You are on page 1of 11

03/04/2021 कालराि | Vadicjagat

कालराि | Vadicjagat
vadicjagat.co.in

October 7, 2019

॥ कालराि ॥

॥ कालराि योग िवधानम् ॥


कालराि का योग अचूक ह । यह संहार व स ोहन दोनों की अिध ा ी ह । ा, िव ु, महे श इ ीं के
भाव से योगिन ा म रहते ये आराधना व तप ा म लीन रहते ह । जब श ु बाधा, ेतािदकबाधा बल हो
बगला, ंिगरा, शरभराजािद के योग िशिथल हो रहे हो तो इस िव ा का योग साथ म करना चािहये जैसे
िव ु के ारा ५००० वष तक यु करने पर भी मधुकैटम को नहीं मार सके तो इ ी कालराि ने उनका
संमोहन िकया तब ही वे रा स मारे गये । यह िव ा ती संमोहन से श ु को िशिथल व िन ाण भी कर सकती
ह । काला के २-३ ान जो सव िविदत हे वे खरा ढ है , भीषण आकृित ह ऊपर के दां ये हाथ म खड् ग ह व
बाँ ये हाथ म मशाल है िजससे वे भ ों का माग दशन कर अंधकार को दू र करती ह श ुबाधा व िव ों को
जलाकर न कर दे ती ह । नीचे के हाथों म वर अभय मु ा है । कहीं एक तरफ ख ां ग व द धारण िकये ये
है दू सरी तरफ के हाथों म वर अभय मु ा है ।

मं :- ॐ ऐं ी ं ी ं ी ं कालराि सव व ं कु कु वीय दे िह दे िह गणे य नमः । (दे वी रह.)


उ ीलन – ऐं ी ं ी ं कालरा ै नमः ।
ा शमन मं – ौ ं ं ऐं ी ं ी ं एिह एिह कालराि आवेशय आवेशय ु र फुर सवजन
संमोहय संमोहय ं फट् ाहा ।
॥ ानम् ॥
एक वेणी जपाकणपूरा न खरा थता,
लंबो ी कािणकाकण तैला शरी रणी ।
वामपादो स ोह लताक कभूषणा,
ि ी
https://vadicjagat.co.in 1/11
03/04/2021 कालराि | Vadicjagat

वधन् मूध जा कृ ा कालराि भय री ॥


कालराि महाकाली व महाषोडशी की समयािव ा है अथात् इनके साथ समयाधार पर कालराि की भी पूजा
की जानी चािहये । “मं कोष’ म दोनों िव ाओं के अलग अलग ान ह मूल मं म सामा भेद ह।
1) काली मे मं ः -
ॐ ऐं ी ं ी ं ी ं का े र सवजनमनोह र सवमुख ंभिन सवराजवश र, सवदु िनदलिन
सव ीपु षाकिषिण : ब ी ृखलाँ ोटय - ोटय सवश ून् भ य-भ य े न् िनदलय-िनदलय सव
ंभय ंभय मोहना ेण े िषण उ ाटय- उ ाटय सववशं कु कु ाहा दे िह दे िह सव कालराि
! कािमिन ! गणे र नमः । (मं महाणव म मनोहरे िलखा ह, तथा सवमुख ंिभिन, िलखा ह, मं महोदिध म
दे िह दे िह सवकालराि िलखा ह।) मं महोदिध म े न की जगह “ े िषण: उ ाटय-२ सववशं कु कु ाहा
दे िह दे िह सवकालराि कािमिन गणे र नमः ” िलखा ह।
षोडशी मो मं :- ी ं ी ं ी ं काले र सवजनमनोहा र सवमुख ंिभिन सवराजवश र
सवदु िनदलिन सव ीपु षाकषिण ब ृङ्खला ोटय ोटय सवश ू य ज य े षं िनदलयर
सव ंभयर उ ाटय उ ाटय सवव ं कु कु सवकालराि कािमिन गणे र ं फट् ाहा ।
िविनयोगः - अ ी कालराि महािव ामं भैरव ऋिष, अनु प् छ ः , ीकालराि दे वता, ीं बीजं ाहा
श ं, ं कीलकं, आ नोऽभी िस थ जपे िविनयोगः ।
ां ीं ूं ौं ः से षड ास करे ।
आर भानुस शीं यौवनो िव हां
चतुभुजां ि नयनां भीषणां च शेखराम् ।
ेतासनसमासीनं भजतां सवकामदां दि णे
चाऽभयं पाशं वामे भुवनमेव च ॥
र द धरां कालराि िविच येत् ।।
शापो ार – ॐ ऐं ां कालराि िशव शाप िवमोचय ।
उ ीलन – ॐ ॐ ॐ मा मा मा।
संजीवन – ं गणे री कालराि ीं ।

॥ अथ कालराि मं योगः ॥
म ाः
(१.) ॐ ऐं ी ं ी ं ी ं का े र सवजनमनोहा र सवमुख ंिभिन सवराजवशंक र
सव ीपु षाकिषिण ब ी ंखला ोटय ोटय सवश ून् भंजय भंजय ि िषणो दलय दलय सव
ंभय ंभय सव ंभय ंभय मोहना ेण े िषण उ ाटयो ाटय सव वशं कु कु ाहा दे िह
दे िह सव कालराि कािमिन गणे र नमः ।

िविनयोग – अ म द ऋिषः , जगतीछ ः , अलकिनवािसनी कालराि दे वता, ीं बीजं


मायारा ाश ः , ममाभी िस ये जपे िविनयोगः ।
(२.) ॐ ां ी ं ूं ौ ं हः जग यिवमोिहिन भुवन ािपिन द धा रिण दु गा दु गितह ी नानािस
िवधाियिन सव वशं कु कु ाहा ।
षड ास – ां , ीं, ूं , , ौं, ः से षड ास करे ।

॥ ानम् ॥
आर भानु स शीं कािमनी मदनातुराम् ।
चतुभुजां ि नयनां कवरीमु केिशकाम् ॥
मोहनं दि णे ह े वरदं च तथोप र ।
भुवनं वामह े च अधोद ं सुशोिभतम् ॥
चूडाकलािपकाशोभा मातृका प रवेि ताम् ।
कृ ा रधरां दे वीं कृ क चुकभूिषताम् ॥


https://vadicjagat.co.in 2/11
03/04/2021 कालराि | Vadicjagat

कणताट संयु ां नानार सुमौ काम् ।


िविच चा ेयपु ैः विणन ां सुकु लाम् ॥
सुनासामौ कां चा ता ूलापू रताननाम् ।
ैवेयहारपदक नाभरण भूिषताम् ॥
ऋिषिभः िस गंधवः ूयमानां मदालसाम् ।
क ाकागण संसे ा मायारा ी गणे रीम् ॥

य ो ार – िब दु, ि कोण, षट् कोण उसके बाद दो वृ , अ दल पुनः दो वृ प ात् षोडशदलयु भूपुर
बनाये ।

॥ का योग ॥
व कम हे तु िस दूर से यं िलखे, ंभन हे तु रसाल से मारणािद कम हे तु कोिकल पंख से व लोह प पर,
हरताल, ह र ा िनगु ी से खर, अ , मिहष चम पर यं िलख ।
मं महोदधौ मं ो यथा –
ऐं ी ं ी ं ी ं का े र सवजनमनोहरे सवमुख ंिभिन सवराजवशंक र सवदु िनदिलिन
सव ीपु षाकिषिण बंिद ृंखला ोटय ोटय सवश ून् भंजय भंजय े टुन् िनदलय िनदलय सव
ंभय ंभय मोहना ेण े िषण उ ाटय उ ाटय सव वशं कु कु ाहा दे िह दे िह सव कालराि
कािमिन गणे र नमः ।
इित य ंशदु रशता रो मं ः ।

॥अ िवधानम् ॥

िविनयोग :- अ कालराि मं द ऋिषः । जगती ं दः । अलकिनवािनिसनी कालराि दवता । ीं


बीजम् । मायारा ीित श ः । ममाभी िस थ जपे िविनयोगः ।

ऋ ािद ास :- ॐ द ऋषये नमः िशरिस ॥ १ ॥ जगती ं दसे नमो मुखे ॥ २ ॥ अलकिनवािसनीकालराि


दे वतायै नमो िद ॥ ३ ॥ ीं बीजाय नमो िलंगे ॥ ४ ॥ मायारा ीितश ये नमः पादयोः ॥ ५ ॥ िविनयोगाय नमः
सवागे ॥ ६ ॥ इित ऋ ािद ासः ।

करांग ास :- ॐ अंगु ा ां नमः ॥ १ ॥ ऐं तजनी ां नमः ॥ २ ॥ ीं म मा ां नमः ॥ ३ ॥ ीं


अनािमका ां नमः ॥ ४ ॥ ीं किनि का ां नमः ॥ ५ ॥ इित पंचां गुलीषु करां ग ासः ।

ि ऐ ी ी ी े ो े ि ि
https://vadicjagat.co.in 3/11
03/04/2021 कालराि | Vadicjagat

दयािदषडं ग ास :- ॐ ऐं ीं ीं ीं का े र सवजनमनोहरे सवमुख ंिभिन दयाय नमः ॥ १ ॥


सवराजवशंक र सवदु िनदिलिन सव ीप षाकिषिण िशरसे ाहा ॥ २ ॥ बंिद ृंखला ोटय ोटय
सवश ून् भंजय भंजय िशखायै वषट् ॥ ३ ॥ े न् िनदलय िनदलय सव ंभय ंभय कवचाय ं ॥ ४ ॥
मोहना ेण े िषण उ ाटय उ ाटय सव वशं कु कु ाहा ने याय वौषट् ॥ ५ ॥ दे िह दे िह सव
कालराि कािमिन गणे र नमः अ ाय फट् ॥ ६ ॥

इित दयािदषडं ग ासः । एवं ासं कृ ा ायेत् ।

॥ ानम् ॥
ॐउ ातड कां ितं िवगिलतकबरी कृ व ावृतां गी
दं डं िलंग करा वरमथ भुवनं संधधानां ि ने ाम् ।
नाना क ैिवभासं तमुखकमलां सेिवतां दे वसंधै
मायारा ी मनोभूशरिवकलतनूमा ये ग कालराि म् ॥ १ ॥
इित ा ा मानसोपचारै ः संपूजयेत् । ततः पीठादौ रिचते सवतोभ मंडले मंडूकािदपरत ां तपीठ दे वता:
सं था ‘ॐ मं मंडूकािदपरत ां तपीठदे वता ो नमः ’ इित संपू नव पीठश ी: पूजयेत् ।

पूवािद मेण – ॐ जयायै नमः ॥ १ ॥ ॐ िवजयायै नमः ॥ २ ॥ ॐ अिजतायै नमः ॥ ३ ॥ ॐ अपरािजतायै


नमः ॥ ४ ॥ ॐ िन ायै नमः ॥ ५ ॥ ॐ िवलािस ै नमः ॥ ६ ॥ ॐ दो ै नमः ॥ ७ ॥ ॐ अघोरायै नमः ॥ ८ ॥
म े ॐ मंगलायै नमः ॥ ९ ॥ इित पूजयेत् ।
ततो भूजप े िबंदुि कोणषट् कोणवृ ा दलवृ षोडशदलवृ ं च काय पर ेन लेख ािद ारा िल ख ा
त ोप र ि रे खा कभूपुरं िविनमाय ॐ कालराि योगपीठा ने नमः ’ इित मं ेण पु ा ासनं द ा पीठम े
सं था ित ा च कृ ा पुना ा (िब दू म मूित की क ना कर गंधपु ा त से आवरण पूजा करे ) ।
एत था पु ां जिलमादाय –
‘ॐ संिवम ये परे दे िव परामृतरसि ये ।
दे नु ां कालराि प रवाराचनाय मे ॥ १ ॥
इित पिठ ा पु ां जिलं द ात् । इ ा ां गृही ा आवरणपूजामारभेत । त था त ि कोणे पू पूजकयोरं तराले
झझ ाची तदनुसारे ण अ ा िदशः क ाची मेण वामावतन च ।

थमावरणम् :- (ि कोणे) ॐ संमोिह ै नमः । संमोिहनी ीपादु कां पूजयािम तपयािम नमः ॥ १ ॥ इित सव
। ॐ मोिह ै नमः । मोिहनी ीपा० ॥ २ ॥ ॐ िवमोिह ै नमः । िवमोिहनी ीपा० ॥ ३ ॥ इित पूजयेत् ।
ततः पु ाजालमादाय मूलमु ाय –

ी ि े ेि े
https://vadicjagat.co.in 4/11
03/04/2021 कालराि | Vadicjagat

ॐ अभी िस ं मे दे िह शरणागतव ले ।
भ ा समपये तु ं थमावरणाचनम् ॥ १ ॥
इित पिठ ा पु ां जिलं द ा पूिजता िपताः संतु इित वदे त् अघपा से जल छोड़ ।

ि तीयावरणम् :- (ततः षट् कोणकेसरे षु) – आ े ािदचतुिद ु म े िद ु च – ॐ दयाय नमः , दय ीपा०


। ॐ िशरसे ाहा । िशरः ीपा० । ॐ िशखायै वषट् । िशखा ीपा० । ॐ कवचाय म् । कवच ीपा० । ॐ
ने याय वौषट् । नै य ीपा० । ॐ अ ाय फट् । अ ीपा० । इित षडं गािन पूजिय ा पु ां जिलं द ात्।

तृतीयावरणम् :- (ततों वृ े दि णावतन च) ॐ अं आं नमः ॥ १ ॥ ॐ इँ ईं नमः ॥ २ ॥ ॐ उँ ऊँ नमः । ॐ ऋ


ॠ नमः ॥ ४ ॥ ॐ लृँ ॡँ नमः ॥ ५ ॥ ॐ एँ ऐं नमः ॥ ६ ॥ ॐ ओं औं नमः ॥ ७ ॥ ॐ अं अः नमः ॥ ८ ॥ इित
षोडश रान् पूजिय ा पु ां जिलं द ात् ।

चतुथावरणम् :– (ततोऽ दलेषु दि णावतन) ॐ ा यै नमः । ा ी ीपा० ॥ १ ॥ ॐ माहे य नमः ।


माहे री ीपा० ॥ २ ॥ ॐ कौमाय नमः । कौंमारी ीपा० ॥ ३ ॥ ॐ वै ै नमः । वै वी ीपा० ॥ ४ ॥ ॐ
वाराही नमः । वाराही ीपा० ॥ ५ ॥ ॐ इ ा ै नमः । इ ाणी ीपा० ॥ ६ ॥ ॐ चामुंडायै नमः । चामुंडा ी० ॥
७ ॥ ॐ महाल ै नमः । महाल ी ीपा० ॥ ८ ॥ इ ौ मातृः पूजिय ा पु ां जिलं द ात् ।

पंचमावरणम् :- (पुनवृ े) – ॐ कं नमः १ । ॐ खं नमः २ । ॐ गं नमः ३ । ॐ घं नमः ४ । ॐ ङं नमः ५ । ॐ


चं नमः ६ । ॐ छं नमः ७ । ॐ जं नमः ८ । ॐ झं नमः ९ । ॐ ञं नमः १० । ॐ टं नमः ११ । ॐ ठं नमः १२ ॥
ॐ डं नमः १३ । ॐ ढं नमः १४ । ॐ णं नमः १५ ॥ ॐ तं नमः १६ । ॐ थं नमः १७ । ॐ दं नमः १८ । ॐ धं
नमः १९ । ॐ नं नमः २० । ॐ पं नमः २१ । ॐ फं नमः २२ । ॐ बं नमः २३ । ॐ भं नमः २४ । ॐ मं नमः २५ ।
ॐ यं नमः २६ । ॐ रं नमः २७ । ॐ लं नमः २८ । ॐ वं नमः २९ । ॐ शं नमः ३० । ॐ षं नमः ३१ । ॐ सं
नमः ३२ । ॐ हं नमः ३३ । ॐ ळं नमः ३४ । ॐ ं नमः ३५ । इित पूजिय ा पु ां जिलं द ात् ।

ष ावरणम् :- (ततः षोडशदलेषु दि णावतन च) – ॐ उव ै नमः । उवशी ीपा० ॥ १ ॥ ॐ मेनकायै नमः


। मेनका ीपा० २ । ॐ रं भायै नमः । रं भा ीपा० ३। ॐ घृता ै नमः घृताची ीपादु का० ४। ॐ मंजुघोषायै नमः
। मंजुघोषा ीपा ५। ॐ सहज ायै नमः । सहज ा ीपा० ६। ॐ सुके ै नमः । सुकेशी ीपा० ७। ॐ
ितलो मायै नमः । ितलो मा ीपा० ८। ॐ गां ध ै नमः । गां धव ीपा० ९। ॐ िस क ायै नमः ।
िस क ा ीपा० १०। ॐ िक ॆ नमः । िक री ीपा० ११। ॐ नागक कायै नमः । नागक का ीपा० १२।
ॐ िव ाध ॆ नमः । िव ाधरी ीपा० १३। ॐ िकंपु षायै नमः । िकंपु षा ीपा० १४। यि ै नमः ।
यि णी ीपा० १५। ॐ िपशा ै नमः । िपशाची ीपा० १६। इित षोडशदे वताः पूजिय ा पु ां जिलं द ात् ॥

स मावरणम् :- (पुनवृ े)- ॐ परमा ने नमः । परमा ीपा० १। ऐं सर ै नमः । सर ती ीपा० २। ीं


गौ ॆ नमः । गौरी ीपा० ३। ीं कामायै नमः । कामा ीपा० ४। ी रमायै नमः । रमा ीपा० ५। ों िव ै नमः ।
िवणी ीपा० ६। ीं ोिभ ै नमः । ोिभणी ीपा० ७। ीं वशिक र ै नमः । वशीक रणी ीपा॰ ८। ूं
किष ै नमः । किषणी ीपा० ९। सः संमोिह ै नमः । संमोिहनी ीपा० १०॥ इित पूजिय ा पु ां जिलं द ात्।

अ मावरणम् :- (ततो भूपुरा ंतरे ा ािद मेण) – ॐ अिणमायै नमः । अिणमा ीपा० १। ॐ लिघमायै
नमः । लिधमा ीपा० २। ॐ मिहमायै नमः । मिहमा ीपा० ३। ॐ ईिशतायै नमः । ईिशता ीपा० ४। ॐ
विशतायै नमः । विशता ीपा० ५। ॐ कामपूर ै नमः । कामपूरणी ीपा० ६। ॐ ग रमायै नमः । ग रमा ीपा०
७। ॐ ा ै नमः । ा ीपा० ८। इ िस ी: पूजिय ा पु ां जिलं द ात्। ( ेक दे वता का चार चार
िदशाओं पूजन कर)

नवमावरणम् :- (ततो भूगृह थमरे खायां चतुिद ु) – ॐ इ ाश ै नमः । इ ाश ीपा० १। ॐ


ि याश ै नमः । ि याश ीपा० २। ॐ ानश ै नमः । ानश ीपा० ३। इित पूजयेत्। ततो
म रे खायाम् ॐ ाय नमः । ीपा० १। ॐ िव वे नमः । िव ु ीपा०२। ॐ णे नमः । ीपा० ३।

ि े ो े ी े ी े
https://vadicjagat.co.in 5/11
03/04/2021 कालराि | Vadicjagat

इित पूजयेत्। ततोऽ रे खायां ॐ स ाय नमः । स ीपा० १। ॐ रजसे नमः । रजः ीपा० २। ॐ तमसे नमः ।
तम: ीपा० ३। इित पूजिय ा पु ां जिलं द ात्।

दशमावरणम् :- (ततः भूपुरबा े ा ािदचतुिद ु)- ॐ गणेशाय नमः । गणेश ीपा० १। ॐ े पालाय नमः ।
े पाल ीपा० २। ॐ बटु काय नमः । बटु क ीपा० ३। ॐ योिगनी ो नमः । योिगनी ीपा० ४। इित ारपालान्
पूजिय ा पु ां जिलं द ात् ।।

एकादशमावरणम् :- (ततो भूपुराबिहः पूवािद मेण) – ॐ लं इ ाय नमः । इ ीपा० १। ॐ रं अ ेय नमः ।


अि ीपा० २। ॐ मं यमाय नमः । यम ीपा० ३। ॐ ं िनऋतये नमः । िनऋित ीपा० ४। ॐ वं व णाय नमः ।
व ण ीपा० ५। ॐ शं वायवे नमः । वायु ीपा० ६। ॐ कुं कुबेराय नमः । कुबेर ीपा.७। ॐ हं ईशानाय नमः ।
ईशान ीपा० ८। पूवशानयोम े ॐ ॐ णे नमः । ीपा० ९। व णिनऋित म े ॐ ीं अनंताय नमः
अन ीपा. १०। इित पूजिय ा पु ां जिलं द ात् ॥

ादशावरणम् :- (तत इ ािदसमीपे)- ॐ वं व ाय नमः ॥ १ ॥ ॐ शं श ये नमः ॥ २ ॥ ॐ दं दं डाय नमः


॥ ३ ॥ ॐ खं खड् गाय नमः ॥ ४ ॥ ॐ पां पाशाय नमः ॥ ५ ॥ ॐ अं अंकुशाय नमः ॥ ६ ॥ ॐ गं गदायै नमः ॥
७ ॥ ॐ ि ं ि शूलाय नमः । ॐ पं प ाय नमः । ॐ चं च ाय नमः । इित पूजिय ा पु ां जिलं द ात् ।

योदशावरणम् :– इित बा ाचनं कृ ा पुनः दे वीपा ा ािदचतुिद ु ( ा ाम्)- ॐ मायायै नमः ।


माया ीपा० १। ॐ कालरा ै नमः । कालराि ीपा० २। ॐ वटवािस ै नमः । वटवािसनी ीपा० ३ । (दि णे)
ॐ गणे य नमः । गणे री ीपा १। ॐ का ा ायै नमः । का ा ा ीपा० २। ॐ ािपकायै नमः ।
ािपका ीपा० ३। (पि मे) ॐ अलकवािस ै नमः । अलकवािसनी ीपा० १। ॐ मायारा ै नमः ।
मायारा ी ीपा० २। ॐ ॐ मदनि यायै नमः । मदनि या ीपा ३। (उ रे ) ॐ र ै नमः । रित ीपा० १। ॐ
ल ै नमः । ल ी ीपा०२ । ॐ का े य नमः । का े री ीपा० ३।

इित पूजिय ा पु ां जिलं द ात्। इ ावरणपूजां कृ ा धूपािदनम ारां तं संपू मूलेन म ािदबिलं द ा जपं
कुयात्।
अ पुर रणमयुतजपः । त शां शतो होमः ।
त शां शेन तपणमाजन ा णभोजनािन कुयात् ।
एवं कृते मं : िस ो भवित ।
िस े मं े मं ी षट् योगान् साधयेत्।
तथा च अयुतं जपे ं ं दशां शं जु याि लैः ।
पयो है वा िव े ान् संतमे ेय आ ुयात् ॥ १ ॥
एवं संपूिजता े ं कालराि ः य ित ।
िस े मं ी कुव त योगािन िस ये ॥ २ ॥

॥ अ का योगा: ॥
वशीकरण

शिनवार के िदन सायं सरोवर पर जाकर सरोवर एवं जलौ का (जौंक) का पूजन करे ।

https://vadicjagat.co.in 6/11
03/04/2021 कालराि | Vadicjagat

मं – ॐ नमो जलौकायै जलौकायै सवजनं वशं कु कु ं फट् ाहा ।


राि म दे वी रण करते ये सो जावे । पुनः ातः काल सरोवर से जलौ का (जौंक) लाकर छाया म सुखाकर
उसका चूण बनावे । काले कपास की ई म चूण िमलाकर ब ी बनाव, कु ार से िम ी लाकर दीप बनाये,
चलते ये को का शु तेल लावे, वै ा के घर से अि लाकर कुिचला की लकड़ी जलाकर उससे दीप
िलत करे । ह ी से ि कोण षट् कोण एवं भूपूरयु यं बनाकर उस पर दीप रख । उस दीपक पर
कालराि का आवाहन कर आवरण पूजा करे । उस दीपक पर नवीन ख र रखकर क ल बनाये । उस
क ल को लेकर पि मािभमुख बैठकर तीन सौ बार व माण मं ारा अिभमंि त कर ।

॥ अ निभमं ण मं ॥
ॐ ऐं ी ं ी ं ी ं ौ ं ूं हसौः नमः का े र सवा ोहय मोहय कृ े कृ वण कृ ा रसम ते
सवानाऽकषय आकषय शी ं वशं कु कु ऐं ी ं ी ं ी ं ।
प ात् दीप, दे वता, व अपनी आ ा का सामंजस करे । मंगलवार को पुनः दे वी व अंजन का पूजन कर अंजन
को म न म िमि त करे । प ात् मूल मं से १०८ आ ित म आ के पु ों से दे वे । कुमारी वटु क व
सुवािसिनयों को भोजन कराये। उपरो िस ा न का ितलक लगाने से राजा जा सभी का संमोहन होवे ।
दू ध म िमलाकर िपलाने से पीने वाला वशीभूत होवे । दू ध म रं गभेद की आशंका रहने से पान म भी
खलाया जा सकता है ।

॥ ंभन योग ॥
ह ी, गोरोचन, कूट एवं तगर को गोमू म पीसकर उसम ह ी म रं गे व पर अ दल बनाय । म म श ु
का नाम “अमुकं ंभय” िलखे । अ दलों म ेक म ॐ, ॐ, ौं, ौं, च-ट, च-ट, (चट-चट) एक एक
अ र िलखे । िफर उस मं को पीलेव से वे न करे । कुिचला की लकड़ी की सात कीलों से यं को िव
कर दे वे एवं आक के प े म लपेट कर उस यं को बां बी म रखकर बां बी को भेड़ के मू से भर दे व । िफर
बां बी के ऊपर प र रखकर उस पर बैठकर साधक नैऋ कोण की ओर मुख कर ह ी की माला पर एक
हजार जप करे ।

https://vadicjagat.co.in 7/11
03/04/2021 कालराि | Vadicjagat

मं – ॐ ां ी ं ूं कामाि माया िपिण सवमनोहा रिण सवमनोहा रिण ंभय ंभय रोधय रोधय
मोहय मोहय ी ं ी ं ंू कामा े का े र ं ं म् ।

॥ मोहन योग ॥
रिववार के िदन ह ी लाकर उसे ी के दू ध म पीसकर उससे भोजप पर यं बनावे । एक वृ बनाकर
उसके बीच म “ ीं” िलख । उस वृ के बाहर चारों ओर वृ ाकार १० बार कामबीज “ ीं” िलखे । पुनः
उसके बाहर वृ ाकार १२ बार कामबीज “ ीं” िलखे । पुन: उसके बाहर वृ ाकार १६ बार कामबीज “ ीं”
िलखे । इन सबके ऊपर एक बड़ा षट् कोण बनाये (ये अ र बीच म रह जायगे) उसके ेक कोणों म” ीं”
िलखे। िफर संपूण यं के चारों ओर “ऐं” वृ ाकार िलख। अथवा िकसी व व भूमंडल पर बड़ा सा “ऐं” िलखे।
उसके म म इस यं को िलख दे वे। उस यं पर बैठकर साधक ५ िदन तक एक एक हजार मं जप करे ।
मं – “ॐ कामाय ी ं ी ं कािम ै ी ं”। प ात् दशां श होम करे । उस भ का ितलक लगाने से
संसार का स ोहन होता ह।

॥ आकषण योगः ॥
कृ ा अ मी वा चतुदशी को मंगलवार रिववार हो उस िदन नािभपय जल म खड़े होकर मूलमं का ११ सौ
जप करे । घर आकर शरीर पर ितलों का तेल या सुगंिधत तेल मले। भ पीठ पर का ी वा पु ष की अंजन
से आकृित बनाये। उसकी लाजवतीवृ के प ों से पूजा कर, लाजवती की जड़ के रस से ो ण करे । उसके
आगे बैठकर मं जप करे -

https://vadicjagat.co.in 8/11
03/04/2021 कालराि | Vadicjagat

मं – ॐ नमः कािलकायै सवाकष ै अमुकी ं वा अमुकं सा ( ी या पु ष के नाम म ि तीया )


आकषय आकषय शी मानय शी मानय आं ी ं ों भ का ै नमः ।
इस मं का एक सौ साठ बार जप कर साधक ५० लाल कनेर के पु ों से पूविल खत आकृित का पूजन करे ।
िफर सा के नाम के आगे ॐ सिहत वणमाला के एक एक अ र यु कर सा नाम के प ात् आकषय
आकषय नमः बोलते ये एक पु अपण करे । यथा- ॐ (अमुकी ं अमुकं वा) आकषय आकषय नमः । इस
तरह नाम आगे आं ई……..हं लं ं तक एक एक आगे लगाते ये पु ाचन करे । िफर उस आकृित का धूप दीप
नैवे ािद से पूजन करे । ४४ अ र वाले उपरो मं से घृत िमि त चने (भुने ये) से १०० आ ितयां दे वे। प ात्
काले कपास के कुमारी ारा काते गये सूत के २८ धागे अपनी शरीर की लंबाई तु लेवे उनम आकषण मं
पढ़ते ये एक एक गां ठ लगाते ये १०८ गां ठों का ग ा बनाये। उसको धारण करने से वां िछत ी पु ष ३ या
९ िदन म वश म हो जाते ह। कोई बाहर चला गया होवे तो उसके िलये भी यह योग करके दे खना
चािहये।

॥ उ ाटन योगः ॥
कृ प की चतुदशी के िदन िनजन मकान म दि ण की ओर िशखा खोलकर बैठे । नीले व धारण कर
कु ु टासन से बैठे । िफर मू की र ी की ंिथयु ा माला पर शबरी दे वता का ान कर मं दो हजार बार
जपे ।
मं - ॐ ूं ूं ूं लूं कालराि महा ांि अमुकमावेश उ ाटय उ ाटय आशू ाटय िछ
िछ िभ ाहा ाहा ी ं कामाि ों ।
इस मं का धान जप करके राि म सरसों से दशां श होम करे । िफर सरसों की खली व सरसों के तेल को
जल म िमलाकर अपनी िशखा ो ण कर िशखा खोले । भूिम पर बिलदान दे वे । ऐसा कम से कम ७ िदन
करने से श ु का उ ाटन होकर परदे श गमन करता ह ।

॥ िव े षण योगः ॥
िजन दो यों के बीच म िव े षण करना हो उनम ज न वाले वृ या कर की लकड़ी की दो प े
बनावे । िफर गधी के दू ध म िवषा क (िप ली, िमच, सोंठ, बाजप ी की िव ा, िच क (अ ी) गृहधूम, ध ूरे
का रस, लवण) िमलाकर उनके नामा रों की दो आकृित उन प ों पर बनाये । िफर अ राि म मं जप करे

मं – ॐ ौ ं ौ ं हसौ ं ौ ं भगवित द धा रिण अमुकमकुमं शी ं िव े षय िव े षय रोधय रोधय भ य
भ य ी ं ी ं रा यै ॐ ं ं म् ।
जप करने के बाद दोनों फलकों (प े ) को गदहा, भस तथा घोड़े की पूंछ के बालों से बनी र ी से बां धकर
बां बी के भीतर गाड़कर एक हजार जप करे । बिल दान करे ।

https://vadicjagat.co.in 9/11
03/04/2021 कालराि | Vadicjagat

॥ मारण योग ॥
कृ ा चतुदशी को मंगलवार के िदन गौशाला, चौराह एवं शान की िम ी लाकर, उसम बायिबड , कनेर,
आक के फूल िमलाकर पुतली बनाये । राि म शान म जाकर नील व धारण कर िशखा खोलकर पुतली
पर श ु का नाम िलखे । उसम श ु के नाम से ाण ित ा करे । िफर क ल से ढं क कर तेल म डु बोकर
पूजन करे । पुतली को गदहा, घोड़ा व भस के र से ान कराये । लाल चंदन व ध ूरे के फूल चढाकर
मारण मं से होम कर पुनः पूजन करे ।
मं - ॐ ां ी ं ूं मृती र कंृ कृ े अमुकं शी ं मारय मारय ोम् ।
इस मं से पूजन कर वचा, सरसों, िभलावां , ध ूरे के बीजों को िमलाकर १०१ आ ितयां दे वे । िफर पुतली का
िशर काटकर उसी अि म डाल दे ना चािहये । िन म मां सािद से बिल दे ते ये २१ िदन योग करे ।
िवशेष:- जो ऐसा घातक योग करता ह उसे अपनी र ा हे तु नृिसंह, शरभ, हनुमान भैरवािद
के िवशेष र ा मं ों का योग करना चािहये तथा गु के मागदशन म काय करना चािहये ।
िदये गये योग केवल िव ा संर ण हे तु है । अतः इसको इसी स भ म लेना उिचत होगा । घातक
योगों को करना नैितक व कानूनन गलत है ।

1 LIKE

3 LOVE

1 LOL

0 WOW

0 SAD

0 ANGRY

You may also like:


Why is Related Content not showing up?

Why is Related Content not showing up?


You've enabled Related Content but it's been over a day and they're still aren't appearing
on your pages or you're seeing placeholder recommendations linking to this article. What
do you do now?
by shareaholic
.

https://vadicjagat.co.in 10/11
03/04/2021 कालराि | Vadicjagat

https://vadicjagat.co.in 11/11

You might also like