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जिाफ यॊ गा (1)
दोहा
त्रेता मग
ु के भध्म का कयता कयता तननक िखान।
सती अॊजना सत का कयता हूॉ गन
ु गान॥
चौफोरा
कयता हूॉ गुन गान रगाकय ध्मान सबी गुणिान सन ु ो ।
सत्तिती सत्त ऩै डटी हटी नहीॊ जाने सबी जहान सन
ु ो ॥
याजा भहें र की कन्द्मा थी थी चॊचर चतयु सज
ु ान सन
ु ो ।
अच्िी मशऺा थी मभरी धभध की कहाॉ तक कयें िखान सन
ु ो ॥
थी एक ददिस कयती फकरोर दे खी फागों दयम्मान सन
ु ो ।
हो गई कन्द्मा अफ विफाह मोग्म जागा मह भन भे बान सन
ु ो ॥
याज्म सबा का सत्र फर
ु ा मभर सफने फकमा ननदान सन
ु ो ।
प्रहराद ऩत्र
ु रृदम बामा विध्मा भे विध्मािान सन
ु ो ॥
अष्टानका ऩिध भे दशधन का रृदम भे उऩजा ऻान सन
ु ो ।
कैराश मशखय ऩै जा ऩहुचे जो मसर्द् ऺेत्र स्थान सन
ु ो ॥
प्रहराद याि आददत्म नगय से कय दीना प्रस्थान सन ु ो ।
सॊमोग मोग आ मभरा िहाॉ दौनों का हुमा मभरान सनु ो ॥
मभर यहे गरे से गरे कयें एक दज
ू े का सनभान सनु ो ।
कीने रृदम के प्रगट बाि ऩा अिसय आज भहान सन
ु ो ॥
खभजा
याजा भहें र के बाि को प्रहराद मरमे उय धाय जी ।
ऩयु ोदहत मरमे फर
ु िा तुयॊत कीनी नहीॊ कुि िाय जी ॥
ऩॊचाॊग ददखिा रगन सध
ु िा कयिा रगन तैमाय जी ।
कीने बफदा दी दक्षऺणा िामा है हर्ध अऩाय जी ॥
है तीसये ददन शब
ु रगन सम्ऩन्द्न हौ सॊस्काय जी ।
स्िीकाय दौनों को हुमा कीना फडा सत्तकाय जी॥
दौड
शब
ु सभाचाय सन
ु सक
ु ु भायी खखर उठी करी उनभान सन
ु ो ।
हवर्धत हो भन भें ऩिॊजम रखने की ठाने ठान सन
ु ो ॥
जिाफ यॊ गा (6)
दोहा
बेर् फदर कय चर ददमे ऺण भे ऩहुचे आन ।
अॊजन झरू े ऩारना सखखमाॉ गायही गान ॥
जिाफ सखी दस
ू यी (8)
भल्हाय
तजध- अखखॊमा है प्मासी प्मासी फपल्भ- जभन
ु ा फकनाये
ऐसो ऩामो है साभरयमा िाभे रागो नेहा
िरभा के सॊग जाए सखी अफ हभसे कयें वििोहा
सध
ु फध
ु क्मो विसयाई सजननमा रख रख धडकत दे हा
यॊ ग भे यॊ ग गई हो सगयी बय गई हो तन की गगयी
हभको तो जाना बर
ू ना, सखखमाॉ दहर मभर ---------------------
जिाफ सखी तीसयी (9)
भल्हाय
तजध- अखखॊमा है प्मासी प्मासी फपल्भ- जभन
ु ा फकनाये
भख
ु दे खें की कयो फडाई मसग की गई भत भायी
ऩिॊजम भें क्मा ऩामो तुभने सनु नमों सखी हभायी
सौदाभनन सा ऩरू
ु र् िोड तू को को ददर दे हायी
िदहना फकसके तू भोह भोही सध
ु फध
ु सफ तन की खोई
भोकॊु ऩडा है सन
ु के ददर थाभना, सखखमाॉ दहर मभर ---------------------
जिाफ यॊ गा (10)
दोहा
िैन सन
ु े जफ सखखन के आहत हुआ शयीय ।
ऩिॊजम कहते मभत्र से होकय फहुत अधीय ॥
रॊगडी
िामा हर्ध अऩाय रौट आददत्म नगय फपय आमे है।
हय तरयमाॉ है खुशहार सबी प्रजा ने भॊगर गामे है ॥
व्माह ऩि
ू ध जो कहे फचन िो भन भें नहीॊ बर
ु ामे है ।
िाइस ियस के फीच भहर भेँ दयश न अॊजन ऩामे है ॥
एक ददिस रॊकेश दत
ू दयिाय िीच ऩधयामे है ।
फ़ौजे रेकय आऩ चरें यािण ने आऩ िर
ु ामे है ।।
यण की सन
ु कय फात ऩिॊजम भन ही भन हर्ाधमे है ।
रे हस्त मभत्र को साथ वऩता भाता को शीश निाएॊ है ॥
दौड
कयके तैमायी चर दीने आगे को कदभ फढ़ामे है ।
व्दाये ऩै अॊजन खडी मभरी हटजा मौ िचन सन
ु ामे है ॥
चौफोरा
कुि तो कयो विचाय माय िीयों का मे तो काभ नहीॊ।
ऩग धये वऩिाडी जो कोई होता है उसका नाभ नहीॊ॥
अॊजन अगय महाॉ फर
ु फाओ तो होंगे क्मा फदनाभ नहीॊ।
गय गप्ु त रूऩ से चरो िहाॉ ननकरे अच्िा ऩयनाभ नहीॊ ॥
जिाफ ऩिॊजम (22)
दोहा
विना अॊजनी के भझ
ु े अफ नहीॊ ऩडता चैन।
हो ददर भें सॊतोर् जफ मभरे नैन से नैन ॥
जोगगमा
चैन भझ
ु को नहीॊ, फात भानो सही, कहूॉ ऩक
ु ायी
राज यक्खे सऩ
ु ायस हभायी
यण भें जाने को भहरो से आमा
उसको धक्का दे दयू हटामा
यह गई िो खडी, बर
ू हुई मे फडी, धीय धायी
राज यक्खे सऩ
ु ायस हभायी
जिाफ मभत्र (23)
जोगगमा
खेद िथ
ृ ा कयो, काज भन के कयो, ित्तय धायी
राज यक्खे सऩ
ु ायस तभ
ु ायी
व्माह से ऩहरे बी हट मों धयी थी
रूऩ रखने की नतयसना कयी थी
जफ क्मा अच्िा फकमा, त्माग भन से फकमा, विना विचायी
राज यक्खे सऩ
ु ायस तभ
ु ायी
जिाफ ऩिॊजम (24)
जोगगमा
मभत्र सखी ने िानी कहीॊ थी
अॊजना सन
ु कय बी चऩ
ु ही यही थी
राखके प्रण भभ फकमा, त्माग उसको ददमा,अिरा नायी
राज यक्खे सऩ
ु ायस हभायी
जिाफ यॊ गा (30)
दोहा
क्रभ िर्द् ऩमाधम की भदहभा अऩयम्ऩाय।
सैनाऩनत को दे ददमा सैना का सफ बाय॥
चौफोरा
सैना का सफ बाय होके तैमाय चर दीमे दोनों माय।
ऺण बय भें िहाॉ जा ऩहुचे िामा था भन भें हर्ध अऩाय॥
भॊद भॊद सग
ु न्द्ध ऩिन थी दासी खडी शमन गह ृ व्दाय।
सफ बेद फता दीना भन का जा कहो आमे है याजकुभाय ॥
दौड
सन
ु सभाचाय भख
ु दासी के अॊजन भन भें बय भाई है ।
जा राई ऩनत को मरिा साथ भन फ़ूरी नहीॊ सभाई है॥
जिाफ अॊजना (31)
दोहा(ननहारदे )
फकस विध स्िागत भै करूॉ, नहीॊ िचन भभ ऩास।
आददनाथ जजनदे ि ने ऩयू न कीनी आस ॥
चौफोरा
ऩयू न कीनी आस, ऩास ऩीतभ दीने मबज िाके।
यण से क्मो िाऩस आमे वऩमा, कुि दीजे भझ
ु ें फताके,
............ कै सच्ची फोमरमे,स्िाभीजी, झठ
ू भत फोमरमे
आमे क्मों आधी यै न,नाथ सफ हार कहो सभझाके,
क्मा होनी अनहोनों गज
ु यी,यख दीना तम्
ु हें दहराके,
............ कै सच्ची फोमरमे,स्िाभीजी, झठ
ू भत फोमरमे
चौफोरा
जाने है सॊसाय हय भभ बाय फकमा ननस्ताया।
कारी घटा िॉ ट गई गगन से चभका आज मसताया॥
सफ ऩाऩ विरम होगमे नाथ जो ऩामा आज सहाया।
गचॊता गचत की सफ दयू हुई गचॊता से मभरा फकनाया॥
चौफोरा
कयना है प्रस्थान ध्मान से सन
ु रो फात हभायी।
हो विदा गमा यन के ताॊई जाने है नागयी सायी॥
आमा हूॉ गप्ु त जाना है गप्ु त कहता तभ ु से इस फायी।
आऊॉ शीघ्र से शीघ्र रौट तुभ सन ु रों प्राण अधायी॥
जिाफ अॊजना (35)
दोहा
प्राणनाथ भन प्रीत भें है अत्मॊत विबोय।
ऩशु ऩऺी जागे सबी, भोय भचामे शोय॥
कडा
कै स्िाभीजी, भोय भचामे शोय, बोय होने को आमा।
ननॊरा दीजे त्माग, हटा यजनी का ऺामा॥
जिाफ ऩिॊजम (36)
कडा
भेयी यानी यी ,तभ
ु हो चतयु सज
ु ान, सभम से भझ
ु ें जगामा।
कीना मे उऩकाय, तैने भभ ऩयन ननबामा॥
चौफोरा
जानन धाई सास, ऩास भहरौ भें चर कय आमी।
रखकय, कय जोड खडी अॊजन, िन्द्दन कय शीश निामी॥
दे खे है रऺण, गबध इसे, रखकय यानी घियामी।
भन भें क्रोध उभड आमा, चहये ऩै रारी िामी॥
जिाफ यॊ गा (53)
दोहा
आॉसू झय झय, झय यहे , फोर यही फानी।
रख रो नायी ऩीय को, मह नायी नहीॊ जानी॥
आसाियी
है जायी नीय नैनो से,व्मथा यो यो सन
ु ाती है
धया ऩय गगय ऩडी फर खा, उठे ऩय उठ न ऩाती है
है जायी नीय नैनो से,व्मथा यो यो सन
ु ाती है
फडा शॊकारु नायी भन, ज़र
ु भ नायी ऩै ढाती है ,
फर
ु ा कय यथ तुयत सासर
ु उसे यथ भें फैठाती है
है जायी नीय नैनो से,व्मथा यो यो सन
ु ाती है
जो राई िहु फना घय भें , िही घय से ऩढ़ाती है ,
क्मा रीरा रीराधय की है , सभझ रीरा न आती है
है जायी नीय नैनो से,व्मथा यो यो सन
ु ाती है
वऩता के घय िो आ ऩहुची,बेद साया फताती है ,
सहाया ना मभरा भाॉ का, मे नायी की ही िाती है ,
है जायी नीय नैनो से,व्मथा यो यो सन
ु ाती है
चरी आई िहाॉ से बी, भीन सी तडपडाती है
ऩडे है ऩाि भें िारे, नीय विन पडपडाती है
है जायी नीय नैनो से,व्मथा यो यो सन
ु ाती है
ऩयखरों ऩयख ने िारो,ऩयख महाॉ ऩयखी जाती है
सत्त ऩै झठ
ू है बायी, दहमे फकसके सभाती है
है जायी नीय नैनो से,व्मथा यो यो सन
ु ाती है
जिाफ यॊ गा (62)
िन्द्द
चरकय ननकट आमी गुपा के फैठी है आसन भाय जी।
जाय जाय िेजाय है असकों की फहती धाय जी॥
फकस विध गप
ु ा भें हभ चरें कयती मों सोच विचाय जी।
कहीॊ हो बमानक जीि ना है इसमरमे राचाय जी ॥
दे खी फकयन ननकसी कुिी भन भें हुमा सॊचाय की।
धीयज यख आगे फढ़ी िैबि रख इसफाय जी ॥
ऩदभासन रगा दीखेँ भन
ु ी रृदम के खर
ु गमें व्दाय जी।
हय तयह ऩययन उन्द्हें धायें ददगॊिय बाय जी ॥
(महाॉ भॊच ऩय श्रोताओॊ के तयप एक खडा कऩडा रगामा जामगा जजससे ददगॊिय
भनु नश्री के शयीय का ननचरा दहस्सा नहीॊ ददखामी दे गा।)
जिाि अॊजना ि दासी(63)
यागनी
इतनी दमा तो कीजे, हभ ऩय दमारु भनु निय
विनती ऩें ध्मान दीजे, तभ
ु हो क्रऩारु भनु निय
है सिधऻ आऩ ऻानी, रिरीन थे बजन भें
हभको बी ऻान दीजे, नतयकार दयशी भनु निय
विनती ऩें ध्मान दीजे, तुभ हो क्रऩारु भनु निय
कुशरात अऩनी कदहमे कहती अॊजान ऩन भें
उऩदे श हभको दीजे उद्दाय कीजे भनु निय
विनती ऩें ध्मान दीजे, तुभ हो क्रऩारु भनु निय
जिाि अॊजना(65)
तजध- ददर के अयभाॊ आॊसओ
ु ॊ भें फह गमे फपल्भ –ननकाह
ऩि
ू ध बि थे क्मा भेये फतराइमे
आगे बी क्मा होम मह जतराइमे
आई िो ऩर बय को एक शब
ु थी घडी
बि गबध के इस जीि को सभझाइमे
आगे बी क्मा होम मह जतराइमे
क्मा ऩती के दयश फपए सर
ु ब
ऩाऩ कैसे भभ धर
ु े गचतराइमे
आगे बी क्मा होम मह जतराइमे
यागनी
खखर उठी करी जैसी,जुही फेरा गुराफ
आ गमा उबय फपय से, कभरनी ऩै सिाि
मे झभ
ू उठी भद भें बया भन का तराि
है िाम यही खमु समारी नहीॊ जजसका जफाफ
दौड
भोय भचामे शोय आज चहुॊ ओय फदरयमा फयस यही।
ऩरना भें ररना झरु ा रोरयमाॉ गा गा अॊजन हयश यही॥
जिाि अॊजना(68)
तजध- ब्रभचायी को यही है िे ड- फपल्भ – रल्रयु ाभ
अथिा
यघन
ु ॊदन पूरे ना सभाम, रगुन आमीॊ हये हये
जिाि अॊजना(71)
तजध- ब्रभचायी को यही है िे ड- फपल्भ – रल्रयु ाभ
अथिा
यघन
ु ॊदन पूरे ना सभाम, रगुन आमीॊ हये हये
रोयी गा – गा झर ू ा ऩारना, जाित हूॊ िमरहाय
भनु नदे ि ने िैन कहे जो, रक्खू आज साकाय
दहमा भें जजनिय को धयके, भै तो होगई आज ननहार
जिाि अॊजना(74)
यागनी
क्मा बर
ू हुई हभसे, हे नाथ फता दीजे
विन ऩीम के तडपती हूॊ, ऩीमा से मभरा दीजे
कह कय गमे ऩीतभ, जरदी आऊॉगा भैं
यन जीत तयु त रौटू, खमु शमाॉ राऊॉगा
भ्रभ भेया मभटा कयके, सफ सत्त फता दीजे
विन ऩीम के तडपती हूॊ_______
घय इसकी उम्भीदों का क्मो फपय से उजाडा है
क्मा फकसका विगाडा था, क्मा फकसका विगाडा है
अिरा को ननबा कयके,बफगडी को फना दीजे
विन ऩीम के तडपती हूॊ_______
एक दान ददमा भझ
ु को,उस यात ननहाया है
जो िैन कहे भनु निय, िो कहाॉ ऩै फकनाया है
कय थाभ भेया कय के,बि ऩाय रगा दीजे
विन ऩीम के तडपती हूॊ_______
जिाि यॊ गा(75)
दोहा
कय विराऩ अॊजन यही, कय कय ऩनत का ध्मान।
जॊगर भेँ सन
ु कय रुॊ दन, उताया एक बफभान॥
चौफोरा
उताया एक बफभान, विऩन दयम्मान रुॊ दन सन
ु बायी।
उसभें फैठे है विध्माधय, है शीरिन्द्त गण
ु धायी॥
चर कय आमे ऩास गप
ु ा के, भन भैं अचयज बायी।
ऩड गई दृजष्ट फपय अॊजन ऩै, नैनो से नीय जजसके जायी॥
विऩदा की गाथा सभझ कहें ,अॊजन क्मों दहम्भत हयी।
सफ अता ऩता ितरा ननज का, फपय िेटी को ऩच
ु कायी।।
जाना भाभा है प्रीतसम
ू ,ध दख
ु बर
ू गई दखु खमायी।
भाभी के उठ कय चयण िूमे, मसय आऻा भाभा की धायी।।
सफ हॊ सी खुशी से चर दीने, आ फैठे मान भझायी।
बयी उडान फपय मान चरा,फारक बयता फकरकायी॥
दौड
उिरा है फारक गोदी से, औय गगया धयन ऩै आमा।
भामा है अऩयम्ऩाय, ऩाय नहीॊ ऩाय फकसी ने ऩामा॥
जिाि अॊजना(76)
दोहा
ऩीय ऩीय ऩै ऩीय दे ,ननत ननत दे ता ऩीय।
ऩीय हयण कहता जगत, ऩय ददखें तू फे ऩीय॥
जिाि सम
ू प्र
ध ीनत(77)
तजध – हे योभ योभ भें फसने फारे याभ फपल्भ – नीरकभर
जिाि यॊ गा(78)
दोहा
नभोकाय का जऩ कय फैठे आम बफभान।
हयवर्त हो हनव्ु दीऩ भें, निन भें ऩहुचें आन॥
चौफोरा
निन भें ऩहुचें आन, आन कय प्रजा को फतरामा हैं।
सन
ु कय फारक का मश िैबि, प्रजा ने हर्ध भनामा हैं॥
दय-दय ऩै नौित फाज यहीॊ, दीमों का साज सजामा हैं।
ढ़ोर, म्रदॊ ग, िजा फाजे धयनी आकाश जगामा हैं॥
फपय िर
ु ा दत
ू को मरमा तुयत आददत्म नगय मबजिामा हैं।
अफ सन
ु ो ऩिॊजम का िणधन दे खें बगित की भामा हैं ॥
नोट:- बगत भें ज्मादा सभम हो जाने के कायण ऊऩय िारा चौफोरा योक कय
नीचे मरखी हुई कथा तुयॊत ही मरखी/तैमाय की गई औय गा कय बगत सभाप्त
कय दी थी। िैसे हभायी तैमायी तो ऩयू ी बगत गाने की थी। भझ
ु े मह फात
इसमरमे भारभ
ू है क्मो फक भैं खुद इस बगत भें यॊ गा का फकयदाय ननबा यहा
था। नीचे मरखी कथा की तजध गामक श्री कुन्द्दन रार सहगर के गाने की है
फाद भें मही तजध श्री याभान्द्द सागय ने याभामण सीरयमर भें स्तेभार की।
आगे की कथा
तजध – हभ कथा सन
ु ाते याभ सकर गन
ु धाभ की – Episode-Ramayan-यभानन्द्द सागय
याजा भहें र सक
ु ु भायी की हभ कथा सन
ु ाते है
अफ ऩिन तने भहतायी की गुन गाथा गाते हैं
चर हनद
ु ीऩ सफ आमे वऩयजा को बेद फतामे
गा फारक का मश िैबि फपय याजभहर भें धामे
घय घय औय हय गरी योशनी खखरी, दीऩ सजिाते हैं
याजा भहें र सक
ु ु भायी की हभ कथा सन
ु ाते है
फपय याजदत
ू फर
ु िामे, आददत्म नगय मबजफामे
कुभय जीत यण आमे, वप्रमा की कयी माद अकुरामे
आऻा रॊकेश की रमी, रुके नहीॊ कहीॊ,नगय ननज आते है
अफ ऩिन तने भहतायी की गुन गाथा गाते हैं
दयिाय फीच भें आमे सफ यण के हार फतामे
भात- वऩता के चयन िुए, फपय ननज भहरों भें धामे
नहीॊ अॊजन िहाॉ मभरी, चेतना दहरी,दे ख दहराते हैं
अफ ऩिन तने भहतायी की गन
ु गाथा गाते हैं
फाॉदी को ननकट फर
ु ामे, तफ बेद सभझ सफ आमे
आमे भाॉ के ऩास चरे फपय तीखे िैन सन
ु ामे
बरी नहीॊ कयी, िेदना बयी,खोज भें जाते हैं
अफ ऩिन तने भहतायी की गुन गाथा गाते हैं
अफ भहें र नगय भें आमे, चर याजभहर भें धामे
याजा को बेद फतामें सबी, सन
ु याजा बी घियाते हैं
यानी सि
ु कने रगी, यह गई ठगी, नीय बय आते हैं
याजा भहें र सक
ु ु भायी की हभ कथा सन
ु ाते है
जिाि मभत्र(80)
दोहा
क्मों अधीय होते कुभय, मभरे नैन से नैन।
जो चाहा िही, हैं विधना की दै न॥
चौफोरा
, हैं विधना की दै न, दहयदम भेँ चैन,चैन से धयना हैं।
रॊकेशऩती की रॉ ू आऻा, आऻा का ऩारन कयना हैं ॥
कयें कॉू च ततकार ऩॊहुच कय, नगय बय सफ हयना हैं।
नहीॊ करूॉ दे य इसिेय, आऩको भन अॊजन का बयना हैं॥
जिाि यॊ गा(81)
दोहा
विदा फकमे रॊकेश ने, कय कय अनत सतकाय।
आददत्म नगय आमी खफय, जुडा याज दयिाय॥
रािनी
दयिाय िीच भेँ आमे कूभय हुरसाके
फपय भात वऩता के चयन ऩखाये जाके
भहायाज वऩता ने गरे रगामे हैं
भाॉ का ऩा आशीर्, कुभय भहरों भेँ धामे हैं
जिाि याहगीय(85)
तजध- मभट नहीॊ सकता कबी, मरक्खा हुमा तकदीय का, फपल्भ- सॊसाय
जिाि यॊ गा (87)
तजध – हभ कथा सन
ु ाते याभ सकर गन
ु धाभ की – Episode-Ramayan-यभानन्द्द सागय
याजा भहें र सक
ु ु भायी की हभ कथा सन
ु ाते है
अफ सन
ु ो ऩन
ु : आददत्म नगय का हार जताते हैं
चर दत
ू महाॉ ऩय आमे ऩरयचम ननज का ितरामे
प्रीनतसम
ू ध का सॊदेशा, अॊजन के हार सन
ु ामे
सभाचाय सफ मभरे, दत
ू फपय चरे, रौट कय जाते हैं
हभ कथा सन
ु ाते है___________________
सन
ु प्रहराद याि घियामे, चर िीच िनी भेँ धामे
नजय ऩडी याजा भदहॊर ऩय दौनों ने गरे रगामे
इत सम
ू प्र
ध ीनत बी चरे, याह भेँ मभरे, खोज भेँ आते हैं
हभ कथा सन
ु ाते है___________________
सनभख
ु कुभय नजय भेँ आमे, सफ दे ख उन्द्हें हयशामे
ननकट कुभय के आमे मभरे सफ आ सिने दहमे रगामे
अॊजन बी खखरी, भन
ु ी की िानी परी, गोद भेँ रार खखराते हैं
हभ कथा सन
ु ाते है___________________
सफ रौट िनी से आमे, हयमशत हो जसन भनामे
विदा हुमे सनभान ऩामकय ननज ननज धाभ मसधामे
आई फपय शब ु घडी, जड
ु ी सफ कडी,रडी से रडी मभराते हैं
हभ कथा सन
ु ाते है___________________
सत से सत ददमा दयशामे, दयू से झठ
ू खडा थयाधमे
रौट के आमे नेकी के ददन फपय, खेर मभत्रों ने ददखरामे
ऩीय सफ टयी रहयी ने हयी जजनको हभ ध्माते हैं
हभ कथा सन
ु ाते है___________________
दौड
ऩदभ ऩयु ाण आदद ग्रन्द्थों से प्राप्त हुमा जो हभको ऻान।
हैं कजल्ऩत नहीॊ मरखा ग्रन्द्थों भेँ अिरोकन कयरें विद्िान॥
जम जैनेन्द्र