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आज फन्दी छूटकय घय आ यह है। करुण ने एक ददन ऩहरे ही घय रीऩ-ऩोत यख थ । इन तीन वषों भें उसने कदिन तऩस्म
कयके जो दस-ऩ ॉच रूऩमे जभ कय यखे थे, वह सफ ऩतत के सत्क य औय स्व गत की तैम रयमों भें खचच कय ददमे। ऩतत के लरए
धोततमों क नम जोड र मी थी, नमे कुयते फनव मे थे, फच्चे के लरए नमे कोट औय टोऩी की आमोजन की थी। फ य-फ य फच्चे को
गरे रग ती ओय प्रसन्न होती। अगय इस फच्चे ने सूमच की ब ॉतत उदम होकय उसके अॊधेये जीवन को प्रदीप्त न कय ददम होत , तो
कद चचत ् िोकयों ने उसके जीवन क अॊत कय ददम होत । ऩतत के क य व स-दण्ड के तीन ही भहीने फ द इस फ रक क जन्भ
हुआ। उसी क भॉह
ु दे ख-दे खकय करूण ने मह तीन स र क ट ददमे थे। वह सोचती- जफ भैं फ रक को उनके स भने रे ज ऊॉगी, तो
वह ककतने प्रसन्न होंगे! उसे दे खकय ऩहरे तो चककत हो ज मेंगे , कपय गोद भें उि रें गे औय कहें गे- करूण , तुभने मह यत्न दे कय
भुझे तनह र कय ददम । कैद के स ये कष्ट फ रक की तोतरी फ तों भें बूर ज मेंगे, उनकी एक सयर, ऩववत्र, भोहक दृष्ष्ट दृदम की
स यी व्मथ ओॊ को धो ड रेगी। इस कल्ऩन क आनॊद रेकय वह पूरी न सभ ती थी।
वह सोच यही थी- आददत्म के स थ फहुत-से आदभी होंगे। ष्जस सभम वह द्व य ऩय ऩहुॉचेगे, जम-जमक य' की ध्वतन से आक श
गॉज
ू उिे ग । वह ककतन स्वगीम दृश्म होग ! उन आदलभमों के फैिने के लरए करूण ने एक पट -स ट ट बफछ ददम थ , कुछ ऩ न
फन ददमे थे ओय फ य-फ य आश भम नेत्रों से द्व य की ओय त कती थी। ऩतत की वह सुदृढ़ उद य तेजऩूणच भुद्र फ य-फ य आॉखों भें
कपय ज ती थी। उनकी वे फ तें फ य-फ य म द आती थीॊ, जो चरते सभम उनके भुख से तनकरती थी, उनक वह धैमच, वह आत्भफर,
जो ऩुलरस के प्रह यों के स भने बी अटर यह थ , वह भुस्कय हट जो उस सभम बी उनके अधयों ऩय खेर यही थी; वह आत्भलबभ न,
जो उस सभम बी उनके भख
ु से टऩक यह थ , क्म करूण के रृदम से कबी ववस्भत
ृ हो सकत थ ! उसक स्भयण आते ही
करुण के तनस्तेज भुख ऩय आत्भगौयव की र लरभ छ गमी। मही वह अवरम्फ थ , ष्जसने इन तीन वषों की घोय म तन ओॊ भें
बी उसके रृदम को आश्व सन ददम थ । ककतनी ही य ते प कों से गुजयीॊ, फहुध घय भें दीऩक जरने की नौफत बी न आती थी, ऩय
दीनत के आॉसू कबी उसकी आॉखों से न चगये । आज उन स यी ववऩष्त्तमों क अॊत हो ज एग । ऩतत के प्रग ढ़ आलरॊगन भें वह सफ
कुछ हॉसकय झेर रेगी। वह अनॊत तनचध ऩ कय कपय उसे कोई अलबर ष न यहे गी।
गगन-ऩथ क चचयग भी रऩक हुआ ववश्र भ की ओय चर ज त थ , जह ॉ सॊध्म ने सुनहय पशच सज म थ औय उज्जवर ऩुष्ऩों
की सेज बफछ यखी थी। उसी सभम करूण को एक आदभी र िी टे कत आत ददख ई ददम , भ नो ककसी जीणच भनुष्म की वेदन -
ध्वतन हो। ऩग-ऩग ऩय रूककय ख ॉसने रगत थी। उसक लसय झुक हुआ थ , कयण उसक चेहय न दे ख सकती थी, रेककन च र-
ढ र से कोई फूढ़ आदभी भ रभ
ू होत थ ; ऩय एक ऺण भें जफ वह सभीऩ आ गम , तो करूण ऩहच न गमी। वह उसक प्म य
ऩतत ही थ , ककन्तु शोक! उसकी सयू त ककतनी फदर गमी थी। वह जव नी, वह तेज, वह चऩरत , वह सग
ु िन, सफ प्रस्थ न कय चक
ु
थ । केवर हडडडमों क एक ढ ॉच यह गम थ । न कोई सॊगी, न स थी, न म य, न दोस्त। करूण उसे ऩहच नते ही फ हय तनकर
आमी, ऩय आलरॊगन की क भन रृदम भें दफकय यह गमी। स ये भनसूफे धर
ू भें लभर गमे। स य भनोल्र स आॉसुओॊ के प्रव ह भें
फह गम ,ववरीन हो गम ।
आखखय उसने क तय स्वय भें कह - मह तुम्ह यी क्म दश है ? बफल्कुर ऩहच ने नहीॊ ज ते!
करूण - छी! सूखकय क ॉट हो गमे। क्म वह ॉ बयऩे ट बोजन नहीॊ लभरत ? तुभ कहते थे, य जनैततक आदलभमों के स थ फड अच्छ
व्मवह य ककम ज त है औय वह तुम्ह ये स थी क्म हो गमे जो तुम्हें आिों ऩहय घे ये यहते थे औय तुम्ह ये ऩसीने की जगह खून
फह ने को तैम य यहते थे?
आददत्म- मह न ऩूछो करूण , फडी करूण कथ है। फस, मही गनीभत सभझो कक जीत रौट आम । तुम्ह ये दशचन फदे थे, नहीॊ कष्ट
तो ऐसे-ऐसे उि ए कक अफ तक भुझे प्रस्थ न कय ज न च दहए थ । भैं जय रेटूॉग । खड नहीॊ यह ज त । ददन-बय भें इतनी दयू
आम हूॉ।
करूण - चरकय कुछ ख रो, तो आय भ से रेटो। (फ रक को गोद भें उि कय) फ फूजी हैं फेट , तुम्ह ये फ फूजी। इनकी गोद भें ज ओ,
तुम्हें प्म य कयें गे।
आददत्म ने आॉस-ू बयी आॉखों से फ रक को दे ख औय उनक एक-एक योभ उनक ततयस्क य कयने रग । अऩनी जीणच दश ऩय उन्हें
कबी इतन द:ु ख न हुआ थ । ईश्वय की असीभ दम से मदद उनकी दश सॊबर ज ती, तो वह कपय कबी य ष्रीम आन्दोरन के
सभीऩ न ज ते। इस पूर-से फच्चे को मों सॊस य भें र कय दरयद्रत की आग भें झोंकने क उन्हें क्म अचधक य थ ? वह अफ रक्ष्भी
की उऩ सन कयें गे औय अऩन ऺुद्र जीवन फच्चे के र रन-ऩ रन के लरए अवऩतच कय दें गे। उन्हें इस सभम ऐस ऻ त हुआ कक
फ रक उन्हें उऩेऺ की दृष्ष्ट से दे ख यह है , भ नो कह यह है - 'भेये स थ आऩने कौन-स कतचव्म-ऩ रन ककम ?' उनकी स यी क भन ,
स य प्म य फ रक को रृदम से रग दे ने के लरए अधीय हो उि , ऩय ह थ पैर न सके। ह थों भें शष्क्त ही न थी।
करूण फ रक को लरमे हुए उिी औय थ री भें कुछ बोजन तनक रकय र मी। आददत्म ने ऺुध ऩूण,च नेत्रों से थ री की ओय दे ख ,
भ नो आज फहुत ददनों के फ द कोई ख ने की चीज स भने आमी है। ज नत थ कक कई ददनों के उऩव स के फ द औय आयोग्म की
इस गमी-गज
ु यी दश भें उसे जफ न को क फू भें यखन च दहए ऩय सब्र न कय सक , थ री ऩय टूट ऩड औय दे खते-दे खते थ री
स प कय दी। करूण सशॊक हो गमी। उसने दोफ य ककसी चीज के लरए न ऩूछ । थ री उि कय चरी गमी, ऩय उसक ददर कह
यह थ - इतन तो कबी न ख ते थे।
करूण फच्चे को कुछ खखर यही थी, कक एक एक क नों भें आव ज आमी- करूण !
आददत्म ने ह थ के इश ये से उसे भन कयके कह - व्मथच है करूण ! अफ तुभसे तछऩ न व्मथच है , भुझे तऩेददक हो गम है। कई फ य
भयते-भयते फच गम हूॉ। तुभ रोगों के दशचन फदे थे,इसलरए प्र ण न तनकरते थे। दे खो वप्रमे, योओ भत।
आददत्म ने कपय लसय दहर म - नहीॊ करूण , केवर भेये ऩ स फैिी यहो। अफ ककसी से कोई आश नहीॊ है। ड क्टयों ने जव फ दे ददम
है। भझ
ु े तो मह आश्चमच है कक मह ॉ ऩहुॉच कैसे गम । न ज ने कौन दै वी शष्क्त भझ
ु े वह ॉ से खीॊच र मी। कद चचत ् मह इस फझ
ु ते
हुए दीऩक की अष्न्तभ झरक थी। आह! भैंने तुम्ह ये स थ फड अन्म म ककम । इसक भुझे हभेश द:ु ख यहे ग ! भैं तुम्हें कोई
आय भ न दे सक । तुम्ह ये लरए कुछ न कय सक । केवर सोह ग क द ग रग कय औय एक फ रक के ऩ रन क ब य छोडकय
चर ज यह हूॉ। आह!
करूण ने रृदम को दृढ़ कयके कह - तुम्हें कहीॊ ददच तो नहीॊ है ? आग फन र ऊॉ? कुछ फत ते क्मों नहीॊ?
आददत्म ने कयवट फदरकय कह - कुछ कयने की जरूयत नहीॊ वप्रमे! कहीॊ ददच नहीॊ। फस, ऐस भ रभ
ू हो यह है कक ददर फैि ज त
है, जैसे ऩ नी भें डूफ ज त हूॉ। जीवन की रीर सभ प्त हो यही है। दीऩक को फझ
ु ते हुए दे ख यह हूॉ। कह नहीॊ सकत , कफ आव ज
फन्द हो ज मे। जो कुछ कहन है , वह कह ड रन च हत हूॉ, क्मों वह र रस रे ज ऊॉ। भेये एक प्रश्न क जव फ दोगी, ऩूछूॉ?
करूण के भन की स यी दफ
ु र
च त , स य शोक, स यी वेदन भ नो रुप्त हो गमी औय उनकी जगह उस आत्भफर क उदम हुआ, जो
भत्ृ मु ऩय हॉसत है औय ववऩष्त्त के स ॉऩों से खेरत है। यत्नजदटत भखभरी म्म न भें जैसे तेज तरव य तछऩी यहती है , जर के
कोभर प्रव ह भें जैसे असीभ शष्क्त तछऩी यहती है , वैसे ही यभणी क कोभर रृदम स हस औय धैमच को अऩनी गोद भें तछऩ मे
यहत है। क्रोध जैसे तरव य को फ हय खीॊच रेत है , ववऻ न जैसे जर-शष्क्त क उद्घ टन कय रेत है , वैसे ही प्रेभ यभणी के स हस
औय धैमच को प्रदीप्त कय दे त है।
आददत्म ने करूण के ह थों के कोभर स्ऩशच क अनुबव कयते हुए कह - तुम्ह ये ववच य भें भेय जीवन कैस थ ? फध ई के मोग्म?
दे खो, तभ
ु ने भझ
ु से कबी ऩद च नहीॊ यख । इस सभम बी स्ऩष्ट कहन । तम्
ु ह ये ववच य भें भझ
ु े अऩने जीवन ऩय हॉसन च दहए म
योन च दहए?
करूण ने उल्र स के स थ कह - मह प्रश्न क्मों कयते हो वप्रमतभ? क्म भैंने तुम्ह यी उऩेऺ कबी की है? तम्
ु ह य जीवन दे वत ओॊ
क -स जीवन थ , तन:स्व थच, तनलरचप्त औय आदशच! ववघ्न-फ ध ओॊ से तॊग आकय भैंने तम्
ु हें ककतनी ही फ य सॊस य की ओय खीॊचने
की चेष्ट की है ; ऩय उस सभम बी भैं भन भें ज नती थी कक भैं तुम्हें ऊॉचे आसन से चगय यही हूॉ। अगय तुभ भ म -भोह भें पॉसे
होते, तो कद चचत ् भेये भन को अचधक सॊतोष होत ; रेककन भेयी आत्भ को वह गवच औय उल्र स न होत , जो इस सभम हो यह है।
भैं अगय ककसी को फडे-से-फड आशीव द दे सकती हूॉ, तो वह मही होग कक उसक जीवन तुम्ह ये जैस हो।
मह कहते-कहते करूण क आब हीन भुखभॊडर जमोततभचम हो गम , भ नो उसकी आत्भ ददव्म हो गमी हो। आददत्म ने सगवच नेत्रों
से करूण को दे खकय कह फस, अफ भुझे सॊतोष हो गम , करूण , इस फच्चे की ओय से भुझे कोई शॊक नहीॊ है , भैं उसे इससे
प्रक श ऩय वह ज न दे ती है। उसक आनॊद, उसकी अलबर ष , उसक सॊस य उसक स्वगच सफ प्रक श ऩय न्मौछ वय है ; ऩय मह भज र
नहीॊ कक प्रक श कोई शय यत कये औय करूण आॉखें फॊद कय रे। नहीॊ, वह उसके चरयत्र की फडी किोयत से दे ख-ब र कयती है। वह
प्रक श की भ ॉ नहीॊ, भ ॉ-फ ऩ दोनों हैं। उसके ऩुत्र-स्नेह भें भ त की भभत के स थ वऩत की किोयत बी लभरी हुई है। ऩतत के
अष्न्तभ शब्द अबी तक उसके क नों भें गॉज
ू यहे हैं। वह आत्भोल्र स, जो उनके चेहये ऩय झरकने रग थ , वह गवचभम र री, जो
उनकी आॉखो भें छ गमी थी,अबी तक उसकी आॉखों भें कपय यही है। तनयॊ तय ऩतत-चचन्तन ने आददत्म को उसकी आॉखों भें प्रत्मऺ
कय ददम है। वह सदै व उनकी उऩष्स्थतत क अनुबव ककम कयती है। उसे ऐस ज न ऩडत है कक आददत्म की आत्भ सदै व उसकी
यऺ कयती यहती है। उसकी मही ह ददच क अलबर ष है कक प्रक श जव न होकय वऩत क ऩथग भी हो।
सॊध्म हो गमी थी। एक लबख रयन द्व य ऩय आकय बीख भ ॉगने रगी। करूण उस सभम गउओॊ को ऩ नी दे यही थी। प्रक श फ हय
खेर यह थ । फ रक ही तो िहय ! शय यत सूझी। घय भें गम औय कटोये भें थोड -स बूस रेकय फ हय तनकर । लबख रयन ने
अफकी झेरी पैर दी। प्रक श ने बस
ू उसकी झोरी भें ड र ददम औय जोय-जोय से त लरम ॉ फज त हुआ ब ग ।
लबख रयन ने अष्ग्नभम नेत्रों से दे खकय कह - व ह ये र डरे! भुझसे हॉसी कयने चर है! मही भ ॉ-फ ऩ ने लसख म है! तफ तो खूफ
कुर क न भ जग ओगे!
करूण उसकी फोरी सुनकय फ हय तनकर आमी औय ऩूछ - क्म है भ त ? ककसे कह यही हो?
प्रक श रष्ज्जत न हुआ। अलबभ न से लसय उि ए हुए आम औय फोर - वह हभ ये घय बीख क्मों भ ॉगने आमी है ? कुछ क भ क्मों
नहीॊ कयती?
प्रक श- शभच क्मों आए? मह क्मों योज बीख भ ॉगने आती है ? हभ ये मह ॉ क्म कोई चीज भुफ्त आती है?
करूण तनरूत्तय हो गमी। फुदढ़म को तो उसने आट -द र दे कय ववद ककम , ककन्तु प्रक श क कुतकच उसके रृदम भें पोडे के सभ न
टीसत यह । उसने मह धष्ृ टत , मह अववनम कह ॉ सीखी? य त को बी उसे फ य-फ य मही ख्म र सत त यह ।
आधी य त के सभीऩ एक एक प्रक श की नीॊद टूटी। र रटे न जर यही है औय करुण फैिी यो यही है। उि फैि औय फोर - अम्भ ,ॉ
अबी तुभ सोमी नहीॊ?
करूण ने भॉह
ु पेयकय कह - नीॊद नहीॊ आमी। तभ
ु कैसे जग गमे? प्म स तो नहीॊ रगी है?
प्रक श- नही अम्भ ॉ, न ज ने क्मों आॉख खुर गमी। भुझसे आज फड अऩय ध हुआ, अम्भ ॉ !
करूण ने उसके भख
ु की ओय स्नेह के नेत्रों से दे ख ।
मह कहकय योने रग । करूण ने स्नेह द्रच होकय उसे गरे रग लरम औय उसके कऩोरों क चुम्फन कयके फोरी- फेट , भुझे खुश
कयने के लरए मह कह यहे हो म तम्
ु ह ये भन भें सचभच
ु ऩछत व हो यह है ?
प्रक श ने लससकते हुए कह - नहीॊ अम्भ ,ॉ भुझे ददर से अपसोस हो यह है। अफकी वह फुदढ़म आमेगी, तो भैं उसे फहुत-से ऩैसे
दॉ ग
ू ।
करूण क रृदम भतव र हो गम । ऐस ज न ऩड , आददत्म स भने खडे फच्चे को आशीव द दे यहे हैं औय कह यहे हैं , करूण , ऺोब
भत कय, प्रक श अऩने वऩत क न भ योशन कये ग । तेयी सॊऩूणच क भन एॉ ऩूयी हो ज एॉगी।
लसॊध भें फ ढ़ आमी। हज यों आदभी तफ ह हो गमे। ववद्म रम ने वह ॉ एक सेव सलभतत बेजी। प्रक श के भन भें द्वॊद्व होने रग -
ज ऊॉ म न ज ऊॉ? इतने ददनों अगय वह ऩयीऺ की तैम यी कये , तो प्रथभ श्रेणी भें ऩ स हो। चरते सभम उसने फीभ यी क फह न
कय ददम । करूण ने लरख , तुभ लसन्ध न गमे, इसक भुझे दख
ु है। तुभ फीभ य यहते हुए बी वह ॉ ज सकते थे। सलभतत भें
चचककत्सक बी तो थे! प्रक श ने ऩत्र क उत्तय न ददम ।
उडीस भें अक र ऩड । प्रज भष्क्खमों की तयह भयने रगी। क ॊग्रेस ने ऩीडडतो के लरए एक लभशन तैम य ककम । उन्हीॊ ददनों
ववद्म रमों ने इततह स के छ त्रों को ऐततह लसक खोज के लरए रॊक बेजने क तनश्चम ककम । करूण ने प्रक श को लरख -तुभ
उडीस ज ओ। ककन्तु प्रक श रॊक ज ने को र र तमत थ । वह कई ददन इसी दवु वध भें यह । अॊत को सीरोन ने उडीस ऩय ववजम
ऩ मी। करुण ने अफकी उसे कुछ न लरख । चुऩच ऩ योती यही।
सीरोन से रौटकय प्रक श छुदट्टमों भें घय गम । करुण उससे खखॊची-खखॊची यहीॊ। प्रक श भन भें रष्ज्जत हुआ औय सॊकल्ऩ ककम
कक अफकी कोई अवसय आम , तो अम्भ ॉ को अवश्म प्रसन्न करूॉग । मह तनश्चम कयके वह ववद्म रम रौट । रेककन मह ॉ आते ही
कपय ऩयीऺ की कपक्र सव य हो गमी। मह ॉ तक कक ऩयीऺ के ददन आ गमे ; भगय इम्तह न से पुयसत ऩ कय बी प्रक श घय न
गम । ववद्म रम के एक अध्म ऩक क श्भीय सैय कयने ज यहे थे। प्रक श उन्हीॊ के स थ क श्भीय चर खड हुआ। जफ ऩयीऺ -पर
तनकर औय प्रक श प्रथभ आम , तफ उसे घय की म द आमी! उसने तुयन्त करूण को ऩत्र लरख औय अऩने आने की सूचन दी।
भ त को प्रसन्न कयने के लरए उसने दो-च य शब्द ज तत-सेव के ववषम भें बी लरखे- अफ भै आऩकी आऻ क ऩ रन कयने को
तैम य हूॉ। भैंने लशऺ -सम्फन्धी क मच कयने क तनश्चम ककम है इसी ववच य से भैने वह ववलशष्ट स्थ न प्र प्त ककम है। हभ ये नेत
बी तो ववद्म रमों के आच मों ही क सम्भ न कयते हैं। अबी तक इन उऩ चधमों के भोह से वे भक्
ु त नहीॊ हुए हैं। हभ ये नेत बी
मोग्मत , सदत्ु स ह, रगन क उतन सम्भ न नहीॊ कयते , ष्जतन उऩ चधमों क ! अफ भेयी इज्जत कयें गे औय ष्जम्भेद यी क क भ
सौऩें गें, जो ऩहरे भ ॉगे बी न लभरत ।
ववद्म रम खुरते ही प्रक श के न भ यष्जस्र य क ऩत्र ऩहुॉच । उन्होंने प्रक श को इॊग्रैंड ज कय ववद्म भ्म स कयने के लरए सयक यी
वजीपे की भॊजूयी की सूचन दी थी। प्रक श ऩत्र ह थ भें लरमे हषच के उन्भ द भें ज कय भ ॉ से फोर - अम्भ ,ॉ भुझे इॊग्रैंड ज कय
ऩढ़ने के लरए सयक यी वजीप लभर गम ।
प्रक श- तो आऩ सभझती हैं, स्वमॊसेवक फन ज न ही ज तत-सेव है? भैं इॊग्रैंड से आकय बी तो सेव -क मच कय सकत हूॉ औय
अम्भ ,ॉ सच ऩूछो, तो एक भष्जस्रे ट अऩने दे श क ष्जतन उऩक य कय सकत है , उतन एक हज य स्वमॊसेवक लभरकय बी नहीॊ कय
सकते। भैं तो लसववर सववचस की ऩयीऺ भें फैिूॉग औय भुझे ववश्व स है कक सपर हो ज ऊॉग ।
प्रक श- सेव -ब व यखनेव र एक भष्जस्रे ट क ॊग्रेस के एक हज य सब ऩततमों से ज्म द उऩक य कय सकत है। अखफ यों भें उसकी
रम्फी-रम्फी त यीपें न छऩें गी, उसकी वक्तत
ृ ओॊ ऩय त लरम ॉ न फजेंगी, जनत उसके जुरूस की ग डी न खीॊचेगी औय न ववद्म रमों
के छ त्र उसको अलबनॊदन-ऩत्र दें गे; ऩय सच्ची सेव भष्जस्रे ट ही कय सकत है।
प्रक श- अगय भष्जस्रे ट के रृदम भें ऩयोऩक य क ब व है, तो वह नयभी से वही क भ कयत है , जो दस
ू ये गोलरम ॉ चर कय बी नहीॊ
कय सकते।
प्रक श ने खीझकय कह - तो क्म आऩ मही च हती हैं कक भैं ष्जॊदगी-बय च यों तयप िोकयें ख त कपरूॉ?
करुण किोय नेत्रों से दे खकय फोरी- अगय िोकय ख कय आत्भ स्व धीन यह सकती है , तो भैं कहूॉगी, िोकय ख न अच्छ है।
करूण ने उसी स्वय भें उत्तय ददम - ह ॉ, भेयी मही इच्छ है।
प्रक श ने कुछ जव फ न ददम । उिकय फ हय चर गम औय तुयन्त यष्जस्र य को इनक यी-ऩत्र लरख बेज ; भगय उसी ऺण से भ नों
उसके लसय ऩय ववऩष्त्त ने आसन जभ लरम । ववयक्त औय ववभन अऩने कभयें भें ऩड यहत , न कहीॊ घूभने ज त , न ककसी से
आखखय एक ददन उसने प्रक श से कह - फेट , अगय तुभने ववर मत ज ने की ि न ही री है, तो चरे ज ओ। भन न करूॉगी। भझ
ु े
खेद है कक भैंने तुम्हें योक । अगय भैं ज नती कक तुम्हें इतन आघ त ऩहुॉचेग , तो कबी न योकती। भैंने तो केवर इस ववच य से
योक थ कक तम्
ु हें ज तत-सेव भें भग्न दे खकय तम्
ु ह ये फ फज
ू ी की आत्भ प्रसन्न होगी। उन्होंने चरते सभम मही वसीमत की थी।
प्रक श ने रूख ई से जव फ ददम - अफ क्म ज ऊॉग ! इनक यी-खत लरख चुक । भेये लरए कोई अफ तक फैि थोडे ही होग । कोई
दस
ू य रडक चुन लरम होग औय कपय कयन ही क्म है ?जफ आऩकी भजी है कक ग ॉव-ग ॉव की ख क छ नत कपरूॉ, तो वही सही।
करूण क गवच चूय-चूय हो गम । इस अनुभतत से उसने फ ध क क भ रेन च ह थ ; ऩय सपर न हुई। फोरी- अबी कोई न चुन
गम होग । लरख दो, भैं ज ने को तैम य हूॉ।
प्रक श ने झॉ झ
ु र कय कह - अफ कुछ नहीॊ हो सकत । रोग हॉसी उड मेंगे। भैने तम कय लरम है कक जीवन को आऩकी इच्छ के
अनुकूर फन ऊॉग ।
'र च यी है।'
करूण ने औय कुछ न कह । जय दे य भें प्रक श ने दे ख कक वह कहीॊ ज यही है ; भगय वह कुछ फोर नहीॊ। करूण के लरए फ हय
आन -ज न कोई अस ध यण फ त न थी; रेककन जफ सॊध्म हो गमी औय करुण न आमी, तो प्रक श को चचन्त होने रगी। अम्भ
कह ॉ गमीॊ? मह प्रश्न फ य-फ य उसके भन भें उिने रग ।
प्रक श स यी य त द्व य ऩय फैि यह । ब ॉतत-ब ॉतत की शॊक एॉ भन भें उिने रगीॊ। उसे अफ म द आम , चरते सभम करूण ककतनी
उद स थी; उसकी आॉखें ककतनी र र थी। मह फ तें प्रक श को उस सभम क्मों न नजय आमी? वह क्मों स्व थच भें अॊध हो गम थ ?
ह ॉ, अफ प्रक श को म द आम - भ त ने स प-सथ
ु ये कऩडे ऩहने थे। उनके ह थ भें छतयी बी थी। तो क्म वह कहीॊ फहुत दयू गमी
हैं? ककससे ऩूछे? अतनष्ट के बम से प्रक श योने रग ।
श्र वण की अॊधेयी बम नक य त थी। आक श भें श्म भ भेघभ र एॉ, बीषण स्वप्न की ब ॉतत छ मी हुई थीॊ। प्रक श यह-यहकय आक श
की ओय दे खत थ , भ नो करूण उन्हीॊ भेघभ र ओॊ भें तछऩी फैिी हो। उसने तनश्चम ककम , सवेय होते ही भ ॉ को खोजने चरॉ ग
ू
औय अगय....
मह कहते हुए उसने प्रक श के स भने एक फॊद लरप प पेंक ददम । प्रक श ने उत्सुक होकय लरप प उि लरम । ऊऩय ही
ववद्म रम की भुहय थी। तुयन्त ही लरप प खोरकय ऩढ़ । हरकी-सी र लरभ चेहये ऩय दौड गमी। ऩूछ - मह तुम्हें कह ॉ लभर गम
अम्भ ?
'क्म तभ
ु वह ॉ चरी गमी थी?'
'भोटय रे री थी।'
प्रक श एक ऺण तक भौन खड यह , कपय कुॊदित स्वय भें फोर - जफ तुम्ह यी इच्छ नहीॊ है तो भुझे क्मों बेज यही हो?
करूण ने ववयक्त ब व से कह - इसलरए कक तुम्ह यी ज ने की इच्छ है। तुम्ह य मह भलरन वेश नहीॊ दे ख ज त । अऩने जीवन के
फीस वषच तुम्ह यी दहतक भन ऩय अवऩचत कय ददमे; अफ तुम्ह यी भहत्त्व क ॊऺ की हत्म नहीॊ कय सकती। तुम्ह यी म त्र सपर हो,
मही हभ यी ह ददच क अलबर ष है।
प्रक श उसी ददन से म त्र की तैम रयम ॉ कयने रग । करूण के ऩ स जो कुछ थ , वह सफ खचच हो गम । कुछ ऋण बी रेन ऩड ।
नमे सट
ू फने, सट
ू केस लरए गमे। प्रक श अऩनी धन
ु भें भस्त थ । कबी ककसी चीज की पयभ इश रेकय आत , कबी ककसी चीज
की।
प्रस्थ न क ददन आम । आज कई ददनों के फ द धूऩ तनकरी थी। करूण स्व भी के ऩुय ने कऩडों को फ हय तनक र यही थी। उनकी
ग ढ़े की च दयें , खद्दय के कुयते, ऩ ज भें औय लरह प अबी तक सन्दक
ू भें सॊचचत थे। प्रततवषच वे धूऩ भें सुख मे ज ते औय झ ड-
प्रक श के लभत्रों ने आज उसे ववद ई क बोज ददम थ । वह ॉ से वह सॊध्म सभम कई लभत्रों के स थ भोटय ऩय रौट । सपय क
स भ न भोटय ऩय यख ददम गम , तफ वह अन्दय आकय भ ॉ से फोर - अम्भ , ज त हूॉ। फम्फई ऩहूॉचकय ऩत्र लरखूॉग । तुम्हें भेयी
कसभ, योन भत औय भेये खतों क जव फ फय फय दे न ।
जैसे ककसी र श को फ हय तनक रते सभम सम्फष्न्धमों क धैमच छूट ज त है , रूके हुए आॉसू तनकर ऩडते हैं औय शोक की तयॊ गें
उिने रगती हैं, वही दश करूण की हुई। करेजे भें एक ह ह क य हुआ, ष्जसने उसकी दफ
ु र
च आत्भ के एक-एक अणु को कॊऩ
ददम । भ रूभ हुआ, ऩ ॉव ऩ नी भें कपसर गम है औय वह रहयों भें फही ज यही है। उसके भुख से शोक म आशीव द क एक शब्द
बी न तनकर । प्रक श ने उसके चयण छुए, अश्रु-जर से भ त के चयणों को ऩख य , कपय फ हय चर । करूण ऩ ष ण भूततच की ब ॉतत
खडी थी।
सहस ग्व रे ने आकय कह - फहूजी, बइम चरे गमे। फहुत योते थे।
तफ करूण की सभ चध टूटी। दे ख , स भने कोई नहीॊ है। घय भें भत्ृ मु क -स सन्न ट छ म हुआ है, औय भ नो रृदम की गतत फन्द
हो गमी है।
सहस करूण की दृष्ष्ट ऊऩय उि गमी। उसने दे ख कक आददत्म अऩनी गोद भें प्रक श की तनजीव दे ह लरए खडे हो यहे हैं। करूण
ऩछ ड ख कय चगय ऩडी।
करूण जीववत थी, ऩय सॊस य से उसक कोई न त न थ । उसक छोट -स सॊस य, ष्जसे उसने अऩनी कल्ऩन ओॊ के रृदम भें यच
थ , स्वप्न की ब ॉतत अनन्त भें ववरीन हो गम थ । ष्जस प्रक श को स भने दे खकय वह जीवन की अॊधेयी य त भें बी रृदम भें
आश ओॊ की सम्ऩष्त्त लरमे जी यही थी, वह फुझ गम औय सम्ऩष्त्त रुट गमी। अफ न कोई आश्रम थ औय न उसकी जरूयत।
ष्जन गउओॊ को वह दोनों वक्त अऩने ह थों से द न -च य दे ती औय सहर ती थी, वे अफ खूॉटे ऩय फॉधी तनय श नेत्रों से द्व य की
ओय त कती यहती थीॊ। फछडों को गरे रग कय ऩुचक यने व र अफ कोई न थ , ष्जसके लरए दध
ू दह
ु े, भट्ठ तनक रे। ख नेव र कौन
थ ? करूण ने अऩने छोटे -से सॊस य को अऩने ही अॊदय सभेट लरम थ ।
ककन्तु एक ही सप्त ह भें करूण के जीवन ने कपय यॊ ग फदर । उसक छोट -स सॊस य पैरते-पैरते ववश्वव्म ऩी हो गम । ष्जस
रॊगय ने नौक को तट से एक केन्द्र ऩय फ ॉध यख थ , वह उखड गम । अफ नौक स गय के अशेष ववस्त य भें भ्रभण कये गी, च हे
वह उद्द भ तयॊ गों के वऺ भें ही क्मों न ववरीन हो ज ए।
एक ददन प्रक श क ऩत्र आम । करूण ने उसे उि कय पेंक ददम । कपय थोडी दे य के फ द उसे उि कय प ड ड र औय चचडडमों को
द न चुग ने रगी; भगय जफ तनश -मोचगनी ने अऩनी धूनी जर मी औय वेदन एॉ उससे वयद न भ ॉगने के लरए ववकर हो-होकय
चरीॊ, तो करूण की भनोवेदन बी सजग हो उिी- प्रक श क ऩत्र ऩढ़ने के लरए उसक भन व्म कुर हो उि । उसने सोच , प्रक श
भेय कौन है? भेय उससे क्म प्रमोजन? ह ॉ, प्रक श भेय कौन है? ह ,ॉ प्रक श भेय कौन है ? रृदम ने उत्तय ददम , प्रक श तेय सवचस्व है,
वह तेये उस अभय प्रेभ की तनश नी है , ष्जससे तू सदै व के लरए वॊचचत हो गमी। वह तेय प्र ण है , तेये जीवन-दीऩक क प्रक श, तेयी
वॊचचत क भन ओॊ क भ धुम,च तेये अश्रु-जर भें ववह य कयने व र कयने व र हॉस। करूण उस ऩत्र के टुकडों को जभ कयने रगी,
भ न उसके प्र ण बफखय गमे हों। एक-एक टुकड उसे अऩने खोमे हुए प्रेभ क एक ऩदचचन्ह-स भ रभ
ू होत थ । जफ स ये ऩुयजे
जभ हो गमे, तो करूण दीऩक के स भने फैिकय उसे जोडने रगी, जैसे कोई ववमोगी रृदम प्रेभ के टूटे हुए त यों को जोड यह हो।
ह म यी भभत ! वह अब चगन स यी य त उन ऩयु जों को जोडने भें रगी यही। ऩत्र दोनों ओय लरख थ , इसलरए ऩयु जों को िीक
स्थ न ऩय यखन औय बी कदिन थ । कोई शब्द, कोई व क्म फीच भें ग मफ हो ज त । उस एक टुकडे को वह कपय खोजने रगती।
स यी य त फीत गमी, ऩय ऩत्र अबी तक अऩूणच थ ।
ददन चढ़ आम , भह
ु ल्रे के रौंडे भक्खन औय दध
ू की च ह भें एकत्र हो गमे, कुत्तों ओय बफष्ल्रमों क आगभन हुआ, चचडडम ॉ आ-
आकय आॉगन भें पुदकने रगीॊ, कोई ओखरी ऩय फैिी,कोई तुरसी के चौतये ऩय, ऩय करूण को लसय उि ने तक की पुयसत नहीॊ।
एक ऺण भें एक कैदी उसके स भने र म गम , उसके ह थ-ऩ ॉव भें जॊजीय थी, कभय झक
ु ी हुई, मह आददत्म थे।
करूण की आॉखें खुर गमीॊ। आॉसू फहने रगे। उसने ऩत्र के टुकडों को कपय सभेट लरम औय उसे जर कय य ख कय ड र । य ख की
एक चुटकी के लसव वह ॉ कुछ न यह , जो उसके रृदम भें ववदीणच ककए ड रती थी। इसी एक चुटकी य ख भें उसक गुडडमोंव र
फचऩन, उसक सॊतप्त मौवन औय उसक तष्ृ ण भम वैधव्म सफ सभ गम ।
प्र त:क र रोगों ने दे ख , ऩऺी वऩॊजडे से उड चुक थ ! आददत्म क चचत्र अफ बी उसके शन्
ू म रृदम से चचऩट हुआ थ । बग्नरृदम
ऩतत की स्नेह-स्भतृ त भें ववश्र भ कय यह थ औय प्रक श क जह ज मोयऩ चर ज यह थ ।