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जानवयों भें गधा सफसे ज्मादा फुद्धिभान सभझा जाता है। हभ जफ ककसी आदभी को ऩहरे दजे का फेवकूप कहना चाहते हैं , तो उसे
गधा कहते हैं। गधा सचभुच फेवकूप है मा उसके सीधेऩन, उसकी ननयाऩद सहहष्णुता ने उसे मह ऩदवी दे दी है, इसका ननश्चम नहीॊ
ककमा जा सकता। गामें सीॊग भायती हैं, ब्माही हुई गाम तो अनामास ही ससॊहनी का रूऩ धायण कय रेती है। कुत्ता बी फहुत गयीफ
जानवय है , रेककन कबी-कबी उसे बी क्रोध आ ही जाता है , ककन्तु गधे को कबी क्रोध कयते नहीॊ सुना, न दे खा। जजतना चाहो गयीफ
को भायो, चाहे जैसी खयाफ, सडी हुई घास साभने डार दो, उसके चेहये ऩय कबी असॊतोष की छामा बी नहीॊ हदखाई दे गी। वैशाख भें
चाहे एकाध फाय कुरेर कय रेता है, ऩय हभने तो उसे कबी खुश होते नहीॊ दे खा। उसके चेहये ऩय स्थाई द्धवषाद स्थामी रूऩ से छामा
यहता है। सुख-द्ु ख, हानन-राब ककसी बी दशा भें उसे फदरते नहीॊ दे खा। ऋद्धषमों-भुननमों के जजतने गुण हैं, वे सबी उसभें ऩयाकाष्ठा
को ऩहुॉच गए हैं, ऩय आदभी उसे फेवकूप कहता है। सद्गुणों का इतना अनादय!
कदाचचत सीधाऩन सॊसाय के सरए उऩमुक्त नहीॊ है। दे खखए न, बायतवाससमों की अफ्रीका भें क्मा दद
ु द शा हो यही है ? क्मों अभयीका
भें उन्हें घुसने नहीॊ हदमा जाता? फेचाये शयाफ नहीॊ ऩीते,चाय ऩैसे कुसभम के सरए फचाकय यखते हैं, जी तोडकय काभ कयते हैं, ककसी
से रडाई-झगडा नहीॊ कयते, चाय फातें सुनकय गभ खा जाते हैं कपय बी फदनाभ हैं। कहा जाता है , वे जीवन के आदशद को नीचा
कयते हैं। अगय वे ईंट का जवाफ ऩत्थय से दे ना सीख जाते तो शामद सभ्म कहराने रगते। जाऩान की सभसार साभने है। एक ही
द्धवजम ने उसे सॊसाय की सभ्म जानतमों भें गण्म फना हदमा। रेककन गधे का एक छोटा बाई औय बी है , जो उससे कभ ही गधा है।
औय वह है 'फैर'। जजस अथद भें हभ 'गधा' का प्रमोग कयते हैं, कुछ उसी से सभरते-जुरते अथद भें 'फनछमा के ताऊ' का बी प्रमोग
कयते हैं। कुछ रोग फैर को शामद फेवकूपी भें सवदश्रेष्ठ कहें गे , भगय हभाया द्धवचाय ऐसा नहीॊ है। फैर कबी-कबी भायता बी है,
कबी-कबी अडडमर फैर बी दे खने भें आता है। औय बी कई यीनतमों से अऩना असॊतोष प्रकट कय दे ता है , अतएवॊ उसका स्थान
गधे से नीचा है।
झूयी क ऩास दो फैर थे- हीया औय भोती। दे खने भें सुॊदय, काभ भें चौकस, डीर भें ऊॊचे। फहुत हदनों साथ यहते-यहते दोनों भें
बाईचाया हो गमा था। दोनों आभने -साभने मा आस-ऩास फैठे हुए एक-दस
ू ये से भूक बाषा भें द्धवचाय-द्धवननभम ककमा कयते थे। एक-
दस
ू ये के भन की फात को कैसे सभझा जाता है, हभ कह नहीॊ सकते। अवश्म ही उनभें कोई ऐसी गुप्त शजक्त थी,जजससे जीवों भें
श्रेष्ठता का दावा कयने वारा भनष्ु म वॊचचत है। दोनों एक-दस
ू ये को चाटकय सॉघ
ू कय अऩना प्रेभ प्रकट कयते, कबी-कबी दोनों सीॊग
बी सभरा सरमा कयते थे, द्धवग्रह के नाते से नहीॊ, केवर द्धवनोद के बाव से, आत्भीमता के बाव से, जैसे दोनों भें घननष्ठता होते ही
धौर-धप्ऩा होने रगता है। इसके बफना दोस्ती कुछ पुसपसी, कुछ हल्की-सी यहती है , कपय ज्मादा द्धवश्वास नहीॊ ककमा जा सकता।
जजस वक्त मे दोनों फैर हर मा गाडी भें जोत हदए जाते औय गयदन हहरा-हहराकय चरते, उस सभम हय एक की चेष्टा होती कक
ज्मादा-से-ज्मादा फोझ भेयी ही गदद न ऩय यहे ।
सॊमोग की फात, झूयी ने एक फाय गोईं को ससुयार बेज हदमा। फैरों को क्मा भारभ
ू , वे कहाॉ बेजे जा यहे हैं। सभझे, भासरक ने हभें
फेच हदमा। अऩना मों फेचा जाना उन्हें अच्छा रगा मा फुया, कौन जाने, ऩय झूयी के सारे गमा को घय तक गोईं रे जाने भें दाॊतों
ऩसीना आ गमा। ऩीछे से हाॊकता तो दोनों दाएॉ-फाॉए बागते, ऩगहहमा ऩकडकय आगे से खीॊचता तो दोनों ऩीछे की ओय जोय रगाते।
भायता तो दोनों सीॊगे नीची कयके हुॊकायते। अगय ईश्वय ने उन्हें वाणी दी होती तो झूयी से ऩूछते -तुभ हभ गयीफों को क्मों ननकार
यहे हो ?
दोनों ने अऩनी भक
ू बाषा भें सराह की, एक-दस
ू ये को कनखखमों से दे खा औय रेट गमे। जफ गाॊव भें सोता ऩड गमा तो दोनों ने
जोय भायकय ऩगहा तुडा डारे औय घय की तयप चरे। ऩगहे फहुत भजफूत थे। अनुभान न हो सकता था कक कोई फैर उन्हें तोड
सकेगा, ऩय इन दोनों भें इस सभम दन
ू ी शजक्त आ गई थी। एक-एक झटके भें यजस्समाॉ टूट गईं।
झयू ी प्रात् कार सो कय उठा तो दे खा कक दोनों फैर चयनी ऩय खडे हैं। दोनों की गयदनों भें आधा-आधा गयाॊव रटक यहा था।
घुटने तक ऩाॊव कीचड से बये हैं औय दोनों की आॊखों भें द्धवद्रोहभम स्नेह झरक यहा है।
झूयी फैरों को दे खकय स्नेह से गद्गद हो गमा। दौडकय उन्हें गरे रगा सरमा। प्रेभासरॊगन औय चुम्फन का वह दृश्म फडा ही
भनोहय था।
घय औय गाॉव के रडके जभा हो गए। औय तासरमाॉ फजा-फजाकय उनका स्वागत कयने रगे। गाॊव के इनतहास भें मह घटना
अबूतऩूवद न होने ऩय बी भहत्त्वऩूणद थी, फार-सबा ने ननश्चम ककमा, दोनों ऩश-ु वीयों का असबनन्दन ऩत्र दे ना चाहहए। कोई अऩने
घय से योहटमाॊ रामा, कोई गड
ु , कोई चोकय, कोई बस
ू ी।
दस
ू ये ने सभथदन ककमा- ''इतनी दयू से दोनों अकेरे चरे आए।'
इसका प्रनतवाद कयने का ककसी को साहस नहीॊ हुआ। झूयी की स्त्री ने फैरों को द्वाय ऩय दे खा तो जर उठी। फोरी -'कैसे नभक-
हयाभ फैर हैं कक एक हदन वहाॊ काभ न ककमा, बाग खडे हुए।'
झयू ी अऩने फैरों ऩय मह आऺेऩ न सन
ु सका-'नभक हयाभ क्मों हैं ? चाया-दाना न हदमा होगा तो क्मा कयते ?'
स्त्री ने योफ के साथ कहा-'फस, तुम्हीॊ तो फैरों को खखराना जानते हो, औय तो सबी ऩानी द्धऩरा-द्धऩराकय यखते हैं।'
वही हुआ। भजूय की फडी ताकीद की गई कक फैरों को खारी सूखा बूसा हदमा जाए।
क्मा खाएॊ ? आशा-बयी आॊखों से द्वाय की ओय ताकने रगे। झूयी ने भजूय से कहा-'थोडी-सी खरी क्मों नहीॊ डार दे ता फे ?'
दस
ू ये हदन झूयी का सारा कपय आमा औय फैरों को रे चरा। अफकी उसने दोनों को गाडी भें जोता।
दो-चाय फाय भोती ने गाडी को खाई भें चगयाना चाहा, ऩय हीया ने सॊबार सरमा। वह ज्मादा सहनशीर था।
सॊध्मा-सभम घय ऩहुॊचकय उसने दोनों को भोटी यजस्समों से फाॊधा औय कर की शयायत का भजा चखामा कपय वही सख
ू ा बस
ू ा डार
हदमा। अऩने दोनों फारों को खरी चूनी सफ कुछ दी।
दोनों फैरों का ऐसा अऩभान कबी न हुआ था। झयू ी ने इन्हें पूर की छडी से बी छूता था। उसकी हटटकाय ऩय दोनों उडने रगते
थे। महाॊ भाय ऩडी। आहत सम्भान की व्मथा तो थी ही,उस ऩय सभरा सख
ू ा बूसा !
नाॊद की तयप आॊखें तक न उठाईं।
दस
ू ये हदन गमा ने फैरों को हर भें जोता, ऩय इन दोनों ने जैसे ऩाॊव न उठाने की कसभ खा री थी। वह भायते -भायते थक गमा,
ऩय दोनों ने ऩाॊव न उठामा। एक फाय जफ उस ननददमी ने हीया की नाक ऩय खूफ डॊडे जभामे तो भोती को गुस्सा काफू से फाहय हो
गमा। हर रेकय बागा। हर, यस्सी, जुआ, जोत, सफ टूट-टाटकय फयाफय हो गमा। गरे भें फडी-फडी यजस्समाॉ न होतीॊ तो दोनों ऩकडाई
भें न आते।
'गमा दो आदसभमों के साथ दौडा आ यहा है , दोनों के हाथों भें राहठमाॊ हैं।'
भोती फोरा-'कहो तो हदखा दॊ ू भजा भैं बी, राठी रेकय आ यहा है।'
घय भें रोग बोजन कयने रगे। उस वक्त छोटी-सी रडकी दो योहटमाॊ सरए ननकरी औय दोनों के भुॊह भें दे कय चरी गई। उस एक
योटी से इनकी बूख तो क्मा शान्त होती, ऩय दोनों के रृदम को भानो बोजन सभर गमा। महाॊ बी ककसी सज्जन का वास है।
रडकी बैयो की थी। उसकी भाॊ भय चुकी थी। सौतेरी भाॊ उसे भायती यहती थी, इससरए इन फैरों से एक प्रकाय की आत्भीमता हो
गई थी।
दोनों हदन-बय जाते, डॊडे खाते, अडते, शाभ को थान ऩय फाॊध हदए जाते औय यात को वही फासरका उन्हें दो योहटमाॊ खखरा जाती। प्रेभ
के इस प्रसाद की मह फयकत थी कक दो-दो गार सूखा बस
ू ा खाकय बी दोनों दफ
ु र
द न होते थे, भगय दोनों की आॊखों भें योभ-योभ भें
द्धवद्रोह बया हुआ था।
'रेककन जानते हो, वह प्मायी रडकी, जो हभें योहटमाॊ खखराती है, उसी की रडकी है, जो इस घय का भासरक है, मह फेचायी अनाथ हो
जाएगी।'
'रेककन औयत जात ऩय सीॊग चराना भना है, मह बूर जाते हो।'
'तुभ तो ककसी तयह ननकरने ही नहीॊ दे ते, फताओ, तुडाकय बाग चरें ।'
'हाॊ, मह भैं स्वीकाय कयता, रेककन इतनी भोटी यस्सी टूटे गी कैसे।'
इसका एक उऩाम है, ऩहरे यस्सी को थोडा चफा रो। कपय एक झटके भें जाती है।'
यात को जफ फासरका योहटमाॊ खखरा कय चरी गई तो दोनों यजस्समाॊ चफने रगे, ऩय भोटी यस्सी भुॊह भें न आती थी। फेचाये फाय-फाय
जोय रगाकय यह जाते थे।
साहसा घय का द्वाय खुरा औय वह रडकी ननकरी। दोनों ससय झुकाकय उसका हाथ चाटने रगे। दोनों की ऩूॊछें खडी हो गईं। उसने
उनके भाथे सहराए औय फोरी-'खोर दे ती हूॉ, चुऩके से बाग जाओ, नहीॊ तो मे रोग भाय डारें गे। आज घय भें सराह हो यही है कक
इनकी नाकों भें नाथ डार दी जाएॊ।'
हीया ने कहा-'चरें तो, रेककन कर इस अनाथ ऩय आपत आएगी, सफ इसी ऩय सॊदेह कयें गे।
साहसा फासरका चचल्राई-'दोनों पूपा वारे फैर बागे जे यहे हैं, ओ दादा! दादा! दोनों फैर बागे जा यहे हैं, ओ दादा! दादा! दोनों फैर
बागे जा यहे हैं, जल्दी दौडो।
गमा हडफडाकय बीतय से ननकरा औय फैरों को ऩकडने चरा। वे दोनों बागे। गमा ने ऩीछा ककमा, औय बी तेज हुए, गमा ने शोय
भचामा। कपय गाॊव के कुछ आदसभमों को बी साथ रेने के सरए रौटा। दोनों सभत्रों को बागने का भौका सभर गमा। सीधे दौडते
चरे गए। महाॊ तक कक भागद का ऻान यहा। जजस ऩरयचचत भागद से आए थे, उसका महाॊ ऩता न था। नए-नए गाॊव सभरने रगे।
तफ दोनों एक खेत के ककनाये खडे होकय सोचने रगे , अफ क्मा कयना चाहहए।
'तभ
ु बी फेतहाशा बागे, वहीॊ उसे भाय चगयाना था।'
'उसे भाय चगयाते तो दनु नमा क्मा कहती ? वह अऩने धभद छोड दे , रेककन हभ अऩना धभद क्मों छोडें ?'
दोनों बूख से व्माकुर हो यहे थे। खेत भें भटय खडी थी। चयने रगे। यह-यहकय आहट रेते यहे थे। कोई आता तो नहीॊ है।
अये ! मह क्मा ? कोई साॊड डौंकता चरा आ यहा है । हाॊ, साॊड ही है। वह साभने आ ऩहुॊचा। दोनों सभत्र फगरें झाॊक यहे थे। साॊड ऩयू ा
हाथी था। उससे सबडना जान से हाथ धोना है , रेककन न सबडने ऩय बी जान फचती नजय नहीॊ आती। इन्हीॊ की तयप आ बी यहा
है। ककतनी बमॊकय सूयत है !
भोती ने भक
ू -बाषा भें कहा-'फयु े पॊसे, जान फचेगी ? कोई उऩाम सोचो।'
हीया ने चचॊनतत स्वय भें कहा-'अऩने घभॊड भें पूरा हुआ है , आयजू-द्धवनती न सुनेगा।'
'औय जो दौडाए?'
दोनों सभत्र जान हथेरी ऩय रेकय रऩके। साॊड को बी सॊगहठत शत्रुओॊ से रडने का तजुयफा न था।
वह तो एक शत्रु से भल्रमुि कयने का आदी था। ज्मों-ही हीया ऩय झऩटा, भोती ने ऩीछे से दौडामा। साॊड उसकी तयप भुडा तो
हीया ने यगेदा। साॊड चाहता था, कक एक-एक कयके दोनों को चगया रे, ऩय मे दोनों बी उस्ताद थे। उसे वह अवसय न दे ते थे। एक
फाय साॊड झल्राकय हीया का अन्त कय दे ने के सरए चरा कक भोती ने फगर से आकय उसके ऩेट भें सीॊग बोंक हदमा। साॊड क्रोध
भें आकय ऩीछे कपया तो हीया ने दस
ू ये ऩहरू भें सीॊगे चब
ु ा हदमा।
आखखय फेचाया जख्भी होकय बागा औय दोनों सभत्रों ने दयू तक उसका ऩीछा ककमा। महाॊ तक कक साॊड फेदभ होकय चगय ऩडा। तफ
दोनों ने उसे छोड हदमा। दोनों सभत्र जीत के नशे भें झूभते चरे जाते थे।
भोती ने साॊकेनतक बाषा भें कहा-'भेया जी चाहता था कक फचा को भाय ही डारूॊ। '
'मह सफ ढोंग है, फैयी को ऐसा भायना चाहहए कक कपय न उठे ।'
'अफ घय कैसे ऩहुॊचोगे वह सोचो।'
दोनों सभत्रों को जीवन भें ऩहरी फाय ऐसा साबफका ऩडा था कक साया हदन फीत गमा औय खाने को एक नतनका बी न सभरा।
सभझ भें न आता था, मह कैसा स्वाभी है। इससे तो गमा कपय बी अच्छा था। महाॊ कई बैंसे थीॊ, कई फकरयमाॊ, कई घोडे, कई गधे ,
ऩय ककसी के साभने चाया न था, सफ जभीन ऩय भद
ु ों की तयह ऩडे थे।
कई तो इतने कभजोय हो गमे थे कक खडे बी न हो सकते थे। साया हदन सभत्र पाटक की ओय टकटकी रगाए यहते , ऩय कोई चाया
न रेकय आता हदखाई हदमा। तफ दोनों ने दीवाय की नभकीन सभट्टी चाटनी शरू
ु की, ऩय इससे क्मा तजृ प्त होती।
यात को बी जफ कुछ बोजन न सभरा तो हीया के हदर भें द्धवद्रोह की ज्वारा दहक उठी। भोती से फोरा-'अफ नहीॊ यहा जाता भोती
!
भोती ने ससय रटकाए हुए जवाफ हदमा-'भुझे तो भारूभ होता है कक प्राण ननकर यहे हैं।'
फाडे की दीवाय कच्ची थी। हीया भजफूत तो था ही, अऩने नुकीरे सीॊग दीवाय भें गडा हदए औय जोय भाया तो सभट्टी का एक चचप्ऩड
ननकर आमा। कपय तो उसका साहस फढा उसने दौड-दौडकय दीवाय ऩय चोटें कीॊ औय हय चोट भें थोडी-थोडी सभट्टी चगयाने रगा।
उसी सभम काॊजी हौस का चौकीदाय रारटे न रेकय जानवयों की हाजजयी रेने आ ननकरा। हीया का उद्दॊड्डऩन्न दे खकय उसे कई डॊडे
यसीद ककए औय भोटी-सी यस्सी से फाॊध हदमा।
भोती ने बी दीवाय भें सीॊग भाया, थोडी-सी सभट्टी चगयी औय कपय हहम्भत फढी, कपय तो वह दीवाय भें सीॊग रगाकय इस तयह जोय
कयने रगा, भानो ककसी प्रनतद्वॊदी से रड यहा है। आखखय कोई दो घॊटे की जोय-आजभाई के फाद दीवाय ऊऩय से रगबग एक हाथ
चगय गई, उसने दन
ू ी शजक्त से दस
ू या धक्का भाया तो आधी दीवाय चगय ऩडी।
दीवाय का चगयना था कक अधभये -से ऩडे हुए सबी जानवय चेत उठे , तीनों घोडडमाॊ सयऩट बाग ननकरीॊ। कपय फकरयमाॊ ननकरीॊ, इसके
फाद बैंस बी खसक गई, ऩय गधे अबी तक ज्मों के त्मों खडे थे।
हीया ने ऩछ
ू ा-'तभ
ु दोनों क्मों नहीॊ बाग जाते?'
भोती ने आॊखों भें आॊसू राकय कहा-'तुभ भुझे इतना स्वाथी सभझते हो, हीया हभ औय तुभ इतने हदनों एक साथ यहे हैं। आज तुभ
द्धवऩजत्त भें ऩड गए हो तो भैं तम्
ु हें छोडकय अरग हो जाऊॊ ?'
हीया ने कहा-'फहुत भाय ऩडेगी, रोग सभझ जाएॊगे, मह तुम्हायी शयायत है।'
भोती ने गवद से फोरा-'जजस अऩयाध के सरए तुम्हाये गरे भें फॊधना ऩडा, उसके सरए अगय भुझे भाय ऩडे, तो क्मा चचॊता। इतना तो
हो ही गमा कक नौ-दस प्राखणमों की जान फच गई, वे सफ तो आशीवादद दें गे।'
मह कहते हुए भोती ने दोनों गधों को सीॊगों से भाय-भाय कय फाडे से फाहय ननकारा औय तफ अऩने फॊधु के ऩास आकय सो यहा।
बोय होते ही भुॊशी औय चौकीदाय तथा अन्म कभदचारयमों भें कैसी खरफरी भची, इसके सरखने की जरूयत नहीॊ। फस, इतना ही
कापी है कक भोती की खफ
ू भयम्भत हुई औय उसे बी भोटी यस्सी से फाॊध हदमा गमा।
ऐसे भत
ृ क फैरों का कौन खयीददाय होता ? सहसा एक दहढमर आदभी, जजसकी आॊखें रार थीॊ औय भुद्रा अत्मन्त कठोय, आमा औय
दोनों सभत्र के कूल्हों भें उॊ गरी गोदकय भॊश
ु ीजी से फातें कयने रगा। चेहया दे खकय अॊतऻादन से दोनों सभत्रों का हदर काॊऩ उठे । वह
क्मों है औय क्मों टटोर यहा है , इस द्धवषम भें उन्हें कोई सॊदेह न हुआ। दोनों ने एक-दस
ू ये को बीत नेत्रों से दे खा औय ससय झुका
सरमा।
हीया ने कहा-'गमा के घय से नाहक बागे, अफ तो जान न फचेगी।' भोती ने अश्रिा के बाव से उत्तय हदमा-'कहते हैं, बगवान सफके
ऊऩय दमा कयते हैं, उन्हें हभाये ऊऩय दमा क्मों नहीॊ आती ?'
'बगवान के सरए हभाया जीना भयना दोनों फयाफय है। चरो, अच्छा ही है , कुछ हदन उसके ऩास तो यहें गे। एक फाय उस बगवान ने
उस रडकी के रूऩ भें हभें फचामा था। क्मा अफ न फचाएॊगे ?'
'मह आदभी छुयी चराएगा, दे ख रेना।'
'तो क्मा चचॊता है ? भाॊस, खार, सीॊग, हड्डी सफ ककसी के काभ आ जाएगा।'
नीराभ हो जाने के फाद दोनों सभत्र उस दहढमर के साथ चरे। दोनों की फोटी-फोटी काॊऩ यही थी। फेचाये ऩाॊव तक न उठा सकते
थे, ऩय बम के भाये चगयते-प़डते बागे जाते थे, क्मोंकक वह जया बी चार धीभी हो जाने ऩय डॊडा जभा दे ता था।
याह भें गाम-फैरों का एक ये वड हये -बये हाय भें चयता नजय आमा। सबी जानवय प्रसन्न थे, चचकने, चऩर। कोई उछरता था, कोई
आनॊद से फैठा ऩागुय कयता था ककतना सुखी जीवन था इनका, ऩय ककतने स्वाथी हैं सफ। ककसी को चचॊता नहीॊ कक उनके दो फाई
फचधक के हाथ ऩडे कैसे द्ु खी हैं।
दोनों उन्भत्त होकय फछडों की बाॊनत कुरेरें कयते हुए घय की ओय दौडे। वह हभाया थान है। दोनों दौडकय अऩने थान ऩय आए
औय खडे हो गए। दहढमर बी ऩीछे -ऩीछे दौडा चरा आता था।
झूयी द्वाय ऩय फैठा धूऩ खा यहा था। फैरों को दे खते ही दौडा औय उन्हें फायी-फायी से गरे रगाने रगा। सभत्रों की आॊखों से आनन्द
के आॊसू फहने रगे। एक झयू ी का हाथ चाट यहा था।
दहढमर ने जाकय फैरों की यजस्समाॊ ऩकड रीॊ। झूयी ने कहा-'भेये फैर हैं।'
'तुम्हाये फैर कैसे हैं ? भैं भवेसीखाने से नीराभ सरए आता हूॉ।'
दहढमर झल्राकय फैरों को जफयदस्ती ऩकड रे जाने के सरए फढा। उसी वक्त भोती ने सीॊग चरामा। दहढमर ऩीछे हटा। भोती ने
ऩीछा ककमा। दहढमर बागा। भोती ऩीछे दौडा, गाॊव के फाहय ननकर जाने ऩय वह रुका, ऩय खडा दहढमर का यास्ता वह दे ख यहा
था, दहढमर दयू खडा धभककमाॊ दे यहा था, गासरमाॊ ननकार यहा था, ऩत्थय पेंक यहा था, औय भोती द्धवजमी शयू की बाॊनत उसका
यास्ता योके खडा था। गाॊव के रोग मह तभाशा देखते थे औय हॉसते थे। जफ दहढमर हायकय चरा गमा तो भोती अकडता हुआ
रौटा। हीया ने कहा-'भैं तो डय गमा था कक कहीॊ तुभ गुस्से भें आकय भाय न फैठो।'
'अफ न आएगा।'
जया दे य भें नाॉदों भें खरी बूसा, चोकय औय दाना बय हदमा गमा औय दोनों सभत्र खाने रगे। झूयी खडा दोनों को सहरा यहा था।
वह उनसे सरऩट गमा।
झयू ी की ऩत्नी बी बीतय से दौडी-दौडी आई। उसने ने आकय दोनों फैरों के भाथे चभ
ू सरए।