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भाषा ह द

िं ी
LANGUAGE
ENGLISH
पेपPAPER
र 1 2
1 2

SACHIN CHOUDHARY SACHIN ACADEMY

FARMAN MALIK CP STUDY POINT


ACADEMY

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जाएगी।
र्र्व
भाषा की सबसे छोटी मौखिक ध्वनि या उसके लिखित रूप को वर्ण या अक्षर कहा जाता है ।

स्र्र
स्वर (vowel) उि ध्वनियों को कहते हैं जो बबिा ककसी अन्य वर्ों की सहायता के
उच्चाररत ककये जाते हैं। स्वतंत्र रूप से बोिे जािे वािे वर्ण,स्वर कहिाते हैं। हहन्दी भाषा
में मि
ू रूप से ग्यारह स्वर होते हैं। अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ऋ,ए,ऐ,ओ,औ आहद। हहन्दी भाषा में
ऋ को आधा स्वर (अधणस्वर) मािा जाता है , अतः इसे स्वर में शालमि ककया गया है ।

अग्रस्र्र :- जजि स्वरों के उच्चारर् में जजह्वा का आगे का भाग सकिय होता है उसे अग्रिश्वर
कहते हैं। जैसे- ई ,ए,ऐ ,अ, इ

पश्चस्र्र :- जजि स्वरों के उच्चारर् में जजह्ववा का पीछे का भाग सकिय होता है उससे पश्च
स्वर कहा जाता है । जैसे- आ,उ,ऊ,ओ,औ,ऑ।

सिंर्ि
ृ स्र्र :- संवत
ृ का अर्ण होता है " कम िि
ु िा" अर्ाणत जजि स्वरों के उच्चारर् में मि
ु कम
िुिता है उन्हें संवत
ृ स्वर कहते हैं। जैसे-ई,ऊ

उच्चारर् के आिार पर स्र्र के भेद

स्र् स्र्र :- जजि स्वरों के उच्चारर् में एक मात्रा का समय अर्ाणत कम समय िगता है । उन्हें
हस्व स्वर कहते हैं। जैसे- अ,इ,उ, ऋ।
दीघव स्र्र :- जजि स्वरों के उच्चारर् में 2 मात्राओं का या 1 मात्रा से अग्रधक का समय िगता है ,
उन्हें दीर्ण स्वर कहते हैं। जैसे- आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ।

िुप्ि स्र्र :- जजि स्वरों के उच्चारर् में दो मात्राओं से भी अग्रधक समय िगे िुप्त स्वर
कहिाते हैं। जैसे- ओ३म ्

स्र्र
 हस्व स्वर अ,इ,उ, ऋ
 दीर्ण स्वर आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ
 अधण स्वर इ,उ आ,ऐ,औ
 वत्तृ ाकार स्वर आ,उ,ऊ,ओ,औ
 मिू स्वर अ,इ,उ,ऋ
 अि स्वर इ, ई ,ए,ऐ,
 मध्य स्वर अ
 पश्च स्वर आ,उ,ऊ,ओ,औ,ऑ
 संवतृ स्वर ई,ऊ

व्यिंजन
स्वरों की सहायता से बोिे जािे वािे वर्ण व्यंजि कहिाते हैं।

हहंदी वर्णमािा में कुि मि


ू व्यंजिो की संख्या 33 है ।

व्यिंजन के भेद
उच्चारर् की दृष्टट से व्यिंजन चार प्रकार के ोिे ैं।

1. स्पशण व्यंजि

2. अन्त:स्र् व्यंजि

3. उष्म व्यंजि

4. संयक्
ु त व्यंजि

(1) स्पर्व व्यिंजन :- कंठ, तािव्य, मध


ु ाण, दं त तर्ा ओष्ठ के परस्पर स्पशण से बोिे जािे वािे
वर्ण स्पशण व्यंजि कहिाते हैं।

स्पर्व व्यिंजनों की सिंख्या 25 ै । इसमें र्रू


ु के 5 र्गव आिे ैं ष्जसमें

क वगण में क ि ग र् ङ,

च वगण में च,छ, ज,झ,ञ

ट वगण में ट,ठ, ड, ढ, र्

त वगण में त,र्,द, ध, ि

प वगण में प,फ, ब,भ,म

(2) अन्ि:स्थ व्यिंजन :- जजि वर्ों का उच्चारर् स्वरों और व्यंजिों के बीच जस्र्त हो उसे
अन्तःस्र् व्यंजि कहते हैं। यानि जजि व्यंजिों का उच्चारर् करते समय भीतर से बाहर की ओर
शजक्त िगती है

अन्ि:स्थ व्यिंजनों की सिंख्या चार ै ।


य, र, ि, व

(3) उटम व्यिंजन :- जजि व्यंजिों के उच्चारर् में हवा के रगड़ िािे से ऊष्मा निकिती है उसे
उष्म व्यंजि कहते हैं।

उटम व्यिंजनों की सिंख्या चार ै ।

श, ष, स, ह

(4) सिंयक्ट्
ु ि व्यिंजन :- दो व्यंजिों के मेि से बिा व्यंजि संयक्
ु त व्यंजि कहिाता है ।

सिंयक्ट्
ु ि व्यिंजन की सिंख्या चार ै ।

क्ष, त्र, ज्ञ, श्र

क्ष = क् + ष

त्र = त ् + र

ज्ञ = ज ् + ञ

श्र = श ् + र

श्र्ास र्ायु के आिार पर र्र्ो का र्गीकरर्


श्वास वायु के आधार पर वर्ो के प्रकार

 अल्पप्रार्
 म ाप्रार्।

1. अल्पप्रार् :- जजि वर्ों के उच्चारर् में श्वास वायु कम मात्रा में मि


ू से बाहर निकिती है ।
वे अल्पप्रार् ध्वनियााँ कहिाती है । क वगण , च वगण आहद का पहिा , तीसरा , पााँचवााँ वर्ण ( क ,
ग , ङ , च , ज , ञ , आहद ) तर्ा य , र ,ि , व और सभी स्वर अल्पप्रार् है ।

2. म ाप्रार् :- जजि वर्ो के उच्चारर् में श्वास वायु अग्रधक मात्रा में मि
ु से बाहर निकिती है
उन्हें महाप्रार् ध्वनियााँ कहते है । प्रत्येक वगण का दस
ू रा और चौर्ा वर्ण (ि , र् , छ , झ आहद)
तर्ा श , ष , स , ह महाप्रार् है ।

ह द
िं ी के र्र्ो का उनके उच्चारर् स्थान के आिार पर र्गीकरर्
 कण्ठ्य र्र्व:- जजि वर्ो का उच्चारर् कंठ से होता है। कंठ से उच्चाररत वर्ण जैसे - अ ,
आ (स्वर) , क, ि , ग, र्, ङ (व्यंजि) और ववसगण (:)
 िािव्य र्र्व :- जजि वर्ो के उच्चारर् में जजहवा का मध्य भाग तािु से स्पशण करता है ।
उन्हें तािव्य वर्ण कहते है । तािु से उच्चाररत वर्ण जैसे - इ , ई(स्वर) , च, छ, ज, झ, ञ ,
य , श (व्यंजि)

 मूर्दविन्य र्र्व :- जजि वर्ो के उच्चारर् मर्दू णधा से होता है। उन्हें मर्द
ू णधन्य वर्ण कहते है ।
मर्द
ू णधा से उच्चाररत वर्ण जैसे- ऋ (स्वर) , ट, ठ, ड, ढ, र्, र, ष (व्यंजि)
 दन्त्य र्र्व :- जजि वर्ो के उच्चारर् में जजहवा का अि भाग दन्त से स्पशण करता है।
उन्हें दन्त्य वर्ण कहते है । दन्त से उच्चाररत वर्ण जैसे- ि ृ , त, र्, द, ध, ि, ि, स (सभी
व्यंजि)

 ओट्य र्र्व :- जजि वर्ो के उच्चारर् में दोिों होठ स्पशण करते है। उन्हें ओष््य वर्ण
कहते है । ओष्ठ से उच्चाररत वर्ण जैसे- उ ,ऊ (स्वर) , प, फ, ब, भ, म (व्यंजि)
 नालसक्ट्य र्र्व :- जजि वर्ो का उच्चारर् माँहु और िाक दोिों से होता है। उन्हें िालसक्य
वर्ण कहते है । िालसका से उच्चाररत वर्ण जैसे -अं , ङ, ञ , र् , ि , म

 किंठिािव्य र्र्व :- जजि वर्ो के उच्चारर् में कंठ तर्ा तािु दोिों का सहयोग होता है।
उन्हें कंठतािव्य वर्ण कहते है । कंठ-तािु से उच्चाररत वर्ण जैसे -ए , ऐ

 किंठोट्य र्र्व :- जजि वर्ो के उच्चारर् में कंठ तर्ा ओष्ठ दोिों का सहयोग होता है।
उन्हें कंठोष््य वर्ण कहते है । कंठ-ओष्ठ से उच्चाररत वर्ण जैसे - ओ , औ

 दन्िोट्य र्र्व :- जजि वर्ो के उच्चारर् में दन्त तर्ा ओष्ठ दोिों का सहयोग होता
है । उन्हें दन्तोष््य वर्ण कहते है । दन्त-ओष्ठ से उच्चाररत वर्ण जैसे - व

 र्त्स्यव र्र्व :- जजि अरबी-फ़ारसी वर्ो के उच्चारर् ऊपर वािे मसूड़ों के कठोरतम भाग
से होते है , उन्हें वत्स्यण वर्ण कहते है । वत्स्यण से उच्चाररत वर्ण जैसे - फ़ और ज़।

 ष्जह्र्ामि
ू क र्र्व :- जजि अरबी -फ़ारसी वर्ो का उच्चारर् जजहवा के पीछे के भाग से
होता है । उन्हें जजह्वामि
ू क वर्ण कहते है । जजह्वामि
ू क से उच्चाररत वर्ण जैसे - क़ , ख़
और ग़।
 अलिष्जह्र्ा/ काकल्य र्र्व :- जजि वर्ो के उच्चारर् में मि
ु िि
ु ा रहता है , तर्ा वायु
कंठ को िोिकर झटके से बाहर निकिती है । उन्हें अलिजजह्वा वर्ण या काकल्य वर्ण
कहते है । जैसे - ह।

र्र्ो के उच्चारर् स्थान की िालिका


1. कंठ (कण्ठ्य) - अ , आ , क वगण (क ि ग र् ङ) और ववसगण (:)

2. तािु (तािव्य) - इ , ई , च वगण (च छ ज झ ञ) , य , श

3. मर्द
ू णधा (मर्द
ू णधन्य) - ऋ , ट वगण (ट ठ ड ढ र्) , र , ष

4. दन्त (दन्त्य) - ि ृ , त वगण (त र् द ध ि) , ि , स

5. ओष्ठ (ओष््य) - उ , ऊ , प वगण (प फ ब भ म)

6. िालसका (िालसक्य) - अं , ङ, ञ , र् , ि , म

7. कंठ-तािु (कंठतािव्य) -ए,ऐ

8. कंठ-ओष्ठ (कंठोष््य) -ओ,औ

9. दन्त-ओष्ठ (दन्तोष््य) -व

10. स्वर यंत्र (अलिजजह्वा) -ह

र्ाक्ट्य
भावों और ववकारों को पूर्त
ण ः व्यक्त करिे वािे सार्णक शब्द समह
ू ों को वाक्य कहते हैं।
र्ाक्ट्य के अिंग
 उर्ददे श्य
 वर्िेय

उर्ददे श्य :- वाक्य में जजस व्यजक्त या वस्तु के सम्बन्ध में कुछ बताया जाता है ,उसे उर्ददे श्य
कहते है । उर्ददे श्य में कताण तर्ा उसका ववशेषर् होता है ।
जैसे :- सोहि िेि रहा है ।
इस वाक्य में सोहि उर्ददे श्य है क्योकक इसके बारे में कुछ बताया जा रहा है ।

वर्िेय :- उर्ददे श्य के ववषय में जो कुछ भी बताया जाता है , वह ववधेय होता है । इसमें किया कमण
तर्ा उिका ववस्तार होता है ।
उदाहरर् – ये कवव अच्छी कववताएं लििता है ।

इस वाक्य में ये कवव – उर्ददे श्य है , क्योंकक उसके ववषय में कुछ कहा जा रहा है ।
कववताएाँ लििता है – ववधेय है , क्योंकक इसमें वे बातें हैं, जो कवव के ववषय में कही गई हैं।

अथव के आिार पर र्ाक्ट्यों के प्रकार

वर्िानर्ाचक र्ाक्ट्य :- वे वाक्य जजिमें किया के होिे या करिे की बात कही गई हो , उन्हें
ववधािवाचक वाक्य कहते हैं।

उदा रर्
 सय
ू ण पूरब से निकिता है ।
 बच्चे रोज ववर्दयािय जाते हैं।

ननषेिर्ाचक र्ाक्ट्य :- वे वाक्य जजिमें किया के ि होिे या ि करिे का बोध हो, उसे
निषेधवाचक वाक्य या िकारात्मक वाक्य कहते हैं।

उदा रर्
 बच्चे रोज स्कूि िहीं जाते हैं।
 हम अब र्म
ू िे िहीं जाएंगे।

प्रश्नर्ाचक र्ाक्ट्य :- जजि वाक्यों में प्रश्ि ककया जाता है ,उन्हें प्रश्िवाचक वाक्य कहते हैं।
उदा रर्
 आज तम
ु िे क्या िाया ?
 आजकि वह क्यों परे शाि रहते है ?

सिंकेिर्ाचक र्ाक्ट्य :- जजि वाक्यों में एक किया का होिा दस


ू री किया पर निभणर होता है या
ककसी शतण की पूनतण का ववधाि ककया जाता है , उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं।

उदा रर्
 यहद वह समय पर स्टे शि पहुाँच गया होता तो उसकी गाडी ि निकिती ।
 अचे काम करोगे तो अच्छा ही फि लमिेगा ।

सिंदे र्ाचक र्ाक्ट्य :- जजि वाक्यों में संदेह या संभाविा पाई जाए,उन्हें संदेहवाचक वाक्य
कहते हैं।

उदा रर्
 शायद आज बाररश हो जाए ।
 अब तक भैया र्र पहुाँच चक
ु े होंगे।

इच्छार्ाचक र्ाक्ट्य :- जजि वाक्यों में वक्ता की इच्छा, कामिा, शुभकामिा, आशा, आशीवाणद
आहद के भाव प्रकट हों, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं।

उदा रर्
 ईश्वर आपकी मिोकामिा पूरी करे ।
 आपकी यात्रा मंगिमय हो।

आज्ञार्ाचक र्ाक्ट्य :- जजि वाक्यों से आज्ञा, अिरु ोध, आदे श, प्रार्णिा आहद के भाव प्रकट हों,
उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं।

उदा रर्
 आप मेरे पास आकर बैहठये ।
 कृपया आप यहााँ हस्ताक्षर कर दे ।

वर्स्मयाहदर्ाचक र्ाक्ट्य :- जजि वाक्यों में ववस्मय, हषण, शोक, र्र्


ृ ा, िोध आहद मिोभावों
का प्रकट होिा पाया जाए, उन्हें ववस्मयाहदवाचक वाक्य कहते हैं।

उदा रर्
 वाह! इसे िा कर मजा आ गया ।
 हाय! बेचारा भक
ू ा ही सो गया।

रचना के आिार पर र्ाक्ट्यों के प्रकार


 सरि र्ाक्ट्य
 सिंयक्ट्
ु ि र्ाक्ट्य
 लमधिि र्ाक्ट्य
सरि र्ाक्ट्य :- जजि वाक्यों में केवि एक ही उर्ददे श्य तर्ा एक ही ववधेय हो, उन्हें सरि वाक्य
कहते हैं।
जैसे-

 राम ववर्दयािय जाता है ।


 सय
ू ण पूरब से निकिता है ।
 वह बाजार जाकर फि िाया।

सिंयुक्ट्ि र्ाक्ट्य :- जजि वाक्यों में दो या दो से अग्रधक उपवाक्य ककंत,ु और, परं त,ु
तर्ा,अन्यर्ा या आहद समच्
ु चयबोधक अव्ययों से जुड़े हों, उन्हें संयुक्त वाक्य कहते हैं।
जैसे-

 बच्चे ववर्दयािय जाते है और मि िगाकर पढ़ते है ।


 वह एक गरीब आदमी परं तु ककसी से मांगता िहीं है ।
 माता जी दि
ु ी ही िहीं बजल्क िाराज भी हैं।
 मझ
ु े गाड़ी पकड़िी र्ी, इसलिए सब
ु ह उठिा पड़ा।
 आज मैच जीतिे के आसार र्े ककंतु बाररश हो गई ।
 आप दध
ू पी िीजजए या िीर िा िीजजए।

लमधिि र्ाक्ट्य :- जो वाक्य दो या अग्रधक उपवाक्यों से बिा हो तर्ा जजसमें एक उपवाक्य


प्रधाि तर्ा दस
ू रा उस पर आग्रश्रत हो, उसे लमश्र वाक्य कहते हैं।
लमश्र वाक्य की पहचाि है कक दो उपवाक्यों में से एक उपवाक्य हमेशा अपूर्ण होता है । दोिों
उपवाक्य लमिकर ही पूर्ण अर्ण प्रकट करते हैं।
जैसे–

 जजतिा पररश्रम करोगे, उतिी ही सफिता प्राप्त करोगे।


इस वाक्य में प्रधाि वाक्य है - ‘सफिता प्राप्त करोगे’ और यह सफिता आग्रश्रत है -पररश्रम के
पररमार् पर।

प्रिान उपर्ाक्ट्य – उतिी ही सफिता प्राप्त करोगे।


आधिि उपर्ाक्ट्य – जजतिा पररश्रम करोगे
1. प्रिान र्ाक्ट्य में वह बात कही जाती है , जो बोििे या लिििेवािा बतािा चाहता है ।
आधिि में , वह कारर्, दशा, अवस्र्ा या बात होती है ।

लमधिि र्ाक्ट्य की प चान :- लमश्र वाक्य में कक, जो-वह, जजसे-उसे, ऐसा-जो, वही-जजसे,
यहद-तो जैसे व्यग्रधरकर् योजक होते हैं।

कुछ उद ारर्
 रे शमा इसलिए स्कूि िहीं गई क्योंकक वह बीमार है ।
 जो ववर्दयार्ी पररश्रमी होता वह अवश्य सफि होता है ।
 वपता जी िे कहा र्ा कक जल्दी र्र आ जािा।

ह द
िं ी की ध्र्ननयों के पारस्पररक अिंिर की जानकारी

वर्र्ेष रुप से स, ष,र् ब, र्ड,ढ,ड,ढ़, ङ छ,क्ष और न ___र् की जानकारी


ड , ढ, िथा ड़ , ढ़ में अिंिर

 ड़, ढ़ - इिका प्रयोग शब्दों के बीच में या अंत में ककया जाता है शरूु में िहीं ककया जाता है।
जैसे :- िड़िा , पढ़िा , सड़क , पेड़, गढ़िा , पढ़ाई । आहद
 ड, ढ - इिका प्रयोग शब्द के शरूु में होता है । जैसे - डायरी , ढिाि , ढोिक आहद
 ङ - एक पंचमाक्षर है जजसका उच्चारर् िाक से होता है इसका प्रयोग शब्दों के ऊपर बबंद ु के
रूप में होता । जैसे रङ्ग - रं ग, कङ्गि- कंगि
 (•)अनस्ु र्ार के उच्चारर् में िाक से अग्रधक सााँस निकिती है और ि या म की ध्वनि आती
है ।जैसे – र्ण्ठटा - र्ंटा , सम्बन्ध - संबंध , आहद।
 'ड' अल्पप्रार् तर्ा 'ढ' महाप्रार् ध्वनि है।
 'ङ' और ञ ् का उच्चारर् स्वतंत्र वर्ण के रूप में िहीं होता है।

स,ष ,र्, का अिंिर

उच्चारर् स्थान की दृष्टट से अिंिर

 स- दिं ि- इसमें हमारी जजह्वा दााँतों के निचिे भाग को स्पशण करती है। जैसे :- सरि, समय,
सहज, सच
ू िा, आहद।
 ष - मूिन्व य - जब जीभ तािु के पीछे वािे भाग से टकराती है तो उससे जो आवाज़
निकिती है तो उसे ही मध
ू ाण बोिते हैं। जैसे:- भाषा, भाषर्, ववशेष, आहद
 र् - िािव्य - जब जजह्वा हमारे तािु से टकराती है तो उसे तािव्य कहते हैं। जैसे:-
शिजम, शरीर, लशक्षा, शरू
ु , आहद।

प्रयोग की दृष्टट से अिंिर


 जहााँ पर श,ष दोिों एक सार् आए तो वहााँ पहिे तािव्य (श) आता है । उसके बाद मध
ू ाण (ष)
आता है । जैसे:- ववशेषज्ञ, ववशेषर्, ववशेषता आहद।
 िािव्य र् का प्रयोग :- इसका उच्चारर् तािु से होता है। जजसके कारर् इसे तािव्य श
कहते हैं। जैसे:- शजक्तशािी, शायद, ,शोषर्, शालमि, आहद।
 स- एक सामान्य वर्ण है जजसका उच्चारर् स्र्ाि दं त है। स का प्रयोग इस प्रकार है :- जैसे
सागर, सरदार, सरि, सार् आहद

श, ष तर्ा स सभी ऊष्म व्यंजि हैं।


सामान्य रूप से 'स' का प्रयोग तत्सम शब्दों में होता है।
'ष' वर्ण उच्चारर् में िहीं है , पर िेिि में है।

र् और ब का अिंिर

 र्- एक दं तोष्ठ वर्ण है । इसका प्रयोग है जैसे- वविाश , वाक्य , वाचक, वह, आहद ।
 ब- एक ओष्ठ वर्ण है ब का प्रयोग सामान्य शब्द में एवं उपसगण के रुप में भी इसका प्रयोग
होता है । जैसे- बाि ,बिवाि , बात आहद
 'ब' र्र्व का प्रयोग संस्कृत में बहुत कम तर्ा हहन्दी में बहुत अग्रधक होता

न ,र् में अिंिर

न-का प्रयोग

 ि - एक स्वतंत्र व्यंजि है जबकक र् पंचमाक्षर है जो िालसक्य वर्ण है।


 ि का प्रयोग अिस्ु वार के रुप में ककया जाता है जैसे- रं ग, पतंग, निबंध आहद
र् - का प्रयोग- जैसे :- प्रर्ाम, ऋर्, कृपार् आहद
 'र्' का उच्चारर् स्वतंत्र वर्ण के रूप में होता है।
 'र्' और 'ि' में मख्
ु य अंतर यह है कक जजि तत्सम शब्दों में 'र्' होता है , उिके तर्दभव के
रूप में 'र्' के स्र्ाि पर 'ि' प्रयक्
ु त होता है ।

छ,क्ष में अिंिर


 छ एक स्वतंत्र व्यंजि है जबकक क्ष एक संयक्ु त व्यंजि है।
 छ तािव्य वर्ण है । जैसे :- छात्र, छत ,छड़ी आहद
 जबकक क्ष कंठ और मध ू न्ण य वर्ण है इसमें हल्का क और ष की लमिीजुिी ध्वनि रहती है ।
जैसे:- कक्षा, परीक्षा, क्षेत्र आहद

अनुस्र्ार (•)
अिस्
ु वार स्वर के बाद आिे वािा व्यंजि है । इसकी ध्वनि िाक से निकिती है । हहंदी भाषा में
बबंद ु अिस्
ु वार (•) का प्रयोग ववलभन्ि जगहों पर होता है ।

पिंचम र्र्ों के स्थान पर

अिस्
ु वार (•) का प्रयोग पंचम वर्ण ( ङ्, ञ ्, र् ्, ि ्, म ् - ये पंचमाक्षर कहिाते हैं) के स्र्ाि पर
ककया जाता है । जैसे -

गड्.गा - गंगा

चञ़्चि - चंचि

झण्ठडा - झंडा

गन्दा - गंदा
कम्पि - कंपि

अनस्
ु र्ार र्ब्द

संबंध, सन्
ु दर, संस्कृनत, संपूर्ण, आिंद आहद।

अनन
ु ालसक
अिि
ु ालसक स्वरों के उच्चारर् में माँह
ु से अग्रधक तर्ा िाक से बहुत कम सााँस निकिती है । इि
स्वरों पर चन्रबबन्द ु (ँाँ) का प्रयोग होता है जो की लशरोरे िा के ऊपर िगता है ।
जैसे - गााँवआाँि, कुआाँ, मााँ, आहद।

अनन
ु ालसक र्ब्द

चााँद, कााँच , अाँधेर, पहुाँच, ऊाँचाई, टााँग, पााँच, सााँस, माँहगाई, आहद

बबंद ु को हहंदी में अिस्ु वार और चंरबबंद ु को अििु ालसका कहा जाता है।

अनुस्र्ार और अनुनालसका (चिंद्रबबिंद)ु में अिंिर


अििु ालसका स्वर है जबकक अिस्ु वार मिू त: व्यंजि।
अििु ालसका (चंरबबंद)ु को पररवनतणत िहीं ककया जा सकता, जबकक अिस्ु वार को वर्ण में
बदिा जा सकता है ।
अििु ालसका का प्रयोग केवि उि शब्दों में ही ककया जा सकता है जजिकी मात्राएाँ लशरोरे िा से
ऊपर ि िगीं हों। जैसे अ , आ , उ ऊ , उदाहरर् के रूप में - हाँ स , चााँद , पाँछ

लशरोरे िा से ऊपर िगी मात्राओं वािे शब्दों में अििु ालसका के स्र्ाि पर अिस्ु वार अर्ाणत
बबंद ु का प्रयोग ही होता है . जैसे - गोंद , कोंपि, जबकक अिस्
ु वार हर तरह की मात्राओं वािे
शब्दों पर िगाया जा सकता है

वर्राम धचन्
बोिते समय हम अपिे भावों को पूर्ण रूप से स्पष्ट करिे के लिए आवश्यकतािस
ु ार रुकते हैं।
यहद हम बबिा रुके बोिते चिे जाएाँ तो भाषा की अलभव्यजक्त पूर्ण रूप से िहीं हो पाती। इसमें
अर्ण भी अिग हो जाता है । यािी जो हम कहिा चाह रहे होते है वो सही से अलभव्यक्त िहीं हो
पाता। इस रुकावट को ही ववराम कहते हैं।
इस ववराम को प्रदलशणत करिे के लिए व्याकरर् में कुछ ग्रचह्ि निधाणररत ककए गए हैं, इन्हीं
ग्रचह्िों को ववराम-ग्रचह्ि कहते हैं।

जैसे-

 रोको, मत जािे दो।


 रोको मत, जािे दो।

इि दोिों वाक्यों को पढ़कर दे खिये कक बोिते समय बीच में रुकिा ककतिा आवश्यक है ।

वर्राम धचन् के प्रकार


 पूर्व वर्राम ( | )  प्रश्नर्ाचक धचह्न ( ? )
 अिव वर्राम ( ; )  वर्स्मयाहदबोिक धचह्न (!)
 अल्प वर्राम ( , )  कोटठक ( ),{ },[ ]
 उर्दिरर् धचन् या अर्िरर्  वर्र्रर् धचह्न ( :–)
धचन् ( “……” ) ( ‛……….’ )  उपवर्राम ( : )
 ननदे र्क सूचक धचन् ( ― )  िाघर् धचन् ( ० )
 योजक धचह्न ( -)  िं सपद या त्रुहटबोिक धचन् ( ^ )

वर्राम धचन् का प्रयोग

पूर्व वर्राम का प्रयोग ( | )


वाक्य के अंत में प्रायः पर्
ू ण ववराम िगाया जाता है । अर्ाणत जब वाक्य समाप्त हो जाता है तो पर्
ू ण
ववराम ग्रचन्ह का प्रयोग करते हैं।

उदा रर्
 वह एक िेक इंसाि है ।
 हम कि हदल्िी र्म
ू िे जाएगी ।

अिव वर्राम का प्रयोग ( ; )


अधण ववराम :- वाक्य में जहााँ पूर्ण ववराम से कम ककंतु अल्प ववराम से अग्रधक रुकिे की
आवश्यकता हो, वहााँ अधण ववराम का प्रयोग ककया जाता है ।

उदा रर्
 मैं उसे पसंद करता हूाँ; वह मझ
ु से िफरत करता है ।
 सय
ू ोदय हो गया; ग्रचड़ड़या चहकिे िगी और कमि खिि गए ।

अल्प वर्राम ( , )
जब पूर्ण ववराम से कम समय के लिए वाक्य के बीच में रुकिा पड़े, तो अल्पववराम ग्रचह्ि का
प्रयोग ककया जाता है ;

उदा रर्
 भारत में गेहूाँ, चिा, बाजरा, मक्का, आहद बहुत सी फ़सिें उगाई जाती हैं।
 वह ववर्दयािय ि जा सका, क्योंकक वह अस्वस्र् र्ा।

प्रश्नर्ाचक धचह्न का प्रयोग ( ? )


जजस वाक्य में कोई प्रश्ि पछ
ू ा गया हो उसके अंत में यह ग्रचह्ि िगाया जाता है ।

उदा रर्
 क्या मैं तम्
ु हारे र्र आ सकता हूाँ?
 आपका क्या िाम है ?

वर्स्मयाधिबोिक धचह्न ( ! )
ववस्मयः आश्चयण, शोक, हषण आहद भावों को प्रकट करिे वािे शब्दों को ववस्मयाहद बोधक ग्रचह्ि
कहते हैं।

उदा रर्
 वाह! हम यह मैच भी जीत गए।
 अरे ! तम
ु यहााँ क्या कर रहे हो?

कोटठक ( ),{ },[ ]


इसका प्रयोग साधारर्तया वाक्य के बीच में ककया जाता है । यहद वाक्य में आए शब्द के संबंध में
उिसे अिग कोई जािकारी दी जाती है तो उसे कोष्ठक का प्रयोग करके अिग कर हदया जाता
है ।
उदा रर्
 कालिदास (संस्कृत के महाकवव) को सभी जािते हैं।
 जवाहरिाि िेहरू(प्रर्म प्रधािमंत्री) को बच्चे बहुत प्यार करते र्े।

उर्दिरर् धचन् या अर्िरर् धचन् का प्रयोग ( “…..” )


ककसी व्यजक्त की कही हुई या लििी हुई बात को ज्यों का त्यों लिििे के लिए उर्दधरर् या
अवतरर् ग्रचन्ह का प्रयोग ककया जाता है ।

उदा रर्
 िोकमान्य नतिक िे कहा र्ा, “स्वतंत्रता हमारा जन्मलसर्दध अग्रधकार है ।”
 गांधी जी िे कहा है , “सत्य ही ईश्वर है ।”

ननदे र्क सच
ू क धचन् का प्रयोग ( ― )
निदे शक ग्रचन्ह का प्रयोग निम्ि जस्र्नतयों में होता है ।

 ककसी बात को उदाहरर् र्दवारा स्पष्ट करिे के लिए


 निम्िलिखित शब्द के वाक्य के अंत में
 कर्ि के बाद
 संवाद लििते समय

उदा रर्
 अक्षय–कहहए क्या बात है ?
 निम्िलिखित प्रश्िों के उत्तर लिखिए–
 राष्रीय स्वतंत्रता संिाम के सेिािी–भगतलसंह को कौि िहीं जािता।
योजक धचह्न का प्रयोग ( – )
इसका उपयोग दो शब्दों को जोड़िे में होता है । इसका प्रयोग र्दवंर्दव समास में ककया जाता है ।

उदा रर्
 िेहा िेिते-िेिते ग्रगर गई।
 रात-हदि

वर्र्रर् धचह्न का प्रयोग ( :–)


वाक्यांशों के ववषय में कुछ सच
ू िा, निदे श आहद दे िा हो तो वववरर् ग्रचह्ि का प्रयोग ककया जाता
है ।

उदा रर्
 भाषा के दो रूप हैं :– 1. मौलिक भाषा 2. लिखित भाषा

उपवर्राम का प्रयोग ( : )
इसका प्रयोग भी वववरर्-ग्रचह्ि की तरह ही होता है । ककसी के बारे में बतािे के लिए अर्ाणत
पररचय दे िे के लिए प्रयोग ककया जाता है ।

उदा रर्
 िर्क
ु र्ा : िए यग
ु की मार
 कामायिी : एक महाकाव्य

िाघर् धचह्न का प्रयोग (०)


शब्दों का संक्षक्षप्त रूप लिििे के लिए िार्व ग्रचह्ि का प्रयोग होता है ।
उदा रर्
 डॉ० = डॉक्टर
 पं० = पंड़डत
 ई० = ईस्वी

त्रहु ट-परू क या िं सपद धचह्न ( ^ )


जब ककसी वाक्य या शब्द में कुछ लिििे से शेष रह जाए तो उसको ठीक स्र्ाि पर लिििे के
लिए त्रहु ट परू क ग्रचह्ि या हं सपद का प्रयोग होता है ।

उदा रर् –
उत्तर

 हहमािय भारत के ^ में है ।

दे श

 भगत लसंह िे ^ के लिए प्रार् दे हदए।

वर्िोम र्ब्द
जो शब्द ककसी दस
ू रे शब्द का उल्टा अर्ण बताते हैं, उन्हें वविोम शब्द या ववपरीतार्णक शब्द कहते
है । जैसे- सीधा - उल्टा , सही - गित, आय- व्यय, आजादी-गुिामी, िवीि- प्राचीि शब्द एक
दस
ू रे के उिटे अर्ण वािे शब्द है ।

वर्लभन्न परीक्षाओ में पछ


ू े गए वर्िोम र्ब्द
अमत
ृ ववष अिि
ु ह वविह

अन्धकार प्रकाश अजणि वजणि

आिस्य स्फूनतण अकाि सक


ु ाि

आरण शष्ु क अिज


ु अिज

आकाश पाताि आहार निराहार

अिि
ु ह वविह आजादी गुिामी

आग्रश्रत निराग्रश्रत अविनत उन्िनत

अरुग्रच रुग्रच आजस्तक िाजस्तक

आदाि प्रदाि अपणर् िहर्

आय व्यय अनत अल्प

आयात नियाणत आकषणर् ववकषणर्

अिि
ु ोम प्रनतिोम आयात नियाणत

आधनु िक प्राचीि अंत अिंत

आदाि प्रदाि अपमाि सम्माि

अनतग्रर् आनतर्ेय आशा निराशा

अवनि अम्बर
पयावयर्ाची र्ब्द / समानाथी र्ब्द
वे शब्द जजिका अर्ण एक समाि होता हैं पयाणयवाची शब्द कहिाते हैं । पयाणयवाची शब्द को हम
समािार्ी शब्द भी कहते है ।

वर्लभन्न परीक्षाओ में पछ


ू े गए पयावयर्ाची र्ब्द
आभूषर् - ववभष
ू र् , भष
ू र् , गहिा , अिंकार।

अिं कार - गवण,अलभमाि,दपण,मद,र्मंड।

आकार् - िभ,गगि,अम्बर,व्योम, अिन्त ,आसमाि।

कोमि - िाजक
ु , िरम , मद
ृ ु , सक
ु ु मार , मि
ु ायम।

कपड़ा - चीर,वसि, पट ,वस्त्र ,अम्बर ,पररधाि ।

गुरु - लशक्षक , बड़ा , भारी , वहृ स्पनत .

गृ - र्र , सदि , गेह ,भवि, धाम , निकेति ,निवास ।

चिंद्रमा - चन्र , शलश , हहमकर , राकेश , रजिीश , निशािार् , सोम , मयंक ,

झरना - प्रताप , उत्स , निझणर , सोता , श्रोत .

दुःु ख - पीड़ा ,कष्ट , व्यर्ा , वेदिा , संताप , शोक , िेद , पीर, िेश ।

दि
ू - दग्ु ध , क्षीर , पय ।

दटु ट - पापी , िीच , दज


ु ि
ण , अधम , िि , पामर ।
प ाड़ - पवणत , ग्रगरी , अचि , िग, भध
ू र , महीधर ।

पक्षी - िग, ग्रचड़डया , गगिचर , पिेरू , ववहं ग , िभचर ।

पुटप - फूि , सुमि , कुसम


ु , मंजरी , प्रसि
ू ।

पथ्
ृ र्ी - धरती ,धरा ,भू ,भलू म ,जमीि,वसध
ुं रा ,धरर्ी .

बादि - मेर्, र्ि , जिधर , जिद, वाररद, िीरद , सारं ग ।

र्क्ष
ृ - पेड़ , पादप , ववटप , तरु , गाछ ।

मछिी - मीि , मत्स्य , जिजीवि , शफरी , मकर ।

यमराज - धमणराज ,यम ,अन्तक ,सय


ू प
ण त्र
ु , दं डधर .

राि - राबत्र, रै ि , रजिी , निशा , यालमिी , तमी, निलश , यामा।

राजा - िपृ , भप
ू , भप
ू ाि , िरे श , महीपनत , अविीपनत ।

सााँप - सपण , िाग , ववषधर , उरग , पविासि।

सूयव - रवव , सरू ज , हदिकर, प्रभाकर, आदीत्य, भास्कर , हदवाकर।

सिंसार - जग, ववश्व , जगत , िोक , दनु िया ।

र्रीर - दे ह , तिु , काया , किेवर , अंग , गात ।

समद्र
ु - सागर, पयोग्रध, उदग्रध , पारावार, िदीश ,जिग्रध ।

ाथी - गज ,लसंर्ु ,हस्ती ,िाग ,मतंग,गजेन्र .

अिंिकार - नतलमर , अाँधेरा , तम।


आग - अजग्ि, अिि,पावक ,दहि,ज्विि,धम
ू केत,ु कृशािु ।

इिंद्र - दे वराज, सरु े न्र ,सरु पनत ,अमरे श ,दे वेन्र ,वासव ,सरु राज ,सरु े श .

कृषक - हिवाहा , ककसाि , कृवषजीवी , िेनतहर।

गिंगा - दे विदी ,मंदाकिी,भगीरर्ी ,ववश्िप


ु गा, दे वपगा ,ध्रव
ु िंदा ।

दररद्र - निधणि , गरीब , रं क , कंगाि , दीि।

ईश्र्र - परमवपता, परमात्मा, जगदीश, भगवाि, परमेश्वर, जगदीश्वर, ववधाता।

ऐश्र्यव - समर्दृ ग्रध, ववभनू त।

ऋवष - मनु ि, सार्,ु यनत, संन्यासी, तत्वज्ञ, तपस्वी।

ककनारा - तीर, कूि, कगार, तट।

कान - कर्ण, श्रनु त, श्रनु तपटि, श्रवर्, श्रोत, श्रनु तपुट।

कोयि - कोककिा, वपक, काकपािी, बसंतदत


ू , साररका, कुहुककिी, विवप्रया।

क्रोि - रोष, कोप, अमषण, गुस्सा, आिोश, कोह, प्रनतर्ात।

चिंद्रमा - चााँद, हहमांश,ु इंद,ु सध


ु ांश,ु ववध,ु तारापनत, चन्र, शलश, किाधर, निशाकर,

जिंगि - वववपि, कािि, वि, अरण्ठय, गहि, कांतार, बीहड़, ववटप।

िािाब - सरोवर, जिाशय, सर, पुष्कर, ह्रद, पर्दयाकर , पोिरा, जिवाि, सरसी,

नदी - तिज
ू ा, सररत, शौवालििी, स्रोतजस्विी, आपगा, कूिंकषा, तहटिी, सरर,

नेत्र - चक्षु, िोचि, ियि, अक्षक्ष, चि, आाँि।


पररर्ार - कुटुंब, कुिबा, िािदाि, र्रािा।

पर्न - वाय,ु हवा, समीर, वात, मारुत, अनिि, पवमाि, समीरर्, स्पशणि।

बादि - मेर्, र्ि, जिधर, जिद, वाररद, िीरद, सारं ग, पयोद, पयोधर।

बािू - रे त, बािक
ु ा, सैकत।

बगीचा - बाग़, वाहटका, उपवि, उर्दयाि, फुिवारी, बग्रगया।

मोर - केक, किापी, िीिकंठ, लशिावि, सारं ग, ध्वजी, लशिी, मयरू , ितणकवप्रय।

मनटु य - आदमी, िर, मािव, मािष


ु , जि, मिज
ु ।

मग
ृ - हहरर्, सारं ग, कृष्र्सार।

मैना - सारी, साररका, बत्रिोचिा, मधरु ािाषा, किहवप्रया।

रवर् - सरू ज, हदिकर, प्रभाकर, हदवाकर, सववता, भािु, हदिेश, अंशम


ु ािी, सय
ू ।ण

र्क्ष
ृ - तरू, अगम, पेड़, पादप, ववटप, गाछ, दरख्त, शािी, ववटप, रम
ु ।

वर्ष - ज़हर, हिाहि, गरि, कािकूट।

र्षाव - पावस, बरसात, वषाणकाि, चौमासा, वषाणऋत।ु

सोना - स्वर्ण, कंचि, किक, सव


ु र्ण, हाटक, हहरण्ठय, जातरूप, हे म, कंु दि।

स्र्गव - सरु िोक, दे विोक, हदव्यधाम, ब्रह्मधाम, परमधाम, बत्रहदव, दयि


ु ोक।

ह रर् - सरु भी, कुरग, मग


ृ , सारं ग, हहरि।

िं स - किकंठ, मराि, लसपपक्ष, मािसौक।


अमि
ृ - सरु भोग सध
ु ा, सोम, पीयष
ू , अलमय, जीविोदक ।

अष्नन - आग, ज्वािा, दहि, धम


ू केत,ु अिि, पावक, वहनि, वजह्ि,

अनुपम - अपूव,ण अति


ु , अिोिा, अिठ
ू ा, अर्दववतीय, अदभत
ु , अिन्य।

असुर - यातध
ु ाि, निलशचर, रजिीचर, दिज
ु , दै त्य, तमचर, राक्षस, निशाचर,
अश्र् - हय, तरु ं ग, र्ोड़ा, र्ोटक, हरर, तुरग, वाजज, सैन्धव।

आनिंद - हषण, सि
ु , आमोद, मोद, प्रसन्िता, आह्राद, प्रमोद, उल्िास।

आिम - कुटी, स्तर, ववहार, मठ, संर्, अिाड़ा ।

आम - रसाि, आम्र, अनतसौरभ, मादक, अमत


ृ फि

आिंसू - िेत्रजि, ियिजि, चक्षुजि, अश्र।ु

आत्मा - जीव, दे व, चैतन्य, चेतितत्तव, अंतःकरर्।

अिंग - अंश, अवयव, हहस्सा, भाग।

िक
ु ािंि र्ब्द
वे शब्द जजिके अंत में समाि तक
ु वािे शब्द हो अर्ाणत ् एक समाि िय वािे शब्द हो। जजि
शब्दों का अंत वािा अक्षर समाि होता है उन्हें तक
ु ांत शब्द कहते है । जैसे- सोता ,रोता,पोता
इसमें ’ता’ शब्द तक
ु ांत शब्द है । इि शब्दों से कववता का आिंद बढ़ जाता है और कववता में
रूकावट िहीं आती है और इसमें प्रवाह बिा रहता है ।

अन्य उद ारर्
पािी, रािी, िािी

िाता, सोता, रोता

दािा, िािा, जािा

रोक, टोक, शोक

आम, िाम, शाम

अिुकािंि र्ब्द
ये शब्द बबिा तक
ु के होते है । इि शब्दों से बिी कववता में ध्वनियााँ परवनतणत होती रहती है ।
कववता ियबर्दध िहीं होती है ।

जैसे - पािी, हदि, कुआं, जि,

जागते, सवेरा, रात, आसमाि

सिंज्ञा
ककसी प्रार्ी, वस्तु या स्र्ाि के िाम को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा के प्रमुितः तीि भेद हैं

1 व्यष्क्ट्िर्ाचक 2 जानिर्ाचक 3 भार्र्ाचक

व्यष्क्ट्िर्ाचक सिंज्ञा
जो िाम ककसी ववशेष (एक) व्यजक्त,वस्तु या स्र्ाि का बोध कराते हैं उन्हें व्यजक्तवाचक संज्ञा
कहते हैं।
जैसे –

 व्यष्क्ट्ियों के नाम
 हदर्ाओिं के नाम
 समद्र
ु ों के नाम
 हदनों के नाम
 म ीनों के नाम
 त्यो ारों के नाम
 नगरों, चौकों, सड़कों के नाम
 दे र्ों के नाम
 नहदयों के नाम

जानिर्ाचक सिंज्ञा
जो िाम ककसी एक ववशेष व्यजक्त, स्र्ाि या वस्तु का ि होकर पूरी जानत या समह
ू का बोध
कराए उसे जानतवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे -

 व्यजक्त – महहिा,पुरुष,बच्चा,यव
ु क,ककशोर ।
 वस्तु – मेज,कुसी,पुस्तक,बतणि,गहिे ।
 स्र्ाि – मैदाि,छत,रे ग्रगस्ताि,जंगि,शहर,गांव ।
 पश-ु पक्षी – कौआ,र्ोड़ा,गाय,तोता,मोर ।
भार्र्ाचक सिंज्ञा
जो शब्द ककसी भाव, गुर्, दशा, अवस्र्ा आहद के िामों का बोध कराए, उन्हें भाववाचक संज्ञा
कहते हैं। जैसे प्रेम, िोध, दया, लमठास।

सर्वनाम
''जो शब्द संज्ञा के बदिे वाक्य में प्रयक्
ु त ककए जाते है , सवणिाम कहिाते है ।'' सवणिाम का
सभी िामो के लिए प्रयोग ककए जा सकते है । इसलिए इसे संज्ञा का प्रनतनिग्रध भी कहते है जैसे-
मैं, हम, तम
ु , आप, यह, वह, कोई, कुछ, कौि, क्या, जो, आहद।

र्ाक्ट्य प्रयोग र्दर्ारा सिंज्ञा का उदा रर्

 वह अब कि आएगा।
 तम
ु कि सवेरा ही चिे जािा।

सर्वनाम छ प्रकार के ोिे ैं-

 पुरुषवाचक सवणिाम
 निजवाचक सवणिाम
 निश्चयवाचक सवणिाम
 अनिश्चयवाचक सवणिाम
 प्रश्िवाचक सवणिाम
 संबंधवाचक सवणिाम
पुरूषर्ाचक सर्वनाम
पुरुषवाचक सवणिाम स्त्री या पुरूष के िाम के बदिे आते हैं। इसमें बोििे वािे, सि
ु िे वािे और
जजसके ववषय में बात होती है , उिके लिए प्रयोग में िाए जािे वािे सवणिाम पुरूषवाचक
सवणिाम कहिाते हैं।

जैसे- मैं, हम, तुम, आप, वह, वे आहद ।

पुरुषर्ाचक सर्वनाम के िीन प्रकार ै -

1. उत्तम परू
ु ष 2. मध्यम परू
ु ष 3. अन्य परू
ु ष

उत्तम परू
ु ष :- जजि सवणिामों का प्रयोग बोििे या लिििे वािा व्यजक्त अपिे लिए करता है ,
उन्हें उत्तम पुरुष वाचक सवणिाम कहते हैं।

जैसे- मैं, म, मेरा, मैने, मने, मारा, मसे आहद ।

उत्तम पुरुष र्ाचक सर्वनाम के उदा रर्

 मैं वहााँ जाऊाँगा ।


 मैंिे उसका गािा सि
ु ा।
 हमिे पत्र लििा ।
 हम चिेंगे।

मध्यम पुरुष :- जजि सवणिाम शब्दों का प्रयोग सि


ु िे वािे के लिए ककया जाता है , उन्हें
मध्यम परू
ु ष वाचक सवणिाम कहते है ।
जैसे- िू , िम
ु , आप, िम
ु ने, िम्
ु ारा, आपने, आपके

मध्यम परू
ु ष र्ाचक सर्वनाम के उदा रर्
 तम
ु एक अच्छे इंसाि हो।
 तम्
ु हारे दादा जी बीमार है ।
 तम
ु िे िािा अच्छे से िाया ।

अन्य परू
ु ष :- जजि सवणिाम शब्दों का प्रयोग वक्ता या श्रोता ककसी अन्य व्यजक्त के लिए
करता है तो उसे अन्य पुरूषवाचक सवणिाम कहते हैं।

जैसे- र् , र्े, य , उस,उन ,इस, इन ।

अन्य पुरूषर्ाचक सर्वनाम के उदा रर्

 वह पूरी रात रोती रही।


 वे कि सब
ु ह जल्दी जाएगे ।
 उन्हें बहुत बरु ा िगा होगा ।

ननजर्ाचक सर्वनाम
जो सवणिाम कताण के सार् अपिा-पि दशाणिे के लिए ककए जाते हैं , उन्हें निजवाचक सवणिाम
कहते हैं।
जैसे- स्र्यिं, खद
ु , अपने आप इत्याहद।

ननजर्ाचक सर्वनाम के उदा रर्

 वे िद
ु ही अपिा काम करते है ।
 उसिे अपिे आप दःु ि हदया ।
 वे कि सब
ु ह अपिे आप िौट आएंगे।

ननश्चयर्ाचक सर्वनाम
जजि सवणिाम शब्दों से ककसी निजश्चत वस्तु अर्वा व्यजक्त का बोध हो तो उन्हें निश्चयवाचक
सवणिाम कहते हैं।

जैसे- य , र् , र्े आहद।

ननश्चयर्ाचक सर्वनाम के उदा रर्

 वह मेरा दोस्त है ।
 यह ककसाि है ।
 यह मेरी कार है ।
 वे समोसे मत िाओ ।

अननश्चयर्ाचक सर्वनाम
जजस सवणिाम शब्द से ककसी निजश्चत व्यजक्त वस्तु या र्टिा का बोध ि हो, उन्हें
अनिश्चयवाचक सवणिाम कहते है ।

जैसे- कोई कुछ, ककसी आहद ।

अननश्चयर्ाचक सर्वनाम के उदा रर्

 दरवाजे पर कोई िड़ा है ।


 ककसी िे उसके र्प्पड़ मारा ।
 उधर से कोई गज
ु रा है ।
 उस र्र में कोई है ।

प्रश्नर्ाचक सर्वनाम
जजि सवणिाम शब्दों से ककसी प्रार्ी, व्यजक्त, वस्तु आहद के ववषय में प्रश्ि ककया जाता है , उसे
प्रश्िवाचक सवणिाम कहते हैं।

प्रश्नर्ाचक सर्वनाम के उदा रर्

 तम्
ु हारा क्या िाम है ?
 उसे कौि बुिा रहा है ?
 फोि पर कौि बोि रहा है ?
 तम
ु क्या िा रहे हो ?

सम्बन्िर्ाचक सर्वनाम
दो शब्दों में परस्पर सम्बन्ध का बोध करािे वािे शब्द, सम्बन्धवाचक सवणिाम कहिाते है ।

जैसे- जैसा, र्ैसा, ष्जसने, उसने, जो, सो आहद ।

सम्बन्िर्ाचक सर्वनाम के उदा रर्

 जैसा बोओगे, वैसा काटोगे।


 जो मेहित करता है , वह सफि होता है ।
 जैसी करिी, वैसी भरिी।

कक्रया
जजस शब्द से ककसी कायण के करिे या होिे का बोध हो, उन्हें किया कहते हैं |

जैसे –

माताजी िािा बिा रही है


बच्चे िेि रहे हैं।
हवा चि रही है।
सभी बच्चे पढ़ रहे है
धात-ु किया का मि
ू रूप धातु कहिाता है । धातु के सार् “िा” प्रत्यय जोड़कर किया का
सामान्य रूप बिता है ।

जैसे –

लिि + िा = लिििा

चि = चि+ िा = चििा
पढ़ = पढ़+ िा = पढ़िा

कक्रया के भेद

कमव के आिार पर कक्रया के भेद

1. सकमवक कक्रया 2. अकमवक कक्रया

सकमवक कक्रया

जजस किया का फि कमण पर पड़ता है , उसे सकमणक किया कहते हैं।

जैसे- मााँ िािा बिाती है ।

ववकास किकेट िेिता है ।

सकमवक कक्रया की प चान

किया के सार् क्या, ककसे, ककसको शब्द िगाकर प्रश्ि करिे पर यहद उत्तर प्राप्त हो जाए तो
उसे सकमणक किया कहते हैं।

जैसे- पुलिस िे चोर को पीटा।

प्रश्ि – ककसे/ ककसको को पीटा

उत्तर – चोर (कमण)

सोिम पुस्तक पढ़ रही है ।

प्रश्ि – क्या, रही है ?


उत्तर – पुस्तक( कमण)

सकमवक कक्रया के भेद

1. एककमणक किया

2. र्दववकमणक किया

1. एककमणक किया – जजस किया का एक कमण हो, उसे एककमणक किया कहते हैं।

जैसे – सोिू िे साइककि चिाई।

प्रश्ि – क्या चिाई?

उत्तर – साइककि (एककमण)

2. र्दववकमणक किया – जजस किया में दो कमण हो उसे र्दववकमणक किया कहते हैं।

जैसे – िैिा िे शोएब को पुस्तक दी।

प्रश्ि – क्या दी?

उत्तर – पुस्तक (मख्


ु यकमण)

प्रश्ि – ककसको दी?

उत्तर – शोएब को दी (गौर्कमण)

अकमवक कक्रया

जजस किया के सार् कमण िहीं होता है तर्ा किया का प्रभाव लसफ़ण कताण पर पड़ता है उसे अकमणक
किया कहते हैं|
जैसे - हीिा हं स रही है ।

बच्चा सो रहा है ।

अकमवक कक्रया की प चान

किया से पहिे 'क्या', ककसे, ककसको शब्द िगाकर प्रश्ि करिे पर यहद उत्तर िहीं लमिता तो
किया अकमणक होती है ।

प्रश्ि करिे पर यहद उत्तर में “कताण" की प्राजप्त होती है तो भी किया अकमणक होती है ।

जैसे- बच्चा सो गया।

प्रश्ि - "क्या" सो गया।

उत्तर - बच्चा( कताण)

रचना के आिार पर

संरचिा की दृजष्ट से किया के निम्िलिखित पांच भेद हैं।

1. सामान्य किया

2. संयक्
ु त किया

3. िामधातु किया

4. प्रेरर्ार्णक किया

5. पव
ू क
ण ालिक किया

सामान्य कक्रया
जजस वाक्य में एक किया होती है उसे सामान्य किया कहते हैं।

जैसे- िेहा िे िािा बिाया ।

रोहि सो गया।

सिंयुक्ट्ि कक्रया

जब दो या दो से अग्रधक कियाएाँ लमिकर ककसी पर्


ू ण किया को बिाती हैं, तब वे संयक्
ु त कियाएाँ
कहिाती हैं।

जैसे- मााँ िे िािा बांट हदया।

वह र्र पहुाँच गया।

नामिािु कक्रया

संज्ञा, सवणिाम और ववशेषर् शब्दों से बििे वािी कियाओं को िामधातु किया कहते हैं ।

सिंज्ञा र्ब्दों से बनी कक्रयाएिं-

शमण = शमाणिा

बात = बनतयािा

झूठ = झुठिािा

हार् = हग्रर्यािा

सर्वनाम र्ब्दों से बनी कक्रयाएिं-


रं ग= रं गिा

अपिा= अपिािा

वर्र्ेषर् र्ब्दों से बनी कक्रयाएिं-

िरम = िरमािा

गरम = गरमािा

तोतिा = तत
ु िािा

प्रेरर्ाथवक कक्रया

जहााँ कताण कायण को स्वयं ि करके, ककसी दस


ू रे से करवाता है , वहााँ प्रेरर्ार्णक किया होती है ।
जैसे - मािककि िौकरािी से बतणि साफ करवाती है ।

पर्
ू कव ालिक कक्रया

ककसी भी वाक्य में मख्


ु य किया से पहिे वािी किया पूवक
ण ालिक किया कहिाती है ।

जैसे - राहुि िािा िाकर सो गया ।

बचे पढ़कर िेििे िगे ।

वर्र्ेषर्
संज्ञा या सवणिाम की ववशेषता बतािे वािे शब्द को ववशेषर् कहते हैं । जैसे - बड़ा, कािा,
िम्बा, दयाि,ु एक, दो, अच्छा, बुरा, मीठा, िट्टा, भारी, सद
ुं र आहद।
जजस संज्ञा या सवणिाम शब्द की ववशेषता बताई जाती है उसे ववशेष्य कहते है ।

वर्र्ेषर् के कुछ उद ारर्


 गुिाब का फूि बहुत सद
ुं र है ।
 मेरे पास एक कार है ।
 मेरे दोस्त का र्र बहुत बड़ा है ।

वर्र्ेषर् के प्रकार
 गर्
ु वाचक ववशेषर्
 पररमार्वाचक ववशेषर्
 संख्यावाचक ववशेषर्
 सावणिालमक ववशेषर्
 व्यजक्तवाचक ववशेषर्

गुर्र्ाचक वर्र्ेषर्
जजि ववशेषर् शब्दों से संज्ञा अर्वा सवणिाम शब्दों के गर्
ु , दोष, रं ग रूप, आकार, स्र्ाि,
समय, दशा, अवस्र्ा का बोध हो वह गुर्वाचक ववशेषर् कहिाते हैं।

जैस-े अच्छा, बरु ा, कायर, र्दधिमान, िाि, रा, नीिा, ििंबा,मीठा, खट्टा, आहद।

पररमार्र्ाचक वर्र्ेषर्

जजि ववशेषर् शब्दों से संज्ञा या सवणिाम की मात्रा अर्वा िाप तौि का बोध हो वह
पररमार्वाचक ववशेषर् कहिाते हैं।

जैसे – 5 ककिोग्राम चार्ि , 1 िीटर पेरोि , थोड़ा पानी, ब ु ि दि


ू आहद।
सिंख्यार्ाचक वर्र्ेषर्
जजससे संख्या का बोध होता है उसे संख्यावाचक ववशेषर् कहते हैं।

जैसे –एक ककिाब, दो मनटु य, िीन िड़के, कुछ फि, थोड़ा दि


ू आहद।

सार्वनालमक वर्र्ेषर्
ऐसे सवणिाम शब्द जो संज्ञा से पहिे िगकर उस संज्ञा शब्द की ववशेषर् की तरह ववशेषता
बताते हैं, वे शब्द सावणिालमक ववशेषर् कहिाते हैं।

यह शब्द संज्ञा के लिए ववशेषर् का काम करते हैं।

जैसे - मेरी पुस्िक , कोई बािक आहद।

व्यष्क्ट्िर्ाचक वर्र्ेषर्
व्यजक्तवाचक संज्ञा शब्दों से बिे ववशेषर् को व्यजक्तवाचक ववशेषर् कहते हैं।

जैसे- मझ
ु े भारिीय खाना ब ु ि पसिंद ै । अक्षय जोिपरु ी जूिी प निा ैं

र्चन
र्चन के प्रकार
(1) एकर्चन (2) ब ु र्चन
एकर्चन :- संज्ञा के जजस रूप से एक व्यजक्त या एक वस्तु होिे का ज्ञाि हो, उसे एकवचि
कहते है ।
जैसे- स्त्री, र्ोड़ा, िदी, रुपया, िड़का, गाय, लसपाही, बच्चा, कपड़ा, माता, मािा, पुस्तक, टोपी,
बंदर, मोर आहद।

ब ु र्चन :- शब्द के जजस रूप से एक से अग्रधक व्यजक्त या वस्तु होिे का ज्ञाि हो, उसे
बहुवचि कहते है ।
जैसे- जस्त्रयााँ, र्ोड़े, िहदयााँ, रूपये, िड़के, गायें, कपड़े, टोवपयााँ, मािाएाँ, माताएाँ, पुस्तकें, वधए
ु ,ाँ
गुरुजि, रोहटयााँ, िताएाँ, बेटे आहद।

एकर्चन और ब ु र्चन के कुछ म त्र्पूर्व ननयम

 आदरर्ीय व्यजक्तयों के लिए सदै व बहुवचि का प्रयोग ककया जाता है । जैसे- पापाजी
कि मब
ंु ई जायेंगे।
 संबर्दध दशाणिे वािी कुछ संज्ञायें एकवचि और बहुवचि में एक समाि रहती है । जैसे-
ताई, मामा, दादा, िािा, चाचा आहद।
 रव्यसच
ू क संज्ञायें एकवचि में प्रयोग होती है । जैसे- पािी, तेि, र्ी, दध
ू आहद।
 कुछ शब्द सदै व बहुवचि में प्रयोग ककये जाते है जैसे- दाम, दशणि, प्रार्, आाँसू आहद।
 पजु ल्िंग ईकारान्त, उकारान्त और ऊकारान्त शब्द दोिों वचिों में समाि रहते है ।
जैसे- एक मनु ि -दस मनु ि, एक डाकू -दस डाकू, एक आदमी -दस आदमी आहद।
 बड़प्पि हदिािे के लिए कभी -कभी वक्ता अपिे लिए 'मैं' के स्र्ाि पर 'हम' का प्रयोग
करता है जैसे- 'हमें ' याद िहीं कक हमिे कभी 'आपसे' ऐसा कहा हो।
 व्यवहार में 'तम
ु ' के स्र्ाि पर 'आप' का प्रयोग करते हैं। जैसे-'आप' कि कहााँ गये र्े ?
 जानतवाचक संज्ञायें दोिों ही वचिों में प्रयक्
ु त होती है । जैसे- (i) 'कुत्ता' भौंक रहा है । (ii)
'कुत्ते' भौंक रहे है ।
 धातओ
ु ं का बोध करािे वािी जानतवाचक संज्ञायें एकवचि में ही प्रयुक्त होती है । जैसे-
'सोिा' महाँ गा है , 'चााँदी' सस्ती है ।

मेर्ा एकर्चन र ने र्ािे र्ब्द


 जैसे- वषाण, पािी, दध
ू , आसमाि, प्रजा जिता, आहद।

मेर्ा ब ु र्चन र ने र्ािे र्ब्द


 जैसे – बोि, हस्ताक्षर, बाि ,आाँसू,रोम,दशणि,प्रार्, समाचार,दशणक,दाम या
मल्
ू य,भाग्य,िोग आहद।

काि
काि से किया के संपन्ि होिे, उसके र्टिे, उसकी पूर्-ण अपूर्ण अवस्र्ा एवं जस्र्नत का पता
चिता है । कायण के करिे या होिे का समय बतािे वािी किया ही काि कहिाती है ।

जैसे –

 बच्चे िेि रहे हैं। (वतणमाि काि)


 बच्चे िेि रहे र्े। (भतू काि)
 बच्चे िेिेंगे। (भववष्यत ् काि)

काि के प्रकार
 र्िवमान काि
 भि
ू काि काि
 भवर्टयकाि काि

र्िवमान काि
किया के जजस रूप से यह ज्ञात हो कक किया का होिा या करिा चि रहे समय में हो रहा है , उसे
वतणमाि काि कहते हैं।

उदा रर्: –
 सोिू िािा िा रहा है ।
 बच्चे सो रहे है ।

र्िवमान काि के प्रकार


 सामान्य वतणमाि काि
 अपर्
ू ण वतणमाि काि
 पूर्ण वतणमाि काि
 संहदग्ध वतणमाि काि

सामान्य र्िवमान काि -: किया के जजस रूप से उसके वतणमाि काि में सामान्य रूप से
होिे का बोध हो, उसे सामान्य काि कहते हैं;

उदा रर्

 बच्चे ववर्दयािय पढ़िे जाते हैं।


 कोहिी किकेट का अच्छा खििाड़ी है ।

इि वाक्यों में कियाएाँ सामान्य रूप से वतणमाि काि में हो रही है । अत :ये सामान्य वतणमाि
काि की कियाएाँ हैं।

अपूर्व र्िवमान काि -: जब कायण वतणमाि काि में आरं भ होकर पूर्ण ि हुआ हो, उसे अपूर्ण
वतणमाि काि कहते हैं।

उदा रर्

 माता जी िािा बिा रही है ।


 बच्चे पािी मे िेि रहे है ।

इि वाक्यों में कायण परू ा िहीं हुआ है वो अभी जारी है , तो ये अपर्


ू ण वतणमाि काि की कियाएाँ हैं।

पर्
ू व र्िवमान काि -: जब कायण वतणमाि समय में ही पर्
ू ण हो जाए,उसे पर्
ू ण वतणमाि काि
कहते हैं।

उदा रर्: –

 माता जी िे िािा बिा हदया है ।


 बच्चे पािी से बहार आ गए है ।

इि वाक्यों में कायण वतणमाि समय में पूरा हो गया है ,ये पूर्ण वतणमाि काि की कियाएं हैं।

सिंहदनि र्िवमान काि -: जजस किया के वतणमाि काि में होिे के बारे में संदेह या
अनिश्चतता हो, उसे संहदग्ध वतणमाि काि कहते हैं।
उदा रर्-

 माता जी अभी िािा बिा रही होगी ।


 बच्चे पािी में िेि रहे होंगे ।

इि वाक्यों में कियाओं के होिे में संदेह की जस्र्नत हैं, अत :ये संहदग्ध वतणमाि काि की
कियाएाँ हैं।

भूिकाि
बीते हुए समय में कायण होिे का बोध करािे वािी किया का रूप भत
ू काि कहिाता है ।

उदा रर्: –
 मेरा दोस्त मब
ुं ई चिा गया ।
 वपताजी िे र्र बिाया र्ा ।

इि वाक्यों में किया के बीते हुए समय का बोध हो रहा है । अत :ये भत


ू काि के उदाहरर् हैं।

भि
ू काि के प्रकार
 सामान्य भि
ू काि
 आसन्न भूिकाि
 पूर्व भूिकाि
 अपूर्व भूिकाि
 सिंहदनि भूिकाि
 े ि ु- े ि म
ु द भि
ू काि

सामान्य भि
ू काि :- किया के जजस रूप से काम के सामान्य रूप से बीते समय में परू ा होिे
का बोध हो, उसे सामान्य भत
ू काि कहते हैं।

उदा रर्

 वपताजी िे हमें झि
ू ा झि
ु ाया ।
 अध्यापक िे पाठ पढ़ाया।

इि वाक्यों में कियाएाँ बीते हुए समय में पूरी हो चक


ु ी है । अत :ये सामान्य भत
ू काि की कियाएाँ
हैं।

आसन्न भूिकाि -: किया के जजस रूप से यह ज्ञात हो कक काम निकट भत


ू में अर्ाणत ् अभी-
अभी परू ा हुआ है , उसे आसन्ि भत
ू काि कहते हैं।

उदा रर्

 उसिे अपिे पापा को पत्र लििा है ।


 मम्मी बाजार से आ गई है ।

इि वाक्यों में कियाएाँ अभी-अभी पर्


ू ण हुई हैं। अत :ये आसन्ि भत
ू काि की कियाएाँ हैं।

पर्
ू व भि
ू काि -: किया के जजस रूप से यह बोध हो कक काम को हुए बहुत समय बीत चक
ु ा है ,
उसे पूर्ण भत
ू काि कहते हैं।
उदा रर्: –

 मेरे दोस्त िे एक अच्छा गािा सि


ु ाया र्ा ।
 हम ताज महि दे ििे गए र्े ।

इि वाक्यों में कियाएाँ भत


ू काि में पर्
ू ण हो चक
ु ी र्ी अतः ये पर्
ू ण भत
ू काि की कियाएाँ हैं।

अपूर्व भूिकाि -: किया के जजस रूप से यह पता चिे कक किया भत


ू काि में हो रही र्ी,
िेककि उसकी समाजप्त का पता ि चि पाए, उसे अपूर्ण भत
ू काि कहते हैं।

उदा रर्

 मम्मी िािा बिा रही र्ी।


 बच्चे पािी में तैर रहे र्े।

इि वाक्यों में किया के अतीत में शरू


ु होकर अभी तक पर्
ू ण ि होिे का बोध हो रहा है । अत :ये
अपूर्ण भत
ू काि की कियाएं हैं।

सिंहदनि भूिकाि -: भत
ू काि की जजस किया के करिे या होिे में संदेह हो, उसे संहदग्ध
भत
ू काि कहते है ।

उदा रर्-

 सि
ु ि
ै ा अपिा काम परू ा कर चक
ु ी होगी।
 मेहमाि र्र पर पहुाँच चक
ु े होंगे ।
इि वाक्यों में कियाओं के भत
ू काि में होिे में संदेह है , अत :ये संहदग्ध भत
ू काि की कियाएाँ हैं।

े िु- े िम
ु द भि
ू काि -: भत
ू काि में एक किया के होिे या ि होिे पर दस
ू री किया का होिा
या ि होिा निभणर होता है , तो उसे हे त-ु हे तम
ु द भत
ू काि कहते हैं।

उदा रर्

 यहद तम
ु पढ़ते तो अवश्य सफिता प्राप्त करते ।
 यहद तम
ु जल्दी स्टे शि पर जाते तो गाडी जरूर लमिती ।

इि वाक्यों में कियाएाँ एक दस


ू रे पर निभणर हैं, पहिी किया के होिे पर ही दस
ू री किया होगी।
अत :ये हे त-ु हे तम
ु द भूतकाि की कियाएाँ हैं।

भवर्टयि ् काि
किया के जजस रूप से यह बोध हो कक किया आिे वािे समय में सम्पन्ि होगी, उसे भववष्यत ्
काि कहते हैं।

उदा रर्

 हम कि र्म
ू िे जाएाँगे।
 कि हमारे र्र मेहमाि आएंगे ।

इि वाक्यों में किया के आिे वािे समय में पूर्ण होिे की बात कही गई है , अत :ये भववष्यत ्
काि की कियाएं है ।
भवर्टयि काि के प्रकार
 सामान्य भववष्यत काि
 संभाव्य भववष्यत काि
 हे त-ु हे तम
ु द भववष्यत काि

सामान्य भवर्टयि ् काि -: किया के जजस रूप से कायण का आिे वािे समय में सामान्य रूप
से होिे या करिे का बोध हो, उसे सामान्य भववष्यत ् काि कहते हैं।

उदा रर्

 कि सब
ु ह बच्चे स्कूि जाएंगे ।
 हम कफ़ल्म दे ििे जाएंगे।

इि वाक्यों में कियाएं भववष्यत ् में सामान्य रूप से संपन्ि होगी। अत :ये सामान्य भववष्यत ्
काि की कियाएाँ हैं।

सिंभाव्य भवर्टयि ् काि -: किया के जजस रूप से कायण के भववष्य में होिे की संभाविा हो
परं तु निजश्चत ि हो, उसे संभाव्य भववष्यत ् काि कहते हैं।

उदा रर्

 शायद कि वषाण हो।


 शायद परसो स्कूि बंद हो।
इि वाक्यों में कियाओं के भववष्य में संपन्ि होिे की संभाविा जताई जा रही है । ये संपन्ि
होगी ऐसा निजश्चत िहीं है । अत :ये संभाव्य भववष्यत ् काि की कियाएाँ हैं।

े िु- े िम
ु द भवर्टयि ् काि -: इस काि के वाक्य में एक किया का होिा दस
ू री किया पर
निभणर होता है ; अर्ाणत किया ककसी अन्य किया के होिे पर ही संपन्ि होगी इसे हे त-ु हे तम
ु द
भववष्यत ् काि कहते हैं।

उदा रर्

 यहद तम
ु पररश्रम करोगे तो अवश्य सफि होगे।
 यहद भक
ू ं प ि होता तो सब कुछ ठीक रहता।

इि वाक्यों में एक किया का होिा दस


ू री किया पर निभणर है , अत :ये हे त-ु हे तम
ु द भववष्यत ् काि
की कियाएाँ हैं।

लििंग
संज्ञा के जजस रूप से ककसी वस्तु के पुरुषत्व या स्त्रीत्व का बोध होता है , उसे लिंग कहते हैं।
जैसे- पनत, पत्िी, रात, हदि, र्ोडा, र्ोड़ी, आहद

लििंग के प्रकार
 पुष्ल्ििंग
 स्त्रीलििंग

पुष्ल्ििंग
जजि शब्दों से पुरुष जानत का बोध होता है उन्हें पुजल्िंग शब्द कहते हैं जैसे: वपता, भाई, िड़का,
पेड़, लसंह, लशव, हिम
ु ाि, बैि आहद।

स्त्रीलििंग
जजि शब्दों से स्त्री जानत का बोध होता है उन्हें स्त्रीलिंग शब्द कहते हैं । जैसे: माता, बहि,
यमि
ु ा, गंगा, कुरसी, छड़ी, िारी बुआ, िड़की, िक्ष्मी, गाय

पष्ु ल्ििंग की प चान के ननयम


 र्रीर के अिंगों के कुछ नाम पुजल्िंग होते हैं। जैसे- हार्, पैर, िाक, काि, दााँत, लसर,
आहद।

 जि और थि भागों के नाम पुजल्िंग होते है। जैसे- र्र, दे श, सरोवर, सागर, िगर,
िाम आहद।

 र्ारों, म ीनों, प ाड़ों, समुद्रों एर्िं ग्र ों के नाम पुजल्िंग होते हैं। जैसे-रवववार,
आषाढ़, हहमािय, अरब सांगर, मंगि िह आहद।

 पेड़ों के नाम पजु ल्िंग होते हैं। जैसे- िीम, बबूि, सेब, बांस, बरगद, आम, मेहंदी,
सागवाि, ताड़,दे वदार, अशोक, सागौि आहद।

 समू ों के नाम –झंड


ु , दि, पररवार, मंडि, समद
ु ाय, संर् तर्ा वगण आहद।

 र्ा नों के नाम –तााँगा, बस, जहाज, स्कूटर, रक, इंजि तर्ा रॉकेट आहद। इसके
कुछ अपवाद है जैसे -– गाड़ी, मोटर।
 सष्ब़्ियों के नाम– आि,ू हटंडा, कटहि, िीरा, बैंगि, टमाटर, प्याज़, अदरक, पेठा,
िींबू आहद। इसके कुछ अपवाद है जैसे -– तोरी, फिी, मूिी, गाजर।
 ग्र -नक्षत्रों के नाम –सय
ू ,ण चंरमा, बुध, शि
ु , बहृ स्पनत, शनि आहद। इसमें अपवाद है
- पथ्ृ वी।

 अनाजों और िािओ
ु िं के नाम पुजल्िंग होते हैं। जैसे- गेहूं, चावि, मक्का, बाजरा,
साबद
ू ािा, चिा, मटर, िोहा, तााँबा, सोिा, आहद।

 द्रर् पदाथों के नाम पजु ल्िंग होते हैं। जैसे-र्ी, तेि, दध


ू , दही, पािी आहद।

 रत्नों के नाम पजु ल्िंग होते हैं। जैसे- हीरा, पन्िा, िीिम, पि
ु राज, मोती आहद।

स्त्रीलििंग की प चान के ननयम


 नहदयों, निधथयों िथा भाषाओिं के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे-गंगा, यमि
ु ा,
सप्तमी, अष्टमी, हहंदी आहद।

 र्रीर के कुछ अिंग – अाँगुिी, आाँि, गदण ि, छाती, जीभ, जााँर्, किाई, हर्ेिी आहद।

 निधथयों के नाम – एकादशी, पंचमी, र्दवादशी, पूखर्णमा, अमावस्या आहद।

 सिंस्कृि के कुछ पुष्ल्ििंग र्ब्द हहन्दी में स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे- वाय,ु सन्ताि,
आत्मा, वस्त,ु मत्ृ य,ु अजग्ि, महहमा, पस्
ु तक आहद।

 ष्जन र्ब्दों में 'आई', 'र्ट' और ' ट' प्रत्यय िगा होता है वे प्रायः स्त्रीलिंग होते
हैं। जैसे- लसिाई, िटाई, चारपाई, र्बराहट, बिावट, सजावट, आहद।
पुष्ल्ििंग से स्त्रीलििंग बनाने के ननयम
1. आ प्रत्यय जोड़कर
पष्ु ल्ििंग – स्त्रीलििंग
अध्यक्ष – अध्यक्षा

अपराजजत – अपराजजता
वप्रय – वप्रया
अिज
ु – अिज
ु ा
मि
ू ण – मि
ू ाण

2. ई प्रत्यय जोड़कर
पुष्ल्ििंग – स्त्रीलििंग
हहरि – हहरिी

बेटा – बेटी
दे व – दे वी

3. नी प्रत्यय जोड़कर
पुष्ल्ििंग – स्त्रीलििंग
पनत – पत्िी

लसंह – लसंहिी
सरदार – सरदारिी
चोर – चोरिी

4. इन प्रत्यय जोड़कर
पष्ु ल्ििंग – स्त्रीलििंग
िाग – िाग्रगि

बार् – बानर्ि
िाती – िानति

लभिारी – लभिाररि
िह
ु ार – िह
ु ाररि

5. या प्रत्यय जोड़कर
पष्ु ल्ििंग – स्त्रीलििंग
बंदर – बंदररया
ड़डब्बा – ड़डबबया
गुड्डा – गुड़ड़या

िोटा – िहु टया


कुत्ता – कुनतया
ग्रचड़ा – ग्रचड़ड़या

6. इका प्रत्यय जोड़कर


पुष्ल्ििंग – स्त्रीलििंग
लशक्षक – लशक्षक्षका

अध्यापक – अध्यावपका
गायक – गानयका
सेवक – सेववका

उपसगव
उपसगण वे शब्दांश होते हैं, जो ककसी शब्द से पहिे जड़
ु कर उसके अर्ण में बदिाव िा दे ते हैं।

जैसे अभी + माि = अलभमाि , यहां 'अलभ' उपसगण है ।

इसके कुछ उद ारर् ै –

उपसगव अथव र्ब्द


अनत अग्रधक अत्यग्रधक, अत्यंत, अनतररक्त, अनतशय

अग्रध ऊपर, श्रेष्ठ अग्रधकार, अग्रधपनत, अग्रधिायक

उप निकट, गौर् उपदे श, उपवि, उपमंत्री, उपहार

परा उल्टा, पीछे पराजय, पराभव, परामशण,

प्र अग्रधक, आगे प्रख्यात, प्रबि, प्रस्र्ाि, प्रकृनत

प्रनत उल्टा, हर एक प्रनतकूि, प्रत्यक्ष, प्रनतक्षर्, प्रत्येक

सु अच्छा, अग्रधक सज
ु ि, सग
ु म, सलु शक्षक्षत,

अ अभाव, निषेध अछूता, अर्ाह, अटि

नि बबिा निगोड़ा, निडर, निहत्र्ा, निकम्मा


भर पूरा भरपेट, भरपूर, भरसक, भरमार

उि एक कम उितीस, उिसठ, उिहत्तर, उं तािीस

सब अधीि, िीचे सब-जज, सब-कमेटी, सब-इंस्पेक्टर

ड़डप्टी सहायक ड़डप्टी-किेक्टर, ड़डप्टी-लमनिस्टर

जिरि प्रधाि जिरि मैिेजर, जिरि सेिेटरी

पुिर् कफर पुिजणन्म, पुििेिि, पुिजीवि

बहहर् बाहर बहहगणमि, बहहष्कार

सत ् सच्चा सज्जि, सत्कमण, सदाचार, सत्कायण

प्रत्यय
प्रत्यय ऐसे शब्दांश होते है जो ककसी भी सार्णक मि
ू शब्द के अंत में जुड़कर उसका अर्ण या
भाव बदि दे ते है ।

जैसे - सफि + ता = सफिता, अच्छा + ई = अच्छाई

यहााँ ‘िा’ और ‘आई’ दोिों शब्दांश प्रत्यय हैं, जो ‘सफि’ और ‘अच्छा’ मि


ू शब्द के बाद में जोड़
हदए जािे पर ‘सफिता’ और ‘अच्छाई’ शब्द की रचिा करते हैं

अन्य म त्र्पर्
ू व प्रत्यय

र्ब्द प्रत्यय र्ब्द


समाज + इक = सामाजजक
सग
ु ंध + इत = सग
ु ंग्रधत

भि
ू िा + अक्कड = भि
ु क्कड

मीठा + आस = लमठास

िोहा + आर = िह
ु ार

िाटक + कार = िाटककार

बड़ा + आई = बडाई

हटक + आऊ = हटकाऊ

बबक + आऊ = बबकाऊ

होि + हार = होिहार

िेि + दार = िेिदार

र्ट + इया = र्हटया

गाडी + वािा = गाड़ीवािा

दया + िु = दयािु

र्े र्ब्द ष्जनमे उपसगव और प्रत्यय दोनों ै ।

र्ब्द उपसगव र्ब्द प्रत्यय


अध्याजत्मक = अग्रध + आत्म + इक

निदण यता = निर् + दया + ता


अपमानित = अप + माि + इत

दस्
ु साहसी = दस
ु + साहस + ई

निदण यी = निर + दया + ई

पररपर्
ू तण ा = परर + पर्
ू ण + ता

स्वतंत्रता = स्व + तंत्र + ता

संपूर्त
ण ा = सम ् + पूर्ण + ता

पररश्रमी = परर + श्रम + ई

अपराधी = अप + राध + ई

सम्मानित = सम ् + माि + इत

अलभमािी = अलभ + माि + ई

अनतवादी = अनत + वाद + ई

असरु क्षक्षत = अ + सरु क्षा + इत

संरक्षक्षत = सम ् + रक्ष + इत

अत्याचारी = अनत + आचार + ई

अपशक
ु िी = अप + शकुि + ई

निबणिता = निर + बि + ता

निभणयता = निर + भय + ता

आिौककक = आ + िोक + इक

अिैनतक = अ + िीनत + इक
पररपूर्त
ण ा = परर + पूर्ण + ता

कुकमी = कु + कमण + ई

अधालमणक = अ + धमण + इक

अिद
ु ारता = अि + उदार + ता

दे र्ज-वर्दे र्ज र्ब्द


दे र्ज र्ब्द
वे शब्द जो स्र्ािीय भाषा के शब्द होते है , ये दे श की ववलभन्ि बोलियों से लिए जाते है । ये वे
शब्द होते है जजिकी उत्पवत्त के मूि का पता ि हो परन्तु वे प्रचिि में हों। ऐसे शब्द दे शज शब्द
कहिाते हैं।

दे र्ज र्ब्द दो प्रकार के ोिे ै -


 अिक
ु रर् वाचक दे शज शब्द
 अिक
ु रर् रहहत दे शज शब्द

अनुकरर् र्ाचक दे र्ज र्ब्द :- जब ककसी वास्तु की वास्तववक ध्वनि को ध्याि में रिकर
शब्दों का निमाणर् ककया जाता है , तो वे अिक
ु रर् वाचक दे शज शब्द कहिाते हैं।

जैस - गड़गड़ािा, हटमहटमािा, पटपटािा, िटिटािा, हहिहहिािा, धमधमािा, तर्ा पशु


पक्षक्षयों की आवाजें इसमें आती हैं।

अनुकरर् रह ि दे र्ज र्ब्द :- वे शब्द जजिके निमाणर् की प्रकिया का पता िहीं होता है ,
उन्हें अिक
ु रर् रहहत दे शज शब्द कहते हैं।
जैसे - जत
ू ा, कटोरा, िोटा, खिड़की, हार्, चिा, बाजरा, र्ेवर, झण्ठडा, मक्
ु का, िकड़ी, ड़डबबया,
खिचड़ी, ग्रचड़ड़या, आहद।

वर्दे र्ी / वर्दे र्ज र्ब्द


ववदे शी भाषाओं से हहंदी में आये शब्दों को ववदे शी शब्द कहा जाता है । इि ववदे शी भाषाओं में
मख्
ु यतः अरबी, फारसी, तक
ु ी, अंिेजी व पत
ु ग
ण ािी शालमि है ।

अरबी र्ब्द
अजीब, अमीर, अक्ि, कदम, कमि, कजण, ककस्मत, ककिा, कसम, कीमत, कसरत, कुसी,
ककताब, कायदा, कानति, दक
ु ाि, दनु िया, दौित, दाि, दीि, ितीजा, िशा, िकद, िक़ि,
िहर, फ़कीर, फायदा, फैसिा, ख़त्म, ित, ख्याि, ख़राब, खिदमत, गरीब, गैर, जाहहि,
जजस्म, जिसा, जिाब, जवाब, जहाज, जालिम, जजि, हमिा, हवािात, हौसिा, आखिर,
आदत, आदमी, इिाम, इज्जत, ईमारत, इस्तीफ़ा, तादात, तरक्की, ताररि, तककया, तमाशा,
हदमाग, दवा, दावत, दफ्तर, दआ
ु , बहस, मह
ु ावरा, मदद, मजबूर, मामि
ू ी, मक़
ु दमा, मल्
ु क,
मौसम, मौका, मशहूर, मतिब, वकीि, शराब, है जा, आहद।

फारसी र्ब्द
आराम, आवारा, आमदिी, आवाज, उम्मीद, ककिारा, िुद, िामोश , िरगोश, गवाह,
ग्रगरफ्तार, गरम, गुिाब, चाँकू क, चेहरा, चाशिी, जजन्दगी, तेज, तीर, तिख्वाह, दीवार, दे हात,
दक
ु ाि, दरबार, दं गि, हदि, हदिेर, दरबार, दवा, िाव, पैदावार, पुि, पारा, बीमार, बेरहम
आहद।
िुकी र्ब्द
कािीि, कैंची, कुिी, कुकी, चेचक, उदण ,ू मग़
ु ि, काबू, चमचा, तोप, तमगा, तिाश, बेगम,
बहादरु , िाश, िफंगा, सौगात, सरु ाग आहद।

पि
ु ग
व ािी र्ब्द
आिमारी, बाल्टी, चाबी, फीता, तम्बाकू, इस्पात, कमीज, कमरा, काजू, गमिा, गोदाम, पादरी,
परात, गोभी, तौलिया, िीिाम, परत, मेज आहद।

अिंग्रेजी र्ब्द
ड्राइवर, पें लसि, पेि, िंबर, र्माणमीटर, पेरोि, आडणर, इंटर, इयररंग, कमीशि, कैम्प, क्वाटण र,
किकेट, गाडण, जेि, चेयरमैि, ट्यूशि, िोहटस, िसण, पाटी, प्िेट, इंजि, डॉक्टर, िािटे ि,
लसिेट, अस्पताि, पासणि, पाउडर, कॉिर, अफसर, कप्ताि, बोति, मीि, अपीि, इंच,
एजेंसी, कंपिी, कलमश्िर, क्िास, काउजन्सि, गजट, डायरी, ड़डप्टी आहद।

सिंकर र्ब्द

सिंकर र्ब्द :- ये वे शब्द होते है जो दो अिग - अिग भाषाओं के शब्दों को लमिाकर बिा
लिए गए हो।

जैसे :-

रे ि (अंिेजी) गाड़ी (हहन्दी) – रे िगाड़ी

उड़ि (संस्कृत) तश्तरी (हहन्दी) – उड़ितश्तरी


मु ार्रे
मह
ु ावरा अरबी भाषा का शब्द है जजसका अर्ण है बातचीत करिा या उत्तर दे िा। मह
ु ावरे भाषा को
सरि , गनतशीि और रुग्रचकर बिाते हैं

कुछ म त्र्पूर्व मु ार्रे


मह
ु ावरा – आाँि हदिािा

अर्ण – िोध से दे ििा, रोकिा, धमकािा


वाक्य प्रयोग – गिती भी करते हो और ऊपर से आाँिें भी हदिाते हो|

मह
ु ावरा – आाँिों में धूि झोंकिा

अर्ण – सरे आम धोिा दे िा


वाक्य प्रयोग – फि वािे िे मेरी आाँिों में धि
ु झोंककर मझ
ु े सड़े-गिे फि दे हदए

मह
ु ावरा – आिें फेर िेिा

अर्ण – पहिे जैसा व्यवहार ि रििा


वाक्य प्रयोग – जब से उसे िौकरी लमिी है , उसिे मााँ बाप, यार दोस्त सबसे आाँिें फेर िी
है

मह
ु ावरा – आाँिे िाि करिा
अर्ण – िोध से दे ििा

वाक्य प्रयोग – अपिे दश्ु मि को दे िकर उसकी आाँिे िाि हो गई।


मह
ु ावरा – िि
ू -पसीिा एक करिा
अर्ण – बहुत कहठि पररश्रम करिा
वाक्य प्रयोग – सोिू िि
ू -पसीिा एक करके दो पैसे कमाता हैं।

मह
ु ावरा – गिे का हार होिा

अर्ण – बहुत प्यारा


वाक्य प्रयोग – िक्ष्मर् राम के गिे का हार र्े।

आाँिें बबछािा – स्वागत करिा

कुछ अन्य म त्र्पर्


ू व मु ार्रे
मु ार्रा अथव
आजस्ति का सांप होिा – कपटी लमत्र
आसमाि टूट पड़िा – अचािक मस
ु ीबत आ जािा
ईंट का जवाब पत्र्र से दे िा – करारा जवाब दे िा
ईद का चााँद होिा – बहुत कम हदिाई दे िा
उड़ती ग्रचड़ड़या के पंि ग्रगििा – अत्यन्त चतरु होिा

ऊंट के मह
ुं में जीरा होिा – अग्रधक िुराक वािे को कम दे िा
एड़ी चोटी का जोर िगािा – बहुत प्रयास करिा
ओििी में लसर दे िा – जाि बूझकर मस
ु ीबत मोि िेिा
काठ का उल्िू होिा – मि
ू ण होिा
काि िड़े होिा – सावधाि हो जािा

कुएं में बांस डाििा – बहुत िोजबीि करिा


किई िुििा – पोि िुििा
गि
ू र का फूि होिा – दि
ु भ
ण होिा

र्ाट -र्ाट का पािी पीिा – अिभ


ु वी होिा
ग्रचकिा र्ड़ा होिा – बात का असर ि होिा
छाती पर मग
ंू दििा – पास रहकर हदि द:ु िािा

टे ढ़ी िीर होिा – कहठि कायण


िाकों चिे चबािा – बहुत सतािा

सब्जबाग हदिािा – झठ
ू ी आशा दे िा

िोकोष्क्ट्ि
बहुत अग्रधक प्रचलित और िोगों के माँह
ु चढ़े वाक्य िोकोजक्त के तौर पर जािे जाते हैं। इि
वाक्यों में जिता के अिभ
ु व का निचोड़ या सार होता है ।

म त्र्पूर्व िोकोष्क्ट्ियााँ
अन्धों में कािा राजा - मि
ू ो में कुछ पढ़ा-लििा व्यजक्त
अब पछताए होत क्या जब ग्रचड़ड़यााँ चग
ु गई िेत - समय निकि जािे के पश्चात ् पछतािा
व्यर्ण होता है
अन्धा क्या चाहे दो आाँिें - मिचाही बात हो जािा
अंधेर िगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर िाजा - जहााँ मालिक मि
ू ण हो वहााँ सर्दगुर्ों
का आदर िहीं होता।
अक्ि के अंधे, गााँठ के परू े - बर्द
ु ग्रधहीि, ककन्तु धिवाि)
अपिे माँह
ु लमयााँ लमट्ठू - अपिी बड़ाई या प्रशंसा स्वयं करिे वािा

अन्त भिा तो सब भिा - पररर्ाम अच्छा हो जाए तो सब कुछ मािा जाता है ।


अंधे की िकड़ी - बेसहारे का सहारा
अपिी छाछ को कोई िट्टा िहीं कहता - अपिी चीज को कोई बरु ा िहीं बताता

अपिी िींद सोिा, अपिी िींद जागिा - पूर्ण स्वतंत्र होिा


ओििी में लसर हदया, तो मूसिों से क्या डर - काम करिे पर उतारू होिा

आ बैि मझ
ु े मार - स्वयं मस
ु ीबत मोि िेिा
आम के आम गुठलियों के दाम - अग्रधक िाभ
आगे कुआाँ, पीछे िाई - दोिों तरफ ववपवत्त या परे शािी होिा

आसमाि से ग्रगरे िजूर में अटके - एक मस


ु ीबत ित्म ि हो उससे पहिे दस
ू री मस
ु ीबत आ जाए
आदमी पािी का बुिबुिा है - मिष्ु य जीवि िाशवाि है ।
इसके पेट में दाढ़ी है - उम्र कम बुर्दग्रध अग्रधक

ऊाँट के माँह
ु में जीरा - जरूरत के अिस
ु ार चीज ि होिा

सष्न्ि
दो वर्ो या अक्षरों के मेि को संग्रध कहते है । जब दो वर्ण पास-पास आते हैं या लमिते हैं तो
उिमें पररवतणि हो जाता है । यह पररवतणि वािा मेि ही संग्रध कहिाता है ।
सिंधि िीन प्रकार की ोिी ैं :-

1. स्र्र सिंधि
2. व्यिंजन सिंधि
3. वर्सगव सिंधि

स्र्र सिंधि :- जब स्वर के सार् स्वर का मेि होता है तब जो पररवतणि होता है उसे स्वर संग्रध
कहते हैं।

उद ारर् :- ववर्दया + आिय = ववर्दयािय

स्र्र सिंधि पािंच प्रकार की ोिी ैं

(1) दीघव सिंधि

जब ( अ , आ ) के सार् ( अ , आ ) हो तो ‘ आ ‘ बिता है , जब ( इ , ई ) के सार् ( इ , ई ) हो तो


‘ ई ‘ बिता है , जब ( उ , ऊ ) के सार् ( उ , ऊ ) हो तो ‘ ऊ ‘ बिता है

उद ारर् :- रवर् + इिंद्र = रवर्न्द्र , भानु + उदय = भानूदय

(2) गुर् सिंधि

जब ( अ , आ ) के सार् ( इ , ई ) हो तो ‘ ए ‘ बिता है , जब ( अ , आ )के सार् ( उ , ऊ ) हो तो


‘ ओ ‘बिता है , जब ( अ , आ ) के सार् ( ऋ ) हो तो ‘ अर ‘ बिता है । उसे गर्
ु संग्रध कहते हैं।

उद ारर् :- नर + इिंद्र + नरें द्र , भारि + इिंद ु = भारिेन्द ु


(3) र्र्द
ृ धि सिंधि

वर्द
ृ ग्रध संग्रध क्या होती है :- जब ( अ , आ ) के सार् ( ए , ऐ ) हो तो ‘ ऐ ‘ बिता है और जब ( अ
, आ ) के सार् ( ओ , औ )हो तो ‘ औ ‘ बिता है । उसे वग्रृ ध संग्रध कहते हैं।

उद ारर् :- मि+एकिा = मिैकिा , म ा + ओज

(4) यर् सिंधि

जब ( इ , ई ) के सार् कोई अन्य स्वर हो तो ‘ य ‘ बि जाता है , जब ( उ , ऊ ) के सार् कोई


अन्य स्वर हो तो ‘ व ् ‘ बि जाता है , जब ( ऋ ) के सार् कोई अन्य स्वर हो तो ‘ र ‘ बि जाता
है ।

उद ारर् :- इनि + आहद = इत्याहद , अनु + अय = अन्र्य

(5) अयाहद सिंधि

जब ( ए , ऐ , ओ , औ ) के सार् कोई अन्य स्वर हो तो ‘ ए का अय, ‘ऐ’ का ‘आय’, ‘ओ’ का


‘अव’, ‘औ’ का ‘आव’ हो जाता है इसे अयाहद संग्रध कहते है ।

उद ारर् :- िे + अि = ियि , िौ + इक = िाववक , भो + अि = भवि

व्यिंजन सिंधि :- व्यंजि के सार् स्वर अर्वा व्यंजि के मेि से उस व्यंजि में जो रूपान्तरर्
होता है , उसे व्यंजि सजन्ध कहते हैं।

उद ारर् :- जगत ् + िार् = जगन्िार् , सत ् + चररत्र = सच्चररत्र ,

अिु + स्र्ाि = अिष्ु ठाि , शरत ् + चन्र = शरच्चन्र,


आ + छादि = आच्छादि, षट्+ मास = षण्ठमास

वर्सगव सष्न्ि :- ववसगण के सार् स्वर अर्वा व्यंजि का मेि होिे पर जो ववकार होता है , उसे
ववसगण सजन्ध कहते हैं।

उद ारर् :- मिः+रर् = मिोरर् , दःु + गम = दग


ु म
ण ,

मिः + अिक
ु ू ि = मिोिक
ु ू ि, दःु + साहस = दस्
ु साहस, पुिः + च = पुिश्च,

निः + पक्ष = निष्पक्ष, दःु + बि = दब


ु ि

र्ाच्य
जजस किया के र्दवारा हमें यह पता चिता है कक वाक्य किया को मख्
ु य या मि
ू रूप से
चिािे वािा कौि है । अर्ाणत कमण,कताण भाव,या कोई अन्य र्टक है । उसे वाच्य कहते
है ।

1. किर्
वृ ाच्य :–

जजस वाक्य में कताण मख्


ु य हो और किया कताण के लिंग, वचि एवं परू
ु ष के अिस
ु ार हो,
उसे कतव
णृ ाच्य कहते है ।

उद ारर् :- सग्रचि िे दध
ू पीया।

सीता गाती है ।

राम सो रहा है ।
2. कमवर्ाच्य :–

जजस वाक्य में कमण मख्


ु य हो तर्ा इसकी सकमणक किया के लिंग, वचि व पुरूष कमण
के अिस
ु ार हो, उसे कमणवाच्य कहते हैं।

उद ारर् :- िड़ककयों र्दवारा बाजार जाया जा रहा है ।

मेरे र्दवारा रामायर् पढ़ी जा रही है ।

वषाण से पुस्तक पढ़ी गई।

3. भार्र्ाच्य :–

किया के जजस रूप में भाव की प्रधािता होती है और किया का सीधा सम्बंध भाव से
होता है । उसे भाव वाच्य कहते है । यह केवि अकमणक किया के वाक्यों में ही प्रयक्
ु त
होता है ।

उद ारर् :- शेर से दहाडा भी िहीं गया

बच्चों से िदी में तैरा िहीं जाता

पैदि चिा िहीं जाता

समास
जब दो या दो से अग्रधक शब्दों के मेि से िया शब्द बिता है तो इस प्रकिया को समास कहते है
इस प्रकार बिा शब्द सामालसक शब्द कहिाता है

जैसे:- गिंगा का जि - गिंगाजि


राजा का पुत्र - राजपुत्र

समास के छुः प्रकार ै

1. अव्ययीभार् 2. ित्परु
ु ष 3. र्दवर्गु

4. र्दर्न्र्दर् 5. ब ु व्रीह 6. कमविारय

अव्ययीभार् समास
जजि शब्दों के प्रारम्भ में उपसगण िगा हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इसमें पहिा
पद(पूवण पद) प्रधाि होता है और वह अव्यय होता है । जैसे - यथा, ननर, आ, अन,ु प्र, प्रनि, आहद

इसके कुछ उद ारर् ै जैसे –

यर्ामनत – मनत के अिस


ु ार,

आजीवि – जीवि-भर

प्रत्येक – हर एक

आमरर् – मत्ृ यु तक

प्रनतमास – प्रत्येक मास

यर्ाशजक्त – शजक्त के अिस


ु ार

यर्ाववग्रध – ववग्रध के अिस


ु ार

यर्ािम – िम के अिस
ु ार
निस्संदेह – बबिा संदेह के

भरपूर – पूरा भर के

 अव्यय :- जजि शब्दों पर लिंग, कारक, काि आहद से भी कोई प्रभाव ि पड़े
अर्ाणत जो अपररवनतणत रहें , वे शब्द अव्यय कहिाते हैं।

ित्पुरुष समास
तत्पुरुष समास वह होता है , जजसमें उत्तरपद प्रधाि होता है , अर्ाणत प्रर्म पद गौर् होता है एवं
उत्तर पद की प्रधािता होती है व समास करते वक़्त बीच की वर्भष्क्ट्ि का िोप हो जाता है ।

इस समास में आिे वािे कारक ग्रचन्हों को, से, के लिए, से, का/के/की, में , पर आहद का िोप
होता है ।

जैसे -

ववर्दया के लिए आिय - ववर्दयािय

राजा का पुत्र - राजपुत्र

जन्म से अाँधा - जन्मांध

मांस को िािे वािा - मांसाहारी

शाक को िािे वािा - शाकाहारी

मनू तण को बिािे वािा - मनू तणकार


ित्पुरुष समास के प्रकार
कारक ग्रचन्हों के अिस
ु ार इस समास के छः प्रकार है ।

1. कमव ित्पुरुष समास 2. करर् ित्पुरुष समास

3. सम्प्रदान ित्पुरुष समास 4. अपादान ित्पुरुष समास

5. सम्बन्ि ित्पुरुष समास 6. अधिकरर् ित्पुरुष समास

1. कमव ित्पुरुष समास :- यह समास ‘को’ ग्रचन्ह के िोप से बिता है ।

जैसे : माििचोर - मािि को चरु ािे वािा

स्वगणप्राप्त - स्वगण को प्राप्त

गगिचम्
ु बी - गगि को चम
ू िे वािा

रर्चािक - रर् को चिािे वािा।

2. करर् ित्पुरुष समास :- यह समास दो कारक ग्रचन्हों ‘से’ और ‘के र्दर्ारा’ के िोप से
बिता है ।

जैसे:- शोकाकुि - शौक से आकुि, करुर्ापूर्ण - करुर्ा से पूर्,ण

अकािपीड़ड़त - अकाि से पीड़ड़त, भि


ु मरा - भि
ू से मरा

3. सम्प्रदान ित्पुरुष समास :- इस समास में कारक ग्रचन्ह ‘के लिए’ का िोप हो जाता है ।
जैसे: सत्यािह - सत्य के लिए आिह, प्रयोगशािा - प्रयोग के लिए शािा, रसोईर्र
- रसोई के लिए र्र, यज्ञशािा - यज्ञ के लिए शािा,

दे शभजक्त - दे श के लिए भजक्त, ववर्दयािय - ववर्दया के लिए आिय

4. अपादान ित्पुरुष समास :- इस समास में अपादाि कारक के ग्रचन्ह ‘से’ का िोप हो
जाता है ।

जैसे:- जीविमक्
ु त - जीवि से मक्
ु त, ऋर्मक्
ु त - ऋर् से मक्
ु त,

रोगमक्
ु त - रोग से मक्
ु त, पापमक्
ु त - पाप से मक्
ु त,

बंधिमक्
ु त - बंधि से मक्
ु त, िेत्रहीि - िेत्र से हीि,

धिहीि - धि से हीि, गर्


ु हीि : गर्
ु से हीि

ववर्दयारहहत - ववर्दया से रहहत, पर्भ्रष्ट : पर् से भ्रष्ट

5.सम्बन्ि ित्पुरुष समास :- सम्बन्ध कारक के ग्रचन्ह ‘का’, ‘के’ व ‘की’ का िोप होता है
वहां सम्बन्ध तत्पुरुष समास होता है ।

जैसे:- जिधारा - जि की धारा, गहृ स्वामी - गहृ का स्वामी,

भद
ू ाि - भू का दाि, पुष्पवषाण - पुष्पों की वषाण, उर्दयोगपनत - उर्दयोग का पनत,
सेिापनत - सेिा का पनत, राष्रगौरव : राष्र का गौरव, दे शरक्षा : दे श की रक्षा

6. अधिकरर् ित्परु
ु ष समास :- इस समास में कारक ग्रचन्ह ‘में ’ और ‘पर’ का िोप होता
है ।

जैसे:- िामवास : िाम में वास, गहृ प्रवेश : गहृ में प्रवेश,
जिसमाग्रध : जि में समाग्रध, जिज : जि में जन्मा,

पवणतारोहर् : पवणत पर आरोहर्, आपबीती : आप पर बीती

र्दवर्गु समास

ू रा ववशेष्य होता है , ककंतु कमणधारय से


जहााँ उत्तर पद प्रधाि हो तर्ा एक शब्द ववशेषर् तर्ा दस
इतिा अंतर होता है कक इसमें ववशेषर् शब्द संख्यावाचक होता है । इसे र्दववगु समास कहते हैं।

जजस शब्द में पहिा शब्द संख्या का आए वहां हमेशा र्दववगु समास होता है । परं तु इसके कुछ
अपवाद भी हैं जैसे - बत्रिेत्र, बत्रिोचि, चतभ
ु ज
ुण (ववष्र्ु), एकदं त (गर्ेश) चतरु ािि (ब्रह्मा),
दशािि(रावर्) , बत्रशि
ू ये सभी संख्यावाची होते हुए भी बहुब्रीहह समास है ।

र्दवर्गु समास के कुछ उद ारर्


बत्रकोर् - तीि कोर्ों का समाहार

चौराहा - चार राहों का समाहार

बत्रफिा - तीि फिों का समाहार

चौमासा - चार मासों का समह


सप्ताह - सप्त हदिों का समह


बत्रवेर्ी - तीि वेखर्यों (िहदयों) का समाहार

सप्त लसंधु - सात लसंधओ


ु ं का समह

सप्तवषण - सप्त ऋवषयों का समह


पंचतंत्र - पााँच तंत्रों का समह



चतभ
ु ज
ुण - चार भज
ु ाओं (रे िाओं) का समाहार

र्दर्िंर्दर् समास
जजस समास में दोिो पद प्रधाि होते हैं, र्दवंर्दव समास कहिाता है । इस समास के वविह में
शब्दों के बीच से योजक ग्रचन्ह हटाकर ‘और’ जोड़ा जाता है ।

इस समास में सजम्मलित शब्दों में योजक ग्रचन्ह िगा होता है । इस समास में ऐसे शब्द
सजम्मलित है जजिमें दोिों शब्द ( पूवण और उत्तर पद) का बराबर महत्व है । जो एक दस
ू रे के
पूरक है । जैसे – रात हदि , राजा रािी , दाि रोटी, माता वपता आहद।

अन्य म त्र्पर्
ू व उद ारर्
सि
ु -दि
ु – सि
ु और दि
ु ऊाँचा-िीचा – ऊाँचा और िीचा

दध
ू -दही – दध
ू और दही दाि-चावि – दाि और चावि

िेि-दे ि – िेि और दे ि भिा-बुरा – भिा या बुरा

हानि-िाभ – हानि और िाभ पाप-पुण्ठय – पाप और पुण्ठय

पाप-पुण्ठय – पाप और पुण्ठय दाि रोटी – दाि और रोटी

ब ु ब्रीह समास
ऐसे शब्दों का मेि, जजिमें दोिो पद प्रधाि ि हो अर्ाणत जजसमें प्रयक्
ु त शब्द स्वयं प्रधाि ि
रहकर ककसी तीसरे शब्द की ओर संकेत करें या दोिों शब्द लमिकर एक ववशेष संज्ञा का अर्ण
दें , तो उसे ‘बहुब्रीहह समास’ कहते हैं। ये ‘योगरूढ़’ शब्द होते हैं। जैसे – दशािि - दश है
आिि (मि
ु ) जजसके अर्ाणत ् रावर्

कुछ म त्र्पर्
ू व उद ारर्
िीिकंठ – भगवाि लशव/ मोर पविपुत्र – हिम
ु ाि जी

चिधर – भगवाि ववष्र्ु एकदं त – गर्ेश जी

गजािि – गर्ेश जी वीर्ापाखर् – सरस्वती जी

िंबोदर – गर्ेश जी चंरमौलि – लशव जी

पीतांबर – भगवाि कृष्र् बत्रपुरारी – लशव जी

चतरु ािि – भगवाि ब्रह्मा

कमविारय समास
वह समास जजसका पहिा पद ववशेषर् एवं दस
ू रा पद ववशेष्य होता है अर्वा पूवप
ण द एवं उत्तरपद
में उपमाि – उपमेय का सम्बन्ध मािा जाता है कमणधारय समास कहिाता है ।

इस समास का उत्तरपद प्रधाि होता है एवं ववगहृ करते समय दोिों पदों के बीच में ‘के सामान’, ‘ ै
जो’, में से ककसी एक शब्द का प्रयोग होता है ।

कुछ म त्र्पर्
ू व उद ारर्
र्िश्याम – बादि के समाि कािा
कािी लमचण – कािी है जो लमचण

िंर् रत्ि – रत्ि है जो िंर्

कमिियि – कमि के समाि ियि

िीिकमि – िीिा है जो कमि

पीतांबर – पीिा है जो वस्त्र

महात्मा – महाि है जो आत्मा

सज्जि – सच्चा है जो जि

अििंकार

काव्यों की सद
ुं रता बढ़ािे वािे यंत्रों को ही अिंकार कहते हैं। जजस प्रकार मिष्ु य अपिी सद
ुं रता
बढ़ािे के लिए ववलभन्ि आभष
ू र्ों का प्रयोग करते हैं उसी तरह काव्यों की सद
ंु रता बढ़ािे के लिए
अिंकारों का उपयोग ककया जाता है ।

अििंकार के चार भेद ैं-

1. शब्दािंकार,
2. अर्ाणिक
ं ार,
3. उभयािंकार और
4. पाश्चात्य अिंकार।

मख्
ु य रूप से अििंकार के दो भेद ोिे ैं :
1. शब्दािंकार

2. अर्ाणिक
ं ार

र्ब्दाििंकार के भेद:

1. अिप्र
ु ास अिंकार
2. यमक अिंकार
3. श्िेष अिंकार

1. अनुप्रास अििंकार :- जब ककसी काव्य को सदुं र बिािे के लिए ककसी वर्ण की बार-बार
आवनृ त हो तो वह अिप्र
ु ास अिंकार कहिाता है । ककसी ववशेष वर्ण की आवनृ त से वाक्य सि
ु िे में
सद
ुं र िगता है । जैसे :-

चारु चन्द्र की चिंचि ककरर्ें खेि र ी थी जि थि में ।

इस उदाहरर् में ‘च’ वर्ण की आवनृ त हो रही है और आवनृ त से वाक्य का सौन्दयण बढ़ रहा है । अतः
यह अिप्र
ु ास अिंकार का उदाहरर् है ।

2. यमक अििंकार :- जजस प्रकार अिप्र


ु ास अिंकार में ककसी एक वर्ण की आवनृ त होती है उसी
प्रकार यमक अिंकार में ककसी काव्य का सौन्दयण बढ़ािे के लिए एक शब्द की बार-बार आवनृ त
होती है । दो बार प्रयोग ककए गए शब्द का अर्ण अिग हो सकता है । जैसे :-

कािी घटा का घमिंड घटा।

यहााँ ‘र्टा’ शब्द की आववृ त्त लभन्ि-लभन्ि अर्ण में हुई है । पहिे ‘र्टा’ शब्द ‘वषाणकाि’ में उड़िे
वािी ‘मेर्मािा’ के अर्ण में प्रयक्
ु त हुआ है और दस ू री बार ‘र्टा’ का अर्ण है ‘कम हुआ’। अतः यहााँ
यमक अिंकार है ।
3. श्िेष अििंकार :- श्िेष अिंकार ऊपर हदये गए दोिों अिंकारों से लभन्ि है । श्िेष अिंकार में
एक ही शब्द के ववलभन्ि अर्ण होते हैं। जैसे:
'रह मन पानी राखखए बबन पानी सब सन
ू ।
पानी गए न ऊबरे मोिी मानस चन
ू ।।'

इस दोहे में रहीम िे पािी को तीि अर्ों में प्रयोग ककया है । पािी का पहिा अर्ण मिुष्य के संदभण
में है जब इसका मतिब वविम्रता से है । रहीम कह रहे हैं कक मिष्ु य में हमेशा वविम्रता (पािी)
होिा चाहहए। पािी का दस
ू रा अर्ण आभा, तेज या चमक से है जजसके बबिा मोती का कोई मल्
ू य
िहीं।

पािी का तीसरा अर्ण जि से है जजसे आटे (चि


ू ) से जोड़कर दशाणया गया है । रहीम का कहिा है कक
जजस तरह आटे का अजस्तत्व पािी के बबिा िम्र िहीं हो सकता और मोती का मल्
ू य उसकी आभा
के बबिा िहीं हो सकता है , उसी तरह मिष्ु य को भी अपिे व्यवहार में हमेशा पािी (वविम्रता)
रििा चाहहए जजसके बबिा उसका मल्
ू यह्रास होता है । अतः यह उदाहरर् श्िेष के अंतगणत
आएगा।

अथावििंकार

अर्ाणिक
ं ार के भेद: अर्ाणिक
ं ार के मख्
ु यतः पााँच भेद होते हैं
1. उपमा अिंकार

2. रूपक अिंकार

3. उत्प्रेक्षा अिंकार

4. अनतशयोजक्त अिंकार

5. मािवीकरर् अिंकार
1. उपमा अििंकार :- जब दो लभन्ि वस्तओ
ु ं में समािता हदिाई जाती है , तब वहााँ उपमा
अिंकार होता है

उपमा अिंकार में चार बाते होती है

उपमेय - जजसका वर्णि ककया जाता है या जजसकी ति


ु िा की जाती है

उपमान - जजससे ति
ु िा की जाती है

सािारर् िमव - जजस गुर् ,दोष या ववषेशता की ति


ु िा की जाती है

र्ाचक र्ब्द - ति
ु िा का बोध करिे वािा शब्द

उदाहरर्:-

पीपर पाि सररस मन ड़ोिा।

इस उदाहरर् में मि को पीपि के पत्ते कक तरह हहिता हुआ बताया जा रहा है । इस उदाहरर्
में ‘मि’ – उपमेय है , ‘पीपर पात’ – उपमाि है , ‘डोिा’ – साधारर् धमण है एवं ‘सररस’ (‘के
सामाि’) – वाचक शब्द है । जब दो वस्तओ
ु ं की उिके एक सामाि धमण की वजह से ति
ु िा की
जाती है तब वहां उपमा अिंकार होता है ।

2. रूपक अििंकार :- जब उपमाि और उपमेय में अलभन्िता या अभेद हदिाया जाए तब यह


रूपक अिंकार कहिाता है । जैसे:

“मैया मैं िो चन्द्र-खखिौना िै ों”

इस उदाहरर् में चन्रमा एवं खििोिे में समािता ि हदिाकर चााँद को ही खििौिा बोि हदया गया
है । अतएव यह रूपक अिंकार होगा।
3. उत्प्रेक्षा अििंकार :- जहााँ उपमेय में उपमाि के होिे की संभाविा का वर्णि हो तब वहां
उत्प्रेक्षा अिंकार होता है । यहद पंजक्त में - मि,ु जि,ु जिहु, जािो, मािहु मािो, निश्चय, ईव,
ज्यों आहद आता है बहां उत्प्रेक्षा अिंकार होता है । जैसे:

िे चिा साथ मैं िझ


ु े कनक। ज्यों लभक्षुक िेकर स्र्र्व।

इस उदाहरर् में किक का अर्ण धतरु ा है । कवव कहता है कक वह धतरू े को ऐसे िे चिा मािो कोई
लभक्षु सोिा िे जा रहा हो। काव्यांश में ‘ज्यों’ शब्द का इस्तेमाि हो रहा है एवं कनक –
उपमेय में स्र्र्व – उपमान के होिे कक कल्पिा हो रही है । इसलिए यह उदाहरर् उत्प्रेक्षा अिंकार
के अंतगणत आएगा।

4. अनिर्योष्क्ट्ि अििंकार :- जब ककसी बात का वर्णि बहुत बढ़ा-चढ़ाकर ककया जाए तब वहां
अनतशयोजक्त अिंकार होता है । जैसे :

आगे नहदयााँ पड़ी अपार, घोडा कैसे उिरे पार। रार्ा ने सोचा इस पार , िब िक चेिक था उस
पार।

इस उदाहरर् में चेतक की शजक्तयों व स्फूनतण का बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णि ककया गया है । अतएव
यहााँ पर अनतशयोजक्त अिंकार होगा।

5. मानर्ीकरर् अििंकार :- जब प्राकृनतक चीज़ों में मािवीय भाविाओं के होिे का वर्णि हो


तब वहां मािवीकरर् अिंकार होता है । जैसे :

फूि ाँ से कलियााँ मस्


ु कुराई।

इस उदाहरर् में फूिों के हं सिे का वर्णि ककया गया है जो मिष्ु य करते हैं अतएव यहााँ
मािवीकरर् अिंकार है ।
रस

रस शब्द आिन्द का पयाणय है । रसवादी आचायों िे काव्य मे रस को ही मख्


ु य मािा है । उन्होंिे
रस को काव्य की आत्मा कहा हैं। जैसे आत्मा के बबिा शरीर का कोई मल्
ू य िही उसी प्रकार रस
के बबिा काव्य भी निजीव मािा जाता हैं।
कववता, कहािी, िाटक आहद पढ़िे, सि
ु िे या दे ििे से पाठक को जो एक प्रकार के वविक्षर्
आिन्द की अिभ
ु नू त होती है उसे रस कहते हैं।

रस एर्िं उनके स्थायी भार्


1. श्रग
ं ृ ार रस का स्र्ायी भाव = रनत
2. हास्य रस का स्र्ायी भाव = हास
3. करूर् रस का स्र्ायी भाव = शोक
4. रौर रस का स्र्ायी भाव = िोध
5. वीभत्स रस का स्र्ायी भाव = जग
ु प्ु सा
6. भयािक रस का स्र्ायी भाव = भय
7. अर्दधभत
ु रस का स्र्ायी भाव = ववस्मय
8. वीर रस का स्र्ायी भाव = उत्साह
9. शान्त रस का स्र्ायी भाव = निवेद
10. वात्सल्य रस का स्र्ायी भाव = वत्सि

ित्सम िर्दभर् र्ब्द

ित्सम र्ब्द
तत्सम दो शब्दों से लमिकर बिा है – तत + सम तत का अर्ण है ‘उसके’ तर्ा सम का अर्ण है
‘समाि’ अतः तत्सम शब्द ऐसे शब्द होते हैं, जजन्हें संस्कृत भाषा से ‘ज्यों का त्यों’ बबिा ककसी
पररवतणि के हहंदी भाषा में शालमि कर लिया गया है ।

िर्दभर् र्ब्द

समय और पररजस्र्नत की वजह से तत्सम शब्दों में जो पररवतणि हुए हैं उन्हें तर्दभव शब्द कहते हैं।
संस्कृत के जो शब्द प्राकृत, अपभ्रंश, पुरािी हहन्दी आहद से गुजरिे के कारर् आज पररवनतणत रूप में
लमिते हैं, वे तर्दभव शब्द कहिाते हैं।
‘तर्दभव’ (तत ् + भव) शब्द का अर्ण है संस्कृत शब्दों को र्ोड़ा पररवनतणत करकर बिे शब्द।
ित्सम और िर्दभर् र्ब्दों को प चानने के ननयम :-
तत्सम शब्दों के अंत में ‘क्ष’ वर्ण आता है वहीं उसके तर्दभव रूप में ‘क्ष’ स्र्ाि में ‘ि’ या ‘छ’ वर्ण
का प्रयोग होता है ।
तत्सम शब्दों में जहां पर ‘व’ का प्रयोग होता है वहीं तर्दभव शब्द में ‘व’ की जगह ‘ब’ का प्रयोग
होता है ।
तत्सम शब्दों में ‘ष’ वर्ण का प्रयोग ककया जाता है।
तत्सम शब्दों में ‘ऋ’ की मात्रा का प्रयोग होता है। वहीं तर्दभव शब्दों में ‘र’ का प्रयोग ककया जाता
है ।
तत्सम शब्दों में जहां पर ‘श्र’ का प्रयोग होता है वहीं तर्दभव शब्द में ‘श्र’ की जगह ‘स’ का प्रयोग
होता है ।
तत्सम शब्दों में ‘ श ‘ का प्रयोग होता है और तर्दभव शब्दों में ‘ स ‘ का प्रयोग हो जाता है।
तत्सम शब्दों में ‘ र ‘ की मात्रा का प्रयोग होता है।
र्े र्ब्द जो अनेक र्ब्दों या र्ाक्ट्य के स्थान पर अकेिे ी प्रयोग ककये
जािे ैं।

अपिे ऊपर निभणर रहिे वािा - आत्मनिभणर

अपिी इच्छा से सेवा करिे वािा - स्वयंसेवक

अचािक र्हटत होिे वािा - आकजस्मक

अच्छे आचरर् वािा - सदाचारी

अच्छी सहिशजक्त वािा - सहहष्र्ु

आकाश में ववचरर् करिे वािा - िभचर

आकाश को चम
ू िे वािा - गगिचब
ुं ी

आहद से अंत तक - आर्दयोपांत

इनतहास से संबंग्रधत - ऐनतहालसक

कम बोििे वािा - अल्पभाषी

ककए हुए उपकार को माििे वािा - कृतज्ञ

गंगा का उदगम स्र्ाि - गंगोत्री

चन्रमा के समाि मि
ु वािी - चंरमि
ु ी

चारों वेदों को जाििे वािा - चतव


ु े दी

जि में ववचरर् करिे वािा - जिचर


जिता र्दवारा चिाया जािे वािा राज्य - प्रजातंत्र, जितंत्र

जीिे की प्रबि इच्छा - जजजीववषा

जजस पुरुष की पत्िी मर गई हो - ववधरु

जजसे जािा ि जा सके - अज्ञेय

जजसका कोई आकार ि हो - निराकार

जजसका कोई शत्रु ि हो - अजातशत्रु

जजसकी उपमा ि हो सके - अिप


ु म

जो ईश्वर में ववश्वास रिता हो - आजस्तक

जो ईश्वर में ववश्वास ि रिता हो - िाजस्तक

जो इस संसार से अिग की वस्तु हो - अिौककक

जो दो भाषाएाँ जािता हो - दभ
ु ावषया

जो दस
ू रों पर उपकार करे - परोपकारी

जो फि - सब्जी िाता हो - शाकाहारी

जो मांस िाता हो – मांसाहारी

हहरर् जैसी आाँिों वािी - मग


ृ िैिी

जो मीठा बोिता हो - मद
ृ भ
ु ाषी

जो हार्ों से लििा हो - हस्तलिवप, पांडुलिवप

दस
ू रों से ईष्याण रििे वािा - ईष्याणिु

दस
ू रों का बुरा चाहिे वािा - कुहटि
परस्पर एक - दस
ू रे पर आग्रश्रत - अन्योन्याग्रश्रत

पािी में रहिे वािा - जिचर

र्ब्द र्ुर्दधि

अर्र्द
ु ि रूप र्र्द
ु ि रूप अर्र्द
ु ि रूप र्र्द
ु ि रूप
अशीवाणद आशीवाणद परवाररक पाररवाररक

पजत्ि पत्िी परिोककक पारिौककक

एजच्छक ऐजच्छक प्रमाखर्क प्रामाखर्क

वेधानिक वैधानिक अधनु िक आधनु िक

सजु क्त सजू क्त रसायनिक रासायनिक

वेहदक वैहदक धेयण धैयण

कोआ कौआ वेवाहहक वैवाहहक

पती पनत ओग्रचत्य औग्रचत्य

बबमार बीमार एिक ऐिक

निरस िीरस एक्य ऐक्य

अधरु ा अधरू ा ओरत औरत

अिक
ु ुि अिक
ु ूि कोि कौि

सरु दास सरू दास योवि यौवि


िोकी िौकी तत्य तथ्य

आंि आाँि रामायि रामायर्

कांपिा कााँपिा वैस्िव वैष्र्व

चांद चााँद कल्याि कल्यार्

छत्री क्षबत्रय िबाव िवाब

छार क्षार बबवाह वववाह

कनिष्ट कनिष्ठ आदरिीय आदरर्ीय

वररष्ट वररष्ठ बािर वािर

र्निष्ट र्निष्ठ स्वरुप स्वरूप

सांप सााँप रामचंन्दर रामचन्र

जाचिा याचिा लमरच लमचण

जव
ु ती यव
ु ती ककरपा कृपा

छमा क्षमा बचि वचि

नछि क्षर् ररचा ऋचा

झूट झूठ ररषी ऋवष

अत: एव अतएव करोर करोड़

ततागत तर्ागत करम कर


आहदकाि
हहन्दी साहहत्य के इनतहास में िगभग 8वीं शताब्दी से िेकर 14वीं शताब्दी के मध्य तक के काि
को आहदकाि कहा जाता है । इस यग
ु को यह िाम डॉ॰ जारी प्रसाद र्दवर्र्ेदी से लमिा है ।
आचायण रामचंर शक्
ु ि िे 'र्ीरगाथा काि' तर्ा ववश्विार् प्रसाद लमश्र िे इसे 'र्ीरकाि' िाम
हदया है । इस काि की समय के आधार पर साहहत्य का इनतहास लिििे वािे लमश्र बंधओ
ु ं िे
इसका िाम प्रारं लभक काि ककया और आचायण महावीर प्रसाद र्दवववेदी िे बीजर्पन काि। डॉ॰
रामकुमार वमाण िे इस काि की प्रमि
ु प्रववृ त्तयों के आधार पर इसको चारर्-काि कहा है और
राहुि संकृत्यायि िे लसर्दि-सामन्ि काि।

इस समय का साह त्य मख्


ु यिुः चार रूपों में लमििा ै :

 लसर्दध-साहहत्य तर्ा िार्-साहहत्य,


 जैि साहहत्य,
 चारर्ी-साहहत्य,
 प्रकीर्णक साहहत्य।
इस काि में रासो साह त्य की िीन प्रर्नृ ियााँ दे खने को लमििी ै

वीरगार्ात्मक - पथ्ृ वीराज रासो , हम्मीर रासो, परमाि रासो

धालमणकता - भारतेश्वर बाहुबिी रास

शग
ंृ ाररकता - संदेश रासक

र्ीरगाथाकाि के प्रमुख कवर्यों िथा उनकी रचनाओिं के नाम ।

 दिपनत ववजय - िुमाि रासो,


 चन्दबरदाई - पथ्ृ वीराज रासो,
 शारं गधर - हमीर रासो,
 िल्ि लसंह - ववजयपाि रासो,
 जगनिक - परमाि रासो या आल्हा िण्ठड,
 िरपनत िाल्ह - बीसिदे व रासो,
 मधक
ु र - जयमयंक जसचजन्रका।

िड़ी बोिी के आहद-कवव अमीर खस


ु रो इसी समय हुए है । िुसरो की पहे लियां और
मक
ु ररयां प्रख्यात हैं। मैग्रर्ि-कोककि ववर्दयापनत भी इसी समय के अंतगणत हुए हैं।
ववर्दयापनत के मधरु पदों के कारर् इन्हें 'अलभिव जयदे व' भी कहा जाता है । मैग्रर्िी और
अवहट्ट में भी इिकी रचिाएं लमिती हैं। इिकी पदाविी का मख्
ु य रस श्रग
ं ृ ार मािा गया
है ।

भष्क्ट्ि काि
आहदकाि के बाद आये इस यग
ु को पूवण मध्यकाि भी कहा जाता है । जजसकी समयावग्रध संवत ्
1343ई से संवत ् 1643ई तक की मािी जाती है । यह हहंदी साहहत्य (साहहजत्यक दो प्रकार के हैं-
धालमणक साहहत्य और िौककक साहहत्य) का श्रेष्ठ यग
ु है । जजसको जॉजण ग्रियसणि िे स्वर्णकाि,
श्यामसन्
ु दर दास िे स्वर्णयग
ु , आचायव राम चिंद्र र्क्ट्
ु ि िे भजक्त काि एवं हजारी प्रसाद र्दवववेदी
िे िोक जागरर् कहा। सम्पर्
ू ण साहहत्य के श्रेष्ठ कवव और उत्तम रचिाएं इसी में प्राप्त होती हैं।

सगर्
ु भष्क्ट्ि

 रामाश्रयी शािा
 कृष्र्ाश्रयी शािा

ननगर्
ुव भष्क्ट्ि
 सन्त काव्य धारा इसे 'ज्ञािाश्रयी शािा' भी कहते हैं।
 सफ
ू ी काव्य धारा सफ
ू ी काव्य को प्रेमाख्यािक काव्य, प्रेमगार्ा काव्य परम्परा,
प्रेममागी शािा भी कहा जाता है ।

रामाियी र्ाखा

ति
ु सीदास हहंदी साहहत्य के श्रेष्ठ कवव मािे जाते हैं। ये रामभजक्त शािा के प्रमि
ु कवव मािे
जाते है । ति
ु सीदास के मािस एवं केशव की रामचंहरका में सभी रस दे िे जा सकते हैं। रामभजक्त
के रलसक संप्रदाय के काव्य में श्रग
ं ृ ार रस को प्रमि
ु ता लमिी है । मख्
ु य रस यर्दयवप शांत रस ही
रहा। रामकाव्य में मख् ु त हुई है । ककंतु ब्रजभाषा भी इस काव्य का श्रग
ु यत: अवधी भाषा प्रयक् ं ृ ार
बिी है रामचररतमािस की अवधी प्रेमकाव्य की अवधी भाषा की अपेक्षा अग्रधक साहहजत्यक है ।
रामकाव्य की रचिा अग्रधकतर दोहा-चौपाई में हुई है

वर्नयपबत्रका ति
ु सीदास रग्रचत एक िंर् है । यह ब्रज भाषा में रग्रचत है । वविय पबत्रका में वविय
के पद है । ववियपबत्रका का एक िाम राम ववियाविी भी है । वविय पबत्रका में 21 रागों का प्रयोग
हुआ है । वविय पबत्रका का प्रमि
ु रस शांतरस है तर्ा इस रस का स्र्ाई भाव निवेद होता है ।

कृटर्ाियी र्ाखा

कृष्र्-काव्य-धारा के मख्
ु य प्रवतणक हैं- श्री वल्िभाचायण। उन्होंिे निम्बाकण, मध्व और
ववष्र्स्
ु वामी के आदशों को सामिे रिकर श्रीकृष्र् का प्रचार ककया। श्री वल्िभाचायण र्दवारा
प्रचाररत पुजष्टमागण में दीक्षक्षत होकर सरू दास आहद अष्टछाप के कववयों िे कृष्र्-भजक्त-साहहत्य
की रचिा की। वल्िभाचायण िे पुजष्टमागण का प्रचार-प्रसार ककया। जजसका अर्ण है - भगवाि
श्रीकृष्र् की भजक्त से उिकी कृपा और अिि
ु ह की प्राजप्त करिा

अष्टछाप के कवव - कुम्भिदास, सरू दास , परमािन्ददास, कृष्र्दास, चतभ


ु ज
ुण दास , िंददास,
छीतस्वामी, गोववंदस्वामी
ननगर्
ुव िारा

(i) सन्ि काव्य िारा

इसे 'ज्ञािाश्रयी शािा' भी कहते हैं।

संत काव्य धारा के प्रमि


ु कवव एवं उिकी कृनतयााँ

1. कबीर (1398-1518 ई.) - सािी, सबद, रमैिी। इि तीिों का संकिि 'बीजक' िाम से कबीर
के लशष्य धमणदास िे ककया।

2. रै दास (1398-1448 ई.) - रववदास की बािी।

3. गुरु िािक (1469-1538 ई.) - जपुजी, रहहरास, असा-दी-वार सोहहिा-गुरु िन्र् साहब में
िािक के पद संकलित हैं।

4. हररदास निरं जिी (1455-1543 ई.) - अष्टपदी, जोगिन्र्, ब्रह्मस्तनु त, हं स प्रबोध।

5. दाद ू दयाि (1544-1603 ई.) - हरडे वार्ी, अंगवधू ।

6. मिक
ू दास (1574-1682 ई.) - ज्ञािदीप, रतििाि, भजक्तवववेक, राम अवतार िीिा, धव
ु -
चररत।

7. सन्
ु दरदास - (1596-1689 ई.) ज्ञािसमद
ु , सन्
ु दर वविास ।

सिंिकाव्य की वर्र्ेषिाएाँ

1. निगर्
ुण ोपासिा, 2. बाह्याडम्बरों का िण्ठडि, 3. िारी ववषयक दृजष्टकोर्,

4. शान्त रस की प्रधािता। 5. अर्दवैतवादी दशणि, 6. जानत-प्रर्ा का ववरोध,


7. अपररष्कृत भाषा,

(ii) सूफी काव्य िारा

सफ
ू ी काव्य को प्रेमाख्यािक काव्य, प्रेमगार्ा काव्य परम्परा, प्रेममागी शािा भी कहा जाता है ।

ह न्दी सूफी काव्य के प्रमुख कवर् एर्िं उनकी रचनाएाँ

जायसी पह्मावत 1540 ई

मल्
ु िा दाउद चंदायि 1379 ई.

कुतब
ु ि मग
ृ ावती 1503 ई.

मंझि मधम
ु ािती 1545 ई.

ििवी ज्ञािदीप 1619 ई.

िरू मह
ु म्मद इन्रावती 1744 ई.

सफ
ू ी काव्य की प्रमख
ु वर्र्ेषिाएाँ

1. अिौककक प्रेम की व्यंजिा, 2. मसिवी शैिी, 3. कर्ा संगठि का सौन्दयण,

4. िोक पक्ष एवं हहन्द ू संस्कृनत का ग्रचत्रर्, 5. वस्तु वर्णि,

6. भाव एवं व्यंजिा, 7. िण्ठडि-मण्ठडि का अभाव 8. प्रबन्ध काव्यों की रचिा

9. ववयोग वर्णि की प्रधािता।


रीनिकाि

अन्य िाम-उत्तर मध्यकाि, श्रग


ं ृ ार काि, अिंकृत काि, किाकाि। रीनत निरूपर् (काव्यांगों के
िक्षर्, उदाहरर् वािे िन्र्-रीनत िन्र् या िक्षर् िन्र् कहे जाते हैं) की प्रधािता होिे से आचायण
रामचन्र शक्
ु ि िे इसे रीनतकाि िाम हदया। शग
ंृ ार काि िाम ववश्विार् प्रसाद लमश्र िे हदया
तर्ा अिंकृत काि – लमश्रबंधओ
ु ं िे। किा की प्रधािता दे िकर कुछ ववर्दवािों िे इसे किा काि
िाम भी हदया है ।रीनतकाि के वगण रीनतकािीि कववयों को तीि वगों में बााँटा गया है

1. रीनतबर्दध - जजन्होंिे िक्षर् िन्र् (रीनत िन्र्) लििकर रीनत निरूपर् ककया, जैसे-दे व,
केशवदास, ग्रचन्तामखर् आहद।

2. रीनतमक्
ु त-जो रीनत के बंधि से पूरी तरह मक्
ु त हैं, जैसे - र्िािन्द, बोधा, आिम, ठाकुर।

3. रीनत लसर्दध - जजन्हें रीनत की जािकारी र्ी, परन्तु उन्होंिे िक्षर् िन्र्। िहीं लििा, जैसे-
बबहारी। रीनतकाि के प्रनतनिग्रध कवव बबहारी हैं। उिके िन्र् का िाम है सतसई। बबहारी सतसई
का सम्पादि रत्िाकर िे 'बबहारी रत्िाकर' के िाम से ककया है । बबहारी सतसई के दोहों की कुि
संख्या 713 है ।

रीनिकाि के प्रमुख कवर्

1. ग्रचन्तामखर् - कववकुि कल्पतरु, काव्य वववेक, शग


ंृ ार मंजरी, रस वविास।

2. भष
ू र् - लशवराज भष
ू र्, छत्रसाि दशक, लशवाबाविी, अिंकार प्रकाश।

3. बबहारी - सतसई।

4. दे व - भाववविास, रस वविास, कुशि वविास, प्रेम तरं ग, काव्य रसायि,

5. र्िािन्द - ववयोग बेलि, सज


ु ाि हहत प्रबन्ध, प्रीनत पावस, कृपाकन्द निबन्ध।
6. बोधा - ववरह वारीश, इश्किामा।

7. पर्दमाकर - पर्दमाभरर्, जगर्दवविोद, गंगािहरी, प्रबोध पचासा, कवव पच्चीसी।

8. केशव - रामचजन्रका, कवववप्रया, रलसकवप्रया, ववज्ञाि गीता,

 केशव को रीनतकाि का पहिा कवव तर्ा ग्रचन्तामखर् को रीनतकाि का प्रवतणक आचायण


रामचन्र शक्
ु ि िे मािा है । केशव को कहठि काव्य का प्रेत कहा जाता है । उन्हें सवाणग्रधक
सफिता संवाद निरूपर् में लमिी है ।

रीनिकािीन नाटक

जसवंत लसंह - प्रबोध चंरोदय िाटक

िेवाज - शकंु तिा िाटक

दे व - दे वमाया प्रपंच िाटक

ब्रजवासी दास - प्रबोध चंरोदय िाटक

सोमिार् – माधव वविोद िाटक

ह द
िं ी के प्रलसर्दि कवर् एर्िं उनकी रचनाएाँ

िुिसीदास - रामचररतमािस, वविय पबत्रका ,कववताविी, गीताविी, दोहाविी, जािकी मंगि,


कबीरदास - बीजक (रमैिी,सबद,सािी)
सूरदास - सरू सागर, साहहत्य िहरी, सरू साराविी

जायसी - पर्दमावत , अिरावट, आखिरी किाम

बब ारी - सतसई

दे र् - अष्टयाम , भाव वविास, रस वविास

पर्दमाकर - पर्दमभारर्,हहतोपदे श, राम रसायि , जगत वविोद


मनिराम - िलितििाम , चंरसार, रसराज, साहहत्यकार

धचिंिामखर् - कववकुि ,कल्पतरु ,काव्य वववेक


भूषर् - लशवाबाविी, लशवराजभष
ू र्, छत्रशाि दशक

घनानिंद - सज
ु ाि सागर ,प्रेम पबत्रका ,प्रेम सरोवर ,ववयोग बोलि ,इश्कता

भारिेन्द ु ररश्चिंद - 'अन्धेर-िगरी प्रेमफुिवारी,प्रेम प्रिाप,श्रग


ं ृ ार िहरी, सत्य हररश्चन्र

मैधथिीर्रर् गुप्ि - साकेत , यशोधरा, भारत भारती, लसर्दधराज, र्दवापर , पंचवटी

सय
ू क
व ािंि बत्रपाठी ननरािा - पररमि, ति
ु सीदास, अिालमका , कुकुरमत्त
ु ा, अखर्मा, बेिा

म ादे र्ी र्माव - निहार, रजश्म, िीरजा, दीपलशिा, सांध्यगीत, पर् के सार्ी

िमवर्ीर भारिी - अाँधा यग


ु , किवु प्रया, गुिाहों का दे वता, सरू ज का सातवां र्ोड़ा, ठं डा िोहा

चिंदबरदाई - प्रथ्वीराज रासो

केर्र्दास - रामचंहरका, कवववप्रया, रलसकवप्रया , ववज्ञािगीता


र ीम - रहीम दोहाविी, बरवै, िानयका भेद, मदिाष्टक, रास पंचाध्यायी, िगर शोभा

मीराबाई - मीरा पदाविी, गीतगोववन्द , िरसीजी-रो-माहे रो, राग सोरठ

सुलमत्रानिंदन पन्ि - यग
ु वार्ी, वीर्ा किा और बूढा चााँद ,पल्िव ,गुंजि , ग्रचदं बरा ,उत्तरा

रामिारी लसिं हदनकर - कुरुक्षेत्र, रजश्मरर्ी, उवणशी, रे र्क


ु ा , बापू, रसवंती, हुंकार
माखनिाि चिुर्ेदी - हहमककरीहटिी, हहम, यग
ु चरर्, समपणर् ,हहमतरं ग्रगिी

ररर्िंर् राय बच्चन – मधश


ु ािा, मधब
ु ािा, क्या भि
ू ाँ ू क्या याद करूाँ, मधु किश, बर्द
ु ध और
िाचर्र, बंगाि का काि

दिपनि वर्जय - िुमािरासो


नरपनि नाल् - वीसिदे व रासो

जगननक - परमािरासो

सारिं गिर - हम्मीर रासो

रामनरे र् बत्रपाठी - पग्रर्क लमिि ,स्वपि, मािसी , िाम्य गीत

अयोध्या लसिं उपाध्याय ररऔिजी- वप्रयप्रवास,वैदेही विवास,चोिे चौपदे ,रस किश


जयर्िंकर प्रसाद - कामायिी,झरिा,आाँस,ू िहर,कामिा,कल्यार्ी,स्कंदगु ,ववशाि,आकशदीप
रामकुमार र्माव - संकेत,एकिव्य, उत्तरायर्, निशीर्, आकाश गंगा, ग्रचत्तौड़ की ग्रचता
गजानन मािर् मुष्क्ट्िबोि - चााँद का माँह
ु टे ढ़ा है , भरू ी-भरू ी िाक धि
ू , िये साहहत्य का
सौंदयणशास्त्र,ववपात्र,एक साहहजत्यक की डायरी,काठ का सपिा

ह द
िं ी के नाटक और उनके िेखक
1. अंधेर िगरी – भारतें द ु हररश्चंर
2. अंधा यग
ु – धमणवीर भारती
3. एक और रोर्ाचायण – शंकर शेष
4. कबीरा िड़ा बाज़ार में – भीष्म साहिी
5. महाभोज – मन्िू भंडारी
6. कोटण माशणि – स्वदे श दीपक
7. अषाढ़ का एक हदि – मोहि राकेश
8. रामायर् महािाटक – प्रार्चंद चौहाि
9. कृष्र् सद
ु ामा िाटक – लशविंदि सहाय
10. ध्रव
ु स्वालमिी – जयशंकर प्रसाद
11. आषाढ़ का एक हदि – मोहि राकेश
12. बकरी – सवेश्वर दयाि सक्सेिा

ह द
िं ी की प्रमुख पबत्रकाएिं एिंर् उनके सिंपादक

1. कवव वचि सध
ु ा – भारतेन्द ु हररश्चन्र
2. हररश्चन्र मैगजीि – भारतेन्द ु हररश्चन्र

3. हररश्चन्र चजन्रका – भारतेन्द ु हररश्चन्र


4. आिन्द कादजम्बिी – बदरीिारायर् चौधरी प्रेमर्ि
5. हहन्दी प्रदीप – पं.बािकृष्र् भट्ट

6. ब्राह्मर् – पं.प्रतापिारायर् लमश्र


7. सरस्वती – आचायण महावीर प्रसाद र्दवववेदी

8. समािोचक – चन्रधर शमाण गुिेरी


9. इन्द ु – अजम्बका प्रसाद गुप्त
10. मयाणदा – कृष्र्कान्त मािवीय

11. प्रभा – बािकृष्र् शमाण 'िवीि


12. साहहत्य सन्दे श – गुिाबराय
13. कादजम्बिी – राजेन्र अवस्र्ी

14. धमणयग
ु – धमणवीर भारती
15. साप्ताहहक हहन्दस्
ु ताि – मिोहर श्याम जोशी

भाषा लर्क्षर् र्ास्त्र

भाषा अधिगम एर्िं अजवन

भाषा अजवन
भाषा अजणि एक ऐसी प्रकिया है । जजसके अंतगणत बच्चा अपिे आस पास के वातावरर्, पररवार
में रहकर भाषा को सीिता है । वह दस
ू रो का अिक
ु रर् करके भाषा को सीिता है । यह एक
प्राकृनतक प्रककया है । इसके लिए कोई औपचाररक साधि की आवश्यकता िही पड़ती है । यह एक
प्रकार से मात ृ भाषा या क्षेत्रीय भाषा होती है ।

भाषा अजवन से सिंबिंधिि म त्र्पर्


ू व बबिंद ु

 भाषा अजणि की प्रकिया सहज और स्वभाववक होती हैं।


 इसमें ककसी व्याकरर् की आवश्यकता िहीं होती हैं।
 भाषा अजणि में सवाणग्रधक महत्त्व पररवार व समाज का होता हैं।

भाषा अधिगम
 अग्रधगम का तात्पयण होता है सीििा। ककसी भी प्रकार के अग्रधगम की प्रकिया
जीविभर चिती रहती है । इसमें औपचाररक साधिों का प्रयोग ककया जाता है ।
 भाषा अग्रधगम में नियम और व्याकरर् का प्रयोग ककया जाता है ।
 इसे र्दववतीय भाषा के िाम से जािते है ।

भाषा अधिगम से सिंबिंधिि िथ्य

 इसमें भाषा के नियम सीिे जाते हैं।


 भाषा अग्रधगम औपचाररक लशक्षा के र्दवारा ककया जाता हैं |
 भाषा अग्रधगम ववर्दयािय में प्रारम्भ होता हैं।
 भाषा अग्रधगम में बच्चों को प्रयास करिा पड़ता हैं।
 इसमें व्याकरर् की आवश्यकता होती हैं।
 भाषा अग्रधगम में लशक्षक, ववर्दयािय पा्यिम ,पा्यपुस्तके ,लशक्षर् पर्दधनतयााँ आहद
की भलू मका रहती हैं।

अधिगम के प्रकार

 कक्रयात्मक अधिगम - कियात्मक अग्रधगम में सीििे के लिए कियाओ के स्वरूप और


कियाओ की गनत पर ध्याि हदया जाता है ।
 र्ाष्ब्दक या र्ाधचक अधिगम - शाजब्दक या वाग्रचक अग्रधगम या सीििे में संकेतो ,
ग्रचत्रों ,शब्दों , अंको , आहद के माध्यम से सीििा होता हैं।
 वर्चारात्मक अधिगम - ववचारात्मक अग्रधगम में व्यजक्त समाज में दै निक जीवि
अिभ
ु वो को दे ि कर या सि
ु कर और ववचार करके सीिा जाता हैं।

भाषा अधिगम एर्िं अजवन के सिंदभव में वर्र्दर्ानों के वर्चार

र्ाइगोत्स्की के अनुसार– बच्चों की भाषा समाज के सार् सम्पकण का ही पररर्ाम हैं।


वपयाजे के अनस
ु ार– भाषा अन्य संज्ञािात्मक तंत्रो की भानत पररवेश के सार् अन्तःकिया के
माध्यम से ही ववकलसत होती हैं।

चॉम्स्की के अनुसार– ‘‘भाषा अजणि की क्षमता बािकों में जन्मजात होती है और वह भाषा की
व्यवस्र्ा को पहचाििे की शजक्त के सार् पैदा होता है ।’’

भाषा लर्क्षर् के लसर्ददािंि

अनुबन्ि के लसर्दिािंि या सा चयव का लसर्दिािंि :- शैशवावस्र्ा मे बच्चे ककसी शब्द की


पहचाि ककसी वस्तु या व्यजक्त से उस शब्द का साहचयण (सम्बन्ध) स्र्ावपत करके सीिते हैं।
अर्ाणत शैशवावस्र्ा मे सीििे की प्रकिया मत
ू ण होती है ।

जैसे :- पािी कहिे के सार्-सार् जब बच्चे को पािी हदया जाता है तो वह बच्चा धीरे - धीरे पािी
शब्द व पािी वस्तु के बीच सम्बन्ध स्र्ावपत करके उसे समझिे िगता है ।

अनुकरर् का लसर्दिािंि :- इस लसर्दधांत का प्रयोग बािक के आरजम्भक लशक्षा मे प्रभावी होता


है । इसके अन्तगणत बािक अपिे पररवार, समाज आहद का अिक
ु रर् (िकि करके) करके
सीिता है । इस तरह के अग्रधगम मे भाषा का गुर्-दोष समाज, पररवार आहद पर निभणर करता
है ।

अलभप्रेरर्ा एर्िं रूधच का लसर्दिािंि या पन


ू बविन का लसर्दिािंि :-ककसी कायण की सफिता
हमे अलभप्रेररत करती है कक हम और बेहतर कायण करे । और ककसी कायण की सफिता इस बात पर
निभणर करती है कक हम उस कायण मे ककतिी रूग्रच िेते है अर्ाणत
बािक का लशक्षा के प्रनत रूग्रच और उत्साह उसे सीििे के लिए प्रेररत करती है । अत: लशक्षर्
सम्बन्धी पा्य सामिी, पा्-वस्तु आहद का निमाणर् व चयि बच्चों के रूग्रच के अिस
ु ार होिा
चाहहए एवं उसे सदै व सीिते रहिे के लिए अलभप्रेररत करते रहिा चाहहए ।

कक्रयार्ीििा का लसर्दिािंि :- यह लसर्दधांत करके सीििे पर बि दे ता है । जब बािक ककसी


कायण को स्वत: करके सीिता है तो वह उसे जल्दी और आसािी से सीि व समझ िेता है । अत:
बािको को सदै व िद
ु से करके सीििे के लिए पयाणप्त अवसर उपिब्ध करािा चाहहए।

अभ्यास का लसर्दिािंि:- ककसी भी चीज़ को सीििे के लिए अभ्यास सबसे महत्वपूर्ण होता है
क्यकंू क उसी से वह हमारे व्यवहार में आती है । भाषा प्रयोग के अग्रधक से अग्रधक अवसर लमििे से
बच्चों का भाषा ववकास जल्दी हो जाता है ।

आर्वृ त्त का लसर्दिािंि :- भाषा सीििे में आववृ त्त का बहुत महत्व है । सीिी हुई बात को जजतिा
अग्रधक दोहराया जाएगा वह उतिे ही अग्रधक दे र तक याद रहे गी। इसलिए भाषा लशक्षर् में
पुिराववृ त्त पर भी ववशेष ध्याि हदए जािे की आवश्यकता होती है ।

अनप
ु ाि और क्रम का लसर्दिािंि:- भाषा कौशि के चारो प्रारूपो (श्रवर्, वाचि, पठि एवं
िेिि) मे निपुर्ता के लिए अभ्यास िम मे समाि अिप
ु ात बिाये रििे पर जोर दे ता है ।

भाषा के कायव एर्िं इसके वर्कास में बोिने एर्िं सन


ु ने की भलू मका

भाषा के कायव

अलभव्यष्क्ट्ि का सािन :- भाषा व्यजक्त को अपिी आवश्यकता, इच्छा, भाविाएाँ आहद


अलभव्यजक्त करिे में सहायता करती है ।
सामाष्जक सिंबिंि स्थावपि करने में स ायक :- सामाजजक संबंध बिािे के लिए हम भाषा
का प्रयोग करते हैं।

भाषा मानर् वर्कास का मूि आिार ै :- भाषा की शजक्त के माध्यम से ही मिुष्य प्रगनत के
पर् पर अिसर हुआ है भाषा के अभाव में मिष्ु य ववचार िहीं कर सकता और ववचार के अभाव में
वह अपिे ज्ञाि ववज्ञाि के क्षेत्र में प्रगनत भी िहीं कर सकता है

ज्ञान की प्राष्प्ि में स ायक:- िये ज्ञाि की प्राजप्त के लिए भाषा बहुत ही आवश्यक हैं।

लर्क्षा प्राष्प्ि में स ायक:- लशक्षा प्राप्त करिे के लिए भाषा की आवश्यकता होती हैं।

भाषा मानर् सभ्यिा एर्िं सिंस्कृनि की प चान ै :- जैसे-जैसे मािव समाज िे अपिी भाषा
में प्रगनत की वैसे वैसे उसकी सभ्यता एवं संस्कृनत में ववकास हुआ है ज्ञाि ववज्ञाि के क्षेत्र में
प्रगनत हुई और श्रेष्ठ साहहत्य का भी सज
ृ ि हुआ है ।

भाषा वर्कास में सुनने की भूलमका

 बच्चा अपिे पररवार व समाज के िोगो को बोिते हुए सि


ु ता है तर्ा उिका अिक
ु रर्
करता हैं। और बोििे की कोलशश करता है ।
 सि
ु िे के माध्यम से बच्चे में शर्द
ु ध उच्चारर् करिे के कौशि का ववकास होता है सि
ु िे के
माध्यम से ही बच्चा बोििे में आिे वािी उच्चारर् संबंधी अशर्द
ु ग्रधयों को दरू करिे में
सफि होता है ।
 सि
ु िे के माध्यम से ही एक बािक के शब्द भंडार में वर्द
ृ ग्रध होती है जजससे उसकी भाषा
ववकास में भी वर्द
ृ ग्रध होती है ।
 सि
ु िा, ध्वनि के ववभेदीकरर् का सबसे अच्छा माध्यम है इसके र्दवारा बािक स्वर के
उतार-चढ़ाव को सीि जाता है ।
 सि
ु िे के माध्यम से बच्चा दस
ू रों की भाविाओं , ववचारो को जाि पता है ।
 सि
ु िा अन्य भाषा कौशिों के ववकास में भी बहुत सहायक होता है जैसे वाचि कौशि,
िेिि कौशि के ववकास में

भाषा वर्कास में बोिने की भूलमका


 बोिकर हम अपिी भाविाओं तर्ा ववचारो को अलभव्यक्त करते हैं।
 बोििे से ही बच्चा शर्दु ध उच्चारर् सीिता हैं।
 बोिकर ही बच्चा कुशिता भाषा प्रवाह प्राप्त करता हैं।
 बात चीत के र्दवारा सामाजजक संबंधों का निमाणर् होता हैं।

भाषा अधिगम में व्याकरर् की भूलमका


 ववर्दयाग्रर्णयों को शर्दु ध उच्चारर् की लशक्षा प्रदाि करिा ।
 ववर्दयाग्रर्णयों में भाषा की अशर्दु धता को समझिे की शजक्त का ववकास करिा ।
 छात्रों को वाक्य रचिा के नियम एवं ववराम ग्रचन्हों का शर्दु ध प्रयोग आहद का ज्ञाि करािा

 अग्रधगम में व्याकरर् की भलू मका से बच्चो के चारो भाषा कौशि का ववकास होता है।
 भाषा का शर्दु ध प्रयोग करिे तर्ा भाषा में दक्षता प्राप्त करिे में व्याकरर् मख्
ु य भलू मका
निभाती है ।
 ववर्दयाग्रर्णयों को ववलभन्ि ध्वनि का ज्ञाि दे िा।
 यह बच्चों में भाषा संबंधी अलभव्यजक्त का ववकास करिे में भी सहायक है ।
 यह छात्रों को िेिि शैिी में मह
ु ावरों, िोकोजक्तयों का प्रयोग करिे का लशक्षर् दे कर उिके
िेिि कौशि में ववकास करिे में सहायक है ।
 व्याकरर् से छात्रों में ववलभन्ि िए िए शब्दों की समझ ववकलसत हो जाती है ।
 यह छात्रों को गर्दय पर्दय में अंतर समझा कर उिके िेिि कौशि का ववकास करिे में
सहायक है ।
 व्याकरर् छात्रों के िेिि में संज्ञा, सवणिाम, ववशेषर्, किया, प्रत्यय, उत्तर, तर्ा तत्सम
शब्द, तर्दभव शब्द आहद के प्रयोग से उिके िेिि कौशि में ववकास करिे में सहायक है
 व्याकरर् ववग्रधयों को शर्दु ध सजू क्त, िोकोजक्त, महु ावरे आहद का अर्ण निकाििे के योग्य
बिाता है ।

व्याकरर् की लर्क्षर् वर्धि

आगमन वर्धि :- इस ववग्रध में अिभ


ु वों, उदाहरर्ों तर्ा प्रयोगों का प्रत्यक्ष अध्ययि करके
नियम बिाए जाते हैं। यह लशक्षर् पर्दधनत "छात्र-केंहरत" पर्दधनत है , जो छात्रों को "करकर
सीििे" पर जोर दे ती है । यह एक मिोवैज्ञानिक तरीका है ।

इस ववग्रध में कुछ लशक्षर् सत्र


ू ों का पािि ककया जाता है जैसे :- ज्ञात से अज्ञात की ओर, सरि से
कहठि की ओर , मत
ू ण से अमत
ू ण की ओर , स्र्ि
ू से सक्ष्
ू म की ओर , सामान्य से ववलशष्ट की ओर ।

ननगमन वर्धि :- इस पर्दधनत में ववर्दयाग्रर्णयों को पहिे नियमों का ज्ञाि हदया जाता है , कफर
उि नियमों को एक "उदाहरर्" दे कर समझाया जाता है । इस पर्दधनत को "लशक्षक-केंहरत" ववग्रध
कहा जाता है जजसमें लशक्षक सभी नियमों को पढ़ाता है ।

इस ववग्रध में कुछ लशक्षर् सत्र


ू ों का पािि ककया जाता है जैसे - अज्ञात से अज्ञात की ओर , अमत
ू ण
से मत
ू ण की ओर , सक्ष्
ू म से स्र्ूि की ओर , नियम से उदाहरर् की ओर।

अनुकरर् वर्धि
इस ववग्रध में बािक अिक
ु रर् करके सीिता है इस लिए इस ववग्रध को अिक
ु रर् ववग्रध कहा जाता
है । इस ववग्रध में बािक अपिे लशक्षक का अिक
ु रर् (िकि) करके लिििा, पढ़िा व िवीि रचिा
करिा सीिता है । इस ववग्रध के अन्तगणत बािक लशक्षक के उच्चारर् को सि
ु कर वाचि करिा
सीिते हैं। पहिे लशक्षक बोिता है , कफर बच्चे उसका अिस
ु रर् करते है ।

व्याख्यान वर्धि

व्याख्याि ववग्रध में ककसी तथ्य , ववषय की व्याख्या की जाती है । व्याख्याि ववग्रध को लशक्षर् की
सबसे प्राचीि ववग्रध मािा जाता है । इस ववग्रध में लशक्षक की भलू मका प्रमि
ु होती है इसलिए इसे
लशक्षक केंहरत लशक्षर् ववग्रध मािी जाती है ।

भाषा सिंसगव वर्धि

यह एक व्याकरर् लशक्षर् की ववग्रध है । इस ववग्रध में रचिाओं के माध्यम से व्याकरर् का ज्ञाि


हदया जाता है । प्रार्लमक कक्षाओं हे तु यह ववग्रध काम में िी जाती है । इस ववग्रध के र्दवारा छात्रों
को अच्छे िेिि की पस्
ु तकों के माध्यम से व्याकरर् का ज्ञाि हदया जाता है ।

कक्षा-कक्ष में ब ु भावषकिा एक सिंसािन के रूप में


 बहुभावषक कक्षा ववर्दयाग्रर्णयों के शब्द भण्ठडार में वर्द
ृ ग्रध करती है । बच्चे अपिे ववचारों को
अपिी मात ृ भाषा में सहज रूप से व्यक्त करते है जजससे उिके मौखिक कौशि का ववकास
होता है । बहुभावषकता का गर्
ु बच्चों में रचिात्मकता का ववकास करिे में सहायक होता
है ।

 कक्षा में ववलभन्ि भाषाओं का प्रयोग करिा सांस्कृनतक आदाि-प्रदाि का भी माध्यम है ।


लभन्ि-लभन्ि भाषाओं के प्रयोग करिे से सभी छात्रों को एक-दस
ू रे की भाषा समझिे का
अवसर लमिता है तर्ा वह अपिी मातभ
ृ ाषा का सम्माि करिे के सार् ही दस
ू रों की
भाषाओं एवं संस्कृनतयों का सम्माि करिा सीिते हैं।

 बहुभावषक क्षमता संज्ञािात्मक वर्द


ृ ग्रध, सामाजजक सहहष्र्ुता, ववस्तत
ृ ग्रचन्ति और
बौर्दग्रधक उपिजब्धयों के स्तर को बढ़ाती है , इसलिए भाषाओं को ववर्दयाियों में एक
संसाधि के रूप में प्रयोग ककया जा सकता है ।

 अिग-अिग भावषक पष्ृ ठभलू मयों से होिे के कारर् बच्चों के शब्दों व उिके उच्चारर् में
लभन्िता पाई जाती है , इसलिए भावषक पष्ृ ठभलू म के आधार पर ककसी को पीछे िहीं छोड़ा
जा सकता। बच्चो की भाषा ववववधता को एक संसाधि के रूप में प्रयोग ककया जा सकता
है ।

 इस बात के प्रमार् भी लमिे हैं कक र्दवव-भाषी बच्चों की वैचाररक क्षमता अन्य बच्चों की
ति
ु िा में अच्छी होती है ।

कक्षा-कक्ष में ब ु भावषकिा एक चन


ु ौिी के रूप में
 बच्चों पर क्षेत्रीय भाषाओिं का प्रभार् :- भारत एक बहुभाषी दे श है। ववलभन्ि क्षेत्रों की
अपिी भाषा होती है और क्षेत्रीय भाषाओं का छात्रों पर प्रभाव पड़ता है , जो लशक्षर् प्रकिया
में एक चि
ु ौती है ।

 छात्रों में भाषाई कौर्ि वर्कलसि करने की चन


ु ौिी:- भाषाई ववववधता के कारर्
छात्रों को भाषा कौशि के ववकास में चि
ु ौनतयों का सामिा करिा पड़ सकता है , क्योंकक
क्षेत्रीय भाषा के प्रभाव का भाषाई कौशि पर भी प्रभाव पड़ सकता है ।
 लर्क्षक के लिए ब ु भाषा की चुनौिी :- यहद ककसी लशक्षक को अपिे क्षेत्र से दरू ककसी
अन्य क्षेत्र में पढ़ािे के लिए कहा जाता है जहां वह लशक्षक वह भाषा िहीं जािता जो उस
क्षेत्र में बोिी जाती है , तो वहां लशक्षक र्दवारा बच्चो को पढ़ािा एक चि
ु ौती होती है ।

 भाषा के प्रनि बच्चों की रुधच और योनयिा का अभार् :- भाषा लशक्षर् की


समस्याओं में से एक समस्या यह है कक छात्रों में भाषा के प्रनत रुग्रच और प्रववृ त्त की कमी
होती है , जजससे भाषा लशक्षर् का कायण अग्रधक चि
ु ौतीपूर्ण हो जाता है ।

 अधिक भीड़-भाड़ र्ािी कक्षाएाँ :- अग्रधक भीड़-भाड़ वािी कक्षाएाँ आमतौर पर लशक्षक
की भाषा को प्रभावी ढं ग से पढ़ािे की क्षमता को कम कर दे ती हैं और लशक्षाग्रर्णयों के भाषा
लशक्षर् को प्रभाववत करती है ।

 अध्ययन सामग्री की कमी :- भाषा ववववधता वािी कक्षा में भाषा लशक्षर् के लिए
अध्ययि सामिी की कमी भी एक समस्या है ।

भाषा-कौर्ि
मिष्ु य एक सामाजजक प्रार्ी है और समाज में अन्य व्यजक्तयों से सम्प्रेषर् स्र्ावपत करिे के
लिए वह बोिकर या लििकर अपिे भावों एवं ववचारों को अलभव्यक्त करता है तर्ा सि
ु कर या
पढ़कर दस
ू रो के ववचारों को िहर् करता है । इस प्रकार भाषा के दो अलभव्यक्ट्िात्मक कौर्ि है
बोिना और लिखना इि दोिों माध्यम से हम अपिे ववचारो को अलभव्यक्त कर सकते है । और
भाषा के दो ही ग्र र्यात्मक कौर्ि है सन
ु ना और पढ़ना इि दोिों माध्यम से हम दस
ु रो के
ववचारो या उिकी बातो को िहर् कर सकते है । भाषा से सम्बजन्धत इि चारों कियाओं के प्रयोग
करिे की क्षमता को भाषा-कौशि कहा जाता है ।
इिका ववकास एवं इिमें दक्षता प्राप्त करिा ही भाषा लशक्षर् का उदे श्य है । भाषा लशक्षर् के लिए
आवश्यक चारों कौशि परस्पर एक-दस
ू रे से अन्ि:सम्बष्न्िि होते हैं। प्रत्येक कौशि का ववकास
ककसी ि ककसी रूप में एक-दस
ू रे पर निभणर करता है ।
भाषा के चारो कौशि क्रम से न ीिं सीिे जाते बजल्क सभी एक साथ सीिे जाते है । जैसे बच्चा
सि
ु िे के सार् - सार् बोििा भी सीिता है । और पढ़िे के सार् - सार् लिििा भी सीिता है ।

भाषा कौर्ि को चार प्रकारों में वर्भाष्जि ककया गया ै


 िर्र् कौर्ि (सुिकर अर्ण िहर् करिे का कौशि)
 र्ाधचक या मौखखक अलभव्यष्क्ट्ि कौर्ि (ववचारों को बोिकर व्यक्त करिे का
कौशि)
 पठन कौर्ि (पढ़कर अर्ण िहर् करिे का कौशि)
 िेखन कौर्ि (ववचारों को लििकर व्यक्त करिे का कौशि)

1. िर्र् कौर्ि (सन


ु ना) :- भाषा को श्रवर् कौशि के माध्यम से िहर् ककया जाता है ।
केवि सि
ु िा मात्र ही श्रवर् कौशि िहीं है बजल्क वक्ता या प्रवक्ता की बात को सि
ु कर उसके
अर्ण को उसी प्रकार िहर् करिा जजस प्रकार वो बात अलभव्यक्त की जा रही है श्रवर् कौशि
कहिाता है ।

2. र्ाचन कौर्ि (बोिना) :- अपिी बात या ववचारों को दस


ू रो के सामिे प्रकट या अलभव्यक्त
करिा वाचि (बोििा) कौशि कहिाता है वाचि कौशि तभी प्रभावी मािा जाएगा जब हम
अपिी बात या ववचारो को इस प्रकार से अलभव्यक्त करे की सि
ु िे वािा हमारी बात को अच्छे से
समझ जाए और उस पर इसका प्रभाव हो तो ये एक अच्छे वाचि कौशि का उदहारर् है ।
3. पठन कौर्ि (पढ़ना) :- ककसी ववषय को पढ़कर उसके अर्ण को िहर् करिा पठि कौशि
कहिाता है , श्रवर् की अपेक्षा पठि कौशि से स्र्ाई ज्ञाि की प्राजप्त होती है ।

पठि दो प्रकार का होता है -


(i) सस्वर पठि। (ii) मौि पठि।

4. िेखन कौर्ि (लिखना) :- अपिे ववचारो या बातो को लििकर अलभव्यक्त करिा िेिि
कौशि कहिाता है । इस कौशि में भाषा को स्र्ानयत्व हदया जाता है और इसमें वतणिी या
शर्द
ु धता को अत्यग्रधक महत्व हदया जाता है ।

भाषा लर्क्षर् में मल्


ू यािंकन
मल्
ू यािंकन
सीििे - लसिािे की निजश्चत अवग्रध के बाद बच्चो की वास्तववक उपिग्रध स्तर को जांचिा
मल्
ू यांकि कहिाता है । मल्
ू यांकि पठि-पाठि प्रकिया का अलभन्ि हहस्सा है । यह एक निरं तर
चििे वािी प्रकिया है आकिि और मल्
ू यांकि दोिो का उर्ददे श्य बच्चों की क्षमता अिभ
ु नू त
तर्ा अग्रधगम का मापि करिा होता है ।

आकिि की प्रकिया मल्


ू यांकि करिे के लिए की जाती है । अर्ाणत ् 'आकिि' मल्
ू यांकि के
दौराि होिे वािी प्रकिया है । आकिि एक संक्षक्षप्त प्रकिया है और मल्
ू यांकि एक व्यापक
प्रकिया है । आकिि के बाद मल्
ू यांकि ककया जाता है ।

मल्
ु यािंकन के उर्ददे श्य
 बच्चों में अपेक्षक्षत व्यवहार एवं आचरर् पररवतणि की जांच करिा।
 बािको की योग्यताओं, कुशिताओं, रुग्रचयों आहद का पता िगािा एवं उिके अिस
ु ार
लशक्षर् ववग्रध को अपिािा।
 इससे अध्ययि और अध्यापि दोिों का मापि कर सकते है ।
 ववर्दयाग्रर्णयों के भाषायी कौशिों की प्रगनत का आकिि करिा।
 बािको के चहुमि
ंु ी ववकास की निरन्तर गनत प्रदाि करता है ।
 उपचारर्ात्मक लशक्षर् प्रदाि करिा ।
 ववर्दयाग्रर्णयों का सतत मल्
ू यांकि करके भाषा लशक्षर् में आिे वािी कहठिाइयों को दरू
करिा।
 बच्चो की अग्रधगम में होिे वािी कहठिाइयों का पता िगािा। और उन्हें दरू करिे की
सही रर्िीनत बिािा ।

मल्
ू यािंकन का म त्र्
 लशक्षर् के उर्ददे श्यों की प्राजप्त में सहायक है!
 बच्चों को अध्ययि की ओर अिलसत करता है ।
 बच्चों की कमजोररयों को जाििे में सहायक होता है ।
 बच्चों की प्रगनत में सहायक है ।
 शैक्षक्षक व व्यावसानयक मागणदशणि में सहायक है ।

मूल्यािंकन के प्रकार
रचनात्मक/ननमावर्ात्मक मूल्यािंकन :- बच्चों की िगातार प्रनतपुजष्ट (Feedback) के लिए
रचिात्मक मल्
ू यांकि सहायक है । रचिात्मक मल्
ू यांकि से अध्यापक पढाते समय यह जााँच
करते है कक बच्चो िे ज्ञाि को ककतिा अजजणत ककया है । रचिात्मक मल्
ू यांकि पाठ के बीच में से
ककया जाता है ।

ननदानात्मक मूल्यािंकन :- बच्चो को अग्रधगम (सीििे) के दौराि होिे वािी कहठिाइयों का


पता िगािा ओर उि कहठिाइयों के कारर् का पता िगािा निदािात्मक मल्
ू यांकि कहिाता है ।
योगात्मक मूल्यािंकन :- योगात्मक मल्ू यांकि सत्र के अंत में होता है । अध्यापक र्दवारा पढ़ािे
के बाद ये दे ििा कक बच्चों िे ज्ञाि को ककतिा िहर् ककया है योगात्मक मल्
ू यांकि कहिाता है ।
जैसे - ककसी पाठ को पढािे के बाद जब अध्यापक बच्चों से प्रश्ि करता है तो वह योगात्मक
मल्
ू यांकि कहिाता है ।

बच्चों की भाषा का आकिन करने के लिए उधचि िरीके

 बच्चों र्दवारा ववलभन्ि सन्दभो में भाषा-प्रयोग के अवसर दे िा।


 बच्चो से प्रश्ि पछ
ू िा और पढ़ी गई सामिी पर उिसे प्रनतकिया व्यक्त करवािा।
 बच्चो से उिके अपिे अिभ
ु वों को लििवािा।
 सि
ु ी गई कहािी को बच्चो से अपिे शब्दों में लििवािा।
 बच्चों के भाषा-प्रयोग का अविोकि करिा ।
 बच्चों को ग्रचत्र-वर्णि और प्रश्ि पूछिे के अवसर दे िा।

पोटव फोलियो

 पोटवफोलियो एक प्रकार की फाइि ोिी ै ष्जसमे ककसी बच्चे के


एक ननष्टचि अर्धि में ककये गए कामो का सिंग्र (collection)
ोिा ै ।
 इसमें बच्चे की उपिष्ब्ियों, प्रगनि और कलमयों को भी रखा
जािा ै ।
 पोटवफोलियो से बच्चे की म त्र्पूर्व जानकाररयााँ लमििी ै । जैसे - व्यष्क्ट्िगि, पाररर्ाररक
र्ैक्षखर्क/स र्ैक्षक्षखर्क, सािंस्कृनिक िथा सामाष्जक जानकारी आहद।
 बच्चो के पोटवफोलियो बनाने का ये उर्ददे श्य ोिा ै की इसकी स ायिा से उनका
मल्
ू यााँकन करना आसान ो जािा ै ।

समग्र एर्िं सिि मल्


ू यािंकन
बच्चों के लिए नि: शल्
ु क और अनिवायण लशक्षा अग्रधनियम ( RTE - 2009 ) के अिस
ु ार C.C.E.
को प्रत्येक बच्चे की प्रांरलभक लशक्षा पूरी होिे तक िागू ककया जाए ।

C.C.E. में सतत का अर्ण है कक बच्चो के सीििे मैं कहााँ - कहााँ कमी रह गई है जजसके आधार
पर सीििे में सध
ु ार के लिए लशक्षक उग्रचत समय पर आवश्यक कदम उठा सकता है सार् में यह
भी पता िगा सकता है कक बच्चा सीििे में कहााँ कहठिाई का अिभ
ु व कर रहा है ।
C.C.E. के दस
ु रे र्टक समि मल्
ू यांकि का अर्ण बच्चे में सवाणगीर् प्रगनत के बारे में जािकारी
प्राप्त करिे से है ।

उपचारात्मक लर्क्षर्
उपचारात्मक लशक्षर् निदािात्मक परीक्षर् के बाद आता है क्योंकक िैदानिक परीक्षर् के र्दवारा
पहिे छात्रों की अग्रधगम में होिे वािी कहठिाइयों की जािकारी प्राप्त की जाती है और उसके
बाद उपचारात्मक लशक्षर् के र्दवारा उन्हें दरू करिे का प्रयास ककया जाता है ।

उपचारात्मक लर्क्षर् का म त्र्


 बच्चो के सीििे के दौराि आिे वािी कहठिाइयों को दरू करिे का प्रयत्ि ककया जाता
है ।
 बािकों की क्षमता को सही हदशा में मोड़िे में सहायता लमिती है ।
 बािकों की व्यजक्तत्व संबंधी समस्याओं का निराकरर् हो जाता है ।
 उपचारात्मक लशक्षर् से बच्चो के आत्मववश्वास में वजृ ध्द होती है ।
 छात्रों र्दवारा की जािे वािी त्रहु टयों में सध
ु ार के सार्-सार् भववष्य में होिे वािी त्रहु टयों
से भी बचाव हो जाता है ।
 लशक्षर् रोचक उर्ददे श्य पूर्ण व प्रभावशािी बिािे में सहायता लमिती है ।

लर्क्षर् स ायक सामग्री


छात्रों में अध्ययि के प्रनत रुग्रच उत्पन्ि करिे व ज्ञाि को स्र्ाई बिािे के लिए लशक्षक को
लशक्षर् कायण के दौराि अिेक प्रकार के साधिों का प्रयोग करिा पड़ता है अतः जो भी साधि
छात्रों के अग्रधगम में सहायक होते हैं वे सहायक सामिी या लशक्षर् अग्रधगम सामिी कहिाते हैं।

लर्क्षर् स ायक सामग्री के प्रकार


 िव्य स ायक सामग्री :– इस प्रकार की सामिी से बच्चे सि
ु कर ज्ञाि को अजजणत
करते है । इसके उदाहरर् है , रे ड़डयो, टे प ररकॉडणर, िामोफोि, चि ग्रचत्र, आहद।

 दृश्य स ायक सामग्री :– इस प्रकार की सामिी से बच्चे दे िकर ज्ञाि को अजजणत


करते है । इसके उदाहरर् है , श्यामपट्ट, बि
ु ेहटि बोडण, फ्िेिीि बोडण, मािग्रचत्र, ग्िोब,
ग्रचत्र, रे िाग्रचत्र, काटूणि, मॉडि, पोस्टर, स्िाईड्स, कफल्म स्रीप्स आहद।

 िव्य-दृश्य स ायक सामग्री :– इस प्रकार की सामिी से बच्चे एक सार् सि


ु कर
और दे िकर ज्ञाि को अजजणत करते है । इसके उदाहरर् है , मोबाइि फ़ोि, टे िीववजि,
कंप्यट
ू र, चिग्रचत्र, िाटक, आहद।

 कक्रया स ायक लर्क्षर् सामग्री :– किया सहायक लशक्षर् सामिी के र्दवारा प्राप्त
ज्ञाि वास्तववक होता है । इिके र्दवारा िई िई चीजों का अध्ययि ककया जाता है । इससे
बािकों को व्यजक्तगत अिभ
ु व की प्राजप्त होती है ।
इसके उदाहरर् है :
 ऐनतहालसक स्र्िों का भ्रमर् करिा।
 ककसी उर्दयाि का भ्रमर् करिा।
 ककसी संिहािय का भ्रमर् करिा।

गर्दयािंर् - पर्दयािंर्

गर्दयािंर्
म सािंस्कृनिक अष्स्मिा की बाि ककिनी ी करें ; परिं पराओिं का अर्मल्
ू यन ु आ ै ,
आस्थाओिं का क्षरर् ु आ ै । कड़र्ा सच िो य ै कक म बौर्दधिक दासिा स्र्ीकार कर र े
ैं, पष्श्चम के सािंस्कृनिक उपननर्ेर् बन र े ैं। मारी नई सिंस्कृनि अनुकरर् की सिंस्कृनि
ै । म आिुननकिा के झूठे प्रनिमान अपनािे जा र े ैं। प्रनिटठा की अिंिी प्रनिस्पिाव में
जो अपना ै उसे खोकर छर्दम आिुननकिा की धगरफ्ि में आिे जा र े ैं। सिंस्कृनि की
ननयिंत्रक र्ष्क्ट्ियों के क्षीर् ो जाने के कारर् म हदनरलमि ो र े ैं। मारा समाज ी
अन्य-ननदे लर्ि ोिा जा र ा ै । वर्ज्ञापन और प्रसार के सूक्ष्म यिंत्र मारी मानलसकिा
बदि र े ैं। उनमें सम्मो न की र्ष्क्ट्ि ै , र्र्ीकरर् की भी।
अिंििुः इस सिंस्कृनि के फैिार् का पररर्ाम क्ट्या ोगा? य गिंभीर धचिंिा का वर्षय ै ।
मारे सीलमि सिंसािनों का घोर अपव्यय ो र ा ै । जीर्न की गुर्र्त्ता आिू के धचप्स से
न ीिं सुिरिी। न ब ु वर्ज्ञावपि र्ीिि पेयों से। भिे ी र्े अिंिरावटरीय ों। पी़िा और बगवर
ककिने ी आिुननक ों, ैं र्े कूड़ा-खार्दय। समाज में र्गों की दरू ी बढ़ र ी ै , सामाष्जक
सरोकारों में कमी आ र ी ै । जीर्न स्िर का य बढ़िा अिंिर आक्रोर् और अर्ािंनि को
जन्म दे र ा ै । जैस-े जैसे हदखार्े की य सिंस्कृनि फैिेगी, सामाष्जक अर्ािंनि भी बढ़े गी।
मारी सािंस्कृनिक अष्स्मिा का ह्रास िो ो ी र ा ै , म िक्ष्य-रम से भी पीडड़ि ैं।
वर्कास के वर्राट उर्ददे श्य पीछे ट र े ैं, म झूठी िुटटी के िात्कालिक िक्ष्यों का पीछा
कर र े ैं। मयावदाएिं टूट र ी ैं, नैनिक मानदिं ड ढीिे पड़ र े ैं। व्यष्क्ट्ि-केंहद्रकिा बढ़ र ी ै ,
स्र्ाथव परमाथव पर ार्ी ो र ा ै । भोग की आकािंक्षाएिं आसमान को छू र ी ैं। ककस बबिंद ु
पर रुकेगी य दौड़?

1. अनच्ु छे द के आिार पर बिाइए कक मारी सिंस्कृनि ककसकी सिंस्कृनि बनिी जा र ी ै ?


(क) उपभोक्तावादी संस्कृनत (ि) आधनु िक संस्कृनत
(ग) अिक
ु रर् की संस्कृनत (र्) ववज्ञापि की संस्कृनत
ANS : 3

2. आज के उपभोक्ट्िार्ादी यग
ु में ककस प्राकर की सिंस्कृनि का वर्कास ो र ा ै ? अनच्
ु छे द के
आिार पर बिाएिं।
(क) हदखार्े की सिंस्कृनि (ि) प्रनतस्पधाण की संस्कृनत

(ग) िािच की संस्कृनत (र्) उपयोग्रगता की संस्कृनत


ANS : 1

3. 'वर्िालसिा की र्स्िओ
ु िं से आजकि बाजार भरा पड़ा ै । इस र्ाक्ट्य में कक्रया वर्र्ेषर् ै
(क) वविालसता (ि) बाजार (ग) आजकि (र्) भरा
ANS : 3

4. 'अष्स्मिा' र्ब्द का अथव ै

(क) अजस्तत्व (ि) पहचाि (ग) उपयक्


ुण त दोिों (र्) मािदं ड
ANS : 3
5. अन्य को िेटठ समझकर उसकी (कबौर्दधिकिा के प्रनि बबना आिोचनात्मक दृष्टट अपनाए
उसे स्र्ीकार कर िेना क्ट्या क िािा ै ?

(क) छर्दम आधनु िकता (ि) बौर्दग्रधक दासता


(ग) प्रनतस्पधाण (र्) हदग्भ्रलमत दासता
ANS : 2

6. उपयक्ट्
ुव ि अनच्
ु छे द में ननम्नलिखखि में से ककस खार्दय पदाथव को कूड़ा-खार्दय की िेर्ी में न ीिं
रखा गया ै ?
(क) पीज़ा (ि) बगणर (ग) पनीर (र्) आिू के ग्रचप्स
ANS : 3

7. आज समाज में वर्लभन्न र्गों के जीर्न स्िर में बढ़िा अिंिर ककसको जन्म दे र ा ै ?
(क) आिोश (ि) अशांनत (ग) उपयक्
ुण त दोिों (र्) हदिावा
ANS : 4

8. ननम्नलिखखि में से कौन सा धचह्न अिववर्राम का धचह्न ै ?


(क) : (ि) , (ग) . (घ) ;
ANS : 4

गर्दयािंर्
जीर्न में ब ु ि अन्िकार ै और अन्िकार की ी भााँनि अर्भ
ु और अनीनि ै । कुछ िोग
इस अन्िकार को स्र्ीकार कर िेिे ैं और िब उनके भीिर जो प्रकार् िक प ु ाँ चने और
पाने की आकािंक्षा थी, र् क्रमर्: क्षीर् ोिी जािी ै । मैं अन्िकार की इस स्र्ीकृनि को
मनुटय का सबसे बड़ा पाप क िा ू ाँ । य मनुटय का स्र्यिं अपने प्रनि ककया गया अपराि
ै । उसके दस
ू रों के प्रनि ककए गए अपरािों का जन्म इस मूि पाप से ी ोिा ै । य
स्मरर् र े कक जो व्यष्क्ट्ि अपने ी प्रनि इस पाप को न ीिं करिा ै , र् ककसी के भी प्रनि
कोई पाप न ीिं कर सकिा ै । ककन्िु कुछ िोग अन्िकार के स्र्ीकार से बचने के लिए उसके
अस्र्ीकार में िग जािे ैं। उनका जीर्न अन्िकार के ननषेि का ी सिि उपक्रम बन
जािा ै ।

1. गर्दयािंर् में 'अन्िकार' र्ब्द ककस ओर सिंकेि करिा ै ?


(1) पाप की ओर (2) बरु ाइयों और कहठिाइयों की ओर जािा

(3) अपराधों की ओर (4) गरीबी की ओर


ANS : 2

2. िेखक ने ककसे सबसे बड़ा पाप क ा ै ?


(1) प्रकाश पािे की क्षीर् आकांक्षा (2) मिष्ु य का अपिे प्रनत पाप ि करिा
(3) अन्धकार को स्वीकार ि करिा (4) अन्धकार को स्वीकार कर िेिा
ANS : 4

3. जब व्यष्क्ट्ि स्र्यिं के प्रनि ककए गए अन्याय, र्ोषर् के वर्रुर्दि आर्ाज न ीिं उठािा, िो
(1) इससे दस
ू रों के प्रनत अन्याय, शोषर् को बढ़ावा लमिता है
(2) वह केवि अपिे प्रनत अन्याय करता है

(3) इससे शाजन्त का माहौि बिा रहता है


(4) वह दण्ठड का अग्रधकारी बि जाता है
ANS : 1

4. 'अन्िकार का ननषेि' ककस ओर सिंकेि करिा ै ?


(1) अन्याय, शोषर्, बुराइयों को सदा के लिए समाप्त करिा
(2) समाज में फैिे अन्धकार को प्रकाश में बदि दे िा

(3) समाज को अन्धकार से मक्


ु त करािे के लिए प्रयत्िशीि रहिा
(4) यह माििा कक समाज में अन्याय, शोषर्, बुराइयााँ िहीं हैं
ANS : 4

5. इस गर्दयािंर् का मख्
ु य उर्ददे श्य ै
(1) अन्धकार और प्रकाश की व्याख्या करिा
(2) अन्याय और बुराइयों को दरू करिे के लिए प्रेररत करिा
(3) तरह-तरह के िोगों की ववशेषताएाँ बतािा

(4) पाप और पुण्ठय की व्याख्या करिा


ANS : 2

6. इस गर्दयािंर् में 'उपक्रम' का अथव ै


(1) आरम्भ, शरु
ु आत (2) तैयारी, योजिा
(3) आयोजि, समारोह (4) व्यवसाय, कायण
ANS : 4

7. जीर्न में ब ु ि अन्िकार ै । रे खािंककि अिंर् में कौन-सा कारक ै?


(1) अपादाि कारक (2) अग्रधकरर् कारक
(3) करर् कारक (4) सम्प्रदाि कारक
ANS : 2

8. " और अन्िकार की ी भााँनि अर्भ


ु और अनीनि ै ।" र्ाक्ट्य में ननपाि ै
(1) ही (2) की (3) है (4) और
ANS : 1
 (ही, भी, तब, जब इत्याहद हहंदी निपात कहिाते है )

पर्दयािंर् 8
अन्िकार की गु ा सरीखी उन आाँखों से डरिा ै मन
भरा दरू िक उनमें दारुर् दै न्य दुःु ख का नीरर् रोदन।
र् स्र्ािीन ककसान र ा, अलभमान भरा आाँखों में इस का
छोड़ उसे माँझिार आज सिंसार कगार सदृर् ब खखसका।
ि रािे र्े खेि दृगों में ु आ बेदखि र् अब ष्जन से
ाँ सिी थी उसके जीर्न की ररयािी ष्जनके िन
ृ -िन
ृ से।
आाँखों ी में घूमा करिा र् उसकी आाँखों का िारा
कारकुनों की िाठी से जो गया जर्ानी ी में मारा।
बबना दर्ादपवन के घरनी स्र्रग चिी-आाँखें आिी भर
दे ख-रे ख के बबना दिमाँ ी बबहटया दो हदन बाद गई मर।

1. कवर् का मन ष्जन आाँखों से डरिा ै र्े कैसी ैं?


(1) डराविी आाँिें (2) अन्धकार-सी कािी
(3) अन्धकार की गफ
ु ा-सी (4) अन्धकार-सी दारुर्
ANS : 3

2. ष्जन आाँखों का र्र्वन कवर् ने ककया ै र्े ककसकी आाँखें ैं?


(1) ककसाि की (2) अन्धकार की

(3) िीरव रोदि की (4) स्वाधीि भारत की


ANS : 1

3. ककसान की आाँखों में अब भी क्ट्या ि रािा ै ?


(1) दै न्य-दःु ि का दारुर् रोदि
(2) अपिे िेत जजिसे वो बेदिि ककया गया
(3) स्वाधीिता का अलभमाि

(4) वह संसार जो कगार सदृश खिसक गया


ANS : 2

4. इस पर्दयािंर् के लिए उपयक्ट्


ु ि र्ीषवक लिखखए
(1) ककसाि की पीड़ा (2) दारुर् दःु ि
(3) वे आाँिें (4) जीवि का अन्धकार
ANS : 3

5. ककसान के बेटे की मत्ृ यु कैसे ु ई?


(1) कारकुिों र्दवारा िाहठयों से पीटिे के कारर्
(2) दे ि-रे ि के अभाव के कारर्

(3) दवा-दपणि के अभाव के कारर्


(4) भि
ू के कारर्
ANS : 1

6. 'अाँिेरा' र्ब्द का पयावयर्ाची ै


(1) नतलमर (2) तरु (3) ववटप (4) इिमें से कोई िहीं
ANS : 1
पर्दयािंर्
िीरे से पािंर् िरा िरिी पर ककरनों ने,
लमट्टी पर दौड़ गया िाि रिं ग ििुओिं का।
छोटा सा गािंर् ु आ केसर की क्ट्यारी-सा,
कच्चे घर डूब गये किंचन के पानी में ।
डािों की डोिी में िज्जा के फूि खखिे, उ
षा ने मस्िी में फूिों को चूम लिया।
गोरी ने गीिों से सरसों की गोद भरी,
भौरों ने गोरी के गािों को चूम लिया।

1. उपयक्ट्
ुव ि पर्दयािंर् में कवर् ने ककरर्ों का मानर्ीकरर् करिे ु ए उससे की िर धचबत्रि
ककया ै ।
(क) िवयव
ु ती (ि) िई-िवेिी दल्
ु हि (ग) मां (र्) इिमें से कोई िहीं
ANS : 2

2. 'िाि रिं ग ििओ


ु िं का' पिंष्क्ट्ि में ननम्नलिखखि में से कौन सा अििंकार ै ?
(क) अिप्र
ु ास (ि) मािवीकरर् (ग) श्िेष (र्) उत्प्रेक्षा
ANS : 1

3. 'किंचन' र्ब्द का अथव ै


(क) सोिा (ि) निमणि (ग) उपयक्
ुण त दोिों (र्) िवयव
ु ती
ANS : 3

4. मस्िी में फूिों को चम


ू िे ु ए ककसे हदखाया गया ै ?
(क) रात को (ि) यव
ु ती को (ग) सब
ु ह को (र्) भंवरों को
ANS : 4

5. उपयक्ट्
ुव ि पर्दयािंर् में कवर् ने र्र्वन ककया ै
(क) गांव की सद
ुं रता का (ि) दल्
ु हि की ववदाई का
(ग) हरे -भरे िेतों का (र्) सरू ज की पहिी ककरर्ों के प्रभाव का
ANS : 4

6. ननम्नलिखखि में से कौन 'िाि' र्ब्द का एक पयावयार्ाची

(क) पीत (ि) रक्त (ग) शोखर्त (र्) सि


ु ण
ANS : 4
प्रश्न/उत्तर
PAPER – 1
Q.1. 'अभ्यागत' शब्द में कौि-सा उपसगण है ?
(a) अ (b) अभ्य (c) अलभ (d) अभ्या
ANS : C
Q.2. वाक्य शर्दु ध है -
(a) मोहि और गीता गा रही है I (b) गीता और मोहि गा रहा है I
(c) मोहि और गीता गा रहे हैंI (d) मोहि और गीता गा रही हैंI
ANS : C
Q.3. 'बािक की प्रारजम्भक लशक्षा उसकी मातभ
ृ ाषा में दी जाए' यह माििा है -
(a) मॉण्ठटे सरी का (b) महात्मा गााँधी का (c) फ्रॉबेि का (d) ककिपैहरक का
ANS : B
Q.4. 'मक
ु ंु द' ककसका पयाणय है ?
(a) ववष्र्ु (b) लशव (c) सय
ू ण (d) कामदे व
ANS : A
Q.5. 'चोर की दाढ़ी में नतिका' मुहावरे का सही अर्ण है -
(a) अपराधी का अपिी दाढ़ी िुजिािा (b) अपराधी का शंकािस्त रहिा
(c) अपराधी की पहचाि हो जािा (d) अपराधी का अपिी पहचाि नछपािा
ANS : B
Q.6. “समजष्ट' का ववपरीतार्ी शब्द है -
(a) ववलशष्ट (b) अलशष्ट (c) अपुजष्ट (d) व्यजष्ट
ANS : D
Q.7. संकर शब्द ककसे कहते हैं ?
(a) िामीर् भाषा का शब्द (b) संस्कृत भाषा का शब्द
(c) िामीर् व संस्कृत भाषा के कुछ ववशेष शब्द (d) दो भाषा के शब्दों से लमिकर बिा शब्द
ANS : D
Q.8. 'जो एक स्र्ाि पर हटककर िहीं रहता' वाक्य के लिए एक शब्द कौि-सा है ?
(a) अजस्र्र (b) अड़डग (c) यायावर (d) गनतशीि
ANS : C
Q.9. हहन्दी हदवस मिाया जाता है -
(a) 14 लसतम्बर को (b) 05 लसतम्बर को (c) 02 अक्टूबर को (d) 26 जिवरी को
ANS : A
Q.10. ककस रस को ‘रसराज' कहा जाता है ?
(a) शग
ंृ ार रस (b) वीर रस (c) हास्य रस (d) इिमें से कोई िहीं
ANS : A
Q.11. 'बबहारी' के प्रलसर्दध हैं।
(a) कववत्त (b) सवैया (c) पद (d) दोहा
ANS : D
Q.12. 'जो अच्छे कुि में उत्पन्ि हुआ हो' इस शब्द समहू के लिए एक शब्द क्या है ?
(a) कुिीि (b) समर्द
ृ ध (c) धिी (d) कृपर्
ANS : A
Q.13. 'बीजक' ककसकी रचिा है ?
(a) सरू (b) ति
ु सी (c) कबीर (d) जायसी
ANS : C
Q.14. अष्टछाप के कवव िहीं हैं-
(a) िाभादास (b) कृष्र्दास (c) परमािन्ददास (d) िन्ददास
ANS : A
Q.15. 'उत्साह' ककस रस का स्र्ायी भाव है ?
(a) करुर् (b) वीर (c) हास्य (d) शग
ंृ ार
ANS : B
Q.16. आहदकाि में पहे लियााँ लिििे वािे कवव र्े-
(a) जगनिक (b) िुसरो (c) सरहपा (d) गोरििार्
ANS : B
Q.17. 'तेरी बरछी िे बर छीिे हैं, ििि के' पंजक्त में कौि-सा अिंकार है ?
(a) रूपक (b) अिप्र
ु ास (c) श्िेष (d) यमक
ANS : D
Q.18. 'मदु री' का तत्सम रूप है -
(a) मर
ु ी (b) मन्
ु दरी (c) मद
ु ररका (d) महु रका
ANS : D
Q.19. निम्िलिखित में से शर्दु ध वतणिी वािा शब्द है -
(a) अन्तराणष्रीय (b) अन्तरराष्रीय (c) अन्तणराष्रीय (d) अन्तराष्रीय
ANS : B
Q.20. 'आिन्द कादजम्बिी' के सम्पादक कौि र्े?
(a) बाबू महादे व सेठ (b) चन्रधर शमाण 'गुिेरी'

(c) बदरीिारायर् चौधरी 'प्रेमर्ि' (d) अजम्बकाप्रसाद व्यास


ANS : C
Q.21. 'प्रयोजि' का समािार्ी शब्द िहीं है -
(a) हे तु (b) िक्ष्य (c) उर्ददे श्य (d) नियोजि
ANS : D
Q.22. निम्िलिखित में से कौि-सा शब्द पजु ल्िंग है ?
(a) कढ़ी (b) चीि (c) सन्ताि (d) सरसों
ANS : C
Q.23. 'प्रभु जी तम चन्दि हम पािी' ककसका वाक्य है ?
(a) दाद ू (b) रै दास (c) िािक (d) कबीर
ANS : B
Q.24. उपचारात्मक लशक्षर् की सफिता निभणर करती है -
(a) समय व अवग्रध पर (b) भावषक नियमों के ज्ञाि पर
(c) उपचारात्मक लशक्षर् की सामिी पर (d) समस्याओं के कारर्ों की सही पहचाि पर
ANS : D
Q.25. प्िुत स्वर कौि-सा है ?
(a) ओउम ् (b) अउम (c) ओम (d) ओम ्
ANS : A
Q.26. 'आपबीती' शब्द में समास है
(a) र्दवन्र्दव समास (b) कमणधारय समास (c) तत्पुरुष समास (d) र्दववगु समास
ANS : C
Q.27. 'मेरे िड़के िे मेरी आज्ञा का पािि िहीं ककया' वाक्य में 'िड़के के ववषय में कौि-सा
ववकल्प अशर्द
ु ध है ?
(a) कताण (b) पुजल्िंग (c) एकवचि (d) बहुवचि
ANS : D
Q.28. कपटी लमत्र के लिए सही महु ावरा है -
(a) दााँत काटी रोटी (b) आस्तीि का सााँप (c) अक्ि को दम
ु (d) आबिूस का कुन्दा
ANS : B
Q.29. 'इत्याहद' शब्द में कौि-सी सजन्ध है ?
(a) यर् ् सजन्ध (b) वर्द
ृ ग्रध सजन्ध (c) गुर् सजन्ध (d) दीर्ण सजन्ध
ANS : A
Q.30. 'कालिन्दी' का पयाणयवाची क्या है ?
(a) सरस्वती (b) िक्ष्मी (c) गंगा (d) यमि
ु ा
ANS : D
Q.31. हहन्दी का पहिा पत्र है -
(a) उदन्त मातणण्ठड (b) इनतहास नतलमरिाशक
(c) बिारस अिबार (d) हररश्चन्र मैगजीि
ANS : A
Q.32. हहन्दी के शब्दों का लिंग निधाणरर् ककसके आधार पर होता है?
(a) प्रत्यय (b) संज्ञा (c) किया (d) सवणिाम
ANS : B
Q.33. कवव का स्त्रीलिंग है -
(a) कववइत्री (b) कववत्री (c) कवनयत्री (d) कववनयत्री
ANS : C
Q.34. काि का कच्चा होिे का अर्ण है -
(a) कम सि
ु िा (b) सि
ु ी बात पर ववश्वास करिा
(c) दस
ू रे की बात माििा (d) काि का कमजोर होिा।
ANS : B
Q.35. 'प्रागैनतहालसक' में ककस उपसगण का प्रयोग है ?
(a) प्रा (b) प्राग (c) प्राक् (d) प्रागैनत
ANS : C
Q.36. निम्ि में से पुजल्िंग शब्द का चयि कीजजए
(a) पिावज (b) पहहया (c) लििावट (d) मझधार
ANS : B
Q.37. 'अिंकार' में ककस उपसगण का प्रयोग है ?
(a) अिि ् (b) अि ् (c) अि (d) अिम ्
ANS : D
Q.38. 'अत्यग्रधक' का वविोम क्या है ?
(a) अिग्रधगत (b) अत्यल्प (c) अत्याग्रधक (d) अिधीि
ANS : B
Q.39. िेिक और उसकी रचिा का कौि-सा जोड़ा गित है ?
(a) स्कन्दगुप्त - िक्ष्मीिारायर् लमश्र
(b) संस्कृनत के चार अध्याय - रामधारी लसंह 'हदिकर'

(c) रसज्ञ-रं जि - आचायण महावीर प्रसाद र्दवववेदी


(d) अशोक के फूि - आचायण हजारी प्रसाद र्दवववेदी
ANS : A
Q.40. 'अवाणचीि' शब्द का वविोम होगा
(a) अधि
ु ाति (b) प्राचीि (c) अर्दयति (d) सिाति
ANS : B
Q.41. 'दे शभजक्त' में कौि-सा समास है ?
(a) तत्पुरुष (b) र्दवन्र्दव (c) कमणधारय (d) र्दववगु
ANS : A
Q.42. 'निलमष' शब्द का पयाणय है -
(a) प्रकाश (b) नछर (c) पूर्ण (d) क्षर्
ANS : D
Q.43. 'निष्कपट' शब्द का सजन्ध-ववच्छे द है -
(a) निः + कपट (b) निष ् + कपट (c) नि + कपट (d) निश ् + कपट
ANS : A
Q.44. 'उपत्यका' का अर्ण है -
(a) सय
ू ण जजस पवणत के पीछे से निकिता है (b) प्राखर्यों के पेट का एक अंग
(c) पवणत का लशिर (d) पवणत के पास की भलू म
ANS : D
Q.45. 'आाँि की ककरककरी होिा' का अर्ण है -
(a) अवप्रय अगिा (b) धोिा दे िा (c) कष्टदायक होिा (d) बहुत वप्रय होिा
ANS : A
Q.46. “बारह बरस िौ कूकर जीवै, अरु तेरह िौ जजयै लसयार।" यह पंजक्त ककसकी है ?
(a) ववर्दयापनत (b) चन्दबरदाई (c) िरपनत िाल्ह (d) जगनिक
ANS : D
Q.47. निम्िलिखित में से कौि-सा रासो 'आल्हािण्ठड' के िाम से प्रलसर्दध है ?
(a) पथ्ृ वीराज रासो (b) िुमाि रासो (c) परमाि रासो (d) बीसिदे व रासो
ANS : C
Q.48. 'रमर्ीय' में कौि-सा प्रत्यय है ?
(a) अिीय (b) ईय (c) रम (d) र्ीय
ANS : A
Q.49. 'आिन्द कादजम्बिी' पबत्रका का प्रकाशि कहााँ से होता है ?
(a) बिारस (b) लमजाणपुर (c) इिाहाबाद (d) िििऊ
ANS : B
Q.50. 'कपणट' का तर्दभव रूप है -
(a) कपट (b) कारपेट (c) कपूर (d) कपड़ा
ANS : D
Q.51. 'सत
ु ्' शब्द को स्त्रीवाचक बिािे के लिए ककस प्रत्यय का प्रयोग होगा?
(a) ईय (b) इक (c) ई (d) आ
ANS : D
Q.52. निम्ि में से ककस वाक्य में ववशेषर् का प्रयोग हुआ है ?
(a) राम जाता है । (b) सीता फि िाती है ।

(c) मेरी गाय कािी है । (d) जल्दी उठिा स्वास्थ्यवर्दणधक होता है ।


ANS : C
Q.53. 'शोक' ककस रस का स्र्ायी भाव है ?
(a) शान्त (b) करुर् (c) हास्य (d) वीर
ANS : B
Q.54. जो वार्ी र्दवारा व्यक्त ि ककया जा सके-
(a) आत्मसाक्षात्कार (b) स्वािभ
ु नू त (c) अनिवणचिीय (d) रहस्य
ANS : C
Q.55. शग
ंृ ार रस का स्र्ायी भाव है -

(a) हास (b) रनत (c) िोध (d) उत्साह


ANS : B
Q.56. परमाि रासो ककसके र्दवारा रग्रचत है ?
(a) िल्िलसंह (b) िरपनत िाल्ह (c) चन्दबरदाई (d) जगनिक
ANS : D
Q.57. 'ऋजु' का वविोम शब्द है -
(a) बत्रकोर् (b) सरि (c) सीधा (d) वि
ANS : D
Q.58. 'रहहमि पािी राखिए बबि पािी सब सि
ू ।
पािी गए ि ऊबरे मोती मािस चि
ू ।।'
उपरोक्त दोहे में कौि-सा अिंकार है ?
(a) रूपक (b) उपमा (c) श्िेष (d) उत्प्रेक्षा
ANS : C
Q.59. निम्िलिखित में से कौि-सा शब्द दे शज है ?
(a) िाश (b) धड़ाम (c) पतिि
ू (d) औरत
ANS : B
Q.60. इजन्रयों को जीतिे वािे के लिए एक शब्द है -
(a) दरू दशी (b) दत्तग्रचत्त (c) कुशािबुर्दग्रध (d) जजतेजन्रय
ANS : D
Q.61. 'कायण के आरम्भ में ही ववघ्ि पड़िा' ककस महु ावरे का अर्ण है ?
(a) लसर मारिा (b) लसर पर सेहरा बाँधा होिा
(c) लसर मड़
ु ाते ही ओिे पड़िा माि पड़िा (d) लसर पर शैताि सवार होिा
ANS : C
Q.62. 'र्' का उच्चारर् स्र्ाि कौि-सा है ?
(a) मर्द
ू णधा (b) कण्ठठ (c) तािु (d) दन्त
ANS : B
Q.63. ‘ति
ु सीदास’ ककसकी कववता है ?
(a) हररवंशराय बच्चि (b) मजु क्तबोध (c) अज्ञेय (d) सय
ू क
ण ान्त बत्रपाठी ‘निरािा’
ANS : D
Q.64. 'ववश्िेषर्' शब्द का वविोम होगा
(a) व्याख्या (b) वववेचि (c) संश्िेषर् (d) ववभाजजत
ANS : C
Q.65. िेिक और उसकी कृनत के यग्ु म में कौि-सा यग्ु म गित है ?
(a) आयों का आहद दे श - डॉ. सम्पर्
ू ाणिन्द
(b) वोल्गा से गंगा - राहुि सांकृत्यायि
(c) सरू ज का सातवााँ र्ोड़ा - धमणवीर भारती

(d) दशणि हदग्दशणि - रामचन्र शक्


ु ि
ANS : D
Q.66. 'मझ
ु से उठा िहीं गया' वाक्य में वाक्य है -
(a) कतव
णृ ाच्य (b) कमणवाच्य (c) भाववाच्य (d) इिमें से कोई िहीं
ANS : C
Q.67. 'चार गज मिमि' में कौि-सा ववशेषर् है ?
(a) संख्यावाचक (b) गुर्वाचक (c) पररमार्बोधक (d) सावणिालमक
ANS : C
Q.68. 'सरू सागर' ककस भाषा की रचिा है ?
(a) अवधी (b) बुन्दे िी (c) ब्रज (d) छत्तीसगढ़ी
ANS : C
Q.69. “श्री गुरु चरि सरोज रज, निज मि मक
ु ु र सध
ु ार ।
बरिौ रर्व
ु र ववमि जस,ु जो दायक फि चार ।।" में छन्द है
(a) दोहा (b) सोरठा (c) रोिा (d) बरवै
ANS : A
Q.70. शब्द का अर्ण स्पष्ट करिे हे तु कौि-सा तरीका सवाणग्रधक उपयक्
ु त है ?
(a) वाक्य प्रयोग (b) व्याख्याि (c) भ्रमर् (d) ग्रचत्र-निमाणर्
ANS : A
Q.71. हहन्दी गर्दय-लशक्षर् की पाठ-योजिा में उर्ददे श्य कर्ि आता है -
(a) पूवज्ञ
ण ाि के पश्चात ् (b) प्रस्ताविा प्रश्ि के पश्चात ्
(c) आदशण वाचि के पश्चात ् (d) मौि वाचि के पूवण
ANS : B
Q.72. 'शहद' शब्द है -
(a) तत्सम (b) तर्दभव (c) दे शज (d) आगत
ANS : D
Q.73. 'छत से ईंट ग्रगरी' वाक्य में कौि-सा कारक है ?
(a) अपादाि (b) सम्बन्ध (c) अग्रधकरर् (d) सम्प्रदाि
ANS : A
Q.74. 'अश्व' का पयाणयवाची शब्द निम्िलिखित में से कौि-सा िहीं है ?
(a) र्ोड़ा (b) र्ोटक (c) कटक (d) हय
ANS : C
Q.75. भाषा के सम्बन्ध में उपचारात्मक लशक्षर् का उर्ददे श्य है -
(a) भाषा प्रयोग सम्बन्धी कहठिाइयों की पहचाि तर्ा उिका निदाि
(b) बच्चों को व्यस्त रििा

(c) बच्चों को श्रेर्ीवार ववभक्त करिा


(d) बच्चों की त्रहु टयों की केवि सच
ू ी बिािा
ANS : A
Q.76. निम्ि शब्द में अग्रधकरर् कारक का प्रयोग हुआ है -
(a) वाहिारूढ़ (b) सत्ताधीश (c) गंगाजि (d) रे िाग्रचत्र
ANS : A
Q.77. 'को' से ककस कारक ग्रचह्ि का बोध होता है ?
(a) कमण कारक (b) करर् कारक (c) सम्प्रदाि कारक (d) अग्रधकरर् कारक
ANS : A
Q.78. 'पापी' में कौि-सा ववशेषर् है ?
(a) संख्यावाचक ववशेषर् (b) सावणिालमक ववशेषर्
(c) गुर्वाचक ववशेषर् (d) पररमार्वाचक ववशेषर्
ANS : C
Q.79. 'भष
ू र्' ककस काि के कवव हैं?
(a) वीरगार्ाकाि (b) भजक्तकाि (c) रीनतकाि (d) आहदकाि
ANS : C
Q.80. ट वगण में ककस प्रकार के व्यंजि हैं?
(a) कं्य (b) तािव्य (c) मध
ू न्ण य (d) दन्त्य
ANS : C
Q.81. 'चौपाई' छन्द के प्रत्येक चरर् में ककतिी मात्राएाँ होती हैं?
(a) चौबीस (b) सोिह (c) ग्यारह (d) तेरह
ANS : B
Q.82. यर्ाशजक्त में समास है -
(a) अव्ययीभाव (b) तत्पुरुष (c) र्दववगु (d) कमणधारय
ANS : A
Q.83. आहदकाि के लिए 'वीरगार्ाकाि' िाम ककसिे प्रस्ताववत ककया?
(a) डॉ. रामकुमार वमाण (b) महापजण्ठडत राहुि सांकृत्यायि
(c) आचायण रामचन्र शक्
ु ि (d) आचायण हजारीप्रसाद र्दवववेदी
ANS : C
Q.84. आप भिा तो जग भिा' वाक्य में सवणिाम के ककस भेद का बोध होता है ?
(a) अनिश्चय वाचक सवणिाम (b) निजवाचक सवणिाम

(c) सम्बन्ध वाचक सवणिाम (d) प्रश्िवाचक सवणिाम


ANS : B
Q.85. 'ति
ु सीदास के रचिाकार हैं
(a) केशवदास (b) महादे वी वमाण
(c) डॉ. रामवविास शमाण (d) सय
ू क
ण ान्त बत्रपाठी 'निरािा'
ANS : D
Q.86. निम्ि में से ककस शब्द की वतणिी सही है ?
(a) सजम्िग्रध (b) संनिग्रध (c) सजन्िग्रध (d) सजन्िधी
ANS : C
Q.87. उच्चारर् स्र्ाि की दृजष्ट से कौि-सा ववकल्प शर्दु ध है ?
(a) स-दन्त्य (b) श-मध
ू न्ण य (c) ष-तािव्य (d) च-कण्ठ्य
ANS : A
Q.88. निम्िलिखित में कौि-सा कर्ि अशर्दु ध है ?
(a) हहन्दी में ज्ञ का उच्चारर् परम्परा से लभन्ि हो गया है ।
(b) दो महाप्रार् व्यंजिों का उच्चारर् एक सार् हो सकता है ।

(c) ववसगण कण्ठ्य वर्ण है ।


(d) 'क्ष' संयक्
ु त व्यंजि है ।
ANS : B
Q.89. पुिजणन्म का सजन्ध –ववच्छे द है -
(a) पुिर + जन्म (b) पुः + िरजन्म (c) पुि: + जन्म (d) पुिर् + आजन्म
ANS : C
Q.90. महावीर प्रसाद र्दवववेदी िे आहदकाि को क्या संज्ञा दी है ?
(a) चारर्काि (b) आहदकाि (c) वीरकाि (d) बीजवपि काि
ANS : D
Q.91. ‘दशरर् सत
ु नतहुाँ िोक बिािा राम िाम का मरम है आिा' ककस रचिाकार की पंजक्तयााँ
हैं?
(a) ति
ु सीदास (b) कबीर (c) केशवदास (d) सरू दास
ANS : B
Q.92. 'प्रेमसागर' ककसकी रचिा है ?
(a) मश
ुं ी सदा सि
ु िाि (b) सदि लमश्र (c) िल्िू िाि जी (d) रामप्रसाद निरं जिी
ANS : C
Q.93. हदए हुए शब्दों में लभन्ि अर्ण वािा शब्द है -
(a) आत्मजा (b) िजन्दिी (c) भायाण (d) कन्या
ANS : C
Q.94. 'वैदेही विवास' ककसकी रचिा है ?
(a) मैग्रर्िीशरर् गप्ु त (b) अयोध्या लसंह उपाध्याय 'हररऔध'
(c) रामधारी लसंह 'हदिकर' (d) श्रीधर पाठक
ANS : B
Q.95. निम्ि में संयुक्त व्यंजि कौि-सा िहीं है ?
(a) त्र (b) य (c) क्ष (d) ज्ञ
ANS : B
Q.96. 'मत्ृ यज
ुं य' पद में कौि-सा समास है ?
(a) बहुव्रीहह (b) र्दववगु (c) कमणधारय (d) र्दवन्र्दव
ANS : A
Q.97. 'गोधम
ू ' शब्द का तर्दभव है -
(a) गेहूाँ (b) गाय (c) गोबर (d) गोधि
ANS : A
Q.98. 'श' ध्वनि का उच्चारर् स्र्ाि क्या है ?
(a) दन्त (b) मध
ू ाण (c) तािु (d) दन्तािु
ANS : C
Q.99. 'चौराहा' शब्द में समास है -
(a) कमणधारय (b) र्दवन्र्दव (c) र्दववगु (d) अव्ययीभाव
ANS : C
Q.100. भारतेन्द ु यग
ु में निकििे वािी पबत्रका-यग्ु म है -
(a) कवववचि सध
ु ा-हहन्दी प्रदीप (b) सरस्वती-माधरु ी
(c) कल्पिा-ज्ञािोदय (d) िविीत-कादजम्बिी
ANS : A
Q.101. इि शब्दों में से कौि-सा शब्द हहन्दी शब्दकोश में सबसे अन्त में आएगा?
(a) क्िीव (b) िम (c) कृषक (d) कृशािु
ANS : A
Q.102. राष्रवादी कवव रामधारीलसंह 'हदिकर' को 'उवणशी' के लिए 'ज्ञािपीठ-पुरस्कार' ककस वषण
प्रदाि ककया गया?
(a) 1971 ई. में (b) 1972 ई. में (c) 1973 ई. में (d) 1974 ई. में
ANS : B
Q.103. 'एक बार कही बात को दोहराते रहिा' वाक्यांश के लिए एक शब्द है -
(a) आगार (b) प्राक्कर्ि (c) वपष्टपेषर् (d) प्रस्ताविा
ANS : C
Q.104. “बुन्दे िे हरबोिो के माँहु हमिे सि
ु ी कहािी र्ी िूब िड़ी मदाणिी वह तो झााँसी वािी रािी
र्ी।''
प्रस्तत
ु पंजक्तयों के रचनयता कौि हैं?
(a) मािििाि चतव
ु े दी (b) सभ
ु राकुमारी चौहाि
(c) सोहििाि र्दवववेदी (d) रामिरे श बत्रपाठी
ANS : B
Q.105. र्िािन्द को ककस यग
ु का कवव मािा जाता है ?
(a) आहदकाि (b) भजक्तकाि (c) रीनतकाि (d) भारतेन्द ु काि
ANS : C
Q.106. 'दाता' शब्द का स्त्रीलिंग शब्द क्या है ?
(a) दाती (b) दात ृ (c) दात्री (d) धात्री
ANS : C
Q.107. 'कववताविी' के रचिाकार हैं-
(a) सरू दास (b) जायसी (c) ति
ु सीदास (d) र्िािन्द
ANS : C
Q.108. 'हहन्दी प्रदीप' पबत्रका का सम्पादि ककया है -
(a) बदरीिारायर् चौधरी प्रेमर्ि (b) बािकृष्र् भट्ट
(c) प्रतापिारायर् लमश्र (d) भारतेन्द ु हररश्चन्र
ANS : B
Q.109. 'आगे कुआाँ पीछे िाई' का अर्ण है -
(a) चारों तरफ जि ही जि होिा (b) रास्ते का बन्द होिा

(c) दोिों ओर मस
ु ीबत (d) बीच में निकि भागिा
ANS : C
Q.110. प्रकाशि वषण की दृजष्ट से डॉ. हररवंश राय बच्चि की रचिाओं का सही अिि
ु म है -
(a) मधश
ु ािा, मधब
ु ािा, मधक
ु िश, निशा निमन्त्रर्
(b) मधक
ु िश, मधब
ु ािा, मधश
ु ािा, निशा निमन्त्रर्
(c) मधब
ु ािा, मधश
ु ािा, निशा निमन्त्रर्, मधक
ु िश
(d) निशा निमन्त्रर्, मधब
ु ािा, मधक
ु िश, मधश
ु ािा
ANS : A
Q.111. 'र्ोंसिे में ग्रचड़ड़या है ' में कौि-सा कारक है ?
(a) सम्बन्ध (b) अपादाि (c) अग्रधकरर् (d) सम्प्रदाि
ANS : C
Q.112. 'िाक रगड़िा' का क्या अर्ण है ?
(a) िाक में चोट िगिा (b) इज्जत दे िा
(c) दीितापूवक
ण प्रार्णिा करिा (d) चापिस
ू ी करिा
ANS : C
Q.113. 'ग्रचन्तामखर्' ककसका निबन्ध संिह है ?
(a) बािमक
ु ु न्द गुप्त (b) हजारी प्रसाद र्दवववेदी

(c) रामचन्र शक्


ु ि (d) श्यामसन्
ु दर दास
ANS : C
Q.114. ‘तरखर्' का पयाणयवाची शब्द है ।
(a) सय
ू ण (b) िाम (c) यव
ु ती (d) िदी
ANS : A
Q.115. 'ऋत' का वविोम क्या है ?
(a) ववकीर्ण (b) अित
ृ (c) वि (d) अिैक्य
ANS : B
Q.116. व्याकरर् की दृजष्ट से कौि-सा शब्द अशर्दु ध है ?
(a) ववभीषर् (b) ववरहर्ी (c) गहृ हर्ी (d) जगर्दगुरु
ANS : B
Q.117. निम्ि में से ककस शब्द की वतणिी सही है ?
(a) अिि
ु हीत (b) अिग
ु हृ ीत (c) अििहीत (d) अिि
ु हहत
ANS : B
Q.118. निम्िलिखित में मौखिक अलभव्यजक्त का रूप है -
(a) शर्द
ु ध वतणिी (b) सुिेि (c) श्रत
ु िेि (d) आशु भाषर्
ANS : D
Q.119.'बोरौं सबै रर्व
ु ंश कुठार की धार में बारि बजज समरत्र्हहं।
बाि की वायु उड़ाव कै िच्छि िच्छ करौं अररहा समरत्र्हहं।।'
इि काव्य पंजक्तयों में कौि-सा रस है ?

(a) रौर रस (b) भयािक रस (c) बीभत्स रस (d) वीर रस


ANS : A
Q.120. भाषा-लशक्षर् की पर्दधनत िहीं है -
(a) ककण्ठडरगाटण ि (b) मॉण्ठटे सरी (c) डैिािी (d) अलभिलमत अिद
ु े शि
ANS : D
Q.121. 'वनिता' का प्रयोग ककस अर्ण में होता है ?
(a) जंगि (b) स्त्री (c) पुस्तक (d) व्यवसायी
ANS : B
Q.122. 'महोलमण' का सजन्ध-ववच्छे द है -
(a) महत ् + उलमण (b) महा + उलमण (c) महा + उलमण (d) महत ् + मलमण
ANS : C
Q.123. 'िाक का बाि होिा' महु ावरे का अर्ण है -
(a) अग्रधक समीप होिा (b) कष्ट दे िा (c) अग्रधक वप्रय होिा (d) पाितू होिा
ANS : C
Q.124. प्रमि
ु भाषायी कौशि के अन्तगणत इिमें से कौि-सा एक िहीं आता है ?
(a) सि
ु िा (b) बोििा (c) हाँ सिा (d) लिििा
ANS : C
Q.125. सजच्चदािन्द हीरािन्द वात्स्यायि का उपिाम है -
(a) हररऔध (b) निरािा (c) अज्ञेय (d) गुिेरी
ANS : C
Q.126. 'िवि सन्ु दर श्याम-शरीर की, सजि िीरद-सी कि-काजन्त र्ी।' में कौि-सा अिंकार
है ?

(a) उपमा (b) रूपक (c) श्िेष (d) उत्प्रेक्षा


ANS : A
Q.127. 'आचरर् की सभ्यता' ककसका निबन्ध है ?
(a) महावीरप्रसाद र्दवववेदी (b) सरदार पर्
ू ण लसंह (c) रामचन्र शक्
ु ि (d) पर्दमलसंह
ANS : B
Q.128. 'अन्धेर-िगरी' के िेिक हैं-
(a) प्रतापिारायर् लमश्र (b) हररकृष्र् प्रेमी
(c) भारतेन्द ु हररश्चन्र (d) रामकुमार वमाण
ANS : C
Q.129. इिमें कौि-सा शब्द तर्दभव है ?
(a) मधप
ु (b) भ्रमर (c) मधक
ु र (d) भाँवरा
ANS : D
Q.130. निम्िलिखित में कौि-सा कर्ि अशर्दु ध है ?
(a) पति (b) अपकषण (c) अपभ्रष्ट (d) ववकषण
ANS : B
Q.131. निम्िलिखित ववकल्पों में ककस ववकल्प में ववशेषर् का निदे श अशर्दु ध है ?
(a) दस
ू रा - िमवाचक (b) ढाई अपूर्ाांक बोधक
(c) छब्बीस - पूर्ाांक बोधक (d) वह िौकर – कोई ववशेषर् िहीं है
ANS : D
Q.132. 'अन्या से अिन्या' आत्मकर्ा ककसकी है ?
(a) प्रभा िेताि (b) मन्िू भण्ठडारी (c) उषा वप्रयवन्दा (d) सष
ु म वेदी
ANS : A
Q.133. पवि का सजन्ध-ववच्छे द है -
(a) प + अवि (b) प + वि (c) पो + अि (d) पौ + अि
ANS : C
Q.134. 'अनत सधो सिेह को मारग है ' ककसकी पंजक्त है ?
(a) आिम (b) बोधा (c) ठाकुर (d) र्िािन्द
ANS : D
Q.135. व्यत्ु पवत्त के आधार पर संज्ञा के ककतिे भेद होते हैं ?
(a) तीि (b) चार (c) पााँच (d) छ:
ANS : A
Q.136. अिप
ु म का पयाणयवाची शब्द है -
(a) स्वगीय (b) िौककक (c) पाग्रर्णव (d) अर्दववतीय
ANS : D
Q.137. 'बहहष्कार' का सजन्ध-ववच्छे द क्या है ?
(a) बहह: + कार (b) बहहः + ष्कार (c) बहहष ् + अकार (d) बहहर् + कार
ANS : A
Q.138. तर्दभव और उसके तत्सम का कौि-सा मेि गित है ?
(a) िि
ु ाई-िावण्ठयता (b) िौंग-िवंग (c) आाँत-अन्त्र (d) आयस-ु आदे श
ANS : C
Q.139. 'गौशािा' में कौि-सा समास है ?
(a) बहुव्रीहह (b) तत्पुरुष (c) र्दवन्र्दव (d) र्दववगु
ANS : B
Q.140. जजसकी पूवण से कोई आशा ि हो' के लिए एक शब्द है -
(a) प्रत्याशा (b) अप्रत्यालशत (c) अपररमेय (d) अिाहूत
ANS : B
Q.141. 'अत्यन्त' शब्द का प्रयक्
ु त उपसगण है -
(a) अत ् (b) अ (c) अत्य (d) अनत
ANS : D
Q.142. 'तर्दभव' पबत्रका के सम्पादक का िाम है -
(a) िीिाधर जगड़
ू ी (b) ववश्विार् प्रसाद नतवारी
(c) हरे प्रकाश उपाध्याय (d) अखििेश
ANS : D
Q.143. चराचरम ् (जगत ्) में कौि-सा समास है ?
(a) तत्पुरुष (b) र्दवन्र्दव (c) बहुव्रीहह (d) कमणधारय
ANS : D
Q.144. व्याकरर्-लशक्षर् के लिए उपयक्
ु त िहीं है -
(a) आगमि प्रर्ािी (b) निगमि प्रर्ािी
(c) अव्याकृनत प्रर्ािी (d) कक्षालभिय प्रर्ािी
ANS : D
Q.145. “काहे री िलििी तू कुम्हिािी
तेरे ही िालि सरोवर पािी"

पंजक्त के रचिाकार कौि हैं?


(a) जायसी (b) रै दास (c) कबीर (d) दाद ू
ANS : C
Q.146. 'बुर्दग्रधहीि' शब्द व्याकरर् की दृजष्ट से ककस संवगण में है ?
(a) संज्ञा (b) सवणिाम (c) ववशेषर् (d) किया
ANS : C
Q.147. 'समास' का अर्ण है -
(a) संक्षेप (b) ववच्छे द (c) ववस्तार (d) िवीि अर्ण
ANS : A
Q.148. काव्य लशक्षर् का उर्ददे श्य है ।
(a) भाषा में प्रयक्
ु त होिे वािे ववराम ग्रचह्िों से पररग्रचत करािा।
(b) व्याकरखर्क नियमों की जािकारी दे िा।

(c) संगीत किा में निपर्


ु बिािा।
(d) रसािभ
ु नू त एवं आिन्दािभ
ु नू त करािा।
ANS : D
Q.149. 'पि
ु जणन्म' शब्द का सही सजन्ध-ववच्छे द है -
(a) पि
ु : + जन्म (b) पि
ु र् + जन्म (c) पि
ु ् + जन्म (d) पि
ु : + आजन्म
ANS : A
Q.150. 'िड़का पेड़ से ग्रगरा' में कौि-सा कारक है ?
(a) अपादाि कारक (b) सम्प्रदाि कारक (c) कमण कारक (d) अग्रधकरर् कारक
ANS : A
Q.1. वविय पबत्रका की भाषा कौि-सी है ?
(a) अवधी (b) िड़ीबोिी (c) ब्रज भाषा (d) अपभ्रंश
ANS : C
Q.2. 'पेड़ से बन्दर कूदा', वाक्य में कौि-सा कारक है ?
(a) अपादाि कारक (b) कमण कारक (c) सम्प्रदाि कारक (d) करर् कारक
ANS : A
Q.3. निम्िलिखित में से कौि-सा निबन्ध हजारीप्रसाद र्दवववेदी का िहीं है ?
(a) अशोक के फूि (b) कुटज (c) ववचार प्रवाह (d) वत्त
ृ और ववकास
ANS : D
Q.4. 'रामचररतमािस' की भाषा क्या है ?
(a) अवधी (b) ब्रज (c) िड़ीबोि (d) भोजपुरी
ANS : A
Q.5. सम
ु ेलित कीजजए।
सच
ू ी। सच
ू ी II
A. हहन्दी साहहत्य सम्मेिि 1. वषण 1893

B काशी िागरी प्रचाररर्ी सभा 2. वषण 1918


C. राष्रभाषा प्रचार सलमनत, वधाण 3. वषण 1910
कूट
ABC ABC
(a) 3 2 1 (b) 1 2 3
(c) 3 1 2 (d) 2 1 3
ANS : C
Q.6. 'राम आम िाता है ' में वाच्य का कौि-सा रूप है ?
(a) भाववाच्य (b) कमणवाच्य (c) कतव
णृ ाच्य (d) उभयवाच्य
ANS : C
Q.7. निम्िलिखित में से कौि-सा शब्द तर्दभव है ?
(a) िेत (b) बत्रकुटी (c) िार् (d) प्रभु
ANS : A
Q.8. ‘उन्मि
ू ि’ का वविोम क्या है ?
(a) उत्र्ाि (b) उत्कषण (c) रोपर् (d) अविनत
ANS : C
Q.9. आधनिक हहन्दी साहहत्य की पहिी आत्मकर्ा के िेि कौि मािे जाते हैं?
(a) बाबू श्यामसन्
ु दर दास (b) दे वेन्र सत्यार्ी
(c) हररवंशराय बच्चि (d) जयशंकर प्रसाद
ANS : A
Q.10. कारक के ककतिे भेद होते हैं?
(a) सात (b) आठ (c) िौ (d) दस
ANS : B
Q.11. 'मीि' का पयाणयवाची शब्द है -
(a) लशिी (b) शापक (c) ववभावरी (d) मत्स्य
ANS : D
Q.12. यह पस्
ु तक ककसकी है ? में रे िांककत शब्द का पद-पररचय दीजजए
(a) गर्
ु वाचक ववशेषर् (पस्
ु तक ववशेष्य), एकवचि
(b) सावणिालमक ववशेषर् (पस्
ु तक ववशेष्य), एकवचि, स्त्रीलिंग
(c) सवणिाम, एकवचि, स्त्रीलिंग
(d) सम्बोधि अव्यय
ANS : B
Q.13. कवव और उसकी रचिा का कौि सा जोड़ा सही िहीं है ?
(a) पररमि - सय
ू क
ण ान्त बत्रपाठी 'निरािा'

(b) लशवराज भष
ू र् - भष
ू र्
(c) शब्द रसायि - दे व
(d) उर्दधव शतक - भारतेन्द ु हररश्चन्र
ANS : D
Q.14. निम्ि में से कौि-सा यग्ु म गित है ?
(a) मट्
ु ठी गरम करिा - ररश्वत दे िा

(b) िहु टया डूबिा - सारा काम चौपट होिा


(c) सब्ज बाग हदििािा - हरा-भरा करिा

(d) माई का िाि - साहसी व्यजक्त


ANS : C
Q.15. 'अपेक्षा' का ववशेषर् रूप क्या है ?
(a) सापेक्ष (b) उपेक्षा (c) निरपेक्ष (d) अपेक्षक्षत
ANS : D
Q.16. 'ङ' का उच्चारर् स्र्ाि होता है -
(a) िालसक्य (b) कण्ठठौष््य (c) मध
ू न्ण य (d) कण्ठठतािव्य
ANS : C
Q.17. निम्िलिखित में से ककस दे श में हहन्दी भाषा का प्रयोग लिििे एवं बोििे में ककया जाता
है ?
(a) ऑस्रे लिया (b) दक्षक्षर् अमेररका (c) पाककस्ताि (d) मॉरीशस
ANS : D
Q.18. आचायण रामचन्र शक्
ु ि का निबन्ध संिह है -
(a) माटी का फूि (b) ग्रचन्तामखर् (c) क्षर् बोिे कर् मस्
ु काए (d) आिोक पवण
ANS : B
Q.19. आहदकाि की रचिा है
(a) अिरावट (b) छत्रसाि दशक (c) दीपलशिा (d) िम
ु ाि रासो
ANS : D
Q.20. 'निरालमष' ककसे कहते हैं?
(a) मााँस रहहत भोजि (b) मोक्ष का इच्छुक
(c) राबत्र में ववचरर् करिे वािा (d) मत्ृ यु का इच्छुक
ANS : A
Q.21. निम्िलिखित में वतणिी की दृजष्ट से कौि-सा शब्द-यग्ु म शर्दु ध है ?
(a) बरात, बसंत (b) बारात, बसंत (c) बरात, वसंत (d) बारात, वसंत
ANS : C
Q.22. िाटक लशक्षर् में कक्षालभिय प्रर्ािी' के प्रयोग से
(a) लशक्षक एवं बच्चों का समय व्यर्ण होता है ।

(b) पात्रािस
ु ार बच्चों र्दवारा अलभिय से सीििे की प्रकिया में तेजी आती है ।
(c) बच्चों पर ववपरीत प्रभाव पड़ता है ।

(d) उपरोक्त में से कोई िहीं।


ANS : B
Q.23. निम्िलिखित में से शर्दु ध वतणिी वािा शब्द है -
(a) आलशवाणद (b) आशीरवाद (c) आशीवाणद (d) आलशणवाद
ANS : C
Q.24. 'सरू दास' िे ककस भाषा में 'सरू सागर' की रचिा की?
(a) अवधी (b) ब्रज (c) िड़ीबोिी (d) राजस्र्ािी
ANS : B
Q.25. निम्िलिखित में तर्दभव शब्द है -
(a) भ्रमर (b) अजग्ि (c) मस्तक (d) मछिी
ANS : D
Q.26. 'सूयोदय' शब्द का सजन्ध-ववच्छे द है -
(a) सय
ू ो + दय (b) सय
ू ण + उदय (c) सय
ू :ण + उदय (d) सय
ू े + उदय
ANS : B
Q.27. “दजु ल्हि गावहु मंगिाचार हम र्र आए राजा राम भरतार।” ये ककसकी पंजक्तयााँ हैं?
(a) ति
ु सीदास (b) कबीरदास (c) सरू दास (d) रै दास
ANS : B
Q.28. निम्िलिखित में से कौि-सा शब्द शर्दु ध है ?
(a) चांद (b) अंगिा (c) अाँक (d) आंि
ANS : B
Q.29. 'किवु प्रया' के रचिाकार कौि हैं?
(a) रांगेय रार्व (b) धमणवीर भारती (c) िागाजि
ुण (d) भगवतीचरर् वमाण
ANS : B
Q.30. छछूाँदर के लसर पर चमेिी का तेि' का अर्ण है -
(a) लमथ्या आडम्बर (b) अयोग्य व्यजक्त को अच्छी चीज दे िा
(c) योग्य व्यजक्त को अच्छी चीज दे िा (d) अग्रधक पािे का िािच करिा
ANS : B
Q.31. ककस कवव को 'कववयों का कवव' कहा जाता है ?
(a) धमणवीर भारती (b) शमशेर बहादरु लसंह
(c) रर्व
ु ीर सहाय (d) सवेश्वर दयाि सक्सेिा
ANS : B
Q.32. 'काशी िागरी प्रचाररर्ी सभा' की स्र्ापिा ककस वषण हुई?
(a) 1893 ई. (b) 1900 ई. (c) 1903 ई. (d) 1905 ई.
ANS : A
Q.33. 'क्ष' वर्ण ककसके योग से बिा है ?
(a) क् + ष (b) क् + च (c) क् +छ (d) क् + श
ANS : A
Q.34. जजिका उच्चारर् ऊपर के दााँतों पर जीभ िगािे से होता है , उन्हें क्या कहते हैं?
(a) मध
ू न्ण य (b) कं्य (c) दन्त्य (d) अिि
ु ालसक
ANS : C
Q.35. 'संकल्प' शब्द में उपसगण बताइए
(a) सि ् (b) सम ् (c) सक् (d) सन्क
ANS : B
Q.36. ववराम-ग्रचह्ि की दृजष्ट से कौि-सा वाक्य अशर्दु ध है ?
(a) हााँ मेरा यही ववचार है ।

(b) वह ईमािदार, पररश्रमी, कमणठ और मद


ृ भ
ु ाषी है ।
(c) उसके पास धि-वैभव, िौकर-चाकर आहद सभी कछ र्ा।

(d) आप हमारे र्र आिा चाहते हैं, तो आइए; ठहरिा चाहते है तो ठहररए।
ANS : A
Q.37. 'सीस' का तत्सम रूप क्या है ?
(a) शीशा (b) शीषण (c) लसरा (d) शीषणक
ANS : B
Q.38. हहन्दी भाषा में ककतिी बोलियााँ हैं?
(a) 15 (b) 25 (c) 18 (d) 22
ANS : C
Q.39. 'वीरों का कैसा हो वसन्त' कववता ककसिे लििी है ?
(a) सलु मत्रा कुमारी चौहाि (b) सभ
ु रा कुमारी चौहाि
(c) मािििाि चतव
ु े दी (d) रामधारी लसंह ‘हदिकर’
ANS : B
Q.40. 'अधण-स्वर' हैं-
(a) य, व (b) इ, उ (c) ऋ, िु (d) ऋ, ष
ANS : A
Q.41. 'दोहा' में ककतिी मात्राएाँ होती हैं?
(a) चौबीस (b) छब्बीस (c) अट्ठाइस (d) तीस
ANS : A
Q.42. 'मग
ृ ावती' ककसकी रचिा है ?
(a) उसमाि (b) मंझि (c) कुतब
ु ि (d) जायसी
ANS : C
Q.43. 'ऋग्वेद' का सजन्ध-ववच्छे द क्या है ?
(a) ऋक् + वेद (b) ऋ+ वेद (c) ऋग + वेद (d) ऋ + गवेद
ANS : A
Q.44. शर्दु ध वतणिी का चयि कीजजए-
(a) अस्प्रस्यता (b) अस्पष्ृ यता (c) अस्पश्ृ यता (d) अस्प्रश्यता
ANS : C
Q.45. कौि-सा शब्द लभन्ि अर्ण और प्रकृनत का है ?
(a) सिाति (b) ग्रचरं ति (c) शाश्वत (d) अधि
ु ाति
ANS : D
Q.46. निम्िलिखित में से कौि-सी व्याकरर् और वतणिी से शर्दु ध भाषा कहिाती है ?
(a) साहहजत्यक भाषा (b) प्रांजि भाषा (c) व्याकरखर्क भाषा (d) मािक भाषा
ANS : D
Q.47. त्र, ज्ञ, श्र क्या है ?
(a) स्वर (b) व्यंजि (c) अयोगवाह (d) संयक्
ु त व्यंजि
ANS : D
Q.48. सामान्य रूप से ककसका प्रयोग तत्सम शब्दों में होता है ?
(a) स (b) ष (c) श (d) कोई िहीं
ANS : A
Q.49. 'छ' और 'क्ष' में मख्
ु य अंतर क्या है ?

(a) 'छ' एक स्वतंत्र व्यंजि है , जबकक 'क्ष' संयक्


ु त व्यंजि।

(b) 'छ' प्रारम्भ में आता है , ककन्तु 'क्ष' बाद में ।

(c) 'क्ष' संस्कृत में अग्रधक प्रयक्


ु त िहीं होता है ।

(d) 'छ' की ध्वनियााँ अग्रधकतर संस्कृत में प्रयक्


ु त होती हैं।
ANS : A
Q.50. वह ध्वनि जो मि
ु तर्ा िालसका दोिों से बाहर आती है , वह है -

(a) अयोगवाह (b) अिि


ु ालसक (c) निरिि
ु ालसक (d) व्यंजि
ANS : B
Q.51. 'निभीक' का वविोम है -

(a) भयभीत (b) कायर (c) निडर (d) निदण यी


ANS : A
Q.52. निम्िलिखित में से 'चन्रमा' का समािार्ी शब्द क्या है ?

(a) आहदत्य (b) प्रकाश (c) इंद ु (d) तरं ग


ANS : C
Q.53. यह, वह, इसमें , उसिे तर्ा तम
ु जैसे शब्द हैं -

(a) किया (b) संज्ञा (c) सवणिाम (d) ववशेषर्


ANS : C
Q.54. निम्ि में से ककस शब्द में 'उपसगण' का प्रयोग हुआ है ?
(a) चमकीिा (b) ववशेष (c) सच्चाई (d) ईमािदारी
ANS : B
Q.55. 'चंरोदय' का सजन्ध ववच्छे द है -

(a) चंरो + दय (b) चंर + उदय (c) चंर + दय (d) चंरा + उदय
ANS : B
Q.56. 'जगन्िार्' में कौि-सी सजन्ध है ?

(a) यर् ् स्वर सजन्ध (b) गुर् स्वर सजन्ध (c) ववसगण सजन्ध (d) व्यंजि सजन्ध
ANS : D
Q.57. रात-हदि में प्रयक्
ु त समास है -

(a) तत्पुरुष (b) र्दवन्र्दव (c) र्दववगु (d) कमणधारय


ANS : B
Q.58. ग्रचदम्बरा ककस िेिक की रचिा है ?

(a) महादे वी वमाण (b) जयशंकर प्रसाद (c) सलु मत्रािंदि पंत (d) प्रेमचन्द
ANS : C
Q.59. 'आाँस'ू ककस िेिक की रचिा है ?

(a) प्रेमचन्द (b) सय


ू क
ण ान्त बत्रपाठी (c) अज्ञेय (d) जयशंकर प्रसाद
ANS : D
Q.60. निम्ि में से कौि-सी रचिा मैग्रर्िीशरर् गुप्त की िहीं है ?

(a) जयरर् वध (b) यशोधरा (c) िीिी झीि (d) पंचवटी


ANS : C
Q.61. 'ववर्दयािय' शब्द में है
(a) स्वर सजन्ध (b) व्यंजि सजन्ध (c) ववसगण सजन्ध (d) इिमें से कोई िहीं
ANS : A
Q.62. शर्दु ध शब्द है
(a) उज्जवि (b) उज्जवि (c) उजवि (d) उज्ज्वि
ANS : D
Q.63. 'वह स्वत: ही जाि जाएगा' में 'वह' सवणिाम है
(a) पुरुषवाचक सवणिाम (b) निजवाचक सवणिाम

(c) सम्बन्धवाचक सवणिाम (d) अनिश्चयवाचक सवणिाम


ANS : B
Q.64. मल्ू यांकि उपयोगी है
(a) ववर्दयार्ी की प्रगनत जाििे में (b) ववर्दयार्ी की कक्षा उपजस्र्नत जाििे
(c) ववर्दयाग्रर्णयों के आचरर् जाििे में (d) इिमें से सभी
ANS : A
Q.65. अिक
ु रर् ववग्रध रचिा के लिए उपयक्
ु त है
(a) लशशु स्तर पर (b) उच्च स्तर पर (c) प्रारजम्भक स्तर पर (d) इिमें से कोई िहीं
ANS : C
Q.66. “वाह! ककतिा सदुं र दृश्य है ।' वाक्य का प्रकार है
(a) संदेहवाचक (b) ववस्मयाहदबोधक (c) संकेतार्णक (d) प्रश्िवाचक
ANS : B
Q.67. उपचारात्मक लशक्षर् है
(a) सीििे सम्बन्धी कहठिाइयों का ज्ञाि प्राप्त करिा।
(b) अध्यापि सम्बन्धी कहठिाइयों को दरू करते हुए लशक्षर् ककया जािा।

(c) बािकों की वतणिी सम्बन्धी कहठिाइयों का पता िगािा।


(d) लशक्षक की ववषय सम्बन्धी कहठिाइयों का पता िगािा।
ANS : B
Q.68. 'िेत्रहीि' ककस समास का उदाहरर् है ?
(a) र्दवन्र्दव (b) कमणधारय (c) बहुव्रीहह (d) तत्पुरुष
ANS : D
Q.69. ववषय का अध्ययि - अध्यापि तब बेहतर होता है , जब-
(a) वह बहुत ज्यादा बोखझि ि हो
(b) वह ववर्दयाग्रर्णयों की जजन्दगी से जुड़ा हो और उसकी व्यावहाररक उपयोग्रगता हो

(c) उसमें पक्षपात ि हो


(d) वह संवेदिशन्
ू य ि हो
ANS : B
Q.70. 'शाश्वत' का वविोम है –
(a) िश्वर (b) मत्यण (c) अमर (d) अक्षर
ANS : A
Q.71. कहानियााँ बच्चों के भाष-ववकास में ककस प्रकार सहायक हैं?
(a) ये भावषक नियम ही लसिाती हैं।

(b) बच्चों के िािी समय का सदप


ु योग करिे में मदद करती हैं।
(c) ये पा्य-पुस्तक का सबसे महत्वपूर्ण हहस्सा हैं।
(d) ये बच्चों की कल्पिाशजक्त, सज
ृ िात्मकता और ग्रचंति को बढ़ावा दे ती हैं।
ANS : D
Q.72. 'कवव' शब्द में कौि-सी संज्ञा है ?
(a) व्यजक्तवाचक (b) जानतवाचक (c) रव्यवाचक (d) भाववाचक
ANS : B

Q.73. 'त ् + र' के योग से बिा संयक्


ु त व्यंजि है -

(a) तरृ (b) तर (c) त्र (d) तण


ANS : C

Q.74. निम्िलिखित में से कौि-सा कर्ि सही िहीं है ?

(a) 'श' तािव्य वर्ण है । (b) 'ष' मध


ू न्ण य वर्ण है ।

(c) 'ष' वर्ण उच्चारर् में िहीं है , पर िेिि में है । (d) सभी कर्ि सही हैं।

ANS : D

Q.75. ऐसी कौि-सी ध्वनियााँ हैं, जो ि तो स्वर हैं, और ि ही व्यंजि?

(a) अं, अः (b) क, ि (c) अ, आ (d) ष, ज्ञ

ANS : A
Q.76. मात्राएाँ ककतिी प्रकार की होती हैं ?

(a) 10 (b) 11 (c) 12 (d) 13


ANS : C

Q.77. 'ऋत' का वविोम क्या है ?

(a) ित
ृ (b) अित
ृ (c) वि (d) वत्त

ANS : B

Q.78. समाि तक
ु वािे शब्द हैं -

(a) पाँछ
ू , भत
ू (b) पाँछ
ू , माँछ
ू (c) पाँछ
ू , मोक्ष (d) पाँछ
ू , सींग

ANS : B

Q.79. निम्िलिखित में से पुजल्िंग शब्द है -

(a) चाि (b) ग्रचत्र (c) ग्रचत्त (d) ग्रचंता


ANS : B

Q.80. 'शास्त्रार्ण' का सजन्ध ववच्छे द कीजजए।

(a) शस्त्र + अर्ण (b) शास्त्र + अर्ण (c) श + स्त्रार्ण (d) शा + स्त्रार्ण

ANS : B
Q.81. 'महै श्वयण' में कौि-सी सजन्ध है ?

(a) दीर्ण स्वर सजन्ध (b) यर् ् स्वर सजन्ध

(c) गर्
ु स्वर सजन्ध (d) वर्द
ृ ग्रध स्वर सजन्ध

ANS : D

Q.82. 'स्वगण' का सजन्ध ववच्छे द है -

(a) स्व + अगण (b) स्वः + ग (c) स्वा + ग (d) सु + वगण

ANS : B

Q.83. 'पीताम्बर' में कौि-सा समास है ?

(a) र्दवन्र्दव (b) र्दववगु (c) बहुव्रीहह (d) अव्ययीभाव

ANS : C

Q.84. निम्िलिखित में से कौि-सी रचिा सलु मत्रािंदि पंत की िहीं है ?

(a) गुंजि (b) वीर्ा (c) अजग्िगभण (d) पल्िव

ANS : C

Q.85. 'अिालमका' ककसकी काव्य रचिा है ?

(a) सलु मत्रािंदि पंत (b) सय


ू क
ण ांत बत्रपाठी 'निरािा'
(c) सवेश्वरदयाि सक्सेिा (d) अयोध्या लसंह उपाध्याय 'हररऔध'

ANS : B
Q.86. 'पवि' शब्द का सजन्ध-ववच्छे द होगा
(a) प + वि (b) पव + अि (c) पो + अि (d) पव + ि
ANS : C
Q.87. निम्ि में से ककस समहू में सभी शब्द तत्सम हैं?
(a) शकणरा, पवि, ज्येष्ठ, अजग्ि (b) काष्ठ, र्त
ृ , र्ोड़ा, कारीगर
(c) ओष्ठ, ककताब, िािी, चाकू (d) निष्ठुर, चम्मच, हार्ी, कायण
ANS : A
Q.88. 'सरि' या 'साधारर्' वाक्य ककसे कहते हैं?
(a) जो छोटा हो

(b) जजसका अर्ण सरिता से समझ में आ जाए


(c) जजसमें एक कताण और अिेक कियाएाँ हों
(d) जजसमें एक उर्ददे श्य, एक ववधेय और एक ही किया हो
ANS : D
Q.89. निम्ि में तत्सम शब्द है
(a) जमीि (b) शन्
ू य (c) िुद (d) मजबूत
ANS : B
Q.90. वह शब्द बताइए, जजसमें सजन्ध तर्ा प्रत्यय दोिों का प्रयोग हुआ है
(a) रं गीनियााँ (b) ध्वंसावशेषों (c) अधीरता (d) सम्प्रदायवाद
ANS : B
Q.91. “फि को िूब पका होिा चाहहए' वाक्य में अशर्दु ग्रध है
(a) वचि संबंधी (b) पदिम संबंधी (c) कारक संबंधी (d) लिंग संबंधी
ANS : C
Q.92. वह शब्द बताइए, जजसमें दो उपसगों ___ का प्रयोग हुआ है __
(a) निमाणर् (b) निववणरोध (c) निरीक्षक (d) निरं कुश
ANS : B
Q.93. 'ट' वगण का उच्चारर् स्र्ाि है –
(a) कठोर-तािु (b) ओष्ठ (c) मर्द
ू णधा (d) दं त
ANS : C
Q.94. "मैं िािा िा चक
ु ा, तब वह आया" यह वाक्य है –
(a) सरि वाक्य (b) संयक्
ु त वाक्य (c) लमश्र वाक्य (d) संक्षक्षप्त वाक्य
ANS : B
Q.95. 'विवासी' शब्द में समास है –
(a) र्दववगु (b) र्दवन्र्दव (c) तत्परु
ु ष (d) कमणधारय
ANS : C
Q.96. निम्िलिखित वाक्यों में अकमणक कियार्णक वाक्य है -
(a) बूंद-बूंद से र्ड़ा भर जाता है (b) इस टब को पािी से भर दो
(c) मााँ बेटे को िािा खििा रही है (d) चाचाजी िे मझ
ु े पत्र लििा है
ANS : A
Q.97. किया से बििे वािी भाववाचक संज्ञा है -
(a) र्कावट (b) बुराई (c) आिस्य (d) बुढ़ापा
ANS : A
Q.98. मि
ू वर्ण कौि-कौि से हैं ?

(a) अ, इ, उ, ऋ (b) आ, ई, ऊ, ओ (c) ए, ऐ, ई, इ (d) ओ, औ, अं, अः


ANS : A
Q.99. 'ड' तर्ा 'ढ' में क्या अंतर है ?

(a) 'ड' महाप्रार् तर्ा 'ढ' अल्पप्रार् ध्वनि है ।

(b) 'ड' अल्पप्रार् तर्ा 'ढ' महाप्रार् ध्वनि है ।

(c) 'ड' तर्ा 'ढ' दोिों अल्पप्रार् ध्वनियााँ हैं।

(d) 'ड' तर्ा 'ढ' दोिों महाप्रार् ध्वनियााँ हैं।


ANS : B
Q.100. निम्िलिखित में से कौि-सी ध्वनि िालसक्य है ?

(a) प (b) झ (c) ट (d) ि


ANS : D
Q.101. वाक्य में सबसे कम रुकिे के लिए ककस ववराम ग्रचह्ि का प्रयोग ककया जाता
है ।

(a) अवतरर् ग्रचह्ि (b) अल्पववराम (c) पर्


ू ण ववराम (d) योजक ग्रचह्ि
ANS : B
Q.102. 'करुर्' का वविोम है -

(a) निष्ठुर (b) कोमि (c) सरि (d) निष्कपट


ANS : A
Q.103. निम्ि में से 'भाववाचक संज्ञा' की पहचाि कीजजए -

(a) पररवार (b) बचपि (c) िड़की (d) पुलिस


ANS : B
Q.104. 'प्रान्तीय' में कौि-सा प्रत्यय है ?

(a) इय (b) ईय (c) ई (d) इ


ANS : B
Q.105. ‘दे वाशीष' में कौि-सी सजन्ध है ?

(a) दीर्ण स्वर सजन्ध (b) यर् ् स्वर सजन्ध

(c) गर्
ु स्वर सजन्ध (d) वर्द
ृ ग्रध स्वर सजन्ध
ANS : A
Q.106. 'एकैक' का सजन्ध ववच्छे द है -

(a) एकै + क (b) एक + कैक (c) एक + एक (d) एके + एक


ANS : C
Q.107. मझ
ु से िड़ा भी हुआ िहीं जाता। इस वाक्य में वाच्य है -

(a) कमणवाच्य (b) भाववाच्य (c) कतव


णृ ाच्य (d) इिमें से कोई िहीं
ANS : B
Q.108. 'इस धरा का इस धरा पर ही धरा रह जायेगा।' में कौि सा अिंकार है ?

(a) श्िेष (b) यमक (c) अिप्र


ु ास (d) उपमा
ANS : B
Q.109. 'साकेत' ककसकी रचिा है ?

(a) अज्ञेय (b) मैग्रर्िीशरर् गप्ु त (c) रामकुमार वमाण (d) जयशंकर प्रसाद
ANS : B
Q.110. 'िूहटयों पर टाँ गे िोग' ककसकी कृनत है ?

(a) केदार िार् अिवाि (b) सवेश्वर दयाि सक्सेिा

(c) ववर्दयानिवास लमश्र (d) प्रभाकर माचवे


ANS : B
Q.111. जजि शब्दों में प्रयोग के अिस
ु ार कोई पररवतणि िहीं होता है , उन्हें कहा जाता है
(a) पद (b) ववकारी शब्द (c) अववकारी शब्द (d) पदबन्ध
ANS : C
Q.112. जजसमें पहिा पद संख्यावाचक हो और जो ककसी समह ववशेष का बोध कराए उसे
कहते हैं

(a) कमणधारय समास (b) र्दवन्र्दव समास


(c) अव्ययीभाव समास (d) र्दववगु समास
ANS : D
Q.113. निम्ि में से लमग्रश्रत वाक्य है
(a) वषाण हो रही है (b) मैं पढ़ता हूाँ और वह िेिता है
(क) सध
ु ीर पढ़ता है (d) मैिे सुिा है कक िीिा पास हो गई है
ANS : D
Q.114. 'जमीि' का पयाणयवाची िहीं है
(a) पथ्ृ वी (b) धरती (c) ववटप (d) धरर्ी
ANS : C
Q.115. वह तत्सम शब्द बताइए, जजसके सार् उपसगण और प्रत्यय दोिों का प्रयोग हुआ है
(a) मािवीय (b) मािवता (c) अधीर (d) वविजण्ठडत
ANS : D
Q.116. संयोजक शब्द से जड़ु े हुए एक से अग्रधक साधारर् वाक्यों से बििे वािा वाक्य
कहिाता है

(a) लमश्र वाक्य (b) संयक्


ु त वाक्य (c) आग्रश्रत उपवाक्य (d) प्रधाि वाक्य
ANS : B
Q.117. इिमें से जानतवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा का सही उदाहरर् है
(a) दािव-दािवता (b) सवण-सवणस्व (c) चतरु -चतरु ाई (d) गािा-गाि
ANS : A
Q.118. एक अच्छे अध्यापक का सबसे महत्वपूर्ण कायण है -
(a) बच्चों में पुस्तक - प्रेम पैदा करिा
(b) परीक्षा उत्तीर्ण करिे में बच्चों की सहायता करिा
(c) अच्छा खििाड़ी बििे में बच्चों का सहयोग करिा

(d) बच्चों में ग्रचन्ति योग्यताओं का ववस्तार करिा


ANS : D
Q.119. संज्ञा का वह रूप जजससे किया के आधार का बोध होता है , उसे क्या कहते हैं?
(a) करर् कारक (b) सम्बन्ध कारक (c) सम्प्रदाि कारक (d) अग्रधकरर् कारक
ANS : D
Q.120. 'निजत्व' संज्ञा शब्द है –
(a) व्यजक्तवाचक (b) भाववाचक (c) रव्यवाचक (d) जानतवाचक
ANS : B
Q.121. 'जितंत्र' शब्द निम्िांककत में से ककस समास-प्रकार के अंतगणत है ?
(a) सम्प्रदाि तत्पुरुष समास (b) कमण तत्पुरुष समास

(c) सम्बन्ध तत्पुरुष समास (d) करर् तत्पुरुष समास


ANS : C
Q.122. 'ववर्दया' ककि शब्दों के मेि से बिा है ?

(a) वव + द + या (b) वव + र्द + या (c) वव + हद + या (d) व ् + हद + या


ANS : B
Q.123. 'र्', 'ङ' तर्ा 'ञ' में अंतर है कक -

(a) 'र्' का उच्चारर् स्वतंत्र वर्ण के रूप में होता है ।

(b) 'ङ' और ञ ् का उच्चारर् स्वतंत्र वर्ण के रूप में िहीं होता है ।


(c) 'ङ' से कोई शब्द प्रारम्भ िहीं होता है ।

(d) उपयक्
ुण त में से सभी
ANS : D
Q.124. अिस्ु वार का प्रयोग ककस वर्ण के स्र्ाि पर ककया जाता है ?

(a) क वगण के तीसरे वर्ण (b) ट वगण के दस


ू रे वर्ण

(c) च वगण के पााँचवें वर्ण (d) त वगण के चौर्े वर्ण


ANS : C
Q.125. ववस्मयबोधक ग्रचह्ि का प्रयोग ककया जाता है -

(a) वाक्य पूरा होिे पर अंत में

(b) वाक्य के अंत में जजसमें प्रश्ि सग्रू चत हों

(c) दो शब्दों के बीच उन्हें जोड़िे के लिए

(d) वाक्य के अंत में िश


ु ी, र्र्
ृ ा, दःु ि या है रािी प्रकट करिे के लिए
ANS : D
Q.126. निम्ि में 'धरती' का समािार्ी शब्द कौि-सा है ?

(a) अचिा (b) तोमर (c) कच (d) चमक


ANS : A
Q.127. 'मझ
ु 'े ककस प्रकार का सवणिाम है ?

(a) उत्तम पुरुष (b) अन्य पुरुष (c) मध्यम पुरुष (d) इिमें से कोई िहीं
ANS : A
Q.128. उपसगण एवं प्रत्यय दोिों के योग से बिा शब्द है –

(a) पराधीि (b) परतन्त्र (c) पराधीिता (d) प्रगिि


ANS : C
Q.129. 'इत्याहद' का सजन्ध ववच्छे द क्या है ?

(a) इत + आहद (b) इनत + आहद (c) इत्या + हद (d) इती + आहद
ANS : D
Q.130. 'मैंिे पुस्तक पढ़ी।' इस वाक्य में है -

(a) भाववाच्य (b) कमणवाच्य (c) कतव


णृ ाच्य (d) सभी
ANS : C
Q.131. 'कािी र्टा का र्मण्ठड र्टा'। इस पंजक्त में कौि-सा अिंकार है ?

(a) यमक (b) अनतशयोजक्त (c) रूपक (d) उपमा


ANS : A
Q.132. निम्ि में से कौि-सी रचिा रामधारी लसंह की िहीं है?

(a) उवणशी (b) रजश्मरर्ी (c) कुरुक्षेत्र (d) रे शमी टाई


ANS : D
Q.133. 'कवव' का स्त्रीलिंग रूप होगा
(a) कववबत्र (b) कवव (c) कवनयत्री (d) कववयत्री
ANS : C
Q.134. र्दवन्र्दव समास है
(a) िम्बोदर (b) अंधकूप (c) िर-िारी (d) शरर्ागत
ANS : C
Q.135. श्रत
ु िेि से ककस कौशि का अग्रधक ववकास होता है ?
(a) श्रवर् िेिि (b) वाचि श्रवर् (c) श्रवर् वाचि (d) िेिि वाचि
ANS : A
Q.136. कौि-से शब्द में प्रत्यय िहीं है ?
(a) िोगों (b) पशओ
ु ं (c) सदस्यों (d) पीढ़ी
ANS : D
Q.137. कमण तत्पुरुष समास का उदाहरर् इिमें से कौि-सा है ?
(a) िोमहषणक (b) आत्मनिभणरता (c) दे शवालसयों (d) सवाणग्रधक
ANS : A
Q.138. संश्िेषर् ववग्रध में लसिािे की प्रकिया
(a) वर्ण, शब्द, वाक्य (b) वाक्य, शब्द, वर्ण (c) शब्द, वर्ण, वाक्य (d) शब्द, वाक्य, वर्ण
ANS : A
Q.139. इिमें से 'आकाश' का सही पयाणय
(a) सर (b) वासव (c) व्योम (d) उत्पि
ANS : C
Q.140. लशक्षा तभी सार्णक होगी, जब वह-
(a) लशक्षक केजन्रत हो (b) छात्र केजन्रत हो
(c) पा्यिम केजन्रत हो (d) समाज केजन्रत हो
ANS : B
Q.141. 'गायक' का सजन्ध - ववच्छे द है -
(a) गा + यक (b) गाय + इक (c) गै + अक (d) ग + आयक
ANS : C
Q.142. निम्िलिखित में से अशुर्दध शब्द छााँहटये –
(a) क्षबत्रय (b) धोिा (c) श्रेष्ठ (d) अववष्कार
ANS : D
Q.143. भाषा का प्रार्लमक रूप है -
(a) सांकेनतक (b) व्याकरखर्क (c) लिखित (d) मौखिक
ANS : A
Q.144. अिप
ु म शब्द का पयाणयवाची शब्द इिमें से कौि-सा िहीं है ?
(a) अति
ु (b) अनिि (c) अपूवण (d) अिोिा
ANS : B
Q.145. श, ष तर्ा स के अंतर में शालमि िहीं है -

(a) 'श' के उच्चारर् में जजह्वा तािु को स्पशण करती है ।

(b) 'ष' के उच्चारर् में जजह्वा मर्द


ू णधा को स्पशण करती है ।

(c) 'स' के उच्चारर् में जजह्वा दााँत का स्पशण करती है ।

(d) इिमें से सभी।


ANS : D
Q.146. 'र्' और 'ि' में मख्
ु य अंतर है –

(a) जजि तत्सम शब्दों में 'र्' होता है , उिके तर्दभव के रूप में 'र्’ के स्र्ाि पर 'ि'
प्रयक्
ु त होता है ।

(b) 'ि' का प्रयोग हहन्दी नियमों के आधार पर होता है ।

(c) दोिों समाि हैं।

(d) इिमें से कोई िहीं।


ANS : A
Q.147. ककस शब्द में अिस्ु वार िहीं िगा है ?

(a) चंबि (b) मंगि (c) िही (d) कहीं


ANS : C
Q.148. कृतज्ञ शब्द का वविोम निम्ि में से क्या है ?

(a) कृतघ्ि (b) बेईमाि (c) उन्िनत (d) अच्छा


ANS : A
Q.149. निम्िलिखित में से कौि-सा 'बादि' का समािार्ी िहीं है ?

(a) जीमत
ू (b) अंबुज (c) िीरद (d) परजन्य
ANS : B
Q.150. निश्चयवाचक सवणिाम कौि-सा है ?

(a) क्या (b) कुछ (c) यह (d) कौि


ANS : C
Q.1. इिमें से कौि-सा अयाहद सजन्ध है ?

(a) निश्चय (b) अजंत (c) रष्टा (d) ियि


ANS : D
Q.2. 'दे शभजक्त' में कौि-सा समास है ?

(a) र्दवन्र्दव (b) कमणधारय (c) तत्परु


ु ष (d) बहुव्रीहह
ANS : C
Q.3. 'कामायिी' ककस िेिक की रचिा है ?

(a) प्रेमचन्द (b) जयशंकर प्रसाद (c) मैग्रर्िीशरर् गप्ु त (d) श्याम सन्
ु दर दास
ANS : B
Q.4. संस्कृत के वे शब्द, जो हहन्दी में बबिा ककसी पररवतणि के प्रयुक्त होते हैं, कहिाते हैं
(a) संस्कृत (b) तर्दभव (c) तत्सम (d) दे शज
ANS : C
Q.5. निम्ि में अव्यय है
(a) समाज (b) िण्ठड (c) एक (d) व्यवस्र्ा
ANS : C
Q.6. 'ईश्वर तम्ु हें सफिता प्रदाि करे ।' यह वाक्य है
(a) संकेतवाचक (b) ववधािवाचक (c) इच्छावाचक (d) ववस्मयवाचक
ANS : C
Q.7. 'ढ' का उच्चारर् स्र्ाि है
(a) कण्ठठ (b) तािु (c) मूधाण (d) दन्त
ANS : C
Q.8. हहन्दी में कारक के ववभजक्तयों सहहत ककतिे भेद मािे जाते हैं?
(a) 8 (b) 14 (c) 7 (d) 10
ANS : A
Q.9. संयक्
ु त व्यंजि 'क्ष' की ध्वनियााँ हैं –
(a) क् + अ + ष (b) क् + अ + श (c) क् + अ + छ (d) क् + अ + स ्
ANS : A
Q.10. स्वर्ण शब्द है -
(a) तत्सम (b) तर्दभव (c) दे शज (d) ववदे शी
ANS : A
Q.11. जब ककसी समास में दोिों शब्द प्रधाि हों तो उसको कहते
(a) र्दवन्र्दव समास (b) र्दववगु समास (c) प्रधाि समास (d) तत्परु
ु ष समास
ANS : A
Q.12. कौि-सा शब्द स्त्रीलिंग िहीं है ?
(a) सेवा (b) भाषा (c) प्रयोग (d) हहन्दी
ANS : C
Q.13. 'धिुष्टं कार' का सजन्ध-ववच्छे द होगा –
(a) धिष
ु + टं कार (b) धिस
ु + टं कार (c) धिःु + टं कार (d) धि
ु श + टं कार
ANS : C
Q.14. 'निभणय' का सजन्ध - ववच्छे द है –
(a) नि + भय (b) नि+ रभय (c) निः + भय (d) नि+ भय
ANS : C
Q.15. 'यामा' ककसकी रचिा है ?
(a) भवािी प्रसाद लमश्र (b) महादे वी वमाण (c) अज्ञेय (d) मजु क्तबोध
ANS : B
Q.16. भाषा लशक्षर् में 'बहुमि
ु ी प्रयास' का अलभप्राय है
(a) आगमि ववग्रध का प्रयोग (b) तकिीक का प्रयोग
(c) सभी ववषयों के लशक्षर् में भाषा पर बि (d) अिेक अध्यापकों र्दवारा भाषा का लशक्षर्
ANS : C
PAPER – 2
Q.1. 'ववर्दयार्ी' में कौि-सी सजन्ध है ?
(1) दीर्ण सजन्ध (2) वर्द
ृ ग्रध सजन्ध (3) गुर् सजन्ध (4) यर् सजन्ध
ANS : 1
Q.2. 'सईु ' का तत्सम रूप क्या है ?
(1) सज्
ु जा (2) सग्रू च (3) सिाई (4) सच
ू ी
ANS : 2
Q.3. 'पंकज' में कौि-सा समास है ?
(1) र्दवन्र्दव (2) र्दववगु (3) कमणधारय (4) बहुव्रीहह
ANS : 4
Q.4. निम्िलिखित में वाचि लशक्षर् की ववग्रध िहीं है ।
(1) ध्वनि साम्य ववग्रध (2) अिध्
ु वनि ववग्रध
(3) व्याख्या ववग्रध (4) समवेत पाठ ववग्रध
ANS : 3
Q.5. सफ
ू ी सन्तों की शैिी है
(1) मलसणया (2) मसिवी (3) गज़ि (4) तजम
ुण ा
ANS : 2
Q.6. कौि-सा वाक्य शर्दु ध है ?
(1) िेतों में िम्बे-िम्बे र्ास उग आए
(2) परशरु ाम के िोधाजग्ि िे क्षबत्रयों को जिा हदया
(3) गलियों को चौड़ा करिा आवश्यक है

(4) वक्ष
ृ ों पर कोयि कूक रही है
ANS : 3
Q.7. 'ग्रचरं ति' शब्द का वविोम निम्िलिखित में से कौि-सा होगा?
(1) सिाति (2) अववजच्छन्ि (3) शाश्वत (4) िश्वर
ANS : 4
Q.8. निम्िलिखित में से शर्दु ध वतणिी वािे शब्द का चयि कीजजए।
(1) रष्टा (2) रचइता (3) शस
ु ुप्त (4) सष्ृ टा
ANS : 1
Q.9. 'अत्याचार' शब्द में उपसगण है
(1) आ (2) अत ् (3) अनत (4) अत्यु
ANS : 3
Q.10. 'हदग्गज' का सजन्ध-ववच्छे द क्या है ?
(1) हदक् + गज (2) हदः + गज (3) हदग ् + गज (4) हदग ् + अगज
ANS : 1
Q.11. 'आाँि का अन्धा िाम ियिसि
ु ' िोकोजक्त का क्या अर्ण है ?
(1) आाँि की रोशिी जािा (2) िामकरर् करिा
(3) गुर् के ववरुर्दध िाम का होिा (4) सन्तष्ु ट होिा
ANS : 3
Q.12. िोकोजक्त और उसके अलभप्राय का कौि-सा जोड़ा गित है ?
(1) कढ़ाही से ग्रगरा, चल्
ू हे में पड़ा - एक आपवत्त से छूटकर दस
ू री ववपवत्त में पड़िा
(2) र्ी भी िाओ और पगड़ी भी रक्िो - इतिा िचण करा कक इज्जत बिी रहे
(3) ओस चाटे प्यास िहीं बुझती - बड़े काम के लिए ववश प्रयत्ि की जरूरत होती है
(4) काठ की हााँडी बार-बार चल्
ू हे पर िहीं चढ़ती - काठ का हााँड़ी बार-बार जि जाती है ।
ANS : 4
Q.13. वतणिी के अिस
ु ार शर्द
ु ध शब्द का चयि कीजजए।
(1) पूज्यिीय (2) पूजिीय (3) पुज्यिीय (4) पुजिीय
ANS : 2
Q.14. िड़का पेड़ से ग्रगरा।
उपरोक्त वाक्य का कारक बताइए।
(1) सम्प्रदाि कारक (2) कमण कारक (3) अपादाि कारक (4) कारर् कारक
ANS : 3
Q.15. 'निगर्
ुण ' का सजन्ध-ववच्छे द होगा-
(1) निर + गर्
ु (2) नि + गर्
ु (3) निः + गर्
ु (4) निर + गर्

ANS : 3
Q.16. जो शब्द 'धि' का पयाणयवाची िहीं है उसे चनु िए
(1) रव्य (2) रव (3) सम्पदा (4) दौित
ANS : 2
Q.17. 'दस्ु साहस' शब्द का उपसगण चनु िए -
(1) दस
ु ् (2) दरु (3) द ु (4) स
ANS : 1
Q.18. 'चन्रमा' का पयाणयवाची शब्द चनु िए
(1) निशाकर (2) निशाचर (3) तरखर् (4) कृशािु
ANS : 1
Q.19. निम्िलिखित में योगरूढ़ शब्द चनु िए –
(1) पीि (2) चिपाखर् (3) दध
ू वािा (4) िैि
ANS : 2
Q.20. 'चन्दायि' के रचनयता हैं
(1) मलिक मोहम्मद जायसी (2) कुतब
ु ि (3) मंझि (4) मल्
ु िा दाऊद
ANS : 4
Q.21. 'अपिे-अपिे वपंजरे ' आत्मकर्ा ककसकी है ?
(1) ओमप्रकाश वाल्मीकक (2) मोहिदास िैलमशराय
(3) जयप्रकाश कदण म (4) श्योराज लसंह 'बेचि
ै '
ANS : 2
Q.22. “ववभावािभ
ु ावव्यलभचाररसंयोगादरसनिष्पनतः" सत्र
ू ककसका है ?
(1) भरतमनु ि (2) कुन्तक (3) वामि (4) क्षेमेन्र
ANS : 1
Q.23. निम्िलिखित में से ‘तत्सम' शब्द है
(1) ऊाँट (2) काठ (3) दग्ु ध (4) काम
ANS : 3
Q.24. ताजमहि ..." का अर्दभत
ु िमि
ू ा है । ररक्त स्र्ाि की पनू तण ककस शब्द से होगी?
(1) लशल्पकिा (2) मनू तणकिा (3) ग्रचत्रकिा (4) स्र्ापत्यकिा
ANS : 4
Q.25. निम्िलिखित पंजक्तयों में कौि-सा अिंकार है ?
'फूिे कास सकि महह छाई। जिु बरसा ररतु प्रकट बुढ़ाई।।'
(1) उपमा (2) उत्प्रेक्षा (3) रूपक (4) श्िेष
ANS : 2
Q.26. “हम दीवािों की क्या हस्ती है आज यहााँ कि वहााँ चिे" ककसकी पंजक्तयााँ हैं?
(1) िरे न्र शमाण (2) हररवंश राय बच्चि
(3) बािकृष्र् शमाण 'िवीि' (4) भगवतीचरर् वमाण
ANS : 4
Q.27. 'वह बहुत अच्छा िड़का है ' वाक्य में 'वह' कौि-सा सवणिाम है ?
(1) निजवाचक (2) सम्बन्धवाचक (3) अनिश्चयवाचक (4) निश्चयवाचक
ANS : 4
Q.28. 'बार्' का पयाणयवाची िहीं है ।
(1) लशिीमि
ु (2) सारं ग (3) आशग
ु (4) ववलशि
ANS : 2
Q.29. निम्िलिखित में से कौि-सा सही है ?
I. अिस्
ु वार पूर्ण अिि
ु ालसक ध्वनि है ।
II. वगण का पंचमाक्षर अिि
ु ालसक होता है ।
III. अिि
ु ालसक के उच्चारर् के दौराि िाक से बहुत कम सााँस निकिती है और माँह
ु से अग्रधक।
(1) केवि III (2) केवि I (3) I और II (4) I, II और III
ANS : 4
Q.30. 'लसर पर सवार रहिा' महु ावरे का अर्ण है
(1) पीछे पड़िा (2) मरिे-मारिे पर उतारू होिा (3) भाग जािा (4) बाधक होिा
ANS : 1
Q.31. 'आयष्ु माि' का स्त्रीलिंग क्या है ?
(1) आयष्ु मती (2) आयष्ु यमयी (3) आयष
ु ी (4) आयष्ु मयी
ANS : 1
Q.32. “बबि र्िस्याम धाम-धाम ब्रज मण्ठडि में , उधौ नित बसनत बहार बरसा की है ।" इस
पंजक्त में प्रयक्
ु त अिंकार है
(1) रूपक (2) श्िेष (3) यमक (4) उपमा
ANS : 2
Q.33. 'िई कववता' पबत्रका का प्रकाशि कहााँ से आरम्भ हुआ?
(1) इिाहाबाद (2) िििऊ (3) किकत्ता (4) हदल्िी
ANS : 1
Q.34. ककस दृश्य-उपकरर् में पारदशी (रांसपरे न्सी) का प्रयोग होता है ?
(1) ओवरहै ड प्रक्षेपक (प्रोजेक्टर) में
(2) स्िाइड प्रक्षेपक (प्रोजेक्टर) में

(3) अपारदशी प्रक्षेपक (ओपेक प्रोजेक्टर) या एवपडाइस्कोप में


(4) कफल्म जस्रप में
ANS : 1
Q.35. मक
ू होई वाचाि, पंगु चढ़ै ग्रगररवर गहि। जासु कृपा सु दयाि, रवहु सकि कलिमि
दहि।।
उपरोक्त में छन्द है
(1) दोहा (2) चौपाई (3) सोरठा (4) रोिा
ANS : 3
Q.36. 'बाज़ार' से ककस संज्ञा का बोध होता है ?
(1) भाववाचक (2) समह
ू वाचक (3) जानतवाचक (4) व्यजक्तवाचक
ANS : 2
Q.37. कौि-सा महीिा ‘भारपद' महीिे के बाद आता है ?
(1) श्रावर् (2) अजश्वि (3) पौष (4) आषाढ़
ANS : 2
Q.38. 'प्रत्येक चरर् में 16 मात्राओं वािा चार चरर्ों का सममाबत्रक छन्द है
(1) दोहा (2) सोरठा (3) रोिा (4) चौपाई
ANS : 4
Q.39. 'उल्का सी रािी हदशा दीप्त करती र्ी' पंजक्त में कौि-सा अिंकार है ?
(1) यमक (2) रूपक (3) उत्प्रेक्षा (4) उपमा
ANS : 4
Q.40. 'भेजे मिभावि के ऊधव के आवि की सग्रु ध ब्रज-गााँवनि मैं पावि जबै िगीं - इस पंजक्त
के रचिाकार कौि हैं?
(1) सरू दास (2) कुम्भिदास (3) िन्ददास (4) जगन्िार् दास 'रत्िाकार'
ANS : 4
Q.41. 'हे राम! तम
ु कहााँ हो' वाक्य में कौि-सा कारक है ?
(1) सम्बन्ध (2) अग्रधकरर् (3) सम्बोधि (4) अपादाि
ANS : 3
Q.42. ' औंधी िोपड़ी' महु ावरे का अर्ण है
(1) मि
ू ण होिा (2) कुछ निर्णय ि कर पािा
(3) ककंकतणव्यववमढ़
ू होिा (4) झगड़ािू होिा
ANS : 1
Q.43. कौि-सी वतणिी शर्दु ध है ?
(1) ववशेष (2) ववशेश (3) ववषेष (4) बबसेष
ANS : 1
Q.44. बच्चों में भाषा प्रयोग की दक्षता ववकलसत करिे के लिए आवश्यक है
(1) उन्हें सि
ु िे और बोििे की पूरी आजादी हो (2) उन्हें कववताएाँ याद हों
(3) उन्हें मह
ु ावरे याद हों (4) वे ककसी वक्ता के सार् रहते हों
ANS : 1
Q.45. निम्ि में से कौि-सा शब्द अमाबत्रक है ?
(1) कारिािा (2) अलमताभ (3) किरव (4) चहचहािा
ANS : 3
Q.46. अमत
ृ िाि िागर के ककस उपन्यास में गोस्वामी तुिसीदास की जीविी को आधार
बिाया गया है ?
(1) बंद
ू और समन्
ु र (2) सह
ु ाग के िप
ू रु
(3) मािस का हं स (4) अमत
ृ और ववष
ANS : 3
Q.47. ' चहू ा बबि से बाहर निकिा' में कौि-सा कारक है ?
(1) सम्प्रदाि कारक (2) अपादाि कारक (3) करर् कारक (4) सम्बन्ध कारक
ANS : 2
Q.48. “जहााँ सम
ु नत तहाँ सम्पवत्त िािा, जहााँ कुमनत तहाँ ववपनत निदािा’’ पद में कौि-सा रस है ?
(1) करुर् (2) भयािक (3) शग
ंृ ार (4) शान्त
ANS : 4
Q.49. गर्दय-लशक्षर् में काहठन्य निवारर् ककया जा सकता है
(1) ग्रचत्र हदिाकर (2) वस्तु को प्रत्यक्ष हदिाकर
(3) मॉडि हदिाकर (4) उपरोक्त सभी
ANS : 4
Q.50. “या िकुटी अरू कामररया पर राज नतहुाँ परु को तजज डारौं।”
ककसकी पंजक्त है ?

(1) सरू दास (2) िन्ददास (3) रसिाि (4) मीराबाई


ANS : 3
Q.51. हहन्दी का प्रर्म मौलिक उपन्यास ककसे मािा जाता है ?
(1) ित
ू ि ब्रह्मचारी (2) नततिी (3) त्याग-पत्र (4) परीक्षा गुरु
ANS : 4
Q.52. निम्ि में से पुजल्िग शब्द है
(1) रात (2) बात (3) गीत (4) मात
ANS : 3
Q.53. शर्दु ध वतणिी वािा शब्द है
(1) शग
ंृ ार (2) श्रग
ं ृ ार (3) शग
ृ ांर (4) श्रग
ं ृ ार
ANS : 1
Q.54. 'वाक्य वविह' का अर्ण है
(1) शब्दों को जोड़िा
(2) वाक्य रचिा करिा

(3) वाक्य िण्ठडों को अिग-अिग करके उिका सम्बन्ध बतािा


(4) सजन्ध और समास बतािा
ANS : 3
Q.55. 'ऊाँट की चोरी निहुरे निहुरे ' का अर्ण है
(1) जाि जोखिम में डाििा (2) बड़े काम नछपकर िहीं ककए जा सकते

(3) उदण्ठड व्यजक्त की दष्ु टता (4) ककसी की वस्तु ककसी दस


ू रे को दे िा
ANS : 2
Q.56. 'उसिे िहाकर भोजि ककया’ -इस वाक्य में 'िहाकर' निम्िांककत में से ककस किया का
उदाहरर् है ?
(1) संयक्
ु त किया (2) प्रेरर्ार्णक किया (3) र्दववकमणक किया (4) पूवक
ण ालिक किया
ANS : 4
Q.57. हहन्दी का पहिा पत्र है
(1) उदन्त मातणण्ठड (2) इनतहास नतलमरिाशक
(3) बिारस अिबार (4) हररश्चन्र मैगजीि
ANS : 1
Q.58. 'भक्तमाि' के रचिाकार हैं
(1) िाभा दास (2) केशव दास (3) ववष्र्ु दास (4) सन्
ु दर दास
ANS : 1
Q.59. िोकोजक्त और उसके अर्ण के जोड़े में से कौि-सा जोड़ा गित है ?
(1) आाँि का अन्धा िाम ियिसि
ु - िाम के प्रनतकूि कायण करिा
(2) अक्ि बड़ी या भैंस - बि की अपेक्षा बुर्दग्रध अग्रधक शजक्तशािी होती है

(3) उल्टा चोर कोतवाि को डााँटे - अपिा दोष ि मािकर दस


ू रे पर मढ़िा
(4) आ बैि मझ
ु े मार - बैि को मारिा
ANS : 4
Q.60. 'स्वर' ककसका भेद है ?
(1) समास (2) वर्ण (3) सजन्ध (4) लिंग
ANS : 2
Q.61. 'में ढक' का तत्सम रूप क्या है ?
(1) बन्दक
ू (2) मर्द
ु ग (3) मण्ठडूक (4) मजु ष्ट
ANS : 3
Q.62. 'सध
ु ा' का अिेकार्णक शब्द क्या है ?
(1) अमत
ृ , पािी (2) प्रार्, वप्रयतम (3) बादि, बबजिी (4) सेिा, शजक्त
ANS : 1
Q.63. ववराम-ग्रचह्ि की दृजष्ट से कौि-सा वाक्य अशर्दु ध है ?
(1) मैं क्या कहता?
(2) महक, राग्रगिी, श्वेता, आहद भी आई हैं; ये सब अब गािा गाएंगी।

(3) िहीं कि मैं तम्


ु हारे र्र िहीं आ सकाँू गी।
(4) उसिे पछ
ू ा, 'तम
ु कहााँ र्े?
ANS : 3
Q.64. वतणिी के अिस
ु ार शब्द का शर्द
ु ध रूप चनु िए।
(1) परु
ु स्कार (2) परु ष्कार (3) परु
ु ष्कार (4) परु स्कार
ANS : 4
Q.65. 'जजसकी मनत झट सोचिे वािी हो' के लिए एक शब्द होगा –
(1) कुशाि बुर्दग्रध (2) प्रत्यत्ु पन्िमनत (3) रत
ु गामी (4) दरू दशी
ANS : 2
Q.66. निम्िलिखित वाक्यों में से शर्दु ध रूप चनु िए।
(1) हमारे यहााँ तरूर् िवयव
ु कों की लशक्षा का अच्छा प्रबन्ध है
(2) हमारे यहााँ तरूर् िवयव
ु कों की लशक्षा का अच्छा प्रबन्ध है
(3) हमारे यहााँ िवयव
ु कों की शीक्षा की अच्छा प्रबन्ध है
(4) हमारे यहााँ िवयव
ु कों की लशक्षा का अच्छा प्रबन्ध है
ANS : 4
Q.67. 'आचार' का वविोम शब्द है
(1) आिाचार (2) अिाचार (3) अत्याचार (4) ववचार
ANS : 2
Q.68. वतणिी के अिस
ु ार शर्द
ु ध रूप का चयि कीजजए
(1) ईष्याण (2) ईषाण (3) इषाण (4) ईरषा
ANS : 1
Q.69. निम्िलिखित वाक्यों में किया-ववशेषर् यक्
ु त वाक्य कौि-सा है ?
(1) मैं कि िही जाऊाँगा (2) यह फूि सन्
ु दर है
(3) हवा धीरे -धीरे बह रही है (4) आज हम स्कूि जाएाँगे
ANS : 3
Q.70. छायावादी प्रववृ त्त की रचिा सबसे पहिे हदिाई पड़ी
(1) सलु मत्रािन्दि पन्त की कववता में (2) मक
ु ु टधर पाण्ठडेय की रचिाओं में
(3) सय
ू क
ण ान्त बत्रपाठी 'निरािा' में (4) श्रीधर पाठक में

ANS : 1
Q.71. कवव केशवदास की कौि - सी कृनत अपिे वण्ठयण - ववषय की अपेक्षा छन्दों की ववववधता
में भटक गई िगती है ?
(1) रामचजन्रका (2) कवववप्रया (3) रलसकवप्रया (4) रति बाविी
ANS : 1
Q.72. निम्िलिखित में से ‘दन्तव्य' वर्ण है ।
(1) ट् (2) च ् (3) त ् (4) उ
ANS : 3
Q.73. "उपकार को ि माििे वािा’’ वाक्यांश के लिए सही शब्द है
(1) कृतघ्ि (2) उपकारी (3) कृतज्ञ (4) अपकारी
ANS : 1
Q.74. 'अन्या से अिन्या' ककसकी रचिा है ?
(1) मैत्रेयी पुष्पा (2) मद
ृ ि
ु ा गगण (3) कृष्र्ा सोबती (4) प्रभा िेताि
ANS : 4
Q.75. 'हहन्दी िई चाि में ढिी' कर्ि ककसका है ?
(1) हजारी प्रसाद र्दवववेदी (2) भारतेन्द ु हररश्चन्र
(3) रामचन्र शक्
ु ि (4) िगेन्र
ANS : 2
Q.76. दााँत और जीभ के स्पशण से बोिे जािे वािे वर्ण को क्या कहते हैं?
(1) दन्तव्य (2) कण्ठठोष््य (3) दन्तोष््य (4) दन्त्य
ANS : 4
Q.77. निम्ि में भाव वाच्य का उदाहरर् है
I. उससे बैठा िहीं जाता। II. राम से िाया िहीं जाता।
III. राम पत्र लििता है । IV. सीता पस्
ु तक पढ़ती है ।
कूट
(1) I, II और IV (2) I, II, III और IV (3) I, II और III (4) I और II
ANS : 4
Q.78. ककस शब्द में तत्पुरुष समास है ?
(1) दौड़धप
ू (2) बत्रभव
ु ि (3) पीताम्बर (4) मधुमक्िी
ANS : 4
Q.79. 'वह र्दवार-र्दवार भीि मााँगता चिता है ' वाक्य में कौि-सा कारक है ?
(1) सम्बन्ध (2) सम्बोधि (3) अग्रधकरर् (4) अपादाि
ANS : 3
Q.80. "बीती ववभावरी जागरी अम्बर पिर्ट में डुबो रही तारार्ट उषा िागरी” पंजक्त में कौि-
सा अिंकार है ?
(1) यमक (2) उपमा (3) रूपक (4) उत्प्रेक्षा
ANS : 3
Q.81. वाचि के समय पस्
ु तक की आाँिों से दरू ी होिी चाहहए।
(1) 9 इंच (2) 10 इंच (3) 11 इंच (4) 12 इंच
ANS : 4
Q.82. 'चरर्-कमि बन्दौं हररराई।'
उपरोक्त पंजक्त में अिंकार है
(1) उत्प्रेक्षा (2) यमक (3) रूपक (4) उपमा
ANS : 3
Q.83. 'कमण कारक' का ग्रचह्ि है
(1) िे (2) से, र्दवारा (3) को (4) को, के लिए, हे तु
ANS : 3
Q.84. 'अजातशत्र'ु में कौि-सा समास है ?
(1) तत्पुरुष (2) र्दवन्र्दव (3) कमणधारय (4) बहुब्रीहह
ANS : 4
Q.85. 'एक माँहु दो बात' महु ावरे का अर्ण है ।
(1) अत्यग्रधक बातें करिा (2) बहुत कम बोििा
(3) अपिी बात से पिट जािा (4) बात बिािा
ANS : 3
Q.86. प्रर्म ‘तारसप्तक' का प्रकाशि वषण है
(1) 1943 (2) 1938 (3) 1954 (4) 1941
ANS : 1
Q.87. 'मेरी नतब्बत - यात्रा' के रचिाकार कौि हैं?
(1) श्री राम शमाण (2) बिारसीदास चतव
ु े दी
(3) महादे वी वमाण (4) राहुि सांकृत्यायि
ANS : 4
Q.88. निम्ि में ककस शब्द में उपसगण का प्रयोग हुआ है ?
(1) लििाई (2) हानिकारक (3) उपकार (4) अपिापि
ANS : 3
Q.89. मक
ू होइ बाचाि पंगु चढ़इ ग्रगररबर गहि। जासु कृपााँ सो दयाि रवउ सकि कलि मि
दहि।।
प्रस्तत
ु पंजक्तयों में कौि-सा छन्द है ?
(1) सोरठा (2) चौपाई (3) दोहा (4) बरवै
ANS : 1
Q.90. भाषा लशक्षर् के अन्तगणत वतणिी सम्बन्धी त्रहु टयों का निवारर् करिा चाहहए
(1) वतणिी का शर्द
ु ध उच्चारर् एवं िेिि अभ्यास करवाकर (2) त्रहु टयों का प्रकार ग्रगिाकर

(3) वतणिी के बारे में कुछ बातें बताकर (4) त्रहु टयों की उपेक्षा कर
ANS : 1
Q.91. सरस्वती पबत्रका के सम्पादक कौि र्े?
(1) भारतेन्द ु हररश्चन्र (2) बािकृष्र् भट्ट
(3) महावीरप्रसाद र्दवववेदी (4) बािमक
ु ु न्द गुप्त
ANS : 3
Q.92. 'वह र्ोड़ा बीमार है ' - इस वाक्य में र्ोड़ा' में कौि - सा किया-ववशेषर् है ?
(1) पररमार्वाचक किया-ववशेषर् (2) कािवाचक किया-ववशेषर्

(3) स्र्ािवाचक किया-ववशेषर् (4) रीनतवाचक किया-ववशेषर्


ANS : 1
Q.93. निम्िलिखित पंजक्तयों में कौि-सा अिंकार है ?
‘बािधी बबसाि बबकराि ज्वाि जाि मािौ, िंकिीलिबै को काि रसिा पसारी है ।
(1) उपमा और रूपक (2) यमक और श्िेष

(3) उत्प्रेक्षा और अिप्र


ु ास (4) अिप्र
ु ास और यमक
ANS : 3
Q.94. भाषा लशक्षक में होिा आवश्यक िहीं है
(1) व्याकरर् का ज्ञाि (2) सन्
ु दर िेि
(3) ववषय और मल्
ू यांकि ववग्रधयों का ज्ञाि (4) रसायिों का ज्ञाि होिा
ANS : 4
Q.95. िेिि से सम्बजन्धत िहीं है
(1) बैठिे का उग्रचत ढं ग (2) शर्द
ु ध उच्चारर्
(3) िेििी पकड़िे का ढं ग (4) आाँिों से कागज की दरू ी
ANS : 2
Q.96. 'निबणि' का वविोम शब्द है
(1) सदृ
ु ढ़ (2) सबि (3) बाहुबिी (4) समन्
ु ित
ANS : 2
Q.97. 'आाँि एक िहीं कजरौटा दस-दस' - िोकोजक्त का अर्ण है ?
(1) व्यर्ण आडम्बर (2) आाँि में काजि िगािा
(3) आाँि की दे िभाि करिा (4) िाइिाज बीमारी
ANS : 1
Q.98. कृतज्ञ' ककसका संक्षक्षप्तीकरर् है ?
(1) उपकार करिे वािा (2) उपकार करािे वािा
(3) ककए हुए उपकार को ि माििे वािा (4) ककए हुए उपकार को माििे वािा
ANS : 4
Q.99. 'पररसीमि' का वविोम है
(1) ससीम (2) निरसीमि (3) असीमि (4) ससीमि
ANS : 3
Q.100. एक ओर अजगरहह िखि एक ओर मग
ृ राय। ववकि बटोही बीच ही परयो मछ
ू ा िाय।।
उपरोक्त पंजक्तयों में प्रयक्
ु त रस है
(1) रौर रस (2) वीर रस (3) भयािक रस (4) करुर् रस
ANS : 3
Q.101. “ववरहिी बावरी सी भई ऊाँची चहढ़ अपिे भवि में टे रत हाय दई िे अंचरा मि
ु अाँसव
ु ि
पोंछत उर्रे गात सही।" ककसकी पंजक्त हैं?
(1) सहजोबाई (2) मीराबाई (3) झीमा चाररर्ी (4) दयाबाई
ANS : 2
Q.102. गोस्वामी ति
ु सीदास का निधि वारार्सी के ककस र्ाट पर हुआ?
(1) दशाश्वमेध र्ाट (2) अस्सी र्ाट (3) राम र्ाट (4) मखर्कखर्णका र्ाट
ANS : 2
Q.103. 'चौराहा' में कौि-सा समास है ?
(1) तत्पुरुष (2) बहुव्रीहह (3) र्दववगु (4) कमणधारय
ANS : 3
Q.104. 'अम्बर पिर्ट में डुबो रही तारार्ट उषा िागरी' में कौि-स अिंकार है ?
(1) यमक (2) रूपक (3) उपमा (4) उत्प्रेक्षा
ANS : 2
Q.105. 'िक्ष्य' का अिेकार्णक शब्द है
(1) िाम, बि (2) गनत, चाि (3) निशािा, उर्ददे श्य (4) सही, गित
ANS : 3
Q.106. कववता लशक्षर् की ववग्रध है
(1) िेिि प्रर्ािी (2) अर्णबोध प्रर्ािी (3) कौशि प्रर्ािी (4) अक्षरबोध प्रर्ािी
ANS : 2
Q.107. शब्द और वविोम की दृजष्ट से निम्िलिखित में से कौि-सा ववकल्प सही िहीं है ?
(1) िोिप
ु - सन्तष्ु ट (2) ववश्िेषर् - वववेचि
(3) यौवि – वाधणक्य (4) एकांगी - सवाांगीर्
ANS : 2
Q.108. निम्िलिखित में से कौि-सा ववकल्प सही िहीं है ?
(1) अन्योन्य - परस्पर (2) कृनत - रचिा
(3) अन्यान्य - और-और (4) कृती - निकृष्ट पुरुष
ANS : 4
Q.109. 'चौराहा' कौि सा समास है ?
(1) बहुब्रीहह (2) र्दवन्र्दव (3) र्दववगु (4) तत्पुरुष
ANS : 3
Q.110. निम्िलिखित वाक्यों में से शर्दु ध रूप चनु िए।
(1) हमारी सौभाग्यवती कन्या का वववाह होिे जा रहा है
(2) हमारी आयष्ु मती कन्या का वववाह होिे जा रहा है

(3) हमारी सौभाग्यवती कन्या का वववाह होिे जा रही है


(4) हमारी आयष्ु मती कन्या की वववाह होिे जा रहा है
ANS : 2
Q.111. 'अजायबर्र' है –
(1) दे शी शब्द (2) तत्सम शब्द (3) ववदे शी शब्द (4) संकर शब्द
ANS : 4

Q.112. महात्मा गााँधी में अमल्ू य गुर् र्े। इस वाक्य में 'अमल्ू य' शब्द है –
(1) ववशेषर् (2) संज्ञा (3) सवणिाम (4) किया
ANS : 1
Q.113. 'इदन्िमम ्' रचिा ककसकी है ?
(1) ममता कालिया (2) मन्िू भण्ठडारी (3) ग्रचत्रा मर्द
ु गि (4) मैत्रेयी पुष्पा
ANS : 4
Q.114. िाटक लशक्षर् की उपयक्
ु त ववग्रध है
(1) कक्ष अलभिय प्रर्ािी (2) रं गमंच प्रर्ािी
(3) अर्णबोध प्रर्ािी (4) व्याख्या प्रर्ािी
ANS : 1
Q.115. हहन्दी शब्दकोष में अं ककस वर्ण से पहिे आता है ?
(1) औ (2) अ (3) अः (4) आ
ANS : 2
Q.116. 'वपता' कहािी के िेिक कौि हैं?
(1) शेिर जोशी (2) उषा वप्रयंवदा (3) उदयप्रकाश (4) ज्ञािरं जि
ANS : 4
Q.117. उपचारात्मक लशक्षर् का आधार निम्ि में से कौि-सा है ?
(1) व्याख्याि परीक्षर् (2) निदािात्मक परीक्षर्
(3) पा्य-पुस्तक परीक्षर् (4) स्व-परीक्षर्
ANS : 2
Q.118. तत्सम और तर्दभव का कौि-सा यग्ु म सही है ?
(1) कहाणट - कड़ाह (2) कवपत्र् – कैर्ा (3) कुक्षक्ष - कोि (4) अष्ठ - आठ
ANS : 3
Q.119. 'चााँदिी चौक' में कौि-सी संज्ञा है ?
(1) रव्यवाचक (2) भाववाचक (3) व्यजक्तवाचक (4) जानतवाचक
ANS : 3
Q.120. 'उर्दववग्ि' का सजन्ध-ववच्छे द क्या है ?
(1) उद + हदन्ि (2) उत + ववन्ि (3) उत ् + ववग्ि (4) उत + हदग्ि
ANS : 3
Q.121. मौि पठि के ववषय में धारर्ा है
(1) इसमें पठि की गनत धीमी हो जाती है
(2) एकािग्रचत्त होकर पढ़िे का अभ्यास होता है

(3) पढ़िे की धीमी ध्वनि होंठों से निकिती है


(4) इसे आदशण वाचि के तरु न्त बाद ककया जाता है
ANS : 2
Q.122. 'आधे-अधरू े ' िाटक के रचिाकार हैं
(1) अमत
ृ िाि िागर (2) मन्िू भण्ठडारी (3) मोहि राकेश (4) निमणि वमाण
ANS : 3
Q.123. 'यर्ाशजक्त' में कौि-सा समास है ?
(1) कमणधारय (2) तत्पुरुष (3) र्दवन्र्दव (4) अव्ययीभाव
ANS : 4
Q.124. 'अज ्' शब्द को स्त्रीवाचक बिािे के लिए ककस प्रत्यय का प्रयोग होगा?
(1) ईय (2) इक (3) आ (4) ई
ANS : 3
Q.125. 'बुढ़ापा' शब्द में कौि-सी संज्ञा है ?
(1) जानतवाचक संज्ञा (2) भाववाचक संज्ञा
(3) व्यजक्तवाचक संज्ञा (4) इिमें से कोई िहीं
ANS : 2
Q.126. हहन्दी साहहत्य के इनतहास के सम्बन्ध में 'मॉडिण वरिाक्यि
ू र लिटरे चर ऑफ
हहन्दोस्ताि' ककसिे लििा है ?

(1) गासाण द तासी (2) जॉजण अब्राहम ग्रियसणि


(3) सनु िनत कुमार चटजी (4) धीरे न्र वमाण
ANS : 2
Q.127. 'बबिा पढ़ा हुआ अंश' वाक्यांश के लिए शब्द होगा
(1) अपहठत (2) अपभ्रंश (3) मौलिक (4) अपठिीय
ANS : 1
Q.128. 'पराधीि सपिेहुाँ सि
ु िाहीं' ककस रचिाकार की पंजक्त है ?
(1) कबीरदास (2) रै दास (3) सरू दास (4) ति
ु सीदास
ANS : 4
Q.129. शर्दु ध वाक्य है
(1) राम िे एक र्ैिा और दो पुस्तकें िरीदी (2) राम िे एक र्ैिा और दो पुस्तकें िरीदीं
(3) राम िे एक र्ैिा और दो पस्
ु तकें िरीदा (4) राम िे एक र्ैिा और दो पस्
ु तक िरीदे
ANS : 2
Q.130. 'हहन्दी भाषा और साहहत्य' िामक िन्र् के िेिक हैं
(1) भगवत शरर् उपाध्याय (2) आचायण रामचन्र शक्
ु ि
(3) डॉ. श्यामसन्
ु दर दास (4) डॉ. हरदे व बाहरी
ANS : 3
Q.131. 'ववरासत' शब्द का अर्ण है
(1) प्रकृनत से प्राप्त (2) पुरिों से प्राप्त

(3) लमत्रों से प्राप्त (4) मल्


ू य दे कर िरीदा हुआ
ANS : 2
Q.132. वपता िे समझाया कक सदा सत्य बोििा चाहहए। यह वाक्य उदाहरर् है
(1) सरि वाक्य का (2) इच्छावाचक वाक्य का
(3) लमश्र वाक्य का (4) आज्ञावाचक वाक्य का
ANS : 3
Q.133. ‘कािि’ का पयाणयवाची शब्द है
(1) पुष्प (2) ववहहप (3) वि (4) इिमें से कोई िहीं
ANS : 3
Q.134. 'धत
ू ों अर्ाणत ् जीवों र्दवारा होिे वािा (दि
ु )' वाक्य के लिए एक शब्द है
(1) आग्रधदै ववक (2) आग्रधभौनतक (3) आग्रधदै हहक (4) आत्मर्ाती
ANS : 3
Q.135. हहन्दी साहहत्य के इनतहास के सम्बन्ध में 'मॉडिण विाणक्यि
ू र लिटरे चर ऑफ
हहन्दोस्ताि' ककसिे लििा है ?
(1) जॉजण अब्राहम ग्रियसणि (2) सलु मत कुमार चटजी

(3) गासाण द तासी (4) धीरे न्र वमाण


ANS : 1
Q.136. 'सौ अजाि एक सज
ु ाि' के रचिाकार का िाम है
(1) बदरीिारायर् चौधरी (2) बािकृष्र् भट्ट

(3) बािमक
ु ु न्द गुप्त (4) सरदार पूर्ण लसंह
ANS : 2
Q.137. निम्िलिखित यग्ु मों में से कौि-सा गित है ?
(1) रास्ता िापिा - आकिि करिा
(2) रग-रग जाििा - अच्छी तरह से पररग्रचत होिा

(3) िोहा िेिा - सामिा करिा


(4) शैताि के काि काटिा - बहुत चतरु होिा
ANS : 1
Q.138. ककस समास में कोई पद प्रधाि िहीं होता?
(1) अव्ययीभाव (2) बहुव्रीहह (3) र्दववगु (4) तत्पुरुष
ANS : 2
Q.139. 'गााँठ का पूरा'- महु ावरे का क्या अर्ण है ?
(1) दक
ु ािदार (2) िापरवाह (3) ईमािदार (4) मािदार
ANS : 4
Q.140. वाक्यांश के लिए एक शब्द से सम्बजन्धत कौि-सा जोड़ा गित
(1) जो मिष्ु यता से दरू हो - अमािवु षक
(2) जो कम िचण करिे वािा हो - अपव्ययी
(3) जजसका इिाज कहठि हो - दःु साध्य

(4) जो इनतहास लििे जािे के यग


ु से पव
ू ण का हो - प्रागैनतहालसक
ANS : 2

Q.141. 'जजसका जन्म पहिे हुआ हो', इसके लिए एक शब्द, जो उपयक्
ु त हो, लिखिए।

(1) अिज
ु (2) र्दववज (3) अिज (4) सवणज्ञ
ANS : 3
Q.142. निम्िलिखित में से कौि-सा शब्द 'कमि' का पयाणयवाची शब्द िहीं है ?
(1) सरोज (2) अरववन्द (3) सलिि (4) पंकज
ANS : 3
Q.143. 'र्ड़ु सवार' शब्द निम्ि में से क्या है ?
(1) रुढ़ शब्द (2) योगरूढ़ शब्द (3) यौग्रगक शब्द (4) निरर्णक शब्द
ANS : 3
Q.144. 'यर्ाशीघ्र' शब्द का समास बताइए -
(1) अव्ययीभाव (2) र्दवन्र्दव (3) कमणधारय (4) तत्परु
ु ष
ANS : 1
Q.145. 'र्दवववेदी यग
ु ' िामकरर् ककया गया है
(1) आचायण हजारी प्रसाद र्दवववेदी के िाम पर (2) शाजन्तवप्रय र्दवववेदी के िाम पर
(3) महावीर प्रसाद र्दवववेदी के िाम पर (4) सोहििाि र्दवववेदी के िाम पर
ANS : 3
Q.146. 'गोदाि' उपन्यास की कर्ावस्तु की कसावट में कमी आई है
(1) बहुत कम चररत्रों को शालमि करिे से

(2) शहरी और िामीर् पष्ृ ठभलू म के दो ववस्तत


ृ और िगभग ववरोधी वातावरर्ों को समेट िेिे से
(3) दाशणनिक श्रेर्ी के चररत्रों र्दवारा िम्बे भाषर् तर्ा अल्पज्ञ चररत्रों र्दवारा उपदे श हदिािे से
(4) साधारर् स्तर की जस्त्रयों के सार् उत्कृष्ट कोहट की जस्त्रयों को एक ही मंच पर िे आिे से
ANS : 2
Q.147. “मोक्ष की इच्छा करिे वािा” वाक्यांश के लिए सही शब्द है
(1) मम
ु क्ष
ु ा (2) मुमष
ू ुण (3) मम
ु क्ष
ु ु (4) मुमष
ुण ा
ANS : 3
Q.148. 'आवारा मसीहा' जीविी में ककसका जीवि-चररत्र है ?
(1) बंककमचन्र चटजी (2) शरतचन्र चट्टोपाध्याय (3) भगतलसंह (4) जैिेन्र
ANS : 2
Q.149. 'मिोहर जीविभर पूरा सि
ु भोगता रहा' इसमें कौि-सा ववशेषर् है ?
(1) संख्यावाचक ववशेषर् (2) सावणिालमक ववशेषर्

(3) गुर्वाचक ववशेषर् (4) पररमार्वाचक ववशेषर्


ANS : 4
Q.150. सम
ु ेलित कीजजए
सच
ू ीI सच
ू ी II
A. सत्यार्ण प्रकाश 1. िाभादास

B. रामचररतमािस 2. सरू दास


C. सरू सागर 3. दयािन्द सरस्वती

D. भक्तमाि 4. तुिसीदास
कूट
ABCD ABCD
(1) 2 3 4 1 (2) 4 3 2 1
(3) 3 4 2 1 (4) 1 2 3 4
ANS : 3
(1) तत + ग्रधत (2) तद + हहत ् (3) तत ् + हहत (4) तर्द + ग्रधत
ANS : 3
Q.1. अयोगवाह कहा जाता है
(1) ववसगण को (2) महाप्रार् को (3) संयक्
ु त व्यंजि को (4) अल्पप्रार् को
ANS : 1
Q.2. 'तर्ैव' शब्द का सजन्ध-ववच्छे द है ।
(1) तर् + एव (2) तर्े + एव (3) तर्ा + ऐव (4) तर्ा + एव
ANS : 4
Q.3. मख्
ु य किया के अर्ण को स्पष्ट करिे वािी किया होती है
(1) सहायक किया (2) प्रेरर्ार्णक किया (3) िामबोधक (4) िामधातु
ANS : 1
Q.4. 'अन्धा-कुआाँ' िाटक के िेिक हैं
(1) मोहि राकेश (2) ववष्र्ु प्रभाकर

(3) जगदीशचन्र मार्रु (4) िक्ष्मीिारायर् िाि


ANS : 4
Q.5. डॉ. िगेन्र िे ककस यग
ु को 'स्र्ि
ू के प्रनत सक्ष्
ू म का ववरोह' कहा है ?
(1) भारतेन्द ु यग
ु (2) भजक्तकाि (3) रीनतकाि (4) छायावाद
ANS : 4
Q.6. वे शब्द जो धातु या शब्द के अन्त में जोड़े जाते हैं, उन्हें क्या कहते हैं?
(1) समास (2) अव्यय (3) उपसगण (4) प्रत्यय
ANS : 4
Q.7. 'चौराहा' शब्द में कौि-सा समास है ?
(1) र्दववगु (2) र्दवन्र्दव (3) तत्पुरुष (4) बहुव्रीहह
ANS : 1
Q.8. 'रामचररतमािस' में काण्ठड का सही िम है
(1) सन्
ु दरकाण्ठड, अयोध्याकाण्ठड, बािकाण्ठड, िंकाकाण्ठड
(2) बािकाण्ठड, अयोध्याकाण्ठड, सन्
ु दरकाण्ठड, िंकाकाण्ठड
(3) अयोध्याकाण्ठड, बािकाण्ठड, सन्
ु दरकाण्ठड, िंकाकाण्ठड
(4) िंकाकाण्ठड, अयोध्याकाण्ठड, बािकाण्ठड, सन्
ु दरकाण्ठड
ANS : 2
Q.9. 'अत्याचार' शब्द में उपसगण है
(1) आ (2) अत ् (3) अनत (4) अत्या
ANS : 3
Q.10. 'चौमासा' में समास है
(1) र्दववगु (2) र्दवन्र्दव (3) कमणधारय (4) तत्पुरुष
ANS : 1
Q.11. 'आचरर् की सभ्यता' के निबन्धकार कौि हैं?
(1) भारतेन्द ु हररश्चन्र (2) सरदार पूर्लण संह
(3) महावीर प्रसाद र्दवववेदी (4) बािकृष्र् भट्ट
ANS : 2
Q.12. 'मेरा र्र इसी शहर में है ' में कौि-सा ववशेषर् है ?
(1) गर्
ु वाचक ववशेषर् (2) सावणिालमक ववशेषर्

(3) संख्यावाचक ववशेषर् (4) पररमार्बोधक ववशेषर्


ANS : 2
Q.13. रसों को उहदत और उर्ददीप्त करिे वािी सामिी क्या कहिाती है ?
(1) ववभाव (2) अिभ
ु ाव (3) स्र्ायीभाव (4) संचारीभाव
ANS : 1
Q.14. 'धूसर' शब्द का पयाणय है ।
(1) अश्व (2) मेर् (3) गदण भ (4) अजा
ANS : 3
Q.15. ‘से’ ववभजक्त निम्ि में से ककस कारक के लिए प्रयक्
ु त होता है ?
(1) कताण (2) कमण (3) सम्प्रदाि (4) करर्
ANS : 4
Q.16. 'गुड़ड़या भीतर गुड़ड़या' के रचिाकार कौि हैं?
(1) कृष्र्ा सोबती (2) मैत्रेयी पुष्पा (3) प्रभा िेताि (4) उषा वप्रयंवदा
ANS : 2
Q.17. 'अन्दर-अन्दर कड़ाही में गुड़ पकिा' का अर्ण है ।
(1) गुप्त मन्त्रर्ा होिा (2) अपिे में सीलमत होिा
(3) ज्ञाि होिा (4) काम ि आिा
ANS : 1
Q.18. 'ऊष्म वर्ण' है
(1) श, ष, स (2) च, छ, ज (3) य, र, ि, व (4) ट, ठ, ड
ANS : 1
Q.19. 'आये र्े हरर भजि को ओटि िगे कपास' - महु ावरे का अर्ण क्या है ?
(1) उर्ददे श्य की प्राजप्त में असफि होिा
(2) ईश्वर भजक्त को छोड़कर व्यापार में िग जािा

(3) हरर भजक्त का मागण कहठि होिा


(4) ककसी कायण ववशेष की उपेक्षा कर दस
ू रे कायण को करिा।
ANS : 4
Q.20. 'पत्र
ु ी' का पयाणयवाची शब्द िहीं है –
(1) तिय (2) सत
ु ा (3) आत्मजा (4) दहु हता
ANS : 1
Q.21. निम्िलिखित शब्द का सजन्ध-ववच्छे द क्या होगा?
भािद
ू य
(1) भािु + उदय (2) भािू + उदय (3) भािू + ऊदय (4) भािु + ऊदय
ANS : 1
Q.22. 'जगन्िार्' ककस सजन्ध का उदाहरर् है ?
(1) व्यंजि सजन्ध (2) ववसगण सजन्ध (3) दीर्ण स्वर सजन्ध (4) यर् स्वर सजन्ध
ANS : 1
Q.23. 'महादे व' का पयाणयवाची शब्द चनु िए
(1) गरुड़ध्वज (2) िारायर् (3) चन्रशेिर (4) ववश्वम्भर
ANS : 3
Q.24. कौि-सा उपन्यास बािकृष्र् भट्ट का है ?
(1) सौ अजाि और एक सज
ु ाि (2) धत
ू ण रलसकिाि
(3) निस्सहाय हहन्द ू (4) श्यामास्वप्ि
ANS : 1
Q.25. िोकमंगि की भाविा के सवणश्रेष्ठ कवव इिमें से कौि-से हैं?
(1) मलिक मोहम्मद जायसी (2) गोस्वामी ति
ु सीदास
(3) सजच्चदािन्द हीरािन्द वात्स्यायि 'अज्ञेय' (4) मजु क्तबोध
ANS : 2
Q.26. .…... व्यजक्त को ककंकतणव्यववमढ़ू बिा दे ती है ।
(1) दवु वधा (2) सवु वधा (3) ववववधा (4) अववधा
ANS : 1
Q.27. 'अलमय हिाहि मदभरे , सेत, स्याम रतिार जजयत मरत, झकु क-झकु क परत जेहह
ग्रचतवत एक बार।' ककस कवव र्दवारा लििी काव्य पंजक्तयााँ हैं?
(1) दे व (2) बबहारी (3) रसिीि (4) मनतराम
ANS : 3
Q.28. 'अयोगवाह' कहा जाता है
(1) अल्पप्रार् को (2) संयक्
ु त व्यंजि को (3) महाप्रार् को (4) ववसगण को
ANS : 4
Q.29. निम्िलिखित में से कौि-सा शब्द एकवचि तर्ा बहुवचि दोिों में प्रयोग हो सकता है ?
(1) मनु ि (2) बेटा (3) िड़का (4) बालिका
ANS : 1
Q.30. निम्िलिखित में से कौि-सा ववकल्प वविोम की दृजष्ट से सही िहीं है ?
(1) सब
ु ुर्दग्रध - असब
ु ुर्दग्रध (2) कीनतण - अपकीनतण
(3) उत्कषण – अपकषण (4) आरोह - अवरोह
ANS : 1
Q.31. 'लमट्टी का माधो' होिे का अर्ण है
(1) समझदार होिा (2) बहुत ही मि
ू ण (3) कृष्र् की मनू तण (4) लमट्टी की मनू तण
ANS : 2
Q.32. ‘तदीय समाज' की स्र्ापिा ककसिे की र्ी?
(1) दयािन्द सरस्वती (2) राजा राममोहि राय

(3) भारतेन्द ु हररश्चन्र (4) केशवचन्र सेि


ANS : 3
Q.33. वतणिी की दृजष्ट से निम्िलिखित में शर्दु ध शब्द है
(1) रग्रचयता (2) रचनयता (3) रचईता (4) रग्रचनयता
ANS : 2
Q.34. 'िर्लू मण' में कौि-सी सजन्ध है ?
(1) अयाहद स्वर सजन्ध (2) दीर्ण स्वर सजन्ध

(3) वर्द
ृ ग्रध स्वर सजन्ध (4) यर् ् स्वर सजन्ध
ANS : 2
Q.35. 'उपकूि' में कौि-सा समास है ?
(1) र्दवन्र्दव (2) र्दववगु (3) अव्ययीभाव (4) तत्पुरुष
ANS : 3
Q.36. निम्िलिखित में कौि-सा वाक्य शर्दु ध है ?
(1) उसिे मझ
ु े पास आिे के लिए कहा (2) उसिे मझ
ु से पास आिे को कहा
(3) उसिे मझ
ु े पास आिे को कहा (4) उसिे मेरे को पास आिे के लिए कहा
ANS : 3
Q.37. वे कर्ि जो आपसी व्यवहार में सामान्य रूप से प्रयक्
ु त होते हैं, उन्हें कहते हैं
(1) अिौपचाररक कर्ि (2) औपचाररक कर्ि

(3) प्रासंग्रगक कर्ि (4) तकणसंगत कर्ि


ANS : 1
Q.38. 'तरनि तिज
ू ा तट तमाि तरुवर बहु छाए' में कौि-सा अिंकार है ?
(1) अिप्र
ु ास (2) यमक (3) उत्प्रेक्षा (4) उपमा
ANS : 1
Q.39. 'महोत्सव' का सही सजन्ध-ववच्छे द क्या है ?
(1) महा + उत्सव (2) महो + उत्सव (3) महोत ् + सव (4) महे + उत्सव
ANS : 1
Q.40. भाषा लसिािे का सही िम है
(1) बोििा, श्रवर् करिा, पढ़िा, लिििा (2) श्रवर् करिा, बोििा, पढ़िा, लिििा

(3) बोििा, पढ़िा, श्रवर् करिा, लिििा (4) श्रवर् करिा, पढ़िा, बोििा, लिििा
ANS : 2
Q.41. 'तर्दभव' पबत्रका कहााँ से प्रकालशत होती है ?
(1) बिारस (2) हदल्िी (3) िििऊ (4) जबिपुर
ANS : 3
Q.42. “राम िे सरु े श के सार् लमत्रता का निवाणह ककया” इसमें भाववाचक संज्ञा है
(1) राम (2) सरु े श (3) निवाणह (4) लमत्रता
ANS : 4
Q.43. बबिु पग चिै सुिै बबिु कािा, कर बबिु कमण करै ववग्रध िािा।
उपरोक्त पंजक्तयों में प्रयक्
ु त अिंकार है
(1) ववभाविा (2) ववशेषोजक्त (3) असंगनत (4) दृष्टान्त
ANS : 1
Q.44. अयोगवाह कहा जाता है
(1) महाप्रार् को (2) अिस्
ु वार एवं ववसगण को
(3) संयक्
ु त व्यंजि को (4) अल्पप्रार् को
ANS : 2
Q.45. निम्िलिखित में अलभवत्ृ यात्मक उर्ददे श्य है
(1) स्वािभ
ु त
ू ववचारों व भावों को अलभव्यक्त करिा (2) साहहत्य का रसास्वादि करिा
(3) धैयप
ण ूवक
ण सि
ु िा (4) भाषा और साहहत्य में रुग्रच
ANS : 1
Q.46. 'उड्डयि' के सजन्ध-ववच्छे द का सही ववकल्प कौि-सा है ?
(1) उड + डयि (2) उच्च + डयि (3) उत ् + डयि (4) उड + डयि
ANS : 3
Q.47. जब छात्र लशक्षक की भाषा का अिक
ु रर् करे , तो उसे कहते है
(1) अिक
ु रर् का लसर्दधान्त (2) कियाशीिता का लसर्दधान्त
(3) प्रयत्ि का लसर्दधान्त (4) अभ्यास का लसर्दधान्त
ANS : 1
Q.48. 'गुप्त' का वविोम क्या है ?
(1) भक्
ु त (2) प्रकट (3) मक्
ु त (4) लिप्त
ANS : 2
Q.49. वाक्य और उसके भेद से सम्बजन्धत कौि-सा जोड़ा गित है ?
(1) जो प्रर्म आएगा वह पुरस्कार पाएगा - लमश्र वाक्य
(2) िेता िे भाषर् हदया और चिा गया - संयक्
ु त वाक्य
(3) बच्चे िाश्ता करके ववर्दयािय गए - सरि वाक्य

(4) िक्ष्मी गई और सोकफया आ गई - सरि वाक्य


ANS : 4
Q.50. 'सजावट' शब्द का प्रत्यय बताइए।
(1) आव (2) आवट (3) आहट (4) टा
ANS : 2
Q.51. निम्िलिखित शब्दों के हदए गए ववकल्पों में तत्सम शब्द का चयि कीजजए –
(1) किश (2) किस (3) कल्स (4) कल्श
ANS : 1
Q.52. िोगों िे शोरगि
ु करके डाकुओं को भगाया।
उपरोक्त वाक्य में कारक बताइए

(1) कताण कारक (2) करर् कारक (3) सम्प्रदाि कारक (4) कमण कारक
ANS : 4
Q.53. 'अलभशाप' शब्द में उपसगण चनु िए -
(1) अनत (2) अग्रध (3) आ (4) अलभ
ANS : 4
Q.54. एक-दस
ू रे से लभन्ि-लभन्ि, िए-िए ववचारों एवं रचिा शैलियों के जो सात कवव
प्रयोगवाद के कवव के रूप में प्रलसर्दध हुए, उिकी कववताओं के संिह का सही िाम र्ा
(1) पहिा तार सप्तक (2) प्रर्म तार सप्तक (3) तार शप्तक (4) तार सप्तक
ANS : 4
Q.55. आदशण हहन्दी लशक्षक के लिए आवश्यक है
(1) व्याकरर् का ज्ञाि होिा (2) हहन्दी साहहत्य का ज्ञाि होिा
(3) शर्द
ु ध उच्चारर् करािा (4) उपरोक्त सभी
ANS : 4
Q.56. हहन्दी शब्दकोष में पहिे आिे वािा शब्द है
(1) वक्त (2) वरक (3) वि (4) वगण
ANS : 1
Q.57. 'िेिक' शब्द के अन्त में कौि-सा प्रत्यय िगा हुआ है ?
(1) क (2) इक (3) आक (4) अक
ANS : 4
Q.58. निम्िलिखित ध्वनियों की निहदण ष्ट ववशेषताओं में कौि-सा अशर्दु ध है ?
(1) च-तािव्य, महाप्रार् (2) म-ओष््य, सर्ोष
(3) त-अल्पप्रार्, दन्त्य (4) ि-महाप्रार्, कण्ठ्य
ANS : 1
Q.59. निम्िलिखित शब्दों में ककसमें उपसगण का निदे श अशर्दु ध है ?
(1) निम ् + अजज्जत = निमजज्जत (2) उत ् + िीव = उर्दिीव
(3) अध + सेरा = अधसेरा (4) नि + िरा = नििरा
ANS : 1
Q.60. सम
ु ेलित कीजजए सच
ू ी
सच
ू ीI सच
ू ी II
A. तिवार 1. वक्ष

B. टे ढ़ा 2. प्रवीर्
C. तरु 3. वि

D. पटु 4. कृपार्
कूट
ABCD ABCD
(1) 4 3 1 2 (2) 3 4 2 1
(3) 2 1 3 4 (4) 1 2 3 4
ANS : 1
Q.61. 'तोड़िे ही होंगे मठ और गढ़ सब’-ककसकी पंजक्त है ?
(1) निरािा (2) िागाजि
ुण (3) रर्व
ु ीर सहाय (4) मजु क्तबोध
ANS : 4
Q.62. 'मधलु िका' जयशंकर प्रसाद की ककस कहािी की पात्र है ?
(1) आकाशदीप (2) इन्रजाि (3) गुण्ठडा (4) पुरस्कार
ANS : 4
Q.63. 'कपरू ' शब्द है
(1) तत्सम (2) तर्दभव (3) दे शज (4) ववदे शज
ANS : 2
Q.64. 'ककसी बात का गढ़
ू रहस्य जाििे वािा' वाक्य के लिए एक शब्द क्या होगा?
(1) ममणज्ञ (2) सवु वज्ञ (3) ववर्दवाि ् (4) निगढ़

ANS : 1
Q.65. 'त्याग-पत्र' उपन्यास के उपन्यासकार कौि हैं?
(1) यशपाि (2) जैिेन्र (3) अज्ञेय (4) उपेन्रिार् अश्क
ANS : 2
Q.66. वगों के उस समहू को, जजससे कोई निजश्चत अर्ण निकिता हो, कहा जाता है
(1) शब्द (2) वर्ण (3) वर्ण - समह
ू (4) वक्तव्य
ANS : 1
Q.67. प्रार्लमक स्तर पर कववता-लशक्षर् उपयोगी िहीं होगा
(1) जजसे छात्र सरिता से समझ सकें

(2) जो कववताएाँ छात्रों की सज


ृ िशीिता को बढ़ािे वािी हों
(3) जो कववताएाँ अन्तराणष्रीय वादों से सम्बजन्धत हों

(4) जजिमें िीनत, हास्य, वीरता, दे शभजक्त जैसी भाविाएाँ निहहत हों
ANS : 3
Q.68. उपन्यास एंव वववेच्य ववषयवस्तु की दृजष्ट से असंगत यग्ु म है
(1) वरदाि - रजवाड़ों की दालसयों की समस्याओं पर।
(2) सेवासदि - गखर्का समस्या एवं वववाह से सम्बजन्धत समस्या पर।

(3) प्रेमाश्रम - कृषक जीवि की समस्याओं पर।


(4) कायाकल्प - साम्प्रदानयक समस्या योगाभ्यास व पुिजणन्मवाद पर।
ANS : 1
Q.69. 'कटहरा' शब्द का तत्सम रूप क्या है ?
(1) कटहि (2) कड़वा (3) काष्ठगहृ (4) कंटफि
ANS : 3
Q.70. 'मोर' का तत्सम शब्द होगा
(1) मऊर (2) मयरू (3) मोयरू (4) मउर
ANS : 2
Q.71. निम्ि में से कौि-सा पा्य-पस्
ु तक का गर्
ु िहीं है ?
(1) सोर्ददे श्यता (2) उपयक्
ु तता (3) अशर्द
ु धता (4) िमबर्दधता
ANS : 3
Q.72. निम्िलिखित में से कौि-सा लमश्र वाक्य है ?
(1) उसमें ि पत्ते र्े, ि फूि र्े।
(2) वह उड़ती हुई ग्रचड़ड़या पहचािता है ।

(3) यज्ञदत्त दे वदत्त को व्याकरर् पढ़ाता है ।


(4) मैंिे सि
ु ा है कक आपके दे श में अच्छा राजप्रबन्ध है ।
ANS : 4
Q.73. निम्िलिखित में से कौि गुर्वाचक ववशेषर् िहीं है ?
(1) गोि (2) अग्रधक (3) िक
ु ीिा (4) भीतरी
ANS : 2
Q.74. 'सावधाि मिुष्य ! यहद ववज्ञाि है तिवार, तो इसे दे फेंक, तजकर मोह, स्मनृ त के पार',
पंजक्तयों के रचनयता हैं ।

(1) िागाजि
ुण (2) हदिकर (3) अज्ञेय (4) निरािा
ANS : 2
Q.75. 'अधरों में राग अमन्द वपए, अिकों में मियज बन्द ककए, तू अब तक सोई है आिी।
आाँिों में भरे ववहाग री।' पंजक्त में कौि-सा रस है ?
(1) करुर् हिा (2) शान्त (3) श्रग
ं ृ ार (4) वात्सल्य
ANS : 3
Q.76. मैग्रर्िीशरर् गुप्त िे िहीं लििा है
(1) साकेत (2) कामायिी (3) जयरर् वध (4) यशोधरा
ANS : 2
Q.77. निम्ि में से ककस पबत्रका का सम्बन्ध इिाहाबाद से है ?
(1) ब्राह्मर् (2) हहन्दी प्रदीप (3) समन्वय (4) माधरु ी
ANS : 2

SACHIN ACADEMY
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CP STUDY POINT
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