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कालराि | Vadicjagat
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October 7, 2019
॥ कालराि ॥
॥ अथ कालराि मं योगः ॥
म ाः
(१.) ॐ ऐं ी ं ी ं ी ं का े र सवजनमनोहा र सवमुख ंिभिन सवराजवशंक र
सव ीपु षाकिषिण ब ी ंखला ोटय ोटय सवश ून् भंजय भंजय ि िषणो दलय दलय सव
ंभय ंभय सव ंभय ंभय मोहना ेण े िषण उ ाटयो ाटय सव वशं कु कु ाहा दे िह
दे िह सव कालराि कािमिन गणे र नमः ।
॥ ानम् ॥
आर भानु स शीं कािमनी मदनातुराम् ।
चतुभुजां ि नयनां कवरीमु केिशकाम् ॥
मोहनं दि णे ह े वरदं च तथोप र ।
भुवनं वामह े च अधोद ं सुशोिभतम् ॥
चूडाकलािपकाशोभा मातृका प रवेि ताम् ।
कृ ा रधरां दे वीं कृ क चुकभूिषताम् ॥
ौ
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य ो ार – िब दु, ि कोण, षट् कोण उसके बाद दो वृ , अ दल पुनः दो वृ प ात् षोडशदलयु भूपुर
बनाये ।
॥ का योग ॥
व कम हे तु िस दूर से यं िलखे, ंभन हे तु रसाल से मारणािद कम हे तु कोिकल पंख से व लोह प पर,
हरताल, ह र ा िनगु ी से खर, अ , मिहष चम पर यं िलख ।
मं महोदधौ मं ो यथा –
ऐं ी ं ी ं ी ं का े र सवजनमनोहरे सवमुख ंिभिन सवराजवशंक र सवदु िनदिलिन
सव ीपु षाकिषिण बंिद ृंखला ोटय ोटय सवश ून् भंजय भंजय े टुन् िनदलय िनदलय सव
ंभय ंभय मोहना ेण े िषण उ ाटय उ ाटय सव वशं कु कु ाहा दे िह दे िह सव कालराि
कािमिन गणे र नमः ।
इित य ंशदु रशता रो मं ः ।
॥अ िवधानम् ॥
ि ऐ ी ी ी े ो े ि ि
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॥ ानम् ॥
ॐउ ातड कां ितं िवगिलतकबरी कृ व ावृतां गी
दं डं िलंग करा वरमथ भुवनं संधधानां ि ने ाम् ।
नाना क ैिवभासं तमुखकमलां सेिवतां दे वसंधै
मायारा ी मनोभूशरिवकलतनूमा ये ग कालराि म् ॥ १ ॥
इित ा ा मानसोपचारै ः संपूजयेत् । ततः पीठादौ रिचते सवतोभ मंडले मंडूकािदपरत ां तपीठ दे वता:
सं था ‘ॐ मं मंडूकािदपरत ां तपीठदे वता ो नमः ’ इित संपू नव पीठश ी: पूजयेत् ।
थमावरणम् :- (ि कोणे) ॐ संमोिह ै नमः । संमोिहनी ीपादु कां पूजयािम तपयािम नमः ॥ १ ॥ इित सव
। ॐ मोिह ै नमः । मोिहनी ीपा० ॥ २ ॥ ॐ िवमोिह ै नमः । िवमोिहनी ीपा० ॥ ३ ॥ इित पूजयेत् ।
ततः पु ाजालमादाय मूलमु ाय –
ी ि े ेि े
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ॐ अभी िस ं मे दे िह शरणागतव ले ।
भ ा समपये तु ं थमावरणाचनम् ॥ १ ॥
इित पिठ ा पु ां जिलं द ा पूिजता िपताः संतु इित वदे त् अघपा से जल छोड़ ।
अ मावरणम् :- (ततो भूपुरा ंतरे ा ािद मेण) – ॐ अिणमायै नमः । अिणमा ीपा० १। ॐ लिघमायै
नमः । लिधमा ीपा० २। ॐ मिहमायै नमः । मिहमा ीपा० ३। ॐ ईिशतायै नमः । ईिशता ीपा० ४। ॐ
विशतायै नमः । विशता ीपा० ५। ॐ कामपूर ै नमः । कामपूरणी ीपा० ६। ॐ ग रमायै नमः । ग रमा ीपा०
७। ॐ ा ै नमः । ा ीपा० ८। इ िस ी: पूजिय ा पु ां जिलं द ात्। ( ेक दे वता का चार चार
िदशाओं पूजन कर)
ि े ो े ी े ी े
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इित पूजयेत्। ततोऽ रे खायां ॐ स ाय नमः । स ीपा० १। ॐ रजसे नमः । रजः ीपा० २। ॐ तमसे नमः ।
तम: ीपा० ३। इित पूजिय ा पु ां जिलं द ात्।
दशमावरणम् :- (ततः भूपुरबा े ा ािदचतुिद ु)- ॐ गणेशाय नमः । गणेश ीपा० १। ॐ े पालाय नमः ।
े पाल ीपा० २। ॐ बटु काय नमः । बटु क ीपा० ३। ॐ योिगनी ो नमः । योिगनी ीपा० ४। इित ारपालान्
पूजिय ा पु ां जिलं द ात् ।।
इित पूजिय ा पु ां जिलं द ात्। इ ावरणपूजां कृ ा धूपािदनम ारां तं संपू मूलेन म ािदबिलं द ा जपं
कुयात्।
अ पुर रणमयुतजपः । त शां शतो होमः ।
त शां शेन तपणमाजन ा णभोजनािन कुयात् ।
एवं कृते मं : िस ो भवित ।
िस े मं े मं ी षट् योगान् साधयेत्।
तथा च अयुतं जपे ं ं दशां शं जु याि लैः ।
पयो है वा िव े ान् संतमे ेय आ ुयात् ॥ १ ॥
एवं संपूिजता े ं कालराि ः य ित ।
िस े मं ी कुव त योगािन िस ये ॥ २ ॥
॥ अ का योगा: ॥
वशीकरण
शिनवार के िदन सायं सरोवर पर जाकर सरोवर एवं जलौ का (जौंक) का पूजन करे ।
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॥ अ निभमं ण मं ॥
ॐ ऐं ी ं ी ं ी ं ौ ं ूं हसौः नमः का े र सवा ोहय मोहय कृ े कृ वण कृ ा रसम ते
सवानाऽकषय आकषय शी ं वशं कु कु ऐं ी ं ी ं ी ं ।
प ात् दीप, दे वता, व अपनी आ ा का सामंजस करे । मंगलवार को पुनः दे वी व अंजन का पूजन कर अंजन
को म न म िमि त करे । प ात् मूल मं से १०८ आ ित म आ के पु ों से दे वे । कुमारी वटु क व
सुवािसिनयों को भोजन कराये। उपरो िस ा न का ितलक लगाने से राजा जा सभी का संमोहन होवे ।
दू ध म िमलाकर िपलाने से पीने वाला वशीभूत होवे । दू ध म रं गभेद की आशंका रहने से पान म भी
खलाया जा सकता है ।
॥ ंभन योग ॥
ह ी, गोरोचन, कूट एवं तगर को गोमू म पीसकर उसम ह ी म रं गे व पर अ दल बनाय । म म श ु
का नाम “अमुकं ंभय” िलखे । अ दलों म ेक म ॐ, ॐ, ौं, ौं, च-ट, च-ट, (चट-चट) एक एक
अ र िलखे । िफर उस मं को पीलेव से वे न करे । कुिचला की लकड़ी की सात कीलों से यं को िव
कर दे वे एवं आक के प े म लपेट कर उस यं को बां बी म रखकर बां बी को भेड़ के मू से भर दे व । िफर
बां बी के ऊपर प र रखकर उस पर बैठकर साधक नैऋ कोण की ओर मुख कर ह ी की माला पर एक
हजार जप करे ।
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मं – ॐ ां ी ं ूं कामाि माया िपिण सवमनोहा रिण सवमनोहा रिण ंभय ंभय रोधय रोधय
मोहय मोहय ी ं ी ं ंू कामा े का े र ं ं म् ।
॥ मोहन योग ॥
रिववार के िदन ह ी लाकर उसे ी के दू ध म पीसकर उससे भोजप पर यं बनावे । एक वृ बनाकर
उसके बीच म “ ीं” िलख । उस वृ के बाहर चारों ओर वृ ाकार १० बार कामबीज “ ीं” िलखे । पुनः
उसके बाहर वृ ाकार १२ बार कामबीज “ ीं” िलखे । पुन: उसके बाहर वृ ाकार १६ बार कामबीज “ ीं”
िलखे । इन सबके ऊपर एक बड़ा षट् कोण बनाये (ये अ र बीच म रह जायगे) उसके ेक कोणों म” ीं”
िलखे। िफर संपूण यं के चारों ओर “ऐं” वृ ाकार िलख। अथवा िकसी व व भूमंडल पर बड़ा सा “ऐं” िलखे।
उसके म म इस यं को िलख दे वे। उस यं पर बैठकर साधक ५ िदन तक एक एक हजार मं जप करे ।
मं – “ॐ कामाय ी ं ी ं कािम ै ी ं”। प ात् दशां श होम करे । उस भ का ितलक लगाने से
संसार का स ोहन होता ह।
॥ आकषण योगः ॥
कृ ा अ मी वा चतुदशी को मंगलवार रिववार हो उस िदन नािभपय जल म खड़े होकर मूलमं का ११ सौ
जप करे । घर आकर शरीर पर ितलों का तेल या सुगंिधत तेल मले। भ पीठ पर का ी वा पु ष की अंजन
से आकृित बनाये। उसकी लाजवतीवृ के प ों से पूजा कर, लाजवती की जड़ के रस से ो ण करे । उसके
आगे बैठकर मं जप करे -
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॥ उ ाटन योगः ॥
कृ प की चतुदशी के िदन िनजन मकान म दि ण की ओर िशखा खोलकर बैठे । नीले व धारण कर
कु ु टासन से बैठे । िफर मू की र ी की ंिथयु ा माला पर शबरी दे वता का ान कर मं दो हजार बार
जपे ।
मं - ॐ ूं ूं ूं लूं कालराि महा ांि अमुकमावेश उ ाटय उ ाटय आशू ाटय िछ
िछ िभ ाहा ाहा ी ं कामाि ों ।
इस मं का धान जप करके राि म सरसों से दशां श होम करे । िफर सरसों की खली व सरसों के तेल को
जल म िमलाकर अपनी िशखा ो ण कर िशखा खोले । भूिम पर बिलदान दे वे । ऐसा कम से कम ७ िदन
करने से श ु का उ ाटन होकर परदे श गमन करता ह ।
॥ िव े षण योगः ॥
िजन दो यों के बीच म िव े षण करना हो उनम ज न वाले वृ या कर की लकड़ी की दो प े
बनावे । िफर गधी के दू ध म िवषा क (िप ली, िमच, सोंठ, बाजप ी की िव ा, िच क (अ ी) गृहधूम, ध ूरे
का रस, लवण) िमलाकर उनके नामा रों की दो आकृित उन प ों पर बनाये । िफर अ राि म मं जप करे
।
मं – ॐ ौ ं ौ ं हसौ ं ौ ं भगवित द धा रिण अमुकमकुमं शी ं िव े षय िव े षय रोधय रोधय भ य
भ य ी ं ी ं रा यै ॐ ं ं म् ।
जप करने के बाद दोनों फलकों (प े ) को गदहा, भस तथा घोड़े की पूंछ के बालों से बनी र ी से बां धकर
बां बी के भीतर गाड़कर एक हजार जप करे । बिल दान करे ।
ो
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॥ मारण योग ॥
कृ ा चतुदशी को मंगलवार के िदन गौशाला, चौराह एवं शान की िम ी लाकर, उसम बायिबड , कनेर,
आक के फूल िमलाकर पुतली बनाये । राि म शान म जाकर नील व धारण कर िशखा खोलकर पुतली
पर श ु का नाम िलखे । उसम श ु के नाम से ाण ित ा करे । िफर क ल से ढं क कर तेल म डु बोकर
पूजन करे । पुतली को गदहा, घोड़ा व भस के र से ान कराये । लाल चंदन व ध ूरे के फूल चढाकर
मारण मं से होम कर पुनः पूजन करे ।
मं - ॐ ां ी ं ूं मृती र कंृ कृ े अमुकं शी ं मारय मारय ोम् ।
इस मं से पूजन कर वचा, सरसों, िभलावां , ध ूरे के बीजों को िमलाकर १०१ आ ितयां दे वे । िफर पुतली का
िशर काटकर उसी अि म डाल दे ना चािहये । िन म मां सािद से बिल दे ते ये २१ िदन योग करे ।
िवशेष:- जो ऐसा घातक योग करता ह उसे अपनी र ा हे तु नृिसंह, शरभ, हनुमान भैरवािद
के िवशेष र ा मं ों का योग करना चािहये तथा गु के मागदशन म काय करना चािहये ।
िदये गये योग केवल िव ा संर ण हे तु है । अतः इसको इसी स भ म लेना उिचत होगा । घातक
योगों को करना नैितक व कानूनन गलत है ।
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