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3. पया� यवाची श�
4. िवलोम श�
6. अने काथ� क श�
7. श� यु �
8. वा�
9. वा� शु ��
11. िक्रया
16. समानथ� क श�
जो शब्दां श किसी शब् िे पहले लर्िर उसिे अर्ग में किशेषतद लदते हैं, उन्हें उपसर्ग िहते हैं।
जैसे - अप + मदन = अपमदन, उपसर्ों िद स्वतांत्र रूप में िोई महत्व नहीां होतद परन्तु जब ये किसी शब् िे
आर्े लर्दए जदते हैं तो उनिे अर्ग िो किशेष रूप दे ते हैं।
उदाहरण:
उदद ग उपसर्ग:
प्रत्यय
प्रत्यय (suffix) उन शब्दांश िो िहते हैं जो किसी अन्य शब् िे अन्त में लर्दये जदते हैं। इनिे लर्दने से शब्
िे अर्ग में किन्नतद यद िैकशष्ट्य आ जदतद है। उददहरण:-
यह किसी व्यद्भि िी किशेषतद दशदगते समय उपयोर् होतद है। जैसे यह पहलिदन बहुत बलिदन है।
इसिद उपयोर् एि िचन शब्ोां िो बहुिचन शब् बनदने िे कलए कियद जदतद है।
• िदषद + ओां = िदषदओां, शब् + ओां = शब्ोां
• िदक्य + ओां = िदक्योां, िदयग + ओां = िदयों
• नदी + यदाँ = नकदयदाँ , प्रकत + यदाँ = प्रकतयदाँ
1. िृत प्रत्यय
2. तद्भद्धत प्रत्यय
1. िृत प्रत्यय
िह शब्दां श जो कक्रयदओां (िदतुओ)ां िे अांत में लर्िर नए शब् िी रचनद िरते हैं िृत प्रत्यय िहलदते हैं । िृत
प्रत्यय िे योर् से बने शब्ोां िो (िृत+अांत) िृदां त िहते हैं ।
जैसे- िच् + अन् = िचन, घट+ अनद= घटनद, कलख+आिट= कलखदिट आकद।
2. तद्भद्धत प्रत्यय
जो प्रत्यय सांज्ञद, सिगनदम अर्िद किशेषण िे अांत में लर्िर नए शब् बनदते हैं तद्भद्धत प्रत्यय िहलदते हैं।
जैसे- आध्यदत्म+ इि= आध्यदद्भत्मि , पशु+ त्व= पशुत्व आकद।
उपसर्ग एिां प्रत्यय िई बदर शब् इन दोनोां िे मेल से बनते हैं उपसर्ग किकिन्न िदषदओाँ में प्रयोर् होते हैं कजनमे से
प्रमुख कनम्नकलद्भखत हैं -
1. सांस्कृत िे उपसर्ग
2. कहन्दी िे उपसर्ग
3. उदू ग िे उपसर्ग
4. उपसर्ग िी तरह प्रयुि होने िदले सांस्कृत िे अव्यय
[02] सांकि एिां सांकि किच्छे द
सद्भि कि पररिदषद
सांकि िद अर्ग होतद है मेल यद कफर कमलनद। जब हम दो शब्ोां िो कमलदते हैं तो पहले शब् िी अांकतम ध्वनी एिां दु सरे
शब् कि पहली ध्वनी कमलिर जो पररितगन लदती है , उसे ही सांकि िहते हैं ।
जब सांकि किये र्ए दो शब्ोां िो हम अलर् अलर् िरिे कलखते हैं तो िह सांकि किच्छे द िहलदतद है ।
अतः सांक्षेप में यह समझनद चदकहए कि दो िणो िे पदस-पदस आने से उनमें जो पररितगन यद कििदर होतद है उसे
सद्भि िहते है ।
उददहरण
सद्भि िे प्रिदर
स्वर सांकि
व्यांजन सांकि
किसर्ग सांकि
स्वर सद्भि
जब दो स्वर आपस में जुडते हैं यद दो स्वरोां िे कमलने से उनमें जो पररितगन आतद है, तो िह स्वर सांकि िहलदती है ।
जैसे :
किद्यदलय : किद्यद + आलय
कहम+आलय= कहमदलय।
इस उददहरण में आप दे ख सिते है कि जब दो स्वरोां िो कमलदयद र्यद तो मुख्य शब् में हमें अांतर दे खने िो कमलद।
दो आ कमले एिां उनमे से एि आ िद लोप हो र्यद।
दीघग सांकि
र्ुण सांकि
िृद्भद्ध सांकि
यण सांकि
अयदकद सांकि
दीघग सांकि
कनयम– अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ िणों िे बीच होने िदली सांकि दीघग सांकि िहलदती है । क्योांकि इनमें से िणग िोई िी
हो सांकि दीिग हो जदती है । इसे िणों से बनने िदली सांकि िे िुछ उददहरणोां से समझद जद सितद है |
उददहरण
र्ुण सांकि
कनयम– जब अ, आ िणग िे आर्े अर्र इ, ई िणग िो जोडद जदए तो ए िणग बनतद है।जब अ, आ िणग िे आर्े उ, ऊ
िणग िो जोडद जदए तो ओ िणग बनतद है । इसी तरह अ, आ िणग िे आर्े जब ऋ िणग जोडद जदए तो अर् बनतद है । इसे
र्ुण-सांकि िहते हैं ।
उददहरण–
िृद्भद्ध सांकि
कनयम– अ, आ िणग िद ए, ऐ, औ से मेल होने पर ऐ, औ बनतद है । इसे िृद्भद्ध सांकि िहते हैं ।
उददहरण–
यण सांकि
कनयम– जब इ, ई, उ,ऊ ,ऋ ,ल िे आर्े िोई स्वर आतद है तो ये क्रमश: य्, ि्, र् , ल् में बदल जदतद है ।
उददहरण-
अयदकद सांकि
उददहरण
ए + अ= अय् ने+ अयन= नयन
व्यांजन सद्भि
व्यांजन िद स्वर यद व्यांजन िे सदर् मेल होने पर जो पररितगन होतद है ,उसे व्यांजन सांकि िहते है >
उददहरण
उत + उल्लदस = उल्लदस
अप + ज = अब्ज
कनयम– अर्र ि्, च्, ट् , त्, प् िे बदद किसी िर्ग िद तीसरद यद चौर्द िणग यद य्, र् , ल्, ि् हो यद िोई स्वर हो तो उसी
िर्ग िद तीसरद िणग बन जदतद है अर्दग त ि् िे स्र्दन पर र््, च् िे स्र्दन पर ज्, ट् िे स्र्दन पर ड् , त् िे स्र्दन पर द्
और प् िे स्र्दन पर ब् बन जदतद है ।
उददहरण
िदि् + ईश = िदर्ीश
अप् + ज = अब्ज
सत + िदि = सदिदि
👉कनयम – यकद किसी िर्ग िे पहले िणग (ि्, च्, ट् , त्, प्) िद मेल न् यद म् िणग से हो तो उसिे स्र्दन पर उसी िर्ग
िद पदाँ चिदाँ िणग हो जदतद है |
उददहरण–
िदि् + मय = िदङमय
अप् + मय = अम्मयद
उददहरण–
जर्त् + ईश = जर्दीश
👉कनयम – म् िे बदद िोई िी स्पशग व्यांजन ( ि से म ति ) हो तो उसी िर्ग िद पांचम िणग यद अनुसदर कलखद जदतद है
|पांचम िणग िी अपेक्षद अनुस्वदर कलखने से आसदनी है।
उददहरण–
सम् + िि = सांिि
किम् + तु = किांतु
उददहरण–
उददहरण –
ऋ + न = ऋण
किष् + नु = किष्णु
👉कनयम– स व्यांजन से पहले यकद अ,आ से किन्न स्वर आ जदए तो स िद ‘ष’हो जदतद है |
उददहरण–
कन + कसद्ध = कनकषद्ध
कि + सम = किषम
👉कनयम – यकद किसी स्वर िे बदद छ िणग आए तो छ से पहले च् िणग जुड जदतद है ।
उददहरण–
सांकि + छे द = सांकिकिच्छे द
परर + छे द = पररच्छे द
👉कनयम – सम्+’िृ’ िदतु से बने शब् जैसे-िृत,िदर,िृकत,ितदग ,िदरि आकद हो तो म् िद अनुस्वदर तर्द बदद में स्
िद आर्म हो जदतद है ।
उददहरण–
👉कनयम – परर+’िृ’ िदतु से बने शब् हो तो परर िे बदद ‘ष्’ िद आर्म हो जदतद है |
उददहरण–
उददहरण–
उतिृष् + त = उत्कृष्ट
तुष् + त = तुष्ट
उददहरण–
किसर्ग-सांकि
👉कनयम– किसर्ग िे सदर् च यद छ िे कमलन से किसर्ग िे जर्ह पर ‘श्’बन जदतद है । किसर्ग िे पहले अर्र ‘अ’
और बदद में िी ‘अ’ अर्िद िर्ों िे तीसरे , चौर्े , पदाँ चिें िणग, अर्िद य, र, ल, ि हो तो किसर्ग िद ओ हो जदतद है ।
उदहदरण–
कनः + चय = कनिय
दु ः + चररत्र = दु िररत्र
कनः + छल = कनश्छल
👉कनयम– किसर्ग से पहले अ, आ िो छोडिर िोई स्वर हो और बदद में िोई स्वर हो, िर्ग िे तीसरे , चौर्े, पदाँ चिें िणग
अर्िद य्, र, ल, ि, ह में से िोई हो तो किसर्ग िद र यद र् हो जदतद ह। किसर्ग िे सदर् ‘श’ िे मेल पर किसर्ग िे स्र्दन
पर िी ‘श्’ बन जदतद है ।
उददहरण–
दु ः + शदसन = दु श्शदसन
👉कनयम– किसर्ग से पहले िोई स्वर हो और बदद में च, छ यद श हो तो किसर्ग िद श हो जदतद है । किसर्ग िे सदर् ट, ठ
यद ष िे मेल पर किसर्ग िे स्र्दन पर ‘ष्’ बन जदतद है ।
उददहरण-
कनः + चल = कनिल
कनः + छल = कनश्छल
दु ः + शदसन = दु श्शदसन
👉कनयम– किसर्ग िे बदद यकद त यद स हो तो किसर्ग स् बन जदतद है । यकद किसर्ग िे पहले िदले िणग में अ यद आ िे
अकतररि अन्य िोई स्वर हो तर्द किसर्ग िे सदर् कमलने िदले शब् िद प्रर्म िणग ि, ख, प, फ में से िोई िी हो तो
किसर्ग िे स्र्दन पर ‘ष्’ बन जदयेर्द।
उददहरण–
दु ः + िर = दु ष्कर
👉कनयम– किसर्ग से पहले इ, उ और बदद में ि, ख, ट, ठ, प, फ में से िोई िणग हो तो किसर्ग िद ष हो जदतद है । यकद
किसर्ग िे पहले िदले िणग में अ यद आ िद स्वर हो तर्द किसर्ग िे बदद ि, ख, प, फ हो तो सद्भि होने पर किसर्ग िी ज्योां
िद त्योां बनद रहे र्द।
उददहरण–
👉कनयम– किसर्ग से पहले अ, आ हो और बदद में िोई किन्न स्वर हो तो किसर्ग िद लोप हो जदतद है । किसर्ग िे सदर् त
यद र् िे मेल पर किसर्ग िे स्र्दन पर ‘स्’ बन जदयेर्द।
उददहरण–
अन्त: + तल = अन्तस्तल
दु : + तर = दु स्तर
👉कनयम– किसर्ग िे बदद ि, ख अर्िद प, फ होने पर किसर्ग में िोई पररितगन नहीां होतद। किसर्ग िे सदर् ‘स’ िे
मेल पर किसर्ग िे स्र्दन पर ‘स्’ बन जदतद है ।
उददहरण-
दु : + सदहस = दु स्सदहस
👉कनयम– यकद किसर्ग िे पहले िदले िणग में ‘इ’ ि ‘उ’ िद स्वर हो तर्द किसर्ग िे बदद ‘र’ हो तो सद्भि होने पर
किसर्ग िद तो लोप हो जदयेर्द सदर् ही ‘इ’ ि ‘उ’ िी मदत्रद ‘ई’ ि ‘ऊ’ िी हो जदयेर्ी।
उददहरण-
कन: + रस = नीरस
कन: + रि = नीरि
दु : + रदज = दू रदज
👉कनयम– किसर्ग िे पहले िदले िणग में ‘अ’ िद स्वर हो तर्द किसर्ग िे सदर् अ िे अकतररि अन्य किसी स्वर िे मेल
पर किसर्ग िद लोप हो जदयेर्द तर्द अन्य िोई पररितगन नहीां होर्द।
उददहरण-
अत: + एि = अतएि
तत: + एि = ततएि
👉कनयम– किसर्ग िे पहले िदले िणग में ‘अ’ िद स्वर हो तर्द किसर्ग िे सदर् अ, र्, घ, ड॰, ´, झ, ज, ड, ढ़, ण, द, ि,
न, ब, ि, म, य, र, ल, ि, ह में से किसी िी िणग िे मेल पर किसर्ग िे स्र्दन पर ‘ओ’ बन जदयेर्द।
उददहरण–
सर: + ज = सरोज
अांश पूणग
अांतमुगखी बकहमुगखी
अांतरां र् बकहरां र्
अकत अल्प
अपनद परदयद
अपरदकजत परदकजत
अिदल सुिदल
अकिज्ञ अनकिज्ञ
अज्ञ किज्ञ
अकिमूल्यन अिमूल्यन
अपरदिी कनरपरदिी
अिमगि सिमगि
अमृत किष
अर्दह कछछलद
अिर प्रिर
अितल उत्तल
अकतकर् आकतर्ेय
अकतिृकष्ट अनदिृकष्ट
अिोर्कत ऊध्वगर्कत
अघोष सघोष
अकियुि अकियोर्ी
अग्र पि
अत्यकिि स्वल्प
अनुिूल प्रकतिूल
अनुरदर् किरदर्
अनुरि किरि
अनुरूप प्रकतरूप
अनदहूत आहूत
अग्रज अनुज
अिम उत्तम
अपेक्षद उपेक्षद
अल्पज्ञ बहुज्ञ
अल्पदयु कचरदयु/दीघदग यु
अिकन अांबर
असीम ससीम
अनुनदकसि कनरदनुनदकसि
अकनिदयग ऐद्भच्छि/िैिद्भल्पि
अिुनदतन पुरदतन
अस्त्रीिरण कनरस्त्रीिरण
आकद अांत
आकििदग ि कतरोिदि
आरोह अिरोह
आर्मन कनर्गमन
आद्भस्ति नदद्भस्ति
आग्रह दु रदग्रह
आिुकनि प्रदचीन
आकििूगत कतरोिूत/कतरोकहत
आितगि अनदितगि
आर्दमी किर्त
आज्ञद अिज्ञद
आद्रग शुष्क
आलस्य उद्यम
आिदश पदतदल
आचदर अनदचदर
आत्मकनिगर परजीिी
आद्य अांत्य
आनन्द शोि
आह्लदद किषदद
आभ्यांतर बदह्य
आिुांचन प्रसदरण
आह्वदन किसजगन
आलोचनद प्रशांसद
आिषगण कििषगण
आकमष कनरदकमष
आसि अनदसि
आशीिदग द अकिशदप
आशद कनरदशद
आर पदर
आिृत्त अनदिृत्त
आस्र्द अनदस्र्द
आयदत कनयदग त
आददन प्रददन
आयद र्यद
आय व्यय
आकश्रत अनदकश्रत
इहलोि परलोि
इष्ट अकनष्ट
इच्छद अकनच्छद
ईश्वर अनीश्वर
उत्थदन पतन
उद्धत किनीत
उपद्भस्र्त अनुपद्भस्र्त
उत्कृष्ट कनिृष्ट
उपिदर अपिदर
उत्कषग अपिषग
उन्नकत अिनकत
उन्मूलन स्र्दपन/रोपण
उन्मुख किमुख
उपमदन उपमेय
उिगर ऊसर/अनुिगर
उत्पकत किनदश
उत्तरदयण दकक्षणदयण
उदयदचल अस्तदचल
उपमेय अनुपमेय
उपचदर अपचदर
उषद सांध्यद
उच्छ्वदस कनःश्वदस
उज्ज्वल िूकमल
उत्तीणग अनुत्तीणग
उपदकजगत अनुपदकजगत
उल्लदस किषदद
उपसर्ग प्रत्यय
उददर अनुददर
उिि अिसदन
उपजदऊ अनुपजदऊ
उध्वग अिर
उिदर निद
उत्पददि अनुत्पददि
ऊपर नीचे
ऊाँच नीच
ऋत अनृत
ऋण उऋण
ऋणी िनी
ऋजु िक्र
एि अनेि
एडी चोटी
एितद अनेितद
एिदन्त अनेिदन्त
एिदिी समग्र
एिदर्गि अनेिदर्गि
ऐकहि पदरलौकिि
ऐक्य अनेक्य
ऐश्वयग अनैश्वयग
औजस्वी कनस्तेज
औकचत्य अनौकचत्य
औददयग अनौददयग
िटु मिुर
िददचदर सददचदर
िदपुरुष पुरुषदर्ी
िकनष्ठ िररष्ठ/ज्येष्ठ
िठोर मुलदयम
क्रय किक्रय
िल्यदण अिल्यदण
िदयर िीर
िडु िद मीठद
िपूत सपूत
िपटी कनष्कपट
िमजोर बलिदन
ििगश मिुर
िलांकित कनष्कलांि
िद्भल्पत यर्दर्ग
िलुकषत कनष्कलांि
िसूरिदर बेिसूर
िदलद र्ोरद
िुमदरी कििदकहतद
क्रोि शदद्भन्त
िोलदहल नीरितद
िमगण्य अिमगण्य
िरणीय अिरणीय
िदयग अिदयग
िुपर् सुपर्
िुर्कत सुर्कत
िुमदर्ग सुमदर्ग
िुमकत सुमकत
िुरूप सुरूप
िृकत्रम नैसकर्गि
िृष्ण शुक्ल
िुलटद पकतव्रतद
िृपद िोप
िृश पुष्ट/स्र्ूल
कक्रयद प्रकतकक्रयद
िीकतग अपिीकतग
िुख्यदत किख्यदत
िृपण उददर
िृतज्ञ िृतघ्न
िुकटल सरल
िोमल िठोर
क्षुण्ण अक्षुण्ण
क्षुद्र किरदट
खांडन मांडन
खरद खोटद
खर्ोल िूर्ोल
खीझनद रीझनद
खुशी र्म
खुशकिस्मत बदकिस्मत
खुशबू बदबू
खेद प्रसन्नतद
र्णतांत्र रदजतांत्र
र्रल सुिद
र्ररमद लकघमद
र्हरद उर्लद
र्ृहस्र् सांन्यदसी
ग्रदम नर्र
ग्रदह्य अग्रदह्य/त्यदज्य
र्ुि प्रिट
र्ुरु लघु
र्ोचर अर्ोचर
र्ौरि लदघि
र्ौण मुख्य
र्ुण अिर्ुण/दोष
र्मी सदी
र्मन आर्मन
घनद कछतरद
घदत प्रकतघदत
घृणद प्रेम
चांचल द्भस्र्र
चपल र्ांिीर
चर अचर
चतुर मूखग
चढ़दि उतदर
कचाँकतत कनकिाँत
कचर द्भस्र्र
चेतन अचेतन/जड
चेतनद मूच्छदग
छली कनश्छल
छदयद िूप
जांर्म स्र्दिर
जय परदजय
जन्म मृत्यु
जदर्रण सषुद्भि/कनद्रद
जदग्रत सुषुि
जकटल सरल
जल र्ल
जीत हदर
जीकित मृत
जीि जड
ज्योकत तम
जीणग अजीणग
ज्येष्ठ लघु
ज्ञदत अज्ञदत
ज्ञदन अज्ञदन
ज्ञेय अज्ञेय
झूाँठ सदाँ च
झूठद सच्चद
झोाँपडी महल
ठोस द्रि/तरल
ढ़दल चढ़दई
तटस्र् पक्षपदती
तर शुष्क
तरुण िृद्ध
ति शीतल
त्यि र्ृहीत
त्यदज्य ग्रदह्य
तदमकसि सदद्भत्वि
तदरीफ बुरदई
कतकमर प्रिदश
तीव्र मांद/मन्थर
तुच्छ महदन
तृष्णद कितृष्णद
तृषद तृद्भि
त्यदर् िोर्
तीक्ष्ण सरल
र्दह अर्दह
र्ोि खुदरद
र्ोडद बहुत
दररद्र िनी
दयद क्रूरतद
दकक्षण उत्तर
कदन रदत
कदिद रदकत्र
दीघग लघु
दीघगिदय लघुिदय
दु र्गि सुर्ि
दृश्य अदृश्य
दु रदचदर सददचदर
दु जगन सज्जन
दु रदचदरी सददचदरी
दु ष्कर सुिर
दु ष्प्रदप्य सुप्रदप्य
द्रु त मांर्र
दू र पदस
दे ि ददनि
दे नददर लेनददर
दे शिि दे शद्रोही
शब् किलोम शब्
िमग अिमग
ध्वांस कनमदग ण
ध्वल श्यदम
िरद र्र्न
िनदत्मि ऋणदत्मि
िीर अिीर
िीरज उतदिलदपन
िृष्ट किनम्र
िूप छदाँ ि
नयद पुरदनद
नश्वर शदश्वत
न्यून अकिि
नर्र ग्रदम
निीन प्रदचीन
नत उन्नत
नरदिम नरपुांर्ि
नम्र अनम्र
नमिहरदम नमिहलदल
कनिीि िीरु
कनरुद्देश्य सोद्देश्य
कनमगल मकलन
कनकषद्ध किकहत
कनबगल सबल
कनलगज्ज सलज्ज
कनरर्गि सदर्गि
कनर्ुगण सर्ुण
कनरदिदर सदिदर
कनरदिदर सदिदर
कनाँद्य िांद्य
कनद्भिय सकक्रय
कनन्दद स्तुकत
कनरपेक्ष सदपेक्ष
कनिल चांचल
कनस्वदर्ग स्वदर्ी
नीरस सरस
नूतन पुरदतन
नेिी बदी
नैकति अनैकति
कनष्कदम सिदम
नर नदरी
कनरक्षर सदक्षर
पकठत अपकठत
परमदर्ग स्वदर्ग
पद्भित मूखग
परतांत्र स्वतांत्र
पकित्र अपकित्र
परदिीन स्वदिीन
परिीय स्विीय
पहले पीछे
प्रिदन र्ौण
प्रशांसद कनन्दद
प्रिृकत्त कनिृकत्त
प्रदिृकति अप्रदिृकति
प्रत्यक्ष परोक्ष/अप्रत्यक्ष
पररतोष दां ड
प्रसदरण सांिुचन
पदोन्नत पददिनत
पदप पुण्य
पदिन अपदिन
पदत्र अपदत्र
पेय अपेय
पुरुष स्त्री
पूणग अपूणग
पदठ्य अपदठ्य
पदस्र् अपदस्र्
पक्ष किपक्ष
पल्लिन सांक्षेपण
पररश्रम किश्रदम
प्रलय सृकष्ट
प्रश्न उत्तर
प्रर्कत अिनकत
प्रर्म अांकतम
प्रिेश कनिदस
प्रतीची प्रदची
प्रफुल्ल ग्लदन
प्रसदद किषदद
प्रज्ञ मूढ़
पदकर्गि अपदकर्गि
पदलि घदलि/सांहदरि
पदपी कनष्पदप
प्रीकत द्वे ष
पुरोर्दमी पिर्दमी
पुष्ट क्षीण
पूकणगमद अमदिस्यद
पूिगिती परिती
प्रेम घृणद
प्रेषि प्रदपि
पैनद िौर्रद
प्रोत्सदकहत हतोत्सदकहत
फूल िदाँ टद
बकहष्कदर स्वीिदर
बद्ध मुि
बांिन मुद्भि/मोक्ष
बकढ़यद घकटयद
बलिदन िमजोर
बांजर उिगर
बकलष्ठ दु बगल
बसांत पतझड
बहददु र डरपोि
बबगर सभ्य
बदढ़ सूखद
िद्र अिद्र
िलदई बुरदई
िदरी हल्कद
िूत िकिष्य
िोर्ी योर्ी
भ्रदन्त कनभ्रदन्त
िलद बुरद
िौकति आध्यदद्भत्मि
िेद अिेद
िेद्य अिेद्य
ममत्व परत्व
मग्न दु खी/ऊपर
मांर्ल अमांर्ल
मसृण रुक्ष
मनुज दनुज
ममतद कनष्ट्ठुरतद
महीन मोटद
मत किमत
मकत िुमकत
मनुष्यतद पशुतद
मदन अपमदन
कमत्र शत्रु
कमतव्यय अपव्यय
कमलन कबछोह
कमथ्यद सत्य
मुनदफद घदटद
मुख्य र्ौण
मूढ़ ज्ञदनी
मूि िदचदल
मेहमदन मेजबदन
मौद्भखि कलद्भखत
मदनिीय अमदनिीय
मूल्यिदन मूल्यहीन
यश अपयश
युर्ल एिल
युद्ध शदां कत
योर् कियोर्
यौिन िदिगक्य
रत किरत
रक्षण िक्षण
रक्षि िक्षि
रद्द बहदल
रचनदत्मि ध्वांसदत्मि
रसीलद नीरस
रकत किरकत
रदजद रां ि
ररि पूणग
रीतद िरद
रुकच अरुकच
रुग्ण स्वस्र्
रुदन हदस्य
लकलत िुरूप
लघु किशदल/र्ुरु/दीघग
लदि हदकन
कलि कनकलगि
कलद्भखत अकलद्भखत
लुि व्यि
लुिदिनद कघनौनद
लोि परलोि
ििद श्रोतद
िर ििू
िफदददर बेिफद
िरददन अकिशदप
व्यद्भि समदज
व्यद्भिर्त सदमूकहि/समकष्टर्त
व्यकष्ट समकष्ट
व्यकिचदरी सददचदरी
व्यर्ग अव्यर्ग
िन्य पदलतु
िददी प्रकतिददी
िदकिफ नदिदकिफ
व्यिस्र्द अव्यिस्र्द
किििद सििद
कििि परदिि
किश्लेषण सांश्लेषण
किपदद सम्पदद
किकि कनषेि
किस्तदर सांक्षेप
कििल अकििल
किज्ञ अकिज्ञ
किजयी परदस्त
किनीत उद्धत
किपकत सम्पकत्त
किशेष/किकशष्ट सदिदरण
किरदट क्षुद्र
किस्तृत सांकक्षि
किरह कमलन
कििल्प सांिल्प
किद्वदन मूखग
कििदकदत कनकिगिदद
किजेतद किकजत
कियोर् सांयोर्
किददई स्वदर्त
किपुल अल्प
किलदस तपस्यद
िेदनद आनन्द
िैमनस्य सौमनस्य
िैतकनि अिैतकनि
शिुन अपशिुन
श्लील अश्लील
शत्रुतद कमत्रतद
शयन जदर्रण
शमगददर बेशमग
शहरी दे हदती
श्लदघद कनाँदद
श्वेत श्यदम
शदयद अिश्य
शदसि शदकसत
शदलीन िृष्ट
शदन्त अशदन्त
कशि अकशि
शीत उष्ण
शीषग तल
कशष्ट अकशष्ट
श्रीर्णेश इकतश्री
शुि अशुि
शूरतद िीरुतद
शांखकलत किशांखकलत
शोहरत बदनदमी
शोि हषग
शोषि पोषि
समर्ग असमर्ग
सूम उददर
सुबोि दु बोि
सन्दे ह किश्वदस
सम्पन्नतद किपन्नतद
सद्भि किग्रह
सम्भोर् किप्रलम्भ
समदस व्यदस
स्र्ूल सूक्ष्म
सक्षम अक्षम
सजीि कनजीि
सत्यदग्रह दु रदग्रह
सभ्य असभ्य
सांघठन किघटन
सजल कनजगल
सत्य असत्य
सांतोष असांतोष
सफलतद असफलतद
सांिीणग किस्तृत/किस्तीणग
सांन्यदसी र्ृहस्र्
सांयुि कियुि
सांध्यद प्रदतः
सददशय दु रदशय
सत्कदर कतरस्कदर
समूल कनमूगल
सहज िकठन
सम किषम
सचेष्ट कनिेष्ट
सघन किरल
स्मरण किस्मरण
स्मृत किस्मृत
सदहचयग पृर्क्करण
सदर कनस्सदर
कसत अकसत
सुपुत्र िुपुत्र
सुखदां त दु खदां त
सुरीलद बेसुरद
सृजन सांहदर
हरद सूखद
हषग किषदद
हृस्व दीघग
ह्रदस िृद्भद्ध
कहाँ सद अकहाँ सद
कहत अकहत
हे य प्रेय
होनी अनहोनी
क्षकणि शदश्वत।
सदमदकसि शब्- समदस िे कनयमोां से कनकमगत शब् सदमदकसि शब् िहलदतद है। इसे समस्तपद िी िहते हैं । समदस
होने िे बदद कििद्भियोां िे कचि (परसर्ग) लुि हो जदते हैं । जैसे-रदजपुत्र।
समदस-किग्रह- सदमदकसि शब्ोां िे बीच िे सांबांि िो स्पष्ट िरनद समदस-किग्रह िहलदतद है । जैसे-रदजपुत्र-रदजद िद
पुत्र।
पूिगपद और उत्तरपद- समदस में दो पद (शब्) होते हैं । पहले पद िो पूिगपद और दू सरे पद िो उत्तरपद िहते हैं ।
जैसे-र्ांर्दजल। इसमें र्ांर्द पूिगपद और जल उत्तरपद है ।
समदस िे िेद
1. अव्ययीिदि समदस।
2. तत्पुरुष समदस।
4. बहुव्रीकह समदस।
1. अव्ययीिदि समदस
कजस समदस िद पहलद पद प्रिदन हो और िह अव्यय हो उसे अव्ययीिदि समदस िहते हैं । जैसे-यर्दमकत (मकत िे
अनुसदर), आमरण (मृत्यु िर) इनमें यर्द और आ अव्यय हैं।
अव्ययीिदि समदस िी पहचदन- इसमें समस्त पद अव्यय बन जदतद है अर्दग त समदस होने िे बदद उसिद रूप ििी
नहीां बदलतद है । इसिे सदर् कििद्भि कचि िी नहीां लर्तद। जैसे-ऊपर िे समस्त शब् है ।
2. तत्पुरुष समदस
कजस समदस िद उत्तरपद प्रिदन हो और पूिगपद र्ौण हो उसे तत्पुरुष समदस िहते हैं । जैसे-तुलसीददसिृत=तुलसी
द्वदरद िृत (रकचत)
ज्ञदतव्य- किग्रह में जो िदरि प्रिट हो उसी िदरि िदलद िह समदस होतद है । कििद्भियोां िे नदम िे अनुसदर इसिे छह
िेद हैं -
कजस समदस में पहलद पद कनषेिदत्मि हो उसे नञ तत्पुरुष समदस िहते हैं । जैसे-
कजस समदस िद उत्तरपद प्रिदन हो और पूिगिद ि उत्तरपद में किशेषण-किशेष्य अर्िद उपमदन-उपमेय िद सांबांि हो
िह िमगिदरय समदस िहलदतद है । जैसे-
कजस समदस िद पूिगपद सांख्यदिदचि किशेषण हो उसे कद्वर्ु समदस िहते हैं । इससे समूह अर्िद समदहदर िद बोि होतद
है । जैसे-
कजस समदस िे दोनोां पद प्रिदन होते हैं तर्द किग्रह िरने पर ‘और’, अर्िद, ‘यद’, एिां लर्तद है , िह द्वां द्व समदस
िहलदतद है । जैसे-
4. बहुव्रीकह समदस
कजस समदस िे दोनोां पद अप्रिदन होां और समस्तपद िे अर्ग िे अकतररि िोई सदां िेकति अर्ग प्रिदन हो उसे बहुव्रीकह
समदस िहते हैं । जैसे-
समस्त पद समदस-किग्रह
सांकि िणों में होती है । इसमें कििद्भि यद शब् िद लोप नहीां होतद है । जैसे-दे ि+आलय=दे िदलय। समदस दो पदोां में होतद
है । समदस होने पर कििद्भि यद शब्ोां िद लोप िी हो जदतद है । जैसे-मदतद-कपतद=मदतद और कपतद।
िमगिदरय और बहुव्रीकह समदस में अांतर- िमगिदरय में समस्त-पद िद एि पद दू सरे िद किशेषण होतद है । इसमें
शब्दर्ग प्रिदन होतद है । जैसे-नीलिांठ=नीलद िांठ। बहुव्रीकह में समस्त पद िे दोनोां पदोां में किशेषण-किशेष्य िद सांबांि
नहीां होतद अकपतु िह समस्त पद ही किसी अन्य सांज्ञदकद िद किशेषण होतद है। इसिे सदर् ही शब्दर्ग र्ौण होतद है और
िोई किन्नदर्ग ही प्रिदन हो जदतद है । जैसे-नील+िांठ=नीलद है िांठ कजसिद अर्दग त कशि।
[06] अनेिदर्गि शब्
‘अनेिदर्ी’ शब् िद अकिप्रदय है , किसी शब् िे एि से अकिि अर्ग होनद। बहुत से शब् ऐसे है ,ाँ कजनिे एि से
अकिि अर्ग होते है ।ाँ ऐसे शब्ोाँ िद अर्ग किन्न–किन्न प्रयोर् िे आिदर पर यद प्रसांर्दनुसदर ही स्पष्ट होतद है । िदषद सौष्ठि
िी दृकष्ट से इनिद बडद महत्त्व है ।
• अांि – सांख्यद िे अांि, नदटि िे अांि, र्ोद, अध्यदय, पररच्छे द, कचि, िदग्य, स्र्दन, पकत्रिद िद नांबर।
• अक्षर – नष्ट न होने िदलद, अ, आ आकद िणग, ईश्वर, कशि, मोक्ष, ब्रह्म, िमग, र्र्न, सत्य, जीि।
• अक्ष – िुरी, आाँ ख, सूयग, सपग, रर्, मिल, ज्ञदन, पकहयद, िील।
• अजीत – अजेय, किष्णु, कशि, बुद्ध, एि किषैलद मूषि, जैकनयोाँ िे दू सरे तीर्गिर।
ाँ
• अिर – कनरदिदर, शून्य, कनचलद ओष्ठ, स्वर्ग, पदतदल, मध्य, नीचद, पृथ्वी ि आिदश िे बीच िद िदर्।
• अनन्त – सीमदरकहत, ब्रह्मद, किष्णु, कशि, शेषनदर्, लक्ष्मण, बलरदम, बदाँ ह िद आिूषण, आिदश, अन्तहीन।
• अग्र – आर्े िद, श्रेष्ठ, कसरद, पहले।
िलद – अांश, एि किषय, िुशलतद, शोिद, तेज, युद्भि, र्ुण, ब्यदज, चदतुयग, चदाँ द िद सोलहिदाँ अांश।
• िल – मशीन, आरदम, सुख, पुजदग , मिुर ध्वकन, शदद्भन्त, बीतद हुआ कदन, आने िदलद कदन।
• िक्ष – िदाँख, िमरद, िछौटद, सूखी घदस, सूयग िी िक्षद।
• ित्तदग – स्वदमी, िरने िदलद, बनदने िदलद, ग्रन्थ कनमदग तद, ईश्वर, पहलद िदरि, पररिदर िद मुद्भखयद।
• िदम – िदयग, नौिरी, कसलदई आकद िांिद, िदसनद, िदमदे ि, मतलब, िृकत।
• र्ुण – िौशल, शील, रस्सी, स्विदि, किशेषतद, हुनर, महत्त्व, तीन र्ुण (सत, तम ि रज), प्रत्यांचद (िनुष िी डोरी)।
• र्ुरु – कशक्षि, बडद, िदरी, श्रेष्ठ, बृहस्पकत, कद्वमदकत्रि अक्षर, पूज्य, आचदयग, अपने से बडे ।
• र्ौ – र्दय, बैल, इद्भन्द्रय, िूकम, कदशद, बदण, िज्र, सरस्वती, आाँ ख, स्वर्ग, सूयग।
• टां ि – तोल, छे नी, िुल्हदडी, तलिदर, म्यदन, पहदडी, ढदल, क्रोि, दपग, कसक्कद, दरदर।
• ठोिनद – मदरनद, पीटनद, प्रहदर द्वदरद िीतर िाँसदनद, मुिदमद ददयर िरनद।
• डहिनद – िांचनद, छलनद, िोखद खदनद, फूट-फूटिर रोनद, कचाँघदडनद, फैलनद, छदनद।
• र्दप – र्प्पड, आदर, सम्मदन, मयदग दद, र्ौरि, कचि, तबले पर हर्ेली िद आघदत।
• पय – दू ि, अन्न, जल।
• प्रिृकत – स्विदि, िदतदिरण, मूलदिस्र्द, िुदरत, िमग, रदज्य, खजदनद, स्वदमी, कमत्र।
• फल – लदि, खदने िद फल, सेिद, नतीजद, लद्भि, पददर्ग, सन्तदन, िदले िी नोि।
• मिु – शहद, मकदरद, चैत्र मदस, एि दै त्य, बसांत ऋतु, परदर्, मीठद।
• रां र् – िणग, नदच-र्दन, शोिद, मनोकिनोद, ढां र्, रोब, युद्धक्षेत्र, प्रेम, चदल, दशद, राँ र्ने िी सदमग्री, नृत्य यद अकिनय िद
स्र्दन।
• रस – स्वदद, सदर, अच्छद दे खने से प्रदि आनन्द, प्रेम, सुख, पदनी, शरबत।
• रदर् – प्रेम रां र्, लदल रां र्, सांर्ीत िी ध्वकन (रदर्)।
• िणग – अक्षर, रां र्, रूप, िेद, चदतुिगण्यग (ब्रदह्मण, क्षकत्रय, िैश्य ि शूद्र), जदकत।
• श्री – लक्ष्मी, सरस्वती, सम्पकत्त, शोिद, िदद्भन्त, िोयल, आदर सूचि शब्।
• सदरां र् – एि रदर्, मोर िी बोली, चदति, मोर, सपग, बददल, कहरन, पपीहद, रदजहां स, हदर्ी, िोयल, िदमदे ि, कसांह,
िनुष, िौांरद, मिुमक्खी, िमल, स्त्री, दीपि, िस्त्र, हिद, आाँ चल, घडद, िदमदे ि, पदनी, रदजकसाँह, िपूर, िणग, िूषण,
पुष्प, छत्र, शोिद, रदकत्र, शांख, चन्दन।
• सूत्र – सूत, जनेऊ, र्ूढ़ अर्ग िरद सांकक्षि िदक्य, सांिेत, पतद, कनयम।
• सैि
ाँ ि – घोडद, नमि, कसिुिदसी।
• हां स – जीि, सूयग, श्वेत, योर्ी, मुि पुरुष, ईश्वर, सरोिर िद पक्षी (मरदल पक्षी)।
• हय – घोडद, इन्द्र।
• हरर – हदर्ी, किष्णु, इां द्र, पहदड, कसांह, घोडद, सपग, िदनर, मेढि, यमरदज, ब्रह्मद, कशि, िोयल, किरण, हां स, इन्द्र, िदनर,
िृष्ण, िदमदे ि, हिद, चन्द्रमद।
• त्रुकट – िूल, िमी, िसर, छोटी इलदइची िद पौिद, सांशय, िदल िद एि सूक्ष्म कििदर्, अांर्हीनतद, प्रकतज्ञद-िांर्, स्कांद
िी एि मदतद।
[07] शब् युग्म
कहां दी िे अनेि शब् ऐसे हैं , कजनिद उच्चदरण प्रदयः समदन होतद हैं । किांतु, उनिे अर्ग किन्न होते
हैं । इन्हें 'युग्म शब्द' िहते हैं ।
दू सरे शब्ोां में, िैसे शब्, जो उच्चदरण िी दृकष्ट से असमदन होते हुए िी समदन होने िद भ्रम पैदद
िरते हैं , युग्म शब्द अर्िद 'श्रुतिसमतिन्नार्गक' शब् िहलदते हैं । श्रुकतसमकिन्नदर्गि िद अर्ग ही
है - सुनने में समदन; परन्तु किन्न/अलर् अर्गिदले।
उददहरण िे कलए- यकद आप किसी िो बतदओ कि 'पक्षी नीर में रहते हैं ', तो िह व्यद्भि आपिो
मुखग समझेर्द क्योांकि 'नीर' िद अर्ग होतद है 'पदनी' और पक्षी पदनी में नहीां रहते। आपिो िहनद र्द
'पक्षी नीड में रहते हैं ' 'नीड' अर्दग त 'घोांसलद'।
इस तरह आप दे ख सिते हैं कि एि शब् िे र्लत कलख यद बोल दे ने से पुरे अर्ग िद अनर्ग हो
जदतद है । अतः इस तरह िे शब्ोां िद प्रयोर् ध्यदन से िरनद होतद है । इसिे कलए आपिो इन
शब्ोां िे अर्ग पतद होने चदकहए।
यहदाँ ऐसे युग्म शब्ोां िी सूची उनिे अर्ो िे सदर् दी जद रही है कजनिो आप जदने-अनजदने में
र्लत कलख दे ते हो और आपिो स्वयां पतद नहीां होतद कि आप किस अर्ग िद अनर्ग िर रहे हैं –
1 अली सखी
अकल िौांरद
2 अणु िण
उपेक्षद कनरददर
5 अिय कनिगय
उिय दोनोां
6 अरर शत्रु
7 िुल िांश, सब
िूल किनदरद
8 िमग िदम
क्रम कसलकसलद
र्ृह घर
10 र्ुड शक्कर
र्ूढ़ र्म्भीर
11 कचर पुरदनद
चीर िपडद
13 कजलद मांडल
जीलद चमि
14 जलज िमल
जलद बददल
जर्त् सांसदर
तरणी नदि
तरुणी युिती
17 ददरु लिडी
ददरू शरदब
18 कनयत कनद्भचचत
19 कनश्छल छलरकहत
कनचचल अटल
20 कनशदिर चन्द्रमद
कनशदचर रदक्षस
नीर पदनी
23 पररणदम नतीजद, फल
पररमदण मदत्रद
24 पदस नजदीि
पदश बिन
25 परीक्षद इम्तहदन
पररक्षद िीचड
26 फण सदाँ प िद फण
फन िलद, िदरीर्र
28 कसतद चीनी
सीतद जदनिी
29 सन्दे ह शि
सदे ह दे ह िे सदर्
सांिेदनद अनुिूकत
31 हरर किष्णु
समदन िस्तु
सम्मदन आदर
िकल िकलयु र्
35 िोष खजदनद
36 कदन कदिस
दीन र्रीब
37 िूरद िूल
िुरद अक्ष
प्रकतशोि बदलद
पट िपडद
40 पदनी जल
पदकण हदर्
41 बकल बकलददन
बली िीर
42 बन बननद, मजदू री
िन जांर्ल
43 बदन शरीर
िदन मुख/चेहरद
44 मल र्न्दर्ी
45 लिण नमि
शुक्ल उजलद
48 शिल टु िडद
शक्ल चेहरद
49 श्व िुत्तद
स्व अपनद
[08] िदच्य
पररिदषद
कक्रयद िे कजस रूपदां तरण से यह जदनद जदए िी कक्रयद द्वदरद किए र्ए कििदन िद िेंद्र कबांदु ितदग है , िमग है , अर्िद कक्रयद
िदि, उसे िदच्य िहते हैं ।
1. ितृगिदच्य।
2. िमगिदच्य।
3. िदििदच्य।
(1) ितृगिदच्य
कजस िदक्य में िदच्य कबांदु ितदग है उसे ितृगिदच्य िहते है ।
जैसे-
रदम पुस्ति पढ़तद है ।
मोहन सदइकिल चलदतद है ।
(2) िमगिदच्य
जहदां िदच्य कबांदु, ितदग न होिर 'िमग' हो िहदां िमगिदच्य होतद है ।
जैसे-
रदम से पुस्ति पढ़ी जदती है ।
मोहन से सदइकिल चलदई जदती है ।
(3) िदििदच्य
कजस िदक्य में िदच्य-िेंद्र कक्रयद हो, अर्दग त जहदां न ितदग िी प्रिदनतद हो, न िमग िी, बद्भल्क जहदां 'कक्रयद िद िदि' ही
मुख्य हो उसे िदििदच्य िहते हैं ।
जैसे:
बच्चोां से घूमद जद रहद है ।
िुणदल द्वदरद िदर्द जदएर्द।
कटप्पणी-
ितृगिदच्य में कक्रयद सिमगि और अिमगि दोनोां हो सिती है , किन्तु िमगिदच्य में िेिल सिमगि, और िदििदच्य में
अिमगि होती है ।
ितृगिदच्य से िमगिदच्य
1. सरोज पत्र कलखती है ।
1. सरोज से पत्र कलखद जदतद है।
4. िह सो र्यद।
4. उसिे द्वदरद सोयद र्यद।
8. चलो, अब सोयें।
8. चलो, अब सोयद जदए।
2. हम रह नहीां पदए।
3. हनी से हां सद जदतद है ।
4. िह रो िी नहीां सिी।
वचन-संबंधी अशुद्धियााँ
पदकिस्तदन ने र्ोले और तोपोां से आि्रमण कियद। पदकिस्तदन ने र्ोलोां और तोपोां से आि्रमण कियद।
महदिदरत अठदरह कदनोां ति चलतद रहद। महदिदरत अठदरह कदन ति चलतद रहद।
तेरी बदत सुनते-सुनते िदन पि र्ए। तेरी बदतें सुनते-सुनते िदन पि र्ए।
तविद्धि-संबंधी अशुद्धियााँ
मैं यह िदम नहीां कियद हूाँ। मैंने यह िदम नहीां कियद है।
र्ले में गुलदमी िी बेकडयदाँ पड र्ई। पैरोां में गुलदमी िी बेकडयदाँ पड र्ई।
िह क्यद जदने कि मैं िैसे जीकित हूाँ । िह क्यद जदने कि मैं िैसे जी रहद हूाँ ।
तवशेषण-संबंधी अशुद्धियााँ
तक्रया-संबंधी अशुद्धियााँ
क्यद यह सांिि हो सितद है ? क्यद यह सांिि है ?
युर् िी मदाँर् िद यह बीडद िौन चबदतद है । युर् िी मदाँ र् िद यह बीडद िौन उठदतद है ।
तक्रया-तवशेषण-संबंधी अशुद्धियााँ
सदरी रदत िर मैं जदर्तद रहद। मैं सदरी रदत जदर्तद रहद।
तुम बडद आर्े बढ़ र्यद। तुम बहुत आर्े बढ़ र्ए।
इस पर् ितीय क्षेत्र में सर् िस्ि शदांकत है। इस पर् ितीय क्षेत्र में सर् ित्र शदां कत है ।
संज्ञा (Sangya) – “संज्ञा” शब्द “सम् + ज्ञा” के मे से बना है | तिसका शाद्धब्दक अर्ग है –
“संपदणग ज्ञान कराने वा ी” | िबतक संज्ञा शब्द का शाद्धब्दक अर्ग – “नाम” है |
िैसे – वेदान्त तवद्या य से घर लौटद | उसिी प्रसन्निा िद कठिदनद न र्द | उसे तनबंध प्रकतयोकर्तद
में पुरस्कार कमलद र्द प्रधानाचायग ने उसे पुरस्कार कदयद र्द |
तिन शब्ददं से तकसी तवशेष व्यद्धि, तवशेष स्र्ान या तवशेष वस्तु के नाम का बदध हद उन्हें
व्यद्धिवाचक संज्ञा कहिे है |
िैसे → 1. राम अयदध्या िे रदजद र्े |
तिस संज्ञा शब्द से तकसी प्राणी वस्तु अर्वा स्र्ान की िाति या पदरे वर्ग का बदध हद उसे
िातिवाचक संज्ञा कहिे हैं |
तिन संज्ञा शब्ददं से तकसी प्राणी या वस्तु की द्धस्र्ति, र्ुण, ददष, िाव और दशा आतद का पिा
च िा है , उन्हें िाववाचक संज्ञा कहिे हैं |
4. द्रव्यिदचि सांज्ञद→
2. यह हदर सदने िद है |
3. र्दय िद दद ध कितने रुपए लीटर है |
→ िद संज्ञा शब्द तकसी धािु द्रव्य या पदार्ग का बदध करािे हैं, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहिे है |
5. समूहिदचि सांज्ञद→
→ िद संज्ञा शब्द एक ही िाति के व्यद्धि या वस्तुओ ं के समदह का बदध करािे हैं, उन्हें
समदहवाचक संज्ञा शब्द कहिे हैं |
िाववाचक संज्ञा का तनमागण शब्ददं के अंि में प्रत्यय र्ाकर तकया िािा है|
1. जदकतिदचि सांज्ञद से
2. सिगनदम से
3. किशेषण से
4. कक्रयद से
5. अव्यय
→ सुंदर = सुांदर + य = स द
ं यग
→ ा = लदल + इमा = ात मा
→ पढ़ = पढ़ + आई = पढ़ाई
5. अव्यय से िदििदचि सांज्ञद →
→ दद र = दू र + ई = दद री
किशेषण ( Visheshan )
तवशेष्य → तिस संज्ञा या सवगनाम शब्द की तवशेषिा बिाई िािी है उसे तवशेष्य कहिे हैं |
िैसे →
1. राधा सुंदर है |
तवशेष्य तवशेषण
2. रदिद सुांदर
आिदश में पााँच पिंर् उड रही हैं |
तवशेष्य तवशेषण
पतांर् पदाँ च
3. यह इमदरत ऊाँची है |
तवशेष्य तवशेषण
इमदरत ऊाँची
प्रतवशेषण
तवशेषण शब्ददं की तवशेषिा प्रकट करने वा े तवशेषणदं कद प्रतवशेषण कहिे हैं |
जैसे →
1. किशेष्य से पूिग
2. किशेष्य िे बदद
तवशेष्य से पदवग →
→ इसे किशेष्य किशेषण िहते हैं |
जैसे → ा िस्त्र, सुंदर लडिी, ऊाँचा पहदड |
तवशेष्य के बाद →
→ इसे कििेय किशेषण िहते हैं |
जैसे →
1. यह ड़की अच्छी है |
तवशेष्य तवशेषण
लडिी अच्छी
2. यह बा क ईमानदार है |
तवशेष्य तवशेषण
बदलि ईमदनददर
किशेषण िे िेद
र्ुणिदचि किशेषण
→ िद तवशेषण तकसी संज्ञा या सवगनाम के र्ुण, ददष, दशा, रं र्, स्र्ान, आकार आतद का
बदध करािे हैं , वे र्ुणवाचक तवशेषण कह ािे हैं |
िैसे→
पररमदणिदचि किशेषण
→ सज्ञद यद सिगनदम शब्ोां िे कनकित पररमदण िद बोि िरदने िदले शब्ोां िो कनकित पररमदणिदचि
किशेषण िहते हैं |
जैसे – दद तक द आलू दे दो
मोहन चार मीटर िपडद लदयद |
दु िदनददर ने िीन स ग्राम चीनी दी |
अकनकित पररमदणिदचि किशेषण →
→ कजन किशेषण शब्ोां से सांज्ञद और सिगनदम िे कनकित मदप-तौल िद पतद नहीां चलतद है उन्हें
अकनकित पररमदणिदचि किशेषण िहते है |
सांख्यदिदचि किशेषण →
तिन तवशेषण शब्ददं से संज्ञा और सवगनाम शब्ददं की संख्या का बदध हदिा है , उन्हें संख्यावाचक
तवशेषण कहिे है |
कजन किशेषण से कनकित सांख्यद िद बोि होतद है , िह कनकित सांख्यदिदचि किशेषण होतद है |
िैसे →
→ मोहन चार के े लदयद |
→ मैददन में साि घोडे दौड रहे हैं |
→ मेरी िक्षद में दस बच्चे हैं |
कजन किशेषणोां से कनकित सांख्यद िद बोि नहीां होतद है , िे अकनकित सांख्यदिदचि किशेषण होतद हैं |
िैसे →
→ बदढ़ में अनेि मिदन डूब र्ए |
→ िुछ हदर्ी जांर्ल में घूम रहे र्े |
→ मोहन बदजदर से र्ोडे अांर्ूर लदयद |
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किशेषण ( Visheshan )
तवशेष्य → तिस संज्ञा या सवगनाम शब्द की तवशेषिा बिाई िािी है उसे तवशेष्य कहिे हैं |
िैसे →
1. राधा सुंदर है |
तवशेष्य तवशेषण
2. रदिद सुांदर
आिदश में पााँच पिंर् उड रही हैं |
तवशेष्य तवशेषण
पतांर् पदाँ च
3. यह इमदरत ऊाँची है |
तवशेष्य तवशेषण
इमदरत ऊाँची
प्रतवशेषण
तवशेषण शब्ददं की तवशेषिा प्रकट करने वा े तवशेषणदं कद प्रतवशेषण कहिे हैं |
जैसे →
1. किशेष्य से पूिग
2. किशेष्य िे बदद
तवशेष्य से पदवग →
→ इसे किशेष्य किशेषण िहते हैं |
जैसे → ा िस्त्र, सुंदर लडिी, ऊाँचा पहदड |
तवशेष्य के बाद →
→ इसे कििेय किशेषण िहते हैं |
जैसे →
1. यह ड़की अच्छी है |
तवशेष्य तवशेषण
लडिी अच्छी
2. यह बा क ईमानदार है |
तवशेष्य तवशेषण
बदलि ईमदनददर
किशेषण िे िेद
र्ुणिदचि किशेषण
→ िद तवशेषण तकसी संज्ञा या सवगनाम के र्ुण, ददष, दशा, रं र्, स्र्ान, आकार आतद का
बदध करािे हैं , वे र्ुणवाचक तवशेषण कह ािे हैं |
िैसे→
पररमदणिदचि किशेषण
→ सज्ञद यद सिगनदम शब्ोां िे कनकित पररमदण िद बोि िरदने िदले शब्ोां िो कनकित पररमदणिदचि
किशेषण िहते हैं |
जैसे – दद तक द आलू दे दो
मोहन चार मीटर िपडद लदयद |
दु िदनददर ने िीन स ग्राम चीनी दी |
→ कजन किशेषण शब्ोां से सांज्ञद और सिगनदम िे कनकित मदप-तौल िद पतद नहीां चलतद है उन्हें
अकनकित पररमदणिदचि किशेषण िहते है |
सांख्यदिदचि किशेषण →
तिन तवशेषण शब्ददं से संज्ञा और सवगनाम शब्ददं की संख्या का बदध हदिा है , उन्हें संख्यावाचक
तवशेषण कहिे है |
कजन किशेषण से कनकित सांख्यद िद बोि होतद है , िह कनकित सांख्यदिदचि किशेषण होतद है |
िैसे →
→ मोहन चार के े लदयद |
→ मैददन में साि घोडे दौड रहे हैं |
→ मेरी िक्षद में दस बच्चे हैं |
कजन किशेषणोां से कनकित सांख्यद िद बोि नहीां होतद है , िे अकनकित सांख्यदिदचि किशेषण होतद हैं |
िैसे →
→ बदढ़ में अनेि मिदन डूब र्ए |
→ िुछ हदर्ी जांर्ल में घूम रहे र्े |
→ मोहन बदजदर से र्ोडे अांर्ूर लदयद |
सदिगनदकमि किशेषण
→ सावगनातमक तवशेषण शब्द संज्ञा शब्ददं के ठीक पह े आकर उनकी तवशेषिा प्रकट करिे है
|
िैसे→
→ यह लडिद तेज िदर्तद है |
→ इस िबूतर िो कपांजरे से कनिदलो |
→ उस मटिे में पदनी िरो |
→ जो सिगनदम किशेषण िे रूप में प्रयुि होते हैं , उन्हें सदिगनदकमि किशेषण िहते हैं |
→ इन्हें सांिेतिदचि किशेषण िी िहते हैं |
किशेषणोां िी तुलनदिस्र्द
1. मूलदिस्र्द
2. उत्तरदिस्र्द
3. उत्तमदिस्र्द
मद ावस्र्ा → इस अिस्र्द में किसी िस्तु , व्यद्भि यद स्र्दन िी किसी से तुलनद नहीां होती |
→ िैसे → रदम ईमदनददर है |
→ शदलू अच्छी लडिी है |
→ यह लांबद पेड है |
उत्तरावस्र्ा → इस अिस्र्द में दो िस्तुओां यद व्यद्भियोां िे र्ुण – दोषोां िी परस्पर तुलनद िरिे एि
िो दू सरे से श्रेष्ठ यद हीन बतदयद जदतद है |
→ िैसे →
सांज्ञद
बुद्भद्ध = बुद्भद्ध + मदन = बुद्भद्धमदन (किशेषण)
सांज्ञद
बल = बल + िदन = बलिदन (किशेषण)
तक्रया
पढ़नद = पढ़ + आिू = पढ़दिू (किशेषण)
तक्रया
लडनद = लड + आिू = लडदिू (किशेषण)
तक्रया
तैरनद = तैर + आि = तैरदि (किशेषण)
तक्रया
लूटनद = लूट + एरद = लुटेरद (किशेषण)
िैसे –
अव्यय
िीतर = िीतर + ई = िीतरी (किशेषण)
अव्यय
बदहर = बदहर + ई = बदहरी (किशेषण)
[11] कक्रयद
तक्रया :- कजस शब् से किसी िदयग िद होनद यद िरनद समझद जदय , उसे कक्रयद िहते हैं ! जैसे - खदनद , पीनद , सोनद ,
रहनद , जदनद आकद !
मु ह दिरे और िहदितें एि उददहरण िी तरह होती हैं कजनिो िदषद में इस्ते म दल
िरिे हम िकठन बदतोां िो िी बडी सहजतद िे सदर् दू सरोां िो समझद सिते हैं |
आइये िु छ मु ह दिरे पढ़ते हैं और उनिद अर्ग समझते हैं –
अिर्र करे ना चाकरी पं छ ी करे ना काम,
दास म द क ा कह र्ए सब के दािा राम….
अर्ग – अजर्र िो किसी िी नौिरी नही ां िरनी होती और पक्षी िो िी िोई िदम
नही ां िरनद होतद, ईश्वर ही सबिद पदलनहदर है , इसकलए िोई िी िदम मत िरो ईश्वर
स्वयां दे र्द। आलसी लोर्ोां िे कलए श्री मलू ि ददस जी िद ये िर्न बहुत ही उकचत है !
मु ह ावरा – अं ि ि ा िद सब ि ा।
अर्ग – पररणदम अच्छद हो जदए, तो सिी िु छ अच्छद मदन कलयद जदतद है ।
मु ह ावरा – आप ि ा िद िर् ि ा।
अर्ग – िले आदमी िो सब लोर् िले ही कमलते हैं ।
मु ह ावरा – ईद का चााँ द ।
अर्ग – बहुत कदनोां िे बदद कदखदई दे ने िदले (व्यद्भि) िो ईद िद चदाँ द िहद जदतद है ।
मु ह ावरा – ईं ट से ईं ट बिाना।
अर्ग – किनदश िरनद।
मु ह ावरा – एक पं र् दद काि
अर्ग – एि िदम िे प्रयत्न से दो िदम पू रे होनद।
मु ह ावरा – एक मु ाँ ह दद बािें ।
अर्ग – अपनी बदत से पलट जदनद।
ऊपर कदए र्ए उददहरण में जैसद िी आप दे ख सिते हैं यहदां एि उपिदक्य नहीां दो दो उपिदक्य हैं ।
इनमें से एि उपिदक्य प्रिदन है एिां दू सरद उपिदक्य आकश्रत है ।
ऊपर कदए िदक्य में ‘िह िोनसद मनुष्य है ’ यह उपिदक्य प्रिदन है ि ‘कजसने महदप्रतदपी रदजद िोज
िद नदम नद सुनद हो’ यह िदक्य आकश्रत िदक्य है । जै सद िी हम दे ख सिते हैं इस िदक्य में दो कििेय
हैं एिां दो कििेय कमश्र िदक्य में होते हैं । अतएि यह उददहरण कमश्र िदक्य िे अांतर्गत आएर्द।
जैसद िी हम जदनते हैं कि जब िदक्य में दो उद्दे श्य होते हैं एिां दो उपिदक्य होते हैं तो िह कमश्र होतद
है । अतः यह उददहरण कमश्र िदक्य िे अांतर्गत आएर्द।
ऊपर कदए र्ये उददहरण में जैसद िी आप दे ख सिते हैं िी इसमें दो उपिदक्य हैं । इसमें ‘यह िही
िदरत दे श है ’ यह उपिदक्य प्रिदन है एिां ‘कजसे पहले सोने िी कचकडयद िहद जदतद र्द’ यह आकश्रत
उपिदक्य है ।
वाक्य रूपांिरण
सर वाक्य की पररिाषा
• ऐसद िदक्य कजसमे एि ही कक्रयद एिां एि ही ितदग होतद है यद कजस िदक्य में एि ही
उद्दे श्य एिां एि ही कििे य होतद है , िे िदक्य सरल िदक्य िहलदते हैं ।
• सरल िदक्य िो सदिदरण िदक्य िी िहद जदतद है ।
• इस िदक्य में एि उद्दे श्य अर्दग त ितदग एिां एि कििे य अर्दग त कक्रयद है ।
सर वाक्य के उदाहरण
• अतमि खाना खािा है।
ऊपर कदए र्ए उददहरण में जैसद कि आप दे ख सिते हैं कि एि ही उद्दे श्य अर्दग त ितदग है जो िी
अकमत है एिां एि ही कििे य अर्दग त कक्रयद है जो िी ‘खदनद खदतद है ’ है ।
जैसद िी हम जदनते हैं िी जब एि िदक्य में एि ही उद्दे श्य एिां कििेय होतद है तो िह िदक्य सरल
होतद है । अतः यह उददहरण सरल िदक्य िे अांतर्ग त आएर्द।
• रामु पुस्तक पढिा है।
जैसद िी आप ऊपर कदए र्ए उददहरण में दे ख सिते हैं िी िदक्य में एि ही उद्दे श्य अर्दग त ितदग है
जो कि रदमु है एिां िदक्य में एि ही कििे य अर्दग त कक्रयद है जो िी पुस्ति पढ़नद है ।
जैसद िी हमें पतद है िी जब िदक्य में एि ही उद्दे श्य एिां एि ही कििे य होतद है तो िह िदक्य सरल
यद सदिदरण होतद है । अतः यह उददहरण सरल िदक्य िे अांतर्गत आएर्द।
ऊपर कदए र्ए उददहरण में जैसद िी आप दे ख सिते हैं िी इस िदक्य में एि ही उद्दे श्य अर्दग त
ितदग है जो िी मीनद है एिां इस िदक्य में एि ही कििेय अर्दग त कक्रयद है जो िी नदचनद है ।
जैसद िी हम जदनते हैं कि िदक्य में जब एि ही उद्दे श्य अर्दग त ितदग हो एिां एि ही कििेय अर्दग त
कक्रयद हो तो िह िदक्य सरल यद सदिदरण हो जदतद है । अतः यह उददहरण सरल िदक्य िे अांतर्गत
आएर्द।
जैसद िी आप ऊपर कदए र्ए उददहरण में दे ख सिते हैं िी िदक्य में एि ही उद्दे श्य अर्दग त ितदग है
जो कि कशशु है एिां िदक्य में एि ही कििे य अर्दग त कक्रयद है जो िी सोनद है ।
जैसद िी हमें पतद है िी जब िदक्य में एि ही उद्दे श्य एिां एि ही कििे य होतद है तो िह िदक्य सरल
यद सदिदरण होतद है । अतः यह उददहरण सरल िदक्य िे अांतर्गत आएर्द।
2. सांयुि िदक्य
नोट – यह आिश्यि नहीां कि सरल िदक्य छोटे ही होते हैं िरन िे लम्बे िी हो सिते हैं |
2. सांयुि िदक्य
1. सांयुि िदक्य में दो यद दो से अकिि स्वतांत्र िदक्य योजि कचिोां िे द्वदरद जुडे रहते हैं |
2. किन्तु ,परन्तु ,और ,तर्द ,इसकलए ,यद ,अर्िद, अन्यर्द, अत: इत्यदकद योजि शब् होते
हैं |
3. योजि शब् समुच्चय बोिि अव्यय होते हैं |
जैसे -
1) मुझे बुखदर र्द , इसत ए मैं किद्यदलय नहीां जद सिद |
नदट - सांयुि िदक्योां में ििी – ििी अव्यय शब्ोां िद लोप िी कियद जदतद है ;
जैसे –
उपिदक्य – एि िदक्य में अनेि उपिदक्य होते हैं ; कजनमें एि प्रिदन तर्द शेष आकश्रत
उपिदक्य होते हैं | मुख्य उपिदक्य िी कक्रयद मुख्य होती है |
आकश्रत उपिदक्योां िद आरम्भ प्रदय: ‘जो’ , ‘कि’ , ‘क्योांकि’ , ‘कजसे’ , ‘यकद’ इत्यदकद शब्ोां से होतद
है |
जैसे - र्ीतद अब ति ठीि नहीां हुई, क्यदंतक उसने दिदई समय पर नहीां ली |
कमश्र िदक्योां में िीन प्रिदर िे आकश्रत उपिदक्य होते हैं –
1. सांज्ञद उपिदक्य
2. किशेषण उपिदक्य
3. कक्रयदकिशेषण उपिदक्य
1. संज्ञा उपवाक्य
1. यह उपिदक्य प्रिदन उपिदक्य िी सांज्ञद िे स्र्दन पर प्रयुि होतद है |
2. यह उपिदक्य िदक्य में सांज्ञद िद िदम िरते हैं |
3. सांज्ञद उपिदक्य प्रिदन उपिदक्य से ‘तक’ योजि द्वदरद जुडे रहते हैं |
जैसे -
2. तवशेषण उपवाक्य
1. यह उपिदक्य प्रिदन उपिदक्य िी सांज्ञद यद सिगनदम िी किशेषतद बतदतद है |
2. यह उपिदक्य सांज्ञद यद सिगनदम िे किषय में किकिन्न सूचनदएाँ दे तद है |
3. यह उपिदक्य प्रिदन उपिदक्य से सांबांििदचि सिगनदम ‘िद’ , ‘तिसके’ , ‘तिसने’ ,
‘तिसे’ आकद शब्ोां से जुडद रहतद है |
जैसे -
3. तक्रयातवशेषण उपवाक्य
1. यह उपिदक्य प्रिदन उपिदक्य िी कक्रयद िी किशेषतद बतदतद है |
2. इन उपिदक्योां से कक्रयद िे घकटत होने
िी रीति , समय , तदशा ,स्र्ान ,पररणाम इत्यदकद िी सूचनद कमलती है |
जैसे -
वाक्य रूपांिरण – एक वाक्य का दद सरे वाक्य में रचना की दृति से रूपांिररि हदना वाक्य
रूपांिरण कह ािा है |
इन तीनोां िदक्योां िे आपस में रूपदां तरण होते समय इनिे अर्ग में पररितगन नहीां होनद चदकहए |
जैसे –
प्रदत:िदल पक्षी चहचहदते हैं | ( सर वाक्य )
िाकद (Dakoo) िद पयदग यिदची शब् – लुटेरद, चुरद लेनेिदलद, कनयमकिरोिी, चोर।
िा ी (Dali) िद पयदगयिदची शब् – शदखद, डदल, उपखांड, लतद िद तनद।
ढे र (Dher) िद पयदगयिदची शब् – रदकश, सांचय, समुददय ढे र, स्तूप, रदस।
ढद क (Dholak) िद पयदगयिदची शब् – तबलद, तम्बूरद, मृदांर्।
िन (Tan) िद पयदग यिदची शब् – िलेिर, िदयद, र्दत्र, तन, िपु, शरीर।
िबीयि (Tabiyat) िद पयदग यिदची शब् – प्रिृकत, स्विदि, स्वरूप, रूप, क़ुदरत, स्विदि, प्रिृकत, प्रबांि,
कमजमदज, तबीअत, तबीयत कमजदज, प्रिृकत, कमजमदज।
िम (Tam) िद पयदगयिदची शब् – अांििदर – तम, कतकमर, अाँिेरद, तमस, अांकियदरद।
िरु (Taru) िद पयदगयिदची शब् – तरुिर िृक्ष, पेड, द्रु म, पददप।
ि वार (Talwar) िद पयदग यिदची शब् – अकस, िृपदण, िरिदल, चन्द्रहदस।
िाकि (Takat) िद पयदगयिदची शब् – शद्भि।
िारक (Tarak) िद पयदग यिदची शब् – तदरद उडु , तदररिद, नक्षत्र, नखत।
िारा (Tara) िद पयदगयिदची शब् – उडु , तदरि, तदररिद, नक्षत्र, नखत।
िा ाब (Talab) िद पयदग यिदची शब् – जलदशय, तडदर्, तदल, पुष्कर, पोखर, सर, सरोिर।
िीर (Teer) िद पयदगयिदची शब् – आशुर्ू, इषु, बदण, शर, कशलीमुख।
िदिा (Tota) िद पयदगयिदची शब् – झक्की, र्प्पी, बििददी, एि प्रिदर िद छोटद सुग्गद,परां परदर्त िर्नोां
और तिो िद प्रयोर् िरने िदलद।
त्रास (Tras) िद पयदगयिदची शब् – डर, िय, आशांिद, कचांतद, शांिद।
र्कान (Thakan) िद पयदग यिदची शब् – र्िदिट, कशकर्लतद, क्लदांकत, हदर, तांद्रद।
दया (Daya) िद पयदगयिदची शब् – िृपद ,प्रसदद, िरुणद, दयद, अनुग्रह।
तदखाओ (Dikhao) िद पयदगयिदची शब् – नोिददर बनदनद, कनशदनद लर्दनद, सांिेत िरनद, सीमेंट से
िरनद।
तदन (Din) िद पयदगयिदची शब् – कतकर्, कदन िद समय, िदल, युर्।
दीपक (Deepak) िद पयदगयिदची शब् – दीप, दीयद, प्रदीप।
दु तनया (Duniya) िद पयदगयिदची शब् – किश्व – जर्त, जर्, िि, सांसदर, लोि, दु कनयद।
दद ध (Doodh) िद पयदग यिदची शब् – दु ग्ध, क्षीर, पय, र्ौरस, स्तन्य।
दे विा (Devata) िद पयदगयिदची शब् – सुर, दे ि।
दे श (Desh) िद पयदगयिदची शब् – िूकम, िू, पृथ्वी, स्र्ल, क्षेत्र।
ददस्त (Dost) िद पयदगयिदची शब् – कमत्र, बांिु, मीत, सखद, सहचर, सदर्ी, सुहृद।
धन (Dhan) िद पयदगयिदची शब् – अर्ग, दौलत, मुद्रदरदकश, पूाँजी, लक्ष्मी, कििूकत, कित्त, श्री, सम्पकत्त, सम्पदद।
धन्यवाद (Dhanyavad) िद पयदगयिदची शब् – िृतज्ञतद, िन्यिदद, आिदर, शुकक्रयद, ितगव्य, िदम, िददद,
इनदयत, प्रकतज्ञद।
धरिी (Dharti) िद पयदगयिदची शब् – िरद, िरती, िसुिद, जमीन, पृथ्वी, िू, िूकम, िरणी, िसुांिरद, अचलद,
मही, रत्नर्िदग।
धरा (Dhara) िद पयदगयिदची शब् – िरती, िसुिद, जमीन, पृथ्वी, िू, िूकम, िरणी, िसुांिरद, अचलद, मही,
रत्नर्िदग।
धमग (Dharm) िद पयदगयिदची शब् – ऋण, उिदर, ितगव्य, आिदर िृतज्ञतद, आिदर, एहसदनमांदी।
धार्ा (Dhaga) िद पयदगयिदची शब् – सूत्र, सूत, तांतु, तदर्द।
धदप (Dhoop) िद पयदगयिदची शब् – सूरज, रकि, कदनिर, तपस, पतांर्।
धद (Dhool) िद पयदग यिदची शब् – र्ांदर्ी, कमट्टी, िूल, िीचड, मैल, िचरद।
ध्वि (Dhvaj) िद पयदगयिदची शब् – बैनर, झांडद, पतदिद, झांडी।
ध्विा (Dhvaja) िद पयदगयिदची शब् – िेतु, ध्वज, कनशदन, पतदिद।
निर (Nazar) िद पयदगयिदची शब् – दृकष्ट, अिलोिन।
नदी (Nadi) िद पयदगयिदची शब् – सररतद, तकटनी, सरर, सदरां र्, तरां कर्णी, दररयद, कनझगररणी।
नि (Nabh) िद पयदगयिदची शब् – आिदश, र्र्न, अम्बर, व्योम, आसमदन, अशग।
नयन (Nayan) िद पयदगयिदची शब् – आाँ ख – लोचन, नयन, नेत्र, चक्षु, दृकष्ट।
नर (Nar) िद पयदगयिदची शब् – मनुष्य,आदमी, मदनि, मदनुष, मनुज।
नाखदन (Nakhun) िद पयदग यिदची शब् – झपट्टद, उछदल, छलदाँर्।
नारी (Nari) िद पयदगयिदची शब् – स्त्री, अबलद, औरत, िदन्तद, िदकमनी, मकहलद, रमनी, ललनद, िकनतद,
िदमद, सांदुरी।
नाव (Nav) िद पयदगयिदची शब् – जलदितरण, नए जहदज िो पदनी में उतदरनद।
तनमंत्रण पत्र (Nimantran Patra) िद पयदगयिदची शब् – आमांत्रण, बुलदिद, कनमन्त्रण।
तनिगय (Nirbhaya) िद पयदग यिदची शब् – कनडर।
नेत्र (Netra) िद पयदगयिदची शब् – आाँ ख - अकक्ष, चक्षु, दृर्, नयन, नेत्र, लोचन, किलोचन।
न कर (Naukar) िद पयदग यिदची शब् – अनुचर, ददस, पररचदरि, िृत्य, सेिि।
न का (Nauka) िद पयदगयिदची शब् – नैयद, बेडद, पटे लद, उतरनद, खेिद।
पंख (Pankh) िद पयदगयिदची शब् – िलाँर्ी, जुल्फफ, पर, घूांघर।
पक्षी (Pakshi) िद पयदगयिदची शब् – खर्, पक्षी, किहर्, निचर, अिज, पखेरू।
पत्ता (Patta) िद पयदगयिदची शब् – पत्ती, पन्नद, पत्र, िरक़।
पत्र (Patra) िद पयदगयिदची शब् – पत्तद,किसलय, दल, पत्र, पणग, पदत।
पर (Par) िद पयदगयिदची शब् – िे मदध्यम से, िे द्वदरद, से, पर, िे जररये, िे रदस्ते।
पवगि (Parvat) िद पयदगयिदची शब् – अचल, अकद्र, कर्रर, चट्टदन, नर्, पहदड, िूिर, महीिर, शैल।
पवन (Pawan) िद पयदगयिदची शब् – अकनल, बयदर, मदरुत, िदत, िदयु, समीर, समीरण, हिद।
पतवत्र (Pavitra) िद पयदगयिदची शब् – अिलुश, कनमगल, कनष्कलुष, पदिन, पुण्य, पूत, शुकच, शुद्ध।
पहाड़ (Pahad) िद पयदग यिदची शब् – पिगत, अचल, अकद्र, कर्रर, चट्टदन, नर्, , िूिर, महीिर, शैल।
पानी (Pani) िद पयदगयिदची शब् – जल, अांबु, उदि, जीिन, तोय, नीर, पय, पदनी, िदरर, सकलल।
तपिा (Pita) िद पयदगयिदची शब् – जनि, बदप, बदपू।
पुत्री (Putri) िद पयदगयिदची शब् – आत्मजद, िन्यद, तनयद, तनुजद, दु कहतद, नद्भन्दनी, बेटी, लडिी, लदली,
सुतद।
पेड़ (Ped) िद पयदगयिदची शब् – िृक्ष - तरु, दरख्त, द्रु ि, पददप, पेड, किटप।
फकीर (Fakeer) िद पयदगयिदची शब् – मुसलमदन सांन्यदसी, फिीर िद िब्र।
फ (Phal) िद पयदगयिदची शब् – आम–रसदल, आम्र, सौरि, अमृतफल।
फायदा (Fayda) िद पयदगयिदची शब् – िलदई, सुकििद, नफद।
फद (Phool) िद पयदगयिदची शब् – पुष्प, सुमन, िुसुम, र्ुल, प्रसून।
फैस ा (Faisla) िद पयदगयिदची शब् – कनिय, कनपटदरद, किकनश्यच।
फदटद (Photo) िद पयदगयिदची शब् – फोटोग्रदफ, छदयदकचत्र, छकब।
बंदर (Bandar) िद पयदगयिदची शब् – िकप, िीश, मिगट, िदनर, शदखदमृर्, हरर।
बर्ीचा (Bagicha) िद पयदग यिदची शब् – उद्यदन, उपिन, िुसुमदिर, फुलिदरी, बर्ीचद, बदर्, िदकटिद।
बहन (Behen) िद पयदगयिदची शब् – दीदी, िकर्नी, सहोदरद, स्वसद।
बार् (Bagh) िद पयदगयिदची शब् – उपिन - आरदम, उद्यदन, बदर्, िदकटिद।
बाद (Badal) िद पयदगयिदची शब् – अांबुद, घन, जलद, जलिर, तोयद, नीरद, पयोद, पयोिर, मेघ,
िदररिर।
बाररश (Barish) िद पयदगयिदची शब् – िषदग - बरसदत, बदररश, मेहां, िृकष्ट।
बा क (Balak) िद पयदगयिदची शब् – बच्चद, बदल, लडिद, शदिि, कशशु।
तबि ी (Bijli) िद पयदगयिदची शब् – चांचलद, चपलद, तकडत, ददकमनी, किद् युत, सौददकमनी।
बुक (Book) िद पयदगयिदची शब् – पुस्ति, कितदब, बही, ग्रांर्, सुरकक्षत िरद लेनद, मदल बूि िरनद।
बदढ़ा (Budha) िद पयदग यिदची शब् – बूढ़ोां िद सद, िृद्धदिस्र्द-सांबांिी, जरद-जीणग।
बेटा (Beta) िद पयदगयिदची शब् – पुत्र – बेटद, आत्मज, सुत, ित्स, तनुज, तनय, नांदन।
बेटी (Beti) िद पयदगयिदची शब् – पुत्री, आत्मजद, तनूजद, सुतद, तनयद।
िर्वान (Bhagwan) िद पयदगयिदची शब् – ईश्वर – परमदत्मद, प्रिु, ईश, जर्दीश, परमेश्वर, जर्दीश्वर,
कििदतद।
िव (Bhav) िद पयदगयिदची शब् – जर्त – सांसदर, किश्व, जर्, िि, दु कनयद, लोि।
िवन (Bhawan) िद पयदगयिदची शब् – र्ृह – घर, सदन, िदम, कनिेतन, कनिदस, आलय, आिदस, इमदरत।
िाई (Bhai) िद पयदगयिदची शब् – तदत, अनुज, अग्रज, भ्रदतद, भ्रदतृ।
िाग्य (Bhagya) िद पयदगयिदची शब् – किस्मत, दै ि, कनयकत, प्रदरि, किकि, होनहदर, होनी।
िदतम (Bhoomi) िद पयदगयिदची शब् – िरती – िरद, िरती, िसुिद, जमीन, पृथ्वी, िू, िूकम, िरणी, िसुांिरद,
अचलद, मही, रत्नर्िदग।
िदर (Bhor) िद पयदगयिदची शब् – सिेरद - अरुणोदय, उषद, प्रदतः, िोर, सूयोदय िदल।
ि रा (Bhaura) िद पयदगयिदची शब् – अकल, कद्वरे फ, िाँिरद, िृांर्, भ्रमर, मिुिर, मिुप, षट् पद।
मछ ी (Machli) िद पयदगयिदची शब् – मीन - अांडज, झष, मिर, मत्स्य।
मि ब (Matlab) िद पयदग यिदची शब् – उद्दे श्य - अकिप्रदय, आशय, तदत्पयग, मतलब, लक्ष्य।
मधुर (Madhur) िद पयदग यिदची शब् – प्यदरद, मिुर, आिषगि, सुर्ांकित, सुहदिनद।
मन (Man) िद पयदगयिदची शब् – किचदर, बुद्भद्ध, मदनस, मत, अकिप्रदय।
मनुष्य (Manushya) िद पयदगयिदची शब् – पुरुष - आदमी, जन, नर, मनुज, मदग ।
मस्तक (Mastak) िद पयदग यिदची शब् – खोपडी, मस्ति, चोटी, शीषगकबांदु, बुद्भद्ध, मदांस िरद हुआ समोसद।
मााँ (Maa) िद पयदगयिदची शब् – मदतद, जननी, अांबद, जनयत्री, अम्मद।
मािा (Mata) िद पयदग यिदची शब् – जननी, अांबद, जनयत्री, अम्मद।
तमत्र (Mitra) िद पयदगयिदची शब् – सखद, सहचर, सदर्ी, दोस्त।
मेघ (Megh) िद पयदगयिदची शब् – बददल, घन, जलिर, जलद, िदररद, पयोिर।
मदर (Mor) िद पयदगयिदची शब् – िलदपी, नीलिांठ, नतगिकप्रय।
यमराि (Yamraaj) िद पयदगयिदची शब् – यम – सूयगपुत्र, जीकितेश, िृतदांत, अन्ति, दििर, िीनदश।
यमुना (Yamuna) िद पयदग यिदची शब् – िदकलन्दी, सूयगसुतद, रकितनयद, तरकण-तनूजद, तरकणजद, अिगजद,
िदनुजद।
यश (Yash) िद पयदग यिदची शब् – िीकतग, प्रकसद्भद्ध।
यात्रा (Yatra) िद पयदगयिदची शब् – दौरद, दौर, सफर, रौांद, िदलगचक्र।
यात्री (Yatri) िद पयदगयिदची शब् – घुमांतू, घुमक्कड, मौकसमी, ख़दनदबदोश।
याद (Yaad) िद पयदगयिदची शब् – स्मृकत, यददर्दर, स्मरणशद्भि, िदरणद, चेतनद।
युि (Yudh) िद पयदगयिदची शब् – लडदई, सांग्रदम, सांघषग, समर, किग्रह।
युवक (Yuvak) िद पयदगयिदची शब् – जिदन, तरुण, नौजिदन, युिद।
यदर् (Yog) िद पयदगयिदची शब् – रदकश, जोड, सदरदांश, िनरदकश, रक़म।
यदिा (Yoddha) िद पयदगयिदची शब् – लडदिद, लडनेिदलद मनुष्य, लडदिद हिदई जहदज।
रतव (Ravi) िद पयदगयिदची शब् – जमुनद, िदकलांदी, यमुनद, रकिनांकदनी, रकि-सुतद, श्यदमद, सूयग-तनयद।
राक्षस (Rakshas) िद पयदग यिदची शब् – दै त्य, कनदग य मनुष्य, िुरूप मनुष्य, बडे आिदर िद किलक्षण
प्रदणी, किशदल-िदय पशु।
रािा (Raja) िद पयदगयिदची शब् – बददशदह, सम्रदट, शदह, प्रिु, िूपकत।
राि (Raat) िद पयदगयिदची शब् – रदकत्र, शदम, सांध्यद, अांिेरद, अांििदर।
रातत्र (Ratri) िद पयदगयिदची शब् – तमसद, कनशद, कनकश, यदमद, यदकमनी, रजनी, रदत, रै न, कििदिरी।
रानी (Rani) िद पयदगयिदची शब् – महदरदनी, बेर्म, सजदई हुई स्री।
रािर (Rashtra) िद पयदगयिदची शब् – कत, अिस्र्द, सरिदर, दशद।
रास्ता (Rasta) िद पयदग यिदची शब् – रदह, पर्, शैली, शिल, तदबीर।
राह (Raah) िद पयदगयिदची शब् – पर्, शैली, शिल, तदबीर।
रुतच (Ruchi) िद पयदगयिदची शब् – चयन, इच्छद, पसन्द।
यहदाँ पर अनेि शब्ोां िे कलए एि शब् िे िुछ उददहरण कदए जद रहे हैं ।
मदस में एि बदर आने िदलद मदकसि
सिदह में एि बदर होने िदलद सदिदकहि
िषग में एि बदर होने िदलद िदकषगि
कजसिे मन मे दयद हो दयदलु
फल-फूल खदने िदलद शदिदहदरी
जो कचत्र बनदतद हो कचत्रिदर
किद्यद िी चदह रखने िदलद किद्यदर्ी
जो कदखदई न दे अदृश्य
मदां स खदने िदलद मदां सदहदरी
प्रकतकदन होने िदलद दै कनि
दे खने योग्य दशगनीय