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sanskritbhasi.blogspot.com/2014/03/part-6.html
1. सूय (म य म गोलाकर, लाल) सूय का आवाहन (लाल अ त-पु प ले कर)- ॐ आ कृ णेन रजसा
वतमानो िनवे शय नमृ तं म यं च। िहर ये न सिवता रथे ना दे वो याित भु वनािन प यन्।। जपाकुसु मसं काशं
का यपे यं महा ु ितम्। तमोऽिरं सवपाप नं सूयमावाहया यहम् ।। ॐ भूभुवः वः किलङ्गदे शोद्भव
का यपगो -र तवण-भो सूय! इ छाग छ, इह ित ठ ॐ सूयाय नमः, ीसूयमावाहयािम, थापयािम।
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5. बृह पित (उ र म पीला, अ टदल) बृ ह पित का आवाहन (पीले अ त-पु प से )-ॐ बृ ह पते अित
यदयो अहाद् ु मि भाित तु म जने षु। य ीदय छवस ऋत जात तद मासु दिवणं धे िह िच ाम्।
उपयामगृ हीतोऽिस बृ ह पतये वैष ते योिनबृ ह पतये वा।। दे वानां च मु नीनां च गु ं का चनसि नभम्।
व भूतं ि लोकानां गु मावाहया यहम्।। ॐ भूभुवः वः िस धु देशोद्भव आिङ्गरसगो पीतवण भो गु रो !
इहाग छ, इह ित ठ ॐ बृ ह पतये नमः , बृ ह पितमावाहयािम, थापयािम।
ॐ अ ना पिर ु तो रसं ब णा यिपब ं ◌ा पयः सोमं जापितः। ऋते न स यिमि दयं िवपान Ủ
शु म धस इ द ये ि दयिमदं पयोऽमृ तं मधु ।। िहमकु दमृ णालाभं दै यानां परमं गु म्। सवशा ा व तारं
शु मावाहया यहम्।। ॐ भूभुवः वः भोजकटदे शोद्भव भागवगो शु लवण भो शु ! इहाग छ, इह
ित ठ ॐ शु ाय नमः, शु मावाहयािम, थापयािम।
8. राहु (नैरऋ ू ी
् यकोण म काला मकर) राहु का आवाहन (काले पु प से )-ॐ कया नि च ा आ भु वदत
सदावृ धः सखा। कया शिच ठया वृता। अधकायं महावीयं च दािद यिवमदनम्। िसं िहकागभस भूतं
राहुमावाहया यहम्।।
9. केतु (वाय यकोण म , कृ ण खड्ग) केतु का आवाहन (धूिमल अ त पु प ले कर)-ॐ केतु ं कृ व केतवे पे शो
मया अपे शसे । समु षिद्भरजायथाः।। पलाशधूमसङ्काशं तारकागहम तकम्। रौदं रौदा मकं घोरं
केतु मावाहया यहम्।। ॐ भूभुवः वः अ तविदसमु दभ ् व जै िमिनगो धूमवण भो केतो ! इहाग छ, इह ित ठ
ॐ केतवे नमः, केतु मावाहयािम, थापयािम।
नोटः-केवल नवगह पूजन कराना हो तो िद पाल आवाहन के बाद इसकी शेष िविधयाँ दी गयी है । इससे
नवगह पृ थक् कर पूजन करा ल।
जगदान द झा
लखनऊ म शासिनक अिधकारी के पदभार गहण से पूव सामियक िवषय पर किवता,िनब ध ले खन करता
रहा। सं कृत के सामािजक सरोकार से जु डा रहा। सं कृत िव ा म महती अिभ िच के कारण अबतक चार
ग थ का स पादन। सं कृत को अ तजाल के मा यम से ये क लाभाथी तक पहुँचाने की िजद। सं कृत के
सार एवं िवकास के िलए लॉग तक चला आया। मेरे अपने ि य शतािधक वै चािरक िनब ध, िह दी
किवताएँ , 21 हजार से अिधक सं कृत पु तक, 100 से अिधक सं कृत िव ान की जीवनी, याकरण आिद
शा ीय िवषय की पिरचचा, िश ण- िश ण और भी बहुत कुछ मु झे एक दस ू री ही दुिनया म खींच ले जाते
है । सं कृत की वतमान सम या एवं वृह म सािह य को अपने अ दर महसूस कर अपने आप को अिभ य त
करने की इ छा बलवती हो जाती है। मु झे इस े म काय करने एवं सं कृत िव ा अ ययन को उ सु क
समु दाय को ने तृ व दान करने म अ य त सु खद आन द का अनु भव होता है । दरू भाष - 73 8888 33 06
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