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निमंत्रण

प्रेमचंद

ऩॊडडत भोटे याभ शास्त्री ने अॊदय जा कय अऩने विशार उदय ऩय हाथ पयते हुए मह ऩद ऩॊचभ स्त्िय भें गमा, े अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम, दास मऱूका कह गये, सबक दाता राम ! े सोना ने प्रपल्लरत हो कय ऩछा, ' कोई भीठी ताजी खफय है क्मा ? ' ु ू शास्त्री जी ने ऩैंतये फदर कय कहा, ' भाय लरमा आज। ऐसा ताक कय भाया कक चायों खाने चचत्त। साये घय का नेिता ! साये घय का। िह फढ़-फढ़कय हाथ भारगा कक दे खने िारे दॊ ग यह जाएेेेॊगे। उदय भहायाज अबी से अधीय ॉ हो यहे हैं।' सोना - ‘' कह ॊ ऩहरे की बाॉतत अफ की बी धोखा न हो। ऩक्का-ऩोढ़ा कय लरमा है न ? ' भोटे याभ ने भॉूछें ऐॊठते हुए कहा, ' ऐसा असगुन भॉुह से न तनकारो। फड़े जऩ-तऩ क फाद मह शुब ददन आमा है । जो े तैमारयमाॉ कयनी हों, कय रो।' सोना - ‘िह तो करगी ह । क्मा इतना बी नह ॊ जानती ? जन्भ बय घास थोड़े ह खोदती यह हूॉ; भगय है घय बय का न ? ॉ ' भोटे याभ - ‘अफ औय कसे कहूॉ; ऩूये घय बय का है । इसका अथथ सभझ भें न आमा हो, तो भुझसे ऩूछो। विद्िानों की फात ै सभझना सफका काभ नह ॊ।' भगय उनकी फात सबी सभझ रें, तो उनकी विद्ित्ता का भहत्त्ि ह क्मा यहे ; फताओ, क्मा सभझीॊ ? भैं इस सभम फहुत ह सयर बाषा भें फोर यहा हूॉ; भगय तभ नह ॊ सभझ सकीॊ। फताओ, विद्ित्ताेा ककसे ु कहते हैं ? भहत्त्ि ह का अथथ फताओ। घय बय का तनभॊरण दे ना क्मा ददलरगी है ? हाॉ, ऐसे अिसय ऩय विद्िान रोग याजनीतत से काभ रेते हैं औय उसका िह आशम तनकारते हैं, जो अऩने अनुकर हो। भुयादाऩुय की यानी साहफ सात ू ब्राह्भणों को इच्छाऩणथ बोजन कयाना चाहती हैं। कौन-कौन भहाशम भेये साथ जाएेेेॊग, मह तनणथम कयना भेया काभ े ू है । अरगूयाभ शास्त्री, फेनीयाभ शास्त्री, छे द याभ शास्त्री, बिानीयाभ शास्त्री, पकयाभ शास्त्री, भोटे याभ शास्त्री आदद े ू जफ इतने आदभी अऩने घय ह भें हैं, तफ फाहय कौन ब्राह्भणों को खोजने जाएेे। सोना - ‘औय सातिाॉ कौन है ? ' मोटे .-’'फुवि दौड़ाओ।'

सोना - ‘एक ऩत्तर घय रेते आना।' मोटे .-’कपय िह फात कह , ल्जसभें फदनाभी हो। तछ: तछ: ! ऩत्तर घय राऊ। उस ऩत्तर भें िह स्त्िाद कहाॉ जो जजभान ॉ क घय ऩय फैठ कय बोजन कयने भें है । सुनो, सातिें भहाशम हैं, ऩॊडडत सोनायाभ शास्त्री।' े सोना - ‘चरो, ददलरगी कयते हो। बरा, कसे जाऊगी ? ' ै ॉ मोटे .-’ऐसे ह कदठन अिसयों ऩय तो विद्मा की आिश्मकता ऩड़ती है । विद्िान आदभी अिसय को अऩना सेिक फना रेता है , भूखथ अऩने बाग्म को योता है । सोनादे िी औय सोनायाभ शास्त्री भें क्मा अॊतय है , जानती हो ? किर ऩरयधान े का। ऩरयधान का अथथ सभझती हो ? ऩरयधान 'ऩहनाि' को कहते हैं। इसी साड़ी को भेय तयह फाॉधा रो, भेय लभयजई ऩहन रो, ऊऩय से चादय ओढ़ रो। ऩगड़ी भैं फाॉधा दॉ गा। कपय कौन ऩहचान सकता है ? ू सोना ने हॉ सकय कहा, 'भझे तो राज रगेगी।' ु मोटे .-’तम्हें कयना ह क्मा है ? फातें तो हभ कयें गे।' ु सोना ने भन ह भन आनेिारे ऩदाथों का आनॊद रे कय कहा, 'फड़ा भजा होगा ! ' मोटे .-’फस, अफ विरम्फ न कयो। तैमाय कयो, चरो।' सोना - ‘ककतनी पकी फना रॉ ू ?' ॊ मोटे .-’मह भैं नह ॊ जानता। फस, मह आदशथ साभने यखो कक अचधक से अचधक राब हो। सहसा सोनादे िी को एक फात माद आ गमी। फोर , अच्छा, इन बफछओॊ को क्मा करगी ? ' ॉ ु भोटे याभ ने त्मोय चढ़ा कय कहा, 'इन्हें उठाकय यख दे ना, औय क्मा कयोगी ? ' सोना - ‘हाॉ जी, क्मों नह ॊ। उताय कय यख क्मों न दॉ गी ? ू मोटे .-’तो क्मा तम्हाये बफछए ऩहने ह से भैं जी यहा हूॉ ? जीता हूॉ ऩौल्टटक ऩदाथों क सेिन से। तम्हाये बफछओॊ क ऩुण्म े े ु ु ु ु से नह ॊ जीता।' सोना - ‘नह ॊ बाई, भैं बफछए न उतारगी।' ॉ ु भोटे याभ ने सोच कय कहा, 'अच्छा, ऩहने चरो, कोई हातन नह ॊ। गोिधथनधाय मह फाधा बी हय रें गे। फस, ऩाॉि भें फहुतसे कऩड़े रऩेट रेना। भैं कह दॉ गा, इन ऩॊडडत जी को पीरऩाॉि हो गमा। क्मों, कसी सूझी ? ' ै ू ऩॊडडताइन ने ऩततदे ि को प्रशॊसा-सूचक नेरों से दे ख कय कहा, 'जन्भ बय ऩढ़ा नह ॊ है ?'

सॊध्मा-सभम ऩॊडडत जी ने ऩाॉचों ऩुरों को फुरामा औय उऩदे श दे ने रगे, 'ऩुरो, कोई काभ कयने क ऩहरे खफ सोच-सभझ े ू रेना चादहए कक कसा क्मा होगा। भान रो, यानी साहफ ने तभ रोगों का ऩता-दठकाना ऩूछना आयम्ब ककमा, तो तभ ै ु ु रोग क्मा उत्तय दोगे ? मह तो भहान ् भखता होगी कक तभ सफ भेया नाभ रो। सोचो, ककतने करॊक औय रज्जा की ू थ ु फात होगी कक भुझ-जैसा विद्िान ् किर बोजन क लरए इतना फड़ा कचक्र यचे। इसलरए तभ सफ थोड़ी दे य क लरए बूर े े े ु ु जाओ कक भेये ऩुर हो। कोई भेया नाभ न फतरामे। सॊसाय भें नाभों की कभी नह , कोई अच्छा-सा नाभ चन कय फता ॊ ु दे ना। वऩता का नाभ फदर दे ने से कोई गार नह ॊ रगती। मह कोई अऩयाध नह ॊ।’ अऱग. - ’आऩ ह फता द ल्जए।’ ू मोटे .-’अच्छी फात है , फहुत अच्छी फात है । हाॉ, इतने भहत्त्ि का काभ भुझे स्त्िमॊ कयना चादहए। अच्छा सुनो, अरगयाभ क वऩता का नाभ है ऩॊडडत कशि ऩाॉड, खफ माद कय रो। फेनीयाभ क वऩता का नाभ ऩॊडडत भॊगर ओझा, खफ े े े ू े ू ू माद यखना। छे द याभ क वऩता हैं ऩॊडडत दभड़ी ततिाय , बूरना नह ॊ। बिानी, तभ गॊगू ऩाॉडे फतराना, खफ माद कय रो। े ु ू अफ यहे पकयाभ, तभ फेटा फतराना सेतयाभ ऩाठक। हो गमे सफ ! हो गमा सफका नाभकयण ! अच्छा अफ भैं ऩय ऺा े ू ु ू रॉ गा। होलशमाय यहना। फोरो अरग, तम्हाये वऩता का क्मा नाभ है ? ’ ू ू ु अऱग. - ’ऩॊडडत कशि ऩाॉड।’ े े ू 'फेनीयाभ, तभ फताओ।' ु 'दभड़ी ततिाय ।' छे दी. - ’मह तो भेये वऩता का नाभ है ।’ बेनी.- ’ भैं तो बर गमा।’ ू मोटे .-’ बूर गमे ! ऩॊडडत क ऩुर हो कय तभ एक नाभ बी नह ॊ माद कय सकते। फड़े द:ख की फात है । भुझे ऩाॉचों नाभ े ु ु माद हैं, तम्हें एक नाभ बी माद नह ॊ ? सुनो, तम्हाये वऩता का नाभ है ऩॊडडत भॉगर ओझा। ऩॊडडत जी रड़कों की ऩय ऺा ु ु रे ह यहे थे कक उनक ऩयभ लभर ऩॊडडत चचॊताभणण ने द्िाय ऩय आिाज द । ऩॊडडत भोटे याभ ऐसे घफयामे कक लसय-ऩैय की े सुचध न यह । रड़कों को बगाना ह चाहते थे कक ऩॊडडत चचॊताभणण अॊदय चरे आमे। दोनों सज्जनों भें फचऩन से गाढ़ भैरी थी। दोनों फहुधा साथ-साथ बोजन कयने जाएा कयते थे, औय मदद ऩॊडडत भोटे याभ अव्िर यहते, तो ऩॊडडत चचॊताभणण क द्वितीम ऩद भें कोई फाधाक न हो सकता था; ऩय आज भोटे याभ े जी अऩने लभर को साथ नह ॊ रे जाना चाहते थे। उनको साथ रे जाना, अऩने घयिारों भें से ककसी एक को छोड़ दे ना था औय इतना भहान ् आत्भत्माग कयने क लरए िे तैमाय न थे। े

चचॊताभणण ने मह सभायोह दे खा, तो प्रसन्न हो कय फोरे, 'क्मों बाई, अकरे ह अकरे ! भारूभ होता है , आज कह ॊ गहया े े हाथ भाया है ।' भोटे याभ ने भॉुह रटका कय कहा, 'कसी फातें कयते हो, लभर ! ऐसा तो कबी नह ॊ हुआ कक भुझे कोई अिसय लभरा हो ै औय भैंने तम्हें सचना न द हो। कदाचचत ् कछ सभम ह फदर गमा, मा ककसी ग्रह का पय है । े ु ू ु कोई झूठ को बी नह ॊ फुराता।' ऩॊडडत चचॊताभणण ने अविश्िास क बाि से कहा, 'कोई न कोई फात तो लभर अिश्म है , नह ॊ तो मे फारक क्मों जभा हैं ? ' े मोटे .-’तम्हाय इन्ह ॊ फातों ऩय भुझे क्रोध आता है । रड़कों की ऩय ऺा रे यहा हूॉ। ब्राह्भण क रड़क हैं, चाय अऺय ऩढ़े े े ु बफना इनको कौन ऩूछेगा ? ' चचॊताभणण को अफ बी विश्िास न आमा। उन्होंने सोचा, रड़कों से ह इस फात का ऩता रग सकता है । पकयाभ सफसे े ू छोटा था। उसी से ऩूछा, क्मा ऩढ़ यहे हो फेटा ! हभें बी सुनाओ। भोटे याभ ने पकयाभ को फोरने े ू का अिसय न ददमा। डये कक मह तो साया बॊडा पोड़ दे गा। फोरे, अबी मह क्मा ऩढ़े गा। ददन बय खेरता है । पकयाभ े ू इतना फड़ा अऩयाध अऩने नन्हे-से लसय ऩय क्मों रेता। फार-सरब गिथ से फोरा, 'हभको तो माद है , ऩॊडडत सेतयाभ ु ू ऩाठक। हभ माद बी कय रें, ततसऩय बी कहते हैं, हयदभ खेरता है ! ' मह कहते हुए योना शुर ककमा। चचॊताभणण ने फारक को गरे रगा लरमा औय फोरे, 'नह ॊ फेटा, तभने अऩना ऩाठ सना ददमा है । तभ खफ ऩढ़ते हो। मह ु ु ु ू सेतयाभ ऩाठक कौन है , फेटा ? ू भोटे याभ ने बफगड़ कय कहा, 'तभ बी रड़कों की फातों भें आते हो। सुन लरमा होगा ककसी का नाभ। (पक से) 'जा, फाहय े ू ु खेर।' चचॊताभणण अऩने लभर की घफयाहट दे ख कय सभझ गमे कक कोई न कोई यहस्त्म अिश्म है । फहुत ददभाग रड़ाने ऩय बी सेतयाभ ऩाठक का आशम उनकी सभझ भें न आमा। अऩने ऩयभ लभर की इस कदटरता ऩय भन भें ू ु दणखत होकय फोरे, अच्छा, 'आऩ ऩाठ ऩढ़ाइमे औय ऩय ऺा र ल्जए। भैं जाता हूॉ। तभ इतने स्त्िाथी हो, इसका भुझे ु ु गुभान तक न था। आज तम्हाय लभरता की ऩय ऺा हो गमी।' ु ऩॊडडत चचॊताभणण फाहय चरे गमे। भोटे याभजी क ऩास उन्हें भनाने क लरए सभम न था। कपय ऩय ऺा रेने रगे। े े सोना ने कहा, 'भना रो, भना रो। रठे जाते हैं। कपय ऩय ऺा रेना। मोटे .-’जफ कोई काभ ऩड़ेगा, भना रॉ ूगा। तनभॊरण की सूचना ऩाते ह इनका साया क्रोध शान्त हो जामगा ! हाॉ बिानी, तम्हाये वऩता का क्मा नाभ ु

है , फोरो।' भवानी. - 'गॊगू ऩाॉड।' े मोटे .-’औय तम्हाये वऩता का नाभ, पक ? ' े ू ु फक, - 'फता तो ददमा, उस ऩय कहते हैं, ऩढ़ता नह ॊ ! ' े ू मोटे .-’हभें बी फता दो।' फक, - 'सेतयाभ ऩाठक तो है ।' े ू ू मोटे .-’फहु त ठीक, हभाया रड़का फड़ा याजा है । आज तम्हें अऩने साथ फैठामेंगे औय सफसे अच्छा भार तम्ह ॊ को ु ु णखरामेंगे।' सोना - ‘हभें बी कोई नाभ फता दो।' भोटे याभ ने यलसकता से भुसकया कय कहा, 'तम्हाया नाभ है ऩॊडडत भोहनसरऩ सुकर।' सोनादे िी ने रजा कय लसय ु ु झका ददमा। ु सोनादे िी तो रड़कों को कऩड़े ऩहनाने रगीॊ। उधय पक आनॊद की उभॊग भें घय से फाहय तनकरा। ऩॊडडत चचॊताभणण रठ े ू कय तो चरे थे; ऩय कतहरिश अबी तक द्िाय ऩय दफक खड़े थे। इन फातों की बनक इतनी दे य भें उनक कानों भें ऩड़ी, े ु े ु ू उससे मह तो ऻात हो गमा कक कह ॊ तनभॊरण है ; ऩय कहाॉ है , कौन-कौन से रोग तनभॊबरत हैं, मह ऻात न हुआ था। इतने भें पक फाहय तनकरा, तो उन्होंने उसे गोद भें उठा लरमा औय फोरे, कहाॉ नेिता है , फेटा ? अऩनी जान भें तो उन्होंने े ू फहुत धीये से ऩूछा था; ऩय न-जाने कसे ऩॊडडत ै भोटे याभ क कान भें बनक ऩड़ गमी। तयन्त फाहय तनकर आमे। दे खा, तो चचॊताभणण जी पक को गोद भें लरमे कछ ऩूछ े े ू ु ु यहे हैं। रऩक कय रड़क का हाथ ऩकड़ लरमा औय चाहा कक उसे अऩने लभर की गोद से छीन रें ; भगय चचॊताभणण जी को े अबी अऩने प्रश्न का उत्तय न लभरा था। अतएि िे रड़क का हाथ छड़ा कय उसे लरमे हुए अऩने घय की ओय बागे। े ु भोटे याभ बी मह कहते हुए उनक ऩीछे दौड़े , 'उसे क्मों लरमे जाते हो ? धतथ कह ॊ का, दटट ! चचॊताभणण, भैं कहे दे ता हूॉ, े ू ु इसका नतीजा अच्छा न होगा; कपय कबी ककसी तनभॊरण भें न रे जाऊगा। बरा चाहते हो, तो उसे उताय दो...। ' ॉ भगय चचॊताभणण ने एक न सुनी। बागते ह चरे गमे। उनकी दे ह अबी सॉबार क फाहय न हुई थी; दौड़ सकते थे; भगय े भोटे याभ जी को एक-एक ऩग आगे फढ़ना दस्त्तय हो यहा था। बैंसे की बाॉतत हाॉपते थे औय नाना प्रकाय क विशेषणों का े ु प्रमोग कयते दरकी चार से चरे जाते थे। औय मद्मवऩ प्रततऺण अॊतय फढ़ता जाता ु

था; औय ऩीछा न छोड़ते थे। अच्छी घुड़दौड़ थी। नगय क दो भहात्भा दौड़ते हुए ऐसे जान ऩड़ते थे, भानो दो गैंडे े चचडड़माघय से बाग आमे हों। सैकड़ों आदभी तभाशा दे खने रगे। ककतने ह फारक उनक ऩीछे तालरमाॉ फजाते हुए दौड़े। े कदाचचत ् मह दौड़ ऩॊडडत चचॊताभणण क घय ऩय ह सभाप्त होती; ऩय ऩॊडडत भोटे याभ धोती क ढ र हो जाने क कायण े े े उरझ कय चगय ऩड़े। चचॊताभणण ने ऩीछे कपय कय मह दृश्म दे खा, तो रुक गमे औय पकयाभ से ऩूछा , 'क्मों फेटा, कहाॉ े ू नेिता है ? ' फक. - ‘- 'फता दें , तो हभें लभठाई दोगे न ? ' े ू चचंता. - 'हाॉ, दॉ गा; फताओ।' ू फक. - 'यानी क महाॉ।'े ू े चचंता. - कहाॉ की यानी। फक. - मह भैं नह ॊ जानता। कोई फड़ी यानी है । े ू नगय भें कई फड़ी-फड़ी यातनमाॉ थीॊ। ऩॊडडत जी ने सोचा, सबी यातनमों क द्िाय ऩय चक्कय रगाऊगा। जहाॉ बोज होगा, े ॉ िहाॉ कछ बीड़-बाड़ होगी ह , ऩता चर जामगा। मह तनश्चम कयक िे रौट ऩड़े। सहानबतत प्रकट कयने े ु ू ु भें अफ कोई फाधा न थी। भोटे याभ जी क ऩास आमे, तो दे खा कक िे ऩड़े कयाह यहे हैं। उठने का नाभ नह ॊ रेत। घफया कय े े ऩछा , 'चगय कसे ऩड़े लभर, महाॉ कह ॊ गढ़ा बी तो नह ॊ है ! ' ै ू मोटे - 'तभसे क्मा भतरफ ! तभ रड़क को रे जाओ, जो कछ ऩछना चाहो, ऩछो।' े ु ु ू ू ु चचंता. - 'भैं मह कऩट-व्मिहाय नह ॊ कयता। ददलरगी की थी, तभ फुया भान गमे। रे उठ तो फैठ याभ का नाभ रेक। भैं े ु सच कहता हूॉ, भैंने कछ नह ॊ ऩछा।' ू ु मोटे .- 'चर झूठा।' चचंता. - 'जनेऊ हाथ भें रे कय कहता हूॉ।' मोटे - 'तम्हाय शऩथ का विश्िास नह ॊ।' ु चचंता. - 'तभ भुझे इतना धतथ सभझते हो ? ' ु ू मोटे - 'इससे कह ॊ अचधक। तभ गॊगा भें डूफ कय शऩथ खाओ, तो बी भझे विश्िास न आमे।' ु ु चचंता. - 'दसया मह फात कहता, तो भॉछ उखाड़ रेता।' ू ू

मोटे - ' तो कपय आ जाओ ! ' चचंता. - 'ऩहरे ऩॊडडताइन से ऩूछ आओ।' भोटे याभ मह बस्त्भक व्मॊग्म न सह सक। चट उठ फैठे औय ऩॊडडत चचॊताभणण का हाथ ऩकड़ लरमा। दोनों लभरों भें भलरे मुि होने रगा। दोनों हनभान जी की स्त्ततत कय यहे थे औय इतने जोय से गयज-गयजकय भानो लसॊह ु ु दहाड़ यहे हों। फस ऐसा जान ऩड़ता था, भानो दो ऩीऩे आऩस भें टकया यहे हों।' मोटे - ’भहाफर विक्रभ फजयॊ गी।' चचंता. -’बत-वऩशाच तनकट नदहॊ आिे।' ू मोटे - ’जम-जम-जम हनुभान गोसाईं।' चचंता. -’प्रब, यणखए राज हभाय ।' ु मोटे - ’(बफगड़कय) मह हनुभान-चार सा भें नह ॊ है ।' चचंता. -’मह हभने स्त्िमॊ यचा है । क्मा तम्हाय तयह की मह यटॊ त विद्मा है ! ल्जतना कहो, उतना यच दें ।' ु मोटे - ’अफे, हभ यचने ऩय आ जाएॉ तो एक ददन भें एक राख स्त्तततमाॉ यच डारें; ककन्तु इतना अिकाश ककसे है ।' ु दोनों भहात्भा अरग खड़े होकय अऩने-अऩने यचना-कौशर की डीॊगें भाय यहे थे। भलर-मुि शास्त्राथथ का रऩ धायण कयने रगा, जो विद्िानों क लरए उचचत है ! इतने भें ककसी ने चचॊताभणण क घय जा कय कह ददमा कक ऩॊडडत भोटे याभ े े औय चचॊताभणण जी भें फड़ी रड़ाई हो यह है । चचॊताभणण जी तीन भदहराओॊ क स्त्िाभी थे। कर न ब्राह्भण थे, ऩूये फीस े ु बफस्त्िे। उस ऩय विद्िान ् बी उच्चकोदट क, दय-दय तक मजभानी थी। ऐसे ऩुरुषों को सफ अचधकाय है । कन्मा क साथे ू ू े साथ जफ प्रचय दक्षऺणा बी लभरती हो, तफ कसे इनकाय ककमा जाए। इन तीनों भदहराओॊ का साये भहलरे भें आतॊक ै ु ु छामा हुआ था। ऩॊडडत जी ने उनक नाभ फहुत ह यसीरे यखे थे। फड़ी स्त्री को 'अलभयती', भॉझर को 'गुराफजाभुन' औय े छोट को 'भोहनबोग' कहते थे; ऩय भुहलरे िारों क लरए तीनों भदहराएॉ रामताऩ से कभ न थीॊ। घय भें तनत्म आॉसुओॊ े की नद फहती यहती , खन की नद तो ऩॊडडत जी ने बी कबी नह ॊ फहामी, अचधक से अचधक शब्दों की ह नद फहामी ू थी; ऩय भजार न थी कक फाहय का आदभी ककसी को कछ कह जाए। सॊकट क सभम तीनों एक हो जाती थीॊ। मह ऩॊडडत े ु जी क नीतत-चातमथ का सुपर था। ज्मों ह खफय लभर कक ऩॊडडत चचॊताभणण ऩय सॊकट ऩड़ा हुआ है , तीनों बरदोष की े ु बाॉतत कवऩत हो ु

कय घय से तनकर ॊ औय उनभें जो अन्म दोनों-जैसी भोट नह ॊ थी, सफसे ऩहरे सभयबूलभ भें जा ऩहुॉची। ऩॊडडत भोटे याभ जी ने उसे आते दे खा, तो सभझ गमे कक अफ कशर नह ॊ। अऩना हाथ छड़ा कय फगटुट बागे, ऩीछे कपय कय बी न दे खा। ु ु चचॊताभणण जी ने फहुत ररकाया; ऩय भोटे याभ क कदभ न रुक। े े चचंता. -’अजी, बागे क्मों ? ठहयो, कछ भजा तो चखते जाओ।' ु मोटे - ’भैं हाय गमा, बाई, हाय गमा।' चचंता. -’अबी, कछ दक्षऺणा तो रेते जाओ।' ु भोटे याभ ने बागते हुए कहा , द'मा कयो, बाई, दमा कयो।' आठ फजते-फजते ऩॊडडत भोटे याभ ने स्त्नान औय ऩूजा कयक कहा , 'अफ विरम्फ नह ॊ कयना चादहए, पकी तैमाय है न ? े ॊ सोना - टपकी लरमे तो कफ से फैठी हूॉ, तम्हें तो जैसे ककसी फात की सचध ह नह ॊ यहती। यात को कौन दे खता है कक ॊ ु ु ककतनी दे य तक ऩूजा कयते हो।' मोटे - ’भैं तभसे एक नह , हजाय फाय कह चका कक भेये काभों भें भत फोरा कयो। तभ नह ॊ सभझ सकतीॊ कक भैंने इतना ॊ ु ु ु विरम्फ क्मों ककमा। तम्हें ईश्िय ने इतनी फुवि ह नह ॊ द । जलद जाने से अऩभान होता है । जभान ु सभझता है , रोबी है , बुक्खड़ है । इसलरए चतय रोग विरम्फ ककमा कयते हैं, ल्जसभें मजभान सभझे कक ऩॊडडत जी को ु इसकी सुचध ह नह ॊ है , बूर गमे होंगे। फुराने को आदभी बेजें। इस प्रकाय जाने भें जो भान-भहत्त्ि है , िह भयबुखों की तयह जाने भें क्मा कबी हो सकता है ? भैं फुराने की प्रतीऺा कय यहा हूॉ। कोई न कोई आता ह होगा। राओ थोड़ी पकी। फारकों को णखरा द है न ? ' ॊ सोना - 'उन्हें तो भैंने साॉझ ह को णखरा द थी।' मोटे - ’कोई सोमा तो नह ॊ ? ' सोना - 'आज बरा कौन सोमेगा ? सफ बूख-बूख चचलरा यहे थे, तो भैंने एक ऩैसे का चफेना भॉगिा ददमा। सफ क सफ े ऊऩय फैठे खा यहे हैं। सुनते नह ॊ हो, भाय-ऩीट हो यह है ।' भोटे याभ ने दाॉत ऩीस कय कहा , 'जी चाहता है कक तम्हाय गयदन ऩकड़ कय ऐॊठ दॉ । बरा, इस फेरा चफेना भॉगाने का ु ू क्मा काभ था? चफेना खा रेंगे, तो िहाॉ क्मा तम्हाया लसय खामेंगे ? तछ: तछ:! जया बी फुवि नह ! ' ॊ ु सोना ने अऩयाध स्त्िीकाय कयते हुए कहा , 'हाॉ, बूर तो हुई; ऩय सफ क सफ इतना कोराहर भचामे हुए थे कक सुना नह ॊ े जाता था।'

मोटे - ’योते ह थे न, योने दे ती। योने से उनका ऩेट न बयता; फल्लक औय बूख खर जाती।' ु सहसा एक आदभी ने फाहय से आिाज द , 'ऩॊडडत जी, भहायानी फुरा यह हैं, औय रोगों को रे कय जलद चरो।' ऩॊडडत जी ने ऩत्नी की ओय गिथ से दे ख कय कहा , 'दे खा, इसे तनभॊरण कहते हैं। अफ तैमाय कयनी चादहए। फाहय आ कय ऩॊडडत जी ने उस आदभी से कहा , तभ एक ऺण औय न आते, तो भैं कथा सनाने चरा गमा होता। भझे ु ु ु बफरकर माद न थी। चरो, हभ फहुत शीघ्र आते हैं।' ु नौ फजते-फजते ऩॊडडत भोटे याभ फार-गोऩार सदहत यानी साहफ क द्िाय ऩय जा ऩहुॉच। यानी फड़ी विशारकाम एिॊ े े तेजल्स्त्िनी भदहरा थीॊ। इस सभम िे कायचोफीदाय तककमा रगामे तख्त ऩय फैठी हुई थीॊ। दो आदभी हाथ फाॉधे ऩीछे खड़े थे। बफजर का ऩॊखा चर यहा था। ऩॊडडत जी को दे खते ह यानी ने तख्त से उठ कय चयण-स्त्ऩशथ ककमा औय इस फारक-भॊडर को दे खकय भुस्त्कयाती हुई फोर ॊ , 'इन फच्चों को आऩ कहाॉ से ऩकड़ रामे ? ' मोटे - ’कयता क्मा ? साया नगय छान भाया; ककसी ऩॊडडत ने आना स्त्िीकाय न ककमा। कोई ककसी क महाॉ तनभॊबरत है , े कोई ककसी क महाॉ। तफ तो भैं फहुत चकयामा। अॊत भें भैंने उनसे कहा , 'अच्छा, आऩ नह ॊ चरते तो हरय इच्छा; रेककन े ऐसा कील्जए कक भझे रल्ज्जत न होना ऩड़े। तफ जफयदस्त्ती प्रत्मेक क घय से जो फारक लभरा, उसे ऩकड़ राना ऩड़ा। े ु क्मों पकयाभ, तम्हाये वऩता जी का क्मा नाभ है ? ' े ू ु पकयाभ ने गिथ से कहा , 'ऩॊडडत सेतयाभ ऩाठक।' े ू ू रानी - 'फारक तो फड़ा होनहाय है ।' औय फारकों को बी उत्कठा हो यह थी कक हभाय बी ऩय ऺा र जाए; रेककन जफ ऩॊडडत जी ने उनसे कोई प्रश्न न ककमा ॊ औय उधाय यानी ने पकयाभ की प्रशॊसा कय द , तफ तो िे अधीय हो उठे । बिानी फोरा , 'भेये वऩता का नाभ है ऩॊडडत गॊगू े ू ऩाॉड।' े छे द फोरा , 'भेये वऩता का नाभ है दभड़ी ततिाय ! ' फेनीयाभ ने कहा , 'भेये वऩता का नाभ है ऩॊडडत भॉगर ओझा।' अरगूयाभ सभझदाय था। चऩचाऩ खड़ा यहा। यानी ने उससे ऩूछा , 'तम्हाये वऩता का क्मा नाभ है , जी ? ' ु ु अरगूयाभ को इस िक्त वऩता का तनददथ टट नाभ माद न आमा। न मह सूझा कक कोई औय नाभ रे रे। हतफुवि-सा खड़ा यहा। ऩॊडडत भोटे याभ ने जफ उसकी ओय दाॉत ऩीस कय दे खा, तफ यहा-सहा हिास बी गामफ हो गमा। पकयाभ ने कहा , 'हभ फता दें । बैमा बूर गमे।' े ू

यानी ने आश्चमथ से ऩूछा , क्मा अऩने वऩता का नाभ बूर गमा ? मह तो विचचर फात दे खी। भोटे याभ ने अरगू क ऩास े जाकय कहा , 'क से है ।' अरगूयाभ फोर उठा , 'कशि ऩाॉड।' े े रानी - 'तो अफ तक क्मों चऩ था ? ' ु मोटे - ’कछ ऊचा सुनता है , सयकाय।' ॉ ु रानी - 'भैंने साभान तो फहुत-सा भॉगिामा है । सफ खयाफ होगा। रड़क क्मा खामेंगे ! ' े मोटे - ’सयकाय इन्हें फारक न सभझें। इनभें जो सफसे छोटा है , मह दो ऩत्तर खा कय उठे गा।' जफ साभने ऩत्तरें ऩड़ गमीॊ औय बॊडाय चाॉद की थारों भें एक से एक उत्तभ ऩदाथथ रा-रा कय ऩयसने रगा, तफ ऩॊडडत भोटे याभ जी की आॉखें खर गमीॊ। उन्हें आमे-ददन तनभॊरण लभरते यहते थे। ऩय ऐसे अनुऩभ ऩदाथथ कबी साभने न आमे ु थे। घी की ऐसी सोंधी सुगन्ध उन्हें कबी न लभर थी। प्रत्मेक िस्त्तु से किड़े औय गुराफ की रऩटें उड़ यह थीॊ। घी टऩक े यहा था। ऩॊडडत जी ने सोचा , ऐसे ऩदाथों से कबी ऩेट बय सकता है ! भनों खा जाऊ, कपय बी औय खाने को जी चाहे । ॉ दे ितागण इनसे उत्तभ औय कौन-से ऩदाथथ खाते होंगे ? इनसे उत्तभ ऩदाथों की तो कलऩना बी नह ॊ हो सकती। ऩॊडडत जी को इस िक्त अऩने ऩयभलभर ऩॊडडत चचॊताभणण की माद आमी। अगय िे होते, तो यॊ ग जभ जाता। उनक बफना यॊ ग े पीका यहे गा। महाॉ दसया कौन है ल्जससे राग-डॉग कर। रड़क दो-दो ऩत्तारों भें चें फोर जाएॉगे। सोना कछ साथ दे गी; े ॉ ू ु भगय कफ तफ ! चचॊताभणण क बफना यॊ ग न गठे गा। िे भझे ररकायें ग, भैं उन्हें ररकारगा। उस उभॊग भें ऩत्तरों की े े ॉ ु कौन चगनती। हभाय दे खा-दे खी रड़क बी डट जाएॉगे। ओह, फड़ी बूर हो गमी। मह खमार भुझे ऩहरे न आमा। यानी े साहफ से कहूॉ, फुया तो न भानें गी। उॉ ह ! जो कछ हो, एक फाय जोय तो रगाना ह चादहए। तयॊत खड़े हो कय यानी साहफ से ु ु फोरे , 'सयकाय ! आऻा हो, तो कछ कहूॉ। ु रानी - 'कदहए, कदहए भहायाज, क्मा ककसी िस्त्तु की कभी है ? ' मोटे - ’नह ॊ सयकाय, ककसी फात की नह ॊ। ऐसे उत्तभ ऩदाथथ तो भैंने कबी दे खे बी न थे। साये नगय भें आऩकी कीततथ पर जामगी। भेये एक ऩयभलभर ऩॊडडत चचॊताभणण जी हैं, आऻा हो तो उन्हें बी फरा रॉ । फड़े विद्िान ् कभथतनटठ ै ु ू ब्राह्भण हैं। उनक जोड़ का इस नगय भें दसया नह ॊ है । भैं उन्हें तनभॊरण दे ना बूर गमा। अबी सुचध आमी। ' े ू रानी - 'आऩकी इच्छा हो, तो फरा र ल्जए, भगय आने-जाने भें दे य होगी औय बोजन ऩयोस ददमा गमा है । ' ु मोटे - ’भैं अबी आता हूॉ, सयकाय, दौड़ता हुआ जाऊगा। ' ॉ रानी -टभेय भोटय रे र ल्जए। ' जफ ऩॊडडतजी चरने को तैमाय हुए, तफ सोना ने कहा, 'तम्हें आज क्मा हो गमा है ,जी! उसे क्मों फुरा यहे हो?' ु

मोटे - ’कोई साथ दे नेिारा बी तो चादहए ? ' सोना - 'भैं क्मा तभसे दफ जाती ? ' ु ऩॊडडत जी ने भस्त्कया कय कहा , 'तभ जानतीॊ नह , घय की फात औय है ; दॊ गर की फात औय है । ऩयाना णखराड़ी भैदान भें ॊ ु ु ु जा कय ल्जतना नाभ कये गा, उतना नमा ऩट्ठा नह ॊ कय सकता। िहाॉ फर का काभ नह , साहस का काभ है । फस, महाॉ बी ॊ िह हार सभझो। झॊडे गाड़ दॉ गा। सभझ रेना। ' ू सोना - 'कह ॊ रड़क सो जाएॉ तो ? ' े मोटे - ’औय बूख खर जामगी। जगा तो भैं रॉ ूगा। ' ु सोना- 'दे ख रेना, आज िह तम्हें ऩछाड़ दे गा। उसक ऩेट भें तो शनीचय है । ' े ु मोटे - ’फवि की सिथरा प्रधानता यहती है । मह न सभझो कक बोजन कयने की कोई विद्मा ह नह ॊ। इसका बी एक शास्त्र ु है , ल्जसे भथया क शतनचयानॊद भहायाज ने यचा है । चतय आदभी थोड़ी-सी जगह भें गहस्त्थी का ु े ु ृ सफ साभान यख दे ता है । अनाड़ी फहुत-सी जगह भें बी मह सोचता है कक कौन िस्त्तु कहाॉ यख। गॉिाय आदभी ऩहरे से ूॉ ह हफक-हफक कय खाने रगता है औय चट एक रोटा ऩानी ऩी कय अपय जाता है । चतय आदभी फड़ी सािधानी से ु खाता है , उसको कौय नीचे उतायने क लरए ऩानी की आिश्मकता नह ॊ ऩड़ती। दे य तक बोजन कयते यहने से िह सुऩाच्म े बी हो जाता है । चचॊताभणण भेये साभने क्मा ठहये गा। ' चचॊताभणण जी अऩने आॉगन भें उदास फैठे हुए थे। ल्जस प्राणी को िह अऩना ऩयभदहतैषी सभझते थे, ल्जसक लरए िे े अऩने प्राण तक दे ने को तैमाय यहते थे, उसी ने आज उनक साथ फेिपाई की। फेिपाई ह नह ॊ की, उन्हें उठा कय दे े भाया। ऩॊडडत भोटे याभ क घय से तो कछ जाता न था। अगय िे चचॊताभणण जी को साथ रे जाते, तो क्मा यानी साहफ उन्हें े ु दत्काय दे तीॊ ? स्त्िाथथ क आगे कौन ककसको ऩूछता है ? उन अभूलम ऩदाथों की कलऩना कयक चचॊताभणण क भॉुह से राय े े े ु टऩकी ऩड़ती थी। अफ साभने ऩत्तय आ गमी होगी ! अफ थारों भें अलभयततमाॉ लरमे बॊडाय जी आमे होंगे ! ओहो। ककतनी सुन्दय, कोभर, कयकय , यसीर अलभयततमाॉ होंगी ! अफ फेसन क रड्डू आमे होंगे। ओहो, ककतने सुडौर, भेिों े ु ु से बये हुए, घी से तयातय रड्डू होंगे, भॉुह भें यखते ह घुर जाते होंगे, जीब बी न डुरानी ऩड़ती होगी। अहा ! अफ भोहनबोग आमा होगा ! हाम ये दबाथग्म ! भैं महाॉ ऩड़ा सड़ ु यहा हूॉ औय िहाॉ मह फहाय ! फड़े तनदथ मी हो भोटे याभ - ‘तभसे इस तनटठुयता की आशा न थी। ु अलभयतीदे िी फोर ॊ , 'तभ इतना ददर छोटा क्मों कयते हो ? वऩतऩऺ तो आ ह यहा है , ऐसे-ऐसे न जाने ककतने आमेंगे। ' ु ृ

चचॊताभणण - 'आज ककसी अबागे का भह दे खकय उठा था। राओ तो ऩरा, दे ख, कसा भुहूतथ है । अफ नह ॊ यहा जाता। ॉु ूॉ ै साया नगय छान डारॉ ूगा, कह ॊ तो ऩता चरेगा, नालसका तो दादहनी चर यह है । ' एकाएक भोटय की आिाज आमी। उसक प्रकाश से ऩॊडडत जी का साया घय जगभगा उठा। िे णखड़की से झाॉकने रगे, तो े भोटे याभ को भोटय से उतयते दे खा। एक रम्फी साॉस रेकय चायऩाई ऩय चगय ऩड़े। भन भें कहा कक दटट ु बोजन कयक अफ महाॉ भुझसे फखान कयने आमा है । अलभयतीदे िी ने ऩूछा , 'कौन है डाढ़ जाय, इतनी यात को जगाित े है ? ' मोटे - ’हभ हैं हभ ! गार न दो ! ' अममरती- 'अये दय भॉुहझौंसे, तैं कौन है ! कहते हैं, हभ हैं हभ ! को जाने तैं कौन है ? ' ु मोटे - ’अये हभाय फोर नह ॊ ऩहचानती हो ? खफ ऩहचान रो। हभ हैं, तम्हाये दे िय। ' ू ु अममरती - 'ऐ दय, तोये भॉुह भें का रागे। तोय रहास उठे । हभाय दे िय फनत है , डाढ़ जाय। ' ु मोटे - ’अये हभ हैं भोटे याभ शास्त्री। क्मा इतना बी नह ॊ ऩहचानती ? चचॊताभणण घय भें हैं ? ' अलभयती ने ककिाड़ खोर ददमा औय ततयस्त्काय-बाि से फोर , 'अये तभ थे, तो नाभ क्मों नह ॊ फताते थे ? जफ इतनी ु गालरमाॉ खा र , तो फोर तनकरा। क्मा है , क्मा ? ' ॊ मोटे - ’कछ नह ; चचॊताभणण जी को शब-सॊिाद दे ने आमा हूॉ। यानी साहफ ने उन्हें माद ककमा है । ' ॊ ु ु अममरती - 'बोजन क फाद फरा कय क्मा कयें गी ? ' े ु मोटे - ’अबी बोजन कहाॉ हुआ है ! भैंने जफ इनकी विद्मा, कभथतनटठा, सद्विचाय की प्रशॊसा की, तफ भुग्ध हो गमीॊ। भझसे कहा कक उन्हें भोटय ऩय राओ ! क्मा सो गमे ? ' ु चचॊताभणण चायऩाई ऩय ऩड़े-ऩड़े सुन यहे थे। जी भें आता था, चर कय भोटे याभ क चयणों ऩय चगय ऩड़ूॉ। उनक विषम भें े े अफ तक ल्जतने कल्त्सत विचाय उठे थे, सफ रुप्त हो गमे। ग्रातन का आविबाथि हुआ। योने रगे। 'अये बाई, आते हो मा ु सोते ह यहोगे !' , मह कहते हुए भोटे याभ उनक साभने जा कय खड़े हो गमे। े चचंता. -’तफ क्मों न रे गमे ? जफ इतनी ददथशा कय लरमे; तफ आमे। अबी तक ऩीठ भें ददथ हो यहा है । ' ु मोटे - ’अजी, िह तय-भार णखराऊगा कक साया ददथ -िदथ बाग जामगा, तम्हाये मजभानों को बी ऐसे ऩदाथथ भमस्त्सय न ॉ ु हुए होंगे ! आज तम्हें फद कय ऩछाड़ूॉगा ? ' ु

चचंता. -’तभ फेचाये भुझे क्मा ऩछाड़ोगे। साये शहय भें तो कोई ऐसा भाई का रार ददखामी नह ॊ दे ता। हभें शनीचय का ु इटट है । ' मोटे - ’अजी, महाॉ फयसों तऩस्त्मा की है । बॊडाये का बॊडाया साप कय दें औय इच्छा ज्मों की त्मों फनी यहे । फस, मह सभझ रो कक बोजन कयक हभ खड़े नह ॊ यह सकते। चरना तो दसय फात है । गाड़ी ऩय रद कय आते े ू हैं। ' चचंता. -’तो मह कौन फड़ी फात है । महाॉ तो दटकट ऩय उठा कय रामे जाते हैं। ऐसी-ऐसी डकायें रेते हैं कक जान ऩड़ता है , फभ-गोरा छट यहा है । एक फाय खोवऩमा ऩुलरस ने फभ-गोरे क सॊदेह भें घय की तराशी तक र े ू ।' मोटे - ’झूठ फोरते हो। कोई इस तयह नह ॊ डकाय सकता। ' चचंता. -’अच्छा, तो आ कय सुन रेना। डय कय बाग न जाओ, तो सह । ' एक ऺण भें दोनों लभर भोटय ऩय फैठे औय भोटय चर । यास्त्ते भें ऩॊडडत चचॊताभणण को शॊका हुई कक कह ॊ ऐसा न हो कक भैं ऩॊडडत भोटे याभ का वऩछरग्गू सभझा जाऊ औय भेया मथेटट सम्भान न हो। उधय ऩॊडडत भोटे याभ को बी बम हुआ ॉ कक कह ॊ मे भहाशम भेये प्रततद्िॊद्िी न फन जाएॉ औय यानी साहफ ऩय अऩना यॊ ग जभा रें। दोनों अऩने-अऩने भॊसूफे फाॉधाने रगे। ज्मों ह भोटय यानी क बिन भें ऩहुॉची दोनों भहाशम उतये । अफ भोटे याभ चाहते े थे कक ऩहरे भैं यानी क ऩास ऩहुॉच जाऊ औय कह दॉ ू कक ऩॊडडत को रे आमा, औय चचॊताभणण चाहते थे े ॉ कक ऩहरे भैं यानी क ऩास ऩहुॉचॉ ू औय अऩना यॊ ग जभा दॉ । दोनों कदभ फढ़ाने रगे। चचॊताभणण हलक होने क कायण जया े े े ू आगे फढ़ गमे, तो ऩॊडडत भोटे याभ दौड़ने रगे। चचॊताभणण बी दौड़ ऩड़े। घड़दौड़-सी होने रगी। भारभ होता था कक दो ु ू गैंडे बागे जा यहे हैं। अॊत भें भोटे याभ ने हाॉपते हुए कहा , 'याजसबा भें दौड़ते हुए जाना उचचत नह ॊ। ' चचंता. -’तो तभ धीये -धीये आओ न, दौड़ने को कौन कहता है । ' ु मोटे - ’जया रुक जाओ, भेये ऩैय भें काॉटा गड़ गमा है । ' चचंता. -’तो तनकार रो, तफ तक भैं चरता हूॉ। ' मोटे - ’भैं न कहता, तो यानी तम्हें ऩूछती बी न ! ' ु भोटे याभ ने फहुत फहाने ककमे, ऩय चचॊताभणण ने एक न सुना। बिन भें ऩहुॉच। यानी साहफ फैठी कछ लरख यह थीॊ औय े ु यह-यहकय द्िाय की ओय ताक रेती थीॊ कक सहसा ऩॊडडत चचॊताभणण उनक साभने आ खड़े हुए औय े

मों स्त्ततत कयने रगे , 'हे हे मशोदे, तू फारकशि, भुयायनाभा...' े ु रानी - ' क्मा भतरफ ? अऩना भतरफ कहो ? ' चचंता. -’सयकाय को आशीिाथद दे ता हूॉ सयकाय ने इस दास चचॊताभणण को तनभॊबरत कयक ककतना अनग्रलसत े ु (अनुगह त) ककमा है , उसका फखान शेषनाग अऩनी सहस्त्र ल्जह्ना द्िाया बी नह ॊ कय सकते। ' ृ रानी - 'तम्हाया ह नाभ चचॊताभणण है ? िे कहाॉ यह गमे , ऩॊडडत भोटे याभ शास्त्री ? ' ु चचंता. -’ऩीछे आ यहा है , सयकाय। भेये फयाफय आ सकता है , बरा ! भेया तो लशटम है । ' रानी - ' अच्छा, तो िे आऩक लशटम हैं ! ' े चचंता. -’भैं अऩने भॉुह से अऩनी फड़ाई नह ॊ कयना चाहता सयकाय ! विद्िानों को नम्र होना चादहए; ऩय जो मथाथथ है , िह तो सॊसाय जानता है । सयकाय, भैं ककसी से िाद-वििाद नह ॊ कयता; मह भेया अनशीरन (अबीटट) ु नह ॊ। भेये लशटम बी फहुधा भेये गुरु फन जाते हैं; ऩय भैं ककसी से कछ नह ॊ कहता। जो सत्म है , िह सबी जानते हैं। ' ु इतने भें ऩॊडडत भोटे याभ बी चगयते-ऩड़ते हाॉपते हुए आ ऩहुॉचे औय मह दे ख कय कक चचॊताभणण बद्रता औय सभ्मता की भततथ फने खड़े हैं, िे दे िोऩभ शाल्न्त क साथ खड़े हो गमे। े ू रानी - 'ऩॊडडत चचॊताभणण फड़े साधु प्रकृतत एिॊ विद्िान ् हैं। आऩ उनक लशटम हैं, कपय बी िे आऩको अऩना लशटम नह ॊ े कहते हैं। ' मोटे - ’सयकाय, भैं इनका दासानदास हूॉ। ' ु चचंता. -’जगतारयणी, भैं इनका चयण-यज हूॉ। ' मोटे - ’रयऩुदरसॊहारयणी, भैं इनक द्िाय का ककय हूॉ। ' े ू रानी - ' आऩ दोनों सज्जन ऩूज्म हैं। एक से एक फढ़े हुए। चलरए, बोजन कील्जए। सोनायानी फैठी ऩॊडडत भोटे याभ की याह दे ख यह थीॊ। ऩतत की इस लभर-बल्क्त ऩय उन्हें फड़ा क्रोध आ यहा था। फड़े रड़कों क विषम भें तो कोई चचॊता न थी, रेककन छोटे फच्चों क सो जाने का बम था। उन्हें ककस्त्से-कहातनमाॉ सुना-सुना े े कय फहरा यह थी कक बॊडाय ने आकय कहा , भहायाज चरो। दोनों ऩॊडडत जी आसन ऩय फैठ गमे। कपय क्मा था, फच्चे कद-कद कय बोजनशारा भें जा ऩहुॉच। दे खा, तो दोनों ऩॊडडत दो िीयों की बाॉतत आभने-साभने डटे फैठे हैं। दोनों अऩनाे ू ू अऩना ऩुरुषाथथ ददखाने क लरए अधीय हो यहे थे। े

चचंता. -’बॊडाय जी, तभ ऩयोसने भें फड़ा विरम्फ कयते हो ! क्मा बीतय जा कय सोने रगते हो ? ' ु बॊडाय , 'चऩाई भाये फैठे यहो, जौन कछ होई, सफ आम जाई। घफड़ामे का नह ॊ होत। तम्हाये लसिाम औय कोई ल्जिैमा ु ु ु नह ॊ फैठा है । ' मोटे - ’बैमा, बोजन कयने क ऩहरे कछ दे य सुगॊध का स्त्िाद तो रो। ' े ु चचंता. -’अजी, सुगॊध गमा चलहे भें, सुगॊध दे िता रोग रेते हैं। अऩने रोग तो बोजन कयते हैं। ' ू मोटे - ’अच्छा फताओ, ऩहरे ककस चीज ऩय हाथ पयोगे ? ' े चचंता. -’भैं जाता हूॉ बीतय से सफ चीजें एक साथ लरमे आता हूॉ। ' मोटे - ’धीयज धायो बैमा, सफ ऩदाथों को आ जाने दो। ठाकय जी का बोग तो रग जाए। ' ु चचंता. -’तो फैठे क्मों हो, तफ तक बोग ह रगाओ। एक फाधा तो लभटे । नह ॊ तो राओ, भैं चटऩट बोग रगा दॉ । व्मथथ दे य ू कयोगे। ' इतने भें यानी आ गमीॊ। चचॊताभणण सािधान हो गमे। याभामण की चौऩाइमों का ऩाठ कयने रगे , 'यहा एक ददन अिध अधाया। सभुझत भन दख बमउ अऩाया॥ ु कौशरेश दशयथ क जाएेे। हभ वऩतु फचन भातन फन आमे॥ े उरदट ऩरदट रॊका कवऩ जाय । कद ऩड़ा तफ लसॊधु भझाय ॥ ू जेदह ऩय जा कय सत्म सनेहू। सो तेदह लभरे न कछ सॊदेहू॥ ु जाभिॊत क िचन सुहामे। सुतन हनुभान हृदम अतत बामे॥ े ऩॊडडत भोटे याभ ने दे खा कक चचॊताभणण का यॊ ग जभता जाता है तो िे बी अऩनी विद्ित्ता प्रकट कयने को व्माकर हो ु गमे। फहुत ददभाग रड़ामा, ऩय कोई श्रोक, कोई भॊरा, कोई कविता माद न आमी तफ उन्होंने सीधे-सीधे याभ-नाभ का ऩाठ आयॊ ब कय ददमा , 'याभ बज, याभ बज, याभ बज ये भन' , इन्होंने इतने ऊचे स्त्िय से जाऩ कयना शुर ककमा कक ॉ चचॊताभणण को बी अऩना स्त्िय ऊचा कयना ऩड़ा। भोटे याभ औय जोय से गयजने रगे। इतने भें बॊडाय ने कहा , 'भहायाज, ॉ अफ बोग रगाइमे। मह सुन कय उस प्रततस्त्ऩधाथ का अॊत हुआ। बोग की तैमाय हुई। फार-िॊद सजग हो गमा। ककसी ने ृ घॊटा लरमा, ककसी ने घडड़मार, ककसी ने शॊख, ककसी ने कयतार औय चचॊताभणण ने आयती उठा र । भोटे याभ भन भें ऐॊठ कय यह गमे। यानी क सभीऩ जाने का मह अिसय उनक हाथ से तनकर गमा। ऩय मह ककसे भारूभ था कक विचध-िाभ े े उधाय कछ औय ह कदटर-क्रीड़ा कय यहा है । आयती सभाप्त हो गमी थी, बोजन शुर होने को ह था कक एक कत्ता नु ु ु

जाने ककधय से आ तनकरा। ऩॊडडत चचॊताभणण क हाथ से रड्डू थार भें चगय ऩड़ा। ऩॊडडत भोटे याभ अचकचा कय यह गमे। े सिथनाश ! चचॊताभणण ने भोटे याभ से इशाये भें कहा , 'अफ क्मा कहते हो, लभर ? कोई उऩाम तनकारो, महाॉ तो कभय टूट गमी। ' भोटे याभ ने रम्फी साॉस खीॊचकय कहा , 'अफ क्मा हो सकता है ? मह ससुय आमा ककधय से ? ' यानी ऩास ह खड़ी थीॊ, उन्होंने कहा , अये , कत्ता ककधय से आ गमा ? मह योज फॉधा यहता था, आज कसे छट गमा ? अफ ै ू ु तो यसोई भ्रटट हो गमी। ' चचंता. -’सयकाय, आचामों ने इस विषम भें... ' मोटे - ’कोई हजथ नह ॊ है , सयकाय, कोई हजथ नह ॊ है ! ' सोना- ' बाग्म पट गमा। जोहत-जोहत आधी यात फीत गमी, तफ ई विऩत्ता पाट ऩय । ' ू चचंता. -’सयकाय स्त्िान क भुख भें अभत. '.. े ृ मोटे - ’तो अफ आऻा हो तो चरें । ' रानी - ‘'हाॉ औय क्मा। भुझे फड़ा द:ख है कक इस कत्ते ने आज इतना फड़ा अनथथ कय डारा। तभ फड़े गुस्त्ताख हो गमे, ु ु ु टाभी। बॊडाय , मे ऩत्तय उठा कय भेहतय को दे दो। ' चचंता. -’(सोना से) 'छाती पट जाती है । ' सोना को फारकों ऩय दमा आमी। फेचाये इतनी दे य दे िोऩभ धैमथ क े साथ फैठे थे। फस चरता, तो कत्तो का गरा घोंट दे ती। फोर , रयकन का तो दोष नह ॊ ऩयत है । इन्हें काहे नह ॊ खिाम ु दे त कोऊ। ' चचंता. -’भोटे याभ भहादटट है । इसकी फुवि भ्रटट हो गमी है । ' ु सोना - 'ऐसे तो फड़े विद्िान फने यहैं। अफ काहे नाह ॊ फोरत फनत। भॉुह भें दह जभ गमा, जीबै नह ॊ खरत है । ' ु चचंता. -’सत्म कहता हूॉ, यानी को चकभा दे दे ता। उस दटट क भाये सफ खेर बफगड़ गमा। साय अलबराषाएॉ भन भें यह े ु गमीॊ। ऐसे ऩदाथथ अफ कहाॉ लभर सकते हैं ? सोना - ‘साय भनुसई तनकर गमी। घय ह भें गयजै क सेय हैं।' े यानी ने बॊडाय को फरा कय कहा , 'इन छोटे -छोटे तीनों फच्चों को णखरा दो। मे फेचाये क्मों बखों भयें । क्मों पकयाभ, े ू ु ू लभठाई खाओगे ! '

फक. - ‘इसीलरए तो आमे हैं। ' े ू रानी - ‘ककतनी लभठाई खाओगे ? ' फक. - फहुत-सी (हाथों से फता कय) इतनी ! ' े ू रानी - ‘अच्छी फात है । ल्जतनी खाओगे उतनी लभरेगी; ऩय जो फात भैं ऩछॉू , िह फतानी ऩड़ेगी। फताओगे न? ' ू फक. - ‘हाॉ फताऊगा, ऩूतछए ! ' े ू ॉ रानी - ‘झूठ फोरे, तो एक लभठाई न लभरेगी। सभझ गमे। ' फक. - ‘भत द ल्जएगा। भैं झूठ फोरॉ ूगा ह नह ॊ। ' े ू रानी - ‘अऩने वऩता का नाभ फताओ। ' मोटे - ’फारकों को हयदभ सफ फातें स्त्भयण नह ॊ यहतीॊ। उसने तो आते ह आते फता ददमा था। ' रानी - ‘भैं कपय ऩूछती हूॉ, इसभें आऩकी क्मा हातन है ? ' चचंता. -’नाभ ऩूछने भें कोई हजथ नह ॊ। मोटे - ’तभ चऩ यहो चचॊताभणण, नह ॊ तो ठीक न होगा। भेये क्रोध को अबी तभ नह ॊ जानते। दफा फैठूॉगा, तो योते ु ु ु बागोगे। ' रानी - ‘आऩ तो व्मथथ इतना क्रोध कय यहे हैं। फोरो पकयाभ, चऩ क्मों हो, कपय लभठाई न ऩाओगे। े ू ु चचंता. -’भहायानी की इतनी दमा-दृल्टट तम्हाये ऊऩय हैं, फता दो फेटा ! ' ु मोटे - ’चचॊताभणण जी, भैं दे ख यहा हूॉ, तम्हाये अददन आमे हैं। िह नह ॊ फताता, तम्हाया साझा , आमे िहाॉ से फड़े ु ु खैयख्िाह फन क। ' े सोना - ‘अये हाॉ, रयकन से ई सफ ऩॉिाया से का भतरफ। तभका धयभ ऩये लभठाई दे ि, न धयभ ऩये न दे ि। ई का कक फाऩ ु का नाभ फताओ तफ लभठाई दे ि। ' पकयाभ ने धीये से कोई नाभ लरमा। इस ऩय ऩॊडडत जी ने उसे इतने जोय से डॉटा कक उसकी आधी फात भॉुह भें ह यह े ू गमी। रानी - ‘क्मों डॉटते हो, उसे फोरने क्मों नह ॊ दे ते ? फोरो फेटा ! '

मोटे - ’आऩ हभें अऩने द्िाय ऩय फुरा कय हभाया अऩभान कय यह हैं। ' चचंता. -’इसभें अऩभान की तो कोई फात नह ॊ है , बाई ! ' मोटे - ’अफ हभ इस द्िाय ऩय कबी न आमेंगे। महाॉ सत्ऩरुषों का अऩभान ककमा जाता है । ' ु अरगू , कदहए तो भैं चचॊताभणण को एक ऩटकन दॉ । ू मोटे - ’नह ॊ फेटा, दटटों को ऩयभात्भा स्त्िमॊ दॊ ड दे ता है । चरो, महाॉ से चरें। अफ बूर कय महाॉ न आमेंगे। णखराना न ु वऩराना, द्िाय ऩय फरा कय ब्राह्भणों का अऩभान कयना। तबी तो दे श भें आग रगी हुई है । ' ु चचंता. -’भोटे याभ , ‘भहायानी क साभने तम्हें इतनी कटु फातें न कयनी चादहए। ' े ु मोटे - ’फस चऩ ह यहना, नह ॊ तो साया क्रोध तम्हाये ह लसय जामगा। भाता-वऩता का ऩता नह , ब्राह्भण फनने चरे हैं। ॊ ु ु तम्हें कौन कहता है ब्राह्भण ? ' ु चचंता. -’जो कछ भन चाहे , कह रो। चन्द्रभा ऩय थकने से थक अऩने ह भॉुह ऩय ऩड़ता है । जफ तुभ धभथ का एक रऺण ू ू ु नह ॊ जानते, तफ तभसे क्मा फातें कर ? ब्राह्भण को धैमथ यखना चादहए। ' ॉ ु मोटे - ’ऩेट क गराभ हो। ठकयसोहाती कय यहे हो कक एकाध ऩत्तर लभर जाए। महाॉ भमाथदा का ऩारन कयते हैं ! े ु ु चचॊता - ' कह तो ददमा बाई कक तभ फड़े, भैं छोटा, अफ औय क्मा कहूॉ। तभ सत्म कहते होगे, भैं ब्राह्भण नह ॊ शूद्र हूॉ। ' ु ु रानी - ‘ऐसा न कदहए चचॊताभणण जी। ' 'इसका फदरा न लरमा तो कहना ! ' मह कहते हुए ऩॊडडत भोटे याभ फारक-िॊद क साथ फाहय चरे आमे औय बाग्म को ृ े कोसते हुए घय को चरे। फाय-फाय ऩछता यहे थे कक दटट चचॊताभणण को क्मों फुरा रामा। ु सोना ने कहा, 'बॊडा पटत-पटत फच गमा। पकआ नाॉि फताम दे ता। काहे ये , अऩने फाऩ कय नाॉि फताम दे ते! ' े ु े ू ू फक. - ‘औय क्मा। िे तो सच-सच ऩूछती थीॊ ! ' े ू मोटे - ’चचॊताभणण ने यॊ ग जभा लरमा, अफ आनॊद से बोजन कये गा। ' सोना - ‘तम्हाय एको विद्मा काभ न आमी। ऊ तौन फाजी भाय रैगा। ' ॉ ु मोटे - ’भैं तो जानता हूॉ, यानी ने जान-फूझ कय कत्ते को फुरा लरमा। ' ु सोना - ‘भैं तो ओकया भॉुह दे खत ताड़ गमी कक हभका ऩहचान गमी। '

इधय तो मे रोग ऩछताते चरे जाते थे, उधाय चचॊताभणण की ऩाॉचों अॉगुर घी भें थीॊ। आसन भाये बोजन कय यहे थे। यानी अऩने हाथों से लभठाइमाॉ ऩयोस यह थीॊ; िात्ताथराऩ बी होता जाता था। रानी - ‘फड़ा धत्तथ है ? भैं फारकों को दे खते ह सभझ गमी। अऩनी स्त्री को बेष फदर कय राते उसे रज्जा न आमी।‘ ू चचंता. -’भुझे कोस यहे होंगे ! ' रानी - ‘भुझसे उड़ने चरा था। भैंने बी कहा था , फचा, तभको ऐसी लशऺा दॉ गी कक उम्र बय माद कयोगे। टाभी को फुरा ु ू लरमा।' चचंता. -’सयकाय की फुवि धन्म है ! '

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