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Meditation
BY DR. MANISHA SONI
आ"याि&मक वै,ा-नक
कई महानभ
ु ाव ह+। -शव, हे -म1स, कृ4ण, महावतार बाबाजी, महावीर, ब;
ु ध, लाओ?स,ु जोराAटर, जीसस, मह
ु Cमद,
-मलारे पा, गुG नानक, सेथ, डॉन हुआन, लोबसांग रांपा, ओशो रजनीश, सबको मेरा Mणाम! इस तरह और भी कई
QवRवQवSयात लोग अथवा ऐसे लोग िजनका नाम नहXं भी सन ु ा हो, सभी योगी ह+। सभी आYया?म शाAZ[ है ,
िAप]रचअ
ु ल वै[ा_नक ह+।
आ"या&म शा01
एक ह% शा() है िजसे सबको, सबसे पहले सीखना चा8हए।
वह% आ<या>म शा() है !
याAन ि(पBरचअ
ु ल साइंस !
जीवन कH सIचाई को समझाने वाला शा()! वह% सबके Lलए मल
ू है ।
कला, NवOया तथा अRय शा() आ8द सभी मह>वपण
ू V हW, लेXकन उन सबको
आ<याि>मक Zान के बाद ह% अिजVत करना चा8हए।
आ<या>म शा() जानना सबके Lलए आव[यक है ।
आ"या%म शा)*
के -वभाग
आ"या%म शा)* प,र.ान म0 चार मौ3लक 6वभाग ह;-
(१) मैAडटे शन "यान
(२) एनलाइटे नम0 ट- HदJय .ान Kकाश
(३) अवेयरनेस - Oन%य जागOृ त
(४) थॉट पॉवर - मनोशिXत
एकमा1 स&य हम# %वयं ह) अपना उ/धार करना चा4हए। हम# %वयं ह)
अपना पतन नह)ं करना चा4हए। हम %वयं ह) अपने
9म: ह;, हम %वयं ह) अपने श: ु ह;, और कोई नह)ं।
इतना ह) नह)ं, कोई भी दस ू रा हमार) सहायता नह)ं कर
सकता। कोई भी दस ू रा हमारा नक ु सान भी नह)ं कर
सकता। अपनी ऊIवJगLत और अधोगLत के हम %वयं ह)
कारक ह;, %वयं िजOमेवार ह;।
"यान
<यान का अथV पज
ू ा नह%ं,
<यान का अथV \ाथVना नह%ं,
<यान का अथV (तो) नह%ं,
<यान का अथV नाम (मरण नह%ं,
<यान का अथV मं) जाप नह%ं,
<यान का अथV [वास पर <यान (^ि_ट) रखना है ।
<यान साधना Oवारा ह% सारे रोग दरू होते हW।
<यान साधना Oवारा ह% (मरण शिdत बढ़ती है ।
<यान साधना Oवारा ह% एकाfता तीg होती है ।
<यान साधना Oवारा ह% मन कH शांAत \ाhत होती है ।
<यान साधना Oवारा ह% आ>मा कH ि(थरता \ाhत होती है ।
<यान साधना Oवारा ह% 8दiय चjु उkेिजत होते हW।
<यान साधना Oवारा हम ह% अपने गुl बन जाते हW।
<यान साधना Oवारा हमm यह Zान \ाhत होता है Xक हम ह% ई[वर (वnप है ।
"यान
हम अपने जRम को (वयं चन
ु कर आये हW,
िजस का उOधार (वयं ह% करना है ।
कोई Xकसी दस
ू रे का उOधार नह%ं कर सकता।
सिृ _ट मm करोड़q लोक हW।
म>ृ यु को \ाhत होना अथाVत भौAतक शर%र को >यागना।
म>ृ यु को \ाhत होना अथाVत हमार% चारq ओर कH दAु नया को बदलना।
म>ृ यु को \ाhत होना अथाVत दस
ू र% दAु नया मm \वेश करना।
(वयं के कमVफलq को भोगना ह% पड़ेगा।
हमार% बरु ाई ह% हमm बरु ा फल दे ती है ;
हमार% अIछाई ह% हमm अIछा फल दे ती है ।
हमm सदा सबसे, सब कुछ सीखते रहना चा8हए।
एक jण भी समय iयथV नह%ं करना चा8हए।
\ाणशिdत को अणम
ु ा) भी कभी iयथV नह%ं करना चा8हए।
इस वतVमान जRम को इस भम
ू wडल मm , आyखर% जRम के nप मm nपांतBरत करना चा8हए।
Meditation
अंfेजी शzद 'मै|डटे शन' (Meditation) मm बहुत कुछ
अंतAन8हVत है –
M = Meditation (<यान)
E = Energy Conservation (ऊजाV संयोजन)
D = Detachment (अनासिdत)
I = Intent (संक•प)
T = Third Eye (8दiयचjु)
A = Astral Travel (स€
ू म शर%र या)ा)
T = Thought Power (मनोशिdत)
I = Intellect (बO
ु •ध)
O = Over self (पण
ू ाV>मा)
N = Nirvana (दख
ु र8हत ि(थAत, मोj, मिु dत)
सभी लोक8 मO घम
ू कर Dान IाJत करते ह@।
हम dया हW?
हम कौन हW?
हम कहाँ से आए हW?
हम कहाँ जा रहे हW?
हम dयq पैदा हुए हW?
मरने के बाद dया होता है ?
घटनाएँ कैसे घटती हW?
इस जRम म>ृ यु के च• का रह(य dया है ?
दै व>व का अथV dया है ?
इस अदभत
ु सिृ _ट का •म कैसे चल रहा है ?
इन सभी सवालq के समाधान (वानभ
ु व के आधार पर, पBरपण
ू V nप से \ाhत करके, उसके अनn
ु प जीना ह% 8दiय Zान
\काश को पाना है ।
<यान Oवारा \>यj nप से तथा <याAनयq के अनभ
ु व सन
ु ने और प(
ु तकm पढ़ने से परोj nप से 8दiय Zान \काश को कम
समय मm पा सकते हW।
साँस पर "यान
आदमी दOु नया को जीतना चाहता है मगर )वयं अपने आप को नह\ं जीत
रहा। आदमी दस ू रa को ठ|क करना चाहता है मगर )वयं को ठ|क नह\ं कर
रहा। आदमी अपने पड़ो3सयa से }यादा संप6~ जट ु ाना चाहता है , महान
बनना चाहता है लेbकन यह नह\ं सोचता bक मझ ु े 6ववेकानंद और रमणा
मह6षp से महान Xयa नह\ं बनना?
आदमी धनवान बनना चाहता है पर .ानी होने का 6वचार नह\ं कर रहा।
ऐसे लोगa को छोड़कर अब हम मनzु यa को .ानी बनाएँगे तो Xया कर0 ?
मनzु य अपने दोषa को दरू करके नए HदJय जीवन का ‚ी गणेश करे । हर
मनzु य को 6ववेकानंद और रमणा मह6षp कy तरह महान बनने कy को3शश
करनी चाHहए। यह समझना चाHहए bक केवल .ान को ह\ हम ऊ"वp लोकa
तक साथ ले जा सकते ह;, संप6~ को नह\ं।
K%येक JयिXत को चौबीस घंटa म0 से कम से कम एक घंटा अवlय "यान
करना चाHहए। माता-6पता, प%नी, बiचे और नौकर\ या Jयवसाय आHद के
साथ-साथ साँस पर भी अवlय "यान दे ना है । साँस का मतलब है हं स हं स
के आवागमन को दे खना है , हं स कy "वOन को सन
ु ना है , हं स अमत
ृ का
पान करना है । केवल हं स गमन ह\ करना है ।
हर Kाणी को .ानी बनने का Oनlचय करना है । इसके 3लए एकमा* रा)ता
है “"यान मागp” अथाpत “साँस पर "यान " याOन “आनापानसOत” ।
"यान शिHत
सिृ _ट मm जो है वह सब शिdत ह% है । \>येक व(तु और \ाणी मm चेतना तथा
\ाणशिdत का Lम’ण है । हम केवल बाहर से 8दखने वाले (थल ू शर%र मा) नह%ं,
हमारे भीतर शिdत के असं“य कण Aछपे हुए हW। िजस \कार घघ ूँ ट मm अँधेरा होता है
और उसे हटा दे ने से परू % तरह रोशनी फैल जाती है , वैसे ह% \ाणशिdत का \काश
है । \ाण शिdत का •च) Nव•च) वैभव ह% है । अब घघ ूँ ट Aनकालने का समय आ गया
है । घघूँ ट के पीछे के वीर को 8दखाने कH शिdत केवल <यान मm है । उसे अपनाने से
घघ ँू ट का भाव दरू हो जाता है , <यान शिdत से \ाण शिdत बढ़ जाती है , संक•प
शिdत मm वO ृ •ध होती है । सम(त भव
ु न लोकq कH सिृ _ट का मल ू यह <यान शिdत है ।
यह मानव को माधव बना दे ती है । हमारा <येय आनंद \ािhत और स>य मm है । <यान
स>य 8दखाता है । मन_ु य कH आयु को <यान शिdत ह% बढ़ा सकती है ।
सभी लोग इस )यान शि/त को 2ा3त कर5 , 7फर अ:य लोग; को भी अपनी शि/त
दे कर उसका @वBतार कर5 । यहE मेरE आकांIा है ।
संकIप शिHत
िजसके पास शिdत है , वह शिdतशाल% है । िजसके पास शिdत नह%ं है , वह अशdत
है । शिdतशाल% iयिdत शिdतशाल% का ह% अनस ु रण करता है ।
शिdत दो \कार कH होती है पशु शिdत तथा संक•प शिdत पशु शिdत भोजन से
\ाhत होती है जबXक संक•प शिdत Zान कH शO ु धता से Lमलती है । पशु शिdत,
संक•प शिdत के सामने तIु छ है । य8द हम अपने ल€य तक पहुँचना चाहते हW तो
संक•प शिdत अव[य होनी चा8हए।
संक•प शिdत कH उRनAत के Lलए भी हममm संक•प होना चा8हए। Nवक•प का अथV
है 'संदेह और दNु वधा । अपनी संक•प शिdत बढ़ाने के Lलए हमm अ•धक समय ऐसे
लोगq के साथ रहना चा8हए िजनके पास हमसे अ•धक संक•प शिdत हो। संक•प
शिdत बढ़ाने के Lलए हमm अ<ययन करना चा8हए। इसके Lलए नई खोजq को दै Aनक
जीवन मm अपनाना तथा कायV-कारण LसOधांत के अनभ ु व \ाhत करना आव[यक है ।
पहले छोटे तथा शी— ह% बड़े \योग करने चा8हए। बIचq को बा•यकाल से ह% संक•प
शिdत कH महता समझानी चा8हए। वO ृ धq को याद 8दलाना चा8हए Xक सभी बीमाBरयq
को संक•प शिdत से दरू Xकया जा सकता है । दै Aनक जीवन कH सम(याओं का भी
इसी शिdत के बलबत ू े सामना करना चा8हए। अपने AनवाVणपथ कH बाधाओं का
संक•प शिdत से सामना करना चा8हए।
कम* करते हुए हK अनभु व होते ह@, चाहे Zकसी भी तरह के कम* cय8 न
इRछाओं का
ह8। अकमi होकर कभी नहKं रहना चा`हए। इ^छाएँ हK Iग:त और
परु ोगती के मल
ू कारण ह@। इ^छाएँ न होने से या दबु ल
* इ^छाओं से
कुछ भी साNय नहKं होता।
सभी ब]
ु ^ध 2ा3त करके ब]
ु ध बन जाएँ !
CदEयचYु
इसvलए -
“ती$ &प से इि,छत, /0करण श6 ु 7ध से 9कया हुआ
>व@वास, गहन &प से 9कए गए >वचार, उFसाह से 9कए गए
GयFन 6वारा जो कुछ भी चाहो, वह होकर हK रहे गा। ”
नारद क` सलाह
सबसे ह)नाLतह)न पापाiमा होने पर भी wान Yपी आँधी से सभी पाप और रोग
तi•ण Wवदा होते ह;।
इस9लए भतू काल चाहे कुछ भी हो, वतJमान तो हमारे हाथ है .. य4द उसे ठ‹क कर
9लया तो सब ठ‹क हो जाएगा।
कुछ भी dयन
ू ता नह[ं
'भोजन करने से, कपड़े-जेवर पहनने से, लड़GकयH का संग करने से, अपनी संतान को
ममता से दे खने से, LरMते-नातेदारH के साथ रहने से, एक OPमQानी को कुछ भी कमी
नह:ं होती है ।'
- सदानंद योगी
कृ = करना
(ण = उपभोग करना
जो करना है , उसे परू ा करके उपभोग करते रहने वाला ह5 कृ7ण है । जो जानना है , उसे
पण
ू : ;प से जानकर उसके फल= का आराम से उपभोग करने वाला ह5 कृ7ण है । वह कोई
भी हो, 'कृ7ण' ह5 है ।
Cया करना है ? अपने बारे मH संपण
ू : जानकार5 JाKत करनी है । यह जानकार5 JाKत करने
वाला ह5 कृ7ण है । यह जानकार5 JाKत करने वाला ह5 पMु षोOम है । यह जानकार5 JाKत
करने वाला ह5 नारायण है । 'करने वाला काम करने से पाने वाला फल पाते हP। 'न करने
वाला काम' करने से न पाने वाला फल पाते हP। जैसी करनी वैसी भरनी।
जैसे दे वक5 प7
ु कृ(ण बन गए, वैसे ह< हम सबको 'कृ(ण' बनना है ।
To be
continued…
SEE YOU TOMORROW.