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सती अंजना की कहानी

विजममार्द्ध गगयी के दक्षऺण भें, आददत्मऩयु नाभा, भनोहय नगय के याजा


प्रहराद- यानी केतभ
ू ती के ऩत्र
ु , ऩिन कुभाय था। बयतऺेत्र के दॊ तीनाभा ऩिधत ऩय
याजा भहे न्द्र विद्माधय ने भहे न्द्र नगय फसामा था। उनकी यानी रृदमिेगा थी
औय 100 ऩत्र
ु 1 ऩत्र
ु ी अॊजना थी।
एक फाय याजा भहे न्द्र अऩने ऩरयिाय सदहत कैराश ऩिधत ऩय गमे।
िहाॊ ऩय जजन भॊददय की िॊदना कयते हुए याजा प्रहराद बी मभर गमे। फपय दोनों
ने ऩिन ि अॊजना का रयश्ता ऩक्का फकमा। शादी भानसयोिय के तट ऩय कयने
की ऩक्की की। शादी के मरए 3 ददन फाद का भह
ु ू तध ननकरा। अॊजना की
सन्द्
ु दयता सन
ु , ऩिन कुभाय से यहा ना गमा। औय अऩने दोस्त प्रहस्त के साथ,
विभान भें फैठकय, अजॊना के महाॊ ऩहुॉचकय, निऩकय दे खने रगे। िे अॊजना का
रूऩ दे खकय खशु थे।
तबी एक सखी, विद्मत्ु प्रब के गण
ु गाने रगी औय ऩिनॊजम की ननॊदा
की। तो ऩिनकुभाय को इतना गुस्सा आमा, तरिाय ननकार री। भगय दोस्त ने
सभझामा। ऩिन के भन से अॊजना का भोह ननकर गमा। सफके सभझाने से
शादी तो की, भगय न तो उससे फात की औय न उसकी तयप दे खा।
एक फाय यािण औय याजा िझा की रडाई हुई तो यािण ने ऩत्र रेकय
अथिा दत
ू याजा प्रहराद ऩय बेजा। िे मर्द्
ु के मरए जाने रगे तो ऩिनॊजम ने
योका, कहा- भेये होते हुए आऩ न जामें। सफ ने उनको विदा फकमा तो अॊजना बी
विदा कयने के मरए आकय, एक ओय खडी हो गई।
ऩिनॊजम ने फहुत डाॊटा औय धक्का दे कय मर्द्
ु ऩय चरे गमे। ऩहरा डेया
भानसयोिय ऩय डारा औय विद्मा से एक भहर फनामा औय अऩने मभत्र सदहत
उसभें फैठे थी िहाॊ चकिी को विमोग भें दख
ु ी दे खकय तफ सोचते हैं मे एक यात
भें इतनी दख
ु ी है, भैंने तो 22 िर्ध से अॊजना का विमोग फकमा, िो फकतनी दख
ु ी
होगी? कटुक िचन उसकी सखी ने कहे उसका क्मा दोर् था? भैं ऩाऩी हूॉ।
मे सफ सोचकय, अऩने को गधक्कायते हैं। अऩने मभत्र से कहते हैं भेया
अॊजना से मभरना जरूयी है । तफ मभत्र ने कहा- भाता वऩता से मर्द्
ु की विदा
रेकय आमे हो इसीमरए जाना उगचत नहीॊ। निऩ कय जाओ। सेना को िहीॊ िोड,
विभान भें मभत्र के साथ फैठ, अॊजना के साथ यात गज
ु ायी औय कडा, अॊगठ
ु ी
ननशानी के मरए दे कय, चऩ
ु चाऩ मर्द्
ु के मरए िावऩस चरे गमे।
जफ सास को गबध का ऩता चरा तो, अॊजना की एक न सन
ु ी औय घय से
ननकार भहे न्द्रनगय याजा के ऩास मबजिा ददमा। वऩता भहे न्द्र ने बी न यखा,
ननकार ददमा। फपय िो िनों भें चरी गई। िहाॊ एक भनु न थे, उनके दशधन फकमे,
फपय अऩने कभों के फाये भें ऩि
ू ा तो भनु न ने कहा तेया ऩत्र
ु अनत उत्तभ होगा
चयभशयीयी है। वऩिरे जन्द्भ भें विजमाधधगगयी के अरूणऩयु नगय का याजा
मसॊहिाहन था। उसको, विभरनाथ बगिान के सभोशयण भें, िैयाग्म उऩजा। अऩने
ऩत्र
ु को याज्म दे , रक्ष्भीनतरक भनु न के मशष्म हो गमे औय अनेक तऩ से अनेक
स्िगध ऩहुॉचे औय अफ तेये गबध भें आमे हैं।
वऩिरे जन्द्भ भें तन
ू े, ऩटयानी के घभॊड भें , जजन भनु न का अविनम फकमा
औय आनमधका के सभझाने से तेये सभझ भें आमा, इसमरए तेये ऩनत का विमोग
औय कुटम्फ से ननयादय ऩामा। जजन धभध का सेिन कय, ऩनतव्रनतमों की उऩासना
कय, मे ही कल्माण कयने िारे हैं औय ऩत्र
ु के प्रबाि से ऩयभ सख
ु ऩामेगी। थोडे
ददन फाद तेये कयताय से मभराऩ होगा।
दोनों ने भनु न की नभस्काय फकमा। भनु नयाज उऩदे श दे कय आकाश भागध
से विहाय कय गमे। िे गप
ु ा भें यहने रगी। फसॊतभारा विद्माफर से खाने ऩीने
का इॊतजाभ कयती थी। एक ददन गप
ु ा के फाहय बमानक मसॊह आकय गयजने
रगा, दोनों डय यही थी। फसॊतभारा बगिान का नाभ रेने रगी। तफ गप
ु ा का
गॊधिधदेि, अष्टाऩद का रूऩ यखकय आमा औय मसॊह को बगा अऩने स्थान चरा
गमा। गॊधिधदेि ने बजक्त से, तयह-तयह के याग से, अॊहॊतदे ि के याग गामे औय
उनकी यऺा कयने रगा।
तबी हनभ
ु ान का जन्द्भ होता है, तफ चैत्रफदी अष्टभी थी। उसी ददन
हनरू
ू हद्िीऩ का याजा प्रनतसम
ू ध विद्माधय, विभान से उसी जॊगर से जा यहा था।
अॊजना िगैया ने दे खा, फपय याजा विभान से नीचे उतय कय आता है । उन दोनों
से उनके फाये भें ऩि
ू ा। उनके फताने ऩय उसने कहा-भैं तेया भाभा हूॉ। फहुत
ददन से नहीॊ दे खा इसीमरए ऩहचाना नहीॊ। तफ सफ मभरकय खफ ु योए औय
सफको प्रनतसम
ू ध अऩने साथ रे गमे।
जफ विभान आकाश भागध से जा यहा था तो फारक उिरकय, विभान से
नीचे ऩिधत ऩय गगय गमा। भाता हाहाकाय कयने रगी। तफ याजा ने विभान नीचे
उताया, फारक को ढूॊढने को। फारक एक ऩिधत ऩय सख
ु से ऩडा, अगॊठ
ु ा चस
ू यहा
था औय उस मशरा के हजायों खॊड हो गमे थे। सफ फडे आश्चमध कयने रगे औय
कहने रगे- फारक चयभशयीयी औय भोऺगाभी है। सफने 3 प्रदक्षऺणा दे
नभस्काय कय विभान भें फैठ अऩने नगय आमे। क्मोंफक फारक ने ऩिधत को तोडा
था इसमरए श्रीशैर नाभ यखा गमा। भगय हनरू
ु हद्िीऩ ऩय जन्द्भोत्सि भना औय
िहीॊ ऩरा इसीमरए हनभ
ु ान कहने रगे।
जफ मर्द्
ु से जीतकय ऩिनॊजम घय आते हैं। िहाॊ अॊजना को न दे ख ।
भहे न्द्रनगय जाते हैं। िहाॊ बी अॊजना न मभरी तो अऩने मभत्र को आददत्म नगय
वऩता के ऩास बेजा, फक जफ तक अॊजना न मभरे न आऊॊगा, औय उसके बफना
भेया जीना भजु श्कर है, औय अऩने आऩ सफ जगह ढूॊढने रगे। भाता वऩता रूदन
कयने रगे। दत
ू ों को, सफ विद्माधयों के ऩास बेजते हैं। एक दत
ू विद्माधय
प्रनतसम
ू ध ऩय बी जाता है । ऩिनॊजम का दख
ु सन
ु अॊजना दख
ु ी होती है। -
प्रनतसम
ू ध उतािरा हो, विभान भें फैठ, ऩथ्
ृ िी ऩय उतय ढूॊढता फपयता है औय
बत ू यिनाभा िन भें ऩहुॊचता है जहाॊ ऩिनजॊम हैं। ऩत्थय के सभान फतु फने फैठे
हैं औय िहीॊ उनके भाता वऩता बी ऩहुॊच जाते हैं। फपय प्रनतसमू ध िाती से
रगाकय सफ फात फताते हैं। अॊजना के ऩास ऩहुॊचने से रेकय अॊजना को अऩने
घय रे जाने तक की फातें । मह सफ सन
ु ऩिन औय सफ विद्माधय हनरू
ू हद्िीऩ
गमे औय 2 भहीने यहे , फपय अऩने स्थान गए ।

Authority :- 1, ऩयभ ऩज्


ू म १०८ श्रीभद्- यविर्ेणाचामध द्िाया यगचत
“ऩदभ ऩयु ाण”, खॊड- १, ऩेज न. 334-410
2.. ऩयभ ऩज्
ू म १०८ एराचामध श्री ऺभा बर्
ू ण भहायाज द्िाया
यगचत “रघु ऩदभ ऩयु ाण” ऩेज न. 27-31
आखाडा गुरु नन्द रामजी लहरी खण्ड ताजगंज, आगरा

भगत सती अंजना

जिाफ यॊ गा (1)
दोहा
त्रेता मग
ु के भध्म का कयता कयता तननक िखान।
सती अॊजना सत का कयता हूॉ गन
ु गान॥

चौफोरा
कयता हूॉ गुन गान रगाकय ध्मान सबी गुणिान सन ु ो ।
सत्तिती सत्त ऩै डटी हटी नहीॊ जाने सबी जहान सन
ु ो ॥
याजा भहें र की कन्द्मा थी थी चॊचर चतयु सज
ु ान सन
ु ो ।
अच्िी मशऺा थी मभरी धभध की कहाॉ तक कयें िखान सन
ु ो ॥
थी एक ददिस कयती फकरोर दे खी फागों दयम्मान सन
ु ो ।
हो गई कन्द्मा अफ विफाह मोग्म जागा मह भन भे बान सन
ु ो ॥
याज्म सबा का सत्र फर
ु ा मभर सफने फकमा ननदान सन
ु ो ।
प्रहराद ऩत्र
ु रृदम बामा विध्मा भे विध्मािान सन
ु ो ॥
अष्टानका ऩिध भे दशधन का रृदम भे उऩजा ऻान सन
ु ो ।
कैराश मशखय ऩै जा ऩहुचे जो मसर्द् ऺेत्र स्थान सन
ु ो ॥
प्रहराद याि आददत्म नगय से कय दीना प्रस्थान सन ु ो ।
सॊमोग मोग आ मभरा िहाॉ दौनों का हुमा मभरान सनु ो ॥
मभर यहे गरे से गरे कयें एक दज
ू े का सनभान सनु ो ।
कीने रृदम के प्रगट बाि ऩा अिसय आज भहान सन
ु ो ॥
खभजा
याजा भहें र के बाि को प्रहराद मरमे उय धाय जी ।
ऩयु ोदहत मरमे फर
ु िा तुयॊत कीनी नहीॊ कुि िाय जी ॥
ऩॊचाॊग ददखिा रगन सध
ु िा कयिा रगन तैमाय जी ।
कीने बफदा दी दक्षऺणा िामा है हर्ध अऩाय जी ॥
है तीसये ददन शब
ु रगन सम्ऩन्द्न हौ सॊस्काय जी ।
स्िीकाय दौनों को हुमा कीना फडा सत्तकाय जी॥

दौड
शब
ु सभाचाय सन
ु सक
ु ु भायी खखर उठी करी उनभान सन
ु ो ।
हवर्धत हो भन भें ऩिॊजम रखने की ठाने ठान सन
ु ो ॥

जिाफ ऩिॊजम (2)


िहये तिीर
जफ से गचत्रऩट रखा औय गण
ु को सन
ु ा
दीदाय कयने को ददर भेया फेजाय है
कहीॊ गचत्रऩट न हो मह कजल्ऩत फना
चर कय उसको रखू अफ साकाय है

जिाफ मभत्र (3)


िहये तिीर
कैसी फातें कयो भेये याजकुभाय
होना तीसये ददन तो दीदाय है
व्माह से ऩि
ू ध चरना न राजजभ उधय
गय दे खें कोई दे िे गधक्काय है

जिाफ ऩिॊजम (4)


िहये तिीर
तीन ददन तो फहुत तीन ऩर बी नहीॊ
कटना ऺण ऺण भेया अफ दश्ु िाय है
ऩहचाने न हभको कोई सभझे नहीॊ
तकध साये िथ
ृ ा औय ननस्साय है
जिाफ मभत्र (5)
िहये तिीर
भन भें सॊकल्ऩ गय तभ
ु ने कय ही मरमा
दे य कयने भे ननकरे नहीॊ साय है
अफ चरो चरके अऩना बयरों दहमा
दे खें कैसी िो अॊजन सक
ु ु भाय है

जिाफ यॊ गा (6)
दोहा
बेर् फदर कय चर ददमे ऺण भे ऩहुचे आन ।
अॊजन झरू े ऩारना सखखमाॉ गायही गान ॥

जिाफ सखी ऩहरी (7)


भल्हाय
तजध- अखखॊमा है प्मासी प्मासी फपल्भ- जभन
ु ा फकनाये
अये भेयी फहना
झर
ू े ऩै झर
ू े यी झर
ू े अॊजन झर
ू े ऩै झर
ू े
सखखमाॉ दहर मभर के झर
ु ा यही ऩारना
हभ मभर दे िे फधाई खमु शमाॉ नघय नघय के आमीॊ
भख
ु डे ऩै रारी राई सखखमाॉ दहर मभर ---------------------

जिाफ सखी दस
ू यी (8)
भल्हाय
तजध- अखखॊमा है प्मासी प्मासी फपल्भ- जभन
ु ा फकनाये
ऐसो ऩामो है साभरयमा िाभे रागो नेहा
िरभा के सॊग जाए सखी अफ हभसे कयें वििोहा
सध
ु फध
ु क्मो विसयाई सजननमा रख रख धडकत दे हा
यॊ ग भे यॊ ग गई हो सगयी बय गई हो तन की गगयी
हभको तो जाना बर
ू ना, सखखमाॉ दहर मभर ---------------------
जिाफ सखी तीसयी (9)
भल्हाय
तजध- अखखॊमा है प्मासी प्मासी फपल्भ- जभन
ु ा फकनाये

भख
ु दे खें की कयो फडाई मसग की गई भत भायी
ऩिॊजम भें क्मा ऩामो तुभने सनु नमों सखी हभायी
सौदाभनन सा ऩरू
ु र् िोड तू को को ददर दे हायी
िदहना फकसके तू भोह भोही सध
ु फध
ु सफ तन की खोई
भोकॊु ऩडा है सन
ु के ददर थाभना, सखखमाॉ दहर मभर ---------------------

जिाफ यॊ गा (10)
दोहा
िैन सन
ु े जफ सखखन के आहत हुआ शयीय ।
ऩिॊजम कहते मभत्र से होकय फहुत अधीय ॥

जिाफ ऩिॊजम (11)


आसाियी
मभत्र िो है अॊजन िे ऩीय, चब
ु ा है आन करेजे तीय
आमे थे क्मा सोच महाॉ ऩय क्मा ऩामा महाॉ आन
िचन सन
ु े सखखमों के भख
ु से, विखय गमे अयभान
िधाऊॉ कैसे भन को धीय, चब
ु ा है आन करेजे तीय
हभने सन
ु ा था रूऩ सद
ॊु यी, है िो गुण की खान
सन
ु े फयु ाई ननज प्रीतभ की नहीॊ धभध का ऻान
हुआ भै फकसके मरए अधीय, चब ु ा है आन करेजे तीय
व्माह यचा कय त्मागॉू इसको,विखय जाएॉ अमबभान
वियही िन कै यहे अकेरी भहरों के दयम्मान
ऩरट जाएॉ उसकी तस्िीय, , चब
ु ा है आन करेजे तीय
जिाफ यॊ गा (12)
दोहा
वििह यस्भ उऩरऺ भें कयी यतन फौिाय।
नय नायी कीने बफदा िामा हर्ध अऩाय॥

रॊगडी
िामा हर्ध अऩाय रौट आददत्म नगय फपय आमे है।
हय तरयमाॉ है खुशहार सबी प्रजा ने भॊगर गामे है ॥
व्माह ऩि
ू ध जो कहे फचन िो भन भें नहीॊ बर
ु ामे है ।
िाइस ियस के फीच भहर भेँ दयश न अॊजन ऩामे है ॥
एक ददिस रॊकेश दत
ू दयिाय िीच ऩधयामे है ।
फ़ौजे रेकय आऩ चरें यािण ने आऩ िर
ु ामे है ।।
यण की सन
ु कय फात ऩिॊजम भन ही भन हर्ाधमे है ।
रे हस्त मभत्र को साथ वऩता भाता को शीश निाएॊ है ॥

दौड
कयके तैमायी चर दीने आगे को कदभ फढ़ामे है ।
व्दाये ऩै अॊजन खडी मभरी हटजा मौ िचन सन
ु ामे है ॥

जिाफ अॊजना (13)


दोहा
हटकय जाऊॉ कहाॉ फकससे करूॉ ऩक
ु ाय ।
िोड अकेरी कहाॉ चरे जीिन प्रान अधाय॥
रािनी
जीिन प्रान अधाय ऩडूॉ चयनन भेँ
अिरा की सन ु ो ऩक
ु ाय करूॉ ियनन भै
जिाफ ऩिॊजम (14)
रािनी
क्मा ियनन सन
ु कय करूॉ विना कायन भै
हटजा साभॉू ते कहता सत्म िचन भै

जिाफ अॊजना (15)


रािनी
िचनौ को सन
ु कय नाथ धीय नहीॊ भन भै
क्मो त्मागा भझ
ु को नाथ भेये जीिन भे

जिाफ ऩिॊजम (16)


रािनी
जीिन डोयी तो ऩडी तेयी उरझन भे
जाना है भझ
ु को शीघ्र ऩहुॉचना यन भे

जिाफ अॊजना (17)


रािनी
यन को तो स्िाभी जाओ बेद नहीॊ भन भे
फकस विध यखॉू भै नाथ प्राण भहर भे

जिाफ ऩिॊजम (18)


रािनी
जजस विध बी अफ तक यखे प्राण इस तन भे
विस तरयमाॉ ही तुभ यहो जाम भहर भे
जिाफ यॊ गा (19)
दोहा
होनहाय होकय यहे नहीॊ इसका ऩयिान।
क्मा मरखा है रीराय भे नहीॊ फकसी को बान ॥
रािनी
सफ सैना ठहयी भान सयोिय आकें
दोऊ सखा दे ख यहे शोबा भन हुरसाके
भहायाज खखरी पुरिायी न्द्मायी है
क्मायी क्मायी खखरी खखरी बयऩयू उजायी है
दे खी चकिी इक तडपत नीय फहाती
ऩीहू ऩीहू का वियही याग सन
ु ती
भहायाज कॊु भय रख कय अकुरामे है
आमी बाभनी माद मभत्र को िैन सन
ु ामे है

जिाफ ऩिॊजम (20)


दोहा
चकिी चकिे के विना कय यही रुदन अऩाय।
इसी तयह भहर भें तडपत हो भभ नाय॥
चौफोरा
तडपत हो भभ नाय प्माय विन उससे भझ
ु े मभराओ तभ
ु ।
त्मागे िाईस ियस हुमे अफ भझ ु को धीय फॊधाओ तुभ ॥
मे विमोग सहा ना जामे मभत्र ऩयू ा भभ ऩयन कयाओ तुभ।
चकिा चकिी भें होम मभरन कुि ऐसा भागध फनाओ तुभ ॥
जिाफ मभत्र (21)
दोहा
कैसे हो ऩयू न ऩयन सनु नमे याजकुभाय।
यण के ताॉई आमे है कुि तो कयो विचाय ॥

चौफोरा
कुि तो कयो विचाय माय िीयों का मे तो काभ नहीॊ।
ऩग धये वऩिाडी जो कोई होता है उसका नाभ नहीॊ॥
अॊजन अगय महाॉ फर
ु फाओ तो होंगे क्मा फदनाभ नहीॊ।
गय गप्ु त रूऩ से चरो िहाॉ ननकरे अच्िा ऩयनाभ नहीॊ ॥
जिाफ ऩिॊजम (22)
दोहा
विना अॊजनी के भझ
ु े अफ नहीॊ ऩडता चैन।
हो ददर भें सॊतोर् जफ मभरे नैन से नैन ॥
जोगगमा
चैन भझ
ु को नहीॊ, फात भानो सही, कहूॉ ऩक
ु ायी
राज यक्खे सऩ
ु ायस हभायी
यण भें जाने को भहरो से आमा
उसको धक्का दे दयू हटामा
यह गई िो खडी, बर
ू हुई मे फडी, धीय धायी
राज यक्खे सऩ
ु ायस हभायी
जिाफ मभत्र (23)
जोगगमा
खेद िथ
ृ ा कयो, काज भन के कयो, ित्तय धायी
राज यक्खे सऩ
ु ायस तभ
ु ायी
व्माह से ऩहरे बी हट मों धयी थी
रूऩ रखने की नतयसना कयी थी
जफ क्मा अच्िा फकमा, त्माग भन से फकमा, विना विचायी
राज यक्खे सऩ
ु ायस तभ
ु ायी
जिाफ ऩिॊजम (24)
जोगगमा
मभत्र सखी ने िानी कहीॊ थी
अॊजना सन
ु कय बी चऩ
ु ही यही थी
राखके प्रण भभ फकमा, त्माग उसको ददमा,अिरा नायी
राज यक्खे सऩ
ु ायस हभायी

जिाफ मभत्र (25)


जोगगमा
रूऩ रख के क्मा तुभने ऩामा
चैन दोनों ने अऩना गॊिामा
फात भानें नहीॊ भ्रात कहता सही,कहूॉ उचायी
राज यक्खे सऩ ु ायस तभ
ु ायी

जिाफ ऩिॊजम (26)


जोगगमा
दोर् ननदोर् को था रगामा
कभध फॊधन ने आकय सतामा
कयभ आमे प्रिर, बोगें कभो के पर, गनत है न्द्मायी
राज यक्खे सऩ
ु ायस हभायी

जिाफ मभत्र (27)


जोगगमा
दध
ू चरनी भें खद
ु ही दहु ाते
िथ
ृ ा कभो को दोर् रगाते
िीते िाईस ियस,अफ क्मो आमा तयस, विध्माधायी
राज यक्खे सऩ
ु ायस तभ
ु ायी
जिाफ ऩिॊजम (28)
जोगगमा
िाराऩन के भेये तभ
ु हो साथी
िात कुि बी नहीॊ भन को बाती
अफ न दे यी कयो,ऩीय भन की हयो,खेद बायी
राज यक्खे सऩ
ु ायस हभायी

जिाफ मभत्र (29)


जोगगमा
फात भेयी मे तुभ ध्मान राना,
सैनाऩनत से कयो कुि िहाना
गप्ु त चमरमे िहाॉ, िाट जोहे जहाॊ, िो दर
ु ायी
राज यक्खे सऩ
ु ायस तभ
ु ायी

जिाफ यॊ गा (30)
दोहा
क्रभ िर्द् ऩमाधम की भदहभा अऩयम्ऩाय।
सैनाऩनत को दे ददमा सैना का सफ बाय॥

चौफोरा
सैना का सफ बाय होके तैमाय चर दीमे दोनों माय।
ऺण बय भें िहाॉ जा ऩहुचे िामा था भन भें हर्ध अऩाय॥
भॊद भॊद सग
ु न्द्ध ऩिन थी दासी खडी शमन गह ृ व्दाय।
सफ बेद फता दीना भन का जा कहो आमे है याजकुभाय ॥

दौड
सन
ु सभाचाय भख
ु दासी के अॊजन भन भें बय भाई है ।
जा राई ऩनत को मरिा साथ भन फ़ूरी नहीॊ सभाई है॥
जिाफ अॊजना (31)
दोहा(ननहारदे )
फकस विध स्िागत भै करूॉ, नहीॊ िचन भभ ऩास।
आददनाथ जजनदे ि ने ऩयू न कीनी आस ॥

चौफोरा
ऩयू न कीनी आस, ऩास ऩीतभ दीने मबज िाके।
यण से क्मो िाऩस आमे वऩमा, कुि दीजे भझ
ु ें फताके,
............ कै सच्ची फोमरमे,स्िाभीजी, झठ
ू भत फोमरमे
आमे क्मों आधी यै न,नाथ सफ हार कहो सभझाके,
क्मा होनी अनहोनों गज
ु यी,यख दीना तम्
ु हें दहराके,
............ कै सच्ची फोमरमे,स्िाभीजी, झठ
ू भत फोमरमे

जिाफ ऩिॊजम (32)


चौफोरा
चकिी का रख कय रुॊ दन, हुमा ह्रदम (भें ) सोच अनत बायी,
भन उठी हूॊक तन रगी बॉक ू ,मभरने की तभ ु से प्मायी,
............ कै सच्ची जाननमे,यानीजी, झठ
ू भत भाननमे
बर
ू गमा सफ ऻान,ऻान साया यण का इस फायी,
निऩ कय भहरों भें आमा हूॉ, सन ु रो भभ प्राण आधायी,
............ कै सच्ची जाननमे,यानीजी, झठ
ू भत भाननमे
बर
ू हुई जो त्माग ददमा,त्मागा था विना विचायी,
ऺभा कयो अफ ह्रदम से, हो ऩयू न आस हभायी,
............ कै सच्ची जाननमे,यानीजी, झठ
ू भत भाननमे
जिाफ अॊजना (33)
दोहा
इस मोग भें हूॉ कहाॉ भभ जीिन प्राण अधाय।
कयभ रेंख मभटती नहीॊ, जाने है सॊसाय॥

चौफोरा
जाने है सॊसाय हय भभ बाय फकमा ननस्ताया।
कारी घटा िॉ ट गई गगन से चभका आज मसताया॥
सफ ऩाऩ विरम होगमे नाथ जो ऩामा आज सहाया।
गचॊता गचत की सफ दयू हुई गचॊता से मभरा फकनाया॥

जिाफ ऩिॊजम (34)


दोहा
ऩयभ वप्रमे प्मायी भेयी सन
ु ो रगाकय ध्मान।
सम
ू ध उदम ऩहरे भझ
ु े कयना है प्रस्थान॥

चौफोरा
कयना है प्रस्थान ध्मान से सन
ु रो फात हभायी।
हो विदा गमा यन के ताॊई जाने है नागयी सायी॥
आमा हूॉ गप्ु त जाना है गप्ु त कहता तभ ु से इस फायी।
आऊॉ शीघ्र से शीघ्र रौट तुभ सन ु रों प्राण अधायी॥
जिाफ अॊजना (35)
दोहा
प्राणनाथ भन प्रीत भें है अत्मॊत विबोय।
ऩशु ऩऺी जागे सबी, भोय भचामे शोय॥

कडा
कै स्िाभीजी, भोय भचामे शोय, बोय होने को आमा।
ननॊरा दीजे त्माग, हटा यजनी का ऺामा॥
जिाफ ऩिॊजम (36)
कडा
भेयी यानी यी ,तभ
ु हो चतयु सज
ु ान, सभम से भझ
ु ें जगामा।
कीना मे उऩकाय, तैने भभ ऩयन ननबामा॥

जिाफ अॊजना (37)


कडा
कै स्िाभीजी, सेजें दीजे िोड मभत्र है व्दाय तुभाये ।
दयशन दीने आन, कटें भभ सॊकट साये ॥

जिाफ ऩिॊजम (38)


कडा
भेयी यानी यी, तप्ृ त हुमे नहीॊ नैन ऩडे ऩयिश ही जाना।
जाना है यण फीच, भझ ु ें है ऩयन ननबाना॥

जिाफ अॊजना (39)


कडा
भेये स्िाभीजी, ऩयन ननबाओ नाथ, नाथ हो विजम तुभायी।
यण जानें से ऩि
ू ,ध नाथ एक विनम हभायी॥

जिाफ ऩिॊजम (40)


कडा
भेयी यानी यी,प्राण िल्रिे कहो, कहो क्मो भन है बायी।
होम मभरन वप्रम शीघ्र, गचत्त क्मो शॊका धायी॥

जिाफ अॊजना (41)


कडा
भेये स्िाभीजी, शॊका है भभ आज, राज कहते भें आिे।
है मे सभम फसॊत, गबध भेये यह जािे॥
जिाफ ऩिॊजम (42)
कडा
भेयी यानी यी, भन भें धीयज धाय, भनोिर तू क्मों खोिे।
तफ तक आऊॉ रौट, गबध ऩयगट नहीॊ होिे ॥

जिाफ अॊजना (43)


कडा
भेये स्िाभीजी, यण जाने के फाद, होम िहाॉ दे य अिेयी।
दीजे कुिी ननशान, सास ऩि
ॊू े गी भेयी॥

जिाफ ऩिॊजम (44)


कडा
भेयी यानी यी, धयो अॊगूठी ऩास, औय रो कडे ननशानी।
नभो, मसद्द, अरयहॊ त, धयो रृदम जजन िानी॥

बगत भें रोक गीत का नमा रक


ु दे ने के मरमे दो कुभॊय (िोटे यॊ गा) फना कय
अॊजना की खुसी ददखाने के मरमे एक “राॊगुरयमा” जोडा गमा:-
जिाि दो कुभॊय(िोटे यॊ गा)(45)
राॊगरु यमा
चॊदा चकोयी भें, यह के, यह गमों जी,
एजी कोई चकिी, हॊ िै कोई चकिी की, मभट गई त्रास जी,
चॊदा चकोयी भें, यह के, यह गमों जी,
चभके मसताये , िदया, हट गमों जी,
गोयी तेये सजना, हॊ िै तेये सजना, आए ऩास जी,
चॊदा चकोयी भें, यह के, यह गमों जी,
यीती गगयी, जरते, बय गमे जी,
एजी कोई ऩज
ु गई, हॊ िै कोई ऩज
ु गई, भन की, आस जी,
चॊदा चकोयी भें, यह के, यह गमों जी,
जिाफ यॊ गा (46)
दोहा
ऩिॊजम यण को गमे, िीते है कुि भास।
सभाचाय कुशरात के जानन धाई सास ॥

चौफोरा
जानन धाई सास, ऩास भहरौ भें चर कय आमी।
रखकय, कय जोड खडी अॊजन, िन्द्दन कय शीश निामी॥
दे खे है रऺण, गबध इसे, रखकय यानी घियामी।
भन भें क्रोध उभड आमा, चहये ऩै रारी िामी॥

जिाफ यानी(सास) (47)


कडा
भेयी अॊजना यी, फोरो सच सच िैन, नैन भें कौन निऩामा।
कीना तैने ऩाऩ, ऩाऩ से सत्त डडगामा ॥

जिाफ अॊजना (48)


कडा
भेयी सासू जी, सबी फताऊॉ बेद, बेद नहीॊ कुिी निऩाऊॉ।
नहीॊ कभामा ऩाऩ, ऩनतव्रत धयभ ननबाऊॉ॥

जिाफ यानी(सास) (49)


कडा
भेयी अॊजना यी, क्मा हभ को िहकाम दाग दोऊॉ कुर को रगामा,
िाईस फयस के फीच, ऩती तेये ऩास न आमा॥
जिाफ अॊजना (50)
कडा
भेयी सासू जी, आमे ऩती भभ ऩास, गचन्द्ह उनके ददखराऊॉ,
कडा, भर
ु का साऺ औय क्मा साऺ ददखाऊॉ,
जिाफ यानी(सास) (51)
कडा
भेयी अॊजना यी,िर ऩै िर तू कयें कऩट तेये भन भें िामा,
तननक न खामा खौप, फकमा जो भन को बामा,

जिाफ अॊजना (52)


कडा
भेयी सासू जी,क्मों फोरो ऐसे फैन करेजा चीय ददखाऊॉ,
ऩनतियता हूॉ नाय, ऩनत से नेह रगाऊॉ,

जिाफ यॊ गा (53)
दोहा
आॉसू झय झय, झय यहे , फोर यही फानी।
रख रो नायी ऩीय को, मह नायी नहीॊ जानी॥

आसाियी
है जायी नीय नैनो से,व्मथा यो यो सन
ु ाती है
धया ऩय गगय ऩडी फर खा, उठे ऩय उठ न ऩाती है
है जायी नीय नैनो से,व्मथा यो यो सन
ु ाती है
फडा शॊकारु नायी भन, ज़र
ु भ नायी ऩै ढाती है ,
फर
ु ा कय यथ तुयत सासर
ु उसे यथ भें फैठाती है
है जायी नीय नैनो से,व्मथा यो यो सन
ु ाती है
जो राई िहु फना घय भें , िही घय से ऩढ़ाती है ,
क्मा रीरा रीराधय की है , सभझ रीरा न आती है
है जायी नीय नैनो से,व्मथा यो यो सन
ु ाती है
वऩता के घय िो आ ऩहुची,बेद साया फताती है ,
सहाया ना मभरा भाॉ का, मे नायी की ही िाती है ,
है जायी नीय नैनो से,व्मथा यो यो सन
ु ाती है
चरी आई िहाॉ से बी, भीन सी तडपडाती है
ऩडे है ऩाि भें िारे, नीय विन पडपडाती है
है जायी नीय नैनो से,व्मथा यो यो सन
ु ाती है
ऩयखरों ऩयख ने िारो,ऩयख महाॉ ऩयखी जाती है
सत्त ऩै झठ
ू है बायी, दहमे फकसके सभाती है
है जायी नीय नैनो से,व्मथा यो यो सन
ु ाती है

जिाफ याहगीय (54)


तजध- मभट नहीॊ सकता कबी, मरक्खा हुमा तकदीय का, फपल्भ- सॊसाय
मभट नहीॊ सकता कबी, मरक्खा हुमा तकदीय का।
तकदीय ने ही ऩीय दी, सैराि दीना नीय का॥
चकिी से अि चकिा मभरा, ऩरटा था रुख तस्िीय का।
ननदोर् फपय दोर्ी फनी, कहाॉ ऩाय है उस ऩीय का॥
तकदीय ने ही ऩीय दी, सैराि दीना नीय का।
क्मा कहें कैसे कहें है, घाि गहया तीय का ॥
श्रर्द्ा सभ
ु न अवऩधत कयै , स्भयण कय भहािीय का।
तकदीय ने ही ऩीय दी, सैराि दीना नीय का॥

जिाफ दासी (55)


आसाियी
नीय बय बय कय फदहना न योंओ
धीय धायो धयन न मबगोओ
दीऩ आसा का तुभने जगाना
ननध है अनभोर उसको फचाना
भत हो व्माकुर दहयासा न होओ
धीय धायो धयन न मबगोओ
जिाफ अॊजना (56)
आसाियी
िीते फयर्ौ ननशा गगन गगन ताये
ऩि
ू ध बि थे क्मा ऐसे हभाये
आई ऺण बय को सख
ु की घडी थी
दृजष्ट प्रीतभ की भझ
ु ऩय ऩडी थी
िाजी जीती हुई फपय से हाये
ऩिू ध बि थे क्मा ऐसे हभाये

जिाफ दासी (57)


आसाियी
रेख मरखता मरराय विधाता
ननज कभध ही बाग्म फनाता
िोझ कयभों का कयभों से धोओ
धीय धायो धयन न मबगोओ

जिाफ अॊजना (58)


आसाियी
भन िचन काम से भैंने बगिन
ऩय ऩरु
ु र् भें फकमा हो कबी भन
साऺी इसके गगन औय ताये
ऩि
ू ध बि थे क्मा ऐसे हभाये

जिाफ दासी (59)


आसाियी
शीघ्र ही गभ के फादय टयें गे
ऩीय रहयी तेयी आ हयें गे
निन निन घर
ु घर
ु के जीिन न खोओ
धीय धायो धयन न मबगोओ
जिाफ अॊजना (60)
आसाियी
है विमािान जॊगर िहाॉ ऩय
िसते चीते घये िहाॉ ऩय
हभ तो िन फपयें विन सहाये
ऩि
ू ध बि थे क्मा ऐसे हभाये

जिाफ दासी (61)


आसाियी
िन भें िन दे ि याहें ददखामें
साभॊू दे खो िों ददखें गप
ु ाएॉ
अफ तुभ जजनदे ि रृदम सजोओ
धीय धायो धयन न मबगोओ

जिाफ यॊ गा (62)
िन्द्द
चरकय ननकट आमी गुपा के फैठी है आसन भाय जी।
जाय जाय िेजाय है असकों की फहती धाय जी॥
फकस विध गप
ु ा भें हभ चरें कयती मों सोच विचाय जी।
कहीॊ हो बमानक जीि ना है इसमरमे राचाय जी ॥
दे खी फकयन ननकसी कुिी भन भें हुमा सॊचाय की।
धीयज यख आगे फढ़ी िैबि रख इसफाय जी ॥
ऩदभासन रगा दीखेँ भन
ु ी रृदम के खर
ु गमें व्दाय जी।
हय तयह ऩययन उन्द्हें धायें ददगॊिय बाय जी ॥

(महाॉ भॊच ऩय श्रोताओॊ के तयप एक खडा कऩडा रगामा जामगा जजससे ददगॊिय
भनु नश्री के शयीय का ननचरा दहस्सा नहीॊ ददखामी दे गा।)
जिाि अॊजना ि दासी(63)
यागनी
इतनी दमा तो कीजे, हभ ऩय दमारु भनु निय
विनती ऩें ध्मान दीजे, तभ
ु हो क्रऩारु भनु निय
है सिधऻ आऩ ऻानी, रिरीन थे बजन भें
हभको बी ऻान दीजे, नतयकार दयशी भनु निय
विनती ऩें ध्मान दीजे, तुभ हो क्रऩारु भनु निय
कुशरात अऩनी कदहमे कहती अॊजान ऩन भें
उऩदे श हभको दीजे उद्दाय कीजे भनु निय
विनती ऩें ध्मान दीजे, तुभ हो क्रऩारु भनु निय

जिाि भनु न श्री(64)


यागनी
भत हो अधीय िेटी, धय धीय अऩने भन भें
कयभों के बोग रामे, फेटी तुम्हें विऩन भें
भत हो अधीय िेटी, धय धीय अऩने भन भें
हभ हय तयह कुशर है, नहीॊ कोई त्रसना हभको
सॊसाय बोग त्मागे, रखकय सरूऩ भन भें
कयभों के बोग रामे, फेटी तम्
ु हें विऩन भें
याजा भदहन्द्र ऩत्र
ु ी, अॊजन न अफ दखु खत हो
जीिन सपर हो जल्दी,कहता सत िचन भें
कयभों के बोग रामे, फेटी तुम्हें विऩन भें

जिाि अॊजना(65)
तजध- ददर के अयभाॊ आॊसओ
ु ॊ भें फह गमे फपल्भ –ननकाह

ऩि
ू ध बि थे क्मा भेये फतराइमे
आगे बी क्मा होम मह जतराइमे
आई िो ऩर बय को एक शब
ु थी घडी
बि गबध के इस जीि को सभझाइमे
आगे बी क्मा होम मह जतराइमे
क्मा ऩती के दयश फपए सर
ु ब
ऩाऩ कैसे भभ धर
ु े गचतराइमे
आगे बी क्मा होम मह जतराइमे

जिाि भनु न श्री(66)


तजध- ददर के अयभाॊ आॊसओ
ु ॊ भें फह गमे फपल्भ –ननकाह
वियथा भत योिें भेये िेटी खडी
आनी है फपय रौट कय सख
ु की घडी
वियथा भत योिें भेये िेटी खडी
कष्ट ऩामे ऩि
ू ध बि के जानरे
कभध की तू कभध से व्दॊ दे रडी
आनी है फपय रौट कय सख
ु की घडी
भोऺ गाभी ऩत्र
ु हो मह भन रे
ऩनत मभरे तेयी जुडें टूटी रडी
आनी है फपय रौट कय सख
ु की घडी
दौड
क्मो ठॊ डी साॉसे बयती है नैनो से नीय तेये जायी।
भत रुॊ दन कये तज शोक अबी बम िोड त्माग गचॊता सायी॥
जिाि यॊ गा(67)
दोहा
विहाय भनु निय ने फकमा दे कय सक
ु ू न अनक
ु ू र।
फकमो प्रसि सट
ू अॊजना बफऩनत गई सफ बर
ू ॥

यागनी
खखर उठी करी जैसी,जुही फेरा गुराफ
आ गमा उबय फपय से, कभरनी ऩै सिाि
मे झभ
ू उठी भद भें बया भन का तराि
है िाम यही खमु समारी नहीॊ जजसका जफाफ
दौड
भोय भचामे शोय आज चहुॊ ओय फदरयमा फयस यही।
ऩरना भें ररना झरु ा रोरयमाॉ गा गा अॊजन हयश यही॥

जिाि अॊजना(68)
तजध- ब्रभचायी को यही है िे ड- फपल्भ – रल्रयु ाभ
अथिा
यघन
ु ॊदन पूरे ना सभाम, रगुन आमीॊ हये हये

भै तो होगई आज ननहार, रार तोम हये हये


रार तोम जन कय के
खुमशमों के दीऩ यहे िार, रार तोम जन कय के
नय-नायी दे खन कॊु धामे, दे खत ननगाह ऩसाय
नजय काहूॊ की रग नदहॊ जािे, रगे नहीॊ दटटकाय
उतायत याई नौन बयके, भै तो होगई आज ननहार

जिाफ दासी (69)


तजध- ब्रभचायी को यही है िे ड- फपल्भ – रल्रयु ाभ
अथिा
यघन
ु ॊदन पूरे ना सभाम, रगुन आमीॊ हये हये
बमे ऩैदा याजकुभाय, िधािों गािे हये हये
िधािों गािे हभ मभरके
बमे ऩैदा ऩिन कुभाय, िधािों गािे सफ मभरके
दे ई- दे िता कयें स्तनु त, ऩष्ु ऩ कयें फौिाय
दे ख रेमों जजमा बय के, बमे ऩैदा याजकुभाय
जिाि दो कुभॊय(िोटे यॊ गा)(70)
तजध- ब्रभचायी को यही है िे ड- फपल्भ – रल्रयु ाभ
अथिा
यघन
ु ॊदन पूरे ना सभाम, रगन
ु आमीॊ हये हये
तेया फने मही आधाय, िैन कहे खये खये
िैन कहे हभ खखरके
कोई सह न सकेगी बाय, यह जामे ददर दहरके
तेये इस िौने को अॊजन, ऩज
ू ेगौ सॊसाय
भान िढाई ऩामे रार,कये दष्ु ट सॊहाय
भान ठह जाएॉ खयके, कोई सह न सकेगी बाय

जिाि अॊजना(71)
तजध- ब्रभचायी को यही है िे ड- फपल्भ – रल्रयु ाभ
अथिा
यघन
ु ॊदन पूरे ना सभाम, रगुन आमीॊ हये हये
रोयी गा – गा झर ू ा ऩारना, जाित हूॊ िमरहाय
भनु नदे ि ने िैन कहे जो, रक्खू आज साकाय
दहमा भें जजनिय को धयके, भै तो होगई आज ननहार

जिाफ दासी (72)


तजध- ब्रभचायी को यही है िे ड- फपल्भ – रल्रयु ाभ
अथिा
यघन
ु ॊदन पूरे ना सभाम, रगुन आमीॊ हये हये
रीराधाय रीरा ददखराभें , रूऩ िार कौ धाय
ऩरना भें रहयी झर
ू यहे हैं, हये भात कौ बाय
ऩयख रेमों नेहा बय कै, बमे ऩैदा ऩिन कुभाय
जिाि यॊ गा(73)
दोहा
चक्र पेयी दे ती धया, चॊर सम
ू ध औय कार।
प्रीतभ दशधन न मभरे, है अॊजन िेहार ॥

जिाि अॊजना(74)
यागनी
क्मा बर
ू हुई हभसे, हे नाथ फता दीजे
विन ऩीम के तडपती हूॊ, ऩीमा से मभरा दीजे
कह कय गमे ऩीतभ, जरदी आऊॉगा भैं
यन जीत तयु त रौटू, खमु शमाॉ राऊॉगा
भ्रभ भेया मभटा कयके, सफ सत्त फता दीजे
विन ऩीम के तडपती हूॊ_______
घय इसकी उम्भीदों का क्मो फपय से उजाडा है
क्मा फकसका विगाडा था, क्मा फकसका विगाडा है
अिरा को ननबा कयके,बफगडी को फना दीजे
विन ऩीम के तडपती हूॊ_______
एक दान ददमा भझ
ु को,उस यात ननहाया है
जो िैन कहे भनु निय, िो कहाॉ ऩै फकनाया है
कय थाभ भेया कय के,बि ऩाय रगा दीजे
विन ऩीम के तडपती हूॊ_______
जिाि यॊ गा(75)
दोहा
कय विराऩ अॊजन यही, कय कय ऩनत का ध्मान।
जॊगर भेँ सन
ु कय रुॊ दन, उताया एक बफभान॥

चौफोरा
उताया एक बफभान, विऩन दयम्मान रुॊ दन सन
ु बायी।
उसभें फैठे है विध्माधय, है शीरिन्द्त गण
ु धायी॥
चर कय आमे ऩास गप
ु ा के, भन भैं अचयज बायी।
ऩड गई दृजष्ट फपय अॊजन ऩै, नैनो से नीय जजसके जायी॥
विऩदा की गाथा सभझ कहें ,अॊजन क्मों दहम्भत हयी।
सफ अता ऩता ितरा ननज का, फपय िेटी को ऩच
ु कायी।।
जाना भाभा है प्रीतसम
ू ,ध दख
ु बर
ू गई दखु खमायी।
भाभी के उठ कय चयण िूमे, मसय आऻा भाभा की धायी।।
सफ हॊ सी खुशी से चर दीने, आ फैठे मान भझायी।
बयी उडान फपय मान चरा,फारक बयता फकरकायी॥
दौड
उिरा है फारक गोदी से, औय गगया धयन ऩै आमा।
भामा है अऩयम्ऩाय, ऩाय नहीॊ ऩाय फकसी ने ऩामा॥
जिाि अॊजना(76)
दोहा
ऩीय ऩीय ऩै ऩीय दे ,ननत ननत दे ता ऩीय।
ऩीय हयण कहता जगत, ऩय ददखें तू फे ऩीय॥

तजध – हे योभ योभ भें फसने फारे याभ फपल्भ – नीरकभर


नहीॊ अफ तक मभरा बफयाभ- 2
दमा के सागय, दे खरों आकय, चऩ
ु हो क्मों फोरो – 2
नहीॊ अफ तक मभरा बफयाभ___________
िर ऩै िर क्मों अफ तक कीना, सख
ु दे कय फपय क्मों सख
ु िीना
फनों क्मों सख
ु के धाभ, दमा के सागय, दे खरों आकय
चऩ
ु हो क्मों फोरो, नहीॊ अफ तक मभरा बफयाभ
सन
ु ा हैं तू विगडी फनाता, शयण गये िो कष्ट मभटाता
क्मों आमे न तेये काभ, दमा के सागय, दे खरों आकय
चऩ
ु हो क्मों फोरो, नहीॊ अफ तक मभरा बफयाभ___________

जिाि सम
ू प्र
ध ीनत(77)
तजध – हे योभ योभ भें फसने फारे याभ फपल्भ – नीरकभर

तुझे ऩयू ण मभरे वियाभ – 2


दमा के सागय, बयें तेयी गागय, प्रबू की जै फोरो
मशरा चयू रख यह गमो दॊ गी, हैं तेयौ रारा फजयॊ गी
धये शैर श्री नाभ, दमा के सागय, बयें तेयी गागय
प्रबू की जै फोरो________________
रीराधय रीरा दयशाई, ऩीय हयी नहीॊ दे य रगाई
हैं ऩीय हयन सख
ु धाभ, दमा के सागय, बयें तेयी गागय
प्रबू की जै फोरो________________

जिाि यॊ गा(78)
दोहा
नभोकाय का जऩ कय फैठे आम बफभान।
हयवर्त हो हनव्ु दीऩ भें, निन भें ऩहुचें आन॥

चौफोरा
निन भें ऩहुचें आन, आन कय प्रजा को फतरामा हैं।
सन
ु कय फारक का मश िैबि, प्रजा ने हर्ध भनामा हैं॥
दय-दय ऩै नौित फाज यहीॊ, दीमों का साज सजामा हैं।
ढ़ोर, म्रदॊ ग, िजा फाजे धयनी आकाश जगामा हैं॥
फपय िर
ु ा दत
ू को मरमा तुयत आददत्म नगय मबजिामा हैं।
अफ सन
ु ो ऩिॊजम का िणधन दे खें बगित की भामा हैं ॥

नोट:- बगत भें ज्मादा सभम हो जाने के कायण ऊऩय िारा चौफोरा योक कय
नीचे मरखी हुई कथा तुयॊत ही मरखी/तैमाय की गई औय गा कय बगत सभाप्त
कय दी थी। िैसे हभायी तैमायी तो ऩयू ी बगत गाने की थी। भझ
ु े मह फात
इसमरमे भारभ
ू है क्मो फक भैं खुद इस बगत भें यॊ गा का फकयदाय ननबा यहा
था। नीचे मरखी कथा की तजध गामक श्री कुन्द्दन रार सहगर के गाने की है
फाद भें मही तजध श्री याभान्द्द सागय ने याभामण सीरयमर भें स्तेभार की।

आगे की कथा
तजध – हभ कथा सन
ु ाते याभ सकर गन
ु धाभ की – Episode-Ramayan-यभानन्द्द सागय

याजा भहें र सक
ु ु भायी की हभ कथा सन
ु ाते है
अफ ऩिन तने भहतायी की गुन गाथा गाते हैं
चर हनद
ु ीऩ सफ आमे वऩयजा को बेद फतामे
गा फारक का मश िैबि फपय याजभहर भें धामे
घय घय औय हय गरी योशनी खखरी, दीऩ सजिाते हैं
याजा भहें र सक
ु ु भायी की हभ कथा सन
ु ाते है
फपय याजदत
ू फर
ु िामे, आददत्म नगय मबजफामे
कुभय जीत यण आमे, वप्रमा की कयी माद अकुरामे
आऻा रॊकेश की रमी, रुके नहीॊ कहीॊ,नगय ननज आते है
अफ ऩिन तने भहतायी की गुन गाथा गाते हैं
दयिाय फीच भें आमे सफ यण के हार फतामे
भात- वऩता के चयन िुए, फपय ननज भहरों भें धामे
नहीॊ अॊजन िहाॉ मभरी, चेतना दहरी,दे ख दहराते हैं
अफ ऩिन तने भहतायी की गन
ु गाथा गाते हैं
फाॉदी को ननकट फर
ु ामे, तफ बेद सभझ सफ आमे
आमे भाॉ के ऩास चरे फपय तीखे िैन सन
ु ामे
बरी नहीॊ कयी, िेदना बयी,खोज भें जाते हैं
अफ ऩिन तने भहतायी की गुन गाथा गाते हैं
अफ भहें र नगय भें आमे, चर याजभहर भें धामे
याजा को बेद फतामें सबी, सन
ु याजा बी घियाते हैं
यानी सि
ु कने रगी, यह गई ठगी, नीय बय आते हैं
याजा भहें र सक
ु ु भायी की हभ कथा सन
ु ाते है

इस गामन के फाद जिाि No. 87 गा कय बगत सभाजप्त का जैकाया रगा कय


बगत सभाप्त कय दी, फाकी बगत इस प्रकाय है:-

जिाफ ऩिॊजम (79)


दोहा
विजम मभरी यण ऺेत्र भें , हुआ अभन औय चैन।
चरो मभत्र अफ रौट कय, सन ु ो हभाये िैन॥
चौफोरा
सन
ु ो हभाये िैन, िैन जा सैनाऩत से कहना।
जा सैना से आदे श कहो, है व्मथध महाॉ अफ यहना॥
भभ वप्रमा िहाॉ िाट जो यही दे गी भझ
ु ें उरेहना।
िीत गमा महाॉ सभम फहुत, भन िाॊधे धीय िॊधेना॥

जिाि मभत्र(80)
दोहा
क्मों अधीय होते कुभय, मभरे नैन से नैन।
जो चाहा िही, हैं विधना की दै न॥

चौफोरा
, हैं विधना की दै न, दहयदम भेँ चैन,चैन से धयना हैं।
रॊकेशऩती की रॉ ू आऻा, आऻा का ऩारन कयना हैं ॥
कयें कॉू च ततकार ऩॊहुच कय, नगय बय सफ हयना हैं।
नहीॊ करूॉ दे य इसिेय, आऩको भन अॊजन का बयना हैं॥
जिाि यॊ गा(81)
दोहा
विदा फकमे रॊकेश ने, कय कय अनत सतकाय।
आददत्म नगय आमी खफय, जुडा याज दयिाय॥

रािनी
दयिाय िीच भेँ आमे कूभय हुरसाके
फपय भात वऩता के चयन ऩखाये जाके
भहायाज वऩता ने गरे रगामे हैं
भाॉ का ऩा आशीर्, कुभय भहरों भेँ धामे हैं

भहरों भेँ अॊजन दीनी नहीॊ ददखरामी


िाॊदी ने साया बेद ददमा जतरामी
भहायाज कुभय सन
ु कय दहरामे हैं
आमे भाॉ के ऩास दहमा बय िैन सन
ु ामे हैं

जिाि ऩिॊजम (82)


रािनी
हे भात कहय मे कैसा तभ
ु ने ढामा
क्मों साऺ भेया नहीॊ ददर भेँ भात सभामा
भेयी भात,सती ऩय दोर् रगामा हैं
नहीॊ जो ही भभ िाट,भहर से उसे ऩठामा हैं
जिाि यानी भाॉ(सास)(83)
रािनी
अॊजन ने हभको साऺ तेया ददखरामा
होनी ने भझ
ु को भायग से बटकामा
भेये रार, नहीॊ कोई िश चर ऩामा हैं
मह क्रभ िद्द ऩमाधम बेद नहीॊ जजसका ऩामा हैं
जिाि यॊ गा (84)
रािनी
होकय अधीय फपय कुभय भदहॊरगण आमे
याजा भदहॊर को हारे जजगय जतरामे
भहायाज भदहॊर सन
ु घियामे हैं
हो कय दहयास फपय कुभय रौट िन को धामे हैं

जिाि याहगीय(85)
तजध- मभट नहीॊ सकता कबी, मरक्खा हुमा तकदीय का, फपल्भ- सॊसाय

मभट नहीॊ सकता कबी, मरक्खा हुमा तकदीय का।


दस
ू या बी दे खरों रुख आज इस तसिीय का॥
तन भन की सध
ु बर
ू े सबी भहरों को तज कय चर ददमे ।
ढूॊढते फपयते फपयै होकय विकर कर न दहमे
नहीॊ ऩता मभरता कहीॊ, नहीॊ िश चरे तदिीय का
दस
ू या बी दे खरों रुख आज इस तसिीय का
पर पॊू र ऩौधे तरु रता म्रग भोय बॉिये भौन हैं
रखकय मसताये भौन हैं, नहीॊ िेग थभता नीय का
दस
ू या बी दे खरों रुख आज इस तसिीय का

जिाि यॊ गा (87)
तजध – हभ कथा सन
ु ाते याभ सकर गन
ु धाभ की – Episode-Ramayan-यभानन्द्द सागय

याजा भहें र सक
ु ु भायी की हभ कथा सन
ु ाते है
अफ सन
ु ो ऩन
ु : आददत्म नगय का हार जताते हैं
चर दत
ू महाॉ ऩय आमे ऩरयचम ननज का ितरामे
प्रीनतसम
ू ध का सॊदेशा, अॊजन के हार सन
ु ामे
सभाचाय सफ मभरे, दत
ू फपय चरे, रौट कय जाते हैं
हभ कथा सन
ु ाते है___________________
सन
ु प्रहराद याि घियामे, चर िीच िनी भेँ धामे
नजय ऩडी याजा भदहॊर ऩय दौनों ने गरे रगामे
इत सम
ू प्र
ध ीनत बी चरे, याह भेँ मभरे, खोज भेँ आते हैं
हभ कथा सन
ु ाते है___________________
सनभख
ु कुभय नजय भेँ आमे, सफ दे ख उन्द्हें हयशामे
ननकट कुभय के आमे मभरे सफ आ सिने दहमे रगामे
अॊजन बी खखरी, भन
ु ी की िानी परी, गोद भेँ रार खखराते हैं
हभ कथा सन
ु ाते है___________________
सफ रौट िनी से आमे, हयमशत हो जसन भनामे
विदा हुमे सनभान ऩामकय ननज ननज धाभ मसधामे
आई फपय शब ु घडी, जड
ु ी सफ कडी,रडी से रडी मभराते हैं
हभ कथा सन
ु ाते है___________________
सत से सत ददमा दयशामे, दयू से झठ
ू खडा थयाधमे
रौट के आमे नेकी के ददन फपय, खेर मभत्रों ने ददखरामे
ऩीय सफ टयी रहयी ने हयी जजनको हभ ध्माते हैं
हभ कथा सन
ु ाते है___________________

दौड
ऩदभ ऩयु ाण आदद ग्रन्द्थों से प्राप्त हुमा जो हभको ऻान।
हैं कजल्ऩत नहीॊ मरखा ग्रन्द्थों भेँ अिरोकन कयरें विद्िान॥

जम जैनेन्द्र

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