जब से इस पृथ्वी का निर्माण हुआ है, तब से इस पृथ्वी को
सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रत्येक जीव-जंतु में नर व मादा का जन्म हुआ है। किसी भी जीव को अपनी जनसंख्याबढ़ाने के लिए नर व मादा की आवश्यकता होती है। जहाँ सभी जीवों में नर व मादा समान होते है। लेकिन सभी जीवों में मनुष्य एकमात्र प्राणी है, जिसमें महिला व पुरुषों के अधिकार समान नही है। हमारे समाज में महिलाओं को वह अधिकार प्राप्त नही है, जो अधिकार पुरुषों को प्राप्त है। किसी भी देश या समाज का विकास तभी संभव है, जब उसमें प्रत्येक पक्ष का विकास हो। जब समाज का प्रत्येक वर्ग चाहे व पुरुष हो अथवा महिला, समान विकास करेंगे तो ही यह समाज आगे बढ़ पाएगा। भारत में महिलाओं की स्थिति:-
भारत में आदिकाल से ही महिलाओं का सम्मान किया जाता
था, लेकिन विदेशी आक्रमणकारियों के कारण भारत में महिलाओं की स्थिति काफी खराब हो गई। भारत में सन 2001 में 1000 पुरुषों पर 927 महिलाएं ही बची हुई थी, लेकिन सन 2010 में यह अनुपात घटकर 918 ही रह गया। इसका प्रमुख कारण भारत में महिलाओं की स्थिति थी। उस समय भारत में महिलाओं की स्थिति कु छ खास नही थी। भारत में महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले काफी कम अधिकार प्राप्त थे। महिलाओ को सिर्फ घर के कार्य करने व घर संभालने के लायक समझा जाता था। उन पर घरेलू हिंसा आम बात थी। महिलाओं की शादी के समय उनके परिवार से बहुत अधिक दहेज़ लिया जाता था। महिलाओं को घर से बाहर काम नही करने दिया जाता था। इस दौरान भारत में बहुत बडी मात्रा में भ्रूण हत्या होने लगी, जिससे महिलाओं की संख्या में काफी कमी आई। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान:-
महिलाओं की बढ़ती ख़राब स्थिति को देखते हुए भारत
सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरूआत की गई थी। भारत में कन्या शिशु दर में होने वाली गिरावट को कम करने के लिए व कन्याओं के भविष्य को सुरक्षित व उज्जवल बनाने के लिए इस अभियान की शुरुआत की गई थी। इसके साथ ही इस अभियान से महिला सशक्तिकरण को भी बहुत बल मिलता है। इस योजना के प्रथम चरण में भारत सरकार द्वारा PC तथा PNDT एक्ट लागू किए गए। इसके साथ कन्या भ्रूण हत्या के प्रति राष्ट्रव्यापी जागरूकता और प्रचार अभियान चलाना जैसे कार्य किये जा रहे है। इसमें भारत के 100 जिलों को चुना गया, जहाँ महिलाओं का लिंगानुपात काफी कम है। इन जिलों में लोगों को संवेदनशील और जागरूक बनाना तथा सामुदायिक एकजुटता के साथ-साथ सभी को प्रशिक्षण देना है। इसके माध्यम से भारत सरकार लोगों की मानसिकता में बदलाव लाने की कोशिश कर रही है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का मुख्य उद्देश्य:-
इस योजना द्वारा भारत सरकार का उद्देश्य कन्या की सुरक्षा
के साथ-साथ उसकी शिक्षा पर भी बल देना है। इसके माध्यम से भारत सरकार बालिकाओं की सुरक्षा व शिक्षा दोनों को सुरक्षित करना चाहती है। बालिकाओं को शोषण से बचाना व उन्हें अपने अधिकारों के प्रति शिक्षित करना है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि महिलाओं को सामाजिक व वित्तीय दोनों प्रकार से आत्मनिर्भर बनाना है। उपसंहार:-
आज भी महिलाओं को पुरुषों से कम ही अधिकार दिए जाते
है। यदि एक समाज को तरक़्क़ी करनी है, तो महिलाओं व पुरुषों को समान अधिकार देने होंगे। इस योजना ने भारत में महिलाओं की स्थिति को काफी हद तक सुधारा है। आज महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी कर रही है। इस योजना के अंतर्गत बालिकाओं को शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाती है, ताकि उन्हें शिक्षा में कोई परेशानी का सामना न करना पड़े। भारत सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा व भ्रूण हत्या करने वालो के लिए भी कठोर दंड का प्रावधान रखा है। पिछले कु छ समय से भारत के वह क्षेत्र भी जहाँ महिलाओं की स्थिति काफी खराब थी, वहाँ भी अब सुधार होने लगा है। जल्दी ही महिलाएं भी देश का नाम रोशन करेगी व भारत भी विश्व में एक शक्तिशाली देश बनकर उभरेगा। 'बड़े घर की बेटी हिंदी के प्रसिद्ध लेखक मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी एक प्रसिद्ध कहानी है। इस कहानी में 'मुंशी प्रेमचंद' ने संयुक्त परिवारों में होने वाली समस्याओं का चित्रण किया है। उन्होंने इस कहानी के माध्यम से यह बताने का प्रयत्न किया है कि संयुक्त परिवारों में जरा- जरा सी बात पर कलह हो जाती है, बात का बतंगड़ बन जाता है और फिर आपसी समझ-बूझ से बिगड़ती बात को संभाल भी लिया जाता है। 'बड़े घर की बेटी कहानी में प्रेमचंद जी ने भारतीय संयुक्त परिवारों के मनोविज्ञान को बड़ी बारीकी से दिखाने का प्रयत्न किया है। कहानी का मुख्य पात्र आनंदी है जो भूपसिंह की बेटी है जो एक रियासत के ताल्लुके दार थे। आनंदी का विवाह गौरीपुर के जमींदार बेनी माधव सिंह के बड़े बेटे श्रीकं ठ से होता है। वह रूपवती और गुणवती थी | थोड़े ही दिनों में उसने अपने को ससुराल की परिस्थितियों के अनुकू ल बना लिया था | एक दिन लाल बिहारी सिंह का अपनी भाभी से खाने में घी न डालने पर विवाद हुआ जो बढ़ता गया | लाल बिहारी ने आनंदी के मैके को लेकर व्यंग्य किया तो वो नाराज हो जाती है और अपने पति से देवर की शिकायत करती है। उसका पति श्रीकं ठ क्रोधित होकर अपने भाई का मुंह न देखने की कसम खाता है। परिवार में हो रहे क्लेश और झगड़े को देखने के लिए आसपास के लोग किसी ना किसी बहाने से घर में जमा हो जाते हैं। इन सब बातों से दुखी लाल बिहारी जाने लगता है। जाते-जाते लालबिहारी अपनी भाभी आनंदी से क्षमा मांगता है। यह देख कर उसकी भाभी आनंदी का दिल पिघल जाता है और वो अपने देवर लालबिहारी को क्षमा कर देती है । अंत में दोनों भाई श्रीकं ठ और लालबिहारी आपस के मनमुटाव को भुलाकर कर गले मिल जाते हैं और सब कु छ पहले की तरह सामान्य हो जाता है। अंत में बेनी माधव और गाँव के लोग यही कहते हैं कि बड़े घर की बेटियाँ ऐसी ही होती हैं। इस कहानी के द्वारा लेखक ने अंत भला तो सब भला वाला आदर्श स्थापित किया उन्होंने आनंदी के माध्यम से एक सभ्य, सुसंस्कृ त, रूपवती, गुणवती बड़े घर की बेटी के संस्कारों को दिखाया है । जिसने अपनी समझ बूझ और बुद्धिमत्ता से घर को टू टने से बचाया और दो भाइयों को एक दूसरे से अलग होने से बचाया।
बड़े घर की बेटी कहानी का
मुख्य पात्र आनंदी का चरित्र चित्रण
आनंदी बड़े घर की बेटी कहानी की मुख्य पात्र हैं।
यह बात इस कहानी के शीर्षक से ही स्पष्ट है। वह एक धनवान ताल्लुकदार की सुन्दर, रूपवती और गुणवती लाडली बेटी है। अपनी सूझबूझ से वह टू टते बिखरते पारिवारिक रिश्तों को संभाल लेती है। संयोग की बात है कि उसका विवाह एक ऐसे परिवार में हुआ जहां उसके लायक सुख सुविधाओं का सर्वथा अभाव है। मैके में उसके पास नौकर चाकर हाथी घोड़े सब कु छ थे, लेकिन यहां कु छ भी ऐसा नहीं था। फिर भी वह शीघ्र ही अपने आप को इन परिस्थितियों में ढाल लेती है। वह घर का सारा काम काज खुद ही करती है। भोजन बनाने से लेकर सबको अपने हाथ से खाना खिलाती थी।
आनंदी संयुक्त परिवार की महत्ता
को भी खूब समझती थी। परन्तु अपना और अपने मैके के अपमान को वह सहन नहीं कर सकती थी। यह स्त्री की खाश विशेषता होती है जो उसमें भी थी।
आनंदी जितनी रूपवती थी
उतनी समझदार भी थी। जब उसके पति परिवार से अलग होने की जिद पर अड़ जाते हैं तो वह मन ही मन नाराज भी होती है। उसे अपने आप पर भी गुस्सा आता है जब बात बिल्कु ल बिगड़ने की स्थिति आ जाती है। वह संयुक्त परिवार की पक्षधर है। जब उसके देवर लाल बिहारी घर छोड़कर जाने लगते हैं तो उसे अपने भूल का अहसास होता है और लाल बिहारी सिंह पर दया भी आती है। वह आगे बढ़ कर उसे जाने से रोक लेती है और दोनों भाइयों में सुलह भी करवा देती है। इस तरह वह बिखडते परिवार को टू टने से बचाने में मदद करती है। बड़प्पन की सारी खूबियां आनंदी के चरित्र में विद्यमान हैं। आनंदी एक आदर्श गृहणी है।