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दुख का अधिकार

 यशपाल
दीर्घोत्तरीय प्रश्न
क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1) मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है ?
उत्तर- मनुष्य की पोशाक ही समाज में उसका अधिकार व दर्ज़ा निश्चित करती है। पोशाक कभी
मनुष्य के लिए बंद दरवाज़े खोल देती है जिससे नए अवसर प्राप्त होते हैं। और कभी यही पोशाक
हमें अचानक झुक सकने से रोके रहती है।

2) पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?


उत्तर - हमारी पोशाक हमें कई श्रेणियों में बाँट देती है। कु छ परिस्थितियों में जब हम ज़रा नीचे
झुककर समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं तब यही पोशाक हमारे
लिए बंधन और अड़चन बन जाती है। इस प्रकार पोशाक के कारण एक श्रेणी के लोग दूसरी श्रेणी
के लोगों से सहसा मेल-जोल नहीं कर पाते।

3) लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया?


उत्तर –लेखक अच्छी पोशाक पहने हुए उस बाज़ार से गुज़र रहा था जहाँ वह खरबूज़े बेचने वाली
स्त्री बैठी रो रही थी। फु टपाथ पर उसके समीप बैठ सकने में उसकी पोशाक ही अड़चन बन गई थी
अर्थात ऊँ चे वर्ग की पोशाक ने उन्हें उस गरीब स्त्री से बात करने से रोक दिया। इसी कारण लेखक
उस स्त्री के रोने का कारण नहीं जान पाया।

4) भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कै से करता था?


उत्तर- भगवाना शहर के पास डेढ़ बीघा जमीन पर कछियारी कर अर्थात हरी तरकारियाँ तथा
खरबूज़े उगाया करता था। वह रोज सुबह उन्हें बाज़ार में ले जाकर फु टपाथ पर बैठकर बेचता था,
इस प्रकार वह अपने परिवार का निर्वाह करता था।

5) लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूजे बेचने क्यों चल पडी ?


उत्तर- लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन लड़के की माँ के सामने बहू की बीमारी और पोतों की भूख
की समस्या आ खड़ी हुई। घर का अनाज व आटा लड़के के अंतिम क्रिया-कर्म में समाप्त हो गया।
घर में एक पैसा भी नहीं था। बेटे के बिना बुढ़िया को कोई उधार देनेवाला भी नहीं था। इसलिए वह
मजबूरी में लडके की मृत्यु के दूसरे ही दिन खरबूज़े बेचने चल पड़ी।
6) बुढ़िया के दुख को देखकर लेखक को अपने पडोस की संभ्रात महिला की
याद क्यों आई?
उत्तर- बुढ़िया के दुख को देखकर लेखक को अपने पडोस की संभ्रात महिला की याद आई क्योंकि
बुढ़िया ही की तरह उसका भी जवान बेटा मर गया था। अपने बेटे के दुख में वह ढ़ाई महीने तक
पलंग से उठ न सकी थी। वह बार-बार बेहोश हो जाती थी और होश में आने पर लगातार रोती
रहती थी। दो-दो डॉक्टर उसकी देखभाल करते रहते थे। सारे शहर के लोगों की सहानुभूति उसके
साथ थी।

ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए ।


1) बाज़ार के लोग खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे?
अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- बाज़ार के लोग खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री के बारे में तरह-तरह की बातें कर रहे थे। कोई उसे
बेहया कह रहा था, कोई कह रहा था कि उस स्त्री की नीयत ठीक नहीं है। फु टपाथ पर खड़े एक
आदमी ने कहा कि ये कमीने लोग हैं। इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी
का टु कड़ा है। परचून की दुकान पर बैठे लालाजी ने कहा कि यह औरत औरों का धर्म-ईमान
बिगाड़कर अँधेर मचा रही है। पुत्र-शोक के कारण यह सूतक में है। इसलिए उसे बाजार में खरबूज़े
बेचने के लिए नहीं बैठना
चाहिए ।

2) पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?


उत्तर- पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को पता चला कि उस स्त्री का तेईस साल का
जवान लड़का साँप के डँसने से मर गया था। घर में बहू व पोता-पोती भी हैं। लड़का कछियारी
करके व फल-सब्जियाँ बेचकर अपने परिवार का गुजारा करता था। एक दिन मुँह-अँधेरे खरबूज़े
चुनते समय साँप ने उसे डँस लिया। बुढ़िया ने ओझा से झाड़-फूँ क करवाई, नागदेव की पूजा
करवाई, दान-दक्षिणा दी पर लड़का बच न सका।
3) लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या-क्या उपाय किए?
उत्तर- बुढ़िया माँ अपने बेटे की हालत देख बावली-सी हो उठी और ओझा को बुला लाई। ओझा से
झाड़-फूँ क करवाई, नागदेव की पूजा भी करवाई। पूजा की दान–दक्षिणा में घर का सारा आटा व
अनाज उठ गया। पर सारी कोशिशों के बाद भी भगवाना को बचाया न जा सका।

4) लेखक ने बुढ़िया के दुख का अंदाजा कै से लगाया?


उत्तर- बुढ़िया खरबूज़े बेचने आई थी परंतु वह टोकरी को सामने रख, कपड़े से मुँह को लपेटे सिर
को घुटनों पर रखे फफ़क-फफ़ककर कर रो रही थी। उसके रोने का कारण जानने पर लेखक
उसकी लाचारी व मजबूरी को देखकर द्रवित हो उठे । बुढ़िया की तुलना अपने पड़ोस की महिला के
पुत्र शोक से करने पर वे उसके दुख का अन्दाज़ा लगा सके । दूसरी तरफ उस गरीब बुढ़िया पर
लोग थू-थू कर रहे थे क्योंकि गरीब होने के नाते उसे दुखी होने का अवकाश न था।

प्र 0 5) इस पाठ का शीर्षक ‘दुख का अधिकार’ कहाँ तक सार्थक है ? स्पष्ट कीजिए?


उत्तर- इस पाठ का शीर्षक ‘दुख का अधिकार’ एकदम उचित है। लेखक यह कहना चाहता है कि
यद्यपि दुख प्रकट करना हर व्यक्ति का अधिकार है। परंतु हर किसी के लिये यह सम्भव नहीं है।
कहानी मे एक संभ्रात महिला है जिस पर कोई ज़िम्मेदारी नहीं है। उसके पास पुत्र शोक मनाने के
लिए धन है, समय है और साधन है परंतु दूसरी ओर गरीब व मजबूर बुढ़िया माँ के पास पुत्र शोक
मनाने का न समय है न धन है और न साधन हैं। पुत्र की मृत्यु के दूसरे दिन ही उसे सौदा बेचने
बाजार जाना पड़ता है। इस प्रकार लेखक यह बताने की कोशिश करते हैं कि दुख के समय मातम
मनाने का भी अधिकार गरीबों को नहीं है।

ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-


1) जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देती उसी तरह खास
परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
आशय- लेखक ने इस वाक्य में वर्ग – भेद को स्पष्ट किया है। कटी हुई पतंग
हवा की रूकावट के कारण एकदम भूमि पर आकर नहीं गिरती। ठीक उसी प्रकार ऊँ चे वर्ग की
पोशाक पहनकर कोई व्यक्ति निचले वर्ग के लोगों के साथ अचानक मेलजोल नहीं कर सकता।
उसकी पोशाक ही इन सामाजिक संबंधों में रूकावट बन जाती है।

2) इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टु कडा है।


आशय- यह कथन फु टपाथ पर खड़े एक आदमी का है जो कान खुजाते हुए उस गरीब बुढ़िया पर
व्यंग्य कर रहा है। उसका मानना है कि गरीब लोग के वल अपना पेट भरने की चिंता करते हैं इनमें
मानवीय भावनाएँ नहीं होती। इनके सामने बेटा-बेटी, पति-पत्नी किसी रिश्ते-नाते की कीमत
नहीं, सबसे बढ़कर रोटी का टु कड़ा है, जिसके लिए ये लोग मरते हैं। उस आदमी की नजर में गरीब
बुढ़िया एक तुच्छ इंसान है।

3)शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिये और... दुखी होने का भी एक अधिकार
होता है।
आशय- बुढ़िया का दुख देखकर लेखक का मन व्यथा से भर गया। वह बुढ़िया अपने बेटे की मृत्यु
का दुख भी ठीक से नहीं मना पाई और उसे दूसरे दिन ही अपने परिवार का पेट भरने के लिए
खरबूज़े बेचने बाजार जाना पड़ा। इसलिए मजबूरी के कारण वह अपना शोक को दबाकर कर्तव्य
पालन में लग गई। लेकिन दूसरी ओर लेखक के पड़ोस में रहने वाली महिला अपने बेटे की मृत्यु
का दुख ढ़ाई महीनों तक मनाती है। वह बिस्तर से नहीं उठ पाई क्योंकि उसकी सेवा करने वाले
लोग थे और पैसों की कमी नहीं थी। उस पर बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी नहीं थी।
इसलिए लेखक ने ऐसा कहा है।

भाषा-अध्ययन-

2 निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए-


ईमान- ज़मीर, सच्चाई
बदन- शरीर, तन, देह
अंदाजा- अनुमान, आकलन
बेचैनी- तड़प, व्याकु लता
गम – दुख, विषाद, शोक
दर्ज़ा – श्रेणी, वर्ग, स्तर
जमीन- धरा, भूमि, वसुधा
ज़माना- युग, काल
बरकत- लाभ, सौभाग्य, उन्नति

3 पाठ में आए शब्द-युग्मों को छाँटकर लिखिए-


उदाहरण- बेटा-बेटी
अन्य उदाहरण- खसम- लुगाई
ईमान- धर्म
आते-जाते
दान-दक्षिणा
पोता-पोती

4 पाठ के संदर्भ के अनुसार निम्नलिखित वाक्यांशों की व्याख्या कीजिए-


1) बंद दरवाजे खोल देना- रास्ता निकल आना
2) निर्वाह करना- गुज़ारा करना
3) भूख से बिलबिलाना - भूख के कारण तड़पना
4) कोई चारा न होना - कोई उपाय न होना
5) शोक से द्रवित हो जाना - दुख को देखकर करूणा से पिघल जाना

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