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★व्याकरणलेख-1 to 104★
★व्याकरणलेख-1 to 104★
लकार- स धः।
म !
सं कृत हमार स प है । उसका र ण हम नह ं करगे तो कौन करे गा? आज १५ अग त है । हम आजाद ह। जब
गलु ाम थे, तब तो कुछ नह ं कर सकते थे। ले कन आजाद होने के बाद भी हमने या कर लया सं कृत और
सं कृ त के लए?
आज संक प लेते ह क अगले प ह दनमे कम से कम ५० पा णनीय सू पढगे। अथात ् रोज का सफ तीन सू
पढ़ना है हम।
तो यहाँ जो तीन भाग दखाये उनको एक-एक कर के दे खते ह। और यहां यु त सू का भी मनन करते ह।
पहला भाग है लख ्।
ये कहां से आया? तो पा ण नजी ने जो धातप ु ाठ लखा है , वहां से। ले कन धातप
ु ाठ म तो लखँ ऐसा है । यहां तो
लख ् है । अथात ् लखँ का ह लख ् हुआ है । कैसे?
लखँ या है ? ल ् इ ख ् अँ
लख ् या है ? ल ् इ ख ्
अथात ् इतना तो ात होता है क पीछे का जो अँ है वह गायब हो गया। कैसे?
जैसे आडवाणी को नकालना हो तो सीधे-सीधे नह ं नकाल सकते न। मोद ने कहा क आपने बहुत काम कया है ,
आप व ृ ध हो गये। आप को आराम करने का समय ह नह ं मला, अब आप आराम क िजए तथा आप िज मेदार
को हम दे द िजये। और ऐसे उसका प ा काट दया।
ऐसे ह यहा अँ हो हटाना हो तो ऐसे ह नह ं हटा सकते न, फर कैसे? उसको इत ् ( व ृ ध ) कह दो फर नकाल दो।
तो पहला सू जो इत ् सं ा करता है ,
*1) उपदे शऽे जनन ु ा सक इत ्। (१।३।२)*
उपदे शे अथात ्? तो पा ण नजी ने धातप ु ाठ म जो मल ू धातु कह है , उसको उपदे श कहगे। लख ् क मल ू धातु लखँ
है ।
अजनन ु ा सक अथात ् अच ् ( सभी वर ) + अनन ु ा सक ( ◌ँ )
लखँ [ ल ् इ ख ् अँ] म जो अँ है , वह अच ् भी है और अनन ु ा सक भी है . तो उ त सू से उसक इत ्-सं ा हो गई।
आडवाणी को कह दया गया क आप व ृ ध हो गये। अब उसको हटाना आसान हो गया। कैसे? दस ू रे सू से,
*2) त य लोपः। (१।३।९)*
कसका लोप? जो इत ् हुआ उसका। लखँ म कौन इत ् हुआ? अँ
ले कन लोपः अथात ्? उसके लए तीसरा सत
ू ्,
तो आज के तीन सू हो गये।
आगे या दे खना है ?
लख ् + शप ् + तप ्
लख ् + अ + त » लख त
यहा शप ् का अ और तप ् का त कैसे हुआ?
मशः......
★ याकरणलेख-2★
अब पांच छोटे सू कर लेते है जो लख त क स ध-अ तगत ह है ।
लख ् + शप ् + तप ् इसमे-
लख ् धातु है
शप ् वकरण- यय है
तप ् त - यय है
अथात ् एक धातु और दो यय।
ले कन लख ् क धातस ु ं ा कैसे हुई? इस सू से,
★ याकरणलेख-3★
अभी तक 8 सू कये।
हम लख त क स ध कर रहे थे।
लखँ+ शप ् + तप ्
लख ् + अ + त
लखँ का लख ् कैसे हुआ यह हमने दे खा।
तनो शरते परु हुई, अतः शप ् के शकार क इत ्-सं ा हो गई। फर " त य लोपः " सू से उसका लोप हो ह जायेगा।
अडवाणी का प ा कट ह जायेगा।
तो शप ् मे अब या बचा? अप ्।
ले कन हमे तो अ तक पहुचना है । तो फर पकार को भी हटाना होगा। तो पहले इत ् सं ा करनी पडेगी न। उपरो त
सू से तो न ह होगी यो क प ् तो अ त मे है और वह सू तो आ द-वण क इत ् सं ा करता है । अथात ् कोइ और
सू होना चा हये जो अ तमे रहनेवाले वणक इत ् सं ा करता हो। ये रहा....
*10) हल यम ्। (१।३।३)*
हल ् + अ यम ्
यहा " उपदे श,े इत ् " इन दोनो क अनव
ु ृ त आती है । पण
ू सू हुआ " उपदे शे अ यम ् हल ् इत ् "
अथात ् _उपदे श-अव थामे जो हल ् अ तमे हो उस क इत ् सं ा होती है _
अब अप ् मे पकार अ त मे भी है और हल ् ( यंजन) भी है , तो उस क इत ् सं ा होकर " त य लोपः " सू से गायब
भी हो गया।
शेष या रहा? अ।
अब रह बार तप ् क। तो तप ् का त कैसे होगा? पकार का य द लोप हो जाये तो। तप ् मे जो प ् है वो हल ् भी है
और अ तमे भी है । अथात ् यहा भी शप ् क तरह ह प का लोप होगा, हल यम ् इस सू से। तो हो गया तप ् का त।
अथात ्
लखँ + शप ् + तप ् »»»» लख ् + अ + त
लख त स ध हो गया।
आज दो सू हो गये।
मशः.....
★ याकरणलेख-4★
इससे पहले लखँ का लख ् / शप ् का अ / तप ् का त कैसे हुआ वो दे खा। वैसे तो लख त स ध हो ह गया ऐसा
लगता है । ले कन इससे भी अ धक सू लगते है । कौन से?
लख ् + शप ् + तप ्
यहा जो तप ् है वो सीधा ह वहा नह आया। पहले तो वहा " ल " था। उसका ह " तप ् " हुआ? कैसे? आगे दे खते
है ....
इतने बडे सु से डरने क ज रत नह है यो क उसका उपयोग हम सं कृतमे रोज करते है । ये कुल 18 ययोका
समहू है जो एक ह सू मे लखे है । अथात ् ल ् के थान मे ये 18 यय होते है । उनमेसे जो पहले 9 यय है वे
पर मैपद के लये और बाक के 9 आ मनेपदके लये. सु वधा के लये थम/म यम/उ मपु ष और
एक/ व/बहुवचन के पमे लखते है ....
पर मैपदके 9 यय
एक व बहु
थम तप ् तस ् झ
म यम सप ् थस ् थ
उ म मप ् वस ् मस ्
आ मनेपदके 9 यय
एक व बहु
थम त आताम ् झ
म यम थास ् आथाम ् वम ्
उ म इ वह मह
अथात ् पहले तो सबको पर मैपदसं क कह दया, बादमे पीछे वाले 9 को आ मनेपदसं क कह दया। तो पहलेवाले
9 तो पर मैपदसं क ह रहगे।
आज हमने 5 सू कये।
मशः....
★ याकरणलेख-5★
हम लख त क स ध कर रहे थे। हमे ल ् के थान मे तप ् लाना है । पीछले लेख मे दे खा क ल ् के थान मे 18
यय होते है । उनके भाग कर दये नौ नौ के। और पर मैपद और आ मनेपद सं ा करद ।
ले कन फर उनके थमपु ष / म यमपु ष / उ मपत ु ष और एकवचन / ववचन / बहुवचन ऐसे जो वभाग
हमने पीछे कये वे बना सु के कैसे हो गये? न ह… उनके लये ये दो सू है ..
★ याकरणलेख-6★
हमने लख त क स ध क। ले कन लख ् तो तद ु ा द गण क धातु है , फर वहा शप ्- वकरण यय यो?
पहले ये जानले क सं कृतम जो धातु है उनको 10 गण मे बांटा गया है और सभी गण का एक एक वकरण यय
भी नि चत कया गया है । जैसे, वा दगण और चरु ा दगण मे शप ् यय है , दवा दगण का यन ् है इ या द।
यहा लख ् धातु तो तद
ु ा दगणमे है िजसका वकरण- यय तो श है , फर हमने लख त क स ध करते समय
शप ् यो लखा? उसके लये सू है ......
लख ् + शप ् + तप ्
लख ् + श + तप ् होता है ।
फर पीछल यानसु ार ह श मे श ् का _लश वत धते_ इस सु से इत ् सं ा होती है , _त य लोपः_ सू से
लोप होकर अ शेष रहता है , फर
लख ् + अ + त » लख त स ध हो जाता है ।
ले कन आगे जो डु है उसको कैसे हटाये? पीछे जो हमने एक सू दे खा था _लश वत धते_ वह भी यहा काम न ह
करे गा यो क ल/श/कवग इन तनो मे डु न ह आता। फर उसको कैसे हटाये? एक और सू दे खे जो डु क इत ् सं ा
करता है .....
आज हमने तन सू कये।
मशः.....
★ याकरणलेख-7★
अब तक हमने लखत: क स ध क । और 22 सू कये। हमे कमसे कम 50 सू करने है । आज लखि त इसक
स ध करते है ।
लख ् + श + झ
अब हमे ये ात है क शप ् क जगह श आ जाता है तो आगे शप ् न लखकर श ह लखगे।
अब लख स को दे खे।
लख ् + श + सप ्
यहा कोई अलग सू क ज रत नह है य क पीछे जो सू कये उनक सहायता से ह स ध हो जाएगा।
» श का _लश वत धते_ से इत ् और _त य लोपः_ से लोपः होकर अ शेष रहा।
» सप ् मे _हल यम ्_ सू से इत ् और _त य लोपः_ से लोप होकर स बचा।
लख ् + अ + स
लख स स ध हो गया।
उ स तरह
लख ् + श + थ » लखथ
अब लखा म स ध करते है ।
लख ् + श + मप ्
लख ् + अ + म ( पीछे क तरह इत ् और लोप होकर )
★ याकरणलेख-8★
आज हम लखथ: / लखाव: / लखाम: क स ध करना है ।
लखथ: = लख ् + श + थस ्
थस ् म जो स ् है वो हल ् ( यंजन ) भी है और अ तमे भी है । तो फर _हल यम ्_ सू से इत ्-सं ा होकर _त य
लोपः_ सू से स ् का लोप होना चा हए। य नह हुआ? इसका कारण पीछे के लेख म दे ख ह आये है क _न
वभ तौ तु मा:_ सू से इसका नषेध हो जाता है ।
अथात ् थस ् ह रहे गा।
लखथ: = लख ् + अ + थस ्
आज हमने दो सू कये।
8 दनमे 27 सू कये।
मशः ........
★ याकरणलेख-9★
अब तक हमने लख ् धातु के वतमानकाल के प कये। वैसे तो लख-धातक ु े सभी काल के प कर सकते है ले कन
पहले ये जो वतमाना द काल है वो सं कृत म कतने है और या उनके लए भी पा ण नमु न ने सू बनाये है ?
उ र है हां. 10 काल होते है सं कृत म। जैसे क , ल ल लु ल ृ ले लो ल ल लु ल ृ .
ल्+ अ »ल
ल्+ इ » ल
ल्+ उ » लु
ल्+ ऋ » लृ
ल ् + ए » ले
ल ् + ओ » लो
सं कृत म तीन भतू काल होते है : सामा य(अ यतन), य तन(अन यतन), परो ।
ये तीनो भत
ू काल एक सू के अ तगत आते है , वह है ,
पहले सामा य भत
ू काल के लए जो सू है उसको दे खते है :
*33) लु । (३।२।११०)*
यह सामा य भत ू काल को कहते है । अथात ् अ यतन भत
ू काल। आज का जो भत
ू काल है वह। जैसे क आज सब
ु हम
मि दर गया। _अ य अहं मि दरम ् अगमम ्।_
★ याकरणलेख-10★
कल वतमान और भत
ू काल के सू दे खे। आज भ व यकाल के सू को दे खते है । सं कृत म भ व यके लए दो
लकार है ।
अब
अ) राम जीवनभर याकरण पढ़े गा।
ब) अगले र ववार म गाँव जाऊँगा।
इन दोन वा यो को दे खये। दोन या आज के भ व य क नह है , तो इसम सामा य भ व य ( ल ृ ) न होकर
लु ह होना चा हए । सह न? ले कन ऐसा नह ं है । तो फर कौनसा लकार होगा? उसके लये ये सू दे खले....
" राम जीवनभर याकरण पढ़े गा। " यह वा यमे पढ़ने क या सतत होगी। तो उसम ' प ठता '
ऐसा न होकर " रामः यावत ् जीवं याकरणम ् प ठ य त " ऐसे सामा य भ व य ह होगा।
ये सू भत ू और भ व य दोन के लए है तो भत ू काल का उदाहरण दे खले।
" राम जब तक िजया तबतक याकरण पढता रहा। "
ये या वैसे तो आज के भत ू काल क नह है इस लए अपठत ् ऐसा ह होना चा हए ले कन यहां या क
सात यता है इस लए सामा य भत ू काल ( लु ) ह होगा।
" यावत ् जीवं रामः याकरणम ् अपाठ त ्। "
ये बात भत
ू काल म भी लागू होती है । जैसे,
" राम पछले र ववार को ह गाँव गया। "
इसम भी " अग छत ् " होना चा हए। ले कन पछला र ववार बीते हुए सभी र ववार म अ य त-समीप है तो उसम
सामा य-भत ू ह होगा,
" रामः अ त ा ते र ववासरे ामं अगमत ्। "
आज तन सू हुये।
मशः......
★ याकरणलेख-11★
आज हम ल और लो लकार के सू करगे।
F) ाथनम ् - या ञा = ाथना
भव त मे ाथना भवान ् आग छे त ् - मेर आपसे वनंती है क आप आये।
*40) लो च (३।३।१६२)*
यह सू लो -लकार के लए है । इस सू म सू -36 से " _ व ध नम णाम णाधी टस न ाथनेष_
ु "क
अनवु ृ आती है । अथात ् िजस िजस अथ म ल होता है वहा लो भी होता है ।
इस लए यहां उपरो त उदाहरण ह लो -लकार म दे ते है ।
★ याकरणलेख-12★
कल हमने व ध ल और लो -लकार दे खे।
आज आ श ल दे खते है ।
एक दस
ू रा सू दे खे िजसके बारे म हम जानते ह है , उपयोग भी करते है ले कन सू पता नह है ।
दे वद : य: मि दरम ् ग छ त म।
इसी कार के वा यका हम उपयोग करते ह है । जब भत ू काल क या कहनी हो तब ल -लकार(वतमान काल)
का उपयोग करके भी भत ू काल का नदश कर सकते है । कैसे? म-श द का उपयोग करके। "उसका सू है ......
★ याकरणलेख-13★
आज हम ल ृ -लकार करगे। " य द राम पढ़े गा/पढता तो वो व वान ् बनेगा/बनता " - ऐसी वा य-रचना से हम
सप
ु र चत है ह । यह ल ृ -लकार है । ले कन उसको समझने क लए पहले एक और सू दे खना पड़ेगा।
*44) हे तह ु े तम
ु तो ल ( ३/३/१५६)*
हे तु = कारण
हे तम ु ान ् = फल/ या
हे त-ु हे तम
ु ान ् = कारण-काय का स ब ध
वा य म 'पढ़ना' कारण है , और ' व वान ् बनना' काय/फल ु त है ।
तो सू ाथ हुआ, _हे तु और हे तम
ु ान ् न म हो तो वहां ल -लकार होता है _
य द रामः पठे त ् त ह सः
व वान ् भवेत ्।
अब उपरो त वा य म " पढ़े गा तो व वान ् बनेगा " ऐसा कारण-काय स ब ध है । तो इसम या-अ तप कैसे
होगी? जब हम पता चले क राम पढ़नेवाला है ह नह , इस लए वो व वान ् बनेगा ह नह । अथात ् " न पढ़ने के
कारण व वान ् न बनना ह या क अ स ध ( या-अ तप ) " है । तो इस या-अ स ध म ल ृ -लकार
होगा।
ले कन,
राम ने पढा ह नह इस लए व वान ् न बन पाया। इस कार का भत
ू काल-वा य हो तो? उसके लए अगला सू है ।
आज तीन सू कये।
मशः.......
★ याकरणलेख-14★
कल हमने लकार कये। आज कुछ वशेष सू करते है ।
ये वक प से होता है । इस लए प मे मल
ू वा य तो ह गे ह ...
अहं पठा म।
आवां ग छाव:।
*48) पम
ु ान ् ि या। (१।२।६७)*
यहा " त ल ण: चेदेव वशेष, शेष: " क अनव ु ृ आकर अथ बना _पिु लंग-श द ी लंग-श द के साथ हो तो
मा पिु लंग-श द शेष रहता है , य द वहा मा ल गभेद ह वशेष हो, बाक सब कृ या द समान हो।_
जैसे,
ा मण और ा मणी = ा मणौ
यहा ा मण = पिु लंग
ा मणी = ी लंग
यहा पे सफ ल ग-भेद ह है तो यहां पिु लंग-श द शेष रहे गा और उसका ह ववचन होगा " ा मणौ " ऐसा।।
अथात ् " ा मणौ " इस श दसे " ा मण और ा मणी " दोन का हण हो जाएगा।
सः च यः = यौ
यः च कः = कौ
आज हमने 6 सू कये।
मशः.......
★ याकरणलेख-15★
आज के लेख म कुछ सं ा-सू करते है । सं ा अथात ् या? तो यवहार म पु ज म के बाद उसका नामकरण करते
है िजससे क उसके साथ जीवनपय त यवहार कया जाए। य द नामकरण ह कसीका न कया जाय तो सो चये
कतनी सम या आयेगी!!!!! उसके साथ यवहार ह नह कर सकते।
गजे -श दमे दे खे तो "ग ् और ज ्" ये दो यंजन के म यमे "अ" वर आ गया। िजसको यवधान कहते है । इस
यवधान से "ग ् ज ्" इन दोन यंजनो के बीच अ तर(distance) हो गया।
ले कन "न ् र्" इन तीनो यंजन के म य म कोई भी वर नह है । अथात ् यवधान नह है । िजससे तीनो के बीच
कोई अ तर(distance) नह रहा (न अ तर = अन तर)।
तो इन तीनो क "संयोग" सं ा(नामकरण) हुई।
जबभी "संयोग" ऐसा कहा जाए तो ये समझना क यंजनो के बीच कोई वर का यवधान नह है ।
रा = र् आ ष ् र् अ
यहा "ष ् र्" क संयोग-सं ा होगी।
वैसे ह ,
पच त = पच ् + शप ् + तप ्
पच त = पच + तप ्
यहा पच-श द धातु है । तप ्-श द त - यय है ।
अथात ् पच त-श द तङ त है य क त - यय पच-धातु के अ तमे है । तो उपरो त सू से "पच त" क पद
सं ा हुई।
अथात ्,
राम-श द के जो " राम: रामौ रामा:" इ या द 21 प बनते है उन सबक पद-सं ा होगी।
पच ्-धातु के 10 लकार के जो "पच त/पचते, प य त/प यते, अपचत ्/अपचत, पचत/ु पचताम ्, पचेत ्/पचेत" इ या द
प बनगे उन सबक पद-सं ा होगी।
पर मैपदके 9 यय
एक व बहु
थम तप ् तस ् झ
म यम सप ् थस ् थ
उ म मप ् वस ् मस ्
आ मनेपदके 9 यय
एक व बहु
थम त आताम ् झ
म यम थास ् आथाम ् वम ्
उ म इ वह मह
इन 18 ययो क सावधातक
ु -सं ा होती है ।
B) शत ् = श ् य य इत ् सः (श ् + इत ् = शत ्)
पीछे के लेखो ' लख त' क स ध समय इत ्-सं ा पढ गये है । फर पन
ु रावतन कर लेते है ।
आज हमने 6 सू कये।
【 कसीको इस लेखमाला-अ तगत सभी सू क pdf file चा हए तो मेरे यि तगत न बर पे अपना Email-ID
भेज सकते है । 】
★ याकरणलेख-16★
म ो!
इससे पहले क लेखमाला म हमने 55 सू कये थे। इस दस
ू र लेखमाला म हम वहाँ से आगे बढ़ते है ।
ले कन य द सफ दो पा ो क तल
ु ना करना हो तो? उसके लए यह सू है ,
A) ववचन :-
राम और कु ण म राम अ धक धनवान है ।
आ य + तरप ् = आ यतरः
आ य + ईयसन ु ् = आ यीयान ्
लव और कुश म लव अ धक चतरु है ।
पटु + तरप ् = पटुतर:
पटु + ईयसन ु ् = पट यान ्
पटुतर: पटुतरौ पटुतरा:
पट यान ् पट यांसौ पट यांसः इ या द।
B) वभ य :-
अथात ् दो समह
ू म तल
ु ना हो रह हो तब भी ये दो यय होते है ।
मथरु ावासी पाट लपु वा सय से यादा चतरु है ।
माथरु ा: पाटल पु े य: पटुतरा: / पट यांसः।
पा डवा: कौरवे य: बलतरा: / बल यांस:।
यहा हम दे ख सकते है क उपरके श दो म भी " पटुतर:/पटुतम: " क तरह ह "तरप ्/तमप ्" यय हो रहे है ।
ले कन "पटुतर: और वजयतेतराम ्" इन दोन म जो भ न बात है वो यह क "पटु"श द गण ु वाची है , जब क
" वजयते" तो तङ त(धात+ ु त )-श द है जो यावाची है ।
उपरके दो सू से तो तङ त से ये यय नह हो सकते। इसके लए पा ण नजी ने अलग सू ह बना दया, वह है ,
*61) तङ च। (५।३।५६)*
इस सू म उपरके दोन सू क अनव ु ृ आती है , िजससे तङ त से भी इस कार श द बनगे।
राम और याम म राम अ छ रसोई बनाता है ।
राम: पच ततराम ्।
पच ततराम ् = पच त + तरप ् + आम ्।
यहा तङ त-श द से "आम ्" श द भी होता है ।
आज पाँच सू कये।
मशः......
★ याकरणलेख-17★
हम दन त दन बहार क द ु नया के सा न य म आते है तो कुछ ऐसा दे खते है िजसक शंसा करने क इ छा
होती है । सामा यतया तो सं कृत म " शोभनम ्, उ मम ्, चकरम ्" इ या द श दो का उपयोग करते है । ले कन
कुछ और भी श द है िजसका उपयोग करने से सं कृतभाषा और मधरु लगने लगती है । उनके कुछ सू आज करगे।
B) तङ त से :-
य द कोई अ छ रसोई करता हो तो हम कहगे, " सः स यक् पच त। "
इस सू से इस तरह भी कह सकते है ,
" सः पच त पम ्। "
वह शंसा क जाय इतना अ छा पकाता है ।
यहा "पच त पम ्" ऐसा नपस
ंु क लंग ह रहे गा और इसके इस तरह प बनगे,
पच त पम ् पचतो पम ् पचि त पम ्।
राम: लख त पम ्।
कृ ण: न ृ य त पम ्।
वह थोड़ा सा ह कम व वान ् है ।
" सः व व क प:/ व व दे य:/ व व दे शीय: अि त।
पटुक प: पटुक पौ पटुक पा:।
पटुक पा पटुक पे पटुक पा:।
पटुक पम ् पटुक पे पटुक पा न।
इस कार पटुदे य/पटुदे शीय के भी तीनो ल गो म प बनते है ।
B) तङ त से :-
वह थोड़ा सा ह कम अ छा पकाता है ।
" सः पच तक पम ्। "
" सः पच तदे यम ्। "
" सः पच तदे शीयम ्। "
यहा भी नपसु क
ं ल ग ह होता है । और प इस तरह बनते है ,
पच तक पम ् पचत:क पम ् पचि तक पम ्।
पच तदे यम ् पचतोदे यम ् पचि तदे यम ्।
पच तदे शीयम ् पचतोदे शीयम ् पचि तदे शीयम ्।
एक और यय भी होता है ।
★ याकरणलेख-18★
" कतने लोग थे?"
" इतने सारे लोग थे"
" िजतने लोग थे उतने ह घर थे"
ये सभी वा यो के लए अ टा यायी म कौन से सू है वह आज हम दे खगे।
C) एतत ्
> एतावान ् - पु लंग म
एतावान ् एताव तौ एताव त:
> एतावती - ी लंग म
एतावती एताव यौ एताव य:
> एतावत ् - नपस ंु क लंग म
एतावत ् एतावती एतावि त
उदाहराणा न :-
- याव त: जना: भारते ताव त: सव सं कृतम ् जा नय:ु इ त अ माकम ् य नम ् भवेत ्।
- यावती: न य: अशु धा: रा े तावती: सवा: शु धा: करणीया:।
- यावत ् धनम ् द र : मासा तरे अज त तावत ् तु आ यैः एकि मन ् दने ययी यते।
उदाहरणा न :-
- कय त: ा मणा: आग म यि त?
- इय त: ा मणा: आयाि त।
- कय य: ा म यः सि त?
- इय य: सि त।
- कयत ् धनम ् द यते?
- इयत ् धनम ् दा या म।
- क त ा मणा: आग म यि त?
प म पछले सू क ह तरह,
- कय त: ा मणा: आग म यि त?
आज चार सू कये।
मशः........
★ याकरणलेख-19★
" लै यम ् मा म गम: " = नपस ंु कता क और मत जाओ। -भगव गीता
ये वा य हमने सन ू ा ह है िजसमे "मा" श द नषेध-करने अथम उपयु त हुआ है । ले कन न ये क 'गमः' ये
कौनसा प है ? वा तवमे वहा 'अगमः' ऐसा ( लु -लकार का म यम पु ष-एकवचन का) प है िजसमे 'मा'श द
उपपद म होने के कारण 'अ' हट गया है । तो ये 'अ' कस सू से आता है , कब जाता है , इस पर सू -स हत वचार
आज करगे।
पहले दे खते है क 'अ ' कौनसे सू से कहा कहा आता है ।
*74) मा ङ लु । (३।३।१७५)*
अथात ् 'मा ' उपपद हो तो ल -लकार होता है ।
- मा काष त ् = वह मत करे
- मा हाष त ् = वह हरण मत करे
- मा गमत ् = वह न जाए
यहा तीनो उदाहरण म 'न मा योगे' इस सू से 'अ ' हट गया है ।
*75) मो रे ल च। (३।३।१७६)*
इस सू म ' मा ङ लु ' क अनव ु ृ आकर अथ बनेगा _मा के साथ ' म' भी हो तो ल -लकार भी होता है ,
लु -लकार तो होता ह है ।_
- मा म करोत ् = वह मत करे
- मा म हरत ् = वह हरण मत करे
- मा म ग छत ् = वह न जाए
यहा भी 'न मा योगे' सू से 'अ' हट गया है ।
ये दो श द का अथ है , " गण
ु वाला और शि तवाला "। अथात ् कोई यि त है िजसमे गण ु है या शि त है । य द अथ
समान ह है तो फर गण ु -श द से 'वान ्' और शि त-श द से 'मान ्' य ? कहा 'वान ्' और कहा 'मान ्' लगाये? उसके
लए कुछ सू है अ टा यायी म। आज वो दे खगे।
अब 'अि न चत ्' श द म या होगा? वैसे तो उसम भी 'मान ्' ह होना चा हए। ले कन एक और सू है िजससे उसमे
'वान ्' होता है ।
क् ख् ग् घ्
च् ज् झ्
त् थ् ध्
प ् फ् ब ् भ ्
ये सभी वण िजसके पीछे हो उन सभी वण से 'वान ्' होता है । जैसे,
अि न चत ् = अि न च वान ् -अि न-आधान
करनेवाला
श = श वान ् - प थरवाला
व यत ु ् = व यु वान ् - व यत
ु वाला
★ याकरणलेख-21★
" पहले मेरा चहे रा साँवला था। जबसे fair & lovely लगाना शु कया, मेरा चहे रा एकदम गौरा हो गया "। इस तरह
क add न चाहते भी रोज दे खते है । इसको याकरण के साथ जोड़े तो यहां दो घटनाएं होती है ।
> चहे रे का याम होना ( अथात ् गोरा न होना)।
> बादमे चहे रा गोरा हो जाता है ।
अथात ् जो पहले नह था, वो हो जाता है । इस तरह के या य-भाव सं कृत म कट करने के लए 'ि व' का योग
होता है । सू दे खे...
*>* भतू काल के योग म आगे 'अ' आता है । जैसे, अकरोत ्, अभवत ्, िजससे ि व- प म थोड़ी बाधा ना आये
इस लए भत ू काल म त- तवतु का योग कर सकते है :-
- शु ल कृतः, यामीकृतवान ्
- दख
ु ीभतू ा, सखु ीभत
ू वान ्
- घट भतू म ्, घट कृतवान ्
*81) वौ च। (७।४।२६)*
यहा 'द घ' क अनव
ु ृ आकर सू ाथ बना _अज त अ ग को ि व- योग म द घ होता है ।_
> ले कन यहां एक अपवाद है । ऋकारा त श दो से उपयु त सू से 'ॠ' ऐसा द घ होना चा हए था ले कन एक और
सू से वहाँ द घ न होकर ऋकारा त श दो से 'र ' होता है । सू दे खते है ।
>>> >> अयो यायाम ् दशरथो नाम राजा। पौरा: *सख ु ीभवेय:ु * इ येव त य इ छा। सः सववेदान ्
*क ठ थीकृतवान ्*। * प ीभ वत*ंु तेन ई वर: * ाथनीकृतः*। तेन च वारः पु ा: अभवन ्। य म ् * न व नीकतम ु ्*
व वा म : रामल मणौ नतवान ्। तत: धन:ु *भ गीकृ य* सीताम ् प नी पेण *अ गीकरो त* म। सीता अ प
* स नीभत ू ा*। कैके या या चतेन वरे ण रामः *तापसीभय ू * वनम ् गतवान ्। सीता-ल मणौ च अनग ु छत: म।
भरत: " *मा ीभय ू * एवं कृ तवती" इ त उ वा कु पत: अभवत ्। वने मार च: रावण य आदे शने *म ग
ृ ीभव त* म।
रावण: *साधभ ू य
ू :* सीतायाः अपहरणम ् कृतवान ्। भयेन सा *कातर भत ू ा*। क पसेना राम य साहा यम ् कृतवती।
रामः तेन * स यभवत ्*( स नी-अभवत ्)। सीता *दःु खी यात ्* इ त म वा रामः ल काया उप र आ मणम ्
कृतवान ्। रावणम ् *भ मीकृ य* सतां *मु तीकरो त* म । अनेन "स यमेव जयते" इ त स धा त:
* प ट भव त*।
★ याकरणलेख-22★
भू > भव त
अस ् > अि त
नश ् > न य त
आप ् > आ नो त
कृ > करो त
अश ् > अ ना त
*83) कत र शप ्। (३।१।६८)*
यहा जो 'शप ्' है वो वकरण- यय है । वैसे तो इस सू से सभी गणो म शप ्- वकरण- यय ह होते है । ले कन फर
अलग अलग सू से शप ् के अपवाद- प भ न भ न वकरण होते है । इस लए दो ह गण म शप ्- यय होता है :-
★ याकरणलेख-23★
पछले लेख म हमने वकरण- यय के वषय म दे खा क :-
◆◆◆> थमगण- वा दगण का वकरण- यय = शप ्
◆◆◆> वतीयगण-अदा दगण का वकरण- यय = शप ्, िजसका बाद म लक ु ् हो जाता है ।
◆◆◆> तत ृ ीयगण-जह
ु ो या दगण का वकरण- यय = शप ्, िजसके थान म लु होता है ।
◆◆◆> दशमगण-चरु ा दगण का वकरण- यय = शप ्
अब आगे दे खते है :-
◆◆◆> ष ठगण है :- तद
ु ा द: गण:।
इस गण का वकरण- यय इस सू से होता है :-
*91) धा द यः नम ्। (३।१।७८)*
यहा ' नम ्' वकरण- यय है जो शप ् के थान म होता है । ले कन इस नम ्- वकरण- यय क वशेषता यह है क
वह धातु के बाद म न होकर धातु के बीच म होता है । कैसे और कहा होता है वह आगे के लेख म दे खगे।
- ध ् + शप ् + तप ्
ध ् + नम ् + तप ्
नम ् ध ् + तप ् = ण ध
- भ + शप ् + तप ्
भ + नम ् + तप ्
भ नम ् + तप ् = भन
- छ + शप ् + तप ्
छ + नम ् + तप ्
छ नम ् + तप ् = छन
आज हमने चार सू कये।
मशः.......
★ याकरणलेख-24★
पछले लेख म हमने स तमगण तक वकरण- यय कये थे। आज आगे बढ़ते है ।
यहा सव पहले तो व वध सू से इत ्-सं ा होती है और बादमे 'त य लोपः' इस सू से लोप (काट-झाट) होती है ।
फर बचे हुए वकरण- यय का ह उपयोग होता है ।
अ टमगण का वकरण- यय 'उ' है िजसमे कसी क इत ्-सं ा श य न होने से कसीका लोप भी नह होता
िजससे 'उ' ह रहता है ।
आज हमने दो सू कये।
मशः.......
★ याकरणलेख-25★
राम: लखन ् अि त। कृ ण: लख तम ् रामं प य त। लखता रामेण उ तं यत ् कथं अि त कृ ण इ त। कृ ण:
लखते रामाय पु पम ् द वान ्। लखत: ह तात ् पु पम ् प ततम ्। लखत: राम य ने ा याम ् अ ु अपतत ्। लख त
रामे कृ ण: ि न य त।
अब दस
ू र सं ा दे खते है : नद । यवहार म हम िजसको नद बोलते है उसक बात यहा नह हो रह बि क नद
एक याकरण सं ा है सू है :-
*95) यू या यौ नद । (१।४।३)*
यहा यू = ई + ऊ
फर सं ध होकर 'य'ू बना।
सू का सामा य अथ हुआ _ईकारा त और ऊकारा त ीवाची श द क नद सं ा होती है _ जैसे,
ईकारा त = कुमार , गौर , शा गरवी
ऊकारा त = मव धःू , यवागःू
आज हमने दो सू कये।
मशः…..….....
★ याकरणलेख-26★
पछले लेख म हमने 'अ ग' और 'नद ' या है वह दे खा। अब जब 'अ ग' या है ये समझ गये है तो एकबार फर
दश-गण के धातंु और उनके वकरण- यय के संयोग को दे खते है :-
गण मल
ू - वकरण उपयोगी- वकरण
थम शप ् अ
वतीय शप ् लक
ु ् होने से कोई वकरण नह
तत
ृ ीय शप ् लु होने से कोई वकरण नह
चतथु यन ् य
प चम नु नु
ष ठ श अ
स तम नम ् न
अ टम उ उ
नवम ना ना
दशम शप ् अ
वतीयगण और तत
ृ ीयगण म वकरण- यय होते ह नह है इस लए उसमे धात+
ु वकरण- यय के मलन का
स ग ह नह आता।
प चमगण :- वा दगण
सु + नु + तप ्
सु + नु + त
सनु ु+ त
यहा उकारा त अ ग है ।
ष ठगण :- तद
ु ा दगण
तु + श + तप ्
तु + अ + त
तदु + त
यहा अकारा त अ ग है ।
स तमगण :- धा दगण
ध ् + नम ् + तप ्
यहा नम ्- वकरण धातु और त - यय के बीचमे न होकर धातंु के म य म होता है ।
नम ् ध ् + त
ध्+ त
स तमगण म सभी धातंु हल त( य जन िजसके अ त म हो) है इस लए अ ग भी हल त ह होगा।
नवमगण :- या दगण
+ ना + तप ्
+ ना + त
णा + त
यहा जो 'ना' है उसम एक सू से 'आ' का लोप होकर 'न ्' बचता है । अथात ् इस गण म हल त-अ ग बनता है ।
(३) धा दगण- या दगण का जोडा :- दोन म मशः ' नम ्' और ' ना' अथात ् 'न' और 'ना' वकरण होते है ।
दोन गणो म समान बात ये क दोन म हल त-अ ग बनता है ।
आज हम एक भी सू नह कर पाए।
मशः.........
★ याकरणलेख-27★
पछले लेख म हम दे ख रहे थे क ग छ ती और कुवती म भेद य है ? इसके ल ये हमने अब तक दे खा क :-
A) दश गण है
B) सबके भ न वकरण- यय है
C) नद या है
D) अ ग या है
E) धातु और वकरण यय के संयोग से जो अ ग बनता है उससे दश गण के दो वभाजन हुए :-
*- >* अद त ( थमगण = वा दगण, चतथ ु गण = दवा दगण, ष ठगण = तद ु ा दगण, दशमगण =
चरु ा दगण ये चार गण )
*- >* अनद त ( बाक के छे गण )
अब आगे बढ़ते है ।
इससे पहले आगम और आदे श कसको कहते है वो दे खते है ।
- राम क जगह पे भरत को गाद मल , अथात ् भरत का राम के थान म आदे श हुआ।
- राम के साथ ल मण भी वन म गए, अथात ् ल मण का आगम हुआ।
इस लए ह आदे श श व ु त ् होता है , यो क खद
ु का थान बनाने के लए वो दस
ु रो को हटाता है और आगम म वत ्
होता है यो क वो साथ म रहता है ।
यान दे ने वाल बात यहा उपर के सू म है वो ये है क ये अकारा त-अ ग से ह नम ु ागम होता है । जैसे क उपर
हमने दे खा क चार गण ह अकारांत-अ ग वाले है :- वा दगण, दवा दगण, तद ु ा दगण और चरु ा दगण।
- तदु ा दगण
तु + श + शत ृ + ङ प ्
तु + अ + अत ् + ई
तु + अ + अ नम ु ्त्+ ई
तदु ती हो गया।
- चरु ा दगण
चरु ् + णच ् + शप ् + शत ृ + ङ प ्
चोरय ् + अ + अत ् + ई
चोरय ् + अ + अ नम ु ्त्+ ई
चोरय ती स ध हुआ।
ले कन हमने "ग छ ती, द य ती, चोरय ती” ऐसा ह सन ू ा है , "ग छती, द यती, चोरयती" ऐसा तो नह सन
ू ा।
ले कन सू से तो यह अथ नकलता है क ये सब प व प से हो शकते है फर ऐसे प य नह बन सकते ?
ज र कोई और सू भी होगा जो इसका नषेध कर रहा है । अगले लेख म दे खगे।
आज हमने एक ह सू कया।
मशः.........
★ याकरणलेख-28★
पछले लेख म हम दे ख रहे थे क _आ छ न योनम ु ्_ इस सू से चार गणो म नम
ु ागम वक प से होता है :-
वा दगण, दवा दगण, तद ु ा दगण, और चरु ा दगण।
- वाद गण :-
भू + शप ् + शत+
ृ ङ प्
भो + अ + अत ् + ई
भव + अ + अ नम ु ्त्+ ई
भव ती होगा।
- दवाद गण :-
दव ् + यन ् + शत+ ृ ङ प्
दव ् + य + अत ् + ई
दव ् + य + अ नम ु ्त्+ ई
द य ती हो गया।
- चरु ाद गण :-
चरु ् + णच ् + शप ् + शत ृ + ङ प ्
चोरय ् + अ + अत ् + ई
चोरय ् + अ + अ नु + त ् + ई
चोरय ती स ध हुआ।
अथात ् वा दगण और चरु ा दगण म शप ्- वकरण- यय है इस लए उसमे नमु ागम न य होगा और द या दगण
म यन- वकरण- यय है इस लए उसमे भी नम ु ागम न य होगा, न क वक प से।
अथात ् "ग छती, द यती, चोरयती" ऐसे प नह ं बनगे।
ले कन सू म तद
ु ाद गण का उ लेख नह ं है ( िजसमे श- वकरण- यय है ) इस लए उसमे जब नम ु ागम होगा तब
'तद
ु ती' ऐसा प बने ग ा और जब नमु ागम नह ं होगा तब 'तदु ती' ऐसा प बने गा। अथात ् तदु ा दगण म दोन कार
के प बनेगे।
यहा मरण म रखने यो य अ याव यक बात यह है क वा दगण, दवा दगण और चरु ा दगण म जो नम ु ागम हो
रहा है वह उपरो त "श यनो न यम ्" इस सू से हो रहा है , 'आ छ न योनम
ु ्' इस स ू से नह ।
अब रह दस
ु रे 6 गणो क बात। जैसा क पहले हमने दे खा था क “आ छ न योनम ु ् " इस सू म
अकारा त/आकारा त-अ ग से ह नम ु ागम होने क शत रखी है , और दशो गण म चार गण ह ऐसे है ( वा दगण,
दवा दगण, तद ु ा दगण, चरु ा दगण) िजसमे वकरण- यय अकारा त है ।
यहा दे ख सकते है क दा-धातु को व व होकर "दा+दा" ऐसा बना। तो इसम जो पहला "दा" है उसको 'अ यास'
कहते है ।
★ याकरणलेख-29★
आज आगे के गणो म नम
ु ागम क या ि थ त है वह दे खते है :-
अब चार गण बाक रह गए। मश दे खते है :-
==> प चम गण :- वा दगण
इस गण म वकरण ्- यय 'न'ु है । इस लए अ ग भी उकारा त ह बनेगा। जब क हमने तो दे खा था क
“आ छ न योनम ु ्” इस सू े से तो अकारा त/आकारा त अ ग से ह नम
ु ागम होता है । ले कन यहा तो उकारा त
अ ग बन रहा है । अथात ् इस गण म भी नम ु ागम नह ं होगा।
==> स तम गण :- धा धगण
इस गण म वकरण- यय धातु के म य म होता है इस लए इसम भी अकारा त/आकारा त अ ग बनने क
संभावना तो है ह । य द ऐसा होता है तो नम
ु ागम भी श य है
ले कन धा धगण म सभी धातु हल त ( य जन िजसके अंत म है )ह है । इस लए न तो अकारा त/ आकारा त
अ ग बनेगा और न ह नम ु ागम होगा।
आज हमने एक ह सू कया।
मश ....
★ याकरणलेख-30★
हम बार बार सन
ु ते है क सं कृत कं यट
ू र के लए उ म भाषा है , ले कन य ? उसका उ र है अ टा यायी के सू ।
ऐसी या वशेषता है इन सू म?
वशेषता यह है क ये सू छोटे छोटे होते हुए भी बड़े बड़े अथ को सचोट तर के से य त करते है । आज कुछ सू
दे खगे। ले कन पहले एक क पना खड़ी करते है हमारे मनमे।
सोचो क ीराम सायंकाल म सं या के समय पि चम दशा क और मख ु ार वंद करके खड़े है । अब उसके पीछे
ल मण और उसके पीछे भरत खड़े है । अथात तीनो के चहे रे पि चम क और है और तीनो एकदस ू रे के पीछे एक ह
पंि त म खड़े है ।
अब “ ल मण कहा है ?” इस न के उ र म या कहगे ? यह क “ल मण ीराम के पीछे खड़े है ” या फर “
ल मण भरत के आगे खड़े है ”।
ले कन यह न य द पा ण न को पछू ा जाय तो उनका उ र कैसा होगा? वह कहगे “ रामात ् ल मण भरते “
व च दखने वाला ये जवाब वा तवमे अ टा यायी क ह शैल है । पा ण न ने अ टा यायी को इसी तरह बनाया
है । आइये दे खते है इस वषय के सू :-
अब उपरो त सू के अनस
ु ार जहाँ स तमी वभि त हो वहा उससे पव
ू /आगे/परि मन ् का नदश होगा। अथात ् यहा
ल मण भरत के पव
ू /आगे है ऐसा समजना चा हए।
ले कन "ल मण राम के पीछे है " इस न का उ र पा ण न कैसे दगे? उनका उ र होगा “ ल मण: रामात ् अि त “
कैसे? आइये सू दे खते है :-
*103) त मा द यु र य। (१।१।६७)*
सू का सामा य अथ यह हुआ क _जहा प चमी- वभि त हो वहा उसके पीछे /प चात ्/अन तरम ्/उ र/पर का
नदश होगा। अथात ् यहा 'ल मण राम के पीछे /प चात/अन तरम ्/उ र/पर है ' ऐसा समजना चा हए।_
आत ् = प चमी = आत ् के पीछे /उ र
शीन यो: = स तमी = नद के आगे/पव ू
नम
ु ् = थमा = आगम
शत:ु =ष ठ = शत:ु के थान मे
अथ हुआ _तद
ु -अकारा त-अ ग के पीछे /उ र, ई-नद के पहले/पव
ू , शत:ु के थान म, नम
ु ागम होता है ।_
अब शत ृ के थान म नम
ु ागम होता है इस लए शत ृ क ष ठ - वभि त 'शत:ु ' ऐसा दशाया है ।
【इस लेखमाला को यह समा त करते है । अगले 50 सू क लेखमाला कुछ समय के बाद फरसे तत ु करगे।
कसीको य द 1 से 104 तक के सू क pdf चा हए तो मेरे यि तगत न बर म अपना नाम और ईमेल भेज
शकते है ।】