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अंितम यु
िशवे सूयवंशी
कॉपीराइट © 2022 िशवे सूयवंशी
सवािधकार सुरि त
यह उप यास पूणतया का पिनक है। इसका कसी ि या घटना से कोई स ब ध नह है? इस कहानी का उ े य कसी
धम या सं दाय क भावना को आहत प च ं ाने का भी नह है। य द उप यास म कसी थान या घटना क जानकारी
दी गयी है तो वह मा उप यास को कौतूहल वधक व मनोरं जक बनाने के िलए क गयी है।
इस पु तक का कोई भी भाग लेखक क िलिखत अनुमित के िबना, पुन ाि णाली म पुन पा दत या सं हीत नह
कया जा सकता या इले ॉिनक, मैकेिनकल, फोटोकॉपी, रकॉ डग, या कसी भी प म अ यथा प से संचा रत नह
कया जा सकता है।
सामि याँ
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लेखक के बारे म
लेखक क कलम से
चल कु डलं ू सुने ं िवशालं। स ाननं नीलकं ठं दयालं॥
मृगाधीशचमा बरं मु डमालं । ि यं शंकरं सवनाथं भजािम॥
“अथात िजनके कान म कु डल िहल रहे ह, सुंद र ुकु टी और िवशाल ने ह, जो स मुख , नीलक ठ
और दयालु ह, संह चम का व धारण कए और मु डमाला पहने ह, उन सबके यारे और सबके नाथ परम िशव
को म नम कार करता ँ। “
दो त इ ह कथन के साथ, म िशवे सूयवंशी अपनी नई पु तक
‘महासं ाम’ के ‘लेखक य कॉलम’ पर आपका वागत करता ँ। ‘महासं ाम’
नामक यह पु तक मेरे ारा िलखी ई, ‘ रं ग ऑफ अटलां टस’ सीरीज क
आठव व अंितम पु तक है।
दो त , आिखरकार एक महागाथा का अंत हो गया। इसी के साथ मेरे
सपन का पहला पड़ाव पार हो गया। जी हां ये सपने ही तो थे, जो क मने
25 वष पहले अपनी पलक पर संजोये थे। यह एक ऐसा महा कथानक था,
िजससे मेरे सपन क दुिनया म, एक नये आयाम का उदय होना था और
यक न मािनये क यह कथानक मेरे िलये, एक साथ कई आयाम खोलकर बैठ
गया? इस ृंखला को िलखते समय, म कई बार लड़खड़ाया और िह मत भी
हार बैठा, परं तु हर अगली सुबह, सूय क करण ने हमेशा मुझे आशा क
नई रोशनी दी। इस संदभ म म आपके सामने, अपनी एक घटना शेयर करना
चाहता ँ। आ यूं क एक दन कसी तकनीक खराबी के कारण, मेरा
लैपटाप अचानक से खराब हो गया और मेरे ारा िलखी, एक पु तक के 7
चैपटर वतः ही िडलीट हो गये। यहाँ पर म आपको बता दूँ क िलखे ए
चैपटस को दोबारा िलखना, इससे यादा क कारी कु छ भी नह होता? पर
कहते ह ना क जब अ छा सोचगे, तो सदैव अ छा ही होगा। मेरे साथ भी
कु छ ऐसा ही आ, िडलीट ए चैपटस दोबारा िलखने के बाद, पहले से भी
बेहतर हो गये। तब मुझे लगा क शायद ई र ने मेरे पाठक के सम , कु छ
अ छा परोसने हेतु ही, मुझसे वह चैपटर िडलीट कराये ह गे।
“कभी पलक पे िझलिमलाकर सपन का िबखर जाना,
कभी मोितय का मु कु राकर एक नई माला बनाना,
यही तो एक अ छी कथा व कलमकार क िनशानी है,
श द से तराशकर, यही बात तो आप तक प ंचानी है।”
दो त इस पूरी ृंखला के दौरान, मुझे आप सभी पाठक के हजार से
भी यादा मैसेजेस ा ए। म उन सभी लोग का दल से शु गुजार ँ,
िज ह ने इस ृंखला को िलखते समय, कसी ना कसी कार से मुझे सहयोग
कया? दो त म आज यहां अपने एक ऐसे ही पाठक िम का िववरण शेयर
करना चा ंगा, िज ह ने मुझे आज यह पृ िलखने के िलये े रत कया। मेरे
उन िम का नाम है ी िविपन पांडे जी, जो क देवभूिम उ राखंड के
हल ानी शहर से ह और उ राखंड ओपन यूिनव सटी म सीिनयर एकाउं ट
ऑ फसर के पद पर कायरत ह। आ यूँ क म उस दन अपनी इस पु तक को
पूण कर, इस ‘लेखक य कॉलम’ को िलखने के िलये िवचार कर रहा था। म
अपने इस लेखक य कॉलम म अपने पाठक से कु छ नया शेयर करना चाहता
था। परं तु काफ देर तक सोचने के बाद भी जब मुझे कोई बेहतर िवचार नह
आया? तो म थक कर अपनी मेल चेक करने लगा। उसी समय मुझे िविपन
पांडे जी का िलखा आ एक मेल दखाई दया, िजसम उ ह ने अपने बारे म
बताते ए, अपने िवचार को भी कया था। इस मेल म िविपन पांडे जी
ने अपनी एक छोटी सी लाइ ेरी का भी िज कया। उनके इस मेल को पढ़ते
ए अचानक से मेरे सामने मेरे जीवन के भी कु छ ल ह याद आ गये। बस यही
सोच मने िविपन जी क मेल का उ र दया और फर एक नये उ साह से इस
लेखक य कॉलम को िलखने लगा। म इस ेरणा से िविपन पांडे जी सिहत उन
सभी लोग को ध यवाद करता ं, जो क कसी ना कसी प म मेरी लेखनी
के िलये उ रदाई रहे ह? तो आइये दो त अब म आपके सम अपने कु छ
उन ल ह को शेयर करता ं, जो इस कथा ृंखला के दौरान मुझे अनुभव
ए।
बात आज से लगभग 25 वष पहले क है। म वयं भी उस समय म
पु तक पढ़ने का दीवाना आ करता था। उस समय मेरे पास भी पु तक क
एक लाइ ेरी आ करती थी, िजसम ब त से छोटे -बड़े लेखक क पु तक
लगी रहती थ । कहािनय को पढ़कर अपने दो त के साथ कहािनय क
समी ा करना मुझे भी ब त पसंद था। उस समय भी दल म एक क सी
उठती थी क म कभी लेखन से जुड़ा, तो ऐसी कहािनयां िलखूंगा। पर तु
सोचते-सोचते कतना समय बीत गया, पता ही ना चला? जंदगी ने कब
बचपन के गिलयारे से, पैसे के पीछे भागना िसखा दया? मालूम ही ना आ।
शौक भी अब ज रत क भीड़ म खो सी गयी थी। हाँ मगर उन दन ही इस
कथा ृंखला के कु छ प को अपनी डायरी म िलखकर िछपा दया था।
परं तु 2 वष पहले अचानक से एक सू म वायरस ने सभी को अपने
घर म बंद कर दया। अचानक से समय इतना मेहरबान हो गया क समय
ही समय नजर आने लगा। फर एक दन सफाई के दौरान मेरी खुिशय क
डायरी मुझे फर से दखाई दे गई। पुराने प को पलटते समय, अचानक से
वही पुराना िझलिमल वाब पुनः मेरी पलक पर आकर बैठ गया। अब समय
भी था और वाब भी। फर या था आनन फानन बैठ गये पुराने टू टे ए
तार को जोड़ने म। अब जब तक वायरस गया, तब तक मेरी डायरी के
िबखरे सपन ने एक पु तक का आकार ले िलया, िजसका नाम था- "सन
राइ जंग"।
थोड़ी सी मुि कल और आसमान छू ते उ साह ने अमेजान पर इस
पु तक को कािशत भी कर दया। उस समय मुझे ऐसी कोई आशा नह थी?
क इस कथा ृंखला को म इतना आगे ले जाकर पूण भी क ँ गा। पर कहते ह
ना क "होनी होत बलवान"। बस उसके बाद मुझे कु छ पाठक के अ छे
मैसेजेस और कम स आने लगे। िजसने इस सीरीज का दूसरा भाग
'अटलां टस' िलखने म मेरी ब त मदद क । इसी बीच अमेजान पर ई एक
ितयोिगता 'पेन टू पि लश' म हजार पु तक के म य 'अटलां टस' को टॉप
5 म चुन िलया गया, िजसने क 'मायावन' िलखने के िलये मुझे नई ेरणा
दी। अब पाठक के लगातार आ रही ित या ने मुझे िमत कर दया।
अब म यह नह समझ पा रहा था क अपनी पुरानी नौकरी को ज़ारी रखूं या
फर अपने सपन को पंख लगाकर उड़ने दूं। य द म अपनी नौकरी को ज़ारी
रखते ए, िलखता तो येक पु तक के म य 4 से 5 माह का समय अंतराल
रहता और य द म अपने सपन को उड़ने देता, तो म अपने प रवार क
ज रत को कै से पूरा करता? इस कशमकश म मेरे प रवार ने मेरा साथ
दया, िजसके तहत म अपनी नौकरी को छोड़ पूरी त मयता से इस कथा
ृंखला को पूण करने म लग गया। अब मने अगले 4 माह म ज दी-ज दी
'ितिल मा' व 'देवशि ' पु तक को कािशत कर दया। तब तक पाठक क
असीम सराहनाएं, मुझे ा होनी शु हो गई थ । इस बीच सूरज पॉके ट
बु स ने मेरी इस कथा ृंखला का 'पेपरबैक' काशन भी शु कर दया। अब
'काला मोती' का लेखन काय शु हो चुका था, परं तु नौकरी छोड़े 1 वष हो
जाने के कारण प रवार क छोटी-छोटी ज रत को पूरा करने म परे शानी
आने लगी थी। अब सम या ने िवकराल प धारण कर िलया क या तो म
फर से कह नौकरी वाइन करके अ य हंदी लेखक क तरह पाट टाइम म
लेखन काय क ँ ? या फर प रवार क ज रत को दर कनार कर, अपने एक
सफल लेखक बनने का इं तज़ार क ँ ? गौर फरमाइयेगा क सफल लेखक का
ता पय लेखन काय के पैसे से घर चलाने से है। बहरहाल पा रवा रक
परे शािनय क वजह से मैने फर से नौकरी वाइन कर ली। पर अब मने
लेखन काय का एक नया समय िनकाला और वह समय था, रात के 11 बजे से
लेकर रात के 3 बजे तक। माना क इस समय अंतराल म मुझे यादा न द
नह िमलती, पर इतना अव य था, क मेरे पाठक को इस कथा ृंखला क
अ य पु तक अव य िमल ग । इस कार धीरे -धीरे 'काला मोती' व 'देवयु '
का काशन आ। आज जब महासं ाम पु तक पूण हो गई, तो दल को ब त
सुकून िमल रहा है। ऐसा लग रहा है क कम से कम एक ृंखला तो पूण हो
गई।
इस ृंखला क कु छ पु तक क काशन ितिथ को लेकर, कई बार मने
अपने पाठक को िनराश भी कया। पाठक सोचते रहे क कै से लेखक ह?
अपनी टाइम लाइन पर पु तक भी कािशत नह कर पा रहे, परं तु यहाँ म
आपको बताना चाहता ँ, क म इस पु तक को अिधकतम 1.20 लाख श द
म िलखना चाहता था। परं तु येक दृ य िलखते समय, जाने कै से मेरे श द
क गठरी ि गुिणत होने लगी? कोई भी पा अपने दृ य को ज दी समेटता
दखाई ही नह दया? मुझे लगा क कह ज दी िलखने के च र म, इस कथा
ृंखला का अंत बुरा ना हो जाये? और म जानता ँ क अंत भला तो सब
भला। बस इसिलये मने इस पु तक को कािशत करने म कह भी ज दी नह
दखाई? िजसका प रणाम यह आ क इस पु तक म, श द क सं या
लगभग 1.80 लाख तक प ंच गई, जो क साधारण अव था म 2 पु तक के
बराबर थी। अब यह बात तो पढ़ने के बाद आप ही बतायगे क यह पु तक
कस कार बन पड़ी है?
ल ज़ गीत िलखते ह, तो हम भी गुनगुनाते रहते ह,
पंि य क िखड़क से, झांक कर मु कु राते रहते ह,
कलम, दवात, याही अब कहाँ उनका जमाना है,
अलफाज क खोल के गठरी, नया सुनाते रहते ह ।”
मेरे ब त से पाठक ने मुझे सोशल मीिडया पर यादा एि टव रहने
क सलाह दी है। उनक इस सलाह का ब त-ब त शु या। आगे भिव य म
कोिशश क ँ गा क सोशल मीिडया पर अिधक से अिधक दखाई दूँ। दो त
ज दी ही आप मेरी इस ृंखला को ‘KUKU FM’ पर ऑिडयो के मा यम से
भी सुन सकगे, जो क मेरे िलये अगला मील का प थर सािबत हो सकता है।
याह अंधेर म एक दीप जलाये रखना,
मुि कल दौर म बस साथ िनभाये रखना,
कागज पर दौड़ाता र ँगा क पना के घोड़े,
आप अपना यार व आशीवाद बनाये रखना।”
दो त इस कथा क शु आत ‘सन राइ जंग’ पु तक नामक एक तेज
मडर िम ी से ई, जो क ‘अटलां टस’ पु तक म रह य के एक संसार म
वेश कर गई। ‘मायावन’ व ‘ितिल मा’ पु तक म इस कथानक का सामना
कु छ द शि य से आ? फर ‘देवशि ’ व ‘काला मोती’ पु तक म
कथानक ने अंत र क दुिनया म कदम रखते ए, कु छ ऐसे पा को
दखाया? जो क ीक या हंद ू देवी-देवताा से जुड़े थे। देवयु से यह
कथानक पूणतया पृ वी क गु शि य को दखाते ए, महासं ाम तक जा
प ंची। तो य द आप देख तो इस कथानक ने ब त से रं ग बदले ह और मेरे
लेखन को भी अनेक चुनौितयां दी ह। इसिलये म आपसे अपने फे सबुक पेज
के मा यम से यह पूछना चाहता ँ क या मुझे इस फटे सी िवषय के अलावा
अ य िवषय पर भी पु तक िलखनी चािहये? आपके उ र का म अपने
फे सबुक पेज पर इं तजार क ँ गा।
“क ी िम ी ँ, जरा संभाले रखना,
एक दन कोिशश क भ ी म पक जाऊंगा।”
दो त मेरी नई पु तक क काशन ितिथ के िलये, आप मेरे फे सबुक
पेज को लाइक या फॉलो कर सकते ह, िजसक डीटे स आपको नीचे िमल
जायेगी-
फे सबुक पेजः @shivendrasuryavanshitheauthor
तो फर तुरंत इस पु तक को पढ़ना शु क रये और इसे पढ़ने के बाद
मुझे र ू या कमट के मा यम से इस पु तक के बारे म अव य सूिचत कर।
आपक ित या क ती ा म .......
आपका दो त
िशवे सूयवंशी
◆ ◆ ◆
ा थन
देवता और दै य के यु म, देवता को हािन से बचाने के िलये,
महादेव ने ‘नागदंत कथा’ का सृजन कया। यही नागदंत कथा आगे जाकर
‘समु -मंथन’ का पयाय बनी और इसी समु -मंथन के प ात्, उससे िनकले
‘हलाहल’ से, एक द पु ष ‘नीलाभ’ क उ पि ई। महादेव ने इस
नागदंत कथा क सुर ा का भार उठाने के िलये, स त व से बनी स पु तक
का िनमाण कया। यह सभी स पु तक पृ वी के अलग-अलग दुगम भाग म
िछपा दी ग ।
ांड अनंत है और इस अनंत ांड म करोड़ -अरब आकाशगंगाएं
ह। इ ह आकाशगंगा म कु छ ह ऐसे भी ह? जहां पर पृ वी क ही भांित
जीवनधारा बहती है। ांड के सृजन का रह य मनु य ही नह , अिपतु
अनंत ांड म िछपे असं य जीव भी जानना चाहते ह। इ ह जीव म से
कु छ अंत र के जीव, ांड का सृजन करने वाली द शि य को लेने के
िलये पृ वी तक आ प ंचे। परं तु इन द शि य क सुर ा का भार ांड
र क के हाथ म था।
कहते ह क महािवनाश के बाद नवसृजन क शु आत होती है और
उस महािवनाश से पहले महासं ाम क पटकथा िलखी जाती है। कु छ ऐसी
ही पटकथा अंत र के जीव और ांड र क के म य िलखी गई, िजससे
एक ऐसे महासं ाम क उ पि ई, िजसने पृ वी के महािवनाश क अंितम
गाथा िलख दी-
1) कौन था ने क? िजसका िवष शेषनाग क वचा को भी झुलसाने क
शि रखता था।
2) च ुराज क उड़ने वाली आँख का या रह य था?
3) कौन थी ग ै न माँ? और वह ग ै न पवत पर य रहती थी?
4) या था समु के अंदर ि थत एक अ भुत रा य ‘भा यनगर’ का
रह य? िजसम अनेक िवशाल मू तयां बनी थ ।
5) वेनेजुएला म ि थत ‘मैराकाइबो’ झील का या रह य था? य
ित दन उस झील म सैकड़ बार आकाशीय िबजली िगरती थी?
6) महादेव ने किणका को कण म बदलने क शि य दी थी?
7) या था उड़ने वाले पवत का रह य? जो न लोक से टकराकर उसे
समा करना चाहता था।
8) या थी पे टॉ स क पंचतारा शि ? िजसने सुयश को कण म
तोड़कर अंत र म िबखेर दया।
9) या था कै लीफो नया क ‘रे स ैक डेथ वैली’ का रह य? जहां जमीन
पर िगरे िवशाल प थर वयं से चलने लगते थे।
10) या सहारा रे िग तान पर बनी िवशाल ‘नीली आँख’ म कोई
रह यमय शि िछपी थी?
11) या आसमान म उ प ए लैक होल ने िहमालय क पूरी बफ को
िपघला दया?
12) या आ जब पृ वी के एक भूभाग म 16.2 रए टर के ल का
महाभूकंप आया?
तो दो त इन सभी के उ र को जानने के िलये आइये पढ़ते ह,
पृ वी के गु थान पर िछपी स पु तक क एक ऐसी महागाथा, िजसने
नीलाभ के ज म का सार ही बदल दया। िजसका नाम है-
“महासं ाम- अंितम यु ”
◆ ◆ ◆
चैपटर-1
ने क
हैलो दो त ,
यह पु तक ‘ रं ग ऑफ अटलां टस’ सीरीज क आठव और आिखरी
पु तक है। या आपने इस पु तक को पढ़ने के पहले इसके िपछले 7 भाग को
पढ़ा है? अगर नह .... तो इस पु तक का पूण आन द उठाने के िलये कृ पया
इसके िपछले सभी िन भाग को अव य पढ़ ल-
1) सन राइ जंग - एक रह यमय जहाज
2) अटलां टस - एक रह यमय ीप
3) मायावन - एक रह यमय जंगल
4) ितिल मा - अिव सनीय मायाजाल
5) देवशि - अ भुत द ा
6) काला मोती - कण शि
7) देवयु - महासं ाम गाथा
अगर आप कसी कारणवश िपछली पु तक को नह पढ़ना चाहते तो
आइये इन सभी पु तक के सारांश को पढ़कर उन पु तक क याद को ताजा
कर ल-
शैफाली एक 13 वष य अंधी लड़क है, जो अपने माता-िपता के साथ
सन राइ जंग नामक पानी के जहाज पर या ा करती है। अंधी होने के
बावजूद भी शैफाली को अजीब-अजीब से सपने आते ह। सन राइ जंग पर
और भी ब त से लोग सफर कर रहे होते ह।
टी का ऐले स को इ ोर करना, जेिनथ का तौफ क से अपने यार
का इजहार करना और जैक व जॉनी का आपस म शत लगाना, कु छ ऐसी ही
घटना के साथ सन राइ जंग पर यू इयर क रात लॉरे न नामक एक
डा सर का क ल हो जाता है। अभी लॉरे न के क ल क गु थी सुलझ भी नह
पाई थी क तभी सन राइ जंग के चालक दल क गलती क वजह से सन
राइ जंग अपना रा ता भटककर बारामूडा ि कोण के े म फं स जाता है।
सन राइ जंग का स पक अब बाहरी दुिनया से पूणतया कट चुका था।
उड़नत तरी और िवशाल भंवर से बचने के बाद जहाज के अिस टट
कै टे न रोजर का हेलीकॉ टर भी एक अंजाने ीप को देखते ए दुघटना त
हो जाता है। उधर सुयश के कपड़े, एक लू हेल पानी उछालकर िभगो देती
है, िजससे डन को सुयश क पीठ पर बना, एक सुनहरे रं ग का सूय का टै टू
दख जाता है।
उसी रात शैफाली के सोते समय कोई उसके िसर के पास ाचीन लु
शहर अटलां टस का सोने का िस ा रख जाता है। बाद म हरे रं ग के िविच
क ड़े को देखते ए जहाज पर कु छ अजीब सी घटनाएं भी घटती ह, िजसके
बाद सन राइ जंग के टोर म म रखी लॉरे न क लाश कह गायब हो जाती
है? उधर यूयाक बंदरगाह पर राबट और ि मथ के पास एक ि आकर
वयं को सन राइ जंग का सेके ड अिस टट कै टे न असलम बताता है। वह
कहता है क कोई उसे बेहोश कर उसक जगह लेकर सन राइ जंग पर चला
गया है। िजसके बाद इस के स को हल करने के िलये जेराड, सी.आई.ए के
कािबल एजट ोम को इस िमशन पर भेज देता है।
उधर सुयश को बार-बार वही रह यमयी ीप दखाई देता है और
जब उस ीप का रह य जानने के िलये लारा उस ीप क ओर जाता है, तो
वह भी रह यमय प रि थितय म अपनी जान गंवा बैठता है। दूसरी ओर
ोम सन राइ जंग को ढू ंढते ए उसी रह यमय ीप के पास प ंच जाता है,
पर उस ीप का रह य जानने म ोम भी दुघटना का िशकार हो जाता है।
उधर रात म लोथार को सन राइ जंग पर मरी ई लॉरे न दखाई देती
है, िजसे देखकर लोथार अजीब सी हरकत करते ए समु म कू द जाता है।
सभी क लाख कोिशश के बाद लोथार भी मारा जाता है। तभी सभी को
पानी पर दौड़ता आ एक सुनहरा मानव दखाई देता है जो क एक दशा
क ओर इशारा करके गायब हो जाता है। अगले दन ऐमू नामक एक
रह यमय तोता फर से जहाज को भटका देता है। उधर अंजान काितल,
लॉरे न क ह या का रह य जान चुके लैब अिस टट थॉमस को भी मार देता
है।
अगले दन सन राइ जंग एक भयानक तूफान के बीच फं स जाता है
और सभी क लाख कोिशश के बाद भी वह समु म डू ब जाता है। कसी
कार 12 लोग बचकर एक रह यमय ीप पर प ंच जाते ह।
उस रह यमय ीप पर एक भयानक जंगल होता है, जो अलग-अलग
कार के खतरे उ प करता रहता है। शैफाली को िविच पेड़ का फल देना,
जेिनथ के ऊपर मगरम छ मानव का हमला करना, भिव य के प थर का
िमलना और फर ेजलर का अजगर के ारा मारा जाना, यह सभी उस
जंगल को रह यमई और खतरनाक दोन ही बना रहे थे।
वह दूसरी ओर वेगा पर एक रह यमय बाज हमला कर देता है,
िजससे डर कर वेगा का भाई युगाका वेगा को एक जोिडयाक वॉच देता है,
िजसम 12 रािशय क शि यां थ , जो वेगा को मुसीबत के समय िछप कर
उसे बचात ।
दूसरी ओर अंटाक टका क धरती पर जे स और िव मर को बफ क
खुदाई के दौरान एक िविच दुिनया दखाई देती है। कु छ अजीब से ितिल मी
रा त को पार करने के बाद जे स और िव मर वहाँ मौजूद देवी शलाका और
उनके 7 भाईय को जगा देते ह, जो क 5000 वष से वहाँ शीतिन ा म सो
रहे थे।
उधर जंगल म नयनतारा पेड़ के ारा, ज म से अंधी शैफाली क आँख
आ जाती ह। जंगल म आगे बढ़ने पर सभी को शलाका मं दर दखाई देता है,
जहां पर सुयश एक छोटे से ितिल म को पार कर, देवी शलाका क मू त को
छू लेता है। तभी सुयश के शरीर पर बने टै टू से सतरं गी करण आकर टकराती
ह और सुयश के टै टू म एक अंजानी शि वेश कर जाती है।
उधर जब रोजर का हेलीकॉ टर धुंध म फं सकर अराका ीप पर
िगरता है तो रोजर को पायलेट क लाश, एक शेर ले जाता दखाई देता है,
शेर का पीछा करने पर रोजर एक लड़क आकृ ित से िमलता है। आकृ ित का
चेहरा देवी शलाका से िमलता है। आकृ ित रोजर को अराका के कई रह य के
बारे म बताती है?
उधर सुयश को एक आदमखोर पेड़ पकड़ लेता है, पर सुयश अपने टै टू
म समाई िविच शि से इस मुसीबत से बच जाता है। दूसरी ओर कु छ दन
पहले आकृ ित रोजर को सुनहरा मानव बनाकर सन राइ जंग को भटकाने के
िलये भेजती है। रा ते म रोजर पानी म बेहोश ए ोम को बचाकर अराका
ीप के कनारे रख देता है।
बाद म सुयश एक अंजान खंडहर म िमले संहासन क वजह से समय
के च को तोड़ 5020 वष पहले के काल म िहमालय पर प च जाता है।
िहमालय पर उसे अपनी ही श ल का एक इं सान आयन दखाई देता है जो
शलाका और अ य 11 लोग के साथ एक रह यमयी िव ालय ‘वेदालय’ म
पढ़ रहा होता है। वहाँ सुयश को 15 अ भुत लोक के बारे म पता चलता है।
वह दूसरी ओर लुफासा, मकोटा के आदेशानुसार अपनी इ छाधारी
शि का योग कर, हर रोज सन राइ जंग से एक लाश लाकर िपरािमड म
रखता है, परं तु एक दन जब वह िपरािमड म जाकर देखता है तो उसे
िपरािमड के अंदर अंधेरे का देवता जैगन बेहोश पड़ा दखाई देता है।
उधर ूनो के गायब होने के बाद सुयश क टीम का सामना एक
जंगली सुअर से होता है, िजसक वजह से असलम एक दलदल म िगर कर
मारा जाता है, परं तु मरने से पहले वह अपना काला बैग सुयश को दे जाता
है। असलम के काले बैग म एक लॉके ट होता है, जो वतः ही जेिनथ के गले म
बंध जाता है।
उधर अगले दन वेगा पर टुं ा हंस और बुल शाक हमला करती है।
ले कन वेगा के हाथ म बंधी जोिडयाक वॉच वेगा क र ा करती है। दूसरी
ओर ोम एक हेल का पीछा करता आ, उस ीप के एक ऐसे अंजान िह से
म प ंच जाता है, जहां एक क यूटर ो ाम कै पर ारा एक ितिल म का
िनमाण हो रहा होता है। ोम उस कमरे म रखी एक ांसिमट मशीन से
ांसिमट होकर सामरा ीप के अंदर प ंच जाता है।
उधर जंगल म युगाका ऐले स को बेहोश करके , वयं ऐले स बनकर
सुयश क टीम म शािमल हो जाता है। पर शैफाली युगाका को पहचान जाती
है और वह युगाका से कु छ ण के िलये उसक वृ शि छीन लेती है।
दूसरी ओर देवी शलाका के कमरे म बंद जे स को, दीवार म एक रह यमयी
ार दखाई देता है। जे स उस ार के मा यम से िहमालय प ंच जाता है,
जहां हनुका ोम को पकड़कर िहमलोक के कारागार म डाल देता है। उधर
ोम ांसिमट होकर सामरा ीप म उपि थत महावृ के पास प ंच जाता
है। दूसरी ओर कलाट, युगाका को लेकर समु के अंदर मौजूद अटलां टस क
धरती पर जाता है। जहां पर साग रका एक पहेली के मा यम से कलाट को
एक संदेश देती है।
उधर जॉनी एक जलपरी क मू त से िनकलती शराब को पीकर, बंदर
म प रव तत हो जाता है और उछलकर जंगल म भाग जाता है। रात म वहाँ
सोते समय मेडूसा क मू त सजीव होकर, शैफाली को एक महाशि मै ा के
सपने दखाती है, िजसम मै ा एक गो पर सवार होकर, समु क तली म
मौजूद, एक वण महल से, ितिल म तोड़कर एक शि शाली पंचशूल ा
करती है। उसी रात जेिनथ को न ा के ारा तौफ क क स ाई के बारे म
पता चलता है।
इधर शलाका जे स को ढू ंढने के िलये िहमालय पर प ंचती है, पर
ा और िशव या शलाका को एक दन के िलये वह रोक लेते ह। दूसरी
ओर जंगल म एक भ रा िवशालकाय च वात का प लेकर, डन को अपने
म लपेटकर हवा म गायब हो जाता है। उधर लुफासा मकोटा के आदेशानुसार
िहमालय पर मौजूद एक िशव मं दर से ‘गु व शि ’ लाने के िलये जाता है।
लुफासा ग ण का प धरकर िहमालय से गु व शि ले जाने म सफल हो
जाता है।
ा और िशव या के परे शान होने पर गु नीमा महाशि शाली
हनुका को लुफासा से गु व शि छीनकर लाने को कहते ह। महाबली हनुका
व लुफासा के म य यु होता है, परं तु उस यु के फल व प गु व शि क
िडिबया अराका ीप म िगर जाती है।
दूसरी ओर अलबट क सूझबूझ से सभी घास के मैदान म लगी आग को
पार करते ह, पर आिखर म टी, जैक को उस आग म ध ा देकर मार देती
है। आगे बढ़ने पर सुयश क टीम पर एक पाइनासोरस आ मण कर देता है।
यहाँ जेिनथ न ा क शि य का योग कर उस पाइनासोरस को मार
देती है।
उधर ोम को रं जो- शंजो के मा यम से एक झील के अंदर रखा आ
पंचशूल दखाई देता है, िजसे छू ने के बाद ोम का पूरा शरीर जल जाता है।
ोम मरणास हालत म झील के बाहर िगरता है। तभी आसमान से गु व
शि क आिखरी बूंद ोम के मुंह म आकर िगर जाती है, गु व शि के
मा यम से ोम ठीक होकर उस पंचशूल को भी ा कर लेता है। पंचशूल
को उठाने के बाद ोम क कलाई पर एक सुनहरे रं ग का सूय का टै टू बन
जाता है।
उधर वेगा पर बारी-बारी से एक ईल मछली, काला नाग व खतरनाक
सांड हमला करते ह, परं तु इस हमले म धरा बेहोश हो जाती है। वेगा, मयूर
और धरा को अपने घर ले जाता है।
दूसरी ओर अलबट को एक उड़ने वाला टे रोसोर लेकर उड़ जाता है।
उधर ऐले स एक पेड़ के कोटर से होते ए, 20 फु ट गहरे कमरे म िगर जाता
है। जहां पर उसे एक 3 िसर वाला सप िवषाका, बेवकू फ बनाकर अपनी मिण
और सुनहरी बोतल लेकर भाग जाता है। दूसरी ओर टी अपनी फू त और
तेज दमाग से रे त मानव को ख म कर देती है। उधर ोम िविच
प रि थतय म ि काली को बचाते ए, मकोटा के सेवक ग जालो को बुरी
तरह से घायल कर देता है। िजससे ि काली ोम क शि यां पर मोिहत हो
उससे र ासू बंधवा कर शादी कर लेती है।
दूसरी ओर सुयश क टीम मै ाक ार को पार करके रे ड आंट के े
म वेश कर जाते ह, जहां पर खून क बा रश होती है, पर जेिनथ क वजह
से यह मुसीबत भी पार हो जाती है।
उधर पकु ड झील के रा ते किलका, य युवान के का उ र
देते ए, काश शि को ा कर लेती है। दूसरी ओर ि शाल भी
मानसरोवर झील के अंदर से होकर शि लोक प ंच जाता है, जहां एक-एक
कर वह भगवान िव णु के 5 अ क सहायता से, एक मायाजाल को पार
करके विन शि ा कर लेता है।
दूसरी ओर कै पर, मै ा को याद करते ए कै पर लाउड म बने ेत
महल आ जाता है। जहां पर उसक मुलाकात िव म और वा णी से होती है।
कै पर, ेत महल का िनयं ण वा िण के हाथ म दे देता है।
उधर सुयश सिहत सभी बफ क घाटी म प ंच जाते ह, जहां एक छोटे
से पि वन क मदद से शैफाली को एक सीप के अंदर मै ा क ेस िमलती है।
दूसरी ओर सुयश क टीम पर एक बफ का ैगन हमला कर देता है। जेिनथ
एक बार फर से न ा क शि का उपयोग करके उस बफ के ैगन को हरा
देती है।
वह दूसरी ओर वेगा, वीनस से अपने यार का इजहार करता है क
तभी उ का पंड िगरने क वजह से, भूकंप का एक जोरदार झटका आता है।
धरा और मयूर, वेगा और वीनस से िवदा ले उ का पंड के पीछे चले जाते ह।
उधर तौफ क को रात म पेड़ क कोटर म मौजूद ‘वेदा त रह यम’
नामक एक पु तक िमलती है। िजसम सुयश को, अ कोण म बंद एक न हा
बालक दखाई देता है। बाद म शलाका बताती है क वेदा त रह यम आयन
ने ही िलखी थी। आगे बढ़ने पर सभी एक वालामुखी के जाल म फं स जाते
ह। जहां शैफाली को एक ैगन का सोने का िसर िमलता है। शैफाली के
आँसु से वह ैगन का िसर िपघलकर, वालामुखी के लावे म िमल जाता
है।
उधर आकृ ित लैडन नदी के कनारे जाकर एक सुनहरी िहरनी का
अपहरण कर लेती है, जो क देवी आटिमस को सबसे ि य थी। वहाँ उसे
लैडन नदी म सोया आ मै ा का गो भी दखाई देता है। उधर ि शाल और
किलका दोन िमलकर, रा स कालबा को पकड़ने रा सलोक जाते ह, पर
वहाँ उ ह िव ु ा अपने मायाजाल मि तका म फं सा देती है, परं तु
मि तका म फं सने के पहले ि शाल और किलका वहाँ रावण क मू त म
मौजूद एक ी के कं काल को अपनी शि य से मुि दे देते ह।
दूसरी ओर ऐले स को थेनो बताती है क शैफाली ही िपछले ज म म
मै ा थी। वह कहती है क िवषाका जो बोतल लेकर भागा था, वह मै ा क
मृितयां थ । थेनो, ऐले स को माया का दया आ वशीि य शि का
घोल िपलाकर, नागलोक म ि थत ि आयाम म भेज देती है। जहां ऐले स
नागफनी और रा स माली को ि आयाम से मै ा क मृितयां लाने म
सफल हो जाता है।
उधर सुयश और उसक टीम एक खोखले पहाड़ म फं स जाते ह। उस
खोखले पहाड़ म हेफे टस और हरमीस क मू तयां लगी होती ह। यहाँ भी
एक कार का ितिल म होता है, िजसे सभी िमलकर अपने दमाग से पार
कर लेते ह। आगे बढ़ने पर सुयश को एक न हे खरगोश के मा यम से एक
अंगूठी िमलती है, जो क शैफाली के हाथ म िब कु ल फट हो जाती है।
उधर ोम के सामने उसक और ि काली क शादी का राज खुल
जाता है। वहाँ कलाट ोम और ि काली को, ि शाल व किलका को छु ड़ाने
के िलये, मि तका म जाने को कहता है। वह दूसरी ओर ऐले स, सुयश क
टीम के पास वापस प ंचने म कामयाब हो जाता है। वह मै ा क मृितयां
बोतल से िनकाल शैफाली को दे देता है, िजससे शैफाली को पूवज म क
सारी बात याद आ जाती ह। दूसरी ओर वा णी कै पर को एक िविच जीव
को दखाती है। कै पर बताता है क पृ वी पर कोई बड़ा संकट आने वाला है?
दूसरी ओर सुयश क टीम को एक नहर िमलती है, िजसे पार करना
अ यंत ही मुि कल था, पर सभी के सि मिलत यास से वह नहर के
जलकवच को पार कर लेते ह। उधर शलाका, िव मर को सुनहरी ढाल दे देती
है, परं तु बदले म वह िव मर क उस थान क मृित छीन लेती है। वह
दूसरी ओर आकृ ित क कै द म बंद रोजर को, सनूरा छु ड़ा देती है। रोजर
भागते समय, मेलाइट व सुवया को भी छु ड़ा ले जाता है। उधर सुयश अपनी
टीम के साथ उड़ने वाली झोपड़ी के ितिल म को तोड़, सभी को ले ितिल मा
म वेश कर जाता है। जहां कै र सभी को एक नीलकमल क पहली पंखुड़ी
तोड़ने के िलये कहता है। सभी के सि मिलत यास से वह ितिल मा के पहले
ार को पार कर जाते ह।
दूसरी ओर फे रोना ह का कमांडर ीटे स, राजा एला का को बताता
है क उसने युवराज ओरस को पृ वी पर देख िलया है और उसे ा करने के
िलये, उसने ए ोवस पावर को भेज दया है।
वह दूसरी ओर ितिल मा म सुयश क टीम के सामने, एक नेवला व
ऑ टोपस मायाजाल बुनकर उ ह फं साने क कोिशश करते ह, पर सभी
आसानी से उस ार को पार कर लेते ह।
उधर एक ओर शलाका वेदा त रह यम् नामक कताब को पढ़कर
आयन के कु छ रह य को जान जाती है? िजसम आयन अपने और आकृ ित के
पु को एक काँच के अ कोण म बंदकर, जमीन म िछपा रहा होता है।
उधर धरा और मयूर समु म िगरे उ का पंड क जांच करने के िलये,
अटलां टक महासागर म जाते ह, जहां उ ह पता चलता है क वह उ का पंड
असल म एक अंत र यान है। वहाँ दोन का सामना अंत र के 2
शि शाली जीव एलिनको और एनम से होता है। एलिनको अपनी चु बक य
शि य का योग कर धरा और मयूर को बेहोश कर देता है और उ ह
उठाकर अपने साथ अंत र यान म िलये जाता है। उधर वु फा को एक ऊजा
ार म घायल पड़ा ग जालो दखाई देता है।
वह दूसरी ओर सुयश सिहत सभी एक जलदपण के मायाजाल म फं स
जाते ह, जहां वह एक िवशाल कछु ए क पीठ पर रखे एक पंजरे म कै द होते
ह। यहाँ शैफाली और ऐले स के यास से सभी बचकर इस ार को पार कर
जाते ह। इसके बाद सभी च टय के संसार म फं स जाते ह, जहां शैफाली के
दमाग लगाने से सुयश सिहत सभी च टय के उस संसार को पार करने म
सफल हो जाते ह।
उधर कै पर, वा िण को कै र और ितिल मा के बारे म बताता है।
वह वा िण को एक महायु का संकेत देता है और उसे उस महायु से
िनपटने के िलये कु छ तैया रयां करने को कहता है? उधर आकृ ित िव मर से
सुनहरी ढाल छीन लेती है, पर तभी आकृ ित को िव म बेहोशी क हालत म
उस जहाज पर िमलता है, िजसक मृित जा चुक होती है। आकृ ित, िव म
के सामने वा णी होने का नाटक कर उसे अपने साथ लेकर ययाक चली
जाती है।
वह दूसरी ओर सुयश सिहत सभी एक-एक कर टे चू आफ िलबट
एवं सपन के संसार को पार करते ह। इसके बाद सभी 4 ऋतु के जाल म
फं स जाते ह, जहां शरद ऋतु से सभी को ऐले स क समझदारी और तौफ क
के िनशाना बचाती है। वह ी म ऋतु म एक थान पर जेिनथ एक जहरीली
गैस म फं सकर िगर जाती है। तभी एक खूबसूरत यो ा कट होकर जेिनथ
को बचाकर गायब हो जाता है। इसके बाद सभी शीत ऋतु म बंद एक
अ मानव और समु ी घोड़े को हराकर उस मायाजाल को भी पार कर लेते
ह।
उधर मकोटा, लुफासा को अपने िव ास म लेने के िलये, उसे
िपरािमड दखाने ले जाता है, जहां लुफासा को पता चलता है क उसके
माता-िपता का क ल कलाट ने कया था। उधर वीनस के कमरे म ब त से डरे
ए पंछी वेश कर जाते ह। जब वीनस िखड़क से देखती है, तो उसे पूरे
शहर म मरे ए प ी सड़क पर पड़े ए दखाई देते ह। तभी समु के कु छ
जीव भी िवकृ त आकार लेकर शहर पर हमला कर देते ह। वीनस और वेगा
अपनी शि य का योग करके उन जीव को मार देते ह। उधर रोजर को
अपनी नािभ से एक तेज सुनहरी रोशनी िनकलती दखाई देती है, पर वह
रोशनी मेलाइट के पश करते ही गायब हो जाती है।
वह दूसरी ओर िहमालय पर हनुका िछपते ए लोक प ंच जाता
है और नीलाभ को माया के बारे म बता देता है। नीलाभ हनुका को र
भैरवी क िडिबया देता है, िजसका योग वह हनुका से समय आने पर करने
को कहता है। उधर शलाका जे स को अपने अंत र यान आकिडया को
चलाने क े नंग देने लगती है।
उधर महावृ ोम से परी ा लेने के िलये उसे एक नकली िव ु ा के
जाल म फं सा देता है, पर ोम सभी मुसीबत को पार कर िव ु ा को हरा
देता है। िजससे महावृ उसे िव ु ा के पास जाने क इजाजत दे देता है।
वह एक ओर अलबट टे रोसोर से बचकर एक अंधेरे कु एं म िगर जाता है। उस
कु एं म अलबट को एक िब ली जैसी श ल वाली देवी क ितमा दखाई देती
है, िजसके हाथ म पकड़े पा म िविच जल था। अलबट उस जल को पी
जाता है।
उधर सुयश सिहत सभी वसंत ऋतु के जाल म फं स जाते ह, जहां 4
अलग-अलग रं ग क प रयां 4 जगह पर पंजरे म कै द थ । सभी अपनी-
अपनी मता का इ तेमाल कर उन प रय को छु ड़ा लेते ह और उनक
मदद से कृ ित के रं ग को भरकर ितिल मा के उस भाग को पार कर लेते ह।
दूसरी ओर नीलाभ महादेव को स कर ांड म ि थत उनके पंचमुखी प
के दशन करता है, वहाँ महादेव नीलाभ से उनके 5 अवतार से आशीवाद लेने
के िलये कहता है।
उधर डे फानो ह पर बचपन म जब ओरस, अपने िपता िगरोट के
साथ लैकून म समयच को देखने के िलये जाता है, तो फे रोना ह के हमले
के कारण ओरस लैकून म ही फं स जाता है। िगरोट मरने से पहले लैकून को
छोटा कर देता है और ज़ेिन स से ओरस को लेकर पृ वी पर जाने को कहता
है। वह दूसरी ओर अंत र के कु छ जीव अराका ीप पर हमला कर देते ह।
इस हमले म रोजर मारा जाता है, परं तु सुवया अपनी शि य से उन
अंत र जीव को परािजत कर रोजर को पुनः जीिवत कर देती है।
वह दूसरी ओर सुयश क टीम एक-एक कर सभी इि य को
परािजत करते जाते ह। आँख, नाक का ितिल म तो िबना कसी अवरोध के
पार हो जाता है, पर कान के ितिल म म कु छ िविच प रि थतय म ऐले स
व तौफ क क मृ यु हो जाती है। पर ितिल म के इस ार म टी अपने
पास रखी सुनहरी रे त से भरी पिसल को तोड़कर एक य इं ा को खोल
देती है। इं ा सुयश को आयन क मृितयां वापस कर देता है और शैफाली
के ारा कै पर के िलये, दया एक संदेश लेकर वहाँ से चला जाता है।
उधर एक दन जब शलाका अपने यान आकिडया म सो रही होती है,
तभी एक रह यमय साया उसके िसरहाने पर एक कागज रखकर चला जाता
है। जब शलाका सो कर उठती है तो उस कागज के टु कड़े पर बने ‘S’ के
िनशान को देख कर च क जाती है। इसके बाद शलाका, जे स को लेकर भारत
के उ ैन शहर म प ंच जाती है। जहां पर शारदा नाम क एक औरत से उसे
अमे रका म रहने वाले एक ि महे शमा के बारे म पता चलता है,
िजनके पास एक अ भुत बालक था, िजसका नाम देवोम था।
उधर कै पर, वा िण को अपनी माँ माया से िमलाता है। जहां माया
वा िण को ‘देवयु ’ नामक एक पु तक देती है, िजसम पृ वी पर रहने वाली
सभी महाशि य और दु शि धारक के नाम और उनक शि य क
जानका रयां थ ।
उधर ोम और ि काली, रा सताल म वेश कर िव ु ा से टकराते
ह, िजसम िव ु ा अपनी सभी जल शि य का योग करने के बाद भी
ोम को हरा नह पाती। यहाँ ोम का मुकाबला इं और शेषनाग जैसी
देव शि य से होता है।
दूसरी ओर हनुका, माया को ढू ंढता आ अराका ीप पर जा प ंचता
है, जहां उसका यु वु फा के साथ होता है। हनुका आसानी से वु फा को मार
देता है। वु फा को मारने के बाद हनुका सीनोर महल जा प ंचता है, परं तु
सुवया के मनाने पर वह लुफासा से यु नह करता। सुवया, हनुका को माया
का पता बता देती है और हनुका को ओलंपस पवत क ओर भेज देती है।
उधर माया, कै पर और वा िण के साथ ओलंपस पवत पर जाकर
ीक देवता जीयूष के सामने इस देवयु म शािमल ना होने क शत रखती
है। एक छोटी सी झड़प के बाद जीयूष, माया क बात मानने के िलये तैयार
हो जाता है। वह दूसरी ओर सनूरा, रोजर, मेलाइट और सुवया से अपने
बचपन क कहानी सुनाती है, िजसम लुफासा के िपता मुफासा ने उसे एक
यो ा बनाया था।
उधर अलबट सूखे कुं ए से िनकलने म कामयाब हो जाता है। तभी उसे
रा ते म एक-एक कर ऐमू और ूनो िमलते ह। अलबट ूनो और ऐमू क
सहायता से ितिल मा के अंदर वेश कर जाता है। दूसरी ओर सुयश सभी
लोग के साथ वादइं य तक प ंच जाता है और सभी क सि मिलत शि
के कारण वह इस इं य को भी पार कर जाता है। उधर कै र अपने िलये
एक शरीर का िनमाण करता है, िजसम ज़ेिन स िछपे तौर पर उसक मदद
करती है।
उधर नीलाभ, नीिलमा क सहायता से वीरभ के पास प ंच जाता है,
जहां भ काली उसक परी ा लेने के िलये उसका हाथ मांग लेती ह। हाथ
कटने के बाद भी नीलाभ, कसी कार से वीरभ को स करने म सफल
हो जाता है?
उधर वेगा और वीनस िपछले यु से सबक लेकर, अपने िलये एक ेस
तैयार करते ह। पर जब वह एक पाक म प ंचते ह, तो उन पर एलिनको,
एनम व फो हमला कर देते ह। जब वेगा और वीनस उन अंत र मानव से
हार जाते ह, उसी समय वहाँ पर कलाट और युगाका प ंच जाते ह। युगाका
अपनी शि य से एलिनको को मार देता है और वेगा व वीनस को लेकर
वहाँ से चला जाता है।
उधर सुयश सिहत सभी वचा क इं य वाले ितिल म म वेश करते
ह। जहां एक ार म कै पर िछपकर शैफाली से िमलता है और उसे अपने
लान के बारे म बताता है। शैफाली यह बात कसी से नह बताती? सभी
िमलकर उस ार को पार कर लेते ह।
उधर ओरस, ज़ेिन स क मदद से 25 वष आगे के समय म जाता है,
जहां उसे जेिनथ दखाई देती है, परं तु आ यजनक तरीके से जेिनथ ओरस
को नह पहचानती। ओरस को जेिनथ के ऑ फस म अपने िपता िगरोट भी
दखाई देते ह। यह देख ओरस पूरी तरह से उलझ जाता है।
दूसरी ओर शलाका, जे स को लेकर महे शमा से िमलने यूयाक
प ंच जाती है। वहाँ महे शमा बताता है, क देवोम िपछले कु छ दन से
कह गायब है? यूयाक म शलाका को एक और छोटा सा बालक सूयाश
िमलता है। शलाका को पता चल जाता है क सूयाश ही वह बालक है, िजसने
उसके कमरे म वह कागज रखा था। सूयाश शलाका को बताता है क उसने
अमृत क शीशी म रखा अमृत पी िलया है। शलाका, सूयाश को छोड़ वहाँ से
चली जाती है। बाद म आच शलाका को बताती है क देवोम का ही नाम
ोम है और उसने अमे रकन सी े ट स वस वाइन कर िलया है। आिखरी
बार ोम सन राइ जंग को ढू ंढने के िमशन पर गया था।
उधर सतयुग म देव के उ प होने के बाद, परम क आ ा
मान देव, ान को ा करने के िलये ीरसागर के जल म चले जाते
ह, जहां उ ह नारायण कण को देते ह। देव 1 हजार वष तक उस
कण से स पूण सृि क रचना करते ह। इसके प ात् वह उस कण को
एक सीप का िनमाण कर, उसे काले मोती म रखकर समु क गहराई म
िछपा देते ह। इस घटना के ब त समय बाद, एक नीली जलपरी क गलती से
उस काला मोती से एक जलपरी िनकलती है, िजसे वणा ीप के
राजकु मार मेघवण से यार हो जाता है। मेघवण उस जलपरी का नाम
लाव या रखता है। लाव या, मेघवण को काला मोती दखाने के िलये
जलपु ष बनाकर समु के अंदर ले जाती है।
उधर नोफोआ जाकर पोसाइडन को काला मोती के पास ले आता है,
जहां पोसाइडन जबरद ती लाव या से वह काला मोती छीन लेता है। बाद म
लाव या, मेघवण को लेकर कह चली जाती है।
उधर ऐले स ितिल मा म टी क गोली से जब मर जाता है, तो
उसे इं ा पुनः जीवन देता है। ऐले स वहाँ से िनकलकर कक व मकर रािश
के दरवाजे म वेश कर जाता है, जहां उसे एक िवशाल सी घड़ी का ितिल म
िमलता है। ऐले स अपनी बुि से दोन रािशय को परिजत कर जब आगे
बढ़ता है, तो वह फसलकर एक ऐसे कमरे म िगरता है, जहां वह प थर क
मू त म प रव तत हो जाता है।
दूसरी ओर वा िण, िव म को अपने सपने म देखती है, जहां वह
आसमान से िगरने वाले ओले से बचते ए मारा जाता है। वा िण यह सपना
देखकर घबरा जाती है। पर ऐसी ि थित म कै पर वा िण को सां वना देता
है। बाद म माया के कहने पर कै पर अपने माता-िपता को छु ड़ाने के िलये
अंडरव ड चला जाता है। तभी वा िण से शलाका अपनी मानिसक तरं ग से
स पक करती है और वह उसे बताती है क उसने िव म को यूयाक म
आकृ ित के साथ देखा था। बाद म शलाका, जे स के साथ, सूयाश का रह य
जानने के िलये पाताललोक क ओर चल देती है, जहां पर अि का नाम क
एक द पु तक रखी थी।
उधर नीलाभ, महादेव के कहे अनुसार भैरव से आशीवाद लेने के िलये
वाराणसी जा प ंचता है, जहां कु छ िविच प रि थितय म वह एक तांि क
तं ालु के जाल म फं स जाता है? तं ालु, नीलाभ को एक छोटी सी काँच क
बोतल म बंद कर देता है। परं तु तं ालु, नीिलमा के बारे म नह जानता था।
नीिलमा, ि पुरसुंदरी का प धरकर तं ालु को मूख बनाते ए नीलाभ को
उसके चंगुल से छु ड़ा लेती है। िजसके कारण नीलाभ, भैरव से आशीवाद ा
करने म सफल हो जाता है।
दूसरी ओर आकृ ित, िव म को लेकर यूयाक के एक होटल म रह रही
होती है। आकृ ित िपछले दन वयं पर आई मुसीबत के बारे म सोचती है।
उसी समय िव म अपने हाथ म पहनी नीली अंगूठी को उतार देता है।
आकृ ित यह देखकर घबरा जाती है। वह जानती है क कु छ ही समय म िव म
क मृितयां वापस आ जायगी? इसिलये वह उसे एक कहानी सुनाकर
अराका जाने के िलये तैयार कर लेती है। परं तु उसी समय आकृ ित के माकट
जाने के बाद वा िण, िव म से स पक थािपत करने म कामयाब हो जाती है
और वह अपनी शि य से िव म क मृितयां भी वापस कर देती है।
उधर तौफ क के ितिल मा म मारे जाने के बाद जब जेिनथ वहाँ से
चली जाती है, तो तौफ क को भी इं ा अपनी शि य से जीिवत कर देता
है। वहाँ से िनकलकर तौफ क भी रािशय के ितिल म म वेश कर जाता है,
जहां उसका सामना धनु और तुला रािश से होता है। तौफ क अपनी
िनशानेबाजी और बुि के दम पर उन दोन रािशय को परा त कर
ितिल मा का वह ार पार लेता है।
वह दूसरी ओर भिव य म गया ओरस, जब ज़ेिन स को याद करता
है, तो वह नह आती। इस मौके का सदुपयोग कर ओरस, उस समयकाल क
जेिनथ के घर जाने क सोचता है, पर जब वह जेिनथ के घर प ंचता है, तो
अचानक से उसे जेिनथ के घर म सन राइ जंग के सभी लोग क फोटो
दखाई देती है, िजनम से कु छ फोटो पर ॉस का िनशान भी लगा होता है।
तभी ओरस को वहाँ पर जेिनथ दखाई देती है, जो क अपना लैपटाप लेकर
अपने ऑ फस चली जाती है। जेिनथ के जाने के बाद ओरस भी जेिनथ का
पीछा करता आ उसके ऑ फस प ंचता है, जहां उसे पता चलता है क
जेिनथ तो 2 दन पहले ही समयच म फं स कर मारी जा चुक है। ओरस
समझ नह पता क कु छ ही देर म वह 1 वष 2 दन आगे कै से आ गया? तभी
ओरस वहाँ से गायब होकर वापस लैकून म आ जाता है।
उधर जेिनथ ितिल मा म वृष और कु भ रािश वाले ार को चुनती है।
उस ार म वेश करने के बाद जेिनथ वयं को एक बुल फाइ टं ग वाले मैदान
म पाती है, जहां एक बैल, नृ यांगना, कु हार व एक जादूगर के ारा एक
ितिल म बना होता है। जेिनथ अपने नृ यकौशल व दमाग का योग कर उस
ितिल म को पार करने म सफल हो जाती है। ार को पार करने के बाद
जेिनथ क मुलाकात ऐले स और तौफ क से भी हो जाती है। जेिनथ दोन को
जीिवत देखकर खुश हो जाती है।
उधर रोजर जब सीनोर महल के अपने कमरे म बैठा होता है, तो एक
बार फर उसक नािभ से सुनहरी रोशनी िनकलने लगती है। इस बार उस
सुनहरी राशनी से एक ार बन जाता है, जो रोजर को सीरीिनया के जंगल
म िलये जाता है। वहाँ रोजर क मुलाकात मेलाइट क 4 बहन से होती है,
जो क एक शेर िलयो के साथ उस जंगल म घूम रह थ । रोजर अंजाने म ही
िलयो को अपने सुनहरे ार से सीनोर महल भेज देता है। वहाँ पर रोजर को
मेलाइट क बहन से मेलाइट के िनि फया महल के बारे म पता चलता है, जो
क उसी सीरीिनया के जंगल म ही कह था? वहाँ अमारा, रोजर को अपने
बाल से िनकालकर एक हेयर ि लप देती है और उस हेयर ि लप को मेलाइट
को देने के िलये कहती है। इसके बाद रोजर मेलाइट का रह य जानने के िलये
उसके िनि फया महल क ओर चल देता है।
वह दूसरी ओर टी ितिल मा म उपि थत वृि क और िमथुन
रािशय वाले ार का चुनाव करती है। परं तु जब टी उस ार म वेश
करती है, तो वह वयं को रोम के एक िस ाचीन शहर ॉय म पाती है।
जहां पर ोजन हास वाली कथा जैसा वातावरण था। टी अपनी सूझबूझ
और फू त क वजह से उस शहर क पहेली को हल कर लेती है। यहाँ पर
टी को अंत म ऐले स भी िमल जाता है, जो क वहाँ उपि थत एक मू त
के अंदर िछपा होता है। उस ार को पार कर टी और ऐले स भी तौफ क
व जेिनथ से आकर िमल जाते ह।
उधर शलाका जे स के साथ भारत के औरं गाबाद म ि थत कै लाश
मं दर म जाती है। कु छ गु रा त को पारकर शलाका जे स को लेकर
पाताललोक म वेश कर जाती है। पाताललोक म उपि थत अि का पु तक
के मा यम से शलाका सूयाश, ोम व िव म के बारे म जान जाती है। अब
वह सबसे पहले ोम से िमलने के िलये रा सलोक क ओर चल देती है।
दूसरी ओर ोम, ि काली को लेकर रा सलोक क ओर चल देता है,
जहां क उसे िव ु ा से ि तीय व तृतीय चरण का यु लड़ना था। ोम व
ि काली रा सताल क भूल-भुलैया से िनकलकर िव ु ा के पास प ंच जाते
ह, जहां ोम का मुकाबला एक-एक कर हि तका, र कं ट जैसे भयानक
रा स से होता है, पर ोम देवता क सहायता से उन सभी रा स को
हरा देता है।
उधर सुयश ितिल मा म संह व मेष रािश के ार म वेश कर जाता
है, जहां वह वयं को एक िवशाल बाथटब म पाता है। सुयश वहाँ उपि थत
सन राइ जंग क फोटो से सन राइ जंग िनकाल लेता है और कसी कार उस
बाथटब से बाहर आ जाता है। उसी थान पर सुयश को ऐमू भी िमल जाता
है। बाद म सुयश एक शेर पर बैठकर एक ऐसे जंगल म प ंच जाता है, जहां
उसका यु ीक देवता एरस से होता है। पर सुयश देवता नर संह क मदद
से उस ार को आसानी से पार कर लेता है।
वह दूसरी ओर वीनस, सामरा रा य के अपने कमरे म बैठी होती है
क उसे बाहर उ ान म एक इं धनुष दखाई देता है। वीनस जब उस रह य
को जानने के िलये एक सतरं गी काँच क िततली के पास प ंचती है, तो वह
सतरं गी िततली वीनस को अपने पंख म बंद कर लेती है। इसके बाद वह
िततली अपने सातो रं ग से एक नकली वीनस बनाती है और उसे वेगा के
पास छोड़, वह असली वीनस को लेकर आसमान म उड़ जाती है।
उधर िव म को अपनी सभी पुरानी याद वापस आ जाती ह। इसी के
साथ वह यह भी जान जाता है क उसक मृितयां एक अंत र के जीव
रं ग क वजह से ग थ । रं गो ने िव म को मरणास अव था म समु म
फक दया था। अब िव म को आकृ ित पर ब त गु सा आता है, परं तु फर भी
वह आकृ ित के सामने अपना गु सा जािहर नह करता। अब वह आकृ ित के
साथ अराका क ओर चल देता है, जहां वा िण उसका बेस ी से इं तजार कर
रही थी।
वह एक ओर जब सीनोर महल के कमरे म मेलाइट, सुवया और
सनूरा बैठकर आपस म बात कर रह होती ह, तो उ ह रोजर के कमरे से कु छ
भारी व तु से िगरने क आवाज आती है? सुवया जब रोजर के कमरे म
प ंचती है, तो उसे वहाँ िलयो दखाई देता है, जो रोजर के सुनहरे ार से,
अंजान म ही सीनोर महल आ प ंचा था। सुवया िलयो से बात करके उसे
अपने िनयं ण म ले लेती है। उसी समय वहाँ पर वा िण, हनुका व लुफासा
भी आ जाते ह। अब सभी वहाँ बैठकर िव म व आकृ ित इं तजार करने लगते
ह।
उधर आकृ ित व िव म जब अराका के िब कु ल पास प ंच जाते ह, तो
उन पर 2 अंत र के जीव ओलैनो व वूडान आ मण कर देते ह। ले कन तभी
उ ह बचाने के िलये वहाँ पर सुवया, वा िण और हनुका भी आ जाते ह। सभी
के सि मिलत यास से ओलैनो मारा जाता है और वूडान वहाँ से भाग जाता
है। बाद म वा िण, आकृ ित को उसके पु के बारे म बताती है और उसे लेकर
सीनोर महल आ जाती है। वा िण वहाँ सभी को देवयु के बारे म बताकर
ोम से िमलने के िलये िहमालय क ओर चली जाती है।
उधर ितिल मा म शैफाली ने िजस ार को चुना, उसम मीन और
क या रािशयां िछप थ । शैफाली जब उस ार म प ंचती है, तो उसे वहाँ
पर एक राजा क 3 राजकु मा रय को ढू ंढकर लाने का काय िमलता है।
शैफाली पहली राजकु मारी अवनी को लाने के िलये एक छोटे से ीप पर
प ंच जाती है, जहां पर एक रह यमई मछली शैफाली को उस ीप सिहत
िनगल जाती है, पर शैफाली अपना दमाग लगाकर उस ितिल मी मछली से
बच जाती है और राजकु मारी अवनी को उसके संहासन तक प ंचा देती है।
उधर रा सताल म ोम व िव ु ा क शि य का टकराव जारी
था। इसी के अंतगत िव ु ा ोम पर एक दै य टकाबू के ारा हमला
करवाती है। टकाबू अपनी ि ल मशीन के ारा ोम को जमीन के अंदर
फं सा देता है, पर भूदेवी व अ कोण क मदद से ोम इस खतरे को भी पार
कर जाता है। अब िव ु ा एक ाचीन जलदै य ित मंगला, यमदेव व
कालतरं ग से ोम पर आ मण करवाती है, परं तु वह फर भी िवफल हो
जाती है। यह देख िव ु ा ोिधत होकर देवी महाकाली का आहवान करती
है। देवी महाकाली, समय को रोककर ोम का िसर काट देती ह। यह दृ य
देखकर शलाका ोध म, िव ु ा को अपनी अि जाल म फं सा देती है, पर
इससे पहले क शलाका िव ु ा को मार पाती, ि काली को िमले आशीवाद
के कारण ोम पुनः जीिवत हो जाता है। इस घटना से डरकर िव ु ा
ि तीय चरण क अपनी हार को वीकार कर लेती है। तभी वा िण भी आकर
उनसे िमल जाती है। अब सभी तृतीय चरण के यु के िलये िव ु ा के महल
म वेश करते ह। वहाँ िव ु ा शतरं ज के मोहर से मि तका का िनमाण
कर सभी को फं सा देती है, परं तु ोम अपनी आिखरी शि का योग कर
मि तका से िनकलने म कामयाब हो जाता है। अब सभी िमलकर अपनी
स शि य से िव ु ा का ि सपमुखी दंड छीन लेते ह, िजससे िव ु ा
तृतीय चरण म भी अपनी हार वीकार कर लेती है। वहाँ से ोम, ि शाल व
किलका को छु ड़ाकर िव ु ा के पु कालबा को भी अपने अिधकार म ले
लेता है। वहाँ से िनकलने के बाद शलाका, सूयाश को ढू ंढने के िलये अमे रका
क ओर चल देती है, जब क वा िण सभी को लेकर अराका ीप क ओर
चली जाती है।
दूसरी ओर शैफाली दूसरी राजकु मारी सुगंधा को ढू ंढने के िलये एक
िवशाल उ ान म प ंच जाती है, जहां पर उसे पायल पहने एक िततली
दखाई देती है। बाद म शैफाली एक फू ल के ने टर को िछड़ककर, उस
िततली को राजकु मारी सुगंधा बना देती है और उसे भी अपने महल प ंचा
देती है। इसके प ात् शैफाली तीसरी राजकु मारी रि म क खोज म एक
घाटी म प ंच जाती है, जहां पर राजकु मारी रि म एक िवशाल काँच के
लोब म बंद होती है। शैफाली बफ के बुलबुले म वेश कर राजकु मारी रि म
को छु ड़ा लेती है, पर तभी एक भयानक असुर गजासुर, शैफाली के सामने
कट हो जाता है। शैफाली, मै ा क कोर शि का योगकर गजासुर से यु
करना शु कर देती है। ठीक उसी समय अलबट, ूनो को लेकर वहाँ प ंच
जाता है। अब सभी िमलकर गजासुर को मार देते ह और उस ितिल म के ार
को पार कर लेते ह।
दूसरी ओर नीलाभ, महादेव के अगले अवतार हनुमान से आशीवाद
ा करने के िलये, गंधमादन पवत प ंच जाता है, परं तु हनुमान, नीलाभ को
अपने भु ी राम के बाल पी मू त के दशन करवाने के िलये कहते ह।
नीलाभ, हनुमान क इ छा पूण करने के िलये उ ह लेकर ग णा पवत क
ओर चल देता है। नीलाभ इस काय को फलीभूत करने के िलये असंभव दख
रही, वै णव झील को पार करता है।
उधर सुयश सिहत सभी ितिल मा के अगले ार म वेश कर जाते ह,
जहां उ ह भौितक िव ान के 7 सू के ारा कै लाश पवत पी महादेव क
जटा से, च मा को बांधने का काय िमलता है। सभी के सि मिलत यास
से असंभव सा दख रहा काय भी पूण हो जाता है, पर इस काय म एक थान
पर ओरस को भी सबक मदद करनी पड़ती है।
दूसरी ओर नीलाभ जब वै णव झील को पार कर रहा होता है, तो
उसका रा ता सुदशन च रोक लेता है। परं तु नीलाभ, शेषनाग क सहायता
लेकर आिखरकार वै णव झील को पार कर ही लेता है। जब नीलाभ ग णा
पवत पर प ंचता है, तो एक शत के अनुसार ग णदेव, नीलाभ के शरीर के
माँस का एक टु कड़ा खा लेते ह। िजसके फल व प ी राम क बाल पी मू त
लाते समय, नीलाभ शि हीन होकर िगर जाता है। नीलाभ के शि हीन होते
ही, ी राम क मू त वापस दशावतार मं दर म प ंच जाती है। नीलाभ को
महसूस होता है क अब वह हनुमान क शत को पूरी नह कर पायेगा, परं तु
आिखरी समय म नीलाभ, हनुमान को भु ी राम क मू त के दशन कराने
म कामयाब हो जाता है और हनुमान का आशीवाद लेकर महादेव के अगले
अवतार िप पलाद को ढू ंढने के िलये चल देता है।
उधर ओरस जब लैकून म प ंचता है, तो उसे ज़ेिन स कह दखाई
नह देती? यह देख ओरस लैकून म ि थत संरि का म जा प ंचता है। वहाँ
एक फ नी स प ी क मदद से ओरस एक रह य को जान जाता है, क
समयच म फं सने के बाद जेिनथ ही ज़ेिन स बन गई थी। ओरस को वहाँ
अतीत का डे फानो ह भी दखाई देता है। जहां पर िगरोट व ज़ेिन स को
लेकर नोवान कह चले जाते ह। इतना देखकर ओरस लैकून म वापस आ
जाता है।
दूसरी ओर रोजर, मेलाइट के िनि फया महल म प ंच जाता है, जहां
पर उसे एक चलिच के मा यम से मेलाइट का बचपन दखाई देता है। उस
समयकाल म मेलाइट एक हाइ ा ैगन से खेल रही होती है, जो क मै ा का
गो होता है। इसके प ात् रोजर को अपनी नािभ से िनकलने वाले काश
का रह य भी पता चल जाता है। तभी रोजर को यह महसूस होता है क
उसके पीछे कोई है? जब रोजर पीछे पलटता है, तो उसे अपने पीछे मेलाइट
खड़ी ई दखाई देती है।
उधर शलाका, सूयाश का रह य जानने के िलये यूयाक म ि थत
चे टनट रज पाक प ंचती है और उसी एटनल लेम म वेश कर जाती है,
िजससे िनकलते ए उसने सूयाश को देखा था। शलाका वहाँ से भिव य म
प ंच जाती है, जहां पर टे चू ऑफ िलबट के पास सूयाश एक सपमानव से
यु कर रहा था। शलाका भी सूयाश को बचाने के िलये उस यु म शािमल
हो जाती है। तभी शलाका को चोट लग जाती है। ले कन इससे पहले क वह
नीचे िगरती, उसे सुयश आकर बचा लेता है। यहाँ पर शलाका के सामने एक
और रह यो ाटन होता है, उसे पता चल जाता है क सूयाश उसका व सुयश
का ही पु है। आिखर म सुयश और शलाका िमलकर उस सपमानव का अंत
करते ह और वहाँ से गायब हो जाते ह। परं तु इस यु के दौरान जब सूयाश
अपनी एक समयशि का योग करता है, तो वह समयशि , सपमानव के
च वात से िलपटकर, वहाँ मौजूद एक घड़ी म वेश कर जाती है। बाद म
उसी घड़ी को न हा िगरोट छू लेता है, िजससे वह समयशि िगरोट के शरीर
म वेश कर जाती है।
उधर 20,053 वष पहले क एक घटना म देव, महादेव के कहे
अनुसार, ीरसागर म ासन ढू ंढने के िलये जाते ह, जहां पर उ ह ासन
के साथ-साथ, एक काँच के कलश म 2 नागदंत दखाई देते ह। वहाँ पर
स पु तक क सहायता से देव को पृ वी के भिव य का पता चलता है।
देव पृ वी का िवनाशकारी भिव य देखकर चंितत हो जाते ह और अपनी
था महादेव को बताते ह। महादेव देव को भागवी के बारे म बताते ह।
उधर दूसरी ओर महादेव से ा समयशि के ारा जब माता
पावती भिव य देख रही होती ह, तभी उनक आँख पर एक गुलाब क पंखुड़ी
आकर िचपक जाती है। माता पावती घबराकर अपनी आँख खोल देती ह,
िजसके कारण महादेव क समयशि उस गुलाब क पंखुड़ी म समा जाती है।
इस कार गुलाब क पंखुड़ी के ारा एक द क या का ज म होता है।
माता पावती इस क या का नाम भागवी रख देती ह। महादेव के कहे अनुसार
भागवी को 3 वष के प ात वापस से महादेव के पास आना था। यह जानकर
भागवी समयशि के मा यम से वयं का भिव य देखना शु हो जाती है।
दूसरी ओर जब ‘नासा’ के वै ािनक अपने अंत र अनुसंधान क म
होते ह, तो उ ह ‘िम क वे’ आकाशगंगा के एक िह से म एक लैक होल का
ज म होता दखाई देता है। सबके देखते ही देखते वह लैक होल फट कर
िबखर जाता है। लैक होल के िबखरने से असं य बंद ु ांड म िबखरकर
पृ वी क ओर आने लगते ह। तभी वा िण सभी को बताती है, क वह बंद ु
नह बि क दूसरी आकाशगंगा के यान ह, जो पृ वी को न करने के िलये
पृ वी क ओर आ रहे ह। वा िण सभी देश को सावधान कर इस यु म
िह सा ना लेने के िलये कहती है।
वह दूसरी ओर सुयश सिहत सभी ितिल मा के एक ऐसे भाग म फं स
जाते ह, जहां क एक रोलर को टर क या ा करते ए, सभी एक िवशाल
यो ा माकश से टकरा जाते ह। माकश एक अ यंत शि शाली 7 िसर वाला
यो ा था। सभी अपनी सूझबूझ व ऐमू क मदद से माकश को हराने म सफल
हो जाते ह।
उधर चं ोदय रा य का राजा चं वीर माँ आ दशि के ि शूल के
कारण यु तो जीत जाता है, परं तु उसके सभी सैिनक मारे जाते ह। यु क
िवभीिषका से चंितत चं वीर वयं को समा करने चलता है, परं तु माँ
आ दशि वयं कट होकर, चं वीर को ऐसा करने से रोक देती ह। माँ
आ दशि के समझाने से चं वीर वयं को समा नह करता, परं तु माता का
दया लयंकारी ि शूल अव य फक देता है। चं वीर माँ आ दशि से
भिव य को देखने क शि मांगता है।
दूसरी ओर ओरस िछपकर लैकून के एक ऐसे भाग म प ंचता है, जहां
पर वह ज़ेिन स को कै र से बात करते देख लेता है। ओरस को पता चल
जाता है क ज़ेिन स उसके साथ धोका कर रही है, पर वह ज़ेिन स के सामने
इस बात को जािहर नह होने देता क उसे सबकु छ पता चल गया है। उधर
20,054 वष पहले देवराज इं क नगरी अमरावती पर दै यराज वृ ासुर
आ मण कर देता है और देव के आशीवाद व प इं व सूय को बुरी
तरह से हरा देता है।
उधर एक ओर जे स जब शलाका के एटनल लेम म कू दने के बाद
आके डया वापस आ रहा होता है, तभी उसक यू ान कार पर एक हमला
होता है और इसी के साथ जे स एक अ ात थान पर प ंच जाता है।
वह दूसरी ओर ितिल मा म सभी को आसमान म एक बड़ी सी आँख
दखाई देती है। शैफाली सभी को बताती है क वह अंत र का सबसे बड़ा
जीव कु वान है। तभी सबको पता चलता है क इस बार कै र ने सभी को
असली के बु ह पर भेज दया है। यह देख जेिनथ न ा से मदद मांगती
है। वह जेिनथ को न ा क स ाई पता चल जाती है। बाद म ओरस क
वै ािनक शि य क मदद से सभी कु वान पर हमला कर देते ह। तभी उस
ह पर पड़ी एक उड़ननत तरी वतः ही अपने थान से िहलती है और
कु वान का पेट फाड़कर दूसरी ओर िनकल जाती है।
उधर चं वीर जब अपने रा य को वापस जा रहा होता है, तो उसे
बीच वन म कसी ी के गाने क आवाज सुनाई देती है। चं वीर उस आवाज
का पीछा करते ए भागवी से जा िमलता है। भागवी, चं वीर को लेकर
ि कालदश मं दर म प ंचती है, जहां चं वीर को अपने ही भिव य क
त वीर दखाई देती है। चं वीर को पता चल जाता है क भागवी के पास
भिव य को देखने क शि है और उसी शि के मा यम से भागवी ने
चं वीर के भिव य को देख िलया था। भिव य म चं वीर को अपनी 2 पुि यां
भी दखाई देती ह।
उधर मकोटा जब अपने महल म बैठा होता है, उसी समय लुफासा
अपने सािथय के साथ मकोटा पर हमला बोल देता है। मकोटा अपनी
िविच शि य से सभी का सामना करता है, परं तु इस यु के दौरान
मकोटा का सेवक ग जालो, हनुका के हाथ मारा जाता है। मकोटा अपनी
मायावी शि य से वयं को ब त देर तक बचाये रखता है और फर जब वह
वंय को हारता आ महसूस करता है, तो वह उस थान से भागकर
िपरािमड म प ंच जाता है। परं तु वा िण के िविच लान के कारण आकृ ित
पहले से ही िपरािमड के पास मौजूद थी। आकृ ित मकोटा के साथ िपरािमड के
अंदर वेश कर जाती है और अपने च के मा यम से मकोटा के सभी
िपरािमड का िवनाश कर देती है। यह देख जैगन गु साकर आकृ ित पर
आ मण कर देता है, परं तु ठीक उसी समय वा िण, ोम व ि काली को
लेकर वहाँ प ंच जाती है। ोम अपनी दैवीय शि य से जैगन को मार देता
है, परं तु जैगन के मरने के पहले ही वहाँ िव ु ा अदृ य प म प ंच जाती है
और मकोटा को वहाँ से भगा देती है।
वह दूसरी ओर वीनस वयं को एक िविच कमरे म पाती है। वीनस
उस कमरे म मौजूद टीकर के मा यम से कु छ देर के िलये उस िविच कमरे
से बाहर आ जाती है, परं तु वह एक िविच कार का मायाजाल था, िजसम
फं सकर वीनस पुनः उसी कमरे म प ंच जाती है। उधर कै पर अपने माता-
िपता को बचाने के िलये का डेरा वालामुखी के रा ते अंडरव ड म वेश
कर जाता है, परं तु अंडरव ड म वेश करते ही कै पर अपनी ही परछाई के
जाल म फं सकर जमीन म कै द हो जाता है।
उधर इं , वृ ासुर को मारने के िलये मह ष दधीिच से उनक हि य
का दान मांगते ह। मह ष दधीिच के ाण यागने के बाद उनक पि
गभि तनी भी वयं को अि म िवलीन कर देती ह। गभि तनी के गभ को
महादेव िप पलाद का नाम देकर पीपल के वृ क कोटर म रख देते ह।
वह दूसरी ओर ितिल मा म सभी एक मजाल म फं स जाते ह। जहां
एक ओर सुयश, शैफाली, जेिनथ, ऐले स, टी अपने-अपने मजाल को
पार कर लेते ह, उधर अलबट, अपनी पि मा रया को देखते ए कै र के
हाथ मारा जाता है। इस ार म तौफ क का कु छ भी पता नह चलता?
इसिलये बाक के लोग इस ार से आगे क ओर बढ़ जाते ह।
उधर रोजर को जांचने के िलये आटिमस, मेलाइट बनकर रोजर पर
आ मण करती है, परं तु रोजर अपने दमाग का इ तेमाल कर आटिमस को
ही एक जाल म उलझा देता है। इसके बाद आटिमस, रोजर को ैगन के
रह य के बारे म बताती है। आटिमस, रोजर को ैगन पवत पर जाकर ैगन
माँ से िमलने के िलये कहती है। वह एक ओर जे स कसी तरह यू ान से
िनकलकर उस रह यमई धरती पर आगे बढ़ता है? तभी जे स को बूमरग के
आकार का एक यान दखाई देता है। जब जे स उस यान के पास प ंचता है,
तो उससे िनकली एक रोशनी म फं सकर जे स उस यान के अंदर चला जाता
है।
उधर दूसरी ओर अ रगंधा का राजा मेघवण, जब वणा ीप के तट
पर बैठा, लाव या को याद कर रहा होता है, तो उसी समय, उसे आसमान से
उतरता एक रथ दखाई देता है। मेघवण उस रथ का पीछा करते ए वणा
ीप के जंगल म प ंच जाता है। वहाँ मेघवण को सूयदेव दखाई देते ह, जो
मेघवण क सहायता से पंचशूल का िनमाण करते ह। सूयदेव वहाँ से जाने के
पहले मेघवण को व णम मिण दे देते ह। सूयदेव कहते ह क इसी व णम
मिण क सहायता से तुम लाव या को ढू ंढ लोगे।
उधर चं ोदय वन म घूम रही भागवी को िनकुं भ व नीलांगी दखाई
देते ह, जो आपस म एक नागदंत कथा क बात कर रहे होते ह। भागवी दोन
क बात सुन नागदंत कथा का रह य जानने के िलये ीरसागर म वेश कर
जाती है। जहां भागवी अपनी समयशि से नागदंत कथा का रह य तो जान
जाती है, परं तु महादेव उसी समय भागवी को ासन म प रव तत कर देते
ह।
वह दूसरी ओर नीलाभ, मह ष िप पलाद से आशीवाद ा करने के
उ े य से नैिमषार य के वन म प ंच जाता है। जहां मह ष िप पलाद,
नीलाभ को पीपल के 8 प े देकर, एक काय करने के िलये गोमुखी जलाशय
भेज देते ह। जहां नीलाभ का सामना एक ऐसे िविच मेढक से होता है, जो
लोग को अपनी मायावी शि से छोटा करके , उ ह एक काँच के बतन म कै द
कर लेता था। नीलाभ अपने मि त क का योग कर उस मेढक को मार देता
है।
उधर भिव य म सूयाश आकिडया म रखे ासन का रह य जान
जाता है और भागवी को वतं करने के उ े य से ासन पर अपनी
सूयशि का वार कर देता है, परं तु सूयशि के वार के फल व प ासन
टू टकर िबखर जाता है और भागवी क समयशि सूयाश के अंदर वेश कर
जाती है।
उधर ितिल मा म सुयश सिहत सभी स त व के बनाये मायाजाल म
फं स जाते ह, जहां ूनो व ऐमू क मृ यु के बाद शैफाली व सुयश क शि यां
कु छ पल के जागृत हो जाती ह और उ ह शि य का योग करके सभी
स त व को हराने म सफल हो जाते ह। वह दूसरी ओर वीनस एक बार
फर दूसरे टीकर को छू कर उस मायावी कमरे से बाहर आ जाती है। इस
समय वीनस वयं को एक जंगल म पाती है, जहां पर वीनस को जोजो नाम
का एक बौना िमलता है। जोजो, वीनस को लेकर िनटी हाऊस म प ंच
जाता है। जहां वीनस िछपकर यह जान लेती है क िनटी हाऊस, उन तीन
शैतान बौन का है। परं तु इससे पहले क वीनस उस घर से भागने का कोई
उपाय कर पाती? क तभी जोजो के दये फल के जूस को पीकर वीनस
बेहोश हो जाती है।
वह एक ओर मकोटा, िव ु ा से िमलने के िलये रा सताल प ंच
जाता है। जहां िव ु ा, मकोटा को स पु तक के बारे म बताती है। िव ु ा,
मकोटा को अंत र के जीव को अपनी ओर िमलाने का लान बताती है।
उधर शलाका भिव य म सूयाश का पीछा करते ए सुयश के पास प ंच
जाती है। जहां उसे पता चलता है क ितिल मा को पार करने म जेिनथ,
शैफाली व सुयश ही बचे थे। उस थान पर शलाका के सामने कई
रह यो ाटन होते ह, जहां शलाका को यह भी पता चलता है क सूयाश ने
ासन को न कर दया है। वहाँ शलाका सूयाश को वचन देती है क जब
तक वह भिव य क शलाका को ढू ंढ नह देती, तब तक वह भिव य से नह
जायेगी।
अब आगे प ढ़ये ...........................
◆ ◆ ◆
चैपटर-2
7आ य
ितिल मा 7.61
ितिल मा 7.62
न क दीवार को पारकर सुयश, शैफाली, टी व
ची ऐले स अब दि ण दशा क ओर बढ़ रहे थे। चीन क दीवार को
पार करने म उ ह ने जेिनथ को खो दया था। कसी को नह पता
था क अचानक से जेिनथ उस दीवार के साथ कहाँ गायब हो गई?
चीन क दीवार गायब हो जाने के कारण, कसी को भी जंगल और
उस रा य म कोई अंतर नह नजर आ रहा था? परं तु मानिच के िहसाब से
वह सभी अंदाजे से ही दि ण दशा क ओर जा रहे थे।
कु छ देर चलने के बाद उ ह दूर से ही एक िपरािमड दखाई देने लगा।
िपरािमड को देखने के बाद सबने अपने चलने क गित थोड़ी बढ़ा दी।
कु छ ही देर म सभी िपरािमड के बाहर खड़े थे। उस िपरािमड म ना
जाने ऐसा या था क उसे देखते ही शैफाली थोड़ा भावुक सी नजर आने
लगी।
सुयश से शैफाली क यह भावुकता िछपी ना रह सक , इसिलये उसने
शैफाली से पूछ ही िलया- “ या आ शैफाली? तुम इस िपरािमड को देखकर
इतना भावुक य हो रही हो?”
सुयश के श द सुन शैफाली ने िपरािमड क ओर से अपना चेहरा सुयश
क ओर घुमाते ए कहा- “कै टे न अंकल, दरअसल इस िपरािमड क संरचना
मेरी माँ माया ने न का अ ययन करने के िलये बनाई थी। बाद म माया
स यता के लोग ने इस ितकृ ित क नकल करते ए, ऐसे ही अनेक
िपरािमड बनवाये। अब अगर म इस िपरािमड क बात क ं , तो इसका नाम
‘एल-कै ि टलो’ है, जो मैि सको के ाचीन शहर िचचेन-इ ज़ा के राजा ने
बनवाया था। यह िपरािमड सूय क प र मा का अ ययन करता है। मेरी माँ
क बनाई आकृ ित होने के कारण, मेरा बचपन इससे जुड़ा आ है, इसीिलये
म इसे देखकर थोड़ा भावुक हो गई थी।”
बात-बात करते-करते शैफाली को अपना बचपन याद आ गया। इस
एक पल का अहसास भी शैफाली को अंदर से िहला गया।
शैफाली क बात सुन सुयश ने धीरे से अपना िसर िहला दया और
वापस से िपरािमड क ओर देखने लगा।
वैसे तो यह िपरािमड अ य िपरािमड क भांित ही था, परं तु इसके
शीष पर एक वगाकार कमरा जैसा बना था, जहां तक जाने के िलये 365
सी ढ़यां थ ।
“तो या हम इसका रह य जानने के िलये इस पर चढ़ना होगा?”
टी ने िपरािमड क सी ढ़य क ओर देखते ए कहा।
“हां हम इस िपरािमड के ऊपर ि थत उस न शाला म जाना
होगा।” शैफाली ने िपरािमड के शीष क ओर इशारा करते ए कहा- “ज र
वह पर कै र ने कोई रह य िछपा रखा होगा? परं तु न शाला तक प ंचने
के िलये हम 365 सी ढ़य को चढ़ना होगा। यह 365 सी ढ़यां वष के 365
दन का ितिनिध व करती ह।”
शैफाली क बात सुन ऐले स ने अपना दािहना पैर पहली सीढ़ी क
ओर बढ़ाया, पर पहली सीढ़ी पर पैर रखते ही ऐले स को ब त तेज करं ट का
झटका लगा। झटका लगने क वजह से ऐले स उछलकर नीचे िगर पड़ा।
“कै टे न, हम सी ढ़यां चढ़कर ऊपर नह जा सकते। यह सी ढ़यां करं ट
मार रही ह।” ऐले स ने सुयश क ओर देखते ए कहा।
ऐले स क बात सुन सुयश ने भी धीरे से पहली सीढ़ी को हाथ
लगाया, पर तुरंत ही उसने अपना हाथ पीछे क ओर ख च िलया, य क
सीढ़ी उसे भी झटका मार रही थी।
“लगता है क इन सभी आ य के अंदर वेश करने का कोई खास
पैटन है? इसी कारण से यह िपरािमड हम अंदर नह जाने दे रहा। एक काम
करते ह, हम पहले इसके आगे वाले आ य क ओर चलते ह और देखते ह क
वह आ य हमारे साथ कै सा वहार कर रहा है?” सुयश ने कहा।
सभी को सुयश का यह िवचार ठीक लगा, इसिलये सभी आगे क ओर
चल दये।
कु छ आगे जाने पर सभी को रोम का िस कोलोिसयम दखाई
दया। यह कोलोिसयम िब कु ल असली क भांित ही लग रहा था।
कोलोिसयम को देख टी बोल उठी- “यह कोलोिसयम है, जो क
मेरे ि य देश इटली के रोम शहर म ि थत है। इसका िनमाण 80व ई वी के
अंत म, रोम के स ाट ‘टाइटस’ ारा कया गया था। यह एक कार का
टे िडयम है, िजसका िनमाण यो ा के आपस म यु कराने के िलये कया
जाता था। इसके अंदर वेश करने के िलये 80 से भी अिधक वेश ार ह।
चूं क यह एक ाचीन कला का नमूना है, इसिलये इसम छोटी सी आवाज भी
काफ तेज गूंजती है।”
“यह तो काफ िवशाल है और इसम वेश ार क सं या भी अिधक
है। ऐसे म कै र ने कहाँ या िछपा रखा है, यह जानने म तो हम काफ समय
लग जायेगा?” शैफाली ने कहा।
“इसका उपाय है मेरे पास।” टी ने शैफाली क ओर देखते ए
कहा- “इस कोलोिसयम को म अ छी तरह से जानती ँ। मुझे इसके अंदर
वेश करने के ब त से छोटे माग भी पता ह। इसिलये आप सभी िसफ मुझे
इसके अंदर जाने क आ ा दीिजये। म अिधक से अिधक आधे घंटे के अंदर ही
इसका रह य पता लगाकर बाहर आ जाऊंगी।”
टी क बात सुन ऐले स के चेहरे पर परे शानी के बादल मंडराने
लगे, परं तु इस समय उसने कु छ भी कहना उिचत नह समझा?
टी के श द को सुनकर सुयश ने शैफाली क ओर देखा। सुयश को
अपनी ओर देखता पाकर शैफाली ने धीरे से अपना िसर िहला दया। यह एक
कार से टी को अंदर जाने क सहमित थी।
शैफाली को मानते देख सुयश वापस टी क ओर मुड़ा- “ठीक है
टी, हम तु हारी बात मान लेते ह, पर यान रहे कसी भी कार का
खतरा देखते ही तुम तेज आवाज लगाना? हम सब तु हारी आवाज सुनते ही
अंदर आ जायगे।”
सुयश क बात सुन टी ने सहमित से अपना िसर िहलाया और
ऐले स को आँख मारते ए कोलोिसयम के अंदर वेश कर गई।
ऐले स, टी को जाते ए तब तक देखता रहा, जब तक क वह
उसक नजर से ओझल नह हो गई।
उधर टी ब त ही सावधानी से आगे बढ़ रही थी, उसे पता था क
कै र ने कह भी कु छ भी िछपा कर रखा होगा?
काफ देर तक इधर-उधर घूमने के बाद भी, जब टी को कु छ भी
नजर नह आया? तो वह उस थान पर प ंच गई, जहां से रोम का राजा इस
पूरे यु को देखता था।
टी राजा के उस प थर के आसन पर बैठ गई और वहाँ से पूरे
टे िडयम को यान से देखने लगी।
तभी टी क नजर टे िडयम के बीचो-बीच म उस थान पर गई,
जहां पर यो ा, यु लड़ते थे। अब टी को उस थान पर जेिनथ खड़ी
नजर आई, जो मु कु राते ए उसक ओर ही देख रही थी।
यह दृ य देख एक पल के िलये जाने य टी के र गटे खड़े हो गये?
उसे अचानक मायावन क वह रात याद आ गई, जब क ि काली, टी
बनकर जेिनथ को कह ले जा रही थी?
“यह जेिनथ यहाँ या कर रही है?” टी ने मन ही मन सोचा-
“नह -नह यह जेिनथ नह हो सकती। यह अव य ही कै र का फै लाया आ
कोई मायाजाल है? .... इससे पहले क देर हो जाये, मुझे आवाज लगाकर
सभी को अंदर बुला लेना चािहये।”
यह सोच टी ने अपने मुंह से तेज आवाज िनकालने क कोिशश क ,
पर उसके मुंह से आवाज ही नह िनकली।
यह देख टी ने पलटकर वापस जेिनथ क ओर देखा। जेिनथ अब
अपने थान से गायब थी।
अब टी ने घबराकर स ाट के आसन से उठने क कोिशश क , परं तु
वह उस आसन से उठ भी नह पाई।
तभी टी को अपने पीछे से एक आवाज सुनाई दी- “घबराओ नह
टी, तु ह कु छ नह होगा?”
अपने पीछे से आई आवाज को सुन टी ने पलटकर देखा। पर पीछे
पलटते ही टी के होश उड़ गये।
टी के ठीक पीछे जेिनथ खड़ी थी, िजसने अपने हाथ म एक बड़े से
फल वाला चाकू पकड़ रखा था। इससे पहले क टी कु छ समझ पाती क
तभी जेिनथ का चाकू वाला हाथ तेजी से हवा म लहराते ए टी क ओर
बढ़ा। ..... तभी अचानक से समय अपनी जगह पर क गया।
अब टी व जेिनथ दोन ही अपने थान पर ज हो गई थ ।
उधर बाहर खड़े सुयश, शैफाली व ऐले स समय बीतने के साथ, बार-
बार अपनी नजर उठाकर कोलोिसयम क ओर देख रहे थे।
“कै टे न, टी को गये ए आधा घंटा होने वाला है। पर वह अभी
तक नह आई। कह ऐसा तो नह क वह भी कसी मुसीबत म फं स गई है?”
ऐले स ने अपनी जीभ को अपने होठ पर फे रते ए कहा।
ऐले स क बात सुन सुयश ने जैसे ही कोलोिसयम क ओर देखा क
तभी कोलोिसयम अपने थान से कह गायब हो गया?
“अरे ! ... यह अचानक कोलोिसयम कहाँ गायब हो गया? अभी-अभी
तो यह मेरी आँख के सामने था।” सुयश ने घबराते ए कहा।
अब सभी ने इधर-उधर घूमकर चारो ओर देख िलया, परं तु
कोलोिसयम उ ह कह नजर नह आया?
“लगता है कै र इस बार हम लोग के साथ कोई नया खेल खेल रहा
है?” शैफाली ने कहा- “एक-एक कर वह सभी लोग को कह गायब करता
जा रहा है? मुझे लग रहा है क कै र इस कार से हमारे अंदर एक डर
भरना चाह रहा है, िजससे क हम ितिल मा म गलती कर जाय और सदा-
सदा के िलये यह फं स जाय।”
“म शैफाली क बात से पूणतया सहमत ँ।” सुयश ने कहा- “चूं क
अब ितिल मा म अिधक ार नह बचे ह, इसिलये कै र हम सभी को इन
आ य के मा यम से िमत कर रहा है।”
“इसका मतलब कै टे न, हम देर ना करते ए इस ार के अगले भाग
क ओर चलना चािहये। शायद इस ार के समा होते ही हम हमारे खोये
ए साथी भी िमल जाय?” ऐले स ने कहा।
ऐले स के श द को सुनकर शैफाली व सुयश ने भी अपने मन को थोड़ा
ह का कया और ऐले स के पीछे -पीछे ‘पे ा शहर’ क ओर बढ़ गये।
लगभग आधे घंटे के बाद सुयश, ऐले स व शैफाली ‘पे ा शहर’ के
सामने खड़े थे।
चारो ओर ह के गुलाबी रं ग क च ान और पवत दखाई दे रहे थे।
पे ा शहर को इ ह गुलाबी प थर से काटकर बनाया गया था। पूरा का पूरा
पे ा शहर पवत के कटे भाग के अंदर था।
ऐले स यान से इस ाचीन कं तु अ भुत शहर को िनहार रहा था।
तभी सुयश ने बोलना शु कर दया- “यह पे ा शहर है, जो क जाडन
म ि थत है। इस शहर का िनमाण 312 ईसा पूव कया गया था। कहते ह क
एक समय म यह शहर ब त ही अ भुत था, परं तु ाचीन समय म आये एक
ती भूकंप क वजह से यह शहर न हो गया था।”
“तो फर या हम इसके अंदर वेश करना चािहये कै टे न?” ऐले स
ने सुयश से आ ा लेते ए कहा।
“िबना वेश कये तो हम इसके बारे म कु छ भी नह जान पायगे?
परं तु पहले देखना पड़ेगा क कह इसके वेश ार म भी कसी कार क
कोई अदृ य दीवार तो नह है?” सुयश ने कहा।
सुयश क बात सुन ऐले स ने पहले पे ा शहर के िवशाल ार को देखा
और फर अपना एक पैर बढ़ाकर ार के अंदर रख दया।
ऐले स को कसी कार का कोई झटका नह लगा? यह देख ऐले स
पूरा का पूरा अंदर वेश कर गया।
ऐले स को अंदर वेश करते देख शैफाली व सुयश भी अंदर वेश कर
गये।
वह थान अंदर से भी ब त ही िवशालकाय था। छत क ओर से, पता
नह कहाँ से कु छ रोशनी आ रही थी? िजसक वजह से वह पूरा का पूरा े
रोशनी से भरा था।
इतने िवशाल थान के बीचोबीच एक छोटा सा संदक ू रखा था, िजस
पर एक ाचीन ताला लगा था।
एक थान पर नीचे जाने के िलये कु छ सी ढ़यां भी बनी ई थ ।
“यहाँ पर तो इन सी ढ़य व संदकू के िसवा कु छ है ही नह ?” शैफाली
ने चारो ओर देखते ए कहा।
“तो फर पहले इस संदक ू को खोलकर देख लेते ह, य क िपछले
अनुभव यह कहते ह क कै र को संदक ू से कु छ यादा ही यार है। अव य
ही इस बार भी कै र ने इस संदक ू म कु छ ना कु छ िछपा रखा होगा?”
ऐले स ने कहा।
“ऐले स ठीक कह रहा है, पहले हम इस संदक ू को ही खोलकर देखना
चािहये, परं तु इस संदक
ू पर लगा ताला तोड़ने के िलये हम एक प थर क
आव यकता होगी।” सुयश ने कहा।
सुयश क बात सुनते ही शैफाली ने ताले को छू कर देखा और फर
अपने हाथ के एक झटके से ही ताले को तोड़ दया।
शैफाली का यह शि दशन देख ना चाहते ए भी ऐले स व सुयश
के चेहरे पर एक ह क सी मु कान िबखर गई।
शैफाली ने टू टे ए ताले को वह जमीन पर फक दया और संदक ू का
ढ न एक झटके म खोल दया।
शैफाली ने संदक ू के अंदर झांककर देखा, संदक
ू के अंदर एक छोटा सा
काँच का खरगोश रखा था।
इतने बड़े संदक ू म एक छोटा सा काँच का खरगोश देखकर सभी के
चेहरे पर हंसी आ गई। पर तुरंत ही शैफाली ने अपनी हंसी रोककर सभी को
सावधान करते ए कहा- “हम इस खरगोश से सावधान रहने क ज रत है,
कै र ने अव य ही इसम कसी कार क मुसीबत िछपा कर रखी होगी?”
शैफाली क बात सुन सभी सावधान हो गये।
कु छ देर के इं तजार के बाद ऐले स ने उस काँच के खरगोश को संदकू
से बाहर क ओर िनकाल िलया। ऐले स ने उस खरगोश को उलट-पुलट कर
देखा, परं तु उसे उस खरगोश म कु छ भी िविच नजर नह आया?
तभी िजस मु य ार से सभी अंदर आये थे, उससे एक तेज आवाज
सभी को अंदर आती सुनाई दी- “कै टे न बचाओऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ।”
उस आवाज को सुन सभी बुरी तरह से च क गये।
“अरे ! यह आवाज तो जेिनथ क है।” सुयश ने उस आवाज को
पहचानते ए कहा- “लगता है क वह बाहर है और कसी मुसीबत म है?”
यह िवचार आते ही सुयश व शैफाली तेजी से भागते ए पे ा शहर के
मु य ार से बाहर िनकल आये, पर दोन म से कसी को यह यान नह
आया क उनके साथ ऐले स उस ार से बाहर नह आया है?
उधर ऐले स ने जैसे ही सभी के साथ बाहर भागने क कोिशश क ,
उसके हाथ म पकड़े खरगोश म एक ह क सी हरकत ई। अब ऐले स का
यान बाहर क ओर जाने क जगह पर खरगोश क ओर गया।
इसी के साथ उसे अपने हाथ म पकड़े खरगोश का आकार कु छ बढ़ता
आ सा महसूस आ, िजसक वजह से ऐले स ने उस काँच के खरगोश को
वह जमीन पर िगरा दया।
खरगोश काँच का होने के बाद भी, िगरने के बाद टू टा नह , बि क
उछलकर सीधा खड़ा हो गया।
खरगोश का िनरं तर बढ़ना जारी रहा। कु छ देर के बाद खरगोश का
आकार कसी इं सान के बराबर हो गया। ऐले स उस खरगोश के मायाजाल
म इस कार फं स गया था, क उसे यान ही नह रहा क सुयश व शैफाली,
जेिनथ क आवाज के पीछे बाहर जा चुके ह।
ऐले स क नजर तो लगातार उस खरगोश पर ही थ ।
कु छ देर बाद खरगोश के चेहरे और शरीर मे भी बदलाव आने लगे।
अब उस चेहरे को देख ऐले स क साँस कने सी लग य क खरगोश
लगातार टी म प रव तत होता जा रहा था।
कु छ ही देर म खरगोश पूरा का पूरा टी म प रव तत हो गया।
टी क नजर जैसे ही ऐले स पर पड़ी, वह दौड़कर ऐले स से
िलपट गई।
“तुम कहाँ चले गये थे ऐले स?” टी ने ऐले स को जोर से भ च
िलया- “तु ह पता है क मने इस ार म या- या देखा?”
टी, ऐले स के गले लगे ए बोलती जा रही थी, परं तु अचानक से
टी के चेहरे के भाव बदलने लगे, अब उसके चेहरे पर एक ह को कं पा
देने वाली मु कान थी, पर चूं क ऐले स उसके गले लगा था, इसिलये वह
टी के चेहरे के भाव को देख नह पा रहा था, वह तो बस टी से इस
कार िचपका था, क मान कह उसके छोड़ते ही टी फर से कह चली
ना जाये?
तभी टी के हाथ म एक चाकू नजर आने लगा, िजसे ऐले स देख
नह पाया। अब टी ने अपने दाँत को जोर से भ चा और ऐले स क पीठ
पर हार करने के िलये, अपना चाकू वाला हाथ जोर से उठाया, परं तु तभी
समय अपनी जगह पर क गया।
इसी के साथ ऐले स व टी अपनी जगह पर ज हो गये।
उधर शैफाली व सुयश को जब काफ देर ढू ंढने के बाद भी, बाहर कोई
नजर नह आया? तो वह शांत होकर एक जगह पर खड़े हो गये।
“लगता है क जेिनथ क आवाज भी कै र का फै लाया आ कोई
मायाजाल थी? जो उसने शायद हम ....।” तभी बोलते-बोलते एकाएक सुयश
को ऐले स का यान आया- “अरे ! ऐले स कहाँ है?”
“मने भी ऐले स भैया को पे ा शहर से बाहर िनकलते ए नह देखा,
पर जेिनथ दीदी क आवाज सुन म इतना हड़बड़ा गई थी, क मने भी ऐले स
भैया पर यान नह दया।”
अभी शैफाली यह कह ही रही थी क तभी एक जोर क आवाज के
साथ पे ा शहर अपने थान से कह गायब हो गया? और इसी के साथ गायब
हो गया था ऐले स भी, िजसके साथ अंदर या आ था, यह कोई भी नह
जानता था?
“लगता है क ऐले स भैया भी बाक लोग क तरह इस ार म कह
खो गये?” शैफाली ने दुखी होते ए कहा।
“दुखी मत हो शैफाली, मुझे पूरा िव ास है क जो लोग भी हमसे
िबछड़ रहे ह, वह इस ितिल मा के ार म फं स रहे ह। अगर हम इस ार को
तोड़ दगे, तो अव य ही हम उनसे फर से िमल सकगे।” सुयश ने उदास
शैफाली को सां वना देते ए कहा।
सुयश क बात सुनकर शैफाली सोच म पड़ गई। कु छ देर ऐसे ही
सोचते रहने के बाद शैफाली ने बोलना शु कर दया- “कै टे न अंकल, मुझे
लग रहा है क अव य ही इस पूरे ार म कोई रह य िछपा है? िजसे हम
समझ नह पा रहे ह .... शायद कोई ऐसी व तु िजसे लेकर हम इस ार को
पार करना होगा? या फर कोई ऐसा पैटन है, िजससे होकर हम इस थान
पर वेश करना होगा?”
“म भी यही सोच रहा ँ शैफाली, पर मुझे लगता है क जब तक हम
सारे के सारे आ य को देख नह लेते, तब तक हम उस व तु या पैटन को
समझ नह पायगे। इसिलये हम िबना देर कये अब अगले आ य क ओर
बढ़ना होगा।” सुयश ने शैफाली क ओर देखते ए कहा।
“ठीक है कै टे न अंकल, आप जैसा उिचत समझ।” शैफाली ने सुयश क
बात से अपनी सहमित जताई और अगले आ य क ओर चल दी।
सुयश व शैफाली इस समय उलझन भरे चेहरे के साथ आगे क ओर
बढ़ रहे थे, पर उनके इस उलझन भरे चेहरे को देख, वहाँ से ब त दूर एक
कमरे म बैठे, कै र के चेहरे पर मु कान क लक र उभर आई।
शायद ितिल मा के इस ार म कु छ ऐसा था? िजसको लेकर कै र
काफ आ त महसूस कर रहा था।
यह वह समय था जब क समय कसी जल क मा नंद धीरे -धीरे बह
रहा था?
◆ ◆ ◆
कािशका यु
ितिल मा 7.63
सु भले हीयशसभीवलोग
शैफाली िनरं तर आगे बढ़ते जा रहे थे। एक-एक कर
इनसे अलग हो गये थे, पर फर भी इन दोन का
िव ास अभी िडगा नह था।कु छ आगे बढ़ते ही ऊंचे-ऊंचे पवत क
एक बड़ी ृंखला शु हो गई।
“यह या? यह इतने ऊंचे-ऊंचे पवत, इस थान पर कहाँ से आ गये?”
शैफाली ने पवत क ओर देखते ए कहा- “ या हम इन पवत को पारकर
‘माचू-िप चू’ प ंचना होगा?”
“दरअसल असली माचू-िप चू के खंडहर, दि ण अमे रक देश ‘पे ’
म ‘उ बा बा घाटी’ के ऊपर ि थत है, जो क इं का स यता के एक तीक के
प म है।” सुयश ने कहा- ”कै र ने यह सभी आ य असली से िमलते-जुलते
बनाये ह, इसिलये उसने भी इस थान को असली घाटी का आकार दया है।
.... पर इतना परे शान होने क ज रत नह है। मुझे इस घाटी म वेश करने
का एक छोटा रा ता पता है, जो क हम थोड़ी सी चढ़ाई के बाद ही ‘माचू-
िप चू’ लेकर जा सकता है। ऐसी अव था म हम इन ऊंचे-ऊंचे पहाड़ को
नह पार करना होगा।”
सुयश क बात सुन शैफाली ने धीरे से िसर िहलाकर अपनी सहमित दे
दी और सुयश के साथ-साथ घाटी तक प ंचने वाले दर क ओर चल पड़ी।
सुयश उस थान पर इस कार चल रहा था, क मान वह पहले रोज
ही यहाँ आता रहा हो? रा ते म कसी भी कार क कोई परे शानी नह आई?
लगभग आधे घंटे के सफर के बाद सुयश उस थान पर प ंच गया,
जहां से 2 पहाड़ के म य एक दरा दखाई दे रहा था, पर जैसे ही सुयश उस
दर म वेश करने चला, इस थान पर भी उसे एक अदृ य दीवार महसूस
ई।
“अरे ! इस थान पर भी अदृ य दीवार है।” सुयश ने अचकचाते ए
कहा- “इसका मतलब िपरािमड के समान ही हम इस थान पर भी वेश
नह कर सकते। ...... पता नह य मुझे लग रहा है शैफाली क हम इस ार
म कु छ ना कु छ तो गलत कर रहे ह, पर या? यह समझ नह आ रहा। .....
जरा तुम भी सारी घटना को सोचते ए कु छ याद करने क कोिशश करो
क हमसे गलती हो कस जगह पर रही है?”
सुयश क बात सुन शैफाली तेज-तेज बोलकर िपछली सभी घटना
को मब तरीके से याद करने क कोिशश करने लगी- “पहले हम इस
सा ा य के मु य ार से अंदर आये, फर हमने मु य ार के पास रखे
मानिच को देखा, िजससे हम पता चला क इस सा ा य म 7 आ य िछपे
ह, जो क एक गोलाकार आकृ ित म अलग-अलग थान पर ह, फर हम चीन
क दीवार के पास गये, िजसम जेिनथ दीदी गायब हो ग , फर .....।”
तभी सुयश ने शैफाली को बीच म ही रोक दया- “एक िमनट
शैफाली, हम इस पूरे घटना म म इन सभी आ य के बीच ि थत सरोवर
को भूल रहे ह। कह ऐसा तो नह क हम कु छ भी करने से पहले उस सरोवर
पर जाना रहा हो? इसिलये ही हमारे साथ कु छ अजीब सी घटनाएं घट रह
ह ?”
शैफाली को सुयश का तक िब कु ल सही लगा। शैफाली ही या, सुयश
को इस तक को सुन, दूर बैठे कै र के चेहरे पर भी एक मु कान दखाई देने
लगी।
“मान गये तु ह सुयश, तुम सच म इस ितिल मा को तोड़ने के
अिधकारी हो।” कै र ने मन ही मन बड़बड़ाते ए कहा- “इतना ती
मि त क इस पृ वी पर और कसी का हो ही नह सकता?”
इधर शैफाली ने सुयश के िवचार पर सहमित जताते ए कहा- “ठीक
है कै टे न अंकल, तो फर पहले हम उस सरोवर के पास चलते ह और वहाँ
िछपे कसी रह य को ढू ंढने क कोिशश करते ह?”
शैफाली को भी अपने तक से सहमित जताते देख सुयश, शैफाली के
साथ उस सरोवर क ओर चल दया।
लगभग आधे घंटे पैदल चलने के बाद सुयश व शैफाली उस िवशाल
सरोवर के पास प ंच गये।
सरोवर क आकृ ित िब कु ल गोलाकार थी और वो सुंदर सफे द प थर
से िन मत था। सरोवर के बीच म एक ब त ही खूबसूरत डॉि फन के आकार
वाला फ वारा लगा था, िजसके मुंह से 3 पानी क धार िनकल रह थ , जो
सरोवर क गोलाकार आकृ ित को पार कर, जमीन पर 3 अलग-अलग थान
पर िगर रही थी।
उस िवशालकाय सरोवर के चारो ओर का े िब कु ल अनोखा
महसूस हो रहा था। य क उस पूरे सरोवर के चारो ओर वैसे ही 7 आ य के
छोटे -छोटे मॉडल बने दखाई दे रहे थे।
दूर से देखने पर वह सरोवर ही कसी कार के , बड़े मानिच के
समान तीत हो रहा था?
सुयश व शैफाली पहले तो सरोवर क खूबसूरती देखते ही रह गये,
फर उ ह यान आया क वह इस समय ितिल म के अंदर ह।
“कै टे न अंकल, मुझे लगता है क पहले मुझे इस सरोवर के पानी म
उतरकर देख लेना चािहये, शायद इस सरोवर के अंदर कोई रह य िछपा
हो?” शैफाली ने सुयश से आ ा लेते ए कहा।
“ठीक है शैफाली, तुम सरोवर के अंदर जा सकती हो, पर जरा यान
रखना क अब हम बस 2 लोग ही बचे ह, अगर हम दोन भी कसी दुघटना
का िशकार हो गये? तो फर इस ितिल म को कोई कभी भी तोड़ नह
पायेगा?”
शैफाली ने धीरे से अपना िसर िहलाकर अपनी सहमित जताई और
फर सरोवर के उस जल म कू द गई। कु छ ही देर म शैफाली सरोवर क तली
म थी।
शैफाली ने धीरे -धीरे कर उस पूरे सरोवर को छान मारा, परं तु उस
सरोवर के अंदर उसे कु छ भी िविच दखाई नह दया? इसिलये शैफाली
बुझे मन से सरोवर के बाहर आ गई।
सुयश को देख शैफाली ने ‘ना’ के अंदाज म अपना िसर ह के से िहला
दया। सुयश समझ गया क सरोवर के अंदर कु छ भी नह है? इसिलये वह
यान से एक बार फर सरोवर के चारो ओर देखने लगा।
कु छ देर इधर-उधर देखने के बाद सुयश क आँख डॉि फन क मू त
पर जाकर टक ग । अब वह यान से डॉि फन के मुंह से िनकलते पानी को
देखने लगा। अचानकर कु छ महसूस कर सुयश क आँख चमक उठ ?
“शैफाली जरा यान से इस सरोवर क बनावट को देखो, या यह
सरोवर तु ह कसी बड़ी सी घड़ी के समान नह लग रहा?” सुयश ने शैफाली
को सरोवर क ओर दखाते ए कहा।
सुयश क बात सुन शैफाली यान से उस सरोवर को देखने लगी-
“आप सही कह रहे ह कै टे न अंकल, इस सरोवर क बनावट िब कु ल
गोलाकार है और अगर यान से देख तो इस डॉि फन के मुंह से िनकलने
वाली पानी क धार उसक 3 सुइय के समान ह, जो क मशः 11, 3 और 8
न बर वाले थान पर िगर रह ह। इस घड़ी म 2 के थान पर माचू-िप चू के
खंडहर ह, 4 के थान पर पे ा शहर, 6 के थान पर कोलोिसयम है। ठीक
उसी कार 7 के थान पर िपरािमड है, 9 के थान पर चीन क दीवार, 10
के थान पर ताजमहल और 12 के थान पर ‘जीसस ाइ ट’ क रयो वाली
मू त है। इस घड़ी के 1, 3, 5, 8 व 11 न बर के थान खाली ह। इसका
मतलब आपका सोचना सही था कै टे न अंकल क ितिल मा के इस ार म
अव य ही कसी कार का पैटन है? उसी क वजह से कु छ आ य हम अपने
अंदर वेश नह करने दे रहे थे? और कु छ आ य हमारे कु छ सािथय को
लेकर गायब हो गये?”
इतना कहकर शैफाली चुप हो गई और सुयश क ओर देखने लगी।
“िब कु ल ठीक कहा शैफाली। अब अगर हम इस सरोवर के थान पर
आने क जगह बाक के 2 आ य के पास प ंच जाते, तो अव य ही हम भी
ितिल मा के इस ार म सदा-सदा के िलये फं स जाते?” सुयश ने कहा- “अब
हम बस यान देकर पहले इस ार के पैटन को समझना होगा, उसके बाद ही
हम कसी भी बचे ए आ य के पास जायगे?”
“पर कै टे न अंकल, चीन क दीवार, कोलोिसयम व पे ा शहर तो
पहले से ही गायब हो चुके ह। अब इस ार म िसफ 4 आ य ही बचे ह।
अगर हम उन बचे ए 4 आ य म से उन 2 को भी हटा द, िज ह ने हम
अपने अंदर वेश ही नह करने दया, तो हमारे पास िसफ ताजमहल व
रयो क मू त ही बची है, इसका मतलब हम इन दोन म से ही कसी ार म
पहले जाना होगा?” शैफाली ने अपना दमाग लगाते ए कहा।
“तुम सही कह रही हो शैफाली, पर हम अंदाजे से चलने के थान पर
उस पैटन को समझना ही होगा। य क अब हम इस ार म कसी भी कार
क गलती करने क ि थित म नह ह?” सुयश ने शैफाली को समझाते ए
कहा।
“ठीक है कै टे न अंकल, फर तो हम इस सरोवर वाले थान को और
यान से देखना होगा। वह पैटन अव य ही यह कह िछपा होगा?” शैफाली
ने कहा और फर से यान से सरोवर के उस थान को देखने लगी।
तभी शैफाली क नजर भी उस डॉि फन के मुंह से िनकलने वाली धार
पर जाकर क गई।
“कै टे न अंकल, या आप बता सकते ह क कसी क ई घड़ी म
या समय बजा आ दखाई देता है?” शैफाली ने सुयश से पूछा।
“हर क ई घड़ी म 10 बजकर 10 िमनट और 35 सेके ड का समय
होता है, जो क कसी मु कु राते ए मानव चेहरे को के म रखकर सेट
कया गया था।” सुयश ने कहा।
“अगर आप क कही बात को स य मान ल, तो फर इस डॉि फन
वाले फ वारे क तीन सुइयां मशः 10, 2 और 7 पर होनी चािहये थ ,
जब क इसके फ वारे मशः 11, 3 और 8 वाले थान पर िगर रहे ह। ....
इसका साफ मतलब है क हम इस डॉि फन क मू त को, घड़ी के चलने क
िवपरीत दशा म थोड़ा सा घुमाना पड़ेगा।”
“वेरी गुड शैफाली। मुझे पूरा िव ास है क तुम इस समय सही सोच
रही हो। .... तो जाओ अब जरा जाकर इस मू त को सही दशा म घुमाओ। म
यहाँ कनारे पर खड़ा होकर इस सरोवर म होने वाले बदलाव को यान से
देखता ँ।” सुयश ने शैफाली से कहा।
सुयश क बात सुन शैफाली एक बार फर से सरोवर म कू द गई और
कु छ ही देर म तैरकर डॉि फन क मू त के पास जा प ंची।
अब शैफाली ने डॉि फन क मू त को थोड़ा सा उ टा दशा म घुमा
दया। जैसे ही डॉि फन के तीनो फ वारे 10 बजकर 10 िमनट और 35
सेके ड वाले थान पर िगरे , सरोवर के अंदर से एक अजीब सी गड़गड़ाहट
उभरी। इस गड़गड़ाहट को सुनकर शैफाली वापस तैरकर कनारे क ओर आ
गई और सुयश के पास खड़े होकर, यान से सरोवर को देखने लगी।
कु छ ही देर म डॉि फन क मू त अपने थान पर गोल-गोल घूमती
ई, सरोवर के अंदर समा गई और उसके थान पर एक खंभा सरोवर से
िनकला, िजस पर ि आयामी काँच का एक ि म रखा था। वह काँच का
ि म पारदश था और उसका आकार कसी फु टबाल के िजतना था। देखने से
ही लग रहा था क वह काँच का ि म एक खोखले िड बे क तरह है, परं तु
उसम कु छ भी रखा दखाई नह दया?
इस बार सुयश जलिवहीन सरोवर म उतरा और उस खंभे पर रखे
काँच के ि म को लेकर शैफाली के पास आ प ंचा।
शैफाली ने उस ि म को देखा। उस ि म के िनचले भाग म, एक
सीध म 6 छोटी-छोटी रे खाएं बार-बार चमक रही थ ।
शैफाली ने उ सुकतावश पहली रे खा को छू दया। ि म को छू ते ही
उस ि म से कु छ सटीमीटर क दूरी पर हवा म एक वगाकार आकृ ित म
गिणत के 10 अंक नजर आने लगे।
“अरे ! इस ि म पर तो कसी कार का िडिजटल ताला लगा है?
िजसका पासवड 6 अंक का है।” शैफाली ने सुयश को वह ि म दखाते ए
कहा।
“लो अब एक नई मुसीबत आ गई।” िडिजटल ताले को देखते ए
सुयश ने झुंझलाते ए कहा- “अब हम इस ताले का 6 अंक वाला पासवड
कह से ढू ंढना होगा? उसके बाद ही पता चलेगा क इस पु तक के अंदर या
है?”
“मुझे लगता है क इसका पासवड ढू ंढना मेरे िलये कोई बड़ी बात नह
है कै टे न अंकल? म आपको िव ास दलाती ँ क कु छ ही देर म म इस ताले
को खोल दूँगी?”
शैफाली के श द म गजब का आ मिव ास भरा था, इसिलये सुयश ने
शैफाली को ि म खोलने क अनुमित दे दी। वैसे सुयश को भी यह पता था
क शैफाली बड़ी ही आसानी से उस ताले को खोल देगी।
सुयश क अनुमित िमलते ही शैफाली कसी न हे ब े क तरह उस
ि म के पासवड से खेलने लगी। सुयश लगातार शैफाली क उं गिलय को
तेजी से पासवड पर फरते ए देख रहा था।
लगभग 3 से 4 िमनट के अंदर ही सुयश को ि म से एक खटके क
आवाज आती ई सुनाई दी। शैफाली ने सच म वह ताला खोल दया।
“कै र ने इसका पासवड ‘135811’ रखा था, जो क इस घड़ी के
खाली थान के न बर थे।” शैफाली ने मु कु राते ए कहा।
सुयश ने मु कु राकर आँख ही आँख म शैफाली क तारीफ क और
फर झुककर उस ि म को देखने लगा।
इस समय ि म पर दख रही, वह 6 रे खाएं गायब हो गई थ और
अब उस ि म क 3 दीवार पर, 3 छोटे -छोटे छे द उभर आये थे।
“अरे ! इस ि म पर तो 3 चािबयां लगनी ह।” शैफाली ने यान से
उन तीन छे द को देखते ए कहा- “अब इसका मतलब साफ है क इस ार
म बने 7 आ य म से िसफ 3 आ य म ही चािबयां िछपी ई ह, इसिलये
हम अब उन 3 चािबय को ढू ंढना होगा?”
शैफाली क बात सुन, सुयश फर से उस पूरे थान को देखने लगा।
धीरे -धीरे सुयश के चेहरे क मु कु राहट गहरी होती जा रही थी, िजसे
देख क ही शैफाली समझ गई क सुयश को अव य ही इन 3 चािबय का
रह य पता चल गया है।
“कै टे न अंकल, अब यादा रह य मत फै लाइये और बताइये क वह
तीन चािबयां इस समय कहाँ हो सकती ह?” शैफाली ने सुयश क ओर देखते
ए ता भरे श द म कहा।
“शैफाली, तु हारे का उ र क ई घड़ी के समय म िछपा है। ...
मतलब क 10 बजकर 10 िमनट और 35 सेके ड वाले थान पर ही तीन
चािबयां िछपी ह और मानिच म इन तीन थान पर मशः ताजमहल,
माचू-िप चू और िपरािमड ह। ... इसका मतलब पहले हम ताजमहल मे
जाकर पहली चाबी ढू ंढनी होगी, फर उसके बाद माचू-िप चू और फर
आिखर म िपरािमड म जाना होगा। शायद यही इस ार का पैटन है, िजसके
बारे म हम बात कर रहे थे और यही वजह थी क हम पहले माचू-िप चू और
िपरािमड म वेश नह कर पा रहे थे।”
“इसका मतलब बाक के िजस ार म हम वेश कर रहे थे, वहाँ पर
कु छ भी नह था? और उस ार का िनमाण कै र ने हम फं साने के िलये ही
कया था।” शैफाली ने बाक क गु थी को भी सुलझाते ए कहा।
“िब कु ल ठीक कहा तुमने शैफाली।” सुयश ने शैफाली को उ साह
दलाते ए कहा- “और इससे एक बात और िनकल कर आ गई क अब हम
रयो क मू त क ओर नह जाना है। ..... तो फर चलो देर ना करते ए,
हम इस ि म के साथ ताजमहल क ओर चलते ह।”
शैफाली, सुयश के श द सुन उ साह से भर गई। जाने य इस समय
शैफाली को कै पर क याद आ रही थी? ... पर जो भी हो शैफाली, िबना
कोई कये, सुयश के साथ ताजमहल क ओर बढ़ चली?
यह वह समय था, जब समय भी उस 20,000 वष के न हे यो ा को
देख णाम करना चाह रहा था।
◆ ◆ ◆
नील व
ितिल मा 7.64
ितिल मा 7.65
ितिल मा 7.66
सु िपरािमडयश,के सामने
शैफाली व तौफ क इस समय िचचेन-इ ज़ा के
खड़े थे। सुयश के हाथ म इस समय भी काँच का
ि म था, िजसम अब िसफ एक सुराख नजर आ रहा था।
“अब हम इस ‘एल-कै ि टलो’ िपरािमड के अंदर, इस ि म क
आिखरी चाबी को ढू ंढने का काम ही बाक बचा है।” शैफाली ने िपरािमड क
ओर देखते ए कहा।
िपरािमड को देखते ही एक पल के िलये ही सही, पर शैफाली को
अपनी माँ माया क याद आ गई।
कु छ देर ककर शैफाली ने फर से बोलना शु कर दया- “यह
िपरािमड सूय क प र मा का अ ययन करता है। ..... वैसे तो यह िपरािमड
अ य िपरािमड क भांित ही है, परं तु इसके शीष पर एक वगाकार कमरा
जैसा बना था, िजसे न शाला कहते ह। वहाँ तक जाने के िलये 365
सी ढ़यां ह, जो क वष के 365 दन का ितिनिध व करती ह। हम इस
िपरािमड के ऊपर ि थत उस न शाला म जाना होगा। ज र वह पर
कै र ने इस ि म क चाबी िछपाकर रखी होगी? परं तु न शाला तक
प ंचने के िलये हम इन 365 सी ढ़य को चढ़ना होगा। िपछली बार जब हम
यहाँ पर आये थे, तो इन सी ढ़य पर एक अदृ य दीवार थी, िजसने हम
न शाला तक जाने नह दया था। .... देखते ह इस बार या होता है?”
यह कहकर शैफाली ने धीरे से अपना दािहना पैर पहली सीढ़ी पर
रखा। परं तु शैफाली को इस बार कोई दीवार महसूस नह ई? अतः शैफाली
ऊपर देखते ए बाक क सी ढ़यां चढ़ने लगी।
सुयश व तौफ क भी शैफाली के पीछे -पीछे चल पड़े।
अभी यह लोग बामुि कल 100 सी ढ़यां ही चढ़ पाये थे क तभी सभी
को न शाला क ओर से एक छोटा सा प थर उछलकर आता दखाई दया।
प थर क आवाज सुन सभी क िनगाह ऊपर क ओर चली ग । पर
ऊपर क सी ढ़य पर इ ह कु छ नजर नह आया?
वह छोटा प थर जब तौफ क के बगल से िनकला, तो तौफ क ने उस
प थर को अपने हाथ से पकड़ िलया।
वह प थर िपरािमड का ही एक टू टा आ टु कड़ा लग रहा था। तभी 3-
4 और छोटे प थर लुढ़कते ए सभी क ओर आते दखाई दये।
यह देख शैफाली ने सबको एक थान पर कने का इशारा कया और
ऊपर क ओर देखने लगी। तभी शैफाली को एक लगभग 50 फु ट ऊंचा, काले
रं ग का िब छू ऊपर से आता आ दखाई दया।
िब छू क नजर शायद अभी इन लोग पर नह पड़ी थी, इसिलये वह
अपनी सामा य चाल से सी ढ़यां उतरता आ नीचे क ओर आ रहा था।
इतने खतरनाक िब छू को देखकर एक पल के िलये सभी क साँस क
सी ग । सभी अपनी जगह पर ि थर हो गये। िब छू अभी इन लोग से काफ
दूरी पर दखाई दे रहा था। उसी िब छू के चलने क वजह से, िपरािमड के
प थर टू टकर नीचे क ओर आ रहे थे।
“मर गये।” सुयश ने फु सफु साते ए कहा- “लगता है कै र ने इस ार
म मुसीबत भी रखी ह। परं तु अब इस थान पर िबना कसी शि के इस
िब छू को कै से हराया जा सकता है?”
“उस िब छू को हराने क ज रत ही नह है। हम िसफ उसके रा ते से
हटना है।” शैफाली ने धीमी आवाज म कहा- “ य क अभी तक उस िब छू ने
हम नह देखा है और वह इ ह सी ढ़य के ारा नीचे क ओर जा रहा है।”
तब तक ऊपर से ब त से प थर आकर सभी के पास िबखर गये थे।
भला यही था क वह प थर यादा बड़े नह थे, इसिलये कु छ एक प थर लग
जाने के बाद भी कसी को कोई नुकसान नह आ था?
ले कन इससे पहले क सभी अपने कह िछपने का इं तजाम कर पाते?
क तभी िब छू क नजर सी ढ़य पर बैठे सभी लोग पर पड़ गई। अब वह
थोड़ा तेजी से सी ढ़यां उतरने लगा।
“मारे गये!” सुयश ने परे शान होते ए कहा- “लगता है क उस िब छू
क नजर हम पर पड़ गई है? इसीिलये अब वह तेजी से नीचे उतर रहा है
और अब तो िछपने का भी समय नह बचा है। ..... इसिलये दो त अब इस
िब छू से लड़ने के िलये तैयार हो जाओ।”
यह कहते ए सुयश ने ि म को वह एक कनारे रखा और अपने
आस-पास िबखरे प थर के टु कड़ को उठाकर अपने हाथ म पकड़ िलया।
सुयश को प थर उठाते देख शैफाली व तौफ क ने भी, अपने हाथ म
प थर को पकड़ िलया। चूं क उस थान पर काफ ढलान थी, इसिलये िब छू
के नीचे उतरने क गित थोड़ी धीमी थी। फर भी वह िब छू लगातार पास
आता जा रहा था।
सभी को पता था क इन छोटे प थर से िब छू का कु छ नह िबगड़ने
वाला? पर कहते ह ना क डू बते को ितनके का सहारा ही काफ होता है। बस
इसी मुहावरे को च रताथ करते ए, सभी ने अपने हाथ म प थर पकड़ रखे
थे।
परं तु तौफ क क तेज नजर पास आ रहे िब छू क बीच क दोनो
आँख पर थ ।
जैसे ही िब छू तौफ क के िनशाने क प रिध म आया, तौफ क ने अपने
दोन हाथ म पकड़े प थर को एक-एक कर िब छू क बीच क दोन आँख
पर मार दया।
िनशाना िब कु ल सही था। तौफ क के िनशाने क वजह से िब छू क
बीच क दोन आँख फू ट ग , िजसके कारण तेजी से नीचे उतर रहा िब छू
बुरी तरह से लड़खड़ा गया। अब िब छू क आँख से नीले रं ग का खून
िनकलकर उस थान पर फै लने लगा।
“वेरी गुड तौफ क अंकल।” शैफाली ने खुशी से िच लाते ए कहा-
“पर ये यान रिखयेगा क इस िब छू क 10 आँख अभी और भी बची ह।
इसिलये हो सके तो इस िब छू क एक ओर क बाक क 5 आँख को भी
फोड़ दीिजये। इससे कम से कम यह एक ओर नह देख पायेगा।”
परं तु शैफाली के श द सुनने के पहले ही तौफ क और ब त से प थर
अपने हाथ म उठा चुका था, शायद वह भी िब छु क आँख से भली भांित
प रिचत था।
तब तक िब छू फर से संभल चुका था और सुयश के पास प ंच गया
था।
िब छू को अपने पास प ंचता देख, सुयश ने भी अपने हाथ म पकड़़े
प थर को िब छू पर मारना शु कर दया, पर सुयश के मारे गये प थर का
िब छू पर कोई असर नह आ? उ टा उसने अपना एक पैर घुमाकर सुयश
के शरीर पर मार दया।
िब छू के हार से सुयश उसी थान पर िगर गया। अब िब छू
खतरनाक भाव से सुयश क ओर बढ़ने लगा। इस समय िब छू का पूरा यान
सुयश क ओर था। इसिलये शैफाली ने इसी मौके का फायदा उठाकर उस
िवशाल िब छू को एक जोरदार ट र मार दी।
चूं क इस समय शैफाली ने मै ा क कोर शि का योग कया था,
इसिलये शैफाली के इस हार से िब छू एक बार फर लड़खड़ा गया।
इस बार िब छू के लड़खड़ाने से तौफ क के दमाग म एक ब त ही
खूबसूरत लान आया। अब उसने अपने ल य को बदल िलया और िब छू के
चलने क गितिविध को यान से देखते ए, उसके पैर के नीचे गोल प थर
को फकना शु कर दया।
कहने को तो िब छू के 8 पैर थे, परं तु तौफ क के फके प थर से, एक
बार फर से िब छू लड़खड़ा गया। इस लड़खड़ाहट म िब छू अलग-अलग
थान पर अपने पैर को फं साकर अपने शरीर को िनयंि त करने क कोिशश
कर रहा था, पर तौफ क लगातार िब छू के पैर को िनशाना बनाकर प थर
को फक रहा था।
तौफ क क इस असीम कोिशश का ब त ही सकारा मक फल िमला।
िब छू का शरीर अब बुरी तरह से अिनयंि त होकर सी ढ़य से नीचे क ओर
िगरने लगा। िब छू लगातार अपने पैर से कु छ पकड़ने क कोिशश कर रहा
था? परं तु इस बार पीठ के बल िगर जाने क वजह से, वह अपने पैर से कह
पकड़ नह बना पा रहा था?
“कै टे न, अब हम ज दी से ऊपर बने कमरे क ओर भागना पड़ेगा,
य क कु छ देर के अंदर ही, वह िब छू पुनः अपने शरीर को िनयंि त करके
ऊपर क ओर आ जायेगा और तब शायद हम उसके हार से वयं को बचा
ना सक?” तौफ क ने सुयश को सहारा देकर उठाते ए कहा।
तौफ क क बात अ रशः स य थी, इसिलये सुयश ने लपककर ि म
को उठाया और शैफाली व तौफ क के साथ ज दी-ज दी सी ढ़यां चढ़कर
िपरािमड के ऊपर बने कमरे क ओर भागने लगा।
बाक बची 265 सी ढ़य को चढ़ने म सभी को अब यादा समय नह
लगा। कु छ ही देर म सभी िपरािमड के ऊपर बने कमरे के दरवाजे तक प ंच
गये।
ऊपर बने कमरे का दरवाजा कसी ब त ही भारी धातु का बना था?
जो क इस समय खुला आ था। सभी िबना देर कये ए उस दरवाजे के
अंदर वेश कर गये।
दरवाजे के अंदर वेश करने वाल म तौफ क आिखरी था, इसिलये
उसने अंदर प ंचते ही झट से दरवाजे को ख चकर बंद कया और पीछे से
उस पर बेलन चढ़ा दया।
अब जाकर सबने राहत क साँस ली, य क कु छ भी हो, पर अब वह
िब छू इस दरवाजे को तोड़कर अंदर नह आ सकता था।
अब सबक नजर कमरे के अंदर क ओर ग ।
पर कमरे के अंदर नजर पड़ते ही सबक आँख खुली क खुली रह ग ।
अंदर से वह कमरा कसी िवशाल जंगल क भांित लग रहा था? चारो
ओर घने पेड़ क मोटी-मोटी शाखाएं झूल रही थ । कोई भी बाहर से देखकर
कमरे के अंदर का हाल नह बता सकता था?
उस पूरे जंगल को देखकर ये साफ महसूस हो रहा था, क कसी भी
इं सान ने यहाँ पर वष से कदम नह रखा है? य क जंगल के बीच कसी
भी दशा म जाने का, कोई रा ता दखाई नह दे रहा था? िसफ पेड़ क
लता के बीच कु छ क ड़े-मकोड़े चलते ए दखाई दे रहे थे?
“ कसी भी कार से यह पता नह चल रहा, क इस थान को कै र
ने बनाया है?” तौफ क ने कहा- “इसे देखकर साफ लग रहा है क सैकड़
वष से इस थान पर कोई आया भी नह ह? .... और ऐसे भयानक जंगल म
हम इस ि म क छोटी सी चाबी कै से ढू ंढ पायगे?”
“ढू ंढना तो पड़ेगा ... कै से भी उस चाबी को ढू ंढना ही पड़ेगा। नह तो
हम हमेशा-हमेशा के िलये इस ितिल मा म कै द हो जायगे।” शैफाली ने कहा।
शैफाली के श द का ऐसा असर आ क सुयश व तौफ क तुरंत तन
कर खड़े हो गये। शायद शैफाली के श द क भयावहता को दोन ने यादा
ही गंभीरता से ले िलया था।
सुयश ने अंदाजे से ही एक दशा क ओर बढ़ना शु कर दया।
शैफाली व तौफ क तो बस सुयश के कदम का अनुसरण करते ए उसके
पीछे -पीछे चल रहे थे।
कु छ आगे जाने पर सुयश को एक गोलाकार आकार म कु छ ऊंचे पेड़
का झु ड दखाई दया। उस झु ड को देखकर साफ महसूस हो रहा था क
अव य ही उन पेड़ के झु ड के बीच कु छ है?
यह देखकर सुयश उसी दशा क ओर चल दया।
कु छ ही देर म सुयश उन पेड़ के पास प ंच गया। सुयश को उन पेड़
के म य एक िवशाल कुं ए के समान ग ा दखाई दया। िजसके चारो ओर
प थर क जगत बनी ई थी।
कुं ए के म य ऊपर क ओर एक लोहे के मोटे से पाइप पर एक िघरनी
बनी थी, िजससे एक मोटे र से के सहारे एक काफ बड़ी बा टी जैसी संरचना
लटक ई थी। यह बा टी देखने म कसी ‘हॉट एयर बैलून’ का ‘गो डोला’
जैसी लग रही थी। गो डोला से बंधी र सी काफ लंबी थी। र सी का दूसरा
िसरा एक िवशाल पेड़ के चारो ओर िलपटा था।
(गो डोलाः हॉट एयर बैलून के नीचे लटक बा के ट को कहते ह,
िजसम बैठकर या ी सफर करते ह)
“अरे इस जंगल म तो कुं आ भी है।” तौफ क ने कुं ए को देखते ए कहा-
“अव य ही कै र ने इस कुं ए म कोई रह य िछपाया होगा?”
“नह तौफ क अंकल, यह कोई कुं आ नह है, बि क िपरािमड के अंदर
वेश करने का एक ार है।” शैफाली ने कहा- “शायद आपने देखा नह क
उस र सी का दूसरा िसरा उस पेड़ से िलपटा आ है। अब अगर हम उस पेड़
क संरचना को यान से देख, तो हम पता चल जायेगा क वह पेड़ ाकृ ितक
नह बि क कृ ि म है य क वह पेड़ िसफ एक थान पर रखा है, िजससे यह
साफ पता चलता है क यह गो डोला एक कार क िल ट है, जो हमारे नीचे
जाने के िलये है। शायद नीचे कु छ ऐसा है, जो कै र हम दखाना चाहता
है?”
“पर ... पर या यह गो डोला हम सभी का भार एक साथ उठा
पायेगा?” सुयश ने अपनी चंता जताते ए कहा।
“र सी क मोटाई को देखकर मुझे साफ महसूस हो रहा है क हम
तीन के तो या यह गो डोला 10 इं सान का भी वजन उठा सकती है?”
शैफाली ने आ मिव ास भरे लहजे म कहा।
“तो फर देर करने का या फायदा? चलो हम इसका योग करके
नीचे िपरािमड क ओर चलते ह।” तौफ क ने कहा और पास पड़ी एक लंबी
सी छड़ी के सहारे , हवा म लटके गो डोला को अपनी ओर ख च िलया।
तौफ क ने कुं ए के ऊपर लगी िघरनी को ख चकर, गो डोला को कुं ए के
कनारे क ओर ले आया। इसके बाद उसने शैफाली को गो डोला म बैठने का
इशारा कया।
तौफ क का इशारा पाकर शैफाली ने एक बार गो डोला क र सी को
ख चकर देखा और फर संतु होने के बाद वह गो डोला के अंदर बैठ गई।
शैफाली को गो डोला म बैठते देख सुयश ने अपने हाथ म पकड़े ि म
को शैफाली को पकड़ाया व वयं उस गो डोला म सवार हो गया। सबसे अंत
म तौफ क भी गो डोला के अंदर बैठ गया।
जैसे ही सभी गो डोला म बैठे, गो डोला से बंधी र सी वाला पेड़
वतः ही चारो ओर घूमने लगा। जैसे-जैसे पेड़ म बंधी र सी खुलती जा रही
थी, गो डोला सभी को लेकर नीचे क ओर जाने लगा।
“जो भी कहो, पर तकनीक का ब त अ छा इ तेमाल कया है कै र
ने।” सुयश ने कै र क शंसा करते ए कहा।
“कै र क नह ये मेरे कै पर क बनाई ई तकनीक है।” शैफाली ने
थोड़ा जलने के अंदाज म कहा, िजसे सुनकर सुयश व तौफ क के चेहरे पर एक
मु कान सी आ गई।
उधर गो डोला लगातार नीचे क ओर जा रहा था। उस कुं ए क
दीवार पर जगह-जगह पर चमकते ए हीरे िचपके ए थे, िजसके काश से
वह पूरा का पूरा कुं आ काशमान दख रहा था।
लगभग 10 िमनट के बाद आिखरकार गो डोला एक गोल लेटफाम
पर जाकर उतरा।
गो डोला के सतह से टकराते ही तीन गो डोला से उतर गये। उनके
उतरते ही गो डोला वापस ऊपर क ओर चला गया।
“अरे ! यह गो डोला तो वापस ऊपर क ओर चला गया। अब हम
वापस कै से जायगे?” तौफ क ने ऊपर जाते गो डोला क ओर देखते ए कहा।
“इतना परे शान होने क आव यकता नह है तौफ क अंकल। यहाँ से
बाहर िनकलने का माग हम अव य ही िमल जायेगा। अभी तो बस हम इस
ि म क चाबी को ढू ंढना है बस।” शैफाली ने कहा और उस लेटफाम से
उतरकर अपने चारो ओर देखने लगी।
वह पूरा थान एक गोलाकार सुरंग के प म बना था, िजसके एक
ओर एक रा ता जाता आ दखाई दे रहा था।
सुयश के इशारे पर सभी उस सुरंग के अंदर क ओर चल दये। कु छ
टे ढ़े-मेढ़े रा ते के बाद वह सुरंग एक िवशालकाय िपरािमड के अंदर िनकली।
वह िपरािमड अंदर से इतना िवशाल था, क एक नजर म वह पूरे
शहर क भांित तीत हो रहा था। िपरािमड क दीवार पर भी चमक ले
प थर लगे थे, जो अपनी चमक से पूरे िपरािमड को काशमान बनाये थे।
वह पूरा िपरािमड अंदर से एक िवशाल यूिजयम क भांित तीत हो
रहा था, जहां पर िजधर नजर जा रही थी, उधर िसफ और िसफ ए टीक
व तुंए ही दखाई दे रह थ । कसी थान पर कु छ सोने के कवच वाले यो ा
खड़े थे? तो कसी थान पर क मती धातु से िन मत हजार पा िबखरे ए
थे। एक थान पर तो सोने क अश फयां और हीरे -जवाहरात का ढेर लगा
आ था।
“अरे बाप रे ! यहाँ तो एक िवशाल खजाना भरा आ है। इसक क मत
तो आज के समय म अरबो-खरब डॉलर से भी यादा होगी।” तौफ क उस
खजाने को आँख फाड़े देख रहा था।
“लगता है कै र ने इस िपरािमड का यह भाग, िम के िपरािमड क
तरह से बनाया है, य क िचचेन इ जा म खजाने जैसा कु छ नह था? वैसे
भी इस खजाने से हम कोई लेना-देना नह है। यहाँ तो बस हम चाबी को
ढू ंढना है। इसिलये सभी लोग कृ पया खजाने को देखकर िमत ना ह और
अपना यान चाबी ढू ंढने क ओर लगाय। .... और हां .... समय बचाने के
िलये हम सभी को चाबी को अलग-अलग दशा म ढू ंढना होगा।” शैफाली ने
तौफ क को खजाने के मायाजाल से वापस लाते ए कहा।
शैफाली क बात को समझ तीन अलग-अलग दशा म चल दये।
अब सभी उन क मती व तु के म य ि म क चाबी को ढू ंढने लगे।
कु छ देर इधर-उधर देखने के बाद तौफ क को, एक सुनहरे धातु से
बना छोटा सा ैगन दखाई दया, जो क अलग से एक प थर पर रखा आ
था।
सभी व तु से अलग होने क वजह से उस धातु के ैगन ने, तौफ क
का यान अपनी ओर ख च िलया।
तौफ क ने उस छोटे से ैगन को उठाकर अपने हाथ म ले िलया और
वा तुकला के इस सुंदर से नमूने को देखने लगा। ैगन ने अपने पंख फै ला रखे
थे और ैगन का मुंह खुला आ था।
तभी तौफ क क िनगाह उस ैगन के नीचे बने, एक छोटे से लीवर पर
गई। उस लीवर को देखने के बाद उ सुकतावश तौफ क ने उस लीवर का
खटका दबा दया।
तौफ क के ऐसा करते ही ैगन के मुंह से एक आग क तेज लपट
िनकली और सामने रखी एक मू त पर पड़ी। ैगन क आग से एक सेके ड म
वह मू त पूरी तरह से िपघल गई।
“अरे ! यह तो पुराने समय का कोई लाइटर दख रहा है? िजसे शायद
आग जलाने के िलये योग म लाया जाता था।” तौफ क ने उस ैगन सरीखे
लाइटर को बंद करते ए कहा- “पर जो भी हो, इसक अि म कमाल क
शि है, एक सेके ड म ही इसने एक मू त को िपघला दया।”
इससे पहले क तौफ क और कु छ कहता क तभी उसे शैफाली क
आवाज सुनाई दी- “सभी लोग इधर आ जाइये, मुझे यहाँ पर कु छ िमला है?”
शैफाली क आवाज सुनकर तौफ क, शैफाली क ओर चल दया, पर
ैगन पी लाइटर अभी भी उसके हाथ म था।
कु छ ही देर म तौफ क उस थान पर प ंच गया, िजधर शैफाली खड़ी
थी। तब तक सुयश भी भागकर उस थान पर प ंच गया था।
शैफाली इस समय एक वगाकार सफे द प थर के पास खड़ी थी। उस
प थर पर एक चाबी का गहरा िनशान अं कत था।
“आप लोग चाबी का यह गहरा िनशान देख रहे ह।” शैफाली ने
सबका यान प थर क ओर करते ए कहा- “इसे देखकर यह साफ पता लग
रहा है क पहले इस प थर पर एक चाबी लगी ई थी, परं तु हमसे पहले ही
कसी ने उस चाबी को यहाँ से िनकाल िलया है?”
“पर ... पर हमसे पहले यहाँ पर कौन आया?” तौफ क ने आ य से
शैफाली को देखते ए कहा- “कह .... कह जेिनथ, ऐले स या टी म से
कोई पहले ही तो इस थान पर नह प ंच गया? और वह चाबी िनकालकर
चला भी गया हो।”
“ऐसा संभव नह है तौफ क।” सुयश ने उस चाबी के थान पर अपना
हाथ फे रते ए कहा- “जब तक हमने माचू-िप चू को पार नह कया, तब
तक तो इस थान को कसी अदृ य दीवार ने ढक रखा था? इसिलये हमसे
पहले तो कसी का यहाँ पर आ पाना संभव ही नह है? .... मुझे लगता है क
इस थान पर कोई और भी रह य िछपा आ है? हम उस रह य को भी
ढू ंढना होगा।”
यह कहकर सुयश उस थान के चारो ओर देखने लगा।
तभी सुयश क नजर एक ी क ितमा पर पड़ी। उस ी ने अपने
चेहरे पर एक बड़े से सुनहरे बाज का मुखौटा पहन रखा था। बाज के मुखौटे
से बड़े से पंख िनकले थे, िजसने उस ी क आँख को छोड़कर, चेहरे के
बाक िह स को ढक रखा था। उस ी क ितमा के नीचे िम क ाचीन
भाषा म ‘रानी कला ा’ िलखा था, िजसे तौफ क ने पढ़कर सभी को बता
दया।
“इसका मतलब यह िपरािमड इसी रानी कला ा का है?” सुयश ने
उस मू त को देखते ए कहा।
सुयश को कला ा क मू त थोड़ी अजीब सी लगी। इसिलये वह उस
मू त क ओर बढ़ गया। पर जैसे ही सुयश कला ा क मू त के पास प ंचा,
अचानक से उसे लगा क उस मू त क आँख सजीव ह।
सुयश ने पलटकर पीछे हटने क कोिशश क , परं तु वह उन आँख के
मायाजाल से बच नह सका। अब सुयश अपने शरीर का कोई भी अंग नह
िहला पा रहा था?
िनयित ने एक बार पुनः मायाजाल का प लेकर सुयश को अपने
िशकं जे म जकड़ िलया था।
◆ ◆ ◆
जल लय
ितिल मा 7.67
सु सुयश केयशशरीर
अब कला ा क आँख म देखने लगा। तभी अचानक से
को एक झटका लगा और वह कला ा क आँख के
मायाजाल म फं स गया।
“ कतनी सुंदर ी है?” सुयश ने मू त को देखते ए कहा- “शायद
इसक सुंदरता क वजह से ही इसे यहाँ क रानी बनाया गया होगा? िजसे
राजा के मरने के बाद इस िपरािमड म जंदा ही दफन कर दया गया होगा।
काश उस समयकाल म म भी होता?”
सुयश के श द को सुन तौफ क व शैफाली को थोड़ा िविच सा लगा।
“यह आप या कह रहे ह कै टे न?” तौफ क ने सुयश के पास आते ए
कहा- “यह कोई असली िपरािमड नह है, बि क कै र का बनाया एक
मायाजाल है। इसक तुलना आप सजीव से य कर रहे ह?”
“चुप कर। तुझे मुझसे यादा समझ है या?” अचानक से सुयश ने
तौफ क को डांटते ए कहा- “यह सच क ी ही है .... और यह मेरी
शलाका से यादा खूबसूरत है। .... इसे देखने के बाद म तो इस थान से
जाना ही नह चाहता।”
अब तौफ क व शैफाली को कसी गड़बड़ का पूण अहसास हो गया?
तभी तौफ क क नजर भी कला ा क आँख से जा टकराई और इसी
के साथ वह भी कला ा क आँख के मायाजाल म फं स गया।
“तुम सही कह रहे हो कै टे न, कला ा सच म ब त खूबसूरत है। परं तु
अब इस पर मेरा अिधकार है, इसिलये तुम चुपचाप इस िपरािमड के बाहर
चले जाओ।” तौफ क ने सुयश को ध ा देते ए कहा।
तौफ क के ध े के भाव से सुयश लड़खड़ाकर कु छ पीछे चला गया,
पर अगले ही पल उसने वयं को संभाला और गु से म तौफ क को घूरते ए
कहा- “लगता है क तुम ऐसे नह मानोगे।”
यह कहकर सुयश ने अपने हाथ म पकड़ा ि म वह रखा और पास म
पड़ी एक एंटीक तलवार को अपने हाथ म उठा िलया।
सुयश को तलवार उठाते देख तौफ क ने भी अपने हाथ म पकड़े ैगन
वाले लाइटर को वह भूिम पर रखा और एक तलवार को अपने हाथ म उठा
िलया। कसी भी पल कु छ भी हो सकता था?
यह देख शैफाली चंता म पड़ गई- “लगता है क इन दोन को
कला ा क मू त ने अपने मायाजाल म फं सा िलया है? अब इससे पहले क
कोई दुघटना घटे मुझे तुरंत कु छ करना होगा?”
यह सोच शैफाली ने भी वहाँ पड़ी एक तलवार को उठाया और तेजी
से कला ा क मू त के पीछे जा प ंची। उधर सुयश ने अपनी तलवार का
एक तेज हार तौफ क पर कर दया था, िजसे तौफ क ने अपनी तलवार पर
रोकने क कोिशश क ।
“टनाकऽऽऽऽऽऽऽ।” सुयश व तौफ क क तलवार के टकराने से,
वातवरण म एक तेज आवाज उभरी। इसी के साथ सुयश के वार से तौफ क
क तलवार 2 टु कड़ म बदल गई। होती भी य ना? सुयश को तलवार से
लड़ने का ब त यादा अनुभव था।
अब सुयश ोिधत भाव से तौफ क क ओर बढने लगा। शैफाली समझ
गई क अब अगर उसने तुरंत कु छ नह कया? तो तौफ क खतरे म पड़ने
वाला है। इसिलये शैफाली ने िबना देर कये अपने हाथ म पकड़ी तलवार के
एक वार से ही कला ा क मू त के िसर को काट दया।
इसी के साथ तौफ क पर वार करता सुयश एक झटके से क गया-
“अरे ! यह म या कर रहा ँ?”
सुयश को अपने कृ य पर हैरानी के साथ शम भी आ रही थी। उसने
झट से अपने हाथ म पकड़ी तलवार को दूर फका और फर आगे बढ़कर
तौफ क के गले से लग गया- “मुझे मा करना दो त। म इस िपरािमड के
मायाजाल म फं सकर अपने ही दो त पर हाथ उठाने जा रहा था।”
तब तक तौफ क को भी उस मायाजाल के ख म होने का अहसास हो
चुका था।
“कोई बात नह कै टे न? म वयं भी कु छ समय के िलये इस मायाजाल
म फं स गया था।” तौफ क ने सुयश से अलग होते ए कहा- “पर अ छा आ
क शैफाली ने समय रहते हम इस मायाजाल से िनकाल िलया। .... इसिलये
मा मांगने क कोई ज रत नह है कै टे न।”
तभी दोन को शैफाली क आवाज सुनाई दी- “अगर आप लोग गले
िमल चुके ह , तो जरा अपने चारो ओर भी देख लीिजये। एक नई मुसीबत
तेजी से हमारी ओर बढ़ रही है।”
शैफाली क आवाज को सुन सुयश व तौफ क ने अपने चारो ओर देखा।
इस समय उनको चारो ओर से अनिगनत िवशाल िब छु ने घेर रखा था।
इतने सारे िवशाल िब छु को देख सभी परे शान हो उठे ।
“एक िब छू से लड़ना ही हमारे िलये मुि कल हो रहा था, फर इतने
सारे िब छु से कै से िनपटगे हम लोग?” सुयश ने चारो ओर देखते ए कहा।
तभी तौफ क क िनगाह सामने जमीन पर पड़े उस ैगन पी लाइटर
पर गई। उसे देखते ही तौफ क के दमाग म एक िवचार आया। इसी के साथ
तौफ क ने झपटकर सामने पड़े ैगन को उठा िलया।
“आप चंता ना कर कै टे न, म अके ले ही इन सभी िब छु को संभाल
लूंगा, आप दोन बस ज दी से ि म क चाबी को ढू ंढने क कोिशश करो।”
तौफ क ने सुयश व शैफाली से थोड़ा आगे आते ए कहा।
सुयश व शैफाली को तौफ क के श द तो समझ म नह आये, पर अब
वह दोन तौफ क के हाथ म पकड़े उस िविच धातु के ैगन को देख रहे थे।
तभी तौफ क ने आगे बढ़कर सामने से आ रहे एक िब छू क ओर,
ैगन को कसी गन क तरह तान दया। जैसे ही वह िब छू थोड़ा और आगे
आया, तौफ क ने ैगन का लीवर दबा दया।
लीवर के दबाते ही ैगन के मुंह से तेज आग क लपट िनकल और
उस आग ने िब छू को सेके ड म जला डाला। िजस जगह पर वह िब छू खड़ा
था, अब उस थान पर िसफ िब छू क राख दखाई दे रही थी।
“अरे वाह! यह तौफ क को इतना िविच हिथयार कहाँ से िमल
गया?” सुयश ने खुश होते ए कहा।
तब तक तौफ क 3-4 और िब छु के शरीर को जला चुका था। अब
बाक बचे िब छू तौफ क के ैगन से थोड़े सावधान दखने लगे थे। अब वह
िब छू आगे बढ़ने के थान पर अपने मुंह से ‘ - ’ क िविच सी विन
िनकालने लगे।
िब छु को अपने थान पर कता देख तौफ क को थोड़ा सा और
जोश आ गया। अब वह वयं आगे बढ़कर िब छु के पास प ंचकर उ ह
जलाने लगा।
िब छु को जलाते ए कई बार तौफ क ने वहाँ रखी, कई धातु क
एंटीक चीज को भी जला दया । ैगन क अि से जली ई धातु क चीज
िपघलकर इधर-उधर बहती दखाई दे रह थ ।
तभी तौफ क ने एक झटके से वहाँ ताबूत म रखी एक ममी को जला
दया। ताबूत के जलते ही वह पूरा थान जोर-जोर से कांपने लगा।
अब तौफ क ने ैगन क आग बंद कर दी और एक थान पर ककर
िपरािमड के िहलने का रह य जानने क कोिशश करने लगा।
“जाने य मुझे लग रहा है क अब यह िपरािमड न होने वाला है?”
शैफाली ने चीखते ए कहा- “लगता है क तौफ क अंकल ने िजस ममी को
न कया, यह उसी का िपरािमड था।”
तभी ऊपर से िपरािमड के कु छ टु कड़े बड़े प थर का प लेकर िगरने
लगे।
अब कसी के पास वहाँ से बचने के िलये कोई उपाय नह बचा था?
इसिलये तौफ क, शैफाली व सुयश वह कु छ बड़े बतन क ओट म िछपकर
खड़े हो गये।
िपरािमड के टू टे ए प थर अब सबके अगल-बगल िगर रहे थे।
तभी एक बड़ा सा िब छू रगता आ शैफाली के पास जा प ंचा। इस
समय शैफाली क नजर दूसरी ओर थी। यह देख िब छू ने अपने एक पैर से
शैफाली का दािहना पैर पकड़ िलया और उसे अपनी ओर ख चने लगा।
अब शैफाली उस बड़े बतन क ओट से बाहर आ गई। शैफाली अपने
हाथ से मु े मारकर िब छू से छू टने का यास कर रही थी, पर वह िब छू
फर भी उसे ख चता आ दूर ले जा रहा था।
तभी तौफ क क नजर शैफाली को ले जा रहे उस िब छू पर पड़ी। यह
देख तौफ क ने अपने हाथ म पकड़े उस ैगन को चीखते ए शैफाली क ओर
उछाल दया- “शैफालीऽऽऽऽऽऽ।”
शैफाली ने एक झटके से तौफ क क ओर देखा और फर हवा म
उछलकर आते उस ैगन पी लाइटर को हवा म ही कै च कर िलया।
अब शैफाली ने ैगन का मुंह उस िब छू क ओर करके उसका लीवर
दबा दया। एक पल म ही िब छू जलकर राख हो गया और इसी के साथ
शैफाली िब छू क पकड़ से छू ट गई।
तभी शैफाली क नजर जगह-जगह िपघली ई मू तय और बतन क
ओर ग । इसी के साथ शैफाली के दमाग म एक िवचार आया।
अब शैफाली भागकर उस वगाकार सफे द प थर के पास प ंच गई।
शैफाली ने अपने आस-पास नजर मारी। तभी शैफाली को पास म पड़ा आ,
सोने का एक फू लदान दखाई दया।
शैफाली ने िबना देर कये ए उस फू लदान को सफे द प थर पर बने
चाबी के िनशान के पास रखा। इसके बाद शैफाली ने ैगन का मुंह फू लदान
क ओर करके उसका लीवर दबा दया।
लीवर के दबते ही ैगन के मुंह से जोर क आग िनकली और इसी के
साथ वह फू लदान िपघल कर सफे द प थर पर फै ल गया।
दूसरी ओर प थर का िगरना जारी था, परं तु कसी कार से सुयश व
तौफ क भागकर शैफाली के पास प ंच गये और अब वो शैफाली क
बुि म ा का परी ण यान से देखने लगे।
शैफाली ने अब एक प थर के छोटे से टु कड़े से, प थर पर फै ले िपघले
ए सोने को साफ कर दया। कु छ बचा आ िपघला सोना अब सफे द प थर
पर बने चाबी वाले छे द म भर गया था।
शैफाली लगातार अपने मुंह से फूं क मारकर िपघले सोने को ठं डा करने
क कोिशश कर रही थी। चाबी के छे द म भरा िपघला सोना तेजी से सूख रहा
था, परं तु उतनी ही तेजी से वह िपरािमड न भी हो रहा था।
उधर सुयश, शैफाली क योजना को भली-भांित समझ गया था,
इसिलये वह भागकर ि म को उठा लाया।
तभी तौफ क क नजर अपने ऊपर क ओर गई। ऊपर िपरािमड का
एक बड़ा सा टु कड़ा टू टकर लटक रहा था। वह टु कड़ा काफ िवशाल था और
वह कसी भी समय उन सभी पर िगर सकता था।
अब शैफाली ने भी उस लटक रहे टु कड़े को देख िलया था। उसे देखते
ही शैफाली समझ गई क अब समय यादा नह बचा है, इसिलये उसने
िबना देर कये, एक नुक ले प थर से सफे द प थर पर बनी सोने क चाबी को
िनकाल िलया।
वैसे तो सोना काफ हद तक सूख गया था, परं तु हाथ से पकड़ने
लायक अव था म वह अब भी नह था। फर भी शैफाली ने िबना जलने क
परवाह कये उस चाबी को उठाकर अपने हाथ म पकड़ िलया और सुयश के
हाथ से ि म को पकड़कर उसम नविन मत सोने क चाबी को फं सा दया।
तभी उन सभी के ऊपर लटक रहा िवशाल प थर तेजी से नीचे क
ओर आने लगा। यही वह पल था, जब क शैफाली ने उस चाबी को ि म म
घुमा दया।
प थर तेजी से नीचे आया। प थर को नीचे आते देख सुयश व तौफ क
क आँख बंद हो ग , पर जब कु छ देर तक भी उन पर कोई प थर नह िगरा,
तो दोन ने अपनी आँख खोल द ।
इस समय उन दोन के सामने शैफाली खड़ी मु कु रा रही थी और
उसने अपने हाथ म ि म को पकड़ रखा था। ि म इस समय कसी कमल
के फू ल क भांित खुला आ था, पर िपरािमड का वहाँ पर कह भी
नामोिनशान नह दख रहा था?
इस समय वह सभी उस सरोवर के पास खड़े थे, जहां से इ ह वह
ि म िमला था।
एक पल म ही सुयश और तौफ क को समझ म आ गया, क प थर के
िगरने के कु छ ण पहले ही शैफाली ने ि म म चाबी को लगा दया था और
यही कारण था क वह लोग अभी तक जंदा थे।
सुयश और तौफ क दोन ने ही शैफाली को गले से लगा िलया। कु छ
ण क भावुकता के बाद, अब सबका यान उस खुले ए ि म पर गया,
िजसके बीचोबीच म एक गोल लाल रं ग का बटन लगा आ था।
शैफाली ने कु छ सोचने के बाद उस लाल रं ग के बटन को दबा दया।
शैफाली के ऐसा करते ही वह ि म शैफाली के हाथ से छू टकर जमीन
पर िगर गया। इसी के साथ उस ि म का आकार भी बड़ा होने लगा। कु छ ही
देर म ि म के तीन भाग कसी खुले ए हीरे क मा नंद चमकने लगे।
तभी एक-एक कर ि म के उन तीन भाग से जेिनथ, टी व
ऐले स बाहर आ गये।
इ ह जीिवत देखकर सुयश, शैफाली व तौफ क ब त खुश हो गये।
उधर ऐले स, टी व जेिनथ को भी तौफ क को जीिवत देखकर काफ
खुशी ई।
खुशी से एक-दूसरे के गले िमलने के बाद सभी ने पहले तौफ क क
कहानी सुनी। अलबट के मरने क खबर सुनकर सभी ब त यादा दुखी हो
गये। पर कु छ देर के बाद जब सभी थोड़ा संयत हो गये, तो सुयश ने ऐले स,
टी व जेिनथ से पूछ ही िलया- “हमारी तो सारी कहानी तुम लोग को
पता चल गई, पर तुमने यह नह बताया क तु हारे साथ या आ था?”
सुयश के श द सुनकर सबसे पहले जेिनथ बोल उठी- “म जब आप
सभी के साथ चीन क दीवार के ऊपर थी, तो हम सभी को े न के इं जन क
आवाज सुनाई दी, िजससे डरकर हम सभी भागे। म आप सभी म सबसे पीछे
थी। आप सबके िनकलने के बाद जैसे ही मने उस दीवार से हटने क कोिशश
क , मुझे िनकलने वाले ार के म य एक अदृ य दीवार सी महसूस ई,
िजसक वजह से म उस थान पर फं सी रह गई। पर जब े न मेरे िब कु ल
समीप प ंची, तो अचानक पता नह कै से? समय अपने थान पर क गया।
ना जाने म कतनी ही देर तक वैसी ही अव था म रही? तभी जाने कै से कु छ
देर पहले समय अपने आप शु हो गया, िजससे म अपने शरीर को जमीन से
िचपका कर लेटी रही। मेरे पास आ रही े न के नीचे काफ जगह थी, इसिलये
जब े न मेरे पास आई, तो वह मुझे िबना कु चले ए चली गई। े न के जाने के
बाद वहाँ मुझे एक हवा म ार बना दखाई दया, िजसम वेश करने के बाद
म आप सभी के सामने यहाँ पर िनकली ँ।”
इतना कहकर जेिनथ चुप हो गई।
जेिनथ के चुप होने के बाद टी ने बोलना शु कर दया- “म जब
कोलोिसयम के अंदर गई, तो मुझे टे िडयम के बीचोबीच जेिनथ खड़ी ई
दखाई दी, जो मेरी तरफ देखकर मु कु रा रही थी। पर जैसे ही मने अपनी
पलक झपकाई, अचानक से ही जेिनथ मेरे पीछे आ गई और उसने मुझपर
एक चाकू से हमला कर दया। पर जैसे ही जेिनथ ने मुझपर चाकू से हमला
कया, मेरे पास का भी समय अपने थान पर क गया। जब समय फर से
शु आ तो मने जेिनथ का वार बचाते ए, अपनी फू त से उस चाकू को
जेिनथ के ही पेट म मार दया। इसी के साथ वह नकली जेिनथ कह गायब
हो गई? तभी मेरे सामने भी एक हवा म एक ार दखाई दया। उसम घुसने
के बाद म आप सभी के सामने िनकली।”
“इसका मतलब क आप दोन क कहानी म समय का था।” शैफाली
ने कहा- “यािन क य द हम इस ि म क चािबय को नह ढू ंढ पाते, तो
आप सभी अपने थान पर समय के जाल म फं से ही रह जाते। .... अ छा
ऐले स भैया, अब आप भी बता दो क आपके साथ या आ था?”
“हम जब पे ा शहर म थे, तो हम एक संदक ू म बंद काँच का खरगोश
िमला। म अभी काँच के खरगोश को अपने हाथ म िलये उसे देख ही रहा था
क तभी पे ा शहर के बाहर से जेिनथ के चीखने क आवाज सुनाई दी।
शैफाली व कै टे न उस आवाज को सुन बाहर क ओर िनकल गये, परं तु म जैसे
ही बाहर क ओर िनकलने चला, मेरे हाथ म पकड़े खरगोश का आकार बढ़ता
आ महसूस आ। मने घबराकर खरगोश को वह जमीन पर िगरा दया।
िगरने के बाद खरगोश ने टी का प धारण कर िलया। म भावावेश म
टी से िलपट गया क तभी मेरे पास भी समय क गया। जब समय फर
से शु आ, तो मुझे अपनी गदन पर कसी चीज के चुभने का अहसास आ।
मने टी को तेजी से ध ा मार दया। ध ा मारने के बाद मुझे पता चला
क वह टी नह बि क कोई वपायर है, जो क गले लगने के बहाने मेरा
खून चूस रही थी। अब वह वपायर मेरी ओर झपटी, यह देख म एक दीवार के
सहारे खड़ा हो गया और जैसे ही वह वपायर मेरे ऊपर झपटी, म अपने थान
से हट गया। मेरे पीछे क दीवार पर एक बड़ी सी उभरी ई क ल िनकली
थी। मेरे सामने से हटते ही वह क ल वपायर के सीने म घुस गई। चूं क पे ा
शहर से िनकलने वाला मु य ार अब बंद हो चुका था, इसिलये अब म
बाहर िनकलने का रा ता ढू ंढने लगा। तभी मुझे एक दीवार म एक ार
दखाई दया, िजसम घुसने के बाद म यहाँ आप लोग के सामने िनकला।”
“अ छा तो तुम मेरे गायब होने के बाद वपायर के साथ ऐश कर रहे
थे।” टी ने ऐले स को िचढ़ाते ए कहा।
“िब कु ल ठीक कहा ... पर सच मानो वपायर और तुमम मुझे कोई
खास फक नह दखाई दया।” ऐले स ने भी मजा लेते ए कहा।
“ या मतलब? या म तु हारा खून चूसती ँ?” टी ने ऐले स का
दांया कान ख चते ए कहा।
इसी के साथ दोन क चुहलबािजयां फर से शु हो गई थ । पर सभी
को इन दोन क शरारत इस समय ब त अ छी लग रह थ ।
उधर सुयश क िनगाह ि म पर थी, जो फर से ि म क भांित बंद
हो गया था, पर उससे िनकली तेज रोशनी म सभी के सामने एक ार दखाई
दे रहा था, िजस पर िलखा था- “ितिल मा- 7.7”
“आिखरकार हम िबना यादा ित के ितिल मा के आिखरी ार तक
आ ही प ंचे।” जेिनथ ने अपने मन ही मन म कहा- “पर ओरस तुम इस समय
कहाँ हो? तुमने मेरी इस ार म कसी कार क कोई मदद य नह क ?
.... मत करो मदद, पर कम से कम एक बार ये तो बोल दो क तुम िब कु ल
ठीक हो। .... मुझे तु हारी ब त चंता हो रही है ओरस .... लीज जवाब दो
ओरस।”
पर इस बार भी ओरस ने जेिनथ क बात का कोई जवाब नह दया?
अंततः जेिनथ बुझे मन से सभी के साथ अगले ार म वेश कर गई।
इस ार म ‘समय’ जेिनथ के साथ नह था, पर उसे िव ास था क
ज दी ही समय उसके साथ होगा। ..... पर समय ..... वह तो िनरं तर अपने
वाह को बांधने क कोिशश कर रहा था, आिखर उसके वाह पर ही पृ वी
का भिव य जो टका था।
◆ ◆ ◆
कण-कण किणका
11 वष पहले ..............
07.02.91, गु वार, सीनोर रा य, अराका ीप
ितिल मा 7.71
11 वष आगे .....................
08.02.2013, शु वार, ानगंज , लोक, िहमालय
िहमालय के पूव म िवशाल पवत के म य एक घाटी है। घाटी के चारो
ओर के पवत िहमखंड से ढके रहते ह, परं तु यह घाटी िहमखंड के म य होने
के बाद भी, काफ हरी-भरी रहती है। इस हरी-भरी घाटी के बीच म ि थत
है- “ लोक”
लोक िजसका िनमाण 20,000 वष पहले माया ने अपनी शि य
से कया था। कहते ह लोक पृ वी क मानव ारा िन मत सबसे े तम
रचना है। इस थान पर कृ ित के िनयम नह चलते। यािन क िवशाल
प थर का उड़ना, झरने का नीचे से ऊपर क ओर बहना, िबना कसी जड़ के
वृ व पु प का हवा म तैरना आम बात है।
इस लोक के बीच एक िवशाल कमल के फू ल पर ‘ महल’ ि थत
है। यह थान देव के िनवास थान के प म जाना जाता है। अभे समझे
जाने वाले इस महल के चारो ओर एक सुंदर झील है, िजसे ताल के
नाम से जाना जाता है।
ताल भी अ यंत मायावी है। कहते ह क समु मंथन से िनकले
अमृत को सभी देवता म बांटा गया। सभी देवता के अमृत पीने के बाद
बाक का अमृत, एक कलश म रखकर देव को दे दया गया। देव ने
इस कलश को ताल के कसी अ ात थान पर िछपा दया?
कालांतर म अनेक असुर और दै य ने इस कलश को पाने क
कोिशश क , परं तु पाना तो दूर वह सभी उस कलश के पास भी नह
प ंच पाये। सभी दै य लोक के चारो ओर ि थत िवशाल घने जंगल म
मारे गये।
लोक के बाहर ि थत िवशाल घने जंगल को, आज के समय म
ानगंज, शां ी-ला, शंभाला व िस आ म आ द नाम से जाना जाता है।
जो क भारत के अ णाचल देश व ित बत के बीच कह ि थत है?
भारतीय पुराण के अनुसार ानगंज िस पु ष और ऋिष-मुिनय
के ान का क है। इस थान पर अनेक मठ ह, जहां हंद ू व बौ धम को
मानने वाले अनेक ऋिष-मुिन व बौ िभ ु रहते ह। इन ऋिषय क साधना
के कारण इस थान का वातावरण अ यंत दैवीय हो गया है। कहते ह क इस
थान पर समय अपना कोई भाव नह डाल पाता, इसिलये यहाँ पर कसी
क मृ यु नह होती?
ानगंज क हवा म अनेक कमल के फू ल लहराते रहते ह, परं तु इन
फू ल को तोड़ना यहाँ पाप माना जाता है। आज भी ब त से मनु य के िलये
ानगंज कोई का पिनक थान है? िजसका कोई अि त व नह है? परं तु कु छ
बौ िभ ु का मानना है क वह ानगंज जा चुके ह।
आज का समय िव ान को तो मानता है, परं तु वेद म िलखी घटनाएं
उ ह कपोल कि पत लगती ह। तो आइये इस िवषय व ानगंज से थोड़ा दूर
हटकर देखते ह, जहां नीले आकाश म एक अि पुंज चमकता आ ानगंज क
घाटी क ओर बढ़ रहा है।
यह काशपुंज और कोई नह वरन् शलाका है, जो क आकाशमाग से
ानगंज क घाटी क ओर बढ़ रही है।
“म तो इस समयकाल म सूयाश का पता लगाने के िलये आई थी, परं तु
इस समयकाल म आकर पता चला क सूयाश तो मेरा ही पु है, िजसक माँ
यािन क भिव य क शलाका, उसे 3 वष पहले छोड़कर कह चली गई?
सूयाश से िमलने के बाद मने उसे वचन दया क जब तक म तु हारी माँ को
ढू ंढ नह लेती, तब तक इस समयकाल से वापस नह जाऊंगी। मुझे पता था
क िजसे आच नह ढू ंढ सकती, उसे अि का अव य ढू ंढ लेगी। इसिलये
सूयाि भवन से िनकलने के बाद, म सीधे अि का के पास प ंच गई। अि का
क शि य से मुझे भिव य क शलाका, िहमालय के कसी बफ ले थान पर
जमीन के अंदर दबी ई दखाई दी। अि का से मुझे िब कु ल िनि त थान
तो नह पता चला, परं तु यह अव य पता चल गया क वह थान ानगंज
क पवत ृंखला के पास का थान है। .... मुझे नह पता क उस शलाका
के साथ या आ? जो उसने इस कार िहम-समािध ले ली, परं तु मुझे इतना
अव य पता है क वह शलाका बफ के अंदर भी अभी जीिवत है। शायद िहम-
समािध लेने के बाद भी वह अपनी अि क शि य से अपने शरीर का ताप
सुरि त रखे है।”
तभी उड़ती ई शलाका क िनगाह कै लाश पवत क ओर गई। कै लाश
पवत को अपने सामने देख शलाका ने हाथ जोड़कर कै लाश पवत को णाम
कया और कु छ ण के िलये नीचे उतर गई।
सूय क सुनहरी करण कै लाश पवत के िशखर को, एक नारं गी रं ग क
आभा दान कर रहे थे। एक ही पल म शलाका को वेदालय क याद आ गई।
आिखर अपने जीवन के ब मू य 10 वष शलाका ने वह तो गुजारे थे।
उस थान को देख शलाका के सामने एक ण म ब त से बचपन के
दृ य घूम गये। आयन से िमलना, िविच ित पधा म भाग लेना और
अलौ कक थान क या ाएं करना।
अभी शलाका अपनी ही याद म खोई थी क तभी शलाका को कै लाश
पवत म एक थान पर ार खुलता दखाई दया।
यह ार िब कु ल वैसे ही खुला था, जैसे क हजार वष पहले वेदालय
के समय म खुलता था। शलाका यह देखकर च क गई।
“अरे ! यह वेदालय का ार कै से खुल रहा है? या वेदालय को पुनः
शु कर दया गया है या फर .... या फर म भी सुयश क तरह कसी कार
से हजार वष पीछे आ गई ँ?”
यह देख शलाका एक बड़ी सी च ान क ओर भागी। इससे पहले क
ार से िनकलने वाला कोई मनु य शलाका को देख पाता, शलाका उस बड़ी
च ान के पीछे जा िछपी?
परं तु च ान के पीछे प ंचते ही शलाका एक बार फर से च क गई?
य क उस च ान के पीछे कोई लड़क पहले से ही िछपी ई थी? शलाका
को देखते ही उस न ही लड़क ने अपने मुंह पर उं गली रखते ए शलाका को
चुप रहने का इशारा कया।
उस न ही लड़क का इशारा देख शलाका कु छ बोली तो नह , परं तु
वह यान से उस न ही लड़क को देखने लगी। वह न ही लड़क लगभग 8
वष क थी। उसने नीले रं ग के सुंदर व पहन रखे थे। उस लड़क क आँख
िब कु ल कसी िहरनी के समान थ । उसका स दय ऐसा था क शलाका तो
बस उसे देखे ही जा रही थी।
तभी उस न ही लड़क ने शलाका का चेहरा कै लाश पवत क ओर
घुमा दया, जहां पर खुले ार से 4 युवा ब े िनकल कर बाहर आ गये थे।
उन ब म 2 लड़के और 2 लड़ कयां थ , िजनक आयु लगभग 18 वष क
दख रही थी।
सभी ब ने आपस म कु छ बात क और फर कसी िविच शि का
योग कर वहाँ से उड़ गये?
उन ब के उड़ने के बाद शलाका अपने पास िछपी न ही लड़क क
ओर मुड़ी और उसे देखते ए बोली- “कौन हो तुम? और इस कार िछपकर
यहाँ या कर रही हो?”
“यही तो म आपसे करना चाहती ँ क आप कौन हो? इससे पहले
मने कभी आपको देखा नह ?” न ही लड़क ने उ टे शलाका से ही कर
िलया।
न ही लड़क क भोली जुबान देखकर, कु छ पल के िलये शलाका
सबकु छ भूल गई, फर थोड़ी देर के बाद मु कु राते ए बोली- “मेरा नाम
शलाका है। म भी पहले इसी वेदालय म पढ़ती थी।”
“ या सच!” शलाका क बात सुन न ही लड़क ने मु कु राते ए कहा-
“आप वेदालय से ही पढ़ी ह। तो फर मुझे वेदालय के अंदर के बारे म बताइये
ना?”
“अंदर के वेदालय?” शलाका को कु छ समझ नह आया।
“अरे बु धू, मने कभी वेदालय को अंदर से नह देखा है ना, इसिलये
ऐसे कह रही ँ।” न ही लड़क ने अपने माथे पर धीरे से चपत मारते ए
कहा।
“ या तु ह वेदालय पसंद है?” शलाका ने न ही लड़क से पूछा।
“हां।” न ही लड़क ने अपना िसर ‘हां’ म िहलाते ए कहा- “म
चाहती ँ क म भी वेदालय म पढ़ाई क ं .... पर मेरी माँ मुझे वेदालय नह
जाने देना चाहत ।”
“ठीक है, तो फर आप पहले मुझे अपने बारे म बताइये, फर म
आपक माँ से बात करके , आपको वेदालय म पढ़ने के िलये िभजवा दूँगी।”
शलाका ने अपने घुटने के बल बैठते ए कहा।
“ठीक है।” न ही लड़क ने अपना िसर िहलाया और फर बोलना शु
कर दया- “मेरा नाम नीलांगी है और मेरी माँ का नाम नीिलमा है। म यहाँ
से कु छ दूर ि थत एक गुफा म रहती ँ। मेरी माँ मुझे कभी कसी के सामने
नह आने देती? पता नह य वह हमेशा मुझे िछपा कर रखती ह? ये तो वह
जब गुफा म नह रहत तो म उनक अनुपि थित म िछपकर इधर-उधर
घूमती रहती ँ।”
“और आपके िपता? वह कहाँ रहते ह?” शलाका ने नीलांगी से पूछा।
“अरे ! उ ह का तो है यह वेदालय। .... लगता है आपको कु छ पता ही
नह है?” नीलांगी ने वापस से भोला सा मुंह बनाते ए कहा।
नीलांगी क बात सुन शलाका च क गई।
“ या नाम है आपके िपता का?” शलाका ने नीलांगी के िसर पर हाथ
फे रते ए पूछा।
“नीलाभऽऽऽ।” नीलांगी ने रह यो ाटन करते ए कहा- “वो तो
महागु ह इस वेदालय के । ... पर पता नह य माँ मुझे उनसे िमलाती तक
नह है?”
नीलांगी क बात सुन शलाका का दमाग चकरा गया।
“ या महागु ने सबसे िछपकर दूसरा िववाह भी कर रखा है?”
शलाका ने मन ही मन सोचते ए कहा- “ज र ऐसा ही आ होगा। गु माता
भी तो इतने वष से उ ह छोड़कर चली ग थ । ऐसे म महागु ने दूसरा
िववाह कर िलया होगा।”
“अरे , मेरी कहानी सुनकर आप या सेाचने लग ? अब आप भी तो
बताएं अपने बारे म। आप इस थान पर इतने वष बाद य आई ह?”
नीलांगी ने शलाका को धीरे से िहलाते ए कहा।
“म यहाँ अपनी बहन को ढू ंढने आई ँ, जो क इसी थान से कु छ दूरी
पर कह बफ म िछपी है?” शलाका ने कहा।
“परं तु इतने बड़े िहमालय पर आप उ ह ढू ंढेगी कै से?” नीलांगी ने
कहा- “आप कह तो आपक बहन को ढू ंढने म म आपक सहायता कर दूँ।”
“आप कस कार मेरी सहायता कर सकती हो? आप तो वयं इतनी
छोटी हो।” शलाका ने नीलांगी के गाल को ह के से ख चते ए कहा।
“शायद आप भूल रही ह क म कसक पु ी ँ? आपको मेरी शि य
का भान नह है अभी। ... आप तो बस यह बताइये क आपके पास आपक
बहन का कोई िच है या?” नीलांगी ने शलाका को हैरत म डालते ए
कहा।
“नह िच तो नह है मेरे पास, परं तु वह दखने म िब कु ल मेरी ही
तरह है।” शलाका ने आ य से नीलांगी क ओर देखते ए कहा।
“तो फर ठीक है। म अभी उ ह ढू ंढ देती ँ।” इतना कहकर नीलांगी ने
जोर से आवाज लगाई- “च ुराज कट हो।”
नीलांगी के इतना कहते ही नीलांगी के माथे पर तीसरा ने दखाई
देने लगा, जो नीलांगी के शेष 2 आँख से िभ दख रहा था।
शलाका अब आ य से नीलांगी क शि य को देख रही थी।
तभी नीलांगी ने पुनः जोर क आवाज लगाई- “च ुराज, मेरे सामने
खड़ी ी के समान इनक एक बहन है, जो क यह कह िहमालय पर ही
िहम-समािध िलये ए ह? आप जरा अपनी शि य से उ ह ढू ंढ दीिजये।”
नीलांगी का आदेश सुन नीलांगी के चेहरे पर बनी च ुराज क आँख,
नीलांगी के म तक से िनकलकर बाहर आ गई और उड़ती ई एक दशा क
ओर चल दी।
च ुराज क आँख को एक ओर जाते देखकर, शलाका ने नीलांगी क
ओर इस कार देखा, मानो क वह पूछना चाहती हो क च ुराज के पीछे
कस कार चलना है? परं तु तभी नीलांगी क पीठ पर नीलपंख उग आये
और वह हवा म उड़ते ए च ुराज के पीछे चल दी।
यह देख शलाका भी उड़कर च ुराज क आँख के पीछे चल दी।
कु छ देर तक उड़ने के बाद च ुराज एक थान पर उतरा और बफ क
ओर इशारा करने लगा।
नीलांगी व शलाका भी उस थान पर उतर गये।
च ुराज का इशारा पाते ही शलाका ने अपने दोन हाथ को आगे कर
दया। शलाका के ऐसा करते ही उसके हाथ से अि क लपट िनकलने लग ।
उन अि क लपट ने कु छ ही देर म उस थान पर एक बड़ा सा ग ा बना
दया।
कु छ देर बाद उस गडढे म शलाका को भिव य क शलाका दखाई दे
गई, जो क मू छत अव था म उस ग े म पड़ी थी।
शलाका ने ग े म वेश करके दूसरी शलाका को बाहर िनकाल दया।
अब शलाका ने अपनी मानिसक शि य से दूसरी शलाका को जगाना
शु कर दया।
कु छ ही देर के बाद दूसरी शलाका को होश आ गया। वह एक झटके से
उठ गई और अपने आसपास देखने लगी।
पहली शलाका पर नजर पड़ते ही दूसरी शलाका च क गई।
पहली शलाका ने कु छ ही देर म दूसरी शलाका को सं ेप म पूरी
कहानी सुना दी।
दूसरी शलाका ने सबसे पहले नीलांगी को गले से लगाते ए उसे
ध यवाद दया।
चूं क च ुराज का काय अब समा हो गया था, इसिलये वह वापस
नीलांगी के म तक म समाकर अदृ य हो गया।
“अब आप लोग आपस म िमिलये और म तो चली वेदालय क
ितयोिगता देखने।” नीलांगी ने भोली जुबान म कहा और उड़कर वहाँ से
चली गई।
नीलांगी के जाने के बाद पहली शलाका, दूसरी क ओर मुड़ी और बोल
उठी- “ये बताओ क तुम िबना कसी को बताये कहाँ चली गई थी? और
तुमने इस कार िहम-समािध य ली?”
दूसरी शलाका ने एक लंबी आह भरी और फर बोलना शु कर दया-
“ितिल मा के टू टने के बाद मने सुयश से िववाह कर िलया और हम िछपकर
यूयाक म एक साधारण सा जीवन िबताने लगे। सुयश तो इन सबसे खुश था,
परं तु वेदांत रह यम पढ़ने के प ात् मेरा मि त क ब त िवचिलत रहता था
और इसका कारण था, आयन के अमृत का आकृ ित ारा छीन िलया जाना। म
जब भी खाली होती, तो मुझे सूयाश व सुयश क चंता सताने लगती। मुझे
लगता क एक दन मेरी आँख के सामने, दोनो ही मृ यु को ा हो जायगे।
सुयश िपछले ज म म आयन होने के कारण दोबारा से अमृत नह ा कर
सकता था और सबकु छ जानने के बाद सुयश मुझे लोक जाने नह देता।
बस यही सब सोचकर एक दन मने िछपकर, लोक जाने का िनणय िलया
और िजस दन सूयाश का पांचवा ज म दन था, इस रात म दोन को छोड़कर
लोक अमृत लाने के िलये चल दी। मुझे िव ास था क अमृत लाने के बाद
म दोन को ही मना लूंगी। परं तु जब म ानगंज तक प ंची, तो मुझपर
अचानक से अनेक िविच शि य ने आ मण कर दया? शायद वह सभी
िविच शि यां अमृत क सुर ा के िलये थ । म ब त दन तक अलग-अलग
कार से लोक के अंदर वेश करने का माग ढू ंढती रही। आिखरकार एक
दन मुझे एक गु माग का पता चल ही गया। परं तु जब म उस गु माग से
होती ई लोक प ंची, तो उस माग के मुहाने पर एक िविच य मेरी
ती ा करते ए िमला। लोक के अंदर प ंच जाने के कारण मेरी सभी
चम कारी शि यां समा हो ग थ । तभी उस य ने मुझे उठाकर यहाँ
िहमालय पर ला पटका और इस बफ के अंदर मेरी िहम-समािध बना दी। य
के हार से म अनंतकाल के िलये मू छत हो गई, परं तु मू छत होने के पहले
मने अपने शरीर के चारो ओर अि का सुर ाकवच बना िलया था, इसी
सुर ा कवच के चलते म िपछले 2.5 वष से इस िहम-समािध म जीिवत
बची ई थी।”
“इसका मतलब अमृत तु ह भी ा नह आ। पर इस अमृत को ा
करने के लालच म तुम तु हारे पु का बचपन भी नह देख पाई।” पहली
शलाका ने कटा करते ए कहा- “यह तो भला हो तु हारे पु का, िजसने
भूतकाल से लाकर मुझे खड़ा कर दया। परं तु अब यह समय अपनी
असफलता को याद करने का नह है, इसिलये तुरंत मेरे साथ चलो और
चलकर अपने पित और पु से मा मांगो। .... और एक बात सदैव यान
रखना क ई र ने साधारण जीवन जीने वाले को कभी अमर व दया ही
नह है। इसीिलये तु हारे पु ने जब साधारण मनु य को बचाने का िनणय
िलया, तभी उसे भूतकाल म वतः ही अमर व ा हो गया। अतः ई र ने
य द तु ह कु छ शि यां दी ह? तो उन शि य का योग मानवता क भलाई
के िलये करो। हो सकता है क कु छ समय प ात् तुम दोन को भी वतः ही
अमर व ा हो जाये।”
पहली शलाका क बात सुनकर दूसरी शलाका ने धीरे से िसर िहला
दया।
शायद अब उसे सब कु छ समझ म आ गया था। समय का च ही ऐसा
है क िबना आगे बढ़े वह कोई भी व तु ा करने ही नह देता?
अब दोन शलाका आकाश माग से सूयाि भवन क ओर चल दये।
एक माँ ने अपने पु को दया वचन पूरा कर दया था।
◆ ◆ ◆
चैपटर-14
मृ युसंगीत
ितिल मा 7.72
इ अनुसारसकोई
समय सभी क नजर आसमान क ओर थ । ऐले स के कहे
नई मुसीबत सभी क ओर बढ़ रही थी? तभी सभी को
आसमान म उ र दशा से आती ई एक िमसाइल दखाई दी। िमसाइल सीधे
उ ह क ओर आ रही थी।
िमसाइल को देखकर सभी क जान ही सूख गई।
वह िमसाइल इनके गोल े म आकर इनसे थोड़ी दूरी पर िगरी।
िमसाइल के िगरने से एक भीषण धमाका आ और इसी के साथ उस थान
क पूरी घास जलकर राख हो गई।
“कै टे न अंकल, मुझे लग रहा है क, आपको आपके का उ र
िमल गया होगा।” शैफाली ने सुयश क ओर देखते ए कहा- “यह िमसाइल
भी ‘मी’ वर के पहले श द से बनी थी। यािन क अब कै र ने हम पर वार
करना शु कर दया है। इसिलये हम ज दी से ज दी कथारा के बाक वर
को िनकालना होगा और उन वर से बने श द पर भी यान देना होगा।”
तभी सभी को हवा म एक और िमसाइल आती ई दखाई दी। वह
िमसाइल भी इनसे कु छ दूरी पर एक अलग थान पर िगरी, िजसे देखकर
शैफाली िच ला उठी- “कै टे न अंकल, इस िमसाइल का िनशाना हम लोग
नह बि क वह नीली घास है। िमसाइल हर बार एक नये थान पर िगर कर
नीली घास को जलाती जा रही है। अगर ऐसा आ तो कसी ना कसी समय
वह हमारे ऊपर भी िगर सकती है? इसिलये अब हम देर नह करनी चािहये
और कथारा के अगले वर को िनकालना चािहये।”
शैफाली क बात सुन सुयश ने अपना हाथ िहलाकर, ऐले स को
अगला वर िनकालने को कहा।
सुयश का इशारा देखकर ऐले स ने कथारा का अगला तार ख च
दया। इसी के साथ वातावरण म तेज ‘फा’ क आवाज उभरी।
इस आवाज के उभरते ही इं धनुष से हरी करण िनकल और उ ह ने
उस पूरे मैदान म हरे रं ग के िविच कोहरे को फै लाना शु कर दया।
जैसे ही उस पूरे वातावरण म कोहरा फै ला, सभी के चलने क गित
ब त धीमी हो गई।
“यह कोहरा भी कथारा के ‘फा’ वर से बना है। कोहरे को अं ेजी म
हम ‘फॉग’ कहते ह। ..... पर यह तो ब त ही िविच कोहरा है, इसम चलते
ए हम ऐसा तीत हो रहा है क मानो हम कसी पानी के अंदर आगे बढ़
रहे ह ?” शैफाली ने कहा- “लगता है क कै र इस ार म भी हमारी गित
को कम करना चाह रहा है।”
अब सुयश ने ज दी से ऐले स को फर से इशारा कर दया।
ऐले स ने अब कथारा से ‘सो’ वर को िनकाल दया। ऐले स के
ऐसा करते ही इं धनुष से पीली करण िनकल और उन करण ने सोने के
समान पीली धातु क पोशाक पहने 7 यो ा का िनमाण कर दया। उन
सात यो ा का शरीर लगभग 8 फट ऊंचा था।
उन यो ा के हाथ म सोने क तलवार थ । यो ा का पूरा शरीर
कवच से ढके होने के बाद भी उनक शि का अहसास हो रहा था।
6 यो ा 3-3 क दो लाइन म बंटे थे और एक यो ा उनके लीडर क
तरह सबसे आगे था।
तभी सभी यो ा एक ‘खटाक’ क आवाज के साथ स य हो गये और
सुयश सिहत सभी लोग को दौड़ाने लगे। भला िसफ इतना था क कोहरे के
कारण उन यो ा क गित काफ कम थी।
वह सभी यो ा इस समय कसी सेना के जवान क तरह से एक साथ
अपने पैर चला रहे थे, िजसके कारण वातावरण म उन यो ा के धातु के
जूत क आवाज तेजी से गूंज रही थी।
उन यो ा को अपनी ओर आते देख, सुयश ने जोर से आवाज लगाते
ए कहा- “इन यो ा क गित ब त कम है, ऐसे म हम इनसे आसानी से
बच सकते ह। इसिलये दो त िजतना देर हो सके , इन सभी यो ा से दूर
रहो। ..... और ऐले सऽऽऽऽ तुम ज दी से अगला वर िनकाल दो।”
उधर अब जमीन से िनकलने वाली घास का आकार सभी के घुटन
तक हो गया था, िजसक वजह से कभी-कभी कसी का पैर उस लंबी घास म
फं स जा रहा था, िजसके कारण सभी को भागने म परे शानी हो रही थी।
दूसरी ओर बा रश भी थमने का नाम ही नह ले रही थी और खाली थान
पर िमसाइल का आ मण भी जारी था। ऊपर से सबसे बुरा हाल उस हरे
कोहरे ने कर रखा था, िजसने सभी क गित िब कु ल ही धीमी कर दी थी और
तो और .... अब तो यो ा भी सबके पीछे पड़ गये थे।
येक ण सबक मुसीबत बढ़ती ही जा रह थ ।
इस समय सबसे बेहतर ि थित म ऐले स ही था, जो क चुपचाप
अपोलो क मू त पर बैठा नीचे के दृ य को देख रहा था। तभी सुयश का
कहना मान ऐले स ने कथारा के अगले वर को भी िनकाल दया-
“लाऽऽऽऽऽऽ”
‘ला’ क विन िनकलते ही इं धनुष से नारं गी रं ग क करण िनकल ,
परं तु वह करण मैदान के पुल को पारकर दूसरी ओर िगर । सभी के िलये यह
आ य क बात थी। सभी यो ा से बचते ए उस नारं गी करण के िगरने
के थान को देख रहे थे।
तभी उन नारं गी करण ने जमीन के नारं गी कण के साथ िमलकर
एक मानव शरीर का िनमाण करना शु कर दया।
“कै टे न, लगता है क एक नई मुसीबत हमारे िलये तैयार हो रही है।”
टी ने तेज आवाज म सुयश से कहा- “पर बेहतर यही है क वह मुसीबत
हमारे मैदान से बाहर क ओर बन रही है।
धीरे -धीरे उस मानव शरीर ने एक लड़क का आकार ले िलया, िजसने
इस समय काले रं ग क चु त ेस पहन रखी थी। दूरी ब त यादा होने क
वजह से और तेज बा रश व कोहरे के कारण, कसी को भी अभी तक उस
लड़क का चेहरा िब कु ल साफ दखाई नह दया था।
तभी उस लड़क के हाथ म एक चमकता आ लॉके ट दखाई दया,
िजसे तौफ क ने इतनी दूर से भी तुरंत पहचान िलया। अब तौफ क यान से
उस लड़क के चेहरे क ओर देखने लगा।
पर लड़क के चेहरे को पहचानते ही तौफ क के ह ठ जोर से कं पकं पाने
लगे। अंततः उसके मुंह से उस लड़क का नाम िनकल ही गया-
“लॉरे नऽऽऽऽऽऽ।”
तौफ क के फु सफु साते ए श द भी जाने कै से पूरे वातावरण म फै ल
गये। यह देख तौफ क ने अचकचा कर अपने चारो ओर देखा और फर उसक
िनगाह जेिनथ पर जाकर टक गई।
अब तौफ क कातर नजर से जेिनथ क ओर लगातार देखे जा रहा
था। उसे समझ म नह आ रहा था क वह इस समय सबके सामने कै सा
वहार करे ?
जेिनथ भी तौफ क के मनोभाव को ब त अ छी तरह से समझ रही
थी, पर कु छ भी बोलना उसके िलये भी संभव नह दख रहा था। कै र ने
इस बार तौफ क के मि त क से बुरी तरह से खेला था।
“यह तो लॉरे न है, जो क लाश म बदल गई थी और इस समय उसके
हाथ म वही लॉके ट है, जो उसने मरने के समय पहन रखा था।” सुयश ने तेज
आवाज म कहा- “लगता है क कै र ने इस बार ‘ला’ वर से ब त से श द
एक साथ बनाने क कोिशश क है। जैसे क ‘लॉरे न, लाश व लॉके ट’। .... पर
कै र हमारे साथ इस कार का खेल, खेल य रहा है? यह बात मुझे समझ
म नह आई?”
चूं क जेिनथ ने तौफ क से उसके राज को कसी से ना बताने का वचन
दया था? इसिलये वह कसी मूक दशक क भांित अंजान बनी ई थी।
तभी लॉरे न ने मैदान के दूसरी ओर से चलना शु कर दया और उस
पुल के बीचोबीच आकर खड़ी हो गई। लॉरे न अब ना तो वहाँ से आगे जा रही
थी और ना ही पीछे ही जा रही थी। वह तो जैसे अब एक बुत सी बन गई थी।
परं तु लॉके ट को उसने अपने सीधे हाथ म पकड़ कर अपना हाथ ऊंचा उठा
रखा था।
ऐसा लग रहा था क जैसे वह कसी को अपना लॉके ट दखाना चाह
रही हो?
इस बार ऐले स ने िबना सुयश का इशारा पाये ए ही, कथारा के
आिखरी वर के तार को ख च िलया। अब वातावरण म ‘टी’ क तेज आवाज
जोर से गूंजी।
‘टी’ क आवाज सुन शैफाली ने आसमान क ओर देखा। आसमान म
मौजूद लाल रं ग क रे खा जोर से चमक और उससे लाल करण िनकलकर
धरती क ओर लपक , पर बा रश क नीली बूंद ओर कोहरे के हरे रं ग के
कारण व लाल करण आसमान से कहाँ आकर िगर , यह शैफाली को दखाई
नह दया?
अब शैफाली थोड़ी बेचैन होकर अपने चारो ओर देखने लगी। पर उसे
कह भी कोई भी प रवतन होता आ नजर नह आया?
“कै टे न अंकल, या आप लोग को कथारा के ‘टी’ वर से बनने
वाला कोई श द नजर आ रहा है? य क ‘टी’ वर ही कथारा का अिखरी
वर है, इसिलये मुझे लग रहा है क उस ‘टी’ श द म ही इस ितिल म को
तोड़ने का कोई ना कोई रह य अव य िछपा होगा?” शैफाली ने सबके साथ
भागते ए सुयश से पूछा।
“नह शैफाली, मुझे ‘टी’ से बनने वाला कोई भी श द यहाँ नजर नह
आ रहा? ऊपर से इस कोहरे , बादल और और बा रश के कारण इं धनुष का
लाल रं ग भी तो नजर नह आ रहा, नह तो उसे देखकर ही बताया जा
सकता था क कथारा का आिखरी वर ‘टी’ कौन सा श द बना रहा है? ....
पर फलहाल तुम तेज भागो शैफाली य क उन यो ा क गित लगातार
बढ़ती जा रही है।”
सुयश क बात सुन शैफाली ने अपनी गित थोड़ी और बढ़ा दी।
“पर कै टे न, हम इन मुसीबत से िनपटने का कोई ना कोई उपाय तो
सोचना ही होगा? ऐसे हम कतनी देर तक िमसाइल या फर उन यो ा से
बचते रहगे?” जेिनथ ने भागते ए सुयश से कहा।
“िजसको भी भागने म यादा परे शानी महसूस हो रही हो, वह कसी
कार से अपोलो क मू त पर चढ़ जाये। ऐसे म वह भी ऐले स क तरह से
वयं को सुरि त महसूस करे गा।” सुयश ने भागते ए जेिनथ से कहा।
“पर कै टे न, अगर कै र ने यहाँ पर लॉरे न को रखा है, तो अव य ही
लॉरे न के पास भी कोई रह य हो सकता है? तो फर या हम एक बार लॉरे न
के पास प ंचने क कोिशश कर?” टी ने कहा।
“लॉरे न के पास प ंचना संभव नह है। तुम लोग ने देखा था क पुल
के पास एक अदृ य दीवार थी, जो क हम पुल पर जाने ही नह दे रही थी,
ऐसे म हमम से कोई भी लॉरे न के पास नह प ंच सकता?”
तभी एकाएक भाग रहे यो ा क गित और बढ़ गई। अब लगातार
उन लोग और यो ा के बीच का फासला घटता जा रहा था।
“शैफाली ज दी से कु छ करो? हमारे पास अब समय ब त कम बचा
है।” जेिनथ ने शैफाली क ओर देखते ए ाथना भरे वर म कहा।
“कै टे न अंकल, सबसे पहले हम इन यो ा से अपना पीछा छु ड़ाना
होगा। य क यह लगातार हमारे समीप प ंचते जा रहे ह और कसी भी
ण यह हमम से कसी को भी मार सकते ह? .... हमारे पास यहाँ कोई भी
हिथयार ऐसा नह है, िजसके ारा हम इन 8 फु ट के दै याकार यो ा को
मार सक। अगर हमम से कसी ने इन यो ा से तलवार छीन भी ली, तो
ऐसे म हम इन कवचधारी यो ा को इनक तलवार से मार भी नह
सकते। ..... इसिलये इ ह मारने का मुझे एक ही उपाय दखाई दे रहा है और
वह उपाय है ... वह पुल। चूं क यह सभी यो ा कसी सेना के जवान क तरह
से एक साथ अपने कदम चला रहे ह, इसिलये मुझे पूरा िव ास है क इनके
कदम के अनुनाद से वह पुल टू ट जायेगा। ..... पर .... पर हम कै से भी उस
पुल पर नह जा सकते? .... उधर िमसाइल ने भी इस मैदान क 70 ितशत
घास को जला डाला है, इसिलये अब िमसाइल का खतरा भी हमारे ऊपर
बढ़ता जा रहा है।”
शैफाली बोल तो सुयश से रही थी, परं तु उसक एक नजर उन बादल
के ऊपर आसमान म बने इं धनुष पर लगी ई थी।
तभी एक चम कार आ। बादल क ओट एक थान पर थोड़ी
कमजोर हो गई, िजसके कारण एक ण के िलये शैफाली को इं धनुष क
लाल करण जमीन क ओर आती ई दखाई दे गई।
शैफाली क ती ण िनगाह लगातार इं धनुष क लाल करण का
पीछा कर रह थ । आिखरकार शैफाली को वह लाल करण एक थान पर
िगरती ई दखाई दे ग और वह थान था ..... तौफ क का िसर।
एक पल से भी कम समय शैफाली को जैसे सबकु छ समझ आ गया।
अब उसने अचानक से भागना बंद कर दया और अपनी ओर आ रहे यो ा
को यान से देखने लगी।
शैफाली को इस कार बीच म कता देख सुयश सिहत सभी को ब त
आ य आ। इसिलये सुयश भी कु छ आगे जाकर ठठक कर क गया और
चीखकर शैफाली को खतरे से आगाह करने लगा- “शैफालीऽऽऽऽ भागो वहाँ
से। .... वह सभी यो ा तु हारी ओर ही आ रहे ह।”
पर शैफाली, सुयश क आवाज सुनने के बाद भी अपने थान पर खड़ी
रही।
सभी 7 यो ा अपने पैर चलाते तेजी से शैफाली क ओर बढ़े और फर
आ यजनक तरीके से शैफाली के बगल से होते ए आगे क ओर बढ़ गये।
सभी यो ा शैफाली के बगल से ऐसे िनकले, जैसे क उ ह शैफाली से
कु छ लेना-देना ही ना हो? यह देख शैफाली के चेहरे पर एक िवजयी मु कान
िथरक उठी। अगले ही पल शैफाली तेजी से मुड़ी और तौफ क को देखते ए
जोर से चीखी- “तौफ क अंकल, तेज भागोऽऽऽऽ यह सभी यो ा िसफ और
िसफ आपके ही पीछे ह। यह कसी और को कु छ भी नह कहगे?”
शैफाली क आवाज सुन तौफ क को छोड़कर, बाक के लोग अपने
थान पर क गये। शैफाली का कहना िब कु ल ठीक था, उन यो ा को
कसी से कु छ भी लेना-देना नह था? वह तो बस पागल क भांित तौफ क
के पीछे भाग रहे थे।
वह यो ा एक-एक कर सभी के बगल से होते ए तौफ क के पीछे
लपके , पर इस समय तौफ क क भागने क गित देखने लायक थी। तौफ क
अपनी आम क े नंग का अ छा उपयोग कर रहा था।
अब शैफाली भागती ई सभी के पास आ प ंची।
शैफाली को पास आते देख सुयश ने शैफाली से पूछ िलया- “तु ह कै से
पता चला शैफाली क वह सभी यो ा िसफ तौफ क के पीछे ह?”
“कै टे न अंकल, जब मने कथारा के सातव वर ‘टी’ को ढू ंढने के िलये
आसमान क ओर देखा, तो मुझे इं धनुष से िनकली लाल करण तौफ क
अंकल पर ही िगरती ई दखाई द । तभी मेरे दमाग म आया क ‘टी’ से तो
तौफ क अंकल का नाम भी है। यािन क हम िजस ‘टी’ श द को ढू ंढने के िलये
इधर-उधर देख रहे थे, वह श द हम लोग के बीच म ही था। पर उस लाल
करण के िगरने के बाद भी तौफ क अंकल के शरीर म कसी कार का कोई
बदलाव नह आया था? इसिलये मुझे यह तुरंत समझ म आ गया क कै र ने
इस ार को तोड़ने क ताकत िसफ और िसफ तौफ क अंकल को ही दी है ...
और आप लोग याद करो तौफ क अंकल ने कु छ देर पहले ही बोला था क
उनका ज म दन 7 जुलाई को पड़ता है। तभी मुझे लगा क यह यो ा हम
सबके नह बि क िसफ तौफ क अंकल के पीछे हो सकते ह। इसी बात को
जांचने के िलये म एक थान पर क गई और देिखये मेरा सोचना िब कु ल
सही िनकला। .... अब तो म दावे के साथ कह सकती ँ क उस पुल के पार
िसफ तौफ क अंकल ही जा सकते ह और जब वह यो ा तौफ क अंकल के
पीछे उस पुल पर जायगे, तो उन यो ा के कदम के एक साथ चलने क
वजह से, प थर का वह पुल टू ट जायेगा और इस कार वह सभी यो ा पुल
के नीचे दख रहे उस लावे म जल जायगे।”
“तो फर देर य कर रही हो? ज दी से यह योजना तौफ क को बता
दो, िजससे वह ज दी से ज दी उन यो ा से अपनी जान को बचा सके ।”
सुयश ने शैफाली को देखते ए कहा।
“म उ ह पुल के पार तो भेज दूँगी, परं तु अभी भी मुझे पुल पर लॉरे न
का खड़े होना समझ म नह आया और उ ह देखकर यह साफ लग रहा है क
उनके हाथ म पकड़े लॉके ट म भी कै र ने कु छ ना कु छ रह य तो िछपाया ही
होगा? ... बस इसी को समझने के िलये म अभी तौफ क अंकल से कु छ नह
बोल रही ँ?” शैफाली ने सुयश को समझाते ए कहा।
शैफाली के श द सुनकर जेिनथ एक पल के िलये िहल सी गई, य क
यहाँ खड़े लोग म िसफ उसी को पता था क लॉरे न के उस लॉके ट का या
रह य है? .... पर अपने वचन से बंधे होने के कारण जेिनथ अभी भी कु छ भी
बोलना नह चाहती थी? जाने य जेिनथ को लग रहा था क लॉरे न का
वहाँ पर होना, तौफ क के िलये कोई अ छा संकेत नह है?
तभी सभी को वह यो ा तौफ क के ब त पास आते दखाई दये। इस
समय तौफ क उस पुल के पास म ही था।
उन यो ा को अपने इतने पास आते देख तौफ क को ना जाने या
सूझा क वह पुल क ओर मुड़ गया? पुल के पहले पड़ने वाली अदृ य दीवार
ने तौफ क को नह रोका।
अब तौफ क तेजी से भागता आ लॉरे न के पास जाकर खड़ा हो गया।
लॉरे न को अपने सामने देख तौफ क ब त भावुक नजर आने लगा। कु छ पल
के िलये वह यह भी भूल गया क वह इस समय ितिल मा म खड़ा है, जहां
क दखने वाली हर चीज असली नह होती।
उधर पुल पर चढ़ने के कोिशश म लीडर यो ा का पैर पुल के कनारे
से फं स गया िजसक वजह से वह पुल के पहले ही जमीन पर िगर गया।
लीडर यो ा को िगरते देख बाक के यो ा अपने थान पर खड़े हो
गये और उस लीडर यो ा के वापस खड़े होने का इं तजार करने लगे।
तौफ क के िलये इतना समय काफ था, लॉरे न के साथ उस पुल के
दूसरी ओर जाने का। पर पता नह इस समय तौफ क या सोच रहा था? वह
सामने खड़ी लॉरे न के गले से लग गया।
“मुझे माफ कर देना लॉरे न ... मुझे पता है क तुम असली नह हो, पर
इस समय तु हारे िलये मेरी भावनाएं िब कु ल असली ह।” तौफ क, लॉरे न के
गले से िलपटा लगातार बोलता जा रहा था- “पता नह उस समय मेरे
दमाग म जेिनथ के ित कतनी बदले क भावना आ गई थी? जो मने उसके
िलये तु हारी जान ले ली। .... जो भी हो कै र ने ितिल मा का यह ार मेरे
ही दमाग को पढ़कर बनाया है और सच क ँ तो इसके िलये म कै र का
आभारी ँ। य क तु ह मारना मेरी जंदगी का सबसे खराब िनणय था ....
पर म आज इसी थान पर तु ह गले से लगाकर ायि त करना चाहता ँ।”
उधर दूर खड़े सभी लोग तेज िच लाकर, तौफ क को उस पुल से दूर
हटने के िलये कह रहे थे। सभी क तेज आवाज सुनकर तौफ क ने पीछे
पलटकर देखा और फर मु कु राते ए हाथ िहलाकर एक ‘ लाइं ग- कस’
जेिनथ क ओर उछाल दया।
उधर पुल के पास िगरा आ लीडर यो ा उठ खड़ा आ और उसने
आगे बढ़कर पुल पर अपना कदम रख दया। लीडर यो ा के पीछे -पीछे बाक
के यो ा भी कदमताल करते ए पुल के ऊपर आ गये।
इस समय जेिनथ क आँख से झर-झर आँसू बह रहे थे। वह लगातार
िच लाकर तौफ क को पुल से हटने का इशारा कर रही थी, पर जाने य इस
समय जेिनथ को महसूस हो गया था क अब तौफ क या करने जा रहा है?
पुल पर अब सभी यो ा आ गये थे और तेजी से तौफ क व लॉरे न क
ओर बढ़ते जा रहे थे। इस समय तौफ क क आँख म भी आँसु क बूंद
दखाई दे रह थ , ले कन चेहरे पर बा रश क बूंद होने के कारण कोई उन
आँसु क बूंद को समझ नह पा रहा था?
तौफ क ने उन यो ा क परवाह ना करते ए लॉरे न के हाथ म
पकड़ा लॉके ट वापस से लॉरे न के गले म पहना दया और उसे फर से गले से
लगा िलया।
यही वह पल था, जब क उन यो ा के कदमताल क वजह से
प थर से बना वह पुल टू ट गया और इसी के साथ तौफ क, लॉरे न को िलये
ए उस लावे म िगरने लगा।
तौफ क के पीछे -पीछे वह 7 यो ा भी उस लावे के कुं ड म िगर गये।
िगरते ए तौफ क क आँख म इस समय प ाताप के आँसू थे और थी
एक पुरसुकून शांित .............................. और फर एक महायो ा, एक
सव े िनशानेबाज, एक अंजान काितल, एक जेिनथ से यार करने वाला
आिशक और सबसे बढ़कर सबक जान बचाने वाला एक सुपरहीरो सरीखा
इं सान सदा-सदा के िलये इस दुिनया से िवदा ले चुका था।
वैसे तो इस समय सबक आँख म आँसू थे, परं तु जेिनथ तो रोते-रोते
जमीन पर िगर गई थी।
तौफ क के उस अि क भट चढ़ जाने के बाद, देवता अपोलो क मू त
वापस से जमीन म समा गई। इसी के साथ उस ह पर छाये गाढ़े नीले
बादल का झु ड भी कह गायब हो गया?
अब बा रश भी थम चुक थी और िमसाइल का आ मण भी बंद हो
चुका था। शायद वह सब भी इस यो ा क ांजली से संतु हो गये थे।
एक कार से ितिल मा का आिखरी ार भी समा हो गया था और
उन सभी के सामने दख रहे ार के पास से अदृ य दीवार भी हट चुक थी।
सभी जेिनथ को शांत कराने क कोिशश कर रहे थे, पर इस समय
जेिनथ को सबसे यादा िजसक ज रत थी, वह तो वयं जेिनथ को अपनी
आँख से िनहार रहा था, पर ज़ेिन स को दये वचन के कारण वह इस समय
जेिनथ क मदद करने नह गया था और वह था लैकून के समयच पर बैठा
आ डे फानो का युवराज ओरस। ..... जो शायद इस समय कसी नये यु
क तैयारी म त था?
आिखरकार काफ देर तक रोते रहने के बाद जेिनथ थोड़ा शांत हो
गई। उधर सुयश व वहां खड़े लोग के मि त क म अनेक ् थे, परं तु कोई
भी इस दमागी हालत म नह था, क वह आपस म एक दूसरे से कोई
पूछ पाता?
जेिनथ के शांत होते ही सभी ितिल मा के उस आिखरी ार से बाहर
क ओर चल दये।
कसी को नह पता था क इस आिखरी ार के बाद या होने वाला
है? उ ह तो बस अब काला मोती चािहये था। वह काला मोती जो हजार
वष से कसी यो ा के आने का इं तजार कर रहा था? ...........................
हजार वष का इं तजार।
◆ ◆ ◆
नागयु
सु भगदड़़बहका कामाहौल
समय था, परं तु इस समय अराका ीप पर िब कु ल
था। अराका ीप के सभी िनवासी, ज दी से
ज दी अराका ीप को छोड़ देना चाहते थे और यह सब हो रहा था
वा िण के कहने पर।
सभी पु तक को ा करने के िलये यु हो चुके थे। वा िण को पता
चल गया था क मकोटा व िव ु ा एक हो चुके ह और वह ए ोवस पावर
के बचे ए यो ा को लेकर कसी भी पल अराका ीप पर आ मण कर
सकते ह।
इसिलये सुर ा क दृि से वा िण ने जमीन के अंदर रह रहे सभी
सामरा व सीनोर के िनवािसय को वहाँ से हटाने का लान बनाया था।
वा िण नह चाहती थी क अटलां टस क आिखरी स यता का अंत
हो? अतः वह ज दी से ज दी सभी अराकावािसय को वहाँ से िनकाल देना
चाहती थी।
अपने लान के फल व प वा िण ने एक रात पहले ही म यलोक से
मंगाकर, कु छ िविच से जलयान अराका ीप पर िभजवा दये थे। यह
िविच जलयान देखने म चपटी त तरी के समान थे, परं तु यह पूरे के पूरे
काँच जैसी पारदशक धातु से िन मत थे। यह जलयान जल क सतह पर भी
चल सकते थे और पानी के अंदर भी। हां इ ह चलाने के िलये कसी भी ि
क ज रत नह थी।
इस समय अराका ीप के दोन रा य क दु मनी समा हो चुक थी,
इसिलये िजसे भी जहां भी जगह िमल रही थी, वह उस जलयान म बैठकर
अराका से दूर जा रहा था।
आिखरकार 7 जलयान म भरे सभी या ी म यलोक क ओर चल
दये। इस समय म यलोक का यु समा हो चुका था, इसिलये वह सबसे
सुरि त थान था।
जब अराका का यु समा हो जाता, तो सभी नाग रक वापस से
अराका लौट आने थे।
इन सभी नाग रक को सुरि त म यलोक प ंचाने का भार ऐले स
के कं ध पर डाला गया था, इसिलये ऐले स इन सभी जलयान के आगे-आगे
चल रहा था।
ऐले स भी इस समय एक छोटे से जलयान म उपि थत था, जो क
ोन के समान था। यह वही जलयान था, िजसम बैठकर युगाका व ि काली
कई बार या ा कर चुके थे। यह ोननुमा जलयान सामरा रा य क वै ािनक
तकनीक से िन मत था, जो क आवाज से चलता था।
ऐले स जानता था क उसका काय इतना सरल नह होने वाला
य क अभी तक ए ोवस पावर का अंत र यान उसी अटलां टक
महासागर म था, िजस अटलां टक महासागर से इस समय ऐले स जा रहा
था।
अराका ीप से म यलोक का रा ता 6 घंटे का था। परं तु ऐले स के
अके ले होने के कारण उसे यह रा ता ब त उबाऊ लग रहा था।
3 घंटे का माग तीत हो चुका था। परं तु रा त म अभी तक कोई भी
परे शानी नह ई थी? हां कभी-कभी समु के कु छ िवशाल जलीय जंतु
अव य िमले थे, पर कोई भी ऐले स क वशीि य शि के आगे कु छ कर
नह पाई?
तभी ऐले स को आगे दख रहा समु के पानी का रं ग थोड़ा अलग
दखाई दया।
“अभी तक तो हम िजतने भी थान से िनकले, उस सभी थान पर
समु के पानी का रं ग ह का हरा था, परं तु इस थान के पानी का रं ग तो
गाढ़े नीले रं ग का दखाई दे रहा है? या इस थान पर कोई खतरा हो
सकता है?”
यह सोचकर ऐले स ने सभी जलयान को उस थान से पहले ही रोक
दया।
कु छ देर तक अपनी वशीि य शि का योग करने के बाद ऐले स
को यह तो पता चल गया क यह नीला पानी ब त यादा दूर तक नह
फै ला? परं तु इसका कारण अभी भी ऐले स को समझ नह आ रहा था।
अब ऐले स अपने जलयान से िनकला और धीरे -धीरे तैरता आ नीले
पानी क ओर बढ़ने लगा। नीले पानी के पास प ंचकर ऐले स ने नीले पानी
को हाथ से छू कर देखा। ऐले स को वह नीला पानी थोड़ा गाढ़ा सा तीत
आ।
“यह पानी तो ब त ही गाढ़ा है। या इसम कु छ िमला आ है? ....
लगता है क मुझे इसके अंदर वेश करके देखना होगा।”
अब ऐले स उस नीले पानी के अंदर वेश कर गया। पर जैसे ही
ऐले स दूसरी ओर से बाहर िनकला, उसे उस पानी के म य एक ांड
घूमता आ नजर आया। उस ांड म असं य िसतारे थे, जो क ऐले स के
चारो ओर धीमी गित से नाच रहे थे।
“यह पानी के म य ांड कै से आ गया? इस थान पर िब कु ल
अंत र का अहसास हो रहा है। इसका मतलब अव य ही यहाँ पर कोई
अंत र का जीव िछपा है?”
ऐले स इस समय िबना पानी के हवा म लहरा रहा था। सुर ावश
ऐले स ने अपने शरीर को व के समान बना िलया।
तभी ऐले स को एक थान पर एक अंत र जीव खड़ा दखाई दया,
िजसके सीने पर ‘A2’ िलखा आ था।
चूं क वा िण इस समय वयं के यु म उलझी ई थी, इसिलये उसने
पहले ही सभी अराकावािसय को अंत र जीव क जानकारी दे दी थी।
उसी जानकारी के फल व प ऐले स नीडो को पहचान गया।
“अ छा तो ये नीडो है, िजसके पास नेबुला पावर है और उसी शि के
मा यम से इसने समु के अंदर इस कार क रचना क है। मुझे इससे
सावधान रहना होगा। ... पर यह इतनी देर से एक थान पर ही य खड़ा
है? और यह मुझ पर आ मण य नह कर रहा? कह इसम नीडो क कोई
चाल तो नह ?”
यह सोच ऐल स वयं ही हवा म तैरते ए नीडो क ओेर चल पड़ा।
नीडो, ऐले स को अपनी ओर आते ए देख रहा था, परं तु फर भी वह अपने
थान पर शांत खड़ा था।
नीडो के पास प ंचकर ऐले स ने नीडो के शरीर को छू ने क कोिशश
क , परं तु इस कोिशश के बाद तुरंत ऐले स को असिलयत का पता चल गया।
“अरे ! म तो कसी िवशाल पारदश बतन म ँ और नीडो बाहर पानी
म है। इसीिलये नीडो अपने थान से नह हट रहा। ... कह ऐसा तो नह क
नीडो ने जानबूझकर मुझे इस बतन के अंदर डाला है? .... लगता है क इस
नीडो को मेरी शि य का ान नह है। म अभी इस बतन के साथ-साथ
नीडो का म भी तोड़ता ँ।”
यह कहकर ऐले स ने अपनी पूरी शि से पारदश बतन पर हार
कर दया।
एक जोर क आवाज वातावरण म गूंजी- “ट ऽऽऽऽऽऽ।”
परं तु उस काँच के बतन पर खर च भी नह आई। यह देख ऐले स क
आँख कु छ सोचने वाले अंदाज म िसकु ड़ ग ।
ऐले स ने अपनी शरीर क वचा को और कठोर बनाकर पारदश
बतन पर एक हार और कर दया। परं तु इस बार भी ऐले स के घूंसे से कोई
िन कष नह िनकला।
अब ऐले स क गु से भरी नजर नीडो से जा िमल । नीडो ऐले स को
अपनी ओर देखते पाकर मु कु राने लगा।
तभी ऐले स को वह पारदश बतन छोटा होता आ महसूस आ।
“अरे ! यह पारदश बतन तो लगातार छोटा होता जा रहा है, इस
कार तो यह मुझे पीस डालेगा। .... मुझे कसी भी कार इस बतन से बाहर
आना होगा।
उधर ऐले स को बतन म संघष करते देख नीडो ने ना जाने या
कया? क अब पारदश बतन छोटा होने के साथ-साथ, धीरे -धीरे पानी म
ऊपर क ओर उठने लगा।
“अब तो यह बतन मुझे लेकर समु क सतह क ओर जा रहा है। मुझे
तुरंत इस बतन क कोई कमजोरी ढू ंढनी ही होगी? .... वैसे जब म इस बतन
के अंदर आया, तो इसक एक ओर क दीवार नह थी। यािन क इसक उस
ओर क दीवार का िनमाण नीडो ने बाद म कया है।”
अब ऐले स अपनी आँख क शि को बढ़ाकर यान से उस बतन को
देखने लगा।
ब त यान से देखने के बाद ऐले स को उस बतन क बाहरी सतह
पर, एक थान पर एक महीन दरार दखाई दी। अगर और कोई होता, तो
उस दरार को कभी भी नह देख पाता? परं तु ऐले स इस समय अपनी आँख
को कै नर क तरह से योग कर रहा था, इसिलये उसे वह दरार आसानी से
दखाई दे गई।
यह देख ऐले स ने उस थान पर भी अंदर से चोट करके देख िलया,
परं तु वह दरार अंदर से िब कु ल भी कमजोर नह थी।
“इस बतन क बाहरी दीवार कमजोर है, जो क बाहर से टू ट सकती
है, परं तु अब भला इस थान पर मुझे कौन सहायता करे गा?”
धीरे -धीरे समय बीतता जा रहा था। कु छ देर के बाद वह पारदश
बतन पूरी तरह से समु क सतह पर आ गया, परं तु समु क सतह पर
प ंचकर भी बतन का उठना बंद नह आ। अब वह बतन हवा म ऊपर क
ओर जाने लगा।
तभी ऐले स क ती िनगाह ने नीडो को पानी के अंदर भी देख
िलया, जो क अब उन सभी जलयान के सामने खड़ा था। नीडो को देखकर
साफ पता चल रहा था क नीडो के इरादे उस जलयान को लेकर कु छ ठीक
नह ह?
तभी ऐले स को हवा म एक ओर से आते ए असं य तीर दखाई
दये।
“इस थान पर यह तीर कौन चला रहा है? मेरी जानकारी म तो इस
कार से तीर चलाने वाली सुवया ही है, िजसके बारे म वा िण ने बताया
था, परं तु वह तो इस थान से ब त दूर है। ऐसे म यह तीर चलाने वाला
कौन हो सकता है?”
तभी सभी तीर आकर उस पारदश बतन के उसी थान पर धँसने
लगे, िजस थान पर बतन म दरार दख रही थी। हर अगले धँसते तीर के
साथ वह पारदश बतन लगातार कमजोर होता जा रहा था।
इस घटना को देखकर ऐले स यह तो समझ गया क तीर चलाने
वाला दो त है, दु मन नह । परं तु वह तीर ब त दूर समु म उभरे ए एक
पवत से आ रहे थे, िजसके कारण ऐले स को उस दो त के बारे म कु छ पता
नह चल पा रहा था?
“लगता है क वा िण ने मेरे िलये कसी बैकअप का लान भी कर
रखा था। ... चलो अ छा ही है, इस कार से म इस संकट से बच जाऊंगा।”
तभी एक आिखरी तीर ने उस बतन को दरार वाले थान से चटकाकर
तोड़ दया।
बतन के चटकते ही ऐले स हवा से पानी म आ िगरा, परं तु अब
ऐले स ने देर नह क और तेजी से उस थान क ओर तैरने लगा, िजधर
नीडो सभी जलयान के सामने खड़ा था।
“य द म अपने इसी वेष म नीडो के सामने गया तो नीडो कसी और
शि का योग कर मुझे मार देगा। तो फर य ना म नीडो के िबना
अहसास कये उसके पीछे तक प ंच जाऊं और उसे धोके से मार दूँ। ... उसने
भी तो मुझे धोका ही देकर पारदश बतन म फं साया था।”
यह सोच ऐले स ने अपनी वचा को शाक मछली के समान बना
िलया और पानी म तेजी से तैरता आ जलयान क ओर बढ़ चला।
कु छ ही देर म ऐले स जलयान के पास था। अब ऐले स को जलयान
के सामने खड़ा नीडो साफ दखाई दे रहा था, परं तु इस समय नीडो क पीठ
ऐले स क ओर थी।
इस समय य द ऐले स के शरीर पर मनु य क वचा होती, तो उसके
तैरने पर अव य ही आवाज आती, परं तु शाक क वचा होने के कारण नीडो
को अपने पीछे से ऐले स का आना महसूस ही नह आ।
अब ऐले स ने अपने शरीर क वचा पर बडे़-बड़े काँटे उगाकर, नीडो
पर पीछे से हमला कर दया। ऐले स नीडो के पास प ंचकर उससे तेजी से
िलपट गया। ऐले स ने नीडो से िलपटते ही अपने शरीर के काँट का आकार
और भी अिधक बढ़ा िलया।
जब तक नीडो समझता, तब तक वह मृ यु को ा हो गया था।
नीडो को मारने के बाद ऐले स ने राहत क साँस ली और फर से
अपने जलयान म बैठकर, म यलोक क ओर बढ़ गया।
परं तु जाते ए भी ऐले स के मि त क म एक बार-बार घूम रहा
था क वह तीर कसने चलाये थे? और अगर वह दो त था, तो वह ऐले स के
सामने य नह आया?
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ांड र क
दो त इ धनुष के रं ग क मांिनद होती है एक लेखक क रचनाएं। िजस कार इ धनुष म सात रं ग होते ह, ठीक उसी
कार लेखक क रचना म भी सात रं ग पाये जाते ह। हर रं ग अपने आप म एक अलग पहचान रखता है।
एक उ तरीय लेख िलखने के िलए, सबसे पहले एक स मोहक कथानक क आव यकता होती है, फर इसके एक एक
पा को मनका समझकर माला म िपरोया जाता है, िजससे पाठक को हर एक पा के जीवंत दशन हो सके । फर
क पना के असीम सागर म डु बक लगाकर मोितय क तरह एक-एक श द को चुनकर उनके भाव को अिभ करना
पड़ता है। तब कह जाकर तैयार होती है एक लेखक क रचना?
दो त मेरा नाम िशवे सूयवंशी है। आपके िलए शायद यह लेखक व इसक लेखनी नयी है। पर यह कलम आज से
लगभग 25 वष पहले से, िनरं तर रात क त हाइय म कोरे कागज पर एक अनकही द तक देती चली आ रही है। यह
अनकही द तक ‘ रं ग ऑफ़ अटलां टस’ नामक एक कथा ृंखला का प लेकर अब आपके सम है। यह मेरा वादा है क
इस कथा ृंखला क हर एक पु तक अपने आप म अि तीय होगी। इस ृंखला क आठव और अंितम पु तक
‘महासं ाम’ आपके हाथ म है।
इस ृंखला क अ य पु तक के नाम नीचे दये ए ह, जो क िपछले कु छ समय अंतराल म कािशत हो चुक ह-
1) सन राइ जंग
2) अटलां टस
3) मायावन
4) ितिल मा
5) देवशि
6) काला मोती
7) देवयु
मेरे ारा िलखी जाने वाली अगली पु तक का नाम है- “ कलश”
इस पु तक म देवयो ा आयन क लोक से अमृत लाने क एक अिव मरणीय गाथा है।
तो दो त मेरा नाम आपके िलए नया ज र है, पर मेरी लेखनी आपको नयी नह लगेगी।
दूसर को बनाने म तमाम उ गुजारी है,
पंख नये ह, पर अब मेरे उड़ने क बारी है।
दो त इस कताब को िलखने म ब त समय और मेहनत लगी है। इसे पढ़कर कृ पया र ू के मा यम से अपने िवचार
ज र क रयेगा।
इस उप यास के बारे म अपनी अमू य सुझाव हम अव य भेज। हमारी मेल आई डी है
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