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आचाय वेदमीजी ।। िसिसंह ।। भाग: की िसि

उदाहरण - भागः, ागः, यागः॥ नायकः, चायकः, पावकः, ावकः, कारकः, हारकः, पाठकः, पाचकः॥ शालायां
् औपगवः, औपमवः॥ ऐितकायनः, आलायनः, आरयः॥ अच ैषीत, ्
भवः = शालीयः, मालीयः॥ उपगोरपम =
अन ैषीत, ् अलावीत, ् अपावीत, ् अकाषत, ् अहाषत, ् अपाठीत॥्

िसि - भ॒ जँ ॑ - सेवायाम -् धात ु आनदा


ु है और िरतेत ह् ै ।

अनदा धात ु होन े से इट ् आगम नही होता सो धात ु अिनट ् ह।ै
िरतेत ह् ोन े से उभयपदी है, पर ैपद / आन ेपद दोन मे प चलता है ।

धातु से िसावाप

उपदेशऽे जननािसक इत 1् .3.2 से भूवादयो धातवः 1.3.1 से भावे 3.3.18 िसावाप धाथ  मे भाव अथ  मे घञ ्

जकारोरवत अननािसक अँ की इत स् 
ं ा ् ी धातु संा ई
भज क ् ी अन०ु - पदजिवशृशो घञ 3् .3.16
घञ क य होता है और
1
भजँ GGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGA भज G्GGGGGGGGGGGGGGGGGA GGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGA वह परे होता है ।
त लोपः 1.3.9 अँ का लोप हो गया धातोः 3.1.91 यः 3.1.1 पर 3.1.2
& लोप ा है? - अदशन ं लोपः 1.1.60 इस "धातो:" के अिधकार मे की अनवृु ि आ रही है।

हलम 1् .3.3 से लशतिते 1.3.8 अ को िनिम मानकर - यात ् यिविधदािद येम 1् .4.13
ञक ् 
् ी इत स ं ा ई ् 
घ की इत स ं ा ई भअ् ज=् भज -् पूरे समुदाय की अ संा ई
भज +् घञ G् GGGGGGGGGGGGGA भज +् घ GGGGGGGGGGGGGGA भज +् अ GGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGA
त लोपः 1.3.9 त लोपः 1.3.9 अ 6.4.1 के आिधकार मे
अदशन ं लोपः 1.1.60 अदशन ं लोपः 1.1.60 (अ का अिधकार ई च गणः 7.4.97 तक है।)

अत उपधायाः 7.2.116 से अ के उपधा के ान मे वृि आदेश । षी ान ेयोगा 1.1.49
वृि ा है? - वृिरादैच 1् .1.1 = आ ऐ औ का नाम वृि है। उपधा "अ" के ान मे कौन सा वृि हो?
् अ
GGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGA GGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGA भाज +
उपधा ा है? अलोात प् वू  उपधा 1.1.65 ान ेरतमः 1.1.50 से
अिम वण के पूव  वण की उपधा संा होती है "अ" के ान मे सशतम वृि "आ" आदेश आ

आ को िनिम मानकर यात ् यिविधदािद येम 1् .4.13 षी ान ेयोगा 1.1.49 अचहीनं परेण
् ज=
भआ ् भाज -् पूरे समुदाय की अ संा ई कवग मे ५ वण है - तो कौन सा हो? ु म ।् वाितक
सय
् GGGGGGGGGGGGGGA भाग।
GGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGA 2 GGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGA भाग +अ
अ 6.4.1 के आिधकार मे - चजोः कु िघयतोः 7.3.52 से ान ेरतमः 1.1.50 से
िघत प् रे होने पर अ के च ज को कवग हो । ज के ान मे सशतम "ग" हो गया।

1 ु
सामात: धात ु पाठ मे धात ु के अ मे अननािसक ु
र नही िलखा जाता । िताननािसा: पािणनीया: । ये गु पररा मे पािणनी
के िश अथात गु अपन े िश को बताते ह की कहाँ अननािसक
ु है और कहाँ नह ।
2 ु
इचयशााय: । = ज का ान ता है ।
अकुिवसजनीयाका: । = कवग का ान कठ है ।
सृपकरणा: शा: । "क" से "म" पय जो २५ वण ह ये श वण ह ।
वगाणां तृतीयचतथु ा अा हकारानारौ ु यमौ च तृतीयचतथु  नािसा संवत ु
ृ कठा नादानदाना घोषव । (ल० पा०)
हश - घोष: । खर - अघोष: ।
एके अाााणा इतरे महााणा: (ल० पा०) ।
यथा तृतीयाा पमा: । ज ैसा तृतीय वग है वैस े पम वग भी ।

आननािसमे षामिधको गण: ु । अब "ग" और "ङ" बचते है । पर ङ मे अननािसु ु अिधक है, ग और ज दोनो िनरननािसक
गण ु है ।
इस तरह "ज" का सशतम व् ण "ग" । भाज क ् े "ज" को "ग" हो जाता है।

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आचाय वेदमीजी ।। िसिसंह ।। भाग: की िसि

कृ दितङ् 3.1.93
से घञ क ् 
् ी कृ त स ं ा ई ााितपिदकात 4् .1.1
भाग GGGGGGGGGGGGGGGGA GGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGGA
कृ ितसमासा 1.2.46 ् फ ् 4.1.2
ौजसमौाािङे ाङिसास-ङसोसाोु
से ाितपिदक संा ई भाग ाितपिदक से स ुपािद २१ य होते ह ।

भाग तक की िसि को बार-बार नही िदखाया जायेगा ।

थमा एकवचनम ्
उपदेशऽे जन ुनािसक इत 1् .3.2 उपदेशऽे जन ुनािसक इत 1् .3.2
उँ का लोप आ ससज ुषो ः 8.2.66 ् 
उँ की इत स ं ा
् GGGGGGGGGGGGGGA भाग + ँ GGGGGGGGGGGGGGGGGGGGA भाग + र ्
भाग + स ँ ु GGGGGGGGGGGGGGGGGGGGA भाग + स G
त लोपः 1.3.9 पदा सकर को ँ आदेश त लोपः 1.3.9
अदशन ं लोपः 1.1.60 अदशन ं लोपः 1.1.60

िवरामोवसानम 1् .4.110
र ्की अवसान संा ई
GGGGGGGGGGGGGGGGGA भाग:।
खरवसानयोिवसजनीयः 8.3.15
पदा "र" को िवसग हो ।

इसे ान से समझ िक इस िकताब का िवार रोकन े के िलए आगे की िसिय मे बार बार लोप सू का वणन नही

िकया जायेगा । बस अनब ् ू  को पन:


ु लोप िलख िदया जायेगा । एक बार सारे इत स ु िलख देत े ह , तािक और अास

हो जाये ।

उपदेशऽे जननािसक इत 1् .3.2

हलम 1् .3.3
ु ाः 1.3.4
न िवभौ त
आिदिञ टुडवः 1.3.5
षः य 1.3.6
चटु ू 1.3.7
लशतिते 1.3.8
उपर बाताये गये सू से "इत"् संा की जाती है । और इत क
् ा योजन ा है ? तो अगला सू कहते ह

त लोपः 1.3.9
अब  ये की लोप ा है?
अदशन ं लोपः 1.1.60
ये अाायी का इत ् करण है । पूरे अाायी मे इत क
् े िवषय मे और कह पर नही कहा गया है ।

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