अपनी माँ और प रवार के िवषय म
(ii) गाँव, खेती और आस-पास के य पर
(iii) अपने अ यापक स दलगेकर के यि व पर
(iv) भस, गाय और उनके जीवन के संबधं म

3 'जूझ' कहानी म आनंदा के उ तर का किव तक का सफर िकस बात का माण ह?


(i) उसके प र म व लगनशीलता क वृि का
(ii) उसके झूठ बोलकर पढ़ाई करने का
(iii) िपता क बात को मह व न देने का
(iv) के वल अपने मन क करने का

4 लेखक ने कहानी का शीषक 'जूझ' िकस कारण रखा है?


(i) नायक क सम याओं से उ प खीझ के कारण
(ii) नायक क सम याओं से जूझने क वृि के कारण
(iii) नायक क माँ के संघष से जूझने के कारण
(iv) नायक और उसके िपता क जुझा वृि के कारण

5 "आने दे अब उसे, म उसे सुनाता हँ िक नह अ छी तरह देख।" यह कथन िकसने व िकससे कहा, 'जूझ' कहानी के आधार पर
बताइए।
(i) द ा राव ने लेखक के िपता से
(ii) द ा राव ने लेखक क माता से कहा
(iii) लेखक के िपता ने उसक माता से
(iv) लेखक के िपता ने लेखक से
6 जूझ' कहानी के अनुसार आनंदा िव ालय य नह जाता था?
(i) उसक पढ़ने क इ छा नह थी
(ii) उसके िपता को उसका पढ़ना अ छा नह लगता था
(iii) घर के काय म अ यिधक य तता के कारण
(iv) (ii) और (iii) दोन

7 आनंदा अपने पढ़ने क बात अपने दादा से नह कर पाता है, य ? 'जूझ' कहानी के आधार पर सटीक िवक प चुिनए।
(i) य िक उसके िपता उससे बात नह करते थे
(ii) य िक उसके िपता परदेश गए हए थे
(iii) य िक उसके िपता अ छे आचरण वाले यि थे
(iv) य िक उसके िपता अ यिधक गु से वाले यि थे

8 'जूझ' कहानी के अनुसार आनंदा िकसके कारण पढ़ाई म मन लगाने लगा?


(i) नई क ा म वेश पाने के कारण
(ii) वसंत पािटल के संपक म आने के कारण
(iii) च ाण ारा मजाक उड़ाए जाने के कारण
(iv) क ा म उ ीण होने के कारण

9 'जूझ' कहानी म आनंदा और उसक माँ ारा झूठ का सहारा न िलए जाने क ि थित म या होता?
(i) आनंदा के जीवन म अके लापन ठहर जाता
(ii) वह कभी किवताएँ िलखना नह सीख पाता
(iii) वह िशि त होने से वंिचत रह जाता
(iv) उपरो सभी

10 'जूझ' कहानी म आनंदा लेखन का अ यास कै से करता था?


(i) िम ी पर िलखकर
(ii) यामप पर िलखकर
(iii) अपने पशुओ ं क पीठ पर िलखकर
(iv) घर क दीवार पर िलखकर ।

11 'जूझ' कहानी म आनंदा जब पहले िदन पाठशाला गया, तो उसक या िति या थी?
(i) उसक खुशी का िठकाना न रहा
(ii) वह अ यंत उदास था
(iii) वह ोिधत हआ
(iv) उसने कोई िति या य नह क ।

12 आनंदा और उसक माँ ने द ा जी राव के पास जाने क य सोची ? 'जूझ' कहानी के आधार पर सटीक िवक प चुिनए।
(i) तािक द ा जी राव उनका लगान माफ करा द ।
(ii) तािक द ा जी राव उनक कु छ आिथक सहायता कर सक
(iii) तािक वे लेखक को पाठशाला भेजने के िलए दादा को समझा कर राजी कर सक
(iv) तािक वे खेती-बाड़ी म कु छ सहायता कर सक

13 'जूझ' कहानी म लेखक के दादा के च र क िवशेषता या है?


(i) वे लेखक क गित म सहायक ह
(ii) वे राव साहब का स मान करते ह
(iii) वे अपनी प नी से लड़ाई-झगड़ा नह करते
(iv) उपरो सभी

14 'जझ' का लेखक खेती का काम य नह करना चाहता है?


(i) वह इस स य को जान गया था िक खेती से जीवनभर कु छ हाथ नह आएगा
(ii) वह अपने िपता क बात नह मानना चाहता है
(iii) वह अ यिधक प र म नह करना चाहता है
(iv) वह खेती को तु छ समझता है

15 'जूझ' कहानी म आनंदा के िपता उसक िकस बात से नाराज होते ह?


(i) खेत म काम करने क बात से
(ii) पढ़ाई करने क बात से
(iii) पशुओ ं को चराने क बात से
(iv) ये सभी

16 'जूझ' कहानी के लेखक क बुि मता का माण िकस बात से िमलता है?
(i) माँ को समझाने क बात से
(ii) राव साहब को िव ास िदलाने क बात से
(iii) िपता को बा य करने क बात से .
(iv) उपरो सभी

17 लेखक को न चाहते हए भी खेती का काम य करना पड़ता है? 'जूझ' कहानी के आधार पर सही िवक प चुिनए। (i) खेती
करना उनका खानदानी पेशा है
(ii) उनके जीवन म आिथक सम या है
(ii) उनके माता-िपता चाहते ह िक वह खेती कर
(iv) खेती के िबना उ ह समाज म स मान नह िमलेगा

18 'जूझ' कहानी म िपता ारा वयं खेती न करके अपने बेटे से खेती का काम करवाना िकस ओर संकेत करता ?
(i) िपता अपने बेटे को प र मी बनाना चाहता है
(ii) िपता चाहता ह िक उसका बेटा आिथक प से संप बने
(iii) िपता के आलसी और कामचोर प को दशाता है
(iv) िपता चाहता है िक उसका बेटा उससे भी अिधक गित करे ।

19 'जूझ' कहानी के आधार पर बताइए िक आनंदा को गिणत कै से समझ आने लगा था?
(i) मन क एका ता से
(ii) वसंत पािटल क सहायता से
(iii) अ यापक क सहायता से
(iv) माता क सहायता से

20 जूझ' कहानी म आनंदा के मा टर स दलगेकर ने िकस पर किवता िलखी थी?


(i) आनंदा क जुझा वृि पर
(ii) मालती लता क सुंदरता पर
(iii) िव ालय के अनुशासन पूण यवहार पर
(iv) मराठी भाषा के मह व पर उ र

उ र 1 (iii) आनंदा के जीवन के संघष


उ र 2 (ii) गाँव, खेती और आस-पास के य पर ।
उ र 3(i) उसके प र म व लगनशीलता क वृि का
उ र 4 (ii) नायक क सम याओं से जूझने क वृि के कारण
उ र 5(ii) द ा राव ने लेखक क माता से
उ र 6 (iv) (ii) और (ii) दोन
उ र 7 (iv) य िक उसके िपता अ यिधक गु से वाले यि थे
उ र 8 (ii) वसंत पािटल के संपक म आने के कारण
उ र 9 (iv) उपरो सभी
उ र 10 (ii) अपने पशुओ ं क पीठ पर िलखकर
उ र 11 (i) उसक खुशी का िठकाना न रहा
उ र 12 (iii) तािक वे लेखक को पाठशाला भेजने के िलए दादा को समझा कर राजी कर सक ।
उ र 13 (ii) वे राव साहब का स मान करते ह ।
उ र 14 (i) वह इस स य को जान गया था िक खेती से जीवनभर कु छ हाथ नह आएगा
उ र 15 (ii) पढ़ाई करने क बात से
उ र 16 (iv) उपरो सभी
उ र 17 (ii) उनके जीवन म आिथक सम या है।
उ र 18 (iii) िपता के आलसी और कामचोर प को दशाता है
उ र 19 (i) मन क एका ता से
उ र 20 (ii) मालती लता क सुंदरता पर
पाठ -3 अतीत म दबे पाँव
(लेखक- ओम थानवी)

लेखक प रचय-
ओम थानवी का ज म 1957 ई॰ म फलोदी, जोधपुर (राज थान) म हआ था। ये िह दी भाषा के लेखक, प कार, संपादक तथा
आलोचक थे। इनक गहन िदलच पी सािह य, कला, िसनेमा, वा तुकला, पुरात व और पयावरण म है।
पाठ का सारांश-
‘अतीत म दबे पाँव’ सािह यकार ओम थानवी ारा िवरिचत एक या ा-वृतांत है। वे वतमान पािक तान ि थत िस धु घाटी स यता के दो
महानगर - मोहनजोदड़ो (मुअनजोदडो) और हड़ पा के अवशेष को देखकर अतीत के स यता और सं कृ ित क क पना कराते ह। अभी
तक िजतने भी पुराताि वक माण िमले उनको देखकर लेखक अपनी क पना को साकार करने क चे ा करता है।
लेखक का मानना है िक मोहनजोदड़ो और हड़ पा ाचीन भारत के ही नह बि क िव के दो सबसे पुराने और योजनाब तरीके से बसे
शहर माने जाते ह। लेखक मोहनजोदड़ो को ता काल का सबसे बड़ा शहर मानता है। लेखक के अनुसार मोहनजोदड़ो िस धु घाटी स यता
का क है और शायद अपने जमाने के राजधानी जैसा । मोहनजोदड़ो लगभग दो सौ हे टेयर म फै ला हआ था एवं इसक जनसं या
लगभग 50000 हजार थी। यह प ईटं से बनाया गया कृ ि म टीले पर बसा हआ शहर है। इन टील को बनाने का उ े य शायद रहा हो
िक बाढ़ के समय िस धु नदी का पानी शहर म ना पहंचे। आज भी इस आिदम शहर क सड़क और गिलय म सैर क जा सकती है। यह
शहर अब भी वह है, जहाँ कभी था। आज भी वहाँ के टू टे घर क रसोइय म गंध महसूस क जा सकती है।
खुदाई म ा व तुएँ या अवशेष-
मोहनजोदड़ो (मुअनजोदडो) क खुदाई म इमारत, सड़क, कु एँ, धातु एवं पाषाण क मूितयाँ, चाक पर बने िम ी के िचि त बतन, मुहर,
साजो-सामान और िखलौने िमल ह। धातुओ ं म लोहे के अवशेष नह िमले ह। कृ िष म योग होने वाले औज़ार के अवशेष, कपास,
गेह,ं जौ, सरस , बेर, खजूर, खरबूजे, अंगरू , वार, बाजरा, रागी व चने के उपज के सबूत एवं सूती कपड़े के सा य िमले ह। काला पड़
गया गेह,ं ताँबे और काँसे के बतन, मुहर, वा , चाक पर बने िवशाल मृदभांड, उन पर काले भूरे िच , चौपड़ क गोिटयाँ, दीये,
माप-तौल के प थर, तांबे का आईना, िम ी क बैलगाड़ी और दसू रे िखलौने, दो पाट वाली च , कं घी, िम ी के कं गन, रंग-िबरंगे
प थर के मनक वाले हार और प थर के औज़ार आिद।
मुअनजो-दड़ो क नगर रचना –
यह नगर मैदान म नह है, बि क िस धु क बाढ़ से बचाने के िलए धरती के सतह से ऊपर उठे हए कृ ि म टीले पर बसा था। इसके खंडहर
को देखकर इसके व प का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। इसक गिलय , सड़क, कमरे , रसोई, िखड़क , चबूतरे , आँगन,
सीिढ़याँ आिद इस नगर के कला मक और यवि थत िनयोजन क कहानी कह रह ह। यहाँ क सड़क ‘ि ड ान’ म ह। चंडीगढ़,
ासीिलया और इ लामाबाद ‘ि ड शैली’ के शहर है, जो आधुिनक नगर िनयोजन के ितमान ठहराए जाते है |
बौ तूप-
मोहनजोदड़ो स यता के िबखरने के बाद एक जीण-शीण टीले के सबसे ऊँ चे चबूतरे पर बड़ा-सा बौ तूप है। यह बौ तूप प ीस
फु ट ऊँ चे चबूतरे है और इसका िनमाण-काल लगभग 2600 वष पूव माना जाता है। चबूतरे पर िभ ओ ु ं के कमरे भी ह। यह बौ तूप
भारत का सबसे पुराना लड के प है। मोहनजोदड़ो म यह अके ली ऐसी इमारत है जो अपने मूल व प के बहत नजदीक बची रह सक है।
मुअनजो-दड़ो का िस महाकुं ड-
नगर म चालीस फु ट लंबा, प ीस फु ट चौड़ा एवं सात फु ट गहरा एक तालाब है िजसे महाकुं ड के नाम से जाना जाता है। इसम उ र और
दि ण से सीिढ़याँ उतरती ह। उ र िदशा म आठ नानघर ह िजनम िकसी का भी ार एक दसू रे के सामने नह खुलता। इसके तीन ओर
साधुओ ं के क ह। कुं ड का तल और दीवार चूने और प ईटं से बनाए गए ह। कुं ड म पानी क यव था के िलए दोहरे घेरे वाले कु एँ ह।
कुं ड से गंदे पानी को बाहर िनकालने के िलए प ईटं से बनी हई नािलयाँ जो िक ढक ह । इितहास म इससे पहले पानी िनकासी क
इतनी अ छी यव था नह िमलती है।
कोठार-
महाकुं ड के दसू री तरफ िवशाल कोठार है। यहाँ कर के प म वसूला गया अनाज रखा जाता था । यहाँ नौ-नौ चौिकय क तीन-तीन
हवादार कतार ह। इसके उ र म ि थत गली के ारा बैलगाड़ी के मा यम से यहाँ अनाज जमा होता होगा।
महाकुं ड के नजदीक क इमारत- महाकुं ड के उ र-पूव म एक बहत लंबी-सी इमारत के अवशेष िमल ह । िजसम दालान, बरामदे
छोटे-छोटे कमरे बने हए ह। दि ण म भी एक भ इमारत है िजसम बीस खंभ वाला एक बड़ा हॉल है। यह संभवतः रा य सिचवालय,
सभा भवन या सामुदाियक क रहा होगा। गढ़ क चारदीवारी के बाहर छोटे-छोटे टीले ह,िजन पर बनी ब ती को लेखक ने ‘नीचा नगर’
कहा है। पूरब म ‘रईस क ब ती’ है। इस ब ती म बड़े-बड़े घर ह, चौड़ी सड़क ह, कु एँ भी अिधक ह।
खेती व यापार-
िस धु घाटी म यापार के साथ उ त खेती भी होती थी। यह कृ िष धान एवं पशुपालक स यता थी। यहाँ वार-बाजरा और रागी क
उपज होती थी। खरबूजा, खजूर और अंगरू भी उगते थे। कपास क खेती भी होती थी। मोहनजोदड़ो म सूत क कताई-बुनाई के साथ रँगाई
भी होती थी। रँगाई का एक छोटा सा कारख़ाना भी खुदाई म िमला है। इस स यता म ऊन सुमेर से आयात होती थी और सूती कपड़ा
िनयात होता था।
‘डीके ’ हलका-
‘डीके ’ के नाम पर दो हलक ह। ‘डीके ’ हलका सबसे मह वपूण है। शहर क मु य सड़क (फ ट ीट) यह पर है। यह बहत लंबी सड़क
है अब तो आधा मील बची है। इसक चौड़ाई ततीस फ ट है। इस सड़क के दोन ओर घर ह। िक तु िकसी भी घर का दरवाजा सड़क क
ओर नह है उनके दरवाजे अंदर गली म ह। मु य सड़क क ओर पीठ है।
‘डीके जी’ हलका-
बड़ी ब ती म पुरात वशा ी काशीनाथ दीि त के नाम पर एक हलका ‘डीके जी’ कहलाता है। यहाँ घर क दीवार ऊँ ची और मोटी है।
शायद यहाँ दो मंिज़ले मकान रह ह । ईटं (1:2:4) क भ ी क पक ह। प थर का योग नग य है। अिधकतर घर 30×30 फु ट के ह। इस
हलके म एक मकान 20 कमर वाला है िजसे मुिखया का मकान कहा गया है।
मोहनजोदड़ो का अजायबघर-
खंडहर के म य एक साबुत इमारत म अजायबघर है। यह िकसी क बाई कू ल क छोटी इमारत जैसा है। अजायबघर छोटा है, सामान भी
यादा नह है। अहम चीज कराची, लाहौर, िद ी और लंदन के अजायबघर म ह। य अके ले मोहनजोदड़ क खुदाई म िनकली पंजीकृ त
चीज क सं या पचास हजार से यादा है। मगर जो मु ी भर चीज यहाँ दिशत ह, िस धु स यता क झलक िदखने म काफ ह। काला
पड़ गया गेह,ं ताँबे और काँसे के बतन, मुहर, वा , चाक पर बने िवशाल मृदभांड, उन पर काले भूरे िच , चौपड़ क गोिटयाँ, दीये,
माप-तौल के प थर, तांबे का आईना, िम ी क बैलगाड़ी और दसू रे िखलौने, दो पाट वाली च , कं घी, िम ी के कं गन, रंग-िबरंगे
प थर के मनक वाले हार और प थर के औज़ार आिद ।
िस धु घाटी स यता के िवषय म कहे गए मुख कथन-
1. िस धु घाटी स यता म अनुशासन, ताकत के बल पर नह था| यहाँ वानुशासन था।
2. िसंधघु ाटी स यता एक लो ोफाइल स यता थी।
3. िस धु घाटी स यता म सु िच का यादा मह व था| यहाँ स दयबोध तो है, लेिकन वह राज पोिषत न होकर समाज पोिषत था।
4. िस धु घाटी स यता को ‘जल स यता’ कहा जा सकता है।
5. िस धु घाटी स यता हिथयार क नह , औजार क स यता थी।
6. िस धु घाटी स यता को नगरीकरण का पहला उदाहरण कहा जा सकता है।

बक: अतीत म दबे पाँव


(1) ' अतीत म दबे पाँव ' पाठ म िकस स यता का वणन िकया गया है ?
(i) गंगा घाटी स यता ( ii) िसंधु घाटी स यता
(iii) मेसोपोटािमया स यता (iv) माया स यता

(2) मुअनजो-दड़ो को िकस युग का नगर माना जाता है ?


(i) कां य युग (ii) नव पाषाण युग
(iii) ता युग (iv) लौह युग

(3) मुअनजो-दड़ो का शाि दक अथ है ?


(i) िशलालेख (ii) पठारी े
(iii) पवतीय े ( iv) मृतक के टीला

(4) ता काल के शहर म सबसे बड़ा शहर कौन-सा है ?


(i) मोहनजोदड़ो (ii) लोथल
(iii) राखीगढ़ी (iv) हड़ पा

(5) 'अतीत म दबे पाँव ' पाठ के अनुसार िन निलिखत म से कौन-सा कथन सही नह है ?
(i) मुअनजो-दड़ो ाकृ ितक टील पर बसा था ।
(ii) मोहनजो-दड़ो और हड़ पा िसंधु घाटी स यता के प रप नगर ह।
(iii) िसंध-
ु घाटी स यता संसार म ात सं कृ ित है जो कु एँ खोदकर भू-जल तक पहँची ।
(iv) मोहनजो-दड़ो म सूत क कताई-बुनाई के साथ रँगाई भी होती थी ।

(6) मेसोपोटािमया के िशलालेख म मोहनजो-दड़ो के िलए िकस श द का स भािवत योग िमलता है ?


(i) मुनजो (ii) इंडस
(iii) मेलहु ा (iv) इनम से कोई नह

(7) मोहनजो-दड़ो का नगर िनयोजन िन निलिखत म से िकस यव था पर आधा रत था ?


(i) हाई ीड ान (ii) ि ड ान
(iii) ी ान (iv) इनम से कोई नह

(8) इितहासकार इरफान हबीब के मुतािबक िसंधु घाटी स यता के लोग िकस कार क खेती िकया करते थे ?
(i) खरीफ (ii) रबी
(iii) जायद (iv) इनम से कोई नह

(9) िकसके िनदशन म मोहनजो-दड़ो क खुदाई का यापक अिभयान शु हआ ?


(i) जॉन माशल (ii) राखालदास बनज
(iii) इरफान हबीब (iv) दीि त काशीनाथ

(10) िकस वष मोहनजो-दड़ो म ाचीन नगर स यता होने के माण िमले ?


(i) सन् 1919 (ii) सन् 1920
(iii) सन् 1921 (iv) सन् 1922

(11) मोहनजो-दड़ो शहर म िजस थान पर तूप बना है उस िह से को पुरात व के िव ान या कहते ह ?


(i) गढ़ (ii) िकला
(iii) कुं ड (iv) बुज़

(12) पाँच हजार साल पहले मोहनजो-दड़ो नगर क आबादी िकतनी थी ?


(i) अ सी हजार ( ii) पचास हजार
(iii) प ासी हजार (iv) साठ हजार

(13) मोहनजो-दड़ो नगर बसा हआ था ?


(i) टीले पर (ii) मैदान पर
(iii) पहाड़ पर (iv) पवत पर

(14) मोहनजो-दड़ो शहर िकतने े म फै ला हआ था ?


(i) दो सौ हे टयर (ii) तीन सौ हे टयर
(iii) चार सौ हे टयर (iv) पाँच सौ हे टयर

(15) िसंधु घाटी स यता का के िकसे माना जाता है ?


(i) राज थान को (ii) मोहनजोदड़ो को
(iii) महारा को (iv) ह रयाणा को

(16) मोहनजोदड़ो नगर क खुदाई म कौन-कौन सी व तुएँ िमली थी ?


(i) काला पड़ गया गेहँ
(ii) चाक पर बने िचि त मृदभांड
(iii) 1 और 2 दोन
(iv) इनम से कोई नह
(17) कुं ड क सीिढ़याँ िकस िदशा म उतरती है ?
(i) उ र-दि ण ( ii) दि ण-पूव
(iii) पूव-पि म म ( iv) उ र-पूव म

(18) आज के मुहावरे म िसंधु घाटी स यता को या कहा जाता है ?


(i) हाई ोफाइल स यता
(ii) लो ोफाइल स यता
(iii) िमिडल ोफाइल स यता
(iv) उपयु सभी

(19) ‘कॉलेज ऑफ दा ी स' िकसे माना जाता है ?


(I) ानशाला को (ii) पाठशाला को
(iii) गौशाला को (iv) धमशाला को

(20) मोहनजो-दड़ो स यता म सूत क कटाई-बुनाई के साथ या होता था ?


(i) िसलाई (ii) रंगाई
(iii) 1 और 2 दोन (iv) इनम से कोई नह

(21) िसंधु घाटी स यता के दौर म यापार के साथ और या होता था ?


(i) उ त खेती (ii) पशुपालन
(iii) मछलीपालन (iv) मुग पालन

(22) 'अतीत म दबे पाँव' पाठ म मोहनजो-दड़ो क िकसी खुदाई म नहर होने के माण न िमलने पर या अनुमान लगाया जाता है ?
(i) उस काल म काफ बा रश होती होगी।
(ii) उस काल म पानी का योग कम होता होगा।
(iii) उस काल म खेती-बाड़ी इतनी अिधक नह होती होगी ।
(iv) उस काल म लोग को नहर के िवषय म कोई जानकारी नह होती होगी।

(23) िसंधु घाटी स यता म नगर योजना, वा तुकला, पानी या साफ-सफाई जैसी सामािजक यव थाओं म एक पता को कायम
रखने का आधार या हो सकता है ?
(i) यहाँ का राजा कठोर अनुशासन रखता था
(ii) यहाँ जनता ही कता-धता थी
(iii) यहाँ कोई अनुशासन ज र था
(iv) यहाँ सब कु छ कृ ित द था

(24) 'अतीत म दबे पाँव ' पाठ के अनुसार -" िसंध-


ु स यता क खूबी उसका स दय-बोध है जो राज-पोिषत या धम-पोिषत न
होकर समाज-पोिषत था।" ऐसा इसिलए कहा गया है, य िक
(i) िसंधु घाटी स यता म स दय के ित चेतना अिधक थी
(ii) िसंधु घाटी स यता म राजा से बड़ा थान लोग के काय का था
(iii) िसंधु घाटी स यता म धम का मह व न था। अतः समाज ही सव प र था।
(iv) िसंधु घाटी स यता म अमीर-गरीब न थे। अतः समाज म समानता थी।

(25) " टू टे-फू टे ख डहर, स यता और सं कृ ित के इितहास के साथ -साथ धड़कती िजंदिगय के अनछु ए समय के सभी द तावेज
होते ह।"- 'अतीत म दबे पाँव ' पाठ के अनुसार इस कथन का या भाव है ?
(i) ऐितहािसक इमारत म बीते हए जीवन के िच महसूस होते ह
(ii) ऐितहािसक इमारत ,कला,खान-पान इ यािद म सदा जीव तता होती है
(iii) पुरातन इमारत के अ ययन मा से इितहास क या या संभव हो पाती है
(iv) इितहास क समझ हेतु के वल स यता और सं कृ ित का जानना आव यक होता है

(26) िसंधु घाटी क स यता के िलिखत माण न िमलने का या कारण हो सकता है ?


(i) यह स यता बहत अिधक िवशाल है
(ii) इनती पुरानी स यता के िलिखत माण िमलने संभव नह
(iii) इस स यता म के वल मौिखक माण िमलते ह
(iv) यह स यता अ यंत सीिमत और कमजोर थी

(27) मोहनजो-दड़ो के घर क मोटी दीवार से या अनुमान लगाया जा सकता है ?


(i) ये दीवार के वल दशन मा के िलए बनवाई गई ह गी
(ii) ये दीवार ाकृ ितक आपदा से बचने के िलए बनी ह गी
(iii) इन दीवार पर दसू री मंिजल भी रही होगी
(iv) इन दीवार पर सु दर िच कारी करनी होगी

(28) िसंधु घाटी क स यता म िमले अजायबघर क सबसे बड़ी िवशेषता या है ? 'अतीत के दबे पाँव '
पाठ के आधार पर सही िवक प चुिनए-
(i) यह अजायबघर घर बहत िवशाल और सु दर है
(ii) इसम सभी कार क व तुएँ सं िहत ह
(iii) इसम औजार तो ह,पर तु हिथयार नह ह
(iv) इसम उ कृ कला मकता िदखाई देती है

(29) लेखक ने िसंधु स यता को जल सं कृ ित िकस आधार पर कहा है ?


(i) उस समय अिधक वषा होने के कारण
(ii) नदी, कु एँ, कु ड नानागार और बेजोड़ जल िनकासी के कारण
(iii) के वल निदय के िकनारे बसी होने के कारण
(iv) जल क बबादी रोकने के कारण

(30) िसंधु घाटी क स यता दसू री स यताओं से िकस कार िभ थी ?


(i) यह स यता पूणतः राजाि त स यता थी
(ii) यह स यता पूणतः साधन संप स यता थी
(iii) इसम िकसी एक का भु व नह था,बि क एकता व समृि से प रपूण स यता थी
(iv) इसम िन न वग पर िवशेष यान िदया गया, तािक उनका िवकास हो सके
उ र संकेत
(1) (ii) िसंधु घाटी स यता
(2) (iii) ता युग
(3) (iv) मृतक के टीला
(4) (i) मोहनजो-दड़ो
(5) (i) मोहनजो-दड़ो ाकृ ितक टील पर बसा था
(6) (iii) मेलुहा
(7) (ii) ि ड ान
(8 ) (ii) रबी
(9 ) (i) जॉन माशल
(10 ) (iv) सन् 1922
(11) (i) गढ़
(12) (iii) प ासी हजार
(13) (i) टीले पर
(14) (i) दो सौ हे टयर
(15) (ii ) मोहनजो-दड़ो
(16) (iii) 1 और 2 दोन
(17) (iii) उ र-पूव
(18) (ii) लो ोफाइल
(19) (i) ानशाला
(20) (iii) 1 और 2 दोन
(21) (ii) पशुपालन
(22) (i) उस काल म काफ बा रश होती होगी
(23) (iii) यहाँ कोई अनुशासन ज र था
(24) (ii) िसंधु घाटी स यता म राजा से बड़ा थान लोग के काय का था
(25) (i) ऐितहािसक इमारत म बीते हए जीवन के िच महसूस होते ह
(26) (ii) इतनी पुरानी स यता के िलिखत माण िमलने संभव नह
(27) (iii) इन दीवार पर दसू री मंिजल भी रही होगी
(28) (iii) इसम औजार तो है, परंतु हिथयार नह
(29) (ii) नदी, कु एँ, कु ड, नानागार और बेजोड़ जल िनकासी के कारण
(30) (iii) इसम िकसी एक का भु व नह था,बि क एकता और समृि से प रपूण स यता थी
नए और अ यािशत िवषय पर रचना मक लेखन
िनदश और यान रखने यो य मु य िबंद-ु
इस के िलए 6 अंक िनधा रत िकए गए ह। िजसम अंक िवभाजन िन न कार िनधा रत है –
आर भ - 1 अंक
िवषयव तु - 3 अंक
तुित - 1 अंक
भाषा क शु ता - 1 अंक
श द सीमा लगभग – 120-150 श द
अ यािशत श द का या अथ है? अ+ ित+आशा+इत = अ यािशत अथात् िजसक आशा न क गई हो। अथात एकदम
नया और मौिलक िवषय व रत प से जैसे हमारे समाने आता है, उस पर हम िकस कार सृजना मकता के साथ सोच और िलख
सकते ह यह इस का उ े य है।
वैचा रक और भावना मक प से रचना करना एवं अपने मौिलक िवचार क अिभ यि करना रचना मक लेखन कहलाता है|
श द सीमा लगभग 120 श द का अिभ ाय यह नह है िक ठीक-ठीक और एकदम इतने ही श द को िगन कर हम श द
यु करने ह। इतने श द क यह सीमा थोड़ी-बहत आगे-पीछे कर सकते ह, लेिकन बहत यादा नह । जैसे 120 श द सीमा के िलए
हम 120-130 से 150-160 तक भी िलखगे तो गलत नह ह। बात पूरी और प ढंग से रचना मकता के साथ आ जानी चािहए।
यह िकसी भी िवषय को समािहत कर सकता है उसे िलखने म तुतीकरण म हम नवीनता के साथ साथ यि गत अनुभव
को जोड़ते हए मौिलकता का दशन करना है।
भाषा और याकरिणक शु ता का यान रखा जाना चािहए।
िवषय का मब ढंग से िवकास कर और ग ांश को सुगिठत प म तुत करना ल य रहना चािहए।
इस के उ र को िलखना एक चुनौती के प म वीकार करते हए यह मानना चािहए िक येक िव ाथ अपने अपने ढंग से
िलखगे और हम यह सोचना चािहए िकस कार बेहतर से बेहतर िलख कर हम इस म पूरे अंक ा कर सकते ह।
रचना मक लेखन के अ तगत आपको िकसी भी कृ ित का कोई भी िवषय िदया जा सकता है।
कई िवषय यादा खुलापन िलए हो सकते ह तो कु छ ऐसे भी हो सकते ह िजनम खुलापन थोड़ा कम हो और फ़ोकस अिधक
प हो।
इन माँग के जवाब म आप जो भी िलखगे, वह कभी िनबंध बन पड़ेगा, कभी रे खािच , कभी सं मरण क श लेगा तो कभी
या ावृ ांत क । यही रचना मक लेखन है।
रचना मक लेख के िलए िदए गए िवषय से स बंिधत जो भी उस समय साथक और सुसंगत िवचार आपके मन म आएँ, उ ह
आप य कर सकते ह।
प फ़ोकस वाले िवषय िमलने पर इस िवचार- वाह को थोड़ा िनयंि त रखना पड़ता है।
िकसी भी िवषय पर एक ही यि के ज़ेहन म कई तरीक से सोचने क वृि होती है। ऐसी ि थित म सबसे पहले तो सोच िक
िकस कोण से उभरने वाले िवचार को आप थोड़ा िव तार दे सकते ह। इसके बाद आप अपने लेख क एक आकषक-सी शु आत पर
िवचार कर। लेख म आप आगे जो कु छ भी कहना चाहते हो, उससे शु आत सुसंब और सुसंगत हो। शु आत से आगे बात कै से
िसलिसलेवार बढ़ेगी, इसक एक परे खा आपके ज़ेहन म होनी चािहए।
लेख म आपक कही गई बात न िसफ़ आपस म जुड़ी हई ह , अिपतु उनम तालमेल भी हो। आपक दो बात एक-दसू रे का
खंडन करती हई नह होनी चािहए।
सामा यत: िनबंध या आलेख म जहाँ ‘म’ शैली का योग विजत होता है, वह इस तरह के लेखन म कोई ितबंध नह होता
है।
यहां तुत उ र अंितम नह है, यह के वल उदाहरण के प म है। इसक मदद से आप भी नए और अ यािशत िवषय पर
बेहतर लेखन यास कर सकते ह।
रचना मक लेखन म िव ािथय को अपने िवचार क वतं अिभ यि करनी है।
िवचार म मब यता आव यक है।
रचना मक लेखन म उ रण उपयोगी होते है अत: उ रण का योग कर। उ रण िलखते समय उ रण िच ह (“----”)
ज र लगाना चािहए।
रचना मक लेखन से पूव अपने िवचार को संि िब दओ ु ं या शीषक म बांट ल तािक लेखन आसान हो सके ।
िवषयानुकूलता व रोचकता का यान रखा जाना चािहए।
रचना मक लेखन से पूव सभी िवक प पर िवचार कर उपयु िवक प का चुनाव कर।
आप रचना मक लेखन के िह से को तीन भाग म िवभािजत कर ल-
(क) िवषय का प रचय (ख) िवषय का िव तार (ग) िन कष
परे खा-लेखन के समय पूवापर संबधं के िनयम का िनवाह िकया जाए, पूवापर संबधं के िनवाह का अथ है िक ऊपर क बात
उसके ठीक नीचे क बात से जुड़ी होनी चािहए, िजससे िवषय का म बना रहे।
भाषा सरल,सहज और बोधग य हो
पुनरावृि दोष से बचा जाए|
श द सीमा 120 श द सी.बी.एस.ई . ारा िनधा रत क गई है। अत: श द सीमा का यान रख एवं अनाव यक बात िलखने
से बच।
रचना मक लेखन म िन न के उ र तलाश कर ----
● सम या या है?
● सम या य है?
● सम या का भाव – लाभ / हािन
● उपाय / समाधान / सुझाव / यास
● उपसंहार
पार प रक और अ यािशत िवषय म अ तर-
पार प रक िवषय वो िवषय होते ह जो िकसी मु ,े िवचार, घटना आिद से जुड़े होते ह और अिधकतर सामािजक और राजनीितक िवषय
होते ह। इसम आप अपनी यि गत राय को उतनी ाथिमकता न देकर सामूिहक िवचार पर ज़ोर देते ह जबिक अ यािशत िवषय पर
लेखन म आपके अपने िनजी िवचार होते ह।
** िकसी नए िवषय पर क पना करके कम समय म अपने िवचार को सुंदर और यवि थत तरीके से अिभ य करना ही ‘अ यािशत
िवषय पर रचना मक लेख’ कहलाता है।
नए और अ यािशत िवषय पर रचना मक लेख के िलए ज री बात:-
1. िकसी भी नए िवषय पर िलखने से पहले उसक उिचत परे खा बना ल।
2. िकसी भी अ यािशत िवषय पर िलखने से पहले उससे स बंिधत जानका रय का संकलन कर।
3. संकिलत िवचार का िवषय के साथ उिचत तालमेल बनाएँ।
4. अ यािशत लेखन म यथास भव ‘मै ँ या हम’ शैली का योग कर।
5. रचना मक लेखन िवषय के दायरे म ही होना चािहए।
रचना मक लेखन को सरल बनाने के सामा य तरीके :-
1. िलखने से पहले स बंिधत िवषय क एक परे खा बनाएँ और सभी िवचार को उस परे खा म ढ़ालकर शानदार तरीके से िलखने क
शु आत कर।
2. िवषय को आर भ करना, िव तार करना और उसका समापन करना आिद पर िलखने से पहले ही िवचार कर।
3. िवषय क क पना कर और िवचार को वयं के साथ घिटत मानकर ‘म’ शैली म ही िलखने का यास कर।
4. िवषय िव तार म सभी िवचार का सुंदर तरीके से तालमेल बनाएँ और यास कर िक वह एक कड़ी के प म ही ह ।
नए अथवा अ यािशत िवषय पर लेखन से स बंिधत शंका समाधान
1. नए अथवा अ यािशत िवषय पर लेखन से या ता पय है ?
उ र-िकसी नए अथवा अ यािशत िवषय पर कम समय म अपने िवचार को संकिलत कर उ ह सुंदर ढंग से अिभ य करना ही
अ यािशत िवषय पर लेखन कहलाता है।
2. नए अथवा अ यािशत िवषय पर लेखन म कौन-कौन सी बात का यान रखना चािहए ?
उ र-नए अथवा अ यािशत िवषय पर लेखन म िन निलिखत बात का यान रखना चािहए-
1. िजस िवषय पर िलखना है लेखक को उसक संपणू जानकारी होनी चािहए।
2. लेखक को अपने मि त क म उसक एक उिचत परे खा बना लेनी चािहए।
3. िवषय से जुड़े त य से उिचत तालमेल होना चािहए।
4. िवचार िवषय से सुस ब तथा संगत होने चािहए।
5. अ यािशत िवषय के लेखन म 'म' शैली का योग करना चािहए।
6. अ यािशत िवषय पर िलखते समय लेखक को िवषय से हटकर अपनी िव ता को कट नह करना चािहए।
3. नए अथवा अ यािशत िवषय पर लेखन म या- या बाधाएँ आती ह ?
उ र- नए अथवा अ यािशत िवषय पर लेखन म अनेक बाधाएँ आती ह जो इस कार है-
1. सामा य प से लेखक आ मिनभर होकर अपने िवचार को िलिखत प देने का अ यास नह करता।
2. लेखक म मौिलक यास तथा अ यास करने क वृि का अभाव होता है।
3. लेखक के पास िवषय से संबिं धत साम ी और त य का अभाव होता है।
4. लेखक क िचंतन शि मंद पड़ जाती है।
5. लेखक के बौि क िवकास के अभाव म िवचार क कमी हो जाती है।
6. अ यािशत िवषय पर लेखन करते समय श दकोश क कमी हो जाती है।
4. नए तथा अ यािशत िवषय पर लेखन को िकस कार सरल बनाया जा सकता है ?
उ र- नए तथा अ यािशत िवषय पर लेखन को सरल बनाने के िलए मन म उठ रहे िवचार को परे खा दान करते हए त य को
सुसंब ता व सुसंगत होना भी ज री होता है। अतः िकसी भी िवषय पर िलखते हए दो बात का आपस म जुड़े होने के साथ-साथ उनम
तालमेल होना भी आव यक होता है। नए तथा अ यािशत िवषय के लेखन म आ मपरक 'म' शैली का योग िकया जा सकता है।
य िप िनबंध और अ य आलेख म 'म' शैली का योग लगभग विजत होता है िकं तु नए िवषय पर लेखन म 'म' शैली के योग से
लेखक के िवचार और उसके यि व को झलक ा होती है।
5. रटंत या कु टेव को बुरी लत य कहा गया है ? नए और अ यािशत िवषय पर लेखन ारा इस लत से कै से बचा जा
सकता है ?
उ र- रटंत का अथ है-दसू र के ारा तैयार साम ी को याद करके य -का- य तुत कर देने क आदत। इससे यि क
सोचने-समझने क मता तथा मौिलक वैचा रक तुतीकरण पर नकारा मक भाव पड़ता है इसिलए रटंत या कु टेव को बुरी लत कहा
गया है।
रटंत या कु टेव को लत कहे जाने के कारण:-
• असली अ यास का मौका ना िमलना
• भाव क मौिलकता समा हो जाना
• िचंतन-शि ीण होना
• सोचने क मता म कमी होना
• दसू र के िलखे पर आि त होना
अ यािशत िवषय पर लेखन ारा इस लत से बचा जा सकता है य िक इससे अिभ यि क मता िवकिसत होती है। नए िवषय पर
िवचार अिभ यि से मानिसक और आि मक िवकास होता है।
अ यािशत िवषय पर लेखन के कु छ उदाहरण िन निलिखत ह –
सबै िदन होत न एक समाना
यि का जीवन सदैव एक जैसा नह रहता। वह कभी सुख का तो कभी दख ु का अनुभव करता है। इसका मुख कारण समय क
प रवतनशीलता है। व तुत: मानव-जीवन के सभी िदन एक समान नह होते। उनम प रि थित के अनु प प रवतन होता रहता है। समाज म
िनत नवीन प रवतन देखने को िमलते ह। इितहास प रवतन का ही प रणाम है। िकसी समय म भारत िव के संप देश म से एक था, परंतु
आज ि थित िभ है।
गित क दौड़ म हम आज भी कई े म बहत आगे ह तो कई े म बहत पीछे । समाज के हर े म प रवतन िदखाई दे
रहा है। सामािजक, धािमक व राजनैितक े म भारी उथल-पुथल हो रही है। सामािजक तर िगर रहा है। इस प रवतन से हम िनराश नह
होना चािहए। समय कभी एक जैसा नह रहता। िबना प रवतन के यि सुख-दख ु का अनुभव नह कर सकता। प रवतन क आशा म ही
यि कमरत रहता है। अत: ितकू ल समय म धैय बनाए रखना चािहए। रहीम ने कहा है-
रिहमन चुप बैिठए, देिख िदनन के फे र।
जब नीके िदन आइह बनत न लागे देर।।
बुरे िदन म यि को अिधक-से-अिधक सहनशील बनना चािहए य िक सहनशीलता से क कारक िदन समा हो जाते है।
वह अपनी इ छानुसार फल ा नह कर सकता। अत: उसे काय करते रहना चािहए। यि अपने जीवन के िवषय म कु छ नह कह
सकता। मनु य अभाव म भी कु छ पाने क क पना करता हआ कममय बन सकता है। (श द 237)
मेरे जीवन का ल य
जीवन एक अंतहीन या ा है। िजस कार या ा ारंभ करने से पहले यि अपना गंत य थान िनधा रत कर लेता है, वैसे ही हम भी
अपनी जीवन-या ा ारंभ करने से पहले अपना काय- े िनधा रत कर लेना चािहए। हर इंसान को अपने जीवन का उ े य व ल य
िनि त कर लेना चािहए। ल यहीन जीव व छं द प से सागर म छोड़ी हई नाव के समान होता है। ऐसी नौका या तो लहर के म य डू ब
जाती है या च ान से टकराकर चूर-चूर हो जाती है। मने भी अपने जीवन म शासिनक अिधकारी बनने का िन य िकया है। म उस कम
को े समझता हँ, िजससे यि अपना व अपने प रवार का तो क याण कर ही सके , साथ ही समाज को भी िदशा-िनदश दे सके ।
शासिनक अिधकारी का काय भी कु छ इसी कार का है। वह समाज के काय का सुचा संचालन करता है, लोग तक सरकारी
योजनाओं को पहंचाता है और समाज को एक िवकास क नई िदशा दान करता है। इस समाज म शासन को चलाने के िलए यि क
यो यता को तब तक साथक नह समझता जब तक वह समाज के िलए लाभदायक न हो। शासिनक अिधकारी यह काय करने क
सवािधक मता रखता है। मेरा िव ास है िक समाज म समुिचत िवकास के िबना कोई भी नाग रक न अपने अिधकार को सुरि त रख
सकता है और न कभी दसू र के अिधकार का स मान कर सकता है। म एक शासिनक अिधकारी बनकर समाज के लोग को िश ा,
िचिक सा, िवकास को जीवनोपयोगी बनाने का य न क ं गा। म मेरे काय े प रसर के बाहर भी समाज के लोग के साथ अ यंत
िनकट का संपक थािपत क ं गा और समाज के येक वग को भिव य क नई स भावनाओं क िदशा एवं दशा दान करने का य न
क ं गा। म सदैव अपने स यवहार ारा समाज म े भाव उ प करने का य न क ं गा एवं अपने कत य का पूण ईमानदारी के साथ
िनवहन क ं गा।
परी ा के िदन
हम सबके िलए िव ाथ जीवन म परी ाओं का सामना करना िब कु ल आम बात है। इसके बावजूद भी परी ा के किठन िदन का सामना
करना मेरे िलए बहत डरावना रहता है| म बहत घबराए रहता हँ। मने जो कु छ भी पढ़ा या याद िकया उस हर चीज को बार-बार दोहराना
चाहता हँ। म -प के बारे म सोचता रहता हँ। मेरा िव ास है िक यिद म पहले िदन अ छा क ं गा तो परी ा म सफलता ा कर
सकता हँ। इसिलए परी ा का किठन िदन भयानक लगता है; कु छ छा परी ाओं के किठन िदन के पहले क रात सो नह पाते। मेरे िलए
बोड परी ा का किठन िदन भी कु छ ऐसा ही था।
परी ा के िदन म अपना सारा यान पढ़ाई क ओर कि त कर को याद करने और समझने म लगा देता हँ। यह िदन मेरे िलए परी ा
देवताओं को खुश करने के िलए अनु ान करने के िदन जैसा होता है। वह काय से मुि , खेल-तमाशा से छु ी और िम -सािथय से दरू
रहने के िदन ह। परी ा परी ाथ के िलए भूत जैसा है। भूत िजस पर सवार हो जाता है, उसक रात क न द हराम हो जाती है। िदन क
भूख गायब हो जाती है और घर म सगे-संबिं धय का आना बुरा लगता है। टी.वी. के काय म, मनपसंद एिपसोड आिद सब समय न
करने के मा यम लगते ह।
परी ा के इन किठन िदन म परी ा बुखार चढ़ा होता है, िजसका तापमान परी ा भवन म वेश करने तक िनरंतर चढ़ता रहता है। वह
-प हल करके परी ा भवन से बाहर आने पर ही सामा य होता है। िफर अगले िवषय क तैयारी क याद आती है। परी ा के बुखार
से त परी ाथ िनरंतर आराम ना कर पाने क पीड़ा से छटपटाता है। परी ा के बुखार से त परी ाथ ोधी बन जाता है और िचंता
उसके वा य को चौपट कर देती ह। परी ा के िदन म पढ़ाई के साथ उिचत आराम भी ज री है तािक परी ाथ व थ रह और एका
होकर परी ा दे पाएं।
सोशल मीिडया
मनु य एक सामािजक ाणी है, वह समाज म रहकर ही अपना जीवन जीता है। समाज म ही उसके यि व का िवकास होता
ह, गांव क चौपाल, शहर के चौराहे व थ चचाओं और िविभ कार क सूचनाओं के क हआ करते थे, िकं तु आज उनका थान
सोशल मीिडया ने ले िलया है, जो िव म घिटत होने वाली हर घटना क जानकारी तुरंत देते है।
हा सएप, इं टा ाम, फे सबुक एवं अ य मा यम िजससे यि वयं को, अपने िकसी उ पाद को अथवा अपने िवचार को अिधकािधक
लोग तक आसानी से पहँचा सकता है, तथा लोकि यता हािसल कर सकता है। सोशल मीिडया ने िव ाम क प रक पना को च रताथ
िकया है। कोिवड-19 के दौरान सोशल मीिडया क एक सश भूिमका सामने आई है। इसके नकारा मक भाव से युवा व िकशोर को
रोक िलया जाए तो यह संचार ांित का सश मा यम िस द हो सकता है।(श द 141)
परी ा भवन म वेश करने से पहले
परी ा भवन म वेश से पहले हमारी पूरी तैयारी हो और भरपूर आ मिव ास के साथ हम वेश कर। परी ा नाम से बड़े-बड़ के
हाथ-पैर कांपते ह। या ब और या बूढ । ीमान आपको भी तो भय लगता होगा, अपने बीते िदन को याद क िजए। आज ब े पर
घर-प रवार और िव ालय का दबाव रहता है िक पूरा -प सही करना है। शत ितशत अंक क अपे ा बेमानी है।
सभी का अपना-अपना मानिसक तर होता है। शेर िशकार करता है और घोड़ा घास खाता है। गधा कचरे के ढेर को पसंद करता है लेटने
के िलए। जब कृ ित ने सभी को िभ िभ बनाया है यहाँ कोई राजा के घर ज मा है तो कोई रंक के । बात को समझा जाए िक येक
ब ा अपनी अपनी अिभनव यो यता के साथ ज म लेता है और परी ा का प रणाम उसक पूण यो यता का आकलन नह है। िकसी भी
ि थित म टशन नह लेने का। (श द 150)
तेज़ र तार, दघु टना का िव तार
सुबह–सुबह एक हाथ म चाय का कप व दसू रे हाथ म अखबार। अखबार म पहले ही पृ पर बड़े–बड़े अ र म हेडलाइन है। भीषण
सड़क हादसा, तेज़ र तार कार ने बाइक को र दा। सड़क पर कार पीड म है। वाहन पीड म ह। मनु य पीड म ह। आज इस भागम-भाग
के जीवन म हर कोई एक-दसू रे से आगे िनकलने क अँधी होड़ म ह। इस पीड क ित िं ता म ठहर जाती ह तो वे लाख िजंदिगयाँ।
आज जीवन पर पीड हावी है। वतमान म ऑवर पीड सड़क हादस ने आपदा का प धारण कर िलया है। हर िदन सड़क हादस म
सैकड़ -हजार िजंदिगयाँ अपना वज़ूद ख म कर लेती है और िकतनी ही िजंदिगयाँ मौत और िजंदगी से लड़ती हई अ पताल म पहँचती
ह।
न द, नशा, मोबाइल, तेज़ र तार इ यािद सड़क हादस के मुख कारण ह। िजंदगी क मती है। थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा बन जाती है
और कई बार जान तो बच जाती है लेिकन जीवनभर के घाव दे जाती है। इसिलए ज री है िक सुरि त या ा के िलए यातायात िनयम का
पालन करते हए सुरि त वाहन चलाएँ। (श द 180)
आधुिनक जीवनशैली और तनाव
मनु य लगातार िनत नई ऊं चाइय क ओर बढ़ रहा है, िफर भी और अिधक पाने क लालसा मन म बढ़ रही है। इस कारण से वह एक नई
बीमारी ‘तनाव’ क िगर त म आता चला जा रहा है। ाय: यह देखा गया है िक मनु य हमेशा िकसी न िकसी उधेड़बुन म लगा रहता है।
आधुिनक जीवनशैली के चलते मनु य खुद को सवािधक सुखी बनाना चाहता है, परंतु वह अपनी मता व साधन का यान नह रखता
है। इस कारण उसे अपने हर काय म असफल होने का भय बना रहता है।
लंबे समय तक जब मनु य तनाव त रहता है तो वह यािधय का िशकार हो जाता है। इस कार लंबे समय तक तनाव त रहने से
दय रोग, अ सर, र चाप, याददा त का कम हो जाना, ेन ोक आिद बीमा रयाँ पैदा हो जाती है। उसक हर काय म िच समा हो
जाती है। वह िचड़िचड़ा एवं गु सैल वभाव वाला हो जाता है। इस अंधी दौड़ से आज के दौर म ब े भी अछू ते नह रहते ह। उनका
वभाव भी एकाक , गुमसुम या भयंकर ोधी हो जाता है। ऐसे म हर यि को नए ढंग से सोचते हए नई-नई खुिशयाँ ढू ढँ ने का यास
करना चािहए। उसे थोड़े समय के िलए आराम से िचंतन करना चािहए। ( श द 202 )

अ यास हेतु नए और अ यािशत िवषय पर रचना मक लेख के स भािवत उदाहण :-


लोकतं म मीिडया क भूिमका
आज़ादी का अमृतम महो सव- विणम 75वष
गम क पहली बा रश
जैसे ही मैन डायरी खोली
जीवन म हार नह मानी
मैच खेलने का अवसर
कोरोना एक भयावह बीमारी
िदया और तूफ़ान- मानव जीवन का स य
भारत म भाषाओं का इं धनुष
हमारी सं कृ ित
सोशल मीिडया और अिभ यि क वतं ता
ेन क िखड़क से बाहर का जीवन
पयावरण दषू ण
पिहय पर िजंदगी
िव ाथ जीवन के ल य
तब सम या का समाधान िमला
क ा म मेरी पहली शरारत
यिद म िजला कले टर होता
घ सले से झाँकते िचिड़या के ब
सुकून के कु छ पल
मेरे अधूरे सपने
समु क लहर
आसमान म िटमिटमाते तारे
कै से कर कहानी का ना पांतरण
कहानी और नाटक म संबध ं -
कहानी और नाटक दोन का क िबंद ु कथानक होता है। कहानी और नाटक दोन म पा , देशकाल तथा वातावरण जैसे त व मौजूद
होते है । साथ ही संवाद, ं , उ े य तथा चरमो कष दोन ही िवधाओं म पाए जाते है| इस संबधं को िन न िब दओ
ु ं से समझा जा सकता
है :-
कहानी
1. कहानी का क िबंद ु कथानक होता है।
2. कहानी म कथात व(कथा) होता है।
3. कहानी म पा होते ह।
4. कहानी म प रवेश होते ह।
5. कहानी का िमक िवकास होता है।
6. कहानी म संवाद होते ह।
7. कहानी म पा के म य ं होता है।
8. कहानी म एक उ े य िनिहत होता है।
9. कहानी का चरमो कष होता है।
नाटक
1. नाटक का क िबंद ु कथानक होता है।
2. नाटक म भी कथात व(कथा) होता है।
3. नाटक म भी पा होते ह।
4. नाटक म भी प रवेश होता है।
5. नाटक का भी िमक िवकास होता है।
6. नाटक म भी संवाद होते ह।
7. नाटक म भी पा के म य ं होता है।
8. नाटक म भी एक उ े य िनिहत होता है।
9. नाटक का भी चरमो कष होता है।
कहानी और नाटक म मूलभूत अंतर
जहाँ कहानी का संबधं लेखक और पाठक से है वह नाटक लेखक, िनदशक, पा , ोता एवं अ य लोग को एक दसू रे से
जोड़ता है।
कहानी कही जाती है या पढ़ी जाती है। नाटक मंच पर तुत िकया जाता है।
कु छ मूल त व जैसे ं नाटक म िजतना और िजस मा ा म होता है उतना कहानी म संभवतः नह होता है।
कहानी का ना पांतरण कै से कर ?
कहानी को नाटक म पांत रत करने के िलए सबसे पहले कहानी क िव तृत कथाव तु को समय और थान के आधार पर
िवभािजत िकया जाता है।
कहानी क कथाव तु को सामने रखकर एक-एक घटना को चुन-चुनकर िनकाला जाता है और उसके आधार पर य िनमाण
होता है।
यिद एक घटना, एक थान और एक समय म घट रही है तो वह एक य होगा। उदहारण के तौर पर ईदगाह कहानी को हम एक
य म पांत रत कर सकते है।
थान और समय के आधार पर कहानी का िवभाजन करके य को िलखा जा सकता है। यह देखना आव यक है िक येक
य का कथानक के अनुसार औिच य हो। यह हम जान लेना आव यक है िक या येक य कथानक का िह सा है ? अनाव यक
य को शािमल न िकया जाएँ। अनाव यक य नाटक क गित को बािधत करते है।
यह यान रखना चािहए िक येक य का कथानुसार िवकास को रहा या नह ।
य िवशेष के उ े य और उसक संरचना पर िवचार आव यक है। येक य एक िबंद ु से ारंभ होता है।
यह देखना आव यक है िक प रि थित, प रवेश, पा , कथानक से संबिं धत िववरणा मक िट पिणयाँ िकस कार क है।
पांत रत नाटक म कहानी के पा क या मकता कहानी के आधार पर कर सकते है जैसे ईदगाह कहानी म हािमद के कपड़
और पहननावे का िज नह िकया गया है लेिकन हम कहानी के आधार पर अनुमान लगा सकते है िक हािमद फटे-पुराने कपड़े पहने
हए होगा और नंगे पैर होगा।
कहानी के लंबे संवाद को छोटा करके अिधक नाटक य बनाया जाना चािहए।

कहानी का ना - पांतर करते समय यान देने यो य मह वपूण िबंद-ु


कहानी एक ही जगह पर ि थत होनी चािहए।
कहानी म संवाद नह होते और ना संवाद के आधार पर आगे बढ़ता है। इसिलए कहानी म संवाद का समावेश करना ज री
है।
कहानी का ना पांतर करने से पहले उसका कथानक बनाना बहत ज री है।
नाटक म हर एक पा का िवकास, कहानी जैसे आगे बढ़ती है, वैसे होता है इसिलए कहानी का ना पांतर करते व पा
का िववरण करना बहत ज री होता है।
एक यि कहानी िलख सकता है, पर जब ना पांतर क बात आती है, तो हर एक समूह या टीम क ज रत होती है।
ना पांतरण क चुनौितयाँ –
सबसे मुख चुनौती यह है क कथानक के अनुसार य िदखाना।
नाटक के य बनाने से पहले उसका खाका तैयार करना।
नाटक य संवाद का कहानी के मूल संवाद के साथ मेल होना चािहए।
संगीत, विन और काश यव था करने क चुनौती।
संवाद को नाटक य प दान करने क सम या।
कथानक को अिभनय के अनु प बनाने म सम या।
मु य िबंद:ु -
कहानी और नाटक अलग-अलग िवधाएं, अलग-अलग व प:-
नाटक और कहानी सािह य क अलग-अलग िवधाएं ह। य िप नाटक के मूल म भी कहानी होती है परंतु दोन िवधाओं का व प
अलग-अलग है। इन दोन म कु छ ऐसे त व ह, जो इ ह अलग करते ह। इसके अलावा इनक रचना ि या भी अलग-अलग होती है।
इनक िवधा बदलते ही भाषा योग भी बदल जाता है। इस तरह िवधाओं म आदान- दान क ि या बदलती रहती है।
कहानी और नाटक म िविवधता और समानता :-
कहानी का नाटक म पांतरण करने से पूव कहानी और नाटक म िविवधता और समानता जानना ज री है। इसके िलए हम इनक
िवशेषताओं को समझना चािहए-
जहाँ कहानी का संबधं लेखक और पाठक से जुड़ता है, वह नाटक लेखक, िनदशक, पा , दशक, ोता एवं अ य लोग को
एक- दसू रे से जोड़े रखता है। यही कारण है िक 'गोदान', 'देवदास', 'उसने कहा था' आिद का ना पांतरण कई बार और कई तरह
से हआ।
कहानी कही या पढ़ी जाती है जबिक नाटक मंच पर तुत िकया जाता है। नाटक को मंच पर अिभनेता अपने अिभनय के
मा यम से तुत करते ह। इसम संगीत, मंच- स ा और काश- यव था भी होती है।
उन दोन म यह समानता होती है िक दोन म कहानी होती है, पा होते ह और प रवेश होता है। इस तरह दोन क आ मा के
कु छ त व समान होते ह पर नाटक म िजतना दं होता है, उतना कहानी म नह ।
कहानी को नाटक म पांत रत करने से पहले :
कहानी को नाटक म पांत रत करने से पहले पूण कहानी क िव तृत कथाव तु, समय और थान के आधार पर िवभािजत कर
लेना चािहए। कथाव तु उन घटनाओं का लेखा-जोखा है, जो कहानी म घटती हई होती है। येक घटना िकसी थान और समय पर
घटती है।
कथाव तु को सामने रखकर एक-एक घटना को चुन-चुन कर िनकालना चािहए य िक इसी के आधार पर य बनते ह।
उदाहरण के िलए - ईदगाह कहानी के आरंभ म लेखक ने मेले को लेकर ब के उतावलेपन और कु तूहल का लंबा मनोवै ािनक
िच ण िकया है। इसके िलए पहले य म उसी िह से पर फोकस िकया जा सकता है, जहां ब े तैयार हो रहे ह, भाग- दौड़ कर रहे ह
तथा अपने -अपने पैसे िगन रहे ह। इसी कार, अंितम य अमीना और उसक दादी से जुड़ा हो सकता है तथा उनके संवाद िदए जा
सकते ह।
थान और समय के आधार पर भी कहानी का िवभाजन करके य को िलखा जा सकता है। इसके िलए येक य का
कथानक के अनुसार औिच य होना चािहए।
यह भी यान रखना चािहए िक येक य का कथानुसार तािकक िवकास हो रहा है या नह । इसके िलए य- िवशेष के
उ े य और उसक संरचना पर िवचार करना आव यक होता है।
येक य एक िबंद ु से ारंभ होता है। कथानुसार अपनी ज़ रत पूरी करता है और उसका ऐसा अंत होता है जो उसे अगले
य से जोड़ता है। इसिलए य का पूरा िववरण तैयार िकया जाना चािहए। कह ऐसा न हो िक य म कोई आव यक जानकारी छू ट
जाए या उसका म िबगड़ जाए। इस तरह नाटक म ही नह बि क नाटक के येक य म ारंभ, म य और अंत होता है। य कई
काम एक साथ करता है। एक ओर वह कथानक को आगे बढ़ाता है तो दसू री और पा और प रवेश को संवाद के मा यम से थािपत
करता है। िकसके साथ -साथ य अगले य के िलए भूिमका भी तैयार करता है।
इसके अलावा उन य का भी खाका तैयार कर लेना चािहए, िजनम कोई संवाद न हो। इस बात का यान अव य रखना
चािहए िक कोई घटना या सूचना को दोहराया न गया हो।
य िनधारण के बाद यह देखना आव यक हो जाता है िक प रि थित, प रवेश, पा कथानक से संबिं धत िववरणा मक
िट पिणयां िकस कार क ह। इन िववरण को नाटक म थान देने के तरीके अलग-अलग ह, जैसे-िववरणा मक िट पणी यिद प रवेश
के बारे म है तो उसे मंच-स ा के अंतगत िलया जा सकता है या पा संगीत के मा यम से य िकया जा सकता है। िववरण यिद
पा के बारे म है तो उ ह संवाद के मा यम से िनधा रत य म उिचत थान पर िदया जा सकता है।
नाटक संबध ं ी संवाद क िवशेषताएं :-
य िनधारण के बाद या जाना जा सकता है िक य क आव यकताओं को पूरा करने वाले संवाद है या नह । संवाद अपया
होने पर उ ह िलखने का काम करना चािहए। इसके िलए आव यक है िक नए िलखे संवाद कहानी के मूल संवाद के साथ मेल खाते ह ,
औिच यपूण ह , भावशाली ह , छोटे और बोलचाल क भाषा म ह य िक मंच पर लंबे संवाद से तारत य बनाना किठन होता है।
नाटक म च र - िच ण :-
नाटक म च र - िच ण करने क िविध कहानी से अलग होती है। ऐसा करते समय कहानी के पा क या मकता नाटक के
पा म योग िकया जाना चािहए; जैसे- 'ईदगाह' कहानी म ेमचंद ने हािमद के कपड़ का वणन नह िकया है परंतु उसके कपड़े ऐसे
हो सकते ह जो उसके गरीबी तथा कमजोर आिथक ि थित को दशाने वाले ह ।
संवाद को नाटक म भावशाली बनाने का अगला तरीका अिभनय है जो ायः िनदशक का काम है। पा क भाव -भंिगमाओं
और उसके तौर-तरीक से भाव उ प िकया जा सकता है। कहानी के लंबे संवाद को छोटा करके उ ह अिधक नाटक य बनाया जा
सकता है। थानीय रंग म संवाद को रंगकर च र -िच ण को प रमािजत िकया जा सकता है।
विन और काश भी च र -िच ण करने तथा संवेदना मक भाव उ प करने म कारगर िस होते ह। इस बारे म िनदशक ही
ायः िनणय लेते ह।
पा के मनोभाव या मानिसक ं क तुित क सम या :-
नाटक म पा के मनोभाव को कहानीकार ारा िववरण प म य संगो या मानिसक ं के य क नाटक य तुित म
सम या आ सकती है। उदाहरणाथ - 'ईदगाह' कहानी म िचमटे क दकु ान पर खड़े हािमद के मन म चल रहे ं - ' या या खरीद ?
या अ मा का हाथ जलता है' का पांतरण किठन है। इसके िलए वगत कथन का योग िकया जा सकता है, पर आजकल इसके िलए
'वायस ओवर' का योग िकया जाता है, िजसम पा बोलता नह पर उसक आवाज दशक को सुनाई देती है।
मह वपूण -उ र:–
1. ना पांतरण म िकस कार क मु य सम या का सामना करना पड़ता है ?
उ र-ना पांतरण करते समय अनेक सम याओं का सामना करना पड़ता है जो इस कार है-
1. सबसे मुख सम या कहानी के पा के मनोभाव व मानिसक ं क नाटक य तुित म आती है।
2. पा के ं को अिभनय के अनु प बनाने और संवाद को नाटक य प दान म सम या आती है।
3. संगीत, विन और काश यव था करने और कथानक को अिभनय के अनु प बनाने म सम या होती है।
2. कहानी का ना पांतरण करते समय िकन-िकन बात का यान रखना चािहए ?
उ र-कहानी अथवा कथानक का ना पांतरण करते समय िन निलिखत आव यक बात का यान रखना चािहए-
1. कथानक के अनुसार ही य िदखाए जाने चािहए।
2. नाटक के य बनाने से पहले उसका खाका तैयार करना चािहए।
3. नाटक य संवाद का कहानी के मूल संवाद के साथ मेल होना चािहए।
4. कहानी के संवाद को ना पांतरण म एक िनि त थान िमलना चािहए।
5. संवाद सहज, सरल, संि , सटीक, भावशाली और बोलचाल क भाषा म होने चािहए।
6. संवाद अिधक लंबे और ऊबाऊ नह होने चािहए।
3. कहानी का ना पांतरण करते समय य िवभाजन कै से करते ह ?
उ र-कहानी का ना पांतरण करते समय य िवभाजन िन न कार करते ह-
1. कहानी क कथाव तु को समय और थान के आधार पर िवभािजत करके य बनाए जाते ह।
2. एक थान और समय पर घट रही घटना को एक य म िलया जाता है।
3. दसू रे थान और समय पर घट रही घटना को अलग य म बाँटा जाता है।
4. य िवभाजन म कथा म और िवकास का भी यान रखा जाता है।
4. कहानी को नाटक म िकस कार पांत रत िकया जा सकता है ?
उ र- कहानी को नाटक म पांत रत करने के िलए अनेक मह वपूण बात का यान रखना आव यक है -
1. कहानी क कथाव तु को समय और थान के आधार पर िवभािजत िकया जाता है।
2. कहानी म घिटत िविभ घटनाओं के आधार पर य का िनमाण िकया जाता है।
3. कथाव तु से संबिं धत वातावरण क यव था क जाती है।
4: विन और काश यव था का यान रखा जाता है।
5. कथाव तु के अनु प मंच स ा और संगीत का िनमाण िकया जाता है।
6. पा के ं , कथानक और संवाद को अिभनय के अनु प प रवितत िकया जाता है।
5. ‘कहानीकार ारा कहानी के संग या पा के मानिसक ं के िववरण के य क नाटक य तुित म काफ़
सम या आती है।' इस कथन के संदभ म ना पांतरण क िक ह तीन चुनौितय का उ े ख क िजए।
उ र- उपयु कथन के स दभ म ना पांतरण क िन निलिखत चुनौितयां हो सकती है :-
•पा के मनोभाव को य करने म
•मानिसक ं के य को तुत करने म
•पा क सोच के तुतीकरण को अिभनय के मा यम से दशाने म
उदाहरण के िलए- ईदगाह कहानी का वह िह सा जहाँ हािमद इस दं म है िक या खरीदे, या ना खरीदे।
6. कहानी और नाटक म या- या समानताएं होती ह ?
उ र- कहानी और नाटक भले ही सािह य क अलग-अलग िवधाएं ह , पर उनम अनेक समानताएं होती ह; जैसे -
• कहानी और नाटक दोन म ही एक कहानी(कथाव तु) होती है।
• दोन म ही पा और प रवेश होता है।
• दोन का ही िमक िवकास होता है, ं होता है, संवाद होते ह और चरम उ कष होता है।
• कहानी और नाटक दोन क ही आ मा के कु छ मूल त व एक ही होते ह।
8. - कहानी के ना पांतरण म संवाद का िवशेष मह व होता है। नीचे 'ईदगाह' कहानी से संबिं धत कु छ िच िदए जा
रहे ह।
इ ह देखकर संवाद िलख -(िच के िलए देख - 'अिभ यि और मा यम' पु तक क पृ सं या- 145-146)
उ र - (गांव म िकसी घर के बाहर क खुली जगह। मनोहर, सुंदर सुबह और वहां खड़े हए चार- पांच बालक । उनके चेहर पर
स ता, अपनी - अपनी जेब से पैसे िनकाल कर एक - दसू रे को िदखा कर िगनते हए।
महमूद- एक -दो , दस- बारह।
मोहिसन - एक, दो , तीन, आठ, नौ, पं ह।
(वे पैसे अपनी जेब म रखते ह)
इसी कार छा 'ईदगाह' कहानी के य को सोच और अपनी क पना से संवाद िलख।
9. कहानी और नाटक म मु य अंतर या है ?
उ र - कहानी और नाटक म मु य अंतर यह है िक कहानी कही या पढ़ी जाती है जबिक नाटक मंच पर तुत िकया जाता है। इसम
अिभनेता अिभनय करते ह। मंच - स ा होती है, संगीत होता है और काश यव था होती है।
पा पु तक से हल :-
- लोग नाटक और िफ म को देर तक य याद रखते ह ?
उ र- लोग नाटक और िफ म को देर तक इसिलए याद रखते ह य िक य का मृितय से गहरा संबधं होता है।
- नाटक और कहानी के ं त व म या अंतर होता है ?
उ र - य िप नाटक और कहानी दोन म ं त व होता है परंतु नाटक म यह त व अिधक मा ा म पाया जाता है।
- कथाव तु िकसे कहते ह ?
उ र - कथाव तु उन घटनाओं का लेखा-जोखा है जो कहानी म घटती है।
- नाटक के य िकस आधार पर बनाए जाते ह ?
उ र - कहानी क कथाव तु को सामने रखकर एक-एक घटना को चुन-चुन कर िनकाला जाता है। इसके आधार पर ही कहानी का
य बनता है ।
- नाटक म अनाव यक य य नह रखना चािहए ?
उ र - नाटक म अनाव यक य इसिलए नह रखना चािहए य िक ऐसे य नाटक क गित को बािधत करते ह तथा मानक समय
सीमा म समा करने क सम या भी उ प होती है।
- नाटक के य क या िवशेषताएं होती ह ?
उ र - नाटक का येक य एक िबंद ु से ारंभ होता है। वह कथानुसार अपनी आव यकता पूरी करता है तथा उसका अंत ऐसा
होता है जो अगले य से जोड़ता है।
- नाटक म य क मह ा प क िजए।
उ र - नाटक म य अ यंत मह वपूण होता है। यह एक साथ कई काम करता है, जैसे-
•कथानक को आगे बढ़ाता है।
•पा और प रवेश को संवाद के मा यम से थािपत करता है।
•अगले य के िलए भूिमका तैयार करता है।
- नाटक म पा से जुड़ी िववरणा मक िट पणी िकस तरह दी जा सकती है ?
उ र - नाटक म पा से जुड़ी िववरणा मक िट पणी संवाद के मा यम से िनधा रत य म संवाद से पूव उिचत थान पर दी जा
सकती है।
- नाटक के िलए संवाद िलखते समय िकन बात का यान रखना चािहए ?
उ र - नाटक के िलए संवाद िलखते समय िन निलिखत बात का यान रखना चािहए -
•संवाद, कहानी के मूल संवाद के साथ मेल खाते ह ।
•वह औिच यपूण ह ।
•संवाद भावशाली, छोटे और बोलचाल क भाषा म ह ।
- नाटक म संवाद िकस तरह भावशाली बनाया जा सकता है ?
उ र - नाटक म संवाद को भावी बनाने का पहला तरीका अिभनय है, इस काम को िनदशक बखूबी िनभाता है। इसके अलावा कहानी
के संवाद को छोटा करके नाटक य बनाया जा सकता है।
- कहानी के ना पांतरण म या सम या आती है ?
उ र - कहानी का ना पांतरण करते समय पा के मनोभाव के िववरण के प म य संग या मानिसक ं के य क
नाटक य तुित म ायः सम या आ जाती है।
- 'वायस ओवर' या है ?
उ र - पा के मनोभाव क तुित के िलए आजकल 'वायस ओवर' का योग िकया जाता है। यह ऐसी विन होती है जो दशक
को सुनाई तो देती है, पर पा बोलता नह है।

अिभ यि और मा यम
पाठ-3. िविभ मा यम के िलए लेखन
1. जनसंचार मा यम से आप या समझते ह मुख जनसंचार मा यम को प क िजए?
उ र --जनसंचार मा यम के अंतगत िकसी भी सूचना या संदश े को िविभ कृ ि म मा यम के ारा िवशाल जनसमूह तक पहंचाया जाता
है ।जनसंचार के मुख मा यम म ह- रे िडयो ,टेलीिवजन ,इंटरनेट ,समाचार प ,िसनेमा, टेलीफोन आिद, इन मा यम ने िकसी भी
सूचना या संदश े के आदान- दान म एक दसू रे के बीच क दरू ी और समय को अ यंत ही कम कर िदया है।
रे िडयो --रे िडयो य मा यम है इस पर श द म नाटक तुत िकया जाता है श द के मा यम से इस पर अिभनय भी िकया जा सकता
है रे िडयो का आिव कार 1895 ई वी म जी मारकोनी ने वायरलेस के ज रए िकया था। टेलीिवजन --टेलीिवजन समाचार य - य
दोन कार का मा यम है यह मािणत होने के साथ-साथ सटीक मा यम भी है इसका आिव कार जे एल बेयड ने िकया था। समाचार प
-- यह ि टं मा यम के अंतगत आता है, इसम िविभ अखबार एवं प -पि काएं आते ह ,यह जनसंचार का सबसे पुराना मा यम है
2. मुि त मा यम या है इसक िवशेषताओं व किमय को बताइए?
उ र--मुि त मा यम यानी ि टं मा यम जनसंचार के आधुिनक मा यम म सबसे पुराना है ,वा तव म आधुिनक युग क शु आत ही
मु ण यानी छपाई के आिव कार से हई। य िप मु ण क शु आत क चीन से हई लेिकन आज हम िजस छापेखाने को देखते ह, इसके
आिव कार का ेय जमनी के गुटेनबग को जाता है ।भारत म पहला छापाखाना 1556 म गोवा म खुला जो िमशन रय ने धम चार क
पु तक छापने के िलए खोला था। इसक िवशेषताओं म मुख है इसका थािय व होना ।उसे आप आराम से और धीरे -धीरे पढ़ सकते ह
,पढ़ते हए सोच सकते ह। दसू री िवशेषता है यह िलिखत भाषा का िव तार है लेिकन भाषा क सभी िवशेषताएं इसम शािमल है। तीसरी
िवशेषता यह है िक यह िचंतन ,िवचार और िव े षण का मा यम है, इस मा यम म आप गंभीर और गूढ़ बात िलख सकते ह।
मुि त मा यम क कमी या उसक सीमाएं भी ह िनरी क के िलए मुि त मा यम िकसी काम का नह है। मुि त मा यम के िलए
लेखन करने वाल को अपने पाठक के भाषा ान के साथ-साथ उनके शैि क ान और यो यता का िवशेष यान रखना पड़ता है ,साथ
ही पाठक क िच और ज रत का भी पूरा यान रखना पड़ता है ।यह तुरंत घिटत घटनाओं को संचािलत नह कर सकते, यह एक
िनि त अविध पर कािशत होते ह जैसे अखबार 24 घंटे म एक बार या सा ािहक पि का स ाह म एक बार कािशत होती है।
3. मुि त मा यम के लेखन म यान रखने यो य िबंदओ ु ं का उ े ख क िजए?
उ र- मुि त मा यम के लेखन म हम िन निलिखत बात का यान रखना पड़ता है ।
1.लेखन म भाषा याकरण वतनी और शैली का यान रखना ज री है ।
2.समय -सीमा और आवंिटत जगह के अनुशासन का पालन करना येक ि थित म ज री है।
3. लेखन और काशन के बीच गलितय और अशुि य को ठीक करना ज री होता है।
4. लेखन म सहज वाह के िलए तारत यता बनाए रखना ज री है।
4. समाचार लेखन क िस शैली या है? उसे िव तार से समझाइए?
उ र- समाचार लेखन क िस शैली उ टा िपरािमड शैली होती है। उ टा िपरािमड शैली म समाचार के सबसे मह वपूण त व को सबसे
पहले िलखा जाता है और उसके बाद घटते हए मह व म म अ य त य या सूचनाओं को िलखा या बताया जाता है इस शैली म िकसी
घटना ,िवचार सम या का यौरा कालानु म के बजाय सबसे मह वपूण त य ,सूचना से शु होता है, ता पय है िक इस शैली म कहानी
क तरह ाइमै स अंत म नह ,बि क खबर के िब कु ल शु म आता है। उ टा िपरािमड शैली म कोई िन कष नह होता। इसम हम
समाचार को तीन िह स म िवभािजत कर सकते ह -इं ो, बॉडी और समापन ।
5. टीवी खबर के िविभ चरण कौन-कौन से ह िक ह तीन चरण पर काश डाल?
उ र- टीवी चैनल पर खबर देने का मूल आधार ि टं या रे िडयो प का रता के े म चिलत है यानी सबसे पहले सूचना देना टीवी म भी
यह सूचनाएं कई चरण से होकर दशक के पास पहंचती ह जो िन निलिखत ह --
ै श या ेिकं ग यूज़, ाई एंकर, फोन-इन, एंकर-िवजुअल, एंकर बाइट, लाइव, एंकर-पैकेज
लैश या ेिकं ग यूज़- सबसे पहले कोई बड़ी खबर ै श या ेिकं ग यूज़ के प म त काल दशक तक पहंचाई जाती है। इसम कम से
कम श द म महज सूचना दी जाती है।
ाई एंकर- इसम एंकर खबर के बारे म दशक को सीधे-सीधे बताता है ,िक कहां , या ,कब और कै से हआ। जब तक खबर के य
नह आते एंकर दशक को रपोटर से िमली जानका रय के आधार पर सूचनाएं पहंचाता है।
फोन-इन- इसके बाद खबर का िव तार होता है और एंकर रपोटर से फोन पर बात करके सूचनाएं दशक तक पहंचाता है ,इसम रपोटर
घटना वाली जगह पर मौजूद होता है और वहां से उसे िजतनी यादा से यादा जानका रयां िमलती ह वह दशक को बताता है।
एंकर-िवजुअल- जब घटना के य िमल जाते ह तब उन य के आधार पर खबर िलखी जाती है जो एंकर पड़ता है इसक शु आत
ही ारंिभक सूचना से होती है और बाद म कु छ वा य पर ा य िदखाए जाते ह।
एंकर-बाइट- एंकर बाइट का सामा य अथ है कथन इसम िकसी खबर को पु करने के िलए घटना के य दश हो या संबिं धत
यि य का कथन िदखाया या सुनाया जाता है ।
लाइव- लाइव यानी िकसी खबर का घटना थल से सीधा सारण इसम मौके पर मौजूद रपोटर और कै मरामैन ओबी वैन के ज रए घटना
को सीधे दशक को िदखाते ह। एंकर –पैकेज- पैकेज िकसी भी खबर को संपणू ता के साथ पेश करने का एक ज रया है इसम संबिं धत
घटना के य इससे जुड़े लोग क बाइट ािफक के ज रए सूचनाएं आिद होती ह।
6. इंटरनेट प का रता या है? प क िजए?
उ र- इंटरनेट पर अखबार का काशन या खबर का आदान- दान ही वा तव म इंटरनेट प का रता है ।इंटरनेट पर यिद हम िकसी भी
प म खबर , लेख , चचा-प रचचाओं, फ चर, झलिकयां ,डाय रय के ज रए अपने समय क धड़कन को महसूस करने और दज करने
का काम करते ह तो वही इंटरनेट प का रता है ।आज अिधकांश अखबार इंटरनेट पर उपल ध ह, आज नई पीढ़ी के लोग जो इंटरनेट के
अ य त ह, उ ह हर घंटे अपने आप को अपडेट करने क आदत बनती जा रही है ।ऐसे लोग के िलए इंटरनेट प का रता बड़े मह व क
है।
7. िहंदी नेट संसार पर संि िट पणी िलिखए?
उ र- िहंदी म नेट प का रता वेबदिु नया के साथ शु हई ,इंदौर के नई दिु नया समूह से शु हआ यह पोटल िहंदी का संपणू पोटल है
,इसके साथ ही िहंदी के अखबार ने भी िव जाल म अपनी उपि थित दज करानी शु िक, आज", भासा ी" के अित र कई ऐसे
अखबार ह जो ि टं प म ना होकर िसफ इंटरनेट पर ही उपल ध है ।िहंदी वेब जगत का एक अ छा पहलू यह भी है िक इसम कई
सािहि यक पि काएं चल रही ह अनुभिू त, अिभ यि । िहंदी म आज सरकार के मं ालय और िवभाग भी इसम सि य ह िजससे िहंदी नेट
संसार समृ हो रहा है।

पाठ-4 .प कारीय लेखन के िविभ प और लेखन ि या


1. प कारीय लेखन या है ?इसके िविभ प को प क िजए ?
उ र- अखबार या अ य समाचार मा यम म काम करने वाले प कार अपने पाठक , दशक और ोताओं तक सूचनाएं पहंचाने के िलए
लेखन के िविभ प का योग करते ह ,िजसे प कारीय लेखन कहते ह इसके कई प ह- पूणकािलक, अंशकािलक और लांसर
पूणकािलक प कार िकसी समाचार संगठन म काय करने वाला िनयिमत वेतन भोगी कमचारी होता है। जबिक अंशकािलक प कार एक
िनि त मानदेय पर काम करता है। लांसर प कार का संबधं िकसी अखबार से नह होता है बि क वह भुगतान के आधार पर
अलग-अलग अखबार के िलए िलखता है।
2- समाचार लेखन म छःककार से या ता पय है प क िजए?
उ र- समाचार लेखन म कब, कहां, कै से, या, कौन, य इ ह छः को छःककार कहते ह इ ह ककार के आधार पर िकसी
घटना सम या तथा िवचार आिद से संबिं धत खबर िलखी जाती है। यह ककार ही समाचार लेखन का मूल आधार होते ह। इसीिलए
समाचार लेखन म इनका बहत मह व है छः ककार को हम इस कार प कर सकते ह--
1. कब- यह समाचार लेखन का आधार होता है इस ककार के मा यम से िकसी घटना तथा सम या के समय का बोध होता है। जैसे-
बस दघु टना कब हई?
2.कहां- िकसी थान को आधार बनाकर समाचार िलखा जाता है। इसके मा यम से िकसी घटना और सम या के थान का िच ण िकया
जाता है।
3.कै से- इस ककार के ारा समाचार का िव े षण िवतरण तथा या या क जाती है।
4. या- यह ककार भी समाचार लेखन का आधार माना जाता है इसके ारा समाचार क परे खा तैयार क जाती है ।
5. य - इस ककार के ारा समाचार के िववरणा मक, या या मक तथा िव े षणा मक पहलुओ ं पर काश डाला जाता है ।
6.कौन- इस ककार को आधार बनाकर समाचार िलखा जाता है।
.3 फ चर या है फ चर क िवशेषताएं िलिखए।
उ र -फ चर का अिभ ाय ान-िव ान और मनोरंजन है ।इसम िविवध िवधाओं का योग करते हए ऐसी रचना तुत करने का यास
होता है िजसम रोचकता और पठनीयता हो ।
फ चर क िवशेषताएं-
1.फ चर लेखन म उ टा िपरािमड शैली का योग नह होता यानी फ चर लेखन का कोई एक तय ढाँचा या फामूला नह होता है। फ चर
लेखन क शैली काफ हद तक कथा मक शैली क तरह है ।
2. फ चर एक सु यवि थत, सृजना मक और आ म िन लेखन है ।
3. फ चर लेखन क भाषा समाचार के िवपरीत सरल, पा मक ,आकषक और मन को छू ने वाली होती है।फ चर क भाषा म समाचार
क सपाट बयानी नह चलती 4.फ चर म समाचार क तरह श द क कोई अिधकतम सीमा नह होती ।फ चर आमतौर पर समाचार
रपोट से बड़े होते ह ।अखबार और पि काओं म 250 श द से लेकर 2000 श द तक के फ चर छपते ह ।
5. एक अ छे और रोचक फ चर के साथ फोटो, रे खांकन, ािफ स आिद का होना ज री है ।फ चर का िवषय कु छ भी हो सकता है।
4. िवशेष रपोट के कार िलिखए?
उ र- िवशेष रपोट के कई कार होते ह -खोजी रपोट (इ वेि टगेिटव रपोट ),इन-डे थ रपोट, िव े षणा मक रपोट और
िववरणा मक रपोट -िवशेष रपोट के कु छ कार ह ।खोजी रपोट म रपोटर मौिलक शोध और छानबीन के ज रए ऐसी सूचनाएं या त य
सामने लाता है, जो सावजिनक तौर पर पहले से उपल ध नह थी। खोजी रपोट का इ तेमाल आमतौर पर ाचार अिनयिमतताओं और
गड़बिड़य को उजागर करने के िलए िकया जाता है। इन -डे थ रपोट म सावजिनक तौर पर उपल ध त य सूचनाओं और आंकड़ क
गहरी छानबीन क जाती है। और उसके आधार पर िकसी घटना ,सम या या मु े से जुड़े मह वपूण पहलुओ ं को सामने लाया जाता है। इसी
तरह िव े षणा मक रपोट म जोर िकसी घटना या सम या से जुड़े त य के िव े षण और या या पर होता है, जबिक िववरणा मक
रपोट म िकसी घटना या सम या के िव तृत और बारीक िववरण को तुत करने क कोिशश क जाती है।
5. िन निलिखत पर िट पणी िलिखए- संपादक य, तंभ लेखन, सा ा कार ।
संपादक य- संपादक ारा िकसी मुख घटना या सम या पर िलखे गए िवचारा मक लेख को, िजसे संबिं धत समाचार प क राय भी
कहा जाता है, संपादक य कहते ह। संपादक य िकसी एक यि का िवचार या राय ना होकर सम प समूह क राय होता है, इसिलए
संपादक य म संपादक अथवा लेखक का नाम नह िलखा जाता ।
तंभ लेखन- तंभ लेखन एक कार का िवचारा मक लेखन है ।कु छ मह वपूण लेखक अपने खास वैचा रक झान एवं लेखन शैली के
िलए जाने जाते ह ।ऐसे लेखक क लोकि यता को देखकर समाचार प उ ह अपने प म िनयिमत तंभ लेखन क िज मेदारी दान करते
ह। इस कार िकसी समाचार प म िकसी ऐसे लेखक ारा िकया गया िविश एवं िनयिमत लेखन जो अपनी िविश शैली एवं वैचा रक
झान के कारण समाज म याित ा हो, तंभ लेखन कहा जाता है ।
सा ा कार /इंटर यू- िकसी प कार के ारा अपने समाचार प म कािशत करने के िलए, िकसी यि िवशेष से उसके िवषय म अथवा
िकसी िवषय या मु े पर िकया गया ो रा मक संवाद सा ा कार कहलाता है।

िवशेष लेखन - व प और कार


1. िवशेष लेखन से या आशय है ? िवशेष लेखन के े का उदाहरण भी दीिजए।
अथवा
िवशेष लेखन िकसे कहते ह?
उ र - सामा य लेखन से हटकर िकसी खास िवषय पर िकया गया लेखन िवशेष लेखन कहलाता है । िवशेष लेखन बीट रपोिटग से
आगे एक तरह क िवशेषीकृ त रपोिटग है िजसम उस िवषय क गहरी जानकारी के साथ- साथ उसक रपोिटग से संबिं धत भाषा और
शैली पर भी आपका पूरा अिधकार होना चािहए। िवशेष लेखन के अंतगत रपोिटग के अित र उस िवषय या े िवशेष पर फ़ चर,
िट पणी, सा ा कार,लेख, समी ा और तंभ लेखन भी आता है। उदाहरणतया- अथ- यापार,खेल, िव ान- ौ ोिगक , कृ िष,
िवदेश,र ा,पयावरण, िश ा, वा य, िफ़ म-मनोरंजन, अपराध, सामािजक मु ,े कानून आिद िवशेष े से संबिं धत लेखन िवशेष-
लेखन के अंतगत आते ह ।
2. डे क से या ता पय है ?
उ र - समाचार प और पि काओं, टी . वी . और रे िडयो चैनल के िलए िकए जाने वाले िवशेष लेखन के िलए एक अलग थान
होता है । उसे डे क कहते ह । यहाँ िकसी खास िवषय(िबज़नेस,खेल आिद) के िवशेष उपसंपादक और संवाददाता िमल - बैठकर
िवशेष िवषय का लेखन करते ह ।
3. िवशेषीकृ त रपोिटग से या आशय है ? उदाहरण सिहत प क िजए |
उ र - िवशेषीकृ त रपोिटग के िलए आव यक है िक लेखक को संबिं धत िवषय क गहरी जानकारी होनी चािहए । िवशेषीकृ त रपोिटग
के लेखक को रपोिटग से संबिं धत भाषा - शैली पर भी पूरा अिधकार होना चािहए । िवशेषीकृ त रपोिटग का ता पय है िवशेष े या
िवषय से जुड़ी घटनाओं, मु और सम याओं का बारीक से िव े षण।जैसे अगर शेयर बाजार म भारी िगरावट आती है तो िवशेषीकृ त
रपोिटग करनेवाला संवाददाता इसका िव े षण करके यह प करने क कोिशश करे गा िक बाजार म िगरावट य और िकन कारण से
आई है और इसका आम िनवेशक पर या असर पड़ेगा । िवशेषीकृ त रपोिटग करने वाले रपोटर को िवशेष संवाददाता का दजा िदया
जाता है ।
4. बीट से या आशय है ?
अथवा
प का रता क भाषा म ' बीट ' िकसे कहते ह ?
उ र - संवाददाताओं के बीच काम का िवभाजन आमतौर पर उनक िदलच पी और ान को यान म रखते हए िकया जाता है । मीिडया
क भाषा म इसे बीट कहते ह। एक संवाददाता क बीट अगर अपराध है तो इसका अथ यह है िक उसका काय े अपने शहर या े म
घटने वाली आपरािधक घटनाओं क रपोिटग करना है । उदाहरणतया अपराध , खेल , आिथक या कारोबार जगत आिद अलग -
अलग बीट कहलाते ह ।
5. बीट रपोिटग से या आशय है ? समझाइए।
उ र - बीट रपोिटग का आशय है , िकसी िवशेष े से संबिं धत नए त य क आरंिभक जानकारी देना । इसम कहॉ,ं कब, या,
िकसने िकया- इतनी जानकारी पया होती है । बीट रपोटर को आमतौर पर अपनी बीट से जुड़ी सामा य खबर ही िलखनी होती ह। जैसे
अगर शेयर बाजार म भारी िगरावट आती है तो उस बीट पर रपोिटग करने वाला संवाददाता उसक एक त या मक रपोट तैयार करे गा,
िजसम सभी ज री सूचनाऍ ं और त य शािमल ह गे।
6. िवशेष रपोट के लेखन म िकन बात पर अिधक बल िदया जाता है ?
उ र - िवशेष रपोट के लेखन म िकसी िवशेष िवषय क गहरी जानकरी के साथ - साथ उस े क भाषा - शैली का भी योग होता
है ।
जैसे - यापार क भाषा म- चना लुढ़का , दाल उछली आिद योग धड़ े से होते ह ।
7. बीट रपोिटग तथा िवशेषीकृ त रपोिटग का अंतर प क िजए।
उ र - बीट क रपोिटग के िलए संवाददाता म उस े के बारे म जानकारी और िदलच पी का होना पया है । इसके अित र एक बीट
रपोटर को आमतौर पर अपनी बीट से जुड़ी सामा य खबर ही िलखनी होती है। लेिकन िवशेषीकृ त रपोिटग म िवशेष े या िवषय से
संबिं धत घटनाओं, मु और सम याओं का बारीक से िव े षण कर पाठक के िलए उसका अथ प करने का यास िकया जाता है।
इसम घटनाओं के घिटत होने के मूलभूत कारण और प रणाम पर भी काश डाला जाता है ।
8. बीट रपोटर िकसे कहते ह ?
उ र- िकसी िवशेष े - जैसे खेल , िफ म आिद के िलए िलखने वाला प कार बीट रपोटर कहा जाता है । जैसे जो प कार राजनीित
म िदलच पी रखते ह या िकसी खास राजनीितक पाट को कवर करते ह, उ ह पता होना चािहए िक इस पाट का इितहास या है, उसम
समय-समय पर या हआ है, आज या चल रहा है, पाट के िस ांत या नीितयॉ ं या ह, उसके पदािधकारी कौन-कौन ह और उनक
पृ भूिम या है , बाक पािटय से उस पाट के कै से र ते ह और उनम आपस म या फक है, उसके अिधवेशन म या- या होता रहा
है, उस पाट क किमयां और खूिबयॉ ं या ह इ यािद।
9. संवाददाता और िवशेष संवाददाता म या अंतर होता है ?
उ र- बीट कवर करने वाले रपोटर को संवाददाता और िवशेषीकृ त रपोिटग करने वाले रपोटर को िवशेष संवाददाता कहा जाता है।दसू रे
श द म िकसी भी बीट के िलए त या मक संकलन और लेखन करने वाले प कार को संवाददाता कहते ह । िकसी िवशेष िवषय के
िवशेष और िव े षक को िवशेष संवाददाता कहा जाता है ।
10. िवशेष लेखन क भाषा - शैली सामा य लेखन से िकस कार पृथक होती है ?
उ र- िवशेष लेखन क भाषा - शैली भी िवशेष होती है । हर े िवशेष क अपनी िवशेष तकनीक श दावली होती है जो उस िवषय
पर िलखते हए आपके लेखन म आती है। जैसे कारोबार पर िवशेष लेखन करते हए आपको उसम इ तेमाल होने वाली श दावली से
प रिचत होना चािहए। दसू रे , आप अपने पाठक को भी उस श दावली से इस तरह प रिचत कराऍ ं िक उसे आपक रपोट को समझने म
कोई िद त न हो। उदाहरणतया खेल से संबिं धत बीट क भाषा म पीटा , जीता , हारा , र दा , घुटने टेके, धुआधँ ार आिद श द का
योग चुरता से होता है । उदाहरणतया- 1. भारत ने पािक तान को चार िवके ट से पीटा, 2. चिपयंस कप म मलेिशया ने जमनी के आगे
घुटने टेके।
11. यापार क भाषा क िवशेष श दावली िलिखए ।
उ र - यापार म बक , शेयर बाजार , िजंस, धातु आिद के लेन - देन तथा उतार - चढ़ाव से संबिं धत समाचार होते ह । इसिलए इसम
तेजिड़ए , मंदिड़ए , िबकवाली, याज दर, मु ा फ ित, यापार घाटा, राजकोषीय घाटा, राज व घाटा, वािषक योजना, एफ.डी.आई ,
आवक , िनवेश , आयात, िनयात, सोने म भारी उछाल , चाँदी लुढ़क , रकाड तोड़े,आसमान पर आिद श द का चुर योग देखने को
िमलता है । दो उदाहरण देिखए- ससे स आसमान पर।, जीरा औंधे मुहँ िगरा ।
12. िवशेष लेखन क भाषा शैली पर िट पणी िलिखए।
उ र - िवशेष िलखने क कोई िनि त शैली नह होती । लेिकन अगर आप अपने बीट से जुड़ा कोई समाचार िलख रहा ह तो उसक
शैली उ टा िपरािमड शैली होगी लेिकन अगर आप समाचार फ चर िलख रहे ह तो उसक शैली कथा मक हो सकती है । इसी तरह अगर
आप लेख या िट पणी िलख रहे ह तो इसक शु आत भी फ चर क तरह हो सकती है ।जैसे आप िकसी के स टडी से उसक शु आत
कर सकते ह, उसे िकसी खबर से जोड़कर यूज़पेग के ज रए भी शु िकया जा सकता है।
13. प कारीय िवशेष ता से या आशय है?
प कारीय िवशेष ता का अथ यह है िक यावसाियक प से िशि त न होने के बावजूद उस िवषय म जानकारी और अनुभव के आधार
पर अपनी समझ को इस हद तक िवकिसत करना िक उस िवषय या े म घटने वाली घटनाओं और मु क आप सहजता से या या
कर सक और पाठक के िलए उनके मायने प कर सके ।
14. आप िकसी भी िवषय म प कारीय िवशेष ता कै से हािसल कर सकते ह?
उ र - आप िजस भी िवषय म िवशेष ता हािसल करना चाहते ह, उसम आपक वा तिवक िच होनी चािहए। इसके साथ ही िजस
िवषय म िवशेष ता हािसल करना चाहते ह उस िवषय क पढ़ाई उ तर मा यिमक(+2) और नातक तर पर करनी चािहए। इसके
अित र अपनी िच के िवषय म प कारीय िवशेष ता हािसल करने के िलए उन िवषय से संबिं धत पु तक खूब पढ़नी चािहए। उस िवषय
म िजतनी संभव हो, संदभ साम ी जुटाकर रखनी चािहए। उस िवषय का श दकोश और इनसाइ ोपीिडया भी आपके पास होनी चािहए।
िवशेष ता एक तरह से अनुभव का पयाय है। उस िवषय म िनरंतर िदलच पी और सि यता ही आपको िवशेष बना सकती है।

पाठ-3 िविभ मा यम के िलए लेखन


जनसंचार के िविभ मा यम क तुलना
•जहाँ अखबार पढ़ने के िलए है, वह रे िडयो सुनने के िलए और टी.वी. देखने के िलए तथा इंटरनेट पर पढ़ने, सुनने और देखने, तीन क
ही सुिवधा है।
•जनसंचार के िविभ मा यम क अपनी कु छ खूिबयाँ और खािमयाँ ह। जैसे इं धनुष क छटा अलग-अलग रंग के एक साथ आने से
बनती है, वैसे ही जनसंचार के िविभ मा यम क असली शि उनके पर पर पूरक होने म है। जनसंचार के िविभ मा यम आपस म
ित ं ी नह बि क एक-दसू रे के पूरक ह।
•अखबार म समाचार पढ़ने और ककर उस पर सोचने म एक अलग तरह क संतिु िमलती है। जबिक टी.वी. पर घटनाओं क त वीर
देखकर उसक जीवंतता का एहसास होता है। रे िडयो पर खबर सुनते हए हम िजतना उ मु होते ह, उतना िकसी और मा यम म संभव
नह है। इंटरनेट अंतरि या मकता (इंटरएि टिवटी) और सूचनाओं के िवशाल भंडार का अ तु मा यम है, बस एक बटन दबाइए और
सूचनाओं के अथाह संसार म पहँच जाइए।
ि ंट मा यम
•ि टं यानी मुि त मा यम जनसंचार के आधुिनक मा यम म सबसे पुराना है। असल म आधुिनक युग क शु आत ही मु ण यानी छपाई
के आिव कार से हई।
•हालाँिक मु ण क शु आत चीन से हई लेिकन आज हम िजस छापेखाने को देखते ह, इसके आिव कार का ेय जमनी के गुटेनबग को
जाता है।
•भारत का पहला छापाखाना सन् 1556 म गोवा म खुला। इसे िमशन रय ने धम चार क पु तक छापने के िलए खोला था।
•मुि त मा यम के तहत अखबार, पि काएँ, पु तक आिद ह।
ि ंट मा यम क खूिबयाँ
•मुि त मा यम क सबसे बड़ी िवशेषता या शि यह है िक छापे हए श द म थािय व होता है। हम इ ह लंबे समय तक सुरि त रख
सकते ह और उसे संदभ क तरह इ तेमाल कर सकते ह।
•उसे हम आराम से और धीरे -धीरे पढ़ सकते ह। पढ़ते हए उस पर सोच सकते ह। अगर कोई बात समझ म नह आई तो उसे दोबारा यानी
िजतनी बार इ छा करे , उतनी बार पढ़ सकते ह।
•हम अपनी पसंद के अनुसार िकसी भी पृ और उस पर कािशत िकसी भी समाचार या रपोट से पढ़ने क शु आत कर सकते ह।
•यह िलिखत भाषा का िव तार है। अत: इसम िलिखत भाषा क सभी िवशेषताएँ शािमल ह।
नोट:-
िलिखत और मौिखक भाषा म सबसे बड़ा अंतर यह है िक िलिखत भाषा अनुशासन क माँग करती है। िलखते समय भाषा, याकरण,
वतनी और श द के उपयु इ तेमाल का यान रखना पड़ता है। इसे चिलत भाषा म िलखना पड़ता है तािक अिधक से अिधक लोग
इसे समझ सक। यह िचंतन, िवचार और िव े षण का मा यम है। इस मा यम म आप गंभीर और गूढ़ बात िलख सकते ह। य िक पाठक
के पास न िसफ उसे पढ़ने, समझने और सोचने का समय होता है बि क उसक यो यता भी होती है।
ि ंट मा यम क कमज़ो रयाँ या खािमयाँ
•यह मा यम के वल सा र के िलए है। िनर र के िलए मुि त मा यम िकसी काम का नह है।
•मुि त मा यम के िलए िलखने वाल को पाठक के भाषा ान के साथ-साथ उनके शैि क ान और यो यता का िवशेष यान रखना
पड़ता है।
•मुि त मा यम क एक और सीमा यह है िक वे रे िडयो, टी॰वी॰ या इंटरनेट क तरह तुरंत घटी घटनाओं को संचािलत नह कर सकते। ये
एक िनि त अविध पर कािशत होते ह।
•मुि त मा यम म लेखक को जगह का भी पूरा यान रखना पड़ता है।
•अखबार या पि का म समाचार या रपोट को काशन के िलए वीकार करने क एक िनि त समय-सीमा होती है, िजसे ‘डेड लाइन’
कहते ह।
•मुि त मा यम के लेखक और प कार को काशन क समय सीमा का पूरा यान रखना पड़ता है।
•लेखक या प कार को इस बात का भी यान रखना पड़ता है िक छपाई से पहले आलेख म मौजूद सभी गलितय और अशुि य को दरू
कर िलया जाए य िक एक बार काशन के बाद वह गलती या अशुि वह िचपक जाएगी और उसे सुधारने के िलए अखबार या पि का
के अगले अंक का इंतजार करना पड़ेगा।
मुि त मा यम म लेखन के िलए यान रखने यो य बात
•लेखन म भाषा, याकरण, वतनी और शैली का यान रखना ज री है। चिलत भाषा के योग पर जोर रहता है।
•समय-सीमा और आवंिटत जगह के अनुशासन का पालन करना हर हाल म ज री है।
•लेखन और काशन के बीच गलितय और अशुि य को ठीक करना ज री होता है।
•लेखन म सहज वाह के िलए तारत यता बनाए रखना ज री है।
रेिडयो क खूिबयाँ
•रे िडयो य मा यम है, इसम सब कु छ विन, वर और श द का खेल है।
•रे िडयो समाचार क संरचना अखबार या टी.वी. क तरह उ टा िपरािमड शैली पर आधा रत होती है।
•इसे अनपढ़ भी सुन सकते ह।
•दरू दराज़ के गाव म, जहाँ संचार और मनोरंजन के अ य साधन नह होते, वहाँ रे िडयो ही एकमा साधन है बाहरी दिु नया से जुड़ने का।
•अखबार और टेलीिवज़न क तुलना म यह बहत स ता भी है।
रेिडयो क खािमयाँ
•अखबार क तरह रे िडयो समाचार बुलेिटन को भी कभी भी और कह से भी नह सुना जा सकता। सारण के समय का इंतजार करना
पड़ेगा और िफर शु से लेकर अंत तक बारी-बारी से एक के बाद दसू रा समाचार सुनना पड़ेगा।
• ोता बीच म इधर-उधर नह आ जा सकता और न ही उसके पास िकसी गूढ़ श द या वा यांश के आने पर श दकोश का सहारा लेने
का समय होता है। अगर वह श दकोश म अथ ढू ढ़ँ ने लगेगा तो बुलेिटन आगे िनकल जाएगा।
•यह टी॰ वी॰ क तुलना म कम आकषक है।
•रे िडयो मूलत: एक रे खीय (लीिनयर) मा यम होता है और रे िडयो समाचार का व प, ढाँचा और शैली इस आधार पर ही तय होता है।
•रे िडयो म अखबार क तरह पीछे लौटकर सुनने क सुिवधा नह होती है। समाचार पर िचंतन-मनन या िवचार-िव े षण का समय नह
होता है।
रेिडयो के िलए समाचार लेखन क बुिनयादी बात
•रे िडयो समाचार क संरचना अखबार या टी.वी. क तरह उ टा िपरािमड शैली (इंवटड िपरािमड) पर आधा रत होती है।
• सारण के िलए तैयार क जा रही समाचार कॉपी को कं यूटर पर ि पल पेस म टाइप िकया जाना चािहए। कॉपी के दोन ओर पया
हािशया छोड़ा जाना चािहए।
•पंि के आिखर म कोई श द िवभािजत नह होना चािहए और पृ के आिखर म कोई लाइन अधूरी नह होनी चािहए।
•समाचार कॉपी म जिटल और उ ारण म किठन श द, संि ा र (ए ीिवयेशंस), अंक आिद नह िलखने चािहए िज ह पढ़ने म जबान
लड़खड़ाने लगे।
•अंक को िलखने के मामले म सावधानी रखनी चािहए। जैसे- एक से दस तक के अंक को श द म और 11 से 999 तक अंक म
िलखा जाना चािहए। तीन अंको से अिधक क सं या को श द म िलखा जाना चािहए।
•अखबार म % और $ जैसे संकेत िच से काम चल जाता है लेिकन रे िडयो म यह पूरी तरह से विजत है यानी ितशत और डॉलर
िलखना बेहतर होगा।
•जहाँ भी संभव और उपयु हो, दशमलव को उसके नजदीक पूणाक म िलखना बेहतर होता है। मु ा फ ित के आँकड़े नजदीक पूणाक
म नह बि क दशमलव म ही िलखे जाने चािहए।
•रे िडयो समाचार म अ यिधक आँकड़ और सं या का इ तेमाल नह करना चािहए य िक ोताओं के िलए उ ह समझ पाना काफ
किठन होता है। आँकड़े तुलना मक ह तो बेहतर होगा।
•रे िडयो म डेड लाइन अलग से नह बि क समाचार से ही गुँथी होती है।
•ितिथय को उसी तरह िलखना चािहए जैसे हम बोलचाल म इ तेमाल करते ह- 15 अग त उ ीस सौ पचासी न िक अग त 15, 1985

•बेहतर होगा िक संि ा र के इ तेमाल / योग से बचा जाए और अगर ज री हो तो समाचार के शु म पहले उसे पूरा िदया जाए,
िफर संि ा र का योग िकया जाए। संि ा र के योग के दौरान यह देखा जाना चािहए िक वह िकतना लोकि य है।
टेलीिवज़न क खूिबयाँ
•यह य- य अथात सुनने और देखने का मा यम है। यह आकषक मा यम भी है।
•समाचार अिधक सटीक और ामािणक होते ह। इसम ेिकं ग यूज क यव था होती है।
टेलीिवज़न क खािमयाँ
•कई बार छोटी बात को बहत उछाल िदया जाता है।
• यावसाियकता के आगमन से िन प ता भािवत होने लगी है।
•िकसी क छिब िबगाड़ सकता है।
टी.वी. खबर के िविभ चरण
• लैश या ेिकं ग यूज- बड़ी खबर को त काल दशक तक पहँचना।
• ाई एंकर- रपोटर से िमली जानका रय को एंकर ारा सीधे बताना।
•फ़ोन-इन- एंकर ारा रपोटर से फ़ोन पर बात करके सूचनाएँ देना।
•एंकर-िवजुअल- खबर के साथ उससे संबिं धत य भी िदखना।
•एंकर-बाइट- खबर क पुि के िलए घटना के य दिशय या उससे संबिं धत यि य का कथन सुनाना/िदखना।
•लाइव- िकसी घटना का घटना- थल से सीधा सारण करना।
•एंकर-पैकेज- संबिं धत घटना के य, इससे जुड़े लोग क बाइट और ािफक के ज रए ज री सूचनाएँ आिद होती ह।
•टी.वी. म य और श द- यानी िवजुअल और वॉयस ओवर (वीओ) के साथ दो तरह क आवाज और होती ह। एक तो वे कथन या
बाइट जो खबर बनाने के िलए इ तेमाल िकए जाते ह और दसू री वे ाकृ ितक आवाज जो य के साथ-साथ चली आती ह- जैसे
िचिड़य का चहचहाना, गािड़य के गुजरने क आवाज आिद। टी.वी. म ऐसी विनय को नेट या नेट साउंड यानी वो ाकृ ितक आवाज
जो शूट करते हए खुद-ब खुद चली आती ह।
•रे िडयो और टी.वी. म िन निलिखत श द के योग से बचना चािहए- िन निलिखत, उपरो , अधोह ता रत, मांक, ारा, तथा,
एवं, अथवा, व, िकं तु, परंत,ु यथा आिद। (उदाहरण- ‘पुिलस ारा चोरी करते हए दो यि य को पकड़ िलया गया।’ इसके बजाय
‘पुिलस ने दो यि य को चोरी करते हए पकड़ िलया।’ यादा प है।
•इसी तरह तथा, एवं, अथवा, व. िकं तु, परंतु यथा आिद श द के योग से बचना चािहए और उनक जगह और, या, लेिकन आिद का
इ तेमाल करना चािहए। भाषा को साफ रखने के िलए- वा य छोटे ह और एक वा य म एक ही बात कहने का धीरज होना चािहए।
इंटरनेट (अंतरजाल) से संबिं धत त य
•इंटरनेट एक साधन है, िजसे मानव सूचना, मनोरंजन, ान और यि गत तथा सावजिनक संवाद के आदान– दान के िलये योग करता
है। िव ान के इस नवीन आिव कार का आर भ 1960 ई. म हआ। भारत म इंटरनेट योग करने वाल क सं या करोड़ म है।
•यह एक अंतरि या मक मा यम है यानी आप इसम मूक दशक नह ह। आप सवाल-जवाब, बहस आिद म भाग ले सकते ह।
•इसम सारे मा यम (ि टं मीिडया, रे िडयो, टेलीिवज़न, िसनेमा और पु तकालय आिद) का समागम है। नई वेब भाषा को
एच॰टी॰एम॰एल॰ (हाइपर टे ट मा डअप लगवेज़) कहते ह।
•िव तर पर इंटरनेट प का रता का तीसरा दौर चल रहा है। पहला दौर 1982 से 1992 तक और दसू रा दौर 1993 से 2001 तक रहा।
•स े अथ म इंटरनेट प का रता क शु आत सन् 1983 से 2002 के बीच हई। भारत के िलए पहला दौर 1993 से शु माना जा
सकता है, जबिक दसू रा दौर 2003 से शु हआ।
•इंटरनेट प का रता को आनलाइन प का रता, साइबर प का रता या वेब प का रता भी कहते ह।
•ब के मन पर बुरा असर डालने वाले लाख अ ील प का होना तथा इसके द ु पयोग िकए जाने का भय इसक बुराई है।
•भारत म स े अथ म वेब प का रता करने वाली साइट ह- ‘रीिडफ़ डॉटकॉम’, ‘इंिडया इंफोलाइन’, ‘िह द’ू , ‘सीफ़ ’, ‘तहलका
डाटकाम’ आिद।
•भारत क पहली साइट जो गंभीरता के साथ इंटरनेट प का रता कर रही है- ‘रीिडफ़ डाटकाम’।
•वेब साइट पर िवशु प का रता शु करने का ेय ‘तहलका डाटकाम’ को जाता है।
•प का रता के िलहाज से िह दी क सव े साइट बी॰बी॰सी॰ क है।
•‘इंिडया टुडे’ जैसी साइट भुगतान के बाद ही देखी जा सकती ह।
•िह दी म नेट प का रता ‘वेब दिु नया’ के साथ शु हई। इंदौर के ‘नयी दिु नया समूह’ से शु हआ यह पोटल िह दी का संपणू पोटल है।
•‘ भासा ी’ नाम से शु हआ अखबार ि टं प म न होकर िसफ इंटरनेट पर उपल ध है।
•िहंदी के अखबार ने भी िव जाल म अपनी उपि थित दज करानी शु क । ‘जागरण’, ‘अमर उजाला’, नयी दिु नया’, ‘िहंद ु तान’,
‘भा कर’, ‘राज थान पि का’, ‘नवभारत टाइ स’, ‘ भात खबर’ व रा ीय सहारा’ के वेब सं करण शु हए।
•िहंदी क वेब प का रता अभी अपने शैशव काल म ही है। सबसे बड़ी सम या िहंदी फ़ ट क है। डायनिमक फ़ ट क अनुपल धता के
कारण िहंदी क यादातर साइट खुलती ही नह ह। जब तक िहंदी क -बोड का मानक करण नह होगा, तब तक यह सम या बनी रहेगी।
इंटरनेट क खूिबयाँ
•चौबीस घंटे समाचार एवं सूचनाएँ उपल ध रहती ह।
•आज ायः पूरे के पूरे अखबार इंटरनेट पर उपल ध ह। यह बहत तेज मा यम है।
•इसम सारे मा यम का समागम है। इसम ि टं मीिडया, रे िडयो, टेलीिवज़न, िकताब, िसनेमा यहाँ तक िक पु तकालय के सारे गुण मौजूद
ह।
•यह एक अंतरि या मक मा यम है यानी हम इसम मूक दशक नह ह। हम सवाल-जवाब, बहस-मुबािहस म भाग लेते ह, हम चैट कर
सकते ह।
इंटरनेट क खािमयाँ
•इसम लाख अ ील प े भर िदए गए ह, िजसका ब के कोमल मन पर बुरा असर पड़ सकता है।
•इसका द ु पयोग िकया जा सकता है।
•यह बहत महँगा साधन है।
इंटरनेट प का रता- इंटरनेट पर अखबार का काशन या खबर का आदान- दान ही वा तव म इंटरनेट प का रता है। इसे इंटरनेट
प का रता, ऑनलाइन प का रता, साइवर प का रता या वेब प का रता के नाम से भी जाना जाता है।

पाठ-4 प कारीय लेखन के िविभ प और लेखन ि या


•अखबार पाठक को सूचना देने, जाग क और िशि त बनाने और उनका मनोरंजन करने का दािय व िनभाते ह। लोक ांितक समाज म
वे एक पहरे दार, िश क और जनमत िनमाता के तौर पर बहत मह वपूण भूिमका अदा करते ह।
•अखबार या अ य समाचार मा यम म काम करने वाले प कार अपने पाठक , दशक और ोताओं तक सूचनाएँ पहँचाने के िलए लेखन
के िविभ प का इ तेमाल करते ह। इसे ही प कारीय लेखन कहते ह।
प कार के कार
१)पूणकािलक प कार- िकसी समाचार संगठन म काम करने वाला िनयिमत वेतन भोगी कमचारी होता है।
२)अंशकािलक प कार (ि गर)- िकसी समाचार संगठन के िलए एक िनि त मानदेय पर काम करने वाला प कार है।
३) ला सर ( वतं ) प कार- इसका संबधं िकसी खास अखबार से नह होता है बि क वह भुगतान के आधार पर अलग-अलग
अखबार के िलए िलखता है।
प कार क वैसािखयाँ
⮚ स ाई- त य क जाँच-परख व पुि करनी चािहए, बयान को तोड़ना-मरोड़ना नह चािहए, अफवाह से बचना चािहए।
⮚ संतल ु न- त य , बयान और आँकड़ के इ तेमाल म संतल ु न बनाए रखना तथा िववादा पद मु म दोन प क बात सामने
रखना चािहए।
⮚ िन प ता- िकसी प कार के िलए ‘प पात’ अपश द क तरह है। प कार को समाचार म िनजी राय य करने से बचना
चािहए।
⮚ प ता- समाचार म कोई म नह पैदा होना चािहए। इसके िलए अिनवाय है िक समाचार म वा य छोटे और सीधे रह।
प कारीय लेखन और सािहि यक-सृजना मक लेखन म अंतर
•प कारीय लेखन का संबधं और दायरा समसामियक और वा तिवक घटनाओं, सम याओं और मु से है। प कारीय लेखन का संबधं
त य से है न िक क पना से। (प का रता ज दी म िलखा गया सािह य है)
•प कारीय लेखन अिनवाय प से ता कािलकता और अपने पाठक क ज रत को यान म रखकर िकया जाने वाला लेखन है। जबिक
सािहि यक रचना मक लेखन म लेखक को काफ छू ट होती है।
•प कारीय लेखन म अलंका रक-सं कृ तिन भाषा-शैली के बजाय आम बोलचाल क भाषा का इ तेमाल िकया जाता है।
समाचार लेखन
•प कारीय लेखन का सबसे जाना-पहचाना प समाचार लेखन है। आमतौर पर अखबार म समाचार पूणकािलक और अंशकािलक
प कार िलखते ह, िज ह संवाददाता या रपोटर भी कहते ह।
•अखबार म कािशत अिधकांश समाचार एक खास शैली म िलखे जाते ह। समाचार म िकसी भी घटना, सम या या िवचार के सबसे
मह वपूण त य, सूचना या जानकारी को सबसे पहले पैरा ाफ म िलखा जाता है। उसके बाद के पैरा ाफ म उससे कम मह वपूण सूचना या
त य क जानकारी दी जाती है। यह ि या तब तक जारी रहती है जब तक समाचार ख म नह हो जाता।
समाचार लेखन और छह (6) ककार
•िकसी समाचार को िलखते हए मु यत: छह सवाल के जवाब देने क कोिशश क जाती है- या हआ ?, िकसके साथ हआ ?, कहाँ
हआ ?, कब हआ ?, कै से और य हआ ?
•इस- या, िकसके (या कौन), कहाँ, कब, य और कै से- को छह ककार के प म भी जाना जाता है।
समाचार लेखन क शैली
•समाचार लेखन क शैली को उ टा िपरािमड शैली (इंवटड िपरािमड टाइल) के नाम से जाना जाता है। यह समाचार लेखन क सबसे
लोकि य, उपयोगी और बुिनयादी शैली है। उ टा िपरािमड शैली म कोई िन कष नह होता है।
•यह शैली कहानी या कथा लेखन क शैली के ठीक उलटी है, िजसम ाइमे स िबलकु ल आिखर म आता है।
•उ टा िपरािमड शैली इसिलए कहा जाता है य िक इसम सबसे मह वपूण त य या सूचना (यानी ाइमे स) िपरािमड के सबसे िनचले
िह से म नह होती बि क इस शैली म िपरािमड को उलट िदया जाता है।
उ टा िपरािमड शैली- उ टा िपरािमड शैली म समाचार के सबसे मह वपूण त य को सबसे पहले िलखा जाता है और उसके बाद
घटते हए मह व म म अ य त य या सूचनाओं को िलखा जाता है। इस शैली म िकसी घटना, िवचार या सम या का यौरा
काल मानुसार के बजाय सबसे मह वपूण त य या सूचना से शु होता है।
•इस शैली का योग 19व सदी के म य से ही शु हो गया था लेिकन इसका िवकास अमे रका म गृहयु के दौरान हआ। उस समय
संवाददाताओं को अपनी खबर टेली ाम से भेजनी पड़ती थ िकं तु टेली ाम के सेवाएँ महँगी, अिनयिमत और दलु भ थ । अंत: खबर
कहानी क तरह िव तार से िलखने क बजाय सं ेप म देनी होती थ ।
•उ टा िपरािमड शैली के तहत समाचार को तीन िह स म िवभािजत िकया जाता है- इं ो (मुखड़ा), बाडी और समापन।
•समाचार के इं ो को िह दी म मुखड़ा कहा जाता है। इसम खबर के त व को दो या तीन पंि य म बताया जाता है तथा बाडी म समाचार
के िव तृत यौरे को घटते मह व म म िलखा जाता है।
•समाचार के मुखड़े (इं ो) यानी पहले पैरा ाफ या शु आती दो तीन पंि य म आमतौर पर तीन या चार ककार को आधार बनाकर
खबर िलखी जाती है। ये चार ककार ह- या, कौन, कब और कहाँ। समाचार क बाडी म और समापन के पहले बाक दो ककार - कै से
और य का जवाब िदया जाता है। इस तरह छह ककार के आधार पर समाचार तैयार होता है।
•इनम से पहले चार ककार- या, कौन, कब और कहाँ- सूचना मक और त य पर आधा रत होते ह जबिक बाक दो ककार - कै से
और य - म िववरणा मक और िव े षणा मक पहलू पर जोर िदया जाता है।
“फ चर या है?”
•रोचक िवषय क िव तृत एवं मनोरम तुित ही फ चर है।
•फ चर म िकसी यि , िवषय, घटना या समाचार का खुला वणन होता है।
•‘ या हआ’, ‘कै से हआ’ और ‘ य हआ’ के साथ जब घटना सुदरू अतीत और भिव य से जुड़ जाती है तो लेख पूणता को ा कर
लेते ह। ऐसे लेख को फ चर कहते ह।
•समकालीन घटना तथा िकसी े िवशेष क िविश जानकारी के सिच तथा मोहक िववरण को फ चर कहा जाता है।
•सरसता व मनोरंजन इसक पहचान है।
•मानवीय िच के िवषय के साथ सीिमत समाचार जब चटपटा लेख बन जाता है, तो वह फ चर क सं ा ले लेता है।

फ चर लेखन-शैली
• फ चर एक सु यवि थत, सृजना मक और आ मिन लेखन है।
• इसका उ े य पाठक को सूचना देना, िशि त करना तथा उनका मनोरंजन करना है।
• फ चर लेखन का कोई तय ढाँचा या फामूला नह है।
• फ चर समाचार क भाँित त कालीन घटना म से अवगत नह कराता है।
• ह के -फु के िवषय से लेकर गंभीर िवषय और मु पर भी फ चर िलखा जाता है।
• फ चर लेखन क शैली समाचार लेखन से सवथा िभ होती है।
• फ चर म लेखक के पास अपनी राय या ि कोण और भावनाएँ जािहर करने का अवसर होता है।
• फ चर को रोचक बनाने के िलए फ चर के साथ फोटो, रे खांकन और ािफ स का योग िकया जाता है।
• येक अनु छे द व वा य म कथन का तारत य होना चािहए।
• मुहावर , लोकोि य व सूि य का सही व साथक योग होना चािहए।
• फ चर लेखन क शैली काफ हद तक कथा मक होती है।
फ चर लेखन और समाचार लेखन म अंतर
• समाचार म उ टा िपरािमड शैली का योग िकया जाता है जबिक फ चर म कथा मक शैली होती है।
• फ चर समाचार क तरह पाठक को ता कािलक घटना म से अवगत नह कराता।
• फ चर म समाचार क तरह श द क कोई अिधकतम सीमा नह होती। फ चर आमतौर पर समाचार से बड़े होते ह।
• फ चर म भावनाओं और िवचार क अिधकता होती है जबिक समाचार म व तुिन ता तथा शु ता पर ज़ोर िदया जाता है।
• फ चर म लेखक के पास अपनी राय या ि कोण और भावनाएँ जािहर करने का अवसर होता है जबिक समाचार म नह ।
• फ चर लेखन क भाषा सरल पा मक एवं आकषक और मन को छू ने वाली होती है जबिक समाचार क भाषा म सपाट बयानी
होती है।
• फ चर का िवषय कु छ भी हो सकता है समाचार का नह ।
• फ चर त य , आँकड़ क बजाय- ‘आगे या होगा’ के िचंतन और क पना पर आधा रत होते ह।
फ चर क िवशेषता/गुण
• फ चर स ी घटना पर िलखा जाता है जो पाठक के सामने उस घटना का िच ख चकर रख देता है।
• फ चर लेखन का अतीत, वतमान और भिव य से संबधं हो सकता है।
• इसक भाषा सरल, आसानी से समझ म आने वाली तथा रोचक होती है।
• फ चर म हा य, क पना और िचंतन का पुट होता है।
• फ चर सारगिभत होते हए भी बोिझल नह होता है।
• फ चर िकसी बात को थोड़े से श द म रोचकता और भावशाली ढंग से कहता है।
• फ चर का ार भ सरस, संि , आकषक और उ सुकता पैदा करने वाला होता है।
• फ चर लेखन क राजनीितक, सामािजक व आिथक ासंिगकता अिनवाय है।
• फ चर से िज ासा, सहानुभिू त, आलोचना, संवेदनशीलता आिद भाव उ ी होते ह।
फ चर के मुख कार
1) समाचार बैक ाउंडर 2) खोजपरक फ चर 3) सा ा कार फ चर 4) जीवनशैली फ चर 5) यि िच फ चर 6) या ा फ चर
7) िवशेष िच के फ चर आिद।

िवशेष रपोट कै से िलख?


• अखबार और पि काओं म सामा य समाचार के अलावा गहरी छानबीन, िव े षण और या या के आधार पर िवशेष रपोट
भी कािशत होती ह। ऐसी रपोट को तैयार करने के िलए िकसी घटना, सम या या मु े क गहरी छानबीन क जाती है। उससे संबिं धत
मह वपूण त य को इक ा िकया जाता है। त य के िव े षण के ज रये उसके नतीजे, भाव और कारण को प िकया जाता है।
• इसे उ टा िपरािमड शैली या फ चर शैली या दोन शैिलय को िमलाकर िलखा जाता है। भाषा सरल, सहज और आम
बोलचाल क होनी चािहए।
िवशेष रपोट के कार
• खोजी (इंवेि टगेिटव) रपोट- खोजी रपोट म रपोटर मौिलक शोध और छानबीन के ज रए ऐसी सूचनाओं या त य को सामने
लाता है जो सावजिनक तौर पर पहले से उपल ध नह थे। इसका इ तेमाल आमतौर पर ाचार, अिनयिमतता और गड़बिड़य को
उजागर करने के िलए िकया जाता है।
• िव े षणा मक रपोट- इसम िकसी घटना या सम या से जुड़े त य के िव े षण एवं या या पर जोर िदया जाता है।
• इनडे थ रपोट- इन डे थ रपोट म सावजिनक तौर पर उपल ध त य , सूचनाओं और आंकड़ क गहरी छानबीन क जाती है
और उसके आधार पर िकसी घटना, सम या या मु े से जुड़े मह वपूण पहलुओ ं को सामने लाया जाता है।
• िववरणा मक रपोट- इसम िकसी घटना या सम या का िव तृत और बारीक िववरण तुत िकया जाता है।
िवचारपरक लेखन
• अखबार म समाचार और फ चर के अलावा िवचारपरक साम ी का भी काशन होता है। अखबार म संपादक य पृ पर
कािशत होने वाले संपादक य अ लेख, लेख और िट पिणयाँ िवचारपरक प कारीय लेखन क ेणी म आते ह। इसके अलावा िविभ
िवषय के िवशेष या व र प कार के तंभ (कॉलम) भी िवचारपरक लेखन के तहत आते ह। कु छ अखबार म संपादक य पृ के
सामने ऑप-एड पृ पर भी िवचारपरक लेख, िट पिणयाँ और तंभ कािशत होते ह।
संपादक य लेखन
• संपादक य पृ पर कािशत होने वाले संपादक य को उस अखबार क अपनी आवाज माना जाता है। संपादक य के ज रये
अखबार िकसी घटना, सम या या मु े के ित अपनी राय कट करते ह।
• संपादक य िकसी यि िवशेष का िवचार नह होता इसिलए उसे िकसी के नाम के साथ नह छापा जाता।
• संपादक य िलखने का दािय व उस अखबार म काम करने वाले संपादक और उनके सहयोिगय पर होता है। आमतौर पर
अखबार म सहायक संपादक, संपादक य िलखते ह। कोई बाहर का लेखक या प कार संपादक य नह िलख सकता है।
• िहंदी के अखबार म कु छ म तीन, कु छ म दो और कु छ म के वल एक संपादक य कािशत होती है। संपादक य का उदाहरण
तुत है-
तंभ लेखन
• तंभ लेखन िवचार परक लेखन का एक मुख प है। िस लेखक ारा िलखे गये लेख अखबार म िनयिमत प से िनि त
तंभ म छापे जाते है। तंभ म लेखक के िवचार अिभ य होते ह।
संपादक के नाम प
• संपादक के नाम प एक थायी त भ होता है यह पाठको का अपना तंभ होता हैI इस त भ के ज रये अखबार के पाठक न
िसफ िविभ मु पर अपनी राय य करते है बि क जन सम याओं को भी उठाते हैI एक तरफ से यह तंभ जनमत को ितिबि बत
करता हैI
लेख
• सभी अखबार संपादक य पृ पर समसामियक मु पर व र प कार और उन िवषय के िवशेष के लेख कािशत करते हI
इन लेख म िकसी िवषय या मु े पर िव तार से चचा क जाती हैI लेख िवशेष रपोट और फ़ चर से इस मामले म अलग है िक उसम
लेखक के िवचार को मुखता दी जाती है। लेिकन ये िवचार त य और सूचनाओं पर आधा रत होते ह।
• लेख िलखने के िलए िवषय से जुड़े सभी त य और सूचनाओं के अलावा पृ भूिम साम ी भी जुटानी पड़ती है।
• लेख क कोई एक िनि त लेखन शैली नह होती और हर लेखक क अपनी शैली होती है। लेख का भी एक ारंभ, म य और
अंत होता है।
• लेख क शु आत म अगर उस िवषय के सबसे ताजा संग या घटना म का िववरण िदया जाए और िफर उससे जुड़े अ य त य
को सामने लाया जाए, तो लेख का ारंभ आकषक बन सकता है। इसके बाद त य क मदद से िव े षण करते हए आिखर म अपना
िन कष या मत कट कर सकते ह।
• सा ा कार/इंटर यू- समाचार मा यम म सा ा कार का बहत मह व है। प कार एक तरह से सा ा कार के ज रये ही समाचार,
फ चर, िवशेष रपोट और अ य कई तरह के प कारीय लेखन के िलए क ा माल इ ा करते ह। प कारीय सा ा कार और सामा य
बातचीत म यह फक होता है िक सा ा कार म एक प कार िकसी अ य यि के त य, उसक राय और भावनाएँ जानने के िलए सवाल
पूछता है।
• काटू न कोना- काटू न कोना लगभग हर समाचार प म होता है और उनके मा यम से क गयी सटीक िट पिणयाँ पाठक को छू ती
है एक तरह से काटू न पहले प े पर कािशत होने वाली ह ता रत स पादक य हैI इनक चुटीली िट पिणयाँ कई बार कड़े और धारदार
स पादक य से भी अिधक भावी होती हैI
पाठ-5 िवशेष लेखन- व प और कार
• िवशेष लेखन से ता पय है- िकसी खास िवषय पर सामा य लेखन से हटकर िकया गया लेखन।
• िवशेष लेखन के तहत रपोिटग के अलावा उस िवषय या े िवशेष पर फ चर, िट पणी, सा ा कार, लेख, समी ा और तंभ
लेखन भी आता है।
• इस तरह का िवशेष लेखन समाचार-प या पि का म काम करने वाले प कार से लेकर ला सर प कार या लेखक तक सभी
कर सकते ह। िवशेष लेखन के िलए प कार या वतं लेखक को उस िवषय म मािहर होना चािहए।
• िवशेष लेखन के िलए अलग ‘डे क’ होता है और उस िवशेष डे क पर काम करने वाले प कार का समूह भी अलग होता है।
डे क पर काम करने वाले उपसंपादक और संपाददाताओं से अपे ा क जाती है िक संबिं धत िवषय या े म उनक िवशेष ता होगी।
• िवशेष लेखन के वल बीट रपोिटग ही नह है। यह बीट रपोिटग से आगे एक तरह क िवशेषीकृ त रपोिटग है। इसम न िसफ
िवषय क गहरी जानकारी होनी चािहए बि क उसक रपोिटग से संबिं धत भाषा-शैली पर भी पूरा अिधकार होना चािहए।
• खबर कई तरह क होती ह- राजनीितक, आिथक, अपराध, खेल, िफ म, कृ िष, कानून, िव ान या िकसी भी और िवषय से
जुड़ी हई।
• संवाददाताओं के बीच काम का िवभाजन आमतौर पर उनक िदलच पी और ान को यान म रखते हए िकया जाता है।
मीिडया क भाषा म इसे बीट कहते ह।
• एक संवाददाताओं क बीट अगर अपराध है तो इसका अथ यह है िक उसका काय े अपने शहर या े म घटने वाली
आपरािधक घटनाओं क रपोिटग करना है। अखबार क ओर से वह इनक रपोिटग के िलए िज मेदार और जवाबदेह भी है।
िवशेष लेखन क भाषा-शैली
⮚ िवशेष लेखन क भाषा और शैली कई मामल म सामा य लेखन से अलग है। सरल और समझ म आने वाली भाषा का िनयम
िवशेष लेखन पर भी लागू होता है।
⮚ हर े िवशेष क अपनी िवशेष तकनीक श दावली होती है जो उस िवषय से संबिं धत लेखन म आती है।
⮚ िवशेष लेखन का संबधं उन िवषय और े से होता है जो तकनीक प से जिटल माने जाते ह।
⮚ िवशेष तकनीक श दावली से प रिचत होने के बावजूद उससे पाठक को भी इस तरह प रिचत कराएँ िक उसे समझने म कोई
िद त न हो। िवशेष लेखन का पाठक वग अलग होता है जो उस िवषय या े म यादा िव तार और गहराई से जानना चाहता है।
⮚ िवशेष लेखन क कोई िनि त शैली नह होती। लेिकन अगर आप बीट से जुड़ा कोई समाचार िलख रहे ह तो उसक शैली क
उ टा िपरािमड शैली ही होगी। लेिकन अगर आप समाचार फ चर िलख रहे ह तो उसक शैली कथा मक हो सकती है।
⮚ यिद लेख या िट पणी िलख रहे ह तो इसक शु आत भी फ चर क तरह हो सकती है। जैसे िकसी के स टडी से उसक
शु आत कर सकते ह, उसे िकसी खबर से जोड़कर यानी यूजपेग के ज रये भी शु िकया जा सकता है।
⮚ िवशेष लेखन के कई े ह- अथ- यापार, खेल, िव ान- ौ ोिगक , कृ िष, िवदेश, र ा, पयावरण, िश ा, वा य,
िफ म-मनोरंजन, अपराध, सामािजक मु ,े कानून आिद।
⮚ आमतौर पर रोजमरा क रपोिटग और बीट को छोड़कर वैसे सभी े , िवशेष लेखन के दायरे म आते ह िजनम अलग से
िवशेष ता क ज रत होती है।
िवशेष तकनीक श दावली
❖ कारोबार और यापार संबधं ी- याज दर, तेजिड़ए, मंदिड़ए, यापार घाटा, िबकवाली, मु ा फ ित, राजकोषीय घाटा, राज व
घाटा, वािषक योजना, िनवेश, िवदेशी सं थागत िनवेशक, एफ.डी.आई., आवक, िनवेश, आयात, िनयात, सोने म भारी उछाल, चाँदी
लुढ़क , ससे स आसमान पर, आवक बढ़ने से लाल िमच क कड़वाहट घटी, शेयर बाजार ने सारे रकाड तोड़े आिद।
⮚ आिथक मामल क प का रता सामा य प का रता क तुलना म काफ़ जिटल होती है य िक आप लोग को इसक श दावली
का पता नह होता है। कारोबार और अथ जगत से जुड़ी रोजमरा क खबर उ टा िपरािमड शैली म िलखी जाती ह।
❖ खेल संबधं ी- भारत ने पािक तान को चार िवके ट से पीटा, चैि पयंस कप म मलेिशया ने जमनी के आगे घुटने टेके आिद।
⮚ प -पि काओं म खेल के बारे म िलखने वाल के िलए ज री है िक वे खेल क तकनीक, उसके िनयम , उसक बारीिकय
और उससे जुड़ी तमाम बात से भलीभाँित प रिचत ह ।
⮚ खेल क खबर या रपोट उ टा िपरािमड शैली म शु होती है लेिकन दसू रे पैरा ाफ़ से वह कथा मक यानी घटनानु म शैली म
चली जाती है।
❖ पयावरण और मौसम संबधं ी- पि मी हवाएँ, आ ता, लोबल वािमग, तूफान का क या ख, टाि सक कचरा आिद।
िवशेष ता
• प कारीय िवशेष ता का अथ यह है िक यावसाियक प से िशि त न होने के बावजूद उस िवषय म जानकारी और अनुभव
के आधार पर अपनी समझ को इस हद तक िवकिसत करना िक उस िवषय या े म घटने वाली घटनाओं और मु क आप सहजता
से या या कर सक और पाठक के िलए उनके मायने प कर सक।
• आजकल प का रता म ‘जैक ऑफ ऑल े स, बट मा टर ऑफ नन’ (सभी िवषय के जानकार लेिकन िकसी खास िवषय म
िवशेष ता नह ) क बजाय ‘मा टर ऑफ वन’ (यानी िकसी एक िवषय म िवशेष ता ज री है) क माँग क जा रही है।
कै से हािसल कर िवशेष ता?
1) आप िजस िवषय म िवशेष ता हािसल करना चाहते ह, उसम आपक वा तिवक िच होनी चािहए।
2) बेहतर होगा िक आप उ तर मा यिमक (+2) और नातक तर पर उसी या उससे जुड़े िवषय म पढ़ाई कर।
3) इसके अलावा अपनी िच के िवषय म प कारीय िवशेष ता हािसल करने के िलए आपको उन िवषय से संबिं धत पु तक खूब पढ़नी
चािहए।
4) िवशेष लेखन के े म खुद को अपडेट रखने के िलए उस िवषय से जुड़ी खबर और रपोट क किटंग करके फ़ाइल बनानी चािहए।
साथ ही उस िवषय के ोफ़े शनल िवशेष के लेख और िव े षण क किटंग सहेजकर रखनी चािहए।
5) िजस िवषय म िवशेष ता हािसल करना चाहते है, उससे जुड़े सरकारी और गैरसरकारी संगठन और सं थान क सूची, उनक
वेबसाइट का पता, टेलीफ़ोन नंबर और उसम काम करने वाले िवशेष के नाम और फ़ोन नंबर अपनी डायरी म ज र रिखए।
दरअसल, एक प कार क िवशेष ता कु छ हद तक उसके अपने सू और ोत पर िनभर करती है।
6) िवशेष ता एक िदन म नह आती है। िवशेष ता एक तरह से अनुभव का पयाय है। उस िवषय म िनरंतर िदलच पी और सि यता ही
आपको िवशेष बना सकती है।
7) िवशेष लेखन के इ छु क प कार या वतं लेखक को उस िवषय म मािहर होना चािहए। मतलब यह है िक िकसी भी े पर िवशेष
लेखन करने के िलए ज री है िक उस े के बारे म आपको यादा से यादा पता हो, उसक ताजा से ताजा सूचना आपके पास हो,
आप उसके बारे म लगातार पढ़ते ह , जानका रयाँ और त य इक े करते ह और उस े से जुड़े लोग से लगातार िमलते रहते ह ।
8) इसी तरह अखबार और प -पि काओं म िकसी खास िवषय पर लेख या तंभ िलखने वाले कई बार पेशेवर प कार न होकर उस
िवषय के जानकार या िवशेष होते ह।

सूचनाओं के ोत
• मं ालय के सू
• ेस कां स और िव ि याँ
• सा ा कार
• सव और जाँच सिमितय क रपो स
• उस े म सि य सं थाएँ और यि
• संबिं धत िवभाग और संगठन से जुड़े यि
• इंटरनेट और दसू रे संचार मा यम
• थायी अ ययन ि या
बीट रपोिटग और िवशेषीकृ त रपोिटग म अंतर
बीट रपोिटग िवशेषीकृत रपोिटग
1) अपनी बीट क रपोिटग के िलए संवाददाता म 1) िवशेषीकृ त रपोिटग म न िसफ उस िवषय क गहरी
उस े के बारे म जानकारी और िदलच पी का जानकारी होनी चािहए बि क उसक रपोिटग से संबिं धत
होना पया है। भाषा और शैली पर भी पूरा अिधकार होना चािहए।
2) एक बीट रपोटर को आमतौर पर अपनी बीट से 2) इसम सामा य खबर से आगे बढ़कर उस िवशेष े
जुड़ी सामा य खबर ही िलखनी होती है। िवषय से जुड़ी घटनाओं, मु और सम याओं का बारीक से
िव े षण कर उसका अथ प िकया जाता है।
3) बीट कवर करने वाले रपोटर को संवाददाता 3) िवशेषीकृ त रपोिटग करने वाले रपोटर को िवशेष
कहते ह। संवाददाता का दजा िदया जाता ह।
4) उदाहरण-अगर शेयर बाजार म भारी िगरावट 4) उदाहरण-शेयर बाजार म आई भारी िगरावट पर
आती है तो उस बीट पर रपोिटग करने वाला िवशेषीकृ त रपोिटग करने वाला संवाददाता इसका िव े षण
संवाददाता उसक एक त या मक रपोट तैयार कर यह प करने क कोिशश करे गा िक बाजार म िगरावट
करे गा िजसम सभी ज री सूचनाएँ और त य य और िकन कारण से आई और इसका आम िनवेशक
शािमल ह गे। पर या भाव पड़ेगा।

का य खंड पर आधा रत 60 / 40 श द म िलखे जाने वाले ो र , पाठ क मु य बात एवं - कोष

● का य खंड पर आधा रत तीन म से िक ह दो के उ र (लगभग 60 श द म) – 3 अंक x 2= 6


● का य खंड पर आधा रत तीन म से िक ह दो के उ र (लगभग 40 श द म) – 2 अंक x 2= 4

आ मप रचय
ह रवंश राय ब न
-मु य बात
किव ह रवंश राय ब न ारा िलिखत किवता ‘ आ मप रचय पाठ गीत सं ह ‘बु और नाचघर’ से िलया गया है | इस पाठ के मा यम
से किव कहना चाहते ह िक वयं को जानना दिु नया को जानने से भी अिधक किठन है | यि का समाज से अ यंत ही घिन स ब ध
होता है, इसिलए वयं को समाज से िब कु ल अलग रखना संभव भी नह है | इस दिु नया म रहकर भले ही िकतना ही क य न हो ,
हम इस संसार से कटकर रह नह सकते ह | इसके पीछे कारण यह भी है िक हमारा अि त व और हमारी पहचान दिु नया से ही है | इस
पाठ म किव अपना प रचय देते हए बताने का यास िकया है िक दिु नया से उनका स ब ध दिु वधापूण और ं ा मक है | दिु नया से उनका
संबधं ीितकलह का है | किव कहता है िक वह इस दिु नया से यार भी करता है और इसे वह अपना भार भी समझता है | वे अपने
जीवन म दो िवरोधी बात म सामंज य थािपत करते हए चलते ह , जैसे उ माद म अवसाद , रोदन म राग , शीतल वाणी म आग अिद
| किव अपनी आशाओं और िनराशाओं से संतु है | किव उन यि य को नादान कहता है जो धन और वैभव के पीछे भागते है | यह
संसार उ ह लोग को पूछता है जो उसक इ छानुसार र चलते ह | किव अपनी वाणी के जारी ऐसी दिु नया के ित आ ोश कट करता है
|
-1 ‘आ म-प रचय’ किवता का मूल भाव प क िजए।
उ र - ी ह रवंश राय ब न’ ारा रिचत किवता ‘आ म-प रचय’ ‘बु और नाचघर’ सं ह से संकिलत है िजसम किव ने यह िच ण
िकया है िक मनु य ारा अपने को जानना या आ मबोध दिु नया को जानने से अ यंत किठन है। समाज से मनु य का नाता ख ा-मीठा
होता है। इस संसार से िनरपे ( िब कु लअलग ) रहना असंभव है। मनु य चाहकर भी जग से िवमुख नह हो सकता। मनु य एक सामािजक
ाणी है, अतः मनु य का इस जग से अटू ट संबधं है।
संसार अपने यं य-बाण तथा शासन- शासन से उसे चाहे िकतने ही क एवं पीड़ाएँ य न दे, पर मनु य इस जगह से अलग नह रह
सकता। ये दिु नया ही उसक पहचान है। जहाँ पर वह अपना प रचय देते हए इस संसार से ि िवधा मक एवं ं ा मक संबधं का मम
उ ािटत करता हआ जीवन जीता है। इस दिु नया म मनु य का जीवन ं
एवं िव ध का सामंज य है। सुख-दख ु का सम वय है।
- 2 किवता एक ओर जग-जीवन का भार िलए घूमने क बात करती है और दसू री ओर ‘म कभी न जग का यान िकया
करता हँ’-िवपरीत से लगते इन कथन का या आशय ह?
उ र - जग-जीवन का भार लेने से किव का अिभ ाय यह है िक वह सांसा रक दािय व का िनवाह कर रहा है। आम यि से वह
अलग नह है तथा सुख-दख ु , हािन-लाभ आिद को झेलते हए अपनी या ा पूरी कर रहा है। दसू री तरफ किव कहता है िक वह कभी
संसार क तरफ यान नह देता। यहाँ किव सांसा रक दािय व क अनदेखी क बात नह करता। वह संसार क िनरथक बात पर यान न
देकर के वल ेम पर कि त रहता है। आम यि सामािजक बाधाओं से डरकर कु छ नह कर पाता। किव सांसा रक बाधाओं क परवाह
नह करता। अत: इन दोन पंि य के अपने िनिहताथ ह। ये एक-दसू रे के िवरोधी न होकर पूरक ह।
-3 जहाँ पर दाना रहते ह, वह नादान भी होते ह-किव ने ऐसा य कहा होगा ?
उ र - नादान यानी मूख यि सांसा रक मायाजाल म उलझ जाता है। मनु य इस मायाजाल को िनरथक मानते हए भी इसी के च र म
फै सा रहता है। संसार अस य है। मनु य इसे स य मानने क नादानी कर बैठता है और मो के ल य को भूलकर सं हवृि म पड़ जाता है।
इसके िवपरीत, कु छ ानी लोग भी समाज म रहते ह जो मो के ल य को नह भूलते। अथात संसार म हर तरह के लोग रहते ह।
4 -म और, और जग और कहाँ का नाता- पंि म ‘और’ श द क िवशेषता बताइए।
उ र - यहाँ ‘और’ श द का तीन बार योग हआ है। अत: यहाँ यमक अलंकार है। पहले ‘और’ म किव वयं को आम यि से अलग
बताता है। वह आम आदमी क तरह भौितक चीज के सं ह के च र म नह पड़ता। दसू रे ‘और’ के योग म संसार क िविश ता को
बताया गया है। संसार म आम यि सांसा रक सुख-सुिवधाओं को अंितम ल य मानता है। यह वृि किव क िवचारधारा से अलग है।
तीसरे ‘और’ का योग ‘संसार और किव म िकसी तरह का संबधं नह ’ दशाने के िलए िकया गया है।
-5 ‘ शीतल वाणी म आग ’ के होने का या अिभ ाय ह ?
उ र -किव ने यहाँ िवरोधाभास अलंकार का योग िकया है। किव क वाणी य िप शीतल है, परंतु उसके मन म िव ोह, असंतोष का
भाव बल है। वह समाज क यव था से संतु नह है। वह ेम-रिहत संसार को अ वीकार करता है। अत: अपनी वाणी के मा यम से
अपनी असंतिु को य करता है। वह अपने किव व धम को ईमानदारी से िनभाते हए लोग को जा त कर रहा है ।
6 आ मप रचय’ किवता म किव ह रवश राय ब न ने अपने यि व के िकन प को उभारा है?
उ र - ‘आ मप रचय’ किवता म किव ह रवंश राय ब न ने अपने यि व के िन निलिखत प को उभारा है-
* किव अपने जीवन म िमली आशाओं-िनराशाओं से संतु है।
* वह (किव) अपनी धुन म म त रहने वाला यि है।
* किव संसार को िम या समझते हए हािन-लाभ, यश-अपयश, सुख-दख ु को समान समझता
है।
* किव संतोषी वृि का है। वह वाणी के मा यम से अपना आ ोश कट करता है।
7- आ मप रचय’ किवता पर ितपा िलिखए।
उ र -‘आ मप रचय’ किवता के रचियता का मानना है िक वयं को जानना दिु नया को जानने से यादा किठन है। समाज से यि का
नाता ख ा-मीठा तो होता ही है। संसार से पूरी तरह िनरपे रहना संभव नह । दिु नया अपने यं य-बाण तथा शासन- शासन से चाहे
िजतना क दे, पर दिु नया से कटकर मनु य रह भी नह पाता य िक उसक अपनी अि मता, अपनी पहचान का उ स, उसका प रवेश ही
उसक दिु नया है। वह अपना प रचय देते हए लगातार दिु नया से अपने ि िवधा मक और ं ा मक संबधं का मम उ ािटत करता चलता
है। वह पूरी किवता का सार एक पंि म कह देता है िक दिु नया से मेरा संबधं ीितकलह का है, मेरा जीवन िव का सामंज य है।

आ मप रचय
( ह रवंश राय ब न )
आ मप रचय
कोष
1.किव का कहना है िक उसने नेह-सुरा का पान िकया है। इस पान का उस पर या भाव पड़ा है?
2.किव ब न को कै सा संसार अ छा नह लगता, और य ?
3.‘स य िकसी ने नह जाना’-किव ने ऐसा य कहा है?
4.किव ने िकस पृ वी को ठु कराने क बात कही है? किव के कथन से आप िकतना सहमत ह और य ?

-------------------------------------------------------------------
--------------------------------------------------------------
ो र ( 60/40 श द )
िदन ज दी ज दी ढलता है।
– 1 िदन ज दी – ज दी ढलता है’ किवता का सारांश प क िजए।
इस किवता म किव ह रवंश राय ब न ने जीने क इ छा और समय क कमी का सुदं र वणन िकया है। किव कहता है िक य िप राहगीर
थक जाता है, हार जाता है लेिकन वह िफर भी अपनी मंिजल क ओर बढ़ता ही जाता है। उसे इस बात का भय रहता है िक कह िदन न
ढल जाए। इसी कार िचिड़य के मा यम से भी किव ने जीने क लालसा का अ तु वणन िकया है। िचिड़याँ जब अपने ब के िलए
ितनके , दाने आिद लेने बाहर जाती ह तो िदन के ढलते ही वे भी अपने ब क देखभाल के बारे म सोचती रहती ह। वा तव म
ह रवंशराय ब न ने इस किवता म जीवन क ण भंगरु ता और मानव के जीने क इ छा का रोचक िच ण िकया है।
-2 िदन ज दी-ज दी ढलता है’किवता म ज दी ज दी श द क आवृि से किवता क िकस िवशेषता का पता चलता
है?
उ र - ‘िदन ज दी-ज दी ढलता है’ – वा य क कई बार आवृि किव ने क है। इससे यह िवशेषता पता चलती है िक जीवन बहत
छोटा है। िजस कार सूय दय होने के बाद अ त हो जाता है,ठीक वैसे ही मानव जीवन है। यह जीवन ित ण कम होता जाता है। येक
मनु य का जीवन एक न एक िदन समा हो जाएगा। हर व तु न र है। किवता क िवशेषता इसी बात म है िक इस वा य के मा यम से
किव ने जीवन क स ाई को तुत िकया है। चाहे राहगीर को अपनी मंिजल पर पहँचना हो या िचिड़य को अपने ब के पास। सभी
ज दी से ज दी पहँचना चाहते ह। उ ह डर है िक यिद िदन ढल गया तो अपनी मंिजल तक पहँचना असंभव हो जाएगा।
3- कौन-सा िवचार िदन ढलने के बाद लौट रहे पंथी के कदम को धीमा कर देता ह? ‘ब न’ के गीत के आधार पर उ र
दीिजए \
उ र - किव एकाक जीवन यतीत कर रहा है। शाम के समय उसके मन म िवचार उठता है िक उसके आने के इंतजार म घर पर याकु ल
होने वाला कोई नह है। अत: वह िकसके िलए तेजी से घर जाने क कोिशश करे । शाम होते ही रात हो जाएगी और किव क िवरह- यथा
बढ़ने से उसका दय बेचनै हो जाएगा। इस कार के िवचार आते ही िदन ढलने के बाद लौट रहे पंथी के कदम धीमे हो जाते ह ।
-4 यिद मंिजल दरू हो तो लोग क वहाँ पहँचने क मानिसकता कै सी होती ह?
उ र - मंिजल दरू होने पर लोग म उदासीनता व नीरसता का भाव आ जाता है। कभी-कभी उनके मन म िनराशा भी आ जाती है।
मंिजल क दरू ी के कारण कु छ लोग घबराकर यास करना छोड़ देते ह। कु छ यथ के तक-िवतक म उलझकर रह जाते ह। मनु य आशा व
िनराशा के बीच झूलता रहता है।
-5 िदन ज दी-ज दी ढलता है, म प ी तो लौटने को िवकल है, पर किव म उ साह नह है। ऐसा य ?
उ र - इस किवता म प ी अपने घर म लौटने को याकु ल है, परंतु किव म उ साह नह है। इसका कारण यह है िक पि य के ब े
उसका इंतज़ार कर रहे ह।जबिक किव अके ला है। उसक ती ा करने वाला कोई नह है। इसिलए उसके मन म घर जाने का कोई उ साह
नह है।
– 6 िदन का थका पंथी कै से ज दी-ज दी चलता है?
उ र - रा ते पर चलते-चलते पंथी (राहगीर) थक जाता है, लेिकन वह िफर भी चलते रहना चाहता है। उसे डर है िक यिद वह क गया
तो रात ढल जाएगी अथात् रात के होते ही मुझे रा ते म कना पड़ेगा। इसिलए िदन का थका पंथी ज दी ज दी चलता है।

िदन ज दी- ज दी ढलता है


( मु य बात )

यह किवता एक गीत है , िजसके रचनाकार किव ह रवंश राय ब न जी है | इस किवता म कहा गया है िक जो यि अपना ल य
िनधा रत करके जीवन पथ पर अ सर है , वे अपने कदम तेजी से बढाते हए ल य को ा करने के िलए बेचनै रहते ह | इसी बात को
कु छ उदाहरण के मा यम से प करने क कोिशश क गई है | एक थका हआ पिथक भी घर पास होने पर िदन ढल जाने के आशंका म
अपने कदम तेजी से बढाते ह | एक िचिड़या जो खाना खोजकर अपने घोसले क ओर बढ़ती है , यह सोचकर अपने पंख अिधक िहलाती
है िक उसके ब े उसक राह देख रहे ह गे और उसक आशा म ह गे | उस िचिड़या को यह भी आशंका होती है िक कह रात न हो जाए
| अंत म किव ने यह प िकया है िक ऐसे यि जो ल यिवहीन है , िजसका घर म कोई इंतजार नह करता , उसके कदम िशिथल पड़
जाते है अथात उसे समय के बीत जाने क कोई िचंता नह रहती है |

िदन ज दी –ज दी ढलता है
–कोष

1.राही िदन ढलने से पूव ही मंिजल पर पहँच जाना चाहता है, ऐसा य ?
2.िचिड़या के पर म चंचलता आने के या- या कारण हो सकते ह?
3.उस का उ े ख क िजए जो किव-मन को िवहवलता से भर देता है। इससे उस पर या भाव पड़ता है?
4.िन निलिखत का यांश के आधार पर पूछे गए के उ र दीिजए
म िनज उर के उ ार िलए िफरता हँ
म िनज उर के उपहार िलए िफरता हँ,
है यह अपूण संसार न मुझको भाता
म व न का संसार िलए िफरता हँ।
(क) भाव-स दय प क िजए।
(ख) अितम पि का आशय प क िजए।
(ग) का यांश क भािषक – िश प संबधं ी िवशेषताएँ िलिखए-

पतंग
( किव – आलोक ध वा )
( ो र 60/40 श द म)

-1 ‘सबसे तेज बौछार गय , भादो गया ’ के बाद कृ ित म जो प रवतन किव ने िदखाया है , उसका वणन अपने श द म
कर | ( 60 श द )
अथवा
सबसे तेज बौछार के साथ भाद के बीत जाने के बाद ाकृ ितक य का िच ण ‘पतंग ’ किवता के आधार पर अपने श द म
क िजए।
उ र – तुत किव आलोक ध वा ारा रिचत ‘ पतंग ’ पाठ से िलया गया है | इस किवता म किव ने ाकृ ितक सु दरता का मनोरम
िच ण िकया है | भादो माह म काले – काले बादल आकाश म घुमड़ते रहते ह और तेज बा रश होती है | इस मौसम म अ यिधक बा रश
के कारण लोग का जीवन ि थर –सा हो जाता है | इसके िवपरीत शरद ऋतु म मौसम साफ़ हो जाता है और रोशनी बढ़ जाती है | धूप
चमक ली होती है | कृ ित म िन निलिखत प रवतन होने लगते ह –
● ात:काल सूरज क रोशनी खरगोश क आँख के समान लाल िदखाई देता है |
● आकाश साफ़ , व छ , िनमल और चमक ला िदखाई देता है |
● ब े दौड़ते –भागते , पतंग उड़ाते और िततिलय के पीछे –पीछे भागते िदखाई देते है |
– 2 सोचकर बताएँ िक पतंग के िलए सबसे ह क और रंगीन चीज, सबसे पतला कागज़, सबसे पतली कमानी िवशेषण
का योग य िकया गया है ? (60 श द )
उ र – तुत पाठ ‘ पतंग ’ म किव आलोक ध वा जी ने पतंग के िलए सबसे ह क और रंगीन चीज , सबसे पतला कागज़,सबसे
पतली कमानी जैसे िवशेषण का योग िकया है | किव इसके मा यम से बालसुलभ चंचलताओं और ि याकलाप को पतंग क
िवशेषताओं से जोड़ना चाहते ह | िजस तरह पतंग बाँस क पतली कमानी और रंगीन कागज़ से िनिमत होकर रंग – िबरंगे प को धारण
कर धाग के सहारे आकाश म उड़ते ह , उसी तरह ब े भी ह के होते ह , उनक क पनाएँ भी पतंग के समान आसमान को छू ती ह |
उनका मन पिव , िन छल, कोमल होते ह |
-3 ज म से ही वे अपने साथ लाते ह कपास – कपास के बारे म सोच िक कपास से ब का या स ब ध बन सकता है ?
( 60/40 श द )
उ र – किव आलोक ध वा ारा रिचत पाठ पतंग म ब को कपास के समान कोमल बताया गया है | िजस तरह कपास ह क ,
मुलायम , ग दे ार , शु और सफ़े द होती है , उसी तरह ब के मन भी कोमल , व छ , पिव होते ह | कपास क तरह उनका शरीर
भी कोमल और मुलायम होते ह | ब े ये सारे गुण अपने ज म से ही लाते ह | यहाँ कपास ब क मासूिमयत और िन कपट भावनाओं
का तीक है |
- 4 पतंग के साथ-साथ वे भी उड़ रहे ह – ब का उड़ान से कै सा स ब ध बनता है?
उ र – किव आलोक ध वा ारा रिचत पतंग पाठ म ब क उड़ान और पतंग क उड़ान म एक िवशेष संबधं िदखाया गया है | जब
आकाश म रंग – िबरंगे पतंग उड़ती है तब ब का चंचल मन भी उड़ता है | ब े पतंग उड़ाते समय अ यंत आनंिदत , उ सािहत और
रोमांिचत मन वाले होते ह | पतंग को देखकर ऐसा लगता है मानो वे भी अपनी क पनाओं के सहारे उड़ान भर रहे ह | आकाश म उड़ते
पतंग को देखकर ब े खतर क परवाह िकए िबना आकाश क ऊं चाईय को छू लेना चाहते ह |
-5 पतंग नामक किवता का ितपा अपने श द म िलिखए |
उ र – किव आलोक ध वा ारा रिचत किवता पतंग पाठ म ब क दिु नया का रंगीन िच ण िकया गया है | पतंग उड़ने के मौसम म वे
खुशी और उमंग से भर जाते ह| भादो माह के बाद शरद ऋतु आते ही आकाश साफ़ हो जाता है | खरगोश क आँख के समान धूप लाल
और चमक ली हो जाती है | आकाश म उड़ती हई को पतंग को देखकर ब के मन उस ऊँ चाई तक जाना चाहते ह | वे खतर से खेल
–खेल कर अपने भय पर िवजय ा करते जाते ह | कृ ित भी ब के इस हाव-भाव म सहायता करती है| कभी वे पतंग के पीछे तो
कभी रंगीन िततिलय के पीछे भाग- भागकर कृ ित का भरपूर आनंद उठाते ह |
-6 शरद ऋतु क िवशेषताओं का वणन क िजए |
उ र - किव आलोक ध वा ारा रिचत किवता पतंग पाठ म शरद ऋतु का अ यंत ही मनोहारी िच ण िकया गया है | किव ने अपनी
किवता म शरद ऋतु का मानवीकरण करते हए िन निलिखत उनक िन निलिखत िवशेषताएँ बताई है –
● इस ऋतु म ात:काल म सूरज क रोशनी खरगोश क आँख के समान लाल िदखाई देता है |
● आकाश साफ़ , व छ , िनमल और चमक ला िदखाई देता है |
● ब े दौड़ते –भागते , पतंग उड़ाते और िततिलय के पीछे –पीछे भागते िदखाई देते है
● शरद ऋतु भादो माह के बाद इस तरह आता है जैसे वह अपनी नई साइिकल को चलाते हए, जोर –जोर से घंटी बजाते
हए, पुल को पार करते हए और अपने चमक ले
इशारे से पतंग उड़ाने वाले ब के झुडं को बुला रहा है |
-7 “ रोमांिचत शरीर का संगीत” का जीवन क लय से या संबध ं है ?
उ र – तुत किव आलोक ध वा ारा िलिखत किवता पतंग के स दभ म आया है | इस किवता म कहा गया है िक जब ब े िकसी
काय म पूरी तरह त ीन हो जाते ह उनके मन और शरीर म खुशी और उमंग से एक अ तु रोमांच और संगीत उ प होता है | ऐसी
ि थित म मन एक िनि त िदशा म लयब होकर गित करने लगता है | मन के अनुसार काय होने से ब के शरीर भी उसी लय म काय
करता है | इसी त मयता के कारण वे खतर क परवाह िकए िबना भय पर िवजय पाना भी सीखते जाते ह |
- 8 ‘ महज एक धागे के सहारे , पतंग क धड़कती ऊँ चाईयाँ ‘ उ ह ( ब को ) कै से थाम लेती है ? अपने श द म
िलख |
उ र – किव आलोक ध वा ारा िलिखत किवता पतंग म ब के बालमन और पतंग क उड़ान का बहत ही सुंदर िच ण िकया गया है
| शरद ऋतु के आते ही पतंग से ब क कोमल भावनाएँ जुड़ जाती है | ब े अपने पतंग को आकाश म उड़ाना चाहते ह | पतंग
आकाश म उड़ती है , लेिकन पतंग क ऊँ चाई का िनयं ण उनके हाथ क डोर म होती है | यह एक ऐसा ण होता है जब वे अपनी
खुिशय और उमंग म बेसधु हो जाते ह | ब के कोमल और मुलायम बालमन पतंग क ऊँ चाईय के साथ उड़ रहे होते है | ऐसा लगता
है मानो पतंग का धागा पतंग के साथ –साथ बालमन को भी थाम रहा हो |
-9 िदशाओं को मृदगं क तरह बजाने का या ता पय है ?
उ र - तुत किव आलोक ध वा ारा िलिखत किवता पतंग के स दभ म आया है | इस किवता म कहा गया है िक जब ब े पतंग
उड़ाने म पूरी तरह त ीन हो जाते ह , उसके मन और शरीर म खुशी और उमंग से एक अ तु रोमांच और संगीत उ प होता है | उनका
यान आकाश म उड़ रहे पतंग पर होता है | इस िदशा म पतंग उड़ती ह , ब े भी उसी िदशा म भागने लगते ह | बेसधु होकर भागने के
दर यान वे छत के दीवार पर भी कू दते ह और उसके पदचाप से छत के खतरनाक कोने भी मुलायम होकर सु दर विन उ प करते ह |
ब क िकलका रय और पदचाप से एक कार का संगीत उ प होता है और ऐसा लगता है मानो ब े िदशाओं को मृदगं क तरह
बजा रहे ह |
-10 पतंग पाठ के भाव सौ दय को प कर |
उ र – किवता का भाव सौ दय - किव आलोक ध वा ारा रिचत किवता पतंग पाठ म ब क दिु नया का रंगीन िच ण िकया गया है |
पतंग उड़ने के मौसम म वे खुशी और उमंग से भर जाते ह| भादो माह के बाद शरद ऋतु आते ही आकाश साफ़ हो जाता है | खरगोश क
आँख के समान धूप लाल और चमक ली हो जाती है | आकाश म उड़ती हई को पतंग को देखकर ब के मन उस ऊँ चाई तक जाना
चाहते ह | वे खतर से खेल –खेल कर अपने भय पर िवजय ा करते जाते ह | कृ ित भी ब के इस हाव-भाव म सहायता करती है|
कभी वे पतंग के पीछे तो कभी रंगीन िततिलय के पीछे भाग भागकर कृ ित का भरपूर आनंद उठाते ह |
-11 पतंग पाठ के िश प सौ दय को प कर |
उ र - आलोक ध वा ारा िलिखत किवता पतंग म ब के बालमन और पतंग क उड़ान का बहत ही सुंदर िच ण िकया गया है | इस
किवता म किव ने िन निलिखत िश प सौ दय का दशन िकया है –
● िबंबा मक शैली म शरद ऋतु का सुंदर िच ण िकया है।
● बालमन और उनक बाल-सुलभ चंचलाताओं का मनोहर िच ण िकया गया है
● किवता म शरद ऋतु का मानवीकरण िकया गया है |
● पाठ म मानवीकरण अलंकार , उपमा अलंकार , अनु ास अलंकार , पुन ि काश अलंकार का मनोहर िच ण िकया
गया है |
● किवता क भाषा खडी बोली है, िजससे भाव क सहज अिभ यि हई है |
● किव ने अपनी किवता म ल णा श द शि का योग िकया है |
● किव ने किवता म िमि त श दाविलय को योग िकया है |
● मु छं द का योग िकया िकया गया है |

पतंग
( आलोक ध वा )
( Master Card)

किव आलोक ध वा ारा रिचत किवता ‘ पतंग पाठ ’ म ब क दिु नया का रंगीन िच ण तुत िकया गया है | पतंग उड़ने के मौसम म
ब े खुशी और उमंग से भर जाते ह| भादो माह के बाद शरद ऋतु आते ही आकाश साफ़ हो जाता है | खरगोश क आँख के समान धूप
लाल और चमक ली हो जाती है | आकाश म उड़ती हई को पतंग को देखकर ब के मन उस ऊँ चाई तक जाना चाहते ह | वे खतर से
खेल –खेल कर अपने भय पर िवजय ा करते जाते ह | कृ ित भी ब के इस हाव-भाव म सहायता करती है| कभी वे पतंग के पीछे
तो कभी रंगीन िततिलय के पीछे भाग- भागकर कृ ित का भरपूर आनंद उठाते ह |
मह वपूण क सूची
1. ‘सबसे तेज बौछार गय , भादो गया ’ के बाद कृ ित म जो प रवतन किव ने िदखाया है , उसका वणन अपने श द म कर |
2. सोचकर बताएँ िक पतंग के िलए सबसे ह क और रंगीन चीज, सबसे पतला कागज़,
सबसे पतली कमानी िवशेषण का योग य िकया गया है ?
3. ज म से ही वे अपने साथ लाते ह कपास – कपास के बारे म सोच िक कपास से
ब का या स ब ध बन सकता है ?
4. पतंग के साथ-साथ वे भी उड़ रहे ह – ब का उड़ान से कै सा स ब ध बनता है?
5. पतंग नामक किवता का ितपा अपने श द म िलिखए |
6. शरद ऋतु क िवशेषताओं का वणन क िजए |
7. िदशाओं को मृदगं क तरह बजाने का या ता पय है ?
8.“ रोमांिचत शरीर का संगित” का जीवन के लय से या संबधं है ?
9. ‘ महज एक धागे के सहारे , पतंग क धड़कती ऊँ चाईयाँ ‘ उ ह ( ब को ) कै से
थाम लेती है ? अपने श द म िलख |
10. पतंग पाठ के का य सौ दय को प कर |

किवता के बहाने
(कुँ वर नारायण)
1 - इस किवता के बहाने बताएँ िक ‘ सब घर एक कर देने के माने ’ या है ?
उ र - तुत किव कुँ वर नारायण ारा रिचत ‘ किवता के बहाने ’ पाठ से िलया
गया है | किव को आज के समय म किवता के अि त व के बारे संशय हो रहा है | इस पाठ म किवता को यांि कता से मु करने और
इसक अपार स भावनाओं बताने का यास िकया गया है | इसी म म वे कहते िक िजस कार ब के खेल म िकसी कार क सीमा
का यान नह रखा जाता , उसी कार किवता म थान क कोई सीमा नह होती है | किवता एक श द का खेल है | किव किवता
िलखते समय अपने मन म ब क तरह अपने – पराये के बोध से ऊपर उठाकर लोकिहत क कामना से बंधन रिहत होकर किवता क
रचना करता है | उनके मन म सीमाओं का बंधन नह रहता है |
2- ‘उड़ने’ और ‘िखलने’ का किवता से या संबध ं बनता है ?
उ र – किव कुँ वर नारायण ने अपनी किवता ‘ किवता के बहाने ’ पाठ म किवता के ‘उड़ने’ और ‘िखलने’ को िचिड़या और फू ल के
मा यम से प करने क कोिशश क है | वे कहते है िक िचिड़या एक थान से दसू रे थान उड़कर जाती है , पर तु किवता अपनी
क पानाओं के पंख लगाकर सीमाओं के बंधन से मु होकर बहत ही ऊँ ची उड़ान भरती है | ता पय यह है िक किवता क उड़ान
असीिमत है , जबिक िचिड़य क उड़ान सीिमत है | उसी तरह फू ल भी िखलते है और किवताएँ भी िखलती है | फू ल के िखलने क एक
सीमा है, लेिकन किवता िबना मुरझाए सदैव िखलती रहती है |
3- किवता और ब े को समानांतर रखने के या कारण हो सकते ह ?
अथवा – किवता को ब के समान य कहा गया है ? तक सिहत उ र द |
उ र - किव कुँ वर नारायण ने अपनी किवता ‘ किवता के बहाने ’ पाठ म किवता और ब े को समानांतर रखा है | ब के खेल म
नयापन , रचना मकता और ि याशीलता होती है | ब के मन पिव , िन छल और भेदभाव रिहत होते ह | ब के मन म सबके
िलए समान भाव होते ह | ब े िकसी भी कार क सीमाओं के बंधन से मु होते है |
उसी कार किवता भी श द का एक खेल है , िजसम सृजनशीलता और नयापन के भाव िछपे होते ह | किवताएँ भी ब क
तरह सीमारिहत और भेदभावरिहत होकर लोकिहत का भावना से ओत ोत होते है | यही कारण है िक किवता को ब के समान बताया
गया है |
4 - किवता के स दभ म ‘िबना मुरझाए महकने के माने’ या होते ह ?
उ र - किव कुँ वर नारायण ने अपनी किवता ‘ किवता के बहाने ’ पाठ म किवता के ‘उड़ने’ और ‘िखलने’ को िचिड़या और फू ल के
मा यम से प करने क कोिशश क है |
किवता और फू ल म संबधं थािपत करने के म म वे कहते ह िक फू ल िखलने के एक िनि त समय बाद मुरझा जाते ह, लेिकन किवता
अपने लोकिहत भाव के कारण हमेशा ताजगी और खुशबू से भरपूर रहती है | किवता फू ल क तरह कभी मुरझाती नह , बि क सदैव
समाज को जाग क और स िच बनाए रखती है |
5 -‘किवता के बहाने’ किवता का ितपा बताइए ।
उ र - किव कुँ वर नारायण ने अपनी रचना ‘ किवता के बहाने ’ पाठ के मा यम से आज के समय म किवता के अि त व के बारे संशय
कट कर रहे है | इस पाठ म किवता को यांि कता से मु करने और इसक अपार स भावनाओं बताने का यास िकया गया है | वे
कहते है िक किवता एक या ा है जो िचिड़या, फू ल से लेकर ब े तक क है। एक ओर कृ ित है दसू री ओर भिव य क ओर कदम
बढ़ाता ब ा। किव कहता है िक िचिड़या क उड़ान क सीमा है, फू ल के िखलने के साथ उसका अंत िनि त है, लेिकन ब े के सपने
असीम ह। ब के खेल म िकसी कार क सीमा का कोई थान नह होता। किवता भी श द का खेल है और श द के इस खेल म
जड़, चेतन, अतीत, वतमान और भिव य-सभी उपकरण मा ह। इसीिलए जहाँ कह रचना मक ऊजा होगी, वहाँ सीमाओं के बंधन वयं
ही टू ट जाएँगे। वह सीमा चाहे घर क हो, भाषा क हो या समय क ही य न हो ।
6 – “किवता के बहाने’ किवता के किव क या आशंका है और य ?
उ र - किव कुँ वर नारायण ने अपनी रचना ‘ किवता के बहाने ’ पाठ के मा यम से आज के समय म किवता के अि त व के बारे संशय
कट कर रहे है | उसे आशंका है िक आज का मानव अ यिधक भागमभाग के कारण यांि क होता जा रहा है। उसके पास भावनाओं को
समझाने, य करने या सुनने का समय नह है । िवकास क इस आंधी से मानव क कोमल भावनाएँ समा होती जा रही ह। अत: किव
को किवता का अि त व खतरे म िदखाई दे रहा है ।
7 - फूल और िचिड़या को किवता क या- या जानका रयाँ नह ह? ‘किवता के बहाने’ किवता के आधार पर बताइए |

उ र - किव कुँ वर नारायण ने अपनी किवता ‘ किवता के बहाने ’ पाठ म किवता के ‘उड़ने’ और ‘िखलने’ को िचिड़या और फू ल के
मा यम से प करने क कोिशश क है | वे अपनी किवता इस बात को प करते है िक किवता िचिड़या क तरह उड़ान भरती है और
फू ल क तरह िखलती है , लेिकन फू ल और िचिड़या को किवता क िन निलिखत जानका रयाँ नह ह-
● फू ल को वयं िखलने , खुशबू िवखेरने , मुरझाने और किवता के असीिमत काल तक िखले रहने क जानकारी नह ह |
● िचिड़या को यह पता नह है िक उसके बहाने किवताएँ ज र िलखी जाती है और उसक उड़ान से किवता के उड़ान क तुलना
क जाती है , पर तु उसक उड़ान सीिमत है और किवता क उड़ान असीिमत |
8 – ‘ किवता के बहाने ’ पाठ म िनिहत सौ दय बोध को प क िजए |
उ र - ‘ किवता के बहाने ’ पाठ म िनिहत सौ दय बोध कु छ इस कार है –
● किवता क रचना मक यापकता को कट िकया गया है।
● सरल एवं सहज खड़ी बोली म सश अिभ यि है।
● किवता का मानवीकरण िकया गया है।
● किवता म ला िणकता है।
● ‘िचिड़या या जाने” और ‘’ फू ल या जाने ‘’ म अलंकार है ।
● किवता से िचिड़या और फू ल क तुलना सुंदर है।
● ‘मुरझाए महकने’ और ‘ ब के बहाने’ म अनु ास अलंकार है |
● मु छं द और शांत रस है |
किवता के बहाने
( मु य बात )
किव कुँ वर नारायण ने अपनी रचना ‘ किवता के बहाने ’ पाठ के मा यम से आज के समय म किवता के अि त व के बारे संशय कट कर
रहे है | इस पाठ म किवता को यांि कता से मु करने और इसक अपार स भावनाओं बताने का यास िकया गया है | वे कहते है िक
किवता एक या ा है जो िचिड़या, फू ल से लेकर ब े तक क है। एक ओर कृ ित है दसू री ओर भिव य क ओर कदम बढ़ाता ब ा।
किव कहता है िक िचिड़या क उड़ान क सीमा है, फू ल के िखलने के साथ उसका अंत िनि त है, लेिकन ब े के सपने असीम ह। ब
के खेल म िकसी कार क सीमा का कोई थान नह होता। किवता भी श द का खेल है और श द के इस खेल म जड़, चेतन, अतीत,
वतमान और भिव य-सभी उपकरण मा ह। इसीिलए जहाँ कह रचना मक ऊजा होगी, वहाँ सीमाओं के बंधन वयं ही टू ट जाएँगे। वह
सीमा चाहे घर क हो, भाषा क हो या समय क ही य न हो ।
किवता के बहाने
(कुँ वर नारायण)
क सूची
1. इस किवता के बहाने बताएँ िक ‘ सब घर एक कर देने के माने ’ या है ?
2. ‘उड़ने’ और ‘िखलने’ का किवता से या संबधं बनाता है ?
3. किवता और ब े को समानांतर रखने के या कारण हो सकते ह ?
4. किवता के स दभ म ‘िबना मुरझाए महकने के माने’ या होते ह ?
5. ‘ किवता के बहाने ’ किवता का ितपा अपने श द म िलिखए |
6. किव ने किवता क उड़ान और िखलने को िचिड़या और फू ल से िकस कार िभ बताया है ?
7. किवता एक खेल है ब के बहाने – आशय प क िजए ?
8. किवता के बहाने – किवता के का य सौ दय को प कर |
9. “किवता के बहाने’ किवता के किव क या आशंका है और य ?
10. फू ल और िचिड़या को किवता क या- या जानका रयाँ नह ह? ‘किवता के बहाने’ किवता के आधार पर बताइए |

बात सीधी थी पर
(कुँ वर नारायण )
60 श द वाले और उ र
1. भाषा को सहिलयत से बरतना से या अिभ ाय है ?
उ र- सहिलयत श द का सामा य अथ आसानी या सहज होता है। इस िहसाब से भाषा को सहिलयत से बरतना अथात् उसक सरलता,
सादगी और सहजता से योग करना है। िजससे भाषा का भाव आसानी से समझ म आ जाए। बनावटी श द के आडंबर से भाषा सहज
होने के बजाय किठन होती चली जाती है और वह आसानी से समझ म नह आती।इसीिलए भाषा को सरलता से योग करना चािहए
और यह सरल और सहज भाषा का योग ही भाषा को सहिलयत से बरतने से संबिं धत है।
2.बात और भाषा पर पर जुड़े होते ह िक तु कभी-कभी भाषा के च र म सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है कै से?
उ र – बात, भाषा के प म ही य होती है। इसीिलए भाषा और बात का अभे संबधं है। मनु य के मन म आने वाली भावनाएं श द
के मा यम से बाहर कट होती ह। हम जैसा सोचते ह वैसा ही कह द तो कोई िद त नह है,परंतु किव जैसे लोग अपनी बात को कहने के
िलए कई बार भाषा को सजाने, संवारने या भावी बनाने के च र म पड़ जाते ह, तो बहत किठनाई हो जाती है। दरअसल भाषा के मोह
म पड़ा हआ यि मूल बात कहने के बजाय कु छ और ही कह जाता है। इसिलए वा तिवक यानी जो वह बताना चाहता है वह वो कह
नह पाता है और भाषा के च र म च र म सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है।
3. बात (क य) के िलए दी गई िवशेषताओं का उिचत िबंब और मुहावर से िमलान कर।
(क) बात का चूड़ी मर जाना -बात का भावहीन हो जाना।
(ख) बात क पच खोलना-बात को सहज और प करना।
(ग) बात का शरारती ब क तरह खेलना - बात का पकड़ म न आना।
(घ) बात को क ल क तरह ठोक देना - बात म कसावट के न (अथहीन ) होने पर भी जबरद ती थ पना।
(ड) बात का बन जाना –कथन और भाषाका सही सामंज य बैठ जाना।
40 श द वाले और उ र
1.सारी मुि कल को धैय से समझने के बजाय किव या िकए जा रहा था ?
उ र -किव को अपनी बात को कहने क ज दबाजी थी और वह हड़बड़ी तथा खीझ म िबना सोचे समझे ही अिभ यि क जिटलता
को और अिधक बढ़ाता जा रहा था ।िजससे बात सुलझने के बजाय उलझती चली जा रही थी। अगर किव ने धैय का साथ िलया होता तो
बात आसानी से समझाई जा सकती थी।
2. बात पेचीदा कब हो जाती ह और इससे बचने का या उपाय है ?
उ र –बात पेचीदा तब हो जाती है जब कहने वाला अपना यान मूल बात पर कि त न करके उसे आडंबर ारा ढकना चाहता है। बात
को भावशाली बनाने के च र म उसक बात और अिधक जिटल हो जाती है । इससे बचने के िलए हम बात सीधी तथा सरल और
सहज प से कहनी चािहए।
3. बात सीधी होने पर भी भाषा के च र म कै से फं स गई ?
उ र - बात सीधी होने पर उसे सहज प म य िकया जा सकता था , िकं तु किव ने बात को पाने के च र म भाषा को
घुमाया-िफराया,तोड़ा- मरोड़ा ,उ टा- पु टा पर इससे बात प होने के बजाय और अिधक पेचीदा,जिटल तथा द ु ह हो गई और भाषा
का जंजाल खड़ा हो गया तथा अथ पीछे छू ट गया।
बात सीधी थी पर
( मु य बात )
तुत किवता किव कुँ वर नारायण जी क रचना सं ह ‘ कोई दसू रा नह ’ से ली गई है | इस पाठ म भाषा को सहजता के साथ बरतने
क बात क गई है | िजस कार हर पच के िलए एक िनि त खाँचा होता है , उसी तरह हर बात के िलए कु छ ख़ास श द और भाषा होती
है | अ छी बात या अ छी किवता का बनना सही बात का सही सही श द या सही भाषा से जुड़ना होता है | सही बात को सही श द
और भाषाओं के मा यम से कट करने से क य ( कहने यो य बात ) भावी होता है , िक तु कभी-कभी भाषा के मोह म बात अथात
क य ( कहने यो य बात ) का भाव समा हो जाता है | कभी – कभी तािलय के गडगडाहट और ोताओं के वाह – वाह ा करने
के चाहत म किव समाज अपने क य क भाषाओं को अिधक आडंबरपूण और किठन बना देते है और प रणाम व प क य के भाव को
न कर देते है | अत: अपनी बात को सहज और आसान भाषा म कहनी चािहए , िजससे साधारण लोग भी उसका आनंद और लाभ ा
कर सके

कोष
1.‘कै मरे म बंद अपािहज’ किवता म संचार मा यम क संवेदनहीनता को उजागर िकयागया
है। किवता के आधार पर प क िजए।
2 .दरू दशन के काय म-िनमाताओं और संचालक के यवहार म उनक यावसाियक वृि के दशन कै से होते ह? उदाहरण सिहत
िलिखए।
3.अपािहज यि काय म- तोता को अपना दख ु य नह बता पाता?
4.अपने काय म को सफल बनाने के िलए काय म िनमाता िकस सीमा तक िगर जाते ह?’कै मरे म बंद अपािहज’ किवता के आधार पर
प क िजए।
5.काय म- तोता ारा अपािहज के साथ िजस तरह का यवहार िकया गया उसे आप िकतना उिचत मानते ह?
6.काय म-संचालक अपािहज क आँख परदे पर िदखाना चाहता है। इसके या कारण हो सकते ह? किवता के आधार पर उ र दीिजए।
7.अपािहज यि का दरू दशन पर सा ा कार तुत करने का या उ े य है? आप संचालक को इस उ े य क ाि म िकतना सफल
पाते ह?

कै मरे म बंद अपािहज


(60श द वाले – उ र)
1.किवताम कु छ पंि यां को क म रखी गई ह , आपक समझ से इसका या औिच य है ?
उ र -किव ने अपने िवचार सं ेषण के िलए एक अनूठा योग िकया है को क म रखी गई पंि य से अलग-अलग लोग के ित जो
संबोधन है उसे बहत ही प कर िदया गया है। इससे किवता म एक नाटक य प आ गया है और भाव भी प हो रहा है जैसे ( कै मरा
िदखाओ इसे बड़ा बड़ा) यह पंि के वल कै मरामैन के िलए नह है बि क उस अपािहज के िलए भी है िजसको अवसर िमला है और
दरू दशन वाल का अहम भाव भी समेटे हए है। इसी कार
(हम खुद इशारे से बताएंगे िक या ऐसा)
(यह अवसर खो दगे)
को क म िलिखतये पंि यां किवता के उ े य को य करने म सफल हई ह और किव ने इसी हेतु से इसका योग भी िकया है।
2.‘कै मरे म बंद अपािहज’किवता क णा के मुखौटे म िछपी ू रता है। िवचार क िजए -
अथवा
‘कै मरे म बंद अपािहज' किवता आज के यावसाियकता के कारण होने वाली संवेदनहीनता को कट करती है कै से ? प
क िजए।
उ र -कै मरे म बंद अपािहज किवता क णा जैसे िवषयको लेकर एक यं यपरक रचना है। िजसम मीिडया किमय क दय हीनता को
उजागर िकया गया है। मीिडया कम अपने चैनल को लोकि य बनाने के िलए जानबूझकर लोग के ज म को कु रे दते ह ।वे अपािहज क
मजबूरी को, उसक दीनता को और दख ु को जानबूझकर कट कराना चाहते ह । तािक लोग उ ह देखने के िलए चैनल से िचपके रह ।
वा तव म वे िकसी अपािहज के दद के कटीकरण से अपना धंधा चलाना चाहते ह और यही काय उनक दय हीनता तथा
संवेदनशू यता को दशाता है। िजसे हम क णा के मुखौटे म िछपी ू रता कह सकते ह।
3. हम समथ शि वान और हम एक दबु ल को लाएंगे पंि के मा यम से किव ने या यंग िकया है ?
उ र – ‘हम समथ शि वान'से किव ारा मीिडया वाल प र यं य िकया गया है िक मीिडया वाले वयं को बहत शि शाली मानने लगे
ह ।मीिडया वाले वयं को दसू र का भा य िवधाता भी मानते ह। िजसे चाहे दरू दशन पर लाकर ऊं चा उठा द, नीचा िगरा द । वो वयं म
समथह ।
इसी कार ‘हम एक दबु ल को लाएंगे’म दया, लाचारी और दशन का भाव है। िजससे यह विनत होता है िक मीिडया वाले िकसी
अपािहज को लाकर सबके सामने उसका तमाशा बनाने के िलए वतं ह । वो उस पर टीका िट पणी करने के िलए, िव े षण करने के
िलए उसका मजाक बनाने के िलए भी तैयार ह ।मानो शि शाली लोग के बीच एक अपािहज का खड़ा होना कोई तमाशा हो जाता है ।
उसका अपनी भावनाओं के िलए वहाँ कोई जगह नह है।

40 श द वाले और उ र
1.यिद शारी रक प से चुनौती का सामना कर रहे यि और दशक दोन एक साथ रोने लगगे, तो उससे कता का
कौन सा उ े य पूरा होगा ?
उ र -यिद कोई अपंग और दशक दोन साथ-साथ रोने लग तो कता को लगेगा िक उसने काय म को बहत भावनापूण और
क णापूण बना िलया है। वह उस काय म के मा यम से अपािहज के िजस दःु ख- दद को िदखाना चाहता था उसम वह पूरी तरह से
सफल हो गया है ।यहां तक िक दशक क आंख म भी वह दःु ख उमड़ पड़ा है ।इस सफल काय म का वा तिवक उ े य है जनता का
यान ख च पाने म समथ होना। िजससे दशक काय म को देखते रह और काय म िनमाता क भरपूर कमाई हो सके ।
2. ‘परदे पर व क क मत है' कहकर किव ने पूरे सा ा कार के ित अपना नज रया िकस प म रखा है ?
उ र – ‘परदे पर व क क मत है’ से सा ा कारकता क मूल भावना का प रचय िमलता है। सा ा कारकता के िलए दरू दशन के परदे
पर काय म िदखाने के बदले जो पैसा िमलता है उसक क मत अपंग के तकलीफ से कह यादा है । वा तव म वह पैसा कमाने के िलए
ही अपंगता िदखा रहा है। किव का यं य है िक आज के इस यावसाियक दौर म दरू दशन पर िदखाई जाने वाली क णा हो या वेदना,सब
िनरथक हो गए ह, साथकता तो िसफ और िसफ धन कमाने म रह गई है ।
3. अपािहज से पूछे जाने वाले अिधकतर संवेदना शू य हकै से ?
उ र -अपािहज से पूछे जाने वाले िब कु ल िन न तर के ह िज ह हम संवेदना शू य कह सकते ह। जैसे– या आप अपािहज ह?तो
आप य अपािहज ह ?
इन दोन का कोई उ र नह बनता । सबके सामने वयं को अपािहज वीकार करना अपमान के िसवाय और या है ? िकसी से
पूछना िक वह अपािहज य है ? एक ू र मजाक है। इसी कार “आपका अपािहजपन तो दख ु देता होगा” जानबूझकर जले पर नमक
िछड़कने जैसा है। िफर यह पूछना िक अपािहज होकर उसे कै सा लगता है ? उसके मौन रहने पर उसक नकल करना, भ े इशारे करना।
वा तव म ऐसे अपािहज से पूछे ही नह जाने चािहए ।इस तरह के संवेदनशू य यि ही कर सकता है।
कै मरे म बंद अपािहज
( मु य बात )
तुत पाठ ‘ कै मरे म बंद अपािहज ’ किव रघुवीर सहाय के का य सं ह ‘लोग भूल गए ह‘ से िलया गया है | इस पाठ म किव ने
मीिडयाकिमय के िववेकहीन ि याकलाप को बताने का यास िकया है | िकसी क पीड़ा को दशक तक पहँचाना और अिधक से
अिधक यावसाियक लाभ ा करना अनुिचत है | आजकल के मीिडयाकम वयं को अिधक समथ और शि शाली समझते है |
संवेदनहीनता क पराका ा तो तब हो जाती है जब वे िकसी शारी रक प से चुनौती झेलने वाले िवकलांग यि को टू िडयो म ले आते
है और उसक पीड़ा को उभाकर दशक तक पहँचाने क कोिशश करते ह | यह किवता मीिडयाकिमय क ू र दिु नया को दशक तक
लाने और वा तिवकता से अवगत कराने का एक यास मा है |

– कोष

1.‘कै मरे म बंद अपािहज’ किवता म संचार मा यम क संवेदनहीनता को उजागर िकया गया है। किवता के आधार पर प क िजए।
2. दरू दशन के काय म-िनमाताओं और संचालक के यवहार म उनक यावसाियक वृि के दशन कै से होते ह? उदाहरण सिहत
िलिखए।
3.अपािहज यि काय म- तोता को अपना दख ु य नह बता पाता?
4, अपने काय म को सफल बनाने के िलए काय म िनमाता िकस सीमा तक िगर जाते ह?’कै मरे म बंद अपािहज’ किवता के आधार पर
प क िजए।
5-काय म- तोता ारा अपािहज के साथ िजस तरह का यवहार िकया गया उसे आप िकतना उिचत मानते ह?
6. काय म-संचालक अपािहज क आँख परदे पर िदखाना चाहता है। इसके या कारण हो सकते ह? किवता के आधार पर उ र
दीिजए।
7. अपािहज यि का दरू दशन पर सा ा कार तुत करने का या उ े य है? आप संचालक को इस उ े य क ाि म िकतना सफल
पाते ह?

‘उषा’
ो र( 60 /40 श द )
1- सूय दय से पहले आकाश म या- या प रवतन होते ह ? ‘उषा’ किवता के आधार पर बताइए।
अथवा
‘उषा’ किवता के आधार पर सूय दय से ठीक पहले के ाकृ ितक य का िच ण क िजए।
उ र - सूय दय से पहले उषाकाल ( भोरकाल) म आकाश का रंग शंख जैसा वेत और नीले रंग का है | इस समय आकाश राख से लीपे
चौके के समान गीला तीत होता है। सूय क लािलमा ( ारंिभक िकरण) आकाश म ऐसा लगता है मानो िकसी ने काली िसल पर थोड़ा
लाल के सर डालकर पीसा हो और उसे धो िदया गया हो या िफर काली लेट पर लाल खिड़या चाक मल दी गई हो। सूय दय के समय सूय
का ितिबंब ऐसा लगता है जैसे नीले व छ जल म िकसी गोरी युवती का ितिबंब िझलिमला रहा हो।
2- ‘उषा’ किवता के आधार पर उस जाद ू को प क िजए जो सूय दय के साथ टू ट जाता है।
सूय दय से पूव उषा का य अ यंत आकषक होता है। भोर के समय सूय क िकरण जाद ू के समान लगती ह। इस समय आकाश का
स दय ण- ण म प रवितत होता रहता है। यह उषा का जाद ू है। नीले आकाश का शंख-सा पिव होना, काली िसल पर के सर डालकर
धोना, काली लेट पर लाल खिड़या मल देना, नीले जल म गोरी नाियका का िझलिमलाता ितिबंब आिद य उषा के जाद ू के समान
लगते ह। सूय दय होने के साथ ही ये य समा हो ज़ाते ह।
3- ‘ लेट पर या लाल खिड़या चाक मल दी हो िकसी ने । ‘ -इसका आशय प क िजए।
उ र – तुत प ांश किव शमशेर बहादरु ारा रिचत किवता ‘ उषा ’ से िलया गया है | किव कहता है िक सुबह के समय अँधेरा
होने के कारण आकाश लेट के समान मटमैला िदखता है। उस समय सूय क लािलमा-यु िकरण ऐसा िदखता है, जैसे िकसी ने काली
लेट पर लाल खिड़या चाक मल िदया हो औरबाद म उसे मल िदया हो |
4- भोर के नभ को ‘ राख से लीपा, गीला चौका ‘ क सं ा दी गई है। य ?
उ र- किव कहता है िक भोर के समय ओस के कारण आकाश नमीयु व धुधं ला होता है। राख से िलपा हआ चौका भी मटमैले रंग का
होता है। दोन का रंग लगभग एक जैसा होने के कारण किव ने भोर के नभ को ‘राख से लीपा, गीला चौका’ क सं ा दी है। दसू रे , चौके
को लीपे जाने से वह व छ हो जाता है। इसी तरह भोर का नभ भी पिव होता है।
5- िसल और लेट का उदाहारण देकर किव ने आकाश के रंग के बारे म या कहा है?
उ र - किव ने अपनी किवता म भोरकालीन आकाश को िसलब े और लेट के रंगके सामान बताया है | भोर के समय आकाश का रंग
गहरा नीला-काला और मटमैला होता है और उसम थोड़ी-थोड़ी सूय दय क लािलमा िमली हई होती है।
6- उषा किवता नवचेतना का संदश े है प कर-
उ र- किव शमशेर बहादरु िसंह ने अपनी किवता ’उषा’ म नवचेतना का स देश कु छ इस कार िदया है -
* उषा का समय अथात् भोरकाल ( सूय दय से पूव का समय ) वातावरण व छ, पिव और
जीवन के ार भ का समय है |
* उषाकाल नवीन िदवस क ओर ले जाने वाला मा यम है ।
* वह आने वाले िदन का वागत है ।
* यह वह समय है , जब हम आकाश म िविभ रंग का मेल देख नए जोश के साथ सारी
मनोकामनाएँ पूण करने के िलए त पर हो जाते है | इसिलए उषा का समय नवचेतना का
संदश
े है।
7- किव भोरकाल के सूय दय के साथ एक आशावादी प रवेश क क पना करता है | उदाहरण सिहत प कर |
उ र -किव शमशेर बहादरु िसंह जी ने अपनी किवता ‘उषा’ म िविभ उपमान के मा यम से भोरकाल के गितशील ामीण जीवन का
िच ण तुत िकया है , िजसम-
* उषाकालीन ामीण जीवन का सुंदर और मनोहर िच ण है ।
* जहाँ राख से लीपा हआ गीला च का है और जीवन जीने क आशा है |
* लेट क कािलमा पर चाक से रंग िबखरते यारे ब के सपने ह |
* किवता म गाँव क सुबह का एक गितशील जीवनदशन है जो नयी आशाओं को दिशत
करता है।
- 8 न ह ब े िजस कार अपनी इ छा से लेट का इ तेमाल करते है , या कृ ित भी न ह ब े के समान मनमौजी है?
उ र –हाँ, िजस कार न ह ब े अपने मन से लेट पर कोई एक िदशा न िनि त करके अपनी मज से लेट को रंगीन खिड़या चाक से
रंग देते है , ठीक वैसे ही कृ ित भी मनमौजी जैसा यवहार करती है | भोरकाल के समय कृ ित कह के शर सा के श रया रंग िबखेरती है,
तो कही ब च म ही सूरज क लािलमा धुधं ली – सी हो जाती है, कह गोर देहवाली सुंदरी क भाँित असमान म सफे द रंग ह का-ह का
दिशत हो रहा है, तो कह अँधेरा अपना अि त व कम कर रहा है | इससे ऐसा मालूम होता है क मानो कृ ित भी न ह ब क तरह
मनमौजी बन गई हो |
9- शमशेर बहादरु िसंह ने अपनी किवता उषा के मा यम से नवीन क पना एवं नवीन
उपमान का योग िकया है प कर?
उ र- किव शमशेर बहादरु िसंह जी ने अपनी किवता म ामीण प रवेश से उषा के समय का संबधं जोड़कर नवीन क पनाओं के आधार
नवीन ामीण उपमान के आधार पर उषा का मनोहर िच उपि थत िकया है | ये नवीन उपमान है -
क) 'नीला शंख जैसा'
ख) 'राख से लीपा चौका '
ग) ''काली िसल सा '
) ' लेट पर लाल खिडया चाक मलना ’
ङ) 'िझलिमल देह'
इस कार, किवता म सरल एवं लघु श द के योग से एक कार से िच ा मकता लाई गई है | इसीिलए कह सकते है िक शमशेर बहादरु
िसंह ने अपनी किवता उषा के मा यम से नवीन क पना एवं नवीन उपमान का योग िकया है।
उषा
( शमशेर बहादरु िसंह )
( मु य बात )
तुत किवता ‘उषा’ म किव शमशेर बहादरु िसंह ने सूय दय से ठीक पहले अथात् उषा काल ( भोरकाल ) के ण – ण म प रवितत
होने वाली कृ ित का सुंदर िच उपि थत िकया है । किव ने इस किवता म नवीन ामीण उपमान का योग करते हए कृ ित क गित को
श द म बाँधने का अ तु यास िकया है। किव ने उषाकाल ( भोरकाल) क आसमानी गित क धरती के हलचल भरे जीवन से तुलना
करने का यास िकया है | किव कहता है िक सूय दय से पहले आकाश का रंग गहरे नीले रंग का होता है तथा वह सफे द शंख-सा िदखाई
देता है। आकाश का रंग ऐसा लगता है मानो िकसी गृिहणी ने राख से चौका लीप िदया हो। सूय के ऊपर उठने पर लाली फै लती है तो ऐसा
लगता है जैसे काली िसल पर लाल के सर पीसकर उसे धो िदया हो | उषाकालीन लािलमा कु छ ऐसा िदखता है मानो िकसी लेट पर लाल
खिड़या चाक मल िदया हो और उसे साफ़ कर िदया हो | नीले आकाश म सूय क लािलमा ऐसा लगता है मानो नीले जल म गोरी युवती
का शरीर िझलिमला रहा हो | सूय दय होते ही उषाकाल का यह जाद ू समा हो जाता है |

कोष
1. ‘उषा’ किवता म किव ने आसमान के िलए सवथा नवीन उपमान का योग िकया है। किवता के आधार पर प क िजए।
2. किव ने ात:कालीन कृ ित का मनोहारी िच ण िकया है। पाठ के आधार पर उदाहरण सिहत िलिखए।
3. ‘उषा के टू टते जाद’ू का वणन अपने श द म क िजए।
अथवा
‘जाद ू टू टता है इस उषा का अब।’ उषा का जाद ू या है? वह कै से टू टता है? नील जल म या

बादल राग
सूयकांत ि पाठी िनराला
( ो र – 60/40 श द )
1) बादल को िव व का तीक य माना गयाहै?
उ र -िव व का अथ है ांित । किव बादल को एक ांितकारी के प म देखते है । बादल गरजते ह और वषा करते ह। वषा से गम से
लोग को राहत िमलती है । त धरती को शीतल व सुहावने प म पूण पेण बदलने क मता रखते है । इसिलए किव ने इ ह ाि त के
तीक कहा है।
2)रण-तरी िकसे कहते ह? वहाँ रण-तरी को आकां ाओं से भरी य कहा है?
उ र- रण- तरी बादल क यु -नौका का कहते ह। रण- तरी को आकां ाओं से भरी कहा गया है य िक बादल क इस यु -नौका
से यु के इस आ ान से बदलाव क आकां ाएं बनी हई है । बरसात से धरती का प पूणत: बदलने िक अपे ा होती है तो दसू री ओर
ांित से िन न वग के मन म बदलाव व खुशहाली िक आकां ाएं तैरने लगती है ।
3) ांित के सु अंकुर आकाश क ओर य ताक रहे ह?
उ र- ाि त के सोए हए अंकुर आकाश क ओर इसिलए ताक रहे ह िक बादल बरसगे तो प िवत ह गे। इसिलए वे बादल क ओर
उनके गरजने बरसने क उ मीद लगाए बैठे ह।
4)“ितरती है समीर सागर पर,अि थर सुख पर दख ु क छाया’ से या ता पय है ?
उ र- जैसे िणक सुख पर दख ु क छाया मंडराती है उसी तरह वायु पी समु पर बादल पी नाव तैर रही है। जब पूँजीपित ाि त क
स भावनाएँ अनुभव करते ह तो दःु खी हो जाते ह। ऐसा इसिलए है य िक बादल ाि त के दतू ह। आस ांित से सुिवधास प वग
अपने अि त व के खतरे म महसूस करता है ।
5) अशिन - पात से शािपत उ त शत-शत वीर पंि म िकसक ओर संकेत िकया गया है?
उ र-‘अशािन-पात से शािपत उ त शत-शत वीर‘ पंि म किव ने पूंजीपित वग क ओर संकेत िकया है। िबजली िगरने का अथ ांित
से है।
6) भाव प क िजए- िव व रव से छोटे ही है शोभा पाते
उ र- जब बादल क गजना से बड़े बड़े पवत खंिडत हो जाते है ,वह छोटे छोटे पौधे अपने ह के पैन के कारण झूमते और खुश होते है
। ांित के आने से थािपत यव था पूरी तरह से तहस नहस हो जाती है परंतु वंिचत ,शोिषत , िकसान और िमक जन को नवजीवन
ा होता है वे ही इस ांित से शोभा पाते है । य िक इसका उ ह ही फायदा पहंचता है ।
7) कृ ित बादल को िकस कार पुकारती है और य ?
उ र - कृ ित (छोटे-छोटे पौधे ) बादल को हाथ िहला-िहलाकर बुलाती है। व तुतः बादल ही िकसान क पीड़ा का समाधान कर
सकता है। ता पय यह है िक िन न वग बेस ी से ाि तदतू को बुला रहा है।
8)‘जल िव व ावन से या ता पय है ?
उ र- जल िव व - ावन का अथ है-जब ाि त होती है तो इसका सबसे अिधक भाव शोिषत वग पर ही पड़ता है। यही वग ाि त
आने पर उसी तरह िखल उठता है िजस तरह फू ल िखलता है।
(9 ) आशय प क िजए
सदा पंक पर ही होता
जल - िव व - ावन।'
उ र-बाढ़ आकर क चड़ भरी धरती डु बो देती है। ऊँ चे थान से जल बह जाता है, पर तु बा रश से आई बाढ़ का वाह क चड़ पर पड़ता
है। बाढ़ के बाद धरती साफ-सुथरी हो जाती है। इसी कार ाि त के बादल जब बरसते ह तो मजदरू वग के जीवन म खुशहाली ला देते
ह।
(10 )' ु फु जलज' का तीकाथ समझाइए ।
उ र-' ु फु जलज' का अथ है-िखला हआ छोटा-सा कमल|
कमल क चड़ म िखला रहता है। इसी कार गरीब ितकू लप रि थितय म भी मु कराते रहते ह। संतिु के साथ जीवन संघष म रत रहते है
11 ) शैशव का सुकुमार शरीर' से किव का या ता पय है? रोग-शोक उसको दख ु ी य नह कर पाते ह?
उ र-बालक का शरीर कोमल होता है, वह रोग और दःु ख म भी हँसता है। ब म वाभािवक प से आन द क भावना रहती है। अतः
उनका रोग या शोक कु छ नह िबगाड़ सकते।यहाँ शैशव श द छोटे अथात सामा य जन क ओर भी संकेत करता है ।
12 ) कृ षक अधीर होकर िकसे बुला रहा है और य ?
उ र - िकसान अधीर होकर बादल को बुला रहा है। इसका कारण यह है िक पूँजीपितय ने उसका जबरद त शोषण िकया है। उसका
सारा खून िनचोड़ िलया है। वह अब भूख से करहा रहा है। इन िनबल भुजाओं वाला िकसान बादल को आशा के प म देख रहा है िक
अब यही उसे पूँजीपितय के शोषण से मुि िदलाएगा।
13) धनी शोषक वग अपनी िवलािसता के बीच भी आतंिकत है, ऐसा य ? अथवा
धनी 'अंगना - अंग से िलपटे हए भी आतंिकत य ह?
उ र- पूँजीपित इसिलए भयभीत ह य िक दःु खी िकसान ाि तदतू बादल को बुला रहे ह। उ ह है िक अगर ाि त हई तो उनका
सवनाश अव य भावी है। वे अपनी ि याओं के अंकपाश म पड़े हए भी भयभीत रहते ह।
14 ) किव ारा उके रे गए िकसान के िब ब को अपने श द म िचि त क िजए।
अथवा
बादल राग किवता म िकसान को िकस प म िचि त िकया गया है ?
उ र - िकसान शोषक के अ याचार से यिथत है। वह ािह- ािह कर रहा है और ह य का ढाँचा बनकर रह गया है। उसका जीवन
ाणहीन लग रहा है। उसे अब बादल का आ य है। इसिलए अपनी िनबल भुजाएँ उठाकर ाि तदतू बादल को बुला रहा है। इसिलए िक
यही उसक आकां ाओं को पूरा कर सकते ह।
15) किवता म िकसको शोषक कहा गया है?
उ र- किव ने किवता के मा यम से पूँजी पितय को संबोिधत िकया है। ऐसे पूंजीपित जो िन न वग के लोग का शोषण करते ह, किव ने
उ ह शोषक कहा है l

*************************************************************************
****
3 अंक के
1. किव ने अ ािलका को आतंक भवन य कहा है?
उ र - किव के अनुसार अ ािलका आतंक भवन ह। पूँजीपित बड़े-बड़े भवन म रहते ह तब भी भयभीत रहते ह। उ ह आशंका रहती है
िक कह शोिषत िव ोह कर उनका सवनाश न कर द। इसी कारण उ ह इन भवन म सुख क न द नह आती।
दसू रे अथ म यह भी ितपािदत िकया जा सकता है िक यह बड़ी बड़ी अ ािलकाओं म रहनेवाले लोग ने युग -युग से आम जन पर
अ याय िकया है ,उ ह आतंिकत िकया है ।इस कार दोन ि य से किव इ ह आतंभवन कहते है ।
2. 'िव व - रव से छोटे ही ह शोभा पात पंि म िव व-रव से या अिभ ाय है? छोटे ही ह शोभा पाते- ऐसा य कहा
गया है?
उ र-'िव व - रव' का शाि दक अथ बाढ़ क विन है, िक तु तुत पंि म 'िव व - रव' से अिभ ाय ' ांित के आ ान' के प म
है, य िक किव एक साधारण यि के दःु ख से त है और वह बादल के मा य से उन लोग का आ ान ांित के प म कर रहा
है।'छोटे ही ह शोभा पाते' के आधार पर किव प करना चाहता है िक ांित हमेशा वंिचत क प धर होती है। इससे आम आदमी क
आकां ाएँ नव-िनमाण के प म प रलि त होती ह।
3. 'बादल राग' किवता दःु ख से त िकसान मजदरू क नवजीवन क आशा म शाि त के प बादल के आ ान क
किवता है - किवता के आधार पर तुत कथन क पुि क िजए ।
उ र- सूयका त ि पाठी िनराला क किवता 'बादल राग' म िकसान, मजदरू बादल को आशाभरी नजर से देखते ह। वे नए जीवन क
उ मीद म बादल को ाि त के प म देखते ह। वे जानते ह िक उ ह पूँजीपितय के शोषण से तभी मुि िमलेगी जब ाि त करगे।
व तुतः पूँजीपितय नेमजदरू और िकसान का खून चूस िलया है। वे बादल को िव व का वीर मानते ह।
4. 'बादल राग' किवता म िनराला ने शोिषत क वेदना को वर िदया है - िट पणी क िजए।
उ र- पंिडत सूयका त ि पाठी ने 'बादल राग' किवता म शोिषत क पीड़ा को सश श द िदए ह। उसने उनक पीड़ा को कला मक
और सश बना िदया है। किव का मानना है िक पूँजीपितय ने शोिषत का खून चूस िलया है। शोिषत के शरीर म के वल ह याँ शेष रही
ह। अब वे ाि त क आशा कर रहे ह। उ ह िविदत है िक ाि त के जीवन बाद सुखद होसकता है।
5. 'बादल राग' के आधार पर धनी शोषक क जीवन-शैलीपर िट पणी क िजए। वे य त ह?
उ र -बादल राग म धनी गरीब मजदरू और िकसान का शोषण करते ह। उनक अ ािलकाएँ उनके भोग-िवलास के साधन से भरपूर ह।
इन पर गरीब और िकसान के शोषण से अिजत धन लगा है। ये अ ािलकाएँ आतंक भवन ह। इनम बैठकर ये धिनक शोषक ऐसी योजनाएँ
बनाते ह िजनसे अिधक-से-अिधक िकसान का शोषण िकया जा सके । लेिकन इस वग को सदा शोिषत से खतरा रहता है इसिलए ये
अपनी घर म होटे हए भी भयभीत रहते ह।
6. 'बादल राग' के आधार पर िलिखए िक व गजन से कौन त होते ह और य ?
उ र -व गजन से धनी और शोषक वग त होते ह य िक धिनक को ाि त के कारण अपनी धन-स पि िछन जाने का डर सताता
है, वह शोिषत िनधन के जाग क होने के कारण उनक सुख-सुिवधा िछन जाने का भय रहता है।
(7 ) ‘बादल राग’ इस किवता म यु तीक योजना पर काश डािलए।
उ र- तुत का यांश म तीका मक भाषा का भावी प से योग िकया गया है। इसम यु श द 'पंक' िन न वग का, 'जलज' धनी
वग के ब का तथा 'जल-िव व ावन' ाि त क भीषणता का तीक है। ाकृ ितक तीक का सु दर योग करते हए बादल को
ाि तकारी यो ा के प म तुत िकया गया है। इसी तरह 'पंक' शोिषत वग का तथा अ ािलका' सुिवधा स प वग का तीक है।
(8 ) बादल के िलए - िव व के वीर और 'जीवन के पारावारस बोधन का योग य िकया गया है?
उ र -बादल के िलए किव ने िव व के बादल और जीवन के पारावार दो िवशेषण का योग िकया है। ये दोन ही िवशेषण बादल के
िलए यु ह। बादल इस किवता म शोिषत वग को समा करने के िलए ाि त के दतू के प म विणत ह। किव को िव ास है िक बादल
ाि त के ज रए शोषण समा करगे और शोिषत क जीवन पी नैया पार लगाएँगे।
9) ांित के अ दतू से या आशय है?
उ र- किव ने बादल क तुलना शोिषत वग से क है, वो कहते ह िक आसमान म जो बादल है, वो ाि त के अि दतू ह l वो कहते ह
िक जो पूँजी वादी लोग िन न वग के लोग का शोषण कर अपने िलए संपि अिजत करते ह। ऐसे लोग िन न आय के लोग को दबाने क
कोिशश करते ह l लेिकन अब शोिषत लोग बादल क तरह अपना गजन िवरोध करने वाले ह।
बादल राग
(सूयकांत ि पाठी ‘ िनराला )
मु य बात
बादल राग' िनराला जी क िस किवता है। वे बादल को ांितदतू मानते ह। बादल शोिषत वग के िहतैषी ह, िज ह देखकर पूँजीपित
वग भयभीत होता है। बादल क ांित का लाभ दबे-कु चले लोग को िमलता है, इसिलए िकसान और उसके खेत म बड़े-छोटे पौधे
बादल को हाथ िहला-िहलाकर बुलाते ह।किव बादल को संबोिधत करते हए कहते है िक हे ांितदतू पी बादल! तुम आकाश म ऐसे
मंडराते रहते हो जैसे पवन पी सागर पर कोई नौका तैर रही हो। यह उसी कार है जैसे अि थर सुख पर दख
ु क छाया मंडराती रहती है।
सुख हवा के समान चंचल है तथा अ थायी है। बादल संसार के जले हए दय पर िनदयी लय पी माया के प म हमेशा ि थत रहते ह।
बादल क यु पी नौका म आम आदमी क इ छाएँ भरी हई रहती ह। किव कहता है िक हे बादल! तेरी भारी-भरकम गजना से धरती
के गभ म सोए हए अंकुर सजग हो जाते ह अथात कमजोर व िनि य यि भी संघष के िलए तैयार हो जाते ह। हे िव व के बादल ! ये
अंकुर नए जीवन क आशा म िसर उठाकर तुझे ताक रहे ह अथात शोिषत के मन म भी अपने उ ार क आशाएँ फू ट पड़ती ह।
कोष
1.बादल का गजन सुनकर पृ वी के उर म सु अंकुर म िकस तरह आशा का संचरण हो उठता है?’बादल राग’ किवता के आधार पर
िलिखए।
2.‘अशिन-पात से शािपत उ त शत-शत वीर’ के मा यम से किव या कहना चाहता है? प क िजए।
3.िव व के बादल िकनके -िकनके मीत ह और य ?
4.‘बादल राग’ किवता म िकनका कोष होने क बात कही गई है? इससे कौन आ ोिशत है और य ?
5.‘िव व के वीर’ को अधीर कृ षक आशाभरी िनगाह से य देखता है?
6.िव व के बादल देखकर समाज का संप वग अपनी िति या कै से य करता है? ‘बादल राग’ किवता के आधार पर िलिखए।
7. प क िजए िक किव िनराला शोिषत वग एवं िकसान के स े िहतैषी थे।
8.िस क िजए िक ‘बादल राग’ किवता का मुख वर नविनमाण है।

तुलसीदास
(किवतावली/ल मण – मू छा और राम का िवलाप)
ो र ( 60/40 श द )
. 01 - किवतावली म उ तृ छं द के आधार पर प कर िक तुलसीदास को अपने युग क आिथक िवषमता क अ छी
समझ है।
उ र:- किवतावली म उ तृ छं द से यह ात होता है िक तुलसीदास को अपने युग क आिथक िवषमता क अ छी समझ है।तुलसी
अपने युग के सजग पहरे दार थे | उ ह ने समकालीन समाज का यथाथपरक िच ण िकया है। उ ह ने देखा िक उनके समय म बेरोजगारी क
सम या से मजदरू , िकसान, नौकर, िभखारी आिद सभीकाम क कमी के कारण परे शान थे। गरीबी के कारण लोग अपनी संतान तक को
बेच रहे थे। सभी ओर भूखमरी और िववशता थी।सब य कहते थे – कहाँ जाएँ , या कर ?
-02-पेट क आग का शमन ई र (राम) भि का मेघ ही कर सकता है – तुलसी का यह का य-स य या इस समय का
भी युग-स य है? तकसंगत उ र दीिजए।
उ र:- तुलसी ने प कहा है िक पेट क आग को ई र –भि पी मेघ ही बुझा सकते है | यह बात न के वल तुलसी के युग म स य
थी ,बि क आज भी स य है |मनु य का ज म, उसका कम, कम-फल सब ई र के अधीन ह।समाज म साफ िदखाई देता है िक करोड़ो
लोग काम करते है ,उनम से कु छ ही लोग सफल होते ह |िन ा और पु षाथ से ही मनु य के पेट क आग का शमन हो सकता है। फल
ाि के िलए दोन म संतल ु न होना आव यक है। पेट क आग बुझाने के िलए मेहनत के साथ-साथ ई र कृ पा का होनाभी ज री है।
-03- तुलसी ने यह कहने क ज़ रत य समझी?
धूत कहौ, अवधूत कहौ, रजपूतु कहौ, जोलहा कहौ कोऊ / काह क बेटीस बेटा न याहब, काहक जाित िबगार न सोऊ।
इस सवैया म काह के बेटास बेटी न याहब कहते तो सामािजक अथ म या प रवतन आता?
उ र:-तुलसी ने यह कहने क ज रत इसिलए समझी योिक उस समय के लोग ने उनके कु ल – गो और वंश पर िच ह लगाए थे |
किव सांसा रक बंधन के ित िवरि कट करता है |
तुलसी इस सवैये म यिद अपनी बेटी क शादी क बात करते तो सामािजक संदभ म अंतर आ जाता य िक िववाह के बाद बेटी को
अपनी जाित छोड़कर अपनी पित क ही जाित अपनानी पड़ती है। यिद तुलसी अपनी बेटी क शादी न करने का िनणय लेते तो इसे भी
समाज म गलत समझा जाता |यिद िकसी अ य जाित म अपनी बेटी का िववाह संप करवा देते तो इससे भी समाज म एक कार का
जाितगत या सामािजक संघष बढ़ने क संभावना पैदा हो जाती।
-04-धूत कहौ… वाले छं द म ऊपर से सरल व िनरीह िदखलाई पड़ने वाले तुलसी क भीतरी असिलयत एक वािभमानी
भ दय क है। इससे आप कहाँ तक सहमत ह?
उ र:- तुलसी एक वािभमानी भ दय वाले यि है, वे िकसी भी क मत पर अपना वािभमान कम नह होने देना चाहते | वे अपने
वािभमान क र ा के िलए कोई भी क मत चुकाने को तैयार रहते है | समाज के लोग ारा िकए गए कटा क कोई परवाह नही करते |
वे वयं को राम का समिपत भ कहते है | इसमे भ दय तुलसी के आ मिव ास का सजीव िच ण है िकया गया है |जात-पाँत
यव था का भी खुलकर िवरोध िकया है| सामािजक रीती- रवाज पर कड़ा हार िकया है, वे कहते है िक उ ह सांसा रक मयादाओं से
कु छ लेना देना नह ह |
– 05- भातृशोक म हई राम िक दशा को किव ने भु क नर लीला क अपे ा स ी मानवीय अनुभूित के प मे रचा है
| या आप इससे सहमत है ?तकपूण उ र दीिजए |
उ र : ातृशोक म भु एक सामा य यि का प धारण कर लेते ह |वे एक सामा य जन क तरह भाई के िलए िवलाप करते ह | वे
भुता को याग कर स ी मानवीय अनुभिू तओं को अिभ य करते ह|कोई भी यि चाहे िकतना भी बड़ा और महान य न हो , वह
एक मानव भी होता है | मानव के दय क अपनी अनुभिू तयाँ भी होती ह |वह उनके वशीभूत होकर सामा य जन क भांित यवहार
करता है |राम िवलाप करते – करते ल मण के पूव यवहार का मरण करते ह | शोक म डू बे भु यहाँ तक कह जाते ह िक यिद उ ह पता
होता िक ऐसा होगा तो वे िपता िक आ ा को मानने से इंकार कर देते |
-6 -शोक त माहौल म हनुमान जी के अवतरण को क णरस के बीच वीररस का आिवभाव य कहा गया है?
उ र :- हनुमानजी ल मण के इलाज के िलए संजीवनी बूटी लाने िहमायल पवत गए थे| उ ह आने देर हो रही थी| इधर राम बहत
याकु ल हो रहे थे | उनके िवलाप से वानर सेना म शोक क लहर थी| इसी बीच हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर आ गए| वै ने तुरंत
संजीवनी बूटी से दवा तैयार करके ल मण को िपलाई तथा ल मण ठीक हो गए | ल मण के उठने से राम का शोक समा हो गया |
ल मण वयं उ सािहत वीर थे | उनके आ जाने से सेना को खोया मनोबल वािपस आ गया | इस तरह हनुमान जी के आने तथा उनके
काय से शोक त माहौल म वीररस आ गया और माहौल म कु छ प रवतन िदखाई देने लगा | शोक पूण वातावरन हष और वीरता म
बदल जाता है |
– 7-‘बोले बचन मनुज अनुसारी’- का ता पय या है ?
उ र- भाई के शोक म िवगिलत राम का िवलाप धीरे –धीरे लाप म बदल जाता है ,िजसम ल मण के ित राम के अंतर म िछपे ेम के
कई कोण सहसा अनावृत हो जाते ह। यह संग ई र राम म मानव सुलभ गुण का सम वय कर देता है| वे मनु य क भांित
िवचिलत हो कर ऐसे वचन कहते ह जो मानवीय कृ ित को ही शोभा देते ह |तुलसीदास क मानवीय भाव पर सश पकड़
है।दैवीय यि व का लीला प ई र राम को मानवीय भाव से समि वत कर देता है।
- 8 - राम ने ल मण के िकन गुण का वणन िकया है?
उ र :-राम ने ल मण के िन निलिखत गुण का वणन िकया है-
● ल मण राम से बहत नेह करते ह |
● वे कभी भी अपने बड़े भाई को दखु ी नह देख सकते थे |
● उ ह ने भाई के िलए अपने माता –िपता का भी याग कर िदया |
● वे वन म रहकर वषा ,िहम, धूप आिद क को सहन कर रहे थे |
● उनका वभाव बहत मृदलु था |
- 9 - राम के अनुसार कौन सी व तुओ ं क हािन बड़ी हािन नह है और य ?
उ र :-राम के अनुसार धन ,पु एवं नारी क हािन बड़ी हािन नह है य िक ये सब खो जाने पर पुन: ा िकये जा सकते ह पर एक
बार सगे भाई के खो जाने पर उसे पुन: ा नह िकया जा सकता | दय म ऐसा िवचार करके हे तात ,जागो तु हारे जैसा भाई इस जगत
म नह िमल सकता है |
– 10 - पंख के िबना प ी और सूंड के िबना हाथी क या दशा होती है का य संग म इनका उ े ख य िकया गया है ?
उ र :- राम िवलाप करते हए अपनी भावी ि थित का वणन कर रहे ह िक जैसे पंख के िबना प ी और सूंड के िबना हाथी पीिड़त हो
जाता है ,उनका अि त व नग य हो जाता है वैसा ही असहनीय क राम को ल मण के न होने से होगा |
– 10 - ल मण के मुि छत होने पर राम या सोचने लगे?
उ र - ल मण को िनहारते हए ी राम ारा सामा य आदमी के समान िवलाप करना ।
हनुमान जी के आने का इंतजार करना । ल मण के कोमल वभाव व िवन ता का बखान करना ।
–11 -कु भकरण ने रावण को िकस स ाई का आईना िदखाया?
उ र :- कु भकरण रावण का भाई था, वह ल बे समय तक सोता रहता था । उसका शरीर िवशाल था । देखने म ऐसा लगता था मानो
काल आकर बैठ गया हो । वह मुहं फट तथा प व ा था वह रावण से पूछता है क तु हारे मुहँ य सूखे हए है ? रावण क बात सुनने
पर वह रावण को फटकार लगता है तथा उससे कहता है क अब तु हे कोई नह बचा सकता। इस कार उसने रावण को उसके िवनाश
संबधं ी स ाई का आइना िदखाया।
–12 -कु भकरण के ारा पूछे जाने पर रावण ने अपनी याकु लता के बारे म या कहा और कु भकरण से या सुनना
पड़ा?
उ र :- कु भकरण के पूछने पर रावण ने उसे अपनी याकु लता के बारे म िव तार पूवक बताया क िकस तरह उसने माता सीता का हरण
िकया । िफर उसने बताया क हनुमान ने सब रा स मार डाले और महान यो ाओ का संहार कर िदया है। ऐसी बाते सुनकर कु भकरण
ने उससे कहा क अरे मुख जगत जननी को चुराकर अब तू क याण चाहता है। ये संभव नह है ।
– 13- हनुमान जी ने भरत से या कहा ?
उ र हनुमान जी भरत से कहा िक हे नाथ! म आपके ताप को मन म धारणकर तुरंत जाऊं गा | ऐसा कहकर और उनक आ ा पाकर
और भरत जी क चरण क वंदना करके हनुमान जी चल िदए | भरत जी क भुजाओं के बल ,शील ,गुण और भु के चरण के अपार
ेम क मन ही मन सराहना करते हए पवनसुत हनुमान जी चले जा रहे थे |

-14- ‘पेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटक ’ तुलसी के युग का ही नह आज के युग का भी स य ह/ भुखमरी म िकसान
क आ मह या और संतान (खासकर बेिटय ) को भी बेच डालने क दय-िवदारक घटनाएँ हमारे देश म घटती रही ह।
वतमान प रि थितय और तुलसी के युग क तुलना कर।
उ र-
1.गरीबी के कारण तुलसीदास के युग म लोग अपने बेटा-बेटी को बेच देते थे। आज के युग म भी ऐसी घटनाएँ घिटत होती है।
2.िकसान आ मह या कर लेते ह तो कु छ लोग अपनी बेिटय को भी बेच देते ह। अ यिधक गरीब व िपछड़े े म यह ि थित आज भी
यथावत है।
3. तुलसी तथा आज के समय म अंतर यह है िक पहले आम यि मु यतया कृ िष पर िनभर था, आज आजीिवका के िलए अनेक रा ते
खुल गए ह। आज गरीब उ ोग-धंध म मजदरू ी करके जीवन चल सकता है |
-15-तुलसीदास ने द र ता क तुलना िकससे क है तथा य तथा मुि का या उपाय बताया है ?
उ र:-
1तुलसीदास ने द र ता क तुलना रावण से क है।
2.द र ता पी रावण ने पूरी दिु नया को दबोच िलया है तथा इसके कारण पाप बढ़ गया है|
3.वेद और पुराण म कहा गया है िक जब-जब संकट आता है तब-तब भु राम सभी पर कृ पा करते ह तथा सबका क दरू करते ह।
16 - उन कम का उ े ख क िजए िज ह लोग पेट क आग बुझाने के िलए करते ह?

उ र:- कु छ लोग पेट क आग बुझाने के िलए पढ़ते ह तो कु छ अनेक तरह क कलाएँ सीखते ह। कोई पवत पर चढ़ता है तो कोई
घने जंगल म िशकार के पीछे भागता है। इस तरह वे अनेक छोटे-बड़े काम करते ह।पेट भरने के िलए लोग धम-अधम व ऊं चे-नीचे सभी
कार के काय करते है | िववशता के कारण वे अपनी संतान को भी बेच देते ह ।

किवता :- किव और सवैया


किवता का सार (पाठ के मु य िब द ु ) :-
इस शीषक के अंतगत दो किव और एक सवैया संकिलत ह। ‘किवतावली’ से अवत रत इन किव म किव तुलसी का
िविवध िवषमताओं से त किलकाल तुलसी का युगीन यथाथ है, िजसम वे कृ पालु भु राम व रामरा य का व न रचते ह। युग और
उसम अपने जीवन का न िसफ उ ह गहरा बोध है, बि क उसक अिभ यि म भी वे अपने समकालीन किवय से आगे ह। यहाँ पाठ म
तुत ‘किवतावली’ के छं द इसके माण है पहले छ द "िकसवी िकसान” म उ ह ने िदखलाया है िक संसार के अ छे -बुरे सम त
लीला- पंच का आधार ‘पेट क आग’का गहन यथाथ है; िजसका समाधान वे राम क भि म देखते ह। द र जन क यथा दरू करने
के िलए राम पी घन याम का आ ान िकया गया है। पेट क आग बुझाने के िलए राम पी वषा का जल अिनवाय है।इसके िलए
अनैितक काय करने क आव यकता नह है।‘
इस कार, उनक राम भि पेट क आग बुझाने वाली यानी जीवन के यथाथ संकट का समाधान करने वाली है; न िक के वल
आ याि मक मुि देने वाली| गरीबी क पीड़ा रावण के समान दख ु दायी हो गई है। तुलसी को इस संकट म राम कृ पा का ही भरोसा है िक
वे इस द र ता पी रावण का अंत कर सभी को दख ु से मुि िदलाएँगे |
सवैया : तुलसी लोग िक आलोचना और िनंदा को ठोकर मारते हए कहते ह – मुझे कोई धूत कहे या अवधूत ,राजपूत कहे या जुलाहा –
मुझे कोई फक नह पड़ता | तुलसी तो बस राम के ग़ुलाम ह | उनका दिु नया से कोई सरोकार नह ह |
का य सौ दय :-
⮚ किवतावली म भाषा का सुंदर योग ।
⮚ अनु ास अलंकार का सुंदर योग ।
⮚ पक अलंकार का योग(राम-घन याम ,दा रद दसानन ...)
⮚ म ययुगीन चेतना का िद दशन ।
⮚ सवैया,दोहा छं द और चौपाई का योग ।
किवता का सार (पाठ के मु य िब द ु )
ल मण – मू छा और राम का िवलाप
रावण पु मेघनाद ारा शि बाण से मूिछत हए ल मण को देखकर राम याकु ल हो जाते ह। सुषेण वै ने संजीवनी बूटी लाने
के िलए हनुमान को िहमालय पवत पर भेजा। आधी रात यतीत होने पर जब हनुमान नह आए,तब राम ने अपने छोटे भाई ल मण को
उठाकर दय से लगा िलया और साधारण मनु य क भाँित िवलाप करने लगे। राम बोले हे भाई तुम मुझे कभी दख ु ी नह देख सकते | तुमने
मेरे िलए माता-िपता को भी छोड़ िदया और मेरे साथ वन म सद ,गम और िविभ कार क िवपरीत प रि थितय को भी सहा | जैसे
पंख िबना प ी,मिण िबना सप और सूँड िबना े हाथी अ यंत दीन हो जाते ह,हे भाई! यिद म जीिवत रहता हँ तो मेरी दशा भी वैसी ही
हो जाएगी।म अपनी प नी के िलए अपने ि य भाई को खोकर कौन सा मुहँ लेकर अयो या जाऊँ गा। इस बदनामी को भले ही सह लेता िक
राम कायर है और अपनी प नी को खो बैठा। ी क हािन िवशेष ित नह है,पर तु भाई को खोना अपूण य ित है। ‘रामच रतमानस’ के
‘लंका कांड’ से गृिहत ल मण को शि बाण लगने का संग किव क मािमक थल क पहचान का एक े नमूना है। भाई के शोक म
िवगिलत राम का िवलाप धीरे धीरे लाप म बादल जाता है | िजसम ल मण के ित राम के अंतर म िछपे ेम के कई कोण सहसा
अनावृत हो जाते ह। यह संग ई र राम म मानव सुलभ गुण का सम वय कर देता है | हनुमान का संजीवनी लेकर आ जाना क ण रस म
वीर रस का उदय हो जाने के समान है |
का य सौ दय :-
⮚ रामच रत मानस म अवधी बोली का योग ।
⮚ अनु ास अलंकार का सुंदर योग ।
⮚ म ययुगीन चेतना का िद दशन ।
⮚ दोहा छं द और चौपाई छं द का योग ।
कोष
1. आप किव तुलसीदास के नारी संबधं ी सामािजक ि कोण को वतमान म िकतना ासंिगक समझते ह? िलिखए।
2. ‘िमलइ न जगत सहोदर ाता”-यिद लोग ारा इसे अपने जीवन म उतार िलया जाए तो सामािजक समरसता पर या असर पडेगा?
3. तुलसी के समय म आिथक िवषमता का बोलबाला था-किवतावली (उ रकांड से) के आधार पर प क िजए।
4. तुलसीदास ने वेद-पुराण के िकस कथन क ओर संकेत िकया है और य ?
5. ‘राम-ल मण का पर पर ेम ातृ- ेम का अनूठा उदाहरण है।’ इस कथन क पुि उदाहरण सिहत क िजए।

बाईयाँ
(िफराक गोरखपुरी )
ो र (60/40 श द )
1- शायर राखी के ल छे को िबजली क चमक क तरह कहकर या भाव यंिजत करना चाहता ह?
उ र - र ाबंधन एक मीठा और पिव बंधन है। र ाबंधन के क े धाग पर िबजली के ल छे ह। वा तव म सावन का संबधं घटा से
होता है। घटा का जो संबधं िबजली से है वही संबधं भाई का बहन से है। शायर यही भाव यंिजत करना चाहता है िक यह बंधन पिव
और िबजली क तरह चमकता रहे।
2- ‘ बाइयाँ ’ पाठ के आधार पर घर-आँगन म दीवाली और राखी के य -िबंब को अपने श द म समझाइए।
उ र - किव दीपावली के योहार के बारे म बताते हए कहता है िक इस अवसर पर घर म पुताई क जाती है तथा उसे सजाया जाता है।
घर म िमठाई के नाम पर चीनी के बने िखलौने आते ह। रोशनी भी क जाती है। ब े के छोटे-से घर म िदए के जलाने से माँ के मुखड़े क
चमक म नयी आभा आ जाती है। र ाबंधन का योहार सावन के महीने म आता है। इस योहार पर आकाश म ह क घटाएँ छाई होती ह।
राखी के ल छे भी िबजली क तरह चमकते हए तीत होते ह।
3- ‘िफराक’ क बाइय म उभरे घरेलू जीवन के िबब का स दय प क िजए।
उ र - ‘िफराक’ क बाइय म घरे लू जीवन का िच ण हआ है। पाठ म कई िबंब उके रे गए ह। एक िबंब म माँ छोटे ब े को अपने हाथ
म झुला रही है। ब े क तुलना चाँद से क गई है। दसू रे िबंब म माँ ब े को नहलाकर कपड़े पहनाती है तथा ब ा उसे यार से देखता है।
तीसरे िबंब म ब े ारा चाँद लेने क िजद करना तथा माँ ारा दपण म चाँद िदखाना आिद घरे लू जीवन के उदाहरण ह |
-4 िफराक क बाई म भाषा के िवल ण योग िकए गए ह- प कर।
उ र - किव क भाषा उद ू है, परंतु उ ह ने िहंदी और लोकभाषा का भी योग िकया है। उनक रचनाओं म िहंदी, उद ू और लोकभाषा के
अनूठे गठबंधन के िवल ण योग ह, िजसे गाँधी जी िहंद ु तानी के प म प िवत करना चाहते थे। ये िवल ण योग ह-लोका देना,
घुटिनय म लेकर कपड़े िप हाना, गेसओ ु ं म कं घी करना, पवती मुखड़ा, नम दमक, िजदयाया बालक, रस क पुतली। माँ हाथ म आईना
देकर ब े को बहला रही है-
देख , आईने म चाँद उतर आया है । चाँद क परछाई भी चाँद ही है।
5- िफराक गोरखपुरी क बाइयां मां और बेटे के वाभािवक वा स य का े उदाहरण है, प कर?
उ र– ाकृ ितक प से माता और पु के बीच का र ता वा स य ेम का होता है | िजसके कई उदाहरण यहाँ देखे जा सकते ह। जैसे
अपने बेटे को हाथ के झूले म झूलाना, रह– रह कर हवा म उछाल देना और आंगन म बेटे को गोद म लेकर िखलाना िजससे ब े क
हँसी गूंज उठती है | ब े को नहलाना , कपड़े पहनाना , उलझे हए बाल म कं घी करना आिद माँ और बेटे के इन ि याओं से यह प
होता है िक माँ और बेटे क वाभािवक चे ाओं का वणन है।

बाइयाँ
( िफराक गोरखपुरी )
मु य बात
िफ़राक जी क ‘ बाइयाँ ’ उनक रचना ‘गुले-न मा’ से िलया गया है। बाई उद ू और फ़ारसी का एक छं द या लेखन शैली है। इन बाइय
म िहंदी का एक घरे लू प िदखता है। पाठ म माँ अपने ब े को आँगन म खड़ी होकर अपने हाथ म यार से झुला रही है। वह उसे
बार-बार हवा म उछाल देती है िजसके कारण ब ा िखलिखलाकर हँस उठता है। वह उसे साफ़ पानी से नहलाती है तथा उसके उलझे हए
बाल म कं घी करती है।
ब ा भी उसे यार से देखता है जब वह उसे कपड़े पहनाती है। दीवाली के अवसर पर शाम होते ही पुते व सजे हए घर सुंदर लगते ह।
चीनी-िम ी के िखलौने ब को खुश कर देते ह। वह ब के छोटे घर म दीपक जलाती है, िजससे ब के सुंदर चेहर पर दमक आ
जाती है। आसमान म चाँद देखकर ब ा उसे लेने क िजद पकड़ लेता है। माँ उसे दपण म चाँद का ितिबंब िदखाती है और उसे कहती है
िक दपण म चाँद उतर आया है। र ाबंधन एक मीठा बंधन है। र ाबंधन के क े धाग पर िबजली के ल छे ह। सावन म र ाबंधन आता
है। सावन का जो संबधं झीनी घटा से है, घटा का जो संबधं िबजली से है वह संबधं भाई का बहन से है।

कोष

1. योहार हमारे चेहर पर खुशी का भाव कट कर देते ह। ‘ बाइयाँ’ के आधार पर प क िजए।


2. बाल-सुलभ हठ और माँ ारा ब े को बहलाने के िलए िकए गए यास को ‘ बाइयाँ’ के आधार पर िलिखए।
3. भाई के हाथ म बँधी राखी क तुलना िकससे क गई है और य ?

छोटा मेरा खेत


किव का नाम- उमाशंकर जोशी
(उ र श द सीमा – 60/40 श द)
-1 किवता लुटने पर भी य नह ख म होती?
उ र - जब किव क किवता पाठक तक पहँचती है, तो वह ख म नह हो जाती, बि क उसका मह व और अिधक बढ़ता
जाता है। य - य वह पाठक के पास पहँचती जाती है, वह और अिधक िवकिसत होती जाती है। यहाँ ‘लुटने’ का आशय
बाँटने से है।
-2 ‘छोटा मेरा खेत’ किवता के पक को प क िजए।
उ र- तुत किवता म किव उमा शंकर जोशी जी ने किव कम क तुलना कृ षक के काय के साथ क है। िकसान खेत म बीज बोता है,
वह बीज अंकु रत होकर फसल बनता है और मनु य के पेट भरने के काम आता है। इसी तरह किव भी कागज़ पी खेत पर अपने िवचार
के बीज बोता जो िवकिसत होकर रचना का प धारण करते ह। इस रचना के रस से मनु य क मानिसक ज रत पूरी होती है।
-3 छोटा मेरा खेत’ किवता म यु वा यांश ‘रोपाई ण क कटाई अनंतता क ” को प क िजए।
उ र- किव उमा शंकर जोशी जी ने छोटे चौकोने खेत को कागज़ का प ा कहा है। किव के अनुसार किव का कम भी खेती क तरह ही
है। परंतु खेती क फ़सल का समय िनि त होता है। किवता का रस अनंतकाल तक आनंद देता है। पकने पर फ़सल काट ली जाती है, परंतु
किवता का रस कभी समा नह होता।
-4 छोटे चौकोने खेत को कागज का प ा कहने म या अथ िनिहत है?
उ र- ‘छोटा मेरा खेत, किवता क तुत पंि य म किव उमाशंकर जोशी जी ने किवता क तुलना कृ िष के खेत से क है, अथात वे
कृ िष जीवन एवं किव जीवन क एक साथ यहां पर तुलना करते ह। किव बताते ह िक िजस तरीके से एक िकसान अपने खेत म खेती करता
है, बीज रोपण करता है और िफर फसल उगाता है, ठीक उसी तरह ही एक किव भी खेती के आकार क भांित चौकोर सफे द पेज म
किवता िलखता है, उसम अपनी क पना पी बीज बोता है एवं किवता पी फसल उगाता है। इस कार से खेती और किवकम दोन एक
समान ह।
5. ‘छोटा मेरा खेत’ रचना के संदभ म ‘अंधड़’ और ‘बीज’ या ह?
उ र- इस किवता म किव ने ये कहा है िक िजस तरीके से आंधी तूफान, हवा, गम , वषा सभी कृ िष के खेत को उपजाऊ बनने म, बीज
को रोिपत होने म मदद करते ह। ठीक उसी तरीके से जब तक एक किव अपनी क पना से, भाव से एवं िवचार से किवता नह िलखेगा,
तब तक वह किवता जनमानस तक नह पहंचेगी। लोग उस किवता को भलीभांित समझ नह पाएंगे। कहने का ता पय यह है िक किवता
का बीज बोने के िलए िवचार क आँधी आव यक होती है।
- 6. ‘रस का अ यपा ’ से किव ने रचना कम क िकन िवशेषताओं क ओर संकेत िकया है?
उ र- यहां अ य पा से ता पय उस पा से है, जो कभी भी खाली नह हो सकता है। ठीक उसी कार किवता का बीज अगर एक बार
रोिपत कर िदया जाता है और जब वह बीज फसल बनकर किवता का प धारण कर लेता है, तो उस किवता और अ यपा म कोई
अंतर नह रहता है।
युग -युग तक किव क किवता को पढ़ा जाता है, समझा जाता है एवं वह किवता लोग के बीच हमेशा बहचिचत बन कर रह जाती है।
यानी क किवता का रस उस अ यपा के अमृत के समान है, जो कभी भी घटता नह है, बढ़ता चला जाता है, य िक यह सािह य का
रस है।

छोटा मेरा खेत


मु य बात
इस किवता म किव ने खेती के प म किव-कम के हर चरण को बाँधने क कोिशश क है। किव को कागज का प ा एक चौकोर खेत
क तरह लगता है। इस खेत म िकसी अंधड़ अथात भावना मक आँधी के भाव से िकसी ण एक बीज बोया जाता है। यह बीज रचना,
िवचार और अिभ यि का हो सकता है। यह क पना का सहारा लेकर िवकिसत होता है और इस ि या म वयं गल जाता है। उससे
श द के अंकुर िनकलते ह और अंतत: कृ ित एक पूण व प हण करती है जो कृ िष-कम के िलहाज से पुि पतप िवत होने क ि थित
है। सािहि यक कृ ित से जो अलौिकक रस-धारा फू टती है, वह ण म होने वाली रोपाई का ही प रणाम है। पर यह रस-धारा अनंत काल
तक चलने वाली कटाई से कम नह होती। खेत म पैदा होने वाला अ कु छ समय के बाद समा हो जाता है, िकं तु सािह य का रस कभी
समा नह होता।

कोष
1.किव को खेत कागज के प े के समान लगता है। आप इससे िकतना सहमत ह?
2. किव ने सािह य को िकस सं ा से संबोिधत िकया है और य ?
3. किव-कम और कृ िष-कम दोन म से िकसका भाव दीघकािलक होता है और कै से?

बगुल के पंख
( उमाशंकर जोशी )
ो र ( 60/40 श द )
1- ‘बगुल के पंख ‘ किवता का ितपा बताइए।
उ र - यह सुंदर य किवता है। किव आकाश म उड़ते हए बगुल क पंि को देखकर तरह-तरह क क पनाएँ करता है। ये बगुले
कजरारे बादल के ऊपर तैरती साँझ क सफे द काया के समान लगते ह। किव को यह य अ यंत सुंदर लगता है। वह इस य म
अटककर रह जाता है। एक तरफ वह इस स दय से बचना चाहता है तथा दसू री तरफ वह इसम बँधकर रहना चाहता है।
-2- ‘पाँती-बँधी’ से किव का आव य प क िजए।
उ र - इसका अथ है-एकता। िजस कार ऊँ चे आकाश म बगुले पंि बाँधकर एक साथ चलते ह। उसी कार मनु य को एकता के
साथ रहना चािहए। एक होकर चलने से मनु य अ तु िवकास करे गा तथा उसे िकसी का भय भी नह रहेगा।
3- किव िकसे रोककर रखना चाहता है और य ?
उ र - किव साँझ के समय कजरारे बादल के बीच आकाश म उड़ते बगुल क पंि य को रोकने को कहा है। इस य को देखकर
उसका मन अभी नह भरा है। वह इस य को और देखना चाहता है। इसिलए उनको रोक कर रखने को कहता है।

-4 इस किवता म िकस समय का वणन िकया गया है ?


उ र - इस किवता म सायंकाल का मनोरम िच ण तुत िकया गया है |
किव साँझ के समय कजरारे बादल के बीच आकाश म उड़ते बगुल क पंि य को रोकने को कहा है। इस य को देखकर उसका मन
अभी नह भरा है। वह इस य को और देखना चाहता है। इसिलए उनको रोक कर रखने को कहता है।
बगुल के पंख
(मु य बात )
यह किवता सुंदर य िबंबयु किवता है जो कृ ित के सुंदर य को हमारी आँख के सामने सजीव प म तुत करती है। स दय का
अपेि त भाव उ प करने के िलए किवय ने कई युि याँ अपनाई ह िजनम से सवािधक चिलत युि है-स दय के यौर के िच ा मक
वणन के साथ अपने मन पर पड़ने वाले उसके भाव का वणन।
किव काले बादल से भरे आकाश म पंि बनाकर उड़ते सफे द बगुल को देखता है। वे कजरारे बादल के ऊपर तैरती साँझ क ेत काया
के समान तीत होते ह। इस नयनािभराम य म किव सब कु छ भूलकर उसम खो जाता है। वह इस माया से अपने को बचाने क गुहार
लगाता है, लेिकन वह वयं को इससे बचा नह पाता है |

कोष
1. किव सायंकाल म िकस माया से बचने क कामना करता है और य ?
2. ‘बगुल के पंख’ किवता के आधार पर शाम के मनोहारी ाकृ ितक य का अपने श द म वणन क िजए।
क ा बारहव ( िहंदी आधार ) ग खंड पर आधा रत 60 / 40 श द म िलखे जाने ो र , पाठ क मु य बात एवं
-कोष
• ग खंड पर आधा रत तीन म से िक ह दो के उ र (लगभग 60 श द म) – 3 अंक x 2= 6
• ग खंड पर आधा रत तीन म से िक ह दो के उ र (लगभग 40 श द म) – 2 अंक x 2= 4

भि न- महादेवी वमा
पा -साम ी
पाठ के मु य िब द:ु
• भि न का वा तिवक नाम ल मी है िक तु नाम के साथ उसक प रि थितय का सा य न होने के कारण उसे अपना यह नाम
पसंद नह है I वह इस नाम को लोग से िछपाती है I लेिखका महादेवी वमा के पास जब वह आई तब उसने अपना असली नाम तो
बता िदया िक तु यह भी कह िदया िक वह उसे इस नाम से न बुलाए I
• लेिखका ने उसे भि न नाम िदया I
• भि न का बचपन िवमाता के साथ बीता I पाँच वष क आयु म उसका िववाह हआ और नौ वष म उसका गौना हआ I
• ससुराल म उसे ेम और स मान के वल अपने पित से िमला I तीन क याओं को ज म देने के कारण उसके साथ सास और
जेठािनय का यवहार बुरा ही रहा I उसक बेिटय के साथ भी भेदभाव होता था I
• अपनी गृह थी अलग करने के बाद उसे थोड़ा सुख तो िमला िक तु बड़ी बेटी के िववाह के प ात उसके पित क मृ यु हो गई I
• बाक दो छोटी बेिटय के िववाह क िज़ मेदारी भि न ने पूरी क I बड़ी बेटी जब िवधवा हो गई तो वह भि न के पास रहने
लगी I भि न के िजठौत ने उसक संपि हिथयाने के िलए िवधवा बेटी का िववाह अपने र तेदार म करने क योजना बनाई I जेठ के
बेटे ने जबरद ती अपने साले के साथ भि न क िवधवा बेटी का िववाह पंचायत क रज़ामंदी से करवा िदया I
• नए जमाई के िनठ े पन और जुए क वृि ने घर क समृि को द र ता म बदल िदया I भि न लगान न दे पाई और ज़म दार ने
उसे पूरा िदन धूप म खड़े रखा I इस अपमान को भि न सह नह पाई और शहर म आकर काम करने का मन बनाकर लेिखका के पास
आई I
• लेिखका के घर म वह लेिखका का सारा काम बड़ी खुशी से करती I लेिखका को उसने देहाती ही बना िदया था I
• भि न हर बात को शा के साथ जोड़कर वयं को सही िस करना जानती थी I
• वह घर म इधर-उधर रखे पैस को अपने पास रख लेती थी और पूछे जाने पर कहती थी िक घर म इधर-उधर पड़े पैस को
संभाल कर रखना चोरी नह होती I
• वह जेल से बहत डरती है िक तु लेिखका के साथ वह जेल जाने को भी तैयार है I उसका मानना है िक जहां मािलक हो वह
सेवक को भी होना चािहए I
• लेिखका ने उसक वामी-भि को देखकर उसक तुलना हनुमान से क I
3 अंक के ो र
1:भि न पाठ के आधार पर भि न का च र –िच ण क िजए।
उ र –‘भि न’ लेिखका क सेिवका है। लेिखका ने उसके जीवन-संघष का वणन िकया है। उसके च र क िन निलिखत िवशेषताएँ ह:
1. प र मी-भि न कमठ मिहला है। ससुराल म वह बहत मेहनत करती है। वह घर, खेत, पशुओ ं आिद का सारा काय अके ले
करती है। लेिखका के घर म भी वह उसके सारे कामकाज को पूरी कमठता से करती है। वह लेिखका के हर काय म सहायता करती है।
2. वािभमािननी-भि न बेहद वािभमािननी है। िपता क मृ यु पर िवमाता के कठोर यवहार से उसने मायके जाना छोड़ िदया।
पित क मृ यु के बाद उसने िकसी का प ा नह थामा तथा वयं मेहनत करके घर चलाया। जम दार ारा अपमािनत िकए जाने पर वह
गाँव छोड़कर शहर आ गई।
3. स ी सेिवका-भि न म स े सेवक के सभी गुण ह। लेिखका ने उसक वामी-भि देखकर उसे हनुमान जी से प ा करने
वाली बताया है। वह छाया क तरह लेिखका के साथ रहती है तथा उसका गुणगान करती है। वह उसके साथ जेल जाने के िलए भी
तैयार है।
2: भि न क पा रवा रक पृ भूिम पर अपने िवचार कट क िजए I
उ र –भि न झूसं ी गाँव के एक गोपालक क इकलौती संतान थी। इसक माता का देहांत हो गया था। फलत: भि न क देखभाल
िवमाता ने क । िपता का उस पर अगाध नेह था। पाँच वष क आयु म ही उसका िववाह हँिड़या गाँव के एक वाले के सबसे छोटे पु के
साथ कर िदया गया। नौ वष क आयु म उसका गौना हो गया। िवमाता उससे ई या रखती थी। उसने उसके िपता क बीमारी तथा मृ यु का
समाचार भी उसे समय पर नह भेजा।
3:भि न के ससुराल वाल का यवहार कै सा था ?
उ र –भि न के ससुराल वाल का यवहार उसके ित अ छा नह था। घर क मिहलाएँ चाहती थ िक भि न का पित उसक िपटाई
करे । वे उस पर रौब जमाना चाहती थ । इसके अित र , भि न ने तीन क याओं को ज म िदया, जबिक उसक सास व जेठािनय ने
लड़के पैदा िकए थे। इस कारण उसे सदैव तािड़त िकया जाता था। पित क मृ यु के बाद उ ह ने भि न पर पुनिववाह के िलए दबाव
डाला। उसक िवधवा लड़क के साथ ज़बरद ती क । अंत म, भि न को गाँव छोडना पडा।
4: भि न का जीवन सदैव दख
ु से भरा रहा। प क िजए ?
उ र –भि न का जीवन ारंभ से ही दख ु मय रहा। बचपन म ही माँ गुज़र गई। िवमाता से हमेशा भेदभावपूण यवहार िमला। िववाह के बाद
तीन लड़िकयाँ उ प करने के कारण उसे सास व जेठािनय का द ु यवहार सहना पड़ा। िकसी तरह प रवार से अलग होकर समृि पाई,
परंतु भा य ने उसके पित को छीन िलया। ससुराल वाल ने उसक संपि छीननी चाही, परंतु वह संघष करती रही। उसने बेिटय का िववाह
िकया तथा बड़े जमाई को घर-जमाई बनाया। शी ही उसक बेटी भी िवधवा हो गई। इस तरह उसका जीवन शु से अंत तक द:ु ख से
भरा रहा।
5:लछिमन के पैर के पंख गाँव क सीमा म आते ही य झड़ गए ?
उ र –लछिमन क सास का यवहार सदैव कटु रहा। जब उसने लछिमन को मायके यह कहकर भेजा िक “तुम बहत िदन से मायके नह
गई हो, जाओ देखकर आ जाओ” तो यह उसके िलए अ यािशत था। उसके पैर म पंख से लग गए थे। खुशी-खुशी जब वह मायके के
गाँव क सीमा म पहँची तो लोग ने फु सफु साना ारंभ कर िदया िक ‘हाय! बेचारी लछिमन अब आई है।” लोग क नज़र से सहानुभिू त
झलक रही थी। उसे इस बात का अहसास नह था िक उसके िपता क मृ यु हो चुक है या वे गंभीर बीमार थे। िवमाता ने उसके साथ
अ याय तो िकया ही था साथ ही उसके यवहार म िश ता नह थी। अत: उसक सारी खुशी समा हो गई।
6:लछिमन ससुराल वाल से अलग य हई ? इसका या प रणाम हआ ?
उ र –लछिमन मेहनती थी। तीन लड़िकय को ज म देने के कारण सास व जेठािनयाँ उसे सदैव तािड़त करती रहती थ । वह खुद और
उसक बेिटयाँ घर, खेत व पशुओ ं का सारा काम करती थ , परंतु उ ह खाने म भेदभावपूण यवहार का सामना करना पड़ता था। जेठािनय
के बेट को दधू -घी िमलता और भि न क बेिटय को चना-चबेना ही नसीब होता था I उनक दशा नौकर जैसी थी। अत: उसने
ससुराल वाल से अलग होकर रहने का फै सला िकया। अलग होते समय उसने अपने ान के कारण खेत, पशु घर आिद अ छी चीज़ ले
ल । प र म के बलबूते पर उसका घर समृ हो गया।
7:भि न व लेिखका के बीच कै सा संबधं था?
उ र –लेिखका व भि न के बीच बाहरी तौर पर सेवक- वामी का संबधं था, परंतु यवहार म यह लागू नह होता था। महादेवी उसक
कु छ आदत से परे शान थ , िजसक वजह से यदा-कदा उसे घर चले जाने को कह देती थ । इस आदेश को भि न हँसकर टाल देती थी।
दसू रे , वह नौकरानी कम, जीवन क धूप-छाँव अिधक थी। वह लेिखका क छाया बनकर घूमती थी। उसका अि त व घर म आने-जाने
वाले, अँधेरे-उजाले और आँगन म फू लने वाले गुलाब व आम क तरह था तथा वह हर सुख-दख ु म लेिखका के साथ रहती थी।
8:लेिखका के प रिचत के साथ भि न कै सा यवहार करती थी?
उ र –लेिखका के पास अनेक सािहि यक बंधु आते रहते थे, परंतु भि न के मन म उनके िलए कोई िवशेष स मान नह था। वह उनके
साथ वैसा ही यवहार करती थी जैसा लेिखका करती थी। उसके स मान क भाषा, लेिखका के ित उनके स मान क मा ा पर िनभर
होती थी और स ाव उनके ित लेिखका के स ाव से िनि त होता था। भि न उ ह आकार- कार व वेश-भूषा से मरण रखती थी या
िकसी को नाम के अप श
ं ारा।

9:भि न के आने से लेिखका अपनी असुिवधाएँ य िछपाने लग ?


उ र –भि न के आने से लेिखका के खान-पान म बहत प रवतन आ गए। उसे मीठे और घी आिद से िवरि थी I उसके वा य को
लेकर उसके प रवार वाले भी िचंितत रहते थे। घर वाल ने उसके िलए अलग खाने क यव था कर दी थी। भि न जो कु छ बनाती थी
उससे लेिखका को यिद कोई असुिवधा होती भी थी, तो वह उसे भि न को नह बताती थी। भि न ने उसे जीवन क सरलता का पाठ
पढ़ा िदया।
10:लछिमन को शहर य जाना पड़ा?
उ र –लछिमन के बड़े दामाद क मृ यु हो गई। उसके थान पर प रवार वाल ने िजठौत के साले को जबरद ती िवधवा लड़क का पित
बनवा िदया। पा रवा रक षे बढ़ने से खेती-बाड़ी चौपट हो गई। ि थित यहाँ तक आ गई िक लगान भी नह चुकाया गया। जब जम दार ने
लगान न पहँचाने पर भि न को िदनभर कड़ी धूप म खड़ा रखा तो उसके वािभमानी दय को गहरा आघात लगा। यह उसक कमठता के
िलए सबसे बड़ा कलंक बन गया। इस अपमान के कारण वह दसू रे ही िदन कमाई के िवचार से शहर आ गई।
11: भि न क बेटी पर पंचायत ारा पित थोपा गया था, इस घटना के िवरोध म दो तक दीिजए।
उ र –भि न क बेटी पर पंचायत ारा पित इसिलए थोपा गया य िक भि न क िवधवा बेटी के साथ उसके ताऊ के लड़के के साले ने
जबरद ती करने क कोिशश क थी। उसने भि न क बेटी के पास आकर उसके कमरे का दरवाज़ा बंद कर िलया I जब लड़क ने उसक
खूब िपटाई करके दरवाज़ा खोला तब आसपास के लोग ने लड़क के च र पर ही उंगली उठाई और लड़क के बार-बार मना करने के
बावजूद पंचायत ने एकतरफ़ा फ़ै सला सुना िदया िक अब इस लड़क और लड़के का िववाह कर िदया जाए I पंचायत के ऐसे फ़ै सले
समाज के सम गलत उदाहरण तुत करते ह य िक –
1. इससे मिहलाओं के मानवािधकार का हनन होता है।
2. यो य लड़क का िववाह अयो य लड़के के साथ हो जाता है।
3. पु ष क गलती क सज़ा िकसी ी को आजीवन नह दी जा सकती I
4. िववाह जैसे पिव बंधन म बंधने के िलए ज़ोर-ज़बरद ती नह क जानी चािहए I

12 :‘भि न’ अनेक अवगुण के होते हए भी महादेवी जी के िलए अनमोल य थी?


उ र –अनेक अवगुण के होते हए भी भि न महादेवी वमा के िलए इसिलए अनमोल थी य िक:
1. भि न म सेवाभाव कू ट-कू टकर भरा था।
2. भि न लेिखका के हर क को वयं झेल लेना चाहती थी।
3. वह लेिखका ारा पैस क कमी का िज करने पर अपने जीवन भर क कमाई उसे दे देना चाहती थी।
4. भि न क सेवा और भि म िन: वाथ भाव था। वह अनवरत और िदन-रात लेिखका क सेवा करना चाहती थी।
2 अंक के
1: भि न क शारी रक बनावट कै सी थी?
उ र:भि न का कद छोटा था। उसका शरीर दबु ला-पतला था। वह गरीब लगती थी। उसके ह ठ पतले थे एवं आँख छोटी थ । इन सारी
बात से पता चलता है िक उसक शारी रक बनावट कु ल िमलाकर 50 वष या ी क थी लेिकन वह बूढ़ी नह लगती थी।
2: महादेवी जी ने भि न के बारे म या िलखा है?
उ र: महादेवी वमा भि न के बारे म िलखती ह-सेवक धम म हनुमान जी से पधा करने वाली भि न िकसी अंजना क पु ी न होकर
एक अनामध या गोपािलका क क या है। नाम है-लछिमन अथात् ल मी। पर जैसे मेरे नाम क िवशालता मेरे िलए दवु ह है, वैसे ही
ल मी क समृिध भि के कपाल क कुं िचत रे खाओं म नह बँध सक ।
3: भि न क िकतनी संतान थ ? उनका जीवन कै सा था?
उ र:भि न ने तीन बेिटय को ज म िदया। इन तीन बेिटय के कारण भि न को जीवन भर द:ु ख उठाने पड़े। सास और जेठािनयाँ सभी
उसे तंग करती रहती। उनक बेिटय को हर व काम म लगाए रखत । कोई भी नह चाहता था िक भि न क बेिटयाँ खुश रह।
4: भि न को दभु ा यशाली य कहा गया है ?
उ र:भि न का पित उस समय मरा जब वह के वल 36 वष क थी। वह तीन बेिटय को ज म देकर चला गया। इस कारण भि न को
बहत क उठाने पड़े। भि न क बेटी िववाह के कु छ वष बाद िवधवा हो गई। उसके जेठ - जेठािनयाँ सभी उसक संपि हड़पने क
योजना बनाने लगे।
5: ‘भि न’ और ‘महादेवी’ के नाम म या िवरोधाभास था?
उ र:‘भि न’ का असली नाम ल मी था। वह अपना नाम िछपाती थी य िक उसे कभी समृ नह िमली। उसके भि भाव को देखकर
लेिखका ने उसे ‘भि न’ कहना शु कर िदया। लेिखका का अपना नाम महादेवी था। वह िकसी भी ि से वयं को िकसी देवी के
समक नह मानती थी। दोन के नाम से उनके गुण म कोई तारत य नह था।
6: ’भि न’ नाम िकसने और य िदया? पाठ के आधार पर उ र दीिजए।
उ र: भि न को यह नाम लेिखका ने िदया। भि न का असली नाम ल मी था। वह अपने नाम को िछपाना चाहती थी य िक उसका नाम
तो ल मी था पर उसके पास ल मी नह थी । लेिखका के पूछने पर उसने अपना नाम ल मी तो बताया ; साथ ही यह भी कह िदया िक
वह उसे इस नाम से न बुलाए I लेिखका ने उसके गले म कं ठीमाला, घुटी हई चाँद और उसक वेशभूषा देखकर उसका नामकरण भि न
कर िदया।
7.‘भि न वा पटुता म बहत आगे थी’, पाठ के आधार पर उदाहरण देकर पुि क िजए।
उ र: यह कथन सही है िक भि न वा पटुता म बहत आगे थी। उसके पास हर बात का सटीक उ र तैयार रहता था। लेिखका ने जब
उसको िसर घुटाने से रोका तो उसका उ र था – ‘तीरथ गए मुडं ाए िस ’ इसी तरह उसके बनाए खाने पर कटा करने पर उसने उ र िदया
– वह कु छ अनािड़न या फू हड़ नह । ससुर, िपितया ससुर, अिजया सास आिद ने उसक पाक कु शलता के िलए न जाने िकतने मौिखक
माणप दे डाले थे। वह िकसी भी बात को िस करने के िलए शा का सहारा लेती थी और बात को अपने िहसाब से मोड़ लेती थी I
8 :कारागार/जेल का नाम सुनते ही भि न क या िति या होती थी ?
उ र –भि न को कारागार से बहत डर लगता था। वह उसे यमलोक के समान समझती थी। कारागार क ऊँ ची दीवार को देखकर वह
चकरा जाती थी। जब उसे पता चला िक महादेवी जेल जा रही ह तो वह उनके साथ जेल जाने के िलए तैयार हो गई। वह महादेवी से
अलग रहने क क पना मा से परे शान हो उठती थी।
9:महादेवी ने भि न के जीवन को िकतने प र छे द म बाँटा?
उ र –महादेवी ने भि न के जीवन को चार प र छे द म बाँटा जो िन निलिखत ह –
थम – िववाह से पूव।
दिवतीय – ससुराल म सधवा के प म।
तृतीय – िवधवा के प म।
चतुथ – महादेवी क सेवा म।

बक
1:भि न पाठ के अधार पर भि न का च र –िच ण क िजए।
2: भि न क पा रवा रक पृ भूिम पर अपने िवचार कट क िजए I
3:भि न के ससुराल वाल का यवहार कै सा था ?
4: भि न का जीवन सदैव दख
ु से भरा रहा। प क िजए ।
5:लछिमन के पैर के पंख गाँव क सीमा म आते ही य झड़ गए ?
6:लछिमन ससुराल वाल से अलग य हई ? इसका या प रणाम हआ ?
7:भि न व लेिखका के बीच कै सा संबधं था?
8:लेिखका के प रिचत के साथ भि न कै सा यवहार करती थी?
9:भि न के आने से लेिखका अपनी असुिवधाएँ य िछपाने लग ?
10:लछिमन को शहर य जाना पड़ा?
बाजार दशन - जैने कु मार
(पाठ के मु य िबंद ु )
बाज़ार कब अि त व म आया कहना किठन है, मगर आज बाज़ार समाज के आव यक अंग है| ेमचंद के बाद िहंदी कहानी लेखन के
े म सव े कहानीकार माने जाने वाले लेखक जैन ने यह रचना कई दशक पहले िलखी थी, पर यह आज भी पूरी तरह ासंिगक है |
इस लेख के मा यम से बाजार के ित लोग क मानिसकता और मूल अंतव तु को समझने का अवसर िमलता है | िहंदी म उपभो ा
बाज़ार पर यापक चचा िपछले डेढ़ दशक पहले से ही शु हई।
लेखक अपने प रिचत िम से जुड़े अनुभव बताते हए प करते ह िक बाज़ार क जादईु ताकत कै से हम गुलाम बना लेती है ?अगर हम
अपनी आव यकताओं को ठीक-ठीक समझकर बाज़ार का उपयोग कर तो उसका लाभ उठा सकते ह | लेिकन अगर हम ज़ रत को
देखकर बाज़ार म जाने के बजाय उसी चमक-दमक म फं स गए , तब वह असंतोष ,तृ णा और ई या घायल कर हम सदा के िलए बेकार
बना सकती है|
बाजार के ित लोग के ि कोण को लेखक जैन ने आ या म और जीवनशैली से जोड़कर तुत िकया है | कु छ लोग बाज़ार को इस
तरह अपनाते ह िक वह असंतोष, तृ णा और ई या का मा यम बनकर उ ह घायल करने का साधनमा बन जाते ह। इसी मूल भाव को
लेखक जैन ने भली-भांित समझाने का य न िकया है| कह - कह वे एक दाशिनक क भांित समझाते ह ,तो कह कोई िक सा या
समाज के िकसी साधारण से च र का उदाहरण देकर |
आज के बाज़ार म का पोषण करने वाले अथशा को लेखक ने अनीित शा बताया है और अनाव यक प से सामान खरीद कर
वयं को धनवान सािबत करने वाल को भी यह समझाने का य न िकया गया है िक यह सब माया जाल वभाव म िवकार उ प करने
वाला है | अपनी परचेिज़ंग पावर का तबा िदखाना ठीक नह है , इससे शैतानी शि जागृत होती है |
लेखक के अनुसार बाजार को साथकता वही यि दे पाता है ,िजसे यह पता है िक उसे कब, या और िकस उ े य से खरीदना है
|अनाव यक व तुएं खरीदने वाला परचेिज़ंग पावर को बढ़ाता है और यह बाजार को एक शैतानी शि और यं य शि भी देता है|
लेखक अपने दो िम के उदाहरण ारा यह बात प करते ह िक अथशा के वल बाजार का पोषण करता है वह अनीितशा है |वह
उपभो ाओं को दख ु ,गरीबी तथा ई या देता है| लेखक का मानना है िक जो लोग िसफ बाजार का पोषण करते ह उनक
आव यकताओं का आदान- दान सही प से नह होता है इससे बाजार म शोषण और कपट को बढ़ावा िमलता है।
लघुउ रीय ( येक 2 अंक )
1)-बाज़ा पन से या ता पय है ? िकस कार के यि बाज़ार को साथकता दान करते ह ?
उ र1 ) बाजा पन से ता पय है ज रत कम और िदखावा यादा होना | इससे बाजार म कपट बढ़ता है ,लोग म अपनापन नह रहता
फल व प आपस म उिचत यवहार म कमी आ जाती है । ाहक और िव े ता के संबधं िसफ यावसाियक होते ह ,और इस तरह से एक
को हािन पहंचा कर दसू रा अपना लाभ उसम देखता है । वही यि बाजार को साथकता दे सकते ह , जो अपनी आव यकताओं को
ठीक- ठीक समझते ह और बाजार का सही उपयोग करते ह ।यिद हम बाजार क चमक -दमक म फं स कर रह गए तो वह हमे असंतोष
,तृ णा , घृणा एवं ई या से घायल कर बेकार बना डालता है।
2 ) "जहाँ तृ णा, है बटोर रखने क पृहा है वहां उस बल का बीज नह है ।"यहां लेखक ने िकस बल क चचा क है ?
उ र2 ) लेखक ने संतोषी वभाव के यि के आ मबल क चचा क है। दसू रे श द म कहा जाए िक मन म संतोष है तो यि िदखावे
और ई या से दरू रहता है।उसमे संचय करने क वृि देखने को नह िमलती।
3 ) लेखक ने बाजार का जाद ू िकसे कहा है ? इसका या भाव पड़ता है?
उ र 3 )बाजार क चमक- दमक के चुबं क य आकषण को बाजार का जाद ू कहा गया है । यह जाद ू आंख क राह काय करता है ।
बाजार के इसी आकषण के कारण ाहक सजी-धजी चीज को आव यकता न होने पर भी खरीदने को िववश हो जाता है।
4 ) िकस कार के लोग बाजार को साथकता देते ह?
उ र :बाजार को साथकता वही यि देते ह जो अपनी आव यकता को जानते ह। वे बाजार क चीज खरीदने ह जो बाजार का दािय व
है । ऐसे यि बाजार के जाद ू म नह फं सते
5 ): परचेिज़ंग पॉवर का या ता पय है ?
उ र परचेिजग पॉवर का ता पय है खरीदने क शि | यह लोग बाजार को िवनाशक शि दान करते ह। वह िनरथक ित पधा को
बढ़ाते ह। ऐसे यि बाजार क जादईु आकषण से बच नह पाते।
6 ) बाज़ारवाद पर पर स ाव म कमी कै से लाता है?
उ र :बाजारवाद पर पर स ाव म उस समय कमी लाता है जब यापार म कपट आ जाता है। कपट मनु य के अंतगत तब उ प होता है
जब िदखावे के िलए िनरथक व तुएं खरीदी जाती है। और एक क हािन म दसू रे को अपना लाभ िदखाई देता है।
7):चाह का मतलब अभाव य कहा गया है?
उ र :चाह मायने इ छा ,जो बाजार के मूक आमं ण से हम अपनी ओर आकिषत करती है, तब हम या लगने लगता है िक हमारे पास
इस चीज का अभाव है। यि सोचता है यहां िकतना अतुिलत है और मेरे यहां िकतना प रिमत | वा तव मे चाह का उ प होना ही
इस बात को प करता है िक हमारे पास अभाव है।
8 ) संयमी लोग िकसे कहा जाता है ?
उ र : जो लोग अपने मन पर संयम रखते ह और बाजार के मोह जाल म नह फं सते । वे के वल उ ह व तुओ ं को खरीदते ह जो
वा तिवक प से आव यक है । ऐसे लोग िफजूल खच नह करते।
दीघउ रीय ( येक 3 अंक )
1 ) भगतजी बाजार और समाज को िकस कार साथकता दान कर रहे ह ?
उ र 1 ) भगतजी के मन म सांसा रक आकषण के िलए कोई तृ णा नह है। वे संचय, लालच और िदखावे से दरू रहते ह ।बाजार और
यापार उनके िलए आव यकताओं क पूित का एकमा साधन है भगत जी के मन का संतोष और िन पृह भाव उनके े उपभो ा और
िव े ता होने के वभाव को दशाता है।
िन निलिखत िबंद ु उनके यि व के सश पहलू को उजागर करते ह
1) पंसारी क दकु ान से के वल जीरा और नमक खरीदना
2)िनि त समय पर चूरन बेचने के िलए िनकलना।
3) छह आने क कमाई होते ही चूरन बेचना बंद कर देना
4)बचे हए चूरन को ब को मु त बांट देना।
5) सभी का जय - जय राम कहकर वागत करना।
6)बाजार क चमक-दमक से आकिषत ना होना।
7) समाज को संतोषी जीवन क िश ा देना।
2 )िन निलिखत के आशय प कर -
मन खाली होना ,मन भरा होना, मन बंद होना
उ र 2 ) मन खाली होना - मन म कोई िनि त व तु खरीदने का ल य ना होना िन े य बाजार जाना और यथ क चीज को खरीद
कर लाना।
मन भरा होना,- मन ल य से भरा होना। िजसका मन भरा हो वही भली- भांित जानता है िक उसे बाजार से कौन सी व तु खरीदनी है,
वह अपनी आव यकता क चीज खरीद कर बाजार को साथकता दान करता है।
मन बंद होना- मन म िकसी भी कार क इ छा को ना आने देना, मन को बलपूवक बंद करना अथात अपनी इ छाओं को दबा देना ।
3 ) बाजार को जाद ू य कहा गया है? इसक या मयादा है?
उ र 3 ) िजस कार जाद ू हमको अपने िनयं ण म कर लेता है उसी कार बाजार के प का भी जाद ू हमारे ऊपर अपना िनयं ण जमा
ही लेता है। जैसे लोहे पर चुबं क का जाद ू चलता है ,वैसे ही खरीददार पर बाजार का जाद ू चलता है मगर इस जाद ू क भी कु छ मयादा है
।यह उ ह लोग पर असर करता है िजनका मन खाली हो और जेब भरी हो । िजस कार चुबं क िकसी अ य धातु पर अपना जाद ू नह
िदखाता उसी कार बाजार भी असंतु धिनक वग को ही अपने वश म कर पाता है ,यही इसक मयादा है।
4) ी क आड़ म िकस सच को छु पाया जाता है?
उ र : ी क आड़ म यह सच छु पाया जाता है िक महाशय के पास भरा हआ मनीबैग है अतः पैसे क गम वाभािवक है । पैसे क
यही गम िजससे वे अपनी एनज सािबत करने के िलए ी को अनाप-शनाप खरीदने देते ह ।
5) िकस हठ को अकारथ कहा गया है?
उ र :आंख फोड़कर लोभनीय के दशन से बचना एक कार का अकारथ उपाय है ।इसम के वल हठ है इसिलए ऐसी दशा अकारथ है
।साथकता तो तब है जब सुख के साधन सामने हो, पर हम उनक उपे ा कर सक ।
6) पैसे क यं य शि को िकस उदाहरण से प िकया गया है ?
उ र :पैसे क यं य शि को प करते हए लेखक िलखते ह िक म पैदल चल रहा हं ।मेरे पास से धूल उड़ाती एक मोटर गुजरती है,
मुझे लगता है कोई मुझे आंख म उंगली देकर िदखा रहा है, देखो उसके पास वह मोटर है और तुम उससे वंिचत हो। ऐसा भाव मन म
आते ही हम वयं क िक मत और मां-बाप को कोसने लग जाते ह। कृ त नता का भाव उ प हो जाता है |
7 ) :भूमडं लीकरण के इस दौर म भगत जी जैसे लोग या ेरणा देते ह ?
उ र: भूमडं लीकरण के इस दौर म भगत जी जैसे लोग समाज को ेरणा देते ह िक बाजार के जाद ू से हम भािवत नह रहना चािहए। यथ
क ित पधा म पड़कर अनाव यक व तुओ ं क खरीददारी नह करना चािहए। हम िसफ वही चीज खरीदनी चािहए जो वा तव म हमारी
ज रत है और जब हम ऐसा करते ह तो वा तव म हम बाजार को साथकता दान करते ह।
भंडार
1 ) भगत जी जैसे अपदाथ ाणी को ऐसी या चीज ा है जो हमारे पास नह है!
2 ) मन को य बंद नह रखना चािहए?
3 ) बाजार के बाजा पन म परचेिजंग पावर क भूिमका को प क िजए ।
4) बाजार क जादईु ताकत कै से यि को अपना गुलाम बना लेती है ?
5 ) मन को बंद य नह रहना चािहए?
6) लेखक ने एनज और परचेिजंग पावर को िकस कार प िकया है?
7 ) बाजार का जाद ू चढ़ने और उतरने का या आशय है ? उसका मनु य पर या भाव पड़ता है?

काले मेघा पानी दे- धमवीर भारती


1 लोग ने लड़क क टोली को मढक-मंडली नाम िकस आधार पर िदया ? यह टोली अपने आपको इं सेना कहकर य बुलाती
थी?
उ र: बा रश न होने से सूखते गांव म ािह- ािह करते लोग और पशु-पि य क पुकार को सुन कर बादल से पानी मांगने िनकल
पड़ती है ब क मंडली जो वयं को वषा के देवता ‘इ ’ क सेना मानकर ‘इंदर सेना के नाम से िनकलती है | ब का मानना था िक
वे इं क सेना के सैिनक थे और वे इ देवता से पानी माँगते है । इसिलए उ ह लगता था िक इं सारा पानी उ ह दगे।
यह िकशोराव था के ब क मंडली मिहलाओं ारा फके गए पानी के क चड़ म सारा शरीर लपेट लेती है | इनके इसी प को देख कर
कु छ लोग ने इ ह ‘मेढक-मंडली’ का नाम दे िदया है |
2 “पानी दे, गुड़धानी दे”- मेघ से पानी के साथ-साथ गुड़धानी क माँग य क जा रही है ?
उ र: गुड़धानी एक खा पदाथ है , िजसको गुड़ और अनाज के िम ण से बनाया जाता है। गली के ब बादल से पानी के साथ-साथ
गुड़धानी भी माँगते ह। यहाँ ‘गुड़धानी’ का मतलब ग ा और अनाज है। पानी यास बुझाता है व अ छी बा रश से ईख और धान पैदा
होता है। गाँव क अथ यव था कृ िष पर आधा रत होती है, जो वषा पर िनभर है। जब अ छी बा रश होगी , तभी अ छी फ़सल होगी और
िफर लोग झूमगे इसिलए ब पानी के साथ साथ गुड़धानी भी माँग रहे है।
3 याग तो वह होता...... उसी का फल िमलता है। अपने जीवन के िकसी संग से इस सूि क साथकता समझाइए।
उ र: याग का भाव सव प र होता है। याग कहता है िक दसू र क भलाई के िलए अपना वाथ छोड़कर िकसी और क मदद करो। याग
से बढ़कर कोई सुख नह , कोरोना काल म हमने ऐसे कई दंपितय को देखा और सुना िज ह ने अपनी गाढ़ी मेहनत क कमाई को
ज रतमंद के पेट क आग बुझाने म वाहा कर िदया और अपने भिव य के बारे म एक बार भी नह सोचा | कई ऐसे लोग थे जो लोग
के आने जाने क यव था म लगे रहे और राह चलते लोग को उनके गंत य तक पहँचने म उनक भरपूर सहायता क |
4 ' गगरी फू टी बैल िपयासा' इंदर सेना के इस खेलगीत म बैल के यासा रहने क बात य मुख रत हई है?
उ र: ‘गगरी फू टी बैल िपयासा’ इं सेना के खेलगीत म ख़ासकर इस पंि म बैल को मुखता दी गयी है। बैल हमारी कृ िष सं कृ ित का
मुख िह सा है। बैल भारतीय कृ िष णाली और सं कृ ित क रीढ़ ह। बैल खेत क जुताई कर के उपज को फलदायी बनाता है। यिद वे
यासे रहगे तो कृ िष नह हो सकती।
5 जीजी ने इं सेना पर पानी फके जाने को िकस तरह सही ठहराया ?
उ र: जीजी ने इं सेना पर पानी फके जाने के िन निलिखत तक िदए -
(क) जीजी ने कहा िक कु छ पाने के िलए पहले कु छ चढ़ावा देना पड़ता है। उ ह ने कहा इं देव को पानी का अ य चढ़ाने से जब वे स
ह गे तभी वे वषा के मा यम से पानी दगे।
(ख) के वल उसी दान का फल ा होता है जो याग भावना से िदया गया हो। िजस व तु क सबसे यादा आव यकता होती है उसी को
दान म देने से फल क ाि होती है।
(ग) िजस कार िकसान फ़सल उगाने के िलए धरती म सबसे अ छे बीज का दान देकर बुआई करता है उसी कार पानी वाले बादल से
पानी पाने के िलए इं सेना पर पानी डालकर पानी क बुआई क जाती है।
6 इं सेना सबसे पहले गंगा मैया क जय य बोलती है? निदय का भारतीय सामािजक, सां कृ ितक प रवेश म या मह व है?
उ र: भारतीय समाज म गंगा को माँ क तरह पूजा जाता है। भारत के इितहास म गंगा का धािमक, पौरािणक और सां कृ ितक मह व है।
गंगा के अंदर पानी नह अमृत जल बहता है और गंगा ने तो न जाने िकतनी स यताओं और सं कृ ितयो को अपने आगे िगरते और उभरते
देखा है। सभी जल म गंगा के जल को सपसे पिव व सव तम माना जाता है। इसीिलए इं सेना सबसे पहले गंगा मैया क जय बोलती है।

पाठ का नाम : काले मेघा पानी दे


बक
1 ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ का प रचय दीिजए ।
उ र 1 ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ के लेखक ी धमवीर भारती जी ह | यह पाठ सं मरण िवधा क रचना है िजसम लेखक ने लोक
चिलत िव ास एवं िव ान के का सु दर प उके रा है और अंध-िव ास को उखाड़ फकने का यास िकया है |
2ब क मंडली को या नाम िदए गए ह और य ?
उ र 2 बा रश न होने से सूखते गांव म ािह- ािह करते लोग और पशु-पि य क पुकार को सुन कर बादल से पानी मांगने िनकाल
पड़ती है ब क मंडली जो वयं को वषा के देवता ‘इ ’ क सेना मानकर ‘इंदर सेना के नाम से िनकलती है |यह िकशोराव था के
ब क मंडली मिहलाओं ारा फके गए पानी के क चड़ म सारा शरीर लपेट लेती है | इनके इसी प को देख कर कु छ लोग ने इ ह
‘मेढक-मंडली’ का नाम दे िदया है |
3 इंदर सेना िकसक जय बोलते हए पानी मांगा करती थी ?
उ र 3 जेठ-आषाढ़ के महीन म जब सव पानी क कमी होजाती थी ,वषा कराने के सभी उपाय यथ हो जाते थे तब अंितम उपाय के
प म इंदर-सेना पानी मांगने िनकलती थी | दस-बारह बरस से सोलह-अठारह बरस के बालक क नंग-धडंग इंदर सेना गंगा मैया क
जय बोलती थी |
4ब के हाथ, पैर, बदन और मुख सब िकस कारण िम ी म िलपट जाते ह ?
उ र 4 मिहलाएं पानी बरसने क आस म बड़ी किठनता से सहेज कर रखा गया पानी इंदर सेना पर डाल देती ह | इस क चड़ म ब के
हाथ,पैर,बदन और मुख सब िम ी म िलपट जाते ह |
5 कु मार–सुधार सभा या काम करती थी ?
उ र 5 कु मार–सुधार सभा समाज म या अंधिव ास के िखलाफ संघष करने वाली सभा थी और लेखक इस सभा ‘कु मार-सभा म
उपमं ी पद पर था | यही कारण था िक लेखक क अंधिव ास के िखलाफ जंग जारी रहती थी |
6 जीजी का लेखक से या संबधं था ?
उ र 6 लेखक का जीजी से र ते म कोई संबधं नह था | जीजी सरल वभाव क , रीित रवाज म िव ास करने वाली सरल मिहला थ |
लेखक अपनी माँ से भी उ म बड़ी जीजी का आदर करता था, और जीजी भी लेखक से पु वत ेम करने वाली मिहला थ |
7 लेखक ने जीजी क िकस बात को मानने से साफ इंकार कर िदया और य ?
उ र 7 लेखक जीजी का बड़ा आदर करता था लेिकन इस बार उसका तकशील मन भीषण सूखे म मा एक परंपरा के िनवहन के िलए
पानी क िनमम बबादी को वीकार नह कर पाता | यही कारण है िक उसने इस बार मेढकमंडली पर पानी फकने से साफ इनकार कर िदया
था |
8 मेढक-मंडली पर पानी फकने को जीजी ने िकस कार सही ठहराया ?
उ र 8 जब जीजी बा टी भरकर लाई तो उनके बूढ़े पाँव डगमगा रहे थे और उनके हाथ काँप रहे थे जीजी ने लेखक को समझाया िक
मढक-मंडली पर पानी फकने का अथ है –“अ य देना” मढक-मंडली पर पानी फकने से पानी क बुवाई होगी और गाँव, शहर, और
क बे पर बादल क फसल आ जाएगी |
9 पाठ म ‘बुवाई’ िकसे कहा गया है ?
उ र 9 खेत क जमीन को तैयार कर, अपने पास से अ छे बीज को इन या रय म बोना ही ‘बुवाई’ है | जीजी ने समझाया िक कु छ
पाने के िलए पहले देने क वृित होनी ज री है | इन कमकांड को य िप अंधिव ास का नाम िदया जाता है िक तु ये आम जन के सहज
मन क समाज क याणकारी वृित से उपजते ह और इसी कार पीढ़ी-दर-पीढ़ी पर पराओं के प म इनका िनवहन िकया जाता है|

10 पाठ म याग क मह ा के िवषय म या बताया गया है ?


उ र 10 ऋिष-मुिनय ने याग क मह ा को सव प र बताया है | हर आदमी का आचरण है ‘दान देना’ | याग भी उस व तु का,
िजसक हम भी अतीव आव यकता हो | ऐसा याग जनक याणकारी होता है |
11 हमारे देश म ाचार क ि थित कै सी है ?
उ र 11 लोग म कत यबोध का अभाव होने क बात लेखक के मन को कचोटती ह | लेखक के अनुसार इस समय हमारे देश म मांग
बड़ी ह पर याग क भावना नह है | ाचार क बात करने वाले वयं ह | वाथ ही एकमा ल य रह गया है |
12 ‘गगरी फू टी क फू टी रह जाती है’ से या अिभ ाय है ?
उ र 12 क याणकारी योजनाओं का लाभ आम जनता को नह िमल पाता , ज रतमंद तक सरकारी सहायता नह पहँच पाती | लेखक
आहत है िक लोग म लोग म याग क भावना समा हो चली है और देश म सव वाथ और ाचार का बोलबाला है |

पाठ का नाम : काले मेघा पानी दे


मा टर काड

“काले मेघा पानी दे” पाठ के लेखक ी धमवीर भारती है |


यह पाठ सं मरण िवधा म िलखा गया है |
ी धमवीर भारती जी का ज म 1926 म इलाहाबाद म एवं मृ यु 1997 म हई |
ी धमवीर भारती जी को भारत सरकार ारा प ी स मान से स मािनत िकया गया |
काले मेघा पानी दे पाठ म ब े अनावृि से बचने के िलए मेघ से गुहार लगा रहे ह |
ब क यह टोली मढक-मंडली या इंदर-सेना के नाम से जानी जाती है |
ब क यह टोली “गंगा मैया क जय” के नारे के साथ गिलय म पानी मांगने िनकलती है |
घर क ि याँ और मिहलाएं य न से सँजोये पानी म से बा टी भर पानी इस इंदर सेना पर डालती है |
ब पर पानी फकने को पानी क बुवाई माना जाता है ,िजससे बदले म पानी क फसल ा होगी |
ब े गीत गाते िनकलते ह-
काले मेघा पानी दे,पानी दे गुड़धानी दे,
गगरी फू टी िबल िपयासा ,पानी दे गुड़धानी दे,
यह इंदर सेना तब िनकलती थी जब बा रश का कह नामोिनशान नह होता था ,पूजा-पाठ आिद सब िवफल हो जाती थी ,
पशु-प ी पानी क कमी से मरने लगते थे |
घर म किठनाई से जमा िकए गए पानी को इंदर सेना पर फकना लेखक को अंध-िव ासपूण और पानी क बबादी मालूम होता था |
लेखक वयं आयसमाजी था और अंध-िव ास के िखलाफ संघष करने वाली कु मार सभा का उप-मं ी भी | उसका मानना था िक
इ ह पाखंड क वजह से हम अं ेज से िपछड़ गए |
लेखक क जीजी उसक माँ से भी उ म बड़ी और लेखक को पु वत नेह करने वाली मिहला थ |
वे पुराने रीित- रवाज का पालन करने वाली सहज वभाव क मिहला थ |
सभी पु य लेखक को िमल सके , इसिलए वे पूजा-आयोजन , त-अनु ान को लेखक से पूरा करवाती थी |
लेखक ने इंदर सेना पर पानी फकने से साफ इनकार कर िदया |
जीजी ने समझाया िक इंदर सेना पर पानी फकना,पानी क बबादी नह ,बि क पानी का अ य देना है |
ऋिषय ने दान को सव म बताया है | दान देने से ही इि छत व तु ा होती है | याग वह है जो अपनी ज रत क चीज को
जनक याण के िलए दे दे |
जैसे तीस-चालीस मन अ छा गेहँ पाने के िलए िकसान तीन-चार मन अ छा गेहँ खेत म बोता है,उसी तरह वषा पाने के िलए पानी
क बुवाई क जाती है |
यह आदमी का आचरण है िजससे सबका आचरण बनता है –यथा राजा तथा जा
लेखक सोचता है िक आज हम देश के िलए या करते ह ? मांग बड़ी-बड़ी ह िक तु कत य–बोध कह नह |
वाथ-पूित ही एकमा ल य है और सव ाचार का बोलबाला है |
सरकारी योजनाएं बनती ह, िक तु ज रतमंद तक पहँच ही नह पाती | यही कारण है िक काले मेघ तो उमड़ते ह, वषा भी होती है
लेिकन गगरी फू टी क फू टी और बैल यासे ही रह जाते ह |

पहलवान क ढोलक – फणी र नाथ रेणु


मु य िबंद ु (मा टर काड)

“पहलवान क ढोलक “ फणी र नाथ रे णु क ितिनिध कहािनय म से एक है , िजसम लेखक क सम त िवशेषताएं एक साथ
अिभ य होती ह | इस लेख म गांव ,अंचल सं कृ ित सभी सजीव हो उठे ह | प रवेश का इतना स ा िच ण अ यंत दलु भ है| यह
कहानी लोक कला और लोक कलाकार के अ ासंिगक हो जाने क कहानी है| कहानी पढ़कर पाठक समझ पाता है िक लोक कलाकार
का अ ासंिगक हो जाना उनके िलए िकतनी बड़ी सम या है।
तुत कहानी एक अनाथ बालक के पहलवान बनने और अपने ही पु षाथ के बल पर वयं क स ा को थािपत करने क कहानी है |
एक मामूली पहलवान राजसी पहलवान बनकर राजपूत के समक बैठता है उसका जीवन िकसी राजा से कम न था । उसके दो बेटे थे
िज ह वह अपनी जीवन शैली पर चला रहा था जीवनसंिगनी भी वग िसधार गई थी और अ य कोई आ मीय भी न था| एक था जो जीवन
भर साथ रहा ,वह था - ढोल , िजसने सदा पहलवान का उ साह वधन िकया |राजा क मृ यु के बाद उसके बेटे ने कु ती के अखाड़े
उखड़वा िदए | उसक जगह रे स के मैदान ने ले ली | पहलवान को उसके बेट के साथ राज - दरबार छोड़ना पड़ा | ऐसे म अपना ढोल
और दोन बेट को लेकर गाँव चल आया प रि थितयाँ बदल ,बीमा रयाँ फै ली ,उसके दोन बेट क मृ यु हो गई | पर ढोल अंत समय
तक पहलवान के साथ रहा | उसक थाप गाँव भर मे उ साह और जोश का संचार करती रही|
दीघ उ रीय ( येक 3 अंक )
1 ) लु न पहलवान ने ऐसा य कहा होगा िक मेरा कोई गु नह , यही ढोल है?
उ र 1 ) िजस िदन लु न पहलवान ने पहली बार शेर के ब े नामक नामी पहलवान को हराया था , उसी िदन से सभी लोग ने उसके
प म बोलना ारंभ कर िदया था | लु न को संबल एकमा ढोल क थाप से िमल रहा था, उसी के सहारे उसने उस िदन मैदान म जीत
हािसल क थी | ढोल क हर थाप उसका मागदशन करती तीत हो रही थी | इस आधार पर वह दाँव लगाता रहा और िवजयी हआ
और िवजय ाि के बाद उसने दौड़कर सबसे पहले ढोल को णाम िकया था | उसी िदन से ढोल उसका मागदशक साथी बन गया था,
इसी के बल पर वह सारी कु ि तयाँ जीतता और उसे अपना गु मानता था|
2 ) पहलवान क ढोलक कहानी के िकस - िकस मोड़ पर लु न के जीवन म या- या प रवतन आए?
उ र 2 ) ' पहलवान क ढोलक ' कहानी लु न के इद-िगद घूमती है | सबसे पहले बचपन म उनके माता - िपता क मृ यु हो गई ,
सास ने उनका पालन पोषण िकया | शेर के ब े नामक पहलवान चाँद िसंह से कु ती जीतने के बाद राज दरबार म राज पहलवान पद पर
घोिषत िकया गया | िजंदगी आराम से कटती रही| दो बेटे हए ,लेिकन अ पायु म ही प नी वग िसधार गई| उसने अपने बेट को भी
अपने जैसा पहलवान बनाया| जीवन के 15 वष राजा क छ छाया म सुखपूवक भोगते हए िबताएं | दभु ा य से राजा का िनधन हो गया,
उनके पु ने उन पर होने वाले खच को िफ़जूलखच माना और अखाड़े बंद करा िदए| राज पहलवान क ख़ुराक पर उसे खच यादा लगा।
महामारी क चपेट मे आने पर उसके दोन बेट क मृ यु हो गई |चार-पांच िदन बाद उसने भी अपने ढोल के साथ इस संसार से िवदा ले
ली |
:3 ) पहलवान क ढोलक क आवाज़ का पूरे गांव पर या असर होता था?
उ र:3 ) पहलवान क ढोलक क आवाज़ गांव भर के लोग को , जो भयंकर क और पीड़ा झेल रहे थे, ललकारती और चुनौती देती
थी। सं या समय से ातः काल तक ढोल पर बजते - " चट , िगड धा 'यािन आ जा िभड़ जा , उठा पटक दे - के वर सूनी परे शान
रात म स ाटे को चीरते रहते। ये वर मृत ाय गाँव के िलए संजीवनी शि का संचार करते थे।
लघु उ रीय ( येक 2 अंक )
1) पहलवान क ढोलक के आधार पर लु न िसंह को उसक पहलवानी के िलए कहां तक जाना जाता था ?
उ र 1) लु न िसंह पहलवान ने पंजाब के पहलवान चांद िसंह को हराकर राजा के यहां अपना थान सुिनि त कर िलया था । पहलवान
चांद िसंह "शेर के ब े" के नाम से िस था। अतः वह कहता था िक उसे ऑल ऑल इंिडया के लोग जानते ह ,परंतु वा तव म उसके
िजले क सीमा के अित र उसका ऑल इंिडया और कह नह था।
2 ) कु ती या दंगल पहले लोग और राजाओं का ि य शौक हआ करता था पहलवान को राजा लोग के ारा िवशेष स मान िदया
जाता था -ऐसी ि थित अब य नही है?
उ र 2 ) पहले कु ती या दंगल राजाओं के ि य शौक हआ करते थे । राजा लोक कलाकार को स मान देते थे और वही मनोरंजन के
साधन भी हआ करते थे ,परंतु आज ि थित बदल गई है। मनोरंजन के अ य अनेक साधन चिलत हो गए ह |
3 ) :महामारी से त गांव क राि क िवभीिषका का वणन क िजए ।
उ र : गाँव म गरीबी थी। मले रया और हैजे से लोग मौत के मुहं म जा रहे थे। रोज दो - तीन लाश उठती थ ।रात को स ाटा रहता था
,िजसे िसयारो और उ ओ क आवाज और भी भयानक बना देती थी । बीमार लोग के कराहने, उ टी करने और ब के कमजोर
कं ठ से िनकली मां क क ण पुकार राि क िवभीिषका को और बढ़ा देती थ ।
बक
1. गाँव म कौन-सी बीमारी फै ली थी और वातावरण कै सा था ?
उ र : गाँव म मले रया और हैजा फै ला था I वातावरण म बहत द:ु ख और िवषाद छाया हआ था I हर घर म उदासी थी, दद भरी
कराहना थी I ितिदन गाँव के िकसी-न-िकसी घर से िकसी सद य क मृ यु होती थी I माताओं का अपनी संतान के द:ु ख देख
दय-िवदारक ं दन भयावह था I
2. लोग म संजीवनी शि भरने का काम कौन करता था ?
उ र : ढोलक क आवाज़ से रात क िवभीिषका और स ाटा कम होता था । महामारी से पीिड़त लोग क नस म िबजली - सी दौड़
जाती थी, उनक आँख के सामने दंगल का य साकार हो जाता था और वे अपनी पीड़ा भूल खुशी-खुशी मौत को गले लगा लेते थे।
इस कार ढोल क आवाज, मृत ाय गाँववाल क नस म संजीवनी शि को भर बीमारी से लड़ने क ेरणा देती थी।
3. पहलवान लु न िसंह के जीवन म िकस-िकस मोड़ पर या- या प रवतन आए ?
उ र : पहलवान लु न िसंह का कोई गु नह था I बचपन म माता-िपता क मृ यु के बाद उसका पालन-पोषण उसक सास ने िकया I
िवधवा सास को गाँव वाले तकलीफ देते थे I गाँववाल से बदला लेने के िलए उसने कसरत शु क I कसरत से उसने वयं को
बिल बनाया और यामनगर के मेले म चाँद िसंह को ललकारा और उसे हराकर लु न ने राज पहलवान क उपािध ा क I लगभग
पं ह वष तक राज पहलवान क उपािध पर रहने के बाद यामनगर के नए राजा जी ारा राजभवन से िनकाले जाने के बाद वह गाँव म
लौट आया I गाँव म महामारी के कारण उसके दोन पहलवान पु काल के ास बन गए I
4. लु न िसंह िकतने वष का था जब उसके माता-िपता क मृ यु हई ? लु न का पालन-पोषण िकसने िकया ?
उ र : लु न नौ वष का था जब उसके माता-िपता क मृ यु हई I लु न का बाल-िववाह हआ था I माता-िपता क अनुपि थित म
लु न क सास ने उसका पालन - पोषण िकया I

5. लु न पहलवान ने ऐसा य कहा होगा िक मेरा गु कोई पहलवान नह , यही ढोल है?
उ र:- लु न ने कु ती के दाँव-पच िकसी गु से नह बि क ढोल क आवाज से सीखे थे। ढोल से िनकली हई विनयाँ उसे दाँव-पच
िसखाती हई और आदेश देती हई तीत होती थी। जब ढोल पर थाप पड़ती थी तो पहलवान क नस उ ेिजत हो जाती थी वह लड़ने के
िलए मचलने लगता था। इसिलए लु न पहलवान ने ऐसा कहा होगा िक मेरा गु कोई पहलवान नह , यही ढोल है।

6. गाँव म महामारी फै लने और अपने बेट के देहांत के बावजूद लु न पहलवान ढोल य बजाता रहा?
उ र:- गाँव म महामारी और सूखे के कारण िनराशाजनक माहौल तथा मृ यु का स ाटा छाया हआ था। इसी कार का स ाटा पहलवान
के मन म अपने बेट क मृ यु के कारण छाया था। ऐसे दःु ख के समय म पहलवान क ढोलक िनराश गाँव वाल के मन म उमंग जगाती
थी। ढोलक जैसे उ ह महामारी से लड़ने क ेरणा देती थी। इसिलए शायद गाँव म महामारी फै लने और अपने बेट के देहांत के बावजूद
लु न पहलवान महामारी को चुनौती देने, अपने बेट क मृ यु का दःु ख कम करने और गाँव वाल को लड़ने क ेरणा देने के िलए ढोल
बजाता रहा।
7. ढोलक क आवाज़ का पूरे गाँव पर या असर होता था?
उ र:- ढोलक क आवाज़ से रात क िवभीिषका और स ाटा कम होता था। महामारी से पीिड़त लोग क नस म िबजली सी दौड़ जाती
थी, उनक आँख के सामने दंगल का य साकार हो जाता था और वे अपनी पीड़ा भूल खुशी-खुशी मौत को गले लगा लेते थे। इस
कार ढोल क आवाज, मृत ाय गाँववाल क नस म संजीवनी शि भर कर बीमारी से लड़ने क ेरणा देती थी।
6. महामारी फै लने के बाद गाँव म सूय दय और सूया त के य म या अंतर होता था?
उ र:- महामारी फै लने के बाद गाँव म सूय दय और सूया त के य म बड़ा अंतर होता था। सूय दय के समय कलरव, हाहाकार तथा
दय िवदारक दन के बावजूद भी लोग के चेहर पर चमक होती थी। लोग एक-दसू रे को सां वना बँधाते रहते थे , पर तु सूया त होते ही
सारा प र य बदल जाता था। लोग अपने घर म दबु क कर बैठ जाते थे। तब वे चूँ भी नह कर सकते थे। यहाँ तक िक माताएँ अपने दम
तोड़ते पु को ‘बेटा’ भी कह नह पाती थी। ऐसे समय म के वल पहलवान क ढोलक क आवाज सुनाई देती थी ,जैसे वह महामारी को
चुनौती दे रही हो।
8. कु ती को िफर से ि य खेल बनाने के िलए या- या काय िकए जा सकते ह?
उ र:-पहले मनोरंजन के नवीनतम साधन अिधक न होने के कारण कु ती को मनोरंजन का अ छा साधन माना जाता था, इसिलए
राजा-महाराजा कु ती के दंगल का आयोजन करते रहते थे। जैसे-जैसे मनोरंजन के नवीन साधन का चलन बढ़ता गया वैसे-वैसे कु ती
क लोकि यता घटती गई और िफर पहले क तरह राजा-महाराजा भी नह रहे, जो इस कार के बड़े दंगल का आयोजन करते। आज
कु ती का थान आधुिनक खेल - ि के ट, फु टबॉल, टेिनस आिद ने ले िलया है।
कु ती को िफर से लोकि य बनाने के िलए :
1. हम एक बार पुन: कु ती के दंगल के आयोजन करने चािहएं
2. पहलवान को उिचत िश ण िदया जाना चािहए
3. उनके खान-पान का उिचत याल रखा जाना चािहए
4. िखलािड़य को उिचत धनरािश तथा नौकरी म वरीयता िमलनी चािहए
5. खेल का मीिडया म अिधक से अिधक चार- सार आिद कु छ उपाय कर सकते ह।
9. चचा कर – कलाओं का अि त व यव था का मोहताज नह है।
उ र:- कलाओं को फलने-फू लने के िलए भले यव था क ज़ रत महसूस होती है पर तु कलाओं का अि त व के वल और के वल
यव था का मोहताज नह होता है य िक यिद कलाकार यव था ारा पोिषत है और अपनी कला के ित समिपत नह है तो वह कभी
भी जनमानस म अपना थान नह बना पाएगा और कु छ ही समय बाद गायब हो जाएगा। िकसी भी कला को िवकिसत होने म कलाकार
का अपनी कला के ित एकिन भाव, समपण भावना, उसक अथक मेहनत और जन-सामा य का यार, सराहना आिद आव यक त व
होते ह। िजस िकसी ने भी इन उपयु गुण को पा िलया, वह यव था के िबना भी सदैव अपने थान पर िटका रहता है।
10. राजा साहब ने लु न को य सहारा िदया था ? अंत म उसक दगु ित का या कारण था ?
उ र : चाँद िसंह पहलवान से कु ती म जीतने के बाद पहलवान लु न िसंह को राजा साहब क कृ पा ि ा हई I राजा साहब ने उसे
राज पहलवान िनयु िकया I राजा के मरने के बाद उसके िवलायती बेटे ने कु ती को राजकोष पर बेकार का बोझ माना I उसे घुड़दौड़
का शौक था I अत: लु न िसंह को आजीिवका क परवाह िकए िबना ही दरबार से चलता कर िदया I लु न िसंह को अपने गाँव वापस
आना पड़ा, जहाँ उसे द र ता का जीवन जीना पड़ा और अपने दोन पहलवान बेट क मृ यु का दद सहना पड़ा I
11. महामारी म मरणास बेट के आिखरी साँस लेते समय भी ढोलक बजाना पहलवान क लाचारी भी है और बहादरु ी भी I प
क िजए I
उ र : गाँव म महामारी फै लने और अपने बेट के देहांत के बावजूद लु न पहलवान ढोल इसिलए बजाता था, तािक वह िह मत न टू टने
का पता लोग को दे सके I वह अंितम समय तक अपनी बहादरु ी और िदलेरी का प रचय देना चाहता था I
ढोलक क आवाज़ ही राि क िवभीिषका को चुनौती देती-सी जान पड़ती थी I गाँव म अ मृत-औषिध-उपचार-प य िवहीन ािणय
म ढोलक क आवाज़ सुनते ही ब े, बूढ़े जवान क कमज़ोर आँख के सामने दंगल का य नाचने लगता और उन लोग के बेजान
अंग म भी िबजली दौड़ जाती थी I ढोलक क आवाज़ को सुनकर मरते हए ािणय को अपनी आँख मूदँ ते समय तकलीफ नह होती थी
I
12. कु ती के समय ढोल क आवाज़ और लु न के दाँव-पच म या तालमेल था? पाठ म आए व या मक श द और ढोल क
आवाज़ आपके मन म कै सी विन पैदा करते ह, उ ह श द दीिजए।
उ र:- लु न का पहलवानी म कोई गु नह था I ढोलक लु न को एक गु क तरह े रत करता था I कु ती के समय ढोल क आवाज़
लु न को दाँव-पच िसखाती-सी तीत होती थी I ढोल क थाप और लु न के दाँव-पेच म अ तु सामंज य था। लु न के दाँव-पच
और ढोल क थाप म िन निलिखत तालमेल था-
1. चट धा, िगड़ धा- आजा िभड़ जा।
2. चटाक चट धा- उठाकर पटक दे।
3. चट िगड़ धा- मत डरना।
4. धाक िधना ितरकट ितना- दाँव काटो,बाहर हो जाओ।
5. िधना िधना, िधक िधना- िचत करो।
ढोल के व या मक श द हमारे मन म उ साह के संचार के साथ आनंद का संचार भी करते ह।
भंडार
1) महामारी फै लने और अपने बेट के देहांत के बावजूद लु न ढोल य बजाता रहा ?
2) लु न क शादी के संदभ म सौभा यवती श द का योग य िकया गया है ?
3 ) यामनगर के मेले के दंगल म लु न ने या िकया ?
4 ) लु न िसंह अपने पु को ढोल के िवषय म या बताता था ?
5 ) राजकु मार के आने पर राज दरबार म या प रवतन हए ?
6) पहलवान अपने पु को या िश ा िदया करता था?
7 ) लु न पहलवान क पा रवा रक पृ भूिम के बारे म िलिखए |
8 ) पहलवान क ढोलक पाठ म पहलवान के बेट का भरण - पोषण राजदरबार से य होता था ?
9) राजा साहब ने लु न को य सहारा िदया ?
10) लु न िसंह ने अचानक िबना कु छ सोचे - समझे दंगल म शेर के ब े को कु ती के िलए चुनौती य दे दी ?
11 ) िकन घटनाओं से पहलवान लु न के संघषशील यि व और िह मती होने का प रचय िमलता है?
12) लु न िसंह को अपने बेट के भिव य क कोई िचंता नह थी, य ?
13 ) कु ती के समय ढोल क आवाज और लुटन के दांव - पेच म या तालमेल था?
14) पाठ म आए व या मक श द को सुनकर आपके मन पर या भाव पड़ता है?
15) गांव म महामारी फै लने और बेट क मौत के बाद भी लु न ढोल य बजाता रहा ?
िशरीष के फू ल - हजारी साद ि वेदी
पाठ के मु य िब द ु :
• जेठ के माह म िशरीष का वृ फू ल से लदा है I लेखक इस पेड़ को देख रहा है I वसंत ऋतु से लेकर आषाढ़ तक ये वृ
िखले रहते ह I उमस या लू के भाव को िन फल कर िशरीष िनघात फलता-फू लता है I
• ये वृ बड़े और छायादार होते ह I पुराने समय म भारत के धनी लोग अपनी वृ -वािटका क चारदीवारी के पास अ य
मंगल-जनक वृ के साथ िशरीष भी लगाया करते थे I
• िशरीष के वृ क शाखाएँ अ य वृ क अपे ा म कमज़ोर होती ह I इसक डाली पर झूला नह लगाया जा सकता I
कािलदास ने इस वृ के फू ल क कोमलता के िवषय म कहा है िक इसके फू ल इतने नाज़ुक ह िक के वल भौर के पैर का भार ही सह
सकते ह I
• िशरीष के फू ल कोमल रे श जैसे ह I इसके फल इतने मज़बूत होते ह िक नए फल आने पर भी वे अपना थान नह छोड़ते I नए
फल जब पुराने फल को धिकयाते ह, तब ये अपना थान छोड़ते ह I
• लेखक को इन फल को देखकर उन नेताओं क बात याद आती है, जो िकसी कार ज़माने का ख नह पहचानते और जब
तक नयी पौध के लोग उ ह ध ा मारकर िनकाल नह देते, तब तक जमे रहते ह I
• लेखक इस बात पर भी बल देता है िक अिधकार क िल सा को समय रहते ही छोड़ देनी चािहए य िक जो फलता है, वह
झड़ता भी है , जो आया है उसका जाना भी िनि त है I अतः जमे रहने के बजाय िहलते-डु लते, थान बदलते और आगे क ओर मुहं
िकए बढ़ते रहना चािहए I
• िशरीश एक अवधूत के समान है I द:ु ख हो या सुख वह हार नह मानता I भयंकर लू म जब धरती और आसमान दोन
जलते-से लगते ह, िशरीष कोमल तंतजु ाल और सुकुमार फू ल को िखलाता है I
• िशरीष का सा य लेखक ने गांधी जी से िकया है I वे भी ऐसे ही अवधूत थे I कमज़ोर काया के बावजूद भी वे किठनाइय म
डटकर खड़े रहे I
3 अंक के
1) लेखक ने िशरीष को कालजयी अवधूत य कहा है ?
उ र : काल पर िवजय ा करनेवाले को कालजयी कहा जाता है I िशरीष का वृ अवधूत क भांित वसंत के आने से लेकर भा पद
मास तक िबना िकसी परे शानी के पुि पत होता रहता है I जब ी म ऋतु म पूरी पृ वी अि कुं ड क तरह जलने लगती है, लू के कारण
दय सूखने लगता है, उस समय भी िशरीष का वृ कालजयी अवधूत क तरह जीवन म िवजेता होने का माण दे रहा होता है I वह
संसार के सभी ािणय को धैयशील, िचंता रिहत व क यशील बने रहने क ेरणा देता है I यही कारण है िक लेखक इसे सं यासी क
तरह मानता है I
2)”हाय वह अवधूत आज कहाँ है ?”- ऐसा कहकर लेखक ने आ मबल पर देह-बल के वच व क वतमान स यता के संकट क
ओर संकेत िकया है, कै से ?
उ र : “हाय वह अवधूत आज कहाँ है”- लेखक ने यह कथन िनबंध के अंत म कहा है I इस पंि के मा यम से लेखक कहता है िक
महा मा गांधी िशरीष के फू ल क भाँित थे I लेखक के अनुसार, ेरणादायी और आ मिव ास रखने वाले लोग अब नह रहे ह I अब
के वल शरीर यािन भौितकता को ाथिमकता देने लगे ह। ऐसे लोग म आ मिव ास िबलकु ल नह होता I ऐसे लोग मन क सुंदरता पर
यान नह देते I लेखक ने िशरीष के फू ल के मा यम से वतमान स यता के यथाथ का िच ण िकया है I
3) लेखक अिधकार-िल सा के िवषय म या बताना चाहता है ?
उ र : लेखक के अनुसार भारत म अिधकार-िल सा क भावना बहत बल है I यहाँ के लोग तब ही अपनी जगह छोड़ते ह , जब उ ह
दसू र के ारा ध ा िदया जाता है I यह ि थित राजनीित, सािह य तथा अ य सं थान म पूणतः िदखाई देती है I पुराने लोग
अिधकार-िल सा म नयी पीढ़ी को उनका अिधकार तब तक नह स पते , जब तक नयी पीढ़ी ज़बरद ती अपना अिधकार और थान पाने
क चे ा नह करती I
4) कािलदास ने िशरीष क कोमलता और ि वेदी जी ने उसक कठोरता के िवषय म या कहा है ?
उ र : कािलदास कहते ह िक िशरीष का पु प के वल भौर के पद का कोमल दबाव ही सहन कर सकता है, पि य का िबलकु ल नह I
लेिकन ि वेदी जी इससे सहमत नह ह I उनके िवचार से इ ह िशरीष को इतना कोमल मानना भूल है I इसके फल इतने मजबूत होते ह
िक नए फू ल के िनकल आने पर भी अपना थान नह छोड़ते I जब तक नए फल-प े िमलकर, धिकयाकर उ ह बाहर नह करते, तब
तक ये डटे रहते ह I
5) हजारी साद ि वेदी ने िशरीष के संदभ म महा मा गांधी का मरण य िकया ?
उ र : िशरीष के संदभ म गांधी जी क कु छ िवशेषताओं म समानता िदखने के कारण लेखक को गांधी जी क याद आई I िशरीष के
समान ही गांधी जी म भी कठोरता से साथ-साथ कोमलता का गुण िव मान है I िजस कार िशरीष वायुमडं ल से रस ख चता है उसी
तरह गांधी जी भी अपने प रवेश से रस ख चकर कोमल और कठोर बने I जन-सामा य के साथ कोमलता का यवहार करने वाले गांधी
जी कभी-कभी देश व समाज के िहत म अ यिधक कठोर भी बन जाते थे I
समय के अनु प, प रि थितय के अनुसार िनणय लेते हए गांधीजी को भी वत ता आंदोलन को सही ढंग से आगे बढ़ाने के िलए
अपने यवहार म कोमलता और कठोरता दोन को अपनाना पड़ता था I िशरीष लू, धूप और गम को सहता हआ फलता - फू लता है ,
इसी तरह गांधी जी भी वाधीनता आंदोलन के दौरान होने वाली िहंसा, खून-खराबा, अि दाह आिद िहंसा मक गितिविधय के बीच
अटल और ि थर बने रहे I
6) िशरीष आज के संदभ म हम या सीख देता है ? सोचकर िलिखए I
उ र : ‘िशरीष के फू ल’ िनबंध म आचाय हजारी साद ि वेदी ने परो प म हम यह संदश
े िदया है िक िजस कार िशरीष का फू ल लू,
भीषण गम , आँधी और शु क मौसम म भी िखलकर अपना सौ दय िबखेरता है, उसी तरह हम भी जीवन के संघष , िवषम प रि थितय
का सामना करते हए स तापूवक अपना जीवन जीना चािहए I हमारी िजजीिवषा ऐसी होनी चािहए िक जब हम कह से भी पोषण न
िमल पाये, सां वना और सौहाद क नमी न िमल पाये, तब हम अपने आ मबल से पोषण पा सक तािक हम िवकट समय म भी दय म
कोमल भावनाओं और जीवन के स दय को बनाए रखने म स म हो सक I
7) ‘िशरीष के फू ल’ पाठ का उ े य प कर I
उ र : पाठ के मा यम से लेखक ने मानव क अजेय िजजीिवषा और कलह के बीच धैयपूवक, लोक के साथ िचंतारत, क यशील बने
रहने के महान जीवन-मू य को थािपत िकया है I साथ ही लेखक ने पुराने लोग क अिधकार-िल सा को िशरीष के फू ल के साथ
जोड़कर बताना चाहा है िक समय रहते इस अिधकार िल सा का याग कर नयी पीढ़ी को आगे आने देना चािहए I इस अिधकार-िल सा
के े म राजनीित, सािह य तथा अ य सं थान क वा तिवकता को भी उजागर िकया गया है I पुरानी और नयी पीढ़ी के बीच के ं
को इस िनबंध म लेखक ने बड़ी सहजता से पाठक तक पहँचाया है I
2 अंक के
1) लेखक के मन म िशरीष िकस तरह क िहलोर पैदा करता है ?
उ र : लेखक का मानना है िक िशरीष के पेड़ बड़े छायादार और बड़े होते ह I इनक डाल बकु ल क डाल से भी कमज़ोर होती है I
सं कृ त सािह य म इनके फू ल को बहत कोमल माना गया है I ये फू ल स दय वृि करते ह और नयेपन के वागत का आमं ण देने वाले
फू ल ह I िशरीष के सुंदर, रे शेदार कोमल पु प लेखक के दय म िहलोर पैदा करते ह I
2) लेखक के अनुसार किव म िकन-िकन िवशेषताओं का होना अिनवाय है ?
उ र : लेखक ने किव क िन निलिखत िवशेषताएँ बताई ह –
• लेखक के अनुसार अवधूत व से भी कठोर तथा फू ल से भी कोमल होते ह I किव को भी अवधूत क भाँित अनास होना
चािहए I
• किव का ि कोण समदश होना चािहए I
• उसक जीवन शैली फ ड़ जीवन शैली हो I
• किव म समरसता व म ती का गुण होना चािहए तािक वह जनक याण के काय को स प कर सके I
• िनज वाथ का न सोचकर वह परमाथ का सोचे I
3) िशरीष के फू ल क या िवशेषताएँ लेखक ने बताई ह ?
उ र : िशरीष के फू ल क िवशेषताएँ :
• िशरीष के फू ल जेठ मास क भयंकर गम म भी फू लने क िह मत करते ह I
• आँधी, तूफान तथा लू भी इन फू ल क िजजीिवषा का लोहा मानते ह I
• अमलतास कनेर क तरह कु छ िदन िखलते ह जबिक िशरीष के फू ल भा पद मास तक अपना स दय िबखरते रहते ह I
4) लेखक पाठ म िकस बात से िव मय-िवमूढ़ हो जाता है ?
उ र : लेखक ने पाठ म कािलदास का संग िलया है िक किव कािलदास ने िशरीष के फू ल क मिहमा का वणन िकस तरह िकया है I
लेखक कािलदास के एक –एक ोक को पढ़कर िवि मत हो जाता है I िशरीष के फू ल के संग म एक उदाहरण िलया गया है –
शकुं तला कािलदास के सुंदर दय से िनकली थी I किव ने उसके स दय-वणन म कोई कं जूसी नह क I राजा द ु यंत भी भले लगते थे I
उ होने शकुं तला का िच बनाया और िच को बार-बार देखकर उ ह लगता िक िच म कोई कमी रह गई है I बाद म उ ह समझ म
आया िक वे शकुं तला के कान म िशरीष के फू ल को िचि त करना भूल गए थे , िजसके के सर गंड थल तक लटके हए थे I
5) हजारी साद ि वेदी के ारा नेताओं और कु छ पुराने यि य क अिधकार-िल सा पर िकए गए यं य को प क िजए I
उ र : लेखक को िशरीष के नए फू ल-प और पुराने फू ल को देखकर उन नेताओं क याद आती है, जो बदले हए समय को नह
पहचानते ह तथा जब तक नई पीढ़ी उ ह ध ा नह मारती तब तक वे अपने थान पर जमे ही रहते ह I नेताओं को वयं ही समय क गित
को देखते हए अपने थान को र कर देना चािहए, परंतु ऐसा होता नह है I
बक/ अित र
1) लेखक ने िशरीष को कालजयी अवधूत य कहा है ?
उ र : काल पर िवजय ा करनेवाले को कालजयी कहा जाता है I िशरीष का वृ अवधूत क भांित वसंत के आने से लेकर भा पद
मास तक िबना िकसी परे शानी के पुि पत होता रहता है I जब ी म ऋतु म पूरी पृ वी अि कुं ड क तरह जलने लगती है, लू के कारण
दय सूखने लगता है, उस समय भी िशरीष का वृ कालजयी अवधूत क तरह जीवन म िवजेता होने का माण दे रहा होता है I वह
संसार के सभी ािणय को धैयशील, िचंता रिहत व क यशील बने रहने क ेरणा देता है I यही कारण है िक लेखक इसे सं यासी क
तरह मानता है I
2)”हाय वह अवधूत आज कहाँ है?”- ऐसा कहकर लेखक ने आ मबल पर देह-बल के वच व क वतमान स यता के संकट क
ओर संकेत िकया है ?
उ र : “हाय वह अवधूत आज कहाँ है”- लेखक ने यह कथन िनबंध के अंत म कहा है I इस पंि के मा यम से लेखक कहता है िक
महा मा गांधी िशरीष के फू ल क भाँित थे I लेखक के अनुसार, ेरणादायी और आ मिव ास रखने वाले लोग अब नह रहे ह I अब
के वल शरीर यािन भौितकता को ाथिमकता देने लगे ह। ऐसे लोग म आ मिव ास िबलकु ल नह होता I ऐसे लोग मन क सुंदरता पर
यान नह देते I लेखक ने िशरीष के फू ल के मा यम से वतमान स यता के यथाथ का िच ण िकया है I
3) लेखक अिधकार-िल सा के िवषय म या बताना चाहता है ?
उ र : लेखक के अनुसार भारत म अिधकार-िल सा क भावना बहत बल है I यहाँ के लोग अभी अपनी जगह छोड़ते ह जब उ ह
दसू र के ारा ध ा िदया जाता है I यह ि थित राजनीित, सािह य तथा अ य सं थान म पूणतः िदखती देती है I पुराने लोग
अिधकार-िल सा म नयी पीढ़ी को उनका अिधकार तब तक नह स पते , जब तक नयी पीढ़ी जबद ती अपना अिधकार और थान पाने
क चे ा नह करती I
4) कािलदास ने िशरीष क कोमलता और ि वेदी जी ने उसक कठोरता के िवषय म या कहा है ?
उ र : कािलदास कहते ह िक िशरीष का पु प के वल भौर के पद का कोमल दबाव ही सहन कर सकता है, पि य का िबलकु ल नह I
लेिकन ि वेदी जी इससे सहमत नह ह I उनके िवचार से इ ह िशरीष को इतना कोमल मानना भूल है I इसके फल इतने मजबूत होते ह
िक नए फू ल के िनकल आने पर भी अपना थान नह छोड़ते I जब तक नए फल-प े िमलकर, धिकयाकर उ ह बाहर नह करते तब
तक ये डटे रहते ह I
5) हजारी साद ि वेदी ने िशरीष के संदभ म महा मा गांधी का मरण य िकया ?
उ र : िशरीष के संदभ म गांधी जी क कु छ िवशेषताओं म समानता िदखने के कारण लेखक को गांधी जी क याद आई I िशरीष के
समान ही गांधी जी म भी कठोरता से साथ-साथ कोमलता का गुण िव मान है I िजस कार िशरीष वायुमडं ल से रस ख चता है उसी
तरह गांधी जी भी अपने प रवेश से रस ख चकर कोमल और कठोर बने I जन-सामा य के साथ कोमलता का यवहार करने वाले गांधी
जी कभी-कभी देश व समाज के िहत म अ यिधक कठोर भी बन जाते थे I
समय के अनु प, प रि थितय के अनुसार िनणय लेते हए गांधीजी को भी वत ता आंदोलन को सही ढंग से आगे बढ़ाने के िलए
अपने यवहार म कोमलता और कठोरता दोन को अपनाना पड़ता था I िशरीष लू, धूप और गम को सहता हआ फलता फू लता है इसी
तरह गांधी जी भी वाधीनता आंदोलन के दौरान होने वाली िहंसा, खून-खराबा, अि दाह आिद िहंसा मक गितिविधय के बीच अटल
और ि थर बने रहे I
6) िशरीष आज के संदभ म हम या सीख देता है ? सोचकर िलिखए I
उ र : ‘िशरीष के फू ल’ िनबंध म आचाय हजारी साद ि वेदी ने परो प म हम यह संदश
े िदया है िक िजस कार िशरीष का फू ल लू,
भीषण गम , आँधी और शु क मौसम म भी िखलकर अपना सौ दय िबखेरता है, उसी तरह हम भी जीवन के संघष , िवषम प रि थितय
का सामना करते हए स तापूवक अपना जीवन जीना चािहए I हमारी िजजीिवषा ऐसी होनी चािहए िक जब हम कह से भी पोषण न
िमल पाये, सां वना और सौहाद क नमी न िमल पाये तब हम अपने आ मबल से पोषण पा सक तािक हम िवकट समय म भी दय म
कोमल भावनाओं और जीवन के स दय को बनाए रखने म स म हो सक I
7) ‘िशरीष के फू ल’ पाठ का उ े य प कर I
उ र : पाठ के मा यम से लेखक ने मानव क अजेय िजजीिवषा और कलह के बीच धैयपूवक, लोक के साथ िचंतारत, क यशील बने
रहने के महान जीवन-मू य को थािपत िकया है I साथ ही लेखक ने पुराने लोग क अिधकार-िल सा को िशरीष के फू ल के साथ
जोड़कर बताना चाहा है िक समय रहते इस अिधकार िल सा का याग कर नयी पीढ़ी को आगे आने देना चािहए I इस अिधकार-िल सा
के े म राजनीित, सािह य तथा अ य सं थान क वा तिवकता को भी उजागर िकया गया है I पुरानी और नयी पीढ़ी के बीच के ं
को इस िनबंध म लेखक ने बड़ी सहजता से पाठक तक पहँचाया है I
8) लेखक के मन म िशरीष िकस तरह क िहलोर पैदा करता है ?
उ र : लेखक का मानना है िक िशरीष के पेड़ बड़े छायादार और बड़े होते ह I इनक डाल बकु ल क डाल से भी कमज़ोर होती है I
सं कृ त सािह य म इनके फू ल को बहत कोमल माना गया है I ये फू ल स दय वृि करते ह और नयेपन के वागत का आमं ण देने वाले
फू ल ह I िशरीष के सुंदर, रे शेदार कोमल पु प लेखक के दय म िहलोर पैदा करते ह I
9) लेखक के अनुसार किव म िकन-िकन िवशेषताओं का होना अिनवाय है ?
उ र : लेखक ने किव क िन निलिखत िवशेषताएँ बताई ह –
• लेखक के अनुसार अवधूत व से भी कठोर तथा फू ल से भी कोमल होते ह I किव को भी अवधूत क भाँित अनास होना
चािहए I
• किव का ि कोण समदश होना चािहए I
• उसक जीवन शैली फ ड़ जीवन शैली हो I
• किव म समरसता व म ती का गुण होना चािहए तािक वह जनक याण के काय को स प कर सके I
• िनज वाथ का न सोचकर वह परमाथ का सोचे I
10) िशरीष के फू ल क या िवशेषताएँ लेखक ने बताई ह ?
उ र : िशरीष के फू ल क िवशेषताएँ :
• िशरीष के के फू ल जेठ मास क भयंकर गम म भी फू लने क िह मत करते ह I
• आँधी, तूफान तथा लू भी इन फू ल क िजजीिवषा का लोहा मानते ह I
• िशरीष के फू ल अमलतास, कनेर क तरह कु छ िदन के िलए नह िखलते ह, बि क िशरीष के फू ल भा पद मास तक अपना
स दय िबखरते रहते ह I
11) लेखक पाठ म िकस बात से िव मय-िवमूढ़ हो जाता है ?
उ र : लेखक ने पाठ म कािलदास का संग िलया है िक किव कािलदास ने िशरीष के फू ल क मिहमा का वणन िकस तरह िकया है I
लेखक कािलदास के एक –एक ोक को पढ़कर िवि मत हो जाता है I िशरीष के फू ल के संग म एक उदाहरण िलया गया है –
शकुं तला कािलदास के सुंदर दय से िनकली थी I किव ने उसके स दय-वणन म कोई कं जूसी नह क I राजा द ु यंत भी भले लगते थे I
उ ह ने शकुं तला का िच बनाया और िच को बार-बार देखकर उ ह लगता िक िच म कोई कमी रह गई है I बाद म उ ह समझ म
आया िक वे शकुं तला के कान म िशरीष के फू ल को िचि त करना भूल गए थे , िजसके के सर गंड थल तक लटके हए थे I
12) हजारी साद ि वेदी के ारा नेताओं और कु छ पुराने यि य क अिधकार-िल सा पर िकए गए यं य को प क िजएI
उ र : लेखक को िशरीष के नए फू ल-प और पुराने फू ल को देखकर उन नेताओं क याद आती है, जो बदले हए समय को नह
पहचानते ह तथा जब तक नई पीढ़ी उ ह ध ा नह मारती , तब तक वे अपने थान पर जमे ही रहते ह I नेताओं को वयं ही समय क
गित को देखते हए अपने थान को र कर देना चािहए, परंतु ऐसा होता नह है I
13)लेखक ने आर वध और िशरीष के फू ल म या अंतर बताया है ?
उ र : लेखक ने बताया है िक आर वध के फू ल िखलते ह िक तु कु छ ही समय के िलए, जबिक िशरीष के फू ल आषाढ़ मास म िखलना
शु होते ह और भा पद तक िखलते ह I
14) िशरीष के ित लेखक और कािलदास के िवचार म या िभ ता है ?
उ र : कािलदास ने िशरीष के पेड़ को बहत कोमल बताया है I उनके अनुसार िशरीष के फू ल के वल भौर के पैर का ही भार सहन कर
सकते ह I लेखक हज़ारी साद ि वेदी का मानना है िक भले ही िशरीष के फू ल कोमल ह , िक तु िशरीष का पेड़ बहत मज़बूत होता है,
इसीिलए इसके फू ल भीषण गम म, लू तथा आँधी क परवाह िकए िबना िखलने का साहस करते ह I
15) ‘अवधूत ’ का अथ प करते हए िशरीष के संदभ म इस श द क साथकता प क िजएI
उ र : अवधूत का अथ है – सं यासी I साधु-सं यासी दिु नया के ित अनास रहते ह I सुख-द:ु ख म एक समान रहते ह I िशरीष भी
अनास सं यािसय क तरह कृ ित क भीषणता को झेलता ि थर बना रहता है I
16) िशरीष के पेड़ पर तीज- योहार म झूले य नह डाले जा सकते ?
उ र : िशरीष के पेड़ क डािलयाँ कमज़ोर होती ह I नीम क तरह इनम मज़बूती नह होती I अत: इस पेड़ पर झूले नह डाले जाते I
17) लेखक ने एक वृ के मा यम से एक महान यि के च र को भी पाठक के सम रखा है - कै से ?
उ र : लेखक हजारी साद ि वेदी ने िशरीष के वृ क िवशेषताएँ बताते हए गांधी जी का मरण िकया है I िशरीष एक अवधूत क तरह
हर प रि थित म ि थर बना रहता है और अपने कोमल और कठोर वभाव के दशन कराता है I िशरीष वायुमडं ल से नमी और रस ख चता
है I इसी तरह गांधीजी भी अपने कोमल और कठोर यवहार के िलए िस ह I वे कमज़ोर काया के होने बावजूद भी हर प रि थित म
मज़बूत बने रहते थे I वे भी अपने आसपास के पयावरण से रस (शि ) ा करते थे तथा अपने आ मबल से ि थर बने रहते थे I
18) हजारी साद ि वेदी जी के इस िनबंध म भाषा- योग पर िट पणी क िजए I
उ र : लेखक ने इस िनबंध म सं कृ त ोक के साथ त सम श द का योग िकया है I िविभ संदभ तथा संग के मा यम से अपने
िवचार को अिभ यि दी है I संदभ थ का उ े ख लेखक क सू म समझ का माण देता है I कह -कह देहाती श द के योग ने
िनबंध को लािल य एवं सजीवता दी है I
म िवभाजन और जाित - था/ मेरी क पना का आदश समाज
1- जाित था को म िवभाजन का ही एक प न मानने के पीछे आ बेडकर के या तक है?
उ र - लेखक जाित था को म िवभाजन का ही एक प नह मानता य िक यह िवभाजन अ वाभािवक है । यह मनु य क िच पर
आधा रत नह है। इसम यि क मता क उपे ा क जाती है । यह के वल माता - िपता के सामािजक तर का यान रखती है ।
यि के ज म से पहले ही म िवभाजन होना अनुिचत है। जाित था यि को जीवन भर के िलए एक ही यवसाय से बाँध देती है
। पेशा उपयु या अनुपयु कै सा भी हो , करने के िलए यि बा य होता है । संकट के समय भी पेशा बदलने क अनुमित नह
होती, भले ही मनु य को भूखा मरना पड़े।
2- जाित था भारतीय समाज म बेरोज़गारी व भुखमरी का भी एक कारण कै से बनती है ? या यह ि थित आज भी है?
उ र - जाित था िकसी भी यि को ऐसा पेशा चुनने क अनुमित नह देती, जो उसका पैतक ृ पेशा न हो , भले ही वह उस पेशे म
पारंगत हो । उ ोग धंध क ि या व तकनीक म िनरंतर िवकास और कभी - कभी अक मात् ऐसे प रवतन होते ह िक यि
पेशा बदलने को बा य होता है । ऐसे म यिद जाित था पेशा न बदलने दे तो भुखमरी और बेरोज़गारी आएगी ही ।
आज भयंकर जाित था के बाद भी ऐसी बा यता नह है। लोग पैतक
ृ यवसाय याग कर नए पेशे म जा रहे ह । जो लोग पैतक
ृ यवसाय
से ही जुड़े ह , वे या तो वे छा से ह अथवा अ य े क द ता के अभाव के कारण काय कर रहे ह ।
3- लेखक के मत से दासता क यापक प रभाषा या है?
उ र - लेखक के अनुसार दासता के वल क़ानूनी पराधीनता को ही नह कहा जा सकता । दासता म वह ि थित भी सि मिलत ह िजससे
कु छ यि य को दसू रे लोग के ारा िनधा रत यवहार एवं कत य का पालन करने के िलए िववश होना पड़ता है। यही ि थित
क़ानूनी पराधीनता न होने पर भी पाई जा सकती ह । उदाहरणाथ जाित था क तरह ऐसे वग का होना संभव है यहाँ कु छ लोग को
अपनी इ छा के िव पेशे अपनाने पड़ते ह ।
4- शारी रक वंश परंपरा और सामािजक उ रािधकार क ि से मनु य म असमानता स भािवत रहने के बावजूद आ बेडकर समता
को ही एक यवहाय िस ा त मानने का आ ह य करते ह ? इसके पीछे उनके या तक ह ?
उ र- डॉ टर अंबेडकर यह जानते हए भी िक शारी रक वंश परंपरा और सामािजक परंपरा क ि से मनु य म असमानता का होना
संभव है ,समता के यवहाय िस ांत को मानने का आ ह करते ह । इसके पीछे लेखक का तक है िक समाज को यिद अपने सद य
से अिधकतम उपयोिगता ा करनी है , तो समाज के सभी सद य को आरंभ से ही समान अवसर एवं समान यवहार उपल ध कराए
जाएँ। राजनीित को भी सब मनु य के साथ समान यवहार करना चािहए ।
येक यि को अपनी मता का िवकास करने के िलए बराबर अवसर देने चािहए । उनका तक है िक वंश म ज म लेना या सामािजक
परंपरा यि के वश म नह है अतः उस आधार पर िनणय लेना उिचत नह है।
5- सही म आ बेडकर ने भावा मक सम व क मानवीय ि के तहत जाितवाद का उ मूलन चाहा है िजसक ित ा के िलए भौितक
ि थितय और जीवन सुिवधाओं का तक िदया है । या इससे आप सहमत ह?
उ र - हम लेखक से पूरी तरह सहमत ह । सहमित का कारण यह है िक कु छ लोग िकसी वंश म पैदा होने के कारण ही उ म यवहार के
हक़दार बन जाते ह । तिनक िवचार कर, उसम उनका अपना या योगदान है । सामािजक प रवेश भी यि को स मान िदला देता है,
उसम भी यि क मता का मू यांकन नह होता । मनु य क महानता उसके य न के प रणाम व प तय होनी चािहए । मनु य के
य न का भी सही मू यांकन तभी हो सकता है, जब सभी को समान अवसर िमले । उदाहरण के िलए , गाँव के अथवा
नगरपािलकाओं के िव ालय म पढ़ने वाले बालक महंगे कू ल म पढ़ने वाल का मुक़ाबला कै से कर सकते ह ? अतः पहले
जाितवाद का उ मूलन हो और िफर भौितक ि थितयां व जीवन सुिवधाएँ समान ह । तब जो े िस हो , वही उ म यवहार के
हक़दार ह ।
6- जाित था और म िवभाजन म बुिनयादी अंतर बताइए ।
उ र - जाित था और म िवभाजन म बुिनयादी अंतर यह है िक म िवभाजन िमक के िविभ वग म वाभािवक प से िवभाजन
करता है ,जबिक जाित था िमक का अ वाभािवक िवभाजन करने के साथ - साथ उ ह एक - दसू रे क तुलना म ऊँ चा- नीच भी
क़रार देती है।
7- जाित था को म िवभाजन का ही एक अंग न मानने के पीछे अंबेडकर का या तक था ?
उ र- जाित था को म िवभाजन का ही एक अंग न मानने के पीछे डॉ टर अंबेडकर के िन निलिखत तक थे -
1. जाित - था म - िवभाजन के साथ - साथ िमक िवभाजन का प िलए हए है ।
2. म िवभाजन िन य ही स य समाज क आव यकता है , परंतु िकसी भी स य समाज म म िवभाजन क यव था िमक का
िविभ वग म अ वाभािवक िवभाजन नह करती ।
3. भारत क जाित था िमक का अ वाभािवक िवभाजन ही नह करती , बि क िवभािजत िविभ वग को दसू रे क अपे ा ऊँ चा
नीचा भी क़रार देती है , जो िव के िकसी भी समाज म नह पाया जाता ।
4. जाित था को यिद म िवभाजन मान िलया जाए तो यह सामािजक िवभाजन नह है, य िक यह मनु य क िच पर आधा रत नह
है

8- आदश समाज के तीन त व से एक ातृता को रखकर लेखक ने अपने आदश समाज म ि य को भी सि मिलत िकया है
अथवा नह ? आप इस ातृता श द से कहाँ तक सहमत ह? यिद नह तो आप या श द उिचत समझगे / समझगी?
उ र - आदश समाज के तीसरे त व ातृता पर िवचार करते समय लेखक ने भले ही ि य का अलग से उ े ख नह िकया है िक तु वह
समाज क बात कर रहा है। समाज तो ी- पु ष दोन से ही बनता है , अतः सि मिलत करने या न करने क बात यथ है।
ातृता श द यवहार म चिलत नह है । यह सं कृ तिन श द है, अतः इसके थान पर भाईचारा श द उिचत रहेगा ।
9- आ बेडकर क क पना क आदश समाज क तीन िवशेषताएँ िलिखए ।
उ र - डॉ टर आ बेडकर क क पना का आदश समाज वतं ता , समता और ातृता अथात् भाईचारे पर आधा रत है। उनके अनुसार
ऐसे समाज म सभी के िलए एक जैसा मानदंड तथा उसक िच के अनुसार काय क उपल धता होनी चािहए । सभी यि य को
समान अवसर व समान यवहार उपल ध होना चािहए। उनके आदश समाज म जाित भेदभाव का तो नामोिनशान ही नह है। इस
समाज म करनी पर बल िदया गया है , कथनी पर नह ।
10- आदश समाज क थापना म डॉ टर आ बेडकर के िवचार क साथकता पर अपने िवचार कट क िजए ।
उ र - लेखक का आदश समाज वतं ता, समता व ातृता पर आधा रत है। लेखक के आदश समाज म प रवतन का लाभ सभी को
िमलेगा । ऐसे समाज म बहिविध िहत म सबक सहभािगता होगी। समाज के िहत के िलए सभी सजग ह गे । सामािजक जीवन म
सबके िलए अबाध संपक के अनेक साधन व अवसर िमलगे । समाज म भाईचारा दधू और पानी के िम ण के समान होगा। हर कोई
अपने सािथय के ित ेम और स मान क भावना रखेगा ।

You might also like