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* tantraraajatantra
* with the commentary manorama by subhagaanandanaatha
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* edited by lak.sma.na "saastrii
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* published in the tantrik texts series
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* general editor arthur avalon (john woodroffe)
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* calcutta 1929
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ौीौीतराजतम।्
किलकातानगा
महामायाये
े ु ु
ौीिसरचतधिरणा ु
मिितम।्
ख ृ अ: १९२९
े
ौीगणशाय नमः।
अथ तराजः।
मनोरमाटीकासिहतः।
ूथमः पटलः।
ु
अनाोऽपराधीनः ाधीनभवनऽयः।
जयिवरतो ािवः कालो िवनायकः॥ १॥
--------------------------------------------
मनोरमाटीका ूारत।े
े
ौीगणशाय नमः।
े ूबवााथगभ
आोकन ु िबयत।े तऽ
िवनायकितः
अनाः कालाऽरिहतात।् अपराधीनः इतरूरणािवधरः।
े ु
ु
ाधीनभवनऽयः े ु
ायातृानयाभवनऽयः।
अिवरतः काल समानात।्
जयित िवोोभवतीथः
ृ
े
ािवः दशपाामनविात।् काल इित िवशषण
े
े
नाम। िवनायकः िवरो िवगतनायक इित च। एतं भवित
ु कालपो िवनायकः सवो
एवमः ृ भवतीित तथािवधो
ृ भवतीित च। तने कालपपरमाथाया
िवगतनाकः कालो िवोो
लिलतािनाया िवमयं साधकाना ं तादा ं च
े
ूबवााथनाऽ ू ु
सिचतिमपिदशि ू
पपादाः॥ १॥
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p. 2) भगवन ् सवतािण
ु
भवतोािन म े परा।
िनाना ं षोडशाना ं च नवतािण कशः॥
ृ २॥
े े
तषामोसापाायत े मितिवॅमः।
ता ु िनरप
े ं म े त ं तासा ं वद ूभो॥ ३॥
ण ु कािदमत ं त ं पणमानपया।
ू े
े गोपन ं तचोिदतम॥् ४॥
गो ं सवूयन
ू महर
कथ ं कािदमत ं नाा त े ॄिह े ।
ु तत े मया॥ ५॥
कािदकालीितशी ः परा
ं भविपा
कािदसा े
ू सा शिः सविसय।
ु े नवनाथ ैरकयत॥् ७॥
त ं मं भवन
ु े त ं क े क े िवजृत।े
तया त ैभवन
े माम॥् ८॥
अवसानषे ु काना ं सा त ैः सा ोज
--------------------------------------------
े मािमःै सिभः
अथ भगविािदिभः ोज
ु
ोकै ावतार बममपिदशित।
तऽ सवतािण
ु ु
िनाषोडशकाणवोियामलािदचतःषिमखािन तािण।
नवतािण
ु
सरीदयिनाषोडशकाणवचानमातृ ं
कातसमोहनत
े े ूाराािन
-वामकरबपाकूारिचामिणम
े
इित। अोसापात ् ू े
तारोाथपजाीकारणोात।्
पिऽश े े े
ं े पटले षाशोकोसतिवधाननथः।
्
नवनाथ ैः ितीयपटले ूितपािदतप ैः। अकयत ूसारयित ।
तया कािदशा। त ैः नवनाथ ैः। सा त ैः सा ोज
े मा ं
कावसानषे ु सा
--------------------------------------------
े ्
न ैिमिकं तथा कामचन ं षके भवत।
े
कामरी समके परतो भगमािलनी॥ १०॥
ऽयोदश े भवती ु े
े ू िरता ातदश।
ु ु
कलसतोऽिन ्
िनािना त ु षोडश॥
े १२॥
ं
एकिवशितम ु ु नर।े
े िचऽा कका
ं े त ु वाराहीानािन तदनर॥
ऽयोिवश े १४॥
ं े मातृकािः षिश
पिवश ं े मवैभवाः।
ं े त ु लोकता॥ १५॥
ं े ासपा अािवश
सिवश
ु
अनरे कडि
ृ होमक च।
--------------------------------------------
कािदशिनवनाथ
े च सा मिय िवलीना िततीथः।॥
ैण
२॥ ३॥ ४॥ ५॥ ६॥ ७॥ ८॥
आ इािदिभः सह इःै दशिभः ोकै टलान ्
तदथाोपिदशित। तयोयोः ु
चतथपमयोः। परतः अम।े
अथ ादशे
--------------------------------------------
ं े ाकथनमायािवमहाः।
षिश
ूाय ं शतोकाः ादवे ं तसमहः॥
ं १८॥
ु
सरः ु ु ः सलभो
समखः ु बतिवत।्
ं
असशयः ं
सशयििरपो ु
े गमतः॥ १९॥
सौयमनवं ु
प े सौमता ु
पनः।
े ू
रपवािभभािषं ृ
ताऽिजविता॥ २०॥
सोषो बतता।
सौलमगिवं
ं
असशयबोध े तिूितपादनात॥् २१॥
े े
न ैरपमिवा ु िहतवािदता।
गं
ं
एविवधो ु
गयितरः िशःखदः॥ २२॥
ु ैः सय
चतिभरा ् ु
ं ु ं ौावान सिराशयः।
--------------------------------------------
p. 5) े
अः िरगाऽ ूाकारी े
िजतियः॥ २३॥
ु म े सदैवत।े
आिको ढभि गरौ
ं
एविवधो े
भविितरो ृ ु
ःखकरोः॥ २४॥
ु
गमान े वचन े दािद ं वचः सदा।
े े तथित
ूसीद नाथ दवित ् २५॥
े च कतादरम॥
ृ
े
ूणोपिवशा े ु
तथा गदनया।
ु
मखावलोकी ु ् २६॥
े े कादािदमादरात॥
सवत
े े न ब ूलपदिप।
अस ं न वददम े
ु ् २७॥
काम ं बोध ं तथा लोभ ं मान ं ूहसन ं ितम॥
पिरदवनम।
चापलािन च िजािन नमािण े ्
ू ं बयिवबयम॥् २८॥
ऋणदान ं तथाऽदान ं वना
ु ु
न कयाणा ू ु कदाचन।
सा िशो भः
ु िशवः साा ं वन
यतो गः ्
ु ूणमन ् े ् २९॥
भजत॥
ु
यथा दवे े तथा म े यथा म े तथा गरौ।
--------------------------------------------
ु
चतिरिभिरािदना ु ु
े ोकयने िशलणमपिदशित
गरोिरल , तऽ
ु ैः सयः
चतिभरा ु
ं ु गरोलणनोै
े ः
ु ु े ैः उपतः।
सरािदिभतिभिवशषण े ु
इतरः उगणिवहीनः
् ु अकीनथिचदहशा
ृ गरोः
ःखकत े े ैः॥ २२॥ २३॥ २४॥
ु
गमान ् े
इािदिभः ूणमन भजिद ःै पिभः
ु
ोकै ः िशाचारबममपिदशित। ु ापरयो। िजािन
तऽ ितः
ु
किटलािन ू ु िजजीिवषः।
े ं ूलापः। भः
पिरदवन ् े े २५॥ २६॥
ु भजते सवत॥
२७॥ २८॥
यथा दवे इािदिभभिसमित
इदै शिभःोकै ः
ू
पपादो -
--------------------------------------------
् ३१॥
े ू ं योिगो भोजन ं तदाचनम॥
िवशषपजा
ा े रगत े प ू े ु
ू ं पजयदमजािदष।
े र े योजनबमात॥् ३२॥
े े िनसवा
एकदश
ु ं ृ वष षोजनार।े
एकािद ऋतसवा
े तदाापिरपालनम॥् ३३॥
ततोऽरगत े सवा
ू ं पाका ं तथा।
आसन ं शयन ं व ं भषण
ू े ् ३४॥
छाया ं कलऽम ये ं त ु पजयत॥
ु ु
ू ं न कयादननया।
एकमाम े पृथजा
ू
पजाम े ् ३५॥
ू े ना िित ं वदत॥
े समायात े प
े ु कयाो
े शषिमः
िवधिह ु चदाया।
े
वतत ु
सोऽिप तषे ं कयािलमानसः॥ ३६॥
ू
पजाम ु प
े गरौ ू े े वऽिप समागत।े
ृ े ं समि
कमव े ् ३७॥
ु ं मौन ं त ैन समाचरत॥
--------------------------------------------
ु
पािबममपिदशित। तऽ ा े लोकारं गत।े रगत े
े ं गत।े
वमाणषोजनापिरसािविशयोजनदश
अमजािदष ु गु ं तदमज इापिरात
ु ्
ु े एकदश
वमाणानपिदशािदशन। े े
े
मामनगरमडलखटखवटपनािदष ु
ु गिशयोः ितौ।
्
योजनबमात र इयः। एकमाम इित
ू ु
पवनगरादीनामपलणम।् पृथजा
ू ं
ु े े ं
गमरणाषा
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p. 7) े ैवा दवपजन
न कदािप भवििम े ू ैः॥ ३८॥
े त िनयत ं पजा
मण ु
ू ं काथोिदता।
ं
ता ं च तटले सक ् ाा भिसमितः॥ ३९॥
ु ं च नावां
िनाना ं ऽैपराणा े शकादयः।
तथाऽोत े िकिदिभचारािदिसय॥
े ४०॥
्
अिािदष ु ऋषे ु िबसगाविजतम।
ु योजयदाान
चतरो े ्
िबसग त ु सवगौ॥
४१॥
िरपोमावण ात ् तने तािहत ं भवत।
े ्
रािशऽ ऋषे ु सपतृतीयग ैः॥ ४३॥
े ं ु े
साानामिप िवयमशकामनमह।
--------------------------------------------
े
दवताना ू ं य ं न कयात
ं वा पजा ्
ु इित। ू े े वा तदमतः
प
ूािविमािदतम।े तटले ितीयपटल॥
े २९॥ ३०॥ ३१॥ ३२॥ ३३
॥ ३४॥ ३५॥ ३६॥ ३७॥ ३८॥ ३९॥
िनानािमािदिभः सवत इै ािवशा
ं
ं ु
ोकै माणामशकािदकमपिदशित। तऽ अशकादय
ं इऽ
अशकशो
ं राँयािदवाचकः। आिदशने िसािदचबगणन ऋण-
ऋिण ूभृतय उ।े अिािदष ु ऋषमषािदष
े ु े ु रािशिथः।
ं िबिवसजनीयकाररिहतम।
िबिवसगाविजत ् चतरु इित
ंु
पिलितीयाबवचनम। ्
् आान अकाराान ् े
वणािनितशषः।
िबसग त ु सवगौ
िबसगयोः ्
िशवशिपात सवाता। तने
रािशष ु योिजतारबमण।
े एतं भवित ूरं
ं
सिऽपादायिशिटकाः सवि तािभः
ं ं जानीयात ्
सासाधकयोरशक
--------------------------------------------
ू
ूादिणोदक च सऽपकयोगतः।
् े ् ४५॥
ु े ु वणान बमािखत॥
कोािन षोडशाऽऽ ष
ु ु े े कयािन
चततिवभागन े वै बमात।्
ूथमूथम े ा ं ितीयूथम े तथा॥ ४६॥
्
ितीयमतात तथाऽदिप े ्
कयत।
् ् ४७॥
तकोषे ु िविलखते तममरम॥
े ्
ु ु े ु ााविध समािलखत।
एव ं चतषकोष
--------------------------------------------
् ु
इित। गणयते िरपनामाररािशमार मारराँय ं
गिणते
ैररातरिभचारािदक
षामादशरािशगतारािदकै म े ं
ु रािशष ु ूोिमितशषः।
कयािदथः। े ऋषे ु अिािदष।ु
नऽषे ु सपतृतीयग ैः ूावत ्
ु
िरपनामारनऽमार मारराँय ं गिणत े
ैािभचारािदकं
सपतृतीयनऽगतावणम
ु साानािमािद
कयािदथः।
उपिरामाणसासाधकिसाषे ु िऽषपासकष
ू े ु
ूथम तानरिहतात ्
ु ं ु े े ४०॥ ४१॥ ४२॥ ४३॥
ूागाशकामनमहवणीयिमथः॥
४४॥ ४५॥
्
वणान बमािखिदऽ
े बमशाथः ूदँयत े
ु ु े षोडशकोािन ूादियने चािर चािर
चततिवभागन
ु ु स। ूथमूथम े
वमाणसािससिसािरवगष
ु
ूथमचतूथमको े ् ितीयूथम े
े आमरं िलखत।
ु
ितीयचतूोबमूथमको ू ु
े तथा यथा पवचतय
ु ितीय माकारं
ूथमकोः कितः अऽािप तथा कयािदथः।
े ् अत तृतीयचतूोबमूथमको।
िलखत। ु े अत ्
े ् तथाऽदिप कयते तथा
तृतीयिमकारं िलखत। ् यथा
ू ु
पवचतऽयम।् अत चतथचतम।
् ु ु ् अिपः समय। ् े ्
ु े कयते िविलखत
ु
। चतथमीकार ु ु ूो-
ं चतथचत
--------------------------------------------
् े ्
िसादीन गणयावारदशनम।
् ु
िसिसो जपािते िगणािसाकः॥ ४९॥
--------------------------------------------
तोषे ु
ूथमूथमको े िलखिदथः।
े
ु ु े ु तम ं
उचतचतयितीयकोष।
ूथमूथमितीयतृतीयकोिलिखताराणा ं पमारािण
े
िविलखिदथः। ्
एव ं ूावत ितीयकोाराणा ं
े ् तृतीयकोाराणा ं
पमारािण तृतीयकोषे ु िविलखत।
पमारािण चतथकोष े ् उे चतचत
ु े ु िविलखत। ु ु े ूक
े ं
ु पनः
को े पनः ु पमारलखनतः
े ााविध
ु े ् एव ं िलिखत े सित
ु े समािलखत।
चतचतयऽिप
ु
ूथमचतूथमको
े अकथह इित चायरािण।
तितीयको े उङप इित ऽीिण। ततीयको
ृ े लझम
ृ इित ऽीिण।
ु े ओडव इित ऽीिण। ितीयचतूथमको
ततथको ु े आखदल इित
चािर अरािण। तितीयको े उचफ इित ऽीिण। ततीयको
ृ े लऽय
ृ
ु े ओढश इित ऽीिण। तृतीयचतूथमको
इित ऽीिण। ततथको ु े
इगध इित चािर। तितीयको े ऋव इित ऽीिण। ततीयको
ृ े एटर
ु े अणष
इित ऽीिण। ततथको ु ु
ं इित ऽीिण। चतथचतूथमको े
इधन इित ऽीिण। तितीयको े ऋजभ इित ऽीिण ततीयको
ृ े ऐठल इित
ु े अः त स इित ऽीिण। एव ं िलिखत े
ऽीिण। ततथको
ु ु
ूथमचतकोाराणामपिरतनारािण
ु े ु यथाबम ं ँय।े
ितीयचतकोष
े
अकारािदकारााकपाशदरािण तषे ु षोडशकोषे ु
ु
ाकलबमािण ४६॥ ४७॥
ँय इित ूथमूोबमशाथः॥
४८॥ ४९॥
ु
िसिस इािदिभः सिनितिम ैः षिः
रै ा
ोकै षा ु
े ं षोडशकोाराणा ं फलापिदशित। तऽ
ु
अतोऽथा सिससाादः अनरभतः ु
ू सिस
इथः।
अिभचारे िरपोरवे ं यिद ािवपय े िरपोरिभचारकाले त
ु ु े
सिससिसदिभचारमािभचारक ैव िनधनाय
भवतीथः।
ऋणिसािदयोगषे ु मदान े िवशषतः।
े
--------------------------------------------
p. 10) ु
िस े सिसः गोऽजान।्
साा िसािरहि
े ं े
सािसऽितसशात ् ृ ् ५०॥
सासाोऽितःखकत॥
ु
सा े सिसो े ्
भजनााािरः ा ं िौय ं हरत।
ु
सिसिसोऽयनात ् ं दाथितम॥
फल े ् ५१॥
ु
सिससाो जापा ैः िसय े ादतोऽथा।
ु े त ु ूिस ु पवजकतौमः॥
सिस ू ृ ५२॥
तात त् ु सविसीना
े ु ्
ं साधन े यो जपनम।
अिभचारे िरपोरवे ं यिद ािवपय॥
े ५३॥
ु ु े ु ्
े े कलााशयवम।
सिसोिररशषण
अिरिसः सतु ं हादिरसाः योिषतम॥् ५४॥
ु
अिरः सिसोम ु कलोादनकन
ु ृ ैः।
ु ् ५५॥
ाहा मः सा ैव सिनितम॥
अयिरः
्
नामारमार यावािदवणकम।
ृ रैिभात
िऽधा का ् ् ५६॥
तदिपरीतकम॥
--------------------------------------------
ृ
ूिसं नाम गीयात ् ु यने जामित॥ ५०॥ ५१॥ ५२॥ ५३॥ ५४॥ ५५
ूसा
॥
नामारिमािदिभः सवत इःै षिः ोकै ः
तलािन चोपिदशित। तऽ
साधकमयोमणाधमणं
ं मातृकारबमण
यावमािदवणक े नामारमार
े िऽधा का
माराविध गणयिदथः। ृ ता ं सा ं
ु ु ् रैः रशने षोडशसिऽसा उ।े तऽ
िऽगणीकयात।
् ृ
सदायात ससाऽीकता। ्
िभात तया ता ं
े ् तदत मारमार
सामाहरत। ्
--------------------------------------------
p. 11) ृ
काऽिधको ऋणी यो ु
े ऋणी चममम।
े ्
े
य ं ऋणी च ् ू ऋणी यतः॥ ५७॥
ं जते पव
ु
िसमारोलमो यः िसिभारः।
लीमदादना म े भोगमवावान॥् ६०॥
ू ्
े भजन ं त पवगम।
स ऋणी यो
ु
ताणिवशि ु काया सव
ु सवतः॥
६१॥
ु
िा ैरिप पा ैः पऽजीवै ु
ः कचन ैः।
ािटकै ूवालै मौिकै हमिनिमत ैः॥ ६२॥
--------------------------------------------
् ू
आरात पवारािण ु ृ
गणिया ता ं सा ं िऽगणीक
सिभरा िशसा ं िवाय तथा मारािद
नामाराविध गणिया ता ं सा ं सिभवधिया
िऽिभरा िश ं च जानीयािदित। कािदना
ृ े एतं भवित
ू ु
पवोकोिशसयोरिधकसायोऽधमणः
ु उमणः।
हीनसाय तऽ म अधमण
े
ू
फलभयं े न ै ं तनोमणिवादीन
ाधमण े ्
पिर अधमणानव ु
े ीकयािदित। सवः साधकै ः साधय ै।
मषे ु िवास ु चथः॥
सवतः े ५६॥ ५७॥ ५८॥ ५९॥ ६०॥ ६१॥ ६२॥
िा ैिरािदिभजपिम ु
ै तिभः
ु
ोकै रमालािदकमपिदशित। ु
तऽ कचन ैः रचन ैः॥ ६३॥ ६४॥
६५॥
--------------------------------------------
p. 12)
राजत ैजपमाला ् ू पवू फलः।
ात पव े ु
आिदारै रैः ादमाला यथाथतः॥ ६३॥
ु
अनलोमिवलोमाा े ्
ं मातृकािरता ं जपत।
एव ं सवगणोपतो ् ६४॥
ु े जायत े सविसिमान॥
तजनीरिहत ु ु
ैः कयादम
ैजपिबयाम।्
ं
अलीपवसशादिप
ु े ् ६५॥
वा गणयपम॥
े
िवा ं जपत ु
ं तने तापात ु ् ६६॥
े ीवम॥
े ्
िनाितबमदोषाणा ं शा ै िवा ं शत ं जपत।
न ैिमिकाितबमण े सहॐ ं ूजपदा॥
े ६७॥
ु े
िवशदहवदनः ु
शारधरः ु
शिचः।
िवमखः े े ु च॥ ६८॥
ु परिनास ु दवतादशनष
ू
पराथविनताभिमपीडास ु िवगतृहः।
े ूाकारी
दयाितः सवजन े गतृहः॥ ६९॥
ु
आिको गभ िनशो िनयमाितः।
यः स सवगणोपतो ु ् ७०॥
ु े िवािसिमवायात॥
अथा वतमानो यो िवाभजनवाँिरम।्
ु
न त िसदिभः कऽािप कदािच कथन॥ ७१॥
--------------------------------------------
ु
अबीािदना े ु
े ोकयने ूायिमपिदशित॥
तदन ६६
॥ ६७॥
ु े
िवशािदिभः े
कथन ु ोकै ः
ै तिभः
ु
साधकसमाचारमपिदशित। े े ु दवतास
तऽ दवतादशनष े े ुच
ु दशनष
िनास ु िवमखः।
ु े ु वैिदकवैवशैवािदष॥
दशनष ु ६९॥ ७०॥ ७१॥ ७२॥
--------------------------------------------
ं ु िवाय गः
मदोषा ु पिरहरत ्
े णात।्
ु िश ं िनहवािचरात
अथा स गः े ् ु ् ७३॥
ीवम॥
--------------------------------------------
े
आदौ योगािदना े मषे ु
ोकन
ु
साकमयोजनूकारमपिदशित। तऽ एतं भवित
ं योजन े योग इित सा।
मिवयोरादौ साधकसाकमणा ं
ू
मिवयोर े पवयोजनात ्
पव ं
इित सा।
ू ं ु इित सा।
मिवयोरायोः पवयोजनापट ं
ु
मिवयोः ूागाना े
एकै कारतोऽोसलनात ्
ं
मथनिमित सा। ू
मिवयोः पवाना ंच
्
अोमरययोजनात िवदभ इित सा।
ं स च िऽिवधः
मारयारे साारमकमक ् े ूकारः।
े े ं योजयते इकः
े ं योजयते ्
सााराणा ं यारे मादीनामरमक
सोऽपरः। मादीनामरयारे साादीनामरं य ं
े े
य ं योजयदषोऽः। एव ं ऽैिविमित॥ ७३॥
ु
मदोषािनािदिभगिर
नै विभः
ु
ोकै मदोषािदकमपिदशित। ु
तऽ स गिरऽ सशो मिवषयः
ु
ितिरयोयोयगपठनात।
। सणगः ् अिधकै जपात
्
े
अिधकदवताम ु े
ैः सा िदवतामजपात ् ु
ि ऽासः
। गिवतः ु
साधकानिभमखः। े
अिविधूाः दीािदिविधमरण
ू
साः। वैिरकोगाः पववै ु
िरवगचतकोगाः।
परािजताः। कमबाात
िनिजताः ्
साधक
ूाजृ तबाात।् अहसाः हकारसकाररिहताः। सविजताः
ू
बलहीनाः। अपणपाः ु
वा अपलाराः। िछाः
े
महावयिवन एकदशात।् िताः साधकािभमतूदानष।
े ु
ु
साननािसकाः
शवगारूायाः। अकालिविनयोगने म
े ु ूयोगािदष ु िविनयोगन।
ापकालष े माणा ं
ु े
ापूबोधयोलणमत।
े
ूणवकाररफहकारारूायााा े
आयाः।
इरूाया माः सौाः। साधक ास े दिणनासापटु े
ू ूवहित सित आये -
पिरपण
--------------------------------------------
्
मः ऽः ादिधकै जपात।
दधः षणगो
गिवतिविधूाः शऽवो वैिरकोगाः॥ ७५॥
ु
ृ गवरािताः।
बाला लरूाया व
कमबाादहसाः
िनिजता
सविजताः॥ ७६॥
--------------------------------------------
ु ु
सवः। कीिलताः यथा कालाः शिमकािदष ु
ं
िभपः तामसासाधकानवधानसपािदत ैररैः
ाः िनाः िनवािरता इथः।
कीिलता इथः। िवसिकाः
ु ृ े
िवगतसिकाः गणवियणादशािदूाौ सा ं अकतसिकाः।
ृ
े
ूाःखा ूाशाः। वैिरसमिताः वैिरमा ैः
ु
सहोपािसताः मामो ं वैरलणमपिरात ्
वासनापटले
वमाणािदह नोम।् खडीभताः
ू िभिवमहाः।
अशजापात
ं ् े े
मिवानामकदशजापात।् अहीनाः
--------------------------------------------
p. 15) ू
अपणपािँछाः ःु िताः साननािसकाः।
ु
ु कीिलताः।
माः पऽषे ु पठनादवण
ा िवसिकाः ूाःखा वैिरसमिताः॥ ७८॥
ू
खडीभतां ं ृ
शजापादहीनासवताः।
ू
अपणनोपिदा ु त े मताः॥ ७९॥
य े हीनवीया
् ु
सदा ूयोगात कठं िताऽितिवलनात।्
णा ूलपन ैजापादम ैः सहािवलाः॥ ८०॥
े
उपावया ् षादवमािनताः।
जापात वै
ं
पिवशितिा ं
दोषाान ् े ु
शमयः॥ ८१॥
--------------------------------------------
े
च सवमदवताना े अपणन
ं सवऽोत। ु
ू अनमहिवधौ
ू े ु ृ े हीनवीयाः
े ूवन।
पणािभषकािदगवाामरण
ु ं
ीणबलाः अनकरणादसजातशिना ्
ूितपािदतात अिन ्
िश े
ु
े कठम
कायकरादभजनादनथकराथः। ्
अकायकरम।् सिसा
ु
अिप मादयः सवदा
ु ु
िविनयोीशवठाः िता
िन ैा भवीथः।
े
शािद ्
तम अितिवलनात।् उकालादिधकं िवल
मादीनामरावतनात।् णाः पीिडताः। ूलपन ैापात
्
अयोय ैरालाल जापात।् अम ैः जमानादम ैः।
ु
आिवलाः ाकलाः एकि े जमान े अम म े म े
ु
जपत उभयोरिप मयोाकलता
भवित तयोनानथादयः
े पिरागः। अनवया जापात ्
उपा
सवीथः।
ु
गकोकितमागतममपहाय
यथोिहतबमजापािदथः। ्
वैषात माणा े
ं दवताना ंच
ू
जपपजाहोमािदष ु वैषात।् िवषमभावात हीनािधत
्
इथः।
ू
अवमािनताः पिरभताः। ु वमाणोपायनथः॥
शमयदे ् गः े े ७४
॥ ७५॥ ७६॥ ७७॥ ७८॥ ७९॥ ८०॥ ८१॥ ८२॥
--------------------------------------------
p. 16) ु
बन ं योिनमिाया
माणा ं वीययोजनम।्
्
उभय ं बोधयन िश ं े ु ् ८२॥
ं सररावान॥
ु े
गरोलणमतावदािदमा े े ्
ु वदयत।
ु
तादािदत एवासौ कयादहितः।
यदहारिवानामोजायत े नरः॥ ८४॥
ं कायोजनात।्
अनािदबमसिसमातृ
् ८५॥
तादािसिं ता ं िवि सवमाथिवमहाम॥
िजातीना ं त ु सार
ं ु
े ं समदातम।
ं वदो ्
े ् ८६॥
े ं च तऽ तऽािप िवया िविधमाचरत॥
तषा
्
ु िकया
स िवारण ं कयात ं सवऽ चोिदताम।्
ु ् ८७॥
तने तयतािसिः सवऽ भवित ीवम॥
--------------------------------------------
बनिमािदिभिवमहाम ्
इ ु ोकै दिशक
ै तिभः
ु
कतमपिदशित। ् ु
तऽ बनम अनसानम।् योिनमिाया
ु उरऽ
ू
होमपटले ूाणमानसयोमलाधारािदॄराविध
ु ु े गमागमपा योिनमिा
सषारालन ु
ु तदनसान ं
ु
योिनमिाब वीययोजनम
इथः। ्
उरऽ वासनापटले ूो
मण
मवीय े साधकन
े च योजन ं मवीययोजनिमथः।
ु
एतदारामखात ् ु
टतरमवगम।् आिदमाम ्
आिदमम। आिदमािवहीनाः
आिदमाानसिवहीनाः। वणाः कवलमरिवमहा
े
तदहं कितम
मा इथः। ृ ् काया
मातृ
आारयािकाम॥् ८३॥ ८४॥ ८५॥ ८६॥
े ैतं भवित।
अनादीािदना ोकन
ु
अनािदिसबमाणामराणा ं समदायपाया मातृकायाः
् ं
ूथमचरमायोरकारहकारयोयजनात सजातपमहं शं
तदथ च आूाितायने ानो मातृकाता ं तत ्
े
वाऽप ं सवदवताता े
ं चित॥ ८७॥
--------------------------------------------
p. 17) े
अषामिप वणाना ु े ्
ं िवया समपाचरत।
् े ् ८८॥
िनधन े िवया दाहो िवयाऽत समाचरत॥
ू भोजयदकमनक
स े े े ं वा शितः।
ू िनमितम॥् ८९॥
योिगन ं िवया िसं पवत
उिमकावसना ू
ै ं पजिया ूण च।
े
िवया िवसृजी िवािसय े िशव े ॥ ९०॥
ु
गरो ु जिदवस ं िवाूाििदन ं तथा।
ू ं तथा।
अरऽयसातिदन ं पणािदन
् ९२॥
िविशािन सदश सपवकम॥
षवािण
ु े े ु पजनम।
वाऽिप कयादतष
मासतो वषतो ू ्
ु
गरो ् ९३॥
ु जीिवत े िना े तऽकािदकम॥
ु
ू े
पजयम े ्
ं त ं च ूणामा ैपाचरत।
ु
तदभाव े तलीन े ् ९४॥
ं तं वा समचयत॥
--------------------------------------------
िजातीनािमािदिभः िशव े इःै पिभः
ृ ु
ोकै नाथकमपिदशित। तऽ िजातीना ं
ॄाणिऽयवैँयानाम।् सार
ं
ं जातकमािदकम।् अषा
े ं
वणानाम ् ू
शिाणाम ् ु
अनलोमूितलोमसराना ं च॥ ८६॥ ८७॥ ८८
॥ ८९॥ ९०॥
ु े
गरोिरािदिभभविद ःै पिभः ोकै ः
ु
पवािदकमपिदशित। ं
तऽ अरऽयसपातिदनम ्
उरऽ मातृकापटले
वमाणाराकिदनषे ु वगारय
ं घिटकारं च
् े सगतािन
ऽीयरािण यिन िदन ं भवि तदरऽयसातिदनम।्
ु
तकार तऽैव टतरं वमाणािदह न ूपितम॥् ९१॥
९२॥ ९३॥ ९४॥ ९५॥
--------------------------------------------
े
नवाय नवपाय परमाथकिपण।
े
सवाानतमोभदभानव े िचनाय त॥
े ९७॥
ताय दयािवमहाय
ृ िशवान।े
े ९८॥
परताय भाना ं भाना ं भिपण॥
े
िवविकना े
ं िववकाय िवमशाय िवमिशनाम।
्
े ९९॥
ूकाशाना ं ूकाशाय ािनना ं ानिपण॥
ु ु
पृ े नमयापयधः।
पराायोः
सदा म े िचपण े भवदासनम॥् १००॥
े िवधिह
ू
भिमतमयी ाििरित समीिरता।
--------------------------------------------
नम इा ैरासनिमःै पिभः
ु
ोकै ाथोऽमपिदशित।
तऽ नवाय सवदा
नवनवृहणीयाय। नवपाय नवसािविशिवमहाय।
परमाथकिपण
े
े िशवने ैकिवमहायथः।
े ूकाशानाम ्
िववकिवमशयोिरदाहयोयाथाानमथः।
सपाणाम॥् ९६॥ ९७॥ ९८॥ ९९॥ १००॥
ु
परािदािदना े ैतं भवित।
ोकन
े यता ं म े िवध े हीित िशवम॥् १०१॥
दशकालाकारै
--------------------------------------------
p. 19) ृ ् १०१॥
अा िनःफालनाि े तं ासातम॥
--------------------------------------
इित षोडशिनातषे ु ौीकािदमता पिरपण
ू त
ं
ूपसारिसहराजूकाशािभधानन ु
े सभगाननाथन
े
िवरिचताया ं मनोरमााया ं ााया ं
ू
तावतारािदूकाशनपरं ूथम ं पटलं पिरपण
परामृम ्
ं
॥ मसा।
ूथम े यमक ्
े ं ात मसा शतारम।्
िऽषििरित िनिद ं ाान ं सगीणात॥्
अथ ितीय ं पटलम ्
्
अथ नाथान ूवािम मिपान
ू ्
िनिवमहान।्
ू ं ू ं तथा॥ १॥
िवावतारसोपानभताजन
ऽयः ु
े समाः िसा ऽय एव त।े
ानः सः पण ु
ू इित ौीमखा े समीिरताः॥ ३॥
ू
िदा मदिके िन ं िसा भमािवहािप च।
िनवसि ततः ु
े समायथा॥ ४॥
् ु े नामतः।
ाभावः ूितभत सभगित
ू े सतत ं िनवसि मदाकाः॥ ५॥
त े भमावव
एव ं त ैनविभ ं लोके ूिथतवैभवम।्
्
अकयत कािदशिदना ु े ६॥
ृ े यग॥
कत
एत े िनऽा
े िभजा ं ु
ु लिलताकारसयताः।
े वराभयकरािताः॥ ७॥
ूसवदनाः रा
--------------------------------------------
ितीय ं पटलम।्
ू
पविन ्
ूथम ु
े पटले तावतारािदकमपिदँयानरं
ु
सकलपषाथूकाशकाना ं तावतारकाणा ं नवाना ं
े ु
नाथाना ं प ं तपयािवशषािदकमपिदशित
--------------------------------------------
ं ु
िूयारािभधाना े सवऽानसयताः।
े ु नाथााः शा दिव
मडलष े मडल॥
े ९॥
माया लािदकावाणााथा े ्
भवत।
नवाना ं सवशीना े
ं दवताना ू े १०॥
ं च पजन॥
या िवा सवसोषकािरणी
सविसिदा।
साया तया दिव ू े ू ् ११॥
े पजयामपवकम॥
--------------------------------------------
ु े
अ-पमारामखादवाऽवगम।् मडलािदिऽ
ु
मडलारऽ
वित। आिदशः शीषािदिवषयः।
ं ु इित आनशोपतसा
आनसयता नवानाम ्
े ं इथः।
् ू ् १॥ २॥ ३॥ ४॥ ५
ू तामपवकम॥
े नामपवकम
नाथानािमित शषः।
॥ ६॥ ७॥ ८॥ ९॥ १०॥ ११॥
ता े इा ैनमसािितिर ःै पिभः ोकै ः
ु
सकलशितसाधारण सारं ममपिदशित। तऽ या
सारी िवा। जवी पकारः। मत ्
--------------------------------------------
ु योपतो
पनजवी े ा च वातसमिता।
ा ं मख ं षं नभोऽिः समारम॥् १४॥
े ु
िनाषोडशपािण तािन यानबमात।्
पारिमित
ूोमाििवायितौ।
ु े शिः
तने शन ु ािायामथाऽथा॥ १९॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
नाम पयायतः ूा ं कालावािमित यम।्
ूिसं बातो य ऽीिण नामािन साधके ॥ २१॥
्
तात सािव ु ्
ु साधक ैििभः तम।
ू ु कयात
पजाोकतीः ्
ु पारयूिसय॥
े २२॥
ु
गमडलपजा ु
ू ं त ु कयास ु पवस।
ु
ू ं षोडशाणािन
पणाया ू े ् २३॥
नामाािल पजयत॥
े त ु नवाणाव
अऽ पवष े े ्
े लखयत।
पजयऽ ्
ू े तऽािप वदन सार िशव े ॥ २४॥
ु ू
गमडलपजास ु सवऽ नव चोिदताः।
ं ैः पजयत
उपचाराता ् ु तािप॥ २५॥
ू े ण
--------------------------------------------
--------------------------------------------
ु ु े
ं पीठे कयाहिर
गमडलिनमाण ।
ु ु े ससम
फलकाया ं ले वािप सश ु े िर॥
े २७॥
ू
ूागदिणोदक च सऽािण े ्
दश िवसत।
पालारालािन
ु े े जायत॥
ततो दविश े २८॥
ु
एकाशीितपदोपते ं चतरॐ ु मडलम।्
तवम े ूथम ं ितीय ु परोगत॥
ु े २९॥
ताम े ततीय े
ृ ं चािलखवनविप।
ु ३०॥
एव ं नवनवोपते ं मडलं सपवस॥
ू
ृ म े सऽयापणात।
नवकं नवधा का ्
तषे ु नामाणनवकमािलाचयत
् ् ३१॥
े बमात॥
ू पविण
पणा त े का ू
ृ सऽऽय ं ऽयम।्
--------------------------------------------
वमाणषे ु मडलष
े ु सारीयै
ु नामिभः
ू े
पजयिदथः।
् २३॥ २४॥ २५॥ २६॥
ाना ासमपणात॥
ु े
गमडलािदिभः बमािदःै पिभः ोकै ः ष
पवस ू ु
ु पजनीयगमडललखनपजािदकमपिदशित।
े ू ु तऽ
े
आिलखवनविप े ु नाथाना ं नवनवकाािलखिदित।
नवस ु नवकष े
एतं भवित। एकाशीितकोषे ु मनवकमार
ू
तवािदगतनवकािदष ु अषे ु नवकष
े ु ूादियने नवाना ं
े तकोावान ं
नाथाना ं बमण
े ु े
इतरषामबमणािभतोऽवान जानीयािदित। तषे ु
नामाणनवक ु
ं ममपब ू े
पवािदूादियन
े २७॥ २८॥ २९॥ ३०॥ ३१॥
िलखिदथः॥
ू
पणािदिभः ू ु
िसय े इःै पिभः ोकै ः पणास
ू ु े ु
पजनीयगमडलिवशषािदकमपिदशित।
--------------------------------------------
ु जीवपत
ू गरौ
एव ं पजा ु े े माममिन
ू वै।
े े मत॥
ृ तऽ चाऽलखन
ानािन मडलीक े ३३॥
ू े
एव ं यः पजयाथान ् ु
पवविहतः िशव े ।
े
स दिशकवरः िसः तािािमा॥ ३४॥
ु
अथाऽवािभयोरनथाय सिनितम।्
े मृितः॥ ३५॥
ािधशािदपीडा वा िचॅािजल
ृ
इािदसनूािनपादशिनतो मृितः।
े ैव कयात
ताबमण ्
ु सवाथिसय॥
े ३६॥
ु
एकििऽचतःपवषायालो योयताम।्
ु
भियान ् ु ं
गणाािप बमाणष ु सर॥
े ३७॥
े ैव वदिामनधीः।
पाबमण े
े े
अथा चदाश ु ु ् ३८॥
ं सिशो गरायात॥
--------------------------------------------
े े ं िलखिदऽ
तऽ तव े े
एविमित पारयूासदायबमण
े
िलखिदथः। ु े वामाधःित ं
तथा मचतय
ु ं ूादियने परीामबम
कोमार मचतय ु ं
बिहरिप तथा परीयात।् मामपत
ु े े म।
ु े मडलीक
ृ वमािल।
ृ
ु
अथा गमडलाािवरिहता इािदिरऽािदशः
इथः।
ु ् ३१॥ ३२॥ ३३॥ ३४॥ ३५॥ ३६॥
सवानथिनवारणादीनामपलणम॥
ु ्
ु इन
एकीािदना गरायात े ोकयने
ु
वणानपतः ु
िश परीाकालािदकमपिदशित। तऽ योयता
ु
ूोसमाचारशवािद॥ ३७॥ ३८॥
--------------------------------------------
ू
अरऽयसातिदन े पणािदनऽय।
े
े ु पषे ु सवदा
ूोष ु
वा शभोदय॥
े ४१॥
कयात ्
ु ूिता
ं िसाा नो ानगिवतः।
ु ु त े मोहाोभाद ् वा कत
गवनामृ ु े यिद॥ ४२॥
ु
सपऽदारो ु
िनधन ं ूाविरय े ्
ं ोजत।
् ू े े ूाानः
तात पणािभषकण े ् ४३॥
ु समाचरत॥
े
ौिाधःै ूथम ं नािलकरासा ततः।
--------------------------------------------
चबे दािमािदिभः
े े
समाचरिद ःै पिभः ोकै ः
ु
े ैिवािदकमपिदशित।
ूितयऽ े दाम
तऽ चबे लिलतााचब। े ्
दवीमत। ु
े ू सदायानरोिधना े
िविदततनािप
े िरे राशािवित शषः।
िनन ैिमिकोपाििनरतन। ु ू इित
े अनकल
ु
िदनािदिवषय। गणशािलनीित ु े
मिवशषणम।् या तदिसौ।
ू ं िवशषतः
वा अवधारण।े पणाया े ु
ास े शभोदय ु ्
े कयात।
े े े अरऽयसातिदन े
तिदतरतथः।
ं े िदनिनाघिटकारकार
पिवशपटलोिदतारबमण े े
् े तििथः।
िऽानदशन ं यिन िदन पणािदनऽय
ू े
पमीदशमीपदशीष ु ितिथष।ु ूोष ु े ु
े ु पषे ु ूागष
सस ु पवस
ु अऽोिदत ं पवय
ं वजिया
अषे ु पिथः।
सवदा ु
वा शभोदय ू
े वा पार।े ितिथवारयोगनऽपणािदवत ्
ूोमिखलमनव ु
े ानः ास शभोदय एव
ु े पः िसिवषयः। िसाा तिवत।् मोहः अानम ्
कयािदकः
े
। लोभः िवा। े ् ३९॥ ४०॥ ४१॥ ४२॥ ४३॥
िनरय ं शानम॥
े
ौिािदिभभिवती रै िभः ोकै ः
ु
ौीचबूितािदकमपिदशित।
--------------------------------------------
े
एव ं दवीूिताया ं बम,ह ् सािकारकः।
गरव ्
ु े दिणा ं दात ूाय े ४८॥
िशवान॥
े ु ु ्
गजामिहषीमषपशदासीमहीयतम।
ू ं वासो भवन ं वाऽदीितम॥् ५०॥
ु भषण
सवण
--------------------------------------------
े
तऽ िथतनारौषधः ं
ै पिऽशपटलोै ः
ं
पचाशदरौषधः।
ै िनातािकालोिवया
ं
पिवशपटलूोकालावातिनिनािवया। ताः बमात ्
ं ं
तटलूोषिशशतािधकिवशितसहॐािण िना िवाः।
अिपिभबमः। ् े एतं भवित
अिप वा ृशन जपिदथः।
ू े
आवाहनानरिनिनािवया मलिवातातयखडन
ू
मलिवया े ं िऽवारम बमसपयानर
च ूक ं
ू े ् अिप वा ृौीचबः ूोसािविशाः
तािभः पजयत।
े
कालिनाा जपिदित। ैः ूीितदायकै रमृत ैः। एव ं दवीित।
तपण े
ू
पवबमािदित शषः। ु
े तदाया गरोिरया। े
भवन ं वऽ
ु े शितः यथािवभवम।् तदायः सम ं
वाशः समय।
ु ु ४४॥ ४५॥ ४६॥ ४७॥ ४८॥ ४९॥ ५०॥
े कयािदथः॥
ापारदनमतमव
५१॥
--------------------------------------------
p. 28)
दाशिता भा शो यिद सवथा।
सवदासौ
तदाऽयने िसिभिवित॥ ५१॥
े
(वामशनािप सप ु
ं ू तलमवायात।्
ु
रोगशािसमोगफलािन ु
समवायात।्
े
वाणािमिधया ूोा ितिथनऽदवताः॥
ं
ऋ-ऋािथीना ं च वद म े परमर
े ।
ु
विदॐामािवो ु
भजगा ु रिवः॥
षमखो
े
नऽदवताािप ण ु व े यथािविध।
चः िशवोऽिदितः॥
अिनौ च यमो विधाता
ु िपतरः अयमा
गरसपा भग एव च।
े
ृ तथा ा मताििमऽकाः॥
िदनक
्
इिनर-ऋित यािन िव े दवा
े हिवथा।
वसवो वणः पादज एकपदथा॥
ु
अिहबथा ू ूोा नऽदवताः।
पषा े
ु
काररामलकोरो जकथा॥
ृ ं च िपलौ नागरोिहणौ।
खिदरः कवशौ
ु
पलाशः काः िबाजनिवकताः॥
--------------------------------------------
p. 29) ु पनसथा।
वरलः सरलः सजबकलः
अकः शमी कदाभतो
ूं िनथाितमः॥
ु े सोा वाभाना
मधकित ृ ं बमाढमी।
च िवडािलका॥
अ ं गजमदं मज ं सप सिपणी
ु मषकी
अमारीमखा ू ृ
वषमािहषी।
ु किपः॥
ाय मिहषो ायी मृगी मृगशनी
ु च नगो गजाः।
गोखडवानरा नारी तरी
् ू म े सतु ैः॥
यदा रोगािदःखािः भवते तव
ु सया
मतः ं चित ु े
े शािः ािगणनधीः।
ु ्
आधारे प चबािण ािधान े चतयम॥
े ु भावयािन
ूोष े ू े
तावि मिणपरक।
े ्
अनाहत े ततः प यािण पिरभावयत॥
ु
िवशा े त ु चािर पाायोिमित बमात।्
तििथिदनव ्
े े ं भावयते षोडष ं
िशवा॥
े पजयत
तबगता ं दव ्
ू े सवसद।
े
आधारािदष ु चबािण भावयानयोगतः॥
े
नन ु सवऽ सवािण
भाव कदाचन।
भावयानामशाना ं तािहथा॥
े
ृ तऽाचयििधम।
ूोााधारपािन का ्
ं ू दवीिमािन
सप े ूायात ्
ु ूोवासरै
ः।
े े वासरषे ु यथािविध॥
बिलं च दाव
ु
पाशिथनाऽ े
ूोे चबराऽक।
े
माे सयोािप चबानामपीरी॥
--------------------------------------------
े ं तषे ु कालष
वैषा े ु बिलं दाथोरैः।
े ु
दानमहूोः िनवै ैिसकं महत॥्
िनधाय त म े त ु का ु ्
ृ दीप ं घृततम।
ु ु ्
िनधाय तऽ त ै ु िमथनानामनबमात॥
े ं दाना
ूक े
ं ने िसिभिवित। )
ू
उलणस ं िशमाचारभषणम।्
पषटिवाा
ं शोिधत ं बवासरैः॥ ५२॥
कलशैरिभिषाश ु ौीचबे सिवँय
े च।
ू चबं सि मतः॥ ५३॥
आधारे दय े मि
ं
ाादावा सा सप ं ु
ं ू ाससयताम।्
िऽशो ् दाा
ं िवा ं वदते कण े ू
पणमानसः॥ ५४॥
े ु े
ै ं भावयिया।
दवतागमात
े
शत ं जपदमो े ् ५५॥
िनकटे िऽिदन ं वसत॥
--------------------------------------------
े
उािदिभनािदिभिर ःै षिः ोकै ः
े ु े
सिोपदशबममपदशानरं िशक
ृ ं चोपिदशित। तऽ
शोिधत ं बवासरैः आिोपािभीना ं ैयानाथ
बवासरशोधनम।् कलशैः नविभतिभरकन
ु े े वा। मतः
् े
ौीचबऽयमतः। ाात दिशक ानः। अऽा ु
े ु े चायािभषकसमय
परोथ दिशकमखादवा े े लािदह नोः।
े
दाा ू
पणमानसः े
प ं दवीप ं िवभा ाान ं
े ं दवतापो
तय ं बा। एतं भवित कवल े दयामयने
े े े े िवाकारणोपिदशिदित।
िचनतरिनरपण े े
े ु
दवतागमातम
ै ् े ु
दवतागमाणा ं ाना ततः
ु े सचािरणी
चतथपटलावसानोकोूकारण। ं
--------------------------------------------
p. 31) ् ं
नोचते सचािरणी ु े न सशयः।
शिगमित ं
्
तात तदिक ू े ृ े ् ५६॥
े तईय पजादशािदकवत॥
ु
तादामानो ल ं गरोमानो यतः।
ततदा समार तदायोधनािदिभः॥ ५७॥
ु ं िनधाय त।ु
िवधाय चबं त े योा ं क
ु े ु ् ५९॥
ाथोदकै ः समापयािभिषािभवदनम॥
बमागतसमाचारिनरत े शिशािलिन।
े
ितीयमिभषक ु े
ु कयाािसय॥
े ६०॥
ु ं चबं ूितयोिन च षोडश।
िवर िवपल
े ् ६१॥
ु ं त ु िवसत॥
िऽकोणािन िवधायाऽ म े क
--------------------------------------------
ं
चचला। ु े
मानः चतथपटलावसानोूकारण।
ृ े ु
धनािदिभिरऽािदशने गहऽादी॥
े ५२॥ ५३॥ ५४॥ ५५॥ ५६॥
५७॥
े ं ििवधिमािदिभः समाचरिद
अथािभषक े ःै
े ं
पदशिभः ोकै ः साधकाना ं ििवधमिभषक
ु े ूयोगा
तकारािदकं चोपिदशित। तऽ अनमहादीऽािदशन
्
उ।े िवधाय चबम ऽयिशटलो
ं ू
ं पजायम।्
p. 32) े वा।
सौवण राजत ं ताॆ ं काच ं माितकमव
ू ं खािरतोयने िथतनारौषधः॥
पिरत े ै ६२॥
ू
राा ं चन ैतपनसापवै
ः।
ु
शतबतलताबै ु
ः मातफलाित ैः॥ ६४॥
े ्
े े कशोसत।
िवधाय कलशानानकै
सा सहॐ ं षिशत
ं ् ं
पसाः बमोिदताः॥ ६५॥
े ु तोयािद काऽवाािभप
म े चबष ृ ू च।
ू े ६६॥
ं जिपा पववासर॥
कालािनामा
--------------------------------------------
ु े ु हितानष
एतं भवित ौीचबे चतरॐपदलदवताानष
े े े ु
े
च िऽकोणािन षोडश िऽकोणगभायािलखिदित। म े
े (खारीतोयने खारीूमाणतोयन।
सवमम। े खारी च पल
ु
४०९६। उ पला कडवः ू आढकी िोण एव च।
ु
धाािदमान े बोाः। िोणी षोडशिभः खारी कः
िवशितः।
काय ं ) नवरािन वमाणािन
ु
परागमाूवालवै ु े
डू यपराजवळनीलगोमदमरकताान ्
ु ू
इ। धाािन ोीिहितलममाषयवगोधमादीिन। पविवधान ं
ु ु
सरिमशाखावासनया। ु
मातफलोा
े ु
नािरकरफलािदकमपलयित। े
लतापवादीना ं दशीसा
ं च
ु े सा सहॐ ं
प े मखागमिवषय।
ं े े ं
षिशषासा ं
पनवितसानाना ं
े ं
ौीचबानामावरणशीना ं ूक
ू े
मलदवतावोडशिवमहवात।् (तने पनवितशीना ं
p. 33) ू े ्
ज ूाताय िना ं तऽ पजयत।
े
सहॐ ं ूजपाोम ं का
ृ समतः॥ ६७॥
काहलशािदवासीतनतन ैः।
ु ैयिगनीवै
मिदत े कं दवतािभः॥
ृ रकै े ६८॥
ू
ृ ैः सिजत
व े ु यम।्
ैः सामिभिषः
े
बम ं त कथयदा ूभृित सोऽिप तम॥् ६९॥
ु े
अनितदिवि ु
पयाय ं त िवतौ।
े े ् ७०॥
सहॐ ं ूजपिामिभषकसमितम॥
े े ्
एकं वा कलश ं जिदन े काऽिभषचयत।
ृ
े ् ७२॥
एव ं न ैिमिकं िनमिवि ं समाचरत॥
--------------------------------------------
समािल सवमिऽकोण े
कोणऽय े ितयमखाऽयण
े ऽीिण
का
िऽकोणािन षोडशिऽकोणगभािण े
ृ तषामराले वमािल
ृ
त े योिनषोडशौगभवि
े ु े
वळाकारणाोमिभमखमािलखिदित।
ं े पटले वमाणान ्
कालािनामािवश
तिनिनामान।् एतं भवित सवऽािभषकष
े े ु पविन
ू ्
िदवस े
ू े ु ु ् अथवा सोिधवास ं
े ं कयात।
अिधवासनपवमरिभषक
िवदधीत। ज िश जिदन े पणािभषक ु
ू े ं कयािदथः।
होम ं कयात ्
ु िनहोमोबमतः े समत
इित शषः।
े
ृ ैः दवतान
इोपिरादयः। व ू
े पवािभमित ैः। ं
्
बमम अरबमम।् अिविपयायम ्
पयायशन
े
ं ु ु ते
े एतं भवित गवाामृ
षिशिना।
पयायिविौ ु
े ं ससहॐ ं ूायिमम।
सािभषक ्
े ं साऽयषिघिटका जप-
िवििदनाना ं ूक
--------------------------------------------
ं
ायिस ्
ं ूजपते सवग नरम।्
े मातृकाान े तदा तहिसय॥
स े े ७४॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 35) ्
बलं कथ ं भवते त े
सक े ।
परमर
ू म े तलं यने शा
ॄिह े नँयशषतः॥
े ७७॥
ू े जलन
सोमसयािपण
े शमाऽतः।
े दोषाः ताकसमो
नँयशषतो े न िह॥ ७८॥
ू
सोमसयािपं ्
जलोपिर कीिततम।
े
तादशषःखाितशा े ् ७९॥
ै ादिभषचनम॥
ू े ु कालष
ससऽष े ु चादरात।्
े ु पयष
ु े
ु
कयादिणा ु ूमवे वा॥ ८०॥
ू ं गरोः
ं पजा
े ू े ु पजयत
उषातजातष ् ु ः।
ू े णपकै
अिभिष ु िविधना ूदािणा ं गरोः॥
ु ८१॥
ू े
ूणामपजावनसवािदिभपासन ैः।
े
तोषयदथा े ् ८३॥
शिः ीया तािमनी भवत॥
ु ू ु ैः।
चचनकाँमीरलघकिरकायत
ु ् ८४॥
गमडलकनम॥
पै िवदावऽ
--------------------------------------------
े
सिािदिभभविद
ै तिभः ु ू
ु ोकै गपजािदकमपिदशित।
ु
तऽ ूमवे वा इऽ एवकारोऽवँयकरणीयूितपादकः
ू
वाशोऽधमसचकः। ू ं ममः
िवािदिभः ूितमासपजन
े ु पयसमयष
पः। सस ु च पवष
ु े ु िवािदिभः
ू ु
पजनममः पः। उातजातषे ु
े े ु उपासनम ्
िदािरभौमऽ ैिवजातषे ु िवकारिवशषष।
ु ृ
िचानविः। ु
ीया िशगता। तािमनी गगािमनी॥ ८०॥ ८१॥ ८२॥ ८३॥
े
चािदना े े ोकयने
परमरीन
ु ु
गमडलिनाणिािदकमपिदशित। ू ्
तऽ चं कपरम।
ु
लघःु अगः। कथयित। सवतः
भाल इािदना अवँयधायं
सवऽ िसित॥ ८४॥ ८५॥
--------------------------------------------
p. 36) ू
पजा
े माजिया ताले चोरिस चासयोः।
ं
े ल रसारमरी॥
धारयवतो े ८५॥
ू ू े
े े यािन ानािन पजन।
पवमडलव
े ् ८६॥
पािन पिरकयत॥
ूोािन तािन सवािण
ू
पजादाववसान ् े
े च पोकान जपतः।
े
दां ु
गरोला े ् ८७॥
ोकादशकं जपत॥
े
गणशमहनऽयोिगन रािशिपणीम।्
े ममय नौिम मातृका ं पीठिपणीम॥् ८८॥
दव
े मातृका ं परमरीम।
ूणमािम महादव े ्
कालहोहलोोलकलनाशमकािरणीम॥् ८९॥
--------------------------------------------
ू
पवािदना ु ु ु
े ूागगमडलिवशषिवधानमपिदशित।
ोकन े
एतं भवित नविभनविभः
कोैः सकिणकमदलप ं
यथािविध िवधाय तषे ु नामारािण पिबमणािलखिदित।
े े
तान ं तिमाणूकार ु ं वामः॥ ८६
ं च यपटले स
॥
ू
पजादािवािदना े नाथदैवतयोः
ोकन
ु
ोऽयजपकालमपिदशित। े े भासत इित
तऽ नाथ एव दवतापण
ु े ८७॥
परमाथ बथः॥
े
अतःपरं दवीोऽोकादशक ू े
पवमव
िनाषोडशकाणव े महािभः काँमीिरिभााताषा
े ं
ादशाना ं ोकानामऽ ाा स ैव िलत।े गणशित।
े े गणशो
े
ू
िवनायकः। स च कालपी किथतः। महाः सयादयः। नऽािण
अिादीिन। तािद च ताम चाम े वित। योिगो
े
विशााः। रािशः मषािदः। ् ं कारणात।् दवीिमित
िपणीम एषा े
ू
पजोिः। ्
ममयीम अरमयात।् नौिम नमन ं तादामम।
ु ्
्
मातृका ं मातृवातृकाम िवूसिवऽीम।् पीठिपणीम ्
--------------------------------------------
ु
यदरशिशोामिडत ं भवनऽयम।्
व े सवर
े महाौीिसमातृकाम॥् ९१॥
दव
ू े
यदरमहासऽूोतमतगयम।्
--------------------------------------------
े
होहलो वगः। ू
उोलकलना पवरसः। एतं भवित
ू ं
पवभावनामसिसौ ् े न भवतीित।
कालपारवँयात शो
ु
े एकमाऽ इाथ आरापादमखादवगः।
यदरित।
सिस ू
ं े पपादै े
े रिवणा ूकाशािदना त।
ूकारण।
चबिवषहरणािदना। इना चामृतमयािदना। कपण
ताण
े चानमयािदतः। अनलन
सौभायािदतः। शरण े च
ु च िवाािदतः। एतं भवित
ूतापािदतः। िवना
े े सिस
मातृकायामकारऽिप ं े तथा िसतीित॥ ८८॥ ८९॥ ९०॥
्
े शशी अमृतमयात ोा
यदरित। ूकाशपवाचकम।्
मिडत ं तम।् भवनऽय
ु े
ं ातृानयापम।्
--------------------------------------------
p. 38) अकचािदटतोपयसारविगणीम।्
े किटपादिनवािसनीम॥् ९४॥
ाबाृ
े
अािप या जानि न मनागिप दवताः।
् े े सपापभावनाम॥् ९६॥
े ं कात कनित
कय
व े तामहममातृकारिपणीम।्
दव ु
े कलकलोोलूोस परा ं िशवा॥
ं ९७॥
--------------------------------------------
े वमाणविशािदशकपण
अकचित। े समन।
े
े े प ै मातृकारैः सवतः
ाित
े
शरीिरनावभासमानाम।् एतं भवित मातृकायाः
समसासपण ु
े शरीिरणा ं शरीिरतामपिदँय तयता ानः
े शषः।
िसित े उारो िलिपपः साराारा ं य ं च।
परारािमित। परमानिपणीम।्
उभयसारशिवषय ं दशयित
इकार िबिवसगानः। िशवशोः सामरपात।् एतं
ू
भवित मातृकायाः कारणभतयोिबिवसजनीययोरै
प
ं े वमाण ाने भावनाया ं
इकार िबसकित
ु इित॥ ९४॥ ९५॥
परमानानभव
ू ं रह ं ौित। दवताः
अापीित पव े े ं
इियािण। कय
े
पतः। कातोः। ु े कनोपायनित।
कऽान। े े े
सपभावनामपभावना ं च। एतं भवित
े
अदिशककटािवै ं
ः षििरिय ैः िकपा े
कातोः
ु
कऽान े कनोपायनित
े े े सपभावनामपभावना ं चाािप
मनागीषदिप न जानीित। अऽ
सवदा
ु ु
ूचतयमारापादमखादवगम।् अितरहािदह
नोािटतम॥् ९६॥
व े इित। अहम।् आूाा मातृकाप आा। अयाम।्
अकारकारयोमजाम ् कारिपणीम।्
मातृ
ू ु
े वनाकल
समसऽूकािशतन
--------------------------------------------
ू
कामपणजकाराौीपीथािनवािसनीम।्
ु ु ् ९९॥
ू ं नौिम ौीिऽपरामहम॥
चतरााकोशभता
ृ ्
इित ादशिभः ोकै ः वन ं सविसिकत।
े
दाखडपायाः वन ं तव ततः॥ १००॥
--------------------------------------------
े
ूितवगािणमािदिसकरीम।् एतं भवित। मातृकाया
अौ वगादिधाोऽमातरासा े
ं ूकोािणमा
िसय सभय ु
ं ू चतःषिः। तासा ं िशीना ं
ू समिशिः ाने िसित।
कारणभता े अऽािप रहमि
ु ् ९८॥
तदवगमाराचरणमखात॥
्
े जकारा ं जकारो य पीठा ं तत जकाराम
कामित। ्
ू ु ू े सवऽ िनवािसनीम।्
ु ं िवयिपण
भजलािवायपपीठचतय
ु
चतराा ू ं आा पवाायािदः।
कोशभता ू ू ं
कोशभता
समकारणात।् िऽपरा
ु मातृका मातृकािभः
े
ातृानयािभरापतात ै?तु ं
ू
परयतीित। एतं भवित
े े ु
एकादशिभसऽू ैपिदवैभवमातृकादशिवशषष
े
े े ु च ाा िवूपपा शिः ाने िसित
तिवशषष े
। इतः परमाा॥ ९९॥
ु
े ोऽजपफलमपिदशित।
इित इािदना ोकन
े
तऽाखडपायाः दशाकारै
रनविाया
मातृकायाादाािदित िशवम॥् १००॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
अथ तृतीय ं पटलम ्
ू
भताना े ैव बमााँण
ं च बल ं ु िूय े ।
ु े ैिलपीना
ूोत े साधसत ु
ं ूागदीिरत ैः॥ २॥
े ं
ाणलाहसदाहविै े
लिलतिरता।
ं े े ण ु ता यथाबमम॥् ३॥
िऽिवधा हसभदन
--------------------------------------------
अथ तृतीय ं पटलम।्
ू
पविन ्
ितीय े पटले
ू ु
नवनाथवैभवपजािवधानािदकमपिदँयानरं
षोडशिनाना ं षोडशमादमाव
ं ू
च, सय
ं ु
पिवशितमानपिदशित े
, अथ षोडशािदना े ु े
बलमनिरन
े तृतीयने पटलन।
ोकशतपण े तऽ अथ षोडशािदना
े
ु
ूागदीिरत े ु
ैिरने ोकयने पटलाथशािदकमपिदशित। तऽ
े ैः सामियकै नामिभः।
सत ु
ूागदीिरत ू े
ैः पवत
ं
पिऽशटले ूोै ः॥ १॥ २॥
े
िदा ैः समीिरत िै िभः ोकै राा अििनाया लिलता
े ु
िवायाः प ं तभदािदकमपिदशित। ्
तऽ त सकारः।
ूाणः ककारः। इला लकारः हसः े
ं हकारः। दाहः रफः। विः
ं े
ईकारः। ं िबः। हसािदना िमने खोत
े े ॑ इित।
े शषः।
लिलता िवित े हसभदन
ं े े हकारयोजनाभदन॥
े े ३॥ हसाया
ं
हकाराया। लिलता
--------------------------------------------
p. 42) ं
हसायाऽा ं
मा ादािदमहसया।
ृ
तृतीया ूकितः ु त ैरमायया॥ ४॥
स ैव तया
आस ु तया
ु भव ु सद।े
े ु ै ितॐोऽाः
ु ु
इित िऽपरसया िवा सक ् समीिरता॥ ५॥
सिचः ु
ु ने यताो लिलता ाितीयकः।
ू ु ं पाियो ाने सयतः॥
शमियत ं ु ६॥
ू ु ं चराितम।्
ूाणो रसािसिहतः शयम
ु ैषा दाहन
नभो गोऽा पन े समयोिजता॥ ७॥
ं ु ं वनशियतु ं च त।्
अ ु ारसय
--------------------------------------------
े शषः।
िवयित े आिदमहसयऽ
ं े े ककारोपिर। स ैव
मित
ु चतथ।
लिलता िव ैव। तया ु त ैरमायया त ैः
ू
कटऽयगत े
ैररैः। अमायया अखया। एतं
ू
भवित ूोकटऽयारै
ः ूोबमगत ैः ूथम
ू े
ितीयकटचरमगतखािवरिहत ृ ू
ैतीयकटचरमगत -
े
खासिहत ु
ैः समाा तरीया े
िवित॥ ४॥ आस ु चतसृष ु िवास॥
ु ५॥
ु े े
शिचिरािदिभरकादशार िै िभः ोकै ितीयायाः
े
कामरीिनाया ु
एकादशार िवामपिदशित। ु
तऽ शिचः
ु ं िबः। तने यः
ऐकारः। ने यतः ु ऐ इित। आो वण इित शषः।
े
ू ं नकारः। अियतु ं अिलिरकारः तने
लिलता ूागिभिहता िवा। श
ं ु ा ं यकारने
सिहत ं िन इित। रयः तकारः। ाने सयतः
ं ु इित॥ ६॥ ूाणः ककारः रसािसिहतः रसा लकारः।
सयः
ू ु ं नकारयम।्
अििरकारः ताा ं सिहतः ि इित। शयम
चराित ं चरः एकारने सिहत ं े इित। नभोमकारः।
--------------------------------------------
p. 43) े
एषा कामरी िना कामदैका दशारा॥ ८॥
े
कामयािदरािदः ािसःचाथ िरा रसः।
ु ् सचरा पात िरा
धरायक ् ृ
पािसः तः॥ ९॥
ु े ं ु े रसः ादनरम।्
िराशऽिसय
ू
िरा भःसिहता गोऽा सदाहोी रसः िरा॥ १०॥
ु ं रसा चरसमिता।
नभ मता य
--------------------------------------------
ु ैषा पनरिप
गोऽा दकारः। पन ु े समयोिजता दाहो
दकारः। दाहन
थक ् योिजता॥ ७॥ अ ु वकारः। चरसय
े तनाऽपृ
रफः े ं ु ं चर एकारः
तने सिहत ं व े इित। वनशियतु ं वन ं औकारः, शििवसजनीयः
ताा ं सिहतम।् त सकारः
् सौः इित।
ु ८॥
े ैकादशारथः॥
एवमूकारण े
े
कामयािदिभः मोिहनी ं
ै योिवशितिभः ोकै ः
ं
तृतीयाया भगमािलनीिनायाः पिऽशछतार
ु
िवामपिदशित। े िबसिहत ऐकारः ऐ इित। रसः
तऽ कामयािदः
ु ् धरा उकारः तने
भकारः। िरा गकारः। रसो भकारः। धरायक
ु भ ु इित। सचरा एकारसिहता। िरा गकारः ग े इित। रसः भकारः॥ ९
यः
॥ िराश ं ु े इकारण
ू े गकारनकारौ। अिसय े ूक ं ु
े ं सयौ
ू
िगिन इित। रसः भकारः। िरा गकारः। भःसिहता भ ू ऊकारः तने
सिहता। भःू सिहतित
े साशपोपादान
ं ं भःू इित
ं े े
सोपतनारणथः। ्
े े एवमिन ूकरणऽऽ
े
सवऽािप
गो इित। गोऽा दकारः। सदाहः रफसिहतः।
िनवाहः। े अिः इकारः िर इित।
ु ं
रसो भकारः। िरा गकारः॥ १०॥ नभः मकारः। मता य
्
मत आकारः ु ं मा इित। रसा लकारः। चरसमिता
तने य
--------------------------------------------
ु
दाहोियमसात ्
िरा ं ु
ा दाहसयता।
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 45) ू
सचर जवी पविवातातयतः बमात॥् १५॥
ु ं रसदन ु च िरा।
चतयमथाणाना
ु ु ् या दाहः सचरः ावी च त॥् १६॥
दयक
ु
दाहोऽमता ु ोम साी रसतः।
यो
ु श
िरा (त)ु ऽिप मता या ू ं साि नभरौ॥ १७॥
ं ामः
हसो ू ं ामतोऽ ु च।
ु श
ु तथा दाहथा रयः॥ १८॥
दाहो गोऽा चरयता
--------------------------------------------
ं ु दाहः रफः
दाहसयता ं ु रफसिहता
े तने सयता े इित। सचरः
ू
े सिहतः। जवी पकारः प े इित। पविवातातयतः
एकारण बमात ्
ु ं तृतीयािदवणाना
चतयमथाणाना ु
ं चतयिमथः।
एतं भवित
े ृ ु
कामरीिनािवायातीयचतथपमषा -रािण
चािर (न प े इारं) िनि े एतिहािन यािन॥
े १५॥ रसो
्
भकारः। िरा गकारः। त सकारः। अ ु वकारः। या
े सिहतः। दाहो रफः
ऊकारण े इित। जवी पकारः। चरण
े एकारण
े
्
सिहतः प े इित। त सकारः॥ ु
१६॥ दाहोऽमता ु
यः
ु दाहने सवा इित। ोम णकारः। सािः
वकाराकाराा ं यो
इकारण ्
े सिहतः िण इित। रसो भकारः। िरा गकारः। अिन ूकरण े
सवऽिप शः समय। ु आकारण
ु े मता या ु गा इित। श
े या ू ं
े सिहतः िन इित। नभरौ नभो मकारः चर
नकारः। साि इकारण
१७॥ हसो
एकारः एकारसिहतो मकारः इथः॥ ं हकारः।
्
ु ा ं यकारः। मत आकारः
ामः ु
ताा ं यः
े अ ु
ू ं नकारः। ा ं यकारः। अतः परिमित शषः।
ा इित। श
े
वकारः। दाहो रफः। ु एकारसिहता द े इित। तथा
गोऽा दकारः। चरयता
े एकारसिहत इथः रे इित। तथा रयः एकार सिहतकार
दाहः रफः
्
इथः त े इित॥ १८॥ त सकारः। धरासिहत ं उकारसिहत ं स ु इित।
े
दाहरयौ रफतकारौ। े
चरसमितौ एकारसिहतौ। रफतकारौ
े े े सिहतािवथः रत
ूकमकारण े े इित। रसो भकारः। िरा गकारः।
--------------------------------------------
ु गोऽा ामतःपरम।्
ूाणो रसाचरयतो
े ् २१॥
ु ु ामतो भवत॥
गोऽा दाहमा
े समितम।्
ू ु ं वारण
वातो नभ भय
ु ु ं चराितम॥् २२॥
रसः िराऽियतु ं वाययम
े
दाहना ्
ु च ात रयोऽमदितः।
ु
ू ं च कवल
श े ं भिे रस सचरा िरा॥ २४॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
ं ु
तदिरतबीजािन सयािन प वै।
् सचरो रसो भ
तािन बमात ा ु
ू नभोयता॥ २६॥
ं
हसरयतो ्
ु िःात ततः ु ्
ूाणो रसाियक।
ू ु ं चरयतु ं ाहोऽ ु मतः॥
शयम ु २७॥
--------------------------------------------
कवल ्
े ं च ररिहत ं न इित। भिे इित दवीसोधन
े ं मानिरतम।्
े सिहता, िरा गकारः ग े इित॥ २४॥ िवयत ्
रसः भकारः। स चरा एकारण
सकारः। अयतु ं वकारयतम
ु ् इित। दाहो रफः ु ् इकारण
े अियक े
ु
सिहतः िर इित। ं िबने यतः। ु एकारः ऐ इित। भिमः
शिचः ू बकारः।
ु रसा लकारः। ा उकारः। ं िबः त ैः
रसाायता
ं ु ँ इित। प ैकािरता िताः ँ इतटार
सया े ू ं
एतदामकैे कारािरत ं पकः
ृ
ूयोिमथः।
ं ु
तदिरतबीजािन सयािन प वै ूो ँ इित
े ु उपिरितािन सिबिन बीजािन प तािन बमात ्
बीजारालष
े ा जकारः ज ं इित। सचरः एकारसिहतो, रसः
कथयामीित शषः।
ं
भकारः भ इित। भःू ओकारः। ु नभो मकारः तने सिहता
नभोयता
ु एकारसिहतः ह इित। िमित
ं हकारः। चरयतः
माँ इित॥ २६॥ हसो
् े
ूो पम बीजा े च ात हिमित बीज ं वारय ं
यथा ँ जँ ँ म ँ ू ह ँ ह एव ं ूकारण।
ािदथः। े
ु ् रसा लकारः। अि िरकारः ताा ं सिहतः
ूाणः ककारः। रसाियक
ू ु ं नकारयम।् चरयतु ं एकारण
ि इित। शयम े सिहत ं े इित।
्
त सकारः। े
दाहो रफः। अ ु मतः ्
ु अ ु वकारः। मत आकारः
ताा ं सिहतः वा इित॥ २७॥ ोम णकारः। अिसिहत ं िण इित। रसो
े सिहतित
भकारः। मता आकारण े शषः।
े िरा गकारः गा इित।
ू ं नकारः। साि इकारण
श े सिहत ं िन इित। नभो मकारः। चरण
े
े सिहत ं म े इित
सिहत ं एकारण
--------------------------------------------
ु
ं सदाहोऽरसाचरै
हसः ः सयतो े ्
ं ु भवत।
ु ु ् ३०॥
ं ााहविैयममदीिरतम॥
हसः
ं
पिऽशताणः
ािाऽसौ भगमािलनी।
े
किथता परमशािन विनताजनमोिहनी॥ ३१॥
ं
हस ु दाहविैयः
ु ूथममत।
ु े
े ृ
कामयातीयािदवणानामक े ् ३२॥
ं भवत॥
द ु मता य
ु ं हस
ं ु
मता यतः।
एकादशारी िनिा िना समीिरता॥ ३३॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 49)
विनतानवनीताना ं िावकोऽिजपािदना।
ु
जायत े साधको िन ं कपािधकसरः॥ ३४॥
ु ं ूभा दाहन
े त
कं च दाहन ु
े तता।
ु िनिातो यम॥् ३६॥
े ता
ा च दाहन
े
एषा नवारी िना भडा
सविसिदा।
े ं िऽिवध ं णात॥् ३७॥
याः रणतो नँयरल
--------------------------------------------
्
अ ु वकारः। मत आकारः। ु ं ा इित। हसो
ताा ं य ं हकारः।
ु ॑ इथः।
े यः
मता आकारण विनतानवनीताना ं
े
िावकोऽिः। एतं भवित एत िवािस दशनादव
ु
विनताः अथ ूाणापकािरका वँया भवि॥ ३२॥ ३३॥ ३४॥
भःू नािदिभः
े े णािदिै िभः ोकै ः पा
े
भडािनाया ु
नवार िवामपिदशित। तऽ भःू ओकारः।
ु िबना सिहता, ओिमित। ूथम ं बीजिमित शषः।
ने या े ूाणः
े रफण।
ककारः। दाहन े े ं ु ं
ततु ं ओकारय
ककारारिमथः ब इित। रसो भकारः। दाहन
े रफण।
े े ु ं
त
ं ु ं भकारारिमथः ॅ इित। ूाणः ककारः।
ओकारय
ु ् दाहो रफः।
दाहवनयक े ं ु
वन ं ओकारः। ं िबः एत ैः सयतः
े रफण।
ं झकारः। दाहन
ब इित॥ ३५॥ कच े े त ं ु ं
ु ं ओकारय
झकारारिमथः ऴ इित। ूभा छकारः। दाहन
े रफण
े े ,
ं ु ं छकारारिमथः इित। ा जकारः।
ु ं ओकारय
त
े रफण।
दाहन े े त ं ु ं जकारारिमथः ळ इित।
ु ं ओकारय
िन िाऽतोय ं िनिा (िना) िवाया अः
६३॥ िना भडा
अरय ं ाहा इथः॥ े े शषः।
िना िवित े
े े तऽ ावरं
गरलं िवष ं िऽिवध ं ावरजमकिऽमभदन।
ृ
काररकरवीरािद, जम ं फिणगोनासािद। किऽम
ृ ं
ु ू
िलकचरसकपरािद॥ ३७॥
--------------------------------------------
p. 50) े
भडािमहा ं ाििानरम।्
ततोऽ ु श ु
ू ं हसाियम
ं ु ् ३८॥
ु मतम॥
दिना यतु ं श ु
ू ं ाने शिचना ु ्
च यक।
ू ं नभःशियतु ं नवाणयमदीिरता॥
श ु ३९॥
विवािसनी िवघरा।
िना सवाथदा
ु ् ४०॥
याः रणतो वँय ं जायत े भवनऽयम॥
ु ्
ितीय ं विवािसा िनिा चतथकम।
े
पम ं भगमाला ं भडाया ितीयकम॥् ४१॥
--------------------------------------------
े े
भडाािदिभयिम िै िभः ोकै ः षा
ु
विवािसनीिनाया नवार िवामपिदशित। तऽ
े
भडािमहा ् े
ं ात भडािनािवाया आमरं
वि वािसनीिनािवाया आमरं भवतीथः तने ओिमित
िसम।् िनिानरं िनिा िनािवाया आमरं
ततः अनरम।् अ ु वकारः।
॑कारोऽा ितीयमरिमथः।
श ं ु ं हकारकाराा
ू ं नकारः हसािय े ं सिहत ं वि
अ ु वकारः। म
इथः। ु ं वा इित॥ ३८॥ त ्
ु ं आकारय
सकारः। अिना यतु ं इकारण ू ं नकारः। ाने
े सिहत ं िस इित। श
यकारण। ु
े शिचना ु ् यतु ं आा ं ाा ं
े च यक
च एकारण
ु ू ं नकारः। नभो मकारः। शियतु ं
ै इित। श
यिमथः
िवसजनीयसिहत ं मः इित॥ ३९॥ िवघरा ूलय े िवमासकरी॥ ४०॥
ितीयिमािदिभः तािरणीिमिै िभः ोकै ः सा
े
महावळरीिनाया ु
ादशार िवामपिदशित। तऽ ितीय ं
विवािसाः विवािसनीिनािवायाः ितीयमरं अा
ु ं पम
आारं ॑ इित। िनिा चतथक
े भगमाला ं ऐकारः।
िनिथः। े
भडाया ितीयकं
बकारः॥ ४१॥ िनिाितीय ं च तृतीय ं च िन इरयम।्
अम ं नवम ं पात ्
ष समौ ता एव (मद) इथः।
ता एवामारं नवमारं च ाताम (् िवे) इथः।
े आ ं ॑कार इथः।
एतदा ं अा महावळया
े ४३॥
ःखसाततािरणी अिववकतािरणीथः॥
--------------------------------------------
े
महावळरी िना ादशाणा समीिरता।
ू
काारसागरबरःखसाततािरणी॥ ४३॥
े
वळयमा ं ाियदियतु ं ततः।
अ ु ाता य
ु ं गोऽा ासयता
ं ु ततः॥ ४४॥
ु
रयो ाने शिचना ्
यतु ं ात तदनरम।्
--------------------------------------------
े
वळरीािदिभः े
िसिद ःै िऽिभः ोकै ः अा
ु
तीिनायाः सार िवामपिदशित। तऽ
े
वळयमा ् े
ं ात वळरीिनायाः अमरं अा ं
िवयदियतु ं िवयत ्
तीिनायामामरं भवित ॑ इथः।
शकारः। अि यतु ं इकारसिहतम।् ततः ितीयिमथः िश इित। अ ु
ु ं अ ु वकारः। मता य
ाता य ु ं आकारण
े सिहत ं वा इित
तृतीयमरम।् गोऽा ासयता
ं ु ततः गोऽा दकारः। या यता
ु
ु ् ४४॥ रयो ाने शिचना
े सिहता इित चतथमरम॥
ऊकारण ु यतु ं
्
ात तदनरं रयकारः। ाने यकारण ु
े शिचना े
ऐकारण
यतु ं ै इित। अाण विवािसाः नम इथः॥
४५॥
े
समापािरणी अिववकापाशकरी॥ ४६॥
आिमािदिभः कािरणी इ ु
ै तिभः
ोकै नवािरतािनाया ु
ादशार िवामपिदशित। तऽ
आ ु विवािसाः ॐ इथः। ्
ािद तदनरम ॑कारो
ितीय ं बीजम।् हसोधरासयः
ं ं ु हसो
ं हकारः। धरा उकारः
ु कारः
ं िब ाा ं यः ँ तृतीय ं बीजम।् तजर
े -
--------------------------------------------
े दाहन
दा रयण े विः ादम ं िूय े ॥ ४८॥
ं ायतो
हसः ु ितीयकम।्
ु मासरयो
ु ु िना िरता ादशारी॥ ४९॥
ितनादयता
ु ृ ्
लीकाियशोिवाधनारोयायरािकत।
िवषःखूशमनी सवाभीािकािरणी॥ ५०॥
शिचः ु
ु ने यताो रसा वि-समितः।
ु वनििभः परः॥ ५१॥
ूाणो ितीयः यतो
ु ु
इतीिरता री ािाऽसौ कलसरी।
याः रणमाऽण
े सवं े ५२॥
ूजायत॥
--------------------------------------------
् े खकारः। चरण
समितम तजः े एकारण ु ् ४७
े समितः ख े इित चतथम॥
॥ वायःु चकारः। (पदाम) ् ूभा छकारः। चरयता
ु एकारया
ु छे इित
े
ितीयकं अा एव ितीय ं बीज ं ॑ इकादशम।् ितनादयता
ु ु
ु फट ् इित ादश ं बीजम॥् ४९
ु फकारः। नादः टकारः तने या
ितः
,ं ःख ं दािरािदज ं
॥ िवषःखूशमनी िवष ं सपािदज
योनाशकरी॥ ५०॥
ु
शिचिरािदना जायत े इने ोकयने दशाः
ु ु
कलसरीिनायारा ु
ं िवामपिदशित ु
ु ने यतः
तऽ शिचः
िबना सिहत ऐकारः ऐ इित ूथम ं बीजम।् रसाविसमितः रसा
ु
लकारः, विरीकारः ताा ं समितः। ूाणः ककारः, यतः
ु इित ितीयम।् वनििभः परः सौः इित तृतीय ं बीजम॥्
िबयतः
ु े ५२॥
े जपाराधनािदवैगयनापीथः॥
५१॥ याः रणमाऽण
--------------------------------------------
p. 53) ं
हस ु समितः।
ाणरसादाहकिभः
ु ु
िवया कलसया योिजतः सदायतः॥ ५३॥
्
िना िना रा ात षिः ू
कटारै ु
यता।
ूितलोमािदभी प ैासितिभराहता॥ ५४॥
् े
या भजनतः िसो नरः ात खचरः ु
सखी।
िनमहानमहौ े ् ५५॥
ु चा जायत े याऽिनशम॥
ु ु ्
िरतोपामा ं ाद ् ितदाहचरयक।
दाहायतु ं वळशी
े पम ं ततः॥ ५६॥
--------------------------------------------
े
ं इािदिभः अिनशिमिै िभः ोकै रकादँया
हस
े ं ं चोपिदशित। तऽ
िनायारा ं िवा ं तदसा
ं
हस ाणरसादाहकिभः ं हकारः। त ्
ु समिता हसो
े कःु उकारः।
सकारः। ूाणः ककारः। रसा लकारः। दाहः रफः
ं
पिभः हसाो हकारः सिहतः ात।् एतं भवित
एत ैहकारािदिभः उकाराःै षिररैः
े ु े
ूकमनलोमबमणाबमयोिजत े ं षदिभ
ैरव े ैदन ु
उकारािदिभहकारा े ं ूितलोमबमण
ःै ूक े
े ं
चाबमयोिजत ैरव
े
षदिभ ुू ु
ैदनकलसरीिनािवायाः ृ ू
ूकितभतया े
सत
िवया षकारिभया सदायतो योिजत ैः िनािवाया
ासितभदाः े
सवि, ताा े
ूधाना सयिमित॥ ५३॥
े
िनािनािदना े िनािनािवाया उपिरामाणषे ु
ोकन
ं े े ु ासितिभदिः
िवशिधकशतभदष े ु तषे ु बमागताना ं
े ५४॥ या
े ं ूयोगूाधादशनायथः॥
िवभवभदाना
े िवािस साम कथयित।
भजनत इािदना ोकन
े
तऽया ु
उपिरािािनापटलोिनमहानमह
५५॥
योगबलािदथः॥
े
िरतािदिभः े
कामदोिदत
ःै पिभः ोकै ादँया
ु
नीलपताकािनायाः सदशारा ं िवामपिदशित , तऽ
ू ष् १ श २ ् ३ ह ४
िरतोपा ं उपा ं अारावम
ु े
५ ६ एव ं अनलोमबमण
--------------------------------------------
े े
वतालपिणीचटिपशाचािदूसाधनी।
िनधानिवलिसासाधनी कामदोिदता॥ ६०॥
--------------------------------------------
े
षदाः। इं १ ि २ ३ ु ४ ः ु ५ ु ६ एव ं ूितलोमबमण
े
े
षदाः। े े ु षिधसतिवायोजनात
एव ं ादशभदष े ्
े सवि। ऐ ई ॐ १ ई ऐ ॐ २। ई ॐ ऐ ३। ऐ ॐ इ ४। ॐ ई ऐ ५। ओ
ासितभदाः
े ू े
ई ऐ ६। एतमलसतिवा े साा खा
सदाः े ॑ इित
ु ु ् फकाररफ
े ितदाहचरयक
ूथम ं बीजिमितशषः। े -
ु ृ इित ितीयम।् दाहायतु ं
एकारिबिभयः
सकाररफ ु ं तृतीय ं ॐ ू इित। वळशी
े -ऊकारिबिभय े पम ं
ं ु ु िबसिहत
५६॥ ततः मयः
ततः ओकारतथिमथः॥
आकारः। आँ इित पमम।् मा े दशाः बमशः त
ृ े
ु ु
दशाः कलसरीिनायाः मा ं बीजय ं ऐ ं इित
अाः सं सम ं चारय ं ािदथः।
ू ु वकारः लकार-ऊकारिबिभयः
भमीरसाायता ु ँ ू इित
् े षतः बमात॥् ५७॥
अम ं बीजम वळशी
षडरािण (ऽ) तािन िनमदिव।े इित। एिभः षिम
ु
चतशारािण िरता तृतीय ं तदनरं ँ इित पदश ं बीजम ्
ु े फकार रफ
। ितदाहचरन ु
े -एकारिबिभयमाःितीय ं
ू ं ृ इित षोडशमरम।् अा आमनरं ॑कारः
कट
५८॥
सदशिमथः॥
--------------------------------------------
p. 55) ू
रसो नभथा दाहो ा ं ा वनपिवका।
ु भविािवजय
ने या े ैकारी मता॥ ६१॥
ृ े वहारे सदा जयम।्
वादषे ु समरे क
िवध े रणादवे िवजया िववैभवा॥ ६२॥
ु ्
ु ं ं िना ात सवमला।
दवनय
एकायाऽनया िसो जायत े खचरः
े णात॥् ६३॥
ू रसाथ िरा ु च।
ू ू े नभसा भ
भःश
ु रसा मत॥् ६४॥
ु ाऽ ु मा
रयोऽिना यतो
ु ं रसाशऽिसयत।
नभ मता य ू े ं ु े
--------------------------------------------
े
खपाकादीिन उपिराीलपताकािनािवधानपटलषे ु
ं वमाणाऽ ूौित॥ ५९॥ ६०॥
े े ोकयने ऽयोदँया
रस इािदना वैभवन
ु ं चोपिदशित तऽ रसो
िवजयािनाया एकार िवा ं तदनभाव
े
भकारः। नभः मकारः। दाहो रफः। ा ं यकारः। ा
ु
ू औकारया।
उकारः। वनपिवका ु िबना सिहता।
ने या
े
एतवित भकारमकाररफयकारौकार ू
िबिभः कटपा
ू ् ६१॥ समरे क
े े इित कटम॥
एकारी िवित। ृ े यु े जय॥
े ६२
॥
द ु इािदना ोकन ु
े चतदँयाः
सवमलािनाया
एकार िवा ं तदनभाव ु
ु ं चोपिदशित। तऽ दवनय
ु ं
ु ं कट
ं सकारवकार औकारिबिभय ू ं इकारी॥
े ६३
॥
ू ू े इािदिभभविद
भःश े रै िभः ोकै ः
ु
पदँयाः ालामािलनीिनाया िषरा ं िवामपिदशित
तऽ भःू ओकारः श
ू े नकारय ं ित।
े नभसा भःू
मकारसिहत ओकारः मो इित। रसो भकारः। िरा गकारः। अ ु वकारः
ु इकार सिहतः ित इित। ा जकारः।
। रयः तकारः। अिना यतः
ु ् इित॥ ६४॥
ु ा इित। रसामत ला
ु वकाराकारया
अमा
ु मा इित। रसाश
े यः
नभो मकारः। मता आकारण ू े लकारो
नकार।
--------------------------------------------
्
अी त सदाहा ु ्
ु रसारययक।
ं
हस ु
मता दाहः ूाण मता यतः॥ ६६॥
ं
हस ु सः।
दाहविैदाहायत
ु
स दाहातोऽाः रमाा ु प वै॥ ६९॥
--------------------------------------------
ूरण ू
े त े इित पववीितमरय ं िः लल इित ूल
े
ऽीयरािण िरिदथः। ्
ािदोपिरात इयः।
ं ु
हसोदाहमयािदित ६८॥ हस
॑ इथः॥ ं
दाहविैिरित ॑ इथः। ु स इित हसः
दाहायत ं
े ततः
ृ उरिदथः।
हकार एव ँ इित। सदाहाः र इित सक
अनरम।् अाः िवाया इित शषः। ु
े िरित
ू े अमाा ु पवै
काकािगोलकायववापरयोरित।
अा िवाया
--------------------------------------------
ु
वायूाणवनै
ः सा िचऽा ादरया।
े ७२॥
या िसिधनधाािनिधलाभाय कत॥
ु नाथ
शिचः े ू ं ाभसा भरसः
श ू िरा।
अ ु पाियः सािमताऽरयौ
ु तथा॥ ७३॥
ु े
इलायतोऽिरतािन ु
पनर ु ्
ु मतम।
ं े
दाह मता हसिरतय ु
ं पनः॥ ७४॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 58) ु
अदाहो ु हसोऽथधरया
मो ं नभः।
े
तजोऽिना पनः ु
ु प वातः ने समायतः॥ ७५॥
े तवू तोयमियतु ं ततः।
तोय ं चरण
ु
ू ं ाने शिचना
श श ु ् ७६॥
ु ं शा नभोयतम॥
दाहोधरासिहतोय ं चरसमितम।्
ू
एतवमधः ु
ूोचतयमतः परम॥् ७७॥
ू ्
ु सचरो रस ैत पवकम।
ा ने या
ु ूोचतात
रसोऽिना पनः ु ्
ऽयमतः॥ ७८॥
ु चरणािप
नभो भवा े ं े
हसत ू ्
पवकम।
ं
हसोऽिना ु ् ७९॥
ूाितय ं दय ं समायतम॥
--------------------------------------------
ु िह इित।
मतु ं वा इित। दाह मता रा इित। हसियतः
ं
ु एतािन ऽीयरािण पनरिप
एतय ं पनः ु े ७४॥ अ ु
वदिदथः॥
ु रा इित हसो
वकारः। दाहो मः े
ं हकारः। धरया उकारण।
नभो मकारः म ु इित। तजोऽिना
े ु प
े खकारः िख इित। पनः
तजः
ु ु
े पनााः।
ूोािन वाराहमखीपारायव वातः ने
ु वातः अकारः ॐ इित॥ ७५॥ तोय ं चरण
समायः े तोय ं धकारः ध े इित।
े अ ं इित तोयमियतु ं िध इित। ततः उपिर।
तवू अरिमित शषः।
श ु
ू ं नकारः। ाने शिचना ु
यतिमित ू ं
े ै इित। श
शषः
नकारः। शा नभोयतु ं शििवसजनीयः
७६॥ दाहो
मः इथः॥
धरासिहतः ं इित। ं चरसमित ं ध े इित। एतवू ं
इथः। ु
अधःूोचतयमतः ू
परं ं ध े इावित ं
ु े ७७॥ ा
िध ै नम इरचतयमोपिराोजयिदथः॥
ु िबयो
ने या ु जकारः ज ं इित। सचरो रसः भ े इित। एत पवक
ू ं
ू
उार पवमर रसोऽिना यतु इित शषः
ं ज ं इथः। े िभ
ु ूोचतायमतः
इित। पनः ु ू
पविध ु े
ै नम इित चत
ूथमारवज ै नमः इरऽय ं उपिराोजयिदथः
े
॥ ७८॥ नभो भवा ु
ु यतिमित े मो इित। चरणािप
शषः े ु े
ं अिपः समय
हसः
हे इित।
--------------------------------------------
p. 59) रसरण ू
े तवमिना ु
च रसा यतः।
ु
पाऽय ं वाताधरया च नभः िूय े ॥ ८०॥
ु पादय
ूाणः ने यतः ृ ं यतु ं रसः।
े
ामतय ृ े ु ं ु ् ८१॥
ं पााहनासयतम॥
ु श नादयो
गोऽा धरायता ु जवी यतः।
ु
ु ् ८२॥
े पवू पवू च पवू च मता यतम॥
दाहन
श े ु चरः।
ू ं मसिहत ं ाहनाना
े ु ं ु ् ८३॥
श मसिहतो ाहनासयतम॥
ु पनौ
ूाणदाहौ धरायौ ु विना िवयत।्
ु ु ं ु ् ८५॥
वादाहयमाियासयतम॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 60) ू
पविवण च शिचः ु
ु ने यतथा।
ु
ितनादवती पाद ु ्
ृ ु मता यतम।
ं
हस मता िवा दशोरशतारी॥ ८७॥
ु
वाराही पमी िविवजया भिकौमदी।
चितिवाता
वाताली े े
नािखलदा॥ ८८॥
ु पनरा
ूाणदाहौ धरायौ ु ं रस े मत।्
ु ततयम॥् ८९॥
ा ं मियतु ं भःया
ू
े समयोिजतम।्
ु ं चरण
अादौ त ु रसायम
े विशिा ं यतो
दाहन ं ् ९०॥
ु हसतःपरम॥
नभो िदाहा ु ा श ं ु ्
ू ं नसयतम।
--------------------------------------------
ु ूकिमित
दाहौ धरायौ े ु इित। पनौ
े क
शषः ु ु
पनरिप ु इित
क
् इित। वाः दाहय
वण। विना िवयत शी ु ं वाः घकारः य इित। अ ु
--------------------------------------------
p. 61) अ ु पािय
ु ं मता त ु नभः िूय े ॥ ९१॥
श ु हसः
ू ं ा ं भवा ू
ं पवाौ ु
ानऽयम।्
अ षािदपाणादौ ादा ईिरतः॥ ९२॥
ु
एकादशारादौ ितीयः दीिरतः।
ं ूोा मा इित बमात॥् ९३॥
तृतीयः पिवशाणः
ू े हसो
भःन ु ने हसकः।
ं दाहवियतः ं
ायया भवा ् े हसः
ु ात न ं समितः॥ ९४॥
ु ु
ककावण ृ
च ादााारः तः।
ं
सवाभीाथसिस ु
ै सलभोऽय ु ु
ं सरिमः॥ ९५॥
े
सतोदीिरत
ैवणदशिभदशिभः पृथक।्
--------------------------------------------
्
त सकारः। सदाहा ु दाहसिहत ं म इथः व इित। ा जकारः।
्
ू ं ने यतु ं न इित। अ ु पात अनर
श ं वकारः। िवयत ्
ु ं ) मता य
सकारः। (य ् इित। िूय े इित
ु ं नभ इित यावत मा
े ु ु ९१॥ श
दवीसः॥ ु
ू ं नकारः। ा ं यकारः। भवा
ं इित शषः
हस ू
े हो इित। पवाौ पमोिवाचरमारय ं
ु ं अयमवे मः
ानऽय
ाहा इथः।
अ षािद
अरिवभागयोगबमाऽय ं भवतीथः।
पाणादौ ादा ईिरतः। एतं भवित अ
ं
पिवशारम षारमार
े ् तने सारी
ु ततः परं ाहा इित वदत।
दशमारामाय
ु
ूथमा िवा भवतीित॥ ९२॥ एकादशारादौ ितीयः समदीिरतः
। एतं भवित अ ैव पिवशाराारमार
ं
ु ततःपरं तरमभताहा
एकादशारामाय ू
्
इरययोजनात ऽयोदशारी िवा भवतीित। तृतीयः
ं ूागवािभिहतः
पिवशाणः े ृ ू
ूथमितीययोः ूकितभतः
ं
सपिवशाण ९३॥
मः तृतीय इथः॥
ू े े
भःनािदना ु ु इने
सरिम
े
ोकयनााार ु
ूपयागिवामपिदशित। तऽ भःू
ने ॐ इित। हसो
ं दाहविने ॑कारःने हसकः
ं हं इित।
ु इित शषः
ायया य े स इित। भवा ् इित। ने हसः
ु ात सो ं
ु कावण
समितः हं इित। क ु ९५॥
च ाहा इथः॥
े े े
सतनािदना चराचरिमने ोकयने
ू
पभताना े े
ं ूकमक
--------------------------------------------
p. 62) ु
ूाणाीलाऽशाखािभः शिसारीयतु ैः॥ ९६॥
ू
भतमाः ु
समिाः
प सवाथिसिदाः।
े
यषामालोकतो िव ं वतत े सचराचरम॥् ९७॥
ू
पवाौ ु
च तवू चतदशतदकौ।
ु स श
अनािवाः ू ं ूाणो जलरयाितः॥ ९८॥
--------------------------------------------
ं
िवशरान ् ु
मानपिदशित। े
तऽ सतोदीिरत
ैवणिरित। एतं
ं
भवित वातो मिदािदिभः पिऽशटलोै ू े ु
ः ोकै भतष
िवभाना ं मातृकाराणा ं सािभदीिरत
ं ैः।
े ं दशिभररैपता
ूाणाीला शाखािभः ूक े
ााशिशसायाः एव ं
े े ं
ूकमकिवशराारो ं
िवशरोममसिहता
एव ं पमाः। ूोबमण ू
े पाना ं भताना ु
ं िरित। ते
े ं पानामिप माणा ं प ं
यथा तषा
े ममिलिखतमिप अऽ तषा
लिलतािनासपयाबम े ं प ं
ूकटं ूकाँयत े ूाक ् ूक ् दिणोदक ् च एकादश षट ् रखाः
े
समारालं िविल तास ु दशदशकोास ु पस ु पिष
ं ु
बमण
उाधः े अकारादीिन अ इ उ ऋ ऌ इित ॑पारािण
ूथमपौ समािल तितीयपौ आ ई ऊ ॠ ॡ इित
दीघारपकं बमादािल तृतीयपौ ए ऐ ओ औ अ ं इित
वणपक ु ु पिष ु ूोबमण
ं समािल चतािदष े
्
ककारादीन शकाराान ् ्
पशः
षगान समािल
सवापौ े ्
षलसह इित पारािण चािल पँयत।
सवपिकोदशारािण ूाणाकािन। तदधः
ितितीयपिकोदशकािन दशारािण अाकािन।
तदधःिततृतीयपिकोदशकितदशारािण इलाकािन।
ु
तदधःितचतथपिकोदशकितािन अबाकािन। तदधः
ितपमपिकोदशकािन दशारािण खाकािन।
े ं दशानाम े तामरािण ोः एकारं च
तषा
े ् ७६॥ एव ं कत
सवऽ शीित रं तपिर सार च योजयत॥ ृ े
ू
ं दशाराः पभतमा
एकिवशा े
भवि। तषामालोकतः
वतत े अािप िबयत े इथः॥
ूभावािदथः। ९७॥
ू ु
पवािदिभमनिर िै िभः ोकै ः षोडशिनाना ं
ु
साधारण ं षोडशारं बिलममपिदशित। ू
तऽ पवाौ च
ु ू ूणवखावण
ूागाााणामािदभतौ े अ
ु
तव चतदशतदकौ
ूथमितीयवण ातािमथः।
--------------------------------------------
p. 63) ु
रसः ाामायाा ं तृतीयोऽ चतथकः।
ु े परमिर
रसः या रयो यरण े ॥ ९९॥
ु ाभा
रसो यो ू ं हसः ु
ं ायततः।
ू ु षोडशाण बलमनः॥
पवावणािवः े ु १००॥
--------------------------------------------
ू ू
आाारम पवभतायाः ु ु
ककािवायाः
ु
चतदशपदशार ु े
े सव इित े अ तृतीयचतथार
अ ु नािः यतु इित शषः
ातािमथः। ू ं य इित
े िव इित। वाः सश
। ूाणो जलरयाितः ककारो ऋकारतकाराा ं सिहतः कत ्
ृ इित॥ ९८॥
्
रसः ात ामायाा ं इित। मायाशः
् े खा
शिशािन त
े िवसजनीयोरकै
े कािभधायकौ,
तृतीयोऽ
एव ं ित े अतरयोजन ं सदायबलािदथः।
चतथकः ु इित शषः
ु सव इित नवमदशमार।े रसः य य े भू
इित एकादशमरम।् रयो यरण
ु े त े इित ादशम।् परमरीित
े
ु
सिः॥ ९९॥ रसो यो ू ं ो इित ऽयोदशम।् हसः
ु ाभा ं
ु
ा यततः ु
ं इित चतदशमरम।् पवावण
ू
ु
आाारमौ ाहा इित पदश। षोडशाण इः
े ु एव ं षोडशारः सवासा
षोडशाण बलमनः ं
१००॥
षोडशिनाना ं बिलम उ इथः॥
ं
मसा तृतीय े यमक
े ं ााान ं मसया
ं
शतय ं सनवितसिहत ं सामीिरतम।्
ु
अथ चतथपटलारः।
ू ं िूय े ।
अथ षोडशिनानामाायाः पजन
् १॥
े ैव िन ं सवाथिसिदम॥
कथयािम बमण
ु
ासऽय माँ आसनाना ं चतयम।्
्
आवाहनमन ं ु पात समाचामन
ं ु तथा॥ ३॥
ु ु
मिायधाना ु े
ं बीजािन मिारचनवासन।
ू
ान ं सपिरवाराया िनपजािविधबमौ॥ ४॥
ं तथा।
नवावरणशीणा ं नामाचाबम
् ् ५॥
उपचारान जपबमम॥
मायोगमचाया
ं ु
वातः सयता ं मने ितीयकम।्
नने समायने तृतीय ं ूथमा सौ॥ ६॥
--------------------------------------------
ु
अथ चतथपटलारः।
ू
पविन ् तीयपटले
तृ
ु
षोडशिनािवािदकमपिदँयानरमििनायाः ूधानाया
ु
लिलता िवायािनन ैिमिकाा ं समाराधनबममपिदशित। अथ
े
षोडशिनािदिभयो े
भविद े ं
िै िभः पटलैः ूक
े
ोकशतप ैः। तऽ अथ षोडशिनािदिभः बमिमःै
ु ु
पिभः ोकै तथपमषपटलाथानिशित। तऽ
ू न ैिमिकं तथा का ं पजनिम
िन ं पजनिमथः। ू
े
िवशषणम।् अितपापयोऽिप
ु े े
िववकषी॥ े
२॥ ासऽयािदना
बीजानीने पादािधकन
े ािवशोशकः
ं े ृ तऽ
कतः
े ु
े बमोििप ोकसौकयथित
ासऽयिश
ं ु बीजयपम॥् ५॥
सदायः। समाचामन
े
वातािदना े े ोकन
माजनािदनाािधकन े
ु
करशििवा ं शोधन ूकारं चोपिदशित। तऽ वातः
ं ु
सया ं ॐ इित ूथम ं बीजमने
--------------------------------------------
p. 65) अनयोः करयोः शि ु
ु ं कयादोमाजनात।
्
ु ु
े या िना कलसरी।
ितीयया सा िवया
े े
तृतीया स ैव शाा दाासनमतया॥ ८॥
िऽष ु हससमायोगाबासनमदीिरतम।
ं ु ्
ं
हसा
ं पमी च सवमासन ं तथा॥ ९॥
--------------------------------------------
े
वामदिणकरतलृयोिरित शषः।
ु े े षडं
िदािदना सरीनायन
षडासिवा ं चोपिदशित। तऽ ितीयया उिािऽश
ं ु
े शषः॥
ितीयया िवयित े ७॥
े
तृतीयािदना एतया इने उरान
े ु
दाासनिवामपिदशित। तऽ तृतीया स ैव षडास े
ु ु
ूोकलसरी े
िव ैव। शाा। अऽ शिः खा।
े तने ैतं
उरोकागत ं िऽिितपदमावाहनिवामित।
भवित ऽीिण बीजािन ूक े ु
े ं खापरःसरािण ु
कयािदित। ॑ ऐ ॑
े
॑ स◌ः इित। दाासन े
ं पिरििवमहाणा ं दाना ं
सवशीनामासन ं
ं उपलिान ं सवासा
े ु अऽ उशबममपहाय
दवतानामपलिानिमथः। े
ु
कथनमासनिवाचतय ु
ितीयिवानबिात ् ्
सौकयाथम।
८॥
े पिरगणनबम सौकयाथः॥
तृतीयित
िऽिािदना ोकपवान ु
ू चबासनिवामपिदशित तऽ
ं
हससमायोगात ्
बालायािष ु बीजषे ु ूक
े ं
ु
हकारोपबममारण ु चबासनिवथः
ं ह अ असौः चतथ े
। चबासनिमित। सवषा े
ं मदवता ू
भताना ं
याणामासन ं उपलिानम।्
ं े ु
सवमासनिवामपिदशित।
हसािदनोरान तऽ
ं
हसा े े शषः।
ं समतित े ूावीिण बीजािन ूक
े ं
्
हकारसकारोपबमोारणात अस
--------------------------------------------
p. 66) ततो ु च रसोपते ं चरसिहत ं च तत।्
े मा या सा षी समीिरता॥ १०॥
त श
्
सािसासन ं दात तया
े ै समचनात।
द ्
ु
साऽवाहन ं कयामसोिऽखडया॥ ११॥
--------------------------------------------
अः अस◌ः पमी सवमासनिवा।
सवमासनिमित
ौीचब कथनम।् अकथािदमातृकाकने िऽकोणरखाणा
े ंच
् ं माणामपलिानिमथः॥
वमाणात सवषा ु ९॥
े े
ोकन
तत इािदना समचनािदनान
ु
सािसासनिवामपिदशित। तऽ ततोऽ ु च रसोपते ं
्
चरसिहत ं च तत अ ु वकारः। चकारः समय
ु े रसा लकारः। चर
--------------------------------------------
p. 67) ं
हसाहसया ्
ं ु स ैव ात समी मता।
मम े दाहयोग ु ना े समीिरतः॥ १२॥
्
िवयत सदाह ् ं भवत।
ं विशा ं ात य े ्
तदािदकाः सवशीबा े ् १३॥
नामिभजपत॥
ू
दाहभमीरसााै
विशनीबीजमीिरतम।्
े ं महत॥् १४॥
ु कामयर
ूाणोरसाशियतः
ू ु
शमरसावियोगाोिहनी ु
मनः।
ा ं रसाायतु ं िवमलाबीजमीिरतम॥् १५॥
ु
ा नभोविदाहयोग ैः ादणा मनः।
--------------------------------------------
े रफ
सकाररयोम े तने हकारसकारयरफ
े ं योजयिदथः। े
ैरबीज ं माया ं अस अःॉ अःॐ◌ः नमः इित॥
औकारिवसजनीय
१२॥
े लिलतायाः ौीचबाविताना ं शीना ं
िवयिदािदना ोकन
ू
पजानामपमाणा ु
ं ूणवभतू ं बीजयमपिदशित। तऽ
्
िवयत सकारः। े ईकारिबसिहत ं ौ इित।
सदाहवि ं रफ
े
शा ं खाम।् एतं भवित। खा
े ौीबीजोपबमैः
ू
पजानामम ैः सवाः शीः पजयिदित॥
ू े १३॥
ू
दाहभमीादीना ोकन ू
े विशनीकटारिवा ं
े ू
कामरीकटारिवा ू
ं चोपिदशित। दाहभमीरसााै
ः
े
रफवकारलकार ु
-ऊकारिविभः ँ ू इित। ूाणो रसाशियतः
े
ूाणः। ककारः। रसा लकारः। शिः खा। ु ककार
त ैयः
े
लकार खािभः ू ं ॑ इित॥ १४॥
कट
ू
शिमािदना े मोिहनीिवमलयोः
ोकन
ू ु
कटारीिवायमपिदशित। ू ं नकारः।
तऽ श
ु
अरसावियोगात ्
वकारलकार ईकारिबयोगािदथः इित।
ा ं यकारः। रसाायतु ं लकार उकारिबसिहत ं ं इित
॥ १५॥
ू
ा नभो इािदना ोकपवान
ू ु
अणाकटारीिवामपिदशित।
--------------------------------------------
समाातः सविसिकरः
सवयाः सदा॥ १८॥
ु कौिलनीमनः।
मासो नभोदाहविैयः ु
ु
एत ैमनिभरािभः ं ु ैः॥ १९॥
शििभवगसयत
े
वादवता ाने दाको
ै ासः े े ्
भवत।
ू
मिप पत े ः सवः सवऽ सवदा॥
े दवै २०॥
--------------------------------------------
े
तऽ ा नभोदाहवियोग ैः जकारमकाररफ
ु
ईकारिबनामोमबमयोगात ्
ॆ इित॥ १६॥
ं े
हसािदना े े ैकन
िनितिमनाान े ोकन
े जियन
ू
कटारिवा ं ताम चोपिदशित। तऽ हसो
ं हकारः।
सिसाःु सकारलकारवकारसिहतः। ााैयतः
ु यकार
ु
ऊकारिबिभ यः। एतं भवित
ू ं अःँू इित॥ १७
हकारसकारलकारवकारयकार ऊकारिबिभः कट
॥
े े ैकन
किमािदना सदा इनाान े ोकन
े
ू
सवरीकटारिवा ु ं चोपिदशित। कं लकारः।
ं तदनभाव
् े
नभोदाहसिहतम मकाररफसिहतम।् ाायतु ं यकार
--------------------------------------------
p. 69) े ्
र े भाले तथाऽाया ं गले िद तथा सत।
ू
नाभावाधारके पादय े मलामकाविध॥ २१॥
ु चतथः
ू रसाायता
भमी ु शिरः।
ू े
ूाणने दाहभनानरः ु
समः पनः॥ २३॥
े
ं दा तजसा
हसो च ा ु ्
ु दाहचरयक।
ं
अमो हसावनै ु
ः समदीिरतः॥ २४॥
शिचः ु
ु ने यतवमः
पिरकीिततः।
ु
एत े एकारा मा मिापा े
महिर ॥ २५॥
--------------------------------------------
ु िरित शषः।
ूोै विशाशििभयै ं ु ैः
े वगसयत
े
अकचटतपयषारा ैः वादवता े ् १९॥ वादवतित।
ःै ूकम॥ े े
ु
चतररनामा े दाकः
ै ासन। े े
दविवमहः े
दा ु
एतं भवित
े िवमहवािदथः।
अरैरव
अकारािदिवसजनीयाान ्
षोडश ् ु तपिर ँ ृ इित
रान सिबनाय
ू ु विशनी वादवताय
कटारमाय े ु े ्
ै नम इरसत।
् े
एवमासमान वगबीजनामवादवतानमो
ै सत ्
े ूो
् ु
िवमहान कयािदथः। ु
अऽ नमःशयोजनमरऽ ू
पजाया ं
े ू िवधानात॥् २०॥
नमः पद े इापपव
े
रािदना े
ोकन
ु
विशाशिमासानापिदशित। तऽ र े
ु े मलामकाविध
ॄर।े आाया ं ॅवोम। ू
ू
पादयोमलादारामकाविध करतलयने सम ं मोारं
े अनरं मलिवायाः
परामृशिदथः। ू ूथमखडने
ू
मािददया े दािदूपदा,ं
,ं ितीयखडन
--------------------------------------------
ं ु े धनषी
िशिखतोय े सय ु सवमोहन।
े
--------------------------------------------
िाँ इित। अः ितीयः। मोयादसौ ि इित मः।
ू ्
े आकारान े ईकारं योजयते इित।
एतं भवित। पवबीजव
ू
ूाणरसाविैः ककारलकार ईकारिबिभः इित॥ २२॥ भमी
ु लकार ऊकारिबिभया
वकारः। रसाायता ु ँ ू इित। शि
कारो िवसजनीयौ परः पम सः इित। ूाणने
इथः।
ककारण ू े रफः
े दाहभन े औकारिबसिहतः। अनरः षः
े
ं दा तजसा
ब इित॥ २३॥ हसो च ा ु ् हसो
ु दाहचरयक। ं हकारः
े तजसा
। दा सकारण। े े ा
खकारण। े यतु इित शषः।
ु फकारण े
ु ् रफ
दाहचरयक ु
े एकारिबयः। एतं भवित हकारः
े खकारण
सकारण े फकारण
े एकारण ु
े िबना यः
ू
कटारपः समो मः ािदित। अःृ इित। अमो हस
ं
े हकारसकार
ावनैः म इित शषः।
ु
औकारिबिभयोऽमः ु ऐ इित।
ु ने यतः
अस इित॥ २४॥ शिचः
ु
मिापाः ु
मिाणा ू ू
ं लसपरन
े ऽैिवाकाः
ू
लाः अरािकाः साः ु ् २५॥
वासनािका परा इात॥
े
बाणािदना समीिरता इने ोकयने ििवधािन
बाारािण दशतैिव ं चोपिदशित। तऽ ा ं दाहो
रसा ु यतु ं पृथक ् यकाररफ
े
ु
े ं आकारिबिभयािन
लकारवकारसकारारािण प ूक
ु
शःे नव बाणारािण याँ राँ लाँ वाँ साँ इित प मिारािण।
े ु मिारष
पादौ ूोष ु े ु आिदतः िाँ ि ँ ू सः इित
णाः
पारािण। कामनः िशव सवजृ
ं
सवकािमनीवशकराः। ू ू
बाणाना ं लसपरन
े
त ैिव ं पम े पटले वित॥ २६॥ २७॥
िशखीािदना ोकपवान ु
ू चापारयमपिदशित। तऽ
िशिखतोये
--------------------------------------------
ु
पाशौ तयोः समिौ
तथा सववशरौ।
सवकरःतको ु षोऽशयोः॥
े मिा २९॥
ु
आवाहन ं ापन ं च सिरोधोऽवगठनम।्
े ु नमिया॥ ३०॥
ं ं च हितमिा
सिधापनस
ं ं ु
सोभिावणाकषवँयोादमहाकशाः।
खचरी ु
े बीजयोाा सापनिमिप॥ ३१॥
ु िवशितिाासा
मिा ं ं िवरचन ं ण।ु
यािभिवरिचतािभ ु माः िसि यतः॥ ३२॥
ृ
कताली े े
ृ दनािमक।
करौ का
तख े तजनीम े िऽखडा लिलतावहा॥ ३३॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 72) अधोमखौ ु ं ु
ु करौ िौ ूसृतािलसयतौ।
्
िवदात ापनी ु सवा सापनी
मिा ं मता॥ ३४॥
ं ु ु
अगामनखाऽिकिनाममिकौ।
ु
करौ सिनखरौ मिैु षा सिरोिधनी॥ ३५॥
ु ु
ऋजतजिनमिा ू
ं कराा ं पाबिमतः।
े े ् ३६॥
ौपकराॅाोपबम े तौ िनवशयत॥
ु
एषाऽवगठनी ु सिधानकरी पनः।
मिा ु
ु
मिािल ु िवया ु ु
े ूसृता मकलािप वा॥ ३७॥
ु ान
बाणकोदडमिा ु
ु े मिना।
ु त ु तने ैव तजयोगतः॥
पाशमिा ु ३८॥
ु ु तजनी।
किनानािमकयो पृ े ाद
ु
किटला ु
ऋजमा ु
मिासावशािभधा॥
३९॥
--------------------------------------------
ु
अधोमखािवािदना ं
सिरोिधनीने ोकयने सवासा
े
दवताना ं
ु ु
साधारणापनतिरोधनमिायिवरचनबममपिदशित। तऽ
े
सिरोधन ं नाम दवताया ् ३४॥ ३५॥
अनिचूाथनम॥
ु ु
ऋिािदना मकलािप वा इने
े ु ु
ोकयनावगठनमिािवरचनबम ं
ु
सिधापनमिािवरचनबम ं चोपिदशित। तऽ उपबम े
दिणकरोपबम े वामकर िवौािः वामकरोपबम े
ु ं नाम
े अवगठन
दिणकर िवौािथः।
अयोयिवषयापादनपरम।् सिधापन ं
ु े ् ३६॥ ३७॥
नामािभमनोपचाराीकरणूाथनपरम॥
े
बाणािदना ोकन ु
े बाणमिािवरचनबम ं
ु
पाशमिािवरचनबम ु योगतः
ं चोपिदशित। तऽ तज
ु
तजयोरमयोगत ३८॥
इथः॥
े
किनािदना ु ु
े अशमिािवरचनबममपिदशित
ोकन तऽ
ऋाकारममािलिथः।
ु े ु
े एतातॐो हितमिाः
े
दवतायाः पूितपौ
--------------------------------------------
--------------------------------------------
तरानषे ु तदायधाना
ु ं पिरभावनम।् एताः ानो
े े ु समिवरचन े
े ैव िवरचनीयाानष।
दवताभावन
तोपते ं िवरचयिदित
े ३९॥
सदायाथः॥
े इािदना ोकन
खचया ु ु
े नमारमिािवरचनबममपिदशित
वनीयाने
। तऽ नमृ ितनाम
े
ापृथावनािभनयूदशनिमित। ु
अपरः
तने ैव सवऽ ूणाम ूसादापादकम।्
सदायाथः।
ु
ापन नमारााना ं पाना ं मिाणा ं ूदशन ं
ू ु
तीयखडने कयािदित
मलिवातृ सदायः॥ ४०॥
े
किनािदना े े ोकन
कािरणीनाािधकन े
ं ु
सोभणीमिािवरचन ु
बममपिदशित।
तऽ तजनी
तजािवथः। ु
ऽैलोोभकािरणी सखकािरणी। े
सवदवताना ं
सवयोिषता ं च एतशनात ्
दयोासो ४१॥
भवतीथः॥
े े ोकन
एता इािदना योिषतािमनायन े
ु ु
सविविावणीमिािवरचनबममपिदशित। तऽ एताः
ं ु
सोभणीमिायाः। म े अली े दवीित
ु इित शषः। े ं ु
सबिः।
ू ृ े ातािमथः।
ृ े ऋजकत
तजनीवत सित एव ं कत
ृ े सित
इाहरणीयम॥् ४२॥ सविविावणी
ं दवताना
सवासा े ं
् ं योिषता ं योन
वशीकरणात सवासा े िविावणात।्
--------------------------------------------
p. 74)
सविविावणी ु सवासामिप
मिा योिषताम।्
ताामशपाा
ं मता॥ ४३॥
ं सिाऽकषणी
ृ
पिरवाली ृ नखाितलौ करौ।
ु का
अौ
ु तजनीिौ े
नख ैरावशकािरणी॥ ४४॥
तख े त ु तजावौ
ु ममोपिर।
ु
इयमािदनी ु सवादनकािरणी॥ ४६॥
मिा
अानािमके भु े तजावशाकती।
ृ
एषा महाशा ु नाऽकषकािरणी॥
मिा ४७॥
--------------------------------------------
ताािमािदना
ु ु
ोकोरानाकषणीमिािवरचनबममपिदशित। तऽ ताा ं
अशपाा
ु
े याा
ं ूावदशपण ं
ममातजनीा ं सिा
ं े एतं
अनािमकयोिरित शषः।
ु ु वानािमकाय े
भवित ूागिािवणीमिै
अशाकारममातजनीसषात
्
ं े आकषणी ु ात।्
मिा
आकषः समीपानयनम।् आग िनजवाा(याः) कािरे
४३॥
ैयिमथः॥
ृ े
पिरवािदना े े ु ु
ोकनाऽवशनमिािवरचनबममपिदशित।
ृ
तऽ पिरवाली
ु ाली।
ु े
आवशकािरणी
े
दवताभावोोधनकािरणी॥ ४४॥
े
करामािदना कािरणीने
े ु ु
ोकयनोािदनीमिािवरचनबममपिदशित। तऽ
ु
सवादकािरणी सवयोिषतामादकरी े ४६॥
दनकरीथः॥
ु ु
े महाशमिािवरचनबममपिदशित।
अा इािदना ोकन
ु
तऽ अाः उािदनीमिायाः। भु े अामाषतः॥
ु े ४७॥
े
सािदिभदवता इिै िभः ोकै ः
े ु ु
खचरीमिािवरचनबममपिदशित। तऽ मपृयोः
ममािलपृ े खचरिसिकरी।
ु योः। खचरी े अऽ
ु े ु मषे ु सगमात
मिािवरचनूितपादकष ु ्
ाा े ४८
न िलत॥
॥ ४९॥ ५०॥
--------------------------------------------
ु लिलताूीितकािरणी।
े मिा
इय ं सा खचरी
अा िवरचनने ैव सवाः िसि दवताः॥
े ५०॥
किनाम े िवपययात।
ममा मपााधः ्
े
अनािमकऽधो
े तजावशाकती॥
ृ ५१॥
ु े
इतरे तखामाम े बीजमियमीिरता।
ु ं े महायोिनिखिडका॥ ५२॥
किनासषा
--------------------------------------------
े
ममािदना िऽखिडका इने ोकयने
ु
बीजमिारचनाबम ु
ं महायोिनमिारचनाबम ं चोपिदशित। तऽ
िवपयात ्
िवपरीत बीजमिा
े ातािमथः। ्
ु सविसिकारणात॥
५२॥
े
किनािदना समीिरतिमने ोकयने
ु ु ु
शापनमिािवरचनबममपिदशित। तऽ समािधः
सगाधीयत े इित समािधः ािन दवताऽहाव
े
इथः।
ू
मतकरण े
ं दवताया ू े दह
मितन े ५४॥
कनिमथः॥
ु इािदिभः िशव
मिा े ु
ःै पिभः ोकै मिाणा ं
ु ं तपपािदकं
ऽैिव ं तासना ं मिाशिनवचन
अतः
चोपिदशित। तऽ तं तावः याथािमथः। ु
् ु
बमात अमार ोमािदपृिथबमात।् माया
प ूपाानितरोधान ं सादात ्
दािसःे रातीित रादान े इित धातोिनः
ददातीथः।
्
े कोपहषािवऽ
भदात ु े क े
ूहारूणामयोमरै
ु ,े हषिवपरीत
मिणब े िकिबता आजव ं भदे इत ं
े े तं भवित।
कोप ं कोपवीपरीत ं हष
ूहारूणामयोवबावबपाया ु े
एका मः
ु ु ं
कोपूसादयोावक े ूसादूितपािदका मिमिासिका
ु े े
कोपूितपािदका मिरवित॥ ५९॥
--------------------------------------------
p. 76) ु
शापनमिै ू ु
ु षा जपपजासमािधष।
ू े
मकरणमता रचनने समीिरतम॥् ५४॥
मिाः ु
ु ििवधा े रचनामततः।
दिव
ू ू
लसपरााता ैिव ं ण ु िूय े ॥ ५५॥
भदात ्
े कोपहष ूािणना ं जनयतः॥ ५८॥
े
तने ैव सवदवाना ु हषूदा
ं मिा मता।
ू
पजाकाल
े दशनीया ु
मिााः िशव े ॥ ५९॥
सवदा
--------------------------------------------
े
िऽलोहािदना े े ोकयने
िशवन
पिवधमपाऽमकनूकारािदकं चोपिदशित। तऽ
ु ु
िऽलोहशने सवणरजतताॆाय।
े एकितम।े
अकन ं पमपटले वमाणूकारण
े कित े
े ु े ् धनमिाब
ु े दशयत।
े धनयोिनमि
तिजल े ु ु ु
ािलबममिल
ु
ं बा वामदिणतजनीय ं
दिणवामममािला
ु ं े
ं दडव
तामदिण े किनाय ं दिणवामानािसकाा ं
ं े
(दडव तामदिण े किनाय ं
ं े े ् एषा सरिभमिा।
दिणवामानािमकाां) दडवषयत। ु ु
तशनूकार ु ु े ् तशनानर
ं गमखादवगत। ं
े कं दशवारतः जपनित
षडिनातातयरकै े े )।
े
षडिनामाणामकवार ू
ं मलिवातृ
तीयखड
े तदन ु
दशवारं जप े बमो वा समचन ं वथः।
ू
तिनिनािवया िऽखडपया मलिवया े ्
च िऽवारमचयत
े े ु िवापण
जपानौिवकोऽथः।
े ूोबमतः एतदजल
े
िवशषणम।् िवया लिलतया िऽखडनथः। ु े
े े अणन
िवातापादनम॥् ६०॥ ६१॥
--------------------------------------------
p. 77) े े
िऽलोहकाचमृाऽकिकनम।्
े कं दशवारतः॥ ६०॥
षडिनातातय ैरकै
जपने िवापण े
े ूोयदवािरणा।
ू े ं िवया िशव े ॥ ६१॥
ापजोपकरणाशष
े समता
काानोपण ृ
े ं शििभवताम।्
े
मूधानदा ु समासाकतः।
ु
े ् ६४॥
े सम ं भवत॥
नवावरणशीना ं ान ं दा
ू ु
कामायादऽ भषावणायधािदकम।्
े
तम ं परमशािन े
चबानामशषतः॥ ६५॥
--------------------------------------------
े
कामायादऽऽ ु ु े
रहाथ गमखादवावगः॥ ६४
॥ ६५॥
े
अिणमािदिभः ृ
ूथमावतािव ःै पिभः ोकै ः
ु े
ूथमावरण े चतरॐ
--------------------------------------------
p. 78) े
तथिशं ु ं ु
विशं च ूाकाा भिसयता॥ ६६॥
े
ॄाी माहरी ्
पात कौमारी वैवी तथा।
े
वाराही च तथाणी ु तदनरम॥् ६८॥
चामडा
् आवलोन
ोक ६९ िमि इन ् ्
एिदितन ?्
ु
महालीित किथताः शयतरॐगाः।
एतााौ तयााः सायगाः बमात॥् ७०॥
--------------------------------------------
ं ू
शादशक माजाबम े ं
ं चोपिदशित। तऽ तषा
ु
ोकाना ं सगमाासा ं मक
े े ं ूदँयाानव
े ं
े ु े
योजयिदतऽािभः। यथा ॑ ौ अिणमािसिपाका ं
ू
पजायामीािद। ू
ारे पवपिम।
े कोणाः िविदशः िदशौ
दिणोरौ, अध ऊकन ू
ं पवपिमारोपकठयोः।
ु े ६६॥ ६७॥ ६८॥ ६९॥ ७०॥ ७१॥
ृ चतरॐ॥
ूथमावतौ
ु
कामिमािदिभः सिर इिै िभः ोकै ः षोडशदले
ू ू
ितीयावरण े शिषोडशक पजनमाजाबम
ं ं
सशरीरकं शरीरिमथः।
चोपिदशित। तऽ आा आानिमथः।
ू
अऽािप गढाना ु
ं सगमाथात ्
एक मप ं ूदँय
ु े
एवमदिप कनीयिमतऽािभः ृ
मिवितभीा।
े
पालं दाः ॑ ौ अकामाकिषणीिना
अमदलिमथः।
ू
कलापाका ं पजयािम। े पदशमा ऊहनीयाः॥ ७२॥
एवमिप
७३॥ ७४॥
--------------------------------------------
ु
पालं समार वामावतन सिर ?॥ ७४॥
ु ु मखला
कसमा े ु
पादना मदनातरा।
े च विगनी
रखा े पादशा
मािलनीित च॥ ७५॥
यानािदकाः सवाः सायगा
अिप।
ूदिणम॥् ७६॥
ूाािदिद ु ाािदकोणाः
े
ं
सोभणी त ु ूथमा िविािवयनरा।
आकिषयाादिनका ततः सोिहनीित च॥ ७८॥
--------------------------------------------
ु ु े
कसमािदना े ोकयने
िता इनान
ू
तृतीयावरण े अदलशकमाँ जाबम ं चोपिदशित।
े े
तऽाकमूदशनना े समा योाः ॑ ौ
ु ु
अनकसमापाका ू
ं पजयािम इािद॥ ७५॥ ७६॥
ं
अिरािदना अथसिका े े
इनाान
ु
े चतथावरण
ोकऽयण ु े शिचतदशकमान
े चतदशार ु ्
ू
दशा()रयशिपजाबम ं चोपिदशित। तऽ
ु ()रादािवऽािदशने दशा()रयिप
चतदशा े दाः
े
ू े ु
अममार अूादियने पजयिदत।
े वशिर वशरी
यसवािदकाः
इथः। ं
उबीजयोपिर सवश
ु
चतदशानामादौ े ् शिसारी इऽ शि
योजयत।
ृ े न त ु िवसजनीय॑कारािवित
इरयमवे गत सदायः।
े उिबमण।
बमण े शिूक
े ं ूितकोण ं
े
दमकोणमार ू े ॑ ौ
पजयिदथः।
ं
सवसोभणीशिपाका ू
ं पजयािम। एवमान ्
् े ् ७७॥ ७८॥ ७९॥
ऽयोदशमान योजयत॥
--------------------------------------------
सो ओन े ओफ़ ् थ े िलनस
े बन ्
् े े िथस ् ु े े ् इचोर
नरद ्
ू
पाः े दविश
बमण ं
े े सवाथसिका।
ु े त ु दवी
अदशारयम े सारािका॥ ८०॥
िसिसद े पातीया
ृ त ु िूयरी।
ु शिरााता तथा मलकािरणी॥ ८१॥
चतथ
ु
असिरका पाथा सौभायदाियनी।
ू यसवािदकाः
दशैताः शयः पा बमात॥् ८३॥
ानमयी मता।
ानशिः तथ ैयूदा
ूोा सा पमी शिथा ािधिवनािशनी॥ ८४॥
--------------------------------------------
े
अदशारािदना े
बमािदनाािदना े
ोकऽयण
ू ु
पमावरण े पशिदशकमानपिदशित। े
तऽ दवी
्
े इित अरयम तदन
सारािकाः दवी ु सार दशस ु
े ु अदशा
मष। े ् ८०॥ िसिसदे
()रमदशके च योजयत॥
सविसिूदा सदा च। ःखारत िवमोचनी
् ु ् ८२॥ असिरका
अत सगमम॥
ःखिवमोिचनी इथः। ु
ु यसवा( ा)िदकाः उबीजयारं
असरीथः।
सवश ् ौ
एतशारशिमाणामािदतो योजयते ॑
े
सविसिूदादवीपाका ू
ं पजयािम। े नवमा
एवमऽिप
योजनीयाः॥ ८३॥
े
ानािदना े े ोकऽयण
यजिदन े षावरण े
ू ु
ितीयदशारे पशिदशकमानपिदशित।
--------------------------------------------
े ्
म ं िऽकोणमिभतः शराापमथाचयत।
ं
े ु ं तजािक॥
पाशमशिमतत
ु े ८८॥
ु
बीजाािन े
नामािन नमोािन महिर ।
े जियनीिवमलार॥
नाथाँ पृतो दा े ८९॥
--------------------------------------------
तऽ ा सवथः। ् ौ सवा
े ूावत ॑ दवीपाका
े ं
ू
पजयािम। ् े ् ८४॥ ८५॥ ८६॥
एवमानिप नवमान योजयत॥
ू
े समावरण े अारे पशक
अिरािदना ोकन
ू
माँजाबम ्
ं चोपिदशित। तऽ पिमात अममार
ूाविदित वगबीजािद योजनिवषयः साया सािमित
े
शषः।
नमः पद े ासबमूोनमः शमपा तान े
सारीमस ु मषे ु योजयिदथः।
े ॑ ौ अँ आँ इ ँ उँ ऊँ ऋँ
ॠँ लँृ ॡँ ए ँ ऐ ओ ँ औ अँ अः ँ ु विशनीवादवतापाका
े ू
ं पजयािम।
े मा योजनीयाः। अऽािप बीजययोजन ं ूथमिवधानात ्
एवमिप
ु
अऽानिवधानात ् ८७॥
सवऽ॥
े
मािदना े े
महरीनान े
ैकन
े ु
ोकनायधाना ू
ं पजामान ् ू
पजाबम ं चोपिदशित। तऽ
े
म ं िऽकोणमिभत इत े
ं भवित। ूधानदवता
वाससवमिऽकोणमिभतः े ु तदायधािन
तजानष
ु ु
े ् बीजाानीित।
बाणाशामचयत।
ु एतं भवित ॑ ौ
ू
इित पविबीज या े याँ राँ लाँ वाँ शाँ िाँ ि ँ ू सः
े बाणो
सवजनो े नमः इित बाणमः। ततोऽिप ॑ ौ इित
ूोबीजया े थँ ध ँ सवमोहनाय धनषु े नम इित धनमः।
ु
--------------------------------------------
मिऽकोणकोणषे ु पिमादूदिणम।्
े
कामर े तथा च भगमािलनीम॥् ९१॥
सवळश
त ैाः समयत ्
े पात ्
म े दव े ्
े तथाऽचयत।
े ु ् ९३॥
य ं समा ं िवा ं च पीठदिभधायताम॥
े े ु ं तव पजनम।
दवीसारोपतिम ू ्
--------------------------------------------
॑ आँ सववशीकरणाय पाशाय नमः इित पाशमः। ततोऽिप च
ौ ॑ इित ूो बीजया े सवनाय अशायनमः
इशमः।
अऽािप बीजययोजन ं ूावत।्
नवाना ं
नाथािनािदना ोकोरान
ु
नाथानामचनानमपिदशित॥ ८८॥
े
मािदना े दाः
ोकन े षोडशिनाकं तने
ता िवमहे अासा ं पदशीना ं ितिथिनानामचन ं चोपिदशित
॥ ९०॥
े
मिऽकोणािदना े े षडरािधकन
समचयिदन े
े
ोकयनामावरण ू
े मिऽकोणकोणऽय े पजनीयशिऽय ं
ू
ताँजाबम ं चोपिदशित। तऽ
े
पिमामकोणमार े ं खडं
िवाया एकमक
े पीठािन
एकै काः शिरथः।
ू ं
कामपपणिगिरजालधराािन ऽीिण, नामािन शीनां
े े
कामरीवळरीभगमािलनीित े ु ं दवी
ऽीिण। दवीसारोयत े
् ं ौीपवा
इर यात पर ्
ू सार योजयते इित। ौ ॑
ू
मलिवाूथमखड ं कामपपीठे कामरीदवी
े े
ू
ौीपाका पजयािम। एवमौ ौ मौ योजनीयौ। अऽ
ौीशूयोगः सदायात॥् ९२॥
--------------------------------------------
ृ े
अिभधामावता ू ं गिितबमात।
पजा ृ ्
दा ृ
े गिित े ैिव ं ण ु िूय॥
भवऽ े ९६॥
--------------------------------------------
ू े े
े दशारानाधयन
पािदािदना पजनिमन
नवमावरण े सवम े दाः
े ू ू ु
लपपजनमपिदशित। तऽ
ु ं िवाम।्
ु ं तरीया
समा ं िवा ं ूागा
े ु ं पीठािभधा दिभधा
पीठदिभधायता े े तऽ
चित।
पीठािभधा ं ओानपीठे इित। दिभधा
े ु ु
ौीमहािऽपरसरी इित।
े े ं ूाववी
दवीसारोपत ु ौीपवा
े इरयमाय ू
ु े ॑ ौ समा ं मलिवा
सारीमरिदथः। ू ं
ु ु
ओानपीठे ौीमहािऽपरसरीदवीपाका
े ू
ं पजयािम , अऽािप
् ् ९३॥
ौीशयूयोगः ूावत सदायात॥
े े
ूित चबिमािदना भविदनाािदना िऽपादाने ैकन
े
े दाः
ोकन े नवावरणषे ु ूक
े ं
ू
नवनामिभजनमाव ू
तजापणमाव चोपिदशित।
तऽ नवनामिभः पम े पटले
ु ु िपरािदिभनामिभप
चतदशपदशोकाामै ुे -े
ू े तऽ योजना
त ैऽोयोजनाूकारै म ैः पजयिदथः।
ू ु
ूकारो यथा मलिवािऽपरािनापाका ू
ं पजयािम। इवे ं
े
बमणाा े ् अऽ मनवकऽिप
नौ योजयत। े बीजययोजन ं न
ािदित सदायः। नवम े च ौीशयूयोगः ात ्
्
सदायतः। तत तिदित ू ं यिमित बीजयय।ं
ििवध ं पजन
ु
गणान ्
ूकटािदकान।् ौीशिसागणान।
ं ु ् तऽिप
े पम े पटले
ादशऽयोदशाा ं ोकाा ं ूोाः। योिग इित ूोा
े िदात।्
े ूोित
इऽाित।
ृ े
अिभधामावतनवानामावरणचबाणा ं ऽैलोमोहनािदकाः
ं
साः। ता पम े पटले नवदशमाा ं अिभिहताः। त े
ू ं
यथा ॑ ौ एताः ूकटयोिग ैलोमोहन े चबे पजा
ृ
गिित। एवमानौ
--------------------------------------------
ु
े तरीयरशखरम।
िवा बीजऽय ं दिव े ्
ु
तरीयप ं त ु िबऽयवदीिरतम॥् ९८॥
े
तदाकं दा े ्
े साधक च यवत।
् ९९॥
तावना ं ण ु ूा े महोदयकर शभाम॥
ु
--------------------------------------------
ु
चतथरावसान
ं ईकारावसान ं इथः।
--------------------------------------------
ु
वायतमयी ाििरित सक ् समीिरता।
् १०१॥
अा िनालनाि े तं ासातम॥
ृ
--------------------------------------------
ु
तरीयप ु
ं त तरीयप
ईकार पिमथः।
ु िलिपष ु
ु ,े िबऽयवदीिरत ं सवास
पिमित िलिपपमत
ु
तरीयप िबऽयाता िवत एव, तने च ैतदाकं
ु े
गदवतासाधकाना ं ूितपादयित। तावना ं
तदाभावनाम।् महोदयकर अखडापलाभात॥् ९९॥
ऊािदना ोकन ु
े गमदवताना
े ं
ु
ाैिसिकरयोगभावनाबममपिदशित। तऽ ऊ
ू
िबाकिमित। एतं भवित मलिवायाः खडऽयािप
चतथरै ्
ु कावसानात तप च िबऽयवा
ु
िबनावदन ं अधः ितिबयने कचय ,ं
े े
तदरशषरखया े
ता दाः ू ं एव ं
पिरपणानवयवा।
े ु
क ं तने गानोतपित
दवतामयोरै ं
े े तादािसा ूोािन फलािन
भावयिमा ं िवा ं जपन
ु
े े गरोमाकं
िसवित। ु ् १०१॥
तखादवगम॥
अथ पम ं पटलम ्
ु ू
िवातृतीयखडने कयाोपचारकान।्
पाााचमन ं ान ं वसनाभरणािन च॥ २॥
ु ं धपदीपौ
गप ू े
न ैवाचमन ु
ं पनः।
ू
तालमचनाोऽ ं च नमियाम॥् ३॥
ं तपण
-------------------------------
अथ पम ं पटलम।्
ु
े न गयत।े तपणिमित
ितीयमाचमनमपचारन
े ु े ु यथालाभ ं
ौिधनािलकराफलिवादकष
े ु
िनवदनमम।् नमिया ं मिासमयूोमिाः।
ु एव ं
् ू
षोडशसाकान पजोपचारान ् ु
कयािदयः॥ ३॥
--------------------------------------------
े
ततो दाः े ्
ूसादने ाान ं तम ं रत।
े
ासऽय ं िवधायाथ दाा े ु
िवहरखी॥ ५॥
एव ं िनबम ं य ु कवन ् ु
ु गपरो नरः।
ु
न त कऽिचत ्
कित ्
कदािचत ् े
शसवः॥ ६॥
े
यामलं शमपा े ्
ु े ं वा समाचरत।
ु ं िह तत॥् ७॥
तावयोः ूसादने तािन लण
नवावरणनामािन तािभधाथा।
ण ु य ैरतला ् ८॥
े ु पजनात॥
ु िसिबष ू
ू
ऽैलोमोहन ं बा ं सवाशापिरपरकम।्
ं
सवसोभण ् ९॥
ं सवसौभायपिरदायकम॥
-------------------------------
ु े ोकयने
एविमािदना सखीन
ू ृ ु
पजावसानकमपिदशित। ु दम
तऽ परतः े े तिनज ं
ू
तजािदनजम।् वा अवधारण।े ूातःसो नववारं,
ं
मिनसोषिऽशारं, सायसोषोडशवार
ं ं
तिनघिटकासोषिवारं च ैव ं
ं
एकिवशिधकशतवार े ४॥ ूसादने
ं जपिदथः॥
े
दवभाविवतीणतादाभावनासामन।
े
दाासानर े ु सदा िवचरिदथः॥
ं दवताऽहावयः े ५
॥
एविमािदना तिदने ोकयने
ु ु
िनबमोपासकानभावमपिदशित। ु
तऽ गपरः
तदायसवापारः॥ ् े शषः।
६॥ लण ं िह तत िनबमोपासकित े
ुू ू े
एतं भवित िनबमोपासकानकूाितकोपा
े ु े
(नवावरणिनबम॑ासवपा ुू े
कािरणी) अदानकोपा
ृ े ूसादने सवीित॥ ७॥
वाा ं कतन
े
नवािदना े नवावरणनािन तिनामािन च ूौित।
ोकन
तऽ य ैः नामिभः॥ ८॥
--------------------------------------------
p. 88)
सवाथसाधन
ं सवरोगतो हरमवे च।
सवराकर
ं सविसिूदमतः परम॥् १०॥
सवानमय ं मिबान ं िशवाकम।्
ु
एव ं नवािन नामािन गणयोगीिन ॥ ११॥
पावित
ु
ूकटा बागा गातो ु
गतरादा।
ु
सदायादाः कलकौलिनगिभकाः॥ १२॥
ु
रहाः दा परापररहकाः।
ू
अितपवरहा ु माः लिवमहाः॥
ू १३॥
ु िऽपरशी
िऽपरा ु
ु े ारी ु
सरवािसनी।
ु ु
ौीमािलनी च िसाा महािऽपरसरी॥ १४॥
-------------------------------
े
ऽैलोािदिभः
पावती ःै िऽिभः
ोकै नवावरणचबाणा ं अथािन ु
नवनामापिदशित। तऽ
ं
सवसोभण ं
ं सवसोभकरम ्
सक ् ूथाकरं
ूिसिकरिमथः। ु
पिरदायकिमऽ पिर इपसगः
ू सवसौभायदायकिमथः॥
ोकपरणाथः। ९॥ सवरोगतो
हरं सवरोगशात ् ं हरशं योजयते सवरोगहरिमथः।
पर ्
सविसिूद
ं सविसिमयात ्
सविसिूद
ं सविसिमयिमित
सदायः॥ १०॥ िबान ं ममिबानम।्
सवानमय ं िशवाकिमयः। िबान ं ॄवत ्
सवमिमथः। ु
गणयोगीिन पावतीित
अथािन। ु
सिः॥ ११॥
ूकटा इािदना िवमहा इने ोकयने
नवावरणशीनामथािन ु
नवनामापिदशित। तऽ तासा ं
े
िवशषणािन िनपािधकभावानीित सदायः। तऽ
ु ं
तृतीयचरमावरणशोगणसाशाः ु
यथा गतरा
योिग इािद। अितरहा योिगनी इित। अा ु समगणसाशाः
ु ं
ु
यथा गयोिग ु
इािद। कलकौलाः ु
कलोीणा इित चोभय ं
्
सदायवत यथा े ु े िनगिभकाः
नाथादशमनयिमथः।
िनगभा इथः॥
१२॥ परापररहकाः परापररहा इथः।
ू
अितपवरहा ू
अितशपवरहाः
अित रहा इथः।
ू
माः लिवमहाः माः सिवमहाः अितरहा इथः
ू ं प ं सप
। अऽ ल ू मावरण ं परं प ं
े
दशकालाकारै
--------------------------------------------
ु
िऽपराानमाान े ू रगम।्
ं भावयि
ू े (?) िवमहाः॥ १७॥
ोितप ं च नाथािमित
ु
नानावणाऽयधाकारवाहनाभरणाः ियः।
सवगाः
सवदा सविसिदा
बिलदानतः॥ १८॥
-------------------------------
रिनयितम।् लसप
ू ू े परप ूापके अवितया
ु
आवरकवात इावरणिमपरः १३॥
सदायाथः॥
ुे े े ोकयने दाः
िऽपरािदनाऽचयिदन े
नवावरणषे ु ूावरण ं ूितिनयतािन नवनामािन च त ैऽ तऽ
ु े िऽपररी
ू मयोजनाबम ं चोपिदशित। तऽ िऽपरशी
पजाथ ुे
ु े ु ष नामस।ु तऽ
मषे सयााष
इथः।
ु
परवािसनी ु
इऽ िऽपरवािसनी िऽशमवे योजयिदित
इथः। े च
ु
सदायः। िवा ौीिवा। मनयोजनाूकारः ू
पविन ्
े
पटलऽिभिहतोऽािभः॥ १४॥ १५॥
ू े
पजाबमािदना े
ोकनाथ ्
पूान करोित। तऽ
्
े सोचबमपान।
तिशषान ् िसििचािन िवािसििचािन॥ १६॥
ु
िऽपराानिमािदना दानत इने ोकयने साधक
ु
ूातः ूबोधसमयिवधातमपिदशित। तऽ उानसमय।े
ू
मिभावनानर ु
ं तदनरं ासः िऽपराान ं
ु ु
वमाणगमागमानसानपरःसर े
ं दवीप ं
े बिलदानतः षोडशारमणित
प ं भावयिदथः। े े
ु
े पानसिहतो
शषः।
बिलः तानतः सविसिदा े ु
भवयिरित
शषः।
े एव ं ाा सविसय े ूातबिल ् शषः॥
ं दात इित े १७॥ १८
॥
--------------------------------------------
p. 90) ू ू
रगारः ॐवी रभषािदभिषतः।
ू
े कपरवािसता
ूसचताः ावरावान॥् १९॥
ं
पासनः ूावदनः ूाणानाय सयतः।
े ु ् २०॥
े बिलं दाऽचयन॥
षोडशारमण
् ू ं कयाथािविध।
ू ताया पात पजा
मि ु
-------------------------------
े
रािदिभदाकिम िै िभः ोकै ः
ु
सपयासमारबममपिदशित। तऽ पासनः।
उपिरामाणािदह नोत।े ूाणानाय ूाणायाम ं
ृ
का। उपिरामाणमिप ूाणायाम ं िकिदऽ ाकरोिम
े वामनासारिनरोधने ास ं मात ं
दिणनासारण
यथा शा िनगम अनरं दिणनासारिनरोधने
े यथाबलं ूवँय
वामनासारण ु े ं
े ासमात,ं पनरव
रचक ू ं च का
े ं परक
ृ यथाबलं तमिवधाय पान ैः
ु े
शन ैः त ं मिदित। एव ं सवऽ ूाणायामबमः सयतः
ं
ृ
सकलािवषयिनवबााः े
करणः। षोडशारमण
े बिलं दा ूावदचयत।
तृतीयपटलावसानोपिदपण ु ्
े ् गन
मि ्
ू ॄर े ितान यथासदाय ू े तित
ं पजयिदथः। े
े नाथ ं च
नाथिवषयः। यथा िविध वमाणूकारण।
तयीभतू ं नाथ एव दवीपण
े ु े १९॥ २०॥ २१
े ित इित बथः॥
॥
े इरै िभः
नवरािदिभमातर
ोकै दवीिनवासानाचनबम ं ताँोपिदशित। तऽ
े े अकारािदकारााकपाशदरािण
मातृकानित। े सिबिन
ु ु तपिर ताम तदन ु च नमः शं
बीजयपररमाय
े यथा ॑ ौ अँ आँ इँ उँ ऊँ ऋँ ॠँ लँृ ॡँ ए ँ ऐ ओ ँ औ अँ अः
योजयिदथः॥
कँ खँ गँ घँ ङँ चँ छँ जँ झँ ञँ टँ ठँ डँ ढँ णँ तँ थँदँ ध ँ नँ
पँ फँ बँ भँ मँ यँ रँ लँ वँ शँ षँ सँ हँ लँ ँ नवरीपाय
े
नमः इनन।
--------------------------------------------
े ्
ू ािप समचयत।
ककोानम ै ऋतँ
े ् २४॥
इियायपािण तऽ पिमतो यजत॥
्
इियाथान गजान ् ू ताैव समचयत।
पव े ्
पिमािद त ु मा ं िवलोमावरकम॥् २५॥
ु मातृका च र ं दशो
कालो मिा ु
े गथा।
ू चबयनामकः॥
तं महा मित े २६॥
-------------------------------
ू े ् २२॥
नमोने ैव ताा पजयत॥
अऽ ूकरण े इियाथाविध
ु
पिमािदना ोकन ु
े नवरनामापिदशित तऽ
ु पिम ं परागिमित
ईशारकतिमिः ु ु ु
ककापटले
्
वमाणात ूादियबम ं ूदशयित ्
, ईशात ईशानदश
े े
२३॥ ककोान ं ॑ ौ ककोानाय नमः। अऽ ैव
इथः॥
ु नमः। इियािण
रीप े ॑ ौ ऋतो
ु ू
ौोऽिजायाणवाािणपादपायपािन दश।
े
पिमतः दवीमडपामतः े नमः।
॑ ौ इियाो
इियाथान ्
शशपरसगवचनादानगितिवसगानाान ् े
बमण
दश। पवू दवीमडप
े े
पृभागतः ॑ ौ इियाथगजो
े
नमः। नवरकमचयिदित॥ २४॥ २५॥
ु इािदना ोकन
कालो मिा े कालािदपनवरमयाना ं
े ं नवनाथाना ं
नवाना ं खडाना ं ूक
ू ु
पजामानपिदशित। ु इथः।
गनाथ तऽ काल नवधां
ु
घिटकायामाहोराऽवारितिथपमास-ऋपतः। मिाया
ु ं
नवधां ूागसोभणािदिभः। मातृकाया नवधां
उपिरामाणवगबमतः। र नवधां ूोपतः
े
। दश नवधां रनवधावत।् नाथाना ं नवधां
े
ूोबमतः। ताना ं नवधां ातृानयप
िऽक पीकरणूिबयया। एतिवाीकारतः। महाणां
ु ू
े मतना
नवधां सूकटमव। ं नवधां
ं े ु
गसृासमदोिमाशबौजःूाणातः
े
चबयनामकाः॥ २६॥
--------------------------------------------
ू े ्
े ं कालं तथाऽकारं शं कोणषे ु पजयत।
दश
िपणीशिसिहत ं ततः सगीितयोिगनीः॥
ं २८॥
ु
समगूकटिसयोिगिन ु ्
चबयक।
े
सारैपता ु पजयत ्
ू े सवमातरः॥ २९॥
ु ू ु ्
रोचनाचकाँमीरलघकिरकायतम।
े
हमािदपाऽ े ु
े साधारे ापयदमना॥ ३०॥
े ू ू
भावयिसयभतािन े
परमिर ।
े े योिगनी॥ ३१॥
े दशवारं तपयन
जप
-------------------------------
--------------------------------------------
p. 93) े ्
आधारे दय े र े िवाखडऽय ं रत।
े
लोिहत ं तभावधाोिहत ु ३२॥
ं च िनज ं वपः॥
--------------------------------------------
ू
ौीपाकाः पजयािम। अऽािप बावचन ं
ौीशूयोग ूावत।् सवमातरः
सवशीिरथः।
एतारीयोजन ं तिसाधारणिमित यावत।् अिभरत
े ैः
े
ोकै रतं भवित।
े े ूितपा
दहियपिवमहोिदतशकितपूाभावा
े इित॥ २९॥
दवी
े े
हमािदना योिगनीिरने ोकयने दवतायाः
े
सपयाथमकनूकारं तििनयोग ं चोपिदशित। तऽ चः
ू ् लघःु अगः॥
कपरम। ु ३०॥
े
परमरीित े ु
दवीसिः। ्
े दशवारं तत तिदित
जप
ृ
िवायातीयखडमत ु योिगनी इित दाः
ु ,े तने अाना। े
ु
ू शीः कथयित। एतं भवित आधारचषकािन
पिरवारभताः
ू
विसयसोमािवाखडऽयाकं बा ्
ु तिन ािन
ू
े पृिथािदपभताकााकल
पिािण बमण
ु े ु ु े ौीचबं च
ु े ूदँय अम
े धनयोिनमि
ूागबमण
िवभा तऽ िनिापटले वमाणबाािदबमात ्
षडम ैः षोडशिनाम ै ैकै कवारं
ू
िवातृतीयखडने दशवारं मलिवािदनिनाा ं
ूितिऽवारं चा जिपा अदकन ु ् ३१॥
कयात॥
े ूोकायािण
आधार इािदना िवधायाथ इने पादािधकन
े ोकन
े
ु
ूाणायामकालभावनीयमपिदशित तऽ र े ॄर।े
े
तभावधात ् े ं ूभावधात।
तषा े ् वधः
े तयीभावः।
आधारॄरगतयोरीषोमािवाूथम
े
चरमखडयोयोजसी बमण ु
े ऊाधोमखूसर े
ू
दयगतसयाममखड े ू
े तजाधःूसरणन
े
ू
ताा ं सीिलत ं भवित, एतं भवित मलाधार
े
ूथमखडवितजसा ू े
खिचत ं दयगत ं ितीयखडसयतजः
े ु ं
ूसरं तनानष
े
ॄरगततृतीयखडचमजःूसर े ं
ं च ऽीिण तजािस
े
अिवभाकारिमिलतप ं अबिहभावयिदित। ूाणायाम ं ूावत, ्
ू -
लिलतािवाजपपजा
--------------------------------------------
p. 94) ू े
पजयीनमनसोम ु ्
ैनामिभयतम।
े ् ३४॥
ततो ितीयया ूोषडािन समाचरत॥
तथािवधाा ं पािणा ं वमािदनािभगम।्
तजनीममानामा े
ूोा नऽऽय े (च) बमात॥् ३६॥
ूसािरततलाा ु तालऽयमदीिरतम।
ु ्
े ु ् ३७॥
सशं तजनीायोगादमदीिरतम॥
-------------------------------
p. 95) ु
साऽवाहन ं कयाियाऽथ िऽखडया।
े ताम॥् ३९॥
अममचबयोिनम े िनवँय
े ्
ु ं ूदशयत।
तथािवधा ं सावरणा ं ाा मिा
ु
ूोाः सदशाथ ैनामपचारै े ् ४०॥
ः समचयत॥
् यजिशः।
जियनीिवमलाम े नाथान नव े
े
ततो दाः ू
मितािाः पदशािप च॥ ४१॥
े ू जपिािभयी
दवीमत े बमात।्
े ् ४२॥
आर पिमारदशाखामथाचयत॥
-------------------------------
ु
सवऽ ासऽय े बीजयाता न भवित। ूागयोगतः
ू ू
पवपटलूितपािदतवयकटारािदयोगतः॥ ३५॥ ३६॥ ३७॥ ३८॥
ु
सावाहनिमा ैः सखी ं
ःै पिवशा
ू ं िनहोमिविध ं पजावसान
िनपजा
ोकै दा ू ं चोपिदशित, तऽ
सा िवयित ू
े सः। पविन ्
पटल ु
े हसिदाया
ं
ु े े तथािवधा ं पविन
िऽखडया मियितशषः। ू ्
पटले
े ् ूोाः
ु ूदशयत।
लोिहतािमािदोकोवैमहा ं मिाः
े ु
सदशापनािदहितचतयााः ू
पवपटलोाः सदश
ु ूदशयिदथः।
मिाः े उपचारैः षोडशिभः पिभवा,
पोपचारा ु गपधपदीपन
ु ू े
ैवािन॥ ९३॥ ९४॥
् ् े
ु दवीवामभागािद
िऽशः ऽ ीन िदिसिमानषान
दिणभागा ं िऽपपिवान
ु ् े े
दविणः। तयी
े े
तपणावानमता े बमात ्
एवथः।
ृ
एकािदविबमात , ् दशाा ं ार दाः
े
े ् ४१॥ ४२॥ अिभत इित, अऽ ूथम ं िद,ु ततो
सतरभागशाखाम॥
िविद,ु तऽ तऽािप दाः
े दिणभाग,े तथा अिणमािदवत ्
े
ॄाािदकाऽ तऽ दवीसभाग े
--------------------------------------------
p. 96) ू ु ैः ूोनामिभमतो
मलिवायत े ्
यजत।
नवाविष ु बमात॥् ४४॥
ृ ु ूोै नविभमनिभः
ू ं मिाः
े े तजा
िनवदय ु कशः।
ु कयावै
ु ृ
षोडशारे दले तथा ततरावतौ॥ ४५॥
े ्
ू ं समाचरत।
ूोािभः शििभः ूोबमाजा
े
मयोनरममल े ् ४६॥
ू े पायोबिहरचयत॥
ु ं पपकमीिर
सहकारजिम ु ।
ू
माथोभजनकं पजाहोमिवधानतः॥ ५०॥
-------------------------------
ुे ु ः।
ूोनामिभिपराै
ु
ूागदीिरतबमतःूोै े
ःूागवाािभरिप
ृ ैरपणम
ूकटीकत ैः॥ ४३॥ ४४॥ तजा ू ू
ू ं लसप ं
पजा ु
ू ं ूागाम।् एकै कशः ूावरणिमितशषः॥
े ४५॥
ु
ूोबमािदामािभरिप ूागवे ूोमवे
ू मयोनबिहः।
अममलपायोबिहः े विशाकोाना ं
मावकाश इथः॥ े ्
४६॥ ४७॥ ४८॥ रशः कै रविवशषणम॥
ु
४९॥ सहकारज ं पिमित े माथ ं कामसि
शषः।
ंु े
ोभजनकं ीपसयोिरतरतरूयोगः
िचाकषकिमथः।
ू
पजाहोमिवधानतः ु
े पपकन
उन ू
े पजािदिवधानात ्
म ै ु पिभः
ोभकरं तिदथः।
सवऽ शैवःै पिभबाणम
शैवबाणसििभिरथः। ैः
ू
जपपजािद ु ू ू
५०॥ तथािवध ं लसभदन
कयािदथः॥ े े
ु े ु
पसकाडजापिमयः। यथा पाशाशयोः
ू ं
ल
ं
पसौवणमयिमित ू
सदायः। सपरप े ूावत।्
् ु
ूोबमात ूागबमतः ्
ूागिभिहतबमात चािर
--------------------------------------------
ं
मयोमकोणािदसाः ् े ्
ूोबमात यजत।
े
कामािदकाः े ् ५२॥
शीः तथा म े िशवा ं यजत॥
ु
ूदँय मिानवकं चािर च ततः बमात।्
्
उपचारान िवधायाथ ूोयोगसमितम॥् ५३॥
े ु ्
जिपा दशवार ाान ं दवतातनम।
े
रािन े ् ५४॥
ताः पदश िनाः समचयत॥
ू
ततो भतािभः पम ैर भितः।
ू
े पजिया
आाारमण े ् ५५॥
ततो जपत॥
ु दाः
सहॐ ं परतो े शत ं तिनज ं त ु वा।
ु ं वा ूोपतः॥ ५६॥
साऽय ं षिसम
--------------------------------------------
ु ु
इित मिाचतयम।् बमात उबमात।
् ् ु
् उपचारान ूागान।् बमात ्
िवातातीयखडिदनिनािवाा ं षोडशोपचारान ्
ूोयोगसमित ं पवपटलावसान
िवदािदथः। ू े ूोम॥् ५२
े
॥ ५३॥ पदशितकथन ं ानः
े ५४॥ भतािभः
षोडशीलिलतािवाऽकिसिरथः॥ ू
े सोऽिप
तृतीयपटलोपिद ैः। आाारमण
ू
तृतीयपटलोपिदपः। भतामाणा ं बीजयाता भवित,
् ् ५५॥
आम सारीयोजन ं च न भवते सदायात॥
ु ु
े जप मगौणपावपिदशित।
सहॐिमािदना ोकन तऽ
ु ूायिपायगािमनी। उं वा
शतिमिः
ु प-
ूोपत इिः
--------------------------------------------
p. 98) ु
ततः पािलं का ू े
ृ मलना े ्
होमयत।
कड ु कशै
ु े िडलम े वा सोााना ु ः॥ ५७॥
े
रखातॐः ं े ्
ूागमा उरामा सिलखत।
म े तथाऽिमाधाय बादाश े ् ५८॥
ं ं पिरजत॥
े ्
ं पिरीय विवीय िवभावयत।
पिरिष
ु घृतातीः॥ ५९॥
े ं सिजास ु कयाव
ूक
ू ू
े ैव ा षोडश मलतः।
ततः पजाबमण
े ् ६०॥
तता ं िबग े धाि िवलीना ं पिरभावयत॥
ु ु ु
बिलं दातम े ककामनऽयात।्
ु ु े
अनपादाननोपतः॥ ६१॥
--------------------------------------------
ं सदा दय े वतमानात।
िवशटलोाथ ् वा
िऽिभम ु ु
ैः ककाया ्
बिलं दात इित। उपतः
ु
गपया
--------------------------------------------
ु शिचबं खचयािन
मिया े े ् ६२॥
योजयत॥
ततोासऽय ं का ु
ृ ूाणायामपररम।्
ु ं दाा
जिपा ोऽयगल े ् ु
े सखी॥
िवचरत ६३॥
ू ् े े ण ु िन ं बमोिदतान।्
े दविश
पजािवशषान
अशाना ं त ु िवारे तथाऽप ु च शत॥
े ६४॥
अथाऽनथकारी ्
ात सोचाचनमीरी (?)।
े
हितिभममा ्
ं ात ितीय ु ६५॥
ं नवयोिनष॥
ु ु ूोपतः।
चतदशारााातथ
पम ं सवःखाितनाशन ं वाितूदम॥् ६६॥
--------------------------------------------
ु
मिया। सा च करतलयोििभराालनपवू
ूसािरततजनीयाा ु
ं उभयकरमिा ं
ऊाधःिितपाा े
ं दवताया
े े ु
िनविदतबिलिदशनपरपा॥ ६१॥ तया तिपवान
ू ्
े
दवतािवीणलूसादसावान।् मिया
ु
ू े ु भािवतिवाखडऽयपया
मलाधारदयॄरष
ु
ूागदीिरतया ु ु
महािऽपरमिया। ् ृ
शिचबम शिवम।् खचया
े
ु
ूागपिदिवरचनािकया ु
मिया। सतरणम।् आिन
ु ु
योजनाूकारोगमखादवगः॥ ु
६२॥ ोऽयगलम ् े
नाथदवयोः।
े
दाा ु ृ ् ६३॥
ासऽयािदतः सखीकतािखलकतात॥
ू े
पजािदिभः िसिदा इ ु ोकै ः
ै तिभः
ु
सोचिवकासपतः पिवधा ं सपयाूिबयामपिदशित। तऽ
अशादीना ं राजविनतादीनाम।् आप ु अिपातरािदष॥
ु ६४॥
अथाऽनथकारी ृ ्
ैरतः सोचाचनम।
िवतसपयासमथ
अनथकारी ् हितिभममा
इित ातात अनथकारीथः। े ं
् े ु
ात हितचतयाचनसिहत े ु ,ं
ं मदवताचतयाचन
े
सिचताम।् ितीय ं नवयोिनष ु नवयोािदममा ं
अचन ं ितीयिमथः॥ ु
६५॥ चतदशारावा
ु े चतथु
ं सपया तृतीयथः।
चतदशारािदमाता
--------------------------------------------
े च।
िवायाः साधन ं िसिं तत ं वमव
ु
तदािभमिचािन िवािन ूानातः॥ ६८॥
ण ु बमण
े दविश ूीितकारकम।्
े े सवदा
ु
यने मिप िसते जीवोभवयः॥ ६९॥
ु
ातः सगसिललै ू
ः ूाजाूोपवान।्
े ् ७०॥
गु ं िवने सो रागारे बम ं भजत॥
्
े जपवान सहॐ
साऽयऽिप ं ु
ं मौनसयतः।
ु े ् ७१॥
े ं पयःपायसमपयत॥
मोचागडिसतोपत
--------------------------------------------
ु ु
ं चतथिमथः।
ूोपताः, चतरॐािदममामचन
पम ं अचनिमित े
शषः॥
६६।।तकारिमित। पमसपयाूिबया
ु ु
ं े ककापटल
ािवश े वत।े तऽैव ता ं ण ु इथः॥
६७॥
िवाया इािदना भवय इने ोकयने
षडथूावना ं िसिफलं चोपिदशित। तऽ िवायाः साधन ं
ु
पररणम।् िसिं पररणिसिम।
ु ् तत ं
ु
िवापररणोतम।् व िवासाधनसमय े सवकाल
े च।
ु
तदािभमिचािन ु
िवािभमिचािन िवािन
ु
आिभमिवािन। ् ६८॥ यषे ु
ूानातः वासनाितसात॥
ूीितकारकं यषा ु
े ं एषा ं फलप ं ाानसान ं भवित
तािन िवित। यने फलपण
े भवयः दवीिवमहः॥
े ६९॥
ात इािदिभः बमिमरै ः सिभः ोकै ः
ु
िवायाः साधनूकारं तररणिसि ं चोपिदशित। तऽ
ू
ूाजाूोपवान ् ू ूोिवमहः। सो िवािदिभः।
िनापजा
ु
ु े गणा
सन ु
अनिश ु ् बम ं िनबमम॥् ७०॥
एव कयात।
मोचा कदलीफलम।् िसताः
सहॐ ं ूितस ं सहॐिमथः।
शकराः। अपयत ् े े ूितसिमित
े िनवदयत ् े
शषः॥ ७१॥
--------------------------------------------
p. 101) ु
नीराजन ं च कपरैू ः कयाास ु तािप।
होम ं दशाशतः
ं ु ं चमलै
कयापण े ः॥ ७२॥
िनाताजा ं िसहॐ ं िदन ं ूित।
कयान ् ू ल ं पणामीिर
ु े भवते पण ू ॥ ७३॥
ु ु ं ूोमराणा ं च सया।
कलौ चतगण ं
तातयससा सा तने ादकिवशितः॥
े ं ७५॥
--------------------------------------------
ू
ं ं जपसायाः। इमलैः कपरवािसतजलै
दशाश ं
ः। तपण
े दशाशतः
च। चकारण ं ृ
इाकत॥
े ७२॥ िनातः
ु
िनोसाऽयषिघिटकाजपसापररणजपसा
ू इथः।
याः पृथता ू ु ूितिदन ं
ल ं पणािमा
ु ं
चतिशदिधक
ं िऽशत ं िऽसहॐा जपिदथः।
े
ु
एतं भवित पररण ं िचकीषःु गु ं शानप
ु ं
ु
िव ैरारा तदनातो ू
लोिहतिमािदकपजामडपव
ु े
अयोूलापरिहतः िनयताहारः ीसवज अाकलचताः
ु
सगिसिललै े
ः ातः परााणारलपनॐगाभरणः
ु ष ु िनबमानरं ूोपा ं बमपजा
सासितसृ ू ं का
ृ
ूितस ं ादशािधकशत ं सहॐवारं जप ं
ं
तशाशस ं च तपण ु ैः
ं ताविमै ः पलाशप
ु ु ु ु ः कारैवा दशाशबमहोम
कसकसमै ं ं च का
ृ
ु ु ः सौरभा ैवा समचन ं जप ं च
तयाऽण ैः कसमै
ू , पना
तणािद ू ु
ू ं लसा ं परयलसा ं
् े
जपते सवऽित॥ ७३॥ एव ं लऽयिमित। एतं भवित सवष ु
े ु अपनारािण
िपडकरीबीजमष ु े
ूकमरिऽल ं
कतयग े ् ऽताापरकिलयगष
ृ ु े जपत। े ु े ु िऽष ु
ं
पादािऽपादयापसा ु िगणा
ूागा ु िऽगणा
ु
ु ु चित।
चतगणा े एकािदनवारााना ं माणा ं
ं ु े
िपडकतरीबीजसकानामपनारलण
ु ं
ृ जपः। दशारािदिवशारााना
ूोयगबमािभवा ं
् ु ु
माणा ं ूावत यगानपमरल ं जपः।
ं
एकिवशािदशताराादीना ं माणा ं
--------------------------------------------
p. 102) े े ु यगष
तनाष ् ं
ु े ु ात साविदीिरता।
ृ
विनताोभतोभोगा िव ं जायत े यिद॥ ७६॥
तास ु सास
ं ु पणास
ू ु सा ाौयमम।
े ्
ण ु दविश
वािन े े तिनषे ु सदािप च॥ ७७॥
ं
नािकै ः सह सलापा मैथनु ं परिनितम।्
े ् ७८॥
िनिाशोकौ तथाऽलाप ं दशारपिरॅमम॥
तारषे ु वािन
ूोाािन शािर ।
ण ु सवऽ सवषा नाशकािन च॥ ७९॥
ं सवदा
े ृ
परऽगहीवाातिनािन च।
े ् ८०॥
िष ु राष ं ूहारं च ािप न योजयत॥
--------------------------------------------
कवल
े ं लमाऽ ं जपः,। तसािविशाराणा ं
माणा ं दशसहॐो जपः। इवे ं मतूकािशकोः।
े
एतविँ
ु े ु े ् ७४॥
पररणजपसािवशषानाववाीकरणीयम॥
तातयससा सा िवायाातयखडे
ु ृ
साराणामपनराविात।् एकिवशितः
ं े ूथम े
लिमित शषः।
ृ ु े सय
कतयग ू जपसा एकिवशितलिमथः॥
ं ७५॥ तने
े अषे ु यगष
बमण। ु विनताोभतो भोगात ्
ु े ु ऽतािदष।
े
ु ु
यवितजनानातो ु
भोगतः। ूोपररणजपसाायाः
ु ् ७६॥ सितः
यवितजनभोगिवरिहतम॥ ू िसिः। बम ं
ु ्
िनानानूोम॥
िवाजनपरािण भवािन
वानीािदनाोकोरान
ु े ु सविन
ूौित। तऽ तिन े पररणिदनषसवदा ् े च॥ ७७॥
काल
े
नािकै िरािदिभयजयिद ु
िै िभः ोकै ः पररणकाले
ु
े च वजनीयापिदशित॥
सवकाल ७८॥ तऽ तासरषे ु
ु े ु अािन। सवकालवािन॥
पररणािदिदनष ७९॥ तिनािन
े
परिननािन। ािप अिवधयािप॥ ८०॥
--------------------------------------------
िनािन ण ु दविश
े े िवानथकरािण च।
ृ
कवणभटै े ् ८४॥
ः े ूहार ैललपनम॥
ु ु े ू ं ािधबाधनम।्
गरावपाऽसिवना
अमाचनौा े ् ८६॥
िवो िनाचनऽिनशम॥
ु ैः कत
नराणा ं य य ु जस।ु
ृ ैबष
े ् ८७॥
ौा ैय सदायिसििनाचन ं भवत॥
--------------------------------------------
े
िसािदिभथा इिै िभः ोकै ः साधक
े ु ु
दवतामिचापिदशित। तऽ वासना कथन े पिऽश
ं े पटल।े
ु े सवकाल॥
साधयतः साधनपर। तदा ूाग े ८१॥
ृ
नगीतयोदशनिमयः। शन ं तथा तयोिरित शषः॥
े ८२॥ ८३॥
िनानीािदिभः अिनशिमिै िभः ोकै ः
े ु ू ु
ूानपापबाावतािभमूहिचापिदशित। तऽ
िवानथकरािण
च िवकरािण अनथकरािण
ू
वनामसििरयः। एतं भवित अऽ
ृ
कवणभटत े ु े
ैलाियवनदशनगपामार
े े
भजनौा चतािन
पानथकरािण। इतरािण िवकराणीित॥ ८४
॥ ८५॥ ८६॥
े
नराणािमािदना ोकन
ु
सि ैयसदायिनाचनूािकारणमपिदशित।
--------------------------------------------
p. 104) ू
कमिितमिवाय योजपािदिविधितः।
ु
स नाोित फलााथा े च॥ ८८॥
नाशमित
् ू
तात कमिवभाग े ्
ं त ु िवायाऽिखलमाचरत।
् ु िूय े ॥ ८९॥
ु ततोलोके तकारान ण
स चता
े ्
अरािण समावे चािर परयोसत।
े ् ९२॥
ईश े यमथोम े राागािद िवसत॥
--------------------------------------------
ु ं ूणोष
समा समिदत े दायतः।
व,ु तनोमा
े ु सदायत इित॥
िवा साऽनः
--------------------------------------------
p. 105) े ्
ईशा े ििशः पाामाण यतो भवत।
ु ं पायोः
तख ु पादौ तततः॥ ९३॥
पाणी की
ु े
पमकमथो म े पृमवे ं षडवत।्
ु े सवाथिसिः
मख ृ ् ९४॥
ारयोरिसिकत॥
ु
कोिनन ृ ्
ै ं पादयोः सवःखकत।
ु े मृ
प ् ९५॥
ु ु िनयत ं पृ े सवाथदायकम॥
् ु िवाय कयात
तात साध ् समीिरतम।्
ु सव
् ृ ू राथा॥ ९६॥
े ू * ात गहकम
न ं दशकम
ू न तयम।्
ू ितय ं परकम
मामािदकम
ू ु याने तििरीिरता॥ ९७॥
िन ं पवमखो
--------------------------------------------
कोयोिविल अविश ं ल इरय ं ईशको े
े
समािलखिदित।
सवमको े ूागािदष ु ईशाास ु िद ु
ूक
े ं अकारािदिवसजनीयाान ्
षोडश ् े य ं
रान ूादियन
े ् एव ं कत
य ं समािलखत। ु
ृ े ूागाना ृ
ं गहादीना ं
् े ँयत े तों त
नामारं ूोे चबे यिन को
ू मख
कम े , ् तोपायोः
ु ं यम ित ं कोय ं
ू करयगु ं तदनरं कोय ं त जठरम॥् ९३॥
त कम
ु ं सवम
े ं कों त प
तदनरमक ं रारोपते ं
तवमकों त पृ,ं एवं
ु ु ाषडव कम
मखकरजठरपादपपृ ू
ू
पं, सवऽ नामारकोमार त कम
ु
मखािदकनिमित॥
९४॥ सवाथदायक े
ं भजनिमितशषः॥ ९५॥ सव
े न ं नामारगतम।्
समीिरत ं भजनूयोगािदित शषः।
राः नामारगताः॥ ९६॥ य ं रारं नारं
े ू नामारे
च। एतं भवित। ूोे चबे दशकम
ु ं
नारं यऽ को े ँयत े त मख
ृ ू
गहकमनामार े रारं य को े ँयत े त
--------------------------------------------
p. 106) ू
एव ं कमिवभागोऽयमीिरत ु
े चतिवधः।
माणा ं तने िसिः ावषा
ं सवतदा॥ ९८॥
सायामिवारं ाऽािभ ु शषतः।
े
िवाय वग तकमा
े े े ् ९९॥
ं नाि ूकयत॥
ु े ्
े ु ूिसं नामतो भवत।
वाातपष
तानषे ु िनयतमनथ शता
ू तथा॥ १००॥
--------------------------------------------
मखम ्
ु मामादीना ू नामारे रनारे यऽ
ं कम
ु ं
को े ँय े त े त मखतयानगण ु ्
ु ु े अे उािन कयात।
तयाोाननगणष े ु ु े अे
ु ु े े ु यथमतरानगण
ु ् दशकम
कयात। े ू नामारे कवल
े ं रारे सित
तोिदगतबाको ं मख े ् पवािभमखः
ु ं त कयत। ू ु
ू इित शषः।
परकम ्
े तने िनयतिितात तििरीिरता
ू िवभागानन॥
तदवयवावानाधीना॥ ९७॥ यने कम े ९८॥
सािदना े े ोकयने महादीना ं
तथन
ु े ं
ूोवािवशषाणामातसाना ं
ु
नामकनूकारमपिदशित। े अािभः
तऽ आयामने दैमानन।
े
असािभः। शषतः े
आवाहनशषतः। े ् तषे ु
वग अकम।
े ु एकं अरं आमरम॥् ९९॥ अातपषे ु
वगारष
अातनामस।ु एतं भवित अातनामक मनीिषत
ं ता ं सा ं असया
वाोः आयामने िवारं सव
आ अविशसायाः रषे ु अकचटतपयशपवगष ु
े े ु अतमारा
अतम ं ाा तगजरष
े
नाम कयिदित। ु
ूिसं नामतः ातनामस ु वािित े
शषः।
ू
तने कमावयवान ् ् े ु पादपकिानष।
े तानष
कयत ु ु े ु
ू
शता िनलता॥ १००॥
--------------------------------------------
पम े यमक ्
े ं ात माानगािमनः।
े ्
शतय ं पषा समतिमितवीितम॥
अथ षं पटलम ्
अथ षोडशिनाना ं िनाचािनरतानाम।्
े ं ण ु सिर
न ैिमिकं च का ं च वऽह ु ॥ १॥
ू ू
े ं पवपवतः।
िन ं न ैिमिकं का ं साप
े
अथा भजन ं चन ् करोापरराम॥् २॥
्
ैः िसैः काय न ैिमिकाचनम।
िनाचनरत
ु
तिधानमतो व े च ैऽा ं फानाविध॥ ३॥
--------------------------------------------
अथ षं पटलम ्
ू
पविन ्
पटल ू ु
े लिलता िनपजािवधानमपिदँयानरं
तिाना ं सविनासाधारण ं
ू ु
न ैिमिककापजाबममपिदशित े
अथ षोडशिनािदना
े े ोकशतपण
तयोभविदन े षने पटलन।
े तऽ अथ
े
षोडशािदिभः े
त
ं
पीैािऽशोकै ु
निमिकाचनबममपिदशित।
तऽ अथ
े
षोडशािदना आपररािमने ोकयने
े
पटलाथशा ु े ूवाय ं
ैिमिककायोरूाबमानान
चोपिदशित। तऽ न ैिमिकं का ं च अचनिमित े
शषः॥ े ं
१॥ साप
ू ू सापम
पवपवतः ्
े एत े
ं भवितिनाचािनरतानामव
ु योयता, उभयाचािनरताना
न ैिमिकाचास ं कााचा योयतित।
े
अथा भजन ं उबमिवपयासभजनम , ् एतवसाधारणम॥
् २॥
--------------------------------------------
p. 109) े ु ू
परिनपजा ु े ै ु पजनम।
े कयादत ू ्
अिास े च पणाया ू ् ५॥
ू ं वसोवपजनम॥
ू े े ु ः।
ू ं पजयमपरै
वैशाख े मािस पणाया
ू
अिप वा चकरीचन ैः िशिशरोदकै ः॥ ७॥
ू ं कदलीपनसाॆज ैः।
जे े मािस च पणाया
फलै ु पजयव
ू े े पववत ्
ू सविसय॥
े ८॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 110) सऽैः
सौवण राजत ैवािप ु ः।
ू पसमवै
कापाससवै ु ैः शभु ैः॥ ११॥
गिणत
रै नवधा
ु
कयािवऽ ु ः।
ं षोडशालै
ं शीना ं सवासा
ं ु ् १२॥
ु वा त ै सरमािदसयतम॥
नवालै
ृ
अथवा विशीना ं तालािदकम।
ु ्
ृ ू त ु पजय
काऽिधवासपव ् १३॥
ू े ैयथाबमम॥
होम े कसरमि
े तान ं ािवऽकम।्
ु
ू कयाा
अोरशत ैः सऽैः ् १४॥
* च तारकम॥
े ्
ू िवरसानने िवतानादवलयत।
पजा
ु ु
वाराहीककािदशीना ू ् १५॥
ं मलशिवत॥
--------------------------------------------
तऽ पिवऽ ैवमाण ैः तािभः। तिधान ं पिवऽिवधानम॥्
ु
१०॥ वा पार।े रै ः कमचनािणत ैः॥ ११॥
नवालै ू
ु ः सऽैिरयः। वा पार,े
तासरमािदसयतम ्
ं ु षोडशालायामप
ु े
ु ् नवलायामप
षोडशसरं षोडशमिकं च कयात। ु े
ु ् अऽािदशो रनिवषयः
नवसरं नवमिकं च कयात।
्
ु इथः॥
ूितमिरन ं कयात े पारं परम।्
१२॥ अथवित
तालािदकम
ु ्
अऽािदशः सरमािदिवषयः। एतं
भवित यििावरण े या या शिसा
ं ु ं पिवऽ ं कयािदकः
तावालायामसरमिसयत
ु ु े
् े हतोनामालायाममासरमिक
पः। इिन प े ु ं,
नवाना ं नाथाना ं नवालायाम
ु ं नवसरमिकं ,
े ं ितसॄणा ं लायाम
कामयादीना ु ं िऽसरमिकं ,
मायाः ूधानायाः षोडशिनाकात ्
षोडशसरमिकं , अासा ं पदशिनाना ं
ू
लिलताभताना ं पदशालायाम
ु ं
ं
पदशसरमिक ु
ं पिवऽ ं कयािदित। ृ े अधादयः।
कित
अिधवासपवू ूावत।् त ैः पिवऽ ैः॥ १३॥ तान ं पऽय े
ु िरित
ृ ं तानायाम,ं त ैरोरशत ैः सरमियै
यदीकत
े
शषः॥ ु ु
१४॥ वाराहीककािदशीना ं आिदशने पदशिना
ू
उ।े मलशिवत ् े
ूधानदवतायाः
--------------------------------------------
p. 111) े
माननानः कयात ्
ु पिवऽ ं ूोसया ।
ु ् १६॥
बमागमिशाणामावमदीिरतम॥
े ं योिगशीनामकमिसर
अषा े े न च।
ू
पिरधानूमाणने मडप ैकसऽतः॥ १७॥
े े ं मा ं भवित सवतः।
उमानऽयक
ु
न कयाानसाय ु
यिद कयािनँयित॥ १९॥
ू ं कतकोवै
अथ भािपद े मािस पणाया े ः।
ूसनू ैरचयव
े े पविविधना
ू ु ् २०॥
यतम॥
े ु दशाूितपििथम।
ु ं िवशष
आया ्
आर पजयव ु
ू े े गपोपहारकै ः॥ २१॥
--------------------------------------------
ूोपऽय े यः पोऽीकतत।
ृ ् अिनाना ं
ु
चतदशसरािदक ् १५॥ मानने
, मायाः पदशसरािदकम॥
ू
तऽ पविविधना ू ् २०॥
यतु ं अिधवासपवम॥
ु
आयािमािदिभरचनिम ु
ै तिभः
ु ू ु
ोकै रायजमासपजाबममपिदशित।
तऽ दशाूितपििथ ं
अमावाानरूितपििथम।् उपहारः िनवम॥
े ् ३१॥
शतािदता ृ
ृ शतािदशतवा। ू ं
एव ं पणाया
षतािधकं
--------------------------------------------
े ू ं पजयत
ं ृ पणा
एवमकािदसवा ् े।
ू े िूय
् े
तने िवान भविो ु े ् २४॥
ृ ं कतऽचकम॥
नपित
े मािस पणाया
काितक ू ं कमन े ्
ु े समचयत।
े े ापयीपान
दम े ्
िवया षोडश बमात।्
े े ं त ु ापयदमतः॥
शीनामकमक े २६॥
अथवा भाजन े म े क
े ं तमिभतो नव।
े े ू
ृ िनवदयलिवया
का ू ् २७॥
सूसनकम॥
च पणाया
मागशीष ू ं नािलकरा
े ु ्।
ु चयक
े े ू ैयथािविध॥
िनवाचयाषिपापप २८॥
--------------------------------------------
ू
मलिवया ु ्
जप ं च ैवम शतािदता
जयािदथः। ृ जप ं च
े स
समाचरिदथः। ू िनोबमण॥
े २३॥
े ं ृ पणाया
एवमकािदसवा े ् तने
ू ं षोडश काः समचयत।
यजनन। े े
े एतं भवित दवीशषाचाहोमानरं
ककापजन ु
ू ं कयािदित॥ २४॥
े
कािकािदिभः ू
ूसनकिम िै िभः ोकै ः
ू ु
कािकदीपोवपजाबममपिदशित , तऽ होम ं कयात ्
ु िनोमत
ु ु
इित॥ २५॥ िवया ौीिवया। शीना ं वाराहीककादीना ं
े े शषः।
पिरवारशीना ं तणित ् े
े अिन प
पदशिनाना ं पृथक ् पजाया
ू ् े ्
ं पदशदीपान ापयत
ु ् २६॥ अथवा
तिािभिरित सदायः। वाराहीकयोदवीवत॥
पारं एष गौणः पः॥ २७॥
मागशीषािदना ोकन ू ु
े मागशीषमासपजामपिदशित।
ु ् कपरयतम।
तऽ चयक ू ु ् नािरकला
े ु िनव
े तदपते ं
माषिपापपू ैः पजयिदथः।
ू े ू ् २८॥
यथािविध अिधवासपवम॥
--------------------------------------------
ु ु
ु यगािदष
िवषवायनदशास ।्
ु समचनम
ु शिषक
कयाै ु े े ु तिप॥
े ं पयागमोष े ३२॥
ु िनरताना ं यतानाम।्
िनन ैिमिकाचास
समचन ैः॥ ३३॥
ूो े कापािण षमािण
ू ैः।
यहोमिबयाानयोगतपणपजन
ूोािन काकमािण े े ् ३४॥
ूयोगऽमचयत॥
--------------------------------------------
ु े मासीािदना ोकन
प ु ू ु
े पमासपजामपिदशित तऽ वा
पार।े ग ं गोसि। गमहण ं
ृ ् २९॥
अजमिहािदीरावथम॥
माघ े मासीािदना ोकन ू ु
े माघमासपजामपिदशित तऽ
ु ः ते ैः। इतरैः कै
शै
े पार।े िसता शकरा।
ृ ः। तथित
े ु ३०॥
आिदशः फलािदिवषयः। सदा सविदनाचनष॥
फानु े मासीािदना ोकन ु ू ु
े फानमासपजामपिदशित।
तऽ णराजत ु
ैः पैिरित े
शषः॥ ३१॥
ु े
िवषवािदना ु े ु िदवसषे ु पजािवशषानपिदशित।
े पयष
ोकन ू े ु
ु
तऽ यगािदष ु यगािदसास
ु ं ु वैशाखािदमासोास ु ितिथष।ु
े ं िःबमाचन ं िनाचन ं न ैिमिकाचन ं च।
वैशिषक
आगमोष ु
े ु गजिदवसािदष॥
ु ३२॥
े
अनरं िनािदिभरषा ोकै ः
ू ु
कापजािवधानमपिदशित। े
तऽ िनािदना े
समचनािदन
ू
ोकयने कापजाकरणयोयान ् ू ैव कामावाि ं
पजय
े
चोपिदशित। तऽ यताना ं िवविकनाम।् कापािण यािन
ु
समचन ैः यहोमािदिवकारैः। िबया पिलकास
अिभमतानीथः। ु
े
कटकवधनािदः।
।
तािन च ैऽािद च ैऽा ं ितिथवारै पावित
ू
पजाि ु ् ३६॥
ः क े सानबमात॥
ैदशकालै
ू ु े शा ै पजयािरमडल।
राय ै भपर ू े े
जयाय दहनागारे लाभायािनलमडल॥
े ३७॥
े े े
शषयोमगहऽाः े
पीताताणािसत ैः।
ू े ् ३८॥
ि ैः षोढा िवभाहः बमािािऽ ं च पजयत॥
ु
तािन च ैऽािद-ऋतवः खडािन समदीिरताः।
ू
तािन पजािवधौ
ूोै दा
ैनवनामिभः॥ ३९॥
े े बमात।्
लिलता कामदा कामतािभादश
च ैऽािदमासनामािन तषे ु त ैदानपजन
ू ैः॥ ४०॥
--------------------------------------------
ू
ान ं भतोदयसमयरणम।् योगः
ु ु े ु ूोष
भवित काावापायभतष े ु सस ु चरमभतात
ू ्
् ू े अऽ कवल
समात पजनादपिरात। े ं समने
े े ैव वाितािकथनिमित॥ ३४॥
सपयािवशषण
े
रािदना ोकन ु
े षमपमपिदशित े ं
तऽाषा
े ् ३५॥
वँयाकषणिवषणादीनाम॥
े
तानीािदना ोकन
ू ु
कापजािवधानबमकथनूकारमपिदशित।
तऽ तािन षमािण
े
। दशकालै ु
िरऽ कालशोमतािदवाचो॥ ३६॥
े
रािदिभः समतु इःै पदशिभः ोकै ः
ू े ु पजया
भतमडलष ू ु े ु ििवशषे ैः पजया
ऋतमासितिथवारष ू च
े ु
फलिवशषानपिदशित। ू ु े रखामाकशलोपत
तऽ भपर े ु े
ू े े चतरॐ।
वािरमडले अचाकार े यपोपते े मडल।े
दहनागारे ूितकोण ं िकोपते े िऽकोण।े अिनलमडले
ु े व॥
एकािरतमबिहिवरिचतिबषय ृ े ३७॥ शषयोः
े
िनमहिनधनयोः। ोमगहे े कवल
े े
--------------------------------------------
ु
े र ं ितलं मिमित
हम ु
िायनबमात।्
े े ् ४२॥
च ैऽािदष ु त ं नादं दािािवदऽचयत॥
े
ाककरािनाकदकाः *।
ु
िबोवट मातॄणा ं पादपाः समदीिरताः॥ ४३॥
ु
ू ू मपीठगाः।
चनयकपरचता
तषे ु च ैऽािदष ु यजदाािसिढा
े े ् ४४॥
भवत॥
ु े ्
ू ैः ूसनू ैिनमचयत।
च ैऽािद-ऋतसत
आयःु काि ं िौय ं भिम ु े ४५॥
ू ं िवजय ं शदत॥
े ृ
ूितपििथमार बमादकािभवितः।
मोचा ं गडु ं नािरकल ू ं होमयदिप॥
े ं पणा े ४६॥
--------------------------------------------
ृ े पीतताणािसत
व। े ु
ैः वायनाभसोरिसतवणः।
एतािन िािण
ू ू े षोढािवभाहः पिभः
भतमडलपजायामव।
पिभघिटकािभः े िविभ॥ ३८॥ खडािन
रािऽ ं च उबमण
े ु िवषयषे ु (?)। अह रािऽ ं च
घिटकाः। पपाितकष
पिभघिटकािभः षोढा िविभ तषे ु षड-ऋतभतष
् ु ू े ु
बमािादीिनकयात ्
ु इित। ुे
नवनामिभः िऽपरािदिभः॥ ३९॥ बमात ्
े
उानीितशषः॥ े पयः ीरम॥् ४१॥ हम
४०॥ िसििभः समिमित शषः। े
े
इित पददः। अचयत ्
े तिमित े
शषः॥ ४२॥ मातॄणां
् ४३॥ मपीठगा
विशािदपरमाथानाम॥ ु इित। एतं भवित।
ू ू
चतकपररचनचनााः
ू
कामपपणिगिरजालरोानपीठगा इित। तषे ु ादशस ु
े ु ४४॥ िन ं िनक॥
िवरष॥ ्
४५॥ होमयते िनहोमा े िवया
ु
ूोिसायया ु ् ४६॥ ततः पणािदनात।
जयात॥ ू ् एव ं कत
ृ े
ृ े
लानपोभविदयः॥ ४७॥
--------------------------------------------
p. 116) े
रिववारऽणाोज ु ु ः सोमवारक।
ैः कमदै े
भौम े रोलैः सौ े वारे तगरसवैः॥ ४८॥
ु े ु कारैः शबवार
गवारष ु ु ैः।
े िसताज
् ४९॥
उलैः शिनवारषे ु पजयदमादरात॥
ू े
् े ु रिववारािदसस।ु
े े बमाष
िनवदयत
पायस ं धकदलीनवनीत ं िसत े घृतम॥् ५०॥
े गािदिभः बमात।्
एवमं समारा दव
महिपडा ं िविजाश ु मखािन
ु ु े ५१॥
च समत॥
ु
ु ं समार नव चबायनबमात।
चतरॐ ्
् ु
िऽिऽबमात ं तत सूजं े ्
िौय ं लभत।
े ५३॥
एक िषमोामः िौय ै की च कत॥
े
नवािन समपािण सवाभीाथिसय।
र े हमिन
े े च ताॆ े षिद च बमात॥् ५४॥
--------------------------------------------
p. 117) ृ ौीचबिनमाण
का ् ू े
ं ापयते पजयदिप।
ु े ५५॥
लीकाियशःपऽधनारोयािदिसय॥
ं
सीसकाािदष ु पनः ू ृ ्
ु पविवपरीतकत।
े यजव
पवताम ु ु िनिश।
े े पलाशकसमै
् े े ् ५८॥
े ं भवत॥
िसि ै (?) साहात खचरीमलन
ु े वा धरणीभृताम।्
ू े वा क
अरय े वटमल
ु
कदजातीपाा े ् ५९॥
ं िसि ैः िशवा ं यजत॥
--------------------------------------------
p. 118) पीठमिमै
ु ः का े यजििश।
ृ तऽ दव े
ु ु ः िसि ैमास
शालीकसमै ं त ु िनभयः॥
६२॥
ँमशान े दवदविश
े े े िस िपशािचकाः।
अँमपातूहारा ैर ि िषिरम॥् ६३॥
ु े ु बमात।्
मालतीजाितपागकतकीमनिभः
तने िसि वतालाा
े े
ना या े ् ६५॥
चरत॥
ृ
कचबे ितका ु
ृ ं तामितबाशयो े ्
जपत।
े े ् ६७॥
सायोिन ं तदम े त ु बिलं दािवदयत॥
िसिसमोपते ं मास ं ताललोचनात।्
जाय े भीषणाः कााः
ृ े े ् ६८॥
सा ं िनवदयत॥
ं ु पनयाि
िवसहारसाः ु िनजया।
े
े ःु ूाथनन
े ललाटनऽाः
दा े ितरोिहताः॥ ६९॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 119) ू े ू
रभषारालपमालाभिषतिवमहः।
उान े िनजन े दव ू े ् ७०॥
े चबे सि पजयत॥
कारचकाशोकपाटलाशतपऽकै ः।
िसि मासतः॥ ७१॥
िसिसमोपते ैमायाः
ू े ्
षडाधाराम े त ु चबं सि पजयत।
ू गनािभमहोदय
चचनकरीमृ ैः॥ ७३॥
े ्
े े तषे ु सिविचयत।
िऽकालो भवव
ू
पणूतीतौ े ् ७४॥
भािन िवकलऽभमीिरतम॥
े चबण
दव े सिहता ं चक े ्
ु े सिलले रत।
ताकम॥् ७५॥
मातृकासिहता ं िवा ं िऽरावामृ
ृ
् े ्
नाड सारत िजा ं दीपाकारा ं रन िपबत।
ु ं त पािड ं भिव
अातिवध ु जायत॥
े ७६॥
--------------------------------------------
ु
िवमहानपिराित॥ ु
े यसादात
६७॥ ूाथनन ्
--------------------------------------------
p. 120) ु
एव ं िनमषःकाल ु
े यः कयामानसः।
स योगी ॄिवानी िशवयोगी तथाऽिवत॥् ७७॥
ु
अनमहोचबा े तािभवता
ं दव े ्
ृ ं यजत।
े
चकीवरै ु े ७८॥
मासादारोयमपजायत॥
ू ्
रभतमहोादशीितकाकामलािक।
ू ु ु
दकणरिशरःशलगािदकिजाः॥ ७९॥
े
ोणूमहछशमहयिदोषजाः।
ू
सव तया सम ं याि पजया े
परमिर ॥ ८०॥
ु
े काँमीरं समदीिरतम।
ि ं चब िनमाण ्
े
िसरं ग ैिरकं लाा दरदं चनऽिपवा॥ ८१॥
िबलारे िलखब ं ु ्
े ं षोडशॐसयतम।
े
दरदना ू े े ् ८२॥
मा ं पजयरमरीम॥
--------------------------------------------
ु
मपिदशित। े
तऽ अमृताकं सिललिमित शषः॥ ७५॥ िजा ं एतं
े
भवित सरतीनाडीिवमहा ं िजा ं ातजोिवमहा ं िवभा
े
तजिस ु िपबिदित।
तदमृत ं होम बा े ु ं पािड ं
चतिवध
वािदकिववािमाातृपम॥् ७६॥ िन ं यावीवम।्
ु
सयोगीा े एव ं
पूकार ैकऽिप
ु ् ७७॥
नानापकथन ं लोकोनमथम॥
ु े
अनमहोािदना े े ोकऽयण
परमरीन े
ू ु
सवािधपिरहारपजामपिदशित। ु
तऽ अनमहोचबा ं
ु
िनािनापटलोानमहचबाम।् तािभः
ं े ् तऽोिवधानत
तऽोािभडािकािदिभरचािरशििभयजत।
े इीवरैनलोलैः॥ ७८॥ र इािद
इित शषः।
षोडशिवधािधकथन ं सवषा ु ्
ं ाधीनामपलणाथम।
तऽ दकणर ू ं
इऽ रशः पीडावाची। िशरःशल
े
िशरोरोगः। िऽदोषजाः वातिपणा
ं एकै कािधसीणजिनता
रोगाः सवरोगा े
इित शषः॥ ७९॥ ८०॥
े अिभषकािदष
ििमािदना ोकन े ु
ु
ौीचबिनमाणिसकमपिदशित। तऽ चन े शीतर॥
े ८१॥
--------------------------------------------
p. 121) ु
तािभििभःसाकं िसि ैः सगििभः।
ु ु मासमाऽण
कसमै ् ८२॥
े नागकाः समतम॥
े
े ु रमयि िूयािरम।्
पातालािदष ु लोकष
यरासगविसिवाधरानाः॥ ८३॥
ु
िपशाचा गका वीराः िकरा उरगाः िूय े ।
ू
िसि पजनाऽ तथा तोकालतः॥ ८४॥
ं ु भषणावा
िकशकै ू े
ै पाटलैगजिसय।
ु ु ः खरिसय॥
रोलैरिस ै कमदै े ८५॥
ं
उलैसिस ु े
ै तगरैः पशिसय।
जीरैमिहषावा ु ैरजिसय॥
ै लकच े ८६॥
ं
दािडमैिनिधसिस ै मधकैु नागिसय।
े
ु रनािस ै कारैः पऽिसय॥
बकलै ु े ८७॥
शतपऽ ैजयावा ै कतकै
े वाहनाय।
े
सौरभा ैः ूसनू ै ु िन ं सौभायिसय॥
े ८८॥
--------------------------------------------
ु
पदशिवधवाितिसिमपिदशित। ु ु ः।
तऽ रोलैः रकसमै
तगरैः ूावत।् जीरैः नारैः। वाहनाय े
े ८५॥ ८६॥ ८७॥ ८८॥
नाोिलकािदिसय॥
--------------------------------------------
p. 122) ू े
पजयासमाऽ ु ं िऽगण
ं वा िगण ु ं त ु वा।
े
नािलकरोदकै ृ े
ः ूी ै िहमतोय ैनपाय।
सवाथिसय ् ९२॥
े तोय ै रिभिषहरीम॥
े े
ू
पगोान े े िसि ैिदवाऽिनशम।्
े यजव
ं
िनवसऽ ु े मथोऽपरः॥ ९३॥
तैजायत
ू ु िनयत ं दव
पणास े ्
े ककाया ं समचयत।
ृ
काः े
परिरता ु
मा िवमखाान ्
मसि वै॥ ९४॥
--------------------------------------------
ू े
पजयिदािदना ्
े काफलावािकालान सवऽ
ोकन
े
िनविािण चोपिदशित। तऽ ीरादीिन चािर िािण
सवन ैवानीथः॥
े ८९॥
े
सचबािदना े सवपिवशा ै सा *
ोकन
ु
बमतपणािदकमपिदशित। तऽै तं भवित
ु जलाशय े
राजबोधिऽिवधोातवैिरपीडामहवैकृ तरोगाािदष
ृ
ातः धौतारः पिवरोपिवः कतासः ृ
कताच
े
नाथाया ौीचबं सिललोपिर िवभा तगा ं दव
े ू ं सिललं अ
णताॆतमचषकपिरत
ू
कपरािदिभः ु ू ु ं ूितशिकं
सरिभूसनज
ू
िनपजाम ् े सवपवशािभवित॥
े दात तन
ैमण ९०॥
े े ोकयने दाः
घृत ैिरािदना महरीिमन े
े
षिरिभषकि े ं तलािन चोपिदशित। तऽ
ैः सिवधािभषक
ृ े ९२॥
िऽिभः ूोै ः॥ ९१॥ ूी ै िनवय॥
ू े
पगािदिभः घोरतरैरपीःै षिः ोकै ः
ूितोकमकैे कूकारण
े
--------------------------------------------
ू े ्
तथा र ै नविभः मास ं मास ु पजयत।
ु सवपापौघ
िवमः ु
ैा ं पँयित च चषा॥ ९७॥
ं ु रचयव
अशकै ु
े े मासमाऽ ं सगििभः।
ु
मत े पापकािदःख
ृ ैघरतरैरिप॥ ९८॥
े
दवीप ं माान ं चबं शीः समततः।
ं
ु पजययो
भावयिषय ैः पैः ू ं े ् ९९॥
भवत॥
--------------------------------------------
ु
षकारभजनमपिदशित। ु पगूसन
तऽ तैः ू ू ैः॥ ९३॥ ९४॥
ु े
िलऽयगता ं यबाणतरिला ं
ू
मलाधारदयॄरगताम।् चबािभः अिणमािदिभः। अऽ
--------------------------------------------
p. 124) े
दवीप ं माान ं चबं शीः समततः।
ं
ु पजययो
भावयिषय ैः पैः ू ं े ् १००॥
भवत॥
--------------------------------------------
मसा
ु
ष े यािण स ाा मशतारम।्
ु
षिपादािषिः िरित सक ् समीिरतम॥्
अथ सम ं पटलम ्
े ं
तोगबदाायभीाथूदािन च॥ २॥
िवाप ं त ु त े दिव ु
े ूों ूागवे तटम।्
ू
मलिवारै
रव ु
े ं कयादािन षमात॥् ३॥
--------------------------------------------
अथ सम ं पटलम ्
ु े मलमण
एव ं षोढा िविभने जाितयन ू े षडास ं
ु , उरऽ नवम े पटले
करामयोः कयािदित
--------------------------------------------
p. 126) ु े
॒ोऽनासाितय े िजाािभगक।
ापकने सवा े मािद
ू ूपदाविध॥ ५॥
े े ु ानषे ु तदनरम।्
सिारायष
ु
समने ापक ु कयाबमण
े े वै॥ ६॥
ू
अथ ान ं ूवािम िनपजास ु चोिदतम।्
यने दवी ु
े सूसा ददातीमयतः॥ ७॥
बालाककोिटसाशा ु ु
ं मािणमकटोलाम।्
हारमवै ू ु
े यकाीिभिमकानपरािदिभः॥ ८॥
ु
पाषोडशषोणचतरॐगाम।्
--------------------------------------------
अथ ानिमािदिभः तऽ वै इःै षिः ोकै दा
ु
िनसपयाानमपिदशित। तऽ यने ानन॥
े ७॥ ऊिमका
् ८॥ इकलाकिलतमौिलका ं चकलावतसं
अलीयकम॥
ु ं
पदशाना ं िनाना ं साधारण ं नाम॥ ९॥
ु
पाषोडशषोणचतरॐगाम।् एतं ात ्
ू
समारालं सऽयम
--------------------------------------------
ु ु मखला
कसमा े ु
पादना मदनातरा।
ू
अनपदपवााः े
पमी मदविगनी॥ १४॥
ु
ततो भवनपाला ् े नरा।
ात शिशरखा
ू
े गगनपवाऽा
रखा ू पऽषे ु चास॥
पा ु १५॥
--------------------------------------------
बिहिवभागन ु
े समचतरॐाकारं का ृ
ृ तदवय ं का
ृ तऽ
च वमाणबमण ृ
े षोण ं िवधाय तदवय ं
एकालाराल
ु ु ु
ं िवधाय तदतरलारालं व
ृ ं का
ृ
े े व
तदरकालमानन
ु ृ ं का े
ृ एव ं ूवशगा ृ
िऽः का
ृ
समाववीा ं प दलािन का
ृ तिहः ववीा
ृ ं
ृ तिहरिप ववीा
अदलािन का ृ ु ् एव ं
ं षोडशपऽािण कयात।
ु एतषा
पदलादलषोडशदलषोणचतरॐगािमथः। े ं
े उपिरामाणािदह न ूपितः॥ १०॥
मानिवशष
पाशाशािवित।
ु
एताायधािदवामोहािद
वामाधरहां
े े ् ११॥
े च कयत॥
वामदिणबमणाधरहयोदिणवामबमण
े े ु १२॥
तऽ वै ूयोगोपदशानष॥
ु ु े
कसमािदना अिने ोकयने ितीयतृतीयावरण े
े ु
अस ु दलष
--------------------------------------------
पषोवशा ु
ू े समनसा ृ
रितः ूीितधितथा।
ृ
विसौा ु
मरीिच परतंशमािलनी॥ १९॥
ू
शिशनी चािरा छाया ततः सणमडला।
ु ताा किथताः कलाः ःु सरा िवधोः॥ २०॥
ताऽमृ
े
षोडशिप ू े यथाबमम।्
पऽषे ु पजया
े ् २१॥
बिहः षोणकोणषे ु डािकााथाऽचयत॥
--------------------------------------------
ू
पाः ू इित पवातॐः
शीपिदशित। तऽ अनपदपवाा ू
् ु ु अनमखला
एत ात अनकसमा े अनमदना
ु इित॥ १४॥ रखा
अनमदनातरा ू गगनरखथः।
े गगनपवा े े अा
अमी॥ १५॥
े
ौािदिभः षोडशद े इःै तृतीयावरण े
े ू
षोडशदलपाः े
शीपिदशित। तऽ अमी मनोरथयः॥ १६॥
े
मदनोािदनीका। ं १७॥ सराः
वशकारीथः॥
षोडशरारषे ु एकै कारपिवकाः।
ू
िूयदशनकािकाः
इथः॥
षोडश िूयदशना १८॥
ू े
पषािदना े ोकयने
यथाबमिमनान
ु
चतथावरण े बिहः षोडशपऽषे ु पाः
ू शीपिदशित॥ १९॥
ु
तामृ ु सह अमृता तििरका
ता ता ु सरा
े अमृता इकथः।
े े
एता ूावत।् रारषे ु एकै कारपिवकाः
ू िवधोधः च॥
पमावरण े षोणषे ु
बिहिरािदना ोकोरान
ू
पाः शीपिदशित।
--------------------------------------------
p. 129) ु
तिहः चतरॐा ं लोकशा े ्
े ं तमा ं यजत।
ु ं गणप ं गा ऽश
बटक े ् २२॥
े े ं चािभतो यजत॥
पजयिवाम।
ततामिवाा ं ाः
ृ ू े ्
--------------------------------------------
तऽ तथाऽचयत ्
े एत ् े
ं ात उपिरािािनापटलूोबमण
् ु े ु ूोबमण
िनर-ऋितवायवासवकोणष े , डािकनीरािकनीलािकनी
शिऽयम वीशवणकोणषे ु िऽष ु ूोबमण
े
कािकनीशािकनीहािकनीित शिऽयमचयत ्
े इित॥ २१॥
ु े
तिहिरािदना चोिदत ैिरने ोकयने षावरण े चतरॐ
ु े पशािदकमपिदशित।
तदः कोणचतय ू ु तिहः
षोणािहः। लोके शान (् ?) शीिरित शषः।
े तमाः
े ु
ूधानदवतासमानवणाभरणकरायधधराः।
एतवावरणशिसाधारण े ् ूागादीशामस ु िद ु अध
ं यजत।
ं ु
ऊ च ूादियने , अा
े ं
षोणमरणावरणशीदमादार
े े
ूादियनाचयिदित २२॥ अाॐषे ु
सदायाथः॥
ु ृ े ु िवािदसायराित
चतरॐषोणबावारालष। ैः
्
तामिभः। एतं ात ूोानामावणशीना ं
ं सवासा
ू ु
मलिवारपररै ःै
ः तामिभः साय
े िवारानरं षोडशरारसिहत ं
षोडशदयिप
ूोबमण ू े ् तः
े पजयत। े
े बटकगणपितगाऽपालः।
ु े
ैिरित शषः॥
गािदचोिदत ैः वमाण ैि े २३॥
तत इािदिभः िसीःै पादािधकै ििभः ोकै दा
ू
िनपजाबम ं तलं चोपिदशित। तऽ अिवाा ं
ाः
ृ ्
एतं ात ूावदाधारचषकसिललािन
ू
विसयसोमाकािन ु तडम ैः
बा
े
ूोबमणा ृा मलिवामकादशवार
ू े ं जिपा
े ्
ूावत सपया
सािधतनाण कयात ्
ु इित। ं
एव ं सवासा
वमाणाना ं िनानामघ ििवधयथः।
ृ े े
--------------------------------------------
p. 130) ु वा ूसनू ैरण ैः शभु ैः।
घृताै मधराै
ु
अााा ं ूजयातः ् े ् २५॥
ूावत समापयत॥
ू ु ु
एव ं िन ं पजियतरायरारोयसदः।
ु
लोकानरन
ं नारीनपावजनकम
ृ च। २६॥
् ु सिर।
अपृथने िसि तोगान ण ु
ं ैलोोभणमान॥् २७॥
महाचमारकरा
ु दवी
परा ् ानाकािजान।्
े प कामान प
् ु ् २८॥
ु ं िऽिवधान ूागदीिरतान॥
ससज बाणाना
--------------------------------------------
ु पचारा ैः सपयािवशष
ूागै े ैिरित शषः।
े तथा
लिलतािवाहोमूोबमवत॥् २४॥ ूावत समापयत।
् े ् एतं ात ्
े
दवतातनौ े
तिरवारशी जोपाः ु ता ं च
समािवा बा
े
तजोिपण खचया
ूवहासामागण ु ा ं नीा
े मिया
् ्
े इित।
ूावत समापयत े ु े े
पदशाना ं िनाना ं िवशषानपदश
े बिलूदानम।् अवसान े
े षोडशारमण
सपयार
ु ु
ककासाया बिलूदान ं सवावरणादौ
े
दवतापिमभाग े
्
ूावत िऽपिक नाथनवक पजन ु
ू ं च कयािदथः॥
२५॥
आवजन ं वशीकारः॥ २६॥ अपृथन े े अऽािप
े अनवानथः।
ु ु
यगानपमरल ं जिपा तशाश
ं ं तपणहोमािदकं च
ु
कयािदित।
ु े िऽपादाने ोकन
तोगािनािदना ूागदीिरतािनन े
्
ु े ैतान ूौित।
पकामवनमखन तऽ तोगान ्
े
पकामादवीमययोगान।् महाचमारकरान ्
मनीिषताथूापकतः। ्
चमार आयम।
् े ु
ऽैलोोभणमान अशषभवनूथाकरान , ् एतोगािन
े ् २७॥ दवी
िवशषणम॥ े कामरीसदायः।
े
े े
मदनोादनािदशिनोान ्
पानाकान ्
े
पियानिवमहान ् ं ानियानाकात।
सवषा े ्
ससज तिपण ् ू ू
े िऽिवधान लसपरन।
ू े पिरणतथः। े
ु
ूागदीिरतान ्
पम ु
े पटले बाणाः िरािदिभः ूोान॥् २८॥
--------------------------------------------
् े
मनोभवः पमः ात नामातािन वै बमात।्
े ं ण ु ूा े िविवोभकािरणाम॥् ३१॥
ान ं तषा
े
पीतताणाकारायोऽौ ू
धॆनीलकौ।
सव िनऽा ु रवसरोहाः॥
े िभजाः े ३२॥
ु े ु ु े ु भताकाः
पसचापपषधरा ू बमात।्
िवाकारा िवमनोिवोभिनयताकाः॥ ३३॥
् ु ूा े बमादकारानिप।
एषा ं मान ण े
े कैः सत ै यािण ःु पृथक ् पृथक॥
य ैरकै ् ३४॥
ं
सहसदाहविै
ः कामराजः समीिरतः।
ु
ूाणोरसावियतथा े
नािप मथः॥ ३५॥
--------------------------------------------
तषा े े ोकयने
े ं नामानीािदना बमािदनाािधकन
ु
े ं कामाना ं नामपमूावपवू नामापिदशित।
तषा
े ं पाना ं कामानाम।् य ैः नामपम ै।
तऽ तषा
े ं नाममपाणाम।्
तावनािदना तषा
े
आिदशोऽिभषकासािदिवषयः॥ ृ
२९॥ ततीयः तषे ु तृतीयः॥ ३०॥
ू े ३३॥
भताकादव॥
े तषा
एषािमािदना ोकन ्
े ं मान यािण च ूौित तऽ
ु ैः पिभीिण
एकै कैः एकै कारतः एकै कयसत ैः समिदत
यािण॥ ३४॥
ं े
सहसािदना े ोकयने
मनोभव इनान
े े
तषामकारान ् ु
पमानपिदशित।
--------------------------------------------
p. 132) ु सयतः
शिचः ु ु ्
ं ु ूोः कपऽरसायतम।
या ने च सोः सोऽय ं मकरकतनः॥
े ३६॥
सिय ैदाहविै ू
ोभनोभवः।
ु े ासतमी॥ ३७॥
भालवसािभगष
् ु ु े े मलतः।
समाशगान कयबाणानव ू
े
भाला ं िवसि
ं यः स सवानारः॥ ३८॥
ऽैलोोभणािन च।
एषा ं यािण सवािण
े कथयााकणय समािहता॥ ३९॥
तािन बमण
--------------------------------------------
ं
तऽ सहसदाहविै
ः ॑कारः कामराजम इथः।
ु े
ूाणोरसावियतःनािप ककारलकार ईकारिबिभः कारः
ं ु िबसिहतादशरः
ु सयतः
मथमः॥ ३५॥ शिचः
ं
कदपमः। ं ु
अबरसाया ने च वकारलकार
े
ऊकारिबिभः मकरकतनः॥
३६॥ िय ैदाहविै
ः
े ईकारिबिभः मनोभवमः।
सकारतकाररफ
े े ैकन
भाल इािदना र इनाान े ोकन
े
ु
ताणा ं बाणमाणा ं च ासानबममपिदशित। तऽ
भालं ललाटम।् गिमितमलाधारानमत।
ु ू ु े अमी
्
पकाममाः॥ ३७॥ बाणान बाणाना ं शैवानामकैे कारान ्
ू
कटमान।् एवे उष
े ु ानषे ु एव। मलतः
ू ू
मलाधारमार
े ं कामाना ं
। एतं भवित पाना ं तषा
े े ू
ूकमकारभतान ्
ूोान ् ू
कटपान ्
पमान ्
् ू
तााऽितान ललाटािदमलाधारा े ु पस ु
ं ूोष
ानषे ु मलाधारािदललाटा
ू े ु िव
ं च ूोष
ु े
चतथपटलोानकारान ् ू
कटपान ्
पसान ्
्
शैवबाणमान तानािद ् े
नमोऽान िवसिदित॥ ३८॥
ः पिभः
एषािमािदिभः िशव े इरै ािधकै
े ं कामाना ं ूक
ोकै षा े ं बमण ु
े प यायपिदशित।
तऽ बमण ू
े ूोकटमबमण॥
े ३९॥
--------------------------------------------
ृ
वऽय ृ म े मरम।्
ं षोण ं का
् ् ु
े ं ष कोणषे ु तत पनः॥
िलखते साायोपत ४२॥
--------------------------------------------
ु
पनििवविजत ु
ैः अपनराविप
ृ े
ैः। अिभः हकाररफककारलकार
ऐकारवकारसकारतकारैः तथािवधररै े अऽ
ै िरितशषः।
ऐकाररयोजन ं नाम अकारािदिवसजनीयााना ं षोडशराणा ं
ु
यथाबममारणम।् एव ं सवऽ रषे ु रयोजनमत
े
राणा ं ातात।् मायया िवसजनीयन
े तषा
े ं
े एतं भवित तषे ु पस ु काममषे ु
षोडशरयोजनन।
ु
अपनै
हकारािदिभरिभररै
े ं िवसजनीयाान
ः ूक ्
् ् े
े तनोसारािण
षोडश रान योजयत भवीित। त े यथा हः
ं
हाः इादयः। पिऽशदरष ु ् ४०॥ त ैः
े ु पनिवसजनीययोजनम॥
ृ
रिवकतारै
ः॥ ४१॥
ृ
वऽयिमािदना े े ोकयने
िशव े इनाािधकन
ु
पाना ं याणा ं पमपिदशित। ्
तऽ मरम पस ु
ू े ु ािभिहतमकमरम।
कामकटारष े ् एतं भवित
ू ु
इूमाणने ॅमणने मसऽपरःसरं व
ृ ं िना
े ॄसऽवसियावन
तासामानन ू ृ े
ृ
वपायोलानािन ृ तषे ु वाविधक
का ृ ं दिणोरं
ू
सऽमाा ू ू ृ
तयोः पवसऽामयवसिमवल
ू ृ
मसऽपिमामवस ू
ं सऽयमाा तत ्
ू ं तयात ्
पिमसऽपय
ू ू ृ ू
मसऽपवामवसविधसऽयमाा एव ं
षोण ं का ्
ृ तत षोण े
ं ितयमरवाृ
ाृिकया
ृ ं का
मतोव ृ
ू ृ े
पविलिखतषोणबावािहरकालाराल
ु े
ं बमण
ृ
वय
ं िना सवमवम
ृ ू
े कामकटार मषे ु
पस ु ूथमारभता
ू ं खा
े ं सिबकामािल ता
े
रफगभ ु
सााा ं चतथरगभ
ु
साधकाामभयोररा कम च समािल बिहः ष कोणषे ु
अधनषे ु
--------------------------------------------
p. 134) ्
िवभ िबमायाामध ऊ िलखते बमात।्
ृ
वारालयोबा ु
े चतःषा े ् ४३॥
िरािलखत॥
् े े ु षिप पावित।
चतथु िविलखते कोणष
्
े े पमन
वयत ् ४६॥
े ैव त ं सवमोहनम॥
--------------------------------------------
िऽष ु कोणषे ु ता ं खा
े ं सिबकामािल उपिरतनषे ु िऽकोणषे ु
तामवे िवसजनीयाा ं समािल षोणबाववीा
ृ ं
ृ
ूोरिवकतारािण बमण ्
े अमात ूादियन
े
ु
ूथमचतःषि ं ताववीा
ृ ु
ं तृतीयचतःषिमरािण
च समािल मनीिषतषे ु कमस ु
ु िनयात।् एवमािप
ू
कटारािण चािर तथािवध े य े ूोबमण
े समािल
ूावभारषोडशकािदकं
ु े ् एव ं प यािण
बाचतःषिकयमािलखत।
मनीिषतथष ु ् ४२॥ ४३॥
े ु िविनयात॥
पिभिरािदना सवमोहन े े ोकयने
ं इनाान
ू ु
ूोकटमपकसमदायाक ु
ं षं यमपिदशित॥ ४
ू
॥ तऽ ितीयकटजठर ू
े मथकटजठर। ू
े आ ं कामराजकटम।्
सनाम सासाकनामकमसिहत
ं साधकानामकमसिहतम।्
ू
े कपकटपण।
तृतीयपण
े सोणने कपमप
्
ादश र िलिपवशात िऽकोणाकं ु
, तगलयोगतः
--------------------------------------------
ु े ं वा मिहला ं वा मदािवलाम।्
ु ं मनजश
मनज
असष ् े तजसा॥
ू े ु म ं भावयते न े ४९॥
एकीभतू ं जपदतारायिप
े े प त ैः।
ं ु ् ५०॥
तने त े वशगाः िू ं यावीवसिनितम॥
--------------------------------------------
तापीािदना कदाचन इने ोकयने सममम ं
ु ं चोपिदशित। तऽ त
च यय ं तािनगमन ं तदनभाव
ूोप ष महाय। परतः परं सम ं
यिमथः। ु
परोिदत ैः त ैः रवित ैरिभररैिरथः।
एतं भवित षयबाारृाृ ं व
ृ ं का।
ृ
े कालाराल
तिहः ूावदकै ु ं वय
ृ ं िवधाय
ृ
यबावऽयवीथीय े पववत ् ु
ू चतःषिय े ्
ं समािलखत।
्
एतत सम ं य,ं यारं अम ं यम।् बिहः
ु े े मातृकया
ूोचतःषियवनािदितशषः।
े
अकारािदकारारै कपाशदरै े अिपचित
ररावनािदथः। े
( च) ु े एतं भवित समयप
समय।
े ु
बिहरकालारालं व
ृ ं िवधाय ता ं वीा ं
े े
ूावदािदाारािण समािलखदतदम ं यिमित॥ ४७॥
े ं पाना ं कामाना ं ूोयिवमहण
तषा े ू
े लं
ूोमपकिवमहण ू
े सं
,
ू े
ूोपभतसामपपियूभवान -
ु त ैरसाकथनिमािद
े परपं च बा
पकिवमहण
४८॥
सदायरहाथः॥
ु ं इािदिभमिया
मनज ु इःै पिभः ोकै ः
े
ूोानामाना ं याणा ं मनीिषताथयोगन
ु
ानारभावनया फलावािमपिदशित। तऽ सदािवला ं
गगजवत।् असष
ू े ु ूकिमितशषः।
े े ने तजसा
े
े
ापण॥ ४९॥
--------------------------------------------
े
भावयाना म ं जपारायिप।
्
तने त े वशगाः िू ं दःु ूाणान धनािन च॥ ५२॥
ु ं का
एव ं तदम ं क ृ यथािविध।
े ् ु े ५४॥
े दौभायरोगदािरमय॥
यनािभिषत
ु
कचनन ैवा िसरैगिरकै ु वा।
दरदै
ू फलकाया ं िशलास ु च॥ ५५॥
ृ चबाकं भमौ
का
--------------------------------------------
ू
एकीभतिमऽ ु ु
भावनाूकारोगमखादवगः।
ेे ू
त ैमरकीभतिमयः। े े ू तने
मतजोिभरकीभतिमथः।
े
ूयोगण॥ े
५०॥ तिािदः ोकः ाथः॥ ्
५१॥ ूाणान धनािन च
ु ू ५२॥ मबीजे
िकमतावनीथः॥
ू मण
कामराजमथकटयिमथः। े कामरीिवया।
े
ु ु े ु मयोत।े यथा ष मबीज
अऽ गमखावााथिवशष
ु ूोानामाना ं याणा ं म ं बीज ं
इा
े
कामरीिनािवया वयत ् े
े े तनाौ यािण भवि। एव ं
ु अऽ पकामूसात ्
ू षोडश यािण ः।
सय
े
कामरीिवया े
वनसो ािपत इित ूावत ्
माणूकाशै ु ु
े योिनमिया
िराूकारण।
ु ु ू
उपिरामाणया सषामलाधारािद ॄरा ं
ू े ु
े गमागमानसान
विसयसोमाकतजयाकपण
ु
योिनमिाब ं , तया एषां
इित सामियकी सा
े ं च याणा ं साधारणपतित
षोडशानामषा े सदायः॥
५३॥
े ूोस
एतिदािदना ोकन े ु यषे ु
े े ु यषे ु च कापन
सदायूाष ु े े ं
ं तनािभषक
तलं चोपिदशित, तऽ यथािविध एतं भवित।
ु े े ू ु -
तवनिऽलोहधानवरूपमलपवमखिप
ु े ् ू ं उँय
ं कलावतनपवक
धानवासोयगलवनािऽशत े ं
े े
तमणाचयिदित॥ ५४॥
--------------------------------------------
p. 137) म े िवावत
ृ ं का ू ताम।्
ृ तऽाऽबाािभप
े
कामरीतदमो े ं पयोोतः॥ ५६॥
जप
े
तना ू
पवजा ृ तापयाि वै।
्
अिन जिन ु े े ५७॥
सीमवा सखमधत॥
न ैव
े ैः कदलीधशकरापायसािदिभः॥ ५९॥
ु ु सिल
सवणािदष ं धारणारणीतल।े
ू ु ् ६१॥
लीकािधनारोय ैरायःु पणमवायात॥
--------------------------------------------
ु
कचन े े इिै िभः
ैिरािदिभरधत
े े ैषे ु कामरीिनाचनबमतः
ोकै यलखनििवशष े
ु
फलापिदशित। ु ं
तऽ चबाकिमनने रहयाकम
ृ ं ूावत।् तऽ ूक
भवित॥ ५५॥ म े िवावत े ं
े ु अिभप
यषोडशक मष। ू उबमतः। पयोोतः
ू
ीराहारी॥ ५६॥ पवजाृ
तािन िचरकालोपाािन मािण
इथः। ्
अिन जिन े ५७॥
तादािककाल॥
ु
नरिमािदिभरायािद ु ोकै ैरव
ै तिभः े
ु
य ैिववशीकरणोपायमपिदशित। तऽ त े
् ् ५८॥ पायसािदिभः
ूोयषोडशक म।े तत यम॥
े ू
अऽािदशनापपािदकं कथयित॥ ५९॥ मडलं मडलिमित
े े
साना ं वाराणा ं ूकमािभावन
े
सिवधादकोनपाशिनािन े ६०॥
सव॥
ु ू ु
े रजतताॆभजपऽादी।
सवणािदिऽािदशन े
ं
सिल े
यषोडशकिमित शषः॥ ६१॥
--------------------------------------------
े े ु योजन ं कन
राणा ं सवमष े ु
े हतना।
िबयत े परमशान
े त े कथय सातम॥् ६३॥
ु
े े नािन तथा पनः।
राः षोडश दविश
पिऽशत ्
ं समाात ं तयोरोसत ैः॥ ६४॥
ैः रयोजनम।्
े ू ै ैन
भारा दहभत
े
ताणयोजन ं िवि रह ं परमिर॥ ६५॥
भारा वणपाया हसौ नऽे े समीिरत।े
ूाणाः राः समााता िबसग त ु चतना॥
े ६६॥
ु
अावयवािन रािन े
परमिर।
ु
तने तितो वणाः ूसीदि न चाऽथा॥ ६७॥
ु े च पमम।्
िबसग हसा तयरःचित
भारा मातृकादहे े िवि च ैतजृणम॥् ६८॥
--------------------------------------------
अनाव
ृ ैिरािदिभः िसिदा इदै शिभः ोकै ः
े
कामरीम े अनाव े
ृ ैरकारािदिभादशिभररै
ः।
े
षोडशरयोजन ं अषामिप ं माणा ं तथा
सवषा
रयोजन ं तासना ं चोपिदशित। तऽ अनाव ु
ृ ैः अपनराव
ृ ैः।
े
िवाणः कामरीिनािवारै
ादशिभिरित े तािन कािन
शषः।
ू
। ऐ सकलहरनतयमदव इित। अऽ पवलकाराीकारात ्
लकार े
उपितः
े ् ६२॥ योजन ं अपनराव
ललयोरभदात॥ ु ्
े तत कारण
ृ ैररैिरित शषः। ं
े
कथययः॥ ं
६३॥ नािन कािदाािन। पिऽशिदित
े
निवशषणम।् समाात ं तयोः
६४॥
े समाातिमथः॥
रनयोरोसत ैरव
े
कथिमपायामाह भाराः इित। भारा मातृकायाः।
े ू ैः अवययभतू ैः। ताणयोजन ं भाराः ूाणयोजनम॥्
दहभत
६५॥ हसौ हकारसकारौ। नऽे े िशवशिपात।् चतना ् ६६॥
े िचिपम॥
ू
तने कारणन। ु
े तितः हकारसकाररैयगतः॥ ६७॥
--------------------------------------------
ृ
वयाः ृ म े िनजितम।
षोण ं का े ्
--------------------------------------------
िबसगािवािदना े उमथ िनगमयित।
ोकन
च ैतजृण ं च ैतूसरः॥ ६८॥ ६९॥ त ैः पिभः
े े
परतजोपदवतायाः।
ूोवणिवहीनाः ूोवण पकिवहीनाः
े े
। योजयणपकिमितशषः॥ ७०॥ त े मााः। अऽ दशिभः
े
ोकै रतं भवित आिदाारपमातृकाकािवमहाया
ू े ु सवारष
भाराः सवावयवभतष े ु ितिप
े
ु
तरीयरिबरा े ं
हकारसकारषोडशराराणा ं दिहना
े े ु ूाणच ैतािदिवजृणवत ्
दहष
कायकारणाणपकिवहीनष ्
े ु तकयोजनात सवऽ
रयोगने च सवषा
ं बलयोजन ं च भवित॥ ७१॥
े कामरीिवायाः
एविमािदना ोकन े
रिवकत ं
ृ ैररैािऽशािण ूौित। तऽ त ैः
े
कामरीिवायाः
रवित ैानविधकशतस
७२॥
ैररैिरथः॥
ृ े
वयािदना े ािऽशसाधारण
ोकन ं ं
ु
पमपिदशित। तऽ मायागभ खाम।
े े समािल
ूावत।् एतं भवित ूावमण ृ ं िना तऽ ूावत ्
े व
ृ त े खा
षोण ं का े ं ूोबमण
े
वािताथिलिपगभामािल षोणकोणषे ु ष अमादार
ूादियने कामरीिवायाः
े ृ े ु
रिवकतष
े े ु आिदषमािल
ानविधकशतसरष
--------------------------------------------
p. 140) ू
ूथम े कनकावािितीय े भषणोदयः।
तृतीय े ककािसितथु भपिरमहः॥
ू ७४॥
गजवािजरोाणा ं नरगोमृगपिणाम।्
ु े
भजमषमिहषवािजनााश ु नाशनम॥् ७८॥
तिच च तिकै िलिखत ं तऽ तऽ च।
्
ािपत ं मडलाासात सराऽादथािप वा॥ ७९॥
ु े विः
चतदशन ् े जृण ं िरपोः।
ृ ात परण
ु ु ् ८०॥
े ीवम॥
बोधवैरसमोगगमनादरिप
--------------------------------------------
ृ े
वािहरकालाराल
ु ं व
ृ ं िना तीा ं
े ् एतत ूथम
ूावदािदाारािण िलखत। ् ं यम।् अ ैव
य ष कोणषे ु पवू
े ् एतत ितीय
यिलिखतारषापिरतनारषमािलखत। ् ं
यम।् एव ं तषे ु ष कोणषे ु बमण
े षडरत आसमाि लखनात
े ्
ू ािऽशािण
सय ं िबय इित॥ ७३॥
ूथम इािदिभयशय इरै ादशिभः
ं
ोकै ािऽशाणामसाधारणािन ु
फलापिदशित। तऽ
यािण ूक
सवािण
े ं सवाभीूदािन। अिमतावाििरादीिन
अिमतावाििरािदिनयमादसाधारणात।् िविवधषे ु
े
सजीविनजवभदतः॥ े ऽयोदशन।
७४ - ७६॥ परण े गजादीना ं नाशन ं
ऽयोदशने यण॥
े ७७॥ ७८॥
--------------------------------------------
ु ्
रा भवित सवऽ ूािणना ं भवित ीवम।
् े
अनराा ं खननात कलहोगयोयोः॥ ८२॥
भहामिप।
े नाशः
साना ं बिभः शै ू
े
दशानामिप ्
चाोकलहात पीडन े ् ८३॥
ं भवत॥
े यण
अनरण े िवरोधो भबजा े ्
ू ु ं भवत।
रासितले त खनननाकालतः॥
े ८४॥
ं े यण
एकिवशन ु ्
े रोगाता वैिरणो ीवम।
ं े दिनाम॥् ८५॥
ं े गवा ं रोगयोिवशन
ािवशन
े वाहाना ं पिवशन
चौिवशन ू ु
ं े भभजाम।्
े ् ८६॥
ं े ूधानाना ं रोगावािढ ं भवत॥
षिशन
ं े तषा
सिवशन े ु ूोाना ं शनाशनम।
े ्
ं े यण
अािवशन े ८७॥
े काूितिनवतत॥
ृ
् ृ
ू ु खननात वामािदष
धारणाष ु बनात।्
ू
तडागकपवाािदपणााित ु ् ८८॥
सा ीवम॥
े यण
ततः परण ू
े वामी मकोऽिप जायत।े
यण
तत ऊन ् े ् ८९॥
े वैिरवानम भवत॥
ं े यण
एकिऽशन े वाहाना ं दिनामिप।
ू ु खननाारणादिप॥ ९०॥
रा भवित तष
--------------------------------------------
--------------------------------------------
े ं ितिथष ु बमात।्
षोडशाना ं त ु िनाना ं ूक
तिथौ तजन ं जपहोमाचनािदना॥ ९२॥
धमपपू ं कदलीफलम।्
घृत ं च शकरा
ौिं गडु ं नािलकर
े ं फलं लाजा ं ितलं दिध॥ ९३॥
े े ्
ु ं चणकं मु ं पायस ं च िनवदयत।
पृथक
ूितपििथमार बमादशिप॥ ९४॥
े
कामयािदशीना
ं सवासामिप चोिदताम।्
आाया लिलताया ु सवायतािन
े
सवदा॥ ९५॥
िनवदय ु
े े जयाौ दाृणामिप।
े ् ९६॥
िवाशिमता ं िनमभीावायऽिनशम॥
तिारूोमौषध ं तमाणतः।
ं
सिप ु
गिटका ं का े ् ९७॥
ृ तािभः सवऽ साधयत॥
--------------------------------------------
े ूितपदािदपदँयास ु ितिथष ु
षोडशानािमािदना ोकन
ु
तििथिनाभजनबममपिदशित।
तऽ जपहोमाचनािदना आिदशने
े उ॥
तपणाऽिभषका े ९२॥
घृतिमािदिभरिनशिम ु ोकै ः पदशस ु
ै तिभः
ितिथष ु पदशिनविािण
े ं
तिनयोगूकाराोपिदशित। तऽ
े
बमािदित। शिितिथिनविाणा
े ं बम ं दशयित।
ं ूक
े
सवायतािन े
िनविादीिन।
सवदासवा अिप
पदशिनामयात॥् ९३॥ ९४॥ ९५॥ ९६॥
--------------------------------------------
ु े ै ु िनशः।
े रा ं कयादत
राा ं िवशषतो
ु
ान े पान े धारण े च गिलकायोजनन
े वै॥ ९९॥
ुृ
रोगापमृकािददोषा ु
महसमवाः।
् ृ े िचत॥् १००॥
े गह
न बाध े ततो िनमचयत
--------------------------------------------
्
तिदािदिभः िचत इ ं िवाना ं
ःै ोकै ः सवासा
ु ं तििनयोग ं तलं चोपिदशित।
तदरौषिधिभगिलकािनमाण
ृ ं
तऽ तमाणतः तदराविसामानतः॥ ९७॥ पटीरं
चनम॥् ९८॥ एत ैः गिलकाकत
ु ै ९९॥ िचद ्
ृ ैरौषधः॥
े े १००॥ १०१॥
दवतासपयाान॥
मसा
अथ अम ं पटलम ्
े
तदाथ तान ं तदावरणदवताः।
ू
तजायाः बम ं होम ं यािण िविवधािन च॥ २॥
ू े मया तव।
तोार उिदतः पवमव
अािन मवणः ादाने दीिरतम॥् ३॥
तततिभः ्
ु शीष ात िशखा िऽिभदीिरता।
ु
चतयऽय े
ैः शषायािन षिडित बमात॥् ४॥
ु
अणामणाका ं सर ु
सिताननाम।्
े ं कमलासनाम॥् ५॥
े ं बािभः षिपता
िऽनऽा
--------------------------------------------
अथ अम ं पटलम ्
ू
पविन ्
सम े पटले ितीयायाः कामरीिनाया
े
ु
िवधानमपिदँयानरं तृतीयाया भगमािलनीिनाया
ु
िवधानबममपिदशित। े
अथ षोडशािदना अ सा इने
े े पटलन।
ोकशतपणामन े तऽाऽथ षोडशािदना
े िविवधािन
े ु
े ोकयने पटलाथानिशित॥
चन २॥
अणािमािदिभमदािभिर
िै िभः ोकै दाः
ु
ू ानमपिदशित
सपिरवाराया िनपजा , तऽ कमलासनाम ्
ु
अजासन े िताम।् वामबािभािदबमतः॥
६॥
--------------------------------------------
p. 145) ु े ु
कारपाशपसकोदडाामबािभः।
दधाना ं दिण ैः पमश ु ् ६॥
ं पसायकम॥
ं ै िपणीशिपकम।्
पिऽशताण
ं
सार च सयो े ् ८॥
शीका यजत॥
ु ं शभाम।
मदना ं मोिहन लोला ं जिनीममा ु ्
ु
सवादा ं सवसखाममनामिभतोमाम।्
े १०॥
अना ं िवभवा ं िविवधोभिवमह॥
ृ ं त ु ता ं दव
तािभवता ू े
े पजयािताय॥
े ११॥
--------------------------------------------
ु ातात।् अािभः
तथािवधािभः शिगण ैिरिः
मदनािमाािभररशिितिरािभः। रोादमदािभः
े ं एतिशषण
रोादमद यषा े ं
् ७॥
सवशिगणसाधारणम॥
(एवं) ं
पिऽशितािदना े दाः
ोकन े ू
पिरवारभता
ं
मारािकाः पिऽशतसाताः
शीावािाोपिदशित। एतं भवित सिबकं
ु तदन ु मारािण
ादशरमाय
ं
पिऽशतसाकािन े ु तपिर
बमतः ूकमाय
ू
िपणीशिपाका ं पजयािमरत ् े
ु े तन
ं
पिऽशदिधकशतिवारसाका िवाावाः
शय सवि॥ ८॥
मदनािमािदिभवािताय इिै िभः
ोकै िवशितशििभमारशििभावरणय ु
-मपिदशित।
तऽ िविवधोभिवमहे िविवधिवमहा ोभिवमहा च॥ ९॥ १०॥ एताः
ःु शय इित। मदनाािभिवशितशििभररोािभः
--------------------------------------------
p. 146) ू
अथ पजाबम े ण ु सवाथदायकम।
ं दिव ्
ू
यने िव ं वश े भयादिप ावरजमम॥् १२॥
ु
चतरॐय ं का ु ं त ु पिम।े
ृ कयाार
े ं पदलं का
तऽ ् १३॥
ृ तिणकागतम॥
ं े ितयमखािवधानतः।
योिनयतयोम े
ं
पिऽशत ं सायोनयः पिरतःिताः॥ १४॥
िना तावतीयनीमदनााः े ्
समचयत।
ृ
वाराले िभता यजदािन
े षट ् बमात॥् १६॥
--------------------------------------------
य ं
शििभ पपाशत ं शय इथः।
े ूोसाः शयः ूोबमण
आवरणयोिरितशषः। े
११॥
आवरणयिमथः॥
ू े
अथ पजािदिभनरािधपािन योदशिभः
रै ािधकै
ू
िनपजाबम
ोकै दा ं तलािन चोपिदशित। तऽ यने
ू े
पजाबमण॥ ु
१२॥ चतरॐयिमािदिभः बमािद ु
ै तिभः
े
ोकै रतं भवित अबिहिवभागन ु ु
े चतरलाराला ं
ु ं वीथ का
समचतरॐा ृ ताः पिमिदागतो म े ारं
ु
ृ त चतरॐ
का म े पदलकमलं िवधाय
ृ ु
वययाया
ं तिणकाया े ं
ं समिऽरखा
ृ ाॐऽया ं यथामान ं योिन ं का
किणकामवृ ृ (त
ु
े ं चतिवशितधा
एका ं रखा ं योिवशितिचािन
िवभ त ैरशै ं
ृ तािसृष ु रखास
का े ृ तषे ु
ु तथा का
ं
एकाशमानमिभता ् े ं योिन ं
तदः ूावत समिऽरखा
े े ं
िवाय) ता योा एका ं रखामकिवशितधा िवभ तषे ु
ं
िवशितिचािन े
रखास ु ूक ृ तषे ु बाारिचषे ु
े ं का
िचािचिमित बमण ं े ू
े पचािरशिखाियमपाः
ूितपा िविलखत।
े एव ं कत
ृ े बारखामािण
े े
आररखामािण च
ं ं
िऽकोणािन पिऽशदिधकशतसाकािन भवि। तद
--------------------------------------------
मलन
अमै ं ु मलतः।
ू े ससाा ू
े े ् १८॥
ार पायोरागषशीथाऽचयत॥
ू ्
शश तथा प ं रस ं ग ं च पववत।
ृ
तदवयोम े ् १९॥
े षडािन तथाऽचयत॥
तदभगमालाया े ्
ं मदनााथाऽचयत।
म े च दवीमिभतो
े े ु
(षडे) यजताायधािप॥ २०॥
े षोडशिभपचारैदीिरत ैः।
ततो दव
ू े िवदािलयम॥् २१॥
पजयदावणन
--------------------------------------------
े
ॐरखाऽयृ े ं ॅमण
रख े व े
ृ ं िना तदरऽिप
ं ं े व
तासपमाशमानॅमण ृ ं िना
ं
तयोिवषोडशाशसिहत ु ृ तत ्
ं िवमान ं िऽगणीक
ु
समदायमान ं दशधा िवभ तषे ु एकै काशिचािन
ं
पिरतय
ृ े दश दश िवधाय तषे ु बमण
े बाादारं
ु ू िवशितरखा
े ितयमपा
ताािमित गोमिऽकाबमण ं े ्
े िविलखत।
ृ े बावृ
एव ं कत ृ ृ
ामािण आरवामािण च
ं
ॐायिभतो िवशितसािन े
सवि। अबिहिवभागन
ु ु
चतरलाराला ु ं वीथ तषे ु सवष ु उबमण
ं समचतरा े
ू े
उाः शीः पजयिदित॥ ु ाादीिन।
१३॥ १४॥ १५॥ १६॥ १७॥ अ
ू
मलतः ू
मलिवया। ्
ू िपणीित
पववत रसिहतम॥् १८॥
ृ े पदल प किणकावयवीाम।
तदवयोम ृ ्
े
तथाच वायािदबमण
ं
तदयोमपिऽशतसािऽकोण -मषे,ु
अमाूादियन॥
े १९॥ तदभगमालाया ं
ं े ु मऽथ
ृ ()योमिवशितिऽकोणष
व े दवीमिभतः
े
ृ
एतं भवित तदववीथीम े दाः
े ु
षडायधािन। ता ं
ृ
ववीथ े
ितयमखाषोण े
ं षोढा िवभ दा
वामाधरहादीिन दिणाधरहाािन
े े
अमाूादियने बमणाचयिदित॥ २०॥ आवणन
े
मानारण
े सािमित ू
े मलमार
शषः। ं
सिबकं ादशरं
--------------------------------------------
p. 148) े
जपदोरशतमम े दा
े ु िनशः।
ु ं का
ूावदिमख ु ं
ृ होम ं कयाशाशतः॥ २२॥
ं
सयो ू े
िबौ ता ं ूायो मलना ता ं तथा।
ु े ् २३॥
े महरीम॥
ाासयूकारण े
े
दाा े ं नरनारीनरािधपान।्
वशयि
काहोममथो व े नानाभीािदायकम॥् २४॥
ु
िऽमै ः पडरीकै े ्
हमािूा वश ं नयत।
ै ु राजान ं करवीरै ु वैँयकम॥् २५॥
आरवध
कै रवैवाहनावािव ु ैमहशः।
( द)रप
े ् २७॥
सौभाय ं चकै ः िसै रसौगिकं नत॥
ं
तगरैवसिस ु ैभषणाय।
ै पाग ू े
मधकैु ः ककािस ै पलाशैः णिसय॥
े २८॥
--------------------------------------------
सवासामावरणशीना ं मारं कयात ्
ु इथः।
बिलय ं
ू
पजार े षोडशारमण ू
े पजावसान ु ु
े ककासाया च
। सवऽ पजादाववसान
ू ु
े च नाथाचन ं कयािदित
सदायाथः॥
ं
२१॥ दशाशतः ं ू े
बमहोमानरं जपदशाशमलमण
ु ् एतत सवासा
होम ं कयात। ् ं साधारणम॥् २२॥ (उूकारण
े
े
ूधानदाः ू
पजावसान े उन
े बमण॥
े े
२३॥ दाा
े
ूावासदवीपायभावनयथः। ु
े अऽािप पररणाथ
े ं दशसाहॐ ं िवा जिपा तशाश
कवल
ं ं तपणािदकं
ु
कयािदित २४॥
सदायाथः॥
े
काहोमिमािदिभः परमरी पिभः
रै ाः
ु
ोकै ः नानािवधिहोमैनानाफलावािमपिदशित। तऽ
ू ौिाधािन
िऽमै ः िऽमधिन
--------------------------------------------
p. 149) ं ु रंशकावा
िकशकै ु ु े
ै पाटलैः पशिसय।
रोलैः सवािस े े
ै होमयरमिर॥ २९॥
अथ यािण वािम वािताथूदािन त।ु
ु ू े ् ३०॥
ू ु िै लकत॥
चनागकपरकरीकम
सवतो
सवािण ु
यायभीावािकामकः।
ु रजत े ताॆ े ंशक
सवण ु े भजपऽक॥
ू े ३१॥
ृ े का
षोण ं वयोम ृ ततथा।
योिन ं िविल त े माया ं सासमिताम॥् ३३॥
--------------------------------------------
्
ौिधदधीिन वा। अिन ूकरण ूोािन होमिािण
े सवािण
ु सवऽ काहोमषे ु पवू
िऽमावे जयािदथः।
िनबम ं िनवानरं वौ तिायाः
पिरवारातोा ्
पात ूोि ं ं
ैः ूोस
ू ु
े ूोफलावाय े जयात।
तलमण ् होमषे ु सवऽ होमा े
तस ू
ं ं मलम े
ं जपिदित
सवऽसमयः॥ २५॥ २६॥ २७॥ २८॥
ु ु ः॥ २९॥
रोलैः रकमदै
े इिै िभः
अथ यणीािदिभरशषत
ू तसाधारण ं यलखनि
ोकै यकथनूावपव े ं
यािधकरणािन यधारणूकाराँोपिदशित॥ ३०॥ ३१॥ ३२॥
षोणिमािदिभिवधीयत इःै (ििभः) षिः
ु ु
ोकै तदशयिनमाणबममपिदशित। े
तऽ माया ं खाम।्
्
सासमिताम ूावऽ
--------------------------------------------
p. 150) चरमऽमृ ं ू े
े तष ैव शषे ं सपजयिव।
े
ं
ा कादावोऽ ु ने माययाऽमृतपकम॥् ३६॥
तकं रैभदादशीितमायया तथा।
े ् ३७॥
त ैः षढहीन ैः षिः ाायया च तथा भवत॥
तिवमहम।्
ु ं वणमृ
षा शत ं समि
े ं सवऽ तऽिन
तषा े ् े ३८॥
िविनयोगोिवधीयत॥
--------------------------------------------
मायाम े एकमक
े ं मारं च िलखिदित
े सदायः॥ ३३॥ ३४॥
े बमण
शषाणािन े पिवशिधकशतसािन॥
ं ं ३५॥ चरमे
ु ु
े अमृतषा वमाणया ाकं दावोनित
चतदशय। े े
। ा जकारः। कं सकारः। दावः ठकारः। अ वकारः। त ्
े ३६॥ मायया तथा।
सकारः। ने िबना। मायया िवसजनीयन॥
िबसिहतषे ु रभदादशीितसातमृ
े ं े तारषे ु िबमपा
सवऽ िवसजनीययोजनात
् े
तावारािण अशीरािण
षढहीन
भवीथः। ं ैः ऋ ऋ लृ लॄ इरिवहीन ैः। मायया च
् ु
तथाभवते षढचतयहीन
ैिवसजनीययोिजत ैरिप षरािण
ु ु ु
३७॥ षाशत ं समििमिः
िरथः॥
ु े
षढचतयोपतात।् वणष ु मातृकायाम।् अमृतिवमहं
े अऽ चतदश
वणपकिमितशषः। ्
ु षढान िवनाऽमृ
ताराणा ं
ं
सा िवशिधक े तषा
ं शतमव। ु
े ं षढयाना ं
ु
षिशतसानाममृताराणा ं चतदशाना ं याणा ं
िवरचनाबमोयथा एकै कालारालािन
ु ृ
ऽीिण वािन
े े का
ॅमणाबिहिवभागन ृ तषे ु अतृतीयवम
ृ े
यथामान ं षोण ं िवधाय त े समिऽरखा
े ं
ु ं योिन ं िविल त े नामोपता
ािभमखा े ं खामािल
े
ं े मारमािल बिहिकोणषे ु म
तदमायाश
ु
ितीयतृतीयचतथारायािल बिहः ष कोणषे ु
अमािदूादियने पमािददशमाािन वणाािल
ृ
तिहववीा ं (एकादशारादीिन
ं ं
पिवशिधकशतसािन े
मशषारािण ूावत ्
ृ
समािल तिहववीा ं तथ ैव सिबकारािण ूावत ्
ृ
समािल तिहववीा ं तथ ैव सिबकारािण
्
आिदाािन समािलखते एतत ्
ूथम ं यम।् ितीयािदऽयोदशाषे ु
--------------------------------------------
p. 151) ु
चतदशाना ं याणा ं िविनयोग ं ण ु िूय।े
ं मारोय ं िवजय ं िौयम॥् ३९॥
वँयमाकषण
े ु
रा ं गजागोमषमिहषाणामनबमात।्
ृ
नरनारीनपाणा े ् ४०॥
ं च ूोयोगने साधयत॥
ू लिलतारिहत ै ु त ैः।
अमृताणः मलाणः
ु े े च॥ ४१॥
िनाचतदशाणाकषिशतन
ु ु
षाशमोपते ं चतःशतमदीिरतम।्
त ैयरचनायोग ं फलािन च ण ु िूय॥
े ४२॥
--------------------------------------------
ु
चतदशानािमािदना े े ोकयने
साधयिदन
ु
चतदशयाणा ु ु
ं यथाबम ं चतदशफलापिदशित। तऽ
्
ूोयोगने साधयते धारणिनपािदना॥
े ३९॥ ४०॥
अमृताणिरािदना
े े ोकन
उदीिरतिमनाािधकन े
ं माराणा ं सािवशषान
ऽयिशिनमाणाथ ं े ्
ं ू सा
सभय ं ं चोपिदशित। तऽैतं भवित
ं ैरमृताणः
षिधकशतस
ं ू
ं ैः मलिवाणः
पिऽशदिधकशतस लिलता ं िवना
ू
मलिवारिहत ु
ैर ैतदशिनािवारै
रके -
ं ू सा
षिशतसात ै सभय ं षाशमोपते ं
ु ु
चतःशतमदीिरतिमित॥ ४१॥
त ैिरािदना ोकोरान
त ैयािण ्
तत फलािन च ूौित।
ं ैररैः॥ ४२॥
तऽ त ैः ूोस
--------------------------------------------
p. 152) ृ
िऽकोणमपऽा ं बिहवय ं तथा।
ृ नामिऽकोणगम॥् ४३॥
िवधाय म े माया ं का
े
िविलाचातजपसकिसािन े ्
योजयत।
ं
ऽयिशम ं य ं सशमृतपकै ः॥ ४५॥
ु े गद।े
रे घोरे शीितकाया ं तथा चातिथक
ू
ोटे मसिरकाया े
ं च नऽाा ु ं े ४६॥
ं किसभव॥
--------------------------------------------
े
रािदिभरीरी ु
ै तदशिभः
ं
ोकै यिशाणा ं बमण ं ु
े ऽयिशलापिदशित।
तऽ चातिथक ु े ु पीडाकरशाि
ु े चतथािदवसष
--------------------------------------------
p. 153) े
यराकसगविपशाचोरगपीडन।
े बा े वैिरपीडन॥
बालमहात दौभाय े ४७॥
े ं े ्
ूादिणोद रखािवशितमािलखत।
ु
तने कोािन जाय े चतरॐािण
पावित॥ ५२॥
--------------------------------------------
कागद॥ ु े ४८॥
े ४६॥ ४७॥ षिराबाािमित षिधािन फला॥
दोषजषे ु िऽष ु वातिपजष
े े ु रोगवगष ु िऽिवधष।
े ु उिविधना
अचाजपािदना॥ ४९॥
े
कामयादीािदना े लिलताया
ोकन
ू
अभतानामासा ं (पदशाना ं िनानामोािगन
ं े
तासां) पदशूकारं साधारणमचन ं ूौित। तऽ
े
कामयािदिनाना े
ं पदशानािमित शषः॥ ५०॥
े लिलतादीना ं पदशाना ं तासा ं
तासािमािदना ोकन
सय ु
ू मारसामपिदँय त ैररैासा ं
ू
साधारण ं कापजाचबं च ूौित। तऽ त ैः
ूोस ैररैः॥ ५१॥
ू े
ूािगािदिभः पजयिद
िै वशा ोकै ः
ू ू ं पजाबम
पिरपणपजाचबिनमाण ू ू े
ं पजोपकरणिवशषािदकं
चोपिदशित। तऽ ूाक ् इािदिभः बमण
े वै इरै कादशिभः
े
ं तऽ पदशिनाना ं पजाबम
ोकै बिनमाण ू ं
--------------------------------------------
े
ूदशगा े
िविलखाव ं यथारम॥् ५३॥
े े ु िदकीकतष
अविश ं भवष े े ृ े ु च॥ ५४॥
ु े
माया ं चतयामािलखाित ं बमात।्
े े ू (े न)ष ु तऽ वै॥ ५५॥
एकोनपाशोकीभत
ु
प ं चतदशदल ृ
ं बिहवय ं तथा।
िलिखा किणकाम े ् ५६॥
े योिन ं मायोदरा ं िलखत॥
े
दलिप तथा शिं चतदशस ं े ्
ु ु सिलखत।
े
भगमाला ं मशामावााचयिहः॥ ५७॥
ू े ्
पिमािद त ु वामा आवा पजयत।
े ् ५८॥
यथाबमिमदं चबमासा ं साधारण ं भवत॥
म े म े (तथा) त ु या पा
ू शषाऽ
े दलािौताः।
यथाबमण ू े
े िचऽााः पजयिवमहाः॥ ५९॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 155) ु
चतरॐय ृ ारािण िद ु च।
ं बा े का
कोणचयादश
ाराणा ं पायोः े े बमात॥् ६०॥
े
ॄाी माहर ारे पिम े सदिण।े
ू े ६१॥
कोमार वैव सौ े वारा ै च पवग॥
ु
चामडास ु महालीया
े वाािदकोणगाः।
े
दशकालौ े वै॥ ६२॥
तथाकारशौ ूोबमण
ू े
पजयोप ै ु (श)ूोपा ताः बमात।्
ं ैम
उपचारैरासवै मास ु ं त ैः॥ ६३॥
ैः ससृ
--------------------------------------------
ृ तऽ म े दिणोरािण ूािमाािन
का
च ैकै के कालारालािन
ु ू
अऽाादशाादशसऽायाा
सवम े एकोनपाशोाकीक
े ृ तऽ वय
ृ ं
ु ू ाृिकया ॅमण
चतरॐसऽृ ं
े िना त े सकिणक
ु
चतदशदलप
ं िवधाय तिणकाम े वॐृ
ृ ा ं
े ं योिन ं का
समिऽरखा ृ त े खामािल
े तिहः
े ु
ु ु दलष
पिमािदवाा ं (बाां) वामावतन चतदशस
ु
े ं समािल तचतरॐािहः
ूितदलं खा
ु ु मतािर कोाबिहिवभागन
ूागािदचतिद े ैकीक
ृ
समािल बिहः
े ं ूावािताथगभा
तऽ खा
सवबापििशवािदकोमार े
ूादियबमण
े
ूवशगा ु
अनबम ं षणविधकशतयसषे ु कोषे ु
े
तािन पदशिनािवारािण कामयािदिचऽा ं
े समािल चतषु ु सवबाचतरॐारष
बमण ु े ु पिमािद
दिणा ं ूादियने ॄााशीः
े
सदिणशाखयोििबमणा (वाा)बाािदष ु िनर-्
ऋषे ु कोणषे ु दशकालाकाशश
े ं शीः सम तदः
ु े ु कोषे ु ईशकोािदूवशगा
ूागष े ूादियने
पदशिनािवारािण त ै ैररैर पिमािदष ु
चतसृष ु वाितगभखास
े ु भगमालाम सवम
ेच
तामवे तियाऽ पिमािदवाय ं (बाां)
--------------------------------------------
े ैः ूीणयव
न ैव े े नगीतािदिभथा।
ृ
एकराऽ ं िऽराऽ ं वा पराऽ ं त ु स वा॥ ६५॥
ू ं त ु वा।
नवराऽ ं तथा प ं मास ं पणािदक
ु
वष वा फाना ् ६६॥
ं वा ामाितनाशनम॥
ू े ु दीघरागष
महाणा ं ूाितकष े ु वैकृ त।े
े
दवतानामथोात े िऽिवध े िभचारक॥
े ६७॥
दािरिवजयूाा ं िभ ु
े शऽपीडन।
े
ृ े
कषे ु घोरषे ु पज
ू ैषा सवकामदा॥
६८॥
ु े का
पीठे वा ससम े
ृ विदकामडन े त ु वा।
ृ ै
कतोप े ् ६९॥
ं च ूोि ैथाऽचयत॥
--------------------------------------------
े ु िनिािदकामयातदशिनाः
तादलष े ु
्
े एवमास
समचयत ु चतदशिनािप
ु माया अनरिनािद
ू
तविना ं तथाऽचयत ्
े इित॥ ६२॥
ू े
पजयिदािदिभः ू े
पजयिद
नै विभः ोकै ः
े े ं
िनवििवशषाऽ ू कालाविध ं
पजा
ू
पजािवधानसमयािदकं चोपिदशित। तऽ ूोप ैः
े
रगािदना। े ूोपाः तऽ
साधक इित शषः।
ु
मिनासमानिवमहाभरणायधाः
ु
बादलातदशिनाः े े
अऽ ूोिनवििवशषाः। अिन ्
े ु पदशस ु
पदशाना ं अािभावकाचनबमूोष
े ु िनवदनीयाः।
चबष े सवऽ सवासा
ं षोडशिनादीना ं
न ैिमिककायोरवे एत ैििवशष ू
े ैः पजािदक ु ु
ं कािदरऽ
ु ोदैः॥ ६४॥ ६५॥ ६६॥ दीघरोगष
यमवे वित॥ ६३॥ मधिभः े ु
े ु कत
वातामहोरोगष। ृ े दवतानाम।
े ् दवताूाितकात
े ू ्
समी
े
िबयमाणिप
--------------------------------------------
p. 157) े ु ु ु ैः।
नमचकाशोकपागबकलाज
मिकामालतीजातीशतपऽोलािदिभः॥ ७०॥
ु
सगििभथाऽ ू े ू
ै पजयणमानसः।
ु ू े ् ७१॥
ं पजयत॥
एतिाभिपाियताना
ं ु े सरे त ु वा चताक
वषत े (त)परस।
ं वािप
ू ु (ु वा) चावन ं (सका) शक॥
यजाधाहीना पिवॄत ं
े ु
िमणथूाया ु ं न(म) स कगावस(ण)ी
ौक
ाथाडी (ीीाली) माय ैतग ै।
ृ (िवो)
ितिऽिवधवं ं (े) तत
ु े ७४॥
िवतवल माषीगौचत॥
ं े े ं
जििपाचसोड ं (ादोलकामा)
षामगौडतनाथूी
ु
े )
(ोकल ु ्
े ािमािलोिवसिक
मताि(त)मदमपत ्
ेे
चपटतकामजः ु ु
सनोतरकीमधा।
(मौाथो) ू ं ूे
ायो भरवासाोमरयसकिन।्
--------------------------------------------
े ाायत।े
अतःपरं नव ं ोकपण
ु े े
चतःषितमोपतािःसादयोऽम॥
ु
ं ोका ाकिलताराः॥
नवान ैकिवशाः
े
दवीताथगामी ु े
यादाजशखरः।
--------------------------------------------
p. 158) े े ं े
ऽतसतमागमातरिसमजिनन।
ू े
पयषो ु
े ज(श)सः गयो
(िलगलालप ैः)गशागौगात ् ु
ध।
ू ं ं ं )मावयोमस
(गानधमाचसशय एीडी
े े
िूय ैनायिण।
तोधग ु अन ैःलं पशयडौिन
े ु ् े
योत।
्
न तऽिषिदपते रजः ु े
(यं)िषकरसातकतम।्
न वाम े धिदतः
ृ ् ं
ाय े वा ं तन े पिनात लोत॥
लका ं सहोसाभवसरिनरला।
ं ं
े
िलतकफना े ु े ं
तशनािलयतिशसथगल।
--------------------------------------------
्
साधको वाचयते ोकानम ु ्
े ाकलबमान॥
ु
सबोधाथा अिप ं ािबय े तततः।
ाानमिप तषा ु
े ं त ु ोकै ाकिलतारै
ः।
षििविलत े त ै ु वाचयोपतः।
े
ण ं सिनमाऽावत ैिमिकाः
े तीरोथिमकाचान
ैः रःपमवी
्
कं रमान ािदका ु
बतः॥ १॥ गयोत ु कीलधारणतगग
ं ु ु
ु )ु
(गग ु पस॥
योचना। ाशः िलिलतसतनः घनः मापलो ु २॥
--------------------------------------------
p. 159) िापफ ्
ु आयते ितासयिनरतस ए।
े ु
तवै आवदत ं शत ं विप दात े रणस।
् े िनरोात ै।
े ौायते वावादथ
िदविभ
्
ृ े ं ातात िसयदािनरताध।
कतदय
े
हाकोयसाचािधिपसोिचत ् े
चिस।
े े ु
दािपनतवविदिनिपतताकनवी।
चवायः नोवलमयाः रोच ै।
् ु
ु चपात गिसवा।
कित नव ं भवित तीकी
े समावसाविप रादडयः।
नादया
ं
कीजपा च स ए ाचपानिवतधयो।
े
रसाकसा े
ं च मीिरमसकां सदा।
ूोविशवत ्
े योतोभसो या॥ ९०॥
अथा ं ण ु दविश ्
े े चबमतदशनम।
ु
योणवा ् ९१॥
ं विनतागवपवतवळकम॥
--------------------------------------------
य ं लमातो
ं ु
गसयजः त ु तत।्
धाकीितरय
े शाव
नसलिस े ूाक ् तच चोगः िद(शू ं सऽयो॥ ३॥
् ्
ु ं िनमलम।
ु लत ु त ं यते िवयोकर
श तडया
ु ु ु ् ४॥
िदशीिलका मृत ं णदीतिरगमचम॥
ु
ू ू ं रगतः यो इििरतोगा।
योपफपल
लारैऽहावतः
दासिसियावसः॥ ५॥
ऽातादारूाक ् चदका
े
दशगौ।
् कत
ाज एधो वयत वा ् े
ृ कामथा सद॥ ६॥
अथािदािदिभर सा इदै शिभः ोकै ः
ं ु
योणवामभग
--------------------------------------------
p. 160) ं े का
षिशालमानन
ु ृ योिनसम े तल।े
तऽ लमानष
ु े े ् ९२॥
े ु सऽायकादशापयत॥
ू
् ं ु ्
नाथाव िलखते पााााकमसयतम।
सवऽ िविलखयो ू ु ९५॥
े त॥
े ू भयोावतनन
े त ु ता ं साा ं रदनविना।
अराऽ
ं ं मकािपतािलम॥् ९६॥
दमाना ं ताता
े
िवकीणकशीमालोललोचनमणाणाम।्
ु े े ् ९७॥
वायूताकापटोपमकलवराम॥
े ु ं मा ं मानलाभयाितगाम।्
िववकिवधरा
े े
िचयाचयबम े िदगराम॥् ९८॥
े दव
ू ं ु
जपादािडमबकिकशका े ्
ैः समचयत।
ु
अ ैः सगिश ्
(े षत)फािल ु ु ैः सगििभः॥
कसमा ु ९९॥
ु
िऽसराऽादायाित ूोपा मदाकला।
यावरीरपात ु छायवाऽनपगाऽ
े सा॥ १००॥
--------------------------------------------
विनता सलन ू
ं य ं तान ं तजाजपबम ं
तलप ं चोपिदशित। तऽ मारािण भगमािलनीिवायाः
ं
पिऽशदिधकशतारािण॥
९१॥ ९२॥ ९३॥ नववगसमितम।्
--------------------------------------------
--------------------------------------------
िऽषिरम े यायथ ाानवितनः।
माः शतारं सामशीितिरित वीितम॥्
अथ नवम ं पटलम ्
ु ण ु पावित।
अथ षोडशिनास ु चतथ
ु ् १॥
िनिािवधानाना ं त ं ूागदीिरतम॥
तदािन च तान ं तीािभरचनाम।्
े ं यािण फलभदतः॥
होमतपणभदा े २॥
त े षडमों तऽ तऽ करय।े
े ु ू
सदमलािद ू ् ५॥
किनामामगम॥
--------------------------------------------
अथ नवम ं पटलम ्
ू
पविम े पटले तृतीयाया भगमािलनीिनािवाया
ु
िवधानमपिदँयानर ु िनिािनािवाया
ं चता
ु
िवधानमपिदशित। े
अथ षोडशािदिवमहािदत इने
े नवमपटलः।
ोकशतपण े तऽ अथ षोडशािदना
े
े े ु
ोकयने पटलाथानिशित।
परमरीनान तऽ
ु
त ं ूागदीिरत े तािभः पिरवारशििभः
ं तृतीयपटल इित शषः।
सािमितशषः।
े िनिद ं अथजातिमित े
शषः॥ २॥
े े े ैििभः ोकै ः
आनािदिभसिदरा
ु
षडासबममपिदशित। तऽ ाा ं िवारााम।्
े
शषािण प बमात॥् ३॥ ४॥ तऽ षडिमािदना
--------------------------------------------
p. 163) ं ु
अणामाणाकामणाशकधािरणीम।्
े ु ु ् ७॥
े ं ता ं चारमखाजाम॥
अणासृिवलपा
े
नऽऽयोसा ु
ं भाले घमामौिकै ः।
े ् ८॥
िवराजमाना ं मारलसदशखराम॥
ु
चतिभबािभः ं पानपाऽकम।्
पाशमश
अभय ं िवॅत पमासीना ं मदालसाम॥् ९॥
ू े
ावै ं पजयि िािना ं शििभः।
ोिभणीमोिहनीलीलािऽकोणािौष ु शयः॥ १०॥
े
िना िनरना िा िदनी ु
सदनातरा।
मदिवा िािवणी च िवधानाचापऽगा॥ ११॥
--------------------------------------------
अणािमािदिभमदालसा े
ं इिै िभः दा
िनसपयाान ं ोकै ः (षडासबमम)ु पिदशित। तऽ
ु
चतिभबािभः े
वामोािदवामदिणबमण॥ ७॥ ८॥ ९॥
ाविमािदिभरिता
ै इ ु
ै तिभः
े े
ोकै दावरणशीपिदशित। तऽ मोहकाशिः आमोदा इित च॥ १०
॥ ११॥ १२॥ १३॥
--------------------------------------------
p. 164) ु
चतरॐय ं का ं ु ्
ृ ूाारसयतम।
े
तधऽदलं प ं त े ॐकं तथा॥ १४॥
ू
अ षडमलाा ं का ु े ्
ृ ता ं ूाखोऽचयत।
्
ु े पिमािदिनर-ऋ
चतरॐ े ताम॥् १५॥
ं यज
ू े ्
ारपाष ु कोणषे ु िद ु ता दश पजयत।
तदराऽपऽषे ु पिमािदूदिणम॥् १६॥
े
अचयदशीादयिनकोणगाः।
्
अमात ूदिण ं ितॐः शीोिवधानतः॥ १७॥
े े वाीशविष।ु
किणकायोिनमदश
्
िनर-ऋा ु
ं परतोिद ु यजदािन
े षट ् बमात॥् १८॥
ततो दव ु े ्
े त ु ता ं िनिािनामदीरयत।
ू ् १९॥
े बिलं दा पववत॥
उपचारैरचय
े
तदमतो जपिा ं सहॐ ं यिद वा शतम।्
ु
ततोऽ िशवा ं होम ं कयाबमण ु २०॥
े त॥
--------------------------------------------
ु
चतरॐयिमािदना े दा
ोकन ु
े िनसपयाचबमपिदशित।
तऽ चबिनमाण ु ं काऽचयिदितशषः॥
ं सकर ृ े े १४॥
े
अिमािदिभरिद
रै िभः ोकै दा
ु
िनसपयाबममपिदशित। ु इित सवऽ साधारणम॥्
तऽ ूामख
१५॥ ारपािित ं
, एतात ्
मदािवलााः दशशीः
चतरॐ ु े
ु े पिमारदिणिदगतकामार वायसोमशानिद ु
ू
पवार
उरदिणपायोवियमिनर ्
-ऋितिद ु च पजयिदित।
ू े
े अममार ूादियन।
पिमािदूदिण ं दा े एवदऽ
् १६॥ ताः िनाािॐः
सवपिरवारशिसाधारणम॥
ु े े १७॥
ोिभयााः। उिवधानतः एवमबमणथः॥
े
वाीशािदषडावरणाचनबमः
सवऽाघािदषडाचनिवधान ु दवतायाः॥
े साधारणः। परतो े १८
ू ्
े पववत
॥ उपचारैः षोडशिभिरितशषः।
ु ु
षोडशारमककािवाा ं
--------------------------------------------
p. 165) ं
आिसाधसाऽन ु सौरभाित ैः।
े पैवा
ु
जयााविदतस ं ूावमा तत॥् २१॥
अ दवीमथ
े ु
ता ं ाा ू ्
पववत।
े ् २२॥
ृ ोऽयगु ं जिपा तयरत॥
ास ं का
े
िजतियो हिवाशी िऽसाचारतो े ्
जपत।
ूाव ं तशाश
ं ं कयाोम ् २४॥
ु ं च तपणम॥
ू ु ैमै
मधकप ु
बकलो ैरथािप वा।
ू
चचनकरीवािसत े ः॥ २५॥
ैपयलै
ततोिना ूयोगाहिनाचािनरतथा।
ु ं न चाऽथा॥ २६॥
सहॐजापी तः कया
--------------------------------------------
१९॥ उबमण।
बिलदानमायोिरथः॥ ् ु
े ूावत अिमखािदकं
ृ े २०॥ असा अन।
कथः॥ ् ू
े ूावत िनपजाबमण।
े
उिदतस ं जपदशाशसम।
ं ् तत हवनम॥
् ् २१॥ अ
ू
मलिवया। ् े े ायजनम।् ोऽयगु ं
ू तजःपण
पववत
ु
पोकप ं ादशोकप ं च। एष ोऽयगजपः
सविनासाधारणः। तयः ूावत॥् २२॥
िवाया इािदिभरथा इ ु
ै तिभः
ु ु
ोकै िवापररणूकारमपिदशित। तऽ यतः साधनतः॥ २३॥
्
िऽसास ु लिलतासाधनवत भजनपरः।
िऽसाचारतः ूावत ्
ु ु े
ल ं िवाया यगानपमरलबमण॥ २४॥
ू ु ैिरािदना ोकन
मधकप े यथाबम ं
ु
पररणहोमतपणिािण कथयित। तऽ (िऽ) मै ः
ु
िऽमधिसै ू ु ैजहयािदितशषः॥
मधकप ु े ्
२५॥ उान ूयोगान।्
िनाचनािनरत ु
इािदना एतं भवित पररणानरमिप
िनाचािनरतः ु
ूितिदन ं सहॐजापी िवागभः साधकः
े ् २६॥
े ) सवदवतासाधारणम॥
ूयोगािभः नािमित (नाथित
--------------------------------------------
p. 166) ु
परै ै िमै हमाीमवायात।्
े ् २७॥
तथ ैव कै रवैरै रना ु वश ं नयत॥
ु
समानपवायाः शाया पयःतु ैः।
े ् २८॥
मिकामालतीजातीशतपऽ ैत ैभवत॥
कीितिवाधरारोयसौभायिवजयािदकम।्
े ् २९॥
आरवधूसनू ै ु ौिाै हवनावत॥
ू ं तथा।
रारािण विनताभपमवश
ू
भषावाहनवािणिसया वािताः॥ ३१॥
ु
त ैलाै जयाा
ृ ु ैिनशारा।
दरप
ु ् ३३॥
े भवित ीवम॥
मासादरातःे तीोाितरण
ृ
आरधताै होमतः।
ीज ैिनिश
ु
शऽोदह े ोणािन ःसाािन िचिककै ः॥ ३४॥
ु यमालयम।्
े िलता ु िरपयाित
त ैरव
ं
तथा त ैलसिसै बज ैरारकै रिप॥ ३५॥
--------------------------------------------
ू
पिै रािदवधिम ःै षिः
ु
ोकै नानािवधहोमतोनानाफलावािमपिदशित। तऽ
ु
समानपवायाः शवाया २७॥ २८॥ २९॥ ३०॥ ३१॥
इथः॥
इतरैः कै
ृ ः। वा पार।े त ैलाै ः सषपयत ैलाै ः॥ ३२॥
ु
त ैलाै िरािदिभरपीःै िऽिभः ोकै ः शऽिनमहाथ
ु
होममपिदशित। तऽ तीज ैः आरबीज ैहमने यथोफलूािः॥
३३॥ ३४॥ ३५॥
--------------------------------------------
p. 167)
मरीच ैः सषपााै होमा ु मासतः।
िनिश
ु ् ३६॥
े ् ीवम॥
वािता ं विनता ं कामरातामानयद
े ैः सवारात ैिनिश।
मरीच ैः सषपोपत
ै ु िन
धयमानकलै े ू ् ३७॥
ं ापामानयधम॥
ु
अा ैजयाि ं शतमोरं त ु वा।
े ू ु
तनापणभवनोभोा च भवित िूय े ॥ ३८॥
ु ु
शालीिभरायािभहमाछालीमवायात।्
ृ ं ू ं िपपादरजःकताम।
सावसभता ृ ्
ु
राजीमरीचलोणोा ं पल ु
जयाििश॥ ४०॥
ु ू ु
ूपदाा ं च जाा ं जानामयमतः।
े े
नाभरधादयािनाकठतथा॥
ृ ४१॥
ु े वै बमात।्
े िछा शऽण
िशरसा च सतीन
एव ं ादशधा होमारनािरनरािधपाः॥ ४२॥
वँया भवि साहाराता चा वाया।
ूयाि िनधन ं चा वायाऽनयोगतः॥ ४३॥
--------------------------------------------
ू े ोकयने
मरीच ैिरािदना वधिमन
ु
विनताकषणहोममपिदशित। ु ३६॥ ३७॥
तऽ सगमोऽथः॥
े े ोकयने
अा ैिरािदना भविदन
ु
अािदिहोमिवधानालािमपिदशित। तऽ त ु वााथः।
ु े ३८॥ ३९॥ सा वः।
चःसमय॥ ृ अिादीना ं
ं
सिवशितनऽाणा ृ ु
ं वानरऽ यमवे वित। राजी
लोण ं लवणम।् एतं भवित
सषपः।
ृ े सााशकूोमागणोपता
साजनऽूोवण ं े ं
ु
पिलका े
ं वा सापादरजःसमतिपमय तथािवधा ं वा
सषपमरीिचलवण णपिषत
ैमसृ े ैः कता ु
े जयािदित॥
ृ ं वा ूोबमण
४०॥ ूपदाा ं पािसििछाा ं अमपादाा ं
ु ं
जाा ं जानोरधािाा ं जाना
--------------------------------------------
p. 168) ु ु े मरीच ैजरकै यताम।
िपने गडयन ु ्
ु
ृ पिलका
का ु
ं सानामयामथो िद॥ ४४॥
ं त े सपा
सनामहोमसपातघृ ं ु
त े पनः।
े ु ् ४५॥
े सहॐ ं ूजपनम॥
ृशिजकरामण
् तां भयिया
अ तत घृ े जपन।्
ृ
नरनारीनपा ु
वँयाः ँयमरणाविध॥ ४६॥
त ैरव ृ ं त ु का
े िप ैव ृ ततथा।
ु ं का
सानाम ट ् ं
ृ ूावत सपा भणात॥् ४७॥
ू ु तामाणाित
वँया े वरं भयः ैथा।
ृ
काऽिभपा भा ु वशयाँ ् ४८॥
े दकम॥
--------------------------------------------
े
तपिरिछााम।् (ऊ) यमतः
ु
े
कटीसििछनाभरधात ् े े े
े खडनथः।
नािभदशिन
् े खडनितशषः।
आदयात िभन े े े आकठतः कठात ्
िछनथः॥ ्
े े ४१॥ िशरसा कठात उपिरन। ् े ैतािन
बमात उबमण
ु ४२॥ अनयोगतः
िछा एत ैजयािदथः॥
े ४३॥
ाैभावनयथः॥
े
िपािदिभमरणाविध ु
इिै िभः ोकै ः पिलकाभण े
ृ ु
नरनारीनपािदवँयमपिदशित। ु
तऽ पिलका े
ं ूावमानोपताम ्
ु
। िद पिलकादय ४४॥
,े ूावििखतसासािमथः॥
ं
ं ते
सनामहोमसपातघृ
े ता ं
त े इथः।
सानामसिहतिवाहोमूावशिषतघृ
ु ् ४५॥ अ ूाणूितािवया तत घृ
पिलकाम॥ ् तां
--------------------------------------------
p. 169) े
नािलकरफलाोिभपणािनता वशाः।
ू
कपरवािसत ु
ैोय ैमनाः ु े िताः॥ ४९॥
वश
तपणावणाोिभः ु
सव िकराः।
ु े तोयने विनता वशाः॥ ५०॥
तथा लवणयन
े
कतकीवािसत े ु ः करफलोदकै
ैयै े ः।
तपणािनता वँया दःु ूाणािज ं धनम॥् ५२॥
े
नमवािसत
ैोय ैपणात ् ू
भिमपा वशाः।
चकै वािसतजलै
ः तपण ् ५३॥
ं सवरनम॥
ैजलै
पाटलीशतपऽाा ं वािसत ैपण ः।
सवलोकचमारकारी भवित िनशः॥ ५४॥
ू ृ ्
ं सविसिकत।
करीवािसताोिभपण
् ५५॥
इचनसौरवािसताःूतपणम॥
सिसि
वािताथ ं ् ु े ीवम।
ं मडलात कत ु ्
ु राो धनधाािदिभिरम॥् ५६॥
सिमौजलै
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 170) ु
गडिमौजलै ं िवनाश(क)नम।्
राऽौ तपण
े ् ५७॥
षाय तपयत॥
िचाफलरसोपते ैजलै
े िरमृव।े
उोदकै ः समिरच ैपयै
े
कवलोोदकै ु
तीोरसमवः॥ ५८॥
ु ् िषाम।्
िनपऽरसोपते ैरिभपणाद
े ु ु ५९॥
र ं तने त े नाशमायः॥
जायतऽोवै
तथ ैव सषपितलै िरणोभृशम।्
पणाै
े े ् ६०॥
अितसारािदिभदष ैरौदरैः शमावहत॥
े े ण ु वााूदािन वै।
अथ यािण दविश
ृ ैः िसयो ह े भवि भजनादिप॥ ६१॥
य ैः कत
षोण ं वयोम
ृ ृ म े सनामकम।्
े का
िवावण िविलखितीयादीिन
े षट ् बमात॥् ६२॥
ष कोणषे ु िविलखिवणचतयम।
े ु ्
ृ
वयोररा िद ु िलखोणारालतः॥
े ६३॥
ू
भताारिण े त।ु
बमशो दश ििऽबमण
े
एवमकादशिवध ं मऽषा े ् ६४॥
े े ं िनवशनात॥
--------------------------------------------
े े
िचािदिभरावहिद ैििभः
रै ा
ु
ोकै विरिनमहतपणमपिदशित।
तऽ िचाफलं ितिडीफलम॥् ५७॥
े
५८॥ ५९॥ अितसारािदिभः रािदिभः॥ ६०॥
े
अथ याणीािदिभः तथा इरै कादशिभः
ृ ू
ोकै रिवकतमलिवारै
ः पपाशािण तलािन
ु
चोपिदशित। तऽ भजनादपीियाणा ं फलूाौ
ु
दौूितपादनपरा॥ ६१॥ ६२॥ कोणारालतः उबचतय
--------------------------------------------
p. 171) ू
भताराणा े ं योगााशताऽितम।्
ं ूक
े
पकं परमशािन ण ु तािन यथाबम॥् ६५॥
े
न ं मोहन ं पािषोाटन ं तथा।
मारण ं ािधिभः श ु
े ं कलोादकरं तथा॥ ६९॥
--------------------------------------------
ु ६३॥ भतारािण
मकोणिद॥ ू बमशो दश तािन
े
उारसतोदशारािण॥ ६४॥ षोणिमािदिभः
ु ोकै रत
पािदिै पादािधकै तिभः े ं ात ्
अभीमानने व ृ त े ूोबमण
ृ ं का े षोण ं िवधाय
तात
ृ ् े कालमानन
बिहरकै ु े वय
ृ े िना
ं ॅमण
ृ े
सवबाववीामकारािदकारााकपाशद -रािण
े
सिबकािन अमाादियनाऽिल
सवम े
ू ू ं खा
मलिवािदभता ्
े ं ूावत सनामारामािल
िवाितीयारािद समाराािन षडरािण ष कोणषे ु
े
अमािदूादियनाऽिल ु ं
िवायाः िशारचतय
ृ े चतसृष ु िद ु
षोणबाववीाममािदूादियन
समािल तीा ं कोणिद ु चतसृष ु च वायािदिनर-ऋं
्
ू
भतारािण ु
दशकानपािण े े ्
य ं ऽय ं इित बमणाऽिलखत
्
एतत ूथम ं यम।् अ ैव सवम
े िवाितीयारं अिभतः
बमण ू
े िशारािण च मिलिखत पवामािलखदतितीय
े े ं
यम।् अ ैव सवम
े एवमकादशनामाराणा
े ं
े ु े
िवागताना ं तृतीयािद चरमा ं ूकमबमण
े
िवलखनााा े
ं सामकादश यािण सवीित। एवे
े ं ूोबमात ्
ूक
ू े
पभतारदशकिवासभदापाशािण भवि
े
इित॥ ६५॥ िविनयोगः। पपाशाणािमितशषः॥ ६६॥ वँये
ु
ऽय ं ीपषराजिवषयतििवध े वँय े यऽयम।्
--------------------------------------------
p. 172) े
गजाोखराणा ं च रा मिहषमषयोः।
गवा ं नराणा ं नारीणा ं िवजयः समरिषाम॥् ७०॥
ं मगािमनाम।्
षा शत ं ूों वणाना
ूोयषे ु िविलखदकादशिवभागतः॥
े े ७३॥
ु
े कयाामयोजनम।
मातृकािवयाऽव ्
े ७४॥
षोडशाना ं च याणा ं िविनयोगमथोत॥
--------------------------------------------
ु
आकष ीपषयोरोिवषयतो ििवध े आकष यम।् शाा ं
उपिवोातिवषयतो ििवधाया ं शाा ं ययम।्
े
तदकन े ् ६७॥ एवम उूकारण।
ं यभदकनम॥ ् े
े यफलभदः।
तलभदः े सिवशितधा
ं
वँयाकषणशाििभिसृ ु
िभः नािदिभतिवशितिभ।
े
वँय ं ऽयिमािदिभः तयै े
ः पिभः ोकै रतं भवित
ूोािन पपाशािण वँयिवषय े ऽीिण। आकषणिवषय ेच
यम।् शाििवषय े च यम।् अषा
े ं नादीना ं
ु
मडलरााना ं चतिवशितिवधाना े ं
ं ूयोगाना ं ूक
य ं य ं एव ं पपाशाणा ं
ं
सिवशितिवधफलयोजन ं तषे ु सवऽ नामारिवास
े
े तऽ तऽ ऽैिवािदकन,ं तने सवायतािन
ूकारकौशलन
पपाशािण एकै कं सिवशितिवधफलूदािन
ं इित॥ ६८॥
६९॥ ७०॥ ७१॥
े े ोकयने
िवायािमािदना योजनिमनाािधकन
ृ ू
रिवकतमलिवारै ु
ः षोडशयायपिदशित। तऽ एकादश
े
हकाररफनकारतकारयकारककारलकारमकारदकारवकार -
ं ु ् ७२॥ ूोयषे ु
सकाराः। नाऽासयराभावारोपादानम॥
े
पाशोयरखािवासत एकादश िवभागतः।
इथः।
ृ
ूोरिवकतारािण ७३॥ तऽैतं
एकादशैकादशत इथः॥
--------------------------------------------
ावश ु
े ं च तने ैव कयाजप ं तथा।
े
तय(ता ं च ) भावया ं धपू ैः सरस े ् ७६॥
ैदहत॥
आिव े ता ं सम ूोै ैपचारकै ः।
े
पृवाितानथानाच े साऽनः सदा॥ ७७॥
ततोऽाना े
यो ं ता ं तदाा भवयम।्
े
तासामवाम ै शमयद धारणात॥् ७८॥
ितीयने त ु यण
े कपट े ग ैिरकिवैः।
े े जयाद
िलखन े े ूितवािदनमरा॥ ७९॥
--------------------------------------------
् े मषोणषे
भवित ूोे तिन य
ृ ु ु यथाबम ं
अववीथीमचतिद
े
तदकादशारायािल ृ
बाववीा ं मातृकाम े
े ं तदतयाऽिभधया सहामािदूादियनािल
िवयोपता े
सवमारम े च ूावाम समािलखिदित।
े एव ं
तदरैिविलिखत े
ैरकादशवणपिर े े
ैरकादशिभरकादशिभ -
ररैः षोडशयकनम।् मातृका े मलयोजन
ू ं तद े
ृ तने वनिमित
नामारयोजन ं का े
सदायाथः।
ैः
षोडशानािमािदिभः महािदत इरै ा
ं
पिवशा ोकै षा ु
े ं िविनयोगबममपिदशित॥ ७४॥ तऽ तने ैव
े तासा ं ककानाम॥् ७५॥ दवतावशन
ूथमने यण। े े ं
तने ैव कयात ्
ु तिन ्
ूथम
े य े कका ं ापियथः।
े
ू
म ं मलिवा े
ं तय दवतामयीम।् सरस
ैः सरसोनाम
ू े
धपििवशषः॥ ७६॥ आिव े दवताया
े े े सित। ता ं
आवश
े
दवतािवा ं ककाम।् आच े सा दवताऽिवककितशषः॥
े े े ७७॥
अ मलिवया।
ू ता ं
--------------------------------------------
p. 174) ्
िवलोकयन दशिदशलः पलायत।े
े पादयोः िू ं िजतोऽीित या वदन॥् ८१॥
पता
ु
चधो े ु ं िरपोः।
वा िदन ैिऽ ैः यढ
े च॥ ८३॥
रोष ं गित ं मित ं िजा ं समरं सवमव
े खनिदम।्
आयाममतोराऽौ मागम
बिलं दा ु तोा तऽोया पनः॥
ु ८४॥
ु
तने तृतना ॅा णा गतसममा।
ु जात ु घटत े यवैभवात॥् ८५॥
भीता न तखा
ु ृ े
चतथनािरनऽवोफलकातल।
ु े ािपतने परु ं िरपोः॥ ८६॥
िलिखतने परोन
े िरपःु कै
नाशमित ृ विररोगािदसवै
ः।
तषे ु तषे ु ूयोगषे ु कयािामथानः॥
ु ८७॥
े
पमनाथ षने समनामन
े े च।
ु
नवमने च कवत ु े ८८॥
रा ं रापरालय॥
--------------------------------------------
े
दवताम।् तदाा दवताा।
े तासा ं ककानाम।् अ ैरिप
िपशाचािदिभः। अ ूथम य
े ु े
धारणादिभषकपरःसरािदितशषः॥ ७८॥ अरा ापनािदयः।
े
तयोिरितशषः॥ ७९॥ त ितीयय॥ ८०॥ ८१॥ िनशािपने तोयने
े े कपट े व।े खपर े मृमय े कपाल॥
िपहिरिारसनथः। े ८२॥
ु
वा पार।े चधः। अँमकाधः वा ूावत॥् ८३॥ आयां
े े इदं तृतीययम॥् ८४॥ घटत े चत॥
िरप ं ु ाितशषः। े े ८५॥
े ८६॥ तषे ु तषे ु अमलपषे ु रा ं
ु े हिरिारसन॥
परोन
े
अिभषकािदतः॥ ८७॥
े
पमािदिभः ूयोजकिम ु ोकै रत
ै तिभः े ं
े ु
भवित ूोष
--------------------------------------------
े पम ं म े ापययोगतः।
बमण े
् े ् ९०॥
रा े नगरे राजगहृ े ूोबमात खनत॥
तने वैिरकताः
ृ ृ
काूयोगाः ू
बरिवमहाः।
े ु
ूवमऽाशा े नाशयि ूयोजकम॥् ९१॥
े ता ं रणम॥् ९३॥
कपट े ािपत ं शीय ं शमयभृ
े े ृ े त।ु
े धतन
ादशनकाँमीरिलिखतन
ू ु े सक ् सवरा
भजपऽपट े णाम॥् ९४॥
भवृ
ृ
गहरा े ु
भवािधचोरमहभजमात।्
ु
राजतो वैिरतो बाधादिािदतथा॥ ९६॥
ु े यण
चतदशन ू े ितने वै।
े भजपऽ
भृतने कािमनीना ं त ु सौभायमतल े ् ९७॥
ु ं भवत॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 176) े
तथा पदशनािप ृ े त।ु
णपधतन
ु
वािप लभत े पऽु ं गणा ् ९८॥
ं दीघजीिवनम॥
े े सािभषक
षोडशनोपण े ं धतन
ृ े वै।
सपीिप काने भतःु साऽवभा॥ ९९॥
ू े धतन
भजन ृ े ैव ं सवषामिप
सवदा।
ं राजचौरमहािदतः॥ १००॥
रा भवित माना
शतमयी ाििरित समीिरता।
् १०१॥
अा िनालनािच े तं ासातम॥
ृ
--------------------------------------------
ु
वैिरत इादाविप। िािदतः ृ ु
वैिरकतिूयोगािदतः॥ ९६॥ ९७॥ ९८॥
उपण
े णपािदष ु िविलिखतन॥
े ९९॥ धतन
ृ े ैव ं एव ं धतन
ृ े
े े राजचौरमहािदत इऽ महः
षोडशने यणथः।
े े
दवतागणिवशषाः। ुृ ु
आिदशः शऽकतिूयोगािदिवषयः॥ १०१॥
मसा
ं
एकसितसािन यािण नवम े तथा।
े ्
ाा मशत ं सिऽपादमकोनिवशकम॥
ं
अथ दशमपटलम ्
अथ षोडशिनास ु भडा
े पमी त ु या।
तिधान ं ण ु ूा े कथयािम यथािविध॥ १॥
े ू ृ े
मोारः तृतीयऽभदाावितदवताः।
ू
पजाबम ु ् २॥
ं च यािण तथ ैव िरपिनमहम॥
्
ु षडकम।
आयम ैः षिः कयात ्
ु े ु ााचारपय॥
राामखकठष े ४॥
े
साणनवक ू ्
ं मातृकाासपवकम।
ृ
ततः शीराविता ान ं च ण ु पावित
॥ ५॥
--------------------------------------------
अथ दशम ं पटलम।्
ू
पविवम ु िनिािनाया
े पटले चता
ु
िवामपिदँयानर े
ं पा भडािनाया
ु
िवधानमपिदशित। े
अथ षोडशािदना तय इने
े दशमने पटलन।
ोकशतपण े तऽ अथ षोडशािदिभः
े
ु
बमािदिै िभः ोकै ः पटलाथानिशित। तऽ कोलूयोगान त् ) ्
ृ े (् त)॥
े वैिरिनमहिवशषान
सानऽवािदकीलकापनन ् १॥ २॥ ३॥
े ोकयने
आ इािदना पावतीन
ु
ासजा(ता)लािदकमपिदशित। तऽ आयम ैः
े
आमकमर षडािन
ं अतोय ं च िहाऽविश ैवणः
ु र ं ॄरम।् आा ॅवोमम।
कयािदथः। ु ्
--------------------------------------------
p. 178) ु
ृ त ु ॄााा यगशी
बाावौ ू े ्
ु पजयत।
् ६॥
तदरपऽषे ु िवजया ं िवमला ं सभाम॥
ु
िकराता ं तीितसिहता ु
ं कन ु ु
कलसरीम।्
ू े
काण कालकोला ं च पजययोगतः॥ ८॥
े ृ
इाानिबयाशीरचयदरावतौ।
अकोणारालष ू े ु ् १०॥
े ु पजयदायधाकम॥
ु
चतरॐय ृ िद ु ारसमितम।्
ं का
ृ ु
तदरपऽा ं वयममथारा॥ ११॥
--------------------------------------------
(ॄे) े
बाािदिभरकिम ःै पिभः
ु
ोकै रावरणशीपिदशित तऽ यगशीः ृ ु
कतयगशिः
े ु
ऽतायगशिः ु
ापरयगशिः ु े
किलयगशििरताः। अऽ
ॄााशीः पिमािदिद ु ितषे ु ारषे ु
े पायो
दवीदिणभागािदपायोः ृ ु
कतयगािदशीः
वाािदकोणषे ु ूादियनथः॥
े े ६॥ ७॥ उयोगतः
बीजयसारीम े तामयोजनूादियािदयोगतः।
े ु सामाों
सवऽ पिरवारशीना ं िवशषानौ
बीजयमादाव े सार योजयिदित
े सदायः॥ ८॥ तथा न ैर-्
ॠतिदगािद॥ ९॥ १०॥
ु ृ
चतरॐयिमािदिभरावतािम े
िै िभः ोकै ः दा
ु
िनसपयाचबमपिदशित। ू ु
तऽ अाॐ ं भपरात।् एतं
--------------------------------------------
p. 179) ू ु
अाॐ ं भपरा ृ
वसमितम।्
्
ु षोण
तदाश ं कयात ं वा त ु िवमहम॥् १२॥
ु
तदाश कयाोिन े ्
ं ततोयजत।
े
भडा ु ् १३॥
ं पम िनामशििभरावताम॥
ृ
ू
अ षदमलाा ं ससा
ं ूाखो े ्
ु यजत।
े
अथ ान ं ूवािम दाः
सवाथिसिदम।्
ृ
तदाविशीना े ण ु पावित॥
ं बमण १५॥
े ं नऽऽयािताम।
तकानसाशदहा े ्
चािताितमख ू ् १६॥
ु िदालारभिषताम॥
--------------------------------------------
ू ्
े च ॅमणात दिणोरयोः
तयोः पविचमानन
पायोः
मय ं िना तयमावने दिणोरं
ू
सऽमाा ं े
पाहसपदमाराभीमानन
चतषु ु पासऽष
ू े ु िचािन का
ृ तिमव
ं े चतषु ु कोणषे ु मािधाय तषे ु
महसपदाविधकमानन
ू ु े ् एव ं कत
े सऽचतयमाालयत।
मािमित बमण ृ े
ु ु ं भवित। तऽ
े ं समचतरॐ
चतोोपत
ं
महसपदममव ु
चतरॐकोणमानन े
े बिहॅमण
ृ ं का
व ू ु ं ताविध
ृ मसऽयामचतय ृ िवका
ूागमािणाम ं दिणामािमाम ं
ु
पिमामाराममरामाागम ंच
ू ु े ् एव ं कत
सऽचतयमाालयत। ु
ृ े चतरॐयनास
े ु िद ु
अकोणािन सवीित। एव ं सवऽाकोणिनमाणबमः।
् ११॥ १२॥ ताश वसिहताम।
ताश ं वसिहतम॥
ृ ृ ्
p. 180) े ू
ताटहारकयररवकमिडताम।्
ू ु ु ् १७॥
ू ैरितसरीम॥
रसनानपरोािदभषण
पाशाशौ
चमखौ ु
गदावळधनःशरान।्
करैदधानामासीना ू
ं पजायामदा िताम॥् १८॥
े े
शी तमाकारतजोहितिभरिताः।
ू े
पजयदिभतः ु सदा॥ १९॥
ितसौमखः
े े
एव ं दवीमावितिभरावतामचयथा।
ृ ृ
बिलमायोदात ् ू
पविविधना ु ् २०॥
यतम॥
े
ातोमौनी पयोभः ूजपवलकम।्
ं ं नदौ
तशाश ु े ैः॥ २१॥
े िऽमै ः कशशय
े ैिरचनवािसत ैः।
ताव तपयोय
े
अचयिशो े सहॐ ं ूजपदिप॥
दव े २२॥
ु
ततः गणोिूयोगाििधना े ्
चरत।
ू
अथा िनलं भयात ् ु ैन ं िनहि च॥ २३॥
ूत
--------------------------------------------
ु
िनसपयाानमपिदशित।
तऽ वामोहािद
े ु
दिणाधोहा ं वामािददिणबमणायधािन े ् १५॥ १६॥
कयत॥
् ू ् १९॥
े ु १८॥ तत पववत॥
१७॥ अदा ूयोगष॥
एविमािदना ोकन ू ु
े पजािनगमनमपिदशित। े
तऽ तथित
े
ूादिय ं बीजय सारीसमतं ू
चोत।े पविविधनित
े
अऽ नािदकं कथयित॥ २०॥
े
ात इािदिभः िनहि च
िै िभः ोकै िवासाधनूकार
तििनयोगबममथा बमकरण े ूवाय ं चोपिदशित। तऽ
े े कवलमरस
नवलकिमित िवशषिवधानन े
ं लिमथः॥
२१॥ २२॥ ूतु न कवल २३॥
े ं न ै ं िवनाशमपीथः॥
--------------------------------------------
ृ ु ं च का
षोण ं वयम े ्
ृ ततोिलखत।
ितीयाण सायतु ं कोणऽय
े े ् २५॥
ं िलखत॥
ं े तािन सज
सव ं िरपोरमरािशग।े
ँमशान े ापयऽ
े ल े िवषण े ् २७॥
े ं भवत॥
ु
पृषदाखिच च वतहॐयजायत (?)॥ २८॥
े
ीिपविच िलख ु
ं गोमखिच।
ं ं त ु पविर
समािल सा ू ु े िरपोः॥ २९॥
--------------------------------------------
े िवाया
ितीया ैिरािदना ोकन
ु
िनमहानमहयोिवारािण िवभजित। तऽ अथा ै ु िऽिभः
ु
अयने च शािकं कयािदित े
शषः॥ २४॥
षोणिमािदिभयमिम े
रै कादशिभः
ोकै िवाया
ितीयारािदूधान ं य ं तने ं यण
े िवषण
े ं वादिवजय
े चतरः
उाटन ं मारण ं चित ु
ु ूयोगानपिदशित। तऽ ितीयाण
ु
बकारः। अ ऽय ं म तृतीयचतथषारािण ऽीिण॥
२५॥ अधरषे ु समायािन षोणषे ु अधषे ु िऽष ु तारािण
े ु ु
तने उपिरतनाना ं िबयम
िवसजनीयसिहताािलखिदथः।
े ूादियने पवनारदशकलखनानर
मव। े ं
ु ् ३६॥ तािन
े ं कयात॥
साारलखन
ु
ितीयतृतीयचतथषारािण े २७॥
चािर। तऽ अमलोदय॥
्
पृषत िबडालः। आखःु मषकः।
ू (जायत े इन
े
े ् २८॥
िवषणूयोगकथनम॥
--------------------------------------------
p. 182) े ्
उराधरमाधाय िशलाधः सयोजपत।
े ं ूितवािदनम॥् ३०॥
जिपा ूोस ं च जय
ु े ूितपादी हतोमः।
एतखावलोकन
े ु वा॥ ३१॥
िनरः पलायते िजतोऽीित वद
ु े त।ु
े घृने िनशारसयतन
हिरतालन
ु ु े वै॥ ३२॥
े (द)रिवजये()ु यममण
िविलखा
(रन
चमिण ृ े
े ) ति िलिखत ं तििपोगह।
े ू
ूोकाले खनबमपजाजपाितः॥ ३३॥
े ं ु मासाियत ं यवैभवात।्
उाटयििप
ृ च तििलिखत ं तमशानक॥
नचमिण े ३४॥
ू े ं िनखनकालतः।
पजाजपबमोपत े
ु यमम॥् ३५॥
मासने याित वैरी त ु दाहरयतो
ू े
ँमशानभिलिखत ं िनि ं नकपक।
ूोकालसमोपते ं नाशयिलल
े ु ् ३७॥
े िरपम॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
े
िलतनािनश े ु
ं मासादिनाऽौ पतििपः।
तृतीयने त ु मने वित
े ैिरतरैरिप॥ ३९॥
उककाकपा ं ूथमोन ं े ्
े सिलखत।
गदभिच ्
तत खाा ु
कडम
े ततः॥ ४०॥
ृ
सावकीलं त ु ूोयसमितम।्
ु
खरायिभराब ं खात ं वैिरपरु े िनिश॥ ४२॥
ु
िविल यायािन े
ूतचीर े िनब तत।्
े
खनलवार े त ु ूोकाले चतथ॥
ु े ४४॥
े
नाशयजमागोखरोाजस ैिरभान।्
साहा()याासा (?) िनयत ं यवैभवात॥् ४६॥
--------------------------------------------
िवधान ं तयोगायोदश
ं चोपिदशित। तऽ इतरान ्
ु
ितीयचतथषान ् े ् सानऽयोनःे ूावत उः
िविलखत। ्
े
ािदयः। िदशोदश ोजिदयः। तावे याणीितशषः॥
े ३६
्
॥ ३७॥ ३८॥ ३९॥ ४०॥ ४१॥ ४२॥ ४३॥ ४४॥ ४५॥ स ैिरभान मिहषान।् अिन ूकरण
् े
ु ् ४६॥
ं सकरम॥
यिनमाण
--------------------------------------------
ृ म े ा ं ामकम।्
पमदलं का
िलिखाऽस ु पऽषे ु चत े ् ४८॥
ु ं तिरािलखत॥
ृ
बिहवारा ु
कयाातृ े
कारवनम।्
ु रव
ूागै ैः सप
े त ैि ं ू िविनयोगतः॥ ४९॥
े
तशिवनाशः ्
ात तथा ु
मानभावतः।
िवजय ं समरे राा ं ण ु वैिरिवनाशतः॥ ५०॥
े ं योजयोडशरै
मारािण ूक े ः।
तने मारािण ःु सया च शत ं पनः॥
ु ५१॥
ं
चािरश
चािर त ैयरचन ं ण।ु
ु ् ५२॥
यने सवऽ समरे िवजयोभवित ीवम॥
--------------------------------------------
ु
ताििमािदिभरनभावत इरै धििभः
ोकै िवाया ं ूथमपमसमामनवमारैः
ू
पयािण त ैबरूयोगाणा ं शािूयोग ं चोपिदशित। तऽ
ान ं ानपटले वमाणम।् अिभषकतः
े यम े
े ैः ूावदरपकजपािदनथः॥
िनविशत ु ः
े ४७॥ ४८॥ ूागै
*?िकमिण ू े ू ैः।
ूोिसतचनकपरािदलखनििसतूसना
े
िविनयोगतः साधारणसकािदतः। एतं भवित
ृ
यथामानमदलं प ं तीिहवय ं च िवधाय
तिणकाम े ूथमारं ससामािल
े
बिहरमािदूादियनास े ु
ु दलष
पमसमामनवमारािण िरािल
ृ े
बाववीाममािदूादियनािदाा ं
े ्
े ूथम
मातृकामािलखिदतत ं यम।् एवमषामिप
े
ु
चतणामराणा े
ं ूकं मतोिनवशनात ्
े
तिदतरवनतािर ू प यािण
सय
ु
ूागोपिवशािकारीणीित॥ ४९॥
े
िवजयिमािदिभभविद ैयोदशिभः
रै ा
ोकै िवाया ं रिवकतारािण
ृ ं
ता ं त ैयिनमाण
ं
तयोगाोपिदशित। े ु
तऽ मारािण ूकिमा
ु
अपनारयोजन ं नाऽ िववितम॥् ५०॥ ५१॥ ५२॥
--------------------------------------------
p. 185) ु े
ूादिणोद कयािखायोदश।
तने तावि कोािन सवि समतः॥ ५३॥
ृ
काऽाॐ ं ततो बा े वयम े ्
ृ ु ं ततोिलखत।
् ु ् ५४॥
अरािण िशवा ु िनर-ऋमनबमात॥
े ु नवाा ं समािलखते ।्
तऽ माणकोष
बिहरस ु कोणषे ु ितीयाणािद े ् ५५॥
सँिखत॥
े ु िविलखदा
अरालष े ं वयारा
ृ ्
(न )।
तावे मातृकाािभिवदिभतमथो े ् ५६॥
सत॥
् े समािल जीक
एतत पट ृ रणोम।े
े े िरपवः पलाय े िदशो दश॥ ५७॥
दशयन
--------------------------------------------
ं
तावि यावदरसािन
ु ं ं समतः
चतािरशदिधकशतसानीथः।
ु
समचतरॐपतः॥ ५३॥ अाॐ ं ूावत॥् ५४॥ ५५॥ तािन
िवारािण। नवमातृकारािभः मातृकारसाारैः।
िवदिभत ं रीकतम।
ृ ् िलखत।
े ् ूािगािदिभसिद
े ु
ै तिभः
े
ोकै रतं भवित समारालािन ूागमािण
ू
दिणोरामािण च ऽयोदशकोणसऽायाा तिहः
े व
कोणृाृिकया ॅमण ृ ं का
ृ तिहः
ु ं का
ूावतरॐ े
ृ तिहरकालाराल
ु ं वय
ृ ं िवधाय
तोषे ु िशवािदिनर-ॠ
् ं तािन रिवकतारािण
ृ ूितपि
उरार ं दिणावसान ं च समािल तऽ
े े ु सानाम िविल
मारनवकोपतनवकोष
े
तिहरमािदूादियनास ु कोणस
े ु
िवाितीयारादीारािण िविल ूथमारं
े
तदकोणारालािल ृ
बिहववीा ं
मातृकारसाारैिवदिभतािन े
िवारायािलखिदित। य
(य)म रयोजन े कत
वण ् े योिजत े मारं
ृ े यिन र
् े पतित तऽ सा ं िलखत।
भवित तदरं यिन को े ् एव ं
े ु अऽ
मनववणाौयकोष।
ु े ओ ँ कारयोजन े
नविमितीयवण
ु ॐकारयोजन े
मचतथवण
--------------------------------------------
ु
े सिनितम।
सनोकलहााशमित ्
् ु
त ं ताॆपे त ु िविला तत पनः।
् ू ु े ु े ६१॥
ापयते साभभतरकादशसमम॥
ृ े
गजवािजगह े ()मडप।े
()भाडागारऽ
् े ् ६२॥
ु िद ु म े च तत खनत॥
अःपरु े नगया
ं
यऽ सािपत ं य ं तऽाचा िनशोनपः।
ृ
् शत ं वय
े े तत सव
कारयन े ् ६३॥
ृ े भवत॥
े े
बीजािन तािन ूकमपऽसरोह।
े े कशः बमात॥् ६४॥
े ु पिरतो िलखदकै
म े दलष
बिहमातृ कयाऽव
े सा िनशः।
जािदनवक ु ु ् ६५॥
े कयाािमनबमात॥
यऽ े भवद
े महतो राजतोऽथ(िप) वा।
् े शामयत॥
रोगतो वैिरतो वाऽिप तिन तन े ् ६६॥
--------------------------------------------
े
जनािनितशषः॥ ू
६०॥ त ं पवम।् एकादशसमम
ु े सा
े
जलराशलराशवा े ६१॥ िद ु
े एकादश े राशौ लगत॥
म े चित ृ ् ६२॥ तव ूोगजािदकम।्
े गजगहािदसामाम॥
ृ े व
वय े ६३॥
ृ ै भविदथः॥
--------------------------------------------
े
साशत े (सकासन ू
) िवभािदूयोग ैिदत ैः बमात।्
े ैजलिनव
िविवधािन िवषायिभय (े िशत ैः) शन ैः॥ ७०॥
े
नाशयान े े च।
(से)काा ं धारणनाचनन
दश
े े वा नगरे माम े मले पवतािदक।
े
ूथम ं मतः खाा ूागािदष ु ततोऽस॥
ु ७२॥
् लीिरित िरा।
ितीयादीिन त ु खनते तऽ
चाितसवौ
धमाथ े ु
ं ृ भवतामयोगतः॥ ७३॥
े ्
ितीय ं मतः खाा ितरायिभतः खनत।
े तऽाः ूसीदि च दवताः॥
धािमकान े ७४॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
ू े
पजयपचारै ं ु
ा िनशोभिसयतः।
ु
ूागपिरवारािदरिहता ू
ं पजयिप॥ ७८॥
ु
भवताता।
ऽैलोमोहनी िवा सवतो
न कदािच ु सा ूोा ता ं म े ॄिह
ू महर
े ॥ ८१॥
ु ् ८२॥
ाप ं ूवािम ण ु िमदमतम॥
यने नारीनरनपदवताः
ृ े
सवजवः।
ु ् ८३॥
भजने ं यथा मा ं ं तयोगबलावम॥
् ु े
िवया मातृकावणान पटयतोऽिप वा।
ु े सा
ूों तनवकं क ं च ैतया॥ ८५॥
--------------------------------------------
ु एकै कनऽण
नवकिमा े चािभषकोऽिभिहतः।
े एषामाथः
ु
सगमः॥ ६४॥ ६५॥ ६६॥ ६७॥ ६८॥ ६९॥ ७०॥ ७१॥ ७२॥ ७३॥ ७४॥ ७५॥ ७६॥ ७७॥ ७८॥
७९॥
े
भडािमािदना ु
े िवषापहरणमपिदशित
ोकन तऽाऽथः
ु
सगमः॥ ८०॥
--------------------------------------------
p. 189)
जपतपणहोमाचािसया े ईिरतः।
सक
ु
कचन वा दरदैनथा॥
ैगिरकै े ८६॥
ु
च ैऽािदिवषव
े तथ ैवायनयोयोः।
रोरायोजिऽतय बमात॥् ८८॥
े वषयोः
े
राजा वा राजमिहषी सनापािधपोऽथवा।
े े ् ८९॥
अोवाश(भ)िशीलाः कारयदिभषचनम॥
े े त ु दािर
दिणामिभषक ू शितः।
ु
िवशा ं न कवत ु
यिद कवत लोभतः॥ ९०॥
ं े े ु
सदहपावकवऽलीकलऽकै ः(?)।
तावऽ तऽिन
े ्
िवशा े ् ९१॥
ं न िचयत॥
े
अिभषकफल े ण ु व े यथािविध।
ं दिव
ू े जलनितमतः॥
सोमसयािपण े े ९२॥
--------------------------------------------
े
ऽैलोािदिभरिपवा ु
इरै तिभः
ु
ोकै ैलोमोहनिवायोगमपिदशित। तऽ ाप ं
े ् ८१॥ ८२॥ एन ं साधकम।्
अशषमसाधारणात॥
८३॥ ८४॥ िवाया
एतिाभजनपरं सव आवािमव भजीथः॥
ु े
मातृकावणाटयतोिप ्
वा मातृकअरािण े ं िवया
ूक
ं ु ु
े वा सपटीकयािदथः।
मण
े े ोकयने
ूोिमािदना ूकनिमनाान
े ं नवयाणा ं िवलखनिािण
ऽैलोमोहनिवया अिभषक े
यथाबम ं नव चोपिदशित। तऽ एतया ऽैलोमोहनीिवया॥ ८५॥ ८६॥
नवाना ं यूकनिमित ातात॥् ८७॥
े े
च ैऽािदिभियिद ु ोकनवाना
ै तिभः े ं
याणां
े े े ु
नवािभषककालानिभषकयोयानिभषककतदिणाूदान -
मूदानने
--------------------------------------------
p. 190) ू
जपपजािदना े े
िसवैभवनािभषकतः।
ु
लणसमािन
तथा मजािन च॥ ९३॥
तनितजिनताािन
ु िरतािन च।
े े सिललैिरव पावकः॥ ९४॥
नाशयणावी
ु ु
अपऽोिविवायरारोयािदसमितान।्
् ु सखी
लभत े च बन पऽान ् ु च िचरमधत॥
े े ९५॥
े ु
कमिमािदयोगष ्
े ु ज तत ूानातः।
्
योभृश ं िनदा िवात िः े ९६॥
सोऽिप िौय ैधत॥
े ैः।
ूाजसित ैः पाप ैरपािदिनषवण
अनीा वैिरिविहत ैरिभचारािदिभ ु वा॥ ९७॥
सिचर ु ु
ु ं जीवित ातः पऽपौऽािदिभयतः।
े ु िविधना चरन॥् ९९॥
े ं नवस ु ूोष
नवािभषक
्
अपमृ ं ु िविजाात भः ु
शामानसः।
ु
जीविर ु जीवित मथः॥ १००॥
ं योगी भिव
--------------------------------------------
ू
ूवाय ं चोपिदशित। तऽ िवशा ं िविनगहनम।् अत सगम
् ु ं
--------------------------------------------
--------------------------------------------
मसा।
एकादशपटलम ्
्
तदािन िलिपास ं ान ं शििभरचनम।
ताधनिविध ं ताः ूयोगाििवधानिप॥ २॥
् े ्
े करायोः।
मायाान षिरवाााचरत
े ् ४॥
नवारािण िवाया नवरषे ु िवसत॥
ु े
ापकं च सने कयाािसय।
े
सवािप ् े ् ५॥
च िवास ु ापकं तत समाचरत॥
ू
तने तयो भयााधकन
े िसयः।
े दवाना
तािचरण े ्
ं ूसादात सवि च॥ ६॥
--------------------------------------------
अथ एकादशपटलं ूारत।े
ू
पविन ्
दशम े पटले पा भडािनािवाया
े
ु
िवधानमपिदँयानरं षा विवािसनोिनािवाया
ु
िवधानमपिदशित। े
अथ षोडशािद ु इने
भिव
े ैकादशने पटलन।
ोकशतपण े अथ षोडशािदना
े
े े
िूयनाािधकन ु
े ोकयने पटलाथानिशित। तऽ किथता
् ु ् १॥ २॥
तृतीय े पटल।े अत सगमम॥
े
िवािदिभः ैः पिभः
समीिरत इरै ा
ु ु
ोकै तिवधासािदकमपिदशित। ् े ्
तऽ रान दीघाियोजयत।
्
मायाान सविवषढान ् ई ऊ (ऐ) औ (औ) अः इतान
आ ्
े षदीघरान ्
े ु षणान ्
कथयित॥ ३॥ नवरषे ु ॒ोऽनासाष।
े ु ु िऽष ु ऽय ं इितबमण
आमहनपायष े नवरषे ु
--------------------------------------------
लिलताया ु वगोमािभरव
े च।
तने ता ु िलिपशो ास ैव(?) समीिरतम॥् ८॥
ु
तकानसाशा ं नवयौवनसरीम।्
े ु
चारमखाोजा ं िवसलयनऽयाम॥् ९॥
ु ं मािणाभरणोलाम।्
अािभबािभया
ं ु े ् १०॥
परागिकरीटाशसदािणताराम॥
े
पीतकौशयवसना े
ं रमीरमखलाम।्
ं ् ११॥
रमौिकसिभबकाभरणोलाम॥
ु ु े ु ू
राजकपसचापपणमडलाम।्
े
एव ं ााऽचयिवािसन िविवमहाम।्
ु
ािलनीिविलिौ ु
मला समनोहरा॥ १४॥
--------------------------------------------
े ् ापकं ूावत॥् ३॥ ४॥ ५॥ ६॥
नवारािण दिणपवू सत।
मातृकायाः षडिमित। मातृकाास ं तडास ं च
ु ु
पदश े कलसरीपटले वमाणािदह न ाकरोिम॥ ७॥ ८॥
े
तकानािदिभिविवमहािम ःै पिभः
ोकै दाः ु
सपिरवाराया िनसपयाानमपिदशित। ु
तऽायधािन
ऊािदवामदिणयोः े ् ९॥ १०॥ ११॥ १२॥ १३॥
कयत॥
--------------------------------------------
p. 194) े
कनकाितवािवािविवधाचितशयः।
अ।ईटकोणषे ु सादमा
ू ् १५॥
(ु )ु ूदिणम॥
े ु ादशता
दलष े ्
े रािशशीः समचयत।
े ं वषाया
मषा ृ ु ं ककटीमिप॥
ं शिं िमथना १६॥
ु े ु ारषे ु पायोः
चतरॐष कोणिद ु च।
े ् १८॥
अयो िदशोः शीः ूोा दश समचयत॥
मायासारीम े गत ैनामिभरीिरत ैः।
घरा सवभा च िवासा िविवधोवा॥ १९॥
े
बिलदवीित ु ु
सोा ककािवया।
तऽ ताम॥् २१॥
े त ु बिलकमिण
यऽ नोा दवता
साया समोपता
े ं िवदािलदवताम।
े ्
ृ
वयोनवयोिन ं त ु का ु ् २२॥
ृ तिहरजम॥
ं ु ं िवदायमकम।
ादशछदसय ृ ु ्
ु े े ारयसमित॥
तिहतरॐ े २३॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 195) ू
पवपिमयोरऽ दव े ्
े चबे तथाऽचयत।
ु े ू
अनमलााम ससाधयथा॥
ं े २४॥
ु होमिवधौ घृतमामवे च।
िानौ
ु सहॐ ं ात ं वा तचोिदतम॥् २५॥
सानौ
ू े ु ूावदीिरता।
पजासमािरवमना
े
िवायाः साधन ं तऽिन ् े
परमिर॥ २६॥
े ू नामनु तम।्
अमानपिाणं
काहोमिविध ं व े ण ु वाितदायकम॥् २७॥
शािलतडलमादाय
ु े ्
ू ं भाड े नव े िपत।
समानवणवाया राया गोपय (?) था॥ २८॥
िगण ् ं तऽनल।
ु ं तऽ िनि ौपयते सृ े े
घृतने िसं िस ं त ु का े २९॥
ृ तिसत ं कर॥
ु े
शबवारिप तथा वषाृ े ्
पसमोभवत।
पा ं त ु िवशषण े ् ३१॥
े े ूाोलं समाचरत॥
--------------------------------------------
ं चोपिदशित। तऽ चबिनमाण
िनसपयाबम ु ् जपहोमयोः॥
ं सगम।
् ू
२२॥ २३॥ २४॥ २५॥ ूावत लिलतापजावसानवत।् तत लिलतासाधनवत।
् ्
े
एतदकारािदनवारााना ु एषािप
ं माणा ं सानौ
नवाणात ् अमना
लिलताविदथः। ् े
ु अिन त
ू े
पवापरूोाीकारण॥ २६॥
े ू
काहोम ं िवशषपजाफलं चोपिदशित। तऽ सृ े
ं तऽनले
होमाथ िवधानूितित।े िसकं अिपडम।् सिसत ं
् २७॥ २८॥ २९॥ ३०॥
शकरासिहतम॥
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p. 196)
ता ं ितथौ िऽमै मिका ैः िसत ैत ैः।
अााा ं त ु िनयत ं ााोभवरः॥
े ३२॥
पमीष ु िवशषण े ्
ु भवत।
ू ं कयाती
े े पजा
े ३४॥
ूितपििथमार पदँयमिक॥
े
कामयािदिचऽाा े े किवमहाः।
दकै
ू तािदिभः॥ ३५॥
यतने ितथौ ताा पा
े ं ु
े भिसयतः।
ूीणयतससमतो
े ु
तनायःौीधनारोयिवाकीितसमितः॥ ३६॥
े ं भमौ
जीवषशत ु
ू का तली।
ु ् ३७॥
ु सममवायात॥
यिथौ या समााता सता
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 197) े
िवया दवताान े ्
ं सााऽिखलमाचरत।
ू सक ् ममाधना॥
िवाूाििविध ं दवे ॄिह ु ३९॥
ु
आसा ं पदशाना ं च यने ैताः साधकोखाः।
ण ु वािम त े दिव ु ् ४०॥
े िवाूाििविध ं शभम॥
यने िवादवताामै
े योगने िसित।
तावमाययोरैपमानिवमहम॥् ४१॥
यदवा ं ु यतऽानक
े ु
े े मनयोऽिक।
े
ु
कचन ु वा िसरैगिरकै
ैः कमै ः शभु ैः॥ ४२॥
ु ं चबं रख
िवदािपल ु
े ं सशोभनम।्
ू े ४३॥
या यबमारात ं िनपजािविधबम॥
ु ं िनधायाजल
तऽ क े स
ू दवताः।
े
ू ु
ूोबमसमोपते ं पवगतनकौ॥
ृ ४४॥
ृ े ु ूावद ता ं तथा।
कोवमथाः
तिथौ ूाख ु ं ु ् ४५॥
ु ं िशमलणसयतम॥
ु कजलै
तथािवधो गः ु े े ्
मिभषचयत।
ु ् ४६॥
ु ं सविसिदम॥
तलं ूागदिदग
े ् ४७॥
विदाहं मृित ं रोग ं दािर ं दशमोचनम॥
ु
बमाािद वा ं फलािन िरमािन वै।
ततोऽसौ पिरधायास ु शॅश
ु े ु े च वाससी॥ ४८॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 198) ु
समाच िनज ैि ैः सम ैवा परोिदत ैः।
ु ं
अ पादयोनाथ ं पोकै ः विशः॥ ४९॥
ु े ्
ूणोाय परतोबािलकरोभवत।
ु
ततोगमाय चब े िनवँय
े च॥ ५०॥
े
मनसा भावय ैमाान ं दवताना।
े ता ं दव
ूोबमण ु ् ५१॥
े िवापा ं महाितम॥
ू
समावाा मािदिऽष ु ानषे ु त ु बमात।्
ं
सा े ु ् ५२॥
ूोपा ं ता ं ााऽ वदनम॥
ू दवताा
जीवकण िऽशः पण े समािहतः।
ततऽ ैव ता ं िवा ं शत ं जादावान॥् ५३॥
ु
पनदायोाय ु ु ्
ं वन।
पैरत
ू
ूण िऽपासीत मबािलः ु ् ५४॥
वन॥
ू
िनशोजपपजा ु ्
ैपासीत िशवा ं गम।
एव ं पदशाना ं च िनाना ं बम ईिरतः॥ ५६॥
े सव समीिरतम।्
िवाूाििवधौ दिव
तासा ं न ैिमिकं का ं लिलतोिवधानतः॥ ५७॥
--------------------------------------------
् े
ूावत िनबमण॥ ु े ४६॥ ४७॥ ४८॥ ४९
४५॥ मिमऽ ईशानिदगत॥
॥ ५०॥ ५१॥ ५२॥ ५३॥ ५४॥ ५५॥ त ैः पिभः ोकै ः॥ ५६॥
े पदशाना ं िनाना ं
तासािमािदना ोकन
ु
न ैिमिककािवधानमपिदशित। तऽ ूिता ं
ू
तिसपयाचबमः। ू े उत।े
आशने पणािभषक
ू े
पणािभषक े
तिसपयाचबण॥ ५७॥
--------------------------------------------
्
एकाि े िताऽात पिरवाराथािवधाः।
अदा ूोपााऽतऽाचन े मताः॥ ५९॥
ं दवताभदा
वणाना े ु े शषतः।
े िधाः े
ृ िवा मैवा ु मकाः॥ ६२॥
ैवाः ता
ु
पनरा ु यािण तलािन ण ु िूय।े
े ृ
िवारनावाराय त ैथा॥ ६३॥
--------------------------------------------
े े ोकयने
आसािमािदना िवधानकिमनाािधकन
पदशाना ं िनानामोािने िनन ैिमिककाषे ु च
े ं ूोिनगमन ं च करोित। तऽ तथािवधाः
ानोपदश
अिनासमानपाः। अदा पृथक ् पृथक ् ािपजास॥
ू ु ५८
ृ
अवाराले तािखणान
ं ्
े दशबमात।्
ु
कमानपान ् े े वै॥ ६६॥
पाशिखबमण
ृ
वारा ूावदािदरािदाारािण च।
् ६७॥
एव ं षोडश यािण जाय े त ैयथाबमम॥
ैः साधयि
त ैय े े
ं मनीिषतमशषतः।
ूथम ं खपर े रविमलन ं ु ् ६८॥
ू े सयतम॥
ू ं ु े
िसरं तिस े िपा धररससयत।
िलिखा खिदराारे तापयििश
े जापवान॥् ६९॥
ृ
नारी नरोनपोऽोवा समायाित च तलात।्
े े ताॆ े वा वा काो
तवतन े ् ७०॥
ं वा ूावदािलखत॥
--------------------------------------------
ु ं ु
े सवऽासयरोपादान
अपनारायथः। ं
ु
भवित। राणा ं चापनवगतः। नानामरत इित
ृ ं
सवऽ समयः॥ ६३॥ ततो य ं अकोणावयोय
ृ े ६४॥ तारण
कथः॥ े ूणवन॥ ्
े ६५॥ तान ूावत।् ूादियने
--------------------------------------------
p. 201) ् ू ं फलमीिर।
तापनादिप भवते पव
े ् ७१॥
ितीय ं खपर े तने िविल िनिश तापयत॥
ु े णाैिररातरा।
ँमशानाौ मकशा ु
ु े ्
मन ं ु तदवे साः िपशाचातिरपभवत।
चतथु िविलखपचीरऽिसतार॥
े ृ े े ७५॥
ू
पववऽ े ु े च।
िनखनिाऽावबमण
ु यमालयम॥् ७६॥
े साहाििपयाित
दाहरण
े
पमऽथ िलखयोः।
वा ष े योनाम े
े
कालोकजपोलखा े ७७॥
खपरय॥
्
ँमशान े िनखनते ूावदीतीरय े यम।्
ं ु वािरणा पणा
नात ू या ं षाायोिमथः॥
े ७८॥
--------------------------------------------
ु इरै ा
ूथमिमािदिभभिव ैः यिशिः
ं
े ु षोडशयषे ु
ोकै ः ूोष
ु
तृतीयचतथपमषसमाम ैिनमहान
ःै षिय ्
ु
एकादशने िनमहानमहान ् े ैः शभाशभािन
शष ु ु चोपिदशित। तऽ
रिचऽकम।् खिदराारे
तिस े रविरस।े रविनाम
े ू
े ६९॥ तने पविण।
खिदरनाार॥ ्
े अिन ूकरण े सवऽ
ु तापन ं खािदराार॥
िानौ े ७०॥ ७१॥ ७२॥ ७३॥ ूोकाले
ूावत॥् ७४॥ अिसतारे इित पवसः॥
ू ू ्
७५॥ पववत
--------------------------------------------
साहाहाै ु
ृ री ूयाािटतोऽतः।
े का
नवम ं हि
ृ तिमकाया ं वरे िदन॥
े ८१॥
ू े े े ८३॥
िनधाय पजयँमँमपातािदशाय॥
ू े े
रदत
तथा भतमहाता धारणात।्
एकादश े िलखज ु तत॥् ८४॥
े ू पाटीरिवै
े
ु
उबमसमोपते ं गिलकीक ु
ृ ता ं पनः।
िसतिसमय े िले साा
ं ् ु
तत पनः॥ ८५॥
्
ापयते ौिम े त ु पजयिश
ू े तत।्
सास ु सिसत
ु ैः पैः
ु सौरभा ैिवधानतः॥
८६॥
मासादााहश ु ्
े ःु शऽवो ीवम।
े ु ु ु ८७॥
े घृतनारोयमायः।
भवयािधतान े
ु िवशषण
राता ु
े े सिखताः ु
रयतः।
असौवीरम े िवषयित
े वैिरणौ॥ ८८॥
--------------------------------------------
े
िनरसािदना॥ ७६॥ योः ययोः। योः िवयोः॥ ७७॥ अऽािप
े
लखनि े
ं िनरसािद। एतदवाििमहूकरण ु
े िानौ
िम॥् ७८॥ ७९॥ ८०॥
--------------------------------------------
p. 203) े
तऽैव कथनािोग ं तयोादयदिप।
ु
शठीमरीचिपः ु ू
ससाः ू
पिरचिणताः॥ ८९॥
ु
लकच े ्
े त े तििनिपत।
रसोपताः
् ु सास ु यऽाराित ु तखम॥
तापयते िऽष ु ् ९०
ूोकाले रैरातापतृ
ासमितः।
ादश ं खपर े रािऽरसनािल
े ु
तनः॥ ९१॥
ु
इकायगम ं का ् े े
ृ तत षयढम।्
े ु
े े शारायतनऽिप
ापयिडकागह े वा॥ ९२॥
वहारं ऋण ं चादािहताकम।्
ू े ु धारणतोऽना॥ ९४॥
ऽयोदशने भजनाश
िसमगत ं का े े ्
ृ तिशीथऽिभतापयत।
ु नपाः॥
साहाशमायाि ियो वा पषा ृ ९६॥
ू
गजा हया मृगा े य े जीवा भतलाौयाः।
ु े फलकािलिखतने वै॥ ९७॥
े नाा यन
परण
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 204) ु
सखूसितः ्
ू ात ीणा ू े
ं तजाूणािदना।
षोडश े नाम सिल
ं धारणाािणना ं तथा॥ ९८॥
ू
ऊिमकादभषादौ ू वा िबभृयातः।
मि
ु े
आिधािधिविनमोिनःसपोिजतियः॥ १००॥
ु
भोा भ पयाना ु
े ं भिव।
ं जीवषशत
योिनतमयी ाििरितसमीिरता॥ १०१॥
--------------------------------------------
े पदशन॥
परण ु
े ९७॥ अऽानमहूकरण ु
े िानौ
पटीरािदणपदम।् हैमपोीणम॥
् ९८॥ ९९॥ आिधः मानसी
पीडा। अऽ ादशतमः ोकः षरणागाथा॥ १०१॥
मसा
यािण षोडश ाा म ैाािधका े ्
भवत।
ु
चतःषििरितू े े ् ०॥
े ूोमकादशऽिखलम॥
ादशपटलम।्
(सवतो
साधन ं होमकमािण ) यािण फलभदतः।
े
े सकलं कथयािम यथािविध॥ ३॥
ूोबमण
ू
रा ं रारा ं रगमालािवभषणाम।्
ु ु ् ६॥
ु ु ं िऽनयना ं मािणमकटोलाम॥
चतभजा
--------------------------------------------
अथ ादशपटलम।्
ू े
पविकादश े पटले षा
ु
विवािसनीिना(या)िवािवधानमपिदँयानरं सा
े
महावळरीिनािवाया ु
िवधानमपिदशित। े
अथ षोड?शािदना
अवाय े इने ोकशतपण
े ादशने पटलन।
े तऽ अथ
े
षोडशािदिभयथािविध ु
इिै िभः ोकै ः पटलाथानिशित।
तऽ ूागवे तृतीयपटल॥
े १॥ २॥ ३॥
ु
यिमािदना बमािदने ोकयने ासबममपिदशित
े मायया खया।
। तऽ एकै कं िशरः िश(व)खयोिरित शषः। े अािन
ु
दयादीिन। बमााितयािन ु ैः खापिटत
शिपिटत े ु ैः दशिभः।
े ु े ु एकै किमितशषः।
खायवजवावोनािभगष। े गु ं
े ् ४॥ ५॥
नाम महनम॥
रािमािदिभनाियकािम
ःै पिभः ोकै दाः
ू ु
सपिरवाराया िनपजाानमपिदशित
--------------------------------------------
ुे
पँयी साधकं ॐषोणामहीपर।
ु
चबम े सखासीना े ् ८॥
ं रवसरोहाम॥
ृ ं पोतमग।े
शििभः पािभरावता
ं े
िसहासनऽिभतः े
ूोतािभः शििभः॥ ९॥
ृ
वाािभिवनोदािन यातायातािदिभः सदा।
ु
कवाणामणाोधौ िचय े (ळ)नाियकाम॥् १०॥
े
मखला े
िािवणी वगवती ादशशयः।
े १३॥
ततः षोडशपऽाः शीराकणयािक॥
ु े
कमला ं कािमन का ं कला ं किलतकौतक।
ु ् १४॥
िकराता ं कालकदन े कौिशका ं कवािहनीम॥
--------------------------------------------
ु
आयधकन
ं वामोहािददिणाधरहा ं
े
वामदिणवामदिणबमण॥ ६॥ ७॥ ॐषोणामहोपरुे
चबम।े एतं भवित समिऽरखा
े ं योिन ं िवधाय
तिहयथामन ृ ता े ादशय ं
ं षोण ं का
ादशप ं िवधाय ता े षोडशदलं प ं का
ृ
ु ु ारोपते ं समचतरॐय
तिहतिद ु ं कयात ् चबे
ु तऽ
ु
सखासीना े
ं ता ं िचयिदित॥ ८॥ ९॥ अणाोधौ शोणाोधौ॥ १०॥
े े
इािदिभयजिद
ःै सिभः ौकै दाः
् े
पिरवारशीपिदशित तऽ षडॐाः न ैर-ॠािदबमण॥ ११॥
ु मदना इित मदनातरा
मदनातरा ु इित च शी॥
े ु े
१२॥ १३॥ किलताकौतक
ु इित च शी।
किलता कौतका े
--------------------------------------------
p. 207) ु
कातरा ं कपटा ं कीितकमार ु
कमामिप।
ु
चतरॐिता ं चािप शीराकणय बमात॥् १५॥
े
जिका विगनी े
नाी चपला पशला सती।
रितः ौा बोगलोभमदो े मनिनी॥ १६॥
ु े े ् १७॥
े चतरॐऽिभतोजपत॥
ादशैता महादिव
ृ ू
काऽममलाा े ्
ं ूोप ं ततोऽचयत।
े
शोणाि ं हमपोत ् १८॥
ं च िसहासनमनारम॥
ं
े ूावदावा शििभः।
तऽ चबं ततो दव
े ् १९॥
ं ैनामिभरचयत॥
मायासारीमगत
बिलं च दादन ु साया परोया।
ु
े
दा ु ककाया
ु ु ु
होम ं कयाथािविध॥ २०॥
े ्
ु त ैवा होममाचरत।
घृताै रण ैः पैघृ
् े ं त े समीिरतम॥् २१॥
ूावत समापयिदमचन
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 208) ू
वसकाले मी े वा पणामार े ्
साधयत।
ू
हिवाषी पयोभः फलमलाशनोऽथ वा॥ २२॥
ु
ातः सगिसिललै ं ु
रणाशकवान ् ु
शिचः।
चचनकाँमीरचचालोिहतिवमहः॥ २३॥
ु ु
अनााियगलालाणववान।्
ु े
मखािपतशकलो े िजतियः॥
चता े २४॥
ू
मौनी िऽकालपजास ु कतससाधनः।
ृ
नाशी तिशने जपिा
े ं समािहतः॥ २५॥
े
िनशोभो जपिाभान ् ु
भजनकौतकान।्
ु
धनधाारा ै ं सो तदनया।
ृ
कतारो ू े ं च भितः॥ २८॥
िनश पजय
ु
न कदािच कवत े ु
िवशषासिधौ।
् त ैः॥ ३०॥
ं ं नते घृ
एव ं लऽय ं जा तशाश
--------------------------------------------
p. 209) ु
आरवधूसनू ै ूसनू ैबकलावै
ः।
ू ैकै वा िऽमै िनशः॥ ३१॥
मधकज
ू ु ृ ैः।
चचनकरीकाँमीरसरभीकत
तपयत ्
े सिललै ्
ाविनशोभिमान ढः॥ ३२॥
एव ं सिसम
ं ु कयााािन
ु साधकः।
ु ृ ृ ं ु
गभोिनककतससयतः॥ ३३॥
सहॐजापी िरधीमवीयिवदावान।्
् ु
यः सोऽिप काान कवत े ३४॥
ूयोगााथा िशव॥
यानने मोहन
े चापलनािप
े े ्
वाऽऽचरत।
् े
अनथान शनाशािद पीडा ं ूाोित िनितम॥् ३५॥
ु ु ु ैः।
अण ैः पज ैहम ं कयािमधरात
् )॥
मडलाभत े ल महत ािवमहम(हाम ् ३६॥
ं
कारैः ौिसिसै ं (िऽ)ति िदनाविध।
ः पौणा
ु
जयािशोभा सहॐ ं िवकच ैः शभु ैः॥ ३७॥
तिनषे ु पवान
ू (् पू)भोजयपतः।
े
् ३८॥
ताव जाोमा े यावात ं कतम॥
ृ
--------------------------------------------
् २९॥ लऽयिमितिवशषिवधानावल
िमापिनवहणम॥ े े ं
े
लऽय ं जपिदथः॥ ् ं
३०॥ ३१॥ तावत दशाशतः। िदनशः
ूितिदनम।् अऽ पररणिवधौ
ु ु
ूोमिखलं सकलिवापररणम ्
े
॥ ३२॥ एव ं उूकारण॥ ३३॥
ु
गभ े े ोकयने
(िम)इािदना िनितिमनाान
ु े
पररणमरणािप ूयोगयोयतामथाकरण े ूवाय ं
ं ु इथः॥
चोपिदशित। तऽ अथा (अथा) अः न ैविवधगण ३४॥ ३५
॥
े
अण ैिरािदिभभविद ं
ःै सिवशा
ै ैहमािदना
ोकै नानािवधि
--------------------------------------------
पाटलैघतृ सिसै
ं ः िऽसहॐ ं त ैः तथा।
भत े िचऽािण वसनािन च॥ ४०॥
दशािदसासाँ
ू
कपरचनादीिन ु
सगीिन च मासतः।
ू लभत े ैर ैभगोप(भो)योिगिभः॥ ४१॥
विन
े ्
शािलिभः ीरिसािभः समीष ु शत ं नत।
्
तने शािलसमृिः ात मास ं ् ४२॥
ैः षिरसशयम॥
ु
ितलैत ैिवस े वषादारोयमायात।्
जीवित।
िनरातो महाभोगः शत ं वषािण
ुू
गडचीितलवािभिष े ् ४४॥
ु जस ु वा नत॥
े ु ु
तनायःौीयशोभोगापयिना े ्
िदभावत।
ै ु त ैषे ु िऽष ु बमात॥् ४५॥
घृतपायसध
ु
आयरारोयिवभवै ृ े
नपमाोभवथा।
्
सा ं कदलीहोमात सौभाय ं लभत े वतः॥
ृ ४६॥
--------------------------------------------
ु
नानािवधफलावािमपिदशित। ् ् ३६॥
तऽ मडलान ूावत॥
ू
तिनाविध पणािदनाविध॥ ३७॥ तिनषे ु सवूयोगिदनष।
े ु
ू
पवान ्
िवािवदः। ु
उपतः मधरसूायािद।
एतवूयोगसाधारणम।् ताविदा ्
ु ं सवहोमसाधारणम॥
३८॥ ३९॥ दशाऽिदमासान ् दशािमथः॥
दशािद ४०॥ ४१॥ समीष ु
ु ु
ितिथष ु अ वासना गमखादवगा। एकादश े पटले ितिथष ु
े
िनाना ं िवशषतः ू
पजाहोमािदिवधानात ् षीिप
अऽ
े
िवशषिवधान ् ४२॥ तिवस े साम।् जष ु िऽष ु
ं कतम॥
ं े ु
जनऽतशमैकोनिवशितनऽष।
--------------------------------------------
p. 211) ु ूादशमाऽ
वािऽकै े ं ु ैः।
ैिासयत
ु
जयािनशोघोर े सिपातरे गद॥
े ४७॥
महारोगषे ु वािभः
ितलैििछोवैथा।
ु ं ु ैः॥ ४८॥
िऽिभवा िनशोहोम ं कयािासयत
ु सखी
षमासादतो वाऽिप रोगाः े ्
ु भवत।
तिनषे ु जपिा
े ं िनशः सिललं ृशत॥् ४९॥
े ्
सहॐवारं तोय ैः ान ं पान ं ाचरत।
ु ु े ५०॥
े कयािोगिवमय॥
पाकामिप त ैरव
ु
ृ पिलका
का ं त ै ु दय े नाम सयताम।
ं ु ्
ु
ूाविाऽयस ैी ैः श ैः पिलका े ् ५२॥
ं नत॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
ता ं त ु पिलकाममधिसमिताम।
ु ू ्
ृ
कतूाणूिता ं च ँमशान े िनखनििश॥
े ५६॥
सायोिन ं च तऽैव िछा दा बिलं ततः।
ृ े
कतािभषका े शतऽयम॥् ५७॥
ं िवा ं ूजप
े े राशौ मासाानािवधरिप।
अरातरम ै
ू ु ् ५८॥
े सिनितम॥
ं े नाशमित
रोग ैभतािदसशै
ु ृ सिलले ता ं खनििश।
यरा सम े
ु सखी
े ैः स िविनमः
शै ु जीवित भतल॥
ू े ५९॥
ृ े का
सावण
ृ ता ं सषपा े िनविशताम।
े ्
े कत
वैरी तीोरणातः ् ु भवत।
ृ े ूावत सखी े ्
े ् ६१॥
तामवे चिडकागहे े तथा बिलयतु ं खनत॥
्
साो नरत नारी ् ु
चते शारायतन े ्
े खनत।
ु
तिधानने सिहत ं शऽादवान ् े ् ६२॥
भवत॥
--------------------------------------------
िऽिभः वािदिभः ु ैः। वा पार।े तिनषे ु
समिदत
े ु ४९॥ तोय ैः अिभमितजलैः
महारोगूतीकारूयोगिदनष॥
पाका ं अाम।् त ैरव
े जलैरव॥
े ५०॥ ५१॥ त ैः
ृ ू
सावचणािदिभः ु ैः॥ ५२॥ ५३॥ ५४॥ ५५॥
समिदत
ू
अमधिसमिताम ् ू
अाशमधिसिहत ैः
ूागै ृ ् ५६॥ कतािभषक
ु ः कताम॥ ृ े इािद
ू ृ
सवबरूयोगानरकम।् अिभषक
े ु तवता
े
े
िनसपयाचबण॥ ५७॥ अम े राशौ िनखनिदित
े सः। सवऽ
ू
बरूयोगान ्
सा ु ् ५८॥ ५९॥ ता ं पिलका
अम े राशौ कयात॥ ु ं
ँमशान े िनखाताम।् एतत सषपापाऽम।
् ् उवासरैः मासािदिभः॥
ृ े
६०॥ ूावतसिललापन े कत।
ृ े तामवे सानऽवकताम।
ृ ृ ्
ु ् ६१॥
तथा बिलयतु ं सायोिनबिलयतम॥
--------------------------------------------
p. 213) ु
महावळ ं च वळ ं च यायानमात।्
ु ६३॥
ूयोगानिप वािम समािहतिधया ण॥
ूादिणोिदक ् च िवशऽािण
ं ू े ्
पातयत।
तने कोािन जाय े कषा
े शतऽयम॥् ६४॥
तषे ु पवािदपिरतो
ू िलख(े दा)िारािण त।ु
ु
ूावरिविभािन ूागिविधना तथा(तः)॥ ६७॥
ं
चािरचािरश े ं त ु मतः।
शत ं तषा
ं
एकिवशितकोािन ु े ६८॥
िशािन पनरिक॥
--------------------------------------------
नरनाययथाबम ृ े तिधानने
ं चिडकाशाोगह।
अमराँयािद॥ ६२॥
ु
महावळािमािदिभः कायानपत े
इरै कादशिभः
ु
ोकै महावळािदयिनमाणबमपिदशित। तऽ ूावत ्
ृ
एकादशानावारािण ु
ूागिविधना े
ूादियूवशगा
े ं षिधकशतसारिवकतिवाराणा
तषा ृ ं
े ु षिमितशषः।
समित ं िशिवकतारष
ृ े
ृ
चकारािकतिवारसिहतिमितशषः। ु
े अगमम।् लखनबम
े
्
सदायूाात अयमऽ े
िवलखनबमः यथा ूाक ्
दिणोदक ् च समारालािन िवशितिवशितसऽािण
ं ं ू े ् एव ं कत
पातयत। ृ े
एकषिधकशतऽय ं कोािन सवि॥ ६३॥ ६४॥ तषे ु चतिद
ु ु
ु ् बावीा ं
सवमकोचतयवजम।
े ् तदः
कोाािभतः ूितकोण ं सदशसदश माजयत।
् ू ु एकमक
ितीयवीा ं ूावत पवपिरकोपाष े ं
कों पिर अािन ऽयोदश ऽयोदश कोािन
े ् तदरिप
ूितकोणमिभतोमाजयत। ्
े तृतीयवीा ं ूावत एकमक
े ं
े ् तदतथवीा
ा ूितकोण ं नव कोािन माजयत। ु ं
े कं ा ूितकोण ं
ूावदकै
--------------------------------------------
ु
घिटकायगवण ् ु
च िलखते ूागयोगतः॥ ६९॥
िशषे ु िवावणा
िलखादशशषयोः।
े े
े ु
े पटयोयोः॥
साामािलखबमण ७०॥
ु ु िलखोणिभतो
चतिद े े
भौितकाणकान।्
् े ु सिल
एतत ूोष ं सप ु ्
ं ू िविधना यतम।
् े ं ु पािसहॐ ं तत ु तत(तम
ृशन जपन ् ७२॥
् )॥
--------------------------------------------
े ् तदः पवीा ं
पपकोािन माजयत।
े ं पिर ूितकोणमक
ूाव ैकै कमक े ्
े ं एकं कों माजयत।
ृ े एकाशीिधकशतकोप ं ूितिदश ं एकािदूितपि
एव ं कत
ृ वळाकारं ँयत।े तषे ु
ूितपा एकै ककोािभवा
ु ु ूथमितीयपिकोचतय
चतिद ु ं माजिया
े ु ् एव ं कत
े िऽकोण ं कयात।
तऽोपारखामयावन ृ े
पषिधकशतकोािन ँय।े तषे ु
ू
पवपिकोपकमकामार
सवबावीा ं ूादियने षिधकशतसषे ु
ृ े
रिवकतिवारािदतः ं
षिशदरायािल
तदितीयवीामिप ममकोमार
ू
पविलिखतारो ािऽशदरािण
ं ूावदािल
ृ
तदतीयवीामिप
ं
िलिखतारोपिरतनाािवशरायािल
ु
तदतथवीामिप ु
अमारबम ु
ं चतिवशरािण
ूावदािल तदः पमवीा ं तत ्
ं
िवशरायािल ू
तदः षवीा ं चािर सय
ु ं
चतािरशदिधकशतारायािल ततः
े ं े े ु बमण
शषारािऽशशरष े ैकिवशितवणः
ं सह
ं ं ष
पिवशपटलवमाणपयायिनावणष
समािल तदन ु यगघिटका
ु े
रय ं यथा सदायमकिन ्
ु ु िऽकोणषे ु ूागािदूादियने
च समािल चतिद
साधककमणी
ू
भतारािण ृ कादशकं
ििऽबमादािलाविशिवकतिवारै
--------------------------------------------
् ु
रयते पिशा ु े
ै च तथ ैव िरपिनमह।
े ु े े े
दशरापरमामिनवशादिवशषतः॥ ७५॥
े ु े ू भमौ
घौरषातजातष ू सिल
ं गिरकै ः।
म े दव ू े
े समावा पजयिशः िशवाम॥् ७६॥
ु े े
राा ं वैिरिवरोधने परीमाऽावशिषत।
् ७८॥
िवभव े मडप े त ूोवज ं िलखहत॥
े
े े
दरदनाचय म े दव ु
े शिचिताम।्
ृ
नगीतािदभीः सा सास ु च िवशषतः॥
े ७९॥
एव ं ूाविन ैै िवजयी ृ े ्
नपितभवत।
वैिरनाशने वा त भासनतोऽिप वा॥ ८०॥
तताजिया त ु भाले का ु बलैः।
ृ पर
े ं म े गज े िजविर
ूतीया(परीया)िशक े ं सखी ् ८१॥
ु ( म) ॥
--------------------------------------------
ं ऽय ं चाऽिलखिदित॥
ूािमयोय ं ऽय ं दिणोरयोय े
६३॥ ६४॥ ६५॥ ६६॥ ६७॥ ६८॥ ६९॥ ७०॥ ७१॥ ७२॥ ७३॥
े
महावळिमािदिभवणयिद
नै विभः
े लािन चोपिदशित। तऽ
ोकै महावळयूयोगिवशषाँ
्
ूोबमात लिलताूोबमतः॥ ् ैः
७४॥ ७५॥ ७६॥ ७७॥ ७८॥ ७९॥ ूावत िदन
मासािदिभः। गज े ापियित े
े शषः॥ ८०॥ ८१॥
--------------------------------------------
p. 216) ं िवधान ं च ण ु िूय।े
अथाळिनमाण
यने हगतने ःु िसयोऽिप हगाः॥ ८३॥
ू
ूादिणोद दशसऽािण े ्
पातयत।
ू ् ८४॥
तने ैकाशीितकोािन जाय े त()दपववत॥
े े ु िशषे ु िविलखथा।
माजयशकोणष े
ू ् ८५॥
ु ु तषे ु ता(वे)व पववत॥
िऽकोणािन चतिद
े े ु माणािशथा।
िविलखदविषष
े ् ८६॥
एकिम े शिः जठरे सामािलखत॥
ू ु े ु िविनयािजया।
एत पवमष ु े
े
न भदनयोरि ूयोगषे ु त ु सवतः॥
८७॥
--------------------------------------------
िनरातः षडः षडािन नाम
ु ं
अमारागकोशबलसािन ु
ापसजनािन।
ु ् ८२॥
अगमम॥
े े
अथािदिभरािलखिद ु
ै तिभः
ु
ोकै वळारिनमाणमपिदशित। ू ् वळाकारण
तऽ पववत। े
दशकोणषे ु तषे ु कोषे ु चतषु ु कोणषे ु ूितकोण ं दश कोािन
े िशषे ु कोष।
माजयिदथः। े ु तथाूितिदश ं एकं कों
े िऽकोणािन िविलखिदित
माजयिदथः। े ु
सः। तािन कमानपािण
ू
भतारािण। े ु सिऽशष
अवाशष ं े ु कोषे ु
्
माणान ादशित े िशः य ं यम।् तथा ूागािद
े शषः।
ूादियन। े े िलखनबमो यथा ूाक ्
े शिजठरे खाम।
ूदिणोदक ् च समारालािन दशदशसऽायाा
ू तऽ
ू
पववितकोण ं बावीा ं सकं तदितीयवीा ं
ृ े े ं बमण
य ं तदतीयवीामकमव े
दशकोािभतोमाजिया ु गतकोचतय
चतिद ु ं माजिया
् ू
तऽ िऽकोणािन िवधाय िऽकोणषे ु तषे ु ूावत भतारायािल
े ु य ं य ं मारािण ूावत ्
ततषे ु सिऽशोष
ं
ृ
षडावा ्
िविलखते सवमगत े को े खा
े ं ससाा ं
े
िलखिदित॥ ८३॥ ८४॥ ८५॥ ८६॥
--------------------------------------------
p. 217) ु ं महीभजः।
िनह वािहन शऽोतरा ु
यशोलीधनाितः॥ ८९॥
अतारोगसवाो
िनव ु ं जीवोगी
सिचर े ू िनजया।
भमौ े
एताॆतले का े ृ े ९०॥
ृ ापयदिभवय॥
ृ े षोण ं त मतः।
िवधाय वयोम
ृ च िवाया बीजमामथािम॥् ९१॥
बा े का
े ्
ष कोणषे ु त ु पनरमपिमयोिलखत।
ु
े ु े े वारा
एकै कं पाकोणष ृ ु
पनः॥ ९२॥
े
मातृका ं िविलखदािदाा ं िबसमिताम।्
े ं िनजवाितम॥् ९३॥
मबीज म ं िलख
ु
भतदमनभीताना ु
ं कमारीणािमद ु े
ं भज।
कठे वा धारयो
े े ९४॥
वभा त जायत॥
रूसािरत ैमवणः े ्
पािन कारयत।
ृ ु
वापऽयािन षोडशािन मनोहरम॥् ९५॥
--------------------------------------------
ृ े इ
एतिदािदिभः अिभवय ु ोकै योगान ्
ै तिभः
ं
तलािन चोपिदशित। तऽ दशकः ् ु ् ८७॥ ८८॥ ८९॥
कवचः। अत सगमम॥
९०॥
े इ
िवधायािदिभजायत ु ोकै ः सौभायकरं
ै तिभः
ु
यमपिदशित। तऽ एतं भवित यथामान ं षोण ं का
ृ
ृ े काला
तदवािहरकै ु (माना)रालं वय
ृ ं का
ृ
े े ं
तऽावा ं यथासदाय ं खावन
े ं अमािदूादियने कयात
तावीा ं मातृकारवन ्
ु इित
् ु
। अत सगमम।् अऽ त े सवखावन
े ू े ु कमस
े ं बरष ु
ु , ् अऽ चतथराशन
े ं े कयात
रफाशन ु ् ९१॥ ९२॥ ९३॥ ९४॥
ु ं े कयात॥
--------------------------------------------
p. 218)
किणकास े े कमरम।्
ु च पऽषे ु िलखदकै
ु
म ं कयााम
किणकाण े ् ९६॥
िनजितम॥
ं ु ं िविनया
घिटकारसय ु ु िनशः।
े ् ९७॥
ृ ता ं तषे ु योजयत॥
अहोराऽ ं षोडशधा का
ु े ु िवधाय ैवमचयामतः
ूागष े बमात।्
े त ु ापयमौ
दव
े ू सवसदवाय॥
े १००॥
ु
पायतमयी ाििरित सक ् समीिरता।
् १०१॥
अा िनालनाि े तं ासातम॥
ृ
--------------------------------------------
ु े ु सवणािदिधकरणष।
तऽ ूागष ु े ु एतं भवित िवाया
ृ े
अनावाकादशारािण रूसारणात ्
े े
षिधकशतसािन भवि। तरािदतः
ूथममरं किणकाम े िविल तदरम े
ितीयमरं, तऽ तदधोघिटकारान े तृतीयमरं,
े ु अमािदूादियने अारािण,
बिहरस ु दलष
े
एवमकादशारािण े ु खडषे ु
अहोराऽ षोडशाकष
े ् एतत ्
ूथमखड तिटकारं तऽ तदातदा िविलखत।
ूथम ं पम।् अनरं पविलिखतारै
ू कादशकापिरतन ं
एकादशकं ूावििल अहोराऽ ितीयखड
े ् एतितीय ं पम।् एव ं
तिटकारं ूावििलखत।
े
बमणाािन ु पािन का
चतदश ृ तऽ तऽ तदा तदा
े ू
दवीपजनािदावािः। तािनषोडशपािन
णािदषोडशकोाके मडले ूितकोमकैे कं
ू
ूावििल पजना ु िसििरित॥ ९५॥ ९६॥ ९७॥ ९८॥ ९९॥ १००॥
ूागा
१०१॥
--------------------------------------------
p. 219) इित ौीषोडशिनातषे ु ौीकािदमत े ादशपटलं
ू परामृम॥् १२॥
पिरपण
--------------------------------------------
मसा
ं
एकोनिवशािण ाामाः शतारम।्
ु व
ादश िरहै ृ
े ं ादश े पटले ताः॥
अथ ऽयोदशपटलम ्
अथ षोडशिनास ु या ूोा मी तदा।
तिधान ं ण ु ूा समीिहतफलूदम॥् १॥
ू ासबम ं तथा।
ृ पवमथ
िवोारः कतः
ू ् २॥
तदावरणशि तान ं तपजनम॥
्
ताधन ं तयोगान होमयािदिभथा।
ूाणूिता ं िवा ं च तिधान ं च तलम॥् ३॥
े व े सूोाशषण
बमण ं े े महिर।
े
ैभवन
य ैम ु
ु े ातो िनमहानमहमः॥ ४॥
कयात ्
ु ूावत ्
षडािन े
िवानोमागतः।
ु ैरणसोऽािदपस॥
तने ैव पिटत े ु ५॥
े ्
षं मनिस िव ापकं िवया सत।
ु ं ती ण ु पावित॥
ूावद समि ६॥
--------------------------------------------
अथ ऽयोदशपटलम।्
ू
पविन ्
ादश े पटले सा महावळरीिना
े िवाया
ु
िवधानमपिदँयानरमा िशवतीिनािवाया
ु
िवधानमपिदशित। े े
अथ षोडशािदिवधानकिमन
े ऽयोदशने पटलन।
ोकशतपण े तऽ अथ षोडशािदिभः
े म
इःै चतिभः ु
ु ोकै ः पटलाथानिशित। तऽ पवू तृतीय े पटले
् ु ् १॥ २॥ ३॥ ४॥
। अत सगमम॥
ु
कयािदािदना े ोकयने ासिविध ं
पावतीन
असाधनािदक
ं चोपिदशित। तऽ उमागतः
ु े े तने ैव खया।
दीघरषजाितयनथः। े ौोऽािदपस ु
ु े ु इित शषः॥
यथाबम ं ौोऽिजायाणाष े ५॥ तऽ िच
े ु उष
सवाष े ु ानषे ु खापिटतन
े ु े ैकै के न वणन
े ६॥
सिदथः॥
--------------------------------------------
ु ु सरी
समखी ु सारा समरा च सरती।
े ु अाॐशयः॥ ९॥
िसा
समया सवगा
ू े ु
मलदवीसमाकारवणायधसमिताः॥ १०॥
इाानिकयाशी ू े ्
िष ु कोणषे ु पजयत।
म े दव
े हितवा ू े
े ृ ं पजयदम िशवाम॥् १२॥
--------------------------------------------
े
िवलािदिभः
िशवािमःै षिः ोकै दाः
े े शी।
पिरवारशीपिदशित। तऽ मदनमािलनी मदना मािलनी चित
ु
चतरॐगाः ु ु
चतरॐारयग ूक
पायोः े ं य ं
ु ं कोणचतय
यमवे ं चतय ु े चतयम।
ु ्
उरदिणिदशोय ु
ं एव ं दश चतरॐगाः ु
चतरॐिता इथः
ु
॥ ७॥ या(क)शयः अयशयः॥ ८॥ ९॥ सवा इा
े े ्
अऽ डािकाा अादार ूादियनाचयत।
्
तवान ु ूाविर-ऋितकोणािदष ु तने हािकनीरािकनी सािकनी
ू
लािकनी डािकनी इवे ं पजाबमः॥ १०॥ िशवािमादयो िवाया
े ११॥
ितीयारािदनामशयः। ैिवमहवती ैिवमहथः॥
े ू ं तामिभः साय
हितपजन बै ाािदिनर
्
-ॠं
े १२॥
ूादियन॥
--------------------------------------------
p. 222) िनदाघकालमािदवाकरसमूभाम।्
नवरिकरीटा ं च ऽीणामणाराम॥् १४॥
े
नानाभरणसिदहकाििवरािजताम।्
ु ु ं यमाना
शिचितामभजा ू
ं महिषिभः॥ १५॥
पाश ं खटे ं गदा ं रचषक वामबािभः।
ु ं कमलं तथा॥ १६॥
ं खं कठार
दिण ैरष
ु
दधानामाधकाभीदानोमसमिताम।्
ृ
बय ु ्
ं बिहॐ ं तय ं षालाजम।
ु ् १८॥
तथा षडॐमाॐ ं तददलाजम॥
ृ तगा ं िशवाम।्
ु ु े विवािसा का
भपर
ु
आवाा ताः शीः ूागिविधना िताः॥ १९॥
ु े
जा ा नमृ ाासयथा।
साधन ं चोमागण ु
कयामतितः॥ २०॥
े ण ु सिसिदम।्
काहोमिविध ं दिव
े
यनासौ ु ् २१॥
वाित ं िूमवाोित सिनितम॥
--------------------------------------------
ता इािदिभनािशनीिम
ःै पिभः ोकै दा
ू ु
िनपजािवधानमपिदशित। तऽ परा ं तन ं ु ण ु इित पवऽायः
ू
् े
। एतत सवदवतासमानम।् भजष
ु े ु पाशाशािदक
ं
े ् कारं अिसधनः।
े कयत।
ऊािदवामदिणबमण े ु
नितनािशन सक ् िववकूदानात॥
े ् १३॥ १४॥ १५॥ १६॥ १७॥
ृ
वयिमािदिभरतित ू
इिै िभः ोकै िनपजाचबं
ू
तऽ पजािनगमन ू ुे
े ं चोपिदशित। तऽ भपर
ं िवासाधनाित दश
ु
चतरॐय
ं विवािसनीिनासपयाचबवत ् ु
चतरॐय ु ्
ं कयात
अबिनमाण
इथः। ं
--------------------------------------------
p. 223) े
वशयिनता ु ु मधिमिौत
ं होमागलै ु ैः।
े े ैगडै
नािलकरफलोपत ् २२॥
ु लीमवायात॥
ु
ु
ू ैः ूसनू ै त ैः कामवायात।
मधकज ्
ु
पागज
ैत ैवायाज ु ् २४॥
ैिरमतायात॥
मािहष ैमािहषाना ै गाथा।
ै रा ैग
अवाोित त ैः सा ै र ै र ं च साधकः॥ २५॥
ु
ृ पल
शािलिपमय का ं ु
िसतसयताम।्
े
शनामाणा पच
े ैलायोिनिश॥ २६॥
्
तामनन िदवा े ्
राऽौ िवाजा ं त ु भयत।
सराऽूयोगने नरो नारी नपोऽथ
ृ वा॥ २७॥
े ्
दासवशमायाित िवूाणािदमपयत।
ु ैरण ैः िसत ैवा जयाथा॥
हयािरप ु २८॥
--------------------------------------------
े ु
फलिवशषूािमपिदशित। तऽ अणोलं ूाविकै रवम।्
ू ु
ू गडादीिन
मधकावािण पिािण लीकरािण॥ २१॥ २२॥ २३
ु
॥ पागज ैः ूसनू ैिरितशषः। ु
े चकादीना ं पागााना ं
ु िाणा ं िऽमधष
चतणा ु ् २४॥ मािहष ैिरादीिन
ु े ं कयात॥
े
आ ैिर िवशषणािन॥ ं ु शकरासिहताम।
२५॥ िसतसयता ्
ू े
त ैलायोिमौीभतयोिरितशषः॥ ् े
२६॥ अनन अिमितशषः॥ २७॥
ु ैः करवीरैः।
हयािरप
--------------------------------------------
p. 224) ु
ीराै ः ससा ं भवमाोित मडलात।्
पा ैहवनाीमवाोित िऽिभिदन ैः॥ ३०॥
ू
ततीिनारष ु
े ु रनावािन
ृ वै दश।
त ैः षोडशरयतु ैः षाशतमदीिरत
ु ैः॥ ३२॥
ु
चतरॐय ं का ृ ु
ृ तदवयमकम।्
ृ ु ् ३३॥
तदरकोण ं च तदवयमकम॥
े
ृ तऽ िलख
का ं ु ्
े िवा ं नामसयतम।
ृ े ं बिहः कोणषे ु चास॥
वयोरराशष ु ३४॥
ेे े
िलखऽर े तषे ु बावयारा।
ृ
ु
कमानपान ् ू ् ू ु
दशभपरमतः॥
भताणान ३५॥
--------------------------------------------
्
े २८॥ िऽसराऽान एकिवशितिदनान।
वा पार॥ ं ् ीराै ः
छागमास े
ं ैिरयः। छागोमषः॥ २९॥ ३०॥
अथ याणीािदिभव इःै सिभः ोकै ः दशयािण
े वय
उपिदशित। तऽ एतं भवित इूमाणॅमण ृ ं
िना तिहरकोण ं ूाविाय
ृ
तोणामृाृिकया वय ं िवधाय
े लाराल
तिहरबिहिवभागन ु ु
ं समचतरॐय ं
िना सवम े िवाया ं खा
े ं सनामारामािल
ृ े ृ
अ(िध)िवकतिवाशषारषमववीामािल
ृ े ु षिधकशतसषे ु आिदतः षोडशारािण
रिवकतारष
बिहरस ु कोणषे ु ूितकोणमममार ूाियने य ं य ं
ृ
समािल बाववीामिप ु ं भतारािण
कमानप ू तथा
ु
समािल बिहतरॐवीा ं तथ ैव मातृकारािण ूितिदश ं
्
ादश ादश ईशाििनर-ऋितवाािद े ् तिलखन
समािलखत। े े त ु तषे ु
मातृकारषे ु राणामयोिबिवसजनीययोिबचतदशस
ु ु
रारषे ु सयो
ं ं
िवसजनीय
--------------------------------------------
p. 225) ं
रैिबसमायो े
योजयन े परम।्
एव ं यािण जाय े दशिसा दािन वै॥ ३७॥
् ू ं समािहतः।
ु पजा
एव ं मडलम वा कयात
ु े
वाित ं ूायााः े
ूसादनायतः॥ ४०॥
ृ तऽावााथ तिन।े
ितीय ं दरदैः का
ु ं छागमासन
सप े े ् ४१॥
ं े ौिम ं िनवदयत॥
े
तावजहीपाल ु ु
ं वश े कतमयतः।
े ु
तथ ैव विनता ं ा ं वशयावदायषः॥ ४२॥
तृतीयमिप िसरैिवधायावा तऽ ताम।्
ताविन ं तथाऽ वशयििवधान
े ् ू ् ४३॥
िरपन॥
--------------------------------------------
कािदलाारषे ु चतिश
ु ं ु सयो
ं अ ं कारं
ु
चतरॐकोण ु
े चतार ृ
े अकोणबिहवयािहः
े ् एतत ूथम
सिवसजनीयमािलखत। ् ं यम।् ितीयादीिन यािण अ ैव
े ् अािन
याकोणषे ु ितीयारािदषो शकं ूावदािलखत।
ु (ना)नीित॥ ३१॥ ३२॥ ३३॥ ३४॥ ३५॥ ३६॥ ३७॥
दश ससमा
ं (िभः)
ूमिमािदिभः समीिरता इरै धयोिवशित
ं
शोकै दशिवधयूयोगालािन चोपिदशित। तऽ ूथम े य।े
्
यजते िनबमतः।
िसता शकरा॥ े
३८॥ पायसादीिन ऽीिण िनविािण
यथाबम ं साऽय े िनवदयत
े ् ३९॥ एवम
इथः॥
् ४०॥ दरदैः जाितिलैः। तिन े साम॥् ४१॥ तावत ्
मडलाम॥
ु
ूागमडलािद। ्
भजते िनबमतः। अऽूकरण े
--------------------------------------------
p. 225) ु ः का
चतथु कमै े े
ृ तऽ मऽचयथा।
साहादापदः सवाः ूयााः ूसादतः॥ ४४॥
ू े
ृ त े पजयिवाम।
पम ं चन ैः का ्
े ं
िनवदयिसास ु मासािोगानशषतः।
े
िजा सखी े े ु
ु िचरं जीवषमायिनरामयः॥ ४६॥
अिभिष ु ं सा
े तऽैव क ं (् जयम)।्
त ैयजन
ृ त ै दिणा ं च दा(ं)िर
का ू शितः॥ ४७॥
ूाणूदाऽ े त ै त ु दावमव
े वा।
े
यनासौ े ् ४८॥
तोषमायाित तावि ं समपयत॥
ू ं ु ं पटीरैरािलखतः।
षं कपरसय े
ू े ४९॥
मसृण े वा िशलापे पीठे वा सौधभतल॥
ू
अा ं पायसापपनािन े े ्
िनवदयत।
ू े
पजयिष ु सास ु जपिा ं तथा वशी॥ ५०॥
े राीमािभचारजात।्
िऽसराऽमाऽण
ु
म े ूािणनोऽिचाः शयो मययोः॥ ५१॥
ू ् ितीयय े पजनात॥
सवा(ऽा)चन ं िनबमतः। तथ ैव पववत। ू ्
ृ ृ ् ४३॥ तथा
किऽमापराधकत॥
--------------------------------------------
p. 227) साधयदचयन
दशम े सवकायािण ्
े िशवाम।्
ू काऽिभप
दशैव तािन यािण भज ृ ू च।
िसिनिमतपाऽौिम े तत॥् ५६॥
े िनवँय
े ु ैः समािहतः।
िऽसमचयिगप
ु
ु िवा ं जपिमनरन
साािभमखो ् े )॥
(रत ् ५७॥
ु ृ
िऽसराऽाँयाः नरनारीनपादयः।
ृ च सास ु िऽष ु िनशः॥ ५९॥
तदवे को ं का
् ैः।
कामाता विनताः कामरताशयात शन
ु ं ला ं िववक
कल े ं च पिरा िकराः॥ ६०॥
े ु
भवयिरित याणा ं ूयोगा े समीिरताः।
े ं ण ु पावित॥
ूाणूितािवा ं त े वऽह ६१॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
अिहस ू पादािदऽय ं तथा।
पवाणौ
ु
ावियाथऽ ्
ु ात षसमकौ ु
पनः॥ ६३॥
ु
ु ं दमदितम।
ं ाियधराय ्
ं
हस ु ं ु ६८॥
मता यािरशििपमनः॥
--------------------------------------------
े
ूाणािदना ोकोरान
सवतसाधारणा ं
ूाणूिता िवा ं ूौित॥ ६१॥
ु
वात इािदिभमनिर ःै षिः
ं
ोकै ािरशदरा ु
ं ूाणूिता िवामपिदशित। तऽ
ु ं म ु इित। शाने सयतः
वातः अकारः। नभोधराय ं ु इित।
ु ण
ु ूा इित। ोमािप मतायतम
जवी दाहमः ् इित॥ ६२॥ अिः
ू इ पववण
ं हः। पवाण
ईकारः। हसो ू ूाणा इित।
ु जी इित। अ ु वकारः। ष
ु इित। ा विया
आिदऽय ं अम
समकौ इ ह इित॥ ६३॥ अथ िियतु ं ि इित। माया िवसजनीयः।
् ु इित अरऽयम।्
र य गा तकारोपिरिता त इित। आिदऽय ं ूावत अम
्
त सकारः। ु ः ने वै इित। इक
दाहाचरै े ं (व) ऽयोिवशमरम
ं ्
् ु
े चतिवशमरम।
। गोऽादाहाििभः परं(िि)िऽ इतत ्
िऽ(िय)इऽ आदौ िबः सदायूाः॥ ६४॥ ां
ममोपते ं या इित। ोमािगमनरं िण इित षडिवशमरम।
ं ्
ु इरऽयम।
आऽय ं अम े ् अमत
ु ्
--------------------------------------------
े े ूाणशिमणामणाराम।्
ायव
ु ु ् ७०॥
अणाकमकटामणाधरपवाम॥
े ु
अणायतनऽायमचािताननाम।्
ू
ूसनिपड ु
ं पाश ं च दधाना ं पािणयमतः॥ ७१॥
े ं दशशििभः।
समानािभरिभतो विता
ु
अनशियािभः ू े
पजयमतः॥ ७२॥
--------------------------------------------
ु ु ु ं इित।
वा इित। नभसायत
असिहतोमिदथः
ं
एकिऽशमरिमितशषः ू ं मायाित ं
े (जम)इित॥ ६५॥ श
मायािवसजनीयः नः इित। चतथु ूा इित। पम ं ण इित। अिः
ं ु हा इित। ा ं च मतायतु ं या इित॥ ६७॥
ईकारः। हसोमः
ं ाियधराय ु
ु ु इित। दमदित ं ा इित। हस
ं
ु हा इित। एव ं चािरशदरः
मतायः ं ूाणूितामः।
े ु सवयपिलकािभषककदवतावशादीना
एष ं सवतष ु े ु े े ं
ूाणूितामः॥ ६८॥
े ूाणूितािवाया
यादीािदना ोकन
ु
षडािदासमपिदशित। तऽ ियोगतः अरययोगतः। तथा
(य)पराा ं दय,ं रलाा ं िशरः, लवाा ं िशखा,
वसाा ं कवच,ं शषाा ं नऽे ,ं षसाामं, एवं
ु गािदष ु
षडािन जाितिभः सिहत ं कयािदथः।
ं े ु े ु सस ु धातष।
गसृासमदोऽिमाशबष ु ु तावे
ु
ूागािन ु
यािद(सा)शाािन सारािण। शिपटित ं
े
एतियािवशषणम।् सस ु ूरं खापिटत
े ु ं यथा ाथा
ु े ु
तनामयष
ू
ोयमलपरमलकायदािदपािणपाद ु े ु
-यगाष
ानषे ु दय एव वा सिदित
े ६९॥
सदायाथः॥
े
ायिदािदिभमत इिै िभः ोकै ः
ु
ूाणशिानमपिदशित। ू
तऽ ूसनिपड ं दिण े दाः
े
ूाणाकात।् ततः ूाणन ं ूसनिपडम।
ू ् दशशििभः
ु
ूाणािदिभः। अनशियािभः े े
ूकिमितशषः॥ ७०॥ ७१॥ ७२॥
--------------------------------------------
ु
चतरॐय ं का ृ ु
ृ तदवयमकम।्
तददशपऽा ं तदय ं तथा॥ ७४॥
पजय
ृ म े समावा कताः
का ृ ू े ताः।
े
ल ं जपयोभशाश े
ं ं नथा॥ ७५॥
ु ं ु ैः।
ु ः सषप ै िसत ैमधरसयत
ितलैः सै
े े जलन
तपयौरभान ु े ् ७६॥
े े ं ससाधयत॥
े
तऽिन ्
या ु पो
ु ु
यायािन
सवतः।
ं
अनया िवया सा ूाणाऽ े ् ७७॥
िनयोजयत॥
य माः ण ु ूा े सः ूयकारकम।्
ु
यने पिलका जीवया ् ७८॥
ु मनोबलात॥
ू
ूादिणोद सऽायौ े ्
िनपातयत।
े
कोाकोनपाशाय े ् ७९॥
े तषे ु िवसत॥
--------------------------------------------
े
ूाणािदना े ूाणशिदाः
ोकन े पिरवारशीपिदशित।
े ं समिपा॥ ७३॥
तऽ ूधानाूाणशिरषा
ु
चतॐयिमािदिभः े
साधयिद िै िभः
ू
ोकै जामडल ू ं तसाधनूकारं चोपिदशित
ं तजा
् ृ
। तऽ तयम वयम।् अबिनमाण ु ् ७४॥
ं सगमम॥
ृ ूावत॥् ७५॥ िसत ैः गौरैः॥ ७६॥
कताः
े
तऽिन ्
इािदना े सवऽ
ोकन
ु ु
पािदूाणूितािवधानमपिदशित। तऽ तऽ तष। ् ु
े ु अत सगमम ्
॥ ७७॥
े
यिमािदिभभवि ु ोकै ः
रै तिभः
ु
तिवधान ं तयोग ं चोपिदशित। तऽजीवया
्
साजीवागमतः। िवसते ूाणूितािवाराणीितशषः॥
े ७८॥
ु ं ऐशााम।् पिरतः ूादियन।
७९॥ ूागर े
--------------------------------------------
ु
तने पिलकाः ु
कयािय े ्
े नाथा भवत।
े ु ् ८२॥
साजीवाानयन ं ण ु वािम तऽतम॥
मवीय ित
ृ ं कवन ्
ु तया े
तहगभतः।
्
मनोजीव
ानकमियायथान ं तन ं ु तथा॥ ८३॥
ु
तााशरीरााा नामिभथा।
े
रराशिमा(ा) ताानीयापयिया॥ ८४॥
े ्
िवायाराषे ु सानामािन योजयत।
े ृ
एव ं िनयोिजता ं िवा ं सहॐ ं ूजपशन॥् ८५॥
--------------------------------------------
े
ूवशतः अम(ु न)ु बमम।् अोिदतािन यकारािदसारािण।
् ु
े अत सगमम॥
यिनमाण ्
् ८०॥ ृशन यिमितशषः॥
े ८१॥ तने
ु ु ं तािन
ैः सपिलकाकरणम
े एतं भवित य ैि
िण।
े
िािण यिनधाय वा तषे ु िषे ु य ं िनधाय वा त ैि
ैः
ु
पिलका ु
ं कयािदित।
े
साािदिभरत इरै ा ु ोकै ः
ैतिभः
ु
पािदष ु साजीवाानयनमपिदशित।
ु
तऽ मवीय
ं
पिऽशटले वमाणािदह नोत॥ ृ
े ८२॥ तया ा
सादहारात।
े तहगभतः
सािमितशषः। े े ् अथान ्
्
इियाथान दश। जीव ं आानम।् तन ं ु
ं े ु
गसृासमदोऽिमाशबौजः ं ू ्
सानधातन।
सयो
सिबिन यादीारािण सवादौ ं तदन ु
ू ं नामोारणानरं आक
तातना ु
ृ ूितापयाा
े े ८३॥ ८४॥ राषे,ु एतं भवित
यथोपदशमानयिदथः॥
ु इित राषे ु सानामािन
ूाणूितािवाया अम
े
योजयिदित॥
८५॥ जीवहने सासूवाहपाहन
े
--------------------------------------------
नवमहसमयात।्
अािन च नवािण
तषे ु तषे ु ूयोगषे ु वापरहोमक॥
े ८८॥
कश
िरपोनख े चरणो ं रजथा।
ु
अािन चारोमािण पा े तौ॥ ८९॥
ं योजयृ
ु
ृ ूाणाकषणमया।
अनया िवया का
ु
ततोिनिदपा े ् ९१॥
ं तऽ तऽोमाचरत॥
--------------------------------------------
ु
ति े पलीिच े एविमत
े ु े यम े पल
ं भवित ूाग ु
ं
सा ु
साजीवाानयन ं कयािदित॥ ८६॥
े
साािदना होमके इने ोकयने साूािणना ं
ु
जनऽािण दशिवधापिदशित। तऽ
ं ूधानकम।् एतभवित
तलमसातनवाश ं य
ं े तवाशिविशमशक
जसमयलनवाश ं ं ं
ं
तवाशािविशनऽ ं च त ूधानिमित॥ ८७॥ अािन च
नवमहसमयात।्
अोसमािन गौणानीथः।
नवािण
े सच राँययः होमके होमपटल॥
नऽणािमितशषः। े ८८॥
े
िरपोिरािदिभराचरिद ु े
ःै िऽिभः ोकै ः पलीिनमाण
ु े ं उिनगमन ं च करोित। तऽ मृतौ मारणूयोग॥
गणिवधानोपदश े
८९॥ वँयािदिऽ आिदशने आकषणिवषणािद।
े तया
े
सानखकशािदरिहतया
तऽ तऽ ूोििनिमतया। तऽ ूयोग इित
े
शषः॥ ९१॥
े
सवऽािदना णािदने ोकयने अिभचारूयोग े
अिभचाय ुू
महानकवीण े े ूय ं
ं तदनपण
ं
चोपिदशित। तऽ सामहसिित ं सा
ं बलाबलं च। तवाणा
ूधाननऽराँयोमणा ं
ता नवमहदशाूाजनऽाणा ं नवाना ं
ं आिदािद समहाणा ं जल च।
अवगक
--------------------------------------------
े
योजयिद े ूगने ं िनहि तत।्
वैरण
अिभचार िवषयानाकणय वदािम त॥
े ९५॥
् े
पािपाािकाँौरान दवॄाणिनकान।्
् े ् ९६॥
ु सितान॥
ूजाना ं घातकान सवशकमस ं
े ु
ं कलाकम।
ऽिवधनीणामाहतार ्
ु
िवषािरशा ं ूािणना ं सदा।
ैिहसक
े े ु कमत
िनयोजयारणष े ैन पातकी॥ ९८॥
ृ
काऽश ु मारण ं कम तद े धनातः।
पादतोवा गु ं िवूानारा ने िनया॥ ९९॥
ं ततोिवा ं जप
अिभिष ु ्
े ं हिवभक।
जऽय े माऽमिभषक े ् १००॥
े ं समाचरत॥
--------------------------------------------
ु
अोानमहापक ु
ं ोितःशाोमपायमवगकिमित
कथयित॥ ९२॥ दशािित ं कालचबमहादशािदिितम।्
ुू ू े ,
े ं मारण े कयव
महाणामानकूाितकावण
नाऽ॥ ९३॥
े
ॄाणिमािदना तिदनाान े ्
े ोकनानिभचायान
े
तदिभचारणूवाय
ं चोपिदशित। तऽ धािमकिमित ू
भपिम
े
िवशषणम। ् ु ् ९४॥
् अिहचारे मारण,े अत सगमम॥
े
अिभचारािदिभः ैििभः
पातकीरै ा
ु
ोकै रिभचायानपिदशित।
तऽ एत ैः मारणकमिभः। पातकी साधक
े
इितशषः॥ ९५॥ ९६॥ ९७॥ ९८॥
--------------------------------------------
p. 234)
सवाहोमम ु ताप ैरषे मत।
ु े
एत े किथत ं सव तीिनािवधानकम॥् १०१॥
--------------------------------------------
ृ े
कािदिभिवधानत इिै िभः
ु
ोकै रिभचारकरणूायिमपिदशित। तऽ आश ु इित पददः।
े
ु ् हिव ं नाम िनलवणपोीिहतडलाम॥
हिवभक ु ् ९९॥ १००॥
ं
मसा
े
यायकादश ाामाः ूोाः शतारम।्
व ःु पटलऽिँ
सासदशै े े ०॥
योदश॥
ु
अथ चतदशपटलम।्
ु
िवाचतथवणािदसिभरै
था।
ु
कयादािन ु
यमाणः े करायोः॥ ३॥
षमण
े ु ााधारके तथा।
िशरोललाटकठष
ऊवजाोजयो े वै॥ ४॥
पादयो बमण
ितीयोपाम ैमाणिरतरै
े ्
सत।
् ५॥
तारा ैः ण ु तान ं तीपजनम॥
ू
ु
ँयामवणा शभाकारा ं नवयौवनशोिभनीम।्
ििबमादनाग ैः किताभरणोलाम॥् ६॥
--------------------------------------------
ु
अथ चतदशपटलम।्
ू योदश े पटले अा तीिनाया
पविँ
ु
िवधानमपिदँयानरं नवािरतािनािवाया
ु
िवधानमपिदशित े
अथ षोडशािद इने ोकशतपण
पावतो े
ु े पटलन।
चतदशन े तऽ अथ षोडशािदना
े ू े
भतलिमन
ु
ोकयने पटलाथानिशित। तऽ ूागवे तृतीयपटल॥
े १॥
िवोभयित ाना ूिसिं करोित॥ २॥
े
िवािदिभः ू
पजनिम ु
िै िभः ोकै ासािदकमपिदशित।
तऽ तथा यथा ूाणूितािवाया ं लाबने
ु े कम॥् ३॥ ४॥
षडयोजन ं ऊजानजापादयोरकै
ितीयोपाम ैः ितीया खा ु
े , अ समीपमपा ं
तयोम रिप तारा ैः। एतं भवित
ैमाणिरतरै
े , तदन ु
ूथम ं खा
--------------------------------------------
p. 236) ू ु
ताटमद ं तिशनानपराित ैः।
िवूिऽयिविजाितिभभमिवमहै
ः॥ ७॥
ं ु ं
पवाशकसवीता ु ृ ैः शभु ैः।
ं िशिखपकत
ू ु ु ् ८॥
ु ं मािणमकटोलाम॥
वलय ैभिषतभजा
बिहबहकतापीडा ं ता ं ततािकनीम।्
ु ु ु ु ् ९॥
गागणलसःकचकममडनाम॥
ु ु
े ं चावदना ं मितमखाजाम।
िऽनऽा ्
ु ् १०॥
पाशाशवराभीितलसजचतयाम॥
ु
ू े ृ
े पजयििभवताम।
ावै ं तोतला ं दव ्
--------------------------------------------
े ्
े ं बमणाावणान
ूणवत उपा ं खािमव े
वमािद ्
फडान दशसान ् े ु दशस ु ानषे ु सिदित॥
ूोष े ५॥
ृ
ँयामवणािमािभवतािम रै ः
ु
िनसपयाानमपिदशित।
पिभःोकै दा तऽ
े े ैकन
ििबमािदािदना िवमहैिरनाान े ोकन
े ैतं
भवित ििबमात ्
ू ु े
ॄाणिऽयवैँयशिजाितिभरिभभजगः॥ ६॥ बमात ्
ू ु ु
कितताटादरशनानपरयगलािमित। अऽ
ु े
चातवयिबमणाभरणकनिमित बोम॥् ७॥
ं ु ं
पवाशकसवीता ं िकसलयशाखापिरधानम।्
ृ
बिहबहकतापीडा ू तऽा ं बिहबहाम।
ं आपीडा चडा। ्
--------------------------------------------
p. 237) ृ
कवणगदापािणववरोिशरोहः।
ू सवाथिसय॥
िकरामताः पः े १३॥
प
तारपायोः ू े जयािवजयसिक।
ं े
े े ु े १४॥
शी तश े णवऽवराज॥
े चडा छिदनी
ारी खचरी े े
पणी ततः।
े
ीाय मकरी लोकपालसमा इमाः॥ १५॥
ू
पाः पापऽषे ु िता माणशयः।
यािभिनािचतािभः ारोनारीष ु मथः॥ १६॥
ण ु पजािविध
ू े
ं ता िरताया महिर।
ूावद िवधायशामिसहािक
े ं ु े १७॥
े शभ॥
आसन े हमरिचत
े ू ु
े िवदाभपरयम।्
पिमारसय ृ ु ् १८॥
ं ु ं तदवयमकम॥
--------------------------------------------
ु े अनने ोकन
ूसाद े आिभम। े दा
े नामिनवाहः॥ १२॥
गदापािणः अािप पािणयम।् ववरः ु
किटलः। े
िकरः दाः
े ू भतिवशषः॥
ूभतो ू े १३॥ तश े दवतासमानवण।
े
े े ु े अनयोरिप बायम॥् १४॥ ीाय
णवऽवराज
े
ीकारी ारी इित च शी। ु
लोकपालसमाः। वणायधवाहन ैिरित
े
शषः॥
१५॥ माणशयः िरतामारशयः। यािभः
्
अरशििभः। ात साधक े मथः सवाः ियः
इित शषः।
् े ोभयतीथः॥
कामवत ादशनन १६॥
े
ऋिवािदिभः समापयिद
ःै षिः ोकै दा
ु
िनसपयाबममपिदशित। ् ू
तऽ ूावत षडमलााम।् ईशा ं
सवािधाऽीम।् अिसहाियक
ं ं े अिसहपादसिहत॥
ं े १७॥
े े पादाने ोकोरान
िवदािदािदना िवधायन े
दा
ु
िनसपयाचबमपिदशित। तऽ एतं भवित पिमारोपते ं
ु
चतरॐय ृ े
ं िवधाय तदवयोपतमदलं प ं
ं िवदािदित॥ १८॥ अऽ चब।
सकिणक े
--------------------------------------------
p. 238) ु ू े ं यथोिदतम।्
ू त ु पजया
मिादशनपव
अमपऽामके वम
ृ ु
े वाऽ परोिदतौ॥ २०॥
िकर बिलं दाम ु
े े ूागदीिरत ैः।
समानगणाकीणमडल भितः॥ २१॥
ू ं िवधायाम े जपिा
एव ं पजा े ं सहॐकम।्
शत ं वा कतहोम
ृ ु पजा े ् २२॥
ू ं ूावमापयत॥
एव ं सिसम
ं ै ु मित ैु कोदकै ः।
ं ताना ु मख
फिणदामृ े ् २४॥
ु े सा जीवयत॥
े
तणयोजपिा ं या वा जपिसय।े
ु े
सा शीष सहसा मृतमापयिदित॥ २५॥
े ण ु व े यथािविध।
काहोमिविध ं दिव
ु
ृ योिन ं कडम
का ु े ् २६॥
े तऽाौ िविधवनत॥
--------------------------------------------
एतं भवित आवा किणकाम े इित शषः॥
े १९॥
ु ु ु ू ्
ू ापनािदमिाचतयपवम।
मिादशनपव
एतवसाधारणम।् यथोिदतम अमािद
् े अमपऽामके अम
ूादियन।
एवामके अदलाना ं दमदलाम
े े वम
ृ े
ृ
पबावयवीाम।् परोिदतौ
ु फारीिकरौतौ
यथाबमममदलाम े वम
ृ े २०॥ बिलं
े वीोरचयिदथः॥
े े ूाविरतासिधौ। सवऽ बिलदान ं
े दम
अिमितशषः।
ू े े
तलदवतासिधौ। ु
ूागदीिरत े े शषः।
ैः अा ैः तणित े
ु
(ूागरीिरत )मडलं ृ ् २१॥ ूावत ्
वमम॥
् २२॥ तत इािदिभिरतीिै िभः
लिलतासपयासमािवत॥
ोकै िवासाधन ं िसिव िवषहरणिवधान ं चोपिदशित। तऽ
ु ू
पऽा ैः आशने पमलकाडफलािभधीय।
े जप े
ु ु
यगानपमरलसाके दशाश ु
ं ं जयािदयः॥ २३॥
मित ैः।
--------------------------------------------
p. 239) ू
ितलसषपगोधमशािलधायवै े ्
नत।
े
िऽमै रकशोवा समते ैवा समृय॥
े २७॥
ु कै र ैः कारैरणोलैः।
बकलै
ु ु िरिराय॥
कै रवैमिकाकमधकै े २८॥
जातीिवचिकलै
अशोकै ः पाटलैिबै ः िसत ैः।
ु ैः किणकारज
नवैनलोलैरिरपज ैः॥ २९॥
ु ं यशोिनिधम।्
होमा च सौभायमायिव
यि वाित ं सवमवाोित ु ् ३०॥
सिनितम॥
ुू
वागडचीम ं वटमारवध ं तथा।
ु ् ३१॥
िसताक ज ं ा रोगाोनरोऽिचरात॥
ु ू े ु
इजनािरकलमोचागडिसत ैत ैः।
ु ् ३२॥
अचला ं लभत े ल भोा च भवित ीवम॥
ु ु ैत ैः।
एत ैदीिरत ैरामधीरत
एकै कैविनता वँया यावीव ं धनािदिभः॥ ३३॥
--------------------------------------------
शतवारिमितशषः। द कणयोः।
े तणयोः ् े े
जपन जीवयिदितशषः
॥ २४॥ वा पार।े जपिसया करामसृिकया
िवासहॐवारजपिसया। मृत ं फिणदशतः
ं े ् एष
उापयत।
तृतीयः पः॥ २५॥
का होम इािदिभः िूय े इःै पिभः
ु
ोकै नानािवधिहोमाानािवधफलावािमपिदशित। तऽ
ु
योिन ं कडम ु
े कडपटलवमाणूकारण ु ं का
े कड ृ
ु एतवहोमसाधारणम।
त े योिन ं कयािदथः। ् तऽ योाम ्
--------------------------------------------
p. 240) त ै ैरातः
ु भपा ु
ू वँयाः हवनािय।
े
वश े ितशषतः॥
ीराै ैत ैमा े ३४॥
सषपा ैनृ ु
े कााौ वैिरमृव।े
ु ृ े ३५॥
ं ैरिप च तत॥
तदै विरयोमास
े
अनाौ ु
योतजोािचत ं चम।्
े ् ३६॥
ु चा नत॥
आरघृतोपते ं फिणशीषॐ
ृ ं ु े खपािण रोषवान।्
काशकिशरोव
िनशाम े नो
े िनह ं ु वैिरण ं हठात॥् ३७॥
ु
मृकाानले त फलैः पऽ ै होमतः।
े ु गजाा रोगमायः॥
सराऽादरात ु ु ३८॥
ु ु ैहमातर
चतरलज ु ं बलं िरपोः।
े ्
एवमा ु िवाया वैभव ं कोन ु वणयत।
तथािप दिशा िकियत े तण ु िूय॥
े ४०॥
--------------------------------------------
शकरािभः॥ े
३१॥ ३२॥ एत ैदीिरत ैः ितलािदिभिरित शषः।
ु
आमधीरत ु
ु ैः िऽमधिसै ु
ः। िऽमधिसं
े एकै कैिरितसवूयोगसाधारणमव।
सवसाधारणमव। े
धनािदिभिरऽािदशः ूाणिवषयः॥ ३३॥ त ै ैरातु ैः
े
कवलघृ ं
ताै िलािदिभः सवः षिश े
ैबमण
ु ीराै ैबमण
होम ं कयािदथः। ु
े होम ं कयािदित यावत।्
एतं भवित ितलािदिभः िसताःै षिश
ं ैयोगषे ु
ूोबमण ु
े िऽमै जयािदित ूथमपः।
े
कवलघृ ु
ताै ैजयािदित ितीयः पः।
े
कवलीराै ु
जयािदित तृतीयः पः इित। मृःु काररः।
तदै ः सषपािसै ु ं ैः
ः वैिरयोमास
ु ृ े वैिरमृव॥
ं ैः। तत
शऽनऽयोिनमास े ३५॥
ु
योतजोािचत ं सानऽयोिनिधरपािचतम।्
ु ॐतन
फिणशीषॐचा ु ू े िछने
--------------------------------------------
ूादिणोदक ् च सऽािन
ू े ्
ादशापयत।
ु
तदमायिभतः कयाििशखा े ४२॥
मग॥
ृ िशवािदष।ु
को े तार म ं नाम का
े े ादशावि
ूादियूवशन ृ मायया॥ ४३॥
् विसय।
िवामािल स िबभृयात स े
े ४४॥
िौय ै की च वँयाय सौभायायािखलाय॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
ू े ) ् वयत॥
ु ु (पजयत
ू र े वषै
बिहणारै े े ् ४७॥
े ्
एतावे िवलोमािन ूथम ं चरण ं भवत।
ितीया ं ितीय ं ावा ू ं ितीयकम॥् ५०॥
ु श
--------------------------------------------
े े े ोकयने
ूािगािदना वयिदन
ु ु ु
चतःषिकोानमहयमपिदशित। ं
तऽ एतभवित
ूागमािण दिणोदगमािण च समारालािन नव नव
ू
सऽायाा ु
चतःषिकोािन ृ तऽ िशविनर-्
का
ु ु
ऋितकोारपिशोदिणोरावसान ं चततःपिकं
वमाणं(अं) सवतोभिप ुु
(ं अं) ौीिवानभमािल
--------------------------------------------
--------------------------------------------
े
इवमारािण ु
ौीिवानभः ूथमः पादः इित।
्
ितीया ं ितीय ं ात ूोूथमपाद ितीयारं
सा इित ितीयपाद
ितीयपाद आमरिमथः।
ु ू ं ितीयकं (को) नो इित ितीयमरम॥् ५०
आमरम।् भवाश
्
॥ तृतीय ं ततथु ात ूथमपाद ु ं
पा इित चतथमर
े ा च साॅचरा ततः
ितीयपाद तृतीयमरं भविदथः।
ु ं
ा जकारः। अॅ ं कारः। चर एकारः े इित चतथमर
े ् एतषामबमिताना
भवत। े ु ु
ं चतणामराणा ं चरण ं
ूावत।् एतं भवित ूोबमिताना ं चतणामराणा
ु ं
् े
ूावत यानोसा े ् ता अनभोितीयः
इित म ं पठत। ुु
े
पादोभविदित॥ ु परतः ूथमपाद
५१॥ तृतीयतय
ु े साया इित तृतीयपाद ूथमितीयारे
तृतीयचतथार
इला वा विना ों ातात।् ली इित
ातािमथः।
तृतीयमरम।् इला मा ु
ु ला इित चतथमरम।् एतितलोम ं
ु
ूोबमितारचतय ूितलोम ं लालीयामा इित तृतीयः
े तृतीयकं चरणिमितशषः।
पादोभविदथः। ५२॥
े पाद-इथः॥
चतथु ादश ं िवश
ं ं तवू अा िवाया चतथु पा
ं ं ला इरं, तवू
इरं ादश ं े इरं, िवश
एकोनिवश
ं ं ली इरमवे ं चायरािण े ु
े भवयः
ूोबमण
। त े िवलोमगाः उबमिता एत े चारोवणा िवलोमतः पिठताः। एतत ्
वणाकम।् चरण ं ूावत।् एतं भवित
उबमिताारोवणामिवलोमपिठता चयो े ला लीला
ु ु
ं ताः ौीिवानभतथः
े इवे वणाक
या
े
पादोभविदित॥
५३॥ सवतोभिप ैषा एतं भवित
ू ु े ु ऊािदष
पवचतःषिकोष ु
ु
ूथमितीयतृतीयचतथपिष ु सवािद ु पादान ्
दा ं चतरः
समािल तानवे पादान ्
--------------------------------------------
p. 244) ू े ककाशीित
दशसऽिनपातन ृ ै (सं)कं पदम।्
े ु तत (् त
िलखणचतथ ं )ु ण ु भिे यथािविध।
ाधराैमायया तोऽ ु शगा
इला॥ ५६॥
े
ततः िौयो िलखिा ं िशवरोिदगािदकाम।्
ू ताण
ूावणामृ े ृ
ैवयियोिजत ैः॥ ५७॥
ू े ु सा
ृ णािदसऽष
का ू ् ु
तत पनः।
े ं
ापयपसिसि ं तषे ु पविदतष
ू े ु वै॥ ५९॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
िनमहं ण ु दविश
े े शऽवो य शितः।
ने ैव त ु कालन
े भववे परासवः॥ ६२॥
े
ूावदकाशीितपद ं का े
ृ तकोक।
ृ तथा िदवीिथष ु बमात॥् ६३॥
दाहगभ नाम का
--------------------------------------------
े े अ यिमितशषः।
दवतािमितशषः। ू े ु
े पविदतष
ु े ु तिािशानषे ु चितशषः॥
एकादशराँयदयकालष े े ५९॥ एतं
भवित ूाक ् दिणोदक ् च समारालमाािलत ैदशिभः
ू े
सऽैरकाशीितपदािन
िवधाय तऽ सवमको े उपिर
ु
िबयठकारोदर
े नामािल तोपापिष ु चतसृष ु
पकिणका ु ं यथा भवित तथा समािल कमख
ं क ु ु े
ु ू ं च प ं समािल ूोबमण
च अधोमखमनाल े
्
मनीिषतषे ु िविनयोगात ूोािन ु
फलािन च िरित॥ ६०॥ ६१॥
िनमहिमािदिभरसरैु रपीरै ादशिभः ोकै ः
एकाशीितपदोपते ैः िनमहय ं तऽ लािन
े ू
कटारािण
सवतोभिाकारा ं कालीिवा ं तथािवध ं यमम
--------------------------------------------
p. 246) े ु
िलखीजचत ु विमातिवमहम।्
ु
य ैः सोवैिरणः ीय ं िवमि े ् ६४॥
कलवरम॥
ु े
निर ् ्
े ६ोम
िचस ६् ४ िदर
े ् ६६ इन तआत
तो ् े ्
ु मासोदाहया खगः।
रसोदाहायतो
ूभा दाहायतु हसोदाहािदसयतः॥
ं ं ु ६६॥
े
ईशरोिदगारािशोिविलखतः।
ं ं ् ६७॥
काा यम बमतो िवाममसबमम॥
सवतोभिपा ुु
त ु कानभमीिर।
ण ु वािम परतो यमानभमीिर॥
ुु ६८॥
ू े च।
ूथम ं चरण ं त ितीय ं शमव
्
ु मास एतत ूितलोमात
नभोभवा ् ् ७०॥
ितीयकम॥
े
तृतीयमकादशम ं ततो गोऽा चरािता।
े ं िवलोम ं च तृतीय ं चरण ं मनोः॥ ७१॥
रयषा
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 247) ं ं रयोबालिवलोमकम।्
चतथु ादश ं िवश
चतथु चरण ं ूों िव ैषा सवनािशनी॥
७२॥
ु
ा ं काली तृतीय ं च मतासमितम।्
े ७३॥
नाद एषा ं िवलोम ं च ूथम ं चरण ं यम॥
ू नादकम।्
ु च नभसा भ
एतितीयतय
े ं ूितलोम ं च ितीय ं चरणो मनाः॥ ७४॥
एतषा
--------------------------------------------
ु
कारः चतथमरम।् एताितलोाितीयकम ्
ु
ूोबमिताना ं चतणामराणा ं ूावाितलोतोितीयः
७०॥ तृतीय ं ूथमपाद तृतीय ं मा इरं
पाद इथः॥
ुु
तृतीयपाद ूथमारं भवित। एकादशम ं अा अनभः
ं इित ितीयमरम।् गोऽा चरािता द े इित तृतीयमरम।्
एकादशमो
ु
रयः तकारः चतथमरम।् एषा ं िवलोम तृतीय ं चरण ं
ु
ूोबमिताना ं चतणामराणा ं ूितलोमपठन ं
ु
मनोः िवायाः। मनिरितमिवयोः
तृतीयपाद इथः।
ु अा िवायाः व इित
साधारणः शः॥ ७१॥ चतथः
ु ं चतथपाद
चतथमर ु ादश ं
आमरं इथः।
कारो ितीयम।् िवश
ं ं तकारः तृतीयरम।् रयः तकारः। अबा
ु
अवाों ् इित चतथमरम।
ातात ु ् िवलोमकं
ु
े ं चतणामराणा
ूोबमितानामषा ं िवलोमपठनात ्
ु
चतथपादो एषा एव ं ूोा। सवनािशनी
भवतीथः।
े एवमषा
ूयोगािदितशषः। ्
े ूावत सवतोभिाकारा ुु ु
कानबा
॥ ७२॥
ािमािदिभः िशव े इ ु ोकै ः
ै तिभः
सवतोभिाकारा ुु ु
ं यमानभमपिदशित। तऽ ा ं
यकारःूथममरम।् कालीतृतीय ं कानभतीयमर
ुु ृ ं
मा इित अा ितीयमरम।् मतासमित
ु ं वा इित तृतीयमरम ्
ु एषा ं िवलोम ं
। नादः ठकारः चतथमरिमथः।
ु
चतणामराणा ं ूाविलोमपठनाथमः पादो भवित।
यम े यमय॥ ु च एत यमम
े ७३॥ एतितीयतय
ु े ितीयपाद ूथमितीयारे साट इित भवतः
ितीयचतथार
। नभसा भःू सो इित तृतीयमरम।् नादः ठकारतथमरम।
ु ्
्
एषा ं ूितलोमात ूोबमिताना ु
ं चतणामराणा ं
्
ूितलोमपठनात ूावत ्
--------------------------------------------
p. 248) ु ु मनािकादशकमव
अयो ु े े च।
् तीयकम॥् ७५॥
रसः या विदाहौ ूितलोमात तृ
े
एव ं मय ं कोािल बिहरथो।
े े ु ् ७७॥
वयादाहाामबमसमितम॥
ु
वीके मातृभवन े शारायतनऽथ
े वा।
ँमशान े ूोसमय े ूोबमसमितम॥् ७९॥
े
यऽ दशािदग ं य ं तऽालीगदै ः समम।्
मारीत ु सिरा
ु े ु रिप॥ ८०॥
साा सवः दवासरै
--------------------------------------------
७४॥ अयो
ितीयः पाद इथः॥ ् इित तृतीयपाद
ु ु मत वा
ूथममरम।् अिकादश
े ्
ं अिन यमय े मो
े
इकादशमरं तृतीयपाद ितीयमरम।् रसः याॅ इित
तृतीयमरम।् अिदाहौ िर इित चतथमर
ु ं ूितलोमात।्
ु वणाना
े ं चतणा
एतवित ूोबमितानामषा ं
् तीयः पाद इित॥ ७५॥ नादोनादः टयं
ूाविलोमपठनात तृ
ु
चतथपाद ूथमितीयारे गग इित भवतः। दाहवी री इित
तृतीयमरम।् यो (य वा) इित चतथमरम।
ु ् ूितलोम ं
च तषा ्
े ं ूावत ूोबमिताना ु
ं चतणामराणा ं
ु पादः ािदथः॥
ूितलोमपठनातथः ७६॥ ादाहाां
े
यकाररफााम।् उबमसमितम अनितारालम॥
् ु ् ७७॥ दडी
ु
ॄदडी। गरलयोजनाूकारमरऽ यमवे वित।
् ृ ् ७८॥ ७९॥
ािपत ैरकं ूावत कतूाणूितम॥
े
दशािदगिमऽािदश े
मामनगरखटखवटादयो िवषयः।
मारी जनपदनाशरी शिः। िनमहयिवरचनाबम ु ूदँयत।
े
यथा ूादिणोदगम ैः समारालैदशिभः
ू े
सऽैरकाशीितपदािन े े उपिरिबसिहत े
िना तऽ सवमको
--------------------------------------------
p. 249) ु
ूाव नविभः सऽैराकपद ं िशव े ।
े ु ् ८०॥
ृ तीशरोिदगाराािलकामनम॥
का
े ूोबीजयने च।
िविल यममण
े
विया ् ु ् ८१॥
बिहबं ापयते तदधोमखम॥
ू ् े
ृ परमिर
एत पवचबोफलकत ।
ु े
अनिप े
नामािन योजयोमतः॥ ८२॥
े ु ृ ू ं ु (ऐ)म।्
लवणोषणमहागहधमािसयत
िवषमीिरतम॥् ८३॥
ँमशानाारिनोिनयासो
--------------------------------------------
े
रफोदर ्
े नामािल ूावत तापिष ु चतसृष ु चतषु ु
ु
कोषे ु ूागबमण ु ं
े भँू ॒ँ ोँू ँ इरचतय
अरािगमनगा अिभतः समािल अिभचायः
ु े
पषदः ु ु ं बिहयमम
कानभ े ्
,ं विनता चत
अयमम े ् लखन
ं बिहः कालीिवा समािलखत। े े त ु ईशािदकं
िनािदकं च कालीम,ं अदा तथा यमम ं िविल
अतरं बिहरीशािदिन ं िनादीशा ं च िनररं
ु ं पकारं रफ
िरािल तिहिररं िबय े ं च
े समािल मनीिषतषे ु
ईशादीशा ं यथाबममबिहिवभागन
ु
िविनयात।् एतत ीप
् ् ु
े च। ी चते शारायतनाम एवाधात, ्
ु
पषत ्
े कााायतनाम े
एवाधा खनिदित॥ ७९॥
्
ूावत इािदिभः कोमत इिै िभः
ु े ं िनमहय ं
ोकै तःषिकोोपत
े
तििनयोगफलािदिवशषोपिदशित। े वनकथन
तऽ यममण े ं
ु
पषिनमहिवषयः।
एतन ीिनमहिवषय े अयमम ं भवित,
८०॥
े ं च बोिमित सदायाथः॥
बिहः कालीमवन
बीजयने िबसिहतरफयकाराा
े ू े े ् ८१॥
ं पववयत॥
ु े ु ीिवषया। अऽ कालीयममाा ं
अनपीिः
ु तािप
ूिसममोघिनमहमा
ु े
े भवित। एतदथमव
ूितकारिरतािवानमहयिवधानन
माराा ं िनमहकथनम।् यिवरचनाबमो
ू ु
यथाूावविभः सऽैतःषिकोािन ृ तषे ु ईशािदकं
का
ु
िनािदक अिभचायः पषदः
े कािलकाम ं
बिहयमम े
ं ी चदयमम ं बिहः कालीिवा ूावत ्
ू
समािल पवाा े
ं िबसिहताा ं यकाररफाा ं
--------------------------------------------
p. 250)
िवावणजठर े सामािल तिहः।
अदष े ् ८४॥
े े ु फणमािलखदवणकम॥
किणका े े
ं ततोऽ ं च वयायया ततः।
ु ं िवदा ूोारिवधानतः॥ ८५॥
बिहः क
एवम ै नविभः िवावणयथाबमम।्
ं जय ं वँय ं नरनारीनपािदनाम।
सवरा ृ ्
े
ं लीयशोहमवासािस ु ् ८७॥
ं (च) समवायात॥
--------------------------------------------
ु े विया
ूागबमण े े ु ानषे ु अधोमख
े ूोष
ूोबमण ु ं
े ् तने पवाव
ापयत। ू ु
े फलािन िरित॥ ८२॥
े
लवणािदना े िनमहयालखनाथ
ोकन े
ु
िवषपमपिदशित। े
तऽ ऊषण ं ऊषः। महा ु ूॐवः अिः
िचऽकम।् अदारामखादवगम॥
ु ् ८३॥
े
िवािदना याणीने िऽपादािधकन
े ोकयने
ू े ु दशिभदशिभः
मलिवारष ु
अरैदशयिवधानमपिदशित
। तऽ ूोारिवधानतः
ू े
पवसिबकलापवकारारमालावनतः।
एतं भवित अदलं प ं िवधाय तिणकाम े
े ं तदरे िवाभतू ं ूणव ं त े
िवाूथमखा
े
नाम चािल शषायौ े
मारािण खाय
ु
फारिवधरािण े अमािदूादियनास
बमण े े ु समािल
ु दलष
े
त ं ितीयखया े े तिहः ूावत ्
उबमणाऽव
सिबकिलततकारारमालोपते ं उपयध
ु ् एतत ूथम
ु ं कयात।
पयोपते ं क ् ं यम।् एव ं अ ैव
य किणकाम े खोदर
े े िवातृतीयारािण बमण
े
ू ं
े ं नामगभ िव तद(न)रा िदततपवा
एकमक
े
ूावदिभररै ू े सा नव यािण
ः दल ैः ूवन
े
खाम े सनामकं फारमािल
ूणविवधरैु तीयािदिभः
ृ े
शषारै ्
ः ूावत दल ैः दशम ं च
एव ं दशयािण कयात ्
ु इित॥ ८४॥ ८५॥
ु े पादाने ोकन
दशानािमािदना आयािदन े
े असाधारणािन दशफलापिदशित।
दशाना ं याणा ं बमण
ु
तऽ अथः सगमः॥ ८६॥ ८७॥
--------------------------------------------
p. 251) ृ
अनावारािण े े
अकादशाथ त ैः।
्
े सा
रिब ैभवत ृ ् ८८॥
षा शत ं तम॥
त ैयकरण े ं फलािन च यथाबमम।्
ं तषा
ण ु वािम दविश
े े साधकाभीिसय॥
े ८९॥
ृ
वयोमग ृ पषोडशपऽकम।्
ं का
त े किणकाम े शिं सासमिताम॥् ९०॥
परषे ु षोडशाणािन
वय
े े मायया।
ृ
वयोररा बा े क े ् ९१॥
ु ं ूों समािलखत॥
े
एवमकादशोािन यािण ूिथतािन वै।
े ण ु पावित
े ं बमण
िविनयोगानथ ैतषा ॥ ९२॥
ूथम ं हयराकत ्
ृ ितीय ं गजरकम।्
तृतीय ं नपराया
ृ ं चतथु दडरकम॥् ९३॥
ु े राजवँमरा
पम ं कत े ं त ु सवतः।
--------------------------------------------
ृ
अनावानीािदिभव ु ोकै ः
इरै तिभः
ृ ू
रिवकतमलिवारै े ु
रकादशयायपिदशित। तऽ शिं
े ् ८८॥ ८९॥ ९०॥ परषे ु दलिथः।
खाम॥ े ्
तत पम।् मायया
े
खया। ृ
वयोररा ृ
पबावयवीाम।् वयोररा
ृ
े े
मायया वयिदयः। े ूों
बा े सवबा।
ूाविबकिलतवकारमालासिहतम।् एतं भवित
् ृ
षोडशदलं प ं िवधाय तत बिहवय ृ तिहः ूावत ्
ं का
ु
सिबकिलतवकारमालासिहतमपयध
े ु ं च िवधाय तकिणकाम
पयोपतक े नामगभा
े
खामािल े ु िवायाः रिवकतष
षोडशदलष ृ े ु
े े ु आिदतः षोडशारािण
षिधकशतसरष
े
अमािदूादियनािल ृ
पबायवयोररा े
खया
े े ् एतत ूथम
समावयत। ् ं यम।् एवम ैव य षोडशदलष
े ु
े ् एव ं ूोन
अािन च षोडशारािण समािलखत। े
े
सामकादशयािण भवीित॥ ९१॥
--------------------------------------------
ृ
अम ं गहरा ्
ात सवषामिप
सवदा।
फिणचोरमहािदो भयः ु
े शऽतथा॥ ९५॥
नवम ं सवरोगाः
सवषामिप
सवदा।
ु ् ९६॥
े े ूाोिविधना यतम॥
उारकं ाविश
ृ ूाविोिलकम।्
ु ं का
दशम ं भजग
े
ापयीतल े तम॥् ९७॥
े तोय े घटादौ सिवधऽथ
ू े
पजयािन च जपते ृ ्
् शन जीवकरण ् ्
े त(म)त।
ृ
घोरािभचारकािदजातो दाहरः णात॥् ९८॥
्
ु त ं ूयोारं नाशयते तणात
िवम ् े।
िूय
े
एवमतािन ृ ् ९९॥
यािण नामतः सवकायकत॥
सवासामिप िनाना ं ूातरवे समृय।े
ू
पजादौ ्
च बिलं दात षोडशाणन ॥ १००॥
पावित
--------------------------------------------
े
िविनयोगािदिभः ृ
कायकिद ै सिभः
रै ा
ोकै षा ु
े ं याणा ं िविनयोगानपिदशित। तऽ दडरकं
े
सनाराकरिमथः॥ ु
९२॥ ९३॥ ९४॥ ९५॥ ूाोिविधना यतिमित
े ं चोत॥
ूाणूितािभषकोधारणमचन े ९६॥
दशमैकादशयोः ूयोग समानात पृ् थक ् नािभिहतः। सिवध े
े े त ं घटम॥् ९७॥ तािन िलिखतारािण॥ ९८॥ तं
रोगातितशषः।
् ूयोारं अिभचारकादीनािमितशषः।
रोगातम। ृ े नामतः
्
ृ एतािन
सवकायकत यािण म े नामारिवासकौशलात ्
सवािण
सवकायकराणीथः॥
सवासामिप ं िनाना ं ूातः
े सवासा
इािदना ोकन
ू
पजासमार
े च बिलिवधानममितिदशित। तऽ सवासािमितशषः।
े
े मणितशषः॥
षोडशाणन तृतीयपटलावसानोन े े े ९९॥ १००॥
p. 253) ु ं पटलम।्
इित िौषोडशिनातषे ु िौकािदमत े चतदश
--------------------------------------------
मसा
ं
षिशित यािण ाामाः शतयात।्
सापादा ं
िवशित े
पटलऽिँ ु े
तदश॥
अथ पदशपटलम ्
्
तानमथ तास ं तीमचनम।
् ं वादान॥् २॥
े यागा
ताधन ं तथा पभदान
े
लोिहता ं लोिहताकारशिविनषिवताम।
ृ ्
ं ु ू
लोिहताशकभशासृ
लपना ु ु ् ३॥
े ं षमखाजाम॥
े ू ू ु
ताटहारकयररसनानपरोलाम।्
ु ् ५॥
रबकसिलसला ं शभाम॥
ु
कायानपरमामणाजिवराम।्
भज ु ं सवषा
ु ैादशिभया ् ६॥
ं सववायीम॥
ु
ूवालाॐज ं प ं किडका
ं रिनिमताम।्
वसपण ु ् ७॥
ु ू सषकं िाानमििकाम॥
--------------------------------------------
पदशपटलम।्
ु े पटले नवािरतािनाया
ू तश
पविँ
ु
िवधानमपिदँयानर ु ु
ं दशाः कलसरीिनािवाया
ु
िवधानमपिदशित। े
अथ षोडशािद िवगाहत इने ोकशतपण
े
पदशने पटलन।
े तऽ अथ षोडशािद
े ूदािनने ोकयने
ु
पटलाथानिशित। े तान ं
तऽ उा तृतीयपटल इित शषः।
िनसपयाथिमित े ताधन ं िवासाधनम।् तयोः
शषः।
े
िवादवतयोः॥ १॥ २॥
े
लोिहतािमािदिभरपया
इनै विभः
ू
ोकै िनपजाान े ोपिदशित।
ं काानभदाँ
--------------------------------------------
p. 255) दधाना ं दिण ैवामै ु ं चाणोलम।्
ः पक
े
हैम च लखन ु ं भज
रमाला ं कवर ु ैः॥ ८॥
ू
अिभतः यमाना े
ं च दवगविकरै
ः।
े
यरासदविषिसिवाधरािदिभः॥ ९॥
े
ावमचयि
ै ं वालीकाििसय।े
े
िसता ं कवलवाि े
ै ल ै हमूभामिप॥ १०॥
ू
धमाभा ं वैिरिवि ै मृतय े िनमहाय च।
ू
नीला ं च मिककरण (े तां) र
े ()दपया॥
े ११॥
्
ु षडकम।
ु लवणः कयात
िऽिभ ैिदत ैमल ्
आिदमावसानषे ु पजाजपिवधौ
ू बमात॥् १२॥
--------------------------------------------
ु ु ं ऊूादिणोदिमापरत
तऽ षमखाजा
ु
इपिरात ्
वास
े यमवे वित॥ ३॥ ४॥ ५॥ सववायीम ्
े ् ६॥ तषकं रचषकम।् ी
सववदभाषाशमयीम॥
ु ैिरयः। अणोलं रकै रवम।्
मातु ी॥ ७॥ दिण ैः भज
ु ् ८॥ ९॥ १०॥ ूित(िव)महाय
अऽ उभयपायोाायधकनम॥
े
ाािदशाय। े
तदपया ु ु े ११॥
तयोगानगयन॥
िरःै पिभः ोकै ः
िऽिभिरािदिभवणकै
ु
ासबममपिदशित। तऽ आिदमावसानषे ु जपपजािवधौ
ू जप
सितसाया अाशावसानम।् तऽ ास ं
करावाणा ं करायोः
--------------------------------------------
p. 256)
ऊूादिणोद पिमापरनामिभः।
ु
शिचनर ै ैदास ु यथाबमम॥् १४॥
े
आधाररतितीय ं लोचनऽय।े
ु े चतथु याणता ष॥
तृतीय ं ौोऽिचबक ु १५॥
पम ं चासनाभीष
ं ु ततः पािणपदय।े
ू े
मलमामतोवधा ू ः॥ १६॥
मलवणकै
--------------------------------------------
ु ् अवसान े
करावऽयास ं कयात।
ू
तृतीयकटारषोनूोबमात ्
ासऽय ु
ं कयािदित॥ १४॥
े
आधारािदना ोकन ू
े मलिवारै ं
ििभनवावरण।
ु
ासबममपिदशित। े एव ं
तऽ एकं एकवारिमितशषः।
ितीयिमादीिप वारवाचीिन॥ १५॥ पािणपादय े पादय े
पादय े च एव ं चतयिप। ू े ु िऽष ु
ु े एकै किलमामष
--------------------------------------------
p. 257) ं ता ूाकता
भाषा सरती वाणी सृ ृ परा।
ु े १७॥
खपा िवपा राानकौतक॥
ू े ्
एता एकादश ूोा नवयोिनष ु पजयत।
े ् १८॥
बिहरदाोज े ॄााा समचयत॥
् े ्
ु े लोकपालान शिपाथाऽचयत।
चतरॐ ं
् १९॥
इाियमरोिभवणािनलसोमकान॥
ु
चतरॐय ं का ं ु ्
ृ ूाारसयतम।
ृ ु
त े वयम ु ु ् २१॥
ं कयाददाजम॥
ु
चतिपचािरभागतोनवयोिनकम।्
ृ
काऽऽ े ् २२॥
ता ं समावा ूावगथाचयत॥
--------------------------------------------
े
भाषािदिभः िसय े इ ु ोकै दाः
ै तिभः
ु े आना कौतका
पिरवारशीिशित तऽ आनकौतक ु इित च े शी
--------------------------------------------
p. 258) े ु पायोः।
एकादशशी मयोन
े े ् २३॥
तथ ैव लोकपालाशी ारयऽचयत॥
िवशषे एष सामामदचनमिक।
े
साया बिलं दाजा
ू ु ु
े ककया॥ २४॥
ु
एव ं िनाचन ं कयािहोम ं घृतने वै।
ु े २५॥
ूातः सिललपान ं च कयािािसय॥
ू ू
चनोशीरकपरकरीरोचनाित ैः।
ु
काँमीरकालागिभमृ
ग दमदै
े रिप॥ २६॥
--------------------------------------------
े ् एव ं कत
ूथमाािलत ं ॄसऽू ं साजयत। ृ े
ृ
वृ ु ं नवयोिनचबं िन ं भवित।
ााॆकं ससम
ु ं
ृ ता े ूाारय
तिहरदलं प ं का
ु
चतरॐय ं का
ृ तऽ उबमण ू े
े ता ं पजयिदित॥ २१॥ २२॥
एकादशस ु भाषािदष ु शििितशषः।
े अशिं * दशम
े
आनाा ं शिमकादश ु
कौतकाा ं शिं च।
े ु पायोः
मयोन माया योा उरदिणयोः
े ् ूथमाया भाषाायाः
कोणयोरचयत।
े
शमयोमकोणाना ू
ं अाॐपजन ु
मयोिनशिऽयाचानरम।् लोकपालाशी अनॄशी।
ू
ारय े पवपिमयोिरित े एतं भवित
शषः।
ू
पवारा ं दिणपा इशिं उरपा अनशिं
पिमारे दिणपा वणशिं उरपा ॄशिं
अा ति ु समचयिदित॥
े े ु
२३॥ िवशषे एषः मयोन
ु
पायोिराः। अऽ अद े प े नवयोिनष ु च अमादार
ू े ् चतरॐ
ूादियने पजयत। ु े त ु उबमण ू
े पवारमार
े े
ूादियनाचयिदित यावत।् सामा ं पवविदथः॥
ू २४॥
े
एव ं उूकारण।
ु ु
ानिसपायमपिदशित
ूातिरािदना ोकोरान तऽ
िवािसय े कवलया
े ु ु
अनया कलसरीिवया
िऽवारजचु कसिललपानने सक ् ानिसाशिःािदित
ु
यावत॥् २५॥
े
चनािदना िसय े इनान
े ोकयने
ू
साधक पजार ु
े गणिवधान े ू
ं दवीपजागिािण
े ः मृगदै
चोपिदशित। तऽ मृगदमदै े ः मृगमदै॥ २६॥
--------------------------------------------
ू े िशवामते ैग
पजय ैः सवाथिसय।
े
सवािभरिप िनािभः ूातमातृ कया समम॥् २८॥
ु ैिवकच
पालाशप ैर ैरिवखिडत ैः।
िसिवा()पनः ु
ु कयााकमािण
साधकः॥ ३१॥
दा े े फलभदाः
े वणिवभदन े समीिरताः।
े ु ण ु व े यथािविध॥ ३२॥
िवापभदाँ
--------------------------------------------
े ं े शषः।
ाःकरणः दवताहभावनयित ू े चकारण।
े पजय े
ु े इाकत।
िनशामख ृ ैः चनािदिभः दशिवधि
े एत ैग ै ैः॥
२७॥
सवािभिरािदना े े च ैकन
ूिसतीनाान े ोकन
े
सविनािभरिवािभः ु
ै वाििूयोगमपिदशित।
सवम
षोडशिभिरितशषः॥
तऽ सवािभः े े
२८॥ िवािभः अािभिरित शषः।
एतं भवित ूातः सािववसान े चु कनोदकमादाय
े
त े वमाण ं मातृकाय ं िवभा
े
मातृकामकारािदकाराामकपाशदरा ं ूरं
िबमत िऽवारं सज
ं ्
पात ािभमता ं िनामा ं
िवा ं म ं वा िऽवारं स तिललममृतमय ं भावयन ्
ू
मलाधारात ्
िजामाा ं सरतनाड दीपिशखाकारा ं
े ् एव ं ूितिदवस ं
ाा ता ं होमिधया आचामत।
ु ं पािड ं ाा िनयत ं
ूातिवदधततिवध
ु
भवतीपरः २९॥
सदायाथः॥
ूाविदािदना साधक इने ोकयने
ु
िवासाधनूकारमपिदशित। ्
तऽ ूावत लिलतावत।् तावत ्
ं ् ३०॥ अ ैः कानपहत
तशाशम॥ ृ ु ैः। अिवखिडत ैः
ृ
व ैः॥ ३१॥
--------------------------------------------
े
कारणं पराममयं च वै बमात।्
कथयािम ण ु ूा े िविधिवरवैभवाः॥ ३४॥
े ऋवद
अकारािदः सामवदो े तदािदकः।
ु इकारािदषा
यजवद े ं सयोगतः
ं ु
शिचः॥ ३५॥
िविल योजयव ु
े ू शशाानसारतः॥ ३६॥
ु
गणसा ु ं ततनापर
ऋयजषा े ं तथा।
ृ
विसा ु ु ं शचवपः॥
समायािद ु े ु ३७॥
तने ऽयीमयीिवाकायकारणयोगतः।
ू
आरूसतािन
सवायािन यने वै॥ ३८॥
--------------------------------------------
े इािदिभवभवा
दा इिै िभः
े े
े वणिवभदन
भवािदकं ूौित। तऽ दा
ोकै िवाािवै
े
िसता ं कवलवाि ू े दवीपवणभदन॥
ै इािदपवन े े े ३२॥
े
ऽयीमयं वदमयम।् िवायाः कलसया
ु ु इित शषः।
े
वावाचकप शाना अथाना च॥ ३३॥ परां
परमोम।
ृ ् अमयं
े े रिनयितम॥् ३४॥
दशकालाकारै
अकारािदिरािदिभव इ ु ोकै िवायाः
ै तिभः
ू
ूथमकट ु
वामय ऽयीमयमपिदशित। तऽ एतं
े ू
भवित सामवदािदभतमकारं ता
े ू
ऋवदािदभमकारम।् उभयोरपिर
ु यजवदािदभतिमकार
ु ू ं
ू ् ु
े (उ) इकारयोगात गणसा
च िविल पवणाकारण एकारं
े े े तने ैव एकारण
उरखणाकारण े चोूकारण
े विसा
ृ एकारं
च िना एव ं ऽयीूथमारिनादैकार ऽाः
बीजारवत
ूथमारत एव उपिरतनयोररसभ ् े ं
तषा
्
कारणात तयादै ु
कार च ऽयीमयमिमित॥ ३५॥ ३६॥ ३७॥
३८॥
--------------------------------------------
p. 261)
ममाणगतूाणा े ु मातृका।
नाद
् ३९॥
ूावारणकाययोगााचकपकम॥
तदणकरसायोगा ू े वाता।
भतािदन
इित वाचकवापािातोिदता॥ ४०॥
ं (तो)कों िऽकाकम।्
पराप ं तृतीयने िऽश
एवमषा ु
े िवमयी िवापिभदाः शभाः॥ ४१॥
ु
शिचराा वापा ितीया विरीिरता।
िबसगानोरै ु ४२॥
पा साावयोवपः॥
--------------------------------------------
े
ममािदना उिदता इने ोकयने िवाया
ु
ं ऽयीमयमा
िविशसभप
े े ं चाोािपता ं िवाया
अशषशानामशषाथाना
ु
ऐमपिदशित। तऽ एतं भवित िवाया
े
ितीयारगतककारलकारयोम
ू
नामातृकािदभताकार
ू ृ
पभतािदतीयखड ता ोऽोकं न
े
यपं
अचा ं ानपं िवसजनीय ातृपं
एवं
े ृ
ातृानयपिऽकाकिवाककमातीयखण।्
ु ू िथराकाकारच ैवमािदमहणबलाद ्
दाभतपृ
े शःशषः
अशषः ू
े पभताकोवावाचकपः ूप
एवमिभपोऽनया िवया ा इित॥ ३९॥ ४०॥
े पवू िवायाः
परापिमािदना ोकन
ु
ूथमितीयारािमपिदँय ु
तृतीयाराािदकमपिदशित
। तऽ एतं भवित
ु ं
ूागपिदिऽिशकाागमूोपरािवापात ्
ृ
(अािवायातीयखड ताऽों न
े
यपं
चोानपं िवसजनीय ातृपं च,
एवं
े ृ
ातृानयपिऽकाकिववाकमातीयखड ्
ु
आिमित ) एवमा
े
िवायाःिऽिभःखडैिूकारतोऽशषिवाता ूितपािदता।
े
एव ं पतोमयं ु
च सूितपािदतां तने अनया िवया
े पिभदा अा
नासामि सदायतः साधकथः।
े ण
िवायाः पभदान ् ु इथः॥
४१॥
ु
शिचिरािदिभरािका इिै िभः ोकै ः
ु ू ं
सकलऽैपरिवारािशकभता
े ु
ता ं िवामपिदशित
सतिवापरमरहभृ ु
तऽ शिचराा
वापा
--------------------------------------------
ु ं ातित
एषा ऽैपरकदा े े िनगत।े
े ु े
ातृानयदोषगणतजयािका॥ ४४॥
--------------------------------------------
ूथमा वावाा ादशरिवमहा। ितीया विः
ू ैपिशवशाक
सकलमातृकारकारणभतिविवसजनीय
ु
तथरः॥ ु
४२॥ तने बीजने तयपण।
े िवापा सा
ु े सा िवा िवापा
े चतथरण
ूितपािदतिशवशिपण
े
ूोथः। ् े ु
वन ं तृतीयम कवलतदशरातीया
ृ िवा।
े िवना वथः॥
े िवसजनीयन
मायया नवा ु
े ४३॥ ऽैपरकित
े
े े
सतितचाािवायाः ं े तऽ कवम।् अा
सित।
िवायािष ु खडषे ु
ू
वमाण ैकािदनयोगसतानामसाना ं
ु
ऽैपरिवाराशीना ू ू े
ं मलभतथः।
े ु े
ातृानयदोषगणतजयािका। एतं भवित
े े
ातृानयान
े े ू े चाशषे ं िव ं
वातिपपनािसयसोमाकन
ू
सयावितत इित॥ ४४॥
्
अा इािदना आता इने ोकयने अािवाया मम े
ु
ककारलकारयोगापरम े सकारयोगा ूागपिदा ं साि ं
्
िऽखडषे ु हकारसकारयोगात ािवासना ं चोपिदशित। तऽ अाः
े
सतिवायाः े ४५॥
े ातोिः। कारणतथः॥
कारणित
े
िऽकिवाता ातृानयापिवाता। तषे ु िऽष ु
ू े े जमावराता। एतं भवित।
कटिितशषः।
तषे ु िऽष ु बीजषे ु ूक
े ं भकारसकारसयोगात
ं ्
अा
े
सतिवाया े
जमा वरावासनोित॥ ४६॥
--------------------------------------------
े कान वि त॥
तथािप भसाणहतोः े ४८॥
ु
आयलीकीितभोगसौयारोयदाियका।
ु
ऐिहकामिकानमयी सकलिसिदा॥ ४९॥
ु ु
िवायाः कलसया हसयोगािष
ं ु बमात।्
ं
िवजयाा महािवा िवसऽाणतरा॥ ५०॥
मायोगतषे ु जीवाा िविचयी।
े ु जायत े (सा) आवयोवपः॥
योिनयोजनाष ु ५१॥
ं
दािदयी िवा हसािदमयो ु
मनः।
तषे ु दाहसमायोगािाा िविवमहा॥ ५२॥
--------------------------------------------
े
एकािदना े ताः सतिवाया
ोकन े
ु
एकािदनयोगािदनाऽसातपमपिदशित। तऽ
े
एतं भवित ताः सतिवाया ु े ु
िषखडष
ितीयतृतीयिवधरु ं ूथम े वा ूथमतृतीयिवधरु ं ितीय े वा
ूथमितीयिवधरु ं तृतीय े वा ततमिवधरिमतरयोवा
े ु
समषे ु वा कािदााराणा ं पिऽशाकाना
ं ं
ु
बममापबम ् िवाः सभवि
एकािदसमायोगात या ं
तासा ं साप
ं ं ात ं ु वं ु वा न कनािप
े शिमित॥ ४७॥
एविमािदना िसिदा इने ोकयने
ु ू ु े ूौित। तऽ सा
उवमाणा ैपररभतािवावनमखन
े सा सतिवा।
सत े ू
ता ं एकािदसताम।् असाता
ू
िवाः। कान ूधानभताम।् ऐिहकामिकानमयी
ु ु
इा
े
असमीचीनतयूितपादकिवाोिवशषयित॥ ४९॥
ृ इःै
िवाया इािदिभः ता
े ू
े ं सयोाना
षिौकै रकादशिवापोपदश ं
ु ू
ऽैपररभताना ं िवाना ं सािनगमन ं च करोित। तऽ
ु ु
एतं भवित कलसयािष ु खडषपिर
े ू ूक
े ं
ु
िहकामिकानूदानात
हकारयोजनािजयाा सवषामै ्
सवराकरीिवा॥ ५०॥ तषे ु हकारमपा तऽ सकारयोजनात ्
िवच ैतिपणी (वीजा) जीवाािवा॥ ५१॥ तषे ु तऽ
ू
हकारपवसकारयोजनात ्
माोमः ू
सकारपवहकारयोजनात ्
--------------------------------------------
p. 264) ूक ु
े ं शिपिटता िवा िविवमोिहनी।
े ु े
खचरारसोपतमायाा ु
ं पिटता त ु सा॥ ५३॥
ु तसा
िऽपरामृ
ं सा सवायन िवमहा।
मायाा मोिहनी ूोा ता ोिभणी मता॥ ५४॥
े
तदा िनदीाता वातािदाहोदया।
ु (िरनम)िवधयः ताः॥
े किथतािऽपरा
ऽयोदशित ृ ५५॥
आसा ं बमिवपयासजातािवासितः।
तासा ं िवधान ं त े ूोमशषे ं लसागर॥
े ५६॥
--------------------------------------------
ू े ु ूथम े हकारसकारयोरधादयोनार
कटष े ेच
्
फयोजनात िवमयी े
िवाािवा॥ ५२॥ कवलबम े
ु
सयािखडािन े ं खाा
ूक े ु े ् सा िवमोिहनी
ं पटयत।
ु
िवा॥ ५३॥ पनरिप े (कारा
ताव खा े ु
)ा ं पटनात ्
्
ु ताा िवा॥ ५४॥ तानात सवलाभात
िऽपरामृ (् सयोग
ं )
ं
सपोषणिवमहा। ु ु
ताः कलसयाः ू
ूथमकटमपा तऽ
े
खायोजनात ्
मोिहनीनामिवा। तथाममखडमपा तऽ
े
खाया ्
िनयोजनात ोिभणीनाम िवा। तचरमडान े
े
खािनयोजनात ् े
िदनीनाम ु
िवा। पनाः ु ु
कलसयाः
्
ूथमखडमपा तऽ अकारयोजनात महोदयाा िवा। एव ं
ु
िऽपराकाा े
सतिवा ु ु
तवकलसरीिवाा े
ं समता
ू ऽयोदशिवाः
िवजयािदकामहोदयाा कणदशिवाः सय
ु
िऽपराराा समीिरता इित॥ ५५॥
े तासा ं ऽयोदशिवाना ं
आसािमािदना ोकन
ं ु
पिऽशटलोबमापबममयोगान ् े ं
ूक
े
षभदतः ू असितसाता िवाासा ं ूपित ं
सय
ु
िवधान ं लसागराागम े समपिदिमित चोपिदशित॥ ५६॥
ं
सपरीािदिभः ु े े ैकादशिभः
समयिदन
ू
ोकै ावपवमथ ससरीिवोपदश
ं े ं
े ं तिधानोपदश
तानोपदश े ं
ू ु
पवासितिवानामपािबम ं च करोित। तऽ
ूाणोरसामियोगादामीिरत ं ककारलकार आकार
ईकारिबिभाः
--------------------------------------------
p. 265) ूाणोरसामियोगादामीिरत(अ)म।्
वातने च चराा ं ितीयमिप पावित॥ ५८॥
ं ृ ं परमिर।
हसनमायािभतीय े
एव ं िऽवणा सा िवा िवधान ं चाथ कत॥
े ५९॥
े
तृतीयबीजनाािन ु बमात।्
दीघरयजा
ु
कयारायोः े ता ं ततः॥ ६०॥
ूाविद ं ाय
े े ू
दािडमीकसरूदहवासोिवभषणाम।्
चतभजा े ् ६१॥
ु ु ं िऽनयना ं ूसरवकाम॥
े े
रािभषकसामपऽामग।
िऽकोण े िकासीना ं कणानमिराम॥् ६२॥
ू
ूवालाॐज ं रचषकं रपिरतम।्
ु ं च वरं(दं) ह ैदधाना
पक ् ६३॥
ं सवमलाम॥
अकारािदसकाराषोडशऽयकित।े
ु
कलासन े तियाऽित॥
े हलाणम े ६४॥
--------------------------------------------
ू ु
ूथम ं कटमिमित यावत।् अऽ आकार ईकारयोगणसिन
ु भवित
्
। वातने च चराा ं ितीयम अकार ू
एकारिबिभितीय ं कटम।्
ृ
अऽािप विसिन भवित॥ ५७॥ ५८॥ हसनमायािभतीयम
ं ृ ्
ैतीय
हकारसकार औकारिवसजनीय ू
ृ ं कटम।् परमरीित
े
े ु
दवीसिः॥ ु े
५९॥ करायोः कराासयोः। िबयन
ु तृतीयबीजने कयािदथः।
दीघरयजा ु इ ं
े
वमाणूकारण॥ ं े
६०॥ ६१॥ िकासीना ं िकसकन
आसनने िताम।् मिरािमित ातोिः मिरिमथः॥
६२॥ करषे ु
वामाधरा ं धायािण
दिणोािद पाबमण े ् ६३॥
े कयत॥
अकारािदसकाराषोडशऽयकिते
े सवऽ
अकारककारथकारोपबमिवसजनीयतकारसकारावसानिऽरखा
ृ त े
िऽकोणिः
िशहलाियाािदशाथूपिवमहा परमा शिः
े शिमषे ु परमोपरः सदायाथः।
ितित। ु
कलासन ं नाम
एव ं िविश ं चबं िऽकोणम।् तियाऽित े
--------------------------------------------
p. 266) ू तामचयमात।
समावाासकपव े ्
् )॥
म े िऽकोणकोणषे ु रितूीितमनोभवान(म ् ६५॥
आमािदसगादपऽषे ु मातरः।
्
ु े लोकपालान ूावीः
चतरॐ े ् ६६॥
समचयत॥
ु ु ु े
चतगणचतथाशसमानिनयोिजत।
ॄाीरसवचाध े त ं सिपििभिद
न ैः॥ ६८॥
--------------------------------------------
ु ् ६४॥ अघसः
तिया सिहत।े एतलासनिवशषणम॥
े ूावत॥् ६५
॥ सगाः वामावतबमण। ्
े तत अमािदवामावतबमण।
े
अमातरः ॄाााः ूावत।् शीः शिपान ्
६६॥ असा िवानािमितशषः।
ूागािदितािनथः॥ े
बिलय ं
े े िवधानिमथः।
असितिवधाना ं िवानामतदव
े होम ं िनहोम ं ूावत।् एतं भवित
आयोिरितशषः।
ू
पजादौ े मणावसान
षोडशारण े ु ु
े ककासाया च
ू
े बिलय ं दा िनपजाबमतो
ूोबमण ु
होम ं कयािदित। अत ्
आयोमाणा ं बीजयसारीयोजनािद। आसा ं
िनसपयाचबिवरचनाबमो यथा ूाारोपते ं
ु
समचतरॐय ं िवधाय तदरदलं प ं िवधाय
तिणकाया े ं योिन ं िवधाय तऽ
ं यथामान ं समिऽरखा
ूोबमण ू े
े ूोाः शीः पजयिदित॥ ६७॥
ु ु े
चतगणािदना किविरने ोकयने
ू
ॄाोघृतोादनिविध ं तने घृतने मक वाििूयोग ं
ु ु े सिपः घृतम।्
चोपिदशित तऽ ॄाीव च े * गमखादाग।
ु ु ं
एतं भवित सादनीयघृतमान चतगण
ु ं वचामान ं
ॄाीरसमान ं घृतमानचतथाश
ु े चािर सयो
घृतमानसमान ं ीरं, एवममानबमण ं
िऽिभिदन ैमृ िना सा िचणघृतभाड े सशोावताय
ं
िशिशरे तिमाणमातृकाय ं रजतपे िवधाय
ृ
कतूाणूित ् त े िनि
ं तमिन घृ
ु े घृत ं सृ
कशवादभतमन ्
ं शन सिबका ं
ु
मातृकामयतवारं
--------------------------------------------
p. 267) ु
सय ं मातृकािवाज ं यतमादरात।्
् ू
े ूातराकोभवत
िदनशोिविलहत ्
े किवः॥ ६९॥
ु
िशवोऽिका कमार ु
िविधिवथा रमा।
ु े ु
कबरोरिवचारागिसतसौरयः॥ ७०॥
े
वारशाष ं ु तिनिवया।
े ु वारषे ु ता
ू े े ु े ् ७१॥
ु पजयपयनत॥
नामसारीया
े महीपानामाताना
िवशषतो े ्
ं च िविध ं चरत।
ु ु ् ७३॥
ू साया यावदायषम॥
तने त े सिखनोभयः
--------------------------------------------
्
जिपा पात ूोिवातमा ं ं जिपा
(ं च) त
ु
सरित े ्
ं िनि िचिस ं मातृकया िवया च समचयत।
ूातः ूातः मातृकािवाा ं िऽवारमिभज ं िनऽयमान ं
ततृ ं िलहतः सवरात
ं ्
ूोफलिसििरित॥ ६८॥ ६९॥
े
े ोकयने अकािदसवाराणा
िशव इािद निदन ं
े
ूितवारं दवताय ू
ं तजािदकं तयोजन ं चोपिदशित। तऽ
रमा लीः। आरः भीमः। िसतसौरय इित ातात।् िसतसौरीथः।
ु
िसतः शबः॥ ७०॥ तषे ु सकािदिित
् े
े तान वारशान।
शषः। ् ििवधान ्
ु
। तिनजिवयातिनिनािवया। नामसारीया
ु े ् ु
नते जयात।
ताम तद े च सारीयथः। ् तने
ु सस ु वारषे ु
े एतं भवित अकािदष
वाितिसिः ािदित शषः।
्
ूितवारं ूोान ििवधान ् े
वारशान ् े ौ ौ
ूोबमण
ु े सायन
तिनिनािवायन े ताममण
े
ू
तडले पजातपणहोमािदना वाितिसीः िरित॥ ७१॥
ु े ोकयने
वणषधीािदना यावदायषिमन
वमाणिवया मातृकावणषिधभना
े ु
मातृकायलखनूाणूितापरःसरं िवामातृकािभजने
े
िवया समतया मातृकया वमाणमातृकारानषे ु बमण
े
सवापो
सयोः शतः ु
रा भवित सवषािमपिदशित॥ ७२
॥ ७३॥
--------------------------------------------
महािष ु िरपश
ु े े िभ
े िऽिवध े तथा।
ु ् ७६॥
उात े समरोोग े कयााचनािदकम॥
ु सखी
तने सवापः ु जीवित भतल॥
ू े ७७॥
ु ैः षढविजत ैः।
॑दीघरपिटत
ु
कयादािन षगः पपदशारैः॥ ७९॥
--------------------------------------------
ू े ू े इ
बरिािदिभभतल ु ोकै नवमहपजया
ै तिभः ू
ु
िवपारणमपिदशित। तऽ एव ं
ं
अािवशपटलवमाणूकारतः। मडले नवको े गत े
७४॥ मािदना
तडले इथः॥ े महाणा ं वमाण ं
ु ु
िदिवभाग ं ारयित। शभाशभबमात। ्
् तान नवमहान।् त ैः
उूकारैिदनिनासारीमगत ैनविभनामम ैः॥ ७५॥
िऽिवध े इ उात े इऽायः॥ ७६॥ तिदा ं िवािवदाम।् गा ं
े ु ् तने अनािदना।
धनम। एतं भवित
ु सऽैः
ूादिणोदगम ैतिभः ू समारालं
े ू े नवमाहाणा ं
नवकोािन िना तषबमण
ं
अािवशपटलवमाणािन मडलािन िवधाय तऽ
तिनिनासारीमगतामम ैनविभः
ू
पजातपणहोमािदना ू े
तिािवदा ं सजनणािददानन
ु सखी
सवापोिवमः ु भवतीित॥ ७७॥
ू े
ॄहीािदिभसिद रै िभः
ोकै मातृ काषडासािदकं मातृकाास ं चोपिदशित। तऽ
्
त ं मातृकायम।् य ं ास ं य ं च। अ अिन पटल।
े
तटले मातृकापटल।े अिखलं अिदितशषः॥
े ७८॥
े
ािदना इिमने िऽपादािधकन
े एकन
े ोकन
े एतं
भवित रषे ु ऋ ॠ लृ ॡ इित चािर षढारािण।
तिजत ैर ैादशिभः
अ इ उ ए ओ अ ं इित
--------------------------------------------
भाले वावतौ े
ृ नऽौोऽनासाकपोलतः।
े े ् ८१॥
ओदिशरोिजाकशोिवसरान॥
ू
करयोः पादयोमलमसिथामतः।
े ु ्
पम
िवसतरोवगान ं पापृ तः॥ ८२॥
् ु ु
नाभौ िद च िव ापकान दशधातष।
ं े ु ु ८३॥
सृासमदोऽिमाशबागािमष॥
ः, आ ई ऊ ऐ औ अः इित दीघरै
षि॑ै ः षि सिबकै ः
्
कचटतपवगान पपारान ्
यािदकं दशारं वग च
्
सिबकान तान ् ु
े पिटतान
ूोबमण ् ृ त ैः षिः अतो
का
ु म
जाितयै ु
ैः कराास ं कयािदित॥ ७९॥ ८०॥
े
आिदाािदिभः े
सिद ःै पादा ैः पिभः
ु
ोकै दह े मातृकारिवासबममपिदशित। तऽ
ू
मलमसोः। ू ू ,
मलसोिरितदोःकपरयोः
मसोिरितमिणबािल ू े चोत,े पादयो ु
ु मल
ू ु उत।
े कटी जाननी
मलमशन े े तऽ मसियिमित
ूपदािलसी
ु उत।
े े पम ं वगिमितशषः॥
े ८१॥ ८२॥
् े यािदााना ं ापकं तषा
ापकान वणािनितशषः। े ं
धाािदपात॥् ८३॥ ूाणशास ु ूाणशाानोिप
ु े े
धातन। े तषा ू
े ं धातनाम।् ितीयाथ षी
--------------------------------------------
p. 270) ृ ृ ं चापऽम ं महीपरम।्
वयावत
े
िवधाय िविलख ् ८६॥
े हसनशिजम॥
ं
् े े ु वगान पऽष
ू ं रान कशरष
कट ् े ु चािलखत।
े ्
् ु िद ु च॥ ८७॥
े दाचािन
पपारोपतान
े ु
रपनािन पाािन त ु प वै।
े ू
सनानभदतोऽभिरयः॥ ८८॥
े ्
सवातािधराने शिकं भवत।
े
अाकादश िशव े सिमाऽािद सवा॥ ८९॥
--------------------------------------------
ृ े
वयािदिभिवतत इःै सिभः
ोकै मातृ कायिनमाण
ं तििनयोग ं तलािन चोपिदशित। तऽ
ं
हसनशिज ू ं हकारसकार औकारिवसजनीय
ं कट ै
ं ैरक
सहत ू
े ं कटारम॥ ् े े ु षोडशरान कसरष
् ८६॥ रान कसरष ् े े ु
ू ं शोिलखत।
ूितदलमल ्
े ् वगान कादीन ् े
पपारोपतान ्
वगािनयः। े े दावा ु ठकारवकारौ। िद ु
सितिवशषः।
ठकारं िविद ु वकारं चािलखिदित
े े
कचन कथयि। तदाकं
नािभमतम।् उभयमस ु िद ु लिमदायाथः॥
े ८७
ु
॥ अपनपरारािण
वमाणािन अम े दले िलखिदथः
े
। अािन त ु प वै अषे ु सस ु दलष
े ु पपारािण िलिखतािन।
े सनानभदतः
वै इित हतौ। े राणा ं िितिधा
नािा एका य ं राजत े इित रशिनवाहात।् ता
भवित अकार इकार उकार िब िवसजनीयारािण े ु
रपनािन।
े े सवणदीघािदतः
इतरािण तषामव ू
सतािन चािर
षढारािण
--------------------------------------------
p. 271) एत म ं नाम का े ्
ृ ूयोजयत।
ु े
ूातमिरिदिब ् ९०॥
ं सवसदम॥
े
अिभषकाारणा ू े
पजनाोहकित।
ृ े
ापनाहदशादौ ् ९१॥
य ं सवाथिसिदम॥
े
एत मा दवताः सकला अिप।
े ९२॥
सििध ं फलदान ं च साधकाना ं िवतत॥
--------------------------------------------
ु
बिहतरॐमक े ू े ं का
े ं रखामाशलोपत
ृ किणकाया ं हकार
े ं शिूसादाामकारपा
सकार औकार िवसजनीयोपता े ं
े े ु
िवा ं हकारसकारारालनामवतोमािल कशरानष
े ु
षोडशमािदूादियने षोडशखरानािल बिहरदलष
्
े कचटतपयशादीन पारान
अमािदूादिय बमण ् ्
सवगान
े ु समािल अम े अ इ उ अ ं अः इित पारािण समािल
सस ु दलष
ु ृ
चतथवात ्
बिहरस ्
ु िद ु ूावत ठकारवकारो बिहरो
् ूोारािण किणकाारमरण
समािलखते सवािण े
े
सिबािलखिदित॥ ८९॥ एतद ् यिमितशषः॥
े ९०॥ लोहकित े य इित
शषः। ू
े पजनािदानायः।
े ् े े
ापनात यितशषः।
आिदशोमामािद िवषयः॥ ९१॥
े
एतािदना े सकलदवताचबूितास
ोकन े ु
े े कत
हमरजताॅाणामतमन ु
ृ े यमीय म े सिधहोित
े
नामारोपते ं सूाणूितं मासमाऽमिचत ं
् ू सपिजतम
लजमातृकं ूथम ं तिवत पणाा ु ू ् ं
सा
त े सकलदवतावर
े े ् एव ं कत
े ं ापयत। ् े े तासा ं
ृ े तिन वर
े
दवताना ु ं समीचीन ं भवित। ापियतमनीिषतफल
ं रण ु ंच
ु
सवतीपिदशित॥ ९२॥
--------------------------------------------
p. 272) िवा ं ता ु नरोमख
ू जडोमकोऽितपातकी।
ू
ू
िनशोजपपजा े ् ९३॥
ैः काले ममता ं ोजत॥
े ृ े
िजायामरायतासकावयिया।
ूिवोिवोीष ु यत
ु े वािमिभजन ैः॥ ९४॥
ू
मिबम ु
ं सधावषिवधाियनम।्
िवभावयिितमन ं ु जपदकाममानसः॥
े े ९५॥
मडलािवतािसिः सवभाषामयी े ्
भवत।
वादािदष ु त ु सवऽ दवता
े े ् ९६॥
जयी भवत॥
े
यािण िनािनायाः समाकायोगतः।
ूयोगजातमो ं िवदादैयोगतः॥ ९७॥
े
तनानोािन
िशव े सविसिकरािण वै।
ु ् ९८॥
षोडशिप िनास ु यादमीिरतम॥
--------------------------------------------
े
िवानािमािदना भविद ु ोकै ः
ःै चतिभः
ु ु
कलसरीिवायाः े ु
ूयोगिवशषे ैः फलिवशषानपिदशित। तऽ ता ं
ु ु
कलसर िवाम।् मखः
ू अः। जडो बालः।
आशपणहोमािदिवषयः। मसता ं िशवसमताम॥् ९३॥
े
अरायतािन ु ु
कलसरीिवाया े
इित शषः॥ ु
९४॥ सधावषिवधाियन ं
इमडलोभतः। मन ं ु कलसरीिवा
ु ु ं िवभावयियः
े ंु
। जपनिमयः॥ ू
९५॥ आिदशोवहारतािदिवषयः।
े
दवताा े
दवताहावनया। वादवहारािदष ु सवऽ
े
दवताहावनया े ९६॥
तरणािजयो भविदथः॥
े षोडशपटले िनािनाूोािन
याणीािदना ोकन
यािण िवयोरैकादा तािप यािण
े
साधारणानीितिदशित। तऽ ताितदशादिऽं यय ं च
िनािनासाधारणम॥् ९७॥
ं
े िनाना ं सवासा
षोडशपीािदना ोकन
े
िवशषसामािवधान ं िवभजत।े तऽ अिदित
े
जपतपणहोमाचासकभावनािदकम।् ऐयोगतः आसा ं
े
षोडशानामकपपरमाथयोगतः।
--------------------------------------------
p. 273) ृ ु ं षडॐ ं च का
वयम ृ मामतः।
नामािल बिहः ष तय ं ने मायया॥ ९९॥
ृ े का
िविल मातृका ं व ु े
ृ तारणाख।
्
िजाया ं भावनात सवगोीम े १००॥
ं िवगाहत॥
--------------------------------------------
े
िवसजनीयोपतािन ृ े
तािन समािल बिहववीाममािदूादियन
े
सिबकाकारािदकारााकपाशदरािण समािल
ु े
ृ ूोबमोपतमा
गिलकीक ृ त िजाया ं िवभावयन ्
े ता ं का
ूोािन फलावाोित इित॥ १००॥
मसा
अऽ यय ं ूों ाामाः शतऽयात।्
ं ःु पटले दशपक॥
सिऽपादोनिवशाः े
अथ षोडश पटलम।्
ृ पवू तिधानिमहोत।े
िवोारः कतः
यासौ समजीवाना ं दहे िितिवधाियनी॥ २॥
ू ं च साधनम।्
ास ं ान ं ततः शीािभः पजा
् ३॥
यािण वळपािण षडाधारषे ु सिितम॥
ं
अथ षोडशपटलम।्
ू
पविन ्
पदश ु ु
े पटले दशाः कलसरीिनािवाया
ु े
िवधानमपिदँयानरमकादँया ु
िनािनाया िवधानमपिदशित।
े
अथ षोडशािदना सवत इने ोकशतपण
े षोडशने पटलन।
े
े
अऽ षोडशािदिभः बमािदरै ििभः
ोकै ः
ु
पटलाथानिशित। तऽ िनािनाधीनम।् जगत जमम।
् ्
p. 276) ू
ॅम ु े ु च बमात।्
े कठािभगाधारष
े ु
िवारािण बमशोसियतािन त ु वै॥ ५॥
ु ्
ापकं च समने िवधाय िविधना यतम।
्
ायते समसिहतोः
े सवािका ं िशवाम॥् ६॥
ु ु
उारिबाा ं मािणमकटोलाम।्
ृ ं ु ् ७॥
परागकताकामणाशकधािरणीम॥
चाितलसषरोजिवरािजताम।्
ु ् ८॥
ु ैादशिभयताम॥
ूितवं िऽनयना ं भज
े ु ु ु े ु े ू
पाशगणपसचापखटिऽशलकान।्
ु े ु मडलाम नकपालाभय
प ृ े तथा।
ैायवीमनथा॥
दधाना ं दिण ैह ेे १०॥
े वदािम त।े
अनाः शयोदाााकणय
ृ
लिलताशिवोऽय ं िबजयमथोबमात॥् ११॥
--------------------------------------------
ं े ु
हकारािद डकाराािन सकतिवािवधरािण षडरािण।
ु
िबयतािन ूक ु
े ं िबयािन। एतं भवित िवाया
ु
े ं िबयािन
हकारािदडकाराािन ूक े ु ष ानषे ु
ूोष
े कशोसिदित॥
बमादकै े ५॥ ापकं ूावत।् समने िऽिभः कटै
ू ः
े े ैः॥
सतिवोपत
े
ायिदािदिभरधीिर ैरा ु ोकै दा
ैतिभः
ु
िनसपयाानमपिदशित।
तऽ सवािका ैतपात।्
ं सवच
च ैतप ु धातपदहािकाना
ु े ं
डािकादीनामिधातृपापात॥् ६॥ ७॥ वषट ् (क)सरो
८॥
जिवरािजता ं षपिवरािजतािमथः॥
ु े ु े ् खटे ं चमफलकम॥
ू कयत।
भजायधाािद ् ९॥
े नकपाल
मडलाम ं सििवशषः। ृ ं िशरःकपालम॥् १०॥
अा इािदिभरानता इःै पिभः ोकै दा
आवरणशीपिदशित। अऽ अना इऽ शीनामरिवमहा
वं ु शत।े दा
े अनशिपिरवार ु
--------------------------------------------
े ृ ं िशवाम।्
षाऽिपच शत ं यजािभवता
े
षोणकोणासीना े ् १३॥
ं डािकााथाऽचयत॥
े े ु बमा ताः।
रोिनलवीशवणष
डािकन शािकन पाािकन कािकनीमिप॥ १४॥
ू े दवीसशिवमहाः।
सािकन हािकन मल े
े
हतीामिभतः ु ु
शिपाकटानताः॥ १५॥
ृ
कतासाघसः ू े
पजयदीिरतबमात।्
ु िनहोम ु जपिा
कया े ं यथोिदतम॥् १६॥
--------------------------------------------
ापात।् कान आकणय वमाणशीिरितशषः॥
े ११॥
ू अकारादयः ः इाः ूोसाः।
पणमडलवणाः
ं ूक
अकारािद कारााना ं षिशणाना
ं े ं
षोडशरयोजनने षिधकपशतसाः
ं एषा ं
ू
पणमडलं ं
पिवशपटले वमाणािदह नोत।े
ं
सािवा नामपािवाः ादशाराः ॑ ौ
अशिपाका
ं ू
ं पजयामीािदिभः ॑ ौ ः शिपाका ं
ू
पजयािम तासा ं
ं े ादशाराः इथः।
इाः एवपण
े षोडशदलािन षिशािन
शीना ं वगबमण ं
ृ तषे ु दलष
षोणािहः का े ु ताः शीः पजयिदित
ू े सदायः।
े ािऽशलािन
अथवा वगयबमण ं ृ तषे ु
अदलपािन का
े
ताः समचयिदित डािकादीना ं
पारयाथः।
े
षोणऽोािन ू े ाातािन॥ १२॥ १३॥ १४॥
ानािन पवमव
ू े
मलदवीसशिवमहाः ु ु
िनािनासमानपाः। तकटाः
ु े ु ु
तदायधोपतमकटाः। ृ
नताः (कतालयः ूा)
ु
कचभरनॆाः तजानिताः।
ु े ् १५॥
सवसाधारणमतत॥
ृ े इःै पिभः ोकै ः
कतािदिभगता
ू ु
चबिवशषे ैःशििवशषे ै िऽिवध ं पजाबममपिदशित। तऽ
अघस ूावत।् ईिरतबमात ूोबमात।
् ् यथोिदत ं ूावत॥् १६॥
शताकदलाित
ं एकपाशलाितिमथः।
--------------------------------------------
p. 278) षोणािहरशताकदलाितम।
्
े
ृ तिप
का तािभ ु वा ू
ृ ं पजास ु ममाः॥ १७॥
ु
िचतःषदशदलै
ादशायदै
ः।
ृ
परै ावषोण े ृ ् १८॥
े यजीताचनात॥
ु
चतरॐय ु
ं बा े चतारसमितम।्
ं
ॄाािदलोकपालााः षोडशारसिताः।
अनॄािनयितकालपा िवगिहताः॥ २०॥
--------------------------------------------
ॄाािदलोकपालाानामादशशीना ं िनयितकालशियने
ं
िवशितम।् एतं भवित इमानने ॅमण
े व
ृ ं का
ृ
तिहः षोणोपते ं व
ृ ं का ्
ृ तिहः सदायात षोडशदलािन
ं
षिशािन ृ तिहलाराल
का ु ु
ं चतरॐय ं
ृ तततसृष ु िद ु ारािण सशाखािन का
का
ृ तऽ सवम े
े बिहः षोणषे ु ूोबमण
दव े डािकािदषं तिहः
ू े े च
पणमडलारशीवगबमणारबमण
ं े ु तो शलष
षिशष े ुच
े
ूोबमणारािगमनगा ू े ् तिहतरॐ
पजयत। ु े
े े
ूादियबमणाचयिदित अथवा
च सदायाथः।
्
ूोषोणािहः ूावत सदायात ्
ं ं
ािऽशािऽशलाादशपािन ृ तऽ
का
ू
े पणमडलवणशीः
वगयबमण ु े
सम चतरॐ
े े पोमः। मम ु
ूावदचयदष
ु े
ूागषोणािहरकपाशलं प ं का
ृ
े
तलकारािदकाराकपाशदरशीरत ्
ूावत ्
े
समचयिदित। ु
लघूिबयाया ं षोणािहः षोडशदलं
तिहादशदल
ं तिहदशदलं
--------------------------------------------
p. 279) ं पयोोतः।
िवदााधन ं ूावणल
ु ैहवन
िऽािसै रण ैरज ं तथा॥ २१॥
े ु
जपतपणहोमाचासकिसमननरः।
ु
कयाान ्
ूयोगाँ े ु े
नचातदवताः॥ २२॥
ु
ूाणाँ मसवे किपताण ं िशव।े
् ् २३॥
अनया िवया लोके य सा ं न तत िचत॥
ु ैः ूावरसयत
िवारािण स ं ु ैः।
ं ु ं त ैयािण
शत ं ादशसय े २४॥
वदािम त॥
ृ
वयाः ृ ु
षोण ं तदवयमकम।्
िवधाय म े मायामकमरमाया॥
े २५॥
बिहः षडािलख ृ ू
े वयोभतमातृ
का।
ृ नविभरवे ं ःु बमाािण षोडश॥ २६॥
का
--------------------------------------------
ु ं च प ं काऽत
तिहः षदलं तिहतदल ृ ्
े
िवािदना ं े याथ
े िवाराणा ं रसयोगन
ोकन
ु
िवारमपिदशित। ृ
तऽ स अनावािन ू
तािन ूथमकटारािण॥ २४॥
ृ े
वयािदना े े ोकयने
षोडशन
ृ
रिवकतिवारै ु
ः षोडशयायपिदशित। तऽ माया ं
े
खाम।् एतं भवित अिभमतमानने ॅमण
े
ृ े ु े का
वयमकालारालमबिहिवभागन ृ तिहः
षोण ं तिहथािवध ं का
ृ सवम े ु रिवकतष
े ूोष ृ े ु
ादशािधकशतशषे ु िवारषे ु आ ं
े
नामगभखोदर े समािल ितीयािदष ु षडरािण ष
कोणषे ु अमािद ूादियनािलाविवा
े ृ ु
ं कमानपािण
--------------------------------------------
े
तृतीयनािािः े त।ु
ौोऽजाना ं परण
ु
पमने भजारोगाः ू पादजाः॥ २८॥
ूयान
े
समनारािधा ृ े िनधनाौयाः।
धतन
ृ े े ानियगता
धतनामयण े गदाः॥ २९॥
े कमियगा
परण े
दशमनािनलोवाः।
एकादशने िपोा ादशने कफोवाः॥ ३०॥
ु
ऽयोदशने दोषाणा ं सिपातसमवाः।
ूयाि िवलय ं सो याणा ं शिवैभवात॥् ३१॥
ु े यण
चतदशन ू े
े भतूतिपशाचकाः।
े महाः िशव॥
ूयाि भीताः णतः सवऽिप े ३२॥
--------------------------------------------
ू
भतारायािल ृ े मातृका ं
बाववीािदूादियन
े ् एतत ूथम
सिवकामािलखत। ् ं यम।् एव ं षोणम ैः
ू ू
कोण ै एव ं सिभः पवपविलिखतोपिरतन ैः
ृ रािन पदश यािण भवीवे ं
रिवकतिवारै
ू े सह षोडश यािण भवि॥ २४॥ २६॥
पवन
े
ूथमािदिभरथा
इनै विभः ोकै ः षोडशाणा ं
्
याणा ं समरोगशािष ु िविनयोगात सवऽािभषकबमािदक
े ं
ु
चोपिदशित। तऽ औदरािधः गािदः। े
परमरीित े ु
दवीसिः॥
े परण
२७॥ ौोऽजाना ं रोगाणािमितशषः। ु यणितशषः।
े चतथन े े े
षने यणितशषः।
ऊन ्
े े े ूावत पादजा े
रोगा इित शषः॥ २८॥
े
अरािधा अरािधिरित कट कराधात ्
े े ता रोगा इित शषः।
करयाधाहूदशः े िनधनाौयाः
ू अरािधा इऽाायः।
मरणाौयभताः
े
ानियगताः ु ू
ौोऽिजायाणसताः। गदा रोगाः
े नवमने यणितशषः।
॥ २९॥ परण े े े कमियगाः
ू ू
वाािणपादपायपसताः। अिनलोवाः वातरोगसवाः
गदा इित शषः। े ु
े कपोवाः दोषसमवाः। ्
अिन ूकरण े
ु े ु िवशष
अनष े े ् ३०॥
े े ु रोगा इतिशम॥
--------------------------------------------
े े
यािण षोडशैतािन धारयािधशाय।
ु े ु गदिप॥
ं ूािणना ं सगनष
सवषा े ३४॥
े ं सदिणम।्
सवऽ यधरण ं सािभषक
सवदन े
ं ं सिवास ं फलवाथाऽथा॥ ३५॥
ु
किवहीना त ु सा िवा पकटािभधा
ू िशव।े
ु े न िभदा तयोः॥ ३६॥
वाििमकलं कत
ु
ू े िवशा
तिाकटभदाः शतसकम।्
ं फलािन च ण ु िूय॥
त ैवळयिनमाण े ३७॥
--------------------------------------------
ऽयोदशने यणितशषः। ु
े े े दोषाणा ं सिपातसमवा
ु ू
वातादीना ं ऽयाणा ं दोषाः सिपातामताः। वैभवात ्
३१॥ यणतदिन
अितशयािदथः॥ े े े ्
ूकरण ु
े यानौ
सवऽाित। ू
े महा भतााः। ु
िशव े इित दवीसिः॥
े े
३२॥ तरण
े महारोगा वातादयः। षोडशने धतन
पदशन। ृ े धतन
ृ े
े े अऽ ूकरण े
षोडशने यणथः।
े ु
यािदितसदायाथः॥
सवसाधारणाचनसकापनािदिविन ३३
॥ ािधशाय े सवािधशाय।
े एतं भवित एतािन सवािण
ु े
षोडश यािण अनषे ु रोगषे ु तािधशाय े धारणादीिन
ु
कयािदित। यािण ूक
एतने सवािण
े ं सवरोगहरािण
३४॥ अिँ े इित शषः।
भवीथः॥ े अथाऽथा
ूोाथाकरण े न फल(े व)। एतं भवित सवसाधारण ं
े
यधारण ं यणािभषक ृ े ु
े ं काऽिभषयावोष ं िवािन
ु ्
े े िव यधारण ं कयात
च दा त ं समिभव ैतलवित
ृ े फलवे अथा न फलव॥
। एव ं कत े ३५॥
ु े
किवहीनािदना ू
े पकटिवािवधान
ोकन
ता ैतिािवधान ं ता ैतिाकं चोपिदशित। तऽ
ु
किवहीना ू
(ड) उकारिवहीना। न िभदा तयोः षटपकटिवयोः
॥ ३६॥
े
तिािदना े िनािनािवाराणा ं
ोकन
े
सभभदसातप
--------------------------------------------
p. 282) ू
ूायदिणोद सऽायादश े ्
िपत।
त ै ु कोािन जाय े नवाशीितशतयम॥् ३८॥
ं े
ूावोणकोािन षटिऽशाजयमात।्
ू
म े वळ ं यथा भयाथा कयात ्
ु समतः॥ ३९॥
ं
सपचािरशं शत ं कोै ु वळकम।्
ॐािण चायमािण ु
चतःकोै ू ् ४०॥
ु पववत॥
ं े ्
िवाय त माधःकोमार सिलखत।
ू (अँ ाना)ाखडजान॥् ४१॥
े े कट
ूादियूवशन
े
मऽविशनवके वामदऽयय।े
ु े ् ४२॥
ूितलोमानलोमािवायमथािलखत॥
--------------------------------------------
ं ू वळपयिनमाणािदक
सापव ं ूौित। तऽ
े षटिवायाः
तिाभदाः
ं े अराणा ं
पिऽशटलवमाणबमण
बमपौवापया ्
( याता)त पभदाः।
े े ं
तषा
े
सतिवाखडऽयपौवापयात ्
तकारजिनत
ं ु े ु सतिवाखडज
सिवशितशतऽयािधकचतःसहॐष े े
रव
ैभदै
षिनमाणमऽोम।् त ैः कटभदै े ु
ू े ः। िूय े इित दवीसिः॥
३७॥
ूािगािदिभः िशव े इरै िभः ोकै ः
ु ू े ः कोवळाकारािण
ूतिवाकटारभदै
ु
षायपिदशित ं
तऽ षिशत ् े
ूितकोणिमितशषः॥ ३८॥ ३९॥
ॐािण चायमािण
वळय चायमािण िऽकोणािन
ु ु ु पववत
चतःकोै
कयािदथः। ्
ू ूितिदश ु ु
ं चतिभतिभः
४०॥ त य। माधःकों
कोैिरथः॥
अधॐोपिरपिकोपकमकोम।्
् े तान ्
आखडजान षिितशषः।
ू ं
कटािशिधकशतसाकान।् षणा ं तषा
े ं बमण
े
् ् ४१॥ मऽविशटनवक
िवारषोपबमात खडम॥ े े
वामदऽयय े मषे ु नवस ु कोषे ु
े ु िऽपिकष
ऊाधःबमितष े ु कोिथः।
े
--------------------------------------------
p. 283) ु
चतिकोणम े ृ
ं िरखािभनवीकतम।्
े े ु वळयिमतीिरतम॥् ४४॥
मवििलखष
े ्
एवम ैः पिभ खडैः प ूकयत।
े ४५॥
इित षळयािण ूोािन बमशः िशव॥
ृ े पिशलाया
लोहऽयकत े ं वा चतषु ु वा।
--------------------------------------------
ु
ूितलोमानलोमािवाय ं िनािनािवायाीिण खडािन
ु
कयािदथः॥ ु
४२॥ ूितलोमानलोमबमण े ४३॥
े िलखिदथः॥
े
िरखािभ (न) वीकत
ृ ं ूितकोण ं समारालं
मतिरखा ु ु े ििबमण
े (ऽता)माऽानगयन े सडभीरखािभ
े
नविऽकोणािन ु े े ु तषे ु
मवििलखष
कयािदथः।
े
ॐोदरिऽकोणनवकिप
वामदिणपािऽकोणऽय े
ूाविा ं मिऽकोणऽय े साधकािदनामारािण च
े ४४॥ पिभ खडैः िनािवायाः
िलखिदथः॥
ु
ूागप ैः ूक ं ू
े ं िवशिधकशतकटारािभिरितशषः।
े
ू
एतं भवित ूादिणोदगमािण अादशसऽािण
ृ त ैः सातषे ु नवाशीिधकिशतसषे ु
समारालािन का
कोषे ु चतषु ु कोणषे ु ूितकोण ं (षिशत) ् षिशोािन
ं
ृ ूाव े वळाकारानयन
का े ् पादविशषे ु
ु े माजयत।
वळपषे ु पचािरशदिधकशतसष
ं े ु कोषे ु चतसृष ु
चतसृष ु िद ु ूितिदश ं चािर चािर कोािन माजिया
तऽ
ु े ूितिदशमकैे कबमण
ूागबमण े चािर िऽकोणािन समिऽरखािण
े
े
िवधाय तऽ िऽकोणरखाऽय ृ तषे ु म े म े
ं िवभागीक
ू ु ु े
िचय ं (िचय।) िवधाय िचि॑ं सऽयानगयन
े षसखाः
य ं यिमितबमण े े ् एव ं कत
समािलखत। ृ े
े िऽकोणऽय ं तायोयो
ऊाधःबमण (पं)
े कमक
िकोणय ं (िऽकोणयं) तायोरकै े ं िऽकोण इवे ं
नवकोणािन सवि।
तऽाधःिऽकोणोपिरपिकोपकमकोमारभ ्
य बावीिथकोषे ु यावपबाकों तािन
ू
कटारािण ू े ु
ूथमखडकटारािलामबममः
ूिवँय ितीयपौ च ूावदािल
ं ू
एवमयाविशिधकशतसावसानिवाूथमकटा
रािण िविल मतोऽविशषे ु नवस ु कोषे ु मगतषे ु िऽष ु
े ू
कोषाधरा
े साधककसाारािण
ं बमण
े ं वामभागपि गतकोऽय े
िविल तषा
अधरकोाकोादिणभागपिकोऽय े
ऊकोाधःकोा ं
--------------------------------------------
p. 284) े ् ४६॥
पे वा फलकाया ं वा षं ष ूकयत॥
ु
ू ं कयािश
फलकापयोः पजा एव त।ु
इतरािण त ु सा
ं े ैव ता ं िशवाम॥् ४७॥
यजऽ
ु ्
े े त ु िवदाडप ं शभम।
तापनूदश
नवहायामतत ं पताकातोरणाितम॥् ४८॥
ु
फलपिवताना े ्
ैपते ं पिरकयत।
े
उधायामिवारहा े च मतः॥ ४९॥
ं वद
्
एकं चते षमथ े ु े
चयाािदकं तथा।
ु ु यथाबमम॥् ५०॥
ईशूाविरा ं त ु वायिद
े ू
ूथम ं रास े ाषबमण
े वै।
िनव ु
े गपा ृ
ैनगीतािदिभथा॥ ५१॥
े ु िऽिदन ं ूोशििभः।
समारा ैवमव
ू े वा िरोदय॥
ा जिपा जीवो े भान े ५२॥
--------------------------------------------
ु ु
च िवािऽखडं समािल बिहतिद
े
िलिखतिऽकोणोदरिऽकोणनवकिप िवानामारािण मवत ्
े ् एतत ूथम
समािलखत। ् ं वळयम।् एवमािप
ु ् एव ं
पवळयािण िवायाः पिभः खडैः कयात।
ू े सा षळयािण सवीित॥ ४५॥
पवन
े
लोहऽयािदिभरिप वा इ े ं
ै योदशिभः ोकै षा
वळयाणा ं सामापादनाथ ं तऽ
मडपविदकािनमाण
े
तषा े ू
े ं ापन ं तऽ दवतामितसकूिता ं
तदाराधनूकारं तलािन फलकापटयोािण िविल
तदाराधन फलं चोपिदशित। तऽ िशलाया ं षिद। षं स
एकािदष ु षिधकरणषे ु एकाािदकािन षटस ु ूक
े ं वा
वा सवऽ वा षािण वळपािण
यथाबममकैे कं सवािण
े ४६॥ पजा
कयिदथः॥ ू ं यित
े शषः।
े इतरािण
ं े ु वळष।
लोहऽयिशलािलिखतािन च षािण। तऽैव सािपतष े ु ता ं
िनािनाम॥् ४७॥ तापनूदश
े े वळयषापनूदश।
े े
ततं
--------------------------------------------
p. 285) ू ु े सा
वाम(भा)ग े भदय ं े
परमिर।
े
दाा तिलािभ ु ढमाब तऽ वै॥ ५३॥
ृ ं तािभडािकािदिभरिक।
े षिवता
दव े
ू ु
मितसकमा े ् ५४॥
ूिता समचयत॥
ु
िनशरोिवाभजन े ्
ं चािप कारयत।
ु
यऽ तऽ गदालीिरपमहिपशाचका ,ह ्॥ ५५॥
ु ृ
िभिकमपीडाकाः े
परिरताः।
ु
न कदािचवि िवायानभावतः॥ ५६॥
ृ ू े
फलकापटयोः पजातोिनजमिर।
वाित ं समवाोित मडलाासतोऽिप वा॥ ५८॥
--------------------------------------------
े शषः॥
िवारः॥ ४८॥ मतः मडपित े े
४९॥ एकं यिमितशषः
े
। षं याणािमित शषः॥ े डािकादीना ं
५०॥ उबमण
ु ु
ूागरोवायशबवीशवणिद ु ापनािदथः॥
५१॥
ू
ूोशििभः डािकादीना ं पिरवारभतािभवमाणािभः।
ृ े
जीवो ै बहतभयो े िनो े वा। भानिप ्
ू े तत िरोदय े
िरराँयदय॥ ू ु े ासपटलवमाणपृिथदय।
ु े ५२॥ भदय ु े
्
तत यिमित शषः। े ु ५३॥ आिदशोरािकािदिवषयः।
े तऽ विदकास॥
ू
मितसक े े शषः॥
ं (डा)रािकादीना ं षणा ं दाित े ५४॥
ु तासा ं सिधौ। िवाभजन ं मलिवाभजन
तरः ू ं
े
कारयिदथः॥ ु
५५॥ िकमपीडाः े
िवषणािदूयोगजाः
े
शाः। ु
िवायानभावतः ् ५६॥ ५७॥
उभयोः सामात॥
ॄ ू
पजातः ू
यषटकपजनात।् मडलात ूावत।
् ् एतं
े ू ं (यं) च लोहऽये
भवित ूोािन षळपािण दवीिनपचब
ु
े समीय
िशलाया ं वा उबमण तषा
े ं ापनाथ
ूोायामिवारं पताकालत
ं मडप ं पिरक
्
े ं चते ततः
ापनीय ं यमक
े े ं विदका
ूोोधायामिवारामका े ं का
ृ ापनीयािन यािण
षत ्
े षविदकाः
े
--------------------------------------------
p. 286) े
आसा ं दहिित ं व े ण ु सवाथदाियनीम।
्
ु ु ु े ु ताः॥ ५९॥
ं े ु षडाधाराजष
सषामसष
ू
े िसि ानपिजताः।
िति ूािणना ं दः
ू ु
बिह मडले पजानमहािनमहािका ् ६०॥
( म) ॥
ु
िवशा े कठदश
े े षोडशरपऽक।
े
ू ु े दव
धॆवणाज ् ६१॥
े डािकन तमाकितम॥
ृ
ू े ्
ृ ं तऽ पजयत।
शििभः रपािभरावता
े न सशयः॥
तया सवतािसिभवव ं ६२॥
--------------------------------------------
े ु
ूोिद ु पिर त े च ैका ं विदकामा े
तऽ ूोबमण
े म े विदकाया
षािण िनवँय े े ू
ं दवीिनपजाचब े
ं िनवँय
ु ू ैषे ु यषे ु
गपधपा
च िदनऽय ं
डािकािदिभवमाणािभिरवारशििभदव
समारा ूितिदन ं सहॐावारं जिपा तशाश
ं ं ा
ृ ु े ििवध े तरण
बह े े तथािवधभान ु े
े ू े वा िरराँयदय
ु िथवीानासोदय े वा तािन यािण तास ु
वा वामनासापटपृ
े
विदकास ु ूोबमण
े सा
ं
िशलािभढमाब तास ु
े
विदकास ु ूितविदक
े ं डािकादीना ं षणा ं दा
े
ू ु
मितसकमा ूिता सम तासा ं सिधौ
ू
मलिवाभजन े ् एव ं यऽ िबयत े तऽ
ं चािप कारयत।
े
ूोामलािन न सवि। ूोािन मलािन भवव।
वा एकमक
एतािन सवािण े ं वा फलकाया ं पटे वा का
ृ िनजमिरे
ू
िचान े ापिया पजनात ्
ूोकालात ्
सम ं वाित ं
ूाोित॥ ५८॥
आसािमािदिभरादिम
ै योदशिभः ोकै ः
ु
षडाधारानािन तामािन तताजािन
ु
तदजारािण ु
तदजगतािन दैवतािन तण
ु
तदनमहाथ ू
पजाबम ू
ं तिमहाथ पजाबमािदकं
चोपिदशित। तऽ आसा ं डािकादीनाम।् दहिित
े
ं सवूािणना ं
े े ु िितम।् ताः दः
दहष े इऽायः ,दािकादय इित शषः॥
े ५९॥
ू
ानपिजताः े पं परमाथ
आसा ं दहािधातृ
ु ु
गमखााा ू
पिजता बिह मडले वमाणप।े
इथः।
ू ं व े इऽायः॥ ६०॥ तमाकित
पजा ू े समाकितम।
ृ ं मलदवता ृ ्
ु तदाधाराजसमानः।
आसा ं वण ु िवमह ु
ू े
मलदवतासमानः॥ ६१॥
--------------------------------------------
ू े
शििभः पजयि ु े
ं कीायःौीधनाय।
ू ं े च नािभ े दशपऽक॥
मिणपरकस े ६४॥
े
इनीलिनभडािद े
दशवणाशिक।
ू े िरिव जयौीसमृय॥
लािकन पजयै े ६५॥
ू े समापारणायिसय।
जमल े े
े ् ६६॥
ृ ं डािकन यजत॥
वािदषणशीिभरावता
ािधानाय े प े बालाकििष षडदल।े
ु े सवणाभ
आधारा े चतऽ ु े सरोह॥
े ६७॥
े ्
ृ ं शािकन यजत।
वािदशााणशीिभरावता
ु
पायजारा े समिताम॥् ६८॥
ॐम े तजः
िऽकालोनरः सव(तो)िचालोकनकािरणीम।्
ं
िवसृििितसशिदामयतः॥ ७०॥
उबमिवपयासािमहोबिहथा।
ू ं सवःखाितनाशन
पजन ं सदादम॥् ७१॥
--------------------------------------------
ू
तया पजया॥ ू े महनमल॥
६२॥ ६३॥ ६४॥ ६५॥ ६६॥ जमल े ू े ६७॥
ु
पायजारा ु े े े ॐम े तजः
गदरमहनारालूदश। े
ु े ् ६८॥ तथा समय॥
समिता ं कडिलनीतजोपाम॥ ु े ६९॥
--------------------------------------------
े ्
अिभतडॐषे ु तं तमाजत।
े
बािप े ् ७३॥
च ताः ूावोवणाः समचयत॥
ु (ू वा) कािदमाकाः।
ूावरषे ु प रप
परषे ु यवलाणरिहता
े ् ७५॥
ैथाऽचयत॥
--------------------------------------------
े
षदवता
ू े ु
मलदवतासमानिवमहादाधाराजूोवणसमान -
पवणाः समानाकारवणािभररशििभः
े ु ूोदलसािभरावताः
ूकमाधाराज ृ
े ु
ूोबमणानमहाा ु ् तऽ
ू ं कयात।
ं सृिबमपजा
बीजयादीिन नामािन सायािन ू
तजािवाः
ू
तामिवा पजा ू
े मलिवया ू े ्
च पजयत।
तदावरणशीनामरािकादीनां
ू
िनािनपजोादशारिवया
ू ु ू
आसामवसानभतहािकापबमभतडािकाः
ू
पजािनमहाा ं
सहारबमपजा ु
ू एवमबिहानमहपजा
ू ं
ु
च कयािदित॥ ७१॥
ू े
भमािवािभरचयिद ःै चतिभः ु ं
ु ोकै बाानमह
ू
चबं तऽ पजनीयशिान ू
ं तजाबम ं चोपिदशित। तऽ
् -ऋितवायशबवीशवणमिदमात।
ूोिदमात िनर ् ु ् म े
् े सवम
च तऽ तिन चब (कोण)षे म।
े
े ७२॥ तडॐषे ु
गािदिभिरािदशने षोडशोपचारा उ॥
म े षोणष। ्
े ु तं तमात डािकािदशिषं िनर-्
ऋािद ूोबमिद।ु बािप
े ु े
े समय।
च अिपचित
् -ऋािदबमण
े ताः डािकााः ूावत िनर
बिहषोणष। ् े
ाधारूोवणा॥
ूोवणाः। ्
७३॥ तथा िनर-ऋितािदबमण।
े
े
समादाः े
तदा
े
तदवतासमानपवणपायधा ७४॥ ूावत ्
ु इथः॥
p. 289)
ु
तथा ूागादशारप ैः। तऽाकारािदककारााः
ू े ् एवमिप
षीः ूथम े चबे पजयत। े यथाबम ं (षट)्
ू े ् एतं भवित अोानगणरखािभः
षीः पजयत। ु ु े
सािन स षोणािन
ु
मरोवायशबवीशवणिदगतािन
् ामकािण िवधाय तषे ु
वणवाीशशबवििनर-ऋितृ
ु
मषोणम े ूागाणिवमहा ं िनािनामावा
् )कोणषटके (त)ु डािकािदहािकाः
षोडशोपचारैर तत(िऽ
ु
षीिनािनासमानायधिवमहादा -
ाा षोडशिभपचारैः
धारवणपपणा
बमःद ता एव डािकािदवििनर-्
ऋािदगतषोणषमषे ु ूोबमणावा
े
ु आधारवाा सम तासामिभतः
पिमािभमखा
े
षोणिप ु िनर-्
ं ं तदिभमखाः
तदावरणशीः षिशत
े तादशारिवािभः षिः
ऋािदूोबमण
षमण े े े ्
े वमाणतिविवशषोपचारसिहतमचयत।
ु ू सवसदवािकरीित।
एविमयमनमहपजा अ चबाय ं
िवरचनाबमॐयोदशिभः ोकै ः साै ः ाायत।े
ु
चतिवशालायामॅमात
ु ् ृ ं िवधाय त।ु
व
तऽ म े ॄसऽू ं का
ृ तामानतः॥ १॥
ु ं व
तायोियग ृ े का
ृ तथाऽतः।
ु ं िचाीं योरिप॥ २॥
िवधाय िचयगल
ू
ृ सऽय
का ् पिमामयगायोः।
ं ितयक ु
ू ू
ॄसऽपवामाविध ू
सऽय े ् ३॥
ं भवत॥
ूाक ् सऽामयायाऽय
ू ु ू ं ततः।
ू
पिमॄसऽािम े ् ४॥
ं षोणकं भवत॥
ु
ततिकोणािदवायकोणाग ं ततः।
े
(तथशािन )तिगािद ू
च रो ं ॄसऽय े ् ५॥
ं भवत॥
ू
े ं ॄसऽािण
ूक ृ त ु िचकम।्
िऽधा का
ृ
कािभतोऽथ ृ
वािन ् ६॥
तदाशतोॅमात॥
ू े ु चतिवशितभागकम।
े े ं ॄसऽष
तक ु ्
का ं े ु षऽािण
ृ तशमाशष े ् ७॥
िनपातयत॥
ृ
िदोणवपय ु ृ े ु षिप।
ं वायवष
ृ
वृ
ऽयमार े ् ८॥
ू ु ं म े म े िनपातयत॥
ू
सऽािण षतषे ु व
ृ ं कोणषे ु मतः।
ू
ृ िऽॄसऽािण
का े ु ् ९॥
माजयबममम॥
--------------------------------------------
े ु षािधायािरमहीहः।
ष चबष
् ृ ् ७७॥
ू कारसमितान॥
ाथतोयािभसणान
े यजा
अराऽ े ु तोिनबिलदानतः।
े ं योिनरन
िनव े स ं चणा िरपोः।
ु े ैव फिणशीषॐचा
होम ं च कयान ु षा॥ ७९॥
ेे
ायवी ु
किपता ैः।
दौा बािभिनज
े
ूहरीः िपशाचोिविकरी ु ् ८०॥
तनम॥
--------------------------------------------
रोमातशबाििशववािरगतािन च।
ू ु े े (भािस
धॆिसरनीलोानहम ं )भािन च॥ १०॥
े ्
े ं डािकादीः समचयत।
मकों िवधाय
उदयमिबाभ े िनािना ं च मम॥
े ११॥
एतबिविनमाणमजाननािकोनरः।
ु
िनमहानमहिवधौ यतमानो िवनँयित॥ १२॥
रोगात यु े च शऽणा
ू ं च िनपातन।े
े ् १३॥
तथा मनीिषतूाौ िसिराचनावत॥
े
---------------------------- अतः परं ायािन॥ ७५॥
एषािमािदिभमरणाय े ु
े े चबष
वै इःै षिः ोकै रव
ू ु
िनमहापजाचबमपिदशित। तऽ चबाणा ं साना ं
े शीना ं तऽतऽोषीनाम।्
षोणपाणािमित शषः।
ु
िवलोमतः चबशोरनमहो ू
पजाबमिवलोमतः॥ ७६॥ अिरमहीहः
ाथतोयािभसणान ् ु
ू शऽनऽ ृ
व
ू ् ७७॥ तोिनबिलदानतः
कषायिथतजलपणान॥
ु
शऽनऽयोनीिँछा
--------------------------------------------
ूादिणोदक ् च दशसऽिनपातनात।
ू ्
ु े ु कोणचतय॥
एकाशीितपदािन ष ु े ८३॥
ूक े
े ं दश कोािन माजयिवळकै ः।
ु ु िऽकोणािन चतःकोै
चतिद ु े ् ८४॥
ः ूकयत॥
--------------------------------------------
ु
बिलदानतः। त े काः। े
कलवराः े ु
शरीरािण॥ ७८॥ योिनरष
ु ु
े तने ैव चणा। फिणशीषॐचा
शऽनऽयोिनिधरण।
ु
भजम ु े तने फणनथः॥
फण ं िछा ॐगतन े े ७९॥
ु े ् ८०॥ गु ः कािलका। एतं भवित ूोष
तन ं ु शऽदहम॥ े ु
े ु तीः सावरणा(हे)भीमपा
सस ु षोणचबष
ु ाा तबानिता
िोरावा तदिभमखा
ु पजाबम
एवानमह ू ृ
(ूित)िवलोमबमतः सचबावितशीना ं
ू े ् तव
े होमसिहत ं पजयत।
वमाणबिलं िनव े े सस ु
े ु मचबवज षणा ं मषे ु षािधाय
षोणचबष
तषे ु कष
ु े ु शऽनऽवकषायिथतजलािभपय
ु ृ ू
ं गािदधाीशाः
ूोभीमपाः सवषा
ु
ूावदिभमखािीः ू ृ
शऽोगािदधातनाक
ु े ु सय
तष ु ै शकलीक
ू तहे ं ायधः ृ
े
िपशाचोिविकरी
ैभमाण ं तहे ं भावयन ्
् े
तिदियमनःूाणान चतसा
ूाणूिताूोूिकयया
े
मदवताया ु ू
ं िनयोजयनमहपजोबमूितलोमतः ू
पजयन ्
ु
शऽनऽयोिन ् े सािदतचणा िनव
बिलं िछन तन े ंच
ु े होम ं फिणफणाॐचा
कवन ु े ं पजयन
ु कवव ू ् ं
ूो
फलमवाोित इित। आसा ं वणा ं डािकादीना ं गादीना ं च
िनािनािवासाधारािदष ु तिमहानमहपजष
ु ू े ु
रहाथ ु ु े
गमखादवावगः॥ ८१॥
चबिमािदिभमदनिम रै ः षि
ोकै िनमहकोवळचब ं तयोगिवशषे ं तलं
िनमाण
ु
ः ूितिदशमकैे कं कों माजिया
चोपिदशित। तऽ चतःकोै
ु ८२॥ ८३॥ ८४॥ माधः
तऽ िऽकोणािन कयािदथः॥
--------------------------------------------
p. 292) े ्
तषे ु मको े च सा ं कम समािलखत।
िशषे ु माधःकोमार ूितलोमजान॥् ८५॥
ू ं ु षिशदािलखदूदिणम।
िवाकटा ं े ्
े ् ८६॥
सायोसृजा िपतोदलिपतान॥
ृ
े
ापयोसमय ु े ृ ु
े िरपऽगहािदष।
ु
ँमशान े चिडकागहे े कलोादकर े ् ८७॥
ं भवत॥
ु ्
इित िनमहमाात ं समिरपमदनम।
ु ं ण ु ूा े पजाचबिवधानतः॥
अनमह ू ८८॥
े
दवीाः ूोपा ु ाा चबष ू े ्
े ु पजयत।
े
नवमासा ं सों यदासा ं ूीितदायकम॥् ८९॥
--------------------------------------------
कोमार सवमकोाधः ित ं
े ु
कोमाराूादियनामबम
ं िनगमनगा
े ूितलोमजान ्
िलखिदथः।
ं े े ु ूितलोमतः
प(िऽं)िवशपटलवमाणबमभदष
बमपान॥् ८५॥ सायोसृजा शऽनऽयोिनरन।
ु े िपः
तोदः
ृ ु ृ
शऽनऽवोदः पः॥ ८६॥ ूोसमये
े
अरातवनािशकनऽ ु े आिदशो दशािदिवषयः।
े अमराँयदय। े
े अिरमन ं
े ८७॥ इित उूकारण।
तऽ तऽािप अमरािशान॥
ु
शऽनाशकरिमित यावत।् एतं भवित ूावदकाशीितकोािन
े
ृ तषे ु कोषे ु ूितकोण ं दशदशकोािन मवळाकारण
का े
माजिया ु ु ूितिदशमकमक
चतिद
े े ं कों माजिया तऽ तऽ
िऽकोणािन िवधाय तषे ु िऽकोणषे ु म े च सामािल
े ु ्
सवमकोाधःपिमकोमारूादियनाम
अबम ं िनगमनगा ं े पटले
पिऽश
ू
वमाणबमिभिवाकटान ्
ूितलोमजान ्
े
षतिवाजिनतषकारसान ् ् बमण
एवऽम ् े
ं ू
षिशटानािल
ृ े
सानऽयोसृघृतऽवपनािल
ूोसमयषे ु ूोानषे ु ापिया ूों फलमायािदित॥
ु ८७
॥
ु ु
अनमहिमािदिभलघिवमह ैः षिः
इ ै रा
ु ु ू ं तवताना
ोकै ः ूागानमहचबपजन े ं
े े ं
िनविवशषाासामनास ु
ु समचनमनमहकोवळय
ं
--------------------------------------------
p. 293) ु ं च मिभाक
पायसा ं गडा ु ं तथा।
ु ं षटकमवे च॥ ९०॥
हिरिा ं ितला ं च शा
ू
भषणारगा े ्
सृोजना ै ु तोषयत।
तास ु तास ु ःु शयाः समादा॥ ९२॥
ु ु ताः
ु
ूागवळ ु
े साा ं तथािलानलोमजान।्
ू ु
कटानसमारान ् े ् ९३॥
े सिखत॥
ूादियन
े ु ूोपण
ूोष ् ू ु
े ापयते ूोभिमष।
ु
ूोावे फलािन यगोऽय ु
ं लघिवमहः॥ ९४॥
--------------------------------------------
ू
तऽ पजाबम ू
ं तलािन चोपिदशित। तऽ पजाचबिवधानतः
ू
पजािवधानतः ू
चबिवधानत। तऽ पजािवधान ं
ु
डािकादीना ं यवतीना ं च। चबिवधान ं त ु वळयािद॥ ८८॥ ताः
े
डािकादीः। ूोपा इननाधार (च)बमो वणाः
ू े ु े ु े रमवे
े सपऽदा
मलदवीसमानबामखाितचोत।
े इित शषः॥
षं माया दा े ८९॥ ९०॥ तणः
े ू े ूावद
आधारूोदवतामलदवतासशवणाः
मािदूागम।् ताः शीः॥ ९१॥ भोजन ं तवताूोम।
े ्
ु ु ताः
आिदशने याविदिणाप ं िव ं चोत।े तास ु यवितष।
ु े ु सस ु चबष
डािकादीः। एतं भवित ूागष े ु ूोबमण
े
ू तिव
ूोाः शीः समावा स े ं तवताय
े ै
े तिवष
िनव े ु े
ं समिदतमदवताय े े ् तव
ै िनवदयत। े े
े ु तवतासमानवणाः
सस ु चबष े ु
सयवती ं
सा तास ु
ताः शीः ूोबमण े ु
े समावाा तिवपरःसरं
ू
भषािदिभासा ु
ं यवतीना ु
ं तोषणायः पिरताः
ु
समवाित ं दिरित॥ ु
९२॥ ूागवळ े िनमहूोे एकशीितको े
ु
ृ े वळय।े अनलोमजान
ूोत ्
ं ु
पिऽशटलोबमिभिवानलोमपान ्
ं ू
षिशिाकटान।् उसमारान ्
् ९३॥ ूोष
सवमकोाधःपिमकोसमारान॥ े ु
े ु
णािदिधकरणष
--------------------------------------------
p. 294) ू ं ु ैः।
आिदाारैः ूावििपणीशिसयत
ःै पदशारैः॥ ९५॥
बीजया ैः साय
ू
पाशयः पाः े
पाशऽपालकै ः।
्
िदनषे ु घिटकायोगात पाशिथनािप॥
ु ९६॥
े े ं ु
े ं बीजय ं वणापऽशसयताः।
तषा
ं ु माः पदशाराः॥ ९७॥
साया च सया
ु
चतःषिपद ु े िदनिवया।
े म े चत
मनीिषत ं समािल (र) तषे ु तिथनािन
ु े ९८॥
व॥
े ्
घिटकाबमयोगने ायाममचयत।
् ् ९९॥
एव ं मडलमासाात ूाोवािभवाितम॥
े
--------------------------------------------
े ूोभिमष
चथः। ृ ु ूोावे फलािन ःु
ू ु गहमडपािदष।
ु
आयःकीितिवजयािदलाभपािण। ु
योगः ूयोगः। लघिवमहः अनया
ु
सपः। एतं भवित ूागप े वळय े
े ु
मकोाधःपिममार ूादियनामबम ं
िनगमनगा
ं ु
पिऽशटलवमाणबमिभिवानलोमपान ्
षत ं ं ु
े िवाजिनतषकारसयानवे ं षिशान
ं ्
ू
कटानािल ु गतिऽकोणषे ु च
ूाव े चतिद
े ु कालष
े ूोष
सााामािल ूोबमण े ु ूोष
े ु
े ू
अिधकरणसीय ूोभिमष े ु ानषे ु ापनात ्
ू ु ूोष
् े ूयोगिपयसा
ूोफलावािः ात एवमष े इित॥ ९४॥
े
आिदाािदिभः सवत इःै षिः ोकै ः
् ु ं तडले
कालघिटकापपाशत िमथनाना
ु
समचनादभीफलावािमपिदशित। तऽ एतं भवित
समारालं ूाक ् दिणोद नव सऽायाा
ू तऽ
ु
चतःषिपद
े चबे मत ऊाधोििबमण
े
ु े ृ तऽैव पिवशपटल
चतःकोाकीक ं वमाणूिबयया
तिदनिनािवारािण ऽीिण मनीिषतूाथनममािल
तदनरे बााधःपिमयदिणकोमार
ं ं
े ु
ूादियबमणामबम
ं िनगमनगा
चबवामपाधःकोाविध तषे ु
ं
पिऽशटलवमाणोदयादादीिन
--------------------------------------------
p. 295) ् े समचनात।
िनशाः समावा तिन चब ्
समवाितूािः सदा भवित सवदा॥ १००॥
--------------------------------------------
ं
मातृकाूोपाशदरायपगतकारमपगत-िवसजनीय
े े
वा सकारोपतखागभितमािल े ु कोंष ु
शोस
ु ु
पनरदयादीिन दशारािण समािल तषे ु िलिखतबमण
े
उदयािदष ु षिघिटकास ु तिथनािन
ु षोडशिभपचारैर
ु
तलमवायात।् ता ु बीजयानरं
े
(पऽारं) अिपणीशिपाका
ं ू
पजयामीादयः
ु
तििवाः पाशत। पनरिप बीजयानरं
े े
अपऽशपाका ू े
ं पजयामीादयऽपालमाय
् ं ूक
पाशत एव े ं पाशदरैः
)म
पाशदशारािभिवा ु
ै ता िनिमथनािन
ू े
पजयिदित। ु
अ चब ूागारात ् े
अूादियबमण
े
लखनाचनात ्
िनमहोभवतीित ९५॥ ९६॥ ९७॥ ९८॥ ९९॥ १००
सदायाथः॥
॥ १०१॥
मसा
ं
षिशित यािण ाामाः शतयात।्
पाशीितः सापादाः ृ
षोडश े पटले ताः॥ ०॥
अथ सदशपटलम।्
ू
ासबमिवधान ं च ान ं शीः ूपजनम।्
ु ू सिानामशषतः।
ूयोगानानपण े
े
दशिभः िसििभमभविाधरोऽपरः॥ ४॥
ू
मलिवारै ्
े षिडितबमात।
रााचरत ्
ु
िचतयषडवणः े षिडतीिरत ैः॥ ५॥
बमण
--------------------------------------------
सदशपटलम।्
ू
पविन ्
षोडश े पटले एकादँया िनािनािवाया
ु
िवधानमपिदँयानरं ादँया नीलपताकािनािवाया
ु
िवधानमपिदशित। े
तऽ अथ षोडशािदिभः पर इ ु
ै तिभः
ु
ोकै ः पटलाथानिशित। तऽ िवा तृतीय े पटले ूोािदह न
किथता। िवधान ं वदामीयः॥ १॥
ासबमिमािदिवधानपािण। शीः आवरणशीः साधनं
िवाया ं इित शषः। ु
े िसिव पषित
े शषः।
े िवजयादीना ं
ु े वमाणािदह पािण
िसीना ं दशानामपिरामव
यािण॥ ३॥ सिानां
े २॥ यािण तासा ं साधनाथािन
नो॥
िसादीनाम॥् ४॥
ू े
मलिवािदिभयथािवधी िै िभः ोकै ः
ु
ासूकारमपिदशित। ु
तऽ िचतयषणः े
बमण
ू
मलिवायाः ूथमितीयाामराा ं दय,ं
ु िशरः, तपिरतन ैः षिःिशखा
तदनरैतिभः
े ैकन
तदनरण े कवच,ं तपिर
--------------------------------------------
े
मारािण बमशोसदशािप वा।
ापकं च समने िवदा यथािविध॥ ७॥
इनीलिनभा ं भािणमौिलिवरािजताम।्
ं ु ् ८॥
पवा ं िऽनयनामणाशकधािरणीम॥
ु
दशहा ं लसाूायाभरणमिडताम।्
े ं चािताननाम॥् ९॥
रबकसिदहा
शाचाप
पाश ं पताका ं चमािण ं वरं करैः।
ैः सवाभरणभिषत
दधाना ं वामपा ू ैः॥ १०॥
--------------------------------------------
ने ैकन
े नऽे ं तदनरण
े ैकना
े
ं अविशयोमाणयोः
् ु
ू े दयम े िविनयोगात पना
पवमव नोपादानम।् बमण
े
े ं े
षिडतीिरत ैः इवभदबमण षडािन
े इित ईिरत ैः जाैवण
े ु च सिदथः।
करयोरष े षिडितिपादान
े
सपिवकासाथा ु
पनिदोषः॥ ५॥
े
ौोऽािदना यथािवधीने ोकयने
ु
मारासबम ं सापकं ासबममपिदशित। तऽ
वाठदयनााधारषे ु पकैे कं , अषे ु ष
ौोऽािनािसकापादयसिऽयषे ु य ं य,ं तऽ
् ं
एकपादासऽयानरमपादासऽयम एव
ू
मलिवारािण े
सदशोीाननबम ं सिदथः।
ू
ापकं च समने िवदा यथािविध समने मलमण
े
ु
ूावापकास ं च कयािदित यावत॥् ६॥ ७॥
इनीलिनभािमािदिभः बम े इःै पिभः ोकै दाः
ु
सपिरवाराया िनसपयाानमपिदशित। ु ु
तऽ मौिल मकटः।
पवा ं तदवानूकार ु ऊ चतिद
ु ु चथः।
े
ु ं साधकािभमखिमित
ं मख
ऊ ु सदायः। िऽनयना ं
८॥ दशहा ं सयितशषः॥
ूितविमथः॥ ू े े ९॥
े ं
शाचापिमक
--------------------------------------------
p. 298) े ु ू ैः।
ाकारवणवषापायायधिवभषण
ृ ं ायव
ृ वता
शिवै
े े िनाचनबम॥
े १२॥
ू े ्
इाानिबयाशीिष ु कोणषे ु पजयत।
् १५॥
अमादिणने ैव यजदाविपकम॥
े ृ
--------------------------------------------
े ु े ् १०॥
ू कयत॥
मयााप। तषामभयतःबममािद
पिवरे वमाणप॥ ु ् १२॥
े ११॥ आ ं मखम॥
िऽषिडािदना िशवािमने ोकयने
िनसपयामडलिवधान ू
ं तऽपजाूाव ं च करोित। तऽ
ु ् ततो बिहः
िऽषोणयतु ं िऽकोणने षोणने च यतम।
ू ु
अदलपािहः। भपरात ् ू
िदिविदतकोणात।् वत
ृ े इित
ु ं भपरयिमथः।
िवचन।ं तरयमक ू ु कित
ृ े
ू
पवऽायः॥ १३॥ तऽ मडल।े एतं भवित अभीमानने
ु े का
समचतरॐयमबिहिवभागन
वमाणमागण ृ
ु े
चािर तोणाःचतरॐरखाम ु
ैबाचतरॐशन
ु
चतोणािन ृ चतसृष ु िद ु मतोमतः शाखायोपतािन
का े
ु ृ ं तदर
चािर ारािण िनमाय तदनरमचतरॐ
े ु
कालाराले व
ृ ं िवधाय तम
ृ े समारालं
ू ु ं िदिविदगताामकं वरखा
सऽचतय ृ े ं का
ृ
े े
तकािरत ू
ं सऽामात ् ू ू
सऽाममसऽाालनादकोणािन
ू ु ं माजिया
िवधाय सऽचतय े
तदराॐरखाकम े
ृ ं वय
ृ ु ु े
ं ूाविा (तदतरलमानन
ृ
वय ं ूाविा) तऽादलािन यथामान ं का
ृ
तकिणकाया ्
ं ूावत षोण ं त े वय
ृ ं
ृ
तदव ु ु समिऽरख
ं ृ गया
समानाशाका े ं
कोण ं च का
ृ तऽ सपिरवारा ं दव े े
े वमाणबमणाचयिदित॥
१४॥
--------------------------------------------
ु
ूागाा े
यजीः ू
िनािनािदषिदताः।
ु
बिलय ं च कवत े ् १७॥
ू ं ूावमापयत॥
पजा
ु
सवऽ िनहोम(ं च) त ु कयादातोऽिप वा।
ितलतडलकै
ु वािप ु
ूों िानदीरण॥
े १८॥
ं रनिवकान।्
िवाराणा ं सवषा
पृथृ (ा)ाऽथगिणत े िऽपाशवि िह॥ १९॥
ु ू
ूाखोिनपजास ु साधनषे ु च साधकः।
ु ् २१॥
ं वासनायामदीिरतम॥
िनानामिप सवासा
--------------------------------------------
े
इािदिभः े
समापयिद िै िभः ोकै दाः
ु
पावरणाचनबममपिदशित। ु
तऽ पिरतः बमािदा
े े
डािकादीना ं ूावितानामवामािदूादियन
ू तजाबमः
पजनिमथः। ू ूागवे ऽयोदशपटले दशम े ोके
ाातोऽािभः। तोणषे ु अकोणष।
े ु बिहः चतरॐ॥
ु े १५॥ १६॥
ू
िनािनािदषिदता ु े
इित ूागाितदशपरा ु
पनिदोषः।
ु
तऽािदशने तीिनोत,े तने तटलोाः समखाा
ु े तऽोारबमण
अकोणशयः ूो े ताः शीतरॐ े
ू े अननाऽ
पजयिदथः।
े ॄाादीना ं िरचनमायातम।्
ु ु
षोडशारककासारीा ं यथाबममायोिरित
शषः। ्
े ूावत आधारऽय ,े तज १७॥
े (स)यभावनािदसिहतिमथः॥
े
सवऽािदना ु सवदवतासाधारणािन
े िानौ
ोकन े
ु
िनहोमिायपिदशित। े
तऽ ूो उूकारतः। ििमित शषः॥
१८॥
े
िवािदिभदीिरतिम िै िभः
ु
ोकै िवासाधनािदकमपिदशित। तऽ पृथ ु
े ं िवय।
ृ ूक
े
िहःहतौ॥ १९॥ तऽ
ु
ूथमािदचतयषामषोडशसदशारािण ु
चतभदािन
ु
पमसमनवमैकादश(ादश)चतदशारािण े
िभदािन।
--------------------------------------------
p. 300) ु कयात
ततः िसमनमी ्
ु िसिष ु ्
ु कौतकम।
्
मवणान दशाना ं च ता ताः ण।ु
े ं मा े यथािविध॥ २५॥
पराभदाना
--------------------------------------------
े
दशमऽयोदशपदशारािण िऽभदािन िवारािण
े तसिमित िवशषिवधानात
सदशथः। े ् ु े
सवयगिप
पयो ोतः ीराहारी। तशाश
िऽपाशिमथः। ं ं
ं ् २०॥ वासनाया ं वासनापटल।े
अरलदशमाशिमितयावत॥
ु ् २१॥
उदीिरत ं ूाखकारणम॥
े े ोकयने िसिव
तत इािदना फलािन चन
े ु
दशिसिसाधनयोयतोपदशपरःसरं
ू
मलिवारबीजपादयो े ं
दशिसििवाः ूक
िसििवावारिभदा ं सा ं िसिसिपािण तलािन
ु ं आदरम।्
च वामीित ूौित। तऽ िसिष ु िवजयािदष ु दशस।ु कौतक
तिधान ं दशिसििवधानम।् िवािवभदतः
े ू
मलिवायाः
ु
पभतानामराणाम।् िभदातः िभािभा
२२॥ तासा ं िसीना ं िवाना ं
वमाणूकारयोजनत इथः॥
ु ं वमाणाम।् ताः
च। िभदागता ं उपिरायमवे ट
िसीः। आसा ं िसीनाम।् एतं भवित मलिवायाः
ू
े ्
े िसीना
पयोजनाभदूकारजिनतिवािवशषान ं दशाना ं
े
तिाना ं ूकमवारिभदासााः िसीलािन
पटलशषे े वमाणािन ूौित (इित)॥ २३॥
सवािण
िवादीािदना यथािवधीने ोकयने
वमाणाना ं सवषा े
ं िसििवािवशषाणा ं
ू ु
पयोजनासाधारणकटारपटलािदकमपिदशित। तऽ
ू े मलिवाया
िवािदकट ू ं ु
आिदभतू ं सयारयम।् आ े
अऽािपिवचनम।्
--------------------------------------------
ु ं याऽभीिवमहम।
कामपमिदत े ्
ु
िवधातमानः शिं स एको म ईिरतः॥ २७॥
ु ं िवावैभवा ं त ु पादयोः।
पाकायगल
े
ृ राित
का ु दश
े ं तऽ तदा िितः॥ २८॥
े
तः ादकिवधथ ैवानमीिरतम।्
े
यनााोिनिध ेे ं ् २९॥
ं पँयवााािरगान॥
े
ख ताशः ूोः करनािहताः णात।्
े ु
पलाियता वा पदयोः ूणमयवशताः॥ ३०॥
े
वतालाः ु
रसाताः िस े च(ै क)व िवया।
े ु
िनधाय साधन ं े चरयवायाऽ े ३१॥
त॥
--------------------------------------------
े दशस ु िसिष ु
िसिमाणामामरय ं योजयिदथः।
ं ु
े ताा ं सयारााम।
िवानािमित शषः। ् पटयत
ु े ्
् ् २४॥
उपरीिरतान उपिरामाणान॥
िसिमा े योजयिदयथः।
े
ू
े काकािववापरित।
दशाना ं चित ्
े तत साः
िसितिावारािभधानसाः। ताः िसीः। परात ्
े
िसिसािसिपोपदशानरम।् तभदाना
े ं ूक
े ं
े
िसवारभदानाम। ्
् मान तािदिभः॥ २५॥
ु इािदिभः ूसादन े इःै पदशिभः
चतिवध
ोकै दशाना ं िसीना ं प ं
े
तिदासािाभदसाोपिदशित। ु
तऽ चतिरािदना
ु
े िवजयिसिपािदकमपिदशित।
ोकन तऽ े यु इित शषः।
े
तामवैिरणीः ूधानयोः सस ै ं अो ं यु (े म)।्
ु े शषे ं ूावत।् गज
सचतरक ं े शषे ं ूावत।्
े गसजात
ु ् २६॥
े ं िवजयाना ं चतिवधानाम॥
तषा
े
कामािदना ोकन ु
े कामपिसिपािदकमपिदशित तऽ
् सः कामपूदः॥ २७॥
शिः सामम।
--------------------------------------------
p. 302) ृ ु किचिचियखाकाः।
िवकतामखाः े े ु
े
किचीषणादााः े
वताला बिवमहाः॥ ३२॥
सवऽिप ्
वशगा वााद शऽनू मसि च।
े ु ु ् ३३॥
िकराः ूोकरणावययावदायषम॥
िवमहाः।
िपशाचााशाः ूोा काँयवै
ु
बाः ु
िाशयाः ु
ूोकािरणः रसकाः॥ ३४॥
े े भविा
तषामका े तया त े िकराः सदा।
त ैरव ु
े ूहरऽमातमिनश
े े ३५॥
ं रण॥
ं ू ु यियो वाितूदाः।
षिशिपसया
ु
सपा िभजािऽवसनाभरणािताः॥ ३६॥
--------------------------------------------
े
पाकािदना ् े ोकयने
अिरगान इन
ु
पाकािसिपािदकमपिदशित। तऽ िवावैभवा ं
ृ
पाकािसििवाूसादीकतम।् पादयोः ितशषः।
े े तऽ दश॥
े े २८॥
तः पाकामः। अथ ैव यथा पाकालाभः
तसा वा। यने अनन॥
े २९॥
े
ख ताशािदना े
ोकन
ु
खिसिपािदकमपिदशित। तऽ ताशः
े
(लाभ)मिवाा ं करन े े शषः।
खनित े अिहताः िरपवः॥
३०॥
े
वताला ु
इािदिभरायषिम िै िभः
े ु
ोकै वतालािदिसिपािदकमपिदशित। तऽ अ साधक। त े
े
वतालाः॥ ु
३१॥ ितयखाकाः ु मृगशरीरा।
मृगमखा
े
बिवमहाः ूोिवमहारणािप॥ े
३२॥ सव वताला े
अित
ू े
पवापरयोरित॥ ३३॥
िपशाचा इािदना रण े इने ोकयने
ु
िपशाचिसिपािदकमपिदशित।
तऽ ताशा नानािवधा इथः।
ु
िाशयाः े ं साधन े इित शषः।
असाः॥ ३४॥ तषा े तया िवया।
त े िपशाचाः। त ैः िपशाच ैः। अात ं अूम॥् ३५॥
ं
षिशिदािदिभः सता इिै िभः
ु
ोकै यिणीिसिपािदकमपिदशित। तऽ
ं ू ं ु
षिशिपसयाः ं
षिशाता ३६॥
इथः॥
--------------------------------------------
p. 303) े
असहाया यौवनााः ॐगालपनसौरभ ैः।
सम
े सवाभीािन ु
दाः साधकाय वै॥ ३७॥
े
मायासािऽपािऽाययाऽिनशम।्
िवाया नवमाणािदवणःषिदीिरत
ैः।
दशिवाः ूजाय े ण ु व े च ताः बमात॥् ४१॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
मदित े ु े
े कामप ं म े दहीितपटयथा।
े
ऽयोदशारी िवा कामपूदिरता॥ ४३॥
े
िनदपाका े ु कया
ं दहीा ु ्
ु सटम।
ादशाणा भविा
े े ४४॥
िसा दा पाक॥
तथा िनूदा े े ्
े ु दनिमतीरयत।
ू े े ादशाणा समीिरता॥ ४५॥
पजययनाऽ
े े ु पटयथा।
िवीदिहषारिमा ु े
ादशाणा भविा
े ु ् ४६॥
सा दाशोभनम॥
--------------------------------------------
िवजयूाािमयः। िवजयिसििवाया
ु
एकादशायाातिव ं
ु े
यािदूोनामिवशषयोजनतः। यथा यु े
ु ु े कटय
चतरय ू ु े गय
ु े इित तािन िवजयशावू
योजनीयािन। तने पदशारािॐः। एका सदशारित।
े
अितरहािा आने न िल॥
े ४२॥
े
मदािदना ोकन ु
े कामपिसििवामपिदशित। तऽ मद इित
े
मयोजना उितशषः। ्
े अिन ूकरण ु ु े शषः।
े उानावित
े े
ू ु ् ४३॥
े े अगमम॥
तथा कटयनथः।
े
िनािदना ोकन ु
े पाकािसििवामपिदशित। तऽ िन इित
मायोजनात।् िवित ू े पाके इित िवचनम॥् ४४॥
े पवापरयोरित।
े
तथािदना े ु
ोकनानिसििवामपिदशित। तऽ तथा यथा
पाकािवायोजनम।् िनमद इित मयोजना। तयने कटयन।
ू े
ादशाणा िवित
े शषः॥
े ४५॥
े
िविनािदना ोकन ु
े खिसििवामपिदशित। तऽ
िविन े इित मयोजना। तथा ूावत।् यने ादशाणा िवित
े
े िसा ूावषः॥
शषः। े ४६॥
--------------------------------------------
p. 305) े वतालान
िनिवित े ् े
दहीित ु े
पटयथा।
् े
ऽयोदशारा ं िवा ं िसा ं तान दशयथा॥ ४७॥
े पवू िनमदिव।े
िपशाचा े ूयित
ु े ू
पटयववाा ं िवा सदशारा॥ ४८॥
ं
षटिऽशा यियाः सवा वाितूदाः।
तासा ं नामािन िवा ण ु व े यथािविध॥ ४९॥
ं भीषणी जनरिका।
िविचऽा िवॅमा हसी
िवशाला मदना ा कालकठी महाभया॥ ५०॥
ु
सलोचना सशोभा च कामदा सिवलािसनी।
े
कामरी े मनोरमा॥ ५२॥
निनी च णरखा
--------------------------------------------
े
िनािदना ोकन े ु
े वतालिसििवामपिदशित। तऽ िनिव इित
मयोजना। तथा ूावत यन। ् े
् े तान वतालािनितशषः॥
े ४७॥
िपशाचािनािदना ोकन ु
े िपशाचिसििवामपिदशित। तऽ
पवू िपशाचशािमदिव इित मयोजना। ाा ं
े
बीजाािमितशषः॥ ४८॥
ं
षिशिदािदिभः ु
सरी ःै पिभः
ु
ू यिणीनामापिदशित।
ोकै नामिवाूावपव तऽ
तासा ं यिणीनाम॥् ४९॥
े
िविचऽािदना ोकन ु
े ादश नामापिदशित। तऽ महाभया
इित दशमी॥ ५०॥
े
माहीािदना ोकन ु
े दश नामापिदशित॥ ५१॥
ु े
सलोचनािदना े
ोकना ु
नामापिदशित। ु े
तऽ सलोचनित
ु ं नाम। सशोभऽ
चतरर े सिवलािसनी इऽािप
सकारः सहाथः।
सकारत॥् ५२॥
--------------------------------------------
p. 306) ं
इित षिशदााता यियोऽभीदाियकाः।
े ैव तीजयसटैु ः॥ ५४॥
तासा ं िवाः बमण
े
िनिवमद ःै षणः ोनामिभः।
ं
िवाः षिशदाातााः ु ् ५५॥
िसा दरीितम॥
तासा ं िवाणसा ु ण ु व े यथाबमम।्
ं
पमी पदशमी िवशित तथाऽिमा॥ ५६॥
ृ
चतॐः पदशकातीया साऽमी तथा।
ं ादशारा॥ ५७॥
ऽयोदशी चादशी ािवशा
ं
स ैकिऽश ु ु
ततदशसमिताः।
ं तदनरम॥् ५८॥
नवमी दशमी च ैकिवशा
--------------------------------------------
े
ूमोदािदना े
ोकना ु
नामापिदशित। तऽ
े
सरितिूयऽािप सकारः ूावत।् कलादका।
े े अािन नामािन
ु
सगमािन॥ ५३॥
इतीािदना ईितिमने ोकयने ूोिनगमन ं
्
यिणीिसििवा ं चोपिदशित। तऽ तासाम यिणीनाम।् बमण
े
े तीजयसटैु ः मलिवाबीजयपिटत
वमाणन। ू ु ैः
॥ ५४॥ षण े
नामिभिरऽोरोकनायः। िनिवमद *
ू
इित मयोजना। एतािन मलिवा ु पोपदशािन
इा े
ु े सिहतािन षडरािण यिणीिवासवसाधारणािन।
बीजयपटन
उनामिभः िविचऽा ैः
ं
षिशििवाषडरा यै िजत ैामिभरवे मभदः॥
े
५५॥
तासािमािदिभः परा इ ु ोकै िवाना
ै तिभः ं
े ु
ूकमरसामपिदशित। तऽ तासा ं यिणीनाम।् अिमा
ं
षिशा॥ े पदशकाः
५६॥ चतॐः िवा इित शषः।
५७॥ स ैकिऽश
पदशारा इथः॥ ं े
(ादश)ादशारा ू
इऽायः। एव ं सय
ु ु
ादशारािवाः षट।् ततदशसमिताः यत ्
ु
ादशाराः ततदशारा ५८॥
इथः॥
--------------------------------------------
p. 307) ु पिवशा
चतिवशा ं सिवशा
ं तगा।
ु पराः॥ ५९॥
ं (िध)िदकािॐयोदशयताः
ऽयिशा
े
चटकाना ु
ं चतःषि ं ताऽा ं च वदािम त।े
ण ु शा
ु े ु समीिहतम॥् ६०॥
ु त े िन ं साधययः
ृ
मात िनशाचारी िवषमाही वकोदरः।
ु पशवो
सौिरभाो गजमखः ु गजाननः॥ ६३॥
ं
ोभकोमिणभि बीडकः िसहवकः।
े
ँयनाः कवदनः काकाो हयवकः॥ ६४॥
--------------------------------------------
इित। अिवशथः।
तगा ं े ऽयिशािदकािॐः
ं
ं
ऽयिशािदकाः ं
पिऽशाािॐ सय
इथः। ू
ु
चतदशारिवा ु पराः अाः
दश। ऽयोदशयताः
षोडशिवायोदशाराः, ता
ु
ूथमितीयचतथषसम क ु -
ै ादशादशचतदश
ं ं ं क
षोडशदशैकोनिवशितऽयोिवशषिश ं -
ै ोनिऽश
ं )ािऽशाः।
(िऽश ं तऽ तासा ं नामािन िवाषडरा े
ु
सिपािण योजिया तद े बीजय ं ूावोजनीयिमित
५९॥
सदायाथः॥
े
चटकानािमािदिभः इरै िभः
कीितता
ोकै ूावपवू चटकाना
े ु
ं नामापिदशित। तऽ त े
े त े चटकाः॥
तवथः। े ६०॥
े
िवॅमािदना ोकन ु
े एकादश नामापिदशित॥ ६१॥
ु
े दश नामापिदशित॥
िवडाला इािदना ोकन
े
मात इािदना ोकना ु
नामापिदशित॥ ६३॥
--------------------------------------------
p. 308) ू
महोदरः लिशरा ृ
िवकताा वराननः।
ु ु
चपलः कटा मायावी मदनालसः॥ ६५॥
मनोहरो दीघजः ू
लदो दशाननः।
समखः ु वराहाः सटामखः॥
ु ु पीिडतः बो ु ६६॥
ु
बीजयपटा
ैमदिन े ु ैः।
(अ)िवयत
ं ु ैः॥ ६८॥
नामिभ ैितीयादै हीितपदसयत
ु
एव ं मातःषिः े
बमाा महिर।
े ं सामिप तथा ण ु व े यथािविध॥ ६९॥
तषा
ु े ु नव माः समीिरताः।
चतदशाराष
तथा पदशाणाः ःु षिशितिरतीिरताः॥
ं ७०॥
--------------------------------------------
े
ोभक इािदना ोकना ु
नामापिदशित। तऽ
ं
िसहवक इित पारं नाम। हयवक इित पारं नाम
॥ ६४॥
े
महोदरािदना े
ोकना ु
नामापिदशित॥ ६५॥
े
मनोहरािदना ोकन ु
े नव नामापिदशित॥ ६६॥
कपट इािदना ोकन ु
े दश नामापिदशित। तऽ भयद इित
े
पददः। ु ् ६७॥
अगमम॥
े
बीजािदना े े े ैकन
महरीनाान े ोकन
े
े
चटकाना ु
ं मानपिदशित। तऽमदिनिव े इित मयोजना।
ु
नाभिभः िवॅमािदिभः चतःषििभः। ितीयाःै
ु
ितीयािवभःै । सिटतािन ू
एतािन मलिवाया उपबम पािण।
षडरािण सवमसाधारणानीित नामिभरवे मभदः।
े
ू
मयोजनबमो यथा बीजय ं मलिवायाः षडरािण इित
ितीया ं ताम, तद े दहीितपद
े ं तद े बीजय ं िवलोमिमित॥
६८॥ एव ं उूकारतः॥
े
तषािमािदना े े
बमािदनाान
े ु
चटकनाममारसामपिदशित।
--------------------------------------------
ृ
िवारैरनावारािण ु
चतदश।
े
सरै ैभवा ु ् ७२॥
चतिवशतयम॥
त ैयािण च स ष े ्
ु े ु ूोाः बमाजत।
े
दवताः सवारषे ु भारािदष ु भितः॥ ७३॥
--------------------------------------------
े ं माणाम॥् ६९॥ चतदशाराष
तऽ तषा ु े ु नवमाः
समीिरताः तषे ु मषे ु नव मातदशारा
ु इयः। त े च
ं
तृतीयषैकादशषोडशैकोनिवशिपाशस -
पाशसपाशषििऽषितमाः। पदशाणाः ःु
ं
षडिवशितः ते च
ु ु
ूथमितीयचतथपमनवमदशमचतदशपदशसदश ्
ं ं ं ु ं ं
आादशािवशिऽशािऽशचतिशिचािरशा
ं े
िरशाशदकपाशपाशट ्
े ु
पादपाशदकोनषििषििषिचतःषित -माः॥ ७०
ु
॥ षोडशाणामनवः ं
पिवशितः ते च
ं किवशऽयोिवशा
समामादशऽयोदशिवशै ं ं -े
ं
कोनिऽशासकै ं ं क्
ं कोनचािरशािरशै
किऽशािऽशै ं
ं ं ं ं
अचािरशिचािरशािरशचािरशदचािर।
ु
शैकोनपाशिऽपाशतःपा -शमाः।
सदशाणाारः ते च
ं ं ं ं
ऽयिशिऽशिऽशािरशमाः।
ु
ाकलबमात ्
उबमतः। ् ु
अत सगमम।् अऽ मायािसििवषय
े ु
म चटकागतादनिमित ु
मागमः। तने
सवगशान े माया इितशसमादशात
े ्
ु
ततदशारः।
े ू
एवमकादशािधकशतसाममलमा
े
पभदसिाः
समीचीन ं दिशताः॥ ७१॥
िवारैिरािदिभः नरिम ु
ै तिवशा ोकै ः
ु े
ूागानामकादशािधकशतसाना ं िसिमाणा ं
ृ ू
साधनाथ सवाराणा ं रिवकतमलिवारै
ः स
ं
यािण ताधनानािन तूकारालािन
चोपिदशित। तऽ सरैः ूावोडशरूसािदत ैः
ु
चतिवशतय ु
ं चतिवशतय ं
ु ् ः। तषे ु यष।
७२॥ त ैः अक।क़रै
चतिवँािधकिशतिमथः॥ े ु
ु
ूोाः ूागदशिवधिसिूोाः। सवारषे ु भारािदष ु
रिववारािदष ु सवारषे ु ूितवारं ूोाः िसिदवताः
े सकलाः
सस ु यषे ु एकिकिन
े ् े ं ताधनािदष ु
ूक
--------------------------------------------
p. 310) ु
वाराा ं समीयािम े
ं दहीित े ्
चािलखत।
ू े ् ७४॥
य म े माया ं तऽ िसी पजयत॥
ृ
वयोनवयोिन ं त ु का े
ृ बाऽकोणकम।्
ू ु ं कयाथािविध॥
बिहः कलाभपयग ु ७५॥
् ं े ्
िविल तषे ु बमशो वणान ािऽशदािलखत।
े ु कोणषे ु तथा वमऽय
दलष ृ ु
े पनः॥ ७६॥
े
मातृकामकथाा ं वै िविलखदारबमात।्
् े ् ७७॥
े ु हलाणान बमािखत॥
त कोणारालष
े ्
अमादिण ं वे ं स यािण त ैभवत।
े
िसीना ं यिणीना ं च चटकाना ं तथ ैकशः॥ ७८॥
े
चटकाना े
ं िवशषोऽय े ु ्
ं मऽदमजम।
े ु े ैव साधनािन फलािन वै॥ ७९॥
तषामबमण
--------------------------------------------
े
यजिदथः॥ ु ं समीिवभाम।् माया ं
७३॥ समीया
े
खागभम।् इ ं दहीित
े े
चािलखिदित ू
पवऽायः। तऽ
मायोदर।े िसीः सविसिदवताः॥
े ७४॥ बा े वयतः।
ृ बिहः
अकोणात।् कला ं षोडशदलं पम।् यथािविध यथामान ं
िविलित ू
े पवऽायः॥ ७५॥ तषे ु दलष।
े ु कोणिरऽायः।
े ु
ृ
वमऽय े नवयोिनबागताकोणबागतषोडशदलबा
ृ
गतवयमवीथीऽय ७६॥ अकथाां
े इथः॥
अकारािदिवसजनीयाान ्
षोडश ्
ककारािदतकाराान षोडशथकारािद
्
सकाराान षोडश त तािलिखत
वणािनथः।
ु ु
परयम। कोणारालष ्
े ु हलाणान बमात ् ू ु
भपयग
े ु चतषु ु उमरऽय ं िविलखिदथः॥
कोणारालष े ७७॥
अमादिण ं सवाराणीित शषः। ु
े स यािण िरितशषः।
े
े भविदऽा
त ैः य ैः। एकशः एकै क साधनािदकिमित शषः। े
े
शषायः॥ े ु ं
७८॥ मऽदमज
े ७९॥ तनािप
नवयोिनानऽदलपिमथः॥ े
सकिणकािन
--------------------------------------------
p. 311) ् ु दविश
ूयोगान ण ु
े े य ैः िसैममोभिव।
ू
पत सवतः
े सवलोकै सवदािप
च॥ ८०॥
ू े च पवताम
अरयवटमल ु ु च।
े गहास
ू
उानम े काारे मातृपादपमलतः॥ ८१॥
ु
िसतीरवन े च ैता यिणीः साधयिशः।
े
् ं जपिवधानतः॥
एकै किन वणल े ८२॥
--------------------------------------------
े ं िवजयािदचटकाानाम।
नवानािन भवि। तषा े ् य ैः ूयोग ैः।
ृ ू े ु चतिवशिधकशतसष
रिवकतमलिवारष ु े ु
े
आिदतोऽकं तिहः (अाॐकं तिह) षोडशपऽषे ु
षोडशं(कं )च एव ं ािऽशदरायािल
ं ृ
वारा
वीथीऽय े अनवयोिनबागतवयवीा
ृ ं
अकारािदिवसजनीयाान ्
षोडशरानािल
ृ
मायामकोणबागतवयवीा ं
अकारािदिवसजनीयाान ्
षोडशरानािल
ृ
मायामकोणबागतवयवी ं
ककारािदतकाराािन षोडशारायािल
ृ
षोडशदलबागतवयवीा ं थकारािदसकाराािन
ु े ु चतषु ु हल
षोडशारािण तिहतरॐकोणारालष
े ् एतत ूथम
इरऽय ं ूित(िऽ)कोणाराले समािलखत। ् ं यम।्
अषे ु ष यषे ु
ू ू ं ु
पवपविलिखतारािऽशकोपिरतनमपिरतन ं ािऽश
ं ं
च िविलखत। ् ृ सवऽाकािदकष
े ् एव ं स याण का े ु सस ु वारषे ु
ु
े िविनयािदित॥
ूोबमण ू
८०॥ मातृपादपमलतः
मातृपादपाौ च पवू ूधानिनाकाकथन े किथताः
े
तनाौ ु
ानाायतनािन॥ ८१॥ िसतीरवन े नदीतीरवन े
एव ं सय
इथः। ू ादश ानािन सवि। िऽशः
्
एकै किन ादशस ु ानषे ु एकिकििॐिॐो
े ं यिणीः
--------------------------------------------
p. 312) ं ं तपण
तशाश ् ू ः।
ु ूसनकै
ं च होम ं कयात
ू
कदबकजयाहयमारै
लोिहत ैः॥ ८३॥
ततः ूीताः समाग ूा वाितूदाः।
ु च वासािस
सवणािन ू
ं भषणािन फलािन च॥ ८४॥
े
आाािन च पयािन भोािन िविवधािन च।
े
आलपनािन ु
माािन दराजीिवताविध॥ ८५॥
े वाितम।्
मा ं ूादिह
आयात े सवदा
ु िनशा ु पजयजपथा॥
इा ू े े ८६॥
अोरसहॐ ं त ु ता ं ता ं िवामनधीः।
एव ं ताः सवयियः ु े ् ८७॥
फलं दयथितम॥
े
चटकाना ु सवषा े ू े ु बमण
ं तषष े वै।
् प ःु िसाः िसतट
एकिन प ु े नव॥ ८८॥
े ं च वणल
तषा ु जपमिवधानतः।
ु
ं च समीिरतम।्
मराऽ े सदा होम ं तपण
े
जपिवािनश ं ूों सवषामिप
े ९०॥
साधन॥
--------------------------------------------
े वणल
साधयिदथः। ं ततिायाः॥ ८२॥ तने
ं ु ैिरथः॥
े हयमारै लोिहत ैः रकरवीरप
जपसोत। ८३॥
्
तत इादीितम ्
ु े
इोकचतयोयिणीूीकरणतयाथ
ु
िनतपासनािदमाथः सगमः॥ ८४॥ ८५॥ ८६॥ ८७॥
तषे ु ानष। ् प एकिकिान
े ु एकिन प े ं े प
े
प चटकाः। ु े ादश े ान े नव चटकाः।
िसतटनव े पवू
यिणीूोादश ानषे ु एकादशकै ्
े े किन ान े प
ु े वन ान े नवचटकान
प ादश िसतट े ् ं
एव
ु े े ं चटक
चतःषिकमक ् एतािन
े ं ूोबमात साधयिदथः।
े
ानासविसकसाधनसाधारणानीित सदायः॥ ८८॥
ं म। िदनषे ु
वणल
--------------------------------------------
p. 313) े
चटका े समाग मराऽऽितभीषणाः।
े
ु ं ु ं नचदथ
ोभयरमोम े े ु
तरः॥ ९१॥
्
ूाः िकं तवे ं तत करोिमित े
वदििश।
े ु न मा ं मत
े ं त े तथा
ूक ु इिप॥ ९२॥
् े ु
िनशान जपाचािभपासीताचरनः।
(ृ)सत े तम
े े ु समीिहतम॥् ९३॥
सि ं साधययः
े ु विनता वािताणात
आनयय ं ् ु ्
ीवम।
ु े म ं दिन ं वा हय ं नरम॥् ९५॥
िनलीकवत
े रास ैः।
िनाषोडशके िस े दविषिपतृ
िपशाच ैरग ैः िसैः िकरैररोगण ैः॥ ९६॥
ु स ऋिषिभयदानवै
मिवमिभः ः।
े ै सा ै नविभमहै ः॥ ९७॥
िैरकादशिवधः
--------------------------------------------
् ् ८९॥ िदवािनश ं सवदथः।
साधन(अ)िदनषे,ु एतत सवसाधारणम॥ े
े ं
ं ूोानामषा
सवषा
े ं च॥ ९०॥ अम ं ु साधकम।्
िवजयािदमायाानामानामषा
ु साधकपरः॥
तरः ु े ं एक एकटक
९१॥ ूक अ
े इथः।
े
वदिदऽायः। त े चटकाः।
े े
तथािदना े
ोकशषः
् ९२॥ िनशः
साधकूाथनावचनम॥
े ु
तटकिसनरमबमात।् (ृ)त े चटकाः।
े समीिहत ं
े शषः॥
साधकित े ू
९३॥ शऽणािमािद समीिहतसाधनाूकारः।
े े ु ािभमत ं ािभमतमकमक
एतं भवित चटकष े े ं चटक
े ं
े
ूोबमााधयिदित। े
तऽ बवचनािन सवचटकसाधारणात ्
े
साधनादिरित सदायः। एव ं मायािसििवधानािदकं
े ् ९४॥ ९५॥
िवजयादीना ं साना ं िवधानािदकमवम॥
े े
िनािदिभभविद ःै पिभः ोकै ः
ु
षोडशिनािसिलणापिदशित।
--------------------------------------------
p. 314) ादशाकलकपालै
थाऽ ैरिप दैवत ैः।
राजिभविनतािभ ैथा॥ ९८॥
नरैर ैमृग
ू
पत ु
िससमीिहतसखादः।
े सवदा
् ु ु मी॥ ९९॥
ाशयो वदा दयावान समखः
ू
पणाशयः े
सदानोिनरपफलाितः।
े ू े ् १००॥
े ूमभरावयोभवत॥
धनी भोाऽपरषी
--------------------------------------------
तऽ अ ैः दशूाजापािदिभः॥ ९६॥ ९७॥ ९८॥
ु
िससमीिहतसखादः ु े ९९॥
िससमीिहत सखादथः॥
ू
पणाशयः े
ातिनरपात।् िनरप
े इित िवािदिवषयः।
े इित पददः।
अपरषो े े ु इथः।
परषकरणपराख आवयोः
िशवशोः॥ १००॥
इित ौीषोडशिनातषे ु ौीकािदमता त पिरपण
ू
ं े
त ूपसारिसहराजूकाशािभधानन
ु े िवरिचताया ं मनोरमााया ं
ौीसभगाननाथन
ााया ं िशवतीिनािवािवधानूकाशनपरं
ू परामृम॥् १७॥
सदशपटलं पिरपण
मसा
अथाादशपटलम।्
तदारास ं ानाचऽा
ु शििभः।
े ं िवजयूदान॥् २॥
ं वऽह
तिविनयोगा
ु तयम।
िवाया न ैदघरयै ु ्
े
शषाा ं च य ं कयात ्
ु षडािन करायोः॥ ३॥
े
ानियष े ्
े ु ौोऽािदथ िच े च िवसत।
ु
अरािण बमाियता ू ् ४॥
ु पववत॥
--------------------------------------------
अथाादशपटलम।्
ू
पविन ् े े पटले ादँया नीलपताकािनािवाया
सदश
ु
िवधानमपिदँयानरं ऽयोदँया िवजयािनािवाया
ु
िवधानमपिदशित। े
अथ षोडशािदना समीिरता इने
े े पटलन।
ोकशतपणाादशन े तऽ अथ षोडशािदना
े
ु
ूदािनने ोकयने पटलाथानिशित। तऽ ऽयोदशी
े ूाक ् तृतीयपटल॥
िवजयािनथः। े १॥ ानाच इित ितीयािवचनम ्
। ान ं चाचा चथः। ्
े तिविनयोगान तािण
ं े २॥
तििनयोगाथः॥
ू े ोकयने
िवाया इािदना पवविदन
ू
मलिवारै
ः
े ु
कराानियषासिवधानािदकमपिदशित। तऽ िवाया
ु तयम।
न ैदघरयै ु ् शषाा
े ु ्
ं च य ं कयात
षडािन करायोिरने ोकन
े ैतं भवित भाँ म ँ य
ू
इमलिवाया ु
दीघरयनारै ु
तिभः
सिबकै ः सजाितकै दयिशरःिशखाकवचािन िवायाः
े े , औकार ऊकारपण
शषरारयन े सिबना
े ु े (?)
शषजाितयजानऽा े च, एव ं षडािन करासपवू
े
िवदािदित॥ ३॥ ानियािदष ु ौोऽािदष ु
ु े ु तऽ िचिवासोापकवत।् अत ्
ौोऽिजायाणष।
ापकम।् पववत ्
ू समया िवया
--------------------------------------------
ं ु ं पीतारसमलाम।
सवाभरणसया ु ्
ु े
उितदहकाि ु ् ६॥
ं शिचिताम॥
े
शं पाश ं खटचापौ कारं वामबािभः।
ैः ूयोग े भीमदशनाम।
दधाना ं दिण ैह ्
े
उपासनऽितसौा ं च िसहोपिर
ं ृ ् ८॥
कतासनाम॥
ू
शयािप पजाया ु
ं सखासनिताः।
ु ु
े समाकारमखपायायधािप॥
सवादा १०॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 317) ु
चतरॐय ं का ु
ृ चतारोपशोिभतम।्
् े ् ११॥
दलाकसमोपते ं तऽ ूावत समचयत॥
ृ ु
तदवयमारकोण ं िवधाय त(ु तत)।्
ं ु ् १२॥
तद तथा प ं षोडशदसयतम॥
तथ ैवादं प ं िवधायावा तऽ ताम।्
ु
ृ ं सगपचारै
ता वता े ् १३॥
थाऽचयत॥
ु ितलतडलै
अााा ं िनहोम ं कयाा ु ः।
ु
बिलय ं च कवत े ् १४॥
ू ं चाऽिप समापयत॥
पजा
लिलतारिहताः पदशिनािथीराः।
ु सा तयी मता॥ १५॥
चखडलसौिलयता
े ्
मायासारीमगत ैनामिभरचयत।
तदावरणगाः शीमाकारशिकाः॥ १६॥
--------------------------------------------
ु
चतरॐयिमािदिभः ु इःै पदशिभः ोकै ः
सखी
दा
े िन सपयामडलिवरचनाबम ु
ं तऽ चतरावरण ं
िनसपयाबमिवधानमासा ं पदशिनाना ं
चकलाधारणवासना ं लिलतायाारणवासना ं
् ु े
आवरणशिनामािन चोपिदशित। तऽ ूावत चतरॐ
ु
११॥ तदः चतरॐाः॥
िना(िनाचनविदथः॥ १२॥ तऽ चबे
तथा वमाणूकारण।
े िनसपयामडलिवरचनाबमो यथा
अबिहिवभागन ु
े यथामान ं चतरॐय े ं
ं ूक
ु ं िवधाय
शाखायोपते ं चतार
ृ ु े ाृ ं िवधाय
तदवयमतरॐरखाृ
् ृ तदः षोडशदलं प ं का
तदरकोण ं ूावत का ृ
तदरदलं िवर (?) तिणकाया ं सपिरवारा ं
े े
दवीमावााचयिदित॥ १३॥ वा िवक।े बिलय ं ूावत॥् १४॥
े
तजयभावनािदना। सा तयी सा लिलता अयचकलािपणी
अनने ोकन
इथः। े ैतं भवित
ृ ु े
यवपतचकलापदशकपाः पदशितथयोऽऽ
विाः सवाः ूक ु ू
े ं सवकलाकारणानतपया
षोडँया कलयाऽयया
--------------------------------------------
ु
िनािनाविदतमचन ं चतरॐक।
े
अःिताकोणषे ु पजयिवमहाः॥
ू े १८॥
े े
तदः षोडशदलचयोडशािभतः।
शीा(ा) गपा ु
ु (िद)यतोभिसमितः॥ २०॥
ु ं िवजयूदाम।्
वीतशोका ं िवषमीवा ं िवपला
िवभवा ं िविवधा ं िवूा ं ूोाकारसमिताः॥ २२॥
े ्
तरपऽषे ु शीरािभतो यजत।
ूोबमण
े गा ैभििनाशयो वशी॥ २३॥
--------------------------------------------
अःिताकोणषे ु चतरॐािदकित
ु े शषः।
े उिवमहाः
े
जयािमानरोकवमाणाः॥ १८॥ अकोणि
े
िपादान ं सपिवारपाददोषः। भितः
ू े े
पजयिदितशषः॥ १९॥ तदः अकोणाः। ताः ताः अनरं
िवदािरका िमािदोकयवमाणाः॥ २०॥ िवदािरकां
िविवभिका ं िविवभिनीिमथः॥
िवदािरणीिमथः। २१॥
िविवधािमित। पदँयानामूोाकारसमिताः
ू े
मलदवतासमाना अचयिदयः॥
इथः। े २२॥ तदः
--------------------------------------------
ू ं जपशी।
पवबमतोिवावणल े
ु ैः का
होम ं राज ृ िसमोदयाितः॥ २६॥
े
ूयोगानाचरी होमयिवधानतः।
े
जपने तपणनािप ू े यथािविध॥ २७॥
पजनन
्
होमात सस ु वारषे ु कयाोै
ु ु सिभः।
े
ूोवारशयोािप तडलत एव वै॥ २९॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 320) ु े
िवजय ं समवाोित समरे यक।
ु े वादच
मयच े य े तयऽिप
ू े च॥ ३०॥
तथ ैव किणकारो ु
ैः पागो े ैः।
ैनमज
े राजवज
चकै ः कतकै
ृ ैमागोवै
ः॥ ३२॥
ु ै ु सिभः।
ूावारषे ु जयामा
ु
े ु न ं शऽोभो
ूोष ु ् ३३॥
वा भवित ीवम॥
ृ
शतोनऽवाौ तिमि ु होमतः।
सिपषाातािभ
ु े ूणमवे पादयोः॥ ३४॥
ु
मृकाानल ु ु
े मृपऽपफलै
रिप।
ु े ू ् ३५॥
सिमिजयावारशाचनपवकम॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 321) े ु
अराततर े ्
ु बलं रोगािदत ं भवत।
े
तना ू े
िवजयोभयािधननािप ु
वा पनः॥ ३६॥
े ैिरैः सिमऽौ
अकवारऽकज े तवैः।
ु फलैः काडैः मलै
पऽ ैः पैः ् ३७॥
ू ािप नमात॥
े
सवणाणवाया घृतिसै ु मडलात।्
अराितिदखोभा ु े ॐिवधानतः॥
ु ू कड े ३८॥
े
पलाशानले त पाैतात
ृ ु ैः।
होमने सोमवारे च भवाव
े ं
सशयः॥ ४०॥
े
खिदरानले त पाैतात
ृ ु ैः।
ु ् ४१॥
वारे भौम हवनादाोित सिनितम॥
अपामागज े वौ तिमिनथा।
े
ु े ु शॅायाः
बधवारष ु सवाया घृताितम॥् ४२॥
--------------------------------------------
े ु
होमिवशषिवधानािजयूािूकारानपिदशित। तऽ तिमिः
ृ
नऽवसिमिः। त े शऽवः॥ ३४॥ सिमिः मृोिरितशषः॥
े ३५॥
ु
िनधनने शऽबलितशषः॥
े े ं ः। बमात ्
३६॥ तवैः अकसभवै
ू
उिबमैः पऽा ैमला ३७॥
ःै पिभरैिरथः॥
सवणाणवायाः
अणवणवायाः गोिरथः।
अणवणायाः
ू
घृतिसै ः पवपाै ्
मडलात ूावत
िरथः। ्
--------------------------------------------
् ्
ु समािहतः।
तािन कयात
िवधाय पात कमािण
शीय ं तलसिस
ं े
ैभववाथाऽथा॥ ४५॥
--------------------------------------------
तिन ैः मडलािदथः।
िसिः िवजयिसििरथः। तिया
े
भविदित े
शषः॥ ४३॥ सवऽ त े इथः।
तिाचनिमित
े े ४४॥ अथा-
तिवसूातििथूािना ं चाचयिदिभध॥
े अथा िनलािन। एतं भवित सवऽ
िनयाचाकरण।
तषे ु सवूयोगष
े ु तयोगिदनूाा ं तििथूाा ं िना ं
े
तारशय ू
ं च पजिया ्
पात ूयोगान ् ु
कयािदित॥ ४५॥
े
िपलाौ अनवौ॥
त ैः असिमििरथः।
ततत ु
ृ ु ैः सवणवशॅगोघृ
तातु ैः। तलािः जयािः।
तिन ैः- ूावडलात॥् ४६॥ उराौ
े
ूावरनवौ।
तवैः उरसिमििरथः।
ू ु तिसै ः। तिन ैः ूावत।् तत जयफलिमित
तिै ः पवशॅगोघृ ्
े
शषः॥ ् े
४७॥ शमीवौ ूावत शमीनऽौ। त ैः
शमीसिमििरथः। ु
जयात ्
मवार े कगोघृ
इितशषः। ृ त ैः
ृ
सवणवकगोघृ
त ैः।
--------------------------------------------
p. 323) े वै।
ूितपििथमार पबमण
शालीचणकमैु यवमाष ै होमतः॥ ५०॥
ु
मिहषातु ैािभििथिभः समवायात।्
ु िनष
ूागै ु ैहमाागफलमायात।
ु ु ्
एव ं नऽवोवौ
ृ ु ु ैः।
त ै ैमधत
े न सशयः॥
हवनादिप तािभवव ं ५४॥
--------------------------------------------
्
तिनात ूावडलात।् तलािन जयफलािन। इित ूोपतः॥ ४८॥
ू
िवजयोऽिभिहत इित पवऽायः। ू ू ु
े पव
हवनािदित पवापरयोरित।
ु
इित एवमूकारतः अपर ु ितिथ
सवारषे ु च जयोऽिभिहत इथः।
ऋयोहवनामाण ४९॥ ५०॥ तािभः
ं िवजय ं िवथः॥
ु
ितिथिभः ूितपदािदिभः पािभः पिभः। समवायात ्
िवजयिमितशषः।
े तथा षािदिभदशािभः पितिथिभः॥ ५१॥
ु ः शाािदिभः पिभः। िनषु ैः िवगतगािदिभः।
ूागै
ु ं फलं िवजयफलम।् त पदँय े
ूाग
सम ैः शाािदिभः
एकादँयािदपदँय े ितिथपके इथः।
पिभः एकादँयाम।् ितलय ैः किसतप
ृ ैः ादँया ं
ृ
कप ु ५२॥
ैः, ऽयोदँया ं िसतप ै ितलैजयािदथः॥
े
िसता ैः कवला ु
ैः। त ैतदँयाम।् पायस ैः पदँयाम।्
ृ े े े वौ तसिमिः
तऽोवन ृ
ु
मधिसै ्
हमात तलावाििरित॥ ५४॥
--------------------------------------------
े
मकोऽिभधा ं का ु
ृ ूागिविधना ु ्
यतम।
शलीक े ू ताम॥् ५७॥
ू ृ च रखामायऽावाािभप
ु
उपासीत परोिवा े ्
ं जप ं िन ं समचयत।
ु ् ५८॥
िवाबम ं तऽ य े यजलमायात॥
े
--------------------------------------------
ु
िवायािमािदिभरायािद ु ोकै ः
ै तिभः
ृ ू
रिवकतमलिवापकजिनताशीरिनिमतकोय -
पजनन ु
ू े िवजयाूािमपिदशित। ् ु
तऽ ूावत अपनानीथः।
े
प तािन भकारमकाररफयकारौकारारािण वमाणािन।
ु
ऊकारिवोरनपादान ं रपौनात।् रैः षोडशिभः।
ु स त ु ूरं
तथा ूागबमािदथः।
षोडशरयोजनापः। त ैः अरैः। यािण वमाणािन॥ ५५॥
ू
दशसऽिनपातनात ्
समारालिमित े तषे ु कोष।
शषः। े ु तािन
े बमात ्
िवारायशीितशानीित शषः।
े े ५६॥ मको े एकाशीिततम।े
अमाादियूवशगथः॥
अिभधा ं साधकसाकमणाम।् ूागिविधना
ु
े रखामािण
उराधरारालिथः। े ं
चािरशािन। अऽ
य।े ता ं िवजयािनाम॥् ५७॥ उपासीत पजाजपािदना।
ू िन ं
खिनबमम।् िवाबमम िवाबमूयोगाथम।
् ं ् े
् अिन य
ू े यजते ्
िनबम ं ूयोगाथ िवाबम ं च पजयिदथः।
्
े तलम िवजयफलम।
ूोूकारण। ् अयमऽ यिवरचनाबमो यथा
तषे ु ूकमािन
े ं े ्
चापऽािण सिलखत।
तषे ु मप किणकाया
े ् ६०॥
ं समािलखत॥
ु ता ं िवा ं तिहापऽक।
नामगभा े
े
तािदतोऽौ ं
सिल िवना तिहथा॥ ६१॥
किणकाया ं त ु नाैकं बिहरौ तथाऽस।ु
एवमस ु सिल
ं े े
वयातृ
कारैः॥ ६२॥
ु मायािबसमित ैः।
िवलोमैरनलोमै
ु
चतरॐऽय े ् ६३॥
े बा े याम े समािलखत॥
एव ं का ु
ृ हयममान ु ं िनधाय ताम।्
े क
ू ् ६४॥
ू पववत॥
िवारौषिधाथजलैरापय
--------------------------------------------
ु
ूािगािदिभः पलािम रै धः पदशिभः
े
ोकै नवकोपयमिभषकाचनािदना
ु
िवजयािदफलावािमपिदशित। ु ू
तऽ चतःसऽिनपातनात -्
ू
े अऽ सऽपातूदश॥
समारालिमितशषः। ु स ु कोषे ु
े े ५९॥ तषे--
ु ६०॥ नामगभा *भकारोदरे (साधनात ्
े ु े ु नवस॥
तषपष
े )साधक रफाश
समारालिमित शषः े ं े सा तदराले
े
कमणालखनतः। ् ृ
ता ं िवाम िवकताम।् तिहः किणकािहः।
तषे ु सवरिवकतिवारष
ृ ् िवना
े ु अशीितष।ु अौ वणान।
े ्
े तिहः मपात बिहः
सहितशषः। ितषे ु पष॥
े ु ६१॥ एकं
पवू (पवू) िलिखताकापिरतन ं उपिरतनम।् बिहः किणकायाः।
अौ किणकाया ं िलिखतारःििखतारापिरतनमकम।् अस ु
े ु एव ं उपतः। अस-ु मपविजतष
दलष। े ु
े ु पिथः॥
सवाधःपिमकोानष े ६२॥ माया
िवसजनीयः। ु
चतरॐऽय ु
े चतरॐऽयारालवीथोय तत ्
े इथः।
मातृकाानम।् बा े चतरॐऽयात।
ु ् अम े या
े
बाऽायः॥ ु
६३॥ हयममान े नवको े इित शषः।
े
ु
नवकों हयमान ं कयािदथः।
--------------------------------------------
ू
िवजयः सवतोभयात ् ूोकिप
तत ् े सस।ु
ु सवतः
नवमहातिरपिभः शसव॥
े े ६६॥
ोरथवाऽय।े
समरोम े कीितसमृ
ु
पऽा े ् ६७॥
ै वाितूा ै िऽष ु जस ु कारयत॥
े पीठे सिल
एत ं ग ैिरकन ं तऽ ताम।्
े
दवीमावा ू जपिा
स े ु ् ६८॥
ं तथाऽयतम॥
--------------------------------------------
ु ं ूितकिणकिमितशषः।
त ं क ्
ू फलपवािदिभः॥
े पववत ६४॥
अ िनबमािदतः िवा ं अिवकताम।
ृ ्
ु ं े
अयतसोिरकारात (् त ैः जलैः) ततः अिभषकतः॥
े े ु
६५॥ ूोष
्
सस ु अिन पटल े ु
ू िऽशमोकूोष
े पवऽ ं
ु
हयािदष ु सस ु च॥ ६६॥ कीितसमृ
ोिरतत ्
े वाितयम।्
नवकोय ं का ु े ु
ृ तिहः चतरॐयमकालारालं
े
ृ तदरालवीथीयऽवा
का ं मातृका ं िवलोमा ं
सिवसजनीया ं आिल तिहवा ं तामवे
ु
सिबकामनलोमामािल े े लिमरय ं
सवयबाऽम
चािल तषे ु नवस ु कोपनवकिणकाम
े
ु ं िनधाय
े े ं क
ूितपमकमक
् ं ू िनबमतः
ू ूावत सप
िवावणषिधाथजलैरापय
े
फलपवािदकं िनधाय तऽ दवीमावा िनबमतोऽ
स िऽष ु जिभषकात
े ्
ूोफलिसििरित॥ ६७॥
--------------------------------------------
p. 327) े ्
एव ं िऽसिऽः सराऽाि ं वश ं नयत।
ं ूािणनोऽिखलान॥् ६९॥
राजान ं विनता ं माना
ु
अ िवया जाप ं कयाास ु िनशः।
े यदिखल
सहॐ ं ूोकालन े ं ढम॥् ७१॥
शऽोोगरोषाामिनकरण ं तथा।
वहारं रणोोग ं वाद े वाच ं मित ं षाम॥् ७२॥
ु ु
एतागसरिभि ैरािल तऽ ताम।्
सास ु पजयि
ू े े
ं सहॐ ं ूजपथा॥ ७३॥
ु
े िौय ं ूाोित पलाम।
ूोकालूयोगण ्
े भवम॥् ७४॥
अथाळप ं त ु यऽं ं वितवै
ू
ूाविससऽाणा े े
ं पातनोादयथा।
ु ं ु ् ७५॥
कोािन नवषा च यतशतिमितटम॥
--------------------------------------------
्
एतत नवपोदरनवकोपम ् य े तथा स
तऽ ू
े े ६८॥ िऽसिऽःसराऽात।् एतं
िनबमतः। तथा यथाऽिभषक॥
े ं े िव ं
भवित िऽराऽाराऽादकिवशितराऽाित।
् ्
े ितयगादीनिप
वमाणराजािदसहोिः। अिखलान उशषान
े शरावयोः
ृ नवकोयिमित शषः।
ूािणनः॥ ६९॥ का
ु ु
ऊाधःयोरोािभमखािमखयोः। वा िवक।े
शयनानके ापियित े
े शषः॥ ७०॥ सहॐ ं ूितसम।्
ूोकालन ं ् ७१॥ वाद े तक।
े िऽराऽािदना। अिखलवमाणम॥ वाच ं
्
ूितवािदनः॥ ७२॥ एतत यम।् ूागसरिभि
ु ु ैः
ु ु ु ः। तऽ य।े ता ं
अमपटलोै नागकरीकमै
िवजयािनाम।् ूयोगिदनषे ु सहॐ ं ूितसम॥् ७३॥ ूोकालात ्
ु
ूावला ं राौीसमाम।्
ैः षिशा
अथािदािदिभः समीिरता इरै ा ं
ृ ू
ोकै ः रिवकतमलिवारै े ं
रकाशीितकोवळयिनमाण
े
तयोगाँलािन चोपिदशित। तऽ अितवैभव ं अः॥ ७४॥ ूावत ्
ूादिणोद।
--------------------------------------------
p. 328) ु
ततोणकोािन े किवशितम।
माजयै ं ्
म े च सववाशीितकोै
े
यथािविध॥ ७६॥
ु ु िविलखिकोणाककोतः।
ततिद े े
सवमको ु मतथा॥ ७७॥
े च चतिद
े का ं ूािवधानतः।
िवधाय तऽ िविलातृ
े वळयण
एकन े िवजया िवजयूदाः॥ ७९॥
् े ु सिल
एतत ूोष ं ्
ापयते ूोपतः।
े
िवजय ं समवाोित ूोिप ु ८०॥
च सस॥
--------------------------------------------
ू
िससऽाणा ु ू ् ७५॥ स ैकिवशित
ं चतदशसऽाणाम॥ ं ं
ूितकोणिमित शषः। ु
े म े वळ ं ूागपतः॥ ७६॥ एककोतः
ूितिदशिमित॥ ७७॥ िवा ं अिवकताम।
ृ ् नामोदराम ूावत
् ्
सवाधःपिकोऽयमकोािदूादिय
े ु ्
वणान रिवकतानशीितसान।
ूवशगामबमािदथः। ृ ्
ु
एतदमचत शात ्
ू ु गतिऽकोणचतामशािदथः।
यामभतचतिद ु
ु
िऽचतरॐक ु ७८॥ तऽ
ं अबिहिवभागातरॐऽयिमथः॥
तदरालवीथीय।े ूािवधानतः सिवसजनीया ं िवलोमा ं
ु
सिबकामनलोमा े एकन
ं चथः। े अिनरपण।
े े
यिवरचनाबमो यथा ूाक ् ूदिणोद
ु ु
चतदशिभतदशिभः ू
सऽैराािलत ैः समारालं
ु े बमण
नवषंिधकं शत ं कोािन ूागन े िना तषे ु
कोणषे ु चतयऽिप
ु े म े वळाकारं यथा भवित तथा
े ं
ूितकोणमकिवशितकोािन
माजिया िशषे ु पाशीितकोषे ु
ु ु ूितिदशमकैे ककोमाजनतिकोणचतय
चतिद ु ं का
ृ
े े े ु सवमकोिदगतॐ
िशकाशीितकोष ु े
े चतय
ु ं मलिवा
ृ ं ूावामसटा
चािवकता ू ं िलिखा ततः
े े े ु
िशकाशीितकोष
सवाधःपिकोऽयमकोािदूादिय -
े
ूवशगा ु
मबम ं
ृ ू
रिवकतमलिवाराशीितबमामािलिदगतॐ -
ु ु
चतामशादबिहिवभागातरॐऽय ं िवधाय
तदरालवीथीये
--------------------------------------------
p. 329) ु
िविलाफलकातले य कचन ैः।
े े ु ८१॥
ं ं ापयवँमस॥
जपाराधनसिस
ू
पवापनािाजधानी ु
भवित सिरा।
्
वटे िविल खननात पन ु ् ८४॥
ं भवित ीवम॥
उरे िवधाय
े ं ापनादिचरण
े वै।
आिहतानाौय ं ान ं भववे न सशयः॥
ं ८५॥
् ु िऽशलकम।
वळ िदिकोणारालात कयात ् ू ्
दाहा े सय ्
ं ु े िलखते तमयोः॥ ८६॥
ं
तऽ सा ू
गिदन ं िवाजिवभितना।
े े ् ८७॥
े तमािवँय गदो वदत॥
भालनािभजन
--------------------------------------------
ूावातृका ं िवलोमा ं सिवसजनीया े ु
ं तामवानलोमा ं
सिवकामबागा िविल अनने यणािनरपण
े े े
िविनयोगतो िवजयािदसफलूाििरित॥ े ु
७९॥ ूोष
अमपटलोलोहऽयािदष।ु ूोिप
े ्
च सस ु अिन पटले
ं े ोकन
िऽशमन ु
े ूोयािदष ु सिथः॥
८०॥
य ं वळाकारणम।् कचन
ु ैः ूावत।् दश ू इित शषः।
े े श े तऽ
ृ े
गहदशयोः॥ ८२॥ एतळप ं यम।् यऽ कऽािप
ु ऽे इित शषः।
े
ू
पवापनात ्
राजधानी ू पन ं ािपतदशः॥
ािपतभः। े ८४
॥ ान ं यािधितम॥् ८५॥ वळ िदिकोणारालात ्
ु गतिऽकोणमावकाशािदथः।
चतिद दाहा े रफयकारौ।
े
े
रफयकारौ। िमित िवः। तमयोः
ू े े
िऽकोणारालगतिऽशलमरखापादशयोः। एतं
ु
भवित ूागवळिदगतिऽकोणगतमावकाश ू ं का
े िऽशल ृ
े
तयोः रफयकारौ विमाताकौ सिवकौ िविल तऽ
ु
वमाण ं ूयोग ं कयािदित॥ ू े े वळ।े त ं
८६॥ तऽ िऽशलोपत
गिदनम॥् ८७॥
--------------------------------------------
p. 330) े
ावशकारण
ं कमापयापबम यथा।
ू
महभतिपशाचााः अािवँयापयाि वै॥ ८८॥
ु
राो गहे े त राजमा मित नावयम।्
ान े गजाना ं वाहाना ं नव का
ृ नविप॥ ९०॥
ानषे ु ािपताताचयिनशथा।
े े
िद ु म े च तऽैव रोगाः काः
ृ े
परिरताः॥ ९१॥
ु
वीित ं ु त ं त ु त े न ैव शाः भावतः।
चचनकाँमीरैरािलािभनव े पट॥
े ९२॥
े ्
अ िवाज ं त ं पटमाीय शाययत।
ु
दाहरातमिचरात े तरण
े सः॥ ९३॥
े
अिप गदव े ु े
े े ं कारयिमय।
् ९४॥
समरषे ु महीपाना ं यमतदीिरतम॥
े
े ्
े े ु वाषे ु च समािलखत।
िनशान े पटहऽष
े
दरदनाथ े ् ९५॥
त े तामावा समचयत॥
ु
िवजया ं िवजयावा ै यगपाडयन ् े ्
ोजत।
े तौवणने पलायत॥
ूिथसना े ९६॥
--------------------------------------------
ू ् ८९॥ मा भिमः॥
यथा गदः॥ ८८॥ य ं िऽशलरिहतम॥ ू ९०॥ नव
े
ानापया। े ु ९१॥ तभावतः।
नवस ु ानष॥
चचनकाँमीरै सििलत ैः॥ ९२॥ दाहरातिमित
े
शाययिदऽायः। स गदी॥ ९३॥ तिमय ु े एतत ्
ु े रोगिवमय।
्
वळपम॥् ९४॥ ९५॥ ताडयन िनारयन।् त इित िनारण शः॥
९६॥ ९७॥
--------------------------------------------
ं िवा ं वा लोिहताकितम।
े े िरपोय
ाय ृ ्
् १०१॥
अा िनालनाि े त ासातम॥
ृ
इित षोडशिनातषे ु ौीकािदमतऽादश
े ू
ं पटलं पिरपण
परामृम॥् १८॥
--------------------------------------------
ु ु
तठे कटािदकठ॥
े ९८॥ जयमाोित दधन इित शषः॥
े ९९॥
ू
िवा ं मलिवा े लोिहताकितिमित
ं वािवकन। ृ े ं
यािप िवशषण
ृ ु भवित िरपिरित
े त धातः।
तदा लोिहताकतीित। ु े तलात ्
शषः।
ानबलात।् उूकारतः॥ १००॥
मसा-
--------------------------------------------
ं
ऊनिवशपटलम।्
ू
मलिवारै
दघरिभ ैः षडकम।्
् े ु मनोऽविध॥ ३॥
तािन तरिभािन सते ष
ु
सवणवणिचरा ु ू
ं मामािणभषणाम।्
मािणमकटा े े ् ४॥
ु ु ं नऽयूयाभराम॥
--------------------------------------------
ू
पविादश े पटले ऽयोदँया िवजयािनाया
ु
िवधानमपिदँयानर ु
ं चतँयाः
सवमलािनाया
ु
िवधानमपिदशित े
अथ षोडशािदना े े ोकशतपण
अिप चन े
ं े पटलन।
एकोनिवशन े तऽ अथ षोडशािदना
े बमािदने
ु
ोकयने पटलाथानपिदशित। तऽ किथता तृतीय े पटल।े
्
िविनयोगािदकान यादीनािमित े
शषः॥ २॥
ू े
मलिवािदना ु
े ासजातबममपिदशित।
ोकन तऽ
ू
मलिवारै ू
मलिवायाः सकारवकारिविभः
िपडीभतू ैिरथः।
अऽ बवचन ं अवारऽयापया
े
दीघरिभ ैः ूावत।् एतं मवित ा ं इािदना बमण
े
ू
मलिवया ु
दीघरयजा
ू
सजाितकयारासपवकमास ु
ं कयािदित। तािन
ु
दीघरयषिधिवापािण षे ु ौोतािदष ु ानियष
े े ु
तऽ ौोऽािदष ु चतषु ु
पस।ु मनोऽविध मनः षिथः।
े
े
ानिप े े
ूितमकमकमर े तऽ
ं सिदथः।
िच ासः ूावत।् सवासजातानर
ं ापक।
ं
े
ूावसिदित सदायः॥ ३॥
ु
सवणािदिभः
िता इःै पिभः ोकै दाः
सपिरवाराया िनसपयामडलिनमाणगभ
ू ु
िनपजाानािदकमपिदशित। े े
तऽ नऽयूयाभरा ं
--------------------------------------------
े
ूयोगदा ू
िनसपासशिकाम।्
ु
भिा ं भवान भा िवशाला सिविताम।्
ू े े ९॥
कणा ं कमला ं का ं पजयदपऽक॥
--------------------------------------------
राणकायभरसयामृ ं ु े
ू ताशनऽया
ं इथः।
ु
ासना ं प े वमाणप े मडले सखिता
ं इथः।
अषोडशतय ैः पऽ ैः तय ैिरित षोडशय ैिरित यावत।्
ं
ािऽशऽ एतं भवित आरबमादपऽ ैः
ैिरथः।
ं
षोडशपऽ ैः ािऽशऽ ैपित ु ू ु
े इित। सचतारभसयमग े
चतिद ु ु
ु ु चतारयतचतरॐयमग
ु
े इथः।
तिसपयामडलिनमाणबमो यथा।
यथामानमबिहिवभागप ु गतचतारोपत
ं चतिद ु े ं
ु
समचतरॐय ृ त े ािऽशल
ं का ं ं प ं तदः
षोडशदलं प ं तदरदलं च प ं का
ृ तिणकाया ं
े
दवीमपऽािदष ु पिरवारशीावा पजयिदथः।
ू े वामने
े े शषः।
करपजनित े शििभः िनावरणशििभः। षितिभः
ं ु
अिऽशिथनपािभः। े
अािभिररोशििवशषणम।्
अरोािभः वमाणिभरमृताािभः
ू
सोमसयािपारशििभः अिताम।् ूयोगिित
े सः।
अदा िनसपािित सः। उशिका ं
े
वमाणभिािदशिका ं रिदित े शीः
ूकरणशषः।
ू
िनपजावरणशीः। ्
एतम भवित ं भिािदशि
िनसपयाया
सिहतामवे ूयोगािदष ु तािभ
वमाणािभरमृतािदिभमातृ कारोािभः
ू ं ु
सोमसयािकलाािभरिऽशिथनपतः षितिभः
ू े
शििभािता ं ूोपतो ाा पजयिदित॥ ८॥
भिािमािदिभः सहॐकिमनै विभः ोकै ः
िनसपयावरणपकशिनामािन
--------------------------------------------
p. 335) ू
कला पिरण िनाममृता ं जीिवता ं दयाम।्
ु ं भायामथोताम॥् १०॥
ू पया
अशोकाममला ं पणा
ु े
े ं िवभवा ं िवा ं िवतताायमक।
िववका
ू े
पजयदिभतः े वै॥ ११॥
शीः ूादियबमण
ु ं परमरीम।
े सवा पराणा
कािमन खचर े ्
े
गौर िशवाममया िवमला ं िवजया ं पराम॥् १२॥
े िशववभाम।्
पिवऽा ं पिन िदा ं िवश
े ु ् १३॥
अशषपामानामजाीमिनिताम॥
े
वरदा ं वादा ं वाण िविवधा ं वदिवमहाम।्
ं दानपा पजयत
िनमला ्
ू े षोडशय।
े
ूाविदािदिभः साः बमादथसकाः॥
ं १५॥
--------------------------------------------
ू
पजासमापनािदकोपिदशित। तऽ भिािमािदना
े ू ु
ोकनापऽपशकनामापिदशित। कलािमािदना
ू
े षोडशदलपशिष
ोकन ु
ु ादशशिनामापिदशित॥
े
िववकािमािदना े ु
ोकनाविशशिचतयनामािन सवाः
् ू े
शीरमािदूादियात पजयिदित ु े
चोपिदशित। तऽायमक
े ु कािमनीिमािदना ोकन
षोडशदलष। े
ं ू े ु
ािऽशलपशिकादशशिनामापिदशित।
े
पिवऽािमािदना ोकनाविशास ु एकिवशितशिष
ं ु
ु
नवशिनामापिदशित। े
वरदािमािदना ोकनाविशास ु
ु
ादशशिष ु दशशिनामापिदशित। तऽ वागीरीिमित
ं
सिवशितशिनाम।
िनमलािमािदना े
ोकनाविशशिय ं
ू
तजािदकोपिदशित। ं े
तऽ षोडशय े ािऽशलिथः।
्
ूावत ूदिणादािदलोकपालाा इादीशाा अौ शीः
ीपाः ारषे ु पायसिहतष
े ु पिमािदचतॐः
ु गतारषे ु चतषु ु ूितारं चतॐः चतॐ
पिमािदचतिद
ू े चतॐ इित शाथयवशािरयो
पजयिदथः। भवित
े
तनादा चतॐ इनॄिनयितकालशय उ।े ूोिवमहाः
ू िवशितशी
सय ं ू े
पजयिदथः।
ु
िनािनापटलोारवतरॐिदगतारपाानगा
इथः।
--------------------------------------------
्
ु ूावत
विलय होम कात ्
समापनम।्
े
ूावा ं साधयिा ं ािऽशमानतः।
ं
होम ं दशाशतः
ं ु
कादााा ं घृतने वा॥ १८॥
एव ं सिसिव
ं ु कात ्
ु ूोानशषतः।
े
ूयोगानथा त न ैमयशो मृितम॥् १९॥
िवदाने ता ं ूोबमणारा
े भितः।
ं
ससा ् ु
पात कत मलालोिदतान॥् २०॥
--------------------------------------------
इािदलोकपालशीरौ सम
ु े
ततोऽनॄिनयितकालशीतरॐायादीशाष े े ्
े ु कोणचयत
् ू े कत
पजन
। एव ं िऽरावतनात ु गतारषे ु
ृ े ूितिदश ं पिमािदचतिद
चतॐतॐः कोणािदष ु एकै का च ैव ं िवशितशिीित।
ं
्
विलय ं ूावत समापनम।् ूावजयभावनािदना।
े ता
े
दाः॥ १७॥
ूाविदािदिभिदतािनिै िभः ोकै ः
ु
पररणिवधान ृ ु
ं कतपररण ूयोगिवधानयोयता ं
ु
अथाकरण े ूवायािदकमपिदशित। तऽ ूावत ्
ृ ू
कतसाऽयपजनािदिभः। वा िवक े अथा
ूोसाधनादीनामकरण े त साधक न ैािदकं
े शषः।
िवदािित ू
े तने कारणने ता ं मलिवाम ्
आरा
ं
िनोपासनािदिभः ससा ्
पात साधनादः ्
े मलान ूयोगािनित
्
े मलोिदतान समलोान।
शषः। ्
एतवमलापटलोालान ् २०॥
ूयोगािनथः॥
--------------------------------------------
ु पी
ू तिः
अमृता मानदा पषा ु रितधितः।
ृ
ं
शिशनी चिका कािा ौीः ूीितरदा॥ २२॥
ू पणामृ
पणा ू ता कामदाियः सराः कलाः।
एताः षोडश च कलाः किमोपमाः॥
ु २३॥
ू मरीिचािलनी
तिपनी तािपनी धॆा िचः।
ु ु भोगदा िवा बोधनी धारणी मा॥ २४॥
सषा
--------------------------------------------
े े
ूयोगािदिभभविद
ै योदशिभः
ं ु ू ूाक ् ूता
ोकै रिऽशलापिमथनीभताः ु
ु
मातृकारशीः ूयोगाथमपिदशित।
तऽ ूयोगाथाः।
ू
पूयोग
े ि ं ारयित। वणशीः मातृकायाः ताः
ू ं
पवपसा ु
िमथनपतः ू
सोमसयािपाः मातृकाया
वमाणबमाः अरिवभागतः तिपाा
ू ु ू
िमथनीभताः
े
शीः॥ अमृतािदना े षोडशस ु सोमकलास ु चतदशशीप
ोकन ु
िदशित। तऽ पषित ु
ू े टावा। पीरितः ु रितः इित पददः॥
पिः े
ू ािदना ोकन
पण े िशकलायनामनी तासामकैे काः
ु
षोडशराणामकैे क बमाोजनािदकमपिदशित। तऽ
े
कामदाियः इूदाः। अऽ बवचन ं षोडशापया।
सराः राणा ं षोडशानामकैे क बमणादौ
े योजनातः॥
ू ु
े सयकलाादशनामापिदशित।
तिपनीािदना ोकन
बमािािलोमतः भािदडाािन ादशारािण
ू
िवलोमपािण तासा ं मलोबमाणा े
ं आदौ ूावोजयिदथः
ं
॥ धातािदना
े ादशाकनामस
ोकन ु
ु दशनामापिदशित।
ािदना
तऽ समनरः नवम दशम इथः। े े
ोकन
िशनामय ं तदरािण चोपिदशित। तऽ कािदठााणतनवः
ु
अनलोमतः ककारािदठकाराारादशकं तामादौ
े तऽ तयोजनाबमः
योजयिदथः।
ू
पवतिपािदशितदरसिहतः। यथाबम ं कं भ ं
धातृतिपनीा ं नमः इादयः ठं डं िव ु
--------------------------------------------
ु
ा िविरित ूोा ादशाकाः बमण
े वै।
कािदठााणतनवः सिसिदाः॥
सवगाः २७॥
ू
धॆािचा ु
िलनी ािलनी िविलिनी।
ु सपा
सौीः ु किपला हकवहे अिप॥ २८॥
यािदाारमयाः शयो दश कीिताः।
े ं दशाना ं नामािन वासनोािन त े िशव॥
तषा े २९॥
कािदााराणा ु ािवशिथनािन
ं ु वै।
े सप
ूोबमण ु
ं ू िविध ं या ु सवतः॥
३०॥
्
राणा ु तात ताः शयथा।
तासा ं नाथाशनामपाः समीिरताः॥ ३१॥
--------------------------------------------
ं
िवशितः ं ु
ािवशिथनािन े
सौरािण ादश आयािन दश एव ं
सय ं ु
ू कािदााराणा ं ािवशिथनानीथः।
े तऽ बमोऽािभदिशतः।
ूोबमण ् ं राज े इित
तात य
िनवचनात ्
ताः ्
रमयात तशनामपाः शिनामािन
ु
पमािन े एतं भवित राणा ं
योजयिदथः।
तादिधा ु शयः सोमकलाः पवा
ू
अमृतााः षोडश ताः तने ततयशपनामानः
ु
तािनामािन पमािन े एतं भवित
योजयिदथः।
रािदकािन
--------------------------------------------
p. 339) ु े ु
िमथनावमािन ं े वै।
िऽशदबमण
ं ू तजयािन
तािन सप े जले िशव॥
े ३२॥
वाता ैमासमाया ःै षितयतु ैः शत ैः।
े
पिभयजयिा ् ३४॥
ं िवा ं ता ं सवमलाम॥
्
तता वलान े रान षोडश े ्
योजयत।
शतने च षोडश॥ ३५॥
ततः सहॐ ैनविभि
--------------------------------------------
--------------------------------------------
ृ
वय े ्
ं िवधाया विहः षोणमािलखत।
तिहापऽाज ं तिहय ं तथा॥ ३७॥
का े ू ु
ृ तषे ु सिाकटाबमण
े त।ु
े
ता ं मतः सासमते ं िविलखिहः॥
े ३८॥
ृ ु े मातृका ं माययािताम।्
बिहवारयग
ु
िवलोमामनलोमा ने सक ् समािलखत॥
े ् ४०॥
--------------------------------------------
े ् िनािवायाः समलािनािवायाः।
े ं योजयत।
ूक
ू िवािदयोिजत
एतं भवित पवै ैः
ं ैमातृ कािवसरारैत-्
षिधकपशतस
ं े
सपभदाया अ े ूक ्
े ं बमात षोडशरयोजनतः
ं
सषोडशिशतािधकनवसहॐसािवातपािण भवीित।
ं ैिवाप
त ैः ूोस ् ैिरित शषः॥
ैः ूयोगान य े ३६॥
ृ
वयिमािदिभः बमािदःै षिः ोकै ः
ं
ूोसािवाप े का
ैरकै
ृ ु ं ु
विततािरशदिधकशतयायपिदशित। तऽ अ
ृ
वय। तिहः षोणािहः। तिहः अाऽाािहः।
तय ं वऽय
ृ ं कित
ृ े सऽायः। तषे ु ानषे ु िवाकटान
ू ्
ू
भलिवायाः े उबमण
ूोसतपािनथः। े
े ता
वमाणबमण। े ं े ु कटा
ं ूोसष ू े ं
मतः सवमतः सासमते ं
े ेच
सकाराधाकारमािल तयोमारालूदश
े विहमात
साधकािदऽय ं िलखिदथः। ्
चािर चािर ूितकोण ं
ू षोणलखनीयारािण
तािन च मिलिखतारादीिन सय े
ु
चतिवशितः। ् े ं प प ूितदलं प
विहः षोणात ूक
े सयापऽलखनीयारािण
पारािण िलखिदथः। ू े
ं
चािरशत।् एव ं सय ् े लखनीयारािन
ू चािन य े
ु
चतःषिः। विहः अपऽात।् वारयग
ृ ु े
ृ
अपऽवागतवऽयारालवीथीय। े
े मायया िवसजनीयन।
े ु अगतषोणषडरालष
ने िवना। अःषडरालष े ु
पयायिदनसव े
--------------------------------------------
p. 341) े ु पायिदनसव।
अःषडरालष े
िन े िलखदमत
े ु ूादियने सवतः॥
४१॥
ू भदतः।
एव ं यािन जाय े त ैः कटै े
ं
शत चािरश चािर च ततः बमात॥् ४२॥
ू
एवमािन कटािन ्
ूोािन िविलखते बमात।्
म े नामसमतािन
े े ् ४३॥
तदािभतो िलखत॥
--------------------------------------------
िन े ूकमरऽयाकतया
े
षडरप े िव।े सवतः
े ु एवमयोगत
य सवानष। ु इऽायः। उयोगत
े
इतं भवित
ू ू ु ु
पवपविलिखतारचतःषिकापिरतनमपिरतन ं
ु
चतःषिक े ं बमणोसिवारै
ं विहविहरव े ं े ृ
रकावितः
ं
ूोसािन यािण जाय इित। यिवरचनाबमो यथा
ु
ूागमानतः षोण ं वयगभ
ृ का
ृ तिहः अदलं
प ं का ृ
ृ तावयािहवय
ृ
ं िवधाय सवम े
ं े ु
सषोडशिशतािधकनवसहॐसष
ं े ु िवापा
मातृकािवसररसयोगायोगसातष े ं
्
ूावत सनामकमािल तिहः षोणषे ु ूितकोण ं
मिलिखतारादीिन चािर चायरािण ू
सय
ु
चतिवशरायािल तिहरपऽषे ु ूितपऽ ं
ु
षोणािभिलिखतचतिवशितकापिरतनािन पपारािण
ू तऽ चािरशदरायािल
सय ं ू
ैव ं सय
ु
चतःषिसारायािल
ृ
तिहवऽयारालवीथीय े मातृका ं िवलोमा ं
सिवसजनीयामवामािल ु
तावीामनलोमा ं
े ् एतत ूथम
सिबकामािलखत। ् ं यम।् एव ं
ू ु ु
पवयिलिखतचतःषिकापिरतनमपिरतन ु
ं चतःषिकम ्
े
एव ं बमणोसाना े ृ
ं िवाराणामकावितो
ु ं
विहविहलखनततािरशदिधक ं
शतसािन यािण
जाय इित॥ ४२॥
े
एविमािदिभवदिद ु ोकै ः पवाना
ै तिभः ू ं
ु ं ं
चतािरशदिधकशतसाना ं
े े े जाताना ं याणा ं
याणामवारासानभदन
ं े ं बमण
सामिनापदशकाव े यािण
ु ू
े अािन कटािन
सवीित चोपिदशित। तऽ एवमूकारण ूोािन
ू ं पवसाना
पवषा ू ं ं याणा ं
ू ु
मिलिखतकटारापिरतनमपिरतन ं
--------------------------------------------
p. 342) ैः सिवशितसकै
ऽयोदशिमत ैल ं ं ः।
े
सहॐ ै शतनािप ु
चतिभािन ं
सया॥ ४४॥
े जाय े त ैासौ समला।
यािण दिव
एवमासा ु िनाना ं यािण ःु पृथक ् पृथक॥
् ४५॥
--------------------------------------------
ू ु
कटारमपिरतनाना ं ूोसाना
ं ं याणा ं म े
तदािन तथमूथमयषे ु
म े िलखिदथः।
े
ु ं
ममिलिखतारादीिन चतःषिसािन।
ं ं
सिवशितसकै ं
ः सहॐ ैः सिवशितसहॐ
ैिरथः।
ैः। एतं भवित यथा पवाना
त ैय ू ं
ु ं
चतािरशदिधकशताना ं याणा ं ूथम य
म े सषोडशिशतािधकनवसहॐसाना
ं ं
ू
िवापकटाराणा ं ूथम ं म े िविल तिहः ानषे ु
े ु िलिखत ैमिलिखतूथमारािदकै
ूोष ु ू ः
तःषिकटै
ूथम ं यम।् ितीय ं
ू
पषितमकटािदकै
विहिलिखत ु
ैतःषिकै े
ः एव ं बमण
ू े किणका
सवूथमकट ं
एवोसािन यािण िलिखतािन। तथा
ू ं तथम य म े िविल
ितीय ं कट
ु
विहदािदकै तःषिकै ु
तःषिकै
िलिखत ैश-्
ु ं ं
चतािरशदिधकशतसािन यािण जाय।े एव ं तषा
े ं
तषा ू
े ं तथा तथा एकै ककटम े
एव लखनात ् ं
ूोसािन
े े मतः ूोसाना
यायवमव। ं ं सवषा ू
ं कटाना ं
्
बमात यावमण ू ं
े कटसाविलखनतः।
ृ े
ं
सषोडशिशतािधकनवसहॐसयाणा ं
ु ं
चतािरशदिधकशतक ू ऽयोदशल ं
ं सय
ु ं
चतरशतािधकसिवशितसहॐोरं यािण भवीित। तऽ
ू ू ु ं
पवपवचतािरशदिधकशतयूथमूथम -
ू
यममिलिखतकटात ् ू ू ू
पपवकटारािण
तरमचरमय चरमचरमारािण भवि इित॥ एवमासा ु
िनाना ं यािण ःु पृथक ् पृथक।् एतं भवित षोडशाना ं
े ं खावतीना
िनाना ं ूक े ं दशाना ं ता ं
े े ं
खायामव
कािवसररषोडशकयोजनतः
सवमलावदायोमातृ
ं
सवमलोसािन ् ं
ता पािण भवि। त ैत तािन
े
यािण च िवधयािन। े
खािवहीनाना ं याणा ं पाना ं
कािवसरर-
सवमलावदाराणामायोमातृ
ं
योजनतािन ं
पािण त ैािन च यािण भवि।
तत ै ैााः िसय भवीित। तऽ
े ु ु
भडाकलसरीिनयोराार
--------------------------------------------
p. 343) ु
तादािभरसाािन न कदािच कऽिचत।्
ु े तािन नवबमैः।
नाथाकािन यने न
े िवदाििनयोगकम॥् ४७॥
िभा षोडशधा दिव
े ्
यिवाित ं क तषे ु िविनयोजयत।
ू े वािप पजयत
पीठे वा भतल ् ् ५०॥
ू े ूोवासरम॥
--------------------------------------------
् कािवसरमािद ं का
हलमाऽाभावात मातृ ृ त िवार ान े
े ं षोडशरयोगने ता
ूक े ु े
ं ं सादयिदपदशः।
एवमऽाितरहमिप नाथाया सव िविव
ु
समीचीनममािभः। आिभः पदशिनािभः असाािन
्
कदािचत काल
कायािण ु
े कऽिचत ्
ान े च तषे ु कायष ु यििदकदशतः
े े
्
े वदते साकन
। अतः कः शषतो अहमिप वं ु न
े ताािन कायािण
४६॥
शोमीथः॥
े
नाथाकानीािदिभजपािदन
ै योदशिभः ोकै ः
ु
ूोयाणा ं िविनयोगूकारानपिदशित। तऽ नाथाकािन यने
ं
नवसया आहरण े याणा ं िनःशषात
े ्
तािन यािण
नवकं नवकं िवभथः।
नवबमैिभा े षोडशधा िभित
े
ू
े सः। पविवभ
िमिलित ं नवकं षोडशकं षोडशकं
ु ् तने षोडशिभः षोडशिभनवकै
िवभ िविनयोग ं कयात। िविनयोग
ं
ु ु ं भवित। िवशालामिवास ं ूितकों
कयािद
यिनमाणयोयमिवकाश ं िवधाय नवकोकम।् यथा ूाक ्
ूदिणोदक ् च चतिभः
ु सऽैः
ू
समारालमाािलत ैनवकोािन ु
कयािदित।
् े ् नवािन नवस ु
ं ूादियबमात िलखत।
ूागािदमपय
ूािदगतपिकोऽयमकोमार
ु
ममकोा ं ूादिय े ना(म)ु यबम ं
े तषे ु नवस ु यषे ु रािण ूथमषे ु
नवयािण िलखिदथः।
नवस ु बमणािादीिन
े नव नऽािण ितीयनवके मघादीिन नव
ू
नऽािण तृतीयनवके मलादीिन नव नऽािण एव ं यावत ्
ु े ु नवकिप
फलवापिरतनष े
--------------------------------------------
p. 344) ु
ततः ूा े वािताथ ाा े
दवताः।
े
चबं ूा तोय ं कदारािदष े ् ५१॥
ु िनिपत॥
ं े
परसासमतािन तषे ु तय
े ं िविधः।
सौकािण
सवतः िसवानया
े ु ् ५३॥
ीवम॥
वँयषे ु ानसूा
ं ू ु
ै सवूहशािष।
ु ५४॥
लीूा ै तथारोय िसौ रोगािशािष॥
िवजयाय समापारणायािभिसय।े
ु
पऽा
ै सवराय ू े े ु तमात॥् ५५॥
ै पजयष
--------------------------------------------
े
ूोवासरं मडलािन तािन दवताः ूाववचनम।् कदारािदष
े ु
े
कदारिमित े ु ु
े आिदशः उानिनटािदिवषयः।
ऽमत।
सौकमािण
एविमािदिभाथः। वमाणवँयादीिन। अनया
े परसािदना
ूोूिबययथः। ं े एतं भवित।
े े
सवमलामतामरणाासा ं पदशाना ं िनाना ं
ूोबमतो िनिमताना ं ू ं े
ं परसापवसासमताना ं
ु े िविनयोगबम इित। तथा लीूा ै
याणामबमतोऽयमव
् ु
तषे ु यषे ु तमात ूागबमतः पीडास ु सतीष ु ता ै
पीडाशा ै यथाबम ं नवनवबमतः तषे ु तषे ु यषे ु
े ु अिप
वँयािदषष े चथः। ु
े नवूाकारयािन
ूथमािदष ु ितिथष ु
षोडशषोडशनवकानीथः।
ू े ु
पजयिदरऽायः। ूथम े नवके
--------------------------------------------
तषे ु तषकाष
े ू ्
ु तत सािहतव॥
े े ५७॥
ु
नवूाकारयािन षोडश ूथमािदष।ु
् ५८॥
ितिथष ु ूोपािण तऽ ता ं सवमलाम॥
ू े
पजयाितावा े ्
ै ूथम े सवदापयत।
एवमषा ू
े महािसिकरी पजाजपािदना॥ ५९॥
--------------------------------------------
एषा सवमला षोडशयनवकिवासाथ मडलं
सदायूा ं िलत।े यथा ूादिणोदपप
ू
सऽािण े
मानात ्
समारालािन ृ तषे ु षोडशस ु कोषे ु
का
ू
े ं म े म े ितयग
ूक
े ृ तषे ु
े नवनव कोािन का
समारालरखायिवासन
े
षोडशीशानािदमा ं ूवशगा े ु नवस ु नवस ु
तदगतष
कोषे ु ूागािदूादियूवशगा
े मा ैव बमाषे ु
सवऽ यािण कयिदित।
े ू ैतं भवित
सय
ं
ूोसाना े
ं याणा ं नवधाहरणिनःशषतया नव नव
ू
यािण पवनवकोमडले
ं िविल तम े
ूागािदूादियापय
ू
समीिवभािादीिन मघादीिन मलादीिन च
ं े
नवनवनऽािण तासिहताािल ैवबमण
ु ु े
पनःपनिविलोपिरतननवकिप
तऽ े ताचनािदक
्
यावत फलावाि ु ् िक ूागयनव
कयात। ु नवषोडशकं
ु
ूागनवकोगभ ु
षोडशको े मडले ूागबमण
े
िविल ूितपदािदपदँय ं पदशस ु ितिथष ु ूितितिथ
े
एकिकिवके ितीयनवकािदष ु पदशस ु नवक
े
सवास ू े े ् एव ं यावत ्
ु ितिथष ु पमीशिदगतूथमनवकयत।
फलाि तपिरतनािप नवकषोडशकाािल ितिथष ु पजनात
ू ्
सवफलावािकरी े
सवमलित। अऽ
ं ं ु ं
परसावारसाचतािरशदिधकशतपा नव
ं
साभरणत े भवित परसािप
िनःशषा ं तथ ैव। तने
नाथाकं षोडशिनाकं च ैषािमित सदायः॥ ५९॥
--------------------------------------------
p. 346) ु
लघमिबयाासा ू ं सवाथिसिदाम।
ं पजा ्
ू
पणामनितिवार ू म े िशव॥ ६०॥
ं मला ं ॄिह
े े
दविषिसगवयदवानाौयाम।्
ू ं वािम त े दिव
पजा ु ं ण ु मनोहर॥
े गा े ६१॥
ु ु
िवया कलसा ू ्
कराासपवकम।
िवधायाथ पीठे चबं िवधाय तत॥् ६२॥
अिचतया
ु ू ु
चनागकपररोचनादरदािदष।
ु े ् ६३॥
े तऽ ताः सगपमथाचयत॥
एकन
ू े
रािदषािल ू े ्
ूितााऽ पजयत।
ृ
वायामिवारय े ु
े कतरीयतः॥ ६४॥
--------------------------------------------
ु े
लघमािदिभः ू े
पजयिद ु
रै तिभः
ोकै ोरपूावपवू वमाणाया ं
ु
लघमिबयाया ू
ं पजाया ं षोडशिनासाधारणाया ं करा
ासमघिवधान े
ं यलखनिािधानािदकोपिदशित।
ु
तऽ लघमिबयाया ु ं लघिबयाथः।
ं लघमा ु े आसा ं
षोडशिनाना ं पणा ु
ू लधपिरहाराय मला ं
ु ं िदात।् तया कलसया
मलकर गा ु ु चबं
े
वमाणादशकोणप।ं तिदित चबिवशषणम।् एकन
े िण
े
िवधायित ू
े पवऽायः। तऽ चबे ताः िना उप ं
ू े ु ूधानिनाकाोष
वमाणप ं यथा रािदषष े ु
े अऽ चब॥
ूिता चबिमित शषः। े ६३॥
ृ े
वािदना े े ोकयने
समाॐकािमनाान
ादशाॐचबिनमाण ु
बममपिदशित। अऽ आयामिवारय े
े ु
कतरीयतः ु
आयामिवारयोरतम चतथाशमानत
इथः।
तषे ु िचषे ु सऽािण
ू े शषः।
ादशित े ऽय ं िचाना ं
े तषा
ादशकोणचबिमित शषः। ु सऽाणा
े ं ममस ू ं
े े ु म े सवम
ादशाना ं रखायसितानष े योिन ं
ु ं िऽकोणम।् एतं भवित अभीमानने ॅमण
ािभमख े
व ु
ृ ं िना त ासा चतिवशितधा िवभ
े ं े ु
तशष
--------------------------------------------
ृ ु
ु म े च िवदायमकम।
े ं ममस
तषा ्
ृ
मव म े त ु योिन ं कात ् ् ६६॥
ु समाॐकाम॥
े े ु ूदिणम।्
ूाविॐोऽचयिाोणष
अा अषे ु कोणषे ु पजयादश
ू े बमात॥् ६७॥
्
अमात ूदिण ं पािलं दाथािविध।
साा कवलया
े े
कवला े ् ६८॥
ं लिलता ं यजत॥
--------------------------------------------
ृ
वात ् ं
समाशाददः। ं
षाशाद ृ
वय ं
ृ ृ
कासववाव मासायामिवारयोरतम
ुं ृ
चतरशीकत ु
चतथाशतः ृ े
सववावऽिभतो ादशिचािन
िवधाय तषे ु िचषे ु िऽिचािरत ं िचािचिमवे ं बमण
े
ू
ादशसऽायाा ृ
सवमवम े ूावत ्
े ं ािभमखा
समिऽरखा ु ् एव ं कत
ु ं योिन ं कयात। ृ े
ृ े ं सवमवतागतयोिनक
तमादशकमयोिनवोपत ृ ं
ूोप ं ादशाॐ ं चबं भवतीित॥ ६६॥
े े ोकयने तबे ूोशषा
ूाविदािदना यजिदन े ं
ु ू ु
लघपजामपिदशित। तऽ ूावाया उपिरतनाः तोणषे ु
सवमिऽकोणऽय ्
े ूदिणम अमािद। अाः ितसृो
िमाः। अषे ु वाषे ु कोणषे ु ादशस ु ादश िना इित
्
े बमात यथाबम
शषः। ्
ं अमात ूदिणिमित ू सः।
पवऽ
् ू
विलं दात पजा ु च
एव यथािविध अािदि ैमिया
साया कवलया
े ककयित े अ पद विलं दात ्
ु ु े शषः।
ू
इऽायः। पजारा। े
कवला ं लिलता ं लिलतािनायाः
े नाम तािमथः।
तृतीयखडािप लिलतित
ू े अासा ं
एतधानिनायामिपजन
ू े तिा ं जपिदथः।
पदशानामिपजन े
ृ
लिलतािवायातीयखडाकम खडय तृतीयपटले
े
यमवोपिदवान।् एवम ु े ादशाॐ े चबे
ु ं भवित ूाग
--------------------------------------------
तािभः षोडषिवािभिनााः े ्
षोडशाचयत।
ं
तिारसा ु ण ु व े यथाबमम॥् ७०॥
्
ूथमाया सा िवा ात षोडशारी।
ितीयायाताः ु ु
ु तदशिभररै
ः॥ ७१॥
--------------------------------------------
े े
कामरीवळरीभगमािलनीः समारा तिािभरा
े े
ादशिना िन िादीः ादशकोणमािदूादियन
े ् ककासाया
तिािभरयत। ु ु विलम े दा
े े ् अासा ं पदशाना ं
तीयखडं जपत।
कवलतृ
ू े ु तपिरतनािॐिािभः ूावद
अािपजनष
तपिरतना ादशिना यथाबम ं ादशकोणषे ु
तिािभरिया ु ु साया विलं दा
ं कका
सवासा
े ् तऽ पजन
तिा ं जपत। ू े अादश
े अः ादशकोण े
ू े
मा ं पजयिदित॥ ६८॥
िनानािमािदिभिदता इःै पिभः ोकै िनाना ं
े ं
षोडशाना ं नामपा िवा ूक
ं
तदरसाािभनामपिवािभ ्
तिन ादशार े चबे
ू
पजािवधानोपिदशित। तऽ
ृ ु ु
नामततीयपटलूोिऽपरसरीािदनामिभः। िना सरािण
ु िना इरय ं ूागसारीित
ः। ु ु
िरनयोः
ू
पवापरयोरयः। ु सवदा
तने इित ूोूकारिवाः िरथः।
िवाऽयािप
िन ं तािभनामपािभिरथः।
दशपकिमऽायः। पा इािद पदऽयं
िवापदिवशषण ्
े ं ूाधत ऽयोदशारािण। एकादँया
्
इािदऽय ं ूावत ादशोिदता वणा इित शषः।
े एतं भवित
षोडशाना ं िनाना ं तृतीयपटले षोडशिवोपदश
े े याः
ु ु
िऽपरसरीािदप ं याम ूों तद े िनासारीित
्
ं नवारयोजनमादौ सदायात सवासाम
सवासा ् े ं
ूक
--------------------------------------------
ु
े े े चतिवशितिभथा।
अिवाचयब
ं
सिवशितशता े
िवा जपाा े ७४॥
िसय॥
्
ं सशत
अा िवशत ैन च पजनम।
ं त ैय ू ्
ु
एतघूकार
े य ं साथदायकम।्
तने तोमिखलं साधयळिपणा॥
े ७६॥
--------------------------------------------
े ूणवखायोजन
बमण े ु ् तासा ं
कयात।
ं
तऽोिदतनामारसामनप ्
ु ु वापण
े ैव
े
ाायतऽािभः। यथाः
ू
समोमवनासभतागीतावताचलै
ः। इमणः षोडशिभः
ं
सा बमात॥् इित। एव ं ूोसारनाम
नामाणगाः ं
ू
िवा षोडशमीत े पविवा नामपािभः
ू
ूोादशारचबे पवबमण े
े षोडशिनाः समयिदित॥ ७३॥
अििािदना समीिरतिमने
े ूधमाििनाया
ोकयनोपिरामाणाणािभः
लिलताया िवायाडाराणा ं षणा ं
ु े ु े ु -
चतररभदजिनतािभतिवशितभदजिनतािभतिवशित
े
िभदाििवािभारूभदािभिवशिधक -
ं
शतसािभिवािभत -् षडरजिनतािभिवशिधक
-
ं े ादशारे ूोे चबे ता
सशतसािभिबािभािव
ु
लिलतायाः समाराधनमपिदशित। तऽ ताा
े ः। यषे ु
ै ैिवापभदै
यािभिवािभरिचत
े ु आसा ं ूोसािवानाम।
तटलवमाणष। ं ्
ू े ु आशपणहोमािदिवषयः।
पजाजपाष समीिरत ं िवधानिमित
े आसा ं िवाना ं उसाना
शषः। ं ू
ं पजनािदष ु यषे ु च
ु अऽ यिित
िवधानमिमथः। े िपादान ं
ं े
सपिववरणपम।् एतं भवित ूधानिनाया
ू
लिलतायाादशारचबम े पजािवधौ
े
तिातातयखडारूभदजिनतािभः
ं े ्
ूोसािभिवािभाचयत।
े
आिभयपटलवमाणयिप ू
पजािदक ु ् ७५॥
ं कयात॥
एतिदािदिभः कोणत इरै िभः ोकै ः
षोडशिनानामिवािभः
--------------------------------------------
p. 350) े
तळ ं ििबध ं ूों कोकोणाभदतः।
कोणावळिनाणूयोगाः े ७७॥
परतः िशव॥
कोणषे ु माजयत ्
े षिः ू ्
षिकोािन पववत।
िशषे ु वकोळािन पषा शतयम॥् ८०॥
--------------------------------------------
ु ु
े कोपवळयिनमाणबममपिदशित
लिलताचतिवशितभदै
। तऽ एतमाण ं त े वामीित शषः।
े तने यण
े
े ् षोडशिनािवारमयात।् परतः
तोमिखलं साधयत।
ु
यपटल।े तयोः कोकोणाकयोः य ं सराि पसम इित
तषे ु कोषे ु
ात ं समिमथः।
ं ं े ु कोणषे ु कोणिद।ु षिः
नविवशिधकपशतसष
पववत
े षिकोानीथः।
सिहतानीित शषः ्
ू म े वळप ं
े े तषे ु पषिधकिशतसष
यथा भवथथः। ं े ु
ु ैः ूितिदश ं अधोमवाारात ्
कोषे ु च चतय
सवाधःपि -
कोपकमकोपवाकोादार
ू
िचऽािदलिलतािकं नामिवारािण सय
ं ं अविशषे ु
पिवशिधकिशतसानीथः।
ु े ु े
लिलताणचतभदजिनतािम
चतिवशितकोिथः।
ु
चतिवशितिमऽायः। ु ् तचतिवशितगतखोदर
नामशियक ु े े
े लिलता ं ताया ं सागभा ूावत ्
ूावाम िलखिदथः।
े तने
ं मकोणतः म े च िऽकोणिथः।
खागतसाा। े
ु
ूितलोमततिवशितपा े एव ं कत
ं िवा ं िलखिदथः। ृ े
ु ु
अनलोमपातिबशिततया िलिखता म े भवीित यावत।् तामवे
िऽकोणचतयष े एतं भवित ूाक ्
ु े ु च िलखिदथः।
ु ू
ूदिणोदसमारालािन चतिबशितसऽायाा
ं
नविवशिधकपशतकोािन सा तषे ु चतसृष ु कोणिद ु
ूितकोणिदश ं षिषिसािन
ं ू
च एब ं सय
ु ं
चतःषिधकिशतसािन कोािन म े वळपण
े
माजिया म े वळ
--------------------------------------------
े
ूवशगा े
िविलखिऽािदलिलताकम।्
े
मऽविश ु े ् ८२॥
े खडाणचतिशितमािलखत॥
ु
लिलताणचतभदजिनता ु ्
ं नामशियक।
ु िविलखकोणतः॥
लिलता ं सागभा े ८३॥
एव ं य ं समािल िशलालोहऽयािदष।ु
ं
सा ु
कऽिचत ्
ान ू े
े पजयािताय॥
े ८४॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 352) ू
पजाचबे च तासा ु नामािन ूितकोणक।
े
े ् ८६॥
िविल म े लिलता ं सागभा समािलखत॥
म े साारोपता
े ं ापयलाय॥
े े ८८॥
ु
ूागवळय े वा ादशारऽिप
े वा िशव।े
ं
सा क ू ् ८९॥
ु ं तणभहाथपिरतम॥
ू
े ः शभु ैः।
िवाया िविधव ैरिभिषलै
जष ु िवशषण
े े समलयशाय॥
े ९०॥
ू ै च महरोगािदशाय।े
पवसमृ
--------------------------------------------
ू े
पजाचबािदना अभिमने ोकयने
ू
पवादशकोणचब ु ू
े षोडशोकै ः ूागपजाबमण
े
ूोानषे ु ूितानमकैे कनाममलखन
े ं
ृ
तिहववीा े ु
ं मातृकालखनगतिविनयोगमपिदशित। तऽ
एतं भवित ादशारे चबे सवम े लिलता ं ूावत ्
ससाामिभिलाषे ु ानषे ु पदशिनाना ं नामिवाः
ू
पजाबमतो ृ
िलिखा सववाववीा ु
ं मातृकामनलोमा ं
ू ् ू
े े ापनात पवफलिसििरित॥
सिवकामािल पवदश ८७॥
ु
े ूागादशकोण
तििािदना ोकन े ु
े चबे सवानष
े
सवमलािवालखनतो ् ू ु
िविनयोगात पवफलिसििरपिदशित।
े यावत॥् ८८॥
े ं नाऽित
तऽ मसाारोपता
ु े
ूागािदना शाय े इनान
े ोकयने
ु े
ूागवळयादशकोणचबयोरिभषकिवधानतो वा भािन
ु
फलापिदशित। ू ं
तऽ तणभह
तदििवावणूोौषिधादशकोण े वळ े वा लिलताया एव
िवाया अिपतया जष ु िऽजस ु पवसमृ
ू ै
ू
पवफलसमृ े ९१॥
य॥
--------------------------------------------
p. 353) ् ९१॥
े े ूयोग ं सवपावनम॥
तथादिप दविश
दािरवनदावाि ं पापािधवडवानलम।्
ू ् ९२॥
ं सोषािधिवधदयम॥
सोचामाड
ु
ूागारसिा ं िवा ं िना ं समािहतः।
् ू ै पजयत
मौनी जपते ूसन ्
ू े सौरभाित ै॥ ९३॥
तपयत ्
े सिललै ु
ः िसगािमनीसवै
ः िशवैः।
ु ैडलै
सौरभा ैिलैः शॅ ु े ् ९४॥
ु िविधवनत॥
ं
सा क ु ू सज
ु ं ूोापण ं भितः।
े
सम ं तमादकवार े
ं त ैरिभषकतः॥ ९५॥
ृ ु
े मत
घोरािभचारकािदःखो े णात।्
ू े
भतूतिपशाचाप * * *॥ ९६॥
ु
कमारा ु
गका वीरा डािकाा दाणाः।
ु तणाीताः ूयाि चातः णात॥् ९७॥
िवम
--------------------------------------------
ैः षिः ोकै ः
तथादपीािदिभः णािदरै ा
सवमलािनाया आयोमातृ कािवसरषोडशरयोजनतो
जिनताना ं ूोसाना
ं ु
ं िवाना ं जपािदना फलमपिदशित।
तऽ ूयोग े वामीित शषः।
े दािरवनदावाि ं दािर ं
ु
नामातिः।
पापो नामािवमृँयकािरता। सोच इित वासना।
ु
सोषः पानभवः। ु
ूागारसिा ं
मातृकािवसरषोडशरैरायोः सिािमित। िवां
सवमला ू े सवमला
ं च करोित िभबमः। पजय ं िना ं
ू
सौरभा ैः सिललैिरित पवऽायः। ु ैिरित
शॅ
े
ितलतडलयोिबशषणम।
ु ् सा
ं ु
ादशगिणतािदतम
ु ू मलिवारौषिधाथािभः।
ूोापण
इथः। ू ु
ु ु
समिगावहिललसिरदिभवा पण
ू सम ं
ं े वारं एकावितः
तोसापमक ृ ं े
सजऽायः।
घरािभचारकािदःखः।
त ैजलै ृ े आिदशो महािदिवषयः। तम ्
अिभिषम॥् ९७॥
--------------------------------------------
p. 354) ु
समिगासिरोय े ताः समावयत ्
े ितः।
कठमाऽ े मना ु ूाजा ैिवमत॥
ु े ९८॥
ु
ैः शवािरिभः।
तथ ैव घृतहोमने तपण
एव ं सकलकाणसूोा
ं
सवमला॥ ९९॥
ु ं भजता ं कपया
नामानप ृ फलमानतः।
िूूसादतो िन ं हषादनतोऽिप च॥ १००॥
--------------------------------------------
ु े े
समिगािदिभरिपच
िै िभः सवमलायाः
ु
ूोसािवाजपािदतः पापनाशािदकं फलमपिदशित। तऽ
ूाजा ैिरतन ं वासनािभः। ु
तथ ैव ूाजा ैमत
इथः। ु
एवमूकारतः।
सकलकाणा सकलैमलपा
कपयित
इथः। ू
ृ े पवरऽायः। फलदानत इािदना िसाना ं
ु े
पदाना ं नामानपऽायः। हषादनतः
ु
पानभवतः॥ १००॥
इित षोडशिनातषे ु ौीकािदमता पिरपण
ू त
ं
ूपसार-िसहराजूकाशािभधानन ु
े सभगाननाथन
े
िवरिचताया ं मनोरमााया ं ााया ं
े ं -पटलं
सवमलािनािवािवधानूकाशनपरमकोनिबश
ू परामृम॥् १९॥
पिरपण
ं -
मसा
ं े त ु पटले ाामशतऽयम।्
ऊनिवश
अाादश ं
ोकाः साताः सगीणात॥्
ु
अऽ यािण लािण ऽयोदश तथा पनः।
े
षडरशतनािप
ु ु ं ्
सहॐमिनिवशकम॥
--------------------------------------------
े गया है २६/५/०८
याहा तक भजा
ं
िवशपटलम।्
ु
अथ षोडशिनास ु पदँयिदता त ु या।
ु
तिधान ं ण ु ूा े ालामािलदाता॥ १॥
ू
ास ं ान ं तथा शीः पजामिप च साधनम।्
ं फलािन च ण ु बमात॥् २॥
यािण िविनयोगा
ु
एकयचतःप ु
चतयदशारै
ः।
ु
कयादािन ू
मलाणरािदतः
षट ् करायोः॥ ३॥
ु ु
ललनसाशा ं मािणमकटोलाम।्
षा ं ादशभजा ू ् ४॥
ु ं सवाभरणभिषताम॥
--------------------------------------------
(२६ ू े ु
ं े पटले चतँयाः
ल २७ स १ शीौीः) पविकोनिवश
सवमलािनािवाया ु
िवधानमपिदँयानरं पदँया
ु
ालामािलनीिनाया िवधानमपिदित। े
अथ षोडशिनािदना
वैभवािदतीने ोकशतपण
े िवशन
ं े पटलन।
े तऽ अथ
े
षोडशािदना ु
बमािदने ोकयने पटलाथानिशित। तऽ
ु
ालामािलदाता े
तृतीय े पटले ालामािलनीिवोपिदथः।
् े ं याणािमित शषः।
शीः आवरणगाः। िविनयागान तषा े बमात ्
२॥
ूोबमािदथः॥
े
एकािदना ोकन ु
े कराासमपिदशित। तऽ आिदतः
ू
मलिबायाः। ू
एतं भवित मलिवाया ू े
आिदभतन
े दय ं तपिरगतनारयन
ूणवारण े े
ु े िशखा ं तपिरगतारपकन
िशरपिरगतारचतण े
ु े नऽािण
कवच ं तपिरगतारचतयन े
े
तपिरगतारदशकना ं े िभ ैः सजाितिभः
ं एवबमण
ू े
मलिवारािदतः ू षिशरप
सय ं ैः
ैः षडािन करासपवू सिदित॥
षिम े ३॥
लिदािदिभरितािमःै िऽिभः ोकै दाः सपिरवाराया
ु
िनसपयाानमपिदशित। ु गािन
अऽ षा ं ऊपरचतिद
ु ं
एतािन। ादशभजा
--------------------------------------------
ै ु
ावमपचारै े
ैरया ु िनशः।
ु
चतरॐय ं का ु ् ७॥
ृ चतारसमितम॥
े
इाानिबयाशीरयॐगाः बमात।्
डािकाा षोण े अाॐ े घरािदकाः॥ ९॥
--------------------------------------------
वामोािददिणाधरा ं एकै कास े सित िनबोः।
े ायिदित
ऽीणािता ं ूितविमित शषः। े े
शषः॥ ६॥
ै े
ावािदना े ु
े ोकयने िनगमनपरःसर
यजिदन ं
ु
िनसपयाचबिनमाणमपिदशित। ु
तऽ एवमूकारतः। त ैः
ू े ं सशाख ं चतषु ु ारषे ु
षोडशिभः। ता ं मलदवता।
अः याः ततः अाॐः अिरित
शाखायसिहतिमथः।
े मतः सवम
शषः। एतं भवित
े इथः।
ूावदविहिवभागन ु
े चतरॐय ं
ु े ं िवधाय तदः
सशाखायारचतयोपत
ृ
सवयमपऽ ं प ं तदरिप सवयमाॐ
ृ ं
ृ
ूावदरिप सवय ्
ं ूावत षडॐ ं तदरिप सवय
ृ ं
े ं ॐ यथामान ं का
समिऽरख े ् ८॥
ृ तऽाचयत॥
े
इािदिभः समीिरतिमःै पिभः ोकै ः
ं पावरणशिं तजाोपिदशित।
िनसपयाया ू तऽ बमात ्
अमािदूादियने षोण े षोणकोणषे ु िनािनापटलोबिर-्
े घरािदकाः अनरोके
ऋयािदिदगतकोणबमण
--------------------------------------------
ं िसिपा पावनामकिपणीम।
सवगा े ्
े ु कोणषे ु पजयत
विहारष ् ु
ू े ूागदीिरताः॥ १२॥
् ृ े ्
ु े ूोबमाद ् यजत।
े ताम
ूावत कताब
विलहोमावसानािमित सक ् समीिरतम॥् १३॥
े
अल ं हिवाशी जपिा े
ं िजतियः।
ं ं तपण
तशाश ु गोघृत ैः॥ १४॥
होम ं कया
एव ं सिसम
ं ु काद ु
ु ् यायनबमात।्
--------------------------------------------
े
वमाणघरािदना े े ु पा
ोकनााॐष ू
ू
अशीपिदशित। तऽ अमािदूादियने पजनम।् बिहराॐाद ्
्
े े वमाणा अिचााः। ूदिणम अमािद।
बिहरदता
्
एतत डािकािदवज
सवसाधारणम।् अिचािदना
े े े ु पाः
एकिपणीिमनायनापऽष ू शीपिदशित।
े ु चतरॐारष।
विहारष ु ु
े ु ूागदीिरताः एतं भवित
िनािनाया िवधानपटले ूोॄाादीरािवादीशाा
ु े
लोकपालशीरावनॄिनयितकालशीतॐतरॐ
ू े
े पजयिदित।
तऽोारबमण ् ू ं चबे
ूावत अमलाा।
ु े ता ं दव
ूाग। ्
े ूोबमात अराािनगमनगा
अमािदूादियबमतः विलहोमावसानाम।् एतं भवित आदौ
े
षोडशारणा ु ु
े ककासाया विलं दा ूोबमतो
ु समीिरत ं पजनिमित
होम कयािदथः। ू े
शषः॥ १३॥
ु ु
े िवायाः पररणबममपिदशित
अलिमािदना ोकन
। तऽ हिवाशी ूावत।् िजतियः
े े
ीसवनालापािदरािहात।् ततो
ं चकारण
जपसायापण े सशाशिमाकत।
ं ृ े गोघृत ैः
ृ
अजािदघृतिनवथ गोमहणम॥् १४॥
ु
एविमािदिभीविम ःै सिभः
े ं तििनयोगािदूाव
ोकै दशयिनमाणोपदश
--------------------------------------------
p. 358) ू
पजाचब ु े खिडत॥
े विहभतू ं चतरॐ े १५॥
े
िवधाय तऽ िविलखदरािण यथािविध।
सवम े तारगभ शिमाासमिताम॥् १६॥
ू
एव ं मलारै े ्
ृ य ं तने ैव साधयत।
ः का
ू
सम ं वाित ं पजाधारण े १८॥
ं ापन ैः िशव॥
अकारािदकारावणष ु रयोिगष।ु
ु ं ूोय े वैणानतो
चतय े ् १९॥
िलखत॥
--------------------------------------------
ु े खिडत े िवधाय
करोित। तऽ यािण वमाणािन। चतरॐ
ु े ु
े चतरॐय
चतारारखाखडनमरण े
ं िवधायथः
। तऽ य े अरािण ालामािलनीिवायाः। यथािविध
वमाणिविधना। सवम े िऽकोणम।े तारगभ
ू े शिं
िवािदभतूणवम।
ू ं
मलिवापचािरशदरपा े
ं खाऽय ं
िवाितीयारािद। िऽष ु कोणषे ु िऽकोणथः।
े ष कोणिित
े
ू
े षं पवऽयापिरतनम।
शषः। ् अस ु कोणियः।
े
ु
अकं ूागषापिरतन े ् अपऽषे ु
ं विहरवम।
ु
ूागाकापिरतनमक े
िलखिदित यावत।् वा े िद ु नवबमात ्
ु े ूितिदश ं नबनवबमण
चतरॐ ु ु सय
े चतिद ू
ं
षिशदरािण
ु ं े ु
ूागषािरशमारखािवधरािण े
िलखिदथः।
ू
मलारै ं ैः। तने यण।
िषिस े अकारादीािदना
े े एतं भवित
ोकन
समितिमनान
ं े ं
ं ैररैः ूक
अकारािदकाराःै षिश
षोडशरयोगतः
ं ैमातृ कािवसरारैः
षिधकपशतस
ु ु
चतवगारचतःषिबमतः ु
ूागय े िवारसमते ं
तानिलिखत ैिषििभः
ु े
सवमिलिखतचतःषितमलखनत ु ः
नव यािण ूागै
े ू
कवलमलिवारै
रक ू दशयािण
े ं य ं सय
ं
सजातानीित। े ं याणाम।् िविनयोगाद ् याणािमयः।
तषा
फलावाि ं िविनयोगात।् य ैिबिनयोग
ैः।
--------------------------------------------
्
िविनयोगात फलावाि ं ूवािम ण ु िूय।े
्
य ैिरमिखलं ूाोयात साधको ु ् २१॥
ीवम॥
--------------------------------------------
े अखिडत ं
दशयिवरचनाबमो यथा अविहिवभागन
ु
चतरॐय ं यथामान ं का
ृ तदरदलप ं सव
ृ ं
ृ ाृकोणमकोण ं ूावत ्
ृ तदवाििविदृ
का
ृ तदः सव
का ्
ृ ं ूावत षोण ं का ृ ं
ृ तदः सव
े ं का
िऽकोण ं समिऽरख
ृ तऽ सवमिऽकोणम े
ू
मलिवाया आारं ूणवमािल तदरे िवायाः
ं
षािरशमारपा ं खा
े ं नामगभामािल
े े िवाितीयारादीिन
िऽकोण िऽकोणमािदूादियन
ऽीयरायािल तिहः षोण कोणषे ु
ू
षमािदूादियने पविलिखतोपिरतनािन षडरािण समािल
् े
तिहरकोणाकोणषे ु ूावत बमण
षोणिलिखतारापिरतनाारायािल
तिहरदलपास ु पऽषे ु अमािदूादियने
ू
पविलिखतारापिरतनाारायािल
ु
सववाागतचतरॐयारवीा ं
ू
पविलिखतारापिरतनारािण े
मिलिखतखावज
्
पिमािदूावत ूितिदश े चतसृष ु िद ु
ं नव नव बमण
ं
षिशदरायािल एव ं
ू ं
मलिवायािषिसारायािल तने यण
े
सववाितािन े ् एतत ूथम
साधयत। ् ं यम।्
ु ू ः सा
ूागयमलिवारै
ं
षिधकपशतसमातृ े ु -्
कारािदततर
वगारािण ु ं
चतःषिसािन िवारानषे ु
ं े ु िऽरािदषिसािन
िषिसष ं ु
म े पनरिप
े
िशमकमर े ् एव ं कत
ं िलखत। ृ े म े े अरे ँयत।े
एतितीय ं यम।् एवमािप मातृकािवसरारािण
ू ु ु ु -
पविलिखतचतवगारचतःषिकोपिरतनोपिरतनचतवगा
ु े
रचतःषिकालखनतो ू
याविरसमाि पवाा ं
याा ं सह दश यािण सवि त ैिरषे ु िविनयोगान ्
ु
कयािदित॥ २१॥
--------------------------------------------
p. 360) ु
ितीयादीिन यािण मातृकाणयतािन वै।
ु े ु तििश॥ २२॥
बमावमहाणा ं ारष
तषे ु दनात
े ्
ूीतािन ु े
ं त े न कवत।
े ू ितौ यऽ तिाँयिधपवारक॥
राकत े २३॥
े ु महनाम ितीयया।
षडाॐारालष
िवभा भाजन े सक ् ूीणयामीित सिलखत॥
ं े ् २४॥
आ े त ु य े सिल
ं े ्
ूोबममथायत।
सविप च वारषे ु सवषा े २५॥
ं ूीितिसय॥
े
अिनशा ै िनयतमयान ्
महान ् े
िूय।
एव ं यषे ु दशस ु पिजता
ू िनया सह॥ २६॥
-------------------------------------------
े
ितीया
ैिवधानत े
इरै कोनषा ोकै ः ूोाना ं
े ु
दशाना ं याणा ं ूयोगिवशषानपिदशित। तऽ
ितीयादीािदिभिवतत इःै षिः ोकै ः
ालामािलनीिनया सह नवमहाणा ं तारषे ु पजनाशस
ू ु
यषे ु ूयोगानपिदशित।
ु तऽ ितीयादीिन
े ु
कवलिवाररिचतूथमयिवधरािण
नव याणीथः।
ु
मातृकाणयतािन ु
ूागमातृ े
कािवसरारोपतािन। तििश
ं
अिवशटलवमाणबमा े रिवः
ु
ूागािदूादियने महािद ु चािदशभमहान ्
ू
ालामािलनीपजनात।् त े नवमहाः। रािािदना
्
ैतं भवित। यिन यिन
ोकोरान ्
राशौ े ू
राकत
तने तििन
िततः तिाँयिधपवार एव तयोवारः ं ् े
वार
ू
तारािधपपजनानरं ता े यतयोः
े पजा ु
ू ं कयािदित।
े ु च महनाम ूरालिमित शषः।
षडाॐारालष े भाजन े
े
समािलखिदयः। े ु
एतं भवित षोणारालष
े ु च ूरालं तारािधपूामहनाम
अकोणारालष
ितीया ं सक ् ूीणयामीित वाा ं िविलखिदित॥
े २४॥
आ े मातृकािवसराररिहत।े ूोबम ं
ु े ू
े ं म े दवीपजनािदक।
ूागतहूािदिवलखन ं
सवषा ्
ं नवाना ं महाणाम।् तान महान ् े े ु
तामालखनानष
--------------------------------------------
ु ं वा साा
तथािवध ं कमार ं िवया॥ २९॥
े
ृा शीष जपिा े ्
ं शतवारं तथायत।
ु ैः सौरभा ैरथािप वा॥ ३०॥
ूसनू ैरण ैः शॅ
्
ु ु ू यावत काावसानकम।
दाद ् गगलधप ्
् ं ू यतः॥ ३१॥
े समािव े तिन सप
ततो दा
--------------------------------------------
ू आिदाारकशिनराकतवः
िनया ालामािला। बरा े प
ू बरानाः
बरः ू जादशामािदाः।
एतवमहसाधारणम।् सौाः ूागपमहतराारः
ु े
े
सौगताना ं तषािमित े सौानािन एकादशादीिन।
शषः।
एतं भवित ूोतिगतषे ु ितीयािदष ु नवस ु यषे ु
तारषे ु ूोानषे ु तारािधपमहनाम
े
ूोबमणािल
सवम े दवीम
े े े ु
नामालखनानष
् ं ू िनावरणशीानषे ु पजयत।
तहान सप ू े ्
ूथम ं य ं सवष ु वारषे ु तिगत ं का
ृ तहनाम
ू े ु ूावदािल तऽ ूितवारमकैे कमहानात
पवानष ्
सवम े
े दना ूोफलिसििरित॥ २७॥
ु
दशिािदिभः सखी ःै सिभः ोकै ः ूोदशय ैः
े ु
ावशूकारािदकमपिदशित। े
तऽ दशिप च एकिकििित
े ु तििखतिवारािदकै ः। वा िवक।े मधाम
े अितष
शषः। ु ्
े ु ु े ु ं
ं तथािवध ं सशभावयविलतियािदय।
िलतिया।
ृशीष
िवया ालामािलाः शतवारमथः।
े तथाचयत
आवँय ्
े शतवार ू
ं पवाचनाूकार े
एव। अथािपवित
िवकाथः। ्
यावत कायाबसानक
े
ं दवतायाः े
समावशाविध तिन ्
दवता े ु
े समािवािधकरणय े ता ं दवतामपचारै ू े
ः सित
ू
पवऽायः। ु ः षोडशिभः। िवया मलिवया
ूागै ू
ू
उपचारमभतया ्
ूजपन िवािमित े
शषः।
--------------------------------------------
p. 362) ु
ततामपचारै ु िवया
ैः ूागै वशी।
ू े ं ततः पृदभी
पजया े े सा॥ ३२॥
ं कथय
भतू ं भविव यदनिस ितम।्
ं ू
जारायतीतािन सव सपिजता े ् ३३॥
वदत॥
ु
तता ं ूावद ाा े ्
ता ं जपत।
ू िवचरत
सहॐवारं िरधीः पणाा ् ु
े सखी॥ ३४॥
--------------------------------------------
े ं सा दवता।
ता ं दवता। े े
अाित ं सा दवता। े ं
ता ं दवता
्
ूावत षोडशोपचारै ू े शषः।
ः सित ू
े ता ं िवा ं पणाा
े
दवताै े ु दशस ु यषे ु अतमिन ्
े एतं भवित ूोष
न।
् ू े म े ूोप ं कमार
ूावत सिजत ु ं कका ं वा
ं
सा ू
मलिवया शतवारं ूोै ः
ु
पैगािदिभ ् ू
तिरः ृशन मलिवा ं शतवारं जिपा
ु
पनरिप ु ु ू ं दवतासमावशाविध
ूावद गगलधप े े दा
े
दवतासमािव े तििधकरणय े अतमिा े ं
ं ं दवता
ू
षोडशिभपचारैमलिवया ् ं
ता ं िवा ं जपते ता
े
दवतामानोऽभी ं भतू ं भविव पृत ्
े तया
सविन ्
ूजात े किथत े सित ूावपचारैर ूावत ्
ु
ाा ू
पणाशयः ु िवचरिदित॥
सखी े ३४॥
े
तथािदना े े
े ोकयने रोगावशाथ
अपयाित चन
षोणयिनमाण ु
ं तयोगािदकमपिदशित। तऽ दाहकं
िवागत ं सकः
ृ ं रफम।
ूोायमाण े ् तऽ षोणम े
्
गिदन ं रोिगण ं उदीिरतबमात िवायिलिखतारसकाा ं
े े
रोगमावँययः। े
तारण ं रोगकारण ं तावशकारण।
ं
े एतं भवित
त मिणः। अपयाित रोग इित शषः।
े व
अभीमानॅमण ु
ृ ं िना तऽ ूागबमात ्
षोण ं
ृ त े ष कोणषे ु च सलिवागत
का ू े
ं रफसकमािल
त ैिवया च तम तऽ म े रोिगण ं
--------------------------------------------
p. 363) े
ूथम ं ीकपाल म ं तापयििश।
्
जपन िवा ्
ं रन साा े सा॥ ३७॥
ं स आकतऽथ
ृ
े
भीितलािभमानािदरिहता विपताका।
े
िनरतरसावा
मथाािभयाित सा॥ ३८॥
् ं पकपाल
तत य ंु ्
ं तापयते ूजपथा।
े
ु वा तथा े चािप कचन॥
राजानो राजपऽा े ३९॥
े ु मढाजाितकलबमाः।
िववकिवधरा ू ु
ु ् ४०॥
ू ितामरणाद ् ीवम॥
वशगा दासवमौ
सबासामिप िनानामपदशऽथ ु
ु े े त ं गः।
े ् ४१॥
तब म ं विवाजपाितम॥
--------------------------------------------
ं
सा ू
शतवारं मलिबया तामवे तिरः
े
ृिकया शतवारं जिपा रोिगण ं त ं रोगमावँय
े
तदाबशकारण ्
ं पृा तने तिन कारण े किथत े अपहीित
े
े े स रोगोऽपयातीित॥ ३६॥
साधकादशन
ु
ूथमिमािदिभीविम ु ोकै ः
ै तिभः
े
ूथमयणाकषणवशीकरणािदक ु
मपिदशित। तऽ ूथम ं
ु ि
य ं ीकपाल म ं ूागै ैः ीकपालम े
ूथम ं य ं िलिखथः।
े ्
तापयते अार े
ु
ूाणूितािवाशतवारजपपरःसरमार ्
े तापयते इित
्
सदायः। िवा ं जपन तापनकाल ्
े रन साा ं तदिप ताल
े
एव। साा िनरतरसावा अनिचा अिभयाित
े
यमवािभसरतीथः। ्
सा साा। तत ूथम ंु
ं पकपाल ं
े ् ूावत ूाणूितािदसिहत
ूावापयत। ् े
ं ूजपिा।
ं तथा
ंु
यथा ीकपाल।ं तने ैतं भवित पकपालिलिखत ं त ं
ृ
कतूाणूितािदक ्
ं िनिश अारे िवा जपन सा ं रन ्
्
तापयन वमाणान ्
वशयतीित। दासवा
ू अ साधक
४०॥
राजादयः सावगाः॥
सवासािमािदिभत
इिै िभः ोकै वमाणप
े
वधय े ु
साधारणप ं यामलवधमपिदशित। ं
तऽ सवासा
षोडशाना ं िनानामपदश े ात।् त ं िश ं
ु े े िवादवतयोरै
तब तिसपयाचब े
वा अऽोदशयतम
--------------------------------------------
p. 364) विालापरीतां भावयिियायिप।
मनःषािन चाकषनसा ूावदािन॥ ४२॥
ृ े णादवे ं िवसो
एव ं कत ु
ं िनपतदे ् भिव।
ु
ततमा मख ु वदतः॥
ु े िाा े ४३॥
े
एष वधिधा ूोः सः ूयकारकः।
े
शाशावभदाा ं योरैायामलात॥् ४४॥
ू े ु ॄरक।
िश मलाधारािदानष े
र दाहाणकान ् े ु ूावदीणात॥् ४५॥
सा
--------------------------------------------
े अऽ िनसपयाचबोपादान
वथः। ु
ं गरोभावनािसि
िशिवषयम।् िवाजपाितम तिाना।
् ं विालापरीतां
्
भावयते िनसपयाचबगत
े ं कवलािालावप
े ृ ं
िशं
े े ृ ्
ूोयदशकातमगततरफसकपविालाव
् इियािण ानपािण ौोऽादीिन
अप ं च भावयन इथः।
े ं षानीित। मनसा भावनया
पमतः षािन मनो यषा
्
ूावत ूाणूितोूिबयया ं ं
ृ ततो िवस
ााक
ु िनपाितत ं तखऽजल
भिव ु े ं िा समाय
ु ततः
ु
ूागूिबययाधारऽय े िवाजयिपण
े ाादावा
ं
सा े
तीवकण िवा ं वदिदित॥ ४३॥
े े
एष इािदिभः सम इःै सिभः ोकै ः िऽिवध े वध
े ु
िवधपािदकमपिदशित। ू
तऽ एषः पवसामापो
े
यामलवधः। े ाना वमाणाा ं च
िऽधा ूोपण
ु े
ूयकारकः गदवताै
िवासकारकः। योः
्
शाशावयोः। ऐायामलात ूोपयोयोः
शाशावयोरैापाद ् यामलािदथः।
ू े ु षिित शषः।
मलाधारािदानष ू
े ॄरके एव ं सय
सस ु ानिथः।
े र दाहाणकान
् े ु े िश
सित
ु े
भावनीयगपदशतः।
दाहाणकान ् ू े
मलिवागतरफसकं
ृ
ूागवदिालावताािदतः। ् े
एतत सववधसाधारण ं
े
िवदापतः। िसिवया उपदया। एतं भवित
ु
ूागयमगत ं िश ं
ु ू
गमलाधारािदॄराानसके िवागतरफसक
े ं
े ु ूावपदिवया
रा े ु
वी भावनािदना भिव
--------------------------------------------
p. 365) े
िवदाावध ु दिशकः
े िसिवया।
े ु ् ४६॥
शाव ु ण ु ूा े वधमतिवमहम॥
ू सािपत
त ं ं िश ं तबे तदाना।
य ं ूिवँय तहमकीभा ु क॥
े े ू पनः े ४७॥
यामले त ु िवशषोऽय
े ं िसः पाद ् गरोः ु ्
ु ौतम।
--------------------------------------------
े ् एष शावध
िनपाितत ं ूावा तिा ं वदत। े इित। तऽ
ु
ैतिभः
शाविमािदिभः सम इःै िश ैरा
ु ृ
ोकै रपनराविकर े ं यामलवधफलोपिदशित
ं शाववध े
। तऽ शाव ं वमाणपमतिवमह
ु ं सः
ु ृ
अपनराविकरात।् त
ू सािपत
ं ं
ु े
े तबे िनसपयाचबािदष
ूागशावधभावनािदरािहन। ु
ु ूिवँय
े य ं गः
। तदाना िशापण।
सवाभावनया तहे ं िशदहे ं ूिवँययः।
े ू
एकीभा
ु ाािदिभः
िशाािदिभः पनः
े
िशाादीनामकीकरण
ैयानर ु
ं के दहे े गिरित े
शषः
समाग के इऽायः। आपण
े ापण
े
े े तदाान ं िशाान ं
ािवलापननथः।
ृ
कतासजपाः ् तािमथः।
ानन ं ु िशतनमु मृ
् ु शावो वधः
े तादिसात कयािदथः।
विना दहृ े
ूोपः। एतं भवित तबािदष ु सः
ु
ु
ूागभावनािवरिहत ू िश ं ापिया तदापण
ं त े
तहे ं सवाभावनया े
ूिवँय तदाािदिभरकीभा ु
ू पनः
शरीरमाग ािन िशाान ं िनःशषे ं िवलीन ं िवभा
ृ
कतासािदकः िशशरीरं मृत ं ँमशान ं नीािसात ्
ु एष शावो वधः
कयािदथः। े कवलमोोिरित।
े े ूोः
ूागवे िवसो े
ं िनपतिदािदना। े
वधऽय े
ं वध ु ाना
ु ू
सिदानरणपपिरपणपराहाना िशानः
ू
सिचतप एकीकरणतः पवपराहााीयकरणम।्
--------------------------------------------
ं ं िनमहं लाभमीितम।्
वँयमाकषण
ु ् ५४॥
अ सकलिमवाोनातम॥
्
तदा ूोान गदान ् जयदािन
सवान ् े चािखलान।्
्
साधयते ूथमन
े ैव य,े न यतः िशव॥
े ५५॥
--------------------------------------------
े
एषामतािन ्
ऽीिण शावादीिन नामािनतत िसािसािन।
भावनािसिसचक ु इित शषः।
ू ं १ गरोः े यामलािदना
े एतं
भवित यामलप े वध
े े िशानः समाक
ृ चान ैकीक
ृ
ूितापनतो िव े पन ् ु
ु तहे े तिन गगत ं ानािदकं
ं े ् तने गसमः
सकलं सबमत। ु िश इषे िवशषो
े भवित
े
इतराामित॥ ५०॥
े
रचनिमािदिभः साधयिद ं
ःै ऽयोिवशा
ु
ैः वँयािदूयोगानपिदशित।
ोकै दशिभय तऽ
े
रचनािदिभः िशव े इःै पिभः ोकै ः तषे ु
ूथमयण ु
े साापिदशित। े
तऽ ूथम ं यिमित शषः।
लोहैिवरिचत ु
े पे तऽािप कचनमव
े ि ं फलकािशलातलयोरिप
ू
े वा िवक।े तऽ यम।े शििभः िनपजावरणोािदिभः
तदव।
्
। िदनम एकिमित ् ं
े मडलं ूावत इ
शषः।
् े
ं ईित ं लाभिमयः। अत ूोः
वमाणवँयािदक।
अचनािोबमतः। ्
ूोान षपटले काूकरणूोान ्
् े हाद। अािन चािखलान अिखलान
वमाणान ूम ् ्
अानीित
सामानािधकरयमागमादथानीित शषः। े ु
े िशव े इित दवीसिः
॥ ५५॥
--------------------------------------------
ु
ान ं पान ं पाकजात ं कयािदन ं ततः।
ूमहैे ििवधघरमऽकै
ै ु
ू ृ ः सदाण ैः॥ ५८॥
ू
अँमरीमऽपाा िदरोग ैमः े ्
ु भवत।
ु सखी
ु ं भमौ
े सिचर
जीव ू नीरोगः मानसः॥ ५९॥
वरी
ूोै ैवासरै दाहरगदािदिभः।
तोि सिलले न ूिपिनँयित॥
े े ६१॥
--------------------------------------------
इ
ितीयिमािदिभमानस ु
ै तिभः
ु
ोकै ितीययसाापिदशित। े ु
तऽ ितीय ं य।ं ूोष
ूथमयूोलोहािदष ु तिप
े दरदमवे िम।् उ ं गत े
ू े े आिद े च ैऽमास इथः।
उरािशभतमष तऽािप उकाले
ू े े िनपजाबमतः
पजयव ू े ूोकालन
इित शषः। े िदनािदतः।
उािन वँयादीिन। िविल ितीय ं य ं तऽािप इदमवे ि ं
् ं िनािवा ं ालामािलनीिवा।ं तािसतािभः
ृशन य। ु
् ं े ितीया
योिषतजलैः। पाकजात ं अािद। उिदनम असयोग
ु
ूाविनािन। िऽिवधदषऽयानबात।
ै ् मऽपालीित
ू
े
तऽाकारमहवािरको े मानसः आिधरािहात॥् ५९॥
रोगिवशषः।
तृतीयिमािदना िवनँयतीने ोकयने
तृतीययूयोगण ु
े वैिरिनमहमपिदशित। तऽ तृतीय ं य।ं तले
े े ूोै िदनािदिभः। तत ्
तऽ यखननूदश।
फलकायािमथः।
य।ं सिलले न जलाशय े िवनँयित तदा दाहरण ु ६१॥
े िरपिरथः॥
--------------------------------------------
p. 368) चतथु रोचनापकै रािलोूपजनात।
ू ्
े
ूाोित िवजय ं ूोिखलष ु ् ६२॥
े ु सिनितम॥
ु ः का
पम ं कमै ू
ृ तऽ तजनािन ैः।
ु दिनो वािजनः ियः॥ ६४॥
वश े भवि मनजा
ं ु ्
षं हिरियािल कपट े नामसयतम।
्
मो े ापयते ािप ु ु े ६५॥
सविकापट॥
ु
ं गित ं शषे ं िद ं राा ं सममम।
शऽोिजा ्
ु ् ६६॥
े ं सकलादिन ं यदे ् ीवम॥
वादा
े
सम ं चन ैिरिमिलत ैरािलखथा।
े
तऽाचयिशा ं सास ु भवन े िनज॥
े ६७॥
--------------------------------------------
ु
चतथिमािदना वैभवािदने ोकयने
ु े तािदष
चतथयूयोगण ू ु जयमपिदशित।
ु तऽ चतथु य।ं
ू ु े ं -िवषया।
उूपजनािदिरिधकरणसपिरवारदवतािदवससा
े ु
तऽािधकरणादीिन ूथमयूोानीित सदायः। ूोष
वमाणषे ु वादािदष ु महषे ु पणबष।
े ु एत पिजत
ू य
॥ ६३॥
े
पमािदना े पमयूयोगण
ोकन े
ु
मािदवँयमपिदशित। तऽ तऽ य े अिधकरणादीिन ूावत।् तत ्
ू
पजनािबमतः। िदन ैः ूावत॥् ६४॥
ु े ोकयने
षिमािदना ीविमन
ु ु
े शऽनमपिदशित।
षयूयोगण तऽ षं य ं
नामसयतम ्
ं ु एतत ् ं मो े शनौ
सवयसाधारण।
ू
तलारािशित ु ं
े तऽािप तकाल इित सदायः। सब
ु ं र ं
िकापटु े इकाम े यसिवशानप
े
े
तिदकोधाखातमान ं का े
ृ इकारण
ैवितया ु
सवया िद ं
ढतरमाविमथः।
ु ् ६६॥
सममम॥
समिमािदना शय इने ोकयने
ु
े लीूािमपिदशित।
समयूयोगण
--------------------------------------------
p. 369)
तिन ैिरिरा त सवलोकाितशाियनी।
भववे महशािन
े िविचऽा यशयः॥ ६८॥
ु ् ुे
रािलखते फलकापट।
अमगोदै
पीठे वा तऽ ता ं दव ु ु ं गत े िदन॥
े गराव े ६९॥
ु ू ैरचयथा।
तकाले सरिभूसन े
ू ु ् ७०॥
ं च िविचऽािण भषणावायात॥
वासािस
े ु नवममािला तऽ ताम।्
मृगदै
ु
तदािलो ोजदे ् यऽ कऽािप ं
जनससिद॥ ७१॥
ु
सव त ं गवा ु
ु वँयाः विनता यिद।
ु
तिदसािधका यावीवमानभावतः॥ ७२॥
े
िविलखशम ं ूोि ैः सवथ
ैकशः।
् ु े ् ७३॥
े ससाधयत॥
य ैरीिरत ं सव कामतत
--------------------------------------------
ु ू
तऽ सम ं य।ं तथा ूागािधकरणपजाबमत
इथः।
तऽ य े ता ं दव ु
े तिन ैः ूगिदनािदिभः। े
महशानीित
े ु
दवीसिः॥ ६८॥
ु े
अमिमािदना अवायािदन
े ू ु
े वासोभषणावािमपिदशित।
ोकयनामयूयोगण तऽ
अम ं यम।् अगोदै
ु ु
ः अगपै ु ु ं गत े
ः। तऽ य े गराव
ृ
वहतौ े तकाले तिासौ नभोम ं गत।े
ककट।
ु कालः। तथा िनबमतः॥ ७०॥
एवमकादीनामः
मृगदै ु
े िरािदनानभावत इने ोकयने
नवमऽूयोगण ु
े लोकीवँयिसिमपिदशित। तऽ नवम ं
ु े ु अ िनबमतः ता ं
यमािल ूागािधकरणष
् ू
ालामािलन। तदािलो ोजते पजा
े त ं माजिया
े
तृगदािलः। सव तऽा जनाः। त ं साधकं विनता यिद
साा। अ ूयोग॥ ७२॥
े
िविलखिदािदना े दशमयण
ोकन े
ु े ूा ं ु ूयोगािदकमपिदशित।
ूागनवमयवाफलानन ु
तऽ ूोि ैः सवः
ु
ूथमयूोकचनािदिभनवमयूोमृ े
गदा ्
नै वभ
ैः
इि
--------------------------------------------
े
अिभिषह दोषानगत ं फलम।्
े भवदव
न भव े े ं वँयो यशषतः॥
े े ७५॥
ू ं होममापायस ैः।
तथा त े तजा
ु ् ७६॥
े ूणा दािववायात॥
िनव
ु रजत े वा ततम
सवण े ं िशव।े
् ु ू ् ७८॥
िविला तिािवद े दात सपिजतम॥
--------------------------------------------
एकशः िवकाथः एकन
समते ैिरथः। े ैकन ैः।
े वा। त ैनविभय
सवम े नामारिवासभदतः।
े एतशम ं यम॥् ७३॥
े
ूोिािदना े ु दशस ु
े इने ोकयने ूोष
अशषत
यषे ु अिभषकिवधानाद
े ु
् महदोषशािमपिदशित। तऽ दशस ु
े
यिित शषः। ं ु ु
े िविधना अिऽशलािमथनाचनािदपरःसर।
ं
ू े तह अशषतः
जिपा िवा।ं उम े ूितकल। े एव ं
े ु
एतं भवित दशस ु यषे ु ूागबमात
सवयिथः। ्
तहे ूा े य े
ू े ू -शाििरित॥
तहूितकूोबमािभषकाहूाितक
७५॥
े
तथािदना े ु यषे ु
अपीने ोकयने ूोष
ु
ूागबमतो ू
नवमहाणा ं ूितकशािकर ू ु
ं पजनमपिदशित।
ू
तऽ त े ूितकलमहो।
े तजा ू
ू ं ूितकलमहपजा।
ू ं िनव
े
े पायस ैिराकत।
चकारण ृ ू
े त े ूितकलाः िनशो यजनादिप
े
कालयजनमरणािप। े ु दशस ु यषे ु
एतं भवित ूोष
ु
तह ूागबमूा े ू
े य े तवलूितकलमहोकाले
ू े दवीपजामरण
े िनशहपजनन
तालमरण े ू े
तामम ैः अापायस ैहमने च
े े ु ुू
े च तहाः ूीताः सः अनकला
तिवनापरःसरण
भवीित॥ ७७॥
ु
सवणािदिभिवधानत इिै िभः
ु े तत ्
ोकै याितसवणपािददानन
--------------------------------------------
ु ैन वत े किगोऽनलः।
िवाजापान ु
ु े च जठरशजपादिप
भ ु ् ८१॥
सिनितम॥
े
मषािदरािशग े भानौ मासषे ु ादशिप।
े िऽवासरम॥् ८२॥
े ु दशयषे ु ूक
ूोष
ू ेे ृ
े धनधागहािदिभः।
पजयवीमन
ु
समृो जीवित िचरमरोगः समना ु
भिव॥ ८३॥
--------------------------------------------
ु
फलावािमपिदशित। तऽ तषे ु दशिित शषः।
े अतम ं
तूा ं अ िवािवद े तिािवद े
ु ू ं य ं
ालामािलनीिवािवद।े सपिजत
षोडशादशोरहीनमानमशिवषयम।् एका ं पजियतः
ू ु
--------------------------------------------
p. 372) े ौ वहवोऽथवा।
यिाशौ यो महिको
तिनषे ु तषे ु कालष ् ८४॥
े ु च तदचनात॥
ु ं
तहाः ससूीताः पालयिनश तम।्
तथा तपणहोमाा ं जपदानािदनािप वा॥ ८५॥
ु ु ु
िरपनामयतााािल रिवचयोः।
ु ु ८७॥
ू िदनशो जयमायः॥
उपराग े सम े भमौ
िवारौषधाना ु ूक ्
े ं कषमिपतम।
े तत॥् ८८॥
भाड े नव े पग े खािरमाण े पच
--------------------------------------------
--------------------------------------------
े यजथा।
यािण दश िना तऽ दव े
े ् ९०॥
ं ृ िनदािनशोऽचयत॥
तत सग
्
ृ सवािभरिप
त सवराकत े ्
साधयत।
गदचोरमहािरशा ु तह॥
े न ृ े ९१॥
े
िनशो धारण ं दहे े ौीकठा ैिवलपनम।्
ृ
भण ं सवकािद ् ९२॥
िरताििवभकम॥
िऽकोणयमािल बाारयोगतः।
ृ
तदवम ु ९४॥
ं षडॐ िवधाय त॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 374) े
नाा ं िबिलख े षोणषे ु च षट ् बमात।्
े
िविलखदममार
ूादियने पावित॥ ९५॥
ु तथा बमात।्
िऽकोणारतो िल चतदश
्
िश े साारम े िलखते पदशिप॥ ९६॥
े म े षा
बमण े ं िनवशादकिवशित।
े े ं
ु
भवि यािण तथा त ैः किः े ९७॥
ूवत॥
--------------------------------------------
ु े ु एकिवशितसष
आ ं िखँ इरं रऽययष ं ं े ु
े
आयनारष ् े े कबमात।्
े ु आ।ं बमात एकिकिकै
पातीित ु
सिः। चतदश ्
ु तथा बमात वामपा
अधरािद ऊा ैकै कं पकं दिणपा
ऊाधरा ु ं
ं पकमम े दिणािदवामातय
े ्
तद े पदशमान े साधकािदऽय ं वा (च) िलखत।
ं े ु पदशानिथः।
पदशिप िवशितयष े अषा
े ं
े ं
ितीयादीनामराणा।ं त ैरकिवशितिभः। िऽकोणाकारके पे
ु े ं
किवनूयोगाथमकिवशितयोयािधकरणप
े इथः।
ृ
तािन यािण। तणकतसट ु किवशरािण
ु ं ूगै ं
ु
े योजिया जपिदथः।
िवाया आयोरनलोमपण े
ू ं उपया िवया। पाकः
तपं जपपिजत
ूदीििरऽायः। ूाजाघयण
ूावदािदिभभवित े
ू
पवजपापनाशात ् े ृ
अिभषकािदकतात।् जायत े ूदीिजायत
े इित
ु एष ूयोगः सवसाधारण
िनगमनप।ं िनानािमा इथः
े एकिवशितयिवरचनाूयोगबमो
। इित ूोा इित शषः। ं यथा
ू े ु वरािण
पभतारष
े
अोसलनजिनत ं ं
ैकिवशितसािन। ूोपायरािण
्
िऽकोणाकारके ताॆपे वाारयोगात समिऽरख
े ं
िऽकोणय ं ूागममािल
ृ े ाृ ं िवधाय तदः
तदवमगतिऽकोणरखाऽयृ
ु ् सबम
े षोण ं िवधाय तऽ िलखते यथ
ूागमानन े
आारं नामगभ समािल तिहः ष कोणषे ु
अमािदूादियने षडरायािल
तिहिकोणयारालवीां
--------------------------------------------
p. 375) ू
सतोयभाड े िदनशो िनिपपपिजतम।
े ्
े े
तोयनापाकािभषकतो ु ् ९९॥
भवित ीवम॥
े ु ूाजाघयने वै।
ूदीिजठरा
जायत े परमशािन
े िनाना ं वैभवािदित॥ १००॥
--------------------------------------------
वामपााधोभागमार
तभागापकं
दिणपाभागािदतदधोभागापकं
े वामपाा
अमदिणपाािद ु ं तऽ तद े
ं चतय
पदशमान े साारम।् एव ं सााराािन िशािन
ु
चतशारायािल ू ैकिवशरािण
एव ं सय ं े ्
िलखत।
्
एतत ूथम ं यम।् अिवे य े सवम
े ितीयादीना ं
ं
िवशाराणा े े ं म े
ं िनवशािदतरषा
ू ू
मिलिखतारोपिरतनादीना ं तवपवारााना ं
ं
िवशराणा ु े
ं विहः ूागबमिनवशना ू े
पवन
यण े ं
े सामकिवशितयािण सवि। एतम ं य ं
ु
िवया तणपिटतया ू ं
सूाणूितं लवारजपिजत
ु ू ं
िदनशः शतवारादहीन ं िवया तणपिटतयािभजपिजत
ः कताः
तोयभाड े िनि त ैजलै ृ े अ
पानपाकािभषकाः
ृ
िचरनपापािन नाशिया जठरािविकरािण भवीित॥ १००॥
ं
मसाः -
ं े पटले ाितशािबया
यािण िवश ं ृ
कता।
अपादरिहत ं
िऽशत ं मसया॥
ं
--------------------------------------------
ं
एकिवशपटलम।्
ं ु ्
िवा ूागवे किथता तदाससयतम।
ू
ान ं शीः पजन साधन ं तलािन च॥ २॥
होमतपणयााभावनाः कथयािम त।े
े े ् ३॥
उपाय ैः पिभ ै ैः साधयदिखलितम॥
िवावायना ु ु बमात।्
ु काीघरयजा
े ् ४॥
षडािन यथापवू मातृका ं िवया सत॥
--------------------------------------------
ू
पविन ् ं े पटले पदँया ालामािलनीिनािवाया
िवश
ु
िवधानमपिदँयानरं षोडँयािऽािनािवाया
ु
िवधानमपिदशित े
अथ षोडशािदना अमणीिरने
े ैकिवशन
ोकशतपण ं े पटलन।
े तऽ अथ
े
षोडशािदिभरीितिम ु
िै िभः ोकै ः पटलाथानपिदशित। तऽ
ु
िशव े इित सिः। त ं तिधान।ं ूागवे तृतीयपटल।े शीः
ु
आवरणाः। साधन ं पररण।
ं तलािन िसिव फलािन
। एत ैहमािदिभः॥ ३॥
े
िवािदना े षडासोपदश
ोकन े ं
े
मातृकाासाितदश ु
करोित। तऽ िवावायना
ू ु ूावत।् चाँ च इािदपण।
े दीघरयजा
िवािदभतचकारण। े
यथापवम ्
ू एतत ्
काकािवत ्
अथवशात ् ू े तने
पवापरयोरित
ू
पवऽाय े ् े ु
परऽाय े तत ानष
े जात े सिहत ं सिदथः
ु े ु सथः।
ूागष े े िवया
ु े े ैकै के नारणा
ूागासबमाितदशन े ु
े यतािमित े सते ्
शषः।
ु ु ४॥
कलसरीपटलोबमािदथः॥
--------------------------------------------
p. 377) ू
उदािदिबाभा ं नवरिवभिषताम।्
ं ु ् ५॥
नवरिकरीटा िचऽपाशकोलाम॥
ु ु ं िऽनयना ं शिचितलसखीम।
चतभजा ु ु ्
सवानमय े ् ६॥
िना ं समितदाियनीम॥
ु ु ं भज
चतभजा ु ैः पाशमश
ं वरदाभय।े
् ७॥
दधाना ं मलापकिणकानवयोिनगाम॥
े ् ८॥
ु ोाािदका यजत॥
नवयोनाववगयता
--------------------------------------------
उिदािदिभनवयोिनगािम िै िभः ोकै ः
े े
सिवशषिनसपामडलाितदशगभ े
दा
ु
िनसपयाानमपिदशित। ं ु
तऽ िचऽपाशकोला ं
ं ु सवानमय
िचऽपाशकपरीधानािमथः।
ु ु
आनपिवमहवत। चतभजािमित
ु ु ु
पनिरायधधारणूावाथादपगा।
ु
अऽायधबम े
ऊािदवामदिणबमण।
मलापकिणकानवयोिनगा ं
ू
सवमलािनािनपजाचबादािध ं
े एतं भवित तऽों
किणकामगतनवयोव।
ु
चतारसिहत ु
ं चतरॐय ं तदः ािऽशल
ं ं प ं
तद षोडशदलं प ं तदरदलं प ं तिणकाया ं
ु
नवयोिन ं ूोमानने कािदित॥ ७॥
तििभिरािदना अिके इने ोकयने दा
े
िनसपयाबम ु
ं षडावरणमपिदशित। तऽ तििभः
ु
सवमलावरणचतयशििभः। तथ ैव १ अराद ्
े ु
वािनगमनबमणावगयताः
ू तने ॄाादीना ं
अकचटतपयशािदवगाकपवाः।
तजािक
ं पिरतः मिऽकोणािहिरथः।
िरचनमायात। ु े
ु
दिणाधरभजािद ु
वामाधरभजा े े
ं ूादियनथः।
ू
एतं भवित पवसवमकिणकागतनवयोिनमिविश े
ू
सवमलािनपजाचब
े सवम े
ु
िचऽािनामावाोपचारैर तृभाग े ूागाराले
ं ं ूावििऽबमतोऽ सवमयोिन
नवनाथपि कोणषे ु
तिदाानिबयाशििहदाजािक
ु े दिणाधरािद
ु
वामाधरा ं ूादियादायधा तिहरस ु
कोणषे ु अमािदूादियने वगपता
े ॄाादीर
--------------------------------------------
p. 378) े
इाानिबयाशीरयकोणतः।
े
हती े
पिरतो दाः ू े ु े ९॥
पजयजािक॥
सवासामिप ् े
िनाना ं नाथान दा ु पिम।े
ू े ं
पजयदाकारा
ैयथािविध॥ १०॥
ु ू
गमडलपजािद ु
साधारणमदीिरतम।्
सवासामिप िनाना ं यदााजा इमाः॥ ११॥
--------------------------------------------
तिहदपऽषे ु सवमलापटलोा
् े ु तऽोाः
भिाशीर तिहत षोडशपऽष
े ु
कलायाः षोडशशीर तिहािऽशलष
ं
ं
तऽोाः कािमािदािऽशीः ु े
सम तिहतरॐ
ू
ूावोाः पिमारााादीः पवारािदािदका
ू े
े नािदका पजयिदित।
आयाद ू
तऽ विलय ं पजासमाािद
ूावत॥् ९॥
सवासािमािदना ं
इमा इने ोकयने सवासा
े ं तडलािदष ु
िनाना ं साधारण ं नवनाथाचनोपदश
ूितप तदचनाितदश
े ं च करोित। तऽ
े
तदाकारामदवीसशपािदकान।् त ैः[ऽिऽ]
ं
ितीयपटलोै ः। यथािविध िऽिऽबमपितः। आाजाः
े
आायाः लिलतायाः ोासपात।् आसा ं सवगमडल
ु
सपािदक ्
ं तत समानमवथः॥
े े ११॥
ु ु
े पररणमपिदशित।
साधनिमािदना ोकन तऽ तथा यथा
लिलतायाः। तदहवन ं साधनाो होमः। तथा
े
ूावनारिऽल ृ ु े ादशल ं जप ं
ं कतयग
ं
दशाशमाािदिभहम ु १२॥
कािदथः॥
--------------------------------------------
े
यनाितमभायोऽिप ्
ौीमान भोा सखी े ् १३॥
ु भवत॥
ु ं
मधरऽयसिसै ु ैः िौयम।्
रण ैरज
् ै ै महायशः॥ १४॥
ूाोित मडलाोमात िसत
ौिाै लैरै हवनात ्
ूोकालतः।
ु समवाोित िनिध ं वा च सधा
सवण ु ु वा॥ १५॥
् ु
ीराै ः कै रवैहमात ूोकालमवायात।्
ु
आाै लैहमााित ं समवायात।्
तदै रिप कारैहवनािाजवभः॥ १७॥
ु ालहोमतः।
ु ैिायै
पलाशप
ु ु पािड ं भववे न सशयः॥
चतिवध ं १८॥
ु े ैालहवनने वै।
लाज ैिमधरोपत
् ु ं ु ् १९॥
कका ं लभत े यात समगणसयताम॥
े
नािलकलफलोद ु ु वा।
ं सिसत ं सगड
ु
ौिां जयादयानदोपमः॥ २०॥
--------------------------------------------
े इःै सदशिभः ोकै नाना
काहोमिमािदिभतन
ं ं
होमि ैिशान ्
मलपान ् ु
होमिवधीनपिदशित। तऽ
यने िविधना। त ैरज ् ः। रै रकमदै
ु ैत पलै ु ु िरथः।
कै रवैः
ु ं
े उलैनलोलैः। तदै रााै तिवध
िसत ैिरित शषः।
ृ तः। लभत े यादयािदित
ूावािदकिववातृ
े
पददः। ं वा िवक।े तिदित च
सिसत ं खडशकरािमिलत।
तत ्
िवकाथ तथ ैव धनदोपम इथः।
ु ू ु
ूावदाितलतडलसवाणपवकपहोमान
ु -
ु
िसतरै ः पैः।
दोपमो भवतीथः। ु ु
गडाः
ूावदमृतालतया
--------------------------------------------
ु ु ् २२॥
िसतरै ु िमिलत ैरायरारोयमायात॥
िमै हवना
वािऽकै ु जयदे ् गदान।्
ु ु
तथा गडा होमने पायसने ितलन
े वा॥ २३॥
ू
ौीखडपकपरिमिलत ैः शतपऽकै ः।
े ् २४॥
हवनाियमाोित सा तदयगा भवत॥
ू ं ु ्
ु ं िहमतोयने िपा कपरसयतम।
कम
्
तमिदत ैहमात कारै ैः शबु ैः॥ २५॥
िवकच
ू ु
े ं भिव।
राजकः िौया भयाीवषशत
िनमलाशयः॥
िनःसपो िनरातो िनो २६॥
ु
इकाड ु
सकलैहवनामायात।्
ु ैहवनाशयधः।
ौिाै ः पाटलीप े ू
तथ ैव चकै हमािपाजीवा
ू े ् २८॥
वश ं नयत॥
सपवािसतगोः ीरािसतहोमतः।
े ु ं लीमिप पािपचतनः॥
लभतऽनपमा े २९॥
--------------------------------------------
े गदायिदाकत।
चकारण े ृ े ौीखडं चन।ं शतपऽकै ः
ु ु ं सा लीः तदयगा शाा ं
ताम गमखादवग।
शभु ैः घणतािदरिहत
िौयमवाोतीथः। ु ैः अखिडत ैः।
िनः ु
िनपमः। तथ ैव वमायािदथः।
पाजीवाः
े
वँयाः।
िसतहोमतः शकराहोमतः। े
पािपचतनः े त
अिववकी
ु ् २९॥
ली सापात॥
--------------------------------------------
ु ु ्
त ैीवम।
रागाै रगााै
् ३२॥
अबीज ै ु त ैलाै हमः सविवनाशवान॥
करवीज ैिै हमाैिरिवनाशनः।
तथ ैवाततपाहवनादिप॥
ू ३३॥
े ृ ै न गत ैल।े
अरातजनऽव
ुृ
तोिनिपिशत ै ै हवन ं मृकििपोः॥ ३५॥
ैलाै हवनाथा।
यािवज ैः सषपत
जाय े विरणः
े ु
करोगा े
दहिवलापकाः॥ ३६॥
--------------------------------------------
े ु
सौवीरािदिभीविम ं ं
रै िभः ोकै नवस
ु
िनमहहोममपिदशित। ु े वमाण।े तीज ैः
तऽ अकड
ैलाै ः। तथा िविा भवीथः।
अिरवीज ैः। त ैलाै िनत
्
तद ् यत दिनः। ु
ताैः मृपाै
ः।
ैलाकै ः। सविवनाशवान
तदै िनत ् ु
सवजिवनाशकरः।
ैलाै ः तिन ैमडलािदिभः।
तिै िनत तोिनिपिशत ैः
ु ं ैः। त ै नऽव
शऽनऽयोिनमास ृ ैः याबीजािन
ु ु
गमखादवगािन।
त ैलाै िलसवत ैलाः॥ ३७॥
--------------------------------------------
मृतयन ्
ु े वा तत ूयोगािभरव
े च।
े ् ३९॥
िवािभरथा िसं ममाश ु नाशयत॥
ु
ूागाना ु
ु कत िनमहं रोषतः।
े ू ु
िवाशया वा न कदााचरितकामकः॥ ४०॥
े ्
ैािन साधयत।
िनिािवधौ ूोै पण
े
अनया िवया कमायशषािण े
महिर॥ ४१॥
अथ यािण वािम नानाभीूदािन वै।
य ैः स सदा ु ु ४२॥
ससमीिहतमवायः॥
ु
रयिलिपोातगभा े ्
िवा ं समािलखत।
सऽोष ्
े ु िविधवत ानष
े ु परमिर॥
े ४३॥
--------------------------------------------
े ु
े ोकयनािभचारकः
एविमािदना नाशयिदन े
ु
रािवधानबममपिदशित। ु
तऽ िधःै आसमसखःख ैः।
ु े चतिशटलवमाणन।
मृयन ु ं े वा िवक।े अथा
े ३९॥
रािवधानवैपरीन॥
ु े
ूागािदना े ु ु
े गणिवधानमपिदशित।
ोकनािभचारण तऽ
ु
ूागाना े े
ं ऽयोदशपटले नविततमािदोकऽयोानामवथः।
े
आचरिमहम ् ं तऽोानािमथः॥
अिभचााणा ४०॥
े
िनिािदना ु
े तपणापिदशित।
ोकन तऽ तािन तऽोािन॥
४१॥
अथ याणीािदिभिवचण ः षिः
इरै ािधकै
ोकै िवाया ् े ु
आ े मातृकािवसरारयोजनात सातष
ं े ु पािदतः
षिधकपशतसष े
ु
षोडशािधकचतःशतस
ं ै ैः वगबमतः ं
षिशितिवधािन
ु
यायपिदशित। ु
तऽ सव साधकाः। रयिलिपोातगभा
अकारािदकाराािन षिधक पशतारािण िवाया
आदौ एकमक े ् तने तािन
े ं योजयत। ं िवापािण
े ु वमाणष।
उष
सवीथः। े ु परमरीित
े
े ु
दवीसिः। तय ं वय।
ृ ं तिहः षटकोणािहः।
तय ं वऽय।
ृ ं
--------------------------------------------
p. 383) ृ ु
िऽकोण ं वयम षोण ं तयथा।
े ् ४४॥
तिहः षलं प ं तय सिलखत॥
ं
आकट ्
ू ं िलखते सा ं गभ म े िवधानतः।
े ् ४५॥
िऽकोणषे ु च षोण े षऽषे ु समािलखत॥
ू
कताािन चोािन तऽ पदशािप।
ृ
अवार ू िबयोिचतान॥् ४६॥
े भताणा
--------------------------------------------
िऽकोणषे ु य सवमिऽकोणऽय
अािन ितीयादीिन।
े इथः।
तऽ पदशस ु ानिथः।
े अवार
ृ े
ृ
कोणवाबयवीा े
ं षोणवाववीाथः।
ृ
्
िबयोिचतान नवँयािदिबयोिचतान ् ् तऽ
पािथववणादीन।
े
लखनबमः ूितवीिथकं दशदशबमात।् ससाकवण
अ े सिहतिमित शषः। ु ं बमोमात।् एतं भवित
े मायािबया
ु ं ूितलोमा ं मातृका ं
ूरं िवसजनीयया
ृ
सववावारवीथीय ृ
े अववीाम ्
अिभतः समािल
ु ु े विहवा मिभतः समािलखिदित
ूरं िबयामनलोमामव े
। एव ं षिशितिवध।
ं ्
ं बमोमात वगबमतः।
ं
षिशितयिवरचनाबमो ् ृ ं
यथा। इूमाणॅमात व
े वय
सा तदनरैकैकालमानन
ु ृ ं का
ृ तदरं
ु ु े त ं का
चतरलमानन ृ तदरे
ृ तऽ षलािन का
े व
एकालमानन
ु
ृ ं सा तासामानतः
ृ ूावत ्
षोण ं का ृ ं िवधाय
ृ तदरिृाृव
े व
तदरैकालमानन
ु ृ े
ृ ं िना तरखाृ
ॐ ं
समरख
े ं िऽकोण ं िवधाय तऽ सवम ू
े मलिवाया आदौ
ं े ु षिधकपशतसष
मातृकािवसरसयोगसातष ं े ु
ू े
कटपा ू ं ससानामकमािल िऽकोण
ं कट
िऽकोणषे ु अमािदूादियने ितीयादीिन ऽीिण कटारायािल
ू
तिहः ष कोणषे ु अमािदूादियने पमादीिन
षटारायािल
तिहः ष यषे ु एकादशारादीिन
षटारािण
ं
सिल े
एव ं षोडशारायकवगजाित
ृ
समािल िऽकोणवावयारवीा ं
ृ
षोणवावयारवीा किचतािन
ू े दशदशािल
भतारायमािदूादियन
ृ
पवावऽयारवीथीय े
ु ु काा े साािदसिहता ं
िबिवसजनीययामनलोमूितलोममातृ
वावीारतः ूावििल ूथम ं य ं
साानरमिवे
--------------------------------------------
p. 384) विहवारय।
ससाकवण ृ े
े ु ं बमोमात॥् ४७॥
मातृका ं िविलखायािबया
एव ं षिशितिवध
ं ु
ं य ं कािचणः।
परा ु शतनािप
े ू िलखत
षा कटै ् ् ४८॥
े पिवम॥
ू
ूादिणोद सऽायादश े ्
िपत।
त ै ु कोािन जाय े नवाशीितशतयम॥् ४९॥
् ू
िऽकोणषे ु त ु तत कटाािलखत ्
े सावि च।
्
ूावदार िविलखते ूादियूवशतः॥
े ५२॥
--------------------------------------------
य े वगबमतः े ं यावत ्
ूक
ं े
षिशितसवगषोडशारलखनतः ू े यण
पवन े सा
ं ं
षिशितसािन यािण सवीित॥ ४७॥
ु
परािदािदिभः शभिम ैः पिभः ोकै ः
ःै अा
ू
मलिवायाः ु ं ु
ूागषिशितयिविनयिश ू
ैः कटप ैः
ं
ं ैः कोवळयिनाण
षिधकशतस
ु
तदनभावोपिदशित। ् ु ू े
तऽ परात िविनयकटपः।
ं त ैः सऽैः।
पिववळ। ू ्
ं ूितकोणिमित
ािऽशत े तथा यथा
शषः।
े
िवषमवळाकारं मऽविश े ्
ं भवत।
े
तैषमतरचनााान े ााामः। शताकं
एककोतः ूितिदश।ं िवा ं
शतकोाकिमथः।
ु
शपा ू
ं मलिवा। े ं ककारोदरे
ं तऽ साारलखन
ूावत।् कटानीित
ू ं
सिवशितमवगूथमारािद े ु
ूोष
ं े ु आिदतारायमकोणात
उसष ् ु ु
ूादियातष
े े ूावदार
कोणािलखिदथः।
ं
अमिऽकोणोपिकोपके मकोमार
ु ु एतत ्
िऽकोणिऽकोणचतिलिखतारचतयोपिरतनानीथः।
ूोप।ं एतोवळयिवरचनाबमो यथा।
ूादिणोदसमारालमाािलत ैरादशिभः
ू े
सऽैरकोननव
--------------------------------------------
ं
िधकिशतसािन कोािन िना तऽ पिरतः
सववापि
ं माजिया तततसृष ु िद ु
ं ं े
सवमपिपपियवारखायामािण
ृ ततदतषु ु कोणषे ु ूितकोण ं
िऽकोणाकारािण का
ँयमानवावीा ं नव नवकोािन माजिया
ततदतषु ु कोणषे ु ूितकोण ं ँयमानवावीा ं प
प कोािन माजिया ततदतषु ु कोणषे ु ूितकोण ं
ँयमानवावीा ं ऽीिण ऽीिण कोािन माजिया
ू ैव ं ूितकोण े ािऽशत
सय ् ं कोािन
ं ािऽशत ्
ू
सयािन ् े िऽकोणवळमिवशिधकशतकोािन
य ं
े ् एव ं कत
माजयत। ृ े चतसृष ु िद ु ूितिदश ं
ु ं प पकोािन
िऽकोणचतयारालानारालपा
ं
तदरालानारालपिय े ूितिदश ं स स कोािन
्
ं ूितिदश ं तत कोसकादिधक
तदरालपौ ं चतषु ु
े पृथक ् िनगतािन
कोणषे ु चािर कोािन ूितकोणमकैे कबमण भवि
ु
। ततदरः असमचतरॐािन ्
एकोनपाशत कोािन च ैव ं
सय ु े
ू सववागतिऽकोणचतयन
े ं
सामकषिधकशतसािन े
िवषमऽिन ् े य े
वळ
ू े पव
सवि। अ वळ मल ू ं तथाशािभूते ं
वैष ं त ु चतसृष ु िद ु वातो ितीयतृतीयपोः
ं
ं
समसकों
। तऽ सवमको े शा ं िवा ं
्
ूावत ककारोदरगतसाािदऽयाावतीमािल
सववािदगतकोणचतय ु ं े ु
ु े अमािदूादियने ूागसष
ू े ु
मलिवापष
ू ं ं -
पववगबमजिनतषिशितयिलिखतषिशितवगा
ु े े ु दशवगास
षोडशािधकचतःशतारोऽविशष ु
ं े
षिधकशतसािदतािर ू
कटपारािण ूावत ्
ू
समािल तपिरगतपकटादीिन
सागभािण
ं
षाशदिधकशतसािन ू
कटारािण िशषे ु तष
ं े ु
कोषे ु अमिऽकोणोपिगत
ं
े
कोपकमकोमार ूादिय ूवशगा
ु
यबम
ं िवागभ सवमकोवजमािलखिदित।
े
एतिषम ं महळय ं ूोफलिसि ूदिमित॥ ५३॥
--------------------------------------------
p. 386) ं
सिवशितािन यायवे ं महिर।
े
ं
सिवशित े
नऽसमातािन े
चदिप॥ ५४॥
*** *** *** *** *** *** *** ॥ ५५॥
फलािन तषा ु
े ं बमशो वदाबमण
े वै।
ु ु ं परमिर॥
िविनयोगबम ैव सट े ५६॥
े े ािोगा नँयशषतः।
ूथमनाितन े
े
वँमिन ् े भिमतलऽिप
िवधाय ैतत पीठ ू े वा॥ ५७॥
ं
ूोिािण सिप े
तनाथ ु ु
सटम।्
् ५८॥
िऽराऽ ं सराऽ ं वा सिवशितराऽकम॥
ं
ु
ू तऽ क
स ु िवौषिधजलाितम।्
िनधाया गिदनमिभिषतः
े ु
सखी॥ ५९॥
े ्
े ु िविनयोजयत।
एवमािन यािण ूोष
तषा े वदािम त॥
े ं िवलखनिायाकणय े ६०॥
ु
कचन े
ं चन िसरं सरोचनम।्
काँमीरमगु ं क
ु ं एलाकोलजाितिभः॥ ६१॥
व मा ु पिरपिषत
ृ ैादशिभिह े ैः।
ृ
जलैनऽवो ैः शभु ैा सपिषत
ू े ैः॥ ६२॥
्
ितीय ं िवजय ं ू ै िवदात ूोपतः।
े ् ६३॥
ू े ु च जयी भवत॥
वाद े िववाद े समरे तष
--------------------------------------------
ं ु
सिवशतीािदिभरायािद ःै षोडशिभः ोकै ः
ू सिवशितय
सय ं ं े ु तदाना
ैः सिवशितनऽष
समनािदकं वारषे ु च तथान ं ततििथसमचनािदबम
ं
ं
चोपिदशित। तऽ सिवशितयािण ू े सह सिवशित
अनर पवन ं
तने कारणने तावे सिवशितनऽायव
याणीथः। ं े
िवभा सािमित े तावऽ
शषः। े े एवाायः। सा ं
ूावािन यािण। तिनषे ु तूाषे ु
अिािदनऽष। े ं याणाम।् परमरीित
े ु तषा े ु
सिः।
ात ्
--------------------------------------------
p. 387) े ्
तृतीयाषे ु नवस ु महाव समयत।
े े
दापाना त ैाधा ु ् ६४॥
न भवदे ् ीवम॥
े े ु ूोबमिवधानतः।
यादशनाश
ं
समामगमन ु ं वाचमामहम॥् ६५॥
ं वषामोग
ऽयोदशा ैवळा ैििथमय ैरिप।
यै
तििथष ु त ैः ूावाितानायाद ु ् ६६॥
ु ् ीवम॥
ृ े
आवामयदिरोवाीशिदगत ैः।
ु ु ् ६९॥
रोगशाि ं समोगफलाभीावायात॥
--------------------------------------------
े वा िवक।े
अयिमदमाातूपकमवधारणाथ।
ु
ूोिािण वमाणािन कचनादीिन। वा िवक।े तऽ य े
ू ु गदीित शषः।
ं सखी
िनधाय ूोिदवसपजानर। े ु
े ूोष
बमाऽषे ु कायष ु च वमाणषे ु ूोष
े ु स
े ं सकपरू ं
ु ृ
। ादशिभः कचनािदनऽवो ः। शभु ैः
ैजलै
ु
शप ू े ैि
ैः। वा िवक े सपिषत ैिरित शषः।
े ितीय ं
े ूोपतः तऽािदष ु
यिमित शषः।
ू े
तिनपजनािभषकतः। तृतीयाषे ु तृतीययाषे ु नवस ु
यषे ु एकादशािित
े े दापात
शषः। े ् े
दवीमयिवमहात ् े
तन
े अ साधक। त ैमहै ः। एतहाचन ं तारषे ु
कारणन।
किमित े ूावत।् ादशने
सदायः। राकोवारौ
् े यणित
ूोनवकात परण े े शषः।
े ूोबमिवधानतः
तानऽतिनानािदतः। ू
ऽयोदशा ैः पवात ् ः
परै
ं
ितिथमय ैः पदशसािविशात।् ूावत समिचत
् ैिरित शषः।
े
्
ितिथिदनािधपान वमाणपान।् वारशान
े ् ु ु
कलसरीपटलोान ्
ििवधान।् ता ं दव।
े त ैदवत
ैः
ितादीनामिरोवाीशिदगत ैः
े ू
ितिथनऽवारशयपप ैः ूोबमिदगत ैः
ु ं समाम।्
दैवत ैिरऽायः। रोगशाि ं ूागा
ु
समोगफलािन
ूारकाफलािन॥ ६९॥
--------------------------------------------
p. 388) े
वाराणामिधपाः ूोाििथनऽदवताः।
ृ ं
ऋवाथा े परमिर॥
योनी िनगद े ७०॥
ु िवो भजा
विदॐावमा ु ु रिवः।
षखो
मातर तथा गा िदशो धनदकशवौ॥
े ७१॥
े ितथीशाः पिरकीिताः।
यमो हरः शशी चित
े
नऽदवताािप ण ु व े यथािविध॥ ७२॥
चः िशवोऽिदितः।
अिनौ च यमो विधाता
ु सपा
गः िपतरः अमा
भग एव च॥ ७३॥
े
ृ तथा ा माताििमऽकाः।
िदनक
े े हिरथा॥ ७४॥
इो िनऋिततोयाौ िवदवा
--------------------------------------------
इरै कादशिभः
वाराणािमािदिभगजा े ोकै ः
ु े ु
ूागवारदवतारणपरःसरं
ृ े
ितिथनऽवनऽदवतानऽयोनीोपिदशित। तऽ ूोा
ु ु
कलसरीपटल। वीािदना ोकन
े तथा योनीनऽयोनीिरथः। े
े
ितिथदवतास ु पदशस ु ादशदवता
े उपिदशित। यम इािदना
े े
ोकनाविशािॐििथदवताः ु
समपिदँय
े
नऽदवताूाव े
करोित। अिनािवािदना ोकन
ं े
सिवशितनऽदवतास ु तातास
ं ु
ु ादशनामापिदशित।
े
तऽ िशवोऽिदितः िशवः अिदितिरित पददः। ृ
िदनकिदािदना े
ोकन
ु दशसास
िशासप ं े ु
ु तास ु दशदवतानामापिदशित। तऽ
े
इाी इक े े वसव इािदना ोकन
नऽ दवत। े
े े ं ूोिनगमन करोित।
ूोाविशदवतापकनामोपदश
ृ े ु तष
े सिवशितनऽवष
कारर इािदना ोकन ं ं े ु
ृ ु
दशवनामापिदशित। ्
आमलकोर इित िदात सिः
पलाशािदना
आमलक उर इथः। े िशषे ु सदशसष
ं े ु
ु
तषे ु एकादशवनामापिदशित।
ृ
--------------------------------------------
p. 389) ु
काररामलकोरो जकथा।
ृ ं च िपलो नागरोिहणौ॥ ७६॥
खिदरः कवशौ
ु
पलाशकािबानिवकताः।
ु सरलः सज वलः
वकलः ु पनसथा॥ ७७॥
ू िन थाऽिम।े
अकः शमी कद चतो
ू े सूोा
मधकित ं ृ माना ं बमादमी॥ ७८॥
वा
अगजमजसपसिपणीिबडािलकाः।
ू
अजामाजारमषा ू
मिषका ृ
वषमािहषी॥ ७९॥
ु किपः।
ाय मिहषो ायी मृगी मृगशनी
गोकण वानरी िसही ु िसहगोगजाः॥
ं तरगा ं ८०॥
े िदन ैः।
यदा रोगािद ःखािभवदकै
ू सयाहोिभः
मतः ं ु े वा॥ ८१॥
शािः ािगणन
--------------------------------------------
अकािदना े ूोाविशषनामोपदश
ोकन े ं
ू इयः। रवा
ूोिनगमन करोित। अऽ अिम े मधक े ं
मधक भाना ं नऽाणाम।् अिमािदना ोकन
ू इथः। े
ं
सिवशितनऽयोिनष ् ं
ु तत सास ु ऽयोदशयोिननामािन उपिदशित।
े वषृ मिहषी वष
तऽ िवडािलका ा च िवडािलका चथः। ृ
े ाय इािदना ोकन
मिहषी चथः। ु
े िशयोिननामापिदशित।
े मृगशनी
तऽ मिहषाही मिहष ायी चथः।
मृगशािवित उरापदम।् अऽ ितिथदवतािदनऽयोाना
े ं
सवषा ु ु
ं नामािन गमखादवगािण॥ ८०॥
े
यदािदना े रािदरोगार े समयानने
ोकन
ु
रोगशािसमयानोपायमपिदशित। तऽ एतं भवित यदा
रािदरोगारदा यिऽे
ं ं ैरहोिभवा
यावाघिटकागता
ु ं जानीयािदित। अऽ सौषे ु
ं ैरहोिभवा रोगमि
तदस
्
तऽषे ु रोगारते ूोबमतो ू े ु नऽषे ु
रोगशािः। बरष
चदे ् रोिगणो दहाग
े इित सदायः॥ ८१॥
--------------------------------------------
p. 390) ु
आधारे प यािण ािधान े चतयम।्
े ु भावयािन
ूोष े ू े ८२॥
तावि मिणपरक॥
े ्
अनाहत े ततः प यािण पिरभावयत।
ु
िवशा े च चािर पाायािमित बमात॥् ८३॥
्
े े ं भावयते षोडश
तििथिदनव िशवाम।्
्
तबगताः सवा भावयते सवसद॥
े ८४॥
भावनायामशाना ं तािहथा।
े ् ८६॥
ृ तऽाचयिवाम॥
ूोााधारपािन का
े
आधारािदिभः े
कदाचन ु ः ूोाना ं
ै तिभोकै
ं ं
सिवशितसाना ू
ं याणा ं मलाधारािदष ु षाधारषे ु
े
उिवभदबमूा ु
ं य ं िवभावयतः फलावािमपिदशित।
े ु सिवशितसष।
तऽ ूोष ं इित बमात ्
ं े ु तावि चािर इथः।
ूथमयािदबमतः। तििथिदनषे ु यूाष।
े ु एतं भवित
ूथमादीना ं याणा ं ूोसािविभाना
ं ं
तूाितिथिदनषे ु मलाधारािदष
ू ु ूितिदनमकैे क
--------------------------------------------
p. 391) े े वासरषे ु यथािविध।
विल दाव
ु
पाशिथनाना े े ८८॥
ूोचबऽराऽक॥
ू
कटाना ु
ं मपािण ूोािन टमीिर।
े ं तषे ु कालष
त ैषा े ु विलं दाथिरत
े ैः॥ ९०॥
े ु े ैः िशकं महत।्
दानमहूोिनव
िवधाय त म े त ु का ु ् ९१॥
ृ दीप ं घृतातम॥
े ं दवताना
ूक े ु
ं वा िमथनानामथािप वा॥ ९२॥
ू
दादपपपनसमोचाघृ ु
तगडाितम।्
ु ं ु ् ९३॥
े न ं छागमासयक॥
काषपायसान
इ ं का ु
गतालाघवापया
े िदन ैः।
्
साधयते सिभः पाासाडलतोऽिप बा॥ ९४॥
्
ु ं विलं दात ूितमास
िमथनाना ृ े े ्
ं गहऽयत।
ूं वा गहृ े मी जीवदाामहोदयः॥
े ९५॥
--------------------------------------------
इनै विभः
विलिमािदिभनरा
ोकै दाः
ु ु
ूागपाशिथनाना विलदानूकारं तलािन
े े वासरषे ु ूोयूयोगवासरष।
चोपिदशित। तऽ तव े ु अदिप
िनश
मलाथ अमलूितघाताथ
ु
पाशिथनविलूदान ु
ं कयािदित सदायः।
ु ं षोडशपटलोाना ं ूोचबे तऽैवो।
पाशिथनाना े
ु
एतं भवित षोडशपटले अनविततमोकोचतःषिपद े चबे
ु
े ृ तऽ िदनिना ं सागभामािल
मततोाकीक
घिटकाबमतो
विहरमािदूादियिनगमन
ु
िमथनानानामचनविलूदानािद ु
कािदित। सयोः
ू
ूातःसायोः। चबाना ं कटिवाशीना ू
ं मल
े ु
शिसिहताना ं विलं दािदऽायः। ईरीित दवीसिः।
् ु
शिमवत िमथनोशिमवत।्
--------------------------------------------
p. 392) ु ू
े पजनात।
एव ं कालािमथनविलदानन ्
् ् ु ु
सववाितानायनराः॥
रणात कीनात ९६॥
ु ं बिलिायाकणय महिर।
िमथनाना े
ु ं ूा तााश ु ूयिभवितम॥् ९७॥
य ैि
ु
दशाना ं पायस ं दाशाना ु गडोदनम।्
ु
पाना ं मिभा ं पाना ं दिधभकम॥् ९८॥
ु
पाना ं िसतभाा ं मोचाफलमदीिरतम।्
--------------------------------------------
ू
चबगािमना ं कटानािमऽायः। एतं भवित पवू
ु ू
पाशिथनशििवावदऽोयगतिवाकटशीनामिप
ू
े ं पदशारािभः कटसिहतािभिवािभः
ूोािभः ूक
पजन ु
ू ं बिलदान कािदित। ताः िवा यथा ूथम ं
ु ततः
ू ु ततो िपणीशीा
बीजयपवू तटमाय
् े पदशाः
सार वदते तन
ैषे ु कालष
षिधकपशतिवाः सवि। त ैम े ु
ु ु ईिरत ैवमाण
ूागसाऽयािदष। े
ैदािऽािनायाः
ु
अनमहूोन े ैः षोडश े पटले
ैव
ु े -
नविततमोकोपायसागडािभाहिरिाितलाकवल
ु ैिरथः।
शा िशकं िपडिमथः।
े
ूकिमािदन े
ैतं भवित ूधानदवताया एव षिः
्
समते ैवा तात पिरवाराणामिप वा तािरवाराणा ं
ु
िमथनानामिप ु
यम े ं वा पृथक ् पृथिगित वा बिलदान े
एकमक
ु ु ं भवतीित। अपपािदिनवक
पऽयचतयम ू ं
ू े
पविनविसिहत ं भवित। तामािन
ु ु
गमखादवगािण।
अिप वा िवक।े वा िवकाथः।
ु ् ९६॥
ु ं कालिपानसानात॥
रणािथनाना
ु
िमथनानािमािदिभरमणीिर ु
ै तिभः
ु
ोकै िमथनविलिािण ं े
िनदयािन
तदनफलं चोपिदशित। तऽ
े
विलिािण िनदयािन े
ूयोगदयािन च।
--------------------------------------------
--------------------------------------------
िसतभाा ं मोचाफलं
दिधभकं दिधिमौमिमथः।
एतावे िनविलूदान े च
शकरािमिलताकदलीफलानीथः।
ु ं िािण। असौ अकः॥
िमथनाना १००॥
ू त
इित षोडशिनात े ौीकािदमता पिरपण
ं
ूपसारिसहराजूकाशािभधानन ु
े सभगाननाथन
े
िवरिचताया ं मनोरमााया ं ााया ं
े ं
िचऽािनािवािवधानूकाशनपरमकिवशिततम ं पटलम ्
ू परामृम॥् २१॥
पिरपण
ं
मसा ं
- सिवशितयािण ाामाः शतयम।्
ु
पादािधकाराः ःु पटले किवशक॥
े ं े
ं
ािवशपटलम।्
े
अथ षोडशिनाना ं या ूोा विलदवता।
ु ु
सा िवा ककायाः ं
पिवशारोिदता॥ १॥
ं
तृतीया सा पिवशदरा े
सकलदा।
एव ं सा िऽिभरते ैिवाप ैरभीदा॥ ३॥
इिराघृतधािधमग े नवरक।
े
े ् ४॥
ीप े ता ं लिलता ं िनिवनोदानिता ं यजत॥
--------------------------------------------
ू े ं े पटले षोडँयािऽािनाया
पविकिवश
ु
िवधानमपिदँयानर ं िनाना ं विलदवतायाः
ं सवासा े ात ्
् थतायाः
ात अपृ ू ु ु
ककाया ु
िवधानमपिदशित अथ
े
षोडशिनािदना तिदने ोकशतपण
े ािवशन
ं े पटलन।
े
े
तऽ अथ षोडशािदिभरभीदा इिै िभः ोकै ः
ु ु ृ
ककािवायातीयपटलोप े ं
ं ऽैिव ं तषा
े ं तऽोामरसा
ऽयाणा ं खडाना ं ूक ं ं
त ैदवताया ं
वाादाियोपिदशित। तऽ पिवशारोिदता
तृतीय े पटले इित शषः।
े तऽ पिवशारा
ं
ृ
ूथमितीयखडूकितपा ू मलिवथः
तृतीयखडभता ू े
ं
। स ैव पिवशारै े तऽैव तृतीयपटल
व। िऽखडा िऽपभदा।
ू ू िवा तृतीयखड इथः।
एव। तृतीया सा सा खडयमलभता
ु ु
सा कका॥ ३॥
े
इिािदना तीरपािलकािमने अोकन
सवाििनाया
ु ू े अऽ अाः
लिलतायातथािदपटलऽयूोपजाबमारणन
ु ु
ककायाः तदमिभू ैित। तऽ िनिवनोदानिता ं
े
सीतािदिभः। तोरािदना ू ूसता
ोकपवान
ू ु
लिलताया अभतामपिरतनपटलवमाणिवधानमाः
ु ु
ककायाः ू े
पवमवाचनीयात ्
पम े
वाराह यजिदित
ु
ूौित। तऽ तीरे इसागरतीर ु ूथमात।्
े त चतणा
ु े
इसागरवलाया ं वाराहीमचयत ्
े ततः इागमारोा। तऽ
ताः समवान ं दिणपिमकोणिदक ् ूदश ु
े े लिलतािभमखिमित
सदायः॥ ४॥
--------------------------------------------
े ्
तदाया रपोत ं ताैव समयत।
े ् ६॥
विलचब तने ैव त े च समयत॥
ू ं ु ं चतरॐकम।
पवपिमिदारसयत ु ्
् ७॥
ृ तदः प सापऽ ं सकिणकम॥
का
किणकाया ं चा का े ्
ृ नवयोिन ं समयत।
षडं वालया का े
ृ तनामिप े ् ८॥ ॥ ९॥
साधयत॥
--------------------------------------------
े
तागरिािदना े े े ोकनााः
समयिदनाान े
ु ु
ककायाः ू ू ं तऽ
पजाूावपवक
ु
रपोतविलचबाचनमपिदशित। तऽ तागरषे ु पिधित
तीरसागरािदष।ु रपोतचर कका।
ु ु ं तऽ तदाया
ु
तीरपािलकायाः पाः समनया सागरषे ु ताः
ु ु
ककायाः पजन ु
ू ं समवानिमसागर े उरपिमकोण।े
ु साधकािभमखिमित
रपोतचरीिमा ु सदायः। त ु
दिणपिमकोण े पाः समवानात।् रपोत ं
रिनितूवहणू ं अतनूवहणपविदित
सदायः। ताैव रपोतनाैव नमोऽने
े ू यथा ॑ीः रपोताय नमः इित
वमाणिवसजनीयखापवण।
े ्
समयत।
विलचब वमाणप।ं तने ैव माैव ूावमोऽने
े ्
े यथा ॑ीः विलचबाय नमः इित समचयत।
िवसजनीयशान।
त े रपीतम॥
े ६॥
ू
पवािदना े े े दाः
ोकन
समचयिदनान े
ु ु
ककायाः ु
िनसपयाचबमपिदशित। तऽ
ू ं ु
पवपिमिदारसयतिमऽ ु
शाखािनाणानाविप
ु ूितारं शाखायोपतं
उरऽ दशाखादीा े
ु
चतरॐोिमित सदायः। चा यथामान।ं एतं भवित
ु ं समचतरॐय
ूािमतः सशाखायारयम ु ं कोणषे ु
िद ु च दवताानिचित
े ं िवधाय
े
तलयोपतमदलं प ं का
ृ त किणकाया ं
ु ु
नवयोिनचबं ूागचतिप ु ं ः िवधाय
चतरशै
ताममण े
े तदयिदित॥ ८॥
षडिमािदना ोकोरान
षडासमसाधनोपिदशित। तऽ वालया
ु ु
कलसरीिवया े शषः।
सजाितकयित े तने षडन ू
े मलिवया
ं
पिवशरया े
िऽवारादहीनमय॥ ९॥
--------------------------------------------
p. 396) ु मलमणान
िऽखडमिया ू े े ्
े चावहत।
े गािदिभः बमात॥् ९॥
ा ं पिरवारैा ं दव
ु
िवकीणकला ं ना ं रामानिवमहाम।्
ु करैः॥ १०॥
े ं चापपाशतणीः
दधाना ं िचयाण
् ु
तत समानायधाकारवणा द
े ु वागाः।
ु
ऋताताः ु
रोः े
सदानाणणाः॥ ११॥
े
खया ु
ापनादीनपचारान ् े ्
समाचरत।
े ् १२॥
ततदाया रोहे ॅािमण िािवण यजत॥
ू े ्
पिमारमार दशाखािद पजयत।
ू ं ितिथवारं योगकरणािप॥
ससोम १३॥
--------------------------------------------
े
िऽखडािदिभरीणा इिै िभः
ु ु
ोकै रावाहनमिामपरःसर े
ं दाः सपिरवाराया
ु
िनसपाानमपिदशित। तऽ आने सारपण
े मणित
े े
शषः। े
े इ ं वमाणपतः। गािदिभयजिदित े ना ं
शषः।
े िदगरकथन ं सि (ि) दानमयात।्
िदगरा ं दा
ृ
अनावतिमपरः आनिवमहा ं
सदायाथः।
सिदानपात।् आयधबम
ु ु दिणाधरािदत उरा ं
अूादियात।् ॠताताः
ु ु
रोः े अिप साधारण ं
एता
ु ु
ताः ऋतातरोिनकथन ं
ु
ूागसिदानमयिनोासाितशयिमित सदायः। अा
ू े े े ान ं नत ु तमान िमित च
लिलतापजनऽतदव
सदायः॥ १२॥
े े
खािदिभः ू े
पजयिद रै ः षिः
उपचारपवू
ोकै दा
ु ु
सावरणचतयिनसपाबममपिदशित। े
तऽ खया
े सदायः। तथा तािदगतया अऽ
सिवसजनीययित
े
सवशीयजिदित। ्
ापनादीन आिदशः सिरोधािदिवषयः।
्
उपचारान अघपाादीन।् तदाया दाया।
े ॅािमण
े ् तयोरवान ु रपोतपवपिमकोोः।
िािवण यजत। ू
े
दशाखािद दाः ु
पिमािभमखाया
दिणपाशाखािदूादिया। े
यिणीऽ
बवचना ं तासा ं षिशत
ं ् ं
सािविशात।् तो
ू
यथा। ॑ीः यिणीिपणीशिपाकाः पजयािम इित। अासा ं
तामा े पाका ं
--------------------------------------------
p. 397) ू
यिणी तथा तारा ं पवार शाखयोः।
ं ु ् १४॥
ोमवाितोयािपणीशिसयतम॥
ू ्
प रसग पववत।
शश
् ु ं तथाशिमपऽषे ु पजयत
याणान बि ् १५॥
ू े ॥
े ्
तदरकोणषे ु वादकमयत।
े
् ु
ततो वाणान धनःपाशमशािभतो
े ् १६॥
यजत॥
मिऽकोणकोणषे ु साानिबयािकाः।
े
े ् १७॥
त े सिदासनमयत॥
शीयाथ
ू ू े ्
े पजयत।
तता ं पिवशाणमलमण
ं
ततदाया पोतपरीत ं ीपमागतः॥ १८॥
ु
पिम ं पराग ं ्
े बमात।
सूाावतरत ्
े तऽ वै॥ १९॥
परीयमाण े िदतानयऽ
े
्
इिराघृतधाीन पिमािद िवलोमतः।
नमोऽनै ामिभः प ू े ु ः॥ २०॥
ू पजयपकै
--------------------------------------------
ू
पजयामीित ू
॑ीः ोमिपणीशशिपाका ं पजयामीादयः
शादीना ं मा बोा इित। पववत ्
ू अमािदूादियन
े तथा
् े ् अमािदूादियने अिभतः
िपणीशािदसिहतम अचयत।
े े
ूाविऽकोणािहरिभतजािकूादियन
ु
्
या ूावत बमा े िऽकोणम।े सिदासनिमित दवताया
े
भभत ु
ृ ू ं सिदाकं पषिमित सदायः। तऽ
े
दवताानूकारावरणशीनामवानूकार
ु ु े
गमखादवावगः। तो यथा ॑ीः सिदासनाय नमः
ं ू े खडयूकित
इित। पिवशाणमलमण ू े
ृ भतन
े े १८॥
तृतीयनथः॥
ु िरनाान
तत इािदना पकै े े ोकयने दाः
े
े ू
े िितिमािदसागरपजाोपिदशित
ूधानदवतापलिलतान
ु ु
। तऽ तदाया ककाया े
परोत ं भविदित े पिम ं
शषः।
ु
परागिमित ू
े िनपजापटलोनवरीपामखड
लिलतादा
ु
परागमयात ् ारयित।
तत ् परीयमाण े पिरतो
--------------------------------------------
p. 398) ु
नवरमय ं ीपिमािद ूागदीिरतम।्
ू ु शीय ं व मनीिषतम।्
े पजियतः
एव ं दवी
् ू े े
ूसीदित यतात पजयदवमीिर॥ २२॥
े
दवीना ु ु
ं कका ू े ्
ु तोयापिर पजयत।
ं ू े पजा
पिवशाणमलन ू े परमिर॥
े २३॥
े ु िवया।
े विलः समााताराश
दा
ता ं ण ु ं िूय े वि तारािवा ं दशारीम॥् २४॥
ु रयो दाहराितः।
भःू ने मता यो
ु ् २५॥
ु ं मतम॥
रयो धराितः पािययम
े ्
ृ ं षं ातथु सम ं भवत।
एततीय
् ु ् २६॥
षं तदम ं िवात दमदितम॥
--------------------------------------------
ॅामाण े तऽ तऽ ूदश
े े इित शषः।
े पिमािद िवलोमतः
ु
े इसागरादीन
ूोबमण ्
नमोऽ
नै ामिभः पवू पविमित
ू
बीजय ं ारयित बीजय ं नामिभरादौ सयो
ं
त ैिरथः।
ु
ता यथा ॑ीः ौीः इसागराय नमः इादयः॥ २०॥
नवरमयिमािदना ईरीने ोकयने लिलताया
े
दाः े ु
समाराधन िवशषे े फलिवशषमपिदशित। ु
तऽ ूागदीिरत ं
ू े े ूोपतः। एव ं ूावत।् ूसीदित ूयित
लिलतािनपजनोपदश
े इित शषः।
दवी े ु
े ईरीित दवीसिः॥ २२॥
े
दवीनािमािदना ोकन ु ु
े ककायाः े
दाः
ू ु
तपजाबममपिदशित॥ २३॥
े इािदिभः परमरी
दा े ु ोकै ाः
ै तिभः
ु ु
ककायाः ू
तिनपजाया ं विलं तिा ं दशार
े
तथा बिलदानोपिदशित। तऽ दाः ु ु
ककायाः ु े
भःू ने यित
ु रयः ता इित। दाहराितः रे इित। रयो
े ॐ इित। मता यो
शषः
ु ं मतु ं ता इित। एततीय
धराितः त ु इित। रययम ृ ं षं
ात।् एता एव िवायाः रे इित तृतीयमरमवााः।
े
--------------------------------------------
p. 399) ं
हस ु ूोा िवा दशारी।
मता यः
े
अनयाा विलं दािया परमिर॥ २७॥
े
ान ं दाः ण ु ूा े समापिकनम।
ृ ्
् ृ े २८॥
अाोयषे ु सऽ बाधो न भिवत तः॥
ु ं वरपज।े
ँयामवणा िऽनयना ं िभजा
् २९॥
दधाना ं बवणािभपािभरावताम॥
ृ
े
शििभः रवदना ू
ं रमौिकभषणाम।्
े ् ३०॥
ु ु ं रत॥
रपाकयोः पदाजयगा
ु
होम ं कािश ु घृताै रपकै
ु ः।
ु
सगििभः ु
िसत ैः पैरााा ं घृतने वा॥ ३१॥
ु िवा ं पिवशित
ूावतयतो ं लकम।्
जिपा पजयत ्
ू े साथ ् ३२॥
तपणहोमकम॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
प।् ४०० कािोिदततमन
ु े े हवनिबयाम।्
एव ं सिसिव
ं ु िनाािनरतथा॥
३३॥
े
ूयोगानाचरा ् े वै।
काान ूोबमण
ू
होमने पजया ् ु ३४॥
यभावनने च तान ण॥
े ं
सषपहसिसै ैरानय
मिरच े ताः॥ ३५॥
ू ु ु मराऽक।
अजाघृताै ककसमै े
् े ु ः॥ ३७॥
हवनािनताः सा मोहयते ूमकौतकै
ीराै मिकाप पान।्
ु ैहवनााणाृ
े
वशयतपऽ ै तथा िवचिकलैः शभु ैः॥ ३८॥
े
सविसतगोधसमते ैनािरकलज ैः।
फलोदैः िसतयतु ैहवनात
् ु ् ३९॥
णमायात॥
े
नािरकलफलोदै ु
गडौिघृ
तात ैः।
ु
ूागकालतो ु ् ४०॥
िबिनचय ं समवायात॥
ु
कदलीफलहोमने ादाोऽजहोमतः।
ु ु
कारहोमतोऽभी ं लभत े कमदय ैः॥ ४१॥
--------------------------------------------
ु ु
पररणमपिदशित। तऽ ोत ं सकः।
ं िवा ं
ं
पिवशरा े
ं िनोिदततमन े ु
े िनहोमोष
ु े ३२॥
रपािदतमन॥
े े ैकन
एविमािदना िवनाान े ोकन
े
ृ ु
कतपररण ैव ूयोगयोयता ं ूयोगूकाराोपिदशित।
ं
तऽ िनाािनरतः ु
पररणानरमिप। ् ् ३४॥
तान ूयोगान॥
े
घृतािदिभः ु ु
कमदय ैिरःै सिभः ोकै ः
ु ् ु
ैहमात नानाफलूािमपिदशित।
चतशिभि तऽ ता विनताः।
े ः। अान ्
त ैलाै िलहाै
--------------------------------------------
प।् ४०१ उलैः पजयिव ु े
ू े े समापिमय।
ू े े ४२॥
पःै िसत ैलिहत ै पजयिदिराय॥
ु ु
कमदाा े
ं यजिलाभकामनया तथा।
ू ु ु था दािडमज ैरिप॥ ४३॥
जपावककसमै
सौगिकै िवचिकलै ु ैः शतपऽकै ः।
ः कटज
ु
पागज े े ४४॥
ैः पाटलै चको ैयजिव॥
ू े ्
सिभः सवारषे ु भारािदष ु पजयत।
ूोकालष ं ु ् ४५॥
े ु िवाो धराधााशकािदमान॥
े
चन ैरयि ं सममिप वाितम।्
लभत े ूोकालन ु ः॥ ४६॥
े तथा कालागिवै
ु िनशः
कमै ू ं कात
पजा ्
ु सौभायिसय।
े
ु िसै वँयीधनिसय॥
कपरैू रायषः े ४७॥
े
मृगदमदाा ू े
पजयासमाऽकम।्
कपसमसौभायो े ् ४८॥
विनतास ु नरो भवत॥
एलालवकोलजाितिभिनशो े ्
यजत।
् वैभवैः॥ ४९॥
ु ात स
अमाऽ ं ततो लोके िवौतः
ू
कपरशकलै ू साभीूदा
ः पजा े ्
भवत।
ू ै ै ु जधःै ारोयािखलिूयः॥ ५०॥
पिजत
--------------------------------------------
े ्
ु ः ूणयोठािभः। ॄाणान िवूान
सामादीनिप। ूमकौतकै ्
े
। वशयिदयः। ु शकरासिमिलत
तथा िवक। िसतयतः ं ैः।
ु
ूागकालतः ु
मडलािदतः। आः अजकारयोरिप िवषयः।
ु ु
कमदय ैः रिसत ैः॥ ४१॥
उलैिरािदिभः िूय इनै विभः
ोकै नानाि ैः
पजन ु
ू ैनानाफलूािमपिदशित। तऽ िसत ैः पिै रयः।
् ु ु
लोिहत ैत कमदाा ं ूावपािदिभरिप ौीलाभाय।
सौगिकै ः कारैः सिभः सौगिकािदिभः। तथा
वँयीधनिसय े कपरैू िरयः।
समाभीलाभ इथः।
--------------------------------------------
p. 402) ृ
वऽय ं तथाारमज ं ततथा।
नवयोिन ं िवधायाऽ म े माया ं ससाकाम॥् ५१॥
े ्
आिलास ु कोणषे ु माणाकमािलखत।
े
बिहदलिप े े वै॥ ५२॥
तथा िलखििबमण
ू
समवाित ं पजाधारणापनािदिभः।
ू वा ौमखडक॥
य ं रोचनयािल भज े ५४॥
--------------------------------------------
े
मृगदमदाा े ततः
े े मृगमदने चथः।
ं मृगदन
ू
यजनतः। त ैः कपरािदिभः। ै ैः॥ ५०॥
जधभित
ृ
वऽयिमािदिभः ापनािदिभिररै ििभः
ं
ोकै ः पिवशरया ू
तृतीयया मलिवया
े ं तििनयोगूकारूाव ं च करोित। तऽ
यिनाणोपदश
ु ु
ततः अदलामतः। तथा कलसरीपटलो ूिबयया।
अऽ म े सवमयोिनम। ् े ं
े माया ं ूावत खा
सिवसजनीया े ू ं
ं पिवशरिवायामकादशारभता।
ं
ु े ु माणाक
अस ु कोणषे ु मकोणिवधरष ं
ृ ू ं ू
ूथमितीयखडूकितभतपिवशरमलिवा -
ं े ु आिदतोऽराकिमथः।
रपिवशकष ्
आिलखते अमात ्
े तथा
ूादियिमित सदायः। बिहः नवयोनः।
ु ू
ूागबमसचकः। े ूितदल योिनिलिखत
ििबमण
े विहः
िवारनवकापिरतनािन षोडशाराणीित शषः।
ृ े मायया खगया
अपऽपािहगतवऽयारालवीथीय।
ु
िवसजनीययया ु
िबयया ु े च।
े अनलोमन
च। बमण
े
ापनािदिभिरऽािदशोऽिभषकािदिवषयः। यिवरचनाबमो
े वऽय
यथा अभीमानॅमतोऽविहिवभागन ृ ं
समसऽू ं िना ऽऽादलं प ं िवधाय
तिणकाया ्
ं ूावत नवयोिनचबं िवधाय तऽ
सवमयोिनम े
ृ ू ं
ूथमितीयखडूकितभतपिवशारतृ ू
तीयमल
े ू ं सिवसजनीया
िवायामकादशारभता े ं
ं खा
ु
साधकािदऽययामािल
े ू े
वाकोणमािदूादियालिवारािदतोऽौ
ं
सिल तिहरदलष ु
े ु ूागबमात ्
सवमिलिखत
खािवधर िशारषोडशकं ूितदलं िरं बमात ्
ृ
समािल तागतवऽयारालवीथीय े
--------------------------------------------
् े वा फलकोदर।े
दरदने िविल ैतत पट
े समावा पजय
तऽ दव े ् ५६॥
ू े ैिदन ैभवत॥
ु ं स नरनारीनपािदकम।
वश े िऽभवन ृ ्
ु ् ५७॥
गजवािजतरािदितगजातीरिप ीवम॥
ु े वा नदीतीरऽथबा
त ं िसतीर े े ्
िलखत।
े समावा दव
गौरकण ू े ् ५८॥
े तऽैव पजयत॥
समरोगःखािशािः ािदत ैिदन ैः।
ू
लाभा पजनाऽ ु ् ५९॥
पशदासीधनािदनाम॥
ू
ृ पीठे तिनपजनात।
त ं चन ैः का ्
ु
पऽपौऽकलऽााधनधाािदमान ् े ् ६०॥
भवत॥
े
तदय ं हम ू वािल धारणात।्
े वा भज
समरोगःखािरिहतो ु
वत े सखी॥ ६१॥
--------------------------------------------
ु
अवा ं मातृकया िवसजनीययया ूितलोमया ूावत ्
सव ु
ं े तावीामनलोमया ु
अनया िबयया च तथा
ूावत सव ू े िविनयोगात ्
् ं े वमाणपजािदबमण
सवफलिसििरित॥ ५४॥
ु इरै ा
यिमािदिभः सखी ैः सिभः ोकै
ु
य ूयोगपकमपिदशित। तऽ य ं ूो। े
ं आिलित
पददो ू
े वा िवक।े िस मधि। ु ृ य।ं
गिलकीक
ु मडलािदिभः।
ूागै दरदने ूावत।् एतद ् य।ं वा िवकाथः
ू े
। तऽ यम े पजयिबमतः। ् े भविदित
त ैः ूावत वश े
पवऽ ु
ू सः। तरः ायः ितजातीतदी जातीः
े
वशयिदित ु े समितीर।
े िसतीर
शषः। ु अथवित
े वा िवकाथः। े च
् े ् तऽ तऽ ससम
तत आिलखत। ु े भतल
ू े इित शषः। ू े ्
े तऽ य े पजयत
ूावत।् उिदत ैः ूावत तऽ
् पजनािदयः।
ू े
तऽित
ु
िसतीरािदिवषयः।
--------------------------------------------
p. 404) ू
ूादिणोद सऽषिनपातनात।्
कोषे ु पिवश
ं े ् ६२॥
ु ऽीिण कोणषे ु माजयत॥
े
िलखिा ् ू े े
ं ततिन पजयदराऽक।
ु ् ६४॥
वािता ं विनता ं मानकललाितलिनीम॥
तृणराजदले का
ृ य ं सषपिरिभः।
ु
ु ु ् ६५॥
पशठीमागिधकामिरचाकपयोयतम॥
--------------------------------------------
े चायः। आाचरा
धनादीना ं लाभाित
ं
वलालघनीयवचनतः। ६१॥
वाय ं िवकाथः॥
ूािगािदिभः सिभा इदै शिभः
ू
ोकै योदशारया ितीयया मलिवया
ं तने यण
कोवळयिनाण ु
े ूयोगचतयोपिदशित।
े शषे ैः कोैयोदशिभिरऽायः
तऽ ऽीिण ूितकोणिमित शषः।
। त े य सवमको।
े शिमायाा ं शििरित
खाया
िवसजनीय े ्
ईकारािप नाम अऽ सदायात ूकरणा
िवसजनीय ू
े च पवाना
नाम मायित ं नाम अऽ ूावत ्
े
खाया े नाम तने
मायित
े ू े
िवायामकादशारभतिवसजनोयखा ं यथा भवित
आा ं साधकादीना।ं ततः मकोतः विहिरित
तथा इथः।
शषः। े ु ं ादशारा।ं तिन ्
े िवा ं सशिखािवधरा
ू ेे
य े पजयवीिमित े यिवरचनाबमो यथा-
शषः।
ू
ूादिणोद समारालािन षटसऽायाा
ं
पिवशितकोािन िना तषे ु कोषे ु ूितकोण ं ूितकोण ं
चतषु ु कोणषे ु ऽीिण ऽीिण कोािन सय
ू ादशकोािन म े
े
वळप ं यथा भवथा
माजिया िशकोऽयोदशक
सवमकोम े
ू
ऽयोदशारितीयमलिवारऽयोदशके
ू ं सिवसजनीया
एकादशारभता े ं ूावत ्
ं खा
--------------------------------------------
ृ
नरनारीनपा े
ं ूािणना ं हिवलाम।्
े
करोित यावहा ं त े ूतीपा लपि च॥ ६९॥
कलैयमािल ू ौम े िसतऽथवा।
भज े
् ् ७०॥
जिपा धारयते सवरोगःखािनाशनम॥
ग ैिरकै नोपते ैरािल िवमलार।े
तदा ियः शयान वैिरयो दाससिभाः॥ ७१॥
ृ ृ षोण ं त मतः।
वयाराका
ं नाम िविलािष ु षिप॥ ७२॥
भःू गभगत
--------------------------------------------
ु
साधकािदऽयाायामािल
ं
तदधःपिकोमिऽकमकोमार ु बम ं
य
ूादियिनगमनगा िशकोादशके
े ुं
मकोिलिखतसिवसजनीयखािवधर
ू
ितीयमलिवारादशकमािल तऽ
ू
पजािदिभवमाण
ैः ूयोग ैवमाणफलिसििरित।
य ं ूो।
तृणराजदले तालपऽ इथः। ं पटलवण
ु ं
मागिधका िपलो िसग ं ूावत।् दीपवौ दीपपाौ।
ु
तिवः सााशािभमखः।
िदन ैमडलािदिभः। नचागत ्
े तऽ य े िता अवािभ दशिभः
साापिदित शषः।
नयनूीािदिभमरणािदिभः। मृितिमित दशमावाप।ं वा
ू
िवक।े तद ् य।ं मधि ृ ैः साायाः।
ैः ूितकत
तिमाणमकिऽश ं ु ु
े ं े पटले वमाणाशकानगणतः। तथा
अशः
िवाजपसिहत ं दीपाौ ूोिदनािदथः।
ू
सामािदिवषयः। त े ूािणनः। ूतीपाः ूितकलाः।
कलैमसीिभः।
े ् अथवित
िसत े ौमिवशषणमतत।
े जिपा
े िवकाथः।
ू
ूाणूितािदसिहत ं मलिवाम।् आिलयिमित शषः।
े धारयते ्
े
तसिहतारिमितशषः॥ ७१॥
ृ े
वयािदिभविहिर
दै शिभः ोकै ः सारया
ू
ूथमया मलिवया
यिनमाणबम ं तने यण
े
ूयोगकोपिदशित। तऽ त षोण
--------------------------------------------
p. 406) ् बमण
षडरािण िविलखते सााः े वै।
े
यमतालपऽ ू े
े भजौमऽकपऽक॥
े ७३॥
े तत।्
ूज िवामयतु ं वीके िनिप
े ु
तऽ िता यभजगाः े तिन॥
पलायऽथ े ७४॥
तिकादौ ं
सिल ं
सजा ु
कऽिचत।्
ू ृ े ७५॥
े े रतो गह॥
िवधाय िनशः पजासमत
ू े े
भतूतिपशाचापारवतालरासाः।
ु ृ
यगवभजगविकाा न तऽ वै॥ ७६॥
ु
तिा कसिलले जिपा िवयानया।
े डनाशनः॥
सहॐवारं सिललैरासकः े ७७॥
े ं परमशािन
दहग े िऽिवध ं भीषणाकम॥् ७८॥
--------------------------------------------
भःू गभगत
ं भिरित
ू ओकारः िमित िबः
ू ू -
ूथममलिवािदवणभतसिबकऽयोदशरगभगत
नाम ूावत।् षडरािण मिलिखत
िमथः।
ू ु
ूथमारमलूणविवधरािण साा मलिवायाः
ू
े अमािदूादियपण
बमण े एतिखित े
े शषः।
े िवा ं सार। त।ं तिन े
अथवाहा।
े े याय ं िवरचनाबमः यथा
िनपिदन।
े
अभीमानॅमणनाविहिवभागतो ृ
वय ं िवधाय
ृ
तऽाबम ्
े ूावत षोण ्
ं िवधाय तत षोणम े
ू ू ू ं ूणव ं ूावत ्
ूथमभतसारमलिवारभत
सागभमािल बिहःष काणस ु अमािदूादियने
ु
मिलिखतूणविवधरािण ू
मलिवायाः सााः (?
े ् एवमत
षडाः) षडरायािलखत। े ं
ू
भजािदतम े िलिखा सूाणूितं सारीिवामयतु ं
े
जिपा त य वीकिनपणाऽाः सपाः तिन
एवोािटता भवीित। त ं ऊिकादौ े
ऊिमकलीयकम
ु ्
ु
आदौ शो वलयादााभरणिवषयः। रतः पष।
ृ
विकााः ू
आशो तामषकािदिवषयः। तऽ
ृ े
ािपतगहिवशषणम।् तत ऊिकािदिलिखत
् ं यम।् अनया ूथमया
आसकः
सवणया े अिभषकः।
े े
डनाशनः
सविवषापहरः।
े
तािधवािसतािभरिः मकः
--------------------------------------------
p. 407) े नािरकलदल
तििल नखामण े े रन।्
ू नखािदना॥ ७९॥
ू ं फिणन ं िवाजपप
तिप
्
पीडनात पाटनाोगी े ्
पीिडतः पािटतो भवत।
् ८०॥
एव ं स िऽूबारं गरलं नाशयिददम॥
े
ृ
अनावािन िवायामरािण ऽयोदश।
त ैः षोडशरोपते ैः साौ
ं च शतयम॥् ८२॥
--------------------------------------------
े
दहगिमित े ं िऽिवध ं
िवषिवशषण
ृ
ूावावरजमकिऽमाकम।् एतं भवित
े
यािभवािसतािभज ं जलं पीत ं जठरगतिवष ं दहगत ं
े
िऽिवध नाशयिदित। तद ् य।ं तिप
ू ं य ं
े
िलिखतनािलकरपऽप ं रिऽायः। पीिडत ं पािटतिमित
्
िदादीकरणीय ं यपीडनात पाटनात ्
पीिडतः
ु
े एवमपतः।
पािटतथ। ् ं य
िऽूकार।ं ूावत इद
् य।े त ैः तािभिरथः।
वा कास ु िसकताष।ु य ं ूोम तऽ
े
वा कािवशषणात।् अऽािप िदादिच ं ोजत।
े ् ूबोिप
ु भोगी
े ् ८१॥
बिहः वा कावनात॥
ृ
अनावानीािदना े े ोकयने
महरीन
ं
पिवशाराया ृ ू
ं खडयूकितभताया ं तृतीयाया ं
ू
मलिवाया ु
ं ूावदपनयोदशिभररै
ं ः
ु
ं ै ैयाकमपिदशित।
ूसारणादोरिशतस तऽ
ृ ू
िवाया ं सवूकितभताया ं पिवशाराया
ं ं
ू
मलिवाया ं ऽयोदश तािन त ु ककार उकार रफ
े लकार यकार ओकार
हकार सकार वकार जकार नकार शकरारािण।
ु
े ूागूयोजकाितलनन
अवामृरमहणऽिप ं ु
े सयािप
े ु
र महण े ऽयोदशिूावात ्
ृ े त ैः अनावारै
तयोररयोरनावमव। ृ ः। तािन
ं
अोरिशतसारािण। ू
पवाय ू े ु
पवष
े ू
े अिवे पटले पवऽ
याय।
ृ े े ोकऽयण
वऽयिमाकपाशमान े ूो।
े मतः
सवमतो
य।ं अरयोः। विहमयोिनतः। े
ूावििलखिदित
ू
ं ैररैः। अौ सय।
सः। त ैः अोरिशतस
े
महरीित
--------------------------------------------
p. 408) ू
तािन पाय े त ु िविलखतो
े यम।्
बिहः ूावत ैः ाद ् यायौ महिर॥
े ८३॥
े
ता े ु िविनयादीिरत।
ं सवारष ु े
े ८४॥
ितीयादीिन यािण स भाािदवासर॥
ु
िविनयात ् े ू ्
ूोकाालखनपकम।
ु ् े तत॥् ८५॥
े साधयित
वाराा ं समीयामािलखत
वँयाकषणशाा ै िवदादायतः।
ूोबमण
े िविधना शािमचनतथा॥ ८६॥
--------------------------------------------
ु
सिः। ू े ु यषे ु आ े
एतं भवित पवष
े ु
वाादरूवशबमाऽयापऽाजनवयोिन
ृ -पे
य े सवम े रिवकतपिवशार
ृ ं े
ू ृ ं
मलिवानावारऽयोदशकसजाताोरिशत -
ं े े
सरािदतोऽरय ं ूरं
ु े
साापतमािल े
तागतकोणस ु
सवमिलिखतारयापिरतनाारायमात -्
े
ूादियनािल तिहरपऽषे ु ूितपऽ ं
ं े नवयोिनिविलिखतारदशकापिरतनािन
ययिमितबमण
ं ू षिशरािण
षोडशारािण ूावदािल एव ं सभय ं
ृ
बमाििल वावऽयारालवीिथय े ूावत ्
ु ् एतत ूथम
े ं कात।
मातृकावन ् ं य।ं एवमिवे य े
ू ं ु
पविलिखतारषिशितकापिरतनमपिरतनमरषि -ं
े
शितकं बमणािल ू े यण
पवन े सहाौ यािण
े
सादयिदित॥ ८३॥
े
तािदिभजिनािम ःै षिः
ु
ोकै ाकिविनयोगािदकमपिदशित। तऽ तषे ु अस ु यष।
े ु
आ ं यिमित शषः। े
े उदीिरत े वँयाकषणािदषडशीिततमोकन
े
वमाण।े स इित पददः।
े भाािदवारके आिदशः
ु ृ ु
सोमाारकवधवहितशबशन े ं वारे
ैरिवषयः तषा
इथः। ु वमाणकमस।
ूोकमस ु आालखनपवक
े ू ं
् ू वाराा ं
ूावत साािदनामािलखनपवकिमथः।
े तिदित लखनीयवाप।
सााधः साधयित। े ं एतं भवित
सवमगतारयम े ूकिन
े ् े एताधयित
वार े
--------------------------------------------
p. 409) ू ं ािप ािपत ं पोतगभक।
सम ं पिजत े
ताशयि तोतमधौ स तथा िशव॥
े ८७॥
रोगशाि ं जय ं लाभ ं नानाभीाथिवमहम।्
शऽभ ृ ् ८९॥
ु ं वश ं नारीनपमािदजिनाम॥
ू ्
े बमात।
ूादिणोदसऽायाालयत ्
ु ् ९०॥
ं ं तत ैकचािरशतःशतम॥
ािवशित ं
े
पपाशदािन कोवळ महिर॥ ९१॥
े
अरायधराामािलखिदित। े
आयतः अिित शषः।
े े िविधन
ूोबमणित े े
िवशषणम।् स िविध ु
ु
ूाणूितापरःसर
ं आधारापनािदः। अचनतः तऽ
े ू
दवीपजनतः। ु े पिजतम।
े समय
तथित ू ् तावारषे ु नाशयीित
ं े
यसकसापया बवचनम।् िशव े इित दवीसिः।
े ु
े
तिित े
वारिवशषणम।् उािन याणीित शषः।
े त ैः
ूावडलािदिभः। तािन रोगशाादीिन वमाणािन।
मािदजिनािमािदशः अमासामािद
सकलूािणजातिवषयः॥ ८९॥
ु ः
ूािगािदिभः िशव े इःै षिः ोकै ः ूागै
रूसािरत ैरोरिशतस ू
ं ैमलिवा -
ृ ू ं
रैरिवकतमलिवारपिवशितकै ं
ैकिवशिधकि -
ं तििनयोगाोपिदशित।
शतकोपवळयिनमाण ं तऽ
ं ं ूाािवशित
बमाािवशित ं ं
ं
दिणोदािवशितिमित तत आालनतः।
एव ं बमािदथः।
तषे ु एकचािरशदिधकचतःशतसष
ं ु ं े ु कोष।
े ु कोणषे ु चतष।
ु ु
ू
पवव ्
े वळाकारं यथा भवित। बमात पपाशत ्
्
ूितकोण ं पपाशत कोािन इवे ं बमािदित यावत।्
ं ू चतषु ु कोणषे ु िवशिधक
सभय ं ं े ु
िशतसष
े
कोिथः। ु
चतःकोै
ः ूितिदशमकैे ककोमाजनत
अािन माळनाविशानीित
इथः। े तषे ु
शषः।
ं ं
एकिवशिधकिशतसष ु कोिथः।
े चतःु कोषे ु
इथः।
ूितिदश ं एकै ककोमाजनत ूातः ूािदग
पिकोषे ु मकोमारथः।
े तािन
ं
अोरिशतसाित
--------------------------------------------
p. 410) े वै।
माया ं तदिभतो मवणाििःबमण
् ९३॥
िऽकोणषे ु च साािन िलखळिमतीिरतम॥
े
ु
ूागािन े
समािन साधयळिपणा।
े े कालन
यणानन े ूोन
े सतत ं िशव॥
े ९५॥
--------------------------------------------
ृ ू
रिवकतमलिवारािण े ् यावदरपवसानतः।
िलखत। म े
े शषः।
यित
े नवकम े नवकमको इथः।
नामोदरा ं साधकािदनामगभा। माया ं
ं ू
पिवशाणमलिवाया ू ं तदिभतः
एकादशारभता।
तदगतमकोानरूािमकोमार
ूादियिनगमनगा े मकोवज
िऽःिऽःबमण
े िऽकोणषे ु चऽ
ूितकोिमित शषः। े चकारातषु ु िऽकोणिप
े
े
साारािण मायाािन िलखिदित। े
त ं वळयिमित शषः।
यिवरचनाबमो यथा ूादिणोदसमारालािन
ं
ािवशित ं
ािवशित ू
सऽायाा
ु
तने ैकचािरशदिधकचतःशतसािन
ं ं कोािन िना तषे ु
चतषु ु कोणषे ु ूितकोण ं पपाशोािन सय
ू
ं
िवशिधक ं
िशतसािन काािन ूाव े वळाकारं
यथा भवित तथा तथा माजिया तततषु ु िद ु ूितिदशमकैे क
कोमाजनतािर ृ िशषे ु सदशािधक
िऽकोणािन का
ं े ु कोषे ु सवूाचीनपिकोऽय
िशतसष े
े
मकोमार ूादियूवशगा
ु ं
यबममोरशतिशतसािन ृ ू
रिवकतमलिवारािण
यावदरपवसानमािल ततो मतः िशषे ु नवस ु
कोषे ु सवमकोम
ू
े पिवशाणमलिवाया
ं
ू
े ं सागभामािल
एकादशारभतखा े
िशस ु
कोषे ु मकोानर
ं ु
ूाचीनपिमकोमारायबम ं
ूादियिनगमनगा ूितकों पिवशार
ं
ू
मलिवारािण े ु
खािवधरािण ु गत
ऽीिण ऽीयािल चतिद
ु े
िऽकोणचतिप ्
मकोवत ससाा े
ं खामािल तने
्
े वमाणान िविनयोगान
यण ् ु
कािदित। ु े इित
वा िवक।े सिसत
े
ौमिवशषणम।् रित यिमऽायः। तने कभत
ृ ू यिमित
ु
। ूागािन
अऽ ूोािन काािण। े ूागवडलािदना।
ूोन
े ु
िशव े इित दवीसिः॥ ९५॥
--------------------------------------------
आकष ु
पादा े सािलं ूणित ं मः॥ ९६॥
र रित ्
े भाष ं रन िवा ं जपििश।
ु ् ९७॥
े सिनितम॥
साो नरोथ नारी च वशमित
े
अथवा सािलं सा ं ूावािदनमश।
े ्
ृ ं जपते ूावशी
ूोतकशसमाक े ् ९८॥
भवत॥
े
माराणा ं तजोिभः परीत ं वा तथािवधाम।्
े े
यमवानया ् ैश
ु रन जाप े ् ९९॥
ं नयत॥
ु ु त े ूोा साथसािधका।
एव ं सा कका
ु ततः॥ १००॥
लिलतािवमहा यने विशािदयता
ु
बितमयी ाििरित सक ् समीिरता।
् ृ
अा िनफालनाि े तं ासात कतम॥् १०१॥
ं पटलम॥् २२॥
इित षोडशिनात े ौीकािदमत े ािवशत
--------------------------------------------
तािमािदिभत इ ु
ै तिभः
े
ोकै मदवताभावनाकषणवशीकरण ं ऽैिव ं ताः
ु ु
ककाया े विशािदशकपिरतवासना ं चोपिदशित
दा
। तऽ तािमोरोके (वातत) ् रिननायः।
े सािम
े
पदा ोकोरागताकषीिमननायः। िवा ं
ं ूथवित
पिवशाणा। े पावौ।
ृ ूावािदन ं
े ूावत।् आकष
ररित दव ्
े रन िवा े
ं जपिदथः।
् ु सावगः।
भवते ूागः माराणा ं
ं ू े
ं तथािवधा ं ररित
पिवशाणमलिवाराणा।
ु ं यमवे आकषणात।
भाषणािदया। े एतं भवित सा
े
मारतजोिभः े
परीत ं तजःसहनाशात ्
ु यमवे दवताकषणािदव
ूावाषमाणािदयः े तामः
्
रन िवा ्
ं जपन वशयतीित। एव ं ूोपतः। त े इित दव
े िनिदशित
े ततः कारणात॥् १००॥
। यने लिलतािवमहवकारणन।
ं
मसा।
ं े िबयागताः।
ादशाािन यािण ािवश
माः ःु सापादै ्
कचािरशतयाम॥
ं
ं
ऽयोिवशपटलम।्
ू त ु पमी।
अथ षोडशिनानामभता
् १॥
तिधा किथता पवू तदािन च पजनम॥
ू
ू ैः।
साधन ं िसम ूयोगानपजन
ै वािम समाभीिसय॥
होमैय े २॥
ु े च।
ृ माणः सिभः षगन
अािन का
् ३॥
ं ैजाितिभरितम॥
दशिभः सिभः सस
ृ ृ
िऽकोणवषोणवयसमितम।्
ू े ् ४॥
िवधाय चबं तऽैव नाावा पजयत॥
--------------------------------------------
ू
पविन ् ं े पटले षोडशिनाना ं बिलदवतायाः
ािवश े
ु ु
ककाया ु
िवधानमपिदँयानर ू
ं षोडशिनाभतायाः
ु
पााया वाराा िवधानमपिदशित। अथ
े े े ऽयोिवशन
षोडशानयोकशतपण ं े पतलन।
े तऽ अथ
े
षोडशािदना िसय े इण ु
े ोकयने पटलाथानपिदशित। तऽ
पवू तृतीय े पटल।े साधन ं िवाया इित शषः॥
े २॥
अानीािदना ोकन ु
े षडासमानपिदशित। अऽ
ू े
ृ इोरोकोराागतपजयिदयायः
अािन षट ् का
ं
। माणवमाणसाबमिभ ू
ैमलिवायामािदतः
ू िऽचािरशतारै
सय ं ु े षिररैः
ः। षडयगन
े जाितिभः दयाय
िशरोमः षिररैः िशखामथः।
े े ् ३॥
नमः इािदिभः षिः। अित िबयािवशषणमतत॥
िऽकोणािदिभिरतीःै षिः शाकदा ू
िनपजाचबं
ू
सावरणयपजािवधान ं िनभजनबम ं तलापिदशित।
े ं
तऽ समित ं चबिम िवशषण।
ू
िनपजाचबिवरचनाबमोयथा अभीमान (ूमाण
े ैकालाराल
ॅमादविहिवभागन ु ं वय
ृ ं िवधाय
ृ
तदवम ु
े ूागमानतः षोण ं िवधाय ततः
े ाृ ं व
सिरखाृ ृ ं िवधाय
--------------------------------------------
p. 413) दशोरशताा वाराहीिवया िूय।े
सवम े सम वामदामकोणतः॥ ५॥
े ्
ष कोणषे ु ामािदॄााा वामतोऽयत।
ृ े च ैव महाल पम मतथा॥ ७॥
व
ु
होम कािनशः ु ु िलतडलै
सशै ु ः।
घृतने वा ततो िवा िसा ादततः॥ ९॥
--------------------------------------------
्
त े ूावत समिऽरख
े ं िऽकोण ं यथोपदश
े ं िवधाय तऽ
े
दवीमावा वमाणबमण ू े
े पजयिदित। नाावा
े ु े तो
े नाा। ितीयाने िबयायन।
सिबकखान
ू े ् वमाणबमतः
यथा ॑ वाराहीमावाहयामीित पजयत।
ु
दशोरशताा तृतीयपटलोया। िूय े इित दवीसिः।
े
सवम
े चब सवमिऽकोणम
इथः।
े
वामदामकोणतः दाः। ु नामिभः
चडोडािमा
् नै ामम
अाः पिरवारशीनमोरऽ ु ःै पजयिदित
ैत ू े
सदायः। आबीजासूाण ैिरनने ैतं भवतीित।
बोिधन िनी तामाारे सिबके ब इित ं इित
ु
चोा ततामा ं चताा ं
नमोाामचिया ततडोडा ु
ू
मातृकाारभतकार ँ
ओकारूकरणूा िब त ैः
ं ु ं इा
सयत ु तदनरं पारूो
बोिमित
ु
चोाय ततडोडाय ै नम इाचयिदित।
े अऽ
े
बोिधािदशिऽय खावै ु बीजाािदित
धय
े ्
सदायः। वामतः अूादियने अचयत।
े
खा
ैनमो
नै ामिभः। अऽासा ं शीना ं साना ं
े
खां ृ े
बीजारािहािदित च सदायः। व
ृ ं तदम े दा
सववागतवयवीा। ु ं
े अम।े अिभमख
ृ
चामरतालबसीतािदातािभरनािभः
ृ
शििभवयवीा
ं पिरतः ितािभमहालािदिभिरित
सदायः
--------------------------------------------
p. 414) े
िजतियो हिवाशी मौनी सास ु पजयन।
ू ्
े
िवा ं जपसा ् १०॥
ं े तपणम॥
ं ं तशाशन
े
ूयोगानाचरा य ैिरमिखलं णात।्
े
िसयतो दाः ूसादाैभवादिप॥ १२॥
े कोलाा ं तकानसिभाम।्
े दव
ाय
आकठं विनतापा ं लििशरोहाम॥् १३॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 415) े
िऽनऽामहा ु ्
चबसमथाजम।
ु ं शीरमभय ं वरदं तथा॥ १४॥
पाश मशल
ु
दधाना ं गड े सखासीना े ्
ं िविचयत।
ू
िनपजास ु तीमानाः रिव॥
े े १५॥
ूयोगषे ु रव
े े िसहा
ं ं ायगामिप।
गजाढा ं हयाढा ं तााढा शििभः॥ १६॥
ू
ँयामामणा ं पीतामिसता ं धॆिवमहाम।्
अणामणाकामणािभ शििभः।
् े े ् १८॥
ृ ं पम ायन जपँयायऽिनशम॥
आवता
--------------------------------------------
इिै िभः ोकै दाः ू
तिनपजास ु िचयोगषे ु च
े ु
ानावाहनिवशषािदकमपिदशित। े दवीिमऽ
तऽ ाय े
े दाः
चकारण े ू
सपिरवाराया लिलतापजाया ं
ु ू
े तिनपजािदष
तमानायधाकाराकानमरण ु
े ायिदित
वमाणबमण े कोलाा ं
सदायाथः।
ु आकठविनतापािमने
वराहमख
े
कठादधोपिवमह वराहाकं ूमादनािप न
िचनीयिमित पिरहरतीित यावत।् लििशरोहा ं लिदव
ु
े ं १३॥ अऽायधबम
ऊामिपलकशा॥ ु
ु े ू ु ैिरित शषः।
े दधाना ं भज
अभजषािददिणवामबमण। े
े
सीरं हलं िविचयिदित ू ु
िनपजास।
े
वमाणगडतरवाहनान
पिरवाराथा ु
पनिदोषः।
े
तीः पिरवारशीः रिदित ू
िनपजािित ू
पवऽायः॥ १५॥
े
ूयोगिािदना े ु
अवाय े इने ोकयने सवूयोगष
ु
सामाने वाहनवणािदकमपिदशित। तऽ शििभः पिरवारशििभः
े शषः।
। सहित े वमाणबमण॥
े १७॥
अणािमािदना ोकन ु
े ता एव ानमपिदशित। तऽ
् १८॥
अणाका ं परागािदिभः कताकाम॥
ृ
--------------------------------------------
p. 416) ू े
पीता ं पीतारा ं पीतभषणॐिवलपनाम।्
् े ु त ु सदा॥
ृ ं ायते नष
पीतशावता १९॥
्
िचयन ूजपन ्
िवा े
ं यजिमतः।
े
ाान ं भावयी ोजदिवै
भवः॥ २१॥
ं ु ु ू ः।
िसहीिपशरभिकरशकरै
ु ैभमैदििभदमरै
गवय ैभजग ः॥ २२॥
ू
चौरैः बरूहरण ू र ैभयावहै
ैः बरै ः।
ू े
भतूतिपशाचा ु े े २३॥
ैराकलऽरयसट॥
े
समरिप भीमषे ु पत ु रथदििभः।
े ु रषे ु
सटष े ् २५॥
ृ े ं िवजयी भवत॥
--------------------------------------------
पीतािमािदना ोकन ु
े नूयोगमपिदशित। तऽ
ृ ं पीतवणािभः
पीतशावता ृ ् १९॥
शििभरावताम॥
ु इःै पिभः
ँयामािमािदिभः सखी
ु
ोकै गममागरािवधानमपिदशित। तऽ अनािभः
े ं
ूकमसातािभः बोिधािदिभरावरणािभः।
ु
अिवैभवः अौाािदिभरिपिरदािदयतः। भीमैिरित
ं
िसहादीना ं सवषा े
ं िवशषणम।् अ ैः शाखामृगािदिभः। आकल
ु े
--------------------------------------------
वैिरसना ु
े ं समा िनपा पिरघ ैभिव॥ २८॥
तपिभतः ् े ु
े कदलीकतसलम।
ूत ्
चर शिवै
ृ भीमारावैदोत ैः॥ २९॥
ु
भानमडलमा ू
ं शलूोतािरिवमहाम।्
े ू ं दव
तहिनिाशला े ् ३०॥
े िविचयत॥
कठमाऽ े जले िा जपिामनधीः।
े
े वैिरण ं मारयज
सराऽूयोगण ् ् ३१॥
े रात॥
--------------------------------------------
उभयपायोरधराािमवगम।् नीला ं
े शषः।
वणनित शििभः सिहतािमित यावत।्
े शििभः तणािभः
े
पिरघ ैः दाः पिरवारशीना
दिणपाािदतृ ु
तीयभज े
ैः। तपिर सनोपिर
े ु ं कदलीिनभगजपताकासल
कदलीकतसल े
ं दशिमित े
शषः॥ २९॥
ु े
भानमडलािदना रािदने ोकयण
े रण
े
ु ु
िरपमारणूयोगमपिदशित। ु े
तऽ भानमडलािदन ैतं भवित
ू ु ृ ु ं नीलाभा ं दव
। पवषोडशभजिवधतायधा े
ु
भानमडलम े
ु ू
िनजदिणोािदचतथजशलूोतािरिवमहा ं
े
तहािःसरिातला ं िविचयिित। अनधीः
एकामिचः॥ ३१॥
--------------------------------------------
p. 418) े
दाः े
सपिरवाराया हितिभः ृ
शकलीकतम ।्
ु े ं रत
िरपदह ् े ु ु ः॥ ३२॥
े फकबादकरै
े
भमाण ं जपिा ं िऽिदन ं सिलले ितः।
ूावाविन ैवािरहत ु े ् ३३॥
ं ृ (ौ)ु ा समरत॥
ु ं धॆवणाभा
िभजा ू ु े
ं सािजादजः।
ं
उाटय सिच ् ू यम
जपन शऽन ् ं नयत॥
े ् ३४॥
तााढा
ता ं तागणािभ शििभः।
ू ् ३६॥
ृ ं तागणोामपमातमिताम॥
वता
--------------------------------------------
दा ु े
े इािदना समरिदन
े ोकयने
ु े ु
िरपमारणूयोगिवशषमपिदशित। े
तऽ दाः
ु
षोडशकरायधनीलवणािदिविशिवमहाया े फः
इित शषः। े बोा
ु ु सारमयः
बादाः िपशाचााः करः े भमाण ं
पवै े ्
ु ैः। ूावत कठमाऽ
ू ः फूमख े जले ताविन ैः
सिदन ैः िऽिदन ैवा। तऽ कठमाऽजलापया
े पारे इित।
ु
वािरहत ं जले मृत ं िरपिमित े
शषः॥ ३३॥
ु
िभजािमािदना ु ु
े िरपमारणूयोगानमपिदशित।
ोकन
े ् यम ं मृ।ं ु
ु े ितीयािवचनमतत।
तऽ सािजादज
ु ु
एतं भवित सा ं िरपमानशाियन ू िनपा
ं भमौ
े करण
तदरकठयोः पादय ं िव एकन े त
ु ू
े त िजाोाटय धॆवणा
दयाजिमतरण दव
े
ं
सिच ् ं ु मारयिदित
जपन शऽ े ३४॥
सदायाथः॥
ु
े बोधनानमपिदशित।
तथािवधािमािदना ोकन
ु
तऽ तथािवधा ं सािजादजोाटनािदना े
अऽ दव
ु ु ं सा ं ऊवामभजहलनाक
चतभजा ु े ृ
ु ु े ू ूावाटय ायिदित
तिणभजमशलन े
३५॥
सदायाथः॥
तााढािमािदना े े ोकन
णािदनाािधकन े
ु े ु
िरपसनािविावणमपिदशित। े
तऽ ता ं दव।
ू
तागणोामपमातमितािम उरऽ
े े
सनािमननायः। ् ृ े
णात ितमाऽण॥ ३६॥
--------------------------------------------
p. 419) ृ जपििपोः
ा े ्
े ं रतो िावयते णात।
सना ्
तथ ैवाभज ्
ु ैः खान दधाना ृ ् ३७॥
ं शििभवताम॥
्
तथ ैवाराितपृतना ं समरे नाशयते णात।्
िवकी कशानणवारवाणधरो
े हय ैः॥ ३८॥
े
तरकशिरकिपकोलगडित ैः।
शिवै ू
ृ िशलामूोतपवारण ैः॥ ३९॥
पीतूसनू ैः पीताभामयत ्
े नाय वै।
ु डला
ूागै ै ु वासरैः परमिर॥
े ४१॥
ु
े ं मित ं िजा ं सममम।
अरातीना ं गित ं सना ्
्
इम सकलं यते साधकः णात॥् ४२॥
--------------------------------------------
े
तथ ैवािदना
े े े ु
णािदनायनाराितसनािवनाशानमपिदशित। तऽ
तथ ैव गडािधढा।ं शििभाािधढािभिरित
् ् ३७॥
े तथ ैव जपािदना। णात ूावत॥
शषः।
िवकीयािदना े े
नपृ इनाान
े े ु
ोकयनािरसनािवनाशनानमपिदशित। तऽ
ु
अणवारवाणधरः अणककधरः। इ उरऽ नपृ
े
इननायः। े
हय ैः सिहत इित शषः।
ू
िऽशलामूोतपवारण ृ े
ैिरित शिविवशषणम।् िसहिवटर
ं े
े
िता ं दवीिमित े एतं भवित तरािदषाहनाढःै
शषः।
ू
ृ ः करशलामूोत
शिवै े
ु े
िरपसनापवारण
ैदिशतबीडािवनोदा ं मािणमडपाः
ं
िसहासना ं दव ु
े ायणककधरः े
कशान ्
िवकी
ृ
हयवसिहतो हयाढो नपः ु े ं वलैनाशयिदित॥
ृ शऽसना े ४०॥
े
पीतािदना ू
णािदने ोकयने पजास ु
ु े े नीयपाािदकं चोपिदशित। तऽ
पािदिवशषण
े
पीताभा ं दवीिमित े नाय अिभमतानािमित शषः।
शषः। े
े
अरातीनािम गािदिभः पिभः ूकमयः। णात ्
ूावत॥् ४२॥
--------------------------------------------
p. 420) ु े
अणामण ैः पैरयराऽतः।
ु
िनहकामः ु िरप ं ु काश
सवा ु ् ४३॥
ु े ीवम॥
ू ं
पजयिन ्
ैः शऽनू जीिवतशपर े ्
े ु ं नयत।
ु
ँयामा सौरभा ै ैः पैर वासरैः॥ ४५॥
ु
उिदत ैिरिराः ादरोगः समना वशी।
ु ं जीवित भमौ
सख ू स शतवषािण ु
िवौतः॥ ४६॥
--------------------------------------------
ु
े िरपवँयाथ
अणािमािदना ोकन ु
पिवशषात
े ्
ू े ु
पजािवशषमपिदशित। तऽ अणा ं अणवणा दव
े ाित
े
े अण ैः अणवणः मराऽतः मराऽ॥
शषः। े ४३॥
े े े ोकन
िवषनाािमािदना नयिदनाान े
े े ु पजािवशषण
कालिवशषष ू ु ु
े े िरपमारणूयोगमपिदशित। तऽ
सनाशके नाशयोगसिहत े यमकटककाले रािदसवारषे ु बमण
े
ु तीयितीयूथमसमषसा
पमचतथतृ ं -
सिहतकाल।े िवषना यथा अिनीनऽ
े
पाशघिटकानरं चतॐो नाः िवषनािडकाः। एवममिप।
तथाचों -
े
अादीना ं बमायातॐो िवषनािडकाः।
--------------------------------------------
p. 421) ु
होम ं काथा राऽौ चतरॐऽथ ु
ु े कडक।
े
हिरिािमिलत ैर ैिलैाष ैः सतडलै
ु ः॥ ४७॥
ु
पीत ैः पैथा पीत ैः फलैालदलैरिप।
सकलीक
ृ िलिखतसावणसमित ैः॥ ४८॥
् ु
िनशाघृतसमोपते ैः यते ूागदीिरतान।्
ु
िनघाततकािदपतनािषभणात।्
ु
शऽिभा ूयोगामी न भववे भराः॥
ु ५२॥
--------------------------------------------
ू इ
होमिमतािदिभः भतल ु
ै तशिभः
े ु
ोकै हमिािदकिवशषे ैः फलिवशषािदकमपिदशित। तऽ
े
होमिमािदिभथ िै िभः ोकै ः
े ु
नहोमििवशषानपिदशित। तऽ तथा राऽौमराऽ े
चतरॐ
इथः। ु
ु े कडपटलवमानलण।
े हिरिािमिलत ैः
ू
हिरिाचणसिहत ु िाणा ं िवशषणम।
ैः एतदािदचतणा े ्
े
सकलीकरण ं साािदनामिवलखनािदकं तालपऽाणामवे
ू तसमोपते ैः तालदलैिरित
िनशाघृतसमोपते ैहिरिाचणघृ
ू
पवऽायः। ् ू
ं िनशाचणः
ईिरतान अराितगािदपक।
घृताै घृत पिरतु ैः। तथा मडलािदिभः॥ ४९॥
इािदिभः भरा
अराऽ ु इिै िभः
े ं तने तऽ
ोकै मारणूयोगहोमिवशष
े ं
साधारणमारणूकारिवशषाोपिदशित। ृ े
तऽ अिरववौ
ु ृ ु ू
शऽनऽवसमतकाूदीवौ। े ैः
तोिनदहज
ु े ु ू ैः। तहसतहाै
शऽनऽयोिनदहसमत े ू े ः
ु ू हात
सायोिनसमत े ु ैः। िदन ैः ूावडलािदिभः।
अ ैायािदिभः। ूमादैरनवधान ैः।
अशिनः।
कटकािदिभिरऽािदशः शािदिवषयः। िनघातः
् े
ूयोगामी ूयोगाः अमीित िदात पददः। भराः
ु िनलाः
॥ ५२॥
--------------------------------------------
p. 422) ु ै ु
ू ं कसमाढा ं नखराायधयताम।
धॆा ्
्
ायन िरपोरम े त ु राशौ छागघृतातु ैः॥ ५३॥
े ू ्
मरीच ैः सषप ैहमैिन ैमारयििपन।
तीॄदाहरम ं िवस ् ५४॥
ं ं िवकताकम॥
ृ
ं राहितिभः
वालाकाभा े ं ु ं िशवाम।्
सयता
सपवाणगोघृताै रण ैः शभु ैः॥ ५५॥
ं ु ू ैथा वकसवै
ूसनू ैः िकशकोत ू ः।
ु ः॥ ५६॥
जपाूसनू ैः पालाशैः करवीरसमवै
ु
हवनाृपतः
ादैणाया धन ैः।
ु ् ५८॥
अ ैरिप च तपरैरैः सिनितम॥
--------------------------------------------
ू
धॆािमािदना ृ े ोकयने
िवकताकिमन
े ु
मारणहोमिवशषमपिदशित। तऽ धॆा ु
ू ं धॆवणा।
ु ै ु ं
नखराायधयता
ू ं ु
पववखरिमािदषिशोकूोषोडशभज े
ैिरित शषः।
े मरीच ैः सषप ैः। एतय ं घृतातु ैिर
छागः अजिवशषः।
् ृ
े ं तिन ैः ूावत िवकताक
िवश। ं अाधीनाम॥् ५४॥
वालाकाभािमािदिभः ु
सिनितिम ु
ै तिभः
ोकै र ु
ै यूािकरणहोममपिदशित। े
तऽ आहितिभः ं ु ं
सयता
ू ु ं ु ं िशवा ं पम।
तिनपजोायधाकसयता
तातु ैः।
सपवाणगोघृताै ः िनजसशवाणवणगोघृ
ु ु
शभु ैः मकलपिततानशीषजिषतयाताृ
ु रिहत ैः
ूसनू ैः इतत ् ू
े पवऽाण ं
े ं क।
ैिर िवश
ु ू ैः अण ैिरित शषः।
करवीरसमत े
े
रै िरतलकमलपाटलाना े
ं िवशषणम।् अैः
--------------------------------------------
े ्
ू ु ं म े िनजसा ं समािलखत।
िविल भपर
े ् ६१॥
भौमारािण ता े दशामादिभतो िलखत॥
्
ृ तऽ िलखते बमात।
बिहरदलं प ं का ्
ु ृ ु ् ६२॥
मारािण ऋतशिहवयमकम॥
्
विहः
तऽािप पािथवानणान े ्
षोणमािलखत।
े ् ू ् ६३॥
े ु माणान भदशाितान॥
तोणरालष
--------------------------------------------
ू इने ोकयने
अणािमािदना भतल
ु
वँयािदकहोमिवधानमपिदशित। ू
तऽ नखरा ैः पवऽािन ्
पटले
ं ु े समािहतः अनिचः।
षिशोकोनखराायधषोडशकन।
े ६०॥
ूोै िदन ैः ूावडलािदिभः अिपवा अिपचथः॥
े े
िविलािदिभरानयिद ं
ै ािरशता
े
ोकै रतिारजिनतािन नािदकरािण अ यािण
े
िवावैभवोपिदशित। तऽ िविलािदिभवािहनीिम ःै
ु े
पिभः ोकै लकपाल शऽसनाया नकरं
ु
यमपिदशित। ू ु
तऽ म े भपर। ू ु
ता े भपरवा।
े
भौमारािण
ु तीयारािण सिविन
पमषऽयोदशरपरःसरकािदवगतृ
ं
दशसािण। अिभतः ूादियने [विहः भौमारवनात
े ्
तऽ
तषे ु दलष ्
े ु बमात अमािदूादिय बमात।् ऋतशः
ु षडरािण
े तिहः पािहः। तऽ ववीा।
ूितदलिमित शषः। ृ ं
्
ूावत।
पािथवानणान ् विहवयमात।
ृ ु ् तोणषे ु षोणषे ु
े ु कोणारालष
अरालष ् ू
े ु ष। माणान भदशाितान ्
् ु भतदशाणसिहतान
अदलिलिखतिशान ूाग ू ् ू ्
मलिवावणान।
्
ूावत ूितान े अिभतः अमािदूदिण ं बिहः
ं षमण।
षोणात।् तऽ वीा।ं िविल। विहः वयात।
ृ ् कित
ृ े
ू
पवऽायः ू
मलिवया े शषः।
सहित े
--------------------------------------------
p. 424) ्
िविलखते ूावदिभतो ृ
विहवय े ्
ं िलखत।
ू ु ं विहः॥ ६४॥
िवलोममातृका ं तऽ भिमपर
ृ ु
कानलोममािल ू
मातृका ं मलिवया।
ू
पजयिखल े ् ६५॥
ं लोकं यदिरवािहनीम॥
--------------------------------------------
ू
पजयन ्
िनोबमतो े
दवीिमित ु े ं
े अिरवािहन शऽसना।
शषः।
अय ं यिवलखनबमः।
चकारोऽऽााहाः। े अभीमानने
ू ु ं िविल तिहोणामृाृिकया
ूोलण ं भपर
ृ ं का
व े
ृ तिहरकाल
ु षडलमानाराल
ु ं वय
ृ ं
ृ तऽ वािवषाणिवामदलं प ं िवधाय
का
ृ
वावािहः ृ े ु े व
वमकालमानन ृ ं का
ृ
े व
तिहमिवामानन
ृ ृ तदराले
ृ ं का
्
ूावत षोण े े
ं िवधाय षोणाम वािहरकालमानन
ृ ु
ृ ं का
व े
ृ तिहरकालमानन
ु ु ं का
े चतरॐ ृ
ू ु
सवमभपरम
े सासाधककमाय
े िलिखा
पधीरालबमण
ू ु ृ े ] भौमािन
तिहभपरवावयवीामािदूादियन
उं ऊं ओ ं ग ं ज ं डं दं व ं लं ं इित दशारािण
े े
समािल तिहः पदलावमािदूादियन
ू े ु दशोरशतसष
मलिवारष ं े ु ूितदलं
े
षमणाचािर ृ
ं शदरायािल तिहववीा ं
् े भौमारदशकमािल तिहः षोणषे ु
ूावत बमण
ूावािदूादियने
ू ू े ु अरषे ु
पवमदलिलिखतभलिवारिशष
ं े ु षिशदरािण
िषिसष ं ूितकोण ं षट ्
े
षमणािल ् ् कोणारालष
तत षट े ु ष च ूरालं ूावत ्
े ं
बमणामकोणोरपाािददिणपाा
ं
षोणिलिखतिवारिशारषिशितकं
ू षिशदरािण
भौमारदशक सय ं षट ्
े
षमणािल ृ
तिहविवा ं अमािदूादियने िवलोमा ं
मातृका ं सिवसजनीयामािल
ृ ू ु
तिहवभपरारालवीामीशादीशा ं ूादियने
े
मातृकारायकपाशिविन
ू
मलिवारदशोरशतकं च
सय ु
ू ैकषरशतारािण ूितिदश ं चािरशत
ं ्
ं
चािरशदरािण े
उरा ं िदँयकचािरश
ं दरािण चािल
े
तऽ दवीमावा ू ू
े पजयन
तिनपजाबमण ् ं फलं
ूो
ूाोतीित॥ ६५॥
--------------------------------------------
p. 425) ृ ु
नवाॐ ं वयम व ं तय ं विहः।
ु
चतरॐ ं
सिल ् ् षडािलखत॥
माणान षट े ् ६६॥
ृ े त ु मातृकाम।्
े े कं वाव
अारालकै
् ु ् ६७॥
ु े च िविलखते ूितलोमानलोमकम॥
चतरॐ
--------------------------------------------
े
नवाॐिमािदिभः परमरी िै िभः ोकै ः
सवनकर ु
ं यमपिदशित। तऽ नवाॐ ं नवयोिन।ं
वॐ ं ूावदकोण।ं तय ं वय।
ृ ं षट ् षट ्
नवकोणषे ु अकोणषे ु च ूितकोणिमथः। े ु
अारालष
े ु एकै कं मलिवारािण
अकोणारालष ू कोणिलिखतिशाौ
े े वाव
ूरालमकमकिमथः। ृ े
ृ ं तःु समय।
अकोणवावयारालवीा। ु े
ु
ूितलोमानलोमकं ववीा
ृ ु े ु
ं ूितलोम ं चतरॐऽनलोम।
े ु पवमानामराितगादीनाम।
अरलखानष।
सतः े ू ु ्
े
परमरीित ु
सिः। े
अय ं यलखनबमः अभीमानने
व ृ त े ूाववयोिन ं का
ृ ं का ृ
े
तिहरकालाराल
ु े वय
ृ ं का
ृ
ू ु
तिहभपरयपिदिविदगत कोणमकोण ं का
ृ
ृ ं िवधाय
तिहोणाकृाृिकया व
े
तिहरकालाराल
ु ु ं का
े चतरॐ
ृ सवमयोिनमार
िनगमनगा े नवस ु कोणषे ु ूितकोण ं षट ्
मािद ूादियबमण
् ू े ु ूोसािदतः
षट ् बमात मलिवारष ं े
े
पाशदरायािल तिहरकोणस ु ूावत ्
ू ू े ु
अमािदूादियने पविलिखतमलिवािशारष
षाश ु ूितकोण ं षट ्
े ं
षमणाचािरशदरायािल े ु
तदकोणारालष
अमकोणोरपामार
तिणपाािशिवाराक े ं
ं ूरालमक
ृ
िविल तावयारालवीा ं ूावदमािदूादियने
िवलोमा ं सिवसजनीया ृ ु
ं मातृका ं िविल तिहवचतरॐाराले
्
ूावदीशादीशा ं ूादियात ूितिदश ं
े
ऽयोदशऽयोदशबमणोरा ू
े च सय
ं िदिश ादशबमण
े
मातृकारायकपाशत ्
सिविन समािल
े े ु सिवशितष
सवऽारलखनानष ं ु साधकादीना ं
ू ू ं दवीमावा
नामऽय ं िविल तऽ िनपजाबमोाभजा े
ू
पजयराितगािदकं यतीित॥ ६८॥
--------------------------------------------
p. 426) ृ ं ॐ ं पनव
व ृ ु
ु ृ ं षडॐ ं वयमकम।्
ृ े इित काऽ
अाॐ ं तिह ृ े ् ६९॥
िवसत॥
े ु च बमात।्
एकं म े विहः कोणरालष
े
्
ऽय ं ऽय ं सम१आिल विहः िश ु पािथवै ः॥ ७०॥
िविल म े नामािप जिपासाधकः।
्
ापयते ािप े ् ७१॥
तऽैव िनश विलं िपत॥
--------------------------------------------
ृ
विमािदिभः े
िपिद िै िभः ोकै ः
ु
नयारमपिदशित।
तऽ अऽ य े एकं म े सवम े
ू
मलिवाूथमार े
ं िऽकोणाकारं िलखिदित सदायः। म े
े ािप िभािदष।ु
सवमूथमारपिऽकोणम।
े े अय ं यिवरचनाबमः अभीमानने
तऽैव ािपतूदश।
े व
ॅमण ृ ं का ं व
ृ तिहिवामान
ृ ृ ं
का ्
ृ तदराले ूावत षोण ं का े े
ृ तिहरकालमानन
ु
ृ ं का
व ्
ृ तिहः ूावत अाॐ ं का
ृ
ृ ं का
तिहोणामृाृिकया व े
ृ तिहरकाल
ु
मान े च व
ृ ं का
ृ तऽ सवमवम
ृ े
ू
मलिवारूथमार ु
ं िऽकोणप ं च ससाधकािदऽयमपिर
सिवकं समािल तिहिकोणकोणषे ु िऽष ु मलिवाया
ू
ितीयारािददशमारा ं ूितकोण ं ऽय ं
े ु िऽष ु
ऽयममािदूादियने नवारायािल तोणारालष
ं
एकादशारादीिन एकोनिवशाराािन ूावत ्
े ं
िऽिऽबमणामकोणोरपाािदतिणपाा
े े
नवारायािल तिहःषोणकोणमािदूादियन
ं
िवािवशिततमारादीिन ं
स िवशाराािन ूितकोण ं
े
िऽिऽबमणादशारायािल े ुच
तोणारालष
ं
ूावदिऽशारादीिन
पपामारााादशारायािल
तिहराॐकोणाके
े
षाशमारादीकोनाशीिततमाराािन
ु
चतिवशरािण े
ूावििऽबमणािल तदरालाके
चाशीिततमारादीिन िधकशततमाराािन
ु
चतिवशराािन ूावदारबमादािल
ु
चतरिधकशततमारादीिन ू
िशमलिवासारािण तद े
ू सदशारािण
भौमदशारािण च सय
ृ
अकोणवावयारालवीा ं ूावदिभतो िविल तऽ
े
दवीमावा ् ं ू त ं शरावािदसपिटत
ूावत सप ं ु ं का
ृ
िभािदष ु सा
ं तऽ ूितिदनम तऽ विलं दा
ू
पवफलं ूाोतीित॥ ७१॥
--------------------------------------------
् े मा ं नऽितिथवारयक।
वाात बमण ु
े
िविलखििपशः ं ु ् ७३॥
सा मातृका ं शिसयताम॥
े ूदिणम।्
सा ं सस ु मषे ु िविलख
्
े धारयते सिसय॥
मायामगत ं दिव े ७४॥
ू े
भतूतिपशाचािदशा े
ै सािशाय।
े ् ७५॥
गजवािजखरोािदरोगशा ै च धारयत॥
--------------------------------------------
ृ े े
कािदिभारयिद ु ोकै ः
ै तिभः
सवरोगशािकर ु
ं य मपिदशित। तऽ षडकोणािन षोणािन
े
अकोणानीित पददः। े
अः षोणािण विहः अकोणािन चथः
। पृथक ् पृथक ् बमात िऽकोणवारालान
् ृ ् ु
षोणयतान ्
ू
पविलिखतषोणाकोणयोः ं ु
षट ् कोणसयतान ्
ृ े
िऽकोणवारालूदशान पृ् थक ् पृथक ् ूक
े ं षट ् कोणािन
ु
कािदित ् े मा ं
मयोजनाबमः। वाात बमण
वााकोणकोणािदसवमगतषोण ं कोणमा।ं
ु ् साारलखनानिित
नऽितिथवारयक े े े िलिपश इ
शषः।
ु
शियतािमऽायः।
मातृका ं िवसजनीयरिहता ं
पाशदरवत ूरं िवसजनीययोगािािह।
ं
ं ु ु
शिसयतािमारयमारामखादवगत ं िलत े
यथा िवसजनीयसिहता ू े सस ु मषे ु
ं मलिवारसिहताित।
षोणसक सस ु मिथः।
े िविलख
े चकारण
े
ू
पवयविािशारदशकं भौमारदशक
ृ
वाववीा े े समाकत
ं िविलखिदकोऽथः। ृ इित
ूदिण ं सवािण
सदायाथः। उारािण मायामगत ं
े
खया ृ
बोडीकतम।् भतूतिपशाचािदशा
ू े ै
े
आिदशनापारादयः। ृ
त ैः कतपीडाशा ै गजवािजखरोािद
ु
इऽािदशने गोमिहषाजादयतदा उ।े अयमऽ
े
िवलखनबमः अभीमानने ॅमण
े व
ृ ं का
ृ
ु
तऽिनािनापटले ूोानमहचबबमण
े षोणसकमािल
तिहः ूावदकोण ं का
ृ
ृ ं का
तिहरकोणामृाृिकया व ृ
े े
तिहरकालमानन
--------------------------------------------
p. 428) े
ूादिणोदरखाादश ं े ्
सिलखत।
े
रखाम शलााम
े सतः ू
े च पायोः॥ ७६॥
े समािल मकोऽिरनाम
यित े च।
े ् ् ७७॥
भौमसमितान॥
पिरतो िविलखवणान
े ्
ू वा कपट े लोहे िशलाया ं वा समािलखत।
भज
ृ ् ७८॥
गहपनयोलहशदोिरिसिदम॥
--------------------------------------------
ृ ं का
व े
ृ तऽ वााकोणमकोणािद ूादियने
सिवसजनीयाातृ
कावणानािदतोौ े े कोणषे ु
समािल तव
ू
मलिवाया आिदतः षोडशारषे ु ूितकोणमकमक
े े ं
े ु अस ु
च ैवमारायािदतः समािल तोणारालष
मातृकाया िवाया नवमारादीिन
्
षोडशारामारािण ूावत बमादािल तदः
षोणमार ूादियने ूितषोण ं ष ष कोणषे ु
े ु च ष ष च सभय
तदरालष ु ं े ु ानषे ु
ं ू चतरशीितसष
मातृकाया िवाया सदशारादीिन पाशमाराािन
ु ं
चतिशदरािण ु ं े
चतिशानािल िशषे ु
पाशानषे ु पनरकारादीिन
ु
िवसजनीयरिहतािन काराािन
ु
ूरं िवसजनीययािन ् ं
मातृकारािण पाशत सािन
ू
मलिव ैकपाशमारािदिभः शततमाराःै
् े समािल
पाशिररैः सह ूावत बमण
िवािशारदशकं भौमाणदशक ूावत ्
ृ
सववाववीामािल षोणसकमसके
्
तयोगिदवसूानऽितिथवारान सानािल तपिर
साधकािदऽय ं ूावदािल तव य ं खाया
े
ु े बीडोक
उपिरगतचतथरण े
ृ तऽ दवीमावाा
्
ूोबमसारणात ूोफलिसििरित॥ ७५॥
ूािगािदिभयोिर ःै पिभः ोकै ः
ु
नकर कोयमपिदशित।
े पायोः
तऽ तामच
े
तलं मरखाम
े तलमरखापायो
े
ू े
य इित रािण यथाबम ं िऽशलमरखाम े
तिणवामपायो मको े
े े
सवमकोमसवमकोाधः
े भौमसमितान ्
पिमकोमार िनगमनगथः।
भौमवणसमितान ्
मवणान ् ृ
गहपनयोिनमाणन
े
ततामलन े वा इित शषः
े लोहशदोः
ू ु
पवािधकरणचतय म े तालन े शभु ं
े हिरतालन
ं ु
मनोहरं बमतः शरावािदसपटनाबमतः यावत ्
् ु
फलावािावत कवत
--------------------------------------------
p. 429) े
गौरकणाथ े िविलखभम।
िशलाया ं तालन े ्
े
ापयििम ू च बमतः िशव॥
े च भमौ े ७९॥
् ु सग
ू े पैः
िनशः पजयत ु ैः ूजपथा।
े
ु
यावलाि कवत
िनयत ं सयोयोः॥ ८०॥
ूादिणोद कात ् ू
ु सऽािण षोडश।
ं ः शतयम॥् ८१॥
त ै ु कोािन जाय े पिवशै
ूावदकै ु
े कतः कािकोणािन यथािविध।
म े िऽष ु त ु कोषे ु सासाधकक च॥ ८३॥
मत शषष
उपधो े ्
े े ु ूावदािलखत।
माणानममार े
िविलखदिभतः े ८४॥
िशव॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
ु ु
तऽ चोरमहािधिरपसपसमवाः।
ू े ु
भतूतिपशाचािदकोपजाापवाः॥ ८६॥
् ृ े ािपत ु य ं तहविनाम।
यिन गह े ्
ृ ु
कािभचारिािद ु ् ८८॥
पीडा न भवित ीवम॥
--------------------------------------------
सासाधककम च सासाधककाणीथः।
अममार
े े
िविलखिदननायः। मत इित पवऽ
उपधो ू
सासाधककम चननायः।
े े े ू
तनूकारापिरको े
साधकमधः को े सा ं मको े क चित। े े ु
े शषष
दशोरशतसष। ्
ं े ु ूावत ूादियूवशगा
े
्
दशोरशतारान माणान ्
िलखिदननायः।
े े
ू ु
िशलादीऽािदशने भजपऽपटताला।
े
िपशाचादीऽािदशोऽपारािदिवषयः। उपवाः उपिवाः न
ू
भवीित पवऽायः।
मादीािदशो
े
ारिभिभागािदिवषयः। गहग ् ृ
तत गहािपत ं
तिमथः। ु
िादीािदशः िपशाचािदिवषयः। अयमऽ
े
िवलखनबमः ू े
ूादिणोद षोडशसऽाालनन
ं
पिवशिधकशतयकोािन िना तषे ु कोषे ु चतषु ु
कोणषे ु ूितकोणमािवशािवशितकोािन
ं ं ू
सय
ं
ादशािधकशतसािन कोािन ूाव े वळाकारं
यथा भवित तथा माजिया तथा िशषे ु
ं े ु कोषे ु चतसृष ु िद ु ूितिदशमकैे कं
ऽयोदशािधकशतसष
ू चािर कोािन माजिया
कों सय तऽ िऽकोणािन ूावत ्
े
समिऽरखािन
ृ तऽ सवमको
का े क तपिरतन को े
साधकं तदधःितको े साािल िशषे ु
े ु दशोरशतसष
ु गतिऽकोणचतयसिहतष
चतिद ु ं े ु कोषे ु
े
अमिऽकोणािदूादियूवशगा ं
तािन ू
मलिवारािण
िविल एतद ् य ं ूोािधकरणातमगत ं का े ु दशष
ृ ूोष े े ु
ु
ूाणूितािदपरःसरम ्
ापनात ूोफलिसििरित॥ ८८॥
--------------------------------------------
p. 431) ु ू
े काादशसऽकम।
वािन ैऋतश ्
त ैळपकोािन ं े ् ८९॥
एकिवशशतवत॥
े महीवणपािण
िनगमन ू बमतः िशव।े
ू
ािपत ं लोहिशलािदिलिखत ं पिजत ु वा॥ ९१॥
ू ृ षः।
रोगभतमहोादिपशाचापिति
े
अािन शकारीिण े ् ९२॥
यािन तािन िवनाशयत॥
--------------------------------------------
ू
इ पवऽायः। दव ु
े पम। सिलले क े इित शषः।
े
्
आवान अिधगतः। यिवािदशिसबमतः
त ैजलै ं
ु ः। अयमऽ िवलखन
किलतानभावै े े ृ ं
बमः इमानॅमणव
िना तऽ ूादिणोर ताविध
ृ
ू
ॄसऽयमाा ू
ूाोसऽ
ू
ूागमािणोरॄसऽदिणामा ्
ं तदमात ूािम
ू
ॄसऽपिमामा ं
ू
तदमािणोरॄसऽोरामा ं तदमात ्
ू
ूािमॄसऽूागमा ं ाप ं
ू ु
सऽचतयमाा ू
ॄसऽय ृ
व च
ु ं समचतरॐ
माजनािगतकोणचतय ु ं िवधाय
ु े े
वायिदरखािदवििदरखा े
ं न ैॠतिदरखािद
े
ईशिदरखा ू े
ं च समारालदशसऽाालनन
े ं ं
वळवळाकारमकिवशिधकशतसवळपकोसिहत ं
य ं िवधाय तऽ
--------------------------------------------
p. 432) े
ूोाििप ु
तथा तळ ं गौरकै भिव।
ु
िविल म े क ु ू ् ९३॥
ु ीरिाथपिरतम॥
ू च।
े सिलले समावाािभप
िनधाय दव
े
ृशलं जपिा ं सहॐऽयमावान॥् ९४॥
रिभिष
त ैजलै ु ं ततः।
े ं गिदन ं ूाख
ु े
े मदह
त ैः शै ु सखी
ु जीवित भतल॥
ू े ९५॥
े
िवाूािभषक ु वळऽिन
े ् े
कोवळक।
ं
स ैकिवशशत ु ं सा
े वािप क ं े े ् ९६॥
सचयत॥
े ु
वदालपिरॅाा ृ ं का
व ृ ततो विहः।
ु े ल
ल ु े
ु े कादकादश ततः बमात॥् ९७॥
तषे ु लमानष
ु ् सऽािण
े ु ितक ू े ्
पातयत।
एकादश ततषे ु ूाा ु ूदिणम॥् ९८॥
ू ु ता ं िवामािलखिगमबमात।
भदशाण े ्
े
रखामािण ू
च शलािन ृ सा मतः॥ ९९॥
का
--------------------------------------------
े ूावदािल
सवमकोमसाधकसाकमािण
तदधःवळकोमार ूादियिनगमनगा
े े ु
भौमारदशकं वळकोदशके िविल शषष
ं े ु तािन
दशोरशतसवळपकोष ं ू
मलिवारािण
े
िविल ैत ं ूोािधकरणतमगत ृ ापनने
ं का
ू े च त े ूोबमािभषकन
पजनन े े वा ूोफलिसं भवतीित
॥ ९५॥
े
िवािदना े ु सस ु यषे ु यऽय ं
े ूोष
ोकन
ु े े वळऽिन
े े अितिदशित। अऽ च तिवशष।
िवाूािभषक े ्
ू
अनरपववळवळािभध सम े य।े कोवळके
कोवळप े ष े य।े स ैकिवशशत
ं े
ं ं
स ैकिवशशतसकोप े पम े य।े वा िवक े तषे ु िऽष ु
९६॥
ं े इथः॥
अतमय
े ु े े
वदालािदिभरनय ु ोकै रिखलिसिकरं
ै तिभः
े ु
य ं िवावैभवोपिदशित। तऽ वदालपिरॅाा
ु ु
ूितिदश ं चतरलमानपिरॅाा। ततात।
ृ ् ल
ु े
ु े लमान
ल ु े लमान
ु े एकादशवानीित
ृ े
शषः।
--------------------------------------------
--------------------------------------------
तषे ु वष ् ु
ृ े ु तत लमानष
े ु ैकादशाशसिहतिित
ं े े
शषः।
ृ
एतानमव ैवोम।् ितऽािण
ू ृ
सवमवात ्
ृ
सववावागपाणीथः। े ु ूाात ्
तषे ु कोष।
ृ ू े
सवमवाभतूदशपकिणकाया
विहदनरवीा ं ूाकोोरको े च
िलखिदित
साधकसाकमािण े ूावत ्
सदायाथः।
ु
ूाणूितापरःसरमनधारणापनािदिभः।
अिखलिविनयोगषे ु ूोिित
े े अयमऽ िवलखनबमः
शषः। े ूितिदश ं
ु ु े व
चतरलमानॅमण ृ ं िना
ु े ूावदकादशवािन
तिहललमानन े ृ िना तऽ
ृ े तववाव
सवमव ु ृ
ृ े च त िमान ं िऽगणीक
े
तानमकादशधा े े े
िवभ तशकादश िचािन
् ृ कादशकमार तत ्
पिमािदिवधाय तत सवमविचै
ृ ू
कादशिचम े एकादश सऽायाा
सववाविचै
ृ
तववावृ े े
गकादशरखाम ्
ं िकित ूसा ूक
े ं
ू
शलाकारं का
ृ एव ं मकिणकाया
े ं ु
विहरकिवशरशतकोसिहत ं वाकार
ृ ू े ं
ं विहः शलोपत
य ं िना तऽ तिणकाया ं साधकादीिन ूावदािल
ृ
तदनरवाववीा ं ूाकोमारा उबमात ्
ूादियिनगमनगा ं े ु कोषे ु
दशोर शतसष
ं
िवाारािण तािन िविल िशकोैकादशके
्
भौमारदशकमािल िश े च ैकिन ूावत ्
े
साधकािदऽयमािल ैतोािधकरणतमगत ृ ूावत ्
ं का
ूोूयोगषे ु ूाणूितापरःसरमनािदिभः
ु
े
ूोफलिसिभविदित॥ १००।
ं
मसा। ं े त ु पटले यािण मिनसया।
ऽयोिवश ु ं
े े ्
ाामा नऽशतमकाशीितथाकम॥
ु
चतिवशपटलम।्
े
िौय ै की जयावा ैवँयाकषणिसय।
े े समा लोिहताकारमडनाः॥ ३॥
ायवीः
ु ू
िवाौ शािके मािबकपरसिभाः।
े े
िवषोाटिनधनिनमहिसताः े ् ४॥
रत॥
धॆा ्
ू वा िचयते साः
ूोषािदिसय।
े े
सऽ समाकारवणशििभरावताः॥
ृ ५॥
--------------------------------------------
ू ं ू
ं े पटले षोडशिनानामभताया
पवियोिवश
ु
वाराा िवधानमपिदँयानरं षोडशिनाना ं िविवधािन
े
ानािन तास ं ूकमाि बमतः ूयोगािदकोपिदशित
े
अथ षोडशािदना ृ े ोकशतपण
िसिकिदन ु े
े चतिवशन
े तऽ अथ षोडशािदना
पटलन। े ् े ोकयने
बमात इन
ु
पटलाथानपिदशित। ु ु
तऽ सरिमान ् ु ु
सरिमसशािन
े यावत।् एकै कं एकै कबमण
अिभमताथूदानािदमोधतयित े
े शषः।
तासा ं िनाना ं तििभः तिरवारशििभः सहित े
ू ू भदतः।
वाारतः लस े ू
ानानीित पवऽायः
॥ २॥
े ु
े ौीकीितजयवँयाकषणष
िौय ै इािदना ोकन
ु
सामाानमपिदशित।
तऽ वँयाकषणिसय े च वँयिसय े
आकषणिसय े च। समाः षोडश िनाः सपिरवारा
लोिहताकारमडना इऽ मडनशो
ू ु े
वसनभषणमाानलपनािदिवषयः॥ ३॥
ू िवाूािकरं
िवाािवािदना ोक पवान
ु
शािकरं मििसिकर ु
ं सामाानमपिदशित तऽ
ू
इकपरसिभाः ू
इसिभाः कपरसिभा
कािवणाािमित े
शषः॥ े े
िवषािदना े े
ृ इनाान
वता
े
ोकन
--------------------------------------------
p. 435) ु ैरकै
िािदभतू ैः सािदगण े कसहत
ं ैः।
ु शयः॥ ६॥
एकािदसमार ैणाकारै
ं
असाता
भवासा ं कााान े ्
ु को वदत।
्
को वा णोित साकात ततः े ७॥
िकिदािम त॥
ु
ताः सा ानशािौीकीिसौभायमिदाः।
आया ं ु
े राजसाः सा लोिहताकारसयताः॥ ९॥
--------------------------------------------
े े ु सामाानमपिदशित।
िवषोाटनिनधनिनमहष ु तऽ अिसताः
ू ु े
आकारवसनमाभषणानलपनािदिभिरित ू
े धॆाः
शषः।
े ु
े वा िवक।े सवा िनाः। सवऽ ूोष
ूावदाकारािदिभिरित शषः।
े े ु ५॥
ानभदष॥
िादीािदना वदािम त े इने ोकयने
पिरिपायाः परायाः शःे पिरिाकारतया
ु
िविवधवणापलिकारण ं
ं
तपलशीनामसातािदकोपिदशित। तऽ
िािदभतू ैः पृिथजोवााकाशै
े ु ैः
ः। सािदगण
ं ैः पृथक ् पृथक ् सैः पररिमित
सरजमोिभः एकै कसहत
ू
े एकािदसमार ैः भताना
शषः। ं पृथक ् पृथक ्
ु े ं ं
सगणानामकािदसमसमाशिवषमिवषमाशपिर -
ः सजाता
कित ैवणाकारै ं े
इित शषः॥ आसा ं शीना ं कान
्
ान ु को वदते कोवा ् ृ ं
णोित साकात वणा
्
ौोतॄणाािनािदित यावत ततात ् ु े ु
िकििदिष
े े ु मषे ु वमाणप ैकदशात।
शिभदष े ् एतं भवित
p. 436)
वँयाकषणशािौीसौभायिवजयूदाः।
ु
वायपा ू
धॆवणा सवा षािदकारकाः॥
े १०॥
मारणोादयोः ताः।
नाभसा नीलवणाा ृ
ु ु े
आसा ं मखभजादहिवधान ं ण ु पावित॥
११॥
ु नववाथा पराः।
एकवाता
ं
षोडशााः पिवशदना अिप कान॥ १२॥
ं
षिशदना ं
ािप चािरशवाननाः।
ु ु े
चतःषिमखादकाशीितशताननाः॥ १३॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 437) ु ु ं
बना िकं मखभजसासाधनवाया।
ु
तथािप दिशत ं िकिे भजय ं यम॥् १४॥
ु
आाया लिलताया राः पदशागाः।
लिलतािपण
े सवासामािवमहाः॥ १६॥
तथािवधःै शिवै े
ृ विता अिप।
इित तासा ं ानभदाः ू ूोा महिर॥
े लाः े १८॥
--------------------------------------------
ु
ू े वऽय ं तने सह चतवम।
ूथमवोपिर ितमपण ्
--------------------------------------------
p. 438) ू
सपािण च तथा कथयािम तवानघ।े
ु ु णात॥् १९॥
यने त े साधकाः स वािछत ं ूायः
े े ु लोिहताैिवमहाम।्
ूोाधारपष
े
िवभा तजोिनचय े ् २०॥
े तऽ िसि िचयत॥
तने समभी ु समवाोयतः।
ू
पजातपणहोमािदरिहत ं भावनने वै॥ २१॥
ु ु
परानमिदतमखडािवमशतः।
् २२॥
िनातदीपसाशमानासमीणात॥
--------------------------------------------
ु ु
विहलिलतासशिवमहायधवाहनािदयताः। े
कामरीिनाया
ु
अि े त ु कामरीिवमहािदयता
े
े े े िता। तदनरं
लिलत ैविमतदाकनािपण
ु
भगमािलािदिचऽााचतदशिना तद े कामरी
े च
ू पदश िनाः पिरवारने विहः िताः। एव ं
सय
े तिािवमहा लिलत ैव मािने
भगमािलादीनामििप
तिहदनरिनािााः पदश िनादाकाराः
े भवीित॥ १८॥
पिरवारने िता या
ू े े वै इिै िभः ोकै ः
सपािदिभभावनन
ु
ूावािदपरःसर ू
ं सपान ं तने ूयोगािदकोपिदशित
ू
। तऽ सपािण ु
े अनघ े इित सिः।
तासा ं ानािन इित शषः।
ू ु
यने सानानसानन। े ु िनािनापटले इित शषः।
े ूोष े
लोिहताैिवमहा ं लोिहताकारने ैिवमहवा।ं तऽ
े े िसिं अिभमतािमित शषः।
तजोिनचय। े तने भावननननायः।
े े े
े े ु लोिहताकारं
एतं भवित ूोाधारपष
े
ादपृथतू ं तजोिनचय े
ं िवभा तजोम े
ं पण
सासाधककमणा े भावनया समीिहतफलं
ूाोतीित॥ २१॥
परिमािदना ोकन ु
े परानमपिदशित। तऽ
अखडािवमशतः
ु ु ू े े थने तदाकारतया
कटकमकटािखलभषणािदिवशषपृ
ितकनकसामाऽविददमाकारतया ूतीतषे ु
थने तदाकारतया ित परशििवमशतः।
सकलपदाथपृ
िनवातदीपसाश े
ं दशकालापिरितया
ू ु
िनलपणूकाशपमपलिमित े
शषः।
्
आनासमीणात अनूकाशपादान
इथः।
--------------------------------------------
p. 439) ू े साधयिद
लन े ु ु ्
ैव शभाशभम।
े दविश
ूोबमण े े सतत ं सासाधकै ः॥ २३॥
िस ु सपण
ू े ानने सकलितम।
े ्
्
साधयते परप ु सा ं साधनिसय॥
े २४॥
ू दवे महशान
ॄिह े ू ू
लसपयोः।
िसिं िविवधा ं फलयोगतः॥ २५॥
ानयोः कणा
े ू े ु े
तासा ं तरषायधाशषतः।
ण ु व े महशािन
े े तव सातम॥् २६॥
बमण
ु े त ु वराभय।े
वामदिणयोः ाता ं िभज
पाषाशौ ु षज े चापसायकौ॥ २७॥
चताहौ
--------------------------------------------
एतं भवित अखडािवमशतः
आनासमीणापल ं िनवातदीपसाशप ं
परानिमित॥ २२॥
ू े
लािदना िसय े इने ोकयने ूोिऽिवधानषे ु
साादीना ं ूयोगािदष ु ानिवभागबममपिदशित।
ु तऽ
ू े ाननित
लन े े शषः। ्
े साधयते साधयतािमथः।
े ु े े
तिवशष।
परप ं िवमशाकिमित यावत।् तिवशष।
ु े े सा ं ूा ं
े ं ं ू अपृथभावनयित
उपपयपिवौािभिमिरथः। े शषः।
े
अपिरिाया ं पराया ं शौ ादपृथने
िसायामपरूााभावादालाभा परं िवत इित
वचना तदवे ूािमित यावत॥् २४॥
ू
ॄहीािदना ू ू
े लसानयोः
ोकन
कमणा
े पृित। तऽ फलयोगतः समीिहतफलं ूाोित॥ २५
िसिबम ं दवी
॥
ु
े वमाणायधिवशषान
तासािमािदना ोकन े ्
पृाथकथन ूौित। तऽ अिपशने
ृिविवधकिसी ु
व े इिमित सदायः।
े
महशानीित ु
सिः। े
बमण
ं ु ं ु े
िसचतःसभजािदबमण॥ २६॥
े
वामािदना े े
वायन
े ु ु
ोकयनायधसामापिरमाषाबमािदकमपिदशित। तऽ
ु े िभजान।
े िभज
वामदिणयोः करयोिरित शषः। ु े वराभय े
वराभयस ्
ं े मिु े एतत ूथमािवचन।
ं पाशाशौ
ु चतभजान।
चतवाहौ ु ु ु
े ऊभजवामदिण े पाशाशौ
् ु े चथः।
इतरयोः ूावत वराभयमि े
--------------------------------------------
p. 440)
चखौ ु े गदाशलौ
चाभज ू दशोिदत।े
ु ु
सखपायायधाना ु पसािदवाया॥
ं २८॥
् ता ं दिव
यिन किण े यथा रित साधकः।
ू पालयित तमादरात॥् २९॥
तथा तामतो भा
सऽ रवदननयनाः
े ु ु
शभकस।
ं
दोमा ू ु ३०॥
भीमनयनवदनाः बरकस॥
ु े ु कासीना
शभष िता वाहनगा अिप।
ु े े ु ताः साः ूयोगषे ु त ु सदा॥
शभतरष ३१॥
--------------------------------------------
ु
षज े चापसायकौ षडभजान ् ु
े ूावत ऊभजयोः
तदधःयोः ूावराभयमिु े च।
पाशाशौ
चखौ ु े अभजान
अभज ु ु
े ूावभजयोः
पाशाशौ
तदधःयोः ूावापसायकौ
े चखौ
तदधयोवामदिणबमण तदधःयोः
ु े गदाशलौ
ूावराभयमि। ु
ू दशोिदत े दशभजान े
ु
ूावभजयोः पाशाशौ
तदधयोापसायकौ
तदधयोमखौ े
तदधःयोवामदिणबमण
ू तदधःयोः ूागवराभयमिु े च।
गदाशलौ
ं
पसादीऽािदशः ं े
ूोिवषयसतरिवषयः॥ २८॥
े
यििािदना ोकनािभमतकिण
ु
तासामिभमतिसिूदमपिदशित। ू
तऽ त साधक। भा
े
इ तथा इननायः। ू े २९॥
आिवभयथः॥
े े
सवऽािदिभमहरी ु ोकै ः
रै तिभः
ु ु ु सामाानमपिदशित।
शभाशभकमस ु तऽ सवऽ
े े
ं सवऽान
इतसामा। ु ु ान।ं
शभकमस
ं
दोमा ु ु ु ानम॥् ३०॥
इरानाशभकस
ु े
शभिािदना ोकन ू
े ोकपवाापादन
े
ु ु ान।ं िता इािदना ोकाविशपादऽयण
शभकस े
तिदतरानम।् अिप अिपवथः।
े रमय ैिरतलयािदऽयाणा
े ं
े
िवशषणम।् िदाशकधरा
ं ु े
इऽ िदं तविदिभः
कै िशा ात।् सवाः सपिरवारा िनाः। अऽ भषणाना
ू ं
--------------------------------------------
p. 441) े ु
हारम ैवयरािदमििका ू ु
नपरािदिभः ।
नवरमय ैः सावकै ोपशोिभताः॥ ३३॥
ं
गजवािजरथाढा िवमाना िसहगाः।
ायतासमाढा े रास ु सदा॥
या ३५॥
े दवताः
ाया े साः सशििभरावताः।
ृ
ु भवित िनितम॥् ३७॥
एकै कशः समा वा सखी
ऋवानरभकखरसौिरभवाहनाः।
ू
उाटनषे ु साा
भीमा याः ु
े सदाणाः॥ ३८॥
--------------------------------------------
ु
नामाारापादादवगािन। एतािन भषणािन
सवूयोगसाधारणािन। े
महरीित े ु
दवीसिः॥ ३३॥
े
िवशषिमािदिभः ैः सिभः
समीिरता इरै ा
े े े ु
ू ूयोगिवशषष
ोकै िवशषानूावपव
े ु
सामावाहनभदानािदकमपिदशित। तऽ िवशषे िमान
े
िवशषान ं ूौित। अऽ िवशषे ं सामाने ूोपािदित शषः
े
॥ ३४॥
े
गजािदिभिनितिम िै िभः ोकै रािदष ु
े ु
वाहनिवशषानािदकमपिदशित। तऽ रास ु आरािित शषः
े
ु ृ
। राादीऽािदशः परमामनगरपनखवटगहािदिवषयः।
ं
ालादीऽािदशः िसहतरािदिवषयः। एकै कशः समा वा
िनास ु षोडशभीा ं िना ं पिरवारािदसिहता ं सवाः
े ु े ३७॥
पिरवारसिहता वा। िनितिमनामोघफलमत॥
े
ऋािदना े
ोकनोाटन े ु
े वाहनभदानमपिदशित। तऽ
ु
भीमा िवमहािदिभिरित। सदाणाः
कणीित े
शषः॥ ३८॥
--------------------------------------------
p. 442) े
कँयनकबौकाककौिशकवाहनाः।
े े ु सवाा
िवषणष ु
घोरूहरणाकलाः॥ ३९॥
ु
खगोमायशललीगवयाहिरणागाः।
्
िचयते सकलाः ु ु साधकः॥ ४०॥
सिकस
े
िपशाचवतालगा े सऽ मारण।े
याः
े े फलभदाः
इित वाहनभदन े समीिरताः॥ ४१॥
सवाागता ु
विवायहयािताः।
े े
िनऽाकवदना ं
दोमा भीमिवमहाः॥ ४२॥
े ाकारशििभः।
दहो वैिरिनवहं याः
े
भीमरावािभरिभतो विता ु
रणमिन॥ ४३॥
े
िवजयी भवित िू ं वैिरसनािवनाशतः।
्
पलायनोगहनात पादयोः पतनने वा॥ ४४॥
--------------------------------------------
े
कािदना े े ु वाहनभदानमपिदशित।
े िवषणष
ोकन े ु
--------------------------------------------
p. 443) ु ु अभजा
चतमखा ू ्
ु िछः महत चमम।
िवभा वा जय यु े ूाोबमण
ु े वै॥ ४५॥
ु ु वा भीमिवमहाः।
नवाननािगणभजा
वामैः कोदडिनवहम ैः ख िवॅतीः॥ ४६॥
े ं सकला ं शरिभकलवराम।
ाािरसना े ्
वमििधरधारा
ु ु ् ४७॥
िवजय ं ूोमायात॥
े
अथवा नविभः खटम ैः ख िवॅती।
ु
चतरिरपोः े ं िछतीरवािरिभः॥ ४८॥
सना
ु
ूाोयतः िू ं ूागबमयोगतः।
ैगदा
अथवा नविभह वामैथतरै
े ः॥ ५०॥
्
नखरान पािणिभभमा दधतीः समरे रन।्
ु ं सना
तिचतरा ु ् ५१॥
े ं िवजयमायात॥
ू ु
तथा शलकठारौघ ैः पातयीिषा ं वलम।्
िवजयी भवित ूोबमाारे रणाण॥
े ५२॥
तथ ैव चिरकािनवहै ्
िनतीवलम।
ू
ाा वा िवजयी भयात ्
समर े ५३॥
े रोमहषण॥
--------------------------------------------
ू िछ
दिणकर ैः खैः िचयि पवऽ
े
इननायः। ं
आटोपः सरः। ू
ूाोती पवऽ
े
िवजयिमननायः। ु
ूागबमयोगतः े
वैिरिवनाशािदतमन।
्
अथवा ूावत पार ु
े तथा ूावििपिवनाशािदना।
इतरैदिण ैः
ू े िरननायः।
पािणिभिर पवऽतरै े भीमा िवमहािदिभः।
ु
तिचतराासा
ं शीना ं दिणक नवहनखरैिभ
चतरा। ु
ु ं िवजयमायािद ू तथा इननायः।
पवऽ े तथा
ु ू ु
े शलकठारौघ
ूावामदिणभजिनवहबमण। ैः
ू
शलौधः ु
ै कठारौघ ै। ूोबमात ्
--------------------------------------------
p. 444) िनिाितिमरहा वा मोहयी िषा ं वलम।्
ाा िवजयमाोित िनयत ं समरे नपः॥
ृ ५४॥
िपशाचसपहा े मृदतीः रन।्
वा त ैः सना
िवजय ं समरे शदतु े शरोपमः॥ ५५॥
पाशकिरकािभा िनतीः पृतना ं रण।े
ृ िवजयमाोित नपः
ा ु ् ५६॥
ृ ूोबमाद ् ीवम॥
अशबकचाा
दारयीमःू णात।्
्
िचयन समर ् ु ् ५७॥
े मीम े िवजयी ात सिनितम॥
ं ूहरीिषा ं बलम।्
ु िन
हलै मशलै
्
रन ूिवजय ं यु े ूाोित ानवैभवात॥् ५८॥
ु
ं ािभयताः।
तथा षोडशवाा ािऽशै
्
ूावत ूमिथताराितपृ ् े ् ५९॥
तनाियन जपत॥
ं
पिवशितवा ु ं ु
वा पाशजसयताः।
ु ै ् ६०॥
रायधिनतीलम॥
त ैथ ैकादशिभभदै
--------------------------------------------
े ु
े तथ ैव वामदिणभजबमण
सनािवनाशातमूकारण। े
चिरकािनवहै ः िरकािनवहै। वलं
ः चिनवहै
ू
िरपनािमित शषः। े वीराणािमित शषः।
े वा िवक।े रोमहषण े
े िपशाचसपहा
िनिाितिमरहा वामदिणबम े नथः।
े अतु े ूाोित। पाशकिरकािभः
े े शषः।
वामदिणहबमणित
वामदिणहिनवहािभः। ूोबमात ्
े े अशबकचाा
ूावैिरसनािवनाशातमन। ं
े हलैः
वामदिणहिनवहाािमित शषः।
ु
वामभजिनवह ु ः दिणभजिनवह
े मशलै
ैिरित शषः। ु ैिरित
ु
े तथा ूागविवाािदष
शषः। ु
ु े े ु ु े दधाना इित
हलमशलाकादशिवधायधयहबमण
यावत।् ताः शीः। ूावैिरसनािवनाशािदतमन।
े े
ः विवायािदिभिरित शषः।
एकादशिभभदै ू
े वलं िरपणािमित े
शषः।
ू
िविच इ पवऽ
--------------------------------------------
p. 445) नपः।
िविच जयमाोित समरे सवदा ृ
ं ु ः पजयादाऽमह॥
तथा रणसयै ू े े ६१॥
ं
षिशदना दवीि े ्
े सितकराः रत।
ु
तथ ैव दशप ै ैवारै ः ूहरण ैयताः॥ ६२॥
ु ैयताः।
एकोनपाशा ह ैिगण ु
् ृ जयमवायात॥
ूहरीथारातीन ा ु ् ६३॥
ु ु दवीः
चतःषिमखा ु ैयताः।
े करैिगण ु
ूहरीः रदे ् यु े जयी भवित िनितम॥् ६४॥
ु दवीै
एकाशीितमखा े ु
गयभज ु
ु ैयताः।
् ु े जयी भवत॥
तथािवधःै ूहरण ैः रन य े ् ६५॥
ु े ु
शतवािगणकराितिभयताः।
ृ िवजयमाोित समरे ता षोडश॥ ६६॥
ा
ु े िरपतः।
एव ं वकरैयानकै
तथा त ैहितिनवहै ु
ाकलबमहकै ः॥ ६७॥
ं
असाता े ु
भवयाः साधकाभीिसिदाः।
ु ं
एवसामसमरसकटािदष ु िचयन॥् ६८॥
--------------------------------------------
े
िनतीिरननायः। ं ु ः पजयाः
तथा रणसयै ू े
ं ु ः
ूोपपान सयै
ू ं
साधकै िमहािदिभपलिताना ं तासा ं िनाना ं पजा
े तदा समरकाल।े तथा
कारयिदथः।
े ु ैरनवितस
े तिगण
ूावैिरसनािवनाशािदतमन। ं ैः
ु ं ु ं ैः।
। तिगणरािवशरशतस
ु ु ैयताः
तैगयभज ु
ु िषरशतस ु
ु ैयताः।
ं ैभज
ु
तथािवधःै दहनािदिभः। तिगणकराः ं ु
शतयसभजाः।
े
तितिभः ू कादशिवधहितिभः॥
पवै े ६६॥
एविमािदिभिनितिम ु ोकै ः
ै तिभः
ं े
ूोसामरणािप ं ु े े
वाितसवभजािदिवशषसिहतन
ु ु े समरिवजयूयोग ं तऽ
ाकलबमायधािदानन
े ं
साधकिवशषाोपिदशित। े
तऽ एव ं ूोबमण।
ु
ाकलबमहकै ः
--------------------------------------------
p. 446) े
दवीारित ु
िूमापदो मनजोऽथवा।
दवो ु
े वा रासो यः िकरो वा भजमः॥ ६९॥
ु
िपशाचो वा गको वा िसो वा दानवोऽथवा।
्
न कदािचत रि ं भमाोित िनितम॥् ७०॥
े
चोरािदसटऽरय
े िगिरगमविन।
ैः क
ििवधविरिभजात
ै ृ े राजभयऽथवा॥
े ७१॥
ु
िपीडास ु भतापारराससट।
ू े
ृ े ७२॥
िपशाचडािकनीवॄरासपीडन॥
े
अिप ृ े ु िवरषे ु महिप।
च कष
् िवपदो ानवैभवात॥् ७३॥
रि ं यजते सवा
ु साधकाभीधािरकाः।
एकवा िभजाः
ू
सपाकाः समाग सवाभरणभिषताः॥ ७४॥
समानािभरिभतः शििभः पिरवािरताः।
ृ े ु वनमालािभरिताः॥ ७५॥
गायीिभ नष
ायिभमत ं सवमायात ्
ु षोडशािप ताः।
ु े ानादासा ं महिर॥
नासामि भवन े ७६॥
--------------------------------------------
े े शषः।
वासनापटलूोूकारणित े
ं
उामसमरसकटािदिऽािदशो ु
वादयसटािदिवषयः।
े इतत
दवीः ् ू िचयिननायः।
े पवऽ े
ु ु
इमभीमखकरायधािदपतः। भं पराजयम॥् ७०॥
े
चोरादीािदिभमहरी
ःै षिः ोकै िनाना ं
ु
े े सवापारणूयोगमपिदशित।
ानिवशषण तऽ चोरािदसटे
ृ
इऽािदशो ायािद िवषयः। ििवधःै सहजूाकता ैः।
ु
िपीडास ु शऽिभः ु
ु ूयकालभािदसमवपीडास।
ु ु
अषे ु आािकािदतापऽयाकष।
े ु इ ं
वमाणानूकारण। ु
े िभजाभीधािरकाः ु
िभजाा ं
साधकाभी ं दधानाः। समानािभः
िनयनािदिवमहिवशषे ैिरित शषः।
े ता िनाः। आसा ं िनाना।ं
े
महरीित ु
सिः॥ ७६॥
--------------------------------------------
p. 447) अलतहयाढाः
ृ
शििभ तथावताः।
े
रानना गायीः ा े ् ७७॥
ृ िव ं वश ं नयत॥
ृ
तथािवधा गजाढाथा शििभरावताः।
ृ ं ु
सीतासमिहलावसकलमगाः॥ ७८॥
ृ लीमवाोित राजमाामितिराम।्
ा
े ं ूातिनजवैभवाम॥् ७९॥
नानाभोगसमोपता
ृ
तथािवधरथाढाथाशििभरावताः।
ं ृ
तथा सितससशिवसमिताः॥ ८०॥
् ु
रन भवमवाोित राजा वै वैिरमडलम।्
् ु ं यशः॥ ८१॥
एव ं तििवधानात सौभायमतल
--------------------------------------------
े
अलतािदना ोकन ु
े िववशीकरणानमपिदशित। तऽ
ृ अलतहयाढािभः
शििभ तथावताः ृ
शििभः पिरवताः॥
७७॥
े
तथािदना वैभवािमने ोकयने
ु
लीूािूयोगानमपिदशित। तऽ तथािवधाः
ु े
ूागिनऽािदिवमहिविशाः। गजाढा लतगजाढाः
ृ अलतगजाढािभः
तथा शििभरावताः
ृ
समानिवमहािभः शििभरावताः। ृ ं
सीतासमिहलाव
ं ृ
नाम सगीतासयोिगनीवम।् अितिरा ं राजचौराूधा।
ृ ं
े ं
नानाभोगसमोपता
े ैोगशािदिभ समोपता।
नानाभोय ैििवशष े ं
ु
ूातिनजवैभवा ं आकार गणिवादपपौषािदिभिरित े
शषः॥ ७९
॥
े
तथािवधािदना यश इने ोकयने
ू ु
भिमूाािदकूयोगानमपिदशित। तऽ
तथािवधरथाढाः ूावदलतरथाढाः
तथा
इथः।
ृ अलतरथाढशििभरावताः।
शििभरावताः ृ तथा
ं ृ
सीतससशिवसमिताः अलतरथाढा
ं ृ
सगीतािदरतशिवसमिाः। भवु ं अभीािमित शषः।
े
ु
वैिरमडलं शऽरा।
ं एव ं तिवधानात
ृ ्
ूोबमालतहयगजरथाढानात।
् अतल
ु ं िनपमम॥् ८१॥
--------------------------------------------
p. 448) े
कदलीकाननऽरय े िनजन े ताथा रन।्
पाकासचरणा आगि शििभः॥ ८२॥
्
मडलं मासम वा जपन िवा े ्
ं ततो िवशत।
ं
िनिध ं सूा भवन ु ् ८३॥
ु े भोगी ाद ् यावदायषम॥
ू
पगाराम ृ िनिधमाोयतः।
े तथा ा
ु े ु े
एव ं चकपागनमवकलिप॥ ८४॥
ु े ु ताः ा
तथा पवतकष ु
ृ िवमायात।्
ु े
समितीरऽरयष ्
े ु तथा िन ं रन िधया।
ूाोनघरािन बिन ानवैभवात॥् ८६॥
ु
समिगासिरतवाटीष ु ताथा।
्
रन कनकमाोित ं ् ८७॥
वणमसकम॥
ृ
--------------------------------------------
ु े ोकयने
कदलीािदना आयषिमन
ु
िनिधूािूयोगानमपिदशित। तऽ ता िनाः। तथा
ू े
पविनऽािदिवमहिविशशििभः े शषः।
सहित े मडलं
े
ूावदकपाशिनािन। अ मडलमासयोः। वा िवक े
् िवा ं िनािवाभीािमथः।
यावत िसीथः।
यावदायषु ं यावीवम॥् ८३॥
ू े
पगािदना े ूोानने
ोकन
ु े ु
िनिधूाामानपकिवशषानपिदशित। तऽ तथा
ू े
अनरपवूकारण॥ ८४॥
े
तथािदना ोकन ू
े पवानन
े
े ु
िवूािूयोगािदिवशषमपिदशित। े
तऽ तथा ूोूकारण।
पवतकष ु ु ता िनाः। राजतः राजसकाशात।् यनासौ
ु े ु पवतगहास। े
् ु िचरं यावता धनने साधकः िचरः सखी
ात सखी ु
८५॥
ाावनिमथः॥
ु े
समिािदना े
ोकन
ू े ु
पवाननानरूािूयोगमपिदशित। तऽ तथा
ू े
पवानूकारण॥ ८६॥
ु े
समिगािदना े
ोकन
ू े ं ु
पवाननासातोमकनकूािूयोगमपिदशित। तऽ
् े
तथा ूावत ानूकारण॥ ८७॥
--------------------------------------------
े ू े ु गजाढाः ा
तषष पान।्
ृ नारीनराृ
ु े ूािणना िवशषतः॥
वशीकरोित भवन े ९०॥
ं
पटाापय े सापयथा।
ं े
ु ् ९३॥
रथदिहयाना ु ितररिणकायतान॥
ं ु सक ् ूदशयत।
ु े त ु ता
ूितस ैािभस े ्
े ् ९४॥
वळािलिखतिनशानभरीपणवमलान॥
--------------------------------------------
े ू
े पवानन
िनजनािदनाोकन े
ु
मिहलाूािूयोगानमपिदशित। ृ ूोूकारणित
तऽ ा े े
े ूमिनाः
शषः। े े
ूमपरवशाः॥ ८८॥
े
उिािदिमरािदत इ ै ििभः
ृ
ोकै नपािदवशीकरणसिहत ु
ं िनगडािदमोचनानमपिदशित। तऽ
े ु तषे ु ानषे ु अनरपवष
उष ू े ु कदलीकाननािदष ु
े ु तषे ु दशस ु ानष।
िनजनिविपनाष े ु तषे ु उष ्
े ु ूावत ानष।
े ु
े
ूािणना िवशषतः ु
सरनरमृ े े सवान ्
गपिसरीसृपािवशषण
्
ूािणन। तषे ु ूावत ानष।
े ु िनगडािदत इऽािदशो राजािदिभः
ृ े
कतवनिवशषािदिवषयः॥ ९१॥
े
शतािदिभरनघ े इःै पिभः ोकै ः
े ु
समरिवजयूयोगिवशषमपिदशित। तऽ वाितािन पिरिचितािन। ता
ं े ु ट
िनाः। नवस ु नवसष। ु ं स
ु ं मपय
े
ं े ् तथा रथदिहयाना।ु तषे ु नवस ु
सापयत।
े
पटरथादीना ं ऽयाणा ं म े
तामदपापय े
--------------------------------------------
p. 450) ्
आह वहयन शकाहलकािदकम।्
ु ्
े ं ु पा जात ु भवित ीवम।
तनासमखा
े े किथतािन तवानघ॥
इित ानाशषण े ९६॥
ु ु
समिममाोित शभानशभानिप।
ु ु
तथा सषा े गमागमम॥् ९९॥
िचया
े
तनािखल े ु ूाोित ानवैभवात।्
ं िनज
े ु ृ ् १००॥
साधक तथा िसयोरवाशिसिकत॥
--------------------------------------------
् सापयत।
च ऽीन ऽीन ् ं े ् ितररिणकायतान ्
ु ितररणीिभः े शषः
सहित े
् पटािनित
ु े तान नव
। ितररिणका नाम ूावरणपटी ूितस ैािमम।
े वळािलिखतिनशानभरीपणवमलान
शषः। े ्
े ु
िवजयािनापटलोसमरिािदचतनविततमािदोकऽयूो -
े
ूकारवळयणािलिखत
े पणवमलिनवहान।
िनशानभरी ्
े
काहलकािदकिमऽािदशोभािदिवषयः। ् े वैिरसना।
तत सना े अनघ े
ु
इित सिः॥ ९६॥
ू े
सािदिभः ृ
िसिकिद ु ोकै ः
ै तिभः
ु
ूावपरःसर ू
ं सान ु
ं तने ूयोगािदकमपिदशित। तऽ तत ्
ू
सानम ् े
आधारिित े त े
शषः।
े ु
े िनजवाानपक
िनािनवहाकतजोम। ं
ु ु ् तथा तजोपतया।
समीिहतकानगणम। े ु ु
सषाः
ु ु ु ं साम।् वा िवक।े
े तिजवाानप
सषानाडीम।
ू
गमागम ं मलाधारािदॄरा ं
ू
ॄरािदमलाधारा ं
ु ु े े तने ूोोभयूकारण।
ममरारोहावरोहबमणथः। े
तयोरवे इऽ एवकारण
े सा
ू े ु े १००॥
सपानूयोगनिधकारमत॥
--------------------------------------------
p. 451) ृ
ूकामयी ाििरित सक ् समीिरता।
् १०१॥
अा िनफालनाि े तं ासातम॥
ृ
ु
इित षोडशिनात े ौीकािदमत े चतिशित ू
पटलं पिरपण
परामृम।्
--------------------------------------------
इित षोडशिनातषे ु ौीकािदमता पिरपण
ू त
ं
ूपसारिसहराजूकाशािभधानन ु
े ौीसभगाननाथन
े
िवरिचताया ं मनोरमााया ं ााया ं
ु ं पटलम ्
षोडशिनाानूपूकाशनपरं चतिवश
ू परामृम॥् २४॥
पिरपण
ं
मसा। े ं ु े यािण न भवि च।
पटलऽितिवश
ु
ाामाः षोडश रिधका े शतयात॥्
ं पटलम।्
पिवश
अथ षोडशिनाना ं षिशिवमहै
ं ः।
वणिनत
ै ैः कालाता ं बमात॥् १॥
ैय
ं नानाभीािकारणान।्
कथयािम ूयोगा
े
यानोपािभदाा
ं माः िसि विणनः॥ २॥
राः षोडश िनाः ःु कािदााः रािताः।
तषे ु तािन षिशगा
ं नाथनवािकाः॥ ३॥
--------------------------------------------
ू
पविन ् ु े पटले षोडशिनाना ं ूयोगषे ु
चतिवश
ु
ानािदकमपिदँयानरं षोडशिनाना ं
ं
षिशप ू ू े
ैाािवभतवणोगभतभदोन
्
ैय
न ैम ै कालाकं त ैः
े
ूयोगािदकोपिदशथषोडशािदना िशव इने
े पिवशन
ोकशतपण ं े पटलन।
े तऽ अथािदना
े विणन
ु
इने ोकयने पटलाथादनभावोपिदशित। तऽ
षोडशिनाना ं षोडशराणा ं षिशिवमहै
ं ः
ं
षिशनारै े शषः।
ः ाित े
ं ैः सजात
वणवमाणस े तिनत ैः तषा
ं ैिरित शषः। े ं
ं
सयोग े
भदजात ैः। कालाता ं कालपता ं
े
यानोपािभदाा ु े े
ं आरानसानभदन
ू े वणवामाऽाः।
े े च विणनः
वापजािभषकहोमािदभदन
वासनापटलवमाणाः सािदिवहीनाः॥ २॥
े षोडशराणा ं षोडशिनािभः
रा इािदना ोकन
ं
षिशनाना ं षिशः
ं ं
ै मातृकानववगाना
ु
नवनाथ ै तादामपिदशित। तऽ रािताः
ं ु
अकारारसयताः। ककारािदकारााना ं
ं
पिऽशदराणा े सह
ं खरण
ं े
षिशाकनोभयाकादाक
ूथमरािप
े ु ं
रनाकनोभयाकमीपरसूदाया
ं
रसया ूथमर एवाऽ िववित इित यावत।् तरवधारण।
ु े
ु ये
एतं भवित य े षोडश रा एव षोडश िनाः ः।
ं
षिशनवणा एव षट ् िऽशािन
ं ु ये
ः।
मातृकाया नवाका वगा ु
एव नवाका नाथाः िरित॥ ३॥
--------------------------------------------
िनाना ं तसयोग ं
ं े वणसाः समीिरताः।
ु पणता॥
षा पशत ं ताै
ं ू ५॥
ं
ताना याणा ं तावदै ु पणता।
ू
ू ृ ु ् ६॥
पणकालसमावियगकािदनामभाक॥
ृ
िऽसहॐसमावा ृ ु
ूोः कतयगाबिधः।
ु ु
त ताशताशहाा े
ऽतािदसवः॥ ७॥
--------------------------------------------
ू मातृकाया
अािवािदना ोकपवान
ु
नववगपमपिदशित।
तऽ अावौ खरे वगः।
े े को वग भवित।
अिभरिमररैः रकै
ु
विशादीना ं मातॄणामवगाि
मातृणािमरान ं
मातृकाराणा ं अवगपोपिदशित। तऽ मातॄणा ं
ु े रैः षोडशिभिरित शषः।
विशादीना।ं तरवधारण। े
ू
पववरं कािदाारषे ु पिऽशष
ं ं े ु
नषे ु वगूोपण
े पिभः पिभरकै
े को वग भवित॥ ४
॥
िनानािमािदना नामभािगने ोकयने राणा ं
े
नाना ूकयोगजाता ं ं तणाना
ं वणसा ं
ं
ताना ं मातृकाचबाणा ताै
ं ं
ाि
ं ृ े ु ं
तानामानामावरवारयगकािदसाोपिदशत ्
ं े ूक
इ। तऽ िनाना ं तसयोग े ं षोडशराणा ं
े
ूकमकारािदकारा ं
ःै षिशनारै ं े
ः सयोग
पणता े ु ं
ू तषामसाना
ं वणानािमित े याणामिन ्
शषः।
पटले विमािदना
ृ े े
समीिरता इनाािधोकयन
ूोाना ं ताना
ं एतं भवित
ं चबाणा िमथः।
ृ ु े ु ूितयगमार
कतािदयगष ु षिधकपशत (५७६)
ं
साना ं ताना
ं वणाना ं ं मातृकाचबाणा
ं ै
तदाकने त ू भवतीित।
ं ैरैः पणता
ु
यगकािदमभाक ् यगकािदसा
ु ं भवित॥ ६॥
े
िऽसहॐािदना े ूोमडलासमावििभः
ोकन ृ
ृ ु ु
कतािदचतयगानामाना ं ु
ं सामपिदशित। ृ ु
तऽ त कतयग
ू
। एतं भवित पणकालााना ं षिधकपशताना ं
ृ ं ं
सहॐऽयाविजिनतसाािवशितसहॐािधकसदशलवष ्
ृ ु भवित।
ऐः (१७२८०००) कतयगो
--------------------------------------------
ृ ीिरताः।
४५४) मायाधरािवातैः कताणाः
् ं ु
तान िदनारसयायोनौ े ् ८॥
समािलखत॥
ु प प समीिरताः॥ ९॥
वामोदपाष
ु
तगाणाान े पण
े विताः।
नषे ु त ु सऽ सिाः
ु ं ु
ने सयताः॥ १०॥
--------------------------------------------
ृ ु
कतयग ु
ताशहाा
ं ु
ािऽशहॐािधकचतलिवहीन ृ ु
ैतयगाै
ः
षणवितसहॐोरादशलिमत ैवष (१२९६०००) ता ु भवित।
े यगो
पनः ृ ु ु
ु कतयगताशूोवषिवहीन
े ु ु -
ैतायगवषतःषि
ु तत ्
ु भवित। पन
सहॐोरालिमत ैवष (८६४०००) ापरयगो
ृ ु ु
कतयगवषताशिवहीन -्
ैवषर
ैापरवषदिमत
ं ु
ािऽशहॐािधकचतलिमत ैषः ु भवित।
(४३२०००) किलयगो
तषा ू िवशित
े ं सय ं ं
सहॐािधकिऽचािरशवष (४३२००००)
े ु ु भवतीित॥ ७॥
रकतयगो
े
मायािदिभः ं ु इिै िभः ोकै ः
सयता
ृ ु
कतािदयगिवमहवणान ्
तणाना ्
ं अिन पटले
े ु वमाणघिटकावणः सह
वमाणघिटकाचबष
े
लखनबमािदकोपिदशित। तऽ मायाधरािवातैः माया
िवसजनीयः , धरा उकारः अििरकारः वातः अकारः, ं िबः।
ु बमात ्
एतं भवित अः उं इं अ ं इित चतवणाः
ृ ु ु
कतािदचतयगिवमहा ् ु
भवीित। तान यगाणान ् ं ु
िदनारसयान ्
घिटकाना ं िदवसावयवात।्
ं ु मयोनौ
वमाणघिटकारसयािनथः।
े िदनाणष ु ूावत ्
वमाणघिटकायाणािमित शषः।
ु राः
घिटकाणष।
िवसजनीयरिहतवमाणघिटकाकपदश राः।
ु
िबपाः िवाकारिलिखतपाः। वामोदपाष
े
पावमाणघिटकायाणा ं मयोनौ दवताया े
इित शषः।
तान े समयोिनम े ूावत।् एतं भवित
वमाणघिटकारयषे ु घिटकारने कदािचत ्
रपारे लखनीय
े े सित ताणा ं मयोनौ दवताया
े
वामपृदपाष ु प प चाीकतष ् ्
ृ े ु तान वणान
ं
वामपावाशमार अकारादीना ं पदशराणा ं
ं े
ान ं पिरक घिटकारने तालायातराश
एकिबं तदाकने िविल
--------------------------------------------
p. 455) ु े
सवऽ यिवासूिताानमह।
ु
िनमहे वािवास ृ ् ११॥
े गभासिसिकत॥
े
े
आर भानोदयमकशो घिटकाबमात।्
एकै कं मातृकावणपाशिरवितः॥
ृ १२॥
--------------------------------------------
ु
तदा तालायातयगारं म े दवताान
े े पण े ्
े िलखत।
नषे ु घिटकारने लखनीयिित
े े शषः। ्
े सऽ अिन पटले
ु े े पण
घिटकारयगारयोिवलखन े ् नषे ु
े िलखत।
ु
सिाः ु
सिसाः
तासिकावगाः
्
अिवभपा इित यावत।् एतं भवित अिन पटले सवऽ
ु े े घिटकारं रपते ्
घिटकारयगारयोिवलखन
े वामािदपाष ु रपघिटकारं
ूोपूकारण
ाश ु पण
ं े िबप ं िलिखा मयोिनम े यगाण े
े ् न ं चयोिनम
िलखत। े े तने घिटकारपण
े
नने यगाण ् ु
ु ूावत सिस ृ ु े
ं कतयग
े ु सिवकं िलखिदित॥
सिवसजनीयिमतरष े १०॥
े
सवऽािदना ोकन ्
े घिटकाचबाणा ं िविनयोग ं तत फलािन च
े ्
ृ गभास
उपिदशित। तऽ गभासिसिकत े इिसिकिदित
ृ
े
पददः। आगमाना ं सििदादािभन िवचारणीयः॥ ११॥
े
आरािदना ूवत इने ोकयने
मातृकावणचब े
घिटकाकने ोितबण
ु
ािबममपिदशित। े
तऽ भानोदय ं लायािमित शषः।
ृ
पाशिरवितः
अकारािदकाराानामरविजताना ं
वणाना ्
ं पाशत पिरवितः।
ृ ृ
ताः पिरवििपया मातृकायाः
। एतं भवित ूितयगु ं यगूथमिदवस
ु े
े मातृकाया
लाकदयमार ैकै कघिटकाबमण
अकारािदकाराािन िवसजनीयररिहतािन पाशदरािण
पाशिः घिटकािभि। अ ए च त य इित पमातृका
घिटकापारायण े याः।
े ु
पनरिप
ूथमिदवसिशघिटकािभदशिभरकारािदलकाराािन
ृ
ु
दशारािण समि। ितीयिदवस े
े े
ूावदकदयादकादशारमकारमार
ं
िशचािरशदरािण ं
चािरशिटकािभः ु
समि।
ु तीयिदवस े शषघिटकािभिवशितिभरकारािद
पनि े ङकाराािन
ं
िवशरािण ु
समि। ु ृ
पनतीयिदवस े तदनरं
--------------------------------------------
p. 456) ृ
िदवस ैः पिभाः षडावा उदीिरताः।
ु
एव ं यगािदमार े १३॥
कालााणः ूवत॥
्
योनौ िऽकोणमािल तिन योिन े ्
ं समािलखत।
तषे ु पायिनाणवणानािल
बातः॥ १४॥
--------------------------------------------
ं
चकारािद िऽशदरािण ं
अकारािद ण काराािन िऽशदरािण च
ु
समि। चतथु िदवस े तदनरं तकारािदिवशरािण
ं
ं
अकारािदमकाराािन चािरशदरािण ु
च समि। पम े
िदवस े तदनरं यकारािददशारािण अकारािदकाराािन
ु
पाशदरािण च समि। ्
एव ं बमात पिभः
ृ
पिभिदवस ैः मातृकायाः ूोपिरविबमिपयाः
ृ
षडावयः सवीित॥ १३॥
े
योनािवािदिभरयोयत िै िभः
ोकै घिटकाचबिवरचनाबम ं तऽ
ु े िवालखनबम
यगपायिदवसघिटकाभदतो े ं तबे
षोडशिनाचनावँयकता ं तदकरण े
ु
साधकायोयताोपिदशित। तऽ योनौ ािभमखामिऽकोणम े
ु
। िऽकोण ं ानिभमखामिऽकोण। ् े योिन ं ूावत।्
ं तिन त।
तषे ु वाावरणममावरणयोयिनिऽकोणपयोिष ु कोणष।
े ु
्
अनरवमाणसास
पायिनाणवणान ं ु िवास ु
ं ं िदनूािवाणऽय।
गतपायसाूािवाणऽय
े शषः।
वातः वाावरणमारित े म े मयोिनम।े
िन ं ूितिदवसम।् उमा िनिनिमा
ु
ु
ूितिदवसमनावँयकतामपिदशित। े ु
उष
पवपविण
यावत।् मासमाऽण
ु ूितपवित
पवस े तषे ु पवस
ु
्
ूितमासमतमिन पविण। ं
अऽ ममाधमपयोिवधान
ृ े े अयोयता ितीय े पटले
राोभिभाािदकव
ृ
सहॐिमािदना सिततमोकोरानोूायिमका
िनभजनािदष ु साधकित
े शषः।
े अयमऽ
े व
घिठकाचबिवरचनाबमः। इमानॅमण ृ ं िना तऽ
ू
ूाॄसऽमाा े
तदमानन
ू ृ
ूाॄसऽामवसिमव ु ं
तपायोियग
ृ
ृ तियगतामयगु ं ितकसऽमाा
का ृ ू
तदमयादार
--------------------------------------------
p. 457)
उमा िनिन ं िह ममा पवपविण।
अधमा मासमाऽण
े मासामयोयता॥ १६॥
--------------------------------------------
ू
ॄसऽपिमामाविध ू
सऽय ं िव योिन ं िना
े
तोिनवामदिणपारखामगतामया े ं
ं ितमखा
ृ तदमयाोनःे
का
े ू
ितमखामासऽयिवासािकोण ं िना
तिकोणपायमगतामय ् सऽू ं का
ं ितक ृ
े
तदमयादार तिकोणितमखामा ं सऽू
याालनने मयोिन ं का ू ृ
ृ ॄसऽव
माजिया
एव ं घिटकाकालाकं चबं िना तऽ
े े कोणऽयषे ु पविवागत
वायोनरमाूादियन ू
पायािारऽय े ु
ं िविल तदगतिऽकोणकोणष
ू े िनािवारऽय ं िविल
पवामाूादियन
तदगतयोिनम ु
े तिटकाणन ूागूकारण
े सिहत ं
ु िविल तऽ कालाके चबे नानाान ं मनोम ं
यगाण
े ं
तिि इकादशारवाजिनतसा े
(९४६७५०५००००) भदािभ े
े
ूोकाले षोडश िनाः समयिदित॥ १६॥
ू े
पणमडलािदना बमािदने ोकयने
ू े े
पणमडलवणरयोगिवशषूिबयावशन
ु ु
जातारािपरािवाासामनभावोपिदशित। तऽ
ू अ आ इादीिन ं ः इािन षिधक
पणमडलवणाः
ं
पशतसारािण। ूथम े ूथमारािण
आिदतः बमात ्
े वावने भवतीथः।
िवानािमित शषः।
ं
अकारािदबमतः षिशवणाः ु अकारादयः
ूागा
ावणाः तितीया वणाः कामराजाकाः मता आकारण
े
ृ
कतसिका े तृतीया िलिपिरित शषः।
इित शषः। े तासा ं िवाना ं तृतीया
वमाणसाास
िलिपः सवतः ं ु िवास ु विः
ं
विसािलिपः इकारः तासा ं िवाना ं शिबीजने िता
एव ं उूकारण
इथः। ु सया
े िऽपराः ं े े शषः।
पणित े
्
एतं भवित अिन पटले
--------------------------------------------
p. 458) ु
एताः पकमारो पीठे सा
ं ू े ्
पजयत।
यऽ तऽ गदालीमहिभशाऽवाः॥ १९॥
ू
भतापमृ ुृ
काा ु े
न भवि परािदक।
िनशः॥ २०॥
अभीितािन िसि त योऽित
ं
षट ् िऽशत ्
सशत ं सहॐािण च िवशितः।
ं
तासा ं सा
ं ृ ृ ् २१॥
समााता तदाविदािकत॥
--------------------------------------------
ं े ं े ोकन
षिशिदाकिवशिततमन े वमाणसाना
ं ं
े
ूकशः ु ु े
राकाना ं िऽपरािवानामार
े ु पणमठलवणष
ूथमारने ूोष ू ु यथा
ु
े े ं ूथममायानर
बममकमक ं तितीयारने बमात ्
ु
ूागािन ं े कतसिकािन
षिशाकारायाकारण ृ
ु
समायानर ृ ु े ् तने
े सवऽ ईकारमारयत।
ं ततीयारन
ू ु एकमकमर
पणमडलवणष े ं षिशत
ं ्
ं
षिशियानामामामरं भवित। तने
ं
वमाणसा िवाः सवीित॥ १८॥
एता इािदना िनश इने ोकयने तासा ं
ु
िऽपरािवाना ं िविनयोग ं फलािन चोपिदशित। तऽ एता िवाः। आरो
ू े
िविल। पीठे पजयिदऽायः। ं
सा ूिता ं का।
ृ
काा
शाऽवाः शऽव इथः। ृ इऽाशः हािदिवषयः।
ु
परािदक ृ
े इऽािदशो मामपननगरखटखटगहािदिवषयः।
े
त अक॥ २०॥
ं
षिशिदािदना े
ोकनोिवाना ं सा
ं ं
ु ु फलं तने तण
तदनसातः
े पायिनािदकं चोपिदशित। तऽ
ृ
तदाविासा े पिरविः।
ं िवाना ं वमाणबमण ृ ृ ्
तदािकत
े
दां करोित इित यावत।् अऽापरः
ु सदायाथ
नाथाया िलत।े आसा ं िवाना ं दाकान
े े
िवोत।े तािनिनाकने तासामाविः
ृ तासा ं
िदनिनानामकैे का एव िवायाः पायाकन
े ूाि ं
करोतोित यावत।् िक तासा ं िवाना ं पायाकना
े वि।
ृ
तासामकैे का एव िवायाः पायाकन
े च ूाि ं करोित।
घिटकाचबािदष ु पायिवालखनानव
े े े पाय े
पायािका ्
ं िवा ं तत पायिवया े ् यगाष
सह िविलखत। ु े ु
् े े
यदा िदनिनाने िवाय ं भवित तदा तय ं तत ानव
े ् २१॥
िलखत॥
--------------------------------------------
ृ
नाथाविराशौ िसहॐ ं शतयम।्
े िवयााविदीिरताः॥
चािर चित े ृ २३॥
ू ं ैव िनाविः
पणमडलस ृ सहॐतः।
ु
िशत ं षणव िनःशषे ं समदीिरताः॥ २४॥
ृ
कतादीना ु
ं यगाना े े कशः बमात।्
ु िदनकै
े
ता िवािपयः शषा ृ
े िशः ताः॥ २५॥
--------------------------------------------
े
नािािदिभः ु
समदीिरता इिै िभः ोकै ासा ं
ं
ूोसाना ं िवाना ं िविनयोगूकारं
नवनाथािबम ं षिशािबम
ं ं षोडशिना
ािबमोपिदशित। तऽ नाषे ु
ु
आशतिवशटलोषािदिवषयः।
ु
तणािावणातिवशितपटलोपीतािदवणा।
् े
ं पटलवमाणषदपाः।
तपाः पिऽशत एत ैः
े
ूथमभदप ैमितजापन
ै े एकािरतजापने माः
ूावत।् एतं भवित िनािवास ु
े विणनः
सव इित शषः।
े ् एष
े किवािरत ं जपत।
मनीिषता ं िवामािभिवािभरकै
े सवाराणा
जपूकारः उूकारण ं िनाकात ्
सवमाणा
ं अराका सवमसाधारण इित। अ
ु
रहाथारामखादवभः। ृ
नाथाविः
ं ृ
नवसाविः। ं
ृ षिशत
ताविः ् ं ृ
साविः।
ू ं
पणमडलसा ृ
षिधकािन पशतािन। िनाविः
ं ृ िनःशषे ं समािः॥ २४॥
षोडशषोडशसाविः
ृ
कतादीनािमािदना िसय े इने ोकयने कतािदष
ृ ु
ु ु े ु
चतयगहगनानामिवाािबम ं ूयोगषे ु
ू
तिनपजावँयकता ं तलािन चोपिदशित। तऽ एकै कशः
े ं ताराः।
एकै का िवाः। तिपयः ूक
े
ूकमरऽयाकतया
े े
ातृानयाकााशषिवानािमित े अ े
शषः।
ु
यगानािमित े िशः ूितिदन ं े े िव।े एतं भवित
शषः।
ृ
कतािदष ु चतयगष
ु ु े ु पिरवितः
ृ ं
ूोसािवा एकै क िदवस
ु े ु कषिचिनष
यथाबममकैे का िवा भवित। तगाष े ु े ु
ूितिदन ं े े िव े भवतः।
--------------------------------------------
े िवधात ं जयारोयािदिसय॥
िवशषतो े २६॥
--------------------------------------------
् ृ ु े ूोबमण
े यथा कतयग
तत सवमािलत। े
ं ु ं
सिऽशदिधकचतःशतोरिऽशहॐ ं े ु
(३०४३७) सष
े ु गतषे ु अनरपाय े
पयायष
ु ु ं
चतःषरिशतािधकनवसहॐसास ु (९२६४)
े ु ेच
भवि। ऽतायग
े ं ं
ूोबमणाािवशिधकाशतोरािवशितसहॐ -
ं े ु (२२८२८) पायष
सष े ु गतषे ु अनरपाय े
ं ं
अचािरशदिधकनवशतोरषहॐसास ु (६९४८)
भवि। ापरयगु े च
े ं े ु
ूोबमणादशोरशतयािधकपदशसहॐसष
(१५२१८) े ु गतषे ु अनरपाय े
पायष
ं ु ं
ािवशदिधकषतोरचतःसहॐसास ु (४६२२)
िदनिनािवास ु गतास ु अनरं जडा ई इित िपण िवामार
े ूितिदन ं े े िव े भवतः।
तायशषमनरपाय
ू ापरपाया
सय
ं ं
िवशिधकशतयोरपदशसहॐसा (१५२२०) भवि।
किलयगु े च ूोबमण ं े ु
े नवािधकषतोर ससहॐसष
(७६०९) े ु गतषे ु अनरपाय े
पायष
ं
षोडशािधकशतऽयोरसहॐयसास ु (२३१६) िदनिनािवास ु
--------------------------------------------
p. 461)
ं ु ं े (४३२०००) किलयगु े
तऽ ािऽशहॐािधकचतलवषस
ं
िदनसापषिधकशतऽयिदनसीिन
ं
अशीितसहॐािधकषितलोरपदशकोिटसािन (१५७६८००००)
किलयगु एव
ं ं ं -
िऽशलसिषिसहॐािधकोनिऽशोरकोिटस
ं
पलसीिन षतािधकसहॐऽयसािन (३६००) िदनािन भवि
किलयगु े साािवशितिवपलसि
ं
ं ं (९७२००००) िवपलसीिन
िवशितसहॐािधकसनवितलस
ं (४५) िनािन भवि अऽ किलयगु े िदनसीिन िदनािन
पचािरश
(१५७६८००००) दडसीिन िदनािन (१०८०००) पलसीिन िदनािन
(३६००) िवपलसीिन िदनािन पचािरश ू
ं (४५) ैव ं सय
ं
पचािरशदिधकषतोरै
कनवितसहॐािधकससित-
ं
लोरपदशकोिट सािन ु
(१५७७९१६४५) किलयगिदनािन भवि।
ं
ततः षिशदिधकस ं ं
शतोरिवशितसहॐसाना ं (२०७३६)
माणा ं नवािधकषतोरससहॐावििभः
ृ (७६०९)
ु
चतिवशिधकशतयीराशीितसहॐािधकससितलोर -
ं
पदशकोिटसािन (१५७७८०२२४) िदनािन भवि तदनरं
ृ अविशषे ु
दशमावौ
ं ु
एकिवशिधकचतःशतोरै ं े ु (११४२१) िदनषे ु
कादशसहॐसष
षडरै ं ं े ु (२१०६) िदनषे ु एकै का िवा भवित।
ु किवशितशतसष
ं े ु (९३१५) िदनषे ु े े
पदशािधकशतऽयोरनवसहॐसष
ू
िव े भवतः। तने दशमपायपििरित। ु
ापरािदैगयािदना
ऊहनीयिमित। अतो यथा ३१५५८३२९० ापरिदनािन ४७३३७४९३५
े ु
ऽतायगिदनािन ु
६३११६६५८० सयगिदनािन। अऽ ैत े समहोकाः
ं
पा(५)
ु (२)।
(२)चषी
(६)रामा(३)िथयः(१५)खा(०)ि(३)सााि
िदनािदिवपला कालः सौरे त ु वर॥
े
े (४) िम (६) राऽीश (१) मह (९) भधर
वाण (५) वदो ू (७) भधर
ू े
(७)।
--------------------------------------------
p. 462) ु े े
धातऽशयोः पजा ु
ू ं कादवाय।
े
तकारः ूयोगाना ं पटले साध ु वत॥
े २७॥
तषे ु पाशदणाना ु
ं पाशिथनािन वै।
् २८॥
घिटकाबमयोगने भज े पिरवनम॥
ु
अथ यािण व े ूोसानबमात।
ं ्
ृ ं षिशदॐ
व ं तदादशाॐकम॥् २९॥
--------------------------------------------
पाय े (६) श
ू े (०) (१) नऽे (२) स
ं े िदन े गत।े
् े े े िव े ये े बमािदित॥
एकै किन िदन
ु यगवासरकािदकम।
वष िदनािदकं बा ु ्
ु ु ् इित।
ापरािदष ु तव िगणिऽगणािदकम॥
ू ं यिन ्
ूयोगषे ु ूयोगिदनषे ु तिनषे ु तिनूपजन
्
यिन िदवस ू ं तने
े ूयोगाः िबय े तिनपतीना ं पजन।
े
तिनपतयः िदनिना च ितिथिना च ितिधपो वासरशौ
े
नऽश षिधाः। तषा
े ं िदनिनासमचनमिन ्
पटले
वित। तििथिनाचन ं तटले ूो।
ं
े े िचऽािनापटले ूोे
ितथीशनऽशयोनामाचन
े
वारशयनामाचन ु ु
े कलसरीपतल े
े िवशषतः े तदकरण े
ूो।
ृ
न ै ं कपीडाूसात।् एतं भवित ूयोगिदवसषे ु
् ू
ूोषिधिदनपतीना ं ूोबमात पजनमवँय ं िवधातिमित
॥ २६॥
े ोकयनोरऽ
धािािदना पिरवनिमन े
ूयोगपटले वमाणूकारण ु े े
े धातऽशयोरचनमिप
ूयोगिदवसषे ु अवँयकतया
मातृकााौ ूौित। तऽ
े े
धाीशाः डािकादयः। ूोाः ऽशाः। पिरवन ं
मडलीकरणम॥् २८॥
अथ याणीािदिभरविदनै विभः ोकै ः
ू
षिधकपशतपणमडलारै ं
ावाता -
नामदाना ं ूमकैे कशावातािन
ं ु
चबायपिदशित।
ं
तऽ ूोसािन ं
षिधकपशतसानीथः।
--------------------------------------------
् े
े ूकमधा।
एतािन वणिवासभदात
े ु िनाणभदतः॥
तने ासितभदाष
े ३१॥
े े े ु ं
ूकमधवमसाः समीिरताः।
े
एता ृ
व े े ् ३२॥
िवासनायत॥
षडलपिरॅाा
ु ृ े
वमक े ्
ु वयत।
ु पनः
एव ं पनः ु े कालतो
ु कादकै ु विहः॥ ३३॥
ु ं
यदा सदशाभवदा े ः।
तिभजदरै
ं े ु सदणान
षिशितष ्
े तथािदतः॥ ३४॥
--------------------------------------------
ृ
विमािदना चबऽय ं ादशािमन
ोकोरान
ु ं तऽ खरे षोडशारे चब इथः।
चबचतय ु
चतरॐिमािदना
े चरय।ं एतािन ूोािन नव चबािण।
ोकोराापादन
वणिवासभदात ्
े अित ्
पठल ु े
े अनलोमािदना ं े ोकन
पिऽशन े
े े तषे ु ासितभदष।
वमाणताणिवासभदन। े े ु
े
िनाणभदतः े े उसाः
षोडशरिवासभदन। ं
ं
षिधकपशतसाः। एतं भवित ूोाना ं
ृ
वादीना ं अॐााना ं नवाना ं चबाणा ं च
े तारिनारिवासभदात
वमाणूकारण ् े ं
े ूक
ु
चतःषिपात ् ू ूोसा
सय ं भवीित। एतषे ु नवस ु
े ु व
चबष। ृ ृ
वप ् ृ े ं चब।
चब। अत वतर ं उयते ्
ु
अारिवासतानािदकं कडलपटले
े
वमाणूकारणोहिया े षडलपिरॅाा
िलखिदथः। ु
ूितिदशिमित शषः। ्
े ॅमयत
े वयत ् सदशाभवन
े यदा ् ृ
ु वानीित
े तबाषे ु पणमडलसष
शषः। ू े ु अणान ्
ं े ु कोष।
ू ् आिदतः अ आ इािदबमतः ं इः।
पणमडलवणान।
चबिवरचनाबमो यथा सम े तले हसपाद
ं ं िवधाय
ं े े ूाॄसऽू ं का
तशानमभदन ृ
ु ू
तदवने षडलूमाणसऽॅमण
े व
ृ ं िना
े कालाराल
तिहरकै ु ं षोडशवािन
ृ ृ
सय सदशवािन
ं
िवधाय एकोनिऽशटले वमाणबमण
े
--------------------------------------------
p. 464) ु
अनलोमिवलोमौ ं ुे
च वाारसपट।
बााःपरावौ
ृ तथा ाकीणिमिप॥ ३५॥
--------------------------------------------
ं
पिरतः षिशदरान ्
समारालािा ॄसऽू माजिया
तीथीगतषे ु कोषे ु पणमडलसष
ू ं े ु वमाणबमण
े
ं
तान ् िव
वणान ् ृ े
वपऽिव ु
े चबे चतःषिचबािण
े ् षिशदॐािदसवचबष
सादयत। ं े ु ूावत ्
े तारसिचािन
सवमलापटलोूकारण ं ृ े ु
पिरतो वष
ू
े सऽायाा
िवधाय िवािं ापण
तखडमाजनादॐाक
ृ ं चबं भवित। अाॐ ं
चबं सिऽशिव
ं ्
ृ ैः। ूावत षोडशारै ु ् ३४॥
कयात॥
ु े
अनलोमािदना े तषे ु नवष ु चबष
ोकन े ु
े ु
वणिवासभदबममपिदशित। ु
तऽ अनलोमिवलोमौ च चकारः
ु तने ैव राणा ं िवासभदा
समायाथः। े आक।
ृ े
ं ु वाारायोः
वाारसपटौ
े ं ु
ानभदादोसपटय ं वाारपराबौ
ृ
ूावदय ु े
मकोयाभयतः ूितलोमानलोमन
े ं तथा वाारानभदतः।
िघा लखन। े एतं भवित
े ु नवस ु चबष
ूोष ्
े ु वाात किणकाविध
े ं
ूक
ं ं
षोडशकोािका वीथयः षिशाः पिरतः सवि।
ु ु े ु ूितचबमस ु
ता वीथयोऽनलोमानलोमाकष
े े
भदमािद ूादियने ताराणा ं िवलनवीथयो
े
भवि। तास ु वीथौमवीथीकोषोडशके
े
वाादारूवशगा ्
षोडशरान िविल
ूदिणबमयोगादनरवीथीगतकोषोडशके ककार
े
षोडशरिभपािण ूावििल ैव ं ूदिणबमण
वीथीष ु खािदाानामराणा ं षोडशरयोजनने िभािन
े ्
पािण ूितवीिथकं षोडशस ु कोषे ु ूावििलखत।
ु ु
अयमनलोमानलोमबमः। ू ु े ु
एतबं पणमडलायगष
ूथमवराक। ् चबे षिशाराणा
ं अिन एव ं ं
ू
ूरं षोडशरिभािन पािण पणािन।
ु े े
तदनलोमबमवीिथितावारकोारतो
े ु
वाकोा ं िवलखनादनलोमिवलोमा ं
ु
तगितीयसराकं चबम।् अिवे चबे तास ु वीथीवे
ं
षिशत ्
ताराणा ं ूरं रिभषे ु पषे ु
वाकोािदष ु बमादस ु कोषे ु ूवशगाौ
े
ु
पायनलोमतो
िलिखा ततः सवारकोािदिनगमनगा
े े
शषस ु च कोषे ु शषपाकािन
े े ्
बमाििलखत।
--------------------------------------------
p. 465)
किणकाया ं मिनाा सिल
ं
सतः।
े
योजयाको ु
ैः ूागिविधना बमात॥् ३६॥
--------------------------------------------
ु ं ु
एतबमनलोमवासपटा ु तीयसराकं
ं ूोयगतृ
चबं भवित। अिवे चबे तास ु वीथीवे ताराणा ं ूावत ्
षोडशस ु पषे ु आिदतः बमादौ पािण
सवारकोािदस ु कोषे ु िनगमनगा
च
े
शषपाक े
ं बमााकोारतः ूवशगा े ्
च िलखत।
ु ं ु
एतदनलोमारसपटा ु ु
ं तगचतथवराकं चबम।्
ु
अिवे चबे तावे वीथीस ु ूागाराणा ्
ं ूावत षोडशस ु
कोषे ु िनगमनगा
े
शषपाकािन े ्
िविलखत।
ु ृ
एतदनलोमारपरावा ु
ं तगषसराकं
चबम।् अिवे चबे ूावाराणा ं षोडशपािण
ूितवीिथकं षोडशस ु कोषे ु ूथम े षोडश े ितीय े पदश े
ु े चतथु ऽयोदश े पम े ादश े ष े एकादश े
तृतीय े चतदश
सम े दशमऽम
े े ्
े नवम े च को े आिदतः बमाििलखत।
ु
एतदनलोमवााकीणा ु
ं ूोयगसमसवराक
ं ं
चबं भवित। अिवे चबे तावे वीथीष ु ूोताराणा ं
ूोािन पािण ूितवीिथ षोडशस ु कोषे ु षोडश े ूथम े
ु े तृतीय े ऽयोदश े चतथु ादश े पम े
पदश े ितीय े चतश
एकादश े ष े दशम े सम े नवम े अम े च को े आिदतः
े ् एतदनलोमाराकीणा
बमाििलखत। ु ं
ु
तगामसराकं चबं भवित। अिवे
ं ृ
षिशदरसदशवाके चबे ूितिविथकं
षोडशकोािकास ु षिश
ं ु वीिथष ु अमवीा ं कार
षोडशरिभािन पािण
े
वाकोारादारूवशगा बमाििल
ूादियबमायाततदनरवीािदष ु पिऽश
ं ु वीिथष ु
लदीना
ृ े
ं शषता राणा ं षोडशरिभनािन पािण
े ् एतिलोमानलोमा
ूावििलकत। ु ं
--------------------------------------------
p. 466)
ु
तगनवमसराकं चबं भवित। अिवे चबे
ु
ूागूिबयािभ ाराणा ं रिभाना ं पाणा ं
े
बमािलखनतो ं ु
िवलोमिवलोमा ं िवलोमवासपटा ं
ं ु
िवलोमारसपटा ं िवलोमवापरावा
ृ ं
ृ
िवलोमारपरावा ं
ं िवलोमवााकीणा
ं
िवलोमाराकीणा
ु
तगदशमसरािदषोडशसराकं
ू
यथाबममकैे कवराकं चबं भवित। भयोऽिप तिवे
ु
ूागप े चबे अमवीा ं अकार षोडशपािण
े
वातोऽरूवशगा िविल
ूदिणबमायाततदनरवीािदष ु सदशस ु वीथीष ु
ककारािदथकारााना ं सदशाराणा ं ूरं
षोडशरिभािन पािण ूावििल
ं
तमायाततदनरैकोनिवशवीािदष ु िशाादशस ु
ं ु ं ु
वासपटबासपटाम ्
ं ु ं ु
वासपटारसपटाम ्
ं ु ृ
वासपटवापरावाम ्
ं ु ृ
वासपटारपरावाम ्
ं ु
वासपटवााकीणाम ्
ं ु
वासपटाराकीणा ु
तगाादशवरािद
ु े कवराकं चबं भवित। अिवे चबे
चतिवशवरामकै
े
ूोपऽमवीा ्
ं दकार ूावत षोडशपािण
े
ूावाादरूवशगा िविल
ूदिणबमायाततदनरवीािदष ु सदशस ु वीिथष ु
धकारादीना ं कारााना ं सदशाराणा ं ूरं
षोडशरिभािन पािण ूावििल
ं
तमायाततदनरैकोनिवशवीािदष ु अादशस ु वीिथष ु
थकारादीनामकाराानामादशाराणा ं ूवत ्
् े ्
रिभािन पािण ूोबमात िविलखत।
ं ु ु
एतदारसपटानलोमाम ् ु ं
तगपिवशवराबं
चबं भवित। अिवे चबे ताराणा ं ूावत ्
षोडशरिभाना ं पाणा ं
ु े ं ु
ूागूिबयािभिवलखनादारसपटिवलोमाम ्
ं ु ं ु
आरसपटवासपटाम ्
ं ु ं ु ं ु
आरसपटारसपटामारसपटवा -
परावा ं ु
ृ मारसपटार ृ
परावामार
ं ु
सपटवा
ं ु
ाकीणामारसपटाराकीणाम ्
च
ु ं ं े कवराकं
तगषिशवरािदािऽशवरामकै
ू
चबं भवित। भयोऽिप तिवे ूोप े चबऽमवीा
े ं
्
थकार ूावत षोडशपािण े
वाादरूवशगा
िविल
--------------------------------------------
p. 467) े
अषामरिवासः ं
षिशत ् ु
समदीिरतः।
् ३७॥
अाॐ े षोडशाराः ःु षिशमवत॥
ं ृ
--------------------------------------------
ृ ृ
आर पराववााकीणामारपरावार
ाकीणा ु
ं च तगिचािरशवराचािरश
ं ं
ु
वरामकैे कवराकं चबं भवित। पनरिप तिवे
े
चबऽमवीा ्
ं ूावत अकार षोडशपािण
े
वाादरूवशगा िविल ूदिण
बमायाततदनरवीािदष ु पिऽश
ं ु यथाबम ं कलख
हगसघ षङ शच वछ लज रझ यञ मट भठ बड फढ पण
े ं अराणा ं पिऽशाना
नत धथ द इषा ं ं ूरं
्
ूावत रिभािन े ्
पािण ूावििलखत।
ु
एतााकीणानलोमा ं तगु ैकोनपाशराकं
चबं भवित। अिवे
--------------------------------------------
p. 468)
चबे तषा
े ं ताराणा ं षोडशरिभाना ं पाणा ं
ु े
ूागूिबयािभिवलखनतो
वााकीणिवलोमा ं
ं ु
वााकीणवासपटा ं
ं ु
वााकीणारसपटा ं
ृ
वााकीणवापरावा ं
ृ
वााकीणारपरावा ं
ं
वााकीणवााकीणा
ंच
वााकीणाराकीणा
ु
तगपाशरािदषाशरा ं
ु
यथाबममकैे कवराकं चबं भवित। पनरिप तिवे
े
चबऽमवीा े
ं वाादरूवशगा कार
षोडशपािण िविल ूदिणबमायाततदनरवीािदष ु
ं
पिऽश ु वीिथष ु यथाबम ं अलकहखसगषघशङझ
ृ
े राणा ं
अवमचभटवलफडटपनणधतछवठ? इषाम
े ्
ं ं ूरं षोडशपािण ूावििलखत।
पिऽशता
ु
एतदाराकीणानलोमा ं
ु
तगसपाशसराकं चबं भवित। अिवे चबे
तषा ्
े ं ताराणा ं ूावत षोडशरिभाना ं पाणा ं
ु े
ूागूिबयािभिवलखनादारिवलोमाम ्
ं ु
आराकीणवासपटाम ्
ं ु
आराकीणारसपटाम ्
ृ
आराकीणवापरावाम ्
ृ
आराकीणारपरावाम ्
आराकीणवााकीणाम ्
ंच
आराकीणाराकीणा
ु ु
तगापाशरािदचतःषितमवरा ं
ू
यथाबममकैे कवराकं चबं भवित। एव ं सय
िवे वाक
ृ ु ु
े चबे तगूथमचतःषिवराकािन
ु
चतःषिचबािण भवि। एव ं षिशदॐादीना
ं ं
े े ः
ॐााना ं अाना ं चबाणा ं ूोूकारलखनभदै
ु ु े ं
ूितचबं यथाबम ं तगचतःषिवराकाव
सय ू ु
ू पणमडलातगवराकािन
ं
षिधकपशतसािन चबािण भवि। तऽााॐचबे
त ु षोडशस ु वीिथष ु ूितवीिथकं षिशत
ं ्
कोािकास ु
े
अमवीा ं वाादारूवशगा अकखादीना ं
ााना ं षिशाकानामराणा
ं ं ूरं
े
षोडशपारिभािन पािण िविल
ूदिणबमायाततदनरवीािदष ु पदशस ु वीिथष ु
े
शषपदशरिभािन े ं पािण षिशािन
तषा ं ं
ु े
ूागबमूवशगा े ् एतदाॐ े चबे ूथम ं चबं
िविलखत।
े े
भवित। एव ं नाररारिवलखनानिविनमयन
ू े रवाविशािन
पवूकारभदै े े
िऽषिचबािण पिरकयिदित।
किणकाया ू
ं ूोाना ं पणमडलचबाणािमित े मी
शषः।
ृ
आकार ईकारावकतसिकािवित े नाा सिहत ं
शषः।
साधकसाकणािमित े तिखन ु ईकारोदरे
शषः।
े
ं ं िलखिदित
ूाविपिक
सदायाथः।
--------------------------------------------
ु े त वश
उभय ं यः ूकत ं े िरा रमा।
न कदािचियो हािनभिवित ु े ४०॥
च तल॥
--------------------------------------------
सवचबसववीिथष
सवतः े ् मी इयः।
ु योजयत।
ं
वाको ैः षिशारै
िरित शषः। ु
े ूागिविधना
् ु े
बमात ूोचतःषिभदिविधना अमािदूादियबमात।्
े ु चबष
एतं भवित ूोष े ु किणकाम
् ई
े साधकािदसिहतम आ
् ृ
इरयम कतसिकं िविल
तबामवीिथवाकोारािदिभः
सववीिथवाको ु ु े
ैररैः ूागचतःषिभदिभ ैः
किणकागतारय े
ं बमाोजयिदित। अाॐ े त ु अमवीिथकोािन
े ु ्
अवत यथा
वाािन कयिदानौिवकोऽथः। े ु
अ चबष
ु े
चतःषिभदिभाः े अिन ्
पारायणमयोजनबमथथः।
् पवमवाािभाातम॥
ोके अत सव ू े ् ३७॥
--------------------------------------------
p. 470) ू कलश ं महत।्
वणषिधाथजलैराप
ं ू िविधवििश॥ ४१॥
े समावा सप
तऽ दव
े ु े
िनाना ं तिवा जिपाऽरासन।
ं ू िश ं सा
सप ं े े ् ४२॥
शा तमिभषचयत॥
ु
एव ं जानजािद
पौणमासीष ु साधकः।
् ु मििका
ु कषसवण
कात ु ं गा दिणाम॥् ४३॥
े े त वश
वषयािभषकन ं े िरा रमा।
े े िसिवाधरी
वषऽयािभषकण े ् ४५॥
भवत॥
--------------------------------------------
ं ं
सशतोरिवशितसहॐसान (् २०७३६)
ं े
माबोतबमादचयिदित।
ृ िन ं ूितिदवस ं
ु
एतदनलोमािदमलूदचबिवषयम।् इतरषा
े ं चबाणा ं
े ूिताचनािद
ताकाल
ृ तायपिरसमाौ
का े ं
दवता
ु
सपिरवारामा
पटगत ं तबं माजिया ूोूायिािद
ु ् पकपजोिसय
कयात। ु ू ू ु े ू
े पवपकलखनपजाफलिसय।
े
ु
उभय ं मातृकाचबाचन ं पकाचन॥
४०॥
ु
वणषधीािदिभरायािद रै िभः
े
ोकै ािभिवािदिभरिभषकूकारं तलावािोपिदशित। तऽ
ं े पटले
वणषिधाथजलैः पिऽश
् ू
वमाणारौषिधिथतजलैः। महत खारीमानतोयपरणीयम।्
् ू
तऽ जले िविधवत पवचबिवधानूिबयया। ू ु
िनिश पविरित े
शषः।
िनाना ं तिवाः राणा ं षिशारयोगजातिवाः
ं
ं े ु
। आसन े सारऽायः। े े वतया
शा दवतान ृ योिषता
े शषः।
सहित ु
े त ं िश।ं जानजािद
पौणमासीष ु आिदशो
ु ु े
िवषवायनयगािदिवशषिदवसिवषयः।
पौणमासीशः
े
शषपविवषयः। ु
कषः िनऽय।ं मििका ं अलीयक।
ु ं
े ु
दिणा ं अिभषिरित े एव ं ूोूकारण।
शषः। े िनररं
े वष असयोग
उकालानितलनन। ं े ितीया।
--------------------------------------------
p. 471) ु े े खचरीमलन
चतषािभषकण े े ्
े े ं भवत।
े े पं नािधगित॥ ४६॥
पवषािभषकण
े ्
े े लोकपालसमो भवत।
षषमिभषकण
े ् ४७॥
े े िदवाकरसमो भवत॥
सवषािभषकण
े ्
े े चमःसशो भवत।
अवषािभषकण
ु ् ४८॥
े े दवीसामायात॥
नववषािभषकण े
ं े े वा।
जयाय िवाः षिशदकपाशदव
ृ
आवीजपहोमाातपण े ् ४९॥
ैः साध ु साधयत॥
्
तने िजा िरपनू सानधत
े े तपनो यथा।
तथोातषे ु सष ु तथा रोगापिव॥
ु े ५०॥
--------------------------------------------
त वः पािथव वः। एताणजाितिवषय।ं त
े
अिभष े े ं आकाशचरयोिगनीसलापािद
खचरीमलन ं पं
पापिरान।ं षष ूावितीया। लोकपालसमः
तणवै े िदवाकरसमः ूतापािदतः। चमःसशः
ु भवन।
े
आादकरािदना। दवीसा ं पराहाताम॥् ४८॥ ॐ॥
े
जयायािदिभः सदायत इःै पिभः
ु े े फलावाि ं ूप
ोकै तिवधोपािभदन
फलानीािन िसीित
तचबपं तानिसौ सवािण
ं
चोपिदशित। तऽ िवाः ूोसाः ं
कालिनाः। षिशत ्
ृ े ं वा िवक।े साध ु
एकपाशिदित तासामावििवशषण।
्
अनगतिच ं यथा तने साधनने सवान सहजूाकतकिमान
ृ ृ ्
एधत े
दीत े यथा इवथः। ्
े अिन ूकरण े तथाशः
ू
पवूकारजपािदिवषयः। सवष ु भौमारीिदष।
े ु
ू े े
रोगादीऽािदशो भतवतालूतिपशाचापारािदिवषयः।
ृ
कािनवारण ृ ृ ु
े कासमौ
े परोािपतकाूितिनवन।
ाराथिमित े इिमित ूोिवषयः। एतबारमााय
शषः।
ूवतत े आिदशो राँयािदिवषयः। एतं भवित
महािद
े े
ोितबं ूकतिाणाकादशरािशमय ं भवित तने
े
तबािण च ूकमारऽयाकादशरािशमयािन भवि।
ताद ् यथा ादशराँयाके ोितबे महािद
काले काले
ूवतत े तथा
--------------------------------------------
p. 472) तथा वाितिसथ तथा कािनवारण।
ृ े
ृ ु
तथा कासमािव ् ५१॥
ं सािसिदम॥
ूवत।
एतबारमााय महािद े
ू
एतबारिवासपा भिम े ५२॥
ँयत॥
े
तादतय े
ं समत भजनने च।
स मनोरथाः िसा भजन ं सदायतः॥ ५३॥
ू
कालूाबम ं पमावाबम े ्
ं भजत।
ृ े ु शष
कपष ु े ु कवलोबम
े े ् ५४॥
ं भजत॥
े
जपतपणहोमााापनय ं बमः।
े ् ५५॥
अम ं ु ाा िवधातमथानथमावहत॥
--------------------------------------------
एतषा े े ु चबकिकिव
े ं ोितबमयादतष े े े े ूरं
ु े े
महनऽादीिन मातृकारमयािन तगवषभदबमण
ूवत इित भिमः।
ू ू
भचब ् ्
ादशराँयाकात ूाक
ूितपािदतबमतदिप तबाकं भवतीित यावत।् एतय ं
मातृकाचबमय ं सव ँय।ं एत ूोचबातम
ू े ं भजन ं सदायतः किमित
े े पवमवो।
भजननित
ु
पनिदोषो ५३॥
न भवतीथः॥
े
कालूाािदना े े ोकयने तासा ं
आवहिदन
े े भजनिवशषे ं
िवाना ं चयविकालभदन
ृ
तदवँयकता ं तदकरण े ूवायोपिदशित। तऽ
कालूाबमं
ु ु ु े े ु
ूागसरचबदिशतानलोमानलोमािदूकारभदष
े ं अबम ं तमं
तरूाूकारभदबम।
े
कवलो ु ु
ं बम।ं तालूाबमवजतमानगणबम।ं
एतं भवित कप
ृ े िनोपासनार े च
े काकमार
ं
तवराकचबूदिशतबम ू
ं पवमाव
े ् शप
पाबम ं भजत। ु े तु
े भजिदित।
तूाबममव े ृ ु े
अय ं कपशपभदः
ूदिशतः। अम ं ु पभदूदिशत
े ं बम।ं िवधात ं
िनक काक वित े अथा तकाराकरण॥
े शषः। े ५५॥
--------------------------------------------
p. 473) ृ
कोौ ु े िनमहे ूितलोमकम।्
शऽभ
ु ् ५६॥
े ूामऽ सवऽ समदीिरतम॥
कालन
वशीकरणरास ु सटितय
ु ं बमात।्
ु े ूोे परावबमण
रोगशऽजय ृ े वै॥ ५७॥
ू े ु च समीिरतः।
गोभिहरयवाहािदलाभष
े ् ५८॥
उाटनषे ु ाकीण तषे ु शा ै बम ं यजत॥
ु ु
एतिधानिनात ं ूणमि सरासराः।
ृ
तििरकताः ृ
पीडाः काा ु
न ैव सखाः॥ ५९॥
ूतु ैव परावाः
ृ कार ं नाशयि वै।
यऽासौ िनवसषे तऽे ं तपोवनम॥् ६०॥
--------------------------------------------
ृ े
कोािवािदिभयजिद िै िभः ोकै ः
ु े ु कोिशऽभािदपािण
ूितलोमानलोमजष ृ ु फलािन
े ूा ं
तिधानूायिोपिदशित। तऽ कालन
ु
ूितलोमामलयोयािन अनलोमािदमलयोयािन च सवऽ
सवकस े ु एतं भवित
ु वमाणष।
ृ
कोामलूद े ु
ूितलोमािदकबमभजनतो मलष
कमस ्
ु िबयमाणषे ु तत कालूाबम
इवँयकतया
भजनादमलूदो न भवित।
ु
एवमनलोमािदकमलफलूदबमभजनतः ु
अमलकस
िबयमाणषे ु कालूाबमभजनावँयकतया
ं ु
भजनादमलफलिवनाशको न भवित। सपटितय ं
े
रनयोवाारभदतः। े
ृ ूावदतः
परावौ
ु ृ ु समीिरतः
चकारः ूागपरावबमयसमयाथः।
ृ
परावबमितयबम े ाकीणः ूावदतः।
इित शषः। े तषे ु
े े ु परूयिप
ूोमलष ु े ु
बम ं अनलोमाकं
े ु
िनभजनबम ं एतनलोमािदस े े ु
ु भदष
े
रनयोरकूकार ु ु
ं अनलोमानलोमािदको ु
े तकस
भदः।
्
शीयफलूदो िनितममोघ भवित। एतिन पटले उरऽ
सवाकीणािदना
ाकीणाकीणचबामोघूितपादनात ्
सदाया॥ ५८॥
एतिदािदना तपोवनिमने ोकयने एतास ु िवास ु
िनात
--------------------------------------------
े ािपतनामरावती।
सवाकीणचबण े
ु मयािप च न रत॥
उािटता पनदिव े ६२॥
े
िशलाया ं ताॆपे वा राजत े हमिनित।
े
ु ु ६३॥
ू िनखनदे ् मामरापरािदष॥
िविल भमौ
े
ृ दवालय
का ं तऽ चबं सा
ं त वै।
किणकामग े वरे ं कात ्
ु साििसय॥
े ६४॥
--------------------------------------------
ु
वैभवमपिदशित। तऽ िनात ं साधक। ् े कार ं
ं तिन साधक।
ूयोार।ं असौ साधकः। एष इ असािवऽायः। ऽे ं
ु े ् ६०॥
पयऽम॥
ँमशान े इािदना ोकन ू ू ु
े ँमशानािदशभिमष
ु
मामनगरपनािदकरणोपायमपिदशित। ु
तऽ िपीडन े
ु ू े दश
कालभािदिोपिवभिय े े यराज े
ु ु
अनलोमानलोमा
े चबे त सवयकारणाराजं
। तिदित
े
जनपदिवशषणम।् स दशो ६१॥
े जनपद ं भवतीथः॥
सवाकीणािदना े
ोकनोाटनचबवै ु
भवमपिदशित। तऽ
सवाकीण चबण
े रनाा ं वाारभदजातािन
े
चािर चबािण सशिवषयािण। उािटता
ू े
उलियतसकलदवजाितः। े अिपशने िकं
मया ईरण
ु ैिरथः॥
पनरसामा ६२॥
िशलायािमािदिभः िसिदायकिमःै पिभः
ोकै मामािदष ु राथ तबापनिवधान ं
े
तबापनने सवदवतासाििसािदकोपिदशित। तऽ वा
ु ु
वक।े िविल अनलोमानलोमाचबिमित ्
े िनखनते अिन
शषः। ्
पटले
मामादीािदपषितमोकािदिभििभः ोकै वमाण
ूकारण
े राथिमित ु
े परािदिऽािदशो
शषः।
नगरखवटपनािदिवषयः। े े चबं
तऽ दवालय।
ु ु
अनलोमानलोमाक सा
ं मातृकाचबिमथः। ं
े
दवताापनान े एकिवे वमाणूकारण
े त चब
किणकामग े ान इित शषः।
े वरे ं अभीदवतायाः
े ु ्
कात
े सििसय े
ूितापयिदथः।
--------------------------------------------
ू
समावाािभपाथ े ू
ापयलिवया।
पाषाणने तदाा पीठं कोपिर
ृ िरम॥् ६६॥
ु ू
ू े ् गपधपािदिभः
िनशः पजयद समम।्
ु
िऽसमवे ं कत नाथा िसिदायकम॥् ६७॥
--------------------------------------------
े
दवताया े एतं भवित ूोष
इित शषः। ु
े ु वाभीदश
े े
े
अभीदवतालय ं का े
ृ तऽ दवताापनानम े एकमवटं
े िशलािभराव तऽ
खाा त ं वमाणूकारण
ु ु
ूोमनलोमानलोमाकचब ू े
ं िशलािदषिध
े ू
करणषीण ् ृ
ूावत कतूाणूितािदकं
ं
साा ताषाणनाा
े
तऽ किणकामानोपिर
े े
तवतावरूितापनात ्
तिन ् े े तवतासाििसििरित।
वर े
ू ु े आिदशः ूावत।् तऽ तिन (् तिन) ्
मामािदरण े पवूत
म े सवम ् म े च ूितिदशित
े अवटं तम। े तषे ु
े शषः।
े ु घिटत ं तदले इित शषः।
अवटष े समावा
ूोचबकिणकाम े अभीिनािमित शषः। ू
े अिभप
े तबगतिवाबमण
तिाचनबमण े अः
े चथः।
िशलाघिटतावटानािमित शषः। ्
े ापयते ूितित ं चबं
ू
मलिवाया ्
अभीिनायाः तत अवटगत ं चबं पीठं
ं िधाकार।ं उपिर आािदततलोपिर। िरं
िशलािदिभघिटत
िशलािदिभघिटतात।् पजयिन
ू े ्
िध े चबसमावािहता ं िना।ं
े े
एव ं उूकारं गािदिभः। अथा ूोूिबयाितरकण।
ु े ु
एतं भवित मामपरनगरखटखवटपनािदवारण े
ं
तििन ् ु े े सवमऽस
वाूदश े ु िदिप एव ं नवस ु
ानस ्
े ु नवावटान खाा े
तषामःलािन च पाषाण ैराव
े
ूोािधकरणतम ु
े प े अिधकरणनवके उभयानलोमाकं
उभयसटु ं वा चबनवकमीय
ु कतूाणूितािदक
ृ े तिन ्
े
अभीा ं िनामावा तिाबमणा तत ्
े
चबभदािदिभः कालिनािभा एव ं िदन ऽयादहीन ं
ू तबनवकमकमकमकिकिवट
स े े े े े
ं
साावटोपिर तिलािभराा तलोपिर
िशलािदिभढतरािण पीठपािण नव
--------------------------------------------
p. 476) ु
तालोािन कडािन नव होमषे ु सवतः।
ू ू
होतृणा ं दिणा वभभषादासगोधन ैः॥ ६८॥
े
यिजित ं तर ु
ु ं सकर ु वा।
ा सकैे ः ससाधयत
जपतपणहोमै ं ्
े िरः॥ ६९॥
े ु िवत।े
न ैतािभः सशी कािप िवा लोकष
् ् ७०॥
तादािभपाय ैः साधयते सवमीितम॥
पाशारमाव िवाभिसमितः।
ु
मत े िनगडैः कै
ृ विररोधः
ु
ै सदाण ैः॥ ७१॥
ृ तऽ तऽ िध े ूितिदन ं ूोबमािसाचनात
िधािन का ्
ृ ृ
ितीयवािदवारारासवज किया
ु े सवकस
तरूा े कड ु होम ं कारिया
ु
होतृणामािन िािण दिणा ं दािदित॥ ६८॥
यिदािदना ईितिमने ोकयण
े
तािभािभिवािभः पिवधोपासनने समोिहतिसिं
्
िवावैभवािदकोपिदशित। तऽ तत समीिहत ं रं अित महता
ु
यने सामिप। तरवधारण। ु े िरः फलवित
े वा समय। े े
ु
िनितविः।
एतािभिवािभः। आिभः िवािभः। उपा ै ैः ूो
पिवधसाधन ैः॥ ७१॥
ु
पाशिदािदिभरवायािद रै ः सिभः
ोकै ासा ं िवाना ं
--------------------------------------------
p. 477)
अशतवार ु िवा आव भितः।
ु
गणपािदसा ं भाा िवयतः॥ ७३॥
ु
तावदाव का वा पित ं सगणाितम।्
ु
लभ े पऽपौऽा े
ैरध े सदिताः॥ ७४॥
ु
िशत ं ताः समाव दािरात ु ्
े ीवम।
ु ु ु शत ैधनी॥
िऽशत ैभिमशातिभ ७५॥
पिभ ु शत ैभपो ्
ू भवते षिः शतु ैनपः।
ृ
सिभ ु शत ैर न मय
ु ं रमा॥ ७६॥
् ु
एव ं नवशत ं जा सान कामानवायात।्
--------------------------------------------
ृ े
पाशारािदनवशतवारामावािधन
ु
फलािधमपिदशित। े
तऽ िवा इित पददः। ैः।
ृ सन
कै
िवाः ूावििवधवैभवाः फलवैिवात।् अ शतवारं
पाशरशतवारिमथः।
ु े
गणपादीऽािदशनािभजनािद ूोत।े िवित लभ े साधका
इित शषः। ्
े तावत पाशरं शतवार।ं का इित
ूथमाववचनम।् वा समय।
ु े एध े व।
े सदिता
इतत ्
े का े ं ताः िवाः।
इ िवशषण।
ु ु
िऽशत ैवारै ः। चतिभ
दािरादिकनादसोषािदथः।
ु
शत ैतिभःशत ैिरयः। तःु समय ् े
ु े ूावत शषः।
पिभ ु शत ैः ूावदयशषािवथः।
े भपः
ू भमीशः
ू
् े नपः
षत ैः ूावत शषः। ृ दासदासीभृािदिभराः। तःु
् े
ूावत शष। ् े
अ साधक। तःु ूावत शष। आसा ं
िवाना।ं नपाः ु
ृ ूागाः। अ साधक। एष साधकः।
ृ
एविमािदन ैतवित नवशतवारावािन ्
ूकरण े
उाािन लभाभीािन िसीित॥ ७८॥
--------------------------------------------
p. 478) ु करायोः।
िा त ैः षडािन कादणः
ु ं जपिामकशः॥
िव मातृकाया े े ७९॥
ू े
रा रारा रमषणॐिवलपनाः।
े ु ू
पाशाशकोदडूसनिविशखाः े ् ८०॥
रत॥
ृ
तदा वाना े ्
ं पाना ं शीशाः रत।
ु
चतरॐय ं का ू ् ८१॥
ृ ारयिवभिषतम॥
--------------------------------------------
े े ैकन
आसािमािदना एकश इनाान े ोकन
े ूोाना ं
तासा ं सवासा े ं भजन े
िवाना ं ूक
ु
िऽिवधासािदकमपिदशित। ु
तऽ सरीित े ु
दवीसिः। िा
े त ैः अणः इ िवशषणम।
िवारोारणन। े ् मातृकाया
ु ं
ु ु एकशः
े सषडमातृका ं सिदथः।
कलसरीपटलोबमण े
एतं भवित ूोानामासा ं
े ं िवािमथः।
एकामका
ु ु
कालिनािवानामतमिवाभजन े कलसरीपटलोूकारण
े
पवू सषडा ं मातृका ं िवानरं
े े े दय ं ितीयनारण
तिारऽयानारण े े िशरः।
ु
तृतीयने िशखा। पनरिप े े कवच।ं
तिानारण
े े नऽ।
ितीयनारण े ं तृतीयना
े ृ
एतिारऽयिरावा
ु
जाितयषडािन ु
करासपरःसरं िव तथा ापकं का
ृ
े
ता ं िवा ं जपिदित। ता यथा अ ं दयाय नमः। आ ं िशरस े
े
ाहा । िशखाय वषट।् अ ं कवचाय ।ं आ ं नऽऽयाय वौषट।्
े ् आसा ं िवाना ं
अाय फट।् इित एवमािप िवास ु योजयत।
ु
समदायभजन ् का ं िनजषडपरःसर
े ूावत मातृ ु ं िव
े
जपिदित सदायः। षोडशिनािवातमिवया सह भजन े
ु
तिािवोासजातपरःसर े
ं जपिदित च सदायः॥ ७९॥
े े े तासा ं
ोकन
रा इािदना रिदनान
ं िवादवताना
सासा े ु
ं सावरणशीना ं ानमपिदशित।
ु ू े वोः।
तऽ आयधबमािदवामदिणबमण
षोडशिनाकलिलताानसमानपािदानादासां
तादा ं सादयतीित सदायः तशा
ू े
मलदवतासशाः
वणािदिभिरित े
शषः॥ ८०॥
--------------------------------------------
p. 479) अपऽाज े ्
ु ं म े नवयोनौ च ता ं यजत।
ु ृ ् ८२॥
ृ ं मयोनावरे ायधावितम॥
अावि
ु ं
पृतो गपि े
कोणस ु च बमात।्
े
बिहदलिप े
तथा यजणिवलोमतः॥ ८३॥
सारीयतु ैः।
िपणीशिसिहत ैाया
ु
ॄाािदशकीा े चतरॐय े ् ८४॥
े यजत॥
--------------------------------------------
ु
चतरॐयिमािदिभः ् े
रन िधय ु
ैतिभः
रै ा
े
ोकै ासा ं दवताना ू
ं िनपजाचब
े े -
सवसाधारणरखापिवासपमनरवमाणिवशष
् ू
िविभ े तिन तििपजाचबे
े ू
तवतापजाबमिवधानोपिदशित। तऽ
ु े ारयिवभिषतम
चतरॐयमविहिवभागन ू ्
ू
पवपिमयोिशोिरित ु
े म े अगतचतरॐित
शषः। े शषः।
े
ू े म े इितशमाकषयित।
े पवगत
नवयोनौ च चकारण तने
ु
तददलाजमकिणकाया े
ं िलिखतनवयोनौ। ताः तवताः।
ु
मयोनौ नवयोिनचबमिऽकोणम े ूागवाािदबमण।
े
े
अरे ूावयोनविहरिभतः। े
पृतः मदवतायाः।
ु े बमामाणारलखनबमात।
चकारः समय े ् तथा
े िवलोमतः अमाूादियन।
वमाणूकारण। े
े
िपणीशिसिहत ैः िपणीशि इित पारसिहत ैः माया खा
सारी ूावत।् एतं भवित खा ु
े ं ूथममाय
ततिामार षोडशरिभषे ु पकमक
े े े ं
ु तदन ु िपणीशि इित पारायाय
यथाबममाय ु ततः
े ् सव मातशाराका
सार योजयत। ु भवीित।
ू
मा यथा ॑ अिपणीशिपाका ं पजयािम ॑
ू
आिपणीशिपाा ं पजयामीादय इित। तथा ूावत।् ता
ू
यथा ॑ ॄाणीपाका ं पजयामीादय ू
इित। अऽ पजाचबे
सवसाधारण े रखापिवासूकारो
े े
यथा अविहिवभागन
् ु ु
ूावत चतरॐयमा े ु ं
तऽपऽमज
किणकाया ु ु ृ तऽािन ्
े का
ं नवयोिन ं कलसरीपटलोूकारण
्
िविल
पटले अनरोकािदिभवमाणबमाणान तऽ ताः
े
े ं ूोबमादयिदित।
ूक विलूदान करोत ु पजा
ू इित
े चकारणाि
शषः। े ं
े सवसाधारणन
े षोडशारण
े
ू
पजादौ ु समयित।
विलं ूदािदममथ ु
--------------------------------------------
p. 480) ु ु
आसा ं विलूदान करोत ु ककया।
साा कवलया
े ्
ूोपा ं रन िधया॥ ८५॥
े ु े
िविल नाा िवा ु म े वायमक।
ं िलिखािॐष ु मायया॥ ८६॥
ताण रैिभ
ं े
हसलामासमािल िनािदिवलोमतः।
वाताण द ं ाादश ादश बमात॥् ८७॥
--------------------------------------------
ु ु
ककया साा आया िवया। कवलया
े
ु ूोपा ं तटलानोपा।ं
ितीयतृतीयवैधण।
अऽासा ं कालिनाना ं षोडशिनासाधारणविलयिवधानात ्
ु ८५॥
तािभादा ं दशयतीारापादमखादवगतोऽथः॥
े
िविलािदिभः ु े
समसिद िै िभः ोकै ासा ं
ू े
िवाना ं पवसाधारणरखाप ू
े पजाचबे
ू ु े ू े िवारासने पभदे ं
पवूतिवशषभतन
ू
तििनयोग ं पजापिरसमािोपिदशित। तऽ नाा िवा ु
े शषः।
साािदिऽक सहित ू
े िनपजाचबे िवा ं
े ू
े िनपजाचब
कालिनातमा।ं िवालखनमव े
ु ं भवित। म े नवयोिनमगतयोा ं वा।े
किम
ु े सवमयोा
अयमक ू े ु
विहभताकोणष
ू े ु च। ताण
तिहभतादलष
ं ूावत ्
तयोिनगतिवाममार।ं रैिभ
े अिॐष ु
ृ ं िलिखा अमाूादियन।
षोडशरिवकत
ृ ु
वचतरॐारालगतािॐष ु मायया हसन
ं े मास ं हकारं
े
लकारं कारं खा। ् ू
े पवापरयोः
िनािदिवलोमत इतत
े ू
े तऽ पवऽाय
काकािायनाित। ु
े िनितवीशवायकोण े
ु ं िविलखिदित।
यथाबम ं हकारािद ूों चतय े परऽाय े
वमाणारािण वमाणूकारण ु
े चतरॐवीा ं
िनािदतदिवलोमतो े
िलखिदित। वाताण द ं ात।् वातािद
अकारािद अण अणा हथः। ् ु
द ं सकारा ं ात िरथः।
ू
मातृकाया ं पविलिखतहसारऽयिशानीित
ं े
शषः।
तऽाणिमित ंु
नपसकोिवचनास िदात।्
्
ादशादशबमात अकारािदसकाराान ् ्
वणान
अचािरशत ु
ं ं चतरॐवीा ं ूितवीिथकं ादश ादश
्
वणान िविलखिदथः।
े त ैितीयपटलोै गणशािदिभः।
े े
--------------------------------------------
p. 481) े
साधयदीित
ं स षाकमीिर।
ु े ् ८८॥
ु ादशिभः ोकै ैः ा े ताः समसत॥
ा
े
एतासा ं चबमो जपिा ं यदा वशी।
े
तदैव दवताचबसाम भिवित॥ ८९॥
े
तऽैव दवीमावा पजयत ्
ू े सविसय॥
े ९०॥
--------------------------------------------
ू े
ा े दय।े ताः मलदवताः े
पिरवारदवता। एतं भवित
ू
पवसवसाधारण े रखाप
े ू
े िनपजाचबे
नवयोिनमयोिनम े कालिनािवातमामवे
ू
िनपजास ु िविल काकमस ं ु ं
ु च ैता ं साािदिऽकनामसयता
ृ
िविल तिाममार षोडशरिवकतािन पािण
े े ु चामाूादियने
तवयोिनचबाकोणदलष
ु
यथाबम ं िविल तिहतरॐयारालवीा ं पिरतो
िनािदतदःूदियने
ं
अकारािदसकारााचािरशदरािण ूितिदश ं
ादशादशबममािल तदः
ु
पवाूाकारचतरॐारालािन िनादीशा ं
े
हकारािदशषवणऽय ु
ं िविल वायकोण े खाािल
े
ू े
पवूकारणावा ु
ाा ादशोा ा
ु े ् एव ं काकमपासनन
सपिरवारा ं ता ं ा े समसत। ु े
े िवया सह म े नामऽयलखन
तलिसिः। तऽ िवशषो े ं तने
ु े े पारवाजिनतसािन
चडी सनऽित ं चबािण भवीित॥ ८८॥
ं े ु कालिनाचबष
े ूोसष
एतासािमािदना ोकन े ु
भजनिवशषण े ु
े े फलिवशषमपिदशित। तऽ िवा ं षोडशिनाना ं
कालिनाना। अ साधक। एतं भवित
षोडशिनािवाभजन े तिनूािनाभजन े च
े ् कालिनािवातमभजन े
तिनूाकालिनाचबो जपत।
े ्
तबम एव िनशः २०७३६ जपत।
ु
कालिनािवासमदायभजन े षोडशिनाभजन े च
े ु ु े ु चबष
तरकालूाातमचबऽनलोमानलोमष े ु
सवकालचबकारण ु ु
े वाकारानलोमानलोमचब
ृ े ् तने
े वा िा जपत।
ूोफलिसििरित॥ ८९॥
--------------------------------------------
p. 482) एव ं का े े
ृ ूिता िबधाननायतः।
तऽाािसयो लोके ूकाश े महाताः॥
ु ९१॥
ु
ूमवे ं कवत मीन े भारे िबधौ।
ू त ु िदवस े तने दवी
पण े ् ९३॥
ु े भवत॥
े तदा
--------------------------------------------
े े
महाचबािदिभभविद
ै तिभः ु े ु
ु ोकै ः ूागष
ं तऽ तजा
महाचबम े लिलतााचब ू ं तलं तऽैव
ू
कालिवशषे े पजािवशषण
े े फलिवशषोपिदशित।
े तऽ महाचब
ु ू ु
ूागपणमडलयगवराकानाबाणा ं
ृ ु ु
ूथमप वाकारानलोमानलोमाक
ं
तवसरूा
वा। ौीचबं लिलतााचबम ् ं े
ऽयिश
ु
पटले वमाण।ं उलं साकारं तने महाचब
ु
किणकाासिवकाशमपपिमित सदायः। तऽ महाचब
ु े ु
मौीचबम।े एतं भवित ूागचबष
े ु ु
तरूा ं वा कवलानलोमानलोमाकवाकार
ृ ं चबं
वा लिलताचबिनाणयोयकिणकािवकाश ं का
ृ तिणकाया ं
वमाणलणोपते ं लिलतानौीचब े
ं िवधाय तऽ दचनात ्
सवाभीिसििरित। ्
एवम उपमौीचबं
का
महाचबिमथः। े
ृ रिऽलोहशतमऽिधकरण े
िवधानने ितीयपटलोूिबयया। अयत ्
े सपिरवारा े
ं दवीिमित
े यतः यऽ दश
शषः। तऽ दश
े े इथः। े े आािसयः चराचर
े । तथा च का
जगतो िनदशविं ृ पववत ्
ू महाचब
त े महाचब
म ं ौीचबं कथः।
ृ े
ौीचबमयोिनम।े बमैः लिलतािनाचनबम ःै । मीन े
ु े
भारे सौरे फानमािस ू पौणमाािमथः।
िवधौ पण
ु ू े दवी
े तने पजनन।
तरबधारण। े लिलता। एतं भवित ूोे
ु
सौरफानमास ू ं िसरािदिवरिचत
े पणाया
ूोमहाचबमौीचबमयोिनमे
ु
ू ं सर
ूोवणारिवभषणा ु िनवँय
यवत े ता ं
े
परदवतामावा े ूितवरमचयत
िनाचनबमण ्
े ततो े
लिलता दवी
ु
ताभीूदा े
भविदित॥ ९३॥
--------------------------------------------
ृ
कािभप ु
ू िवािभः सायोिनविलं परः।
्
दा त ैः समरे शऽनू हा ु ् ९५॥
िवजयमायात॥
् ं
िदनतो वारतः पाासात षिशता िदन ैः।
े
जपो वारमक ु िवा िनािका ु ताः॥ ९६॥
--------------------------------------------
ु े ोकयने
नखरिमािदना आयािदन
े ु पजनात
तहाचबमायध ू ् ु
समरिवजयमपिदशित। तऽ
् ु ु
नखरं अिस धने ं ु अत कूाशलगडािद। महाचब
ौीचबिवरिचतषे ु ूोसराकष
े ु चबष
े ु तरूा
ृ ृ ु
परावपरावाकचतय। ृ मगिमित
का
ू े
पवोकापादनायः। िवािभः तबबमूाािभः
ू सानऽूोयोिन ं
े सायोिन ं पवऽ
कालिनािभिरित शषः।
ु अम े समावािहतदवतायाः।
। परः े ्
दा ूावत िछनीित े त ैः
शषः।
े
दवतािभः े ु
चबगा ैः। एतं भवित ूोष
े ु तरूा े वा
सरमातृकाचबष
ृ ृ ं े
जयूोपरावपरावाकषिशबतम े
े ु ु ृ
कवलानलोमानलोमाकवपचब
े वा। नखरादीिन सािण
े तभीा
शािण िनवँय े ं िनामावा ता ं सपिरवारा ं
तमैर तबूाबमपाः कालिनाा
ु
साशऽनऽूोयोिन े
ं ूोलणा ं ूोूकारण
े
तपदवताम ्
े िछन ूोविलमण
े विलं िनव
े ैव ं
ु ु ु े
साशऽवलगलघतापया सिदनादहीन ं का
ृ
ैदवतािभः
त यु े सवशऽन ्
ू हा िवजय ं ूाोतीित॥ ९५॥
िदनत इािदिभः कत इिै िभः ोकै ः
ु े ृ कालिवशषण
ूागिवाराशरावि े े फलिवशषे ं लिलताया िवाया
आिभः सिवािभः सदाय वािदकोपिदशित। तऽ िदनतः
े
वारमकिमऽायः। ु
ूागिवाः े
ूितिदनमकवारं
े एव ं वारपमासषिशिवस
जपिदथः। ं े े कं
ैः ूकमकै
वाररावौ
वारिमथः। े ृ ूथम ं भाृ रवारे
े
विशनीकामरीवगा िवाः। अषे ु ष ूितवारं
मोिदािदमातृकावगषोिवा
--------------------------------------------
अथासदायापहोमानािदकम।्
े िवा भजिदमाः।
जपतपणहोमााबम े
े
तनाराणा े
ं िसााः िसशषतः॥ ९९॥
--------------------------------------------
े ् प े कवारावौ
यथाबम ं जपत। े ू
ृ पणाऽयपास ु
ू
पवानायः। लिलता आा िना यािभः कालिनािवािभः।
सदायवती
ु े
यगपायिदनघिटकापपारभजननािविात।् आसा ं
िवाना ं नवनाथपाा
तारयभजनादिविपतया ्
एतत सव
सिनािवोपलणम।् अथासदायात असदायािदित
्
े
पददः। ु
अथा आिभिवधरभजन े असदायात ्
ु
यगािदपापभजनासवााथाप -
पारभजनासवा। ृ
कतम ् े े शषः।
असदायनित े
ु
जारे कालारे पऽपौऽािदष ु वा। एतं भवित
आिभिवािभः लिलतााना ं षोडशिनािवाना ं
ू े
पवािपाननोपामाऽतया अिविात ्
ु भजन
सदाया भवि। ूोपभजनवैध
िविादतत ् ु
े बमिवधरमरबमरिहत ं कतभजन
ृ
ु
साधक कालारे पऽपौऽािदष ु वा सदाया भवीित॥ ९८॥
--------------------------------------------
ु
पषामयी ाििरित सक ् समीिरता।
् ृ
अा िनफालनाि े त ासात कतम॥् १०१॥
इित षोडशिनात े ौीकािदमत े मातृकाािनाम
ं ् २५॥
पिवशितपटलम॥
--------------------------------------------
्
िसात तादान ु
े िसि भजनवैधणािप। े
अशषतः सव।
आसा ं कालिनािदिवाना।ं उपािसतःु साधक। असा ं अश ं
ु
। रं कमश। ू
ं िशवः पिरपणाहाा॥ १००॥
ं
यसा ू े
यािण रगाथनामसििविधितः।
९४६७५०७१३१२।
ं
िाणवासािन िवना ौीचबयोगतः॥
ु
ाामाः पशतनवा सया।
सामव ु
े ं समिाः पटले पिवशक॥
ं े
ं
षिशपटलम।्
अथ षोडशिनाना ं िवाािपतः।
माणा ं वैभव ं व े ण ु दिव
े यथािबिध॥ १॥
ू ं ानाा त वणताम।
नादोि तिप ्
ं ं िवया ासार
ता ं बम ं तथा।
े े
अमृतिरदा ु वण ु ैरिप॥ ३॥
ैिथन
--------------------------------------------
ू
पविन ् ं े पटले षोडशिनाना ं
पिवश
ु
मातृकाकालािमपिदँयानरं षोडशिनाना ं
ािवैभवूकािशका ं माि ं
े
तयामृतरीिवािदक े
ं चोपिदशथ षोडशािदना
सचराचरिमने ोकशतपण
े षिशन
ं े पटलन।
े तऽ अथ
े े इ
षोडशािदिभरशषत ै तिभः ु
ु ोकै ः पटलाथानपिदशित।
ं
तयाणा ं तमकोिटसािवया
ं ं
ासार
े
बम ं ािभलिषतया िवया अिभषकािदिभरासार
ं
े े अमृतरीदा
बमममृतिरदा े बमिमऽायः।
े इथः।
वण
ैरमृतवणः।
िमथन ैः िनािनापटलूोै ः सािमित
े
शषः।
--------------------------------------------
--------------------------------------------
ैः ५७६०००००००
ाि ं िनाना।ं त ैः ूणवािदसवम
ं
सात े ूयोगािनऽायः॥ ४॥
ैमः
े
ाािदना ोकन ु
े नादोिमपिदशित। तऽ
े े आनः परप ाशा
ााशिघातन े
कालमा घातने ूरणन। ु
े े ूाणवायपतः ूाणा
ं े
षिशटलवमाणवायोरकाकारतः। ू
मलाधार े
िनािनापटले ूोप े ूािणनािमित शषः।
े नादसवः
े
नादोिः ूथमावथः।
ु
नादपमारापादमखादवगम।् एतं भवित
सूािणना ू
ं िनािनापटलूोप े मलाधार े
परायािाऽायाः शःे ापया
े कालशा
े ु
ूिरतूाणवायपा ं नादिबूथमावा
परासा
सायत इित॥ ५॥
े
स एवािदिभः काबधी ु
ै तिभःोकै ः
ं
ूोस नाद
ू -
पँयािदवैखाविशावाऽयकथनपक
े ु
मकारािदकाराानामकपाशणानामिाना -ु
पिदशित। तऽ स परावो नादः। तया इाशा। ािधान े
े ू े तथ ैव यथा ाशा
मशमल। े
ऊनीतो नादः
ािधान े जृितः पँयाो भवित। अनाहत े दयदश।
े े
ु ्
े तिन ान
बितसमतः ु े
े बपलिः। तथा यथा अनाहत।े
ु कठदशतः
तया ूावा। िवशौ े ु ं े
िवशिस
ततः वैखवानर।
े े इथः।
कठदश ं
ू
िजामलामपृ ू
ः िजामलो िजामो
े िजापृ ु लकारारो भवित।
िजापृथः।
्
बमात ूोात ्
कठताो े कठौात ्
ित इित शषः।
े
ोपपमी दौयतः
कठौमाऽित इथः।
दौय े ित इथः।
--------------------------------------------
p. 488) ु
अनाहत े बितसमतो
े ममािभधः।
ु स िवशौ
तथा तयोनः ु कठदशतः॥
े ७॥
वैखातः
शीषकठताोदतः।
ू था नासामतः बमात॥् ८॥
िजामलामपृ
कठताोकठौाौयथा।
ु
समारािण बमादािदकाबिध॥ ९॥
े े ु
आिदारतषामरमदीिरतम।्
ु ैान
तषे ु राः ताः े ् १०॥
ं भवत॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
े े े ु
तषामोसदजातानामकयमतः।
िऽिभिरािदपाणा ं सा
ं क ु न शत॥
े १४॥
अनादिचािपाणा
ू ्
ं न कीनम।
एव ं श माहा ं वं ु कािप नाि िह॥ १५॥
ु
चतःषििमताः ु
ू परोिदताः।
कोाः सय
ु
कोः माासा ं िवा वािम ताः बमात॥् १७॥
--------------------------------------------
ु
ूागूकारयोगवणयोगजिनतिसयोिगनीमशािदपाणा ं
ू े
। शिः साम अ पवोकनायः। े १५॥
िदशा उपायन॥
े
लिलतािदना े े ोकन
बमािदनाान े लिलताचब
े ृ ं ं तासा ं ता
दवताबसा ं िवा उपदे ु ं ूौित।
तऽ लिलताचबनवके वमाणप ौीचब
ु
ऽैलोमोहनचबािदसवानमयचबाचतरॐािद
े ूक
सवमाचबनवक। े ं ूितचब।
ं शयः
ु ं
गसाः। ु ं शयः परोिदताः
ता गसाः ु कोः ः
षितकोिधकपशतकोः (५७६०००००००)।
तमाबनवकबमात।् तासा ं उकोिटसाना
ं ं शीना।ं
्
बमात यथा बमम॥् १७॥
--------------------------------------------
p. 490) षा पशत ं ूथमारािण वै।
ितीयािन च तावे बमण ु
े रथािदतः॥ १८॥
--------------------------------------------
े ु इिै िभः
षािदिभिचतरणका
ु
ोकै िचतररा े
िवा उपिदँय ताकाकारािभिवािभिवना
ं
षितकोिधकपशतकोिटसाता िवा उपिदशित। तऽ
षा पशत ं ूथमारािण वै। एतं भवित अ आ
इािद ं ः इािन षिधकपशतारािण
ं
वमाणबमािनतसािवाना े
ं ूकमारािण
भवीित। ितीयािन च तावे बमण ु
े रथािदतः। एतं भवित
तावे षिधकपशत सारािण
ं
ं
वमाणसाना ु
ं गयोिगनीिवाना े ं
ं ूक
ितीयारािण भवीित। तृतीयािन च तावे तावे
ं
ूोसारािण े ं वमाणसाना
ूक ं ं तासा ं
े
िवातृतीयारािण भवीित। योजयदािदतः ्
बमात ाै
ः
ं एतं भवित अकारािदकाराःै
षिशणः।
ं
षिशतारै ं
ः ूोसािन े
ितीयारािण तषामािदतो
े
योजयिदित। ं
त ैः समाय ैसका िवा भवि। एतं भवित
ूोूकारोत
ृ ै ैिवाप
ैर े िवसजनीयसिहत ैः
ं
ूोकोिटसा एकाकारवणा िवा भवीित। िशाः
ुे
रकाकारा ु त ैः। एतं भवित ूोूकारूोतास
ृ ु िवास ु
े
िशा िवा ैररैरकाकारा भवीित। िवना
े े तोिटसाकाः
तािभरकाकारािभिवनथः। ं
ं ु चतररपा
ूोकोिटसािचतरणकाः ु ु
ैपरा
तास ु माा ं
भवीथः।
ू ं े ् आसा ं
े ं कटपिरकयत।
माामराा ं एकमक
ु ु
ूागगयोिगनीिवाना ं अऽ मूोारूकारः।
ू े
अकारादीना ं पणमडलाराणामव
ूथमितीयतृतीयारानाविताषे ु ूथमारने
ितानामराणामकैे क
ं
कोिटकोिटसािवानामारं भवित। तोिटष ु
े
तृतीयारनावितानामराणा े ं
ं ूक
े ु सिवसजनीयािन
िवसजनीययोजनाष ं
तािन षिशदरािण
ं िवाना ं िवसजनीयािवधानात
सवासा ् ु िवािन
चतणा
ं
षटिऽशदरािण
िवसगाािन ं
षिशदरािण
--------------------------------------------
p. 491) ुे
िवा भवि िशाः रकाकारा ु त ैिवना।
ं
तािभोिटसाका ु
िवािचतरणकाः॥ २०॥
--------------------------------------------
च षडाराणा ं िवसजनीयोजनात ् े े लकाराभतात
रफ ू ्
ु
पनतया ू
तािन चािर च सय
ं े
षितसारायकाविशािन पशतारािण
एकै कं िवशितिवशितसहॐसाताना
ं ं ं ं िवाराणा ं
तृतीयारािण भवि। तषे ु ितीयारने िताना ं
े
तषामराणाम े एकै क षिशारसयोजनिवधानात
ं ं ्
ं ं ं
षिशदिधकसशतोरिवशितसहॐसािन े
भदपािण
े ू ं े ु पषे ु तारयोग े क
भवि। तषसष े तषा
े ं
रयोगने िवनाितिसपमकरणपारासवात ्
ु
तरयोग इित। तािन षिधकपशतपािण पनः
े ु पवय
ूितवगषडारष ू े रफयोगन
े े अपरय े लकारयोगनािप
े
् ु
समानपात ततयारजिनतािन
ु ं
चतािरशदिधकशतपािण। कारण
िक कारवग े
योगकतया ू ूितिवशित
तािन षोडशपािण च सय ं सहॐािण
ं ं
पािण भवि। * षिशदिधकसशतसािन पािण
ं
पिर िशािन िवशितसहॐािण पािण भवि। तािन
ं
िवशितसहॐपािण तृतीयारने ित ैः
ु ं ु
ं ैररैः सगणनात
ूागूकारपशतस ् ं
कोिटसािन
िवापािण ूथमारने ित ैः
ु
षरपशत ं ु
ैररैः सगणनात ्
ू ं
पणमडलकोिटसािन िभाकारािण
ु
चतररपऽ ु
ैपराकािन िवापािण भवीित। अऽ
एकाकारने ाना ं िवाना ं सा
ं तिणतूकार
ु
े े ु पषे ु
िलत।े यथा मारजिनतभदष
ू े ैकाकारने पिरपािण
पवूकारण
ं
षिशदिधकसशतािन तृतीयारने
ू ं ं ु
ूोपणमडलसारसगणनात ् ु ु इित
तधीगवः
ं
४२३९३६ षडरवाजिनतसािन पािण। मािन
ं
िभाकारािण िवशितसहॐािण े े े
पािण तृतीयारकाकारण
ं ु
ं ैः सगणनात
पिरै ः षरस ्
् १५२०००० सारवाजिनतसािन
नानाानाौमोयम इित ं
पािण च सय ु
ू तधीगभध
इित १९४३९३६
ं
सारवाजिनतसािन े ं पाणा ं
पािण भवि। तषा
ू ं ं ु
ूथमारने ितपणमठलसारसमणनात ्
--------------------------------------------
ं
सारान ् ु दविश
ण ु
े े गणा िशरण।े
े दहादापार
समानऽिप ु
े े े गिशयोः॥ २२॥
ू ू
पपजकभावकारण ैः ूय ं तथा।
् २३॥
ू ं य ै ु ाैराश ु त े दशयाहम॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 493) ं
सारो े
मयाािभषका
ैनोयिद।
े न ृँयतऽथा॥
सा जरारोगमरणशै े २४॥
े
आनदप ं
सारो ु े २५॥
न ैव यत॥
े
इियाणा ं यिद भवदा ूाणसमानता।
ु े े
वदाना ्
साात क ु ् २६॥
ाद ् गवीणम॥
ं ैः िखिचाना ं कीणपानाम।्
इािदसशय
े े े ु गणा
सकणोपदशै ु िबयत े त ु यत॥् २७॥
--------------------------------------------
ं
सारािनािदिभवणिम ःै पिभः ोकै ः
े े िश िबयमाण ं मसार
दिशकन ं ्
ं तत कािद
ु
ूावपरःसरमािपित। ं
तऽ सारान ् े े
अिभषककटाोपदशान ्
्
अिन पटल
े वणारवमाणान।् गणा
ु िश रण े
ु
ु े गणा
िशानमह िबयमाणान।् सारािनऽायः।
ं
दहादापार े ु
े े े आिदशः ूाणियबािदिवषयः। ापारः
ू ु ु
षडिमपवभािपपासाशोकमोहजरामरणािन े
ििबमण
ु े
ूाणविदहधािदप ् ू ू
े तिन पपजकभावकारण ैः
ाैिरऽायः। ूय ं िवास।ं एतं भवित
ु े ु समानऽिप
गिशयोदहियूाणवािदम ु
े गरोः
ू
ूणामािदिभः प ू
े िश त ैः पजक े चोपपिकारणभतू ैः
ु
िनदशन ैः ू ं ूयमििनय
ं दशयािम ु
इपिदशतीित
ं
। सारः वनः ्
ु किचत ाभािवकासणापनयनन
ु े
े े सणिवशषािधकरणः।
िबयािवशषण ु े तने िशसारो
ं
े परमाथानूिता।
वासनापनयनन
े
मयाािभषका े
ैः। आशः कटाोपदशािदिवषयः।
े शषः।
तनोः शरीर िशित ु अथा ृँयत
े सा िशतनः।
े ूाण िशित
एवथः। े शषः। ् ं
े चते सार ृ े
इाकत।
िनता ा ु दिहना
े ं कतसाराणािमित
ृ ं े आनः
शषः।
्
जीवप। ूाणसमानता िनता आना साात अपसाात।्
े े
कूोितरकण॥ २६॥
े
इतीािदिभभविद
नै विभः ोकै ः यमाि ं अथ
सिनदशन ं समाध।े
--------------------------------------------
े े
दहियमनःूाणसािणानः िूय।े
ं
सारः ् ु
िबयत े सग गणा े
तविदना॥ २९॥
े े या त िचराढा त ु वासना।
उपदशन
रा ं ता ं िधया ािवमशन े ् ३१॥
िवनाशयत॥
--------------------------------------------
ं ैः
तऽ इािदसशय
ु ू ृ
आिदश ैगयािदजपपजािदफलभोिवषयः।
े सशयन
ीणपाना ं ूोूकारण ं े
े े ु े
दहियबाािदिववक
परमाथलाभपात।् तषा
े ं
व े इयः। यिशषापादनः।
े े
यदवा यिशषापादन ं
ाा महामलं ािवनाशकात।्
े े
दहियमनःूाणसािणः आनः
े े े ू े ु उपलमानानािदवासनया
दहियमनःूाणषपािधपष
ु
तदौपािधकाना ं गणाना ु े जामसषवास
ं गणन ु ु ु
ु
सखःखपाणा ु
ं अनसानावाया ं जीवा िचतः
ं
सारो े
वमाणपः। तविदना तयोपाानोः
परमाथिवदा े े ूोिवधाननािभषकण
सकन े ू े
े े दहे े उपािधभत।
्
अशभु ं रोगािदपीडा। वीणात ालामािलनीपटलवधोबमात
े ्
ु
गरोिरित ु े विरथः।
े आनो बः
शषः। ु े अयथाथिनकन
ृ ं
ं ु े े ौीिवादीना ं िवाना ं
ं उपदशन
अतिििवनाशन।
तदथाना ु
वासनापटलवमाणने ऽैगयानािमित े
शषः।
त िश। िचराढा जतः ूभृित मनोला। वासना
ु
िधया बा
पिरचयः। रा ं ता ं जा ं वासनािमथः।
ु े पण
गपिदन
ािवमशन े पराहापपरामशन।
ृ े ूोपसारकरण।
एव ं कत ं ु ृ े
े विवः
ं
ससाराानिपता ं
िवनाशः ससारानभावाया
ु ृ े े ससारानाभावपो
बिवमायापोहन ं िवनाशो
् ृ
पालः पामाात ूविहाा
भवतीथः।
भवत उभ े इित
तयता िवौािः। उभ े उभािवथः।
ू
पऽायः। एतं
--------------------------------------------
p. 495) एव ं कत ु ृ े ससाराानिपता।
ृ े बिवः ं
ु
िवनाशो िनशापाल ु े ३२॥
इभ॥
भवतऽ ा ं ू ं पँय पावित।
्
शाना ं बीजप बिशात ूरोिहता॥ ३३॥
--------------------------------------------
े े ं ू
भवित दहियमनःूाणसघाताकोपािधषपला
ु ु े ु
जलचवदौपािधकागणानगणनानभविवमोिहत
जीवानििप
ू ु
तिवदा गणा ु ं
गणसारकरण ं नाम
े े े
ूोपणािभषकण
ु
ूानजािदूाौपािधकाौभिनराकरण े
ं तटाण
ु े भावूविपाथााननाशमपदशन
बः ृ ु े े पनः
ु
ु च
पनपिदूकारािवमशन
ु
सिचराढवासनािवनाशन े ् एव ं कत
भवत। ृ े भावतो
ृ
बिहिवषयूवाया ु ृ े ृ
बिविषयवभावपो िवनाशः।
े
तनााः ु
ूखूवौ ू े
ृ प िवयषभतािव
ु भवत इित। तऽ
तादाने िवौािपो िवनाश इभौ
ु ृ ं ु े
ूितपािदतपतो गकतसारािदिभववासनािवनाश े
ु
ानभविसौ च तऽ ूरोहणाभाव े अ बीजप शिः
तथााानजािद
ूरोहणशिः न बीजपिमथः।
अऽािदशो जरामरणािदिवषयः।
ं
अथाानसिसजजरामरणािद। यथा विशात ्
शाना ं बीजपाूरोिहता तथा िशाानजािद न
भवतीथः। ्
कारण ं यथ ैवतत यथा
विशाीजप े
ू ू शिदत
े तरोह कारणभता
पवितऽिप े तथा
अानजादीना ं वासनाप ं कारण ं यदिप दत
िक सारािदना
इथः। ं ाूकाशकारण ं
िनदशनारात ्
ँयत तरोहः कापासबीजूरोहः।
इथः।
ु
पािद ू
आिदशः फलमलािदिवषयः। तथा लाारागाणवण
एतं भवित यथा शाना ं बीज
भवतीथः।
े तरोहकारणभतशििवनाशात
विपशमाऽण ू ्
कापः
ं ृ ू
ूरोह न भवित तथा त िश ससारािदूविजभत
ु ृ ं
मनसो गकतसारा मनसः
ू ू -
ं ितूविबीजकारणभतवासनानाशााभत
ससृ ृ
ं ािदूविरिप
ससृ ृ
च न भवित। यथा च कापास
--------------------------------------------
p. 496)
िक कापासबीजािन लाया रितािन त।ु
ु
ँयत े तरोह पािद े ् ३५॥
च तथा भवत॥
रह ं परम ं सिसििचामिणिरम।्
ु
ससा ं सूामघाना
ु ् ३६॥
ं सवितम॥
ु ु
पररणहोमाातपणितयकै ः।
रिहत ं त े वदा मिवानकाः॥ ३७॥
ताः ण ु ं महशािन
े े
साभीायऽिनशम।्
े े ं कथन॥ ३८॥
साधकाना िसाना ं नतरषा
े े े े
वदभाषतरािऽभदानामशषतः।
ु
सासना ं सासाधिचािवरिहत ं सदा॥ ३९॥
--------------------------------------------
ृ ं
बीज लाया कतसार ु
ूरोहपािद ्
तत लाारागपवत ्
ु ृ ं
ँयत े तथा त िश मनसो गकतसारािदना ं त
सृ
ृ ु
ूविगिप ु ू
ानभितिपणी भवतीित॥ ३५॥
रहिमािदिभः सदा इरै ािभः ोकै ः
ु
सकलारपदवाादीना ं मपमपिदशित। अऽ
परमिमादीना ं रिहतिमाना ं षणा ं ितीयााना ं
े े ं वदामीऽायः।
पदाना ं रहिमतिश
मिवानकाः मा िवा
ु ता
े ैकािदयोगादना िव े इथः।
ूागूकारण
मिवाः। साधकाना िसाना ं इाभीाय े
इऽायः। नतरषा कथन कनािप
े े ं न साानािमथः। े
े ं ताना भवात।् इतराकमााकं
े तषा
ूकारण ।
ु
सासना ं सासाधिचािवरिहत ं सदा शाना ं
ु ु
साधासाधयोः ं
साकिकात।् दाकं शिपिमथः
। समदय ु
ु ं नाद ूागपरापँयािदपाणा।
ं िवौािः
ू े मदाकं िशवपम।् उभयाकम ्
पवानामव।
उदयिवौािपिशवशाकम।् आप ं
ु े शषः।
ं त ैररैः सहित
ूागमहिमितप। े कालन
े बमण
े
अःखािवासनानाशतः
े
भदाकःखोािवासनािवलयनात ्
पराहामय ं
ू
पिरपणाहाकम।् सवपािवमह
ं
सवपदाथपािण
--------------------------------------------
े
कालनाःखािवासनानाशतो ु ्
ीवम।
् ४१॥
पराहामय ं सवपािवमहम॥
ु े ्
सदाकं रामशषोपािधविजतम।
ूकाशपमा े व ु तासत े परम॥् ४२॥
ं वैवानामशषतः।
षडादशाणाना े
े
माणा ं परताथवाचकादभदता॥ ४४॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 498) ्
लिलतािवया तत ूासाद ऽयानः।
तथ ैव च पराया गायाोपतः॥ ४५॥
ातीना ं महावापरमााजपानाम।्
ूणव च तिपयोगात
ू ्
ादाता॥ ४६॥
--------------------------------------------
े ाि ं ावादवताप
अारण े नारायण
ु
नरसमदायवाचकनारशूितपािदतसकलिवायतनात ्
्
ानात अा े
दवताया े
नारवािवायािमन
े वादवताप
ितूितपादना। ादशारमण े
ु े
भगवतो वासदव े
सवशिकारणवाचकभगवन
ु तादािनवासवाचकवासदवशन
सवपदाथष ु े े
ु
िवभूितपादनात ्
एव े े ं
परपवाचकादतषा
लिलतािवया ाििरित। तत ्
परपपरमाथया
परताथवाचकात ्
ूासाद ू ू
शैवतमलभत म
ऽयाकं नाम
ऽयानः ऽयाकािदथः।
े
ातृानयाकं
। त म ातृपो िवः
ु
ानपतशरः े
यपो हकारः। एतं भवित
े वादवताया
ूासादमण े
े
ातृानयपािवकपरमाथपकथना
लिलतािवया ािभवतीित।
तथ ैव परपवाचकािदथः।
ु ु
परायाः कलसरीिवातातयबीजपायाः ताः
परमाथवाचकं ू
पवऽ ैिवात।् एतं भवित
े
ौीपरािवया ूोपया वादवताया
े
ातृानयािभः
ु
िवसजनीयचतदशरसकारै ू ु
रपृथतानरपरमाथपकत ्
--------------------------------------------
p. 499) ु िवमहम।्
िबा ं ता ं तथा मायामभयोरै
ं
हसपा ु ् ४७॥
ं ूाणशिं तैलासमवम॥
ु ् ४९॥
भिभदे े च कथय ययाोिखलं ीवम॥
े
दवतामयाणा े
ं ानादीनामशषतः।
्
यदयात फलावाियियोग े ौमो वथा॥
ृ ५०॥
--------------------------------------------
ू
ू े परमाना ताभतूपािकायाः
िचिपण
े
ाशरपृ ू
े थतपपरमाथपमजपामण
े
े
वादवतायाः े ु
ूोपाशासपूपाना
ं चोत इित। ूणव
परप भासन ं परमाथप
अनरोकवमाणप। तिपयोगात
ू ्
परपतादााथसात ्
तदाता े
लिलतािवया इित शषः।
े ु मषे ु
एतं भवित वैवशैववैिदकष
ू ू े े े
मलभतानामतषामकादशाना ं माणा ं
ू
सकलकारणभत े ु ितने
िचाऽप ाशासिवजृ
्
ूपने तादाने तादाूितपादनात लिलताया
तदथूितपादक ु ं ूणव ं
तैलोसमव
ं भवतीथः।
ु ृ
तदाकयोिबिवसजनीयमयोहकारसकारयोवलोकतसि -
ु ं ूणव।ं एतं भवित
समव
िशवशिसामरिवमहपरमाथायाः
ु ु
ौीमहािऽपरसरीिनायाः
परमाथपकामकलाया ं
िशवप िबोः शिप िवसजनीय ु
चानलोयोग े
परमाथजपािका ं ूाणशिं तैलोयोगात ्
ूणविवजानानतो िनािववतीित। इतरे
् े
एतामरिवानरिहताः। भिमः िनास।ु कालात बमण।
तान ं सामरानम।् एतं भवित
े
एतामरपानमरणािप े ं
तासा ं िनाना ं कवल
ु
सढया भा भजनने बमण ं
े तिभजन
ं ददातीित॥ ४८॥
तामरपपरमाथान
अभीािदिभःिखनः इःै पिभः ोकै ः
ं ं भिप मभिभजनूवायोपिदशित।
भिूशसा
तऽ अभिभजन ं िनानािमऽायः।
--------------------------------------------
ु तोयोथा।
उलणस े गरौ
ु
िवानानयोः ै िधयः सशयनाशतः॥
ं ५२॥
तारकाूम े भिािखलाथदा।
यया िवहीना िनयतिमहामऽु च ःिखनः॥ ५३॥
े
सशापदोिधपोतपा ु ं
ं महाित।
ृ
आिधािधमहादावूावषामृ े ् ५४॥
तरीम॥
ु भवदाा
दावाै े ा ं समायया।
ाकं दाहवनैः ातीया
ृ े
सामृतरी॥ ५६॥
--------------------------------------------
े
शदायक े शषः।
ं साधकित े यया भा। अिखलिमफलं
् े यियोग े भिरािह।े ौमः अासः।
यदयात भियोगन।
ू े
पवदवतामादीना ं सक ् फलमय िसिं
सवफलिसिकारणात।् उलणस े ूथम
ु
पटलोसरः ु ु इािद लणसण।
समख ू तोयोः
सूोयोः
ु ं
िधयः सशयनाशत इतत ्
े काकािवत ्
--------------------------------------------
--------------------------------------------
ं
समायया े
सकारहकारखािभि े
तीया िवथः।
ाकं दाहवनैः ातीया
ृ
े ृ
जकारहकाररफाकारिबिभतीया े ए तषा
िवथः। े ं बीजाना ं
ऽयाणामकैे क िवां िवत।े सामृतरी
े
ू ु तरी
पवूतामृ े ु े ५६॥
िवा इमथः॥
े
वासनािदिभः ीणकष इःै षिः ोकै राः
े े ं
षिधपभदादािन शरीरे अमृतकलाः शरीरषे ु
े
तासिवधानबमोपिदशित। तऽ वासनोूकारण
े े षिधा
वासनापटलवमाणसिवापभदोूकारण
े
सा सामृतरी िवा षपभदा तिपािण
े भवीथः। ू यथा
तऽ ूथम ं प ं ूोारबम ं ितीय ं प ु
ू े भवित। तृतीयप ु
ूथमतृतीयितीयकटयोजनबमण
ू ु
े भवित। चतथप
ितीयतृतीयूथमकटयोजनबमण ु
ू े भवित। पम प ु
ितीयूथमतृतीयकटयोजनबमण
ू े भवित। षप ु
तृतीयूथमितीयकटयोजनबमण
ू े भवित। ूथमप
तृतीयितीयूथमकटयोजनबमण
ूितलोमप ं भवतीित। तासा ं षणा ं िवाना ं आायाः
े े ु ूथमूथमकटपायाः
तदष ू
दीघरयोजन ं ूावत ्
करायोः ूावत।् एतं भवित अमृतरीिवापभदष
े े े ु
ू
ूथमकट
ष ूथमितीयपयोयोः ्
ैवाात तिन ्
दीघरयोजनात।् वा ं व इािदिभजाितयै
ु
ू े
प ैिपभदयभजन ु ् तषे ु
े कराासािदकं कयात।
ु तीयकट
तृतीयचतथयोि ू ्
ैवाात तिन ्
दीघरयोजनात।्
ु प ैिपभदयभजन
ा ं इािदिभजाितयै ू े े
ु ् तषे ु
षडासािदकं कात।
ृ ू
पमषयोतीयकट ्
ैवाात तिन ्
दीघरयोजनात ्
ु प ैिपभदयभजन
फा ं फ इािदिभजाितयै ू े े
ु
षडासािदकं कयािदित। ू
तय ं कटऽय ं षोडषरैः
ं
सयो ू
ूितकटिमित े अमृतसानात
शषः। ं ्
े
अनरवमाणबमादमृतकलाितानसारथः।
--------------------------------------------
् ंु
दवामसमारात पियोरय ं बमः।
ु े पणािमतर
श ू ू
े मािदूितलोमतः॥ ६०॥
े ु बमात।्
भगय ासाशाऽगा
िनशो मृतगानसमारावसानकम॥् ६१॥
--------------------------------------------
् ं ु
अत िवसजनीयरसयप ं तत ं
ू तान े सिदथः।
ासानारभतामृ े एतं भवित
े
अमृतरीिवायाः ू
ूथमितीयतृतीयकटाना ू ं
ं ूितकट
षोडशरयोजनादकै ू
े क कट षोडशपािण भवि। तािन
षोडशपािण वमाणबमामृतानमार
वमाणामृतकलागा पदशपािण िव षोडशं
ु तान े सिदित।
प ं पनरमृ े पृ े ूपद।े तिः
ु ु
गजानसोः
शे भालपााििन।
् ंु
दवामसमारात पियोरय ु े पणा।
ं बमः। श ू ं
ु
एतं भवित शप ू
े पवदिहण पादामार
ु
े ु पदशस ु ूोष
ू ं ताष
मा े ु ानषे ु
ू ं पदशस ु ितिथष ु ूितितिथ
तथमािदपणा
यथाबममारोहबमादमृतकलायाः िितभवतीित। िया ु
वामपादामार
ु मा े ु ूोष
ू ं ताष े ु
पदशस ु ानषे ु तथमािदपणा
ू ं पदशस ु ितिथष ु
ूितितिथ यथाबम मारोहबमादमृतकलायाः िितभवतीित। एव ं
ंु
पियोः ु
शप
े समारपाबमासऽिप
े
ानबमासो न भवतीित। इतरे कप
ृ ू
े मािद
अा
ु े े े भागय
ं ूितलोमतः अवरोहणबमणथः।
् ंु
ासात पियोिरित े अगा
शषः। ु े शषः।
अमृतकलित े एतं
ृ
भवित कप ं ु वामपामािदवामाा
े पसो ू ु ं
े ु पदशस ु ानषे ु पणाूितपदमार
ूोष ू ं
दशा
पदशस ु ितिथष ु ूितितिथ
े तकलािितभवतीित।
यथाबममवरोहबमणामृ िया ु
ू दिणाा
दिणपामािद ु े ु पदशस ु
ं ूोष
ानषे ु पणाूितपदमार
ू ं पदशस ु ितिथष ु
दशा
ूितितिथ यथाबममवरोहबमणामृ
े तकलायाः िितभवतीित। िनश
े े ैकन
इािदना कष इनाान े ोकन
े ैतं भवित।
े े े ु ष भजनीय ैकै क
अमृतरीिवाभदष
--------------------------------------------
ु
शिटकसाशा े ैः।
ं मौिलविनगत
े
अभृत ैरािदहाामलाभरणािताः॥ ६४॥
ु ु ं पडरीक
कमद ु े त ं करैः।
राकभमृ
े
दधानाः रवदना ु ू
माभरणभिषताः॥ ६५॥
--------------------------------------------
ू
े ैव कटऽयवतः
भद ू
ूितकठ ्
षोडशरयोजनात जातािन
ू
षोडश षोडशपािण एव ं सयाचािरशिपािण
ं ू
े तकलािितानमार पदशस ु ानषे ु
ूोबमणामृ
ु
पदश पािण पनरारान े षोडशपमवे ं
े ् तने साधकः ूोपो
षोडशषोडशिवभागने िऽशिशः सत।
भवतीित॥ ६२॥
ानिमािदिभः पिरवािरता इ ु
ै तिभः
े
ोकै रमृतरीान ू ं तदावरणशििनवहोपिदशित
ं तजा
े ू े
। तऽ तासा ं अमृतरीमििवाभदषाना।
ं यासा ं
ू े
ं शाः
मना। ु
तापऽयपाः। शिटकसाशा ं
ू
मििमित ु
े दधाना इपिरतनोकोरा
शषः।
े
ूथमपादनायः। ू े
मरकवचनं तासा ं षणा ं
ऐपरमाथात।् अिता इित बवचन ं भदपाीकारण।
े े
ु
अऽायधािन े
ऊािददिणवामदिणवामबमण।
े
रवदनाः ् ू े ं ूावधाना इऽायः।
ूावत मििवशषण
ु ू
माभरणभिषताः मौिकमय ैराभरण ैरलताः।
दलमगाः तािभः षिशताणाशििभः
ू
पवामृ ु
तारषरशितकािभः एतं
शििभिरथः।
े व
भवित अभीमानॅमण े े
ृ ं िना विहरकालमानन
ु
ृ ं का
व े व
ृ तिहः पालमानन
ु ृ ं िवधाय तिहः
ु े ु े व
पनरकालमानन े
ृ ं िवधाय एवमविहिवभागन
ु े सा िवशितवािन
ूोचतयन ं ृ िवधाय तास ु
पालारालास
ु ु दशस ु वीिथष ु एकामका
े ं वीा ं
ृ तऽ सवमकिणकाया
षोडश दलािन का ं
े
ूधानदवताममृ े
तर
--------------------------------------------
p. 504) ु
षोडशदयाना ं पाना ं दलमगाः।
तािभः षिशताणाशििभः पिरवािरताः॥ ६६॥
े पायस ं कदलीफलशकराः।
िनव
होम त ैपण ु जलैः कपरवािसत
ू ैः॥ ७०॥
--------------------------------------------
विहदलष ु
े ु भगमािलनीपटलोषरशतामृ
तारािकािभः
ू े ् एतदासा ं पानामिप
शििभः पिरवािरता ं पजयत।
साधारणम॥् ६६॥
े ैिर
तिािदिभवािसत ु
ै तिभः
ू
ोकै रावरणशीना ं पजािवाः े
दाः ू
पजािािण
विलहोमतपणािन चोपिदशित। तऽ तिारोपते ं
ू ं
पवसाना े
ं ूकमाारन
े योजनीयिमथः।
ं े ताणष ु एकै कं ूोसाा
तदण ूोसमृ
ितीयपटल इितशषः। ु
े चतदशारी े कव
ूितिवािमित शषः। ृ ै ं
ृ े तािभिवािभः।
एव ं ूोथः। ् े
ूादियात अमादारित
े एतं भवित अमृतरीिवापभदषभजनीय
शषः। े े
ू ु तारषे ु
ू ं पवमायानरममृ
प ूथमकट
ु
िवयाशीितष ु च ैव ं सय
ू षरशतषे ु
ूोबमण ु
े ैकै कमरमायानरं िपणीशिपाका ं
ू
पजयामीित ु एव ं सय
ादशारायाय ू ूितिव ं
ु े
चतदशारािकािभिवािभवाारूवशगामािद -
े े
ूादियनायिदित। ु
सगििभः ू
ूसनिरऽायः।
ू
ौीखडं चन।ं विहिनपजामडलतः। आसा ं
े ु आसामिप लिलताकमत।
ं तना
षिधानाममृतरीणा। ु े
ु ं आयोयथाबम
विलयमक े
ं षोडशारमण
ु ु
ककासाा ु ७०॥
च। त ैः पायसािदिभतिभः॥
--------------------------------------------
p. 505) े
दशल ं जपिा ं पयोभः समािहतः।
एव ं जपािदसिसिवो
ं मी यदा जलम॥् ७१॥
समिज ्
ु ं ृशन हतलन
े ूजप
े ताः।
एकै कशः शतादवे ं तोय ं सिभम॥् ७२॥
तव े
े े तिाणसमतान ् ं ु
षिसयतान।्
े
शताणानािलख े ् ७३॥
े तदा ं मतो िलखत॥
--------------------------------------------
े
षिधामृतरीिवास ु ािभमतिवायामकैे ककटसमतान।
ू े ्
षिसयतान ्
ं ु शताणान ् ू
पवामृ म े
ताणािनथः।
किणकाया इित शषः। ्
े तदा ं मतो िलखते साारसमोपत
े ं
मतः साारसमोपते ं तािलिखताप
े ं
े तषा
िलखिदथः। े ं उसानामरपाणा।
ं ं
े े
अोसदालखनात ् े े
वासनापटलवमाणभदबमालखनात।्
--------------------------------------------
p. 506) ृ ्
साारसमोपते ं य ं ािदिसिकत।
े े े
तषामोसदालखनात ् ु
रनकाः॥ ७४॥
ं ू
ृ िवशितसऽकम।
ूादिणोद का ्
ु
कोाा ु े
ससमाकषा शतऽयम॥् ७५॥
चािरशत
तोणतो माजयीत ं ्
सपकम।्
् रकाशीितशतन
शषे ं वळ ं भवते कोै े े वै॥ ७६॥
ु ािकोणकम।्
तऽ िद ु यथा पवू चतिभः
तषे ु ताा िलखिा
े ु ् ७७॥
ं षााासमायताम॥
--------------------------------------------
सपकं पचािरशत
ं ्
कोानीित शषः। ु ूितिदशिमित
े चतिभः
े तषे ु चतषु ु कोणष।
शषः। े ु तााः िसाः।
ु
सााासमायताम ् ु
साधकसाकाायतािमथः।
् ं
ूामारात सवूाचीनपि
कोपकममकोारािदथः।
े ु कोाकप े समावरण े
कोणमपका
े ्
ु गतकोण े िलखत।
चतिद
--------------------------------------------
p. 507) ्
ूावत ूामारात ् े
ूादियूवशतः।
िविलखदमृ ्
ु बमात षिशत
े ताणा े ७८॥
ं िूय॥
े े ु कोणमपकऽिभिहतबमात।
शषष े ्
वाािदममा ु िलखदा
े ु प वै॥ ७९॥
े ्
उातशािमािन मलािन च कारयत।
् े े िदं यषक
यिन दश ु ू ् ८१॥
ं े वे ं सपिजतम॥
--------------------------------------------
वाािदविकोणकोािद अा ु
ु
पिऽकोणिलिखतिसिवाितिराः। साारयतािन
ू
तिाकटारािण
षििवािभः। े ं याणा ं
तषा
े अािन मलािन
गदािदपिररण ं फलिमित शषः।
ु ु
आयःौीपऽधनलाभादीिन। े े मारी
तऽ दश।
े
यावडलमकािधना नाशकरो शिः। अयमऽ
े
यिवलखनबमः ूादिणोदसमारालािन
ं ू
िवशितसऽायाा ु
तने ैकषिधकिऽशतकोाा तषे ु
चतषु ु कोणषे ु ूितकोण ं पचािरशचािरशत
ं ं ्
ू
कोािन सयाशीिधकशतकोािन ूावळाकारं
माजिया े े े ु चतसृष ु िद ु
िशकाशीिधकशतकोष
् ु ं सय
ूितिदश ं ूावत कोचतय ू षोडश कोािन
माजिया ृ तषे ु
तऽ तऽ ूाविकोणािन का
े तरीिवास
िऽकोणमृ े ु ष ूथम ं ािभमतिवा ं
ं ु ू
साािदसयकटऽयगभामािल
िशकोपषािधकशत ैः ूावत ्
सवूाचीनपिकोपकमकोमार
े
ूादियूवशगा
ूावदमृताणषिधकशतके
्
षाशदिधकशतारािण यावत षावरणा ं िविल
ु ं समावरणकोाके ूागािद चतिद
िशारचतय ु गत
ु े कोणकोचतयवज
कोचतय ु िविल
ु े मको े च सय
विजततोणगतकोचतय ू
पकोषे ु विकोादार मकोा ं ूादियने
े
िदगिऽकोणिलिखतामृतरीिवािशिवापकं ूावत ्
े ् एतत ूथम
ससा ं समािलखत। ् ं यम।् एव ं
े
अमृतरीितीयािदिवापके ािभमता ं िवा ं ूक
े ं
--------------------------------------------
p. 508)
तऽ चौरमहािधमारीिभशऽवः।
सदा न सववे ं भववे च सदः॥ ८२॥
ू
ृ ादशसऽकम।
ूादिणोद का ्
ं
स ैकिवशत ं कोािभतो माजयत ् ् ८३॥
े बमात॥
--------------------------------------------
ूितकोणिमथः। े े ्
दशपसमोपते ं िबयािवशषणमतत।
े वळ ैकषिके
पदशकोािण माजयिदथः।
म े समको।
वळपयकोैकषिके इथः। े
तिनजा ं िवा ं पदशपटले ूोास ु कालिनािवास ु
तिनिनाने ूाा ं िवाम।् आासमिता ं ूावत ्
् एकै कतः कोत इथः।
साधकािदऽयगभाम। ूितिदशिमित शषः।
े
े ् े े अमिऽकोणात ्
ूावत खोदर।
यथािविध समिऽरखिमथः।
े उदयारात ्
पिमादमतः िऽकोणमारथः।
ं े
पिवशपटलोबमािनकदयघिटकाूाारमार
े बमतः िदवसपकषडावि
थः। ु
ृ बमतः। िमथनािन
िनािनापटलोािन। अऽ य।े घिटकाबमयोगने तिटकास ु
ु तथा
ूितघिटकं तिटकाूािमथनबमािदथः।
अजास ु
िनािनापटलोािदिभिरथः।
ू े ु समी बवचनाािन
भतूतमहाािथः।
--------------------------------------------
p. 509) ु
षरािण बमतो िमथनाऽ ू े ्
पजयत।
ु
घिटकाबमयोगने गपािदिभथा॥ ८६॥
े े
सद े चायदवमण ु ः।
ैगपकै
ु ् ८८॥
िसत ैा सौरभोपते ैमडलाियमायात॥
पणाव ु
ू े ं समारा िमथनािन तथािविध।
े िनितम॥् ८९॥
समवाित ं वषादवाोव
जीवषशत
एव ं िऽजातो ु
े ं सखी।
नीरोगो िनगतािध ृ ं ु
िनविनीितसयतः॥ ९०॥
ू े ु चािभचारषे ु पजयिथनािन
बरष ू े ु वै।
म े सासमोपते े वळय े िदवािनशम॥् ९१॥
--------------------------------------------
p. 510)
मािकै यामतो वारकित ैः गहृ े नपः।
ृ
ं
िनाभै ः समीचीन ैः िधःै सूादिण ैः॥ ९२॥
ु
सदिण ्
ैिदन ैः कै ित ूयोारं िनहि सः।
तथा िऽलोहाँमतले का ु ृ ् ९३॥
ृ वळ ं सिवतम॥
सवतो े ं े ्
ु े तािन सिलखत।
िविलखीट
् े ु ९४॥
म े सा ं समािल तत खनवनािदष॥
ु
तऽािनश ं सदः रीिता ु
िनराकलाः।
ु िनरराः॥ ९५॥
िनःसपा िनपमा नीितया
ू े े याबे पाः
पणािभषक ू ूोा ु शयः।
्
तासा ं िवा ं ण ु ूा े यािभः ात िसिवमहः॥ ९६॥
--------------------------------------------
ू े
बरिािदिभिनररा इःै पिभः ोकै ः
तने ैवािभचारूतीकारिवधान ं तापनने
ृ
गहरािदिवधानोपिदशित। तऽ पजयत ् ु
ू े ूाग
े
न ैवमबमािदिभिरित ू े यामतो
े वळय े पवूो।
शषः।
वारकित ैः अहोराऽ यामाके
ृ ैरिभिरथः।
एकै कयामप ैकै कवारैव ु
सदिण ैः
ु ैः। िदन ैः कै ित ्
िनातूोूयोगिनपण
े
कागौरवलाघवापया एकािदमडलािदिभः ूयोारं
अिभचारकार। ु
ं सः अिभचारः। वळ ं िमथनवळय।
ं सवतः
े ु शिं खा।
त य ैकषिपदष। े ं तटु े
े े ं े तािन घिटकारािण। म े घिटकारम।े
खारफाश।
्
त ं ूावत ूाणूिता ू
पजािदसिहत ् कापटले
ं खनते मातृ
े े िनरराः समानाः॥ ९५॥
ूोबमतः। तऽ ूदश।
ू े े
पणािभषकािदिभराचरिम ःै पिभः ोकै ः
ू े
ितीयपटलूो पणािभषकचब ू े
े पदवताना ं
ं ु ं
सचािरशतःशतािधकसहॐसाना े ं
ं तासा ं ूक
षोडशारमपोपिदशित। तऽ चबे ितीयपटल
ूोप।े तामा ं शीना।ं यािभः शििवािभः। िसिवमहः
े
दाा भवित।
--------------------------------------------
p. 511) े त।ु
खरोािभः सहोािभिनािवािभरव
े
समीिरता िवषोढािभः रवजमशषतः॥ ९७॥
ु ु
े समायािरशतःशतम।
सहॐण ं ्
ू ् ९८॥
लिलताशिपजोवीजयसमितम॥
े ्
पशीित सिहत ं सामचयत।
े ं षोडशाणािभिवािभािभरिक॥
ूक े ९९॥
--------------------------------------------
ं
रोािभः पिवशपटलोकालिनािवास ु
विशनीवगजिनतिनािवािभः ं
षिधकपशतसािभः।
सहोािभः तास ु सकारहकारजिनतिनािभािभः
ं
े ं समीिरताः िवाः िवषोढािभः रवज
िनािवािभिरित िवश।
ु
सकारहकारयोः षडारचतय
विशनीवगवज
ु ु ं ं
चतयजिनतचतािरशदिधकशतसिनािवारिहतािभिर ्
अथः। ु
चािरशतःशत
ं ु
ं चािरशदिधकचतःशत।
ं ं
एतं भवित पिवशपटलो
ं २०७३६
कालिनािवाविशनीवगजिनतषिधक ं
पशतसा
िवाास ु सकारोास ु ूोसास
ं ु िवास ु
ु ं ं
षडारजिनतचतािरशदिधकशतसा िवारिहताः
ं ु ं
िशािऽशरचतःशतसा
ं
िवािवषडहकारारिवा ु
[चतःशतोरसहॐ
ं
सािनािवाः े
] तीचबानोाना ं
िवानामसाधारणरपा भवीित। बीजयसमितं
मायाौीबीजसमित ं सवादािवित े पशीित सिहत ं
शषः।
ु ू
े ं पवासाधारणपर
पशि इित चतररोपत।
सा
कालिनािवानाम इथः। ं सवचरम
े
एतत ्
ितीयपटलोसारीिवासिहतिमथः।
सवमसाधारणरिनािवाप े ं तािभः
िवशषण।
ू ं ु
पवसूतािभः। तािवा यथा ॑ ौ अ आ इ
ू
पशिपाका ं पजयामीािद ॑ ौ हः ई
ं
पशिपाका ू
ं पजयामीाः। ं
ताः ूोसाः शयो
ु ु
लिलताौीचबशीनामिणमािदमहािऽपरसयाना ं
ं
सणवितसाना े ं
ं ूयक
ं े
पदशपदशसािवभागनावरणशयो भवीित।
--------------------------------------------
--------------------------------------------
ू
षोडशिनाकं। तााः सय
ं ं
षिशदिधकपशतोरसहॐसाः ूकटयोिगो भवीित
यावत।् िवायाः लिलतािवायाः यय ं िवामयम॥् १००॥
ं
यसा २२७७७३८५९८३६७२३२००००००।
ं
मसा - षिश ु
ं े पटले ूोा ाामातःशतात।्
परमयतु ं िऽशदिधक
ं ं सया
ं ु ्
टम॥
ं
सिवशपटलम।्
े ूाणतोत।े
अथ षोडशिनाना ं कालन
ू
मातृकाभतनाथा े च शििभः॥ १॥
ैः ौीचबण
अहोराऽ तािमा े े ्
ु तनाहयत।
े ं ु ् ३॥
िवशषाारााािपपादकान॥
--------------------------------------------
ू
पविन ् ं े पटले षोडशिनाना ं
षिश
ािवैभवूकाशनपरं माि ं
े
तयामृतरीिवािदकोपिदँयानरं षोडशिनाना ं
ू
मातृकाभतनाथा े शििभ कालन
ैः ौीचबण े
ु े े े
ूाणातािदकमपिदशथषोडशािदिभभविदन
े सिवशन
ोकशतपण ं े पटलन।
े तऽ अथ षोडशािदिभ
े
ु
पपादकािनिै िभः ोकै ः पटलाथमपिदशित। े
तऽ कालन
ूाणता ूाणाककालऽयण ू
े तदाता। मातृकाभतनाथा ैः।
आिदािै वसजनीयरिहत ैः पाशिमातृ कारैः
पिभभतू ैः नविभनाथ ैः आशने षिशािदिभ।
ं
े नवचबाकन
ौीचबण े शििभः तऽषणवितिभरकनवितिभ
े
। लवादीना ु काल लवािदऽाना
ु
ं माऽायालात ्
ु
ातमशादीिरत े तािभः
ं पिमित शषः। ं
ं
ाससािभः ं
घिटकाहोराऽािदपसजातािभः। े
बमण
े अहोराऽ
वमाणबमण े ं
तािभिरित ू
पवऽायः।
े े
ताि ं ासाकं उा तनाहयिदित। ृ
िभ कं
ातात।् अासवषािदकालप
्
े गितवती
ं िवशषात ृ
् ू
े आरात भतोदयााकात
ासानािमित शषः। ्
वाात ्
ुे
दवामपााशात ् ु
तिपपादकान ्
ु ु
शभाशभिसिकरान।् एतं भवित षोडशिनाना ं
े ासाकन
तदाकाना ं मातृकादीना ं पण े कालपण
े
सवााराियं
--------------------------------------------
p. 514) ू
मलाधारोवो वायःु ूाणााा ं समत।
ु े
स त ु पिवधो भतभदावदशतः॥
ू े े ४॥
ु
नासायाः पटयोः ु
पातमाधरगाः।
ु
ूाणाीलाखाानः ु ् ५॥
पवनाः यथाबमन॥
ु े ू भृगकजौ
गकत ु ु वधाक
ु ु
चसजौ।
बमातषु ु भतष
ू े ु ोम साक े ् ६॥
ं भवत॥
े ु
ू पटबमात।
उभयो भविास ्
ु तथा।
ू भागः ीपषौ
जीवो रिवः शो
े ् ८॥
पृिथवी सिललं चो रिवरय ं भवत॥
--------------------------------------------
ु ु
े ं ासाना ं शभाशभफलूदानामाणात
तषा ्
् े वी
वाारान िवशषान ् ु ं भवतीित॥ ३॥
ू े
मलाधारािदना यथाबमिमने ोकयने
ु ं तिभदााूाि
ासानामदय ृ े ं ं त
ू े े
भताकनोदयिवशषबमोपिदशित। ू
तऽ मलाधावोवः
ू े ु
िनािनापटलोपमलाधारूदशसमवः।
े
ूाणााा ं आिदशपानानादीतरभदिवषयः। स
ु े
ूोपो वायवदशतः
े ु े ु पटयोः
उपलिाननरवमाणनासापठयगतष। ु
ु
रयोः। पातमाधोरगाः
ू
ितगदडाधरमगतूवाहाः।
िवसगलोपः ातात॥्
५॥
ु
गिवािदिभरीिरतािव ःै सिभः ोकै ः
ु े ैः इान
ासानामदयिवशष
ू
पकालिवशषे ै ैकादशिवधचसयाकं
ु
रााकसिहतमषिदशित। ु े
तऽ गकिािदना े ैतं
ोकन
ु
भवित। उभयोरिप नासापटयोः ु े ु चतषु ु
ूाणाीलापष
ू े ु वामदिणपटबमण
भतोदयष ु े ूवाहे
ूोबममहाकं ोमोदये
ु
रािवधमहाकाकं ु
च भवतीित। उभयः उभयपटः
ु ु
े े ं ूकारूवाहकारण ं गमखादवगम।
ासानामवमव ्
ु
वामदािव पटािवित ू
पवऽायः। ु े कििप
तयोः पटयोरकै
ू जीव
। तथा चसय
--------------------------------------------
p. 515) गहष ु ु
ृ े ु चो गिगा भारः पर।े
े
मातृका तथा िवा रनभदतः॥ ९॥
ृ े ्
अधः पृ चः ााम े िदनकवत।
े चाधो रिवरीिरतः॥ १०॥
े घट
शरीरऽिप
ु रिवः तः।
अीित वा ं चः ााीो ृ
ु ृ
शकौ तथा ूािवित चा दशाराः॥ ११॥
े
तयोाः ूीितकरा भाराः शकािरणः।
ू
राः श सऽ नाशाय भवित णात॥् १३॥
--------------------------------------------
ु
भाग इरऽायः। ू अय ं
तथा चसयािवथः।
ु तथा चस
अीरोमाकं परे कजसौिरककाः।
े ू
े ् तथा चसय
ऊाम े ूथमािवचनमतत। ू आराः
ु
पाकिवधराः। ु े दश
एवमूकारण। े आरा इित
ू
पवऽायः। ु ृ
वााा ं शकपाा ं
ू ं चकारः समाहार॥
चसयाा। े १२॥
ू ू
े ूोचसयराशाना
तयोिरािदना ोकन ं
ु
सामा ं फलमपिदशित। ू ु
तऽ भाराः शपिवधराः॥ १३॥
ू
सयिािदिभः े
परमरी ु ोकै ः
ै तिभः
ू ू े ु कािन
चसराशष ूूकारिवशषे े
कािण
े
फलिवशषािदकोपिदशित। ू ु एकादशिवधष।
तऽ सयष े ु
ु
मृधभोजनमैथनु ैः यभोजनमै
थनु ैः सहित
े शषः।
े समह
ं
ू
इ श इित पवऽायः। अदिखलं
ं चे एकादशिवध।े
िशमलपकजात।
ु ं अीित िनि नाीित
त ं इ ं वािन ं वा िनि भवती
िनि
--------------------------------------------
े
अिनित े िवधौ का गभूऽतः ु
पमान।्
ू े गभिवपिः
श ािदा े ् १६॥
ू वदढम॥
ु े ु
ू े नभिस राहौ च शभावाशभािप।
श
ु
शबािन नँयि परमिर॥
तऽ सािण े १७॥
े ्
अथवा जीवगान े तण ममािदशत।
ू
अथा शराहो ु नाशाय गिशयोः॥
ु १९॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
--------------------------------------------
े
षािदना ु े ोकयने घिटकािदनपण
सरीन े
े ैः कालाकोपदश
ासाना ं सािवशष
ं े ं
तासपूाव करोित। तऽ तासा ं नािडकाना।ं तिन ं
ु पनः
ं पनः
नािडकाषाक। ु पिरवितः।
ृ े ं ासाना।ं
तषा
ु
सरीित े ु
दवीसिः॥ २१॥
े
आरािदिभभवि हीिै िभः ोकै ः ासाना ं
ु
पटयोः ू ू े ू
पवपूितपदािदभतषदयकालं
ु ं
पटारसबमणकालबम े
ं ूोिनगमनिवपास
फलोपिदशित। तऽ सा िशत ं ूितभतू ं ासा इित। नवा
ु
ास ैरऽ पटार े सबमः
ं पटात ् ु ं
ु पटसबाकालः
ु
तभयपटूवािहतया
स राभवतीित यावत।् तऽािप
ं ु े एव ं ूोकालाविध। अतोऽ
सबापटारिप।
ं ु ू
ं इित पवकालाविध।
सबापटारसबम एव ं
ृ
ूोूकारपिरवा ृ
पदशपिरवयः। ु
आदौ यगानािमित े
शषः।
दशूितपद ं ूित ूितदश ूितूितपदिमयः
ु सवषा
ूितशूितपदिमथः। ं जीवाना ं एतं भवित
ु
यगािदष ु शूितपिद
ु ू
सयदयमार ् ुे
एकिन पट
पाशदिधकऽयोदशशत॥ १३५०॥ ास ैः पानां
ू ु
भतानामदयः। ततो नवा ास ैः नारे सबमः।
ं एव
ं ु
चािरशदिधकचतशशत॥ े ृ
१४४०॥ ास ै रकाविः। एव ं
ृ ु षतािधकाकिवशितसहॐािण
पदशाविष े ं ासा
ु
यगािदष
भवीित पविसतोऽथः। ु शूितपिद
ु ूातरकदय ं
ु े
ूार पटयोवामदिणबमण
--------------------------------------------
p. 518) े सषा
एव ं बमण ं ूाणोदय उदीिरतः।
एतमिवपासादभािन भवि िह॥ २४॥
ं
साािवशितासबमाादशराशयः।
ु े भतािन
तऽ साचतण ू ु
िरित बमात॥् २६॥
घिटकाणष ु सवऽ वााकारोदय।
े े
तदणभवाः ासाः षा िऽशतमीिरतम॥् २७॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
ं
सािभासनााि ं ासाना ं ण ु सिर।
ु
यया िविहतया मी सदा दशनवान ् े ् २९॥
भवत॥
--------------------------------------------
सवऽ सवष ु िदनषे ु वाािद एकारा उदय े इित पददः।
े एतं
भवित सवष ु यगिदनष
ु े ु घिटकाणष ु िवषय े एकै कािरत।ं अत एव य इित
वायारपकं िदवसपकबमादयघिटकारं
ूितपत इित। तदणभवाःतदघिटकाणाकाः। एतं
ू
भवित पवूकारा घिटकाकाः ासािटकाकाः
वणपा भवीित। तषे ु ासषे ु
ु ं े ु ततवणाना
ूोषरिऽशतसष ु ं घिटकारषे ु
ू ं दशासा इित शषः।
ूरं ताभतवणाना े शषाः
े
ं
पाशदिधकशतऽयसाः। एतं भवित
ू
पवोदयारािद षाकारािकास ु घिटकास ु
ु ं े ु ासािदतो
ूितघिटकं षरिऽशतसष े
ू ं
दशासािटकाूाारूाभतारवणाना
ू
दशाना ं तदािदतवााना ं पण ु
े समि। े
शषा ु
ं
पाशरिऽशतसाः े
ामा एव ं दशदशबमण
ू
तदनरभतािदततााना
ू ं पाना ं ूितभतू ं
े सावोि।
दशदशारपाणा ं पण ृ ं ू े सित
एवभत
ू
ूितघिटकं तदरूाभताराणा ं
ृ
दशानामावावयः शषभत ु
े ू चतयाराणा ं
ृ
सावय े ैकै कघिटकाबमण
ैव ं बमण े
ू
पभताकवणािका भवतीित॥ २८॥
ं
सािभिरािदिभरीरी ु ोकै ः
ै तिभः
ु
ूावािदपरःसरमहोराऽािद ासाना ं ूोसाना
ं ं
े
कालिनािदौीचबशानामकादशिवधानामवारा
ु
ि ं समाि ं तदनसानवै ं
भवोपिदशित। तऽ सािभः
ु
ासानािमरऽायः। वासनााि ं वासना ाि ं च
वमाणामकादशिवधानािमित
वासनािकााििमथः। े
शषः। ु
े सरीित े ु
दवीसिः। यया ाा
िनाताििवाना ं पिवशपटलूोसाना
ं ं ं
ू ं
पवमहोराऽाससाना ं म े एकशः
ूितिवमकैे कास ु इथः।
ततः पवाससायाः
ू ं
परिमथः।
--------------------------------------------
ू
राशयो ादश ततो महा भतािन प वै।
मातृकाािप पाशीचबा शयः॥ ३१॥
--------------------------------------------
िदनाणाः पणमडलाणाः।
ू साः
ं
साऽयूा ैकषिसाः।
ू ं
पणमडलाससायाः े ततायाः
परिमित शषः। ं
षिसा
पर।ं घिटकाणकाः ं े ादशराशयो
इित शषः।
ं
घिटकाणसायाः े ततः रािशसातः।
परिमित शषः। ं
ू
महाः नव भतािन ं
पसातः। ू ं
मातृका भतसातः
ु वणा इित शषः।
े पाशिसजनीयिवधरा
परिमित शषः। े शयः
ं
मातृकासातः परिमित शषः। ु
े स ैका नवतयः आयधाक
ु ु ृ े ु
े गमाणादवतािवधरा।
िमथनचतयन े
दवी
लिलता सवाना े एतं भवित
ाससमिपण।
अहोराऽाकाना ं षतोरैकिवशितसहॐसानामािदतः
ं ं
ं ं ं
कालिनापाः षिशदिधकसशतोरिवशितसहॐसाः
ासा भवि। तिषे ु चतःषिधकाशतसष
ु ं े ु
ासषे ु षसिधकपशतसासाः
ं
ू
पणमडलवणपा भवि।
े ं े ु ासषे ु
तिाशीिधकिशतसष
साऽयपनाथतिनाकपा एकषिासा भवि।
ं े ु षिासा
तिसिवशिधकिशतासष
अहोराऽषिकापा भवि। तिषे ु
सषिधकशतासषे ु ादश ासा ादश राँयाका
भवि। तिषे ु पपाशरशतासषे ु नवासा
नवमहाका भवि। तिषे ु षािरशदिधकशतासष
ं े ु
ू
पासाः पभताका भवि।
े े ं े ु पाशासाः
तिकचािरशरशतासष
िवसजनीयरिहता मातृकाराका भवि। तिा
ं ासाः ूोबमसौीचब
एकनवितस ं शिपा
े
भवि। एव ं बमणाहोराऽाकासाः समिपा
पिरििवमहिवपा लिलताका भवि। अऽ
ू ु
पपादमखादवगतोऽथदाया िलत े यथा
ं
अहोराऽोसाः ासाः पाशदरािकाया मातृकाया
ं ु ृ
ािऽशदिधकचतःशतावा तदाका भवि। त े
--------------------------------------------
े योगिस लणम।्
परकायूवश
ु
आसमृिचािन कथयािम यथाबमम॥् ३४॥
ू
ूाोमलाधार मगा ॐमतः।
ु ु पृवशावीणादड
सषा ं मगा॥ ३५॥
ू
मलािदॄराा ु े
नासामाादशाल।
् ु ूोालषाा
तदमात पायगा ु त ु नािडका॥ ३६॥
--------------------------------------------
ु
पनरिप ं ु ु ृ
िवशरशतऽयािधकचतःसहॐपिरवितः
ू
पभताका ु
भवि। पनरिप त े नवनाथौीचबमहाणा ं
ु ृ
चतःशतोरिसहॐावा ु
तदाका भवि। त े पनरिप
ं
षिशाना ं षतावा
ृ ु
तदाका भवि। त े पनरिप
षोडशिनाकराणां
ं ृ
पाशरशतऽयािधकसहॐसावा तदाका भवि।
ु
त े पनरिप ु
षिघिटकाराणा ं षरिऽशतावा
ृ तदाका
ु
भवि। त े पनरिप ादशराशीना ं अशतोरसहॐावा
ृ
ु
तदाका भवि। त े पनरिप ौीचबाना ं षणवितशीना ं
ं ु ृ
पिवशरशतयावा तदाका भवीित।
ू ु ् ३२॥
अऽािह ं पपादमखादवगम॥
नाडीािदना यथाबमिमने ोकयने
े ु
पटलशषाथानपिदशित। ानानीित शषः।
तऽ ममािण े
े या
ोािनाम े े ं
ूाणपिरागः। परकायूवश
मृतशरीरे जीवूवशन ्
े ं तात शरीर े तवशन
े ं वा॥ ३४॥
े
ूािगािदिभः पर
दै शिभः
ोकै नाडीचबप ं
ु
तऽ कठिलनीिितोपिदशित। ू
तऽ ूाोमलाधार
िनािनापटलूो। मगा मणौ
ू ू े ॄराा
सऽवरतथः।
ु ु े पवऽायः।
ॄरावसाना सषित ू
--------------------------------------------
p. 522) ु जािका।
ॐामािता नाडी कनाम
ं सिवोदरवारण॥
तामदपााा े ३७॥
च ूोे तदनर।े
जठराा सवगा
ु े पदोः॥ ३८॥
हििजायशिौ तदग
े
तथ ैवडािपले च नासारयाग।े
ू नऽयगत
गाारी च तथा पषा े े बमात॥् ३९॥
े शपयिौ बमण
तया कणगत े वै।
सरती त ु या नाडी सा त ु िजामगािमनी॥ ४०॥
--------------------------------------------
् ु े नासाममार
नासामात ादशाल
ादशालमानाविधक
ु तदमात ्
े ान े ॄरिमथः।
ु ु ु
सषारपरोभागानमार पायगा ु
ु गदरावसाना।
् ू
ॐामात मलाधारपॐामकोणात ्
जािका
े
महनपवसाना। तामदपााा ु ं
ं कसिकाया
े जठराा िवोदरा जठरमाा सवगा
नाा इित शषः।
ता सवगा
अधोूसृ वारणा। ूोे इ िवोदरवारणित
े
ू
पवऽाय। तदनरे तदनरवामदित।े
--------------------------------------------
ु ु
सषामगा वळा नाडी तगा परा।
ु
िचऽािभधाना त े िता सा कडली परा॥ ४४॥
--------------------------------------------
ु ु ु
सषालषाम ु
े कारणसिका।
ं
ु ु सयशिनी॥
पयिनी िपला त ु सषा ु
--------------------------------------------
p. 524) ु ु
मायगािपृ ु ु
जाजानष।
ु े
ऊसौविनकाममशनािभष ु पायोः॥
४५॥
ं ृ ू ु
दयनकठासककाटीकणमस।
ु
शयोः फानासािदमााकपोलतः॥ ४६॥
ं
अिऽशिदित ूोाषे ु वायो ु धारणात।्
े ोाि
परकायूव े िसित॥ ४७॥
ू ं दहाना
दशानामिप वयना े ं िबयाः ण।ु
ऊाधोगमनासौ ूाणापानौ सदा तनौ॥ ४८॥
्
ृ ूोः
नाग उारकत त ् ृ
ु ृ ककरकथा।
े
दवदो ् ृ धनयः॥ ४९॥
ृ रवक
जृणकत
ू उषकत
क ्
े ृ ूो ृ ्
उदानोऽिप तथा िकत।
ु
समानवायःु कायाि ं सयित ु ् ५०॥
पािचतम॥
े
ानाो रसमादाय ापयदिखला ु ्
ं तनम।
एषा ं दशानामशा
ं ु मता ं रनकाः॥
ु ५१॥
--------------------------------------------
ममाणीािदिभः िसतीिै िभः
ं
ोकै रिऽशमानािन तषे ु वायधारणफल
ु ं चोपिदशित।
ु ु
तऽ सोविनका मपायरयोमगता ृ
नाडी ककाटी
े
कणपिरभागोतािपाूदशः। शयोः
ं ्
े ु अिऽशत
भालपाताोः। कपोलतः कपोलष
े ं ु ानािन षडिवशित।
एतिऽशमस ं े
शषानािन
ू ं
ादश सयािऽशमािण। एष ु ममस॥
ु ४७॥
दशानािमािदिभः कत े इःै पिभः
ु
ोकै ावपरःसर े
ं दहाना ू ं
ं दशाना ं वायना
ु
नामािन तियादनभावोपिदशित।
तऽ ऊाधोगमनासौ
् े
पररं लावत वपावककाल े शषः।
े ईषयित े
ु
ूाणापानौ ूाणापानाौ। नाग इित वायनाम े
ृ इित च दवदो
ककर
े कम
धनयित। ु
ू इित वायनाम। ् े े ृ ्
ृ उषिनमषकत।
उदान इित िकत
समानवायःु
--------------------------------------------
p. 525) े ं ूसाराह
तषा े े ्
समीचीना िितभवत।
वैलो े िवकतााोकै
ृ
नाशाय े ५२॥
कत॥
े े मनसा परमानः।
जीवााभदपण
योगो योग ु िवयाािन
े तथा वै॥ ५३॥
ु
ान ं समािधिरााािन यथाबमात।्
कथयािम ण ु ूा े य ै े ् ५५॥
ममो भवत॥
--------------------------------------------
ू
यमपोपिदशित। तऽ तहाः योगूहाः।
सवनाशकाः ू
पलाभूहपात।्
ू
आापरोूहकमण ु यमो यमः।
ू ू
पापरोूहभताना ं ूोाना ं कामादीना ं षणा ं
े उपरमण ं यमः यमामम॥् ५६॥
उोग
--------------------------------------------
p. 526) ू
आापरोूहकण ु यमो यमः।
तथ ैकादशपः ाियमः पिरकीितः॥ ५७॥
ु
पिकवीराभिायािन वै बमात।्
आसनािन मनः ैकरण े साधकािन वै॥ ५९॥
् े
ऊवपिर िव ासात पादयोल।
् ् ६०॥
पासनमीिरतम॥
बापायशात
तथा तयोरधोभागतदः पासमात।्
--------------------------------------------
े
तथ ैकादशािदना े े े
सवनिमनाान
एकोकन ु
े ैकादशिवधिनयमपमपिदशित। तऽ तथा यथा यमः
ं समता लाभहाोः। िऽधा शौच ं
तथा िनयमः िनयमाम।
ू
मनोवाायपतः। सोषः पणता॥ ५८॥
े
पािदिभः ृ
तिम ु
ै तिभः
ु ु
ोकै नामपरःसरमिवधाासनपायपिदशित। तऽ
मन ैकरण े योगाास इित शषः।
े साधकािन उपकारकािन।
े ैतं भवित
ऊवपरीािदना ोकन
दिणोमोपिर
वामपादतलकिनासिपा
दिणपादतलकिनासिपा
े वामोमोपिर च ैव ासबमात ्
वामजोपाबमणन
िवासने वामजाया दिणजोपाबमणन
े च
ू
पवविासाििवध ं पासन ं भवतीित। तथा
ििवधासबमात।् तयोवः तदःपासमात।
् एतं
भवित वामपादतलासिदिणोरोरधोभाग
ु
दिणपादतलासिपापिर
ु वामोरोरधोभाग च
्
ूावत ासिवासात ् ु पववत
पनः ू ्
जायोपोाबमणिवासात ्
च
े िवासा
पादतलयासिपााोाबमण
ु
े ैतं
ििवध ं िकासन ं भवतीित। तला इािदना ोकन
ू
भवित एकं पादमवरतमाधोभाग े
ु ् पन
सत ं कात।
तलासिपान
ु ु
ु ् तने ैतििवध ं भिासन ं
वामदिणासने ैव कात।
भवतीित।
--------------------------------------------
p. 527) ु े
तलाः पाग ं कादकम ु वागम।्
ृ ् ६२॥
ऊवरधथो च िधा भिासन ं तम॥
ं
तलयोसशाजयोः।
ु े े वै वीरा ं योगपतः॥ ६३॥
पादयोजानदश
सा े दसविरधम
े ं ृ े मम े तथा।
साकन ् ं ु ् ६५॥
ं ूोमासात कालसयतात॥
े ु ु भयरासात
तमगणा ू ु ्
कालयोगतः।
् ्
े ूातः
तात समसत साय िनयमने वै॥ ६६॥
--------------------------------------------
ू
सयाावासनािन। े ु सवासनै
अऽ िधा िविमित
सदायः॥ ६२॥
े
ािदना े ैतं भवित
ोकन
ं ू ं
जोसशाभत
ू
जयोवतलकिनासिपााबाभतलयोः
ु े े ारािधम े च योगपवनााोपिर
पादयोजानदश
ूसािरतवादडूकोिवासात ्
ु े
पनःूावायवाारशिवासभदा
ििवध ं वीरासन ं भवतीित॥ ६३॥
े ु
ूाणायामािदिभरीयत इःै पिभः ोकै ः
े ं
ूाणायामभदाान ं त पोपिदशित। तऽ
े े शषः।
लाघवः दहित ू
े भतलागः ू े का ं
तलाघटयोरकै
ू िनिाा ं िा
ू समानूमाणािन विन
पवतः
उम े ूाणायाम े इित
े घटोितिरित सदायाथः।
ूाणायामण
े अासात ्
े अधम े ूाणायाम े मम े ूाणायाम े इित शषः।
शषः।
कालसयतात ्
ं ु िचरकालकतादासािदथः।
ृ उमममाधमाः
ू ु
भयिरित
--------------------------------------------
p. 528) ु
एव ं ससािधत ं े ्
े पाािऽशाऽयाहरत।
े ु
धारयतःषा े े ु
रचयरीयतः॥ ६८॥
ु
क पलकानौ
वैम ैलाघवाः।
्
तत कािूकाशौ च योगिस लणम॥् ६९॥
ू
मलाधार े मनः का ु ू मलतः।
ृ वायनाप ू
नाडीचबारं नीा साािन े ् ७०॥
च चारयत॥
एव ं ससािधत
ं े वायाविऽश
ं ु मस।
ु
् े े
धारयन वारयिदावशनाािन
सवतः॥ ७१॥
तथाधारगत ं का ं ु ्
ृ मनः पवनसयतम।
ु
रसादाहाै े ु ् ७२॥
ं ैापयनम॥
ः सहस
--------------------------------------------
् ू ु ्
समसते ूाणायामान।
िदात भयासिरथः। ् अ ु वकारं
अाथय
मिाातिमथः। ं िवत े एकदा
ू
यकारारं रिित पवऽायः। अदा ास ं
े ु
अपसारयिदरऽायः। े े माऽा नाम
रचयिदथः।
ालीोटाककालः।
ु ु
चतःषा े
माऽािभिरित शषः।
ु
तरीयतः षोडशमाऽािभः॥ ६८॥
ु
े योगिसलणमपिदशित।
क इािदना ोकन
वैम ैलाघवाः
वैम ं मनोिवषय ं ैलाघव े
े े ूकाश इित तजसो
दहिवषय। े बिहः ूकाशन ं बीजािदवत॥् ६९॥
ू े
मलाधारािदना ु
े ूाहारपमपिदशित।
ोकन तऽ
ू
मलतः ू ् ७०॥
मलाधारात॥
ु
े धारणपमपिदशित।
एविमािदना ोकन तऽ चारयते ्
ु
वायिमित े इावशने ािभमताधारणवशन॥
शषः। े ७१॥
े े
तथािदिभोजिद
नै विभः
ोकै धारणािसिफलािन
ु
समािधपसिहतापिदशित। े
तऽ तथािदना ु े
भवीन
ु ु
ोकयने समािधना िऽकालानािदिसपायमपिदशित। तथा
ूावत।् रसादाहाै
ु ं ैः
ः सहस
े े शषः।
ः ूरं िबसिहत ैः सहित
लकारवकाररफयकारहकारै े
--------------------------------------------
p. 529) ु तयीकत।
एव ं त ैररैह े वायना ृ े
ु
िऽकालो िवशाा ु जीविर
सखी ु
े ं भिव॥ ७३॥
े
ाचारी े े समम।्
ोमग ॄजवै
े
या े
दहमः ु ृ
कगहगतो यथा॥ ७४॥
एव ं सिसयोग
ं ु या
े े
दहमानः।
ूाणानाक ु ु
ृ मसषारतथा॥ ७५॥
भयात
ॄराििनग ू ्
सानावान।्
ं ू
अथवोरसूोचणाादनतो वशी॥ ७६॥
्
ापयते पवनिमित े तयीकत
शषः। ृ े
े े
ातृानयिवभदसमािधना ृ े एतं
ततमयीकत।
ू
ू
भवित ूावलाधार े मनः सयो
ं तऽ वाय ं ु सा
ू े े
ः पिभः सह त ं पवन ं सवदहापनन
ूोै भतारै
दहे े ततमयीकत
ू ृ े ूोफलिसििरित॥ ७३॥
े े
ािदना े ु ु
ोकनाकाशगमनािदिसपायमपिदशित। तऽ
े
ाचारी ृ
अाहतगितगहगतो ृ ु
यथा गहगतपषवत ्
शरीरासरिहतः॥ ७४॥
एविमािदिभः िूय े इिै िभः ोकै ः
े ु ु
ोापाययमपिदशित। तऽ दहे ं सजिदित
ं े े
शषः।
्
ूाणान ासान ् ु ु
मसषारतः े शषः।
नाडीचबित े
तथा ूावत।् सवानावान
् े े ं
दहपिरद
ं
सापिरिबपवान।् अथवा पार।े
ं ू
उरसूोचणाादनतः ु ं
उरऽचतिशपटले
े ू
उमाावािनोकऽयूोचणाादनतः तने
ू
चणाादनपण। ू
े एतं भवित पववानचािरतान ्
ूाणान ्
ु ु े ृ ॄरात ्
िनःशषमाक
मनसा सषारमागण
िविनगम ू ं ु े
वमाणचणाादनसजातानसानन
वानविपो भवतीित॥ ७७॥
--------------------------------------------
p. 530) े
परकायूवश ु व े दिव ु ्
े महातम।
कलौ ःशाटकं ूायो म िसिरपीिर॥ ७८॥
े
अशतः ्
पिर ूाणान कतन ं ु तथा।
ू ं ु
पिरपणासयाममतो वी योगतः॥ ७९॥
े
ूिवशन ं ु ूाणूितोिवधानतः।
्
ा ं तन ं ु गोपयते िय े ् ८०॥
ैता तथा ॄजत॥
िस लणाौ योगाासने सवदा।
ण ु तािन महादिव ु ैः॥ ८१॥
े गण
े य ैर ैजायत
ु
हािनः सखावािरारोय ं वँयविता।
ृ
े
िजतियमबोधः ृ
कपया जनगोिपता॥ ८२॥
आसमृोिािन कथयािम ण ु िूय।े
े
य ैः सासाधकौ ाा दहागमतितौ॥ ८३॥
े
दवतााभजनपरौ ाता ं तत ु तौ।
ु ं ूा िस ै त ु भवतो जातमाऽतः॥ ८४॥
सगित
--------------------------------------------
े े
परकायािदिभोजिद ु
िै िभः ोकै ः ूावपरःसरं
े ं तायोऽिप
परकायूवशन ू े
कायूवशोपिदशित। तऽ
े
ःशाटकं रं परकायूवशिमित ू
पवऽायः। े
अशतः
ू
बराािदिभः ृ े े योगतः
कतशाभावन।
े ु
ूिवशिदरऽायः। ूाणूितोिवधानतः तीिनापटल।े
े ीय ैः िधःै पष
इित शषः। े ततः तात ्
ु ैिरित शषः।
्
ूिताशरीराा ं तन।ं ु तथा ूावत ूाणूितािविधना
॥ ८०॥
े
िसािदना े े ोकयने
शोिचतन
ं ु
ूावसापरःसर ु
ं योगिसलणापिदशित। तऽ तािन
ु ैः लण ैिरथः।
लणािन। गण हािनः
ु
शीतोसखःखािदिवकारहािनः। ु
सखावािः ु े
पानसानन
॥ ८२॥
े े
आसािदिभभविद रै ादशिभः ोकै ः
ु
ूावानफलपरःसरमास ु ु
मृिचापिदशित। तऽ
ु
आसमृोः पष। य ैः िचैः। तौ सासाधकौ।
--------------------------------------------
ितमित
िवलोकयित तााृ ु
े सिनित।
ं
ु
गाधः ु ं नाोः पादयो
रण े जायत॥
े ८७॥
ू वा ँयत े मि
धमो ू गहऽािदतोऽिप
ृ े वा।
े ् ८९॥
ू िवहगा लीनाः परास ं ु त ं न को वदत॥
मिगा
पाताक
ृ ू े न पँयबचापकम।
गडष े ्
ु
सः परासमाान ् नरः॥ ९०॥
ं जानीयात सवथा
्
मककरः पँयते ूको ू
ं लमानः।
ु
आगोरराा पँयातो िवनँयित॥ ९१॥
--------------------------------------------
ु
सगितिम ु ु
जातमाऽत इ चाथ गमखादवगः।
पवा ् ू
ू ं वा समाौयते पविवपरीतािमित
ू सौा ं बरा े
शषः।
ततः समाौयतः। ीवु ं नऽप।ं तदतः
षमासतः।
नासािकाबाा नासािकयोरिलयाबाा।
ु चके
ू
मयरिवमचकप े ोितषी। न चिद
े िवलोकयित
ु
इरऽायः ू
िवलोकयती चके इित पवऽायः। ताात ्
मासऽयात।् त गाधोनाडीयरणहीन।
ु ु डं
े पार।े
कव।ं चकारो िभबमः। पँयतित
ृ े
गहऽािदष ु आिदशः परपनािदिवषयः।
ु ू ँयत
अिप धमो
ृ ु ं पाताकः
े वा िवक।े त ं पस।
इाकत। ृ पृीकताकः
ृ
ू ु
ू े पिरतिविनगिमतमखजल।
गडष े चापकं शबचापसश ं ोितः।
ू ं कपरमिणबयोमूदश।
ूकों कपर। ू े ं तौ जनौ।
--------------------------------------------
p. 532) े ु
शबमलािन ु
िनमािन जले यदा।
् े ूयावे यम ं स जीिवतम॥् ९२॥
तिन प
् ु ं याित यमालयम।्
हाटका ं ूितमा ं पँयन ीव
भारं भगण ैः पँयिप याित यमालयम॥् ९३॥
जलािदष ु तनाया
ु ं िवकता
ृ ं वी मासतः।
्
ूयाित िनधन ं िछिं पँयन भानो े ९४॥
मडल॥
ु
ातानिलगाऽ ु शित
परः ु े
चरः।
स पााित िनधन ं सवरिप ु
सरितः॥ ९५॥
ु
गमातृ ्
गणान िवूान ् ू च दवताः।
चस े
्
आिकान सतत ं िनकारणत एव च॥ ९६॥
ावैर दलन े पिराग े रोषतः।
ु े
गमपिरागऽिचराायत े मृितः॥ ९७॥
--------------------------------------------
् े अमासादवाक।
तिन प ् भगण ैः सहित
े शषः।
े िवकता
ृ ं
ु
किताकारा ं िनरोजा।ं भानौ िछिं र।ं सवरिप
े
ॄािदिभः। अकारणत इ ावर ु
दलन े इरऽायः।
पिराग े ावैर। अिधपशापाा
े ं
--------------------------------------------
p. 533) े
दहचबवालाना ं वैवय मासतो मृितः।
ात े दववै े ् १००॥
े े मासतो िनधन ं भवत॥
कालतमयी ाििरित सक ् समीिरता।
् ृ
अा िनफालनाि े तं ासात कतम॥् १०१॥
--------------------------------------------
्
ु पिरजन।
िननािूयवचनाा।ं िनराकवन ् वैवय ता।
दववै
े ं वणिवमहूसादािदिभिरित े
शषः॥ १००॥
ं
मसा
ं े यमक
सिवश े ं ाामा सया।
ं
पादा पपाशदिधकं िशत ं ताः॥
ृ
ं
अिवशपटलम ्
ूागवोा
कालभातृकयोािः े मया तव।
वावाचकयोगने मातृकालोकयोरिप॥ २॥
ू
पविन ् ं े पटले षोडशिनाना ं कालन
सिवश े
ु
ूाणाकतािदकमपिदँयानरं षोडशिनाना ं
ु
लोकाकमपिदशित े
अथ षोडशािदना े े
िवमहन
े ं े पटलन।
ोकशतपणाािवशन े तऽ अथ षोडशािदना
े
ोकन ु
े षोडशिनादीना ं लोकाकथनूावपरःसरं
ु
सचराचर िव तयने वनमपिदशित। तऽ लोकां
लोकतादा।ं यय ं िनाकलोकमय।ं वत े ूतीयत॥
े १॥
े
कालािदना े पिवशपटलूोकालमातृ
ोकन ं कयोः
ं कालोकयो ाि ं ारयित। तऽ ूागवे
षिशपटलूोमातृ
ं े पटल।े वावाचकयोगने मातृकालोकयोरिप
पिवश
थावने
शपमातृकातदथपलोकयोरपृ
मातृकालोकयोािरिप षिश े २॥
ं े पटले मया तवोयः॥
े
ाििमािदना ोकन
ु
काललोकयोािकथनािदूावपरःसरं िनाना ं
ु
कालिवमहमपिदशित। ्
तऽ अ अिम पटले यदायिमदं िव ं
तादाने िव कालपराधीनात।् िनाालिवमहाः
ू काल एव िनाना ं िवमह इथः॥
सकलिवकारणभतः ३॥
े
कालािदना े महािनाया
ोकन
अपिरिकालाकमासां
ू
तदवयवभतकालाकोपिदशित।
--------------------------------------------
े
हमपो ु म े मिित
भवो े
पतः।
तािभतो महौपा पाशतयोजनाः॥ ७॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 536) े ु ु
लवणसरासिपदिधौरजलािभः।
ु सिभप ै
िसिभः ु
ं ैिगणोरै
ः॥ ८॥
े
ृ बासिललजलधापायोः।
आवता
म े िवारमाना ु बिहराव ् ु
ृ तत पनः॥ ९॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 537) ु
त तानवीिथिभयतमिभरत
ु ैः।
े
तजोमय
ैादशारै
यु ं मषािदिवमहै
े ः॥ ११॥
--------------------------------------------
ु
तीपससमिसमवायमिवमानात (् १६३८३७००)
े
कनािप ृ
अकता। े
तजोमय ैः ोतीप ैः। ादशारैः
ू
भमािदपरोमा ू
मिवकाशप ैः समारालैिरित
शषः। े
े मषािदिवमहै े
ः मषािदमीनारािशप ैः। एतं
भवित सववासिललजलिधवापायमिवमान ं
तागत ं तव बोडीक े ं
ृ पराशिपमातूिरत
ू ्
ूितपा
पववासिललजलिधवापाविहमानात
ु
ूाविगणोरमानवीकं तदरालाकोपते ं
े ु ं कालचबं
ोतीपमषािदरािशादशारय
पिमािभमखमाधः ्
ु ू ूादियबमात पिरॅमतीित॥ ११॥
े
तिािदना े े ैकन
िितिरनाािधकन े ोकन
े
तालचबवीिथष ु समहावान ं तषा
े ं ोकालन
े
तबगतरािशष ु चारण
े लोकिितोपिदशित। तऽ तषे ु वीिथष ु तास ु
वीिथष ु तषे ु रािशिथः।
िताः चवधु
ु ु
शबाकभौमगमाना े
ं अधरोरवीिथिितबमानन।
रािशष ु तीिथगतष।
े ु ूोन ू ु एव।
े ोितःशा।े तथा पवाशामखा
े ं महाणा ं िितः
ूयाि चरि। तषा
ृ ु
जननसािवपिरणामवपयनाशािका। एतं भवित
ूोकालचबगतवीकं ूोबमानिा िताः
ू ु
पवािभमखाहातरािशष ु ो चारण
े
ु
लोकानामािदपा ु
ं िित ं कवीित॥ १२॥
--------------------------------------------
p. 538) ) े ं चारण
ूयाि तषा े लोकाना ं भवित िितः।
ममरौ ु
े लिलता सदैवा े महाितः॥ १३॥
े
तािभतो जलााः शषााः ु
श।
े िचऽा त ु सिता॥
तिहः परम े ोि ता ं १४॥
ृ
कतािदवषादार
ूितवषिमित िता।
ितीयािदष ु वषष ु बमााः पिरवििभः॥
ृ १५॥
ु
षोडशा े परे ोि लिलता सिललाधौ।
् १६॥
िचऽा च भवती ं िह भज े पिरवनम॥
--------------------------------------------
े
ािदिभः िै िभः ोकै ः
पतः इरै ा
े े ु दशष
षोडशिनाना ं मीपािदपरमोमाषोडशिवधष े े ु
ृ ु
कतयगािदवषादार ूितयगु ं चतयगवषष
ु ु ु
ृ ु
पिरविबममपिदशित। सकलाकन
तऽ सदैवा े सवदा े
े िततीथः।
ूधानपण ु
महाितः
े
दशकालािदिभरनविूकाश पात।् त मरोः।
े अिभतः
सवतः। जलाा
े ु ु ं
मरोरनरजीपाािदसववाजलसमिप
ु
चतशानिताः। शषाः े ु
े कामादयतश
े
ालामािलाः। तिहः सववासिललजलधविहः। अऽ षोडशा
ृ ु
ूितवष ूितकतयगािदवष।
ता िना लिलता
ु
भवतीरऽायः। ु े इ ं उूकारण।
चकारः समय। े
एविम ूोपत इऽायः। अषे ु ऽतािदष।
े ु एतं भवित
े ू ु े ु ु
मजीपलवणसमिीपरससागरशालीीपसर
ु
असमिु कशीपघृ
तसागर बौीपदिधसमिु
ु ं े ु
ु परोमसकष
शाकीपीरसागरपरीपसिललसमि
षोडशस ु ानषे ु कतयगािदचतयगूथमवषष
ृ ु ु ु ु लिलतािदिचऽााः
ु ु
षोडशिनादाकने िा तगितीयितीयवषष
ू े े ु षोडशस ु षोडशस ु ानषे ु
जीपािदमपष
ु तीयािदतृतीयािद
लिलतािदिचऽााः षोडश िनािि। एव ं तगतृ
े ु चतशस
षोडशषोडशवषाष ु ु वषष ु
ु ु चतशस
ु
लवणसमिािद परमोमाषे ु िविशषे ु चतशस
ु ु वषष ु
्
बमात ूितवष लिलता ितित। लिलताितानारालमार
ू ू
तवपवानामाः े िचऽााः
कामािद
पदशिनािि। एवं
े ैकामका
वषषोडशकवषषोडशकन े ं पिरवि
ृ ं भजीित॥ १६॥
--------------------------------------------
पिरवि ं े ्
ृ ं भज े ता मा ाशतरत।
अाः साऽ तऽ चरि यमवे वै॥ १८॥
्
तथा कालबमाा ु भज े पिरवनम।
े ं सजायत
कालतो दशतबादै ं े यदा॥ १९॥
ू
तदा भवि भपाला कालवषतः।
धािकाः
ु
ूजा सिखनो ू ु
भयररोगाः कालमृवः॥ २०॥
--------------------------------------------
े
कालिािदिभः ु
समदीिरतिम ैः पिभः
रै ा
ोकै ः षोडशिनाना ं कालचबमयूकारं
े कािधपफलं कालचब वावीिथपपरोमिित ं
कालदशै
े ु कालचब च का
ूोिनगमनोपिदशित। तऽ कालष
ू े े ु षोडशस ु ानषे ु
भोररारालदशािदताराकाष
ू
मािद चकाभतमोमािद। ताः षोडशिनाः।
ं
मा िलिलता। ाशतः ू े अाः
समानमरण।
े े काले काले च। तथा काल बमात ्
े े दश
पदशिनाः। तऽ तऽ दश
ू ु
पवयगािद षोडशषोडशवषपिरविबमण
वषािद ृ ु े े
े तिवशष।
ृ
कालतः पिरविकालबमात।् दशतः
े े
दश ् े
चबात कालचबण।
ू ु ूावत।् कालमृवः िहताय मृव इथः।
भयः
ू
वावीा ं शन ैरकाविहभतवीा।
ं तारकाः
े
नऽािण। तिहः नऽकाविहः। िितः कालचबित
ू
पवऽायः। े तदिका तदविधका
तऽ कालचब।
ू अिपचनन
परोमाभता। ू
े े पवोकात ् े ृ े
िितिरतदाकत।
् ू ू ु
तमात पवपवयगवषषोडशबमात।् तय ं
ु ु ूथम
िनामय।ं एतं भवित कतािदचतयग
ृ
ूथमवषािदवषषोडशषोडशकबमािलतादयिऽााः
षोडशिनाः बमण ू
े कालचबे चकाभरालूदश
े
ु
चका तदरालवधका ु
तदरालशबका
ु
तदरालरिवका तदरालभौमका तदराल गका
तदाराल शिनका तदरालनऽ कािवभागने षोडशस ु
ानषे ु दशपिरविपिरतः
े ृ ृ
पिरविबमतः े तने बमण
पिरव। े
या या िना चकािता सा सा िन ैव तालचबािधपा भवित
।
--------------------------------------------
्
तासामिप च िनाना ं षोडशाना तत बमात।्
ु
े े च काले च तय ं समदीिरतम
एव ं दश ् २२॥
॥
े
दशवषितथीना सातादैमागताम।्
पजयत ्
ू े सिवशष
े ं ता ं ूजपािखलाय॥
े े २३॥
तषे ु िवोपदशा
े ् े ्
ु तात सििधभवत।
्
कालूाा ं यजते ाजवासरके त ु ता।ं
े
दशूाा ु तासपणाया
ू ं पजयिव॥
ू े े २५॥
ु ं न मित
ूमवे ं काण ु रमा यशः।
ु
कदािचदिप दीघायररोगो ् ु
ानवान सखी॥ २६॥
--------------------------------------------
तादवे ं दशकालपिरविभदतो
े ृ ु
े जीपादीना ं
े
परोमाानामाना ं ानाना ं एकै कवषबमण
ु
े ैकिनािधप ं िसित। यथा जीप
वषाकन
े ु ु
कामरीकलस ्
बमात ूथमनवमयोवषयोः
ीप ितीयदशमवषयोभगमािलनीिनािन े शाली
ीप तृतीय ैकादशयोवषयोिनिानीलपताक ु
े कशीप
ु
चतथादशयोवषयोभडािवजय े बौीप
पमऽयोदशयोवषयोविवािसनीसवमल े शाकीप
ु े
षचतशयोवषयोवळरीालामािलौ ु
परीप
समपदशयोवषयोतीिचऽ े
परोमामषोडशयोवषयोिरतालिलत े एव ं दशकालौ
े
ु
िनाकौ भवत इिमित॥ २२॥
े े ् पजनािद
दशािदभ◌ः ू ःै पिभः ोकै ः
े ू ं तालिवशषे ं तलोपिदशित।
दशकालितिथूािनापजन
े
तऽ दशवषितथीना े
ं दशकालचबितथीना ं ऽयाणा ं वा योवा
ता ं ितिथिनािवा।ं तषे ु दशवषितिथष।
े ु ताः
े
तशािधपायाः। े शषः।
महाशिः साधकित े ऽयाणा ं
े ् २४॥
दशादीनाम॥
ू ं
कालूाा ं कालचबािधपा।ं तासपणाया
ु ्
ू ं एव ं कवाणम
जमासपणाया।
--------------------------------------------
ु
जःू ः शाली च कशबौौ यथाबमम।्
ु े सीपषे ु भहाः॥
शाक परित ू २८॥
ु
े ं नामिभरवे ामािन
तषा ु
तखात।्
ू े ् २९॥
तामिभर तीप ं तऽ पजयत॥
--------------------------------------------
ू
पजाजपहोमािदक
ं अ ैः ितगािदिभः। असौ साधकः। तऽ
े े एतं भवित सीपषे ु
दशािदसातकाल।
े
तीपरीिना ू ू ं जमासपणाया
ं ीपपजापवक ू ं
े
कालचबरीिना ं ाजिदवस े उभ े अिप
ू
ूितपताितथी पजयन ्
ूोफलिसिभािगित॥ २७॥
जिािदिभरिधक इिै िभः ोकै ः
ू
सीपगतभहसकनामिभः ूाािन तीपनामािन
ू ं तऽ तऽािधगतिनापजन
तजन ू ं तलोपिदशित। तऽ
ू
भहाः े ं पादपाना।ं तामािन ीपनामािन।
पादपाः। तषा
ु
तखात ्
तहूावीयारा
ू तामिभः
े
मीपािदपरमोमानामिभः ु
ूणवािदिभतथनमोऽ ःै ।
ु े ु षोडशस
े े नमः इािद। तऽ मूमखष
यथा ॐ मरव े े ु ानषे ु
ु ित ं तऽ पवू पजिया
यऽ ितऽ तऽ काले काले पनः ू
तष तििन
ं ् एतं भवित षोडशस ु िनास ु
वष।
भजनीया िना षोडशस ु ानषे ु यऽ िता तऽ पवू पजिया
ू
्
तष तानगता ं भावयन तिानबमात ् ू
पजयन ्
े
ूोपूभावो भविदित॥ ३०॥
इिै िभः
म े इािदिभिवत
ू
ोकै भिमकालचबमहाोमिितबम ं कालचबे महाणा ं
िित ं तारणोपिदशित। तऽ म े महाोः
--------------------------------------------
p. 542) ु
सिराया ु म े चब ॅमतोऽिनशम।्
भवो
् ३२॥
महाणा ं तऽ सवासूचारिनयतानाम॥
ं
े
कारण ं परमशािन े व त ु कवलम।
तवै े ्
ु
न दवलाय तयोः कऽािप े ३३॥
िवत॥
ु
परे ोि िचदिचतयम।
तयोिहः ्
ु
ूागपा ं तीरे कोलवा ु पम॥ ३४॥
ु ु
सिलले कका ु
पोताढा ं शिचिताम।्
ु षिः सिवतिवमहम।
ककोानमृतिभः े ्
े ं ृ ं सीतशििभः॥ ३६॥
तऽसपािभवता
ृ ं
गीतवािदऽनािदससािभरनारतम।्
ं
रमडपमरिसहासनोपिर।
ु
शिचिता ् ३८॥
ं शिवगीताकषणनिताम॥
ृ
--------------------------------------------
ू ं ता ं ितािमित शषः।
भिम े ततः कालचबतः। िनःसीम ं िनः
े तऽ महाोि। एतयसिितः
सीमथः। ं
ू ं म े महाोः। तऽ कालचबे
भिमकालयोरवान।
ं
सवासूचारिनयताना ं वीिथसवासततरािशष
ं ु
े
ूचारिनयमवता।ं तवा े
परायाः शराा।
ू
तयोभिमकालचबयोः। एतं भवित
ू ू
महाोममभिमकालचबततभतमहाणा ं
ु
यथाबम ं सिरावा ॅमण े सत ैकाकारूमाण ं
ं
ूोसवासूचारकारणात ्
तदवलन े ं परायाः
कवल
े े
शिरित॥ ३३॥
ु
तयोिरािदिभः सिनितिम ःै नविभः ोकै ः
े
िनालोकावान ं तऽ दाः ू ु
सपिरवारायाः िित ं तजियतः
् े े
फलोपिदशित। तऽ तयोः महीकालचबयोः िचत ूदश
अिचतय ु
ु ं इ ु सागरािद। ूागपा ू
ं अपजो
ु े े
लिलतासशिवमहा।ं कोलवा ं वाराह चतिवशष
े े
पोऽीपणथः।
--------------------------------------------
p. 543) ं
सहजासवसोग ैः सजातानिवमहाम।्
ु ् ३९॥
दयामदाणापािवलोिकतससाधकाम॥
ू ैिऽ ैः णचामरकािदिभः।
पिरतो भषण
िवराजमानािरदानानिप तथािवधान॥् ४०॥
शििभदिशतानम े पँयीमिभतोवाम।्
े
समानािभरिभतो िनािभः सिवताथा॥ ४१॥
ू
याित तासा ं पजियता तमाकारता ं शन ैः।
् ु ् ४२॥
तिनोदमीपिनवासी ात सिनितम॥
कोिटयोजनिवीणसमायाम ु ।्
ं महातम
ृ ् ४३॥
नवरमय ं ीप ं तानाििभरावतम॥
ृ ं
ततीयाशमान े
सहॐािदतजसम।्
ं े त ु मडप॥
रीप मतृतीयाश े ४४॥
ु े ं
कोािदितूािभतोऽसशििभः।
तथा समिता ं ायरो भवित ममः॥ ४५॥
--------------------------------------------
पम ौीचबॄाािदमाऽकं अऽ पमीमहण ं
ु
लिलतािवमहसााथ। सिलले इसागर ु
त े चतरिम।
े
ते
ककोानमसवमगपरागखडमरम।
पम े इित यावत।् असपािभिरित
ं े
पददः।
े
मदमरवीणा ं अनरतृतीयोकवमाणानऽयण
सीतानने च उपिर ितािमथः। ु
ससाधका ं
् ू
सदाियसाधका।ं तथािवधान भिषतान।् तथा समय।
ु े अऽ
ु कलादः सिखिभः
िनपण ु समिववान।्
ु
अपापः पयशील
साजवसमितः॥ ४७॥
े
दिशकः ु ु ससािवतावान।
कलोः ्
े ् ४८॥
जायत े त पिरतो योजन ं पावन ं भवत॥
ं ं ृ ं नणाम।
तदालोकनसलापसशािदकता ृ ्
ु तमाः॥ ४९॥
े रिहताः
पापकयान
े े े ु िनावैभवमीिरतम।्
यो ववमशष
ु एवित
स जीव े ूों तण त॥
े ५१॥
ु
समापिमथ
सवसदवाय।
े
ू े
भतूतिपशाचािदपीडाशा ु े ५२॥
ै सखाय॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 545) समरोगनाशाय समरे िवजयाय च।
ं े ५३॥
चोरिसहीिपगजगवयािदभयानक॥
े तथा।
अरय े शैलगहन े माग िभक
े ५४॥
सिललािदमनः पीडाौ पोतािदसट॥
्
ण ु तत कवच े व े तव तदाकम।्
ं दिव
े
यनाहमिप ु े ु दवासरजयी
यष े ु सदा॥ ५६॥
सवदाान
सवतः ं लिलता पात ु सवगा।
ु पात ु भगमाला नरम॥् ५७॥
े परतः
कामशी
् विवािसनी।
तथ ैव पिम ं भाग ं रते सा
े
महावळरी े
रदनरिदश ं सदा॥ ५९॥
--------------------------------------------
िनाकवच ं तलोपिदशित। तऽ
े
िपशाचादीऽािदशनापारादय ु
उ।े सखाय े
पलाभात।् गवयादीऽािदशः शरभािदिवषयः। भयानको
ु
भयरः। अ माग इरऽायः। े
िभक
ु े पोतादीऽािदशो
तथा समय।
मादाूाापकष।
शीतोािदपीडािदरिहतः
नावािदिवषयः। असौ जिपता। िनः
यने कवचने
अथवा िनपमः। तदाकं दाकिमथः।
अहमिप िशवोऽिप। सवतः े ु सवगा
वमाणसकलानष।
िवमयात।् परतः
ु पवा
ू ं िदिश। तःु समय।
ु े अनरं
ु
े िदशिमरऽायः।
आय ु े िनिा
तथा समय।
ू
दिणपा म े पािित पवऽायः।
--------------------------------------------
p. 546) ू पात ु साधो म े पात ु सदा।
िना मामतः
माम॥् ६१॥
िना नीलपताकाा िवजया सत
े
पालयदिनश ं िचऽा िच ं म े पात ु सदा।
्
कामात बोधाथा लोभाोहाानादादिप॥ ६३॥
् ं
पापारतः शोकात सशयात ् सदा।
सतः
ु ु े ु त ु कस॥
ैिमा समोगादशभष ु ६४॥
ू
असबरिचातो ं
िहसातौतथा।
र ु मा ं सदा ु
ताः कविा ु े ु च॥ ६५॥
ं शभष
ं
िसहाढा था पा ु मारगता अिप।
रथाढा मा ं पा ु सवतः
सवदा
रण॥
े ६७॥
--------------------------------------------
तथा समय।
अथ अनरं न ैॠितिमथः। ु भवा।
ु े सा ूागवै
--------------------------------------------
p. 547)
तााढा मा ं पा ु तथा ोमगता था।
ू
भगताः पा ु मा सवऽ सवदा॥
सवदा ६८॥
ू े ृ
भतूतिपशाचापारकािदकान ्
गदान।्
ु ै ॥ ६९॥
िावय ु शीना ं भीषण ैरायधम
ु
गजाीिपपाताढािखलायधाः।
ं
असाः े
शयो दाः पा ु मा ं सवतः
सदा॥ ७०॥
साय ं ूातजपिा
कवच ं सवरकम।्
कदािचाशभु ं पँय
े णोित च ममः॥ ७१॥
ु
सधारै े
भविदोमडलं भार त।ु
ु
सधानप ं ािदतरे तया यतः॥ ७३॥
--------------------------------------------
र ु मािमऽायः। ताः िनाः। शििभः सहित
े शषः।
े
्
तथा ूावत शििभः े तरगताः ाघढा अिप
सहथः।
े
शििभः सहथः। ्
चकारात शििभः े चकारात ्
सहथः
े तथा ोमगताः शििभः सहथः।
शििभः सहथः। े
तथा ोमगताः शििभः सह ोमा इथः।
ृ
कािदकािनऽािदशो ्
डािकािदिवषयः। गदान पीडातः। ममः
ू
िशवभतः॥ ७१॥
े
महाणािमािदिभः ौयराकिम ु
ै तिभः
ोकै नवमहाणा े ं
ं मातृकाकं तषा
े ं चाकाकं
तयमडलसामािनाणोपदश
े
े ं महाणा चाकयोिवशषमडलूावािदक
इतरषा े च करोित।
तऽ मातृकािवािवमहं
अकारािदकारामातृकािवाप ं िवमहं
महाणािमथः। ्
िवमहिमित िदात िवमह तने कारणने
इथः।
े
ताममडलं तषामावासभत ु
ू ं प ं सधारै
ः
अमृताकै ः षोडशरैमडल ु े े
ं वमाणप।ं तिवशष
ु
सधानप ् ु
ं ूावत सधापनपिमथः।
--------------------------------------------
p. 548) तने तषा
े ं मडलािन त ै ैणदािम त।े
ू
े ं नवाना ं पजास
तषा ु तय ं नवमडलम॥् ७४॥
पृथक ् पजा
चाकयोः ू मडलं तयोः।
े ण ु दविश
बमण े ् ७५॥
े े सवौयराकम॥
ु ू
ूादिणोदचतःसऽिनपातनात।्
म े ूकोयोः का ु
ृ वऽयमितटम।
ृ ्
्
िवधाय नवधा ममीशािद िविलखते बमात।्
ु ् ७८॥
वातारा े ूणव ं नभसा यतम॥
--------------------------------------------
अ मडलिमित ू
े पवऽायः। इतरे भौमादयः। तयाः
े ु त ै ैसयाकै
चािदमयाः। तने हतना। ू ः। नवाना ं
ू
पजास ु समदायपजास
ु ू ु तय ं मातृकाकं पृथक ् पजास
ू ु
ू
तपजास ु तयोाकयोः॥
७५॥
ु
ूािगािदिभरनमहिम ु
ै तदशिभः
ोकै नवमहाणा ु ू
ं समदायपजास ु मडलिवशषिनमाण
े ं तऽ
तषा ू
े ं पजािदकोपिदशित। तऽ िऽहमाऽ े आयामिवाराा।ं
तषे ु कोनवके मूकोसवमको
े
ताूािदगताकोऽयमको े च त े वऽय
ृ े
ृ
सवमवम ु
े ईशािद ईशािदनवकोारकोा।
ं
्
बमात ूादियबमा ्
वातारान अकारािद
ऋकाराानौ रा े सवमकोमनभसा
े
े ववीोः
मकारण ृ ृ े ं नभः
वऽयारालवीिथयरोपत
षोडशरूसािरतमकारार।ं तऽ मडले ादशोिदत ैः
ं
एकोनिवशपटल े षडिवशन
े धाता इािदनाान ं े ोकन
े
ु िवभं
ादशधा ूोै ः। नमोिै रनने चतथ
ू े त े मा यथा ॐ धाऽ े नमः इािद ॐ
ताा ं सिचतमव।
िवव े नमः इाः। सोमा ं सौमशामरं सो
े ् सय
इतत। ं ु ं िबसय।
ं ु ं तने अ ताा
ु
इरऽायः। ु
तने चतथनमोन
े ताा त
े तऽ
ूोनाममण
ं ृ
ूाचीनपिकोऽयमकोगतवमगतकोनवक ्
्
ए। िविलखते ूावदीशािदिवा ं
--------------------------------------------
p. 549) ृ
ववीोः े ्
रोपते ं नभसा मातृका ं िलखत।
े
तऽाकमय
नामिभादशोिदत ैः॥ ७९॥
ूणवा ैनमो ै भानोः सऽ सदा।
ं ु ं का
सोमा ं सय े ् ८०॥
ृ तने तथायत॥
े
ताा तऽ िविलखिा राकम।्
ु
षोडशरय मातृका योगतः॥ ८१॥
े ृ े मकोिप
िविलखयो े ्
े त ं िलखत।
े मडल॥
दाहविसिहतमयऽ े ८२॥
ु े ु सदा।
े ैव ूोकालष
सोममबमण
िनव
े शकराधपायस ैोपचारकै ः॥ ८३॥
--------------------------------------------
ु ं
िवा ं ॠकारा ं हकारं षोडशरय
ु ं मको े
षोडशरूसािरत।ं योगतः िबयत।
े त ं हकार।ं दाहविसिहत ं रफ
सवमकोम। े
े ु महूाितकािदष।
ईकार िबसिहत ं ॑ इर।ं ूोकालष ू ु
तगारायाारै
ः तगारपकं
ु
अिरऽ
ु
साशीिततमोकवमाणचतथिवभमहनामारऽयम ्
ू म े
एव ं सयाावावराणीथः।
े वगार
तोनवकसवमकोम। ं
ू ू ं
तगािदभतपवारसक।
--------------------------------------------
p. 550) े ्
म े ूणवगभवगारमािलखत।
ू े नवमहान॥् ८६॥
ृ े ु नवस ु पजय
एव ं कतष
े ु
अादीशामिभतो िलखामानबमात।्
ु े ै तािनित॥ ८७॥
रािण चताचय
--------------------------------------------
नवस ु मडलिित
े े अादीशािम काकािवत ्
शषः।
ू
पवपरयोरयः। ू े
एकदा पजयिदित पवऽ े ु
ू अदा िलखिदरऽ।
ु
अनबमात ्
वमाणबमात।् त ैः ूणवािदनमोनै ामम
ैः।
्
तान महान।् इित उूकारतः। एत ैनामम
ैः। एव ं उूकारात।्
तषे ु मडलष।
े ु तषा ु ं
े ं महाणा।ं त े महाः। तदनमह
ू ु ं एतं भवित ूादिणोदक ्
पजकानमह।
े े
ूकमकहमानाराल ू ु
ं सऽचतयमाा नव कोािन
िना तषे ु कोषे ु ूक
े ं व
ृ ं
े ु ाृ ं का
कोरखाचतयृ े कालमानन
ृ तदरकै ु े
ृ
वय ृ
ं िना सवमवमकिणकाया ं
ू
समारालं सऽय ं ूादिणोदगाालनने
ृ तऽ सवमको
नवकोािन का
ृ
मगतवऽयकिणकाकोनवकमको े स इरं
सायतु ं िविल िशकोाके ईशारा ं अ ं आ ं इं
उं ऊं ऋं ॠं इावरायािल
ृ
वाववीिथयाःवोा ं ूावत ्
ु
षोडशरूसािरतिबयताता ं ं ूादियात ्
ं मकार पि
्
समािल वावीा ं सिबका ं मातृका ं ूावत िलिखा
ं ृ
ततािकोवऽयसवमकिणकाकोनवकस ्
अवम े को े ॑ इरं साािदयतु ं िविल
िशकोाके ूावदीशारा ं लृ ं लॄ ं ए ं ऐ ं आ ं औ ं
ृ े
अ ं अः इारािण िलिखा तऽ वाववीिथयवा ं
रिवकता ु ं उहकारपि
ृ ं िबया ं ं ूादियबमाििखा
ु ं ूावििल
तावीा ं मातृका िबयता
े ृ
ततायादीशाकोसकगतवऽयमकिणकाको
्
नवकमको े ूणव ं िलिखा तत ूणवम े यथाबम ं
े े ं
कं च ं टं त ं प ं य ं श ं इित तगारायकमक
ु
िलिखा तिहरीशकोारकोा ं कवग चवग टवग
तवग पवग यवग शवग सारपकपकं भौमाय
ु
बधाय ु े राहव े शबाय
सौरय े गरव ु े े इतािन
कतव े े ं अरािण
ूक
सनामािन यथाबममकैे कं सयो
ं एव ं
ू
सयाावारािण ृ
िलिखा ताववीिथय े
ूावदरवा ं तगारािण ृ
रिवकतािन
--------------------------------------------
े ु े ै ु सवऽ मानौ
कतमत ् ८८॥
ु च पजनम॥
ू
ु
एव ं नवमहाणा ु मडलािदतािन वै।
े े तषामात
तव े ु ु ु ् ८९॥
े कदनमहम॥
े
भारो ू े
तारय े दश च पिणक।
ू
ोयोः ितपजा मडलं ण ु पावित॥
९०॥
ृ ु ं त े ितगतः।
िविल वयगल ू
े े काशीितपद
रखािभरिभ े े ् ९१॥
े िलखत॥
े े ताणकान।
ईशकोािदपिरतः ूवशनामृ ्
ं
मायााशीितसाता े दावगत तत॥् ९२॥
--------------------------------------------
यथाबममकैे कपिबमादािल
ं तावावीा ं
ूावातृका ं िलिखा एव ं नवमडलािन िना
ू
ूोबमाणा ं महाणा ं ूोताितकािदष ु
ु
ूणवािदचतथनमो
नै ामम
ैरकोादशिभः च
स सोमाय नमः भौमादीना ु ऊं भौमाय नमः इािदिभः
े े नमः इ
ऊं कतव ै ूोिािदिभरचनात ्
ूोफलिसिः।
ु
े शभमहा
एव ं बमण ु
महािद ु अशभमहा िविद च भवीित॥
८९॥
े
भारािदिभरीरी
नै विभः ू
ोकै ः पजाकालं
ु
तावपरःसर पृथक ् पजामडल
ं चाकयोः ू ं
तिमाणिािण ू
तऽ पजनोपिदशित। तऽ तारय े
ू े पणायािमथः।
यथाबम ं रिववारे सोमवारे च। पिणक ू
ोयोः ितयोः आिद े मषराशौ
े दशमभाग े मागत े
ऋषभराशौ तृतीयभागगत े चनभोम
े ं गत।े त े
ृ ु ृ
वयगलावम े रखािभरिभः
े ं े इित शषः।
सजायत े अ
एकाशीितपद े इऽायः। म े तो म े इथः।
्
अमृताणान अम
े पटले ाकिमािद षिशोकोराूोान
ं ्
् ृ
जकार झकार ठकार वकार सकारान षोडशरिवकान।्
ं
मायााशीितसातान ्
िवसजनीयाान ् ं
अशीितसातान।् म े
े
सवमकोम।
--------------------------------------------
p. 552) ृ
वयोररा ृ मातृका ं मिथता त ैः।
का
े ् ९३॥
े िब े सोम ं समचयत॥
पिभ िलखऽ
ू े
कपरचनाादािलखिदिबकम।्
े
रचनिसरग ैिरकै रकतो े ९४॥
रवः॥
ृ िब ं तऽ त पजयत
का ्
ू े ूोपतः।
ृ ू का
िवािगाः े
ृ रखाः समारम॥् ९५॥
े ्
े ूावदीिरतान।
ं ं तािलखत
एकोनिवश ्
ं ु ैपतान
ूाणािदकाभोऽा ् यतान॥
े रै ु ् ९६॥
--------------------------------------------
एकै कं षोडशरिवकतान।
ृ ् त ैः ककारािदमकाराःै
ु ैः रिवकतमकारसिहत
रिवकारिभ ैः। रैभायत ृ ैः।
ू े िलिप ं मातृका ं िविल
विदशाणः अिभतारदशकन। े
िलिपिमित पवऽ ु
ू िवशदाकारिमरऽ च काकािवदयः। त े
मडलम।े ूावाममोपचारािदिभः। एतं भवित
िऽहायामिवारमानने व े
ृ ं िना तिहरकालमान
ु ेच
ृ ं िना सवमवम
व ृ
े किणकाया ं
ूादिणोदक ् च अािभरािभः रखािभः
े
े
समारालािभरकाशीितकोािन िना तषे ु
े े
कोीशिदगतकोािदूादियूवशगा
ृ
ूोामृतारािण रिवका ं
अशीितसािन मायाािन िविल
िशसवमकोम ्
े ठकारमािल तदरे ूावत ॑
ृ
इरं ससाािदक िविल तिहववीा ं
ु तारपकमिथता ं
रिवकारिवधरामृ
--------------------------------------------
p. 553) ृ
वयोररा ं ः।
त ै पिवशितवणकै
ु ैविदशाणमिथता
रैभायत ं िलिपम॥् ९७॥
ु
पीठे वा सधया ू े वा िशलातल।े
ि े भतल
ु े ृ े का
ससमनावत ु
ृ िबाािन ू े ् ९९॥
पजयत॥
एव ं सवऽ तिन
े ् ू समीिरता।
महपजा
े े
िवशषादशरिहत े ् १००॥
े तऽ तमतोचयत॥
--------------------------------------------
े
मातृका ं िव एवमतडल ू
ं कपरचनाा ं िवर
े ु ूोनाममण
ूोकालष े ् ततः
े ूोोपचारा ैः सोममयत।
ूावानने वय
ृ
ं िना ूाविणकाया ं
ूादिणोदक ् च समाराला एकोनिवशकोनिवशितरखाः
ं े ं े
ु
समािल चतःशतकोािन िना तषे ु
े े
कोीशािदूादियूवशगा ककारािदमकाराािन
ं
पिवशितमरािण े ं षोडशरिवका
ूक ृ
ं
षोडशषोडशसातािन सय ु
ू चतःशतसातािन
ं
ृ
सिबकािन िविल तिहववीा ं
ु
रिवकारिवधरककारािदमकारा ं
ःै पिवशरै
ः
ृ
रिवकतमकारपषोडशकन ू
े विभतारदशकन
े
ू ैकपाशदरैः सिबकै रकारा
सय े मिथता ं मातृका ं
े
सिबका ं िविल एवमतडलं ूोरचनािदना िविल
े ु ूोनामम ैादशिभः
तऽ ूोकालष
े ् तने ूोफलिसिभािगित॥ ९८॥
ूोोपचारा ैरकायत।
इिै िभः
पौठे इािदिभिवमहा
े े े ं
ोकै साधारणनवमहमडल लखनानिवशषोपदश
ू
े ं पटलाथिनगमन
ूोपजाितदश ं महाणा ं
े
िनाकोपदश करोित। तऽ वा िवक।े अनावत
ृ े
जनाावरकररिहत।े तर िवशषादशरिहत
े े े तमतः
े े
िवशषोपदशबमतः िवायाः िनानािमित
--------------------------------------------
p. 554) एव ं त े दिव
े िवायाः कालदशातोिदता।
े
साना च स ैवाा सविवमहा॥
सवदा १०१॥
शषः।
े स ैव लिलत ैव अनीया
सविवमहा े
सवदवतािवमहा इित॥ १०१॥
ॐ॥
ं
मसा ं े त ु यािण ूोाकादशाऽ
अािवश े त।ु
सपादाशीितरिधका ाामाः शतयात॥्
ं
एकोनिऽशपटलम ्
े
मानािन तषाम ् २॥
े ु ान ं िजादनम॥
े
होमिािण सामािवशषािण तिबयाम।्
ं
उपबमोपसहारौ फलािन च यथाबमम॥् ३॥
े ् ४॥
ु ् यथा ं िवपो िनरय ं ॄजत॥
यिद काद
भानोगा ्
ु कािण
िदशो ाा कात दिशकः।
े
ता िदिरान ं ण ु व े यथािविध॥ ५॥
--------------------------------------------
ू ं े पटले षोडशिनाना ं
पविािवश
ु
लोककालतादाािदकमपिदँयानरं षोडशिनाना ं
ु ु
िनहोमाथ मडपकडािदिनमाणािदबममपिदशित। अथ
षोडशिनानािमािदना वाितिमने
े े ं े पटलन।
ोकशतपणकोनिऽशन े तऽ अथ
े े
षोडशािदिभॄजिद ु ोकै ः
ै तिभः
े ु
पटलाथशमाथा करण े ूवायोपदश
े करोित। तऽ
े
मडपादिरऽािदशः ु
कडािदिवषयः। योादीऽािदशो
े
मखलािदिवषयः। े ं मडपादीना।ं तान ं
तषा
ू
बरसौािदिवभागात ् ं तदन ं
तान।
े ं उपबमोपसहारौ
अिजानाान। ं ु
परा े उपिरात ्
ु
त े च य ैः ूोमडपािदगणिवधान ैः। यथा ं
ु ू ४
िनरय ं नरकं दवताूाितकिमथः॥
ूोगणिवधानवज। े
॥
े
भानोिरािदिभः कयिद ःै पिभः ोकै ः
शायया
ु
िदिरानबम ं ूावसिहतमपिदशित। तऽ
आिद दिणोरायणबम गितभदजातया
भानोगा े े
छाययित
यावत।् कमाणीित
ु
मडपकडादीनीित ु
े तद ् गा भानगा।
शषः।
ु े भतल
ससम ू े जलयािदिभिरित शषः।
े कित
ृ े िभबमः।
--------------------------------------------
p. 556) ु े भतल
ससम ू े का ृ ं ॅमणपतः।
ृ व
त ं िबम ु शं सा
ं त वै॥ ६॥
अमायायवशा ू
ृ े पवापरय।
े
ू
पवापरायोः का े
ृ िचहतमिभतथा॥ ७॥
ृ वय
समानपिरॅाा का ृ ु
ं पनः।
ं े े ८॥
तयोः सषसातमदोरित॥
ू
सिय े च ूाऽम े ्
े त ु िवसत।
सऽू ं दोरं तषा े ् ९॥
े ं अम ैः ूागािद कयत॥
--------------------------------------------
ृ े
तरखापिमभाग े यऽ सातऽ च ततोऽपराे
तायाम
ु ृ े ू े यऽ सातऽ च
तरखापवभाग
् ू ं तत पवापर
िचं िवधाय तिचयूािप यत सऽ ् ू ं
पिरकितिचयावने तिारालमान
े े े े िकिदोसि
ािधकनामाननाोसमन ं ं
ू ं वय
पवापर ृ ं िवधाय
ृ े
तरखादिणोरसियूािप ू
ूािमसऽमगा
ू ं तिणोरं
ू े यऽ
ितमपण
--------------------------------------------
p. 558) े ु मडपम।्
राा ं होमािभषकािदूयोगाथ
ं ु ् १०॥
िवदावहने िवारायामसयतम॥
ं ु ं चतार
षोडशसय ु ं सतोरणम।
ु ्
े
िपिहताशषकोण त ैभाग ैकभागतः।
ु ् १२॥
े करमाऽसमताम॥
िवदातो वद
दपणोदरसाशमा ं तदिभतथा।
े ् १३॥
ूागािदिद ु कोणषे ु वािदष ु च कयत॥
--------------------------------------------
् ू
पिरक तत ूादिणोरसऽयसातात ्
ू ै ैषा
वमाणपिरकितसऽाम ु
े ं मडपकडादीना ं ूाक ्
ु ं कयिदित॥
ूदिणोराकिदतय े ९॥
राािमािदिभलणिम
दै शिभः ोकै ः
मडपिनमाणबम े ु
ं तऽ वदीकडिनमाणानािन चोपिदशित।
ं ु ं नवहमानिवारण
तऽ नवहने िवारायामसयत े
ं ु ं षोडशसय
नवहमानायामने सयत। ं ु ं
ूादिणोदक ् च ूक
े ं समारालं
ू ु
ूसािरतसऽचतयषोडशसििित ु ं िदिित
े चतार
शषः।
शषः।
े छदनमालया दभमालया। िपिहताशषकोण ं
े ं त ैभाग ैकभागतः मडप
िपिहताशषकोणभि।
िऽभाग ैकभागतः। मतः
ु
मडपमचतयमतः। े
तदिभतः वदोमिभतः
ं े पटले
तथा एकिऽश
े े ु चः समय
वमाणमषािदमीनाादशरािशानाकष। ु े
े
। कयिद ु े
कडानीननोरऽायः। चत ु
ु ं कडानािमित
े एतं भवित ूादिणोदक ् च नव
शषः।
ु े चतिभः
नवहमानिवारायामने वाकोणचतय ु ूितिदश ं
ु े
ििबमाितयिभमभिमिभतः ु े
कोणचतय
ु सय
चतिभ ं ु ं
ू षोडश ैः सयत
े ु ं ूागािदष ु मडपचतारष
िनःशषिपिहतकोणचतय ु े ु
उरवटााधतिभः बमात ्
ु े यतु ं
े े तोरणचतयन
कितछदनमालयोपतन
िऽहमानिवारायामाकभिनवकोपते ं मडप ं िवधाय
ु
तचतःमभिम ु ं
े कहमानोितया
े
िऽहायामिवारां
--------------------------------------------
p. 558) ु
कडाौ ु
चत े ं प नामकम।्
तषा
ं सकलं व े यथािविध तवानघ॥
िनाण े १४॥
ु ु े
तलाकलीरमषाणा े
ं मकर च दशतः।
ृ ु
िवदाकडािन ु े १५॥
चररािशचतय॥
--------------------------------------------
िवारा ं दपणोदरसाशा ्
े िवधाय तत पिरतो
ं वद
वाभके ादशरािशानषे ु ूितिदश ं ििबमण
े
ु
कडाकं ूितकोणमकैे कबमण ु ु
े कडचतय ू
सय
ु
ादशकडािन े नपाणा
वमाणबमण ृ ं
े
होमािभषकािदमलूयोगाथ िवदािदित। तषा
े ं
ु
ादशाना ं कडाना ु
ं प ं चतरॐााक। ु े
ं कलीरशन
े चः समाहार।े दशतः
ककटरािशत। े ृ ु
े े वकडािन
दश।
ृ
वाकारािण ु
कडािन। िररािशष ु ूोवषािदष
ृ ु चतष।
ु ु
ु
िवदातरॐािण ु ु ्
ु ं िवदािदथः कयात
चतरॐचतय
ु
कडािन ु
तािन चािर चतरॐािण। ु
अनबमामाणबमात ्
ु
कडािन ु उभयास ु ूोिमथनािदष
कािदथः। ु ु चतषु ु
रािशानषे ु योिनकडािन
ु ु
योाकारवमाणलणकडािन।
मले ूयोग े इित शषः। े ु ूयोगिित
े अमलष े े चरषे ु
शषः।
चररािशानषे ु अशशाक
ं अचाकारािण। िरषे ु
िररािशष।ु अिप शने पवकडानीतदाकत।
ू ु े ृ े िऽकोणािन
िऽकोणाकारािण। परषे ु उभयरािशष।ु तिवशष।
ु े े चतय
ु े कोणानािमित
े अकोण े अाॐ।े एतं भवित
शषः।
ु गतास ु चतसृष ु
ूोमडपवाभके ूागािदचतिद
भिष ु एकामका
े े कोणिदगतास ु
ं ििरािशबमण
भिकैे कबमण ू ूािगतानय
े सय ं े
ू
तरानमार े े ं
ूादियबमणशानकोणभिप
े
मषािदादशरािशानािन पिरक तषे ु ानषे ु मलूयोग े
े ु
मषककटतलामकररािशष ु वकडािन
ृ ु चािर
ृ ं ृ ु
वषिसहविककरािशष ु चतरॐकडािन
ु ु चािर िमथनु
--------------------------------------------
p. 559) े ु कवत
अमगलष ु े
चरशशाकम।्
े
िरिप िऽकोणािन परषे ु त ु चतय॥
ु े १८॥
्
पाॐ षडॐ चाकोण े सकिणकम।
ु
एव ं नवाना ं कडाना ं ण ु मानािदलणम॥् १९॥
पिरणाहतः।
ममािलमपवणः
ु
तृतीयाशो े त े सवऽ चािलः॥
ं भवदऽ ु २०॥
ु े ु ु ैः।
त ैतिभभवििवतिििभगण
अरियने ायतः िशव॥
े २१॥
तय ु भवामः
े तान ं ारोितः।
षणवला ु ् २२॥
ु सा ाान ैः कडकनम॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
ु
परं ूमृ तऽािप िवदाियमकम।्
ूािमानने तयोरवावलतः॥
े २४॥
ं
दिणोरतो हसपद े का
ृ ततयोः।
ूसा सऽू ं तािप माजियोमानतः॥
२५॥
--------------------------------------------
पिरणाहतः षणवलाका
ु
ं ु े
तालिमतपषदहोित
ु ु
समानािन कडानीित॥ २२॥
इःै पिभः ोकै ः
ूािगािदिभमानत
ु ु
समचतरॐकडिनमाणबम ु े
ं ततरॐ
ु े ु ु
ं ूावसिहतमपिदशित।
कडऽतरकडिनमाण तऽ
ू
तूाऽम े िचकन ं का
ृ िचं
ृ े तवतः
कथः। ् ू
ू पिमािात पवतः। पा
ादशालमानतः
ु े
ूकिमित े परं अिधकं तऽािप
शषः।
े तयोः
उभयतः ूोादशादशालमानिप।
ु
ूाियोः अवलतः अवतः ॅमािदथः।
ं
तयोदिणोरहसपदयोः ू
तिणोरितऽमानतः
ादशालादशालमानतः
ु ु े तदमािण
अिधकिमित शषः।
ूाक ् ूदिणोरसऽचतयामािण
ू ु मिच मानतः
ादशालमानतः
ु े
पातयिद ु
चतयिमऽायः।
्
एतं भवित ूाितिदमात ूागायत ं
ू
सऽमाा त े िचं का ् ू पिमतः
ृ तिात पवतः
च ादशालादशालमान
ु ु े िचे का ं ं
ृ तदिधकाश
माजिया तियावने तऽ ु
ू ं तमानॅमण
े
ू
पवापरतः ं ृ
िकिदोसिवय ं िवधाय
ं
तयोदिणोरहसपदूािप
ू ं े
ूाॄसऽमहसपदसदािणोरं
ू
सऽमाा तऽािप
मिचाादशालादशालमान
ू ु े
दिणोरतिय ं िवधाय तदिधकाश
ं
माजिया
ू ु े ादशादशालमानन
तऽामचतयावलनन ु े
चतषु ु कोणिप
े ं ु ं िवधाय
हसपदचतय
ं
तदमासपदूािप ूाक ् ूक ् सऽय
ू ं
ू
दिणोरसऽय सय ू ु
ू सऽचतयमाा
--------------------------------------------
p. 561) ु
चतय ु सऽू ं च चतरॐ ्
ु ं भवते समम।्
ु
तिािन कडािन वदािम तव मानतः॥ २७॥
े ैव चरािदष ु त ु रािशष।ु
े ं ूोबमण
तषा
ु ु ं िशव॥
े िवधान ं सट
मानिनाणयोव े २८॥
ं े ूाऽाम
ताादशाशन े ्
ू ं िवकाशयत।
ू े मानने ॅमयथा॥।
ितऽािहन े २९॥
े ृ ु
मिचावलने भवकडकम।्
ु
चतरॐािभतः सा त ु ाा भरतथा॥
ू ३०॥
ु े ु तने सवािण
लत े सवकडष सवतः।
तमावे जाय े षणवलाना॥
ु ३१॥
ं ं त ु पिराध ऊतः।
त े दशमाश
े ं शशामानने ताामयथा॥
तषा े ३२॥
--------------------------------------------
समचतरॐ ु
ु ं कािदित। ् ु े अािन वादीिन
तिन समचतरॐ ृ मानतः
ु ु ू
चतरॐकडूोषणवलमानानािधकमानत
ु इित यावत॥्
२७॥
े
तषािमािदिभराना इ ु ोकै ः सूाव ं
ै तिभः
ृ ु ु
वकडिनमाणबमािदकमपिदशित। ु
े ं कडाना
तऽ तषा ं
ु ु ं गमक।
सट ु
ं िशव े इित सिः। ं े
ताादशाशन
ु ं े
चतरॐमसऽमानाादशाशन।
ू ू
ितऽािहदिणोरायतितऽऽय ू
े ूाऽािहः।
तथा अिभतः पिरतः कोणषे ु चतष। ू अतः अिन ्
ु ु सा भः।
ु े इथः।
िदतय तने वमाणिवधानन। ु
कडािन।
े सवािण
ु
तमािन चतरॐपिरणाहमानसमािन। एतं भवित ूावत ्
ु ं का
समचतरॐ ृ तिवमानमादशधा िवभ
े े ं
तकाशमानात ्
ूागतदिणो ू
रायातितऽािहः
ूागायतसऽू ं ूागम ं िनःसा तानने
ु ं े ॅमााकर
चतरॐमहसपदमावलनन ृ ं
ु
कडमान े ् एव ं कत
ं कयत। ु े वािहगत
ृ े कोणचतय ृ ं
ू
भिममान ं िदतय ् ु
ु े लत े तात सवकडािन
वमाणिवधानने षणवल ु े
ु पिरणाहततरॐऽसमािन
भवीित॥ ३१॥
--------------------------------------------
p. 562) ृ
अचाकितयन ् ु ं तदीिरतम।्
भवते कड
यने य ं चराणा ं ािाशीना ं बमतः िशव॥
े ३३॥
ं
त ैव षमश ु पायो
े ्
ु िवकाशयत।
ू
िवासासऽा ं तयामावलनात।्
ु ं चतषु ु िररािशष॥
ु ं िऽकोणमिदत
कड ु ३५॥
--------------------------------------------
ु ं का
एतं भवित ूावतरॐ ् ू ं ूागम ं
ृ तत ॄसऽ
विहगा ु
ूसा ततरॐिवमान ं षोढा िवभ
े े काशन
तकै ् सऽामय
ं े पिमितक ू
ं पायोविहः
् ू
ूसा तदमयात तऽमानोपतसऽय
े ू ूाक ्
ू
ूसािरतॄसऽ च यऽ सातदवाा ॐ ं
कड े ् एतदमलूयोग े िररािशष ु चतषिदतिमित॥
ु ं कयत। ु ू ३५॥
--------------------------------------------
p. 563) ू
ं े िवकाँय ॄसऽकम।
तपमाशन ्
ू पिमं कोयोदशतः॥
पवतः े ३६॥
्
तोणमानने तथा ॅामयते पिमामकान।्
े ३७॥
उरामाविध तथा दिणामाविध िूय॥
ू
तितऽामयावतथा।
ू
िवकािशतॄसऽाविध ू
सऽय े ् ३८॥
ं भवत॥
ु
योिन कडिमद ु ू ु
ं भिे ातषभयास।
ू ृ ् ३९॥
रािशष ु ूोकाणकसाथिसिकत॥
--------------------------------------------
े
तािदिभः ृ
िसिकिद ु
ै तिभः
ु
ोकै यिनकडिनमाणसान ं तिनगमन ं
ु
ं े चतरॐ
तलोपिदशित। तऽ तपमाशन
ं े तोणमानने
ममानपमाशन
्
तकोणयोररमानने पिमामकान उरामाविध
ू
ॄसऽपिमामािदम ् सऽोरामाविध
ितक ू तथा
ू
दिणामाविध ॄसऽपिमामािद
ू
मितऽदिणामाविध। ु
िूय े इित दवीसिः।
े
ू
तितऽामयावतः
ु
चतरॐमदिणोर ू े भिे इित
सऽामयावन।
े ु
दवीसिः। एतं भवित
ु ू ू
ं े ॄसऽ
चतरॐमसऽमानपमाशन
ं
ूागमविहिवकाँय
ु ु
तोचतयाकचतरॐपिमभागदिणोरकोयो ्
े
अयोः न ैऋादीशामायािदवाया ं
ू े
कोणसऽयाालनन
ू े
लिततऽयसातिविदतमदशावत
े
ोणाविधमाननारको े ूाक ्
ू ू
ॄसऽपिमामािददिणौरमितऽोरामाविध
ू
तिणको े तऽपिमामािद तिणामाविध च
ू
ॅमाितऽामयमार
ू
ूासािरतॄसऽामाविध ू े च
सऽयाालनन
ू ु े ूों योिन
किततलकमसभयराँयाकानचतय
ु ु
कडमफलिसिकरिमित॥ ३९॥
े
तािदना ु े ोकयने
कडकिमन
ु
पाॐकडिनाणिवधान ु
मपिदशित। तऽ
तसमाशन ु ू
ं े चतरॐमसऽमान ं े
समाशन
ू
तिदित ॄसऽिम े
िवशषणम।् मानने िवकािशतमानने का
ृ
व ृ े
ृ ं कथः।
--------------------------------------------
p. 564) ं ृ े का
तशमाना ृ िचािन तऽ वै।
् ू
पातयते पसऽािण ्
तत ात ् ु ् ४१॥
पाॐकडकम॥
ू
ं े िवकाँय ॄसऽकम।
तषोडशाशन ्
ृ े वम
त ृ ु चानम।्
कादन
तऽ षऽपातन
् ु ं षदॐकम॥् ४३॥
े भवते कड
ू
ं े िवकाँय ॄसऽकम।
तदशमाशन ्
तने मानने साा का ृ ं तथा ततः॥ ४४॥
ृ व
ु े ु ऽयिशाशमानतः।
ततःषिभागष ं ं
ू
ृ े िवधाय िचािन ससऽािण
व े ् ४५॥
पातयत॥
--------------------------------------------
ु ं
तथा तततरॐमहसपदमावलनत
इथः।
ं
तशमानात ् ु ू े तऽ तषे ु िचष।
ततरॐमसऽिऽपादमानन े ु
ु ं का
एतं भवित ूावतरॐ ृ तमान
समाशन ू
ं े ॄसऽूागम ं विहः िवकाँय तानने
ु ं
ततरॐमहसपदावलनतो ृ ं िना
ॅमा
ु
ततरॐमसऽ ु का
ू ं चता े ं े ं े
ृ तशऽयणाशऽयण
त ू
ृ े ॄसऽूागमािदपिरतः पिचािन िवधाय
ू
तिािं ापािण पसऽायाा
ृ
तापपवखडमाजनात ्
पाॐ ु ं
ं कड
मलकिण ु
िमथनरािशानवििदक ् ूों भविदित॥
े ४१॥
े
तािदना षडॐकिमने ोकयने
ु ु
षडॐकडिनमाणिवधानमपिदशित। ं े
तऽ तषोडशाशन
ु ू
चतरॐॄसऽमान ु
ं े िवकाँय चतरॐािहिरित
षोडशाशन
े तथा ूावत।् वम
शषः। ृ ं
हसपदमात ्
ू
ॄसऽमान। अन ं िच।ं एतं भवित
ु ं िवधाय तमान ं षोडशधा िवभ
ूावतरॐ
ू ं विहिवकाँय
े े ं े ॄसऽाम
तकाशन तानने
ु ं े ॅमा
चतरॐमहसपदमावलनन ृ ं िना
ू
तिवमानाधन त ितऽदिणामािद
ृ े िचषं िवधाय तिािाप ं
पिरतो व
ू
सऽषमाा ृ े
तापपवखडमाजननामल े
कारािशानिनॠितिदक ् ूों षडॐकड
कमिण ु ं भविदित॥
े ४३॥
े
तािदिभः िशव े इिै िभः ोकै ः
ु
साॐकडिनमाणिवधान ं तत ्
--------------------------------------------
p. 565) ्
तत साॐ ् ु ं चापग ं वायिदगतम।
ं भवते कड ु ्
ु
समवैिरनाशाय ूों कडिमद े ४६॥
ं िशव॥
ु
त चतिवशमान े वािप ू ्
े पववत।
ु
िवधाय चतरॐ ु पवकोणामानतः॥
ू ४७॥
ृ िचािन चा वै।
कोणादिभत एवा का
तषे ु िचषे ु का
ृ ू
सऽािण े ४८॥
पिरतः िशव॥
--------------------------------------------
ु ू
ं े चतरॐमसऽ
फलोपिदशित। तऽ तदशमाशन
दशमाशन ु
ं े िवकाँय चतरॐािहिरित े का
शषः। ृ ं व
ृ व ृ ं
ृ े तथा ूावत।् ततः अनरिमित शषः।
कथः। े
ु े ु चतरॐमसऽ
ततःषिभागष ु ू ु े ु
चतःषिभागष
ं ं
ऽयिशाशमानतः ं ं
ऽयिशदशमानतः। चापग ं
् ु ं का
चापरािशानगत।ं एतं भवित ूावत समचतरॐ ृ
े े ं े तसऽू ं
तमान ं दशधा िवभ तकाशमानन
ु
बिहः िवकाँय तानने ततरॐमहसपदमव
ं
ृ ं का
व ु ू
ृ ततरॐमसऽमान ु ृ तषे ु
ं चतःषिभागीक
ं ं े ॄसऽू ं ूागमादार व
ऽयिशदशमानन ृ े
ृ तऽ िचािं ापण
सिचािन का ू
े ससऽायाा
ृ
तापपवखडमाजनादतत ्
े साॐ ं
ु
वायिदगतचापरािशान ु ं भविदित॥
े ूों वैिरनाशकरं कड े
४६॥
े
तािदिभः े वै इिै िभः ोकै ः
बमण
ु
अाॐकडिनमाणिवधान ु
ं ूोकडाना ं
े ु
मखलािदिनमाणिवधानकथनूावसिहतमपिदशित। तऽ
ु ू
त चतरॐमसऽ। ु
चतिवशमान े
ु ं
चतिवशाशमान। ु
े बा े चतरॐािदित े
शषः।
ू
पवकोणामानतः ू ु ू े
पविलिखतचतरॐकोणसऽामानन।
ु
कोणादिभतः कोणचतयाभयोः
पायोः। ृ िचािन िचािन
का
ृ े
कथः। ु
िशव े इित सिः। ू ु ं
एतं भवित पववतरॐ
ू
िवधाय तसऽमान ु
ं चतिवशितधा िवभ
े े काशमानािहः
तकै ं ू े
ूितिदश ं ूसािरतसऽाम
ू ु ं ूोबमण
पववतरॐ ू े
े िवधाय तोणसऽामानन
ु े कोणचतयासावाभयतः
वाचतरॐ ु े ं
ूितरख
् ू
िचय ं बमात सयािचािन ृ तऽ िचािं
का
् ू ु
ूावत सऽचतमाा तिहगत
कोणमाजनादीशिदमीनरािशूोमाॐ ु ं कयिदित।
ं कड े
एतषा ु
े ं कडाना।
ं
--------------------------------------------
p. 566) ु
कादाॐक ु े े ं मखलािदकम।
ं कडमतषा े ्
ू े ु षिशष
एव ं यािदषष े ्
ं े ु िविधभवत।
ु े ु च तथा कोिटहोमािदष ु समीिरतम॥् ५१॥
कडष
े
ूोतम ु े नवहूमाणक।
े कड े
्
कारयते कोिटहोम ु पष
ु ैरिभथा॥ ५२॥
्
िदिविद ैः बमात पवासरै े
ः सविसय।
े
तषा ् ू ू ् ५३॥
दिणा ं दात पजाूणितपवकम॥
--------------------------------------------
े
मखलािदकिमऽािदशो ु
योािदिवषयः। ूा े इित सिः॥ ४९॥
ृ े
वािदना समीिरतिमने
े ु े ं
ोकयनााॐयकडािदकनोपायोपदश
ृ ु वमिव
ूोिनगमन करोित। तऽ वमभवः ृ
ु ं िऽगिणत।
। िऽगण ु ं वाितने वाितािॐमानन।
े तदॐािण
ु
अाॐयकडािन। े ु पिवश
उष ु े
ं े पटल।े चकारः समय।
कोिटहोमािदष ु वमाणषे ु अऽािदशो महासहोमािदिवषयः।
ं
एतं भवित ूोबमा
ृ ं का
ृ तिवमान ं
ं
ाभीािॐसया िवभ तषे ु तदशमानन
ं े व
ृ े
े ं
पिरतिािन ािॐसािन िवधाय तिािं
ू
ापािण सऽािण े ं
ािॐसााा तापपािण
ृ
वखडािन
माजिया एव ं
ं े ु तडष
मातृकापटलोषिशाॐािदयष ु े ुच
ं ु े ु च िवधान ं समीिरतिमित॥ ५१॥
कोािदमहासहोमूोकडष
े
ूोिािदिभरािकै िरःै षिः ोकै ः
ु
कोिटहोमकडूमाण ं होतृसा
ं ं तोमूकारं
ु
होतृदिणा ं गदिणा ं
े ं
तोिटहोमककालिवशषािा ं होतृलणोपिदशित।
े ु मलामलभदतः
तऽ ूोष े ु ु े
अतम े तदनगण।
नवहूमाणके आयामने िवारण
े च। तथा
वमाणलण ैिवािविः।
--------------------------------------------
p. 567)
गोचयमाऽ ु भवु ं गा ं ूॐतनीम।
ु ्
ू ् ५४॥
मिहष सूजामदासदासीिवभषणाम॥
वासािस े
ं हमिनाणा े
ं शत ं तषामथ ैकशः।
ततो गरो ु ् ५५॥
ु तावे त ैः समानमदीिरतम॥
्
कारयते कोिटहोम ु िवया िनयाया।
ु ै सशीलै
सप ु िनाभै थािकै ः॥ ५७॥
ु
ूोाना ं सवकडाना ं अरिखातमाऽकम।्
ु
कोिटहोम कड ू ु त वै॥ ५८॥
खातम
--------------------------------------------
् ं
बमात िऽशटलवमाणहोमिवधानबमात।् एतं भवित
े
वमाणािदना ु
समवूोकडष ु ु ं कड
ु े ु तदनगण ु ं
े ु ं का
नवहूमाण ं वमाणमखलािदयत ृ ूितिदवस ं
िदवसपकं िदिविद ैरिभरिभः
ु ैवमाणलणस
पष
ैवमाणिवया
ं होम ं कारयिदित।
ािभमतिसिप े े ं होतॄणा।ं
तषा
ु
दािद भविमािदिभरिभः पदैितीयाःै
े ु
ूकमरऽायः। ्
दात पस े ु
ु पस ु िदनष।
गोचयमाऽ
ं गोचमाऽाया ु ूमाण ं
भवः
ृ
वहितराह।
्
सहूमाणने िऽशदशिनवनम।
ं ं
दश तावे गोचमित॥
ु े
तिगणमकशः ू त ैहतृिभः।
एकै कहोऽ।े तावे विन।
ु
समानमदीिरत ं ूोिजातिमित। िदोातषे ु
ृ ु आया लिलतया। िनाभै ः
महनऽािदिवकितष।
षोडशिनाभै ः। आिकै ः िनन ैिमिकािदबमभजनपरैः॥ ५७॥
े
ूोािदना ोकन ु
े कडाना ु
ं खातमानमपिदशित। तऽ
ु ं त
अराः चतिवशलमान।
ु
ु
कोिटहोमूोनवहमानकड॥ ५८॥
--------------------------------------------
p. 568) े
ं मखलामान
सवषा ं िवततदकै ः।
े
िवारोधयोः ु
काोिनहोऽासनामतः॥ ५९॥
ु
महाकड त ु पनमखला
ु हमानतः।
े ं षोडशालाः॥
ितसृणामिप िवाराः ूक ु ६०॥
े ु े ं
तषामधसा षोडश ःु बमण
े वै।
ु वासना ण ु िूय॥
योिनिनाणमधना े ६१॥
े
विहमखलामादार िनजनालकम।्
िवतिमाऽका ं कोामदलसिभाम॥् ६२॥
--------------------------------------------
सवषािमािदना ोकन ु
े सवकडमखलामान
े ं
योिनिनमाणोपिदशित। तऽ िवततदकै ः
ु ु ु
ादशालचतरलमान ैः एष मानबमो िवार चाधारािद
े
उधोधािद ु
वोः। एतं भवित महाकडरिहताना ं
ु
सवकडाना ं पिरतकैे कालमानािहरधो
ु े
मखला ं
ादशालादशालमानिवारण
ु ु ु ु
े चतरलमानोधन
े े
ु ं का
च यता ु ु
ृ तपिर वा े पिरततरलमान ु
ं मा
तदरालमानिवारण
ु ु ु
े चतरलमानोधन ु ं
े े च यता
े
ितीयमखला ् े चतरलमान
ं तपिर ूावत वा ु ु ु
ं मा
े
तदिवारोधाा ु ु
ं चतरलमानिमता ं तृतीया ं
े
मखला े
ृ तखलाया
का ु े
ं होतरासनामपाम
ु
वमाणलणा ं योिन ं कािदित॥ ५९॥
े
महािदना ु
िूय े इने ोकयने महाकड
े
मखलामान
ं योिनिनमाणिवधान
ु
तासनाकथनूावसिहतमपिदशित। ु े े हमानतः
तऽ तिवशष।
ं
अचािरशदलमानतः।
ु े
ितसृणा ं मखलानािमित े
शषः।
े ं मखलाना
तषा े ् षोडशालानीित
ं िदात तासािमथः। ु
शषः। ु
े एतं भवित महाकड पिरतो
े ं ु े े
िवारणाचािरशदलिमतामधन
ु
े
षोडशालमानिमतामधोमखला
ु ं तपिर वातः
षोडशालमान
ु ु तदािऽशदलमानिवारा
ं मा ं ु ं
े ं ितीया ं मखला
षोडशालोधा े ं तपिर वा े
ु तदिवारोधाा
ु ं मा
षोडशाल े ं
षोडशालमाना
ु े
ं तृतीया ं मखला ु
ं कािदित। योिनपतः
ं ता वासना ं योिनिनमाण।
िनमाण ु
िूय े इित दवीसिः॥
े ६१॥
े
बिहािदिभः ू इरै ा
समहत ु
ैतिभः
ोकै यिनप ं तिमाणबम ं
--------------------------------------------
p. 569) ं ु ं तदन
िवतायामसया त ु िवताम।
ृ ्
े ु ं मखलोपिर
एकालोधयता
ु े
सवतः॥ ६३॥
ू
मलािामका ु
ं ोकं काोिन
सवतः।
ू
योिनः कारणभत ् ं महत॥् ६४॥
त ात पद
--------------------------------------------
ु
तासना ं महाकड े े मानिोपिदशित।
योनहन ृ तऽ
े
विहमखलामात ्
े ू ू े
ूथममखलामभतभूदशाितिमाऽका ं कोा ं
ादशालोत
ु ् े
सधकितनाला ं अदलसिभा ं
ं ु ं
अपऽाकारा ं िवतायामसया
ं ु ं तदन
ादलायामसया
ु त ु िवता
ृ ं
ु ं सवतः
षडलिवारयता।
ु ु े ु ोकं िकित।्
सवष ु कडष।
सव
सवतः अ कारणभत
ू ु
इरऽायः। एतं भवित
ु े ु होतरासनूदश
सवकडष ु े ू
े े ूथममखलामूदशभमौ
े
े ु ु ं पीठं मृदा
े ं चतरॐ
लायामिवारमकालोध
ु
ु े े
ृ तदापिरतनमखलामामतनमखलोपिररणाथ
का
ृ ृ
कतरामखलािशवाकारं नालं का
ृ
ु े
तालसपिरतनमखलोपिर षडलमानिवारमा
ु ं
े
तदशाभयपाबम
े ु े
सोिचतामादशालमानायामामकालोधामपऽ
ु ्
ू
आकारा ं मलात ्
िकित ्
बमािामा ु
ं योिन ं कयािदित।
ृ ु ु
वकडितिरकडाना े े सदायः।
ं योिन ं जानीयादवित
ू
कारणभत ू
त िवकारणभत जातपत पदं
् ू
उदयिवौािान ं महत पणात।् तऽ ं योा ं असौ
ु
अपिरिािका योिनः। महाकड ु
कोिटहोमूोकडा मान
े
योनिरित ू
े समहतः
शषः। ू े ऊहो यथा
सगहन।
े
िवतिमाऽमखल ु
कड ् े
नालोत सधमान ं िवतिः
े
तोनिवारमानमलष
ु ं आयाममान ं िवतिः
े े ु ं तदा हमाऽमानमखल
उधमानमकाल े ु
महाकड
तानािन िकयीित तकरणाानािन िल।े
ं ं योनःे िवारमरिः।
नालमानमचािरशदलमान।
ु
े ु
आयाममान ं हः। उधमानमलचतय।
ु ु
योिनकड
े
तखलोपिर ृ ं िवन ैव तलिसिकिदित
योिनि ृ सदायः॥ ६६॥
--------------------------------------------
p. 570) ु
महाकड ् ु
च ैवैतत काान ू
ं समहतः।
ु ु सऽ कडम
नािभ ं का ु े िवधानतः॥ ६६॥
े ं षिः षिदीिरतम।्
िवारादिप चोध
ु े च काहन
ूावहित कड ु े तथा॥ ६८॥
े धा ूों सौबौिवभागतः।
ानमि
सौ ं िनासमाकारं ानमण ु िूय॥
े ६९॥
--------------------------------------------
े े े ोकयने
नािभिमािदना तथनाान
ु
सवकडम
े नािभिनमाणिवधान ु
ं तण ं महाकड
े
ूोवहकनोपिदशित। तऽ िवधानतः वमाणूकारण।
ू
चािवमहं अनािधकमान। ु ूितिदशिमित शषः।
ं चतिभः े चः
ु े षिः षिः अिप चनन
समय। े े अलै
ु िरित
ू ृ
पवोकादाकत। ु
े एतं भवित ूोाना ं सवकडाना ं
ु ं े ूितिदश ं
कडमहसपदावलनन
दशालमानपिरॅाा
ु ृ ं िना ताराल
व ृ े
षडलोत
ु ् े ु ं पीठं का
सधयत ृ
ं
तहसपदावलनन ु ु
े ूितिदश ं चतरलमानन
े व
ृ ं
े च व
िना तिहः षडलमानन
ु ृ ं का
ृ
ृ
तदवम ं पिरक
ं किणका
ृ
तिहःवारालवीामदलिवधानन ू
े च सय
ं ु ु
ं ं नािभप ं कािदित।
िवशलमस ु े
महित कड
ु े ऊहन
कोिटहोमूोे कड ु े
े यदा अरिमानिवारायामकड
नािभपाधोदलिवारम े षडलाक
ु
े किणकामान ं
ु ु
चतरलाक ु े
ं तदा नवहिवारायाममहाकड।
ू े तानसा
नािभप तानािन िकयीहन ं िलत।े
े
यथा उधमानािन ु ं
अोरशतालसािन दलमानािन
ूितिदशमोरशतालािन
ु
किणकािवारमानािन
िसलािन
ु ू पिवमानालािन
सय ु
ु ं
षरिऽशतसािण े
भवि। तािभप ं तथा तानन॥
६८॥
ानिमािदना ोकन
े सौबौयिवभागन
े
े ु
अानयूावपरःसरं सौानमितिदँय
ू
बरान ं ूौित। तऽ िनासमाकारं ान ं
ू
तिाूोलपान। े ु
ं िूय े इित दवीसिः॥ ६९॥
--------------------------------------------
p. 571)
िशीषसह िऽपादसिजकम।्
ू रण ैः षिरीण ैः॥ ७०॥
िऽधापमितबरै
ु ै ु शॐवौ
स ैतिभह ु ु तथा।
ु
िनहमिनश े ु ्
ं ावं ायिवभजम।
े ु ानवैभवमीिरतम॥् ७२॥
ू े ु सहोमष
बरष
ततयोिजासक े ्
ं सगयत।
ु
जया समाोित वाित ं सकलं णात॥् ७४॥
ृ
िहरया कनका रा का
िजायथाथका।
दवगता सिसिदा ् ७५॥
त ु समनात॥
--------------------------------------------
िशीषािदिभरीिरतिम िै िभः ोकै रःे
ू ु
बरानमपिदशित। ु े े े शषः।
तऽ िऽधाप ं सािदगणभदनित े
स ैदिण ह
ैः। इतरैवामै ु
ैः सिपः सभाजन ं
ू े ं
सिपःपणहमपाऽ।
ु ू ु ु
अऽायधबमभजााधरभजािमवगः।
ृ ् ७२॥
ावं िवतवम॥
े
विरािदना े े े ु होम े
ोकनािजाितिराष
ु
ूवायमपिदशित ु े त ं साधकम॥् ७३॥
तऽ वा समय।
े िजासकान ं तऽ होम ं तत ्
तत इािदना ोकन
े ु
फलोपिदशित। तऽ तयोः अवयोजयात।् चकारात ्
िजासके इथः। ्
णात ूोमडलािदकालालनन॥
े ७४॥
े
िहरयािदना े े
ोकनाः
ु ु
दिणविजाचतयनामापिदशित।
तऽ यथाथका
पािदिभिरित यावत।् सविसिदा
वाितफलदाियनी॥ ७५॥
ु े
सूभािदना े वामविजाऽयनामािन
ोकन
ु
तदिजायाः सवकस
--------------------------------------------
् ू े ु त।ु
इतरास ु नते बरकिभमतष
ु
या ं जहोित तामाा ं समाथ सशः॥ ७७॥
ु
े िजायामाया
ततो न
ं तऽ किण।
सामातो िनहोम े िािण ण ु सिर॥
ु ७८॥
ृ ैोिनरोचणा तथा।
नऽव
ू े ु कमस॥
ैः बरष
ं ैऽ तऽोै ि
तास ु ८१॥
--------------------------------------------
े ु
पिररणीयभदमपिदशित। े ू ु
तऽ सवऽ त।े अषाटनािदष।
ु
िूय े इित सिः॥ ८०॥
े
नऽािदना ू
े बरकस
ोकन ु
ु होमिायपिदशित।
तऽ सवऽ
--------------------------------------------
p. 573) ू े े
ूसनाकमक े ्
ु फलािन च तथा नत।
् ् ८२॥
अाािद सम ु िनमाऽ ं नते बमात॥
ु
ातो िवशवसनो ू
धपॐगवािसतः।
ु
ूसिचवदनः काोम ु साधकः॥ ८३॥
ु िवरासीनः ूाणायामपरःसरम।
ूाखो ु ्
् ु ् ८४॥
े ूोयते कडमकम॥
गाऽोऽघतोयन
े
िायािन तऽाशषािण ु े
िवशय।
् ु
िविलखते कडम
दभण ु ् ८५॥
े रखाचतयम॥
े
--------------------------------------------
ं े पटले षिततमोकािदिऽिभः
ृ ैः एकिवश
नऽव
े तोिनरोचणा एकिवश
ोकै ै ः िरपोिरित शषः। ं े पटले
े ु
कोनाशीिततमाशीिततमोकयोिरपनऽयोिनरपािचतचणा।
ु े तास
तथा समय। ं ैः िरप ु नऽयोिनमास
ं ैः। तऽ तऽ
े ८१॥
तटल॥
ू
ूसनानीािदना ु
े ैकै काितिपिरमाणमपिदशित।
ोकन
े ं अाादीऽािदशः
तऽ तथा एकमक।
पायसितलतडलािदिवषयः।
ु े
िनमाऽिमननाादीना ं
ु
े षणवातीः कािदित
ूमाऽण यावत॥् ८२॥
ात इािदना ोकन ु
े होतालपिरकमपिदशित। तऽ
े
ूसिचवदन इतिन ैिमिकमलहोमिवषयः॥ ८३॥
ु इािदिभदीिरत इरै दशिभः
ूाख ोकै ः
सवमलहोमाना ु
ं सामापराोपिरा तििध ं
ू
बरहोमािप ताधारणताोपिदशित। तऽ गाऽः
े तऽािन तोिनािन
तिाूोासम ैिरित शषः।
ु
कडपिरसरािन च। तऽ नवको।े ूागािदष ु कोष।
े ु स इ
े े ं म े मको।े विं तथा रन ्
िजा इतिश।
े विं तिाप ं रन।् अ पद
िनहोमोूकारण
ू े
अनरोके पजयिदननायः।
े े े शषः।
ूोै ः वनाित े चः
ु े रािदकं शिबीजलीबीजयािदकम।् अाना ं
समय।
े सिजाना।ं तो यथा ॑ ौ अय े ाहा ॑
अ
ौ
--------------------------------------------
् होम ं कात
ू े सिपषा
पजयत ् बमण
ु स े वै।
े रािदकम॥् ८७॥
े कं व
िजानामिभरकै
ु
ाहाममिदतमाना ं बमतः िशव।े
ृ
विं सभाजन ं ह े गहीाारक तत॥् ८८॥
--------------------------------------------
े
िहरयाय ै ाहा इादयः। सभाजन ं भाजनसिहत ं बादो
नमः इित शषः। ्
े अत शष ु
े ं अार।ं त े कडम।
े
दभः ूािमयोराम ैः दिणोरयोः ूागम ै
े
ममखलािित े पलाशापऽकै ः
शषः।
पलाशायोरतरपऽकै ः। तथा घृतातीः पम े पटले
े
तदनरोकापादन
एकोनषितमोकोरान
्
े तत िजाना
चोबमण ं रणपवू ूितिजं नवनवातीः
ू
पिरवारशीनामकैे काती। मलतः तिािवया।
ू ैः
नाथिनाभतज
ू
नवनाथपदशिनािदनिनााारपभताकै ्
म
े ााानगता ं
रैिरित शषः।
ू
ॅमागतिदलपाधारमशिपमहाविस ्
ू ं पिररण ं पवािदत
वपतादा ं गता।ं पिररणपवक ू
े ु भना दधपिररणदभाणाम।
उराष। ् एतं भवित
ु
िवरे ूाखितः ु
ूाणायामपरःसरं ास ं का
ृ
ािपताघजलन ु ं होमि ं सूो
े कड ं
ु
कडमनािभपकिणकाया ं ूादिणोदक ् च
े ु े नव कोािन िनााघतोयन
िलिखतरखाचतयन
दभण े
ं
सूो ृ
भाजनिनिहतमारं ह े गहीा े नमः इित
बादो
े तादारसकलं दिणा ं
मण
--------------------------------------------
ृ ितलकं गाऽकः।
दाौ भना का
ू ं समा िवचरत
पजा ् ु तिपवारः॥
े सखी ू ९३॥
--------------------------------------------
ु
िदँयपा सभाजनमारं कडमिभतः िऽःूदिण ं
पिरॅा तको े त ं विं सा
ं ूा
लिलतािदतिािवास ु भजनीयिवया पिरिष
ु े
तडममखलायाः पिरत उदगम ै ूागम ै दभः
ु वा पिरीय पलाशायोरतर पऽ ैदव
कशै पिरक
ु े ु ािभमतािदसिजा
म े विं तदिभतः ूागािदकडकोष
ाा ॑ ौ अय े नमः इित म े विं सम ॑
ौ िहरयाय ै नमः इािदिभः ािभमतािदिभः सिजाम ैः
सम लिलताहोम े तिारणपवू
ौीिवातृतीयखडिदनिनाा ं ूितिजं नवनवातीा
ै ास ु ूक
तदिना होम े तिामः ाहा े ं
िनन ैमीिकमलहोमषे ु विं
नवनवातीा
ु तऽ ूोिवमहं
तिािवमहं मलकमस
ू े ैकै काित ं भजनीयिवया िनन ैिमिकयोः
तजाबमण
षोडशाती घृतने ा का े
तूोि ं
ैाती ा लिलताहोम े
नाथम ैििथिनया तिनिनयााारण ू
े भतम ै
तिदतरिनाहोम े नाथम ैरव ्
े ा ूावत पिरिष े
विं दव
्
िवभावयन ााधारशिपमहाविना तादा ं
ं तौ दा तना ितलकं
िवभा पिररणदभािदक
ृ तिािवा ं तसामाव
का ं ूावास ं
ु
कािदित। ू
बरकमस ु ९४॥
ु अिभचारािदष॥
--------------------------------------------
् ू े
ु सजयथा।
सां िवयाान ं कात
िनबम ं ततो िन ं तिवसिवया॥ ९५॥
ु
िमथनािन ् ू े ूणमदिप।
च पाशत पजयत ् े
ु े ् ९६॥
ू ु े पािह मािमदीरयत॥
मले पवमिदत
ु
एव ं त े किथत ं सव कडािदष ु समीिरतम।्
ू ू
होम ं त ं िऽिवध ं ूों लसपरतः॥ ९७॥
्
ू ं परोरिन पटल
ल े सगीिरतम।्
इतर िवधान े त ु यािन यािन
े ु ९८॥
तािन त॥
ु
ूोािन सकलानी ं होमाीमवायात।्
े
िवनाशयदरात होमःे पापािन चानः॥ ९९॥
--------------------------------------------
े
तिािदिभवाितिम ैः षिः ोकै ः
रै ा
ू
बरहोमानर तदथ
ं ताथ होमः कः
ू ु
पविदनिनािमथनानरणसिहत ं
ू
सपरहोमयोरपटल े
ु
वमाणूावसिहतमिनगमन ं तलोपिदशित। तऽ
े िवया तिािवया।
िनशः ूितिदन।ं तथा उूकारण।
सजयत ्
ू े तिनािमित े िनबम ं तिाया
शषः।
ू ू
ं ततिापजानर।
िनपजाबम। ं तिवसिवया
ं
पिवशपटलोतिनिवया े शषः।
सहित ू ु े
े पवमिदत
ु
षोडशपटले ूोचतःषिकोाक।
े पािह मािमित
अराकमिमित शषः। ू
े स बरहोमानरं
ु
ं कडािदष
साधकक। ु समीिरत ं कडािदष
ु ु
े ु े े उरिन ्
ं तिवशष।
मखलानािभयोािदिनमाणिवधानमीिरत।
ािऽश ू
ं े पटल।े इतर लहोम। तानीोरऽ
े ्
े ं इ ं होमात ूोूकारहोमात।
ूोानीतिश। ्
--------------------------------------------
--------------------------------------------
े
पापािन अमलािन। नासािमतदराितिवषयः।
े
नानवािमतदिभमतिवषयः॥ १००॥
ं
मसा े ं े
न सि यायकोनिऽशिन ्
पटले कताः।
ृ
ं
अिऽशदिधका ाामाः शतऽयात ्
॥
ं
िऽशपटलम।्
ु े
अथ षोडशिनाना ं सामाा वादवताः।
ू
तासा ं चबं तऽ पजाबम े १॥
ं सवदािम त॥
े ण ु दविश
बमण े े ूोािन फलिसय।े
भवन
य ैिवना ु
ु े माः सव िनला ु ् ३॥
ीवम॥
ु ृ
चतरॐाकितः किदसरः ृ ्
ु सवनाशकत।
ु त वधाय ैव सव दवाः
परा ु ् ४॥
े मम॥
ु ु ु
ृ िनहमा
का ैरवोऽभवरात।्
े
आवयोिरासाय मामाकथयदा॥ ५॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 579) कथयााकमधना ु ु
ु तापष त।ु
दपशाि ं नचन ु ् ६॥
े े िवमासीपितम॥
ुृ
सकतािन ु े
ु तािन च कवत।
समादृ
े
ताषामन ु ं सदा॥ ९॥
ु ूहं कवता
ु े ु जाय े न ैवाशभकथािप
शभावाश ु च।
तबािदिवधान ु ण ु सवदािम त॥
े १०॥
ूादिणोदक ् च का ू
ृ वै दशसऽकम।्
े
त ैरकाशीितकोािन जातािन ःु समािन च॥ ११॥
--------------------------------------------
ु
त असर। े ॄादयः। क
दवा ृ े ु े
सममिमनन
ू
पवऽायः। ः आवयोः शििशवयोः। तिरासाय
त ैदवै
ु
असरवधाय। े
मा ं िशव।ं अाकं दवाना। ु े
ं तिवशष।
दपशाि ं
ं अवािभमानोगविनवापण।
े
नचपशाि ु ु ु े उे सतोित शषः।
ं कथयिस। तने वापषासरण। े
िशवन।
त ैदैवमै या ु ु
े िनधन ं मरण।ं त वापष।
ु ं त असर।
ःशकं र।ं त ं असर। ु ्
ापयते ाथिणच
्
े
बलाििदथः। ु
अ िऽपाशिदरऽायः।
े
िऽपाशवानािमित शषः। ु
े अयमऽायः तासर िनधन
ःशकामवनौ खाा तरीरे िनःाबमणाय दवाना
े ं
् े
िऽपाशत ितिदित मया दवान ् िनयो ूोिमित। तषा
े ूित े ं
े ू ु ैः।
ं त ैः पजािवमख
दवाना।
ृ ुृ े
कतानीोरऽसकतानीतिश। े े ं
ं तातोषा
े ं
दवाना।
े
तबादीऽािदशवताििततदातबूितािदिवषय
◌ः। त े तव॥ १०॥
ूािगािदिभरीिरतिम ु
ै तिभः
े ु े ु
ोकवादवताचबिनमाणिवधानमपिदशित। तऽ त ैः आािलत ैः
ू
सऽैः। समािन समारालािन। तषे ु कोषे ु नवकोानीयः।
एकं त ु कात ्
ु एकीकािदथः।
ु तिहः एकीकतनवकोकािहः
ृ
--------------------------------------------
िधा कात ्
ु कोणकोाौ ु
पनः॥
तायोः १३॥
ु
एकीकाथा े े तीा ं िद ु मतः।
े ं भवि
एकमक े ं ् १४॥
ं बिहािऽशदीिरतम॥
सवम ्
े यजते सॄाण ं कमलासनम।्
े
हमाभ चतव े ् १५॥
ु ं वदायनशीिलनम॥
--------------------------------------------
ु ु
े चतषकोणष
वीािमित शषः। े ु एकीकतकोनवकान
ृ ्
ू ु
े ितऽचततः
वावीिथयोिरित शषः। कोानीयः।
् सऽबमण
ूितकोण ं कोय ैकै कितक ू
े तायोः
मवीिथकोपायोः। े े को े इित शषः।
े तीा ं
मवीा।ं मतः एकीकतििकोयोिरित
ृ े
शषः।
बिहवावीा ं ािऽशत ्
ं कोानीित े एतं भवित
शषः।
ूादिणोदक ् च समारालं
ू े ैकाशीितसकोठािन
दशदशसऽाालनन ं िना त े
े ृ तदरवावीा ं पिरतः
कोनवकमकीक
ं
षोडशसकोािकाया ं ूितिदश ं ऽीिण ऽीिण
े ृ तीा ं
कोाकीक
ु ं
ूितकोणमकैे कबमणाविशकोचतय
े
ु े ु ूितकोणमकैे कबमण
तावीिथगतचतिवशितकोष े
कोचतय ्
ु ं च ैव ं बमात ूितकोण ं कोय ं
ू े िधा का
ितऽण ू
ृ सय
ु े कबमावताका
कोणचतयाकोयाकमकै े
ु
न ं पिरक पनितीयवीा ्
ं तत कोणोभयपायोः
कोय ं कोयमकीक ु
े ृ पनीा ं ूितिदश ं म े
िशमकैे कं कों वमाणबमादरासाथ
ु
पिरक पनावीा ं ािऽशत ्
ं कोािन
ं े े ं
ािऽशवताानाव
ू ु
सयारासानकोचतयवज
े
िऽपाशवताानािन भवीित॥ १४॥
सवम
े इािदिभः समीिरता इै ादशिभः
ोकै िपाशा ु दवतानामािन
े ूोचबे ूोानषे ु
तासा ं िितबम ं ताममाोपिदशित।
ं
तऽ सवम े
ृ े तिहदनरवीामिभ
एकीकतनवकोाकान।
--------------------------------------------
p. 581) े े
ूागािद तिहािप यजदतान ्
ूदिणम।्
े े
कोणाकोयोरकमकमौ च तय।े
् ू िूय॥
ू े पववत
वादीशामिभतः पजयत ् े १७॥
े े ्
कोणाकोणपाादीशामयत।
अौ बमण
े तारा ैनमो
नै ामिभथा॥ १९॥
े
अानिप च चबिन ्
ूोान ् े ्
साथायत।
ु ं भकं िपिलिपकम॥् २०॥
स गहामण
ू
चरकी च िवदारी च पतना े
च महिर।
े िदश ं ूित॥ २१॥
बिहरीशािद पिरतो यजदौ
जयः शबभारौ।
ईशानाथ पजो
ृ
सो वषोिर ू
पवाशाकोगाः बमात॥् २२॥
--------------------------------------------
े ृ े ु चतषु ु ानष।
तकीकतकोऽयाककोऽयाकष े ु
एतानाकादीन।् अ ं चतथ।
ु अौ दैवतानीित शषः।
े तय े
वादीशामिभतः तदकोय े
विकोणगताकोयादीशकोणगताकोयािमत ्
हः। पववत ्
ू ूादियन। ु
े िूय े इित सिः। ितयौ िो
िजय। त े दवाः।
े ्
अौ अनरोकवमाणसवादीन।
तारा ैः ूणवाः। नमािै रनने ताा ं
ु
चतथिवभं चोत।े तथा ूादियन। ्
े अान ूोान ्
ॄादीन।् तथाचयत ्
े ूोबमण े ्
े तामम ैरचयत।
ू
प नामािन। चरकीािदना पवान
सविमािदनोरान
े
नामऽय।ं महरीित ु
सिः। ं अौ
विहः सववावीा।
े
दवान।् िदश ं ूित ूितिदशिमथः॥
ईशानािदना
े
--------------------------------------------
ु
िनऋित तथा दौवािरकः समीवकथा।
ु ु
वणः पदासराशोषरोगकाः॥ २४॥
े ु ू एत े यथाबमम।्
पिमाशाकोषपा
ु
वायनागथा ु
मः सोमो भातकथा॥ २५॥
िदितरवमिदित
अगलो े यथाबमम।्
े ू ं े ु दवतााः
कोशरसष े समीिरताः॥ २६॥
ु ं कोणसऽतः।
ितीयवीिथमचत ू
ृ चता
का े े ूागािदष ु यथाबमात॥् २७॥
ु तव
--------------------------------------------
ु े
ूाोानचतय।
--------------------------------------------
p. 583) ु
ूा े यगाणपायिनाणानािलखत ्
े बमात।्
् २८॥
ूागािदष ु तथा द े िनाणाणदयाणकम॥
ु
ू ु
पिम े भिमतोयािवायकािकान ् े ्
िलखत।
ू
उरे पजयामीित े तान॥् २९॥
िविलाऽ यज
े ं त ैनत
ूक ् ु े चतरॐिदखः।
े कड ु े ु
ु ः ौिघृतधातु ैः बमात॥् ३०॥
ॄीिहमयवै
े वा।
अोरशत ं वाोरिवशितमव
ं
े ं त ैन
ूक ै पायस ैः॥ ३१॥
े ै
विल तषा ु
े ं कत
पायस ैनाित ैः।
ू ं ु ् ३२॥
सिसत ैधकदलीफलापपािदसयतम॥
--------------------------------------------
ु ्
तालीन
यगाणपायिनाणान ु
ं यगाण
पयायिनाणऽय। ् े तथा
बमात ूावादियन।
ु े
े द े दिणपाकोानचतय।
ूादियन।
ु ं उदयाण तिनिनाणऽयथः।
िनाणानदयाणक े
ु े भमीाािप
पिम े पिमकोणानचतय ू
पमहणम।् कािकान
्
ितीयािवभान।् उरे
ु े पजयामीित
उरकोानचतय। ू
चारािण। अऽ चबे
्
। तान ूोान ् ् २९॥
ॄादीन॥
े
ूकिमािदना ु े
पायस ैिरने ोकयने वादवताना ं
ु
होमाथ कडािदकं होमिायाितसाोपिदशित।
ं तऽ
त ैः ूोनामम ैः ाहािै रथः। ् ु
नते जयािदथः।
ु ु अऽ सििदात।् इिदखः
चतरॐिदखः ु
ु
ूाखः। ् कबमात।् वा िवक।े तत ्
बमात एकै
ं ु ु े ूाखः
े एतं भवित चतरॐकड
ूोसालनन। ु
ूोूकारण ु
े विापनािदपरःसरं तऽ (?) का
ृ
ौिािदऽयातु ैॄािदिभििभः पायस ै ॄादीना ं
े े किण
ूकमकै े ूोसयोरतमसा
ं ं
ु
आातीजयािदित॥ ३१॥
े तषा
विलिमािदना ोकन े ं विलिवधान ं तािण चोपिदशित।
ू
े ं ॄादीना।ं धकदलीफलापपािदसयतम
तऽ तषा ्
ं ु एतत ्
े
िबयािवशषणम।्
--------------------------------------------
p. 584) एव ं िसहगत
ं ू ं ूितवरम।्
े भानौ पणाया
ु ू
गहे े वापजाया बमात॥् ३३॥
ं मडले सवतः
ु
कािवस ्
े िवूान िनाभान ्
यथावलम।्
् े ् ३४॥
ै ु ै ु भोजयत॥
ऽयादहीनान िविवधधरा
ु े
भो दिणा ं दाथाशि सम तान।्
एव ं िवदधतो गहे े नाकाण ं कदाचन॥ ३५॥
ू े
न वालमरण ं ािधभतूतािदकािन च।
न सपपीडा ु
नाोकलहाशभािन च॥ ३६॥
ु ु िभाक।्
पऽपौऽधनारोयपशदासीसमृ
ृ े ३७॥
अरोगी िवजयी ातिरं जीवित तह॥
--------------------------------------------
ू
अपपादीऽािदशो े ु
घृतािदिवषयः। एतं भवित उष
िऽपाशानषे ु उािन िऽपाशैवताावा
ु ू
गपधपदीप ैर पायसने तोि ैवा ूक
े ं
े
विलिसािन िनवानरं अािन पाऽारे यथाान ं िनवँय
े
ु ैरावतर
रारोीशी खपािणः खपािणिभः पष ृ े
े ू े े
दवतायतननदीतीरूातवनितमलानामतमूदश
िडले यथाान ं िनि पादनपरििभः
े सा
ृ े गाऽो दवताा
ौीिवाजापी गहम े े
भविदित॥ ३२॥
े
एविमािदिभभविद ःै सिभः ोकै ः ूितवष गहे े
ु े
वादवताचनकाल ्
ं तिवस े िनाचबोपािबमात तलं
ृ े
राजािदगहातदचनावँयकता ं तदकरण े
ूवायोपिदशित। तऽ एव ं ूोबमात।् गहे े साधकगह।
े े
ु
मडले ूोगहे े (शवे ?)। कयािद ु ू े
वापजायािमनन
ू
पवऽायः। ु े े िनाभान ्
तिवस े वादवतोपाििदवस।
षोडशिनाभान।् ऽयादहीनान पषऽयादहीनान।
् ु ्
्
ु ैिरऽ आशितररसपकिवषयः। तान भान
मधरा ्
ू े
भतूतािदकािनऽािदशः ृ
अपारकािदिवषयः। ु
अशभािन
--------------------------------------------
p. 585) े
राजवँमस ु सवऽ तथा च मिहषीगह।
ृ े
े े ु परु े तथा॥ ३८॥
सिचवामासनानीभवनष
् ु ूोिस ै त ु दिशकः।
िवदात ूितवष े
े
न चाथापफलै े
ः शोऽिनश े ् ३९॥
ं भवत॥
े
िऽलोहाँमतलतम े हूमाणक।
े
े ् ४०॥
तैवतनामािन मायागभ समािलखत॥
् ू े सपिकवासरै
तऽ तान पजयत ् े ः।
े े
ापयँमस ु ािप िनशािप तऽ वै॥ ४१॥
े
रान ् े ु कात
दवताबा ् ु
ु पािलं िऽशः।
े
तँममल ु ु ४२॥
ं मामपरखवटकािदष॥
ु े
िवदादिखलं िशशा ै समृय।े
--------------------------------------------
ु े
दािरादीमलािन। तहृ े अिचतवादवतािभः ृ े
पिररितगह।
सवऽ राजिनवासानषे ु मडपािदष।ु तथा च मिहषीगहृ े
े ु तथा सविदिविद
राजमिहषीणा ं गहृ े िविनवासानष। ु म े
ु
े तरवधारण।
चथः। ् ु े ृ चते ्
ू न कता
े नचते ूोबमाादवतापजा
॥ ३९॥
े
िऽलोहािदिभः समृय े इरििभः
े
ु
ोकै रिधकरणषे ु वाचबिनाणिवधानािदक
ृ
ं गहािदष ु
े ु
तिता ं तलोपिदशित। तऽ िऽलोहाँमतलष
े ु हूमाणके िवारायामाा।ं
िहरयताॆाँमतलष।
े तषा
तैवतनामािन ूोािन ितीयाानीित शषः। े ं
ू
ितीयां पजयामी तबे लनोपिदात
े े ्
ू ु े े ितीयािवधाना। मायागभ
भािदनामचतयिवलखन
े े तऽ चब।
खोदर। ् े ् ािप अनपहतदश।
े तान दवन। ु े े तऽ ािपतदश
े े
। िऽशः िऽवारादहीन।ं खवटकािदिऽािदशः
् ु े
े वादरताचब
पनािदिवषयः। िवदात ूोूकारण े
े
ूितािदकिमित शषः॥ ४२॥
--------------------------------------------
ू
मलाधारक ु
े वौ कडिलागािमिन।
ु
वावाचकप ूप ं जयाथा॥ ४४॥
े
यनावयोः े जायत े हवनने वै।
समो दिव
ु
तिधान ं वद ूा शो समाधना॥ ४५॥
आधारे विसान
ं ु
ं कडिलाः िित ं ततः।
ु
ण ु व े िवधान ं त े सिवरतोऽधना।
ू े परम॥् ४७॥
े या ं ौयत
ूाणािहोऽिवित
--------------------------------------------
े े ोकन
तत इािदना वै इनाान ू
े सपरहोमै
ः
ु
िसिकथनूावपरःसरं सपात ् ू
ं े सहोमिवधान ं
ु
तैभवोपिदशित तऽ चः समाहार।े िूय े इित सिः।
ू
मलाधारके षोडशपटलूोप।े वावाचकप ं
े यने िवधानन।
ं तथा वमाणूकारण।
वावाचकाक। े
आवयोः शििशवयोः। एतं भवित
ू ु ु
मलाधारकडिलनीशिमखगािमवौ वावाचकाकं
ु
ूप ं तथा जयात यने हवनिवधानने आवयोः समः साधको
जायत े इित॥ ४४॥
े े ोकन
तिधानिमािदना ूभो इनाान े
ू
तिधान ं मलाधार े विसान
ं ु
ं कडिलाः िित ं
े पृित। तऽ तिधान ं
ू ं तिया दवी
तिप
ू ं ूा शो इित
सहोमािवधान।
ु
पदयमीरसिः। अधना ्
ु अिन पटल।
े तिप
ू ं
ु
कडिलनीप ु
ं तिया ं कडिलनीिबया। ु ं
ं िवशदं स।
े ु
ूभो इित दवसिः॥ ४६॥
े
िवािदिभः िकन ु
ै तिभः
ु
ोकै िधानकथनूावपरःसर े ु
ं तिाना ं वष
्
ूशि ं तैभवािदकोपिदँयािन पटल े
े ूोतैभवशष
--------------------------------------------
p. 587) ु ्
याा विनतागभ न ूयाित नरो ीवम।
े ् ४८॥
ययायासरिहतमना पिनवहम॥
े े ान ं िनःशषकषम।
यनः शिवौाः े ्
ु
सखाद े े ् ४९॥
ं ग ं िवमय ं िचवदनात॥
े
अऽोशषमिखल ु
ं े पटले टम।
ं षिऽश ्
ृ े च ूभाकरः॥ ५१॥
ं ूािणना ं तदय
सवषा
ू ॄराधमा वितः।
मिन
तयाकमवे ादाा िना िऽखडकम॥् ५२॥
--------------------------------------------
ं
षिशपटले वमाणं कथयित। तऽ िवधान ं
ू ं अधना
सहोमा। ्
ु अिन पटल।
े यिधान ं परं
िनरितशय।ं विनतागभ मातदर। ्
ु ं यत यायासरिहत ं
ृ े
चादिणाथयकचाायणाायासानपादन ्
े ं
उसान मा। अनापिनवह
े ु े
ऋिवशषिगपिानपात ् े े ावे
भदूतीतः
ु
िवलयनानसानमाऽा। े े ान ं
यनः। शिवौाः
सिवकिवलयपात।् िनःशषकष
े ं ितिराभावात।्
ु
सखाद ु
ं िवे मनसो िनानिवलापकात।् ग ं िन ्
े ् े ततात॥्
ं अऽ अिन पटल।
ातृानयाकािमय।
५०॥
े
िनािदिभ ू
ैिरःै पिभः ोकै ः सप ं
ु
तदनसान ं तोमूकारोपिदशित। तऽ िनािनोिदत े
्
िनािनपटले ूोे तत तोवत ्
ित े दय े अनाहतचबे
ॄराधः िशरःकपाले ॄरपद े णधोभाग े
ु ू
े तयाकं अिससोमक
धोमखपम। ं
आािनािऽखडकं ौीिवाखडऽयम॥् तषािमािदना
े
ोकन ू
े ैतं भवित मलाधार े वाकं ौीिवायाः
--------------------------------------------
े
तथा सिमं तजय ु
ं वाथ तयम।्
िचिवकिवधरु ं भावयदता
े ु यत॥् ५४॥
तषा ु
ूागाना
े ं ऽयाणा ं वणाना े वै।
ं बमण
ाामतम ं का ु ं जया
ृ पिटत ु त ैः॥ ५५॥
ु
पिटतान ् ु
भानणः ं े त
राारण ैः।
ु ु ु
जयािलाशयः॥
कडलीमखमागाौ ५६॥
--------------------------------------------
ू ु
ूथमखडममखूसृ े
ततजादािदॄरा ं
ु
ू ं ौीिवाया ममखडमभयतः
दय े सयाक
े
ूसृततजादािदक ू
ं मलाधारा ं ॄराग
े ु
ॄराधःूदशाधोमखपकिणकाया ं ौीिवायाः
ु
तृतीयखडं चाकममृतमयनाधोमखूसृ
े े
ततजात ्
ू े ं तजयाक
तदािदकं मलाधारामव े ं खडऽय ं
ु े े ू ं तयमनसा सह
गमागमानसाननाोमकीभत
े
ाान ं च भावयिदित। े तय ं
तथा ूोूकारण।
ु ु े
कनकािदिभमकरािदभदविदित े िवकिवधरु ं भदरिहत।
शषः। े ं
तषा ू
े ं ऽयाणा ं अिससोमाना ं िधकरण े षा।
वणाना ु
ं ूागाना ं पदश े पटले अकारादीािदना
ु े ोकनािभूतनााना।
चतःषितमन े े े ं
ू
ाामिसयसोमाकवगवणऽयातमाा ं
त ैः वमाणबमण
अतम ं वणवगा ु ैः। एतं
े पिटत
भवित पदशपटलोानां
ू ु े े
ससोमाककलासनरखाऽयाकऽयािभूताना ं
ं वणाना
म े सोमाकषोडशरवणः
ू
साकककारािदतकाराषोडश
वणवगाकथकारािदसकाराषोडशवणवग
ं ितजोमयाा
चातमाा ं वगाा े ं
े
तिदतरतजोमयवगवण ु
वमाणबमा ै ैवणः पिटतािभः
े
ातृानयािकािभः
षोडशिभः ूो िनिवक े तजिस
े
वमाणबमण ु
े जयािदित॥ ५५॥
ु
पिटतािनािदिभः समिमःै पिभः ोकै ः
ु
ूाणािहोऽमािदकमपिदशित। ु
अऽ भानणः ु
कलासन े
ू े
सयाकरखाककारािदतकारााः
--------------------------------------------
p. 589) ु ु
विभानपटाः ्
ु े बमात।
ैाैनत ्
ु ु
चभानपटाः ु
ैणजयाथा॥ ५७॥
ु ु
भानचपटाः ु
ैणजयाथा।
ु
चविपटाः ु
ैभाणजयादिप॥ ५८॥
ु
विचपटाः े
ैरिप तनतः।
तथा तषा ्
े ं ूाितलोात षोडशाना े
ं नदिप॥ ५९॥
--------------------------------------------
षोडशिभरिवण। ् ु
रान तलासन े
े
सोमाकरखाानकारादाकान।् तारण
े ूणवने
त ु ु
ृ ैिरऽ ाराथ गमखादवगः।
िनलाशयः अनमनाः ता यथा क अस, ख आष इादयः त
ु ु
अःथ इाः षोडश। वि भानपटाः ैः
ु
थकारािदसकाराानामनलोमाना ं ककारािदतकारााना ं
ु
ं पटाः
ूितलोमाना ं वणाना ैाैः रैः। तत ्
ूणवन त
ैिरथः। ्
बमात अकारािदिवसजनायाबमात।
्
--------------------------------------------
े
तजयाप ु
ं ादावयोरिप तपः।
ृ
अािन चावयोिरागहीतािन ूं वै॥ ६१॥
वपिष
े े
तादवतादहसिगावशािन च।
ु
मि े समीिरतम॥् ६२॥
तयीभाव ैमव
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 591) ु
तऽ कडिलन ॄिह ु ं म े परमर।
ू ट े
ु ् ६३॥
ता ं वदािम ण ु ूा े रह ं परमातम॥
ू े
मलाधारवातजोम े विता।
ु
जीवशिः कडलाा े तने सा॥ ६४॥
ूाणाकारण
ु ु
ूसभजगाकारा ु
िऽरावा महाितः।
ु
मायाशीषा नदी तामरिनश े ६५॥
ं ग॥
ु ु
े े सा यदा कणय
सषामदश त।ु
िपधाय न णोा िन ं त तदा मृितः॥ ६६॥
ु ं याित ादडाहता
िवहाय ऋजता े सती॥ ६७॥
्
तदा िवूतीितः ात ूािणनामदा ु
पनः।
ु
िनशाकारे भवनिितवत ्
ानः िितः॥ ६८॥
--------------------------------------------
े
तऽािदना ोकपवान ु
ू कडिलनीप े पृित।
ं दवी
ु ं स।
तऽ ट ु ं तािमािदना ोकोरान
ु
कडिलनीपकथन ु
ं ूीित। तऽ ता ं कडिलन। रह ं
े
दिशककटाात ु
े ातमशात।् परमातम
ु ्
ानाकाादााका॥ ६३॥
ू े
भलाधारािदिभः साधक इःै षिः ोकै ः
ु
कडिलनीप ु
ं तदनभावोपिदशित। तऽ तने ूाणाकारण।
े सा
ु
कडिलनी। ु िवूकाशकात।् मायाशीषा
महाितः
ता ं माया ं उरी तदाना ऊ
िवसजनीयशीषा।
सरी। ग े इतरऽ
े ु ु े े इ िवशषण।
सषामदश े ं
ु
सा कडिलनी। ु
तदा अासतः। एवमपा। ु े े ऋजता
तिवशष। ु ं याित
ू तपिर ौोऽादीियगािमनी।
भलाधाराििनग
े
ादडाहता े े
ाूरणापर वशा। अदा ता ं
ु ु
ूसभजगाकारतया ु
िताया।ं िनशाकारे भवनिितवत ्
ु
अूकाशतया। एतं भवित यदा ारािपणी
ु
बािका ु
कडिलनी ू
शिः मलाधारात ् ु ु
ूसभजगाकारता ं
े े
िवहाय ाूिरता
--------------------------------------------
p. 592) एव ं ता ं वि े े
े यो दहे े दिशकादशदिशताम।्
ु स िवयः
जीवः ु
े शाासमानसः।
ु
अृपयपाप ू
शोकहषाितभिमगः॥ ७०॥
े ु
रागषिविनमसिबयाफलः।
ु ाधीनया
िनपािधकसः े े ु
यतः॥ ७१॥
े
दहमाऽयाऽ ु
सम ितिनयोः।
ु
समािरिमऽकाणगणशीलदयाितः॥ ७२॥
े ु साधकः।
ु लोकष
एव ं स किथतो जीवो
ू े दा
इतरः पजन ु
े भजन े च सकौतकः॥ ७३॥
े िसिभायािदतरो
कालन ू ःखभाजनम।्
जिभिभः ू िवाधनोवैः॥ ७४॥
िो मख
--------------------------------------------
--------------------------------------------
् ु
जायत े यलाोके भवते ूगलणः।
े ु दवताः॥
नरो भवि ता ं भिं ूा लोकष े ७६॥
ु ु
ँय े भानचारबधजीविसतािसताः।
अ े च लोकपालाािूासदः॥ ७७॥
े िनािभः सशानघ।े
बना िकं परं दिव
न सि दवता
े िवााा एव सदा॥ ७८॥
भावयाहमािप िऽकाले िवमहाितः।
--------------------------------------------
े
तऽ इतरः ूोानरिहतः। दाः ू
सवकारणभताया लिलतायाः।
कालन ु
े भपासनािदगौरवलाधववशात ् े
कालिौिवलनन।
इतरः तािदरिहतः। जिभविभः
िविवधजिभः।
अपरमाथानसवै ू अिववकी।
मखः े
े
िवाधनोवैिरतरऽ मदैु िर िवशषणम।
े ् उिचः
काकानरिहतः। अधोधो याित योिनष ु नीच ैनच ैिवषयष
े ु
७४॥
परवशो भवतीथः॥
िै िभः ोकै ः िनास ु
िनािािदिभरित इरै ा
े
भदल े े े
ं तिवैभव ं िनावैभविवमहाितनरण
तपाि ं चोपिदशित। तऽ ूीण े सकटाािदिभः।
ु
पापकमिण
ु
अानवासनापहतकमिण। यलािवलात।्
ु
ूागलणः ु
जीवलणः। ु
नरः ूागलणो
े
भविदयः। ्
ता ं भिं अिन पटले वमाणपा।ं
े
दवताः े
इ भवीननायः। लोकपालाा
ं े
इऽाशयिशोिटदवतािवषयः। तिूासदः
बना भाषणन।
उपभिूा ैाः। े सशाः अनघ े इित
े
च पददः। ू
भावयामी ता एव इनने पवऽायः। अहं
िशवः। ऽीकाले साऽय।े िवमहाितः िवमहः। अनने
े
लानानामिप साऽयोपारवँयकता े
किथतित
७८॥
सदायाथः॥
--------------------------------------------
p. 594)
तणाचबा
महा तवदिशताः॥ ७९॥
ु
िविधिविशवां तासामवे िनजया।
े
े या यााायिवमहाः॥ ८०॥
अा दवता
ु ्
परप ु वािम होम े महदतम।
ु
यििः िसपाणा ं ूागाना ्
ं भवते सदा॥ ८१॥
े ं न भवावः
अषा े यो महान।्
तथा सा
े
ूीणाशषपापाना े ् ८२॥
ं भिः ासिवनाम॥
--------------------------------------------
तणािदना
ोकोरान
ं काचबारमहाणा ं दशा ं
पिवशपटलूोमातृ
तिितप ारयित। तऽ तणाचबाः
िनाकमातृकावणाचबाः॥ ७९॥
िवधीािदना ोकन ू
े िऽमनामदवताना
े िनाना ं
े ु
ािवमहाकमपिदशित ु
तऽ िविधिविशवां
ु े
। तासा ं षोडशिनाना।ं िनजया
ॄिविाकं
े
या। े ू
अाः अतषपिदाः। तयिवमहाः
चबारषोडशिनामयिवमहाः॥ ८०॥
े े ोकन
परपिमािदना महािननाािधकन े
ु
परपहोमकथनूावपरःसरं िससासाधकािदऽयषे ु
े ु े ं
िसानामवे तरहोमयोयतािमतरषामभयषा
ु े े महदत
तदयोयताोपिदशित। तऽ तिवशष। ु ं
े
समभदिवलयनाकात।् यििः परपहोमभाविसिः।
ु
िसपाणा ं ूागाना ं अिवे पटले
ू े ं साधकसााना।ं भावः
ं अषा
ूोसहोमिसाना।
े तथा िसवत॥् ८१॥
े शषः।
परपहोमित
े
ूीणािदना तरहोमभाविसाना ं
ोकोरान
ु ं दीक
अनभाव ु
ृ िनास ु भपलिकरणमपिदशित।
ु तऽ
े
ूीणाशषपापाना े
ं दिशककटाािदिभरीकतवासनाना
ृ ं
् ८२॥
े ं िविदतपरमाथनाथसवािदतराणाम॥
। तसिवना े
--------------------------------------------
ु
सिखता ािगता ान ं कतम
ृ ता।
अकापयमदीनं परिचािनमः॥ ८४॥
े
काणािभिनविशं ्
सदा काणकीनम।
ु ं या
अकाणकथालापवैम े िितः॥ ८६॥
भों
सदै ृ न ैिकमिजता।
ु ू ं सीतिूयं वाितायः॥ ८७॥
सानक
--------------------------------------------
े
िनािदिभ ु
ै इःै षिः ोकै ः सूावपरःसरं
े ं ूोिनगमन करोित। तऽ िनािवास ु
िनाभलणोपदश
षोडशिनाना ं िवास।ु सरीित
ु े ु
दवीसिः।
ु ं
आमिकासशयं
परमाथपिरानात।् सोषः
े
अवािवषयछाभावात।् िनपणता
ू
े ु
े सिखता
दशकालानविभावन।
ु े ािगता नरप।
ापरमानानभवरसन। े े ं ान ं
ु ं कतं
सदनसान। ृ ु ु
गचरणनिलनयगलभजनपरं
।
े अकापय
अ ता इतरानपा। ु
ं ििवषयमिँय
ु
महाूयसिह।ं अदीनं अिभावः। परिचािनमः
े
भदरािहात।् दया ता सवूािणष।
ु मनिं उदरभावः।
--------------------------------------------
p. 596) ् ु
राजयोिषत ूभूावमानममरः।
े ८८॥
सरवाा च लणानीिरतािन त॥
यिकप ु मनििकक।
े
िनधान ं परहोम ु लस
ू ू ययम॥् ८९॥
ू
उावचिवकाना ं वनामिदाहतः।
ू ु ् ९०॥
तयादैप ं लहोममदीिरतम॥
--------------------------------------------
सविवमहाणा े सीतिूयं
ं िनािवमहाकूितपः।
नादप िनाकात।् वाितायः
ाििवषयाभावात।् राजयोिषभूावमान
ु ं
े अमरः समानािधकरािहात।्
ािभरामाकभाविसः।
े
सवरवाा दवतातादािसिवाा॥ ८८॥
े
यिकािदना े परहोमप ं
ोकन
ू ू
लसहोमयोरिप तयं चोपिदशित। तऽ िवकप ं
सकलिविवककारणप।ं िनिवकके परप।े िनधान ं
ं ू
िवलापन।ं एतं भवित सकिवककारणभत मनसो
िनिवकप े ािन िवलापन ं परहोम इित। यय ं परहोममयम ्
॥ ८९॥
े
उावचािदिभः समीिरत इ ु ोकै ः
ै तिभः
ू ू
लसहोमयोः परहोमने तादावासना ं
ु
तदनसानोपिदशित। उावचिवकाना ं
ु े
सिमफलािदभदिभाना ू ं तोमिाणा।ं
ं वना
्
तयात होममयात ्
अिमयात।् ऐप ं अपृथावः।
ू ं
एतं भवित सिमदािदसकलवना
ू ु
े ैकपमदीिरतिमित।
लहोमादिमयन ु
तथा एकीकयािदथः।
ू
एतं भवित सहोमात ्
ू ु ु
मलाधारमकडिलनीमखसिवसगमहावौ
सकलशोदयिवौािपद े नानापवाचकै ः शैः
् े े ृ
ताानथान वविवदान ु
ैकीकािदित।
े
सवभदिवलापनात
िितिरािदनाान ् े परहोमो भवतीित
िितरव
ु े ापमहाविालािपष ु
मतारमत।
ू महाशिः ापविः ताला
ापापृथता
े
तिदा ापमहाशीथः।
--------------------------------------------
p. 597) ू
सहोम
ं तथा शैनानाप ै ु वाचकै ः।
े े वविवदाना॥
वााथानामशषण े े ृ ९१॥
े
िितः परो भवोमः े
सभदिवलापनात।्
ापमहाविालािपष ु सदा॥
९२॥
े े ु परमाथािन
िनिरनपष िर।े
ु
िनानिवलाप ु परहोमः समीिरतः॥ ९३॥
तषे ु ूोष
े ु कडष
ु े ु चतरॐ े ्
ु े समाचरत।
ु ु ् ९४॥
होमक सम ं त ु शभाकमदीिरतम॥
ु ु
अशभाकम ु
ु काॐ े समीिरत।े
े
अािन ूोािन ूोपतः॥ ९५॥
काािण
ु
ूागदिविदवः ु
काोम ु मलम।्
ु िषाम॥् ९६॥
दिणाोिभचार ु गद े विमखो
--------------------------------------------
--------------------------------------------
े े
दशमामगहादौ तििश।
तािन कािण
े ् ९८॥
िवदापिवँयोमथानथमावहत॥
ु
कडािदकरणाशौ े ्
िडले होममाचरत।
गोमय ैः पिरमृ े त ु ससम
ु े भतल ु े ९९॥
ू े शभ॥
--------------------------------------------
ु िनऋितिदखः।
रासाखः ु ु
पिमाः पिमिदखः।
ु ु
अािन ूोे तरािण। एतं भवित होतरािभमिददिप
े े ता ं
ु ं िनमाय जयािदित॥
ता ं िदश ं ूाची पिरक कड ु ९७॥
े े
दशािदना े दशादौ
ोकन े ु
ूोकस
ु
ूोिदखतया
अवँयकता ं तदकरण े ूवायोपिदशित
े
। गहादािवऽािदशः ु
परािदिवषयः। ूोािन। तििश
कमािण
े ९८॥
ूोिदिश। अथा िवपरीतकरण॥
ु
कडादीािदना े इने ोकयने
शषत
ु
कडािदकरणाशाना ु
ं िडले होमिवधानपरःसरं
ु ु
िडलिनाणिवधानमिनगमनसिहतमपिदशित। ु े े
तऽ तिवशष।
ू ु च। तऽ ूोूकारण
शभु े लामािलोािदरिहत धमानाकल े
ृ
कतकोनवक।
े म े सवमकोम॥
े १००॥
इित षोडशिनातषे ु ौीकािदमता पिरपण
ू त
ं
ूपसारिसहराजूकाशािभधानन ु
े सभगाननाथन
े
िवरिचताया ं मनोरमााया ााया ं
ु े ू
वादवताचबतजािद ू
सपरहोमिवधानूकाशनपरं
्
ं पटल
िऽशत ू परामृम॥् २९॥ ॐ तत॥्
ं पिरपण
ं
एकिऽशपटलम ्
ु े काधोममदीिरत
तिदत े कड ु ु ैः।
् २॥
िवधान ैशिनधनरोगिनमहचाटनम॥
ु ं िरपोाा
आयदाय ु ु
लोानगयतः।
् ३॥
तदािकमहाणा िितमकवगकम॥
ु ु े न कादिभचारकम।
ऽयाणामानगय ु ्
ू ु ं नाशयि िह॥ ४॥
काण
अथा बरकािण
ू
तथा तयूाितकतः।
तावे कािण
ु े
कावताभिमाि ु ् ५॥
ं वन ं गम॥
--------------------------------------------
ू
पविन ् ं े पटले षोडशिनाना ं वादवताचब
िऽश ु े ं
ू
तजािदिवधानसिहत ू ु
ं सपरहोमिवधानमपिदँयानरं
षोडशिनाभििनानां
ु
अिरमनकहोमािदिवधानमपिदशित। ू
सिमािदना
िवधानत इने ोकशतपण
े ैकिऽशन
ं े पटलन।
े तऽ
ू
सिमािदना चाटनिमने ोकयने ूोिनगमनसिहत ं
ु े ु ूोिवधाननािरमनिवधानकथन
ूोकडष े ं ूौित। तऽ त े
ू
तव। किथत ं पविन ् े षिनधनरोगिनमह
पटल। े चाटनिमऽ
े
षशो ु
मारणिवषयः िनमदशो यािदष ु पराजयािदिवषयः
् ् २॥
चाटनम उाटनम॥
ु
आयायिमािदिभरानाशनिम ु
ै तिभः
ोकै रिभचारककरणकाले ाताश े े
ं ं तदनवण
ु ु
ूवायोपिदशित। तऽ लोानगयतः ऽयोदश े पटले
े
तािदना े
षडशीिततमोकोरााायन
ु ु
ूोनऽनामानगयतः। तदािकमहाणा ं तयोगकाले
ं फलिमित शषः।
गाचरमहाणा।ं चः समय।े अकवगक े
ु
ऽयाणा ं ूोानामायदायदशागोचरफलाकाना।
ं
--------------------------------------------
p. 600)
ताविमानालो ु
िरपिनमहम।्
े
िवदादथा शा न ं वानाशनम॥् ६॥
--------------------------------------------
ु ु े आनको
आनगय ुू ू े इथः।
िरपोः ूाितक
अिभचा अथा
कयात ्
ु यिद। ू
तावे एवकारा िभबमः। तयूाितकत
े एतं भवित िरपोरिभचारकाले ोितःशा े
एवथः।
ु ु
े त ताािलकमायदायगोचराकवगष
होराोूकारण
ु ्
ु ू ै िभचारक न कयात।
महाणा ं िित ं िवचाय तयानक
ू ु ं तावे नाशयि।
कवाण
े बरकमािण
तमनव
ु ु
ू एव तिपनाशाय
तयूाितक ू ु
कािदित।
तािन बरकमािण
े
तवताभिं िरपोवताभिम।
् आि ं
े े
तशिवशषािदक चोपिदशित। तऽ अमल े
े े शषः।
जराशलराशवित े काले तदयकाल।े
े ु
अमरािशग े ान े अनरोकयवमाणराँयाकष
ानषे ु ादशस।ु तिनाशाय िरपिवनाशाय॥
ु ७॥
ु े ोकयने
ूाािमािदना सितिमन
ृ
मडपगहािदसकलवना ु
ू ं ादशराँयाकतामपिदशित। तऽ
वौ कोण।े दिण े दिणिददश।
े े तिऋा ं
--------------------------------------------
p. 601) ु
तलाकीटौ ु त ु सितम।
पिमतो धनवायौ ं ्
ु ृ
नबकावरतो ं ् ९॥
मीन ईश े त ु सितम॥
े े ु ूािणना ं तदािलिवभदतः।
दहष ु े
ू
मािदचरणा ्
ु तान ादशस े ् १२॥
ु लयत॥
--------------------------------------------
गिणतशाोबमयोगने खदश
े े
ु
राशीनामदयघिटकामानवशात ् े
वमाणूकारण
ू
सािधितराँयािदबमयोगतः॥ १०॥
े कालचबे महाणा ं गितबमम पिदशित।
च ैऽादीािदना ोकन
् ैऽािदशः सौरमासिवषयः। त ु िवशष
तऽ च ैऽािदष ु तऽ िदात च े े
ु े े शषः।
। याित एकै कसौरमास ैकै बरािशभिबमणित े तथा
तथािवधः अ ैािदिभः। महमडलैः ोितःशाे
ृ
तहपिरविूोकालिवशष ११॥
े ैिरथः॥
े े
दहिािदना े सकलूािणना ं दह
ोकन े
ु
ादशराँयाकमपिदशित। ् े े
तऽ तत मषािदमीनाबमण।
्
तान राशीन।् ादशस ु ानष॥
े ु १२॥
--------------------------------------------
p. 602) ु ु े कात
ऽयाणामानगयन ्
ु कमािण
नाथा।
ु ु
शभाशभािन फलवे ं कत
सािण ु ् १३॥
ृ े ीवम॥
तथाहिन िवषानामृतानकािन च।
् ु
ाा िवदात पाः
ूयाग ं सवतथा॥ १४॥
ु
िसत े िद नगले नासाीिण तथा ौतौ।
ू ू
ॅशममषे ु तऽ ॅशमतः॥
ू १५॥
ु
कण नऽे े नािसकाया ं वत े पष त।ु
ु े १६॥
सकठनतटे िद नाभौ च गक॥
ु ु तथाु े च दिण।े
जानसिपाष
ु ु े नाभौ चित
अौ सौ जानग े िसततर॥
े १७॥
--------------------------------------------
े ूोकालिवमहरािशवशने
ऽयाणािमािदना ोकन
ु ु ु
शभाशभकरणीयमपिदशित। तऽ ऽयाणा ं
े ु ु े आन ु कन।
ं आनगयन
दशकालिवमहाकाना। ू े अथा
े एव ं कत
उलनन। ृ े कतूकारालनन
ृ ु ु
े शभाशभूयोग े
ृ े १३॥
कत॥
े
तथािदना ु
े पलीूयोगाथ
ोकन दहे े
ु
िवषामृतानयोातमपिदशित। तऽ
े
तथामृ ं
तानकानीऽायः। षिशपटले ूोबमण
े
दवामभागयोः ूितभागं
े अहिन
े ितानीथः।
पदशपदशानभदबमण
ूयोगिदवस।े िवषानािन अनरोके वमाणािन। सवतः
ु तथा वमाणूकारण॥
कस। े १४॥
े इरै ािधकै
िसतािदिभवत ु
ििभः ोकै ः पषाणा ं
ृ ु
योिषता िवषपिरविकतानापिदशित। तऽ िसत े इािदना ोकन
े
ु
ादश ानािन उपिदशित। िसत े शप।
े नगले न े च गले च
ू ू
ॅशममषे ु तऽ म
ू म।े
ू
शॅमतः ू
शम े ॅम े च॥ कणिदना
े ानाकं तऽ सकठे वामकठ॥
ोकन े जािािदना
ोकन े
े दश ानािन। तऽ अिपाशनािपृ े
दश
उत।े अु े वामपादा। ु े
ु े दिण े दिणपादा।
अौ
--------------------------------------------
p. 603) े
ितिषकला ं ु िया ं वामािद वत।
पिस े
िवषनाा ं िवषान े वधयत ्
े े कटकन ु १८॥
े त॥
ु
पा ु े
ं यऽ तिं तदं शऽदहजम।्
े ु ् २०॥
ािधना पीिडत ं कालादिवधये ं भववम॥
े िो जीिवतशपर
तऽ तनािना े ्
े ु ं ोजत।
ु
पलीकरण ं व े ण ु िनमहिसय॥
े २१॥
--------------------------------------------
ु ु े जानौ ग।
अिपृ।े सौ तदनरसौ। जानग ु े इित
े िसततर
उूकारण। े कप।
ृ े वामािद वामभाग े
ु
ूोदयानािद। एतं भवित शपूथमािदष ु
ृ
कपदशाास ु िऽशििथष
ं ु पसा
ं ु ं दिणभाग े
ू े ु नवस ु ानषे ु पनामपा
दयानािदमाष ु
ू
मािदपादाा
ु ं पदशस ु ानषे ु
ु
पनदिणपादाािदना
ु ं ष ानषे ु च सय
ू
् े ु च। ीणा ं तििथष ु तानषे ु
ं ानष
िऽशत
दिणवामपािविनमयबमण ृ
े च िवष पिरविभवतीित॥ १७॥
िवषनाािमािदिभः िसय े इरै ाििभः ोकै ः
ु
पलीूयोग े तधकाल
े ं तदं ताधन ं तल
ु
पलीकरणकथनूावािदसिहत ं उपिदशित। तऽ िवषनाा ं
ं े ु ूितनऽ ं िवषाकूोनाडीचतयकाल
सिवशितनऽष ु े
। िवषयान े अनरपव ु
ू े पा ु े े
े तिवशष।
इित शषः।
सोचकाने सोच इित मिवशषः।
े तीोण
े अिमयने
े ं
तहजतीोसकािमयन। ु ैः कटकै िरितशषः।
े वदरािदसम े
यऽ अे तिं
वा िवक।े तथा वधयिदथः।
े े
े
कटकािदिवं तदं ािधना पीिडत ं इतरऽ
ु े
शऽदहजिम िवश। ्
े ं कालात ूयोग गौरवलाघवािदना
कालिौिवलनात।् ीवु ं िनित।ं आिना
ु े े शषः।
तदानित ु
े पलीकरण ं
ु ं २१॥
पलीिनमाणिवधान॥
--------------------------------------------
p. 604) ु ु
भौमशबबधाो
भारः मौभागवौ।
ु
मलो गमािक ु
गरवशकरािशपाः॥ २२॥
ु े
नऽािण चतादाकमोरं शतम।्
ु
एताव पशकबमयोगतः॥ २३॥
ु ं
षोडश ादश तथा मानमिलसया॥ २४॥
ं े ु सा
अाशकष ु समीिरताः।
चतश
ितीय े नवकषामाः
े े ु
योदश॥ २५॥
े े ं ऽयोदश समीिरतम।्
तृतीय े नवकषा
े
चाकयोरकिवधः ं
ूोसाबमथा॥ २६॥
--------------------------------------------
े
भौमािदना े
ोकन
ादशराशीनामिािदिऽिऽनऽोवादश
ं
ादशाशकाना े ु
ं च बमणािधपतीनपिदशित। तऽ
अशकरािशपाः
ं अशकाना
ं े
ं मषािदराशीना पतयः।
े ूितनऽ ं
नऽाणीािदना ोकन
ु ुं े
चततरशकबमण
ू ं ु े ं ूौित।
सयाोरशताशकानामोरशतपलीिवशष
ं
तऽ एतावः अोरशतसाः॥ २३॥
ूथम े इािदिभथ
े िै िभः ोकै ः
ु े ु
पलीमानिवशषानपिदशित। तऽ ूथम े नवके
े े ु नवस ु नऽष।
अिाषाष े ु अाशकष
ं े ु
ं े ु सवाः पः
इतरमहाशकष। ु ु ु े िमता
चतशालीमानन
े ु नवस ु नऽष।
ितीय े नवके मघािदाष
इथः। े े ु
े ं चाकरिहतमहाशकाना।
अषा ं ु
ं अाः योदश
ु ं
पलीनामिलसा
ु े तृतीय ं नवके
इित शषः।
ू े
मलािदरवनवस े ं ूावत ्
े ु अषा
ु नऽष।
ु ं
कजादीनामशकाना ं ऽयोदशालीमानािन
ु समीिरतमवे ं
एकिवधः सवऽित
इथः। े शषः।
े ूोसाबमथा
ं
े ितीयतृतीयनवकयोरपीथः
ूथमनवके ूोसामानमव
ं
॥ २६॥
--------------------------------------------
p. 605) ु
पलीकरण े ि ं चिबहमृदाितम।्
ु ु ् २७॥
िचतामृलवण ं शठीिपिलकायतम॥
ु ैवम।्
ृ ू लसनु ं िहस
मरीच ं गहधम
ग ैिरकित ु
े किथत ं पलीिमीिर॥ २८॥
ू िसकै ः।
ृ ैः िप ै माषचण
साव
े
वैिरदहजरोमा ु
ैपते ैः पलीिबया॥ २९॥
ु
पलीदै
मान ु कााशमथ
ृ ं ैकतः।
् े ऽयात पादय
शीष ऽयात कट ् ं तथा॥ ३०॥
े ं [े व]क ु पलीम।
किटूपदयोरकमशम ु ्
--------------------------------------------
ु
पलीािदिभः िबया इिै िभः ोकै ः
ु ु
पलीिनमाणिायपिदशित। तऽ चिबहमृदाित ं
ु िकासिहत।ं िचतामृलवण ं
कलालकरमृ
ु ु ं
ँमशानमृसिहत ं लवण।ं शठीिपिलकायत
ु ू ु ् मरीच ं मरीचचण।
शठीिपोणयतम। ृ ू ं
ू गहधम
ृ ू ू लसनु ं रसोनरस।ं एतािन
गहधमचण।
ु
शािािण ु
सवपिलकासाधारणािन।
ृ ैः सानऽूोव
साव ृ ैः।
े ू
िप ैिरताषचणिर ू
े ं िसकै मधि
िवशषण। ैः।
े
वैिरदहजरोमा
ैिरऽाशो नखपादपाािदिवषयः।
े े ु चिबहमृिहतषे ु िऽित॥
उपते ैिरताितिरष े २९॥
ु
पलीािदना नर इने ोकयने
ु
पलीदै
मानिवभागीकरणवशात ् ु
तदवयवमानापिदशित। तऽ
ु
पलीदै ं तदशकवशन
मान ं े
ु
ूोपलीदै ु ं े ऽयात ्
ं एकतः एकाशन।
ालमान।
्
े ऽयात ूावत।
अशऽयण।
ं ् किटूपदयोराशन
े
े ूपदयथः।
किटयमाशन ु
े सवऽ पलीूयोग।
े
् ् ३१॥
ूयोगान ूोान॥
--------------------------------------------
p. 606) ु े
पातालयोग े नीचा े िवषयोग े च मृज।
नाशयोग े च िदनजमृौ बकचयोगक॥
े ३२॥
--------------------------------------------
े ु
पातालािदिभरवायािद िै िभः ोकै ः
ू ु
बरकूयोगारकालािदकमपिदशित। े
तऽ पातालािदना
ोकन ू ु
े षिध ं बरकालमपिदशित। ु े मृयोग।
तऽ मृज ु े
े ं े ु तिाशरमाशक
िदनजमृौ मषािदरािशनऽाशष े ं े
इित यावत।् चडीशािदना
े ू ु
े दशिवधबरककालमपिदशित
ोकन
ु े योग।े काणके काणनऽ े काणके
। तऽ चडीशचडायघक
े
इननानऽ ु ोितःशाोािन तचनािन
े िकं पनिरथः।
िविल।े तऽ नीचाः पातालयोगः।
े ं
तौिलभदशमाशौो याित यदोदयम।्
ु े
तदा नोचायो योगः पातालो गिहतः शभ॥
े
नाशयोगाः। िपऽाै ू
श मलवाणाजाभ ु
ैयताः।
ू
सयािदवाराः बमशो नाशयोगाः समीिरताः॥
--------------------------------------------
p. 607) ु े महाशल
चडीशचडायधक ू े च काणक।
े
ू े कतका े ण
रण ू े पाकसक॥
ं े ३३॥
--------------------------------------------
बकचायोगाः।
ं
ितथ वार च यऽ सया ु ं कत
ऽयोदश िमलन ृ े
सित।
ृ स योगः बकचािभधानको िववजनीयः
तः ु ु
शभकमस
ु ्
ीवम॥
ु ं
चडीशचडायध।
िध े तपितथपतिवतथ
े ु ं
ं चडीशचडायध।
े
तिासिहतिभिनजिहत ु ै
ं काय न काय बधः
॥
ू
महाशलम।् किकााः
ृ ू ु बमात।्
स स ताराः पवािदष
भ ं महािदमख ू ्
ु ं तऽ महाशलमशोभनम॥
काणानऽािण।
े ैकपादादिसवासरात
जदज े ् े
पर।
ु
षडावानवकाणाः दष ं वारभ े िवना॥
ु राशजिा
ू ं धाॐ ं चतरो
रण। े ु
ं तःटाम।्
ू
त ं िजलनऽ ं रणिमित ृ ्
तम॥
ू ं भौमनाकण
कटकण। ं ु दाावित मलक।
े सया ू ं
ू
मलाा ू
च िऽभ े णकठका े इम े बमात॥्
ू ू ं
धमाावितधामलकटकावितघघक।
ू ं
तावि कटकणतयमदोषद॥
पाकदोषाः। ्
वालात कग ु गोपालसाकशसवसारष।
े े े
ू
पधमाा
कच े ्
ल े एत ैयतु ैजत॥
--------------------------------------------
p. 608) कत ्
ु ूयोगान ्
ूिथभाय िनधनाय वा।
् ु ् ३४॥
ु िसिमवायात॥
िनमहाय िनरी ैव ं कात
े े
वँयाकषणिवषनोाटमारण।
् ु
िवदात पलीः सक ् चतॐः ूोयोगतः॥ ३५॥
ु
कडम ू
े उपपदाीिषकामिप।
एव ं साधारण ं का ्
ु क
ृ कात समीिरतम॥् ३८॥
--------------------------------------------
ु े ु ूितकलष
एतं भवित िरपोरायदायगोचराकवगमहष ू े ु
पातालयोगािदिभः ूोदोष ैिदवस े तदमराशौ िवषनाा ं
ू
वा ूार ं बरकम ु े
सः फलतीित। वा समय।
ु े
एवमूकारण॥ ३४॥
े
वँयािदिभः समीिरतिम ु ोकै ँयािदष
ै तिभः ु
ु ष पलीूयोगूिबयामपिदशित।
कस ु ु तऽ सक ्
ं ूोयोगतः ूोमानने
सवावयवशोभन।
ु े
िरपदहजरोमािदयोगतः। ु े आसन े होतरासनान।
अिपः समय। ु े
पादयोः ान े होतःु पादिवासूदशाधःान।
े े
ु
िपमृजाः िपजा मृाः तजाः पलीः। खाा
ु
होतरासनािदानऽय े बमात।् अिपः समय।
ु े एव ं ूोूकारण
े
साधारणवँयािदष ु ूोकिित
े एतं भवित
शषः।
ु े
ूोमानालनने साधारणिाकिरपदहजरोमािदिभः
सह िपमय िसमय मृमय च ैव ितॐः।
ृ े ैका ं ूोिाकलिपता
सानऽवण े ू
ं च सय
ु
चतॐः पलीः का ्
ृ तास ु बमात िपमय ु
होतरासनाधः
ान े मृमय होतःु पादिवासूदशाधः
े ान े तमय
ु
कडमनािमपाधःान े च ापिया िसमय
ु
कडापिर ्
तोरणितक
ू
िवदायपादामवाीषामर े
ू े
लमानामकतजसऽण
--------------------------------------------
p. 609) सपशीषॐचा ु ु
ु होम ं कादशभकस।
ु
ृ तया त ु जयाथा॥
वैिरयोसृजा का ु ३९॥
ु े यमिदखो
िऽकोणकड ु भाराऽक।
ू े
े े िवदादिभचारकम॥् ४०॥
ँमशान े िनजन े दश
यिद कात ्
ु ूमादन
े मािको ानमोहतः।
ू तः॥ ४३॥
तिा ं पीडयवे शनकै िरभभृ
--------------------------------------------
--------------------------------------------
े ्
उकाैः ूा विं तीजकै नत।
तऽात ् ४६॥
ु ु ैासादराितॅािमायात॥
ु
े तिमि तलैः।
आरवधसिमौ
िवतिमाऽ ै ैलाै हवनाै
िरणो मृितः॥ ४७॥
े तीज ैतात
अरसिमौ ृ ु ैः।
े
होमादरातीॄािरण ु ् ४८॥
े ाृितीवम॥
--------------------------------------------
ु े
अिमािदना े
शोकन
ु
शऽोादकरणिवधानहोममपिदशित। े
तऽ अिमसिमौ
ु
अिमभवकासिम
ु े वौ। तलैः। अफलैः।
हैमीदलरसाै ः हैमीदलजलातु ैः॥ ४४॥
े
नािदना ु
े शऽोमारणूयोगहोममपिदशित।
ोकन तऽ
े करकावौ। तलैः करफलैः॥ ४५
नमालसिमौ
॥
े
उािदना ु
े शऽोादकरणिवधानहोममपिदशित
ोकन
ु ु ैः
। तऽ तीजकै ः उबीज ैः। तऽात
उपऽोरसतु ैः॥ ४६॥
े
आरवधािदना ोकन ु ु
े िरपमारणूयोगमपिदशित। तऽ
तिमिः आरवधसिमिः। तलैः आरवधफलैः।
िवतिमाऽ ैः ादशालमाऽ
ु ैः॥ ४७॥
े
अरािदना े िरपोीॄरण
ोकन ु
े मारणूयोगमपिदशित
े
। तऽ अरसिमऽौ अरकासिम े वौ। तीज ैः
अ।करवीज ैः। ततात
ृ ु ैः अरत ैलातु ैः॥ ४८॥
--------------------------------------------
सषपात ु
ु ैः शठीमागधीमिरच े ्
ैनत।
ृ
वैिरजवाौ ् ५०॥
मडला ं मृितरात॥
ु ः पल
ूागै ु ृ ि ैिवधानतः।
का
सषपारघृ ं
तसिसै ु
जयाििश॥ ५१॥
ः।
अरघृताै ीज ैः सपशीषकै
हवनाैिरणो दाहरूािििभिन ैः॥ ५३॥
--------------------------------------------
े
सौवीरािदना े ु
े कलहाारणूयोगमपिदशित।
ोकनारातः तऽ
सौवीराै ः आरनालातु ैः॥ ४९॥
े
तषपािदना ु
े िरपोराारणूयोगहोममपिदशित।
ोकन
तऽ सषपात
ु ैः सषपवीजोत ैलातु ैः।
ु
शठीमागधीमिरच ृ
ु े वैिरजबाौ
ैः िऽकटकन।
ृ े
वैिरजनऽोवकासिमौ। तृितः शऽोमृि तः॥ ५०
॥
ु े
ूागािदना े ु
े ोकयने पा
िवनाशयिदन
ु ु
होमिवधानने शऽिवनाशनूयोगमपिदशित। तऽ
ु िरत
ूागै े े
ैिर िवशषणम।् उिवधानतः
उमानािदक।
ं सषपारघृ ं
तसिसै ः
सषपारयो ैलाा ं सिसै
ं
ः। िनिश मराऽ े इथः।
ूाविा नवमपटले चािरशै े
ं कचािरशोकयन
ं
ु
े ादशधा िछा। तदैः िछ ैः। बिचः
ूोूकारण
ू
बरिचः शऽ ं ु ूतीित शषः।
े अणारः काषायवधरः।
ु ु
रॐगपािदयतः
ु ु
रॐमगरपरासनािदयतः॥ ५२॥
े
अरािदना े वैिरणो
ोकन
ु
दाहरूािूयोगहोममपिदशित तऽ तीज ैः अरबीज ैः।
सपशीषकै ु
ः सपिशरःकितॐिः॥ ५३॥
--------------------------------------------
p. 612) ु ं ैिसत
वैिरनऽयोमास ं ु ैः।
हवनातसिमधा
ू ं हवनादिप॥ ५४॥
ु ु ं ् ५५॥
िमकसपदशािपािदघातनात॥
ु ु
िमककिनघातसिललानलपातनात।्
यरासगिपशाचॄरास ैः॥ ५६॥
् े
हवनात सषपहिसै े ्
े ं भवत।
िषण
नीचयोग े नदौ ु ृ
े िरपवसमिधत॥
े े ५८॥
तखडै
ृ
ैलाै िनशाम ु ैः।
े िरपिन
उाटन ं ूयावे मशािभतािडतः॥ ५९॥
े ्
ु ै ताडैीज ैचौ नत।
मृपऽ
े
अरातदिनो
वाहा रोग ैनँयि िनितम॥् ६०॥
--------------------------------------------
ु
वैरीािदिभीविम रै ििभः
ु ु ु
े िरपिवनाशूयोगहोममपिदशित।
ोकै िु मकिनपातािदाजन
तऽ तिसत ु
ं ु ैः वैिरनऽयोवरात
ु ैः
ततसिमधामिप
ू े िनघातन
अिपचथः। े अशिनपातने सिलले
िनमनने पावके पातनने अ ैः अपारा ैः। वा िवक॥
े ५६॥
िनपऽ ैिरािदनायन े ु
े िवषणूयोगमपिदशित। तऽ
ु े त ैिनज
चः समय। े करज ैः पऽ ैः
ैः वीज ैिरित शषः।
े शषः।
फलैित े िसै ः सषपोवत
े सषपॐह ैलातु ैः॥ ५७॥
े
नीचािदना े े
तािडत इनाान
े ु
ोकनोाटनूयोगहोममपिदशित। तऽ नीचयोग े नीचस
ं े
् ु
पातालयोग।े नते जयािदित यावत।् तखडै
ृ ः
ु ृ
िरपनऽवखडै
ः। िदन ैः ूोै मडलािदिभः॥ ५९॥
ु ैिरािदना ोकन
मृपऽ े शऽवाहनदिना ं
ु
रोग ैिवनाशूयोगहोममपिदशित
--------------------------------------------
p. 613) ु
ग ैिरकै ः पल का े
ृ िरपोरमरािशक।
ु
ूागकटका ै ु यदं वधयन
े े ैः॥ ६१॥
े ः ािधन ं ूहरािदना।
अरातदै
मििभा कटकािदतवििवदाण
ृ ैः॥ ६३॥
ृ ु
तऽोवोपल े
ािपतरकाम।्
े
गदभीमहसिलले सा
ं े
ाथयन ैः॥ ६४॥
ु
िरपदाहरमः यमालयम।्
स िनयाित
ू े ता ं का
मधिन े
ृ तापयििश ता ं शन ैः॥ ६५॥
--------------------------------------------
ु ैः िवववपऽ
तऽ मृपऽ ृ ृ
ैः। ताडैिवषवसिमिः।
ृ
तीज ैः िवषवबीज ृ
ैः। तचौ िवषवकािलतवौ।
े
नयात ्
दिनो गजाः वाहाः हयाः॥ ६०॥
े ैिरिै िभः ोकै ः
ग ैिरकिरािदिभदाण
ु
अभीाो ैरोगािदिभविरिनधनूयोगहोममपिदशित। तऽ
ु
अमरािशके अमराँयदयसमय।
े
ू
कटका ैिरऽाशोिसािदिवषयः। शन ैः शन ैः
ु े यमकटके
बमशः। िवषान े तिनिवषया।
यमकटकस
ं े काल।े अूहरक
े अूहरस
ं े काल।े
ं
यमकटकाूहरसयोः े
कालिवशषयोः प ं
िलत।े
ोितःशाोमागण
ं यमकटकान।्
यामा
सरोगवा (या) तथोा
वासरे मगीतायामाारबमाजिदित॥
े
ु
शीष पा े वा िवक।े तदैः ूतशीषण
इित शषः।
े
च। ूहरािदना इऽािदशः छदनािदिवषयः। े ६३॥
वा िवक॥
े
तऽािदना े े
ोकन
यमालयिमनान
दाहरण ु ु
े िरपमारणूयोगमपिदशित। े ं
तऽ ािपतरका
े
ािपतूाणा।ं गदभीमहसिलल ू े शन ैः
े गदभीसऽ।
कै ििवस ैः॥ ६५॥
--------------------------------------------
p. 614) े
तनोादरमः ूयाित िनधन ं शन ैः।
् गहृ े िनिश॥ ६६॥
ता ं तटकिवा खनते िपतृ
्
ॄणात िपशाचािवः ु यमालयम।्
स िरपयाित
ु रव
ूागै ु
े त ैरशषे ैः पल तथा॥ ६७॥
ु
िनाय कडम े ता ं च ैवाराितमहीहैः।
सिमौ ु
े तिभि ैलाै जयाििश॥ ६८॥
ू
सिपातर व(ब)िजे()ित मढधीः।
ं
ूलयशनकै ्
दह ं जन याित यमालयम॥् ६९॥
् ृ
तथािवधा ं ता ं ूितमा ं िनखनते कपक।
े
नवारिदवस े मातृगहमपीठक॥
े े े ७०॥
--------------------------------------------
ू े
मधिािदना े े
यमालयिमनाान
े ु ु
े िरपमारणिवधानमपिदशित।
ोकनोादरण ु
तऽ ता ं पल।
िनिश अराऽ। ु
े ता ं पल। तने तापनन। े
े तािमािदनायन
ु ु ु
पलीखननूयोगाििपमारणिवधानमपिदशित। ु
तऽ ता ं पल।
तटकिवा ूोकटकािदतमने िवा।
िपतृगहे े ँमशान।े िनिश मराऽ।े चः समाहार॥
े ६६॥
ु िरािदना यमालयिमनाान
ूागै े े ोकयने
ु ु
े िरपमारणहोमिवधानमपिदशित।
सिपातरण ु ः अिन ्
तऽ ूागै
पटले सिवशािद
ं े त ैः
ोकाा ं इित शषः।
ु
पलीिवधानूोि
ैः। अशषे ैादशिभः। े
तथा ूोमानन।
ु
ता ं शऽनऽविनिमता
ृ ु
ं पल। अराितमहीहैः
ृ
अराितनऽवकाै ु ृ
ः। तिमिः िरपनऽवसिमिः।
ु
िनिश मराऽ।े याित यमालय ं िरपिरित े
शषः॥ ६९॥
े
तथािवधािदना लितिमने ोकयने
ु ु ु
े े िरपिवनाशूयोगमपिदशित।
पलीखननिवशषण तऽ तथािवधा ं
ु
ं ूितमा ं पल।
ूोबमािदिभः ूोिादशिभिनिमता।
नवारिदवस े नवमीसिहताारवार।े मातृगहे े चिडकायतन।े
अमिपठके अमपीठाधः ान।े िनिश मराऽ।े
--------------------------------------------
ु ितलं शािलजतडलम।
सषप ं माषचण ु ्
ृ
िपा साव ं ु ् ७२॥
शकलैरिप सयतम॥
ं का
एरडवीज ैििलत ु
ृ पिलका ं ततः।
तोिनधायािरनाम ताल पऽगम॥् ७३॥
ं
सज ्
ता ं ृशन िवा ं तायूितलोमजाम।्
े ७४॥
सहॐवारं सा वधऽमरािशग॥
तिन े तापतृाििवलन
े रण
े सः॥ ७६॥
--------------------------------------------
ू
भता े
ैिरऽाशः ूतािदिवषयः।
िनघातवत ्
अशिनवत।्
् े ् ७१॥
अलित ं एतत िबयािवशषणम॥
सषपिमािदिभः िशव े इःै षिः ोकै ापरण
े
ु
िरपिवनाशाय ु े ु
पलीूयोगिवशषमपिदशित। तऽ
ु ं सा
िचतय।
सषपिमन व
ृ
ु े कित
शकलैः खडैः। अिप समय। ु
ृ े िभबमः। पिलका ं
ृ े
कथः। ्
ततः पात ूोिषन
े तोऽः
ु े
पलीवःूदशाः े िभबमः। अिरनाम
िनधायित
े पऽग ं इािरनाम इतिश।
िवधायथः। े े सज
ं े
े
िवािमननायः। ु
पल ूितितूाणा।ं
े
तायूितलोमजा ं तायखड ूितलोमभदािकास ु चतसृष ु
सावसभता ु
ृ ं ू ं पलीमकधतः।
ु ् ७८॥
े वा िला ं बा ं ूावदधोमखीम॥
वळीीरण
ं ु ं कडा
सानामािदसया ु े ्
ूलयत।
ु
जयािमि ु तीराै िनशारा॥
७९॥
जालम े तनाात
े ्
सौ ं त शन ैः शन ैः।
ु
तथा यिद न कवत े ् ८१॥
िचरं रोगाको भवत॥
ु
तथा तामनभाड े त ु िनवँयाारवासर।
े े
ु विलम॥् ८२॥
चिडकायतन े खाा तोिन ं तरो
--------------------------------------------
ु ु
े ता ं पल।
सहॐ ं सहॐवार।ं तरवधारण। तिन े
ु
ूयोगिदवस।े स साः। िशव े इित सिः॥ ७७॥
साािदिभः े
भविद ु ोकै ः
ै तिभः
रोादूयोग ं तिणिवधानािदकोपिदशित। तऽ
अकधतः ृ
अकवोधन े
े च। वळीीरण
ु े वा ं तोरणिवदािण।
े वा समय।
वळीलतोीरण।
् ं ु ं विस
ु ू े सानामािदसया
ूावत अकतसऽण।
ु ं कडा
िलिखतसाकनामयता। ु ु
कडापिर।
ृ ु ू
तिमिः सानऽवसमतसिमिः ु े े
तिवशष।
तीराै ः अकवळीीराै ः। िनशारा मराऽ।े
ु े ततः तने ूयोगन।
तरवधारण। े त वैिरणः। ता ं ूलिता ं
ु
पल। तटाकोदरे तटाकजलोदर।े तने खननन। ्
े अात ूयोगात।् त
रा। े
तथा ूोूकारण॥ ८१॥
े
तथािदना उपसगकै िरनान
े े तत ्
ोकन
ु ् ु े ु
े िरपमारणूयोगिवशषमपिदशित।
पलीखननिवशषात तऽ तथा
ता ं सानऽविनिमता
ृ ु
ं पल।
--------------------------------------------
p. 617) िनह दाराित ु िनहापसगकै ः।
् ८३॥
गहे े वधः खाा तपिवनात॥
अिविमरातःे ारािदगदसवः।
ता ं तथाकतपा
ृ ं ु ् ८४॥
ु जािसयताम॥
ू ू े िषहे े खनििश।
िनव पसऽण े
् ु
राशौ तदम े मासात ूयाातोतः॥ ८५॥
ु ु ं कोमागतः।
तथािवध ं पिलकायग ृ
ू ु ् ८६॥
ं सााया यतम॥
िवडालमिषकाचन
े िपतृगहथवा
िनखनीरयोनाः े े ततः।
ू िवषः
मातृगहे े नदीपा े ायोदा॥ ८७॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
े
मिद ु त ु तथा तलोादन
ु े ्
ं भवत।
ं अिभचार उदीिरतः॥ ८९॥
एव ं िनकटविना
ु
ृ ैः पिलका
ताव िवधायाौ शत ं बमात।्
ु
ताः ूागदीिरतीरयिसाः ं
ससकाः॥ ९२॥
ं
तदशकमानापघनाा मराऽतः।
एकामका ु
े ं हनैे िरिदखा े
अशषतः॥ ९३॥
--------------------------------------------
े े े
ोकन
ता इािदना भविदनान
ु
पलीखननिवशषात ् ु ु ु
िरपकलोादनूयोगमपिदशित। ु
तऽ ताः पलीः
ं
नव नव साताः। ृ ैः ूोमानतः।
ूावऽव
सााादीऽािदशः किवषयः। तिाजापिसााः
ु
ूितलोमाकतायिवािभः मिताः पलीः। ु
तलोादन ं
ु ु ् ८८॥
िरपकलोादनम॥
ूोाना ं
एविमािदना ोकान
ु
िनकटवििवषयूयोमपिदशित। तऽ एव ं
ु े ८९॥
ूोपलीखननािदिवधानन॥
े
रािदना े े ोकयने रिताना ं
ोजिदन
ू ं अिभराचूयोग ं दवी
िरपणा े पृित। तऽ कथ ं कन
े ूकारण।
े
े ोकन
वदामीािदनाान े
ु
रितवैिरिनधनकथनािदूावसिहत ं ताममपिदशित।
ु
तऽ वदामी ूयोगिमरऽायः। त े तव। ूा े इित
ु
सिः। ्
यने ूयोगने िनकटात अरातिरितशषः॥
े े ९१॥
े
ताािदना े ोकयने
नाशभािगनान
ु
रािरिनधनूयोगहोममपिदशित। ृ ैः
तऽ ताव
ु ु
ृ ैः। अौ शत ं अोरशत।ं ताः पलीः
रशऽनऽव
ु
। ूागदीिरतीरयिसाः
अकवळीीराा ं िसाः।
--------------------------------------------
p. 619) ं
तदशककाल ु
े वा सरोिप नाशभाक।्
े ् ९४॥
कथ ं वा मािकवली िनह ं ु शता ं ोजत॥
् ु ं ादनाौयात।्
त ैि े िनधन ं तिन सशक
भायािधकं महाराकरं मातृकसतम॥् ९६॥
्
राजान ं राजपाऽ ं वा कथ हात ूयोगतः।
त े कथय दवश ु
े े यपाय ु िवत॥
े ९७॥
ं
ससकाः े
सानामकमसमताः। ं
तदशकमानापघनाः
ं े ं
अिनीूथमाशािदरवशााः
ं े
अोरशताशकूोमानिविनिमतदहाः। ु
ताः पलीः।
ु शऽिनवासदशिदखः।
वैिरिदखः ु े ु ं
तदशककाले
ु ु ु ं े कथिमािदनान
तलीमानानगणाशककाल।
ु ु ं दवी
वलवरमािकािभरितवैिरण ं िनहमपाय े पृित। तऽ
े ूकारण।
कथ ं वा कन े मािकवली ूवलमािकािभरितः
ु
िरपिरित शषः। ्
े िनह ं ु शता ं ॄजते वता े ९४॥
ं ॄजिददः॥
ू तैिरिनधनोपायकथन ं ूौित।
तिदािदना पवान
े ु
तऽ िशव े इित दवीसिः। े त ैिरािदना
त अरातः।
अनाौयािदनायन ु
े े वैिरिनधनोपायमपिदशित। त ैः
अराितरािवधानतरैः। त अरातःे ूयोगारकालािदित
शषः।
े कारयदराितपावििभिरित
े े त ैः मािकै ः। ि े
शषः।
्
षे ं गत।े तिन अरातौ। ु ं अनाौयात ्
ु ं सकर।
सशक
रकाभावात॥् ९५॥
े े ोकन
भायािधकिमािदना िवत इनाान े
ु
भायािधािदयत े पृित
राजािदक िनधनूयोगूकारं दवी
ु ुू े
। तऽ भायािधकं ूोायदायािदिऽिवधमहानकन
े
दवतोपाािदना े ूयोगतः ूयोग े वा। दवशित
ं कथ ं कन
चािधक। े े े
ु
ईरसिः। उपाय ं िदापायाः॥ ९७॥
ु
े पृाथकथनूावपरःसर
वदामीािदना ोकन ं
ु
तमथ ौित। तऽ ूा े इित सिः। परं ूोूकारािदित
े
शषः॥ ९८॥
--------------------------------------------
p. 620) ्
िसमानितिॐधान षोडशाितिराशयान।्
ु होमयामिदक
त ैरविदप े ् बमात॥् ९९॥
ू
तने तिधन ं ॄयािितायतः।
ु े ु
अराितिनमहं कादवमिवधानतः॥ १००॥
्
इित षोडशिनातषे ु िौकािदमत े होमात काफलोदय ं नाम
् ् ३१॥
ं पटलम॥
एकिऽशत
--------------------------------------------
े
िसािदना िवधानत इने ोकयने
ु े ु
महामािकािदरितशऽोरिभचारूयोगमिनगमनोपतमपिदशित।
् न पिरकित
तऽ िसमान होतॄ ् े अितिराशयान ्
े शषः।
ु
परूयोपाय े
ैरभदयान।् त ैः िसम ैः। यामिदक ् बमात ्
्
यामििबमात ूितयाम ु
ं ििपषबमात ् तने ूयोगने
इथः।
े ं रितािप अ
। तिधन ं भायािधकराजादिनधन।
ु ु
अयतः इ कािदरऽायः।
महामािकािदिभिरथः।
े
एव ं ूकारण॥ १००॥
ं
मसा २६८।
ं े त ु पटले न ामदीिरतम।
एकिऽश ु ्
ं
ाानमसा त ु साषा शतयम॥्
ं
ािऽशपटलम।्
ु ू ्
तऽािानपवकम।
जयामागण
ु
शूितपदारात ् ू े पज ैनत॥
पणा े ् ३॥
े ु िदनषे ु िौयमायात।
कै रवैहवनाष ु ्
ु ं
मधरऽयसिसै ु
ः पैरण ैः शभु ैः॥ ४॥
अखिडत ैरमाऽ ं नरो नपितसिभः।
ृ
े े िदवसज
तव े ैः िसत ैवनातृ ैः॥ ५॥
े ु िदनषे ु धनधावान।्
कारैहवनाष
--------------------------------------------
ू े ं े पटले
पविकिऽश
ु ु
शऽमनहोमिवधानािदकमपिदँयानरं
षोडशिनािवािसानां
ु
सौहोमिवधानमपिदशथहोमिमािदनोदीिरत ैिरने
े ािऽशन
ोकशतपण ं े पटलन।
े तऽ अथािदना
े े
भदत
े ोकन
इनान
े पटलाथकथनूकारं तैभव
े ु
ूौित। तऽ लिलतािवया ौीिवया। िशव े इित दवीसिः। यने
होमन। ु
े ूा े इित दवीसिः।
े े इऽािदशः
ि कालािदभदत
ु
कडािदिवषयः॥ १॥
े
ूोिािदना ू े े
पवकिमनायन
ु
सामाहोमिवधानमपिदशित। े ु एकोनिऽश
तऽ ूोष ं े पटल।े चोिदत े
ु े इित शषः।
कड े उमागण
ं े े ३॥
एकोनिऽशपलोपिरषचनपिररणािदिवधानन॥
ु े
शािदिभजवती ैः सिभः ोकै ः
रै ा
ु ू
शूितपदािदपणाितिथै
यािदिसिकरहोम ं
जलजपभदै े ु िदथः।
ु े पिदशित। तऽ नया
ु ं
मधरऽयसिसै ु दिधघृतमधिभवा
ः ीरसिपमधिभः ु
ं
सिसै ः। शभु ैः
ु ु ु
अमकलापितताानाशीणाजिषतानाातानृ ु ै।
ानिषत
ृ
ह ्। नपितसिभः
--------------------------------------------
p. 622) े े ु ् ६॥
े िौयमाोित पलाम॥
तवोलहोमन
्
अण ैलैहमात कका ु
ं समवायात।्
सौभाय ं कीिमारोयमवाोनादिप॥ ७॥
ु
त ैः षिः कमोदत
ु ैिनहोमतः।
ु जीवित भतल॥
अचला िौय ं ूा सखी ू े ८॥
े ु यथािविध।
त ैनाै हवनािनष
ु ु
पऽदासीदासयतिरं जीवित मानवः॥ ९॥
े े
त ैरविवाै ्
ु होमात कपसिभः।
ु जीवित॥ १०॥
विनताजनसोहिवनोदी भिव
ृ
कूितपदाराशा ु
ं जयात ् ैः।
िसत
घृताै रमाऽण े ् ११॥
े िनःसपा ं लभियम॥
े े िदवसौ
तव े गडै े ्
ु ः ौिातु ैनत।
ु जीवित भतल॥
कािलीजयारोययतो ू े १२॥
--------------------------------------------
े तषे ु शूथमािदितिथपष।
सििरित शषः। ु े ु अ ैः पःै ।
तषे ु ूाविवसष।
िसत ैः िमतवणः। े ु अण ैः उलैः अणकमदै
ु ु ः।
--------------------------------------------
p. 623)
िाािभधिसािभिन
ैहवनारः।
ू जीवक षाशयः॥ १३॥
ीराहारी िचरं भमौ
ू े िऽमन
खजरीफलहोमन े तिन ैः।
ु
आयरारोयिवजयसा ु े १४॥
ं िौयमत॥
े
नािरकलफलोदै
ः िसतौिसमित ैः।
ु ् १६॥
हवनािन ैिरमिखलं समवायात॥
ु ं
त ैिरवािरसिसै े ु वै।
हवनािनष
महाहािण
ं नानावणािन
वासािस लभते सः॥ १७॥
ु
षि त ैिमै हवनाियमायात।्
त ैः सविसतागपयोै हवनादिप॥ १८॥
ं
मिहषीीरसिसै ु
हमािदमवायात।्
अजाीरयतु ै ै तथािवीरसत
ं ु ैः॥ १९॥
--------------------------------------------
ूावत।् त ैनािरकलफलोदै
े ः। तिनषे ु ूावत ्
ृ े ु सः साधकः। षि त ैः
कपितिथपष।
ु ू े
िसतागडिााखजरीफलकदलीनािरकलफलोदै
ः। त ैः ूोै ः
षिः। सविसतागपयोै ः समानवणवसिहतायाः
ु े त ैः ूावत ्
गोः ीराै ः। अिपः समय।
िसतवणायाः
ैः। तथा ूावत।् त ैः षिि
षिि ैः। अिवीरसत
ं ु ैः
े
इित पददः। े
नािरकलोदीराै ः
े
नािलकरफलोदोीराै ः।
े े ु े ृ ्
े त ैः ूावत षिः॥
अिपशनमायािदतदऽााकत। १९
॥
--------------------------------------------
p. 624) े
नािरकलफलोदीराै े ्
रिप त ैनत।
े कैः सत ै ु वा॥ २०॥
ैरकै
तथा ादशिभि
ु
िनशो हवनाधौिसिपःसमित ैः।
ू
गोभिहरयवासोिभः समृो जीवित ितौ॥ २१॥
े
सोमवारे िसतोपते ैनािरकलफलै
त ैः।
ु ् २३॥
सशा ं पृिथवीमवाोित सिनितम॥
े ्
अारवारे ौिाै र ैहमािय ं लभत।
त ैिरिमिलत ैहवनाा े ् २४॥
ं मह लभत॥
ु
बधवार े घृताै ु होमने ितलतडलै
ु ः।
े
िौय ं सकलकाणिनलया ं लभतऽतः॥ २५॥
ु
गवार े धिसपनसािपरागकै ः।
ु े ु ् २६॥
े लभत े गहममम॥
जयादमाऽण
िसतवारे नािरकलोदै
े ः िसतसमित ैः।
ु
गडाित ु
ैा जयािया ु े े २७॥
सिचरमधत॥
--------------------------------------------
े
तथािदना े े ोकन
ितािवनाान े
ु ु े कपूोिसतािदिषन
शपूोपषन ृ े च
ैः समप ै िनहोमात ्
ू ादशिभि
सय
ू ु
गोभिमिहरयवासःिसिकरमपिदशित। तऽ तथा ादशिभः
ु ृ
शकपितिथूोादशिभः। वा िवक।े िनशः ूितिदनम॥्
२१॥
रिववार इािदिभमनोहरािम ःै सिभः ोकै ः
अकवारािदष ु सस ु सरणहोमिायपिदशित।
ु तऽ िसता ैः
े ैः। तिवशष।
िसतोपता ु े ु
ु े े ीराै ः गाीरष
ु
चततमाै े घृताै ः
ः। तथा ूोिवधानन।
--------------------------------------------
p. 625) ु थतरै
शिनवारे त ैलिसै िलैः शै े ः।
हवनाभत े लीमादितमनोहराम॥् २८॥
ु
त ैः सम ैः समाै जयात ्
सस ु बमात।्
तिनषे ु च तिाभाीन
ं ् सभोजयत।
ौ ु े ्
ु ू ् ३०॥
घृतीरितलौिगडापपसमितम॥
्
अिािदष ु ऋषे ु नविप नते बमात।्
ु ैु माशै
शािलिभडलै गरतरै
े िलैः॥ ३१॥
े ैः।
ूोगािदतमघृताै ः। वा िवक।े िसतोपते ैः शकरोपत
त ैः अ ैः। ता ं इा।ं ितलतडलै
ु ः ितलिमौतडलै
ु ः।
धिसपनसािपरागकै ः ीरिमिौतपनसवीजपराग ैः॥ २८॥
े समि ैः सवारषे ु हवनात ्
त ैिरािदना ोकन
ु
सरािदकमपिदशित।
तऽ त ैः समि ैिरथः।
समाै ः समावनिाै ः। सस ु वारिित
े े
शषः।
तिन ैः एतिनािदमडलूोिदन ैः। िवाहवनवैभवात ्
्
लिलतािवावैभवात होमवै
भवा॥ २९॥
े
तिनिािदना े तरूयोगहोमिदवसषे ु
ोकन
ु
कमपिदशित। े ु तिाभान ्
तऽ तिनषे ु तयोगिदनष।
लिलतािवाभान।् ऽीन ौ
् ऽीन वा
् ौ वा इथः। ु े ् ३०॥
सभोजयत॥
अिादीािदना
े े
बमािदनाोकयनािािदष ु नवस ु नऽषे ु
्
बमात सरहोमिनवकं
ु
तदाावनिनवकसिहतमपिदशित। ् ु
तऽ नते जयात।् बमात ्
p. 626) ु बमात।्
मिहजािवकाीरतु ै ैनवस
मघािदष ु तथा होम ं नविभः ाविप॥ ३३॥
ु ैः कशरै
चणकै णका ै मा ृ था।
ु ैः पायस ैथा॥ ३४॥
माषा ै हिरिा ैगडा
ु ै िऽमै ः कीिलीजयाय।
धा ैःशा े
ू
तथा मलािदनवक ु
े किलिभजयाथा॥ ३५॥
ु
पृथकैु ः शिभलाज ु
ैिरकाडै
ः पयःतु ैः।
ु
शालीचणकमो
ैमाषिपितलोवै
ः॥ ३६॥
--------------------------------------------
ु ं तऽ गौरतरै
िषम।
ोकोरान ः
े िलैः िसतवणितलै
ृ । तथािवधिरान
कवणितलै ै ििऽतय ं तल।
तऽ तथािवधःै सषप ैः िसतसषप ैः कसषप
ृ ै।
े ु वनिष।
ौिारान े े
ं तऽ करोशन
े ु ु
े मिहषीारानाावनिऽय
नािलकरोदकमत। ं
तम। तऽ मिहजािवकाीरातु ैः
ैः ूोै ः। नवस ु
मिहषोीराजाीरािवकाीरातु ैः। त ैि
् कातु ैः एकै किबमात॥् ३२॥
े ु अिािदष।ु बमात एकै
ूोष
े
मघािदनाय े े च ोकन
े इनाानाान
े े
मघािदष ु नवस ु बमण ु
े सरणहोमिायपिदशित। तऽ तथा
ु
जयात।् नविभः अनरवमाण ैणकािदिभः। अिपः समय।
ु े
--------------------------------------------
p. 627) ु
अपपू ैधराै ं कीििमिराम।
िवजय ्
े ु ् ३७॥
आरोयमायःु सौभाय ं माता लभवम॥
िमान।्
िसयोगषे ु य ैजयामृ
तथामृतायोगषे ु जयािोगशाय॥
ु े ३८॥
ुू
गडचीतलािभिमािभरादरात।्
उयोगषे ु जयादण
ु ैलैः शभु ैः॥ ३९॥
सवषा
उ ैभवित ु
ं कलाना ु
ं सिनितम।्
पता ् ४०॥
े े य ैि पवतम॥
े नोग
े े ैव कालन
भवदािचरण े परमिर।
े
ु ं होममाकणय वदािम त॥
अथामत े ४१॥
ऽग ु
े े ोग े वा जयाहतृ
य।े
पायस ैघृत सिसै
ं ः िसतिमौै ु िवया॥ ४२॥
--------------------------------------------
ू ् ३७॥
िवजयािदफलसकं मलािदनऽनवकूोहोमसाधारणम॥
े
िसािदिभ े इ
ै तिभः े ु
ु ोकै ः िसािदशभयोगष
ु
ु ं होम ं तहोमकथनूावसिहत ं
सरहोमिवधानम
उपिदशित। तऽ िसयोगषे ु ितिथवारािदसयोगोष।
ं े ु
ु
य ैरवामिभमत ैः। तमृिमान ्
ैि
तिसमृिमान।् तथा समय।
ु े
नऽवारािदसमायोगोषे ु अमृतायोगष। ु
े ु गडची अमृतालता।
्
आदरात भितः। ् े ाभाग
उयोग े रािदतमिन मह ु ं
गत े लाशमित।े अण ैलैः अण ैः कै रवैः। शभु ैः
ु ु
ूावकलादोषरिहत
ैः। उ ैः अिधकः। पवता े इ
योग े इतिशम।
े े ् ाभागिताकदयराशौ
ु वा यदा
े ु
मषतलाककटकष ् ु
े ु बमात कजशबचाः
ु िताः तदा
े यावत।् नते जयात।
ु े वित
मकरराँयदय ् ु ् य ैरवामिभमत
ु ैः।
त ं पवत ं सण।
ू परमरीित
े ु
सिः॥ ४१॥
े े
ऽािदना ु े इने ोकयने
तल
महतृिकरहोमकालं होमि उपिदशित।
--------------------------------------------
तिनषे ु जपिा
े ं सहॐ ं िदनिनया।
ु
न त कऽिचत ्
कित ्
कदािचत ् े
शसवः॥ ४५॥
ं कारयवािसत
तपण े ु जलै
ैमधरै ः।
सौरा ैः ूसनू ै पजयाथ
ू े तिन॥
े ४६॥
्
अवजिऽतय ं ात कदािच मािकः।
यिद ा रोगािदपीडा भवित िनितम॥् ४७॥
--------------------------------------------
े े एकिऽश
तऽ ऽग ं े पटले भौमािदना
े े
ोकन
ूोरािशगत े अकािदतमिन ् े इित शषः।
मह े ोग े
े ृ ु
मषवषमकरकाककटमीनतलाराशयो रािदसमहाणा ं
बमाराशयः। तषे ु रािदतम े महे ूोोराशौ
यदा ितः ताल।े वा िवक।े महतृय े तहतृय।े िसतिमौैः
शककािमौै
ः। तिवशष। े ु
ु े े िवया लिलतािवया। तोष
े
ूोऽोरािशष ु िता यदा महाष।
े ु तल ु े
ु े साधककल॥
४३॥
े
मासिािदिभिनितिम ु ोकै ः िऽजस ु
ै तिभः
ू
होमजपतपणपजािवधान े
ं ततमावँयकता ं
तदकरण े ूवायोपिदशित। तऽ मासषे ु ादशिित शषः।
े
ताितलैः ततमन
वामृ े े े िन ं ूितजऽय ं
े िणथः।
। तिनषे ु िऽजिदनष।
े ु िवा ं सहॐ ं सहॐवारं िदनिनया सहित
े
शषः। ु
ु कऽिचश।
े त जिपतः। े े कििद शसव
े
े ू
े ं चवािसत ैः कपरिमौै
इतिश। ु े तिन े
ः। वा समय।
ू े
जिऽतय।े अवजिऽतय ं होमतपणपजनतमनित
े े
े यिद ाजिऽतय।ं त मािक।
शषः।
ू
रोगादीऽािदशो भतािदिवषयः॥ ४७॥
--------------------------------------------
े ु
महरोगािददािरशय मिणः।
े ् ५०॥
े े शोकहासादं भवत॥
मािकं भवोक
ु
ु ैिमै हमािदमवायात।
अकप ्
ू
मडला पऽ ै सिमिरिप मलतः॥ ५२॥
े ्
िबूसनू ै ु फलैः पऽ ैः काडैथा नत।
ू लीसिस
मलै ं े ् ५३॥
ै मा तदयगा भवत॥
--------------------------------------------
े े
उािदिभभविद ू ु
िै िभः ोकै ः सयािदष
े े ू
ऽोषपािबम ं तलं तदकरण े
ु े िवा ं लिलतािवा।ं
ूवायोपिदशित। तऽ वाय ं समय।
सहॐ ं सहॐवार।ं वाय ं िवक।े शत ं शतवार।ं िशवा ं
ूाविा।ं यः मािक मािक रोगतः रोग ैः। तथा
्
ु ूोूकारभजन
कन ु ् शोकहासादं
ं कवन।
पपरपयोः॥ ५०॥
ु े
पलाशपािदना ु
े वािमूदहोमिवधानमपिदशित
ोकन
ू ः पलाशो ैिरथः।
। तऽ फलैः पऽ ैः काडै मलकै
ु
कठवागिप ू ५१॥
मकोपीथः॥
अकािदना ोकन ु
े इािहोमिवधानमपिदशित। तऽ
ृ ु ैः। इमिभमत।ं मडलात ्
ु ैः अकवप
अकप
े
ूावदकोनपाशिन ृ
ैः। त अकव ू
मलतः ू ः
मलै
खडप ैः॥ ५२॥
े
िवािदना ोकन ु
े लीूािकरहोमिवधानमपिदशित। तऽ
ु पदाना ं
फलैिरािदना तृतीयाववचनााना ं चतणा
िवूसनू ैिरित िवश। ू
े ं िवूसनशन
े िवित
े षने
् ु
सः। तथा िऽमै ः। नते जयात।् मा लीः तदयगा
ं
साधक वशगािमनी॥ ५३॥
--------------------------------------------
p. 630) ु
पा ैमधराै
हमााविन ैनरः।
् ५४॥
इिरा ं लभत े रा ं सवलोकचमताम॥
ृ
ु ं जयािनाविध।
चकै धसिमौै ु
ु
आः ादूजः पऽानवाोित ु ् ५५॥
गणािधकान॥
े ू ं
ु ैहमाले तसित।
त ैरवात े
लभत े सवशाा ं भवु ं भोा च जायत॥
े ५६॥
े
त ैः ीराै त ैोग े ्
े तिन ैभवत।
् ५७॥
शतगःु साधकिमै लभयम॥
े
ं
पाटलैः ौिसिसै ् ु
हमात कामवायात।्
ु ैरिप॥ ५८॥
तगरो ैरिप तथा लाज ै कटज
--------------------------------------------
े
पा ैिरािदना ोकन
ु
लीूािकरहोमिवधानमपिदशित। तऽ पा ैः
ु
पफलाःमिणिभः। मधराै ु ः।
ः िऽमधराै
ताविन ैः मडलिदन ैः॥ ५४॥
े
चकै िरािदना ोकन
ु ु
लीपऽिसिकरहोमिवधानमपिदशित। तऽ तिनाविध
मडलिदनाविध॥ ५५॥
ेे े
तरवािदना ू े
े शशािला भमः
ोकन
ु
ूािकरहोममपिदशित। तऽ त ैः चकै ः। एवावधारण।े मले
ु े े उसित
भौम।े तिवशष। ं े मकररािशित।े चः समाहार॥
े ५६॥
े े
त ैरवािदना ोकन ु ू
े गोशतूािकरलीपऽभमीना ं
ु
ूािकरहोमयिवधानमपिदशित। तऽ त ैः चकै ः। ोग े
ृ े तिन ैः मडलात।् शतगःु गवा ं शतयः।
वषभरािशगत। ु
ू ु ् ५७॥
े े ऽय ं गोभिमपऽवगाणाम॥
लभतथः।
ु
े कािसिकरहोमिायपिदशित।
पाटलैिरािदना ोकन
ु ु ैनावप
तऽ तगरो ैः ूागजलजप ु ैवा।
ु ैिगिरमिकाप
कटज ु ैः। अिपः समय॥
ु े ५८॥
--------------------------------------------
p. 631) ु े धनम।्
त ैः ीरिमौैहवनातिभलभत
च तिन ैः॥ ५९॥
अरािण िविचऽािण महाहािण
शतपऽ ै ु मै हमाीमवायात।
ु ्
ु (ै)िवचिकलै
े कदै कडै
कशरै रिप॥ ६०॥
ु ै नमिभः।
मिकामालतीजाितपाग े
ु
जयात ्
ूथमार ु ु ैः॥ ६१॥
ं प ं मधत
ु
एकै कशः सम ै महालीमवायात।्
ू ैः िौयम॥् ६२॥
तथााै ु हवनाभत े भषण
ूसनू ैः किणकारो
ैः ौिाै हवनािन ैः।
ु ् ६३॥
उिदत ैरचला ं ल अवाोित सिनितम॥
--------------------------------------------
त ैिरािदना ोकन ु
े धनवूािकरहोममपिदशित। तऽ त ैः
ु ैः। चः समाहार।े तिन ैः मडलात॥् ५९॥
पाटलतगरजलजकटज
े लीूािकरहोमाथ
शतपऽ ैिरािदना ोकन
ु ु
पपकमपिदशित। ु िवचिकलै
े वकलै
तऽ कशरै ः िवचिकली
मिकािवशषः। ू तिन ैिरतदाकत॥
े अा पवऽ े ृ े ६०॥
े
मिकािदिभः ु
सिनितिम िै िभः ोकै ः
ूथमािदपितिथष ु सरहोमभदानपिदशित।
े ु तऽ
े ु
पपक।
मिकान े
ं तऽ नमिभः ु ु ैः।
सरपणप
ु ु
सम ैाकैे का ं ितथौ तपकसमदायः। च शो
त ैरव
िवकाथः। ु ैरव।
े ूोपिवधप े तथा एकै कशः।
े यावत।् भषण
सम ैित ू ैः सहित
े शषः।
े िदन ैः उिदत ैः
ूोाडलात।् एष फलकालाविध ूकरणसमानः॥ ६३॥
कारैिरािदना साधकोम इने ोकयने सामाने
ू
नािदपणाितिथपके ूावदकै
े कशः सम ै
ु ु
सरपहोमिवधानमपिदशित।
--------------------------------------------
p. 632) ू ू
हवनाभत े ल सभभषणवाहनाम।्
साधकोमः॥ ६५॥
िऽमै थ ैकै कैः सा
् ु
नते कवकै े
ः ौितु ैाितिसय।
ु े ६८॥
तथा दमनकै ः पऽ ैहवनाियमत॥
ूसनािन
यणािन ू ु
जयािया िूय।े
े वासािस
तणाव ु ् ६९॥
ं लभत े साधको ीवम॥
--------------------------------------------
्
तऽ कमलय ैः रकमलैः िसतकमलै। ूावत ौिाै ः।
ू ं ूितपकादँयािद
नािदपणा े
पमीदशमीपदँय।ं वा िवक।े तथा कारा ैः
पिभः॥ ६५॥
े
कतकीािदना
े ु
ोकनानघिविचऽवासःिसिकरहोमिवधानमपिदशित। तऽ
ु े े तिन ैः ूावडलात।् लभत े साधक इित शषः।
तिवशष। े
वराघािण॥
अनघािण ६६॥
े
िसत ैिरािदना ोकन
ु ु
िसतवासोमादामिसिकरहोमिवधानमपिदशित। तऽ तथा
लभत े इित यावत॥् ६७॥
े
निदािदना े वाितकरं लीिसिकरं च
ोकन
ु
होमिवधानमपिदशित। ् ु
तऽ नते जयात।् तथा ौितु ैिरित यावत।्
पऽ ैः तमाल॥ ६८॥
यणानीािदना
े ु
ोकनाभीवणवासःिसिकरहोमिवधानमपिदशित। तऽ िवया
ु
लिलतया। िूय े इित सिः। तूसनवणािन॥
तणािन ू ६९॥
मरीच ैिरािदिभः िसताित ैिर ु ोकै ः
ै तिभः
ु
विनताकषणवशीकरणपषवशीकरणरालीिसिकरसमू ्
ु
आिणवशीकरणहोमिवधानमपिदशित।
--------------------------------------------
p. 623) ु े ु ु
पाटलीकमारशफािलकसमोवै
ः।
ु े ु ु ः शभु ैः॥ ७१॥
चकाशोकपागनमकसमै
्
हवनाशयते सवविनताः ं ु ैः।
ौिसत
े ् ु
ु ैहमाशयते पषानिप॥
त ैरवात ७२॥
त ै राल लभत े घृताै हवनाििश।
ु ं वशय
समजीवभवन े ैः िसताित ैः। ७३॥
े ्
े ं वश ं नयत।
तथा दित ैलण ैहमा
ु े ु
तथा पसतोयाै ु
त ैः वशगा ृ
नपाः॥ ७६॥
आ ै ु कवलै े ्
भवत।
े हमािन ैै धनी
्
िनशो घृतहोमने ौीमान भोगी े ७७॥
च जायत॥
--------------------------------------------
े ु इा ं दियता ं विनता।ं
तऽ िनशास ु मराऽष।
े ु ु िरऽ कसमशः
नमकसमै ु ु ू ु िरऽ
पवासमवै
ु
वँययोगः। त ैः पाटािदिभरिभः पैः। ु े
अिप शः समय।
ु
त ैः अिभः पैः। ् ु
े त ैः ूावत पैः।
िनिश ूावदराऽ।
ु ः॥ ७३॥
िसताित ैः शकरायै
ृ इिै िभः ोकै ः
अ ैिरािदिभनपा
ु
वँयिसिकरहोमिवधानमपिदशित। ् े
तऽ िनहवनात ूितिदनहोमन।
तथ ैव घृतातु ैः। ितलतडलै
ु ः ितलैडलै ु े े तथा
ु । तिवशष।
मराऽ।े तथा ूावत॥् ७६॥
े कवलाहोम
आ ैिरािदना ोकन े ु
फलमपिदशित। तऽ
ु े े िदन ैै मडलात।
तिवशष। ् चः समय॥
ु े ७७॥
--------------------------------------------
p. 634) ु
ातोनिलः ॐवी च िसतगॐगरः।
ं ू दव
सप े ाा सृ
ं त े हवाहन॥
े ७८॥
े ्
ु े पचत।
सवायाः िसताया गोः पयिस िगण
ूमाऽ ं तडल
ु ु शािलज ं िसतमवे च॥ ७९॥
ृ वै िसकं महत।्
िसतधघृतोपते ं का
ृ
गहीा े ८०॥
पािणना िवा ं जिपा शतवारक॥
िौय ं म े दिह
े दवीित
े ृ
का काोलानल।े
ू
ा समा पजा ु तथा भा
ु त ु तिन॥
ं ८१॥
ु
िनररं िनश जया तदयम।्
ु ु मशयः॥ ८२॥
न कदािचिमा मता
ु
पायस ैजयात ् ू े ु साधकः।
पणाकवारष
ू
े े पजायामादातमो
िनवदय े ् ८३॥
भवत॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
ु े
तथा धवलपाया नवनीत ं िसताज।
िनधायादाय मौनी त ु नदौ े ८६॥
े भृगोिन॥
ु
सवारूयोगने महतीमायाियम।्
ृ
नपमाा ं सवा ु ् ८७॥
ं नानाभोगािता ं शभाम॥
ु ू ं नवनीत ं रविन
तथाणासमत े े।
िनधाय िवकच े प े किणकाया ं तत ु तत॥् ८८॥
ु ्
राः ात साधकः
जयादिभवारै िशव।े
किणकार ु
पािण तथा चकजािन वै॥ ८९॥
--------------------------------------------
ू े ु
े लीूािकरं पणाकवारष
पायस ैिरािदना ोकन
ु
च होममपिदशित। तऽ िनवदयत ्
े े पायसिमित ु े ८३॥
े चः समय॥
शषः।
े
सवािदिभगािमनी रै ः सिभः ोकै ः
ु ु
सािकरं नवनीतसिहतकारािदपहोममपिदशित। तऽ
ु ं तिवशष।
तिना ं अनिषत। ु े े कारूसनू े
ू
े ततः दीिघकायाः।
दीिघकािवकिसतकारूसनोदर।
तििनवनीतकारूसनू ं उ े नते ्
े े शषः।
ृ मौननित
ु
जयात।् अौ सृ
ं त े इित शषः।
े तग े काले
े ु ु
े ताविन ैमडलात।
मलािधितराशतथराँयदयकाल। ्
गोः नवनीत ं
तथा धवलपायाः सवाया धवलवणाया
िसताज
तिनािमथः। ्
ु े ूावत िसतप।
े भृगोिदन े तऽािप
ु
तकाल।े सवारूयोगने भृगवारसूयोगन।
े
ु ू ं सवाणगोसमत
तथाणासमत ु ू ं नवनीत ं
े ततः दीिघकायाः
तिनािमित शषः। उथः। ु े े तत ्
ृ े तिवशष।
े े अिभवारै ः रविरित
प ं ूावौननथः। े े िशव े इित
शषः।
ु
सिः। ु
तथा गवार े नवनीताािन नवनीतिषतािन। उ े
रिवमलाशमरािशित े इथः।
--------------------------------------------
p. 636) ु ु े सगत
जयावनीताा ू ु
े गरौ।
राजचोरापहारकै ः॥ ९०॥
िनराती महाघा
कीिलीधनारोयिवजय ु ु
ैरायरायात।्
बकै ं ु त
ू ः िकशकै ू ैिमै तिबया॥
९२॥
े ्
सौभायलीिवजयकािूावहा भवत।
दहोमादाः साधकः ािमासतः॥ ९३॥
ु तालपऽ खडषे ु िनजवाितम।्
आिष
ु
िविल नवनीतने समते ं जयाििश॥ ९४॥
् े वाितम।्
मडलाासतो वारात ूाोव
े ् ९५॥
तथा पलाशपणष ु िविल दरदैनत॥
--------------------------------------------
ू
सगत
े ककटरािशगत। ु
े तदयगािमनी साधककलगािमनी॥ ९१॥
े े कवल
कवलिमािदनायन े ं
े ु
िसतोपतनवनीतहोमफलमपिदशित। तऽ कवल ु
े ं परिहत। े े
ं िसतोपतन
े े कीितलीधनारोयिवजय
शकरोपतन। े शषः॥
ैः सहित े ९२॥
ू िरािदना मासत इनाान
वकै े े ोकन
े
ं ु ू ु ु
िकशकचतपदहोमफलमपिदशित। तऽ चतू ैः
् ् ९३॥
ु ैः। दहोमात दिधिमिौताहोमात॥
सहकारप
आििािदिभदीिरत ैिरःै सिभः ोकै ः
िनजवाितिसिकरं तििखतपऽहोमिवधान ं
े
तिाहवनवैभवोपिदशित। तऽ िनिश अराऽ।
--------------------------------------------
ू
करीिलिखति ू
ं पऽ े चकभहः।
त ैत ैदवाोित तिन ैिधानतः॥ ९८॥
एलालवकोलजातीफलसमित ैः।
ु े ९९॥
िसत ैरािल च े ं पऽ े पसमव॥
ु
जया ं
सिस ै बिभः िकिमहोिदत ैः।
ु े िवाहोमैदीिरत ैः॥ १००॥
नासामि भवन
ु
शिवामयी ाििरित सक ् समीिरता।
् ृ
अा िनफालनाि े तं ासात कतम॥्
्
इित शोडशिनातषे ु ौीकािदमत े होमात काफलोदयो नाम
ं ् ३२॥ ०॥
ािऽशपटलम॥
--------------------------------------------
्
ं े पटले ूोा ाामाः शतात परम
ं - ािऽश
मसा ्
।
एकािधका सित ु न ािण
ु चाऽ वै॥
ं
ऽयिशपटलम।्
अथ षोडशिनानामाा या लिलतोिदता।
ता यािण क े तिाभदसवै
े ः॥ १॥
प ैः षिसमोपते ैनवशा यथािविध।
ृ ् २॥
समवाितावािकारणािन कतानाम॥
ू
लिलतािनपजाया ं य ं िवािवमहम।्
ू ् ३॥
षोडशाना ता पजाकलमचबकम॥
--------------------------------------------
ू
पविन ् ं े पटले षोडशिनािवािसाना ं
ािऽश
ु
सौहोमिवधानमपिदँयानर े ं वाितूािकरािण
ं तषा
े ु
लिलतािवायाः पभदसमािन
ु
कािनिचायपिदशथषोडशिनानािमािदना
यिसिभधागम े इोकशतपण
े ऽयिशन
ं े पटलन।
े
े
तऽ अथ षोडशािदिभः बमािदःै पिभः ोकै ः
ु
पटलाथकथनूावपरःसर ु
ं तदथानिशित। तऽ आा
ू ूधानथः।
सकलकारणभता े लिलता सित
ं े शषः।
े उिदता
तृतीयपटल।े ता लिलतायाः। तिाभदसवै
े ः
ु ैः। प ैः
तौीिवातािय खडभदसम
े
षिसमोपते ैनवशा। एतं भवित ौीिवायाः
ु ु
े चतिवशितः।
तायखड चतररभदाः
े िवशिधकशत।
तारिवाभदा ं े
ं तडरभदा
ं ु
ं अपनाराणा
िवशिधकसशत। े ं
ं षणा ं ूक
ू
े षणवितः सय
षोडशरयोगतो भदाः
ु े त ैिरित। एतषा
षरनवशतभदाः े ं भदनूकार
े ं े
ं पिऽश
ू
पटले वतीित। यथािविध अनािधक ृ
ूमाणािदित। कताना ं
ु े ं य ं ौीचब।
गचरणकमलभजनभचतसा। ं
ू
िवािवमहं पभतिऽधामकालाकात।् षोडशाना ं
े षी। ता लिलतायाः। चः समाहार।े
िनाना ं िनारण
ू
पजाकमलचबक ू
ं कमलप ं पजाचबम।्
--------------------------------------------
े े
नवह ं िऽह ं वा ौीचबमिभषचन।
कात ्
ु िडलपजाया
ू े ु ् ६॥
ं हमाऽऽितसरम॥
रािदष ु त ु िनाण े ्
े मानिमावशावत।
ु
सदा सिविहत े पजा ु
ू शभािथाथा॥
ं ७॥
े व
ॅमण ु े चतरॐक।
ृ ं िना ससम ु े
ूमृ ित े ् ८॥
ं सऽू ं ितिपातयत॥
--------------------------------------------
े
अमृताािदना े यपक।
ोकन ं तऽ अमृताघटं
े
अमृतघटा।ं अतःपरं िसवळयिवधानोपदशात ् ं
पर।
यथािविध ूावत।् महािलं महािलािभधान।ं योिनय ं
ं ं यम।् तळवळकं वळवळयिमथः।
योिनस तदवे च
महाकारं महावळ ं महावळािभधान ं यिमथः।
कोयािण समिवषमभिााकानािन यािण। बमात ्
उिबमात॥् ५॥
नवहिमािदिभः िसिदिमःै षोडशिभः ोकै ः
लिलताया
े ू ु ु
अिभषकिनपजाौीचबिनमाणसमदायमाऽािदकमपिदशित। तऽ
े
नवहािदना े ू
े े िडलपजाया
ोकनािभषक ं च ौीचब
ु
मानमपिदशित। ु े हमाऽ े िडले इथः।
तऽ वा िवकसमय।
ु
एतदनौीनाथािद ु ं
ं अितसर
सकलााचबसाधारण।
ु ६॥
वमाणमानालित ं कािदथः॥
े
रािदना े रािधकरणषे ु िविनमाण
ोकन े ौीचब
े
ामानं े फलं तदकरण े
त समीचीनिविनमाण
ु े े सिविहत
ूवायोपिदशित। तऽ तिवशष। ु े समीचीनिविनिमत े ौीचब।
े
्
अिन उलणािदरिहत े तथा पजा ु
ू अथा अशभा॥ ७॥
े े
ॅमणािदिभमिम ःै सिभः ोकै ः
ं
ौीचबकिणकागतिऽचािरशोाकं
--------------------------------------------
p. 640) ू
सऽािण नव तषे ु े वृ
ृ े
ोभयाक।
ू
िवधाय तयोरासऽातः बमात॥् ९॥
ू ु े त ु षोण ं ािसकम।्
ृ े सऽचत
कत
ामतः समारावम ं ूथमारा॥ १०॥
कात ् ू
ु सऽचत
ु ु ु ु
ु चतमानगयतः।
् समकाविध॥ ११॥
नवमूथमामाा ं ितक
कात ् ू
ु सऽचत
ु े त ु माकिवभदनात।
े ्
ु ् १२॥
तततषायाराथागम॥
ू
ितीयग सऽाणा ु ं पातयथा।
ं चत े
ु ु ु े ततः पमकायोः॥ १३॥
चतानगयन
--------------------------------------------
ं
िितसहाराक े ं पोकरणाििवध ं म
ं ूक
ु
चबयमपिदशित। ु
तऽ चतरॐके एकोनिऽशपटलोप।
ं े तऽ
ृ
वम
े ितयदिणोरं
े
िनपातयिद ू े
सऽाणीननोरऽायः। ं
नव नवसािन। तषे ु
ू े ु नवस।ु े पिमािदतृतीयसम े सऽ।
ितऽष ू े
ृ ोभयाके वृ
वृ ृ ोभयाम।े तयोः
ृ
वृ ू
सऽयोः। ् ु
अात अमचतात ् े शषः।
आरित े
ू
मसऽातः ू
ूागायतॄसऽ ूागमा ं
्
पिमामा। बमात ूोासबमात।् सऽचत
ू ु े
सयथः। ु
ू े तरवधारण। ्
े षोण ं ात िऽसकं
ू
ॄसऽ ूागमात तृ ्
् तीयसमितक
ू
सऽदिणोरामा ् ू े
ं षोण ं ात सयथः।
ु ु ु ु
े चतममानगयतः
तरवधारण। ू
पविलिखत
ु े े नवमूथमामाा ं
षोणगतममचतयभदन
ू
पिमािदनवमितऽामयात ् ू
ूथमितऽामया
आरथः। ु
े तसमकाविध ु ू
तसमसऽयोमाविध।
ु ू
चतथसऽामयारात ्
षऽामयारात ्
च।
े
तथाग ं ितीयग। अमरखामा े
ं ितीयरखा
मा।
--------------------------------------------
p. 641) ू ु ं कायाौयम।
तृतीयग ं सऽयग ु ्
े
माजयग ु ् १४॥
ं ॄसऽू ं ाबममम॥
ु
बिहरदाोज ं तथा तिगणदम।्
ु े तथािभः॥ १५॥
ृ ै चतरॐ
िवधाय षिव
ू
सऽैिवधाय ं ु ्
त ैव ूाारसयतम।
े
दिणोरतो रखाऽयात ्
ानयाथा॥ १६॥
् सऽै
कोणषे ु ितक ु ु
ू चतिभानबमात।्
--------------------------------------------
p. 642)
लिलतााचबिमद ं ल ं सतः
ु बमात।्
ु ं ससम
सर ु ं सवलण
ै समितम॥् १८॥
--------------------------------------------
े
लिलतािदिभः िसिदिम ु ोकै ः लिलताचब
ै तिभः
सूसादात
ु ्
लं तणािदकोपिदशित। तऽ इदं ूों
ल ं सतः
ु बमात ्
ं
अिविपारबमसिसबमागमसमयाचारिनरतात ्
ृ ू े
कतपणािभषकािवदो ु तीयपटले
गरोि
े
उलणािदिभधनािदिभिर िै पाशमोकािदषिः
ोकै ः उबमात।् लिवने साधकनथः। ु ं
े े ससम
ू
ं सवलण
अनािधकूमाण। ैः अनरवमाण ैः।
ु ैः िऽकोण ैः। नविभः सय।
अधोमख ू एकसऽ
ू ैः
ू
ॄसऽिताम ु ं अत एव
ैः। एतीचबं अितसर।
ृ ु े ु ूोूकारण
षडॐ ं वागतचतदशारामष
वृ े
ं तदृाकं
ूथमिलिखतषोणामष।
ृ
वाृ
तिदतराॐाक।
े ममिभः
ं तथा उूकारण।
अनरवमाणलणोपते ैः षसखासिानिमित
े े
शषः।
्े
यसमात रखयोिरित ु ु ं
े चतिवशितयत
शषः।
ु ु ं अयमऽ कापनप
सिचतिवशितयत। ु े
ु े शु े भतल
िऽहमानचब िवरचनाबमः। ससम ू े म े
ं
हसपद ं िवधाय तशानमार ूितपा
ं े व
षिशदललदशालमानॅमण
ु ु ु ृ ं िना
तिहलव ु ु े
ं ं ृ ं तिहलदशालमानबमण
ू ूथमिनािदतने वन
सय ृ े सह वषमलारात
ृ ्
वातो
िवधाय तऽ ूाॄसऽू ं
ू सवावािहः
दिणोरितसऽ ृ ूितिदश ं
दशदशालमानावाा
ु ू ु
तऽामचतय
ृ े यऽ यऽ साताृ
तववाव ृ िकया मान ं
ू ु
तऽामचतयृ
ाृिकया च
ु ं
चतािरशदिधकशतालमान
ु ू
ैरिभः सऽैः
पिरतोविहिवभागन ु
े समचतरॐारय ं कोणकोसिहत ं
ु
ृ चतरॐ
का पिमूाचीनवीथीय े
ू
मसऽािणोरयोः े कैे का ं
पपालमानन
ु
े ं का
ितमखा े
ृ तयोमालदशकमानन
ु
ु
समचतरॐारय
ं िवधाय तयोारयोिणोरतो
दशदशालमान
ु ू े े
े ितऽमकमकमाा
ु ू
ततरॐदिणोरवीोमसऽात ् ् पिमतो दश
ूाक
दशालमान
ु ू े कं का
े ितऽमकै ृ
ु ु े ितमप
ततरॐकोणकोचतय ू ं कोणसऽमकमक
ू े े ं
ु ं वाारतो िवधाय
ू ततय
सय
ु ृ
तददशालमानववावीा े ु
ं िदिविद ु तदरालष
--------------------------------------------
--------------------------------------------
च सय ु
ू षोडशदलाोतमानािन सोपदलािन षोडश
ु ृ
िना तददशालमानववीा ं िदिविददलािन
ृ
ूाविधाय ततः समवम े दिणोररखा
े ं
माजिया िसलमानाक
ु
ं तवममिन ्
पटले
ु ं ं ं
चतिवशोकािदवमाणबमादचािरशदश
ृ
कातसऽ ू
ू े ूागािदषाशमान े ितऽऽय ं
ु
ृ पनरिप
का ं
पिमािदषट ् षट ् षडशमान ू
े ितऽऽय
ू
िवधाय तागािदतृतीयसऽ ू
समसऽ च म े
ु ु ू
वमाणममानगणितऽऽय
ान ं कतया
ू े ु सवपिम
मनसा पिरक त ैः सह नवस ु ितऽष ं
् )बमाषे ु
सऽू ं ूथम ं पिरक तत(सं
े
तृतीयसमरखाय ं विश
ृ का
ृ
ृ ू ू ृ
ततीयसऽामयािदॄसऽूागमवसात ू
ं सऽय ं
ू ू ृ
तमसऽामयािदॄसऽपिमवसाता ं
ू
सऽय सय ु
ू सऽचतयमाा
ू षोण ं का
ृ
ु े ु ु ्
पनवमरखामािदूािविलिखतषोणपिमममानगणग
ं सऽय
अितवशने यावितीयरखोभयपागत
े ू ं तत ्
े
ूथमरखामािद ु ु े
षोणूाचीन ममयानगणगितवशन
े
यावदमरखामया ू
ं सऽय ू
ं सय
ू
सऽचतय ु ु ु
ु ं मचतयानगणमाा
ु ू े
पनॄसऽूागािदूसािरतरखाय े
ू सात नवमसऽमात
मसऽोभयपायोः ू ्
े
ूसािरतरखाय ू सात
े समसऽोभयपायोः
ु ु ू
चानगणावमसमोभयपाािदॄा ू
सय
ु
मचतयानगण ू े ् तऽय
ु ु ं सऽयमाालयत। ू
ु ू
ॄसऽू े यऽ सातः तिमािदचतथितऽ ान ं
ु ू
भवित। पनमसऽमािदपिमत
उभयपामयानगयन ् ्
ु ु े यावत ूथमितक
ू
सऽोभयपा ु ु ु े
ू चतममानगयन
सय
ू
सऽयमाा ु ू
पनरमितऽममार
ू
ूथमसऽमात ् ू
ूसािरतसऽमयाविध
ु े
ूसृततितयमखाया ू
ं सऽय े ्
ं िवसत।
ु े
पनरमरखामािदपिमतः ू
ूसृतसऽय
ु े
तरखामािद ू
ूासृत सऽय ु ु ं
च सातयानगण
--------------------------------------------
p. 644) े ं सायसमात।्
षसखासिमा
ु
ततिशितयत ् २१॥
ु ं चबं साथिसिदम॥
े ्
ु ं चबं समचयत।
अथा िभमािदयत
शाध ं महाािध ं दािरमयशो मृितम॥् २२॥
ं ु ु
ताणसयमप ं िवधाय वै।
्
ममो
चबं तऽैव ता ं िनमचयन े ् २३॥
भवत॥
ृ ं चािरशत
िवधाय वयो ं ्
सहािभः।
ू
ूागािदितयऽािण ु २४॥
ष ष च पस॥
--------------------------------------------
ू
नवमसऽमात ्
पिमतः े
ूसृतोभयरखामात ्
पिमतः
ू े
ूसतोभयरखामाविध ् सऽू ं ूसारयत।
ितक े ् तत ्
षसऽू ं तदमयािद ितीयरखामा
े ं
ममयानगयन ू े ् मात ्
ु ु े सऽयमाालयत।
ू
समसऽमािद ू
ूसृतसऽय
चोभयामपायोयऽ
ु ु
सातातयानगयाम ू
सऽमात ्
पिमतः
ू
ूसृतसऽयाविध ् रखा
ितक ु ् सा पमरखा
े ं कात। े
े
तदमयभार तृतीयरखामाविध ू
सऽयमाा
ू ् ृ
वृ
ॄसऽमाजनात षडॐ े
ु ं ू ं
तदृााॐमादशममपते ं चतिवशितसिपत
ं
ौीचबं भवतीित। अऽ मानवासना मोवासनािवमिशा
िा॥ २१॥
े
अथािदना े ूोूकारमरण
ोकन े यथा ं
ू े ु
चबं िनमाय तऽ पजयतामनथिवशषानपिदशित। तऽ अथा
ूोलणितरकण।
े े ममादीऽािदशः सििवषयः।
शाधिमािदफलपकमकाय २२॥
ूयतीथः॥
तािदािदना ोकन ू
े ूोूकारे चबे पजयता ं
ु
फलमपिदशित। े एवावधारण।े ता ं लिलता ं िन ं
तऽ ौीचब।
ूितिदन ं अयन ् ू
पजयन ्
ममः े
िशवसमो भविदित॥ २३॥
े
िवधायािदना ु े ोकयने लिलतायाः
सरिमन
ौीचबिनमाण ृ ू ु
े समवाभतचतदशारािदचब
े ु
मानसतमपिदशित। ृ ं सवमवूाक
तऽ वयोम ृ ्
े ू
पिमरखयोमॄसऽिमित यावत।् चािरशत
ं ्
सहािभः
ं अ पद िवधायननाशः।
अचािरशिदथः। े े
् सऽािण
ूागािदितक ू े ष ष च पस ु
ऽीणीित शषः।
ं े ं े
अशशिित े
शषः।
--------------------------------------------
p. 645) ् ु
े े ं त े मयितः।
पिमात षयऽव
ू
िवदाीिण सऽािण ु े ु ् २५॥
कानाितसरम॥
--------------------------------------------
् ू
पिमात पिमॄसऽाम ृ
सवमव च
े षय े षडशमानानऽय।
सातमानमारथः। ं े
ु े एव ं ऽीिण सऽािण
अिपः समय। ू ू
त े ूागािदतृतीयसऽ
ू
पिमािदतृतीयसऽ ु
च म।े ममयितः े ु
ममभदयिवशात ्
ू
तऽ ू
ॄसऽ च सातान।े तने िवधानन।
े एव ं
सवमचब े ु
ैव मानोपदशाचबतमान ं
ु
वामिप ूितपा चतिवशश
ं ं का ं े ु
ृ अशष
े े ु
कशरदलपिरवषचतरॐादीना ं अवारमान ं
ु ु ं यथाशोभनिमित सदायः।
कलशापनानगण
े े े ु
िवाूाािदसकलािभषकककापनप े िऽहमान ं
ं िवाूािभषक
चबं क। े े कलशाना ं नवक
ु
चतय ू े े
वा ापनप े पणािभषक
षणवितकलशापनप े नवहूमाण ं चबं पिरकनीय।ं
ु
एककापनप ृ ू
े सववमाभतािन
े
नवनाथहितितिरािन े
दवताानािन े
कशरय ं पिरवषे ं दलािन
ु
उपदलािन ारयितिरचतरॐ े ्
ूोरजसा रयत।
ू े े षणवितकलशापनप े
पणािभषक
ु
सवमािभमखिऽकोण े ूितरख
े ं समारालमकमक
े े ं
ू े क
िचं िवधाय िऽिभः सऽैम ू
े ं पिरतिक सय
ॐचतय ु ् िवाूािभषक
ु ं कात। े े
ु ु ् पनः
े े ं कात।
कलशचतयापनपऽव ु पणािभषक
ू े े तु
े ु ं ॐय ं चतषु ु
एकितमखाोािभमख
े ु े े ु िऽकोणािन िवधाय अदलष
हितचतयापनयूदशष े ु
ु
चतरॐािदूािप े ्
विहॐ ं िवधाय तािप रयत।
महाशकलशापनप े ूोबमण
े महाचबं का
ृ
् े ु े े ु िऽकोणािन
ूावत सवमहितचतयानारूदशष
े ु चतरॐगतदवताकानष
िवधायादलष ु े े ु च विहरम ं
ू षणवितिऽकोणषे ु ूितरख
िऽकोणािन िवधाय सय े ं समारालं
िचऽय ं का ू े ूितकोण ं
ृ िचािं नवसऽाालनन
वाारा ं षोडश िऽकोणािन का े ् तऽ
ृ तािप रयत।
सवमयोा े
ं लखनूकारो ितीयपटले ाातोऽािभः।
ु
अऽ नवकापन े नवयोिनष ु चतापन
ु ु े
मयोिनिऽकोणचतय ु एव
ु े सवऽ सवमापनीयक
ू
खािरमाणतोयपरणीयः। इतराः कलशाः
ू
ििूमानतोयपरणीया इित सदायः॥ २५॥
--------------------------------------------
p. 646) ॐ ं व
ृ ं पदश दािन च ततो विहः।
ु ं वा े दशदसरोहम॥् २६॥
अपऽाज
ु
पनदशद ु
ं प ं चतशदलं ततः।
ु ् २७॥
अदा ं िगणदमादशदम॥
--------------------------------------------
ु
ॐिमािदिभरायािद ु ोकै लिलतायाः
ै तिभः
ू पजाचब
पपसकलशावरणपिरपण ू ं तऽ
ू
पजाफलोपिदशित। ु
तऽ ॐ ं ािभमखिमथः।
ृ
वॐािहोणऽयृ े यावत।्
ापृिकयित
पशददािन च ततो विहः इनने ैति
ु ं भवित वािहः
ृ
े
कशराथ व ृ तऽ वा े
ृ ं ॐािहः तोण ं का
े ु ु
अपऽाजिमा
पदशदािन िलखिदथः।
े
कशराथ वमािल
ृ े वा े
तिहः अपऽािण िविलखिदथः।
ु ु
अपऽपवा े पनविहतदशदलं प।ं
ु
तिगणद ं षोडशदलप ं अादशदं
े ु दलानामवारमाण ं
े ं सवऽ चबष
ूाविश।
ु
कडपटलोााॐमानवत ् कयत।
तत ् े ् तऽ पराभाग
ु े ॄसऽू ं
ु ् िवाय
दलम ं यथा तथा कयात। े
ॐिमािदिभितीयापदैरयः। त पचब। मे
े ता ं लिलता।ं तथा िनने
सवमिऽकोणम।
ु े
े पाथा। अिकोण ूामखावयोम
ऋितकाबमण े ृ
अिकोणपारखायमत
पायोः े अाः
इथः।
ु
ितिथिना अिणमादय। तथा या। ु े भतल
एतं भवित ससम ू े
् ं
ं पदं िवधाय तत सशानमार
हस
े ॅमण
ूितिदशमादशालमानन
ु े व
ृ ं िना
तम
ृ ु ं योिन ं समरखा
े ािभमखा े ं िना
ु
तिहलपालमानबमण
ु ू
े पविनािदतवन
ृ े सह
ृ
सदशवािन िना तऽैकै कािरतास ु
पालवीिथाराागा
ु
े े ितिथिनाः
पदशदलाऽमािदूादियन
े ु ूादलय ं ारान ं
सववाादशदलष
ु े
पिरक एव ं बमाििविदबमण
ु ृ े ु
ूावतरावािणमाददःषोडशदलष
े ु ूावदनकसमाद
ूाविाकलाः तदरदलष ु ु
ु
दतदशदलष ् ं
े ु ूावत सोिभयाद
--------------------------------------------
p. 647) ्
एतिन पचब ू
म े तासा ं ूपजनात।्
ु ् २९॥
महत िौयमाोित ानाा समायात॥
ू
पिन ् ू ेे ु
पजयवीमबमसमितम।्
े
घटय ं समािल वाारभदतः।
े ् ३१॥
ृ कोणषे ु ूथम ं िलखत॥
त े नवधा का
--------------------------------------------
ददशदलष ्
े ु ूावत सविसिूदादददशदलष
े ु
् ्
े ु ूावत वादवताः
ूावत सवाददरदलष े
ृ े
सवमवतॐपारखाराले
े
ूावतीदरॐऽय ् े
े ूावत पीठर
सवम े
ूावव ् े े
े च ैव ं बमात ूोबमणायिदित। ्
एतिन ऐिहके
ू
ूपजनात।् अ पद िौयमाोतीननायः।
े तासा ं
े
सपिरवािरकाया दाः। महत राजािदिभरनवहाा। ानात ्
े मा ं िशवम॥् २९॥
परमाथािदितशषः।
ू
पवििािदना ोकन ू
े पवौीचबे
ु
समनफलमपिदशित। ू
तऽ पविन ् े ौीचब।
ूो े
ु
उबमसमित ं चतशपटलऽयूोानबमसमित।
ं
् ं
ानात षिशपटलवमाणात।
िौय ं ऐिहके इथः। ् तथा
ु े स साधकः।
ू े आवा ं शिं िशव ं च। चः समय।
अपृथमपण।
े
परमरीित दवी ु
े सिः॥ ३०॥
ु
घटयिमािदिभरपमृिजिद
नै विभः
्
ोकै रमृतघटा ं य ं तत ूयोगान ्
फलािन चोपिदशित। तऽ
घटय ं वाारवय
ृ ं त ं नवधा का
ृ
े
ूादिणोरििरखाािमित े कोणषे ु
शषः।
े ूथम ं ौीिवायाः ूथमखड।ं
कोणकोणकोिथः।
ु
ितीयखडं िदूावत ् े ु म े ूावत को
कोष। ् े ताय ं
खड।ं घटयोवाारवयोः।
ृ े सथः।
ितमखाः े
समतः पिरतषे ु कोषे ु िवातायारसकं
--------------------------------------------
े ्
आनालमय ं पऽकशरकिणकम।
िवधाय च घटाधािदाििनयोगकम॥् ३४॥
ृ तममृत ं घटम।्
म े साारोपते ं का
िवभृयादिभिष ु
े जायराय॥
े ३५॥
ु ं े े
कपरागसबािदोषिखलशाय।
े े
अिभिषदशषािशा ै िस ै च सदा॥ ३६॥
--------------------------------------------
ीिवातायखड पारसकं
िबिवसगाा ु े िवसजनीयन
ं अनारण े च सहित
े शषः।
े
ु ं अम े पटले ाकिमािदना
पामृताज
ं ु ं
ूोामृतारपकसिहतमज।
सिऽशोकोरान
आनालमय ं आामृतारसिहतनाल।
ं
े ं अऽ शः पऽ े समितः
पऽकशरकिणक
इतरयोिपत योः। ितीयतृतीयारसिहत ं पऽ ं
ु तारसिहतकशर
चतथामृ े ं
चः समाहार।े
पमामृतारसिहतकिणकिमथः।
े ु ृ ्
े घटाधात घटाधःान।
तनाजिमाकत। े म े
सवमकोतातयखडोदर े साारोपते ं
साधकसाकमपते ं का
ृ तममृतघटं अमृतघटस
ं ं
त ं कथः।
ृ े ु े भतल
अयमऽ िवरचनाबमः। ससम ू े
े व
अभीमानॅमण ृ ं का े
ृ तिहरकालमान
ु े च व
ृ ं
े ूादिणोदसमारालं
ृ तदम
का
ू
ििसऽाालनाव कोािन िना तषे ु कोणकोचतय
ु े
ु े तितीयखडं तत ्
ौीिवाूथमडं तिोचतय
सवमको े ताय ं खडं साधकसाकमपते ं
े ् तत ूागत
चािलत। ् ु ु
कोम े चतरलमानन
े
ूावयोररालवीोः
ृ ृ तषे ु सस ु
समारालं सधा का
कोषे ु ौीिवातायखड पारसकं ूागािद
्
ूादियबमात िविल ्
तत ूागतकोम ु ु
े चतरलमानन
े
् ु
ूागत कमखु ं का ु े ु ं पज ं
ृ तटमखऽधोमख
ु
ू ु ं पज ं चािल तदजयोः
घटाधः ान े तमख
बमााले ज ं जः इरय ं तयोः पऽ े ऊं जः ऊं ठः
--------------------------------------------
p. 649) ु े
अपमृमहारोगयापारशाय।
े
िऽवषमिभषक ु
ु काऽय े तथा॥ ३७॥
े ु सखी
सशिविनमः ु वषशत ु
ं भिव।
आरोयो िवजयी िववो भवित मानवः॥ ३८॥
ु ं नामािल त ु साधकः।
तायिवापिटत
ऊिकादौ वहत ्
े ससद े िरशाय॥
े ४०॥
--------------------------------------------
ु ं तयोः कशरान
इरचतय े े व ं वः इरय ं तयोः
किणकाया े ् एतदमृतघटाकं
ं स ं सः इरयािलखत।
य ं भवतीित। जष ु िऽिित शषः।
े अिखलशाय े
ू
इऽािखलशने बरदशागोचरादय
े उ।े चः समाहार।े
महारोगशने वातारोगा उ।े िऽवषिमसयोग
ं े
ु े े तथा ितीयपटलोािभषकूकारण।
ितीया। तिवशष। े े िवजयी
ु
ू यािदिित
वादत शषः। ु रजत े ताॆ े तषे ु िऽतम े
े सवण
पे इथः। ू
िसिलं मधिमयिलाभत।
ू ं
े एतं भवित
ौिे कलशागत।
ु े
सवणरजतताॆतमािधकरण े तदमृतघटय ं य ं
ु ृ तत ्
ृ ूाणूितािदकं का
िवधाय गिलकीक
िसमयिलािनधाय तिं कलशम े सा
ं
ु ं शरावण
े ू तलशमख
तलश ं ौिणापय ्
े िपधाय तत िचत ्
ं
सा तपिर मृीठं िवधाय तऽ ूोिवधानने
ं दव
ािभमतफलप ु
े सपिरवाराम पनः
्
े तत ौिािदक
ूोफलिसौ सा ं उा मित े
ं िवसजयिदित
॥ ३९॥
े
तायािदना े
ोकनोिमकािदष ु सवरािवधानमपिदशित।
ु
ु ं ौीिवाया इित शषः।
तऽ तायिवापिटत े नाम
साधकसाकणा। ु े े ऊिमकादािवऽािदशः
ं तिवशष।
े ू
कयरािदिवषयः। एतं भवित। कनकमय े पे
ु
ौीिवातायखडमनलोमूितलोममो े ं े रफो
ं रफाशन े
ं े मायाश
मायाशन ं ु
यथा पिटतो भवित तथा तथािल
ं े साधकं
तायाश
--------------------------------------------
p. 650) ृ
काँमिन तथा य ं तडागािदष ु मतः।
ापयऽ ु ् ४१॥
े य े ाता नराः ःु सिखनोऽिनशम॥
ू
ूादिणोद सऽैरिभराहत ैः।
े
कोाकोनपाशष े ् ४२॥
े ु कोणषे ु माजयत॥
ु
चतिवशितकोािन शषष ्
े े ु िविलखते बमात।्
े
िवकतिकोणािन ् े
ूागारात ूवशतः॥ ४३॥
े ु े ्
ताय च भदोचतिशितमािलखत।
े
िवलोमनाथ ्
म े तत ससा े ् ४४॥
ं समािलखत॥
े ु
िसवळािभध ं य ं अशषशभदायकम।्
्
े ं े सा ं तयोरराले ूावत कम
तिफाश
ू ू ं का
चािलोिमकाभषणाभत ्
ृ ूाणान ूिता
्
सम तारणात ूोफलिसिभािगित॥ ४०॥
ृ े
कािदना े तघटाय तडागािदष ु
ोकनामृ
े
ापन ं तलोपिदशित। तऽ तथा ूोूकारण।
ू
तडागािदिऽािदशो नदीकपािदिवषयः। मतः म े
ु ४१॥
यऽािधिततडागािदष॥
ूािगािदिभतन
े इनै विभः ोकै ः
ं तयोगाःलािन
िसवळयिनमाण ं च
ु
तवनसिहतमपिदशित। तऽ तषे ु कोषे ु कोणषे ु चतिित
ु शषः।
े
े
माजयिद ु ु
चतिवशितकोानीरऽायः।
ु
चतिवशितकोािन ूितकोण ं कोषं षं
सयथः। े े ु कोषे ु िनारण
ू े शषष े समी। िविलखिद
े
े
िऽकोणानीननायः। े सय
एकतः कोतः इित शषः। ु
ू चतिभः
्
। ूागारात ूािकोणारात।् ूवशतः
े े े यावत।्
ूवशगित
े ु
ताय ौीिवातायखड भदोचतिवशित ं
ं
पिऽशपटलवमाणूकारण। ु
े चतररािका
े ु ं
भदोचतिवशितसाता िवाः। िवलोमने
्
अूादिया े को।े तत ौीिवातायखड ं
े ं िसवळािभध ं
ससा ं साधकसा कमपत।
ं ं अयमऽ िवरचनाबमः।
िसवळस।
ू े ैकोनपाशत ्
ूादिणोदसमारालासऽाालनन
--------------------------------------------
ू े तऽ वै।
ूितमास पणायामिभिष
् ु
ापिया घटं ूावत समादयाय वै॥ ४७॥
ु
पऽा ै काकावा ै वरा ै कका तथा।
ु
धराधनपशूा ृ ् ४८॥
ै नरनारीनपािदनाम॥
ं
वँयायािवसिस े े
ै वाि ै गहिसय।
्
धारयते िसवळ ु समषे ु ूिसय॥
े ४९॥
ु
े वामना।
लिलतािवया िवामा ं यण
् ं वि
यमत सम ू े
े योऽसौ ाढचतनः॥ ५०॥
ू
ूादिणोद सऽायादश े ्
िपत।
त ैऽ कोािन तथा नवाशीितशतयम॥् ५१॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
ं
षिशिवळ ु िकोणकम॥् ५२॥
े त ु चतिभिद
िवधाय ूाविहात ् े
ूादियूवशतः।
े े ु िविलखतः॥
िविलखितीयाभदा े ५३॥
--------------------------------------------
ू
तऽ त ैः सऽैः। तऽ य।े तथा जायत।े नवाशीितशतय ं
एकोननविधकं शतय।ं तषे ु कोषे ु िनारण
े समी।
ं े
कोानी षिशिदननायः। ू
पववळाकारं यथा
े षिशत
भवित तथथः। ं ्
ूितकोण ू
ं सय
ु ं ं िशवळ े
चतािरशदिधकशतसानीथः।
ं ं
िशपचािरशदिधकशतसकोाक ु े े
े वळ।े तिवशष।
ु कोैः ूितिदशिमथः।
चतिभः िदिकोणकं ूितिदशमक
े ं
े
िऽकोण।ं िवधाय ू
िदिकोणकिमित पवऽायः।
ूाविहमात ्
ूाा ू ं
ं िदिश विहभतपिमकोात ्
ूािकोण ं ततपिकोपक
ू ं े
े ूादियूवशतः
मकोादारथः। े
े
ूदियूवशगा। े ्
तितीया भदात
ौीिवातायखड
ं े ्
पिऽशपटलूोपारोभदात
ं ु ं
िवशरशतसातान।् तिवशष।
ु े े ततः अनर।ं चः समाहारे
ु ं
े ससा ं साधकसाकय।
। तायखडिमित शषः।
े
मतः तळय। तथा अनरोकवमाणबमण।
नवस ु िशषे ु कोष।
े ु िऽशः
ं िऽरावा।
ृ दऽय े
ु े
दिणभागकोऽय।े म े मकोऽय।े तथा समय।
ू ं सा े तृतीयकं मऽय े
वामऽय े ितीय ं कट
ू े
पववतृ ू ं ससाािदकं िलखिदतथः।
तीयकट े ु े े
तिवशष।
अय ं अऽ यिवरचनाबमः।
ू
ूादिणोदसमारालाादशाादशसऽाालना
े ु
दकोननवरशतयकोािन े ु
िना तषूितकोण ं षिशत
ं ्
ं
षिशतकोबमण ू
े सय
ु ं
चतािरशदिधकशतकोािनिशम े वळाकारं यथा
तथा माजिया ु िशवळाकारे
पनः
ं
पचािरशदिधकशतकोाके ूितिदश ं विहरकिऽबमण
े े
ु े कोचतयन
ू कोचतयन
सय ु े ैकै कं
--------------------------------------------
फलािन सवयाणा े
ं पटलऽिन ् ु िूय॥
ण े ५६॥
े ्
े ु य य यत फलम।
तऽऽितष ्
् े च॥ ५७॥
े े कं योजयते सवमव
ूों तदषामकै
तनाऽ
े यिनाणमानमवोत
े े मया।
फलािन वायावाोयाामयोजन ैः॥ ५८॥
ृ
अतः फलािन ताणािमह नोािन कशः।
सवदा
सव ृ ् ५९॥
सवसमीिहतफलािकत॥
ं
ूादिणोदषिशा समाहत ैः।
ू कोािन जाय े षत ं पिवशित॥
सऽैः ं ६०॥
--------------------------------------------
िऽकोण ं का ं े ु
ृ ति ैकोनिऽशरशतकोष
ं
ूागतपिकोपके मकोमार
् ं ु
े िवशरशतपान
ौीिवातायखड ितीयभदात ्
े
ूादियूवशगा िविल िशमकोषे ु नवस ु
ं
दिणपिकोऽय े ौीिवाूथमखडं
ं
वामपिकोऽय े मखडं मपिकोऽय
ं े
ु े तायखडािल तायखड े ूावत ्
िदगतिऽकोणचतय
िविल एतत ्
साधक साकािण
ु
कोवळयमिविनयोगादिभमतिसिदिमित। िूय े इित
े ु
दवीसिः॥ ५६॥
त े इािदिभरािकिद
ृ े
िै िभः ोकै रतटलोाना ं
याणा ं सवषा े
ं फलाितदशतः पतोपिदशित। तऽ
े ् े तषे ु च। तत फल।
े ु अिन त
तितष ् ं एषा ं अिन ्
े ु
ं तने हतना
पटले ूोाना ं याणा ं एकै क य सवफल।
्
े नामयोजन ैः सासाधककयोजन
अऽ अिन पटल। ैः। अतः अात ्
। इह पटल।े सव य॥
ं ५९॥
ूािगािदिभिदत ैः इ
ै योदशिभः
ोकै वळिलािभधानयिनमाणिवधानमिन ्
--------------------------------------------
ु
िश े चतिभॐ ू ् ६१॥
िवदाि ु पववत॥
े ्
तषे ु तायिवा ु समाा ं ूावदािलखत।
िशषे ु सनवित िशत े मतथा॥ ६२॥
सवमको
पायोभयोरिप।
् च समीक
कोािन ऽीिण ितक ृ तयोथा॥ ६३॥
ु
े े त ु समीकातथा।
उपध
ु ैकधा॥ ६४॥
तयोरधो च तथा े े कादथ
--------------------------------------------
ु
पटले ूोयाणामनभावोपिदशित। तऽ षत ं
ं
पिवशित ं
पिवशिधकं षतिमित यावत।् तषे ु कोषे ु
िश े
असित कोािन ूितकोणिमथः।
ू ्
ु कोैः। पववत
ऽयोदशािधकशतऽयकोप े वळ।े चतिभः
े े तषे ु चतषु ु अॐष।
एकिऽबमणथः। े ु तःु समय।
ु े ससाा ं
ं े ु
े ं ूावथा मायाविमाशष
साधकसाकमपता।
बमािदित यावत।् िशषे ु कोष।
े ु सवमको
े ् पि
पिमाकादशाकितक ं ं े ु
एकिवशितकोष
ं समीक
मको। ितदिणोर। ृ एकीक।
ृ तयोः
ृ
एकीकतकोयोः। तथा ूावयोः। तथा यथािधानिपिडके
भवतः। े े को े ितिगित े एतं भवित पिमािद
शषः।
ं एकै कं
ादशदशमपोकोोभयपायोः
ु तदरकोयो(पऽ
मा ृ े
)वयोमाजयिदित। ततः अनर।ं
तथा ूावत।् तयोः एकीकतकोयोः।
ृ अधो िदादध
जिमित यावत।् चः समाहार।े तथा उभयपायोः।
एतं
ं
भवित नवमऽयोदशपोकोोभयपायोः
कोयोय ु तदरकोयोय
ं य ं मा ं य ं
े
माजयिदित। ू े ृ
तदधोपिर अनरपवमकीकतयोः
ु ं
कोयोरधोपिर च। तथामचतदशपदशपिष ु
कोाना ं ऽय ं
तकोयोपायोः
े े ु े े उपिरतनकोयमाजन ं
े तिवशश।
कवलितमखामाजनन।
े ू एव ितिगथः।
कवलमत एकै क य ं य ं
यथाबमतः।
--------------------------------------------
ततो माला तपिरपायो े ्
ूमाजयत।
दशखडािन िश ै ु म े िलो भवथा॥
े ६६॥
े वै।
एव ं िलः समाातािरशिरव
ं
िशािन कोवळािण िशत ं दश प च॥ ६७॥
ु
ाकिवशितयमकम।
िल पायोमृ े ं ्
े ् ६८॥
त िल मपा ं तायमािलखत॥
--------------------------------------------
ु
एतं भवित अमचतशपदशपिष
ं ु
कोाना ं ऽय ं ऽय ं
तकोोभयपायोः
ु तदनरमकमक
मा े
े े कों माजयिदित। ु
पनो
ू े ृ ं ू ं े े े े े
पवमकीकतकोपिषपिरतनपामकमवथः।
को े अःूथममािजत को। तथा ितिगथः।
ततः
िलपकोनवकथः।
अनर।ं उपिरपायोः े
े
दशखडािन रखािभः ् े रखा
खडनात खडशन े उत े
ताशिभः खडैः नवकोािन भवीित। दशडमाजनात ्
े ृ िश ैनविभः
नवकोाकीकतानीथः। ु े े
कोैः। तिवशष।
म े एकीकतखडदशक।
ृ े ू
े पवऽ
तथा इ माजयिदनन
े ् तथा नवकोािन
ं भवत।
सः यथा म े िश ैिल
े ु
मालावदकीकािदथः। ु
एवमपण
े चािरशिः
ं
िशािन
अिधानमिपिडकािलगत ैः कोैिरथः।
े ृ
िलाकीकतािन ु े िशत ं दश प च
च कोािन मथः।
े ं
अऽ चकार समाहाराथादकसािधकं (स) ोतयतीित
्
सदायः। तात षोडशािधक
ं शतयिमथः।
पायोपिर े मृािन एकीकतािन
चथः। ृ कोािन
ं ु ं एकन
एकिवशितयमक ं ु ं एकचािरशिदथः।
े िवशितयम ं
ू ं
ं ं दशकोािकाया ं ताय ं कट।
मपा
ऊाधःबमात
ऊािद ्
िताया ं अ पािमऽायः।
ं
सवम
े अिधानिपिडकयोमको।
े ससाधक
ू सवऽ
साधकसाकमपते ं ूािलिखततायकटिमथः।
यमाऽ।े िलपषे ु
--------------------------------------------
े
िवाितीयभदो े ्
ं तिशशतमािलखत।
ं
ेे
िशऽ यजवीमावा पिरवारकै ः॥ ७१॥
--------------------------------------------
ू ं ितीयकट
ूथमकट ू तिणकोऽय े वामकोऽय े
च बमािदित यावत।् ूावदारतः कोवळयवत।्
ूाॐागत पा
ं मकोमार तथा
े े यावत।् तिदित वासनापटले वमाण ं
ूादियूवशगित
ू
सचयित। ं
िवशशत ु ं शतिमथः।
ं िवशर
ं िशः
पायतः तऽ वळिलय।े अयमऽ िवरचनाबमः।
ूादिणोद समारालं षिशित
ं ं
षिशित
ू
सऽाालनात ् ं
पिवशिधकषतकोािन िना तषे ु
ू
े सय
ूितकोणमससितको ं बमण
ादशािधकशतऽयकोािन िश ं वळाकारं यथा तथा
माजिया ु िशवळाकारे ऽयोदशािधकशतऽयकोाके
पनः
े े सय
ूितिदशमकिऽकबमण ु े ैकै कं िऽकोण ं
ू कोचतयन
का ्
ृ तषे ु तायिवा ं ूावत साधकसाकमपता
े ं आिल
तिसनविधकशतयकोषे ु
े ं ं
पिमादकादशाकसमपा
तवमको ू े
ितमपण
दिणवामपायोः
ू गतपिमािदादशपिप
कोऽय ं यमाधो ं े
कोय ं कोय ं
तकोोभयपायोः
ु ितमपण
मा ् ं य ं
ू े ूावत य
ु ं
पिमामचतदशपदशपिऽय े
ु
कोऽय ं ऽय ं मा
तकोोभयपायोः
ु ैकीकतकोास
े े ं कों पन
कमक ृ ु
ं ू ं े ू े
पिषपिरतनपदशपामवोभयपायोिमपण
े
कोय ं कोय ं तत मालाबमण
िलपकोनवकोभयपायोपिर े े
च दशरखामाजनन
ं े ु
नवकोाादशपिकोष
ू ैकचािरशत
मकोपक सय ं ्
कोािन म
ं
चािरशिः े िशािन
ं ं विहवळ
कोैः सािधानिल
षोडशािधकशतयकोािन
--------------------------------------------
p. 657) े े ु ूोष
ापयििनयोगष े ु परमिर।
े
ु े य ैरत
नासामि भवन
े ैमयोिदत ैः॥ ७२॥
ं ृ पायोः
एकािदयसवा ्
कोवनम।
ं
एकोनिवशकोा ं का
ृ िलं तथोपिर॥ ७३॥
ं े वै।
ृ ूातः ूावािरशिरव
का
तषे ु मलािदपिरतो
ू ् ् ७४॥
मा ं िवसते बमात॥
--------------------------------------------
च यथा तथा माजिया ं
तिचािरशत ्
ं
कोमगतोाधःबमपपिकोदशके
ु े
ौीिवातायखडमूकारणािल
त सवमको े
े
िलिखततातयिवाखोदर े साधकं सा ं क च िपिडकोपिर
नवकोाके दिणपाकोऽय े ौीिवायाः
ू ं वामपाकोऽय
ूथमकट ू
े ितीयकट ू
सय
षोडशस ु कोषे ु िविल पिरिश ं िलगतकोचतिवशा
ु
सिहतषे ु चािरशदिधकशतयकोष
ं े ु
ं मकोमार
ूाॐागतपा
े
ूादियूवशगा तातयिवा
े ं े
ितीयभदोिवशिधकशतऽयिारमािलखिदित। े
परमरीित
े ु
दवीसिः॥ ७२॥
एकादीािदिभािमरै िभः ोकै
े
मिलिनमाणिवधान ्
ं तत ूयोगा ं लािन चोपिदशित। तऽ
ं ृ एककोािद ूितपिक
एकािदयसवा ं ं
कोयकोयवनन ु इित शषः।
े उपपिर े
ं
एकोनिवशकोा ं एव ं
ं एकोनिवशसकोप
ं ं
ं े ं
ृ दशमपामकोनिवशितकोािन
बमािभवा भवि
तदवधीथः। ्
ूावत वळिलोबमण।
े मतः
ं ु े े चः समय
सवमपिमगतसकोानसारणथः। ु े
ं
। चािरशिः एवावधारण।े तषे ु कोष।
कोैिरथः। े ु
ू
मलािद
सवाधःितूथमकोािद। पिरतः
ं ं ूादियन।
अिधानोपिरतनपिप े मा ं
ू ं
मलािदसापिमकोा े
ं िवसिदऽोरोके िवा
् े
इनने सः। तथा बमात ूवशगा ं
िवशशत ं
ं
िवशिधकशत। ु
ं िूय े इित दवीसिः।
े िल
ं तदधोगतकोषे ु
मकोा ं िलमकोप
ू
सवषबमात ्
िव तद े तिमकोािमित यावत।्
--------------------------------------------
p. 658) े
िवाितीयभदोा ं
िवा िवशशत ं िूय।े
े ् ७५॥
िल मकोा ं िश ं कोणषे ु सिलखत॥
ं
ु
िवधाय चतरॐ ु सऽयिनपातनात।
ू ्
े ् ७६॥
े तदावं तोपिर समािलखत॥
सववा
ं
पिशः सकोषे ु पायादथाणकान।
्
िनापायजिनत
े पायोदवामयोः॥ ७७॥
--------------------------------------------
ु ं कोणषे ु वमाणचतरॐकोणष
िश ं िवाचतय ु े ु
ु ं चतरॐ
े िवधाय चतरॐ
वायािदिनऋिमित शषः। ु ं
ु े े सऽयिनपातनात
े तिवशष।
िवधायथः। ू ्
े े सववा
ूितिदशमविहिवभागनथः। े उप वा।े
े
तदावं ूथमकोाधोरखास। ु
ं त चतरॐ उपिर
े इित शषः।
उभयोम े समािलखिदोरऽ
े े
पयायादीिननन
सः। सकोषे ु चतरॐूाचीनवीिथसकोष।
ु े ु
पायादीिनऽािदशो ु
यगघिटकाणिदनिनािदिवषयः।
अणकान ्
िनपायजिनत
वणािनथः। े िव।े म े सकोषे ु
म।े तःु समय। े िलाममात ्
ु े ूोबमण
ं े अिभतः ूादियन।
िलामपिमकोमारथः। े
ु
िपिडकाया ं च तदधःितकोाना ं ूागवे िविनयात।्
ं े
सिलखिदोरोके िवा इनने सः। तथा ूवशगा।
े
े
ृ ै ं मिल
कव े
ं मिलं कथः।
ृ े ु े े
तिवशष।
ु ं कों िवधाय
े ं चतरॐ
अयमऽिवरचनाबमः ूथममक
ु ूितपामकै
तपभयपायोः ्
े कबमात सय
ू
ं ं कोयािभवा
ूितपिक ृ
ू ं े ं
सवमलािददशमपामकोनिवशित ृ
कोािन यथा तथा का
् ं ु
तत दशमपामभयऽ ु
षट ् षट ् कोािन मा
ु े तपिर ूावािरशिः
तकोसकानसारण ं
कोैः सािधानिपिडकं िलं
े
तिहदमगतदिणोररखया
े
ूथमकोाधःदिणोररखया च स
ं े ं दिणोरमकैे कं सऽू ं
ािवशितकोूमाणोपत
ु ं े
पनभयपायोदशमपविहरकोूमाणूद े
ं े ं ूागकैे कं सऽू ं
सािहािवशितकोूमाणोपत
ू
तिहः पिरतऽामाविधक ू
सयािभः ू
सऽैः
ु
पिरतः समचतरॐय ं ूितकोणमकैे ककोोपते ं यथा तथा
े
िवधाय तऽ ूावितीयभदो ं िवशिधकशतिवाप
ं ं
--------------------------------------------
p. 659) ु
म े यगोदयाण ्
त ु िलखते ूोबमण
े वै।
ं े ् ७८॥
िलाममादिभतः िपिडकाया सिलखत॥
े ु
िवाः ूथमभदोातिवशितकाथा।
े
ृ ै ं मिल
कव े ् ७९॥
ु य ं तऽैव ता ं िलखत॥
ु े
ममवाितूा ै जयारोयायराय।
्
पटादौ तत समािल ू े
पजयिश ताम॥् ८०॥
ं ू
ूादिणोदस ैकिवशितसऽतः।
ु
चतःशतािन ु
कोािन भवि ससमािन वै॥ ८१॥
--------------------------------------------
ू ं
मलकोमारािधानोपिरतनपविध
ं े ु ूादियूवशगा
पदशोरशतसकोष े
तकोा ं ूावरण ं
ं ं ं ु े
षिशदािवशितिवशितचतशदशषडकबमादावरणसप ्
तके च तदनरमक
े ं िलािधानिपिडकारालमको े च
ु ं विहतरॐकोणचतय
ततः पिरिशिवाचतय ु ु े
ू िवशिधक
वायािदन ैऋमकैे कबमा ैव ं सय ं ं
ु
शत ं िवा िवानरं तििपिडकाकोचतिवशे
ं
िलामपिमकोमार िपिडकाधः
ं ं ूादियूवशगा
पिप े ु
मबम ं
ु े ं ु
तायिवाचतररभदातिवशितमािलानरं
ु
विहतरॐ ूाचीनवीथ समाराला ं सधा िवभ तषे ु
सस ु कोषे ु पिशो
ं
वामपाकोऽय े बमात ्
पायिनािवारऽय
ं दिणपाकोऽय े
ु
िदनिनािवारऽय ं मको े यगाणसिहत
ं घिटकाण
े
िवसिदित। तऽ य।े एवावधारण।े ता ं लिलता ं सपिरवारा।ं
पटादािवऽािदशः कनकरजतताॆाँमािदिवषयः। तं
ु ं ता ं लिलता ं ूावत॥् ८०॥
िनशैः अनिदन।
ूािगािदिभः इदा इःै षिः
ु
ोकै महािलयिनमाणिवधानािदकमपिदशित। ु
तऽ ससमािन
आयामिवारवैषाभावात।् त कोसमदायप।
ु
एकपााधोभाग े अधः पामकिन
ं े ् ततः ताः
पा।
ं े चः समय।
पिरथः। ु
ु े उपिर उपयपरीित यावत।्
े े
षकमकादशाविध
ं
षानवदशैकादशसावधीित यावत।् माजयत
े ्
कोानीथः
--------------------------------------------
p. 660)
त ैकपााधोभाग े ्
े प कोािन माजयत।
े े े
ततोपिर षवमकादशाविध॥ ८२॥
े
माजयपिरा त ैव ूितलोमकम।्
तथा कात ्
ु पायो े े ८३॥
तनािधानिपिडक॥
भवतोपिरा ु पिवशितकोकै
ं ः।
िलमािन पामाजनावित े ८४॥
िूय॥
--------------------------------------------
्
उपिरात अमािदष ु ष पििित
ं ु े त
े चः समय।
शषः।
पषडािदबम। एवावधारण।े ूितलोमकं
ु ्
तथा कात
दशािदपकाबमािदथः।
यथािधानिपिडके षा षा कोैऽ लन
े े
ं े ं
वमाणिवशिधकशतिवाभदसमसको े भवतः।
े
पामनािधानिपिडके भवतः। यने बमण
े
माजनादिधानिपिडके भवतः। तने बमण ्
े तदत पा
े
माजयिदित। ु े उपिरायोदशपिरथः।
चः समय ं े ु े े
तिवशष।
ं
पिवशितकोकै ः िलं अोरऽ भवतीऽायः। अािन
िलपािण तािन कोािन पामाजनात ्
ु
िूय े इित दवीसिः।
पाकोमाजनादविशानीथः। े
े
तितीयिवभदजाः िले पिवशितकोाक
िवा इथः। ं े
े
ूथमभदोा े शषः।
तायित े त े िलम े
्
को।े वाित ं ूावत साािदक।
ं म े
अिधानिपिडकयोररालकोऽय।े तिनजा ं
ूाविाूाििदनजा ं ूयोगिदनजा ं वा। अनघ े इित
े ु
दवीसिः। तऽ य।े अयमऽ िवरचनाबमः।
े ं े ं ू
ूादिणोदसमारालमकिवशकिवशितसऽालन ्
ु
आतःशतािन ं े
कोािन िना तदधःपामकपा
पकोािन तिवे पा ितीयािदसमपविध
ं
षानवदशैकादशकोािण च माजिया ु े
पनिव
पा अमािदऽयोदशापिष
ं े
ु े पा
दशनवासषकोािन पनिव
ु
चतदशाादशा ं
पिपके दशदश कोािन
े ं ं
तपिरगतमकोनिवशिवशाकं पिय
ं े ्
ं च माजयत।
--------------------------------------------
ृ े पिरतो िलखा
एव ं कतऽ ं ं शतम।्
े िवशता
िशमिऽकोण े त ु िलखाितमानः॥
े ८८॥
--------------------------------------------
े पिरतः अमािदूादियन।
योिनचब। े ताः ितीयभदजा
े िवाः। तःु
ु े अयमऽ िवरचनाबमः ािभमख
समय। ु ं समिऽरखािका
े ं
ु
योिनमविा े
तिखाऽय
ं दशिभदशिभिै
ः
े
समारालमकादशधा े े ु िचािं
िवभ तिखािचष
ू ु ु
तऽानगयाद ् यथा ममभद
े ं सय
ू
ं ू े ं
िऽशऽाालनादकिवशिधकशतयोाकं चबं
े
िवधाय तोिनमािदूादियूवशगा
तायिवाितीयभदान ्
े िशमयोा ं वाित
े
िवसिदित।
े ता ं लिलता ं िवा ं सपिरवारािमथः।
तऽ योिनचब।
े ु
ूाविविनयोगष।
--------------------------------------------
p. 662) तऽ तामयत ्
े ूावत ् े तथा तथा।
ापय
े
तऽ मवाोित ु
योिनचबानभावतः॥ ८९॥
ू ं माजिया
ितऽ ू
पाथािभतः।
े
ूवशगा े ु
िविलखातिशित ं बमात॥् ९१॥
े
िविल िशवळ ं िविलखिजवाितम।्
ू े े पणािाथिसय॥
तऽ ता ं पजयव ू े ९२॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 663)
तथा िवधाय दशिभशिभः ू
सऽपातन ैः।
े िविलखथा
ितीयभदाः े सासमिताः॥ ९३॥
ू
तऽािप पजना ै ु िसयः
े ु िनजवािताः।
े ् ९४॥
ू ं तृतीयोिवािभरिप कयत॥
एवम
े वाितसिसीः
तिप ं ु ु े सिनितम।
करव ु ्
े
कोयिवभदािन ण ु व े यथािविध॥ ९५॥
--------------------------------------------
े
तथािदना ु े े ोकयने
सिनितिमनाान
े ू
महावळवळािभधान ं यमवमपरतोय ं
यिनाणिवधानािदकोपिदशित। तऽ तथा िवधाय
े िवाः। तथा
ूागोसत ं ॐयोिन ं िवधाय। ितीयभदाः
िशम।े अयमऽ िवरचनाबमः। ूावदोसत ं
ॐयोिनचबं िवधाय त े
ू े ं
ूावशसऽाालनादकिवशिधकशतवळकोािन
े
िना ूाॐमार ूादियूवशगा
िवाितीयभदान ्
े िशम े वाितािलखिदित।
े तऽ
ू
महावळवळय।े पजना ैिरऽाशः ापनािदिवषयः।
ु े तृतीयोिवािभः
एवमूकारण।
े
तायिवातृतीयभदिवािभः। ऊहनूकारे क
े ं
ु े िलत।े ूावॐ ं योिनचबं िवधाय
यमदाहरणन
ते
ं ं ू े ं
षिशितषिशितसऽाालनादकोनिऽशदिधकसशत ं
े
वळकोािन िवधाय तऽ ूागतािदूादियूवशगा
वासनापटले वमाणतायिवातृतीयभदान ् ं
े िवशिधकं
सशत ं पिरिशषे ु पननवस
ु ु कोषे ु िऽिऽकोबमण
े
ू
ौीिवाकटऽय ं मतायकट ्
ू े ूावत मनीिषत ंच
े
िवसिदित। एव ं कोवळािदिप ऊकोािन पिरक
्
े िवषमान
िवाभदान ् े ् त े ऊ पिरकिता यभदाः।
सत। े
े ९४॥
एवावधारण॥
ैः पिभः
कोािदिभरागम े इरै ा
ु े ु
ोकै िवषमसमकोचतरॐचबष
ं ं
पिमनीिषतसमानािल
ु ं ू े
तदनपसिवाकटलखनादनािन यायमीषा ं
ं तारोोपिदशित। तऽ यथािवधीनने कोषे ु
सवषा
ं े
िववितसाकलखन तारों ोतयित।
नवषोडशकोािद नवकों षोडशकों
े यावत।् स
षोडशकोचबं चारित
ू ू
पवपवचबवा े पिरतः। िवषम ं
ं
िवषमसकोाक ु ं सम ं
ं चतरॐ।
--------------------------------------------
--------------------------------------------
ं
समसकोाक ु ं तषे ु चबष।
ं चतरॐ। े ु सम ं
ं ं का
समस तितत
ृ तारोबमािदथः। े ् ं
े पािवित
पवऽ ु
ू समािलखिदरऽ ं ितषे ु
े तने पौ
चाित।
े े ं तषे ु िवाभदान
कोिक ्
े समािलखिदः।
े े ं
तषा
ु े
कोाना।ं मकोतः िवषमको े चतरॐ
समको ु े मकोचतय
े समको े चतरॐ ु े च।
े
सवसिभरसााभावात।् अयमऽ िवरचना बमः।
ु ू
ूादिणोदचतःपसऽाालना
बमावकोाकं षोडशकोाकं चबं िवषम ं
सम िवधाय तिरतयो
ूितिदशमकैे कपिवनबमात
ं ् ू
सय
ं ु ं ु े
पिचतयपिचतयवनन
ं ु
िवषमसमसकोाकसमचतरॐािण चबािण
ु ु ं िचं िना तषे ु ूितपिकं कोषे ु
ािभमतानगण
ं ं े
वाितसािदवाितसािदबमण
ं ं ं
यदााधःपिबमाियिबमाििवधपिकोण
ं
बमा समसमािल ु ु ं
तोषे ु तदानगण
े े े े
तायिवाभदकमकमािल म े िनजवाित ं चािलखिदित।
े
े
अऽााना ं लखनबमाितरहोिप ं
पारपािविथ
ौीनाथपादाया यथासदाय ं िविलत।े अऽ
े
िवषमभिालखनबम े
े अोक।
िवषम े िविलखि ु
े े भजमात ्
दिणात।्
ु ु वा॥
े ) नजारै
इािदोरैरै (रकै
कोािन परयन ्
ू े मिगा े
पतित चिहः।
ूितराशको े ्
े े िलखदमनरम॥
ं
िधाािल कोाः सा ू
पववामतः। इित।
ु
अऽ िवषमभिािदलणमरऽ वित। िवषम े भिे
ू
ऊाधोपतिमपत िवषम े को े पिकित
ं े
ु ु
े भजमात
समचतरॐचब। ्
दिणात ्
ं े ु
सवदिणपापिकाष
सवमकोादाराान ् े
िलखिदित। इािदारैः
ु
पिरकितयोिरमादौ िविल ततः ूितकोमरािधकै
ु ु वा
(िभध)ै ैरै धनजारै
ं
अभीसाधनो ैरारै ं ु े
ु वा एकपिधनसमदायन
ु
आरानयन ु रै वथः।
ं वित। तदारै
--------------------------------------------
p. 665) े ं ु ु
िवातृतीयभदोादानगयतः।
ं
मनीिषत सिल े ं मकोतः॥ ९७॥
तषा
ैः कित ैथा।
िवदााित ं स त ैय
े ् ९८॥
वँयाकषणिवषनोाटनािदकम॥
--------------------------------------------
ू े
काािन परयिद े
अै िरननायः। मिगा
ू ं ं ू
पविलिखतपिकोानरानरदिणपामतः
े
सिचवगितकोऽनरमनरम े पतित चिहः
ं िलखिदथः। े
ं
सदिणपिको े सव पिको
ं
े चािलिखत े सतीथः।
िधापीािद मिगा च। ूितरािशगा ल े ान े सित
े ू ं िलिखतको वामको े
लखनीयमनरमपवक
े एतं भवित िवषमभिे
िलखिदथः।
ं
िनजसवदिणपिमको े आमं िव
ं सववामकोो
ितौ को े ितीयमं
पिमको
सवाधः ं े तृतीय ं ताम े चतथु पात ्
सिचवगा चािल उपिरतनकोकै ्
े े कमिन िलिखत े सित
अनरमं तितरािशदिणको े िविल ततः सिचवगा
े ् एवमभयतोलान
िविलखत। ु ू
े पविलिखतको
् े
वामकोात ूाविलखनात ् सा ं भवतीित।
सवतः
े े चाा
िवषमगभलखन ु
ं ोकचतयम।्
गभ त ु िवषम े वगचत े ्
ु े वळतो िलखत॥
ं ं िऽिभा
वगपि े ्
े े ं िविनिपत।
फलक
े े
शषम ् ्
ं कों ते ूितपिकम॥
ं
ं
आवगयोाधःपिष ु यथाबमम।्
ं
े े िवातगपितः॥
अय ं िवशषो
िऽिभतफल ् बमात।्
ं कों पवू तत कणयोः
े
शषकोािन
कणािदतरतथा॥
े या
ितीयफलशषो ं ं पिमयोः।
ं
े ् समां सवपयः॥
गयोिक ं इित॥
गभ त ु िवषम े िवषमभिचतयसात
अाथः। ु े
िवषमगभः तिन।् वळतो िलखते अिन
् ् ु े अभीमक
गभचतय े ं
ूथम ं स
ं ं तृतीय ं
तोण ं ितीय ं ता
तोण ं चतथु सक
ं ूितवग
ु े
िवषमभिोबमादानमबमाििलखिदथः।
--------------------------------------------
p. 666) ं
वगपिपीािद। एष ु चतवगष
ु ु एकपिसा
ं ं ं
् ं
ल ं फलं िचत सा
िऽिभा
् े यो ं तदा ं फलं सवित।
े े े े फल
भागहारशषदकमतत
ं
तऽ फलसािन ु
काािन ूथमचतथवगयोाधः
ं
पिष ु ूितपि े
ं तिकोबमानितलनन
ं
े अय ं िवशषे इािदनाान
िविदथः। े ैकन
े
कोिवशषः ं
े किथतः। यथा एकवगपिसा
ं ं
ु ृ िऽिभिवभ
िगणीक तलं ितीयस
ं ं भवित।
े ं
शषसा ्
िचत ाता तऽ
ु े े ु े ूागवे
ितीयफलमभयकणकोकानबमण
ं
तिष ु ूथमफलोपासाविशसा
ं ं िचत ्
् े
ाता। तया तावत कमकोितिरकोान ्
ूावत ्
् े ् तितीयािदपािपता
बमात त। े ू
े ं
ितीयफलशषसा यावत ्
ं ं
सामभीपियतृ ू ु पिष
तीयवगयोिमपास ं ु
ं
पिकोबमानितलनन े एव ं कत
े िदथः।
ृ े सवतः
िवषमगभालन
सा ं भवतीथः। ू
े लघपायोकय।
ं
ं
याफलसाता ं पिमार
ं ं
पिशः।
ं
काफलसातः ्
ितग तरम॥्
े
बमाभयकोणा ं कोणावोभयोरतः।
ूावदवगयोः॥
आवगयोः े
ु ू ं
सूथमचतथवगयोिमपपिष
अाथः। ु
ं
ऊपिमधः ं ं वा समार गणिया तावे
पि
ं
पिष ु एकहीनाफलसा
ं ं पि ू
ं ं ितमपताो ं
ं
पिशः े ं
ूावानरमका
ं ु
पिमभयकणकोाविध
ं ू े ् एव ं कत
े त।
तदविशपिषभयकोानानव ृ े
ु ं
ूथमचतथवगयोाधःपिष ु ूितपि
ं
ं े ािन भवि।
ूथमफलसकोाव
ितीयतृतीयवगयोः ु
पवितीयफलशषसापिमिप
े ं ं
े समभिलखन
ितिदथः।
े े अोकः।
सम े भिवतान
े ् ू
ं कान पवम
वना।
े
य ैवैकारणाथ ु
पना ं े ्
च सिलखत॥
तिरा वाािदतजाना। इित॥
षोडशकोाके समभिे
याथः।
वामभागाधःको े आिदममं िव
ितीयितकपौ
ऊािद
तादमागण ं वामतो
् ं
ितीयको े ितीयमं तत पावव
े सवदिणको े तृतीय ं
ृ
ं वामततीयको
साधःपौ े
--------------------------------------------
p. 667) ु
आयरारोयिवजय ू
ं िवभा िसित।
ापनाारणाा ैपाय ैः साधकोिनशम॥् ९९॥
--------------------------------------------
ु िव िवलोमगा
चतथ
ु े ु
सतथािदूथमााोपिरतनोपिरतनकोष
्
पमामाानान िव
ु
तदमािदूथमाोपपलितकोाना
ं गजमागगा
े
तस ु कोषे ु नवमािदिशाकं िविलखिदित।
े
े
समगभिवासऽाोकः।
वै का
समगभिप ्
ृ वगान षोडशिभः पदैः।
ु
ूितवग चतःको ू
े पवबमतो े ्
िलखत॥
चातः॥ इित॥
अािद तिरिस गजमागण
्
कोाकबमात ूावत ्
ूितवग े ु वा।
िलख
ु
े कपाविधन
इाामकै ं
ु
आरानयनूकारः किथतः। यथा
े ं ं
उिामकपिकोसया िवभ तलं
ं
सवपिको े ात।् पिौ
ं ं े
सकमपा ृ
तदक
ं
तया े ् तलमर
िवभजत। ु ं भवित
े
भागहारशषािदभवतीित।
इाािमािदोरं
िलिखतसवभिकै ं ु
े े कपिसमदयाानयन ं किथत।ं
तऽ भिं सव पिकोसाकमपा
अायमथः। ं ं े ु
ं
ृ तया
तदक ं ु
सगण ं
तिािद सयो
े ं ं
तदकपिकोसया ु े ् तलमकपिाः
गणयत। े ं
ु
समदायो भवतीित।
--------------------------------------------
p. 668) े यभदावोाः
इित दा े
सिसिदाः।
अशषे ं दिव
े त े ूों यिसिभधागम॥
े १००॥
--------------------------------------------
े ोकन
इान े िवषमभिािदलण ं किथत।ं ूितवा
ं ं ु ु ं
िऽिऽकोपािदििकोपरचतरॐ
ं ं भवित। ूितवा षट ् षोपािद
िवषमभिस ं
ु ु ं ु ं भिं िवषमगभस
चततःकोःठपर ं ं
ु ु ं ु ु
तततःकोपािदचततो ं ु ं
पर
ं ं चित।
भिं समगभस ू
े अथ मलमाा िलत।े
ू
उाटनािदकं इािदशो िवधनािदिवषयः। िवभािमऽ
ू
आशो भािद े
िवषयः। अ ैरिभषकािदिभः। े
दवीित ु
सिः।
े े शषः।
ूों ूागवित े यिसिभधागम े यिसिस
ं े
े १००॥ ०॥
आगम॥
ं
मसा ं े त ु पटले ाामा उदीिरताः।
ऽयिश
सापादादिधका ु ्
नवित चतःशतम॥
े
ौीचबाािन यािण ूोाकादश बमात।्
उहोानािन तथा कोभवािन च॥
ु ं
चतिशपटलम।्
ु
अथ षोडशिनाना ं िवाकौतिकनािमह।
चमारकर िवा ं वािम ण ु सिर॥
ु १॥
ु ं िऽपटगाड।
िससारत ं मृय ु े
ू नवाान ं नवािकाम॥् २॥
अाढामपणा
े
तत दवीदय ं गौरीिवा लदाम।्
िनऽयूदािमदाियनी मतिनीम॥् ३॥
ु ्
ु ने ततो माया िवयाहवियक।
शिचः
ं
हसजसा ु
े ं योगाितदाहचरकै ः॥ ५॥
--------------------------------------------
ू ं ं े पटले षोडशिनािवािसािन
पवियिश
े ु
वाितूािफलािन लिलतािवायाः पभदसमािन
ु
कािनिचायपिदँयानर ्
े ं लोकचमारकरान ूयोगान
ं तषा ्
िवािभपिदशथ षोडशिनानािमािदना
आवािनोकशतपण ु ं
े चतिशपटलन।
े तऽ अथ
े
षोडशािदिभः े वै इ
बमण ु ोकै ः
ै तिभः
ु
सूावपटलाथानपिदशित। ु
तऽ इह पटले सरीित ु
सिः।
िससारतिमािदना ोकन ु
े िवाकमपिदशित। तऽ
ु
िऽपटगाड ु
े िऽपटािवा े
ं गाडिवा। ततािदना े
ोकन
ं रालीिमन
िवाष। े ्
िवाऽय।ं गोपालभदान
े सधा इित तारबम े वमाणात।् औषधािन
सथः।
ु
सकलभजमिवषहरािण े
ोािकरणािन च॥ ४॥
ु
शिचिरािदना े े ोकयने
िवमहन
ु
िससारतिवापमपिदशित। ु ऐकारः ने िबना
तऽ शिचः
े शषः।
सहित े ततः अनरमरिमित शषः।
े
--------------------------------------------
p. 670) ु हससयदाहवन
पन ं ं ैरिप।
तिवमहा॥ ६॥
समाय ैिदता िवा पाणामृ
े ु
पटलऽिनानामािन िनजिवया।
ु े ७॥
मायया वा िवदा ान ं चाानदीिरत॥
ु ु
ूयोोतः पल ं जिपा कलसरीम।्
--------------------------------------------
े
माया खा। ु ् रफ
िवयाहवियक े ईकारिबसिहतः शकारः
हसजसा
ौीबीजिमथः। ं े ं योगाितदाहचरकै
ू ः
े े एकारिबसिभरनरं
हकारसकारकाररफकाररफ
ु अनरमरं
पन
बीजिमथः।
ं ं
हससयदाहवन ैरिप समाय ैः
हकारसकारहकारयरफ
े औकारिवसजनीयािभः सिभररैः
पम ं बीजिमित यावत।् अमृतिवमहा सिवशितपटल
ं े
ु तरीिवायाः
ूागामृ े ूोानिवमहा। ूयोगिवशषे े
े ६॥
े ूो तऽैवथः॥
ानिवशषः
े
पटलािदना े
ोकनािन ्
पटले ूोाना ं
ु
िवानामानयोः पिरभाषोत।े तऽ अनाना ं
िनजिवया िवया षोढािविभनावीजन
िवानािमथः। े े
ु े े मायया खया
गबमणथः। े
े वा िवक।े आामृतिवमहा
दीघरषिभयथः।
ानिमित यावत।् चः समय। ु
ु े अनदीिरत े ान े इित शषः।
े एतं
ु
भवित अनदीिरत े ान े सित तवताना
े ं
े े े
ानममृतरीानमवित॥ ७॥
ु
पयोॄत इािदिभमहातिम िै िभः
ोकै िवासाधनूकारं िसिवासारतिवया
ु ु
िदूयोगोपिदशित। तऽ पयोोतः ीराहारी। कलसर
ु ु
ाा पदश े पटले ूोकलसरीिवमह
ं ाथः।
े
िसमनःु िसिवः। अनया िससारतिवया। मित ैः
िदाितािभिरित यावत।् तिवशष।
ु े े कका ं अिवियािमित
ु े
यावत।् चः समय।
ु े ता ं का ं ॄयात।
ू ्
--------------------------------------------
p. 671) े ु
गाूवाहवा भारती िनःसरखात।्
आच े च िऽकालानथान पृ् ा महातम॥
ु ् १०॥
े ायया समितम।्
भःू ने ाधराता
् ु े ् ११॥
े िा तत ूितलोममदीरयत॥
पालयित
ु
िवा मृयाासौ ु दा।
दीघरयजा
े
िवयाािन िनयत ं ाान ं िचयिदित॥ १२॥
ु े
आमतृतीयाणनालपसकिणक।
ु ु ् १३॥
ं मौलािबकलायतम॥
समासीन ं सधािा
--------------------------------------------
ोकयित। े
े अऽ िभबमणायः। ू
े ोयािदित।
ोकयित समािहतः
ु
अबिापारािदरिहतः। ु े
ताः कायाः। चः समय।
् ू
िऽकालानथान भतभिवमानकालान।
् पृा
े महात
कथः। ु ं महाचमारभतू ं यथा॥ १०॥
ू े े
भनािदना ु ु
े मृयिवापमपिदशित।
ोकन तऽ
भःू ओकारः ने िबना सिहतित
े शषः।
े ा जकारः धरा ता
े
्
उकारिबा ं सिहता। त सकारः े
मायया समित ं िवसजनीयन
े तत ्
े िाय पालय पालयथः।
समित।ं पालयित
ं ूितलोम ं ूितबमात।् अऽ ूयोगषे ु त ु ूथम ं
उतारऽय।
ृ
ु
ूणवारऽयमायानरं पालनीयाा ं
ु
ितीयाामा ततः पालययगु ं ततो
ु े े
मणारऽयोरिदित ११॥
सदायाथः॥
े े इिै िभः ोकै ः
िवािदिभरधत
ु ु
मृयिवाानपमपिदशित। ु दा
तऽ दीघरयजा
े सकारण
दीघरषिन े सदायः। ाान ं
े सिवनित
े
िनजिवमहं िचयिदित े
वमाणूकारण॥ १२॥
े ैतं भवित आरनालं
आािदनान
ू ु ं
ितीयारदलं तृतीयारकिणकमाधोमख
ु ं तत ्
िसतकमलय ं स तयोरराले िसतकमले इित। सधािा
ु ु ं
ं सिसत
पयारमौिलचकलािनःसृतसधािा।
वणतः। े ु ु ं
हिरणाायधचतय
--------------------------------------------
ृ िवा ु िनशः।
िऽिभिै रािन का
े मख
जपदो ं ् १६॥
ु े ै ं भावयिसहॐकम॥
ु
अणामणाा ं ूसवदनाजाम।्
ु े
पशपािन े ु ् १८॥
पपाशचापकान॥
ु ु
दधाना ं बािभः षिः मािणमकटोलाम।्
ू
ारभषािपकवाामरादशपीडकाः॥ १९॥
--------------------------------------------
वामोकरािद े तऽ िचित
तदधःकरामूादियबमण। े
ु ैने ापृथन॥
ाानमिा। े १४॥
े
तृतीयािदना ु ु
े िऽपटािवापमपिदशित।
ोकन तऽ
े िससारतिवातृतीयबीज ं
तृतीयममृताः
ौीबीजिमथः। ु
एतीिऽपटािवायाः
ूथम ं बीजिमथः।
ितीय ं तदनरं िससारतिवाया ितीय ं वीज ं
रसाविसिहतूाणाः लकार ईकारिबिभः सिहतः ककारः। तने
ु े त ैििभबज ैः॥ १५॥ ौ ॑
कामबीजमत।
े
िऽिभिरािदिभः रिद ु
ःै पिभः ोकै िपटािवायाः
षडािन साधनबम ं िसिव ूाािन फलािन तान ं
तिरवारानोपिदशित। तऽ
ु
िऽिभबज ैिै वारयमािरत ु े े िऽसहॐकं
ैः। तिवशष।
े तने जपन।
वाराणािमित शषः। ु े नरः साधकः।
े चः समय।
ु
अऽायधबम ु दिणाधोहािदवामाधरहा ं
ू े दधाना
ूादियने बोः। षिः सयथः।
ू े
सः। ता दाः।
इानरपवोकोरान
--------------------------------------------
ं ं
जवी सविमास हसिहसयथा।
ु २२॥
ाहाो गिदतो माािखलरितः॥
ं
ऽयोिवशाणको ु
म उपराग े ससािधतः।
्
फिणदान िपशाचा ं रोिगणः॥ २३॥
ैः िाना
--------------------------------------------
दा
िताः नचा(ॆा)सीना इथः। े एवासीनं। तािभः शििभः।
े ैतः अपृथावन॥
ता ं दव। े २०॥
भःू ािदना
े ु
ससािधत े ोकयने
इनान
गाडमप ं ताधनूकारोपिदशित। तऽ भःू ओकारः
ने िबना सिहता इित शषः। ्
े एतत काकािवत ् ू े
पवापरयोरित।
ं
हसदाहाा े
ं हकाररफाा ु
ं अोसिाा।
ं
माया या सिहतौ मी म वि ा
े त े चाकार ईकार ऊकाराः तने मदािदवणाः पृथक ्
चथः।
पृथिगित सदायः। तने ॑ा ं ॑ ं इरऽय ं िन।ं
ु ं वैिरमोहीित अराणा ं चतय
वैिरमोहीराणा ं चत ु
े च चकारण
खपमहण।ं गडित े गड इरऽय च
खपमहणं ोत।े जवी पकारः सविमासः विना सिहतो
ं े
मासः वििरतीकार साायसाात ्
सदाया
ईकारः मासः इित कारः ईकारसिहतः कार इथः।
ं ं
हसिहसय ं हस
ं इरय ं िहस
ं इरय। तथा
ऽयोिवशितवणाकः।
पमहण।ं ऽयोिवशाणः
ं ं उपराग े
ू
चसययोिरित शषः। ु
े ससािधतः े े
भविदितशषः।
२२॥ ॐ ॑ा ं ॑ ं वैिरमोिह
जपतपणहोमाािदिभिरथः॥
ं िहस
गड ू हस ं
े े े ोकयने
फणीािदना जपिदनाान
गाडमिस ूयोगिवशषात ्
े फलािन तानोपिदशित।
ू े ृ
तऽ िपशाचा ैिरऽाशो भतूतापारकािदिवषयः चः
ु े िऽिवधम
समय। ृ
ै ैः िरकिऽमजमा े ैः।
ैिवषिवशष
--------------------------------------------
p. 674) ्
िवषाान िऽिवधम ु
ू ं गतासकान।
ै ैमिता ्
े ु
े तोयनाणात
पालयतजन े ् ् २४॥
णात॥
ु
कवताडव ं शोरम े मसम
े ु ्
ं िवभम।
अिहतािन च खाद ं रामन
ं े ् २५॥
ं ु जपत॥
े
पावीजत ैलनााश े ्
ु नँयने नाशयत।
ु
गरलं भजगाना समानामयतः॥ २६॥
ूणव ं चरहसािजवीदाहो
ं नभरौ।
ू
शा ु रसदाहोिदमदितः॥
ु २७॥
ं
हस ु ूोा िवा दशारी।
मता यः
षडं मायया का े ् २८॥
ृ जपदरलकम॥
--------------------------------------------
ू
मितान ् ं
गतसान।् गतासकान
ु ् े े किित
दह ं ् े े िवषवगन
ूदश े े
सिचतूाणान।
् शतजने शतवारमिभमितन।
े
ु
कवताडविमऽ ु इथः।
िभबमायः। ताडव ं कवत
े
मसम
ं िवमह महया वणतया च। िवभ ं ु ततः। अिहतािन
ु
ूागिवषादीिन॥ २५॥
े
पाािदना ोकन ु
े सकलभजिमिवषनाशनमौषध ं
े
तयोगोपिदशित। तऽ पावीज े उपायो
ैलं ल ं तन।
ु ु
गमखादवगः॥ २६॥
े
ूणविमािदना दशारीनान
े ु
ोकयनाादािवामपिदशित। ं
तऽ चरहसाी इित
ु ं
मपदलोपी समासः। तने चरयतहसाी चर एकारः
इथः।
ं
हसाी े नभरौ
ईकारसिहतो हकारः जवी पकारः दाहो रफः
ू
मकारसिहतो एकारः। शा ् ू ु इित यावत।् अऽ
ु िदात शानी
िवय पायात ्
सदाया ू
शिमित शकारः
े इित यावत।्
सदाहोिः इकारसिहतो रफ
वकारसिहतः शकार इथः।
ु
दमदितः ्
त सकारः अ ु वकारः आकारसिहतः कारः।
ु आकारसिहतः॥ २७॥
ं हकारो मतायः
हसः
े े
षडािदिभिवय ैः षिः
रै ा
ोकै राढािवया अािन
--------------------------------------------
p. 675) ु
ततो यमिँय ु
जप ं िनिश कादयतः।
्
समानयते गह ् ् २९॥
े े तमानाशात ूोकािरणम॥
ु वाितािन च।
ं ल सवण
वँयमाकषण
ूाोयादनया िवया िसयािनशम॥् ३०॥
ू
लोिहता ं लोिहताा ं लोिहतारभषणाम।्
ु ् ३१॥
ु ु ं िऽनयना ं ूसवदनाजाम॥
चतभजा
ु
ं समलाम।
े वामने चयि
भा ं दण ्
े े
हमवऽाहत ु ृ
ं वा करयमकतािलम।्
्
रन िवा े
ं जप ु
वश े कादयतः।
ु
सम ं जीवभवनमाढािवया॥ ३४॥
ु ं तथा भगवतीित च।
ूणव ं नमसा य
े
माहरीित ू ाहित
ूोापण ु ३५॥
े तनः॥
--------------------------------------------
्
साधनूकारं िसिव ूयोगान तान ं
े ं
तलिवशषाोपिदशित। ् े
तऽ मायया ूावत खया।
अरलकं िवाया अरसालक
ं
ं दशलिमथः।
ततो िवाया ं िसायािमित यावत।् त ं सा।ं आनाशात ्
अनया
यावरीर।ं ूोकािरण ं दासविदथः।
अाढाया िवया। लोिहताा ं िलिहतवणाा।
ं
े े वामने ूावत।् समला
े दिणकरणथः।
दण ु ं
िविवधवणा। अाा ं ऊकराा। े े
ं हमपाशन
े े हमवऽाहत
तयोवामकरनथः। े े ं
े े ्
ं रन उपा
तयोदिणकरहमवऽाहत। े
ं दव॥ ३४॥
े ू ं
ूणविमािदना ोकनापणाा
ु
सदशारिवामपिदशित। तऽ नमसा नमः पदने
ु े भगवतीित
ूणवादनरं नम इरय।ं तथा समय।
ु
भगवित इित चतररािण े
माहरीित े
माहिर ु
इित चतररािण
ू ाहित
अपण ू ाहा इित षडरािण तनःु
े अपण
ू
अपणािवा॥ ३५॥
--------------------------------------------
p. 676) े ु े
िवधाय माययाािन जपिामहमख।
सहॐवारं िनयत ं न त ािरिता॥ ३६॥
ु ृ
भजऽासकरणनासावलोिकनीम।्
े
ितवा ं हमपाऽात ्
पायस े ३७॥
ं दधत कर॥
िवाजपवा कदाचन।
भवान सवदा
ु ु
बभितो ु ् ३८॥
े े न कदािच कऽिचत॥
भवदव
ृ
तथा नित ु
ं मा ं ा ं तदालोकनकौतकाम।्
े
आा ं भजिशो यो माा ं याचत े वरम॥् ३९॥
े ु िचितम।्
तावयोः ूसादने िसवाश
े
ितोपिर सवतः
ं सवथा
सवषा सदा॥ ४०॥
ं
हसासनभसा ु
ं रसाादाहकै ः।
ायोगाामत नवा नविभ त ैः॥ ४१॥
--------------------------------------------
े
िवधायािदिभः ु
कऽिचिद ू े
िै िभः ोकै रपणादा
अािन ान ं िवासाधनूकारं िवािस लािन फलािन
् े
चोपिदशित। तऽ मायया ूावत खया। ू ं
िवा ं अपणाा
ु
ू े ूातःकाल।े त जिपतः।
। अहमख
ु ृ
भजऽासकरणनासावलोिकन
े े े
ं हमपाऽात
ताडविवशषासपरमरावलोकनशीला। ्
े
हमपाऽािदित ू िता।ं
ोप े पमी। हमपाऽमापय
े
् ू
िवाजपवान अपणायाः॥ ३८॥
े
तथािदना े े
सदन
े ं तलािन
ोकयनानरवमाणनवािवयोान
ृ
चोपिदशित। तऽ तथा नित ु
ं भजऽासननपर।
ृ ं
ु ं नावलोकनकौतका।
तदालोकनने कौतका ृ ु ं आा ं
ु एवावधारण॥
वमाणाा।ं वरमभी।ं त यािचतः। े ४०
॥
ं े
हसािदना िसिदािवने ोकयने
ु
नवाकयोिवापमपिदशित। ं
तऽ हसासनभसा ं
ु
हकारसकारकारमकाराणा।ं रसाादाहकै ः
े ः सिहतानािमित। त ैररैः। त
लकारबकारयकाररफै
नवाकम।
--------------------------------------------
p. 677) े ्
त ैव ारं िहा विं तऽ ूयोजयत।
नवािका त ु त े िवा ावतौ
े सविसिदौ॥ ४२॥
ु
ूणव ं िऽपटााण ु
नमसा चतररी।
े ं
दवीदयसासौ
िवा सवाथिसिदा॥ ४३॥
ु ु
ानमममा ु सतत ं सवमलाम।
्
ु ं णपीमल
िसतक ु ू ं तऽवािरणा॥ ४४॥
तिााकठऽािलिखतमायकः।
े ् ४६॥
आाित ं (ता) तथा सा त ं वहदािभवाितम॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
े
गौरीिवसौ ु
ूोा लजा ससािधता।
े साधयतीितम॥् ४९॥
ाा ूावयाढा दवी
ं
ायथा े
जपिा ं तदैवाकषयत ्
े िूयाम।्
राजवँय े तथा लोकवँय े ीवशकिण।
ु ् ५२॥
ु े हयगौरीमनयात॥
न िवाः सि भवन
--------------------------------------------
े
िलिखतखः। ू ु े सा दवी
ं तथा समय।
आाित ॅमित। े
ं अ साधक सौभायािदफलषूोफलम॥् ४७॥
। त ं साधक।
ूणविमािदना ोकन ु
े गौरीिवापमपिदशित। तऽ
ु ं
िदियत े इरपकं योगरीरचतय
े
े
ाहरय ू े यावत॥् ४८॥
ं ादशारी सयित
गौरीािदिभयािद ु ोकै ः गौरीिवायाः
ै तिभः
े
साधन ं ान ं िसिव ूयोगिवशषान ्
े
फलभदािदकोपिदशित। े एतं
तऽ ाािदनोरान
ु
भवित ूागदीिरतााढापिवाा े िनजमनीिषत ं
गौरीदवी
ु े े िनशया हिरिया। िनजवामोदशतः
साधयतीित। तिवशष। े साधक
े े सानामसमोपता
वामोदश।
े ं सासाधककणा
तथा
े ं एता ं गौरीिवा।ं तनाः सामना इथः।
समोपता।
यथासदायभावनया। िवा ं गौा इित शषः।
े तदैव अनया
ु
गौरीिवया। हयगौरीमनयात ्
अाढािवा
े यावत॥् ५२॥
गौरीिवायतः अिधका सशाित
--------------------------------------------
ु े ु पदशारा।
े िवयमा
मिडाहित
ृ
कताो मायया ाा ता ं दव ् ५४॥
े सवमलाम॥
े
जपिा ु कदलीपगमतः।
ं मौनयतः ू
े ं सा ूीता लदा िदन ैः॥ ५५॥
िऽसाासमोपत
ं ु ्
े ं च कनकवितसयतम।
ूणव ं नवकशा
ाहा ं ादशाणय
ं िवा िनऽयूदा॥ ५६॥
--------------------------------------------
े े े
ोकन
अििरािदना पदशारनान
ु ु
लसवणूदािवापमपिदशित। तऽ अिः इकारः। नाद
ु इकारण
त ु
े (ठ)रकारो यः। तौ ूोौ। एवावधारण।े अ
म ूथमितीयवणावव ु
े तृतीयचतथवण
भवत इथः।
नभोधरौ उारसिहतो मकार इित यावत।् एतितीय ं अ म
तौ ाता ं
ितीयमरमवे षमरिमथः।
े समामौ ातािमित यावत।् काकठित
पमषवणावव े
ु ु ाहा इित
े मिड
काकठ इित ऽीयरािण मिडाहित
चारािण ू े यावत॥् ५३॥
पदशारा। सयित
ृ
कता े े ोकनाािन
इािदना िदन ैिरनाान े
ान ं साधनबम ं िसिव फलिसिोपिदशित। तऽ
् े
मायया ूावत खया। े लूदाा ं दव
ता ं दव े
सवमला
ं सवमलासमानिवमहा। ू
ं कदलीपगमतः
ू
कदलीवनम े पगवनम
े वा। िऽसाासमोपतिमित
े
े
िबयािवशषणम।् सा दवी
े लदा लणूदा। िदन ैः ूावत॥् ५५॥
ु
े िनऽयूदािवापमपिदशित।
ूणविमािदना ोकन
े ं नवकशािमित
तऽ नवकशा े
चायरािण। ं ु ं
कनकवितसयत
े
कनकवित इित पारािण ाहा इरय ं उरिदित े
शषः।
ू े यावत।् िनऽयूदा
ादशाणा सयित
ूावामताथत॥ ५६॥
--------------------------------------------
p. 680) ू े िऽलकम।्
िनशो िगिरवटमल
ु ु ् ५७॥
िवा ं फलममवायात॥
जिपा वणशो
े
चरः ूाण इित ूोा िवाभी ं वदिथः।
ु ैिनशाम
जाितप ू
े पिजता ृ
मलाकितः॥ ५९॥
िससारतादौ रािण ततः परम।्
ु
माति ै तथा ाहा पनीणीित ु ६०॥
तनः॥
ादशाणयमिचरात ्
सौभाय ं किवता ं िौयम।्
े ं माता ूयित॥ ६१॥
गानािभयोग ं िवषा
--------------------------------------------
े िनऽयूदािवासाधनूकारं
िनश इािदना ोकन
सय
िसिोपिदशित। तऽ िऽलकं जिपा वणश ू
ं
षिशवार उिनऽयिमत ं
ं जिपथः।
े
ु
अवायािद
णिमथः। िनश इनने च सः॥ ५७॥
ृ े
चर इािदना कितिरन
े
ोकयनाभीवािदनीिवाप ं तलं ताधनबम ं
ु आकार
तानोपिदशित। तऽ चर एकारः। ूाणो मः
सिहतः ककारः। ा ं यकारः। ूाणो धराितः उकार सिहतः
ककारः। ोमय ं म ु े
ु ं सषोािरत णकारय ं
ु ं रय धरया यतः
आकारय। ु उकारसिहतः तकारः। चर एकारः।
े यावत।् मलाकितः
ूाणः ककारः। िवा अारित ृ
े
सवमलादाः ूोिवमहा॥ ५९॥
े
िसािदना ोकन े ु
े मातरीिवापमपिदशित। तऽ
िससारतादौ रािण िससारतमाािन
े
यरािण मातरीिवाया ू
अिप ूथमभतारािण
े
ऽीिण तािन वावखाौीबीजािन।
माति ै इित चारािण
ू
। ाहा इरय।ं ऽीिण ूथमभतािन वावादीिन
ूितलोमािन। तनःु मातरीिवा॥
े ६०॥
े
ादशािदिभः ितािमःै पिभः ोकै ः
ं ं तदािन
तिारसा
--------------------------------------------
p. 681) ृ
मायाकताो े े रवः।
िनशा ं ूजपदय े
े
सहॐवारं तनासौ िसा सव ूयित॥ ६२॥
इनीलिनभा ं रवसनाभरणोलाम।्
े ु ् ६३॥
ूलवणीससौगिकसमलाम॥
ृ ु
तमडमाला ु
मावकशोिभताम।्
ऊिकावीरकटकनपरै ् ६४॥
ू ु मिडतािकाम॥
वादय महावीणा ं समानानाजन ैः।
ू
यमाना ु ् ६५॥
े े शिचिताम॥
पिरतो ायव
ु
राद े रालीित ाया मायम।्
--------------------------------------------
े
तिािस फलािन िवासाधनूकारदवताानोपिदशित।
े
तऽ इय ं मातरीिवा। ृ
मायाकताः ् े
ूावत खया
े असौ िवा। सव
षडः। ता ं िवा।ं तने जपन।
वाितिमित शषः। ् े ूथमपाद े कारािध
े अिन ोक े ं
िदात।् रवसनाभरणोला ं रवसनराभरणमिडता।ं
ृ ु
तमडमाला ं सौगिकै ः िशरोमाला।
ृ ं
ू
समानानाजन ैः समानाकारवणभषणािदिभः शििभः
॥ ६५॥
मातीािदना समीिरता इने ोकयने
ु
रालीिवापमपिदशित। तऽ मातिा
ैतं भवित। मातिनीिवाया
इन
े
ितीयतृतीयारय ं खाौीबीजप ं रालीिवायाः
ूथमितीयारय ं भवतीित। रसाचरैः लकार
े
एकारिबिभपतोऽ वकारः तने इित। वाताी अकार इकार
पृथक ् पृथिगित यावत॥् ६६॥
राद े रालीित सारािण ाया िवसजनीयसिहतः
सकार इित यावत।् माय
ु ं आारऽय ं
े े षोडशाणा षोडशारािण सयित
ूितलोमबमणथः। ू े
यावत॥् ६७॥
--------------------------------------------
p. 682) े
ाा ता ं िवजया ं िवा ं जपि ू े ्
पजयत।
रा ं ूयित ूीता साधकायािवलितम॥् ६८॥
े
आऽय ं महाल ै नमः ूोा महिर।
िवा त े सिवशाणा
ं समाभीदािनशम॥् ७०॥
बीजऽय ैः षडािन िै िविहतािन वै।
ान िवजयाप ं ूजपािनशथा॥ ७१॥
े
कीिलीधनारोयिवजयािखलदा।
ु
तला ू पणाया
े भारे पजा ू ं सकलदा॥
े ७२॥
--------------------------------------------
े
ाािदना ोकन ु ु
े तान ं तपासनबममपािसतः
फलावािोपिदशित। तऽ ता ं राल िवजया ं
ं ६८॥
िवजयािनासमानिवमहा॥
ूणविमािदनाऽिनशिमने ोकयने
ु
महालीिवापमपिदशित। ु ं माया ं
तऽ ौीपटा
ु े ं कमले इरऽय ं कमलातो लय े कमला
ौीबीजपिटतखा
् ं लय े इरय।ं ूसीदितय ं ूसीद ूसीद
इरऽयात पर
ु े े यावत।् महाल ै
इित षडरािण। आऽय ं ौीबीजपिटतखित
े
ं महरीित
नमः इरष। े ु
दवीसिः। ं
सिवशाणा
ू इित यावत॥् ७०॥
सय
े े इने ोकयने तदािन तान ं
बीजािदनदा
तपासनबम ं तलािन
सवाभीिसिकरभजनकालोपिदशित। तऽ
े ैतं भवित अा िवाया ितीयारऽय
बीजान
ृ
िरावा ु
षडािन िविहतािन िरित। ान िवजयाप ं
िवजयािनाया ानमा अिप ानिमित यावत।् िवजयादीऽािदशो
ृ े
िविवधमलऽयगहऽािदिवषयः। ु
तला ु
े तलारािशगत े भार।े
पणाया ् ७२॥
ू ं पौणमााम॥
--------------------------------------------
आने का े
ृ चाािन जपिा ु िनशः।
े ं ् ७५॥
ूातः सहॐवार ु तपयशाशकम॥
िनपजाया
ूस वषतो ू ं साधक सा।
् ७६॥
ूयित जय ं यु े िौय ं सवाितशाियनीम॥
ू े ृ
भतूतिपशाचापारकािदवारणम।्
ृ े
करोित माग काारिगिरकिभरित॥ ७७॥
--------------------------------------------
े े े ोकयने
ासकािदनारन
ु
िसलीिवापािदकमपिदशित। तऽ ासकदाहविात ्
्
जकार रकार ईकारात िबिभः ु यावत।् नभः
ूथम ं बीजमायित
ु आकारसिहतो हकारः। चडतजः
ं मतः
मकारः। हसो े
ु ं सषणवणाः
इरचतय। सषण ु ं
इित वणचतय।
े सिहतो हकारः। कालीमान े वणाः
ोमाा ईकारण
हस
कालीमान े इित पवणाः। ं े सिहतो
मायया िवसजनीयन
ू इित यावत॥् ७४॥
हकारः। सदशारा सय
े े ु
आनािदिभीविम ःै षिः ोकै दािन
तपासनबम ं तलािन ता िनोपाान ं
्
ूयोगानािदकोपिदशित। तऽ आने बीजने ूावत रिभन।
े
सा िसलीः।
ं ं शतवारिमथः।
तशाशक
ृ
कादीऽािदशो रोगमहभयािदिवषयः। ताः िसलाः।
े े
दवशीित े ु
दवीसिः। मले ूयोग े मलासमानिवमहा।
ु
यमागादीािदशो
--------------------------------------------
ृ
वतामनै े ु साधकाभीहितकाम।
हष े ्
े
ावमयिदमवाोिखल
ै ु ् ८०॥
ं ीवम॥
ू
ृ सऽाक
ूादिणोद का ं ततः।
े
माजयावीथीष ु पप तथ ैकधा॥ ८१॥
शो िगिरकाारािदपालिवषयः। िव ानिमित
ू
पवऽायः। भयानका ं भीषणपाम।् अनःै
िदादनािभिरित यावत।् साधकाभीहितका
े ं
ु ु
तयोगानगणिमित यावत॥् ८०॥
ूािगािदिभिनश इिै िभः
ु
ोकै िनाचनाचबिनमाणािदकमपिदशित। ू
ृ सऽाक
तऽ का ं
तथा यथा ूितकोणमकमक
समारालिमथः। े े ं
े तदः वीािभित शषः।
कोमविशते तथथः। े ऽय ं
कोऽय।ं एतं भवित। ितीयवीा ं ूितिदश ं म े
े
े ं कोमविशत े तथा माजयिदित।
एकमक मािद एतत ्
े ं सवमको
िबयािवशषण। े
े आमरं यथा तथथः।
्
मवणान षोडश अविशािनित यावत।् नाम साादीना ं
ूावकोिलिखतवीजोदरे इित यावत।् म े इनरोके
वमाणात।् ूादियबमात िविलखिदित
् े ू
पवऽायः। तऽ
चबे अयमऽ िवरचनाबमः। ूादिणोदसमारालं
ू े
सऽाकाकाालनादकोनपाशत ्
कोाकं
ु ं िवधाय तावीिथगतकोषे ु चतिवशा
समचतरॐ ु ं
े ृ
ूितिदश ं ममकोपपकमकीक
तदवथीकोषोडशके ूितकोणमकमक
े े ं
तभयपाकोाा े ृ
ं सह ऽीिण ऽीिण कोाकीक
िशसदशकोषे ु सवमको
े साािदसमते ं
ूथम ं बीज ं तावीथीषे ु अस ु
े ु े ूावत ्
े तावीािदकोचतय
कोमािदूादियन
--------------------------------------------
p. 685) ू े ता ं सदा।
ूादियबमा े पजयऽ
ं
समाभीसिस ै िसली त ु िनशः॥ ८३॥
ंु
कदािचदाा लिलता पपा ृ
किवमहा।
सवनारीसमारादकरोिवश ं जगत॥् ८४॥
ं
ततः स गोपीसािभरावतोभत ्
ृ ू शििभः।
ु ८५॥
तदा तने िवनोदाय ं षोढाकयपः॥
ू ु
िरारसाावनैोभहामनः।
ूणवयमः िसगोपालकािभधः॥ ८८॥
--------------------------------------------
ु े वायािदिनऋ ं च
बमाावीा ं कोणकोचतय
् े िविलखिदित॥
िवायाः सदशाणान बमण े ८३॥
कदािचिदािदिभिविनयोगकै िर ु ोकै लिलतािवाया
ै तिभः
ू े ं
गोपालपं तिभदापािफलािन
ु
तोारूावािदसिहतमपिदशित। तऽ आा िनानाम लिलता।
ंु
पपा ृ
किवमहा ृ
परमाथकशः ् ृ
ूावत कः
ु तषा
शििभः िनािभरिणमािदिभ। तने वपषा। ु ं
े ं वपषा।
त ैम ं ु साधका इित यावत।्
ैलीकाियशोिवजयारोयसयताः
ानाचािविनयोगकै ः सहित ् े ूथमपाद े
े यावत।् अिन ोक
रािध ं िदात॥् ८७॥
े
िरािदना ोकन ु
े िसगोपालमपमपिदशित। तऽ
िरारसाावनैः गकारलकारयकाराकारिबिभः
ू
कटप ैः। महामनःु सया
ं वैभवने च।
ु
ूणवयमः ूणवपिटतः॥ ८८॥
--------------------------------------------
ू ु
े सधाभहामनः।
सोहनाव
आः पाको मितरे ःु षडकाः॥ ९०॥
तीजािदकन ्
े ात षडािन यथािविध।
् ् ९१॥
ू े साितबमात॥
अपऽाजम ं पजयत
ु ु
यािण तािन तयतमानबमात।्
--------------------------------------------
ूोै िरािदिभः बमािदिै िभः ोकै ः
षिधगोपालमप ं तदािन तदाराधनबमोपिदशित
। तऽ ूोै ः सम े पटले सहसािदना
ं े
ं े े े यावत।् एकै कतः
पिऽशानाोकयनित
े े कवीजन।
ूकमकै े नामतः सम े पटले पथम इािदना
ं े
िऽशानाोकन ू
े ूोकामराजािदनामािन ूोकटित
े
यावत।् वाण ैः कामराज पवाणम ैः। त ैः पकामबीज ैः
तय
। अऽ चकारः समााः। ु े एव ं उबमात।्
ु ं समय।
ु
एतं भवित ूणवने पिटतो महामनःु िसगोपालसः
ं
मः। पस ु कामबीजकै ु बमात ्
ु े महामनना
े े कबीजपिटतन
े
कामराजगोपालमथगोपालकपगोपालमकरकतनगोपालमनोभ ्
ू राकाः
ं पमा सय
अवगोपालसाः
े सह सगोपालमाः सीित। आषे ु
षमाः ूथममण
पाकः नऽासरिहत
िसगोपालम इथः। े इित यावत।् इतरे
ु े
े महामननित
षमाः कामराजगोपालााः। तीजािदकन
् ु
े ािात िरित
शषः। यावत।् यथािवधीित
े े अपऽाणा ं मा ं एष ु
दीघरषिभबमणथः।
ं ९१॥
सतमा॥
ु
याणीािदिभरवायािद े ं
ःै िऽिभः ोकै षा
े वारषे ु सस ु भजनबम ं
यािण कालपण
े े
िनविवशषािदकोपिदशित। ं
तऽ तािन िसगोपालािदसािन।
ु
तयतमािन
िनजिनजमिलिखतकिणकािन। वारषे ु
--------------------------------------------
p. 687) े
सकलूदा िन ं धौिघृताकै ः।
े सिसत ैः कदलीफलैः॥ ९३॥
पायस ैनािरकलै
बमाारषे ु न ैव
े ं दािदाथिसय।
े
ु ् ९४॥
इतीिरत ैः सिभ ैः सविममवायात॥
ु े ु ्
ु े ू दधान
पसचापपषन े ् ९५॥
ं शििभः रत॥
ु ु ु े िपने िनजवािरणा।
सवणपीमलन
े
ठाालपनतो े
दवतादशन े ् ९६॥
ं भवत॥
ं ु
उमगा ं च नील च धातकीफलसयताम।्
ु
आरवध ं मिडन ु ू ् ९७॥
च शाकोटं जमलकम॥
--------------------------------------------
सस।ु तषा
े ं िसगोपालादीना।ं सकलूद
े े ू इनने
पजा
ू सः। िन ं ूितवार।ं धौिघृताकै ः
पवऽ
े ैः
धःै ौिैः घृताित ैः अ ै। सिसत ैः शकरोपत
े ः धा ैः॥ ९४॥
नािरकलै
े तषा
अणिमािदना ोकन ु
े ं ानमपिदशित। तऽ अण ं
वण। वशवािदन
ं ृ
ं अधरकराा ं गहीा। अऽ
ु ु ू वामदिणवामदिणबमण
पाशाायधचतयमािद े
े
। शििभगपीवषधरािभिरित यावत॥् ९५॥
ु
सवणािदना े
ोकन
े ु
सकलदवतानामपरोोपायौषधयोगािदिवधानमपिदशित। तऽ
ु ु ं
सवणपीसमौषध ं ूावदवग।ं िनजवािरणा
ूागवत।् ठाालपनतः
े ूावत।् अऽ ैतत ूयोगिवधान ं
ु ु ् ९६॥
गमखादवगम॥
उमगािमािदिभरावािनिै िभः
ोकै दवतानामपरो े
ं ोाि ं
वा(च)औषधूयोग ैपिदशित। तऽ उमगािमािदना
े
ोकनौषधािन
स किणकािरिमािदना े
ोकनौषधािन दश।
ु
तदौषधनामाारामखादवगािन।
सम ं सवािण
िसतने शकरया।
समभागािन इथः। तितयः
--------------------------------------------
p. 688) ं हसपद
किणकािर ं वाराह मृगराजकम।्
् ् ९८॥
ू े समम॥
ू ं िऽफलं चणयत
कोरटं िपलं मल
े ु दा तितयः।
े मधना
िसतनान
ं
भावययो ू
भयािवस ैः कै िदावान॥् ९९॥
--------------------------------------------
्
तत सदशौषधिलाािदऽयः। े
तयः दवतामयः। आवान ्
् ९९॥
भावना ैात॥
्
अिन पटले सिवोकात
ं ् ं एकः ोकः पिततः॥
पर
ं
गसाः २३६
ं
पिशपटलम।्
--------------------------------------------
ू
पविन ् ं े पटले षोडशिनािवािसाना ं
पिऽश
्
लोकचमारान ूयोगान ्
िवािभपिदँयानरं
षोडशिनादीना ं तिरवारशादीना ाने
े े ूारूकारािदकोपिदशित अथ
वासनािदकं िवापभदन
े
षोडशािदना े पिऽशन
िसय इने ोकशतपण ं े
े अथ षोडशािदिभः
पटलन। े े
ूपत ं
ःै ऽयोिवशा
ु ू
ोकै गपजािदक ु
ं मिादशना ं
े
िनापपिरवारासजपतपणहोमािभषकोपचारादीना ं
ु
वासनामपिदशित। तऽ षोडशिनाना ं पिरवारािदसिहताना।ं
े े े ूतीयमानाप।े
ा े दहियमनःूाणााकारण
यया वासनया। तयतािसिः िनातािसिः। ूा
ु
अपरोानभविवषया। ु ु ं
े िकिदिप सट
आािवमशमरण
ु
ातमशात।् सा सवपथः।
ं े े िवमशमयी
िवमशमाऽिवमहा।
एतं भवित आािवमशिवमहा शिरवे
ु
गिरित। ु
त गरोः। े एतं भवित यथा
रने नवरन।
े ु े
र ैपादयमहणमनपादयमोचन िबयत े
ु कटा े साधकाना ं
गरोः
तथािवमशपरमाथ
ृ
अथूविरनथापरित। अऽ ौोऽय ं वाक ् च िद ं ऽय ं
यमप ु
ु ं च िसं उरऽय ं मानिमित सदायः।
ं शयः।
ु ं जनिया उागूविकाः
मायाः अतिि
्
पमी ॄाािदष ु पमीात वाराहीथः।
जनकािका
साधकाना ं जनकवदिभभव नकरी शििरित यावत।्
ु ु माता
कका
--------------------------------------------
ु
े कालाा पिमामखः।
महरािशचबण
ू ु ं ाद े किथत ं िमथः॥ ५॥
तने पािभम
े
ाता ाा भवानम ये ं बिहःितम।्
े ं एकीकरणमीिरतम॥् ६॥
ू ं तषा
ौीचबं पजन
--------------------------------------------
मातृपा शिः साधकाना ं मातृवदिभमतूदा शििरथः।
एतं भवित ाने पिरभावनाया ं जनकजनोरशन
ं े
े े ु
दहियवािदष ु सबाौ
ं
धाध
ु ु
वाराहीककाकौ े
भावयिदित। ु
पषाथा धादयः।
ु े सागराः महया िनरवसानतया च। रीपो
तरवधारण।
े े दहं
भवहः े ाोपलः।
े नवं नवखडाकं
े यावत।् धातरोमिभः
ीपित ु
ु े ं ु मूागािदबमै
ओजःशबमािमदोमासरोममिधरै ः।
ु
साः कतरवः। सपरःसर ूवा
ं किण ृ
फलिसः। ु
े ाधाराः षोडशपटले िवशा े
े
इािदिभरकषािदनविभः
ोकै डािकादीना ं िनवासानने
ू
ूोमलाधारााापािन ु ु
सषागतािन ानानीित
यावत।् ऋतवः वसााः सषाया
ु ु
ं ु
इडािपलाकचाकसयोगादनिमतकालाकाानाधा
महरािशचबण
राणामृाकिमथः। े
े कलाा कालपाा
महनऽसिहतरािशचबण।
ु पिमिदख
पिमामखः ्
ु इित यावत ोितब
ु
ूखात।् तने कारणन। ू ु ं
े पवािभम
े ु े
कालाकदवतािभमापया ू ु ं साधकित
पवािभम े
यावत।् अत काल
् ं े पटले काल
तािकं प।ं किथत ं षिश
ं ू े यावत।् िमथः अपर
इािदना चािरशोकपवानित ु ं
--------------------------------------------
p. 691) ं ु
ौीचबे िसयः ूोा रसा िनयितसयताः।
ऊयः ु
पयपाप ृ
े च ॄााा मातरः ताः॥ ७॥
ू े ु
ं े बमािाकला पनः।
भतियमनाव
कियाथा े ःु शयो वै॥ ८॥
दोषा याः
ं
वयो दश सूोाः
सवाा ु शयः।
ु े
शीतोसखःखा ु ूोाः बमण
गणाः े वै॥ १०॥
--------------------------------------------
ु
ये ं विहःित ं ातिरित ू
े ौीचब पिमित
शषः। यावत।्
पजन े यावत।् तषा
ू ं ौीचबित े ं ातृानयाना
े ं
े े यावत।् एतं भवित ानो िभवत ्
एकीकरण ं वोधाकनित
े े ु िऽिप ापने
ूतीयमानातृानयाकष
ू
ूतीयमानो ाता पजकः कीयते ूतीयमान ं ान ं
ू
पजोपकरण ू ं
ं अ वान ूतीयमान ं ये ं प
े ं वोधाकनापृ
ं तषा
ौीचब। ू
े थावः पजनिमित। ौीचबे
ं ु
िसय इित अिणमााः। रसाः ारादयो नव। िनयितसयताः
ू दश शय इथः।
िनयितिसा शा सिहता वा सय
ऊमयः ु ु
वभािपपासाशोकमोहजरामृ ु
तयः। पयपाप
े कणी
ू
सयाौ। ू े ू
ं भतािन
भतियमनािस े
पियािण दश च
मनसा सिहतािन षोडश। कमियाथाः
वचनादानिवहरणिवसगानाः। दोषा वातादयः। ूोाः
ं
सिवशितपटले इित यावत।् सूोाः
ं ूाटल।े अऽाितरहाथाः
ं िाः। वयो दश धातषु ु स
मयोवासनािवमिशा
दोषषे ु ऽय सय े यावत।् सूोाः
ू दशित ं ्
अिन पटले
उरऽाििरािदना पाशमने ोकन। ु सादयः।
े गणाः
ताऽाः शशपरसगाः े ं
पतपाः। तषा
ु
पसायकं ु े अिभमखपतया
ूमख ु ु
पिरणाम े पषपतया
ु ु िवषयपरमाथपाणा
वा। मनं इधनः ं
े
शरसमियाणा ं तिषयषे ु ूरकात
े ्
इियाणा ं
तदथाना
ृ े
मनस ूविपण
--------------------------------------------
p. 692) ु
विशााः शयः ाऽाः ु
पसायकाः।
े ु ु पाशो राग उदीिरतः॥ ११॥
मनो भविदधनः
े ादशः
षः
े वरविणिन।
ु ूोः बमण
अाहितमहदाकाराः
ूितलोमतः॥ १२॥
े दः
कामािद ्
े ःु सित कामरः
े ृ
तः।
े ूोा लिलता िविवमहा॥ १३॥
ाैव दवता
े तयाूमता।
उपचारालिप
े ािन नाशनम॥् १५॥
ूयोगा ु िवकाना ं हतोः
--------------------------------------------
ु
वोभयिबयाकािहपादान ं तने न पनिदोषः। पाशो
्
रागतप इित यावत तयोवकं सामाात॥् ११॥
े ादशः
षः े
ाारकात।् वरविणनीित
ु
सिः। अाहितमहदाकाराः
ूितलोमतः महदितः
अऽाशने ूकिततं
अबमादाकारा इथः। ृ
ु
महने बितं े ु े
अहितशनाहारतमत।
् े
सित कामरः े इित यावत।् ाा
सकलाकं च ैत ं कामर
्
िविवधिविवकात पतया िवला स ु भासत े स ाा
्
े ोतमानात लिलता
दवता ्
िनरवपात िविवमहा
े
ातृानयिवमहा। तिमशः ािवमशः
ु
ाानसानिमित यावत।् एतं भवित सव
ु
ानरागात ् ं े ु े मनसः
किििषयनरागादव
ु
िभावा तदनरागो लौिहिमित। इित भावना
ु े
ाभावनािसिः। फलमपािरित यावत।् तरवधारण।
ु े
अनिचं ा े साधना ैािदित यावत।् मिाः
ु
ु ु
योिनमिािदसकलमिाः। वैभवभावन ं उरऽ
्
वमाणूकारात आन इित यावत।् चलिप ु े
े अननसानसमयिप
्
तयात अूमता
ादावपीथः।
ु
पभाव ै। (?) एतं भवित। सतीित सिः।
्
असारः स एवोपचार इित यात सित ु सारः
सिः
--------------------------------------------
े आिदमामनम॥् १६॥
सास ु भजन ं दा
--------------------------------------------
--------------------------------------------
उपाधीना ु रािहमपदश
ु े इतीिरतः।
े ू
दिणा भदशं ु ू ैमत॥
शौषा ु े २१॥
े काल पिरणामावलोकनम।्
ितिथपण
ु
िना पदशैताः िरित ूोा ु वासनाः॥ २२॥
--------------------------------------------
ु
चतथपटले कामकलापण
े ौीिवाकं ूथमपटले
माणा ं िवशितदोषपिरहाराकन
ं े मातृकामयं च। त
ु
ं े पटले ूोोदयिवौािपानसानिमतयथः।
षिश
अमयः िवौािः। एतं भवित कनकसामाऽ े
ू
भषणादीनािमव पसामाऽ े िविवकाना ं
े ं ूोाना ं सवषा।
िनाानिवलापन ं होम इित। तषा ं
े
अोसदभावन ं ानो
ं अो ैकभावन।ं तपण
ु
िवाकाराानभवसाता
तृििरथः।
मोहाानािदःखाना ं कामािवतया
काकानाभावो ं
मोहः िवसाूामानम ्
आिदशथाानसाहसािदिवषयः तःखानां
आािकादीना ं आिन िवमशूतीितरािहात ् िनणतप।े
तदै
ु ु े े
ं तिवशष।
अमयः उपशािः। ढं अपनःूरोहयोय।
सवाौयः ् ु
तादाात।् महान िवभात ्
सवशिा। उपाधीना ं
े
दहािदिवकारकारणभताः ु उपाधयः तषा।
ू सािदगणा े ं
ु े रािह ं ान इित शषः।
तरवधारण। े एतं भवित
रजःपािदिभराकाशवे
ु ैिवकारैालभावनोपदश
सािदगण े े इित। दिणा
ु
गरोः। े ू
भदशं
तिासमपणात।् शौषा ु
ु ू गरोः
े यावत।् ितिथपण
ै आानित े िसतािसतपयोः
पिरणामावलोकन ं चमडले िसतािसतकन।ं एता िनाः
े
पदश कामरीिनााः। एतं भवित चमडले
े ु ृ काले इित
िसतािसतकलाना ं वियहतििथकतः
ृ
े
यताििथपकालािकाः कामािदिना इित। िक
ितिथिनानामवारकालाकं
े
तािभरवारकालािकािभमडलनोपलित ूप
कामाणं तासा ं
े थभावनया तपािोित
महािनाकपणापृ े
किनााः अः।
सदायाथः। ु े ं
तषा
--------------------------------------------
p. 695) ू
पृिथादीिन भतािन किनाा बमाता।
े े
तषामोसदूकारै
पता॥ २३॥
णः या िभ िल व ता ि ल त े थ धी क य ला िभ स।
ु द े ष े प ण वी श े त ं िद मी न िर ा द त॥
े २४॥
् े कत
ं तो गत श ृ ष् ज अ िर मी े खा क ।
तः थ क ा िथ ा ु त तः े गो व िप त ष ु स॥ २५॥
ं का मा ा न ू श ो ना न भ स ि मा म।
रो म ई यो का िव श त न ं त फा ल ना ि िव॥ २६॥
--------------------------------------------
ू
अाकपभताना।
ु े
ं अोसदूकारै
ः
अोसूकारभदैे ः। तपता ानो
ु े े ूपता॥ २३॥
मिापरमाथपभदयोगिवशषः
लिलताया इािदिभः
तिफालनिम ु
ै ाकलारबमिलिखत ैििभः ोकै रााया
ु
लिलतािवाया अरवामथमपिदशित। तऽ लिलतायाः
े यावत।् िऽिभः पिरिमतः सकलाथः
ौीिवातायखडित
शषण
सकलशाथः। े तःु समय।
े े अरण। ु े तने
ु
ूोूकारावयवाथाः तातयखडसमदायभावात।् इदं
् ृ ं तने
े जगत क
ं अशषतो
अनरवमाणाथप।
समिप।ं िप ं जगिदित यावत।् खाक
े ं शिमय ं
े ु
। ईरीित दवीसिः। े
ताः खायाः। ु े अथः
चः समय।
ु े किथतः अनरवमाणोक।
अरवाः। तरवधारण। े
् े ु गोिपतः अितरहात।् ोा
े ु एतात तादष
सवतष
े ूथमने ूकाशमानं आकाश
आकाशारण
ु
रणाकात।् ातण
े इतरूकाशन ैरप।
े ं
े ितीयने अरिप
मासमानं पतया। अिना अरण े
तादाने मासाकात।् तयोः ूकाशमासपयोः। िवमशः
े ं िनफालन ं तादािवमशिनणितः।
तादापरमाथमलन।
े े ोमारण
एतं भवित। खान े ानः
े मासाकं
ूकाशपं वरण
े िशवशिसमलनाकन
तभयपरमाथिवमशपण ं े े
ु े तदाकने त परमाथपिबना
चतथरण
् िनणित िबयत इित॥ २६॥
तैिवूतीितरािहात तदै
--------------------------------------------
p. 696) े
अथ मिविनाणिवधानमिभधीयत।
ु े ृ ् २७॥
े ं िवशषकत॥
मवीसिसानािमतरषा
राः ताः।
मा एकाराः िपडाः क ृ
ं समार नवाणाविध
वणऽय वीजकाः॥ २८॥
ततो दशाणमार ं
याविशित मकाः।
तत ऊ गता मालाास ु भदो
े न िवत॥
े २९॥
वीजषे ु वणतः।
तथ ैव िपडकभदो
े ु भदः
पदैष ् े ं साः
े ात तषा ं ण ु बमात॥् ३०॥
ु
षतिवशित ं ु ्
तथा शत ं िवशितसयतम।
ं
ं
सिवशित ् ३१॥
सशत ं चािरशिरितम॥
ं
--------------------------------------------
े
अथािदिभः बमािद ु ोकै ः
ै तिभः
िपडािदमालााना ं माणा ं ऽैिव ं
े े ब ता
तषामरपदिवासन ं ं
ु
ूावसिहतमपिदशित। ु
तऽ मवीसिसाना ्
ं अिन पटले
ु े ं
ं इतरषा
वमाणमवीानसिसाना।
े यावत।् कः
ं िपडाः नाित
मवीानिसिरिहताना।
्
ूावत नाा। ं माः। मकाः
बीजकाः बीजसा
ूावाा। मालाः मालामाः। तास ु मालास।ु तथ ैव न िवत
तषा
एव इथः। े ं बमात ्
े ं भदाना
े े
रमभदािदनवारमभदािमित े
शषः॥ ३०॥
ु े
षिडािदिभः समयिद िै िभः
ोकै रममार नवारमाविध सिवध
बीजािभधान मजात
ं ु
अरसभिवकजिनतसाबममपिदशित। तऽ
े
षरम भदाः। एतं भवित एक ाा ं
ं ु
िऽिभ सगणनााताः ं
षाः े इित।
रभदा
ु
चतिवशित ु
िदातिवशितिरथः। ु े यावत।्
चतररमित
े ं चतिभः
रभदष ं ु
ु सगण ु ं
चतिवशितसा ला
शत ं िवशितसयत
इथः। ं े इित यावत।्
ं ु ं पारमभदा
ु ं ु
े ं पिभः सगणनााता
चतररभदाना इथः (१२०)।
ं
सिवशित सशत ं िवशिधक
ं ं सशतिमथः (७२०)
े इित यावत।्
षडरमभदा
--------------------------------------------
p. 697) ं ु ्
सहॐपकं पाािरशहॐयक।
ं
िऽशत िवशित े समितम॥् ३२॥
ततिलण
े यथाबमम।्
े े ं ण ु दिव
ूारबममतषा
े े े ु ् ३४॥
एत ैरवोयपदभदाननबमात॥
े
ितमखाय ्
ृ तऽाधोा िलखते बमात।
ं का ्
े
रखातॐः प ैवमृाकारा दशाविध॥ ३५॥
--------------------------------------------
्
े षिा
पारमभदान
जाता इथः।
ं
चािरशिरित े इित यावत ्
ं सहॐपकं सारमभदा
् ् जाता इथः (५०४०)। पात ्
े सिभा
। ूावत षडरभदान
अारमभदसित ं ु ् िऽशत ं
े ं े यावत।् चािरशहॐयक
ं
िवशित ं ं (४०३२०)।
िवशिधकशतऽयोरचािरशहॐिमथः
्
ूावत सारभदान ्
े अिभा
जाता सा
ं ततः
इथः।
े ं े यावत।् िऽलण
नवारमभदसित े समित ं िषि
सहॐाणा ं साशीशतिित।
ु ु ं िऽलिमथः (३६२८८०)
अशीराशतािधकाषिसहॐयत
े जाताः सा
। ूावदारभदाविभा ं
इथः।
े साना ं रािदनवारााना।ं तािभः
इ ं उूकारण।
ं
सािभः। े ं
अा दशारािदभदसाः॥ ३३॥
े
ूारािदिभोिदता
इदै शिभः े ं
ोकै षा
मारसभभदाना ु
े ं ूारबमानपिदशित। े ं
तऽ एतषा
े ं दवीित
भदाना। े ु
सिः। एत ैः ूकारैः। एवावधारण।े
् े ु पदाना ं भदान।
े मष
मपदभदान े ् िऽमखाय
े ं
े ं एकालारालिमित।
सदिणरखाय। ु े े
तऽ रखायोम
। अधोाः िदादध ऊपा
रखातॐः
इथः। े
एकै कालारालिमित
ु यावत।् एष रभदिवासयूकारः।
े
ु े
प ैवमृाकारा दशाविध चतररािदभदिवास े
े
पषानवदशरखाः े तदधो
बमािखिदथः।
े े
वयिखाः
--------------------------------------------
p. 698) े े ं
तदधो वयिखाालाविध।
ु
े
ितमखाावती े े ् ३६॥
ृ तमािलखत॥
का
े े ु कोपिनबमात।
सदितष ं ु ्
् ू े चोिदतान॥् ३७॥
आ े ििबमादान परयऽ
े
एतनाऽ े ु
सवऽ दयानाननबमात।्
--------------------------------------------
े
ताधोरखाः े ् तालाविध
अधो वयत। ं ु
े ं
तदसालाविध
ु े ं
तदसािलिभः।
ु
े
ितमखाावती ृ
का
ू े
पविलिखतितीयितमखाम ृ
ैावती का
ू े े ं े
पविलिखतितीयितमखािदतदसािमखा ैकै क
अलाराल
ु े तषे ु कोषे ु अं ूथमार
ं िलिखथः।
ूथममं ितीयार
े े ु ं
ितीयममवमवमरऽारसमिमित यावत।्
एतं भवित। ूादिणोदक ् च सऽचतय
ू ु ं
े
सबमणाालनािग ् े कोऽयकोऽयोपताः
पण े
ं
षयो जाताः। तास ु पिष
ं ु रभदष े ्
े ं िविलखत।
ु
एवमरऽािप
ू ं े े ं ं
ितमपतदरसकोोपतादसपीरधो
धः पिरक तऽ तऽ तदान ्
े िविलखिदित।
े े े ु
सदितष
कोिित यावत।् कोपिष
ं ु कोाना ं पिष।
ं ु अनबमात
ु ्
ऊाधोधः। आ े को े ूितपििित
ं यावत।् ििबमात ्
ं
ििपिबमात ्
एकमक े यावत।् चोिदतान ्
े ं खडं पिरकित
ं ू
अरसोपलणभतािनित यावत।् एतं भवित।
ू
ितमपिऽिऽकोािकास ु पिष
ं ु
--------------------------------------------
p. 699) ्
े खडष
ितीयािदिप तथा शषान ू े ्
े ु परयत।
ं
[तृतीयपौ त ु शषे ैवमव े ् ३९॥
े े समािलखत॥
ु
चतथािदिप े ्]
तथा नवमा ं समािलखत।
ं
ितिनबममा ु सवतः॥
४०॥
--------------------------------------------
ू े तृतीयपौ
े े परयिदथः।
सवाडव ं ूितपिक
ं
ं
तृतीयतृतीयकोाकोाधःबमपौ। तःु समय।
ु े शषे ैः
ु े
आितीयकोयोः ूितखडूिलिखताै ः। तरवधारण।
एतं भवित तृतीयतृतीयकोाकोाधःबमपामिप
ं
ं
तडपिष ु िलिखतासा
ं े
भागहारण
् े ः परयिदित।
पिरकिततदवारावारखडािन िलखते शषाै ू े
ु ु
चतथािदष
ु ं
ूितखडचतथपमािदकोाकोाधःबमपपिष ्
ु ु तदवारखडािन
तथा तिाानगण
िवथः।
ू े
पिरक तडािन तिाै ः परयिदथः।
् ु ं
नवमा ं एव ं बमात ूागनवमकोाकपिप।
ं
अनबम ं िविभबम।ं अयमऽ ूारबमः।
ं ं े -
आिदनवाराभीारसाकोाकाकाद
ं
साः ं ू े िना तिसा
पीिमपण ं ं ं
ं
तदभीारसया ं
िवभ तसािभः
ं े कखडबमादरसािन
पििभरकै ं खडािन पिरक
ं
तडपिा े ा े को े
ं
ूथमाानरसोपलितान ्
िव
ु ं ं
पनडपिसामिप ं
तिासया िवभ
ं
तसया तदवारतदवारािदखडािन च ैव ं
बमााधः
ं
बमपोपाकोपामकै ं ैकखडं यथा
े कित
े
तथा पिरक तान ्
p. 700)
ं
िव तिष ु पिरिश े अको े तिष
ं ु िलिखतमं
े
सिदित। े
अऽ षदूार े उदाहरण ं अरऽय भदषं
े
ं
ितसृिभः सािभः ्
षं िवभ ल े े तात ाा ं
ं
पिा े ं खडं पिरक ूथमखडपोरा
ं मक ं े
को े ूथममं ितीयखडपााको
ं े ितीय ं
ितीयमं तृतीयखडााको े तृतीयमं िव
ु ं े ूितखडपिय
पनिासायन ं ं िवभ
े ं तादवारखडमकैे कपा
लमक ं पिरक
े ू
तथमखडशषभतितीय ं तृतीय ं
तितीयखडशषे ं तृतीय ं ूथम ततीयखडशष
ृ े ं
ूथम ं ितीय ं च तितीयको े बमाि
ं
तदकोाकोाधःपिकोषे
ू ं े
तिमपपिशषमं तृतीय ं ितीय ं ूथम े ूथम ं
े ्
तृतीय ं ितीय े तृतीय े ितीय ं ूथम िवसत।
ू ं
अतोािदषिष ु ासः। एवमरऽािप
ु कनीयः।
ं े े ु उिभदसाबमोय
अभीारसाभदष े ं ं िलत।े
ं
अभीसारािण े पिशः
िचदपण ं ापिया
े े ू ं ं ं
तदषिसाखडगतपिसया
े
शषमश ् ं श
ू ं यथा तथा िवभ तदश ं चते फल ू ं
ू
पिरक तलं शफल ्
िचत ापिया ू
भयो
ू ं ं
भयदवारािदखडगतपिसया े ं
यावदकपा
् ू ं शषे ं िवभ तलं तदधोधः
खडं तावत ूावदश
ं
सा ृ भागहाराभाव े िशमक
तलं स ैकं का े ं
ं
तलपामधः ं
सा
ं े ं े ु
पिशषािपतािभसाराष
ं
ूथमानािदूथमफलसानगतामा
ं े
िचिसभद ूथमानगतमं
ं
साानर े
ं तदरािप
ं
तितीयािदफलसानगतां बमादाा
ं
तदनरपिशः े
ापनािभदािका िवा भवतीित।
ं े े ु िवशिधकशतकोनाशीिततमभद
पारसाभदष ं े े े
पानयन े उदाहरण।ं अरपक
ं े
पिपणाासः ं
१२३४५। उिसाता
ं ं
तडपिसा २४। तया िवभ लािन फलािन ३ तिात ७्
ं ं
तदवार खडपिसया िवभ ल ं १ िश ं फलं १
ं ं
तदवारखडपिसया २ िवभ ल ं फलं ०
ू
फलश स ैकं का ं
ृ तदविश सा ासः ४५१२३।
् ं े े ु
िचत ािपतारसातष
ु
ूथमफलोपाच()तथान े काः
े
ितीयफलोपा()ितीयान े ितीयोः
ं
तृतीयफलोपा(त)दनतरान े तृतीयोः
ु
ूथमफलोपा()चतथानाः तदनरानाः
तदधःाविशोपाा()दधःान
--------------------------------------------
p. 701) ृ े भविा
एव ं कत े सा वीरवित।े
साधािलोमा ु
सा मा ाकलबमाः॥ ४१॥
तािभः सािभराश ु िसवािभवाितम।
े ्
े
लिलताभदजातािन े
तोाशषतः॥ ४२॥
--------------------------------------------
े
एव ं बमा ैकोनाशीिततमिवाभदपासः। ४१२३५।
ं े ु उिभद
अनरमभीसारष े ं
सानयनबमो
िलत।े अभीसारायकिािदबमादपण
ं े े
ं
पिशः ् ं
िचत सा १२३४५ तषे ु ूथमानािद
े ू े
यावितानषिभद ितीयािदानगत ं यावित ानने
तदं पिर तदगतानसामधोधः
ं
ं
सा तषे ु सवाधःम
ु
ं मा
े े े ं पिर
तपिरगताकमक
ऊािदति ं ं ्
ैडतदवारािदखडगतपिस
ं
आ ं हा सयो ं े
सवाधःासयोजनाोििवाभद
ं
सा भवतीित। उदाहरण ं अशः पारासः १२३४५।
े
उिभदासः े
४२१३५। उिभद े
ूथमानित
ु
ततथानगता १ तदधानानरािद
े
ितीयानि ं पिर तानसादधः
ं
ािपतः। तदनरान े तृतीयािा तमप
ं
तानसादधः ािपतः। तदनरान े
ु
ततथा िा तानः तदधः ािपतः। तदनरे
ं
तमाना िा तानसादधः
े े साात
ािपतः। तव ं ् े तपिरगताकमक
अनन े े े ं
ु
पिराासः २३१। तदधःितमं मा
ः खडगतसापिः
त ैाधोै ं ं
ं
तदवारािदखडगतपि े
त ैािदबमण
हा सयो
ाै हा ं े सयो
तदधःममक ं
ं े े एकोनाशीिततमसभदो
लसािभद ं े भवित।
ृ े ूार इित यावत।् िवा
एव ं सवऽ पिरकनीय।ं एव ं कत
े यावत।् सवा ूथमखड े
उपिदबमपित
ं े यावत।् वीरवित े इित दवीसिः।
ूथमपिित े ु
सवाधात ्
चरमखड े चरमपािमित
ं यावत।् िवलोमा ूितलोमबमा। सा िवा
ं
। मा सवासवचरमपोम माः
ु
ाकलबमाः
िभबमाः। तािभिवािभः। े
लिलताभदजातािन
खडपाणीित यावत।् तोािन तपटलूोािन
--------------------------------------------
े ारण ं कथम।्
अस कन
कािन िस िचािन का वा िसिदाता॥ ४५॥
े
रखाः े े
षडािलखिधोा ्
िलखते बमात।्
े ् ४६॥
एकादश ततबं पाशोकं भवत॥
--------------------------------------------
ं े पटले ूोानीथः।
ऽयिश
ू
िनािनािभदापटलोिदताः िनािनापजापटले षोडश े
तूारे ूोाः। अा इतरिनािवािभदाः। तःु समय॥
ु े ४३
॥
े े ोकयने षिध ं
एषािमािदनोदातन
े ु
दवीूमपिदशित। तऽ एषा ं पूकाराणा ं माणा ं
ू ू
ं अथाः लसपरपा
िपडकरीबीजममालापाणा।
इित यावत।् एषा ं माणा।ं सवषा
ं िपडािदपिवधाना।ं
तरण ं माणा ं सरण।ं िस मिवािदष ु
ु े ४५॥
। वा समय॥
े इािदिभः िशवान इिै िभः
रखा
ोकै माणामरवााथानाथमकारािदकारााना।
् काराणा ं पभताकूितपादनपर
म मातृ ू ं
े ं लखनबम
पाशों चबं तऽ तषा े ं
ू
भताकबमोपिदशित। तषे ु
तऽ ितदिणसिमथः।
् रखािित
िदात तािथः। े यावत।् अधोिदादध
ऊा इथः। े इित यावत।् ततने लखननित
रखा े े े यावत।् तऽ चब।
े
सािददा ं सकोमार दिणकोा।ं अणान ्
् ू
तदणान भताराणीित यावत।्
ु े कपामकै
अनबमादकै ं ू
े कभतारदशकबमािदित यावत।्
े शििरित च सितः।
मायाशिभधः मायित ं
सगःिवसगः
िवसजनीय ू ू ु े तात ्
मलाधारादिववितपवमः।
कारणा िवसजनीय। े िशवानः िशवप
अऽ चब।
शान इित यावत।्
--------------------------------------------
p. 703) े ु
तऽ सािददा ं िलखदणाननबमात।्
ु
ूाणाीलाखाानः ं
पयः
प कीिताः॥ ४७॥
मायाशिभधः सगः सवभताकः
ू ु
ूभः।
े िशवानः॥ ४८॥
तााऽ िवासो न ैकदशः
णो रः तो ूा म वा वी दो यो य ु ज ना र वा।
िन श ना ः मा ा श म ता ं णा द ना ं व॥ ४९॥
जः िः िच ि े व श ु अ ितः वः खी भा ु दा िश ू।
िन स ना हो मा मा दा िप त ै सा णा म ना ं ज व॥ ५०॥
ू भःू रा रा ा ा ि ध ला मी सा ऽा इ भ ू र गो।
कः
ना ं ता व मा णा े िन ना म ं ु था मा ब ना ं य भौ॥ ५१॥
् ं सो थ ु ो र पा।
कं िर न ं लं वाः वा व ज त य
ना ता व मा णा े िन ना म ं ु था ा ब ना ं मा॥ ५२॥
् ं भो म िव श ू न ो।
च र ॅःु ॅ ं ख ु िऽ यत
िन ना े स ता मा हं णा ं ो म े िप ण म ब॥ ५३॥
--------------------------------------------
अयमऽ िवरचनाबमः। ूादिणोदक ् च बमात ्
े
समारालमकादशषऽाालनात
्
पाशोाकं
ं ं दिणसपकोदशके
चबं िवधाय ूितपिक
ु
ूागबमात ् ु
ूाणाीलाखारािण सिबकािन
ं ं ं बमाििलखिदित॥
दशदशोपाधःपिप े ४८॥
वात इािदिभमिपणािम ु
ै ाकलारबमिलिखत ैः
ं
पिभः ोकै ः अि े
े
सममिवापािभधानसतपािण ू
भतनामािन
े ं बमण
ूक ं मता ं
े दश दशोपिदशित। तऽ वणाना
वणाना
वायानामराणा ं दशानािमथः। ं त ैजसािमित
े आयाना
िदाजसािमथः। े ं दशानामराणा।ं रसा इला
िदात न् सिः कतः।
ृ ू
भौमाना ं भिमसिना ं
ं अराणा।ं आानामिना ं वणाना।
वणाना ं
्
ोमिपणा ं ूावत ोमाना ं आकाशाकाना॥
ं वणाना ं
५३॥
--------------------------------------------
p. 704) े
एत ैनाभिभरवाऽ ृ िशव।े
मोारः कतः
े
तादतीव गोािन नामातािन
सवदा॥ ५४॥
े त ु पक।
उिनवयोगने िलखऽ ु े
् िश ैवोिपणः॥ ५५॥
े ं वदते कण
पमक
् े द जा िल वृ तः ब यो ग म ।
ै णान ख
् न े भ कु द ज त ै तणाशषभामस
ात यो े ं (?)॥ ५६॥
--------------------------------------------
े तःु समय।
अनरवमाणोकोिनवूकारण। ु े प ं
िनवपाथगभिमित यावत।् एवावधारण।े उिपणः
ं ु इािदना
ु ैः सयः
ूथमपटले चतिभरा
ं े े यावत॥् ५५॥
ऽयोिवशािदोकयनित
ृ े
वािदना ु े ोकन
ाकलारबमािलिखतन े
गपभाषाना ं सकलसभाणािमाप ं
ु
ाकलीकरणसरणयोरै ु ु
काकारमपायमपिदशित। तऽ
ृ
वजाणान ् ुु
अनवािदवोारािण।
ृ अै ः
ं ं ैः। बमयोगतः पररिमित
अरसासमानस
यावत।् त ैरै ः। भदयोजन
े ु
े ाकलीकरणसरण।
े एतं
ृ
भवित अभीाभीवोक
ं ु ु े
पादारपादारसानगणमकिाान ्
ं
तााः ं
पिपण े े ु
े िलिखताः। १२३४५६७८। तष
ु तृतीयषौ पमसमौ च
ूथमामौ ितीयचतथ
े िलिखताः
पररं जाताः बमााः पिपण
ं
ः।
े तमागभोकै
कटपयािदबमण
--------------------------------------------
p. 705) े े जनयदनान
ोकनानन े ्
सदायतः।
ृ
नानावानभीाथािवाय त ु दिशकः॥
े ५७॥
ु
अनशीत ु े रिवमह।े
े िवजन े ससम
गहृ े वा मडप े िा पीठं धविलतोदरम॥् ५८॥
् ू ं शभ
िव तिन पणाया ु वा शभोदय।
ु े
ु
कचन ु वा दरदैवपदशतः॥
ैः कमै े ५९॥
ृ
कों मडलं साण तऽावा यजिवाम।
े ्
् ु
िनशो मातृका ं जात सदायानसारतः॥ ६०॥
--------------------------------------------
े
दवीताथगामी ु े
यदाजशखरः।
े
तऽिन ् ु
ाकलान ् े ैव कवलः॥
ोकााचय े इित॥ ५६॥
े े
ोकनािदना ु
े त ोक सदायवलानभावात
ोकन ्
ु ृ े ु इानपानथान
सवछःसवष ु ्
तोकान ्
ु ् ु दिशकाना
क
सभाकलीकरणपरमाथान े ं
ु
साममपिदशित। े अनान ्
तऽ अनने अोासभदबमण।
े
् ु े
ोकान ाकलीकरणबमभदगभािनित यावत।् अभीाथान ्
ु
िनवाय ाकलीकरणबमिनवाथमथारोतकािनथः॥
५७॥
ु े
अनशीतािदिभयगत इ ु
ै तिभः
ोकै िनािवािस े
तिनात मनीिषतदवतािस ै
े ु
तवतानािमानपाणा ं माणा ं
ु
िनमाणूकारमपिदशित। ु े उशीतयरिहत।े
तऽ अनशीत।
ु ं
रिवमहे दयम।े एतिशषणचतय
े
े
मनःिरीकरणापया े े
दवतािनवासयोयापया च। वा िवक।े
ु इित सदायाथः।
िा ूाखः
पीठिमानरवमाणोके िवनन
े े सः।
े
धविलतोदरं तवणानलपननित ् े पणाया
ु े े े यावत।् तिन पीठ। ू ं
ु
ं वा िवक।े सभोदय
पौणमाा। ु ु े शभमहोदय
े शभराँयदय ु े
च। अ सदायाथ िलत।े इडायामवे ूवहतः ास
े
ूवशावायािमित। ु
कचन ैः रचन ैः। वा िवक।े दरदैः
जाितिलैः। वा िवक।े उपदशतः
े े
उपदशबमात ् ू
ौीभतिलपीनािमित
यावत।् को
ृ ु
ं मडलं पाशोाकममडलं
--------------------------------------------
े
एषामोसदबााहवोणवाः।
्
त ैः तथा भजनात िसाः फलि स ैयोगतः॥ ६३॥
माथाििवधा े ाताः िसिकाििभः।
या
ू
पजापटलसोाििवधाः ु
पासकाः॥ ६४॥
--------------------------------------------
ृ े साणिम
कथः। ू े उपदशत
पवोक े इनने सः।
ु ं पाशोाकं चबं िवधाय
एतं भवित ूाग
ं
तऽोािदपिपक ू े दशकोषे ु यथोपदश
े ितमपण े ं
ू
ौीभतिलपीन ्
बमाि े े
दवीमयिदित। ु
सदायानसारतः
ु
सिबकमकारािदकारामनलोमबममर ं
ं सिवसजनीय
् े
लकाराकारा ं कारं च ैव ं बमात ूितलोमबमथः
। एव ं ूितिदन भजनजपािदनथः। ु
े का ं म ं
े अभीाथगमक
रचयिदथः। ु े यावत।्
ं ािदिसमागणित
ु
ूोयोगतः वमाण मवीपानसान योगतः॥ ६१॥
नभ इािदना ैयोगत इने ोकयने
ू
सकलमापकं बरं सौं िमौोपिदशित। तऽ
ु आकाशारायार
नभोऽिवायूायाणाः े ु
वारूचरा
े यावत।् भतोयूचराः
माः ोभकरा िवित ू ु
ू ु मा इित यावत।् सा
भरतोयारूचरा े उपााः सवः
े यावत।् िसिकराः अिभमताथित
सवऽित
सवदा े यावत।् एषा ं
ू ू
बरभताराणा ू
ं सौभताराणा
े
अोसदबाात ् ं े
अोसयोगूकारभदबाात।् अणवा
ः। तथा
माः। त ैः अणवै
ू ु ु ं एतं भवित
िनजिनजबरसौिमौािदभावानगण।
ू
बराराणा ं सौाराणा
ू े माः ैयोगतो भजनात ्
नािधकयोगवशािवधभदा
ू
िसाः बरसौिमौािद ु ु ं फलीित॥ ६३॥
भावानगण
माथा इािदिभः इिसिदा इिै िभः ोकै
माणा ं सवषामथालोचन
े
--------------------------------------------
p. 707)
वणोदयिवौािपद ु
े बििनवशनम।
े ्
ु ् ६५॥
िसथािभवीणम॥
एकोः सवतः
ं े
वावाचक सभदभावनािदिभरीिरताः।
े े े
एषा ं पूकाराणामशषणिसिदाः॥ ६६॥
ु ू े जीवो
यने ानानभतन ु भवरः॥
े ६७॥
--------------------------------------------
े ं परापािदतः
तदराणामिप ूक
े
पँयािदकमणोदय ं तषा ु
े ं पनादान
े तिवे िवौाा
च सवमाणा ु े
ं परापमवे पिमित िसैरनसयिमित।
अः अथ इित यावत।् सवतः ु
िसथािभवीण
ं
ृ
ाकरणूोूकितूयािदिवभदन ु
े े िसा
ु ्
ं एतत सािवषय
ताथानसान।
इथः।
े
वावाचकसदभावन ं वापाणा ं
ू
पभतानामाकतया वाचकपाणामराना ं
तदाकनाद परमाथशिा
तादाभावनिमथः।
्
एतत साधकिवषय ईिरता इतीिरताः ौीिवाया अथा इित यावत।्
इथः।
एषा ं माणा ं पूकाराणा ं
ं
िपडकरीबीजममालासाना ं इिसिदाः
ु े े यावत॥् ६६॥
े यथोिदतनित
तदनसानन
मवीिमािदिभः ईिरत इिै िभः ोकै ः
ू
सकलमिवागण बीजभत ू )
(जीवभत
मवीयािभधान प ं तानने
परमाथ
--------------------------------------------
p. 708) ू
े ं शिमना
तजसा ं ूपािप कारणम।्
ु
गणऽयममीषा ् ु ् ६८॥
यत कारणमदातम॥
ु
तपानसानिसिः समीिरतम।्
ु ं माणा ं जीव ईिरतः॥ ६९॥
तवीमि
--------------------------------------------
ं सककरणोपिदशित। तऽ मवी
े ं सवषा
तषा
ु
ं ूा े इित दवीसिः।
माणा ं परमाथप। े
ु
सखाद
परमाथपलाभात।् यने मवीयण।
ु ू े कवल
ानानभतन ु
े ं ानमाऽमरणानभवपवसाियना
े
ु जीववे मः।
े जीवः
चथः। ु याथाानादसोच
ु तजसा
एव मििरथः। ू ू
े ं सोमसयािमतना। ू
ं शिमतना ं
ू
मितकारणशीना ू
ं मतना
े े
वामााानिबयारौिीणा ं
ु ूप ातृानयप।
ॄिविाणािमथः। े
ु े कारण ं भतऽ
अिपशः समय। ू ैिवित
े शषः। ु
े गणऽय ं
ं त े यिन।् मतना
सरजमािस ू ं ूप च
ु
ऽैिवगणऽयािदवत ्
प इथः। ु
अमीषा ं गणाना।
ं चः
ु
समाहार।े अनने गणाना े ू े कारण ं
ं तजःशिमतनाथः।
ूावत।् उदात ं अािवश
ं े पटले कारण ं परमशािन
े े व तु
तवै
े
कवलिमित। ु
तपानसानिसिः
ू े
सकलकारणभताशाना िवया
े ु
चापृथनानसानिसिः। ु ं जीवः
सं आिभमकरण।
ु
ूाणा। अनिभमखमाणामकाकारात ्
े मिवानामकाकरात।
मवीयोगानमरण ्
--------------------------------------------
ु
गरोरवया पापाििषाचारयोगतः।
े
दवतािोहतः
सवपिरवादानवया॥ ७१॥
े
असदायादानादनकभजनादिप।
्
तं यने भवते का ् ू ् ७२॥
तत पवमीिरतम॥
नाितसनविं ु
सिखता िकािरता।
े े
दहमाऽयाऽा ् ७४॥
परिचािववजनम॥
--------------------------------------------
असिमािदिभरीिरतिमिै िभः ोकै मिवादीना ं
ऽयोदशिवधासकारणं
ु ु
ूागसिनगमनसिहतमपिदशित। तऽ असं
अकाकरणमथाफलं वा। माणा ं मिवाना।ं
अयोयकथनने ूथमपटलूोलणरिहतिशोपदशन।
े े सदा
्
ूयोगात िनन ु ु े
ैिमिकपररणभजनबममप
कामतोऽनवरतूयोगात।् भजनादकाले िनन ैिमिककाषे ु
ु े इतरकालभजनात।् सशयात
ूोकालमप ं ्
उकर े
ु
ािभमतफलूद े च। गरोरवया ु ु
गरोरनिभमतानानात।्
्
पापात ूथमपटल ु ु
े िवशािदोकऽयोाचारिवपरीतानानात।्
ु
िनिषाचारयोगतः तटलोिशाचाराथानानात।्
े
दवतािोहतः े े
े सवपिरवादानवया
दवताभदूितपः।
्
े जपािदनवया वा। असदायात अनिभ
सवजनपिरवादन
ु पऽािदष ु िनरीणाा लमाऽपात।्
गरोवा
े ु
अानावतागमाणा
ं परमाथप।
े ं तं
अनकभजनािवादीना।
ु ु ं का
ूोदोष ैरनिभमखमिवानामािभमकरण।
ु ७२॥
तिवानसानिमथः॥
नाितषे इािदिभलणिम िै िभः
ोकै मिसाना ु
ं षोडशलणापिदशित। तऽ नाितषे
े स िसिचािन। नाितसनवििमािदना
इािदना ोकन
--------------------------------------------
p. 710) ु
एक ं लाभहाोः सदा सिचता।
ृ शितो दानिमित िस लणम॥् ७५॥
भों
े ं
मनोरथानामशसिसिः िसिरीिरता।
राः ूसादः सवषा ु
ं मां पयिसयः॥ ७६॥
ू
ाितवाहनभषािदलाभः ु
सिचरजीिवतम।्
ं
आरोयमिवसवादः ृ
सिं कतता॥ ७७॥
े ं तथा।
िवषाणा ं जरण ं ान ं ावदन
ूाः िसयः ूोा मनोः िस सवतः॥ ७८॥
े
नराणािमव माणा ं दवताना
पावित।
ु ू ् ८०॥
अोवैरमवे गणभतसमयात॥
े
आयाना भौमानामाा मा ु वैिरणः।
् ् ८१॥
वायाना ं जलाना भौमाना ं ात पररम॥
--------------------------------------------
े प िसिचािन। एकिमािदना ोकन
ोकन े चािर िचािन
ूोािनगमन॥ ७५॥
मनोरथानािमािदिभः िूय े इ ु
ै तिभः
े ु
ोकै मिसतशिवधं ु
ूयोगषे ु गणिवधानािदकं
ु
चोूिदशित। तऽ पयिसयः िचरकालायीिन परूयोजनािन यािन
कािण ु
तािन पयािन े ं िसयः।
तषा
ू
वाहनभषादीऽािदशो
महाहवािदिवषयः। ं
अिवसवादः
ायोिरित यावत।् सिं ित
े यावत।् िवषाणा ं
ृ ं ान ं आन इित यावत।्
जमावरकिऽमादीना।
े सवतः
मनोमिवादिरथः। सवा इथः।
नाथा
अिसमण इित यावत।् िूय े इित दवीसिः॥
े न का े ु ७९॥
नराणािमािदिभबत इ ु
ै तिभः
ोकै मिवादीनामो ु
ं सकारण ं वैरमपिदशित। तऽ चः
ु े पावतीित
समय। े ु
दवीसिः। एवाव धारण।े
--------------------------------------------
े
माणा ं दवताना वैरीकरणमीिर।
कथयािम ण ु ूा े यने लोकोितसीदित॥ ८४॥
ंु
वैषभजन ं पसामानादाशयाथवा।
तने मा दवता
े बा ु ् ८५॥
ु हपासकम॥
--------------------------------------------
ु ू
गणभतसमयात ् ु
सािदगणाना ू
ं भताना समयात।्
े
आयाना े ु ं अिदैवतानािमथः।
ं आयारूचराणा
मिवादीनािमित यावत।् चः समय।
ु े भौमाना ं ूावत।्
--------------------------------------------
p. 712) ु शौषया
गरोः ु ू काले दीया लमादरात।्
े े
तदाया भजदकप े ८७॥
ं म ं िसय॥
ु भयात।्
े िरपतो
अथा साधकं हाण
दािराीघरोगाा े ् ८८॥
सनितसजनात॥
यो यो म त वणषिधिविनिता।
ं ु
तणसािभगिलका मिसिदा॥ ८९॥
े
तयािभषकारण े
ं तादिलपनम।्
--------------------------------------------
ु ु
े ोकयने गमदवताना
गरोिरािदनाितसजनािदन े ं
ु
सजनबममपिदशित। ु सत इथः।
तऽ गरोः काले ितीयपटले
े ूोे इित यावत।् दीया
िरे इािदना चािरशािदोकयन
ं
े े इित यावत।् आदरात गिशयोिरथः।
अिभषककटाािदूकारण ् ु
ु
तदाया नाथाया। एकप ं अनिदनिमित यावत।् हावतित
े े
यावत।् िरपतः
ु िरपोः भयात।् यने कनिचाजन
े ् कवलभयात
े हात नवा े ्
--------------------------------------------
े
ौीदवीित ु
समिा ु
वायवणषधािन वै।
ु ् ९२॥
ं त ैः कयादनम॥
बमाशाना ं वणाना
ु
लघो ु िवोरः कथा।
मरो
ृ ू िचऽाफाा इित बमात॥् ९३॥
कशूसन
विवणषधािन ःु पऽ ं सग ्
कीितम।
े
त ैषामचन ु ु
ं कापादान
े रतः॥ ९४॥
ु चौरगहु े अँमरीकािमकौ।
उशीरकौ
ु
रोिहणलसी े च बमात॥् ९५॥
पोऽी सदामिित
ू े ु े े ्
े ं समयत।
भमवणषधाािभषा
ं
तााथसिस ै कात ् ु ् ९६॥
ु सदिणाम॥
े
ौीदवीित
जलाणानामौशधािन े वै।
बमण
ु ् ९८॥
े ं समन ं कादोषधरिभरादरात॥
तषा ैे
--------------------------------------------
े
िसतािदिभः
िसयः इदै शिभः
ोकै रकारािदकाराानाम
े ू ं
े वणाना
राणामतोिदतपभतबमण
ु
दशदशौषधिवधानापिदशित। तऽ िसतरे चन े िसतचन ं
ु
ु किचनी।
रचन ं च। िपलः अः। लातका
त ैरौषधःै तदन ं तदराणा ं
े े ् लघःु अगः।
तवतानाानमतत। ु िवोरः अऽ
्
िदात िव े
उर इित पददः। िवसजनीय
सग अ
ू ू
भतारानभतात पृ् थमहण।ं कार ककारषकार
योगाकात पृ् थगौषधमन े ं ूावत।् पोऽी वाराही
ु ं च। तषा
ु एिभरौषधः।
मशलीथः। े ं ूावत।्
ै तषा
ं
तााथसिस
ै तााथिसथ।
--------------------------------------------
ु
इािन
खवणानामौषधािन े वै।
बमण
े
त ैषामन ु
ं काााथिसय॥
े १००॥
--------------------------------------------
* ु
कोल रोचनया लवोदरपिका इित वा।
अिलः अिलकरी ूसािरणी। त ैरौषधः। े ं ूावत।् कोलािद
ै तषा े
ोकापादारािधकरण ं िदात।्
ु
अऽौषधानामाातािन नामाारामखादवगािन।
ु े े १००॥
तऽ यथािसि ूागिवधाननथः॥
ं े त ु पटले याकमदीिरतम।
पिऽश ु ्
ं
षिशपटलम।्
ु
अथ षोडशिनाना ं िवधानािन याधना।
ु
किथतािन मया तािन ौतािन े
च महर॥ १॥
तासा ं त े म े तथाषा
े ं दैवताना ं यथाथतः।
े २॥
प ं िकं कथ ं िव ं िकमाकार ँयत॥
--------------------------------------------
ू
पविन ् ं े पटले षोडशिनाना ं सपिरवाराणा ं
पिऽश
ु
ा े वासनािदकमपिदँयानरं षोडशिनािवािसाना ं
् ु
तत परमाथपािदकमपिदशित। े ं
अथ षोडशािदमदशक
े षिशन
इोकशतपण ं े पटलन।
े तऽ अथ षोडशािदिभः
े
सदा इदै शिभः ु
ोकै ोाथिनगमनपरःसरं
ं
िवशितिवध ं ू ं तर वमाण वन ं
े
पतोपकरोपिदशित। अथ षोडशािदना े
ोकन
तोाथान दवी ु े
े िनगमयित। तऽ तािन िवधानािन। चः समय।
े े
महरतीर ु
सिः॥ १॥
तासािमािदना ोकन
े परमाथप ं
तपूकाशोपाय ं परमाथ प ूकाशकारण
े पृित। तऽ तासा ं षोडशिनाना।ं तने तव िशव। अऽ
दवी
ु
तने िनानमहाकं गु ं मनानािदमायाकित
े
ु ं िश ं ूपलयतीित।
ादनमा ु ्
[यत यात ् ु
गरोिरित ्
यावत ?]
म े मम दाः
े ू
िशभतायाः। े ं
अषा
े े ू पां
ं यथाथतः
सकलवदागमषपिदपाणा।
परमाथप ं िकिमित यावत।् एषः ूथमः ूः। अनरं
परमाथपूकाशोपाय ं पृित। कथिमित ितीयः ूः।
िव ं िकमाकार ँयत े इनने ैतं भवित।
परमाथप ु े तथापरमाथप
ैव ूकाशो यत ं
ु ु
िव ं गगनकसमािदवत ् ं े ैव ँयत े तत ्
सामाऽमरण
िकमाकारिमित। एष तृतीयः ूः॥ २॥
--------------------------------------------
p. 716) ु
ूािणना ं पयपापािन ं
िकपािण च कै था।
े ःु का मिः
े ं जािन कन
तषा ु ससृ
ं ित का॥ ३॥
े त च मोचनम।्
ु कथ ं बः कन
क मिः
ू ं ससृ
िकं मल े
ं तराः कािन तािन का च धीः॥ ४॥
--------------------------------------------
ूािणनािमािदना ोकन ु
े ूािणना ं पयपाप ैरस ं
् ु
तत पयपापप ु
ं जकारण ं मिप ं
जकारणप ं ससृ
ं ितप पृित। तऽ ूािणना ं
स े षी। िकपािण
ं ं े े यावत।् एतं भवित
िकपणित
ु
ूािणना ं पयपापाकं ु े इित चतथः
े यत
कन ु ूः। कै ः
किभिरित ु
े तथा पयपापिमित
शषः। यावत।् इित पमः ूः
े ं ूािणना।ं कन
। तषा े कारणनित ु
े े षः ूः। कामििरित
ं ित का इमः ूः॥ ३॥
समः ूः। ससृ
े
कािदना े ूष।
ोकन ं तऽ त ब। चः
ु े ४॥
समय॥
े ू ष।
कानीािदना ोकन ु
ं तऽ कः परथा वतो
जीवपदािधकः कः पर इित यावत।् सव िवशितिवधान
ं पृ् ानथािनित
यावत।् यथावत यथाथः
् ु
म े िनानमााया े
अवािसा इित यावत।्
ु
ूभो इतीर सिः॥ ५॥
े े
यनािदना ोकन ं वदशा
े ाथाना े ैरिप सािद
ु
टकथन
ं ूाथयित। तऽ यने ूकारणित ्
े े यावत कत।
े यिद
्
े तत प
िवशषः ं ट ु
ु ं अनभवयोय ं नाितसोचिवरं
ु ् ६॥
अितसोचाितिवाराा ं ातमशात॥
--------------------------------------------
p. 717) ं
यया िवशितिवधः कतः े ु
ृ ूः िशवऽधना।
े ु े ैव कथयािम तवोरम॥् ७॥
तषामबमण
य ैरैः प ं ायत े सगसा।
यिदतोऽऽ सवऽ ूों िनवचबतः॥ ८॥
ु ं त ु िनदशन ैः।
अऽासा ूोत े तवच
त ैयोबमािा ं वासना ं शन ैः॥ ९॥
जया
ु ु े ु
सशटाशषराा े ु ्
भववम।
् सदा॥ १०॥
ु ं रह ं परम ं गोपयते सवतः
ग
--------------------------------------------
े
ययािदिभः सदा इ ु ोकै ः
ै तिभः
ु
पृाथकथनपीिठकापरःसर ु ं
ं तदनभाव
् हतोः।
तपकरोपिदशित। तऽ यत इित े ु
िशव े इित दवीसिः।
े
े ं ूाना।ं एवावधारण।े कथयािम तािदित शषः।
तषा े
य ैरैवमाण ैिरित यावत।् प ं परमाथप।
ं
लत े ूकाशत।े सक ् अनभावयोय।
ु ं असा यथावत।् यत हतोः।
् े
--------------------------------------------
े ं च ैता यथाथतः।
तासा ं तव तथाषा
लाभादवे ं वासनाया िवनाशादथा तथा॥ १२॥
िरः ाूकाशः ािोऽूितभटो महान।्
ं ु े ् १३॥
े वा भवत॥
िनादयसूोटोपायन
--------------------------------------------
ं ु े िनादयिमित षोडशिनातषे ु
िनादयसूोटोपायन
किच
--------------------------------------------
p. 719) ु े
श भात ्
ूप च ँयत।े
ैमनयों साससम(मय)तः॥ १४॥
ु ्
ु वनम।
तने ैव ूािणना ं पयपापकस
यथाजानतोऽथष ु ापारः पयसकः॥
ु ं १५॥
अनथथसः पापाो मनसा तथा।
जािन नानापािण य ैिन े ् १६॥
ं शभाजनम॥
--------------------------------------------
् ु ्
े वा िवक।े भवते ाूकाश
नाम तिन ूोटापायन। इित
यावत।् एतपायापरात
ु ् ु ् १३॥
आरामखादवगम॥
े
शािदना े तृतीयूोरने
ोकन
ु
ूपूकाश कारणािदकमपिदशित। तऽ ैपात ्
उभयाकात।् इननोरऽ
े ं
िवशूोरकथनूसात ्
ु े अनयोः
ूप वमाणप ं ारयित। चः समय।
ु
शबोः े अपरमाथप
परमाथप े च समूविात।
ृ ्
एतं भवित परमाथवदपरमाथिप ु
शबोः ृ
ूव ैव
ूपो नामपाा ं ूकाशत े इित॥ १४॥
तने ैवािदनान
े ु
चतथूोरन
े ूािणना ं
ु
पयपापाकूकार
ं तदपरमाथकथन ु ु
परःसरमपिदशित।
ु
तऽ तने शबाण।
े एवावधारण।े ूािणना ं
स े षी। वतन ं ापारः। एतं भवित
ु ु ु वनमव
े पयपापकमस
शवाण े ूािणना ं
ु
पयपापाकिमित॥ १५॥
े
यथािदना े े ोकन
भाजनिमनाान े
ु
पमषूयोरने पयपापकमप ं
ूािणना ं जकारणोपिदशित। तऽाथष ु शािदताऽास।ु
ापारः इियाणािमित यावत।् एतं भवित याथािवदो
िवषयषे ु ताऽापमाऽाीकाराने ैवासा त
े
तिषयिियाणा ु ं भवतीित। अनथष ु
ं ापारः पयसो
अथाः शादयः तषे ु ताऽाूितपिमाऽमरण ु
े पऽािदभावा
े ु अथसकः
अनथाष। ं ु
याथाबिः। मनसा इ
ं
अथसक ू सः। एतं भवित िवषयषे ु
इनने पवऽ
ु े तषे ु
े पऽिमऽकलऽािदन
शािदताऽामाऽूितपिमरण
ं
मनःसयोग े े
ं भवतीित। तथा अयथााननित
एव पापसो
यावत।् नानापािण जरायजािदपािण।
ु
--------------------------------------------
कयात ् ु
सरो ु कटाोििवमशतः।
ू ं नतरै
मोचन ं सवजना े कदाचन॥ १८॥
--------------------------------------------
य ैः पभदैे ः। िनशभाजन
े ू े ं िमऽमहं
ं तिपह
ु
शऽिरािदभाववत।् एतं भवित यथा ौोऽिय
े श एव
ु
िवषयः िगिय शः चिरिय े
प ं रसनिय रसः
े
याणिय ु शः वायोः शश
गः आकाश गणः
अःे शशपािण
जल शशपरसाः ू े
भमः
शशपरसगाः ्
तात शािदताऽा ू
एव भतािन
ू े ं े
भतावाोसयोगिवशषात ्
ु े े
जरायजाडजदजोिाकनोिपिरणामयिवकारनाशा ्
ू े ु
अकािन पािण तावे नानापािण जािन भवि। तिपष
ाािभमानाभाविसैिवकारै ु
ःखानभवीित॥
१६॥
याथाािदना ोकन ु
े समािददशमााना ं चतणा
ु ु े ससृ
े मः
ूानामरन ु े
ं तःे बमचन व च
ु
पायपिदशित। ु
ं मिः
तऽ याथा ानमथाना
घटशरावािदिवकारषे ु
मृामाऽानवँयमानिविवधपषे ु
ु
िचामाऽूितपिमििरित यावत।् तिपरीतता अयथाानिमित
यावत।् मोचन ं बः
ु े अयथाान बिधमात।
ु ् वासना
बः अयथाानमनािदवासनय े यावत॥् १७॥
ैवित
कमयािदािदना े ैकादशूोने
ोकन
ु
मिूदातार ु
ं मिूकार
ं चोपिदशित। तऽ कयात ्
अानकायात ् कारणकायोरभ
कमणः े दोपचारात ्
अानयािदित यावत।् सरोिरऽ
ु ं
समि े ितीयपटले
े े े
िवरािदिभरकषितमाकादशिभः ् ृ
ोकै ः ूोिवधानात कत
ू े
पणािभषकमिन ्
पटल
े ूोपरमाथप
े ै।
ु ूथम े पटले सर
गं ु इािदन ैकोनिवशोकन
ं े
ूोलणसणं ु
ू । तरवधारण।
े कटाोििवमशतः
कटाा िवश
ं े पटले सवासािमािदिभरकचािरशािदनविभः
े ं
े
ोकै ः ूोिऽिवधूकारतमः उिः ौीिवायाािन ्
पटले ूोपरमाथपोपदशः ु
े िवमश
ु
े िशवपानसान
ूोूोरूकारण ं तात ्
कटाोििवमशिरित
यावत।् [ूोूोरूकारण
े
--------------------------------------------
ु
तािन ताािन सवः सवऽ सवदा।
े
ातृानयमयाथाािन
सवदा॥ २०॥
--------------------------------------------
ु
िश े या पानसान ्
ं तात कटाोििवमशिरित
यावत।् ]
ू े े े ु िचरणवशादव
एतं भवित भतयोगिवशषमाऽदहष ु े
ु ु
जबिः। तिकारादवे दहगताहा
े ु
अवा बीियाणा ं
ु
ापाराः पयपापािन े
मनःूाणदहाना
ं धमालािन।
सकटाोपदशिवमशरपरमाथात
एत सव ु े ्
ृ े े यावत॥् १९॥
जजरामरणााविॅािपणित
े ऽयोदशूोरन
तानीािदना ोकन
ू
पिवमशसाधनभताना े
ं ातृानयाना ं ऽयाणा ं
ताकं तिदतरपाणा ं अताकोपिदशित। तऽ
ं े यावत।् तािन सािन च ैत तादाने
ता न सयित
ु
रणात।् सवरागमािदिभिरित
यावत।् सवऽ सवदहिित
े े यावत।्
े
ातृानयमयािन े
ातृानयाकािन। अथा अािन
तिदतराकने ूतीतािन अािन असानीित यावत॥् २०॥
का च धीिरािदिभिवमहिम ःै सदशिभः
ु ु े
े बः
ोकै तशूोरन
ु ं ु
सािधकशतगणादनभावोपिदशित। ु
तऽ तिित े
शषः।
--------------------------------------------
p. 722) ु
मनोबिरहारिचिमािद नामिभः।
ु े े
वभदादभदा सदा॥ २२॥
यं सवतः
े
तदकमय ू ं स
ं ल ु
ू ं मितटम।्
अप ं सवप े
सवशकरं हरम।्
सवतृ ाकरहरं सवषा सदा॥ २४॥
ं सवतः
--------------------------------------------
ं वाचमिवषयात।् ट
वच ु
ु ं अनभवयोय।
ं ूा े इित
े ु
दवीसिः। ं
िवशितः ूानािमित यावत।् इादीऽािदशने
ु
ूोनामचतय ्
धीूािदवत पायमाऽं कथयित।
े
यिद विननायः। सत आगमािदतः॥ २२॥
ु
े ैकादशगणाः।
तिदािदना ोकन तऽ त ु एकं पिमित
यावत।् अय ं िचपलाकात।् ल
ू ं िवाः।
े
ु
ू ं िपपीिलकािदसदहरणपात।
स ू े े ् ं
ं अतीियात।् अितट
य ु ं ानपात।् िवषम ं
--------------------------------------------
p. 723)
सवोभाक
ं सवशािप ्
िनयम।
े
सदयािववका े ् २७॥
िववकपरमाथकम॥
उारकं पातनकप
ृ ं जयाकम।्
ु ु ् २८॥
शोकाक िनःशोकं सकौतकमकौतकम॥
िनम ं सदो े ्
ु ं सावलपमगवकम।
अमशपमो
ं सवो ु ु ् २९॥
ं सखासखम॥
बोधलोभमदिोहमाकामिवमहम।्
अृषण ु
ु ं षडः विनता पषथा॥ ३०॥
ृ ं ाकारं तथािवलम।्
ृ ं तथो
अपक
ु ं कपणथा॥
अगाधमितगीरमदार ृ ३१॥
िनषः सवदोषाा ू
सविवढिवमहः।
सोचपः सवषा
ं तथा सवूकाशकः॥ ३३॥
--------------------------------------------
सवािदना े षणाः।
ोकन ु े ं
तऽ िववकपरमाथक
े ् २७॥
िववकपरमाथपम॥
े ु
उारकिमािदना ोकनागणाः। तऽ भप ं
पराजयपम॥् २८॥
े ु
िनमिमािदना ोकनागणाः। ु ु ं
तऽ सखासख
ु
सखप े
ं ःखपित॥ २९॥
बोधिमािदना ोकन ु
े पदश गणाः। तऽ
अृषण ु ् ३०॥
ु ं बोधािदषणरिहतम॥
ृ
अपकिमािदना े ु
ोकनागणाः। तऽ अगाध ं
ं ३१॥
रवगाह॥
े
भायिमािदना े ु
ोकनागणाः॥ ३२॥
े ु
िनष इािदना ोकनागणाः।
तऽ सवदोषाा
ं ूािणनािमित यावत॥् ३३॥
वातािदिऽदोषाा सवषा
--------------------------------------------
p. 724) े े
अयपया वँयोऽवँयरो मृः।
ू ं सौ ं त ैबिभ
सरस ं िवरस ं बर ु िकम॥् ३४॥
--------------------------------------------
े
अयिमािदना ोकन ु
े दश गणाः। तऽ अवँयः तः।
ु ैः॥ ३४॥
त ैगण
यी शिमयीित यावत।् एतं भवित िचप
े ु
योपलिबििरित। े यावत।्
मयी िशवमयी ािकित
् ैव यदा
े तगतविवत स
एतं भवित उपलिपमरण
ं े उभय ैाििववकाा
िता तदा िचिदित सित। े धीिचत ्
्
पयोरपृथात िचदाान ं िवमृशतीित यावत।् अः परः
े
तिवकवान ् थं िवमृशतीित यावत ्
धीिचपयोरपृ
े
ािवभिदं ाापृथावं। िस े याथाप।े
ु े ः
ूाफलािन अवाफलािन। चः समय।
ु े े
बयाथावा। े े े ुच
योगीािदनामपकं वदागमष
ु ु ं ूोमनने तव
परमाथिवदतानगण
ु
बधीनिमित यावत।् तने बयायािवदा।
ु े े ३७॥
एवावधारण॥
े
ान इािदना ोकन
े े
पदशूोरनियाणा ु
ं पमपिदशित। तऽ
ृ
ानः मनोवा े सृािन उपलानीित
मनाापारण
यावत।् भतशािवमहािण
ू ू
पभतशिपािण।
ु े एतं भवित मनोवा
तरवधारण। ृ
ु
िवषयमहणाथमपलािन ू
भतशिपाणीियाणीित॥
३८॥
--------------------------------------------
p. 725) ू ु ं
भताबिसघातशिच ैतजृणम।्
ू िह जीवाकः परः॥ ३९॥
ूाणाािभतो
ु ४०॥
काल इराा ं तपम॥
े
न शतऽसा वं ु तथा दशियत
ं ु तव।
तथािप तव यििाकरोिम समसा॥ ४१॥
े ु चाकािदसमयात।
अहोराऽािदभद ्
ु
लवऽादयो या े खडका ु तत।्
् ं यदनािवमहम॥् ४३॥
काल प ं तत ूो
--------------------------------------------
ू े
भताािदना े षोडशसदशाादशाना ं
ोकन
ूाना ं ऽयाणा ं उरने ूाणाना ं जीव च
ु
पमपिदशित। तऽ
ू ु ं
भताबिसघातशिच ैतजृण ं ूाणा
ू
इनने ैतं भवित पभतपाणा ु े
ं ब
ं े ूाणा इित।
च ैत िवजृणभदाः
सघातसामन
तािभतो ु
ू दहियािदपानसानूवः।
े े ृ एतं
ु ािववकावाया
भवित िचपलिपा बिः े ं
े ु ृ े ृ जीवसा
दहािदपतयानसानूविनवा ं ं लभत इित।
े एतं भवित यदा
ताकतः ताथान।
ु पपरामशन
िचपलििपणी बिः
े े े ु ृ े ृ
दहियादीनामयाथाादाकनानसानूविनवा
े िवौाित तदा परसा
दााभावाििरव पण ं ं
लभत इित॥ ३९॥
काल इािदिभरऽ वै इरै िभः
े ं ु
े कालपािदकमपिदशित।
ोकै रकोनिवशोरन तऽ
ु ु
े पवू चतशूोर
तरवधारण। े तदकिमािदिभिरित
े यावत ्
ु िव ं ततः गणसमवान
। यतो गणवै ु ् ु
समगणवान।् तथािप
--------------------------------------------
p. 726) ु
लवऽािदक ू य ैः कालो ायत े मया।
ं ॄिह
ू
निला पऽिनचय े सचीिवऽथ
े त वै॥ ४४॥
े
एकै कदलभदोावा लव उदातः।
ु ् ४५॥
ं ु ं ूों ऽटीािदशरीरवान॥
तिशिणत
े ्
ु ं त प ं िकं कथ ं भवत।
काल इिदत
इित पृने तं ु शत े सट
ु ु ं मया॥ ४६॥
--------------------------------------------
कालपकथन ं । एतं भवित चाकािदमहगितवशात ्
--------------------------------------------
p. 727) ् ु
महा ु िचयाः काले ािप चबॅमात पनः।
ू
भतादीिन ृ
समािन िवकतािन े ४८॥
िवतत॥
े ्
े य ं क कथ ं भवत।
जनन ं मरणित
् ं िितः॥ ५१॥
े कथ
अप िवभो जीवत
--------------------------------------------
े ोकयने
महा इािदना िवभो इनान
ं े महाणा ं
िवशूोरन
ु े ु ु
पापदशपरःसरमिनगमन ं करोित। तऽ त ु िचयाः
ू
कालापृथमपिचिपाः।
ू े इित यावत।्
काले ािप ािप काले ािप दश
्
चबॅमात गितवशात ् शषः।
इित ु पनः
े पनः ु पनिरित
ु यावत।्
ू
भतािदनीऽािदशो ु
बीियूाणािदिवषयः। तिकारा
ू
भतािदिवकाराः ं े शषः।
ूपसयित े एतं भवित अऽ
् ू
ोितबे महगितवशात भतादीना ं नानािवधिवकारः
ं
ूपसया ् तीयूोरशषे ं
ँयत इऽ ूसात तृ
ु ं त ैः महैः। एवावधारण।े तषा
ूपपमपिद। े ं
ू ु
ं दवे िवभो इित यमपीरसिः॥
भतािदिवकाराणा। ४९॥
ूारावतार पीिठकाब ं
तथापीािदनोरान
ु
करोित। तऽ तथािप म े किथतमिप। अधनापीित े अापीित यावत॥् ५०॥
शषः।
े इ
जननिमािदिभपदशत ु
ै तिभः
ु
ोकै ादशिवधूपािदकमपिदशित। तऽ जननिमािदना
ु ं अपािदनायन
ूचतय।
ोकान े े
ूऽय।ं त ान इित यावत।् कतो
ु हतोः।
े तालपरमानोः
ु इािदनोरान
अनािवमहयोः कालपरमानोः। म
ु जीव इित शषः।
ूय।ं तऽ मः े परे जीवा इित शषः।
े वा िवक े
ु (?) यिप
। एतं भवित एत े जीवाः ूितमैकैकमा
्
कालानािदात ूपभावो ु े तथापीदान ूारवत ्
यत
्
ूपः ूसरतीित यात ूसरणाथ
--------------------------------------------
ू
कथ ं वा पभताना े ु वातः।
ं िितदहष
े े ु जीवसूािः
दहष ं कीशीािद म े वद॥ ५३॥
ु े िच े म े शौषा
यने ौतन ु ू े ्
नो भवत।
े ं
तथा म े सवसहािँछि ू े
पणपदशतः॥ ५४॥
ु ु िवारकिवपाकतः।
ूागबिवै
जनन ं मरणित े ् ५५॥
े य ं दहपिरमहात॥
े
ूतलोहिपडऽििितवत ्
परिवयोः।
् ५६॥
अवा कालपरयोादाादवे वनम॥
--------------------------------------------
ु एव जीवाः पनजाताः
मा ु िकमथवा परे जीवाः सवीित िकिमित।
ूय।ं तऽ अतः
कथिमािदना ोकाान
े
दहािहिरित यावत।् दहिािदना
े े े
े इनाान
उपदशत े
े ैकः ूः। तऽ कीशी का ं अवाया ं कन
ोकन े ूकारणित
े े
यावत।् इादीऽािदशो जीवदहो
े े िविनगमनूकार
ु
तगितात ्
ानकाल ु े
च ूिवषयः। यने ौतनोरण।
े
े शषः॥
अ ूित े ५४॥
ु े
ूागािदना ोकन ु
े ूचतयोरं कथयित। तऽ
ु ु िवारकिवपाकतः
ूागबिवै ू
भतािदयोगाके दहे े
ु ु िवने जीवािवभावः।
ूागबिवै
ूारकतिपाकिौािः तत। एतं भवित
ु ु िवनारजीवोपलिकमतिपाकत।
ूागबिवै े
े इित य ं दहपिरमहात।
जनन ं मरणित े ् इतय
े ं दहे े
ाािभमानात।् एतं भवित जीव जननमरणकारण ं
े े े
दहािभमानमाऽमवित॥ ५५॥
े
ूतािदना े पमािदूोरं कथयित। तऽ
ोकन
े
अव ू
काकािायने पवऽोरऽ च सः। एतं
े
भवित ूतलोहिपडऽििितवत ्
परिवयोरवानिमित
ु इित
पमोरं किथत।ं जडिवषय े परावानकारण ं कत
े े किथत।ं
ूो षूोरं तादाादवित
--------------------------------------------
p. 729) ु
मा ु जीवा न कदाािवभयः
ू ु कतन।
ु
न वापाः ु े कमशषतः॥
ू सवि बः ृ े ५७॥
ु ु े मधिािदिवमहम।
मििकापमिव ू ्
ु े
जीवािदपतो बििवशषयित तरम॥् ५८॥
ू ेे
भमरवाट ु
ु ं ान ं कतित ् ु ं सदा।
सिर
जलाोऽ चाऽ ािितः सदा॥ ५९॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
े े ु सट
दहष ु ं तषामवान
े ु पधा।
दहाग
िसाना ं सवदा े े भदो
े न िवत।े
ूागवे त दहािववकानिस
े े े ६३॥
ग॥
--------------------------------------------
े च ँयत।े अनकधा
विहरशनााकारण े े
गािदभदािदित े
शषः।
े े यावत॥् ६०॥
कालताितः कालाकनित
े े े ैकादशूोरं कथयित
ोकन
दहिािदनाान
। तऽ तषा ू
े ं प भताना े े शषः।
ं पधा तदाकारणित े
े े ु घनप ं भिमः
एतं भवित दहष ू िवप ं जलं
उपमिः ूाणो वायःु सिषरािण
ु नभ इित।
े ादशूोरं कथयित। तऽ
जीवानािमािदनायन
ु े वीयतः
आगितः ूािः। तरवधारण। ु
शबशोिणतयोगािदथः।
े शषः।
आरित े एतं भवित मातािपऽोः
ु
शबशोिणतयोगादार ैव दहे े जीव ूाििरित। तादा ं
् ं े यावत।् तऽ दह।
जीवाभाव ं सत ं िदात सगतित े े जृत े
े आना ने ातािदित यावत।्
उपलत।े सा आगितिरित शषः।
ु
एतं भवित मातािपऽोः शबशोिणतसयोगादार
ं े दहे े तऽ
् ु
दहे े नविपा िचत ाताीवाभावमपगता उपलत
इित यावत।् दहे े जीवानामागितः सित॥
े ६१॥
े
तऽािदिभः अयिमरै ा ु
ैतिभः
ोकै ादशूावसानूोािदश
तायूयोरय े े
ं कथयित। तऽ तऽ दह।
ु
ूारिवरमादहिमपलिः ्
ूारकम तिरमात तदभावात ्
े
। मरण ं िजवाना ं दहािािूकार इित यावत।् मरण ं िनिया
समिमोरऽ ोके िसानािमनने सः। एतं
े
भवित अनवि िचप या े े ू
दहषप
--------------------------------------------
ु
मरण ं सगित ु ु
ापकं सगितटम।्
--------------------------------------------
ु
लिपा जीवभावमपगता ु
बििरियारा ा
विहगता
ु
िव ं यदा िवषयाननभवित ु सा
तदा जामदवा यदा पनः
े िनवा
तिदियो े
ृ दशा ्
तिषयान रित तदा
ु
ावा यदा पनरसौ ृ
दयादिप िनवा
ु ु े तात ्
ैतप े िवौाित तदा सषित।
परमाथच
ु
िचप बिपतया े ु
दहािदनपलिसाात ्
मरण ं
जीव
े परमाथतो
िनिया समिमऽ ैताऽमरण
े
दहूाििनगमनािदूतीितरपा ं पाऽ े चवित
े े िसा कतिनया
ृ
भवतीित। भदः ू
े पवावाया े ूाक ् सकटासमय।
इित शषः। ु े
एवावधारण।े त िस। दहािववकाहानोः
े े े
् ग े प ं गत े सित पात कालतो
पिवमशात। ् े
दहाग े
ू
पवावाया े न िवत इित न
भदो
े े े े
दहािववकाहािववकभावात ् े े एव
दहिवषत
े
दहािभमानागः े
दहािभमानरिहिमित यावत।् इतरषा
े ं
े
पामराणा।ं सः दहािभमानागः। े
अ कालत इननोरऽ
सः। सााना ं सकटा
ु े
सनािदवासनावलाडिबयाताण
े े ु ं साधकाना ं
दहािववकिवमखाना।
ु ू ं सा ं अिप
सकटाापलपरमाथपानभा
ु
े ु
िनःशषापिरमवासनाना। ु े कालतः
चः समय।
शरीरिवनाशािदित यावत।् एतं भवित पामराणा ं
कालधतः
े े े े एव
सााना ं साधकाना दहािववकाभावाहिवषत
े
दहािभमानागो ु
भवित। पािदष ु त ु मासषे ु ष उरायण इित
--------------------------------------------
p. 732) े
यतना सवतथा।
िनधन ं सवदा
ु
सगितं ु यतयम॥् ६६॥
वे जीवो
े
दहव सदा।
े ूिणना ं सवतः
े समानऽिप
ु े
बविवप कारण ं िकं वद ूभो॥ ६७॥
ू
भिम े तोयाना ं रसभदवत।
े समानिप े ्
् च किभरव
जायत े ाौयवशात स े वै॥ ६८॥
--------------------------------------------
िश तपाािदष ु
--------------------------------------------
p. 733) ं
तथाानसूािः सूाितो
ु िवना।
े े ूिता िवतोऽिनशम॥् ७०॥
न कािप भवदषा
ु े
ू ं तोय ं यथा समपलत।
खननागत
ु ं े ं सूा
तथा सससवा ं पकम॥् ७१॥
सरोः े
ु पादसवातः साािपणः।
िवशषः े सिवमहः॥ ७२॥
े को भवदलभः
ू
े सोषः पिरपणता।
आिभमसहः
दयाििचता े
रागषािवषयिचता॥ ७३॥
ु सदा िनयतशीलता।
सलभमगिवं
ृ
कतता ् ७४॥
सता च परिचािनवनम॥
--------------------------------------------
तायोपलयित। ु ैिरािदना
कािप ूथम े पटले चतिभरा
ू े यावत।् ूिता ममित
ूोलणसणित े शषः।
े ईर
े यावत।् िवतः हतोः।
ूितित े पकं आान॥
ं ७१॥
सरोिरािदना
ु े ससवाूाप
ोकन ु े िवशषे ं
यथावदलानाना ं लभः॥
े पृित। अऽ अलभः
दवी
७२॥
आिभिमािदिभः ूवत े इनै विभः
े
ोकै रनावता ं े ं
ं सचािरशणानीतरषा
े
तिािहािदकोपिदशित। तऽ आिभिमािदना ोकन
लणसकम।् तऽ आिभ ं अिभतः पभावः
साभाव इित यावत।् सौय वा। असहः ु
े िवकौितिभरपीित
यावत।् सोषः ानभा
ु ू पिरपणतापतया
ू े
न ैरपा।
दयाििचता े
रागषयोरनादिचता। अपृथावािदित यावत॥् ७३
॥
ु
सलभिमािदना े लणषम॥् ७४॥
ोकन
--------------------------------------------
p. 734)
आजवािवलौ ं िवषयानितसिता।
ू
अदैसमौ ं नागाधाशयाता॥ ७५॥
ृ े
वथालापशि ृ ्
वथाापारवजनम।
ृ
वथािवनोदरािह ं िजिच ैरसितः॥ ७६॥
ु ु ्
पषाथाथकथनिचाकरणकौतकम।
े
अयशिराि ु ् ७७॥
ं परलोकानिचनम॥
े ू
दवतापजनोऽवै
भवालापशीलता।
ु
पापाना ं वजन ं पयकरण ु ं सदा॥ ७८॥
े कौतक
परबनिनास ु िवरितवतरािगता।
े
िनृहमलोलमनापोऽजडाता॥ ७९॥
--------------------------------------------
आजविमािदना े लणष।
ोकन ं तऽ अिवलौ ं
अथाथमपारतम।् िवषयानितसिता
--------------------------------------------
ु ्
िसिचािन च ैतािन भवावता ं ीवम।
े
न भवीतरषा ु ूिषवे ता े ८१॥
ं त॥
ृ ं ण ु वऽह
त े ं यो लावैभवः।
े ं े ् ८२॥
िनराशषससारमौाानािववकवान॥
े ु
दशकालकलाचारान ् ु
गराजािदकितान।्
् ु ु पजापजनकौतकी॥
पालयन सितमखः ू ू ु ८३॥
े
दहा ्
ै तथाान ं ापारान कालतः णात।्
ु
पिततािचाालान ् ् ८४॥
चयितीन॥
े
ियाणा कतािन
साम कािण ृ च।
ु ु िवमृशिरमदशभानः॥
मम े े ु ८५॥
--------------------------------------------
े लणसक।
अगोपनिमािदना ोकन ं तऽ अगोपन ं
आगमादीनािमित यावत।् गोपन ं ूावदागमादीना।ं
ु
गिवागमाचारवन ु
ं गरोिवाया आगमानामाचाराणा
ं ८०॥
वन॥
ं
एतािन ूोािन सचािरशणािन। ु े े
तिवशष।
्
एवावधारण।े तान आानवतः। त े आानरिहताः॥ ८१॥
े
तिदािदिभः सदै
नविभः ोकै राानवता ं
ु
समाचारबममपिदशित। ृ ं आानवता ं क।
तऽ त ृ ं
े ं े
िनराशषससारमौाानािववकवान ् े ं
िनराशषससारवान ्
े
। िनराशषमौवान।् िनराशषाानवान।
े ्
े े
िनराशषािववकवान।् इित मयोजना। अतििः
ं ु ससारः।
ं
ं
अतिदिभमानो मौ। तितिरान।
ु ं
े
तिमशहािनरिववकः। े ु
दशकालकलाचारािनऽ े
दशाचारः
ु ु
कालाचारोऽवानगणाचारः ु
कलाचारािनित यावत।्
ु
गराजािदकितान।् गराजादीऽािदशः
ु ूथम े पटले गु ं
तदमतः इािदना ोकन ू
े ूोपिवषयः। राजादीऽािदशः
ु
तमानपषिवषयः। े
दहा ै भावत इित यावत।् अऽ
--------------------------------------------
p. 736) वथा े ू
ृ न कालं गमयतीापवादतः।
ेे ू
गमयवतापजाजपयोगवािदना॥ ८६॥
ु कपालापकथाोऽागमिवलोकन
गरोः ृ ैः।
े
गमयदिनश ् ् ८७॥
ं कालं न वदते परषणम॥
े ु ्
ु ूणमम।
ू े च परो े च वीत
तणु ैपािध
ृ ु ै
ैः पय सतः॥ ८८॥
ु ैः।
रागलोभमदबोध पापप ैशवजन
सोषाचारिनमशािानािदिभथा॥ ८९॥
िमताहारो िमतालापो िविवसमविता।
ु कमावता
िनािचा ाशिः ृ ं सदा॥ ९०॥
--------------------------------------------
ु
ितीयााना ं पदानामरऽ ोके िवमृशिदननायः।
े े अान ्
् ु ु
ापारान ाानपयािनित यावत।् कालतः णात पिततान
् ्
ु
विचाालान ् ु िच ैः राजािदिभरिप लान
बिभः ्
्
कालतः णात पिततान ् ु
पषादीिनित यावत।् अशभानः
ु
ु
अशभभावान।् तीापवादत
ू ू
इऽ तशो
ू ू
िनिवतसजीवतिवषयः। ीश ु
धपीितिरिवषयः। े
ापशः ूातरिवषयः।
वादशो जिवतडािदिवषयः। वािदना इऽािदशः
ु
ूदिणनमारािदिवषयः। गरोः
ृ
कपालापकथाोऽागमिवलोकन ु कपायाः
ैः गरोः ृ ु
गरोरालापाना ंच
ु कथािभः गरोः
गरोः ु ोऽ ैः गरोलागमिवलोकन
ु ै। तणु ैः
् े चोरोके च तृतीयााना ं पदाना ं
ु ु ैः। अिन ोक
गगण
ु े े
वीतननायः। तपािध
ृ ु ृ
ैः गकपािध ैः। तणु ैिरािद
तृतीयाषे ु िऽष ु चानरोके तृतीयायोः पदयोः च
ु तऽ सतः सने
गरोिराहा।
े े े यावत।् ानािदिभिरऽािदशो
वानःकणामकपणित
दानािदिवषयः। िनािचा षोडशिनाना ं पिचा।
ु वानःकायाना ं शििरित
ाशिः ु यावत॥् ९०॥
--------------------------------------------
p. 737) ू
पवादशा म े का
ृ यथािविध।
ु ् ९१॥
े लिलता ं पृतो गन॥
योिन ं ततो दव
ु
पायोरायधाौ कोणषे ु पिरतः बमात।्
े
कामािदकाऽ
तिहादशिप॥ ९२॥
े े वा।
ादशाा यजिािवािभरव
तामिवािभवा ताः पजयत ् ् ९३॥
ू े साघकनम॥
साऽय ं षिस े
ं ं जपिनिवया।
् ृ ं भव
नात क े िनन ैिमिकािदकम॥् ९४॥
--------------------------------------------
ू े ू
पवािदिभरभिद ःै षिः ोकै ः आवता ं
ु
जीवाना ू ु
ं लिलतापजाबममपिदशित। तऽ
ू
पवादशाॐ ं
एकोनिवशपटलूोादशाॐ म े
ृ
सवमवम ू
े अनािधकमानिमित यावत।् योिन ं
ु े े पृतः योनःे
ं ततः योनम।
ािभमखामिऽकोण।
े ृ े े गन
ूामखावरखयोरराल। ् े े यावत।् पायोः
ु दवीपतयित
े ृ े ु
े आयधाौ
पारखायवरखारालय।
ू े े यावत।् कोणषे ु मयोनरमािदष
पजापटलोवाािदूाितलोनित े ु
िऽकोणष। ्
े ु पिरतः बमात ूदिणबमात।् कामािदकाः
े
े
कामर े
भगमािलन वळर
च। तिहादशस ु अॐिित
े
यावत।् अाः कामरीभगमािलनीवळरीितिराः।
े े
तिािवािभः तृतीयपटलूोािभिरित यावत।् एवावधारण।े वा
िवक।े तामिवािभः एकोनिवशपटल
ं े ूोािभिरित यावत।् ताः
े
िनाः। एतं भवित एकोनिवशपटलूोिवधानन
ं
ादशाॐचबं िविल तवम
ृ ु ं
े ािभमख
े ं िऽकोण ं िविल त े लिलता ं त े
समिऽरख
े ृ े
िऽकोणूामखावरखाराल े नाथशीः
े ृ े
तभयपारखायवरखारालय े
े
वााूादियने हतीमयोनरमािदष
े ु िऽष ु कोणषे ु
े े
कामरीभगमािलनीवळरी े ु अा
तिहादशाॐष
ादश िना ूादियने तिािवािभनामिवािभवा
े
यजिदित। त आवतः। िनन ैिमिकािदकिमऽािदशः
कािवषयः। त े ादशाॐ म।े नवयोिन ं
--------------------------------------------
े
सममत े किथत ं परमिर।
े
ु े ९७॥
भावावयोरैमत॥
यरामशतो
े ु नाभाय कदाचन।
तामत
े ९८॥
नािशाय न दाय ूानयशीिलन॥
नायाचत े नािकाय न ाय न मािनन।े
े े ९९॥
न पापाय न िवाय नादाय च भिदन॥
--------------------------------------------
--------------------------------------------
p. 739) ्
े सकल
यमतत ं िनािवा ु षोडश।
ं ृ िविधवजत े स मदशकः॥
शा सग ं १००॥
--------------------------------------------
े यथािविध ूाताथवतः
यिमािदना ोकन
ु
फलमपिदशित। ्
तऽ िविधवत िनन ् भजनपरः।
ैिमिकािदूोबमात स
ं
मदशकः िचप ईर इित यावत॥् १००॥
इित षोडशिनातषे ु ौीकािदमता पिरपण
ू त
ं
ूपसारिसहराजूकाशािभधानन ु
े सभगाननाथन
े
िवरिचताया ं मनोरमााया ं ााया ं
े े
दवतादिशकिशूपादीना
ं परमाथपूकाशनपरं
ं
षिशटल ू परामृम॥् ३६॥ ॐ तत॥्
ं पिरपण
ं
मसः ं े पटले याः
- षिशश े िशवतमयऽऽ
े च।
असषि ाामाः शतऽयम॥् २६७॥
त े ूकरणाऽ ौीमािदमताय।े
े ं
शताना ं नवकं किऽशता च समितम॥् ९३१॥
--------------------------------------------
p. 740) ु ू ु े
भिभमानमाधयभायगिसिगाः।
् ु े ं
ं सरौीिरकिवशरसया॥
ससत ं
२२७७७३९७९९३१४१९५०५४६४।
ं
मायधीतवाािाना ं तषे ु िनिमता।
ु
ाा मनोरमािभा तने कािदमत त॥
ु े ािवशपटलाविध।
शभगाननाथन ं
े
तदायाविशाना ं पटलाना ं िविनमम॥
ु
चतशाना े
ं तिः ूकाशानदिशकः।
ु ाा ं ूाक ् सदायतः॥
ता ं सरवराभृ