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SLC TOPIC - 'उपसग- य'

Ayush – नम ार, म आयुष क ा 7D का छा ं। आज हमने िहंदी SLC के

अंतगत 'उपसग- य' िवषय को चुना है। इस म शािमल मेरे सहपाठी है,
Sejal, Sana, Shravani, Trisha and Aaryan

Sejal - अब हम शु करते है। PART - I

Shravani - आयुष तुम कल ायाम करने ो नही ं आए थे?

Ayush - हां ावणी, कल मुझे ब त आलस आ रहा था।

Shravani - आल एक अवगुण है यिद थ और सबल बनना चाहते हो, तो

अपने ा के ित लापरवाह मत बनो ितिदन ायाम करो।

Sejal - अरे ावणी तुम आयुष को ायाम के लाभ बता रही हो या उपसग िसखा
रहे

हो?

Ayush - ा मतलब से जल?

Sejal - बताती ं, अवगु ण, सबल, लापरवाह तथा ितिदन श के शु म

अव, से, ला तथा ित श ांश जुड़े ह, इ ही उपसग कहते ह।

Shravani - लो म तो एक चीज िसखा रही थी, तुमने उसी म दो बात िसखा दी।

Sana - सेजल ने सही कहा िक ावणी ने उपसग वाले श ों का योग िकया है।
आइए

उपसग के बारे म जानते ह-


उपसग - ऐसे श ांश जो श से पूव जुड़कर श के अथ म प रवतन और

िवशेषता उ करते ह वे उपसग कहलाते ह।


जैसे - १) उपसग अप - मू ल श मान - नया श अपमान
२) उपसग ित - मू ल श शोध - नया श ितशोध
३) उपसग अनु - मू ल श मान - नया श अनुमान
४) उपसग सु - मूल श आगत - नया श ागत

Sejal - सना, उपसग समझाने के िलए ब त-ब त ध वाद।

अब हम शु करते है। PART – II

Trisha – ावणी तुम तो फौजी की डे स म ब त अ ी लग रही हो।

Shravani - हां ,म आज दे श भ की किवता सुनाऊंगी जो सैिनकों के ऊपर है,

इसिलए मने यह पोशाक पहनी है।

Trisha - चलो ावणी सभाहारगृ म चलते ह, अब तु ारी ही बारी है।

Shravani - नम ार, मै ावणी आपके सामने दे शभ पर किवता ुत

क ं गी...

हम ह पहरे दार दे श के, हम ह पहरे दार।


यु चाहते नही ं कभी भी, शां त हमारी नीित।
स , अिहं सा, मानवता से, हम करते ह ार।
हम ह पहरे दार दे श के, हम ह पहरे दार।
कभी नही ं हम िमटने दे ते, भारत मां का मान।
तं ता की ही र ा म, हो जाते बिलदान।
हम ह पहरे दार दे श के, हम ह पहरे दार।।

Trisha - ावणी का दे शभ पर गीत सुनकर तो सबके मन म जोश भर गए। ा

आपने गीत म कोई िवशेष बात दे खी?

नही ं, चलो म समझाती ं-


ावणी ने गीत म ऐसे कुछ श योग िकए ह, िजनके मूल श के पीछे

श ांश जुड़े ह। जैसे - मानवता म ता श ांश जुड़ा है। पहरे दार म दार

श ांश जुड़ा है । तं ता म ता श ांश जुड़ा है।


आइए य के बारे म जानते ह -
य - ऐसे श ांश जो िकसी श के अंत म जुड़कर उस श के अथ म
प रवतन या िवशेषता उ कर दे ते ह, वे य कहलाते है।
जैसे - १) मूल श गाड़ी - य वान - नया श गाड़ीवान।
२) मूल श कला - य कार - नया श कलाकार।
३) मूल श चालाक - य ई - नया श चालाकी।
४) मूल श पंिडत - य आईन - नया श पंिडताइन।
५) मूल श िव ा - य आलय - नया श िव ालय।

Sejal - Trisha, य समझाने के िलए ब त-ब त ध वाद।

Aryan - सना, ा म आपसे एक सवाल पूछ सकता ं ?

Sana - हां आयन, अव ....

Aryan - कुछ श ऐसे भी होते ह ना िजसमे उपसग और य दोनों भी लगते ह।

Sana - ब त बिढ़या आयन आपने ठीक कहा चलो म बताती ं....

कुछ श ों म उपसग और य दोनों का भी योग होता है । जैसे -


इमानदारी श म उपसग है ई - मू ल श है मान - य है दारी ।

प रपूणता श म उपसग है प र - मूल श है पूण - य है ता ।

आयन अब समझ गए ?

Aryan - जी हां सना, ध वाद!!

Aryan – नम ार, म आयन..

Trisha - म तृषा, आओ पाठ दोहराएं –

Aryan - १) मूल श ों से पहले लगकर नया श बनाने वाले श ांश उपसग

कहलाते ह।

Trisha - २) िहंदी म चार कार के उपसग का योग होता है।


Aryan - ३) श ों के अं त म लगकर जो श ां श नए श बनाते ह, उ य

कहते ह।

Trisha - ४) यश ां श होते ह।

Aryan - ५) य के दो मु भे द होते ह - कृत य, त त य।

Trisha - ६) धातुओ ं के अंत म जुड़ने वाले श ांश कृत य और अ श ों के

अंत म जुड़ने वाले श ांश त त य कहलाते ह।

Aryan - ७) यों का अपना तं अ नही ं होता।

यहां पर हमारा पाठ समा होता है - ध वाद !!

सब एक साथ ध वाद !!

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