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विषय - हिन्द
िका - आठिीं
1. प्र - घायल िोरे िे बा् भी बाज रे यि कयय ििा, ”मुझे िोई शििायत रिदं िै ।” विचार
पिर िीबजए।
उत् - घायल होने के बाद भी बाज ने यह कहा कक – “मझ
ु े कोई शिकायत नहीं है ।” उसने ऐसा
इसशलए कहा कययकक वह ककसी भी कीमत प् समझौतावादी जीवन िैली पसंद नहीं क्ता था।
वह अपने अधिका्य के शलए लड़ने मे ववशवास ्खता था। उसने अपनी ज़िंदगी को भ्प्ू भोगा।
वह असीम आकाि मे जी भ्क् उड़ान भ् चक
ु ा था। जब तक उसके ि्ी् मे ताकत ्ही तब
तक ऐसा कोई सख
ु नहीं बचा ज़जसे उसने न भोगा हो। वह अपने जीवन से पर
ू त
् त संतषु ् था।
2. प्र - बाज बिं्गी भर आिाि मे िद उड़ता रिा फिर घायल िोरे िे बा् भी िि उड़रा कयय
चािता रा ?
उत् - बाज ज़िंदगी भ् आकाि मे उड़ता ्हा, उसने आकाि की असीम ऊँचाइयय को अपने पंखय
से नापा। बाज साहसी था। अतत काय् की मौत नहीं म्ना चाहता था। वह अंततम कर तक
जीवन की आवशयकताां के शलए संघर् क्ना चाहता था।
6. प्र - ििारी मे से िे पंबकतयाँ चुरिर शलखरए बजरसे सितंंता िी पेरूा शमलती िो।
उत् - कहानी की सवतंतता से संबंधित पंज़कतयाँ –
1. जब तक ि्ी् मे ताकत ्ही, कोई सुख ऐसा नहीं बचा ज़जसे न भोगा हो। द्ू -द्ू तक
उडाने भ्ी है, आकाि की असीम ऊँचाइयय को अपने पंखय से नाप आया हूँ।
2. “आह! काि, मै शसर् एक बा् आकाि मे उड पाता।”
3. प् वह समय द्ू नहीं है , जब तम
ु हा्े खन
ू की एक-एक बँद
ू ज़जंदगी के अँिे्े मे पकाि
रैलाएगी औ् साहसी, बहाद्ु हदलय मे सवतंतता औ् पकाि के शलए पेम पैदा क्े गी।
(ि) मेिरती - एक आदि् ्ात लकय तनिा्र्त क्ता है औ् उरहे पापत क्ने के शलए कड़ी
मेहनत क्ता है । वह अधययन, खेल औ् अरय गततववधियय मे सव्वेषठ क्ना चाहता है औ्
ऐसा क्ने के शलए अपने सव्तम पयास मे िाशमल होने से संकोच नहीं क्ता।
2. लकय नरधा्रू िररा - एक आदि् ्ात कभी भी मुज़शकल होने प् हा् नहीं मानता। वह
तनिा्र्त लकयय को पापत क्ने के शलए तनिा्र्त ्हता है औ् सफ़लता पापत क्ने के शलए
लगाता् काय् क्ता है |
3. भरोसेमं् - आदि् ्ात भ्ोसेमंद होता है । शिकक अकस् उरहे अलग-अलग काय् बाँ्ता है जो
वे बबना असरल हुए पू्ा क्ते है।
4. सिारातमि - एक आदि् ्ात हमेिा सका्ातमक दज़ष्कोर ्खता है । यहद पाठयकम बड़ा है ,
यहद शिकक अधययन क्ने के शलए समय हदए बबना प्ीका लेता है , यहद कु् पततयोगी
गततववधियां अचानक ्खी जाती है तो भी आदि् ्ात घब्ाता नहीं है ।
उपसंिार - एक आदि् ्ात बनने के शलए दढ संक्प क्ना पड़ता है । प्रतु इसके शलए ककए
गए पयास अच्े होने चाहहए। यहद कोई बचचा कम उम से उप्ोकत वविेरताां को ववकशसत
क्ता है तो जैसे जैसे उसकी उम बढती जाएगी वैस-े वैसे वह तनज़शचत रप से बहुत कु् हाशसल
क् लेगा।
पुसति पिािर जगत मे कांनत - ववजान के दवा्ा पुसतक पकािन जगत मे कांतत आ गई है ।
एक हदन मे एक पुसतक की हिा्य पततयाँ तैया् होने लगी है। सुंद् धचतमय पुसतके दे खक्
मन पसरनता से भ् जाता है । कंपयू्् के दवा्ा पुसतक पकािन की सुवविा ने इस केत को
पर
ू त
् या नवीन रप पदान क् हदया है ।
चचफितसा िे कें मे विजार - धचककतसा के केत मे ववजान ने ने अभूतपूव् पर्वत्न ला हदए है।
ववजान दवा्ा ऐसे-ऐसे उपक्र बना हदए गए है ज़जनसे ि्ी् के भीत् के भागय को ्ी.वी.
सकीन प् दे खा जा सकता है । ्ोगय का पता लगाने से लेक् उनके तनदान तक के उपाय
कंपयू्् क्ने लगे है। ि्य-धचककतसा के शलए नए-से-नए उपक्र आ गए है। अंग-पतया्ोपर
तक होने लगे है।
नरबंध (प्ष
क ू िी समसया और समाधार)
पसतािरा:- पदर
ू र की समसया की ा् आजकल सभी दे िय का धयान केहदत है । इस समय
हमा्े समक सबसे बड़ी चुनौती पया्व्र को बचाने की है, कययकक पानी, हवा, जंगल, शमट्ी आहद
सब कु् पदवू रत हो चुका है । इसशलए पतयेक वयज़कत को पया्व्र का महतव बताया जाना
चाहहए; कययकक यही हमा्े अज़सततव का आिा् है ।
प्ष
क ू िा अर्:-- पया्व्र का तनमा्र पकरतत के दवा्ा ककया गया है । जब वाताव्र मे कु्
हातनका्क घ्क आ जाते है तो वे वाताव्र का संतल
ु न बबगाड़ क् उसको दवू रत क् दे ते है।
यह गंदा वाताव्र जीव िार्यय के शलए अनेक पका् से हातनका्क होता है । इस पका्
'वाताव्र के दवू रत हो जाने' को ही पदर
ू र कहते है।
प्ष
क ू िे पिार:-आज िे िातािरू मे प्ष
क ू नरमरशलखरत रपय मे ह्राई ्े ता है -
क ू:- वायु जीवन के शलए जर्ी है । पतयेक पारी को सवसथ रप से जीने के शलए िुदि
िायु प्ष
वायु अथा्त ऑकसीजन की आवशयकता होती है | जीविा्ी साँस दवा्ा ऑकसीजन गहर क्ता
है औ् काब्न डाइऑकसाइड ्ोड़ता है । पेड़ पौिे काब्न डाइऑकसाइड गहर क् हमे ऑकसीजन
पदान क्ते है। इससे वायुमंडल मे िुदिता बनी ्हती है । आजकल वायुमंडल मे ऑकसीजन गैस
का संतुलन बबगड़ गया है औ् वायु अनेक हातनका्क गैसय से पदवू रत हो गई है |
क ू:-जल को जीवन कहा जाता है औ् यह भी माना जाता है कक जल मे ही सभी दे वता
जल प्ष
तनवास क्ते है। इसके बबना जीव जंतु औ् पेड़ पौिय का भी अज़सततव नहीं है । कर् भी बड़े बड़े
नग्य के गंदे नाले औ् सीव् नहदयय मे शमला हदए जाते है। का्खानय का सा्ा मैला बहक्
नहदयय के जल मे आक् शमलता है । इससे जल पदवू रत हो गया है |
प्ष
क ू िी समसया तरा इससे िानरयाँ:--