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ADVAITA GURUKUL

Std - X HINDI

कहानी-लेखन
• कहानी-लेखन (Story-Writing)की परिभाषा (WRITE IN NOTEBOOK)
• जीवन की ककसी एक घटना के िोचक वर्ण न को 'कहानी' कहते हैं ।
• कहानी सु नने , पढ़ने और लिखने की एक िम्बी परम्परा हर दे श में रही है ; क्योंलक यह मन कय रमाती है और
सबके लिए मनयरों जक हयती है । आज हर उम्र का व्यक्ति कहानी सु नना या पढ़ना चाहता है यही कारण है लक
कहानी का महत्त्व लदन-लदन बढ़ता जा रहा है । बािक कहानी लिय हयते है । बािकयों का स्वभाव कहालनयााँ सु नने
और सु नाने का हयता है । इसलिए बड़े चाव से बच्चे अच्छी कहालनयााँ पढ़ते हैं । बािक कहानी लिख भी सकते हैं ।
कहानी छयटे और सरि वाक्यों में लिखी जाती है ।
• बच्चयों कय कहानी सु नने का बहुत चाव हयता है । दादी और नानी की कहालनयााँ िलसद्ध हैं । इन कहालनययों का
उद्देश्य मु ख्यतः मनयरों जन हयता है लकन्तु इनसे कुछ-न-कुछ लशक्षा भी लमिती है । आकार की दृलि से ये कहालनयााँ
दयनयों तरह की हैं - कुछ कहालनयााँ िम्बी हैं जबलक अन्य कुछ कहालनयााँ छयटी। आधु लनक कहानी मू ितः छयटी
हयती है । उसमें मानव जीवन के लकसी एक पहिू का लचत्र रहता है ।
• कहानी लिखना एक किा है । हर कहानी-िे खक अपने ढों ग से कहानी लिखकर उसमें लवशे षता पै दा कर दे ता है ।
वह अपनी कल्पना और वणण न-शक्ति से कहानी के कथानक, पात्र या वातावरण कय िभावशािी बना दे ता है ।
िे खक की भाषा-शै िी पर भी बहुत कुछ लनभण र करता है लक कहानी लकतनी अच्छी लिखी गई है ।
• ययों तय कहानी पू णणतः काल्पलनक भी हय सकती है , िे लकन पहिे छात्रयों कय दी गई रूपरे खा के आधार पर कहानी
लिखने का अभ्यास करना चालहए। लनम्नवगण के लवद्यालथण ययों कय पहिे लचत्र दे खकर और कहानी के सों केत पढ़कर
कहानी लिखने का अभ्यास करना चालहए।
• कहानी कलखते समय कनम्नकलखखत बातोों पि ध्यान दें -
(i) दी गई रूपरे खा अथवा सोंकेतयों के आधार पर ही कहानी का लवस्तार करें ।
(ii) कहानी में लवलभन्न घटनाओों और िसोंगयों कय सोंतुलित लवस्तार दें । लकसी िसोंग कय न
अत्योंत सोंलक्षप्त लिखें, न अनावश्यक रूप से लवस्तृत।
(iii) कहानी का आरम्भ आकषणक हयना चालहए तालक पाठक का मन उसे पढ़ने में रम
जाए।
(iv) कहानी की भाषा सरि, स्वाभालवक तथा िवाहमयी हयनी चालहए। उसमें क्तिि शब्द
तथा िम्बे वाक् न हयों।
(v) कहानी कय उपयुि एवों आकषणक शीषणक दें ।
(vi) कहानी का अोंत सहज ढों ग से हयना चालहए।
• यहााँ ध्यान दे ने की बात है लक कहानी रयचक और स्वाभालवक हय। घटनाओों का
पारस्पररक सोंबोंध हय, भाषा सरि हय और कहानी से कयई-न-कयई उपदे श लमिता हय।
अोंत में, कहानी का एक अच्छा शीषणक या नाम दे दे ना चालहए।
• परिभाषा- कहानी कय पररभाषा के चौखटे में बााँ धना एक कलठन कायण है। लिर भी, लवद्वानयों तथा
कहानी-िेखकयों ने इसकी पररभाषा अपने ढों ग से गढ़ी है। मुझे सबसे अच्छी पररभाषा सुिलसद्ध
कहानीकार प्रेमचन्द की िगती है। उन्ोोंने कलखा है : ''कहानी (गल्प) एक िचना है , कजसमें
जीवन के ककसी एक अोंग या मनोभाव को प्रदकशणत किना ही लेखक का उद्दे श्य िहता है।
उसके चरित्र, उसकी शैली, उसका कथा-कवन्यास- सब उसी एक भाव को पु ष्ट किते हैं।
वह एक ऐसा िमर्ीय उद्यान नही ों, कजसमें भााँकत-भााँकत के फूल, बेल-बूटे सजे हुए हैं ,
बखि एक गमला है , कजसमें एक ही पौधे का माधुयण अपने समुत्रत रूप में दृकष्टगोचि होता
है।'' लहन्दी के एक दू सरे कहानीकार अज्ञेय ने कहानी की परिभाषा इस प्रकाि दी है -
'कहानी जीवन की प्रकतच्छाया है औि जीवन स्वयों एक अधूिी कहानी है , एक कशक्षा है ,
जो उम्रभि कमलती है औि समाप्त नही ों होती।''
• कहानी की प्रमु ख कवशेषताएाँ
• इसकी लनम्नलिक्तखत लवशेषताएाँ है -
(1) आज कहानी का मु ख्य लवषय मनु ष्य है , दे व या दानव नही ों। पशुओों के लिए भी कहानी में अब कयई
जगह नही ों रही। हााँ , बच्चयों के लिए लिखी गयी कहालनययों में दे व, दानव, पशु-पक्षी, मनु ष्य सभी आते हैं ।
िेलकन श्रेष्ठ कहानी उसी कय कहते है , लजसमें मनु ष्य के जीवन की कयई समस्या या सों वेदना व्यि हयती
है । दे वी, दे वताओों, दानवयों और पशु-पलक्षययों का समय अब समाप्त हय गया।
• (2) पहिे कहानी लशक्षा और मनयरों जन के लिए लिखी जाती थी, आज इन दयनयों के स्थान पर कौतूहि
जगाने में जय कहानी सक्षम हय, वही सिि समझी जाती है । लिर भी, मनयरों जन आज भी साधारण
पाठकयों की मााँ ग है । कौतूहि और मनयरों जन से अलधक हम कहालनययों में मनु ष्य की नयी सों वेदनाओों की
खयज करते हैं ।
• (3) आज की कहालनययों में भाग्य की अपे क्षा पु रुषाथण पर अलधक बि लदया जाता है । आज का मनु ष्य यह
जानने िगा है लक मनु ष्य अपने भाग्य का लनमाण ता है , वह लकसी के हाथ का क्तखिौना नही।ों अतएव, आज
की कहालनययों का आधार जीवन का सों घषण है ।
• (4) िाचीन कहालनययों का उद्देश्य रस का पररपाक था। आज की कहानी का िक्ष्य लवलवध िकार के
चररत्रयों की सृ लि करना है । व्यक्ति-वै लचत्र्य लदखाना उसका मु ख्य उद्देश्य है । यही कारण है लक आज
कहानी में चररत्र-लचत्रण का महत्त्व अलधक बढ़ा है ।
• (5) पहिे जहााँ कहानी का िक्ष्य घटनाओों का जमघट िगाना हयता था, वहााँ आज घटनाओों कय
महत्त्व न दे कर मानव-मन के लकसी एक भाव, लवचार और अनुभूलत कय व्यि करना है।
िेमचन्द ने इस सम्बन्ध में स्पि लिखा है , ''कहानी का आधार अब घटना नही,ों अनुभूलत है।''
• (6) िाचीन कहानी समलिवादी थी। सबके लहतयों कय ध्यान में रखकर लिखी जाती थी। आज की
कहानी व्यक्तिवादी है , जय व्यक्ति के 'मनयवैज्ञालनक सत्य' का उद् घाटन करती है। मनयवैज्ञालनकयों
ने मानव-मन के लजन स्तरयों की खयज की है , उन स्तरयों की गहराई में उतरकर मानवीय सत्य कय
खयिकर उपक्तस्थत करना आज के कहानीकार का मुख्य िक्ष्य हय गया है।
• (7) पहिे की उपेक्षा आज की कहानी भाषा की सरिता पर अलधक बि दे ती है ; क्योंलक उसका
उद्दे श्य जीवन की गााँ ठयों कय खयिना है।
• (8) पुरानी कहालनयााँ अलधकतर सुखान्त हयती थी,ों लकन्तु आज की कहालनयााँ मनुष्य की
दु ःखान्तक कथा कय, उसकी जीवनगत समस्याओों और अन्तहीन सोंघषों कय अलधक-से -अलधक
िकालशत करती हैं।
साराों श यह है लक आज कहानी जीवन की िलतच्छाया के रूप में लिखी जा रही है। यह सब कुछ
हयते हुए भी सामान्य पाठक कहानी में मनयरों जन के तत्त्वयों कय भी ढू ाँ ढता है।
• कहानी-लेखन की कवकधयााँ
• कहानी का अलधकालधक िचार-िसार हयने के कारण छात्रयों से भी आशा की जाती है लक वे भी इस ओर ध्यान दें
और कहानी लिखने का अभ्यास करें ; क्योंलक इससे उनमें सजण नात्मक शक्ति जगती है । इसके लिए उनसे अपे क्षा
की जाती है लक वे चार लवलधययों से कहानी लिखने का अभ्यास करें
(1) कहानी की सहायता या आधाि पि कहानी कलखना, (2) रूपिे खा के सहािे कहानी कलखना, (3)
अधू िी या अपू र्ण कहानी को पू र्ण किना, (4) कचत्रोों की सहायता से कहानी का अभ्यास किना।
• (1) कहानी की सहायता या आधाि पि कहानी कलखना
• मू ि कहानी कय ध्यान से पढ़कर कहानी लिखने का अभ्यास लकया जाना चालहए। इसके लिए आवश्यक है लक
कहानी कय खू ब ध्यान से पढ़ा जाय, उसकी िमु ख बातयों या चररत्रयों या घटनाओों कय अिग कागज पर सों केत-रूप
में लिख लिया जाय और लिर अपनी भाषा में मू ि कहानी कय इस तरह लिखा जाय लक कयई भी महत्त्वपू णण बात
या घटना या िसों ग छूटने न पाय। यहााँ यह स्मरण रखना चालहए लक मू ि कहानी के आधार पर लिखी गयी कहानी
उससे अलधक बड़ी या िम्बी न हय, उससे छयटी हय सकती है । इस िकार की कहानी लिखते समय छात्रयों कय
अग्रोंलकत बातयों कय ध्यान में रखना चालहए-
• (i) कहानी का आरम्भ आकषण क ढों ग से हय (ii) सों वाद छयटे -छयटे हयों (iii) कहानी का क्रलमक लवकास हय (iv)
उसका अन्त स्वाभालवक हय (v) कहानी का शीषण क मू ि कहानी का शीषण क हय, (vi) भाषा सरि और सु बयध हय।
इनके आधार पर छात्रयों से कहानी लिखने का अभ्यास कराया जाना चालहए।
• (2) रूपिे खा (सों केतोों) के सहािे कहानी कलखना
• रूपरे खा या लदये गये सों केतयों के आधार पर कहानी लिखना कलठन भी है , सरि भी। कलठन इसलिए लक सों केत अधू रे हयते हैं ।
इसके लिए कल्पना और मानलसक व्यायाम करने की आवश्यकता पड़ती है । सरि इसलिए लक कहानी के सों केत पहिे से
लदये रहते हैं । यहााँ केवि खानापु री करनी हयती है । िे लकन, इस िकार की कहानी लिखने के लिए कल्पना से अलधक काम
िे ना पड़ता है । ऐसी कहानी लिखने में वे ही छात्र अपनी क्षमता का पररचय दे सकते है , लजनमें सजण नात्मक और कल्पनात्मक
शक्ति अलधक हयती है । इसके लिए छात्र कय सों वेदनशीि और कल्पनािवण हयना चालहए। एक उदाहरण इस िकार है -
• सों केत
• एक लकसान के िड़के िड़ते- लकसान मरने के लनकट- सबकय बु िाया- िकलड़ययों कय तयड़ने कय लदया- लकसी से न टू टा- एक-
एक कर िकलड़ययों तयड़ी- लशक्षा। उपयुण ि सों केतयों कय पढ़ने और थयड़ी कल्पना से काम िे ने पर पू री कहानी इस िकार बन
जाये गी-
• एकता
• एक था लकसान। उसके चार िड़के थे । पर, उन िड़कयों में मे ि नहीों था। वे आपस में बराबर िड़ते-झगड़ते रहते थे । एक
लदन लकसान बहुत बीमार पड़ा। जब वह मृ त्यु के लनकट पहुाँ च गया, तब उसने अपने चारयों िड़कयों कय बु िाया और लमि-
जु िकर रहने की लशक्षा दी। लकन्तु िड़कयों पर उसकी बात का कयई िभाव नहीों पड़ा। तब लकसान ने िकलड़ययों का गट्ठर
मााँ गाया और िड़कयों कय तयड़ने कय कहा। लकसी से वह गट्ठर न टू टा। लिर, िकलड़यााँ गट्ठर से अिग की गयी।ों लकसान ने
अपने सभी िड़कयों कय बारी-बारी से बु िाया और िकलड़ययों कय अिग-अिग तयड़ने कय कहा। सबने आसानी से ऐसा लकया
और िकलड़यााँ एक-एक कर टू टती गयीों। अब िड़कयों की आाँ खें खु िीों। तभी उन्योंने समझा लक आपस में लमि-जु िकर रहने
में लकतना बि है ।
• (3) अपूर्ण कहानी को पूर्ण किना
• छात्रयों में कल्पना-शक्ति जगाने के लिए ऐसी कहानी लिखने का भी अभ्यास कराया जाता
है, जय अधूरी या अपूणण है। उसकय पूरा करना है। इसके लिए आवश्यक है लक अपूणण
कहानी कय ध्यान से पढ़ाया जाय, उसके क्रमयों कय समझाया जाय और उनमें परस्पर
सम्बन्ध बनाते हुए सजणनात्मक कल्पना के सहारे अधूरी कहानी कय पूरा करने का अभ्यास
कराया जाय। एक उदाहरण इस िकार है-
• कौए ने गाना सुनाने के लिए ज्योंही अपनी चयोंच खयिी, रयटी का टु कड़ा उसके मुाँह से लगर
गया। रयटी का टु कड़ा िे ियमड़ी हाँस-हाँसकर खाने िगी और कौआ अपनी मूखणता पर
पछताने िगा। अब अगर दू सरी बार कौआ माोंस का टु कड़ा िे आये, तय ियमड़ी क्ा
करे गी ? इस अपूणण कहानी कय पूरा करें । यहााँ छात्र कय कल्पना-शक्ति के सहारे शेष
कहानी कय पूरा करने की कयलशश करनी चालहए। शेष कहानी के अनेक रूप हय सकते
है। इन्ें मैं छात्रयों की कल्पना पर छयड़ता हाँ।
• (4) कचत्रोों की सहायता से कहानी कलखना
• लचत्र भाव या लवचार कय जगाते हैं इनसे हमारी कल्पना-शक्ति जगती है। छात्रयों में भाव
और कल्पना-शक्ति कय जगाने के लिए लदये गये लचत्रयों की सहायता से पूरी कहानी तैयार
करने का अभ्यास कराया जाना चालहए। एक उदाहरण इस िकार है-
• मूखण बन्दि
• एक था सेठ। उसने एक बन्दर पािा था। बन्दर सेठ से बड़ा लहिा-लमिा था। सेठ बन्दर
कय बहुत बुक्तद्धमान समझता था, पर बन्दर तय बन्दर ही ठहरा। एक लदन की बात है। गमी
के लदन में सेठ गहरी नीोंद सय रहा था। बन्दर उसे पोंखा झि रहा था। एक मक्खी उड़कर
आयी और सेठ के शरीर पर बैठ गयी। बन्दर बार-बार उस मक्खी कय पोंखे से उड़ाता,
पर मक्खी बार-बार सेठ के शरीर पर बैठ जाती।
अन्त में बन्दर से नहीों रहा गया। बाहर से वह पत्थर का एक बड़ा-सा टु कड़ा िे आया।
इस बार मक्खी सेठ की नाक पर बैठी। बन्दर ने उसी समय पत्थर के टु कड़े से उसे जयर
से मारा। मक्खी तय उड़ गयी, पर बेचारे सेठ की नाक टू ट गयी। उनका एक दााँत भी टू ट
गया और वे बेहयश हय गये।
रूपिे खा (सोंकेतोों) के सहािे कहानी कलखने के उदाहिर् -
उदाहिर् 1:लकसान का बेटा – आिसी और आपसी झगड़े – लकसान परे शान – बीमार पडना – बेटयों
कय सु धारने का उपाय सयचना – एक-एक िकड़ी काटने कय कहना – चारयों िकलड़यााँ एकसाथ बााँ धना –
उन्ें तयड़ने कय कहना – असमथण लनकिना।
• सों गठन की ताकत
लकसी गााँ व में एक लकसान रहता था। उसके चार बेटे थे । वे चारयों अक्सर िड़ते रहते थे । अपने बेटयों के स्वभाव से
लकसान मन-ही मन बहुत दु ःखी रहता था। सयचते -सयचते वह एक लदन बीमार पड़ गया। अपने बेटयों कय सु धारने
का उसने एक उपाय सयचा। एक लदन जब वह लबस्तर पर िे टा था, तय उसने अपने चारयों बेटयों कय पास बुिाया
और उन्ें एक-एक िकड़ी दे कर कहा – “इन्ें तयडयों”। एक-एक कर उन चारयों ने अपनी-अपनी िकड़ी तयड़ दी।
लकसान ने मु स्कुराते हुए चारयों कय दे खा। लपता की मु स्कान का अथण उन चारयों की समझ में नहीों आया। अब
लकसान ने अपने पास से चार दू सरी साबुत िकलड़यााँ और एक रस्सी लनकािी। उसने अपने बड़े बेटे कय पास
बुिाकर चारयों िकलड़ययों कय रस्सी से बााँ धने केलिए कहा।
अब लकसान ने उन चारयों से उसे तयड़ने कय कहा। उन सभी ने बारी-बारी से उस िकलड़ययों के गट्ठर कय तयड़ने की
कयलशश की, िे लकन कयई तयड़ न सका। लकसान ने कहा – “सों गठन में बहुत शक्ति हयती है । यलद तु म ियग आपस
में लमिकर रहयगे तय सों सार में तु म्हें कयई हरा नहीों पाएगा। यलद आपस में झगड़ा करते हुए अिग-अिग रहयगे तय
कयई भी तु म्हारी आपस की िूट का िायदा उठा िे गा।” चारयों बेटयों ने अपने लपता से यह वादा लक वे अब कभी भी
आपस में झगड़ा नहीों करें गे। और इन िकलड़ययों के गट्ठर की तरह हमे शा सों गलठत हयकर रहें गे।
उदाहिर् 2: एक राजा – मोंत्री ईमानदार और समझदार – रात कय राजा का जाग उठना
– मोंत्री कय कमरे में लचोंलतत दे खना – गत साि िसि की कमी – कर वसू िी में वृक्तद्ध –
राजा मोंत्री से िभालवत – अगिे साि आधा िगान वसूि करने का लनणणय – राजा और
मोंत्री दयनयों खुश।
• अन्याय का धन
लकसी दे श में सु जानलसों ह नाम का राजा राज करता था। राजा का मों त्री लहम्मतलसों ह ने क, ईमानदार तथा बहुत समझदार था।
राजा सु जानलसों ह लहम्मतलसों ह का बहुत आदर करते थे ।
एक लदन अचानक रात में सु जानलसों ह की नीोंद खु ि गई। वे अपने कमरे से बाहर लनकिे तय उन्योंने दे खा, मों त्री लहम्मतलसों ह के
कमरे में िकाश हय रहा था। राजा वहााँ पहुाँ चे। उन्योंने झााँ ककर दे खा तय मों त्रीजी गहरी लचों ता में डू बे हुए लदखाई पड़े ।
सु जानलसों ह मों त्रीजी के कमरे में दाक्तखि हुए। उन्योंने मों त्री जी से पू छा – “मों त्री जी, आप इतने लचों लतत क्यों हैं ? क्ा राज् पर
कयई भारी लवपलि आ पड़ी है ?” लहम्मतलसों ह ने अपनी लचों ता का कारण बताते हुए कहा – “महाराज, गत वषण की अपे क्षा इस
वषण के िगान की वसू िी अलधक है । अलधक वसू िी का कारण जानने केलिए ही में लचों लतत हाँ ।” राजा बयिे . “आमदनी कम तय
नहीों हुई, बढ़ गयी है न? रात बहुत हय चु की है । अब आप सय जाइए।
कि इस लवषय पर लवचार लकया जाएगा।” मों त्री जी लचों लतत स्वर में बयिे – “गरीब लकसान बडे पररश्रम से अन्न उपजाता है ।
िजा कय दु ःखी करके कयई भी राजा सु खी नहीों हय सकता और न ही उसका शासन अलधक लदनयों तक चिता है । राजा कय
मों त्री की बात उलचत िगी। अगिे लदन सु बह उन्योंने घयषणा कर दी लक अगिे वषण से आधा िगान ही वसू ि कर लिया
जाएगा। राजा के इस लनणण य से मों त्री लहम्मत लसों ह के साथ साथ राज् की िजा भी बहुत खु श थी।
उदाहिर् 3: एक आदमी – िािची – तपस्या करना – दे वता का ित्यक्ष हयना – थैिी में
सयने के लसक्के डािना – जमीन पर न लगरे – लगरने पर लमट्टी हय जाने की चेतावनी – थैिी
का भर जाना – आगे भी थेिी पसारते रहना।
• िािच का िि
एक आदमी था। वह एक सु न्दर गााँ व में रहता था। वह बडा सु स्त था और दू सरयों के समान मे हनत न
करता था। वह बडा िािची भी था। इसलिए लबना मे हनत के वह धनी बनना चाहता था और इसकेलिए
तपस्या करके दे वता कय ित्यक्ष करने का लनश्चय लकया। उसने तपस्या की और उसके सामने दे वता ित्यक्ष
हुआ। दे वता ने पू छा – “अरे मैं तुम पर िसन्न हाँ । तुम्हें क्ा चालहए?” आदमी ने कहा – ” मैं बहुत गरीब हाँ ।
इसलिए मु झे धनी बनाइए। आप मु झे सयने के लसक्के दीलजए।” दे वता ने उसकी थै िी में सयने के लसक्के
डाि लदये । लिर उसकय चे तावनी दी – “अरे ये सयने के लसक्के कभी नीचे न लगरे ।
यलद वे नीचे लगर गए तय लमट्टी हय जाएाँ गे ।” आदमी ने दे वता की बात मान िी। दे वता थै िी में सयने के
लसक्के डािते रहे । थै िी भर गयी, िेलकन उसका िािच कम न हुआ। वह आगे थै िी पसारते हुए दे वता
के सामने रहा। इसका िि यह हुआ लक लसक्कयों से अलधकाों श लसक्के जमीन पर लगर गये और सब के
सब लमट्टी बन गये । आदमी बहुत लनराश हुआ। उसे रयना आया। उसने सयचा लक यह सब मे रे िािच के
पररणाम से हआ है ।

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