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पार् पब्लि सिकल (घरौंा)

विषय - हिन्द

िका - आठिीं

पाठ 13 – बाज और साँप

1. प्र - घायल िोरे िे बा् भी बाज रे यि कयय ििा, ”मुझे िोई शििायत रिदं िै ।” विचार
पिर िीबजए।
उत् - घायल होने के बाद भी बाज ने यह कहा कक – “मझ
ु े कोई शिकायत नहीं है ।” उसने ऐसा
इसशलए कहा कययकक वह ककसी भी कीमत प् समझौतावादी जीवन िैली पसंद नहीं क्ता था।
वह अपने अधिका्य के शलए लड़ने मे ववशवास ्खता था। उसने अपनी ज़िंदगी को भ्प्ू भोगा।
वह असीम आकाि मे जी भ्क् उड़ान भ् चक
ु ा था। जब तक उसके ि्ी् मे ताकत ्ही तब
तक ऐसा कोई सख
ु नहीं बचा ज़जसे उसने न भोगा हो। वह अपने जीवन से पर
ू त
् त संतषु ् था।

2. प्र - बाज बिं्गी भर आिाि मे िद उड़ता रिा फिर घायल िोरे िे बा् भी िि उड़रा कयय
चािता रा ?
उत् - बाज ज़िंदगी भ् आकाि मे उड़ता ्हा, उसने आकाि की असीम ऊँचाइयय को अपने पंखय
से नापा। बाज साहसी था। अतत काय् की मौत नहीं म्ना चाहता था। वह अंततम कर तक
जीवन की आवशयकताां के शलए संघर् क्ना चाहता था।

3. प्र -साँप उड़रे िी इच्ा िो मर


क त
् ापू
क ् मारता रा। फिर उसरे उड़रे िी िोशिि कयय िी?
उत् - साँप उड़ने की इच्ा को मख
ू त
् ापर
ू ् मानता था कययकक वह मानता था कक वह उड़ने मे
सकम नहीं है । प् जब उसने बाज के मन मे आकाि मे उड़ने के शलए तड़प दे खी तब साँप के
मन मे भी उतसुकता जागी कक आकाि का मुकत जीवन कैसा होता है ? इस ्हसय का पता
लगाना ही चाहहए। तब उसने भी आकाि मे एक बा् उड़ने की कोशिि क्ने का तनशचय ककया।
4. प्र - बाज िे शलए लिरय रे गीत कयय गाया रा ?
उत् - बाज की बहाद्ु ी प् पसरन होक् लह्य ने गीत गाया था। उसने अपने पार गँवा हदए
प्रतु ज़िंदगी के खत्े का सामना क्ने से पी्े नहीं ह्ा।

5. प्र - घायल बाज िो ्े रिर साँप रुि कयय िुआ िोगा ?


उत् - साँप का ितु बाज है चँकू क वो उसका आहा् होता है । घायल बाज उसे ककसी पका् का
आघात नहीं पहुँचा सकता था इसशलए घायल बाज को दे खक् साँप के शलए खि
ु होना
सवाभाववक था।

6. प्र - ििारी मे से िे पंबकतयाँ चुरिर शलखरए बजरसे सितंंता िी पेरूा शमलती िो।
उत् - कहानी की सवतंतता से संबंधित पंज़कतयाँ –

1. जब तक ि्ी् मे ताकत ्ही, कोई सुख ऐसा नहीं बचा ज़जसे न भोगा हो। द्ू -द्ू तक
उडाने भ्ी है, आकाि की असीम ऊँचाइयय को अपने पंखय से नाप आया हूँ।
2. “आह! काि, मै शसर् एक बा् आकाि मे उड पाता।”
3. प् वह समय द्ू नहीं है , जब तम
ु हा्े खन
ू की एक-एक बँद
ू ज़जंदगी के अँिे्े मे पकाि
रैलाएगी औ् साहसी, बहाद्ु हदलय मे सवतंतता औ् पकाि के शलए पेम पैदा क्े गी।

7. प्र - मारि रे भी िमेिा पककयय िी तरि उड़रे िी इच्ा िी िै । आज मरुषय उड़रे िी


इच्ा फिर साधरय से पकरद िरता िै ।
उत् - मानव ने आहदकाल से ही पककयय की त्ह उड़ने की इच्ा मन मे ्खी है । ककरतु
िा्ीर्क असमथ्ता की वजह से उड़ नहीं पा ्हा था ज़जसका पर्राम यह हुआ कक मनुषय
हवाई जहाज का आववषका् क् हदखाया। आज मनुषय अपने उड़ने की इच्ा की पूतत् हवाई
जहाज, हे लीकॉप््, गैस-बैलून आहद से क्ता है ।

(भारत िी रोज) पाठ तराि

प्र 1. 7-8 अगसत िो बंबई मे फिस पसताि पर विचार फिया गया ?


उत्: 7-8 अगसत, 1942 को बंबई मे अखखल भा्तीय कांगेस कमे्ी ने खुली सभा मे उस पसताव
प् ववचा् ककया औ् बहस की जो ‘भा्त ्ोड़ो आंदोलन’ के नाम से जाना जाता है ।
प्र 2. ‘भारत ्ोड़ो’ पसताि मे कया सझ
ु ाि ह्ए गए रे ?
उत्: इस पसताव मे अंतर्म स्का् बनाने का सझ
ु ाव हदया गया था ज़जसमे एक शमली-जल
ु ी
स्का् बने तथा सभी वग् के लोगय का पतततनधितव हो।
प्र 3. मौलारा आजा् और गाँधी जी रे कया सपषर फिया ?
उत्: मौलाना आजाद औ् गाँिी जी ने यह सपष् ककया कक उनका अगला कदम होगा-ब्ह्ि
स्का् के पतततनधि, वायस्ाय से मल
ु ाकात क्ना औ् संयक
ु त ्ाष् के मख
ु याधिकार्यय से एक
सममानपर
ू ् समझौते के शलए अपील क्ना।

(नरबंध) आ्ि् विदयारर

पसतािरा - एक आदि् ्ात वह है जो शिका के साथ-साथ अरय सह-पाठयकम गततववधियय मे


भी अच्ा है । ह् माता-वपता चाहते है कक उसका बचचा सकूल मे अच्ा पदि्न क्े प् कु् ही
बचचे अपने माता-वपता की उममीदे पू्ी क् पाते है। माता-वपता की भूशमका न केवल अपने
बचचय को वयाखयान दे ने औ् उनसे उचच उममीदे लगाने की होती है बज़्क उन अपेकाां को
पू्ा क्ने मे उनकी मदद क्ने औ् उनका माग्दि्न क्ने की भी होती है ।

एि आ्ि् ्ां िी वििेषताएं - यहाँ एक आदि् ्ात की मख


ु य वविेरताएं बताई गई है:

(ि) मेिरती - एक आदि् ्ात लकय तनिा्र्त क्ता है औ् उरहे पापत क्ने के शलए कड़ी
मेहनत क्ता है । वह अधययन, खेल औ् अरय गततववधियय मे सव्वेषठ क्ना चाहता है औ्
ऐसा क्ने के शलए अपने सव्तम पयास मे िाशमल होने से संकोच नहीं क्ता।

2. लकय नरधा्रू िररा - एक आदि् ्ात कभी भी मुज़शकल होने प् हा् नहीं मानता। वह
तनिा्र्त लकयय को पापत क्ने के शलए तनिा्र्त ्हता है औ् सफ़लता पापत क्ने के शलए
लगाता् काय् क्ता है |

3. भरोसेमं् - आदि् ्ात भ्ोसेमंद होता है । शिकक अकस् उरहे अलग-अलग काय् बाँ्ता है जो
वे बबना असरल हुए पू्ा क्ते है।

4. सिारातमि - एक आदि् ्ात हमेिा सका्ातमक दज़ष्कोर ्खता है । यहद पाठयकम बड़ा है ,
यहद शिकक अधययन क्ने के शलए समय हदए बबना प्ीका लेता है , यहद कु् पततयोगी
गततववधियां अचानक ्खी जाती है तो भी आदि् ्ात घब्ाता नहीं है ।

ु - एक आदि् ्ात नई चीजे सीखने के शलए उतसक


5. जाररे िे शलए उतसि ु ्हता है । वह कका
मे सवाल पू्ने मे संकोच नहीं क्ता। एक आदि् ्ात भी पुसतकय को पढने औ् इं््ने् प्
सच् क्ने के अपने त्ीके से अलग-अलग चीिय के बा्े मे अपने जान को बढाने के शलए ततप्
्हता है |

उपसंिार - एक आदि् ्ात बनने के शलए दढ संक्प क्ना पड़ता है । प्रतु इसके शलए ककए
गए पयास अच्े होने चाहहए। यहद कोई बचचा कम उम से उप्ोकत वविेरताां को ववकशसत
क्ता है तो जैसे जैसे उसकी उम बढती जाएगी वैस-े वैसे वह तनज़शचत रप से बहुत कु् हाशसल
क् लेगा।

निबंध (दैनिक जीवि मे नवज्ि)


पसतािरा - मनुषय तन्ं त् मानव जीवन को सुखमय बनाने मे पयास्त ्हा है । उसने ववजान
के दवा्ा नए-नए आववषका् क्के अपने दै तनक जीवन को आनंदमय क् शलया है ।

ववजान के दवा्ा ही ववशव सभय हुआ औ् आज असभयता के अंिका् को ची्क् चा्य ा्


सखु का पकाि ववजान ही त्त्ा ्हा है । ववजान ने मनषु य के दै तनक जीवन मे अभत
ू पव
ू ्
पर्वत्न ला हदए है।

यातायात िे कें मे विजार - यातायात के केत मे तो कांततका्ी पर्वत्न आ गए है। बैलगाड़ी


युग को ववजान ने एकदम बदल डाला है । सड़कय प् तेज गतत के वाहन हवा से बाते क्ने लगे
है। पानी के भीत् चलने वाली पनडुज़्बयाँ बन गई है। हिा्य याबतयय को ले जाने वाले
वायुयान आकाि मे उड़ने लगे है।

बबजलद िा आविषिार – बबजली के आववषका् के का्र मनुषय की जीवन िैली ही बदल गई है ।


अंिका् भ्ी ्ाते बबजली के पकाि से जगमगा उठी है। पंखय, कूल्य ने गम् की तपन को िांत
क् हदया है । सद् की कंपकंपाह् को ही््य ने द्ू क् हदया है । ्सोई के सा्े काम बबजली के
उपक्रय के दवा्ा होने लगे है।

्े लीवविन, ्े लीफ़ोन, व्सएप, रेसबक


ु , कंपय्
ू ्, इं््ने् आहद ने दतु नया को समे्क् ्ो्ा-सा
बना हदया है । इन संचा् के माधयमय से कांतत आ गई है । वैकयम
ू कलीन् कोनय तक को साफ़-
सथ
ु ्ा क् दे ते है। हाथय मे बँिी घडड़यय से समय का तो पता चलता ही था, अब इनसे ्कतचाप,
हदय की िड़कनय औ् नाड़ी की गतत तक को नापा जा सकता है ।

पुसति पिािर जगत मे कांनत - ववजान के दवा्ा पुसतक पकािन जगत मे कांतत आ गई है ।
एक हदन मे एक पुसतक की हिा्य पततयाँ तैया् होने लगी है। सुंद् धचतमय पुसतके दे खक्
मन पसरनता से भ् जाता है । कंपयू्् के दवा्ा पुसतक पकािन की सुवविा ने इस केत को
पर
ू त
् या नवीन रप पदान क् हदया है ।

चचफितसा िे कें मे विजार - धचककतसा के केत मे ववजान ने ने अभूतपूव् पर्वत्न ला हदए है।
ववजान दवा्ा ऐसे-ऐसे उपक्र बना हदए गए है ज़जनसे ि्ी् के भीत् के भागय को ्ी.वी.
सकीन प् दे खा जा सकता है । ्ोगय का पता लगाने से लेक् उनके तनदान तक के उपाय
कंपयू्् क्ने लगे है। ि्य-धचककतसा के शलए नए-से-नए उपक्र आ गए है। अंग-पतया्ोपर
तक होने लगे है।

उपसंिार - ववजान ने मनषु य के ्हन-सहन, खान-पान के साथ-साथ उसके उठने-बैठने, चलने-


कर्ने, आने-जाने तक को पभाववत क् हदया है । मनुषय के दै तनक जीवन का ऐसा कोई केत नहीं
है ज़जसे ववजान ने पभाववत न ककया हो। पातत उठने से लेक् ्ात को सोने तक के समसत काय्
ववजान दवा्ा ही संचाशलत होते है।

नरबंध (प्ष
क ू िी समसया और समाधार)

पसतािरा:- पदर
ू र की समसया की ा् आजकल सभी दे िय का धयान केहदत है । इस समय
हमा्े समक सबसे बड़ी चुनौती पया्व्र को बचाने की है, कययकक पानी, हवा, जंगल, शमट्ी आहद
सब कु् पदवू रत हो चुका है । इसशलए पतयेक वयज़कत को पया्व्र का महतव बताया जाना
चाहहए; कययकक यही हमा्े अज़सततव का आिा् है ।

प्ष
क ू िा अर्:-- पया्व्र का तनमा्र पकरतत के दवा्ा ककया गया है । जब वाताव्र मे कु्
हातनका्क घ्क आ जाते है तो वे वाताव्र का संतल
ु न बबगाड़ क् उसको दवू रत क् दे ते है।
यह गंदा वाताव्र जीव िार्यय के शलए अनेक पका् से हातनका्क होता है । इस पका्
'वाताव्र के दवू रत हो जाने' को ही पदर
ू र कहते है।

प्ष
क ू िे पिार:-आज िे िातािरू मे प्ष
क ू नरमरशलखरत रपय मे ह्राई ्े ता है -

क ू:- वायु जीवन के शलए जर्ी है । पतयेक पारी को सवसथ रप से जीने के शलए िुदि
िायु प्ष
वायु अथा्त ऑकसीजन की आवशयकता होती है | जीविा्ी साँस दवा्ा ऑकसीजन गहर क्ता
है औ् काब्न डाइऑकसाइड ्ोड़ता है । पेड़ पौिे काब्न डाइऑकसाइड गहर क् हमे ऑकसीजन
पदान क्ते है। इससे वायुमंडल मे िुदिता बनी ्हती है । आजकल वायुमंडल मे ऑकसीजन गैस
का संतुलन बबगड़ गया है औ् वायु अनेक हातनका्क गैसय से पदवू रत हो गई है |
क ू:-जल को जीवन कहा जाता है औ् यह भी माना जाता है कक जल मे ही सभी दे वता
जल प्ष
तनवास क्ते है। इसके बबना जीव जंतु औ् पेड़ पौिय का भी अज़सततव नहीं है । कर् भी बड़े बड़े
नग्य के गंदे नाले औ् सीव् नहदयय मे शमला हदए जाते है। का्खानय का सा्ा मैला बहक्
नहदयय के जल मे आक् शमलता है । इससे जल पदवू रत हो गया है |

क ू:- धवतन पदर


धिनर प्ष ू र भी आज की नई समसया है । मो््, का्, ्ै क््, जे् ववमान,
का्खानय के साय्न, मिीने तथा लाउडसपीक् धवतन के संतुलन को बबगाड़ क् धवतन पदर
ू र
उतपरन क्ते है। अतयधिक धवतन पदर
ू र से मानशसक ववकरतत, तीव-कोि ,अतनदा एवं
धचड़धचड़ापन जैसी मानशसक समसयाएं तेजी से बढ ्ही है।

प्ष
क ू िी समसया तरा इससे िानरयाँ:--

बढती हुई जनसंखया औ् औदयोगीक्र ने ववशव के सममुख पदर ू र की समसया पैदा क् दी है ।


का्खानय से ववरैले कच्े के बहाव से तथा जह्ीली गैसय के र्साव से आज मानव-जीवन
समसया गसत हो गया है । इस पदर
ू र से मनुषय जानलेवा बीमार्यय का शिका् हो ्हा है ।
कोई अपंग होता है तो कोई बह्ा, ककसी की दज़ष् िज़कत नष् हो जाती है |

समसया िा समाधार:- वाताव्र को पदर


ू र से बचाने के शलए वक
र ा्ोपर सव्वेषठ सािन है ।
दस
ू ्ी ा् , वक
र य के अधिक क्ान प् भी ्ोक लगायी जानी चाहहए । का्खाने औ् मिीने
लगाने की अनुमतत उरहीं लोगय को दी जानी चाहहए जो औदयोधगक कच्े औ् मिीनय के िुएँ
को बाह् तनकालने की समुधचत वयवसथा क् सके ।

उपसंिार:-- भा्त स्का् पदर


ू र की समसया के पतत जागरक है । उसने 1974 ई ० मे ' जल -
पदर
ू र तनवा्र अधितनयम ' लागू ककया था । इसके अरतग्त एक ' केरदीय बोड् ' तथा पदे िय मे
' पदर
ू र तनयरतर बोड् ' गहठत ककये गये है । इसी पका् नये उदयोगय को लाइसेस दे ने औ्
वनय की क्ाई ्ोकने की हदिा मे कठो् तनयम बनाये गये है |

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