You are on page 1of 2

‫ دبي‬, ‫مدرسة جيه اس اس العالمِ ية‬

नाम--------------------- जे.एस.एस. इण्टरनेशनल स्कूल, दब ु ई ददनाांक ----------------


कक्षा- अभ्यास पत्र - अपना-अपना भाग्य
प्रश्न 1 - अपना -अपना भाग्य कहानी में कहानीकार ने ककस समस्या को उजागर ककया है ?
उत्तर- प्रस्तुत कहानी के माध्यम से लेखक ने आज के युग में व्याप्त स्वार्थपरता , मनुष्यों
की हृदयहीनता, संवेदनशून्यता तर्ा गरीबी का चित्रण ककया है तर्ा सार् ही एक दस वर्षीय
गरीब बालक की हृदय ववदारक समस्या को उजागर ककया है । यह कहानी हमारे दे श की
आचर्थक ववर्षमता को दशाथती है । आज का मानव स्वार्थ में इतना अंधा हो गया है कक उसे
दस
ू रों का दख
ु -ददथ ददखाई ही नहीं दे ता । वह ककसी मज़बूरी में जूझते व्यक्तत की सहायता
करने के बजाय उसकी क्स्र्तत को ‘अपना-अपना भाग्य’ बताकर हर कोई अपनी क्ज़म्मेदारी
से बिना िाहता है ।

प्रश्न 2 - पहाड़ी बालक के चररत्र की विशेषताओां पर प्रकाश डाललए ।


उत्तर- पहाड़ी बालक लगभग दस वर्षथ का र्ा । उसकी हालत अत्यंत दयनीय र्ी । दििुरती
िं ड में भी उसने केवल एक फटी मैली कमीज़ पहनी र्ी । उसके सर पर न तो टोपी र्ी और
न ही पैरों में जूते । वह एक जगह काम करता र्ा, जहााँ उसे एक रुपया और जूिा
खाना ममलता र्ा लेककन वहााँ से भी हटा ददया गया । अब वह अकेला र्ा, उसके पास सर
ढकने के मलए न तो छत र्ी और न ही पेट भरने के मलए भोजन । नैनीताल से दस कोस
दरू उसका गााँव र्ा । वहााँ उसके माता-वपता और कई भाई-बहन रहते र्े । वहााँ कोई काम
नहीं र्ा । वो सब भख
ू ों मरते र्े । उसकी मााँ रोती रहती र्ी । अत: गरीबी के कारण पररवार
के झगड़ों से तंग आकर वह
नैनीताल भाग आया

प्रश्न 3 – क्या लेखक और उसका लमत्र पहाड़ी बालक की मदद कर पाया ?


उत्तर- लेखक और उसक ममत्र नैनीताल घम
ू ने आए र्े । संध्या के समय उन्होंने एक गरीब
बालक को अत्यंत दयनीय क्स्र्तत में दे खा । दििुरती िं ड में उस बालक के पास तन ढकने
के मलए भी पूरे कपड़े नहीं र्े । लेखक के ममत्र ने उसे बुलाकर उससे अनेक प्रश्न ककए और
उसे मदद करने का भरोसा ददलाकर अपने एक वकील ममत्र के पास ले गए । लेककन जब
वकील ममत्र ने उसे नौकरी दे ने से इंकार कर ददया । तो उन्होंने उस गरीब बालक को न तो
रहने के मलए छत दी और न खाने को भोजन और दििुरती िं ड में उसे मरने के मलए छोड़
ददया ।
प्रश्न 4 – लेखक लड़के को नौकरी ददलाने के ललए ककसके पास ले गए ? उनके पहाड़ी
बालक के बारे में क्या विचार थे ?
उत्तर – लेखक पहाड़ी बालक को नौकरी ददलाने के मलए अपने एक वकील ममत्र के पास ले
गए, जो नैनीताल के ही एक होटल में िहरे हुए र्े । वकील साहब ने लड़के को नौकरी दे ने
से इंकार करते हुए कहा कक ये पहाड़ी बड़े शैतान होते हैं । बच्िे-बच्िे में दोर्ष तछपे रहते हैं ।
बबना जाने-पहिाने ककसी को भी नौकर बना मलया जाए और दस
ू रे ददन वह सब -कुछ लट
ू कर
िला जाए तो हम उसे कैसे पकड़ेंगे।यह कहकर वह अपने होटल के कमरे में सोने िले गए ।
प्रश्न 5 – “ आदलमयों की दनु नया ने बस यही उपहार उसके पास छोड़ा था ।” पांक्क्त का
आशय स्पष्ट कीक्जए ।
उत्तर – लेखक और उसका ममत्र जब अपनी नैनीताल यात्रा पूरी कर वापस लौटने के मलए
जीप में बैि ही रहे र्े कक उन्हें समािार ममला कक वपछली रात िं ड से दििुरकर एक पहाड़ी
बालक की मौत हो गई।बालक को इस भरे संसार में उस रात एक भी ऐसा व्यक्तत नहीं
ममला जो उस रात उसे तन ढकने के मलए कपड़े व सर ढकने के मलए छत दे ता तर्ा उसे
िं ड में मरने से बिा पाता अर्ाथत इस स्वार्ी दतु नया के पास उसके मलए मसफथ मौत का
उपहार र्ा ।
प्रश्न 6 – प्रकृनत ने लड़के को क्या उपहार ददया ?
उत्तर – जहााँ इंसानों की दतु नया इतनी संवेदनहीन और स्वार्थ में अंधी हो िुकी है कक उसे
एक गरीब असहाय बालक की दयनीय क्स्र्तत न तो ददखती है और न ही उसकी करुण
पुकार सुनाई दे ती है , वहीं जैसे समाज की बेशमी को ढकने के मलए प्रकृतत ने उस बालक के
मलए सफेद, िं डे कफन का प्रबंध कर ददया र्ा । अर्ाथत मनुष्य तनष्िुर हो सकता है पर
प्रकृतत अपने परोपकार के गुण का कभी त्याग नहीं करती ।
प्रश्न 7 – कहानी का अांत अत्यांत हृदयस्पशी है । स्पष्ट कीक्जए ।
उत्तर- कहानी का आरं भ बड़ा ही सुखदाई और आनंददायक है । ल्रेखक और उसका ममत्र
नैनीताल के प्राकृततक नज़ारों का आनंद ले रहे हैं, तभी उन्हें एक गरीब बालक अत्यंत
दयनीय क्स्र्तत में ददखाई दे ता है । लेखक का ममत्र उसे पास बुलाकर उससे अनेक प्रश्न
पूछता है और नौकरी ददलाने का आश्वासन भी दे ता है । जब लेखक का ममत्र उसे नौकरी दे ने
से इंकार कर दे ता है तो वे इसके आगे उसकी कोई मदद नहीं करते और उसे उसके भाग्य
पर छोड़ दे ते हैं । वह रात उस लड़के पर बहुत भारी पड़ती है । उस भयंकर शीत में उसे इस
तनदथयी दतु नया से ककसी भी प्रकार की कोई सहायता नहीं ममलती । और अंत में वह एक पेड़
के नीिे आश्रय पाता है और वहीं उसकी िं ड से दििुरकर मौत हो जाती है । कहानी का अंत
पािकों को झकझोर कर रख दे ता है और यह सोिने पर मज़बरू कर दे ता है कक तया सिमि

मनष्ु य अपने स्वार्थ में इतना अंधा हो िक
ु ा है कक उसे अपनी सख
ु -सुववधाओं के अलावा और
कुछ नहीं ददखता ।

You might also like