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देव पूजा िव￸ध Part-4 षोडशमातृका आिद-पूजन

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जगदान द झा 1:51 am कोई िट पणी नहीं


िच ानु सार सोलह को ठक बनाय। पि चम से पूव की ओर मातृ काओं का आवाहन और थापन करे ।
को ठक म र त चावल, गे हँ ू या जौ रख दे एवं िन नािङ्कत म ा पढ़ते हुए आवाहन कर।

षोडशमातृका-च

पूव

आ मनः कुलदे वता लोकमातारः दे वसे ना मे धा

16 12 8 4

तु ि टः मातरः जया शची

15 11 7 3

पु ि टः वाहा िवजया पद्मा

14 10 6 2

धृ ितः वधा सािव ी गौरी गणे श

13 9 4 1

ॐ गौय नमः गौरीमावाहयािम थापयािम। ॐ पर्◌ाि◌◌ंयै नमः पिमं◌ा.। ॐ श यै नमः शचीमा.। ॐ


मे धायै नमः मे धामा0। ॐ सािव यै नमः सािवि मा.। ॐ िवजयायै नमः िवजयामा.। ॐ जयायै नमः
जयामा.।

ॐ दे वसे नायै नमः दे वसे नामा। ॐ वधायै नमः वधामा। ॐ वाहायै नमः वाहामा। ॐ मातृ यो नमः
मातृरावा.। ॐ लोकमातृ यो नमः लोकमातृरावा.। पु ट ै नमः पु ि टमा.। ॐ तु ट ै नमः तु ि टमा.। ॐ
आ मकुलदे वतायै नमः आ मकुलदे वतामा.। ाण ित ठा-ॐ मनोजूितजु षतामा य य बृ ह पितय िममं
तनो विर टं य ं Ủ सिममं दधातु िव वे देवा स इह मादय नतामो3 ित ठ। ॐ भूभुवः वः
ीगौयािदषोडशमातरः सु िति ठता वरदा भव तु । इस म ा से ित ठा कर ओं गौय नमः इ यािद नाम-
म से अथवा पृ थक् . पृ थक् ॐ गौयािदषोडशमातृ यो नमः इससे षोडशोपचार अथवा यथाल धोपचार

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पूजन समा त कर, ॐ आयु रारो यमै वयं दद वं मातरो मम। िनिव नं सवकायषु कु वं सगणािधपाः पढ़कर
नािरयल चढ़ाय। पु नः हाथ जोड़कर ीगौयािदषोडशमात¤णां पूजनकमणो य यूनमितिर तं वा त सवं
मात¤णां सादा पिरपूणम तु ”गृ हे वृ ि शतािन भव तु “ उ रे कम यिव नम तु । यह बोले

इित मातृ कापूजन।।

चतु ःषि टयोिगनीपूजन

(अि नकोण म)-ओं आवाहया यहं दे वीं योिगनीं परमे वरीम्। योगा यासेन संतु टा परं यानसमि वता।।
िद यकु डलसं काशा िद य वाला ि लोचना। मूितमती मू ता च उगा चै वोग िपणी।। अने क भावसं यु ता
सं साराणवतािरणी।। य े कुव तु िनिव नं े यो य छ तु मातरः।। िद ययोगी-महायोगी-िस योगी गणे वरी।
े ताशी डािकनी काली कालरा ाी िनशाचरी।। हङु ् कारी िस वे ताली खपरी भूतगािमनी।।

उ वकेशी िव पा ी शु कां गी मां सभोिजनी। फू कारी वीरभदा ी धूमा ी कलहि या।। र ता च घोरर ता ी
िव पा ी भयं करी। चै िरका भािरका च डी वाराही मु डधािरणी। भै रवी चि णी ोधा दुमुखी े तवािसनी।
काला ी मोिहनी च ी कंकाली भु वने वरी। कु डला तालकौमारी यमदत ू ी करािलनी।। कौिशकी यि णी
य ी कौमारी य ावािहनी।। दुघटा िवकटा घोरा कपाला िवषलङ्घना। चतु ःषि टः समा याता योिग यो
िह वर दाः।। ौलो यपूिजता िन यं दे वमानु षयोिगिभः।। इस कार आवाहन कर ॐ चतु ःषि टयोिगनी यो
नमः इससे च दन पु प आिद ारा पूजन कर।

इित योिगनीपूजन

स तघृ तमातृ का (वसोद्धारा) पूजन

आ ने यकोण म िकसी वे दी अथवा का ठपीठ (पाटा) पर ादे शमा ा थान म पहले रोली या िस दरू
से वि तक बनाकर ‘ ीः’ िलखे । इसके नीचे एक िब दु और इसके नीचे दो िब दु दि ण से करके उ र की
ओर दे । इसी कार सात िब दु म से बनाना चािहये ।

इसके बाद नीचे वाले सात िब दुओं पर घी या दध


ू से ादे श मा ा सात धाराएँ िन निलिखत म ा से
द-

ॐ वसोः पिव ामिस शतधारं वसोः पिव ामिस सह धारं दे व वा सिवता पु नातु । वसोः पिव ोण
शतधारे ण सु वा कामधु ः। उस पर दही छोड़कर लाल सू ा लपे ट द। पु नः उपयु त वसोः इस मं को
पढ़कर गु ड़ के ारा िब दुओं की रे खाओं को मशः ऊपर से पर पर िमला द। पु नः उन सात िब दुओं म
मशः दे वता का आवाहन कर। ॐ भूभुवः वः ि यै नमः ि यमावाहयािम थापयािम। ॐ भूभुवः वः
ल यै नमः ल मीमा0 था.। ॐ भूभुवः वः

धृ यै नमः घृ ितमा. था.। ॐ भूभुवः वः मे धायै नमः मे धामा0 था.।

ॐ भूभुवः वः वाहायै नमः वाहामा. था.। ॐ भूभुव. व. ायै नमः ामा. था.। ॐ भूभुवः वः
सर व यै नमः सर वतीमा. था.।

ॐ मनोजूितः. यह मं एक बार पढ़कर वसोधारादे वताः सु िति ठताः वरदा भव तु । इस मं से ित ठा कर।


तदन तर-ॐ वसोधारादे वता यो नमः ग धं समपयािम। पु पािण समपयािम। धूपं समपयािम। दीपं सम.।
् वम्।।
नै वे स.। ाथना-यदङ्ग वेन भो दे यः पूिजता िविधमागतः। कुव तु कायमिखलं िनिव ने न तूदभ

आयु य मं जप

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यजमान अ जिल म पु प रख तथा बा ण आयु य म ा का पाठ कर। ॐ आयु यं वच य Ủ
राय पोषमौिद्भदम्। इद Ủ िहर यं वच व जै ाया िवशतादुमाम्।।1।। नतद ा Ủ िस न िपशाचा तरि त
दे वानामोजः थमज Ủ े तत्। यो िवभि त दा ायण ◌ँ िहर य ◌ँ स दे वेषु कृणु ते दीघमायु ः स मनु ये षु
कृणु ते दीघमायु ः।।2।। यदाब न दा ायणा िहर य ◌ँ शतानीकाय समन यमानाः। य म आब नािम
शतशारदायायु मान् जरदि टयथासम्।।3।।

पौरािणक लोक-यदायु यं िचरं दे वाः स तक पा तजीिवषु । ददु ते नायु षा स यक् जीव तु शरदः शतम्।।
दीघा नागा नगा न ोऽ त स ताणवा िदशः। अन ते नायु षा ते न जीव तु शरदः शतम्।। स यािन प च भूतािन
िवनाशरिहतािन च। अिवना यायु षा त जीव तु शरदः शतम्।।

(इित आयु यम जप)

जगदान द झा
लखनऊ म शासिनक अिधकारी के पदभार गहण से पूव सामियक िवषय पर किवता,िनब ध ले खन करता
रहा। सं कृत के सामािजक सरोकार से जु डा रहा। सं कृत िव ा म महती अिभ िच के कारण अबतक चार
ग थ का स पादन। सं कृत को अ तजाल के मा यम से ये क लाभाथी तक पहुँचाने की िजद। सं कृत के
सार एवं िवकास के िलए लॉग तक चला आया। मेरे अपने ि य शतािधक वै चािरक िनब ध, िह दी
किवताएँ , 21 हजार से अिधक सं कृत पु तक, 100 से अिधक सं कृत िव ान की जीवनी, याकरण आिद
शा ीय िवषय की पिरचचा, िश ण- िश ण और भी बहुत कुछ मु झे एक दस ू री ही दुिनया म खींच ले जाते
है । सं कृत की वतमान सम या एवं वृह म सािह य को अपने अ दर महसूस कर अपने आप को अिभ य त
करने की इ छा बलवती हो जाती है। मु झे इस े म काय करने एवं सं कृत िव ा अ ययन को उ सु क
समु दाय को ने तृ व दान करने म अ य त सु खद आन द का अनु भव होता है । दरू भाष - 73 8888 33 06

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इ टरने ट पर अधकचरे ान सामगी की भरमार होती है। कई बार जानकारी के अभाव म लोग गलत
सामगी पर भरोसा कर लेते ह। ई-सामगी के महासमु द म इि छत व ामािणक सामगी को खोजना भी
एक जिटल काय है ।
इन पिरि थितय म म आपके साथ हँ ।ू आपको म ामािणक सामगी उपल ध कराने के साथ आपकी
किठनाईय को दरू करने के िलए वचनब ह।ँ ू ये क ले ख के अं त म मु झे सूिचत कर बटन िदया गया
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