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श्री हनभ
ववधधिः- सयसों के तेर का दीऩक जराकय १०८ ऩाठ ननत्म ४१ ददन तक कयने ऩय सबी
फाधाओं का शभन होकय अबीष्ट कामय की भसवि होती है ।
ध्मानिः-
भनोजवं भारुत-तुल्म-वेगं कजतेकन्त्रमं फुविभतां वरयष्ठं । वातात्भजं वानय-मूथ-भुख्मं
श्रीयाभदत
ू भ ् शयणं प्रऩद्मे ।।
ॐ ह्ां ह्ीं ॐ नभो बगवते श्रीभहा-हनुभते ॐ ह्ां ह्ीं ह्ूं ह्ैं ह्ौं ह्िः आं हां हां हां हां ॐ सौं एदह
एदह ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ नभो बगवते श्रीभहा-हनभ ु ते श्रवण-चऺुबत ूय ानां शाककनी
डाककनीनां ववषभ-दष्ु टानां सवय-ववषं हय हय आकाश-बव
ु नं बेदम बेदम िे दम िे दम भायम
भायम शोषम शोषम भोहम भोहम ज्वारम ज्वारम प्रहायम प्रहायम शकर-भामां बेदम बेदम
स्वाहा ।