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★ याकरणलेख-1★

लकार- स धः।
म !
सं कृत हमार स प है । उसका र ण हम नह ं करगे तो कौन करे गा? आज १५ अग त है । हम आजाद ह। जब
गलु ाम थे, तब तो कुछ नह ं कर सकते थे। ले कन आजाद होने के बाद भी हमने या कर लया सं कृत और
सं कृ त के लए?
आज संक प लेते ह क अगले प ह दनमे कम से कम ५० पा णनीय सू पढगे। अथात ् रोज का सफ तीन सू
पढ़ना है हम।

उसके लए हम कसी श द क स ध से शु आत करगे। िजससे दो फायदे ह गे, श द स ध होगी और सू का


उपयोग कैसे हुआ, यह भी पता चलेगा।

पहले " लख त " इस श द क स ध करते ह।


लख त म तीन भाग ह -
लख ् जो धातु है ,
शप ् जो वकरण यय है ,
तप ् जो त यय है ,

अथात ् लख ् + शप ् + तप ् का ह लख त हुआ. ले कन कैसे?


लख त क स ध से ह हम कम से कम बीस सू सीख लगे।

तो यहाँ जो तीन भाग दखाये उनको एक-एक कर के दे खते ह। और यहां यु त सू का भी मनन करते ह।

पहला भाग है लख ्।
ये कहां से आया? तो पा ण नजी ने जो धातप ु ाठ लखा है , वहां से। ले कन धातप
ु ाठ म तो लखँ ऐसा है । यहां तो
लख ् है । अथात ् लखँ का ह लख ् हुआ है । कैसे?

लखँ या है ? ल ् इ ख ् अँ
लख ् या है ? ल ् इ ख ्
अथात ् इतना तो ात होता है क पीछे का जो अँ है वह गायब हो गया। कैसे?
जैसे आडवाणी को नकालना हो तो सीधे-सीधे नह ं नकाल सकते न। मोद ने कहा क आपने बहुत काम कया है ,
आप व ृ ध हो गये। आप को आराम करने का समय ह नह ं मला, अब आप आराम क िजए तथा आप िज मेदार
को हम दे द िजये। और ऐसे उसका प ा काट दया।
ऐसे ह यहा अँ हो हटाना हो तो ऐसे ह नह ं हटा सकते न, फर कैसे? उसको इत ् ( व ृ ध ) कह दो फर नकाल दो।
तो पहला सू जो इत ् सं ा करता है ,
*1) उपदे शऽे जनन ु ा सक इत ्। (१।३।२)*
उपदे शे अथात ्? तो पा ण नजी ने धातप ु ाठ म जो मल ू धातु कह है , उसको उपदे श कहगे। लख ् क मल ू धातु लखँ
है ।
अजनन ु ा सक अथात ् अच ् ( सभी वर ) + अनन ु ा सक ( ◌ँ )
लखँ [ ल ् इ ख ् अँ] म जो अँ है , वह अच ् भी है और अनन ु ा सक भी है . तो उ त सू से उसक इत ्-सं ा हो गई।
आडवाणी को कह दया गया क आप व ृ ध हो गये। अब उसको हटाना आसान हो गया। कैसे? दस ू रे सू से,
*2) त य लोपः। (१।३।९)*
कसका लोप? जो इत ् हुआ उसका। लखँ म कौन इत ् हुआ? अँ
ले कन लोपः अथात ्? उसके लए तीसरा सत
ू ्,

*3) अदशनं लोपः। (१।१।६०)*


िजसका अदशन हो जाये, जो गायब हो जाये, आडवाणी क तरह हट जाये उसको लोप कहते ह. अथात ् लखँ म जो
अँ है , वह हट जाये तो उसको लोप कहते है ।

तो हमने या कया? लखँ को लख ् बना दया। कैसे? तीन सू से


*1) उपदे शऽे जनन
ु ा सक इत ्*
*2) त य लोपः*
*3) अदशनं लोपः*

तो आज के तीन सू हो गये।
आगे या दे खना है ?
लख ् + शप ् + तप ्
लख ् + अ + त » लख त
यहा शप ् का अ और तप ् का त कैसे हुआ?
मशः......

★ याकरणलेख-2★
अब पांच छोटे सू कर लेते है जो लख त क स ध-अ तगत ह है ।
लख ् + शप ् + तप ् इसमे-
लख ् धातु है
शप ् वकरण- यय है
तप ् त - यय है
अथात ् एक धातु और दो यय।
ले कन लख ् क धातस ु ं ा कैसे हुई? इस सू से,

*4) भवू ादयो धातवः। (१।३।१)*


अथात ् भू आ द जो है उनको धातु कहते है ।
अब दसु रा नः शप ् और तप ्, ये दोनो यय धातु के पछे ह यो? _शप ् + त + लख ्_
ऐसे आगे यो नह ? उसके लये तन सू है
*5)धातोः। (३।१।९१)*
*6) ययः। (३।१।१)*
*7) पर च। (३।१।२)*
तनो सू ो को मलाये तो अथ होगाः
_जो यय है वह धातु के पर ( पछे ) ह होगा, न क आगे।_
अब ये न होगा क शप ् और तप ् मे भी तो तप ् आगे और शप ् पीछे आ सकता है न!
_ लख ् + तप ् + शप ्_ ऐसा भी तो हो सकता है !
उसका उ र इस सू से मीलेगा..
*8) कत र शप ्। (३।१।६८)*
इस सू मे " धातोः" और " सावधातक
ु े " इन दोनो क अनव ु ृ त आकर पण
ू सू इस तरह बनेगाः " धातोः सावधातक ु े
कत र शप ् "।
अथात ् _कत र-वा यरचनामे लख ्-धातु के बाद, तप ्-सावधातक ु यय से पव
ू , शप ्- वकरण ययः होता है ।_
अथात ्
पहले धातु
अ तमे तप ्
बच मे शप ्
आज पांच सू हो गये।
मशः.......

★ याकरणलेख-3★
अभी तक 8 सू कये।
हम लख त क स ध कर रहे थे।
लखँ+ शप ् + तप ्
लख ् + अ + त
लखँ का लख ् कैसे हुआ यह हमने दे खा।

आज शप ् का अ कैसे हुआ वह दे खते है ।


शप ् » श ् अ प ्
ये तो ात होता ह है क श ् और प ् गायब हो जाते है . ले कन कैसे? दो सू से.....
*9) लश वत धते। (१।३।८)*
यहा " उपदे श,े यय, आ दः, इत ् " इन चारो क अनव ु ृ त आ रह है । सू का अथ हुआ...
_मलु यय के आ दमे य द ल ्, श ्, या कवग( क् ख ् ग ् घ ् ) हो तो उसक इत ् सं ा होती है _ अडवाणी को कहा
गया क आप व ृ ध हो गये।

शप ् उपदे श-अव थामे भी है


शप ् यय भी है
शप ् मे शकार आ द-पहले भी है

तनो शरते परु हुई, अतः शप ् के शकार क इत ्-सं ा हो गई। फर " त य लोपः " सू से उसका लोप हो ह जायेगा।
अडवाणी का प ा कट ह जायेगा।

तो शप ् मे अब या बचा? अप ्।
ले कन हमे तो अ तक पहुचना है । तो फर पकार को भी हटाना होगा। तो पहले इत ् सं ा करनी पडेगी न। उपरो त
सू से तो न ह होगी यो क प ् तो अ त मे है और वह सू तो आ द-वण क इत ् सं ा करता है । अथात ् कोइ और
सू होना चा हये जो अ तमे रहनेवाले वणक इत ् सं ा करता हो। ये रहा....
*10) हल यम ्। (१।३।३)*
हल ् + अ यम ्
यहा " उपदे श,े इत ् " इन दोनो क अनव
ु ृ त आती है । पण
ू सू हुआ " उपदे शे अ यम ् हल ् इत ् "
अथात ् _उपदे श-अव थामे जो हल ् अ तमे हो उस क इत ् सं ा होती है _
अब अप ् मे पकार अ त मे भी है और हल ् ( यंजन) भी है , तो उस क इत ् सं ा होकर " त य लोपः " सू से गायब
भी हो गया।
शेष या रहा? अ।
अब रह बार तप ् क। तो तप ् का त कैसे होगा? पकार का य द लोप हो जाये तो। तप ् मे जो प ् है वो हल ् भी है
और अ तमे भी है । अथात ् यहा भी शप ् क तरह ह प का लोप होगा, हल यम ् इस सू से। तो हो गया तप ् का त।
अथात ्
लखँ + शप ् + तप ् »»»» लख ् + अ + त
लख त स ध हो गया।

आज दो सू हो गये।
मशः.....

★ याकरणलेख-4★
इससे पहले लखँ का लख ् / शप ् का अ / तप ् का त कैसे हुआ वो दे खा। वैसे तो लख त स ध हो ह गया ऐसा
लगता है । ले कन इससे भी अ धक सू लगते है । कौन से?
लख ् + शप ् + तप ्
यहा जो तप ् है वो सीधा ह वहा नह आया। पहले तो वहा " ल " था। उसका ह " तप ् " हुआ? कैसे? आगे दे खते
है ....

रामः लख त। इस वा यका अथ होता है , _राम लखता है _ अथात ् यह वतमानकाल क बात हो रह है । सं कृत मे


अलग-अलग काल मे भ न- भ न यय होते है । वतमानकालमे कौनसा यय होता है ? उसके लये वत सू
ह है ...
*11) वतमाने ल । (३।२।१२३)*
अथात ् कोइ या को वतमानमे दखानी हो तो ल यय होता है ।
य द लख ् धातु का वतमानकालका प बनाना हो तो ल यय होगा।
लख ् + लँ
अब यहा टकार हल ् [ यंजन ] भी है , अ तमे भी। तो _हल यम ्_ सू से उसक इतसं ा और _त य लोपः_ सू से
लोप भी हो गया। शेष या रहा?
लँ । अथात ् ल ् + अँ
यहा जो अँ है वो अच ् [ वर ] भी है , अनन
ु ा सक भी। तो _उपदे शऽे जनन ु ा सक इत ्_ सू से इतसं ा और _त य
लोपः_ से लोप भी हो गया। अब या बचा शेष? ल ्।
ले कन हमे तो तप ् तक पहुचना है । यहा तो ल ् है । अथात ् मंिजल अभी दरू है .....
एक और सू दे खते है ....
*12) ल य। (३।४।७७)*
अथात ् " ल ् के थानम "ऐसा अथ होगा। ले कन ल ् के थानमे या? एक और सू दे खते है ...
*13) त ति झ स थ थ म व म ताता झथासाथा व म व हम ह । (३।४।७८)*

इतने बडे सु से डरने क ज रत नह है यो क उसका उपयोग हम सं कृतमे रोज करते है । ये कुल 18 ययोका
समहू है जो एक ह सू मे लखे है । अथात ् ल ् के थान मे ये 18 यय होते है । उनमेसे जो पहले 9 यय है वे
पर मैपद के लये और बाक के 9 आ मनेपदके लये. सु वधा के लये थम/म यम/उ मपु ष और
एक/ व/बहुवचन के पमे लखते है ....

पर मैपदके 9 यय
एक व बहु
थम तप ् तस ् झ
म यम सप ् थस ् थ
उ म मप ् वस ् मस ्

आ मनेपदके 9 यय
एक व बहु
थम त आताम ् झ
म यम थास ् आथाम ् वम ्
उ म इ वह मह

(याद रहे : हमे ल ् के थानमे तप ् लाना है .)


क तु उपरो त वभाग ( पर मैपद और आ मनेपद ) बना सू के हो ह न ह सकता न।
उसके लये दो सू क ज रत पडेगी।

*14) लः पर मैपदम ्। (१।४।९९)*


अथात ् ल ् के थानमे जो 18 यय होते है वे पर मैसं क होते है । य द सभी 18 ययो क पर मैपदसं ा होगी
तो आ मनेपद कहा जायेगा? उसके लये दस ू रा सू है ...

*15) तङानावा मनेपदम ्। (१।४।१००)*


अथात ् त क आ मनेपदसं ा होती है । त या है ? उपरो त 18 ययमे 10 से लेकर 18 तक जो भी यय है ,
या न पीछले 9 यय, उनक आ मनेपदसं ा होती है ।

अथात ् पहले तो सबको पर मैपदसं क कह दया, बादमे पीछे वाले 9 को आ मनेपदसं क कह दया। तो पहलेवाले
9 तो पर मैपदसं क ह रहगे।

आज हमने 5 सू कये।
मशः....

★ याकरणलेख-5★
हम लख त क स ध कर रहे थे। हमे ल ् के थान मे तप ् लाना है । पीछले लेख मे दे खा क ल ् के थान मे 18
यय होते है । उनके भाग कर दये नौ नौ के। और पर मैपद और आ मनेपद सं ा करद ।
ले कन फर उनके थमपु ष / म यमपु ष / उ मपत ु ष और एकवचन / ववचन / बहुवचन ऐसे जो वभाग
हमने पीछे कये वे बना सु के कैसे हो गये? न ह… उनके लये ये दो सू है ..

*16) तङ ी ण ी ण थमम यमौ माः। (१।४।१०१)*


अथात ् तङम 18 यय जो थे उनके म से य द तन तन जोडे बनादे तो कतने जोडे बनगे? 6।
_1) तप ् तस ् झ_
_2) सप ् थस ् थ_
_3) मप ् वस ् मस ्_
_4) त आताम ् झ_
_5) थास ् आथाम ् वम ्_
_6) इ व ह म ह _
फर उनको म से _ थम / म यम / उ म ऐसा नाम दे दे । अथात ्,
_1) तप ् तस ् झ_ = थम
_2) सप ् थस ् थ_ = म यम
_3) मप ् वस ् मस ्_ = उ म
_4) त आताम ् झ_ = थम
_5) थास ् आथाम ् वम ्_ = म यम
_6) इ व ह म ह _ = उ म
अब थमा द सं ा तो हो गइ। ले कन एकवचना द सं ा का या? उनके लये ये सू है ..

*17) ता येकवचना ववचनबहुवचना येकशः। (१।४।१०२)*


यहा “ तङः ी ण ी ण “ क भी अनव ु ृ त आ रह है । अथ हुआ _हमने जो तन तन के छे जोडे बनाये उन येक
मे जो तन तन यय है उन क एकैक के म से एकवचन / ववचन / बहुवचन ऐसी सं ा होती है ।_
अथात ् य द पहला जोडा हम ले तो वह है _( तप ् तस ् झ )।_ उनमे येक क एक एक करके म से एकवचन (
तप ् ) / ववचन ( तस ् ) / बहुवचन ( झ ) ऐसी सं ा होती है . ऐसा ह बा क के जोडे के बारे मे जाने। ( हमे ल ् के
थान मे तप ् लाना है )

अब थमा द सं ा तो हो गई ले कन ये कैसे तय करे क अ म (मेर )-यु म (आपक )-तत ्(उसक )कौनसी सं ा


होगी? अं ेजी भाषा मे तो थमपु ष क अ म ( जो बोल रहा है वह वयं )सं ा होती है । सं कृत मे या होता है ?
तो उनके लये तन सू है ….

*18) अ म यु मः। (१।४।१०७)*


अ म अथात ् मे। इस सू से अ म के थानमे उ मपु ष के यय होते है । याने क मप ्-वस ्-मस ्।

*19) यु म द म यमः। (१।४।१०५)*


यु म अथात ् त।ु इस सू से यु म के थान मे म यमपु ष के यय होते है । याने क सप ्-थस ्-थ।

*20) शेषे थमः। (१।४।१०८)*


शेषे अथात ् वह। इस सू से शेष ( वह ) के थान मे थमपु ष के यय होते है । याने क तप ्-तस ्- झ।

अब हम _रामः लख त_ क स ध कर रहे थे। रामः या है ? अ म भी नह , यु म भी नह । अथात ् शेष है ।


शेष मे कौन से यय होते है ? तप ्-तस ्- झ।
ले कन ् यहा राम के लये इन तनो मे से कौनसा यय लगेगा? इसके लये दो सू है …

*21) येकयो ववचनैकवचने। (१।४।२२)*


अथात ् दो क बात हो रह हो तो ववचन होगा और एक क बात हो रह हो तो एकवचन होगा।

*22) बहुषु बहुवचनम ्। (१।४।२१)*


अथात ् बहुत लोगो क बात हो रह हो तो बहुवचन होआ।

यहा कतने राम क बात हो रह है ? एक राम क । तो एकवचनका जो यय है , अथात ् तप ्, वह होगा, यो क


तप ् क एकवचनसं ा हमने पव ू ह करद है ।
अथात ् रामः लख ् + शप ् + तप ् ऐसा होगा। िजसके लये हम कब से यन कर रहे थे वो ल ् के थान मे तप ् हो
गया।
एकबार सं ेपमे फ रसे दे खले…
लखँ+ लँ
लख ् + ल ्
लख ् + त ति झ……
लख ् + तप ्
लख ् + शप ् + तप ्
लख ् + अ + त
लख त यह स ध हो गया.
आज हमने 6 सू कये..
आगे या दे खगे?
यहा लख ् + शप ् + तप ् मे श- वकरण यय होता है , फर शप ् यो लखा?
मशः…….
आज 6 सू कये.
_(यहा सू 18 और 19 थोडे बडे है ले कन लख त क स ध के लये आव यक था उतना तो दे दया है )_

★ याकरणलेख-6★
हमने लख त क स ध क। ले कन लख ् तो तद ु ा द गण क धातु है , फर वहा शप ्- वकरण यय यो?
पहले ये जानले क सं कृतम जो धातु है उनको 10 गण मे बांटा गया है और सभी गण का एक एक वकरण यय
भी नि चत कया गया है । जैसे, वा दगण और चरु ा दगण मे शप ् यय है , दवा दगण का यन ् है इ या द।

यहा लख ् धातु तो तद
ु ा दगणमे है िजसका वकरण- यय तो श है , फर हमने लख त क स ध करते समय
शप ् यो लखा? उसके लये सू है ......

*23) तदु ा द यः शः। (३।१।७७)*


अथात ् लख ् + तप ् इस ि थ त मे _कत र शप ्_ इस सू से शप ् ह होता है ले कन उपरो त सू से वहा
श- यय आ जाता है यो क _तद ु ा द यः शः_ ये सु _कत र शप ्_ सू का अपवाद है । पा ण नय याकरण मे
अपवादसू सबसे बलवान होता है , इस लये व ह सू का राज चलता है और व ह सू संहासन पर बेठ जाता है ।
लख ् + तप ् इस ि थ त मे _कत र शप ्_ और _तद ु ा द यः शः_ ये दोनो सू ो के बच जब संघष होता है तो
अपवादसू बलवान होने के कारण व ह िजतता है , अथात ् _तद ु ा द यः शः_ इस सू क िजत होती है । अथात ्

लख ् + शप ् + तप ्
लख ् + श + तप ् होता है ।
फर पीछल यानसु ार ह श मे श ् का _लश वत धते_ इस सु से इत ् सं ा होती है , _त य लोपः_ सू से
लोप होकर अ शेष रहता है , फर
लख ् + अ + त » लख त स ध हो जाता है ।

अब पच त ( पकाता है ) मे कौनसी धातु है ? उ रः पच ्। पा ण नजी ने तो उपदे श-अव थामे जो धातु ल ख वह तो


_डुपचँष ्_ है । इसका पच ् कैसे हो गया?

ये तो अनम ु ान कर सकते है क यहा डु / अँ / ष ् ये तनो गायब हो जाते है । कैसे?


» ष ् का तो पीछे दये गये सू _हल यम ्_ से इत ् सं ा और _त य लोपः_ सू से लोप होता है ।
» चँ के अँ क _उपदे शऽे जनन
ु ा सक इत ्_ सू से इत ् सं ा और _त य लोपः_ सू से लोप।

ले कन आगे जो डु है उसको कैसे हटाये? पीछे जो हमने एक सू दे खा था _लश वत धते_ वह भी यहा काम न ह
करे गा यो क ल/श/कवग इन तनो मे डु न ह आता। फर उसको कैसे हटाये? एक और सू दे खे जो डु क इत ् सं ा
करता है .....

*24) आ द ञटुडवः। (१।३।५)*


यहा " उपदे शे " क अनव
ु ृ त आकर पण
ु सू बना " उपदे श-अव थामे धातु के आगे य द टु/डु/ ञ इन तनो म से
कोइ एक हो तो उस क उपरो त सू से इत ् सं ा हो जाती है । " डुपचँष ् मे आगे जो डु है उस क इस सू से इत ् सं ा
होकर _त य लोपः_ सू से लोप होकर पच ् शेष बचता है ।

अब रामौ लखतः ( दो राम लखते है ) इसमे लखतः » लख ् + श + तस ् है ।


पीछे जो तस ् है उसमे सकार अ तमे भी है और हल ् ( यंजन ) भी है । तो उस क _हल यम ्_ से इत ् सं ा होकर
_त य लोपः_ सू से लोप हो जाना चा हये न। ले कन ऐसा न ह होता है । यो? तस ् मे स ् क इत ् सं ा न हो
इस लये एक नषेधा मक सू है .....

*25) न वभ तौ तु माः। (१।३।४)*


इसमे " हल यम ् , इत ् " इन दोनो क अनव ु ृ त आकर सू का अथ हुआ " वभि त मे ( वभि त अथात ्
तप ्-इ या द 18 यय और सप ु ्-इ या द 21 यय ) इन 39 ययो मे अ य-हल ् ( यंजन) के प मे य द
तवग/स ्/म ् इन तनो म से कोइ हो तो उस क इत ् सं ा न ह होती " फर उसका लोप तो होगा ह नह ।

तस ् यय वभि त-अ तगत भी है , अ य-हल ् स ् भी है । तो उपरो त सू से उस क इत ् सं ा नह होती और


उसका लोप भी न ह होता। तस ् ऐसा ह शेष रहता है ।

आज हमने तन सू कये।
मशः.....

★ याकरणलेख-7★
अब तक हमने लखत: क स ध क । और 22 सू कये। हमे कमसे कम 50 सू करने है । आज लखि त इसक
स ध करते है ।
लख ् + श + झ
अब हमे ये ात है क शप ् क जगह श आ जाता है तो आगे शप ् न लखकर श ह लखगे।

हम दे ख सकते है क लखि त म पीछे ि त है । जब क सु प म तो लख ् + श + झ है । अथात झ का ह आगे


ि त होनेवाला है ।
झ = झ्+ इ
इस ि थ त म एक सू दे खे,

*26) झोऽ तः। (७।१।३)*


अथात ् झ ् के थान ् मे अ त ् ऐसा हो जाये।
झ्+ इ
अ त्+ इ
अि त
तो हो गया झ के थानमे अि त।
लख ् + श + झ
लख ् + श + अि त
लख ् + अ + अि त

यहा एक और न होगा क उपरो त ि थ त म तो " लखा त " ऐसा बन रहा है । न क लख त।


अथात ् पीछे जो (अ + अि त ) है उसम से कोई एक अ ह बचता है । कौन से सू से ?

*27) अतो गण ु े। (६।१।९७)*


अथात ् ऐसी ि थ त म पछे वाला अ ह बचे ।
लख ् + अि त
लखि त हो गया।

अब लख स को दे खे।
लख ् + श + सप ्
यहा कोई अलग सू क ज रत नह है य क पीछे जो सू कये उनक सहायता से ह स ध हो जाएगा।
» श का _लश वत धते_ से इत ् और _त य लोपः_ से लोपः होकर अ शेष रहा।
» सप ् मे _हल यम ्_ सू से इत ् और _त य लोपः_ से लोप होकर स बचा।

लख ् + अ + स
लख स स ध हो गया।

उ स तरह
लख ् + श + थ » लखथ

अब लखा म स ध करते है ।
लख ् + श + मप ्
लख ् + अ + म ( पीछे क तरह इत ् और लोप होकर )

अब यहा तो लख म हो रहा है , लखा म ऐसा नह । अथात ् बचम अ के थानम आकार हो रहा है । कस सू से ?

*28) अतो द घ य ञ। (७।३।१०१)*


अथात ् म के आगे का जो अ है उसको द घ हो।
लख ् + अ + म
लख ् + आ + म
लखा म स ध हो गया।

हमने आज 3 सू कये। यहा हमने लखथः क स ध को यो छोड द ? यो क उसमे अ धक दो सू लगते है ।


इस लये आगे के लेख मे उसक स ध करगे। उसक सहायता से ह लखावः / लखामः स ध हो जायेगा।
मशः......

★ याकरणलेख-8★
आज हम लखथ: / लखाव: / लखाम: क स ध करना है ।
लखथ: = लख ् + श + थस ्
थस ् म जो स ् है वो हल ् ( यंजन ) भी है और अ तमे भी है । तो फर _हल यम ्_ सू से इत ्-सं ा होकर _त य
लोपः_ सू से स ् का लोप होना चा हए। य नह हुआ? इसका कारण पीछे के लेख म दे ख ह आये है क _न
वभ तौ तु मा:_ सू से इसका नषेध हो जाता है ।
अथात ् थस ् ह रहे गा।
लखथ: = लख ् + अ + थस ्

यहा दे ख सकते है क थस ् के थान म थ: हो रहा है । या कहे क स ् के थान म वसग हो रहा है । कैसे? दो सू


से......

*29) ससजष ु ो ः। (८।२।६६)*


अथात ् थस ्-पद म जो स ् ह उसके थानम हो जाये।
अब बना थ । ले कन हम तो वसग तक पहुँचना है न। उसके लए दस
ू रा सू ....

*30) खरवसानयो वसजनीयः। (८।३।१५)*


यहाँ " रो:, पद य " इन दोन क अनव
ु ृ आ रह है , तो अथ होगा _थ म अ तमे जो है उसके थानम वसग
(:) हो जाये।_
अथात ् थ >> थ:
फरसे दे खे तो,
लख ् + अ + थस ्
लख ् + अ + थ
लख ् + अ + थ:
वैसे ह लखाव: और लखाम: स ध हो जाएगा। सफ एक भेद रहे गा क लखा म क तरह _अतो द घ य ञ_ सू
से लख ् का लखा होकर लखाव: / लखाम: हो जाएगा।

आज हमने दो सू कये।
8 दनमे 27 सू कये।
मशः ........

★ याकरणलेख-9★
अब तक हमने लख ् धातु के वतमानकाल के प कये। वैसे तो लख-धातक ु े सभी काल के प कर सकते है ले कन
पहले ये जो वतमाना द काल है वो सं कृत म कतने है और या उनके लए भी पा ण नमु न ने सू बनाये है ?
उ र है हां. 10 काल होते है सं कृत म। जैसे क , ल ल लु ल ृ ले लो ल ल लु ल ृ .

यहा दे खे तो सभी क शु आत ल से होती है । उस लए उनको " लकार " ऐसा भी कहते है ।

दस ू र बात य द यान म आयी हो तो वह ये क यहा उस ल ् को " अ इ उ ऋ ए ओ " इन वर के साथ ह जोड़ा गया


है । इससे उनको याद रखने म भी सल
ु भता होगी। जैसे,

ल्+ अ »ल
ल्+ इ » ल
ल्+ उ » लु
ल्+ ऋ » लृ
ल ् + ए » ले
ल ् + ओ » लो

यहा जो ले -लकार है वह सफ वेद म होता है । और जो ल -लकार है उसके दो कार है : व ध ल और


आ श ल । अथात ् ले -लकार क लौ कक याकरण म गणना न करे तो भी लकारे तो 10 ह रहगे।
ल ल लु ल ृ लो
ल व ध ल आ श ल ल ृ लु

अब इन लकारो के लए यु त सू को एकैक करके दे खते है ।

*31) वतमाने ल । (३।२।१२३)*


वैसे तो इस सू को हम पीछे दे ख ह आये है ( सू -11) । वतमान कसको कहगे? _ ार ध: अप रसमा त च इ त
वतमान:_ अथात ् आर भ कया हुआ काय जब तक समा त ना हो तब तक उस काल को वतमान कहगे।। जैसे
राम य द भोजन बना रहा हो तो भले ह बनाने म दो घ टा लगे, फरभी उस परु े काल को वतमान ह कहगे। अथात ्
_रामः पच त_ ह रहे गा।

सं कृत म तीन भतू काल होते है : सामा य(अ यतन), य तन(अन यतन), परो ।
ये तीनो भत
ू काल एक सू के अ तगत आते है , वह है ,

*32) भतू ।े (३।२।८४)*


अथात ् इस सू क अनव ु ृ आगे के तीन भत
ू काल- न द ट सू म जायेगी।

पहले सामा य भत
ू काल के लए जो सू है उसको दे खते है :

*33) लु । (३।२।११०)*
यह सामा य भत ू काल को कहते है । अथात ् अ यतन भत
ू काल। आज का जो भत
ू काल है वह। जैसे क आज सब
ु हम
मि दर गया। _अ य अहं मि दरम ् अगमम ्।_

*34) अन यतने ल । (३।२।१११)*


अथात ् (अन + अ यतन ) जो आजका नह है वह, य तन भत ू काल। उसको ल कहते है ।
कल राम मं दर गया था। _ य: राम: मि दरम ् अग छत ्।_

*35) परो े ल । (३।२।११५)*


परो अथात ् जो इि य से पर हो। जैसे क राम वन म गये। इस वा यको बोलने वाला तब वहा हाजर नह जा
जब राम वन म गये। इस लए ये घटना उसके लए परो हुई। तो उस काल म ल -लकार होता है । जैसे
_राम: वनं जगाम।_

आज हमने चार सू कये।


मशः.........

★ याकरणलेख-10★
कल वतमान और भत
ू काल के सू दे खे। आज भ व यकाल के सू को दे खते है । सं कृत म भ व यके लए दो
लकार है ।

*36) ल ृ शेषे च। (३।३।१३)*


इस सू म " भ व य त " क अनव ु ृ आकर सू ाथ हुआ _भ व य अथ म ल ृ -लकार होता है ।_ ले कन ये लकार
सामा य भ व य के लए
है । अथात ् आज के दन का जो भ व य है वह। जैसे,
_साय काले रामः मि दरम ् ग म य त।_

*37) अन यतने लु । (३।३।१५)*


यह लकार ल ृ -लकार का अपवाद है । अथात ् आज को छोडकर बाक के भ व यकाल म लु होता है । जैसे,
_ व: रामः ामं ग ता_
_पर व: अहं पु तकं प ठताि म_

अब
अ) राम जीवनभर याकरण पढ़े गा।
ब) अगले र ववार म गाँव जाऊँगा।
इन दोन वा यो को दे खये। दोन या आज के भ व य क नह है , तो इसम सामा य भ व य ( ल ृ ) न होकर
लु ह होना चा हए । सह न? ले कन ऐसा नह ं है । तो फर कौनसा लकार होगा? उसके लये ये सू दे खले....

*38) नान यतनवि या ब धसामी ययोः। (३।३।१३५)*


इस सू म कहा गया क इन दो संग म अन यतन नह ं होगा। अन यतन अथात ् (अन + अ यतन ) जो आजका
नह है । अथात ् इन दो संग म अन यतन न होके अ यतन ( आज का ) ह हो। कौन से दो स ग?
A) या ब ध: अथात ् या का सात य। कोई या सतत हो रह हो तो उसम आजके कालवाची लकारे हो यह
अथ।
जैसे उपरो त उदाहरण दे खे तो....

" राम जीवनभर याकरण पढ़े गा। " यह वा यमे पढ़ने क या सतत होगी। तो उसम ' प ठता '
ऐसा न होकर " रामः यावत ् जीवं याकरणम ् प ठ य त " ऐसे सामा य भ व य ह होगा।
ये सू भत ू और भ व य दोन के लए है तो भत ू काल का उदाहरण दे खले।
" राम जब तक िजया तबतक याकरण पढता रहा। "
ये या वैसे तो आज के भत ू काल क नह है इस लए अपठत ् ऐसा ह होना चा हए ले कन यहां या क
सात यता है इस लए सामा य भत ू काल ( लु ) ह होगा।
" यावत ् जीवं रामः याकरणम ् अपाठ त ्। "

B) सामी य: अथात ् समीपता।


वष म अनेक र ववार आते है , ले कन उनमसे जो आगामी र ववार है वह सबसे समीप है । तो वैसे तो उसमे
सामा य-भ व य ( ल ृ ) न होकर लु ( ग ताि म ) ह होना चा हए। ले कन सब र ववार म उनक
अ य त-सामी यता होने से सामा य-भ व य ह होगा। जैसे,
" आगामी र ववासरे अहं ामं ग म या म। "

ये बात भत
ू काल म भी लागू होती है । जैसे,
" राम पछले र ववार को ह गाँव गया। "
इसम भी " अग छत ् " होना चा हए। ले कन पछला र ववार बीते हुए सभी र ववार म अ य त-समीप है तो उसम
सामा य-भत ू ह होगा,
" रामः अ त ा ते र ववासरे ामं अगमत ्। "
आज तन सू हुये।

मशः......

★ याकरणलेख-11★
आज हम ल और लो लकार के सू करगे।

*39) व ध नम णाम णाधी टस न ाथनेषु ल (३।३।१६१)*

इस सू से व ध ल -लकार कहा कहाँ कहाँ हो यह दया है ।


A) व ध: - आ ापनम ्- ेरणम ् = आ ा दे ना या ेरणा दे ना।
रामः ामं ग छे त ् - राम गाँव जाए। यहा आ ा द गई है ।

B) नम णम ् - नयत पेण आ वानम ् = अव य नमि त करना।


मम गह
ृ े भवान ् आग छे त ् - मेरे घर आपको आना ह पड़ेगा। यहा आ हपव
ू क बल
ु ाना है ।

C) आम णम ् - कामचारे ण आ वानम ् = मा formality के लए बल


ु ाना, आये या न आये।
मम ज म दन स गे भवान ् आग छे त ् - य द समय मले तो आप मेरे ज म दन- स ग म आना।

D) अधी ट: - स कारपव ू कम ् आ वानम ् = कसी ये ठ वा पज ू नीय यि त को स कारपव


ू क बल
ु ाना।
मम पु म ् भवान ् उपनयेत ् - मेरे पु का उपनयन आप कराये।

E) स न: - स यक् नः = अ छ तरह न पछ ू ना।


कम ् अहम ् आग छे यम ् ? - या म आ सकता हु?

F) ाथनम ् - या ञा = ाथना
भव त मे ाथना भवान ् आग छे त ् - मेर आपसे वनंती है क आप आये।

*40) लो च (३।३।१६२)*
यह सू लो -लकार के लए है । इस सू म सू -36 से " _ व ध नम णाम णाधी टस न ाथनेष_
ु "क
अनवु ृ आती है । अथात ् िजस िजस अथ म ल होता है वहा लो भी होता है ।
इस लए यहां उपरो त उदाहरण ह लो -लकार म दे ते है ।

A) रामः ामं ग छत।ु


B) मम गहृ े भवान ् आग छत।ु
C) मम ज म दन स गे भवान ् आग छत।ु
D) मम पु म ् भवान ् उपनयत।ु
E) कम ् अहम ् आग छा न?
F) भव त मे ाथना भवान ् आग छत।ु
आज हमने दो सू कये।
मशः.........

★ याकरणलेख-12★
कल हमने व ध ल और लो -लकार दे खे।
आज आ श ल दे खते है ।

*41) आ श ष ल लोटौ। (३।३।१७३)*


इस सू से कसीको आशीवचन दे ना हो तो आ श ल होता है । आशीष अथात ् कोई इ ट व तु ा त हो उसक
कामना करना। जैसे,

चरं जी यात ् भवान ्। आप क उ ल बी हो।

यहा उपरो त सू से इसी अथ म लो भी हो सकता है ।


चरं जीवतु भवान ् । आप क उ ल बी हो।

एक दस
ू रा सू दे खे िजसके बारे म हम जानते ह है , उपयोग भी करते है ले कन सू पता नह है ।

दे वद : य: मि दरम ् ग छ त म।
इसी कार के वा यका हम उपयोग करते ह है । जब भत ू काल क या कहनी हो तब ल -लकार(वतमान काल)
का उपयोग करके भी भत ू काल का नदश कर सकते है । कैसे? म-श द का उपयोग करके। "उसका सू है ......

*42) अपरो े च। (३।२।११९)*


इस सू म " भतू , अन यतन, ल , मे " इन चार क अनव ु ृ आती है । अथ हुआ _अन यतन-भतू काल म
म-श द उपपद होने पर ल -लकार होता है ।_
दे वद : य: मि दरम ् ग छ त म। इस वा य म "ग छ त" यह पद ल (वतमानकाल) का है ले कन वा यमे
" म-श द" उपपद होने पर अथ तो भत ू काल का ह नकलेगा।
" दे वद कल मि दर गया था " ऐसा।

एक तीसरा सू दे खे िजसमे भी म-श द उपपद म हो तो या होगा।

*43) ल मे। (३।२।११८)*


इस सू म "भत
ू ,े परो े " इन दोन क अनव
ु ृ आती है । तो अथ हुआ _अपरो े अथात ् ल -लकार म भी
ल -लकार होगा, य द " म-श द" उपपद हो तो।_ जैसे,

_रामः वनं जगाम। राम वनमे गये।_


ये वा य ल -लकार का है क तु य द हम यहां भी ल -लकार का उपयोग करना चाहे तो सफ " म-श द" के
उपयोग से ह कर सकते है और फरभी अथ तो वह रहे गा।
_रामः वनं ग छ त म। राम वनमे गये।_
आज तीन सू कये।
मशः......

★ याकरणलेख-13★
आज हम ल ृ -लकार करगे। " य द राम पढ़े गा/पढता तो वो व वान ् बनेगा/बनता " - ऐसी वा य-रचना से हम
सप
ु र चत है ह । यह ल ृ -लकार है । ले कन उसको समझने क लए पहले एक और सू दे खना पड़ेगा।

*44) हे तह ु े तम
ु तो ल ( ३/३/१५६)*
हे तु = कारण
हे तम ु ान ् = फल/ या
हे त-ु हे तम
ु ान ् = कारण-काय का स ब ध
वा य म 'पढ़ना' कारण है , और ' व वान ् बनना' काय/फल ु त है ।

तो सू ाथ हुआ, _हे तु और हे तम
ु ान ् न म हो तो वहां ल -लकार होता है _
य द रामः पठे त ् त ह सः
व वान ् भवेत ्।

यह सू समझने के बाद अब य द हम ल ृ -लकार दे खे तो समझनम म सरलता होगी।

*45) ल - न म े ल ृ या-अ तप ौ (३/३/१३९)*


या-अ तप ी = या का स ध न होना।
ल का न म या है ? तो सू -41 अनस
ु ार होतु और हे तम
ु ान का संयोग याने कारण- या का स ब ध।

अब उपरो त वा य म " पढ़े गा तो व वान ् बनेगा " ऐसा कारण-काय स ब ध है । तो इसम या-अ तप कैसे
होगी? जब हम पता चले क राम पढ़नेवाला है ह नह , इस लए वो व वान ् बनेगा ह नह । अथात ् " न पढ़ने के
कारण व वान ् न बनना ह या क अ स ध ( या-अ तप ) " है । तो इस या-अ स ध म ल ृ -लकार
होगा।

य द रामः अप ठ यत ् त ह व वान ् अभ व यत ् = य द राम पढे गा तो व वान ् बनेगा ( वो पढे गा ह नह , इस लए


व वान ् बनेगा ह नह यह भावाथ )

ले कन,
राम ने पढा ह नह इस लए व वान ् न बन पाया। इस कार का भत
ू काल-वा य हो तो? उसके लए अगला सू है ।

*46) भतू े च ( ३/३/१४०)*


यहा सू -42 से पण ू सू क अनव
ु ृ आकर अथ बना _हे त-ु हे तम
ु ान न म क जो ल है उसम य द या क
स ध न ( या-अ तप ) हो तो भत ू काल म भी ल ृ -लकार होता है ।_

सू -42 म भ व य म होनेवाल या-अ तप म ह ल ृ -लकार था, इस सू से भत


ू काल म भी कह दया।

य द रामः अप ठ यत ् त ह सः व वान ् अभ व यत ् = य द राम पढता तो व वान ् बनता = राम पढा नह इस लए


व वान ् न बन सका।
हम दे ख सकते है क भत
ू और वतमान दोन म वा यरचना तो समान ह है , अप ठ यत ्-अभ व यत ्। इस लए
स दभ-अनस ु ार वा य का अथ समझना चा हए।

आज तीन सू कये।
मशः.......

★ याकरणलेख-14★
कल हमने लकार कये। आज कुछ वशेष सू करते है ।

*47) अ मदो वयो च। (१।२।५९)*


इस सू म " ए स मन ्, बहुवचनम ्, अ यतर याम ् " इन तीनो क अनव
ु ृ आकर अथ हुआ _उ म-पु ष म
एकवचन और ववचन म वक पसे बहुवचन होता है _
जैसे,
अहं पठा म। = म पढता हु।
इस वा य को इस तरह भी बोला जा सकता है ....

वयं पठाम: = हम पढते है । ( म पढता हु ऐसा अथ )

ववचन म भी इसी तरह....


आवां ग छाव:। = हम दोन जाते है ।
इसको इस तरह लख सकते है ...
वयं ग छाम:। = हम जाते है । ( हम दोन जाते है इस अथम )

ये वक प से होता है । इस लए प मे मल
ू वा य तो ह गे ह ...
अहं पठा म।
आवां ग छाव:।

ले कन वशेषण के पमे तो ऐसा नह होगा। जैसे,


अहं रामः पठा म।
आवां रामल मणौ ग छाव:।

इसको इस तरह नह लख सकते क .....


वयं रामः पठाम:।
वयं रामल मणौ ग छामः।

*48) पम
ु ान ् ि या। (१।२।६७)*
यहा " त ल ण: चेदेव वशेष, शेष: " क अनव ु ृ आकर अथ बना _पिु लंग-श द ी लंग-श द के साथ हो तो
मा पिु लंग-श द शेष रहता है , य द वहा मा ल गभेद ह वशेष हो, बाक सब कृ या द समान हो।_
जैसे,
ा मण और ा मणी = ा मणौ
यहा ा मण = पिु लंग
ा मणी = ी लंग
यहा पे सफ ल ग-भेद ह है तो यहां पिु लंग-श द शेष रहे गा और उसका ह ववचन होगा " ा मणौ " ऐसा।।
अथात ् " ा मणौ " इस श दसे " ा मण और ा मणी " दोन का हण हो जाएगा।

*49) ातप ृ ु ौ वसदृ ु हत ृ याम ्। (१।२।६८)*


यहा भी,
ात ृ और वस ृ म ात ृ शेष रहे गा।
पु और द ु हत ृ म पु शेष रहे गा।
ाता च वसा = ातरौ
पु : च द ु हता = पु ौ
अथात ् " ातरौ " श द से " भाई और बहन " दोन का हण हो जाएगा और " पु ौ " श द से " पु और पु ी " दोन
का हण हो जाएगा।

मम ातरौ आग छत:। मेरे भाई-बहन आ रहे है ।


मम पु ौ पठत:। मेरे पु और पु ी पढ रहे है ।

*50) पता मा ा। (१।२।७०)*


अथात ् पत-ृ श द के साथ य द मात-ृ श द हो तो पता-श द वक पसे शेष रहे गा।
अथात ् " पतरौ " श द से " माता और पता " दोन का हण हो जाएगा।
वक पमे " माता पतरौ " श द भी बनेगा।

एतौ मम पतरौ/माता पतरौ। = ये मेरे माता- पता है ।

*51) वशरु ः व वा। (१।२।७१)*


वसरु -श द व ू के साथ वक पसे शेष रहता है ।

एतौ मम वशरु ौ/ व ू वशरु ौ। ये मेरे सास-ससरु है ।

*52) यदाद न सव न यम ्। (१।२।७२)*


अथात ् _ यदा द-श द सबके साथ ( यदा द के साथ, यदा द- भ न के साथ भी ) न य पसे शेष रहता है , अथात ्
यहा वक प से वा य नह हो सकता।_
सः च रामः। = तौ
यः च कृ ण:। = यौ

ले कन य द दो यदा द-श द हो तो कौन शेष रहे गा? जैसे,


सः च यः = ?
यदा द-गण : य , त , य , एत , इदम ्, अदस ्, एक, व, यु म , अ म , भवत,ु कम ्।
" _ यदाद नां मथो यत ् यत ् परं तत ् श यते_ " इस वा तक से जो पर है ( बादमे आनेवाला ) वो शेष रहे गा।
सः और यः म यः बादमे आता है । तो वह शेष रहे गा।

सः च यः = यौ
यः च कः = कौ
आज हमने 6 सू कये।
मशः.......

★ याकरणलेख-15★
आज के लेख म कुछ सं ा-सू करते है । सं ा अथात ् या? तो यवहार म पु ज म के बाद उसका नामकरण करते
है िजससे क उसके साथ जीवनपय त यवहार कया जाए। य द नामकरण ह कसीका न कया जाय तो सो चये
कतनी सम या आयेगी!!!!! उसके साथ यवहार ह नह कर सकते।

याकरण म भी नामकरण- व ध पहले अ याय म ह क जाती है िजससे बाक के अ याय तक अ छा यवहार


कया जा सके। नामकरण- व ध को ह सं ा कहते है ।

*53) व ृ धरादै च ्। (१।१।१)*


अ वय - व ृ ध: आत ् ऐच ्
अथः - व ृ ध: = आ ऐ औ ( यहा ऐच ् याहार है , िजसमे 'ऐ औ' ये दो वण आते है । )
यह सू "व ृ ध" ऐसा नामकरण करती है । कसका? तीन वण का : आ ऐ औ
अथात ् जब भी " व ृ ध हो " ऐसा कहा जाए तो ये तीन वण उपि थत हो जायगे।

*54) अदे गण ु ः। (१।१।२)*


अ वय - अत ् ए गण ु :
अथः - गण ु : = अ ए ओ ( यहा ए याहार है िजसमे 'ए ओ' ये दो वण आते है । )
यह सू "गण ु " ऐसा नामकरण करती है । कसका? अ ए। ओ
अथात ् " गणु हो " ऐसा कहने पर ये तीनो उपि थत हो जायगे।

*55) हलोऽन तराः संयोगः। (१।१।७)*


गजे श द कन कन वण से बना है ?
गजे = ग ् अ ज ् ए न ् र् अ
यहा - अ ए अ तीनो वर है ।
यहा - ग ् ज ् न ् र् पाँचो यंजन है ।

गजे -श दमे दे खे तो "ग ् और ज ्" ये दो यंजन के म यमे "अ" वर आ गया। िजसको यवधान कहते है । इस
यवधान से "ग ् ज ्" इन दोन यंजनो के बीच अ तर(distance) हो गया।
ले कन "न ् र्" इन तीनो यंजन के म य म कोई भी वर नह है । अथात ् यवधान नह है । िजससे तीनो के बीच
कोई अ तर(distance) नह रहा (न अ तर = अन तर)।
तो इन तीनो क "संयोग" सं ा(नामकरण) हुई।
जबभी "संयोग" ऐसा कहा जाए तो ये समझना क यंजनो के बीच कोई वर का यवधान नह है ।
रा = र् आ ष ् र् अ
यहा "ष ् र्" क संयोग-सं ा होगी।

*56) सिु तङ तं पदम ्। (१।४।१४)&


अथः - सब ु त और तङ त श दो क पद-सं ा(नामकरण) होती है ।
रामौ = राम + औ
यहा राम-श द ा तप दक है । औ-श द सप
ु - यय है ।
अथात ् रामौ-श द सब
ु त है य क सप
ु ्- यय राम-श द के अ तमे है । तो उपरो त सू से "रामौ" क पद सं ा
हुई।

वैसे ह ,
पच त = पच ् + शप ् + तप ्
पच त = पच + तप ्
यहा पच-श द धातु है । तप ्-श द त - यय है ।
अथात ् पच त-श द तङ त है य क त - यय पच-धातु के अ तमे है । तो उपरो त सू से "पच त" क पद
सं ा हुई।

अथात ्,
राम-श द के जो " राम: रामौ रामा:" इ या द 21 प बनते है उन सबक पद-सं ा होगी।
पच ्-धातु के 10 लकार के जो "पच त/पचते, प य त/प यते, अपचत ्/अपचत, पचत/ु पचताम ्, पचेत ्/पचेत" इ या द
प बनगे उन सबक पद-सं ा होगी।

*57) त श सावधातक ु म ्। (३।४।११३)*


ये सू "सावधातक
ु " सं ा करता है ।
A) त अथात ् नीचे दए गए जो 18 यय है वे.......

पर मैपदके 9 यय
एक व बहु
थम तप ् तस ् झ
म यम सप ् थस ् थ
उ म मप ् वस ् मस ्

आ मनेपदके 9 यय
एक व बहु
थम त आताम ् झ
म यम थास ् आथाम ् वम ्
उ म इ वह मह

इन 18 ययो क सावधातक
ु -सं ा होती है ।

B) शत ् = श ् य य इत ् सः (श ् + इत ् = शत ्)
पीछे के लेखो ' लख त' क स ध समय इत ्-सं ा पढ गये है । फर पन
ु रावतन कर लेते है ।

शप ् एक यय है , िजसका उपयोग के समय सफ "अ" बचता है ।


रसोई बनाते समय स जी को ऐसे ह नह पकाते। पहले वचा को छ लते-काटते है । फर उपयोग म लेते है । वैसे ह ,
शप ्- यय को उपयोग म लेने से पहले आगे-पीछे छ लते-काटते है । अथात ् शप ् म आगे-ि थत श ् क और
पीछे -ि थत प ् क इत ्-सं ा करके " त य लोपः " सू से लोप कर दे ते है , और सफ "अ" शेष रहता है ।
तो शप ्- यय शत ् ( श ् य य इत ् अि त सः ) हुआ।
शत,ृ शानच ्, शस ्, यन ्, ना, नम ् इ या द शत ् है य क सभीके श ् क इत ्-सं ा होती है ।
इस लए उपरो त सू से शत ्-श दो क "सावधातक ु " सं ा होती है ।
*58) आधधातक
ु ं शेषः। (३।४।११४)*
यह सू "आधधातक ु " सं ा करता है ।

यहा "शेष:" अथात ् त - शत ् दोन से जो शेष रह गए उन सभीक "आधधातक ु " सं ा होगी।


अथात ्,
त, तवत,ु त य, त यत ्, अनीयर्, वल ु ्, तच
ृ ्, यु , इ या द क आधधातकु सं ा होगी।

आज हमने 6 सू कये।

म ो! जैसा क हमने 50 सू करने के लए यह लेखमाला शु क थी। वह पणू हुआ। अत: यह लेखमाला पण


ू करते
है । कुछ वराम के बाद अगले 50 सू के लए फर लेखमाला शु करगे। तब तक इन सू को याद रखने का
य न ज र क िजयेगा।

【 कसीको इस लेखमाला-अ तगत सभी सू क pdf file चा हए तो मेरे यि तगत न बर पे अपना Email-ID
भेज सकते है । 】

★ याकरणलेख-16★
म ो!
इससे पहले क लेखमाला म हमने 55 सू कये थे। इस दस
ू र लेखमाला म हम वहाँ से आगे बढ़ते है ।

English भाषा म better और best ये दो श द सबने सन


ु े ह है । ये तल
ु ना करने के अथ म उपयोग कये जाते है ।
जैसे,
Ram is better than Shyam.
राम याम से अ छा है ।
Ram is the best among the class.
राम परु े वग से अ छा है ।
तो सं कृत म या यव था है वह दे खते है ।

*59) अ तशायने तम ब ठनौ। (५।३।५५)*


ये सू best अथ के लए है । अथात ् कोई एक पा दस ू रे बहोत पा ो क तल
ु ना म अ छा हो तब।
अ तशायन = कष/सव े ठ/ the best.
तम ब ठनौ = तमप ् + इ ठन ् ये दो यय होते है ।
जैसे,
राम और से सबसे यादा धनवान (आ य ) है ।
आ य + तमप ् = आ यतम:
आ य + इ ठन ् = आ य ठः
फर इसके प "राम"श दवत ् बनते है ।
आ यतमः आ यतमौ आ यतमा: इ या द।
आ य ठः आ य ठौ आ य ठाः इ या द।
कृ ण बाक सभीसे यादा चतरु ( पटु ) है ।
पटु + तमप ् = पटुतम:
पटु + इ ठन ् = प ट ठ:
पटुतम: पटुतमौ पटुतमा:
प ट ठ: प ट ठौ प ट ठाः

ऐसे ह बहोत से श द बनाये जा सकते है ,


ब ल ठ: बलतम:
ढ ठ: ढतम:
ग र ठ: गु तम:
ल घ ठ: लघत ु म: इ या द।

ले कन य द सफ दो पा ो क तल
ु ना करना हो तो? उसके लए यह सू है ,

*60) ववचन वभ योपपदे तरबीयसनु ौ। (५।३।५७)*


ववचन और वभ य इन दोन से तरप ् और ईयसन ु ् ये दो यय होते है ।

A) ववचन :-
राम और कु ण म राम अ धक धनवान है ।
आ य + तरप ् = आ यतरः
आ य + ईयसन ु ् = आ यीयान ्

तरप ्- यया त के प रामवत ् ह गे।


आ यतरः आ यतरौ आ यतराः इ या द।
ईयसन ु ्- यया त के प ेयस ्-वत ् ह गे।
आ यीयान ् आ यीयांसौ आ यीयांसः

लव और कुश म लव अ धक चतरु है ।
पटु + तरप ् = पटुतर:
पटु + ईयसन ु ् = पट यान ्
पटुतर: पटुतरौ पटुतरा:
पट यान ् पट यांसौ पट यांसः इ या द।

ऐसे ह बहोत से श द बनाये जा सकते है ,


बल यान ् बलतर:
ढ यान ् ढतर:
गर यान ् गु तर:
लघीयान ् लघतु र: इ या द।

B) वभ य :-
अथात ् दो समह
ू म तल
ु ना हो रह हो तब भी ये दो यय होते है ।
मथरु ावासी पाट लपु वा सय से यादा चतरु है ।
माथरु ा: पाटल पु े य: पटुतरा: / पट यांसः।
पा डवा: कौरवे य: बलतरा: / बल यांस:।

यहा आ य पटु बल लघु गु , ये सभी गण ु वाची श द है । सारांश यह हुआ क इन गण


ु वाची श दो से चार यय होते
है :-
1) तरप ् 2) तमप ् 3) इ ठन ् 4) ईयसन
ु ्।

ले कन हमने " ीकृ ण वजयतेतराम ् " ऐसे श द सन


ु े ह ह गे। वैसे श द कैसे बनते है ?
वजयतेतराम ् = वजयते + तरप ्
वजयतेतमाम ् = वजयते + तमप ्

यहा हम दे ख सकते है क उपरके श दो म भी " पटुतर:/पटुतम: " क तरह ह "तरप ्/तमप ्" यय हो रहे है ।
ले कन "पटुतर: और वजयतेतराम ्" इन दोन म जो भ न बात है वो यह क "पटु"श द गण ु वाची है , जब क
" वजयते" तो तङ त(धात+ ु त )-श द है जो यावाची है ।
उपरके दो सू से तो तङ त से ये यय नह हो सकते। इसके लए पा ण नजी ने अलग सू ह बना दया, वह है ,

*61) तङ च। (५।३।५६)*
इस सू म उपरके दोन सू क अनव ु ृ आती है , िजससे तङ त से भी इस कार श द बनगे।
राम और याम म राम अ छ रसोई बनाता है ।
राम: पच ततराम ्।
पच ततराम ् = पच त + तरप ् + आम ्।
यहा तङ त-श द से "आम ्" श द भी होता है ।

राम परु े गाँव से अ छ रसोई बनाता है ।


रामः पच ततमाम ्।
पच ततमाम ् = पच त + तमप ् + आम ्।

यहा "तरप ् और तमप ्" ये दो ययो क या तो दखाई , ले कन बाक के दो यय ( इ ठन ् और ईयसन


ु ् ) से
कैसे श द बनते है ? उसके लए अगला सू है ,

*62) अजा द गणु वचनादे व। (५।३।५८)*


अजाद = िजसके आगे अच ्( वर) है वे यय, अथात ् इ ठन ् और ईयसन ु ्।
गणु वचन = गण
ु वाची श द
इस सू का अथ ये क _अजाद - यय(इ ठन ् और ईयसन ु ्) सफ गणु वाची श दो से ह होते है ।_ चु क
तङ त-श द तो यावाची होने के कारण उसमे अजाद - यय नह लगगे।

तो सारांश इस तरह हुआ :


>> गणु वाची श दो से चारो यय ह गे।
- पटुतर: (तरप ्)
- पटुतम: (तमप ्)
- पट यान ् (ईयसन
ु ्)
- प ट ठ: (इ ठन ्)

>> जब क तङ त- यावाची-श द से दो ह यय ह गे।


- पच ततराम ् (तरप ्)
- पच ततमाम ् (तमप ्)

अब यहां स ग आया है तो एक और सू कर लेते है ।


यहा चार यय म से जो "तरप ् और तमप ्" ये दो यय है उनक संयु त प से "घ" सं ा(नामकरण) होती है ।
कस सू से? इससे....

*63) तर तमपौ घः। (१।१।२२)*


अथात ् अ टा यायी म जहाँ भी "घ" सं ा का उ लेख हो वहाँ इन दो ययोक बात हो रह है ऐसा समझना चा हए।

आज पाँच सू कये।
मशः......

★ याकरणलेख-17★
हम दन त दन बहार क द ु नया के सा न य म आते है तो कुछ ऐसा दे खते है िजसक शंसा करने क इ छा
होती है । सामा यतया तो सं कृत म " शोभनम ्, उ मम ्, चकरम ्" इ या द श दो का उपयोग करते है । ले कन
कुछ और भी श द है िजसका उपयोग करने से सं कृतभाषा और मधरु लगने लगती है । उनके कुछ सू आज करगे।

*64) शंसायां पप ्। (५।३।६६)*


यहा " तङ च" क अनव ु ृ आकर अथ होता है , _ ा तप दक और त से शंसा अथ म पप ् यय होता है ।_
A) ा तप दक से :-
य द कोई चतरु हो तो हम कहते है , " सः अतीव पटु: अि त।" इस सू से हम ऐसा भी कह सकते है ,
" सः पटु प: अि त। "
अथात ् वह शंसा करने यो य इतना चतरु है ।
पटु प: पटु पौ पटु पा:।
पटु पा पटु पे पटु पा:।
पटु पम ् पटु पे पटु पा ण।
इस तरह राम/सीता/वन-श दावत ् प बनते है ।
पा ण न वैयाकरण प: अि त।
पा ण न शंसनीय वैयाकरण है ।

B) तङ त से :-
य द कोई अ छ रसोई करता हो तो हम कहगे, " सः स यक् पच त। "
इस सू से इस तरह भी कह सकते है ,
" सः पच त पम ्। "
वह शंसा क जाय इतना अ छा पकाता है ।
यहा "पच त पम ्" ऐसा नपस
ंु क लंग ह रहे गा और इसके इस तरह प बनगे,
पच त पम ् पचतो पम ् पचि त पम ्।
राम: लख त पम ्।
कृ ण: न ृ य त पम ्।

यवहारम हम कसी के वषय म बात करते समय उसको उपमा दे ते है । जैसे,


ये ऋि वक क तरह dance करता है ।
उपमा दे ने म थोड़ी यन ू ता तो रहती ह है । उपमेय पण
ू पसे उपमान जैसा नह हो सकता। अथात ् यहा वो ऋि वक
क अपे ा थोड़ा ह कम अ छा नाचता है । इस तरह क वा यरचना के लए सं कृत म कुछ व श ट श द योग
कये जा सकते है । जैसे,

*65) ईषदसमा तौ क प दे यदे शीयरः। (५।३।६७)*


ईषद-असमाि त = जो थोड़ा सा ह अपण ू हो।
क पप ्, दे य, दे शीयर् = ये तीन यय होते है ।
और ये " ा तप दक और तङ त" दोन से होते है ।
A) ा तप दक से :-
वह थोड़ा सा ह कम चतरु है ।
" सः पटुक प: अि त। "
" सः पटुदे य: अि त। "
" सः पटुदे शीय: अि त। "

वह थोड़ा सा ह कम व वान ् है ।
" सः व व क प:/ व व दे य:/ व व दे शीय: अि त।
पटुक प: पटुक पौ पटुक पा:।
पटुक पा पटुक पे पटुक पा:।
पटुक पम ् पटुक पे पटुक पा न।
इस कार पटुदे य/पटुदे शीय के भी तीनो ल गो म प बनते है ।

B) तङ त से :-
वह थोड़ा सा ह कम अ छा पकाता है ।
" सः पच तक पम ्। "
" सः पच तदे यम ्। "
" सः पच तदे शीयम ्। "
यहा भी नपसु क
ं ल ग ह होता है । और प इस तरह बनते है ,
पच तक पम ् पचत:क पम ् पचि तक पम ्।
पच तदे यम ् पचतोदे यम ् पचि तदे यम ्।
पच तदे शीयम ् पचतोदे शीयम ् पचि तदे शीयम ्।

अब इसी अथम (ईषद-असमाि त अथम) केवल सब


ु त से ह एक और ( बहुच ् नामका ) यय होता है ,

*66) वभाषा सपु ो बहुच ् परु तात ् त।ु (५।३।६८)*


इस सू म भी " ईषद-असमाि त:" क अनव ु ृ आती है । ले कन इस सू म तीन बात वशेष है ,
- यह बहुच ्- यय सफ सबु त से ह होता है , तङ त से नह ।
- यह बहुच ्- यय वक प से होता है । अथात ् प म क पप ्/दे य/दे शीयर् ये तीनो यय तो ह गे ह ।
- यह बहुच ्- यय सब
ु त से आगे लगता है , नह क पीछे ।

" सः बहुपटु: अि त। "


वह थोड़ा सा ह कम चतरु है ।
प म,
" सः पटुक प: अि त। "
" सः पटुदे य: अि त। "
" सः पटुदे शीय: अि त। " ये तीनो भी होते है ।
यहा दे ख सकते है क,
'पटुक प:' म क पप ्- यय पीछे लगा है । जब क 'बहुपटु:' म बहुच ्- यय आगे लगा है ।

" सः बहुपि डत: अि त। "


वह थोड़ा सा ह कम पि डत है ।
बहुपि डत: बहुपि डतौ बहुपि डताः।
इस तरह लंगानस ु ार प बनते है ।

एक और यय भी होता है ।

*67) कारवचने जातीयर्। (५।३।६९)*


यहा भी " सप ु : " क अनव ु ृ आकर अथ बना _सब
ु त से कारवचन अथ म जातीयर्- यय होता है ।_
पि डतजातीय:।
पटुजातीय:।
मद ृ ज
ु ातीय:। इ या द प बनते है ।
सारांश यह हुआ क ,
>> ा तप दक और तङ त से चार यय होते है ,
- पप ् ( शंसा )
- क पप ्/दे य/दे शीयर् ( ईषद-असमाि त)

>> सबु त से दो यय होते है ,


- बहुच ् ( ईषद-असमाि त)
- जातीयर् ( कार )

आज हमने चार सू कये।


मशः.........

★ याकरणलेख-18★
" कतने लोग थे?"
" इतने सारे लोग थे"
" िजतने लोग थे उतने ह घर थे"
ये सभी वा यो के लए अ टा यायी म कौन से सू है वह आज हम दे खगे।

*68) य दे ते यः प रमाणे वतप ु ्। (५।२।३९)*


अथात ् _य , त , एत इन तीनो से प रणाम-मापने के अथम वतपु ्- यय होता है ।_
A)य
> यावान ् - पु लंग म
यावान ् याव तौ याव त: इस कार भगवत-वत ् प बनते है ।
> यावती - ी लंग म
यावती याव यौ याव य: इस कार नद -वत ् प बनते है ।
> यावत ् - नपस ंु क लंगम
यावत ् यावती यावि त इस का जगत-वत ् प बनते है ।
B) त
> तावान ् - पु लंग म
तावान ् ताव तौ ताव त:
> तावती - ी लंग म
तावती ताव यौ ताव य:
> तावत ् - नपस ंु क लंग म
तावत ् तावती तावि त

C) एतत ्
> एतावान ् - पु लंग म
एतावान ् एताव तौ एताव त:
> एतावती - ी लंग म
एतावती एताव यौ एताव य:
> एतावत ् - नपस ंु क लंग म
एतावत ् एतावती एतावि त

उदाहराणा न :-
- याव त: जना: भारते ताव त: सव सं कृतम ् जा नय:ु इ त अ माकम ् य नम ् भवेत ्।
- यावती: न य: अशु धा: रा े तावती: सवा: शु धा: करणीया:।
- यावत ् धनम ् द र : मासा तरे अज त तावत ् तु आ यैः एकि मन ् दने ययी यते।

*69) क मद यां वो घः। (५।२।४०)


इस सू म 'वतप ु ् और प रमाणे' इन दो श दो क अनव ु ृ आकर सू ाथ हुआ _ कम ् और इदम ् इस दो श द से भी
वतपु ्- यय होता है और उस 'व' का 'घ' हो जाता है ।_
फर उस 'घ' के थानम 'इय' हो जाता है ।
A) कम ्
> कयान ् - पु लंग मे
कयान ् कय तौ कय त:
> कयती - ी लंग म
कयती कय यौ कय य:
> कयत ् - नपस ंु क लंग म
कयत ् कयती कयि त
B) इदम ्
> इयान ् - पु लंग म
इयान ् इय तौ इय त:
> इयती - ी लंग म
इयती इय यौ इय य:
> इयत ् - नपस ंु क लंग म
इयत ् इयती इयि त

उदाहरणा न :-
- कय त: ा मणा: आग म यि त?
- इय त: ा मणा: आयाि त।
- कय य: ा म यः सि त?
- इय य: सि त।
- कयत ् धनम ् द यते?
- इयत ् धनम ् दा या म।

*70) कमः स याप रमाणे ड त च। (५।२।४१)*

य द सं या का प रमाण वव त हो तो कम ्-श द से ड त(अ त)- यय भी होता है जो तीन ल गो म समान ह


होगा और न य-बहुवचन म होगा। और प म पछले सू से वतप ु ् भी होगा िजसके 'व' को 'घ' और 'घ' को 'इय'
आदे श होगा।

- क त ा मणा: आग म यि त?
प म पछले सू क ह तरह,
- कय त: ा मणा: आग म यि त?

*71) स याया अवयवे तयप ्। (५।२।४२)*


स या के अवयव को दशाने के लए तयप ्- यय होता है ।
अवयव अथात ् भाग। जैसे,
' वत ृ यः प चत य: ि ल टाि ल टा: ' - योगसू
' व ृ त के पांच अवयव/भाग होते है ' - योगसू
> प चतय: / दशतय: - पु लंग म
> प चतयी / दशतयी - ी लंग म
> प चतयम ् / दशतयम ् - नपस ंु क लंग म

आज चार सू कये।
मशः........

★ याकरणलेख-19★
" लै यम ् मा म गम: " = नपस ंु कता क और मत जाओ। -भगव गीता
ये वा य हमने सन ू ा ह है िजसमे "मा" श द नषेध-करने अथम उपयु त हुआ है । ले कन न ये क 'गमः' ये
कौनसा प है ? वा तवमे वहा 'अगमः' ऐसा ( लु -लकार का म यम पु ष-एकवचन का) प है िजसमे 'मा'श द
उपपद म होने के कारण 'अ' हट गया है । तो ये 'अ' कस सू से आता है , कब जाता है , इस पर सू -स हत वचार
आज करगे।
पहले दे खते है क 'अ ' कौनसे सू से कहा कहा आता है ।

*72) लु ल ल ृ वडुदा ः। (६।४।७१)*


हमने दे खा था क 10 लकारे होते है सं कृत म।
उनमे से तीन लकार " लु / ल / ल ृ " इन तीनो म आगे 'अ ' आता है । फर ' ' तो _हल यम ्_ सू से इत ्-सं ा
पाकर _त य लोपः_ सू से हट जाता है और केवल 'अ ' बचता है ।
लु (अ यतन-भत ू ) = रामः अगमत ् = राम गया।
ल (अन-अ यतन-भत ू ) = रामः अग छत ् = राम गया।
ल ृ = य द रामः अग म यत ् = य द राम जाता

यहा दे ख सकते है तीनो लकारो म 'अ ' आता है ।

अब ये दे खे क ये 'अ ' कहा नह होता है ।

*73) न मा योगे। (६।४।७४)*


अथात ् नषेधा मक 'मा '-श द उपपद म हो तो 'अ ' नह होता है । जैसा क ऊपर के गीता-वा य म दे खा क
'मा'-श द के उपपद रहने पर 'अगमः' का 'अ ' हट जाता है और केवल 'गमः' शेष रहता है । 'मा ' म ' ' क इत ्-सं ा,
फर लोप होकर 'मा' शेष रहता है ।

अब 'मा ' वषयक सू को दे खते है ।

*74) मा ङ लु । (३।३।१७५)*
अथात ् 'मा ' उपपद हो तो ल -लकार होता है ।
- मा काष त ् = वह मत करे
- मा हाष त ् = वह हरण मत करे
- मा गमत ् = वह न जाए
यहा तीनो उदाहरण म 'न मा योगे' इस सू से 'अ ' हट गया है ।

*75) मो रे ल च। (३।३।१७६)*
इस सू म ' मा ङ लु ' क अनव ु ृ आकर अथ बनेगा _मा के साथ ' म' भी हो तो ल -लकार भी होता है ,
लु -लकार तो होता ह है ।_
- मा म करोत ् = वह मत करे
- मा म हरत ् = वह हरण मत करे
- मा म ग छत ् = वह न जाए
यहा भी 'न मा योगे' सू से 'अ' हट गया है ।

आज हमने चार सू कये।


मशः.......
★ याकरणलेख-20★
" गण
ु वान ् "
" शि तमान ् "

ये दो श द का अथ है , " गण
ु वाला और शि तवाला "। अथात ् कोई यि त है िजसमे गण ु है या शि त है । य द अथ
समान ह है तो फर गण ु -श द से 'वान ्' और शि त-श द से 'मान ्' य ? कहा 'वान ्' और कहा 'मान ्' लगाये? उसके
लए कुछ सू है अ टा यायी म। आज वो दे खगे।

*76) तद य अ यि मि न त मतप ु ्। (५।२।९४)*


य द कोई व तु कसीक (अ य) हो या कसीम ( अि मन ् ) हो तो मतप
ु ् यय होता है ।
जैसे,
गणु इसम/इसके है वह - गण
ु वान ्
शि त इसम/इसक है वह - शि तमान ्

ले कन कहा 'वान ्' और कहा 'मान ्' ?

*77) मादपु धाया च मतोव ऽयवाऽ द यः। (८।२।९)*


इस सू से चार जगह पर मकार का वकार होता है ।
A) मकारा तश द(मकार िजसके अ तमे है ) -
- कम ् + मतम ु ्
- कम ् + वतप ु ्
- कम ् + वत ्
- कम ् + वान ्
यहा ' कम ्'श द मकारा त है इस लए उ त सू से मकार के थान म वकार होकर ' कंवान ्' हो गया। जो कम ्- कम ्
करता है वह नौकर = कंवान ्
- शंवान ् = शाि तवाला

B) मकारोपधात ्(मकार िजसक उपधा म है ) -


उपधा अथात ् कोई श द म सबसे पीछे जो वण हो उसके आगे का वण 'उपधा' कहलाता है , जैसे,
- शमी-श द म ( श ् अ म ् ई ) यह चार वण है । सबसे पीछे 'ई' है । तो उसके आगे जो वण है याने क 'म ्' उसको
(मकार को) उपधा कहते है । उस मकार-उपधा वाले श दो से भी 'मान ्' का 'वान ्' होता है ।
शमीवान ् = शमी व ृ वाला
दा डमीवान ् = छोट इलायची वाला

C) अकारा त(अ िजसके अ तमे है ) -


- व ृ श द अकारा त है । तो वहाँ भी 'मान ्' क जगह 'वान ्' होगा।
- व ृ वान ् = व ृ वाला
- मालावान ् = माला वाला ( यहा अकार से आकारा त का भी हण होता है )

D) अकारोपधात ्(अकार िजसक उपधामे है ) -


- यशस ् इस श द म ( य ् अ श ् अ स ् ) सबसे पीछे स ्-वण है िजसके आगे 'अ ' है । अथात ् यशस ्-श द अकार
उपधावाला है तो उसम भी 'मान ्' क जगह 'वान ्' होगा।
- यश वान ् = यश वाला
- पय वान ् = दध
ू वाला

अब हम दे ख सकते है क 'शि त'-श द ना तो अकार/मकार उपधावाला है , नाह अकारा त/मकारा त है । इस लए


उसमे 'मान ्' ह रहा। शि तमान ् = शि तवाला
वायम
ु ान ् = वायव
ु ाला

अब 'अि न चत ्' श द म या होगा? वैसे तो उसम भी 'मान ्' ह होना चा हए। ले कन एक और सू है िजससे उसमे
'वान ्' होता है ।

*78) झयः। (८।२।१०)*


यहा झय ् एक याहार है । याहार अथात ् कुछ नि चत वण का समह ू ।
झय ् = झ ् भ ् घ ् ध ् ज ् ब ् ग ् ख ् फ् थ ् च ् त ् क् प ् इतने वण होते है ।
दस
ू रे श द म कहे तो वग के थम- थम चार वण। अथात ्

क् ख् ग् घ्
च् ज् झ्

त् थ् ध्
प ् फ् ब ् भ ्
ये सभी वण िजसके पीछे हो उन सभी वण से 'वान ्' होता है । जैसे,
अि न चत ् = अि न च वान ् -अि न-आधान
करनेवाला
श = श वान ् - प थरवाला
व यत ु ् = व यु वान ् - व यत
ु वाला

आज हमने तीन सू कये।


मशः.......

★ याकरणलेख-21★
" पहले मेरा चहे रा साँवला था। जबसे fair & lovely लगाना शु कया, मेरा चहे रा एकदम गौरा हो गया "। इस तरह
क add न चाहते भी रोज दे खते है । इसको याकरण के साथ जोड़े तो यहां दो घटनाएं होती है ।
> चहे रे का याम होना ( अथात ् गोरा न होना)।
> बादमे चहे रा गोरा हो जाता है ।
अथात ् जो पहले नह था, वो हो जाता है । इस तरह के या य-भाव सं कृत म कट करने के लए 'ि व' का योग
होता है । सू दे खे...

*79) अभत ू त भावे कृ वि तयोगे स प यकत र ि वः। (५।४।५०)*


अभतू ् = न भत
ू = जो नह था
त भाव = त य भाव = जो होता है
यहा,
Fair & lovely मख
ु म ् धवल करो त।
जो मखु धवल नह था उसको धवल करता है । इस अथ म सं कृतमे 'ि व- योग' होता है ।
कुछ नयम दे खते है ।

*>*धवल करो त इस श द म धवल+कृ धातु है । ले कन उ त सू से तीन धातु का उपयोग कर सकते है :-


- धवल करो त (धवल करता है )
- धवल भव त (धवल होता है )
- धवल यात ् (धवल हो)

*>* यहा कृ/भ/ू अि त तीनो के कोई भी प उपयोग म ला सकते है :-


- धवल करो त, धवल करोत,ु धवल क र य त, धवल कृतः, धवल कृतवान ्, धवल कतम
ु ्, धवल कृ य, इ या द।
उसी तरह भू और अि त म भी समजे।

*>* भतू काल के योग म आगे 'अ' आता है । जैसे, अकरोत ्, अभवत ्, िजससे ि व- प म थोड़ी बाधा ना आये
इस लए भत ू काल म त- तवतु का योग कर सकते है :-
- शु ल कृतः, यामीकृतवान ्
- दख
ु ीभतू ा, सखु ीभत
ू वान ्
- घट भतू म ्, घट कृतवान ्

*>* ले कन य द अकरोत ्, अभवत ् इ या द का योग करना हो तो सि ध अव य करनी होगी।


- शु यकरोत ् ( शु ल -अकरोत ्)
- सा वभतू ् (साध-ू अभत
ू ्)

*>* वा- यय के थान म यप ्- यय होता है :-


- दख
ु ीकृ य, यामीकृ य
- शु ल भयू , यामीभयू

*>* अकारा त/आकारा त श दो के थान म 'ई' होता है :-


- ाम - ामीकरो त।
- ख वा - ख वीभव त
इसके लए जो सू है वह दे खते है ।

*80) अ य वौ। (७।४।३२)*


यहा 'ई' क अनव
ु ृ आकर सू ाथ हुआ _अकारा त/आकारा त से ि व- योग म 'ई' होता है ।_

> इकारा त/उकारा त श दो म द घ होता है :-


- शु च - शचु ीकरो त,
- अि न -अ नीभव त
- साधु - साधक ू रो त
- पटु - पटूभव त
इसके लए जो सू है वह दे खते है ।

*81) वौ च। (७।४।२६)*
यहा 'द घ' क अनव
ु ृ आकर सू ाथ बना _अज त अ ग को ि व- योग म द घ होता है ।_
> ले कन यहां एक अपवाद है । ऋकारा त श दो से उपयु त सू से 'ॠ' ऐसा द घ होना चा हए था ले कन एक और
सू से वहाँ द घ न होकर ऋकारा त श दो से 'र ' होता है । सू दे खते है ।

*82) र ऋतः। (७।४।२७)*


यहा 'ि व' क अनव ु ृ आकर सू ाथ हुआ _ऋकारा त श दो म 'ऋ' के थान म ि व- योग म 'र ' होता है ।
- मात ृ - मा ीकरो त
- पत ृ - प ीभत ू :
- कत ृ - क भत ू ा

*>* एज त(ए/ऐ/ओ/औ िजसके अ तमे है ) श दो म कोई प रवतन या वकृ त नह होती है :-


- से - सेभत ू ् ( वह कामदे व हो गया)
- रै - रै करो त (धनवान करता है )
- गो - गोभव त ( बछडी गाय होती है )
- लौ - लौभत ू ् ( वह च मा हो गया)

>>> >> अयो यायाम ् दशरथो नाम राजा। पौरा: *सख ु ीभवेय:ु * इ येव त य इ छा। सः सववेदान ्
*क ठ थीकृतवान ्*। * प ीभ वत*ंु तेन ई वर: * ाथनीकृतः*। तेन च वारः पु ा: अभवन ्। य म ् * न व नीकतम ु ्*
व वा म : रामल मणौ नतवान ्। तत: धन:ु *भ गीकृ य* सीताम ् प नी पेण *अ गीकरो त* म। सीता अ प
* स नीभत ू ा*। कैके या या चतेन वरे ण रामः *तापसीभय ू * वनम ् गतवान ्। सीता-ल मणौ च अनग ु छत: म।
भरत: " *मा ीभय ू * एवं कृ तवती" इ त उ वा कु पत: अभवत ्। वने मार च: रावण य आदे शने *म ग
ृ ीभव त* म।
रावण: *साधभ ू य
ू :* सीतायाः अपहरणम ् कृतवान ्। भयेन सा *कातर भत ू ा*। क पसेना राम य साहा यम ् कृतवती।
रामः तेन * स यभवत ्*( स नी-अभवत ्)। सीता *दःु खी यात ्* इ त म वा रामः ल काया उप र आ मणम ्
कृतवान ्। रावणम ् *भ मीकृ य* सतां *मु तीकरो त* म । अनेन "स यमेव जयते" इ त स धा त:
* प ट भव त*।

आज हमने चार सू कये।


मशः........

★ याकरणलेख-22★
भू > भव त
अस ् > अि त
नश ् > न य त
आप ् > आ नो त
कृ > करो त
अश ् > अ ना त

ये सब थम-पु ष-एकवचन के प है । इनको दे खके लगता है क सं कृत म यापद के कोई नयम है क


नह ?!!!! अलग अलग प य बनाये? य द एक जैसे प बनाये होते ( जैसे, ग छ त, कर त, नश त, अस त) तो
याद रखने म कतना सरल होता। ऐसी फ रयाद शु आत म सबको होती ह है ।
ले कन ये भ न भ न दखने वाले पो के पीछे परू ा एक व ान है । इस लए ये अलग अलग द खते है । आज
उसके वषय म दे खगे।
ये भ नता दखती है उसका कारण है " वकरण"। अथात ्? ये वकरण एक यय है । जैसे ल , लु इ या द यय
है वैसे ह । और इस वकरण- यय के कारण ह सं कृत म सभी धातु (जो लगभग 2000 है ) दश गण म वभािजत
हुए है । और सभी गण के भ न भ न वकरण- यय है । इस लए ह धातओ ु ं से भ न भ न यापद बनते है ।
आइये, सू के साथ दे खते है दश गणो के नाम, और सभी के वकरण- यय को।

*83) कत र शप ्। (३।१।६८)*
यहा जो 'शप ्' है वो वकरण- यय है । वैसे तो इस सू से सभी गणो म शप ्- वकरण- यय ह होते है । ले कन फर
अलग अलग सू से शप ् के अपवाद- प भ न भ न वकरण होते है । इस लए दो ह गण म शप ्- यय होता है :-

◆◆◆> थम गण म शप ् होता है । थम-गण का नाम है :- वा द: गण:। गण के नाम कस कार से हुए? तो


गण क जो थम धातु हो उसके नाम से ह उस गण का नामकरण होता है । जैसे, थमगण क धातंु 'भ'ू है । िजससे
थमगण का नाम हुआ ' वा द: गण: (भू िजसके आ द म है वह) तो इस वा दगण म शप ् होता है ।
- भू + शप ् + तप ् = भव त
- प + शप ् + तप ् = पठ त
- खा + शप ् + तप ् = खाद त

◆◆◆> दशम गण म भी शप ् वकरण- यय होता है । दशमगण म थम धातंु है :- चरु ।् इस लए गण का नाम


हुआ 'चरु ा द: गण:'।
ले कन चरु ा दगण म एक व श ट बात ये है क उसम वकरण- यय लगने से पहले ' णच ्' यय भी होता है और
उसके बाद शप ्- यय होता है ।
- चरु ् + णच ् + शप ् + तप ् = चोरय त
- कथ ् + णच ् + शप ् + तप ् = कथय त
- च त ् + णच ् + शप ् + तप ् = च तय त

यहा कस सू से चरु ा दगण म णच ्- यय होता है वह दे खते है :-

*84) स यापपाश पवीणातल


ू लोकसेनालोम वचवमवणचण
ू चरु ा द यो णच ्। (३।१।२५)*

◆◆◆> दस ु रा गण है :- अदा द: गण:।


इस गण म भी पहले तो शप ् ह होता है ले कन एक व श ट सू से उसका लक
ु ् हो जाता है । लक
ु ् अथात ् अ य हो
जाना।

*85) अ द भ ृ त यः शपः। (२।४।७२)*


- अ + शप ् + तप ्
अ + 0 + तप ् = अ
- अस ् + शप ् + तप ्
अस ् + 0 + तप ् = अि त
- हन ् + शप ् + तप ्
हन ् + शप ् + तप ् = हि त

◆◆◆> तीसरा गण है :- जह ु ो या द: गण:।


इस गण म भी पहले शप ् होकर फर एक सू से उसके थान म ' ल'ु हो जाता है ।
*86) जह ु ो या द यः लःु । (२।४।७५)*
यहा ' ल'ु होने के बाद धातंु का व व हो जाता है यह आशय है लु करने का।
- हु + शप ् + तप ्
हु + लु + तप
हु + हु + तप ्
जु + हु + तप ् = जहु ोत
- दा + शप ् + तप ्
दा + लु + तप ्
दा + दा + तप ् = ददा त
- भी + शप ् + तप ्
भी + लु + तप ्
भी + भी + तप ् = बभे त
यहा कस सू से व व होता है वह दे खते है :-

*87) लौ। (६।१।१०)*


यहा पर " एकाचः वे थम य अजादे ः वतीय य धातोः अन यास य " इन सबक अनव ु ृ आती है । सामा य
अथ यह क _ लौ जहा हो (जह
ु ो या द गण म ह होता है ) वहां धातंु को व व होता है ।_

आज हमने पाँच सू कये।


मशः.....

★ याकरणलेख-23★
पछले लेख म हमने वकरण- यय के वषय म दे खा क :-
◆◆◆> थमगण- वा दगण का वकरण- यय = शप ्
◆◆◆> वतीयगण-अदा दगण का वकरण- यय = शप ्, िजसका बाद म लक ु ् हो जाता है ।
◆◆◆> तत ृ ीयगण-जह
ु ो या दगण का वकरण- यय = शप ्, िजसके थान म लु होता है ।
◆◆◆> दशमगण-चरु ा दगण का वकरण- यय = शप ्

अब आगे दे खते है :-

◆◆◆> चतथ ु गण है :- दवा द: गण:।


इस गण का वकरण- यय इस सू से होता है :-

*88) दवा द यः यन ्। (३।१।६९)*


यहा ' यन ्' वकरण- यय है जो शप ् के थान म होता है ।
- दव ् + शप ् + तप ्
दव ् + यन ् + तप ् = द य त
- सव ् + शप ् + तप ्
सव ् + यन ् + तप ् = सी य त
- नतृ ् + शप ् + तप ्
नत
ृ ् + यन ् + तप ् = न ृ य त
◆◆◆> प चमगण है :- वा द: गण:।
इस गण का वकरण- यय इस सू से होता है :-

*89) वा द यः नःु । (३।१।७३)*


यहा ' न'ु वकरण- यय है जो शप ् के थान म होता है ।
- सु + शप ् + तप ्
सु + नु + तप ् = सनु ोत
- आप ् + शप ् + तप ्
आप ् + नु + तप ् = आ नो त
- शक् + शप ् + तप ्
शक् + नु + तप ् = श नो त

◆◆◆> ष ठगण है :- तद
ु ा द: गण:।
इस गण का वकरण- यय इस सू से होता है :-

*90) तदु ा द यः शः। (३।१।७७)*


यहा 'श' वकरण- यय है जो शप ् के थान म होता है ।
- तु + शप ् + तप ्
तु + श + तप ् = तद ु त
- मल ् + शप ् + तप ्
मल ् + श + तप ् = मल त
- लख ् + शप ् + तप ्
लख ् + श + तप ् = लख त

◆◆◆> स तमगण है :- धा द: गण:।


इस गण का वकरण- यय इस सू से होता है :-

*91) धा द यः नम ्। (३।१।७८)*
यहा ' नम ्' वकरण- यय है जो शप ् के थान म होता है । ले कन इस नम ्- वकरण- यय क वशेषता यह है क
वह धातु के बाद म न होकर धातु के बीच म होता है । कैसे और कहा होता है वह आगे के लेख म दे खगे।
- ध ् + शप ् + तप ्
ध ् + नम ् + तप ्
नम ् ध ् + तप ् = ण ध
- भ + शप ् + तप ्
भ + नम ् + तप ्
भ नम ् + तप ् = भन
- छ + शप ् + तप ्
छ + नम ् + तप ्
छ नम ् + तप ् = छन
आज हमने चार सू कये।
मशः.......

★ याकरणलेख-24★
पछले लेख म हमने स तमगण तक वकरण- यय कये थे। आज आगे बढ़ते है ।

◆◆◆> अ टमगण है :- तना द: गण:।


इस गण का वकरण- यय इस सू से होता है :-

*92) तना दकृ यः उः। (३।१।७९)*


यहा 'उ' वकरण- यय है जो शप ् के थान म होता है ।
- तन ् + शप ् + तप ्
तन ् + उ + तप ् = तनो त
- कृ + शप ् + तप ्
कृ + उ + तप ् = करो त
- तण ृ ् + शप ् + तप ्
तणृ ् + उ + तप ् = तणृ ोत

◆◆◆> नवमगण है :- या द: गण:।


इस गण का वकरण- यय इस सू से होता है :-

*93) या द यः ना। (३।१।८१)*


यहा ' ना' वकरण- यय है जो शप ् के थान म होता है ।
- + शप ् + तप ्
+ ना + तप ् = णा त
- अश ् + शप ् + तप ्
अश ् + ना + तप ् = अ ना त
- व ृ + शप ् + तप ्
व ृ + ना + तप ् = वण
ृ ात

दशमगण के बारे म पहले ह दखाया गया है ।

ले कन यहां यह बात याद रखनी ज र है क वकरण- यय अपने मल ू व प म उपयोग म नह आता। जैसे


ग ने को खाने से पहले उसके छलके को नकाल ने के बाद म खाया जाता है वैसे ह याकरण म कोई भी यय
को काट-झाट के ह उपयोग म लया जाता है ।
यहा फर से मल ू वकरण- यय और उसका उपयोग म आनेवाले प को फर से दे खते है ।
*गण* *मल ू - वकरण* *उपयोगी- वकरण*
थम शप ् अ
वतीय शप ् लक ु ् होने से कोई वकरण नह
तत
ृ ीय शप ् लु होने से कोई वकरण नह
चतथ ु यन ् य
प चम नु नु
ष ठ श अ
स तम नम ् न
अ टम उ उ
नवम ना ना
दशम शप ् अ

यहा सव पहले तो व वध सू से इत ्-सं ा होती है और बादमे 'त य लोपः' इस सू से लोप (काट-झाट) होती है ।
फर बचे हुए वकरण- यय का ह उपयोग होता है ।
अ टमगण का वकरण- यय 'उ' है िजसमे कसी क इत ्-सं ा श य न होने से कसीका लोप भी नह होता
िजससे 'उ' ह रहता है ।

आज हमने दो सू कये।
मशः.......

★ याकरणलेख-25★
राम: लखन ् अि त। कृ ण: लख तम ् रामं प य त। लखता रामेण उ तं यत ् कथं अि त कृ ण इ त। कृ ण:
लखते रामाय पु पम ् द वान ्। लखत: ह तात ् पु पम ् प ततम ्। लखत: राम य ने ा याम ् अ ु अपतत ्। लख त
रामे कृ ण: ि न य त।

यहा लख ्-धातु के शत-ृ यया त प दए गए है । ले कन ी लंग म तो क ह पर 'ग छ ती' होता है और क ह पर


'कुवती' होता है अथात ् क ह पर 'न' होता है क ह पर 'न' नह ं होता।
तो उसके नयम या है ? हमे कैसे पता चले क कहा 'न' लगाये और कहा नह ं। पछले लेख म हमने दश-गण के
नाम और उनके वकरण- यय कर लए है इस लए यह वषय समजने म आसानी होगी।
ले कन उसके पहले दो सं ा सू दे ख लेते है :-

*94) य मात ् यय व ध तदा द ययेऽ गम ्। (१।४।१३)*


यह 'अ ग' कसको कहते है उसके लए सं ा सू है । हम उदाहरण स हत इस सू को समजते है ।
पठ त = प +शप ्+ तप ्
यहा प -धातु से दो यय हुए :- शप ् और तप ्
तो प से यय हुआ इस लए प क 'अ ग' ऐसी सं ा हुई। अथात 'शप ्' क ि ट म 'प ' का नाम 'अ ग' है ।
और ' तप ्' क ि ट म प + शप ् ये दोन है अ ग हुए।

अब आगे दे खते है । शप ् म श ् और प ् क इत ्-सं ा होकर दोन का _त य लोप:_ इस सू से लोप होकर सफ 'अ'


बचता है ये भी पछले लेख म हमने दे खा। और तप ् म भी प ् क इत ्-सं ा और फर लोप हो गया अथात ्
"प +अ+ त" ऐसा रहा। तो यहा 'अ' क ि ट म 'प ' क अ ग-सं ा हुई और ' त'क ि ट म 'पठ' ( प + अ ) क
अ ग-सं ा हुई।

अब दस
ू र सं ा दे खते है : नद । यवहार म हम िजसको नद बोलते है उसक बात यहा नह हो रह बि क नद
एक याकरण सं ा है सू है :-

*95) यू या यौ नद । (१।४।३)*
यहा यू = ई + ऊ
फर सं ध होकर 'य'ू बना।
सू का सामा य अथ हुआ _ईकारा त और ऊकारा त ीवाची श द क नद सं ा होती है _ जैसे,
ईकारा त = कुमार , गौर , शा गरवी
ऊकारा त = मव धःू , यवागःू

ले कन 'ग छ ती' 'कुवती' इ या द ईकारा त श द ह है , ऊकारा त नह ।ं इस लए यहा नद अथात 'ग छ ती,


वद ती, कुवती, खाद ती' ये सब श द नद -सं क है । अथात ् इन सब श द को नद कहते है । ये दो सू करने के
बाद अब इस वषय को अ छ तरह समज सकगे।

आज हमने दो सू कये।
मशः…..….....

★ याकरणलेख-26★

पछले लेख म हमने 'अ ग' और 'नद ' या है वह दे खा। अब जब 'अ ग' या है ये समझ गये है तो एकबार फर
दश-गण के धातंु और उनके वकरण- यय के संयोग को दे खते है :-

गण मल
ू - वकरण उपयोगी- वकरण
थम शप ् अ
वतीय शप ् लक
ु ् होने से कोई वकरण नह
तत
ृ ीय शप ् लु होने से कोई वकरण नह
चतथु यन ् य
प चम नु नु
ष ठ श अ
स तम नम ् न
अ टम उ उ
नवम ना ना
दशम शप ् अ

यहा जो उपयोग म आनेवाला वकरण यय है उनको दे खे। अ, य, न,ु अ, न, उ, ना, अ।

पहले गण ' वा दगण' के एक उदाहरण को दे खते है :-


भू + शप ् + तप ्
भू + अ + त

अब यहा 'अ' क ि ट म 'भ'ू अ ग है िजसको गण


ु होकर 'भो' होता है ।
भो + अ + त

फर 'भो' के थान म 'भव ्' होता है ।


भव ् + अ + त
फर 'भव ्' का मलन 'अ' वकरण- यय के साथ हो जाता है ।
'भव + त' ऐसा रहता है । जहाँ ' त' क ि ट म 'भव' क अ ग-सं ा होती है ।
अथात ् 'भ'ू धातंु जब अपने वकरण- यय 'अ' (शप ्) के साथ जड़
ु ता है तो 'भव' होता है ।

अब ये 'भव' जो अ ग है वह कैसा है ? वह अकारा त है । जैसे राम, कृ ण, दे व इ या द श द अकारा त है वैसे ह


'भव' अ ग अकारा त है ।

अब गण तो दश है । तो न ये होगा क कतने गण म अकारा त अ ग होता है ? एक-एक करके दे खते है ।

वतीयगण और तत
ृ ीयगण म वकरण- यय होते ह नह है इस लए उसमे धात+
ु वकरण- यय के मलन का
स ग ह नह आता।

चतथु गण :- दवा दगण


दव ् + यन ् + तप ्
दव ् + य + त
द य+ त
यहा दव ्-धातंु और यन ्- वकरण- यय के मलन से जो अ ग बनता है , द य, वह भी अकारा त है ।

प चमगण :- वा दगण
सु + नु + तप ्
सु + नु + त
सनु ु+ त
यहा उकारा त अ ग है ।

ष ठगण :- तद
ु ा दगण
तु + श + तप ्
तु + अ + त
तदु + त
यहा अकारा त अ ग है ।

स तमगण :- धा दगण
ध ् + नम ् + तप ्
यहा नम ्- वकरण धातु और त - यय के बीचमे न होकर धातंु के म य म होता है ।
नम ् ध ् + त
ध्+ त
स तमगण म सभी धातंु हल त( य जन िजसके अ त म हो) है इस लए अ ग भी हल त ह होगा।

अ टमगण :- तना दगण


तन ् + उ + तप ्
तनु + त
यहा उकारा त अ ग है ।

नवमगण :- या दगण
+ ना + तप ्
+ ना + त
णा + त
यहा जो 'ना' है उसम एक सू से 'आ' का लोप होकर 'न ्' बचता है । अथात ् इस गण म हल त-अ ग बनता है ।

दशमगण :- चरु ा दगण


चरु ् + णच ् + शप ् + तप ्
चरु ् + इ + अ + त
चोरय ् + अ + त
चोरय + त
यहा अकारा त अ ग है ।

अथात ् चार गण है िजसमे अकारा त अ ग होता है :-


थम वा दगण
चतथु दवा दगण
ष ठम तद ु ा दगण
दशम चरु ा दगण

इस चारो को अद त(अ िजसके अ त म है ) अ गवाले गण भी कह सकते है ।


और बाक के 6 गणो को अनद त(अ िजसके अ तमे न हो) अ गवाले गण भी कह सकते है ।

अब इन गणो को य द सरलता से याद करना हो तो दश गण को दो भाग म बांट दे ।

●●> A) अद तगण (चार गण)


इस को भी दो-दो के जोडे म बाट दो।
(१) वा दगण-चरु ा दगण का जोडा :- इन दोन गणो म जो सामा य बात है वह ये क दोन म शप ्- वकरण होता
है । ये जो शप ् है वो शत ्{श ् िजसका इत ् है } भी है और पत ्{प ् िजसका इत ् है } भी है । इस कारण इन ् दोन गण म
गण ु होता है । जैसे,

वाद गण म 'भ'ू को 'भो' ऐसा गण ु होता है ।


चरु ा दगण म 'चो र' को 'चोरे ' ऐसा गण
ु होता है ।

(२) दवा दगण-तद


ु ा दगण का जोडा :- इन दोन म मशः ' यन ्' और 'श' अथात ् 'य' और 'अ' वकरण होता है ।
दोन वकरण म समानता ये क दोन शत ् तो है ले कन पत ् नह । इस लए दोन गणो म गण ु नह होगा। जैसे,

दवा दगण म ' दव ्' को 'दे व ्' ऐसा गण ु नह हुआ।


तद
ु ा दगण म ' लख ्' को 'ले ख ्' ऐसा गण
ु नह हुआ।

●●> B) अनद तगण ( छे गण)


इन छे गणो को भी दो-दो के जोडे म बाट दो।

(१) अदा दगण-जह


ु ो या दगण का जोडा :-
दोन गणो म समानता ये क दोन म वकरण- यय नह है ।

(२) वा दगण-तना दगण का जोडा :-


दोन गणो म मशः ' न'ु और 'उ' अथात ् 'न'ु और 'उ' वकरण होता है । दोन गणो म समानता ये क दोन म
उकारा त-अ ग बनता है ।

(३) धा दगण- या दगण का जोडा :- दोन म मशः ' नम ्' और ' ना' अथात ् 'न' और 'ना' वकरण होते है ।
दोन गणो म समान बात ये क दोन म हल त-अ ग बनता है ।

इस तरह सरलता ये सभी गणो को याद रख सकते है ।

आज हम एक भी सू नह कर पाए।
मशः.........

★ याकरणलेख-27★
पछले लेख म हम दे ख रहे थे क ग छ ती और कुवती म भेद य है ? इसके ल ये हमने अब तक दे खा क :-
A) दश गण है
B) सबके भ न वकरण- यय है
C) नद या है
D) अ ग या है
E) धातु और वकरण यय के संयोग से जो अ ग बनता है उससे दश गण के दो वभाजन हुए :-
*- >* अद त ( थमगण = वा दगण, चतथ ु गण = दवा दगण, ष ठगण = तद ु ा दगण, दशमगण =
चरु ा दगण ये चार गण )
*- >* अनद त ( बाक के छे गण )

अब आगे बढ़ते है ।
इससे पहले आगम और आदे श कसको कहते है वो दे खते है ।

- राम क जगह पे भरत को गाद मल , अथात ् भरत का राम के थान म आदे श हुआ।
- राम के साथ ल मण भी वन म गए, अथात ् ल मण का आगम हुआ।

इस लए ह आदे श श व ु त ् होता है , यो क खद
ु का थान बनाने के लए वो दस
ु रो को हटाता है और आगम म वत ्
होता है यो क वो साथ म रहता है ।

अब उस सू को दे खते है िजससे ग छ ती और कुवती का भेद प ट होता है ।

*96) आ छ न योनम ु ्। (७।१।८०)*


यहा ‘शत:ु और वा’ इन दोन क अनव ु ृ त आ रह है :-
अ) आत ् = अकारा त अ ग
आ) नद = नद -सं क ईकारा त-श द
इ) नम ु ् = आगम
ई) शत:ु = श ा त (शत-ृ यय िजसके अ तमे है ) श द
उ) वा = वक प
सू का सामा य अथ हुआ _अकारा त अ ग के बाद म जो श ा त-श द है उसको नम
ु ागम होता है य द वहा नद
सं क ईकारा त ी लंग श द का संग हो तो _
उदाहरण के साथ दे खते है ;-
ग छ ती = ग + शप ् + शत ृ + ङप ्
अब यहा इत ्-सं ा और फर लोप होकर, ग छ ती = ग + अ + अत ् + ई
= ग छ + अत ् + ई ( धातु और वकरण- यय का मलन )

यहा उपर के सू क सभी शत का पालन हो रहा है :-


अ) ग छ ये अकारा त अ ग है ।
आ) ई ( ङ प ्) नद -सं क ईकारा त ि लंगवाची श द है ।
इ) ग छत ( ग + अत ्) श ा त-श द है ।

इन शत का पालन होने से यहा नम


ु ागम होगा :-
ग छ + अत ् + ई
ग छ + अ नम ु ्त्+ ई
इत ्-सं ा और फर लोप होकर,
ग छ अ न ् त ्+ ई
ग छ त ्+ ई
ग छ ती स ध हो गया।

यान दे ने वाल बात यहा उपर के सू म है वो ये है क ये अकारा त-अ ग से ह नम ु ागम होता है । जैसे क उपर
हमने दे खा क चार गण ह अकारांत-अ ग वाले है :- वा दगण, दवा दगण, तद ु ा दगण और चरु ा दगण।

अथात ् इन चारो गणो म नम ु ागम होगा :-


- वा दगण
भू + शप ् + शत ृ + ङ प ्
भो + अ + अत ् + ई
भव ् + अ + अ नम ु ्त्+ ई
भव ती होगा।
- दवा दगण
दव ् + यन ्+ शत ृ + ङ प ्
दव ् + य + अत ् + ई
दव ् + य + अ नम ु ्त्+ ई
द य ती हो गया।

- तदु ा दगण
तु + श + शत ृ + ङ प ्
तु + अ + अत ् + ई
तु + अ + अ नम ु ्त्+ ई
तदु ती हो गया।

- चरु ा दगण
चरु ् + णच ् + शप ् + शत ृ + ङ प ्
चोरय ् + अ + अत ् + ई
चोरय ् + अ + अ नम ु ्त्+ ई
चोरय ती स ध हुआ।

दसू र बात यहा यान दे ने यो य है वो यह क इस सू म “वा” क अनवु ृ त आती है अथात ् नम


ु ागम वक प से
होगा।
इसका अथ ये हुआ क जब नम ु ागम होगा तब “ग छ ती, द य ती, तद ु ती, चोरय ती” ऐसे प बनेगे और जब
नम ु ागम नह ं होगा तब “ ग छती, द यती, तदु ती, चोरयती” प बनगे।

ले कन हमने "ग छ ती, द य ती, चोरय ती” ऐसा ह सन ू ा है , "ग छती, द यती, चोरयती" ऐसा तो नह सन
ू ा।
ले कन सू से तो यह अथ नकलता है क ये सब प व प से हो शकते है फर ऐसे प य नह बन सकते ?
ज र कोई और सू भी होगा जो इसका नषेध कर रहा है । अगले लेख म दे खगे।

आज हमने एक ह सू कया।
मशः.........

★ याकरणलेख-28★
पछले लेख म हम दे ख रहे थे क _आ छ न योनम ु ्_ इस सू से चार गणो म नम
ु ागम वक प से होता है :-
वा दगण, दवा दगण, तद ु ा दगण, और चरु ा दगण।

और इस सू से ग छती/ग छ ती, द यती/द य ती/, तद ु ती/तद


ु ती, चोरयती/चोरय ती ऐसे दो-दो प बनगे।
इसम से तद
ु ती/तद
ु ती ऐसे प तो दे खे है , ले कन "ग छती, द यती, चोरयती” ऐसे प तो नह ं सनु े। इसका अथ
है क इन तीनो गणो म वक प से नह ं अ पतु न य नम ु ागम होगा। ये रहा पा णनीय सू :-

*97) श यनो न यम ्। (७।१।८१)*


इस सू म “आ छ न योनम ु ् ” इस सू क अनव
ु ृ त आकर सामा य सु ाथ हुआ _िजस गण म शप ् और
यन- वकरण- यय हो उसके अकारा त/आकारा त अ ग के उतर म श ा त-श द को न य ह नम ु ागम होता है
य द नद -सं क ईकारा तवाची- ी लंग श द का स ग हो तो।_
इससे,

- वाद गण :-
भू + शप ् + शत+
ृ ङ प्
भो + अ + अत ् + ई
भव + अ + अ नम ु ्त्+ ई
भव ती होगा।

- दवाद गण :-
दव ् + यन ् + शत+ ृ ङ प्
दव ् + य + अत ् + ई
दव ् + य + अ नम ु ्त्+ ई
द य ती हो गया।
- चरु ाद गण :-
चरु ् + णच ् + शप ् + शत ृ + ङ प ्
चोरय ् + अ + अत ् + ई
चोरय ् + अ + अ नु + त ् + ई
चोरय ती स ध हुआ।

अथात ् वा दगण और चरु ा दगण म शप ्- वकरण- यय है इस लए उसमे नमु ागम न य होगा और द या दगण
म यन- वकरण- यय है इस लए उसमे भी नम ु ागम न य होगा, न क वक प से।
अथात ् "ग छती, द यती, चोरयती" ऐसे प नह ं बनगे।

ले कन सू म तद
ु ाद गण का उ लेख नह ं है ( िजसमे श- वकरण- यय है ) इस लए उसमे जब नम ु ागम होगा तब
'तद
ु ती' ऐसा प बने ग ा और जब नमु ागम नह ं होगा तब 'तदु ती' ऐसा प बने गा। अथात ् तदु ा दगण म दोन कार
के प बनेगे।

यहा मरण म रखने यो य अ याव यक बात यह है क वा दगण, दवा दगण और चरु ा दगण म जो नम ु ागम हो
रहा है वह उपरो त "श यनो न यम ्" इस सू से हो रहा है , 'आ छ न योनम
ु ्' इस स ू से नह ।

अब रह दस
ु रे 6 गणो क बात। जैसा क पहले हमने दे खा था क “आ छ न योनम ु ् " इस सू म
अकारा त/आकारा त-अ ग से ह नम ु ागम होने क शत रखी है , और दशो गण म चार गण ह ऐसे है ( वा दगण,
दवा दगण, तद ु ा दगण, चरु ा दगण) िजसमे वकरण- यय अकारा त है ।

इस लए उसमे अ ग भी अकारा त ह बनता है । दस ू रे गणो म वकरण- यय ायश: अकारा त नह ं है । इस लए


उसमे नम
ु ागम होता ह नह ं है । तो उसमे 'कुवती' इ या द प बनते है ।

यहा ' ायश:' इस लए लखा है यो क कुछ गण म अकारा त अ ग क संभावना है फर भी दस ु रे सू से उसमे


नम
ु ागम नह ं होता है । (अदाद गण क कुछ धातु को छोड़ कर)। कैसे? सू के साथ दे खते है :-

==> दसु रा गण :- अदा दगण


इस गण म वकरण- यय न होने के कारण आकारा त धातु है उनमे नम ु ागम वक प से होता है :-
या + शप ् + शत ृ + ङ प ्
या + 0 + शत ृ + ङ प ्
यहा शप ्- यय का लक ु ् हो जाने से 'या' ऐसा आकारा त अ ग बन गया। इस लए उसमे “ आ छ न योनमु ् ” इस
सू से नम ु ागम श य है , वो भी वक प से....
या + नम ु ् +शत ृ + ई
या + न ् + अत ् + ई
या ती स ध होगा।
और वक प म 'याती' ऐसा भी प बनेगा।
या ती या यौ या यः
याती या यौ या यः

बाक क १३ आकारा त-धातु इस माण है :-


वा भा णा ा ा सा पा रा ला दा या ा मा
अब तीसरे गण क और आगे बढे इससे पहले “अ यास” और "अ य त" कसको कहते है वह दे ख लेते है । उसके
लए दो सू है :-

*98) पव ू ऽ यासः। (६।१।४)*


जहा व व होता हो वहा जो पव ू म हो अथात ् पहले हो उसको अ यास बोलते है ( अ यास एक सं ा है , नामकरण
है )।
जैसे ददा त। इसम डुदाञ ्-धातु है , जो जह
ु ो याद गण म है ।
दा + शप ् + तप ्
दा + 0 + तप ्
दा + दा + तप ्

यहा दे ख सकते है क दा-धातु को व व होकर "दा+दा" ऐसा बना। तो इसम जो पहला "दा" है उसको 'अ यास'
कहते है ।

*99) उभेऽ य तम ्। (६।१।५)*


"दा+दा" ये दोन साथ म 'अ य त' कहलाते है ।

==> तीसरा गण :- जह ु ो या दगण


इस गण म भी शप ् नह रहता है । इस लए इस गण म जो आकारा त-धातु है उससे भी नम
ु ागम श य है । जैसे,
दा + शप ् + शत ृ + ङ प ्
दा + 0 + अत ् + ई
दा + दा + अत ् + ई

यहा "दा+दा" ऐसा आकारा त-अ ग है । ले कन एक सू के कारण जह


ु ो या दगण म नम
ु ागम का नषेध कया गया
है :-

*100) ना य त छतःु । (७।१।७८)*


इस सू का सामा य अथ ये हुआ _जहा 'अ य त' हो वहा नद -सं क-श द के स ग म श ा त-श द को
नम ु ागम नह ं होता है ।_
जैसा क हमने दे खा "दा+दा" दोन को साथ म 'अ य त' कहते है , तो ये 'अ य त' केवल जह
ु ो या दगण म ह होता
है , अ य कसी गण म नह ।

इस लए ददती ऐसा ह प बनेगा, न क दद ती।

आज हमने चार सू कये।


मशः.............

★ याकरणलेख-29★

पछले लेख म हमने तीन बाते दे खी :-


1】अद त-अ ग िजसमे है उन चार गण ( वा दगण, दवा दगण, तद
ु ा दगण, चरु ा दगण) म नम
ु ागम क या
या है वह दे खा।
2】अदा दगण म आकारा त 14 धातु से नम
ु ागम वक प से होता है यह भी दे खा।
3】जहु ो याद गण म नम
ु ागम का नषेध कस सू से हुआ वह भी दे खा।

आज आगे के गणो म नम
ु ागम क या ि थ त है वह दे खते है :-
अब चार गण बाक रह गए। मश दे खते है :-

==> प चम गण :- वा दगण
इस गण म वकरण ्- यय 'न'ु है । इस लए अ ग भी उकारा त ह बनेगा। जब क हमने तो दे खा था क
“आ छ न योनम ु ्” इस सू े से तो अकारा त/आकारा त अ ग से ह नम
ु ागम होता है । ले कन यहा तो उकारा त
अ ग बन रहा है । अथात ् इस गण म भी नम ु ागम नह ं होगा।

==> स तम गण :- धा धगण
इस गण म वकरण- यय धातु के म य म होता है इस लए इसम भी अकारा त/आकारा त अ ग बनने क
संभावना तो है ह । य द ऐसा होता है तो नम
ु ागम भी श य है
ले कन धा धगण म सभी धातु हल त ( य जन िजसके अंत म है )ह है । इस लए न तो अकारा त/ आकारा त
अ ग बनेगा और न ह नम ु ागम होगा।

==> अ टम गण :- तना दगण


इस गण का वकार यय 'उ' है । इस लए इसम भी जो अ ग बनेगा वो उकारा त ह बनेगा, न क
अकारा त/आकारा त। इस लए इसम भी नम ु ागम नह ं होगा। अथात ्
कुवती कुव यौ कुव य: इस कार प बनगे।

==> नवम गण :- या दगण


इस गण का वकरण- यय ' ना' है । अथात ् आकारा त। इसका अथ ये हुआ क जो अ ग बनेगा वो भी आकारा त
बनेगा। अथात ् इसम नम
ु ागम हो शकता है ।
ले कन एक सू है िजसके आकारा त ना- वकरण- यय म जो 'आ' है उसका लोप हो जाता है ।

*101) नाऽ य तयोरातः। (६।४।११२)*


अथात ् 'ना' म 'आ' का लोप होकर 'न ्' एसा ह बचता है । अब चक
ु 'न' तो हल त है , न क अकारा त/ आकारा त।
इस लए इस गण म भी नम ु ागम नह होगा।
णती ण यौ ण य: ऐसे प बनगे।

आज ी लंगवाची श ा त-श द म नम ु ागम- यव था का करण परू ा हुआ। य द फर एक बार स त म दे खे


तो :-
>> वा दगण, चरु ा दगण और दवा दगण म नम ु ागम न य होता है ।
>> तद ु ा दगण म नम
ु ागम वक प से होता है ।
>> अदा दगण म १४ आकारा त-धातओ ु से नम ु ागम वक प से होता है ।
>> बाक के सभी गणो म नम ु ागम नह ं होता है ।

आज हमने एक ह सू कया।
मश ....

★ याकरणलेख-30★
हम बार बार सन
ु ते है क सं कृत कं यट
ू र के लए उ म भाषा है , ले कन य ? उसका उ र है अ टा यायी के सू ।
ऐसी या वशेषता है इन सू म?

वशेषता यह है क ये सू छोटे छोटे होते हुए भी बड़े बड़े अथ को सचोट तर के से य त करते है । आज कुछ सू
दे खगे। ले कन पहले एक क पना खड़ी करते है हमारे मनमे।

सोचो क ीराम सायंकाल म सं या के समय पि चम दशा क और मख ु ार वंद करके खड़े है । अब उसके पीछे
ल मण और उसके पीछे भरत खड़े है । अथात तीनो के चहे रे पि चम क और है और तीनो एकदस ू रे के पीछे एक ह
पंि त म खड़े है ।
अब “ ल मण कहा है ?” इस न के उ र म या कहगे ? यह क “ल मण ीराम के पीछे खड़े है ” या फर “
ल मण भरत के आगे खड़े है ”।
ले कन यह न य द पा ण न को पछू ा जाय तो उनका उ र कैसा होगा? वह कहगे “ रामात ् ल मण भरते “
व च दखने वाला ये जवाब वा तवमे अ टा यायी क ह शैल है । पा ण न ने अ टा यायी को इसी तरह बनाया
है । आइये दे खते है इस वषय के सू :-

*102) ति मि न त न द टे पवू य। (१।१।६६)*


यहा “ति मन ्” यह स तमी वभि त है सु का सामा य अथ ये हुआ क _जहा स तमी वभि त हो वहा उसके
पव
ू /आगे/परि मन ् का नदश समजना चा हए।_

यहा “ ल मण: भरते अि त “ इस वा य म ल मण: = थामा वभि त


भरते = स तमी वभि त

अब उपरो त सू के अनस
ु ार जहाँ स तमी वभि त हो वहा उससे पव
ू /आगे/परि मन ् का नदश होगा। अथात ् यहा
ल मण भरत के पव
ू /आगे है ऐसा समजना चा हए।

उसी तरह “ राम: ल मणे अि त” ऐसा कहने पर “ राम ल मण के पव


ू /आगे है “ यह अथ न प न होगा।

ले कन "ल मण राम के पीछे है " इस न का उ र पा ण न कैसे दगे? उनका उ र होगा “ ल मण: रामात ् अि त “
कैसे? आइये सू दे खते है :-

*103) त मा द यु र य। (१।१।६७)*
सू का सामा य अथ यह हुआ क _जहा प चमी- वभि त हो वहा उसके पीछे /प चात ्/अन तरम ्/उ र/पर का
नदश होगा। अथात ् यहा 'ल मण राम के पीछे /प चात/अन तरम ्/उ र/पर है ' ऐसा समजना चा हए।_

तो “ रामात ् ल मण: भरते “ इस वा य का अथ होगा “ ल मण राम के पीछे और भरत के आगे है । "


उसी तरह वा य बना सकते है क :-
>> रामात ् ल मणभरतौ त:।
>> ल मणात ् भरत: अि त।
>> ल मण: भरते अि त।
>> राम: ल मणभारतयो: अि त।

अब सोचो क श ु न भी आता है और वह ल मण के थान म आता है ।


यहा पा ण न श ु न का थान कैसे बतायगे? उनका उ र होगा “ श ु न: ल मण य “
इस वा य का अथ या होगा ?
सू दे खते है :-

*104) ष ठ थानेयोगा। (१।१।४९)*


सू का सामा य अथ होगा _जहा ष ठ वभि त हो वहाँ उसके थान का नदश समझना चा हए।_
अथात ् यहा "ल मण य" इस ष ठ - वभि त का अथ होगा "ल मण के थान म"।
" ल मण य श ु न: " इस वा य का अथ होगा " ल मण के थान म श ु न आता है "

जहाँ थमा- वभि त हो वहाँ आदे श/आगम का नदश समझना चा हए।

अब पीछे जो हमने सू कया था _आ छ न योनम


ु ्_ उसको फरसे वभि त के साथ दे खते है । यहा "शत:ु " क
अनव
ु ृ भी आती है ।

आत ् = प चमी = आत ् के पीछे /उ र
शीन यो: = स तमी = नद के आगे/पव ू
नम
ु ् = थमा = आगम
शत:ु =ष ठ = शत:ु के थान मे

अब इस ि थ त म साथ म एक उदाहरण भी दे खके समझते है :-


पच ती = तु + श+ शत ृ + ङ प ्
= तु + अ + अत ् + ई
= तद ु + अत ् + ई
= तदु + अ नम
ु ्त्+ ई
तद
ु ात ् = प चमी
ई = स तमी
शत:ु = ष ठ
नमु ् = थमा

अथ हुआ _तद
ु -अकारा त-अ ग के पीछे /उ र, ई-नद के पहले/पव
ू , शत:ु के थान म, नम
ु ागम होता है ।_

यहा दे ख सकते है क , " तद


ु + शत ृ + ङ प ् " इस ि थ त म 'शत'ृ का थान ल मण क ह तरह है । अथात ् " शत ृ
तद
ु ात ् ङ प "।

अब शत ृ के थान म नम
ु ागम होता है इस लए शत ृ क ष ठ - वभि त 'शत:ु ' ऐसा दशाया है ।

यहा जो नम ु ् है वह 'आगम' है , अथात ् उसके ल ण म वत ् ह गे। इस लए शत ृ के साथ म रहे गा।


य द नम
ु ् 'आदे श' होता तो ल ण श व ु त ् होकर परु े शत ृ को हटाकर उसके थान म होता। " तद
ु + नम
ु ् + ङप ् " इस
तरह।
तो आज हमने दे खा क अ टा यायी म वभि त के अथ कस कार होते है ।

आज हमने तीन सू कये।

【इस लेखमाला को यह समा त करते है । अगले 50 सू क लेखमाला कुछ समय के बाद फरसे तत ु करगे।
कसीको य द 1 से 104 तक के सू क pdf चा हए तो मेरे यि तगत न बर म अपना नाम और ईमेल भेज
शकते है ।】

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