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सामा य िह दी

7. वतनी एवं वा य शु ीकरण


िकसी श द को िलखने म यु त वण ँ के म को वतनी या अ री कहते है ।ँ अँ ेजी म वतनी को ‘Spelling’ तथा उदू म ‘िह जे’ कहते है ।ँ िकसी भाषा की सम त
विनय को सही ढं ग से उ चािरत करने हे तु वतनी की एक पता थािपत की जाती है । िजस भाषा की वतनी म अपनी भाषा के साथ अ य भाषाओँ की विनय को हण करने
की िजतनी अिधक शि त होगी, उस भाषा की वतनी उतनी ही समथ होगी। अतः वतनी का सीधा स ब ध भाषागत विनय के उ चारण से है ।

शु वतनी िलखने के मुख िनयम िन कार है –


• िह दी म िवभि त िच सवनाम के अलावा शेष सभी श द से अलग िलखे जाते है ,ँ जैसे–


- मोहन ने पु को कहा।
- याम को पये दे दो।
पर तु सवनाम के साथ िवभि त िच हो तो उसे सवनाम म िमलाकर िलखा जाना चािहए, जैसे– हमने, उसने, मुझसे, आपको, उसको, तुमसे, हमको, िकससे, िकसको,
िकसने, िकसिलए आिद।

• सवनाम के साथ दो िवभि त िच होने पर पहला िवभि त िच सवनाम म िमलाकर िलखा जाएगा एवं दूसरा अलग िलखा जाएगा, जैसे–
आपके िलए, उसके िलए, इनम से, आपम से, हमम से आिद।
सवनाम और उसकी िवभि त के बीच ‘ही’ अथवा ‘तक’ आिद अ यय ह तो िवभि त सवनाम से अलग िलखी जायेगी, जैसे–
आप ही के िलए, आप तक को, मुझ तक को, उस ही के िलए।

• संयु त ि याओँ म सभी अंगभूत ि याओँ को अलग–अलग िलखा जाना चािहए, जैसे– जाया करता है , पढ़ा करता है , जा सकते हो, खा सकते हो, आिद।

• पूवकािलक यय ‘कर’ को ि या से िमलाकर िलखा जाता है , जैसे– सोकर, उठकर, गाकर, धोकर, िमलाकर, अपनाकर, खाकर, पीकर, आिद।

• समास म पद के बीच योजन िच (–) हाइफन लगाया जाना चािहए, जैसे– माता–िपता, राधा–कृ ण, िशव–पावती, बाप–बेटा, रात–िदन आिद।

• ‘तक’, ‘साथ’ आिद अ यय को पृथ क िलखा जाना चािहए, जैसे– मेरे साथ, हमारे साथ, यह तक, अब तक आिद।

• ‘जैसा’ तथा ‘सा’ आिद सा य वाचक के पहले योजक िच (–) का योग िकया जाना चािहए। जैसे– चाकू–सा, तीखा–सा, आप–सा, यारा–सा, क है या–सा आिद।

• जब वणमाला के िकसी वग के पंचम अ र के बाद उसी वग के थम चार वण ँ म से कोई वण हो तो पंचम वण के थान पर अनु वार (◌ं ) का योग होना चािहए। जैसे–
कंकर, गंगा, चंचल, ठं ड, नंदन, संप , अंत, संपादक आिद। परंतु जब नािस य यंजन (वग का पंचम वण) उसी वग के थम चार वण ँ के अलावा अ य िकसी वण के पहले
आता है तो उसके साथ उस पंचम वण का आधा प ही िलखा जाना चािहए। जैसे– प ा, स ाट, पु य, अ य, स माग, र य, ज म, अ वय, अ वेषण, ग ा, िन , स मान आिद
पर तु घ टा, ठ डा, िह दी आिद िलखना अशु है ।

• अ, ऊ एवं आ मा ा वाले वण ँ के साथ अनुनािसक िच (◌ँ ) को इसी च िब दु (◌ँ ) के प म िलखा जाना चािहए, जैसे– आँख, हँस, ज च, क च, अँगना, स स, ढ चा,
त त, दाय , बाय , ऊँट, हूँ, जूँ आिद। पर तु अ य मा ाओँ के साथ अनुनािसक िच को अनु वार (◌ं ) के प म िलखा जाता है , जैसे– मैँने, नहीँ, ढचा, खीँचना, दाय, बाय,
िसँचाई, ईँट आिद।

• सं कृत मूल के त सम श द की वतनी म सं कृत वाला प ही रखा जाना चािहए, पर तु कु छ श द के नीचे हल त (◌् ) लगाने का चलन िह दी म समा त हो चुका है ।
अतः उनके नीचे हल त न लगाया जाये, जैसे– महान, जगत, िव ान आिद। पर तु संिध या छ द को समझाने हे तु नीचे हल त लगाया जाएगा।

• अँ ेजी से िह दी म आये िजन श द म आधे ‘ओ’ (आ एवं ओ के बीच की विन ‘ऑ’) की विन का योग होता है , उनके ऊपर अ च िब दु लगानी चािहए, जैसे– बॉल,
कॉलेज, डॉ टर, कॉफी, हॉल, हॉि पटल आिद।

• सं कृत भाषा के ऐसे श द , िजनके आगे िवसग ( : ) लगता है , यिद िह दी म वे त सम प म यु त िकये जाएँ तो उनम िवसग लगाना चािहए, जैसे– दुःख, वा तः, फलतः,
ातः, अतः, मूल तः, ायः आिद। पर तु दुखद, अतएव आिद म िवसग का लोप हो गया है ।

• िवसग के प ात् श, ष, या स आये तो या तो िवसग को यथावत िलखा जाता है या उसके थान पर अगला वण अपना प हण कर लेता है । जैसे–
- दुः + शासन = दुःशासन या दु शासन
- िनः + स देह = िनःस देह या िन स देह ।

ं ी अशुि य एवं उनम सुधार :


• वतनी संबध
उ चारण दोष अथवा श द रचना और संिध के िनयम की जानकारी की अपय तता के कारण सामा यतः वतनी अशुि हो जाती है ।
वतनी की अशुि य के मुख कारण िन है – ँ

• उ चारण दोष: कई े व भाषाओँ म, स–श, व–ब, न–ण आिद वण ँ म अथभेद नहीँ िकया जाता तथा इनके थान पर एक ही वण स, ब या न बोला जाता है जबिक िह दी म
इन वण ँ की अलग–अलग अथ–भेदक विनय है ।ँ अतः उ चारण दोष के कारण इनके लेखन म अशुि हो जाती है । जैसे–
अशु शु
कोिसस – कोिशश
सीदा – सीधा
सबी – सभी
सोर – शोर
अराम – आराम
पाणी – पानी
बबाल – बवाल
पाठसाला – पाठशाला
शब – शव
िनपुन – िनपुण
ान – ाण
बचन – वचन
यवहार – यवहार
रामायन – रामायण
गुन – गुण

• जह ‘श’ एवं ‘स’ एक साथ यु त होते है ँ वह ‘श’ पहले आयेगा एवं ‘स’ उसके बाद। जैसे– शासन, शंसा, नृशंस, शासक ।
इसी कार ‘श’ एवं ‘ष’ एक साथ आने पर पहले ‘श’ आयेगा िफर ‘ष’, जैसे– शोषण, शीषक, िवशेष, शेष, वेशभूषा, िवशेषण आिद।

• ‘स्’ के थान पर पूरा ‘स’ िलखने पर या ‘स’ के पहले िकसी अ र का मेल करने पर अशुि हो जाती है , जैसे– इ ी (शु होगा– ी), अ नान (शु होगा– नान),
परसपर अशु है जबिक शु है पर पर।

• अ र रचना की जानकारी का अभाव : देवनागरी िलिप म संयु त यंजन म दो यंजन िमलाकर िलखे जाते है ,ँ पर तु इनके िलखने म ुिट हो जाती है , जैसे–
अशु शु
आश वाद – आशीव द
िनमाण – िनम ण
पुन थापना – पुन थ पना
बहधु ा ‘र्’ के योग म अशुि होती है । जब ‘र्’ (रेफ़) िकसी अ र के ऊपर लगा हो तो वह उस अ र से पहले पढ़ा जाएगा। यिद हम सही उ चारण करगे तो अशुि का ान
हो जाता है । आशीव द म ‘र्’ , ‘वा’ से पहले बोला जायेगा– आशीर् वाद। इसी कार िनम ण म ‘र्’ का उ चारण ‘मा’ से पहले होता है , अतः ‘र्’ मा के ऊपर आयेगा।

• िजन श द म यंजन के साथ वर, ‘र्’ एवं आनुनािसक का मेल हो उनम उस अ र को िलखने की िविध है –
अ र वर र् अनु वार (◌ं )।
जैसे– त् ए र् अनु वार=शतँ
म् ओ र् अनु वार=कम ँ।
इसी कार और , धम ँ, परा म आिद को िलखा जाता है ।

• कोई, भाई, िमठाई, कई, ताई आिद श द को कोयी, भायी, िमठायी, तायी आिद िलखना अशु है । इसी कार अनुयायी, थायी, वाजपे यी श द को अनयाई, थाई, वाजपे ई
आिद प म िलखना भी अशु होता है ।

• सम् उपसग के बाद य, र, ल, व, श, स, ह आिद विन हो तो ‘म्’ को हमेशा अनु वार (◌ं ) के प म िलखते है ,ँ जैसे– संयम, संवाद, संल न, संसग, संहार, संरचना,
संर ण आिद। इ ह स शय, स हार, स वाद, स चना, स ल न, स ण आिद प म िलखना सदैव अशु होता है ।

• आनुनािसक श द म यिद ‘अ’ या ‘आ’ या ‘ऊ’ की मा ा वाले वण ँ म आनुनािसक विन (◌ँ ) आती है तो उसे हमेशा (◌ँ ) के प म ही िलखा जाना चािहए। जैसे– द त, पूँछ,
ऊँट, हूँ, प च, ह , च द, हँसी, ढ चा आिद पर तु जब वण के साथ अ य मा ा हो तो (◌ँ ) के थान पर अनु वार (◌ं ) का योग िकया जाता है , जैसे– फक, नहीँ, खीँचना,
ग द आिद।

• िवराम िच का योग न होने पर भी अशुि हो जाती है और अथ का अनथ हो जाता है । जैसे–


- रोको, मत जाने दो।
- रोको मत, जाने दो।
इन दोन वा य म अ प िवराम के थान पिरवतन से अथ िब कु ल उ टा हो गया है ।

• ‘ष’ वण केवल षट् (छह) से बने कु छ श द , यथा– ष कोण, षड़यं आिद के ारंभ म ही आता है । अ य श द के शु म ‘श’ िलखा जाता है । जैसे– शोषण, शासन, शेषनाग
आिद।

• संयु ता र म ‘ट्’ वग से पूव म हमेशा ‘ष्’ का योग िकया जाता है , चाहे मूल श द ‘श’ से बना हो, जैसे– सृि , ष , न , क , अ , ओ , कृ ण, िव णु आिद।

• ‘ श’ का योग सामा यतः न शा, िर शा, न श आिद श द म ही िकया जाता है , शेष सभी श द म ‘ ’ का योग िकया जाता है । जैसे– र ा, क ा, मता, स म, िश ा, द
आिद।

• ‘ ’ विन के उ चारण हे तु ‘ य’ िलिखत प म िन श द म ही यु त होता है – यारह, यो य, अयो य, भा य, रोग से बने श द जैसे–आरो य आिद म। इनके अलावा अ य
श द म ‘ ’ का योग करना सही होता है , जैसे– ान, अ ात, य , िवशेष , िव ान, वै ािनक आिद।

• िह दी भाषा सीखने के चार मु य सोपान है ँ – सुनना, बोलना, पढ़ना व िलखना। िह दी भाषा की िलिप देवनागरी है िजसकी धान िवशेषता है िक जैसे बोली जाती है वैसे ही
िलखी जाती है । अतः श द को िलखने से पहले उसकी वर– विन को समझकर िलखना समीचीन होगा। यिद ‘ए’ की विन आ रही है तो उसकी मा ा का योग कर। यिद
‘उ’ की विन आ रही है तो ‘उ’ की मा ा का योग कर।

िह दी म अशुि य के िविवध कार


श द–संरचना तथा वा य योग म वतनीगत अशुि य के कारण भाषा दोषपूण हो जाती है । मुख अशुि य िन िलिखत है –

1. भाषा (अ र या मा ा) स ब धी अशुि य :
अशु — शु
बृिटश – ि िटश
गुण – ि गुण
िरषी – ऋिष
बृ ा – ा
ब ध – बँध
पै ि क – पै तृक
जा ती – जागृित
ीय – ि य
ि – सृि
अती – अित
तै यार – तैयार
आव यकीय – आव यक
उपरो त – उपयु त
ोत – ोत
जाइये – जाइए
लाइये – लाइए
िलये – िलए
अनुगृह – अनु ह
अकाश – आकाश
असीस – आिशष
देिहक – दैिहक
किवयि – कविय ी
ि – दृि
घिन – घिन
यवहािरक – यावहािरक
रा ी – राि
ा ती – ाि त
सामथ – साम य
एकि त – एक
ईष – ई य
पु य – पु य
कृत ी – कृत
बिनता – विनता
िनिर ण – िनरी ण
पती – पित
आ – आकृ
सािमल – शािमल
मि त क – मि त क
िनसार – िनःसार
स मान – स मान
िह दु – िह दू
गु – गु
दा त – द त
चिहए – चािहए
थक – पृथ क्
पिर ा – परी ा
षोडषी – षोडशी
परीवार – पिरवार
परीचय – पिरचय
सौ दयता – सौ दय
अ ानता – अ ान
गरीमा – गिरमा
समाधी – समािध
बूड़ा – बूढ़ा
ऐ यता – ए य,एकता
पू यनीय – पूजनीय
पि – प ी
अतीशय – अितशय
संसािरक – स सािरक
शताि द – शता दी
िनरोग – नीरोग
दुकान – दूकान
द पित – द पती
अ तचतना – अ त ेतना

2. िलंग स ब धी अशुि य :
िह दी म िलँग स ब धी अशुि य ायः िदखाई देती है ।ँ इस दृि से िन बात का यान रखना चािहए—
(1) िवशेषण श द का िलँग सदैव िवशे य के समान होता है ।
(2) िदन , महीन , ह , पहाड़ , आिद के नाम पुि लंग म यु त होते है ,ँ िक तु ितिथय , भाषाओँ और निदय के नाम ीिलँग म योग िकये जाते है ।ँ
(3) ािणवाचक श द का िलँग अथ के अनुसार तथा अ ािणवाचक श द का िलँग यवहार के अनुसार होता है ।
(4) अनेक त सम श द िह दी म ीिलँग म यु त होते है ।ँ
- उदाहरण—
• दही बड़ी अ छी है । (बड़ा अ छा)
• आपने बड़ी अनु ह की। (बड़ा, िकया)
• मेरा कमीज उतार लाओ। (मेरी)
• लड़के और लड़िकय िच ला रहे है ।ँ (रही)
• कटोरे म दही जम गई। (गया)
• मेरा ससुराल जयपुर म है । (मेरी)
• महादेवी िवदुषी किव है ।ँ (कविय ी)
• आ मा अमर होता है । (होती)
• उसने एक हाथी जाती हईु देखी। (जाता हआ ु देखा)
• मन की मैल काटती है । (का, काटता)
• हाथी का सूंड केले के समान होता है । (की, होती)
• सीताजी वन को गए। (गयीँ)
• िव ान ी (िवदुषी ी)
• गुणवान मिहला (गुणवती मिहला)
• माघ की महीना (माघ का महीना)
• मूितमान् क णा (मूितमयी क णा)
• आग का लपट (आग की लपट)
• मेरा शपथ (मेरी शपथ)
• गंगा का धारा (गंगा की धारा)
• च मा की म डल (च मा का म डल)।

3.समास स ब धी अशुि य :
दो या दो से अिधक पद का समास करने पर यय का उिचत योग न करने से जो श द बनता है , उसम कभी–कभी अशुि रह जाती है । जैसे –
अशु — शु
िदवाराि – िदवारा
िनरपराधी – िनरपराध
ऋषीजन – ऋिषजन
णीमा – ािणमा
वामीभ त – वािमभ त
िपताभि त – िपतृभि त
महाराजा – महाराज
ाताजन – ातृजन
दुराव था – दुरव था
वामीिहत – वािमिहत
नवरा ा – नवरा

4.संिध स ब धी अशुि य :
अशु — शु
उपरो त – उपयु त
सदोपदेश – सदुपदेश
वयवृ – वयोवृ
सदेव – सदैव
अ यािधक – अ यिधक
स मुख – स मुख
उधृत – उ तृ
मनहर – मनोहर
अधतल – अध तल
आश वाद – आशीव द
दुराव था – दुरव था

5. िवशे य–िवशेषण स ब धी अशुि य :


अशु — शु
पू यनीय यि त – पूजनीय यि त
लाचारवश – लाचारीवश
महान् कृपा – महती कृपा
गोपन कथा – गोपनीय कथा
िव ान् नारी – िवदुषी नारी
मा यनीय म ीजी – माननीय म ीजी
स तोष-िच – स तु -िच
सुखमय शाि त – सुखमयी शाि त
सु दर विनताएँ – सु दरी विनताएँ
महान् काय – मह काय

6. यय–उपसग स ब धी अशुि य :
अशु — शु
सौ दयता – सौ दय
लाघवता – लाघव
गौरवता – गौरव
चातुयता – चातुय
ऐ यता – ऐ य
साम यता – साम य
सौज यता – सौज य
औदायता – औदाय
मनु य वता – मनु य व
अिभ – अभी
बेिफजूल – िफजूल
िमठासता – िमठास
अ ानता – अ ान
भूगौिलक – भौगोिलक
इितहािसक – ऐितहािसक
िनरस – नीरस

7. वचन स ब धी अशुि य :
(1) िह दी म बहतु –से श द का योग सदैव बहवु चन म होता है , ऐसे श द है —
ँ ह ता र, ाण, दशन, आँसू, होश आिद।
(2) वा य म ‘या’ , ‘अथवा’ का योग करने पर ि या एकवचन होती है । लेिकन ‘और’ , ‘एवं’ , ‘तथा’ का योग करने पर ि या बहवु चन होती है ।
(3) आदरसूचक श द का योग सदैव बहवु चन म होता है ।
उदाहरणाथ—
1. दो चादर खरीद लाया। (चादर)
2. एक चटाइय िबछा दो। (चटाई)
3. मेरा ाण संकट म है । (मेरे, है )ँ
4. आज मैँने महा मा का दशन िकया। (के, िकये)
5. आज मेरा मामा आये। (मेरे)
6. फूल की माला गूँथ ो। (फूल )
7. यह ह ता र िकसका है ? (ये, िकसके, है )ँ
8. िवनोद, रमेश और रहीम पढ़ रहा है । (रहे है )ँ
अ य उदाहरण—
अशु — शु
ीय – ि य
माताय – माताओँ
नािरओँ – नािरय
अनेक – अनेक
बहतु – बहत ु
मुिनओँ – मुिनय
सब – सब
िव ाथ य – िव ािथय
ब धुए ँ – ब धुओँ
दाद – दादाओँ
सभीओँ – सभी
नदीओँ – निदय

8. कारक स ब धी अशुि य :
अ. – राम घर नहीँ है ।
शु. – राम घर पर नहीँ है ।
अ. – अपने घर साफ रखो।
शु. – अपने घर को साफ रखो।
अ. – उसको काम को करने दो।
शु. – उसे काम करने दो।
अ. – आठ बजने को प ह िमनट है ।ँ
शु. – आठ बजने म प ह िमनट है ।ँ
अ. – मुझे अपने काम को करना है ।
शु. – मुझे अपना काम करना है ।
अ. – यह बहत ु से लोग रहते है ।ँ
शु. – यह बहत ु लोग रहते है ।ँ

9.श द– म स ब धी अशुि य :
अ. – वह पु तक है पढ़ता।
शु. – वह पु तक पढ़ता है ।
अ. – आजाद हआ ु था यह देश सन् 1947 म।
शु. – यह देश सन् 1947 म आजाद हआ ु था।
अ. – ‘पृ वीराज रासो’ रचना च वरदाई की है ।
शु. – च वरदाई की रचना ‘पृ वीराज रासो’ है ।

• वा य–रचना स ब धी अशुि य एवं सुधार:


(1) वा य–रचना म कभी िवशेषण का िवशे य के अनुसार उिचत िलंग एवं वचन म योग न करने से या गलत कारक–िच का योग करने से अशुि रह जाती है ।
(2) उिचत िवराम–िच का योग न करने से अथवा श द को उिचत म म न रखने पर भी अशुि य रह जाती है ।ँ
(3) अनथक श द का अथवा एक अथ के िलए दो श द का और यथ के अ यय श द का योग करने से भी अशुि रह जाती है ।
उदाहरणाथ—
(अ.→अशु , शु.→शु )
अ. – सीता राम की ी थी।
शु. – सीता राम की प ी थी।
अ. – मं ीजी को एक फूल की माला पहनाई।
शु. – मं ीजी को फूल की एक माला पहनाई।
अ. – महादेवी वम े किव थीँ।
शु. – महादेवी वम े कविय ी थीँ।
अ. – श ु मैदान से दौड़ खड़ा हआ ु था।
शु. – श मैदान से भाग खड़ा हआ ु ।
अ. – मेरे भाई को मैँने पये िदए।
शु. – अपने भाई को मैँने पये िदये।
अ. – यह िकताब बड़ी छोटी है ।
शु. – यह िकताब बहत ु छोटी है ।
अ. – उपरो त बात पर मनन कीिजए।
शु. – उपयु त बात पर मनन किरये।
अ. – सभी छा म रमेश चतुरतर है ।
शु. – सभी छा म रमेश चतुरतम है ।
अ. – मेरा िसर च र काटता है ।
शु. – मेरा िसर चकरा रहा है ।
अ. – शायद आज सुरेश ज र आयेगा।
शु. – शायद आज सुरेश आयेगा।
अ. – कृपया हमारे घर पधारने की कृपा कर।
शु. – हमारे घर पधारने की कृपा कर।
अ. – उसके पास अमू य अँगूठ ी है ।
शु. – उसके पास बहम ु ू य अँगूठ ी है ।
अ. – ग व म कु े रात भर िच लाते है ।ँ
शु. – ग व म कु े रात भर भौँकते है ।ँ
अ. – पे ड़ पर कोयल बोल रही है ।
शु. – पे ड़ पर कोयल कूक रही है ।
अ. – वह ातःकाल के समय घूमने जाता है ।
शु. – वह ातःकाल घूमने जाता है ।
अ. – जज ने ह यारे को मृ यु द ड की सजा दी।
शु. – जज ने ह यारे को मृ यु द ड िदया।
अ. – वह िव यात डाकू था।
शु. – वह कु यात डाकू था।
अ. – वह िनरपराधी था।
शु. – वह िनरपराध था।
अ. – आप चाहो तो काम बन जायेगा।
शु. – आप चाह तो काम बन जायेगा।
अ. – म –ब चा दोन बीमार पड़ गयीँ।
शु. – म –ब चा दोन बीमार पड़ गए।
अ. – बेटी पराये घर का धन होता है ।
शु. – बेटी पराये घर का धन होती है ।
अ. – भि तयुग का काल वणयुग माना जाता है ।
शु. – भि त–काल वण युग माना गया है ।
अ. – बचपन से मैँ िह दी बोली हूँ।
शु. – बचपन से मैँ िह दी बोलती हूँ।
अ. – वह मुझे देखा तो घबरा गया।
शु. – उसने मुझे देखा तो घबरा गया।
अ. – अ तबल म घोड़ा िचँघाड़ रहा है ।
शु. – अ तबल म घोड़ा िहनिहना रहा है ।
अ. – िपँजरे म शेर बोल रहा है ।
शु. – िपँजरे म शेर दहाड़ रहा है ।
अ. – जंगल म हाथी दहाड़ रहा है ।
शु. – जंगल म हाथी िचँघाड़ रहा है ।
अ. – कृपया यह पु तक मेरे को दीिजए।
शु. – यह पु तक मुझे दीिजए।
अ. – बाजार म एक िदन का अवकाश उपे ि त है ।
शु. – बाजार म एक िदन का अवकाश अपे ि त है ।
अ. – छा ने क ा म पु तक को पढ़ा।
शु. – छा ने क ा म पु तक पढ़ी।
अ. – आपसे सदा अनु िहत रहा हूँ।
शु. – आपसे सदा अनुगृहीत हूँ।
अ. – घर म केवल मा एक चारपाई है ।
शु. – घर म एक चारपाई है ।
अ. – माली ने एक फूल की माला बनाई।
शु. – माली ने फूल की एक माला बनाई।
अ. – वह िच सु दरतापूण है ।
शु. – वह िच सु दर है ।
अ. – कु ा एक वामी भ त जानवर है ।
शु. – कु ा वािमभ त पशु है ।
अ. – शायद आज आँधी अव य आयेगी।
शु. – शायद आज आँधी आये।
अ. – िदनेश स यकाल के समय घूमने जाता है ।
शु. – िदनेश सायंकाल घूमने जाता है ।
अ. – यह िवषय बड़ा छोटा है ।
शु. – यह िवषय बहत ु छोटा है ।
अ. – अनेक िव ाथ खेल रहे है ।ँ
शु. – अनेक िव ाथ खेल रहे है ।ँ
अ. – वह चलता-चलता थक गया।
शु. – वह चलते-चलते थक गया।
अ. – मैँने ह ता र कर िदया है ।
शु. – मैँने ह ता र कर िदये है ।ँ
अ. – लता मधुर गायक है ।
शु. – लता मधुर गाियका है ।
अ. – महा माओँ के सदोपदेश सुनने यो य होते है ।ँ
शु. – महा माओँ के सदुपदेश सुनने यो य होते है ।ँ
अ. – उसने याधीश को िनवेदन िकया।
शु. – उसने यायाधीश से िनवेदन िकया।
अ. – हम ऐसा ही हूँ।
शु. – मैँ ऐसा ही हूँ।
अ. – पे ड़ पर प ी बैठ ा है ।
शु. – पे ड़ पर प ी बैठ ा है । या पे ड़ पर प ी बैठे है ।ँ
अ. – हम हमारी क ा म गए।
शु. – हम अपनी क ा म गए।
अ. – आप खाये िक नहीँ?।
शु. – आपने खाया िक नहीँ?।
अ. – वह गया।
शु. – वह चला गया।
अ. – हम चाय अभी-अभी िपया है ।
शु. – हमने चाय अभी-अभी पी है ।
अ. – इसका अ तःकरण अ छा है ।
शु. – इसका अ तःकरण शु है ।
अ. – शेर को देखते ही उसका होश उड़ गया।
शु. – शेर को देखते ही उसके होश उड़ गये।
अ. – वह सािहि यक पु ष है ।
शु. – वह सािह यकार है ।
अ. – रामायण सभी िह दू मानते है ।ँ
शु. – रामायण सभी िह दुओँ को मा य है ।
अ. – आज ठ डी बफ मँगवानी चािहए।
शु. – आज बफ मँगवानी चािहए।
अ. – मैच को देखने चलो।
शु. – मैच देखने चलो।
अ. – मेरा िपताजी आया है ।
शु. – मेरे िपताजी आये है ।ँ

• सामा यतः अशुि िकए जाने वाले मुख श द :


अशु — शु
अितथी – अितिथ
अित योि त – अितशयोि त
अमाव या – अमाव या
अनुगृह – अनु ह
अ त य न – अ तध न
अ ता री – अ या री
अनूजा – अनुजा
अ धेरा – अँधरे ा
अनेक – अनेक
अनािधकार – अनिधकार
अिधशाषी – अिधशासी
अ तरगत – अ तगत
अलोिकत – अलौिकक
अगम – अग य
अहार – आहार
अजीिवका – आजीिवका
अिह या – अह या
अपरा ह – अपरा
अ यािधक – अ यिधक
अिभशािपत – अिभश त
अंतेि – अं येि
अक मात – अक मात्
अथ त – अथ त्
अनूपम – अनुपम
अंतर मा – अंतरा मा
अि वती – अि वित
अ यावसाय – अ यवसाय
आ यंतर – अ यंतर
अ वी – अि व
आखर – अ र
आवाहन – आ ान
आयू – आयु
आदेस – आदेश
अ यार य – अभयार य
अनु हीत – अनुगृहीत
अहोराि – अहोरा
अ ु य–अ ु ण
अनुसूया – अनुसूय
अ ोिहणी – अ ौिहणी
अँकुर – अंकुर
आहूित – आहिु त
आधीन – अधीन
आिशव द – आशीव द
आ –आ
आरोग – आरो य
आ षक – आकषक
इ –इ
इय –ईय
इ कूल – कूल
इितहािसक – ऐितहािसक
इ ा–ई ा
इि सत – ईि सत
इक ा – इक ा
इ दू – इ दु
ईमारत – इमारत
एि छक – ऐि छक
उ वल – उ वल
उतरदाई – उ रदायी
उतरो र – उ रो र
उ यान – उ ान
उपरो त – उपयु त
उपवाश – उपवास
उदहारण – उदाहरण
उलंघन – उ लंघन
उपल – उपल य
उ ितशाली – उ ितशील
उ छवास – उ वास
उ जयनी – उ जियनी
उदी त – उ ी त
ऊधम – उ म
उिछ – उि छ
ऊषा – उषा
ऊखली – ओखली
उ मा – ऊ मा
उिम – ऊिम
उ –उ
उहापोह – ऊहापोह
ऊंचाई – ऊँचाई
ऊख – ईख
िरिध – ऋि
ए य–ऐ य
एतरेय – ऐतरेय
एकि त – एक
ए य–ऐ य
ओषध – औषध
ओिच य – औिच य
औधोिगक – औ ोिगक
किन – किन
किल दी – कािल दी
क णा – क णा
किव – कवी
किवय ी – कविय ी
कलीदास – कािलदास
कारवाई – कायवाही
केि य – के ीय
कैलास – कैलाश
िकरन – िकरण
िकय – ि या
िकँिचत – िकँिचत्
कीत – कीित
कु आ – कु ँआ
कु ट ब – कु टु ब
कु तुहल – कौतूहल
कु शाण – कु षाण
कु ित – कु रीित
कु सूर – कसूर
केकयी – कैकेयी
कोतुक – कौतुक
कोमुदी – कौमुदी
कोश या – कौश या
कोशल – कौशल
ित – कृित
ताथ – कृताथ
त – कृत
कृ घन – कृत
ि म – कृि म
खेतीहर – खेितहर
गिर – गिर
गणमा य – ग यमा य
ग याथ – ग यथ
गु – गु
गूंगा – गूँगा
गो यनीय – गोपनीय
गूंज – गूँज
गौरवता – गौरव
गृहणी – गृिहणी
िसत – त
गृहता – हीता
गीत जली – गीत जिल
ग यावरोध – ग यवरोध
गृहि थ – गृह थी
गिभनी – गिभणी
घ टा – घ टा, घंटा
घबड़ाना – घबराना
च चल – चंचल, च चल
चातुयता – चातुय, चतुराई
चाहरदीवारी – चहारदीवारी, चारदीवारी
चे – चै
तदानुकूल – तदनुकूल
त वाधान – त वावधान
तनखा – तन वाह
तिरका – तरीका
तखत – त त
तिड़ योित – तिड़ योित
ितल जली – ितल जिल
तीथकंर – तीथंकर
िसत – त
तव–त व
दंपित – दंपती
दािर यता – दािर य, दिर ता
दुख – दुःख
दृ ा – ा
देिहक – दैिहक
दोगुना – दुगुना
धना य – धना य
धुरदं र – धुरध ं र
धैयता – धैय
– धृ
झौँका – झ का
तद तर – तदन तर
ज रत – ज रत
दयालू – दयालु
धु – धू
दु ह – दु ह
धोका – धोखा
नैसृिगक – नैसिगक
नाइका – नाियका
नक – नरक
संगृह – सं ह
गोतम – गौतम
झुंपड़ी – झ पड़ी
त तरी – त तरी
छु – ु
छमा,समा – मा
तोल – तौल
जजर – जजर
जागृत – जा त
ृगाल – शृगाल
ृंगार – शृंगार
िगध – िग
चािहये – चािहए
तदोपरा त – तदुपरा त
ुदा – ुधा
िच ह – िच
ितथी – ितिथ
तै यार – तैयार
धेनू – धेनु
निटनी – नटनी
ब धू – ब धु
द–
िनरोग – नीरोग
िन कलंक – िन कलंक
िनरव – नीरव
नैप य – नेप य
पिरि थती – पिरि थित
परलोिकक – पारलौिकक
नीती – नीित
नृसंस – नृशंस
यायधीश – यायाधीश
परसुराम – परशुराम
बढ़ाई – बड़ाई
हलाद – ाद
बु वार – बुधवार
पु य – पु य
बृज – ज
िपिपिलका – िपपीिलका
बैदेही – वैदेही
पुनिववाह – पुनिववाह
भीमसैन – भीमसेन
मि छका – मि का
लखनउ – लखनऊ
मुहत ु – मुहूत
िनरसता – नीरसता
बुढ़ा – बूढ़ा
परमे वर – परमे र
बहु ीह – बहु ीिह
ने व – नेतृ व
भीि – िभि
थक – पृथ क
मंि – म ी
पग भ – ग य
हमा ड – हमा ड
महा य – माहा य
ा हण – ा ण
मैथ लीशरण – मैिथलीशरण
बरात – बारात
यावहार – यवहार
भेरव – भैरव
भगीरथी – भागीरथी
भेषज – भैषज
मं ीमंडल – मि म डल
म य त–म य थ
यसोदा – यशोदा
िवरहणी – िवरिहणी
यायाबर – यायावर
मृ यूल ोक – मृ युल ोक
रा यिभषेक – रा यािभषेक
युिध र – युिधि र
िरतीकाल – रीितकाल
यौवनाव था – युवाव था
रिचयता – रचियता
लघु र – लघू र
रोहीता – रोिहता
वनोषध – वनौषध
वधु – वधू
यािभचारी – यिभचारी
सू ुषा – सु ूषा/शु ूषा
सौज यता – सौज य
संि ि तकरण – संि तीकरण
संसदसद य – संस सद य
सतगुण – स गुण
स मती – स मित
संघठन – संगठन
संतती – संतित
सिम ा – समी ा
सौँदयता – सौँदय/सु दरता
सौहा – सौहाद
सह – सह
संगृह – सं ह
संसािरक – स सािरक
स माग – स माग
सदृ य – सदृश
सदोपदेश – सदुपदेश
समरथ – समथ
व य – वा य/ व थ
वाि तक – वि तक
समबंध – संबध ं
स यासी – सं यासी
सरोजनी – सरोिजनी
संपित – संपि
समुंदर – समु
साधू – साधु
समाधी – समािध
सुहागन – सुहािगन
स तािहक – सा तािहक
सानंदपूवक – आनंदपूवक, सानंद
समािजक – सामािजक
ाव – ाव
ोत – ोत
सारथी – सारिथ
सुई – सूई
सुसुि त – सुषुि त
नयी – नई
नही – नहीँ
िन सािहत – िन साह
िन वाथ – िनः वाथ
िनरािभमान – िनरिभमान
िनरानुनािसक – िनरनुनािसक
िन र – िन र
नीँबू – नीबू
यौछावर – योछावर
नबाब – नवाब
िनहािरका – नीहािरका
िनशंग – िनषंग
नुपुर – नूपुर
पिरिणत – पिरणित, पिरणीत
पिर े – पिर े य
प ा ाप – प ाताप
पिरषद – पिरषद्
पुनरावलोकन – पुनरवलोकन
पुनरोि त – पुन ि त
पुनरो थान – पुन थान
िपतावत् – िपतृवत्
पि – प ी
पूव ह – पूव
पु य – पू य
पू यनीय – पूजनीय
गती – गित
विलत – विलत
कृती – कृित
तीिलिप – ितिलिप
ितछाया – ित छाया
मािणक – ामािणक
संिगक – ासंिगक
दिशनी – दशनी
ि यदशनी – ि यदिशनी
योपकार – युपकार
िव – िव
पृ – पृ
गट – कट
ाणीिव ान – ािणिव ान
पातंजली – पतंजिल
पौ ष व – पौ ष
पौव य – पौर य
बजार – बाजार
वा मीकी – वा मीिक
बेइमान – बेईमान
ह पित – बृह पित
भरतरी – भतृहिर
भतसना – भ सना
भागवान – भा यवान्
भानू – भानु
भारवी – भारिव
भाषाई – भाषायी
िभ – अिभ
भै या – भैया
मनुष व – मनु य व
मरीचका – मरीिचका
मह व – मह व
मँहगाई – मंहगाई
मह वाक ा – मह वाक ा
मालुम – मालूम
मा यनीय – माननीय
मुकंद – मुकुंद
मुनी – मुिन
मुह ला – मोह ला
माताहीन – मातृहीन
मूल तयः – मूल तः
मोहर – मुहर
योगीराज – योिगराज
यशगान – यशोगान
रिव – रवी
रागनी – रािगनी
ठना – ठना
रोहीत – रोिहत
लोिकक – लौिकक
व तुय – व तुए ँ
व छनीय – व छनीय
िव ेषणा – िव ैषणा
वत त – वृत त
वािपस – वापस
वासुकी – वासुिक
िवधाथ – िव ाथ
िवदेिशक – वैदेिशक
िवधी – िविध
व गमय – वा मय
वरी – विर
िव वास – िव ास
िवषेश – िवशेष
िविछ – िवि छ
िविश – िविश
विश – विश , विस
वै या – वे या
वेषभूषा – वेशभूषा
यंग – यं य
यवहिरत – यवहृत
शारीरीक – शारीिरक
िवसराम – िव ाम
श ती – श ित
शार स – सार श
शाषकीय – शासकीय
ोत – ोत
ाप – शाप
शाबास – शाबाश
शबत – शरबत
शंशय – संशय
िसरीष – िशरीष
शि तशील – शि तशाली
शादुल – शादूल
शौचनीय – शोचनीय
शु आत – शु आत
शु – शु
ाद – ा
ृंग – शृंग
ृंखला – शृंखला
ृ ा– ा
शु ी – शुि
ीमित – ीमती
म ु– म ु
षटानन – षडानन
सरीता – सिरता
स सार – संसार
संि ल – संि ल
हिरितमा – हरीितमा
दय – हृदय
िहरन – हिरण
िहतेषी – िहतैषी
िहँद ु – िहंद ू
ऋिषकेश – हृिषकेश
हे तू – हे तु।
♦♦♦

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• सामा य िह दी
♦ होम पे ज

तुित:–

मोद खेदड़

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