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चह

ु ल...

Written & Directed by- Manav Kaul

Scene-0

MUSIC फेड इन होता है ... लाइट आती है तो हम कुछ म हलाएँ (जो अलग-अलग उ और वग का त न ध व
कर सक।) टे ज म बख़र हुई ख़ड़ी दखती ह। हर म हला पपेट क तरह अपने चार ल षे काम को बार-बार दौहरा
रह ह। एक लड़का ऑ फस वद म अंदर आता है िजसके पीछे एक यु र ट नम ु ा आदमी वेश करता है ।
लड़का- आईये सर, ये हमारे यिु ज़यम का सबसे बहतर न ह सा है िजसे हमने डे डकेट कया है भारतीय नार
को, इ डयन वम ु ेन। थोड़ा ज द दे खएगा यिु ज़यम बंद होने का व त हो गया है । म नीचे आपका इंतज़ार क ं गा।
ज द आईयेगा।
लड़का चला जाता है और यु र ट उन लड़ कय पर नज़र डालता है । फर दे खता है क उस म म कोई नह ं है ।
कोई सीसी ट वी केमेरा भी नह ं है । वो एक दो बार वाचमेन को आवाज़ दे ता है पर कोई आवाज़ वा पस नह ं आती।
वो एक लड़क के पास जाता है ... और उस लड़क को ख़राब तर के से छूता है .. उसके छूते ह लड़क पपेट क तरह
काम छोड़कर... पडुलम क तरह हलने लगती है । फर वह धीरे -धीर बाक़ लड़ कय को छूना शु करता है । कभी
अपनी उँ गल से तो कभी उस तर क़े से जैसे भीड़ भर बस म पु ष औरत को छूते ह, कभी अख़बार से ल क को
मारता है .. कभी गाल को छूता है । वो लड़ कय को छूता चलता है और लड़ कयाँ पडुलम क तरह हलने लगती ह।
जब वह सबसे आगे क लड़क तक पहुँचता है तो बाक़ सार लड़ कयाँ पडुलम क तरह हल रह ह। वह उस लड़क
को तेज़ घ का दे ने लगता है , तो वह कुछ दे र म गर जाती है । वह आदमी घबराकर यहाँ-वहाँ दे खता है । एक-एक
करके सार लड़ कयाँ गरने लगती ह। वह आदमी भाग जाता है । आ ख़र औरत गरने को होती है । हम लैक
आउट करते ह।

Scene-1

( लैक आउट म हम गाना सनु ाई दे ता है । यह गाना न मी गा रह है । गाना के बीच म लाईट आती है , हम दे खते ह
क स नाटे म सध
ु ीर, न मी (सध
ु ीर क बहन) और माँ (आरती क माँ) बैठे ह। कुछ दे र म गाना ख म होता है ..
सभी चपु ह।)

न मी- गाना ख़ म हो गया!


(कोई कुछ नह ं कहता। न मी सध
ु ीर को आँख दखाती है , सध
ु ीर मना करता है ... न मी यट
ंु काटने क को शश
करती है , सध
ु ीर झझककर ताल बजाता है ।)

सध
ु ीर- हम लोग चल? बहुत दे र हो चल है । शायद वह कह ं फँस गई ह गी।
माँ- फँसगी य ?
न मी- मतलब अटक गई होगीं।
माँ- अटक गई होगी! वह य अटकेगी?
न मी- नह ।ं असल म...
माँ- या?
सधु ीर- आंट , हमार आ ख़र बस का टाइम भी हो रहा है । कुछ दे र म वो नकल जाएगी.. तो थोड़ा हम नकलते ह।
न मी- भईया इतना मज़ा तो आ रहा है ।
सधु ीर- मज़ा?
माँ- य आपको ठ क नह ं लग रहा यहाँ?
सध ु ीर- नह ं नह ं आंट । बहुत अ छा लग रहा है । सब!
माँ- वह बस आती ह होगी।
न मी- तब तक म एक गाना ओर गा दे ती हूँ।
माँ- नह !ं
सध ु ीर- न मी थोड़ा क भी जाओ।
न मी- अ छा ठ क है तो आप ह गा द िजए।
माँ- म?
सध ु ीर- न मी, तु हारा दमाग़ ठ क है ? हम यहाँ लड़क दे खने आए ह और तम ु आंट से कह रह हो क गाना
सन ु ाओ?
न मी- नह ं नह ं भइया। म तो असल म...
माँ- म गाती हूँ... सन ु ाऊँ?
सध ु ीर- जी! हाँ हाँ!
न मी- सन ु ाइए न। बंदास!
(माँ गाना सन ु ाने लगती ह। वह आलाप लेती ह तभी सब कुछ शांत हो जाता है । दरवाज़े क तरफ़ से लाइट बढ़ती है
और सध ु ीर उस तरफ़ दे खता है और दशक से कहता है ।)
सध ु ीर- कुछ बदलने वाला है । है न? यह आहट बरबस हम तक पहुँच जाती है । जैसे साल से थमे हुए तालाब के
कनारे हम बरस -बरस इंतज़ार कर रहे थे। तभी एक कंकड़ कह ं से आकर गरता है , लहर उठती ह, और हम पता
चलता है क इस थमे हुए तलाब के भीतर कतना कुछ था जो हरकत कर रहा था। और कुछ भी वैसा नह ं रहता जो
साल से चला आ रहा है । ठ क उस ण, सब कुछ बदल जाता है ।
(आरती भागती हुई भीतर आती है । सध ु ीर खड़ा होकर नम ते करता है । बाक़ सभी बैठे रहते ह। सध
ु ीर को अजीब
लगता है और वह तरु ं त बैठ जाता है ।)
आरती- Sorry! ऑ फ़स म थोड़ी दे र हो गई, म बस मँह ु धोकर आती हूँ।
(आरती भीतर चल जाती है ।)
सध ु ीर- ( न मी से) म खड़ा हो गया था।
न मी- या?
माँ- अचानक ऑ फस म कोई ज़ र काम आ गया होगा सो इसे जाना पड़ा।
न मी- तो आरती संडे को भी काम करती ह?
माँ- अरे ायवेट कंपनी है । जब काम बढ़ जाता है तो जाना पड़ता है , पर कभी-कभी।
(आरती बना मँह ु धोए वापस आ जाती है ।)
माँ- बेटा, आओ बैठो। बड़ा मज़ा आ रहा था। है न?
सध ु ीर- जी!
(सध ु ीर और न मी एक साथ कहते ह- ‘हाँ, ब कुल!’)
माँ- यह सध ु ीर है , पास ह के गाँव म। गाँव म...
सध ु ीर- म कूल म ट चर हूँ।
न मी- अरे ! सरकार कूल म?
माँ- हाँ ट चर ह। म ज़रा कुछ खाने को बनाती हूँ। तम ु लोग बैठ के आराम से बात करो। (माँ भीतर चल जाती है ।)
न मी- अरे वाह!
सध ु ीर- न मी, हम तो नकलना...?
न मी- अरे आंट ! हम थोड़ी ज द है । आ ख़र बस नकल जाएगी।
माँ- (भीतर से ह ) अरे बस अभी हो जाएगा।
न मी- फर ठ क है ।
( न मी क कुछ समझ म नह ं आता क वह बात कहाँ से शु करे । कुछ दे र क चु पी के बाद।)
न मी- म न मी।
आरती- म आरती।
न मी- यह मेरे भाई ह।
आरती- जी!
न मी- आप गाना गाती ह?
सधु ीर- न मी नह !ं
न मी- भइया, ज़रा बात करने दो। (तंज़ म)
आरती- तम ु गाती हो?
न मी- ब कुल! म तो... मतलब गन ु गन
ु ा लेती हूँ।
आरती- तो सन ु ाओ।
न मी- सन ु ाऊँ?
माँ- ( न मी अभी पहला ह सरु लगाती है क तभी भीतर से माँ क आवाज़ आती है -) न मी ज़रा मेर थोड़ी मदद
करा दोगी?
न मी- जी, आई। गाना तो रह ह गया... चलो बाद म।
( न मी सध ु ीर को आँख दखाकर भीतर चल जाती है । सध ु ीर और आरती कुछ दे र असहज चु पी म रहते ह।)
सध ु ीर- (बहुत झझकते हुए) हमारे यहाँ यह एक ब कुल पागल है ।
आरती- यह एक ह ...
(अचानक आरती के मँह ु से नकल जाता है । सध ु ीर क समझ म नह ं आता वह या करे ।)
आरती- आप हँसे य थे?
सध ु ीर- आपने दे ख लया था? Sorry!
आरती- पर य हं से थे?
सध ु ीर- म बताऊँ आपको?
आरती- जी।
सध ु ीर- आप भागती हुई आई थीं और फर भीतर मँह ु धोने चल गई थीं।
आरती- हाँ।
सध ु ीर- पर फर आपने मँह ु तो धोया ह नह ं?
आरती- हाँ... मझ ु े लगा या मँह
ु धोना।
(दोन कुछ दे र तक शांत रहते ह।)
आरती- आपको पसीना बहुत आता है ?
(सध ु ीर जेब म माल टटोलता है तो उसे पता चलता है क वह माल नह ं लाया। तो वह अपनी शट से पसीना
पोछता है ।)
सध ु ीर- नह ं। यूँ नह ं आता है । पर, अभी, मझ ु े न इसक आदत नह ं है ।
आरती- पसीने क ?
सध ु ीर- नह ं। यह इस तरह... आना। और... मझ ु े अजीब लगता है ।
आरती- तो य आए?
सध ु ीर- पता नह ।ं माँ ह नह ।ं और बापू और न मी लगातार मेर शाद क चंता म रहते ह। उनको लगता है क
मेरे चप ु रहने का कारण मेरा अकेलापन है ।
आरती- या वह सह ह?
सध ु ीर- पता नह ।ं शायद हो भी।
आरती- अ छा। आप शाद नह ं करना चाहते?
सधु ीर- म ब कुल करना चाहता हूँ। पर यह तर क़े दे खए न कतने डरावने ह। मतलब ऐसे आकर बैठना और...
फर... फर.. मतलब.. हे ना। म आपसे एक बात और कहना चाहता हूँ। मना करने म आप यादा समय नह ं लेना।
मझ ु े वह दन बड़े डरावने लगते ह।
आरती- कौन से दन?
सध ु ीर- वह मना करने के पहले वाले दन होते ह न... वह। लगता है जैसे एक लंबी पर ा चल रह है । बख़ ु ार बना
रहता है ।
आरती- बख़ ु ार?
सध ु ीर- हाँ , मझ ु े तो, बचपन से ह , पर ा के नाम से ह बख़ ु ार आ जाता था।
आरती- और अब आप कूल म ट चर ह।
सध ु ीर- दे खो ासद !
आरती- ासद या बदला? आप अब ट चर हो गए ह वहाँ, जहाँ कभी पर ा दया करते थे।
(तभी माँ भीतर से आती है ।)
माँ- बेटा यह टे ट कर लेना... ठ क है या? असल म घर म सब कुछ यह ह बनाती है ... तो... मझ ु े कुछ भी काम
नह ं करने दे ती है । एक बार तो होल पर इसने परू े मौह ले वाल के लए...
आरती- माँ... माँ... ठ क है ।
(माँ वापस भीतर चल जाती है ।)
सध ु ीर- आंट कतनी अ छ ह।
आरती- माँ झठ ू बोल रह थी।
सध ु ीर- आपको यह मझ ु े बताने क कोई ज़ रत नह ं थी।
आरती- मझ ु े झ ठ
ू पसं द नह ं है ।
सध ु ीर- तो आपको या पसंद है ?
आरती- या क िजएगा जानकर?
सध ु ीर- कुछ नह ं। अगर कुछ कया जा सकता है तो बता द िजए।
आरती- कस बारे म?
सध ु ीर- आपक पसंद जानकर अगर कुछ कया जा सकता है ... तो बता द िजए?
आरती- नह ं... कुछ भी नह ं कया जा सकता है ।
(चु पी।)
आरती- आपको कैसे लगता है क म मना ह कर दँ ग ू ी।
सध ु ीर- मना ह होता है । पर... अगर आप चाह तो हम इसपर बात कर सकते ह।
आरती- अगर आपको बरु ा न लगे तो या हम बाहर बरामदे म चलकर बात कर?
सध ु ीर- बरामदे म?
आरती- हाँ... म आपसे बात करते-करते पौध को पानी भी दे दँ ग ू ी।
सध ु ीर- हाँ य नह ं... च लए।
(आरती बारामदे म चल जाती है , सध ु ीर कुछ असहज सा बरामदे म आता है और बाहर क हवा म थोड़ा सहज
महसस ू करता है ।)
सध ु ीर- आपके लए या यह बहुत आम बात है ?
आरती- हाँ!
सध ु ीर- मेरे तो हाथ-पैर ठं डे पड़ जाते ह।
आरती- पौध को पानी डालने म?
सध ु ीर- नह ं... म तो इस तरह आने क बात कर रहा हूँ। मतलब इस तरह आना।
आरती- म समझ गई थी। म तो बस चह ु ल कर रह थी।
(व फ़ा)
(सध ु ीर हँसने लगता है ।)
सध ु ीर- मझ ु े अ छा लगा आपसे मलकर। ध यवाद!
आरती- कस बात का?
सध ु ीर- यह चह ु ल का! मने कभी ऐसा सोचा नह ं था क... ऐसी पर ा क घड़ी म कोई चह ु ल भी हो सकती है ।
आरती- ऐसे सो चए न क चलो इस बहाने कम से कम पता तो लग गया क इस धरती पर कह ं कोई आरती है और
कह ं कोई...
सध ु ीर- सध ु ीर...
आरती- सध ु ीर है ।
सध ु ीर- हाँ । आरती और सध ु ीर ह।
आरती- आप गाना गाते ह?
सध ु ीर- कतई नह ं। अ छा... आप गाती ह?
आरती- नह ं।
सध ु ीर- अ छा? तो फर आपने...
आरती- आपको ब चे अ छे लगते ह?
सध ु ीर- शाद के बाद अगर एक हो तो ठ क है । पर अगर आप दो चाहती ह तो हम उस पर बात कर सकते ह। मेर
माँ को भी... दो...
आरती- नह ं नह .ं .. वैसे नह ं... आप ब च को पढ़ाते ह न, इस लए पछ ू ा। आप तो माँ पर चले गए!
सध ु ीर- अ छा! कूल म तो ब चे बहुत ह और बहुत ब चे जब एक साथ आते ह तो... अ छे ह लगते ह। हे ना...
(तभी पीछे से माँ और न मी पकोड़े लेकर आती ह।)
माँ- अरे यह लोग कहाँ गए?
न मी- वह बाहर ह। (आवाज़ दे ती है ।) भइया आइए गरमा-गरम पकोड़े।
(सध ु ीर जाने लगता है पर पलटकर वा पस आता है और आरती से कहता है ।)
सध ु ीर- सु नए, म माफ चाहता हूँ! मझ ु े लगा था क आप अपने ब च क बात कर रह थीं.. पर असल म आप दस ू रे
ब च क ह बात कर रह थीं। sorry.
आरती- सु नए!
सध ु ीर- जी?
आरती- आप जवाब का इंतज़ार मत क रएगा। यह शाद नह ं हो सकती है ।
सध ु ीर- य ?
आरती- आप अभी जानना चाहते ह?
सध ु ीर- नह ं।
आरती- नह ं?
सध ु ीर- नह ं।
(आरती भीतर जाती है और न मी और अपनी माँ के साथ बैठ जाती है । सध ु ीर वह ं खड़ा रहता है । वह दशक को
दे खता है ।)
सध ु ीर- एक बार मने ख़द ु को ‘चम कृत-सा’ ताजमहल के सामने खड़ा पाया। मेरे चख़े अनभ ु व के बाहर वह अनभ ु व
था। म दे र तक उसके गोल-गोल च कर काटता रहा। अचानक मझ ु े लगने लगा क... बहुत भीतर एक संबध ं म
ताजमहल के साथ महसस ू कर रहा ह ू ँ , यह ताजमहल सफ मे रा है । जब उसे बाक़ लोग दे ख रहे थे , फोटो ख़ीच रहे
थे, छू रहे थे तो मझ ु े घनघोर जलन महसस ू हो रह थी। म इसे अपने साथ ले जाना चाहता था, अपने घर।
बाद म म अपने घर एक छोटा सा ताजमहल खर द कर ले आया। वो जो बकते ह ना बाहर फुटपाथ पर... वो वाला।
हमने आते ह उसे ट वी के ऊपर रख दया. फर कुछ व त बाद हमने उसे ज पर रख दया। फर बहुत व त
तक वो आलमार के ऊपर रखा रहा । फर कह ं गर के टूट गया नह .ं .. वो कह ं गम ु हो गया... दे खये वो
ताजमहल अब मझ ु े याद भी नह ं।
(सध ु ीर भीतर जाता है । माँ पकोड़े दे ती है उसे। वह उस पकोड़े को दे खता है फर आरती को दे खता है । आरती कहती
है ।)
आरती- दे ख या रहे ह... खाइए!
(सध
ु ीर आ चय से आरती को दे खता है । न मी धीरे से एक मानी गाना शु करती है । माँ और सध
ु ीर दोन एक
साथ “ न मी!!!”)
Black out…

Scene- 2.

(एक छोटे मोनटाज से सीन शु करते ह िजसम आरती एक य त ायवेट कंपनी के ऑ फस म काम कर रह है ।
तभी सध ु ीर वेश करता है । सध
ु ीर आरती क टे बल के सामने आकर खड़ा हो जाता है पर आरती उसे दे ख नह ं
पाती। चपरासी चाय लेकर आरती के बगल म खड़ा है , वह आरती को कहता है ।)
चपरासी- आरती जी... कोई आपसे मलने आया है ।
आरती- क हए या काम है ?
सध ु ीर- काम तो ख़ास नह ं है ...
आरती- अरे ! आप? बै ठए म अभी आती हूँ।
(आरती भीतर जाती है । वह चपरासी सध ु ीर को घरू रहा होता है । इशारे से चाय पछू ता है , सध
ु ीर घबराहट म मना
कर दे ता है । आरती कुछ दे र म वापस आती है और सध ु ीर के सामने बैठ जाती है । वह चपरासी अभी भी सध ु ीर को
घरू रहा है । सध ु ीर आरती को दे खकर हँस दे ता है ।)
आरती- अरे आप फर हँस रहे ह?
सध ु ीर- आप फर मँह ु धोकर नह ं आ ।
आरती- म मँह ु धोने नह ं गई थी। तो बताइए कैसे आना हुआ?
सध ु ीर- या हम यह ं बात कर?
आरती- य यहाँ या बरु ाई है ?
सध ु ीर- नह ं... यहाँ भी बात क जा सकती है ।
आरती- हाँ... बो लए।
सध ु ीर- आरती दे खो म असल म.. अब कैसे कहूँ.. या है क...
आरती- ओह! आप कसी का काम करवाने आए ह? सध ु ीर, यह ायवेट कंपनी है । म आपक कोई मदद नह ं कर
सकती। और र वत तो...
सध ु ीर- अरे ! म कसी का काम करवाने नह ं आया हूँ। म तो आपसे...
आरती- मझ ु से या?
सध ु ीर- आपसे कहने आया था क मेर शाद तय हो गई है ।
चपरासी- (थोड़ी दे र क चु पी के बाद) मब ु ारक हो! (मबु ारक हो कहकर चपरासी चल दे ता है ।)
आरती- ओह! आप कुछ दे र बाहर बै ठए... म आती हूँ।
(सध ु ीर उठकर बाहर जाता है । आरती अपना सामान समेटती है । बेग उठाती और तभी उसके नग़ाह दशक पर
पड़ती है ... वो मु कुराती है ।)

आरती- (दशक से-) “ कतनी अ छ लड़क है यह।” मने बहुत पहले ‘ कतनी अ छ लड़क है यह’, इस नाम क
एक दक ु ान खोल थी, वह जो कराने क दक ु ान होती है न िजसम जो आप चाह आपको वह सब मलता है ...
ब कुल वैसी। मझ ु े लगता था म असल म जो बेचती हूँ वह लोग ख़र दना चाहते ह। फर बहुत बाद म पता चला
क असल म जो लोग ख़र दना चाहते ह, म तो वह बेच रह हूँ। यह बज़ार है । यहाँ डमांड है और स लाई है । और
इ तहास म हमारे जैसे थोक से थे। म तो बस उसे फुटकर म बेच रह हूँ। इस सब म म या चाहती हूँ? मेरे पास
इसका कोई जवाब नह ं था। तो एक दन मने अपनी दक ु ान के शटर गरा दए। बस... अब म कसी को कुछ भी
नह ं बेच रह हूँ।
(तब तक य बदलता है और वह दोन एक कैफ़े म बैठे ह।)
वेटर- सर भीड़ बहुत थी आपका ऑडर सन ु नह ं पाया।
सधु ीर- मने कहा था दो चाय, श कर कम।
आरती-मेरे लए श कर डालना..।
सध ु ीर- तो फर मेरे लए भी श कर डाल दे ना।
वेटर- जी अभी लाया।
आरती- अंत म आपको कोई लड़क मल ह गई िजसने तरु ं त हाँ कह दया?
(सध ु ीर चप
ु रहता है ।)
आरती- या हुआ? आप तो शाद करना चाहते थे... सब ठ क है !
सध ु ीर- हाँ... म ख़द ु यह सोच रहा था। पर फर guilt य हो रहा था यह समझ म नह ं आया।
आरती- कस बात का guilt?
सध ु ीर- िजस दन म आपसे मला था उस दन कुछ हुआ था। मतलब ऐसा कुछ हुआ नह ं था। बस म कुछ भरोसे म
था। मेर ग़लती है ... पर उस भरोसे क वजह से एक संबध ं आपसे बन गया था। इस संबध ं म मने पहल बार
अपनापन महसस ू कया था। सो... आप समझ रह ह गी म कैसा पागल हूँ!
आरती- हाँ।
सध ु ीर- जी?
आरती- हाँ वह सोच रह हूँ क कतने पागल हो।
सध ु ीर- म माफ़ चाहता हूँ।
(दोन कुछ दे र शांत बैठे रहते ह।)
आरती- तो कबक है शाद ?
सध ु ीर- अभी डेट तय नह ं है , पर वह कह रहे ह क ज द करना चाहते ह।
आरती- अ छा! तो लड़क ने हाँ बोल दया?
सध ु ीर- य तु ह इतना आ चय य हो रहा है ?
आरती- नह ं अ धकतर तम ु पर ा म बैठते हो... इस लए पछ ू ा।
सध ु ीर- इस बार म ट चर था... हाँ और ना मेरे हाथ म था।
आरती- तो तम ु ने हाँ कर दया?
सध ु ीर- हाँ।
आरती- और लड़क ने हाँ कह दया?
सध ु ीर- हाँ।
आरती- तो मझ ु से मलने य आए हो?
सध ु ीर- ईमानदार क बात है क मझ ु े लगा एक आ ख़र चांस ले लेता हूँ। अपने मन क परू बात आपसे कह दँ ग ू ा
और आपसे परू बात सन ु लँ ग
ू ा... आपने तो अभी तक कु छ कहा ह नह ं है ... तो कम से कम... है न...
आरती- (आरती अपनी मु कुराहट रोकते हुए) चप ु हो जाओ... चप ु हो जाओ।
सध ु ीर- सॉर ! सॉर !
आरती- यूँ लगता है मानो शाद करने के लए पैदा हुए थे!
सध ु ीर- वैसे ट चर बनने के लए भी पैदा नह ं हुआ था।
आरती- तो परू िज़दगी compromise ह करोगे?
सध ु ीर- एक बार सोचा compromise नह ं करके दे खता हूँ... तो दे खो कतनी डाँट खा रहा हूँ।
आरती- म डाँट नह ं रह हूँ।
सध ु ीर- हम बातचीत भी कहाँ कर रहे ह?
(दशक से।) सब गड़बड़ हो गया। (उठकर दशक के क़र ब जाता है ।) यह जो साँप-सीढ़ का खेल है न... यह खेल
बड़ा अजब है । कभी सीढ़ मलती है और कभी साँप मलता है । आपको या लगता है क आप बड़े चालाक है .. आप
अपनी चालाक म ऊपर क तरफ़ जा रहे ह! एक बार सबसे ऊपर पहुँच गए तो इस गोल-गोल च कर से छुटकारा!
पर इस गोल-गोल च कर से छुटकारा कभी नह ं है । हम हर बार पासा फकते ह... और हर बार एक नंबर से रह जाते
ह। वो 99व वाला साँप मँह ु बाए सामने खड़ा दखता है और यह खेल फर शु होता है । अब आप ह बताइए या
कर?
आरती- मतलब?
सध ु ीर- (वापस आरती के पास) मतलब, म ट चर हूँ... य हूँ पता नह ं। ब चे उतने अ छे नह ं लगते पर फर भी
उनके बीच ह घरा रहता हूँ। कूल छोटे गाँव म है और वहाँ कुछ भी करने को नह ं है । बस हर शाम जाकर हनम ु ान
टे कड़ी पर बैठ जाता हूँ। सब ु ह लगता है क एक सीढ़ मल गई है अब ऊपर चढ़ जाऊँगा... पर शाम होते-होते साँप
डस लेता है और म वापस वह ं का वह ं!
आरती- तु हारे घर म साँप ह?
सध ु ीर- नह ं म वह साँप-सीढ़ वाले साँप क बात कर रहा था।
आरती- म समझी नह ं... तम ु घर म अकेले बैठकर साँप-सीढ़ खेलते हो?
(व फ़ा)
आरती- या हुआ?
सध ु ीर- कुछ नह ं।
आरती- सॉर ! म समझ गई तम ु जो कहना चाहते हो।
सध ु ीर- अब इसम त म
ु प छ
ू ती हो क पैदा य हुआ हूँ? मझ
ु े नह ं पता। मझ
ु े यह भी नह ं पता क म यहाँ य आया
हूँ। तम ु बहुत पसंद आई... तो मने...
(इसी बीच वेटर चाय लेकर आता है । वह एक कप टे बल पर रखने को होता है तभी आरती कहती है ।)
आरती- म कसी से यार करती हूँ। (वेटर ज़ हो जाता है । कुछ दे र तक तीन आ चय म के रहते ह।)
सध ु ीर- सॉर ! मझु े नह ं पता था। (वेटर कप वापस े म रखता है और नकल जाता है ।सध ु ीर खड़ा हो जाता है ।) म...
मतलब, मझ ु े ब कुल इसका अंदाज़ा नह ं था.. तम ु ने पहले कह दया होता.. माफ़ कर द िजए!
(सध ु ीर चला जाता है ।)

आरती- (दशक से) वह एक होगा िजसके साथ म अपना परू ा जीवन बता सकती हूँ। वह एक हमेशा होगा। कसी के
भी आते ह लगता है , यह तो है । यार तो होगा। यार है नह ं कभी भी। वह हमेशा होगा।
Fade out…

Scene-3

( न मी अकेल बैठ हुई है ।)


न मी- आंट ... आंट ...
माँ- आई बस।
(माँ भीतर से पानी लेकर आती ह और न मी के बग़ल म बैठ जाती ह।)

माँ- म अंदर बहुत सोच रह थी। बेटा, बहुत सोचा पर बलकुल समझ म नह ं आया कौन हो तम
ु ?
न मी- अरे ! अ छा! आंट क़र ब एक साल पहले म अपने भाई के साथ आई थी... आरती को दे खने?
माँ- अ छा! हाँ! वह तो... ब कुल!
न मी- हाँ।
माँ- गगन?
न मी- नह ं आंट ... सध ु ीर।
माँ- हाँ... वह जो टकले थे?
न मी- नह ं नह ं... भइया के तो बाल ह।
माँ- अरे हाँ! वह... वह न अ नल कपरू जैसी मँछ
ू वाले?
न मी- नह ं आंट ... भइया चकने ह।
माँ- ओ फ़! अभी इसे इतने लोग दे खने आ चक ु े ह न क मेरा तो सर-पैर का कोई हसाब नह ं है । तो वह जो है ,
सध ु ीर कैसे ह?
न मी- बहुत अ छे ह।
(व फ़ा)
माँ- पानी पी लया?
न मी- हाँ।
माँ- चाय?
न मी- हाँ।
माँ- श कर नह ं है ।
न मी- अरे !
माँ- तो फर... ह?
न मी- पकोड़े?
माँ- अरे तो यहाँ एक साल बाद तम ु पकोड़े ख़ाने आई हो?
न मी- नह ं आंट वह आरती?
माँ- उससे मलने?
न मी- नह .ं .. मेर अगले मह ने शाद है । म उसी क इ ला दे ने आई थी।
माँ- मब ु ारक हो!
न मी- आरती क तो शाद हो ह गई होगी... है न?
माँ- इ ी सी धर हो तम ु ... और दे खो तु हार शाद हो रह है । और एक यह है ... ऊँट हो चक
ु है पर...
न मी- अरे वाह! मतलब शाद नह ं हुई अभी?
माँ- तु ह बड़ी खश ु ी हो रह है ?
न मी- नह ं आंट ... यह तो ठ क नह ं है ! मतलब, ऐसे कैसे? अगर... ग़लत है ये.. मतलब.. होनी तो... ब कुल...
है न!
माँ- रहने दो तम ु ... जब ख़द ु के मँह
ु म ल डू फँसा हो तो दस
ू र के लए आशीवाद नह ं नकलता है । चलो बधाई है !
तो ठ क है फर!
न मी- पर आरती?
माँ- वह जब आएगी हम बता दगे।
न मी- अ छा आप बस मेर यह च ठ उनको दे दे ना जब वह आएँ।
माँ- ठ क...
( न मी लखने बैठती है तभी। आरती आ जाती है । न मी खश ु हो जाती है पर लखना बंद नह ं करती है ।)

आरती- न मी... तम ु ?
माँ- अरे बेटा, तम ु जानती हो? वह एक लड़का आया था न... या नाम था?
आरती- सध ु ीर।
माँ- हाँ... अरे तु ह तो याद है !
आरती- न मी यहाँ कैसे?
( न मी ज द -ज द अपना लखना ख म करती है ।)
माँ- अरे सह काम सह समय से कर रह है ... शाद । और दे ख लो तम
ु ख़दु को...
(माँ पानी का गलास लेकर भीतर चल जाती है । न मी आरती के पास आती है और उसे पच दे ती है ।)
न मी- आपका ह इंतज़ार कर रह थी... आ ख़र बस नकल जाएगी... आप बस इसे पढ़ लेना।
( न मी आरती को गले लगाती है )
न मी- आपक शाद नह ं हुई अब तक।
(खश ु होकर न मी चल जाती है । आरती क कुछ समझ म नह ं आता। न मी के जाने के बाद आरती पच पढ़ती
है , पहले आ चय... फर ह क मु कुराहट उसके चहरे पर आती है ।)
BLACK OUT…

Scene-4

( कूल... अचानक हम दे खते ह क बहुत सारे ब चे बैठे ह। एक कोने म कुस लगी है । और चपरासी घंट बजाकर
ब च के सारे पेपर उड़ाता है । सारे ब चे अपने पर ा के पेपर लेकर अपनी-अपनी जगह पर आकर बैठ जाते ह।
सधु ीर भीतर से आकर कुस पर बैठता है , चपरासी चला जाता है । कुछ दे र म वह चपरासी वापस आता है ।)
चपरासी- साब!
सध ु ीर- हाँ, या हुआ?
रानी- कोई लड़क आपसे मलने आई थी।
सारे ब चे- ओ ओ ओ ओ ओ...!
सध ु ीर- श...! श...!
चपरासी- अरे ! चप ु ! (ब च से)
सध ु ीर- च प
ु ! दे ख नह ं रहे पर ा चल रह है ... चलो जाओ।
(चपरासी जाता है । तभी एक ब चा च लाता है supplementary sir! सध ु ीर उसे ले जाने का इशारा करता है । वह
भागता हुआ आता है और supplementary लेकर चला जाता है । चपरासी वापस आता है ।)
रानी- मने कह दया क आप लास म य त ह।
सारे ब चे- ( ख ल उड़ाने जैसा हँसते है ।) ह ह ह ह...
सध ु ीर- श...! अ छा कया... चलो अब।
(चपरासी चला जाता है । एक तरफ़ से आरती वेश करती है और टे ज के दस ू र तरफ़ बैठ जाती है । हम इस ह से
को हनम ु ान टे कड़ी कहते ह। घंट बजती है । आरती और सध ु ीर एक-साथ घड़ी को दे खते ह।)
सध ु ीर- बस आ ख़र आधा घंटा और... चलो ज द ख़ म करो।
(तभी चपरासी भागकर वापस आता है ।)

चपरासी- (झपते हुए) साब! वह लड़क कहकर गई क वह हनम ु ान टे कड़ी पर इंतज़ार करे गी आपका।
सारे ब चे- भाई सॉब!
चपरासी- अरे चप ु ! ब चे कतने ब मीज़ ह यह... सध ु ीर जी आपने बहुत ढ़ ल दे रखी है ... म होता तो सू टंग कर
दे ता सबक ।
सध ु ीर- हनम ु ान टे कड़ी... प का हनम
ु ान टे कड़ी?
चपरासी- हाँ!
सध ु ीर- सन
ु ो तमु यहाँ बैठो। आधे घंटे म इनसे पेपर छ न लेना... म चला।
(सध ु ीर भागता हुआ जाता है । चपरासी सध ु ीर क कुस पर बैठता है । और सारे ब च से कहता है ।)
चपरासी- पं ाह मनट मेर तरफ़ से ए ा... ऐश करो!
(सारे ब चे दे खते ह क सर चले गए ह। वह सब खड़े होकर चपरासी को घेर लेते ह। चपरासी डर के मारे च लाता
है - “छु ट !!!” सभी भाग जाते ह। चपरासी भी कुस लेकर नकल जाता है ।)

Scene-5

(हनम
ु ान टे कड़ी पर आरती।)
आरती- (दशक से) हम पता है क ग़लत या है । हम कुछ ग़लत नह ं करते ह। पर वह जो बंद ु है जहाँ पर सह
ख़ म होता है और ग़लत शु होता है । हम उस बंद ु को बार-बार छूने का मज़ा नह ं छोड़ते ह। कभी भी।
(सध ु ीर भागता हुआ वेश करता है , वह हड़बड़ाया हुआ है । उसे आरती को वहाँ दे खकर व वास नह ं होता। वह
बहुत कुछ कहने म कुछ नह ं कह पाता।)
सधु ीर- तम ु ... यहाँ मेरे गाँव म?
आरती- हाँ
सध ु ीर- मतलब... मझ ु े व वास नह ं...!
(वह बस हँसता जाता है , कुछ कह नह ं पाता ढं ग से। आरती उसे दे ख रह है ।)
आरती- बहुत अ छ हवा चलती है यहाँ।
(व फ़ा)
आरती- पहले वह घर नह ं था यहाँ... वह शायद अभी-अभी बना है ।
(व फ़ा)
आरती- तम ु यहाँ अब नह ं आते हो?
(व फ़ा)
आरती- या हुआ?
सध ु ीर- मझ ु े यक़ न नह ं हो रहा है ... तम ु यहाँ, हनम ु ान टे कड़ी पर या कर रह हो?
आरती- तम ु से मलने आई हूँ।
सध ु ीर- य ?
आरती- दे खने आई थी क तु हारा शाद शद ु ा संसार कैसा चल रहा है ! कतने ब चे ह?
सध ु ीर- हमारे यहाँ सब ठ क चल रहा है ।
आरती- अ छा है ।
सध ु ीर- तु ह कैसे पता क वह घर पहले यहाँ नह ं था? तम ु पहले भी यहाँ आ चक ु हो?
आरती- हाँ। क़र ब एक साल पहले। जब तम ु मेरे ऑ फस आए थे उसके कुछ दन बाद। तम ु ने कहा था क तमु रोज़
शाम को यहाँ आते हो, पर तम ु उस रोज़ नह ं आए थे ।
सध ु ीर- ओह! तम ु सच म आई थीं यहाँ?
आरती- हाँ।
सध ु ीर- म य नह ं आया था?
आरती- मझ ु े या पता, कुछ दन बाद म फर आई थी। तब भी तम ु नह ं दखे। अब तु हारा घर, कूल कुछ पता
नह ं था। फर मने सोचा अगर मने तु ह ढूँढ़ भी लया तो या क ँ गी! म तु ह तु ह शाद करने से रोकना तो नह ं
चाहती... फर म नह ं आई।
(आरती सध ु ीर को बैठने का इशारा करती है । टे ज के दस ू र तरफ़ वह बैठा जाता है ।)
सध ु ीर- ओह! म बस बीच म एक-दो बार ह नह ं आ पाया था। शायद... तमु यहाँ दो बार आई थीं। काश म...
आरती- काश या?
सध ु ीर- काश या? काश कुछ नह ।ं पर एक बात बताओ... अगर तम ु मझु े शाद से रोकना नह ं चाहती थी तो य
आई थी?
आरती- या हमारे पास हर य का जवाब होता है ? बस म आई थी। मेरे पास इसका कोई ठ क कारण नह ं है ।
सध ु ीर- (मन म) या बोलती हो कुछ समझ म नह ं आता। (आरती से) वैसे म तु ह एक बात बता दं .ू .. क मने अभी
तक शाद नह ं क है ।
आरती- जानती हूँ। न मी आई थी।
सध ु ीर- न मी???
आरती- वैसे म भी तम ु से एक बात पछ ू ना चाहती हूँ क एक मेर त वीर है .. वह जो शाद के लए भेजते ह न...
और एक तु हार कोई द वार है ...
सध ु ीर- न मी! ओ फ़! गधी! म... म... म उसे िज़दा नह ं छोड़ूँगे। उसने यह तु ह य बताया?
आरती- नह ं, न मी से नाराज़ मत हो। वह तम ु से बहुत यार करती है । पर सच बताओ, मेर त वीर तम ु ने अपनी
द वार पर टाँग रखी है ?
सधु ीर- नह ं, असल म द वार म एक छे द हो गया था तो मने सोचा क वह त वीर...
(आरती हँसने लगती है । सध ु ीर बहुत श मदा हो जाता है ।)
सध ु ीर- तु हारे यार का या हुआ?
आरती- मेरे यार का?
सध ु ीर- अरे ! तम ु कसी से यार करती थी... शाद हो गई तु हार ?
आरती- हाँ।
सध ु ीर- मब ु ारक हो! फर तो...
आरती- सध ु ीर, अगर शाद क होती तो यहाँ य आती!
सध ु ीर- तम ु असंभव हो!
आरती- असंभव?
सध ु ीर- कैसी हो तम ु ?
आरती- कैसी हूँ?
सध ु ीर- मझ ु े तम ु से बहुत डर लगता है ।
आरती- अरे ! मझ ु से?
सध ु ीर- हाँ।
आरती- मने या कया है ?
सध ु ीर- मझ ु े लगता है क एक पहे ल चल रह है , िजसम सारे जवाब कह ं बीच म ह। दे खो म तम ु से दो बार मला हूँ
और हर बार मलने के बाद दे र तक हमारे बीच हुई बातचीत को ह सल ु झाता रहता हू ँ । क तमु ने ये कहा था... नह ं
असल म उसका मतलब तो वो था.. पर फर ये य हुआ.. अरे हाँ .. वो .. नह ं ये... ।
आरती- तु हारे पास न बहुत ख़ाल समय है ।
सध ु ीर- यह दे खो... यह दे खो... जैसे यह जवाब। कैसा जवाब है यह? चभ ु ता भी है और सह भी लगता है !
आरती- मेरे दमाग़ म ऐसा कुछ भी नह ं है ।
सध ु ीर- छोड़ो तम ु नह ं समझोगी।
आरती- या नह ं समझँग ू ी?
सध ु ीर- अगर तम ु मेर जगह होती न तो तु ह समझ म आता क असल म म या कहना चाहता हूँ तम ु से।
आरती- और अगर तम ु मे र जगह होते तो त ु ह पता लगता क तमु कतने funny हो।
सध ु ीर- funny???
आरती- हाँ... सच म!
सध ु ीर- कतना म त जीवन होता मेरा अगर... काश! काश म तु हार जगह होता जहाँ से अंत म सब funny
दखता है !
आरती- और दे खो, मझ ु े तम ु पर र क होता है ।
सध ु ीर- मझ ु पर?
आरती- हाँ। तु ह पता है म यहाँ य आ सक ? य क म तु हारे पास आ सकती थी। तम ु वह जगह दे ते हो क
तु हारे तक आसानी से पहुँचा जा सकता है । तम ु हो ह ऐसे ...
सध ु ीर- बताओ! तु ह मझ ु पर र क होता है और म तु हारे जैसा होना चाहता हूँ... यह funny है ?
आरती- हाँ। सन ु ो न... एक बार बदलकर दे खते ह।
सध ु ीर- या? या बदलकर दे खते ह?
आरती- रोल। म तु हारे जैसी होना चाहती हूँ। अभी... इसी व त!
सध ु ीर- अरे ! यह कोई मज़ाक है या? मतलब... तम ु मेरे जैसा कैसे हो सकती हो?
आरती- बस तम ु यहाँ आकर बैठ जाओ और म तु हार जगह... हो गया!
सध ु ीर- म तो ऐसे ह कह रहा था, तम ु तो सच म... ऐसा थोड़ी होता है ।
आरती- उठो! उठो!
(आरती सध ु ीर के पास आ जाती है और उसे उठा दे ती है । सध ु ीर उठता है । आरती उसक जगह बैठ जाती है । सध ु ीर
खड़ा रहता है ।)
आरती- (सध ु ीर क तरह बोलने क को शश करती है ।) अरे आप खड़े य ह? जाइए बै ठए।
(सध ु ीर क कुछ समझ नह ं आता।)
आरती- अरे ! दे खो तम ु जैसे ह मेर जगह बैठोगे न, तो मेरे जैसे हो जाओगे। जाओ... आप खड़े य ह? बै ठए।
सधु ीर- एक तो म ऐसे नह ं बोलता हूँ।
(सध ु ीर बैठता है । फर खड़ा हो जाता है ।)
सध ु ीर- अरे ! यह या है ? हम इतने दन बाद मले ह और तम ु तो इसे ब कुल मज़ाक बना दे रह हो...
आरती- तु ह ं ने कहा न तु ह चह ु ल पसंद है ... तो हम बस चह ु ल कर रहे ह समझ लो। चलो न... बैठो।
(सध ु ीर फर बैठता है ।)
आरती- शु कर?
(सध ु ीर उसे कने का इशारा करता है और फर आरती क तरह बैठने क को शश करता है ... फर आरती से इशारे
से कहता है .. शु करो।)
आरती- तो माँ कैसी ह?
सध ु ीर- माँ तो नह ं ह। बताया था ना तु ह?
आरती- तु हार माँ है । (आरती इशारा करती है क अब तम ु म हूँ और म तम ु हो।)
सध ु ीर- ओ... अ छा तो मेर माँ है ...।
आरती- हाँ।
सध ु ीर- और न मी तु हार बहन है ।
आरती- हाँ।
सध ु ीर- उसे तो तम ु रख लो...।
आरती- तो बोलो माँ कैसी ह?
सध ु ीर- माँ अ छ है । (अचानक सध ु ीर को यह कहना अ छा लगता है क माँ अ छ है । वह एक बार फर कहता है
और उसे अ छा लगता है ।)
आरती- तो तम ु कसी से ेम करते थे, इस लए तम ु ने मझ
ु े मना कर दया शाद के लए?
सध ु ीर- मने? ...अरे म तो कब से तु हारे पीछे पड़ा हूँ क कर लो शाद और ख़ म करो ये लफड़ा।
आरती- अरे तम ु फर समझ ह नह ं रहे हो...
सध ु ीर- (अचानक सध ु ीर क समझ म आता है और वह बहुत खश ु हो जाता है ।) हाँ मने... अरे यह तो सब कुछ बदल
गया। बहुत सह है । हाँ हाँ हाँ... मने तु ह मना कर दया। साफ़ कह दया भल ू जाओ नह ं हो सकती यह शाद ।
आरती- य ?
सध ु ीर- य क... य क...
आरती- य क तम ु कसी से यार करते थे... जानती हूँ।
सध ु ीर- नह ं... य क मझ ु े तु हार नाक नह ं पसंद...
आरती- मेर नाक?
सध ु ीर- हाँ और जैसे तम ु हँसती हो, वह भी नह ं पसंद...
(आरती सध ु ीर क तरफ़ आ चय से दे खती है । सध ु ीर घबराकर उसक तरफ़ जाता है ।)
सध ु ीर- सॉर सॉर ! वह हँसी वाल बात मँह ु से नकल गई। ग़लती से... चह ु ल-चह ु ल म गड़बड़ हो गई।
आरती- और नाक वाल ?
सध ु ीर- तु हार नाक तो बहुत अ छ है ।
आरती- अ छा!
सध ु ीर- या हुआ? मने कुछ यादा बोल दया?
आरती- वह ं बैठो। ठ क है ... सह जा रहे हो। और कुछ?
सधु ीर- एक और बात कहूँ?
आरती- बोलो...
सध ु ीर- अ छा तम ु यह बताओ क... (उसे हँसी आती है ।) यह बताओ क ऐसा या दे खा तम ु ने मझ
ु म क तम ु
मझ ु से शाद करने क े पीछे मर ह चल जा रह हो?
आरती- वाह!
सध ु ीर- कतना अ छा लगा यह बोलकर... अब जवाब दो? बोलो?
आरती- म... िजस तरह तम ु ने मझु े मना कया। हाँ कहने म उतना आकषण नह ं है िजतना ना कहने म है ।
सध ु ीर- अरे वाह! बहु त सह ... और और?
आरती- शायद एक कहानी है । िजतनी बार तम ु से मल हूँ। ऐसा लगता है क तु हारे सारे कहे म बहुत सारा
अनकहा रह गया है । इस लए बार-बार इसे जानने चल आती हूँ।
सध ु ीर- यह तो... यह तो। ब कुल सह कहा तम ु ने। यह अनकहा। मझ ु े हमेशा लगता था क कुछ अनकहा रह
गया है । इस लए बार-बार तु हारे बारे म सोचता था। तम ु ...
आरती- यह या है ?
सध ु ीर- या है ?
आरती- अभी तम ु म थे और म तम ु । अभी तम ु तम ु हो गए। छोड़ो तम ु से नह ं होगा। आराम से बैठते ह।
सध ु ीर- सॉर ! पर...
(सध ु ीर वापस भागकर अपनी जगह पर बैठता है । दोन चप ु हो जाते ह।)
सध ु ीर- ठ क है , जब तक तम ु नह ं कहोगी हम चह ु ल करते रहगे।
आरती- रहने दो।
(आरती पलटकर दस ू र तरफ़ दे खने लगती है ।)
सध ु ीर- यह दे खो। म तम ु हूँ... और यह मेर दद भर कहानी सन ु ो। म एक लड़क से ेम करता था। वह भी मझ ु से
भयंकर ेम करती थी। हम दोन शाद करना चाहते थे, पर नह ं कर पाए।। म उसे कभी भल ु ा नह ं पाया। इस लए
अब यह। हमार शाद मिु कल है । नामम ु कन!
(आरती हँसने लगती है ।)
आरती- कतनी सीधी स ची साफ़ बात है ।
सध ु ीर- हाँ।
आरती- झठ ू है ।
सध ु ीर- यह सच है ।
आरती- सच?
सध ु ीर- हाँ... ब कुल।
आरती- या नाम था उस लड़क का? बोलो... ज द बताओ?
सध ु ीर- उसका नाम...
आरती- झठ ू ।
सध ु ीर- तो यह तो...
आरती- झठ ू ।
सध ु ीर- उसका नाम ेरणा है ।
आरती- या?
सध ु ीर- ेरणा।
आरती- तम ु फँस जाओगे।
सध ु ीर- नह ं फँसँगू ा।
आरती- प का?
सध ु ीर- हाँ।
आरती- उसक नाक कैसी है ? अब मत बोलना मेरे जैसी!
सधु ीर- ब कुल नह ं। उसक नाक बहुत खब ू सरू त थी... तराशी हुई। ेरणा के नाक़।
आरती- गाती है ?
सध ु ीर- हाँ। मेर बहन न मी को वह गाना सखाती थी। म वह ं पहल बार उससे मला था, उसक संगीत लास
म। वह गा रह थी और म मं मु ध हो गया था।
आरती- पहल बार अकेले बात कब हुई?
सध ु ीर- म तबला सीखने संगीत लास चला गया था। हम दोन गल के नु कड़ तक साथ पैदल चलते थे। वहाँ
उसने पहल बार मझ ु े कहा था- ज़ा कर हुसन ै । अरे उस व त मेरे बाल बड़े हुआ करते थे। और जब म तर कट धा
तर कट धा करता था तो.. ऎसे आगे आते थे।
आरती- सच म?
सध ु ीर- हाँ। असल म म उसके घर जाने से डरता था। उसके पास दो कु े थे। उसके पताजी डॉ टर थे। पर आरती,
वह जब भी मझ ु े दे खती थी तो मझ ु े लगता था... आह! वह ट स उठती है ना जब नज़र मलती है । आह! उसके दे खते
ह ... ओह!
आरती- बस-बस!
सध ु ीर- और कुछ?
आरती- उसम कोई बरु ाई?
सध ु ीर- सफ़ एक। उसने मझ ु े छोड़ दया... जो मेर समझ म नह ं आया।
आरती- य ?
सध ु ीर- य क हम एक-दस ू रे से भयंकर यार करते थे।
आरती- तो जाकर कारण पता कया?
सध ु ीर- मझ ु म ह मत नह ं थी।
आरती- अभी मलते हो?
सध ु ीर- नह ं उसक शाद हो चक ु है ।
आरती- तम ु सोए हो ेरणा के साथ?
सध ु ीर- या?
आरती- सोए हो?
सध ु ीर- यह वैसा यार नह ं था।
आरती- तो कैसा था?
सध ु ीर- सच का यार।
आरती- िजसम साथ भजन गाते ह?
सध ु ीर- तमु नह ं समझोगी। इस लए म तम ु से शाद नह ं कर सकता।
आरती- ओ, तो यह भी एक कारण है !
सध ु ीर- मु य कारण यह है ।
(व फ़ा)

आरती- तम ु सच म कसी से यार करते थे?


(सध ु ीर दशक से)
सधु ीर- हम या पैदा कर दे ते ह बीच म? कोई हमेशा बीच म होता है । हम हमेशा तीन होते ह... दो नह ।ं तीसरा
अगर कोई नह ं है तो हम ेम को बीच म खड़ा कर दे ते ह। और कभी-कभी ेम के कारण वह दखना बंद हो जाता है
िजससे हम ेम करते ह।
(आरती से) ेरणा म एक ब च -सी उ सक ु ता थी। उससे बात मु त करती थी... बाँधती नह ं थी।
आरती- म तम ु से य शाद करना चाहती हूँ?
सध ु ीर- हाँ यह बताओ... य ?
आरती- म एक लड़के के ेम म थी। म नह ं वह मेरे ेम म था।
(सध ु ीर मु कुरा दे ता है ।)
आरती- या हुआ?
सध ु ीर- नह ं... कुछ नह !ं
आरती- तु ह कुछ अजीब लगा?
सध ु ीर- ‘वह’ तु हारे ेम म था।
आरती- हाँ, वह मेरे ेम म था।
सध ु ीर- यह तु ह बताने क ज़ रत नह ं है ।
आरती- ज़ रत है ... य क तम ु ने तो शाद से मना कर दया न मझ ु ?े तो ज़ रत है ।
सध ु ीर- अ छा! या नाम था उसका? ज द बताओ?
आरती- राकेश, दनेश, र व, रमेश... या फक पड़ता है !
(दोन चप ु हो जाते ह।)
सध ु ीर- फर?
आरती- जब हम मलते थे तो हम भजन नह ं करते थे।
सध ु ीर- ओ! मतलब.... अ छा?
आरती- हाँ! अंत म वह शाद चाहता था पर म नह ।ं
सध ु ीर- य ?
आरती- म कॉलेज म थी। यंग थी। तैयार नह ं थी। वह बहुत बो रंग था। वगैरह-वगैराह...
सध ु ीर- फर?
आरती- फर उसक शाद हो गई। और उसक शाद होते ह वह मझ ु े इतना पसंद आने लगा। या तु हार भाषा म
कहूँ... ओह, म तो तु हार ह भाषा म ह बात कर रह हूँ। म उससे यार करने लगी थी.. भयंकर वाला। जब तम ु
मझ ु से मलने आए तो मझ ु े लगा क अरे यह तो वह है । राकेश, दनेश, र व, रमेश-सा सध ु ीर! इस लए तम ु !
सध ु ीर- इस लए तम ु ? मतलब, म इतना बो रंग हूँ?
आरती- नह ं... तु हार नाक उससे ब कुल मलती है । तु हार बात और तम ु ... तम
ु इस व त तो बो रंग नह ं हो।
सध ु ीर- सच म?
आरती- सच म मतलब?
सध ु ीर- सच म म इस लए पसंद आया?
आरती- सच थोड़ा कड़वा है । तम ु सनु नह ं पाओगे!
सध ु ीर- को शश करो।
आरती- सच यह क... एक Void है । ख़ाल पन। इसे भरने के लए कुछ चा हए। एक खलौना, इस लए तम ु ! कोई
दसू रा भी हो सकता था, पर आकषण तम ु पर ह है य क... इस खलौने को दे खकर लगता है क इससे बहुत
समय तक खेला जा सकता है । यह नए-नए खेल म फँसाए रखेगा... और बो रयत नह ं होगी। इस लए तम ु !
सध ु ीर- यह बात इतनी च भ
ु य रह है ।
आरती- तम ु बताओ?
सध ु ीर- शायद बहुत स चाई है इसम।
आरती- मने पहले ह कहा था।
सध ु ीर- हाँ, तम
ु ने पहले ह कहा था।

आरती- (दशक से) पहले जब कुछ भी नह ं था, तो म था। वह एक, अकेला। जब कुछ था ह नह ं तो वह अकेला
बोर होने लगा। तो उसे ख़द ु को जनने क इ छा हुई। तो वह एक से दो हो गया। दस ू रे ने ‘म’ को जानना शु कया।
फर दसू रे क भी इ छा ह ु ई क कोई उसे भी दे खे जाने , admire करे । तो वह दसू रा फर से दो हो गया। और इस
तरह हम सब... कोई हम दे खे, समझे, और जाने... छ !
(सध
ु ीर से..) तु हार आ ख़र बस नकलने वाल है । चह ु ल ख़ म करते ह। बहुत अ छा लगा तम ु से मलके।
(आरती उठती है और जाने को होती है । पर सध ु ीर नह ं हलता।)
आरती- या हुआ? चलो...
सधु ीर- मझ ु े नह ं पता हम लोग इसके बाद कभी मलगे भी क नह ं!
आरती- तो?
सध ु ीर- म इस मल ु ाक़ात को पहे ल नह ं बनने दे ना चाहता हूँ।
आरती- इसम कोई पहे ल नह ं है ।
सध ु ीर- पर यह अधरू है अभी।
आरती- तम ु अंत पर पहुँचना चाहते हो?
सध ु ीर- नह ं। म इस पहे ल के जवाब तक पहुँचना चाहता हूँ।
आरती- जवाब का मतलब अंत...
सध ु ीर- नह ं जवाब अंत नह ं होते... जवाब बात को ख़ म कर दे ते ह।
आरती- तम ु अजीब बात कर रहे हो! यह तम ु पर सट
ू नह ं करती ह।
सध ु ीर- य क म अभी भी म नह ं ह ू ँ । म अभी भी तमु हूँ। मने खेलना बंद नह ं कया है । बैठो... खड़ी य हो?
(आरती बैठ जाती है ।)
आरती- मेर आ ख़र बस नकल गई तो?
सध ु ीर- मेर ?
आरती- ‘तु हार ’ तु हार आख़र बस नकल गई तो या करोगे?
सध ु ीर- हम अभी या कर रहे ह? मझ ु े नह ं पता। बस छूट जाएगी तो या होगा मझ ु े नह ं पता। आज एक दन मझ ु े
कुछ भी पता नह ं करना है ।
आरती- सन ु ो... बहुत भख ू लगी है । शायद ’मेरा’ घर पास ह है । चलोगे?
सध ु ीर- ठ क है ।
(आरती चलने को होती है ।)

सध
ु ीर- सन ु ो! अभी म तम
ु हूँ और तम ु म हो। है न?
आरती- हाँ।
सधु ीर- या हम वह हो सकते ह जो हम हमेशा से होना चाहते थे?
आरती- मतलब?
सध ु ीर- मतलब वह एक... जो हम हमेशा से सोचते थे क काश हम होते?
आरती- दे खो यह कुछ बहुत आगे जा रहा है ।
सध ु ीर- नह ं... यह बहुत सह जा रहा है ।
आरती- तम ु सच म यह चाहते हो?
सध ु ीर- य तु ह डर लग रहा है ?
आरती- म डरपोक नह ं हूँ... पर यह महज़ चह ु ल थी। पर अभी... अभी यह...
सध ु ीर- चह
ु ल ह है । यक़ न मानो। यह सब चह ु ल है ... तो?
आरती- ठ क है । म और तम ु । अब म और तम ु नह ं ह। अब हम वो ह गे जो हम हमेशा से होना चाहते थे। यह है न?
ठ क है !
(आरती चल जाती है और सध ु ीर कुछ दे र बैठा रहता है ।)

सधु ीर- (दशक से) म पहल बार म नह ं था। दस ू र तरफ़ बैठे हुए ख़द
ु को दे खा तो घबरा गया। लगा... यह म हूँ? म
आज तक दस ू र के आईने म ख़द ु को दे खकर जी रहा था। मने असल म ख़द ु को अभी तक दे खा ह नह ं था। या म
आरती हूँ अभी? और कतनी व च बात है क सध ु ीर हो जाने क थकान से म डरा बैठा हूँ। नह ं म आरती नह ं
होना चाहता हूँ पर म वापस सध
ु ीर भी नह ं बनना चाहता हूँ। तो फर अब? म... या?
Black out…
Scene-6

(लाईट आती है हम आरती को दे खते ह वो टे ज राईट क तरफ खड़ी सध


ु ीर का इंतज़ार कर रह है ... वो सध
ु ीर को
आवाज़ लगाती है ।)
आरती- सध ु ीर, तु हारा घर अ छा है ।
सधु ीर- (अंदर से..) ध यवाद..
आरती- तो फर शु कर?
सध ु ीर- बस आया।

(सध
ु ीर एक गमछा डाले.. और झॊला हाथ म लए टे श ले ट से वेश करता है ।)

आरती- तो यह है जो तम ु हमेशा से होना चाहते थे?


सधु ीर- हाँ।
आरती- कौन हो तम ु ?
(सध ु ीर अपने झोले और गमछे क तरफ़ इशारा करता है ।)
सध ु ीर- क व हूँ। शु क ं ...
आरती- इशाद है ।
सध ु ीर- हमारे बीच क छूट हुई जगह उतना ह ई वर अपने भीतर पाले हुए है िजतना हमारा सारा अनकहा। वह
तु हार ’अनकहा..’ वाल बात मेरे बीच म डाल द ।
आरती- नह ं नह .ं ..
सध ु ीर- नह ं न? को... म फर आता हूँ।
(सध ु ीर वापस जाता है और वह भीतर तैयार करते हुए गाना गाना शु करता है । और कुछ दे र म अंदर गाता हुआ
आता है । बीच म ह उसे समझ म आता है क वह बहुत ख़राब गाता है । आरती हं सने लगती है ... और अपने कान
पर हाथ रख लेती है ... वह क जाता है । और वापस चला जाता है । आरती ज़ोर से हँसती है ।)
सध ु ीर- यह तो बहुत ह बरु ा है ... म फर आता हूँ।

(जैकेट, च मा, हे वरसेक, पहनकर सध ु ीर रॉन बनकर आता है । बहुत काि फडट, कसी क परवाह नह ं जैसा
यि त व! वह आकर सामने खड़ा होता है ।)
सध ु ीर- म... यह ठ क है ।
आरती- बाप रे ... कौन हो तम ु ?
सध ु ीर- म रॉन ह ू ँ ।
आरती- रोन...???
सध ु ीर- रोन नह ं.... ROOOON… ROOON... RAAAOOON… RAAOOOOOONNNNN हूँ।
(आरती मु कुराती है । कुछ दे र उसको दे खती है ।)
आरती- तो ये रॉन या करता है ?
सध ु ीर- I know my shit… म... म घम ू ता- फरता हूँ। यायावर टाइप। पहाड़ , न दय , nature lover... कह ं भी,
कभी भी, बना कसी ओ कुछ बताए.. बस नकल जाता हूँ। पगलपन.. एकदम... मतलब.. खतरनाक। you know
...that types…
आरती- और कहाँ-कहाँ गए हो?
सध ु ीर- अभी? अभी तो शु कया है । मतलब... ल ट है मेरे पास। बहुत सार जगह क !
(दोन एक-दस ू रे को कुछ दे र दे खते ह। रॉन मायसू हो जाता है ।)
आरती- सध ु ीर!
सधु ीर- सॉर ! ये सब कॉलेज के व त सोचा था.. क क व होऊंगा, गायक.. बेड बॉय... पर म जानता हूँ म असल म
या होना चाहता हूँ। आरती, सच म म जानता हूँ क म या होना चाहता हूँ। बस म आया...
(सधु ीर जाता है और कुछ दे र म वो एक बढ़
ू ा आदमी के प म वेश करता है । काला कोट पहने। धीरे से आकर वह
आरती के सामने सम पत-सा खड़ा हो जाता है । आरती उस बढ़ ू े आदमी को दे खती है और मानो व उसे पहचानती
हो। जैसी कुछ दे र म।)
आरती- म आती हूँ।
(आरती जाती है ।)

सधु ीर- (दशक से) म बढ़ ू ा होना चाहता हूँ। म सच म बढ़ ू ा होना चाहता हूँ! सच! म असल म ख़द ु से बड़ी अपे ाएँ
रखता हूँ! मेरे घर वाल को भी मझ ु से बहुत अपे ाएँ ह। शायद मेरे गाँव को भी मझ ु से बड़ी अपे ाएँ ह। इस समाज
को, शायद इस दे श को भी। म जी नह ं पा रहा हूँ। म सफ़ जीना चाहता हूँ। ह का होकर... जो जैसा है उसे ठ क वैसा
का वैसा जी लेना चाहता हूँ। जैसे... अगर दख ु ह तो म दख ु ी होना चाहता हूँ। और सख ु म मझ ु े मु कुराने म कोई
झझक नह ं चा हए। म बहुत ज द वहाँ पँहुचना चाहता हूँ जहाँ से म इन सार अपे ाओं का दायरा लाँघ सकँू । ख़द ु
से भी और दस ू र से भी और बस, जीना शु क ँ ... ह का होकर... बढ़ ू ा होकर।
(आरती वेश करती है । वह कपड़े बदलकर आई है । वह एकदम यव ु ा लग रह है । सध ु ीर आ चय से उसे दे खता है ।)
आरती- ऐसे या दे ख रहे हो? म तो मँह ु धोकर आई हू ँ ।
सध ु ीर- तम ु बहुत अ छ लग रह हो!
(आरती अचानक वतं महसस ू करती है । वह एक अँगड़ाई लेती है और परू े मंच पर ब च -सी उछल-कूद करने
लगती है । सध ु ीर दरू से उसे दे खता रहता है ।)
सध ु ीर- यह या उ है ?
आरती- यह वह उ है । ठ क इस व त के बाद सब बदल गया था। मेरा मझ ु े दे खना, लोग का मझ ु े दे खना, उनक
आँख... सब कुछ। मझ ु े यह उ कतनी यादा याद है , मानो यह हमेशा मेरे साथ थी... और मझ ु े पता ह नह ं था।
सध ु ीर- तो तम ु यह उ होना चाहती हो?
आरती- नह ं यह उ नह ं। म इसक खश ु बू होना चाहती हूँ... मु त! बेबाक़ खश ु ब!ू तु ह पता है मेरा परू ा जीवन बस
इसी बंद ु पर वा पस आने क होड़ है बस।
सध ु ीर- तम ु जानती हो क म तु ह कभी नह ं रोकँू गा, तु हार खश ु बू तक पहुँचने म। फर हम साथ य नह ं चल
सकते?
आरती- म अकेले चलना चाहती हूँ। और अगर ग़लती से साथ चल दए तो तम ु बहुत दख ु ी होगे।
सध ु ीर- मझ ु े ऐसा नह ं लगता है ।
आरती- य ?
सध ु ीर- य क... य क.. खश ु ी बाँटने म है । और अगर...
आरती- बचकानी बात मत करो!
सध ु ीर- या हम कतई साथ नह ं चल सकते?
आरती- तम ु बढ़ ू े होकर भी बदले नह ं।
सध ु ीर- चोर, चोर से जाए... हे रा-फेर से नह ं!
आरती- यह या है ?
सध ु ीर- कुछ अजीब लग रहा है ?
आरती- तम ु बढ़ ू े होना चाहते हो?
सध ु ीर- यह तम ु पछ ू रह हो?
आरती- हाँ! य म पछ ू नह ं सकती?
सध ु ीर- तु ह जवाब दे ना अजीब लगता है ।
आरती- य ?
सध ु ीर- मझ ु े लगता है तु ह तो सब पता है ।
आरती- नह ं! मझ ु े नह ं पता है । बताओ यह उ य?
सधु ीर- यह उ नह ं। म इसक खश ु बू होना चाहता हूँ।
आरती- तम ु मेर बात चोर कर रहे हो।
सध ु ीर- यहाँ हम सब चोर ह। और चोर के बाद अपना माल टटोल रहे ह।
आरती- कुछ मला?
सध ु ीर- अगर कुछ मल जाएगा तो लगेगा क... यह लो, हमने इससे भी मन ु ाफ़ा कमा लया!
आरती- सन ु ो! या कहके म पक ु ा ँ तु ह?
सध ु ीर- त ु ह मे र ा नाम पता है ।
आरती- नह ं! तम ु वह नह ं हो अब.. बादल... बादल अ छा है । वह हरदम बदल जाते ह इससे पहले क आप उ ह
समझ पाओ। मझ ु े बादल बहुत पसंद थे। जब बहुत हो जाते थे तो बरस जाते थे। तम ु बादल हो मेरे लए.. और म?
सध ु ीर- तम ु ! मझ ु े कुछ दस ू रा नह ं दखता तु हारे म। मेरे लए तम ु चह ु ल थी, चह
ु ल हो। तमु बहुत हो मेरे लए... पर
बरसना हमेशा शेष रह जाता है ।
आरती- चह ु ल! तु ह पता है ... जब हम पहल बार मले थे तो मझ ु े लगा था हम कभी नह ं मलगे!
सध ु ीर- और मझ ु े यक़ न था क हम ज़ र मलगे।
आरती- दस ू र बार मझ ु े पता था क हम ज़ र मलगे।
सध ु ीर- वो ऑ फस म... बाप रे .. मने सोचा था क अब नह ं होगी मल ु ाक़ात कभी!
आरती- और इस मल ु ाक़ात के बाद?
सध ु ीर- सच पछ ू ो तो... हम नह ं मलना चा हए।
आरती- कभी नह ं?
सध ु ीर- ना... कभी नह ं! (दोन एक-दस ू रे को दे खकर मु कुराते ह। मानो साल से एक-दस ू रे को जानते ह ।)
आरती- बादल... म बहुत खश ु हूँ। बहुत। जैसे पहल बा रश होती है न...
सध ु ीर- हाँ... जैसे म ट क खश ु ब।ू
(आरती और सध ु ीर दोन एक-दस ू रे क तरफ़ बढ़ते ह। धीरे -धीरे क़र ब आते ह।)
आरती- जैसे... नीला आसमान।
सध ु ीर- जैसे... बचपना।
आरती- जैसे.. शरारत।
सध ु ीर- जैसे बरग़द क छांव
आरती- जैसे ठं डी हवा।
सध ु ीर- जैसे सब ु ह क चाय।
आरती- जैसे तम ु ।
सध ु ीर- जैसे ेम।
आरती- बादल।
सध ु ीर- चह ु ल।
(दोन एक-दस ू रे को चम ू ते ह।)
Black out

Scene-7

(माँ और न मी बैठे हुए ह। सामने मठाई का ड बा पड़ा हुआ है । माँ मठाई के ड बे को उठाती है ।)
न मी- मझ ु े बड़ी खश
ु ी हो रह ह आंट ।
माँ- कहाँ से लाए यह मठाई?
न मी- हमारे गाँव क सबसे गज़ब मठाई है ।
माँ- अरे तो चख़ लेते ह?
न मी- नह ं नह ं... एक बार आरती आ जाए तो खोल लगे।
माँ- अरे वह आती होगी। तब तक... थोड़ा सा!
न मी- जब इतना इंतज़ार कया है तो थोड़ा ओर सह ।
(सध ु ीर क भीतर से आवाज़ आती है ।)
सधु ीर- आंट श कर कहाँ है ?
माँ- अरे वो... को म आती हूँ।
सध ु ीर- रहने द िजए मल गई... मल गई।
माँ- अरे ! इसे या ज़ रत थी चाय बनाने क ! म कर लेती!
न मी- अरे भइया गज़ब चाय बनाते ह!
माँ- आरती को पता है न?
न मी- पता नह ं... आरती ने भइया के हाथ क चाय पी क नह ं!
माँ- अरे वह नह .ं .. आरती को पता है न क तम ु लोग आ रहे हो?
न मी- भइया ने तो कहा था क पहले ख़त लखकर बता दे ते ह क हम आ रहे ह। पर मने कहा सर ाइज़ दे ते ह।
बड़ा मज़ा आएगा।
माँ- अरे ! मझ
ु े लगा आरती को पता है .. अरे बता दे ते तो ठ क रहता। आरती को सर ाइज़ पसंद नह ं है ।
न मी- सर ाइज़ सबको अ छे लगते ह!
माँ- पर आरती ऐसी नह ं है । वह तो...
(तभी आरती ऑ फ़स से वापस आती है ।)

आरती- अरे न मी! तम ु या कर रह हो यहाँ?


न मी- अरे आइए! आप का ह इंतज़ार था... बै ठए।
माँ- आरती, यह लोग आए ह।
आरती- कौन लोग?
माँ- मने नह ं बल ु ाया। यह लोग ख़द ु आए ह।
आरती- कौन लोग माँ?
(सध ु ीर अंदर से चाय लेकर आता है ।)
सधु ीर- यह ल िजए गरमा गरम चाय...
न मी- द ु हा पसंद आया?
आरती- या?
माँ- न मी मज़ाक कर रह है ?
आरती- तम ु अंदर चाय बना रहे थे?
न मी- भइया बहुत अ छ चाय बनाते ह।
सध ु ीर- तु हारे लए भी बनाई है ।
(सध ु ीर चाय रखता है । कुछ दे र चु पी रहती है । कोई चाय नह ं छूता।)
आरती- तम ु ने मेरे लए चाय बनाई है ? मझु े व वास नह ं हो रहा है !
न मी- ऐसा होता है .. पहले चाय आती है फर पकोड़े.. ।
माँ- अ छा छोड़ो... चाय पीते ह।
आरती- माँ को! सध ु ीर... यह या हो रहा है ?
सध ु ीर- आंट ! असल म इसे कुछ नह ं पता। म समझाता हूँ। मने न मी को बताया था क तम ु आई थी मलने.. वो
हनम ु ान टे कड़ी पर.. । और इसने परू े घर म बात फैला द .. तो फर मने सोचा चलो...
आरती- तम ु ने सोचा चलो! चलो या?
सधु ीर- मतलब... अब तो हमको...
आरती- हमको शाद कर लेनी चा हए! है ना?
सध ु ीर- हाँ ... मतलब कम से कम बात तो कर सकते ह।
आरती- मझ ु े िजस बात का डर था... तम ु ब कुल वैसे ह नकले!
सध ु ीर- कैसे?
आरती- मतलब... रमेश, राकेश, दनेश जैसा सध ु ीर!
सध ु ीर- आरती!
आरती- या आरती... हम दोन ने इतना अ छा समय साथ गज़ ु ारा। और तम
ु ने इतना छोटा मतलब नकाला
उसका... क बस अब तो यह मेर है ? और यह बात भी खद ु ह तय कर ल ... क यह तो बस अब मेर है .. म बस
एक चीज़ ह नकल न अंत म तु हारे लए? अरे इसके साथ तो बहुत मज़ा आया अब तो इसे सजाकर म अपने घर
म ले जाऊँगा। इसे सबसे सह जगह रखग ूँ ा। यह परू ा जीवन मेरा मनोरं जन करे गी...!
सध ु ीर- आरती, यह या कह रह हो तमु ?
आरती- सध ु ीर, तु ह सच म कुछ समझ म नह ं आया? तम ु ...
(आरती उठकर भीतर चल जाती है । सब लोग चप ु रह जाते ह।)
न मी- भइया आपने तो कहा था क आरती और आप!
सध ु ीर- पर या हुआ.. मझ ु .े .।
माँ- मने पहले ह कहा था क उसको बता दे त।े
न मी- भइया चलो... च लए हम लोग चलते ह!
माँ- अब आप चाय पीकर जाइए। और मठाई भी चख़ लेते ह।
न मी- आप रख ल िजए मठाई... हम चलते ह।
सध ु ीर- को! म... म बात करता हूँ।कुछ क यज़ ु न हुआ है । मझ ु े बात करना है ।
न मी- भइया जाने दो।
सध ु ीर- नह ं! कोई क यज ू न है । आंट म बस एक बार...
(सध ु ीर उठकर पीछे जाता है और आरती को आवाज़ लगाता है ।)

सधु ीर- आरती... आरती... आरती... या हुआ? यह या है ? तम ु ऎसे उठकर य चल ग ? आरती मने या
कया ऐसा? आरती...
(आरती बाहर आती है ।)
आरती- या हुआ? तम ु या चाहते हो?
सध ु ीर- मझ ु े नह ं पता।
आरती- झठ ू मत बोलो।
सध ु ीर- म सच कह रहा हूँ, मझ ु े नह ं पता क म या करना चाहता हूँ।
आरती- म बताऊँ?
सध ु ीर- हाँ...
आरती- तम ु न मी और मेर माँ को यह बताना चाहते हो क तु ह तो कुछ समझ म नह ं आया! जब क तम ु सब
समझ रहे हो।
सध ु ीर- मझ ु े सच म कुछ समझ नह ं आ रहा है ।
आरती- तु ह यहाँ नह ं आना चा हए था बादल।
सध ु ीर- एक तो तम ु मझ ु े बादल मत कहो।
माँ- यह बादल कौन है ?
न मी- आरती... आरती... असल म मेर ग़लती है ! म भइया को ज़बरद ती लेकर आई थी। चलो भइया... चलो!
सध ु ीर- नह ं! यह झठ ू बोल रह है .. म ख़द ु यहाँ आना चाहता था। म अपनी मज़ से आया हूँ।
न मी- चलो भइया... बस! अब चलते ह। चलो यहाँ से..।
( न मी ज़बदि त सध ु ीर को ले जाने लगती है .. सध ु ीर उसे रोकता है ।)
सधु ीर- नह ं! अगर म अभी चला गया तो यह सब कुछ फर पहे ल बन जाएगा, मझ ु े इसका जवाब चा हए।
न मी- नह ं भइया... चलो।
सध ु ीर- म जा नह ं सकता।
(अचानक सध ु ीर पहल बार च लाता है और न मी घबरा जाती है । उसक समझ म नह ं आता क वह या
करे ।बाक़ सब भी कुछ डर जाते ह। सध ु ीर अपने च लाने पर झप जाता है । वो आरती के पास जाता है ।)
सध ु ीर- आरती मझ ु े कुछ समझ नह ं आ रहा... सन ु मझ ु से बात कर .. इधर आकर बैठो.. मझ ु े बस कुछ दे र बात
करनी है । बैठो।
(सध ु ीर आरती बैठते ह... माँ आरती के पास बैठती है .. और न मी डर हुई सध ु ीर के पास)
सध ु ीर- बताओ आरती.... म इस व त या महसस ू कर रहा हूँ..?
आरती- सध ु ीर तम ु घर जाओ।
न मी- चलो भईया घर चलते ह।
सध ु ीर- नह ं... अ छा सन ु ो! आओ चह ु ल खेलते ह।
आरती- तम ु पागल हो गए हो?
माँ- यह या हो रहा है ?
न मी- भइया... सन ु ो! हो गया बहुत... हम चलते ह।
आरती- सध ु ीर... तम ु जाओ यहाँ से।
न मी- या कर रहे हो भईया.. पागल हो गए हो.. चलो घर चलते ह।
सध ु ीर- (ज़ोर से च लाता है ) म पागल नह ं हूँ और म चला जाऊँगा घर... पर म ग़लत नह ं हूँ! सह या है मझ ु े नह ं
पता, वह तम ु बता पाओगी। इस लए च ह
ु ल खे ले त े ह। आओ। तमु इधर बै
ठ ो... म उधर बैठता ह ू ँ । (सधु ीर आरती को
अपनी जगह बठाता है और ख़द ु उसक जगह बैठता है ।) हाँ अब ठ क है । अब बताओ सह या है ?
आरती- तम ु सह हो सध ु ीर।
सध ु ीर- चह ु ल! चह ु ल! नह ं ऐसे नह ं... शु से खेलते ह। तम ु पछ ू ो माँ कैसी है मेर । पछू ो। जाने दो, म बताता हूँ...
मेर माँ बहुत अ छ ह।
न मी- माँ...! भइया या कह रहे हो आप?
सध ु ीर- और यह न मी। तु हार बहन न मी कैसी है ? बताओ? बताओ?
माँ- अरे ! यह या कह रहे हो तम ु सध ु ीर?
(सध ु ीर बह ु त ते ज़ चीखने लगता है ।)
सध ु ीर- जब म तम ु से शाद नह ं करना चाहता तो य आ गई यहाँ? या कर रहा हूँ म? य आ गया म यहाँ पर?
या सच म म पागल हूँ?
न मी- भइया चलो यहाँ से। या कर रहे हो आप? चलो... चलो...
माँ- आरती तम ु अंदर चलो।
( न मी सध ु ीर को ख़ीचकर ले जाती है ... पर दरवाज़े तक पहुँचकर सध ु ीर क जाता है .. आरती क माँ उसे अंदर ले
जाने को होती है पर आरती दरवाज़े पर क जाती है ।)
सध ु ीर- म नह ं जाऊँगा। मझ ु े जवाब चा हए। यह पहे ल है !
न मी- म जाती हूँ। म नह ं दे ख सकती यह सब। म जाती हूँ।
( न मी नकल जाती है ।)
माँ- आरती! चलो... म कह रह हूँ चलो!
आरती- माँ! म बात करती हूँ... आप अंदर जाओ।
माँ- ले कन बेटा!
आरती- माँ आप जाओ।
(माँ भीतर चल जाती है ।)
आरती- आओ चह ु ल खेलते ह... आओ बैठो।
(सधु ीर आता है और आरती के सामने बैठ जाता है ।)
आरती- शु कर?
सधु ीर- हाँ।
Black out…

( Fade in पर हम दे खते है ब कुल scene number -0 है । लड़ कयाँ खड़ी ह और पडुलम क तरह हल रह ह।


आरती कुछ दे र म बीच से नकलती है । सभी लड़ कयाँ बखरकर अपनी-अपनी जगह लेती है ...। सभी के हाथ म
उलझा हुआ धागा है िजसे वो सब लगातार सल ु झाने क को शश करती ह। आरती दशक से।)
आरती- या म ग़लत हूँ?
लड़क 1- यह तो ग़लत लग रहा है ।
आरती- तो सह या है ?
लड़क 2- शायद! सह यह होता क म अभी ‘हाँ’ कह दे ती और इसे नभाती रहती... अंत तक!
आरती- हाँ! यह एक तर क़े से सह हो सकता था।
लड़क 2- एक तर क़े से?
आरती- कसी दस ू रे तर क़े से नह ं िजया जा सकता या?
लड़क 2- य नह !ं पर फर बाद म पछताओगी।
आरती- या हम इतने मह वपण ू ह? एक कहानी ज़ाया हो गई तो या होगा? कतनी सफल कहा नयाँ तो ह हमारे
पास!
लड़क 1- तक़ल फ उदाहरण बनने क है । एक पछताई कहानी का इ तेमाल। बाक़ कहा नय को डराने के लए
काफ़ है ।
आरती- एक ख़राब उदाहरण भी तो ज़ र है बाज़ार के लए। मझ ु े द कत नह ं है ।
लड़क 3- बहुत पहले म एक लड़क को जानती थी जो पेन से काग़ज़ पर ततल बनाया करती थी। वह उसे रं ग से
भर दे ती। फर... वह उस काग़ज़ को हवा म उछालती। उसे लगता क एक दन ये ततल , इस काग़ज़ से छटककर
उड़ जाएगी। फर एक दन कूल के ाइंग के ट चर ने उस ततल को दे खा और उसे थम परु कार दे दया। बहुत
समय तक वह ततल कूल के नो टस बोड पर चपक रह ।
आरती- मख ू !
बाक़ सब- मख ू !
आरती- एक ह जीवन तो है हमारे पास। और मझ ु े यह एक योग जैसा लगता है । और इस योग के सारे नणय
मेरे होने चा हए.. गलत सह .. सब मेरा ह तो है ना! जैसे मझ ु े पता है क काग़ज़ पर पेन से बनाई हुई ततल कभी
उड़ नह ं सकती। पर मझ ु े थम पु कार नह ं चा हए। और सच कहूँ तो मझ ु े नह ं पता... और कसी को भी नह ं
पता है ... या कुछ नह ं पता होना गन ु ाह है ? म उस ततल के उड़ने क आशा के भीतर ख़श ु हूँ। और इन अपनी
बचकानी आशाओं के बीच मझ ु े कसी दसू रे क जगह नह ं दखती। म इसम अक े ले रहना चाहती हूँ।
लड़क 1- इसका यह मतलब नह ं क सं यास ले लया है ?
आरती- कतई नह ं! म इस जीवन को उसक संपण ू ता म जीना चाहती हूँ।
लड़क 3- जैसे ताजमहल?
आरती- हाँ... जैसे ताजमहल! मझ ु े ताजमहल बहुत पसंद है । म उसे दे खना चाहती हूँ। छूना चाहती हूँ, पर उसे घर
नह ं लाना चाहती।
सधु ीर- यह तो मेर बात है ?
आरती- तु ह ं ने कहा था क यहाँ हम सब चोर ह।
(सभी लड़ कया पलटकर सध ु ीर को दे खती ह। आरती सध ु ीर के पास जाती है ।)
आरती- है न?
सध ु ीर- हाँ! और चोर के बाद अपना माल टटोल रहे ह।
आरती- कुछ मला?
सधु ीर- हाँ!
आरती- या?
सध ु ीर- एक बात समझ म आई है । वो जो ेरणा थी न...
आरती- हाँ!
सध ु ीर- उससे बात मु त करती थी और म उसे बाँधना चाहता था। हम आज भी सब कुछ बाँधना ह चाहते ह।
तु हार त वीर अभी भी मेर द वार म टँ गी हुई है । म बस उस त वीर म, ज़बरद ती ख़द ु को घस
ु ाने क को शश
कर रहा था। जब क वह त वीर अपने आप म परू है । और मेर द वार पर काफ़ अ छ लगती है ।
आरती- या यह अभी भी पहे ल है ?
सध ु ीर- नह ं, ब कुल भी नह ं।
आरती- सन ु ो! तम
ु हनम ु ान टे कड़ी जाना बंद तो नह ं करोगे न?
सध ु ीर- तम ु फर चह ु ल कर रह हो?
आरती- तु ह पसीना बहुत ज द आता है ।
सध ु ीर- असल म मझ ु .े ..
आरती- तु ह इसक आदत नह ं है !
सध ु ीर- पसीने क ?
आरती- नह ं! म तो चह ु ल क बात कर रह थी।
सध ु ीर- म चलता हूँ।
आरती- अरे चाय?
सध ु ीर- वह न मी नाराज़ होकर गई है ... वह बवाल मचा दे गी।
(सध ु ीर जाने को होता है तभी न मी क आवाज़ आती है । वह मंच पर ह बाक़ लड़ कय के साथ बैठ है ।)
न मी- भइया जब इतनी चाय बन गई है तो पीकर ह चलते ह।
माँ- और मठाई भी चख़ लगे।

(Music fade in होता है । माहौल ह का हो जाता है । न मी आकर सध ु ीर के गले लगती है । इसी व त सार
लड़ कयाँ आरती के साथ चाय म मदद करती ह। धीरे -धीरे सभी मंच पर आते ह। और सबको आरती, न मी और
माँ चाय दे ते ह। परू े मंच पर सारे लोग अलग-अलग प ु म चाय पी रहे ह और बातचीत कर रहे ह। सभी एक साथ
दशक क तरफ़ धम ू ते ह। सामने आकर दशक को णाम करते ह।)

THE END…………………………………….

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