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हिंदी अध्ययन सामग्री, मुंबई संभाग
हिंदी अध्ययन सामग्री, मुंबई संभाग
3) एकांत ढू ढं ने के कई सकारा मक कारण है। एकांत क चाह िकसी घायल मन क आह भर नह , जो जीवन के काँट से िबंध कर
घायल हो चुका है, एकांत िसफ उसके िलए शरण मा नह । यह उस इंसान क वाइश भर नह , िजसे इस संसार म फक िदया गया हो
और वह फक िदए जाने क ि थित से भयभीत होकर एकांत ढू ढं रहा हो। हम जो एकांत म होते ह, वही वा तव म होते ह। एकांत हमारी
चेतना क अंतव तु को पूरी तरह उघाड़ कर रख देता है।
अं ेजी का एक श द– ‘आइसोलोिफिलया` इसका अथ है अके लेपन, एकांत से गहरा ेम। पर इस श द को गौर से समझ तो इसम
अलगाव क एक परछाई भी िदखती है। एकांत ेमी हमेशा ही अलगाव िक अभेद दीवार के पीछे िछपना चाह रहा हो, यह ज री नह ।
एकांत क अपनी एक िवशेष सुरिभ है और जो भीड़ के अिश पंच म फं स चुका हो, ऐसा मन कभी इसका स दय नह देख सकता।
एकांत और अके लेपन म थोड़ा फक समझना ज री है। एकांत जीवी म कोई दोष या मनोमािल य नह होता। वह िकसी यि या
प रि थित से तंग आकर एकांत क शरण म नह जाता। न ही आततायी िनयित के िवषैले बाण से घायल होकर वह एकांत क खोज
करता है। अं ेजी किव लॉड बायरन ऐसे एकांत क बात करते ह। वे कहते ह िक ऐसा नह िक वे इंसान से कम ेम करते ह, बस कृ ित से
यादा ेम करते ह । बु अपने िश य से कहते ह िक वे जंगल म िवचरण करते हए गडे क स ग क तरह अके ले रह। वे कहते ह-
' येक जीव ज तु के ित िहंसा का याग करते हए िकसी क भी हािन क कामना न करते हए, अके ले चलो-िफरो, वैसे ही जैसे िकसी
गडे का स ग। ह सले 'एकांत के धम' या ‘ रलीजन ऑफ सोली डू ' क बात करते ह। वे कहते ह जो मन िजतना ही अिधक शि शाली
और मौिलक होगा, एकांत के धम क तरफ उसका उतना ही अिधक झुकाव होगा। धम के े म एकांत, अंधिव ास , मत और
धमाधता के शोर से दरू ले जाने वाला होता है। इसके अलावा एकांत धम और िव ान के े म नई अंत ि य को भी ज म देता है। यां
पॉल सा इस बारे म बड़ी ही खूबसूरत बात कहते ह। उनका कहना है- 'ई र एक अनुपि थित है। ई र है इंसान का एकांत। या एकांत
लोग इसिलए पसंद करते ह िक वे िकसी को िम बनाने म असमथ ह? या वे सामािजक होने क अपनी असमथता को िछपाने के िलए
एकांत को मिहमा मंिडत करते ह? वा तव म एकात एक दधु ारी तलवार क तरह है। लोग या कहगे इसका डर भी हम अ सर एकांत म
रहने से रोकता है यह बड़ी अजीब बात है, य िक जब आप वा तव म अपने साथ या अके ले होते ह, तभी इस दिु नया और कु दरत के
साथ अपने गहरे संबधं का अहसास होता है इस संसार को और अिधक गहराई और अिधक समानुभिू त के साथ ेम करके ही हम अपने
दख
ु दायी अके लेपन से बाहर हो सकते ह।
1. उपयु ग ांश िकस िवषय व तु पर आधा रत है।
(क) अके लेपन पर (ख) एकांत पर
(ग) जीवन पर (घ) अ या म पर
2. एकांत हमारे जीवन के िलए य आव यक है?
(क) परे शानी से भागने के िलए (ख) आ याि मक िचंतन के िलए
(ग) वयं को जानने के िलए (घ) अशांत मन को शांत करने के िलए
3. बायरन मनु य से अिधक कृ ित से ेम य करते थे?
(क) कृ ित क सुंदरता के कारण (ख) मनु य से घृणा के कारण
(ग) एकांत ेम के कारण (घ) अके लेपन के कारण
4. दख
ु द अके लेपन से कै से बाहर आया जा सकता है?
(क) संसार से ेम करके (ख) स े दो त बनाकर
(ग) संसार क वा तिवकता को समझ कर (घ) संसार से मु होकर
5. एकांत क खुशबू को कै से महसूस िकया जा सकता है?
(क) संसार से अलग होकर (ख) भीड़ म नह रहकर
(ग) एकांत से ेम करके (घ) अके ले रहकर
6. गडे के स ग क या िवशेषता होती है?
(क) वह िकसी को हािन नह पहंचाता
(ख) वह स ग नह वरन स ग का अपर प होता है ।
(ग) गडे अके ले रहते ह इसिलए स ग भी अके ला रहता है।
(घ) अपनी दिु नया म म त रहना
7. धम के े म एकांत का या योगदान है?
(क) समपण क भावना (ख) पूजा और साधना
(ग) धमाधता से मुि (घ) धम के वा तिवक व प क पहचान
8. नई अंत ि से आप या समझते है?
(क) नई खोज (ख) नया अनुसंधान
(ग) नई संक पना (घ) नया िस ांत
9. ई र एक अनुपि थित है- कै से?
(क) ई र कभी िदखाई नह देते (ख)ई र कभी उपि थत नह होता
(ग) एकांत म ही ई र महसूस होते ह (घ) ई र होते ही नह ह
10. एकांत म रहने का अथ है?
(क) दो त नह बना सकना
(ख) संसार को जानने का अवसर िमलना
(ग) अपने ि य लोग को जानने का अवसर िमलना
(घ) संसार और कृ ित क सुंदरता को देखना
उ र:
1.(ख) 2.(ग) 3.(ग) 4.(क) 5.(ग)
6.(क) 7.(घ) 8.(ग) 9.(ग) 10.(घ)
4) मेरे िवचार से सफलता ा करने के िलए िजन गुण या वृि य का होना आव यक है वे ह– प र म, स ता, ेम व पिव ता। हम
इनम से सव थम वृि अथात काम करने क लगन या प र म को लेते ह। कहा गया है िक काम ही भगवान क भि है इसका अिभ ाय
यह है िक जब हम काम म लीन होत है तो अपने आस–पास क सभी व तुओ ं के बारे म भूल जात ह, तभी काम म हमारी लगन के
कारण हम सफलता ा होती है। यह भी आव यक है िक प र म या काम िन: वाथ भाव से अथात िबना फल क ाि क इ छा से
िकया जाना चािहए। गीता का सव िस ोक “कम येवािधकार ते मा फलेषु कदाचन” इसी स य का ोतक है। हम काम अथक व
िनवाध भाव से इस कार कर, िजस कार स रता या नदी हर मौसम म िबना आराम िकए अपने माग के प थर को काटती हई चली
जाती है। सूय भी फल क इ छा के बगैर हर समय अपना काश फै लाता रहता है। हम भी मन सदैव शांत रखना चािहए। काम को ही
आराम समझते हए अपने ल य क ओर बढ़ते जाना ही सफलता का पहला रह य है। दसू रा साधन है– स ता। जीवन म संघष, बाधाएँ
आती रहती ह, परंतु धैयवान यि हमेशा स रहता है। हम हर समय स , मु कराते हए रहने क आदत डालनी चािहए। भु पर अटू ट
िव ास रखते हए िबना िकसी भय, िचंता या द:ु ख के अपने काम म स तापूवक जुटे रहना तथा अपने मि त क को सदैव शांत रखना ही
स रहने क कुं जी है। स ता को किठनाइय या द:ु ख क बेदी पर बिलदान करना आ मघात के समान है।
1. प र म का या अथ है?
(क) काम करने का तरीका (ख) काम करने क लगन
(ग) काय को िनधा रत करना (घ) काय क योजना बनाना
2. भि क या िवशेषता बताई गई है?
(क) काम म हमारी लगन के कारण हम सफलता ा होती है
(ख) िन: वाथ भाव से काम करना
(ग) मन सदैव शांत रहना
(घ) काम म लीन होना
3. “कम येवािधकार ते मा फलेषु कदाचन” से या ता पय है?
(क) लाभ को यान म रखकर काय करना
(ख) लाभ का यान िकए िबना काय करना
(ग) लाभ लेकर काम क ओर अ सर होना
(घ) उपयु तीन
4. सफलता ा करने के िलए कौन सा/से गुण आव यक है/ह?
(1) प र म
(2) स ता
(3) पिव ता
(4) सभी
5. नदी और सूय को देखकर हम या िश ा िमलती है?
(क) सदैव आगे बढ़ने क (ख) प र म करने क
(ग) िन: वाथ भाव से मेहनत करने क (घ) स रहने क
6. काय करने का सही तरीका या बताया गया है?
(क) मु कराते रहने क आदत डालनी चािहए
(ख) भु पर अटू ट िव ास रखते हए िबना िकसी भय, िचंता या दख
ु के अपना काम करना
(ग) हम हर समय स रहना चािहए
(घ) हम मन को सदा शांत रखना चािहए
7. धैयवान यि क िवशेषता या है?
(क) िनबाध भाव से काय करने क (ख) संघषशील
(ग) स रहना (घ) िचंता या दखु म रहना
8. आ मघात के समान िकसे माना गया है?
(क) मु कराते हए रहने क आदत
(ख) खुिशय को मुसीबत के कारण ख म करना
(ग) लाभ को यान म रखकर काय करना
(घ) काम को ही आराम समझते हए अपने ल य क ओर बढ़ते जाना
9. ‘िन: वाथ’ श द का अथ है-
(क) िन न वाथ (ख) वाथपूण
(ग) िबना वाथ के (घ) िबना काय के
10. उपयु गदयांश का उिचत शीषक या होगा?
(क) जीवन म संघष (ख) फल क इ छा
(ग) सफलता (घ) भगवान क भि
उ र: 1.(ख) 2.(घ) 3.(ख) 4.(घ) 5.(ग)
6.(ख) 7.(ग) 8.(ख) 9.(ग) 10.(ग)
अपिठत प ांश
का य खंड
पाठ 1. आ मप रचय ( किवता )
ह रवंश राय ब न
1. िन निलिखत पिठत का यांश को पढ़ कर के सही िवक प चुिनए :- (1x5=5)
जग – जीवन का मार िलए िफरता हँ,
िफर भी जीवन म यार िलए िफरता हँ;
कर िदया िकसी ने कृ त िजनको छू कर
म साँस के दो तार िलए िफरता हँ !
म नेह-सुरा का पान िकया करता हँ,
म कभी न जग का यान िकया करता हँ,
जग पूछ रहा उनको, जो जग क गाते,
म अपने मन का गान िकया करता हँ !
क ) का यांश म ‘जग-जीवन के भार’ का या अथ है ?
i ) संसार के सभी लोग क िज मेदारी
ii) अपने घर प रवार के सभी दािय व
iii) अपने िम क िज मेदारी
iv) उपयु सभी
ख ) का यांश के अनुसार किव सभी को या बाँटता है ?
i ) खुिशयाँ
ii) दःु ख
iii) आशा
iv) ेम
ग ) इस का यांश म साँस के दो तार का आशय है –
i ) दो तार
ii) सुिवधाओं से भरा जीवन
iii) ेम से भरा जीवन
iv) क से भरा जीवन
घ ) ‘ नेह- सुरा’ म िनिहत अलंकार है –
i ) उपमा
ii) पक
iii) उ े ा
iv) उपयु सभी
ड. ) किव के अनुसार संसार म िकन लोग को ित ा ा होती है?
i ) संसार के िहत म काय करने वाल को
ii) उ सािह य क रचना करने वाले को
iii) संसार क झूठी शंसा न करने वाल को
iv) संसार का झूठा गुणगान करने वाल को
सही उ र : क) : अपने घर प रवार के सभी दािय व ख ) : ेम ग) ेम से भरा जीवन घ) पक ड.) संसार का झूठा
गुणगान करने वाल को
1) उपमा .
2) पक.
3) यमक.
4) अनु ास.
सही उ र : क) अपने ि य के ित ेम भाव से भरे गीत ख) संसार के लोग इ या ेष अहंकार आिद से भरे ह ग ) किव अपने
दय म ि य क याद को बनाए रखता है . घ) सांसा रक सुख-सुिवधाएं जुटाना ड.) पक
3. ‘म और, और जग और, कहाँ का नाता?
म बना-बना िकतने जग रोज िमटाता,
जग िजस पृ वी पर जोड़ा करता वैभव,
म ित पग से उस पृ वी को ठु कराता!
म िनज रोदन म राग िलए िफरता हँ,
शीतल वाणी म आग िलए िफरता हँ,
ह िजस पर भूप के ासाद िनछावर,
म वह खंडहर का भाग िलए िफरता हँ।‘
1 . ‘म बना-बना िकतने जग रोज िमटाता’ इस पंि का या भाव है ?
1)किव रोज िव वंस का काम करता है .
2)किव नए- नए ‘सपन के संसार’ क क पना करता है .
3)किव संसार के लोग से नफ़रत करता है .
4)वह संसार से रोज ेरणा लेता है .
2 . का यांश म संसार के लोग क िकस वृि को बताया गया है ?
1) वे धन-संपि जोड़ने म लगे रहते ह.
2) वे खंडहर देखने जाते ह.
3) वे धन-संपि को ठु कराते ह .
4) िवक प ‘क’ और ‘ख’ दोन सही है .
3 . का यांश म किव के िकस वाभाव को रे खांिकत िकया गया है ?
1) किव संसार के लोग से िवपरीत सोच रखता है .
2) किव पृ वी पर नह रहना चाहता .
3) किव अपने ि य क याद को दय म बसाए हए है .
4) िवक प ‘क’ और ‘ग’ दोन सही है .
4 . का यांश म िकस पंि म यमक अलंकार है ?
1) ‘म और, और जग और, कहाँ का नाता?’
2) ‘म ित पग से उस पृ वी को ठु कराता!’
3) ‘जग िजस पृ वी पर जोड़ा करता वैभव,’
4) इनम म से कोई नह .
5 . ‘शीतल वाणी म आग’ का या आशय है ?
1) किव क वाणी म घृणा है.
2) किव के गीत म मधुरता है पर तु उसम िवरह क वेदना भी है.
3) किव के गीत म िव ोह का वर है.
4) िवक प ‘ख’ और ‘ग’ सही है.
एक गीत ( किवता )
िदन ज दी ज दी ढलता है
( िनशा िनमं ण नामक गीत सं ह से उ तृ )
1. िन निलिखत पिठत का यांश को पढ़ कर के सही िवक प चुिनए :- (1x5=5)
हो जाए न पथ म रात कह
मंिजल भी तो है दरू नह -
यह सोच थका िदन का पंथी भी ज दी-ज दी चलता है!
िदन ज दी-ज दी ढलता है!
1. इस का यांश म रात होने क िचंता कौन कर रहा है?
(1) मंिजल
(2) राहगीर
(3) पथ
(4) िचिड़या
2. ‘पथ म रात न हो जाए’-इसके िलए पंथी या करता है?
(1) रात होने का इंतजार करता है
(2) वह क जाने का बं ध करता है
(3) अपने कदम ज दी-ज दी बढ़ाता है
(4) वापस अपने घर चला जाता है
3. ज दी-ज दी म कौन सा अलंकार है?
(1) अलंकार
(2) उपमा अलंकार
(3) पक अलंकार
(4) पुन ि काश अलंकार
4. तुत का यांश म ‘िदन ज दी-ज दी ढलता है’ पंि म तीक अथ या है?
(1) मंिजल यादा दरू नह है
(2) हमारा जीवन भी ज दी-ज दी ढलता जाता है
(3) रात ज दी -ज दी होती है
(4) रात को राहगीर क जाता है
5. ‘हो जाए न पथ म रात कह ’ पंि म ‘पथ’ श द का अथ है-
(1) राह
(2) रात
(3) राहगीर
(4) मंिजल
उ र-1. राहगीर, 2.अपने कदम ज दी-ज दी बढ़ाता है 3.पुन ि काश अलंकार 4.हमारा जीवन भी ज दी-ज दी
ढलता जाता है. 5. राह
पाठ 2 . पतंग
सबसे तेज़ बौछार गय । भादो गया
सवेरा हआ खरगोश क आँख जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुल को पार करते हए
अपनी नयी चमक ली साइिकल तेज चलाते हए
घंटी बजाते हए जोर-जोर से
चमक ले इशार से बुलाते हए
पतंग उड़ाने वाले ब के झुडं को
चमक ले इशार से बुलाते हए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हए
िक पतंग ऊपर उठ सके -
दिु नया क सबसे हलक और रंगीन चीज उड़ सके -
दिु नया का सबसे पतला कागज उड़ सके -
बाँस क सबसे पतली कमानी उड़ सके
िक शु हो सके सीिटय , िकलका रय और
िततिलय क इतनी नाजुक दिु नया।
1 . िन निलिखत पिठत का यांश को पढ़ कर के सही िवक प चुिनए :- (1x5=5)
1 . प ांश म िकस ऋतु के आगमन क सूचना दी गई है ?
1) वसंत
2) ी म
3) वषा
4) शरद
2 . सबेरे के िलए िकस उपमान का योग िकया गया है?
1) चमक ली साइिकल
2) मुलायम आकाश
3) खरगोश क आँख
4) पतंग
3 . पतंग के िलए कहा गया है?
1) सबसे पतला कागज़
2) सबसे पतली कमानी
3) सबसे ह क रंगीन चीज
4) उपयु सभी
4 . ‘शरद आया पुल को पार करते हए
अपनी नयी चमक ली साइिकल तेज चलाते हए’ पंि म अलंकार है -
1) मानवीकरण
2) उपमा
3) अितयोशयोि
4) इनम से कोई नह
5 . इस का यांश म िकस िब ब क योजना है-
1) य िब ब
2) य
3) पश िब ब
4) उपयु सभी
उ र-1 शरद 2)खरगोश क आँख 3)उपयु सभी 4)मानवीकरण 5)उपयु सभी
का यांश पर आधा रत ो री
-1.
किवता एक उड़ान है िचिड़या के बहाने
किवता क उड़ान भला िचिड़या या जाने
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
किवता के पंख लगा उड़ने के माने
िचिड़या या जाने?
किवता एक िखलना है फू ल के बहाने
किवता का िखलना भला फू ल या जाने ?
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
िबना मुरझाए महकने के माने
फू ल या जाने ?
उपरो का या श के आधार पर िन निलिखत म से सही िवक प का चयन क िजए-
i) तुत का या श के किव कौन है?
क) कुँ वर नारायण
ख) ह रवंश राय ब न
ग) आलोक ध वा
घ) रामधीर िसंह ‘िदनकर’
ii) उपरो पंि याँ िकस किवता से उ तृ ह?
क) बात सीधी थी पर
ख) किवता के बहाने
ग) आ मप रचय
घ) िदन ज दी-ज दी ढलता है ।
iii) ‘ क पना के पंख लगा उड़ने ’ के ता पय के स दभ म िन निलिखत म से कौन – कौन से कथन अस य ह ?
(i) किवता क भाषा िव कु ल प होती है |
(ii) किवता आकाश म िचिड़य क तरह नह उड़ती है |
(iii) किवता क पना और िवचार क उड़ान है
(iv) किवता म िवचार और भाव क प रप ता है |
(क) i और iv
(ख) ii और iii
(ग) i और ii
(घ) iii और iv
iv) किवता म सुगंध और सौ दय कौन भर देता है?
क) किव
ख) फू ल
ग) िचिड़या
घ) किवता
v) किवता म िकसक तुलना बहत मनोरम बन पड़ी है ?
क) किवता और फू ल क
ख) किवता और किव क
ग) फू ल और िचिड़या क
घ) िचिड़या और किवता क
उ र
i) कुँ वर नारायण ii) किवता के बहाने iii ) (क) i और iv iv) किव v) किवता और फूल क
-2
किवता एक खेल है ब के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने
ब ा ही जाने ।
उपरो का या श के आधार पर िन निलिखत म से सही िवक प का चयन क िजए-
i) किवता म ब के खेलो को देखकर किव या करता है ?
क) श द- ड़ा
ख) जल ड़ा
ग) नए-नए खेल
घ) िचिड़या के साथ खेलता है
ii) किवता को खेल य कहा गया है?
क) किवता एक खेल है
ख) खेलना भी किवता है
ग) ब का खेल है
घ) किवता रचना भी किव क एक ड़ा है
iii) ब ा खेल-खेल म कौन –सा मह वपूण काम कर लेता है ?
क) अपने-पराए के भेद को समा कर देता है
ख) अपने-पराए के भेद को बढ़ा देता है
ग) द ु मनी बढा देता है
घ) उपरो म कोई नह
iv) ‘ब के बहाने’ म कौन- सा अलंकार है?
क) पक
ख) उपमा
ग) अनु ास
घ) यमक
v) ब के अनुसार किव-कम भी या है?
क) एक खेल है
ख) दंड
ग) सजा
घ) पूजा
उ र
i)श द- ड़ा ii)किवता रचना भी किव क एक ड़ा है
iii) अपने-पराए के भेद को समा कर देता है iv)अनु ास v) एक खेल है।
-2॰
सोिचए
बताइए
आपको अपािहज होकर कै सा लगता है
कै सा
यानी कै सा लगता है
(हम खुद इशारे से बताएँगे िक या कै सा ?)
सोिचए
बताइए
थोड़ी कोिशश क रए
(यह अवसर खो दगे ?)
आप जानते ह िक काय म रोचक बनाने के वा ते
हम पूछ पूछ कर उसको ला दगे
इंतज़ार करते ह आप भी उसके रो पड़ने का
करते ह ?
(यह पूछा नह जाएगा)
उपरो का या श के आधार पर िन निलिखत म से सही िवक प का चयन क िजए-
i) कौन अपने दख ु के बारे म मौन रहता है ?
क) अपािहज
ख) किव
ग) संप यि
घ) दशक
ii) ‘आपको इस तरह का दद होता है’-यह कौन पूछता है?
क) अपािहज
ख) किव
ग) दशक
घ) काय म संचालक
iii) कौन कहता है िक हम अपने काय म को रोचक बनाना है?
क) काय म संचालक
ख) किव
ग) अपािहज
घ) उपरो म से कोई नह
iv)काय म-संचालक अपािहज के दख ु को बार-बार कट करके अपने काय म को या बनाना चाहता है?
क) बेकार
ख) अरोचक
ग) रोचक
घ) मनोरंजक
v) दशक भी िकसम रस लेते ह?
क) दीन–दिु खय के दद को देखने म
ख) दीन–दिु खय क तर म
ग) दीन –दिु खय को स देखकर
घ) उपरो म कोई नह
-3
िफर हम पद पर िदखलाएँगे
फू ली हई आँख क एक बड़ी त वीर
बहत बड़ी त वीर
और उसके ह ठ पर एक कसमसाहट भी
(आशा है आप उसे उसक अपंगता क पीड़ा मानगे)
एक और कोिशश
दशक
धीरज रिखए
देिखए
हम दोन एक संग लाने ह
आप और वह दोन
(कै मरा
बस करो
नह हआ
रहने दो
परदे पर व क क मत है)
अब मुसकराएंगे हम
आप देख रहे थे सामािजक उ े य से यु काय म
(बस थोड़ी ही कसर रह गई )
ध यवाद
उपरो का या श के आधार पर िन निलिखत म से सही िवक प का चयन क िजए-
i) इस का या श म िकस पर यं य िकया गया है?
क) अपािहज पर
ख) दशक पर
ग) दरू दशन पर
घ) दरू दशन के काय म-संचालक पर
ii) काय म-संचालक अपािहज तथा दशक को एक साथ या करना चाहता है?
क) हंसाना
ख) िखलाना
ग) लाना
घ) बैठाना
iii) तुत का यांश म िकस पर काश डाला गया है?
क) मीिडया किमय क दयहीन काय-शैली पर
ख) अपािहज क दीन-हीनता पर
ग) दशक क खुशी पर
घ) अमीर क संप ता पर
iv) का या श म दरू दशन के िकस काय म क पोल–प ी खोली गई है?
क) सां कृ ितक
ख) सामािजक
ग) राजनीितक
घ) दाशिनक
v) उपरो का यांश के किव कौन ह?
क) रघुवीर सहाय
ख) िनराला
ग) ह रवंश राय ब न
घ) आलोक ध वा
‘कै मरे म बंद अपािहज’ का स पूण उ र अब एक साथ –
उ र संकेत – 1॰ i (क) ii (ख) iii (ग) iv (ग) v (घ)
उ र –संकेत – 2॰ i (क) ii (घ) iii (क) iv (ग) v (क)
उ र संकेत – 3॰ i (घ) ii (ग) iii (क) iv (ख) v (क)
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2. ल मण मू छा और राम का िवलाप
उ र
क)2) ल मण क मू छा और राम का िवलाप
ख)3) वानर राज हनुमान क
ग)1) उदार और कोमल
घ)4) वन म अपने अनुज का िवयोग सहना पड़ेगा तो िपता के वचन नह मानता।
ड.)3) चौपाई छं द एवं क ण रस
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3)
सुत िबत ना र भवन प रवारा। होिहं जािहं जग बारिहं बारा।।
अस िबचा र िजय जागह ताता। िमलइ न जगत सहोदर ाता।।
जथा पंख िबनु खग अित दीना। मिन िबनु फिन क रबर कर हीना।।
अस मम िजवन बंधु िबनु तोही। ज जड़ दैव िजआवै मोही।।
जैहउँ अवध कवन मुहँ लाई। ना र हेतु ि य भाई गवांई।।
ब अपजस सहतेउँ जग माह । ना र हािन िबसेष छित नह ।।
क) तुत छं द म राम के िकस प का वणन है ?
1) साधारण मनु य का प
2) मयादा पु षो म राम करो
3) िव णु अवतार का
4) उनके शि शाली प का
ख) तुत प ांश म राम ने ातृ ेम क तुलना म िक हे हीन माना है ?
1) पु ,समय, नारी ,महल और प रवार
2) पु ,रा य, ी , घर और प रवार
3) पु , धन, ी, घर और प रवार
4) पु ,िम , ी , घर और प रवार
ग) सहोदर का अथ या है ?
1) दरू के र ते म भाई
2) चचेरा भाई
3) ममेरा भाई
4) सगा भाई
घ) ल मण के िबना राम क ि थित कै सी हो जाएगी ?
1) पंख के िबना प ी
2) मिण के िबना सांप सूँड़ के िबना हाथी
3) के वल दसू रा सही है
4) पहला और दसू रा दोन सही है ।
ड.) तुत छं द म राम िकस अपयश से याकु ल है ?
1) अपनी प नी क र ा नह कर सके
2) भाई को मौत के मुहं म डाल देने का अफे यस
3) प नी के िलए ि य भाई को खो देना
4) अपनी प नी को खो देना।
उ र
क)1) साधारण मनु य का प
ख)3) पु , धन, ी, घर और प रवार
ग)4) सगा भाई
घ)4) पहला और दसू रा दोन सही है ।
ड.)3) प नी के िलए ि य भाई को खो देना
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4)
अब अपलोकु सोकु सुत तोरा। सहिह िनठु र कठोर उर मोरा।।
िनज जननी के एक कु मारा । तात तासु तु ह ान अधारा।।
स पेिस मोिह तु हिह गिह पानी। सब िबिध सुखद परम िहत जानी।।
उत काह दैहऊँ तेिह जाई। उिठ िकन मोिह िसखावह भाई।।
बह िबिध सोचत सोिच िबमोचन। वत सिलल रािजव दल लोचन।।
उमा एक अखंड रघुराई। नर गित भगत कृ पालु देखाई।।
क) तुत छं द म राम ने ल मण को या कहकर संबोिधत िकया है ?
1) सहोदर
2) िम
3) पु
4) सखा
ख) तुत छं द म राम ने ल मण को िकसके ाण का आधार कहा है ?
1) माता कौश या के ाण का आधार
2) िपता दशरथ के ाण का आधार
3) प नी उिमला के ाण का आधार
4) माता सुिम ा के ाण का आधार
ग) राम ल मण से मूछा से उठकर या िसखाने क िवनती करते ह ?
1) रावण से िकस कार यु लड़ा जाए
2) वे अयो या लौट कर माता सुिम ा को या जवाब दगे
3) वे अयो या लौट कर उिमला को या जवाब दगे
4) वह यह क कै से सहन कर।
घ) तुत छं द म सोच- िवमोचन कौन है ?
1) ी राम
2) ल मण
3) भगवान शंकर
4) देवी उमा
ड.) नर गित भगत कृ पाल िदखाई- पंि का आशय या है?
1) राम ने अपनी लीला िदखाई
2) राम ने भ पर अपनी कृ पा िदखाई
3) भ पर कृ पा िदखाने वाले राम ने साधारण मनु य क दशा िदखाई।
4) राम ने भ को अपना अि तीय प िदखाया।
उ र
क)3) पु
ख)4) माता सुिम ा के ाण का आधार
ग)2) वे अयो या लौट कर माता सुिम ा को या जवाब दगे
घ)1) ी राम
ड.)3)भ पर कृ पा िदखाने वाले राम ने शोकाकु ल अव था म साधारण मनु य क दशा िदखाई।
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5)
भु लाप सुिन कान, िबकल भए बानर िनकर।
आइ गयउ हनुमान, िजिम क ना महं बीर रस।।
हरिष राम भटेउ हनुमान। अित कृ त य भु परम सुजाना ।।
तुरत बैद तब क ि ह उपाई। उिठ बैठे लिछमन हरषाई ।।
दय लाइ भु भेटेउ ाता। हरषे सकल भालु किप ाता।।
किप पुिन बैद तहाँ पहँचावा। जेिह िबिध तािह लई आवा।।
क) तुत का यांश म कौन-सा छं द है ?
1) दोहा और चौपाई छं द
2) सोरठा और चौपाई छं द
3) दोहा और सोरठा छं द
4) सोरठाऔर सवैया छं द
ख) पूरी वानर सेना िवकल य हो गई ?
1) यु म ल मण को मूिछत देखकर
2) हनुमान के न लौटने के क म
3) यु के प रणाम के बारे म सोच कर
4) भाई के िवयोग म राम का िवलाप सुनकर
ग) हनुमान के आगमन का वणन िकस कार िकया गया है ?
1) मानो शांत रस म हा य रस का आगमन हो गया हो
2) मानो भि रस म वीर रस का आगमन हो गया हो
3) मानो क ण रस म वीर रस का आगमन हो गया हो
4) मानव शांत रस म वीर रस का आगमन हो गया हो
घ) ल मण को व थ देखकर राम ने या िकया ?
1) राम स हो गए
2) राम ने हनुमान को गले से लगा िलया
3) राम ने हनुमान के ित अपनी कृ त ता कट क
4) उपयु सभी िवक प सही है ।
ड.) तुत का यांश म अंत म हनुमान ने या िकया ?
1) हनुमान वानर सेना के साथ खुिशयां मनाने लगे
2) हनुमान अपने भु क वंदना करने लगे
3) हनुमान ने वै सुषेण को उनके िनवास थान पर पहंचा िदया
4) हनुमान वानर सेना को संजीवनी लाने क पूरी कथा सुनाने लगे ।
उ र
क)2) सोरठा और चौपाई छं द
ख)4) भाई के िवयोग म राम का िवलाप सुनकर
ग)3) मानो क ण रस म वीर रस का आगमन हो गया हो
घ)4) उपयु सभी िवक प सही है ।
ड.)3) हनुमान ने वै सुषेण को उनके िनवास थान पर पहंचा िदया
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6)
यह बृतांत दसानन सुनेऊ। अित िबषाद पुिन पुिन िसर धुनेऊ।।
याकु ल कुं भकरन पिहं आवा। िबिबध जतन क र तािह जगावा ।।
जागा िनिसचर देिखअ कै सा । मानहँ कालु देह ध र वैसा ।।
कुं भकरन बूझा कह भाई । काहे तव मुख रहे सुखाई।।
कथा कही सब तेिहं अिभमानी। जेिह कार सीता ह र आनी।।
तात किप ह सब िनिसचर मारे । महा महा जोधा संघारे ।।
दमु खु सुर रपु मनुज अहारी। भट अितकाय अकं पन भारी।।
अपर महोदर आिदक बीरा। परे समर मिह सब रनधीरा।।
सुिन दसकं धर बचन तब, कुं भकरन िबलखान।।
जगदबा ह र अिन अब, सठ चाहत क यान।।
क) तुत छं द म िकस वृतांत क बात कही गई है ?
1) हनुमान ारा संजीवनी बूटी लाना
2) ल मण का उपचार
3) ल मण का व थ हो जाना
4) उपयु सभी ।
ख) यह वृ ांत सुनकर रावण क या दशा हई ?
1) रावण िसर पीटकर पछताने लगा
2) रावण िवलाप करने लगा
3) रावण डर गया
4) रावण िचंता म पड़ गया।
ग) न द से जागने के बाद कुं भकरण कै सा िदखाई दे रहा था ?
1) याकु ल और बेचनै
2) मानो वयं यमराज शरीर धारण करके बैठा हो
3) ोध म पागल
4) बहत अलसाया हआ ।
घ) तुत छं द म कुं भकरण ने सीता को या कहकर संबोिधत िकया है ?
1) जगत का क याण करने वाली
2) आिदशि
3) जगत जननी
4) जगत पालक
ड.) तुत का यांश म िकन छं द का का योग है ?
1) चौपाई और दोहा छं द
2) चौपाई और सोरठा छं द
3) चौपाई और किव छं द
4) चौपाई और सवैया छं द
उ र
क)4) उपयु सभी ।
ख)1) रावण िसर पीटकर पछताने लगा
ग)2) मानो वयं यमराज शरीर धारण करके बैठा हो
घ)3) जगत जननी
ड.)1) चौपाई और दोहा छं द
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का यांश पर आधा रत ो री
1.
आंगन म िलए चाँद के टुकड़े को खड़ी
हाथ पे झुलाती ह उसे गोद भरी
रह-रह के हवा म जो लोका देती ह।
गूँज उठती ह िखलिखलाते ब े क हँसी।
नहला के छलके छलके िनमल जल से
उलझे हए गेसओ ु ं म कं घी करके
िकस यार से देखता है ब ा मुहँ को
जब घुटिनय म लेके ह िप हाती कपड़े।
(1 ) आँगन म कौन खड़ा है ?
क) माँ
ख) चाँद
ग ) पु
घ ) किव
(2 ) किव ने मां क गोद म खेलते ब े को िकस क सं ा दी है?
क) चांद क
ख) िजगर के टुकड़े क
ग ) चांद के टुकडे क
घ ) राज दलु ारे क ।
(3 ) “लोका देना” का अथ या है?
क) साथ म खेलना
ख) उछाल देना
ग ) झूला झुलाना
घ ) घुमाना ।
4) “िप हाती” िकस भाषा का श द है?
क) े ीय भाषा
ख) उद ू भाषा
ग ) िह दी भाषा
घ ) िवदेशी भाषा
(5 ) बाई छं द म िकन पंि य के अंत म एक जैसी मा ा होती है?
क) पहली दसू री और तीसरी
ख) पहली दसू री और चौथी
ग ) दसू री तीसरी और चौथी
घ ) इनम से कोई नह ।
उ र
1) क) माँ
2) ग ) चांद के टु कडे क
3) ख) उछाल देना
4)क) े ीय भाषा
5)ख) पहली दसू री और चौथी
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3.
दीवाली क शाम घर पुते और सजे
चीनी के िखलौने जगमगाते लावे
वो पवती मुखड़े पै इक नम दमक
ब े के घरौदे म जलाती ह िदए।
आँगन म ठु नक रहा है िजदयाया है
बालक तो हई चाँद म ललचाया है
दपण उसे दे के कह रही है माँ
देख आईने म चाँद उतर आया है।
उ र
1)घ ) उपयु सभी
2)क) चीनी िम ी के िखलौने
3)घ ) ब के घर दे म
4)घ) िह दी-उद ू सिहत लोकभाषा का योग
5)(ग) तीसरी
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ग - खंड
पाठ 11 . भि न
लेिखका - महादेवी वमा
िवधा - सं मरणा मक रेखािच ( मृित क रेखाएं सं ह से िलया गया है । )
1. िन निलिखत पिठत ग ांश को पढ़कर नीचे िदए के सही िवक प चुिनए :- (1x5=5)
िपता का उस पर अगाध ेम होने के कारण वभावतः ई यालु और संपि क र ा म सतक िवमाता ने उनके मरणांतक रोग का समाचार
तब भेजा, जब वह मृ यु क सूचना भी बन चुका था। रोने-पीटने के अपशकु न से बचने के िलए सास ने भी उसे कु छ न बताया। बहत िदन
से नैहर नह गई, सो जाकर देख आवे, यही कहकर और पहना-उढ़ाकर सास ने उसे िवदा कर िदया। इस अ यािशत अनु ह ने उसके
पैर म जो पंख लगा िदए थे, वे गाँव क सीमा म पहँचते ही झड़ गए। 'हाय लछिमन अब आई क अ प पुनरावृि याँ और प
सहानुभिू तपूण ि याँ उसे घर तक ठे ल ले गई। पर वहाँ न िपता का िचहन शेष था, न िवमाता के यवहार म िश ाचार का लेश था। दख
ु से
िशिथल और अपमान से जलती हई वह उस घर म पानी भी िबना िपए उलटे पैर ससुराल लौट पड़ी। सास को खरी-खोटी सुनाकर उसने
िवमाता पर आया हआ ोध शांत िकया और पित के ऊपर गहने फक-फककर उसने िपता के िचर िवछोह क मम यथा य क ।
(I) भि न क िवमाता ने िपता क बीमारी का समाचार देर से िदया | इस संबधं म कौन सी अवधारणा शािमल नह है
(क) िपता का भि न के ित आगाध ेम
(ख) िपता ारा भि न को संपि दे देने का भय
(ग) सौतेली माता के मन म भि न को दःु ख से बचने क भावना
(घ) भि न के मन म बसी इ या
(II) सास ारा भि न को उसके िपता क मृ यु क सूचना भि न को य नह दी गई?
(क) भि न को िपतृशोक से बचाए रखने के िलए
(ख) भि न से असीम ेम के कारण
(ग) भि न के ारा बार – बार नेहर जाने क िज के कारण
(घ) रोने -िवलाप करने से घर म अपशकु न
(III) सास ने भि न के ित या अ यािशत अनु ह िकया?
(क) भि न के िपता क मृ यु क बात बताना
(ख) भि न को उसके िपता के घर भेजना
(ग) भि न को उसके िपता के घर न भेजना
(घ)भि न के िदन ितिदन के काय म सहयोग देना
(IV) भि न के पैर म लगे पंख झड़ने का कारण या था?
(क) सास ारा िकए गए छल का अहसास
(ख) िपता क मृ यु हो जाने क आशंका
(ग) गाँववाल ारा उसे सहानुभिू तपूण ि से देखना
(घ) तीन िवक प सही ह |
(V) भि न ने सौतेली माँ पर आया ोध कै से शांत िकया?
(क) नैहर का पानी न पीकर
(ख) तुरंत ससुराल वािपस आकर
(ग) अपनी सास को बुरा भला कहकर
(घ) अपने गहने उतारकर पित पर फै क – फै ककर
उ र संकेत : i) िपता ारा भि न को संपि दे देने का भय ii) रोने -िवलाप करने से घर म अपशकु न iii) भि न को
उसके िपता के घर भेजना iv) तीन िवक प सही ह v) अपने गहने उतारकर पित पर फै क – फै ककर
उ र संकेत : i) भि न को ii) नारी क दयनीय ि थित को दशाना iii) उपयु सभी सही iv) उससे यादा काय कराया
जाने लगा v) उसक िपटाई करवाने के िलए
3. िन निलिखत पिठत ग ांश को पढ़कर नीचे िदए के सही िवक प चुिनए :- (1x5=5)
भि न का दभु ा य भी उससे कम हठी नह था, इसी से िकशोरी से युवती होते ही बड़ी लड़क भी िवधवा हो गई। भइह से पार न पा सकने
वाले जेठ और काक को परा त करने के िलए किटब िजठौत ने आशा क एक िकरण िदखाई । िवधवा बिहन के गठबंधन के िलए
बड़ा िजठै त अपने तीतर लडाने वाले साले को बुला लाया, य िक उसका गठबंधन हो जाने पर सब कु छ उ ह के अिधकार म रहता।
भि न क लड़क भी म से कम समझदार नह थी, इसी से उसने वर को नापसंद कर िदया। बाहर के बहनोई का आना चचेरे भाइय के
िलए सुिवधाजनक नह था, अतः यह ताव जहाँ-का-तहाँ रह गया। तब वे दोन माँ-बेटी खूब मन लगाकर अपनी संपि क
देख-भाल करने लगे और 'मान न मान म तेरा मेहमान' क कहावत च रताथ करने वाले वर के समथक उसे िकसी-न-िकसी कार पित
क पदवी पर अिभिष करने का उपाय सोचने लगे।
उ र संकेत : i) प रवार का सुख ii) भि न और उसक बेटी को अलग करने के िलए iii) भि न क जायदाद पर
िग ि iv) भि न और उसक बेटी ारा जायदाद संभाले रखना v) चचेरे भाइय क बदनीयती का ान होना
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-1॰
बाज़ार म एक जाद ू है। वह जाद ू आँख क राह काम करता है। वह प का जाद ू है। पर जैसे चुबं क का जाद ू लोहे पर ही चलता है, वैसे ही
इस जाद ू क भी मयादा है। जेब भरी हो, और मन खाली हो, ऐसी हालत मे जाद ू का असर खूब होता है। जेब खाली पर मन भरा न हो, तो
भी जाद ू चल जाएगा । मन खाली है तो बाज़ार क अनेकानेक चीज़ो का िनमं ण उस तक पहँच जाएगा। कह उस व जेब भरी तब तो
िफर वह मन िकसक मानने वाला है। पर उस जाद ू क जकड़ से बचने का एक सीधा सा उपाय है। वह यह है िक बाजार जाओ तो खाली
मन न हो । मन खाली हो, तब बाजार न जाओ । कहते ह िक लू म जाना हो तो पानी पीकर जाना चािहए । पानी भीतर हो तो ,लू का
लूपन यथ हो जाता है। मन ल य म भरा हो तो बाजार भी फै ला का फै ला ही रह जाएगा । तब वह घाव िबलकु ल नह दे सके गा, बि क
कु छ आनंद ही देगा। तब बाजार तुमसे कृ ताथ होगा, य िक तुम कु छ न कु छ स ा लाभ उसे दोगे। बाजार क असली कृ ताथता है
आव यकता के समय काम आना ।
उपरो ग ा श के आधार पर िन निलिखत म से सही िवक प का चयन क िजए-
i) तुत ग ा श िकस पाठ से संकिलत है?
क) भि न
ख) बाजार –दशन
ग) नमक
घ) िशरीष के फू ल
ii) उपरो ग ा श के लेखक कौन ह?
क) महादेवी वमा
ख) जैने कु मार
ग) धमवीर भारती
घ) िव णु खरे
iii) जाद ू िकसक राह से काम करती है?
क) कान क
ख) आँख क
ग) नाक क
घ) मुहँ क
iv)बाजार का जाद ू िकस पर अिधक असर करता है?
क) िजनका मन खाली होता है।
ख) िजनका मन भरा रहता है।
ग) िजनके जेब म पैसे होते ह।
घ) िजनके जेब म पैसे नह होते ह।
v) बाजार का आकषण ाहक को कौन-सी चीज खरीदने के िलए ललचाता है?
क) ज रत क चीज
ख) अपनी पसंद क चीज
ग) अ छी चीज
घ) यथ क चीज
-3॰
या जाने उस भोले आदमी को अ र- ान तक भी है या नह । और बड़ी बात उसे मालूम या ह गी। और हम आप न जाने िकतनी बड़ी
बड़ी बात जानते ह। इससे यह तो हो सकता है िक वह चूरन वाला भगत हम लोग के सामने एकदम नाचीज़ आदमी हो। लेिकन आप
पाठक क िव ान ेणी का सद य होकर भी म यह वीकार नह करना चाहता हँ िक उस अपदाथ ाणी को वह ा है जो हम म से
बहत कम को शायद ा है। उस पर बाजार का जाद ू वार नह कर पाता । माल िबछा रहता है,और उसका मन अिडग रहता है। पैसा उससे
आगे होकर भीख तक माँगता है िक मुझे लो । लेिकन उसके मन म पैसे पर दया नह समाती। वह िनमम यि पैसे को अपने आहत गव म
िबलखता छोड़ देता है। ऐसे आदमी के आगे या पैसे िक यं य-शि कु छ भी चलती होगी ? या वह शि कुं िठत रहकर सल ही न
हो जाती होगी ?
उपरो ग ा श के आधार पर िन निलिखत म से सही िवक प का चयन क िजए-
i) यहाँ िकस भोले आदमी क बात क जा रही है?
क) चूरन वाले भगत जी क
ख) पान वाले भगत जी क
ग) परचून वाले भगत जी क
घ) उपरो सभी
ii) अपदाथ का या अथ है?
क) अिकं चन
ख) बेचारा,िबना मह व का
ग) हलका-फु लका
घ) उपरो सभी
iii) लोग को लुभाने, यासा बनाने,तृ णा से याकु ल बनाने और लोभ से पागल बनाने क शि को या कहते ह?
क) हा य–शि
ख) यं य-शि
ग) अ शि
घ) मृग शि
iv) िकसके मन म सांसा रक व तुओ ं को पाने क पागल वासना नह है?
क) लेखक के
ख) ाहक के
ग) भगत जी के
घ) लोभ यु मनु य के
v) भोला िकसे कहा गया है?
क) भगत जी को
ख) लेखक को
ग) ाहक को
घ) उपरो म से कोई नह
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--------------------------
सही उ र-1. ज़रा और मृ यु,2. यमराज िनरंतर मौत के कोड़े बरसा रहे ह,3.मृ यु अटल है,इस स ाई को,4. नासमझी के
कारण,5.िज ीपन क वजह से
3.िशरीष त सचमुच प े अवधूत क भाँित मेरे मन म ऐसी तरंग जगा देता है जो ऊपर क ओर उठती रहती ह। इस िचलकती धूप म
इतना इतना सरस वह कै से बना रहता है ? या ये बा प रवतन-धूप, वषा, आँधी, लू-अपने आप म स य नह ह ? हमारे देश के ऊपर
से जो यह मार-काट, अि दाह, लूट-पाट, खून-ख र का बवंडर बह गया है, उसके भीतर भी या ि थर रहा जा सकता है ? िशरीष रह
सका है। अपने देश का एक बूढ़ा रह सका था। य मेरा मन पूछता िक ऐसा य संभव हआ ? य िक िशरीष भी अवधूत है। िशरीष
वायुमडं ल से रस ख चकर इतना कोमल और इतना कठोर है। गाँधी भी वायुमडं ल से रस ख चकर इतना कोमल और इतना कठोर हो सका
था। म जब-जब िशरीष क ओर देखता हँ तब तब हक उठती है- - हाय, वह अवधूत आज कहाँ है !
1.िशरीष क तुलना अवधूत से य क गई है?
(1) कोमल होने पर
(2) प रि थितय म न ढलने के कारण
(3) किठन से किठन प रि थितय म सरस रहने के कारण
(4) वह अवधूत क भाँित िदखता है
2.'हाय,वह अवधूत आज कहाँ है!' यह वा य िकसके िलए यु हआ है?
(1) िशरीष के फू ल के िलए
(2) वायुमडं ल के िलए
(3) महा मा गांधी के िलए
(4) बवंडर के िलए
3.अवधूत िकसे कहते ह?
(1) स यासी को
(2) साधु को
(3) फ ड़ म त संत को
(4) िशरीष को
4.गाँधी जी के िलए कौन-से िवशेषण यु हए ह?
(1) कोमल
(2) कठोर
(3) उपयु दोन
(4) इनम से कोई नह
5.िशरीष को जब-तब देखकर लेखक के मन म हक य उठती है?
(1) िशरीष इतना कोमल य है?
(2) यह वायुमडं ल से रस य ख चता है?
(3) गाँधी जैसे लोग अब भारत म य नह है?
(4) अवधूत आज कहाँ चले गए ह?
सही उ र 1.किठन से किठन प रि थितय म सरस रहने के कारण,2. महा मा गांधी के िलए,3.फ ड़ म त संत को,4.उपयु
दोन ,4.गाँधी जैसे लोग अब भारत म य नह है?
4.कािलदास वज़न ठीक रख सकते थे, य िक वे अनास योगी क ि थर - ता और िवद ध ेमी का दय पा चुके थे। किव होने से
या होता है ? म भी छं द बना लेता हँ, तुक जोड़ लेता हँ और कािलदास भी छं द बना लेते थे-तुक भी जोड़ ही सकते ह गे इसिलए हम
दोन एक ेणी के नह हो जाते। पुराने स दय ने िकसी ऐसे ही दावेदार को फटकारते हए कहा था—'वयमिप कवयः कवयः कवय ते
कािलदासा ा !' म तो मु ध और िव मय-िवमूढ़ होकर कािलदास के एक-एक ोक को देखकर हैरान हो जाता हँ। अब इस िशरीष के
फू ल का ही एक उदाहरण लीिजए। शकुं तला बहत सुदं र थी। सुदं र या होने से कोई हो जाता है ? देखना चािहए िक िकतने सुदं र दय से
वह स दय डु बक लगाकर िनकला है। शकुं तला कािलदास के दय से िनकली थी। िवधाता क ओर से कोई काप य नह था, किव क
ओर से भी नह । राजा द ु यंत भी अ छे -भले ेमी थे। उ ह ने शकुं तला का एक िच बनाया था; लेिकन रह-रहकर उनका मन खीझ
उठता था। उहँ, कह -न-कह कु छ छू ट गया है। बड़ी देर के बाद उ ह समझ म आया िक शकुं तला के कान म वे उस िशरीष पु प को देना
भूल गए ह, िजसके के सर गंड थल तक लटके हए थे, और रह गया है शर ं क िकरण के समान कोमल और शु मृणाल का हार।
1.लेखक कािलदास के सफल किव होने म कौन से गुण देखता है?
(1) ि थर- ता
(2) अनासि
(3) िवद ध ेमी
(4) उपयु सभी
2.सामा य किव और कािलदास म या अंतर है?
(1) लय, तुक, छं द आिद का
(2) िवषय के मम तक पहंचने का
(3) दोन एक ही ेणी के ह
(4) भाषा का अंतर
3.द ु यंत को शकुं तला के िच म कमी य तीत हो रही थी?
(1) सुंदर रंग क
(2) िशरीष पु प क
(3) शु मृणाल का हार
(4) क व ख दोन
4.'शकुं तला कािलदास के दय से िनकली थी' -आशय प क िजए।
(1) शकुं तला कािलदास क ेिमका थी
(2) कािलदास का दय बड़ा था
(3) कािलदास शकुं तला के ेम म डू बे हए थे
(4) कािलदास ने शुकंतला के स दय म डू बकर वणन िकया है
5.अनासि का अथ है -
(1) िकसी के ित लगाव
(2) िच -अ िच से परे
(3) घृणा
(4) ेम
सही उ र-1.उपयु सभी,2. िवषय के मम तक पहंचने का,3.क व ख दोन ,4.कािलदास ने शुकंतला के स दय म डू बकर
वणन िकया है,5. िच -अ िच से परे
5.कािलदास स दय के बा आवरण को भेदकर उसके भीतर तक पहँच सकते थे, दख ु हो िक अपना सुख,भाव-रस उस अनास
कृ पीवल क भाँित ख च लेते थे जो िनदिलत ई दु डं से रस िनकाल लेता है। कािलदास महान थे, य िक वे अनास रह सके थे। कु छ
इसी ेणी क अनासि आधुिनक िहंदी किव सुिम ानंदन पंत म है। किववर रव नाथ म यह अनासि थी। एक जगह उ ह ने िलखा-
'राजो ान का िसंह ार िकतना ही अ भेदी य न हो, उसक िश पकला िकतनी ही सुंदर य न हो, वह यह नह कहता िक हमम आकर
ही सारा रा ता समा हो गया। असल गंत य थान उसे अित म करने के बाद ही है, यही बताना उसका कत य है।' फू ल हो या पेड़, वह
अपने-आप म समा नह है। वह िकसी अ य व तु को िदखाने के िलए उठी हई अँगल ु ी है वह इशारा है।
1.कािलदास क स दय- ि क या िवशेषता थी?
(1) बा प रंग को देखने वाली
(2) सू म,अंतभिदनी,संपणू
(3) अनोखी
(4) थूल
2.'अनासि ' का या आशय है?
(1) िकसी के ित लगाव
(2) िच -अ िच से परे
(3) घृणा
(4) ेम
3.कािलदास, रव नाथ, और पंत जी म कौनसा गुण समान था?
(1) आधुिनकता
(2) महानता
(3) अनासि
(4) सुंदरता
4.रव नाथ 'राजो ान' के बारे म या संदश
े देते ह?
(1) अ भेदी होने का
(2) अंितम होने का
(3) गहरे तथा ऊँ चे स दय क ओर इशारा करने का
(4) ठाठ-बाट का
5.िसंह ार का अथ होता है -
(1) शेर के िलए दरवाजा
(2) राजा के िलए दरवाजा
(3) बड़ा दरवाजा
(4) सू म दरवाजा
सही उ र1. सू म,अंतभिदनी, संपूण,2. िच -अ िच से परे,3.अनासि ,4. गहरे तथा ऊँ चे स दय क ओर इशारा करने
का,5. बड़ा दरवाजा
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पाठ-18 म-िवभाजन और जाित था
- बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर
2.मेरा आदश-समाज वतं ता, समता, ातृता पर आधा रत होगा। या यह ठीक नह है, ातृता अथात भाईचारे म िकसी को या
आपि हो सकती है? िकसी भी आदश समाज म इतनी गितशीलता होनी चािहए िजससे कोई भी वांिछत प रवतन समाज के एक छोर से
दसू रे तक संचा रत हो सके । ऐसे समाज के बहिविध िहत म सबका भाग होना चािहए तथा सबको उनक र ा के ित सजग रहना चािहए।
सामािजक जीवन म अबाध संपक के अनेक साधन व अवसर उपल ध रहने चािहए। ता पय यह िक दधू -पानी के िम ण क तरह भाईचारे
का यही वा तिवक प है, और इसी का दसू रा नाम लोकतं है। य िक लोकतं के वल शासन क एक प ित ही नह है, लोकतं
मूलतः सामूिहक जीवनचया क एक रीित तथा समाज के सि मिलत अनुभव के आदान- दान का नाम है। इनम यह आव यक है िक
अपने सािथय के ित ा व स मान का भाव हो
1.आंबेडकर िकस समाज को आदश मानते ह?
(1) वतं ता, समता व ातृता पर आधा रत
(2) वत ता पर आधा रत
(3) समता पर आधा रत
(4) िमि त समाज
2.लोकतं क या प रभाषा बताई गई है?
(1) लोकतं शासन क एक प ित है
(2) लोकतं जीवन जीने क कला है
(3) लोकतं मूलतः सामूिहक जीवनचया क एक रीित है
(4) इनम से कोई नह है
3.लोकतं म सभी मनु य के ित कै सा भाव होना चािहए?
(1) तानाशाही का
(2) िमि त
(3) प रवतनशील
(4) ा व स मान का
4.आंबेडकर समाज म गितशीलता िकसे मानते ह
(1) अबाध संपक
(2) समान सहभािगता
(3) सबक र ा के ित सचेतता
(4) उपयु सभी
5.समाज नह होना चािहए -
(1) गितशील
(2) प रवतनशील
(3) बहिविध िहत वाला
(4) वाथ
सही उ र-1. वतं ता, समता व ातृता पर आधा रत,2. लोकतं मूलतः सामूिहक जीवनचया क एक रीित है,3. ाव
स मान का,4.उपयु सभी,5. वाथ
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पाठ -1 िस वर वैिडंग
(लेखक- मनोहर याम जोशी)
पाठ का सारांश
'िस वर वैिडंग’ के लेखक मनोहर याम जोशी ह। इस कहानी के ज रये उ ह ने दो पीिढ़य के बीच के अंतराल के अंत द को
दशाया है। यािन यह कहानी दो पीिढ़य (पुरानी पीढ़ी व नई पीढ़ी) के िवचार व जीने के तौर- तरीक के अंतर को प करती है ।
कहानी के मु य पा यशोधर बाबू पुराने यालात के यि ह जो अपने परंपरागत मू य , आदश और अपने सं कार को जीिवत रखना
चाहते ह मगर उनके ब े नए जमाने के िहसाब से जीवन जीने म िव ास करते ह। उनक प नी भी समय के साथ-साथ अपने आपको
बदलकर आधुिनक तौर-तरीके अपना चुक है, लेिकन यशोधर बाबू अपने आपको बदलने को राजी नह ह और यही बात उनके व
प रजन के बीच टकराव क वजह बन जाती है।
मु य पा यशोधर- प रचय:
यशोधर पंत एक सरकारी द तर म से शन ऑिफसर के पद पर तैनात थे और िद ी के गोल माकट म रहते थे। वे पुरानी मा यताओं व
िवचारधारा को मानने वाले सीधे, सरल यि थे । मगर उनके प रवार के सभी सद य आधुिनक जीवन - शैली अपना चुके थे। यहां तक
िक उनक प नी जो कभी पूण प से उ ह क तरह सं कारी थी। अब उसने भी ब क मज के अनुसार आधुिनक तौर - तरीके अपना
ली थी और मॉडन बन चुक थी। इसी कारण यशोधर बाबू का अपने प रवार वाल के साथ मतभेद चलता रहता था।
यशोधर के पा रवा रक सद य और उनके संबध ं :
यशोधर बाबू अपनी मॉडन प नी का 'शानयल बुिढ़या', 'चटाई का लहंगा' और 'बूढ़ी मुहँ मुहं ासे' लोग करे तमासे' कहकर मजाक बनाते
थे। यशोधर बाबू के तीन बेटे और एक बेटी थी। सबसे बड़ा बेटा भूषण 1500/- पए ित माह के वेतन पर एक िव ापन कं पनी म काम
करता था। दसू रा बेटा आई.ए.एस. क तैयारी कर रहा था और तीसरा बेटा कॉलरिशप लेकर अमे रका जा चुका था। बेटी डॉ टरी क
पढ़ाई के िलए अमे रका जाना चाहती थी। इसीिलए वह िववाह के िलए तैयार नह थी।
यशोधर के ित कायालयीन सहकिमय का यवहार:
कहानी क शु आत करते हए लेखक कहते ह िक यशोधर बाबू अपने द तर म बैठे हए ऑिफस - घड़ी को देखते ह जो उस व ठीक
शाम के 5 बजकर 25 िमनट बजा रही थी। ऑिफस - घड़ी को 5 िमनट सु त बताते हए वे जैसे ही द तर से घर जाने के िलए उठ खड़े
हए तो द तर के एक कमचारी च ा ने उनक घड़ी पर यं य कसते हए उनसे िडिजटल घड़ी लेने क बात क । उसक बात का जबाब देते
हए यशोधर बाबू उसे बताते ह िक यह घड़ी उ ह शादी म उपहार व प िमली थी इसीिलए उ ह यह बेहद ि य है। बात –बात म उनके
द तर वाल को यह पता लग जाता है िक उनक शादी 6 फरवरी 1947 को हई थी और आज उनक िस वर वेिडंग (शादी क 25व
सालिगरह) है और वे लोग यशोधर बाबू से पाट मांगने लगते ह। यशोधर बाबू 30 पये उ ह पाट के िलए देते तो ह मगर खुद उस चाय
पाट म शािमल होने के बजाय अपने घर को िनकल पड़ते ह।
यशोधर पर िकशनदा का भाव:
एक िदन अचानक यशोधर बाबू को िकशनदा (दा यािन बड़ा भाई) क याद आती है जो ऑिफस म चाय- पानी पीने, ग प लड़ाने को
समय क बबादी मानते थे। वे िकशनदा क कही हई सभी बात का अनुसरण िकया करते थे। उनको ही अपना मागदशक व आदश मानते
थे। जब यशोधर बाबू मैि क पास कर िद ी आये थे तो िकशनदा ने ही उ ह अपने घर म शरण दी थी। सरकारी नौकरी करने के िलए उस
समय उनक उ कम थी इसीिलए उ ह ने उ ह कु छ समय के िलए अपने घर म रसोईया बना िदया था। और बाद म उ ह अपने ही ऑिफस
म नौकरी िदलवा दी। यशोधर बाबू के जीवन व च र -िनमाण म िकशनदा का बहत बड़ा योगदान रहा। उ ह ने िकशनदा से ही ऑिफस म
रहने व काय करने के तौर-तरीके सीखे थे। िकशनदा आजीवन अिववािहत रहे। उनका जीवन बहत ही सरल व सादगी भरा था। वे धािमक
व परोपकारी यि थे। वे अपने आदश पर चलते थे। वे समाज - सेवा का काय करते थे। वे सभी के मागदशक थे। वे पहाड़ (कु माऊं ,
उ राखंड) से नौकरी के िलए आने वाले लोग के रहने–खाने क अपने घर म ही यव था करते थे। उनक नौकरी ढू ढं ने म भी मदद करते
थे। वे अपनी स यता व सं कृ ित से ेम करते थे। यशोधर बाबू ने उनसे यह सब सीखा और उनका अपने जीवन म अनुसरण िकया।
यशोधर बाबू क िदनचया:
यशोधर बाबू क एक िनि त िदनचया थी। वे पैदल ही घर से ऑिफस जाते और शाम को 5:00 बजे ऑिफस के बाद सबसे पहले िबड़ला
मंिदर जाते थे और पाक म बैठकर वचन सुनते थे। उसके बाद स जी- मंडी जाकर स जी खरीदकर पैदल ही घर पहंचते थे। इस तरह
5:00 बजे ऑिफस से िनकलकर 8:00 बजे के बाद ही वे अपने घर पहंचते थे। हालाँिक वे अब ऑिफस पैदल ही जाने लगे थे लेिकन
पहले साइिकल से जाते थे। उनके ब े अब बड़े हो चुके थे िज ह उनका साइिकल से ऑिफस जाना पसंद नह था। कू टर उ ह पसंद नह
था और कार वो खरीद नह सकते थे इसीिलए उ ह ने पैदल ही आना–जाना शु कर िदया था। आज भी वे रोज क तरह द तर से पहले
सीधे िबड़ला मंिदर क तरफ जा रहे थे िक रा ते म अचानक उनक नजर उस ाटर (कमरे ) पर पड़ी िजसम कभी िकशनदा रहा करते थे।
उस ाटर को तोड़कर वहाँ तीन मंिजला मकान बना िदया था। उनके ब े भी चाहते थे िक वे भी अब अपने पद के अनुसार बड़ा मकान
ले ल लेिकन उनको वही जगह पसंद थी इसीिलए वहां से कह और नह जाना चाहते थे।
यशोधर और उनके पा रवा रक सद य के म य वैचा रक टकराव:
यशोधर बाबू व उनके ब के बीच अ सर िवचार का टकराव चलता रहता था। ऐसे म कभी–कभी वे सोचते थे िक काश ! िकशनदा
क तरह वे भी अिववािहत रहते और समाज-सेवा म अपना जीवन लगा देते। लेिकन िफर उ ह उनके रटायरमट के बाद का समय याद
आता है जब िकशनदा को िकसी ने सहारा नह िदया और वे गांव चले गये जहाँ उनक एक साल के बाद मृ यु हो गई। इस कार यशोधर
बाबू के मन के भीतर िवचार का अंत द चलता रहा था।
यशोधर बाबू क धािमक वृि :
यशोधर बाबू का मंिदर जाना, धािमक काय म भाग लेना , वचन सुनना आिद उनके प रवार वाल को पसंद नह था। उनके ब े अ सर
उनसे कहते थे िक अभी वे इतने बूढ़े नह हए िक मंिदर जाकर वचन सुन। यशोधर बाबू मंिदर जाने के बाद वचन सुनने तो बैठ गये
लेिकन आज उनका वचन म िब कु ल भी मन नह लग रहा था। उनके िदमाग म कई तरह के याल आ-जा रहे थे इसीिलए वे वचन से
उठकर स जी मंडी क तरफ िनकल पड़े। तभी उ ह याद आया िक उनके बेटे बाजार से सामान लाने के िलए नौकर रखने को कहते ह मगर
खुद जाना पसंद नह करते ह।
यशोधर और उनके पु के म य मतभेद:
उनका बड़ा बेटा तो उ ह अपना वेतन तक नह देता है।अपने पैस व अपनी मज से घर का सामान खुद ही खरीद कर लाता है और िफर
सबको उस सामान का रौब िदखाता है। स जी मंडी से स जी लेकर जब यशोधर बाबू घर पहंचे तो देखा िक उनका बेटा उनके घर के बाहर
अपने बॉस को िवदा कर रहा था और घर से अ य लोग भी िवदा ले रहे थे। घर म पाट चल रही थी। पहले तो उ ह कु छ समझ नह आया।
बाद म भूषण ने उ ह िशकायत करते हए बताया िक उनके घर म उनक ‘िस वर वैिडंग’ क पाट चल रही है और वे ही इतनी देर से आ
रहे ह। यह सब सुनकर यशोधर बाबू को बहत दख ु हआ य िक िकसी ने भी उ ह पाट के आयोजन के बारे म कु छ नह बताया था।
आधुिनक पाट के ित अ िच:
वैसे भी उ ह पाट वगैरह िब कु ल पसंद नह थी मगर ब के बहत आ ह करने पर उ ह ने के क तो काटा लेिकन के क म अंडा होने व
सं या पूजा करने का बहाना बनाकर िबना कु छ खाए वहाँ से उठकर सं या - पूजा करने चले गए और तब तक पूजा थल पर ही बैठे रहे
जब तक सारे मेहमान घर से िवदा नह हए ।
पाट का आयोजन और समापन:
मेहमान के चले जाने के बाद प नी के बुलाने पर जब वे बैठक म आये तो उनके बड़े बेटे ने उ ह ऊनी ेिसंग गाउन िग ट िकया और कहा
िक वे उसे ही पहनकर कल से सुबह दधू लेने जाया कर। लेिकन यशोधर बाबू यह सोच रहे थे िक काश ! उनका बेटा उ ह ेिसंग गाउन देने
के बजाय उनसे कहता िक कल से वह उनक जगह दधू लेकर आया करे गा।
कहानी क मूल संवेदना :
इस कहानी म हािशए पर धके ले जाते मानवीय मू य, पीढ़ी का अंतराल और पा ा य सं कृ ित का भाव व तुतः तीन बात ही मह वपूण
है। यशोधर बाबू और ब के म य एक पीढ़ी का अंतराल है। मानव-मू य के ित ब म कोई लगाव नह है। 'िस वर वैिडंग' जैसे
काय म पा ा य सं कृ ित के कारण हो रहे ह। इन सबके बाद भी कहानी क मूल संवेदना पीढ़ी का अंतराल है। एक ओर यशोधर बाबू है
जो मंिदर जाते ह, वचन सुनते ह, यान लगाते ह, सं या करते ह, अंडा नह खाते ह, सादा और सरल जीवन िबताते ह, ऑिफस पैदल
जाते ह, रामलीला या जनेऊ पूजन का आयोजन करते ह, र तेदार व संबिं धय का यान रखते ह तो दसू री ओर उनके ब को उनका
मंिदर जाना, वचन सुनना या यान लगाना अ छा नह लगता । ब े कहते ह “ब बा, आप कोई बु े थोड़ी है जो रोज-रोज मंिदर जाएं,
इतने यादा त कर।”
पूरी कहानी म पुराने व नए का ं है। यशोधर बाबू पुरानी परंपराओं के िहमायती ह और नई परंपराओं को 'समहाउ इं ापर’ पर मानते ह।
अतः उनके अधीन थ नए कमचारी उनको उिचत स मान नह देते। घर के ब े उनक हर बात को नकारते ह। र तेदारी िनभाना ब क
ि म घाटे का सौदा है।ब को िपता के ित कोई सहानुभिू त नह है।गाउन भी इसिलए आया है िक फटा पुलोवर पहनकर जाने से ब े
अपने स मान पर चोट समझते ह। उनक सादगी ब को भािवत नह कर पाती। अतः पीढ़ी का अंतराल ही कहानी क मूल संवेदना
है।
बक - िस वर वैिडंग
1. िस वर वैिडंग - कहानी का मु य पा आप िकसे मानते ह ?
i. िकशनदा को
ii. भूषण को
iii. च ढ़ा को
iv. यशोधर पंत को
2. यशोधर बाबू ने मैि क क परी ा कहाँ से उ ीण क थी ?
i. डी.ए.वी. कू ल ,िद ी
ii. रे जे कू ल , अ मोड़ा
iii.डी.पी.एस.देहरादनू
iv. िशखा दीप िव ालय, िद ी
3. िकशनदा ने यशोधर बाबू को कौन -सा काम िदया था ?
i.चौक दारी का
ii.सिवस बॉय का
iii.मेस के रसोइए का
iv. नर का
4. यशोधर बाबू का पालन - पोषण िकसने िकया था ?
i. माता ने
ii. िपता
iii. दादी
iv. िवधवा बुआ ने
5. ऑिफस म यशोधर बाबू क शादी क बात कै से हई ?
i. ऑिफस से ज दी जाने पर
ii.ऑिफस से देर से जाने पर
iii.घड़ी के बारे म चचा करने पर
iv.समय पर काम ख़ म करने पर
6. यशोधर बाबू या काम करते थे ?
i. गोल माकट म दकु ान चलाते थे |
ii. पहाड़ पर काम करते थे|
iii. होम िमिन ी म से सन ऑिफ़सर थे |
iv. म टीनेशनल क पनी म नौकरी करते थे |
7. यशोधर बाबू अपने जीवन म िकससे भािवत थे ?
i. कृ णानंद पांडे
ii. कृ णानंद वमा
iii. कृ णानंद गु ा
iv. कृ णानंद शमा
8. िकशनदा के रटायर होने पर यशोधर बाबू उनक सहायता नह कर पाए य िक —
i. यशोधर बाबू क प नी िकशनदा से नाराज़ थ |
ii. यशोधर बाबू के घर म िकशनदा के िलए थान का अभाव था |
iii. यशोधर बाबू का अपना प रवार था, िजसे वे नाराज़ नह करना चाहते थे |
iv. िकशनदा को यशोधर बाबू ने अपने घर म थान देना चाहा ,िजसे उ ह ने वीकार नह िकया |
10. सन 1984 म भारतीय दरू दशन के थम धारावािहक ‘ हम लोग ‘ का लेखन िकसने िकया है ?
i. मनोहर याम जोशी
ii. ओम थानवी
iii. यशोधर पंत
iv. िकशनदा
11. िस वर वैिडंग िकस कार क कहानी है ?
i. बदलते जीवन मू य पर आधा रत
ii. सां कृ ितक मू य पर आधा रत
iii. राजनीितक मू य पर आधा रत
iv. सामािजक मू य पर आधा रत
12. िस वर वैिडंग - कहानी के अनुसार ‘ यशोधर बाबू क प नी समय के साथ ढल सकने म सफल होती है लेिकन वे असफल
रहते ह |’ यशोधर बाबू क असफलता का या कारण था ?
i. िकशनदा उ ह भड़काते थे |
ii. प नी ब से अिधक ेम करती थी |
iii. आिथक अभाव के कारण
iv. वे प रवतन को सहजता से वीकार नह कर पाते थे |
13. यशोधर बाबू िकस काशन क पु तक पढ़ते थे ?
i . सीता ेस गोरखपुर
ii. गीता ेस गोरखपुर
iii. गीता ेस ह र ार
iv. गीता ेस मथुरा
14. यशोधर बाबू िकसका ितिनिध व करते ह ?
i. पुरानी पीढ़ी का
ii. नई पीढ़ी का
iii. नई िवचारधारा का
iv. नवयुवक का
उ र संकेत
1. iv. यशोधर पंत को
2. ii. रे जे कू ल , अ मोड़ा
3. iii.मेस के रसोइए का
4. iv. िवधवा बुआ ने
5. iii.घड़ी के बारे म चचा करने पर
6. iii. होम िमिन ी म से सन ऑिफ़सर थे |
7. i. कृ णानंद पांडे
8. iii. यशोधर बाबू का अपना प रवार था, िजसे वे नाराज़ नह करना चाहते थे |
9. iii. लेखक मृ यु के कारण से अप रिचत है |
10. i. मनोहर याम जोशी
11. i. बदलते जीवन मू य पर आधा रत
12. i . वे प रवतन को सहजता से वीकार नह कर पाते थे |
13. ii. गीता ेस ,गोरखपुर
14. i. पुरानी पीढ़ी का
15. ii. साधारण तर क
16. iii. गरीब र तेदार क उपे ा
17. iv. पाट से बचने के िलए
18 . i. वहां से उनक याद जुड़ी थ |
19. ii. वयं क गलती पहचानना
20. i. यशोधर बाबू िस ांतवादी यि ह |
21. i. पराएपन , अस ब ता , अलगाव और फालतूपन का
22. iv. उपरो सभी
23. i. िकशनदा क
24. i. वे सब-के -सब अपनी ितभा के बल पर ऊपर उठे ह |
25. i. यह भारतीय परंपरा नह है |
26. iii. आधुिनक मू य को अपनाने से
27. ii. िव ापन एजसी
28. i. कु छ न कु छ गलत होना
29. iv. हािशए पर जाते मानवीय मू य को
30. iii. साइिकल से आना -जाना
31. iv. उपयु सभी
32. iii. परंपराओं का पालन
33. iv. दधू लाने क बात
34. i. घर म होली गवाना
35 . iv. उपयु सभी
पाठ -2 जूझ
(लेखक- डॉ आनंद यादव)
(अनुवाद- के शव थम वीर)
‘जूझ’ कहानी मराठी उप यास ‘झोबी’ का एक अंश है। ‘झोबी’ एक आ मकथा मक उप यास है िजसके लेखक डॉ. आनंद यादव ह। डॉ.
आनंद रतन यादव का मूल नाम आनंदा यादव ज़काते ह। इस मराठी कहानी का िहंदी अनुवाद के शव थम वीर ारा िकया गया है।
जूझ (अथात जूझना या संघष करना, िकसी ल य क ाि हेतु अथक यास करना) इस कहानी के मा यम से लेखक ने पाठक को
संघष करने क सीख दी है। प रि थितयाँ चाहे िकतनी भी िवकट ह , सामने चाहे िकतनी भी बाधाएँ ह िफर भी मनु य को धैय, साहस
और लगन से अपने ल य क ओर बढ़ते रहना चािहए।
पढ़ाई के िलए लेखक क ललक-
लेखक कहते ह िक जब वे पाँचवी क ा म पढ़ते थे तो उनके िपता र ना पा (िज ह वो दादा कह कर बुलाते थे) ने उनका कू ल जाना बंद
करवा िदया। खेती और घर का सारा काम उन पर डाल िदया था । उनके िपता वयं तो घर का कोई काम नह करते थे। बस सारा िदन
घूमने-िफरने, आराम व मौज-म ती म िबता देते थे। पढ़ाई क बात करते ही वे बरहेला सूअर क तरह गुराते थे। लेखक जब अपने िम
को पाठशाला जाते देखते तो याकु ल हो जाते थे लेिकन दादा से पाठशाला जाने क बात करने क िह मत नह होती थी – “डर लगता
था िक ह ी-पसली एक कर दगे”
पाठशाला जाने के िलए लेखक का संघष-
एक िदन गोबर के कं डे थापते व उ ह ने अपनी माँ से कहा िक खेती-बाड़ी म कु छ नह रखा है। अगर वे पढ़ िलख गए तो शायद नौकरी
लग जाएगी, चार पैसे हाथ म रहगे, िवठोबा अ ा क तरह कु छ धंधा कारोबार िकया जा सके गा । माँ भी चाहती थी िक ब ा पढ़-िलख
ले लेिकन वह भी अपने पित से डरती थी। इसीिलए खुल कर उनका साथ नह दे पा रही थी। लेखक (आनंद यादव) ने अपनी माँ को
सुझाव देते हए कहा िक य न दोन चलकर गांव के मुिखया द ा जी राव सरकार से बात कर और उ ह अपनी सारी परे शानी बताएं। माँ
को बेटे क सलाह पसंद आ गई। दोन मुिखया के पास गये और उ ह सारी बात बताई।
द ा जी राव सरकार ारा लेखक क मदद-
दता जी राव सरकार समझदार तथा स मािनत यि थे। गाँव के सारे लोग उनका स मान करते थे। वे िश ा ेमी थे और पढ़ाई-िलखाई
का मह व जानते थे इसीिलए उ ह ने माँ-बेटे को आ ासन देकर यह कहते हए घर भेज िदया “जब वह घर आये तो उसे मेरे पास भेज
देना। उसके थोड़ी देर बाद तू भी यहां आ जाना रे छोरा।” लेखक क माँ ने दता जी राव से ाथना क िक वे उनके यहाँ आने क बात
लेखक के िपता को न बताय।
सरपंच और लेखक के िपता क बैठक -
शाम को िपता के घर आने के बाद माँ ने बताया िक द ा सरकार ने उ ह बुलाया है। लेखक के िपता के िलए यह बड़े स मान क बात थी
सो वो सीधे उनसे िमलने चले गए। उनके पीछे -पीछे थोड़ी देर बाद लेखक भी द ा जी सरकार के घर पहंच गए। लेखक को देखते ही द ा
जी ने उनसे सवाल िकया िक वे कौन सी क ा म पढ़ते ह। जवाब म लेखक ने उ ह बताया िक उनके िपता ने उनक पढ़ाई पाँचव क ा म
ही छु ड़वा दी ह। मुिखया ने लेखक के िपता को खूब डांटते हए कहा –“अपनी म ती के िलए छोरा के जीवन क बिल चढ़ा रहा है। ब े
को तुरंत कू ल भेजो और अगर तुम इसे पढ़ा नह सकते हो तो म इसे पढ़ाऊं गा।” लेखक के िपता ने िववश होकर हामी भर दी।
पाठशाला भेजने क कड़ी शत -
घर पहंचकर लेखक के िपता पहले तो बहत नाराज हए लेिकन िफर कु छ शत के साथ लेखक को कू ल भेजने के िलए राजी हो गए ।
पाठशाला सवेरे 11 बजे लगती थी इसीिलए लेखक को सुबह ज दी उठकर घर और खेत के सारे काम (खेत म पानी लगाना, जानवर
चराना) िनबटाने ह गे। यिद कभी खेत म अिधक काम हआ तो पाठशाला क छु ी करनी होगी। लेखक ने सारी शत खुशी-खुशी मान ली
और कू ल जाने क तैयारी करने लगे। मन म नई आशा और िव ास लेकर पाठशाला पहँच गए।
पाठशाला का पहला िदन-
पाठशाला म लेखक का पहला िदन अ छा नह बीता य िक उनके साथ के सभी ब े अगली क ा म पहँच चुके थे। क ा के ब े उनसे
छोटे थे। कु छ शरारती ब ने उनके साथ शरारत करने का यास िकया और कु छ ने बुरा बताव भी िकया। च ाण जो क ा का सबसे
शरारती लड़का था उसने लेखक का मटमैला गमछा छीनकर अपने िसर पर बांध िलया और टेबल के पास खड़े होकर मा टर जी क
नकल करने लगा। इतने म मा टर जी आ गए और च ाण ने लेखक के गमछे को टेबल पर फक िदया। लेखक को िबना कारण ही डाँट
खानी पड़ी। आधी छु ी म लड़क ने उनक धोती खोलने का यास िकया। ँ आसे से लेखक बड़े दख ु ी मन से घर लौट।
माँ क िदलासा और ेरणा –
लेखक का मन उदास था । जो पाठशाला कभी अपनी थी वह आज पराई लगने लगी। वहाँ अपना कोई नह था, “नह जाऊँ गा ऐसी
पाठशाला म, इससे तो अपने खेत ही अ छे थे। गली के दो ही लड़के ह क ा म। वे तो मुझसे भी कमजोर ह। वे या मदद करगे।” हताश
और िनराश लेखक को माँ ने िह मत बंधाई और सवेरे लेखक िफर पाठशाला के िलए िनकल पड़।
बसंत पािटल से िम ता -
वसंत पािटल क ा का होनहार छा था। शांत और पतला-दबु ला लेिकन गिणत म बहत होिशयार। वह ब क कािपयाँ जाँचता था
और गिणत के सवाल उ ह समझाता था। धीरे -धीरे लेखक क दो ती बसंत पािटल से हो गई। लेखक भी खूब मेहनत से पढ़ाई करने लगे।
टीचर उ ह भी बसंत पािटल के साथ अ य ब क काफ जाँचने को देने लगे।
गिणत के िश क ‘मं ी’ का नेह और अपन व -
मं ी नामक िश क गिणत पढ़ाते थे। वे अ यंत कमठ तथा अनुशािसत िश क थे। यो य ब को पूरा नेह एवम् ो साहन देते थे लेिकन
शरारती लड़क क पीठ पर ऐसा घूसा मारते थे िक वे हक भरने लगते थे। लड़के उनसे बहत डरते थे और क ा म उधम नह करते थे।
लेखक मन लगाकर गिणत सीखने लगे और ज दी ही मं ी िश क के चहेते बन गए। वसंत पाटील इससे लेखक का उ साह बढ़ने लगा
और वे ितभाशाली ब क िगनती म आ गए।
मराठी िश क से का य ेरणा
उनके कू ल म न.वा.स दलगेकर नाम के एक टीचर थे जो उ ह मराठी पढ़ाते थे। उनके पढ़ाने का तरीका बहत अ छा व सबसे हटकर था।
वो मराठी और अं ेजी क किवताओं को पूरे ताल व लय के साथ गाकर सुनाते थे। साथ म अिभनय भी करते थे। वो खुद भी किवताएँ
िलखते थे। उनको देखकर ही लेखक को किवताएं िलखने म िच पैदा हई। एक बार उनके िश क स दलगेकर ने अपने दरवाजे पर लगी
मालती क बेल के ऊपर एक सुंदर सी किवता िलखी। लेखक ने सोचा िक अगर उनके िश क घर म लगी एक मालती क बेल के ऊपर
इतनी सुंदर किवता िलख सकते ह तो ‘’मेरे पास तो खेत खिलहान, पेड़-पौधे और पूरा आकाश है तो म य नह किवताएँ िलख सकता
हँ?’’ लेखक उनके गाने के तरीके , हावभाव, अिभनय सब याद कर लेते और िफर अपने खेत म काम करते हए ह-ब-ह उनक नकल
करते हए अ यास करते थे।
अके लापन अ छा लगने लगा
पहले खेत म काम करते व लेखक िकसी न िकसी का साथ चाहते थे। अब उ ह अके ले रहना अ छा एवं उपयोगी लगने लगा। अब वे
चाहते थे िक खेत म उनके साथ कोई ना रहे तािक वे अके ले म अपनी किवताओं का अ छी तरह अ यास कर सक। खेत म काम करते
हए वे किवताओं को गाकर, थुई-थुई करके नाचकर और कभी-कभी उन किवताओं पर अिभनय कर उनका आंनद लेने लगे।
लगन और मेहनत रंग लाई
लेखक क का य ितभा से भािवत होकर स दलगेकर ने उ ह लय, द, रस और अलंकार क जानकारी कराई और अिभनय क
बारीिकयाँ समझाई। लेखक के चेहरे पर किवता के भाव आने लगे। मा टरजी को लेखक का का यपाठ इतना अ छा लगा िक उ ह ने
ठी-सातव के ब के सामने उनसे किवता पाठ कराया। पाठशाला के समारोह म जब लेखक ने अपनी किवता का वाचन िकया तो
आ मिव ास और बढ़ गया और उ ह लगा िक जैसे उनके पंख िनकल आए ह। इस तरह सीखते-सीखते एक िदन वह ब ा िजसके िपता
उसे पढ़ाना-िलखाना नह चाहते थे अपनी लगन व मेहनत से महान कथाकार व उप यासकर बन गया।
बक: 'जूझ'
1 'जूझ' कहानी के मा यम से िकसके संघष को अिभ यि दान क गई है?
(i) खेतीहर मजदरू के संघष
(ii) गरीब माँ के संघष
(iii) आनंदा के जीवन के संघष
(iv) अ याश िपता के संघष
5 "आने दे अब उसे, म उसे सुनाता हँ िक नह अ छी तरह देख।" यह कथन िकसने व िकससे कहा, 'जूझ' कहानी के आधार पर
बताइए।
(i) द ा राव ने लेखक के िपता से
(ii) द ा राव ने लेखक क माता से कहा
(iii) लेखक के िपता ने उसक माता से
(iv) लेखक के िपता ने लेखक से
6 जूझ' कहानी के अनुसार आनंदा िव ालय य नह जाता था?
(i) उसक पढ़ने क इ छा नह थी
(ii) उसके िपता को उसका पढ़ना अ छा नह लगता था
(iii) घर के काय म अ यिधक य तता के कारण
(iv) (ii) और (iii) दोन
7 आनंदा अपने पढ़ने क बात अपने दादा से नह कर पाता है, य ? 'जूझ' कहानी के आधार पर सटीक िवक प चुिनए।
(i) य िक उसके िपता उससे बात नह करते थे
(ii) य िक उसके िपता परदेश गए हए थे
(iii) य िक उसके िपता अ छे आचरण वाले यि थे
(iv) य िक उसके िपता अ यिधक गु से वाले यि थे
9 'जूझ' कहानी म आनंदा और उसक माँ ारा झूठ का सहारा न िलए जाने क ि थित म या होता?
(i) आनंदा के जीवन म अके लापन ठहर जाता
(ii) वह कभी किवताएँ िलखना नह सीख पाता
(iii) वह िशि त होने से वंिचत रह जाता
(iv) उपरो सभी
11 'जूझ' कहानी म आनंदा जब पहले िदन पाठशाला गया, तो उसक या िति या थी?
(i) उसक खुशी का िठकाना न रहा
(ii) वह अ यंत उदास था
(iii) वह ोिधत हआ
(iv) उसने कोई िति या य नह क ।
12 आनंदा और उसक माँ ने द ा जी राव के पास जाने क य सोची ? 'जूझ' कहानी के आधार पर सटीक िवक प चुिनए।
(i) तािक द ा जी राव उनका लगान माफ करा द ।
(ii) तािक द ा जी राव उनक कु छ आिथक सहायता कर सक
(iii) तािक वे लेखक को पाठशाला भेजने के िलए दादा को समझा कर राजी कर सक
(iv) तािक वे खेती-बाड़ी म कु छ सहायता कर सक
16 'जूझ' कहानी के लेखक क बुि मता का माण िकस बात से िमलता है?
(i) माँ को समझाने क बात से
(ii) राव साहब को िव ास िदलाने क बात से
(iii) िपता को बा य करने क बात से .
(iv) उपरो सभी
17 लेखक को न चाहते हए भी खेती का काम य करना पड़ता है? 'जूझ' कहानी के आधार पर सही िवक प चुिनए। (i) खेती
करना उनका खानदानी पेशा है
(ii) उनके जीवन म आिथक सम या है
(ii) उनके माता-िपता चाहते ह िक वह खेती कर
(iv) खेती के िबना उ ह समाज म स मान नह िमलेगा
18 'जूझ' कहानी म िपता ारा वयं खेती न करके अपने बेटे से खेती का काम करवाना िकस ओर संकेत करता ?
(i) िपता अपने बेटे को प र मी बनाना चाहता है
(ii) िपता चाहता ह िक उसका बेटा आिथक प से संप बने
(iii) िपता के आलसी और कामचोर प को दशाता है
(iv) िपता चाहता है िक उसका बेटा उससे भी अिधक गित करे ।
19 'जूझ' कहानी के आधार पर बताइए िक आनंदा को गिणत कै से समझ आने लगा था?
(i) मन क एका ता से
(ii) वसंत पािटल क सहायता से
(iii) अ यापक क सहायता से
(iv) माता क सहायता से
लेखक प रचय-
ओम थानवी का ज म 1957 ई॰ म फलोदी, जोधपुर (राज थान) म हआ था। ये िह दी भाषा के लेखक, प कार, संपादक तथा
आलोचक थे। इनक गहन िदलच पी सािह य, कला, िसनेमा, वा तुकला, पुरात व और पयावरण म है।
पाठ का सारांश-
‘अतीत म दबे पाँव’ सािह यकार ओम थानवी ारा िवरिचत एक या ा-वृतांत है। वे वतमान पािक तान ि थत िस धु घाटी स यता के दो
महानगर - मोहनजोदड़ो (मुअनजोदडो) और हड़ पा के अवशेष को देखकर अतीत के स यता और सं कृ ित क क पना कराते ह। अभी
तक िजतने भी पुराताि वक माण िमले उनको देखकर लेखक अपनी क पना को साकार करने क चे ा करता है।
लेखक का मानना है िक मोहनजोदड़ो और हड़ पा ाचीन भारत के ही नह बि क िव के दो सबसे पुराने और योजनाब तरीके से बसे
शहर माने जाते ह। लेखक मोहनजोदड़ो को ता काल का सबसे बड़ा शहर मानता है। लेखक के अनुसार मोहनजोदड़ो िस धु घाटी स यता
का क है और शायद अपने जमाने के राजधानी जैसा । मोहनजोदड़ो लगभग दो सौ हे टेयर म फै ला हआ था एवं इसक जनसं या
लगभग 50000 हजार थी। यह प ईटं से बनाया गया कृ ि म टीले पर बसा हआ शहर है। इन टील को बनाने का उ े य शायद रहा हो
िक बाढ़ के समय िस धु नदी का पानी शहर म ना पहंचे। आज भी इस आिदम शहर क सड़क और गिलय म सैर क जा सकती है। यह
शहर अब भी वह है, जहाँ कभी था। आज भी वहाँ के टू टे घर क रसोइय म गंध महसूस क जा सकती है।
खुदाई म ा व तुएँ या अवशेष-
मोहनजोदड़ो (मुअनजोदडो) क खुदाई म इमारत, सड़क, कु एँ, धातु एवं पाषाण क मूितयाँ, चाक पर बने िम ी के िचि त बतन, मुहर,
साजो-सामान और िखलौने िमल ह। धातुओ ं म लोहे के अवशेष नह िमले ह। कृ िष म योग होने वाले औज़ार के अवशेष, कपास,
गेह,ं जौ, सरस , बेर, खजूर, खरबूजे, अंगरू , वार, बाजरा, रागी व चने के उपज के सबूत एवं सूती कपड़े के सा य िमले ह। काला पड़
गया गेह,ं ताँबे और काँसे के बतन, मुहर, वा , चाक पर बने िवशाल मृदभांड, उन पर काले भूरे िच , चौपड़ क गोिटयाँ, दीये,
माप-तौल के प थर, तांबे का आईना, िम ी क बैलगाड़ी और दसू रे िखलौने, दो पाट वाली च , कं घी, िम ी के कं गन, रंग-िबरंगे
प थर के मनक वाले हार और प थर के औज़ार आिद।
मुअनजो-दड़ो क नगर रचना –
यह नगर मैदान म नह है, बि क िस धु क बाढ़ से बचाने के िलए धरती के सतह से ऊपर उठे हए कृ ि म टीले पर बसा था। इसके खंडहर
को देखकर इसके व प का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। इसक गिलय , सड़क, कमरे , रसोई, िखड़क , चबूतरे , आँगन,
सीिढ़याँ आिद इस नगर के कला मक और यवि थत िनयोजन क कहानी कह रह ह। यहाँ क सड़क ‘ि ड ान’ म ह। चंडीगढ़,
ासीिलया और इ लामाबाद ‘ि ड शैली’ के शहर है, जो आधुिनक नगर िनयोजन के ितमान ठहराए जाते है |
बौ तूप-
मोहनजोदड़ो स यता के िबखरने के बाद एक जीण-शीण टीले के सबसे ऊँ चे चबूतरे पर बड़ा-सा बौ तूप है। यह बौ तूप प ीस
फु ट ऊँ चे चबूतरे है और इसका िनमाण-काल लगभग 2600 वष पूव माना जाता है। चबूतरे पर िभ ओ ु ं के कमरे भी ह। यह बौ तूप
भारत का सबसे पुराना लड के प है। मोहनजोदड़ो म यह अके ली ऐसी इमारत है जो अपने मूल व प के बहत नजदीक बची रह सक है।
मुअनजो-दड़ो का िस महाकुं ड-
नगर म चालीस फु ट लंबा, प ीस फु ट चौड़ा एवं सात फु ट गहरा एक तालाब है िजसे महाकुं ड के नाम से जाना जाता है। इसम उ र और
दि ण से सीिढ़याँ उतरती ह। उ र िदशा म आठ नानघर ह िजनम िकसी का भी ार एक दसू रे के सामने नह खुलता। इसके तीन ओर
साधुओ ं के क ह। कुं ड का तल और दीवार चूने और प ईटं से बनाए गए ह। कुं ड म पानी क यव था के िलए दोहरे घेरे वाले कु एँ ह।
कुं ड से गंदे पानी को बाहर िनकालने के िलए प ईटं से बनी हई नािलयाँ जो िक ढक ह । इितहास म इससे पहले पानी िनकासी क
इतनी अ छी यव था नह िमलती है।
कोठार-
महाकुं ड के दसू री तरफ िवशाल कोठार है। यहाँ कर के प म वसूला गया अनाज रखा जाता था । यहाँ नौ-नौ चौिकय क तीन-तीन
हवादार कतार ह। इसके उ र म ि थत गली के ारा बैलगाड़ी के मा यम से यहाँ अनाज जमा होता होगा।
महाकुं ड के नजदीक क इमारत- महाकुं ड के उ र-पूव म एक बहत लंबी-सी इमारत के अवशेष िमल ह । िजसम दालान, बरामदे
छोटे-छोटे कमरे बने हए ह। दि ण म भी एक भ इमारत है िजसम बीस खंभ वाला एक बड़ा हॉल है। यह संभवतः रा य सिचवालय,
सभा भवन या सामुदाियक क रहा होगा। गढ़ क चारदीवारी के बाहर छोटे-छोटे टीले ह,िजन पर बनी ब ती को लेखक ने ‘नीचा नगर’
कहा है। पूरब म ‘रईस क ब ती’ है। इस ब ती म बड़े-बड़े घर ह, चौड़ी सड़क ह, कु एँ भी अिधक ह।
खेती व यापार-
िस धु घाटी म यापार के साथ उ त खेती भी होती थी। यह कृ िष धान एवं पशुपालक स यता थी। यहाँ वार-बाजरा और रागी क
उपज होती थी। खरबूजा, खजूर और अंगरू भी उगते थे। कपास क खेती भी होती थी। मोहनजोदड़ो म सूत क कताई-बुनाई के साथ रँगाई
भी होती थी। रँगाई का एक छोटा सा कारख़ाना भी खुदाई म िमला है। इस स यता म ऊन सुमेर से आयात होती थी और सूती कपड़ा
िनयात होता था।
‘डीके ’ हलका-
‘डीके ’ के नाम पर दो हलक ह। ‘डीके ’ हलका सबसे मह वपूण है। शहर क मु य सड़क (फ ट ीट) यह पर है। यह बहत लंबी सड़क
है अब तो आधा मील बची है। इसक चौड़ाई ततीस फ ट है। इस सड़क के दोन ओर घर ह। िक तु िकसी भी घर का दरवाजा सड़क क
ओर नह है उनके दरवाजे अंदर गली म ह। मु य सड़क क ओर पीठ है।
‘डीके जी’ हलका-
बड़ी ब ती म पुरात वशा ी काशीनाथ दीि त के नाम पर एक हलका ‘डीके जी’ कहलाता है। यहाँ घर क दीवार ऊँ ची और मोटी है।
शायद यहाँ दो मंिज़ले मकान रह ह । ईटं (1:2:4) क भ ी क पक ह। प थर का योग नग य है। अिधकतर घर 30×30 फु ट के ह। इस
हलके म एक मकान 20 कमर वाला है िजसे मुिखया का मकान कहा गया है।
मोहनजोदड़ो का अजायबघर-
खंडहर के म य एक साबुत इमारत म अजायबघर है। यह िकसी क बाई कू ल क छोटी इमारत जैसा है। अजायबघर छोटा है, सामान भी
यादा नह है। अहम चीज कराची, लाहौर, िद ी और लंदन के अजायबघर म ह। य अके ले मोहनजोदड़ क खुदाई म िनकली पंजीकृ त
चीज क सं या पचास हजार से यादा है। मगर जो मु ी भर चीज यहाँ दिशत ह, िस धु स यता क झलक िदखने म काफ ह। काला
पड़ गया गेह,ं ताँबे और काँसे के बतन, मुहर, वा , चाक पर बने िवशाल मृदभांड, उन पर काले भूरे िच , चौपड़ क गोिटयाँ, दीये,
माप-तौल के प थर, तांबे का आईना, िम ी क बैलगाड़ी और दसू रे िखलौने, दो पाट वाली च , कं घी, िम ी के कं गन, रंग-िबरंगे
प थर के मनक वाले हार और प थर के औज़ार आिद ।
िस धु घाटी स यता के िवषय म कहे गए मुख कथन-
1. िस धु घाटी स यता म अनुशासन, ताकत के बल पर नह था| यहाँ वानुशासन था।
2. िसंधघु ाटी स यता एक लो ोफाइल स यता थी।
3. िस धु घाटी स यता म सु िच का यादा मह व था| यहाँ स दयबोध तो है, लेिकन वह राज पोिषत न होकर समाज पोिषत था।
4. िस धु घाटी स यता को ‘जल स यता’ कहा जा सकता है।
5. िस धु घाटी स यता हिथयार क नह , औजार क स यता थी।
6. िस धु घाटी स यता को नगरीकरण का पहला उदाहरण कहा जा सकता है।
(5) 'अतीत म दबे पाँव ' पाठ के अनुसार िन निलिखत म से कौन-सा कथन सही नह है ?
(i) मुअनजो-दड़ो ाकृ ितक टील पर बसा था ।
(ii) मोहनजो-दड़ो और हड़ पा िसंधु घाटी स यता के प रप नगर ह।
(iii) िसंध-
ु घाटी स यता संसार म ात सं कृ ित है जो कु एँ खोदकर भू-जल तक पहँची ।
(iv) मोहनजो-दड़ो म सूत क कताई-बुनाई के साथ रँगाई भी होती थी ।
(8) इितहासकार इरफान हबीब के मुतािबक िसंधु घाटी स यता के लोग िकस कार क खेती िकया करते थे ?
(i) खरीफ (ii) रबी
(iii) जायद (iv) इनम से कोई नह
(22) 'अतीत म दबे पाँव' पाठ म मोहनजो-दड़ो क िकसी खुदाई म नहर होने के माण न िमलने पर या अनुमान लगाया जाता है ?
(i) उस काल म काफ बा रश होती होगी।
(ii) उस काल म पानी का योग कम होता होगा।
(iii) उस काल म खेती-बाड़ी इतनी अिधक नह होती होगी ।
(iv) उस काल म लोग को नहर के िवषय म कोई जानकारी नह होती होगी।
(23) िसंधु घाटी स यता म नगर योजना, वा तुकला, पानी या साफ-सफाई जैसी सामािजक यव थाओं म एक पता को कायम
रखने का आधार या हो सकता है ?
(i) यहाँ का राजा कठोर अनुशासन रखता था
(ii) यहाँ जनता ही कता-धता थी
(iii) यहाँ कोई अनुशासन ज र था
(iv) यहाँ सब कु छ कृ ित द था
(25) " टू टे-फू टे ख डहर, स यता और सं कृ ित के इितहास के साथ -साथ धड़कती िजंदिगय के अनछु ए समय के सभी द तावेज
होते ह।"- 'अतीत म दबे पाँव ' पाठ के अनुसार इस कथन का या भाव है ?
(i) ऐितहािसक इमारत म बीते हए जीवन के िच महसूस होते ह
(ii) ऐितहािसक इमारत ,कला,खान-पान इ यािद म सदा जीव तता होती है
(iii) पुरातन इमारत के अ ययन मा से इितहास क या या संभव हो पाती है
(iv) इितहास क समझ हेतु के वल स यता और सं कृ ित का जानना आव यक होता है
(28) िसंधु घाटी क स यता म िमले अजायबघर क सबसे बड़ी िवशेषता या है ? 'अतीत के दबे पाँव '
पाठ के आधार पर सही िवक प चुिनए-
(i) यह अजायबघर घर बहत िवशाल और सु दर है
(ii) इसम सभी कार क व तुएँ सं िहत ह
(iii) इसम औजार तो ह,पर तु हिथयार नह ह
(iv) इसम उ कृ कला मकता िदखाई देती है
अिभ यि और मा यम
पाठ-3. िविभ मा यम के िलए लेखन
1. जनसंचार मा यम से आप या समझते ह मुख जनसंचार मा यम को प क िजए?
उ र --जनसंचार मा यम के अंतगत िकसी भी सूचना या संदश े को िविभ कृ ि म मा यम के ारा िवशाल जनसमूह तक पहंचाया जाता
है ।जनसंचार के मुख मा यम म ह- रे िडयो ,टेलीिवजन ,इंटरनेट ,समाचार प ,िसनेमा, टेलीफोन आिद, इन मा यम ने िकसी भी
सूचना या संदश े के आदान- दान म एक दसू रे के बीच क दरू ी और समय को अ यंत ही कम कर िदया है।
रे िडयो --रे िडयो य मा यम है इस पर श द म नाटक तुत िकया जाता है श द के मा यम से इस पर अिभनय भी िकया जा सकता
है रे िडयो का आिव कार 1895 ई वी म जी मारकोनी ने वायरलेस के ज रए िकया था। टेलीिवजन --टेलीिवजन समाचार य - य
दोन कार का मा यम है यह मािणत होने के साथ-साथ सटीक मा यम भी है इसका आिव कार जे एल बेयड ने िकया था। समाचार प
-- यह ि टं मा यम के अंतगत आता है, इसम िविभ अखबार एवं प -पि काएं आते ह ,यह जनसंचार का सबसे पुराना मा यम है
2. मुि त मा यम या है इसक िवशेषताओं व किमय को बताइए?
उ र--मुि त मा यम यानी ि टं मा यम जनसंचार के आधुिनक मा यम म सबसे पुराना है ,वा तव म आधुिनक युग क शु आत ही
मु ण यानी छपाई के आिव कार से हई। य िप मु ण क शु आत क चीन से हई लेिकन आज हम िजस छापेखाने को देखते ह, इसके
आिव कार का ेय जमनी के गुटेनबग को जाता है ।भारत म पहला छापाखाना 1556 म गोवा म खुला जो िमशन रय ने धम चार क
पु तक छापने के िलए खोला था। इसक िवशेषताओं म मुख है इसका थािय व होना ।उसे आप आराम से और धीरे -धीरे पढ़ सकते ह
,पढ़ते हए सोच सकते ह। दसू री िवशेषता है यह िलिखत भाषा का िव तार है लेिकन भाषा क सभी िवशेषताएं इसम शािमल है। तीसरी
िवशेषता यह है िक यह िचंतन ,िवचार और िव े षण का मा यम है, इस मा यम म आप गंभीर और गूढ़ बात िलख सकते ह।
मुि त मा यम क कमी या उसक सीमाएं भी ह िनरी क के िलए मुि त मा यम िकसी काम का नह है। मुि त मा यम के िलए
लेखन करने वाल को अपने पाठक के भाषा ान के साथ-साथ उनके शैि क ान और यो यता का िवशेष यान रखना पड़ता है ,साथ
ही पाठक क िच और ज रत का भी पूरा यान रखना पड़ता है ।यह तुरंत घिटत घटनाओं को संचािलत नह कर सकते, यह एक
िनि त अविध पर कािशत होते ह जैसे अखबार 24 घंटे म एक बार या सा ािहक पि का स ाह म एक बार कािशत होती है।
3. मुि त मा यम के लेखन म यान रखने यो य िबंदओ ु ं का उ े ख क िजए?
उ र- मुि त मा यम के लेखन म हम िन निलिखत बात का यान रखना पड़ता है ।
1.लेखन म भाषा याकरण वतनी और शैली का यान रखना ज री है ।
2.समय -सीमा और आवंिटत जगह के अनुशासन का पालन करना येक ि थित म ज री है।
3. लेखन और काशन के बीच गलितय और अशुि य को ठीक करना ज री होता है।
4. लेखन म सहज वाह के िलए तारत यता बनाए रखना ज री है।
4. समाचार लेखन क िस शैली या है? उसे िव तार से समझाइए?
उ र- समाचार लेखन क िस शैली उ टा िपरािमड शैली होती है। उ टा िपरािमड शैली म समाचार के सबसे मह वपूण त व को सबसे
पहले िलखा जाता है और उसके बाद घटते हए मह व म म अ य त य या सूचनाओं को िलखा या बताया जाता है इस शैली म िकसी
घटना ,िवचार सम या का यौरा कालानु म के बजाय सबसे मह वपूण त य ,सूचना से शु होता है, ता पय है िक इस शैली म कहानी
क तरह ाइमै स अंत म नह ,बि क खबर के िब कु ल शु म आता है। उ टा िपरािमड शैली म कोई िन कष नह होता। इसम हम
समाचार को तीन िह स म िवभािजत कर सकते ह -इं ो, बॉडी और समापन ।
5. टीवी खबर के िविभ चरण कौन-कौन से ह िक ह तीन चरण पर काश डाल?
उ र- टीवी चैनल पर खबर देने का मूल आधार ि टं या रे िडयो प का रता के े म चिलत है यानी सबसे पहले सूचना देना टीवी म भी
यह सूचनाएं कई चरण से होकर दशक के पास पहंचती ह जो िन निलिखत ह --
ै श या ेिकं ग यूज़, ाई एंकर, फोन-इन, एंकर-िवजुअल, एंकर बाइट, लाइव, एंकर-पैकेज
लैश या ेिकं ग यूज़- सबसे पहले कोई बड़ी खबर ै श या ेिकं ग यूज़ के प म त काल दशक तक पहंचाई जाती है। इसम कम से
कम श द म महज सूचना दी जाती है।
ाई एंकर- इसम एंकर खबर के बारे म दशक को सीधे-सीधे बताता है ,िक कहां , या ,कब और कै से हआ। जब तक खबर के य
नह आते एंकर दशक को रपोटर से िमली जानका रय के आधार पर सूचनाएं पहंचाता है।
फोन-इन- इसके बाद खबर का िव तार होता है और एंकर रपोटर से फोन पर बात करके सूचनाएं दशक तक पहंचाता है ,इसम रपोटर
घटना वाली जगह पर मौजूद होता है और वहां से उसे िजतनी यादा से यादा जानका रयां िमलती ह वह दशक को बताता है।
एंकर-िवजुअल- जब घटना के य िमल जाते ह तब उन य के आधार पर खबर िलखी जाती है जो एंकर पड़ता है इसक शु आत
ही ारंिभक सूचना से होती है और बाद म कु छ वा य पर ा य िदखाए जाते ह।
एंकर-बाइट- एंकर बाइट का सामा य अथ है कथन इसम िकसी खबर को पु करने के िलए घटना के य दश हो या संबिं धत
यि य का कथन िदखाया या सुनाया जाता है ।
लाइव- लाइव यानी िकसी खबर का घटना थल से सीधा सारण इसम मौके पर मौजूद रपोटर और कै मरामैन ओबी वैन के ज रए घटना
को सीधे दशक को िदखाते ह। एंकर –पैकेज- पैकेज िकसी भी खबर को संपणू ता के साथ पेश करने का एक ज रया है इसम संबिं धत
घटना के य इससे जुड़े लोग क बाइट ािफक के ज रए सूचनाएं आिद होती ह।
6. इंटरनेट प का रता या है? प क िजए?
उ र- इंटरनेट पर अखबार का काशन या खबर का आदान- दान ही वा तव म इंटरनेट प का रता है ।इंटरनेट पर यिद हम िकसी भी
प म खबर , लेख , चचा-प रचचाओं, फ चर, झलिकयां ,डाय रय के ज रए अपने समय क धड़कन को महसूस करने और दज करने
का काम करते ह तो वही इंटरनेट प का रता है ।आज अिधकांश अखबार इंटरनेट पर उपल ध ह, आज नई पीढ़ी के लोग जो इंटरनेट के
अ य त ह, उ ह हर घंटे अपने आप को अपडेट करने क आदत बनती जा रही है ।ऐसे लोग के िलए इंटरनेट प का रता बड़े मह व क
है।
7. िहंदी नेट संसार पर संि िट पणी िलिखए?
उ र- िहंदी म नेट प का रता वेबदिु नया के साथ शु हई ,इंदौर के नई दिु नया समूह से शु हआ यह पोटल िहंदी का संपणू पोटल है
,इसके साथ ही िहंदी के अखबार ने भी िव जाल म अपनी उपि थित दज करानी शु िक, आज", भासा ी" के अित र कई ऐसे
अखबार ह जो ि टं प म ना होकर िसफ इंटरनेट पर ही उपल ध है ।िहंदी वेब जगत का एक अ छा पहलू यह भी है िक इसम कई
सािहि यक पि काएं चल रही ह अनुभिू त, अिभ यि । िहंदी म आज सरकार के मं ालय और िवभाग भी इसम सि य ह िजससे िहंदी नेट
संसार समृ हो रहा है।
फ चर लेखन-शैली
• फ चर एक सु यवि थत, सृजना मक और आ मिन लेखन है।
• इसका उ े य पाठक को सूचना देना, िशि त करना तथा उनका मनोरंजन करना है।
• फ चर लेखन का कोई तय ढाँचा या फामूला नह है।
• फ चर समाचार क भाँित त कालीन घटना म से अवगत नह कराता है।
• ह के -फु के िवषय से लेकर गंभीर िवषय और मु पर भी फ चर िलखा जाता है।
• फ चर लेखन क शैली समाचार लेखन से सवथा िभ होती है।
• फ चर म लेखक के पास अपनी राय या ि कोण और भावनाएँ जािहर करने का अवसर होता है।
• फ चर को रोचक बनाने के िलए फ चर के साथ फोटो, रे खांकन और ािफ स का योग िकया जाता है।
• येक अनु छे द व वा य म कथन का तारत य होना चािहए।
• मुहावर , लोकोि य व सूि य का सही व साथक योग होना चािहए।
• फ चर लेखन क शैली काफ हद तक कथा मक होती है।
फ चर लेखन और समाचार लेखन म अंतर
• समाचार म उ टा िपरािमड शैली का योग िकया जाता है जबिक फ चर म कथा मक शैली होती है।
• फ चर समाचार क तरह पाठक को ता कािलक घटना म से अवगत नह कराता।
• फ चर म समाचार क तरह श द क कोई अिधकतम सीमा नह होती। फ चर आमतौर पर समाचार से बड़े होते ह।
• फ चर म भावनाओं और िवचार क अिधकता होती है जबिक समाचार म व तुिन ता तथा शु ता पर ज़ोर िदया जाता है।
• फ चर म लेखक के पास अपनी राय या ि कोण और भावनाएँ जािहर करने का अवसर होता है जबिक समाचार म नह ।
• फ चर लेखन क भाषा सरल पा मक एवं आकषक और मन को छू ने वाली होती है जबिक समाचार क भाषा म सपाट बयानी
होती है।
• फ चर का िवषय कु छ भी हो सकता है समाचार का नह ।
• फ चर त य , आँकड़ क बजाय- ‘आगे या होगा’ के िचंतन और क पना पर आधा रत होते ह।
फ चर क िवशेषता/गुण
• फ चर स ी घटना पर िलखा जाता है जो पाठक के सामने उस घटना का िच ख चकर रख देता है।
• फ चर लेखन का अतीत, वतमान और भिव य से संबधं हो सकता है।
• इसक भाषा सरल, आसानी से समझ म आने वाली तथा रोचक होती है।
• फ चर म हा य, क पना और िचंतन का पुट होता है।
• फ चर सारगिभत होते हए भी बोिझल नह होता है।
• फ चर िकसी बात को थोड़े से श द म रोचकता और भावशाली ढंग से कहता है।
• फ चर का ार भ सरस, संि , आकषक और उ सुकता पैदा करने वाला होता है।
• फ चर लेखन क राजनीितक, सामािजक व आिथक ासंिगकता अिनवाय है।
• फ चर से िज ासा, सहानुभिू त, आलोचना, संवेदनशीलता आिद भाव उ ी होते ह।
फ चर के मुख कार
1) समाचार बैक ाउंडर 2) खोजपरक फ चर 3) सा ा कार फ चर 4) जीवनशैली फ चर 5) यि िच फ चर 6) या ा फ चर
7) िवशेष िच के फ चर आिद।
सूचनाओं के ोत
• मं ालय के सू
• ेस कां स और िव ि याँ
• सा ा कार
• सव और जाँच सिमितय क रपो स
• उस े म सि य सं थाएँ और यि
• संबिं धत िवभाग और संगठन से जुड़े यि
• इंटरनेट और दसू रे संचार मा यम
• थायी अ ययन ि या
बीट रपोिटग और िवशेषीकृ त रपोिटग म अंतर
बीट रपोिटग िवशेषीकृत रपोिटग
1) अपनी बीट क रपोिटग के िलए संवाददाता म 1) िवशेषीकृ त रपोिटग म न िसफ उस िवषय क गहरी
उस े के बारे म जानकारी और िदलच पी का जानकारी होनी चािहए बि क उसक रपोिटग से संबिं धत
होना पया है। भाषा और शैली पर भी पूरा अिधकार होना चािहए।
2) एक बीट रपोटर को आमतौर पर अपनी बीट से 2) इसम सामा य खबर से आगे बढ़कर उस िवशेष े
जुड़ी सामा य खबर ही िलखनी होती है। िवषय से जुड़ी घटनाओं, मु और सम याओं का बारीक से
िव े षण कर उसका अथ प िकया जाता है।
3) बीट कवर करने वाले रपोटर को संवाददाता 3) िवशेषीकृ त रपोिटग करने वाले रपोटर को िवशेष
कहते ह। संवाददाता का दजा िदया जाता ह।
4) उदाहरण-अगर शेयर बाजार म भारी िगरावट 4) उदाहरण-शेयर बाजार म आई भारी िगरावट पर
आती है तो उस बीट पर रपोिटग करने वाला िवशेषीकृ त रपोिटग करने वाला संवाददाता इसका िव े षण
संवाददाता उसक एक त या मक रपोट तैयार कर यह प करने क कोिशश करे गा िक बाजार म िगरावट
करे गा िजसम सभी ज री सूचनाएँ और त य य और िकन कारण से आई और इसका आम िनवेशक
शािमल ह गे। पर या भाव पड़ेगा।
आ मप रचय
ह रवंश राय ब न
-मु य बात
किव ह रवंश राय ब न ारा िलिखत किवता ‘ आ मप रचय पाठ गीत सं ह ‘बु और नाचघर’ से िलया गया है | इस पाठ के मा यम
से किव कहना चाहते ह िक वयं को जानना दिु नया को जानने से भी अिधक किठन है | यि का समाज से अ यंत ही घिन स ब ध
होता है, इसिलए वयं को समाज से िब कु ल अलग रखना संभव भी नह है | इस दिु नया म रहकर भले ही िकतना ही क य न हो ,
हम इस संसार से कटकर रह नह सकते ह | इसके पीछे कारण यह भी है िक हमारा अि त व और हमारी पहचान दिु नया से ही है | इस
पाठ म किव अपना प रचय देते हए बताने का यास िकया है िक दिु नया से उनका स ब ध दिु वधापूण और ं ा मक है | दिु नया से उनका
संबधं ीितकलह का है | किव कहता है िक वह इस दिु नया से यार भी करता है और इसे वह अपना भार भी समझता है | वे अपने
जीवन म दो िवरोधी बात म सामंज य थािपत करते हए चलते ह , जैसे उ माद म अवसाद , रोदन म राग , शीतल वाणी म आग अिद
| किव अपनी आशाओं और िनराशाओं से संतु है | किव उन यि य को नादान कहता है जो धन और वैभव के पीछे भागते है | यह
संसार उ ह लोग को पूछता है जो उसक इ छानुसार र चलते ह | किव अपनी वाणी के जारी ऐसी दिु नया के ित आ ोश कट करता है
|
-1 ‘आ म-प रचय’ किवता का मूल भाव प क िजए।
उ र - ी ह रवंश राय ब न’ ारा रिचत किवता ‘आ म-प रचय’ ‘बु और नाचघर’ सं ह से संकिलत है िजसम किव ने यह िच ण
िकया है िक मनु य ारा अपने को जानना या आ मबोध दिु नया को जानने से अ यंत किठन है। समाज से मनु य का नाता ख ा-मीठा
होता है। इस संसार से िनरपे ( िब कु लअलग ) रहना असंभव है। मनु य चाहकर भी जग से िवमुख नह हो सकता। मनु य एक सामािजक
ाणी है, अतः मनु य का इस जग से अटू ट संबधं है।
संसार अपने यं य-बाण तथा शासन- शासन से उसे चाहे िकतने ही क एवं पीड़ाएँ य न दे, पर मनु य इस जगह से अलग नह रह
सकता। ये दिु नया ही उसक पहचान है। जहाँ पर वह अपना प रचय देते हए इस संसार से ि िवधा मक एवं ं ा मक संबधं का मम
उ ािटत करता हआ जीवन जीता है। इस दिु नया म मनु य का जीवन ं
एवं िव ध का सामंज य है। सुख-दख ु का सम वय है।
- 2 किवता एक ओर जग-जीवन का भार िलए घूमने क बात करती है और दसू री ओर ‘म कभी न जग का यान िकया
करता हँ’-िवपरीत से लगते इन कथन का या आशय ह?
उ र - जग-जीवन का भार लेने से किव का अिभ ाय यह है िक वह सांसा रक दािय व का िनवाह कर रहा है। आम यि से वह
अलग नह है तथा सुख-दख ु , हािन-लाभ आिद को झेलते हए अपनी या ा पूरी कर रहा है। दसू री तरफ किव कहता है िक वह कभी
संसार क तरफ यान नह देता। यहाँ किव सांसा रक दािय व क अनदेखी क बात नह करता। वह संसार क िनरथक बात पर यान न
देकर के वल ेम पर कि त रहता है। आम यि सामािजक बाधाओं से डरकर कु छ नह कर पाता। किव सांसा रक बाधाओं क परवाह
नह करता। अत: इन दोन पंि य के अपने िनिहताथ ह। ये एक-दसू रे के िवरोधी न होकर पूरक ह।
-3 जहाँ पर दाना रहते ह, वह नादान भी होते ह-किव ने ऐसा य कहा होगा ?
उ र - नादान यानी मूख यि सांसा रक मायाजाल म उलझ जाता है। मनु य इस मायाजाल को िनरथक मानते हए भी इसी के च र म
फै सा रहता है। संसार अस य है। मनु य इसे स य मानने क नादानी कर बैठता है और मो के ल य को भूलकर सं हवृि म पड़ जाता है।
इसके िवपरीत, कु छ ानी लोग भी समाज म रहते ह जो मो के ल य को नह भूलते। अथात संसार म हर तरह के लोग रहते ह।
4 -म और, और जग और कहाँ का नाता- पंि म ‘और’ श द क िवशेषता बताइए।
उ र - यहाँ ‘और’ श द का तीन बार योग हआ है। अत: यहाँ यमक अलंकार है। पहले ‘और’ म किव वयं को आम यि से अलग
बताता है। वह आम आदमी क तरह भौितक चीज के सं ह के च र म नह पड़ता। दसू रे ‘और’ के योग म संसार क िविश ता को
बताया गया है। संसार म आम यि सांसा रक सुख-सुिवधाओं को अंितम ल य मानता है। यह वृि किव क िवचारधारा से अलग है।
तीसरे ‘और’ का योग ‘संसार और किव म िकसी तरह का संबधं नह ’ दशाने के िलए िकया गया है।
-5 ‘ शीतल वाणी म आग ’ के होने का या अिभ ाय ह ?
उ र -किव ने यहाँ िवरोधाभास अलंकार का योग िकया है। किव क वाणी य िप शीतल है, परंतु उसके मन म िव ोह, असंतोष का
भाव बल है। वह समाज क यव था से संतु नह है। वह ेम-रिहत संसार को अ वीकार करता है। अत: अपनी वाणी के मा यम से
अपनी असंतिु को य करता है। वह अपने किव व धम को ईमानदारी से िनभाते हए लोग को जा त कर रहा है ।
6 आ मप रचय’ किवता म किव ह रवश राय ब न ने अपने यि व के िकन प को उभारा है?
उ र - ‘आ मप रचय’ किवता म किव ह रवंश राय ब न ने अपने यि व के िन निलिखत प को उभारा है-
* किव अपने जीवन म िमली आशाओं-िनराशाओं से संतु है।
* वह (किव) अपनी धुन म म त रहने वाला यि है।
* किव संसार को िम या समझते हए हािन-लाभ, यश-अपयश, सुख-दख ु को समान समझता
है।
* किव संतोषी वृि का है। वह वाणी के मा यम से अपना आ ोश कट करता है।
7- आ मप रचय’ किवता पर ितपा िलिखए।
उ र -‘आ मप रचय’ किवता के रचियता का मानना है िक वयं को जानना दिु नया को जानने से यादा किठन है। समाज से यि का
नाता ख ा-मीठा तो होता ही है। संसार से पूरी तरह िनरपे रहना संभव नह । दिु नया अपने यं य-बाण तथा शासन- शासन से चाहे
िजतना क दे, पर दिु नया से कटकर मनु य रह भी नह पाता य िक उसक अपनी अि मता, अपनी पहचान का उ स, उसका प रवेश ही
उसक दिु नया है। वह अपना प रचय देते हए लगातार दिु नया से अपने ि िवधा मक और ं ा मक संबधं का मम उ ािटत करता चलता
है। वह पूरी किवता का सार एक पंि म कह देता है िक दिु नया से मेरा संबधं ीितकलह का है, मेरा जीवन िव का सामंज य है।
आ मप रचय
( ह रवंश राय ब न )
आ मप रचय
कोष
1.किव का कहना है िक उसने नेह-सुरा का पान िकया है। इस पान का उस पर या भाव पड़ा है?
2.किव ब न को कै सा संसार अ छा नह लगता, और य ?
3.‘स य िकसी ने नह जाना’-किव ने ऐसा य कहा है?
4.किव ने िकस पृ वी को ठु कराने क बात कही है? किव के कथन से आप िकतना सहमत ह और य ?
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ो र ( 60/40 श द )
िदन ज दी ज दी ढलता है।
– 1 िदन ज दी – ज दी ढलता है’ किवता का सारांश प क िजए।
इस किवता म किव ह रवंश राय ब न ने जीने क इ छा और समय क कमी का सुदं र वणन िकया है। किव कहता है िक य िप राहगीर
थक जाता है, हार जाता है लेिकन वह िफर भी अपनी मंिजल क ओर बढ़ता ही जाता है। उसे इस बात का भय रहता है िक कह िदन न
ढल जाए। इसी कार िचिड़य के मा यम से भी किव ने जीने क लालसा का अ तु वणन िकया है। िचिड़याँ जब अपने ब के िलए
ितनके , दाने आिद लेने बाहर जाती ह तो िदन के ढलते ही वे भी अपने ब क देखभाल के बारे म सोचती रहती ह। वा तव म
ह रवंशराय ब न ने इस किवता म जीवन क ण भंगरु ता और मानव के जीने क इ छा का रोचक िच ण िकया है।
-2 िदन ज दी-ज दी ढलता है’किवता म ज दी ज दी श द क आवृि से किवता क िकस िवशेषता का पता चलता
है?
उ र - ‘िदन ज दी-ज दी ढलता है’ – वा य क कई बार आवृि किव ने क है। इससे यह िवशेषता पता चलती है िक जीवन बहत
छोटा है। िजस कार सूय दय होने के बाद अ त हो जाता है,ठीक वैसे ही मानव जीवन है। यह जीवन ित ण कम होता जाता है। येक
मनु य का जीवन एक न एक िदन समा हो जाएगा। हर व तु न र है। किवता क िवशेषता इसी बात म है िक इस वा य के मा यम से
किव ने जीवन क स ाई को तुत िकया है। चाहे राहगीर को अपनी मंिजल पर पहँचना हो या िचिड़य को अपने ब के पास। सभी
ज दी से ज दी पहँचना चाहते ह। उ ह डर है िक यिद िदन ढल गया तो अपनी मंिजल तक पहँचना असंभव हो जाएगा।
3- कौन-सा िवचार िदन ढलने के बाद लौट रहे पंथी के कदम को धीमा कर देता ह? ‘ब न’ के गीत के आधार पर उ र
दीिजए \
उ र - किव एकाक जीवन यतीत कर रहा है। शाम के समय उसके मन म िवचार उठता है िक उसके आने के इंतजार म घर पर याकु ल
होने वाला कोई नह है। अत: वह िकसके िलए तेजी से घर जाने क कोिशश करे । शाम होते ही रात हो जाएगी और किव क िवरह- यथा
बढ़ने से उसका दय बेचनै हो जाएगा। इस कार के िवचार आते ही िदन ढलने के बाद लौट रहे पंथी के कदम धीमे हो जाते ह ।
-4 यिद मंिजल दरू हो तो लोग क वहाँ पहँचने क मानिसकता कै सी होती ह?
उ र - मंिजल दरू होने पर लोग म उदासीनता व नीरसता का भाव आ जाता है। कभी-कभी उनके मन म िनराशा भी आ जाती है।
मंिजल क दरू ी के कारण कु छ लोग घबराकर यास करना छोड़ देते ह। कु छ यथ के तक-िवतक म उलझकर रह जाते ह। मनु य आशा व
िनराशा के बीच झूलता रहता है।
-5 िदन ज दी-ज दी ढलता है, म प ी तो लौटने को िवकल है, पर किव म उ साह नह है। ऐसा य ?
उ र - इस किवता म प ी अपने घर म लौटने को याकु ल है, परंतु किव म उ साह नह है। इसका कारण यह है िक पि य के ब े
उसका इंतज़ार कर रहे ह।जबिक किव अके ला है। उसक ती ा करने वाला कोई नह है। इसिलए उसके मन म घर जाने का कोई उ साह
नह है।
– 6 िदन का थका पंथी कै से ज दी-ज दी चलता है?
उ र - रा ते पर चलते-चलते पंथी (राहगीर) थक जाता है, लेिकन वह िफर भी चलते रहना चाहता है। उसे डर है िक यिद वह क गया
तो रात ढल जाएगी अथात् रात के होते ही मुझे रा ते म कना पड़ेगा। इसिलए िदन का थका पंथी ज दी ज दी चलता है।
यह किवता एक गीत है , िजसके रचनाकार किव ह रवंश राय ब न जी है | इस किवता म कहा गया है िक जो यि अपना ल य
िनधा रत करके जीवन पथ पर अ सर है , वे अपने कदम तेजी से बढाते हए ल य को ा करने के िलए बेचनै रहते ह | इसी बात को
कु छ उदाहरण के मा यम से प करने क कोिशश क गई है | एक थका हआ पिथक भी घर पास होने पर िदन ढल जाने के आशंका म
अपने कदम तेजी से बढाते ह | एक िचिड़या जो खाना खोजकर अपने घोसले क ओर बढ़ती है , यह सोचकर अपने पंख अिधक िहलाती
है िक उसके ब े उसक राह देख रहे ह गे और उसक आशा म ह गे | उस िचिड़या को यह भी आशंका होती है िक कह रात न हो जाए
| अंत म किव ने यह प िकया है िक ऐसे यि जो ल यिवहीन है , िजसका घर म कोई इंतजार नह करता , उसके कदम िशिथल पड़
जाते है अथात उसे समय के बीत जाने क कोई िचंता नह रहती है |
िदन ज दी –ज दी ढलता है
–कोष
1.राही िदन ढलने से पूव ही मंिजल पर पहँच जाना चाहता है, ऐसा य ?
2.िचिड़या के पर म चंचलता आने के या- या कारण हो सकते ह?
3.उस का उ े ख क िजए जो किव-मन को िवहवलता से भर देता है। इससे उस पर या भाव पड़ता है?
4.िन निलिखत का यांश के आधार पर पूछे गए के उ र दीिजए
म िनज उर के उ ार िलए िफरता हँ
म िनज उर के उपहार िलए िफरता हँ,
है यह अपूण संसार न मुझको भाता
म व न का संसार िलए िफरता हँ।
(क) भाव-स दय प क िजए।
(ख) अितम पि का आशय प क िजए।
(ग) का यांश क भािषक – िश प संबधं ी िवशेषताएँ िलिखए-
पतंग
( किव – आलोक ध वा )
( ो र 60/40 श द म)
-1 ‘सबसे तेज बौछार गय , भादो गया ’ के बाद कृ ित म जो प रवतन किव ने िदखाया है , उसका वणन अपने श द म
कर | ( 60 श द )
अथवा
सबसे तेज बौछार के साथ भाद के बीत जाने के बाद ाकृ ितक य का िच ण ‘पतंग ’ किवता के आधार पर अपने श द म
क िजए।
उ र – तुत किव आलोक ध वा ारा रिचत ‘ पतंग ’ पाठ से िलया गया है | इस किवता म किव ने ाकृ ितक सु दरता का मनोरम
िच ण िकया है | भादो माह म काले – काले बादल आकाश म घुमड़ते रहते ह और तेज बा रश होती है | इस मौसम म अ यिधक बा रश
के कारण लोग का जीवन ि थर –सा हो जाता है | इसके िवपरीत शरद ऋतु म मौसम साफ़ हो जाता है और रोशनी बढ़ जाती है | धूप
चमक ली होती है | कृ ित म िन निलिखत प रवतन होने लगते ह –
● ात:काल सूरज क रोशनी खरगोश क आँख के समान लाल िदखाई देता है |
● आकाश साफ़ , व छ , िनमल और चमक ला िदखाई देता है |
● ब े दौड़ते –भागते , पतंग उड़ाते और िततिलय के पीछे –पीछे भागते िदखाई देते है |
– 2 सोचकर बताएँ िक पतंग के िलए सबसे ह क और रंगीन चीज, सबसे पतला कागज़, सबसे पतली कमानी िवशेषण
का योग य िकया गया है ? (60 श द )
उ र – तुत पाठ ‘ पतंग ’ म किव आलोक ध वा जी ने पतंग के िलए सबसे ह क और रंगीन चीज , सबसे पतला कागज़,सबसे
पतली कमानी जैसे िवशेषण का योग िकया है | किव इसके मा यम से बालसुलभ चंचलताओं और ि याकलाप को पतंग क
िवशेषताओं से जोड़ना चाहते ह | िजस तरह पतंग बाँस क पतली कमानी और रंगीन कागज़ से िनिमत होकर रंग – िबरंगे प को धारण
कर धाग के सहारे आकाश म उड़ते ह , उसी तरह ब े भी ह के होते ह , उनक क पनाएँ भी पतंग के समान आसमान को छू ती ह |
उनका मन पिव , िन छल, कोमल होते ह |
-3 ज म से ही वे अपने साथ लाते ह कपास – कपास के बारे म सोच िक कपास से ब का या स ब ध बन सकता है ?
( 60/40 श द )
उ र – किव आलोक ध वा ारा रिचत पाठ पतंग म ब को कपास के समान कोमल बताया गया है | िजस तरह कपास ह क ,
मुलायम , ग दे ार , शु और सफ़े द होती है , उसी तरह ब के मन भी कोमल , व छ , पिव होते ह | कपास क तरह उनका शरीर
भी कोमल और मुलायम होते ह | ब े ये सारे गुण अपने ज म से ही लाते ह | यहाँ कपास ब क मासूिमयत और िन कपट भावनाओं
का तीक है |
- 4 पतंग के साथ-साथ वे भी उड़ रहे ह – ब का उड़ान से कै सा स ब ध बनता है?
उ र – किव आलोक ध वा ारा रिचत पतंग पाठ म ब क उड़ान और पतंग क उड़ान म एक िवशेष संबधं िदखाया गया है | जब
आकाश म रंग – िबरंगे पतंग उड़ती है तब ब का चंचल मन भी उड़ता है | ब े पतंग उड़ाते समय अ यंत आनंिदत , उ सािहत और
रोमांिचत मन वाले होते ह | पतंग को देखकर ऐसा लगता है मानो वे भी अपनी क पनाओं के सहारे उड़ान भर रहे ह | आकाश म उड़ते
पतंग को देखकर ब े खतर क परवाह िकए िबना आकाश क ऊं चाईय को छू लेना चाहते ह |
-5 पतंग नामक किवता का ितपा अपने श द म िलिखए |
उ र – किव आलोक ध वा ारा रिचत किवता पतंग पाठ म ब क दिु नया का रंगीन िच ण िकया गया है | पतंग उड़ने के मौसम म वे
खुशी और उमंग से भर जाते ह| भादो माह के बाद शरद ऋतु आते ही आकाश साफ़ हो जाता है | खरगोश क आँख के समान धूप लाल
और चमक ली हो जाती है | आकाश म उड़ती हई को पतंग को देखकर ब के मन उस ऊँ चाई तक जाना चाहते ह | वे खतर से खेल
–खेल कर अपने भय पर िवजय ा करते जाते ह | कृ ित भी ब के इस हाव-भाव म सहायता करती है| कभी वे पतंग के पीछे तो
कभी रंगीन िततिलय के पीछे भाग- भागकर कृ ित का भरपूर आनंद उठाते ह |
-6 शरद ऋतु क िवशेषताओं का वणन क िजए |
उ र - किव आलोक ध वा ारा रिचत किवता पतंग पाठ म शरद ऋतु का अ यंत ही मनोहारी िच ण िकया गया है | किव ने अपनी
किवता म शरद ऋतु का मानवीकरण करते हए िन निलिखत उनक िन निलिखत िवशेषताएँ बताई है –
● इस ऋतु म ात:काल म सूरज क रोशनी खरगोश क आँख के समान लाल िदखाई देता है |
● आकाश साफ़ , व छ , िनमल और चमक ला िदखाई देता है |
● ब े दौड़ते –भागते , पतंग उड़ाते और िततिलय के पीछे –पीछे भागते िदखाई देते है
● शरद ऋतु भादो माह के बाद इस तरह आता है जैसे वह अपनी नई साइिकल को चलाते हए, जोर –जोर से घंटी बजाते
हए, पुल को पार करते हए और अपने चमक ले
इशारे से पतंग उड़ाने वाले ब के झुडं को बुला रहा है |
-7 “ रोमांिचत शरीर का संगीत” का जीवन क लय से या संबध ं है ?
उ र – तुत किव आलोक ध वा ारा िलिखत किवता पतंग के स दभ म आया है | इस किवता म कहा गया है िक जब ब े िकसी
काय म पूरी तरह त ीन हो जाते ह उनके मन और शरीर म खुशी और उमंग से एक अ तु रोमांच और संगीत उ प होता है | ऐसी
ि थित म मन एक िनि त िदशा म लयब होकर गित करने लगता है | मन के अनुसार काय होने से ब के शरीर भी उसी लय म काय
करता है | इसी त मयता के कारण वे खतर क परवाह िकए िबना भय पर िवजय पाना भी सीखते जाते ह |
- 8 ‘ महज एक धागे के सहारे , पतंग क धड़कती ऊँ चाईयाँ ‘ उ ह ( ब को ) कै से थाम लेती है ? अपने श द म
िलख |
उ र – किव आलोक ध वा ारा िलिखत किवता पतंग म ब के बालमन और पतंग क उड़ान का बहत ही सुंदर िच ण िकया गया है
| शरद ऋतु के आते ही पतंग से ब क कोमल भावनाएँ जुड़ जाती है | ब े अपने पतंग को आकाश म उड़ाना चाहते ह | पतंग
आकाश म उड़ती है , लेिकन पतंग क ऊँ चाई का िनयं ण उनके हाथ क डोर म होती है | यह एक ऐसा ण होता है जब वे अपनी
खुिशय और उमंग म बेसधु हो जाते ह | ब के कोमल और मुलायम बालमन पतंग क ऊँ चाईय के साथ उड़ रहे होते है | ऐसा लगता
है मानो पतंग का धागा पतंग के साथ –साथ बालमन को भी थाम रहा हो |
-9 िदशाओं को मृदगं क तरह बजाने का या ता पय है ?
उ र - तुत किव आलोक ध वा ारा िलिखत किवता पतंग के स दभ म आया है | इस किवता म कहा गया है िक जब ब े पतंग
उड़ाने म पूरी तरह त ीन हो जाते ह , उसके मन और शरीर म खुशी और उमंग से एक अ तु रोमांच और संगीत उ प होता है | उनका
यान आकाश म उड़ रहे पतंग पर होता है | इस िदशा म पतंग उड़ती ह , ब े भी उसी िदशा म भागने लगते ह | बेसधु होकर भागने के
दर यान वे छत के दीवार पर भी कू दते ह और उसके पदचाप से छत के खतरनाक कोने भी मुलायम होकर सु दर विन उ प करते ह |
ब क िकलका रय और पदचाप से एक कार का संगीत उ प होता है और ऐसा लगता है मानो ब े िदशाओं को मृदगं क तरह
बजा रहे ह |
-10 पतंग पाठ के भाव सौ दय को प कर |
उ र – किवता का भाव सौ दय - किव आलोक ध वा ारा रिचत किवता पतंग पाठ म ब क दिु नया का रंगीन िच ण िकया गया है |
पतंग उड़ने के मौसम म वे खुशी और उमंग से भर जाते ह| भादो माह के बाद शरद ऋतु आते ही आकाश साफ़ हो जाता है | खरगोश क
आँख के समान धूप लाल और चमक ली हो जाती है | आकाश म उड़ती हई को पतंग को देखकर ब के मन उस ऊँ चाई तक जाना
चाहते ह | वे खतर से खेल –खेल कर अपने भय पर िवजय ा करते जाते ह | कृ ित भी ब के इस हाव-भाव म सहायता करती है|
कभी वे पतंग के पीछे तो कभी रंगीन िततिलय के पीछे भाग भागकर कृ ित का भरपूर आनंद उठाते ह |
-11 पतंग पाठ के िश प सौ दय को प कर |
उ र - आलोक ध वा ारा िलिखत किवता पतंग म ब के बालमन और पतंग क उड़ान का बहत ही सुंदर िच ण िकया गया है | इस
किवता म किव ने िन निलिखत िश प सौ दय का दशन िकया है –
● िबंबा मक शैली म शरद ऋतु का सुंदर िच ण िकया है।
● बालमन और उनक बाल-सुलभ चंचलाताओं का मनोहर िच ण िकया गया है
● किवता म शरद ऋतु का मानवीकरण िकया गया है |
● पाठ म मानवीकरण अलंकार , उपमा अलंकार , अनु ास अलंकार , पुन ि काश अलंकार का मनोहर िच ण िकया
गया है |
● किवता क भाषा खडी बोली है, िजससे भाव क सहज अिभ यि हई है |
● किव ने अपनी किवता म ल णा श द शि का योग िकया है |
● किव ने किवता म िमि त श दाविलय को योग िकया है |
● मु छं द का योग िकया िकया गया है |
पतंग
( आलोक ध वा )
( Master Card)
किव आलोक ध वा ारा रिचत किवता ‘ पतंग पाठ ’ म ब क दिु नया का रंगीन िच ण तुत िकया गया है | पतंग उड़ने के मौसम म
ब े खुशी और उमंग से भर जाते ह| भादो माह के बाद शरद ऋतु आते ही आकाश साफ़ हो जाता है | खरगोश क आँख के समान धूप
लाल और चमक ली हो जाती है | आकाश म उड़ती हई को पतंग को देखकर ब के मन उस ऊँ चाई तक जाना चाहते ह | वे खतर से
खेल –खेल कर अपने भय पर िवजय ा करते जाते ह | कृ ित भी ब के इस हाव-भाव म सहायता करती है| कभी वे पतंग के पीछे
तो कभी रंगीन िततिलय के पीछे भाग- भागकर कृ ित का भरपूर आनंद उठाते ह |
मह वपूण क सूची
1. ‘सबसे तेज बौछार गय , भादो गया ’ के बाद कृ ित म जो प रवतन किव ने िदखाया है , उसका वणन अपने श द म कर |
2. सोचकर बताएँ िक पतंग के िलए सबसे ह क और रंगीन चीज, सबसे पतला कागज़,
सबसे पतली कमानी िवशेषण का योग य िकया गया है ?
3. ज म से ही वे अपने साथ लाते ह कपास – कपास के बारे म सोच िक कपास से
ब का या स ब ध बन सकता है ?
4. पतंग के साथ-साथ वे भी उड़ रहे ह – ब का उड़ान से कै सा स ब ध बनता है?
5. पतंग नामक किवता का ितपा अपने श द म िलिखए |
6. शरद ऋतु क िवशेषताओं का वणन क िजए |
7. िदशाओं को मृदगं क तरह बजाने का या ता पय है ?
8.“ रोमांिचत शरीर का संगित” का जीवन के लय से या संबधं है ?
9. ‘ महज एक धागे के सहारे , पतंग क धड़कती ऊँ चाईयाँ ‘ उ ह ( ब को ) कै से
थाम लेती है ? अपने श द म िलख |
10. पतंग पाठ के का य सौ दय को प कर |
किवता के बहाने
(कुँ वर नारायण)
1 - इस किवता के बहाने बताएँ िक ‘ सब घर एक कर देने के माने ’ या है ?
उ र - तुत किव कुँ वर नारायण ारा रिचत ‘ किवता के बहाने ’ पाठ से िलया
गया है | किव को आज के समय म किवता के अि त व के बारे संशय हो रहा है | इस पाठ म किवता को यांि कता से मु करने और
इसक अपार स भावनाओं बताने का यास िकया गया है | इसी म म वे कहते िक िजस कार ब के खेल म िकसी कार क सीमा
का यान नह रखा जाता , उसी कार किवता म थान क कोई सीमा नह होती है | किवता एक श द का खेल है | किव किवता
िलखते समय अपने मन म ब क तरह अपने – पराये के बोध से ऊपर उठाकर लोकिहत क कामना से बंधन रिहत होकर किवता क
रचना करता है | उनके मन म सीमाओं का बंधन नह रहता है |
2- ‘उड़ने’ और ‘िखलने’ का किवता से या संबध ं बनता है ?
उ र – किव कुँ वर नारायण ने अपनी किवता ‘ किवता के बहाने ’ पाठ म किवता के ‘उड़ने’ और ‘िखलने’ को िचिड़या और फू ल के
मा यम से प करने क कोिशश क है | वे कहते है िक िचिड़या एक थान से दसू रे थान उड़कर जाती है , पर तु किवता अपनी
क पानाओं के पंख लगाकर सीमाओं के बंधन से मु होकर बहत ही ऊँ ची उड़ान भरती है | ता पय यह है िक किवता क उड़ान
असीिमत है , जबिक िचिड़य क उड़ान सीिमत है | उसी तरह फू ल भी िखलते है और किवताएँ भी िखलती है | फू ल के िखलने क एक
सीमा है, लेिकन किवता िबना मुरझाए सदैव िखलती रहती है |
3- किवता और ब े को समानांतर रखने के या कारण हो सकते ह ?
अथवा – किवता को ब के समान य कहा गया है ? तक सिहत उ र द |
उ र - किव कुँ वर नारायण ने अपनी किवता ‘ किवता के बहाने ’ पाठ म किवता और ब े को समानांतर रखा है | ब के खेल म
नयापन , रचना मकता और ि याशीलता होती है | ब के मन पिव , िन छल और भेदभाव रिहत होते ह | ब के मन म सबके
िलए समान भाव होते ह | ब े िकसी भी कार क सीमाओं के बंधन से मु होते है |
उसी कार किवता भी श द का एक खेल है , िजसम सृजनशीलता और नयापन के भाव िछपे होते ह | किवताएँ भी ब क
तरह सीमारिहत और भेदभावरिहत होकर लोकिहत का भावना से ओत ोत होते है | यही कारण है िक किवता को ब के समान बताया
गया है |
4 - किवता के स दभ म ‘िबना मुरझाए महकने के माने’ या होते ह ?
उ र - किव कुँ वर नारायण ने अपनी किवता ‘ किवता के बहाने ’ पाठ म किवता के ‘उड़ने’ और ‘िखलने’ को िचिड़या और फू ल के
मा यम से प करने क कोिशश क है |
किवता और फू ल म संबधं थािपत करने के म म वे कहते ह िक फू ल िखलने के एक िनि त समय बाद मुरझा जाते ह, लेिकन किवता
अपने लोकिहत भाव के कारण हमेशा ताजगी और खुशबू से भरपूर रहती है | किवता फू ल क तरह कभी मुरझाती नह , बि क सदैव
समाज को जाग क और स िच बनाए रखती है |
5 -‘किवता के बहाने’ किवता का ितपा बताइए ।
उ र - किव कुँ वर नारायण ने अपनी रचना ‘ किवता के बहाने ’ पाठ के मा यम से आज के समय म किवता के अि त व के बारे संशय
कट कर रहे है | इस पाठ म किवता को यांि कता से मु करने और इसक अपार स भावनाओं बताने का यास िकया गया है | वे
कहते है िक किवता एक या ा है जो िचिड़या, फू ल से लेकर ब े तक क है। एक ओर कृ ित है दसू री ओर भिव य क ओर कदम
बढ़ाता ब ा। किव कहता है िक िचिड़या क उड़ान क सीमा है, फू ल के िखलने के साथ उसका अंत िनि त है, लेिकन ब े के सपने
असीम ह। ब के खेल म िकसी कार क सीमा का कोई थान नह होता। किवता भी श द का खेल है और श द के इस खेल म
जड़, चेतन, अतीत, वतमान और भिव य-सभी उपकरण मा ह। इसीिलए जहाँ कह रचना मक ऊजा होगी, वहाँ सीमाओं के बंधन वयं
ही टू ट जाएँगे। वह सीमा चाहे घर क हो, भाषा क हो या समय क ही य न हो ।
6 – “किवता के बहाने’ किवता के किव क या आशंका है और य ?
उ र - किव कुँ वर नारायण ने अपनी रचना ‘ किवता के बहाने ’ पाठ के मा यम से आज के समय म किवता के अि त व के बारे संशय
कट कर रहे है | उसे आशंका है िक आज का मानव अ यिधक भागमभाग के कारण यांि क होता जा रहा है। उसके पास भावनाओं को
समझाने, य करने या सुनने का समय नह है । िवकास क इस आंधी से मानव क कोमल भावनाएँ समा होती जा रही ह। अत: किव
को किवता का अि त व खतरे म िदखाई दे रहा है ।
7 - फूल और िचिड़या को किवता क या- या जानका रयाँ नह ह? ‘किवता के बहाने’ किवता के आधार पर बताइए |
उ र - किव कुँ वर नारायण ने अपनी किवता ‘ किवता के बहाने ’ पाठ म किवता के ‘उड़ने’ और ‘िखलने’ को िचिड़या और फू ल के
मा यम से प करने क कोिशश क है | वे अपनी किवता इस बात को प करते है िक किवता िचिड़या क तरह उड़ान भरती है और
फू ल क तरह िखलती है , लेिकन फू ल और िचिड़या को किवता क िन निलिखत जानका रयाँ नह ह-
● फू ल को वयं िखलने , खुशबू िवखेरने , मुरझाने और किवता के असीिमत काल तक िखले रहने क जानकारी नह ह |
● िचिड़या को यह पता नह है िक उसके बहाने किवताएँ ज र िलखी जाती है और उसक उड़ान से किवता के उड़ान क तुलना
क जाती है , पर तु उसक उड़ान सीिमत है और किवता क उड़ान असीिमत |
8 – ‘ किवता के बहाने ’ पाठ म िनिहत सौ दय बोध को प क िजए |
उ र - ‘ किवता के बहाने ’ पाठ म िनिहत सौ दय बोध कु छ इस कार है –
● किवता क रचना मक यापकता को कट िकया गया है।
● सरल एवं सहज खड़ी बोली म सश अिभ यि है।
● किवता का मानवीकरण िकया गया है।
● किवता म ला िणकता है।
● ‘िचिड़या या जाने” और ‘’ फू ल या जाने ‘’ म अलंकार है ।
● किवता से िचिड़या और फू ल क तुलना सुंदर है।
● ‘मुरझाए महकने’ और ‘ ब के बहाने’ म अनु ास अलंकार है |
● मु छं द और शांत रस है |
किवता के बहाने
( मु य बात )
किव कुँ वर नारायण ने अपनी रचना ‘ किवता के बहाने ’ पाठ के मा यम से आज के समय म किवता के अि त व के बारे संशय कट कर
रहे है | इस पाठ म किवता को यांि कता से मु करने और इसक अपार स भावनाओं बताने का यास िकया गया है | वे कहते है िक
किवता एक या ा है जो िचिड़या, फू ल से लेकर ब े तक क है। एक ओर कृ ित है दसू री ओर भिव य क ओर कदम बढ़ाता ब ा।
किव कहता है िक िचिड़या क उड़ान क सीमा है, फू ल के िखलने के साथ उसका अंत िनि त है, लेिकन ब े के सपने असीम ह। ब
के खेल म िकसी कार क सीमा का कोई थान नह होता। किवता भी श द का खेल है और श द के इस खेल म जड़, चेतन, अतीत,
वतमान और भिव य-सभी उपकरण मा ह। इसीिलए जहाँ कह रचना मक ऊजा होगी, वहाँ सीमाओं के बंधन वयं ही टू ट जाएँगे। वह
सीमा चाहे घर क हो, भाषा क हो या समय क ही य न हो ।
किवता के बहाने
(कुँ वर नारायण)
क सूची
1. इस किवता के बहाने बताएँ िक ‘ सब घर एक कर देने के माने ’ या है ?
2. ‘उड़ने’ और ‘िखलने’ का किवता से या संबधं बनाता है ?
3. किवता और ब े को समानांतर रखने के या कारण हो सकते ह ?
4. किवता के स दभ म ‘िबना मुरझाए महकने के माने’ या होते ह ?
5. ‘ किवता के बहाने ’ किवता का ितपा अपने श द म िलिखए |
6. किव ने किवता क उड़ान और िखलने को िचिड़या और फू ल से िकस कार िभ बताया है ?
7. किवता एक खेल है ब के बहाने – आशय प क िजए ?
8. किवता के बहाने – किवता के का य सौ दय को प कर |
9. “किवता के बहाने’ किवता के किव क या आशंका है और य ?
10. फू ल और िचिड़या को किवता क या- या जानका रयाँ नह ह? ‘किवता के बहाने’ किवता के आधार पर बताइए |
बात सीधी थी पर
(कुँ वर नारायण )
60 श द वाले और उ र
1. भाषा को सहिलयत से बरतना से या अिभ ाय है ?
उ र- सहिलयत श द का सामा य अथ आसानी या सहज होता है। इस िहसाब से भाषा को सहिलयत से बरतना अथात् उसक सरलता,
सादगी और सहजता से योग करना है। िजससे भाषा का भाव आसानी से समझ म आ जाए। बनावटी श द के आडंबर से भाषा सहज
होने के बजाय किठन होती चली जाती है और वह आसानी से समझ म नह आती।इसीिलए भाषा को सरलता से योग करना चािहए
और यह सरल और सहज भाषा का योग ही भाषा को सहिलयत से बरतने से संबिं धत है।
2.बात और भाषा पर पर जुड़े होते ह िक तु कभी-कभी भाषा के च र म सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है कै से?
उ र – बात, भाषा के प म ही य होती है। इसीिलए भाषा और बात का अभे संबधं है। मनु य के मन म आने वाली भावनाएं श द
के मा यम से बाहर कट होती ह। हम जैसा सोचते ह वैसा ही कह द तो कोई िद त नह है,परंतु किव जैसे लोग अपनी बात को कहने के
िलए कई बार भाषा को सजाने, संवारने या भावी बनाने के च र म पड़ जाते ह, तो बहत किठनाई हो जाती है। दरअसल भाषा के मोह
म पड़ा हआ यि मूल बात कहने के बजाय कु छ और ही कह जाता है। इसिलए वा तिवक यानी जो वह बताना चाहता है वह वो कह
नह पाता है और भाषा के च र म च र म सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है।
3. बात (क य) के िलए दी गई िवशेषताओं का उिचत िबंब और मुहावर से िमलान कर।
(क) बात का चूड़ी मर जाना -बात का भावहीन हो जाना।
(ख) बात क पच खोलना-बात को सहज और प करना।
(ग) बात का शरारती ब क तरह खेलना - बात का पकड़ म न आना।
(घ) बात को क ल क तरह ठोक देना - बात म कसावट के न (अथहीन ) होने पर भी जबरद ती थ पना।
(ड) बात का बन जाना –कथन और भाषाका सही सामंज य बैठ जाना।
40 श द वाले और उ र
1.सारी मुि कल को धैय से समझने के बजाय किव या िकए जा रहा था ?
उ र -किव को अपनी बात को कहने क ज दबाजी थी और वह हड़बड़ी तथा खीझ म िबना सोचे समझे ही अिभ यि क जिटलता
को और अिधक बढ़ाता जा रहा था ।िजससे बात सुलझने के बजाय उलझती चली जा रही थी। अगर किव ने धैय का साथ िलया होता तो
बात आसानी से समझाई जा सकती थी।
2. बात पेचीदा कब हो जाती ह और इससे बचने का या उपाय है ?
उ र –बात पेचीदा तब हो जाती है जब कहने वाला अपना यान मूल बात पर कि त न करके उसे आडंबर ारा ढकना चाहता है। बात
को भावशाली बनाने के च र म उसक बात और अिधक जिटल हो जाती है । इससे बचने के िलए हम बात सीधी तथा सरल और
सहज प से कहनी चािहए।
3. बात सीधी होने पर भी भाषा के च र म कै से फं स गई ?
उ र - बात सीधी होने पर उसे सहज प म य िकया जा सकता था , िकं तु किव ने बात को पाने के च र म भाषा को
घुमाया-िफराया,तोड़ा- मरोड़ा ,उ टा- पु टा पर इससे बात प होने के बजाय और अिधक पेचीदा,जिटल तथा द ु ह हो गई और भाषा
का जंजाल खड़ा हो गया तथा अथ पीछे छू ट गया।
बात सीधी थी पर
( मु य बात )
तुत किवता किव कुँ वर नारायण जी क रचना सं ह ‘ कोई दसू रा नह ’ से ली गई है | इस पाठ म भाषा को सहजता के साथ बरतने
क बात क गई है | िजस कार हर पच के िलए एक िनि त खाँचा होता है , उसी तरह हर बात के िलए कु छ ख़ास श द और भाषा होती
है | अ छी बात या अ छी किवता का बनना सही बात का सही सही श द या सही भाषा से जुड़ना होता है | सही बात को सही श द
और भाषाओं के मा यम से कट करने से क य ( कहने यो य बात ) भावी होता है , िक तु कभी-कभी भाषा के मोह म बात अथात
क य ( कहने यो य बात ) का भाव समा हो जाता है | कभी – कभी तािलय के गडगडाहट और ोताओं के वाह – वाह ा करने
के चाहत म किव समाज अपने क य क भाषाओं को अिधक आडंबरपूण और किठन बना देते है और प रणाम व प क य के भाव को
न कर देते है | अत: अपनी बात को सहज और आसान भाषा म कहनी चािहए , िजससे साधारण लोग भी उसका आनंद और लाभ ा
कर सके
कोष
1.‘कै मरे म बंद अपािहज’ किवता म संचार मा यम क संवेदनहीनता को उजागर िकयागया
है। किवता के आधार पर प क िजए।
2 .दरू दशन के काय म-िनमाताओं और संचालक के यवहार म उनक यावसाियक वृि के दशन कै से होते ह? उदाहरण सिहत
िलिखए।
3.अपािहज यि काय म- तोता को अपना दख ु य नह बता पाता?
4.अपने काय म को सफल बनाने के िलए काय म िनमाता िकस सीमा तक िगर जाते ह?’कै मरे म बंद अपािहज’ किवता के आधार पर
प क िजए।
5.काय म- तोता ारा अपािहज के साथ िजस तरह का यवहार िकया गया उसे आप िकतना उिचत मानते ह?
6.काय म-संचालक अपािहज क आँख परदे पर िदखाना चाहता है। इसके या कारण हो सकते ह? किवता के आधार पर उ र दीिजए।
7.अपािहज यि का दरू दशन पर सा ा कार तुत करने का या उ े य है? आप संचालक को इस उ े य क ाि म िकतना सफल
पाते ह?
40 श द वाले और उ र
1.यिद शारी रक प से चुनौती का सामना कर रहे यि और दशक दोन एक साथ रोने लगगे, तो उससे कता का
कौन सा उ े य पूरा होगा ?
उ र -यिद कोई अपंग और दशक दोन साथ-साथ रोने लग तो कता को लगेगा िक उसने काय म को बहत भावनापूण और
क णापूण बना िलया है। वह उस काय म के मा यम से अपािहज के िजस दःु ख- दद को िदखाना चाहता था उसम वह पूरी तरह से
सफल हो गया है ।यहां तक िक दशक क आंख म भी वह दःु ख उमड़ पड़ा है ।इस सफल काय म का वा तिवक उ े य है जनता का
यान ख च पाने म समथ होना। िजससे दशक काय म को देखते रह और काय म िनमाता क भरपूर कमाई हो सके ।
2. ‘परदे पर व क क मत है' कहकर किव ने पूरे सा ा कार के ित अपना नज रया िकस प म रखा है ?
उ र – ‘परदे पर व क क मत है’ से सा ा कारकता क मूल भावना का प रचय िमलता है। सा ा कारकता के िलए दरू दशन के परदे
पर काय म िदखाने के बदले जो पैसा िमलता है उसक क मत अपंग के तकलीफ से कह यादा है । वा तव म वह पैसा कमाने के िलए
ही अपंगता िदखा रहा है। किव का यं य है िक आज के इस यावसाियक दौर म दरू दशन पर िदखाई जाने वाली क णा हो या वेदना,सब
िनरथक हो गए ह, साथकता तो िसफ और िसफ धन कमाने म रह गई है ।
3. अपािहज से पूछे जाने वाले अिधकतर संवेदना शू य हकै से ?
उ र -अपािहज से पूछे जाने वाले िब कु ल िन न तर के ह िज ह हम संवेदना शू य कह सकते ह। जैसे– या आप अपािहज ह?तो
आप य अपािहज ह ?
इन दोन का कोई उ र नह बनता । सबके सामने वयं को अपािहज वीकार करना अपमान के िसवाय और या है ? िकसी से
पूछना िक वह अपािहज य है ? एक ू र मजाक है। इसी कार “आपका अपािहजपन तो दख ु देता होगा” जानबूझकर जले पर नमक
िछड़कने जैसा है। िफर यह पूछना िक अपािहज होकर उसे कै सा लगता है ? उसके मौन रहने पर उसक नकल करना, भ े इशारे करना।
वा तव म ऐसे अपािहज से पूछे ही नह जाने चािहए ।इस तरह के संवेदनशू य यि ही कर सकता है।
कै मरे म बंद अपािहज
( मु य बात )
तुत पाठ ‘ कै मरे म बंद अपािहज ’ किव रघुवीर सहाय के का य सं ह ‘लोग भूल गए ह‘ से िलया गया है | इस पाठ म किव ने
मीिडयाकिमय के िववेकहीन ि याकलाप को बताने का यास िकया है | िकसी क पीड़ा को दशक तक पहँचाना और अिधक से
अिधक यावसाियक लाभ ा करना अनुिचत है | आजकल के मीिडयाकम वयं को अिधक समथ और शि शाली समझते है |
संवेदनहीनता क पराका ा तो तब हो जाती है जब वे िकसी शारी रक प से चुनौती झेलने वाले िवकलांग यि को टू िडयो म ले आते
है और उसक पीड़ा को उभाकर दशक तक पहँचाने क कोिशश करते ह | यह किवता मीिडयाकिमय क ू र दिु नया को दशक तक
लाने और वा तिवकता से अवगत कराने का एक यास मा है |
– कोष
1.‘कै मरे म बंद अपािहज’ किवता म संचार मा यम क संवेदनहीनता को उजागर िकया गया है। किवता के आधार पर प क िजए।
2. दरू दशन के काय म-िनमाताओं और संचालक के यवहार म उनक यावसाियक वृि के दशन कै से होते ह? उदाहरण सिहत
िलिखए।
3.अपािहज यि काय म- तोता को अपना दख ु य नह बता पाता?
4, अपने काय म को सफल बनाने के िलए काय म िनमाता िकस सीमा तक िगर जाते ह?’कै मरे म बंद अपािहज’ किवता के आधार पर
प क िजए।
5-काय म- तोता ारा अपािहज के साथ िजस तरह का यवहार िकया गया उसे आप िकतना उिचत मानते ह?
6. काय म-संचालक अपािहज क आँख परदे पर िदखाना चाहता है। इसके या कारण हो सकते ह? किवता के आधार पर उ र
दीिजए।
7. अपािहज यि का दरू दशन पर सा ा कार तुत करने का या उ े य है? आप संचालक को इस उ े य क ाि म िकतना सफल
पाते ह?
‘उषा’
ो र( 60 /40 श द )
1- सूय दय से पहले आकाश म या- या प रवतन होते ह ? ‘उषा’ किवता के आधार पर बताइए।
अथवा
‘उषा’ किवता के आधार पर सूय दय से ठीक पहले के ाकृ ितक य का िच ण क िजए।
उ र - सूय दय से पहले उषाकाल ( भोरकाल) म आकाश का रंग शंख जैसा वेत और नीले रंग का है | इस समय आकाश राख से लीपे
चौके के समान गीला तीत होता है। सूय क लािलमा ( ारंिभक िकरण) आकाश म ऐसा लगता है मानो िकसी ने काली िसल पर थोड़ा
लाल के सर डालकर पीसा हो और उसे धो िदया गया हो या िफर काली लेट पर लाल खिड़या चाक मल दी गई हो। सूय दय के समय सूय
का ितिबंब ऐसा लगता है जैसे नीले व छ जल म िकसी गोरी युवती का ितिबंब िझलिमला रहा हो।
2- ‘उषा’ किवता के आधार पर उस जाद ू को प क िजए जो सूय दय के साथ टू ट जाता है।
सूय दय से पूव उषा का य अ यंत आकषक होता है। भोर के समय सूय क िकरण जाद ू के समान लगती ह। इस समय आकाश का
स दय ण- ण म प रवितत होता रहता है। यह उषा का जाद ू है। नीले आकाश का शंख-सा पिव होना, काली िसल पर के सर डालकर
धोना, काली लेट पर लाल खिड़या मल देना, नीले जल म गोरी नाियका का िझलिमलाता ितिबंब आिद य उषा के जाद ू के समान
लगते ह। सूय दय होने के साथ ही ये य समा हो ज़ाते ह।
3- ‘ लेट पर या लाल खिड़या चाक मल दी हो िकसी ने । ‘ -इसका आशय प क िजए।
उ र – तुत प ांश किव शमशेर बहादरु ारा रिचत किवता ‘ उषा ’ से िलया गया है | किव कहता है िक सुबह के समय अँधेरा
होने के कारण आकाश लेट के समान मटमैला िदखता है। उस समय सूय क लािलमा-यु िकरण ऐसा िदखता है, जैसे िकसी ने काली
लेट पर लाल खिड़या चाक मल िदया हो औरबाद म उसे मल िदया हो |
4- भोर के नभ को ‘ राख से लीपा, गीला चौका ‘ क सं ा दी गई है। य ?
उ र- किव कहता है िक भोर के समय ओस के कारण आकाश नमीयु व धुधं ला होता है। राख से िलपा हआ चौका भी मटमैले रंग का
होता है। दोन का रंग लगभग एक जैसा होने के कारण किव ने भोर के नभ को ‘राख से लीपा, गीला चौका’ क सं ा दी है। दसू रे , चौके
को लीपे जाने से वह व छ हो जाता है। इसी तरह भोर का नभ भी पिव होता है।
5- िसल और लेट का उदाहारण देकर किव ने आकाश के रंग के बारे म या कहा है?
उ र - किव ने अपनी किवता म भोरकालीन आकाश को िसलब े और लेट के रंगके सामान बताया है | भोर के समय आकाश का रंग
गहरा नीला-काला और मटमैला होता है और उसम थोड़ी-थोड़ी सूय दय क लािलमा िमली हई होती है।
6- उषा किवता नवचेतना का संदश े है प कर-
उ र- किव शमशेर बहादरु िसंह ने अपनी किवता ’उषा’ म नवचेतना का स देश कु छ इस कार िदया है -
* उषा का समय अथात् भोरकाल ( सूय दय से पूव का समय ) वातावरण व छ, पिव और
जीवन के ार भ का समय है |
* उषाकाल नवीन िदवस क ओर ले जाने वाला मा यम है ।
* वह आने वाले िदन का वागत है ।
* यह वह समय है , जब हम आकाश म िविभ रंग का मेल देख नए जोश के साथ सारी
मनोकामनाएँ पूण करने के िलए त पर हो जाते है | इसिलए उषा का समय नवचेतना का
संदश
े है।
7- किव भोरकाल के सूय दय के साथ एक आशावादी प रवेश क क पना करता है | उदाहरण सिहत प कर |
उ र -किव शमशेर बहादरु िसंह जी ने अपनी किवता ‘उषा’ म िविभ उपमान के मा यम से भोरकाल के गितशील ामीण जीवन का
िच ण तुत िकया है , िजसम-
* उषाकालीन ामीण जीवन का सुंदर और मनोहर िच ण है ।
* जहाँ राख से लीपा हआ गीला च का है और जीवन जीने क आशा है |
* लेट क कािलमा पर चाक से रंग िबखरते यारे ब के सपने ह |
* किवता म गाँव क सुबह का एक गितशील जीवनदशन है जो नयी आशाओं को दिशत
करता है।
- 8 न ह ब े िजस कार अपनी इ छा से लेट का इ तेमाल करते है , या कृ ित भी न ह ब े के समान मनमौजी है?
उ र –हाँ, िजस कार न ह ब े अपने मन से लेट पर कोई एक िदशा न िनि त करके अपनी मज से लेट को रंगीन खिड़या चाक से
रंग देते है , ठीक वैसे ही कृ ित भी मनमौजी जैसा यवहार करती है | भोरकाल के समय कृ ित कह के शर सा के श रया रंग िबखेरती है,
तो कही ब च म ही सूरज क लािलमा धुधं ली – सी हो जाती है, कह गोर देहवाली सुंदरी क भाँित असमान म सफे द रंग ह का-ह का
दिशत हो रहा है, तो कह अँधेरा अपना अि त व कम कर रहा है | इससे ऐसा मालूम होता है क मानो कृ ित भी न ह ब क तरह
मनमौजी बन गई हो |
9- शमशेर बहादरु िसंह ने अपनी किवता उषा के मा यम से नवीन क पना एवं नवीन
उपमान का योग िकया है प कर?
उ र- किव शमशेर बहादरु िसंह जी ने अपनी किवता म ामीण प रवेश से उषा के समय का संबधं जोड़कर नवीन क पनाओं के आधार
नवीन ामीण उपमान के आधार पर उषा का मनोहर िच उपि थत िकया है | ये नवीन उपमान है -
क) 'नीला शंख जैसा'
ख) 'राख से लीपा चौका '
ग) ''काली िसल सा '
) ' लेट पर लाल खिडया चाक मलना ’
ङ) 'िझलिमल देह'
इस कार, किवता म सरल एवं लघु श द के योग से एक कार से िच ा मकता लाई गई है | इसीिलए कह सकते है िक शमशेर बहादरु
िसंह ने अपनी किवता उषा के मा यम से नवीन क पना एवं नवीन उपमान का योग िकया है।
उषा
( शमशेर बहादरु िसंह )
( मु य बात )
तुत किवता ‘उषा’ म किव शमशेर बहादरु िसंह ने सूय दय से ठीक पहले अथात् उषा काल ( भोरकाल ) के ण – ण म प रवितत
होने वाली कृ ित का सुंदर िच उपि थत िकया है । किव ने इस किवता म नवीन ामीण उपमान का योग करते हए कृ ित क गित को
श द म बाँधने का अ तु यास िकया है। किव ने उषाकाल ( भोरकाल) क आसमानी गित क धरती के हलचल भरे जीवन से तुलना
करने का यास िकया है | किव कहता है िक सूय दय से पहले आकाश का रंग गहरे नीले रंग का होता है तथा वह सफे द शंख-सा िदखाई
देता है। आकाश का रंग ऐसा लगता है मानो िकसी गृिहणी ने राख से चौका लीप िदया हो। सूय के ऊपर उठने पर लाली फै लती है तो ऐसा
लगता है जैसे काली िसल पर लाल के सर पीसकर उसे धो िदया हो | उषाकालीन लािलमा कु छ ऐसा िदखता है मानो िकसी लेट पर लाल
खिड़या चाक मल िदया हो और उसे साफ़ कर िदया हो | नीले आकाश म सूय क लािलमा ऐसा लगता है मानो नीले जल म गोरी युवती
का शरीर िझलिमला रहा हो | सूय दय होते ही उषाकाल का यह जाद ू समा हो जाता है |
कोष
1. ‘उषा’ किवता म किव ने आसमान के िलए सवथा नवीन उपमान का योग िकया है। किवता के आधार पर प क िजए।
2. किव ने ात:कालीन कृ ित का मनोहारी िच ण िकया है। पाठ के आधार पर उदाहरण सिहत िलिखए।
3. ‘उषा के टू टते जाद’ू का वणन अपने श द म क िजए।
अथवा
‘जाद ू टू टता है इस उषा का अब।’ उषा का जाद ू या है? वह कै से टू टता है? नील जल म या
बादल राग
सूयकांत ि पाठी िनराला
( ो र – 60/40 श द )
1) बादल को िव व का तीक य माना गयाहै?
उ र -िव व का अथ है ांित । किव बादल को एक ांितकारी के प म देखते है । बादल गरजते ह और वषा करते ह। वषा से गम से
लोग को राहत िमलती है । त धरती को शीतल व सुहावने प म पूण पेण बदलने क मता रखते है । इसिलए किव ने इ ह ाि त के
तीक कहा है।
2)रण-तरी िकसे कहते ह? वहाँ रण-तरी को आकां ाओं से भरी य कहा है?
उ र- रण- तरी बादल क यु -नौका का कहते ह। रण- तरी को आकां ाओं से भरी कहा गया है य िक बादल क इस यु -नौका
से यु के इस आ ान से बदलाव क आकां ाएं बनी हई है । बरसात से धरती का प पूणत: बदलने िक अपे ा होती है तो दसू री ओर
ांित से िन न वग के मन म बदलाव व खुशहाली िक आकां ाएं तैरने लगती है ।
3) ांित के सु अंकुर आकाश क ओर य ताक रहे ह?
उ र- ाि त के सोए हए अंकुर आकाश क ओर इसिलए ताक रहे ह िक बादल बरसगे तो प िवत ह गे। इसिलए वे बादल क ओर
उनके गरजने बरसने क उ मीद लगाए बैठे ह।
4)“ितरती है समीर सागर पर,अि थर सुख पर दख ु क छाया’ से या ता पय है ?
उ र- जैसे िणक सुख पर दख ु क छाया मंडराती है उसी तरह वायु पी समु पर बादल पी नाव तैर रही है। जब पूँजीपित ाि त क
स भावनाएँ अनुभव करते ह तो दःु खी हो जाते ह। ऐसा इसिलए है य िक बादल ाि त के दतू ह। आस ांित से सुिवधास प वग
अपने अि त व के खतरे म महसूस करता है ।
5) अशिन - पात से शािपत उ त शत-शत वीर पंि म िकसक ओर संकेत िकया गया है?
उ र-‘अशािन-पात से शािपत उ त शत-शत वीर‘ पंि म किव ने पूंजीपित वग क ओर संकेत िकया है। िबजली िगरने का अथ ांित
से है।
6) भाव प क िजए- िव व रव से छोटे ही है शोभा पाते
उ र- जब बादल क गजना से बड़े बड़े पवत खंिडत हो जाते है ,वह छोटे छोटे पौधे अपने ह के पैन के कारण झूमते और खुश होते है
। ांित के आने से थािपत यव था पूरी तरह से तहस नहस हो जाती है परंतु वंिचत ,शोिषत , िकसान और िमक जन को नवजीवन
ा होता है वे ही इस ांित से शोभा पाते है । य िक इसका उ ह ही फायदा पहंचता है ।
7) कृ ित बादल को िकस कार पुकारती है और य ?
उ र - कृ ित (छोटे-छोटे पौधे ) बादल को हाथ िहला-िहलाकर बुलाती है। व तुतः बादल ही िकसान क पीड़ा का समाधान कर
सकता है। ता पय यह है िक िन न वग बेस ी से ाि तदतू को बुला रहा है।
8)‘जल िव व ावन से या ता पय है ?
उ र- जल िव व - ावन का अथ है-जब ाि त होती है तो इसका सबसे अिधक भाव शोिषत वग पर ही पड़ता है। यही वग ाि त
आने पर उसी तरह िखल उठता है िजस तरह फू ल िखलता है।
(9 ) आशय प क िजए
सदा पंक पर ही होता
जल - िव व - ावन।'
उ र-बाढ़ आकर क चड़ भरी धरती डु बो देती है। ऊँ चे थान से जल बह जाता है, पर तु बा रश से आई बाढ़ का वाह क चड़ पर पड़ता
है। बाढ़ के बाद धरती साफ-सुथरी हो जाती है। इसी कार ाि त के बादल जब बरसते ह तो मजदरू वग के जीवन म खुशहाली ला देते
ह।
(10 )' ु फु जलज' का तीकाथ समझाइए ।
उ र-' ु फु जलज' का अथ है-िखला हआ छोटा-सा कमल|
कमल क चड़ म िखला रहता है। इसी कार गरीब ितकू लप रि थितय म भी मु कराते रहते ह। संतिु के साथ जीवन संघष म रत रहते है
11 ) शैशव का सुकुमार शरीर' से किव का या ता पय है? रोग-शोक उसको दख ु ी य नह कर पाते ह?
उ र-बालक का शरीर कोमल होता है, वह रोग और दःु ख म भी हँसता है। ब म वाभािवक प से आन द क भावना रहती है। अतः
उनका रोग या शोक कु छ नह िबगाड़ सकते।यहाँ शैशव श द छोटे अथात सामा य जन क ओर भी संकेत करता है ।
12 ) कृ षक अधीर होकर िकसे बुला रहा है और य ?
उ र - िकसान अधीर होकर बादल को बुला रहा है। इसका कारण यह है िक पूँजीपितय ने उसका जबरद त शोषण िकया है। उसका
सारा खून िनचोड़ िलया है। वह अब भूख से करहा रहा है। इन िनबल भुजाओं वाला िकसान बादल को आशा के प म देख रहा है िक
अब यही उसे पूँजीपितय के शोषण से मुि िदलाएगा।
13) धनी शोषक वग अपनी िवलािसता के बीच भी आतंिकत है, ऐसा य ? अथवा
धनी 'अंगना - अंग से िलपटे हए भी आतंिकत य ह?
उ र- पूँजीपित इसिलए भयभीत ह य िक दःु खी िकसान ाि तदतू बादल को बुला रहे ह। उ ह है िक अगर ाि त हई तो उनका
सवनाश अव य भावी है। वे अपनी ि याओं के अंकपाश म पड़े हए भी भयभीत रहते ह।
14 ) किव ारा उके रे गए िकसान के िब ब को अपने श द म िचि त क िजए।
अथवा
बादल राग किवता म िकसान को िकस प म िचि त िकया गया है ?
उ र - िकसान शोषक के अ याचार से यिथत है। वह ािह- ािह कर रहा है और ह य का ढाँचा बनकर रह गया है। उसका जीवन
ाणहीन लग रहा है। उसे अब बादल का आ य है। इसिलए अपनी िनबल भुजाएँ उठाकर ाि तदतू बादल को बुला रहा है। इसिलए िक
यही उसक आकां ाओं को पूरा कर सकते ह।
15) किवता म िकसको शोषक कहा गया है?
उ र- किव ने किवता के मा यम से पूँजी पितय को संबोिधत िकया है। ऐसे पूंजीपित जो िन न वग के लोग का शोषण करते ह, किव ने
उ ह शोषक कहा है l
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3 अंक के
1. किव ने अ ािलका को आतंक भवन य कहा है?
उ र - किव के अनुसार अ ािलका आतंक भवन ह। पूँजीपित बड़े-बड़े भवन म रहते ह तब भी भयभीत रहते ह। उ ह आशंका रहती है
िक कह शोिषत िव ोह कर उनका सवनाश न कर द। इसी कारण उ ह इन भवन म सुख क न द नह आती।
दसू रे अथ म यह भी ितपािदत िकया जा सकता है िक यह बड़ी बड़ी अ ािलकाओं म रहनेवाले लोग ने युग -युग से आम जन पर
अ याय िकया है ,उ ह आतंिकत िकया है ।इस कार दोन ि य से किव इ ह आतंभवन कहते है ।
2. 'िव व - रव से छोटे ही ह शोभा पात पंि म िव व-रव से या अिभ ाय है? छोटे ही ह शोभा पाते- ऐसा य कहा
गया है?
उ र-'िव व - रव' का शाि दक अथ बाढ़ क विन है, िक तु तुत पंि म 'िव व - रव' से अिभ ाय ' ांित के आ ान' के प म
है, य िक किव एक साधारण यि के दःु ख से त है और वह बादल के मा य से उन लोग का आ ान ांित के प म कर रहा
है।'छोटे ही ह शोभा पाते' के आधार पर किव प करना चाहता है िक ांित हमेशा वंिचत क प धर होती है। इससे आम आदमी क
आकां ाएँ नव-िनमाण के प म प रलि त होती ह।
3. 'बादल राग' किवता दःु ख से त िकसान मजदरू क नवजीवन क आशा म शाि त के प बादल के आ ान क
किवता है - किवता के आधार पर तुत कथन क पुि क िजए ।
उ र- सूयका त ि पाठी िनराला क किवता 'बादल राग' म िकसान, मजदरू बादल को आशाभरी नजर से देखते ह। वे नए जीवन क
उ मीद म बादल को ाि त के प म देखते ह। वे जानते ह िक उ ह पूँजीपितय के शोषण से तभी मुि िमलेगी जब ाि त करगे।
व तुतः पूँजीपितय नेमजदरू और िकसान का खून चूस िलया है। वे बादल को िव व का वीर मानते ह।
4. 'बादल राग' किवता म िनराला ने शोिषत क वेदना को वर िदया है - िट पणी क िजए।
उ र- पंिडत सूयका त ि पाठी ने 'बादल राग' किवता म शोिषत क पीड़ा को सश श द िदए ह। उसने उनक पीड़ा को कला मक
और सश बना िदया है। किव का मानना है िक पूँजीपितय ने शोिषत का खून चूस िलया है। शोिषत के शरीर म के वल ह याँ शेष रही
ह। अब वे ाि त क आशा कर रहे ह। उ ह िविदत है िक ाि त के जीवन बाद सुखद होसकता है।
5. 'बादल राग' के आधार पर धनी शोषक क जीवन-शैलीपर िट पणी क िजए। वे य त ह?
उ र -बादल राग म धनी गरीब मजदरू और िकसान का शोषण करते ह। उनक अ ािलकाएँ उनके भोग-िवलास के साधन से भरपूर ह।
इन पर गरीब और िकसान के शोषण से अिजत धन लगा है। ये अ ािलकाएँ आतंक भवन ह। इनम बैठकर ये धिनक शोषक ऐसी योजनाएँ
बनाते ह िजनसे अिधक-से-अिधक िकसान का शोषण िकया जा सके । लेिकन इस वग को सदा शोिषत से खतरा रहता है इसिलए ये
अपनी घर म होटे हए भी भयभीत रहते ह।
6. 'बादल राग' के आधार पर िलिखए िक व गजन से कौन त होते ह और य ?
उ र -व गजन से धनी और शोषक वग त होते ह य िक धिनक को ाि त के कारण अपनी धन-स पि िछन जाने का डर सताता
है, वह शोिषत िनधन के जाग क होने के कारण उनक सुख-सुिवधा िछन जाने का भय रहता है।
(7 ) ‘बादल राग’ इस किवता म यु तीक योजना पर काश डािलए।
उ र- तुत का यांश म तीका मक भाषा का भावी प से योग िकया गया है। इसम यु श द 'पंक' िन न वग का, 'जलज' धनी
वग के ब का तथा 'जल-िव व ावन' ाि त क भीषणता का तीक है। ाकृ ितक तीक का सु दर योग करते हए बादल को
ाि तकारी यो ा के प म तुत िकया गया है। इसी तरह 'पंक' शोिषत वग का तथा अ ािलका' सुिवधा स प वग का तीक है।
(8 ) बादल के िलए - िव व के वीर और 'जीवन के पारावारस बोधन का योग य िकया गया है?
उ र -बादल के िलए किव ने िव व के बादल और जीवन के पारावार दो िवशेषण का योग िकया है। ये दोन ही िवशेषण बादल के
िलए यु ह। बादल इस किवता म शोिषत वग को समा करने के िलए ाि त के दतू के प म विणत ह। किव को िव ास है िक बादल
ाि त के ज रए शोषण समा करगे और शोिषत क जीवन पी नैया पार लगाएँगे।
9) ांित के अ दतू से या आशय है?
उ र- किव ने बादल क तुलना शोिषत वग से क है, वो कहते ह िक आसमान म जो बादल है, वो ाि त के अि दतू ह l वो कहते ह
िक जो पूँजी वादी लोग िन न वग के लोग का शोषण कर अपने िलए संपि अिजत करते ह। ऐसे लोग िन न आय के लोग को दबाने क
कोिशश करते ह l लेिकन अब शोिषत लोग बादल क तरह अपना गजन िवरोध करने वाले ह।
बादल राग
(सूयकांत ि पाठी ‘ िनराला )
मु य बात
बादल राग' िनराला जी क िस किवता है। वे बादल को ांितदतू मानते ह। बादल शोिषत वग के िहतैषी ह, िज ह देखकर पूँजीपित
वग भयभीत होता है। बादल क ांित का लाभ दबे-कु चले लोग को िमलता है, इसिलए िकसान और उसके खेत म बड़े-छोटे पौधे
बादल को हाथ िहला-िहलाकर बुलाते ह।किव बादल को संबोिधत करते हए कहते है िक हे ांितदतू पी बादल! तुम आकाश म ऐसे
मंडराते रहते हो जैसे पवन पी सागर पर कोई नौका तैर रही हो। यह उसी कार है जैसे अि थर सुख पर दख
ु क छाया मंडराती रहती है।
सुख हवा के समान चंचल है तथा अ थायी है। बादल संसार के जले हए दय पर िनदयी लय पी माया के प म हमेशा ि थत रहते ह।
बादल क यु पी नौका म आम आदमी क इ छाएँ भरी हई रहती ह। किव कहता है िक हे बादल! तेरी भारी-भरकम गजना से धरती
के गभ म सोए हए अंकुर सजग हो जाते ह अथात कमजोर व िनि य यि भी संघष के िलए तैयार हो जाते ह। हे िव व के बादल ! ये
अंकुर नए जीवन क आशा म िसर उठाकर तुझे ताक रहे ह अथात शोिषत के मन म भी अपने उ ार क आशाएँ फू ट पड़ती ह।
कोष
1.बादल का गजन सुनकर पृ वी के उर म सु अंकुर म िकस तरह आशा का संचरण हो उठता है?’बादल राग’ किवता के आधार पर
िलिखए।
2.‘अशिन-पात से शािपत उ त शत-शत वीर’ के मा यम से किव या कहना चाहता है? प क िजए।
3.िव व के बादल िकनके -िकनके मीत ह और य ?
4.‘बादल राग’ किवता म िकनका कोष होने क बात कही गई है? इससे कौन आ ोिशत है और य ?
5.‘िव व के वीर’ को अधीर कृ षक आशाभरी िनगाह से य देखता है?
6.िव व के बादल देखकर समाज का संप वग अपनी िति या कै से य करता है? ‘बादल राग’ किवता के आधार पर िलिखए।
7. प क िजए िक किव िनराला शोिषत वग एवं िकसान के स े िहतैषी थे।
8.िस क िजए िक ‘बादल राग’ किवता का मुख वर नविनमाण है।
तुलसीदास
(किवतावली/ल मण – मू छा और राम का िवलाप)
ो र ( 60/40 श द )
. 01 - किवतावली म उ तृ छं द के आधार पर प कर िक तुलसीदास को अपने युग क आिथक िवषमता क अ छी
समझ है।
उ र:- किवतावली म उ तृ छं द से यह ात होता है िक तुलसीदास को अपने युग क आिथक िवषमता क अ छी समझ है।तुलसी
अपने युग के सजग पहरे दार थे | उ ह ने समकालीन समाज का यथाथपरक िच ण िकया है। उ ह ने देखा िक उनके समय म बेरोजगारी क
सम या से मजदरू , िकसान, नौकर, िभखारी आिद सभीकाम क कमी के कारण परे शान थे। गरीबी के कारण लोग अपनी संतान तक को
बेच रहे थे। सभी ओर भूखमरी और िववशता थी।सब य कहते थे – कहाँ जाएँ , या कर ?
-02-पेट क आग का शमन ई र (राम) भि का मेघ ही कर सकता है – तुलसी का यह का य-स य या इस समय का
भी युग-स य है? तकसंगत उ र दीिजए।
उ र:- तुलसी ने प कहा है िक पेट क आग को ई र –भि पी मेघ ही बुझा सकते है | यह बात न के वल तुलसी के युग म स य
थी ,बि क आज भी स य है |मनु य का ज म, उसका कम, कम-फल सब ई र के अधीन ह।समाज म साफ िदखाई देता है िक करोड़ो
लोग काम करते है ,उनम से कु छ ही लोग सफल होते ह |िन ा और पु षाथ से ही मनु य के पेट क आग का शमन हो सकता है। फल
ाि के िलए दोन म संतल ु न होना आव यक है। पेट क आग बुझाने के िलए मेहनत के साथ-साथ ई र कृ पा का होनाभी ज री है।
-03- तुलसी ने यह कहने क ज़ रत य समझी?
धूत कहौ, अवधूत कहौ, रजपूतु कहौ, जोलहा कहौ कोऊ / काह क बेटीस बेटा न याहब, काहक जाित िबगार न सोऊ।
इस सवैया म काह के बेटास बेटी न याहब कहते तो सामािजक अथ म या प रवतन आता?
उ र:-तुलसी ने यह कहने क ज रत इसिलए समझी योिक उस समय के लोग ने उनके कु ल – गो और वंश पर िच ह लगाए थे |
किव सांसा रक बंधन के ित िवरि कट करता है |
तुलसी इस सवैये म यिद अपनी बेटी क शादी क बात करते तो सामािजक संदभ म अंतर आ जाता य िक िववाह के बाद बेटी को
अपनी जाित छोड़कर अपनी पित क ही जाित अपनानी पड़ती है। यिद तुलसी अपनी बेटी क शादी न करने का िनणय लेते तो इसे भी
समाज म गलत समझा जाता |यिद िकसी अ य जाित म अपनी बेटी का िववाह संप करवा देते तो इससे भी समाज म एक कार का
जाितगत या सामािजक संघष बढ़ने क संभावना पैदा हो जाती।
-04-धूत कहौ… वाले छं द म ऊपर से सरल व िनरीह िदखलाई पड़ने वाले तुलसी क भीतरी असिलयत एक वािभमानी
भ दय क है। इससे आप कहाँ तक सहमत ह?
उ र:- तुलसी एक वािभमानी भ दय वाले यि है, वे िकसी भी क मत पर अपना वािभमान कम नह होने देना चाहते | वे अपने
वािभमान क र ा के िलए कोई भी क मत चुकाने को तैयार रहते है | समाज के लोग ारा िकए गए कटा क कोई परवाह नही करते |
वे वयं को राम का समिपत भ कहते है | इसमे भ दय तुलसी के आ मिव ास का सजीव िच ण है िकया गया है |जात-पाँत
यव था का भी खुलकर िवरोध िकया है| सामािजक रीती- रवाज पर कड़ा हार िकया है, वे कहते है िक उ ह सांसा रक मयादाओं से
कु छ लेना देना नह ह |
– 05- भातृशोक म हई राम िक दशा को किव ने भु क नर लीला क अपे ा स ी मानवीय अनुभूित के प मे रचा है
| या आप इससे सहमत है ?तकपूण उ र दीिजए |
उ र : ातृशोक म भु एक सामा य यि का प धारण कर लेते ह |वे एक सामा य जन क तरह भाई के िलए िवलाप करते ह | वे
भुता को याग कर स ी मानवीय अनुभिू तओं को अिभ य करते ह|कोई भी यि चाहे िकतना भी बड़ा और महान य न हो , वह
एक मानव भी होता है | मानव के दय क अपनी अनुभिू तयाँ भी होती ह |वह उनके वशीभूत होकर सामा य जन क भांित यवहार
करता है |राम िवलाप करते – करते ल मण के पूव यवहार का मरण करते ह | शोक म डू बे भु यहाँ तक कह जाते ह िक यिद उ ह पता
होता िक ऐसा होगा तो वे िपता िक आ ा को मानने से इंकार कर देते |
-6 -शोक त माहौल म हनुमान जी के अवतरण को क णरस के बीच वीररस का आिवभाव य कहा गया है?
उ र :- हनुमानजी ल मण के इलाज के िलए संजीवनी बूटी लाने िहमायल पवत गए थे| उ ह आने देर हो रही थी| इधर राम बहत
याकु ल हो रहे थे | उनके िवलाप से वानर सेना म शोक क लहर थी| इसी बीच हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर आ गए| वै ने तुरंत
संजीवनी बूटी से दवा तैयार करके ल मण को िपलाई तथा ल मण ठीक हो गए | ल मण के उठने से राम का शोक समा हो गया |
ल मण वयं उ सािहत वीर थे | उनके आ जाने से सेना को खोया मनोबल वािपस आ गया | इस तरह हनुमान जी के आने तथा उनके
काय से शोक त माहौल म वीररस आ गया और माहौल म कु छ प रवतन िदखाई देने लगा | शोक पूण वातावरन हष और वीरता म
बदल जाता है |
– 7-‘बोले बचन मनुज अनुसारी’- का ता पय या है ?
उ र- भाई के शोक म िवगिलत राम का िवलाप धीरे –धीरे लाप म बदल जाता है ,िजसम ल मण के ित राम के अंतर म िछपे ेम के
कई कोण सहसा अनावृत हो जाते ह। यह संग ई र राम म मानव सुलभ गुण का सम वय कर देता है| वे मनु य क भांित
िवचिलत हो कर ऐसे वचन कहते ह जो मानवीय कृ ित को ही शोभा देते ह |तुलसीदास क मानवीय भाव पर सश पकड़
है।दैवीय यि व का लीला प ई र राम को मानवीय भाव से समि वत कर देता है।
- 8 - राम ने ल मण के िकन गुण का वणन िकया है?
उ र :-राम ने ल मण के िन निलिखत गुण का वणन िकया है-
● ल मण राम से बहत नेह करते ह |
● वे कभी भी अपने बड़े भाई को दखु ी नह देख सकते थे |
● उ ह ने भाई के िलए अपने माता –िपता का भी याग कर िदया |
● वे वन म रहकर वषा ,िहम, धूप आिद क को सहन कर रहे थे |
● उनका वभाव बहत मृदलु था |
- 9 - राम के अनुसार कौन सी व तुओ ं क हािन बड़ी हािन नह है और य ?
उ र :-राम के अनुसार धन ,पु एवं नारी क हािन बड़ी हािन नह है य िक ये सब खो जाने पर पुन: ा िकये जा सकते ह पर एक
बार सगे भाई के खो जाने पर उसे पुन: ा नह िकया जा सकता | दय म ऐसा िवचार करके हे तात ,जागो तु हारे जैसा भाई इस जगत
म नह िमल सकता है |
– 10 - पंख के िबना प ी और सूंड के िबना हाथी क या दशा होती है का य संग म इनका उ े ख य िकया गया है ?
उ र :- राम िवलाप करते हए अपनी भावी ि थित का वणन कर रहे ह िक जैसे पंख के िबना प ी और सूंड के िबना हाथी पीिड़त हो
जाता है ,उनका अि त व नग य हो जाता है वैसा ही असहनीय क राम को ल मण के न होने से होगा |
– 10 - ल मण के मुि छत होने पर राम या सोचने लगे?
उ र - ल मण को िनहारते हए ी राम ारा सामा य आदमी के समान िवलाप करना ।
हनुमान जी के आने का इंतजार करना । ल मण के कोमल वभाव व िवन ता का बखान करना ।
–11 -कु भकरण ने रावण को िकस स ाई का आईना िदखाया?
उ र :- कु भकरण रावण का भाई था, वह ल बे समय तक सोता रहता था । उसका शरीर िवशाल था । देखने म ऐसा लगता था मानो
काल आकर बैठ गया हो । वह मुहं फट तथा प व ा था वह रावण से पूछता है क तु हारे मुहँ य सूखे हए है ? रावण क बात सुनने
पर वह रावण को फटकार लगता है तथा उससे कहता है क अब तु हे कोई नह बचा सकता। इस कार उसने रावण को उसके िवनाश
संबधं ी स ाई का आइना िदखाया।
–12 -कु भकरण के ारा पूछे जाने पर रावण ने अपनी याकु लता के बारे म या कहा और कु भकरण से या सुनना
पड़ा?
उ र :- कु भकरण के पूछने पर रावण ने उसे अपनी याकु लता के बारे म िव तार पूवक बताया क िकस तरह उसने माता सीता का हरण
िकया । िफर उसने बताया क हनुमान ने सब रा स मार डाले और महान यो ाओ का संहार कर िदया है। ऐसी बाते सुनकर कु भकरण
ने उससे कहा क अरे मुख जगत जननी को चुराकर अब तू क याण चाहता है। ये संभव नह है ।
– 13- हनुमान जी ने भरत से या कहा ?
उ र हनुमान जी भरत से कहा िक हे नाथ! म आपके ताप को मन म धारणकर तुरंत जाऊं गा | ऐसा कहकर और उनक आ ा पाकर
और भरत जी क चरण क वंदना करके हनुमान जी चल िदए | भरत जी क भुजाओं के बल ,शील ,गुण और भु के चरण के अपार
ेम क मन ही मन सराहना करते हए पवनसुत हनुमान जी चले जा रहे थे |
-14- ‘पेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटक ’ तुलसी के युग का ही नह आज के युग का भी स य ह/ भुखमरी म िकसान
क आ मह या और संतान (खासकर बेिटय ) को भी बेच डालने क दय-िवदारक घटनाएँ हमारे देश म घटती रही ह।
वतमान प रि थितय और तुलसी के युग क तुलना कर।
उ र-
1.गरीबी के कारण तुलसीदास के युग म लोग अपने बेटा-बेटी को बेच देते थे। आज के युग म भी ऐसी घटनाएँ घिटत होती है।
2.िकसान आ मह या कर लेते ह तो कु छ लोग अपनी बेिटय को भी बेच देते ह। अ यिधक गरीब व िपछड़े े म यह ि थित आज भी
यथावत है।
3. तुलसी तथा आज के समय म अंतर यह है िक पहले आम यि मु यतया कृ िष पर िनभर था, आज आजीिवका के िलए अनेक रा ते
खुल गए ह। आज गरीब उ ोग-धंध म मजदरू ी करके जीवन चल सकता है |
-15-तुलसीदास ने द र ता क तुलना िकससे क है तथा य तथा मुि का या उपाय बताया है ?
उ र:-
1तुलसीदास ने द र ता क तुलना रावण से क है।
2.द र ता पी रावण ने पूरी दिु नया को दबोच िलया है तथा इसके कारण पाप बढ़ गया है|
3.वेद और पुराण म कहा गया है िक जब-जब संकट आता है तब-तब भु राम सभी पर कृ पा करते ह तथा सबका क दरू करते ह।
16 - उन कम का उ े ख क िजए िज ह लोग पेट क आग बुझाने के िलए करते ह?
उ र:- कु छ लोग पेट क आग बुझाने के िलए पढ़ते ह तो कु छ अनेक तरह क कलाएँ सीखते ह। कोई पवत पर चढ़ता है तो कोई
घने जंगल म िशकार के पीछे भागता है। इस तरह वे अनेक छोटे-बड़े काम करते ह।पेट भरने के िलए लोग धम-अधम व ऊं चे-नीचे सभी
कार के काय करते है | िववशता के कारण वे अपनी संतान को भी बेच देते ह ।
बाईयाँ
(िफराक गोरखपुरी )
ो र (60/40 श द )
1- शायर राखी के ल छे को िबजली क चमक क तरह कहकर या भाव यंिजत करना चाहता ह?
उ र - र ाबंधन एक मीठा और पिव बंधन है। र ाबंधन के क े धाग पर िबजली के ल छे ह। वा तव म सावन का संबधं घटा से
होता है। घटा का जो संबधं िबजली से है वही संबधं भाई का बहन से है। शायर यही भाव यंिजत करना चाहता है िक यह बंधन पिव
और िबजली क तरह चमकता रहे।
2- ‘ बाइयाँ ’ पाठ के आधार पर घर-आँगन म दीवाली और राखी के य -िबंब को अपने श द म समझाइए।
उ र - किव दीपावली के योहार के बारे म बताते हए कहता है िक इस अवसर पर घर म पुताई क जाती है तथा उसे सजाया जाता है।
घर म िमठाई के नाम पर चीनी के बने िखलौने आते ह। रोशनी भी क जाती है। ब े के छोटे-से घर म िदए के जलाने से माँ के मुखड़े क
चमक म नयी आभा आ जाती है। र ाबंधन का योहार सावन के महीने म आता है। इस योहार पर आकाश म ह क घटाएँ छाई होती ह।
राखी के ल छे भी िबजली क तरह चमकते हए तीत होते ह।
3- ‘िफराक’ क बाइय म उभरे घरेलू जीवन के िबब का स दय प क िजए।
उ र - ‘िफराक’ क बाइय म घरे लू जीवन का िच ण हआ है। पाठ म कई िबंब उके रे गए ह। एक िबंब म माँ छोटे ब े को अपने हाथ
म झुला रही है। ब े क तुलना चाँद से क गई है। दसू रे िबंब म माँ ब े को नहलाकर कपड़े पहनाती है तथा ब ा उसे यार से देखता है।
तीसरे िबंब म ब े ारा चाँद लेने क िजद करना तथा माँ ारा दपण म चाँद िदखाना आिद घरे लू जीवन के उदाहरण ह |
-4 िफराक क बाई म भाषा के िवल ण योग िकए गए ह- प कर।
उ र - किव क भाषा उद ू है, परंतु उ ह ने िहंदी और लोकभाषा का भी योग िकया है। उनक रचनाओं म िहंदी, उद ू और लोकभाषा के
अनूठे गठबंधन के िवल ण योग ह, िजसे गाँधी जी िहंद ु तानी के प म प िवत करना चाहते थे। ये िवल ण योग ह-लोका देना,
घुटिनय म लेकर कपड़े िप हाना, गेसओ ु ं म कं घी करना, पवती मुखड़ा, नम दमक, िजदयाया बालक, रस क पुतली। माँ हाथ म आईना
देकर ब े को बहला रही है-
देख , आईने म चाँद उतर आया है । चाँद क परछाई भी चाँद ही है।
5- िफराक गोरखपुरी क बाइयां मां और बेटे के वाभािवक वा स य का े उदाहरण है, प कर?
उ र– ाकृ ितक प से माता और पु के बीच का र ता वा स य ेम का होता है | िजसके कई उदाहरण यहाँ देखे जा सकते ह। जैसे
अपने बेटे को हाथ के झूले म झूलाना, रह– रह कर हवा म उछाल देना और आंगन म बेटे को गोद म लेकर िखलाना िजससे ब े क
हँसी गूंज उठती है | ब े को नहलाना , कपड़े पहनाना , उलझे हए बाल म कं घी करना आिद माँ और बेटे के इन ि याओं से यह प
होता है िक माँ और बेटे क वाभािवक चे ाओं का वणन है।
बाइयाँ
( िफराक गोरखपुरी )
मु य बात
िफ़राक जी क ‘ बाइयाँ ’ उनक रचना ‘गुले-न मा’ से िलया गया है। बाई उद ू और फ़ारसी का एक छं द या लेखन शैली है। इन बाइय
म िहंदी का एक घरे लू प िदखता है। पाठ म माँ अपने ब े को आँगन म खड़ी होकर अपने हाथ म यार से झुला रही है। वह उसे
बार-बार हवा म उछाल देती है िजसके कारण ब ा िखलिखलाकर हँस उठता है। वह उसे साफ़ पानी से नहलाती है तथा उसके उलझे हए
बाल म कं घी करती है।
ब ा भी उसे यार से देखता है जब वह उसे कपड़े पहनाती है। दीवाली के अवसर पर शाम होते ही पुते व सजे हए घर सुंदर लगते ह।
चीनी-िम ी के िखलौने ब को खुश कर देते ह। वह ब के छोटे घर म दीपक जलाती है, िजससे ब के सुंदर चेहर पर दमक आ
जाती है। आसमान म चाँद देखकर ब ा उसे लेने क िजद पकड़ लेता है। माँ उसे दपण म चाँद का ितिबंब िदखाती है और उसे कहती है
िक दपण म चाँद उतर आया है। र ाबंधन एक मीठा बंधन है। र ाबंधन के क े धाग पर िबजली के ल छे ह। सावन म र ाबंधन आता
है। सावन का जो संबधं झीनी घटा से है, घटा का जो संबधं िबजली से है वह संबधं भाई का बहन से है।
कोष
कोष
1.किव को खेत कागज के प े के समान लगता है। आप इससे िकतना सहमत ह?
2. किव ने सािह य को िकस सं ा से संबोिधत िकया है और य ?
3. किव-कम और कृ िष-कम दोन म से िकसका भाव दीघकािलक होता है और कै से?
बगुल के पंख
( उमाशंकर जोशी )
ो र ( 60/40 श द )
1- ‘बगुल के पंख ‘ किवता का ितपा बताइए।
उ र - यह सुंदर य किवता है। किव आकाश म उड़ते हए बगुल क पंि को देखकर तरह-तरह क क पनाएँ करता है। ये बगुले
कजरारे बादल के ऊपर तैरती साँझ क सफे द काया के समान लगते ह। किव को यह य अ यंत सुंदर लगता है। वह इस य म
अटककर रह जाता है। एक तरफ वह इस स दय से बचना चाहता है तथा दसू री तरफ वह इसम बँधकर रहना चाहता है।
-2- ‘पाँती-बँधी’ से किव का आव य प क िजए।
उ र - इसका अथ है-एकता। िजस कार ऊँ चे आकाश म बगुले पंि बाँधकर एक साथ चलते ह। उसी कार मनु य को एकता के
साथ रहना चािहए। एक होकर चलने से मनु य अ तु िवकास करे गा तथा उसे िकसी का भय भी नह रहेगा।
3- किव िकसे रोककर रखना चाहता है और य ?
उ र - किव साँझ के समय कजरारे बादल के बीच आकाश म उड़ते बगुल क पंि य को रोकने को कहा है। इस य को देखकर
उसका मन अभी नह भरा है। वह इस य को और देखना चाहता है। इसिलए उनको रोक कर रखने को कहता है।
कोष
1. किव सायंकाल म िकस माया से बचने क कामना करता है और य ?
2. ‘बगुल के पंख’ किवता के आधार पर शाम के मनोहारी ाकृ ितक य का अपने श द म वणन क िजए।
क ा बारहव ( िहंदी आधार ) ग खंड पर आधा रत 60 / 40 श द म िलखे जाने ो र , पाठ क मु य बात एवं
-कोष
• ग खंड पर आधा रत तीन म से िक ह दो के उ र (लगभग 60 श द म) – 3 अंक x 2= 6
• ग खंड पर आधा रत तीन म से िक ह दो के उ र (लगभग 40 श द म) – 2 अंक x 2= 4
भि न- महादेवी वमा
पा -साम ी
पाठ के मु य िब द:ु
• भि न का वा तिवक नाम ल मी है िक तु नाम के साथ उसक प रि थितय का सा य न होने के कारण उसे अपना यह नाम
पसंद नह है I वह इस नाम को लोग से िछपाती है I लेिखका महादेवी वमा के पास जब वह आई तब उसने अपना असली नाम तो
बता िदया िक तु यह भी कह िदया िक वह उसे इस नाम से न बुलाए I
• लेिखका ने उसे भि न नाम िदया I
• भि न का बचपन िवमाता के साथ बीता I पाँच वष क आयु म उसका िववाह हआ और नौ वष म उसका गौना हआ I
• ससुराल म उसे ेम और स मान के वल अपने पित से िमला I तीन क याओं को ज म देने के कारण उसके साथ सास और
जेठािनय का यवहार बुरा ही रहा I उसक बेिटय के साथ भी भेदभाव होता था I
• अपनी गृह थी अलग करने के बाद उसे थोड़ा सुख तो िमला िक तु बड़ी बेटी के िववाह के प ात उसके पित क मृ यु हो गई I
• बाक दो छोटी बेिटय के िववाह क िज़ मेदारी भि न ने पूरी क I बड़ी बेटी जब िवधवा हो गई तो वह भि न के पास रहने
लगी I भि न के िजठौत ने उसक संपि हिथयाने के िलए िवधवा बेटी का िववाह अपने र तेदार म करने क योजना बनाई I जेठ के
बेटे ने जबरद ती अपने साले के साथ भि न क िवधवा बेटी का िववाह पंचायत क रज़ामंदी से करवा िदया I
• नए जमाई के िनठ े पन और जुए क वृि ने घर क समृि को द र ता म बदल िदया I भि न लगान न दे पाई और ज़म दार ने
उसे पूरा िदन धूप म खड़े रखा I इस अपमान को भि न सह नह पाई और शहर म आकर काम करने का मन बनाकर लेिखका के पास
आई I
• लेिखका के घर म वह लेिखका का सारा काम बड़ी खुशी से करती I लेिखका को उसने देहाती ही बना िदया था I
• भि न हर बात को शा के साथ जोड़कर वयं को सही िस करना जानती थी I
• वह घर म इधर-उधर रखे पैस को अपने पास रख लेती थी और पूछे जाने पर कहती थी िक घर म इधर-उधर पड़े पैस को
संभाल कर रखना चोरी नह होती I
• वह जेल से बहत डरती है िक तु लेिखका के साथ वह जेल जाने को भी तैयार है I उसका मानना है िक जहां मािलक हो वह
सेवक को भी होना चािहए I
• लेिखका ने उसक वामी-भि को देखकर उसक तुलना हनुमान से क I
3 अंक के ो र
1:भि न पाठ के आधार पर भि न का च र –िच ण क िजए।
उ र –‘भि न’ लेिखका क सेिवका है। लेिखका ने उसके जीवन-संघष का वणन िकया है। उसके च र क िन निलिखत िवशेषताएँ ह:
1. प र मी-भि न कमठ मिहला है। ससुराल म वह बहत मेहनत करती है। वह घर, खेत, पशुओ ं आिद का सारा काय अके ले
करती है। लेिखका के घर म भी वह उसके सारे कामकाज को पूरी कमठता से करती है। वह लेिखका के हर काय म सहायता करती है।
2. वािभमािननी-भि न बेहद वािभमािननी है। िपता क मृ यु पर िवमाता के कठोर यवहार से उसने मायके जाना छोड़ िदया।
पित क मृ यु के बाद उसने िकसी का प ा नह थामा तथा वयं मेहनत करके घर चलाया। जम दार ारा अपमािनत िकए जाने पर वह
गाँव छोड़कर शहर आ गई।
3. स ी सेिवका-भि न म स े सेवक के सभी गुण ह। लेिखका ने उसक वामी-भि देखकर उसे हनुमान जी से प ा करने
वाली बताया है। वह छाया क तरह लेिखका के साथ रहती है तथा उसका गुणगान करती है। वह उसके साथ जेल जाने के िलए भी
तैयार है।
2: भि न क पा रवा रक पृ भूिम पर अपने िवचार कट क िजए I
उ र –भि न झूसं ी गाँव के एक गोपालक क इकलौती संतान थी। इसक माता का देहांत हो गया था। फलत: भि न क देखभाल
िवमाता ने क । िपता का उस पर अगाध नेह था। पाँच वष क आयु म ही उसका िववाह हँिड़या गाँव के एक वाले के सबसे छोटे पु के
साथ कर िदया गया। नौ वष क आयु म उसका गौना हो गया। िवमाता उससे ई या रखती थी। उसने उसके िपता क बीमारी तथा मृ यु का
समाचार भी उसे समय पर नह भेजा।
3:भि न के ससुराल वाल का यवहार कै सा था ?
उ र –भि न के ससुराल वाल का यवहार उसके ित अ छा नह था। घर क मिहलाएँ चाहती थ िक भि न का पित उसक िपटाई
करे । वे उस पर रौब जमाना चाहती थ । इसके अित र , भि न ने तीन क याओं को ज म िदया, जबिक उसक सास व जेठािनय ने
लड़के पैदा िकए थे। इस कारण उसे सदैव तािड़त िकया जाता था। पित क मृ यु के बाद उ ह ने भि न पर पुनिववाह के िलए दबाव
डाला। उसक िवधवा लड़क के साथ ज़बरद ती क । अंत म, भि न को गाँव छोडना पडा।
4: भि न का जीवन सदैव दख
ु से भरा रहा। प क िजए ?
उ र –भि न का जीवन ारंभ से ही दख ु मय रहा। बचपन म ही माँ गुज़र गई। िवमाता से हमेशा भेदभावपूण यवहार िमला। िववाह के बाद
तीन लड़िकयाँ उ प करने के कारण उसे सास व जेठािनय का द ु यवहार सहना पड़ा। िकसी तरह प रवार से अलग होकर समृि पाई,
परंतु भा य ने उसके पित को छीन िलया। ससुराल वाल ने उसक संपि छीननी चाही, परंतु वह संघष करती रही। उसने बेिटय का िववाह
िकया तथा बड़े जमाई को घर-जमाई बनाया। शी ही उसक बेटी भी िवधवा हो गई। इस तरह उसका जीवन शु से अंत तक द:ु ख से
भरा रहा।
5:लछिमन के पैर के पंख गाँव क सीमा म आते ही य झड़ गए ?
उ र –लछिमन क सास का यवहार सदैव कटु रहा। जब उसने लछिमन को मायके यह कहकर भेजा िक “तुम बहत िदन से मायके नह
गई हो, जाओ देखकर आ जाओ” तो यह उसके िलए अ यािशत था। उसके पैर म पंख से लग गए थे। खुशी-खुशी जब वह मायके के
गाँव क सीमा म पहँची तो लोग ने फु सफु साना ारंभ कर िदया िक ‘हाय! बेचारी लछिमन अब आई है।” लोग क नज़र से सहानुभिू त
झलक रही थी। उसे इस बात का अहसास नह था िक उसके िपता क मृ यु हो चुक है या वे गंभीर बीमार थे। िवमाता ने उसके साथ
अ याय तो िकया ही था साथ ही उसके यवहार म िश ता नह थी। अत: उसक सारी खुशी समा हो गई।
6:लछिमन ससुराल वाल से अलग य हई ? इसका या प रणाम हआ ?
उ र –लछिमन मेहनती थी। तीन लड़िकय को ज म देने के कारण सास व जेठािनयाँ उसे सदैव तािड़त करती रहती थ । वह खुद और
उसक बेिटयाँ घर, खेत व पशुओ ं का सारा काम करती थ , परंतु उ ह खाने म भेदभावपूण यवहार का सामना करना पड़ता था। जेठािनय
के बेट को दधू -घी िमलता और भि न क बेिटय को चना-चबेना ही नसीब होता था I उनक दशा नौकर जैसी थी। अत: उसने
ससुराल वाल से अलग होकर रहने का फै सला िकया। अलग होते समय उसने अपने ान के कारण खेत, पशु घर आिद अ छी चीज़ ले
ल । प र म के बलबूते पर उसका घर समृ हो गया।
7:भि न व लेिखका के बीच कै सा संबधं था?
उ र –लेिखका व भि न के बीच बाहरी तौर पर सेवक- वामी का संबधं था, परंतु यवहार म यह लागू नह होता था। महादेवी उसक
कु छ आदत से परे शान थ , िजसक वजह से यदा-कदा उसे घर चले जाने को कह देती थ । इस आदेश को भि न हँसकर टाल देती थी।
दसू रे , वह नौकरानी कम, जीवन क धूप-छाँव अिधक थी। वह लेिखका क छाया बनकर घूमती थी। उसका अि त व घर म आने-जाने
वाले, अँधेरे-उजाले और आँगन म फू लने वाले गुलाब व आम क तरह था तथा वह हर सुख-दख ु म लेिखका के साथ रहती थी।
8:लेिखका के प रिचत के साथ भि न कै सा यवहार करती थी?
उ र –लेिखका के पास अनेक सािहि यक बंधु आते रहते थे, परंतु भि न के मन म उनके िलए कोई िवशेष स मान नह था। वह उनके
साथ वैसा ही यवहार करती थी जैसा लेिखका करती थी। उसके स मान क भाषा, लेिखका के ित उनके स मान क मा ा पर िनभर
होती थी और स ाव उनके ित लेिखका के स ाव से िनि त होता था। भि न उ ह आकार- कार व वेश-भूषा से मरण रखती थी या
िकसी को नाम के अप श
ं ारा।
बक
1:भि न पाठ के अधार पर भि न का च र –िच ण क िजए।
2: भि न क पा रवा रक पृ भूिम पर अपने िवचार कट क िजए I
3:भि न के ससुराल वाल का यवहार कै सा था ?
4: भि न का जीवन सदैव दख
ु से भरा रहा। प क िजए ।
5:लछिमन के पैर के पंख गाँव क सीमा म आते ही य झड़ गए ?
6:लछिमन ससुराल वाल से अलग य हई ? इसका या प रणाम हआ ?
7:भि न व लेिखका के बीच कै सा संबधं था?
8:लेिखका के प रिचत के साथ भि न कै सा यवहार करती थी?
9:भि न के आने से लेिखका अपनी असुिवधाएँ य िछपाने लग ?
10:लछिमन को शहर य जाना पड़ा?
बाजार दशन - जैने कु मार
(पाठ के मु य िबंद ु )
बाज़ार कब अि त व म आया कहना किठन है, मगर आज बाज़ार समाज के आव यक अंग है| ेमचंद के बाद िहंदी कहानी लेखन के
े म सव े कहानीकार माने जाने वाले लेखक जैन ने यह रचना कई दशक पहले िलखी थी, पर यह आज भी पूरी तरह ासंिगक है |
इस लेख के मा यम से बाजार के ित लोग क मानिसकता और मूल अंतव तु को समझने का अवसर िमलता है | िहंदी म उपभो ा
बाज़ार पर यापक चचा िपछले डेढ़ दशक पहले से ही शु हई।
लेखक अपने प रिचत िम से जुड़े अनुभव बताते हए प करते ह िक बाज़ार क जादईु ताकत कै से हम गुलाम बना लेती है ?अगर हम
अपनी आव यकताओं को ठीक-ठीक समझकर बाज़ार का उपयोग कर तो उसका लाभ उठा सकते ह | लेिकन अगर हम ज़ रत को
देखकर बाज़ार म जाने के बजाय उसी चमक-दमक म फं स गए , तब वह असंतोष ,तृ णा और ई या घायल कर हम सदा के िलए बेकार
बना सकती है|
बाजार के ित लोग के ि कोण को लेखक जैन ने आ या म और जीवनशैली से जोड़कर तुत िकया है | कु छ लोग बाज़ार को इस
तरह अपनाते ह िक वह असंतोष, तृ णा और ई या का मा यम बनकर उ ह घायल करने का साधनमा बन जाते ह। इसी मूल भाव को
लेखक जैन ने भली-भांित समझाने का य न िकया है| कह - कह वे एक दाशिनक क भांित समझाते ह ,तो कह कोई िक सा या
समाज के िकसी साधारण से च र का उदाहरण देकर |
आज के बाज़ार म का पोषण करने वाले अथशा को लेखक ने अनीित शा बताया है और अनाव यक प से सामान खरीद कर
वयं को धनवान सािबत करने वाल को भी यह समझाने का य न िकया गया है िक यह सब माया जाल वभाव म िवकार उ प करने
वाला है | अपनी परचेिज़ंग पावर का तबा िदखाना ठीक नह है , इससे शैतानी शि जागृत होती है |
लेखक के अनुसार बाजार को साथकता वही यि दे पाता है ,िजसे यह पता है िक उसे कब, या और िकस उ े य से खरीदना है
|अनाव यक व तुएं खरीदने वाला परचेिज़ंग पावर को बढ़ाता है और यह बाजार को एक शैतानी शि और यं य शि भी देता है|
लेखक अपने दो िम के उदाहरण ारा यह बात प करते ह िक अथशा के वल बाजार का पोषण करता है वह अनीितशा है |वह
उपभो ाओं को दख ु ,गरीबी तथा ई या देता है| लेखक का मानना है िक जो लोग िसफ बाजार का पोषण करते ह उनक
आव यकताओं का आदान- दान सही प से नह होता है इससे बाजार म शोषण और कपट को बढ़ावा िमलता है।
लघुउ रीय ( येक 2 अंक )
1)-बाज़ा पन से या ता पय है ? िकस कार के यि बाज़ार को साथकता दान करते ह ?
उ र1 ) बाजा पन से ता पय है ज रत कम और िदखावा यादा होना | इससे बाजार म कपट बढ़ता है ,लोग म अपनापन नह रहता
फल व प आपस म उिचत यवहार म कमी आ जाती है । ाहक और िव े ता के संबधं िसफ यावसाियक होते ह ,और इस तरह से एक
को हािन पहंचा कर दसू रा अपना लाभ उसम देखता है । वही यि बाजार को साथकता दे सकते ह , जो अपनी आव यकताओं को
ठीक- ठीक समझते ह और बाजार का सही उपयोग करते ह ।यिद हम बाजार क चमक -दमक म फं स कर रह गए तो वह हमे असंतोष
,तृ णा , घृणा एवं ई या से घायल कर बेकार बना डालता है।
2 ) "जहाँ तृ णा, है बटोर रखने क पृहा है वहां उस बल का बीज नह है ।"यहां लेखक ने िकस बल क चचा क है ?
उ र2 ) लेखक ने संतोषी वभाव के यि के आ मबल क चचा क है। दसू रे श द म कहा जाए िक मन म संतोष है तो यि िदखावे
और ई या से दरू रहता है।उसमे संचय करने क वृि देखने को नह िमलती।
3 ) लेखक ने बाजार का जाद ू िकसे कहा है ? इसका या भाव पड़ता है?
उ र 3 )बाजार क चमक- दमक के चुबं क य आकषण को बाजार का जाद ू कहा गया है । यह जाद ू आंख क राह काय करता है ।
बाजार के इसी आकषण के कारण ाहक सजी-धजी चीज को आव यकता न होने पर भी खरीदने को िववश हो जाता है।
4 ) िकस कार के लोग बाजार को साथकता देते ह?
उ र :बाजार को साथकता वही यि देते ह जो अपनी आव यकता को जानते ह। वे बाजार क चीज खरीदने ह जो बाजार का दािय व
है । ऐसे यि बाजार के जाद ू म नह फं सते
5 ): परचेिज़ंग पॉवर का या ता पय है ?
उ र परचेिजग पॉवर का ता पय है खरीदने क शि | यह लोग बाजार को िवनाशक शि दान करते ह। वह िनरथक ित पधा को
बढ़ाते ह। ऐसे यि बाजार क जादईु आकषण से बच नह पाते।
6 ) बाज़ारवाद पर पर स ाव म कमी कै से लाता है?
उ र :बाजारवाद पर पर स ाव म उस समय कमी लाता है जब यापार म कपट आ जाता है। कपट मनु य के अंतगत तब उ प होता है
जब िदखावे के िलए िनरथक व तुएं खरीदी जाती है। और एक क हािन म दसू रे को अपना लाभ िदखाई देता है।
7):चाह का मतलब अभाव य कहा गया है?
उ र :चाह मायने इ छा ,जो बाजार के मूक आमं ण से हम अपनी ओर आकिषत करती है, तब हम या लगने लगता है िक हमारे पास
इस चीज का अभाव है। यि सोचता है यहां िकतना अतुिलत है और मेरे यहां िकतना प रिमत | वा तव मे चाह का उ प होना ही
इस बात को प करता है िक हमारे पास अभाव है।
8 ) संयमी लोग िकसे कहा जाता है ?
उ र : जो लोग अपने मन पर संयम रखते ह और बाजार के मोह जाल म नह फं सते । वे के वल उ ह व तुओ ं को खरीदते ह जो
वा तिवक प से आव यक है । ऐसे लोग िफजूल खच नह करते।
दीघउ रीय ( येक 3 अंक )
1 ) भगतजी बाजार और समाज को िकस कार साथकता दान कर रहे ह ?
उ र 1 ) भगतजी के मन म सांसा रक आकषण के िलए कोई तृ णा नह है। वे संचय, लालच और िदखावे से दरू रहते ह ।बाजार और
यापार उनके िलए आव यकताओं क पूित का एकमा साधन है भगत जी के मन का संतोष और िन पृह भाव उनके े उपभो ा और
िव े ता होने के वभाव को दशाता है।
िन निलिखत िबंद ु उनके यि व के सश पहलू को उजागर करते ह
1) पंसारी क दकु ान से के वल जीरा और नमक खरीदना
2)िनि त समय पर चूरन बेचने के िलए िनकलना।
3) छह आने क कमाई होते ही चूरन बेचना बंद कर देना
4)बचे हए चूरन को ब को मु त बांट देना।
5) सभी का जय - जय राम कहकर वागत करना।
6)बाजार क चमक-दमक से आकिषत ना होना।
7) समाज को संतोषी जीवन क िश ा देना।
2 )िन निलिखत के आशय प कर -
मन खाली होना ,मन भरा होना, मन बंद होना
उ र 2 ) मन खाली होना - मन म कोई िनि त व तु खरीदने का ल य ना होना िन े य बाजार जाना और यथ क चीज को खरीद
कर लाना।
मन भरा होना,- मन ल य से भरा होना। िजसका मन भरा हो वही भली- भांित जानता है िक उसे बाजार से कौन सी व तु खरीदनी है,
वह अपनी आव यकता क चीज खरीद कर बाजार को साथकता दान करता है।
मन बंद होना- मन म िकसी भी कार क इ छा को ना आने देना, मन को बलपूवक बंद करना अथात अपनी इ छाओं को दबा देना ।
3 ) बाजार को जाद ू य कहा गया है? इसक या मयादा है?
उ र 3 ) िजस कार जाद ू हमको अपने िनयं ण म कर लेता है उसी कार बाजार के प का भी जाद ू हमारे ऊपर अपना िनयं ण जमा
ही लेता है। जैसे लोहे पर चुबं क का जाद ू चलता है ,वैसे ही खरीददार पर बाजार का जाद ू चलता है मगर इस जाद ू क भी कु छ मयादा है
।यह उ ह लोग पर असर करता है िजनका मन खाली हो और जेब भरी हो । िजस कार चुबं क िकसी अ य धातु पर अपना जाद ू नह
िदखाता उसी कार बाजार भी असंतु धिनक वग को ही अपने वश म कर पाता है ,यही इसक मयादा है।
4) ी क आड़ म िकस सच को छु पाया जाता है?
उ र : ी क आड़ म यह सच छु पाया जाता है िक महाशय के पास भरा हआ मनीबैग है अतः पैसे क गम वाभािवक है । पैसे क
यही गम िजससे वे अपनी एनज सािबत करने के िलए ी को अनाप-शनाप खरीदने देते ह ।
5) िकस हठ को अकारथ कहा गया है?
उ र :आंख फोड़कर लोभनीय के दशन से बचना एक कार का अकारथ उपाय है ।इसम के वल हठ है इसिलए ऐसी दशा अकारथ है
।साथकता तो तब है जब सुख के साधन सामने हो, पर हम उनक उपे ा कर सक ।
6) पैसे क यं य शि को िकस उदाहरण से प िकया गया है ?
उ र :पैसे क यं य शि को प करते हए लेखक िलखते ह िक म पैदल चल रहा हं ।मेरे पास से धूल उड़ाती एक मोटर गुजरती है,
मुझे लगता है कोई मुझे आंख म उंगली देकर िदखा रहा है, देखो उसके पास वह मोटर है और तुम उससे वंिचत हो। ऐसा भाव मन म
आते ही हम वयं क िक मत और मां-बाप को कोसने लग जाते ह। कृ त नता का भाव उ प हो जाता है |
7 ) :भूमडं लीकरण के इस दौर म भगत जी जैसे लोग या ेरणा देते ह ?
उ र: भूमडं लीकरण के इस दौर म भगत जी जैसे लोग समाज को ेरणा देते ह िक बाजार के जाद ू से हम भािवत नह रहना चािहए। यथ
क ित पधा म पड़कर अनाव यक व तुओ ं क खरीददारी नह करना चािहए। हम िसफ वही चीज खरीदनी चािहए जो वा तव म हमारी
ज रत है और जब हम ऐसा करते ह तो वा तव म हम बाजार को साथकता दान करते ह।
भंडार
1 ) भगत जी जैसे अपदाथ ाणी को ऐसी या चीज ा है जो हमारे पास नह है!
2 ) मन को य बंद नह रखना चािहए?
3 ) बाजार के बाजा पन म परचेिजंग पावर क भूिमका को प क िजए ।
4) बाजार क जादईु ताकत कै से यि को अपना गुलाम बना लेती है ?
5 ) मन को बंद य नह रहना चािहए?
6) लेखक ने एनज और परचेिजंग पावर को िकस कार प िकया है?
7 ) बाजार का जाद ू चढ़ने और उतरने का या आशय है ? उसका मनु य पर या भाव पड़ता है?
“पहलवान क ढोलक “ फणी र नाथ रे णु क ितिनिध कहािनय म से एक है , िजसम लेखक क सम त िवशेषताएं एक साथ
अिभ य होती ह | इस लेख म गांव ,अंचल सं कृ ित सभी सजीव हो उठे ह | प रवेश का इतना स ा िच ण अ यंत दलु भ है| यह
कहानी लोक कला और लोक कलाकार के अ ासंिगक हो जाने क कहानी है| कहानी पढ़कर पाठक समझ पाता है िक लोक कलाकार
का अ ासंिगक हो जाना उनके िलए िकतनी बड़ी सम या है।
तुत कहानी एक अनाथ बालक के पहलवान बनने और अपने ही पु षाथ के बल पर वयं क स ा को थािपत करने क कहानी है |
एक मामूली पहलवान राजसी पहलवान बनकर राजपूत के समक बैठता है उसका जीवन िकसी राजा से कम न था । उसके दो बेटे थे
िज ह वह अपनी जीवन शैली पर चला रहा था जीवनसंिगनी भी वग िसधार गई थी और अ य कोई आ मीय भी न था| एक था जो जीवन
भर साथ रहा ,वह था - ढोल , िजसने सदा पहलवान का उ साह वधन िकया |राजा क मृ यु के बाद उसके बेटे ने कु ती के अखाड़े
उखड़वा िदए | उसक जगह रे स के मैदान ने ले ली | पहलवान को उसके बेट के साथ राज - दरबार छोड़ना पड़ा | ऐसे म अपना ढोल
और दोन बेट को लेकर गाँव चल आया प रि थितयाँ बदल ,बीमा रयाँ फै ली ,उसके दोन बेट क मृ यु हो गई | पर ढोल अंत समय
तक पहलवान के साथ रहा | उसक थाप गाँव भर मे उ साह और जोश का संचार करती रही|
दीघ उ रीय ( येक 3 अंक )
1 ) लु न पहलवान ने ऐसा य कहा होगा िक मेरा कोई गु नह , यही ढोल है?
उ र 1 ) िजस िदन लु न पहलवान ने पहली बार शेर के ब े नामक नामी पहलवान को हराया था , उसी िदन से सभी लोग ने उसके
प म बोलना ारंभ कर िदया था | लु न को संबल एकमा ढोल क थाप से िमल रहा था, उसी के सहारे उसने उस िदन मैदान म जीत
हािसल क थी | ढोल क हर थाप उसका मागदशन करती तीत हो रही थी | इस आधार पर वह दाँव लगाता रहा और िवजयी हआ
और िवजय ाि के बाद उसने दौड़कर सबसे पहले ढोल को णाम िकया था | उसी िदन से ढोल उसका मागदशक साथी बन गया था,
इसी के बल पर वह सारी कु ि तयाँ जीतता और उसे अपना गु मानता था|
2 ) पहलवान क ढोलक कहानी के िकस - िकस मोड़ पर लु न के जीवन म या- या प रवतन आए?
उ र 2 ) ' पहलवान क ढोलक ' कहानी लु न के इद-िगद घूमती है | सबसे पहले बचपन म उनके माता - िपता क मृ यु हो गई ,
सास ने उनका पालन पोषण िकया | शेर के ब े नामक पहलवान चाँद िसंह से कु ती जीतने के बाद राज दरबार म राज पहलवान पद पर
घोिषत िकया गया | िजंदगी आराम से कटती रही| दो बेटे हए ,लेिकन अ पायु म ही प नी वग िसधार गई| उसने अपने बेट को भी
अपने जैसा पहलवान बनाया| जीवन के 15 वष राजा क छ छाया म सुखपूवक भोगते हए िबताएं | दभु ा य से राजा का िनधन हो गया,
उनके पु ने उन पर होने वाले खच को िफ़जूलखच माना और अखाड़े बंद करा िदए| राज पहलवान क ख़ुराक पर उसे खच यादा लगा।
महामारी क चपेट मे आने पर उसके दोन बेट क मृ यु हो गई |चार-पांच िदन बाद उसने भी अपने ढोल के साथ इस संसार से िवदा ले
ली |
:3 ) पहलवान क ढोलक क आवाज़ का पूरे गांव पर या असर होता था?
उ र:3 ) पहलवान क ढोलक क आवाज़ गांव भर के लोग को , जो भयंकर क और पीड़ा झेल रहे थे, ललकारती और चुनौती देती
थी। सं या समय से ातः काल तक ढोल पर बजते - " चट , िगड धा 'यािन आ जा िभड़ जा , उठा पटक दे - के वर सूनी परे शान
रात म स ाटे को चीरते रहते। ये वर मृत ाय गाँव के िलए संजीवनी शि का संचार करते थे।
लघु उ रीय ( येक 2 अंक )
1) पहलवान क ढोलक के आधार पर लु न िसंह को उसक पहलवानी के िलए कहां तक जाना जाता था ?
उ र 1) लु न िसंह पहलवान ने पंजाब के पहलवान चांद िसंह को हराकर राजा के यहां अपना थान सुिनि त कर िलया था । पहलवान
चांद िसंह "शेर के ब े" के नाम से िस था। अतः वह कहता था िक उसे ऑल ऑल इंिडया के लोग जानते ह ,परंतु वा तव म उसके
िजले क सीमा के अित र उसका ऑल इंिडया और कह नह था।
2 ) कु ती या दंगल पहले लोग और राजाओं का ि य शौक हआ करता था पहलवान को राजा लोग के ारा िवशेष स मान िदया
जाता था -ऐसी ि थित अब य नही है?
उ र 2 ) पहले कु ती या दंगल राजाओं के ि य शौक हआ करते थे । राजा लोक कलाकार को स मान देते थे और वही मनोरंजन के
साधन भी हआ करते थे ,परंतु आज ि थित बदल गई है। मनोरंजन के अ य अनेक साधन चिलत हो गए ह |
3 ) :महामारी से त गांव क राि क िवभीिषका का वणन क िजए ।
उ र : गाँव म गरीबी थी। मले रया और हैजे से लोग मौत के मुहं म जा रहे थे। रोज दो - तीन लाश उठती थ ।रात को स ाटा रहता था
,िजसे िसयारो और उ ओ क आवाज और भी भयानक बना देती थी । बीमार लोग के कराहने, उ टी करने और ब के कमजोर
कं ठ से िनकली मां क क ण पुकार राि क िवभीिषका को और बढ़ा देती थ ।
बक
1. गाँव म कौन-सी बीमारी फै ली थी और वातावरण कै सा था ?
उ र : गाँव म मले रया और हैजा फै ला था I वातावरण म बहत द:ु ख और िवषाद छाया हआ था I हर घर म उदासी थी, दद भरी
कराहना थी I ितिदन गाँव के िकसी-न-िकसी घर से िकसी सद य क मृ यु होती थी I माताओं का अपनी संतान के द:ु ख देख
दय-िवदारक ं दन भयावह था I
2. लोग म संजीवनी शि भरने का काम कौन करता था ?
उ र : ढोलक क आवाज़ से रात क िवभीिषका और स ाटा कम होता था । महामारी से पीिड़त लोग क नस म िबजली - सी दौड़
जाती थी, उनक आँख के सामने दंगल का य साकार हो जाता था और वे अपनी पीड़ा भूल खुशी-खुशी मौत को गले लगा लेते थे।
इस कार ढोल क आवाज, मृत ाय गाँववाल क नस म संजीवनी शि को भर बीमारी से लड़ने क ेरणा देती थी।
3. पहलवान लु न िसंह के जीवन म िकस-िकस मोड़ पर या- या प रवतन आए ?
उ र : पहलवान लु न िसंह का कोई गु नह था I बचपन म माता-िपता क मृ यु के बाद उसका पालन-पोषण उसक सास ने िकया I
िवधवा सास को गाँव वाले तकलीफ देते थे I गाँववाल से बदला लेने के िलए उसने कसरत शु क I कसरत से उसने वयं को
बिल बनाया और यामनगर के मेले म चाँद िसंह को ललकारा और उसे हराकर लु न ने राज पहलवान क उपािध ा क I लगभग
पं ह वष तक राज पहलवान क उपािध पर रहने के बाद यामनगर के नए राजा जी ारा राजभवन से िनकाले जाने के बाद वह गाँव म
लौट आया I गाँव म महामारी के कारण उसके दोन पहलवान पु काल के ास बन गए I
4. लु न िसंह िकतने वष का था जब उसके माता-िपता क मृ यु हई ? लु न का पालन-पोषण िकसने िकया ?
उ र : लु न नौ वष का था जब उसके माता-िपता क मृ यु हई I लु न का बाल-िववाह हआ था I माता-िपता क अनुपि थित म
लु न क सास ने उसका पालन - पोषण िकया I
5. लु न पहलवान ने ऐसा य कहा होगा िक मेरा गु कोई पहलवान नह , यही ढोल है?
उ र:- लु न ने कु ती के दाँव-पच िकसी गु से नह बि क ढोल क आवाज से सीखे थे। ढोल से िनकली हई विनयाँ उसे दाँव-पच
िसखाती हई और आदेश देती हई तीत होती थी। जब ढोल पर थाप पड़ती थी तो पहलवान क नस उ ेिजत हो जाती थी वह लड़ने के
िलए मचलने लगता था। इसिलए लु न पहलवान ने ऐसा कहा होगा िक मेरा गु कोई पहलवान नह , यही ढोल है।
6. गाँव म महामारी फै लने और अपने बेट के देहांत के बावजूद लु न पहलवान ढोल य बजाता रहा?
उ र:- गाँव म महामारी और सूखे के कारण िनराशाजनक माहौल तथा मृ यु का स ाटा छाया हआ था। इसी कार का स ाटा पहलवान
के मन म अपने बेट क मृ यु के कारण छाया था। ऐसे दःु ख के समय म पहलवान क ढोलक िनराश गाँव वाल के मन म उमंग जगाती
थी। ढोलक जैसे उ ह महामारी से लड़ने क ेरणा देती थी। इसिलए शायद गाँव म महामारी फै लने और अपने बेट के देहांत के बावजूद
लु न पहलवान महामारी को चुनौती देने, अपने बेट क मृ यु का दःु ख कम करने और गाँव वाल को लड़ने क ेरणा देने के िलए ढोल
बजाता रहा।
7. ढोलक क आवाज़ का पूरे गाँव पर या असर होता था?
उ र:- ढोलक क आवाज़ से रात क िवभीिषका और स ाटा कम होता था। महामारी से पीिड़त लोग क नस म िबजली सी दौड़ जाती
थी, उनक आँख के सामने दंगल का य साकार हो जाता था और वे अपनी पीड़ा भूल खुशी-खुशी मौत को गले लगा लेते थे। इस
कार ढोल क आवाज, मृत ाय गाँववाल क नस म संजीवनी शि भर कर बीमारी से लड़ने क ेरणा देती थी।
6. महामारी फै लने के बाद गाँव म सूय दय और सूया त के य म या अंतर होता था?
उ र:- महामारी फै लने के बाद गाँव म सूय दय और सूया त के य म बड़ा अंतर होता था। सूय दय के समय कलरव, हाहाकार तथा
दय िवदारक दन के बावजूद भी लोग के चेहर पर चमक होती थी। लोग एक-दसू रे को सां वना बँधाते रहते थे , पर तु सूया त होते ही
सारा प र य बदल जाता था। लोग अपने घर म दबु क कर बैठ जाते थे। तब वे चूँ भी नह कर सकते थे। यहाँ तक िक माताएँ अपने दम
तोड़ते पु को ‘बेटा’ भी कह नह पाती थी। ऐसे समय म के वल पहलवान क ढोलक क आवाज सुनाई देती थी ,जैसे वह महामारी को
चुनौती दे रही हो।
8. कु ती को िफर से ि य खेल बनाने के िलए या- या काय िकए जा सकते ह?
उ र:-पहले मनोरंजन के नवीनतम साधन अिधक न होने के कारण कु ती को मनोरंजन का अ छा साधन माना जाता था, इसिलए
राजा-महाराजा कु ती के दंगल का आयोजन करते रहते थे। जैसे-जैसे मनोरंजन के नवीन साधन का चलन बढ़ता गया वैसे-वैसे कु ती
क लोकि यता घटती गई और िफर पहले क तरह राजा-महाराजा भी नह रहे, जो इस कार के बड़े दंगल का आयोजन करते। आज
कु ती का थान आधुिनक खेल - ि के ट, फु टबॉल, टेिनस आिद ने ले िलया है।
कु ती को िफर से लोकि य बनाने के िलए :
1. हम एक बार पुन: कु ती के दंगल के आयोजन करने चािहएं
2. पहलवान को उिचत िश ण िदया जाना चािहए
3. उनके खान-पान का उिचत याल रखा जाना चािहए
4. िखलािड़य को उिचत धनरािश तथा नौकरी म वरीयता िमलनी चािहए
5. खेल का मीिडया म अिधक से अिधक चार- सार आिद कु छ उपाय कर सकते ह।
9. चचा कर – कलाओं का अि त व यव था का मोहताज नह है।
उ र:- कलाओं को फलने-फू लने के िलए भले यव था क ज़ रत महसूस होती है पर तु कलाओं का अि त व के वल और के वल
यव था का मोहताज नह होता है य िक यिद कलाकार यव था ारा पोिषत है और अपनी कला के ित समिपत नह है तो वह कभी
भी जनमानस म अपना थान नह बना पाएगा और कु छ ही समय बाद गायब हो जाएगा। िकसी भी कला को िवकिसत होने म कलाकार
का अपनी कला के ित एकिन भाव, समपण भावना, उसक अथक मेहनत और जन-सामा य का यार, सराहना आिद आव यक त व
होते ह। िजस िकसी ने भी इन उपयु गुण को पा िलया, वह यव था के िबना भी सदैव अपने थान पर िटका रहता है।
10. राजा साहब ने लु न को य सहारा िदया था ? अंत म उसक दगु ित का या कारण था ?
उ र : चाँद िसंह पहलवान से कु ती म जीतने के बाद पहलवान लु न िसंह को राजा साहब क कृ पा ि ा हई I राजा साहब ने उसे
राज पहलवान िनयु िकया I राजा के मरने के बाद उसके िवलायती बेटे ने कु ती को राजकोष पर बेकार का बोझ माना I उसे घुड़दौड़
का शौक था I अत: लु न िसंह को आजीिवका क परवाह िकए िबना ही दरबार से चलता कर िदया I लु न िसंह को अपने गाँव वापस
आना पड़ा, जहाँ उसे द र ता का जीवन जीना पड़ा और अपने दोन पहलवान बेट क मृ यु का दद सहना पड़ा I
11. महामारी म मरणास बेट के आिखरी साँस लेते समय भी ढोलक बजाना पहलवान क लाचारी भी है और बहादरु ी भी I प
क िजए I
उ र : गाँव म महामारी फै लने और अपने बेट के देहांत के बावजूद लु न पहलवान ढोल इसिलए बजाता था, तािक वह िह मत न टू टने
का पता लोग को दे सके I वह अंितम समय तक अपनी बहादरु ी और िदलेरी का प रचय देना चाहता था I
ढोलक क आवाज़ ही राि क िवभीिषका को चुनौती देती-सी जान पड़ती थी I गाँव म अ मृत-औषिध-उपचार-प य िवहीन ािणय
म ढोलक क आवाज़ सुनते ही ब े, बूढ़े जवान क कमज़ोर आँख के सामने दंगल का य नाचने लगता और उन लोग के बेजान
अंग म भी िबजली दौड़ जाती थी I ढोलक क आवाज़ को सुनकर मरते हए ािणय को अपनी आँख मूदँ ते समय तकलीफ नह होती थी
I
12. कु ती के समय ढोल क आवाज़ और लु न के दाँव-पच म या तालमेल था? पाठ म आए व या मक श द और ढोल क
आवाज़ आपके मन म कै सी विन पैदा करते ह, उ ह श द दीिजए।
उ र:- लु न का पहलवानी म कोई गु नह था I ढोलक लु न को एक गु क तरह े रत करता था I कु ती के समय ढोल क आवाज़
लु न को दाँव-पच िसखाती-सी तीत होती थी I ढोल क थाप और लु न के दाँव-पेच म अ तु सामंज य था। लु न के दाँव-पच
और ढोल क थाप म िन निलिखत तालमेल था-
1. चट धा, िगड़ धा- आजा िभड़ जा।
2. चटाक चट धा- उठाकर पटक दे।
3. चट िगड़ धा- मत डरना।
4. धाक िधना ितरकट ितना- दाँव काटो,बाहर हो जाओ।
5. िधना िधना, िधक िधना- िचत करो।
ढोल के व या मक श द हमारे मन म उ साह के संचार के साथ आनंद का संचार भी करते ह।
भंडार
1) महामारी फै लने और अपने बेट के देहांत के बावजूद लु न ढोल य बजाता रहा ?
2) लु न क शादी के संदभ म सौभा यवती श द का योग य िकया गया है ?
3 ) यामनगर के मेले के दंगल म लु न ने या िकया ?
4 ) लु न िसंह अपने पु को ढोल के िवषय म या बताता था ?
5 ) राजकु मार के आने पर राज दरबार म या प रवतन हए ?
6) पहलवान अपने पु को या िश ा िदया करता था?
7 ) लु न पहलवान क पा रवा रक पृ भूिम के बारे म िलिखए |
8 ) पहलवान क ढोलक पाठ म पहलवान के बेट का भरण - पोषण राजदरबार से य होता था ?
9) राजा साहब ने लु न को य सहारा िदया ?
10) लु न िसंह ने अचानक िबना कु छ सोचे - समझे दंगल म शेर के ब े को कु ती के िलए चुनौती य दे दी ?
11 ) िकन घटनाओं से पहलवान लु न के संघषशील यि व और िह मती होने का प रचय िमलता है?
12) लु न िसंह को अपने बेट के भिव य क कोई िचंता नह थी, य ?
13 ) कु ती के समय ढोल क आवाज और लुटन के दांव - पेच म या तालमेल था?
14) पाठ म आए व या मक श द को सुनकर आपके मन पर या भाव पड़ता है?
15) गांव म महामारी फै लने और बेट क मौत के बाद भी लु न ढोल य बजाता रहा ?
िशरीष के फू ल - हजारी साद ि वेदी
पाठ के मु य िब द ु :
• जेठ के माह म िशरीष का वृ फू ल से लदा है I लेखक इस पेड़ को देख रहा है I वसंत ऋतु से लेकर आषाढ़ तक ये वृ
िखले रहते ह I उमस या लू के भाव को िन फल कर िशरीष िनघात फलता-फू लता है I
• ये वृ बड़े और छायादार होते ह I पुराने समय म भारत के धनी लोग अपनी वृ -वािटका क चारदीवारी के पास अ य
मंगल-जनक वृ के साथ िशरीष भी लगाया करते थे I
• िशरीष के वृ क शाखाएँ अ य वृ क अपे ा म कमज़ोर होती ह I इसक डाली पर झूला नह लगाया जा सकता I
कािलदास ने इस वृ के फू ल क कोमलता के िवषय म कहा है िक इसके फू ल इतने नाज़ुक ह िक के वल भौर के पैर का भार ही सह
सकते ह I
• िशरीष के फू ल कोमल रे श जैसे ह I इसके फल इतने मज़बूत होते ह िक नए फल आने पर भी वे अपना थान नह छोड़ते I नए
फल जब पुराने फल को धिकयाते ह, तब ये अपना थान छोड़ते ह I
• लेखक को इन फल को देखकर उन नेताओं क बात याद आती है, जो िकसी कार ज़माने का ख नह पहचानते और जब
तक नयी पौध के लोग उ ह ध ा मारकर िनकाल नह देते, तब तक जमे रहते ह I
• लेखक इस बात पर भी बल देता है िक अिधकार क िल सा को समय रहते ही छोड़ देनी चािहए य िक जो फलता है, वह
झड़ता भी है , जो आया है उसका जाना भी िनि त है I अतः जमे रहने के बजाय िहलते-डु लते, थान बदलते और आगे क ओर मुहं
िकए बढ़ते रहना चािहए I
• िशरीश एक अवधूत के समान है I द:ु ख हो या सुख वह हार नह मानता I भयंकर लू म जब धरती और आसमान दोन
जलते-से लगते ह, िशरीष कोमल तंतजु ाल और सुकुमार फू ल को िखलाता है I
• िशरीष का सा य लेखक ने गांधी जी से िकया है I वे भी ऐसे ही अवधूत थे I कमज़ोर काया के बावजूद भी वे किठनाइय म
डटकर खड़े रहे I
3 अंक के
1) लेखक ने िशरीष को कालजयी अवधूत य कहा है ?
उ र : काल पर िवजय ा करनेवाले को कालजयी कहा जाता है I िशरीष का वृ अवधूत क भांित वसंत के आने से लेकर भा पद
मास तक िबना िकसी परे शानी के पुि पत होता रहता है I जब ी म ऋतु म पूरी पृ वी अि कुं ड क तरह जलने लगती है, लू के कारण
दय सूखने लगता है, उस समय भी िशरीष का वृ कालजयी अवधूत क तरह जीवन म िवजेता होने का माण दे रहा होता है I वह
संसार के सभी ािणय को धैयशील, िचंता रिहत व क यशील बने रहने क ेरणा देता है I यही कारण है िक लेखक इसे सं यासी क
तरह मानता है I
2)”हाय वह अवधूत आज कहाँ है ?”- ऐसा कहकर लेखक ने आ मबल पर देह-बल के वच व क वतमान स यता के संकट क
ओर संकेत िकया है, कै से ?
उ र : “हाय वह अवधूत आज कहाँ है”- लेखक ने यह कथन िनबंध के अंत म कहा है I इस पंि के मा यम से लेखक कहता है िक
महा मा गांधी िशरीष के फू ल क भाँित थे I लेखक के अनुसार, ेरणादायी और आ मिव ास रखने वाले लोग अब नह रहे ह I अब
के वल शरीर यािन भौितकता को ाथिमकता देने लगे ह। ऐसे लोग म आ मिव ास िबलकु ल नह होता I ऐसे लोग मन क सुंदरता पर
यान नह देते I लेखक ने िशरीष के फू ल के मा यम से वतमान स यता के यथाथ का िच ण िकया है I
3) लेखक अिधकार-िल सा के िवषय म या बताना चाहता है ?
उ र : लेखक के अनुसार भारत म अिधकार-िल सा क भावना बहत बल है I यहाँ के लोग तब ही अपनी जगह छोड़ते ह , जब उ ह
दसू र के ारा ध ा िदया जाता है I यह ि थित राजनीित, सािह य तथा अ य सं थान म पूणतः िदखाई देती है I पुराने लोग
अिधकार-िल सा म नयी पीढ़ी को उनका अिधकार तब तक नह स पते , जब तक नयी पीढ़ी ज़बरद ती अपना अिधकार और थान पाने
क चे ा नह करती I
4) कािलदास ने िशरीष क कोमलता और ि वेदी जी ने उसक कठोरता के िवषय म या कहा है ?
उ र : कािलदास कहते ह िक िशरीष का पु प के वल भौर के पद का कोमल दबाव ही सहन कर सकता है, पि य का िबलकु ल नह I
लेिकन ि वेदी जी इससे सहमत नह ह I उनके िवचार से इ ह िशरीष को इतना कोमल मानना भूल है I इसके फल इतने मजबूत होते ह
िक नए फू ल के िनकल आने पर भी अपना थान नह छोड़ते I जब तक नए फल-प े िमलकर, धिकयाकर उ ह बाहर नह करते, तब
तक ये डटे रहते ह I
5) हजारी साद ि वेदी ने िशरीष के संदभ म महा मा गांधी का मरण य िकया ?
उ र : िशरीष के संदभ म गांधी जी क कु छ िवशेषताओं म समानता िदखने के कारण लेखक को गांधी जी क याद आई I िशरीष के
समान ही गांधी जी म भी कठोरता से साथ-साथ कोमलता का गुण िव मान है I िजस कार िशरीष वायुमडं ल से रस ख चता है उसी
तरह गांधी जी भी अपने प रवेश से रस ख चकर कोमल और कठोर बने I जन-सामा य के साथ कोमलता का यवहार करने वाले गांधी
जी कभी-कभी देश व समाज के िहत म अ यिधक कठोर भी बन जाते थे I
समय के अनु प, प रि थितय के अनुसार िनणय लेते हए गांधीजी को भी वत ता आंदोलन को सही ढंग से आगे बढ़ाने के िलए
अपने यवहार म कोमलता और कठोरता दोन को अपनाना पड़ता था I िशरीष लू, धूप और गम को सहता हआ फलता - फू लता है ,
इसी तरह गांधी जी भी वाधीनता आंदोलन के दौरान होने वाली िहंसा, खून-खराबा, अि दाह आिद िहंसा मक गितिविधय के बीच
अटल और ि थर बने रहे I
6) िशरीष आज के संदभ म हम या सीख देता है ? सोचकर िलिखए I
उ र : ‘िशरीष के फू ल’ िनबंध म आचाय हजारी साद ि वेदी ने परो प म हम यह संदश
े िदया है िक िजस कार िशरीष का फू ल लू,
भीषण गम , आँधी और शु क मौसम म भी िखलकर अपना सौ दय िबखेरता है, उसी तरह हम भी जीवन के संघष , िवषम प रि थितय
का सामना करते हए स तापूवक अपना जीवन जीना चािहए I हमारी िजजीिवषा ऐसी होनी चािहए िक जब हम कह से भी पोषण न
िमल पाये, सां वना और सौहाद क नमी न िमल पाये, तब हम अपने आ मबल से पोषण पा सक तािक हम िवकट समय म भी दय म
कोमल भावनाओं और जीवन के स दय को बनाए रखने म स म हो सक I
7) ‘िशरीष के फू ल’ पाठ का उ े य प कर I
उ र : पाठ के मा यम से लेखक ने मानव क अजेय िजजीिवषा और कलह के बीच धैयपूवक, लोक के साथ िचंतारत, क यशील बने
रहने के महान जीवन-मू य को थािपत िकया है I साथ ही लेखक ने पुराने लोग क अिधकार-िल सा को िशरीष के फू ल के साथ
जोड़कर बताना चाहा है िक समय रहते इस अिधकार िल सा का याग कर नयी पीढ़ी को आगे आने देना चािहए I इस अिधकार-िल सा
के े म राजनीित, सािह य तथा अ य सं थान क वा तिवकता को भी उजागर िकया गया है I पुरानी और नयी पीढ़ी के बीच के ं
को इस िनबंध म लेखक ने बड़ी सहजता से पाठक तक पहँचाया है I
2 अंक के
1) लेखक के मन म िशरीष िकस तरह क िहलोर पैदा करता है ?
उ र : लेखक का मानना है िक िशरीष के पेड़ बड़े छायादार और बड़े होते ह I इनक डाल बकु ल क डाल से भी कमज़ोर होती है I
सं कृ त सािह य म इनके फू ल को बहत कोमल माना गया है I ये फू ल स दय वृि करते ह और नयेपन के वागत का आमं ण देने वाले
फू ल ह I िशरीष के सुंदर, रे शेदार कोमल पु प लेखक के दय म िहलोर पैदा करते ह I
2) लेखक के अनुसार किव म िकन-िकन िवशेषताओं का होना अिनवाय है ?
उ र : लेखक ने किव क िन निलिखत िवशेषताएँ बताई ह –
• लेखक के अनुसार अवधूत व से भी कठोर तथा फू ल से भी कोमल होते ह I किव को भी अवधूत क भाँित अनास होना
चािहए I
• किव का ि कोण समदश होना चािहए I
• उसक जीवन शैली फ ड़ जीवन शैली हो I
• किव म समरसता व म ती का गुण होना चािहए तािक वह जनक याण के काय को स प कर सके I
• िनज वाथ का न सोचकर वह परमाथ का सोचे I
3) िशरीष के फू ल क या िवशेषताएँ लेखक ने बताई ह ?
उ र : िशरीष के फू ल क िवशेषताएँ :
• िशरीष के फू ल जेठ मास क भयंकर गम म भी फू लने क िह मत करते ह I
• आँधी, तूफान तथा लू भी इन फू ल क िजजीिवषा का लोहा मानते ह I
• अमलतास कनेर क तरह कु छ िदन िखलते ह जबिक िशरीष के फू ल भा पद मास तक अपना स दय िबखरते रहते ह I
4) लेखक पाठ म िकस बात से िव मय-िवमूढ़ हो जाता है ?
उ र : लेखक ने पाठ म कािलदास का संग िलया है िक किव कािलदास ने िशरीष के फू ल क मिहमा का वणन िकस तरह िकया है I
लेखक कािलदास के एक –एक ोक को पढ़कर िवि मत हो जाता है I िशरीष के फू ल के संग म एक उदाहरण िलया गया है –
शकुं तला कािलदास के सुंदर दय से िनकली थी I किव ने उसके स दय-वणन म कोई कं जूसी नह क I राजा द ु यंत भी भले लगते थे I
उ होने शकुं तला का िच बनाया और िच को बार-बार देखकर उ ह लगता िक िच म कोई कमी रह गई है I बाद म उ ह समझ म
आया िक वे शकुं तला के कान म िशरीष के फू ल को िचि त करना भूल गए थे , िजसके के सर गंड थल तक लटके हए थे I
5) हजारी साद ि वेदी के ारा नेताओं और कु छ पुराने यि य क अिधकार-िल सा पर िकए गए यं य को प क िजए I
उ र : लेखक को िशरीष के नए फू ल-प और पुराने फू ल को देखकर उन नेताओं क याद आती है, जो बदले हए समय को नह
पहचानते ह तथा जब तक नई पीढ़ी उ ह ध ा नह मारती तब तक वे अपने थान पर जमे ही रहते ह I नेताओं को वयं ही समय क गित
को देखते हए अपने थान को र कर देना चािहए, परंतु ऐसा होता नह है I
बक/ अित र
1) लेखक ने िशरीष को कालजयी अवधूत य कहा है ?
उ र : काल पर िवजय ा करनेवाले को कालजयी कहा जाता है I िशरीष का वृ अवधूत क भांित वसंत के आने से लेकर भा पद
मास तक िबना िकसी परे शानी के पुि पत होता रहता है I जब ी म ऋतु म पूरी पृ वी अि कुं ड क तरह जलने लगती है, लू के कारण
दय सूखने लगता है, उस समय भी िशरीष का वृ कालजयी अवधूत क तरह जीवन म िवजेता होने का माण दे रहा होता है I वह
संसार के सभी ािणय को धैयशील, िचंता रिहत व क यशील बने रहने क ेरणा देता है I यही कारण है िक लेखक इसे सं यासी क
तरह मानता है I
2)”हाय वह अवधूत आज कहाँ है?”- ऐसा कहकर लेखक ने आ मबल पर देह-बल के वच व क वतमान स यता के संकट क
ओर संकेत िकया है ?
उ र : “हाय वह अवधूत आज कहाँ है”- लेखक ने यह कथन िनबंध के अंत म कहा है I इस पंि के मा यम से लेखक कहता है िक
महा मा गांधी िशरीष के फू ल क भाँित थे I लेखक के अनुसार, ेरणादायी और आ मिव ास रखने वाले लोग अब नह रहे ह I अब
के वल शरीर यािन भौितकता को ाथिमकता देने लगे ह। ऐसे लोग म आ मिव ास िबलकु ल नह होता I ऐसे लोग मन क सुंदरता पर
यान नह देते I लेखक ने िशरीष के फू ल के मा यम से वतमान स यता के यथाथ का िच ण िकया है I
3) लेखक अिधकार-िल सा के िवषय म या बताना चाहता है ?
उ र : लेखक के अनुसार भारत म अिधकार-िल सा क भावना बहत बल है I यहाँ के लोग अभी अपनी जगह छोड़ते ह जब उ ह
दसू र के ारा ध ा िदया जाता है I यह ि थित राजनीित, सािह य तथा अ य सं थान म पूणतः िदखती देती है I पुराने लोग
अिधकार-िल सा म नयी पीढ़ी को उनका अिधकार तब तक नह स पते , जब तक नयी पीढ़ी जबद ती अपना अिधकार और थान पाने
क चे ा नह करती I
4) कािलदास ने िशरीष क कोमलता और ि वेदी जी ने उसक कठोरता के िवषय म या कहा है ?
उ र : कािलदास कहते ह िक िशरीष का पु प के वल भौर के पद का कोमल दबाव ही सहन कर सकता है, पि य का िबलकु ल नह I
लेिकन ि वेदी जी इससे सहमत नह ह I उनके िवचार से इ ह िशरीष को इतना कोमल मानना भूल है I इसके फल इतने मजबूत होते ह
िक नए फू ल के िनकल आने पर भी अपना थान नह छोड़ते I जब तक नए फल-प े िमलकर, धिकयाकर उ ह बाहर नह करते तब
तक ये डटे रहते ह I
5) हजारी साद ि वेदी ने िशरीष के संदभ म महा मा गांधी का मरण य िकया ?
उ र : िशरीष के संदभ म गांधी जी क कु छ िवशेषताओं म समानता िदखने के कारण लेखक को गांधी जी क याद आई I िशरीष के
समान ही गांधी जी म भी कठोरता से साथ-साथ कोमलता का गुण िव मान है I िजस कार िशरीष वायुमडं ल से रस ख चता है उसी
तरह गांधी जी भी अपने प रवेश से रस ख चकर कोमल और कठोर बने I जन-सामा य के साथ कोमलता का यवहार करने वाले गांधी
जी कभी-कभी देश व समाज के िहत म अ यिधक कठोर भी बन जाते थे I
समय के अनु प, प रि थितय के अनुसार िनणय लेते हए गांधीजी को भी वत ता आंदोलन को सही ढंग से आगे बढ़ाने के िलए
अपने यवहार म कोमलता और कठोरता दोन को अपनाना पड़ता था I िशरीष लू, धूप और गम को सहता हआ फलता फू लता है इसी
तरह गांधी जी भी वाधीनता आंदोलन के दौरान होने वाली िहंसा, खून-खराबा, अि दाह आिद िहंसा मक गितिविधय के बीच अटल
और ि थर बने रहे I
6) िशरीष आज के संदभ म हम या सीख देता है ? सोचकर िलिखए I
उ र : ‘िशरीष के फू ल’ िनबंध म आचाय हजारी साद ि वेदी ने परो प म हम यह संदश
े िदया है िक िजस कार िशरीष का फू ल लू,
भीषण गम , आँधी और शु क मौसम म भी िखलकर अपना सौ दय िबखेरता है, उसी तरह हम भी जीवन के संघष , िवषम प रि थितय
का सामना करते हए स तापूवक अपना जीवन जीना चािहए I हमारी िजजीिवषा ऐसी होनी चािहए िक जब हम कह से भी पोषण न
िमल पाये, सां वना और सौहाद क नमी न िमल पाये तब हम अपने आ मबल से पोषण पा सक तािक हम िवकट समय म भी दय म
कोमल भावनाओं और जीवन के स दय को बनाए रखने म स म हो सक I
7) ‘िशरीष के फू ल’ पाठ का उ े य प कर I
उ र : पाठ के मा यम से लेखक ने मानव क अजेय िजजीिवषा और कलह के बीच धैयपूवक, लोक के साथ िचंतारत, क यशील बने
रहने के महान जीवन-मू य को थािपत िकया है I साथ ही लेखक ने पुराने लोग क अिधकार-िल सा को िशरीष के फू ल के साथ
जोड़कर बताना चाहा है िक समय रहते इस अिधकार िल सा का याग कर नयी पीढ़ी को आगे आने देना चािहए I इस अिधकार-िल सा
के े म राजनीित, सािह य तथा अ य सं थान क वा तिवकता को भी उजागर िकया गया है I पुरानी और नयी पीढ़ी के बीच के ं
को इस िनबंध म लेखक ने बड़ी सहजता से पाठक तक पहँचाया है I
8) लेखक के मन म िशरीष िकस तरह क िहलोर पैदा करता है ?
उ र : लेखक का मानना है िक िशरीष के पेड़ बड़े छायादार और बड़े होते ह I इनक डाल बकु ल क डाल से भी कमज़ोर होती है I
सं कृ त सािह य म इनके फू ल को बहत कोमल माना गया है I ये फू ल स दय वृि करते ह और नयेपन के वागत का आमं ण देने वाले
फू ल ह I िशरीष के सुंदर, रे शेदार कोमल पु प लेखक के दय म िहलोर पैदा करते ह I
9) लेखक के अनुसार किव म िकन-िकन िवशेषताओं का होना अिनवाय है ?
उ र : लेखक ने किव क िन निलिखत िवशेषताएँ बताई ह –
• लेखक के अनुसार अवधूत व से भी कठोर तथा फू ल से भी कोमल होते ह I किव को भी अवधूत क भाँित अनास होना
चािहए I
• किव का ि कोण समदश होना चािहए I
• उसक जीवन शैली फ ड़ जीवन शैली हो I
• किव म समरसता व म ती का गुण होना चािहए तािक वह जनक याण के काय को स प कर सके I
• िनज वाथ का न सोचकर वह परमाथ का सोचे I
10) िशरीष के फू ल क या िवशेषताएँ लेखक ने बताई ह ?
उ र : िशरीष के फू ल क िवशेषताएँ :
• िशरीष के के फू ल जेठ मास क भयंकर गम म भी फू लने क िह मत करते ह I
• आँधी, तूफान तथा लू भी इन फू ल क िजजीिवषा का लोहा मानते ह I
• िशरीष के फू ल अमलतास, कनेर क तरह कु छ िदन के िलए नह िखलते ह, बि क िशरीष के फू ल भा पद मास तक अपना
स दय िबखरते रहते ह I
11) लेखक पाठ म िकस बात से िव मय-िवमूढ़ हो जाता है ?
उ र : लेखक ने पाठ म कािलदास का संग िलया है िक किव कािलदास ने िशरीष के फू ल क मिहमा का वणन िकस तरह िकया है I
लेखक कािलदास के एक –एक ोक को पढ़कर िवि मत हो जाता है I िशरीष के फू ल के संग म एक उदाहरण िलया गया है –
शकुं तला कािलदास के सुंदर दय से िनकली थी I किव ने उसके स दय-वणन म कोई कं जूसी नह क I राजा द ु यंत भी भले लगते थे I
उ ह ने शकुं तला का िच बनाया और िच को बार-बार देखकर उ ह लगता िक िच म कोई कमी रह गई है I बाद म उ ह समझ म
आया िक वे शकुं तला के कान म िशरीष के फू ल को िचि त करना भूल गए थे , िजसके के सर गंड थल तक लटके हए थे I
12) हजारी साद ि वेदी के ारा नेताओं और कु छ पुराने यि य क अिधकार-िल सा पर िकए गए यं य को प क िजएI
उ र : लेखक को िशरीष के नए फू ल-प और पुराने फू ल को देखकर उन नेताओं क याद आती है, जो बदले हए समय को नह
पहचानते ह तथा जब तक नई पीढ़ी उ ह ध ा नह मारती , तब तक वे अपने थान पर जमे ही रहते ह I नेताओं को वयं ही समय क
गित को देखते हए अपने थान को र कर देना चािहए, परंतु ऐसा होता नह है I
13)लेखक ने आर वध और िशरीष के फू ल म या अंतर बताया है ?
उ र : लेखक ने बताया है िक आर वध के फू ल िखलते ह िक तु कु छ ही समय के िलए, जबिक िशरीष के फू ल आषाढ़ मास म िखलना
शु होते ह और भा पद तक िखलते ह I
14) िशरीष के ित लेखक और कािलदास के िवचार म या िभ ता है ?
उ र : कािलदास ने िशरीष के पेड़ को बहत कोमल बताया है I उनके अनुसार िशरीष के फू ल के वल भौर के पैर का ही भार सहन कर
सकते ह I लेखक हज़ारी साद ि वेदी का मानना है िक भले ही िशरीष के फू ल कोमल ह , िक तु िशरीष का पेड़ बहत मज़बूत होता है,
इसीिलए इसके फू ल भीषण गम म, लू तथा आँधी क परवाह िकए िबना िखलने का साहस करते ह I
15) ‘अवधूत ’ का अथ प करते हए िशरीष के संदभ म इस श द क साथकता प क िजएI
उ र : अवधूत का अथ है – सं यासी I साधु-सं यासी दिु नया के ित अनास रहते ह I सुख-द:ु ख म एक समान रहते ह I िशरीष भी
अनास सं यािसय क तरह कृ ित क भीषणता को झेलता ि थर बना रहता है I
16) िशरीष के पेड़ पर तीज- योहार म झूले य नह डाले जा सकते ?
उ र : िशरीष के पेड़ क डािलयाँ कमज़ोर होती ह I नीम क तरह इनम मज़बूती नह होती I अत: इस पेड़ पर झूले नह डाले जाते I
17) लेखक ने एक वृ के मा यम से एक महान यि के च र को भी पाठक के सम रखा है - कै से ?
उ र : लेखक हजारी साद ि वेदी ने िशरीष के वृ क िवशेषताएँ बताते हए गांधी जी का मरण िकया है I िशरीष एक अवधूत क तरह
हर प रि थित म ि थर बना रहता है और अपने कोमल और कठोर वभाव के दशन कराता है I िशरीष वायुमडं ल से नमी और रस ख चता
है I इसी तरह गांधीजी भी अपने कोमल और कठोर यवहार के िलए िस ह I वे कमज़ोर काया के होने बावजूद भी हर प रि थित म
मज़बूत बने रहते थे I वे भी अपने आसपास के पयावरण से रस (शि ) ा करते थे तथा अपने आ मबल से ि थर बने रहते थे I
18) हजारी साद ि वेदी जी के इस िनबंध म भाषा- योग पर िट पणी क िजए I
उ र : लेखक ने इस िनबंध म सं कृ त ोक के साथ त सम श द का योग िकया है I िविभ संदभ तथा संग के मा यम से अपने
िवचार को अिभ यि दी है I संदभ थ का उ े ख लेखक क सू म समझ का माण देता है I कह -कह देहाती श द के योग ने
िनबंध को लािल य एवं सजीवता दी है I
म िवभाजन और जाित - था/ मेरी क पना का आदश समाज
1- जाित था को म िवभाजन का ही एक प न मानने के पीछे आ बेडकर के या तक है?
उ र - लेखक जाित था को म िवभाजन का ही एक प नह मानता य िक यह िवभाजन अ वाभािवक है । यह मनु य क िच पर
आधा रत नह है। इसम यि क मता क उपे ा क जाती है । यह के वल माता - िपता के सामािजक तर का यान रखती है ।
यि के ज म से पहले ही म िवभाजन होना अनुिचत है। जाित था यि को जीवन भर के िलए एक ही यवसाय से बाँध देती है
। पेशा उपयु या अनुपयु कै सा भी हो , करने के िलए यि बा य होता है । संकट के समय भी पेशा बदलने क अनुमित नह
होती, भले ही मनु य को भूखा मरना पड़े।
2- जाित था भारतीय समाज म बेरोज़गारी व भुखमरी का भी एक कारण कै से बनती है ? या यह ि थित आज भी है?
उ र - जाित था िकसी भी यि को ऐसा पेशा चुनने क अनुमित नह देती, जो उसका पैतक ृ पेशा न हो , भले ही वह उस पेशे म
पारंगत हो । उ ोग धंध क ि या व तकनीक म िनरंतर िवकास और कभी - कभी अक मात् ऐसे प रवतन होते ह िक यि
पेशा बदलने को बा य होता है । ऐसे म यिद जाित था पेशा न बदलने दे तो भुखमरी और बेरोज़गारी आएगी ही ।
आज भयंकर जाित था के बाद भी ऐसी बा यता नह है। लोग पैतक
ृ यवसाय याग कर नए पेशे म जा रहे ह । जो लोग पैतक
ृ यवसाय
से ही जुड़े ह , वे या तो वे छा से ह अथवा अ य े क द ता के अभाव के कारण काय कर रहे ह ।
3- लेखक के मत से दासता क यापक प रभाषा या है?
उ र - लेखक के अनुसार दासता के वल क़ानूनी पराधीनता को ही नह कहा जा सकता । दासता म वह ि थित भी सि मिलत ह िजससे
कु छ यि य को दसू रे लोग के ारा िनधा रत यवहार एवं कत य का पालन करने के िलए िववश होना पड़ता है। यही ि थित
क़ानूनी पराधीनता न होने पर भी पाई जा सकती ह । उदाहरणाथ जाित था क तरह ऐसे वग का होना संभव है यहाँ कु छ लोग को
अपनी इ छा के िव पेशे अपनाने पड़ते ह ।
4- शारी रक वंश परंपरा और सामािजक उ रािधकार क ि से मनु य म असमानता स भािवत रहने के बावजूद आ बेडकर समता
को ही एक यवहाय िस ा त मानने का आ ह य करते ह ? इसके पीछे उनके या तक ह ?
उ र- डॉ टर अंबेडकर यह जानते हए भी िक शारी रक वंश परंपरा और सामािजक परंपरा क ि से मनु य म असमानता का होना
संभव है ,समता के यवहाय िस ांत को मानने का आ ह करते ह । इसके पीछे लेखक का तक है िक समाज को यिद अपने सद य
से अिधकतम उपयोिगता ा करनी है , तो समाज के सभी सद य को आरंभ से ही समान अवसर एवं समान यवहार उपल ध कराए
जाएँ। राजनीित को भी सब मनु य के साथ समान यवहार करना चािहए ।
येक यि को अपनी मता का िवकास करने के िलए बराबर अवसर देने चािहए । उनका तक है िक वंश म ज म लेना या सामािजक
परंपरा यि के वश म नह है अतः उस आधार पर िनणय लेना उिचत नह है।
5- सही म आ बेडकर ने भावा मक सम व क मानवीय ि के तहत जाितवाद का उ मूलन चाहा है िजसक ित ा के िलए भौितक
ि थितय और जीवन सुिवधाओं का तक िदया है । या इससे आप सहमत ह?
उ र - हम लेखक से पूरी तरह सहमत ह । सहमित का कारण यह है िक कु छ लोग िकसी वंश म पैदा होने के कारण ही उ म यवहार के
हक़दार बन जाते ह । तिनक िवचार कर, उसम उनका अपना या योगदान है । सामािजक प रवेश भी यि को स मान िदला देता है,
उसम भी यि क मता का मू यांकन नह होता । मनु य क महानता उसके य न के प रणाम व प तय होनी चािहए । मनु य के
य न का भी सही मू यांकन तभी हो सकता है, जब सभी को समान अवसर िमले । उदाहरण के िलए , गाँव के अथवा
नगरपािलकाओं के िव ालय म पढ़ने वाले बालक महंगे कू ल म पढ़ने वाल का मुक़ाबला कै से कर सकते ह ? अतः पहले
जाितवाद का उ मूलन हो और िफर भौितक ि थितयां व जीवन सुिवधाएँ समान ह । तब जो े िस हो , वही उ म यवहार के
हक़दार ह ।
6- जाित था और म िवभाजन म बुिनयादी अंतर बताइए ।
उ र - जाित था और म िवभाजन म बुिनयादी अंतर यह है िक म िवभाजन िमक के िविभ वग म वाभािवक प से िवभाजन
करता है ,जबिक जाित था िमक का अ वाभािवक िवभाजन करने के साथ - साथ उ ह एक - दसू रे क तुलना म ऊँ चा- नीच भी
क़रार देती है।
7- जाित था को म िवभाजन का ही एक अंग न मानने के पीछे अंबेडकर का या तक था ?
उ र- जाित था को म िवभाजन का ही एक अंग न मानने के पीछे डॉ टर अंबेडकर के िन निलिखत तक थे -
1. जाित - था म - िवभाजन के साथ - साथ िमक िवभाजन का प िलए हए है ।
2. म िवभाजन िन य ही स य समाज क आव यकता है , परंतु िकसी भी स य समाज म म िवभाजन क यव था िमक का
िविभ वग म अ वाभािवक िवभाजन नह करती ।
3. भारत क जाित था िमक का अ वाभािवक िवभाजन ही नह करती , बि क िवभािजत िविभ वग को दसू रे क अपे ा ऊँ चा
नीचा भी क़रार देती है , जो िव के िकसी भी समाज म नह पाया जाता ।
4. जाित था को यिद म िवभाजन मान िलया जाए तो यह सामािजक िवभाजन नह है, य िक यह मनु य क िच पर आधा रत नह
है
8- आदश समाज के तीन त व से एक ातृता को रखकर लेखक ने अपने आदश समाज म ि य को भी सि मिलत िकया है
अथवा नह ? आप इस ातृता श द से कहाँ तक सहमत ह? यिद नह तो आप या श द उिचत समझगे / समझगी?
उ र - आदश समाज के तीसरे त व ातृता पर िवचार करते समय लेखक ने भले ही ि य का अलग से उ े ख नह िकया है िक तु वह
समाज क बात कर रहा है। समाज तो ी- पु ष दोन से ही बनता है , अतः सि मिलत करने या न करने क बात यथ है।
ातृता श द यवहार म चिलत नह है । यह सं कृ तिन श द है, अतः इसके थान पर भाईचारा श द उिचत रहेगा ।
9- आ बेडकर क क पना क आदश समाज क तीन िवशेषताएँ िलिखए ।
उ र - डॉ टर आ बेडकर क क पना का आदश समाज वतं ता , समता और ातृता अथात् भाईचारे पर आधा रत है। उनके अनुसार
ऐसे समाज म सभी के िलए एक जैसा मानदंड तथा उसक िच के अनुसार काय क उपल धता होनी चािहए । सभी यि य को
समान अवसर व समान यवहार उपल ध होना चािहए। उनके आदश समाज म जाित भेदभाव का तो नामोिनशान ही नह है। इस
समाज म करनी पर बल िदया गया है , कथनी पर नह ।
10- आदश समाज क थापना म डॉ टर आ बेडकर के िवचार क साथकता पर अपने िवचार कट क िजए ।
उ र - लेखक का आदश समाज वतं ता, समता व ातृता पर आधा रत है। लेखक के आदश समाज म प रवतन का लाभ सभी को
िमलेगा । ऐसे समाज म बहिविध िहत म सबक सहभािगता होगी। समाज के िहत के िलए सभी सजग ह गे । सामािजक जीवन म
सबके िलए अबाध संपक के अनेक साधन व अवसर िमलगे । समाज म भाईचारा दधू और पानी के िम ण के समान होगा। हर कोई
अपने सािथय के ित ेम और स मान क भावना रखेगा ।