You are on page 1of 5

नेताजी का च मा

क ा -10
1 सेनानी न होते ए भी च मेवाले को लोग कै टन य कहते थे ?

उ र:- च मेवाला कभी सेनानी नह रहा पर तु च मेवाला एक दे शभ नाग रक था। उसके दय म दे श के वीर
जवान के त स मान था। वह अपनी ओर से एक च मा नेताजी क मू त पर अव य लगाता था उसक इसी
भावना को दे खकर लोग उसे कै टन कहते थे।

2.हालदार साहब ने ाइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लए मना कया था ले कन बाद म तुरंत रोकने
को कहा

(क) हालदार साहब पहले मायूस य हो गए थे?

(ख) मू त पर सरकंडे का च मा या उ मीद जगाता है?

(ग) हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक य हो उठे ?

उ र-

(क) हालदार साहब इस लए मायूस हो गए थे. य क वे सोचते थे क क बे के चौराहे पर मू त तो होगी पर उसक


आँख पर च मा न होगा। अब कै टन तो जदा है नह , जो मू त पर च मा लगाए। दे शभ हालदार साहब को
नेताजी क च मा वहीन मू त उदास कर दे ती थी।

ख) मू त पर सरकंडे का च मा यह उ मीद जगाता है क दे श म दे श ेम एवं दे शभ समा त नह ई है। ब च ारा


कया गया काय व थ भ व य का संकेत है। उनम रा ेम के बीज अंकु रत हो रहे ह।

ग) हालदार साहब सोच रहे थे क कै टन के न रहने से नेताजी क मू त च मा वहीन होगी परंतु जब यह दे खा क


मू त क आँख पर सरकंडे का च मा लगा आ है तो उनक नराशा आशा म बदल गई। उ ह ने समझ लया क
युवा पीढ़ म दे श ेम और दे शभ क भावना है जो दे श के लए शुभ संकेत है। यह बात सोचकर वे भावुक हो गए।

3.आशय प क जए

‘‘बार-बार सोचते, या होगा उस कौम का जो अपने दे श क खा तर घर-गृह थी-जवानी- जदगी सब कुछ होम
दे नव
े ाल पर भी हँसती है और अपने लए बकने के मौके ढूँ ढ़ती है।

उ र- उ पं का आशय यह है क स चे दे शभ दे श के लए अपनी युवाव था, जदगी आ द सब कुछ ब लदान


कर दे ते । कुछ लोग उनके ब लदान क शंसा न करके ऐसे दे शभ का उपहास उड़ाते ह। लोग म दे शभ क
ऐसी घटती भावना न त प से नदनीय है। ऐसे लोग इस हद तक वाथ होते ह क उनके लए अपनी वाथ ही
सव प र होता है। वे अपने वाथ क स के लए दे श ोह करने तक को तैयार रहते ह।
4.पानवाले का एक रेखा च तुत क जए।

उ र- पानवाला अपनी पान क कान पर बैठा ाहक को पान दे ने के अलावा उनसे कुछ न कुछ बात करता रहता
है। वह वभाव से खुश मज़ाज, काला मोटा है। उसक त द नकली ई है। वह पान खाता रहता है जससे
उसक ब ीसी लाल-काली हो रही है। वह जब हँसता है तो उसक त द थरकने लगती है। वह वाकपटु है जो
ं या मक बात कहने से भी नह चूकता है।

5.“वो लँगड़ा या जाएगा फ़ौज म। पागल है पागल!”

कै टन के त पानवाले क इस ट पणी पर अपनी त या ल खए।

उ र- “वह लँगड़ा या जाएगा फ़ौज म पागल है पागल !” पानवाला कै टन च मेवाले के बारे म ऐसा कहना अ छा
नही लगता। वा तव म कै टन इस तरह क उपे ा का पा नह है। उसका इस तरह मजाक उड़ाना त नक भी उ चत
नह है। वा तव म कै टन उपहास का नह स मान का पा है जो अपने अ त सी मत संसाधन से नेताजी क मू त
पर च मा लगाकर दे श ेम का दशन करता है और लोग म दे शभ क भावना उ प करने के अलावा उसे गाढ़
भी करता है।

पद

:1 गो पय ारा उ व को भा यवान कहने म या ं य न हत है?


उ र:- गो पयाँ उ व को भा यवान कहते ए ं य कसती है क ी कृ ण के सा न य म रहते ए भी वे ी कृ ण
के ेम से सवथा मु रहे। वे कैसे ी कृ ण के नेह व ेम के बंधन म अभी तक नह बंधे?, ी कृ ण के त कैसे
उनके दय म अनुराग उ प नह आ? अथात् ी कृ ण के साथ कोई एक ण भी तीत कर ले तो वह
कृ णमय हो जाता है। पर तु ये उ व तो उनसे त नक भी भा वत नह है ।

:2उ व के वहार क तुलना कस- कस से क गई है?

उ र:-गो पय ने उ व के वहार क तुलना न न ल खत उदाहरण से क है -

(1)गो पय ने उ व के वहार क तुलना कमल के प े से क है जो नद के जल म रहते ए भी


जल क ऊपरी सतह पर ही रहता है। अथात् जल का भाव उस पर नह पड़ता। ी कृ ण का
सा न य पाकर भी वह ी कृ ण के भाव से मु ह।
(2)वह जल के म य रखे तेल के गागर (मटके) क भाँ त ह, जस पर जल क एक बूँद भी टक
नह पाती। उ व पर ी कृ ण का ेम अपना भाव नह छोड़ पाया है, जो ा नय क तरह
वहार कर रहे ह।

:3 गो पय ने कन- कन उदाहरण के मा यम से उ व को उलाहने दए ह?

उ र:- गो पय ने कमल के प े, तेल क मटक और ेम क नद के उदाहरण के मा यम से उ व


को उलाहने दए ह। ेम पी नद म पाँव डू बाकर भी उ व भाव र हत ह। वे ी कृ ण के
सा न य म रहते ए भी वे ी कृ ण के भाव से सवथा मु रहे।

:4 उ व ारा दए गए योग के संदेश ने गो पय क वरहा न म घी का काम कैसे कया ?

उ र:- गो पयाँ कृ ण के आगमन क आशा म दन गनती जा रही थ । वे अपने तन-मन क था


को सह रही थी। वे सोच रही थी क ी कृ ण शी ही वा पस आएंगे पर तु कृ ण ने योग का
संदेश दे ने के लए उ व को भेज दया। वरह क अ न म जलती ई गो पय को जब उ व ने
योग-साधना करने का उपदे श दे ना ार भ कया, तब उनके दय म जल रही वरहा न म घी का
काम कर उसे और व लत कर दया।

:-5. ‘मरजादा न लही’ के मा यम से कौन-सी मयादा न रहने क बात क जा रही है ?


उ र:- ‘मरजादा न लही’ के मा यम से ेम क मयादा न रहने क बात क जा रही है। कृ ण के
मथुरा चले जाने पर वह ी कृ ण के लौटने क ती ा कर रही थ । कृ ण ने योग का संदेश दे ने के
लए उ व को भेज दया। गो पय को उनक मयादा छोड़कर बोलने पर मजबूर कर दया है। ेम
के बदले ेम का तदान ही ेम क मयादा है, ले कन कृ ण ने गो पय के ेम रस के उ र म योग
का संदेश भेज दया। इस कार कृ ण ने ेम क मयादा नह रखी। वापस लौटने का वचन दे कर भी
वे गो पय से मलने नह आए।

:-6. कृ ण के त अपने अन य ेम को गो पय ने कस कार अ भ कया है ?

उ र:- गो पयाँ ी कृ ण के ेम म रात- दन, सोते-जागते सफ़ ी कृ ण का नाम ही


रटती रहती है। कृ ण के त अपने अन य ेम को गो पय ने च टय और हा रल क
लकड़ी के उदाहरण ारा कया है। उ ह ने वयं क तुलना च टय से और ी
कृ ण क तुलना गुड़ से क है। हा रल एक ऐसा प ी है जो सदै व अपने पंजे म कोई
लकड़ी या तनका पकड़े रहता है। वह उसे कसी भी दशा म नह छोड़ता। उसी तरह
गो पय ने मन, वचन और कम से ी कृ ण क ेम पी लकड़ी को ढ़तापूवक पकड़
लया है।

:7 गो पय ने उ व से योग क श ा कैसे लोग को दे ने क बात कही है ?

उ र:- उ व अपने योग के संदेश म मन क एका ता का उपदे श दे त ह। गो पय के


अनुसार योग क श ा उ ह लोग को दे नी चा हए जनक इ याँ व मन उनके बस म
नह होते। जनका मन चंचल है और इधर-उधर भटकता है। पर तु गो पय को योग क
आव यकता है ही नह य क उनका मन पहले से ही एका है। इस कार योग-
साधना का उपदे श उनके लए नरथक है।
:- 8 तुत पद के आधार पर गो पय का योग-साधना के त कोण प कर।

उ र:- तुत पद के आधार पर प है क गो पयाँ योग-साधना को नीरस, थ और


अवां छत मानती ह। गो पय के म योग उस कड़वी ककड़ी के सामान है जसे
नगलना बड़ा ही मु कल है। सूरदास जी गो पय के मा यम से आगे कहते ह क उनके
वचार म योग एक ऐसा रोग है जसे उ ह ने न पहले कभी दे खा, न कभी सुना। गो पय
के अनुसार योग क श ा उ ह लोग को दे नी चा हए जनक इ याँ व मन उनके बस
म नह होते। जनका मन चंचल है और इधर-उधर भटकता है।
:9 गो पय के अनुसार राजा का धम या होना चा हए ?

उ र:- गो पय के अनुसार राजा का धम उसक जा को अ याय से बचाना तथा नी त से राजधम


का पालन करना होना चा हए।

:-10.गो पय ने अपने वा ु य के आधार पर ानी उ व को परा त कर दया, उनके वा चातुय


क वशेषताएँ ल खए ?

उ र:- गो पयाँ वाक् चतुर ह। वे बात बनाने म कसी को भी परा त कर द। गो पयाँ


उ व को अपने उपालंभ (तान ) के ारा चुप करा दे ती ह। गो पय म ं य करने क
अ त
ु मता है। वह अपने ं य बाण ारा उ व को घायल कर दे ती ह। वह अपनी
तक मता से बात-बात पर उ व को न र कर दे ती ह।

:-11. संक लत पद को यान म रखते ए सूर के मरगीत क मु य वशेषताएँ


बताइए ?

उ र:- मरगीत क न न ल खत वशेषताएँ इस कार ह –

1. ‘ मरगीत’ एक भाव- धान गी तका है।

2. इसम उदा भावना का मनोवै ा नक च ण आ है।

3. सूरदास ने अपने मर गीत म नगुण का खंडन कया है।

4. ‘ मरगीत’ म शु सा ह यक जभाषा का योग आ है।

5. मरगीत म उपालंभ क धानता है।

6. ‘ मरगीत’ म सूरदास ने वरह के सम त भाव क वाभा वक एवं मा मक ज


ं ना
क ह।

You might also like