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जय माता द

ॐ-- गु त-स तशती--ॐ


सात सौ म क ‘ ी गा स तशती, का पाठ करने से साधक का
जैसा क याण होता है, वैसा-ही क याणकारी इसका पाठ है। यह
‘गु त-स तशती’ चुर म -बीज के होने से आ म-क याणेछु साधक
के लए अमोघ फल- द है।
इसके पाठ का म इस कार है। ार म ‘कु का- तो ’
, उसके बाद ‘गु त-स तशती’
, तद तर ‘ तवन‘ का पाठ करे।
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कु का- तो म् अथवा स कु का तो म् ॥
ी गणेशाय नमः ।
ॐ अ य ीकु का तो म य सदा शव ऋ षः, अनु ु प् छ दः,
ी गुणा मका दे वता, ॐ बीजं, ॐ श ः, ॐ ल क लकम्,
मम सवाभी स थ जपे व नयोगः ।
शव उवाच
ृणु दे व व या म कु का तो मु मम्।
येन म भावेण च डीजापः शुभो भवेत्॥1॥
न कवचं नागला तो ं क लकं न रह यकम्।
न सू ं ना प यानं च न यासो न च वाचनम्॥2॥
कु कापाठमा ण
े गापाठफलं लभेत्।
अ त गु तरं दे व दे वानाम प लभम्॥3॥
गोपनीयं य नेन वयो न रव पाव त।
मारणं मोहनं व यं त नो ाटना दकम्।
पाठमा ण
े सं स ध्येत् कु का तो मु मम् ॥4॥
अथ मं
ॐ ल चामु डायै व े। ॐ लौ ं ल जूं सः
वालय वालय वल वल वल वल
ल चामु डायै व े वल हं सं लं ं फट् वाहा
॥ इ त मं ः॥

नम ते प यै नम ते मधुम द न।
नमः कै टभहा र यै नम ते म हषाम द न ॥1॥
नम ते शु ह यै च नशु ासुरघा त न ॥2॥
जा तं ह महादे व जपं स ं कु व मे।
कारी सृ पायै कारी तपा लका॥3॥

ल कारी काम प यै बीज पे नमोऽ तु ते।


चामु डा च डघाती च यैकारी वरदा यनी॥4॥

व े चाभयदा न यं नम ते मं पणी ॥5॥

धां ध धू धूजटे ः प नी वां व वूं वागधी री।


ां ूं का लका दे वशां श शूं मे शुभं कु ॥6॥

ं क
ं ार प यै जं जं जं ज ना दनी।
ां ूं भैरवी भ े भवा यै ते नमो नमः॥7॥

अं कं चं टं तं पं यं शं व ं व हं ं
धजा ं धजा ं ोटय ोटय द तं कु कु वाहा॥
पां प पूं पावती पूणा खां ख खूं खेचरी तथा॥8॥
सां स सूं स तशती दे ा मं स कु व मे॥
इदं तु कु का तो ं मं जाग तहेतवे।
अभ े नैव दात ं गो पतं र पाव त॥
य तु कुं जकया दे वहीनां स तशत पठे त्।
न त य जायते स रर ये रोदनं यथा॥
। इ त ी यामले गौरीतं े शवपावतीसंवादे कुं जका तो ं संपूणम्

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गु त-स तशती

ॐ - - वेण-ु ह ते, तुत-सुर-बटु कैहा गणेश य माता।


वान दे न द- पे, अनहत- नरते, मु दे मु -माग।।
हंसः सोहं वशाले, वलय-ग त-हसे, स -दे वी सम ता।
ह -ह -ह स -लोके , कच- च- वपुले, वीर-भ े नम ते।।१

ॐ ह कारो ारय ती, मम हर त भयं, च ड-मु डौ च डे।


खां-खां-खां खड् ग-पाणे, क- क कते, उ - पे व पे।।
-ँ ँ क
ँ ांर-नादे , गगन-भु व-तले, ा पनी ोम- पे।
हं-हं हंकार-नादे , सुर-गण-न मते, च ड- पे नम ते।।२

लोके क तय ती, मम हरतु भयं, रा सान् ह यमाने।


ां- ां- ां घोर- पे, घघ-घघ-घ टते, घघरे घोर-रावे।।
नमासे काक-जंघ,े घ सत-नख-नखा, धू -ने े -ने ।े
ह ता जे शूल-मु डे, कु ल-कु ल ककु ले, स -ह ते नम ते।।३

ॐ - - कु मारी, कु ह-कु ह-म खले, को कलेनानुरागे।


मु ा-सं - -रेखा, कु -कु सततं, ी महा-मा र गु े।।
तेजांगे स -नाथे, मन-पवन-चले, नैव आ ा- नधाने।
कारे रा -म ये, व पत-पशु-जने, त का ते नम ते।।४

ॐ ां- - ूं क व वे, दहन-पुर-गते म- पेण च े ।


ः-श या, यु -वणा दक, कर-न मते, दा दवं पूव-वण।।
- ाने काम-राजे, वल- वल व लते, को श न कोश-प ।े
व दे क -नाशे, सुर-वर-वपुषे, गु -मु डे नम ते।।५

ॐ ां- - ूं घोर-तु डे, घघ-घघ घघघे घघरा या ङ् -घोषे।


ं ो च-च े , रर-रर-र मते, सव- ाने धाने।।
तीथषु च ये े, जुग-जुग जजुगे ल पदे काल-मु डे।
सवागे र -धारा-मथन-कर-वरे, व -द डे नम ते।।६

ॐ ां ूं वाम-न मते, गगन गड-गडे गु -यो न- व पे।


व ांग,े व -ह ते, सुर-प त-वरदे , म -मातंग- ढे ।।
व तेज,े शु -दे ह,े लल-लल-ल लते, छे दते पाश-जाले।
क ड याकार- पे, वृष वृषभ- वजे, ऐ मातनम ते।।७

ॐ ँ ँ क
ं ार-नादे , वषमवश-करे, य -वैताल-नाथे।
सु- स यथ सु- स ै ः, ठठ-ठठ-ठठठः, सव-भ े च डे।।
जूं सः स शा त-कमऽमृत-मृत-हरे, नःसमेसं समु े ।
दे व, वं साधकानां, भव-भव वरदे , भ -काली नम ते।।८
ाणी वै णवी वं, वम स ब चरा, वं वराह- व पा।
वं ऐ वं कु बेरी, वम स च जननी, वं कु मारी महे ।।
ल कार-भूते, वतल-तल-तले, भू-तले वग-माग।
पाताले शैल- ृंग,े ह र-हर-भुवने, स -च डी नम ते।।९

हं लं ं शौ ड- पे, श मत भव-भये, सव- व ना त- व ने।


गां ग गूं ग षडंग,े गगन-ग त-गते, स दे स -सा ये।।
वं ं मु ा हमांशो हस त-वदने, य रे स ननादे ।
हां ं गां ग गणेशी, गज-मुख-जननी, वां महेश नमा म।।१०
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तवन

या दे वी खड् ग-ह ता, सकल-जन-पदा, ा पनी वशऽव- गा।


यामांगी शु ल-पाशा द जगण-ग णता, -दे हाध-वासा।।
ानानां साधय ती, त मर- वर हता, ान- द - बोधा।
सा दे वी, द -मू त दहतु रतं, मु ड-च डे च डे।।१
ॐ हां ह ं वम-यु े , शव-गमन-ग तभ षणे भीम-व ।े
ां ूं ोध-मू त वकृ त- तन-मुखे, रौ -दं ा-कराले।।
कं कं कं काल-धारी म त, जग ददं भ य ती स ती-

ं ारो ारय ती दहतु रतं, मु ड-च डे च डे।।२

ॐ ां ं - पे, भुवन-न मते, पाश-ह ते -ने ।े


रां र ं रंगे कले क लत रवा, शूल-ह ते च डे।।
लां ल लूं ल ब- ज े हस त, कह-कहा शु -घोरा -हासैः।
कं काली काल-रा ः दहतु रतं, मु ड-च डे च डे।।३

ॐ ां ूं घोर- पे घघ-घघ-घ टते घघराराव घोरे।


नमाँसे शु क-जंघे पब त नर-वसा धू -धू ायमाने।।
ॐ ां ं ावय ती, सकल-भु व-तले, य -ग व-नागान्।
ां ूं ोभय ती दहतु रतं च ड-मु डे च डे।।४

ॐ ां ूं भ -काली, ह र-हर-न मते, -मूत वकण।


च ा द यौ च कण , श श-मुकुट- शरो वे तां के तु-मालाम्।।
क् -सव-चोरगे ा श श-करण- नभा तारकाः हार-क ठे ।
सा दे वी द -मू तः, दहतु रतं च ड-मु डे च डे।।५

ॐ खं-खं-खं खड् ग-ह ते, वर-कनक- नभे सूय-का त- वतेजा।


व ु वालावलीनां, भव- न शत महा-क का द णेन।।
वामे ह ते कपालं, वर- वमल-सुरा-पू रतं धारय ती।
सा दे वी द -मू तः दहतु रतं च ड-मु डे च डे।।६

ॐ ँ ँ फट् काल-रा पुर-सुर-मथन धू -मारी कु मारी।


ां ंह त ान् क लत कल- कला श द अ ा हासे।।
हा-हा भूत- भूते, कल- क लत-मुखा, क लय ती स ती।

ं ारो ारय ती दहतु रतं च ड-मु डे च डे।।७

ॐ कपाल प रजन-स हता च ड चामु डा- न ये।


रं-रं रंकार-श दे श श-कर-धवले काल-कू टे र ते।।
ँ ँ क
ं ार-का र सुर-गण-न मते, काल-कारी वकारी।
यैलो यं व य-कारी, दहतु रतं च ड-मु डे च डे।।८
व दे द ड- च डा डम - ड म- डमा, घ ट टं कार-नादे ।
नृ य ती ता डवैषा थथ-थइ वभवै नमला म -माला।।
ौ कु ौ वह ती, खर-ख रता रवा चा च न ेत-माला।
उ ै तै ा हासै, हह ह सत रवा, चम-मु डा च डे।।९

ॐ वं ा ी वं च रौ स च श ख-गमना वं च दे वी कु मारी।
वं च च -हासा घुर-घु रत रवा, वं वराह- व पा।।
रौ े वं चम-मु डा सकल-भु व-तले सं ते वग-माग।
पाताले शैल- ृंगे ह र-हर-न मते दे व च डी नम ते।।१०

र वं मु ड-धारी ग र-गुह- ववरे नझरे पवते वा।


सं ामे श -ु म ये वश वषम- वषे संकटे कु सते वा।।
ा े चौरे च सपऽ युद ध-भु व-तले व -म ये च ग।
र ते ् सा द -मू तः दहतु रतं मु ड-च डे च डे।।११

इ येवं बीज-म ैः तवनम त- शवं पातक- ा ध-नाशनम्।


य ं द - पं ह-गण-मथनं मदनं शा कनीनाम्।।
इ येवं वेद-वे ं सकल-भय-हरं म -श न यम्।
म ाणां तो कं यः पठ त स लभते ा थतां म - स म्।।१२

चं-चं-चं च -हासा चचम चम-चमा चातुरी च -के शी।


यं-यं-यं योग-माया जन न जग- हता यो गनी योग- पा।
डं-डं-डं डा कनीनां डम क-स हता दोल ह डोल ड ा।
रं-रं-रं र -व ा सर सज-नयना पातु मां दे व गा।।१३
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