You are on page 1of 2

ु ान ् वडवानर-स्तोत्र

श्री हनभ

मह स्तोत्र सबी योगों के ननवायण भें , शत्रुनाश, दस


ू यों के द्वाया ककमे गमे ऩीडा कायक कृत्मा
अभबचाय के ननवायण, याज-फंधन ववभोचन आदद कई प्रमोगों भें काभ आता है ।

ववधधिः- सयसों के तेर का दीऩक जराकय १०८ ऩाठ ननत्म ४१ ददन तक कयने ऩय सबी
फाधाओं का शभन होकय अबीष्ट कामय की भसवि होती है ।

ववननमोगिः- ॐ अस्म श्री हनुभान ् वडवानर-स्तोत्र-भन्त्त्रस्म श्रीयाभचन्त्र ऋवषिः, श्रीहनुभान ्


वडवानर दे वता, ह्ां फीजभ ्, ह्ीं शक्तं , सौं कीरकं, भभ सभस्त ववघ्न-दोष-ननवायणाथे ,
सवय-शत्रुऺमाथे सकर- याज- कुर- संभोहनाथे , भभ सभस्त- योग- प्रशभनाथयभ ्
आमुयायोग्मैश्वमायऽभबवि
ृ मथं सभस्त- ऩाऩ-ऺमाथं श्रीसीतायाभचन्त्र-प्रीत्मथं च हनुभद्
वडवानर-स्तोत्र जऩभहं करयष्मे ।

ध्मानिः-
भनोजवं भारुत-तुल्म-वेगं कजतेकन्त्रमं फुविभतां वरयष्ठं । वातात्भजं वानय-मूथ-भुख्मं
श्रीयाभदत
ू भ ् शयणं प्रऩद्मे ।।

ॐ ह्ां ह्ीं ॐ नभो बगवते श्रीभहा-हनुभते प्रकट-ऩयाक्रभ सकर- ददङ्भण्डर- मशोववतान-


धवरीकृत- जगत-त्रत्रतम वज्र-दे ह रुरावताय रंकाऩुयीदहम उभा-अगयर -भंत्र उदधध-फंधन
दशभशयिः कृतान्त्तक सीताश्वसन वामु-ऩुत्र अञ्जनी-गबय-सम्बूत श्रीयाभ-रक्ष्भणानन्त्दकय
कवऩ-सैन्त्म-प्राकाय सुग्रीव-साह्मकयण ऩवयतोत्ऩाटन कुभाय- ब्रह्भचारयन ् गंबीयनाद सवय-
ऩाऩ- ग्रह- वायण- सवय- ज्वयोच्चाटन डाककनी- शाककनी- ववध्वंसन ॐ ह्ां ह्ीं ॐ नभो
बगवते भहावीय-वीयाम सवय-दिःु ख ननवायणाम ग्रह-भण्डर सवय-बूत-भण्डर सवय-वऩशाच-
भण्डरोच्चाटन बत
ू -ज्वय-एकादहक-ज्वय, द्वमादहक-ज्वय, त्र्मादहक-ज्वय चातुधथयक-ज्वय,
संताऩ-ज्वय, ववषभ-ज्वय, ताऩ-ज्वय, भाहे श्वय-वैष्णव-ज्वयान ् निकन्त्द-निकन्त्द मऺ ब्रह्भ-
याऺस बत
ू -प्रेत-वऩशाचान ् उच्चाटम-उच्चाटम स्वाहा ।

ॐ ह्ां ह्ीं ॐ नभो बगवते श्रीभहा-हनुभते ॐ ह्ां ह्ीं ह्ूं ह्ैं ह्ौं ह्िः आं हां हां हां हां ॐ सौं एदह
एदह ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ नभो बगवते श्रीभहा-हनभ ु ते श्रवण-चऺुबत ूय ानां शाककनी
डाककनीनां ववषभ-दष्ु टानां सवय-ववषं हय हय आकाश-बव
ु नं बेदम बेदम िे दम िे दम भायम
भायम शोषम शोषम भोहम भोहम ज्वारम ज्वारम प्रहायम प्रहायम शकर-भामां बेदम बेदम
स्वाहा ।

ॐ ह्ां ह्ीं ॐ नभो बगवते भहा-हनभ


ु ते सवय-ग्रहोच्चाटन ऩयफरं ऺोबम ऺोबम सकर-फंधन
भोऺणं कुय-कुरु भशयिः-शर
ू गल्
ु भ-शर
ू सवय-शर
ू ाकन्त्नभर
ूय म ननभर
ूय म नागऩाशानन्त्त-
वासुकक- तऺक- ककोटकाभरमान ् मऺ-कुर-जगत-यात्रत्रञ्चय-ददवाचय-सऩायकन्त्नववयषं कुरु-
कुरु स्वाहा ।

ॐ ह्ां ह्ीं ॐ नभो बगवते भहा-हनभ


ु ते याजबम चोयबम ऩय-भन्त्त्र-ऩय-मन्त्त्र-ऩय-तन्त्त्र ऩय-
ववद्माश्िे दम िे दम सवय-शत्रन्त्
ू नासम नाशम असाध्मं साधम साधम हुं पट् स्वाहा ।

।। इनत ववबीषणकृतं हनुभद् वडवानर स्तोत्रं ।।SHARE

You might also like