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Manushyta
Manushyta
शब्दार्थ
मर्त्थ - मृर्त्ु य ों - ऐसे वृर्ा - बे कार उदार - बखानती - गुण गान
महान ,श्रेष्ठ करना
धरा - धरती कृतघ्न - ऋणी अखण्ड - असीम – पूरा सिीव - िीजवत
जिसके टु कडे
न जकए िा सकें
सहानुभूजत - मदाों घ – घमण्ड वशीकृता - वश तुच्छ - कृतघ्न - ऋणी , आभारी
दया,करुणा में करने वाला बेकार
उशीनर जितीश शरीर चमथ - महाजवभूजत - अधीर – सहर्थ - खुशी से
- उशीनर शरीर ki की सब से बडी उतावलापन
चमडी सम्पजत
जवरुद्धवाद - करस्र् - हार् परार्थ - पूरा जचत्त - मन में . अखस्र्िाल - हजिय ों
खखलाफ ह नाकी का समू ह
DATE: 23/02/2020
उत्तर-उदार व्यखि परोपकारी Selfless होता है । अपिा पू रा िीिि पु ण्य ि िोकनहत
Public interest कायो में नबता दे ता है । नकसी से भे दभाि िही ों रिता, आत्मीय
Kindred भाि रिता है । िह निि स्वार्ों Interests का त्याग कर िीिि का मोह भी
िही ों रिता।
3.कनि िे दधीनच कर्य , आनद महाि व्यखियोों का उदाहरर् दे कर मिु ष्य ता के निए
क्ा सों देश नदया है ?
उत्तर-कनि दधीनच, कर्य आनद महाि व्यखियोों का उदाहरर् दे कर त्याग और बनिदाि
का सों देश दे ता है नक नकस प्रकार इि िोगोों िे अपिी परिाह नकए नबिा िोक नहत के
निए कायय नकए। दधीनच िे दे िताओों की रक्षा के निए अपिी हनियााँ दाि दी, कर्य िे
अपिा का रक्षा किच दाि दे नदया, रनत दे ि िे अपिा भोििर्ाि ही दे डािा, उशीिर
िे कबू तर के निए अपिा मााँ स नदया इस तरह इि महापु रुषोों िे मािि कल्यार्
Welfare की भाििा से ‘पर‘ हे तु िीिि नदया।
4.मिु ष्य मात्र बों धु है ’से आप क्ा समझते हैं ? स्पष्ट कीनिए।
उत्तर- ‘मिु ष्य मात्र बों धु है ’से तात्पयय Meaning है नक सभी मिु ष्य आपस में भाई बों धु हैं
क्ोोंनक सभी का नपता एक ईश्वर है । इसनिए सभी को प्रे म भाि से रहिा
चानहए, सहायता करिी चानहए। कोई पराया िही ों है । सभी एक दू सरे के काम आएाँ ।
DATE: 23/02/2020
7.मिु ष्यता‘कनिता के माध्यम से कनि क्ा सों देश दे िा चाहता है ?
उत्तर-मिु ष्यता‘कनिता के माध्यम से कनि
माििता, प्रे म, एकता, दया, करुर्ा, परोपकार, सहािु भूनत, सदभाििा और उदारता
का सों देश दे िा चाहता है । मिु ष्य को नि:स्वार्य िीिि िीिा चानहए। िगय िाद, अिगाि
को दू र करके निश्व बों धु त्व Universal brotherhood की भाििा को बढािा चानहए।
धि होिे पर घमों ड boasting िही ों करिा चानहए तर्ा िु द आगे बढिे के सार्–सार्
औरोों को भी आगे बढिे की प्रे र र्ा दे िी चानहए।
2.रहो ि भू ि के कभी मदाों ध तु च्छ नित्त में , सिार् िाि आपको करो ि गिय नचत्त में ।
अिार् कौि है यहााँ ? नत्रिोकिार् सार् हैं ,दयािु दीिबों धु के बडे निशाि हार् हैं ।
उत्तर-कनि का कहिा है नक मिु ष्य को कभी भी धि पर घमों ड िही ों करिा चानहए। कुछ
िोग धि प्राप्त होिे पर स्वयों को सु र नक्षत ि सिार् समझिे िगते हैं । परन्तु उन्हें सदा
सोचिा चानहए नक इस दु निया में कोई अिार् िही ों है । सभी पर ईश्वर की कृपा दृनष्ट है ।
ईश्वर सभी को समाि भाि से दे ि ता है । हमें उस पर भरोसा रििा चानहए।
3.चिो अभीष्ट मागय में सहषय िे ि ते हुए, निपनत्त, निघ्न िो पडें उन्हें ढकेिते हुए।
घटे ि हे ि मे ि हााँ , बढे ि नभन्नता कभी,अतकय एक पों र् के सतकय पों र् होों सभी।
उत्तर-कनि सों दे श दे ता है नक हमें निरों तर अपिे िक्ष्य aim की ओर बढिा चानहए।
बाधाओों, कनििाइयोों को हाँ सते हुए, ढकेिते हुए बढिा चानहए िे नकि आपसी मे ििोि
liaison कम िही ों करिा चानहए। नकसी को अिग ि समझें , सभी पों र् ि सों प्रदाय
नमिकर सभी का नहत करिे की बात करे , निश्व एकता World unity के निचार को
बिाए रिे ।
DATE: 23/02/2020
निम्ननिखित प्रश्नोों के उत्तर अपिी उत्तर पुखस्तका( Notebook ) में निखिए-
गृह-कायय
प्रश्न I सही उत्तर चुिकर कोष्ठक में निखिए –
1. कजव ने सुमृर्त्ु जकसे कहा है ?
क) ि मरने के बाद भी अमर रहे ख) ि महान उद्दे श्य के जलए मरे
ग) ि पर पकार, सेवा, र्त्ाग का िीवन िीए घ) सद् गुण ों के कारण मरने के बाद जिसे ल ग याद करें ।( )
2. मनुष्य कहलाने का वास्तजवक अजधकारी कौन है ?
क) ि दू सरे मनुष्य के जलए प्राण दे ख) ि अपने जलए जिए
ग) ि दान करे घ) ि मुर्त्ु से भयभीत ह ( )
3. पशु प्रवृजत्त जकसे कहा गया है ?
क) प्रेम से रहना ख) दू सर ों की सहायता करना
ग) केवल स्वार्थ हे तु कायथ करना घ) दू सर ों से छीनकर खाना ( )
4. हमें मरने से क् ों नहीों डरना चाजहए ?
क) मनुष्य िीवन नश्वर है ख) मानव िीवन शाश्वत है
ग) मानव िीवन अनश्वर है घ) मृर्त्ु भावी है ( )
5. कजव क्ा प्रेरणा दे ना चाहता है ?
क) पशु मत बन ख) मनुष्यता के जलए जिय
ग) अपना काम अच्छी तरह क घ) अप बने काम से मतलब रख ( )
6. उदार व्यखि की क्ा पहचान ह ती है ?
क) ि दू सर ों के जलए िीता है ख) ि दू सर ों की भलाई में सवथस्व र्त्ाग दें
ग) ि अपना सुख दू सर ों के जलए र्त्ाग दें घ) उपर ि सभी ( )
7. इजतहास में जकस प्रकार के व्यखिय ों की चचाथ की िाती है ?
क) पर पकारी की ख) दार की ग) आतोंकवादी की घ) अर्त्ाचारी की ( )
8. धरा कृतार्थ भाव मानती है – आशय स्पष्ट कीजिए -
क) धरा पर पकारी और उदार के िन्म पर स्वय क धन्य मानती है
ख) धरती धन्य कर दे ती है
ग) धरती के ल ग धन्य ह ते हैं घ) ल ग धरती का धन्यवाद दे ते हैं ( )
9. कजव ने दधीजच, उशीनर व कणथ का उल्लेख क् ों जकया है ?
क) दधीजच ऋजर् ने िन क्ल्याण के जलए अपनी हजियााँ दान दी।
ख) उशीनर ने कबूतर की रिा के जलए अपना मााँ स दे जदया।
ग) कणथ ने ब्राह्मण के मााँ गने पर शरीर के सार् िुडा कवच कुण्डल दान में दे जदया।
घ) पर पकार की प्रवृजत्त के कारण ही इनका वणथन है । ( )
10. दे ह क अजनर्त् क् ों कहा गया ?
क) मरणशील ह ने के कारण ख) मृर्त्ु से डरने के कारण
ग) नश्वर शरीर के जलए जचोंजतत ह ने के कारण घ) ल ग र ज़ नहीों मरते ( )
11. मनुष्य की सबसे बडी पूाँिी जकसे कहा गया है ?
क) सर्त् ब लना ख) सहानुभूजत ग) पर पकार घ) करुणा ( )
12. धरती जकन भावनाओों के कारण वशीकृत बनी हुई है ?
DATE: 23/02/2020
क) धैयथ और सहनशीलता ख) ल ग ों क अन्न दे ने की शखि
ग) धन का भों डार घ) समपथण )
13. जवरुद्धवाद – से क्ा आशय है ?
क) जवर ध की आवाज़ें ख) जवर धी ल ग ग) क्ाों जत घ) सोंकट )
14. बुद्ध का जवर ध जकस प्रकार समाप्त हुआ ?
क) प्रेम पाकर ख) सोंघर्थ द्वारा ग) दया पाकर घ) युद्ध द्वारा ( )
15. ल ग कैसे मदाों ध ह िाते हैं ?
क) पर पकार करके ख) भखि द्वारा ग) धन कमाकर घ) यश पाकर ( )
16. कजव ने भाग्यहीन जकसे कहा है ?
क) अधीर व्यखि क ख) जनधथन क
ग) अपने गुण ों क न पहचानने वाल ों क घ) अन्याय सहने वाल ों क (
17. सनार् ह ने – का क्ा आशय है ?
क) ईश्वर की कृपा पाकर ख) घरवाल ों का बल पाकर
ग) सोंसार का सार् पाकर घ) भखि पाकर ( )
18. कजव ने धन क तुच्छ क् ों माना है ?
क) अजभमान के कारण ख) स्र्ायी ह ता है ग) सनार् समझने के कारण घ) अखस्र्रता के कारण (घ )
19. कजव मनुष्य क अपने अोंदर कौन-सा भाव उत्पन्न करने का सोंदेश दे रहा है ?
क) पर पकार ख) दू स का सहारा ग) मर्थ्थ भाव घ) दू सर ों की सहायता ( )
20. मनुष्य क अमर्त्थ अोंक की प्राखप्त कैसे सोंभव है ?
क) अपनी उन्नजत की स चने से ख) सबक सार् ले कर आगे बढ़ने से
ग) प्राण र्त्ागने से घ) भाग्य पर भर सा करने से ( )
DATE: 23/02/2020