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माला-पज
ू न: ि किचं िा अगणला स्तोत्रं कीलकं ि रहस्यकम ्।
(Sumeru pe jal daal ke yeh mantra padhe) ि ित
ू तं िा अवप ध्यािं च ि न्यािो ि च िाचणिम ्॥ २॥
ॐ गुह्यानत-गुह्य-गोप्त्त्री-त्िं, गह
ृ ार्ा-स्मत ्-कृतं जपम ् गोपिीयं प्रयत्िेि स्ियोनिर इि पािणनत।
सिद्धधर्-भितु मे दे वि ! त्ित ्- प्रिादात ्-महेश्िरर!
मारर्ं मोहिं िश्यं स्तम्भि उच्चाटिाददकम ्।
मंत्र जाप खत्म होिे के बाद िीचे का मंत्र बोलकर आपका जाप भगिती के बाये हार्थ मे ( पाठ मात्रेर् िंसिद्ध्येत ् कंु ष्जका स्तोत्रम उत्तमम ्॥ ४॥
मािसिक दृष्टीकोर् िे ) िमवपणत करे
॥ अर्थ मंत्रः ॥
िमा प्रार्थणिा
॥ इनत मंत्रः ॥
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ॐ तलीं मध्य माभ्यां िम: ! ( अंगुठे िे मध्यमा को स्पशण करे ) यस्तु कंु ष्जकाया दे वि हीिां िप्त्तशतीं पठे त ्।
ॐ चामुंडायै अिासमकाभ्यां िम: ( अंगुठे िे अिासमका का स्पशण करे ) ि तस्य जायते सिद्धधर अरणये रोदिं यर्था॥
ॐ विच्चे कनिष्ष्ठ काभ्यां िम: ( अंगुठे िे करांगुली का स्पशण करे ) ॥ इनत श्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे सशि पािणती िंिादे कंु ष्जका स्तोत्रं िंपूर्म
ण ्॥
ॐ ऐं ह्ीं तलीं चामुंडायै विच्चे करत लकर पष्ृ ठाभ्यां िम: ॥ओम ् तत्ित ् ॥
( दोिो हार्थ के तलिे और कर पष्ृ ठ का स्पशण करे )
हृदयादद न्याि :
अक्षर न्यास :
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दादहिे हार्थ िे उतत अंग को स्पशण करे
ॐ ऐं िमः सशखायां,
ॐ ह्ीं िमः दक्षिर्-िेत्र,े (right)
ॐ तलीं िमः िाम-िेत्रे, (left)
ॐ चां िमः दक्षिर्-कर्े, (right)
ॐ मंु िमः िाम-कर्े, (left)
ॐ डां िमः दक्षिर्-िािा-पुटे, (right)
ॐ यैं िमः िाम-िािा-पुटे, (left)
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