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8 सं ृत
पाठ 12. कः र ित कः रि त:
कः र ित कः रि तः Summary
यह पाठ पयावरण पर के त है। हमारे दैिनक जीवन म ा क का अ िधक योग होता है। पयावरण के िलए ा क अ िधक घातक है। ुत पाठ म पयावरण के
दूषण की सम ा को उजागर िकया गया है तथा पयावरण दूषण की सम ा के ित संवेदनशील समझ िवकिसत करने का यास िकया गया है। पाठ का सार इस कार
है :
मनु पूवकाल म कपास से , िम ी से अथवा लोहे से िनिमत व ुओं का उपयोग िकया करता था। ये व ए
ु ँ पयावरण को दूिषत नहीं करती थी ं। कारण िक, ये आसानी से
गल जाती ह और न हो जाती ह।
आजकल लोग ा क का अिधक योग करते ह। लोग ा क से िनिमत थैलों को तथा अ व ुओं को इधरउधर फक देते ह। ये व ए
ु ँ न तो गलती ह और न ही
सड़ती ह। ये यथावत् पड़ी रहती ह तथा वातावरण को दूिषत करती ह।
मनु कदािप इस ओर ान नहीं देता िक ा क पयावरण को ब त ित प ँचाता है और इससे मानव का अिहत होता है। अतः हमारा यह परम क बनता है िक हम
पयावरण की शु की ओर ान द तथा पयावरण को दूिषत होने से बचाएँ।
कः र ित कः रि तः Word Meanings Translation in Hindi
अ यः(इदम् ) जगत् सकलं, चैत मयी िन खला सृि ः पवनेन ािणित। अनेन िवना णमिप न जी ते। पवनः सवाितशाियमू ः।।1।।
त ैः वाताघातैः लोकान् अिवतुं मेघाः नभिस आरि िवभागजना इव समये नैव े।।।2।।
श ाथ
च भयंकर।
बिहःबाहर।
आगतःआ गया।
च ती ।
अ तःऔर भी।
आग आकर।
अव ः क गया।
ािणितजीिवत है (Survives)
सकलम् सारा।
िन खलास ूण (Whole)
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जी ते जीिवत है।
सवाितशाियसबसे बढकर।
ािणितजीिवत है (Survives)
सकलम् सारा।
िन खलास ूण (Whole)
जी ते जीिवत है।
सवाितशाियसबसे बढकर।
द
े िब वःपसीने की बूंद।
व बह रही ह।
त ैःगम।
वाताघातैःलू के ारा।
अिवतुम् र ा करने के िलए।
नभिसआकाश म। आरि ःपुिलस।
े िदखाई पड़ते ह।
सरलाथ
(गम की ऋतु म शाम को िबजली के अभाव म ती गम के ारा पीिड़त वैभव घर से
बाहर िनकलता है )
वैभव – अरे परिम र् ! ा तुम भी िबजली के अभाव से पीिड़त होकर बाहर आ गए हो?
परिम र – हाँ, िम ! एक तो ती गम का समय, दूसरे िबजली का अभाव। पर ु बाहर आकर भी देखता ँ िक वायु की गित पूणतः क गई है। सच ही कहा है पवन के
ारा सम जगत् तथा चैत पूण यह सम सृि जीिवत है। इसके िबना णभर भी जीिवत नहीं रहा जाता है। सबसे अिधक मू वाली वायु है।
श ाथ
व ुतःवा व म।
िनदाघगम ।
याित ा होता है।
शु ताम् सूखापन।
पुंसःमनु का।
भयािदत भयभीत।
वपुःशरीर।
द
े वत् पसीने से तर।
उप रगािमऊपर से जाने वाले।
क े काटे जाते ह।
शु सूखा।
िव त ृ व ः भूल गए ह।
वि नाअि के ारा।
द मानेनजलाए जाते ए।
श ेमसकगे।
आग ु आओ।
सरलाथ –
परिम र् – हाँ! आज तो वा व म
गम के ताप से पीिड़त मनु का तालु सूख जाता है। भयभीत मनु का शरीर पसीने से तर हो जाता है।
जोसेफ – िम ! जहाँतहाँ अ िधक पृ ी पर भवनों का, भूिमगत माग का, िवशेष प से मैटो के माग का, ऊपर से गुजरने वाले पुलों काइ ािद के िनमाण के िलए वृ काटे
जाते ह। अव ही हमसे ा अपे ा की जाती है ? हम तो भूल ही गए अि के ारा जलाए जाते ए एक सूखे वृ के ारा ही सम वन जला िदया जाता है , िजस कार कुपु
के ारा कुल (न हो जाता है।)
परिम र् – हाँ, यह भी स है ! आओ, नदी के िकनारे चलते ह। वहाँ कुछ शा ा कर सकगे।
रोजिलन् – आम् पु ! सवथा स ं वदिस! ताम्। इदानीमेवाग ािम। (रोजिलन् आग बालैः साकं ि मवकर माग िवकीणम दवकर चािप सङृ् ग अवकरक ोले
पातयित)
श ाथ अवकरकूड़ा। Page 2 / 3
ि म् फक िदया।
आचरामःआचरण करते ह।
रोजिलन् – आम् पु ! सवथा स ं वदिस! ताम्। इदानीमेवाग ािम। (रोजिलन् आग बालैः साकं ि मवकर माग िवकीणम दवकर चािप सङृ् ग अवकरक ोले
पातयित)
श ाथ अवकरकूड़ा।
ि म् फक िदया।
आचरामःआचरण करते ह।
दीयते िदया जाता है।
उप रतःऊपर से।
म ः मण करते ए। क
क म् काय।
ताम् मा क रए।
अवग ािमजानती ँ।
क ोलेटोकरी म।
सरलाथ
(नदी के िकनारे जाने के इ ुक बालक जहाँतहाँ ग गी के ढेर देखकर वातालाप करते ह)
जोसेफ – िम , देखो! जहाँतहाँ ा क का थैला तथा अ कूड़ा फका आ है। कहा जाता है िक ता ा कर होती है , पर ु हम िशि त होते ए भी अनपढ़ों की
तरह आचरण करते ह, इस कार हम घरों को िन करते ह, पर ु िकसिलए अपने पयावरण की ता की ओर ान नहीं िदया जाता है। िवनय देखो, देखो। ऊपर
से अब भी माग म कूड़ा डाला जा रहा है।
(बुलाकर)देवी! माग म मण करने वालों पर कृपा करो। यह तो पूणतः अशोभन काय है। हमारे जैसे ब ों को आप जैसी (मिहलाओं) को सं ार देना चािहए।
रोजिलन् – हाँ पु ! तुम पूण प से सच कहते हो। मा कर देना। अब म जान गई ँ। (रोजिलन् ने आकर बालकों के साथ अपने ारा फके गए कूड़े को माग तथा शेष कूड़े
को कूड़ादान म डाल िदया।)
श ाथ
ा ित ा करेगा।
आवरणैःिछलकों।
यथाकथि त् जैसे तैसे।
िनवारणीयाहटाना चािहए।
कदलीकेला।
अपसायहटाकर।
िपिहतढके ए।
सरलाथ
बालक – इसी कार जाग कता से ही धानम ी महोदय का ता अिभयान भी गित ा करेगा।
िवनय – देखो, देखो। वहाँ गाय स ी और फलों के िछलकों के साथ ा क के थैले को भी खा रही है। जैसे तैसे इसे हटाना चािहए।
(माग म केला बेचने वाले को देखकर ब े केले खरीदकर गाय को बुलाते ह और खलाते ह। माग से ा क के थैलों को हटाकर ढके ए कूड़ादान म डालते ह।)
(ङ) परिम र् – ा क मृि कायां लयाभवात् अ ाकं पयावरण कृते महती ितः भवित। पूव तु कापासेन, चमणा, लौहेन, ला या, मृि कया, का ेन वा िनिमतािन
व ूिन एव ा े । अधुना त थाने ा किनिमतािन व ूिन एव ा े।
वैभवः – आम् घिटपि का, अ ािन ब िवधािन पा ािण, कलमे ादीिन सवािण नु ा किनिमतािन भव ।
जोसैफः – आम् अ ािभः िप ोः िश काणां सहयोगेन ा क िविवधप ाः िवचारणीयाः। पयावरणेन सह पशवः अिप र णीयाः। (एवमेवालप ः सव नदीतीरं ा ाः,
नदीजले िनम ताः भव गाय च
सुपयावरणेना जगतः सु थितः सखे।
जगित जायमानानां स वः स वो भुिव॥5॥
सव – अतीवान दोऽयं जलिवहारः।
अ यः
सखे , जगतः सु थितः सुपयावरणेन अ । जगित जायमानानां स वः भुिव स वः।।5।।
श ाथ
मृि कायांिम ी म।
ितःहािन। कापासेनकपास से।
चमणाचमड़े से। ला यालाख से।
का ेनकाठ से। आलप ःबात करते ए।
िनम ताः ान िकया।
सरलाथ –
परिम र – ा क के िम ी म न न होने के कारण हमारे पयावरण की महान् हािन होती है। पहले तो कपास से , चमड़े से , लोहा से , लाख से , िम ी से अथवा काठ से
िनिमत व ए ु ँ ही ा होती थी ं। अब उसके थान पर ा क िनिमत व ए ु ँ ही ा होती ह।
वैभव – हाँ, घड़ी की पि याँ, अ ब त से पा , कलम इ ािद सभी ा क से िनिमत होती ह। जोसेफ हाँ, हमारे मातािपता तथा गु जी के सहयोग से ा क के िविवध
प ों पर िवचार करना चािहए। पयावरण के साथ पशुओं की भी र ा करनी चािहए। (इस कार वातालाप करते ए सभी नदी के िकनारे प ँच गए और नदी के जल म ान
िकया तथा गाते ह) सुपयावरण के ारा ही जगत की सु र थित है। संसार म उ होने वालों की उ ि पृ ी पर है।
सभी – जल म अित आनंद ा करते ह।
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