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कक्षा - अष्टमी

विषय - संस्कृत
निम: पाठ: - मेट्रोयानम ् ( स्िर - सन्धिः )
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संधध का शानदिक अर्थ - संधि दो शब्दों से मिलकर बना है – सम ् + धध । जिसका अर्थ होता है -
‘ मिलना ’। िब दो शब्द मिलते हैं तो पहले शब्द की अंतति ध्वतन और दस
ू रे शब्द की पहली ध्वतन आपस
िें मिलकर िो पररवतथन लाती हैं उसे संधि कहते हैं |
संधध – विच्छे ि - संधि ककये गये शब्दों को अलग-अलग करके पहले की तरह करना संधि ववच्छे द
कहलाता है ।
उदहारण :- हहिालय = हहि + आलय । सत ् + आनंद =सदानंद ।

संधध के प्रकार / भेि ककतने है ?


संधि िुख्य रूप से तीन प्रकार की होती हैं :- 1. स्वर संधि 2. व्यंिन संधि 3. ववसगथ संधि

स्िर संधध ककसे कहते है ?


िब स्वर के सार् स्वर का िेल होता है तब िो पररवतथन होता है उसे स्वर संधि कहते हैं।
िब दो स्वर मिलते हैं िब उससे िो तीसरा स्वर बनता है उसे स्वर संधि कहते हैं।
उदहारण :- ववद्या + आलय = ववद्यालय ।
सूयथ + उदय = सूयोदय।
स्िर संधध के भेि / प्रकार
(क) िीर्थ संधध ककसे कहते है :- िब ( अ , आ ) के सार् ( अ , आ ) हो तो ‘ आ ‘ बनता है , िब ( इ , ई )
के सार् ( इ , ई ) हो तो ‘ ई ‘ बनता है , िब ( उ , ऊ ) के सार् ( उ , ऊ ) हो तो ‘ ऊ ‘ बनता है।
उदहारण :- ििथ + अर्थ = ििाथर्थ , रवव + इंद्र = रववन्द्द्र

(ख) गण
ु संधध ककसे कहते है - िब ( अ , आ ) के सार् ( इ , ई ) हो तो ‘ ए ‘ बनता है , िब ( अ , आ )
के सार् ( उ , ऊ ) हो तो ‘ ओ ‘बनता है , िब ( अ , आ ) के सार् ( ऋ ) हो तो ‘ अर ‘ बनता है । उसे गण

संधि कहते हैं।
उदहारण :- नर + इंद्र + नरें द्र ज्ञान + उपदे श = ज्ञानोपदे श
(ग) िद्
ृ धध संधध ककसे कहते है :- िब ( अ , आ ) के सार् ( ए , ऐ ) हो तो ‘ ऐ ‘ बनता है और िब ( अ ,
आ ) के सार् ( ओ , औ )हो तो ‘ औ ‘ बनता है। उसे वधृ ि संधि कहते हैं।
उदहारण :- ित+एकता = ितैकता िन + एषणा = िनैषणा
(घ) यण संधध ककसे कहते है :- िब ( इ , ई ) के सार् कोई अन्द्य स्वर हो तो ‘ य ‘ बन िाता है , िब ( उ
, ऊ ) के सार् कोई अन्द्य स्वर हो तो ‘ व ् ‘ बन िाता है , िब ( ऋ ) के सार् कोई अन्द्य स्वर हो तो ‘ र ‘
बन िाता है। यण संधि के तीन प्रकार के संधि युक्त्त पद होते हैं-
(1) य से पूवथ आिा व्यंिन होना चाहहए।
(2) व ् से पूवथ आिा व्यंिन होना चाहहए।
(3) शब्द िें त्र होना चाहहए।

उदहारण :- इतत + आहद = इत्याहद , अनु + अय = अन्द्वय , अभी + आगत = अभ्यागत

(ड) अयादि संधध ककस कहते है - :- िब ( ए , ऐ , ओ , औ ) के सार् कोई अन्द्य स्वर हो तो ‘ ए – अय ‘ िें
, ‘ ऐ – आय ‘ िें , ‘ ओ – अव ‘ िें, ‘ औ – आव ‘ ण िाता है। य , व ् से पहले व्यंिन पर अ , आ की िात्रा
हो तो अयाहद संधि होती है |
उदहारण :- ने + अन = नयन , भो + अन = भवन , पो + इत्र = पववत्र

शदिार्थ-
स्कन्द्िे - कन्द्िे पर यात्रा स्यूत: - यात्रा का र्ैला ( बैग )

दशथनीयातन - दे खने योग्य लोह पर्े - लोहे की पटरी

स्तम्भोपरर - खंबो पर बहुसुखदा - सुखदायक

दह्िी अर्थ -
प्रशा्त - हे सुहास ! तम्
ु हारे कन्द्िे पर क्त्या है ?
सुहास - यह यात्रा र्ैला है |
प्रशा्त- क्त्या तुि कहीं िाने के मलए तैयारी िें हो ?
सुहास- हााँ , कल गणतन्द्त्र उत्सव होगा , इसमलए िैं वपतािी के सार् हदल्ली िा रहा हूाँ |
प्रशा्त – हदल्ली िें तुि क्त्या – क्त्या दे खोगे ?
सुहास – लालककला , इंडडया गेट , राष्ट्रपतत भवन और संसद भवन सब दे खूाँगा |
प्रशा्त - बहुत अच्छा | क्त्या तुि िानते हो कक आिकल लोग वातावरण अनुकूमलत िेट्रो
रे ल से हदल्ली दशथन करते हैं |
सह
ु ास - हााँ िैं भी िेट्रो रे ल से हदल्ली िें सैर कराँ गा और दशथनीय स्र्ल दे खाँग
ू ा |
प्रशा्त – िेट्रो रे ल कैसी होती है ?
सह
ु ास - इस कववता िें िेट्रो रे ल का वणथन है | आओ हि दोनों पढ़ते हैं –

यह िेट्रो रे ल सुंदर है , यह हिारी प्यारी िेट्रो रे ल है |

यह बहुत तेि चलती है और दरू तक ले िाती है |

बबिली से चलने वाली िेट्रो रे ल लोहे की पटरी पर दौड़ती सुन्द्दर लगती है |


खंबों के ऊपर दौड़ती िेट्रोरे ल को दे खो | बाहर के सुन्द्दर दृश्यों को दे खो |

यह रे ल भमू ि के नीचे और भमू ि पर भी तनरं तर दौड़ती है |

इसिें यात्रा करना आनंद दे ता है | इसिें यात्रा बहुत ही सुन्द्दर और सुखदायक है |

िेट्रो रे ल परू ी तरह से कम्प्यट


ू र द्वारा तनयंबत्रत है | इसका वातावरण स्वच्छ और सन्द्
ु दर है |

दे खो ववज्ञान की कैसी अद्भत


ु िहहिा है – वस्तुतः िेट्रो रे ल सुन्द्दर है |

पाठ अभ्यास –

1. उधितं उत्तरं धित्िा ररक्तस्र्ाने लिखत –


१) सवेगं ककि ् चलतत ? = मेट्रोयानम ् ( ववद्युत ् / वायु: / िेट्रोयानि ् )
२) िेट्रोयानि ् िनान ् कुत्र नयतत ? = सुिरू म ् ( गह
ृ ि ् / सुदरू ि ् / कायाथलयि ् )
३) िेट्रोयानि ् कुत्र िावतत ? = िोहपर्े ( िागे / लोहपर्े / आकाशे )
४) एतत ् कस्य उपरर िावतत ? = स्तंभस्य ( स्तंभस्य / भि
ू ेः / िागथस्य )
५) िेट्रोयानि ् यात्रा कीदृशी भवतत ? = अततरमणीया ( वविला / सरला / अततरिणीया)
६) िेट्रोयाने वातावरणं कर्ं वतथते ? = विमिम ् ( शीतलि ् / वविलि ् / िनोरिि ् )

2. स्र्ूिपिातन आधत्ृ य प्रश्न तनमाथणं कुरुत -


१. मेट्रोयानम ् अमभराििजस्त |
उ० ककि ् अमभराििजस्त ?
२. िेट्रोयानि ् सिेषाम ् वप्रयि ् अजस्त |

उ० िेट्रोयानि ् केषां वप्रयि ् अजस्त |

३. एतत ् दृष्ट्वा धित्तं िोदय |


उ० एतत ् दृष्ट्वा ककि ् िोदय ?
४. िेट्रोयानं संङ्गकेन तनयंबत्रति ् अजस्त |
उ० िेट्रोयानं केन तनयंबत्रति ् अजस्त |
५. िेट्रोयानं विज्ञानस्य आववष्कार: वतथते |

उ० िेट्रोयानं कस्य आववष्कार: वतथते |

3. आम ् / न लिखत –
१. ककं रे लयानं लोहपर्े चलतत ? आि ्
२. ककं िेट्रोयानं भि
ू े अि: न िावतत ? न
३. ककं वविानं वायुिागेण गच्छतत ? आि ्
४. ककं नौका भूिौ चलतत ? न
५. ककं िेट्रोयानेन िनस्य सियस्य च रक्षा भवतत ? आि
६. ककं िेट्रो यात्रा दख
ु दा वतथते ? न

व्याकरण बोध: -

1. विकल्पेभ्य: शुद्धं सन्ध पिं धित्िा लिखत –


• स्तम्भ + उपरर = स्तम्भोपरर ( स्तम्भुपरर / स्तम्भोपरर / स्तम्भौपरर )
• िावतत + अमभरािि ् = िावत्यमभरािि
( िावत्यमभरािि ् / िावत्यामभरािि ् / िावतीयमभरािि ् )
• अि: + अवप = अिोSवप ( अिावप / अिौवप / अिोSवप )
• कुत्र + अवप = कुत्रावप ( कुत्रैSवप / कुत्रावप / कुत्रवप )

2. संयक्त
ु पिातन पर्
ृ क कृत्िा लिखत –
• इदिमभरािि ् इदि ् + अमभरािि
• शीघ्रिनुिावतत शीघ्रि ् + अनुिावतत
• तनयजन्द्त्रतिखखलि ् तनयजन्द्त्रति ् + अखखलि ्
• पुस्तकमिच्छतत पुस्तकि ् + इच्छतत
• वप्रयिस्िाकि ् वप्रयि ् + अस्िाकि ्

3. विकल्पेभ्य: उधितं विपरीतार्थकं पिं धित्िा लिखत -


• वविलि ् = िमलनि ् ( सन्द्
ु दरि ् / परु ातनि ् / िमलनि ् )
• नवि ् = पुरातनि ् ( पुरातनि ् / िमलनि ् / उतिि ् )
• सुखदा = द:ु खदा ( सवथदा / सिीपि ् / द:ु खदा )
• भूिौ = आकाशे ( वने / आकाशे / िागे )
• सुदरू ि ् = सिीपि ् ( गगने / सिीपि ् / अि: )
• उपरर = अि: ( स्वगे / आकाशे / अि: )
कक्षा - अष्टमी
विषय - संस्कृत
अभ्यास पत्रिका निम: पाठ: - मेट्रोयानम ् ( स्िर - सन्धिः )

1. संधध कुरुत -
१ ) वात + अनुकुमलत = ____________________

२) स्तम्भ + उपरर = ________________________

3) िावतत + अमभरािि ् = _____________________

४) भूिौ + अवप = ______________________

५) तनयजन्द्त्रति ् + अखखलि ् = ______________________

2. शदिानां अर्ं लिखत –


१) सज्ि: _________________ २) िोदय ___________________

३) सवेगं __________________ ४) स्वच्छं ____________________

५) अततरिणीया ____________________ ६) अववरािि ् ____________________

3. “हदल्ल्या: िेट्रो रे लयानि ्” अनच्


ु छे दं परू यत –

( यातायातस्य , 24 ततर्ौ , तनिाथण , पण


ू ि
थ ् , लक्षाधिक )

हदल्ल्या: िेट्रो रे लयानि ् ____________आिुतनक सुवविा वतथते | अयं यानं राििान्द्या:


िनेभ्य: वरदानं मसद्धि ् अभवत ् |

राििान्द्यां हदल्ल्यां िेट्रो रे लयानस्य प्रारम्भ: हदसम्बर िासस्य ________2002 तिे


वषे अभवत ् | परन्द्तु अिन
ु ा अवप नव िागाथणाि ् _______ कायं प्रगते अजस्त | सुरक्षा
दृष्ट्या िेट्रो रे लयानि ् पूणथ रूपेण आिुतनक सुवविाया: _________ अजस्त |

िेट्रो रे लयाने प्रततहदनं: _____________ िना: अवागिनं कुवथजन्द्त |

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